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Our Unwanted Marriage

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Simran Ansari

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Description

अपनी जान बचाने का एहसान उतारने के लिए अपर्णा को करनी पड़ती है आरव से अनचाही शादी, और आप उसका पति है आरव खन्ना जिसे वह जानती तक नहीं? और आरव की मां जानकी जी के कहने पर उन दोनों ने की है एक दूसरे से शादी आरव भी अपर्णा से यह शादी नहीं करना चाहता था क्यो...

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आरव खन्ना

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Total Chapters (40)

Page 1 of 2

  • 1. Our Unwanted Marriage - Chapter 1

    Words: 1187

    Estimated Reading Time: 8 min

    1

    एक लड़की परेशान-सी एक कमरे में इधर-उधर टहल रही थी। उसने लाल रंग का शादी का लहंगा पहन रखा था, जिसमें वह बला की खूबसूरत लग रही थी। वह कमरा पूरी तरीके से फूलों से सजा हुआ था और बीच में एक किंग साइज बेड पड़ा हुआ था।

    तभी दरवाजा खुला और एक बहुत ही हैंडसम आदमी अंदर आया। उसने भी शेरवानी पहनी हुई थी। उसकी हाइट 6 फुट थी, डैशिंग बॉडी, ब्लैक हेयर, हैज़ल ग्रीन आइस, जिनमें डूब जाने का मन करता था।

    तो यह था हमारी कहानी के हीरो, मिस्टर आरव खन्ना, जिन्होंने अपनी मां के कहने पर अपर्णा से शादी कर ली थी। आरव की उम्र 27 साल थी।

    आरव गुस्से में अपर्णा के पास आया और उसकी बाजुओं को जोर से पकड़ते हुए कहा, "तुम्हें क्या लगता है, तुमने मेरी मां को अपने ड्रामे में फंसा कर मुझसे शादी कर ली और मैं तुम्हें एक्सेप्ट कर लूंगा? ऐसा कभी नहीं होगा। मुझे पता है तुम सिर्फ एक गोल्ड डिगर लड़की हो। वैसे भी मैं किसी और से प्यार करता हूं और यह शादी सिर्फ 6 महीनों के कॉन्ट्रैक्ट पर हुई है। तो तुम सिर्फ 6 महीने मेरे साथ रहोगी और कोई अपने ख्वाब मत सजाना मेरे साथ, समझी? वरना मैं तुम्हारा वह हाल करूंगा जिससे तुम्हारी रूह कांप जाएगी।"

    इतना कहकर आरव ने उसे छोड़ दिया।

    अपर्णा भी गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोली, "तो आपको क्या लगता है, मिस्टर आरव, कि मैंने आपसे शादी खुशी से की है? मुझे शादी करने का कोई शौक नहीं है और वह भी आप जैसे घटिया इंसान से। आपकी मां ने तो बस मेरी जान बचाई थी और बदले में कीमत के रूप में मुझे ही मांग लिया। मुझे आपसे शादी करने के लिए मजबूर किया। और हां, आपको क्या लगता है, क्या आपकी इन बातों से मैं डर जाऊंगी? तो यह बिल्कुल भी मत सोचना।"

    इतना कहकर अपर्णा स्माइल करते हुए अपने कपड़े चेंज करने के लिए चली गई।

    उधर आरव बालकनी में बैठकर उसके बारे में सोच रहा था। पहली बार ऐसा था कि किसी ने आरव खन्ना के बारे में ऐसा बोलने की हिम्मत की थी।

    जब अपर्णा कपड़े चेंज करके आई तब आरव को रूम में न पाकर वह बहुत खुश हुई। वह आराम से जाकर बेड पर सो गई।

    जब आरव कमरे में आया तब अपर्णा को अपने बेड पर सोते देख उसे बहुत गुस्सा आया। उसने उसे जगाते हुए कहा, "यह मेरा बेड है, तुम इस पर ऐसे नहीं सो सकती।"

    अपर्णा जागते हुए गुस्से में उससे बोली, "क्या आप पागल हो गए हैं जो ऐसा कर रहे हैं? आप काउच पर भी तो सो सकते थे।"

    यह सुनकर आरव को बहुत गुस्सा आ गया। वह लगभग चिल्लाते हुए बोला, "तुम पागल हो गई हो क्या? यह मेरा घर है और तुम मेरे रूम में मेरे बेड पर सो रही हो।"

    अपर्णा ने हंसते हुए कहा, "आप शायद भूल रहे हैं, मिस्टर आरव खन्ना, कि हमारी शादी हुई है। अब से हम दोनों हस्बैंड वाइफ हैं, हां भले ही यह मैरिज केवल 6 महीनों के लिए हुई हो।"

    यह सुनकर आरव गुस्से में चिल्लाया, "बस अब बहुत हो गया, तुम कुछ ज्यादा ही बोल रही हो।"

    और वह अपर्णा को मारने के लिए जैसे ही अपना हाथ उठा लेता है, लेकिन अपर्णा उसका हाथ रोक लेती है और गुस्से में बोली, "बस, मिस्टर आरव, आपने मुझसे कॉन्ट्रैक्ट मैरिज की है इसका मतलब यह नहीं कि आप जो कहेंगे मैं वह करूंगी। और आइंदा से ऐसी गलती दोबारा मत कीजिएगा वरना दोबारा हाथ उठाने के लायक नहीं बचेंगे।"

    इतना कहकर अपर्णा ने उसका हाथ झटक कर दूर कर दिया और फिर दोबारा से सो गई और आरव भी गुस्से में जाकर काउच पर सो गया।

    अगली सुबह

    सुबह के 7:00 बज रहे थे,

    तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और अपर्णा अपने बाल सुखाते हुए बाहर आई। उसने एक रेड कलर की साड़ी पहन रखी थी जो कि उस पर बहुत ही सुंदर लग रही थी। अपने बाल सुखाकर ड्रेसिंग के सामने तैयार होने लगी। उसने चूड़ी पहनी, तो उसकी चूड़ियां बहुत आवाज करने लगीं, जिसकी वजह से आरव की नींद खुल गई। वह सामने देखता है तो अपर्णा को देखता है। वह उसे बहुत ही सुंदर लग रही थी जैसे कि कोई अप्सरा। फिर वह अपने दिल को समझाता है कि वह सिर्फ एक गोल्ड डिगर लड़की है। उसने उससे सिर्फ पैसों के लिए शादी की है।

    यह सोचता हुआ आरव उठा और नहाने चला गया। अपर्णा भी तैयार होकर नीचे आ गई और रसोई में मदद करने लगी। आरव तैयार होकर नीचे आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया। तभी अपर्णा उसके पास आकर उसे खीर सर्व करती है जो उसने खुद बनाई थी।

    तभी उसकी मां जानकी खन्ना वहां आईं और उससे बोली, "बेटा, खीर कैसी बनी है?"

    आरव उसे खाते हुए बोला, "मां, यह खीर बहुत ही अच्छी बनी है।"

    तभी जानकी जी ने कहा, "अच्छी कैसे नहीं होगी, यह तो मेरी बहू अपर्णा ने जो बनाई है।"

    इतना सुनकर आरव खीर की कटोरी वहीं छोड़कर खड़ा हो गया और अपनी मां से बोला, "मां, मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है। मैं जा रहा हूं।" फिर वह जानकी जी के पैर छूता है और ऑफिस के लिए निकल जाता है। लेकिन अपर्णा समझ गई थी कि आरव ने खीर क्यों नहीं खाई।

    जानकी जी ने अपर्णा से कहा, "चलो बेटा, हम भी नाश्ता कर लेते हैं।"

    अपर्णा ने भी "हाँ, मां जी" कहकर नाश्ता सर्व किया और दोनों लोग साथ में बैठकर नाश्ता करने लगी।

    आरव के परिवार में सिर्फ उसकी मां और एक बहन थी और उसकी बहन ज्यादातर हॉस्टल में रहती थी क्योंकि अपने पापा की डेथ के बाद से उसकी बहन जल्दी घर नहीं आती थी क्योंकि वह अपने पापा से बहुत ही ज्यादा प्यार करती थी और घर आने के बाद वह काफी डिस्टर्ब रहती थी इसलिए उसकी मां और भाई भी उसे घर आने के लिए नहीं बोलते थे वह सिर्फ छुट्टियों पर ही घर आई थी।

    आरव जब 15 साल का था, तब उस के पिता का एक्सीडेंट हो गया था। उसके बाद उसी ने उनका बिजनेस संभाला और साथ ही अपनी पढ़ाई भी पूरी की। पढ़ाई के बाद वह बिजनेस पर और भी ज्यादा ध्यान देने लगा और उसे इंडिया की नंबर वन कंपनी बनाया।

    इसके अलावा आरव की एक गर्लफ्रेंड भी थी जिसका नाम रिद्धिमा था। वह एक डॉक्टर बनना चाहती थी, जिसकी वजह से वह अभी इंडिया से बाहर थी और अपनी मेडिकल की पढ़ाई कंप्लीट कर रही थी जिसमें आरव ने भी उसकी बहुत हेल्प की थी।

    अभी कुछ दिनों पहले अपर्णा का एक भयानक एक्सीडेंट होते-होते बचा था और आरव की मां ने ही उसकी जान बचाई थी, इसीलिए उसकी मां ने जबरदस्ती उसकी शादी अपर्णा से करवा दी थी।

    6 महीने बाद रिद्धिमा वापस इंडिया आ रही थी, इसीलिए आरव ने अपर्णा से 6 महीने के कॉन्ट्रैक्ट मैरिज की। रिद्धिमा के आने के बाद वह अपर्णा को छोड़ देगा।

    ---

    Hello my sweeties 🥰

    I hope आपको मेरी स्टोरी अच्छी लगी होगी। बताइए कैसा लगा पहला एपिसोड और मिलते हैं अगले चैप्टर के साथ जल्द ही। आगे क्या होगा जानने के लिए बने रहिए मेरी इस नई स्टोरी Our Unwanted Marriage के साथ!

  • 2. Our Unwanted Marriage - Chapter 2

    Words: 1678

    Estimated Reading Time: 11 min

    2

    आरव के वहां से चले जाने के बाद जानकी जी नाश्ता कर रही थी जिससे की शादी के बाद पहले दिन से वहां पर अकेला ना महसूस हो और इस शादी में उनके बेटे की मर्जी पूरी तरह से शामिल नहीं थी इस बात का भी उन्हें अच्छी तरह से अंदाजा था।

    नाश्ता करते हुए जानकी जी ने अपर्णा से उसके बारे में पूछा, "बेटा कॉलेज के कौन से ईयर में हो तुम, पूछा भी नहीं, कितनी जल्दबाजी में शादी हुई ना इसलिए..."

    अपर्णा ने जानकी जी की बात का जवाब देते हुए कहा, "आंटी, वो मेरा फाइनल ईयर है कॉलेज का?"

    अपर्णा की यह बात सुनते ही जानकी जी का मुंह बन गया और उन्होंने कहा, "इतना समझाया मैंने तुम्हें शादी के पहले भी और अभी सुबह भी कि मुझे आंटी नहीं मां बुलाया करो। अब से मैं तुम्हारी मां हूं लेकिन तुम फिर से मुझे आंटी बोल रही हो, मैं नाराज़ हो जाऊंगी।"

    अपर्णा को पता था कि जानकी जी बस नाराज होने का नाटक कर रही थी लेकिन फिर भी वह उन्हें मनाते हुए बोली, "आई एम सॉरी आंटी! मेरा मतलब है मां, सॉरी वह मुझे आदत नहीं है ना लेकिन अभी थोड़ी देर पहले मैंने आपको मां बोला था, और अब से मैं ध्यान रखूंगी, पक्का प्रॉमिस!"

    अपर्णा ने कान पकड़ते हुए यह बात बोली तो उसे ऐसे देखकर जानकी जी हंसने लगी और उसका हाथ पकड़ कर कान से हटाते हुए बोली, "अरे मां भी बोल रही हो और सॉरी भी, यह तो नहीं चलेगा चलो माफ किया।"

    उनकी बात सुनकर अपर्णा हंसने लगी और उसे बहुत ही अच्छा लगा एकदम अपनेपन जैसा क्योंकि एक अनाथ आश्रम में पली-बढ़ी अपर्णा आज तक किसी से भी इतनी ज़्यादा क्लोज़ नहीं थी। लेकिन जानकी जी के साथ उसे शुरू से ही बहुत अपने जैसी फीलिंग आती थी बस इसीलिए वह उनकी बात भी नहीं टाल पाई थी और उसने आरव जैसे घमंडी और गुस्सैल इंसान से शादी कर ली थी।

    नाश्ता खत्म करने के बाद अपर्णा ने जानकी जी की तरफ देखा और नाश्ता करने के दौरान भी वो बार-बार उनकी तरफ देख रही थी तो जानकी जी समझ गई कि ज़रूर वह कुछ बोलना चाहती थी और बोल नहीं पा रही इसीलिए उन्होंने अपर्णा की हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "बेटा तुम्हें अगर मुझसे कुछ भी कहना है तो तुम कह सकती हो। तुमने मुझे मां बोला है ना तो मां बेटी के बीच कैसी झिझक?"

    जानकी जी ने जैसे ही यह बात बोले अपर्णा को भी जैसे एकदम से हिम्मत मिली और उसने तुरंत ही कहा, "मां, वह मुझे कॉलेज जाने के बारे में ही बात करना था वो यह शादी इतनी जल्दबाजी में हुई कि मैंने कॉलेज में छुट्टी के लिए भी अप्लाई नहीं किया था और शादी की वजह से पहले ही दो-तीन दिन का गैप हो गया तो क्या आज से मैं कॉलेज ज्वाइन कर सकती हूं?"

    जानकी जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां हां बिल्कुल बेटा! पढ़ाई बहुत इंपॉर्टेंट है इसीलिए तो मैं उस बारे में तुमसे पूछ रही थी और तुम्हें मेरी या किसी की भी परमिशन लेने की जरूरत नहीं है। तुम कॉलेज आ जा सकती हो, ड्राइवर के साथ किसी भी कार में।"

    यह बात सुनकर अपर्णा खुश तो हुई लेकिन तभी उसे कुछ और भी याद आया और वह बात याद आते ही एकदम ही उसका चेहरा फिर से उतर गया और उसने कहा, "मां लेकिन मैं कार से नहीं जाना चाहती वहां पर सब मुझसे सवाल करेंगे और वैसे भी यह सब मेरा नहीं है।"

    अपर्णा की यह बात सुनते ही जानकी जी ने कहा, "किसने कहा तुमसे ये? तुम्हारी शादी आरव खन्ना से हुई है अब जो कुछ उसका है सब तुम्हारा भी है बेटा! उसकी मां भी तो अब तुम्हारी मां हो गई है ना।"

    जानकी जी के पूछने पर अपर्णा ने थोड़ा सा झिझकते हुए जवाब दिया, "वो.. ये सब उन्होंने ही कहा था कल रात में ही वो मुझे लालची बोल रहे थे और उन्होंने ही कहा था कि मैं उनके पैसों के लिए उनके साथ हूं। ऐसे में अगर मैं उनकी कार और बाकी लग्जरी चीजें यूज़ करूंगी तो उन्हें और मौका मिलेगा। मां, मैं किसी को कोई मौका नहीं देना चाहती।"

    अपर्णा की बातें सुनकर जानकी जी बहुत ही ज़्यादा चौंकते हुए बोली, "क्या? ऐसा कहा उसने मेरी बहू से आने दो आज मैं उसे बताती हूं अच्छे से क्लास लगाऊंगी उसकी इतनी हिम्मत कैसे हुई?"

    जानकी जी थोड़े से गुस्से में लगने लगी थी तो अपर्णा उन्हें समझाते हुए बोली, "नहीं, नहीं मां! इन सब की कोई ज़रूरत नहीं है और वैसे भी जिन हालातों में हमारी शादी हुई, किसी को भी ऐसी गलतफहमी हो सकती है और टाइम के साथ सब ठीक हो जाएगा लेकिन अभी के लिए मैं बस खुद को प्रूफ करना चाहती हूं इसलिए कॉलेज के साथ अपनी पार्ट टाइम जब भी कंटिन्यू करना चाहती हूं।"

    अपर्णा ने जैसे ही यह बात बोली जानकी जी के चेहरे के एक्सप्रेशन एकदम ही चेंज हो गए और उन्होंने कहा, "नहीं बेटा, उस पार्ट टाइम जॉब की क्या जरूरत है अब तुम्हें। पहले तो तुम अपनी ज़रूरतें पूरे करने के लिए वह जॉब करती थी ना अब तुम्हारी जो भी ज़रूरत है तुम हमें बता सकती हो मुझे या फिर आरव को। और तुम चाहो तो मैं तुम्हें अपना डेबिट कार्ड भी दे सकती हूं।"

    अपनी सास की यह बातें सुनकर अपर्णा तुरंत ही बोली, "नहीं मां प्लीज़ मुझे आपका कार्ड और आरव जी के पैसे नहीं चाहिए क्योंकि ऐसे तो उनकी कहीं सारी बातें सच हो जाएंगी। प्लीज मुझे यह जॉब कंटिन्यू करने दीजिए।"

    जानकी जी बहुत ही प्यार से अपर्णा को समझाते हुए बोली, "अरे नहीं, उसके कहने से कुछ नहीं होता क्योंकि यह सब अब तुम्हारा भी है बेटा! तुम इस घर की बहू हो तो ऐसे में हमारे परिवार की बहू कहीं कैफे में काम करेगी तो फिर मैं सबको क्या जवाब दूंगी इस बारे में। तुम मेरे बारे में भी तो सोचो थोड़ा अपनी मां के बारे में और वैसे भी अगर तुम्हें जॉब करनी है तो पढ़ाई पूरी होने के बाद तुम हमारी कंपनी में किसी भी पोस्ट पर जाॅब कंटिन्यू कर सकती हो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है जो तुम्हारे जॉब करने से बट ऐसे किसी और के कैफे में वेटर की जॉब..."

    यह बात बोलते हुए उन्होंने बहुत ही अजीब सा चेहरा बना लिया लेकिन अपर्णा हार नहीं मनाना चाहती थी इसलिए उसने एक और कोशिश करते हुए कहा, "मां प्लीज़! और वैसे भी वह मेरे लिए सिर्फ जॉब नहीं है असल में, वो वो क्या है ना, वह वह कैफे मेरी एक फ्रेंड का है और उसने अभी काम शुरू किया है तो अभी ज्यादा स्टाफ हायर करने के लिए उसके पास ज्यादा पैसे भी नहीं है और मैं कम पैसे में भी उसकी ज्यादा हेल्प कर देती थी ऐसे में मैं अचानक से काम छोड़ूंगी तो उसे भी प्रॉब्लम होगी इसलिए प्लीज मुझे यह जॉब कंटिन्यू करने दीजिए बस कुछ महीनों की ही बात है फिर जब उसके पास इनफ स्टाफ हो जाएगा तब मैं छोड़ दूंगी।"

    अपर्णा ने बहुत ही ज्यादा रिक्वेस्ट करते हुए कहा तो जानकी जी भी उसे बार-बार मना नहीं कर पाई और उसकी ऐसी प्यारी आंखें जिनमें रिक्वेस्ट भरी हुई थी उसे देखकर थोड़ा सोचने के बाद आखिर उन्होंने कहा, "अच्छा‌, अगर ऐसी बात है तो चलो फिर ठीक है लेकिन कॉलेज के बाद ही जाना और घर वापस कब आओगी, यह मुझे बता दो।"

    आखिर जानकी जी इस बात के लिए मान गई तो अपर्णा उनकी बात का जवाब देती हुई बोली, "मां वो ऐसे तो मैं रात के 8:00 बजे हॉस्टल वापस जाती थी लेकिन अगर यह ज्यादा लेट है तो फिर मैं उससे बोल दूंगी और 7:00 बजे तक वापस आने की पूरी ट्राई करूंगी लेकिन उससे जल्दी तो नहीं हो पाएगा क्योंकि मेरा कॉलेज 2:00 बजे खत्म होता है तो कम से कम 4 से 5 घंटे तो काम करना ही पड़ेगा पार्ट टाइम में भी।"

    जानकी जी अपनी आंखें छोटी करके शक भरी निगाहों से अपर्णा की तरफ देखते हुए बोली, "क्या मतलब है करना ही पड़ेगा तुम तो अपनी फ्रेंड की हेल्प के लिए जा रही हो ना तुम्हें ऐसे काम करने की कोई जरूरत नहीं है यही तो मैं बोल रही थी।"

    चेहरे पर एक जबरदस्ती की हंसी के साथ अपर्णा बोली, "अरे नहीं मां! मैं भी हेल्प के लिए ही बोल रही हूं क्योंकि उसे टाइम ज्यादा लोग आते हैं कैसे मैं बस इसीलिए लेकिन मैं 7:00 बजे तक पक्का वापस आ जाऊंगी।"

    अपर्णा की यह बात सुनकर एक गहरी सांस लेते हुए जानकी जी ने धीरे से अपना सिर हिलाया तो अपर्णा खुश होकर जानकी जी के गले से लग गई और बोली, "थैंक यू थैंक यू सो मच मां, यू आर द बेस्ट!

    अपर्णा को इतना खुश देखकर आखिर जानकी जी ने भी मुस्कुरा दिया, उन्हें भी इन सब कामों में कोई बुराई नहीं लगती थी क्योंकि वह खुद एक मिडिल क्लास फैमिली से थी लेकिन उन्हें पता था हाई सोसाइटी में सब ऐसे कामों को अच्छी नजर से देखते और ऊपर से अगर उनके रिश्तेदार या फैमिली में किसी को यह बात पता चल गई तो सब उन्हें ही दोषी ठहराएंगे बस इसीलिए वह अपर्णा को रोक रही थी लेकिन अपर्णा ने आखिर उन्हें मना ही लिया।

    To Be Continued

    कैसा लगा दूसरा एपिसोड क्या आरव को पता चलेगा अपर्णा की इस जॉब के बारे में क्या होगा उसका रिएक्शन और क्या वह भी अपर्णा को जब कंटिन्यू करने देगा क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में और कैसी जा रही है अब तक की स्टोरी आप लोगों के हिसाब से, आप सबके बोलने पर ही हम सेकंड एपिसोड दे रहे हैं इसलिए सब लोग पढ़ना और कमेंट भी किया करो यार थोड़े अच्छे वाले।

    या फिर आप हमें इंस्टाग्राम पर पर्सनल मैसेज भी कर सकते हैं हम आपको लिंक दे देंगे और इंस्टाग्राम पर स्टोरी में भी हम व्हाट्सएप चैनल की लिंक डालते रहते हैं इसलिए इंस्टाग्राम पर जरूर फॉलो कर ले मेरी इंस्टाग्राम आईडी है - @simrana22 इसे सर्च करने पर मेरी आईडी मिल जाएगी और आप लोग पोस्ट भी चेक करते रहा करो वहां से भी इनफॉरमेशन मिलती है स्टोरी रिलेटेड ही!

  • 3. Our Unwanted Marriage - Chapter 3

    Words: 1532

    Estimated Reading Time: 10 min

    3

    अपनी सास से परमिशन मिलने के बाद अपर्णा बहुत ही ज्यादा खुश होकर रेडी होने के लिए चली गई उसने एकदम नॉर्मल कॉलेज जाने वाले कपड़े जींस और टी-शर्ट पहन ली और जैसा कि उसकी सास ने बोला था कॉलेज वह ड्राइवर के साथ ही चली गई लेकिन वहां से उसने ड्राइवर को वापस भेज दिया क्योंकि पार्ट टाइम जॉब के लिए वह कर से नहीं जाना चाहती थी।

    खन्ना इंटरप्राइजेज ऑफिस,

    आरव रोज की तरह ही अपने टाइम पर ऑफिस पहुंचा तो सब लोग उसे वहां पर देखकर काफी हैरान रह गए क्योंकि वहां ऑफिस में भले ही आरव ने सबको इनवाइट नहीं किया था लेकिन फिर भी सबको पता था कि कल ही आरव की शादी हुई है इसलिए किसी को उम्मीद नहीं थी कि वह आज भी रोज़ की तरह एकदम टाइम से ऑफिस आ जाएगा इसलिए सब आंखें फाड़ फाड़ कर उसे ही देख रहे थे लेकिन आरव ने बाकी किसी पर इतना ध्यान नहीं दिया और वह सीधे अपने पर्सनल केबिन में ही आकर बैठ गया और कुछ देर बाद ही उसकी सेक्रेटरी तान्या भी वहां पर आ गई।

    बाकी सब की तरह वह भी हैरान थी लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई आरव से कुछ भी पूछने की इसलिए केविन के अंदर आते हुए उसने आरव की तरफ देखकर स्माइल करते हुए रोज की ही तरह उसे गुड मॉर्निंग विश किया और फिर चुपचाप जाकर उसके पीछे खड़ी हो गई।

    आरव ने अपने सामने वाली टेबल पर रखा हुआ लैपटॉप खोलते हुए कहा, "तान्या! मेरा आज का शेड्यूल बताओ और जितनी भी मीटिंग पहले की हो सब 12:00 के बाद शिफ्ट कर देना क्योंकि अभी मुझे एक प्रेजेंटेशन फाइनल करनी है।"

    उसकी बात सुनकर तान्या ने अपना सिर हिलाते हुए बोला, "ओके सर!"

    इतना बोलकर वह उसकी सारी मीटिंग री शेड्यूल करने लगी और फिर जिन लोगों के साथ मीटिंग थी उन्हें कॉल करके इन्फॉर्म करने के लिए वो केबिन से बाहर चली गई क्योंकि उसका वर्किंग डेस्क आरव के केबिन से बाहर था।

    ऑफिस में सारे लोगों को पता चला कि आरव रोज की तरह ऑफिस आ गया है और उसकी शादी से इस बात पर कोई भी फर्क नहीं पड़ा जैसे ही यह बात उसके दोस्त और कंपनी के HR manager पोस्ट पर काम कर रहे रिवांश मित्तल को पता चली वह अपना काम छोड़कर तुरंत ही सीधे आरव के केबिन में आ गया और वह भले ही आरव से काफी ज्यादा क्लोज था लेकिन उसे पता था आरव को ऑफिस में फ्रेंडली से ज्यादा प्रोफेशनल रहना पसंद है इसीलिए उसके केबिन में एंटर होने से पहले उसने दरवाजा नाॅक किया।

    दरवाजा लॉक होने की आवाज सुनकर आरव ने लैपटॉप से नजर उठा कर सामने देखा तो रिवांश वहां पर खड़ा हुआ था और उसे देखकर आरव ने कहा, "कम इन!"

    इतना बोलकर आरव दोबारा से लैपटॉप की तरफ देखने लगा लेकिन रिवांश आकर उसके पास ही खड़ा हो गया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "क्या बात है शादी के अगले दिन भी एकदम टाइम पर ऑफिस, वैसे एक दिन की छुट्टी तो ले ही सकते थे यार! इतना भी का क्या काम? मैं मैनेज कर लेता आज के लिए।"

    एक दोस्त की तरह उसने यह बात बोली तो आरव ने नज़र उठा कर उसकी तरफ देखा और कहा, "अच्छा इन्वेस्टर्स के साथ जो मीटिंग है, वह तुम अटेंड करते क्या मेरी जगह? मुझे नहीं लगता कि कंपनी के CEO की जगह पर HR के साथ मीटिंग करना वह लोग पसंद करते।"

    आरव के इस तरह से उसकी पोजीशन याद दिलाने पर रिवांश को थोड़ा सा बुरा लगा लेकिन कहीं ना कहीं उसे पता था आरव ने उस मकसद से नहीं कहा था।

    लेकिन फिर भी वह उसके सामने वाली कुर्सी पर आकर बैठ गया और मुंह बनाते हुए बोला, "क्या यार मुझे पता है तेरी कंपनी है और मैं सिर्फ यहां पर काम करता हूं लेकिन फिर भी मैं तो बस फ्रेंडली वे में बोल रहा था क्योंकि तेरी शादी कल ही..."

    रिवांश ने जैसे ही दोबारा शादी का नाम लिया तो इस बार आरव चिढ़ते हुए बोला, "क्या शादी, शादी? IT'S NOT A BIG DEAL MAN! वैसे भी तुझे पता है, मैं रिद्धिमा से प्यार करता हूं और यह शादी मैंने सिर्फ मॉम की वजह से की है तो इतना बहुत है एक दिन की छुट्टी कल कर तो ली थी मैंने और इस वजह से तो यह काम भी बढ़ गया है कल की प्रेजेंटेशन मुझे आज कंप्लीट करनी पड़ रही है।"

    आरव की बात सुनते ही रिवांश ने उसे याद दिलाया, "कंप्लीट क्या, कंप्लीट है वो पहले से ही। बस तुझे फाइनल करना है एक बार देख कर और वैसे भी सारा काम तेरे हिसाब से ना हो, तो तुझे कहां समझ आता है और रही बात शादी की तो यार भले ही तूने आंटी जी के कहने से की है लेकिन शादी तो हुई है ना और अभी भी तू रिद्धिमा के बारे में कैसे सोच सकता है, यह तो गलत है ना?"

    आरव खासि इरिटेट होते हुए बोला,"तू मुझे ज्यादा गलत सही का ज्ञान मत दे। वैसे भी मैंने अपनी बीवी को कल रात ही बता दिया कि मैं किसी और से प्यार करता हूं और उसे 20 बातें कोई प्रॉब्लम नहीं है तो फिर तुझे क्या है वैसे भी शादी से पहले ही मैंने उसे लड़की से कॉन्ट्रैक्ट भी साइन करवा लिया था 6 महीने में वह मुझे छोड़कर चली जाएगी।"

    आरव इतने बड़े ही आराम से एकदम कैजुअली यह बात बोली जैसे कि यह सब उसके लिए कोई खेल हो और कोई भी बड़ी बात नहीं है लेकिन सामने बैठे रिवांश ने उसकी बात सुनकर अपना सिर पकड़ लिया और बोला, "6 महीने का कॉन्ट्रैक्ट? यह सब क्या बोल रहा है तू और यह सब कब किया तूने मुझे क्यों कुछ नहीं बताया ऐसा कैसे कर सकता है यार तू किसी के साथ और 6 महीने बाद कहां जाएगी वो और तब आंटी जी सवाल नहीं करेंगी तुझसे।"

    आरव उसकी बात का जवाब देते हुए बोला, "अरे यार तू तो ऐसा बोल रहा है जैसे कि नॉर्मल शादीशुदा कपल के बीच डायवोर्स ही नहीं होते हो मैं मम्मी से यही बोल दूंगा ना नहीं बनी तो बस अलग हो गए अब क्या कोई और जबरदस्ती है की सारी उम्र साथ रहना ही है, और वैसे भी 6 महीने बाद रिद्धिमा वापस आ रही है तब से मैं उसके साथ ही रहूंगा।"

    रिवांश ने टेंशन में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "पता नहीं, क्या कर रहा है तू अपनी लाइफ के साथ मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा।"

    अपनी आंख बंद करके सिर पर हाथ रखते हुए आरव बोला,"तू मेरी लाइफ की टेंशन मत ले और जाकर अपना काम कर, मैं अपनी लाइफ की देख लूंगा जो भी करना है।"

    रिवांश , आरव के लिए सच में बहुत ही ज्यादा परेशान था क्योंकि उसे पता था और आरव हमेशा ही ऐसे बेवकूफी भरे डिसीजन लेता रहता था।

    उसे सिर्फ किम से रिलेटेड ही सही डिसीजन लेना आता था बाकी अपनी पर्सनल लाइफ में हमेशा को खुद का नुकसान ही करता रहता था ब, इसीलिए उसे अपने दोस्त की फिक्र हो रही थी लेकिन जैसे ही आरव ने इतना बोला तो रिवांश भी अपनी जगह पर उठकर खड़ा हो गया और उसने गुस्से में कहा, "ठीक है, तेरी जो मर्जी तेरी लाइफ है जो मन में आए वो कर, मैं होता भी कौन हूं कुछ बोलने वाला।"

    इतना बोलते हुए वो वहां से उठकर जाने लगा और फिर दरवाजा खोलकर बाहर चला गया आरव उसे रोकना चाहता था लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह रिवांश को क्या कह कर रोके और फिर क्या बात करें इसलिए उस वक्त उसने रिवांश को नहीं रोका और उसे वहां से चले जाने दिया।

    वह चाहता था कि थोड़ी देर के लिए वो वह दोनों एक दूसरे से अलग और दूर बैठे तो शायद उनके बीच की टेंशन थोड़ी कम हो जाएगी लेकिन रिवांश के जाते ही आरव ने भी अपना सिर कुर्सी से टिकाकर एक पल के लिए आंखें बंद कर दी और रिवांश की कही बातों के बारे में सोचने लगा।

    लेकिन आंखें बंद करते ही उसे एकदम से अपर्णा का खूबसूरत चेहरा याद आया तो उसने एक झटके से अपनी आंखें खोल दिया और परेशान होते हुए बोला, "यह क्या हुआ? मैं उस लड़की के बारे में कैसे सोच सकता हूं वह सिर्फ एक गोल्ड डिगर लालची लड़की है और कुछ नहीं, और इससे ज्यादा कभी कुछ हो सकती है मेरी लाइफ में। वह मां को बेवकूफ बना सकती है मुझे नहीं।"

    इतना बोलते हुए आरव ने अपने दिमाग से अपर्णा का ख्याल झटका और अपना ध्यान बांटने के लिए वो फिर वापस अपने काम में लग गया।

    To Be Continued

    कैसा लगा आप लोगों को आज का एपिसोड और एक नए कैरेक्टर आरव के दोस्त की एंट्री क्या लगता है आप लोगों को आरव के लिए रिवांश की दोस्ती मायने रखती है या फिर नहीं क्योंकि वह तो एक तरह से सही सलाह ही दे रहा था अपने दोस्त को लेकिन क्या चल रहा है आरव के मन में? बताइए कमेंट में 🥰👇👇
    इंस्टाग्राम पर जरूर फॉलो कर ले मेरी इंस्टाग्राम आईडी है - @simrana22 इसे सर्च करने पर मेरी आईडी मिल जाएगी और आप लोग पोस्ट भी चेक करते रहा करो वहां से भी इनफॉरमेशन मिलती है स्टोरी रिलेटेड ही!

  • 4. Our Unwanted Marriage - Chapter 4

    Words: 1698

    Estimated Reading Time: 11 min

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    आरव अपने दोस्त को नाराज़ नहीं करना चाहता था लेकिन अभी वह खुद अपनी लाइफ में इतना ज्यादा परेशान था क्योंकि उसने खुद ही अपनी लव लाइफ कॉम्प्लिकेटेड कर ली थी अपर्णा से शादी करके और आजकल उसकी रिद्धिमा से ज्यादा बात भी नहीं हो पाती थी और उसने यह शादी वाली बात भी उससे छिपाई थी।

    इसलिए उसने रिवांश से इस तरह बात की लेकिन अब उसे पछतावा हो रहा था बस लेकिन उसे पता था कि वह उसे मना लेगा और अभी फिलहाल वो काम पर फोकस करना चाहता था।

    कुछ देर बाद तान्या फिर से वहां पर आई और उसने आरव से कहा, "सर! आज आपकी दो मीटिंग है एक दोपहर को 1:00 यहां हमारे ऑफिस में इन्वेस्टर्स आने वाले हैं और दूसरी मीटिंग के लिए आप को एक नए क्लाइंट से मिलने जाना है। उन्होंने मीटिंग के लिए एक कैफे में रिजर्वेशन किया है और लोकेशन एड्रेस मुझे मैसेज कर दिया है मैं आपको भेज देता हूं वहां पर आपको 4:00 बजे जाना है।"

    तान्या की बात सुनकर आरव ने धीरे से अपना सिर हिलाया और उसे यह सब बता कर तान्या वहां से बाहर चली गई।

    कुछ देर बाद आरव ने अपनी एक मीटिंग खत्म की और फिर लंच टाइम के लिए वो वहां से निकल कर सीधे रिवांश के केबिन में गया क्योंकि उसे पता था रिवांश अकेले ही लंच करता था, वह बाकी एम्पलाइज से ऊंची पोस्ट पर था तो वह उन लोगों के साथ ज्यादा फ्रेंडली नहीं होता था ऐसे में सब उसका फायदा उठाने के बारे में सोचते थे क्योंकि वह बहुत ही अच्छे दिल का इंसान था इसलिए आरव ने ही उसे मना किया था ऐसा करने से और बाकी एम्पलाइज से दूरी बनाकर रखने के लिए कहा था।

    आरव वहां पर पहुंचा तो उसने देखा कि रिवांश वहां पर अकेले ही लंच कर रहा था तो उसके साथ वाली कुर्सी पर बैठते हुए बोला, "यार! मुझे भी भूख लगी है, पूछेगा भी नहीं क्या लंच के लिए।

    आरव को सामने देख कर रिवांश तुरंत ही अपनी कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया और आरव को ताना मारने वाले अंदाज में बोला, "अरे सर, आप यहां? मेरे जैसे छोटे एंप्लॉई के साथ बैठकर लंच करेंगे यह आपको शोभा देता है क्या?"

    उसकी बात सुनकर आरव को बहुत ही बुरा लगा और अब उसे समझ में आया कि जब उस वक्त उसने यह बोला था तब रिवांश को कितना बुरा लगा होगा!

    इसीलिए वह तुरंत ही उससे माफी मांगते हुए बोला, "सॉरी यार! मेरा वह मतलब नहीं था मैं बस थोड़ा सा परेशान था इसीलिए मैंने बोल दिया और तुम क्यों बार-बार मुझे बोल रहे थे कि मुझे आज ऑफिस नहीं आना चाहिए था। सारी गलती मेरी भी नहीं थी तुमने ही मुझे इरिटेट कर दिया था।"

    रिवांश भी जैसे बात खत्म करते हुए बोला, "हां, चल ठीक है अब ज्यादा अच्छा बनने की ज़रूरत नहीं है मेरे सामने। मुझे पता है तू कैसा है और कैसा नहीं? लेकिन अभी खाना खा लेगा तो वहां पर क्लाइंट के साथ फिर कैसे खाएगा।"

    रिवांश के सामने रख खाने को देखकर आरव ने कहा, "अरे इसीलिए तो तेरे साथ खाऊंगा आधा प्लेट। तू भी आधा ही खा जिससे कि तेरा भी पेट ज़्यादा ना भरे और तू भी मेरे साथ चल रहा है उस मीटिंग के लिए।"

    रिवांश अपने काफी कंफ्यूजन से कहा, "अरे लेकिन मैं, मैं क्या करूंगा वहां उन लोगों को तुझसे मिलना है और सारी बात ही तू फाइनल करेगा मैं क्या वहां तेरा असिस्टेंट बन कर खड़ा रहूंगा। इससे अच्छा तो तू तान्या को ही अपने साथ ले जा।"

    आरव काफी लापरवाही से बोला, "हां, तान्या भी आ रही है और तू मेरा कोई असिस्टेंट नहीं एचआर मैनेजर है यह बात मत बोला कर, तेरी इंपॉर्टेंट पोस्ट है मेरी कंपनी में और तेरा ओपिनियन भी मैटर करता है मेरे लिए।"

    रिवांश उसकी बात मानते हुए बोला, "अच्छा ठीक है ज्यादा बटरिंग करने की ज़रूरत नहीं है, मैं चलूंगा साथ और यह ले खाना भी खा ले। तेरा फेवरेट है राजमा चावल!"

    इतना बोलते हुए रिवांश ने अपनी प्लेट उसके आगे कर दी और वह दोनों साथ में ही खाना खाने लगे।

    शाम को 4:00 बजे,

    आरव, तान्या और देवांश के साथ अपनी किर में वहां से निकला, आज उसका ड्राइवर छुट्टी पर था तो रिवांश कर ड्राइव कर रहा था और आरव उसके साथ वाली पैसेंजर सीट पर बैठा हुआ था वही तान्या पीछे बैक सीट पर बैठी हुई अपना मेकअप टच अप कर रही थी।

    आरव ने उस पर जरा भी ध्यान नहीं दिया वह रिवांश के साथ बातें करने लगा और कुछ ही देर में वह लोग उस कैफे के बाहर पहुंच गए। वह काफी बड़ा और सुंदर बना हुआ कैसे था एक तरह से फैंसी रेस्टोरेंट भी था वहां पर और उसे रेस्टोरेंट का नाम था।

    "ड्रीम डिलाइट कैफे!"

    आरव को कैफे का नाम ही काफी अच्छा और इंप्रेसिव लगा इसके अलावा उसे वह जगह भी काफी पसंद आई थी तो वह वहां पर अंदर आया और वह एकदम टाइम पर था 4:00 बजने से एक दो मिनट पहले ही वह वहां पर आ गया था और उसने देखा कि जिस क्लाइंट के साथ उसे मीटिंग करनी थी वह पहले ही वहां पर बैठे हुए थे। सामने बैठे हुए वह शख्स अधेड़ उम्र के आदमी थे जिनके आधे सफेद और आधे काले बाल थे दिखने में वह काफी मैच्योर लग रहे थे और उनके चेहरे पर एकदम शांत एक्सप्रेशन थे!

    वह उम्र में भी आरव से काफी बड़े थे लगभग दोगुनी उम्र के थे तो आरव ने खुद ही आगे बढ़कर उनके सामने हाथ बढ़ाते हुए कहा, "हेलो मिस्टर बख्शी, नाइस टू मीट यू!"

    आरव को सामने देखकर मिस्टर बख्शी ने खुश होते हुए कहा, "ओह हैलो एंड यू आर एक्जेक्टली ऑन टाइम आई एम इंप्रेस मिस्टर खन्ना।

    आरव चेहरे पर एक हल्की मुस्कुराहट के साथ उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठता हुआ बोला, "आप मुझे नाम लेकर भी बुला सकते हैं आई डोंट माइंड और मुझे टाइम पर पहुंचने की आदत है क्योंकि जो लोग वक्त की कदर नहीं करते वक्त उनकी कदर नहीं करता।"

    वो उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया और साइड वाली कुर्सी पर उसने रिवांश को भी अपने साथ बैठने का इशारा किया और फिर रिवांश को मिस्टर बख्शी से इंट्रोड्यूस करवाने लगा और उसके बाद वह लोग कंपनी के साथ कोलैब और नए प्रोजेक्ट के बारे में डिस्कस करने लगे, तान्या वहां पर पीछे खड़ी थी और अपने आईपैड में सारी इनफार्मेशन दिखाते हुए वह बीच-बीच में आरव के कान में कुछ बोलते जा रही थी।

    उनकी मीटिंग काफी अच्छे से जा रही थी लगभग एक घंटा हो गया था उन लोगों को वहां पर मीटिंग करते हुए इसलिए रिवांश ने कहा, "इतने अच्छे कैफे में आए हैं कोई कॉफ़ी तो ऑर्डर करनी ही चाहिए मुझे लगता है यहां की काफी काफी अच्छी होगी।"

    रिवांश की बात सुनकर उन लोगों ने भी हामी भरी और तान्या ने उन सबके लिए कॉफी ऑर्डर कर दी और कुछ देर के बाद एक वेट्रेस वहां पर आई उसने उन सब की ड्रिंक वाली ट्रे वहां पर रखी और स्माइल करते हुए बोली, "एंजॉय योर ड्रिंक सर!"

    आरव को वह आवाज़ बहुत ही जानी पहचानी लगी इसलिए उसने तुरंत ही नज़र उठाकर उस वेट्रेस की तरफ देखा और वहां पर वो अपर्णा को वेट्रेस की ड्रेस में देखकर एकदम हैरान रह गया। पहले तो उसे यकीन नहीं हुआ कि यह उसकी वाइफ है जिससे कल रात उसकी शादी हुई थी क्योंकि कल रात उसने अपर्णा को लहंगे में देखा था और उसके बाद सुबह साड़ी में उसके बाद वह उसे ऐसे में वेट्रेस की ड्रेस में इमेजिन भी नहीं कर सकता था इसलिए उसकी आंखें हैरानी से खुली की खुली रह गई।

    क्योंकि अपर्णा दूसरी तरफ चेहरा करके खड़ी थी और आरव बैठा हुआ था, उसने जानबूझकर अपना चेहरा नीचे कर लिया ताकि अपर्णा उसे देखकर पहचान ना पाए। अपर्णा ने भी अब तक उसका चेहरा ध्यान से नहीं देखा था और वह इतना ध्यान भी नहीं दे रही थी वह बस ट्रे रखकर वहां से वापस चली गई लेकिन रिवांश ने भी आरव के ऐसे बदले हुए एक्सप्रेशन को नोटिस कर लिया।

    रिवांश उसकी शादी में शामिल हुआ था लेकिन वह अपर्णा को देख नहीं पाया था क्योंकि शादी के वक्त वह दुल्हन की ड्रेस में थी और घूंघट में इसलिए अभी सामने से वेट्रेस को देखकर उसे पता नहीं चला कि यह आरव की वाइफ है या कोई और लेकिन आरव को इस तरह से देख रहा था तो रिवांश ने उसके हाथ पर हल्के से अपनी कोहनी से मारी और उसके कान में धीमी आवाज में फुसफुसाते हुए बोला, "यार तेरी शादी हुई है अभी कल और पहले से ही एक गर्लफ्रेंड भी है और अब तू इस वेट्रेस पर भी लाइन मार रहा है कुछ तो शर्म कर ले, हमारे सामने इतने उम्र दराज क्लाइंट बैठे हुए हैं कम से कम उनका ही कुछ लिहाजा कर ले।"

    अपर्णा को वहां देखकर आरव पहले ही एकदम शॉक्ड था ऊपर से रिवांश की ऐसी बातें सुनकर वह इरिटेट होते हुए बोला, "यू शट अप और मैं किसी को लाइन नहीं मार रहा मैं बस वो.. वह.. वेट्रेस वह.."

    इतना बोलते हुए वो काफी घबराया हुआ लग रहा था और अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया क्योंकि उसे समझ नहीं आया कि वह यह बात रिवांश के साथ शेयर करें या फिर रहने दे।

    लेकिन रिवांश ने भी उसके चेहरे के एक्सप्रेशन नोटिस किया और वह अब ऐसा लग रहा था जैसे कि आरव ने कोई भूत देख लिया होगा। इतना तो रिवांश समझ गया था कि आरव उसे लाइन तो नहीं मार रहा था, कुछ और बात थी।

    यह लाइन मारने वाली बात तो रिवांश ने बस उसे छेड़ने के लिए ही कही थी क्योंकि आरव बार बार उस तरफ ही देख रहा था जिस तरफ वो वेट्रेस गई थी।

    To Be Continued

    क्या अपर्णा सच में नोटिस नहीं कर पाई है आरव को,‌ या उसने ध्यान नहीं दिया या फिर जानबूझकर ऐसा कर रही है क्या लगता है आप लोगों को और आरव क्या करेगा सिचुएशन में क्या वह अभी जाएगा अपर्णा के पीछे या फिर बाद में उससे बात करेगा कैसा होने वाला है उसका रिएक्शन? पता चलेगा नेक्स्ट एपिसोड में। जब तक कमेंट जरुर करिए और बताइए अपना ओपिनियन इस स्टोरी के बारे में

  • 5. Our Unwanted Marriage - Chapter 5

    Words: 1383

    Estimated Reading Time: 9 min

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    अपर्णा आरव को वहां पर नोटिस किए बिना ही वहां से दूर चली गई थी लेकिन आरव अभी भी उसकी तरफ देख रहा था और मीटिंग भी लगभग खत्म हो गई थी और जितनी भी जरूरी बातें थी वह लोग पहले ही कर चुके थे इसीलिए अभी सब अपनी अपनी कॉपी और ड्रिंक एंजॉय कर रहे थे तान्या भी वहां साइड वाली कुर्सी पर बैठ गई थी लेकिन आरव की नजरे उसे तरफ ही जम चुकी थी जिस तरफ अपर्णा गई थी और उसे पता था उसे कोई गलतफहमी नहीं हुई है उसने अपर्णा को देखते ही पहचान लिया था भले ही वह काफी अलग लग रही थी लेकिन आरव पूरी तरह से स्योर था कि वह लड़की कोई और नहीं बल्कि अपर्णा ही थी।

    रिवांश ने फिर से उसक कान में कहा,"बस कर यार! उधर क्या देख रहा है चली गई है वो लड़की.."

    रिवांश की बात सुनकर आरव ने गुस्से भरी नजरों से उसकी तरफ देखा लेकिन फिर उसने नोटिस किया कि उनके सामने बैठे मिस्टर बख़्शी भी उन दोनों की तरफ ही देख रहे थे क्योंकि वह दोनों इस तरह से फुसफुसा कर बात कर रहे थे।

    उनके इस तरह से देखने पर आरव को काफी ऑकवर्ड फील हुआ इसलिए उनके बीच ऑकवार्डनेस काम करने के लिए आरव ने कहा, "एक्सक्यूज मी! मैं वॉशरूम होकर आता हूं।"

    इतना बोलते हुए वह अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और फिर वहां से एक साइड की तरफ आ गया और वह आते हुए वह इधर-उधर देखकर अपर्णा को ही ढूंढ रहा था उसे बाकी सारी टेबल पर और भी वेट्रेस नजर आए लेकिन उनमें से कोई भी अपर्णा नहीं थी लेकिन सब ने एकदम वैसी ही ड्रेस पहनी हुई थी जैसी ड्रेस पहनकर कुछ देर पहले अपर्णा वहां उनकी टेबल पर आई थी।

    उनकी टेबल एकदम साइड में वीआईपी रिजर्वेशन एरिया में थी जहां पर कुर्सियों की जगह पर काउच पड़े हुए थे काफी कंफर्टेबल और अलग से पार्टीशन भी था जिससे कि वह जगह इस साइड से अलग हो रही थी।

    आरव को वॉशरूम नहीं जाना था वह झूठ बोलकर वहां से इस साइड आया था सिर्फ अपर्णा को देखने के लिए और वह यह बात कंफर्म करना चाहता था साथ ही अपर्णा से बात भी करना चाहता था।

    बात क्या उसे गुस्सा आ रहा था अपर्णा पर और वह मिलते ही उसे पर चिल्लाना चाहता था लेकिन वह उसे कहीं भी दिख नहीं रही थी तो आरव ने परेशान होते हुए अपने मन में कहा, "कहां चली गई यह लड़की? इतनी जल्दी अभी 2 मिनट पहले ही तो आई थी हमारे टेबल पर कहीं उसने भी तो मुझे देखा नहीं लिया हो सकता है इसी वजह से वह मुझे छिप रही हो। हां, अब ऐसा काम करेगी तो मुंह तो छिपाना ही पड़ेगा ना, लेकिन क्यों आखिर जरूरत क्या है उसे लड़की को यह सब करने की जरूर वह जानबूझकर मेरा नाम खराब करने के लिए यह सब कर रही होगी।।"

    यह सब सोते हुए उसने अपने दांत पीसते हुए गुस्से से इधर-उधर देखा तभी उसे ऑर्डर करने वाले काउंटर पर दो वेट्रेस नज़र आई जिनमें से एक उसे अपर्णा की हाइट हेल्थ की लग रही थी तो वह सीधा उसकी तरफ ही बढ़ गया और एकदम उसके पीछे जाकर खड़ा होता हुआ बोला, "Excuse me! I want to order a coffee please?"

    ऑर्डर काउंटर के पास खड़ी उस लड़की ने पीछे मुड़कर देखते हुए कहा, "Yes sir, which coffee You want?"

    और चेहरे पर हल्की सी स्माइल के साथ जैसे ही वह पीछे मुड़ी आरव ने उसका चेहरा देखा वह एकदम ही डिसएप्वाइंट हो गया क्योंकि वह लड़की अपर्णा बिल्कुल भी नहीं थी और आरव अपर्णा को सोचकर ही वहां पर आया था‌।

    इसलिए आरव बात बदलते हुए बोला, "I will order it later but first I want to use washroom can you please tell me the direction?"

    आरव ने उस से पूछा तो उस वेट्रेस ने इस स्माइल के साथ उसे वॉशरूम के डायरेक्शन बता दिए और आराम से थैंक यू बोलकर उसे साइड पर ही जाने लगा और उसे अभी तक अपर्णा वहां कहीं भी नजर नहीं आई थी तो वह काफी परेशान हो गया और उसने अपने आप से कहा, "क्या सच में मुझे इतनी बड़ी गलतफहमी हो गई थी। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है, वो वही थी मैंने उसका चेहरा देखा था इतनी आसानी से भी नहीं भूल सकता मैं आखिर वाइफ है वह मेरी कैसे किसी और को मैं अपर्णा समझ सकता हूं?"

    अपने आप से ये सारे सवाल करता हुआ आरव वॉशरूम एरिया की तरफ बढ़ रहा था लेकिन साथ ही इधर-उधर भी देख रहा था और तभी कॉर्नर वाले एक टेबल पर ड्रिंक सर्व करते हुए उसे अपर्णा नजर आ गई वह फिर से उसका साइड फेस ही देख पाया, वह स्माइल करते हुए कॉफी के मग और ग्लासेस उसे टेबल पर रख रही थी।

    उसे देखते ही आरव थे कॉन्फिडेंस जो शेक हो रहा था वह फिर से वापस आ गया और वह एकदम से उसे टेबल की तरफ ही बढ़ गया और सारी ड्रिंक रखने के बाद अपर्णा भी वापस हाथ में खाली ट्रे लेकर ऑर्डर वाले काउंटर की तरफ ही जा रही थी कि आरव एकदम से उसके सामने आ गया और उसका हाथ पकड़ते हुए गुस्से से बोला, "अपर्णा! तुम यहां पर वेट्रेस की जॉब क्यों कर रही हो इतने बड़े बिजनेसमैन की वाइफ होने के बाद क्या जरूरत है तुम्हें यह सब करने की!"

    आरव ने यह बात ज्यादा तेज आवाज में नहीं बोली लेकिन फिर भी जिस तरह से उसने अपर्णा का हाथ पकड़ कर उसे रोका था वहां मौजूद आसपास के सारे लोगों दोनों को ही देखने लगे और अपर्णा एकदम ही सरप्राइज हो गई क्योंकि उसे आरव के यहां पर उसके कैफे में होने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी। इसलिए आरव को वहां पर देखकर उसका मुंह एकदम खुला रह गया और आंखें भी, उसने एक पल के लिए अपने पलकें नहीं झपकाईं और एकटक आरव की तरफ ही देखती रही।

    साथ ही वह बहुत ज्यादा नर्वस भी हो गई और आरव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली, "क्या.. क्या कर रहे हैं आप? यहां पर सब लोग देख रहे हैं, हाथ छोड़िए मेरा और मैं आपकी वाइफ नहीं हूं आपने ही कल रात बोला था!"

    अपर्णा की ये बात सुनकर आरव का गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया लेकिन उसने भी आसपास नोटिस किया तो सारे लोग उन दोनों को ही देख रहे थे और इस वक्त सबकी नजरों में वही विलन लग रहा था जो कि वहां उस कैफे की एक बेचारी वेट्रेस को छेड़ रहा था या फिर परेशान कर रहा था‌।

    इसलिए उन लोगों की ऐसी नजरों से बचने के लिए आरव ने अपर्णा का हाथ एकदम कसकर पकड़ और उसे अपने साथ लगभग खींचते हुए वॉशरूम एरिया की तरफ ही ले जाने लगा।

    अपर्णा उसके साथ जाना नहीं चाहती थी इसलिए लगातार अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी क्योंकि वह समझ गई थी आरव उसे वहां पर देखकर बहुत ही ज्यादा गुस्से में है और उसने आरव को यह बात बताई भी नहीं थी उसने सिर्फ उसकी मां से ही परमिशन ली थी और अभी उन्हें ही इस बारे में पता था अपर्णा को लगा भी नहीं था कि आरव को इस बारे में पता चल पाएगा इसीलिए वह इस बात को लेकर काफी चिल थी।

    वह दोनों वहां पर वॉशरूम के कॉरिडोर एरिया में आ गए जहां पर फिलहाल कोई भी नहीं था और एकदम सन्नाटा था लेकिन वहां पर आने के बाद अपर्णा ने कहा, "क्यों लेकर आए हैं आप मुझे और अपने खुद ही कहा था कि मैं अपने आप को आपकी पत्नी ना समझो तो फिर मैं तो अपनी पहले जैसी लाइफ ही जिऊंगी ना? मैं यहां पर पहले से काम करती हूं मुझे नहीं लगता आपको इससे कोई प्रॉब्लम होनी चाहिए।"

    अपर्णा का ऐसा जवाब सुनकर आरव ने अपने एक हाथ की कसकर मुट्ठियां बांध ली और गुस्से में घूर कर उसकी तरफ देखने लगा।

    To Be Continued

    क्या लगता है आप लोगों को आरव करने देगा अपर्णा को उसकी यह जॉब कंटिन्यू या फिर नहीं? और क्या अपर्णा इतनी आसानी से उसकी बात मान करिए जॉब छोड़ देगी? आरव क्यों हक जाता रहा है उस पर? सब पता चलेगा आगे के एपिसोड में जब तक के स्टोरी पढ़ते रहिए और जुड़े रहिए इस स्टोरी से साथ में मेरी बाकी स्टोरी भी पढ़िए।

  • 6. Our Unwanted Marriage - Chapter 6

    Words: 1386

    Estimated Reading Time: 9 min

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    वह दोनों वहां पर वॉशरूम के कॉरिडोर एरिया में आ गए जहां पर फिलहाल कोई भी नहीं था और एकदम सन्नाटा था लेकिन वहां पर आने के बाद अपर्णा ने कहा, "क्यों लेकर आए हैं आप मुझे और अपने खुद ही कहा था कि मैं अपने आप को आपकी पत्नी ना समझो तो फिर मैं तो अपनी पहले जैसी लाइफ ही जिऊंगी ना? मैं यहां पर पहले से काम करती हूं मुझे नहीं लगता आपको इससे कोई प्रॉब्लम होनी चाहिए।"

    अपर्णा का ऐसा जवाब सुनकर आरव ने अपने एक हाथ की कसकर मुट्ठियां बांध ली और गुस्से में घूर कर उसकी तरफ देखने लगा और फिर आरव ने गुस्से में उसके साइड वाली दीवार पर एक पंच मारा, अपर्णा चिहुंक कर अपनी आंखें बंद कर ली।

    आरव गुस्से से बोला, "नहीं, कर सकती तुम अब यहां पर काम! मुझसे शादी करने के बाद तुम्हारी लाइफ चेंज हो चुकी है और तुम्हें इस बात को एक्सेप्ट करना होगा।"

    अपर्णा ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा, "नहीं, मैं ये काम नहीं छोड़ सकती क्योंकि मुझे पैसों की ज़रूरत है , इसलिए मैं आपकी बात नहीं मानूंगी आप जाइए यहां से क्योंकि किसी ने हमेशा में देख लिया तो ज़रूर आप से सवाल करेंगे। नहीं तो ऐसे ज्यादा किसी को पता नहीं है मैं आपकी वाइफ हूं इसलिए मुझे नहीं लगता आपकी रेपुटेशन पर कोई भी फर्क पड़ेगा।"

    आरव ने गुस्से से कहा, "नहीं आरव खन्ना की वाइफ होकर तुम ऐसा काम नहीं कर सकती मैं बिल्कुल भी परमिशन नहीं दूंगा तुम्हें और अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो फिर.."

    आरव अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही अपर्णा ने उसकी चेस्ट पर हाथ रखकर उसे पीछे पुश करते हुए कहा, "नहीं तो, तो क्या करेंगे आप कुछ नहीं कर सकते और वैसे भी आपने मुझसे शादी वाली रात ही कहा था कि हम असल में पति-पत्नी नहीं है हमें सिर्फ 6 महीने के लिए साथ रहना है तो क्यों आप मुझ पर ऐसे हक जाता रहे हैं जब हमारा कोई रिश्ता ही नहीं है और अपने खुद मुझे गोल्ड डिगर कहा था इसलिए मैं अपने खर्च खुद उठाना चाहती हूं और उसके लिए मुझे यह जॉब करनी होगी।"

    अपर्णा की इस बात का आरव कोई जवाब नहीं दे पाया वह बस गुस्से में अपने दांत पीस कर रह गया।

    आरव‌ ने एक हाथ अपर्णा के गाल पर रखा और उसके गाल को एकदम कसटर दबाते हुए बोला, "you are getting on my nerves! Stop it right here, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा तुम जानती नहीं हो अभी मुझे।"

    अपर्णा ने उसी तरह एटीट्यूड से कहा,"और मुझे आपको जानने का कोई शौक भी नहीं है। आप जाइए और अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में सोचिए। मेरे बारे में सोचने की कोई ज़रूरत नहीं है हम सिर्फ नाम के हस्बैंड वाइफ है वह भी सिर्फ 6 महीने के लिए तो मुझे अपनी सारी चीज़ें खर्च खुद ही देखनी होगी।"

    अपर्णा की यह बात सुनते ही आरव ने गुस्से से कहा, "क्या तुम्हें अच्छा लगता है यहां पर ऐसे वेटर काम करना और कितने खर्च है तुम्हारे बताओ मैं तुम्हें उससे कहीं ज्यादा पैसे दे दूंगा।"

    अपर्णा तेज आवाज में चिल्ला कर मना करते हुए बोली, "नहीं चाहिए मुझे आपके पैसे आप मुझे जितने पैसे नहीं दोगे उससे ज्यादा मेरी इंसल्ट करोगे और मुझे गोल्ड दिगर लालची और न जाने क्या-क्या कहकर बुलाओगे मैं वह सब नहीं सुन सकती प्लीज मेरे लिए मेरी सेल्फ रिस्पेक्ट सबसे ज्यादा बड़ी है और दूर हटिए आप मुझसे आप सच में मेरे हस्बैंड नहीं हो इसलिए आप मेरे इतने करीब नहीं आ सकते।"

    इतना बोलते हुए उसने आरव का हाथ अपने चेहरे पर से हटाया और उसे पीछे की तरफ खुश किया आरव ने एकदम ही उसकी कलाई पकड़ ली और बोला, "मुझे भी कोई शौक नहीं है तुम्हारे करीब आने का लेकिन तुम खुद मुझे मजबूर कर रही हो क्यों जानबूझकर यह कर रही हो मुझे नीचे दिखाने के लिए है ना जानबूझकर तुमने यह प्लान बनाया है।"

    अपर्णा अपनी आइज़ रोल करते हुए बोली, "ओह प्लीज़! खुद को इतनी इंपॉर्टेंस भी मत दो। मेरी लाइफ में आप इतना मायने ही नहीं रखते हो कि मैं आपके बारे में इतना सोचूंगी और आपकी वजह से कुछ भी करूंगी।"

    अपर्णा ने जैसे ही यह बात बोली तो पता नहीं क्यों लेकिन आरल को बहुत ही बुरा लगा और वह गुस्से में कुछ बोलते ही वाला था कि तभी उसका मोबाइल फोन रिंग हुआ और उसने देखा कि उसके दोस्त का फोन कॉल था।

    ना चाहते हुए भी आरव को अपर्णा का हाथ छोड़कर कॉल रिसीव करना पड़ा और कॉल पर रिसीव करके वह बोला, "हां हां मैं बस 2 मिनट में आ रहा हूं।"

    कॉल पर बस इतनी बात करके आरव ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी और फिर गुस्से में घूर कर अपर्णा की तरफ देखते हुए बोला, "तुमसे तो मैं घर पर मिलता हूं।"

    इतना बोलकर वह वहां से चला गया और उसके जाने के बाद अपना अपने हाथ की कलाई को पकड़ कर देखने लगी जहां पर आरव की उंगलियों के निशान छपे हुए थे क्योंकि वह बहुत ही कसकर उसकी कलाई को पकड़े हुए था और उसके जाने के बाद अपर्णा ने कहा, "पता नहीं क्या समझते हैं अपने आप को एक तरफ मुझे यह बोलते है कि मैं इनके पैसों के लिए साथ हूं और जब मैं अपने पैसे कम कर खुद अपना खर्च उठाने की कोशिश कर रही हूं तब भी पता नहीं क्या प्रॉब्लम है इन्हें अपनी सो कॉल्ड रेपुटेशन कि भाड़ में जाए मुझे क्या पड़ी है इसकी? वैसे भी मुझे काफी सारे पैसे सेव करने हैं इसलिए मैं यह जॉब तो नहीं छोड़ने वाली चाहिए जो भी कर ले मुझे तो कोई शर्म नहीं आती, वैसे भी यह काम कोई बुरा नहीं है।"

    अपने आप से बात करते हुए अपर्णा बोली और फिर वापस ऑर्डर वाले काउंटर के पास आ गई और पहले की तरह ही लोगों को ऑर्डर सर्व करने लगी!

    इसी बीच आरव वहां से अपने दोस्त और सेक्रेटरी के साथ निकल रहा था क्योंकि उसके क्लाइंट पहले ही वहां से चले गए थे और उन्हें सी ऑफ करने के लिए ही रिवांश ने उसे फोन कॉल किया था।

    जाते वक्त आरव ने एक नजर अपर्णा की तरफ देखा लेकिन अपर्णा ने जैसे ही उसकी नज़रें खुद पर महसूस की उसने तुरंत ही अपना चेहरा फेर लिया और दूसरी तरफ देखने लगी।

    पूरी तरह से आरव को इग्नोर करते हुए वह इस तरह से बिहेव कर रही थी जैसे कि वह उसे जानती तक नहीं और वह बस वहां उस कैफे में आया हुआ एक कस्टमर है और कोई नहीं।

    आरव वहां से चला तो गया लेकिन उसका ध्यान अभी भी अपर्णा में ही लगा हुआ था इसलिए वह ऑफिस वापस आया तो काम में भी उसका ध्यान नहीं लग रहा था और उसने गुस्से से अपनी आंख बंद करते हुए कहा, "मैं भी देखता हूं कैसे नहीं छोड़ती हो तुम वह वेट्रेस की जॉब, आरव खन्ना के आगे और किसी की नहीं चलती।"

    वहीं दूसरी तरफ शाम 7:00 बजे अपर्णा भी वहां से निकले उसने कैफे के ऑनर से पहले ही इस बारे में बात कर ली थी‌।

    लेकिन आप पढ़ना नहीं थोड़ा झूठ बोला था उसने यह कहा था कि उसने अपना घर शिफ्ट किया है तो उसे जल्दी घर पहुंचना होगा जो कि यहां से थोड़ा दूर है इस वजह से कैफे के ओनर ने भी उसे जल्दी निकलने की परमिशन दे दी थी।

    अपना सारा काम खत्म करके और ड्रेस चेंज करके वहां से निकली और उसने एक टैक्सी की और वहां से सीधा खन्ना मैनसन पहुंच गई लेकिन पूरे रास्ते उसके मन में भी यही बात चल रही थी कि जब वह घर पहुंचेगी तो कहीं आराम फिर से उस पर गुस्सा ना करें वह उसके गुस्से का सामना नहीं करना चाहती थी लेकिन एक बात तो उसने अपने मन में भी तय कर ली थी कि वो यह जॉब नहीं छोड़ेगी आरव की बोलने पर तो बिल्कुल भी नहीं और ना ही उसके पैसे लेगी।

    To Be Continued

    क्या लगता है आप लोगों को दोनों में से कौन जीतेगा और किस की चलेगी उन दोनों में से और आरव क्यों हक जाता रहा है आरव अपर्णा पर पति होने का जबकि पहले उसने खुद ही यह बात बोली थी क्या अपर्णा उसकी बात मानेगी और खुद को उसकी पत्नी भी? पता चलेगा अगले एपिसोड में, जब तक के पढ़कर कमेंट करते रहिए।

  • 7. Our Unwanted Marriage - Chapter 7

    Words: 1451

    Estimated Reading Time: 9 min

    7

    शाम का वक्त,

    अपर्णा ने जैसे की जानकी जी से वादा किया था वह शाम को 7:30 बजे तक घर वापस आ गई और उसे देखते ही जानकी जी बहुत खुश हो गईं और उससे बातचीत करते हुए उसके दिन के बारे में पूछने लगी।

    इसी बीच अपर्णा को पता चला कि आरव अब तक घर वापस नहीं आया है तो उसने थोड़ी राहत की सांस ली और जो कुछ भी वहां कैफे में उन दोनों के बीच हुआ था वह भी उसने जानकी जी को नहीं बताया क्योंकि उसे नहीं पता था वह कैसा रिएक्ट करेंगी और अपर्णा भी यह सोच रही थी कि कहीं ऐसा ना हो आरव के मना करने पर जानकी जी भी उसके खिलाफ हो जाएं और फिर उसे काम पर ना जाने दें बस यही सोच कर वह मन ही मन घबरा रही थी।

    अपर्णा से बात करते हुए जानकी जी नोटिस कर रही थी कि वह बार-बार इधर-उधर देख रही है और कुछ खाई हुई सी लग रही है तो जानकी जी ने उससे पूछा, "क्या हुआ बेटा, सब ठीक तो है ना?"

    अपर्णा ने एकदम से जवाब दिया, "हां आंटी सब ठीक है। मेरा मतलब है मां सॉरी!"

    वह अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी इसलिए एकदम से उसने जानकी जी को मां के बजाय आंटी बोल दिया लेकिन फिर तुरंत ही अपनी बात ठीक भी कर दी तो जानकी जी उसकी तरफ देखकर हंसते हुए बोली, "चलो कोई बात नहीं, मैं नाराज़ नहीं हूं कम से कम तुम कोशिश तो कर रही हो! कुछ दिनों में आदत पड़ जाएगी तुम्हें भी, है ना?"

    जानकी जी ने बहुत ही प्यार और अपनेपन से कहा तो अपर्णा को भी काफी कंफर्टेबल फील हुआ और उसने भी हल्की सी मुस्कुराहट के साथ धीरे से अपना सिर हिला दिया।

    उनके घर में काफी सारे काम करने वाले नौकर चाकर और यहां तक खाना बनाने के लिए अलग से कुक भी था इसलिए अपर्णा को कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं थी और उसकी अभी शादी हुई थी तो जानकी जी ने भी उससे कुछ करने को नहीं कहा इसके अलावा उन्हें पता था वह अभी कॉलेज और अपनी जाॅब दोनों से वापस आई है तो वह समझ सकती थी कि वह थकी हुई होगी।

    इसलिए उन्होंने अपर्णा से कहा, "बेटा! मैं तुम्हारे लिए काॅफी बनवा दूं?"

    अपर्णा ने बहुत ही सहूलियत से मना करते हुए कहा, "नहीं मां! परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है मेरा मन करेगा तो मैं खुद बनाकर पी लूंगी।"

    जानकी जी अपनी जगह से उठकर खड़े होते हुए अपर्णा के सिर पर हाथ रखकर बोली, "अरे लेकिन तुम थकी हुई होगी ना? ठीक है, तुम रूम में जाओ मैं भिजवाती हूं।"

    जानकी जी के इतना बोलने पर अपर्णा भी वहां लिविंग एरिया के सोफा से उठी और सीढ़ियों की तरफ जाने लगी क्योंकि उसका और आरव का कमरा पहली मंजिल पर था।

    कुछ देर के बाद, अपर्णा चेंज करके अपने कमरे से निकली और पहले ही रात हो चुकी थी तो उसने सीधा नाइट सूट ही पहन लिया क्योंकि वह पहले ही काफी थकी हुई थी और फिर डिनर करने के लिए नीचे आ गई क्योंकि वहां पर घर में ऐसा कोई नहीं था जो उसे उन लोगों के सामने साड़ी पहननी पड़ेगी या फिर सिर पर पल्लू रखना पड़े।

    जानकी जी से बात करके अपर्णा उनके साथ काफी ज्यादा कंफर्टेबल हो गई थी इसलिए वह वहां पर आई और दोनों साथ में बैठकर डिनर कर ही रही थी तभी आरव एकदम गुस्से में घर वापस आया और तेज आवाज में चिल्लाते हुए बोला, "मां, अपर्णा! कहां है आप दोनों? यहां आइए मुझे आप लोगों से बात करनी है।"

    लिविंग एरिया में चिल्लाते हुए आरव ने कहा और उसकी आवाज डायनिंग एरिया में बैठी हुई जानकी जी और अपर्णा दोनों ने सुनी।

    आरव की इतने गुस्से भरी आवाज सुनकर अपर्णा थोड़ा सा तो घबरा गई लेकिन उसने अपने चेहरे पर नज़र नहीं आने दिया और अपनी जगह से उठकर खड़ी होती हुई बोली, "मां, ये क्या हुआ आपके बेटे को? यह रोज ही ऐसे चिल्लाते हुए वापस आते हैं क्या?"

    अपर्णा की ऐसी बात सुनकर जानकी जी हंसने लगी और उसका हाथ पकड़ कर उसे वापस कुर्सी पर बिठाते हुए बोली, "अरे बैठ जाओ तुम! पहले खाना खाओ, वह खुद ही यहां पर आ जाएगा उसे ऐसी कोई ज़रूरी बात करनी होगी तो और रोज तो नहीं लेकिन लगता है शादी के बाद से अपनी बीवी को कुछ ज्यादा ही मिस कर रहा होगा इसीलिए ऐसे आते-जाते ही तुम्हारा नाम लेकर चिल्ला रहा है।"

    इतना बोलकर जानकी जी अपर्णा की तरफ देखकर मुस्कुराई तो अपर्णा एकदम ही झेंप गई, वह कुछ बोल तो नहीं पाई लेकिन उसके मुंह में खाने की एक बाइट थी जिसकी वजह से उसे खांसी आने लगी तो फिर उसने तुरंत ही सामने रखे हुए गिलास उठाकर उसमें से कुछ घूंट पानी पिया और तब तक आरव खुद भी वहां पर आ गया और अपर्णा की तरफ देखते हुए बोला, "खाना हो गया तुम्हारा तो चलो मुझे तुम से बहुत जरूरी बात करनी है।"

    आरव की बात सुनकर साइड में रखे हुए टिशू पेपर से अपना मुंह पोंछते हुए अपर्णा उठकर खड़ी हो गए और उसके साथ ही जाने लगी तभी जानकी जी ने कहा, "अरे खाना तो खा लेने दो उसे। दिख नहीं रहा तुम्हें अभी खत्म नहीं हुआ है उसका खाना और ऐसी भी क्या बात करनी है जो तुमसे सबर नहीं हो रहा।"

    अपर्णा को पता था कि आरव ने उसे वहां कैफे में देखा था वह उस बात को लेकर ही गुस्से में है और इस बारे में बात भी करना चाहता है इसीलिए वह चुपचाप वहां से जा रही थी क्योंकि वह इन सब में जानकी जी को शामिल नहीं करना चाहती थी।

    लेकिन जब जानकी जी ने खुद ही आरव को रोकते हुए यह बात कही तो आरव उन की तरफ देखते हुए बोला, "मां प्लीज़! अब अपनी वाइफ से हर बात मैं आपको बता कर या पूछ कर तो नहीं करूंगा ना और अब मेरी शादी हो गई है कम से कम अब तो मुझे थोड़ी सी प्राइवेसी दीजिए।"

    इतना बोलते हुए आरव ने अपर्णा का हाथ पकड़ लिया तो अपर्णा ने बहुत ही हैरानी से उसके चेहरे की तरफ देखा और आरव ने उसे वाइफ कहकर बुलाया था तो अपर्णा को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि कल रात उसने कहा था कि उनके बीच कोई रिश्ता नहीं और अपर्णा ने कल रात ही चुपचाप उसकी बात मान भी ली थी लेकिन अभी दोपहर से उसका जैसा बदला हुआ बर्ताव वह फील कर रही थी, अपर्णा को समझ आ रहा था कि आरव जो बोल रहा था वह कर नहीं रहा था।

    अपर्णा का हाथ पकड़ कर आरव उसे अपने साथ ही वहां से लेकर चला गया और जानकी जी ने मुस्कुराकर उन दोनों की तरफ देखा और धीरे से बोली, "चलो अच्छा है‌, इसने वाइफ तो मान लिया और हस्बैंड की तरह हक भी जाता रहा है मुझे बस और क्या चाहिए। मुझे पता था यह दोनों साथ में बहुत खुश रहेंगे और अपर्णा ही मेरे आरव के लिए सबसे बेस्ट है।"

    इतना बोल कर मुस्कुराते हुए वह वापस अपनी कुर्सी पर बैठ नहीं और अपनी प्लेट में बचा हुआ खाना खत्म करने लगे और उसके बाद उन्होंने अपर्णा और आरव का खाना कमरे में ही भिजवाने के लिए बोल दिया लेकिन थोड़ी देर के बाद खाना लेकर जाने को कहा।

    वहीं आरव अपर्णा को अपने साथ लेकर रूम तक आया और रूम के अंदर आने के बाद उसने तुरंत ही दरवाजा भी अंदर से बंद कर लिया तो अपर्णा तुरंत ही थोड़ा सा पीछे हट गई और हैरानी से आरव की तरफ देखने लगी।

    अपर्णा ने थोड़ा सा घबराते हुए पूछा, "क्या कर रहे हैं आप? बात करनी है तो बात ऐसे भी हो सकती है उसके लिए दरवाजा लॉक करने की जरूरत नहीं होती।"

    उसकी इस बात के जवाब में आरव ने कुछ भी नहीं बोला वह बस चुपचाप इस तरह उसकी तरफ बढ़ता रहा और अपर्णा एकदम कन्फ्यूजन से उसकी तरफ ही देखने लगी।

    आरव एकदम सामने आकर खड़ा हुआ और बोला, "इतनी अच्छी एक्टिंग कर लेती हो तुम मुझे तो पता ही नहीं था, मेरी शादी एक मल्टी टैलेंटेड लड़की से हुई है।"

    आरव की यह बात सुनकर अपर्णा की कन्फ्यूजन और हैरानी दोनों ही और ज्यादा बढ़ गई उसे समझ नहीं आ रहा था कि आरव किस बारे में बात कर रहा था?

    To Be Continued

    क्या आप सबको समझ में आ रहा है आरव किस बारे में बात कर रहा है और क्या उसे पता चलेगा कि अपर्णा उसकी मां से परमिशन लेकर ही अपनी जॉब के लिए गई थी और क्या वो अपर्णा को उसकी जॉब कंटिन्यू करने देगा? पता चलेगा आगे के एपिसोड में जब तक के पढ़ते रहिए स्टोरी और कमेंट भी करते रहिए।

  • 8. Our Unwanted Marriage - Chapter 8

    Words: 1665

    Estimated Reading Time: 10 min

    8

    आरव के लगाए हुए इल्ज़ाम सुनकर भी अपर्णा को समझ नहीं आया कि आखिर वह किस बारे में बात कर रहा है इसलिए वह एकदम क्लूलेस होकर उसकी तरफ ही देख रही थी।

    आरव ने उसके चेहरे की तरफ देखते हुए कहा, "यह ऐसे इतना ज्यादा मासूम चेहरा बनाने की जरूरत नहीं है तुम्हारा असली चेहरा तो मुझे पता है वैसे भी तुम क्या हो और इतनी आसानी से मेरी मां को बहला फुसला लेती हो अपनी बातों में उनसे क्या बोल कर गई थी तुम घर से?"

    अपर्णा ने मुंह बनाते हुए कहा, "क्या बात कर रहे हैं आप? मुझे.. मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा और मैं मां जी को क्यों फुसलाऊंगी मुझे इन सब चीजों की कोई ज़रूरत नहीं है, वह वैसे भी इतनी अच्छी है आपकी तरह नहीं। मुझे तो लगता ही नहीं आप उनके सगे बेटे हैं एक भी क्वालिटी नहीं है आपके अंदर मां के जैसी!"

    इतना बोलकर अपर्णा ने अपनी आइस रोल की और दूसरी तरफ देखने लगी तो आरव का गुस्सा एकदम ही बढ़ गया और उसने अपर्णा के दोनों कंधों को एकदम कसकर पकड़ कर उसे अपने करीब खींचा और उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "ज्यादा अनजान बनने की कोशिश भी मत करो तो मैं अच्छी तरह से पता है मैं तुम्हारी उस वेट्रेस की जॉब के बारे में बात कर रहा हूं? मां से क्या झूठ बोला था तुमने वहां पर जाने के लिए बताओ मुझे!"

    अपर्णा उसकी बात का जवाब देते हुए बोली, "मैंने कोई झूठ नहीं बोला मैंने मां से सच बताया था सुबह पहले मैं कॉलेज गई थी और उसके बाद..."

    अपर्णा अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले ही आरव ने उसकी बात बीच में काटते हुए बोला, "अच्छा कॉलेज.. हां तुम तो अभी कॉलेज में ही हो ना तो कॉलेज का बोलकर तुम ऐसी जॉब के लिए जाती हो तो फिर पढ़ाई का क्या? वैसे मुझे क्या करना लेकिन बस तुम अब उसे जॉब पर नहीं जाओगी! हां कॉलेज जा सकती हो!"

    इतना बोलते हुए आरव ने उसे छोड़ दिया और उससे थोड़ा सा दूर जाने लगा उसकी इस बात पर अपर्णा दोबारा से उसके सामने आकर खड़ी हो गई और बोली, "व्हाट डू यू मीन बाय कि जा सकती हो, मुझे आपकी परमिशन की ज़रूरत नहीं है मां ने पहले ही मुझे बोल दिया है कि मुझे किसी से कुछ पूछने की ज़रूरत नहीं है तो फिर आप कौन होते हैं मुझे किसी भी चीज के लिए मना करने वाले।"

    आरव इरिटेट होते हुए बोला, "बार-बार याद दिलाना पड़ेगा क्या, हमारा रिश्ता? अभी एक दिन पहले ही हमारी शादी हुई है और हस्बैंड हूं मैं तुम्हारा इतनी याददाश्त कमजोर है ना तो लिख कर रख लो।"

    अपर्णा भी एकदम एटीट्यूड में बोली, "याददाश्त मेरी नहीं आपकी कमजोरी है इसलिए आप याद रखिए कल रात आपने ही कहा था कि मैं खुद को आपकी बीवी समझने की गलती ना करूं। आपने सिर्फ अपनी मां के कहने पर मुझसे शादी की और हमारा कोई भी रिश्ता नहीं है तो क्यों अभी हक जाता रहे हैं आप क्यों बात-बात पर हर चीज में टांग अड़ा रहे हो और सबसे बड़ी बात क्यों तुम्हें इतना फर्क पड़ रहा है, मैं चाहे जो भी करूं।"

    अपर्णा की यह बात सुनकर आरव ने गुस्से में अपने दांत पीस लिए वह बस किसी तरह अपना गुस्सा कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था और तभी उसने अपनी पॉकेट से एक कार्ड निकाल कर अपर्णा के ऊपर फेंका और बोला, "पैसे ही चाहिए ना तुम्हें उसके लिए ही इतना नाटक कर रही हो ना यह लो मेरा कार्ड.. जितने पैसे चाहिए निकाल लेना और जब चाहिए तब यह कार्ड यूज़ कर सकती हो मैं तुमसे कोई हिसाब नहीं मांगूंगा लेकिन बदले में मेरी बस इतनी शर्त है कि तुम वहां पर उस कैफे में एक वेट्रेस की जॉब नहीं करोगी बस..."

    आरव का ऐसे कार्ड निकाल कर उसके ऊपर फेंकना अपर्णा को बहुत ही ज्यादा डिसरिस्पेक्टफुल लगा और उसकी आंखों में आंसू आ गए क्योंकि उसने बिल्कुल भी नहीं सोचा था उसका होने वाला पति उसके साथ ऐसा बर्ताव करेगा।

    इसके अलावा आरव ने जो कुछ भी कहा वह सुनकर अपर्णा बोली, "नहीं चाहिए मुझे आपके पैसे और मैं आपसे पैसों के लिए ये शादी नहीं की है। इसलिए अपने पैसे और अपना एटीट्यूड दोनों अपने पास रखिए और मैं अपनी जॉब कंटिन्यू करूंगी।आपको चाहे जो भी प्रॉब्लम हो उससे मुझे मतलब नहीं है।"

    अपनी बात बोलकर अपर्णा वहां से जाने लगी तभी उसके पीछे से आरव भी अपना फैसला सुनाते हुए बोला, "नहीं, मेरे रहते तो तुम कल यहां से उस जॉब पर नहीं जा पाओगी वहां उस कैफे मैं और अगर गई तो फिर मैं उन लोगों को बोल दूंगा। वह खुद ही तुम्हें इंसल्ट करके कम से निकाल देंगे।"

    आरव ने यह बात उसे एक तरह से धमकी देते हुए कही थी तो अपर्णा की आंखों में भरे हुए आंसू अब निकलकर उसके गालों पर गिरने लगे और उसने पीछे मुड़कर आरव की तरफ देखते हुए कहा, "क्यों? क्यों आप यह सब कर रहे हैं? क्या मिल रहा है आपको मुझे ऐसे परेशान करके? क्यों मेरी मुसीबतें और बढ़ा रहे हैं? पहले ही मेरी लाइफ में कोई भी नहीं है जो मुझे हेल्प करें। सपोर्ट करें। बहुत मुश्किल से मुझे वो जॉब मिली है जो कि मैं अपने कॉलेज के साथ कंटिन्यू कर सकती हूं तो क्यों आप ऐसा कर रहे हैं और यह जॉब में शादी से पहले से करती थी पिछले 6 महीनों से?

    इतना बोलते हुए वह रोने लगी और रोते-रोते वही दीवार से लगकर एकदम जमीन पर बैठ गई।

    उसे ऐसे रोते देखकर आरव को अपने दिल में दर्द महसूस हुआ और वह तुरंत ही उसकी तरफ आया और उसके सामने ही घुटने के बल बैठ गया।

    अपर्णा अपना सिर झुका कर रो रही थी तो उसने सामने आकर बैठे हुए आरव को नहीं देखा वह अभी भी उसी तरह से रो रही थी तो आरव ने काफी सहूलियत से कहा, "सॉरी! मैं तुम्हें रुलाना नहीं चाहता था लेकिन तुम खुद भी तो इतनी जिद्दी हो क्यों एक बार में मेरी बात नहीं मान सकती और वैसे भी तुम्हें नहीं पता वेट्रेस की जाॅब कोई इतनी अच्छी नहीं होती। वहां पर कैसे कैसे लोग आते हैं कौन तुम्हें किस नजर से देखता है, और इसके अलावा मेरी रेपुटेशन पर भी बात आ जाएगी आज नहीं तो कल सबको पता चलेगा ही तुम मेरी ऑफिशियल वाइफ हो।"

    आरव के शब्द सुनकर अपर्णा ने बहुत ही नफरत से उसकी तरफ देखकर कहा, "आप सच में बहुत सेल्फिश इंसान हैं, आरव! आपको सिर्फ अपनी पड़ी है, पहले तो गर्लफ्रेंड होते हुए भी आपने मुझसे शादी करके मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। उसके बाद बिना मुझे जाने, बिना समझे शादी की पहली रात ही मुझ पर इतने बड़े-बड़े इल्जाम लगाए यहां तक मुझे लालची, गोल्ड डिगर और न जाने क्या-क्या बोला, और अब मैं अपनी जब भी कंटिन्यू नहीं कर सकती क्योंकि इससे मेरे रिच, मिलेनियर बिजनेसमैन हस्बैंड की रेपुटेशन पर असर होगा, वाओ! क्या बात है और मेरा क्या मेरे बारे में कौन सोचेगा मैं अपने एक्सपेंस कैसे पूरे करूंगी?"

    इतना बोलते बोलते वह और भी ज्यादा जोर से रोने लगी आरव को समझ नहीं आया कि वह उसे कैसे समझाएं लेकिन वह वहां से उठकर खड़ा हो गया और दूसरी तरफ देखने लगा।

    पता नहीं क्यों उसे थोड़ा गिल्ट हो रहा था अपर्णा को ऐसी हालत में देखकर और उसे यह भी पता था कि उसकी ऐसी हालत का जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि वह खुद है लेकिन फिर भी उसने गहरी सांस ली और कहा, "ऐसा नहीं है मैं तुम्हारे बारे में भी सोच रहा हूं इसीलिए मैंने तुम्हें वह अपना कार्ड दिया है तुम उससे अपने सारे खर्चे पूरे कर सकती हो जो चाहे ले लेना मैं तुमसे कोई हिसाब नहीं लूंगा।"

    अपर्णा ने उसकी तरफ देखते हुए बहुत ही दर्द भरी आवाज में कहा, "हां और मैंने आपका कार्ड ले लिया तो फिर लालची, गोल्ड डिगर पैसों के लिए आपसे शादी करने वाली लड़की यह सब तो बोलेंगे ना? आपके सारे इल्जाम तो सच साबित हो जाएंगे ना?"

    आरव एकदम सीरियस होते हुए बोला, "नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं कहूंगा मैं मुझे सच में बस ऐसा लगा था। मुझे नहीं पता था तुम कहीं पर कोई जॉब भी करती होगी।"

    अपर्णा अपने आंसू पहुंचने हुए बोली, "कैसे पता होगा, आप जानते ही कितना थे मुझे और अभी भी नहीं जानते हैं हमने सिर्फ मां के कहने पर शादी की है और नहीं चाहिए मुझे आपके पैसे में कुछ और काम कर लूंगी।"

    इस बार आरव गुस्से से चिल्लाता हुआ बोला, "तुम्हें समझ में क्यों नहीं आता! कोई जरूरत नहीं है तुम्हें कुछ भी करने की।"

    अपर्णा भी जवाब में उसी तरह बोली,"क्यों नहीं? शादी करने से पहले ऐसा कुछ भी तय नहीं हुआ था कि मैं शादी के बाद कुछ काम नहीं करूंगी मुझे काम करना है और मैं करूंगी इसीलिए मैं इतना पढ़ रही हूं मुझे पैसों की जरूरत है मैं आपसे एक भी पैसे नहीं लेने वाली मैं अपने खर्चे के लिए खुद काम करूंगी और आप मुझे नहीं रोक सकते।"

    इतना बोलते हुए अपना उठकर खड़ी हुई उसने अपने आंसू पोंछे और कमरे से बाहर निकल गई।

    आरव उसकी बातें सुनकर और उसे वहां से जाते देख कर भी कुछ नहीं कर पाया वह चुपचाप वहां पर ही खड़ा रह गया उसे नहीं समझ आया कि उसे क्या करना चाहिए ऐसी सिचुएशन में लेकिन तभी उसकी नज़र जमीन पर पड़े हुए अपने कार्ड पर गई जिससे कि अपर्णा ने हाथ तक नहीं लगाया था लेना तो दूर की बात थी जिससे कि आरव को यह तो समझ में आ गया कि वह सीधी तरह तो उससे पैसे नहीं लेगी और ना ही उसकी बात मान कर ये वेट्रेस की जॉब छोड़ेगी इसलिए आरव इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन निकालने के लिए कोई और तरीका ही सोचने लगा।

    To Be Continued

    क्या करने वाला है अब आरव पता चलेगा अगले एपिसोड में और क्या उसकी मां को पता चलेगा उन दोनों के बीच हुई इस लड़ाई बहस के बारे में और वह किसका सपोर्ट करेंगी क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में 👇👇🫰

  • 9. Our Unwanted Marriage - Chapter 9

    Words: 1550

    Estimated Reading Time: 10 min

    9

    आरव की बातों की वजह से अपर्णा सारी रात कमरे के अंदर वापस नहीं गई वह वहीं घर के लिविंग एरिया में सोफा पर अपने आप में सिमटी हुई सी बैठी थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी लाइफ के साथ क्या हुआ है और क्यों वह एक ऐसी शादी में फंस गई जो वह कभी नहीं करना चाहती थी।

    जानकी जी उसके वहां पर आने से पहले ही अपने कमरे में जाकर सो चुकी थी इसलिए उन्हें इन सब के बारे में कुछ भी पता नहीं था और अपर्णा उन्हें बात कर परेशान भी नहीं करना चाहती थी।

    वह रोते-रोते वहीं पर बैठी हुई सो गई उसे पता भी नहीं चला कब सुबह हो गई और सुबह के लगभग 6:00 बजे थे , जब सोते हुए नींद में ही उसे कुछ अजीब सा महसूस हुआ उसे ऐसा लगा जैसे की वह हवा में है और पहले तो उसे ऐसा लगा जैसे कि वह कोई अजीब सा सपना देख रही है लेकिन फिर उसने नदी से भरी अपनी आंखें खोली तो आंखें खोलते ही ऊपर की तरफ आरव का चेहरा उसे नज़र आया और वह एकदम घबरा गई‌।

    वह चिल्लाने ही वाली थी कि तभी आरव ने कहा, "चिल्लाना मत, बस कमरे तक लेकर जा रहा हूं मां तुम्हें ऐसे बाहर सोते हुए देखते तो उन्हें बहुत बुरा लगता।"

    आरव की बात सुनकर अपर्णा ने चिल्लाया नहीं लेकिन धीमी आवाज में फुसफुसाते हुए बोली, "क्या कर रहे हैं आप, नीचे उतारिए मुझे मैं खुद चल सकती हूं आप मुझे जगा कर भी तो बोल सकते थे।"

    आरव ने एकदम से कहा, "और क्या तुम मेरी बात मानकर कमरे में वापस आती?"

    उसके इस सवाल पर अपना एकदम ही चुप हो गई क्योंकि वह सच में कमरे में वापस जाने वाली नहीं थी और उसे लगा भी नहीं था कि आरव उसे बुलाने के लिए आएगा लेकिन बुलाना तो दूर की बात हो उसे इस तरह से गोद में उठा कर ले जा रहा था।

    अपर्णा उसकी बाहों में कसमसा रही थी लेकिन तभी आरव ने थोड़ी सख्ती से कहा, "ज्यादा हिलो डुलो मत अभी हम सीढ़ियों पर हैं, अगर तुम ज्यादा खेलोगे तो हम दोनों ही गिर जाएंगे।"

    उसके इस तरह से वार्निंग देने पर अपर्णा फिर हिल डोली नहीं और आरव भी ऊपर सीढ़ियां चढ़कर अपने कमरे की तरफ आ गया और कमरे के अंदर आते हुए उसने अपर्णा को बेड पर बिठाया और उसे बिठाने के लिए वह हल्का सा उसके ऊपर झुका तो उन दोनों के चेहरे एक दूसरे के एकदम सामने थे और आरव के इतने नजदीक आने पर अपर्णा एकदम से घबरा गई और घबराकर उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया तो उन दोनों का सिर एक दूसरे से टकरा गया।

    अपने सिर पर हाथ रखते हुए आरव बोला, "आह्!! क्या कर रही हो?"

    अपर्णा भी अपने माथे को सहलाते हुए बोली, "आउच! मुझे भी तो लगी है आप मुझे क्यों बोल रहे हैं मैंने जानबूझकर थोड़ी ना किया और क्यों आप मुझे लेकर आए यहां पर? मुझे नहीं रहना आपके साथ इस कमरे में आप फिर से मुझ पर चिल्लाएंगे।"

    आरव उसके सामने बेड पर बैठते हुए बोला, "मुझसे ज्यादा तो तुम चिल्लाती हो और मुझ पर झूठा नाम लग रही हो मैं सिर्फ जॉब के लिए बोला था और तुम्हें नहीं पता कि मेरे लिए कितनी शर्मनाक बात होगी अगर मेरी वाइफ ऐसे किसी कैफे में वेट्रेस की जॉब करें।"

    आरव की बात सुनते ही अपर्णा उसकी तरफ उंगली दिखाते हुए बोली, "देखा फिर से.. फिर से आप अपने बारे में सोच रहे हैं आप और वैसे भी आपकी वाइफ नहीं हूं मैं, इसलिए आपको शर्मिंदा होने की भी ज़रूरत नहीं है। मैं किसी को भी नहीं बताऊंगी हमारे रिलेशन के बारे में और पढ़ाई कंप्लीट होने के बाद में कोई और जॉब ढूंढ लूंगी।"

    उसकी ऐसी बातें सुनकर आरव ने एक ठंडी सांस छोड़ी और आगे कुछ भी नहीं बोला चुपचाप अपनी जगह से उठा और वहां कमरे की बालकनी में चला गया सुबह का सूरज निकलने वाला था इसलिए काफी ज्यादा उजाला हो गया था।

    अपर्णा ने उसे बालकनी की तरफ जाते हुए देखा लेकिन वह भी अपनी जगह पर ही बैठी रही, उसे नहीं पता था आरव इस बात के लिए राजी हुआ या फिर नहीं लेकिन वह जाकर की ही तरह आज भी अपने जॉब पर जाने वाली थी उसने मन बना लिया था कि वह आरव के रोकने से तो नहीं रुकेगी।

    कुछ घंटे बाद घर के लिविंग एरिया में,

    जानकी जी के साथ नाश्ता करने के बाद अपर्णा कॉलेज के लिए निकलने की वाली थी वह एकदम रेडी थी कि तभी आरव भी तेज कदमों से सीढ़ियां उतरते हुए वहां पर आया और अपर्णा के पीछे आकर खड़ा होता हुआ बोला, "कहां जा रही हो तुम?"

    आरव के इस तरह से टोकने पर अपर्णा का मुंह बन गया लेकिन वह कोई जवाब दे पाती उससे पहले ही जानकी जी ने कहा, "तुझे नहीं पता है क्या कि तेरी बीवी कॉलेज जाती है!"

    आरव अपनी मां के पैर छूता हुआ बोला, "क्या मां, अभी कैसे पता होगा मुझे कुछ भी अभी 2 दिन तो हुआ है हमारी शादी को इतनी जल्दी सब कुछ थोड़ी ना पता चल जाएगा मुझे वैसे भी मैं इतना बिजी रहता हूं।"

    आरव की मां ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "खुश रहो और खूब तरक्की करो लेकिन अपनी बीवी के बारे में भी पता करो भले ही तुमने मेरे बोलने पर अपर्णा से शादी की है और मुझे पता है तुम दोनों एक दूसरे को जानते तक नहीं थे शादी से पहले लेकिन अब तो जान सकते हो ना और तुम उससे पूछोगे नहीं तो वह तुम्हें कैसे बताएगी?"

    आरव को समझाते हुए जानकी जी ने कहा तो आरव ने जैसे कंफर्मेशन के लिए अपर्णा की तरफ देखा वही अपर्णा को आरव के इस तरह से उसे रोकने पर बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रही थी और उसे समझ में आ रहा था कि वह जानबूझकर यह सारी बातें कर रहा है जिससे कि वह घर से बाहर कहीं ना जा पाए।

    लेकिन अपर्णा भी उसका प्लान समझ रही थी इसलिए उसने जानकी जी से कहा, "अच्छा मां, मैं निकलती हूं नहीं तो देर हो जाएगी कॉलेज के लिए।"

    इतना बोलकर अपर्णा भी उनका पैर छूने के लिए झुकी लेकिन जानकी जी ने उसे पहले ही रोक लिया और कहा, "खुश रहो सदा सुहागन रहो और आज अकेले जाने की क्या ज़रूरत है, आरव अभी घर पर ही है ना तो आज तुम दोनों साथ में ही चले जाओ। आरव , तुम इसे ड्रॉप करके फिर काम पर चले जाना।"

    अपनी मां की बात सुनते ही आरव वह बहुत ज्यादा खुश होते हुए बोला, "अरे वाह! मां हो तो आपके जैसी मेरे तो मन की बात समझ ली आपने।"

    आरव को इतना खुश देख कर उसकी मां ने उसकी तरफ देखते हुए कहा,"हां मां हमेशा ही बच्चों के मन की बात समझ लेती है वैसे तू खुद भी बोल सकता था उसे अपने साथ चलने के लिए तेरी पत्नी है वह..."

    आरव थोड़ा सा हिचकिचाते हुए बोला, "हां वो मैं.. मैं बस.."

    इतना बोलते हुए उसने अपर्णा की तरफ देखा जो कि गुस्से में खो जाने वाली नजरों से उसकी तरफ ही देख रही थी और वही उसकी मां ने उन दोनों की तरफ देखकर मुस्कुराया और बोली, "चलो अच्छा जाओ अब तुम दोनों और ध्यान से जाना।"

    जानकी जी की बात सुनकर अपर्णा भी मन नहीं कर पाई और उसे ना चाहते हुए भी आरव के साथ ही घर से बाहर निकल कर आना पड़ा।

    जानकी जी दरवाजे से वापस अंदर चली गई और वो दोनों चुपचाप एक साथ चलते हुए कार तक आ रहे थे लेकिन अपर्णा ने जैसे ही देखा कि जानकी जी अब दरवाजे पर नहीं है और घर का दरवाजा बंद हो चुका है उसने तुरंत ही पीछे मुड़कर आरव की तरफ देखा और कहा, "कोई ज़रूरत नहीं है मेरे साथ कहीं भी आने की मैं अकेले जा सकती हूं और मैं चली जाऊंगी।"

    आरव ने मना करते हुए कहा, "ऐसे कैसे ज़रूरत नहीं है और वैसे भी मां ने बोला है और मैं अपनी मां की बात कभी नहीं टालता इसलिए तुम्हें मेरे साथ ही चलना होगा।"

    अपर्णा खिसियाते हुए बोली,"अजीब जबरदस्ती है।"

    आरव ने एटीट्यूड दिखाते हुए बोला, "हां है, तो क्या कर लोगी? चलो अब चुपचाप कार में बैठो नहीं तो मैं अभी आवाज लगाकर मां को बुला लूंगा और उनसे कहूंगा कि उनकी बहू अपने पति के साथ जाने में भी नखरे कर रही है और वैसे भी तुम्हें कॉलेज तक ही तो ड्राॅप करना है कौन सा मैं तुम्हें अपने साथ लेकर कहीं भाग जाऊंगा।"

    अपर्णा ने अपनी आइस रोल करते हुए कहा, "कहां जाएंगे भाग कर, पहले ही हम दोनों हसबेंड वाइफ है अब कोई चांस नहीं है किसी के कहीं भगाने का।"

    इतना बोलकर उसने एक साइड का दरवाजा खोला और उसे साइड से कार के अंदर ही बैठ गई।

    उसे अपनी कार में बैठते देख आरव की आंखों में खुशी की चमक नजर आने लगी और वह भी तुरंत दूसरी साइड से आकर बैक सीट पर उस के साथ ही बैठ गया।

    To Be Continued

    क्या चल रहा है आरव के दिमाग में और क्या वह अपर्णा को उसकी जॉब पर जाने से रोक पाएगा और क्या सच में वह उसे उसके कॉलेज ड्रॉप करेगा, आपको पता चलेगा अगले एपिसोड में लेकिन जब तक कमेंट भी करते रहिए और कैसा लगा आज का एपिसोड आप सबको?

  • 10. Our Unwanted Marriage - Chapter 10

    Words: 1648

    Estimated Reading Time: 10 min

    10

    अपर्णा को बहुत ही गुस्सा आ रहा था आरव पर क्योंकि वह जानबूझकर यह सब कर रहा था उसे परेशान करने के लिए और अपर्णा इस बात पर बहुत ही ज़्यादा चिढ़ रही थी।

    आरव बीच-बीच में उसकी तरफ देख रहा था और पता नहीं क्यों उसे अपना इस वक्त बहुत ही खूबसूरत लग रही थी वह गुस्से में मुंह फुला कर बैठी हुई कुछ सोच रही थी और एकदम सीरियस एक्सप्रेशन के साथ दूसरी तरफ देख रही थी उसने एक बार भी आरव की तरफ नहीं देखा क्योंकि अगर वह आरव के चेहरे की तरफ देखती तो उसका गुस्सा और भी बढ़ जाता इसीलिए वह जानबूझकर उसे इग्नोर कर रही थी आरव को भी यह बात समझ में आ रही थी।

    उन दोनों के ही दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था लेकिन कोई भी कुछ बोल नहीं रहा था और कुछ देर के बाद अपर्णा का कॉलेज आ गया और आरव ने ड्राइवर को पहले ही बता दिया था इसलिए कॉलेज के सामने ही ड्राइवर ने कार रोक दी।

    कार अपर्णा को ऐसा लगा जैसे कि उसे बहुत ही अच्छा भगाने का मौका मिला वह तुरंत ही अपनी साइड का डोर खोल कर कार से बाहर निकल गई और भागते हुए आगे की तरफ जाने लगी‌

    आरव भी तुरंत बाहर निकलकर अपर्णा के पीछे आ गया और उसने अपर्णा का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए को कहा, "अरे कम से कम गुड बाय तो बोल दो अपने हस्बैंड को और वैसे भी मैं 2:00 बजे ड्राइवर भेज दूंगा। तुम कॉलेज से सीधा घर वापस आ जाना, तुम्हें पता है ना तुम्हें और कहीं नहीं जाना है।"

    आरव अपने चेहरे पर एक बहुत बड़ी सी फेक स्माइल के साथ अपर्णा की तरफ देखते हुए कहा तो अपर्णा तुरंत ही मना करते हुए बोली, "नहीं, कोई ज़रूरत नहीं है ड्राइवर को भेजना की मैं खुद से आ जाऊंगी।"

    अपर्णा के मना करने पर आरव ने बहुत ही प्यार से उसके गाल पर टच करते हुए कहा, "अरे ऐसे कैसे मैं अपनी नई नवेली वाइफ को अकेले घर आने दे सकता हूं, तुम्हारा ध्यान भी तो रखना है ना?"

    वह दोनों इस वक्त अपर्णा के कॉलेज के गेट पर खड़े हुए थे और वहां पर मौजूद बहुत सारे स्टूडेंट जो की अपर्णा को जानते भी थे तब उन दोनों की तरफ ही देख रहे थे अपर्णा को भी समझ में आ रहा था कि आरव बस अच्छा बनने का नाटक कर रहा है और जानबूझकर वह यह सब इसलिए कर रहा है जिससे कि अपना कॉलेज के बाद जॉब पर ना जा पाए।

    यह बात समझ में आते ही अपर्णा ने भी उससे कोई बहस नहीं किया और कहा, "ठीक है, जो तुम्हारी मर्जी में आए वह करो लेकिन अभी मेरा हाथ छोड़ो, मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है।"

    इतना बोलते हुए अपर्णा ने अपने हाथ की तरफ इशारा किया तो आरव ने उसका हाथ छोड़ते हुए बोला, "अरे हां हाथ नहीं छोडूंगा तो तुम जाओगी कैसे लेकिन ध्यान से जाना, गुड बाय वाइफी, आई विल मिस यू!"

    इतना बोलते हुए आगे आकर आरव ने अपर्णा के गालों पर किस कर लिया तो अपर्णा की आंखें एकदम ही हैरानी से बड़ी हो गई उसे समझ नहीं आया कि आरव ने ऐसा क्यों किया?

    अपर्णा ने इस तरह हैरानी से एक्स्ट्रा बड़ी आंखों के साथ आरव की तरफ देखते हुए कहा, "क्या था यह?"

    आरव बहुत ही मासूमियत से उसकी बात का जवाब देता हुआ बोला, "तुम ने ही तो कहा कि जो मन में आए वह करो तो बस कर लिया और वैसे भी अपनी वाइफ को गुड बाय किस करना कौन सा गुनाह होता है? और छोड़ो यह सब, चलो जाओ अब देर नहीं हो रही तुम्हें?"

    आरव के इस तरह से वहां सबके सामने किस करने पर और फिर यह सारी बातें बोलने पर अपर्णा को पता नहीं क्यों लेकिन बहुत ही शर्म आ रही थी और उसका मन कर रहा था जैसे कि वही गड्ढा खोदकर उसमें गड़ जाए लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी इसलिए वह तुरंत ही वहां से कॉलेज गेट के अंदर भाग गई और उसे ऐसे भागते हुए देख कर आरव ने उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "सो क्यूट वाइफी!"

    इतना बोलते हुए वह खुद भी मुस्कुराने लगा लेकिन उसे समझ नहीं आया कि उसने ऐसा क्यों किया तो फिर वह खुद से सवाल करने लगा, "क्यूट यह लड़ाकू लड़की मुझे क्यूट लग रही है यह सब क्या बोल रहा हूं मैं और मैंने ऐसा क्यों किया सच में क्या जरूरत थी मुझे ऐसा करने की मैं तो बस उसे परेशान करने के लिए यह सब कर रहा था लेकिन उसे ऐसे किस करना यह तो कुछ ज़्यादा ही हो गया।"

    इस बारे में सोचता हुआ आरव खुद भी काफी परेशान हो गया लेकिन अब जो हो गया था सो हो गया था अब तो उसे बारे में वह कुछ भी नहीं कर सकता था इसलिए चुपचाप वापस अपनी कर के अंदर बैठ गया और ड्राइवर से उसने सीधे ऑफिस चलने के लिए कहा

    वहीं दूसरी तरफ, अपर्णा लगभग भागते हुए कॉलेज के अंदर आई उसका दिल बहुत ही तेजी से धड़क रहा था इसलिए एकदम साइड में जाकर को रुक गई और उसने अपनी चेस्ट पर हाथ रख लिया उसे अपना दिल तेज धड़कता हुआ सा महसूस हो रहा था उसने अपने आप से कहा, "क्या है ये और मुझे ऐसा क्यों फील हो रहा है , सिर्फ गाल पर ही तो किस किया लेकिन क्यों किया? क्या ज़रूरत थी उन्हें ऐसा करने की? वह भी सबके सामने, अब सब मुझसे इस बारे में पूछेंगे वह गॉड क्या करूंगी मैं क्या जवाब दूंगी सबको मैंने तो किसी को अपनी शादी के बारे में भी नहीं बताया था।"

    वह अपने मन में यह सब सोच ही रही थी कि तभी पीछे से एकदम जानी पहचानी सी आवाज अपना के कानों में पड़ी, "अच्छा तो छुप कर यहां खड़ी हो वैसे अब क्या ज़रूरत है छिपने की जो छिपाना चाहिए था वह तो सबने देख लिया।"

    अपर्णा अपनी फ्रेंड अनिका से नजर चुराते हुए बोली, "अनिका! यह क्या, क्या बोल रही हो तुम?"

    अपर्णा पढ़ाई में तो उतनी अच्छी नहीं थी लेकिन उसके सिंगिंग टैलेंट की वजह से उसे कॉलेज में ज्यादातर लोग जानते थे, क्योंकि कॉलेज के पहले साल फ्रेशर पार्टी में ही उसने इतना अच्छा गाना गया था कि सब उसे इंप्रेस हो गए थे और टीचर नहीं है उसे म्यूजिक डिपार्टमेंट में ट्रांसफर कर दिया था उसके बाद से वह म्यूजिक में ही स्टडीज भी कर रही थी और फिर हर साल एनुअल फंक्शन में भी वह जरूर पार्टिसिपेट करती थी और हर साल ही जीत जाती थी।

    इस वजह से वह काफी पॉप्युलर हो चुकी थी, वह दिखने में भी सुंदर थी इसलिए काफी सारे लड़के भी उसके दीवाने थे लेकिन अपर्णा ने कभी भी उनमें से किसी को भाव नहीं दिया और उसके ज्यादा दोस्त भी नहीं थे लेकिन अनिका उसकी सबसे क्लोज फ्रेंड थी एक तरह से उसकी बेस्ट फ्रेंड, जिसके साथ वह सारी बातें शेयर करती थी लेकिन आरव के साथ शादी होने वाली बात उसने अनिका को भी नहीं बताई थी और अनिका की बातें सुनकर वह समझ गई थी कि अभी गेट पर खड़े कुछ लोगों के साथ अनिका ने भी उसे और आरव को कॉलेज गेट पर देख लिया था और अब इस बारे में ज़रुर पूछेगी और अपर्णा के पास फिलहाल कोई और बहाना नहीं बचा था।

    अनिका ने उसके सामने आकर खड़े होते हुए कहा, "क्या बोल रही हूं मतलब, वही बोल रही हूं जो मैंने देखा। अब बताओ कौन था वह हैंडसम, ऊपर से उसके पास मर्सिडीज़ थी कहां मिला तुम्हें इतना हैंडसम और इतना अमीर लड़का, तुम्हें कॉलेज ड्रॉप करने आया था और साथ में तुम्हें किस करके गया वह भी सबके सामने, यू आर सो लकी यार!"

    यह बात बोलते हुए अनिका बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड लग रही थी तो अपर्णा की आंखों के सामने भी एक बार को आरव का चेहरा आ गया और वह सच में काफी ज्यादा हैंडसम था अपर्णा कभी इतना ध्यान से उसे नहीं देखती थी और अगर देखती भी थी तो कभी उसको अप्रिशिएट नहीं करती थी इसलिए अभी अनिका के बोलने पर उसने दोबारा से इस बारे में सोच और अपने मन में कहा, "हां यार, हैंडसम तो है मेरे हसबैंड!"

    अपने मन में यह ख्याल आते ही बिना कुछ सोच वह भी वहां पर खड़ी होकर मुस्कुराने लगी तो अनिका ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे झकझोरते हुए कहा, "यह फिर से खो गई इस हैंडसम के ख्यालों में यार मैं कुछ पूछ रही हूं पहले मुझे बता दे फिर सारा दिन याद करती रहना अपने उस हैंडसम को?"

    अनिका की यह बात सुनकर अपर्णा बोली, "नहीं, नहीं, मैं उस बारे में नहीं सोच रही! तू भी ना कुछ भी बोलती है और वैसे भी अभी क्लास का टाइम हो गया है, मैं बाद में बताऊंगी!"

    इतना बोलते हुए अपर्णा वहां से आगे चली गई तो अनिका भी उसके पीछे भागते हुए आए और बोली, "अरे यार! सुन तो बस 1 मिनट लगेगा बताने में, तू ना बताना ही नहीं चाहती है मुझे!"

    अनिका ने लगभग चिल्लाते हुए यह बात कही लेकिन अब पढ़ने उसकी बात सुनने के लिए नहीं रुकी और जल्दी से भाग कर अपने डिपार्टमेंट में चली गई अनिका के सब्जेक्ट अलग थे इसलिए वह दूसरी साइड पर गई।

    To Be Continued

    कैसा लगा आज का एपिसोड? प्यार स्वीट क्यूट सा थाना वैसे इतना बड़ा चेंज इतनी जल्दी किस-किस ने सोचा था और क्या सच में यह दोनों इतने क्यूट और स्वीट है या फिर नाटक करते-करते कुछ सच में बदल गया। और अब आगे क्या होने वाला है क्या अपर्णा अनिका को बताइए अपनी शादी का सच और क्या आरव उसे लेने के लिए ड्राइवर को भेजेगा क्या इस वजह से अपर्णा अपनी जॉब पर नहीं जा पाएगी क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में आज के एपिसोड के बाद तो कई सारे सवाल है क्योंकि एपिसोड भी बड़ा है तो कमेंट भी ज्यादा चाहिए हमें 🥰❤️

  • 11. Our Unwanted Marriage - Chapter 11

    Words: 1606

    Estimated Reading Time: 10 min

    11

    अनिका को इग्नोर करने के लिए अपर्णा अभी तक अपनी डिपार्टमेंट से निकल कर कॉलेज के कॉमन रूम, कैंटीन या फिर कॉरिडोर में आई ही नहीं थी वह अपने ही डिपार्टमेंट के एक खाली रूम में इधर से उधर टहलती हुई इस बारे में सोच रही थी और उसने अपने आप से कहा, "क्या करूं मैं आखिर कब तक यहां पर छिपी रहूंगी मैं आखिर सामने तो करना ही पड़ेगा और कोई सवाल नहीं भी करेगा लेकिन यह अनिका तो है ना, जब तक उसे मैं पूरी डिटेल दे नहीं दूंगी आरव के बारे में, वह मेरे सिर पर मंडराती रहेगी।"

    यह बात बोलते हुए अपर्णा अपने नाखून उतर रही थी और वह काफी ज्यादा नर्वस फील कर रही थी क्योंकि उसे कोई और आईडिया नहीं आ रहा था।

    उसे काफी जोरों की भूख भी लगी थी क्योंकि दोपहर का टाइम हो गया था और वह सुबह 8:00 बजे ब्रेकफास्ट कर चुकी थी इसलिए अभी उसे भूख लग रही थी और इसलिए वह वहां से निकलकर जाने लगे और जब वो कैंटीन की तरफ बढ़ रही थी तभी उसके कानों में लोगों की आवाज पड़ी वह सब उसकी तरफ देख कर फुसफुसाकर आपस में बातें कर रहे थे उसे ज्यादा लोगों की बातें तो सुनाई नहीं दी क्योंकि वह सब उससे दूर खड़े थे लेकिन अपर्णा को महसूस हो रहा था कि कॉलेज में गॉसिप का टॉपिक आज वही थी।

    सवाल भरी नजरों से या फिर साइड नजरों से ज्यादातर लोग देख रहे थे उसकी ही तरफ लेकिन फिर भी उन सबको इग्नोर करते हुए वो बास्केटबॉल फील्ड की तरफ बढ़ी क्योंकि उसे क्रॉस करके ही कैंटीन थी और तभी वहां साइड में खड़े दो लोगों की आपस में बात करने की आवाज उसे एकदम साफ सुनाई दी।

    "हां सच में, बस दिखाने में ही भोली है और लड़का देखो कितना अमीर फंसाया है वह तो हमारे कॉलेज का भी नहीं लग रहा था।"

    "हां सच में मिल भी जाते हैं ऐसे लोगों को हमें देखो कोई भी नहीं मिलता।"

    उन दोनों की बात सुनकर अपर्णा को काफी गुस्सा आया और वह गुस्से में घूर कर उन दोनों की तरफ ही देखने लगी तो वह दोनों लड़कियां जो आपस में बातें कर रही थी एकदम ही चुप हो गई और इधर-उधर देखी हुई वहां से आगे बढ़ गई।

    उनकी बातें सुनकर अपर्णा को बुरा लगा और उसने गुस्से में कहा, "खुद की लाइफ में तो कुछ है नहीं बस दूसरों के जिंदगी में अपनी टांग अड़ाती रहती हैं। ऐसे तो कभी कोई नहीं मिलेगा इन्हें बस दूसरों को देखकर जलती रह जाएगी।"

    गुस्से में यह सब बड़बड़ाते हुए वह आगे आ ही रही थी कि तभी किसी से टकरा गई क्योंकि वह सामने की तरफ़ नहीं देख रही थी और जिससे वो टकराई थी वह उसके ही कॉलेज का एक लड़का था जो कि उसका सीनियर था वह भी कॉलेज में काफी फेमस था और वह कॉलेज की बास्केटबॉल टीम का कप्तान भी था।

    अपर्णा ने जैसे ही सिर उठा कर देख क्योंकि उस लड़के की हाइट भी काफी ज़्यादा थी वह तुरंत ही माफी मांगते हुए बोली, "आ..आ..आई एम सॉरी सॉरी माणिक सर, मैंने देखा नहीं आपको आते हुए!"

    मानिक एकदम से बोला, "आउच! इट्स हर्ट.."

    उसके इस तरह से आउच बोलने पर अपर्णा उसके लिए थोड़ा परेशान होती हुई बोली, "क्या हुआ कहीं लगी क्या आपको सर, सॉरी सॉरी मेरा ध्यान कहीं और था वो.."

    उसके सामने खड़ा हुआ वह लंबा चौड़ा हैंडसम सा दिखने वाला लड़का जिसके नॉर्मल से थोड़े लंबे बाल थे और उसने हेडबैंड भी लगाया हुआ था, और स्लीवलेस टैंक टॉप के साथ उसने बॉस्केटबॉल शॉर्ट्स पहनी हुई थी जिसमें वह काफी हॉट और अट्रैक्टिव लग रहा था।

    उसने अपर्णा के सामने थोड़ा ड्रैमेटिक अंदाज में बोला, "नहीं चोट तो नहीं लगी लेकिन बुरा जरूर लगा सच में तुम्हें मैं नहीं दिखा देखो अब इतना छोटा सा तो हूं नहीं मैं कि किसी को नज़र ना आऊं? इनविजिबल तो नहीं हो गया मैं कहीं क्योंकि ऐसे ही मुझे किसी ने नहीं देखा तो बुरा लगता है, सीरियसली आई एम हर्ट!"

    इतना बोलते हुए मानिक ने अपने दिल पर हाथ रख लिया तो उसकी बातें सुनकर अपर्णा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई जबकि अभी तक वह काफी परेशान थी उसके माथे पर बल पड़े हुए थे और उसके आईब्रो भी अंदर की तरफ मुड़ी हुई थी लेकिन अभी हल्का सा मुस्कुराने के साथ उसका चेहरा थोड़ा नॉर्मल हो गया और उसने उसी तरह मुस्कुराते हुए माणिक की तरफ देखकर कहा, "क्या आप भी सर!"

    मानिक ने काफी कूल बनते हुए कहा, "कोई बात नहीं, बस देख कर चला करो थोड़ा इधर-उधर भी।"

    इतना बोलकर उसने धीरे से अपर्णा के सिर पर हाथ रखा और वहां से आगे चला गया।

    अपर्णा उसकी तरफ देखी ही रही थी कि तभी उसके कानों में फिर से एक जानी पहचानी आवाज पड़ी, "क्या बात है आजकल तो लेडी मैग्नेट हुई जा रही हो यह हैंडसम लोहे जैसे मर्दों को पूरा अपनी तरफ खींचने में जो लगी हो।"

    वह आवाज और किसी की नहीं बल्कि अपर्णा की क्लासमेट स्वाति की थी स्वाति भी उसके साथ म्यूजिक की क्लासेस में थी और वह भी हर साल एनुअल फंक्शन में पार्टिसिपेट करती थी लेकिन अपर्णा के आगे वह कभी भी जीत नहीं पाई इसलिए मन ही मन वह अपर्णा के खिलाफ ईर्ष्या रखती थी!

    वह अक्सर अपर्णा के आगे पीछे घूम कर उसे परेशान करती रहती थी और उसे कुछ ना कुछ बातें भी सुनाती थी अपर्णा को भी पता था कि वह उसे जलता है उसके टैलेंट की वजह से इसीलिए अपर्णा उसे पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी लेकिन उसके आवाज तो अपर्णा बहुत अच्छी तरह से पहचानती थी क्योंकि अपर्णा को स्वाति से ज्यादा इरिटेटिंग आवाज किसी की भी नहीं लगती थी।

    इसलिए स्वाति की आवाज सुनते ही अपर्णा ने तुरंत गुस्से में घूर कर उसकी तरफ देखते हुए कहा, "क्या बकवास कर रही हो स्वाति?"

    स्वाति बहुत ही एटीट्यूड में उसके सामने आकर खड़ी होती हुई बोली, "बकवास अभी तो सिर्फ मैं कर रही हूं थोड़ा रुको फिर तो पूरा कॉलेज करेगा तुम्हारे बारे में बातें, वैसे माणिक सर को तो छोड़ दो क्योंकि जो पहले से ही एक बॉयफ्रेंड है तुम्हारा तो मैं ड्रॉप करके गया उसे पता चलेगा तो कितना बुरा लगेगा।"

    स्वामी ने इस वक्त पिंक कलर की वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी जो नीचे से स्कर्ट की तरह थी और बड़ी मुश्किल से उसकी थाईज़ तक आ रही थी उसके बाद खुले हुए थे और काफी मेकअप भी उसने किया हुआ था और बहुत ही एटीट्यूड से वह अपर्णा की तरफ देख रही थी।

    अपर्णा ने भी उसी की भाषा में जवाब देते हुए कहा, "मेरा बॉयफ्रेंड हो या फिर मैं जिसके भी साथ हूं तुम्हें उससे क्या जाकर अपनी सिंगिंग पर थोड़ा सा ध्यान दे लो तो शायद इस पर सेकंड पोजीशन आ जाओ इस बाय और मेरी छोड़कर अपनी लव लाइफ पर ध्यान दो ना ओ सॉरी तुम्हारी तो अपनी कोई पर्सनल या फिर लव लाइफ है ही नहीं क्योंकि कोई लड़का तुम्हें भाव नहीं देता तुम्हारे इस नकचड़े एटीट्यूड की वजह से, सो सैड सच में बहुत बुरा लगता है कभी-कभी तुम्हारे लिए.."

    इतना बोलते हुए अपर्णा ने धीरे से अपना सिर हिलाया और वहां से आगे चली गई स्वाति उसके पीछे गुस्से में अपने पैर पटकते हुए वहां पर ही खड़ी रह गई और अपर्णा वहां से निकलकर दूसरी साइड पर आई और वहां उसे अनिका मिल गई।

    अनिका उससे कोई सवाल कर पाती उससे पहले ही अपर्णा ने कहा, "यार देख अगर तुझे फिर से उस आदमी के बारे में सवाल करना है ना तो फिर मुझे तुझसे भी कोई बात नहीं करनी तू चली जा यहां से?"

    अनिका ने मुंह बनाते हुए पूछा, "अरे लेकिन क्यों नहीं बताना मुझे अब तो इतना बड़ा सीक्रेट भी नहीं रहा तेरा वह सीक्रेट बॉयफ्रेंड आधे कॉलेज में तो देख ही लिया है उसे तो फिर अपनी बेस्ट फ्रेंड से भी नहीं बताएगी क्या?"

    अपर्णा काफी मायूस होते हुए बोली, "अनि यार! क्या बताऊं मैं बताने जैसा कुछ है नहीं?"

    इतना बोलते हुए वह दोनों साथ में चलकर कैंटीन एरिया तक आ गई और एक साथ ही कुर्सियों पर बैठ गई तभी अनिका ने अपने बैग से एक पेपर निकाला, जो की फोल्ड था इसका फोल्ड खोलने लगी तो अनिका ने कन्फ्यूजन से उसकी तरफ देखा।

    अनिका ने वह पेपर अपर्णा के सामने करते हुए कहा, "अच्छा ठीक है, तेरे पास कुछ नहीं है तो फिर मैं तुझे बताती हूं यह देख तेरे लिए... यह देख ले फिर मुझे बता देना कौन था वह हैंडसम?"

    अनिका ने जैसे ही वह पेपर उसके सामने किया तो अपर्णा उस पेपर पर एकदम ध्यान से देखने लगी और फिर जो कुछ भी उस पर लिखा था उसे पढ़ने लगी।

    To Be Continued

    क्या लिखा है उस पेपर में और क्या अनिका को बताएगी अपर्णा आरव और अपनी शादी का सच और अनिका उसे किस बारे में बताना चाहती है किस चीज से रिलेटेड है वह पेपर क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में कैसे लगा आज का एपिसोड वह भी जरूर लिखिएगा।

    यहां पर मेरी और भी कहानियां है जिसे आप एक्सप्लोर कर सकते हैं और पढ़ कर देखिए शायद आपको बाकी कहानी भी पसंद आ जाए।

    बाकी कहानियों के नाम और genre है..

    Bound by Destiny (Second Chance Romance)

    Deal waala Love (fake contract marriage story)

    Tangled Hearts (Cheating husband and second lead with wife)

    Mafia's Heart Stealer (Mafia Story)

    Billionaire Fake husband (Fake contract marriage)

    Contract marriage with my boss (contract marriage, first love)

    Our unwanted Marriage (forced marriage)

    Billionaire's Forced Bride (force marriage for revenge)

    Not Just Best friends (best friends to lovers)

    Millionaire By Chance (poor to Rich by chance)

    The Haunting Murders (suspense thriller)

    The Manali Trip (Adventure, Horror)

  • 12. Our Unwanted Marriage - Chapter 12

    Words: 1725

    Estimated Reading Time: 11 min

    12

    अनिका ने अभी-अभी अपने बैग से जो पेपर निकाल कर उसे दिया था अपर्णा काफी ध्यान से उस पेपर को देख रही थी और वह एक पोस्टर या पैम्पलेट जैसा लग रहा था जिस पर किसी शो का एडवरटाइजमेंट था।

    उस पेपर पर जो भी लिखा था वह पढ़ते हुए अपर्णा के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट आगे और वह काफी खुश लगने लगी खुश होकर उसने तुरंत ही साइड में बैठी हुई अनिका को गले से लगा लिया और बोली, "रियली, थैंक यू सो मच यार! मैं तो भूल ही गई थी इस बारे में? तू सच में मेरी बेस्ट फ्रेंड है मेरा कितना ध्यान रखती है तू मेरे लिए यह लेकर आई और मैं.. मैंने तुझे इतनी बड़ी बात नहीं बताई।"

    अचानक से गले लगने पर अनिका धीरे से उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसे संभालते हुए बोली, "अरे अरे यार आराम से, कोई बात नहीं अब बता दे मैं वैसे भी तुझसे नाराज नहीं हूं तेरी ज़रूर कोई प्रॉब्लम होगी इसलिए तूने मुझे अपने बॉयफ्रेंड के बारे में नहीं बताया लेकिन अब तू बता सकती है इस बात के बदले..."

    अपर्णा शक भरी निगाहों से अनिका की तरफ देखती हुई बोली, "अच्छा तो इसलिए तूने मुझे इस टाइम पर इस बारे में याद दिलाया बदले में तुझे आरव के बारे में जानना है।"

    अपर्णा ने जैसे ही आरव का नाम लिया तो अनिका तुरंत ही उसकी बात को करते हुए बोली, "अच्छा तो आरव नाम है मेरे होने वाले जीजू का, चलो कम से कम कुछ तो पता चला।"

    अनजाने में अपर्णा ने एकदम से उसका नाम बोल दिया और अनिका ने भी तुरंत ही इस बात को पकड़ लिया तो अपर्णा ने अपने सिर पर हाथ मारा और बोली, "शिट यार!"

    अपर्णा को ऐसा करते देख अनिका हल्के से उसके सिर पर मारती हुई बोली, "चल अब बस कर इतनी ओवरएक्टिंग मत कर मुझे पता है तू मुझे तो बता ही सकती है और वैसे यह बात यह टैलेंट हंट सिंगिंग कंपटीशन की तैयारी तो अच्छी चल रही है ना तेरी क्योंकि तुझे इस बार ऑडिशन देना है क्योंकि यही हमारी सिटी में ऑडिशन हो रहे हैं।"

    वह पेपर फोल्ड करके अपने बैग में रखते हुए अपर्णा बोली, "नहीं यार! सच कहूं तो मैं बिल्कुल भूल गई थी इस बारे में अभी अगर तूने भी याद ना दिलाया होता ना तो शायद मैं ऑडिशन के लिए भी ना जा पाती और रही बात आरव की तो वो होने वाले नहीं वो तेरे जीजू बन चुके हैं ऑलरेडी!"

    अपर्णा ने जैसे ही यह बात बोली तो अनिका का मुंह एकदम खुला रह गया, उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ तो उसने दोबारा से पूछा, "बन चुके हैं मतलब?"

    अनिका के इतना हैरान होकर दोबारा से पूछने पर अपर्णा भी अब चुप नहीं रह पाई और आखिर उसने अपनी आरव से शादी होने वाली पूरी बात अनिका को बता दी।

    अपर्णा की शादी की पूरी बात जानने के बाद अनिका को तो अपने कानों पर भरोसा भी नहीं हो रहा था और तभी उसने ध्यान से देखा तो अपर्णा ने अपने गले में मंगलसूत्र पहना हुआ था जिसे फिलहाल उसने अपने टॉप के गले के अंदर कर रखा था और उसके बालों में सिंदूर के निशान भी हल्के से नजर आ रहे थे।

    उसने जब ध्यान से अपर्णा की तरफ देखा और यह सारी चीज नोटिस की तो बोली, "यार! थोड़ा तो आराम से करती तू यह सब इतनी भी क्या जल्दी थी तुझे सीधा शादी करने की अब इतना बड़ा सदमा मैं कैसे बर्दाश्त करूंगी।"

    अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से घूर कर देखते हुए अनिका ने बहुत ही ज्यादा ड्रामा करते हुए यह बात कही तो अपर्णा ने मुंह बनाकर उसकी तरफ देखते हुए कहा, "अब तेरा थोड़ा ज्यादा हो रहा है मैंने तुझे बताई तो सारी सिचुएशन वह आंटी जी मेरा मतलब है मां, शादी के बाद से मैं अब मां बोलती हूं, उन्हें ही इतनी जल्दी थी पता नहीं क्यों? एक हफ्ते के अंदर उन्होंने मेरी और आरव की शादी करवा दी और मैं तो उन्हें ठीक से जानती तक नहीं थी। सच कहूं तो अभी भी नहीं जानती हूं क्योंकि वह किसी और से..."

    अपर्णा ने अपनी बात पूरी नहीं की और इतना बोलते बोलते वह रुक गई अनिका भी अभी तक सदमे में थी इसलिए उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और फिर अपर्णा के कंधे पर हाथ रखकर बोली, "अच्छा, इसका मतलब जो एक हफ्ते पहले तूने हम सब से यह बोला था कि तूने अपना हॉस्टल शिफ्ट किया है वह सीधा अपने ससुराल में ही शिफ्ट हुई है ना तू?"

    अनिका के इस सवाल पर अपर्णा ने धीरे से अपना सिर हिला दिया और वह अभी भी मुंह बनाकर बैठी हुई थी लग रही थी तो उसे ऐसे देखकर अनिका ने अपने कंधे से उसका अंदर टच करते हुए कहा, "क्या सड़ा सा मुंह बनाकर रखा है बैठे-बिठाए इतना अच्छा, हैंडसम, रिची रिच हस्बैंड मिला है तुझे और क्या चाहिए?"

    अनिका की बात सुनकर एक ठंडी सांस लेते हुए अपर्णा बोली, "यार किसी का हैंडसम और अमीर होना ना उसके अच्छे होने की गारंटी नहीं होता और इस बात की तो बिल्कुल भी नहीं की वही इंसान आपके लिए सही है और जो नहीं मांगा था वह मिल गया तो अब तो कुछ भी और नहीं चाहिए मुझे अब, प्लीज बस वो ऑडिशन में सेलेक्ट हो जाऊं वैसे मुझे नहीं लगता मैं सेलेक्ट हो पाऊंगी क्योंकि जाने कब से मैंने रियाज़ नहीं किया और वहां पर तो किसी को पता भी नहीं है मेरी सिंगिंग पैशन के बारे में?"

    ऑडिशन वाली बात बोलते हुए अपना मायूस हो गई तो अनिका ने उसका हाथ पकड़ कर उसे जगह से उठाकर खड़ा किया और बोली, "ऐसा कुछ नहीं है और तुझे प्रैक्टिस की जरूरत नहीं है क्योंकि तेरी वॉइस इतनी अच्छी है एकदम गॉड गिफ्टेड नेचुरल टेलेंट है तेरे अंदर, मुझे पक्का पता है तू सेलेक्ट हो जाएगी चल अभी आज चलते हैं ऑडिशन के लिए..."

    अनिका की यह बात सुनकर अपर्णा ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोली, "क्या आज? लेकिन आज कैसे ऑडिशन तो बाद में शुरू होंगे ना?"

    अपर्णा की यह बात सुनते ही अनिका गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोली, "तूने सिर्फ टाइटल ही पढ़ा ना, डेट ध्यान से नहीं देखी। लेकिन मैंने देखी थी सिटी हॉल में आज से ही ऑडिशन शुरू हो रहा है और अगले 5 दिनों तक होंगे इसलिए चल आज से ही ट्राई करते हैं अगर आज तेरा नंबर नहीं आया तो हम फिर से अगले दिन ट्राई कर सकते हैं।"

    इतना बोलते हुए वह अपर्णा का हाथ पकड़ कर लगभग खींचते हुए उसे अपने साथ वहां से कॉलेज से बाहर निकलने वाले गेट की तरफ लेकर जाने लगी और तभी अपर्णा ने टाइम देखा तो अभी तो पैर के एक भी नहीं बजे थे और यह देखकर उसके मन में भी एक प्लान आया, क्योंकि आरव 2:00 बजे, उसे लेने के लिए यहां पर गाड़ी भेजने वाला था इसलिए उसे पता था अगर वह अभी निकल जाती है तो फिर अगर ड्राइवर या आरव में से कोई उसे यहां से लेने आ भी गया तो वह कॉलेज में होगी ही नहीं और वैसे भी वह ऑडिशन देने जा रही थी तो वह लोग वहां पर तो उसे ढूंढने नहीं आ पाएंगे यह सोचकर अपर्णा खुश हो गई और चुपचाप ही अनिका के साथ वहां से सीधा ऑडिशन देने के लिए निकल गई।

    वहीं दूसरी तरफ;

    अपर्णा कहीं आज फिर से अपनी वेट्रेस की जॉब के लिए ना चली जाए यह बात सोच-सोच कर आरव बहुत ही ज्यादा परेशान था और इसी बीच उसका मोबाइल फोन रिंग हुआ तो काफी देर तक उसका ध्यान भी अपने मोबाइल फोन की तरफ नहीं गया।

    उसका फोन लगातार रिंग हो रहा था लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया और कुछ देर के बाद उसके केबिन का दरवाजा खुला और उसकी असिस्टेंट तान्या अंदर आई तो उसने भी नोटिस किया कि आरव के मोबाइल फोन पर किसी की कॉल आ रही थी लेकिन आरव अपनी ही सोच में डूबा हुआ एकदम खोया हुआ था अपनी कुर्सी पर बैठा था और उसे ऐसे देख कर तान्या ने उसके मोबाइल फोन की स्क्रीन पर एक नज़र डाली तो उसे पर लव लिखा हुआ था और रेड कलर का हार्ट भी बना हुआ था।

    वह देख कर तान्या ने अपने मन में कहा, "यह सर किसके ख्यालों में हुए हैं जो अपने लव का फोन कॉल भी रिसीव नहीं कर रहे! ज़रूर उनकी वाइफ कॉल होगा! आरव सर कितने रोमांटिक है अरेंज मैरिज होने के बाद भी अपनी वाइफ का नाम लव नाम से सेव करके रखा हुआ है और कहां मिलते हैं आजकल ऐसे हस्बैंड?"

    इतना बोलते हुए अपने हाथ में पड़ी हुई फ़ाइल को तान्या ने एकदम अपने सीने से चिपका लिया और खुद से ही मुस्कुराने लगी लेकिन तभी मोबाइल फोन रिंग होने से उसका ध्यान उस तरफ हुआ और उसने आरव के पास आते हुए कहा, "सर.. सर आपका फोन रिंग हो रहा है, सर!"

    उसके दो-तीन बार बुलाने पर आरव का ध्यान उसकी तरफ हुआ उसने चौंककर पहले तान्या की तरफ देखा और फिर अपने मोबाइल फोन की तरफ इतनी देर में चौथी बार उसके फोन पर कॉल आ रही थी और आरव ने भी जैसे लव नाम लिखा हुआ देखा तो तुरंत ही वह फोन कॉल रिसीव करके फोन अपने कान से लगा लिया।

    To Be Continued

    क्या लगता है आप लोगों को किसी की कॉल आ रही होगी आरव को, क्योंकि उसका लव तो कोई और है अब बेचारी तान्या को कौन बताएं खुश रहने दो उसे अपनी ही इमेजिनेशन में और क्या आप पढ़ना सेलेक्ट हो पाएगी ऑडिशन में और क्या होगा जब आरव को पता चलेगा अपर्णा के सिंगिंग के पैशन के बारे में? क्या वह उसे सपोर्ट करेगा या फिर मना करेगा? जानने के लिए आगे की स्टोरी पढ़ते रहिए।


    यहां पर मेरी और भी कहानियां है जिसे आप एक्सप्लोर कर सकते हैं और पढ़ कर देखिए शायद आपको बाकी कहानी भी पसंद आ जाए।

    बाकी कहानियों के नाम और genre है..

    Bound by Destiny (Second Chance Romance)

    Deal waala Love (fake contract marriage story)

    Tangled Hearts (Cheating husband and second lead with wife)

    Mafia's Heart Stealer (Mafia Story)

    Billionaire Fake husband (Fake contract marriage)

    Contract marriage with my boss (contract marriage, first love)

    Our unwanted Marriage (forced marriage)

    Billionaire's Forced Bride (force marriage for revenge)

    Not Just Best friends (best friends to lovers)

    Millionaire By Chance (poor to Rich by chance)

    The Haunting Murders (suspense thriller)

    The Manali Trip (Adventure, Horror)

  • 13. Our Unwanted Marriage - Chapter 13

    Words: 1674

    Estimated Reading Time: 11 min

    13

    ऑडिशन की लाइन में लगे हुए अपर्णा को काफी टाइम हो गया था इसलिए उसने कैफे में फोन करके वहां के मैनेजर को बता दिया था कि हो सकता है उसे आज वहां पर आने में लेट हो जाएगा और कैफे के मैनेजर अपर्णा को काफी मानते थे क्योंकि वह अपने काम में काफी अच्छी और हार्ड वर्किंग थी ज्यादातर टाइम से आई थी और जो भी काम उसका होता था उसे भी अच्छे से करती थी इसलिए उसके थोड़ी देर लेट आने पर वह भी उसे कुछ नहीं कहते थे क्योंकि उन्हें पता था अपर्णा अभी कॉलेज की लास्ट ईयर में है और यह जॉब वो पार्ट टाइम करती थी, अपने कॉलेज के खर्चे पूरे करने के लिए इसीलिए वह उसे सपोर्ट करते थे ‌।

    दोपहर के 3:00 बजने वाले थे और तभी साइड में बैठ गई और अनिका जो आगे उसके लिए ऑडिशन का फॉर्म लेने गई थी वह काफी ज्यादा मायूस होकर उसकी तरफ आते हुए बोली, "यार फिर से फार्म खत्म हो गए और बोल रहे हैं कि अब कल ही मिलेंगे और आज के लिए ऑडिशन के सारे स्पॉट भी फुल हो गए हैं।"

    अनिका की बात सुनकर और उसे इतना मायूस देखकर अपर्णा ने चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा, "कोई बात नहीं, यार! हम कल फिर से आ जाएंगे और कल थोड़ा जल्दी आएंगे तो कल हमारा नंबर जरूर आ जाएगा।"

    अपर्णा ने पॉजिटिव रहने की कोशिश करते हुए कहा तो अनिका ने भी धीरे से अपना सिर हिला दिया और फिर उसकी तरफ देखकर बोली, "वैसे अब कहां जाएगी तू कैफे या फिर अपने ससुराल वापस वैसे अब तुझे कैफे में काम करने की क्या जरूरत है जब तेरा हस्बैंड इतना अमीर है कितनी बड़ी तो कार थी उसकी एकदम ब्रांड न्यू टॉप मॉडल, पक्का बहुत पैसे होंगे उसके पास, है ना?"

    वह दोनों साथ में वहां से निकल रही थीं और अनिका की यह बात सुनकर अपर्णा का फिर से मुंह उतर गया और उसने कहा, "यार! तू फिर से घूम फिर कर इसी बात पर आ गई। मैंने तुझसे कहा था ना, कि मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता और वैसे भी अमीर लोगों के अंदर अपने पैसे का बहुत घमंड होता है उन्हें बस यही लगता है कि सारे लोग उनके पैसों के पीछे हैं।"

    अनिका अपनी जगह पर रुक कर अपर्णा की तरफ देखते हुए उससे पूछता हुई बोली, "अच्छा जीजू को भी ऐसा ही लगता है क्या? 1 मिनट! उन्होंने तुझसे ऐसा कुछ कहा है क्या? वैसे भी तू कुछ खास खुश नहीं लग रही उनके बारे में बात करते हुए।"

    इस बार अनिका ने थोड़ी फिक्र करते हुए अपर्णा से यह बात बोली और वह एकदम सीरियस लग रही थी नहीं तो ज्यादातर वह हंसी मजाक करती रहती है तो अपर्णा ने कहा, "क्या खुश और क्या दुःखी मुझे उनके बारे में बात ही नहीं करनी है और वैसे भी मैंने सिर्फ मां के बोलने पर ही उनसे शादी की थी सच कहूं तो मां बहुत अच्छी है मुझे सच में एकदम अपनी मां जैसी लगती है और मेरी मां होती तो वैसी ही होती शायद ही इसलिए मैं यही सोच कर खुश हूं कि इस शादी की वजह से कम से कम मुझे मां तो मिल गई।"

    अपर्णा ने जानबूझकर बात का टॉपिक आरव से हटाने की कोशिश करते हुए कहा और यह बात बोलते हुए अपने स्माइल की तो फिर अनिका ने भी उससे आरव के बारे में नहीं पूछा और वह दोनों एक साथ वहां से निकल आए और अनिका अपने हॉस्टल के लिए चली गई और अपर्णा कैफे आ गई।

    वहीं दूसरी तरफ,

    आरव ने ठीक 2:00 अपने ड्राइवर को अपर्णा को लेने के लिए कॉलेज अपनी कार भेज दी थी लेकिन वहां पहुंचकर ड्राइवर काफी देर तक इंतजार करता रहा लेकिन अपर्णा बाहर नहीं निकाली और ड्राइवर के पास अपर्णा का फोन नंबर भी नहीं था इसलिए उसने वापस आरव को फोन कॉल करके बताया कि अपर्णा वहां पर नहीं है तो आरव ने उसे कॉलेज के पास वाले कैफे जाने को कहा और उसने कैफे का नाम भी उसे मैसेज कर दिया था।

    ड्राइवर तुरंत ही कैफे पहुंच गया लेकिन वहां पर भी अपर्णा नहीं आई हुई थी तो उसने इस बारे में भी कॉल करके आरव को बता दिया और वहां से वापस चला गया इसलिए अपर्णा जब तक अपने कैफे आई वहां पर कोई भी नहीं था और वह आराम से अपने काम में लग गया उसे लगा था कि आरव इस बारे में भूल गया होगा वैसे भी वह उसके लिए उतनी इंपॉर्टेंट नहीं थी।

    अपर्णा वहां पर ऑडिशन नहीं दे पाई क्योंकि उसका नंबर नहीं आ पाया था इस बात को लेकर थोड़ी सी मायूस थी लेकिन फिर भी अपना काम कर रही थी।

    वहीं दूसरी तरफ, अपर्णा के कॉलेज और कैफे में न होने की वजह से आरव ने घर पर फोन कॉल किया और अपनी मां से अपर्णा के बारे में पूछा तो उसकी मां ने कहा, "नहीं, वह अभी तक तो घर वापस नहीं आई है क्योंकि कॉलेज के बाद वह अपनी पार्ट टाइम जॉब पर जाती है।"

    आरव की मां ने जैसे ही यह बात बोली तो आरव ने एकदम से कहा, "मां, इसका मतलब आपको पता है उस लड़की की जॉब के बारे में लेकिन उसने आपको सिर्फ इतना बताया होगा ना पार्ट टाइम जॉब करती है लेकिन क्या आपको यह पता है कि वह क्या जॉब करती है और कहां?"

    आरव ने इस तरह अपनी मां से पूछा तो जानकी जी को समझ आ गया कि आरव को भी इस बारे में पता चल चुका है और शायद वह इस बात से उतना ख़ुश नहीं है और जानकी जी को कहीं ना कहीं पता था कि उनके बेटे का ऐसा ही रिएक्शन निकल कर आएगा इसलिए उन्होंने अभी तक उसे इस बारे में नहीं बताया था लेकिन अभी जब आरव ने सामने से पूछा तो उन्होंने कहा हां मुझे पता है अपर्णा ने मुझे शादी के दूसरे दिन ही इस बारे में बता दिया था और मुझसे परमिशन लेकर ही वह जाती है और मुझे नहीं लगता उस काम में कोई बुराई है क्योंकि वह शादी के पहले से वह काम करती थी और छोड़ना नहीं चाहती है तो मुझे नहीं लगता हमें उसे फोर्स करना चाहिए, बेटा! अपनी वाइफ को सपोर्ट करना सीखो उसका साथ देना सीखो। हमेशा हर किसी पर अपनी मर्जी चलाना सही नहीं होता।"

    अपनी मां की ऐसी प्रोग्रेसिव बातें सुनकर आरव ने उनसे सवाल किया, "लेकिन मां आप इस बात के लिए उसे मंजूरी कैसे दे सकती हैं हमारे खानदान की बहू इतना बड़ा परिवार है हमारा इतना बड़ा नाम है हर जगह अगर किसी ने उसे वहां पर देख लिया और फिर आपसे सवाल करेंगे तो क्या जवाब देंगे आप सबको पहले यह बताइए मुझे क्योंकि मुझे तो बहुत शर्मिंदगी होगी अगर कोई मुझे यह कहे कि तुम्हारी बीवी वहां पर वेट्रेस का काम करती है।"

    आरव के यह सारे सवाल सुनकर उसकी मां चुप हो गई और वहीं दूसरी तरफ आरव ने कहा, "मां, मैं भी सपोर्ट कर सकता हूं मैं कोई हर चीज में उसके खिलाफ नहीं हूं लेकिन अब अगर शादी हो गई है और हम सब ने उसे वैसे एक्सेप्ट किया है जैसे वह है तो क्या वह हमारे लिए थोड़ा सा एडजस्ट नहीं कर सकती। मां मैं उसकी जॉब करने के खिलाफ नहीं हूं अगर वह काम करके कहीं ऑफिस वर्क या कुछ और काम करना चाहे तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी लेकिन एक पब्लिक कैफे और ऐसे प्लेस पर ऐसे वेट्रेस का काम, यह तो सिर्फ हमारे परिवार और खानदान के नाम की नीलामी करना है और वह जानबूझकर ऐसा कर रही है मुझे पता है नहीं तो अब इतनी क्या ज़रूरत है उसे यह काम करने की।"

    आरव ने जैसे ही यह सब कहा तो उसकी मां को अपर्णा की कहानी बातें याद आई और उन्होंने तुरंत ही आरव से पूछा, "वह बहुत ही खुद्दार लड़की है वह तुम्हारे पैसे नहीं लेना चाहती यहां तक मैं भी उसे पैसे देने की कोशिश की थी लेकिन उसने मना कर दिया और कहा कि वह अपने खर्च खुद उठाना चाहती है इसीलिए काम करेगी क्योंकि तुमने ही उसे लालची और पैसों के लिए उसने तुमसे शादी की यह सब बोला है ना यह सब तुम्हारी गलती है आरव तुम्हारी वजह से ही वह ऐसा कर रही है।"

    आरव की मां ने उसे याद दिलाया तो आरव को भी याद आया कि उसने यह सब कुछ शादी वाली रात ही अपर्णा से कहा था और उसे सच में अभी तक अपर्णा ऐसी ही लड़की लगती थी लेकिन उसके बाद से जो कुछ भी हुआ और अपर्णा के बारे में आरव को जो कुछ भी पता चला, उसकी वजह से अपर्णा के बारे में जो उसकी राय बन चुकी थी इस बात ने अब आरव को दोबारा सोचने पर मजबूर कर दिया था कि वह जैसा अपर्णा को समझता है वह असल में वैसे नहीं थी।

    To Be Continued

    सॉरी गाइस आज सिर में दर्द बहुत है अगर एडिटिंग में थोड़ी बहुत गलतियां रह गई हो तो मैनेज कर लेना वैसे हमें अपने हिसाब से तो दो बार पढ़ कर एडिट कर दिया है लेकिन हमारा सिर बहुत दर्द हो रहा है क्योंकि पूरा दिन घर के पास ही काफी तेज साउंड बज रहा था और तेज साउंड से हमारा माइग्रेन ट्रिगर हो जाता है इसलिए बाकी आगे के एपिसोड तो अभी तक लिखा भी नहीं है हमने पता नहीं आज लिख पाएंगे या फिर नहीं? 🥲

    यहां पर मेरी और भी कहानियां है जिसे आप एक्सप्लोर कर सकते हैं और पढ़ कर देखिए शायद आपको बाकी कहानी भी पसंद आ जाए।

    बाकी कहानियों के नाम और genre है..

    Bound by Destiny (Second Chance Romance)

    Deal waala Love (fake contract marriage story)

    Tangled Hearts (Cheating husband and second lead with wife)

    Mafia's Heart Stealer (Mafia Story)

    Billionaire Fake husband (Fake contract marriage)

    Contract marriage with my boss (contract marriage, first love)

    Our unwanted Marriage (forced marriage)

    Billionaire's Forced Bride (force marriage for revenge)

    Not Just Best friends (best friends to lovers)

    Millionaire By Chance (poor to Rich by chance)

    The Haunting Murders (suspense thriller)

    The Manali Trip (Adventure, Horror)

  • 14. Our Unwanted Marriage - Chapter 14

    Words: 1463

    Estimated Reading Time: 9 min

    14

    अपनी मां की बात सुनने के बाद आरव का दिमाग खराब हो चुका था और उसने अपना सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "इस लड़की ने पता नहीं मन को क्या पट्टी पढ़ाई है पहले से ही मन को पूरी तरह अपनी साइड पर कर लिया है अब अगर यह कुछ भी बोलेगी तो मां को मैं ही गलत लगूंगा।"

    इतना बोलते हुए आरव काफी परेशान लग रहा था और तभी तान्या वहां पर आई और उसने आरव से कहा, "सर! आपकी एक बहुत ही इंपॉर्टेंट क्लाइंट के साथ मीटिंग है 10 मिनट बाद।"

    क्योंकि वह क्लाइंट वहां पर आ चुके थे और मीटिंग से 10 मिनट पहले वह आरव को इस बारे में याद दिलाने आई थी क्योंकि यह उसका काम था और आरव अक्सर बाकी कामों की वजह से ऐसे मीटिंग और बाकी चीज भूल जाया करता था या उसे इतना ध्यान नहीं रहता था।

    तान्या की बात सुनकर आरव ने बिना उसकी तरफ देख कहा, "जो कुछ भी है वह कैंसिल कर दो और हो सके तो रीशेड्यूल कर देना क्योंकि अभी मुझे कहीं जाना है बहुत जरूरी काम से।"

    ये बोलते हुए वह अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और सामने रखी टेबल पर से अपना मोबाइल फोन और कार की चाबियां उठाकर पॉकेट में रखने लगा लेकिन जब वह ऐसा कर रहा था तभी तान्या ने उसे रोकने की कोशिश करते हुए कहा, "अरे लेकिन सर मिस्टर सेठी बहुत ही इंपॉर्टेंट क्लाइंट है और डेढ़ महीने के बाद उनसे मीटिंग का अपॉइंटमेंट मिला है अब अगर कैंसिल किया तो वह नाराज.."

    तान्या अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले ही आराम दरवाजे तक पहुंच गया और उसने तान्या की पूरी बात भी नहीं सुनी और वहां से बाहर निकल गया और तान्या बहुत ही ज्यादा परेशान हो गई उसके माथे पर पसीने की बूंदे नजर आने लगी थी!

    वहीं टेबल पर कॉर्नर में रखे हुआ टिशु बॉक्स से एक दो टिशु निकालकर उसने अपने माथे का पसीना पूछा और अपने आप से बोली, "अब तो रिवांश सर ही इस बात का सॉल्यूशन निकाल सकते हैं क्योंकि आरव सर तो चले गए।"

    इतना बोलते हुए तान्या वहां से निकलकर सीधा रिवांश के केबिन की तरफ ही चली गई।

    वहीं दूसरी तरफ, आरव सीधा पार्किंग एरिया में आया और वहां पर उसकी कार खड़ी हुई थी, अपनी कार लेकर वह तुरंत ही वहां से निकल गया और उसने टाइम देखा तो शाम के 7:00 बजने वाले थे, टाइम देख कर उसने कार की स्पीड बढ़ा दी और लगभग 10-15 मिनट के बाद ही वह उसे कैफे के सामने पहुंच गया था जहां पर अपर्णा काम करती थी और वहां पर एकदम साइड में

    आरव ने अपनी कार रोक दी और एंट्रेंस गेट से निकलने वाले लोगों की तरफ ही देखने लगा।

    आरव के मन में काफी कुछ चल रहा था और उसने अपने मन में कहा, "ड्राइवर ने बोला था कि वह यहां पर नहीं थी दिन में लेकिन फिर भी मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि वह यहां पर आई होगी भले ही थोड़ी देर के बाद.. वैसे मैं उसे फोन करके पूछ लेता लेकिन मेरे पास तो उसका फोन नंबर ही नहीं है मैं अभी तक लिया ही नहीं लेकिन आज मैं उसका नंबर ले लूंगा।"

    इतना बोलते हुए वह उसे तरफ अपनी नजर जमाए हुए था तभी उसे अपर्णा वहां से निकाल कर बाहर आई हुई थी तो आरव ने तुरंत ही अपनी कार स्टार्ट की और सीधा अपर्णा के सामने आकर उसने कार रोक दी इस तरह अपने सामने आकर कार के रुकने से अपर्णा थोड़ी सी चौक अगर अपनी ही जगह पर रुक गई और दो कदम पीछे हो गई।

    वह गुस्से में कार वाले पर चिल्लाने ही वाली थी कि तभी उसकी नजर कार से बाहर निकलते हुए आरव पर पड़ गई तो वह काफी ज्यादा घबरा गई और तुरंत ही दूसरी साइड से भागने लगी।

    वह तुरंत ही दूसरी साइड पर भाग लेकिन आरव भी उसके पीछे आया और उसने तुरंत अपर्णा का हाथ पकड़ते हुए कहा, "कहां जा रही हो, मिसेज खन्ना मैं तुमसे कहा था ना मेरा वेट करना मैं तुम्हें लेने आऊंगा या फिर ड्राइवर को भेजूंगा आप ड्राइवर को तो तुम मिली नहीं शायद मेरे साथ ही जाना चाहती हो घर इसलिए मुझे खुद आना पड़ा।"

    अपर्णा ने चिढ़कर कहा, "मैं कोई मिसेज खन्ना वन्ना नहीं हूं इसलिए मुझे मेरा नाम लेकर ही बुलाइए आप और मैं भी घर ही जा रही हूं उसे साइड से टैक्सी जल्दी मिल जाती है इसलिए.. और हाथ छोड़िए आप मेरा सब हमारी तरफ ही देखने लगेंगे।"

    आरव काफी लापरवाही से बोला, "हां तो देखने दो अपनी वाइफ का हाथ पकड़ा है किसी और कि नहीं और वैसे भी मैं जब तुम्हें ले जाने के लिए आया हूं तो फिर टैक्सी ढूंढने क्यों जा रही हो तुम मैं यहां पर क्या पागल बना कर खड़ा रहूं अकेले आया हूं और अकेले ही वापस चला जाऊं?"

    अपर्णा एकदम ही बेरुखी से दूसरी तरफ देखती हुई बोली, "अकेले जाइए या फिर किसी के साथ मैंने आपको नहीं बुलाया था इसलिए मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है आप कैसे जाते हैं कैसे नहीं?"

    आरव अपने दांत पीस कर अपना गुस्सा कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए बोला,"चुपचाप से मेरे साथ घर वापस चलो पहले ही तुम्हारी वजह से आज पूरा दिन मैं बहुत ज्यादा परेशान मुझे और परेशान मत करो मैंने तुम्हें मना किया था लेकिन फिर भी तुम यहां पर आई और तुम कॉलेज में भी नहीं थी तो कहां गई थी बताओ तुम मुझे।"

    इतना बोलते हुए आरव अपर्णा का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ खींचकर कार की तरफ ही ले जाने लगा और अपर्णा उसके साथ नहीं जाना चाहती थी इसलिए अपना हाथ छुड़ाने की लगातार कोशिश कर रही थी लेकिन सारी कोशिश से बेकार क्योंकि आरव उससे कहीं ज्यादा ताकतवर था इसलिए वह उसे आराम से खींच कर अपनी कार तक ले आया।

    उसने कार का दरवाजा खोला और अपर्णा को वैसे ही धक्का देते हुए कार के अंदर बिठा दिया और खुद से पैसेंजर सीट पर बिठाने के बाद वह खुद भी ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गया ।

    उसके बाद काफी तेज स्पीड में कार ड्राइव करते हुए वह सीधा घर आ गया इस बीच अपर्णा काफी कुछ बोल रही थी लेकिन आरव ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और नहीं उसकी बात पर ध्यान दिया।

    घर पहुंचकर उसने जैसे ही दरवाजा खोल अपनी खुद ही बाहर निकल आई और फिर वह दोनों एक साथ घर के अंदर आएं और आरव ने अभी भी उसका हाथ पकड़ा हुआ था।

    घर के अंदर खींच कर लाते हुए आरव ने एक झटके से उसका हाथ छोड़ा जब वह घर के अंदर आ गई वहां पर हाल में और उन दोनों को ऐसे आते हुए देखकर जानकी जी भी वहां पर आई और बोली, "क्या हुआ तुम दोनों को, यह क्या चल रहा है यहां पर?"

    आरव गुस्से में था अपर्णा भी इरिटेट हो चुकी थी उसके ऐसे प्रताप से इसलिए गुस्से में कुछ ना कुछ बोलते जा रही थी इसलिए जानकी जी को देखकर उसे थोड़ी राहत महसूस हुई लेकिन जानकी जी के वहां पर आते ही अपना तुरंत चुप हो गए और जानकी जी के बगल में आकर खड़ी होती हुई एकदम मासूम बनाकर बोली, "मां! क्या समझ लीजिए अपने बेटे को बेवजह मुझ पर गुस्सा करते हैं हुकुम चलते हैं और इतने कंट्रोलिंग क्यों है यह और आपने मुझे पहले क्यों नहीं बताया कि सब इतना बड़ा धोखा किया मेरे साथ?"

    आरव के बारे में शिकायतें करते हुए अपर्णा ने एकदम क्यूट सा चेहरा बना लिया तो आरव को पहले तो अपनी आंखों और कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ कि यह वही लड़की थी जो अभी थोड़ी देर पहले उसे लड़ रही थी और उसकी कोई बात मानने को तैयार नहीं दिया , अब वह किस तरह उसकी मां की पीछे छुपी हुई थी।

    आरव वहां पर आकर खड़ा होता हुआ अपनी मां की तरफ देखकर बोला, "हां मां ! मेरे साथ भी तो धोखा ही किया है आपने मुझे भी कहां बताया था कि इतनी जिद्दी और झगड़ालू लड़की से आप मेरी शादी करवा रही है, बेवजह फालतू की जिद कर रही है यह वहां पर जॉब करने की और मां आपको भी पता है मैं इसे यह काम नहीं करने दूंगा और उसके बदले इसे जितने भी पैसे चाहिए अपने खर्च के लिए की ले सकती है मैं कुछ नहीं कहूंगा आप इसे समझा दीजिए।"

    यह बोलते हुए आरव बहुत ही ज्यादा सीरियस लग रहा था वही अपर्णा मासूम सा चेहरा बनाकर अपर्णा जी की बांह पकड़कर उनके पीछे ही खड़ी थी।

    To Be Continued

    कैसा लगा आज का एपिसोड काफी ज्यादा नींद आ रही है तो अगर एडिटिंग में कुछ रह गया हो तो कमेंट में बता देना अगर ज्यादा गलत लिखा हो तो उसे हम ठीक कर देंगे लेकिन आप लोगों के रिमाइंड करने पर ही, तो बताइए अपने ओपिनियन कमेंट में

  • 15. Our Unwanted Marriage - Chapter 15

    Words: 1598

    Estimated Reading Time: 10 min

    15

    अपर्णा एकदम मासूम सी शक्ल बनाकर जानकी जी के पीछे आकर खड़ी हुई थी और तभी आरव ने उन दोनों की तरफ देखा और अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए उसने तेज आवाज में कहा, "मां, इससे बोल दीजिए इस जितने भी पैसे चाहिए मैं देने के लिए तैयार हूं जो भी इसके खर्चे हैं, इसके सारे एक्सपेंस मैं उठाऊंगा क्योंकि ये अब मेरी वाइफ है, आरव खन्ना की, इसलिए इसे वेट्रेस का काम करने की कोई जरूरत नहीं है समझा दीजिए इसे अच्छे से क्योंकि अब अगर मैंने इसे वहां पर देखा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"

    इतना बोलकर आरव सीधे ही वहां से सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया।

    वह ऊपर की तरफ जा रहा था और जानकी जी ने पीछे मुड़कर अपने पीछे खड़े अपर्णा की तरफ देखा और उसका हाथ पकड़ते हुए बोली, "बेटा, मैं तुझे इसी बारे में समझा रही थी कि जब सबको पता चलेगा तो कुछ यही रिएक्शन निकलेगा अभी तो सिर्फ आरव बोल रहा है अगर बाकी लोगों को पता चलेगा तो फिर क्या सोचेंगे सब क्या तू चाहती है ऐसे घर की बात सबको पता चले और रही बात पैसों की तो तुझे जितने पैसे चाहिए तू मुझसे बोलना और अगर वह कभी भी तुझे कुछ रहेगा इस बारे में तो तू बेझिझक मुझे बताना मैं उसे अच्छे से बताऊंगी।"

    जानकी जी भी अपर्णा को समझने लगी तो अपर्णा ने भी फिर और जिद नहीं की लेकिन उसने धीरे से बोला, "लेकिन मां आपको तो पहले से पता था ना मैं वहां पर काम करती हूं तो फिर अगर आपको इतनी प्रॉब्लम थी तो एक वेट्रेस को अपने अपने घर की बहू क्यों बनाया इतने बड़े घर के लिए आपको किसी बड़े घर की लड़की को ही यहां पर लाना चाहिए था, मुझे इन सब चीजों की आदत नहीं है।"

    अपर्णा ने आज पहली बार ही जानकी जी के फैसले पर सवाल किया था और उनसे इस बारे में पूछ रही थी तो जानकी जी ने बहुत ही प्यार से उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ सोफे पर बिठाया और बहुत ही प्यार से बोली, "मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि बेटा कोई भी लड़की तुझे अच्छी नहीं हो सकती थी। मेरे आरव के लिए मुझे तू पहले बस नजर में पसंद आ गई थी और मुझे पता था तू ही उसके लिए सबसे सही है चाहे जितने बड़े परिवार की लड़की में लेकर आता वह तेरे जितनी प्यारी तो नहीं हो सकती थी ना?"

    जानकी जी की यह बातें सुनकर अपर्णा को बहुत ही अच्छा लगा कोई कभी उसकी इस तरह से तारीफ नहीं करता था और ना ही उसे किसी लायक मानता था और जानकी जी ने तो उसे अपने घर परिवार की बहू बनाकर उसे पूरे दिल से अपनाया था वह भी उन्हें पूरे दिल से अपना चुकी थी इसलिए उनकी यह बातें सुनते हुए वह इमोशनल होकर उनके गले से लग गई और बोली, "थैंक यू सो मैच मां! कभी किसी ने मुझे इतना अच्छा फील नहीं करवाया और क्या सच में मैं इतनी अच्छी हूं मुझे तो खुद पर ही डाउट रहता है हमेशा।"

    इतना बोलते हुए अपर्णा ने जैसे खुद को देखकर एग्जामिन करने की कोशिश की तो जानकी जी उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली, "खुद पर डाउट नहीं करना चाहिए बेटा और तुम अभी अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, एक बार तुम्हारी पढ़ाई कंप्लीट हो जाएगी तो मैं खुद आरव से बात करूंगी वह कंपनी में तुम्हें एक अच्छी पोजीशन दे देगा। अगर तुम्हें जॉब करनी ही है तो तुम वहां पर कर लेना।"

    अपर्णा थोड़ा सोचते हुए बोली, "मां! यह सब तो ठीक है लेकिन वह मुझे इन सारी बातों का ताना जरूर देंगे और मैं उनके पैसे खर्च करूंगी तो वह आज नहीं तो कल मुझे यह बोल देंगे कि मैंने पैसों के लिए उनसे शादी की है वह पहले भी यह बात बोल चुके हैं और उनकी ही कंपनी में जॉब करूंगी वह भी एक तरह से उनका एहसान होगा और मैं यह एहसान नहीं लेना चाहती‌ मैं हमेशा सब कुछ अपने लिए खुद ही करती आई हूं तो मुझे इसी चीज की आदत है मुझे नहीं अच्छा लगता कोई और मेरे लिए कुछ भी करें और दूसरे के पैसे लेना ऐसा तो मैंने कभी सोचा भी नहीं कि कोई मुझ पर ₹1 भी खर्च करेगा।"

    अपर्णा की तरफ से जानकी जी को कुछ ऐसी ही बातों की उम्मीद थी इसलिए उन्हें ज्यादा हैरानी नहीं हुई।

    वह उसे बहुत ही प्यार से समझाते हुए बोली, "कोई और नहीं बेटा, वो तुम्हारा पति और मैं तुम्हारी मां हूं, अपनी मां से तो लोगी ना और मैंने तुमसे कहा ना वह अब ऐसा कुछ भी नहीं रहेगा उसने खुद ही अभी बोला है ना और अगर कभी भी गलती से भी अगर उसने ऐसा कुछ बोला या तुम पर एहसान जाते ना तो तुम मुझे बताना, मैं उसकी बोलती बंद कर दूंगी।"

    अपर्णा जी ने एक मां के हक से उसके लिए यह सब करने को कहा तो फिर अपर्णा मना नहीं कर पाई और जानकी जी 1 मिनट के लिए वहां से उठकर अपने कमरे में गई और फिर बाहर आकर उन्होंने अपना एक कार्ड अपर्णा को देते हुए कहा, "यह अपने पास रख लो! ज़रूरत पड़ने पर काम आएगा और मना मत करना मैं तुम्हें दे रही हूं तुम्हारी मां हूं ना, तो बस उसी हक और रिश्ते से।"

    जानकी जी ने एकदम हक जताते हुए कहा तो अपर्णा की आंखों में आंसू आ गए और वह दोबारा से उनके गले लग गई और उन्हें थैंक्स बोलने लगी आखिर उसने वह कार्ड ले लिया और चुपचाप वहां से अपने कमरे में चली गई क्योंकि उसके पास अब और कोई रास्ता नहीं था अगर वह वहां पर कैफे में काम करने नहीं जा सकती थी तो कहीं ना कहीं से तो उसे पैसों की ज़रूरत पूरी करनी ही होगी।

    लेकिन उसने तय कर लिया था कि वह कभी भी ज्यादा पैसे खर्च नहीं करेगी बस जितना उसे काम पड़ेगा या बहुत ज्यादा ज़रूरत होगी बस उतना ही वह उसमें से लेगी।

    यह बात सोचते हुए वह ऊपर अपने कमरे के अंदर आई तो वहां पर अंदर आते हुए उसने देखा कि वहां बेड पर भी काफी सारे पैसे रखे हुए थे लगभग आधा बेड नोटों की गड्डियों से भरा हुआ था। वह सब 500 के नोटों की गड्डियां थी और वह पैसा कितना होगा देख कर तो अपर्णा कभी भी अंदाजा ही नहीं लगा सकती थी इसलिए वह वही दरवाजे के पास ही रुक गई क्योंकि आरव अलमारी के सामने खड़ा था और अलमारी में जो लाॅकर था उसमें से वह अभी भी पैसे निकल रहा था और उसे ऐसा करते देखा अपर्णा ने कहा, "ये.. यह क्या कर रहे हैं आप? यह सब पैसे फैला कर क्यों रखे हैं कहीं कुछ इधर-उधर हो गए तो फिर आप मुझे ही बोलेंगे कि मैंने ले लिए।"

    आरव ने अपने हाथ में पकड़े हुए बाकी के पैसे भी बेड पर रखते हुए अपर्णा की बात का जवाब दिया, "नहीं, मैं ऐसा कुछ भी नहीं कहूंगा। यह सब कुछ मेरे साथ-साथ अब से तुम्हारा भी है इसलिए मैं बोल रहा हूं तुम्हें वहां पर वेट्रेस का काम करने की कोई जरूरत नहीं है इसलिए तुम पढ़ने के लिए सिर्फ अपने कॉलेज जाओगी, काम पर नहीं!"

    अपर्णा तुरंत ही मना करते हुए बोली, "अरे लेकिन क्यों आपने तो बोला था कि हम दोनों का पति-पत्नी का रिश्ता ही असली नहीं है और मुझे आपसे दूर रहना चाहिए और हमारे बीच ना कोई रिश्ता हो सकता है यह शादी भी आप 6 महीने के बाद खत्म कर देंगे तो फिर कैसे यह सब कुछ मेरा हो सकता है मैं इनमें से कुछ भी नहीं लेने वाली आप सब वापस रख दीजिए।"

    अपर्णा की बातें सुनकर आरव का गुस्सा एकदम ही बढ़ गया वह उसकी तरफ आया उसने अपर्णा का हाथ एकदम कसकर पकड़ा और उसे दरवाजे के बगल वाली दीवार से लगाकर उसकी आंखों में देखता हुआ बोला, "इतनी जिद्दी क्यों हो तुम? क्या मिलता है तुम्हें जिद करके और वैसे भी मैंने वह बात एक बार बोली थी उसके बाद तुम तो 10 बार से भी ज्यादा बार बोल चुकी हो और उस दिन मेरा मूड खराब था क्योंकि मां ने मेरी कोई भी बात नहीं सुनी थी और जबरदस्ती तुम्हारे साथ शादी करवा दी थी बस इसीलिए मैंने वह सब बोला था क्योंकि मैं तुम्हें कोई झूठी उम्मीद भी नहीं देना चाहता था कि तुम मुझे पति वाली उम्मीद लगा कर रखो।"

    यह सारी बातें बोलता हुआ आरव उसकी आंखों में ही देख रहा था तो अपर्णा ने एकदम से कहा, "अच्छा तो अब अब क्यों दे रहे हैं मुझे यह सारी उम्मीद और हक़? अब ऐसा क्या बदल गया है क्या अब आप किसी और से प्यार नहीं करते, क्या अब आपकी जिंदगी में मेरे अलावा कोई और नहीं है?"

    अपर्णा ने जैसे ही यह सवाल किया तो आरव सोच में पड़ गया क्योंकि उसके पास खुद इस बात का जवाब नहीं था कि वह ऐसा क्यों कर रहा है और एक पल के लिए उसने अपर्णा का हाथ भी छोड़ भी दिया क्योंकि उसके पास कोई जवाब नहीं था उसके इन सवालों का..

    To Be Continued

    कैसा लगा आज का एपिसोड वैसे अभी तक तो स्टोरी थोड़ा पैसों के इर्द-गिर्द ही घूम रही है क्योंकि यह बात भी उनके रिश्ते की शुरुआत से जुड़ी हुई है आरव अब अपर्णा को लालची समझता था शायद अब उसकी आंखें खुल जाए क्या लगता है आप लोगों को क्या वह अभी भी अपर्णा को लालची और पैसों के पीछे भागने वाली लड़की समझेगा या उसकी राय बदल चुकी है अपर्णा के बारे में इसीलिए वह उसे इतने पैसे दे रहा है और उसे पर भरोसा भी कर रहा है? बताइए कमेंट में 👇🥰

  • 16. Our Unwanted Marriage - Chapter 16

    Words: 1669

    Estimated Reading Time: 11 min

    16

    अपर्णा ने जैसे ही सवाल किया, आरव के पास शायद इस सवाल का कोई जवाब नहीं था, इसलिए उसका चेहरा एकदम झुक गया और उसने अपर्णा का हाथ छोड़ दिया।

    अपर्णा खुद ही थोड़ा सा आगे बढ़कर उसकी तरफ आई और उसने कहा, "बस, बोलती बंद हो गई ना? आप पर मेरा कोई हक नहीं है तो क्यों आप बेवजह हक जता रहे हैं, ऐसे एकतरफा हक जताने से रिश्ता नहीं चलता। आप अपने पैसों के घमंड में ही यह सब कर रहे हैं। उसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मां ने पहले ही मुझे अपना कार्ड दे दिया हैं और मेरे लिए ये बहुत हैं। मुझे यह सब नहीं चाहिए। मैंने आपसे पहले भी कहा था, लेकिन आपने खुद ही मेरे बारे में एक राय बना ली कि मैं लालची और गोल्ड डिगर हूं और पैसे के लिए ही आपके साथ हूं, लेकिन ऐसा नहीं है। मैंने सिर्फ मां के कहने पर आप से शादी की थी। क्योंकि मैं उनका दिल नहीं तोड़ना चाहती और अभी भी मैं मां की वजह से ही आपके साथ हूं और उनकी वजह से ही मैंने अब तक यह सब सहा है। मुझे पता है उन्हें बहुत दुःख होगा क्योंकि उनकी उम्मीदें हमसे जुड़ चुकी हैं।"

    अपर्णा की बात सुनकर आरव ने एक नजर उठाकर उसकी तरफ देखा और उसके पहले वाले सवाल का जवाब देता हुआ बोला, "जो कोई भी मेरी लाइफ में है, वह तुमसे कहीं पहले से है। इसलिए अगर तुम उस बारे में बात ना ही करो तो बेहतर होगा, क्योंकि तुम बस अभी आई हो। चार दिन भी नहीं हुए और इस बात पर सवाल उठा रही हो। और वैसे भी, अभी मेरी गर्लफ्रेंड यहां इंडिया में नहीं है, वह बाहर.."

    आरव अपनी बात पूरी कर पाता, उससे पहले ही अपर्णा नजर उठाकर उसकी तरफ देखते हुए बोली, "वह कहां है, कहां नहीं, मैंने आपसे इस बारे में नहीं पूछा और ना ही मुझे जानने का कोई शौक है। अगर आप ये कहना चाहते हो कि आप किसी और से प्यार करते हो तो उसकी ज़रूरत नहीं है। और हां आज दोपहर में कॉलेज के सामने आपने जो मुझे किस किया था, मुझे नहीं लगता कि हमारे बीच ऐसा कुछ होना चाहिए। हम दोनों को ही अपनी-अपनी हदों का ध्यान रखना चाहिए।"

    अपर्णा ने जैसे ही बात पूरी की, तो आरव को भी दिन की बात याद आई, लेकिन जब उसने अपर्णा को किस किया था तो यह सब सोचा नहीं था। या फिर शायद उसके दिमाग में यह बात आई नहीं थी और उसे वक्त वह बस उसे परेशान करने के लिए ऐसा कर रहा था।

    उसने सोचा नहीं था कि अपर्णा इस बात का ऐसा मतलब निकाल लेगी। तो उसने अपनी तरफ से सफाई देने की कोशिश करते हुए कहा, "वह तो मैं बस ऐसे ही..."

    इतना बोलते हुए आरव ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।

    उसे ऐसा करते देखकर अपर्णा बोली, "अच्छा, अब यह सब हटाइए, पूरे बेड पर पैसा फैला कर रखा है। हम लोग कहां सोएंगे?"

    इतना बोलते हुए अपर्णा थोड़ा सा आगे आकर बेड के एकदम सामने ही खड़ी गई।

    आरव ने एक गहरी सांस ली और बोला, "20 मिनट लगे मुझे यह सब निकालने में, अभी वापस रखने में इससे डबल टाइम लग जाएगा। इसलिए चलो तुमभी मेरी हेल्प करो। और रही बात पैसों की, तो तुम जब चाहो जितना चाहो ले सकती हो। तुम मेरी वाइफ हो, यह भी सच है और यह सच नहीं बदलने वाला। और अगर मैं तुम्हें जॉब छोड़ने के लिए बोल रहा हूं तो उसके बदले में इतना तो कर सकता हूं। अगर तुम कल से काम पर नहीं जाने वाली तो तुम इनमें से भी पैसे ले सकती हो?"

    आरव फिर से अपनी बात दोहराई, तो अपर्णा ने भी उससे कोई बहस नहीं की क्योंकि वह बात और नहीं बढ़ाना चाहती थी इसलिए उसने बस धीरे से अपना सिर हिलाया और आगे आते हुए वह पैसे उठाकर वापस लॉकर में रखने लगी जो बेड वहां पर रखे हुए थे।

    इस दौरान अपर्णा ने कुछ भी नहीं कहा और आरव भी उसकी हेल्प करने लगा और कुछ देर के बाद वो सारा बेड खाली हुआ क्योंकि उन दोनों ने सारे पैसे लाकर में रख दिए थे लेकिन अपर्णा ने नोटिस किया कि आरव ने लाॅकर को लॉक नहीं किया उसने बस ऐसे ही हैंडल घुमा कर बंद कर दिया था।

    अपर्णा को समझ में आ गया कि आरव ऐसे ही नहीं बोल रहा है उसे सच में शायद अपर्णा पर भरोसा है कम से कम पैसों को लेकर या फिर जो भी अपर्णा इस बात पर इतना ध्यान नहीं देना चाहती थी।

    इसलिए सारे पैसे वापस लाॅकर में रखवा देने के बाद अपर्णा ने कहा, "दोबारा इस तरह के दिखावे की कोई ज़रूरत नहीं है। मुझे पता है आप बहुत अमीर हैं और मेरे पास कुछ भी नहीं है, लेकिन फिर भी मुझे नहीं लगता कि मेरे सामने आपको ऐसे दिखावा करना चाहिए।"

    इतना बोलते हुए अपर्णा वहां बेड के साइड में बैठ गई और उसकी यह बात पता नहीं क्यों आरव को बुरी लगी।

    आरव उसके एकदम नज़दीक आकर उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "मैं कोई दिखावा नहीं कर रहा था, ओके। मैं बस तुम्हें यह बताना चाहता था कि इन सब पर तुम्हारा भी हक है और जब तक तुम मेरी पत्नी हो, तब तक।"

    उसके इस तरह से नजदीक आने पर अपर्णा को पता नहीं क्यों अपने दिल में बहुत ही अजीब सा महसूस हुआ इसलिए आरव अपनी बात पूरी कर पाता, उससे पहले ही अपर्णा ने उसकी चेस्ट पर हाथ रखकर उसे खुद से दूर करते हुए कहा, "और उसके बाद क्या करूंगी, मैं कहां जाऊंगी। मैं तो फिर से वैसे ही अपनी पुरानी लाइफ में लौट जाऊंगी। तो क्यों मुझे इन सब चीजों की आदत डलवा रहे हैं? क्यों मुझ पर हक जता रहे हैं? क्यों मुझे यह सारी चीजें दे रहे हैं? मैं नहीं चाहती। मुझे इन सारे पैसे और लग्जरी की आदत मत डलवाइए क्योंकि सच यह है कि 6 महीने बाद मुझे फिर से वापस वही अपर्णा बनना है, जो अकेली और अनाथ है, जिसके पास कोई नहीं है। कोई नहीं है उसके बारे में सोचने के लिए, और मुझे खुद ही अपना सब कुछ करना है। तो मुझे बेकार की उम्मीद मत दीजिए और यह सारी बातें मत बोलिए।"

    यह बात बोलते हुए अपर्णा की आंखों में आंसू आ गए, जबकि वह बहुत ही स्ट्रांग लड़की है। छोटी-छोटी बात को लेकर वह रोती नहीं है, ना ही दिल से लगाती है। उसे ऐसे देखकर आरव को पता नहीं क्यों, बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और वह दूसरी तरफ देखने लगा। फिर एकदम से पीछे हुआ और साइड में आकर लेट गया, जबकि अपर्णा अभी भी वैसे ही बैठी थी और अपने आंसुओं को पोंछने लगी।

    आरव उसकी तरफ ही देख रहा था। उसकी आंखों से जो आंसू निकल रहे थे, वह अपने हाथ से उन आंसुओं को पोंछ रही थी। आरव को उसके आंसू बहुत परेशान कर रहे थे और वह उसे इस तरह रोते हुए नहीं देख पा रहा था।

    आरव ने अपनी आंखें बंद कर ली और चेहरा दूसरी तरफ करते हुए बोला, "प्लीज लाइट ऑफ कर दो। मुझे लाइट ऑन में नींद नहीं आती है।"

    आरव की बात सुनकर भी अपर्णा ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन कुछ देर के बाद उसने दोनों साइड की लाइट ऑफ कर दी और खुद भी वहीं पर एकदम किनारे लेट गई। उन दोनों के बीच काफी सारी जगह थी और यह सिर्फ जगह नहीं थी, बल्कि उन दोनों के बीच की दूरियां भी थीं, जो साफ नजर आ रही थीं।

    आरव भी एकदम किनारे दूसरी तरफ करवट लेकर लेटा था, जबकि अपर्णा दूसरी तरफ देख रही थी। उसकी आंखों में जरा भी नींद नहीं थी और वह आज जो कुछ भी हुआ, उन सब चीजों के बारे में सोच रही थी।

    साथ ही कल आने वाली अपनी लाइफ के बारे में उसने अपने मन में कहा, "पता नहीं क्या-क्या बदलने वाला है। लेकिन यह सब सिर्फ 6 महीने के लिए है। मैं नहीं चाहती कि मेरी लाइफ जरा सी भी बदले, लेकिन आरव इतने ज्यादा कंट्रोलिंग हैं। क्या करूं मैं? अब मुझे वहां पर कैफे में मैनेजर को भी बोलना पड़ेगा कि मैं कुछ दिनों के लिए नहीं आ पाऊंगी। नहीं तो फिर 6 महीने बाद अगर मैंने वापस ज्वाइन करने को बोला, तब शायद वह लोग मुझे रखने से मना कर दें। तब क्या करूंगी? कोई बात नहीं, तब तक मेरा कॉलेज एंड हो जाएगा और मैं कुछ न कुछ तो फिगर आउट कर लूंगी। अपने बारे में मुझे खुद भी सोचना है और कोई नहीं है। हां, मां अभी मेरे साथ हैं, लेकिन जब आरव अपनी गर्लफ्रेंड को यहां पर लेकर आएंगे तो अपने बेटे की खुशी के लिए वह भी उसे अपनी बहू मान लेंगी। मुझे नहीं लगता कि मुझे जबरदस्ती किसी की लाइफ में रुकना चाहिए।"

    अपर्णा ने जैसे-तैसे आने वाली चीजों के लिए मन बना लिया था, लेकिन वहीं दूसरी तरफ आरव के दिमाग में सिर्फ अपर्णा का रोता हुआ, आंसुओं से भरा, बेबस मासूम चेहरा ही घूम रहा था।

    आज पहली बार, पता नहीं क्यों, उसे अपर्णा पर गुस्सा नहीं आ रहा था, बल्कि उसके साथ हमदर्दी हो रही थी। अपर्णा के आंसू उसे बेचैन कर रहे थे और उसे अपनी गर्लफ्रेंड का ज़रा भी ध्यान नहीं था। इस वक्त वह अपने दिल और दिमाग में सिर्फ अपर्णा के बारे में ही सोच रहा था।

    आरव के दिमाग में जो कुछ भी चल रहा था, अपर्णा ने पूरी तरह उसके दिमाग पर कब्जा कर रखा था। आरव के दिल और दिमाग में फिलहाल सिर्फ अपर्णा ही थी, और उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे और क्या नहीं?

    To be continued

    कैसा लगा आप लोगों को आज का एपिसोड और धीरे-धीरे दोनों में ही काफी चेंज आ रहा है और क्या वह दोनों अपने दिल की इस बात को समझ कर अपने रिश्ते को आगे बढ़ा पाएंगे और क्या आरव कभी भी अपर्णा को पूरे दिल से अपना पाएगा और क्या होगा रिद्धिमा के वापस आने पर? जानने के लिए पढ़ते रहिए यह स्टोरी और कमेंट में अपना ओपिनियन भी जरूर शेयर करें।

  • 17. Our Unwanted Marriage - Chapter 17

    Words: 1851

    Estimated Reading Time: 12 min

    17

    अगली सुबह, सुबह के 7:00 बजे, अपर्णा की आंख खुली। उसने जम्हाई लेते हुए आंखें मलीं और जैसे ही उसने अपना हाथ थोड़ा सा फैलाया, वैसे ही साइड में लेटे हुए आरव की चेस्ट पर पर उसका हाथ टच हो गया और अपर्णा ने तुरंत अपना हाथ वापस खींच लिया और देखा कि वह खुद आरव के हाथ पर उसकी बांह का तकिया बनाकर बड़े आराम से लेटी हुई थी और आरव भी उसके नजदीक था। लेकिन वह अभी तक सो रहा था।

    अपर्णा की आंखें हैरानी से बड़ी हो गईं और उसने अपने आप से कहा, "यह इतने नजदीक कैसे आ गए? मुझे तो याद है कि मैं एकदम किनारे पर सोई थी। जरूर यह खुद ही इस तरफ आए होंगे।"

    इतना बोलते हुए उसने आरव की साइड पर देखा तो वह अपनी जगह पर ही था और अपर्णा खुद ही अपनी साइड का पूरा बेड छोड़कर उसकी तरफ उसके नजदीक आ गई थी। शायद नींद में थी, इसलिए उसने कुछ नहीं कहा और ना ही उसे खुद से दूर किया। लेकिन अपर्णा यह जानकर काफी हैरान हुई और तुरंत ही वहां से उठकर बैठ गई।

    जब वह उठने लगी तब उसे समझ में आया कि आरव ने उस पर अपना हाथ भी रखा हुआ था जिसकी वजह से वह पूरी तरह उठकर बैठ नहीं पाई। धीरे से उसने आरव के हाथ को हटाने की कोशिश की।

    उसके ऐसा करने पर आरव नींद में आंखें बंद किए हुए ही थोड़ा सा कसमसाया तो वह रुक गई और उसने अपने आप से कहा, "अगर ये जाग गए तो फिर मुझे ही बोलेंगे कि मैं जानबूझकर इनके नजदीक आ रही हूं और जाने क्या-क्या। मैं क्या करूं? अब कैसे निकलूं, नींद में इन्होंने तो मुझे ऐसे पकड़ कर रखा हुआ है।"

    इतना बोलते हुए अपर्णा ने एक गहरी सांस लेकर आरव की तरफ देखा और फिर थोड़ी देर के लिए जैसे उसने अपनी सांसें एकदम ही रोक लीं और बहुत ही धीरे से उसका हाथ अपने ऊपर से हटाने लगी। ऐसा करते हुए उसकी नजर आरव के चेहरे पर पड़ी और उसे अपनी दोस्त अनिका की बात याद आई।

    अनिका और कॉलेज के जितने भी लोगों ने आरव को उसके साथ कॉलेज गेट पर देखा था, सब यही बोल रहे थे कि वह बहुत ही हैंडसम है और अपर्णा बहुत लकी है जो उसे आरव जैसा बॉयफ्रेंड मिला।

    कॉलेज में किसी को उसकी शादी के बारे में नहीं पता था तो सब उसे अपर्णा का बॉयफ्रेंड ही समझ रहे थे। ये सारी बातें याद करते हुए अपर्णा काफी गौर से आरव के चेहरे की तरफ देखने लगी। अभी सोते वक्त वह उतना खडूस, घमंडी या गुस्सैल भी नहीं लग रहा था और उसके माथे पर बिखरे हुए बाल काफी सुकून से सोए हुए थे। वह सच में काफी हैंडसम लग रहा था। एक पल के लिए अपर्णा उसके चेहरे की तरफ ही देखती रह गई।

    अचानक ही उसके मन में ख्याल आया, "हाँ, सच में मेरा कितना हैंडसम हसबैंड मिला है, लेकिन कितने दिनों के लिए?"

    यह बात याद आते ही अपर्णा जैसे फिर से रियलिटी में वापस आ गई और उसने तुरंत ही आरव का हाथ अपने ऊपर से हटाया और बेड से उतरकर साइड में खड़ी हो गई।

    अपने आप को समझाते हुए बोली, "नहीं, नहीं। मैं यह सब क्या सोच रही हूं? मुझे कोई नहीं मिला है और ना ही कभी मिल सकता है। मुझे इतना नहीं सोचना चाहिए। यह सब कुछ सिर्फ टेंपरेरी है और मैं ऐसा कैसे सोच सकती हूं? उन लोगों को पता नहीं, शायद उन लोगों ने ही ऐसा बोला और वैसे भी अच्छी शक्ल होने का क्या फायदा होता है जब इंसान अच्छा ना हो। जिस तरह से पैसों का घमंड में भरा हुआ है और इन्हें लगता है पूरी दुनिया इनके चारों तरफ घूमती है, जबकि ऐसा नहीं है। और एक साथ दो-तीन लोगों को धोखा दे रहे हैं ये अपनी गर्लफ्रेंड को, अपनी मां को और खुद को। क्योंकि मैं तो इनकी कोई नहीं लगती और मुझसे इन्होंने कोई बात छुपाई भी नहीं तो मुझे तो धोखा नहीं दे रहे हैं। हां, लेकिन खुद के साथ ज़रूर गलत कर रहे हैं। क्यों कर रहे हैं आरव? ये कहां फंस गए हैं हम दोनों?"

    उसकी तरफ देखते हुए अपर्णा अपने मन में यह सारी चीजें सोचती रही और फिर एक गहरी सांस लेकर वह सीधा वॉशरूम की तरफ ही बढ़ गई।

    कुछ देर के बाद वह नहाकर निकली और रोज की तरह आज भी पहले साड़ी पहनी हुई थी। वह रोज साड़ी पहनकर नीचे पूजा और नाश्ता करने के लिए जाती थी और उसके बाद अपने कॉलेज के कपड़े चेंज करके वहां से निकलती थी।

    इसलिए वह साड़ी पहनकर वहां आई और उसका ध्यान आरव के मोबाइल की तरफ गया जो कि रिंग हो रहा था।

    अपर्णा को लगा कि शायद अलार्म बज रहा है क्योंकि अभी सुबह के 8:00 बजे थे इसलिए उसे लगा कि अलार्म बज रहा होगा।

    अभी भी आरव नहीं जागा था तो अपर्णा आगे साइड टेबल की तरफ आई जो कि आरव के साइड पर थी और वहां पर ही उसका मोबाइल फोन रखा हुआ था। लेकिन वहां पर आने के बाद जब अपर्णा ने उसके मोबाइल फोन में देखा कि अलार्म नहीं बल्कि इनकमिंग कॉल आ रही थी और स्क्रीन पर "लव" लिखा हुआ था और रेड कलर का हार्ट भी बना था।

    यह देखकर अपर्णा को पता नहीं क्यों अपने दिल में अजीब सा दर्द महसूस हुआ और उसने मोबाइल फोन वापस टेबल पर रख दिया और वहां से मुड़कर जाने लगी।

    तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ी, "यह बीवियों वाली हरकत मत करो और अब जब मोबाइल उठा ही लिया था, तो फिर कॉल रिसीव भी कर लेती। अब मैं सो रहा हूं तो मुझे डिस्टर्ब करने से तो बेहतर है ना?"

    इतना बोल कर आरव ने खुद ही साइड में रखा हुआ अपना मोबाइल फोन उठाया, लेकिन तब तक कॉल डिस्कनेक्ट हो गई थी और मिस्ड कॉल में लिखा हुआ नाम देखकर आरव भी समझ गया था कि किसका कॉल था।

    तभी अपर्णा ने सफाई देते हुए कहा, "मुझे किसी की बीवी बनने का कोई शौक नहीं है आपको भी अच्छी तरह से पता है, और मैं बस अलार्म समझकर अलार्म बंद करने के लिए देख रही थी, क्योंकि आप उठ नहीं रहे थे। तो मुझे लगा.."

    अपर्णा अपनी बात बोल ही रही थी कि तभी आरव ने उसका हाथ पकड़कर झटके से उसे अपने ऊपर खींचते हुए कहा, "ज्यादा झूठ मत बोलो, मुझे पता है तुम यही देखने गई होगी कि किसका कॉल आ रहा है और किसका नहीं। वैसे भी अब शादी हो गई है, बीवियों वाली हरकत तो करोगी ही ना? लेकिन मैं तुम्हें बता दूं, मेरी गर्लफ्रेंड का फोन था।"

    उसकी आंखों में देखते हुए ये बात कही तो अपर्णा उससे नजरें चुराते हुए इधर-उधर देखने लगी और बोली, "मुझे नहीं जानना है किसका फोन था, किसका नहीं। आप क्यों मुझे बता रहे हैं। मेरा हाथ छोड़िए।"

    इतना बोलते हुए अपर्णा ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन आरव का हाथ छोड़ने के मूड में नहीं लग रहा था और उसने कहा, "नहीं छोडूंगा तो क्या कर लोगी?"

    आरव ने शरारत में उसे परेशान करने के लिए ये बात बोली तो अपर्णा ने कहा, "आपकी जो गर्लफ्रेंड है ना, जिससे कॉल आ रहा था, उससे कॉल पर बात कर लूंगी मैं और बताऊंगी कि उसके पीठ पीछे आप क्या-क्या कर रहे हैं।"

    अपर्णा ने धमकी देते हुए ये बात कही और तभी आरव को ध्यान आया कि उसने अभी तक रिद्धिमा को अपनी शादी और अपर्णा के बारे में कुछ भी नहीं बताया है क्योंकि इन दिनों दोनों की ठीक से बात ही नहीं हो पाती थी।

    पिछले तीन महीनों से जब भी आरव रिद्धिमा को फोन करता था तो रिद्धिमा हमेशा अपनी पढ़ाई एग्जाम कॉलेज प्रोजेक्ट असाइनमेंट और बाकी सारी चीजों में बिजी होने की बात बोल कर कॉल डिस्कनेक्ट कर देती थी और महीने में बस एक-दो बार ही उन दोनों की बात होती थी, वह भी बस कुछ मिनट के लिए। और अभी जब से आरव की शादी हुई थी, तब से आरव खुद रिद्धिमा से बात नहीं करता था।

    जब कभी वह कॉल करती थी तो आरव कोई ना कोई बहाना बनाकर उसके कॉल को इग्नोर करता था, इसी तरह काफी दिन बीत गए थे उन दोनों की बात हुए। शायद इसीलिए रिद्धिमा आज उसे सुबह से ही कॉल कर रही थी, लेकिन अभी लंदन में थी तो वहां का टाइम अलग होगा। आरव को ये बात पता थी।

    आरव ने जैसे ही अपर्णा का हाथ छोड़ा, वह तुरंत ही ड्रेसिंग मिरर के सामने आकर खड़ी हो गई और अपने गीले बालों को संवारने लगी।

    वहीं आरव ने अपना मोबाइल फोन उठाया और साइलेंट पर लगा दिया जिससे कि दोबारा मोबाइल फोन रिंग ना हो। फिर वह चुपचाप रेडी होने के लिए चला गया।

    अभी अपर्णा ने अपने मन में कहा, "अचानक से क्या हुआ इनको? अभी तो बोल रहे थे, हाथ नहीं छोड़ेंगे और फिर छोड़ दिया।"

    इतना बोलते हुए अपर्णा ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, "मैं भी किस इंसान से उम्मीद लगा रही हूं जिसने ठीक से हाथों पकड़ा भी नहीं और छोड़ने वाला है या शायद छोड़ने के लिए ही पकड़ा था।"

    वह आरव के बारे में ये सब कुछ सोच ही रही थी और फिर पूरा रेडी होकर सीधा नीचे ही आ गई। वहां पर जानकी जी बैठी हुई थी। उसने उनके पैर छुए और फिर सीधा मंदिर में चली गई। दोनों सास-बहू ने साथ में भगवान की आरती की और भगवान का आशीर्वाद लेने के बाद वह दोनों एक साथ ही नष्ट करने के लिए डायनिंग एरिया की तरफ जाने लगी।

    जानकी जी ने अपर्णा से पूछा, "आरव! कहां है वह अभी तक आया नहीं नाश्ते के लिए?"

    अपर्णा ने जवाब दिया, "उन्हें शायद अभी देर लगेगी जब तक हम नाश्ता कर लेते हैं।"

    अपर्णा बस आरव को अवॉइड करना चाहती थी, इसलिए उसने ये बात बोली और जानकी जी को भी इससे कोई प्रॉब्लम नहीं थी।

    वे दोनों साथ-साथ में नाश्ता करने के लिए डाइनिंग एरिया में पहुंच गईं। लेकिन तभी आरव वहां पर आ गया और उन दोनों के साथ ही बैठ गया। उसकी नजरें अपर्णा पर ही टिकी हुई थीं। वह काफी सुंदर लग रही थी। उसने लाइट पिंक कलर की सिंपल साड़ी पहनी हुई थी और साथ में मैचिंग चूड़ियां भी पहनी थी भले ही थोड़ी सी, लेकिन वो उस पर काफी सूट कर रही थी।

    साथ में मंगलसूत्र, सिंदूर, वह सब कुछ जानकी जी की खुशी के लिए ही पहनती थी। उसे पता था अगर वह नहीं पहनेगी तो जानकी जी जरूर उससे इस बारे में सवाल करेंगी। इसलिए वह हर रोज ही नई नवेली दुल्हन की तरह अच्छे से रेडी हो जाती थी और आज भी ऐसे लुक में बहुत खूबसूरत लग रही थी।

    आरव ना चाहते हुए भी चोर नजरों से बीच-बीच में उसकी तरफ ही देख रहा था।

    To Be Continued

    कैसा लगा आज का एपिसोड और किस तरह से आगे बढ़ रहा है इन दोनों का रिश्ता क्या रखा है आप लोगों को कहां तक पहुंच पाएगा और रिद्धिमा क्यों फोन कॉल कर रही है और क्या बदलेगा जब आरव उससे बात कर लेगा तब? जानने के लिए पढ़ते रहिए ये स्टोरी और कमेंट भी जरूर करिए।

  • 18. Our Unwanted Marriage - Chapter 18

    Words: 1882

    Estimated Reading Time: 12 min

    18

    अपर्णा अपने सिंगिंग का ऑडिशन देने के लिए स्टूडियो के अंदर गई हुई थी और अनिका टेंशन में वहां बाहर ही रुकी हुई थी। वहां होस्ट, बाकी सभी कंटेस्टेंट्स, उनके घरवाले, और उनके साथ आए लोग मौजूद थे। अनिका भी वहीं पर खड़ी अपर्णा का इंतजार कर रही थी। अपर्णा अकेली आई थी क्योंकि वह अनाथ थी। उसकी फैमिली में कोई नहीं था, और ससुराल में भी उसने अपने सिंगिंग करियर के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था, क्योंकि उसे नहीं लगता था कि किसी को बताने का कोई फायदा है। हाँ, एक बार जानकी जी को इस बारे में बताना चाहती थी, लेकिन फिर उसने सोचा कि अगर वह सेलेक्ट हो जाती है और आगे के राउंड तक पहुंचती है, तब जानकी जी को बताएगी। आरव को बताने के बारे में उसने सोचा भी नहीं था, क्योंकि उसे पता था कि आरव उसे इन चीज़ों में सपोर्ट नहीं करेगा, और जिस तरह उसने उसे जॉब छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, कहीं ऐसा न हो कि वही सिंगिंग के साथ भी हो। बस यही सोच कर उसने तय किया था कि वह कुछ नहीं बताएगी।

    अनिका इधर-उधर टहलते हुए अपने आप से बोली, “इतनी देर क्यों लग रही है? बाकी सारे कंटेस्टेंट तो इतनी जल्दी आ गए थे। इसे ही इतनी देर तक क्यों रोक कर रखा हुआ है? बाकी सब तो ऑडिशन के बाद तुरंत ही निकल आए थे। नेक्स्ट राउंड में जाने वाले पास मिला या नहीं? वह भी तो तुरंत ही बता रहे हैं। जजों के अनुसार, ऐसा ही नियम है। बाकी पता नहीं, यह लड़की कहाँ रह गई।”

    इतना बोलते हुए अनिका एंट्री गेट की तरफ बार-बार देख रही थी और जैसे ही एंट्री गेट थोड़ा सा खुला, उसने अंदर झाँकते हुए देखा और तभी उसे अपर्णा बाहर आती हुई नजर आई। अपर्णा के चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं था और उसने अपने हाथ पीछे की तरफ किए हुए थे। मुंह लटकाए हुए, वह चलकर आ रही थी, जैसे कि बहुत उदास हो। उसे ऐसे आते हुए देखकर, करण तुरंत ही दौड़ कर उसके पास गया और बोला, “कहाँ रह गई थी यार? तू यहाँ मेरी जान निकली जा रही थी और तू इतनी धीरे-धीरे चल कर आ रही है, कछुए की चाल। और यह तो बता, सेलेक्ट हुई या नहीं?”

    अपनी एक्साइटमेंट और नर्वसनेस में अनिका एक ही सांस में इतना सब भूल गई। तब जाकर उसने अपर्णा के चेहरे की तरफ ध्यान दिया, जो कि बहुत मायूस और लटका हुआ नजर आ रहा था। अनिका ने अपना हाथ अपर्णा के कंधे पर रखते हुए बोला, “अरे यार, कोई बात नहीं। तू फिर से ट्राई कर लेना, किसी और शो के लिए ऑडिशन होगा। लेकिन तू ऐसे चुप मत रहो। अगर सेलेक्ट नहीं हुई तो भी कोई बात नहीं। मैं हूँ ना तेरे साथ।” इतना बोलते हुए वह अपर्णा को गले लगाने ही वाली थी कि तभी अपर्णा ने एकदम से अपना हाथ आगे किया। उसके हाथ में वह पास था, जो नेक्स्ट राउंड में जाने वाले लोगों को मिलता है। अनिका को दिखाते हुए उसने एकदम तेज आवाज में बोला, “मैं सेलेक्ट हो गई यार! मैं नेक्स्ट राउंड के लिए सेलेक्ट हो गई हूँ। सच में सबको मेरी आवाज बहुत पसंद आई। और पता है, वह सब मेरी तारीफ कर रहे थे। यहाँ तक कि एक जज को तो मेरी आवाज इतनी पसंद आई कि उसने मुझसे एक और गाना गाने के लिए कह दिया। सच में दो गाने गाए, इसलिए मुझे इतनी देर लग गई।”

    अपर्णा ने खुश होते हुए यह बात एकदम से बोली। वह अनिका को सरप्राइज देना चाहती थी और अनिका सच में काफी ज्यादा सरप्राइज हो गई थी। लेकिन अभी उसे बहुत खुशी भी हो रही थी और वह अपर्णा को गले लगाने ही वाली थी, लेकिन जैसे ही अपर्णा ने सेलेक्ट होने वाली बात बोली, अनिका ने एकदम खुश होकर कसकर अपर्णा को गले लगा लिया और बोला, “यस! यस! यू मेड इट! मुझे पता था कि मेरी फ्रेंड बहुत टैलेंटेड है और उसका सिलेक्शन हो ही जाएगा। लेकिन तू ऐसा मुंह लटका कर आ रही थी। सच में, मुझे डरा दिया था यार तूने।” इतना बोलते हुए अनिका ने अपर्णा के कंधे पर हल्का सा हाथ मारकर उसे पीछे धकेलते हुए कहा, “हां, बस मैं तुझे ऐसा रिएक्शन देखना चाहती थी। और तेरा कैसे सीधे-सीधे बता दिया था। उन लोगों ने बिना मुझे डरा दिए कुछ नहीं बताया। लेकिन मुझे पता था कि मैं सेलेक्ट हो जाऊँगी। पता नहीं क्यों, आज सुबह से ही बहुत अच्छी फीलिंग आ रही थी।”

    “कहा था सब अच्छा होगा आज तो?” अपर्णा ने खुश होते हुए बोला और बाकी लोगों के लिए आने-जाने का रास्ता छोड़कर वह दोनों ही एंट्री गेट से हटते हुए बाहर की तरफ निकल आईं। अनिका ने अपर्णा से कहा, “वह सेकंड राउंड का पास अपने हाथ में पकड़े हुए था। तेरे बारे में सोचते हुए लगता है कि सुबह से सब कुछ अच्छा हो रहा है। लगता है बहुत लकी है। वह इंसान तेरे लिए।”

    अनिका ने जानबूझकर उसे छेड़ते हुए यह बात बोली तो अपर्णा की आँखों के सामने एकदम आरव का चेहरा आ गया। आज सुबह तो आँख खुलते ही उसे आरव का चेहरा नजर आया था, और उस वक्त वह कितना अच्छा, हैंडसम और मासूम लग रहा था। उसे याद करते हुए अपर्णा एक पल के लिए आरव के ख्यालों में खो गई और उसने अनिका की बात का कोई जवाब नहीं दिया। अनिका ने उसे कंधे पर हल्का सा टच करते हुए कहा, “क्या यार, अब किसके बारे में सोचने लगी? बताना मुझे, पक्का जीजू का चेहरा देखा होगा या फिर अपनी सासू मां का देखा था?”

    अनिका ने जानबूझकर उसे और ज्यादा परेशान करते हुए पूछा, "यह बात पूछी तो अपर्णा ने मुंह बनाते हुए कहा, 'नहीं, नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं होता है। किसी का चेहरा देखने से दिन अच्छा या खराब नहीं होता। मैं नहीं मानती। यह सब और वैसे भी, अभी तूने कहा ना, मैं दी टैलेंटेड हूं और इतने सालों से प्रैक्टिस भी तो कर रही हूं। तुझे पता है ना कितनी मेहनत की है मैंने यहां तक आने के लिए। बस उसी मेहनत का फल मिला है मुझे।'"

    इतना बोल कर अपर्णा ने उस बात को टाल दिया और फिर अनिका ने भी और ज्यादा सवाल नहीं किया। उसने कहा, "अच्छा, अच्छा, ठीक है, तेरी मेहनत का फल है और तूने इतनी मेहनत की है, इसीलिए सेलेक्ट हुई है। बस और किसी वजह से नहीं, ठीक है। लेकिन अब इसी बात पर चल क्रिएट तो दे ही सकती है ना तू मुझे? कब से तूने मुझे कोई ट्रीट नहीं दी। यहां तक अपनी शादी पर भी नहीं बुलाया। बता, कैसी दोस्त है तू?"

    अनिका ने जैसे ही यह बात बोली, तो अपर्णा ने कहा, "यार, तुझे सब बताया तो मैंने किस सिचुएशन में शादी हुई। मैं खुद ही इंजॉय नहीं कर पाई, तो तुझे क्या बुलाती दावत के लिए? और तुझे बस शिकायतें करनी हैं?"

    अपर्णा की यह बात सुनकर अनिका खिलखिला कर हंसने लगी और हंसते हुए कहा, "अच्छा, ठीक है। यार, मैं बस ऐसे ही बोल रही थी, लेकिन चल, कहीं चलते हैं। कुछ खाने के लिए, तू ना देना, मेट्रिक दे दूंगी। मेरी बेस्ट फ्रेंड इतने बड़े कंपटीशन में सेकंड राउंड के लिए सिलेक्ट हो गई है। चल, मेरी ट्रीट ले ले।"

    इतना बोल कर अनिका ने अपर्णा को साइड हग किया। अपर्णा को भी काफी अच्छा लगा और दोनों एक साथ ही वहां से निकल गईं। तभी अपर्णा ने पूछा, "तू कहां चलेंगी हम?"

    उसकी इस बात पर अनिका काफी आराम से बोली, "आर्यन कहा, क्या तेरे उसी कैफे में चलते हैं। वैसे भी तुझे काम पर भी जाना है। पहले हम साथ में लंच कर लेंगे। उसके बाद मैं अपने हॉस्टल चली जाऊंगी और तू अपनी जॉब कंटिन्यू कर लेना।"

    जॉब वाली बात सुनकर अपर्णा को अचानक याद आया कि उसे जॉब के लिए मना किया गया था। अब तक उसने वहां पर नहीं बताया और ना ही अनिका को इस बारे में बताया था, तो वह थोड़ा सोच में पड़ गई। तब तक अनिका ने उन दोनों के लिए टैक्सी रोकी और अपर्णा को टैक्सी में बैठने के लिए कहा। अपर्णा उसी तरह खोई हुई टैक्सी में बैठ गई। वह अभी भी इन सब चीजों के बारे में सोच रही थी। तभी अनिका ने कहा, "अब क्या सोच रही है यार? तू बार-बार कहां खो जाती है? देख, अपने मिस्टर हैंडसम हसबैंड के ख्यालों में खोई है ना? तो जब मैं तेरे साथ ना रहूं, तब उसे याद किया कर। ऐसे मुझे सिंगल फील होता है यार!"

    अनिका ने एकदम से यह बात बोली तो अपर्णा थोड़ा सा हड़बड़ा गई और बोली, "नहीं, नहीं यार, ऐसा कुछ नहीं है। मैं बस यह सोच रही थी कि वहां पर की जॉब, मेरा मतलब है, आरव जी को पसंद नहीं और मम्मी जी ने भी मुझे अपना कार्ड दे दिया है। यह बोलकर कि मुझे जॉब करने की कोई जरूरत नहीं। तो मैं वही बोल रही हूं कि अब वहां जाकर मना करूंगी तो फिर वह लोग मेरी जगह पर किसी और को रख लेंगे और फिर बाद में अगर मुझे जॉब की जरूरत पड़ी, तो क्या करूंगी मैं?"

    बेख्याली में अपर्णा एकदम से यह सब कुछ बोल गई तो अनिका ने कन्फ्यूजन से उसकी तरफ देखा और कहा, "क्या मतलब, फिर से तुझे जॉब करने की जरूरत क्यों पड़ेगी यार? अब तो तेरी लाइफ सेट हो गई है ना? और वैसे भी, तुझे अब जरूरत नहीं पड़ेगी। एक तो तेरा इतना अच्छा हसबैंड है। इतनी सपोर्टिव तेरी सास है और उसके अलावा तू इतनी बड़ी सिंगर बनने वाली है। पता है, लाइन लगी रहेगी। तेरे आगे पीछे म्यूजिक डायरेक्टर्स की, सब तुझसे ही अपना गाना गंवाना चाहेंगे।"

    अनिका उसकी कुछ ज्यादा ही तारीफ करते हुए बोली तो अपर्णा ने कहा, "बस, बस, इतने भी सुनहरे सपने मत दिखाओ। अभी से मैं इतनी ज्यादा उम्मीद नहीं पाना चाहती। अभी सिर्फ सेकंड राउंड के लिए ही सेलेक्ट हुई हूं। कोई कंपटीशन नहीं जीत गई मैं।"

    इतना बोल कर अपर्णा ने अपनी आंखें रोल कीं तो अनिका ने कहा, "कोई बात नहीं, कंपटीशन भी जीत जाओगी। यार, मुझे पता है। और अगर नहीं भी जीती, तो तुम्हें पता है। यह कितना बड़ा कंपटीशन है। पूरे इंडिया में टेलीकास्ट होता है। फेमस तो हो ही जाओगी और जिसके अंदर टैलेंट होता है, उसे अपॉर्चुनिटी भी मिलती रहती है।"

    अनिका ने जानबूझकर यह बात बोली ताकि अपर्णा को थोड़ा अच्छा और पॉजिटिव फील हो। ऐसा हुआ भी, अपर्णा ने उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराया। अब तक वह दोनों अपर्णा के काम करने वाली जगह उसी कैफे पर पहुंच चुके थे। अपर्णा ने भी वहां पर आने से मना नहीं किया क्योंकि वह ऐसे चुपचाप काम नहीं छोड़ना चाहती थी। वह बताना चाहती थी कि उसकी जगह पर किसी और को रख लिया जाए।

    उनकी कैफे के सामने रुकी और दोनों ही टैक्सी से बाहर निकलीं। अनिका टैक्सी वाले को पैसे देने लगी। अपर्णा जब तक कैफे के अंदर जाने वाले गेट की तरफ बढ़ गई और तभी पता नहीं क्यों उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसकी तरफ देख रहा है। उसने पीछे मुड़कर देखा तो अनिका टैक्सी वाले से पैसे वापस ले रही थी। अपर्णा गेट के पास रुक गई और इधर-उधर देखने लगी। उसे कुछ अजीब सा लग रहा था, लेकिन तब तक अनिका वहां आ गई और वे दोनों साथ में कैफे के अंदर चली गईं।

    To Be Continued

  • 19. Our Unwanted Marriage - Chapter 19

    Words: 1422

    Estimated Reading Time: 9 min

    19

    अनिका के साथ कैफे के अंदर आने के बाद, अपर्णा ने एक तरफ इशारा करते हुए कहा, "देखो, वह टेबल खाली है। तुम वहां पर बैठो, मैं बस मैनेजर से बात करके आती हूं। मुझे उन्हें जॉब छोड़ने के बारे में बताना है।"

    अपर्णा की बात सुनकर अनिका ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "हाँ जाओ यार, बता दो। ऐसे बिना बताए जॉब छोड़ना ठीक नहीं होता क्योंकि जब तुम्हें ज़रूरत थी, उन्होंने तुम्हारी हेल्प की, तुम्हें जब दी वह भी पार्ट टाइम। इसलिए बता देना चाहिए। वैसे क्या बताओगी, यही कि तुम्हारी शादी हो गई है या कुछ और?"

    अनिका ने जैसे ही यह पूछा, तो अपर्णा सोच में पड़ गई क्योंकि उसने अब तक यह नहीं सोचा था कि वह मैनेजर को क्या बताएगी। अपनी शादी का सच, और उसका हस्बैंड आरव उसे जॉब नहीं करने दे रहा यह बताए या फिर कुछ और?

    अपर्णा अपने मन में यह सब सोचते हुए एकदम से बोली, "हाँ, देखती हूं, क्या बताना है, अभी मैंने सोचा नहीं।"

    उसने बस अनिका से इतना कहा और मैनेजर के केबिन की तरफ बढ़ गई। अनिका भी साइड में एक खाली टेबल के पास आकर कुर्सी पर बैठकर वहां से जाती हुई अपर्णा की तरफ ही देखने लगी।

    मैनेजर के केबिन में दरवाजा खुला हुआ था, लेकिन उसने दरवाजे पर दस्तक दी तो मैनेजर ने उसकी तरफ देखा और अपर्णा को दरवाजे पर देखकर बोले, "अरे अपर्णा तुम, और तुमने अभी तक चेंज नहीं किया? तुमने एक तो इतनी देर से आई हो, जाओ जाकर हेल्प करो, देखो तो कितनी भीड़ है बाहर।"

    वहां कैफे में सच में काफी ज्यादा भीड़ थी क्योंकि लगभग सारी टेबल भरी हुई थीं। बहुत सारे कस्टमर इस टाइम आ-जा रहे थे। इसीलिए मैनेजर ने अपर्णा को देखते ही यह बात बोली तो अपर्णा अंदर आते हुए बोली, "सॉरी सर, लेकिन मैं आपसे कुछ इंपॉर्टेंट बात करने आई हूं और मैं लेट हुई थी। उसके पीछे भी एक रीजन है।"

    इतना बोलते हुए अपर्णा अंदर आई तो मैनेजर ने शक भरी नजरों से उसकी तरफ देखते हुए कहा, "एक मिनट, तुम कहीं अचानक से जॉब छोड़ने तो नहीं वाली ना, और पहले नहीं बता सकती थी? तुम्हें पता है ना कम से कम एक महीने का नोटिस पीरियड होता है और उससे पहले तुम जॉब नहीं छोड़ सकती क्योंकि हमें तुम्हारी जगह पर किसी को रखना होगा। मैंने पहले ही तुम्हें यह बताया था।"

    अपर्णा ने माथे पर पसीने की बूंदें पोंछते हुए कहा, "यही बात करनी थी। मुझे अब से शायद काम पर नहीं आ पाऊंगी क्योंकि अगर आऊंगी तो रोज इसी तरह देर होगी और मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से आपको प्रॉब्लम हो। इसीलिए मैं यह बात क्लियर करना चाहती हूं।"

    अपर्णा ने बात थोड़ा सा गोल घुमाते हुए कहा तो मैनेजर की एक आईब्रो ऊपर की तरफ हो गई और उसकी नजर अपर्णा पर ही टिकी हुई थी।

    अपर्णा का गला सूख रहा था और उसने एक-दो बार पलकें झपकाकर सामने देखा और बोली, "वह सर, मैं एक्चुअली आपको पता है, मैं सिंगिंग को लेकर कितनी पैशनेट हूं। इसीलिए मेरी फ्रेंड ने मुझे बताया था कि हमारी सिटी में ऑडिशन हो रहे हैं और मैं ऑडिशन के लिए गई थी। आज उसी में मुझे लेट हो गया।"

    अपर्णा अपनी बात बोल ही रही थी और उसके सामने बैठा हुआ मैनेजर काफी ध्यान से उसकी बात सुन रहा था।

    लेकिन इतनी बात सुनते ही मैनेजर हंसने लगा और बोला, "अपर्णा, काम ऑन करो। हर कोई ऑडिशन देने वाला इंसान सिंगर नहीं बन जाता है। मैं तो कहता हूं, चुपचाप अपने काम पर फोकस करो क्योंकि तुम अभी कॉलेज में पढ़ती हो। तुम्हारा इतना खर्चा है। तुम्हारे आगे-पीछे कोई नहीं है। ऐसे एक ऑडिशन के लिए जॉब छोड़ दोगी तो बाद में बहुत पछताओगी तुम!"

    मैनेजर ने काफी लापरवाही से यह बात बोली और अपर्णा को उससे और ज्यादा सपोर्टिव होने की उम्मीद भी नहीं थी क्योंकि जॉब में पहले ही उसने काफी सपोर्ट किया था। सिंगिंग के लिए अनिका के अलावा और कोई उसका इतना साथ नहीं देता। सब यही बोले थे कि सिर्फ अच्छा गाने से हर कोई सिंगर नहीं बन जाता है। सबको बराबरी के मौके नहीं मिलते हैं और जो कुछ भी हो सपने देखना आसान होता है, उन्हें पूरा करना बहुत मुश्किल होगा। यह सब कुछ अपर्णा काफी टाइम से सुनती आ रही थी।

    उसके कॉलेज में भी लोग उसे ऐसा बोलते रहते थे, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी।अपर्णा ने कभी उतना ध्यान नहीं दिया। उन लोगों पर और अभी मैनेजर की बातों को भी उसने सीरियसली नहीं लिया और उससे काफी नरमी से कहा, "हाँ सर, मुझे पता है और मैं भी कोई इतने बड़े सपने नहीं देख रही। लेकिन बस ट्राई एक कर रही हूँ। अपने सपनों की तरफ एक-एक कदम बढ़ाने का। तो अगर इसमें मैंने शुरुआत की है तो उसमें क्या बुराई है? अभी बस यह बताना चाहती थी कि कल से नहीं, आज से ही मैं अब जॉब पर नहीं आ पाऊंगी। प्लीज आप मैनेज कर लीजिए।"

    अपर्णा की यह बात सुनते ही मैनेजर ने अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा, "नॉट पॉसिबल। मैंने तुम्हें पहले ही बताया था कि 1 महीने का नोटिस पीरियड होता है। तुम्हें इनफॉर्म करना होगा और उसके बाद तुम्हारी जगह पर जब हम किसी को असाइन कर लेंगे तब ही तुम्हें छोड़ सकते हैं। तुम्हें अच्छी तरह से पता है, फिर भी काम में हेल्प नहीं की। इसके आगे कुछ नहीं सुनूंगा।"

    इतना बोलते हुए मैनेजर ने जैसे अपना फैसला सुना दिया।

    अपर्णा ने बहुत ही बेबसी से उसकी तरफ देखते हुए कहा, "मैं खुद भी छोड़ना नहीं चाहती थी, तो 1 महीने पहले कैसे बताऊँ? वो तो पता नहीं उन्हें क्या प्रॉब्लम है, उसी वजह से मुझे छोड़ना पड़ रहा है। अगर आप नहीं मान रहे तो मैं यह बात बोल सकती हूँ।"

    इतना बोलते हुए उसने कहा, "ओके सर, लेकिन अभी मैं अपनी फ्रेंड के साथ आई हूँ। और मैं ऑडिशन के लिए सेकंड राउंड में सिलेक्ट हो गई हूँ, तो बस उसके साथ सेलिब्रेट करने के लिए आई हूँ। उसके बाद से मैं अपनी जॉब स्टार्ट कर दूंगी। बस थोड़ी देर की बात है। आप चाहे तो उतनी देर लेट होने के पैसे भी काट सकते हैं।"

    अपर्णा ने मैनेजर को पूरी बात बताई तो मैनेजर ने कहा, "ठीक है। कोई बात नहीं, जो तुम्हारी फ्रेंड के जाने के बाद सिर्फ अपने काम पर लग जाना।"

    इतना बोलकर मैनेजर ने उसे वहां से जाने का इशारा किया। अपर्णा चुपचाप बाहर आई और फिर अनिका के साथ आकर बैठ गई। दोनों के लिए कॉफी ऑर्डर कर दी थी और अनिका वहीं पर बैठी थी और कॉफी पीने लगी। इस बीच अपर्णा बार-बार इधर-उधर देख रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई उसे देख रहा है, लेकिन उसने इस बारे में कुछ नहीं बोला क्योंकि अनिका काफी खुश लग रही थी। कॉफी पीते हुए अनिका ने कहा, "मैं अभी जोधपुर में सेकंड राउंड के लिए सेलेक्ट हुई हूँ।"

    अनिका ने बहुत ही ज्यादा खुश होकर आगे की प्लानिंग करते हुए कहा, "यार, मैं बहुत खुश हूँ। तू सेकंड राउंड के लिए सेलेक्ट हो गई। मुझे पता है, आगे आने वाले सारे राउंड में तू सलेक्ट हो जाएगी। जरूर, मुझे बहुत अच्छी फीलिंग आ रही है। इस बार तो तू सिंगर बन ही जाएगी।"

    अपर्णा इससे पहले भी एक बार ऑडिशन दे चुकी थी, लेकिन तब वह सेकंड राउंड के लिए सिलेक्ट नहीं हो पाई थी। अब दो साल बाद वह दोबारा से ट्राई कर रही थी। उसकी सिंगिंग क्लासेस लेने की इच्छा थी, लेकिन पैसे ना होने की वजह से वह सिंगिंग क्लासेस में अपना एडमिशन नहीं करवा पाई थी, जिसके लिए अलग से फीस देनी होती। वह अमीर फैमिली से नहीं थी इसलिए उसकी फैमिली ज्यादा हेल्प नहीं कर पाई थी। लेकिन जितना भी उससे होता था, वह उसके लिए करती थी। यह सोच कर कि कम से कम उसके पास फैमिली, मम्मी-पापा, भाई-बहन सब का सपोर्ट तो है। अपर्णा के पास यह सब भी कुछ नहीं था। दोनों कॉलेज के पहले दिन से ही दोस्ती कर ली थीं और दोनों में काफी अच्छी बनती थी। अपर्णा ज्यादा दूर नहीं थी और अनिका के अलावा उसका कोई दोस्त नहीं था और सबसे आसानी से घुल-मिल जाती थी।

    To Be Continued

    क्या होगा जब आरव को अपर्णा की जॉब की इस कंडीशन के बारे में पता चलेगा और क्या उसे पता चलेगा अपर्णा की सिंगिंग पैशन के बारे में क्या वह इसमें उसे सपोर्ट करेगा या इस चीज के लिए भी उसे मना ही करेगा क्या लगता है आप लोगों को, अपर्णा उसकी बात मानेगी या फिर मैनेजर की? बताइए कमेंट में 👇👇🥰

  • 20. Our Unwanted Marriage - Chapter 20

    Words: 1595

    Estimated Reading Time: 10 min

    20

    वो दोनों आपस में बात कर ही रही थीं कि अपर्णा का ध्यान इस बात पर लगा हुआ था कि अभी उसे एक महीना और वहां पर काम करना पड़ेगा। इस बात को लेकर घर में उसकी सास और आरव का क्या रिएक्शन होगा। वह यह सब सोच रही थी।

    उसे पता था कि जानकी जी को तो वह किसी तरह मना लेगी, लेकिन आरव के गुस्से का सामना फिर से नहीं करना चाहती थी। इसीलिए वो खोई हुई लग रही थी। तभी अनिका ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा, "यार तेरी कॉफी ठंडी हो गई। अब भी पता नहीं क्या सोच रही है? अगर अपने ऑडिशन के बारे में सोच रही है तो टेंशन मत ले, तू सेलेक्ट हो जाएगी पक्का!"

    अनिका की बात सुनकर अपर्णा ने उसकी तरफ देखकर फिर किसी मुस्कुराहट को छिपाते हुए बोली, "हाँ, मैं यह नहीं सोच रही हूँ। क्या है ना? मैनेजर ने मुझे जॉब छोड़ने के लिए मना कर दिया है। मैं 1 महीने से पहले नहीं छोड़ सकती।"

    अपर्णा ने अनिका को जैसे ही यह बात बताई तो अनिका ने कहा, "अरे हां, मैंने इस बारे में तो पूछा ही नहीं। तुझे पहले से पता था क्या कि अभी बता रहे हैं ये लोग अचानक से?"

    अनिका ने उससे पूछा तो अपर्णा ने कहा, "मुझे छो पहले से ही पता था, और मुझे लगा कि मुझे कभी जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे अचानक से छोड़ने की जरूरत पड़ेगी, वह तो बस आरव की वजह से।"

    इतना बोलते हुए अपर्णा ने मुंह बनाया तो अनिका उसकी तरफ देखकर हंसने लगी और बोली, "यार, तेरे मैनेजर तेरा कितना ख्याल रखते हैं। वह नहीं चाहते कि तू काम-वाम छोड़ कर आराम करे और तू तो ऐसे बोल रही है जैसे तेरे ऊपर कोई जुर्म कर रहे हों जॉब छोड़ने को मना करके।"

    अनिका ने जानबूझकर मजाक में यह बात बोली क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि अपर्णा और ज्यादा टेंशन ले। इस बात को लेकर फिर अपर्णा ने कहा, "हाँ हाँ, मुझे पता है कितनी फिक्र करते हैं। और मैं नहीं चाहती, मुझे आदत नहीं है ना कोई मेरी इतनी ज्यादा फिक्र करे।"

    इतना बोलते हुए अपर्णा ने अपनी कॉफी उठाई और एक साथ में ही पी ली और फिर उठकर खड़ी होते हुए बोली, "अच्छा ठीक है। अब तू जा, हम कल मिलते हैं। अभी मुझे काम कंटिन्यू करना है। आरव मैं आज से छोड़ नहीं सकती तो।"

    अपर्णा की बात सुनकर अनिका भी अपनी जगह से उठकर खड़ी हुई और बोली, "टेंशन मत ले यार, सब ठीक होगा।"

    इतना बोलकर अनिका ने अपर्णा को गले लगाया और वहां से निकल गई।

    अनिका के वहां से जाने के कुछ देर बाद अपर्णा चेंज करके आई। उसने वापस से अपनी वेट्रेस वाली ड्रेस पहन ली थी और टेबल पर जाकर सर्व करने लगी।

    वह पहली टेबल पर ही पहुंची थी कि तभी एकदम से कोई उसके सामने आकर खड़ा हुआ और बोला, "तुम्हें समझ नहीं आता है? मैंने तुम्हें इतनी बार बोला और तुम फिर से यहाँ हो। क्या मजा आता है तुम्हें यह सब काम करके और मेरी बेइज्जती करवाने में?"

    उस आदमी ने जोर से टेबल पर हाथ मारते हुए यह बात बोली तो अपर्णा थोड़ा सा सहम गई और उसके सामने देखा तो वहां और कोई नहीं बल्कि आरव था, जो बहुत ही गुस्से में लग रहा था।

    अपर्णा कुछ बोल ही नहीं पाई और आरव ने उसे लगभग खींचते हुए अपने साथ ले जाना शुरू कर दिया।

    वहां मौजूद बाकी सारे लोग उन दोनों की तरफ देखने लगे तो अपर्णा ने कहा, "तुम यह सब कर रहे हो, इसकी वजह से बेइज्जती नहीं हो रही? अब तुम्हारी वजह से सब हमें ही देख रहे हैं। क्या ज़रूरत है ऐसे तमाशा करने की और मैं...?"

    आरव ने गुस्से से दांत पीसते हुए कहा, "मुझे पता है तुम यह सब जानबूझकर कर रही हो इसलिए ज्यादा भोली बनने का नाटक मेरे सामने मत करो।"

    आरव को ऐसे गुस्से में देखकर अपर्णा से भी अब बर्दाश्त नहीं हुआ क्योंकि वह इतनी देर से इसी बात को लेकर परेशान थी और उसे बिल्कुल भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि आरव यहां पर उसके पीछे ही आ जाएगा और फिर अपर्णा ने अपनी तरफ से कोशिश भी की थी काम छोड़ने की लेकिन उसे पता था इतना आसान नहीं है उसने मैनेजर से बात की थी लेकिन मैनेजर नहीं है उसे जब छोड़ने की परमिशन नहीं दी, इसीलिए उसे अपना काम कंटिन्यू करना पड़ा और यह सब कुछ जाने बिना आरव उसे पर फिर से इतने सारे इल्जाम लगा रहा था।

    अपर्णा ने झटक कर उसका हाथ अपने हाथ से छुड़ाया और दो कदम पीछे होकर आंसू भरी आंखों के साथ आरव की तरफ देखते हुए बोली, "हां मैं जानबूझकर कर रही हूं यह सब, अब बताओ क्या करोगे तुम, क्या कर लोगे? छोड़ दोगे मुझे तलाक दे दोगे या फिर मारोगे, पीटोगे बताओ क्या करना है तुम्हें? क्योंकि इससे ज्यादा तुम और कुछ नहीं कर सकते हां अगर जान से मारना हो ना तो वह भी मार दो।"

    अपर्णा के इस तरह से गुस्से में चिल्लाते हुए यह सब बोलने पर आरव एकदम हैरान रह गया और उसे समझ नहीं आया कि अपर्णा ऐसा रिएक्ट क्यों कर रही थी।

    आरव भी उसी तरह गुस्से में उसकी बात का जवाब देते हुए बोला, "क्या बोल रही हो यह सब तुम इस तरह से और मैं कब तुम्हें मारता पीटता हूं जो इस तरह से मुझ पर इल्जाम लगा रही हो, मुझे बस लगा था इस बारे में हमारी बात हो चुकी है और तुम आज से यहां पर नहीं आओगी लेकिन फिर भी तुम यहां पर आई बस इसीलिए मैंने पूछा और तुम..."

    वह दोनों गुस्से से एक दूसरे की तरफ ही देख रहे थे और तभी अपर्णा की आंखों में भरे हुए आंसू निकलने लगे और उसके ऐसे अचानक से रोने पर आरव ने कहा, "अब रो क्यों रही हो बताओ पूरी बात क्या हुआ और क्या जरूरत थी तुम्हें यहां पर आने की तुम कॉलेज से सीधा घर नहीं आ सकती थी।"

    आरव के इस सवाल पर अपर्णा ने भी उससे एक सवाल किया, "और आप यहां पर क्या कर रहे हैं? मुझ पर नजर रखनी ही थी तो आप किसी और को भी भेज सकते थे! आपको यहां आने की जरूरत नहीं थी और वैसे भी मैंने मैनेजर से बात की थी उन्होंने बोला कि 1 महीने पहले मैं नहीं छोड़ सकती मुझे कम से कम 1 महीने के नोटिस पीरियड में भी काम करना होगा जो कि आज से अप्लाई होता है अगर आपको यकीन नहीं है तो आप खुद भी मैनेजर से पूछ सकते हैं।"

    अपर्णा की यह बात सुनते ही आरव ने काफी हैरान होते हुए कहा, "क्या मतलब कि नहीं छोड़ सकती ऐसी कौन सी बहुत बड़ी पोजीशन की जॉब है, तुम चलो मेरे साथ कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता तुम आरव खन्ना की वाइफ हो तुम्हें कोई काम करने की जरूरत नहीं है और ना ही किसी की बेतुकी शर्तें मानने की?"

    इतना बोलते हुए आरव ने अपर्णा का हाथ अपने हाथों में एकदम कसकर पकड़ और उसे अपने साथ लेकर कर की तरफ बढ़ गया अपर्णा भी काफी परेशान हो चुकी थी आज सुबह से इतना कुछ हुआ था वह काफी ज्यादा थकी हुई थी इसलिए चुपचाप वह भी आरव के साथ कर की तरफ ही आ गई वह भी वहां पर अपना नहीं चाहती थी।

    वह दोनों जैसे ही कर के अंदर आकर बैठे आरव ने अपना मोबाइल फोन निकाला और किसी का नंबर डायल करने लगा दूसरी तरफ से जैसे ही फोन कॉल रिसीव हुआ तो आ रब ने कहा सुनो मुझे यह "ड्रीम डिलाइट कैफे" हां वही जो सेक्टर 18 में पड़ता है, मेन रोड पर मुझे वह खरीदना है उसके लिए पेपर्स रेडी करवाओ। उसका जो भी मालिक है उससे बात करो चाहे जो कुछ भी हो मुझे वह कैफे अपनी कंपनी के नाम पर खरीदना है। हां, आज के आज ही यह काम होना चाहिए! मैं नहीं जानता तुम कैसे करोगे ये तुम्हारा काम है और करो आखिर मैंने तुम्हें क्यों रखा हुआ है? वह कंपनी के नाम पर हो जाने के बाद ही मुझे कॉल करना।"

    अपर्णा ने आरव की ऐसी बातें सुनी तो उसे तो अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ, वो मुंह खोले बहुत ही ज्यादा हैरानी से वह उसकी तरफ ही देख रही थी और तभी आरव ने कॉल डिस्कनेक्ट करके मोबाइल फोन अपनी पॉकेट में रखा और उसकी नजर अपर्णा पर पड़ी तो उसने कहा, "क्या है अब? ऐसे क्या देख रही हो? अब कोई प्रॉब्लम नहीं होगी तुम्हे कोई नहीं मजबूर करेगा तुम्हें वह काम करने के लिए..."

    अपर्णा ने उसी तरह हैरानी से सवाल किया, "क्या सच में वह कैफे आप... आप खरीद लेंगे!"

    अपर्णा के इस सवाल पर आरव ने उसकी तरफ देखकर हल्के से मुस्कुराया और बोला, "यह एक मामूली सा कैफे खरीदना कौन सी बड़ी बात है मैं अगर चाहूं तो वो सामने दिख रही पूरी बिल्डिंग भी खरीद सकता हूं और कोई बहुत बड़ा फाइव स्टार या 7 स्टार होटल भी!"

    अपर्णा को यह तो पता था कि आरव बहुत ही ज्यादा अमीर है लेकिन वह इतना ज्यादा पावरफुल भी होगा यह बात उसे अभी पता चल रही थी और अपने कानों से सुनने के बाद भी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सच में उसका हस्बैंड उस पूरे कैफे को खरीदने की हैसियत रखता है जहां पर वह इतने दिनों से वह वेट्रेस का काम कर रही थी।

    To Be Continued

    आरव इस बात का क्या असर होगा उन दोनों के रिश्ते पर और क्या अब से कोई भी जॉब नहीं करेगी अपर्णा? पता चलेगा नेक्स्ट एपिसोड में? जानने के लिए पढ़ते रहिए और कमेंट भी करिए।