Madness Of The Shadow - Chapter 2 - Story Mania

Madness Of The Shadow - Chapter 2

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अवीरा ने अपनी आँखें घुमाईं, और जैसे ही उसने पलटकर देखा, उसे फिर वही एहसास हुआ — अद्राक्ष उसके दिमाग में बस चुका था। उसकी आँखों में छुपा हुआ जुनून, एक गहरा अंधेरा, और एक अजीब सा आकर्षण था, जो उसे डुबो रहा था। रात को अवीरा अपने कमरे में बैठी थी, जब उसका फोन वाइब्रेट हुआ। एक अननोन नंबर से मेसेज था: “Careful on the stairs. The third one’s a little loose.” वो चौंकी। अगले दिन जब वो सीढ़ियाँ उतर रही थी, तीसरी सीढ़ी सच में हिली। अवीरा का दिल तेजी से धड़क रहा था, जैसे उसके शरीर में खून की धारा अचानक रुक गई हो। वह सीढ़ियों के पास खड़ी होकर, उस तीसरी सीढ़ी की ओर देख रही थी, जो अब तक इतनी सामान्य सी दिखती थी। लेकिन अब, उसका मतलब कुछ और था, कुछ भयंकर। उसका दिल जानता था कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन वह इसे नज़रअंदाज़ करने की कोशिश कर रही थी। “क... कौन है?” अवीरा ने बुदबुदाते हुए पूछा, लेकिन वह खुद भी यह नहीं जानती थी कि वह किससे जवाब चाहती है। उसकी आँखों में एक अजीब सा डर था, और साथ ही साथ वह एक नई तरह की बेचैनी महसूस कर रही थी। क्या यह कोई मजाक था, या फिर एक चेतावनी? अवीरा ने अपने मन को समझाने की कोशिश की और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी। वह अब तक उस सीढ़ी के बारे में सोच रही थी, और फिर अचानक, उसकी नजरें तीसरी सीढ़ी पर पड़ीं। वह सच में हिल रही थी। वह धीरे-धीरे नीचे झुकी और सीढ़ी को हल्के से दबाया। वह हिली, बिलकुल वैसे ही जैसे किसी ने कहा था। अवीरा का दिल अब पूरी तरह से घबराया हुआ था। क्या यह सिर्फ एक संयोग था, या कुछ और? अवीरा ने अपने हाथ में फोन पकड़ा और उस अननोन नंबर से आये हुए संदेश को फिर से देखा। "Careful on the stairs. The third one’s a little loose." यह कोई सामान्य संदेश नहीं था। यह किसी की चेतावनी थी, किसी का ध्यान था। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह संदेश क्यों आया था, लेकिन एक बात तो तय थी — इस संदेश के पीछे कोई था। कोई जो उसकी हर हरकत पर नजर रख रहा था। अवीरा का मन मंथन कर रहा था, और उसकी सोच के धागे उलझने लगे थे। क्या उसे किसी ने देखा था? क्या वह किसी और से जुड़ा हुआ था, या यह सिर्फ एक संयोग था? “तेरा हर पल मेरा है, अवीरा... तुझे बस अभी तक एहसास नहीं।” यह वाक्य उसके दिमाग में घूमा। उसने फिर से उस संदेश को पढ़ा और उसकी धड़कन बढ़ गई। यह वाक्य ऐसा था, जैसे किसी ने उसके दिल की गहरी धड़कन को सुन लिया हो और उसे शब्दों में ढाल दिया हो। यह वो ही था, जिसे वह अपने मन की गहराई में महसूस कर रही थी — वह कोई था, जो हमेशा उसके आसपास था, लेकिन जिसे वह पहचान नहीं पा रही थी। उसके दिल में एक हलचल मच गई थी। उसे लगा जैसे किसी ने उसकी दुनिया को पूरी तरह से पलट दिया हो। वो अनकहा डर, जो अब तक छुपा हुआ था, अब सामने आ चुका था। उसे एहसास हुआ कि यह जो कुछ भी था, वह सिर्फ एक शुरुआत थी। और इस शुरुआत के बाद, क्या कुछ और आ सकता था? वो अपने कमरे के खिड़की से बाहर देखने लगी। रात का सन्नाटा उसे भारी महसूस हो रहा था। दूर कहीं, शहर की रोशनी झिलमिला रही थी, लेकिन अवीरा के भीतर का अंधेरा बढ़ता जा रहा था। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी ज़िन्दगी इस तरह से बदल सकती है। उसे डर लग रहा था, लेकिन इस डर के साथ एक अजीब सी कशिश भी महसूस हो रही थी। जैसे किसी रहस्यमय शक्ति ने उसे अपने जाल में फंसा लिया हो। तभी उसका फोन फिर से वाइब्रेट हुआ। इस बार, संदेश में सिर्फ एक शब्द था: " देखो।" अवीरा ने जल्दी से फोन उठाया और देखा, लेकिन वहां कुछ नहीं था। सिर्फ वही शब्द, "देखो"। वह किचन के पास चली गई और खिड़की से बाहर देखा। रात का अंधेरा अब उसे और ज्यादा घेरने लगा था, और वो महसूस कर रही थी कि वह पूरी तरह से अकेली नहीं थी। उसकी आंखों के सामने जो दृश्य था, वह किसी फिल्म के सस्पेंस से कम नहीं था। उसे लगा जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो, और वह इस पीछा करने वाले को पहचानने की कोशिश कर रही थी। अवीरा ने खिड़की से झांकते हुए हर कोने को देखा, लेकिन बाहर कुछ नहीं था। फिर भी, कुछ था। कुछ था जो उसे भीतर से खींच रहा था। उसे लगा जैसे कोई उसकी आत्मा को महसूस कर रहा हो। वह गहरे से सांस ली, और फिर धीरे-धीरे अपने कमरे की ओर लौट आई। “मैं इस सब को एक बार फिर से नहीं देख सकती,” उसने खुद से कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में विश्वास नहीं था। वह जानती थी कि वह इस रहस्य से बाहर नहीं निकल सकती। जो कुछ भी हो रहा था, वह उसे अपनी तरफ खींच रहा था। सिटी में उस रात, अद्रकाश खुराना एक अंधेरे कमरे में बैठा था, और उसकी आँखों के सामने CCTV स्क्रीन पर अवीरा की तस्वीर थी। वह स्क्रीन से नहीं हट रहा था, उसकी आँखों में एक खौफनाक खुशी थी। "तुम उसे नहीं पहचान पा रही हो, अवीरा," उसने मुस्कराते हुए कहा, "लेकिन बहुत जल्दी, तुम्हें एहसास होगा कि तुम्हारा हर पल, तुम्हारा हर कदम, अब मेरे हाथों में है।" अद्रकाश खुराना के चेहरे पर जो मुस्कान थी, वह एक घातक आदत की तरह फैल रही थी। यह जुनून था, जो उसे अपनी ओर खींच रहा था। और अवीरा को अब समझ में आ रहा था कि उसकी ज़िंदगी में यह नया किरदार सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं था, बल्कि वह खेल का मास्टर था। अवीरा के दिल में अब सवाल थे। क्या वह कभी इस जाल से बाहर निकल सकेगी? क्या अद्रकाश खुराना का जुनून उसे अपनी जद में पूरी तरह से समेट लेगा? या फिर, वह खुद को उस डर और उस आदत से मुक्ति दिला पाएगी? लेकिन अभी, यह केवल शुरुआत थी।
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