Madness Of The Shadow - Chapter 3 - Story Mania

Madness Of The Shadow - Chapter 3

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अवीरा के दिल में अब सवाल थे। क्या वह कभी इस जाल से बाहर निकल सकेगी? क्या अद्रकाश खुराना का जुनून उसे अपनी जद में पूरी तरह से समेट लेगा? या फिर, वह खुद को उस डर और उस आदत से मुक्ति दिला पाएगी? लेकिन अभी, यह केवल शुरुआत थी। उसकी आँखों के सामने CCTV स्क्रीन पर अवीरा की तस्वीर थी। वह स्क्रीन से नहीं हट रहा था, उसकी आँखों में एक खौफनाक खुशी थी। "तुम उसे नहीं पहचान पा रही हो, अवीरा," उसने मुस्कराते हुए कहा, "लेकिन बहुत जल्दी, तुम्हें एहसास होगा कि तुम्हारा हर पल, तुम्हारा हर कदम, अब मेरे हाथों में है।" अद्रकाश खुराना के चेहरे पर जो मुस्कान थी, वह एक घातक आदत की तरह फैल रही थी। यह जुनून था, जो उसे अपनी ओर खींच रहा था। और अवीरा को अब समझ में आ रहा था कि उसकी ज़िंदगी में यह नया किरदार सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं था, बल्कि वह खेल का मास्टर था। उस रात शहर की गलियाँ नीली स्ट्रीटलाइट्स में नहाई हुई थीं, पर अद्रकाश खुराना का कमरा — अंधेरे और जुनून का गढ़ बन चुका था। उसकी उंगलियाँ चमड़े की कुर्सी की कुहनियों पर थिरक रही थीं, और उसकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी — जैसे हर पल वो और इंतज़ार नहीं कर सकता। अवीरा उस रात को सो नहीं पाई। उसके दिमाग में हर पल वही संदेश, वही शब्द घूम रहे थे — "Careful on the stairs. The third one’s a little loose." और फिर दूसरा संदेश — "देखो।" उसके मन में डर और असमंजस का एक तूफ़ान था, लेकिन साथ ही, कुछ और भी था, एक अजीब सी कशिश। वह सोच रही थी कि क्या यह सब बस एक संयोग था या फिर उसके आसपास कोई अनदेखी ताकत काम कर रही थी। अवीरा की आँखें थकी हुई थीं, लेकिन नींद की बजाय उसकी चेतना अब जागृत हो चुकी थी। वह अपने कमरे के अंदर घबराई हुई, एक घेरा महसूस कर रही थी। घर में हर कोने में उसे वह छाया महसूस हो रही थी। वही अद्रकाश अविरा को सीसीटीवी से देख रहा था । "I’m closer than you think, Avira "तुम्हारे दिल की हर धड़कन अब मेरे पास रिकॉर्ड है, अवीरा," उसने बुदबुदाते हुए कहा, "तुम सोच भी नहीं सकती, तुम कब से मेरी हो..." अद्रकाश का अतीत — वह ऐसे ही जुनूनी नहीं बना था। अद्रकाश खुराना की ज़िंदगी में प्यार कभी ठहरा नहीं था, बस पिघलता रहा था — उसकी माँ की आँखों का सूना पानी, उसके पिता का खून से सना अतीत, और उसका अकेलापन... वह इंसान नहीं रहा था, एक परछाई बन गया था। अद्रकाश के लिए प्यार कभी फूलों भरा सपना नहीं था, वो एक हुकूमत थी — कब्ज़ा करने का अधिकार, और अब वह अधिकार उसने अवीरा पर ठोक दिया था। In present रात का दूसरा पहर — जब शहर सो रहा था, एक निगाह जाग रही थी। अद्रकाश की उंगलियाँ अब रुक गई थीं। उसकी आँखों में एक नई चिंगारी थी — एक साज़िश, एक अगला कदम। CCTV स्क्रीन पर अवीरा की साँसों की गति अब भी स्पीकर पर साफ़ सुनाई दे रही थी। वो करवट बदल रही थी। तकिये के नीचे हाथ रखते हुए वो सोने की कोशिश कर रही थी। "नींद में भी तेरा चेहरा देखता हूँ मैं..." अद्रकाश के होंठों से यह लफ़्ज़ खुद-ब-खुद निकले। उसका हर लम्हा, अद्रकाश का कब्ज़ा बन चुका था। नेक्स्ट मॉर्निंग, सूरज की किरणें जब खिड़की से छनकर कमरे में आईं, तो अवीरा उनींदी आँखों से जागी। उसने अलार्म की आवाज़ बंद की और सिर को तकिये में गाड़ लिया, जैसे कुछ और वक्त चाहिए उसे… खुद को संभालने के लिए। लेकिन उस रात की बेचैनी अब भी उसकी नसों में दौड़ रही थी। और फिर वो एहसास — कि कोई है… कोई, जो बहुत करीब है। “नहीं, अवीरा… तू overthink कर रही है।” उसने खुद को समझाया। और उठ कर वॉशरूम चली गई और जल्दी से अपने जोगिंग सूट पहन कर वापिस आई और अपने डेली रूटीन के अकॉर्डिंग जॉगिंग के लिए निकल गई। करीब 2 घंटे बाद अविरा जॉगिंग से वापिस आई तो उसे करण हॉल में सोफे पे बैठा चाय पीता हुआ दिखा वो उनके पास आई और बोली," गुड मॉर्निंग भाई।" करण जो न्यूजपेपर पढ़ रहा था उसका ध्यान अविरा पर गया उसने हाथ फैला कर बोला,"गुड मॉर्निंग अवि।" अविरा जल्दी से अपने भाई के गले लग गई। ओर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए करण ने मुस्कराते हुए सिर हिलाया। “वैसे आज शाम को थोड़ा फॉर्मल रहना — Adrakash Khurana डिनर पर आ रहा है।” “क्या?” उसके होंठों से बस यही निकला। करण ने अख़बार एक तरफ रखा, “हाँ, उसने खुद invite लिया है। कल call आया था — कुछ future projects discuss करने हैं। और... he also mentioned he’d like to know the family better.” “He’d like to know the family better…” ये शब्द अवीरा के कानों में जैसे अजीब सी गूंज छोड़ गए। वो कुछ बोलना चाह रही थी, लेकिन खुद को रोक लिया। उसके बाद करण खड़ा हुआ और उसके सिर पर हाथ रखते हुए बोला,"अनु अब जाओ और रेडी हो जाओ। में ऑफिस जा रहा हु । और रात को डिनर पर कोई शरारत मत करना। अपने भाई की बात सुनकर अविरा ने सिर हिला दिया। करण ने प्यार से अनु का माथा चूमा और ऑफिस के लिए निकल गया। वहीं अविरा ने अपने भाई को जाते हुए देखा और उसके बाद खुद भी अपने सीढ़ियों से होते हुए अपने कमरे की तरफ चली गई। कमरे में आई ओर सीधा वॉशरूम में चली गई। कुछ देर बाद अविरा वॉशरूम से निकली उसके बाल गिले थे। और उसने टॉवेल से अपने बालों को लपटे रखा था। और उसने बाथरोब पहन रखा था। कुछ देर में अविरा रेडी हो गई। और अपने कॉलेज के लिए निकल गई।
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