संगीता का मनोहर के कॉलेज में एडमिशन कराकर, मास्टर जी अपनी पत्नी को लेकर गाँव लौट गए थे।
मनोहर ने मास्टर जी को संगीता की सुरक्षा का पूरा आश्वासन दे दिया था।
लेकिन अभी तक मनोहर संगीता से नहीं मिले थे; इसलिए उनका मन बार-बार संगीता से मिलने का कर रहा था।
वह देखना चाहता था कि क्या वाकई संगीता के पास कोई वरदान था। अगले ही पल मनोहर ने अपनी सोच को झटक दिया था।
क्योंकि ये जादू वगैरह में वह यकीन नहीं करते थे।
मास्टर जी की बात सुनने के बाद मनोहर जी के दिल और दिमाग में एक जंग छिड़ गई थी।
वह मनोहर जी रोज़ की तरह हॉस्टल के राउंड पर गए।
गर्ल्स हॉस्टल में भी मनोहर का एक छोटा सा ऑफिस बना हुआ था जहाँ वह गर्ल्स हॉस्टल के छोटे-मोटे काम एक-दो घंटे के लिए किया करता था।
चूँकि आज मनोहर जी हॉस्टल के राउंड पर थे,
तो उन्होंने संगीता को ऑफिस में मिलने बुलाया।
संगीता पहले तो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर वह हिम्मत बांधकर मनोहर के ऑफिस की ओर चल पड़ी थी।
संगीता ने दरवाजे के बाहर जाकर हल्के से दरवाजा खटखटाया।
मनोहर ने अंदर से जवाब दिया, "अंदर आ जाओ।"
उसके बाद, थोड़ी डरी-सहमी सी संगीता मनोहर के केबिन में चली गई थी।
मनोहर ने जैसे ही संगीता को देखा,
वह देखता ही रह गया। वह बहुत ही खूबसूरत थी; उसे आसानी से कोई नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता था।
उसने संगीता से बात करनी शुरू की और उसे बताया
कि उसने मास्टर जी को गाँव भेज दिया है।
उसकी सारी ज़िम्मेदारी अब मनोहर की है।
उसको किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो, तो वह उसे किसी भी समय कॉल कर सकती है।
और एक और बात, मैं आपको बता दूँ, मैंने आपको कॉलेज में संगीता नाम से नहीं, गीता नाम से एडमिशन दिया है।" मनोहर ने कहा।
इस पर संगीता चौंकी और बोली, "क्या? पर क्यों? मेरा नाम तो संगीता है, गीता नहीं।"
वह पहली बार कुछ बोली थी। उसका बोलना ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने कानों में शहद घोल दिया हो; बहुत ही प्यारी और मीठी आवाज़ थी उसकी।
मनोहर उसकी आवाज़ में कहीं खो सा गया था। मनोहर उससे और कुछ सुनना चाहता था,
लेकिन उसके सवाल पूछने पर वह उसके ऊपर खतरे की बात बता देते हैं। मनोहर संगीता से कहते हैं, "वैसे तो उसे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है, लेकिन फिर भी तुम्हारी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मैंने तुम्हारा नाम संगीता से गीता रख दिया है।"
और वह कहते हैं, "अगर कोई तुमसे तुम्हारा नाम पूछे, तो तुम संगीता की जगह गीता अपना नाम बताना, ओके।"
संगीता ने हाँ में सिर हिला दिया था। वह अच्छे से समझ गई थी कि मनोहर जी जो कुछ भी कर रहे थे, वह उसकी भलाई के लिए ही कर रहे थे। वह मनोहर से विदा लेकर हॉस्टल रूम चली जाती है।
संगीता ने मनोहर से बहुत ही कम बात की थी, लेकिन उसका वह थोड़ा-बहुत बोलना मनोहर को अंदर तक भा गया था। और संगीता के जाने के बाद, मनोहर कितनी देर तक उसकी बातों में खोया रहा था!
वहीं दूसरी ओर,
ओम ठाकुर मास्टर जी से बड़ी ही बदतमीज़ी के साथ उनकी बेटी संगीता का पता पूछता है
और उनसे कहता है, "ओम ठाकुर एक बार जिस चीज़ को पाना चाहता है, वह पाकर रहता है। और बिना देखे ही आपकी बेटी को मैं अपनी पत्नी मान चुका हूँ। वह आप ओम ठाकुर की अमानत है, और वह उसे किसी भी कीमत पर पाकर रहेगा, समझे आप?"
"मैं अभी के लिए तो जा रहा हूँ मास्टर जी, पर मैं बहुत जल्द वापस आऊँगा; यह वचन है मेरा आपसे। चलता हूँ।"
ऐसा कहकर ओम ठाकुर वहाँ से चला जाता है, लेकिन उसकी इस बात से मास्टर जी बहुत ही ज़्यादा डर जाते हैं।
मास्टर जी सोचने लगते हैं, "यह शैतान मेरी बेटी को इतनी आसानी से जाने नहीं देगा। मुझे कुछ करना होगा। मैं अपनी बेटी को शैतान के हाथों में कभी भी नहीं जाने दूँगा, चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी क्यों ना करना पड़े।" और फिर मास्टर जी घबराहट में मनोहर को फ़ोन लगा देते हैं,
और ओम की कही हुई सारी बात मनोहर को बता देते हैं। मनोहर कुछ सोचते हुए कहता है, "मास्टर जी, आप फ़ोन मत कीजिए। अगर कभी कोई बात होगी, तो मैं खुद आपको कॉल कर लूँगा। हो सकता है आपकी बेटी के बारे में जानने के लिए कोई फ़ोन टैप कर रहा हो।" ऐसा सुनकर मास्टर जी फ़ोन काट देते हैं।
मनोहर की बात सच साबित हो चुकी थी; मास्टर जी का फ़ोन टैप किया जा रहा था। ओम ठाकुर ने मनोहर और मास्टर जी की एक-एक बात सुन ली थी।
ओम ने मास्टर जी के लास्ट नंबर की डिटेल निकालने के लिए गौरव को दे देता है और कहता है, "किसी भी तरह की कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए। मुझे इस नंबर के पीछे जिस शख्स का चेहरा है, उसका नाम, पता, पूरी डिटेल्स 24 घंटे के अंदर-अंदर मेरे सामने चाहिए।"
गौरव ने हाँ सर हिला दिया था, और वह जल्दी ही साइबर कैफ़े उस नंबर की डिटेल्स निकलवाने के लिए पहुँच चुका था। गौरव जानता था कि कोई इतनी आसानी से इस नंबर की डिटेल्स नहीं देगा, लेकिन पैसे और ओम ठाकुर के नाम में बहुत दम था,
तो इसीलिए गौरव ने मनोहर की पूरी डिटेल निकलवा ली थी।
मनोहर की डिटेल्स देखने के बाद गौरव कुछ देर सोचने लगता है, और फिर उसे ओम का उसके साथ किया गया बुरा बर्ताव याद आता है, और गौरव का मन अचानक से ही ओम की ओर से नफ़रत से भर जाता है।
गौरव मनोहर के एड्रेस में कुछ गड़बड़ कर देता है, और इतना ही नहीं, वह उसकी जगह, रहने का स्थान, सब कुछ बदल देता है। न जाने क्यों, वह अब नहीं चाहता था कि ओम ठाकुर संगीता तक पहुँचे,
क्योंकि पहले भी उन लोगों के सामने 17-18 लड़कियों का खून हो चुका था। वह अब नहीं चाहता था कि किसी और मासूम की जान जाए, क्योंकि ओम ठाकुर कोई एक इंसान नहीं था; वह एक दरिंदा था।
गौरव एक झूठा एड्रेस ओम ठाकुर के हाथ में थमा देता है, लेकिन ओम ठाकुर भी कुछ कम नहीं था। वह समझ गया था कि यह एड्रेस सही नहीं है,
क्योंकि जिस साइबर कैफ़े वाले ने गौरव को जो एड्रेस दिया था, वह ओम ठाकुर को बहुत अच्छी तरह से जानता था, क्योंकि उसका बाप ओम की हवेली में ही चौकीदारी का काम किया करता था। तो उसने साइबर कैफ़े वाले ने ओम को पहले ही मनोहर का पूरा एड्रेस दे दिया था।
जैसे ही ओम ने गौरव का दिया हुआ एड्रेस पढ़ा, ओम के चेहरे पर कितने ही भाव आकर रह गए थे, और वह खा जाने वाली नज़रों से गौरव की ओर देखने लगा था। अचानक से उनकी आँखों का रंग गहरा नीला होने लगा था।
गौरव समझ चुका था कि उसका झूठ पकड़ा गया है। इसीलिए उसने ना आव देखा ना ताव, और वह तुरंत ओम ठाकुर के पैरों में गिर पड़ा और उससे माफ़ी माँगने लगा था,
और बोला था, "तुम मेरा दोस्त हो; मैं यह नहीं चाहता था कि तेरे हाथों से एक और लड़की का खून हो। मैं नहीं चाहता था कि तू किसी और लड़की की जान ले; इसीलिए मैंने तुझे गलत पता दिया।" गौरव की बात सुनकर ओम थोड़ा-थोड़ा गुस्से से बाहर आया था,
और वह गौरव के कॉलर को पकड़कर बोला था, "तुझे कितनी बार कहा है मेरे मैटर से दूर रहा कर! अगर आज मेरा मूड ठीक नहीं होता, तो आज मैं तुझे कच्चा चबा जाता, समझा तू?"
ऐसा कहकर वह गौरव को एक साइड धक्का देकर मनोहर का सही वाला एड्रेस लेकर शहर की ओर रवाना हो जाता है।
दूसरी ओर, संगीता का आज कॉलेज का पहला दिन था।
उसको सब कुछ काफ़ी अजनबी सा लग रहा था। वह सहमी-सहमी सी कॉलेज आई थी।
तभी एक रैगिंग लड़के-लड़कियों का ग्रुप उसकी ओर बढ़ा।
सब उसे बहुत ध्यान से देख रहे थे। कोई उसके करीने से सँवरे बालों को देख रहा था, क्योंकि उसके बाल चोटी में गूँथे हुए थे,
जिसे देखकर सब लड़कियाँ हँस रही थीं, क्योंकि वे लोग बेहद फैशनेबल, स्मार्ट एंड खुले, स्ट्रेट बाल और न्यू टाइप की कटिंग कराए हुए थे। कुछ ने तो अपने बाल रंग-बिरंगे कलर करा रखे थे,
जहाँ संगीता को वे सब अजीब लग रहे थे, और उनको संगीता अजीब लग रही थी। तभी अपने प्रिंसिपल को वहाँ आया देख, सब के सब संगीता को बिना कुछ बोले क्लास में चले जाते हैं।
और मनोहर संगीता के पास आकर उसको क्लास में ले जाते हैं और वहाँ जाकर उसको इंट्रोडक्शन कराते हुए कहते हैं,
"हेलो स्टूडेंट्स! इनसे मिलिए; ये हैं गीता। इन्होंने आज ही कॉलेज ज्वाइन किया है।
मैं चाहता हूँ आप लोग इनसे दोस्ती करें और इनका सिलेबस कंप्लीट कराने में मदद करें।"
मनोहर की बात सुनकर सभी स्टूडेंट्स एक-दूसरे को देखकर हँसने लगे, और आँखों ही आँखों में कुछ बात करते हैं।
संगीता रीमा के साथ बैठ जाती है।
रीमा एक सीधी-सादी लड़की थी। उसे संगीता काफ़ी पसंद आई थी। दोनों में अच्छी जान-पहचान हो गई थी। आज पहले दिन उसे कुछ ज़्यादा समझ नहीं आया था।
तभी क्लास का एक शरारती लड़का, अजय, संगीता के पास आया और उससे बोला, "हाय मिस गीता! यू आर सो ब्यूटीफुल!" उसने कुछ ऐसे मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि सब के सब संगीता पर हँसने लगे थे।