फिमेल मेन किरदार : अवनी शर्मा मेल मेन किरदार : आर्यन मितल ये कहानी है आर्यन मितल और अवनी शर्मा की दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं। इनकि मुलाकात देहरादून में हुई और पहली मुलाकात में दोनों इक दूसरे को दिल दे बैठे। दोनों कि फैमिली ने इन दोनों क... फिमेल मेन किरदार : अवनी शर्मा मेल मेन किरदार : आर्यन मितल ये कहानी है आर्यन मितल और अवनी शर्मा की दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं। इनकि मुलाकात देहरादून में हुई और पहली मुलाकात में दोनों इक दूसरे को दिल दे बैठे। दोनों कि फैमिली ने इन दोनों का रिश्ता अपनी-अपनी पसंद के अनुसार पहले ही तय कर दिया था। आर्यन और आरोही दोनों स्टेनजर है। इक दूजे को बिल्कुल पसंद नहीं करते लेकिन अपनी फैमिली के दबाव में आकर दोनों ने शादी के लिए हां कर दी। तो दूसरी तरफ अवनी का आशिक दिव्यांश कपूर जो अवनी से एकतरफा प्यार करता है, अवनी कि फैमिली से अवनी और अपने रिश्ते के लिए हांमी भरवां ली...........,क्या होगा अवनी और आर्यन कि मोहब्बत का......? क्या आर्यन आरोही से अपना रिश्ता तोड़ेगा......?या अपनी मोहब्बत अवनी से दूर रहेंगा??
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ये कहानी है आर्यन मितल और अवनी शर्मा की दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं। इनकि मुलाकात देहरादून में हुई और पहली मुलाकात में दोनों इक दूसरे को दिल दे बैठे। दोनों कि फैमिली ने इन दोनों का रिश्ता अपनी-अपनी पसंद के अनुसार पहले ही तय कर दिया था। आर्यन और आरोही दोनों स्टेनजर है। इक दूजे को बिल्कुल पसंद नहीं करते लेकिन अपनी फैमिली के दबाव में आकर दोनों ने शादी के लिए हां कर दी। तो दूसरी तरफ अवनी का आशिक दिव्यांश कपूर जो अवनी से एकतरफा प्यार करता है, अवनी कि फैमिली से अवनी और अपने रिश्ते के लिए हांमी भरवां ली...........,क्या होगा अवनी और आर्यन कि मोहब्बत का......? क्या आर्यन आरोही से अपना रिश्ता तोड़ेगा......?या अपनी मोहब्बत अवनी से दूर रहेंगा?? क्या दिव्यांश अवनी को किसी ओर का होने देगा?? क्या होगा आर्यन और अवनी के प्यार का......?? और कितने रिश्ते जुड़ेंगे इनकि लवस्टोरी के साथ और कितने लवर्स कि लाइफ बदल जाएगी..............?? जानने के लिए पढ़ें मेरी ये स्टोरी और प्लीज अगर आप अच्छे स्टोरी राइटर है तो मुझे गाइड करें ताकि मै इस ये स्टोरी को अच्छी तरह और कम्पलीट कर सकू.........और आप इतना तो जानते ही होंगे कि जब तक इक week स्टूडेंट को कोई अच्छा मेथ टीचर नहीं मिलता तब तक उसे मेथ समझ नहीं आती।
तो प्लीज गाइड करें मुझे और कमेंट्स,स्टिगर से प्रोत्साहन करें।
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Intro.......... Mittal family
Aaryan mittal g.mother : saavitri Devi
Aaryan ke father : chiraag mittal
Aaryan ki mother: Dr. gayatri devi
Aryan's sisters: vedehi and aakansha
Vedehi ke husband : arjun
Vedehi ki beti: natasha
Chiraag ke bade brother: aniruddh mittal
Aniruddh ki wife: aachal
Aryan's cousin's : Kritika, Nitin
Aryan ke friend : adhiraj Rawat and Ritesh Singh
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अब ये कहानी शुरू होती है दिल्ली से:-
2 January 2005........
दिल्ली के एक सीटी होस्पीटल में एक आरोही शर्मा नाम की लड़की नर्सिग सिख रही है । आरोही को नर्सिंग सिखा रही डॉ गायत्री देवी उसे बहुत पसन्द करती है। गायत्री देवी काफी बड़े घराने से हैं। गायत्री देवी का परिवार राजस्थान के कोटा जिले में रहता है गायत्री देवी के परिवार में गायत्री कि सांस सावित्री देवी जो कि विधवा बुजुर्ग महिला है। परिवार की मुखिया सावित्री देवी हैं। सावित्री देवी के दो बैठे हैं अनिरुद्ध और चिराग।
अनिरुद्ध और उनकी पत्नी आंचल अपने दोनों बच्चों (कृतिका और नीतिन) के साथ मुंबई में रहते हैं और कभी कभी महीने भर में दो तीन दिन के लिए अपने घर राजस्थान आ जाते हैं। मगर राजस्थान में तों घर सिर्फ नाम का हैं। क्योंकि अनिरुद्ध तों मुम्बई में सैटल हो गया अपने परिवार के साथ राजस्थान में तों सिर्फ उनकी मां और भाई चिराग रहते हैं।
चिराग के एक बेटा और दो बेटिया है दोनों बहनों की शादी हो चुकी है बड़ी बहन वेदेही गुजरात में अपने पति अर्जून और बेटी नताशा के साथ रहती है। तो चिराग कि छोटी बेटी आकांक्षा अपने हब्बी राघव और सांस ससुर के साथ जयपुर में रहतीं हैं। आर्यन अपनी मां गायत्री देवी के साथ दिल्ली में अपने खुद के फ्लैट में रहता हैं आर्यन दिल्ली के नामी पी जी कालेज से एमकोम कर रहा है और गायत्री देवी दिल्ली के सी टी हॉस्पिटल में एज ए सिनियर डॉक्टर जॉब करती है और न्यू डॉक्टर्स को गाइड करती है।
उन्होंने काफी स्टूडेंट्स को ट्रैनिंग दीं हैं और वो स्टूडेंट्स आज डॉक्टर्स कि टॉप लिस्ट में शामिल हैं।
कभी गायत्री देवी स्टूडेंट्स को सख्ती से, तो कभी प्यार से समझाया करतीं थीं। गायत्री देवी के टोटल स्टूडेंट्स उनकी रस्पेक्ट करते हैं। क्योंकि डॉ गायत्री देवी के लिए सब एक समान और इम्पोटेन्ट थें।
आज वो आरोही को कुछ समझा रही थी। और आरोही भी अपना पूरा ध्यान समझने में लगा रही थी.......! आरोही को नर्सिंग के बारे में बहुत कुछ समझाने के बाद डॉक्टर गायत्री अपने कैबिन कि तरफ चली गई। लेकिन वो अकेली नहीं गई अपने साथ आरोही को भी अपने कैबिन में लेकर गईं थीं।
डॉ गायत्री अपने कैबिन में रखें सोफे पर बैठ जाती है और आरोही को दो कप चाय बनाने के लिए कहती है...........!
और कुछ ही समय में आरोही चाय बना कर ले आती है और गायत्री देवी के साथ सोफे पर बैठ कर चाय पीने लगती है........, कुछ देर दोनों कोई बात नहीं करती बस अपनी अपनी चाय खत्म करने लग गई..........!
वे दोनों चाय पीने के बाद अपने अपने खाली कप वापस ट्रै में रखती है कि अचानक से इक वोडबोय भागता हुआ डॉ गायत्री के कैबिन में आया।
उस वक्त गायत्री आरोही से बोल रही थी कि आरोही बेटी तुम्हारी हाथों में जादू है अभी सरदर्द इतना ज्यादा था और तेरे हाथों से बनीं चाय पीने के बाद यूं गायब हो गया।
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गायत्री और आरोही ने देखा वो वोडबोय हांफते हुए कुछ कह रहा था लेकिन उन दोनों को क्लीयर कुछ सुनाई नहीं दे रहा..........., इसीलिए आरोही उसके पास जाकर उसे पानी का गिलास देती हुई बोली 'भैय्या आप पहले थोड़ा पानी पिएं। और फिर आराम से बताएं...............क्या हुआ.....?
वोडबोय ने आरोही के हाथ से पानी का गिलास लिया और इक ही सांस मे पानी पी गया और फिर बोला " डॉ इक इमरजैसी एक्सीडेट केस आया है.........................छ सात साल कि बच्ची का................वो बूरी तरह से घायल है..........जल्दी चलिए.............. डॉ.............उसे बचा लिजीए.......प्लीज............!
ये सब बोलते वक्त वोडबोय कि आंखो से आंसु बहे जा रहे थे वो बहुत ज्यादा घबराया हुआ था ।
वोडबोय कि बात सुनते ही गायत्री और आरोही बाहर पहुचे और उस लडकी को देखते ही गायत्री ने दो वोडबोय जो उनका .........गायत्री देवी का इन्तजार कर रहे थे।
गायत्री ने इमरजैसी वोड मे लडकी को तुरन्त ले जाने के लिए कहा और आरोही के साथ दो सीनीयर ओर्थोपेटीक सर्जन डॉ रियान और डॉ युवराज को अपने साथ इमरजैसी वोड मे चलने का ओडर दिया। वो तीनो तुरंत रेडी हो गए और डॉ गायत्री के साथ उस इमरजैंसी वोड के अंदर चले गए।
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वैसे ! तो होस्पीटल मे हर वक्त इमरजैंसी केस आते रहते है मगर ये केस.........ये केस ! इमरजेंसी तों था लेकिन........... इसमें वो बच्ची इन्जर्द थी जो डॉ गायत्री के लिए भी बहुत खास थी।
डॉ गायत्री और दोनो ओर्थोपेटीक सर्जन डॉ रियान और डॉ युवराज ओपरेशन स्टाट कर चुके थे । और आरोही उन्हे बेन्टेज, कोटन, कैची, दवाई ,सुई ,धागा, इंजैक्सन वगैरा जो भी ओपरेशन मै जरूरी सामान यूज होता है वो दे रही थी।
अचानक...........तीनो डॉ सिरीयस हो गए! उसका इक हाथ फैक्चर था और सिर मै गहरा घाव यहा तक तो कैस नोर्मल था लेकिन जब डॉक्टर गायत्री कि नजर उसके सिर मै घाव के तरफ गई तो उन्होने आरोही से पुलिस स्टेशन फोन करने को कहा और उन्हे एमरजैंसी मे होस्पीटल बुलाया.............!
'गायत्री देवी के फोन करने के पांच मिनट बाद आई. पी. एस. अधिराज रावत जो कि ईमानदार और अपने काम के लिए हमेशा सुर्खियो मे रहते है । दो कॉस्टेबल अपने साथ लेकर तूरंत सी टी होस्पीटल पहुचे।
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इसके आगे कि कहानी पढने के लिए अगले पार्ट का वेट करे।
धन्यवाद
लेकिन यहा पर अधिराज अपने भाई विराज को देखकर चौक गए............! थोडी देर बाद उनके समझ मे आ गया कि हो ना हो ये केस विराज ही इस होस्पीटल मे लाया है। अधिराज अपने भाई को अच्छे से जानता था ।
वो विराज से पुछना चाहता था लेकिन आज तो विराज कि हालत भी कुछ ठिक नही थी........इसीलिए अधिराज रिस्पेशनल से उस लडकी का बायो पुछने लगता है और रिस्पेशन गर्ल ने जवाब देते हुए कहा ' सर...! लडकी का नाम अनन्या चौहान और पिता का नाम विराज चौहान.......उम्र 6 वर्ष........वो जो उस ओपरेशन वोड के बाहर जो सर बैठे रो रहे है..........वो लेकर आए है उसे........!
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अब तो अधिराज कि आंखे भी नम थी उसके सामने छोटी सी अनन्या कि यादे रील बनकर आ रही थी। अधिराज दो साल पहले अपने घर से दिल्ली सिफ्ट हुआ था इसीलिए वो दो साल पहले हंसती खेलती अनन्या को छोडकर यहा दिल्ली अपनी ड्यूटी करने आया था लेकिन अक्सर वो अनन्या से कॉल पर बात किया करता था तो वो अपनी मासूमियत भरी आवाज मे बोलती चाचू..........मुझे आपके साथ खेलना है! आप अपनी गुडिया के साथ क्यू नही खेलते?? चाचू आप कब आओगे....?? आपकी गुडिया मिस करती है अपने चाचू को...........आप मुझे मिस नही करते चाचू..........?? अधिराज बहुत ज्यादा बीजी था। बहुत से केस और पुरानी फाइल्स ओपन कि थी अधिराज ने............इसीलिए अनन्या से वो कहता था आप के चाचू बहुत जल्दी आएगे.........गुडिया और आपको मिस भी करते है चाचू...........आपसे बहुत प्यार करते है आपके चाचू.....!
वो अनन्या से तो अक्सर बोलता था कि जल्दी आऊगा।
लेकिन इधर उसने 'मास्टरमाइंड क्रिमीनल गैंग' खुंखांर टाइगर
का आठ साल पुराना केस रिओपन करके गैग से दुश्मनी मोल ले ली ।
डॉ ने अधिराज को कॉल पर बताया कि 'बच्ची को गोली छू कर गई है और ये एक्सीडैट शायद किसी ने जानबुझकर करवाया है ।
दो घंटे से वो चारो उस वोड के अंदर थे। अधिराज अभी डॉ का ओपरेशन वोड के बाहर इन्तजार कर रहा था।
और जब ओपरेशन करने के बाद बाहर लाइट ऑफ हुई तो अधिराज उस दरवाजे के बाहर इन्तजार करने लगा और इधर तीनो डॉक्टरो ने अब राहत कि सांस ली और एक दूसरे को बधाई देते हुए रूम का दरवाजा ओपन करके बाहर आ गए।
डॉ को देखते ही अधिराज और विराज दोनो पुछते है ' अब कैसी है हमारी बच्ची.........?? विराज का तो समझ आ रहा था लेकिन अधिराज इतना परेशान........क्यो??
जी वो ठिक है दो घंटे बाद उसे दूसरे वोड मे शिप्ट कर दिया जाएगा। और आठ दस घंटे बाद उसे होश भी आ जाएगा.............'डॉ गायत्री ने कहा और गायत्री कि बात सुनकर विराज अधिराज से लिपट कर रोने लगा और अधिराज उसे चुप करवाते हुए बोला ,''भाई अब ठिक है आपकी लाडली और मै आपसे वादा करता हू। ये जिसने किया है उसे मै छोडूगा नही........! लेकिन आप मुझे इक बार डिटेल मे पुरी बात बता दे.........प्लीज!
हा......इतना कहकर विराज अधिराज को रोते हुए बताता है जिसे होस्पीटल स्टाफ भी ध्यान से सुनते है........!
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'अधिराज विराज का छोटा भाई है जो कि विराज से छः साल छोटा है इनके मम्मी-पापा कि कुछ सालों पहले इक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। उस वक्त अधिराज चौदह साल का था और विराज उन्नीस। विराज के चाचा-चाची ने दो साल तक विराज और अधिराज का अच्छे से ख्याल रखा लेकिन वो अब इन दोनों बच्चों को अपने पास नहीं रखना चाहते थे। इसीलिए विराज कि शादी करने का फैसला करते हैं और इसमें विराज को कोई आपत्ती नही होती।
कुछ दो तीन महीने में विराज का रिश्ता संध्या से तय हो जाता है और फिर दोनों कि इक महीने के अंदर शादी हो जाती है। और फिर संध्या अधिराज और विराज अपने खुद के घर में रहने लगते हैं।
संध्या अधिराज के पापा के दोस्त कि बेटी है। वो काफी समझदार और जिम्मेदार है। संध्या ने अधिराज या विराज को कभी कोई शिकायत करने का मौका नहीं दिया। संध्या और विराज को शादी के दो साल बाद इक बेटी हुई जिसका नाम अनन्या अधिराज ने रखा था। अब छ साल की हो गई है। '
Continue......
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................15 दिन पहले........जब मै तुमसे कॉल पर बात कर रहा था तब संध्या अपने मायके जाने के लिए तैयार हो रही थी । और तुम्हारे कॉल कट करने के बाद मै संध्या और अनन्या को रेलवे स्टेशन छोडने गया था और उनको ट्रैन मे बिठाकर मै वापस घर लौट गया।
मै घर लौटकर आया तो देखा संध्या अपना मोबाइल भूल गई.........! मै परेशान होकर उसे मन ही मन कोस रहा था कि अचानक अपने घर के दरवाजे पर किसी कि आहट हुई, मैने पलट कर देखा तो वहा कोई नही था।
लेकिन फिर जैसे ही मै अपने रूम कि तरफ बढा......! दुबारा किसी कि आहट सुनाई दी। इस बार मैने सोचा शायद संध्या अपने मोबाइल के चक्कर मे वापस आ गई........!
फिर मैने आवाज दि........संध्या क्या तुम हो जो मेरे साथ लुखाछिपी खेल रही हो...... लेकिन संध्या कि बजाय किसी आदमी कि आवाज आई......वो बोला......संध्या और तुम्हरी बेटी...........दोनो दिल्ली थोडी गई है..........! वो तो.........
इतना बोलकर वो आदमी मेरे सामने आ गया, देखने मै काफी अच्छे घर का लग रहा था.......लेकिन पता नही क्यो वो ऐसी बाते बोल रहा था..........!
अधिराज बोला......... continue bhai......
'वो आदमी इतना हि बोला कि मेरा दिल घबराने लगा और फिर मैने उस आदमी से पूछा'..............क्या?? क्या वो तो........बोलो.......बोलो ना......क्या वो तो.........
उस आदमी ने अपनी गन निकाली और फिर बोला......'तुम चिन्ता मत करो.......? वो दोनो यहा से तो दिल्ली ही जा रहे है।....लेकिन दिल्ली से यहा वापस नही आ पाएगे......! और हा ज्यादा चालाकि मत करना अपनी बीवी को ये बताने कि वरना तुम अपनी बीवी को तो खोकर ही रहोगे।
अपनी बच्ची को भी खो दोगे........युवा.....युवा से दुश्मनी मोल ली है। अधिराज ने...........! इसका अंजाम देखना पडेगा........अधिराज को.........!.मै तुम सबकी जिन्दगी तबाह कर दुगा............और हा अपनी बीवी और बेटी को सही सलामत देखना चाहता है तो ठिक दस दिन बाद हमारे अड्डे पर आ जाना......और अधिराज को इस बारे मे बताने कि कोशिश भी कि तो अच्छा नही होगा.......।
उस आदमी ने मुझे इक कार्ड दिया जिसमे उस अड्डे का पता लिखा हुआ था..........! वो मुझे कार्ड देकर चला गया।
ये दश दिन इतने मुश्किल से गुजरे इक इक दिन मुझे इक महीने जैसा लग रहा था। दश दिन हो गए तो मै उस पते को तलाशकर वहा पहुचा। वहा पर कोई था ही नही.......मैने चारो तरफ अच्छे से देखा लेकिन मुझे कोई इक बंदा भी वहा दिखाई नी दिया.......,दिखाई कहा से देगा.....?? वहा पर त़ो सिर्फ मै था मेरे अलावा और कोई नही........मैने पुरे दिन इन्तजार किया लेकिन कोई नही आया मै निराशा......के साथ वहा से तुरतं निकल आया।
घर का दरवाजा खुला था। लेकिन मै तो दरवाजा लौक करके गया था.................फिर ये दरवाजा खुला कैसे हो सकता है।
.........मै घर के अंदर गया तो मैने देखा वहा संध्या थी वो मेरा इंतजार कर रही थी। संध्या को देखते ही मैने राहत कि सांस ली लेकिन संध्या कि आखे आसुओ से भरी थी।
वो दौडकर मुझसे लिपट गई.......! और जोर-जोर से रोते हुए अपने आप को कोसने लगी। मेरी शर्ट उसके आंसुओ से भीग गयी। संध्या के पिछे से चार लोग ओर निकलकर बाहर आए।जो पहले से घर मे छिपे हुए थे।
पढ़ते रहिए.......
वो लोग आकर संध्या के सिर पे गन रखकर उसे वहा से लेकर जा रहे थे और बोल रहे थे ये अब आपकी पत्नी नही हमारे बोस को उनकि पुरी जिंदगी मे पहली बार कोई लडकी पसंद आई है......और वो उससे शादी करके हमेशा हमेशा के लिए उसे अपनी बनाना चाहते है..........और पता है वो लडकी कौन है.............तुम्हारी वाइफ संध्या।
विराज कि आखो से आंसू बहे जा रहे थे और वो अधिराज को उन पिछले पन्द्रह दिनो के बारे मे इक इक बात बता रहा था।
अधिराज को अब बहुत गुस्सा आ रहा था उसकि आंखो मे जैसे खुन उतर आया था...........! अधिराज ने पानी मंगवाया तो आरोही दो गिलास पानी ले आयी और उन दोनो भाई को दिया......।
अधिराज ने विराज को पानी पिलाया और फिर विराज से कहा
Continue.........
विराज ने आगे बताना शुरू किया ' वो संध्या को ले जाते उससे पहले ही मेरा दोस्त आर्यन घर आ गया आर्यन को मैने ही बुलाया था इसीलिए वो उस वक्त देहरादून आया हुआ था और मैरे साथ हमारे घर मे ठहरा था और उससे मैने अपनी प्रोब्लम शेयर कि...........! वो समझ गया की ये लोग कुछ उल्टा करेगे। इसीलिए उस वक्त आर्यन और मैने उन लोगो को खूब धोया। और फिर उन लोगो को हमारे घर के अलग अलग खाली कमरो मे बंद करके हम लोग दिल्ली आ गए और अनन्या को अपने साथ लेकर हम आर्यन के फ्रेंड आशीश के घर पिछले चार दिन से ठहरे हुए थे। लेकिन ना जाने कैसे उन लोगो को हमारे बारे मै पता चला वो संध्या को लेकर चले गए।और मै उस वक्त घर पे नही था लेकिन अनन्या ने उन लोगो को संध्या को जबरदस्ती अपनी गाडी मे बिठाकर ले जाते देख लिया। वो उस वक्त घर के पास वाले पार्क मै अपने दोस्तो के साथ खेल रही थी.........लेकिन जब उसने ये सब देखा तो वो डर गई लेकिन फिर वो उस गाडी के पीछे भागने लगी और मै जब घर जा रहा था तो अनन्या पर मेरी नजर पडी।
वो भागते भागते बोल रही थी पापा मम्मी को कोई अंकल ले जा रहे है। रोको उन्हे उसकी बात सुनते ही मैने आगे देखा तो वो गाडी वापस रिवर्स आकर मेरे पास रूक गई और उसमे से इक करिब पैतीस साल का हैंडसम लडका उतरा और चलकर मेरे पास आ गया इतने मै अनन्या भी गाडी के पास पहुच गई थी।
वो मेरे गोल गोल चक्कर लगाए जा रहा था और मुझे अपनी बाते सुना रहा था वो मुझसे बोला,"क्या लगा था तुम्हे......?
तुम मुझसे बचाकर रखोगे.......मेरी जान को।
इतना आसान थोडी है मुझसे बचना......'टाइगर..... टाइगर' नाम है। और लोग मुझसे डरते हैं इसलिए मैंने अपना नाम खुंखार टाइगर रख लिया।
वो मुझे बाते सुनाए जा रहा था तो मेरी बेटी ने इस वक्त का फायदा उठा कर उसकि कारो को पक्चर कर दिया। चार कार थी। हर इक कार के दो टायर पक्चर कर दिए। और उन लोगो को कुछ पता भी नही चला। और फिर वो जाकर जिस कार मै संध्या थी उसकी डिग्गी मै छुपकर बैठ गई।
मुझे डर लग रहा था। कि कही मेरी बीवी और बच्ची दोनो को मै खो ना दू। लेकिन मै उनसे अब लड भी तो नही सकता। लेकिन फिर मैने इक कोशिश कि और उस टाइगर के मुह पर इक जोर का मुक्का मारा और वो इक हि बार मै जाने कैसे बेहोस हो गया। उसके सारे आदमियो का ध्यान हम पर से हटकर उस टाइगर पर चला गया और मैने उस वक्त का फायदा उठाकर संध्या को आपके घर का पता बताकर वहा भेज दिया और जल्दी से उस गाडी कि डिग्गी से अनन्या को लेकर वहा से भाग कर वही आसपास छुप गया और उनलोगो को जैसे ही पता चला संध्या गाडी मे नही है। वो लोग इक दूसरे को सवालियत भरी नजरों से देख रहे थे कि टाइगर होस मे आ गया और उन सब पर उसे बहुत गुस्सा आया वो उन लोगों पर चिलाने लगा। उस वक्त सच में वो किसी खुखांर शैर से कम नहीं लग रहा था। तभी वहां इक लड़का अपनी कार से उतरकर आया। वो लड़का मुझे जाना पहचाना लग रहा था। हां वो लड़का युवा था। अपनी कार से उतरकर टाइगर के पास आया और उसका मज़ाक बनाने लगा। वो टाइगर को बोल रहा था ।
कुछ देर उन्होने इधर उधर ढूंढा और जब हम लोगो मे से कोई भी नही मिला तो वो लोग वहा से चले गए। उनकि पांचो कार पंक्चर थी और वो ये देखकर हैरान हो गए कि सभी कार एक साथ पक्चर हुई और वो भी इक हि साइड के दो दो टायर.........कुछ हि देर मे उन्होने इस गुत्थी को सुलझा लिया।और किसी को फोन करके तुरंत तीन कार मगवाई। और फिर वो लोग चले गए। और उन सभी कार के लिए पांच लड़को को छोड़कर गए। वो लड़के वहा से तुरंत अपनी अपनी कार लेकर शायद मैकेनिक के पास या फिर कही ओर पता नही पर वो चले गए । लेकिन मुझे थोडा डाउट था इसलिए मै अनन्या को लेकर वही पर दस मिनट रहा।
फिर अनन्या को प्यास लगी तो वो मेरी गोद से उतरकर भागती हुई । सडक पर चली गई और जाने कहा से वो टाइगर आया और अनन्या पर गोली चला दी लेकिन किसी लड़की ने ठिक टाइम पर अनन्या को साइड मै कर लिया। और वो लडकि वहा से चली गई। लेकिन उस टाइगर से ये देखा नही गया तो उसने इक ट्रक के ड्राइवर पर गोली चलाई। और वो ट्रक बेकाबू होकर अचानक से पलट गया। लेकिन वो ट्रक ड्राइवर न जाने कब ट्रक से कुदकर भाग गया। और अनन्या को ट्रक से टकर लग गई। फिर मै भागकर जल्दी से उसे यहा लेकर आ गया।
इतना बोलकर विराज ने अधिराज से पूछा,'भाई आपका घर लोक तो नही है ना। वो मैने आपको बताए बगैर ही संध्या को वहा भेज दिया।
विराज कि बात सुनकर अधिराज बोला' हां भाई लोक नही है खुला ही है और वहा हमारी इक दादी मां अभी मौजूद है और दो गार्ड भी है........वो पहचानते है संध्या को मैने अपने परिवार के बारे मे अपने गार्ड को बताया है। कभी वो लोग आपको एंटर करने से मना ना करे। इसीलिए बताया है उनको.........
होस्पीटल स्टाफ मेंबर को बहुत दुख हुआ इनकी ये स्टोरी सुनकर..............लेकिन गायत्री तो पहले से जानती थी। आर्यन ने उन्हे इनके बारे मे बताया था।
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इधर अधिराज खुद होस्पिटल मे है लेकिन अपने भरोसेमंद अंडर ग्राउंड ओफिसरो को टारगेट दे दिया और वो लोग जो अंडर ग्राउंड है मिशन पर लग गए अब इस 'खुखांर टाइगर' का किस्सा हमेशा हमेशा के लिए ऑफ करना होगा।
इस अंडर ग्राउंड टिम मे चार शार्फ सुटर तीन टीम कमांडर और दो गनमैन मतबल टोटल नौ लोग थे। इनके अलावा अधिराज और दो हैकर थे, जो इनकी लोकेशन.......टाइगर कि लोकेशन और टाइगर के मोबाइल को हैकिंग करके उसकी कॉल डिटेल निकालकर ओफिसरो कि हर मुमकिन मदद करते.......।
उन्होने टाइगर के मोबाइल को ट्रेस करके टाइगर कि एग्जेक्ट लोकेशन अधिराज तक पहुचाई। और अधिराज ने अंडर ग्राउंड टिम तक लोकेशन पहुचाई। वो लोग उसी डाइरेक्शन मे जा रहे थे। जहा टाइगर था। लेकिन टाइगर को किसी ने पहले से हि चेता दिया था। इसीलिए वो उन लोगो को अपना पीछा करता देखकर तुरंत उन पर हमला कर दिया।
इस हमले के जवाब मे उन ओफिसरस ने उसे शूट कर दिया। और इक गोली लगते ही उसकि डेथ हो गयी।
'सबको इक आश्चर्य हो रहा था.......खुंखार टाइगर इतना नाजूक था फिर वो कैसे गैगस्टार बना होगा। लेकिन रियलिटि तो यही थी वो अपने नाम कि दहशत और डर देखकर खुश होता था। बट उसमे इक गैगस्टार वाली बात हि नही थी। वो लडका जैंटलमैन था।ये बात उसकी मौत के बाद सामने आई। वो किसी भी तरह के नशे का आदी नही था।
यह केस यही सोल्व हो गया और उसका डर लोगो के मन से निकल गया।
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करीब सात महीने बाद................
अनन्या और उसके मम्मी पापा अब दिल्ली मै अधिराज के साथ रहते थे। और वो सब खुश थे तो अनन्या कि खुशी का तो क्या ही कहना। रोज चाचू से नयी-नयी डिमांड करती और अधिराज उसकी हर इक डिमांड पूरी करता।
इक बार संध्या और विराज ने इस बात का फायदा उठाकर अनन्या से कहा,"अनु बैठा आपके चाचू आपकी हर इक डिमांड पूरी करते है, आपको चाची चाहिए कि नही।
उन दोनो कि बात का असर अनन्या पर हो गया और अधिराज जैसै हि घर आया अनन्या चाय लाकर चाचू को देकर उनके पास टेबल पर बैठ गई ,' अधिराज को मालूम हो गया कि आज फिर कोई न्यू डिमांड करेगे।
और ऐसा हि हुआ अधिराज से अनन्या बोली,' चाचू मुझे चाची चाहिए। आप चाची लाओ, ना ! मैरे लिए..........!
अनन्या कि बात सुनकर अधिराज हडबडाकर उठता हुआ बोला..........अनन्या बैठा चाची कोई चीज नही है जो आपको मै खरीदकर ला दू!............इतना बोलकर अधिराज अपने रूम मे जाकर सो गया।
लेकिन अब अधिराज को 2 साल पहले कि यादे परेशान कर रही थी.......और वो उन यादो को महसूस कर रहा था ख्वाबो के जरीए................
अधिराज आज किसी के ख्वाबो मे खोया था। वो इक लडकी के ख्यालो मे था। वो लडकि जिससे अधिराज रोज मिलने के बहाने ढूढता रहता था।........हालांकि उस लडकी से अधिराज कि कभी बात नही हुई!............लेकिन इक आस थी अधिराज को......, कि वो इक दिन उससे बात करेगी। और इसी आस मे वो हर रोज उसकी कोलेज के आसपास ड्यूटि के बहाने खडा़ रहकर उसका नजरो से दिदार किया करता। लेकिन कभी अधिराज ने उससे बात नही कि,क्योकी वो नही चाहता था उसे कोई प्रोब्लम हो।
वो लडकि मुस्लीम थी उसका नाम था ..........'फलक खान' वो भी अधिराज को पसंद करती थी। लेकिन कभी अधिराज से उसकी कोई बात नही हुई।
उसे देखकर लगता तो यही था कि वो अधिराज से बात नही करना चाहती........लेकिन वो अधिराज से बात करना चाहती है। बस उसे बात करने के लिए इक ऐसे वक्त कि तलाश है।
जब उसके आसपास कोई उसका कज़न ब्रो ना हो.....।
फलक दिखने मे बहुत ज्यादा खूबसरत थी......और चेहरे की खूबसूरती से भी ज्यादा खूबसूरत था.........फलक का दिल.........और उसके दिल मे बसा था........सिर्फ और सिर्फ अधिराज..........!
........करीब दो महीने बाद.........
फलक ने इक कोशिश कि......अधिराज से बात करने कि 'वैसे तो अधिराज रोज उसे वहा कोलेज के बाहर रोज ड्यूटी करता ही मिलता था। लेकिन आज अधिराज वहा नही था......!
फलक परेशान होकर कोलेज चली गई। उसने सोचा कोलेज से वापस घर जाऊगी तो........वो उसे चिट के थ्रू बताएगी कि उसे अधिराज से बाते करनी है। और उस चिट मै लिखा था, 'कॉफी कल कोलेज कैटिन मे मेरे साथ'......................फलक!
लेकिन अधिराज आज वहा नही आया। फलक ने वहा ड्यूटी कर रहे इक ओफिसर से पुछा जिसे वो हमेशा अधिराज के साथ यहा देखती थी।
आपके आई पी एस सर नही आए क्या आज......?? 'फलक ने पुछा'
जी मैम उनको एर्जेन्ट इक कैस आ गया तो वो उसी कैस को हैंडल कर रहे है...........इसीलिए आज यहा नही आए।' ओफिसर ने कहा'
ओके.....! इतना बोलकर फलक वहा से जा ही रही थी......कि उस ओफिसर ने उसे रोकते हुए कहा...........'वैसे! मैम आपको कोई काम है उनसे तो आप मुझपर भरोसा कर सकती है।
इतना सुनकर फलक ने चीट निकाल कर उसे देते हुए कहा............,उनको दे देना....बिना पढे!
उसने फलक से चीट लेकर कहा..........जी मैम!
इसके बाद फलक घर चली गई और उस ओफिसर ने अधिराज को कॉल के थ्रू सारी बात बता दी।
अधिराज तुरंत कोलेज के पास जाकर वो चीट उस ओफिसर से रिसीव करके पढने लगा.......उस चीट को पढकर अधिराज कि खुशी का कोई ठिकाना नही था।
लेकिन डर भी था उसे.........फलक को खो देने का......वो पूरे दिन सोचता रहा कि आखिर उसे क्या बात करनी होगी।
ना वो मुझे ठिक से जानती है,ना मै उसे........खैर.......वो तो कल पता चल ही जाएगा.......उसकि कोलेज कैफे मे..........!
अचानक अधिराज के कानो मे अनन्या कि आवाज सुनाई दी.............चाचू उठो! उठो चाचू........!
अनन्या कि आवाज से अधिराज कि नींद और ख्वाब दोनो अधूरे रह गए.........वो ख्वाब नही था। वो हकिकत थी.....अधिराज कि लाइफ का इक ऐसा हिस्सा थी जिसे अधिराज पूरी जिन्दगी नही भूलने वाला......लेकिन आज डेड साल बाद फिर उसकि यादे अधिराज के दिमाग मे रील और ख्वाब बनकर चलने लगी। वो भी अनन्या कि इक ख्वाहिस के कारण..................!
इधर अनन्या ने अधिराज के हाथो मे चाय से भरा कप थमा दिया।और अधिराज चाय पीते-पीते उसे फिर याद करने लगा।
उसकी चीट पढकर अधिराज को बहुत खुशी होती है और उसे उस दिन इक रात भी बहुत ज्यादा लंबी लगती है और उसके बारे मे सोचते सोचते कब उसे नींद आ गई पता ही नही चला......फिर तो सुबह ही उसकी आंखे खुली। फिर वो नहा धोकर तैयार होकर सुबह की चाय पिकर घर से निकलकर कोलेज कैटीन पहुच गया । आज अधिराज पुलिस यूनिफोर्म कि बजाय ब्लैक शर्ट और ब्लू जीन्स मे था......वो अच्छा लग रहा था। वो कैटीन कि इक टेबल पर बैठकर फलक का इन्तजार कर रहा था
कुछ देर के इन्तजार के बाद फलक कैटीन आकर अधिराज के साथ इक टेबल पर बैठ गयी। और इक ओर चीट अधिराज को थमाकर......तूरंत वहा से चली गई।
पढ़ते रहिए.....
अधिराज को कुछ समझ मे नही आया.....वो उसे जाते हुए देख रहा था और सोचने लगा कि ये कैसी अजीब लडकी है। कल तो इसे बात करनी थी और आज ना हाय.....हैलो.....!
चीट थमा दी.......और बिना कुछ बोले चली गईघर पर मेड आई और अधिराज के कपडे़ जो बिल्कुल मैले नही थे लेकिन बिस्तर पर फैले थे। उन्हे जमाकर.........अधिराज के रूम कि साफ सफाई करके बाकी का काम निबटाकर चली गई।
आज डेड साल बाद........
उस चीट को अभी तक अधिराज ने नही पढा। वो पूरी तरह अपने काम मे बीजी हो गया और वो कोलेज कि तरफ भी नही जाता था..........आज जब उसे वो चीट याद आई तो उसने अपनी अलमारी के डौर को ओपन किया और उसमे बने इक छोटे बोक्स को ओपन करके उसमे रखी अपनी पूरानी डायरी निकाली और उसके पनो को उलटपूलट करने के बाद उसमे से इक चीट निकालकर उस चीट को ओपन करके पढने बैठ गया।
अधिराज चीट के अन्दर क्या लिखा था इस बात से बिल्कुल अनजान था.........l
वो आज फिर उसी कोलेज के बाहर खडा था क्योकि वो जानता था कि अभी उसका फाइनल चल रहा है तो वो उसे यहा मिल जाएगी। और जैसा अधिराज ने सोचा वैसा ही हुआ। वो कोलेज आई लेकिन अधिराज को देखकर भी अनदेखा करके अन्दर चली गई।
और अब अधिराज को उसके कोलेज से बाहर आने का इन्तजार था..........वो कोलेज से चुपचाप अपने घर कि तरफ जा रही थी और अधिराज ने उसका नाम लेकर उसे रोका..........और उसके पास जाकर..........माफी मागते हुए कहा........'sorry falak ! I'm really sorry........!
प्लीज माफ कर दो..........! फलक मैने आज तक वो चीट पढी नही.......! मै बहुत बीजी रहा हु। कल अनन्या ने कहा चाचू मेरे को चाची चाहिए।
तब से मै तुम्हारे बारे मे सोच रहा था और आज मुझे तुम्हारी वो चीट याद आई........और मैने पढ ली......l
फलक रूवासी होकर बोली.......“मुझे लगा आपको चीट पढकर भी मेरे दिल का हाल..........मेरी मोहब्बत नजर नही आई........इसीलिए शायद आपने मुझे जवाब देना जरूरी नही समझा............l
अधिराज ने फलक का हाथ पकडकर उसे अपनी तरफ खीचकर अपनी बाहो मे भर लिया। और उसके कान मे फुसफुसाते हुए कहा.......'वैसे! वो कोई चीट नही थी जो तुमने मुझे दिया है ह ना............अधिराज कि बात सुनकर वो बोली ‘लव लेटर'............!
अधिराज के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। और फिर उसने फलक से पुछते हुए कहा,'मेरे घर चलोगी.......मेरे भैय्या-भाभी और अनन्या से मिलने??
फलक ने हामी भरते हुए कहा,' हा अधिराज'
अधिराज को फलक के मुह से अपना नाम सुनकर बहुत अच्छा लगा। उसने फलक से कहा 'इक बार फिर से बोलो'
फलक बोली 'हा चलो आपके घर........!
हम्म्म हूं...........ये नही मेरा नाम बोलो ‘अधिराज ने फलक से कहा'
ओहह्ह......नो!
आपका नाम क्या था........??
आपका नाम तो मै भूल गई,.....'इतना बोलकर फलक अधिराज की तरफ सवालियत नजरो से देखने लगी.......?
अच्छा जी.....हमारा नाम इतनी जल्दी भूल गई.....कोई नी हम चलते अपने घर तुम जाओ जहा जा रही थी.......'इतना बोलकर अधिराज अपनी बाइक कि ओर बढ जाता है.....और फलक भी अधिराज के पिछे चली जाती है अधिराज ने फलक को इग्नोर किया और अपनी बाइक पे बैठकर सिल्प स्टार्ट किया.....अधिराज बाइक चलाकर निकल ने वाला ही था कि फलक अधिराज के पिछे बाइक पे आकर जल्दी से बैठ गई और अपना हाथ से अधिराज के कंधे पर रख दिया।
अधिराज को यू फलक का बाइक पे बैठना अच्छा लगा लेकिन उसने फलक को इगो दिखाते हुए कहा
'उतरो....!उतरो! अभी के अभी बाइक से।
'अधिराज ने गर्माहट भरे लहजे में कहा'
फलक थोड़ी देर के लिए तो चुपचाप अधिराज कि तरफ देख रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद वो अधिराज से बिना कुछ बोले बाइक से उतरकर अपने घर कि तरफ जाने लगी। उसे यूं जाता देखकर अधिराज जल्दी से बाइक से उतरकर उसके पिछे तेज़ी से दौड़कर आया। लेकिन.............फलक तो अपने कज़न के पास पहुंच चुकी थी। तो अब अधिराज को अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि तभी वहां आर्यन आ गया।
2 साल पहले:-
दरअसल आर्यन और फलक इक ही कोलेज में पढ़ते हैं और फलक कि पहली झलक अधिराज को आर्यन के कारण ही देखने को मिली।
क्योंकि पहली बार अधिराज आर्यन से मिलने कोलेज आया था और उसी वक्त जब अधिराज और आर्यन कैंटिन में कॉफ़ी , पीते हुए बातें कर रहे थे वहां उसके बैच कि इक लड़की आयी और कुछ प्रैक्टिकल फाइल के बारे में पूछकर गई थी। अधिराज ने आर्यन से उसका नाम पूछा तो आर्यन ने बताया कि उसका नाम फलक है।
प्रैजेन्ट..............
आर्यन ने अधिराज के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा 'अधिराज तू यहां! मुझसे मिलने आया है क्या.....?? यार फोन पर तो बात कर लिया कर कभी। या फिर अब इस दोस्त कि जरूरत नहीं होगी है ना।
अधिराज आर्यन कि बातें सुनकर मुस्कुराता हुआ बोला' मैं यहां आया तो अपने काम से ही था। बट कोई नहीं अब तू टक्करा ही गया है तो थोड़ी बातें तुझसे भी कर लेते हैं । लेकिन कैफ्य में कॉफ़ी पीते-पीते इतना बोलकर अधिराज और आर्यन कोलेज के पास में इक कैफ्य में पहूंच गए। और दो कप कोल्ड कॉफ़ी ओडर करके बातें करने लगे।
आर्यन अधिराज से बोला ,''वैसे इक बात बता!...... तुम्हें मेरे कोलेज में कौनसा काम था , जिसे करने के लिए तुम यहां आएं थे।
आर्यन कि बात सुनकर अधिराज के चेहरे पे स्माइल आ गई, वो बोला,'वो पूराना काम था जो दो साल पहले अधूरा रह गया था। बस आज उस काम कि एफ आई आर नजरो के सामने आ गई। तो उस एफआईआर के सिलसिले में यहां पूछताछ करने आया था।
लेकिन देख ना यार एफआईआर दर्ज करवाने वाला ही नाराज होकर हाथ से निकल गया।और मैं उसे रोक भी नहीं सकता था। क्योंकि वो अपने कजन के पास चली गई।
कौन चली गई अपने कजन के पास??? और किसने की एफआईआर ???और किसके खिलाफ....??, तू क्लीयर बता ना यार।, मेरे दिमाग में तो तेरी ये बातें घुस ही नहीं रही।
'आर्यन ने अधिराज से कहा'
फलक! और कौन हो सकती है......! अधिराज ने आर्यन से कहा'
ओह! मतलब.......! तूने उसे सब कुछ बता दिया। तू जो फिलिंग्स रखता है,फलक के लिए। मतलब आज तू फलक को अपनी फिलिंग्स बताने आया था......! 'आर्यन एक्साइड होकर बोला'
आर्यन को देखकर अधिराज की आंखें खुली की खुली ही रह गई। आर्यन और अधिराज की टेबल की तरफ कोई तेज कदमों से चलता आ रहा था शायद अधिराज उसी को देखकर चौक गया। आर्यन ने तो ध्यान नहीं दिया लेकिन अधिराज ने उसे कैफ्य में आते देख लिया था।
कौन था वो जो इनके पिछे पिछे कैफ्य पहुंच गया। क्या वो फलक है ? अगर फलक है , तो अधिराज उसे देखकर चौंका क्यू? आखिर कोलेज तो अधिराज फलक के लिए ही आया था। जानने के लिए पढ़ते रहिए।
अब तक आपने पढ़ा......
गायत्री होस्पिटल मे आरोही को कुछ नर्सिंग के बारे में समझाती है और फिर उसके साथ अपने कैबिन में चली जाती है। गायत्री के लिए आरोही चाय बनाकर लाती है और दोनों चाय पीकर कप टेबल पर रखते हैं। की तभी वहां इक वोडबोय हाफता हुआ पहुंच जाता है और गायत्री और आरोही को इमरजेंसी एक्सीडेंट कैस के बारे में बताता है। जिसे सुनकर आरोही के साथ गायत्री तूरंत वहां पहुंच जाती है। वहां दो वोडबोय उनका ही इन्तजार कर रहे थे। गायत्री उन्हें पैशेंट को इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट करने को बोलती है और कुछ देर बाद दो आर्थोपेटीक सर्जन डॉक्टर रियान और युवराज के साथ आरोही को इमरजेंसी वोड में अपने साथ ले जाती है।
कुछ देर बाद जब डॉ गायत्री उस बच्ची के हाथ पर हुए घाव कि तरफ ध्यान से देखती है तो वो समझ जाती है कि ये एक्सीडेंट् किसी ने जानबूझकर करवाया है। डॉ गायत्री आरोही से आई पी एस अधिराज रावत को कॉल करके इमरजेंसी होस्पीटल बुलाने को बोलती है और आरोही तूरंत अधिराज को होस्पीटल आने को बोलती है। कुछ देर बाद अधिराज अपने दो कोस्टेबल के साथ होस्पीटल पहुंचकर देखता है कि उसका भाई विराज ओप्रेशन रूम के बाहर बैठा लगातार रोए जा रहा था। अधिराज रिस्पेशन पर जाकर उस बच्ची का बायोडाटा पुछता है। उसका बायोडाटा जानकर अधिराज भी उदास आंखों से आंसू बहाने लगता है। कुछ देर बाद जब डॉ गायत्री और बाकी तीनों ओप्रेशन रूम से बाहर आते हैं तो अधिराज और विराज उनकी तरफ उम्मीद से देखते है। डॉ गायत्री उन्हे बताती है कि अनन्या अब ठिक है और उसे जल्दी होश आ जाएगा। गायत्री कि बात सुनकर वो दोनो राहत कि सांस लेते है। फिर अधिराज विराज से इस एक्सीडेन्ट कि a to z डिटेल मे जानकारी हासिल करता है। और विराज कि इन्फोर्मेशन के थ्रू उसे पता चलता है। कि ये वो ही गैंग है जिसका आठ साल पूराना केस उसने रिओपन किया है। अब अधिराज को बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने अपनी भरोसेमन्द अंडर ग्राउंड टिम को टारगेट दे दिया और कुछ ही दिन मे टाइगर का एनकाउंटर हो गया। फिर अधिराज के भाई विराज और उनका परिवार अधिराज के साथ दिल्ली मे शिफ्ट हो गया। और दो साल तक सब बिल्कुल नोर्मल रहता है इनकि लाइफ मे और दो साल बाद जब अनन्या ने अपनी मम्मी पापा की बात सुनकर ,अधिराज से कहा चाचू मुझे चाची चाहिए, ऐसी ख्वाहिश रख दी। जो कि संध्या और विराज ने जानबूझकर अनन्या से कहलवाया था। अधिराज अब दो साल पहले कि यादो मे खो गया था। और उसे अचानक से वो चिट जो फलक ने दो साल पहले उसे दी थी। वो याद आ जाती है। और वो उस चीट को पढकर।फलक से मिलने उसकी कोलेज चला जाता है। और उस दिन फलक उसे कही नजर नही आती तो फिर दूसरे दिन वो कोलेज के बाहर इन्तजार करता है। इस बार फलक उसे इग्नौर करती है। जिसके बाद अधिराज फलक से सारी बात क्लीयर करता है। और कुछ ही देर मे दोनो के बीच प्यारी सी लडाई होती है और फलक अपने कजन के पास चली जाती है। और अधिराज उसे यू जाता देख उसके पिछे आता है लेकिन फिर वो उसके कजनस को देखकर रूक जाता है तभी वहा आर्यन आकर अधिराज से कोलेज आने का रिजन पूछता है। लेकिन अधिराज उसे क्लीयर बात नही बताता और कैफ्य चलकर बात करने का आर्यन को बोलता है और दोनो कैफ्य मे आकर बाते करने लगते है। लेकिन कोई उनका पिछा कर रहा था। और अधिराज ने उसे नोट किया।
Continue.........
अधिराज उसे नोटीस कर रहा था। लेकिन वो जो उनका पिछा कर रहा था वो ये नहीं जानता था ।
वो बेफ्रिक कैफ्य में आकर अधिराज और आर्यन के पास वाली टेबल पर बैठकर अधिराज और आर्यन के ऊपर अपनी नजरें एकटक जमाएं था।
कुछ देर तक आर्यन और अधिराज बातें करते रहे और फिर अधिराज ने आर्यन से कहा' अब ड्यूटी का वक्त हो गया है भाई अब हमें चलना चाहिए।
अधिराज की बात सुनकर आर्यन बोला ' हां हां भाई! बिल्कुल चलना चाहिए। लेकिन मेरी इक शर्त मानोगे तभी तुम यहां से जा सकते हों। वरना.........…!
वरना....…! वरना क्या? 'अधिराज आर्यन कि तरफ देखकर शख्त लहजे में बोला'
आर्यन हड़बड़ाता हुआ बोला,'वरना ! वरना....……कुछ नहीं! आप बिना सुने भी जा सकतें हो।
अच्छा! अच्छा...... चल जल्दी बोल ज्यादा टाइम नहीं है मेरे पास जल्दी पुलिस स्टेशन के लिए निकलना होगा मुझे।...... 'अधिराज आर्यन से बोला'
अधिराज! कल तुम मेरे घर आओगे और हां फलक को तो मैं इन्वाइट कर दूंगा, किसी पार्टी के बहाने ।..........बाकी तुम अपनी फैमिली को भी हमारे घर लाओगे। 'आर्यन पूरी बात क्लीयर बोलता उससे पहले ही अधिराज ने उसकी बात को काटते हुए कहा' सॉरी! यार...…..……! अभी मुझे निकलना होगा तुम जिस भी पार्टी वार्टी का प्लान बना रहे हो मुझे कल कॉल करके बता देना। और हां कोई भी बात जो परिवार से ताल्लुक रखती है उसे आम मत करना। जैसे अभी हम जिस जगह है वहा हमे हमारे परिवार या किसी भी दोस्त वगैरा का जिक्र नहीं करना।
तुम तो जानते हो कितने बड़े खतरे में फस गया था मेरा परिवार!
मै नहीं चाहता कि अब मुझसे रिलेटिव किसी भी यार, दोस्त या परिवार को कोई ख़तरा अपने घेरे में फसा ले। इसीलिए जो भी प्लेन बनाने का सोच रहा है। जरा सोच समझ कर बनाना।
अधिराज कि बातें आर्यन को कुछ ही देर में समझ आ गई। आर्यन ने अधिराज से कहा 'ठिक है भाई, मै आपको कल कॉल पर अपने प्लान के बारे में बताता हूं।
आर्यन का जवाब सुनकर अधिराज कैप्य से बाहर निकल आया। लेकिन आर्यन अभी कैप्य में ही था। अधिराज के बाहर निकलते ही वो आदमी भी बाहर निकल आया और अपने फोन से किसी का मोबाइल नम्बर डायल किया। और कॉल लगा कर ब्लूतूथ कनेक्ट किया ।
दूसरी तरफ से किसी ने कॉल रिसीव करते ही उस आदमी से पूछा ,'काम हुआ कि नही....…? और तुम्हे पता चला या नही कौन है वो लडकी?? बोलो ! जल्दी बोलो! मेरे पास इतना टाइम नही है कि मै व्यस्त करू।
जी....! कौनसा काम ? ? और किस लडकी कि इन्फोर्मेशन दू मै आपको......?? वैसै! टाइम तो मेरे पास बिल्कुल भी नही है। लेकिन आपके लिए तो टाइम ही टाइम है। 'इधर से किसी कि जोरदार आवाज सुनकर ही दूसरी तरफ से कॉल कट हो गया।
कौन था जो अधिराज का पिछा कर रहा था?? वो कौन था जो इन्फोर्मेशन जानना चाहता था?? कॉल के दूसरी तरफ से किसकी जोरदार आवाज आई ?? कॉल कट क्यू हो गया?? जानने के लिए पढते रहीए...........…!
शुक्रिया
आपने पिछले पार्ट मे पढा..........
कोई अधिराज और आर्यन को लगातार फोलो कर रहा था। और अधिराज को उस आदमी पर डाउट हुआ तो उसने क्लियर करने के लिए उस आदमी पर इस तरह नजर जमाई कि उसे बिल्कुल अंदाजा नही हुआ कि अधिराज को मालूम हो चुका कि वो उन्हे फोलो कर रहा है। और वो कैफ्य मे आकर अधिराज के बगल वाली टेबल पर बैठकर उन पर नजरे जमा लेता है। अचानक अधिराज आर्यन को कहता है कि अब ड्यूटि का वक्त हो गया है। अब हमे चलना चाहिए।
और आर्यन उसे कहता है हा भाई अब चलना चाहिए लेकिन मेरी इक शर्त मानोगे तो ही.....…!वरना!
अधिराज आर्यन का वरना! शब्द सुनकर बोलता है.............वरना! क्या?
'वरना भी आप जा सकते हो' आर्यन अधिराज से कहता है तो अधिराज उसे अपनी शर्त बोलने को कहता है। और जब आर्यन बातो को घुमा घुमाकर बोलने लगता है। तो! अधिराज उसकी बातो को काटते हूए। उसे याद दिलाता है कि उसकी फैमिली अभी अभी इक खतरे से सुरक्षित हुई है। तो ये जगह ठिक नही है अपने परिवार या दोस्तो के बारे मे बात करने के लिए। अगर कोई प्लान बना रहे हो तो सोच समझकर बनाना और मुझे कॉल पर बताना। मै नही चाहता अब मुझसे रिलेटिव कोई भी सदस्य किसी तरह कि मुसीबत मे फस जाए। इतना बोलकर अधिराज जब कैफ्य से बाहर निकलता है तो वो आदमी भी अधिराज के जाते ही बाहर आकर किसी को फोन मिलाता है। लेकिन उसके मोबाइल से किसी कि जोरदार आवाज दुसरी तरफ वाले व्यक्ति के कानो मे पडती है और वो जल्दी से कॉल कट कर देता है।
Continue.......
वो आवाज अधिराज कि थी। जिसे सुनकर दूसरी तरफ वाले आदमी ने कॉल कट कर दिया। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। वो इक अंधेरे कमरे मे इक झूले पर बैठा था। उसने अपना फोन जोर से फर्श पर फेक दिया और चिलाया........'अधिराज! आई पी एस अधिराज रावत! तुम्हारी वजह से मेरी जिन्दगी बरबाद हो गई। और मुझे बर्बाद करके, तुम! अपनी जिन्दगी बनाने चले हो। नही! नही! कभी नही...............! मै तुम्हारी जिन्दगी तुमसे छिन लूगा। तुमने मेरी जिन्दगी बर्बाद कि। मै तुम्हारी जिन्दगी के हर इक पल मे जहर घोल दूंगा। तुमने मेरे भाई को.....! मेरे जिगर के टुकडे को! मुझसे हमेशा हमेशा के लिए दूर कर दिया। मै अपने उस मरे हुए भाई! टाइगर कि कसम खाकर कहता हू। मै तुम्हे जीते जी मार दूगा। उसकी आंखो मे खून सवार था। गुस्से मे उसका चेहरा बहुत डरावना लग रहा था।
उसकी आवाज सुन कर उसके दो गार्ड उसके रूम के पास आकर अन्दर रूम मे झाककर देखने कि कोशिश कर रहे थे। कि वो आदमी किससे बात कर रहा है लेकिन अधेरे कि वजह से उन दोनो को तो वहा पर कोई भी मगर उस आदमी को वो दोनो नजर आ गए। उसने दोनो का नाम लेकर कहा ' रामू काका, श्यामू काका आइये! अन्दर। बाहर से क्या देख रहे हो?? आराम से अन्दर आकर सामने से देखो। वो दोनो डरते हुए कमरे के अन्दर चले गए।
दूसरी तरफ आर्यन कैफ्य से बाहर आया तो अधिराज के साथ अपने क्लासफेलो को देखकर चौक गया। आर्यन अधिराज के पास पहूचता उससे पहले ही अधिराज उस लड़के को लेकर वहा से पुलिस स्टेशन के लिए निकल गया। आर्यन को अभी तक कुछ क्लीयर समझ नही आ रहा था। कि अधिराज उसके क्लास्मेट को क्यो लेकर गया।
आर्यन ने अभी अधिराज से रंजित के बारे मे पुछना ठिक नही समझा। लेकिन फिर भी आर्यन को ना जाने क्यो रंजित के लिए गिल्टी फिल हो रहा था। वैसे तो आर्यन और रंजित की कभी आपसी बातचीत नही होती लेकिन रंजित जैसा जिंदादिल लड़का उसने अपनी लाइफ मे पहली बार देखा। और रंजित कि छवि आर्यन कि नजरो मे बहुत सच्ची और अच्छी थी।
रंजित कोलेज के बेस्ट बेचलर स्टूडेट्स मे से इक था। बहुत सारी लडकीयो कि पहली पसन्द रंजित ही था। रंजित 5.11(पांच फिट ग्यारह इंच) हाईट का हैडसम लड़का,जिसकी आईज डार्क ब्राउन, ब्लैक ईयरिंग जो इक कान मे पहनता था, हैयर कट लेफ्ट-एंड राईट ईयर साइड से चार इंच उपर तक जीरो और बाकी सैंटर बाले बाल पांच छ इंच लंबे थे। जिन्हे कभी वो राईट साइड सैट करता तो कभी लेफ्ट साइड उसके हैयर पर टिचर्स अक्सर उससे नाराज रहते थे। लेकिन उसके रिजल्ट को देखकर वो लोग खुश हो जाते।
रंजित के बारे मे सोच सोचकर आर्यन को तेज सिरदर्द होने लग गया। वो अपने फ्लेट मे आकर सीधे अपने रूम मे चला गया। गायत्री अभी होस्पीटल मे थी। तो आर्यन अपने बेड पर जाकर लेट गया और थोडी देर मे उसे गहरी नींद आ गई। गायत्री रात को होस्पीटल से घर नही आई। सुबह जब आर्यन के चेहरे पर बालकनी के दरवाजे से तेज धुप आई तो आर्यन कि नींद खुली।
आर्यन का ध्यान उस वक्त सीधा बालकनी पर गया,बालकनी का दरवाजा खुला देख वो हडबडा कर उठा और बेड से उतरकर रूम से बाहर आते हुए गायत्री को आवाज लगा रहा था। आवाज लगाते लगाते वो होल मे रखे सोफे पर बैठकर चारो तरफ नजरे घुमाते हुए बोला,"मां......मां क्या आप घर पर नही हो। मां मेरी चाय बना दो ना। इतने मै उनके फ्लैट का दरवाजा ओपन होता है और फिर बंद हो जाता है। आर्यन दरवाजे कि तरफ देखता है। और बोलता है! मां! आप इतनी सुबह सुबह कहा घुम कर आ रही हो। मै आपको कब से आवाज लगा रहा था। मुझे क्या पता कि आप घर पर हो कि नही। चलो अब आप मेरे लिए चाय बना दो। मै नहाकर आता हू।
इतना बोलकर आर्यन बाथरूम कि तरफ चला गया। और गायत्री बिना कुछ बोले आश्चर्य से किचन मे चली गई। और चाय बनाने लग गई। और नाश्ता भी बनाने का सोचकर वो नाश्ता बनाने मे झूट गई।
आर्यन कोलेज के लिए तैयार होकर टि टेबल के पास आया।और चाय का कप उठाकर चाय पीने लग गया। गायत्री ने चाय तो पहले से टेबल पर रख दी। लेकिन पराठे वो अभी बना रही थी। तो आर्यन को आवाज देकर बोली,"आर्यन बेटा नाश्ता करके जाना, आर्यन ने अपना जवाब दिया ,'हां मां अगर नाश्ता बन गया तो लगा दो। अभी।
अच्छा इक काम कर आर्यन किचन मे आकर अपनी नाश्ते कि डिश ले जा टेबल पर और गर्म गर्म पराठा खा। तब तक मै और पराठे बना लेती हू। अधिराज और उसकी फैमेली आ रही है आज हमारे यहा नाश्ते पर.............!
आर्यन अपनी मां कि बात सुनकर चौक गया। लेकिन थोडि देर मे उसने अपना कोलेज न जाने का मूड बना लिया।
वो आदमी कौन था जो उस अधेरे कमरे के अन्दर अधिराज कि जिन्दगी तबाह करने कि फिराक मै है। जानने के लिए आगे पढते रहीए.....
शुक्रीया
पिछले पार्ट मे आपने पढा.....
कैफ्य से बाहर निकलते हुए आर्यन ने देखा कि उसके क्लासफैलो रंजित को अधिराज अपने साथ स्टेशन ले जाता है। आर्यन को अधिराज का यू रंजित को पकडकर ले जाना अच्छा नही लगता।
काफि देर तक आर्यन रंजित के लिए गिल्टी फिल करता है और रंजित के बारे मे सोचते सोचते आर्यन का सिरदर्द होने लगता है। वो अपने फ्लैट आकर अपने रूम मे रेस्ट करने लगता है। और उसे गहरी नींद अपने आगोश मे ले लेती है फिर आर्यन कि नींद दूसरे दिन खुलती है। और वो अपनी मां को अपने रुम से बाहर होल मे आकर जोर जोर से आवाज लगाने लगता है। लेकिन उस वक्त गायत्री घर पर नहीं थी। कुछ देर बाद गायत्री होस्पिटल से घर आई और आर्यन गायत्री को देखते ही बोला की आप कॉफी बनाओ तब तक में कॉलेज के लिए तैयार होकर आता हूं। गायत्री आर्यन के लिए नाश्ता भी बना देती है और आर्यन को बताती है कि आज अधिराज और उसकी फैमिली हमारे यहां आने वाली हैं। आर्यन जो कोलेज जाने की जल्दी में था गायत्री कि बात सुनकर कोलेज जाने का अपना प्लान बदल देता है।
अब आगे.........
गायत्री किचन का काम निपटाकर अपने रूम कि तरफ चली गई। और आर्यन ने फलक को इन्वाइट किया अपने घर पर तो फलक ने आर्यन से कोई सवाल जवाब ना करके तुरंत उसके घर पहुंचना बेहतर समझा।
फलक आर्यन के फ्लेट पर लगभग नौ बजे तक पहूंची, फलक काफी समय पहले ही आ गई थी तो आर्यन ने उसे गायत्री के पास उसके रूम में भेज दिया।
गायत्री के रूम के बाहर पहुंचकर वो नौक करती इससे पहले ही गायत्री ने उसे कहा,"अन्दर आ जिओ फलक.....…!
फलक : (रूम में प्रवेश करती हुई) अरे ! वाह.......आप को कैसे पता चला मैं आ गई..... मैंने तो जरा भी आवाज नहीं कि...... यहां तक कि मैं पांव भी बहुत हल्के हल्के रखकर आईं हू। ताकि आपकि नींद खराब ना हो।
गायत्री: अरे....! नहीं......फलक बेटा......मै सो नहीं रही थी......और मुझे मालूम है........डौरबेल भी इसीलिए नहीं बजाईं तुमने........ क्यूंकि तुम नहीं चाहती थी कि मैरी नींद तुम्हारी वजह से टूटे।
फलक: हां.....! लेकिन आपकी नींद तो टूट गई......।
गायत्री: अरे......! नींद टूटती तब......जब मैं नींद में होती.......अभी मैं सिर्फ रेस्ट कर रही हूं! सो नहीं रही हूं।
फलक: अच्छा! तो आपके लिए कॉफी या चाय कुछ बना दू।
गायत्री: नहीं! नहीं! तुम बस मेरे पास बैठो, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
फलक: जी! किस बारे मैं??
गायत्री : तुम्हारे और अधिराज के बारे में। कर सकतीं हूं?? या नहीं। बताओ.......!
फलक : जी....... बेशक कर सकतीं हैं।
गायत्री: तो तुम मुझसे इक वादा करो.......तुम अधिराज को हमारे बीच की बात नहीं बताओगी।
फलक: जी! में आपसे प्रॉमिस करती हूं! मै अधिराज से हमारे बीच की बात डिस्कस नहीं करूगी। लेकिन अगर वो बात मुझे ठीक लगी तो.........!
गायत्री: अच्छा तो फिर हम अभी ये बात नहीं करेंगे, सब लोग अभी साथ तो होंगे ही। मगर ये बात हम अभी नहीं करेंगे।
फलक: जरूरी बात हैं क्या.......…?
गायत्री : हां हमारे लिए तो जरूरी है बाकि तुम जानों और अधिराज जाने।
फलक : ओह्हो! मतलब हमारे रिलेशनशिप से रिलेटेड है वो बात...., फिर तो आप का डिसीजन बिल्कुल सही है आंटी…!
गायत्री : फलक! बैठा मुझे आंटी मत बोलो, अधिराज मुझे मां बोलता है तो तुम भी मुझे मां ही बोलों....... अगर तुम अधिराज का जिंदगीभर साथ निभाना चाहती हो..... उसे अपना बनाना चाहती हों, उसके साथ जिंदगी गुजारना चाहती हो तो............ उससे पहले तुम्हें उसके अपनो को अपना बनाना होगा…! क्या तुम उसके अपनो को अपना बनाना के लिए तैयार हो............?
फलक : जी......…! मां.......मै पूरी ईमानदारी से कोशिश करूंगी।
फलक और गायत्री अन्दर रूम में बातें कर रहे थे कि तभी डौरबेल बजी......। आर्यन बाहर ही बैठा था तो दरवाजा ओपन करने वो ही गया।
अब तक आपने पढा.....
गायत्री आर्यन का नाश्ता लगाते हुए बोलती है,,,आज हमने अधिराज को उसकि फैमिली के साथ डिनर पर बुलाया है,,, दोपहर तक आ जाएंगे वो,,,,
गायत्री की बात सुनकर आर्यन अपना कोलेज जाने का प्लेन कैंसिल कर देता है और फलक को अपने घर इन्वाइट करता है फलक भी आर्यन से कोई सवाल जवाब नहीं करती और नौ बजे के करीब ही वो आर्यन के घर पहुंच जाती है।
आर्यन फलक को गायत्री के रूम में भेज देता है और फलक और गायत्री बातें करने लगती है। गायत्री फलक से उसके और अधिराज के रिलेशनशिप को लेकर बात करना चाहती थी लेकिन साथ ही वो ये भी चाहती थी कि फलक अधिराज से हमारे बीच हुई बातचीत शेयर न करें।
गायत्री और फलक बातें कर रहे होते हैं और डौर बेल बजती है आर्यन बाहर होल मे बैठा था तो दरवाजा ओपन करने चला गया,,,,
अब आगे………
आर्यन दरवाजा ओपन करता है और बाहर का सिन देखकर दंग रह जाता है,,,,बाहर अधिराज और रंजित दोनों साथ खड़े थे और संध्या और विराज अपनी बेटी अनन्या को साथ लेकर पार्किंग से आर्यन के घर कि तरफ आ रहे थे,,,
अधिराज इन्तजार कर रहा था कि कब आर्यन उनके सामने से हटेगा और वो घर के अन्दर जाकर गायत्री से मिलेगा। लेकिन आर्यन तो जैसे रंजित को अधिराज के साथ देखकर जम गया था।
अचानक से अनन्या दौड़ते हुए आई और आर्यन से लिपटकर बोली चाचू……,, चाचू हमारा इन्तजार कर रहे थे, क्या आप,,,? चलो जल्दी से मुझे अपनी फलक चाची से मिलवाओ आपने कहा था मुझे कि फलक चाची से मिलवाओगे अपने घर पर आज,,, कहां है चाची,,,??
अनन्या बेटा पहले अपने चाचू से तो मिल लो,,, चलों अन्दर आ जाओ सब,,, वैसे अधिराज मुझे तुमसे इक बात क्लीयर करनी थी,, 'आर्यन अधिराज से बोलता हुआ अनन्या को अपनी गोद से उतारता है ''
हां बताओ,, अभी क्लीयर कर दूंगा,,!
वैसे किस बारे में करनी है बात,,,,'अधिराज आर्यन से बोलता है '
आर्यन कुछ बोलने वाला ही था,,,कि गायत्री और फलक आ गई,,,अधिराज गायत्री को देखते ही उनके पांव छूकर आशीर्वाद लेता है,, और अधिराज के पिछे पिछे रंजित और बाकी फैमिली मेंबर्स भी गायत्री के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं,,,ये देखकर फलक भी गायत्री के पैर छू लेती है,,,फलक को पैर छूते देख गायत्री बोलती है,,,अरे! फलक बेटा तुम तो अभी से अधिराज कि बीवी बन गई,,,
गायत्री कि बात सुनकर फलक को शर्म आ जाती है,,तभी अनन्या दौड़ते हुए आती है और फलक से लिपटकर कहती हैं,,,फलक चाची,,,आप बहुत अच्छी है,,, बहुत ब्यूटीफुल भी है,,आप भी मुझसे मेरे चाचू कि तरह बहुत सारा प्यार करोगे ना,,,और मुझे चोकलेट्स भी लाके दोगी ना,,,
हां अनू बेटा,,,मैं अपनी बच्ची को बहुत सारा प्यार करूंगी तुम्हारे चाचू से भी ज्यादा,,,और खूब सारे गिफ्ट भी दूंगी,,,और तुम बहुत क्यूट हो,,, तुम्हें तुम्हारे जैसी क्यूट डोल भी ला के दूंगी,,,क्या मेरी प्रिंसेस डोल से खेलेगी,,,??
'फलक अनन्या से बातें करने में इतनी बीजी हो जाती है कि उसे अधिराज और बाकी लोगो कि खबर ही नहीं रहती,,, गायत्री फलक को आवाज दे रही थी लेकिन फलक को सुनाई नहीं दी,,, अधिराज आकर फलक को बोलता है,,'अरे! अनन्या कि चाची,,,कभी अनन्या के चाचू पर भी ध्यान दिया करो,,,, अनन्या और बाकी सब लोग अधिराज कि ये बात सुनकर हंसने लगते हैं,,,'फलक अधिराज कि ये बात सुनकर शर्मा जाती है,,,और धीमी आवाज में बोलती है ,,''अधिररराज.....!
तभी गायत्री फलक को आवाज लगाती है,,''फलक बेटा जरा खाना लगवाने में हमारी मदद कर दो'
जी..! मां,,,'फलक इतना बोलकर गायत्री के पास किचन में चली जाती है और अधिराज आर्यन के साथ उसके रूम में जाकर बोलता है,,'क्या हुआ आर्यन?? तू,,! कुछ उलझा उलझा लग रहा है,,,और तुझे कोई जरूरी बात भी करनी थी मुझसे,,,! क्या बात है??? बोल!
हां,,,वो कल कैफ्य के बाहर मैंने देखा था तूने रंजित को पकड़कर ले गया था अपने साथ पुलिस स्टेशन,,, क्यूं लें कर गया था,, रंजित तो अच्छा लड़का है। 'आर्यन आगे बोलता इससे पहले ही रंजित आर्यन के रूम में आ गया,,, और अधिराज से बोला,,"भैय्या! मुझे दो लड़के बार बार फोन पर धमकी या दे रहे हैं,,,क्या करूं मैं!
आर्यन को अधिराज बोला,,"मेरा भाई है रंजित,,, रंजित सिंह रावत,,, मैंने तुम्हें कल कैफ्य में भी कहा था,,,मेरी फैमिली अभी अभी इक बड़े ख़तरे से निकली है,,,मैं अब अपने किसी भी फैमिली मेंबर्स को नुकसान नहीं पहुचाने दूगा उन,,,दो नम्बरी गुंडों को,,,!
आर्यन अधिराज के गुस्से को भांप गया था,,वो बोला सोरी भाई!! मुझे नहीं पता था तुम तीन भाई हो,,, क्यूंकि रंजित को मैंने कभी तुम्हारी फैमिली के साथ नहीं देखा,,,मैं तो इसे सिर्फ क्लास फैलो के तौर पर जानता हूं!!
ना....! तू सोरी मत बोल,,,! ग़लती मेरी है मैंने रंजित को अपने से दूर रखा,,,! इसका कारण भी था,,"रंजित हमेशा से होस्टल में रहा है,,,वो हम तीनों में सबसे छोटा है तो उसकी जिम्मेदारी हम दोनों भाईयो ने ले रखी थी यहां तक रंजित के बारे में हमने अपने दूशमनो को भी खबर नहीं होने दी,,,! लेकिन इस जानलेवा हमले ने रंजित की जानकारी हमारे दूश्मनो तक पहुंचा दी,,,! वो रंजित को पिछले सप्ताह धमकी देकर गए थे,,, तो रंजित ने मुझे बता दिया लेकिन उन लोगों को ये भनक नहीं होने दी कि मुझे पता चल गया कि रंजित को वो लोग धमकियां दे रहे हैं! मैं रंजित को और अपने परिवार को दूबारा इस प्रोबलम में नहीं फंसने दूंगा।।
फिर चाहे मेरी जान ही क्यूं ना चली जाए,,"अधिराज आगे कुछ बोलने वाला था कि फलक,,,,,को आते देख शांत हो गया।
थोड़ी देर में फलक आकर बोली,,"खाना लग गया है,, अधिराज रंजित,,आ जाओ सब,,,फलक कि बात सुनकर सब डाइनिंग टेबल पर जा रहे थे कि फलक ने अधिराज को रोकते हुए कहा मुझे आपसे बात करनी है,,"अधिराज रूक गया और आर्यन और रंजित लंच करने के लिए टेबल पर पहुंच गए,,,'अधिराज फलक से बोला,,"क्या हुआ फलक??? तुम्हारे चेहरे पर अचानक ये उदासी कैसे आ गई,,, किसी ने कुछ कहा है क्या???
नहीं अधिराज! किसी ने कुछ नहीं कहां! लेकिन आप ऐसा क्यूं बोल रहे थे?? कि मेरी जान चली जाए,,!अधिराज अगर आपको कुछ हो गया ना तो मैं अपनी जान दे दूंगी,,,,"फलक रोते हुए अधिराज से बोली" और आंसू पोछकर डाइनिंग टेबल कि तरफ आ गई,,, अधिराज भी फलक के पिछे पिछे टेबल पर आ गया फलक ने अधिराज की प्लेट लगाकर खाना परोसा,,,और बाकी सबको भी परोस दिया,,, गायत्री फलक को बोली,,"तुम भी बैठ जाओ फलक!! खाना में परोस दूंगी! फलक बोली नहीं नहीं मां! मैं हूं ना! नहीं बेटा अभी तुम बैठो मैं तुम्हारा खाना लगाती हूं,,"जब तुम्हारी अधिराज से शादी हो जाएगी तब तुमको ही लगाना पड़ेगा खाना,,,! समझी!
जी,,,, मां! 'फलक अधिराज के साथ वाली टेबल पर बैठकर खाना खाने लगी।
फलक अधिराज के पास बैठकर खाना खाने लगी,, खाना खाते समय फलक के चेहरे पर उदासी साफ साफ झलक रही थी,,,
गायत्री ने ये बात नोटिस कर ली,, जब सब लोगों ने खाना खा लिया तो गायत्री बोली : फलक अधिराज तुम दोनों आओ मेरे साथ,,
जी,,
गायत्री फलक और अधिराज को लेकर हॉल के एक साइड वाले कमरे में चली जाती है। कमरे में पहुँचते ही उसने दरवाज़ा धीरे से बंद किया और गंभीर आवाज़ में बोली:
"क्या बात है फलक? खाना खाते वक़्त तेरे चेहरे पर जो उदासी थी, वो मैं नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती। कुछ तो है जो तू दिल में छुपा रही है, बोलो बेटा…!"
फलक ने नज़रें झुका लीं… और चुप रही। अधिराज ने उसकी ओर देखा, फिर मां की तरफ।
"मां, फलक परेशान है… लेकिन वजह मैं हूं…" अधिराज धीमे स्वर में बोला।
गायत्री चौंकी, "तू? लेकिन क्यूं बेटा?"
फलक ने कांपती आवाज़ में कहा, "मां… अधिराज की बातें सुनकर डर जाती हूं मैं… वो ऐसे क्यों सोचते हैं कि उनकी जान चली जाएगी? वो क्यों अकेले सब कुछ झेलना चाहते हैं? ये सिर्फ उनका युद्ध नहीं है मां… अब तो मैं भी इस परिवार का हिस्सा हूं, और मैं भी हर तकलीफ में उनके साथ हूं… लेकिन जब ये ऐसी बातें करते हैं, तो दिल बैठ जाता है मेरा…"
गायत्री ने फलक का हाथ थाम लिया, "बेटा, एक बात ध्यान से सुनो। अधिराज बचपन से ही अपने भाईयों की जिम्मेदारी उठाता आया है। उस पर इतने सालों की घटनाओं का असर है… मगर अब तुम हो, तुम उसकी ताक़त हो… अगर तुम टूटोगी, तो अधिराज भी बिखर जाएगा। तुम दोनों एक-दूसरे का सहारा बनो। डर से नहीं, प्यार से, हिम्मत से लड़ो इन हालातों से।"
अधिराज ने फलक की ओर देखा, उसके हाथ को थामा और कहा:
"सॉरी फलक! मैं भूल गया था कि अब मेरी जान सिर्फ मेरी नहीं रही… उसमें तुम भी हो। अबसे मैं कोई भी फैसला अकेले नहीं लूंगा… और न ही कोई खतरा अकेले झेलूंगा। तुम मेरे साथ हो, यही मेरी सबसे बड़ी ताक़त है।"
फलक की आंखों में आंसू थे लेकिन इस बार दर्द के नहीं, सुकून के…
गायत्री मुस्कराई और बोली, "अब चलो, बाकी लोगों को शक होगा… और हां, आज की रात से ज़िंदगी के हर फैसले साथ में लेना… शादी से पहले ही रिश्ते में वो मजबूती आनी चाहिए, जो सारी उम्र साथ निभा सके।"
फलक और अधिराज ने एक-दूसरे को देखा और हल्के से मुस्कुरा दिए।
तभी कमरे के बाहर से रंजित की घबराई हुई आवाज़ आई:
"भैया! एक और कॉल आया है! इस बार उन्होंने साफ-साफ कहा है कि अगर मैंने पुलिस को कुछ बताया, तो वो फलक दीदी को निशाना बनाएंगे…!"
ये सुनते ही कमरे में सन्नाटा छा गया।
फलक चौंककर बोली, "क्या...? लेकिन मेरा उनसे क्या लेना-देना…? मैं तो उन्हें जानती भी नहीं!"
अधिराज का चेहरा एकदम सख्त हो गया, उसकी मुट्ठियाँ भिंच गईं।
क्या फलक को वो लोग अपना निशाना बना पाएंगे?? या फिर अधिराज चलेगा अपनी चाल,, क्या होगा आगे जानने के लिए पढ़ें अगला पार्ट,,
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धन्यवाद,,
आर्यन: (गंभीर होकर) अधिराज, मुझे अब सब समझ आ रहा है… पर एक बात बता—अब आगे क्या करना है? रंजित को लेकर जो खतरा है, वो अभी भी मंडरा रहा है?
अधिराज: (थोड़ा चिंतित होकर) हां आर्यन, खतरा अभी टला नहीं है। लेकिन अब हम सतर्क हैं। जो इंसान हमें कैफे में ट्रैक कर रहा था, उसका फोन लोकेशन ट्रेस करवा दिया है। और पुलिस उसपर नजर रखे हुए है।
रंजित: (थोड़ा डरा हुआ लेकिन हिम्मत जुटाकर) भैय्या… अगर मेरी वजह से किसी को कोई खतरा हुआ, तो मैं खुद सब कुछ छोड़कर कहीं और चला जाऊंगा।
अधिराज: (रंजित के कंधे पर हाथ रखकर) रंजित… तुम कहीं नहीं जाओगे। तुम अब अकेले नहीं हो। पूरा परिवार तुम्हारे साथ है। और याद रखो, मैं IPS हूं—मेरे रहते कोई तुम्हें हाथ नहीं लगा सकता।
आर्यन: (मुस्कुराकर) और मैं तुम्हारे क्लासमेट से भाई बन गया हूं अब… तो अब मैं भी तुम्हारे साथ हूं।
(तभी गायत्री कमरे में आती है)
गायत्री: बेटा, सब कुछ ठीक है ना? बात कर रहे हो या लड़ाई हो रही है?
अधिराज: (मुस्कुराकर) मां, बस कुछ जरूरी बातें हो रही थीं। आप चिंता मत करिए, सब कंट्रोल में है।
गायत्री: (रंजित की तरफ देखकर) बेटा, तुम अब मेरे लिए भी बेटे जैसे ही हो। डरो मत, ये घर अब तुम्हारा भी है।
(फलक दरवाज़े के पास खड़ी सबकी बातें सुन रही होती है, उसकी आंखों में हल्की नमी होती है—क्योंकि उसे ये परिवार अब अपना लगने लगा है)
फलक: (धीरे से बोलती है) अधिराज… अब मुझे यकीन है कि मैं सही इंसान के साथ हूं।
अधिराज: (मुस्कराकर फलक की ओर देखता है) और मैं भी…
(सभी लोग हॉल में आकर बैठते हैं, नाश्ता साथ में करते हैं। लेकिन अधिराज की आंखें बार-बार मोबाइल पर जाती हैं, जैसे किसी अपडेट का इंतज़ार हो। तभी मोबाइल पर कॉल आता है…)
अधिराज: (कॉल उठाता है) हां इंस्पेक्टर… बोलिए…
इंस्पेक्टर: सर, हमने उस आदमी को ट्रेस कर लिया है। उसका नाम अर्जुन है… और उसने हाल ही में टाइगर के मरने के बाद से आपकी फैमिली पर निगाहें रखनी शुरू की थीं। वो टाइगर का बड़ा भाई है।
अधिराज: (गंभीर हो जाता है) मुझे पता था… वो चुप नहीं बैठेगा।
इंस्पेक्टर: सर, उसकी लोकेशन अभी हमारे पास है… क्या हम रेड करें?
अधिराज: नहीं… अभी नहीं। मैं खुद आ रहा हूं। उसे पकड़ने का सही वक्त आ गया है।
गायत्री: (परेशान होकर) बेटा… फिर से खतरा?
अधिराज: (मां के पास आकर) मां, डरिए मत। अबकी बार मैं सब कुछ खत्म करके ही लौटूंगा।
रंजित: (अधिराज को रोकते हुए) भैय्या, मैं भी आपके साथ चलूंगा। अब मैं पीछे नहीं रहूंगा।
अधिराज: नहीं रंजित, तुम्हें यहां रहना होगा… परिवार के साथ। मुझे पता है अब वो हमें कमजोर करने के लिए तुम्हें निशाना बनाएगा।
फलक: (आगे बढ़कर) अधिराज, जो भी करना है, सोच-समझकर करना। हम सब तुम्हारे साथ हैं।
अधिराज: (गंभीर स्वर में) अब वक्त है उस अधूरे इंसाफ को पूरा करने का… टाइगर की मौत की कीमत उसे चुकानी ही होगी…
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क्या होगा आगे जानने के लिए आगे पढ़े,,
जारी है,,,
शुक्रिया
(अधिराज पुलिस यूनिफॉर्म में तैयार होता है, उसकी आँखों में जुनून और बदले की आग साफ झलक रही होती है। फलक चुपचाप खड़ी उसे देख रही होती है।)
फलक: (धीरे से) अधिराज… एक वादा कर सकते हो?
अधिराज: (बिना पलटे) जानती हो, तुम्हारे बिना कोई वादा अधूरा सा लगता है… बोलो?
फलक: (कदम बढ़ाकर) बस… लौट आना… सही सलामत।
(अधिराज उसकी ओर मुड़कर देखता है, आंखों में हल्की नमी और मुस्कान)
अधिराज: लौटूंगा… तब तक तुम मेरी माँ और रंजित का ध्यान रखना।
(अधिराज निकल जाता है। उधर अर्जुन एक पुराने गोदाम में छुपा बैठा होता है, उसके साथ कुछ हथियारबंद लोग होते हैं)
अर्जुन: (गुस्से से) अधिराज… तूने मेरे भाई को मारा, अब तेरा नंबर है। मैं तुझे तेरी वर्दी समेत जला डालूंगा।
गुंडा: बॉस, पुलिस एक्टिव हो गई है… रेड कभी भी हो सकती है।
अर्जुन: आने दो… मुझे डर नहीं लगता। ये अधिराज खुद आएगा, और इस बार मैं उसे जिन्दा नहीं छोड़ूंगा।
(उधर अधिराज अपनी टीम के साथ जीप में बैठा होता है, नक्शा और प्लान तैयार है)
इंस्पेक्टर: सर, चार रास्तों से गोदाम को घेर लेंगे। बैकअप टीम दो मिनट की दूरी पर होगी।
अधिराज: (कड़क आवाज़ में) नहीं… अर्जुन को मैं खुद पकड़ूंगा। ये सिर्फ एक रेड नहीं है, ये मेरा कर्ज है।
(गोदाम के बाहर पुलिस की गाड़ियां धीरे-धीरे चारों ओर से आती हैं, लेकिन सायरन नहीं बज रहा… सब कुछ साइलेंट ऑपरेशन की तरह हो रहा है)
(गोदाम के अंदर अर्जुन को आहट मिलती है…)
अर्जुन: (बोलता है) वो आ गया है… अधिराज…
(जैसे ही अर्जुन बाहर देखने आता है, एक धुआं बम अंदर फेंका जाता है—धुंआ भर जाता है, और गोलियों की आवाज गूंजती है। दोनों ओर से फायरिंग होती है।)
अधिराज: (अंदर घुसकर चिल्लाता है) अर्जुन! आज भागने का मौका नहीं मिलेगा!
अर्जुन: (हंसते हुए) अधिराज… मैं अकेला नहीं हूं… तेरा छोटा भाई रंजित मेरे पास है!
(अधिराज चौंक जाता है। एक पल को सब ठहर सा जाता है…)
अधिराज: (गुस्से से) झूठ! वो तो घर पर है…
अर्जुन: (मोबाइल पर वीडियो दिखाता है जिसमें रंजित को गाड़ी में जबरदस्ती डाला जा रहा है) सरप्राइज़!
अधिराज: (चीखकर) ये क्या किया तूने!!
अर्जुन: अब तू क्या करेगा? या तो मुझे मार ले… या अपने भाई को बचा ले।
(अधिराज कुछ सेकेंड चुप रहता है… फिर माइक पर कॉल करता है)
अधिराज: कोड रेड! सेक्टर 7 की फैक्ट्री पर पहुंचो, रंजित वहां है!
इंस्पेक्टर: सर, आप?
अधिराज: मैं अर्जुन को खुद खत्म करके आ रहा हूं…
(अर्जुन और अधिराज के बीच हाथों-हाथ फाइट होती है—काफी जबरदस्त, दोनों घायल हो जाते हैं। आखिरकार अधिराज अर्जुन को गिराकर हथकड़ी लगा देता है)
अर्जुन: (हांफते हुए) तू जीत गया… लेकिन तूने बहुत देर कर दी होगी…
(कट टू: दूसरी लोकेशन—पुलिस की दूसरी टीम फैक्ट्री में रेड करती है, और वहां रंजित को रस्सियों से बंधा हुआ पाते हैं… लेकिन वो होश में होता है…)
रंजित: (कमजोर आवाज़ में) भैया…
इंस्पेक्टर: सर, रंजित सेफ है! हमने उसे छुड़ा लिया है!
(अधिराज की आँखों में राहत की चमक उभरती है…)
अधिराज: (धीरे से मुस्कराता है) शुक्र है…
अधिराज की बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा ने अर्जुन जैसे खूंखार अपराधी को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था। लेकिन अब उसकी जिंदगी एक ऐसे मोड़ पर पहुंच चुकी थी, जहां न्याय की लड़ाई निजी बन चुकी थी। उसके पास एक नया मिशन आया ।
इस बार एक गुप्त ट्रांसफर के तहत उसे राजधानी बुलाया गया। कारण बताया गया: एक बेहद संवेदनशील केस, जिसकी जड़ें कहीं गहरी थीं।
जब वह राजधानी पहुंचा, तो उसकी मुलाकात हुई कमिश्नर आर.के. राव से। उम्रदराज़, मगर आंखों में अनुभव की चपलता। उन्होंने सीधा एक फाइल उसकी तरफ बढ़ाई। उसमें कुछ पुराने फोटो, केस रिपोर्ट्स और एक नाम दर्ज था
—शक्तिराज।
कमिश्नर बोले, "तुम्हारे पिता की मौत को तीन साल हो गए, पर अब हमारे पास कुछ सुराग हैं जो बताते हैं कि वह एक हादसा नहीं था…"
अधिराज के लिए यह वाक्य वज्रपात जैसा था। वह शांत रहा, मगर उसकी आंखों में हलचल साफ दिख रही थी।
राजधानी की हवा में ही कुछ अलग था। राजनीति, पुलिस और अपराध—तीनों के गठजोड़ ने यहां एक अलग ही तंत्र बना रखा था। और उस तंत्र के बीच में था शक्तिराज—एक रिटायर्ड माफिया, जिसकी फाइलें अब भी धूल में दबकर सड़ी नहीं थीं, क्योंकि वह अब भी जिंदा था…
और ताकतवर भी।
जैसे-जैसे अधिराज गहराई में उतरता गया, उसे महसूस हुआ कि अर्जुन सिर्फ एक मोहरा था। असली शतरंज तो कोई और चला रहा था। वो शख्स था शक्तिराज। और उसकी सबसे बड़ी हैरानी तब हुई जब उसने पाया कि शक्तिराज, उसके पिता के पुराने साथी—
ACP सूर्यवीर —का भाई था।
अधिराज जब ACP सूर्यवीर के पास पहुंचा, तो उन्होंने निगाहें झुका लीं।
"हम सब मजबूर थे, अधिराज," उन्होंने थके स्वर में कहा, "जो तुम्हारे पिता ने देखा, वो सब सह नहीं सकते थे। इसलिए उन्हें हटाना ज़रूरी समझा गया।"
"और आपने कुछ नहीं किया?" अधिराज की आवाज़ कांपी।
"मैं जानता था कि एक दिन तुम ये सच खुद सामने लाओगे… इसलिए ज़िंदा रहा," सूर्यवीर का जवाब था।
इसी बीच, अधिराज की दुनिया एक और मोर्चे पर हिल गई—जब उसे खबर मिली कि फलक पर जानलेवा हमला हुआ है। किसी ने जानबूझकर उसकी गाड़ी को टक्कर मारी थी। वह अस्पताल में भर्ती थी, और हालत नाज़ुक।
अधिराज अस्पताल पहुंचा। फलक की हालत देखकर उसके भीतर कोई चीज़ टूट गई। आंखों में आंसू लिए उसने उसका हाथ थामा और धीरे से कहा, "तुम मेरी हिम्मत हो… अब तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा।"
अब अधिराज में सिर्फ एक पुलिस अफसर नहीं, बल्कि एक प्रेमी, एक बेटा, और एक इंसान जाग चुका था। उसके भीतर एक तूफ़ान उठ खड़ा हुआ था। वह जानता था कि शक्तिराज को खत्म करना अब केवल एक ड्यूटी नहीं, बल्कि उसका निजी धर्म है।
रात के अंधेरे में उसने वर्दी पहनी, हथियार उठाया और निकल पड़ा उस अड्डे की ओर… जहां उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा जवाब उसका इंतज़ार कर रहा था।
रात का समय था। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था, मगर अधिराज के भीतर तूफान चल रहा था। वह उस फैक्ट्री की ओर बढ़ रहा था जहां शक्तिराज ने अपना अड्डा बनाया था—एक परित्यक्त गोदाम, शहर की सीमा से दूर, जहां कानून की आंखें कम ही पहुंचती थीं।