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Villainess Reborn

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Queen M

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ये कहानी है राहा अरोड़ा की जो की एक मॉडल , बिजनेस वूमेन और जीनियस साइंटिस्ट रहती है । लेकिन एक दिन उसका शिप सुनामी में बह जाता है और वह पहुंच जाती है आरवि के बॉडी में , जो की अपनी ही सौतेली बहन की विलेनेस रहती है , क्योंकि उसे जिससे प्यार था व...

Total Chapters (14)

Page 1 of 1

  • 1. Villainess Reborn - Chapter 1

    Words: 2463

    Estimated Reading Time: 15 min

    Ch 1 – मौत / रीबर्थ

    कुछ अलग स्टोरी सो एक बार पढ़ के देखना।

    एक लड़की शिप मे बैठी हुई थी शिप को देख कर हि लग रहा था की उसमें इस लड़की के अलावा कोई नहीं है ,
    तो
    ये है राहा अरोड़ा एक फेमस मॉडल के साथ साथ एक जीनियस साइंटिस्ट और एक बेरहम माफिया के साथ बिज़नेस यूमेन भी।
    अरोड़ा फॅमिली जानी मानी फैमिली थी एक समय पर और राहा बस एक मॉडल थी । पर लगभग दस साल पहले जब राहा 18 की थी उसके एक दुश्मन को उसकी सीक्रेट आइडेंटि पता चल जाति है उस वक्त राहा ने एक antidote ढूंढा था वो antidote था केंसर के लिए,

    उस दवाई से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी ख़तम हो जाति है बिना ऑपरेशन के ये antidote मेडिकल साइंस और आयुर्वेद से बनी थी इस लिए इसके बहोत फ़ायदे थे।

    उसका हि एक आदमी गद्दार निकला, राहा इस दवाई को सस्ते दाम मे बेचना चाहती थी और इसमे वो सरकार का साथ चाहती थी पर कहते है ना जब कुछ अच्छा करने जाओ तो सो दुश्मन खड़े मिलते है रास्ते मे यही हुआ उसके साथ जब वो अपने भाई के साथ मेडिकल मिनिस्टर के घर जा रही थी तब कुछ लोगो ने उन पर हमला कर दिया और उसके भाई ने उसे दवाई के साथ भगा दिया लिकिन वो खुद मारा गया।
    राहा जैसे तैसे घर पहोची तो वहाँ किसी ने आग लगा दी थी पुरा घर जल रहा था और अंदर से उसके परिवार की चीखे सुनाई दे रही थी।

    उसने बहोत कोशिश की की वो अंदर जा सके पर उसे कोई रास्ता नहीं मिलता वो फायर ब्रिगेड को भी फोन करती है पर डेढ़ घंटा हो गया कोई नहीं आया, अब वो जिंदा लाश की तरह बैठ सिर्फ अपने घर को जलते हुए देख रही थी।

    इसके साथ हि उसकी आँखों मे एक ज्वाला भड़क रही थी बदले की, और घर के जलने का अक्ष उसकी आँखों मे पड़ रहा था साथ मे लाल आँखे भयानक लड़ रही थी। उसने मन हि मन एक फैसला लिया की अब वो किसी को नहीं छोड़ेगी और उसने अपने आप को 6 साल दे कर मजबूत किया फिर आया राहा आरोड़ा का तूफ़ान उसने एक एक दुश्मन को चुन चुन कर मारा और साथ हि मे वो बन गयी माफिया क्वीन और बिज़नेस वर्ल्ड की महारानी। जिसके एक इशारे पर इंडिया के प्रधान मंत्री से CM तक सब हाजरी लगाते है।

    अब दस साल हो गये थे, शांत और हसमुख राहा की जगह एक कठोर दिल वाली राहा ने ले ली थी प्यार पर से भरोसा उठ गया था अपनी सारी आदते बदल दी बस एक आदत के सिवा। नॉवेल पढ़ने की आदत, जब भी उसे फ्री टाइम मिलता वो नॉवेल पढ़ती। जिंदगी तो बस जिने के लिए जी रही थी बस यही शौख उसे पसंद था जिसके लिए टाइम निकालति थी वो। वर्णा तो मशीन की तरह काम करती थी वो।

    आज भी अकेले शांत शिप मे बैठ कर वो नॉवेल हि पढ़ रही थी, नॉवेल की कहानी कुछ इस तरह थी, रायजादा परिवार की जिसमे विक्रम रायजादा की छोटी बेटी जो अपनि बहन के प्यार की दुश्मन थी,

    दरअसल आरवी रायजादा। एक बिगड़ी हुई अमीरजादी थी, सबको यही लगता था पर ऐसा नहीं था वो शांत, अच्छे दिल की समझदार, चालक थी पर अपने घर वालो के सामने नादान, इनोसेंट और क्यूट बनने की कोशिश करती, पर उसकी ये हरकते सबको फेक लगती ।

    आरवी एक बिगड़ैल लड़की थी लोगो को निचा दिखाना उसे अच्छा लगता था। उसे अपनी बड़ी बहने जो उससे एक साल हि बड़ी है उससे बहोत चिढ होती थी क्युकी वो दोनो बन्हे जो उससे एक साल बड़ी है वो सबकी अटेशन ले जाति थी घर मे ये उसकी शौतेली बहने थी उसके पापा की पहली पत्नी की बेटिया और एक बड़ा भाई भी था उसका ।
    उसकी सगी माँ भी उन्हे ज्यादा पायोरिटी देती थी, घर मे सभी उन्हे हि संभालते थे आरवी तो अकेले बड़ी हुई है ऐसा कह सकते है नैनी के भरोसे। बचपन से होते भेदभाव से वो अपने परिवार से कटती चाली गयी । और फिर हॉस्टल चली गयी। 12 वी ख़त्म होने के बाद जब वो वापस आयी तो उसकी नज़र अपने घर मे आये एक नये लड़के पर गयी जो हेंडसम होने के साथ उससे प्यार से बात की थी तो ये पहली बार था की इसके घर मे किसी ने प्यार से बात की है उसने उस लाडले को देखा और दिल दे बैठी। वो लड़का था निकेश ओबेरॉय। जो आरवी की बड़ी बहन से प्यार करता था, ये बात जब आरवी को पता चली तो वो निकेश को पाने की होड़ मे लग गयी क्युकी वो इस बार किसी भी तरीके से अपना हक नही छिनने देना चाहती थी। उसे लगता था इस बार भी उसकी बहन उसका प्यार ले जाएगी पर उसे नहीं पता था की निकेश उसकी बहन का मंगेतर भी है। ये बात पता चलते हि उसने घर मे हंगामा खड़ा कर दिया और सबके सामने उसने अपनी बहन को मार डालने की और अपने तीनो भाई बहन को चोर कहा जिन्होंने उसकी माँ को चुराया है अपने पापा से तो उसे किसी भी तरह की उम्मीद नहीं थी।

    उस दिन उसने अपनी माँ से भी उम्मीदें ख़तम कर दी और रायजादा परिवार से सारे रिश्ते ख़त्म कर चली गयी, पर निकेश को नहीं भूली आये दिन वो उन दोनो को परेशान करती एक दिन उसकी बड़ी बहन को किसी ने मार दिया और सारा इल्जाम लगा आरवी पर जिस पर निकेश उससे नफरत करने लगा और उसका परिवार भी उसने बहोत टॉर्चर किया आंन्या को अंत मे इसी टॉर्चर से बचने के लिए उसने अपनी नस काट ली और मौत की नींद सो गयी। थोड़े दिनों बाद निकेश को पता चला को पता चला की उसके हि किसी दुश्मन ने उसकी मंगेतर राधिका को मारा है तब उसे आरवी के शब्द सुनाई देने लगे, जो रोते हुए उसके सामनव घुटनो के बल बैठ कर उसस एकः रही थी, क्या एक बार भी उसे उसकी आँखों मे सच्चाई नजर नहीं आती क्या ? वो भले हि उनसे कितनी भी नफरत कर ले पर वो कभी उनकी जान नहीं ले सकती वो बस उनसे चिढ़ी हुई थी की उन लोगो ने उसकी माँ को चुराया और फिर उसके प्यार को पर उसे पहले हि पता चल गया था की ये उसका प्यार नहीं अतरेक्शन है इस लिए उसने उसका पीछा छोड़ दिया था। पर निकेश ने इसकी एक बात नहीं मानी।

    जब वो मरने वाली थी तब उसके आखिरी शब्द ये थे की, सब बहोत पछतायेगे। और वही हुआ पछताने के आलावा अब उनके हाथों मे कुछ नहीं था। रायजादा परिवार ने अपनी दो बेटियों को खो दिया। आरवी की मां अपनी सौतेली बेटियो के मरते देख सदमे मे चली गयी थी और कुछ हि दिनों मे उनकी मौत हो गयी।
    उसके पापा जिंदा लाश की तरह हो गये। उसका भाई सब सभाल रहा था अपने चाचा के साथ मिल कर पर सब बिखर रहा था राधिका की जुड़वा बहन रुचिका का कार एक्सीडेंट हो गया और कोमा मे चली गयी, इस बिच एक और कहर आयी निकेश ओबेरॉय जाना माना बिज़नेस मैन अब नहीं रहा ।
    क्योंकि नशे में कार चलाने की वजह से उसका एक्सीडेंट हो गया और वहीं पर उसकी मौत हो गई ।

    राहा ने नॉवेल बंध की और गहेरी सांस लेते हुए बोली, ये आरवी क्या बेवकूफ थी जब चली गयी थी तो वापस क्यू आयी अगर मै होती तो इस परिवार मे कभी जाति हि नहीं, और ये निकेश इतना बड़ा बिज़नेस मैन क्या बेवकूफ था ये आदमी और आरवी को क्या जरूरत थी अपने बहन का प्यार छिनने की ये लड़की सच मे विलेन हि है।

    पर इस निकेश ने क्या टॉर्चेर् लिया था आरवी से की उसकी रूह अंदर तक कांप गई ।

    तभी एक बॉडीगर्ड आया उसके पास और बोला, मेम सुनामी आ रही हैं,
    इसलिए हमें शिप के रूट को बदलना होगा ।
    जिस पर आरवी बोली _ जितने भी काम करने वाले वर्कर हैं सबको दूसरे शिप मे बैठाकर निकालो और साथ में तुम भी निकलो ।

    मेम पर . वो कुछ बोलता उससे पहले हि राहा बोली, मेरी फैमिली नहीं है पर तुम सबकी है जिसे आप सबकी जरूरत है मेरा इस दुनिया मे कोई नहीं है। ये बोल उसने अपने स्टाफ को दूसरे शिप पर भिजवा दिया था पर शायद राहा का जाने का कोई मन हि नहीं था,

    वो अपनी सीट पर आँखे बंध किये बैठ गयी और एक मुस्कान के साथ बोली, माँ पापा मै आ रही हु बस कुछ पल अब मुझे मुक्ति मिलेगी। ये बोल वो मुस्कुराने लगी। तभी एक सुनामी आया और उसी सुनामी में आरवी की शिप बहती चली गई ।
    और इसी तूफान में राहा आहूजा भी खत्म हो गई।

    जब शिप बह रहा था तब राहा की उस नॉवेल से एक रौशनी निकलने लगी। राहा की आँखे बंध थी ईस लिए उसने ये नहीं दिखा की क्या हो रहा है जब शिप बह रहा था तब हि वो नॉवेल मे एक चमकीली रौशनी अंदर गयी और उसमे समा गयी इसी के साथ नॉवेल भी पानी में भींग कर सुनामी के साथ बह गई।

    एक हॉस्पिटल के बेड पर एक लड़की लेती हुई थी एक खूबसूरत लड़की एक दम स्लीपिंग ब्यूटी की तरह लग रही थी सोते हुए पर वो सो नहीं रही थी बेहोश थी उसके सिर पर पति लगी हुई थी पर फिर भी खूबसूरत थी उसकी आँखे फड़फड़ा ने लगी। और उसकी धड़कने बढ़ने लगी और एक दम से उसने अपनी आँख खोल दी।

    आँखे खोलने के साथ हि वो कमरे का मुआयाना करने लगी, उसकी खूबसूरत ब्राउन आँखे सॉक्ड से बड़ी बड़ी हो रही थी उसे अपने मुंह पर से मास्क निकाला और बैठ गयी। वो आस पास देख कर धीरे से बोली, मै कहा हु क्या मै बच गयी पर सुनामी तो बहोत जोर से आया था मेरे बचने के चांसेस ना के बराबर थे तो क्या हुआ था मुझे हॉस्पिटल कैसे लाया गया। क्या हो रहा है मेरा सिर भी दर्द कर रहा है।

    तभी कमरे का दरवाजा खुला और एक नर्स आयी जिसके हाथो मे दवाइयां थी उसने राहा को बैठा हुआ देख कर बोली, अरे मिस आपको होश आ गया ! हा भाई ये लड़की कोई और नहीं राहा हि थी जो सुनामी मे थी।

    तभी नर्स फिर से बोली, मुझे तो लगा था की आपको होश हि नहीं आएगा कार एक्सीडेंट हुआ था ना आपका दो दिन से बेहोश थी आप ।

    ये सुन राहा को तो झटका हि लग गया वो मन मे बोली, कार एक्सीडेंट पर मै तो प्लेन मे थी ना।

    वो नर्स से बोली, क्या कार एक्सीडेंट?

    नर्स बोली, हा कार एक्सीडेंट क्या आप भूल गयी है अच्छा ये बताये की आपको कितना याद है शांत रहिये और याद करिये।

    इस बिच राहा को वह फ़्लैश बैक आने लगे पर उसे समझ नहीं आ रहा था की ये सब क्या है पर वो इनमे से किसी को नहीं पहचानति थी। उसने अपना सिर पकड़ लिया और नर्स से बोली, मुझे पहले वाशरूम जाना है।

    नर्स ने हा मे सिर हिलाया और उसे वाशरूम तक छोड़ा। और खुद बहार खड़ी रही।

    वही अंदर राहा खुद को शॉक्ड होकर शीशे मे देख रही थी। वो कभी खुद के चहेरे को टच करती तो कभी शीशे को। वो बोली, ये लड़की कौन है ये मेरा चहेरा नहीं है कौन है ये ? ये बोल वो अपने दिमाग़ पर जोर डालने लगी तभी उसे सब कुछ याद आया। और अचानक से उसने अपनी आँखे खोल दी। और गभराहट से बोली, नहीं नहीं ये नहीं हो सकता। भगवान मैने क्या बिगाड़ा है किसी का जो इतनी बुरी जिंदगी दी मुझे अगर दूसरी जिंदगी देनी हि थी तो असली दुनिया मे देते इस नॉवेल मे क्यू दी मुझे जिंदगी इससे अच्छा मुझे नर्क मे भेज दे। तभी उसे याद आया की वो अभी आरवी है और निकेश ने उसे कैसे टॉर्चर किया था इसलिए वो बोली, नहीं इस बार नहीं ना मै खुद मरुंगी ना किसी को बेमौत मरने दूगी। मै अपनी किस्मत बदल दूगी। बस उस परिवार से दूर रहूगी जो कभी मेरा था हि नहीं। पर मुझे देखने दो पहले की इस आरवी ने अब तक क्या क्या गुल खिलाये है।

    उसे याद आने लगा की परसो रात को राधिका को उसने सबके सामने मारने की धमकी दी जिस पर उसकी माँ ने उसे सबके सामने थप्पड़ मारा और निकल जाने को कहा। इस पर गुस्सा होके वो अपनी कार ले के निकल गयी और गाड़ी इतनी फास्ट थी की जब ट्रक सामने आया तो उसकी ब्रेक नहीं लगी पर उसने गाडी घुमा दी और वो सीधा ट्रक के बाजू मे पेड़ से वो टकरा गयी। उसे आस पास के लोग हॉस्पिटल लाये पर अभी तक उसके घर पर नहीं पता है इस बारे मे। नॉवेल मे आरवी को लगा की उसका परिवार उससे इतनी नफरत करता है की एक्सीडेट होने पर भी उससे मिलने नहीं आया। इसके बाद वो और नफरत करने लगी और इससब से ओ रायजादा मेंशन जाके हंगामा खड़ा कर दिया। और फिर वो अपनी इतनी बेजती कराने के बावजूद वही रुकी और राधिका को परेशान करने लगी।
    राहा ने आँखे खोलि अपनी और बोली, इस बार कुछ अलग होगा सब कुछ अलग होगा। ये मेरी कहानी होगी एक विलीनेस की ये कहानी खुद लिखूंगी और जिसने भी आरवी को फसाया उसे मै मौत के रास्ते पर चलाऊगी। ये बोल वो डेविल स्माइल करने लगी। तभी दरवाजा खटखटाने की आवाजा आयी और फिर उस नर्स की आवाज आयी, मिस क्या आप ठीक है।

    राहा जलसी से बोली, हा मै ठीक हु आ रही हु बाहर। उसने एक बार खुद को देखा और फिर बाहर आ गयी। वो जब बहार आयी तो सामने वो नर्स दिखी जो उसे देख स्माइल करती है और उसे आराम से बेड तक ले जाति है और बोली, मिस आपको याद है आपका नाम क्या है।

    राहा बोली, हा मेरा नाम आंन्या है।

    ये सुन नर्स बोली, ठीक है तो आपको अपने बारे मे सब कुछ पता है ना तो आरवी ( अबसे हम राहा को आरवी कहेगे तो कन्फ्यूज मत होना ) हा मे सिर हिलती है तो नर्स फिर से मुआकुराते हुए बोली, गुड बहार आपकी फैमिली खड़ी है तो क्या मै उन्हे भेज दु ?

    उसकी बात सुन वो हैरान हो जाई है और बोली, क्या?
    तो नर्स हा मे सिर हिलती है तो वो उन्हे अंदर भेजने को कहती है।

    नर्स के बाहर जाते हि एक बार फिर दरवाजा खुला जब आरवी ने उस ओर देखा तो एक बुढ़ा कपल, दो अधेड उम्र के कपल, उसके बाद तिन लड़के अंदर आये उसके बाद दो लड़किया अंदर आयी और उनके पीछे एक लड़का एक लड़की का हाथ पकड़ कर आया। उन सबको देख कर आरवी की आँखे छोटी हो गयी और वो बोली, आप सब यहा क्या कर रहे है?

    आगे क्या होगा जानेगे अगले पार्ट मे .💜 तब तक के लिए bye. .💜

  • 2. Villainess Reborn - Chapter 2

    Words: 3102

    Estimated Reading Time: 19 min

    Ch 2 – आरवी रायजादा/ रायजादा फैमिली

    अब तक हमने देखा की, राहा एक फेमस मॉडल, सांटिस्ट के साथ साथ एक माफिया और बिज़नेस वुमन भी थी, वो एक हादसे मे अपनी फैमिली को खो देती है उसके बाद वो अपनी फॅमिली के कातिलों का बदला लेती है, और बन जाति है एक क्रुअल माफिया लेडी या यु कहे एक कोल्ड हार्टेड माफिया क्वीन जिसके खिलाफ कोई नही जाता है और उसके एक इशारे पर सरकारे पलट जाति है, पर अब उसकी जिंदगी से उसका मन भर गया था, क्युकी अब इस पुरी दुनिया मे जैसे उसका कोई था हि नही, एक सुनामी में उसकी मौत हो जाति है पर मरने से पहले वो जो नॉवेल पढ़ रही थी उसी मे उसका रेबिर्थ होता है पर विलिन कैरेक्टर मे, जिसे देख वो भगवान् को कोसती है पहले पर बाद मे वो अपनी लाइफ बदल ने की थान लेती है तभी नर्स आके कहती है की आपकी फॅमिली आपसे मिलने के लिए आयी है, जिसे सुन वो चौक जाति है और उन्हे अंदर आने को कह देती है, उसकी फॅमिली अंदर आ जाति है।

    अब आगे,

    आरवी उन्हे देखती है तब उसकी नज़र बुजुर्ग कपल पर जाति है और वो असली आरवी की मेमोरी से उन लोगो को पहचान ती है। वो बुजुर्ग कपल आरवी के दादा दादी है, कृष्णकांत रायजादा और उनकी पत्नी सावित्री रायजादा। कृष्णकांत रायजादा आर्मी मे लेफ्टनेट थे। इस लोए थोड़े सख्त थे पर दिल से नर्म थे अपने बेटे बेटी को जितनी सख्त थे उतने हि अपने पोते पोतियों के लिए नर्म। वो अपनी छोटी और जिद्दी राजकुमारी से बहोत प्यार करते है पर वो कभी जता नही पाये, बचपन मे इन्होने हि आरवी को संभाला था क्युकी उसकी खुद की मा अपने सौतेले बच्चों को संभाल रही थी। गायत्री रायजादा, विक्रम जी की पत्नी, ये बहोत हि खुश मिजाज है और नर्म ये आरवी से भी बहोत प्यार करती है, पर इन्होने कभी उन्हे पाला नही, और आरवी की हरकतो की वजह से ये उनसे कटती चली गयी, ये राधिका और रुचिका पर ज्यादा ध्यान देती थी क्युकी इन्हे लगता था की उन दोनो को अभी उनकी जरूरत है इस चक्कर मे उन्होंने आरवी को अनदेखा कर दिया। ऐसा आरवी को लगता था पर राहा के अकॉर्डिंग उसके परिवार ने कभी उसे अकेला नहीं छोड़ा और ना हि उसे नैनी के भरोसे छोड़ा , जब भी आरवी को उनकी जरूरत होती वो लोग हाजिर होते पर आरवी हि थी जो उन्हे अपना दुश्मन मानती थी, वक्त के साथ उसका बर्ताव और ज्यादा रुड़ होता गया, जिसे महसूस कर उसके पापा ने उसे हॉस्टल मे डाला क्युकी उन्हे लगा की अगर एक साल का टाइम आरवी को दिया जाए तो वो खुद को संभाल सकती है और शायद सबके लिए उसकी नफरत कम हो जाए। पर ये फैसला उनकी जिंदगी का सबसे खराब फेसलो मे से एक हो गया, क्युकी एक साल बाद जब आरवी को वो घर लाने गये तो आरवी ने उनसे मिलने तक से मना कर दिया।

    उसके पापा उससे बहोत प्यार करते है पर अपनी बेटी की आँखों मे खुद के लिए नफरत वो नही देख पाते इस लिए वो बुझे मन से वापस आ जाते है उन्हे लगाता था की उनकी वजह से उनकी बेटी ऐसी है इस लिए वो अब दूर हि रहने लगे टाकी आरवी की नफरत और ना बढ़े पर इस चककर मे वो दोनो और ज्यादा दूर हो गये, ना उन्होंने अपनी बेटी से बात करने की पहल की और ना हि आरवी ने पहल की क्युकी दोनो बाप बेटी चाहते थे की पहले सामने वाला पहल करे। दोनों बाप बेटी एक जैसे .

    अब् आते है पहले मिडल एज्ड कपल पर जो थे उसके बड़ी माँ और बड़े पापा। बड़ी माँ करिश्मा रायजादा ये थोड़ी सक्त है पर अपने परिवार से बहोत प्यार करती है ये आरवी से भी बहोत प्यार करती है पर जब उन्होंने देखा की कैसे वो सबके साथ बदतमीजी करति है तो वो उसके साथ सक्त रहने लगी ताकी वो सुधर जाये पर ऐसा कुछ नही हुआ। अब आते उसके बड़े पापा केशव रायजादा, खुश मिजाज उनके चहेरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती है उन्हे अपनी पत्नी के साथ छोटी मोटी नोक जोक करने मे मजा आता है, दादा जी के बाद यही है जो आरवी को खुल कर अपना प्यार जताते है इस लिए आरवी उन्हे हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात बताती है।

    अब आने है इनके बच्चो पर इनका बड़ा बेटा और घर का बड़ा पोता 27 का है और खुद का बिजनेस हैँ अपने भाई बहनो से बहोत प्यार करते है खास कर राधिका से क्युकी वो जानते है राधिका बहोत नाजुक है ये उन्हे सबसे ज्यादा प्रोटेक्ट करते बै इनका नाम है रोहन रायजादा।

    अब आते है इनके छोटे भाई राहुल रायदाजा ये 25 के है और घर के दूसरे पोते है ये भी अपने भी बहनो से बहोत प्यार करते है जब भी उनके भाई बहनो मे झगड़ा होता है ये हमेशा सबमे रुचि राधिका की जुड़वा बहन पर सारा इल्जाम लगाते है ये करने मे उन्हे बहोत मजा आता हिए क्युकी रुचि छोटी छोटी बातो पर चिढ जाया करती है। इनकी गेमिंग की कंपनी है जो दो सालो मे हि आसमान की उचाईया छु रही है।

    अब आते इनकी छोटी बहन रिहा रायजादा पर ये 21 की है और फैशन डिज़ाइन का कोर्स कर रही इनका एक बुटीक भी है जो ये चला रही है ये बहोत चुलबुली है अपनी दोनो छोटी बहन पर जान छिड़कती है पर आरवी को हमेशा ताना मारती है क्युकी वो रुचि और राधिका पर बहोत गुस्सा करती है

    अब आते है घर के छोटे बेटे यानी आरवी के पापा पर ये है विक्रम रायजादा और ( हा कृष्णकांत रायजादा के एक और बेटे है जो कि दूसरे नंबर पर हैं जिसके बारे में धीरे धीरे पता चलेगा )
    अब आते है विक्रम रायजादा पर ये अपने परिवार से प्यार करने वाले और अच्छे नेक दिल इंसान इनकी और इनकी पहली पत्नी की लव मेर्रिज थी इनकी पहली पत्नी बहोत अच्छी थी, पर शायद भगवान को इनका साथ मंजूर नही था, रुचि और राधिका के जन्म के बाद वो बीमार रहने लगी और लगभग दो महीने बाद हि उनकी मौत हो गयी। इसके बाद करीब तिन महीने बाद इन्हो ने अपनी मा के कहने पर महता परिवार की बेटी से शादी कर ली क्युकी अपनी बेटियों के लिए उन्हे एक मा चाहिए थी, रागिनी रायजादा रुचि और राधिका की सौतेली मा ये अपनी बेटियों से बहोत प्यार करती है पर अपने बेटे से काफी ज्यादा नजदीक है। तीनो बच्चो को कभी उन्हों ने सौतेले पन का अहसास नही करवाया ये एक डॉक्टर है पर जब कोई मेजर सर्जरी हो तभी ये जाति है बाकी टाइम ये अपने परिवार के पास हि रहती है। ये आरवी को जन्म नही देना चाहती थी पर विक्रम जी ने कहा की उन्हे उन पर पुरा भरोस है।

    ये अपनी बेटी आरवी का ख्याल रखती थी पहले पर एक पार्टी के दौरान कुछ औरतों को इन्होने कहते सुआन की सौतेली मा सौतला पन कभी ना कभी तो दिखा हि देती है अभी भले हि वो उन तीनो बच्चो से प्यार करती है पर आगे चल कर इनकी पहली प्रायोरिटी अपनी खुद की बेटी हि होगी। ये सुन उन्हे बहोत बुरा लगा और दूसरे हि दिन उन्होंने आरवी के लिए नैनी रखी जो आरवी का सारा काम करती थी हा वो अपनी बेटी का ख्याल रखती पर आगे बढ़ कर कुछ नही करती और यही बात आरवी को काफी ज्यादा दुख पहोचता था।

    अब आते है विक्रम जी के बड़े बेटे और घर के छोटे पोते पर रेयांश रायजादा ये 23 के है और काफी टेलेंटेड भी है इनकी खुद की होटल चैन है जो वर्ल्ड वाइड फेमस है साथ मै ये अच्छे सेफ भी है ये जब खाना बनाते है तो लोग उंगलिया चाटते रह जाते है और ये खूबी उन्हे अपनी मा असली नहीं रागिनी मा से मिली है इनके रेस्ट्रोरेंट भी बहोत फेमस है।

    अब आते रुचि और राधिका पर ये है विक्रम जी की जुड़वा बेटिया 20 साल की है, कॉलेज के सेकंड ईयर मे है रुचि डॉक्टोरी पढ़ रही है और राधिका इनटीरियल डिज़ाइनिंग पढ़ रही है। राधिका और रुचि भले हि जुड़वा बहने है पर इनके बिहेवयर मे जमीन आसमान का फर्क है जहा राधिका शांत और खुश मिजाज सबके शांत शान्ति से बात करने वाली। तो रुचि उससे बिल्कुल अलग, ये सामने वाले के साथ वैसे हि बात करती है है जैसे समाने वाला इनके साथ इनकी जबान बिल्कुल तेजतरार चाकू जैसी और गुस्सा तो नाक पर हि रहता है, छोटी छोटी बात पर चिढ जाया करती है। जहा राधिका आरवी की हर बात को इग्नोर कर चुप रहती है तो वही ये आरवी को जवाब देने मे पीछे नही हटती।

    अब आते है सबसे छोटी सहाबाजादी और रायदाजा परिवार की सबसे छोटी सदस्य और एक दम रुचि जैसी पर ये चिढ़ती है अपनों की बातो से बस बहार वालो को छोड़ती नहीं गुस्से मे रुचि से भी आगे जहा रुचि की जबान चलती है वही इनके हाथ पैर चलते है। सारे भाई बहनो मे से सबसे ज्यादा फाइट इन्हे हि आती है इस लिए वो बॉडीगॉर्ड लेकर नही घूमती इस लिए लोग इन्हे नॉर्मल इंसान समज लेते है। ये एक जीनियस है, ये हेकिंग कर लेती है वही 12थ् मे हि इंजॉन अपनी एक लेब बना ली थी जहा वो नए एक्सपीरिमेंट करती है अभी हाल हि मै इन्होने एक मेडिसिन बनाई है आयुर्वेद और मेडिकल को मिला कर इसके बारे मे आगे जानेगे, और ये अब डॉक्टोरी की पढ़ाई कर रही है पर किसी को भी ये नही पता है की ये पहले से हि डॉक्टर है द बेस्ट डॉक्टर AR जो हार्ट स्पेशलिस्ट है जो बिना किसी मशीनारी के भी सिंपल और कम टूल से भी ऑपरेशन कर सकती है पर इनकी फीस बहोत महेंगी है कर कोई अफोर्ड नहीं कर पता पर सिर्फ अमीरों के लिए फीस गरीबो के लिए तो ये कागी अफॉर्डेबल है ।

    अब कहानी पर आते है, आरवी ने उन लोगो को देखा तो एक एक कर उसे सब याद आने लगा ( ऊपर जो बताया है वो आरवी याद कर रही थी ठीक है अभी अभी बिचारी टेलिपोर्ट हुई है तो कुछ तो याद करना पड़ेगा ना अब सब कुछ नॉवेल मै थोड़ी था नॉवेल मै हीरोइन राधिका और निकेश थे इस लिए उनके हिसाब से कहानी थी जो राहा ने पढ़ी पर यहा आरवी है तो उसके हिसाब से भी सब होगा ना )

    आरवी 12थ् ख़त्म कर अभी दो महीने पहले हि यहा आयी है इसस एपहले वो दिल्ली थी अब मुम्बई अपने परीवार के साथ है वो जब छोटी थी तो वो निकेश से मिल चुकी थी पर उसे कुछ याद नही आता वो निकेश को भाई मानती थी क्युकी वो एक भाई की तरह उसकी केयर करता निकेश भी उसे बहन मानता था पर बड़ होने बाद नॉवेल वाली आरवी जब वापस आयी और उसका एक्सीडेंट हुआ था तब निकेश ने राधिका को रोक लिया था और उसे भी अपने साथ बिच लेकर गया था उसका मुड़ अच्छा करने के लिए तब निकेश और आरवी सीधे अपनी कॉलेज के फर्स्ट डे मतलब एक्सीडेंट होने के सीधे दो हफ्ते बाद मिले थे और उसे देखते हि आरवी को प्यार हो गया पर अकभी निकेश को कहा नही आरवी उसे नही पहचान पाई थी की वो उसके बचपन वाले आरु भाई थे जिसके पीछे पीछे वो गुलब जाबुन के लिए घूमती थी यूजवैली बच्चो को चॉकलेट पहले पसंद आती है पर आरवी को गुलाब जबुन पसंद आये थे। ये बात आरवी को तब पता चली जब राधिका मर चुकी थी और निकेश ने उसे किडनेप कर लिया था और उसने आरवी को बताया था तब आरवी बहोत रोई थी उसके सामने पर तब तक आर्यान अपने मन मे आरवी की बहन होने की छवि को मार चुका था वो बस एक कातिल थी उसके प्यार की।

    वो ये सब सोच हि रही थी की तभी उसकी नज़र निकेश पर गयी, निकेश उसे अपनी छोटी बहन जैसे मानता है बचपन से पर बड़े होने के बाद आज पहली बार मिली है। निकेश गुस्सा उससे क्यूकी उसने राधिका को थप्पड़ मारा था। इस लिए उसने अपनी नज़रे उस पर से हटा ली थी ये देख आरवी की आँखे नम हो गयी उसने अपने पापा की ओर देखा जो उसे नही देख रहे थे। ये देख वो उदास हो गयी। बेसिकली वो थप्पड़ आरवी ने जानबुज कर नही मारा था हा वो गुस्से मे थी पर अपने से बड़ो की दीसरेस्पेक्ट कभी नही करती थी जगड़े मे अचानक से उसका हाथ राधिका के गाल पर लग गया और सबको लगा की उसने थप्पड़ मारा है आरवी हि जानती थी की उसने थप्पड़ नही मारा वो भी बहोत सॉक्ड थी पर गुस्से मे होने के कारण उसने राधिका को धमकी दी की आइंदा उसके पास ना आये वर्णा मार डालेगी वो। ये बोल वो निकल गयी थी।

    आरवी ने अपने मन मे थान लिया की इस फॅमिली को अपनी फॅमिली बनाई गी जो असली आरवी का सपना था की सब उसे प्यार करे उसके साथ हसे खेले उसे पेप्प्रेड करे । वैसे ये सब राहा को भी बहोत पसंद था पर उसकी फॅमिली को तो उन लोगो ने मार दिया अब जब भगवान एक बार फिर उसे ये मौका दिया है तो वो उसे जाने नही देगी। वो बार वार उनकी ओर देख रही थी पर कहा से शुरु करे ये पता नही था। तभी उसने अपने एयर पर एक हाथ महसूस किया उसने देखा उसके दाद जी प्यार से उसके सिर पर हाथ फिरा रहे थे वो बोले, कैसी है मेरी जिद्दी बच्चा।

    दादू उसे प्यार से इस नाम से बुलाते थे क्यकि वो बहोत जिद्दी थी, अपने दादू की बात सुन उसकी आँखों से आंसु बाह निकलते है और अपने दादू को गले लगा कर रोने लगती है।

    उसको रोता देख सबकी आँखे नम हो जाति है पर कोई कुछ नही बोलता, दादू प्यार से उसके पीठ थपथापा ते हुए बोले, क्या हुआ मेरे बच्चे, ये बोल वो उस एखुद से अलग करते है तो आरवी बोली, दादू मेरा पैर दुख रहा है।

    उसकी बात सुन सब उसे हैरानी से देखने लगे, उनको लगा आरवी कल की वजह से दुखी है और रो रही है पर इसे तो पैर मे दर्द हो रहा है तब सबको याब आता हि बचपन मे वो दर्द होने पर ऐसे हि रोने लगती थी । सब ना मै सिर हिला देते है ।

    उसकी बात पर दादू झूठा गुस्सा होते हुए बोले, तो किसने कहा था इतनी तेज कार चलाने को और वो भी गुस्से मे कितनी बार कहा है अपने गुस्से मे पर काबू रखो।

    आरवी बोली, दादू मना मै फास्ट ड्राइविंग कर रही थी पर मेरी कार के ब्रेक फैल थे हुए ट्रक वाला जानबुज कर मेरी ओर आ रहा था।

    उसकी बात सुन सबके चहेरे सख्त हो गये, दादू ने अपने बड़े बेटे को कुछ इशारा किया तो उन्होंने जल्दी से हा मे सिर हिलाया और बहार जाके किसी को फोन मिला दिया।

    थोड़ी देर बाद जब वो अंदर आये तो सब लोग शांत थे और वहा एक ओकवर्ड माहौल था तो वो हस्ते हुए बोले, इतना सांन्नाटा क्यू है भाई .

    उनकी बात पर आरवी बोली, बड़ी मुझे भूख लगी है।

    उसके मुंह से बड़ी सुन केशव जी की आँखे नम हो गयी क्युकी हॉस्टल से वापस आने के बाद उसने कभी उन्हे बड़ी कह कर नही बुलाया था। वो अपनी इस छोटी सी दोस्त को बहोत मिस करते थे।

    वही बाकी सब भी बहोत शॉक्ड थे क्युकी पिछले दो महीनों मे आरवी किसी से सीधे मुंह बात नही करती शिवाय दादा जी से पर अब अपने बड़े पापा को बड़ी कह रही है बचपन की तरह उनकी आँखे चमक गयी।

    केशव जी उसके पास आये और बोले, तो क्या खायेगी हमारी बड़ी .

    उनके इस तरह पूछने पर वो अपनी सितारों जैसी चमकती आँखों से उन्हे देखते हुए बोली, गुलाब जाबुन .

    उसकी बात सुन केशव जी ने ऐसे सिर हिलाया जैसे उन्हे पता हो की वो क्या मांगने वाली है फिर उन्होंने एक जादूगर के अंदाज मे अपना हाथ घुमाया और बोले, बड़ी मांगे गुलाब जबुन तो हाजिर है गुलाब जबुन फुऊस. .

    अपना हाथ दादवाजे की तरफ घुमाया उनके ऐसा करते हि सबकी नजर दरवाजे की तरफ मुड़ गयी वहा पर एक नर्स हाथ मे खाने की प्लेट लेकर खड़ी थी, आरवी बच्चो की तरह खुश होते हुए बोली, वाओ बड़ी यू आर ओसम. फिर बच्चो की तरह अपने हाथ खोल नर्स की तरफ कर बोली, ये मेरे गुलाब जाबुन .

    बाकी परिवार वाले उसे हि देख रहे थे, आज उन्हे ये बनावती या फेक नही लग रहा था वर्णा वो हमेशा क्यूट बनने की कोशिश हि करती रहती।

    नर्स भी उसे ऐसे देख मुस्कुरा उठि और ट्रे ले कर अंदर आ गयी, आरवी ने जल्दी से ट्रे ले ली उसके हाथ से तो नर्स बोली, अरे अरे रुको टेबल तो रखने दो .

    आरवी ट्रे उपर उठा कर बोली, जल्दी करो सिस्टर जल्दी जल्दी . वो अभी किसी बच्चि की तरह खुश हों रही थी बाकी सब तो उसका ये रूप देख कर हि दूसरी दुनिया मे चले गये।

    अब तक नर्स टेबल लगा चुकी थी, आरवी जादी से ट्रे रख कर उसे खोलती है तो उसकी सारी खुशी फूर हो जाति है, वो अपने बड़े पापा की ओर उदासी से देखते हुए बोली, बड़ी आपका जादू उल्टा पड़ गया, ये गुलब जबुन थोड़ी है ये तो डलिया है .

    केशव जी ने नर्स की ओर देखा तो नर्स बोली, गुलाब जाबुन बहार से मंगवाये है आते हि होगे .

    आरवी ये सुन बोली, तो इसे क्यू लाये हो आप ये ले जाओ मुझे नहीं चाहिए ये दिखने मे इतना गंडा है तो खाने मे कितना गंडा होगा।

    उसने मुंह बनाते हुए कहा तो, दादा जी उसके सिर पर थपकी मारते हुए बोली, तुम जिद्दी बच्चे आपका एक्सीडेंट हुआ है इस लिए यही खाना पड़ेगा,

    आरवी ने रोने सा मुंह बना कर कहा, पर दादू .

    दादू बोले, कोई दादू नहीं यही खाना है . वरना गुलाब जाबुन कैंसल ।

    उनकी बात सुन आरवी मुंह बना कर फटा फट खाने लगी अगले पांच मिनट मे उसने बाउल को सफा चट कर दिया, उसकी स्पीड देख सब हैरान हो गये। जो लड़की दलिया खाने मे अभी इतने नखरे कर रही थी उसने पांच मिनट मे सब साफ कर दिया।

    आरवी ने बाउल निचे रख बोली, देखो मैने खा लिया अब लाओ मेरे गुलाब जाबुन।

    अभी वो बोली हि थी एक कंपाउम्दर गुलाब जाबुन ले के आ गया आरवी तो गुलाब जबुन देख कर सब भूल हि गयी की आस पास भी लोग खड़े उआकी नज़र तो गुलाब जाबुन पर टिक गयी। जल्दी से उस आदमी के हाथ से ले कर खाने लगी।

    आगे क्या होगा जानेगे अगले पार्ट मे .💜 तब तक के लिए bye. .💜

  • 3. Villainess Reborn - Chapter 3

    Words: 2780

    Estimated Reading Time: 17 min

    Ch 3 – स्वीट बिहेवियर



    अब तक हमने देखा की, आरवी का एक्सीडेंट हो जाता है, और उसके बाद उसके शरीर मे राहा का जन्म होता है है जो खुद एक साइंटिस्ट थी और एक माफिया क्वीन के साथ साथ बिज़नेस वर्ल्ड मे भी उसका राज था, वो आरवी मे आ जाति है उसे पहले तो डर लगाता है पर फिर बाद मे सब कुछ याद आने लगता है, तभी उसकी फॅमिली भी वहाँ आ जाति है सबको देख उसकी आँखे नम हो जाति है, तभी उसके दादू उसके सर पर हाथ फेर कहते है की उसे क्या हुआ, तो वो रोते हुए बोली की उसे दर्द हो रहा है उन लोगो को लगा की आरवी बदल रही है पर अभी भी उन लोगो को उस पर भरोसा नहीं हो पा रहा था इस लिए कोई कुछ नही बोलता, उसके बड़े पापा उसके लिए उसकी फरमाइश पर गुलाब जाबुन मगवा ते है जो उसे बहोत पसंद थे इस लिए वो बच्चो की तरह खुश हो कर उसे खाने लगती है।

    अब आगे,

    अभी वो गुलाब जाबुन को खा हि रही थी की तभी उसे कुछ याद आता है, उसने चम्मच निचे रखा और अपनी ठुद्दी पर हाथ रख सोच ने लगी।

    उसे ऐसे देख सब लोग एक दूसरे को देखने लगे, विक्रम जी ने अपने पापा कृष्णकांत रायजादा को इशारा कर उससे पूछ ने को कहा, तो उन्हों ने उनको इग्नोर कर दिया, विक्रम जी ने अपनी आँखे सिकुड़ कर उन्हे देखा तो वो धीरे से बोले, मै तेरा बाप हु बेटे , तु नहीं । इस लिए ये आँखे किसी और को दिखा ना।

    तभी दादी ने उन्हे उनकी बाजु पर मारते हुए बोली, आप पूछो ना क्यू उसे तंग कर रहे हो जब आपको पता है की वो आपसे हि बात करेगी।

    दाद जी ने अपने बेटे की ओर देखा जो उन्हे आश भारी नज़रो से देख रहे थे, तो उन्होंने धीरे से कहा, ये जो कुछ भी तुम दोनो के बिच खाई है ना जल्दी से भर दो क्युकी इसके बाद मै मदत नही करुगा और तुम्हारी साइड लुगा समझ आयी बात, ये बात उन्हो ने अपना मुंह बनाते हुए कहा और आगे बढ़ कर आरवी के पास आके उसके सिर पर हाथ फेर बोले, क्या हुआ मेरे बच्चे को आप गुलाब जाबुन क्यू नही खा रही। क्या आपको ये अच्छे नही लगे क्या ?

    आरवी ने उनकी ओर देखा उसके चहेरे पर अब पहले जैसी मासूमियत नही थी वो एक दम सीरियस हो गयी थी और उसका चहेरा भी सक्त हो गया था, उसका चहेरा देख सब को लगा की अभी वो चिल्ला देगी सब पर इस लिए विक्रम जी ने सबको यहा से चलने का इशारा किया क्युकी वो नही चाहते थे की अब यहा कोई तमाशा हो।

    सबको लगा की अभी अभी होश आने की वजह से आरवी इतना स्वीट बिहेव कर रही थी और अब वो पहली तरह हो गयी है।

    अभी वो लोग उठने हि वाले थे की आरवी अपनी रोनो सी सूरत बना कर दादा जी को कहती है, दादू मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है ।

    दादा जी उसकी ओर देख बोले क्या नही याद आ रहा मेरे जिद्दी बच्चे, बोलो क्या हुआ है ।

    उन्हों ने इतना हि बोला था की आरवी को रोना आ गया, वो बोली, मुझे कुछ भी याद नही आ रहा दादू आ आ आ .

    उसके ऐसे रोने पर सब परेशान हो गये, दादा जी जल्दी से उसे गले लगा लेते है और उसे चुप कराते हुए बोले, ठीक है चुप चुप पहले चुप हो जाओ ठीक है हम अभी डॉक्टर को बुलाते है ठीक है।

    आरवी ने उनकी ओर देख फिर हा मे सिर हिला दिया, दाद जी ने अपने पोते राहुल की तरफ इशारा किया तो वो बहार निकल गया उसके साथ साथ बाकी बच्चे भी बहार निकल गये।

    बहार निकल ते हि रुचि का मुंह बन गया और वो मुंह बनाते हुए बोली, आप लोगो को नही लगता की ये नाटक कर रही है सबके सामने।

    सब ने उसकी ओर देखा, राहुल बोला, तुझे ऐसा क्यू लगाता है रुचि .

    राहुल के सवाल पर रुचि मुंह बनाते हुए बोली, आपको लगता है वो लड़की कभी सुधर सकती है, कल रात क्या हुआ था आप लोग भूल गये क्या भैया कल उसने राधू को थप्पड़ मारा था।

    उसकी बात पर सब चुप हो गये पर तभी राधिका बोली, कल शायद गलती से उसका थप्पड़ लगा था मेरे गाल पर

    उसकी बात सुन सब उसकी ओर देखने लगे, रेयांश बोला, तु क्या कह रही है राधू, ऐसा कैसे हो सकता है हम सब ने देखा था की उसने तुझे थप्पड़ मारा था।

    तभी राधिका ने थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली, भाई शायद हमसे कोई गलतफेमली हो सकती है वो कहते है ना कभी कभी आँखों देखा सच नही होता।

    रिहा उसकी बात सुन बोली, राधू तुझे पता है ना तु बहोत मासूम और भोली है इस लिए तुझे सब अपने जैसे दीखते है

    रुचि भी उस की हा मे हा मिलाते हुए बोली, और नही यो क्या दी सही कह रही है, तुझे लगता है की वो इतनी भोली है इतने साल वो अकेले दिल्ली मे रही है पापा कितनी बार लेने गये उसे पर हर बार उसने मना कर दिया आने से और अचानक हि आ गयी, वो भी कब तेरी और निकेश की सगाई कुछ हि वक्त मे फिक्स होने वाली है।

    रोहन बोला, हा ये बात सही है और तो और इतने दिनों से दादू के आलावा वो किसी से ढंग से बात नही करती थी और तुजसे तो कुछ ज्यादा हि चिढ़ी बैठी है हर बात पर गुस्सा उतारती है और तु उसकी साइड ले रही।

    रिहा भी बोली, हा और मुझे लगाता है वो तेरी लव लाइफ की विलन जरूर बनेगी याद रखना मेरी बात।

    ऐसा कभी नही होगा, उसकी बात सुनी निकेश की सर्द आवाज गुंज उठी जो अब तक चुप हि था पर जब उसके और राधिका के बिच प्रॉब्लम की बात सुनी तो वो बोल उठा, ऐसा कभी नही होगा, और अगर कभी उसने हमारे बिच आने की कोशिश की तो वो मेरा वो रूप देखेगी जिससे सबकी रूह तक काप जाति है, अब से अगर उसने मेरी रिदु ( राधिका ) को कोई भी चोट पहोंचाई तो उसे इसका दस गुना ज्यादा मिलेगा।

    राधिका ने उसकी ओर देख कहा, ये क्या कह रहे हो आप आयु वो बहन है मेरी आप ऐसे कैसे वात कर सकते है उसके बारे मे, और कल शायद सच मे उससे गलती से हाथ लगा था अगर आप लोग बिच मे नही आते तो वो ऐसा कुछ नही करती वो बस नॉर्मली बात कर रही थी मुझसे।

    तभी रुचि मुंह बनाते हुए बोल, कोई बहन नहीं है वो हमारी वो हमारी आर आर लाइन ( RR ) मे कभी नही घुस सकती वैसे भी उसका नाम तो आर से भी शुरु नही होता हम हमेशा सिक्स आर आर सिब्लिंग्स हि रहेंगे वो कभी नही घुस सकती हमारे बिच ये बोलते बोलते उसकी आवाज तेज हो गयी थी।

    रिहा ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा, ठीक है तु गुस्सा ना कर हम हमेशा साथ हि रहे गे हम सब ठीक है तु चुप हो जा अभी अगर पापा ने ये सुन लिया ना तो हम सबकी यही क्लास लग जाएगी। फिर वो राधिका की ओर देख बोली, वो तुजसे किस बारे मे बात करने आयी थी।

    राधिका बोली, पता नही पर अभी वो कुछ बोलती इतने मे रुचि आके चिल्लाने लगी उस पर वो सिर्फ बात करने आयी थी। रुचि मुंह बिगाड़ते हुए बोली, मुझे पता है वो कितनी बात करने आयी थी

    राहुल उनको चुप कराते हुए बोला, ठीक है अब चुप हो जाओ, लड़ने मत लगो मैने डॉक्टर को यहा बुला लिया है अब हमे अंदर चलना चाहिए।

    उसकी बात पर सब हा मे सिर हिलाते है तभी उन्हे कुछ कदमो की आहट सुनाई दी, उन लोगो ने उस ओर देखा तो पांच लड़के और चार लड़किया उन लोगो की ओर हि चल कर आ रही थी।

    रेयांश बोला, दादू ने ऊपर वाला एरिया पुरा बुक करवाया था ना तो ये लोग ऊपर कैसे आये।

    रोहन ने कंधे उचकते हुए कहा, पता नही पर ये लोग जाने पहचाने नही लग रहे खास कर जो आगे तिन लोग चल रहे है क्या हमने उन्हे कही देखा है क्या।

    तभी निकेश के मुंह से एक लड़के को देख निकला, अरहान भाई यहा .

    निकेश के मुंह से अरहान सुन सभी उसकी ओर घूमे, निकेश की नज़र अभी भी सामने थी उन्हों ने उस लड़के की तरफ देखा जिस पर निकेश की नज़रे टिकी हुई थी राहुल के मुंह से निकला अरे हा ये तो अरहान है .

    और उसके साथ वाला मिहिर है और साथ मे जो है वो उसकी जुड़वा बहन माहिरा है।

    सब के मुह से निकला , क्या ये लोग वही है जो पिछले 8 सालो से घर नही आये अपने।

    सब लोग उनकी ओर देख रहे थे जो सामने से आ रहे थे वो लोग उनको इग्नोर कर के जाने हि वाले थे की तभी राधिका आगे बढ़ बोली, अरहान भाइ, मिहिर भाई , मिहिरा दी , आप लोग यहा।

    राधिका की आवाज सुन कर वो लोग रुक गये, उसकी बात सुन उस ग्रुप से एक लड़का अरहान की ओर देख बोला, अरहान भाई क्या अनु की फॅमिली को जानते है।

    आरहान के लिए किसी ओर के मुंह से भाई सुन कर निकेश की मिट्ठिया कस गयी , बाकी लोग अनु सुन कन्फ्यूजन मे उन लोगो को देख ने लगे।

    रोहन बोला, अरहान तुम यहा

    अरहान उसकी बात सुन बोला, क्यू मै नहीं आ सकता क्या यहा पे .

    राहुल बोला, ऐसा नहीं है अरहान भाई पर आप।इतने सालो तक यहा नहीं आये रविंदर दादू ने आपको कितनी बार यहा लाने की कोशिश की पर आप नही आये और आज अचानक हि यहा पर तो इस लिए हम .

    तभी मिहिर बोला, वो क्या है ना हमे किसी से मिलना था उस लिए यहा आये .

    रियांश बोला, पर ये प्राइवीट ऐरिया है ना यहा पर तो सिर्फ आरवी हि एडमिट है।

    माहिर बोली, हम उससे ही मिलने आये है .

    उसकी बात सुन सब उसे देख ने लगे, तभी अरहान बोला, किस वार्ड मे है यहा इतने सारे वार्ड है सब चेक करते करते आये है एक तो निचे से हमे नंबर भी नहीं कहा है उन लोगो ने।

    राधिका बोली, आइये भाई सामने वाला हि वार्ड है अनु का . उसकी बात सुन अरहान ने उसके सिर पर हाथ फेर कहा, चलो । ये बोलते वक्त उसके चहेरे पर एक मुस्कान थी जिसे देख कर राधिका के चहेरे पर भी मुस्कान आ जाति है वो लोग जाने को हुए की तभी कुछ डॉक्टर दौड़ते हुए आये।

    राहुल बोला, कितनी देर डॉक्टर हमने कब से आपको बुलवाया था।

    डॉक्टर बोला, अरे वो एक इमर्जेन्सी मे थे यो थोड़ा लेट हो गये। रिहा बोली, आपके लेट के चक्कर मे अंदर कितना सामान उसके गुस्से के बली चढ़ गये होगे।

    डॉक्टर ने उसकी ओर देखा तो रुचि बोली, अभी देख क्या रहे आप चलो अंदर .

    उसकी बात पर उन्हों ने सिर हिलाया और अंदर चले गये, बाकी सब भी उनके पीछे जाने को हुए पर तभी राधिका ने देखा उनके साथ निकेश नही है तो वो पीछे मुड़ कर निकेश को देखने लगी।

    अरहान जो उसके साथ था वो भी पीछे मुड़ कर देखता है तो निकेश उनको हि देख रहा था, अरहान ने उसकी ओर एक हाथ बढ़ाया, निकेश ने उसे देखा फिर उसकी ओर चला गया, अरहान ने उसके कंधे पर हाथ रख अन्दर की ओर जाने लगे, बाकी सब भी मुस्कुराते हुए अंदर की ओर चले गये।

    अभी उन लोगो ने दरवाजा खोला हि था की उनको आरवी के चिल्लाने की आवाज आयी जो डॉक्टर पर चिल्ला रही थी। और बिचारा डॉक्टर डर के मारे सर निचे जुकाये खड़े थे और उनके साथ जो डॉक्टर तव वो तो विक्रम जी के पीछे हो गये, मानो वो लोग किसी की नज़र मे नही आना चाहते हो।

    रुचि बोली, अब क्या हो गया .

    उसके इतना बोलते हि आरवी फिर से चिल्लाते हुए बोली, आपका मतलब क्या है की मै डर गयी हा आप ने मुझे डरपोक समज कर रखा है क्या,

    वो डॉक्टर कुछ बोलने की कोशिश करते हुए कहा, मेम मेरा वो मतलब .

    आरवी फिर से बोली, तो क्या मतलब है आपका आप ने अभी अभी कहा की डर की वजह से मेरे दिमाग उस हादसे के पहले का थोड़ा वक्त भूल गया क्या मुझे पागल समज कर रखा है क्या, जानते हो मै कौन हु, आरवी रायजादा नाम है मेरा, आरवी रायजादा जो किसी से भी नहीं डरती।

    डॉक्टर तो उसका गुस्सा देख कहदे खड़े काप गया, बाकी सब भी उसका गुस्सा देख हैरान थे, तभी दादा जी बोले, अरे मेरे जिद्दी बच्चे शांत ठीक है शांत .

    आरवी ने उनकी ओर देखा जो उसे शांत होने को कह रहे थे, आरवी ने पीछे की ओर अपना सिर टिका दिया और लम्बी लम्बी साँसे लेकर खुद को शांत करने की कोशिश करने लगी।

    रागिनी जी ने अपनी बेटी को देखा उन्होंने पहले कभी आरवी को इतने गुस्से मे नही देखा था, अब उनको लग रहा था की ये गुस्सा उन्ही की वजह से है अगर वो अपमी बेटी पर थोड़ा ध्यान देती लोगो की बात सुन उसे अकेले नही छोड़ती तो वो इतनी गुस्सैल नही होती .

    विक्रम जी भी अपनी बेटी को देख रहे थे, उनके दिमाग़ मे कुछ चल रहा था तभी उनके कानो मे उनकी मा की बात सुनाई दी, सुन ये बिल्कुल तेरे पर हि गयी है तुझे पता है क्या .

    ये बात रागिनी जी और आरवी की बड़ी मा के साथ केशव जी ने भी सुनी। विक्रम जी अपनी मा की ओर देख बोले, कैसे मेरे जैसे कैसे ये मुज पर कैसे जा सकती है,

    दादी बोली, अरे नालायक तेरी बेटी है तो तुज पर हि जाएगी ना । तु भी तो अपनी शादी से पहले ऐसा हि गुस्से और खुला सांढ था जो गुस्से मे किसी से भी भिड़ जाता था बिना ये सोचे समजे की सामने वाला कुछ कह भी रहा है या नही और तु भी इसी की तरह सबको कहता फिरता था, मै विक्रम रायजादा हु जो किसी से भी नही डराता .

    ये सब बोलते वक्त उनकी आवाज तेज हो गयी थी जिससे सबका ध्यान उनकी ओर आ गया, आरवी भी शांत हो कर आँखे फाड़े उन्हे देखने लगी उसे तो पता हि नही चल रहा था की उसकी दादी उसके पापा को उसकी आड़ मे सुना रही थी या उसे उसके पापा की आड़ मे सुना रही है।

    विक्रम जी भी मुंह फाड़े अपनी मा को देख रहे थे जो सबके सामने उनको सुना रही थी। विक्रम जी ने एक नज़र सबकी ओर देखा फिर अपनी मा को कहा, मा आप ये कहा की बात कहा ले कर जा रही है।

    दादी बोली, मै कहा की बात कहा लेकर जा रही हु, बात वही पर है तुम्हारे हि गुण आये है तुम्हारी इस छोटी बेटी मे, तुम्हारा एगो, तुम्हारा घमंड, तुम्हारा गुस्सा, और तुम्हारी बोली सब तुम्हारा हि आया है। वो तो शुक्र मनाओ की रागिनी और रिदा तुम्हारी जिंदगी मे आयी, रिदा ने तुम्हारा गुस्सा कम किया और रागिनी ने तुम्हे संभाला, अगर इन दोनो की जगह कोई और होता ना तो कब का छोड़ कर जा चुका होता तुम्हे।

    ये सुन विक्रम जी का मुंह बन गया और अपनी पत्नी की ओर देखते है जो मुंह दबा कर हस रही थी फिर बाकी सब की ओर जो अपनी हसी छुपा ने की कोशिश कर रहे थे।

    विक्रम जी बोले, मा यहा आरवी की बात चल रही है ना आप . अभी वो बोल हि रहे थे की दादी फिर बोली, हा तो उसी की बात चल रही है ना, तु तो अपने घर था इस लिए तेरा गुस्सा सबने मिल कर संभाल लिया पर इसे तो दूसरे घर जाना है ना पता नही वहा क्या करेगी।

    तभी रुचि बोल, आपको क्या लगता है दादी क्या करेगी ये बोल वो हस्ती है की तभी दादी बोली, लो एक और आ गयी नमूनी .

    उनकी बात सुन कर रुचि की हसी बंध हो गयी, दादी आगे बोली, तुम भी पता नही दूसरे घर जाके क्या करोगी, तुम्हारी जबान कैची की तरह चलती है जबान पर तो जैसे मिर्ची रखी हो तुमने, एक दम तीखी बोली है बिल्कुल अपने बाप की तरह।

    ये सुन आरवी की हसी छुट जाति है और वो रुचि को ऊँगली दिखा हस्ते हुए बोली, तीखी छुरी हा हा हा .

    बाकी सब को भी हसी आ रही थी थी पर उन्हों ने हसने की हिम्मत नही की, रुचि गुस्से मे आरवी को कुछ कहने को हुई की तभी फिर से दादी बोल उठी, पता नही क्या होगा इन लोगो का कोई महा पुरुष हि होगा जो तुम लोगो से शादी करेगा।

    उनकी ये बात सुन कर तो सबकी हसी छुट जाति है।

    आगव क्या होगा जानेगे अगले पार्ट मे .💜 तब तक के लिए ।

  • 4. Ch : अरहान ओबेरॉय

    Words: 1539

    Estimated Reading Time: 10 min

    chapter 4 - अरहान ओबेरॉय

    अब तक हमने देखा की, आरवी का एक्सीडेंट हुआ था, वो हॉस्पिटल मे भर्ती थी, उसका परिवार उससे मिलने आता है पर वो अपने बड़े पापा और दादू के अलावा किसी से बात नही करती और नाही बाकी सब उससे बात कर रहे थे, आरवी को भूख लगती है इस लिए वो अपने बड़ी से गुलाब जाबुन मंगवाती है, वो उसे खा हि रही थी की वो उसे बिच मे छोड़ कुछ सोच ने लगी, उसे ऐसे देख दादा जी ने पूछा की क्या हुआ तो वो रोते हुए बोली की उसे कुछ भी याद नही आ रहा ये सुन सब उसे देखते है दादा जी डॉक्टर बुलाने को कहते है, डॉक्टर आते हि उन्हे कहते है की वो डर की वजह से हादसे से पहले का कुछ पार्ट भूल गयी है ये सुन कर आरवी गुस्सा हो जाति है और वो कहती है की वो आरवी रायजादा है जो किसी से भी नही डरती, उसकी ये बात सुन उसकी दादी उसके पापा यानी विक्रम जी से कहती है की वो गुस्से के मामले मे बिल्कुल उन पर गयी है, दादी सबके सामने विक्रम जी को झिड़क दिया, पर तभी आरवी कुछ बोलने को हुई, तभी रुचि आरवी का मजाक उड़ाती है, दादी ने उसे भी लपेटे मे ले लिया और इस बार आरवी हसी तभी दादी बोली, पता नही कौन वो दो महा पुरुष होगे जो इन दोनो से शादी करेंगे।

    अब आगे,

    दादी की बात सुन कर सबकी हसी छुट जाति है सिर्फ आरवी , रुचिका और विक्रम जी को छोड़ कर क्युकी उनकी इज्जत का तो सबके सामने भाजी पाला हो गया था उन लोगो का तो मुंह हि बन गया।

    रुचिका मुंह बनाते हुए बोली, ऐसा कुछ नही है दादी जो भी मुंजसे शादी करेगा ना उसके भाग खिल जाएगे देखना मै उसके पीछे नही वो मेरे पीछे आएगा देख लेना।

    दादी बोली, हा देख लेंगे कैसे वो तुम्हारे पीछे आएगा पता नही किसके फूटे कर्म होगे जो तेरे पीछे आएगा।

    रुचि उनकी बात सुन रोने सा मुंह बना कर बोली, दादी आप कहा की बात कहा लेकर जा रही है बात आरवी से शुरु हुई थी आप बिच मे मुझे ला रहे हो और ऊपर से सबके सामने रोस्ट कर रहे हो मुझे।

    दादी ने रुचि की तरफ देखा उसे देख ऐसा लग रहा था की वो किसी भी पल रो देगी दादी ने ना मे सिर हिलाया और बोली, जब दुसरो को खुद रोस्ट करती हो तब कुछ नही होता और जब खुद पर आती है बात तो रोने लग जाते हो, पता नही क्या होगा इसका।

    ये बोल उन्हों ने आरवी की तरफ देखा जो टुकुर टुकुर उनको और रुचि को देख रही थी दादी बोली, तुम्हे कुछ नही कहना।

    आरवी ने उनकी बात सुनी और कहा, किया मुझे क्या कहना है

    दादी बोली, यही की तुमसे कौनसा लड़का शादी करेगा या फिर प्यार करेगा हम्म्म

    आरवी ने उनकी बात सुनी और अपनी आँखों को रोल कहा, अहह आई एम नोट इंट्रेस्टेड .

    उसका ऐटिटूड देख दादी चिढ़ते हुए बोली, दोनो का ऐटिटूड हि नही जा रहा एक को अपने पीछे घूमने वाला लड़का चाहिए और दूसरी तो इंट्रेस्टेड हि नही अब तो पक्का बाप पर गयी है।

    इतना सुनना हि था की सबकी हसी छुट गयी और रुचि, आरवी और विक्रम जी का मुंह बन गया, तभी आरवी की नज़र अरहान और बाकी सब पर पड़ती है, वो चीखते हुए उनका नाम लेते हुए बोली, अरहान भैय्यू .

    उसकी आवाज सुन सबका ध्यान अब जाके उन लोगो पर गया, दादा जी ने भी उन लोगो को देखा उनमे से वो तिन लोग अरहान, मिहिर और माहिरा इन लोगो को पहचान ते थे, बाकी चहेरे उनके लिए अनजाने थे, बाकी सब भी उन तीनो को जानते थे और हैरान भी थे क्युकी पिछले सात आठ सालो मे ये पहली बार ये लोग मुंबई आये या फिर ये कहा जाये की यहा से जाने के बाद वो कभी वापस आये हि नही।

    वही आरवी हाथ फैला कर अरहान को गले लगाने का इशारा करती है अरहान भी मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ जाता है और उसे कस कर गले लगा लेता है, वो उसके सर पर हाथ फेर ते हुए बोला, कैसी है मेरी अनु .

    आरवी चहकते हुए बोली, एक ठीक फिट अंड फाइन . तभी माहिरा बोली, वो तो दिख रहा है कितनी फिट अंड फाइन है तु ये चौटे देख कितनी आयी।

    आरवी उसकी डाट सुन कर कहा, ओहो दी अब आप मत शुरु हो जाओ ऑलरेडी दादू सुना चुके है मुझे और मेरी गलती नही थी ठीक है, ये बोल कर उसने मुंह फुला दिया

    उसे इस तरह करता देख सब के चहेरे पर मुस्कान आ गयी, वो अभी किसी रूठें हुए छोटे बच्चे की तरह लग रही थी उसके गाल फुल चुके थे एक दम गुलाब जाबुन की तरह।

    मिहिर ने भी उसे गले से लगा कर कहा, क्या कर रही थी ऐसा तु की ये हालत बना कर बिस्तर पर गिरी पड़ी है हम्म

    आरवी बोली, ओहो भाई आपको दिखाई नही दे रहा की मेरा एक्सीडेंट हुआ है आप भी ना .

    तभी माहिरा ने उसके कान खींचते हुए कहा, उल्टा जवाब दे रही है तु .

    आरवी ने नाटक करते हुए करहाती हुई बोली, आ आ ओ ओ ./दी लग रही है लग रही मुझे, कान तोड़ेगी क्या मेरा छोड़ो भइयु इनसे कहो ना छोड़े।

    अरहान ने माहिरा के हाथ से आरवी का कान छुड़ा ते हुए कहा, क्या कर रही है माहिरा पहले हि इतनी चोटे आयी हैँ उसे और तु ऊपर से और कान खींच रही है।

    माहिरा उसकी बात पर बोली, भाई आपने हि इसे इतना सिर चिढ़ाया है बता रही हु मै गुस्से मे ये अपने पापा से भी आगे होगी,

    तभी दादी बोली, सही कहा तुमने माहिरा बेटा सच मे बाप से भी आगे निकल गया है इसका गुस्सा।

    माहिरा ने दादी की तरफ देखा तो दादी ने विक्रम जी की ओर इशारा कर दिया, उसने उस तरफ देखा तो विक्रम जी उसे हि घूर रहे थे, माहिरा ये देख सकपका गयी और वो बोली, सोर्री अंकल मुझे पता नही था की आप भी यहा है

    दादी बोली, मतलब वो यहा नही होता तो तुम कहती . ये सुन माहिरा ने फट से हा कह दिया, बाकी सब भी हसी निकल गयी। दादी ने उससे कहा तुम ना बिल्कुल मेरे जैसी हो हमारी बहोत बनेगी। माहिरा भी हा मे सिर हिलाते हुए हस देती है। तभी आरवी बोली, वैसे . उसकी आवाज सुन सब उसकी तरफ देखते है आरवी अरहान, मिहिर और माहिरा की तरफ ऊँगली कर बोली, क्या कुछ ऐसा है जो मुझे नही पता है .

    अरहान ने कहा, ऐसी कोई बात नही है अनु . आरवी ने अपनी आँखे सिकुड़ते हुए कहा, भाईयू आपने कभी बताया नहीं की रायजादा परिवार और आप लोग एक दूसरे को जानते है।

    अरहान इधर उधर देखने लगा आरवी लगातार उन तीनो को देख रही थी, अरहान को कुछ ना बोलता देख दादू ने आरवी की पीठ पर रख कहा, अरे ये लोग क्या बतायगे मै बताता हु तुम्हे जिद्दी बच्चे .

    आरवी ने उनकी तरफ देखा तो दादू ने अरहान की तरफ ऊँगली कर कहा, ये है अरहान ओबेरॉय

    ओबेरॉय सुन कर आरवी ने दादू को देखना शुरु कर दिया तो जब आरवी को अपनी तरफ देखता पाकर दादा जी बोले, हा ये तुम्हारे बचपन वाले हान भईयू . तुम्हे आरु भाई यानी निकेश के बड़े भैया सिब्लिंग है

    आरवी ने निकेश की ओर देखा तो निकेश ने अपनी नज़रे अरहान की ओर कर दी। तो आरवी ने अरहान की तरफ देखा तो उसने अपनी नज़रे चुरा ली।

    दादू ने आगे कहा, ये मिहिर ओबेरॉय और माहिरा ओबेरॉय निकेश के बड़े पापा के बच्चे है। ये मेरे जिगरी दोस्त के पोता पोती है।

    आरवी ने उन तीनो को एक तक देखने लगी तो उन तीनो ने अपनी नज़रे झुका ली।

    आरवी ने अपनी भौहे उचकाते हुए कहा, और ये मुझे कब बताने वाले थे। माहिरा ने अपने दांत दिखाते हुए कहा, मै बताने वाली थी पर अरहान भाई ने मना किया यहां।

    मीहीर ने भी उसकी हा मे हा मिलाते हुए सारा दोष अरहान पर ढोर दिया, वही अरहान उन्हे आँखे दिखता है पर दोनो ने उसे पुरी तरके से इग्नोर कर आरवी के सामने मासूम बन गये, आरवी ने अरहान को घूर कर देखा तो उसने अपनी नज़रे झुका ली।

    उसे लगा की आरवी उससे गुस्सा हो जाएगी क्युकी आरवी को धोका बिल्कुल भी पसंद नही था, एक बार कोई इंसान उसे धोका दे दे तो वो उसे जिंदगी भर माफ़ नही करती।

    तभि आरवी खुशी से चिल्लाते हुए बोली, इसका मतलब अब आप लोग भी मेरे साथ इसी शहर मे रहेंगे

    उसकी बात सुन अरहान ने अपनक नज़रे उची कर उसे देखा जो उसके यहा रहने पर खुश हो रही थी, उसने मिहिर और माहिरा की तरफ देखा जो उसे देख रहे थे फिर निकेश की जो उसके जवाब का इंतज़ार कर तहा था,अरहान ने अपनि नज़रे आरवी की तरफ की और कुछ बोल ने को हुआ की तभी दादा जी बोले, अरे इन्हे क्यू पूछ रही हो तुम मै बताता हु ना, अभी यहा से हम अब घर चलेंगे, वहा मेरा दोस्त हमारा इंतजार कर रहा होगा और भाभी भी होगी, और वहाँ पर इन तीनो की खूब पिटाई होगी।

    आगे क्या होगा जानेगे अगले पार्ट मे .💜 तब तक के लिए bye. .💜

  • 5. ♥️Villainess - Chapter 5 : आंखे नम होना।❤️

    Words: 1287

    Estimated Reading Time: 8 min

    Ch : आंखे नम होना।

    अब तक हमने देखा की, आरवी का एक्सीडेंट हो गया था उसके दादू उसे डाटते है, वही पर सारा परिवार था पर वो सिर्फ अपने दादू और बड़े पापा यानी अपने बड़ी से बात करती है तभी दादी उसके पापा को कहती है की वो तुम पर हि गयी है वो उन दोनो के साथ साथ रुचिका को भी लपेटे मे ले लिया रुचिका उन्हे कहती है की आरवी की बात चल रही थी और वो उसे बिच मे ला रहे है दादी आरवी की तरफ देखती है जो बड़े इंट्रेस्ट के साथ उनकी लड़ाई देख रही थी दादी अपना सिर पीटते हुए कहा की उन दोनो क क्या होग कौन उनसे शादी करेगा, इस बात पर आरवी सीधे सीधे ऐटिटूड से कहती है की वो इस मे इंट्रेस्टेड नही है, उसकी बात सुन दादी फिर बोल पड़ती की पक्का वो अपने बाप पर गयी है उनकी इस बात पर सबकी हसी छुट जाति है, तभी आरवी की नज़र अरहान, मिहिर और माहिरा पड़ती है, उनको देख आरवी खुश हो जाति है उसके चहेरे पर खुशी देख सब खुश हो जाते है उसका परिवार भी उसे इतना खुश इतने महीनों मे पहली बार देख रहे थे इस लिए वो हैरान है, वही दादू उन्हे बताते है की अरहान मिहिर और मिहिरा कोई और नहीं बल्कि अहान ओबेरॉय के भाई बहन है ये सुन आरवी उनकी ओर देखती है तो तीनो अपना सिर झुका लेते है दादू बताते है की ओबेरॉय परिवार भी उनका इंतज़ार रायजादा मेंशन मे कर रहे है, आरवी को इस बात से खुशी हो रही थी की वो लोग अब एक हि शहर मे रहेंगे।

    अब आगे,

    दादू जब ये कहते है की ओबेरॉय परिवार उनके घर इंतज़ार कर रहा है उन लोगो का तो अरहान थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला, हम घर नही जा रहे।

    उसकी बात सुन कर आरवी की मुस्कान चली जाति है और बाकी सब अरहान को देख ने लगते है, वही ये सुन निकेश की आँखे नम हो जाति है और वो कस कर अपनी मुट्ठी बना लेता है राधिका जो उसके बाजु मे हि खड़ी थी वो ये महसूस करती है तो निकेश की तरफ देखती है जब उसने उसकी आँखे नम देखी तो वो उसके मुट्ठी बने हाथ को अपने हाथ मे ले लेती है और उसे सहलाने लगती है अपने हाथ पर राधिका टच महसूस कर के उसने उसकी ओर देखा तो राधिका ने ना मे सिर हिला दिया।

    निकेश ने उसकी ओर देखा पर उसके चहेरे पर कोई भाव नही थे तो राधिका को पता नही चला की वो क्या सोच रहा है वही आरवी ने जब अरहान की बात सुनी तो वो कुछ देर चुप रही फिर जब वो कुछ कहने को हुई की तभी निकेश बोल उठा, कोई जरूरत भी नही है आपको घर आने की क्युकी जो एक बार घर छोड़ कर जा चुका है उसके लिए हमारे घर मे कोई जगह नही है।

    उसकी आवाज थोड़ी तेज थी, अरहान ने उसकी ओर देखा तो उसने पाया की उसकी आँखे नम थी, ये देख उसकी आँखे भी नम हो जाति है, वो आगे बढ़ उसे गले लगाने को हुआ की तभी निकेश ने उसका हाथ झटक कर गुस्से से कहा, जो इंसान मेरे परिवार का हिस्सा नही वो मुझे छु भी नही सकता और आप से रिस्ता तो तब हि टूट गया था जब आप गये थे बिना एक बार हम लोगो के बारे मे सोचे।

    अरहान के आँखों की नमी उसके गालो पर आ गयी, वही मिहिर और माहिरा को भी उसके इस बेहेवियर पर रोना आ गया। अरहान कुछ बोलने को हुआ की तभी आरवी की एक ठंडी आवाज उन सब के कानो मे पड़ी जो कह रही थी, आप हान भाई से इस तरह बात नही कर सकते।

    उसकी आवाज सुन सब उसकी ओर देखते है आरवी चहेरा कुछ ज्यादा हि सख्त था, अरहान ने उसका चहेरा देख कुछ कहने को हुआ के तभी निकेश बोल पड़ा, तुम होती कौन हो हमारे बिच मे बोलने वाली।

    आरवी ने एक टेढ़ी स्माइल दे कर कहा, अगर मै कोई नही हु तो आप भी कोई नही बै उनके शायद आपकी यादास्त कमजोर है मै याद दिला देती हु आपको .

    ये बोल वो चुप हो जाति है, निकेश उसकी तरफ देख ने लगा तो आरवी ने उसे कुछ इशारा किया आँखों हि आँखों मे पहले तो वो समज नही सका की आरवी क्या कहने की कोशिश कर रही है तो उसने राधिका की तरफ देखा जो उन दोनो के ये इशारे देख रही थी, निकेश को खुद की तरफ देखता पाकर राधिका ने उसे शांत रहने का इशारा किया फिर एक दम तेज आवाज मे कहा, आरवी .

    उसकी तेज आवाज सुन कर अब एक दम हैरान हो जाते है क्युकी आज तक किसी ने राधिका की इतनी तेज आवाज नही सुनी थी आरवी भी एक पल के लिए हैरान हो जाति पर दुसरे हि पल वो सब कुछ समज आ जाता है क्युकी राधिका ने सब से छुप कर उसे आँख मारी थी जिसका सीधा सीधा ये मतलब था की वो नाटक कर रही है।

    अब आरवी भी उसके नाटक मे शामिल होते हुए बोली अपनी आवाज मे सख्ती लाते हुए कहा, मुझे सुनाई दे रहा है तो थोड़ी आवाज निचे कर के बात करो वरना .

    उसकी बात ऑन रुचि बिच मे बोली, वरना वर्णा क्या हा वरणा क्या तुम इस तरीके से बात नही कर सकती मेरी बहन से।

    आरवी को उसका बिच मे बोलना अच्छा नहीं लगा एक वैसे भी वो उससे चिढ़ी बैठी थी और अब वो और ज्यादा चिढ गयी।

    अभी वो अपना मुंह खोलती उससे पहले हि राधिका ने रुचि का हाथ पकड़ लिया और उसे इशारा कर बोलने से मना कर दिया, रुचि भले हि कितनी भी बत्तमीजी किसी से भी कर ले पर वो कभी राधिका की बात नही काटती थी। इस लिए वो चुप हो गयी पर उसका मुंह बन गया और वो गुस्से से आरवी की ओर देखने लगी। वही आरवी ने जब ये देखा की रुचि चुप हो गयी तो वो उसे देख कर एक चिढ़ाने वाली स्माइल पास करती है जिसे देख रुचि चिढ कर अपना मुंह घुमा देती है।

    आरवी ने अपने एक्सप्रेशन ठीक किया और फिर से कोल्ड एक्सप्रेशन के साथ कहा, अच्छा हुआ तुमने चुप करा दिया वैसे भी इसकी आवाज कुछ ज्यादा हि लाउड है।

    अरहान उसे बिच मे टोकते हुए कहा, अनु चुप रह। फिर वो दादू की ओर देख बोला, दादा जी मै आरवी को भी अपने साथ वापस ले जाना चाहता हु दिल्ली।

    तभी विक्रम जी बोले, वो कही नहीं जाएगी और वैसे भी वो इस हालत मै नही है की अभी वो एक जगह से दूसरी जगह जा सके।

    वही दिल्ली का नाम सुन आरवी बोली, हा वैसे भी मुझे वापस नही जाना मै यही यहा की किसी कॉलेज मे एड्मिशन ले लूंगी।

    अरहान बोला, लेकिन . आरवी बोली, लेकिन वेकिन कुछ नही मै वापस नही जा रही बस बात ख़त्म।

    अरहान बोला, ठीक है फिर हम चलते है।

    तभी उसके साथ आये बाकी के पांच लोग जो आये थे वो लोग बोले, भाई हम भी नही आ रहे।

    अरहान ने उनकी ओर देखा तो एक लड़का उनमे से बोला, हमारी फॅमिली भी तो यही है और हम भी यही एड्मिशन ले लेंगे।

    अरहान को उनकी बात ठीक लगी इस लिए वो हा मे सिर हिलाते हुए बोला ठीक है पहिए हम चलते है। ये बोल उसने माहिरा और मिहिर की ओर देख कहा, क्या तुम लोगो को भी रुकना है यहा।

    माहिरा और मिहिर एक दूसरे को देख फिर एक साथ बोले, नही भाई हम लोग आ रहे गई।।

    वही आरवी अब मन मे सोचने लगी, अनु सोच कुछ सोच ना भईयू को रोक वरना चले जाएगे ये कुछ सोच .

    आगे क्या होगा जानेगे अगले पार्ट मे .💜 तब तक के लिए bye. .💜

  • 6. 💛Villainess Reborn - Ch : 6 भूलना 💛

    Words: 1104

    Estimated Reading Time: 7 min

    Ch 6 : भूलना।

    अब तक हमने देखा की, आरवी को मिलने उसके दोस्त अरहान मिहिर और मिहिरा आते है उन्हे देख कर वो खुश हो जाति है, यहा उसे पता चलता है की वो तीनो निकेश के बड़े भाई बहन है उसे खुशी होती है की वो लोग भी अब उसके साथ हि रुकेंगे दादू भी अरहान और बाकी दोनो को घर चलने को कहते है पर अरहान मना कर देता है ।

    अरहान की ना सुन कर आरवी की मुस्कान चली जाति है और निकेश की आँखे नम होने के साथ साथ उसे गुस्सा भी आने लगा वो अरहान से बत्तमीजी से बात करते हुए कहती है की अब उन्हे घर आने की जरूरत हि नही है, उसकी बात सुन माहिरा मिहिर और अरहान को बहोत बुरा लगता है आरवी को अच्छा नहीं लगता इस लिए वो अपनी कोल्ड आवाज मे उसे ऐसा बात ना करने की चेतावनी दी साथ मे उसे कुछ इशारा भी किया पर निकेश को समज नही आया पर राधिका को समज आ गया इसलिए वो इसमे इसका साथ देने लगी।

    अब आगे,

    आरवी सोच रही थी की आगे क्या करे की तभी उसके दादू बोले, बेटा आज के दिन तो घर चलो तुम्हारी मा को भी अच्छा लगेगा

    निकेश बोला, रहने दीजिये दादू मेरी मा मान चुकी है की उनके सिर्फ एक हि बेटा है।

    उसकी बात सुन कर अरहान को बहोत बुरा लगता है, उसकी आँखे नम हो जाति है, आरवी को भी बुरा लगता है वो बोली, आप ऐसा कैसे कह सकते है

    निकेश बोला, क्यू नही कह सकता मै आखिर क्या गलती है माँ की इन्होने अपने इगो मे घर छोड़ दिया पर माँ का क्या जो इतने वक्त तक तड़प ते रही बड़ी मा का क्या जो अपने दोनो बच्चो के लिए तड़पी न इन दोनो ने अपनी मा के बारे मे सोचा और ना हि इन्होने तो हम क्यू सोचे अब।


    आरवी बोली, हा ये बात तो है अगर रिश्ता तोड़ा है तो पुरी तरीके से तोड़ देते है ताकी किसी को कोई होप ना रहे है ना भैयू. .

    उसकी बात सुन अरहान सोक्ड होकर उसे देखने लगता है क्युकी उसे उम्मीद नही थी की आरवी ये कहेगी बाकी सब भी आरवी को देख रहे थे तभी आरवी फिर से बोली, पर भैयू अगर आपको रिश्ता ख़त्म करना हि है तो पुरी तरीके से ख़तम करके जाओ उनके मन मे कोई होप मत छोड़ो की आप वापस आओगे वरना वो सब ऐसे हि घुट घुट कर जीते रहेंगे की एक दिन उनके घर का बेटा वापस आएगा जो कभी नही होने वाला। इस लिए कह रही हु की अभी घर चलिए और उनसे सारे रिश्ते तोड़ दीजिये।

    अरहान तो बस उसे देखता हि रह गया, निकेश भी उसे देख रहा था, आरवी ने जब देखा सब लोग कुछ बोल नही रहे बस उसे हि देख रहे है तो वो फिर से बोली, क्या मैने कुछ गलत कहा क्या .

    अभी कोई कुछ बोलता इससे पहले हि निकेश बोल पड़ा, नही तुमने कुछ गलत नही कहा तुमने बिल्कुल सही कहा, कब तक मोम और बाकी सब इनकी याद मे घुट घुट कर जियेंगे कभी तो ये उम्मीद ख़तम करनी पड़ेगी ना तो आज क्यू नही, इस लिए अभी ये लोग भी घर हि आ रहे है।

    अरहान कुछ नही बोला पर उसने घर जाने के लिए हा कर दी। आरवी ने कहा की वो बड़ी और अपने दोस्तों ले साथ घर आ जाएगी तो वो सब घर चले जाये।

    रिहा और रुचि तो तुरंत जाने के लिए हा कर देते है उन्हे ऐसे देख आरवी उन्हे घूरती है पर कुछ कहती नही वही दादा जी को भी आरवी की बात सही लगी क्युकी डिस्चार्ज अभी शाम को मिलने वाला था और घर पर ओबेरॉय परिवार आ गया था इस लिए उन्होंने आरवी से कहा की वो केशव को भी साथ ले जा रहा है तुम्हारे दोस्त है ना यहा शाम को लेने आएंगे। आरवी हा कर देती।है रागिनी जी का मन नही मान रहा था पर वो कुछ नही बोलती और वहाँ से चली जाति है विक्रम जी भी उनके साथ थे उन्होंने एक हाथ रागीनी जी के कंधे पर रखा था दूसरे हाथसे राधिका का हाथ पकड़ा था, रागिनी जी की दूसरी तरफ रियांश था और साथ मे रुचि थी उन्हे ऐसे देख आरवी की आँखे नम हो जाति हैं पर वो बड़ी सफाई से उसे पोछ लेती है बाकी सब भी चले जाते है।

    उसके पांच दोस्त वही रुकते है, उसमे से एक लड़का बोला, अब बोल क्या कहना था।

    आरवी ने उसकी ओर देखा तो लड़का बोला, इस लिए हि तो कल रात तूने मेसेज कर हम सबको यहा बुलाया था ना।

    आरवी बोली, मैने मेसेज किया था .

    तभी उनमे से एक लड़की बोली, और नही तो क्या और कौन करेगा मेसेज क्या बोल रही है तु

    आरवी बोली, अरे यार एक्सीडेंट की वजह से मै कुछ तो भूल रही हु क्या हुआ था कल घर से निकलने के बाद कही तो गयी थी मै पर कहा गयी तभी तुम लोग कह रहे हो की मैने मेसेज किया था पर मुझे ऐसा कुछ याद नही है।

    तभो दूसरी लड़की बोली, इसका मतलब तु नाटक नही कर रही यही

    आरवी बोली, नाटक .

    तो वो पहले वाला लड़का बोला, हमे लगा कि तु भाई को कुछ भी बताना नही चाहती ना इस लिए तु अभी नाटक कर रही हि क्युकी भाई को पता था की एक्सीडेंट से पहले तु कही गयी थी जब तुने फोन किया यहां घर से निकलने के बाद तो हमारी सारी बाते भाई ने सुन ली थी इस लिए तो हम लोग पहली फ्लाइट से यहा आ गये।

    तभी दूसरा लड़का बोला, हा पर यहा आते हि हमे पता चला की तेरा एक्सीडेंट हो गया है इस लिए हम लोग सीधा यहा आ गये। पर यहा तो तु सब भूल कर हि बैठी।है हम्म्म .

    आरवी उसकी बात सुन बोली, तु तो ऐसे बोल रहा है की मै जान बुज कर सब भूली हु

    दूसरी लड़की ने उसके हाथ पर मारते हुए कहा, हा तो किस ने कहा था गुस्से मे कार चलाने के लिए, तु कभी अपने गुस्से को काबू नहीं कर सकती ना और ना हि किसी की बात सुनती हि

    आरवी बोली, अच्छा ठीक है अब तुम लोग मत लड़ने लग जाना मुझसे मेरा अभी बिल्कुल भी मन नही है किसी से भी लड़ने का।

    थोड़ी देर बाद आरवी फिर से बोली, अच्छा तुम्हे मैने फोन किया तो कुछ तो कहा होगा ना कीस सिलसिले मे मै वहाँ जा रही हु कोई तो वजह होगी।

    लड़के ने उससे कुछ कहा तो आरवी अपनी सोच मे गुम हो गयी।

    आगे क्या होगा जानेगे अगले पार्ट मे .💜

    तब तक के लिए bye. .💜

  • 7. ❤️Ch 7 : फफक फफक कर रोना।♥️

    Words: 808

    Estimated Reading Time: 5 min

    Ch 7 – फफक फ़कक कर रोना।

    Hi hello namaste

    अब तक हमने देखा की, आरवी अरहान को घर ले जाने के लिए उसे भड़का ने की कोशिश कर ती है पर उसका सारा का सारा प्लान धरा का धरा रह जाता है, इस बात पर उसका मुंह बन जाता है, अरहान आरवी को वापस ले जाने की बात कहता है पर रायजादा परिवार इसके लिए सहमत नही होता वही आरवी के दोस्त भी अब यही मुंबई मे रहने वाले थे इस लिए आरवी खुश होकर अरहान को यहा रुकने को कहती है ,
    पर अरहान उसकी बात ना सुन कर जाने को होता है तभी निकेश उसे रोकते हुए कहता है की घर से उसके सारे रिश्ते ख़त्म कर के जाये, उसकी बात सुन अरहान की आँखे नम हो जाति है वही आरवी भी यही कहती है की अगर वो अब नहीं वापस आने वाले तो वो सबकी उम्मीदें जो उनसे लगी है वो ख़त्म कर के जाए।

    ये सुन अरहान घर जाने को मान जाता है रायजादा परिवार भी घर के लिए निकल जाता है क्युकी अभी हॉस्पिटल मे आरवी के दोस्त रुकने वाले है तो उनका यहा रुके रहने का कोई मतलब नही था और आरवी को शाम को डिस्चार्ज मिलना था इस लिए सब घर चले जाते है अब उसका एक दोस्त उसे कल के बारे मे पूछता है तो आरवी उन्हे कहती है की वो सच मे सब कुछ भूल चुकी है ये सुन सब सोच मे पड़ जाते है क्युकी उन्हे लगा था की आरवी अरहान की डांट से बचने के लिए नाटक कर रही है।

    (पहले आरवी के दोस्तों के नाम बता देती हु मै उसके दोस्तों मे तिन लड़के और दो लड़किया इस तरह कुल मिला कर छे दोस्तों का ग्रुप है ये सब स्कूल मे मिले थे तब उनके दोस्त के पेरेंट्स वही दिल्ली मे रहते थे ,

    पर धीरे धीरे वो लोग मुंबई शिफ्ट हो गये वो लोग चाहते थे की बच्चे उनके साथ चले पर उन लोगो ने आरवी के साथ रुकने का सोचा इसी बिच उनकी मुलाक़ात अरहान मिहिर और माहिरा से हुए और अपने मोम डेड से कह कर वो लोग अरहान के घर शिफ्ट हो गये, अरहान के रहने से अब उनके परेंटस् ने भी उन्हे दिल्ली मे रहने की परमिशन दे दी। )

    उनके ग्रुप मे

    आरवी

    सिया

    आरुषि

    अनय

    मयंक

    रिषित .

    है)

    अब आगे,

    इधर अरहान, मिहिर और माहिरा रायजादा मेंशन के बाहर पोहोच गये थे बाकी सब भी उनके साथ थे निकेश तो अरहान को नज़रदाज करके अंदर की ओर जाने लगता है ,

    बाकी सब भी अंदर की ओर जाने लगते है पर अरहान अभी भी वही खड़ा था। उसे अपनों का सामना करने में डर लग रहा था। तभी मिहिर ने उसे अपने साथ खींच लिया और अंदर जाने लगा आरहान ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन मिहिर ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और उसे खींचते हुए ले जाने लगा।

    ये सब निकेश ने भी पीछे मुड़ कर देखा पर उसके चहेरे पर कोई रिएक्शन नहीं था वो बिना भाव के अंदर की तरफ बढ़ गया।

    वो लोग जैसे हि अंदर पहोचे ।
    अंदर एक पुरा परिवार बैठा था अरहान , मिहिर और माहिरा की आँखे उन लोगो को देख नम हो जाति है ये है उनका परिवार जिनसे सालो से दूर थे। अरहान की नज़रे अपनी मा पर बनी हुई थी ।
    वही उनकी नज़र उन तीनो पर नही गयी थी जब उन्होंने निकेश को देखा तो वो मुस्कुरा कर बोली, अरे आ गये बेटा कैसी है आरवी अब।

    उनकी बात पर निकेश बोला, वो ठीक है माँ

    उसकी माँ बोली, चलो अच्छा है वो बच्ची ठीक है।

    निकेश ने सिर हम्म कर हा मे सिर हिलाया, तभी उसकी माँ ने उसका चहेरा देख बोली, क्या बात है बेटा तुम्हारा चहेरा क्यू उतरा है, ये बोलते बोलते उनकी नज़र पीछे खड़े अरहान की ओर गयी जो नम आँखों से उन्हे हि देख रहा था।

    बाकी परिवार वालो ने भी उन्हे देख लिया था मिहिर और माहिरा की माँ यानी निकेश की चाची जल्दी से उन दोनो को गले लगा कर रोने लगती है।

    वही अरहान अपनी माँ की ओर धीरे कदमो के साथ बढ़ रहा था उसके दिल की धड़कन तेज हो रही थी और उसकी आंख से एक आंसु लुढ़क कर उसके गाल पर आ गयी, उसका गला भर आया था उसके मुंह से जैसे तैसे एक हि शब्द निकला, “माँ “

    अरहान के मुंह से माँ सुन उसकी मम्मा तो फफक फफक कर रोने लगी अरहान उन्हे रोते देख कर जल्दी से आगे बढ़ उन्हे गले लगा लेता है उसकी माँ उसके गले लग और ज्यादा रोने लगी, अरहान खुद भी रो पड़ा उसे सुकून मिल रहा था इतने साल बाद अपनी माँ के गले लग ये दृश्य देख कर सबकी आँखों मे आंसु आ गये।

    आगे क्या होगा इस कहानी मे जानेगे अगले पार्ट मे तब एक के लिए bye. .💜

  • 8. ❤️Ch 8 : ओबेरॉय परिवार ❤️

    Words: 1740

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब तक हमने देखा की, अरहान अपने परिवार से इतने साल से दूर था की अब उनसे मिलने मे भी हिचकिचा रहा था ।

    मिहिर जबजस्ती उसे अंदर लेकर आता है उसकी माँ उसे देख रोने लगती है तो अरहान भी रोने लगाता है और अपनी माँ को गले लगा लेता है।

    अब इंट्रो पर आते है, ओबेरॉय परिवार

    घर के मुखिया और दादा जी परमजीत ओबेरॉय ये और कृष्णाकान्त रायजादा दोस्त है और इनका घर पड़ोस मे हि आजू बाजु मे है।

    अब आते दादी जी, प्रीत ओबेरॉय ये थोड़ी सख्त है और थोड़ी भोली भी हमेशा दादा जी के जाल मे फस जाति है।

    अब आते है घर के बड़े बेटे, राम ओबेरॉय, सख्त परसनलिटी के मालिक इन्हे नही पसन्द कोई इनके खिलाफ जाये।

    इनकी पत्नी, जानकी ओबेरॉय, ये शांत और सुलजी हुई है।

    अब आते इनके बड़े बेटे, अरहान ओबेरॉय इनसे तो आप मिल हि चुके है इनकी और इनके पिता की कभी एक बात पर सहमति नही होती और इसी की वजह से वो घर छोड़ गये थे।

    अब आते है इनके दूसरे बेटे, निकेश ओबेरॉय, इनसे भी आप मिल चुके है गुस्सैल अपनी बात मनवाने वाल राधिका से बोहोत प्यार करता है।
    और इनके तीसरे बेटे शिवाय ओबेरॉय जीनके बारे में आगे जानेंगे।

    अब आते है इनकी सबसे छोटी बहन लावण्या ओबेरॉय, ये चुलबुली है और खुशमिजाज भी है ये 17 की है और अभी बारवी मे है। इन्हे राधिका बोहोत पसंद है और बाकी रायाजादा परिवार के बच्चो के साथ बहुत बनती हैं,

    और ये आरवी से नफरत नही करति बस इनकी पटती नही है कुछ खास।

    अब आते है छोटे बेटे और निकेश के छोटे पापा अरिताज ओबेरॉय ये हसमुख और मजाकिया किस्म के है बिकुल केशव जी तरह बाकी ये बेस्ट फ्रेंड है विक्रम जी यानी आरवी के पापा के ।

    इनकी पत्नी, सावी ओबेरॉय, ये सीधी है बिल्कुल अपनी भाभी की तरह इनके तिन बच्चे है ।

    मिहिर और माहिर जुड़ावा है इनसे भी आप मिल चुके है।

    अब आते है इस घर के छोटे नवाब यानी छोटे पोते नील ओबेरॉय मजाकिया भी गुस्सैल भी अपने भाईओ से बोहोत प्यार करते है ।

    ओबेरॉय परिवार हो या रायजादा परिवार सबके फेवरेट है ये 19 के है अभी लेकिन इनका खुद का बिज़नेस है।

    ये छोटे नवाब अभी तक आरवी से नही मिले क्युकी जब दो महीने पहले आरवी यहा आयी थी तब से वो अपने दोस्तों के साथ टूर पर है। वैसे ये ड्यूल परसनलिटी लेके घूमते जो नील घर वालो के समाने मासूम क्यूट, बड़ बोला और मस्ती खोर है, वही नील बाहर वालो के लिए उतना हि गुस्सैल, खौफ नाक और क्रूल है ,

    ये परसनलिटी उसके भाई और रायजादा brother के आलावा किसी को नही पता है की उनका हस्ता खेलता मासुम नील बाहर कैसा है, ये बात उसकी बेस्ट फ्रेंड रुचि को भी नही पता है हा वही रुचि राधिका की बहन। वैसे बिज़नेस मैन तो निकेश भी है ।

    अब कहानी की ओर चलते है,

    अरहान अभी भी जानकी जी के गले लगा हुआ था, वो रो रहा था उन्हे देख कर बाकी सब की आँखों मे भी आंसु आ गये। तभी रागिनी जी बोली _ भाभी बच्चे इतने वक्त बात आये हैं क्या ऐसे हि खड़े रखेगी आप। उनकी बात सुन जानकी जी ने अपने आंसु पोंछ अरहान का भी मुंह अपने पल्लू से साफ कर कहा, मै तो भूल हि गयी आ इधर आ कितने साल बाद आया , कहा था क्या अपनी माँ की याद नही आयी क्या ?

    सोफे ओर बैठते हुए अरहान फिर से अपनी माँ से लिपट कर बोला, सोर्री माँ ।

    जानकी जी ने उसके सर पर हलके हलके हाथ से थपकी देते हुए कहा, कोई बात नही अब तु आ गया है ना मै तुझे कही नहीं जाने दूगी।

    अरहान ने कुछ सोच कहा, कही नही जा रहा बस इतना सुनना था की तभी सबके चहेरे पर मुस्कान आ जाति है, मिहिर और माहिरा भी अपनी मोम से लिपट गये।

    तभी लावण्या आयी और बोली, सिर्फ मोम से मिलों आप मुझे तो भूल हि जाओ .

    अरहान ने अपनी मोम को छोड़ा और उसकी ओर देखा तो लावण्या नाराजगी मे गाल फुलाए उसकी ओर देख रही थी, मिहिर ने उसके गाल खींच कहा, अरे मेरी गोलू मोलू तुझे भला कोई भूल सकता है ये बोल उसने उसे गले लगा लिया माहिरा ने तो उसके गाल पर किस हि कर डाला और बोली, ओह्ह मेरी cutie pie कितनी क्यूट हो गयी है तु।

    लावण्या चिढ़ते हुए बोली, मै क्यूट नही हु ठीक है मै तो खूबसूरत हु बस ये गाल फुले हुए रह गये पर कोई बात नही इसे भी स्लिम कर दूंगी बिल्कुल आपकी कमर की तरह। उसकी बात पर माहिरा ने हस्ते हुए उसे गले लगा लिया। उसके बाद अरहान से जाके लिपट गयी लावण्या और वो बोली, आप बहोत बुरे हो आठ साल से गायब थे अब आ रहे हो मुझे तो लगा आपको याद भी नही होगी मै।

    ऐसे कैसे याद नही होगी मुझे इतनी प्यारी बहन है उसे भी भला कोई भूल सकता है , अरहान ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फिराते हुए कहा तो लावण्या मुस्कुराते हुए उससे अलग हुई।

    अरहान उसके बाद सबसे मिला आखिर मे वो अपने पापा के पैसा आके रुका उसकी हिम्मत नही हो रही थी अपने पापा से नज़ारे मिलाने की,

    वो कुछ बोलने को होता है पर उसके मुंह से आवाज नही निकल रही होती तभी राम जी ने उसे आगे बढ़ कर गले लगा लिया अरहान की आँखे एक बार फिर नम हो गयी और उसके हाथ अपने आप ऊपर उठ गये और अपने पापा को गले लगा लिया।

    वो धीरे से अपने पापा से बोला, सोर्री पापा .

    राम जी की भी आँखे नम थी वो बोले, नही मेरी गलती थी मुझे सोच समज कर अपना कदम उठाना चाहिए था।

    राम जी की बात सुन अरहान उनसे अलग होकर बोला, नही पापा मुझे एक बार आपकी बात सुननी चाहिए थी आप पर भरोसा करना चाहिए था सोर्री पापा। उसकी बात सुन कर राम जी उसे फिर से गले लगाते हुए बोले, कोई बात नही जो बित गया सो बित अब उस बारे बात नही करते ये बोलते वक्त उन्होंने अपने आंसु और अरहान के दोनो के पोछ दिये।

    तभी अरहान निकेश के पास गया और बोला, अब माफ़ नही करेगा क्या उसका इतना सुनना था की निकेश उसके गले लग गया मिहिर , माहिरा और लावण्या भी उनसे लिपट गये। सब उन्हे देख मुस्कुरा रहे थे। रायजादा सिंबलिंग्स भी ओबरोय सिब्लिंग्स को देख एक दूसरे से लिपट गये। पर ये सिब्लिंग्स अधूरे थे दोनो क्युकी रायजादा मे आरवी नही थी और ओबरोय मे रुद्र ।

    अरहान ने नोटिस किया की जब से वो आया है नील नही दिख रहा तो वो अलग होकर बोला, अच्छा ये नील कहा है जब से मै आया हु तब से दिखा हि नही।

    उसकी बात सुन कर लावण्या मुंह बना कर बोली, आप किसके बारे बात कर रहे हो भाई उनके पैर कभी घर मे टिके है क्या जैसे हि एग्जाम ख़तम हुए वो फुर हो गये सोलो ट्रिप पर, पिछले दो महीने से गायब है और किसी ने उन्हे कुछ नही कहा।

    निकेश बोला, उसे मैने कहा था की हर रोज मुझे फोन करे पर मजाल है ये लड़का कभी मेरी सुन ले बस अपनी मस्ती मे गुम रहता है पता नही कहा है ।

    तभी प्रीत दादी बोली,उसका फोन आया था आज अभी थोड़ी देर पहले वो आ रहा है अगले हफ्ते।

    दादी की बात सुन निकेश बोला, वो मुझे भी तो फोन कर सकता था ना ।

    उसकी बात पर अरिताज जी बोले, क्युकी उसे पता है की तु डाँटेगा उसे उसने तुझे तिन दिन से फोन नही किया उसने कहा है अब वो आके हि सब से बात करेगा ।

    सावी जी निकेश से कहती है, वो आये ना तो अच्छे से खबर लेना तु बोहोत ज्यादा हि लापरवाह हो गया है ये लड़का। उनकी बात सुन मीहीर बोला, क्यू ऐसा भी क्या कर दिया उसने।

    अरहान बोला, हा और दो महीने से गायब है पर वो तो मुझसे मिलने दिल्ली आया था अभी । उसकी बात पर परम दादा जी बोले, मतलब वो गधा तेरे कॉन्टेक्ट मे था अब तक। अरहान ने हा मे सिर हिलाया तो राम जी बोले, आने दो उसे मै बताता हु उसे।

    तभी प्रीत दादी बोली, खबरदार अगर मेरे पोते को कुछ कहा तो उनकी बात पर अब सब चुप हो गये। पर रुचि बोली, पर दादी मै तो उसे बोहोत मारुंगी क्युकी वो मेरा बेस्ट फ्रेंड है और मुझे बता कर हि नही गया वो। और ना मुझे लेकर गया आने उसे अच्छे से खबर लूंगी मै उसकी। उसकी बात पर सब मुस्कुराने लगे।

    कृष्णकात दादा जी बोले, अच्छा ठीक है अब सब आरवी की आने की तैयारी करो वो शाम को आ रहो है। उनकी बात सुन सब शांत पड़ गये सब एक दूसरे को देखने लगे, अरहान मिहिर और माहिरा सबका रिएक्शन चुप चाप देख रहे थे।

    रोहन, राहुल, रिहा , रेयांश, और रुचि ने फ्रेश होने का बहाना मार ऊपर की ओर चले गये, राधिका ने उन्हे रोकने की कोशिश करती है पर जब बात आरवी की आती है तब ये लोग बिल्कुल भी इट्रेस्ट नही लेते,
    अरहान ये सब देख रहा था उसको बुरा लग रहा था अपनी बहन अनु के लिए जिसने उसे अब तक इतने नाजो से रखा , यहा आके वो सबकी नफरत का सामना कर रही है, उसने मन हि मन कुछ तै किया।
    तभी लावण्या, निकेश भी रायजादा सिब्लिंग्स के पीछे निकल गये निकेश अपने साथ राधिका को भी लेता गया क्युकी वो नही चहा था की अब राधिका आरवी के पास जाये।
    ये अब देख कर कृष्णकात दादा जी को बहोत बुरा लगता है, विक्रम जी भी रागिनी जी को लेकर अपने कमरे मे चले जाते है , दादी भी अपनी बड़ी बहु को लेती गयी किसी को फर्क नही पड़ता था शायद आरवी के घर आने पर। उन्हों ने ओबेरॉय परिवार की तरफ देखा तो जानकी जी बोली, हम तैयारियां करते है ना अनु बेटा के आने की उनकी बात सुन कृष्णकान्त दाद जी के चहेरे पर मुस्कान आ गयी पर वो फीकी थी क्युकी वो उदास थे। परम दादा जी ने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा, सब ठीक होगा देख अरहान मिहिर माहिरा भी आ आगये अब । उनकी बात पर दादा जी सिर्फ हा मे सिर हिला देते है।

    आगे क्या होगा इस कहानी मे जानेगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए bye. .💜



    गाइज इस चैप्टर में हीरो का नाम हैं देखते हैं कौन कौन नाम सही बताता हैं।

  • 9. Chapter 9 : रायजादा मेंशन में वापसी।

    Words: 1208

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब तक हमने देखा की, ओबेरॉय परिवार जो कि अरहान का परिवार था अरहान अपने भाई बहन के साथ अपने परिवार मे वापस आ गया था,
    उसको सब ने माफ़ कर दिया था, उसे अपनी गलती का अहसास था, मिहिर और माहिरा भी सबसे मिलते है अरहान अपने छोटे भाई नील के बारे मे पूछता है तो सब बताते है की वो तो सोलो ट्रिप पर चला गया दो महीने से गायब है

    अरहान उन्हे बताता है की अब तक वो उसके कॉन्टेक्टद था और दो महीने पहले वो उससे मिलने भी आया था, इन सब बातो के बाद कृष्ण दादू सबको ये याद दिलाते है की आरवी शाम को आ रही है ,
    तो सब उसके वेलकम की तैयारी करे ,
    पर कोई भी इट्रेस्टेड नही था खास कर रायजादा परिवार इस बात से दादू उदास हो जाते है तो जानकी जी कहती है की वो लोग तैयारी करते है, परम दादू उन्हे हौसला देते हुए कहते है की जैसे उनका पोता घर लौट आया है वैसे हि सब आरवी को भी अपना लेंगे, उनकी बात पर दादू सिर्फ हा मे सिर हिला देते है।

    अब आगे,

    वही दूसरी तरफ हॉस्पिटल मे, आरवी ने डॉक्टर को बुलवाया फिर से डॉक्टर डरते डरते अंदर आये, आरवी ने उन्हे एक कोल्ड टोन मे कहा, अब जो भी मै कहु उसे शांति से सुनना और उसका सच सच जवाब देना, डॉक्टर ने उसके दोस्तों की तरफ देखा तो मयंक बोला, देखिये डॉक्टर हमे बस अनु की हेल्थ के बारे मे जानना है आपको डरने की या गभराने की कोई जरूरत नही है।

    उसकी बात सुन डॉक्टर ने हा मे सिर हिलाया तो, आरवी बोली _ आप ने कहा था की उस हादसे से मै डर गयी थी इस लिए मै अपनी मेमोरी का कुछ हिस्सा भूल गयी जो भी मैने एक्सीडेंट से पहले किया था।

    उसकी बात सुन डॉक्टर बोले _ देखिये ऐसा होता है कभी कभी कुछ हादसों मे ।
    दरअसल हुआ ये होगा की आप के दिमाग़ मे उस वक्त वही चीज चल रही होगी जो आप अभी भूल गयी है, और वो जब आप सोच रही होगी तब आप परेशान होगी या डरी हुई और अचानक आपके सामने ट्रक आ गया इस लिए आपका दिमाग़ एक दम ब्लैंक हो गया और उस वक्त आप जो सोच रही थी वो आप भूल गयी। आरवी ने उनकी बात सुन कहा _ तो क्या वो पार्ट मुझे कभी याद नही आएगा।

    डॉक्टर ने फिर उसे शांति से समजाते हुए कहा _ नही कभी कभी एक सिन या दो सिन मे वो सब याद आ जाता है पर कभी कभी ये लम्बा खींच जाता है ,

    ये डिपेंड करता है की आप के आस पास का atmosphere कैसा है। आरवी ने हा मे सिर हिलाया और डॉक्टर को थैंक्स भी कहा और सोर्री भी क्युकी सुबह उसकी गलती थी आरवी ऐसी लड़की नही थी की वो अपनी गलती ना माने, डॉक्टोर उसकी बात सुन कर कहा_ कोई बात नही आई अंडरस्टैंड ये बोल डॉक्टर मुस्कुराते हुए वहाँ से चले गये।

    उनके जाने के बाद आरुषि बोली, अब क्या करे हमे कैसे पता चलेगा अब सब कुछ।

    आरवी सोचते हुए बोली, अभी इस बारे मे जाने देते है बाकी कोई और प्रॉब्लम तो नही है ना।

    ऋषित बोला _ नही और कोई प्रॉब्लम नही है बिज़नेस अच्छा जा रहा है और हमारी आइडेंटिटी भी बाहर नही आयी। आरवी ने हा मे सिर हिलाया। तभी सिया बोली, अनु मै एक बात पुछु तु बुरा तो नही मानेगी ना .

    आरवी उसकी बात पर मुस्कुराते हुए बोली _ तुम लोगो को कबसे मुझसे परमिशन लेने की जरूरत पड़ गयी पूछ ना ।

    उसकी बात सुन सिया बोली, अनु तेरा परिवार तुझे पसंद नही करता तो फिर भी तु वहा क्यू रह रही है।

    सिया की बात सुन आरवी मुस्कुरा उठती है, तुझे पता है ना अकेले रह कर मै अपने परिवारर को कितना मिस करती थी और किसने कहा वो लोग मुझे पसंद नही करते देखा नही सुबह मेरे एक्सीडेंट की बात सुन कैसे दौड़े चले आये थे सब , सब मुझसे बहोत प्यार करते है बस मेरी बदतमीजियों की वजह से थोड़ा दूर हो गये है।
    ये ख्याल पुरानी वाली आरवी का नहीं बल्कि राहा का था ।


    सिया बोली, अनु अगर तुझे लगे की तु एडजेस्ट नही हो पायेगी उन लोगो के साथ तो हम सब है ठीक है। आरवी ने सब की ओर देख अपनी बाहे फैला दी तो सब उसे आके लिपट गये।

    ऐसे हि शम हो गयी, आरवी का पैर ठीक था बस मुड़ा था इस लिए सूज गया था, डॉक्टर ने कहा था की कल तक वो पुरी तरीके से चलने फिरने लगेगी। केशव जी उन्हे लेने आ गये थे, आरवी के दोस्तों के घर से फोन आये थे इस लिए वो लोग कल आने का बोल चले गये, आरवी ने भी उन्हे कल आने को बोला था, वो केशव जी के साथ गाडी मे बैठ गयी।

    केशव जी बोले, तुम अपने दोस्तों के बहोत करीब हो ना।

    उनकी बात सुन कर आरवी बोली, हा मेरी फॅमिली है जब आप लोग नही थे तो उन लोगो ने मेरा बहोत ख्याल रखा है, अरहान भाई , मिहिर भाई और मिहिरा दी तो मुझे कुछ हो जाने पर पुरा घर सर पर उठा लेते थे।

    केशव जी उसकी बात सुन कर वो उदास हो गये, क्युकी उन्हे लगता था की उस वक्त अगर उन्होंने अपने छोटे भाई को रोक दिया होता तो आरवी उनके साथ अच्छी होती। आरवी ने ये नोटिस किया तो वो बोली, बड़ी आप उदास है क्या ?

    केशव जी एक मुस्कुराहट के साथ बोले, नहीं और होंगे भी नहीं अब तुम शैतान आ गयी हो। उनकी बात पर आरवी मुंह बना कर बोली, अच्छा जी मै शैतान .

    केशव जी भी उसी अंदाज मे बोले, हा जी.

    उसके बाद दोनो खिलखिला कर हस दिये। केशव जी बोले, अब तुम आ गयी हो ना तो बचपन की तरह बहोत शरारत करेंगे। आरवी उनकी बात पर बोली, ठीक है और सबको परेशान करेंगे। केशव जी हा मे सिर हिला देते है।

    ऐसे हि बाते करते हुए वो लोग रायजादा मेंशन पहोच जाते है, केशव जी आरवी को धीरे से निचे उतारते है अभी आरवी व्हिल चेयर पर थी ,
    क्युकी आज के दिन डॉक्टर ने उसको पैर पर कोई भी वजन डालने से मना किया था। केशव जी उसकी व्हिल चेयर धकेलते हुए अंदर ले गये। अंदर चारो ओर अंधेरा था ये देख आरवी उदास हो जाति है उसे लगा की कोई निचे उसके आने से खुश नही है इस लिए कोई उससे निचे मिलने नही आया ये सोचते हि उसकी आँखे नम हो गयी।

    उसकी नम आँखे देख कर केशव जी बोले, अरे क्या हुआ मेरे शैतान बच्चे को। आरवी अपनी नम आँखे छिपाते हुए बोली, कुछ नही बड़ी मुझे थकान हो रही है क्या मुझे मेरे कमरे मे छोड़ देंगे।

    केशव जी बोले, हा पर बाकी सब से तो मिल लो तुम ।

    आरवी चारो ओर देख कर कहा, कोई है तो नही यहा किससे मिलु शायद कोई मुझसे मिलना नहीं चाहता। ये बोल वो उदास हो जाति है, वही केशव जी ने उसे देख चारो ओर देखा वो मन मे बोले, अरे कहा चले गये सब अब तक तो प्लेन के अकॉर्डिंग उन लोगो को आ जाना चाहिए था।

    आगे क्या होगा इस कहानी मे जानेगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए bye. .💜

  • 10. Villainess Reborn - Chapter 10

    Words: 1147

    Estimated Reading Time: 7 min

    नमस्ते: प्रणाम:

    अब तक हमने देखा की, आरवी ने डॉक्टर को एक बार फिर अपने वॉर्ड मे बुलवाया, डॉक्टर वॉर्ड मे डरते हुए आरवी को देखता है उसके और फिर उसके दोस्तों को, उन्हे डरता देख कर मयंक उनसे कहता है की उन्हे उनसे डरने की जरूरत नही है वो बस इतना पूछना चाहते है की आरवी जो भूल चुकी है वो कब तक याद आएगा और वो भूल कैसे गयी ।

    डॉक्टर उनकी बात सुन खुद को शांत करते है और उन्हे समझाने लगते है की कैसे वो भूल गयी उसके बाद वो बताते है की याद आना ना आना इस बात डिपेंड करता है आपके आस पैसा माहौल कैसा है ऐसे केस मे पैसेन्ट को एक दिन दो दिन या उससे भी ज्यादा वक्त लग सकता है याद आने मे,

    ऐसे हि शाम हो जाति है केशव जी आरवी को लेने के लिए आ गये थे आरवी के दोस्त उसे कल आने का बोल वहा से चले जाते है,

    केशव जी आरवी को घर के लिए लेकर निकल जाते है, आरवी को आज के दिन पैर पर ज्यादा वजन देने से मना कर दिया कल से वो थोड़ा थोड़ा चल फिर सकती है क्युकी पैर सिर्फ थोड़ा सा हि सुजा था बाकी कोई और प्रॉब्लम नही थी, केशव जी और आरवी बाते करते हुए रायजादा मेंशन पहोच जाते है, आरवी जैसे हि घर मे आती है वहाँ किसी को ना देख उदास हो जाति है उसे लगता है की सब उससे इतनी ज़्यदा नफरत करते है की कोई उससे मिलने नही आया, उसे उदास देख केशव जी मन मे कहते है ये लोग कहा रह गये अभी तक तो प्लेन के अकॉर्डिंग सबको आ जाना चाहिए था, आरवी उन्हे अपने कमरे मे छोड़ ने का बोलती है तो केशव जी उसे कहते है की सबसे मिलके तो जाओ उस बात पर आरवी फिर उदास हो जाति है।

    अब आगे,

    आरवी का मुंह लटका हुआ था वो अपने बड़े पापा की ओर देख रही थी तभी एक दम से उजाला हुआ और सब एक साथ बोले, वेलकम होम .

    आरवी ने आवाज की ओर देखा जहा पर सब खड़े थे , सब मतलब सब पुरा रायजादा परिवार साथ मे पुरा ओबेरॉय परिवार भी था।

    आरवी की आँखे मे जो अभी तक उदासी थी उसमे अब लाखो सितारों की चमक आ गयी थी, उसकी आँखे खुशी से चमक रही थी उसने अपने बड़े पापा की ओर देखा जो उसे हि मुस्कुराते हुए देख रहे थे, उन्होंने उसके बालो मे हाथ फेर कहा, कैसा लगा मेरी पार्टनर को सप्राइज !

    आरवी खुशी से चहकते हुए बोली, बहोत अच्छा बड़ी यू आर टू गुड, ओसम

    उसकी बात सुन केशव जी उसको गले लगा लेते है तभी कृष्ण दादू बोले, ये क्या बात हुई जिद्दी बच्चे ये आइडिया हमारा था आप थैंक यू इस नालायक को कह रही है, जिसने एक सामान भी यहा से वहा नही हिलाया। दादा जी की शिकायत सुन केशव जी का मुंह बन जाता है वही आरवी खिलखिला कर हसने लगती है।

    सब उसकी खिल खिलाहट सुन उसकी ओर देखते है रायजादा परिवार ने तो पहली बार आरवी को बिना किसी की फ़िक्र किये ऐसे खिल खिलाकर हस्ते हुई देखा था।

    आरवी ऐसे हस्ते हुए बहोत हि खूबसूरत दिख रही थी उसके गाल हलके लाल हो गये थे और नीली आँखों मे हलका पानी चमक रहा था जिससे ऐसा लग रहा था की उसकी आँखे साफ पानी की बुंद की तरह सूरज की किरण से चमक रही है और उस पानी की बुंद के बिच एक नीले रंग का क्रिस्टल रखा हो।

    ऐसे नही उसकी खूबसूरती के दीवाने थे सब बस सबको उसका रुड बिहेवियर पसंद नही आता था। आज पहली बार विक्रम जी ये नोटिस किया की आरवी की आँखे उन पर गयी है , खूबसूरत जो आँखों से हि सबको अपनी बात समजा देते, जब गुस्से मे हो तब उनकी आँखे देख कर हि सब उनसे डर जाते और, जब वो किसी को एक टक देखते तो उनकी आँखों की तपिस कोई सह नही पाता । विक्रम जी भी एक टक अपनी बेटी को देख रहे थे आरवी को ये महसूस हुआ और उसने उनकी ओर देखा, सिर्फ दो पल के लिए उन दोनो का ऑय कॉन्टेक्ट हुआ और इस दो पल मे विक्रम जी ने अपनी बेटी की आँखों मे दर्द की छोटी सी लहर देख ली थी। वही आरवी ने भी उनकी आँखों मे एक तड़प देख ली थी।

    पर इन दोनो का एगो कौन समजाये , अपने एगो मे ये दोनो कुछ समझना नही चाहते थे, इस लिए अपने मन के ख्यालो को उन्होंने झटक दिया और इन दो पलो के ऑय कॉन्टेक्ट को किसी ने भी नोटिस नही किया सिवाय रागिनी जी जो अपने पति को देख रही थी,
    उनकी हिम्मत नही थी आरवी की आँखों मे झाकने की और उनके हाथो की मुठिया कश गई।
    इधर आरवी ने उनकी ओर से नजरे घुमा ली और बाकी सब से मिलने लगी वही विक्रम जी की नजरे अपनी बेटी पर हि थी जो अभी अरहान की तरफ जा रही थी।

    आरवी अपनी व्हिल चेयर को धकेलते हुए अरहान की ओर जाने लगी तभी अरहान जल्दी से उसकी ओर आके उसे रोकते हुए बोला, क्या कर रही है एक जगह रुक नही सकती क्या ?

    आरवी ने उसे झुकने का इशारा किया , अरहान भी उसका इशारा समझ कर झुकता है तो आरवी उसके गले लग बोली, भैयू ये सब आपने किया ना।

    अरहान बोला, तुझे कैसे पता ?

    आरवी बोली, ओहो भैयू मै आपके साथ रह रही थी अब तक तो इतना तो मै जान हि गयी हु आपको जैसे आप मुझे जान गये।

    अरहान उसके सिर पर हाथ फिरोते हुए बोला,अच्छा मेरा समझदार बहना पर ये सब मैने अकेले ने नही किया बाकी सब ने भी मेरा साथ दिया है।

    आरवी उसकी ओर confusion से देखने लगी, तो अरहान ने बाकी घर वालो की तरफ इशारा किया आरवी ने उनकी ओर देखा फिर उसने सबको इग्नोर कर , जानकी जी की ओर इशारा कर कहा, आपकी मम्मा?

    अरहान ने भी उस ओर देख एक बड़ी सी मुस्कान के साथ हा मे सिर हिलाया और आरवी को जानकी जी के पास ले गया, आरवी ने जैसे हि उनके पास आती है वो बैठे बैठे हि उनके पैर छु कर बोली, नमस्ते आंटी मै आरवी ! अरहान भैयू की बहन।

    उसका इंट्रोडक्शन सुन कर जानकी जी के चहेरे पर एक मुस्कान आ गयी वो आरवी के गालो को प्यार से छूते हुए बोली, अच्छा तो आप है हमारे अरहान की बहन जिसकी इतनी तारीफ कर रहे थे ये तीनो।

    आरवी ने अपने बाल झटक कर कहा, ऐसा है! आखिर मै हु हि तारीफ के लायक !

    उसकी बात पर जानकी जी हसने लगती है और प्यार से आरवी का माथा चूम लेती है, उनका अहसास पाके आरवी की आँखे बंध हो जाति है और चहेरे पर एक लम्बी और सुकून भरी मुस्कान आ जाति है।

    आगे क्या होगा इस कहानी मे जानेगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए bye .💜

  • 11. Ch 11 : नील ओबेरॉय जितना हो सके मुझसे दूर हो।

    Words: 1465

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब तक हमने देखा की, आरवी को केशव जी घर ले आते है आरवी घर मे किसी को ना पाकर उदास हो जाति है , और तभी सब वेलकम होम कहते हुए चिल्लाते है और आरवी उन लोगो को देख कर बहोत खुश होती है,

    केशव जी उसकी इस खुशी को देख बहुत खुश होते है आरवी ने देखा वहाँ हर कोई है ओबेरॉय परिवार भी और रायजादा परिवार भी पुरा था,
    इस बात की उम्मीद आरवी ने नही की थी इस लिए वो सप्राइज्ड थी, वो अरहान को देख उसकी ओर बढ़ने लगती है, अरहान उसे अपनी ओर आता देख खुद उसकी ओर बढ़ते हुए डांटाते हुए कहता है की अभी अभी वो हॉस्पिटल से आयी है तो ज्यादा उच्छल कुद ना करे ।

    आरवी उसके गले लग उसे थैंक यू कहती है, अरहान मुस्कुराते हुए उसके सिर पर हाथ फेरोता है, वही विक्रम जी आज पहली बार शायद इतनी गौर से देख रहे थे, उनकी बेटी की आँखे बिल्कुल उनकी तरह थी, ये बात महसूस कर उन्हे पता नही क्या होता है वो अपनी मुस्कुराती बेटी पर से अपनी नजरें नही हटा पा रहे थे वही रागिनी जी ये देख रही थी, उनकी हाथों की मुट्ठी कश गई ।

    इधर अरहान आरवी को अपनी माँ यानी जानकी जी के पास लेकर आता है, आरवी उसकी ओर देख कहती है आपकी मम्मा, अरहान ने हा मे सिर हिलाया तो आरवी ने बैठे बैठे हि उनके पाउ छु लिए।

    अब आगे,

    जानकी जी ने जैसे हि आरवी के माथे को चूमती है।उनका अहसास पाके आरवी की आँखे बंध हो जाति है और उसके चहेरे पर एक निसछल मुस्कान आती है।

    जानकी जी ने उसके चहेरे पर हाथ फिरो कर कहा, बहोत हि प्यारी है। आरवी बोली, हा वो तो है मै प्यारी और क्यूट तो हु.

    उसकी बात पर सब हसने लगती है, वही मिहिर हस्ते हुए बोला _ इसे बस अपनी तारीफ करनी होती है बड़ी मम्मा इस लिए आप ना ज्यादा तारीफ ना करो इसकी , बिल्कुल सेल्फ ऑब्ब्सेड है वो.

    उसकी बात सुन आरवी मुंह बना कर बोली _ आप से तो कम हि हु मिहिर भाई जितना आप खुद की तारीफ करते है ना उतना तो कोई लड़की भी नही करती होगी।

    मिहिर बोला_ हा तो हु मै हैंडसम तो तारीफ तो बनती है ना अगर कोई कॉम्पलिमेंट नही देगा तो इस प्यारे चहेरे का क्या फायदा।

    उसकी बात सुन सब अफ़सोस से सिर हिला देते है मानो कह रहे हो इसका कुछ नही हो सकता। तभी सावी जी उसके पास आके उसका कान खींचते हुए बोली, बहोत बोलने नही लगा हैं तु.

    मिहिर चिल्लाते हुए बोला, आह . मम्मा. लग रही है, बहोत दुख रहा है छोड़ो मम्मा.

    सावी जी ने उसका कान छोड़ते हुए कहा _ तो दर्द हो इस लिए हि खिचा है। मिहिर ने मासूम सा मुंह बना कर अपने पापा को देख कहा, देखो पापा आपकी पत्नी मुझ बिचारे पर कितना जुल्म कर रही है।

    अरिताज जी उसके कड़े को सहलाते हुई बोले, बेटा इस मार से तो मै भी पीड़ित हु अब बोलो क्या करे हम.

    अरिताज जी की बात सुन सावी जी उनके कंधे पर एक चमात लगाते हुए बोली _ देखो माँ ये लोग.

    प्रीत जी अरिताज जी को डाटते हुए बोली, अरी बस मेरी बहु को परेशान ना करो तुम बाप बेटे मिल कर। ये सुन उन दोनो का ऐसा था मनो कह रहे हो हम नही आपकी बहु हमे परेशान कर रही है। उनके चहेरे देख सबको हसी आ जाति है। अरिताज जी मुंह बना कर विक्रम जी के पास बैठ जाते है और उनके कंधे पर सिर रख बोले सारे के सारे मिले हुई है एक मेरा दोस्त हि मुझे समझता है।

    विक्रम जी बोला _ ओफ्कोर्स खबरदार किसी ने अरी को परेशान किया तो। उनकी बात पर सब बोले, हा हा ठीक है कोई नही कर रहा आपके दोस्त को परेशान ये बोल सब हसने लगे आरवी भी हसने लगी।

    उसके बाद अरिताज जी आरवी के पास आके बोले, हेल्लो बेटा मै अरिताज ओबेरॉय तुम्हारे पापा का बेस्ट फ्रेंड।

    आरवी बोली, ओह्ह तो आप अरिताज ओबेरॉय हो.

    उसके बोलने का अंदाज देख अरिताज जी बोले, हा मै हि हु पर क्या हुआ अपा ऐसे क्यू बोली।

    उनकी बात पर आरवी एक शरारती मुस्कान के साथ बोली, ये मिहिर भाई ना मुझसे कह रहे थे आप बहोत हि जिद्दी अकड़ू और गुस्सैल है।

    ये सुन कर मिहिर हड़बड़ा जाता है, वो अपने पापा की ओर देख बोला, मैने ऐसा कुछ नही कहा पापा ये झूठ बोल रही है।

    आरवी अपने मुंह पर हाथ रख बोली, हो. झूठे कही के .

    अरिताज जी उसका रिएक्शन देख बोले, मिहिर तु आ इधर मै बताता हु तुझे . मिहिर दूसरी तरफ भाग अपने बड़े पापा के पीछे छिप बोला,अरे पापा मैने आपके लिए नही बोला था मैने तो बड़े पापा के लिए बोला था।

    राम जी अपने पीछे छुपे मिहिर को आँखे दिखाने लगे तो मिहिर पीछे हटते हुए बोला, क्या देख रहे मै सच कह रहा हु देखो मुज जैसे मासूम बच्चे को डरा रहे है आप.

    राम जी अपने दाँत पिस्ते हुए बोले, रुक तु. ये बोल वो मिहिर की तरफ लपके पर मिहिर दूसरी तरफ भाग गया वो बोला, देखा मैने कहा था ना ये गुस्सैल है और आपकी तरह हि निकेश है। आपने आपको बिच मे आता देख निकेश बोला, अब इसमे मै कहा बिच मे आ गया।

    अरहान भी अब बिच मे कुद बोला, हा तु बिल्कुल पापा की तरह है हमेशा नाक पर गुस्सा होता है देख अभी भी है गुस्सा.

    निकेश मुंह फुला कर बोला, मै गुस्सा नहीं करता।

    आरवी बोली, झूठ मत बोलो आरु भाई आप बहोत गुस्सा करते हो पता नही हमारी शांत सी राधू कैसे झेलेगी आपको।

    आरवी ने मस्ती मस्ती मे राधिका को राधू बुलाया पर इसका अहसास उसे नही था पर बाकी सब तो सुन रहे थे वो सब बहोत खुश हुए की आरवी अब धीरे धीरे हि सही सबको अपना रही है।
    वही निकेश बोला, झेलेगी से क्या मतलब है तुम्हारा, वो प्यार करती है मुझसे . ऐसे हि थोड़ी ना उसे मुझसे प्यार हुआ है.

    आरवी अपनी थोड्डी पर हाथ रख बोली, वही तो मै बोल रही हु क्या सोच कर प्यार हुआ राधू को.

    अभी निकेश कुछ बोलता उससे पहले केशव जी की पत्नी रश्मिका जी बोली, बस. अब झगड़ा नही चलो अब खाने आरवी को भी भूख लगी होगी कबसे यही है सब.

    उनकी बात सुन आरवी अपने पेट पर हाथ फिरो बोली, हा बहोत भूख लगी है चलो बड़ी मम्मा मुझे लेके चलो बहोत भूख लगी है और ये खुसबू सुंध कर तो मेरी भूँख और बढ़ गई, अहाँ. क्या खुसबू है.

    उसकी बात सुन रश्मिका जी उसकी व्हिल चेयर धकेलते हुए डैंनिंग टेबल पर ले गयी, और रागिनी जी, जानकी जी और सावी जी ने खाना लाके सबको परोसा सब खाने लगे । वही आरवी खाते खाते मिहिर और माहिरा के साथ मस्ती कर रही थी।

    तभी निकेश का फोन बजा सब ने उस ओर देखा तो निकेश फोन देख बोला, नील का फोन है,

    उसकी बात सुन सब हा मे सिर हिलाते है वही निकेश नील से बात करने लगता है, और बाकी सबसे भी करवाता है आरवी देखती है नील से बात करते वक्त सब के चहेरे पर एक अलग हि खुशी नजर आ रही थी बात चाहे ओबेरॉय परिवार की हो या रायजादा सबका चाहता था नील। थोड़ी देर बात करने के बाद नील फोन रख देता है।

    आरवी कहती है, ये नील कौन है?

    उसका सवाल सुन सावी जी बोली, मेरा छोटा बेटा है नील ओबेरॉय.

    आरवी बोली, अच्छा पर अभी कहा है मतलब पिछले दो महीने से मै यहा हु वो मिला नही।

    उसकी बात सुन रुचि बोली, तुम्हे क्या करना है मिल कर और क्या करोगी ये जान कर कहा है वो.

    उसकी बात सुन राधिका उसके हाथ पर मांरते हुए बोली, ये क्या तरीका है रुचि वो बस पूछ रही है।

    रुचि ने कहा ,व्हॉट मैने क्या किया,

    इस बार आरवी बोली, तुम्हे क्यू मिर्ची लग रही है उसके बारे मे पूछने पर

    रुचि बोली, वो मेरा बेस्ट फ्रेंड है इस लिए।

    आरवी बोली, ओह्ह तो तो मुझे अब उसे जानने मे कोई इंट्रस्ट नही है। रुचि बोली, तुम्हारा मतलब क्या है?

    आरवी ने उसके सवाल पर कहा, यही की तुम्हारा बेस्ट फ्रेंस है इस लिए मुझसे दूर रहे यही बहेतर है। उसकी बात अभी रुचि कुछ बोलती उससे पहले रश्मिका जी बोली, अब शांति से खाना खाओ कोई कुछ बोला ना तो देख लेना.

    उनकी बात सुन सब शांति से खाना खाने लगे, वही आरवी अपने मन मे सोचने लगी, नील ओबेरॉय तुम जितना मुझसे दूर रहो उतना हि बहेतर होगा क्युकी तुम्हारी वजह से रुचि मेरे साथ झगड़ रही है मेरी बहन होकर वो तुम्हारी साइड ले रही है .

    आगे क्या होगा इस कहानी मे जानेगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए bye. .💜







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  • 12. Ch : रायजादा ब्रदर टॉक अबाउट आरवी।

    Words: 1246

    Estimated Reading Time: 8 min

    Ch 13 रायजादा ब्रदर टॉक अबाउट आरवी।

    Hi hello namaste

    अब तक हमने देखा की, आरवी घर आ चुकी थी और उसका वेलकम करने के लिए उसका पुरा परिवार साथ मे ओबेरॉय परिवार भी खड़ा था जिसे देख आरवी बहोत खुश हो रही थी
    , और उसके खुशी देख बाकी सब भी बहोत ज्यादा खुश हो रहे थे, आरवी अरहान के पास जाति है और उसे गले लगा लेती है उसके बाद अरहान आरवी को जानकी जी यानी अपनी माँ से मिलवाता है, आरवी उन्हे देख उनके पाँव छु लेती है, जानकी जी उसे अपने गले से लगा कर उसका माथा चूम लेती है जिसके अहसास से आरवी ने अपनी आँखे बंध कर ली और उसके चहेरे पर एक स्माइल आ गयी, उसके बाद वो अपनी हि तारीफ़ करने लगी, जिस पर मिहिर उसके साथ मजाक करने लगता है, ये देख आरवी भी उसके साथ मजाक करते हुए, मिहिर के पापा यानी अरिताज जी से कहती है की, मिहिर उन्हे गुस्सेल, अकड़ू और जिद्दी कहता है, उसके बाद तो मानो जंग छिड़ गयी और आरवी इसका मजा ले रही थी, तभी कश्मीरा जी उन सबको रोकती है और सबको खाने के लिए आने को कहती है खाने की बात सुन आरवी बच्चो की तरह पेट पर हाथ फिरो कर कहती है की उसे तो बहोत भूख लगी है और अपनी बड़ी मम्मा को वहाँ ले जाने को कहती है, उसकी इस हरकत पर सब मुस्कुराने लगते है, सब खाने के लिए आ जाते है तभी नील का फोन आता है और इसी बात पर आरवी और रुचि के बिच झगड़ा हो जाता है और इसी के साथ आरवी नील से खार खाये बैठ जाति है क्युकी उसकी वजह से रुचि ने उससे झगड़ा किया।

    अब आगे,

    आरवी खाना खाते हुए अपने मन मे कहती है, बहेतर यही होगा, नील ओबेरॉय की तुम मुझसे दूर रहो क्युकी तुम्हारे ना होने पर भी रुचि मुझसे झगड़ ने लगी ,

    तुम्हारे लिए यही बात मुझे बहोत खटक रही की जो लड़का यहाँ नही है उसकी वजह से उसकी बहन उससे लड़ रही है। अब उसे जलन हो रही थी या कुछ और ये तो आरवी हि जान सकती है।

    खाना खाने के बाद ओबेरॉय परिवार अपने घर चला जाता है आरवी माहिरा को रुकने को कहती है पर राधिका कहती है की वो आज रात आरवी के साथ रुक जाएगी, उसकी बात पर सब आरवी की ओर देखने लगे सबको ऐसा लग रहा था की अभी वो चिल्लायेगी पर अपने बिहेवियर से अलग आरवी ने सबको इग्नोर कर राधिका से कहा, तो चलो क्युकी मुझे बड़ी नींद आ रही है।

    उसकी बात सुन राधिका के चहेरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गयी, और वो आरवी को लेकर जाने को हुई की तभी रुचि बोली, मै भी चलुगी.

    आरवी ने उसकी बात सुनी और अभी भौहे चढ़ा कर कहा, क्यू?

    रुचि वैसे हि उसकी नकल करते हुए बोली, क्यू ? क्यू क्या . मै राधू को तुम्हारे साथ अकेले नही रहने दे सकती ठीक है क्या पता तुम कब क्या कर दो ।

    अभी तो तुम अच्छे होने का दिखावा कर रही हो अकेले मे तमने राधू को कुछ कर दिया तो .

    उसकी बात सुन आरवी को बुरा लगा और इस बार विक्रम जी को भी बुरा लगा और उनकी आंखें नम हो गयी जो रागिनी जी देख चुकी थी , विक्रम जी कुछ बोलने को हुए की तभी अरहान एक कठोर आवाज मे बोला, ऐसा है तो आरवी अब से हमारे साथ रहेगी .

    अरहान की बात सुन कर सब उसकी ओर देखने लगते है, अरहान आगे बोला, आरवी मेरे साथ मेरे घर मे रहेगी, वो मेरी बहन है उसकी सारी जिम्मेदारी मेरी, अगर आप लोगो लगाता है की आरवी से आप सब को खतरा है तो आरवी अब से यहा नही आएगी ठीक है .

    अरहान की बात सुन सब उसे ऐसे देख रहे थे मानो ये अरहान ना हो कर कोई और हो।

    रागिनी जी उसकी बात सुन बोली, रुचि के कहने का ये मतलब नही था अरहान.

    तभी मिहिर रागिनी जी की बात को काटते हुए बोला, तो क्या मतलब था उसका छोटी माँ आप बताये .

    उसका टोन गुस्से वाला था जिसे अरिताज टोकते हुए बोले, मिहिर बिहेव तुम ऐसे बात नही कर सकते।

    मिहिर चुप हो जाता है और साथ मे सब चुप हो जाते है रागिनी जी वो कुछ बोल हि नही पाती। वही आरवी अपनी नम आँखों से ये सब देख रही थी वो सब लोगो के शांत होने पर बोली, हो गया सबका . सब उसकी ओर देखने लगे तो आरवी बोली, चलो राधू तुम बाकी सब तो लड़ने मे हि अपनी रात बिता लेंगे पर मुझे नींद चाहिए.

    राधिका ने उसकी बात पर हा मे सिर हिला देती है और आरवी को ले कर जाने हि वाली होती है की फिर से रुचि बोलने को हुई, लेकिन.

    पर इस बार आरवी उसके रोकते हुए बोली, ओह्ह . शट अप हो जाओ यार . कितना बोलती हो .

    आरवी की बात सुन रुचि की आँखे बड़ी हो जाति है और बोली, मै ज्यादा बोलती हु . फिर सबकी ओर देखती है मांनो सबसे पूछ रही हो की वो ज्यादा बोलती है सबके फेस का रिएक्शन देख उसकी आँखे और ज्यादा बढ़ जाति है, क्युकी सब अपनी हसी छुपा ने की कोशिश कर रहे थे क्युकी सबको पता था रुचि का अपनी जबान पर कोई काबू नहीं है।

    उसने फिर से आरवी की ओर देखा जो अपनी डार्क नीली आँखों से उसे हि घूर रही थी, आरवी आगे बोली, तुम्हे पता होना चाहिए रुचि की जितनी तुम्हारी जबान चलती है उससे ज्यादा मेरे हाथ पैर .

    उसकी बात पर रुचि के साथ साथ बाकी सबकी भी आँखे बड़ी हो जाति है, रिहा बोली, तुम सीधे सीधे रुचि को धमकी दे रही हो. आरवी मुंह बना कर बोली, आपको क्या लगता है ?

    उसके सवाल पर कोई कुछ नही बोलता, राधू मुस्कुराते हुए आरवी को लेकर मुड़ी तो आरवी बोली, देखो मेरा दिल और बेड दोनो हि बहोत बड़ा है तो . उसके बाद उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी पर सबको आगे की बात का मतलब समज आ गया और सब मुस्कुराने लगे तो रिहा बोली, मै भी .

    रुचि मुंह बना कर बोली, मै भी क्या लड्डू बट रहे है यहा कर . रिहा कुछ नही कहा और रुचि का हाथ पकड़ कहा, चलो भी तुम कभी तो अकड़ साइड रखो। रुचि कुछ नही बोलती पर उसके पीछे पीछे खींची चली जाति है उन्हे देख बाकी सबके चहेरे पर एक मुस्कान आ जाति है और इसी के साथ प्रीत जी के कहने पर अब ओबेरॉय परिवार रायजादा परिवार से विदा लेता है।

    रायजादा परिवार के लोग सोने के लिए चले गये, वही राहुल, रोहन और रेयांश अभी स्टडी रूम मे बैठे हुए थे, राहुल किसी सोच मे गुम था, वो रोहन और रेयांश को देख बोला, आप दोनो को क्या लगता है आरवी सच मे बदल गयी या उसकी नई चाल है सब को परेशान करने का .

    उसकी बात सुन रेयांश बोला, मुझे नही पता भाई आरवी क्या चाहती है पर जो भी हो रहा है वो सही हो रहा है सब खुश है और मै नही चाहता की ये खुशी कही जाये और ये सब हुआ सिर्फ आरवी की वजह से।

    रोहन बोला, रेयांश सही कह रहा है और मुझे नही लगाता की आरवी कोई नाटक कर रही है, उसकी आँखों की चमक झूठी नही हो सकती है। उन दोनो की बात सुन कर राहुल हा मे सिर हिला देता है ।

    आगे क्या होगा इस कहानी मे जानेगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए bye. .💜

  • 13. Ch : 13 आरवी और रुचि का बेढंग तरीके से सोना।

    Words: 1355

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब तक हमने देखा की, आरवी अपने मन मे नील को खुद से दूर रहने को कह रही थी क्युकी उसे बिल्कुल भी पसन्द नही आया था रुचि का उससे झगड़ना ,

    वो भी उसके लिए जो अभी यहा पर मौजूद हि नही है , सब ने खाना खाया उसके बाद आरवी माहिरा को अपने साथ रुकने को कहती है तो राधिका कहती है की वो आज रात उसके साथ उसके रूम मे रुक जाएगी,

    पर उसकी इस बात पर रुचि एग्री नही होती क्युकी उसे ऐसा लगाता है की अकेली आरवी राधिका को हर्ट कर देगी उसकी इस बात का आरवी को बुरा लगता है अरहान ने एक सख्त आवाज मे आरवी को खुद के साथ ले जाने को कहा तो सब शॉक्ड हो जाते है,

    मिहिर भी उसकी बात से एंग्री करता है पर अरिताज जी के टोकने पर वो दोनो चुप हो जाते है सबके चुप होते हि आरवी राधिका को अपने कमरे मे आने को कहती है वो ऐसे सो करती है है की उसे कोई फर्क नही पड़ा रुचि चिढ जाति है ,

    और वो कुछ बोलने को हुई की आरवी उसे रोकते हुए सीधे सीधे उसे धमकी दे डालती है, जिससे रुचि का मुंह बन जाता है उसके बाद आरवी इंडाइरेक्टली उसे अपने रूम मे सोने के लिए ऑफर करती है , रिहा भी उनके साथ चली जाति है और साथ मे रुचि को भी खींच ले जाति है, बाकी सब उन्हे देख मुस्कुराने लगते है।

    अब आगे,

    अगले दिन सुबह, आरवी का रूम राधिका और रिहा जल्दी उठ कर जा चुके थे, अब बस रुचि और आरवी हि बेड पर सो रहे थे, वैसे उनके सोने के ढंग को देख उन्हे सोना नही बेड के साथ कुस्ती लड़ना कहते है। आरवी और रुचि एक दूसरे पर सो रही थी पर उलटी,

    आरवी ने अपने पैर रुचि के पेट पर रखे हुए थे वही रुचि ने अपने हाथ आरवी की कमर से लिपटा रखे थे, और वो लोग बार बार बेड मे इधर से उधर हो रहे थे, तकिये निचे गिर चुके थे, ब्लैंकेट उन दोनो की टांगो से बिच से होकर बेड के निचे आधा लटक रहा था।

    दोनो हि नींद मे थी और दोनो को हि नहीं मालूम था की दोनो कैसे सो रही है, तभी उनके रूम का दरवाजा खुला और पांच लोग अंदर आये ये कोई और नहीं राहुल, रोहन, रेयांश, रिहा और राधिका थे। पांचो हि अपनी माँ और बड़ी मम्मा के कहने पर यहा आये थे आरवी और रुचि को जगाने क्युकी नौ बाज गये थे और दोनो महाराणियों मे से कोई भी आज हिला तक नही था।

    वो पांचो उनकी सोने की स्टाइल देख कर हस रहे थे, की तभी रागिनी जी अंदर आते हुए बोली, क्या कर रहे हो एक को जगाने ने को भेजा था पांचो चले आये और अब यही बस गये, और हस क्या रहे हो तुम लोग टाइम देखा है नौ बज चुके है उठाया नहीं क्या उन दोनो को.

    ये बोलते हुए वो पीछे पलटी और उनकी नजर सीधे बेड पर गयी और अपने मुंह पर हाथ रखते हुए बोली, हे भगवान कैसे सो रही है ये दोनो नागिन की तरह लिपटी हुई है दोनो.

    उनकी बात सुन कर उन पांचो को और हसी आ जाति है रागिनी जी उन्हे आँखे दिखा कर हसने से मना करती है और बेड की तरफ बढ़ जाति है। वो रुचि को हिलाते हुए बोली, रुचि बेटा देखो नौ बज गये है उठ जाओ। कब तक सोने का इरादा है . उठो बेटा .

    पर रुचि तो जैसे गधे घोड़े बेच कर सो रही हो वो तो हिलती तक नही ये देख रागिनि जी अपना सिर पीट लेती है वो आरवी की ओर जाते हुए उसे हिलाकर बोली, आरवी उठो . नौ बज गये है. पर आरवी ने बिना आँखे खोले तकिया अपने कानो पर रखते हुए बोली, बस दस मिनट उसके बाद उठती हु ये बोल कर वो अपना चहेरा फिरो कर रुचि की ओर घूमती है और पता नही क्या होता है और वो आँखे खोलती है उसके मुंह के ठीक सामने रुचि का बालो से ढका हुआ चहेरा था और उसे देख वो डर जाति है और एक दम से चीख पड़ती है . आ आ आ .

    उसकी चीख सुन कर सबकी दिल की धड़कन एक पल के लिए बढ़ गयी और सब गभारा गये, और बेड की तरफ देख तो रुचि बेड की एक साइड निचे गिरी हुई थी और आरवी दूसरी साइड गिरी हुई थी।

    बाकी सब तो जम हि गये थे क्युकी उन्हे समज हि नही आया की रुचि और आरवी गिरी कैसे, दरअसल हुआ यु था, जैसे हि आरवी चीखी वैसे हि रुचि भी जाग गयी और जल्दबाजी मे उठने पर दोनो ने एक दूसरे को लात मार दी और नींद अभी भी होने की वजह से दोनो लुढ़क कर बेड से निचे गिर गयी।

    वही बाहर हॉल मे बैठे बाकी के मेम्बर भी आरवी की चीख सुन जल्दी से रूम मे आ जाते है, आरवी का पैर ठीक नही था इस लिए वो निचे वाले रूम मे थी जो हॉल के एक दम पास है और दरवाजा खुला होने की वजह से आवाज हॉल तक आ गयी। और वो लोग भागते हुए रूम मे आ गये और अंदर का नजारा देख कर तो उनकी भी आँखे हैरानी से बड़ी हो गयी।

    क्युकी आरवी और रुचि फर्श पर पड़ी अपनी कमर पकड़े करहा रही थी। अचानक हि दोनो को क्या हुआ दोनो मे एक दूसरे को देखा और गुस्से बोली, तुम मे मुझे लात क्यू मारी.

    तभी उन दोनो के कानो मे हसने की आवाज आती है वो दोनो उस तरफ देखती है तो पुरा परिवार वहाँ खड़ा उन दोनों की इस हरकत पर हस रहा यहां, दोनो हि सकपका जाति है और अपनी नजरें चुरा कर इधर उधर देखती है दूसरे हि पल उन दोनो की नज़रे एक दूसरे से मिलती है और दोनो एक पल गुस्से मे देखती है पर अगले हि पल उनकी भी हसी छुट जाति है और पुरा रायजादा परिवार ठहाके मार हस रहा था , यहा तक की सख्त और कभी कभी न मुस्कुराने वाले विक्रम जी भी आज ठहाके मार कर हस रहे थे।

    थोड़ी देर बाद सब शांत होते है, आरवी और रुचि अब खड़ी होने को हुई की अचानक दोनो की चीख निकल गयी और दोनो धम से वापस फर्श पर बैठ जाति है दोनो ने अपनी कमर पकड़ रखी थी। राहुल और रोहन जल्दी से उनके पास गये और राहुल ने रुचि वही रोहन ने आरवी को अपनी गोद मे उठा कर बेड पर बिठाया। रागिनी जी जल्दी से दोनो के पास आयी उन्होंने पहले हि रुचि को देख उसकी कमर लाल हो गयी थी वो जल्दी से आरवी के पास गयी और उसकी कमर को देखा उसकी कमर भी लाल हो रखी थी, वो जल्दी से दोनो को दवाई लगाती है और आरवी का पैर पकड़ अपनी गोद में रखती है की तभी आरवी अपना पैर छुड़ा ने की कोशिश करते हुए बोली, आप क्या कर रही है ?

    उसकी इस हरकत पर रागिनी जी बोली, चुप चाप बैठो, देखने दो पैर मुझे कहा लगी है और पैर भी तो ठीक नही था तुम्हारा और ऊपर से गिर गयी पैर मे लगी होगी.

    उन्होंने आरवी के पैर पर थोड़ा दबाव बनाया और कहा, दर्द हो रहा है. उनकी बात अपर आरवी ने ना मे सर हिला दिया तो रागिनी जी राहट की सांस लेते हुए बोली, थैंक गॉड पैर मे नही लगी वर्णा ये सुझ जाता और चलना फिर ना मुश्किल हो जाता। अब शांति से चलना और उछल कूद मत करना थोड़े दिन तक, ये नही की व्हिल चेयर पर नही बैठोगी तो कूदते फाँदते कही भी निकल लो।

    उनकी बात पर आरवी बच्चो जैसा मुंह बना कर बोली, मै कहा उछल कुद करती हु.

    उसकी बात सुन रागिनी जी अपनी आँखे छोटी कर से घूरती है तो वो सकपका कर बोली, अच्छा ठीक है नही कर रही उछल कुद बस.

    रागिनी जी ने सुन उसे ताना मारते हुए कहा , हा बड़ी महेरबानी आपकी, बहोत बड़ा अहसान किया। उनकी बात सुन आरवी का मुंह बन जाता है और बाकई सब हसने लगते है।

    आगे क्या होगा इस कहानी मे जानेगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए bye. .💜

  • 14. Chapter 14 : Villainess Reborn

    Words: 1262

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब तक हमने देखा की, आरवी और रुचि के बिच झगड़ा हो जाता है जिन्हे देख कर रागिनी जी को बुरा लगाता है, आरवी सीधे सीधे रुचि को पीटने की धमकी देती है जिसे सुन सबकी आँखे बड़ी हो जाई है पर फिर बाद मे वो उसके कमरे मे सोने को हा कर देती है और रिहा रुचि को खींचते हुए आरवी और राधिका के साथ आरवी के निचे वाले रूम मे आ जाते है जो हॉल से काफी करीब था ।

    सुबह के टाइम राधिका और रिहा उठ कर जा चुकी थी पर रुचि और आरवी अभी भी सो रही थी यो कश्मीरा जी और रागिनी जी उन्हे उठाने को भेजती है तो पांचो भाई बहन जाते है अंदर जाते हि वो लोग हैरान जो जाते है क्युकी आरवी और रुचि एक दूसरे से नागिन की तरह लिपट कर सो रही थी ये देख उन लोगो को हसी छुट जाति है, काफी देर तक वो लोग नही आते तो रागिनी जी वहाँ आती है और वो भी अंजे दुख हसने लगती है उसके बाद वो दोनो को उठाने लगती है पर दोनो को कोई फर्क नहीं पड़ता अचनाक आरवी की आँखे खुलती है और उसके ठीक सामने रुचि का बालो से ढका चहेरा आ जाता है और वो डर कर बुरी तरीके से चिखती है उसकी चीख सुन सारे घर वाले वहाँ आ जाते है वहा का नजारा देख वो लोग भी हैरान हो जाते है क्युकी हड़बड़ी मे आरवी और रुचि दोनो ने हि एक दूसरे को लात मार गिरा दिया था और अब दर्द से करहा रही थी ये देख बाकी सबकी हैस छुट जाति है, उन्हे हस्ते देख आरवी और रुचि शर्मा जाति हैए उर सबसे नज़रे चुरा लेती है और एक दूसरे को देखती है फिर खुद भी हसने लगती है, वो दोनो खड़े होने को हुई की तभी उनकी दर्द से आह निकल जाति है रागिनी जी दोनो को चेक करती है दोनो को कमर पर चोट आयी थी।

    अब आगे,

    जन दोनों की ट्रीटमेंट करने के बाद रागिनी जी सबको खाने के लिए आने को कहती हि और रुचि और आरवी को रेस्ट करने को कहती है पर दोनो अब जग गयी थी तो आधे घंटे बाद दोनो हि तैयार होकर बहार आ गयी।

    बाकी लोगो ने नास्ता कर लिया था और अपने काम के लिए निकल गयी थी घर मे सोफे पर राधिका, दादी हि थे उन दोनो को आता देख कर राधिका जल्दी से उन दोनो को नास्ता परोसती है और उनके साथ हि बैठ जाति है उन्हें ऐसे देख कर दादी मुस्कुराती है और अपने रूम मे चली जाति है आराम करने के लिए।

    डायनिंग टेबल पर पिन ड्राप silence था, राधिका बारी बारी से टेबल पर हाथ रख इम्तियान से अपनी छोटी बहनो को खाते हुए देख रही थी।

    खाना खाते हुए आरवी इधर उधर देखती है फिर राधिका से बोली, अच्छा राधू बाकी सब कहा है। राधिका ने उसके सवाल पर बोली _ सब ऑफिस गये है मम्मा हॉस्पिटल गयी है उनकी आज एक मेजर surgery है तो वो आज शायद हि घर आये कल सुबह हि आएगी। और डेड भी नही आएंगे वो ऑफिस से सीधे हॉस्पिटल जाएगे और आज रात दोनो वही रुकेंगे।

    आरवी मे हम्म्म कहा और फिर से खाना खाने लगी, तभी राधिका फिर से बोली, वैसे .

    उसकी आवाज सुन आरवी ने खाते हुए उसकी ओर देखा तो आरवी ने खाते हुए उसकी ओर देखा तो राधिका बोली_ अब तुम यही रहने वाली हो और तुम्हारी बारवी ख़तम हो चुकी है तो तुम अब क्या करने का सोच रही हो?

    आरवी ने उसका सवाल सुना और कुछ सोचने लगी, वो अपने मन मे सोचती है आरवी मतलब मै ऑलरेडी डॉक्टर हु, AR के नाम से तो अब डॉक्टरी पढ़ कर टाइम वेस्ट क्यू करु , पता नही पहले आरवी ने डॉक्टरी क्यू ली थी जब वो ऑलरेडी डॉक्टर थी ।

    तभी उसे याद आया की एक बार किसी बाहरी लोग ने उसकी बराबरी रुचि के साथ कर दी पढ़ाई के मामले मे और जब रुचि ने डॉक्टरी लाइन ली तो उसने भी जलन मे आके ले ली थी, आरवी ने ये सोच माथे पर हाथ रख ना मे सिर हिला दिया।

    उसको ऐसे देख रुचि बोली, क्या हुआ अभी तक सोचा नही है क्या तुमने वैसे तुम्हारे मार्क्स और स्ट्रीम से मुझे लगता है की तुम डॉक्टर की पढ़ाई हि करोगी है ना .

    आरवी ने उसकी ओर देख कहा, नही साइंस से और पढ़ाई नही होगी क्यू ना मे बिज़नेस की पढ़ाई कर लु.

    उसकी बात सुन राधिका बोली, लेकिन मैने सुना था की तुम साइंस मे बहोत अच्छी थी पढ़ाई मे भी बहोत अच्छी थी तो अब .

    आरवी ने उसकी बात सुन कहा, अच्छा कब सुना और कहा सुना ।

    उसकी बात सुन रुचि खाते हुए बोली _ पापा तुम्हारे बारे मे सब जानते है वो तुम पर नजर रखे हुए थे तुम कब क्या करती हो सब उन्हें पता था और उन्होंने तुम्हारी प्रोटेक्शन के लिए गार्ड्स भी रखे थे लेकिन जब तुम खुद फाइट कर ना सिख गयी तब पापा बहोत खुश हुए थे , तुम सब छोड़ कर चली गयी थी पर हमने कभी तुम्हे अकेले नही छोड़ा ।

    उसकी बात पर आरवी फीका सा मुस्कुरा दी, वो मन मे असली आरवी को कहती है, तुम बहोत हि अनलकी थी आरवी और शायद अब मेरा लक और परिवार सब मेरे साथ है, उस दुनिया मे भगवान ने जो मेरे साथ नाइंसाफी की वो उन्होंने इस दुनिया मुझे परिवार देकर पुरी कर दी।

    राधिका उसे देख बोली _ आरवी मुझे पता तुम हम सब से नफरत करती हो पर क्या थोड़ी थोड़ी सी कोशिश नही कर सकती हमारे साथ रहने की ।

    बाकी की कमी हम पुरी कर देंगे, उसकी बात सुन कर आरवी की आंखें नम हो गयी और उसके चहेरे पर एक मुस्कान आ गयी और वो हा मे सिर हिला देती है उसकी हा पर राधिका की भी आँखे नम हो जाति है और वो मुस्कुरा देती है, रुचि भी बहोत खुश होती है।

    राधिका इस इमोशनल हो चुके माहौल को लाइट करते हुए बोली, अच्छा तुमने बताया नही की तुम क्या करना चाहती हो.

    आरवी कुछ सोच बोली _ मै बिज़नेस की स्टडी करुँगी ।

    रुचि बोली_ हमारी कॉलेज मे हि अड्मिशन लेने वाली हो ना तुम।

    उसकी बात पर आरवी बोली _ हमारी कॉलेज.

    रुचि बोली _ जिस कॉलेज मे मै, राधू और नील पढ़ते है वो कॉलेज रायजादा और ओबेरॉय के अंदर आती है।

    आरवी ने ओह्ह कहा और बोली _ हा वही लूंगी.

    ऐसे हि नास्ता ख़तम करती है दोनो उसके बाद वही सोफे पर बैठे तीनो सुस्ता रही थी की तभी आरवी का फोन बजा उठने देखा मयंक का फोन था, उसने फोन उठाया तो मयंक बोला, ओये क्या कर रही है ?

    आरवी बोली _ बोर हो रही हु तु बोल किस लिए फोन किया ।

    उसकी बात पर मयंक बोला_ मॉल आ जा वही पर मिलते है।

    ठीक है हम आते है, आरवी एक्ससिटेड होते हुए बोली तो मयंक बोला, हम ।

    आरवी बोली, हा रुचि और राधू भी है हम तीनो घर पर अकेले है दादी सो रही है तो ।

    मयंक बोला _ अच्छा ठीक है पर जल्दी आओ ।

    आरवी ने ओके कहा और फोन काट राधिका की ओर देख बोली, चलोगी ना तुम दोनो पूरे दिन यही नही पड़े रहना मुझे ।

    राधिका अभी कुछ बोलती उससे पहले रुचि एक्ससिटेड होके बोली _ हा चलो मै भी बहुत बोर हो रही हु थोड़ी मस्ती करके शाम को हि लौटेंगे घर.

    उसकी बात पर आरवी खुश होते हुए बोली done. .

    आगे क्या होगा इस कहानी मे जानेगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए bye. .💜