कहते है जब प्यार की तकदीर में कुछ खास लिखा होता है तोह सब कुछ खास होता है लेकिन जब प्यार की तकदीर में कुछ अचानक अलग और अजीब हो जाए तोह उसे नसीब खराब कहते है ऐसी ही कहानी साक्षी की है जिसे एक स्मार्ट हैंडसम लड़का चाहिए और वोह भी विदेश में रहता हो लेकि... कहते है जब प्यार की तकदीर में कुछ खास लिखा होता है तोह सब कुछ खास होता है लेकिन जब प्यार की तकदीर में कुछ अचानक अलग और अजीब हो जाए तोह उसे नसीब खराब कहते है ऐसी ही कहानी साक्षी की है जिसे एक स्मार्ट हैंडसम लड़का चाहिए और वोह भी विदेश में रहता हो लेकिन उसके नसीब में उसकी शादी एक ऐसे इंसान से हो जाती है जिसका रंग सांवला और एक गरीब घर से क्या साक्षी अपना या उसे समझ पाएगी अपने हमसफर को यह उलझ कर रह जाएगी उसकी जिंदगी। पढ़िए "सपनों से बंधी डोर" सिर्फ "Storymania" पर।
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कहते हैं जब किसी से बेइंतहा प्यार हों जाए, उसकी कमियां भी हमें अच्छी लगने लगती है। ऐसी ही कहानी हैं साक्षी की जिसके सपनो की कोई लिस्ट नही है वैसे उसका एक सपना है वोह है विदेश में बसना वहां घूमना वगैरह वगैरह। दिल की खुश मिजाज और कब क्या बोलना है उसे नही आता मतलब बेधड़क बिंदास कुछ भी किसी के मुंह पर बोल देती हैं जो भी बोलती एक दम साफ़ बोलती है। किसी से डरती भी नही है।
वैसे आज साक्षी को लड़के देखने वाले आ रहे हैं। वैसे भी मिडिल क्लास फैमिली में लड़की बीस वर्ष की हुई नही कि उसके घर वालों को शादी की पड़ी रहती है और साक्षी भी बाईस की हों गई है।
"बेटा चाय लाते समय थोड़ा धीरे धीरे आना ये नहीं हवा की तरह आ जाओ और बेटा नज़रे झुकाकर बैठना और सारे सवालों के जवाब ठीक से देना, बेटा हमारी नाक मत कटवाना।" साक्षी की मां निर्मला ने साक्षी को समझाते हुए बोला।
"मां, आप रिश्ता कर रही हो या मुझे इस घर से भगा रही हो।" साक्षी ने भौंहे चढ़ाते हुए बोला।
"बेटा, तेरी शादी हो जाए तोह मैं गंगा नहालू।" साक्षी की मां ने कहा।
"ठीक है जैसा कहती हो वैसा कर लूंगी।" साक्षी ने अपनी मां से कहा।
"बेटा, सब अच्छा होगा।" इतना कहकर साक्षी की मां साक्षी के कमरे से चली जाती है।
थोड़ी देर बाद लड़के वाले भी घर आ जाते है
"आइए आइए, आने में कोई दिक्कत तोह नहीं हुई।" ऐसा साक्षी के पापा रमेश ने कहा।
"जी नहीं आने में क्या दिक्कत।" ऐसा लड़के वालो की तरफ से बिचौलिए ने कहा।"
"जी, आपकी बिटिया कहां उसे भी बुलाइए।" ऐसा लड़के की मां ने कहा।
फिर क्या साक्षी नज़रे नीची झुकाकर चाय लेकर आ गई। और बिना चाय के बारे में पूछे सोफे पर बैठ गई। यह बात सभी को थोड़ी अजीब लगी। उसके बाद लड़का रोहित, साक्षी को देखकर मुस्करा रहा था।
थोड़ी देर बाते करने के बाद,
लड़के वालों ने बिचौलिए की तरफ इशारा किया तभी लड़के वालों की तरफ से बिचौलिए ने कहा, "जी आप कितना कर सकते है अपनी बिटिया की शादी में।"
"जैसे आप को सही लगे वैसा हम कर देंगे।" साक्षी के पापा ने कहा।
"नहीं नहीं हमारा वोह मतलब नहीं था अब आप तोह जानते है महगांई कितनी बढ़ गई है बस हमे तोह एक कार और एक बीस तोला की सोने की चैन और बाकी जो बिटिया गहने पहन के आए जिससे हमारी समाज में इज्ज़त बनी रहे और जो आप देना चाहे वह हमें सब स्वीकार्य होगा।"
तभी लड़के की मां बोलती है, "कि शादी तोह फाइव स्टार लॉज में करेगे आप।"
"कितना ख़र्च करना होगा।" साक्षी के पापा झिझकते हुए बोले।
"कितना क्या, जब बिटिया की शादी कर रहे हो तो तीस - चालीस लाख तोह ख़र्च होगे ही।"
अब साक्षी के पापा रमेश जी तोह इतनी हैसियत नहीं थी उन्होंने तोह साक्षी की शादी के लिए दस लाख ही थे और ज्यादा खींच खाच के पंद्रह लाख लगा सकते थे।
साक्षी की मां, रमेश जी की तरफ बड़े ही करुणा भाव से देख रही थी जैसे उनकी आंखों से आंसू निकलने ही वाले हो।
तभी बिचौलिया कहा, "वैसे यह सब आप अपनी बेटी के लिए ही कर रहे है, वैसे भी दामाद तोह बेटा होता है तोह बेटा को देने में हर्ज कैसा और आप की मर्जी।"
तभी साक्षी को गुस्सा आ जाता है, वह सीधे खड़े होकर कहती है, "तोह आप मुझे क्या देगे।"
"मतलब, तुम कहना क्या चाहती हो।" लड़के की मां ने कहा।
"आंटी जी, मेरा मतलब क्लियर है, जिस तरह मेरे पापा आप को दहेज देंगे तोह आप हमें क्या दोगे।" साक्षी ने कहा।
लड़के की मां ने बोला, "बेटा, आप कैसे बात कर रहे हो, लड़की वाले देते है और लड़के वाले लेते हैं, यह तोह वर्षों से चली आ रही रीति रिवाज है।"
साक्षी ने गुस्से व तेज स्वर में बोला, "तोह आपके लिए दामाद बेटा और बहु बेटी होती है, मुझे हां या ना में जवाब चाहिए।
लड़के की मां ने तिनक के गुस्से में बोला, "हां, मिल गया ज़बाब, मुझे नहीं चाहिए ऐसी बहु, जो इतनी तेज हो बढ़िया है मेरी आंखे खुल गई, ऐसी लड़की को में कभी अपनी बहु न बनाऊं।"
साक्षी ने फिर तेज स्वर में बोला, "क्या आप मेरा अमेरिका में बसने का सपना पूरा कर सकती है, तोह कीजिए वरना यहां से चले जाइए।"
साक्षी के ऐसा बोलने से लड़के वाले एक दूसरे का मुंह देख रहे थे तभी बिचौलिए ने कहा, "रमेश जी आपकी बेटी का विवाह कभी नहीं हो सकता अगर वोह ऐसी अनाप शनाप बातें करेंगी।"
इतना कहकर लड़के वाले चले जाते है और साक्षी भी अपने रूम में गुस्से से चली जाती हैं।
साक्षी गुस्से में अपने कमरे में आ जाती है
इधर लड़के वालो को जाता देख साक्षी की मां निर्मला की आंखों में आंसू आ जाते है और वोह कुछ कर भी क्या सकती थी और लड़के वालो के जाते ही निर्मला ने आंखो में से आंसू पोछे और गुस्से में साक्षी के कमरे में गई जहां साक्षी अपने गहने उतार रही थी। निर्मला ने गुस्से में बोला, "तुम्हारी जिद की वजह से आज रिश्ता होते होते रह गया, तुम्हे क्यों नहीं समझ में आता है अपने विदेश जाने के सपने को छोड़ दो और यही बसने के ख्वाब सोचो अगर तुम्हारा ऐसा चलता रहा तोह कोई तुमसे शादी नहीं करेगा।"
साक्षी ने भी गुस्से में तिनक के बोला, "मेरा एक सपना है और उस सपने को मैं हर हाल में पूरा करूंगी और रही बात शादी की तोह जिस दिन होगी हो जाएगी, अब आप इस कमरे से जाओ मुझे सोना है, मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा हैं।"
निर्मला ने गुस्से में कहा, "तेरी इस जिद की वजह से तेरीछोटी बहन लता की शादी तुझसे पहले हो जाएगी तू पूरी उम्र के बिना शादी के हमारी घर पर मूंग डलना।" इतना कहकर निर्मला गुस्से में बाहर आती है।
लगभग एक घंटे बाद, साक्षी की छोटी बहन लता, साक्षी के रूम में गई और उसे चिढ़ाते हुए कहा, "मेरी प्यारी बहनियां कब बनेगी दुल्हनियां।"
ऐसा सुनते ही साक्षी, लता पर चिल्लाते हुए बोलती है, "अपने मुंह में मिठाइयां ठूस लो तुम्हे तोह बड़ी खुशी हो रही होगी कि मेरी शादी टूट गई, अब यहां मुझे जलाने आई हो कि मेरा रिश्ता टूट गया है, जाओ यहां से।"
"चली जाऊंगी एक दिन अपने पिया के घर तुम यहां विदेश में बसने के सपने सोचते रहना।" लता ने नाखडिले तेवर में कहा।
साक्षी को और गुस्सा आ जाता है, वो लता पर तकिया फेक कर मारती है, और कहती है, "तुझे शादी करनी तोह कर पर मुझे अकेला छोड़ दे और हां मेरी जिद है मुझे विदेश में हर हालत में जाना होगा चाहे इसलिए मुझे कुछ भी करना पड़े।
लता कमरे से निकलती है कि निर्मला कमरे आ जाती है और कहती है, "अपना सामान पैक कर लो कल हम बुआ जी के गांव जा रहे है उनकी लड़की की शादी है बस एक तुम्हारी ही नहीं होगी बाकी सब की शादी हो जाएगी।"
साक्षी बोलती है, "मुझे उस सड़ियल गांव में नहीं जाना और न ही मुझे कोई शादी अटैंड करनी बस मुझे तोह अमेरिका, कनाडा ऐसी जगहों पर जाना है, और रही बात मेरी शादी की वो तोह हो ही जाएगी।"
साक्षी की मां कहती है, "ख़्वाबों के सपने देखना और हकीकत में बहुत फर्क होता है बेटा, और हां कल हमे जाना है सो जाना है अपना सामान पैक कर लो।" इतना कहकर निर्मला कमरे से बाहर चली जाती है।
साक्षी के सपने उसी के तरह अनोखे थे वोह सब कुछ बेस्ट चाहती थी पर उसकी तकदीर में क्या लिखा है भगवान ही जाने।
जब सुबह होती है तोह सभी रेडी हो जाते है गांव जाने के लिए लेकिन साक्षी रेडी नहीं होती है और सभी से कहती है, "मुझे किसी भी शादी में नहीं जाना आप सब जाओ मैं घर पर अकेली ही रह लूंगी।
तभी साक्षी की मां गुस्से में बोलती है, "तेरी मर्जी हो या न हो तुझे चलना ही पड़ेगा, समझी, चल जा जल्दी से रेडी होकर आ।
लगभग बीस मिनट बाद, साक्षी तैयार होकर आती है और कहती है, "चलो उस सड़ियल गांव में जहां हमारी बुआ जी रहती है।"
सब लोग घर से चलते है कि अचानक एक बाबा साक्षी को रोककर कहता है जिससे साक्षी थोड़ी डर जाती है।
जैसे ही सभी लोग घर से निकले अचानक एक अघोरी बाबा साक्षी को रोककर कहने लगा, "बरसात में भीग जाना पर उसके घर मत जाना वरना जिंदगी भर आंसुओं की बारिश करती रहोगी अपनी आंखों से।" इतना कहकर अघोरी बाबा वहां से चला जाता है और साक्षी थोड़ा डर और सहम जाती है।
तभी निर्मला कहती हैं, "बेटा, इन लोगों की बातों पर भरोसा नहीं करते, यह कुछ भी अनाप शनाप बोल देते है, अब चल यहां से।"
साक्षी के मन में अभी भी कुछ चल रहा था पर क्या यह साक्षी नहीं जानती थी कि आखिर उस अघोरी बाबा ने ऐसा क्यों कहा।
साक्षी और उसका परिवार गांव में बुआ जी के यहां पहुंचते हैं तभी साक्षी अपनी मां से बोलती है, "इस सड़ियल घर में मेरा दम घुटेगा आप कैसे रह लोगी।"
"ज्यादा हीरोइन मत बन, चुपचाप इस घर में रहले आखिर कुछ दिनों की बात है।" निर्मला ने साक्षी से बोला।
साक्षी को हमेशा से ही हर एक चीज बेहतरीन चाहिए।
तभी लता, साक्षी से जिद करते हुए बोली, "चलो दीदी, गांव घूमते है मैने काफी दिनों से गांव नहीं घूमा, चलते है दीदी गांव घूमने।"
साक्षी ने इतराते हुए बोला, "तुम्हे इस सड़ियल गांव में क्या देखना है यहां जमीन पर पड़ा गोबर और इस गांव में कुछ देखने लायक ख़ास नहीं है।"
"अरे थोड़ी देर घूम लेगे वैसे भी आप घर में बैठी क्या कर रही हो बाहर की ताजा हवा ले लेंगे।" लता ने साक्षी को समझाते हुए बोला।
साक्षी मान जाती है दोनों बहने निकल जाती है गांव की सैर करने तभी रास्ते में पड़ा गोबर साक्षी के पैर में लग जाता है, तभी साक्षी को गुस्सा आ जाता है वोह गुस्से में बोलती है, "जल्दी से मेरे पैर को साफ करवाओ वरना मुझे उल्टी हो जाएगी।"
लता बोलती है, "तुम्हारे तेवर ही ऐसे है कि अभी कीचड़ भी लग सकती थी।"
तभी एक सांवले रंग का लड़का जिसका नाम रजत था वह गुजर रहा था तभी लता ने उसे रोकते हुए कहा, "भैया हमारी मदद कीजिए।"
उसकी शक्ल देखते ही साक्षी ने हंसते हुए कहा, "भैया यह तोह किसी का सैया बनने लायक भी नहीं है।" इतना कहते ही जोर जोर से हंसने लगी।
हालांकि रजत को बुरा लगा लेकिन उसने सब्र रखते हुए लता से कहा, "क्या मदद चाहिए।"
लता ने कहा, "वोह दीदी के पैर में गोबर लग गया है उसे धोने के लिए पानी चाहिए, क्या आप हमारी मदद करेंगे।"
साक्षी अभी भी रजत पर हंस रही थी पर रजत बहुत ही विन्रम स्वभाव का था, उसने धैर्य रखते हुए कहा, "एक मिनिट मैं अभी पानी का इंतजाम करता हूं।" इतना कहते ही रजत पानी लेने चला जाता है।
साक्षी, लता से कहती है, "आज तुम्हारी वजह से एक बदसूरत लड़के से मदद लेनी पड़ रही है, तुम्हे तोह मैं घर जाके बताती हूं।"
तभी लता कहती है, "माना यह लड़का थोड़ा सांवला है पर उसके बाइसेप्स देखने लायक है उसकी बॉडी कितनी परफेक्ट है लगता हु पूरा ब्राउन मुंडा टाइप का लड़का है।"
तभी साक्षी, लता से कहती है, "बॉडी बनाने से कोई लड़का हैंडसम और स्मार्ट तोह नहीं हो जाता, खैर छोड़ो मुझे उससे क्या करना।"
तभी रजत पानी लेकर आ जाता है, "लाइए मैं आपका पैर धो दूं।"
यह बात साक्षी को थोड़ी अलग लगती है और वह कहती है, "गोरी लड़की देखी नहीं कि उसे लाइन मारने लगे और तुम्हारी औकात ही मेरे पैर के गोबर के समान है, तुम इसी लायक हो मेरे पैर धोने के।"
रजत को थोड़ा गुस्सा आ जाता है तभी वह गुस्से में साक्षी से कहता है, "सुन्दर हो तोह क्या मैं प्रसाद बाटूं और रही मेरी औकात की तोह मैं तुम्हे अपनी औकात दिखाता हूं।" इतना कहकर रजत सारे पानी को जमीन पर फैला देता हैं और बोला, "तुम्हारी औकात यही है अब किससे अपना पैर धोओगी, मैं भी देखता हूं और तुम्हारी औकात इस गोबर से भी बदतर होगी।"
इतना कहकर रजत वहां से चला जाता है। तभी लता गुस्से में साक्षी से बोलती है, "और उड़ाओ मजाक अब मैं किसी से मदद नहीं मांगने वाली।
साक्षी गुस्से में कहती है, "लता ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है अब तुम ही इसे ठीक करो वरना।"
"वरना क्या मुझे मरोगी या मुझसे बोलना बंद कर दोगी।" लता ने पलटकर गुस्से में जवाब दिया।
तभी रजत फिर से आता है और साक्षी के ऊपर भरी हुई बाल्टी पानी की उड़ेल देता है और कहता है, "तुम्हे अपने पैर के गोबर के साथ साथ दिमाग पर लगे गोबर को भी धोना चाहिए।"
यह सब दृश्य गांव के लोग देख रहे थे जिससे साक्षी को अपनी इंसल्ट महसूस हुईं उसने तुरंत रजत के गाल पर थप्पड़ मारा और कहा, "तुम्हे तोह मैं देख लूंगी और तुम्हारी औकात हमेशा गोबर की तरह ही रहेगी।"
इतना कहकर साक्षी वहां से जाने लगती है तभी आरव पीछे से कहता है, "तुम्हे इसका बदला बहुत जल्द मिलेगा।"
कैसी लगी आपको साक्षी और रजत की पहली मुलाकात कॉमेंट करके बताए।
साक्षी भीगी हुई स्थिति में घर में गुस्से से आती है तभी बुआ साक्षी को रोककर कहती है, "क्या हुआ तुम इतने गुस्से में क्यों हो और तुम भीग कैसे गई।"
साक्षी गुस्से में बदतमीजी से ज़बाब देते हुए कहती है, "इस सड़े हुए गांव में सड़े हुए लोग रहते है यहां न किसी को तमीज है और न ही अक्ल बस वे बात के लड़ते झगड़ते रहते हैं।"
बुआ को साक्षी का ऐसा बोलना थोड़ा बुरा लगा पर वोह जानती थी कि साक्षी मुंहफट है इसलिए साक्षी को समझाते हुए बोलती है, "बेटा ऐसा कुछ नहीं है तुम्हे कोई गलतफहमी हुई हैं।" बुआ के इतना बोलते ही साक्षी जवाब देते हुए कहती है, "आप तोह अपने गांव को ही महान बताओगी खैर छोड़ो आप के मुंह क्या लगना।" इतना कहते ही साक्षी अपने रूम में चली जाती है।
थोड़ी देर बाद निर्मला गुस्से में साक्षी के रूम आती हैं और कहती हैं, "तुम ज्यादा ही तेज जवान की होती जा रही हो और बुआ से ऐसे बात करते है और तुमने किसी क्या बदतमीजी की मुझे सब लता ने बताया और गलती भी तुम्हारी बताई और तुम सारा दोष गांव वालो पर मड़ दिया अब भी सुधर जाओ और हां, मुझे दोबारा यह शिकायत नहीं चाहिए।" इतना कहकर निर्मला गुस्से से कमरे में से बाहर चली जाती हैं।
इधर गुस्से में रजत घर पहुंचता हैं और अपनी मां सुधा से कहता है, "मां मैं इतना बुरा दिखाई देता हूँ हर कोई मुझसे इतनी नफरत क्यों करता है।" सुधा ने समझाते हुए रजत से कहा, "बेटा दुनिया बहुत किस्म के लोग होते है उनमें से कुछ अच्छे तोह कई बुरे होते है, हमे लोगो की सोच के अनुसार नहीं चलना है हमे अपनी सोच के अनुसार चलना होगा, लोगों का क्या है आज कहेंगे और कल सुनेंगे, दुनियां बहुत बड़ी है मेरे लाल तू कितना होशियार है शायद यह कोई नहीं जानता, अब रोना बंद कर मैने तेरे लिए खीर बनाई है उसे खाकर अपना गुस्सा और दुख भूल जा। इतना कहकर सुधा, रजत के लिए खीर लेने रसोई में चली जाती है।
इधर गुस्से की आग में जल रही साक्षी, लता को गुस्से में खरीखोटी सुनाती हुई कहती है, "यह सब तुम्हारी गलती है तुमने ही उस लड़के से मदद मांगी नहीं होती तो आज मेरी गांव में इतनी इंसल्ट नहीं होती हैं, तुम इसकी जिम्मेदार हो।"
लता कहती है, "अपनी बदतमीजी का गुस्सा मेरे ऊपर मत फोड़ों, और आज हम बुआ जी के साथ कुलदेवी की पूजा करने जा रहे है, उसके लिए रेडी हो जाओ।"
लगभग एक घंटे बाद, सभी लोग मेरा मतलब बुआ जी और निर्मला बाकी सब लोग कुलदेवी की पूजा करने मंदिर में पहुंचते है।
"यहां हम सभी की एक सेल्फी तोह बनती है।" लता ने सबसे कहा।
"अभी नहीं पहले पूजा फिर कोई काम दूजा।" निर्मला ने लता से कहा।
लगभग आधे घंटे बाद, जब सभी ने पूजा करके बाहर आ रहे थे तभी रजत और उसकी मां सुधा मंदिर के अंदर जा रहे थे।
तभी साक्षी की नजर रजत पर पड़ती है तोह साक्षी रजत पर टोंट कसते है हुए बोलती है, "यह लोग भी यहां पूजा करेगे, काले बैगन है ये।" रजत को गुस्सा आ जाता है क्यूंकि उसकी यानि रजत की मां भी सांवली थी जिसके कारण रजत को गुस्सा आ जाता है।
रजत गुस्से में साक्षी से कहता है, "अपनी सुंदरता पर ज्यादा नाज नहीं चाहिए वरना एक दिन मुंह की खानी पड़ती है।"
साक्षी ने मजाक उड़ाते हुए रजत से कहा, "बैगन जैसी शक्ल और तेवर हीरो वाले थोड़ी तोह शर्म करो वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।"
साक्षी की मां निर्मला साक्षी को रोकते हुए कहती है, "बेटा, घर चलो हमे देर हो रही है।"
तभी रजत गुस्से में बोलता है, "हां घर जाओ तुम्हारी औकात नहीं है मेरा सामना करने की।"
साक्षी को फिर और गुस्सा आ जाता है वोह कहती है, "मेरी औकात तुम जैसे फ़टीचर से बहस करने की नहीं है इसलिए अपनी औकात से बाहर मत आओ, वैसे सुबह का तमाचा भूल गए या फिर से याद दिलाऊं।"
"याद दिलाने की कोई जरूरत नहीं अब तुम याद रखोगी हमेशा।" इतना कहकर रजत जाने लगा।
तभी पीछे से साक्षी चुटकी बजाते हुए कहती है, "तुम क्या याद रखने को कह रहे हो वह तोह मैं तुमसे कहती हूं कि तुम कुछ नहीं कर सकते तुम एक डरपोक बैंगन हो और वही रहोगे।"
रजत को और गुस्सा आ जाता है लेकिन वह चला जाता है। यह दृश्य गांव के लोग देख रहे थे।
बुआ को अपनी बेइज्जती महसूस हुई और उन्होंने, साक्षी से कहा, "बेटा अब तोह घर चलो।
सभी लोग घर जाने लगते है तभी सभी पर पानी फेक कर मारता है। वोह कोई और नहीं रजत था जिसने साक्षी के परिवार पर पानी फेक के मारा। और रजत गुस्से में कहता है, "तुमने मेरी मां की बेइज्जती की इसलिए मैने तुम्हारे परिवार की बेइज्जती की, अब हिसाब बराबर और तुम्हारे परिवार से मेरी कोई दुश्मनी नहीं है पर यह तुम्हारे तेवर है जिसकी वजह से तुम्हारी औकात एक पागल कुत्ते की तरह हो।"
साक्षी आगबबूला हो जाती है और कहती है, "पागल कुत्ते तुम हो वोह भी काले वाले।"
रजत को और गुस्सा आ जाता है साक्षी की बातों को सुनकर वोह गुस्से में कहता है, "अभी तुम्हे बताता हूं जिससे तुम्हारा गुरुर टूटेगा और तुम्हारे तेवर का अंदाज।" इतना कहकर रजत साक्षी का हाथ पकड़कर ले जाता है, और कहता है, "तुम्हारा हाथ तभी छूटेगा जब मैं चाहूंगा।"
"छोड़ो मेरा हाथ छोड़ो" साक्षी हाथ छुड़ाते हुए कहती है।
इतना कहते ही रजत साक्षी को कीचड़ से भरे गड्ढे धक्का दे देता है और कहता है, "अब तुम्हारी शक्ल भी इस कीचड़ की तरह काली है और तुम्हारी अक्ल भी।" इतना कहकर रजत वहां से जाने लगा।
तभी साक्षी, रजत को पीछे से टोकते हुए कहती है, "तुम काले हो तोह तुम सभी को अपने तरह बनाओगे।"
तभी निर्मला, साक्षी के पास आती है और कहती है, "इतनी बेइज्जती करवाली अभी और कसर बाकी है, यह बुआ का गांव है, बुआ की कुछ इज्जत तो करो वोह क्या सोचेगी कि हमने तुम्हे कैसी परवरिश दी है।"
रजत और सुधा बिना पूजा करे ही घर चले जाते है।
जैसे ही कीचड़ से सनी साक्षी घर आती है तभी बुआ घर के बाहर रोकते हुए साक्षी से कहती है, "रुक जाओ बेटा जी, तुमने हमारी गांव में बहुत नाक कटा ली और घर को भी गंदा करना चाहती हो।"
साक्षी, बुआ जी को गुस्से में जवाब देते हुए कहती है, "घर गंदा कैसे हो जाएगा बुआ जी।"
निर्मला गुस्से में कहती है, "साक्षी तुम शांत रहो और बुआ जी जो कह रही है, उन्हें करने दो।"
साक्षी गुस्से में बोलती है, "क्या करेगी अब मुझे घर में घुसने नही देगी या मुझे मारेगी।"
बुआ जी गुस्से में कहती है, "तुझे अंजान पुरुष ने छुआ है तू अपवित्र हो गई है इसलिए तेरा शुद्धिकरण होगा तभी तू इस घर में प्रवेश करेगी।"
साक्षी का गुस्सा सातवें आसमान में चढ़ जाता है, वो चिल्लाते कहती है, "अब बस भी करो बुआ जी आप भी इन पुराने रीति रिवाजों को मानती है, दुनियां कितनी आगे बढ़ चुकी है और आप इन पुराने नियमों को मानती है आपको औरत होने पर शर्म आनी चाहिए।" साक्षी इतना ही कह पाती है कि निर्मला उसे गाल पर थप्पड़ मार देती है, और कहती है, "तुमने हमारी नाक कटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं, अब जो बुआ जी कहना चाहती है वोह तो करो।" और इतना कहकर निर्मला रोने लगती है।
साक्षी फिर गुस्से में कहती है, "मेरा कोई शुद्धिकरण नही होगा।"
बुआ जी अंदर से बाल्टी में पानी लाकर साक्षी के ऊपर उड़ेल देती है और कहती है, "तुमको मंदिर के पास वाले तालाब से जल लाकर शिव जी पर इक्कीस बार जलाभिषेक करना है तभी तुम इस घर में प्रवेश कर पाओगी वरना अपने घर वापस जाने से पहले हमारी इज्जत की जो धज्जियां उड़ाई है तुमने वोह लोगों की यादों में से मिटा सकती हो।"
साक्षी गुस्से में कहती है, "मुझे आपकी इज्जत में कोई इंटरेस्ट नहीं है बुआ जी पर मैं कोई शुद्धिकरण प्रक्रिया नही करूंगी।"
लता कहती है, "दीदी मान जाओ बुआ जी की बात का मान तोह रखो।"
पर अड़ियल साक्षी कहा मानने वाली थी अतः उसके पापा ने साक्षी के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा, "बेटा मान जाओ, अपने मां बाप की इज्जत न सही पर मेरी बहन की इज्जत का मान तोह रखो।"
पापा का हाथ जोड़ते देख साक्षी की आंखे पश्चाताप की गर्मी से नमः हो गई और उसने अपने पापा के हाथ पकड़ते हुए कहा, "ठीक है, मैं शुद्धिकरण प्रक्रिया करने को तैयार हूं।"
कुछ ही देर बाद, साक्षी मंदिर पहुंच जाती है और मिट्टी का मटका लेकर तालाब से जल भर कर शिवजी का जलाभिषेक करती है। लगभग पन्द्रह बार ही जलाभिषेक किया होगा साक्षी ने तभी अचानक साक्षी के सामने रजत आ पहुंचता है और उसकी नजर साक्षी पर पड़ती है वोह भीगी हुई थी और पानी का मटका हाथ में ला रही थी कि तभी रजत अचानक साक्षी के सामने पहुंचता है और कहता है, "अरे अरे ज्यादा पूजा पाठ किया जा रहा है भगवान से सुंदर और तुम्हारी अंगुली पर नाचने वाला पति चाहिए।"
साक्षी गुस्से में बोलती है, "मै कुछ भी करू तुम्हे इससे क्या और तुम अपना काम करो और मुझ पर फिर से लाइन मारने का इशारा कर रहे हो।"
रजत को थोड़ा गुस्सा आ जाता है वोह फिर से साक्षी के हाथ में लगे मटके को गिरा देता है, मटका टूट जाता है और साक्षी के गुस्से का पारा और भी बढ़ जाता है, साक्षी गुस्से में रजत की कॉलर पकड़ते हुए कहती है, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरा मटका गिराने की और तुम अपने आप को ज्यादा स्मार्ट समझते हो मिस्टर सड़े हुए काले बैंगन।"
रजत, साक्षी के हाथ से कॉलर छुड़ाता है और गुस्से में कहता हैं, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई रजत चौहान की शर्ट का कॉलर पकड़ने की और तुम अपने आप को विश्वसुंदरी समझती हो।"
साक्षी ने गुस्से में कहा, "पहले मेरा जवाब का उत्तर दो तुमने मेरा मटका क्यूं तोड़ा।"
रजत कहता है, "तुम्हारा जो यह गुरुर है या घमड़ कहो उसे तोड़ने के लिए, अब तुम बताओ तुमने मेरा शर्ट क्यूं पकड़ा।"
साक्षी ने गुस्से में कहा, "ओ, थाली के सड़े हुए बैगन तुम्हारी जो ये मवाली वाली हरकत है इस वजह से मैंने तुम्हारा कॉलर पकड़ा, गुंडे कही के।"
"ऐ गुंडा किसको बोला और यह को तुम्हारा गुरुर है वोह एक दिन ऐसे ही टूटेगा और मिस घमड़ी ज्यादा भाव मत खाओ और अपने भगवान जी की पूजा करो।" रजत ने गुस्से वाले तेवर में बोला।
साक्षी ने गुस्से में कहा, "तुम्हारी वजह से मेरा मटका टूटा है तुम मुझे नया मटका लाके दो, वरना।"
"वरना क्या तुम ऐसा क्या कर लोगी और गांव वाले भी हमारी लड़ाई को देख रहे है।" रजत ने फिर से गुस्से वाले तेवर में कहा।
साक्षी ने देखा गांव वाले सभी लोग देख रहे है उसने मौके का फायदा उठाते हुए रजत के गाल पर थप्पड़ रख दिया। फिर क्या था रजत को भी गुस्सा आ गया, उसने आगे देखा न पीछे उसने साक्षी का हाथ पकड़कर जबरजस्ती साक्षी को तालाब में धक्का दे दिया और साक्षी पानी में गिर गई।
तभी गांव वालो में से एक व्यक्ति ने बोला, "अरे कोई बचाओ उस लड़की को वोह पानी में डूब रही है।"
साक्षी की मदद करते कोई और जाता तब तक साक्षी पानी से खुद बाहर निकल आती है और गांव वालो के बीच आकर कहती है, "मारो मारो इस काले लड़के को मारो, पहले मेरा मटका फोड़ा और अब मुझे जान से मारने की कोशिश की, मारो मारो इस लड़के को मारो।"
तभी गांव की एक औरत कहती है, "हां मैने देखा इस लड़के ने इसका मटका फोड़ा और फिर तालाब में धक्का दे दिया, मारो इस लड़के को।
रजत इससे पहले कुछ कहता कि गांव वालो ने आब देखा न ताब देखा रजत पर चप्पल थप्पड़ और जूते की बरसात कर दी। रजत ने इतनी मार खाई कि वो बेहोश हो गया इसे देखते साक्षी ने कहा, "रुको रुको अरे मेरी बात सुनो इसकी सजा इसे मिल चुकी है अब इस बेचारे को जाने दो।"
साक्षी की बात सुनकर गांव वालों ने रजत को पीटना छोड़ दिया और रजत को बेहोशी की हालत में बही छोड़कर साक्षी अपने घर आ गई।
घर आते ही घर दहलीज पर कदम रखते ही उसने कुछ ऐसा सुना की वह गुस्से से लाल हो गई।
कैसी लगी स्टोरी कमेंट करके जरूर बताएं।
जैसे ही साक्षी घर पहुंचती है उसे बुआ जी घर की दहलीज पर रोक लेती है और कहती है, "साक्षी तुम कितनी बेशर्म हो, जो कुछ भी हमारी इज्जत बची थी उसे भी मिट्टी में मिलवा आई, तुमने थोड़ा सा भी अपने परिवार वालो के बारे में नहीं सोचा, इसलिए तुम्हे शुद्धिकरण प्रक्रिया दोबारा वोह भी एक सौ एक बार और अब किसी से उलझना नही।"
साक्षी गुस्से में कहती है, "ठीक है आपकी जो शुद्धिकरण प्रक्रिया उसको में नहीं करने वाली समझी आप और ये जो आपकी इज्जत है उसे आप अपने माथे पर चिपका कर रखिए और मुझे घर में आने दीजिए।"
पर बुआ जी ने साक्षी को रोकते हुए कहा, "रुक जाओ वरना कुछ भी अच्छा नहीं होगा।"
"क्या अच्छा नहीं होगा बुआ जी" ,साक्षी ने गुस्से में पूछा।
तभी साक्षी के पिता रमेश ने विनती करते हुए कहा, "बेटा एक बार और मान जाओ और अब कोई गलती मत करना जिससे तुम्हारी बुआ का मान बना रहे और हमारी इज्जत पर कोई आंच न आए।
साक्षी गुस्से में घर से बाहर निकल जाती है और मंदिर चली जाती है वह फिर से शुद्धिकरण प्रक्रिया शुरू करती है।
लगभग आधे घंटे के बाद, रजत, साक्षी के पास आता है और कहता है, "तुमने मेरे साथ अच्छा नहीं किया अब तुम मेरा बदला देखना।"
तभी साक्षी कहती है, "तुम्हारे साथ इससे भी बुरा होना चाहिए वोह तोह मैंने तुम्हे बचा लिया नही तो तुम्हारे साथ इससे भी बुरा हो सकता था और रही बात तुम्हारे बदले की तोह मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, अब तुम जाओ।"
रजत कहता है, "अभी तोह मैं जा रही हूं पर बोहोत जल्द तुम्हे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।"
तभी साक्षी कहती है, "तुम जाओ मुझे अकेला छोड़ दो।"
"एक दिन तुम अकेली रह जाओगी, तुम्हारा साथ देने वाला कोई नहीं होगा।" ,इतना कहकर रजत वहां से चला जाता है।
साक्षी ने पूरी शुद्धिकरण प्रक्रिया को पूरा किया और फिर फिर घर में आने को रात हो गई।
इधर साक्षी की मां और बुआ परेशान थी और बारिश भी जोर से हो रही थी। साक्षी के पापा रमेश ने कहा, "मुझे लगता है कि मुझे साक्षी को ले जानें निकलना होगा।"
तभी बुआ जी कहती है, "रुको भैया साक्षी घर पर आ जायेगी, आप चिंता मत करो यह गांव हैं यहां साक्षी बिल्कुल सुरक्षित हैं।"
इधर साक्षी अघोरी बाबा की कही गई बात भूल गई और बारिश में भीगते हुए घर की और बढ़ने लगी। तभी बारिश ज्यादा तेज हो गई तो गांव में एक झोपड़ी टाइप के घर में रुक गई। घर खाली था इसलिए साक्षी को थोड़ा डर भी लग रहा था। तभी अचानक झोपड़ी के पास एक बाइक रुकी। अंधेरे में साक्षी उस बाइक वाले को देख नही पा रही थी तभी उस लड़के ने लाइटर से आग जलाई और एक कोने में लालटेन रखी थी उसको जलाया। जब उजाला हुआ तोह साक्षी शॉक्ड हो गई क्यूंकि वो लड़का कोई और नहीं रजत था।
"तुम्हे बारिश से बचने के लिए यही जगह मिली थी, तुम अभी के अभी यहां से जाओ।" ऐसा साक्षी ने कहा।
"ओह हेलो मिस चिड़चिड़ी यह जगह तुम्हारे पापा की नही जो तुम इतनी धौंस जमा रही हो, तुम्हे जाना है तो जाओ।" ऐसा रजत ने कहा
साक्षी, "तुम मेरा पीछा तोह नही कर रहे मिस्टर कालू जो दिमाग से है भालू।"
रजत, "मुझे तुम में कोई दिलचस्पी नहीं है तुम्हारी जिस लड़के से शादी होगी वोह दिन रात रोएगा और तुम्हारे साथ उसका जीना मुश्किल हो जाएगा।"
साक्षी, "तुम्हारी शादी तोह हो नही सकती इसलिए मेरी शादी का ख़्याल तुम्हारे दिमाग में आना ही था, वैसे अगर तुम्हारी शादी किसी लड़की से हो गई तोह उसका जीना मुश्किल हो जाएगा।"
रजत, "कैसे, मेरी पत्नी का जीना मुश्किल हो जाएगा।"
साक्षी, "क्यूंकि तुम इतने पकाऊ और गुस्से वाले और साथ में बदसूरत हो कि कोई भी लड़की तुम्हारे साथ शादी करने से पहले सौ बार सोचेगी।"
रजत, "हां हूं मैं बदसूरत तोह तुम क्या कर लोगी तुम्हे भी मेरे जैसा बदसूरत लाइफ पार्टनर मिलना चाहिए तब तुम्हे पता चलेगा बदसूरती किसे कहते है।
साक्षी, "तुम्हारी बकवास बाते मुझे कब तक झेलनी होगी तुम शांत नहीं रह सकते हो या तुम्हे इतना बोलने की आदत है।
बारिश बहुत तेज हो रही थी साथ में तूफान और बिजली भी कड़क रही थी।
तभी रजत कहता है, "जब तक बारिश और यह तूफान थम नहीं जाता तब तक तुम्हे मेरी बकवास शक्ल और बाते झेलनी होगी।"
साक्षी, "ओह गॉड मेरी हेल्प करो मुझे इस लड़के के साथ नही रहना है प्लीज गॉड हेल्प मी।"
रजत, "भगवान क्या कोई भी मदद नहीं कर सकता है मेरी बकवास बातों से।"
साक्षी, "तुम शांत रहने का क्या लोगे।"
रजत, "जो तुमने मेरे साथ किया है उसका बदला।"
साक्षी, "कैसा बदला तुम अपनी गलती क्यू भूल रहे हो कि तुमने मुझे तालाब में धक्का दिया था और अब तुम्हे मुझसे बदला लेना है।"
रजत, साक्षी के क्लोज आता है जिससे साक्षी थोड़ी नर्वस हो जाती है, रजत, साक्षी से कहता है, "बदला तोह मैं लेकर रहूंगा चाहे मुझे इसके लिए कुछ भी करना क्यूं न पड़े।
इधर निर्मला को घबराहट हो रही थी कि साक्षी कहां पर है तभी बुआ जी निर्मला से कहती है, "तुम चिंता मत करो सब ठीक होगा साक्षी घर पर आ जायेगी। बेचारी निर्मला एक मां थी उसका दिल साक्षी की याद में तेज धड़क रहा था।
इधर साक्षी थोड़ी नर्वस हो जाती है और रजत से दूर हटकर कहती है, "मेरे क्लोज आने की कोई जरूरत नहीं है जो भी बात करनी है दूर रहकर करो।"
रजत, "तुम तोह अभी शेरनी बन रही थी अब क्या हुआ थोड़ा क्लोज का आया तुम्हारे पसीने छूट गए।"
साक्षी, "तुम ज्यादा बड़े शेर हो तोह एक लड़की की इज्जत करना नही जानते।"
रजत को हंसी आ गई और हंसते हुए कहने लगा, "इज्जत तुम पर कौन सा इज्जत करना आता है और इज्जत का पाठ मुझे पड़ा रही हो, ठीक है बाबा मैं तुमसे दूर ही भला।
साक्षी और रजत में बहसबाजी चलती रहती है और सुबह हो जाती है।
जैसे ही गांव का एक व्यक्ति झोपड़ी के पास गुजरता है तोह वह शॉक्ड हो जाता है।
सुबह होने के बाद जैसे एक व्यक्ति झोपड़ी के पास से गुजर रहा था तभी उसने झोपड़ी में देखा जिससे वह शॉक्ड रह जाता है उसने देखा की झोपड़ी में की साक्षी और रजत अलग अलग सो रहे है। उसने शक की अग्नि को जलाकर उसे दिमाग पर हावी कर लिया और उसी शक के जरिए गांव में चीख चीखकर बोलने लगा, "अरे अनर्थ है गयो जा गांव की सूखी झोपड़ी में अनर्थ हो गयो अरे अनर्थ हे गयो।"
उसकी चीख पुकार सुनकर गांव के कुछ लोग आए और उन्होंने पूछा, "का है गयो का बात है गई सुखी झोपड़ी में।"
उस आदमी ने कहा, "अरे भैया जा गांव की सूखी झोपड़ी में एक मोड़ा और मोड़ी सो रहे है, जाके देखो।
इधर झोपड़ी में बाहर के शोरगुल से रजत और साक्षी की आंखे खुल जाती है दोनों उठ कर खड़े हो जाते है। तभी साक्षी का पैर मुड़ जाता है और वोह गिरने वाली होती है कि उसे रजत अपनी बाहों में बचा लेता है। तभी गांव वाले लोग झोपड़ी में आ जाते है और रजत की बाहों में साक्षी को देखकर गांव वालो को यकीन हो जाता है, गांव वाले साक्षी और रजत को जबरजस्ती पकड़कर अपने साथ ले जाते है। साक्षी और रजत ने चीख चीखकर पूछा, "आप लोग हमे पकड़कर क्यूं ले जा रहे हैं हो।"
साक्षी और रजत को गांव के पुराने बरगद के पेड़ से बांध दिया जाता है और गांव में बरगद के पेड़ के नीचे गांव की पंचायत बैठाई जाती है।"
पंचायत में साक्षी और रजत के परिवार वालों को बुलाया जाता है। जैसे ही साक्षी और रजत के परिवार वाले आ पहुंचते है। साक्षी चीख चीखकर बोलती है, "मां, जैसा यह गांव वाले समझ रहे है वैसा कुछ नही है।"
तभी पंचायत का एक सरपंच बोलता है, "इन्होंने जो किया है उसकी केवल एक सजा है वोह है इनको मार दिया जाए तथा इनके परिवार वालो के मुंह पर कालिख पोतकर जूतों का हार पहनाकर पूरे गांव में निकाला जाए।"
यह सब सुनकर रजत की मां बोली, "कुछ तोह रहम कीजिए इसमें मेरे बेटे की कोई गलती नही यह सब गलती इस लड़की की है।"
तभी साक्षी के पिता रमेश ने हाथ जोड़कर बोला, "आप कोई दूसरा रास्ता निकाले इस तरह मेरी बेटी को मौत के घाट न उतारा जाए।"
तभी सरपंच ने कहा, "दूसरा रास्ता इनकी शादी कर दी जाए।"
तभी साक्षी, सरपंच से कहती है, "नही नही मै इस लड़के से शादी नही कर सकती मुझे मरना स्वीकार पर में शादी के लिए तैयार नहीं हूं।"
तभी रजत कहता है, "मैं शादी के लिए तैयार हूं।"
साक्षी जिसे रजत का नाम भी पता नहीं था और उससे शादी करने के लिए तैयार नहीं थी।
तभी साक्षी की बुआ कहती है, "हमारी पूरी इज्जत इस लड़की ने मिट्टी में मिला दी अब यह शादी करने को तैयार नहीं है, इसने हमे जिंदा ही मार दिया अब हम कही मुंह दिखाने के रहे।"
साक्षी अभी भी शादी करने को तैयार नहीं थी लेकिन रजत तैयार था।
साक्षी, सरपंच से विनती करते हुए कहती है, " जैसा आप समझ रहे है वैसा कुछ नही है, प्लीज मै इस शादी के खिलाफ हूं, मैं इस लड़के को ढंग से जानती नहीं हूं।"
तभी गांव की एक औरत बोलती है, "अगर जानती नहीं हो तोह झोपड़ी में साथ साथ क्या कर रहे थे।"
तभी गांव की दूसरी औरत ने कहा, "यह तोह वही लड़का है जिसने इस लड़की को तालाब में धक्का दिया था और यह लड़का इस लड़की से प्यार करता है तभी तोह शादी के लिए राजी हो गया, सरपंच जी का फैसला बिल्कुल सही है, इनकी शादी ही करवा दो।
तभी गांव का व्यक्ति बोला, "इन दोनो ने बहुत बड़ा पाप किया है और इस गांव को अपवित्र किया है इसलिए इनकी शादी या मौत होगी।
तभी दूसरा व्यक्ति बोलता है, "हमने खुद इन दोनो को एक दूसरे की बाहों में प्यार करते पकड़ा है, यह लड़की झूठ बोल रही है।
तभी लता, साक्षी के पास जाती है और कहती है, "दीदी आप शादी के लिए मान जाओ जिससे आपकी जान बच जाए और शादी के छह महीने बाद आप तलाक ले लेना फिर कोई गांव वाला नही आयेगा आपके तलाक मे, अगर आपने न कहा तोह यह गांव वाले आपको जिंदा मार देंगे इसलिए आप शादी के लिए हां बोल दो।"
साक्षी को लता का यह प्लान अच्छा लगा और न चाहते हुए शादी के लिए राजी हो गई।
फिर क्या गांव वालो ने मिलकर रजत और साक्षी की शादी कर दी। और सरपंच ने हिदायत देते हुए सभी गांव वालो से कहा, "अब किसी ने भी ऐसी गलती की तोह उसका अंजाम यही होगा।"
अब साक्षी रोते हुए अपने मां बाप से विदा लेने पहुंचती है और कहती है, "मेरी इसमें कोई गलती नही है, हो सके तोह मुझे माफ करना।"
इतना कहकर निर्मला के गले लगने को जाती है तोह निर्मला रोकते हुए कहती है, "तुमने हमारी इज्जत मिट्टी में मिला के बहुत अच्छा काम किया अब अपने ससुराल में जाकर खुश रहना और कभी भी हमसे मिलने मत आना, जाओ अब यहां से।"
साक्षी और रजत कार में बैठते है और फ्रंट शीट पर रजत की मां बैठती है। और कार चलना शुरू हो जाती है। तभी साक्षी, रजत और सुधा से कहती है, "मै कोई इस लड़के की पत्नी नही हूं और आपकी बहू नही हूं और हां मैं कोई भी टिपिकल बहु की तरह नहीं रहने वाली और मै कोई भी शादी की रस्में नही करने वाली हूं।"
तभी रजत बोलता है, "कि मेरा नाम रजत है और मुझे तुमसे कोई प्यार व्यार नही है वोह तोह मैं अपनी जान बचाना चाहता था इसलिए शादी के लिए तैयार हो गया।"
तभी सुधा गुस्से में कहती है, "तुम दोनो कान खोलकर सुन लो तुम इस शादी को मानो या ना मानो पर मैं इस शादी को मानती हूं और शादी की रस्में भी होगी क्योंकि समाज मैं हमारी कुछ इज्जत है।"
तभी साक्षी बोलती है, "इज्जत और आपकी, आपकी तो कोई शक्ल देखना भी न चाहे और आप अपनी इज्जत की बात करती है थोड़ी तोह शर्म कीजिए।
तभी रजत को गुस्सा आ जाता है।
To be continued........
साक्षी की बाते सुनकर रजत को गुस्सा आ जाता है और गुस्से में कहता है, "तुम अपनी बकवास बातें बंद करो और यह क्या रट लगा रखी हैं और तुम अपने दिमाग से निकाल दो हम काले हैं तोह हमारी कुछ नही इज्जत हैं इस बात को कहना छोड़ दो, अब मैं तुम्हारा पति हूं न कि कोई अंजान।"
रजत का इतना कहते ही साक्षी हंसने लगी और हंसते हुए कहने लगी, "पति वोह भी तुम, मैं तुम्हारी कोई पत्नी नही हूं, यह शादी एक ढोंग है और तुम मेरे पति बनने की कोशिश मत करना।"
रजत, "तुम अपनी बकवास बाते बंद करो।"
साक्षी, "तुम अपना सड़ा हुआ चेहरा दिखाना बंद करो मिस्टर बैंगन।"
रजत, "तुम अपनी बकवास बाते बंद करो मिस घमड़ी।"
साक्षी, "घमंडी होगे तुम।"
रजत, "घमंडी नही घमड़ी बोला है मिस तेजपुर एक्सप्रेस।"
तभी रजत की मां चीखकर बोलती हैं, "शांत हो जाओ तुम, इतने बड़े हो गए तुम दोनो मे थोड़ी सी भी अक्ल नहीं है।"
रजत, अपनी मां से कहता है, " मां ये शादी की रस्में करना जरुरी है क्या, क्या हम इन रस्मों को टाल नहीं सकते।"
सुधा, "नही टाल सकते और टालना ही क्यों, तुमने शादी की है कोई चोरी नहीं की और इसमें तुम्हारी मर्जी न शामिल होकर भी तुम्हारी मर्जी से शादी हुई है इसलिए शादी की सभी रस्में भी होंगी।"
रजत, "पर मां यह सब दिखावे के लिए क्यूं मां।"
सुधा, "दिखावा नहीं यह सब रीति रिवाज है और इन रीतियों को तुम्हे न चाहते हुए भी मानना होगा।"
इतना कहते ही रजत का घर आ जाता है, रजत का घर एक मध्यवर्गीय परिवार था और रजत की किराने और मिठाई की दुकान थी।
साक्षी ने घर को देखते ही कहा, "यह घर है क्या किसी चिड़िया का घर, इस घर में कैसे रह पाऊंगी।"
रजत, "साक्षी को ज़बाब देते हुए कहता है, "जैसे तुम कोई महलों से आई परी हो, और तुम्हे महलों में रहने की आदत है।"
साक्षी कार से उतरती है और घर की दहलीज पर सुधा रोक देती है रजत और साक्षी को और उनका गृह प्रवेश करवाती है।
घर में प्रवेश करने के बाद साक्षी बिना किसी के पैर छुए, पूछती है, "मेरा घटीचर कमरा कहां है जहां मुझे रहना पड़ेगा।"
सुधा गुस्से में साक्षी पर चिल्लाते हुए कहती है, "तुम्हारी मां ने तुम्हे संस्कार दिए है कि बड़ो का सम्मान करो उनके पैर छुओ उनका आशीर्वाद लो।"
साक्षी गुस्से में कहती है, "कैसा आशीर्वाद यह शादी एक छलावा है जो की जबरन हुई है और मैं किसी के पैर नही छुऊंगी।"
सुधा, "अपने सास ससुर के पैर छुओ और आशीर्वाद लो।"
रजत के घर में उसके माता पिता और उसकी दो बहनें कला और माला रहती थी संग मे चाचा और चाची और उनका एक बेटा आर्यन और बेटी किरन रहते थे।
तभी रजत गुस्से में साक्षी का हाथ पकड़ता है और कहता है, "तुम्हे मेरे पापा मम्मी और चाचा चाची के पैर छूने पड़ेंगे।"
तभी चाची टोंट मारते हुए कहती है, "जबरजस्ती दिलवाया गया आशीर्वाद कोई आशीर्वाद नही होता है, आशीर्वाद तोह मन से लिया जाता है और जिसका मन ही नही वोह आशीर्वाद कैसा।"
सुधा, चाची यानी देविका से गुस्से में कहती है, "मीठी जवान में कब नमक मिलाया जाए यह तुम्हे बहुत अच्छी तरह से आता है, इसलिए शांत रहो।"
तभी साक्षी कहती है, "ओह ये बकवास बातें बंद करो और मेरा कमरा कहां है मुझे आराम करना है।"
सुधा, "पहले आशीर्वाद फिर कमरा में जाने की सोचना।"
रजत, "तुम्हे पैर तोह छूने पड़ेंगे तभी तुम कमरे में जा पाओगी।"
साक्षी ने न चाहते हुए भी सभी के पैर छुए और और सभी ने न चाहते हुए आशीर्वाद दिया।
तब सुधा ने कहा, "तुम्हे पहले कला के कमरे में तैयार किया जाएगा फिर तुम्हारी मुंह दिखाई होगी।"
साक्षी, "मेरी मुंह दिखाई की क्या ज़रूरत हैं और मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है, मेरी मुंह दिखाई नही होगी।"
सुधा, "तुम्हारी मुंह दिखाई होगी और वो भी आज शाम को।"
साक्षी न चाहते हुए भी मुंह दिखाई के लिए मान जाती है।
कुछ घंटों बाद सुधा के घर मुंह दिखाई करने औरते आती है और कला, साक्षी को लेकर अपने साथ लाती है और उसे सोफे पर बैठाती है। जैसे ही एक औरत साक्षी के चेहरे से घुघंट को हटाती है तभी उस औरत की हसीं छूट जाती है और साथ में वहां आई सभी औरतों की हसीं छूट जाती है।
सभी औरतें हंसने लगती है। और सुधा की नजर शर्मिंदा से नीचे हो जाती है। आखिर ऐसा हुआ क्या ?
यह हुआ की साक्षी ने अपना मुंह काला कर दिया था। और साक्षी ने औरतों से रोते हुए कहा, "इन लोगों ने जानबूझकर मेरा चेहरा काला कर दिया क्योंकि मेरा पति काला है इसलिए यह लोग मुझसे से जबरजस्ती मेरा मुंह काला किया।"
तभी एक औरत कहती है, "इस लड़की के हाथ तोह गोरे है इसलिए इन्होंने अपनी हरकतों से इसका मुंह काला कर दिया है क्यूंकि इनके बेटा का चेहरा काला है इसलिए इन्होंने अपनी बहु का चेहरा काला कर दिया है।"
तभी दूसरी औरत कहती है, "सुधा बहन से ऐसी हरकत की उम्मीद नहीं थी।"
सुधा ने अपने हाथ जोड़कर सभी को जाने को कहा।
कुछ देर बाद सभी औरते घर से बाहर निकल जाती है।
तभी सुधा गुस्से में बोलती है, "ये क्या बचपना है साक्षी तुम्हे कोई अक्ल हैं कि नही, तुमने आज जो तमाशा किया है वोह गलत किया है तुम्हे थोड़ा सा भी अंदाजा है कि कल को समाज में हमारी इज्जत पर क्या फर्क पड़ेगा, तुमने हमारी इज्जत मिट्टी में मिला दी और तुम्हारे मां बाप ने यही संस्कार दिए हैं तुमको, जबाव दो हमें साक्षी।"
साक्षी हंसते हुए कहती हैं, "मुझे तो बहुत मजा आया आप लोगो की फटीचर इज्जत की खिल्लियां उड़ाते हुए, सच में आप लोग इसी लायक है।"
तभी रजत गुस्से में साक्षी पर हाथ उठा देता है लेकिन साक्षी हाथ को रोकते हुए कहती है, "क्या तुम्हारे माता पिता ने तुमको यही संस्कार दिए है कि एक लड़की पर हाथ उठाते हुए तुम्हे शर्म नही आई।"
सुधा, "हमने अपने बेटे को तुम्हारे मां बाप से अच्छे संस्कार दिए है।
साक्षी, "संस्कार दिए है तोह हाथ क्यूं उठाया, बोलिए वैसे भी आप जैसे लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है।"
सुधा, "पहले हमें यह बताओ तुमने मुंह काला क्यूं किया, हमे नीचा दिखाने के लिए या हमारी समाज में इज्जत गिराने के लिए, हमे जवाब चाहिए।"
साक्षी, "मैने कहा था कि मुझे मुंह दिखाई नही करवानी इसलिए मैने मुंह काला किया और आप लोगों से क्या उम्मीद लगाऊ आप लोगों ने तोह मुझे कही का नहीं छोड़ा।"
देविका, "कही का नहीं छोड़ा इसका क्या मतलब समझे हम और तुमने मुंह काला खुद का स्वयं किया है इसलिए तुमने अपने आप को कही का नहीं छोड़ा है।"
सुधा, देविका को आंख दिखाते हुए साक्षी से बोलती है, "तुम्हे इसकी सजा मिलेगी।"
साक्षी, "कैसी सजा और मैने कोई पाप तोह नही किया हैं।"
सुधा, "तुम्हे आज रात हम सभी का खाना बनाना पड़ेगा और किचिन का सारा काम जैसे बरतन धोना, सफाई करना जैसे काम करने होंगे।"
साक्षी गुस्से में लाल पीली हो जाती है और चिल्लाकर कहती है, "मुझे खाना बनाना नहीं आता और मैं इस घर की कोई नौकरानी नही हूं जो आप कहेगी वही मुझे करना होगा, न तोह मैं खाना बनाऊंगी और न ही मैं कोई और काम करूंगी और मेरा कमरा कहां है जहां मुझे रहना है।"
देविका धीरे से सुधा से कहती है, "दीदी आज इसके यह ढंग है तोह कल क्या करेगी यह लड़की और इसे तो किसी का मान रखना भी नही आता।"
सुधा, साक्षी से कहती है, "तुम्हारी मर्जी हो या न हो तुम्हे खाना बनाना पड़ेगा और वोह भी अभी, तुमने जो आज तमाशा बनाया है वह किसी ने आज तक नही बनाया है इसलिए सीधे किचन में जाओ।"
रजत, "तुमने आज बहुत गलत किया है, तुम्हे इस गलती का बदला ज़रूर मिलेगा।"
साक्षी, "बदला कैसा बदला, अब तुम्हारे संस्कार कहा गए, जेब में रखे रुपयों की तरह उड़ा दिए संस्कार।"
रजत गुस्से में, "तुम अपनी बकवास बातें बंद करोगी क्या और एक बात कान खोलकर सुन लो यह घर हमारा है और तुम्हारा घर नहीं है जहां तुम सभी से बदतमीजी से बोलोगी और तुम अपनी बदतमीजी यहां मत दिखाओ और जो मां ने कहां है उसे चुपचाप करो।
साक्षी को गुस्सा आ जाता है वोह रजत पर चिल्लाकर बोलती है, "मैं तुम्हारे हाथ की कोई कठपुतली नही हूं जो तुम कहोगे मैं वही करूंगी।"
सुधा, "तुम दोनों अपनी लड़ाई अपने कमरे में करना और साक्षी तुम किचन में खाना बनाओ।"
सुधा, कला की तरफ इशारा करती है और कहती है, "कला तुम नहीं बहु को रसोई दिखा दो।"
कला रसोई दिखाती है पर साक्षी को कोई दिलचस्पी नहीं थी वो कला से कहती है, "वैसे खाने में क्या बनेगा।"
कला, "आपको जो सही लगे आप वोह बना दीजिए वैसे भैया को आलू मटर की सब्जी पसंद है।"
कुछ देर बाद साक्षी अपने आप को किचन में बंद कर लेती है और अंदर से ही चीख चीखकर कहती है, "मैं जो बनाऊं वोह आपको को खाना पड़ेगा।"
सुधा रसोई के बाहर से बोलती है, "अब कोई ऐसी वैसी हरकत मत करना जिससे तुम्हे पछताना पड़े और तुम्हे खाना बनाना है तोह दरवाजा खोलकर भी बना सकती हो और रसोई में कोई उलटफेर मत करना।"
साक्षी, "ठीक है।"
जब रात हो जाती है तोह सभी खाने की टेबल पर बैठ जाते है और सुधा कहती है, "इस लड़की ने अभी तक किचन का दरवाजा नहीं खोला है, आखिर ऐसा क्या बना रही है।"
देविका टोंट कसते हुए कहती है, "खाना बना रही है क्या हमें उल्लू बना रही है।"
सुधा, देविका को आंख दिखाते हुए कहती है, "अपनी जबान पर नियंत्रण रखना सीखों, वोह जो भी कर रही है रसोई में कुछ कर तोह रही तुम्हारी तरह मुफ्त की रोटियां तो नही तोड़ रही है।"
इतना सुनते ही देविका की शर्म से आंखे नीचे हो जाती है क्यूंकि देविका का पति दिलीप यानी रजत का चाचा कुछ काम नही करता था और देविका को हमेशा सुधा से शर्मंदगी महसूस करनी पड़ती थी।
तभी साक्षी किचन का दरवाजा खोलती है और अपने हाथ में स्टील का पतीला लाकर बोलती है, "लीजिए आज का खाना चख कर बताइए कैसा बना है।" लेकिन साक्षी ने अभी चेहरे का रंग साफ नहीं किया था।
सुधा जैसे ही पतीला खोलती है वोह शॉक्ड हो जाती हैं वोह देखती है और कहती है, "इस पतीले मे पानी क्यूं है, जबाव दो।"
साक्षी नखड़िले अंदाज में कहती है, "यह मीठा पानी हैं और मीठा पानी बनाने में समय तोह लगता है, चख कर बताइए कैसा बना है मीठा पानी।"
सुधा गुस्से में, "तुम्हारा दिमाग तोह ठीक है एक तो रात के नौ बजे से ऊपर हो गया और तुम यह मीठा पानी बनाकर लाई हो।"
साक्षी, "मैने पहले ही कहा था मुझे खाना बनाना नहीं आता मुझे केवल खाना खाने आता है और रही बात पहली रसोई में मीठा बनाते है इसलिए मैने मीठा पानी बनाया अब आप इसे पीकर अपना पेट भर ले।"
रजत गुस्से में, "तुम्हारी अक्ल घास चरने गई है अरे कुछ बनाना नहीं आता तोह बाहर से ऑर्डर कर लेती इस तरह हम भूखा तोह नही रहना पड़ता।"
देविका टोंट कसते हुए, "यह तोह वही हिसाब हुआ ऊंची दुकान फीके पकवान जैसा हो गया अब क्या हम सब भूखे सोएंगे।"
सुधा, "कला ऐसा करो पुलाव बना लो इस लड़की से तोह कोई उम्मीद करना ही ठीक नही है।"
साक्षी, "चलो आप लोगों में अक्ल है इस बात का तोह पता चला और आज के बाद मुझ से कोई उम्मीद मत रखना आप सभी।"
देविका, "वैसे तुमने अपना चेहरा साफ क्यूं नही किया है या तुम्हे काले बनने का शौक़ है।"
साक्षी टोंट कसते हुए, "अब जिसका पति काला हो तोह उसे भी काला बनकर ही रहना पड़ेगा ना चाची जी।"
रजत गुस्से में, "अगर तुम्हे काले रंग से इतनी प्रॉब्लम है तो खुद क्यों काली बनाकर घूम रही हो और तुम्हे बर्दाश्त करने की कोई जरूरत नहीं है तुम यहां से जा सकती हो।"
साक्षी, "तुम मुझे कानूनी तौर पर तलाक देदो फिर मैं चली जाऊंगी।
तभी सुधा गुस्से में चिल्लाती है।
To be continued......
साक्षी, "तुम मुझे कानूनी तौर पर तलाक देदो फिर मैं चली जाऊंगी।"
तभी सुधा गुस्से में चिल्लाती है, और कहती है, "तुम दोनो अपनी लड़ाई अपने कमरे में जाकर करो और साक्षी आज की गलतियों की सजा तुम्हे कल मिलेंगी।" जाते वक्त सुधा कला की तरफ इशारा करती है और चली जाती है।
कला, साक्षी से कहती है, "भाभी आज आप मेरे रूम में सोओगी।"
साक्षी, "क्या मेरे लिए कोई कमरा ही नही है और होगा भी कैसे यह घर जो इतना छोटा घर जो है यहां के सभी कमरे छोटे है।"
कला, "भाभी आप मेरे कमरे में चलिए।"
साक्षी न चाहते हुए भी कला के साथ कला के कमरे में चली जाती है।
तभी रजत, कला के कमरे में आता है और कला से कहता है, "तुम कुछ देर के लिए अपने कमरे से बाहर जाओ मुझे साक्षी से कुछ बात करनी है।" इतना सुनते ही कला रूम से बाहर निकल जाती है।
रजत, "तुम मेरे परिवार के साथ ऐसा क्यों कर रही हो, मेरे परिवार ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है।"
तभी साक्षी गुस्से में, "तुम्हारे परिवार ने मुझे एक रूम तक नही दिया और पहले ही दिन मेरे न चाहते हुए भी मुंह दिखाई की रस्म की और मुझे सजा दी इसलिए मैने तुम्हारे परिवार के साथ ऐसा किया।"
रजत, "अच्छा आगे से ऐसा कुछ नही होगा पर आगे से ऐसी कोई भी हरकत मत करना।
इतना कहकर रजत वहां से चला जाता है।
दिन होते ही सुधा, कला के रूम में आती है साथ मे कुछ कपड़े साक्षी के लिए लाती है और साक्षी से कहती है कि कुलदेवी जी के दर्शन करने के लिए तुम्हे चलना है। उसके लिए तैयार हो जाओ।"
साक्षी नाक मुंह सिकोड़ते हुए कहती है, "यह कपड़े इतने घटिया है कि मैं इन्हें नही पहनूंगी।"
सुधा, "देखो इससे बढ़िया कपड़े लाने की हमारी हैसियत नहीं है और तुम्हे न चाहते हुए भी यह कपड़े पहनने होगे और कुलदेवी जी के मंदिर दर्शन करने के लिए जाना होगा।"
साक्षी, "क्या मैं दर्शन करने कल नही जा सकती।"
सुधा, "नही आज शुभ मुहूर्त है इसलिए आज दर्शन और पूजा करने के लिए जाना होगा।
कुछ ही देर बाद, साक्षी तैयार हो जाती है और सुधा से कहती है, "चलिए कुलदेवी जी के दर्शन करने चलते है।"
सुधा, "मैं नहीं तुम और रजत जाओगे वोह भी पैदल।"
साक्षी हड़बड़ाते हुए कहती है, "पैदल, हम कार से नही जा सकते और मंदिर कितनी दूर है यहां से।"
सुधा, "लगभग पन्द्रह किलोमीटर दूर है, तुम्हे यहां से अकेले जाना है।"
साक्षी कुछ कहती कि देविका पूजा की थाल को जानबूझकर गिरा देती है और कहती है, "दीदी लगता है कि कोई बहुत बड़ा अपशगुन होगा।"
सुधा गुस्से में चिल्लाकर बोलती है, "क्या तुम कोई काम ढंग से कर सकती हो, कही तुमने ये थाल जानबूझकर तोह नही गिराई है।"
देविका हड़बड़ाते हुए कहती है, दीदी आप कैसी बात कर रही हो, मेरे हाथ से अचानक गिर गई थी।"
तभी रजत आ जाता है और वोह साक्षी को देखते ही रह जाता है क्योंकि साक्षी ने रेड कलर की साड़ी पहनी थी जिसमें वो बेहद खूबसूरत लग रही थी तभी किरन ने टोकते हुए कहा, "देखो भैया की नजर तोह भाभी से हट ही नहीं रही।"
रजत हिचकिचाते हुए बोला, "ऐसा कुछ भी नही है।"
सुधा कहती है, "अब आप दोनो कुलदेवी के दर्शन के लिए निकल सकते हो।"
साक्षी, "क्या हम कार से नही चल सकते थोड़ी देर में पहुंच जायेंगे और पैदल तोह हमें शाम हो जायेगी।"
सुधा, "तुम दोनो को पैदल ही जाना होगा।"
साक्षी को न चाहते हुए भी रजत के साथ कुलदेवी के दर्शन के लिए जाना पड़ा।"
लगभग रजत और साक्षी आधा किलोमीटर ही चले होंगे कि साक्षी ने बहाना बनाकर बैठ गई और कहने लगी, "क्या तुम मेरी एक छोटी सी हेल्प करोगे।"
रजत हंसते हुए, "हेल्प, वोह भी मुझसे तुम्हें क्या हेल्प चाहिए बोलो।"
साक्षी, "क्या हम यहां से ऑटो कर सकते है तुम न मत करना किसी को पता भी नही चलेगा और हमारा समय भी बचेगा।"
रजत हंसते हुए, "अब क्या हुआ मिस घमड़ी अब आया तुम्हे मजा तुमने सोचा कि मैं तुम्हारी बात मान जाऊंगा, अब तुम्हे पैदल ही चलना पड़ेगा।"
साक्षी चिड़चिड़ाते हुए बोलती है, "तोह मैं एक कदम नहीं चलूंगी और तुम्हे बहुत मजा आ रहा है मेरी इस कंडीशन पर वोह भी तुम्हे पता चल जायेगा।"
तभी वहां पर एक सांप आ जाता है और साक्षी भागने लगती है। साक्षी को भागते देख रजत भी भागता है तथा कुछ दूरी पर आने के बाद साक्षी हांपने लगती है और हांपते हांपते कहती है, "अब मैं और नही चल सकती प्लीज मेरे लिए ऑटो कर दो।"
रजत, "देखो चलना तोह पैदल है हां बीच बीच में तुम रेस्ट जरूर कर सकती हो इसलिए पैदल चलो।"
साक्षी, "मिस्टर बैंगन मे तुम्हारी तरह बॉडीबिल्डर नही हूं और जिंदगी में आज तक मैं इतना नही चली जितना तुम मुझे चलवाना चाहते हो।"
तभी रजत, साक्षी के क्लोज आने लगता है साक्षी हड़बड़ाते हुए कहती है, "तुम यह क्या कर रहे हो।"
रजत, "तुम्हे गोदी में उठा रहा हूं।"
साक्षी चीखते हुए बोलती है, "नही, तुम मुझे अपने करीब लाना चाहते हो इसलिए तुम मुझे गोदी में उठाना चाहते हो एक बात गांठ बांध लो हम दोनो के बीच पति पत्नी वाला संबंध नहीं हो सकता।"
रजत हंसते हुए बोलता है, "उसके बारे में तुम टेंशन मत लो वोह तोह ये कभी भी नही हो सकता।"
साक्षी एक सुकून की सांस भरती है और कहती है, "चलो अब चलते हैं।"
लगभग छह घंटे चलने के बाद रजत और साक्षी मंदिर पहुंचते है और रजत पंडित जी से कहता है, "हमारी शादी अभी अभी हुई है हम कुलदेवी जी की पूजा करना चाहते है।"
रजत और साक्षी ने कुलदेवी की पूजा की और पंडित जी ने साक्षी से कहा, "सदा सुहागन रहो।"
साक्षी और रजत पूजा करकर लौट रहे थे तोह रास्ते में बारिश हो जाती है और साक्षी और रजत बारिश में भीग जाते है।
लगभग रात के आठ बजे रजत और साक्षी घर पहुंचते है। बारिश में भीग जाने के कारण साक्षी को छींक आना शुरू हो जाती है।
तभी देविका कहती है, "तुम लोगो के लिए कमरे में सरप्राइज़ है।"
जब साक्षी, रजत के कमरे में पहुंचती है तो वह शॉक्ड हो जाती है।
जब साक्षी, रजत के कमरे में पहुंचती है तो वह शॉक्ड हो जाती है और वह देखती है कि कमरे में सुहाग की सेज सजी हुई है जिससे उसका गुस्से का पारा और भी बढ़ जाता है। वह गुस्से में सभी समान को फेंकने लगती हैं। जिससे कमरे में बढ़ते शोरगुल को देखकर घर के सभी घरवाले घर आ जाते है और सुधा गुस्से में चिल्लाकर बोलती है, "ये क्या तमाशा बना रखा है तुमने।"
तभी रजत भी रूम में आ जाता है और अपने रूम का सामान बिखरा देखकर उसके गुस्से का पारा सातवें आसमान चढ़ जाता है और वह गुस्से में कहता है, "यह क्या बदतमीजी है तुम्हारी और तुम्हे अपना कमरा चाहिए था इसके लिए जहां तुम मनचाहा सामान फेक सको।"
साक्षी गुस्से में बोलती है, "आप लोगो ने सोचा भी कैसे कि मैं इस कलुवे के साथ सुहागरात मनाऊंगी और आपकी हिम्मत कैसे हुई इस कमरे को सजाने की।"
सुधा गुस्से में बोलती है, "हां मेरा बेटा काला है तोह क्या हुआ तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे बेटे को कलुवा बोलने की अगर तुम ज्यादा सुंदर हो तोह हम क्या करे, यह सब तुम्हारी गलती है तुम उस रात झोपड़ी में नही जाती तोह यह सब नहीं होता।"
साक्षी चिल्लाकर बोलती है, "उसमे भी आपके बेटे की गलती है न यह मेरा मटका फोड़ता न ही मुझे दोबारा प्रायश्चित करना पड़ता, यह सब गलती आपके बेटे की हैं।"
सुधा गुस्से में बोलती है, "मंदिर में तुम मेरे बेटे की हंसी नही उड़ाती तोह यह सब नहीं होता तुम दोनो इस शादी के लिए जिम्मेदार हो।"
इतना कहकर सुधा रूम से चली जाती है और बाकी घरवाले भी सुधा के पीछे पीछे चले जाते है।
रजत गुस्से में साक्षी से बोलता है, "मेरा कमरा साफ़ करो, और मुझे माफ करदो कि तुमसे कोई अच्छी उम्मीद लगाई थी।"
साक्षी, "कैसी उम्मीद लगाई थी तुमने।"
रजत, "कि तुम सुधर जाओगी पर तुम कभी नही सुधरोगी कि तुम्हारे बारे मै गलत था और वैसे भी मुझे तुम्हारे साथ सुहागरात मनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है और तुम कभी नही समझोगी कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता और वैसे भी तुम एक बेपरवाह लड़की हो।"
साक्षी, रजत पर गुस्से में चीखती हुई बोलती है, "तुम मुझमें कमियां निकालने के अलावा कुछ जानते हो मेरे बारे में, मेरे सपने क्या है जानते हो तुम, मुझे विदेश में घूमना और रहना था जो कि अब नहीं होगा, क्या तुम मेरे सपने पूरे करोगे, क्या तुम विदेश में सेटल हो पाओगे तुम तोह कभी इन चारदीवारी से बाहर भी निकले हो, सब कुछ बिखर गया मेरे सपने मेरे अपने और सब कुछ, अरे तुम तोह मेरा एक भी सपना पूरा नहीं कर सकते तुम बस गुस्सा कर सकते हो।" इतना कहते ही साक्षी रोने लगती है।
रजत, "शायद मैं तुम्हारे सपने पूरे कर पाता पर मुझे तुम्हारे सपने पूरे करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है।"
इतना सुनते ही साक्षी को गुस्सा आ जाता है वह गुस्से में कहती है, "इंटरेस्ट की बात करते हो, तुम्हारी तो औकात ही नही है कि तुम मेरा एक भी सपना पूरा कर सको तुम जिंदगी भर में इतना नही कमा सकते कि तुम मुझे विदेश घूमा सको क्योंकि तुम इस लायक ही नहीं हो।"
रजत स्माइल करते हुए बोलता है, "मैं किस लायक हूं यह तुम्हे बताने की कोई जरूरत नहीं और रही बात मेरी औकात की तोह तुम से बढ़कर है।"
साक्षी, "जिन लोगों की कुछ औकात नही होती वोह अपनी औकात औरों से बढ़कर ही बताते है।"
इधर देविका, दिलीप से बात कर रही होती है और कहती है, "लगता है सुहागरात नही बनेगी अब इस घर को वारिश चाहिए और वोह वारिश आर्यन की शादी करकर ही आएगा, हमे साक्षी को बच्चा न होने की दवाई रोज खाने में मिलाकर देनी होगी।"
दिलीप, "पर आर्यन की शादी होगी कैसे।"
देविका, "उसकी चिंता तुम मत करो वोह में सब देख लूंगी।"
इधर सुधा, रजत के पिता गौरव से बात कर रही होती है और कहती है, "हमे रजत और माला का राज किसी को नही बताना है अगर वोह बात साक्षी को पता चल गई तोह सब धरा का धरा रह जायेगा और हमको ज्यादा सतर्क रहना होगा, वैसे वोह संदूक कहां पर छिपाई है आपने।"
गौरव, "वोह संदूक तोह स्टोर रूम में छिपाई है मैने।"
इधर साक्षी, रजत से कहती है, "कि मैं बेड पर सोऊंगी और तुम जाएं पर।"
रजत, "यह बेड और रूम दोनो मेरा है इसलिए मैं बेड पर सोऊंगा और तुम स्टोर रूम में।"
साक्षी, "स्टोर रूम में तो कबाड़ा होगा।"
रजत हंसते हुए, "तुम भी तोह एक कबाड़ा हो मिस चिकचिक।"
साक्षी अपनी मनमानी करके बेड पर लेट जाती है। रजत को गुस्सा आ जाता है और वोह बेड पर पानी फैला देता है। जिससे साक्षी बेड पर भीग जाती है और साक्षी हंसते हुए कहती है, "तुम पूरे बेवकूफ हो तुम्हे थोड़ी सी भी अक्ल नहीं है अब तुम कहां सोओगे।"
रजत बोलता है, "मिस चिकचिक बेड पर नही सो सकता तोह सोफे पर सो सकता हूं।" इतना कहते ही रजत सोफे पर लेट जाता है।
साक्षी बाथरूम में चली जाती है और बाथरूम से बाल्टी भरकर पानी लाती है और सोफे पर लेटे रजत पर डाल देती है और बोलती है, "जैसे को तैसा।"
जिससे रजत भीग जाता है और गुस्से में साक्षी की अपने दोनो हाथो से साक्षी की दोनो बाजुओं को कसकर पकड़कर कहता है, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर।"
साक्षी हाथो को छुड़ाते हुए कहती है, "तुम मेरे हाथो को छोड़ो वरना मैं चीखूंगी चिल्लाऊंगी और तुम्हे सबक सिखाऊंगी समझे।"
रजत हाथों को और कसकर पकड़ लेता है और गुस्से में कहता है, "चिल्लाओ जितना तेज हो सके चिल्लाओ और क्या सबक सिखाओगी बताओ मुझे।" इतना कहकर रजत साक्षी के हाथ छोड़ देता है और रूम से बाहर चला जाता है।
साक्षी बाथरूम में कमरे चेंज करके सुधा के रूम में जाती है और दरवाजे को खटखटाती है। सुधा दरवाजा खोलती है। साक्षी सुधा से कहती है, "रजत ने बेड को भीगा दिया है इसलिए अब मैं कहा सोऊ।"
सुधा, "रजत कहां है और उसने बेड क्यूं भिगाया आखिर ऐसे क्या वजह थी बताओ।"
साक्षी, "मुझे नही पता रजत कहां है।"
सुधा एकदम घबरा जाती है।
To be continued......