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Reborn: jo tu na mila

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Sakshi

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‘पुनर्जन्म: जो तू ना मिला’ एक गहराई से भरी प्रेम कहानी है जो मोहब्बत, जुदाई और एक नए जीवन की तलाश को बेहद भावुक ढंग से बयां करती है। यह कहानी है भारत की मशहूर अभिनेत्री कृषा शर्मा की, जिसकी ज़िंदगी में सब कुछ था — शोहरत, दौलत, और लाखों चाहने वाले। ले...

Total Chapters (2)

Page 1 of 1

  • 1. Reborn: jo tu na mila - Chapter 1

    Words: 1553

    Estimated Reading Time: 10 min

    भारत की जानी-मानी अभिनेत्री कृषा शर्मा, जिनके करोड़ों चाहने वाले थे, जिनकी खूबसूरती का हर कोई दीवाना था — आज अपनी कार में बेहद उदास बैठी थी। चमचमाती काली कार सड़क पर तेज़ी से दौड़ रही थी, लेकिन कृषा के मन में तूफ़ान मचा था। उसका चेहरा बिना किसी भाव के खिड़की की ओर टिका था, आँखों में आँसू भरे थे, लेकिन वह रो भी नहीं पा रही थी।

    उसकी ज़िंदगी में सब कुछ था — नाम, शोहरत, पैसा, पर जो सबसे ज़रूरी था, वही अब उससे छिन गया था। उसकी पहली और आखिरी मोहब्बत, अभय राणावत, आज किसी और से शादी करने जा रहा था।

    कृषा की आँखों के सामने एक-एक करके वे सारे लम्हे घूम रहे थे जो उसने अभय के साथ बिताए थे। कॉलेज के वो मासूम दिन, जब दोनों की नज़रे पहली बार मिली थीं। कैसे अभय ने पहली बार उसकी तारीफ की थी, और कृषा शर्म से लाल हो गई थी। फिर धीरे-धीरे दोस्ती हुई, मुलाकातें बढ़ीं और वह दोस्ती प्यार में बदल गई।

    पर ये प्यार हमेशा के लिए नहीं था। शोहरत की दुनिया में कदम रखते ही कृषा और अभय के बीच दूरियाँ आने लगीं। समय, काम, और फिर ग़लतफ़हमियों ने वो रिश्ता तोड़ दिया, जो कभी उसकी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत चीज़ थी।

    अभय ने उससे कहा था, "तू बदल गई है कृषा... अब तू पहले वाली नहीं रही।"

    और कृषा खामोश रह गई थी, क्योंकि वह जानती थी — शायद वो सच कह रहा है।

    आज, बरसों बाद, जब कृषा को यह खबर मिली कि अभय किसी और से शादी कर रहा है, तो उसका दिल जैसे किसी ने चीर दिया हो। वह खुद को संभाल नहीं पा रही थी। उसका मन चीख रहा था, मगर वह चुप थी। वह बस कार चलाती जा रही थी... न सड़क दिख रही थी, न मंज़िल का पता था।

    आखिर हो भी क्यु ना उसके साथ ऐसा, आखिर अभय वही तो था जो उससे बहुत प्यार करने के दावे करता था, उसकी एक छोटी सी ख्वाईश के लिए पूरी दुनिया सर पर उठा लेता था,, अभय तो उसका था सिर्फ उसका

    अचानक, सामने से एक ट्रक आ गया। तेज़ रफ्तार और गीली सड़क — एक ज़ोरदार टक्कर हुई और फिर सब कुछ शांत हो गया। एक दमदार आवाज़ के बाद सन्नाटा...

    लोग इकट्ठा हो गए, किसी ने एम्बुलेंस बुलायी। खून से लथपथ कृषा की आँखें खुली थीं, पर अब उनमें कोई spark नहीं बचा था।

    उसने एक आखिरी बार आसमान की ओर देखा और बस इतना कहा, "अगर अगली ज़िंदगी मिले... तो फिर से मोहब्बत ना हो... या हो तो अधूरी ना रहे।"



    इसके बाद उसकी आँखें हमेशा के लिए बंद हो गईं।

    कुछ दूरी पर उसका मोबाइल गिरा पड़ा था। स्क्रीन पर अभय की शादी की तस्वीरें चल रही थीं। हँसता हुआ चेहरा, सजधज, मंडप... और कृषा की टूटी हुई आत्मा।

    आज सब कुछ खत्म हो चुका था — वो कॉलेज की यादें, परिवार की 'कृषु', और देश की 'कृषा शर्मा' बनने का सफर। अब बचा था तो बस एक खामोश अंत... या शायद एक नई शुरुआत...
    ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।


    अचानक कृषा की नींद खुली। सिर में ज़ोर से दर्द हो रहा था। उसने आँखें मिचमिचाकर चारों तरफ देखा — ये तो उसका पुराना घर था! वही पुराना कमरा, वही दीवारें, वही सजावट।

    उसे समझ नहीं आया कि ये क्या हो रहा है। उसने खुद से पूछा, “मैं यहाँ कैसे आ गई? क्या ये कोई सपना है?”

    वो घबरा गई थी। चार साल पहले उसने ये घर छोड़ दिया था — अपने पूरे परिवार को पीछे छोड़कर। जब उसने अभिनेत्री बनने की जिद की थी और उसके माता-पिता ने उसका साथ नहीं दिया था, तब गुस्से में आकर वो सब कुछ छोड़कर चली गई थी। उसके दिल में एक कसक थी, पर उस वक्त उसका आत्मसम्मान, उसका सपना उससे बड़ा था।

    लेकिन आज, जब उसकी आँखें खुलीं, तो वो फिर से उसी जगह थी जहाँ से सब शुरू हुआ था। वो जल्दी से उठी और दौड़ते हुए अपने कमरे से बाहर निकली।

    जैसे ही उसने बाहर कदम रखा, एक जानी-पहचानी सी आवाज़ सुनाई दी — उसकी माँ, कुसुम जी की। वो रसोई से चाय की ट्रे लेकर आ रही थीं और उसके पापा, जय शर्मा, अपने अख़बार में डूबे हुए थे।

    कुसुम जी ने मुस्कुराकर कहा, “लो जी, आपकी चाय।”

    जय शर्मा ने चश्मा ठीक करते हुए कहा, “शुक्रिया भाग्यवान, आज की चाय की खुशबू कुछ अलग है।”

    और वहाँ, ठीक कोने में, उसका छोटा भाई राहुल, हमेशा की तरह अपने पापा को इम्प्रेस करने की कोशिश में जुटा था।

    “पापा, आप तो हर बार की तरह आज भी सबसे पहले न्यूज़ पढ़ते हो, आप तो सच में बहुत स्मार्ट हो,” राहुल ने मीठा-सा झूठ बोला।

    जय शर्मा ने मुस्कुरा कर कहा, “क्या चाहिए बेटा?”

    राहुल झेंपते हुए बोला, “वो बस कुछ पैसे चाहिए थे... गेमिंग के लिए एक नया अपडेट आया है।”

    पूरा घर जैसे वैसा ही था, जैसा कृषा ने छोड़ दिया था। उसकी आँखें भर आईं।

    उसने एक कदम और आगे बढ़ाया और किचन की तरफ देखा। उसकी माँ आज भी उसी तरह हल्दी की साड़ी में थी, माथे पर सिंदूर, हाथों में चूड़ियाँ, और चेहरे पर वही ममता की चमक।

    कृषा की साँसें तेज़ हो गईं। वो समझ नहीं पा रही थी कि ये क्या चल रहा है। उसने खुद को शीशे में देखा — वो भी पहले जैसी ही दिख रही थी। न तो चेहरे पर मेकअप था, न ग्लैमर, न अभिनेत्री वाली चमक। वो फिर से वही पुरानी कृषा थी — एक आम लड़की।

    “क्या ये सपना है? या मैं मरने के बाद किसी पुराने समय में लौट आई हूँ?” उसने खुद से बुदबुदाया।

    उसी वक्त उसकी माँ की नज़र उस पर पड़ी।

    “अरे कृषु! उठ गई बेटा? देखो तेरे लिए भी चाय लाई हूँ। आज कॉलेज नहीं जाना क्या?”

    “कॉलेज?” कृषा चौंकी।

    “हाँ बेटा, आज तुम्हारी इंटरनल प्रैक्टिकल है ना? जल्दी तैयार हो जा, नहीं तो देर हो जाएगी।”

    कृषा स्तब्ध थी। उसका मन तो बस एक ही बात पर अटका था — वो फिर से अपने अतीत में लौट आई थी। शायद ऊपरवाले ने उसे दूसरा मौका दिया था। शायद ये उसका पुनर्जन्म नहीं, बल्कि उसे खोया हुआ जीवन फिर से जीने का अवसर था।

    उसे याद था कि इसी वक्त पर सब कुछ बिगड़ना शुरू हुआ था। उसके माता-पिता के सपनों और उसके सपनों के बीच एक दीवार बन गई थी।

    लेकिन आज… आज फिर से उसके पास सब कुछ था — माँ का प्यार, पापा की फिक्र, भाई की शरारतें।

    वो चुपचाप जाकर अपनी माँ के गले लग गई।

    कुसुम जी चौंकी, “क्या हुआ बेटा? सब ठीक है ना?”

    कृषा की आँखों से आँसू बह निकले, “हाँ माँ… सब ठीक है… सब बहुत अच्छा है…”

    उसने सोचा — अबकी बार मैं सब ठीक करूँगी। अबकी बार मैं अपने सपने भी जिऊँगी और अपनों का साथ भी नहीं छोड़ूंगी।


    कृषा ने सोचा, "क्यों न राहुल को थोड़ा परेशान किया जाए?" आख़िरकार, वो ये सब बहुत मिस कर रही थी। इन चार सालों में घर छोड़ कर जाने के बाद, एक बार उसने राहुल से बात करने की कोशिश की थी। उसे पता चला था कि पापा की तबीयत बहुत खराब है।

    कृषा ने दिल से चाहा था कि वो परिवार के लिए कुछ करे। पर जब उसने राहुल से बात की, तो राहुल ने बड़ी कड़वाहट से जवाब दिया। उसकी बातें सीधे दिल में चुभ गईं थीं। उसने किसी भी तरह की मदद लेने से मना कर दिया था।

    तब राहुल पार्ट टाइम जॉब करके घर संभाल रहा था। उसने अपना बचपन भुला दिया और जिम्मेदारियों का बोझ उठा लिया। और कहीं न कहीं, कृषा इस सबकी जिम्मेदार खुद को मानती थी।

    पर अभी कृषा के सामने उसका वही प्यारा शैतान भाई था, राहुल वही रोज़ की तरह कुछ जेब खर्च के लिए पापा को खुश करने की कोशिश में था। तभी कृषा ने मुस्कुराते हुए कहा,

    "क्यों चूज़े, गर्लफ्रेंड को पिज़्ज़ा खिलाने के लिए पापा को मक्खन लगा रहे हो?"

    राहुल चिढ़ गया और तुरंत पलटा,

    "दी, आप चुप रहो... आप जाओ न कॉलेज के लिए रेडी हो जाओ... वरना मुझे तंग करना आप ही को भारी पड़ेगा।"

    कृषा ने उसकी तरफ देखा, उसका चेहरा गुस्से में था लेकिन आंखों में प्यार की झलक अब भी साफ़ थी। पर वो अब तक नहीं जानता था कि... ये उसकी बहन का पुनर्जन्म है।

    राहुल को कुछ याद नहीं था। चार साल पहले जो कुछ भी हुआ, वो जैसे उसकी यादों से मिटा दिया गया था। उसके लिए कृषा बस उसकी वही प्यारी बहन थी जो वापस आ गई थी। वही बहन, जिसे वो हर सुबह चिढ़ाता था, हर शाम परेशान करता था और हर रात उसकी शिकायते सुनता था।

    कृषा ने राहुल की ओर देखते हुए एक लंबी सांस ली, उसकी आंखों में नमी थी... पर मुस्कान वही पुरानी थी।

    वो जानती थी, किसीको कूछ याद नही, पर उसे तो सब याद था ... पर उसके लिए ये पल, ये घर, ये लोग, सब कुछ थे।

    उसने खुद से वादा किया – अब वो सबकुछ ठीक करेगी... राहुल को उसका बचपन लौटाकर देगी।

    वो कॉलेज के लिए तैयार होने चल दी, पीछे मुड़ कर देखा – राहुल फिर से पापा को मनाने में लग गया था। वही पुराने तरीके, वही पुरानी मासूमियत...

    कृषा के होंठों पर हल्की सी मुस्कान तैर गई। दिल में दर्द था, पर अब वो अकेली नहीं थी। कम से कम घर के चार दीवारी के अंदर तो सब कुछ वैसा ही था।


    radhe radhe 🥰

  • 2. Reborn: jo tu na mila - Chapter 2

    Words: 1709

    Estimated Reading Time: 11 min

    नहा-धोकर फ्रेश होने के बाद, कृषा अपनी अलमारी के सामने खड़ी हो गई। उसे आज कुछ ऐसा पहनना था जो उसके कॉन्फिडेंस और पर्सनैलिटी को बखूबी दिखा सके।

    उसने अपनी अलमारी से एक रेड कलर का क्रॉप टॉप निकाला — जो उसके फेवरेट में से एक था। फिर उसने ब्लैक हाई वेस्ट जीन्स निकाली और पहन ली। जब उसने आईने में खुद को देखा, तो चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। उसने बालों को सलीके से पीछे करके हाई पोनीटेल में बांधा और फिर ब्लैक ईयर स्टड्स कानों में लगाए। उसके कानों की लटकती बालियाँ उसके चेहरे के साथ खूबसूरती से मैच कर रही थीं।

    इसके बाद बारी थी मेकअप की। उसने हल्का बेस लगाया और फिर अपने होंठों पर रेड लिपस्टिक लगाई। उसके होंठों की चमक और चेहरे की आत्मविश्वास भरी मुस्कान उसे एक अलग ही ऊर्जा दे रही थी। कृषा का आज का लुक किसी फिल्मी हिरोइन से कम नहीं था — एकदम "कातिल हसीना" टाइप।

    उसने अपने बैग को उठाया, एक बार फिर आईने में खुद को देखा और खुद को मुस्कराते हुए बोला, “लेट्स रॉक इट कृषा!” फिर सीढ़ियों से नीचे उतरी।

    घर के बाहर पहुँचते ही उसने सड़क किनारे एक ऑटो रोका।

    “भइया, कॉलेज चलोगे?” कृषा ने पूछा।

    “हाँ मैडम, बैठिए,” ऑटो वाले ने जवाब दिया।

    कृषा ऑटो में बैठी और रास्ते भर खिड़की से बाहर देखती रही। सड़कों का शोर, लोगों की भागदौड़, ट्रैफिक की हलचल — सब कुछ वैसा ही था जैसा उसने छोड़ा था, पर उसके अंदर बहुत कुछ बदल चुका था।

    चार साल पहले उसने इस शहर को, इस कॉलेज को, इस परिवार को छोड़ दिया था अपने सपनों के लिए… और अब जब वो लौट रही थी, तो उसके दिल में कई सवाल थे, कई जज़्बात थे।

    जैसे ही ऑटो कॉलेज के सामने पहुँचा, कृषा के चेहरे पर एक बहुत बड़ी स्माइल आ गई। कॉलेज की बिल्डिंग, कैंटीन का कोना, वो गार्ड की सीट, सब कुछ अब भी वैसा ही था।

    ऑटो रुकते ही उसने पैसे दिए और उतरकर कॉलेज गेट की तरफ चल दी।

    “वेलकम बैक, कृषा…” उसने खुद से कहा

    जैसे ही कृषा कॉलेज के अंदर दाखिल हुई, उसकी चाल में आत्मविश्वास और चेहरे पर एक मासूम सी मुस्कान थी। पर उसने नोटिस किया कि वहाँ खड़े कई स्टूडेंट्स उसे घूर रहे हैं। कुछ लड़कियाँ आपस में फुसफुसा रही थीं, कुछ लड़के एक-दूसरे की ओर देखकर इशारे कर रहे थे।

    कृषा को पहले तो कुछ समझ नहीं आया कि ये सब क्यों हो रहा है। शायद उसके कपड़ों या लुक को लेकर सब हैरान थे। लेकिन थोड़ी ही देर बाद उसके सामने दो लड़कियाँ आकर खड़ी हो गईं।

    एक का नाम था दिया, और दूसरी का आहाना। दोनों कॉलेज में काफ़ी मशहूर थीं। उनकी पहचान सिर्फ़ खूबसूरती या स्टाइल से नहीं थी, बल्कि उनके बैकग्राउंड से भी थी। दोनों बेहद अमीर और रसूखदार परिवारों से ताल्लुक रखती थीं। पर जो बात उन्हें और भी ख़ास बनाती थी, वो ये थी कि दोनों K6 ग्रुप की मेंबर थीं।

    K6, कॉलेज का सबसे पॉपुलर और पावरफुल ग्रुप। पूरा कॉलेज इस ग्रुप के नाम से डरता भी था और प्रभावित भी होता था। हर पार्टी, हर इवेंट, हर डिसीजन में K6 का दबदबा होता था। और क्यूँ ना हो, इस ग्रुप में कॉलेज के ट्रस्टी के बेटे-बेटियाँ थे।

    इस ग्रुप का हेड था — कबीर। पूरा ग्रुप उसी के नाम पर बना था — Kabir 6, जिसे सब K6 कहते थे।

    कबीर रायजादा — रायजादा परिवार का सबसे बड़ा बेटा। एकदम शांत और गंभीर स्वभाव का, लेकिन अगर गुस्सा आ जाए तो कुछ भी तबाह कर देने वाला। उसका गुस्सा किसी को भी हिला देता था। यहाँ तक कि कॉलेज के प्रिंसिपल भी उससे डरते थे। वो उसकी पर्सनैलिटी और ताकत से अच्छी तरह वाकिफ थे।

    इतनी कम उम्र में ही कबीर ने कॉलेज के साथ-साथ अपने फैमिली बिजनेस में भी एक मजबूत पकड़ बना ली थी। वो हाई IQ और स्मार्ट माइंड का मालिक था। साथ ही उसकी डैशिंग पर्सनैलिटी और गहरी आँखों में कुछ तो ऐसा था जो सबको खींचता था।

    K6 के बाकी पाँच सदस्य थे:

    1. स्मरत – एकदम चालाक और स्मार्ट सोच वाला लड़का। अपने शार्प ब्रेन से हर मुश्किल सिचुएशन को संभाल लेता था।


    2. वियोम – ग्रुप का सबसे शांत लेकिन खतरनाक दिमाग। हर प्लानिंग में उसका रोल सबसे अहम होता था।


    3. आदिल – हँसमुख और सबसे मिलनसार, लेकिन जब ग्रुप को प्रोटेक्ट करने की बात आती थी, तो सबसे पहले वही आगे आता था।


    4. आहाना – दीवा टाइप लुक और एटीट्यूड वाली, पर ग्रुप के लिए बेहद लॉयल। उसकी ब्यूटी और टोन सबको इम्प्रेस कर देती थी।


    5. दिया – फैशन क्वीन, जो हर पार्टी, हर स्टाइल में टॉप रहती थी। उसका कॉन्फिडेंस और बात करने का तरीका किसी को भी चुप करा सकता था।



    जब दिया और आहाना कृषा के सामने आईं, तो कृषा ने खुद को संयम में रखा।

    दिया ने एक तीखी मुस्कान के साथ कहा, "नई हो क्या? दिखने में तो काफ़ी तैयार होकर आई हो। लगता है कोई इम्प्रेशन जमाना है?"

    कृषा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "नई तो नहीं हूँ, बस... लौटकर आई हूँ।"

    आहाना ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और फिर बोली, "कॉन्फिडेंस तो देखो... चलो अच्छा है, थोड़ा टाइम तो पास होगा।"

    दोनों हँसती हुई वहाँ से चली गईं, पर कृषा अब तक शांत खड़ी रही। उसके चेहरे की मुस्कान गायब नहीं हुई थी। वो जानती थी कि ये महज़ शुरुआत है। कॉलेज की ज़िंदगी अब फिर से शुरू हो रही थी — पर इस बार बहुत कुछ बदल चुका था।

    कृषा ने एक लंबी साँस ली और कॉलेज के अंदर बढ़ गई, अपने क्लास की ओर। उसका मन अंदर से बुरी तरह उलझा हुआ था, पर चेहरे पर आत्मविश्वास का मास्क बिल्कुल परफेक्ट था।

    उसे इस बार किसी से डर नहीं था... और न ही झुकने का कोई इरादा।


    क्लास में कदम रखते ही, कृशा ने अपनी सीट की ओर बढ़ते हुए एक गहरी साँस ली। माहौल नया था लेकिन कुछ अजीब तरह से जाना-पहचाना भी। वह अपनी सीट पर बैठी ही थी कि एक लड़की उसके पास आकर खड़ी हो गई। वह दिखने में थोड़ी सी अलग थी—एकदम सिंपल, लेकिन उसमें एक मासूमियत थी जो ध्यान खींचती थी। उसके कंधों तक आते कर्ली बाल थे जो नूडल्स जैसे लगते थे। उसने बड़ी-बड़ी गोल चश्मे पहन रखे थे और लगातार अपने चश्मे को ठीक करने की कोशिश कर रही थी।

    लड़की ने थोड़ी हिचकिचाहट के साथ पूछा, "क्या आप नई हो?"

    कृशा ने मुस्कुराकर सिर हिलाया और 'हाँ' में जवाब दिया। पर उसके मन में हलचल सी मच गई थी। उसे लग रहा था जैसे उसने इस लड़की को पहले कहीं देखा है। कुछ पल के सोच-विचार के बाद उसे याद आया—हाँ, यही वो लड़की थी जिसे उसने न्यूज़ में देखा था।

    उसे याद आया कि एक महीने बाद यही लड़की आत्महत्या कर लेगी... अपने प्रेमी की वजह से। वो लड़का इतना स्वार्थी था कि पहले तो इस प्यारी सी लड़की को धोखा देता है, फिर जब ये उसे छोड़ देती है तो बदले की भावना में आकर उसके बारे में कॉलेज में ग़लत अफवाहें फैलाता है। लेकिन वह यहीं नहीं रुकता—वह उसकी कुछ प्राइवेट तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल करवा देता है।

    कृशा को ये सब याद आते ही उसकी आंखों में नर्मी सी आ गई। इस बार वो कुछ अलग करना चाहती थी, किसी की ज़िंदगी बचाना चाहती थी। उसके चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन दिल अंदर से भावनाओं से भर चुका था। उसने उस लड़की से बहुत अपनापन भरे स्वर में कहा, "तुम्हारा नाम क्या है?"

    लड़की थोड़ी हैरान हुई, लेकिन जवाब दिया, "मेरा नाम रिया है।"

    "रिया... बहुत प्यारा नाम है," कृशा ने कहा। "मुझे बहुत अच्छा लगा तुमसे मिलकर।"

    रिया की आंखों में एक चमक आ गई। शायद उसे पहली बार किसी नए छात्र ने इतना अपनापन दिखाया था। वह कृशा के पास बैठ गई और दोनों के बीच बातें शुरू हो गईं। रिया ने बताया कि वह इस कॉलेज में पिछले साल से है लेकिन ज्यादा दोस्त नहीं बना पाई क्योंकि वह ज़्यादातर समय किताबों में ही डूबी रहती है।

    कृशा ने बातों ही बातों में रिया से उसका मोबाइल नंबर लिया और कहा, "अब से हम दोस्त हैं, और दोस्त कभी अकेले नहीं होते।"

    रिया थोड़ी भावुक हो गई, लेकिन मुस्कुराई। उसे खुद नहीं पता था कि ये एक सामान्य सी दिखने वाली मुलाकात उसकी ज़िंदगी को कितना बदलने वाली है।

    क्लास शुरू हुई लेकिन कृशा का ध्यान बार-बार रिया की ओर जा रहा था। वह सोच रही थी कि कैसे वो उसे उस अंधेरे रास्ते पर जाने से रोक सके। उसे समझ में आ गया था कि इस बार किस्मत ने उसे एक मौका दिया है, किसी की ज़िंदगी को बचाने का।

    शाम को कॉलेज खत्म होने के बाद रिया और कृशा एक साथ बाहर निकलीं। कृशा ने उसे पास के कैफे में चलने को कहा। रिया थोड़ी झिझकी लेकिन कृशा के कहने पर मान गई।

    कैफे में बैठते हुए कृशा ने रिया से उसके परिवार, पढ़ाई और दोस्तों के बारे में पूछा। रिया ने बताया कि उसके माता-पिता बहुत सख्त हैं और वह ज्यादातर अकेली ही रहती है। कृशा को उसके चेहरे पर एक अधूरी सी मुस्कान दिखी, जो कह रही थी कि वह बहुत कुछ छुपा रही है।

    कृशा ने ठान लिया था कि वह रिया को टूटने नहीं देगी। उसने मन में सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो, वह उसकी ढाल बनेगी। वो उसकी बहन, उसकी दोस्त और उसकी ताकत बनेगी। क्योंकि शायद पिछले जन्म की कृशा किसी को बचा नहीं पाई थी, लेकिन इस जन्म में वह किसी की दुनिया उजड़ने नहीं देगी।

    इस मुलाकात के बाद कृशा ने हर दिन रिया के साथ बिताना शुरू किया। वो उसकी क्लास नोट्स बनवाने में मदद करती, उसके साथ लाइब्रेरी जाती और जब भी रिया उदास होती, उसे हँसाने की पूरी कोशिश करती। धीरे-धीरे रिया के चेहरे की उदासी कम होने लगी थी।

    कृशा जानती थी कि वो लड़का अब भी रिया की ज़िंदगी में है, और वो समय आने वाला है जब सब कुछ बिखरने वाला था। लेकिन इस बार कृशा ने खुद को तैयार कर लिया था। अब की बार वो न तो चुप रहेगी और न ही किसी को टूटने देगी।

    और वहीं से शुरू होती है एक नई कहानी—एक दोस्ती की, एक बचपन की याद की, और एक नई कोशिश की, जो किसी की ज़िंदगी को बदलने वाली थी।



    Radhe radhe 🥰