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Heroine become a Villianess

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Ayesha Niyaz

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यह कहानी है इनायत की इनायत एक अनाथ थी लेकिन हमेशा अपनी खुशी में खुश रहने वाली छोटी छोटी चीजों में खुशी ढूंढ लेती थी अपने लिए हमेशा मस्त मौला रहती थी उसका सबसे पसंदीदा काम था तो लड़कों से फ्लर्ट करना। चाहे लड़का हो या लड़की उसे फ्लर्ट करने में बड़ा मज...

Total Chapters (3)

Page 1 of 1

  • 1. Heroine become a Villianess - Chapter 1

    Words: 2141

    Estimated Reading Time: 13 min

    हे गाइस चलो कहानी स्टार्ट करते हैं। एक लड़की इस वक्त अपने रूम में बैठी हुई थी और वह लड़की के हाथ में एक बुक थी जो बड़ी शिद्दत के साथ उसे बुक को पढ़ रही थी। वह लड़की दिखने में काफी ज्यादा पतली दुबली थी और उसका चेहरा पीला पड़ा था चेहरे से देखकर साफ पता चल रहा था कि वह काफी ज्यादा बीमार है। वो लड़की वही बैठी हुई थी कि अचानक ही उसे लड़की को वोमिटिंग फुल होती है और वह तुरंत अपने बेड से उठती है। वह अपने वॉशरूम तक जा पाती की आधे रास्ते में ही बेहोश हो जाती है क्योंकि उसके अंदर जरा भी हिम्मत नहीं थी अपने कदम को आगे बढ़ाने के लिए वह बहुत मुश्किल से बद से उठी थी लेकिन वह आगे जा ही नहीं पाई 2 4 कदम ही चली थी कि वह बेहोश होकर गिर गई। वह अभी गिर गई थी कि उसके मुंह से अचानक ही ब्लड आने लगता है। के तभी उसे रूम का डोर ओपन होता है और एक लेडी भागते हुए उसे लड़की के पास आती है और फिक्र भरी आवाज में कहती हैं। इनाया बिटिया अपनी आंखें खोलिए। वही वह लड़की उसे औरत की आवाज सुनकर अपनी आंखें धीरे-धीरे खोलने की कोशिश करती है लेकिन नहीं खोल पाती वह आंखें जो थोड़ी सी खुली थी वह भी बंद हो जाती है और निहाल सा शरीर उसे औरत की बाहों में गिर जाता है। वह औरत उसे लड़की की हालात ऐसे देख कर तुरंत बाहर शर्मा जी को आवाज देती है तो शर्मा जी दौड़ते हुए आते हैं और इनायत को उठाकर अपनी कर की तरफ बढ़ जाते हैं। कुछ ही वक्त में वह लोग अस्पताल में थे और इनायत को एडमिट कर दिया गया था। वाय अस्पताल के वार्ड में इनायत अभी अपने बेड पर लेटी हुई थी उसके हाथों में सिरिंज लगा हुआ था और वह अभी भी बेहोश थी उसके चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ था जिसे साफ जाहिर था कि उसे सांस नहीं आ रही थी और जो ब्लड था वह अब तक साफ हो चुका था। वही वह औरत जो इनायत को इनाया का कर पुकारी थी वह औरत अंदर आती है और इनायत को देखकर वह इनायत के बेड के पास ही बैठ जाती है और उसके सर को सहलाने लगते हैं। आ जाते हैं इंट्रोडक्शन यह है इनायत शर्मा की मदर यानी कि इन्होंने इनायत को अडॉप्ट किया था क्योंकि इनायत अनाथ थी। इन्हें इनायत का नेचर बहुत अच्छा लगा था इनायत बहुत ही हंसमुख मस्त मौला टाइप की इंसान थी वह हमेशा अपनी छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढ लेती थी और वह बहुत क्यूट थी। वह मुस्कुराती बहुत थी लेकिन कहते हैं ना जो इंसान जितना मुस्कुराता है उसकी मुस्कुराहट के पीछे उतना ही बड़ा दर्द छुपा होता है इनायत को कैंसर था और वह कैंसर की लास्ट स्टेज में थी। जिसमें उसका बच पान नामुमकिन सा था लेकिन फिर भी वह खुद का अंत जानती थी लेकिन फिर भी उसने मुस्कुराना नहीं छोड़ा था और ना ही वह नहीं दूसरों के साथ फ्लर्ट करना और हंसते मुस्कुराना छोड़ था उसने। इनायत को जिस परिवार ने गोद लिया था वह ज्यादा बड़ा तो नहीं था लेकिन हम मिडिल क्लास फैमिली का था यह दोनों जोड़े श्री शर्मा और श्रीमती शर्मा अपने खानदान में इकलौते ही थे इनका कभी भी औलाद नहीं हुई थी इसलिए यह जब एक बार रहो अनाथ आश्रम गए थे तो वहां इन्हें इनायत बहुत पसंद आई थी इन्होंने तभी तय कर लिया था कि यह इनायत को गोद लेंगे इनायत को गोद ले लिया इनायत इनके पास रही अच्छे से स्टडी की उसने और काफी कुछ चीज हैं जो इनायत ने हर किसी से छुपी हुई थी। इनायत की कुछ और आइडेंटिटी भी थी जिसके बारे में ना ही श्री शर्मा और नहीं मिसेज शर्मा को पता था। Mr and mrs शर्मा इनायत को बहुत प्यार करते थे उन्होंने कभी इनायत को यह चीज का एहसास ही नहीं कराया की इनायत उनकी बेटी है ही नहीं उन्होंने सेगी औलाद से बढ़कर भी इनायत को प्यार किया था। इनायत भी उनके साथ खुश रहती थी। लेकिन कहते हैं ना जो इंसान जितना ही ज्यादा हंसमुख और अच्छा होता है उतनी ही जल्दी ऊपर वाला उसकी कम जिंदगी देता है ऐसे ही इनायत के साथ था इनायत को कम ही उम्र में कैंसर का रोग लग गया और जब उसे लगा तब सबको पता चल गया की इनायत कैंसर के लास्ट स्टेज में है जिसने उसकी जान जाना ही जाना है बच नहीं पाती उसकी जान। इनायत दिन आखिरी समय में भी अपनी जिंदगी बहुत अच्छे से गुजरने की कोशिश कर रही थी इन दिनों वह थोड़ी बहुत शांत हो गई थी लेकिन उसने फ्लर्ट करना और हंसी मजाक करना नहीं छोड़ा था इनायत का कहना था कि हंसते मुस्कुराते रहना चाहिए और हंसते मुस्कुराते हुए ही इस दुनिया से जाना चाहिए। इनायत आज अपने रूम में बैठी हुई थी और वह एक बुक पढ़ रही थी वह बुक में एक ऐसी कहानी थी जिसे पढ़कर इनायत को काफी अफसोस हुआ उसे कहानी को पढ़कर क्योंकि वह कहानी ही ऐसी थी जिसे ना चाहते हुए भी इनायत अपने दिमाग से नहीं निकल पा रही थी। श्रीमती शर्मा जो उसके पास बैठी थी उनके हाथ में वही बुक थी जो इनायत अपनी रूम में बैठी पड़ रही थी क्योंकि वह जानती थी आजकल इनायत को किताब पढ़ने का बहुत ज्यादा शौक था इसलिए वह इनायत के साथ वही बुक ले आई थी। लेकिन अस्पताल जाकर उन्हें पता चला की इनायत के पास अब ज्यादा वक्त नहीं है वह किसी भी वक्त इस दुनिया को अलविदा कह सकती है। इसलिए मैसेज शर्मा एंड मिस्टर शर्मा वहीं मौजूद थे। खैर कुछ ही वक्त में इनायत को होश आता है और इनायत को देखते ही मैसेज शर्मा की आंखों में आंसू आ जाते हैं वही अपनी मां की आंखों में आंसू देख कर इनायत अपना सर नाम हिलती है और कहती है। कम ओं मोम आप मुझे ऐसी दुनिया से विदा करोगे। मैं इस दुनिया से बहुत अच्छी यादें लेकर जाना चाहती हूं आप ऐसे रोक कर मुझे भेजोगे। इनायत का जवाब सुनकर मैसेज शर्मा की आंख में आंसू जो रुके हुए थे वह तेजी से बहने लगते हैं आखिर कौन मा अपनी औलाद को अपने सामने मारते हुए देखना चाहेगी लेकिन यहां तो बात इनायत की थी ना जाने क्यों श्रीमती शर्मा एंड मिस्टर शर्मा को इनायत से एक खास बॉन्डिंग हो गई थी जो शायद खून के रिश्तो में भी नहीं होती। मुस्कुराते हुए अपनी मां की तरफ देख रही थी वही मैसेज शर्मा की आंखों में आंसू अभी भी थे और वह इनायत को अपनी आंसू भरी आंखों से देख रही थी। वही इनायत अपने हाथों से स्माइल का इशारा करते हुए अपनी मां की तरफ देखती है तो इनायत की मां यानी कि श्रीमती शर्मा और रोने लगती है कि तभी दरवाजे से मिस्टर शर्मा अंदर आते हैं और वह अपनी बीवी को संभालने लगते हैं आखिर वह भी बाप थी इनायत के आखिर वह कब तक मजबूत रहते हैं वह भी ऐसे वक्त में टूट गए थे लेकिन वह जानते थे कि उनकी बेटी की क्या ख्वाहिश है। उनकी बेटी हमेशा यही चाहती थी की इनायत के जाने के बाद उसके मां पापा कभी न रोए बल्कि उसे खुशी के पल में याद करें उसे जब भी याद करें तुम मुस्कुराते रहे कभी रोए ना यह चीज याद करके दोनों ही खुद को संभाल लेते हैं और दोनों ही इनायत की तरफ देखते हैं जो उन दोनों को प्यार भरी नजरों से देख रही थी हालांकि इनायत की आंखों में दुख तो था कि वह इतनी कमर उम्र में ही इस दुनिया को छोड़कर जा रही थी। इनायत की उम्र तकरीबन 21 साल थी और 21 साल में दुनिया छोड़ जाना काफी ज्यादा तकलीफ भरा होता है लेकिन यह जानते हुए भी कि आपकी मौत कुछ ही पलों में होने वाली है तब तो आपकी तकलीफ और बढ़ जाती है। इनायत अपना हाथ आगे बढ़ती है तो उसकी हाथ पर इनायत की मां अपना हाथ रखती है इनायत के पापा भी अपना हाथ रखते हैं इनायत दोनों को मुस्कुराते हुए बस यही बात कहती है। आप दोनों अपना अच्छे से ख्याल रखना मैं इस दुनिया से जा रही हूं लेकिन आप लोगों की दिल से नहीं आप लोग मुझे हमेशा याद करना और याद करके रोना बिल्कुल भी नहीं हमेशा मुस्कुराते हुए याद करना । और यह बिल्कुल भी मत सोचना कि मैं आप लोगों को देखूंगी नहीं मैं हर पल आप लोगों के आसपास रहूंगी। इसलिए कभी अपनी आंखों में आंसू मत लाना मुझे याद करके हमेशा होठों पर मुस्कुराहट सजा रखना । इन मुश्किल घड़ी में श्रीमती शर्मा और श्री शर्मा का अब संभल ना बहुत मुश्किल हो चुका था आखिर उनकी जान से प्यारी अजीज बेटी अब इस दुनिया से जा रही थी। श्रीमती शर्मा आगे बढ़कर इनायत के गले लग जाती हैं इनायत भी अपनी मां को गले लगा लेती है वह नहीं जानती थी कि उसके असली मां बाप कौन है लेकिन जब उसने अपना होश संभाला तो खुद को अनाथ आश्रम में पाया और फिर से वह धीरे-धीरे बड़ी हुई तो उसने अनाथ आश्रम की माहौल में खुद को ढाल लिया था। लेकिन इनायत बहुत क्यूट और खूबसूरत थी। इसलिए उसके बहुत जल्दी दोस्त बन जाते थे और मिस्टर एंड मिसेज शर्मा को जब इनायत मिली थी तो इनायत की उम्र तकरीबन 10 साल की थी और तभी मैसेज एंड मिस्टर शर्मा ने उसे अडॉप्ट कर लिया था लीगली हालांकि इनायत बहुत जल्दी स ए पैरंट उन दोनों को एक्सेप्ट कर लिया था। क्योंकि इनायत का नेचर ही ऐसा था। दोनों की जान बन गई थी इनायत लेकिन इतनी जल्दी रिश्ता छूटेगा किसी को भी पता नहीं था। अपनी पत्नी को गले लगे हुए देखकर मिस्टर शर्मा भी इनायत के गले लग जाते हैं अब वह खुद को संभाल नहीं पाए वह भी इनायत के गले रख कर रोने लगते हैं। इनायत दोनों को संभालती है और दोनों को मुस्कुराते हुए ही जवाब देती है प्लीज आप लोग मुझे ऐसे विदा मत करो प्लीज उसकी मुस्कुराहट के पीछे दर्द को महसूस करके मिस्टर एंड मिसेज शर्मा दोनों का खुद को अब संभालना बहुत मुश्किल हो रहा था लेकिन अपनी बेटी की बात के आगे वह लोग खुद को संभाल लेते हैं और दोनों ही वही इनायत के पास बैठे रहते हैं। इनायत के एक साइड मिस्टर शर्मा बैठे हुए थे तो इनायत की दूसरी साइड मैसेज शर्मा बैठी हुई थी। इनायत के दोनों हाथ इस वक्त उसके मां पापा के हाथ में थे और वही इनायत मुस्कुराते हुए दोनों को देख रही थी वही वह बुक जो मैसेज शर्मा लाई थी वह इस वक्त इनायत के पेट के ऊपर रखी हुई थी। जिसका ध्यान किसी को नहीं था। खैर धीरे-धीरे इनायत नींद में चली गई। श्री शर्मा एंड एमआरएस शर्मा वहीं बैठे हुए थे कि तभी उनके कानों में एक आवाज पड़ती है और वह आवाज मिस्टर एंड मिसेज शर्मा का ध्यान अपनी और आकर्षित करती है वह ध्यान थी हार्टबीट मशीन की जिसकी लाइन अब सीधी हो गई थी और इनायत ने जो उनके हाथ पर अपनी पकड़ कसी हुई थी वह अभी धीरे-धीरे ढीली हो गई थी। इस बात का अहसास होते ही मिस्टर एंड मिसेज शर्मा एक दूसरे को देखने लगते हैं और फिर उनकी नजर तुरंत इनायत के ऊपर जाती है तो देखते हैं इनायत अब इस दुनिया में नहीं रही थी इनायत यह दुनिया छोड़ चुकी थी और वही इनायत के सांस बंद होने के बाद वह जो बुक इनायत के पेट पर रखी थी उसमें से कुछ नीली और लाल कलर की रोशनी निकलने लगती है। और वह रोशनी इतनी ज्यादा भी नहीं थी कि किसी का ध्यान अपनी और आकर्षित करें कुछ ही वक्त में वह रोशनी भी बंद हो जाती है और इसी के साथ इनायत की सांस भी बंद हो जाती है। एमआर एंड एमआरएस शर्मा एक दूसरे को गले लगा कर रो पड़ते हैं क्योंकि वह जानते थे कि उनकी औलाद की कमी इनायत नहीं पूरी की थी उन्हें कभी कोई औलाद नहीं होने वाली थी उन्होंने बहुत सारे डॉक्टर को दिखाया था लेकिन हमेशा से डॉक्टर के हाथ उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी इसलिए वह लोगों ने इस चीज की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन उनकी लाइफ में इनायत की एंट्री होती है जब वह एक बार अनाथ आश्रम गए थे। श्रीमती शर्मा श्री शर्मा के गले लगा कर बेतहाशा रो रही थी वही आंखों से आंसू का सैलाब टू मिस्टर शर्मा के भी आंखों से निकल रहा था। अखिल वह दोनों मां-बाप थे। खैर कुछ ही वक्त में सारी प्रक्रिया कंप्लीट करके मिस्टर शर्मा इनायत की बॉडी को ले जाते हैं और बड़े ही नाजो से अपनी बेटी की बॉडी को चिता पर लेट आते हैं और सभी क्रिया कर्म के साथ इनायत का अंतिम संस्कार करते हैं। आज के लिए इतना ही मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में तब तक के लिए बने रहिए .......

  • 2. Heroine become a Villianess - Chapter 2

    Words: 1615

    Estimated Reading Time: 10 min

    खैर धीरे-धीरे इनायत नींद में चली गई। श्री शर्मा एंड एमआरएस शर्मा वहीं बैठे हुए थे कि तभी उनके कानों में एक आवाज पड़ती है और वह आवाज मिस्टर एंड मिसेज शर्मा का ध्यान अपनी और आकर्षित करती है वह ध्यान थी हार्टबीट मशीन की जिसकी लाइन अब सीधी हो गई थी और इनायत ने जो उनके हाथ पर अपनी पकड़ कसी हुई थी वह अभी धीरे-धीरे ढीली हो गई थी। इस बात का अहसास होते ही मिस्टर एंड मिसेज शर्मा एक दूसरे को देखने लगते हैं और फिर उनकी नजर तुरंत इनायत के ऊपर जाती है तो देखते हैं इनायत अब इस दुनिया में नहीं रही थी इनायत यह दुनिया छोड़ चुकी थी और वही इनायत के सांस बंद होने के बाद वह जो बुक इनायत के पेट पर रखी थी उसमें से कुछ नीली और लाल कलर की रोशनी निकलने लगती है। और वह रोशनी इतनी ज्यादा भी नहीं थी कि किसी का ध्यान अपनी और आकर्षित करें कुछ ही वक्त में वह रोशनी भी बंद हो जाती है और इसी के साथ इनायत की सांस भी बंद हो जाती है। एमआर एंड एमआरएस शर्मा एक दूसरे को गले लगा कर रो पड़ते हैं क्योंकि वह जानते थे कि उनकी औलाद की कमी इनायत नहीं पूरी की थी उन्हें कभी कोई औलाद नहीं होने वाली थी उन्होंने बहुत सारे डॉक्टर को दिखाया था लेकिन हमेशा से डॉक्टर के हाथ उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी इसलिए वह लोगों ने इस चीज की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन उनकी लाइफ में इनायत की एंट्री होती है जब वह एक बार अनाथ आश्रम गए थे। श्रीमती शर्मा श्री शर्मा के गले लगा कर बेतहाशा रो रही थी वही आंखों से आंसू का सैलाब टू मिस्टर शर्मा के भी आंखों से निकल रहा था। अखिल वह दोनों मां-बाप थे। खैर कुछ ही वक्त में सारी प्रक्रिया कंप्लीट करके मिस्टर शर्मा इनायत की बॉडी को ले जाते हैं और बड़े ही नाजो से अपनी बेटी की बॉडी को चिता पर लेट आते हैं और सभी क्रिया कर्म के साथ इनायत का अंतिम संस्कार करते हैं। इसी के साथ इनायत की आत्मा भी इस दुनिया से अलविदा। वहीं दूसरी तरफ एक बाथरूम में एक लड़की bath tub में लेटी हुई थी पानी के अंदर ऐसा लग रहा था जैसे उसकी सांसे बंद हो गई हो उसकी आंखें बंद थी और उसका वह गोरा चमकता बदन पानी में भी चमक रहा था वह अपनी हल्का सावले कलर करता है ऐसे लग रहा था जैसे उसे लड़की की बॉडी से कलर छूट कर पानी में मेल्ट हो रहे थे। अचानक से उसे लड़की की आंखें खुलती है और गहरी सांस लेते हुए वह bath tub से बाहर आती है । काफी देर पानी में रहने की वजह से उसकी स्किन हल्की-हल्की सिकुड़ गई थी लेकिन फिर भी उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि वह काफी ज्यादा सुंदर है। उसकी आंखों का वह हल्का बैगनी रंग उसकी आंखों को और भी अट्रैक्टिव और खूबसूरत बना रहा था। और पानी में भीग वह उसका भीगा बदन उसने उसके पूरी तरह से बॉडी curv दिखाई दे रहे थे। वही वह लड़की bath tub से निकलती है । अपनी नजर इधर-उधर घूम कर देखती है तो वह इस वक्त एक आलीशान बाथरूम में थी वह बाथरूम बेहद खूबसूरत और बहुत ही ज्यादा बड़ा था वह लड़की काफी हैरान भरी नजरों से उसे जगह को देख रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर कौन सी जगह है और वह यहां क्या कर रही है। कुछ ही दूर चलते हुए वह एक मिरर के पास आती है जहां पर सिंक भी था लेकिन वह मिरर में जब खुद को देखते हैं तो बस देखती रह जाती है उसकी वह पर्पल आंखें जो उसे सबसे अलग बना रही थी। पर वही उसका चेहरा भी काफी अलग था यह देखकर वह लड़की अपने चेहरे पर हाथ रखती है और हैरान भरी नजरों से अपने सामने मिरर में देखते हुए कहती है। यह कौन है और मैं कहां हूं किसके घर में हूं मैं तो हॉस्पिटल में थी ना लास्ट टाइम ममा पापा के साथ फिर अचानक से मैं यहां। ऐसा कहकर वह अपनी आंखें बंद कर लेती है क्योंकि उसके सर में बहुत तेज दर्द होने लगी थी जो उसे बर्दाश्त बिल्कुल भी नहीं हो रही थी और इतनी वक्त तक पानी में डूबे रहने के बावजूद उसे काफी ज्यादा ठंडी लग रही थी जिससे वह कब-कब आ रही थी लेकिन जब वह अपनी आंखें बंद करती है तो उसके सामने कुछ चीज एक रिल की तरह घूमने लगती है और उससे जो कुछ वक्त पहले धुंधला धुंधला दिखाई दे रहा था अब उसे क्लीयरली दिखाई देने लगता है सब चीजों को बहुत अच्छी तरह से डिफाइन करने के बाद वह अपनी आंखें खोलता है और खुद को मिरर में देखते हुए कहती है। मतलब मेरी डेथ हो चुकी है और मैं नवल वर्ल्ड में आ चुकी हूं। यह कैसे हो सकता है मैं नोबेल की दुनिया में कैसे आ सकती हूं ?? फिर ऊपर भगवान जी की तरफ देखते हुए कहती है। क्यों गॉड जी क्यों आखिर में ही क्यों मेरे साथ ही ऐसा क्यों कर रहे हो आप जन्म दिया तो दिया लेकिन एक ऐसी novel में दिया जो बहुत ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड है क्यों आखिर क्यों ??? वह भगवान जी से शिकायत करते हुए अपने आप को आईने में देख रहे थे वह नोबेल बहुत ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड थी। वह अपनी आंखें फिर से से बंद करती है उसकी आंखों के सामने इस लड़की का पूरा पास्ट की बातें घूम जाता है। यहां तक कि उसे पूरी कहानी भी याद आ जाती है जिसके आगे क्या-क्या होने वाला है और कैसे होने वाला है क्या चीज कहां पर कब कैसे होने वाली है वह सभी चीजों से याद आ जाती है। क्योंकि आखिर इनायत की यह फेवरेट नवल जो थी लेकिन फिर भी इस नॉवेल को बहुत ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड समझती थी क्योंकि इसमें बहुत सारी चीज ऐसी थी जो काफी तरह से उलझी हुई थी जिन्हें सुलझाना शायद ही किसी के बस में था लेकिन जो किसी के बस में नहीं होता वह इनायत के बस में जरूर होता है । जी हां आप सब सही समझे यह कोई और नहीं हमारी इनायत थी जिसका रिबॉर्न एक ऐसी दुनिया में हुआ था जो असली दुनिया की तरह तो थी लेकिन एक कहानी वाली दुनिया थी और यहां की दुनिया बहुत ज्यादा इनायत के लिए टच होने वाली थी लेकिन इनायत ने हमेशा मुश्किलों का सामना करके अपनी जिंदगी की हर वह जीत हासिल की थी जो उसे चाहिए थी इसलिए वह भी यहां हर वह जीत हासिल करने वाली थी लेकिन सबसे पहले वह यह पता करना चाहती थी कि एक्जेक्टली वह है कहां पर और किस सीन में है यह सभी चीज क्लियर करने के बाद ही वह आगे बढ़ाने वाली थी। इनायत बाथरूम से फ्रेश होकर बाहर आती है और जब वह बाथरूम से बाहर आती है तो रूम को बस देखती रह जाती है क्योंकि रूम बहुत खूबसूरत था लेकिन अपनी रूम को देखकर उसकी आंखें छोटी हो जाती है क्योंकि उसे रूम में किसी शख्स की फोटो लगी हुई थी और वह फोटो हर जगह लगी हुई थी उसे फोटो को देखकर न जाने क्यों इनायत को काफी पिक्चर महसूस हो रही थी वह अपनी आंखें छोटी करके उन सारी पिक्चर्स को देखने लगती है जो वहां लगी हुई थी। यह देखकर वह गहरी सांस लेती है और फिर अपने कदम वार्डरोब की तरफ बढ़ा देती है वॉर्डरोब से वह अपने कपड़े पहन कर बाहर आती है और फिर बेड पर आकर बैठ जाती है और वह कुछ सोचने लगती है सोने के लिए वह जैसे ही अपनी आंखें बंद करती है तो एक बार फिर उसकी आंखों के सामने कुछ पल घूम जाते हैं। (असल में इनायत का रिबॉर्न जिसकी बॉडी में हुआ था वह कोई और नहीं इनायत कपूर थी जो बिल्कुल इनायत की तरह तो दिखती थी लेकिन असली इनायत का और इस इनायत की आंखों का कलर काफी अलग था जहां उसे इनायत की आंखें हल्की बादामी रंग की थी तो वही इस इनायत की आंखों का रंग पर्पल था जो इसे सबसे अलग बनाता था। कपूर खानदान की बेटी लेकिन कपूर खानदान से अलग रहती थी उसकी भी कुछ वजह थी कुछ रीजन थी जिसकी वजह से इनायत अपनी फैमिली से अलग रहती थी। इनायत कपूर बीसीए फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी। इनायत मुंबई के सबसे बड़े कॉलेज में पढ़ती थी यहां पर उसने अपने दम पर एडमिशन लिया था यहां पर वह किसी के सिफारिश पर नहीं पहुंची थी। इनायत बचपन से ही कपूर खानदान से लग रही है इसकी भी कुछ रीजन नहीं है लेकिन वह रीजन क्या है वह आगे चलकर पता चलेंगे लेकिन इनायत अगर कपूर खानदान में किसी से अटैैच थी तो अपने दादाजी और अपनी दादी जी से। इनायत के दादा और दादी जी दोनों इनायत से बेइंतहा मोहब्बत करते थे क्योंकि इनायत घर की सबसे छोटा पोती थी। इनायत इनायत अभी कुछ महीने पहले ही अपने हॉस्टल से लौटी थी। इस उम्मीद में की शायद उसके मां पापा और उसके घर वाले उसे अपना अगर उसे अच्छे से प्यार करेंगे लेकिन हमेशा सबने से अपने मतलब के लिए उसे किया इनायत साफ दिल की और बहुत ही क्यूट एंड इनोसेंट थी उसकी मुस्कुराहट हर किसी का दिल जीत लेती थी वह इतनी साफ दिल की थी कि कोई उसका फायदा भी उठा कर चला जाता था वह उफ़ तक नहीं करती थी। उसकी यही इनोसेंसी और उसकी यही सरलता उसकी मौत का कारण बनी थी।) बाकी सारी चीज वक्त के साथ जानेंगे आज के लिए इतना ही मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में तब तक के लिए बने रहिए मेरे साथ मेरी कहानी को सपोर्ट देते रहे मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में तब तक के लिए

  • 3. Heroine become a Villianess - Chapter 3

    Words: 6

    Estimated Reading Time: 1 min

    aese copy paste kr skti ho