मिश्री अनाथ आश्रम में पली बढ़ी लड़की क्या करेगी जब उसके बाबा पर लगेगा एक झूठा इल्जाम क्या वो बचा पाएगी अपने बाबा को या उसे करना पड़ेगा किसी से सौदा, क्या लेगी वो आर्यन ठाकुर की मदद इन सब में, क्या आर्यन करेगा मिश्री की मदद , क्या मान लेगी वो आर्यन ठ... मिश्री अनाथ आश्रम में पली बढ़ी लड़की क्या करेगी जब उसके बाबा पर लगेगा एक झूठा इल्जाम क्या वो बचा पाएगी अपने बाबा को या उसे करना पड़ेगा किसी से सौदा, क्या लेगी वो आर्यन ठाकुर की मदद इन सब में, क्या आर्यन करेगा मिश्री की मदद , क्या मान लेगी वो आर्यन ठाकुर की शर्त, और क्या होगा जब उसे पता चलेगा इस कॉन्ट्रैक्ट मैरिज का क्या अपने बाबा को बचाने के लिए मिश्री कर लेगी आर्यन से शादी क्या होगा इनकी शादी के रिश्ते का जानने के लिए पढ़ते रहिए इनकी नोक झोंक भरी कहानी इश्क कॉन्ट्रैक्ट मैरिज का सफर
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सुबह का समय....
मुंबई
चारो और शोर शराबा गाड़ियों के हॉर्न की आवाज और लोगो के बोलने की आवाज इन सब में एक लड़की अपनी स्कूटी पर से कही जा रही थी उसने सर पर हेलमेट लगाया हुआ था, उसका पूरा ध्यान सामने लगे ट्रैफिक पर था!" कुछ ही देर में वो एक घर के आगे आकर अपनी स्कूटी को रोकती है और सर से हेलमेट हटा कर स्कूटी से उतर जाती है ( एज 20 साल , सूट पहने कमर तक आते बाल एक साइड बैग लटकाया हुआ ब्लैक आंखे , हाइट लगभग 5’ 2 इंच मतलब एक दम परफेक्ट)
" लड़की ने एक नजर उस घर की और देखा, जहा बड़े बड़े शब्दों में लिखा हुआ था " राम स्वामी अनाथ आश्रम " और अंदर आ गई उसने घर के अंदर आकर आवाज दी...!!
" बाबा बाबा बाबा कहा है आप?"
लड़की— " ( एक छोटे से लड़के की और देख कर ) हेय बाबा कहा है
लड़का— सीधे जाकर इतना बोल वो लड़का वहा से भग गया !"
लड़की— इतना सुन सीधे जाकर देखा तो वहा कोई नही था उसे वही पर एक छोटी लड़की मिली ,( उसने उससे आवाज़ देकर पूछा पिंकी , बाबा कहा है?"
पिंकी—( हस्ते हुए) लेफ्ट में ( इतना बोल वो लड़की वहा से भग गई
लड़की— हो क्या रहा है आज इन्हे ,( इतना बोल वो आपस आगे की और चली गई
" उसने गार्डन में आकार देखा तो एक आदमी गार्डन में पेड़ो में पानी डाल रहा था" वो लड़की ने एक बार उस और देखा और एक प्यारी सी स्माइल के साथ धीमे कदमों से उस और आ रही थी
राम स्वामी— आ गई मिश्री बेटा तुम?"
मिश्री— क्या बाबा आप को केसे पता चल जाता है?"
राम स्वामी— क्युकी हम आप को इतने सालो से जानते है आप के कदमों की आवाज को हम बहुत अच्छे से जानते है
मिश्री — अच्छा बाबा( ये बोलते हुए उसने बाबा के हाथ से पानी का पाइप लिया और पोधो को पानी देने लगी) ये बताइए निशा और और बच्चे कहा है?"
राम स्वामी जी— निशा तो बोल कर गई है उसे कोई काम था इसी लिए बाहर गई है और सब बच्चे बाहर खेल रहे होंगे !"
मिश्री— ये लो सभी पेड़ो में लग गया पानी बाबा...!
स्वामी जी— हा मिश्री बेटा!"
मिश्री— आज भी नही मिली नोकरी।
स्वामी जी— तूझे किसने कहा तू नोकरी कर में हु ना तुम सब के लिऐ
मिश्री— नही बाबा हमे भी नोकरी करनी है और आप अकेले इतना खर्चा कहा से अरेंज करेगे हम है ना हम भी कुछ करेगे ,एक लड़का आकार मिश्री की और देख कर कहता है,
लड़का— मिश्री दीदी , मिश्री दीदी.।
मिश्री— क्या हुआ तुम्हे चीकू,
चीकू— दीदी वो खुशी गिर गई तो उसे लग गई आप जल्दी चलो
मिश्री — ने सुना तो जल्दी से भाग कर वहा आ गई,और उस बच्ची को गोद में लेकर उसके पैर में दवा लगाने लगी
साम होने को आई थी सब अपने काम में लगे हुए थे मिश्री भी बच्चो के साथ गार्डन में खेल रही थी।
तो वही एक साइड खड़ी निशा उसे देख कर अजीब अजीब से फेस बना रही थी
निशा— बड़ा खुश रहती हो ना सब के साथ ऐसे रहती हो जेसे बहुत अच्छी हो ,इतना बोल वो वहा से चली गई
तो वही एक बड़े से बंगले के बाहर आकर एक ब्लैक कलर की कार आकार रूकी और उसमे से शूट पहने हुए एक लड़का निकला (जिसने ब्लैक सूट हाइट 6 ’ फिट बीयर्ड परफेक्ट बॉडी और चहरे को देख कर लगता हो बहुत काम बोलने वाला और गुस्से से भर पूर वो गाड़ी से निकल कर घर के अंदर आ गया जहा सभी लोग बैठे हुए बाते कर रहे थे, आर्यन को आता देख सब चुप होकर बैठ गए उसने एक तिरछी नजर से पूरे घर को देखा और सीधा सीढियों से ऊपर की और चला गया!"
उसके ऊपर जाने के बाद सब घर वाले वापस बाते करने लगे, आर्यन के जाते ही सबके चेहरे पर वापस से स्माइल आ गई थी लेकिन नैना जी और दादी फिर भी थोड़ा परेशान नजर आ रही थी
रात में सबने एक साथ खाना खाया और अपने अपने रूम में आ गए आर्यन भी अपने रूम में आकार कोई फाइल स्टडी करने लगा, वो कोई केस की फाइल थी जिसकी कल सुबह हियरिंग थी, आर्यन ने कुछ देर उसे बड़े गौर से देखा और फिर अपना लैपटॉप बंद करके रखा और वही बेड पर बैठ गया उसे आज सुबह अपनी दादी की बात याद आई जो हर बार की तरह यही बोलने आई थी कि आर्यन तुम्हे अब शादी कर लेनी चाहिए इतना सब सोचते हुए आर्यन ने अपनी गर्दन ना में झटकी और सो गया!""
तो वही मिश्री सभी बच्चो के साथ अंदर आकर खाना खाने लगी और सब बच्चे को सुलाकर खुद भी अपने रूम में आ गई
क्या ये नई सुबह इन दोनो को ले आयेगी आमने सामने या अभी भी और कुछ होगा हम आप को पहले अपने किरदारों से मिलवाते है,,,,,,,
तो सबसे पहले चलते है आश्रम में।
राम स्वामी जी — अनाथ आश्रम के मालिक,
यहां कुल 20 बच्चे है,,
निशा— ये भी अनाथ हैइसी आश्रम में बड़ी हुई है
मिश्री— ये है हमारी कहानी की नायिका स्वभाव में बिल्कुल मासूम बड़ी चंचल सब से जल्दी मिलना ,और भी बहुत कुछ है ,,जो आप को आगे पता लग जायेगा
अब आते है हमारे हीरो की और
राठौड़ परिवार,,,।
वसुंधरा राठौड़— दादी
राम राठौड़ घर के बड़े बेटे नैना जी ( राम अवस्थी जी की पत्नी)
साहिल राठौड़ ( इनका छोटा बेटा)
आर्यन राठौड़—( हमारी कहानी के हीरो,,,)
यसोधा एंड राज चौहान बुआ एंड फूफा जी
और बाकी किरदारों से आप पार्ट में मिल लोगे आशा करते है आप सब इस स्टोरी को भी उतना ही प्यार दोगे जितना और सभी स्टोरी को दिया है
पढ़ते रहिए और कमेंट करना न भूले , जैसे आप लोगों को स्टोरी टाइम पर चाहिए होती है बड़े चैप्टर चाहिए होते है वैसे ही हमें भी कमेंट चाहिए होते है, आप सब के कमेंट हमे लिखने का हौसला देते है, ये बात आप सब जानते है तो एक मिनिट भी नहीं लगता कमेंट करने में तो आप इतना तो कर ही सकते है, और भी स्टोरी है आप पढ़कर बताइए कैसी लगी,
अगली सुबह....!
मिश्री रोज की तरह आज भी जल्दी उठ गई थी, उसने आज फिर से किसी इंटरव्यू के लिए जाना था... उसने सबसे पहले अपना रूम ठीक किया और उठ कर नहाने चली गई थोड़ी देर बाद मिश्री रूम से बाहर आई तो उसने देखा सभी बच्चे नाश्ता कर रहे थे... मिश्री भी सब के पास आकर बैठ गई....
स्वामी जी— कहा जा रही हो मिश्री....!!
मिश्री— बताया था ना जॉब के लिए... आज इंटरव्यू देने जाते है कही....!!
स्वामी जी— अरे तो उसकी जरूरत नही है...!!
मिश्री— जरूरत है... अच्छा ये बताइए की निशा कहा है ..!!
स्वामी जी— कहा हो सकती है... सो रही है अभी भी,।
मिश्री— कोई बात नही... अच्छा हमारा नाश्ता हो गया, हम जा रहे है बाय... इतना बोल मिश्री बाहर आई और अपनी स्कूटी लेकर वहा से निकल गई....!!
तो वही आर्यन कार चला रहा था और उसके साथ दादी बैठी हुई थी.... आर्यन " थोड़ा जल्दी कीजिए बेटा...!
आर्यन— कर तो रहा हु दादी...! मेरी कार कार ही है एरोप्लेन नही है जो। उड़ा दु...!
दादी— हमने भी नही बोला आपसे की आप कार को उड़ा लीजिए....!!
थोड़ी देर में दादी और आर्यन दोनो मंदिर आ गई साड़ी आर्यन के लिए मंदिर में पूजा करवा रही थी... तो वही आर्यन खड़ा हुआ ये सब देख रहा था.....!!
मिश्री— स्कूटी चलाते हुए खुद से ही बोल रही थी... बस माता रानी आज तो कोई जॉब मिल जाए...! नही क्या ही करेंगे कुछ समझ नही आ रहा... मिश्री ने आज महरूम कलर का गोल लॉन्ग कुर्ता और साइड में दुप्पटा लगाया हुआ था, एक साइड में उसके बैग था और उसके लंबे बाल खुले हुए थे...!"
की तभी उसकी नजर एक साइड गई तो उसने अपनी स्कूटी के ब्रेक लगा दिए और स्कूटी को साइड में खड़ा करने लगी....!!
मिश्री ने स्कूटी खड़ी की और सीढ़ियों से जल्दी जल्दी में।ऊपर की और भागने लगी उसने नीचे झुक कर सीढ़ियों को हाथो से छूकर माथे पर लगाया और सामने देखते हुए वापस जाने लगी....
पंडित जी— ये लीजिए... आप अपने हाथो से इसे मंदिर के दरवाजे पर डाल आइए... दीखिएगा आर्यन बेटा की जिंदगी मैं वो लड़की जरूर आएगी...!!
आर्यन— दादी....
दादी— ले जाइए आर्यन...
आर्यन ने वो थाल लिया और सीढ़ियों की और बढ़ने लगा की तभी अचानक सामने से भाग कर आ रही मिश्री से टकरा गया, अचानक टकराने से आर्यन के हाथ से थाल ऊपर की और छूट गई... मिश्री गिरती उससे पहले ही आर्यन ने उसे उसकी कलाई से पकड़ लिया...!!"
थाल की पूरी लाल सिंदूर.. आर्यन और मिश्री के ऊपर आ गया था... आर्यन के सारे कपड़े खराब हो गए थे...!"
आर्यन ने खीच के सही से मिश्री को खड़ा किया और उसे घूरते हुए कहा.... अंधी हो.. दिखाई नही देता ,ये मंदिर है, ऐसे दौड़ रही थी जेसे कोई तुम्हारा समाना चोरी करके ले गया हो... देखो तुम्हारी वजह से मेरा पूरा कोर्ट खराब हो गया....!"
मिश्री— सोरी... हमे माफ कर दीजिए .... पर आप का कोर्ट दे दीजिए हम साफ करके दे देंगे...!"
आर्यन— तुम्हे दूंगा... पता भी है कितने का है.... तुमने मेरा पूरा कोर्ट खराब कर दिया.....!"
मिश्री— हमारी क्या दुकान है कपड़ो को जो हमे पता होगा....!"
आर्यन— how much do you talk...??
मिश्री— आर्यन के कोर्ट को हाथ लगाकर देखते हुए... हा होगा... चार से पांच हजार का कपड़ा.. और दो हजार रुपए सिलाई... !! वैसे इंग्लिश... मुझे भी आती है ...!"
आर्यन—So tell me what should I do....
मिश्री— इंग्लिश... आहा... इंग्लिश हमे।भी आती है... इतना इंग्लिश मत बोला करो... वरना मेने बोलनी शुरू की न तो आप चुप हो जाएंगे ..!!
आर्यन— How much do you talk? अगर एक और शब्द बोली ना तो...!"
मिश्री— तो क्या करेंगे वापस इंग्लिश बोलेंगे। !"
आर्यन— तुम्हे तो...
आर्यन ने इतना ही बोला था की तभी दोनो के कानो में एक औरत की आवाज़ आई... अरे क्या हुआ बेटा ... लड़ क्यो रहे हो..."
मिश्री— में नही लड़ रही ये .… ये इंसान मुझे पता नही क्या क्या बोल रहा है...!"
आर्यन मिश्री को घूर रहा था तभी एक और औरत वहा आई तो मिश्री ने उसे देखते हुए कहा...!"
मिश्री— अरे दादी मां आप बताइए आप का पोता भी इनका जितना ही होगा ना अच्छा होगा ना स्वभाव में पर इन अकडू को देखो जब देखो कड़वा ही बोलते है.... अच्छा बताइए हम आप को घर ड्रॉप कर दे... हम वैसे भी हॉस्पिटल जा रहे है..!"
दादी— नही बेटा में मेरे पोते के साथ चली जाऊंगी...!
मिश्री— आप का पोता..?" हम छोड़ देंगे ना...!"
दादी— नही तुम जाओ बस इतना बोल दादी आर्यन के पास और और उसके गाल पर हाथ लगाकर कहा...चलो आर्यन बेटा.....!
आर्यन को दादी का बेटा सुनकर ही मिश्री को झटका लग गया था उसे अचानक सब कुछ याद आया तो उसने धीरे से सामने देखा तो आर्यन उसे ही गुस्से से घूर रहा था..! मिश्री तुरंत वहा से मंदिर में भाग गई, उसने माता रानी के आगे आकर हाथ जोड़े और ऊपर सर के लगाकर वापस सीने पर लगा लिए...." हाय मम्मी क्या किया ये आप ना कभी तो मुझे ऐसे मरवा दोगे... अच्छा इसे जाने दो प्लीज माता रानी आज तो कोई जॉब मिल जाए...! इतना बोल मिश्री ने वापस हाथ जोड़ा और वहा से मंदिर के बाहर आकर अपनी स्कूटी लेकर , निकल गई,...!"
मिश्री आज हॉस्पिटल नही गई थी वो कोई और जॉब भी देख रही थी... लेकिन जब पूरे दिन में उसे जॉब नही मिली तो वो परेशान होकर तीन बजे हॉस्पिटल में आ गई और अपना काम करने लगी...!"
तो वही आर्यन मंदिर से सीधे ऑफिस चल गया था उसी के साथ अमर भी था...!"
अमर— सर मिस्टर जानेजा वाला कैस हम जीत चुके है, तो उनका फोन आया था आप से बात करना चाहते है...?"
आर्यन— में बाद में बात कर लूंगा.... आर्यन अपने ऑफिस में बैठा कोई काम कर रहा था तो वही आज का पूरा दिन मिश्री का यूंही निकल गया था वो शाम को हॉस्पिटल से घर जान के लिए अपनी स्कूटी से निकल गई तो .... मिश्री का ध्यान अपनी ड्राइविंग पर बिल्कुल भी नही था की तभी वो सामने से आ रही कार से टकरा गई....
मिश्री आज हॉस्पिटल नही गई थी वो कोई और जॉब भी देख रही थी... लेकिन जब पूरे दिन में उसे जॉब नही मिली तो वो परेशान होकर तीन बजे हॉस्पिटल में आ गई और अपना काम करने लगी...!"
तो वही आर्यन मंदिर से सीधे ऑफिस चल गया था उसी के साथ अमर भी था...!"
अमर— सर मिस्टर जानेजा वाला कैस हम जीत चुके है, तो उनका फोन आया था आप से बात करना चाहते है...?"
आर्यन— में बाद में बात कर लूंगा.... आर्यन अपने ऑफिस में बैठा कोई काम कर रहा था तो वही आज का पूरा दिन मिश्री का यूंही निकल गया था वो शाम को हॉस्पिटल से घर जान के लिए अपनी स्कूटी से निकल गई तो .... मिश्री का ध्यान अपनी ड्राइविंग पर बिल्कुल भी नही था की तभी वो सामने से आ रही कार से टकरा गई.... अचानक टकराने से मिश्री नीचे जमीन पर जा गिरी...!! गाड़ी के अचानक ब्रेक लगते ही उस लड़के ने गुस्से में सामने देखा तो उसे एक लडकी दिखाई दी लेकिन उसका फेस उसके बाल और रात होने की वजह से साफ नही दिखाई दी...!" आर्यन कार से बाहर आया और मिश्री की और हाथ करके कहा....!"
आर्यन— देख कर चलना चाइए मिस .... !!
मिश्री— अंधे हो क्या... गलती खुद की है और देखने के लिए मुझे बोल रहे हो... इतना बोल मिश्री ने अपने फेस से बाल हटाए तो उसने जेसे ही सामने देखा तो उसके को देखकर उसकी आंखे बड़ी हो गई, उसने उसे घूर के देखा और आर्यन भी उसे घूरने लगा!!
आर्यन— तुम....?
मिश्री— हा हम ही है ...? हम कोई भूत नही है जो ऐसे रिएक्शंस दे रहे हो...!"
आर्यन— उससे कम भी तो नही हो तभी तो ऐसे यहां रोड पर बैठी हो...!"
मिश्री— बेठे नही है आपने हमे टकर मारी है अपनी इस कार से...!"
आर्यन— गलती तुम्हारी थी...
मिश्री— मेरी गलती...? " क्या बताना...??
आर्यन— मिश्री का हाथ पकड़ कर साइड में करते हुए... मुझे तुमसे बात करके अपना टाइम पास नही करना इसलिए साइड हटो...!"
मिश्री— ओह हैलो... में कोई फालतू तो हूं नही जिसे तुम अपनी इस बड़ी सी गाड़ी से उड़ा दोगे...!"
आर्यन— मिश्री का हाथ पकड़ कर उसकी पीठ पर लगाते हुए... देखो ऑलरेडी मेरा मूड खराब है तो अपनी गलती की बकवास बंद करो और यहां से जाओ सारी गलती तुम्हारी है। मुझे तुम्हारी शकल देखने में कोई इंट्रेस्ट नही है जाओ...!"
मिश्री— हा तो हम कोनसा आप का सड़ा सा फेस और करेले जेसी आवाज सुनने को मरे जा रहे है..!"
आर्यन— मरी जा रही हो तभी तो... मुझसे बहस कर रही हो...!"
मिश्री— हटो इतना बोल उसने आर्यन को जोर का धक्का दिया और खुद आगे निकल कर अपनी स्कूटी के पास आ गई...!"
आर्यन मिश्री के धक्का देने से गिरते गिरते बचा था... उसने अपना कोर्ट सही किया और मिश्री को घूरते हुए वहा से चला गया...!"
मिश्री भी आश्रम आ गई थी और सबके साथ खुशी से बाते कर रही थी, उसे। खाना खाया और सोने चली गई,,,।।
वही आर्यन घर आया तो नैना जी उसका इंतजार कर रही थी...!" आर्यन रूम में गया और चेंज करके सबके साथ डिनर करके सो गया...!!"
सुबह का समय
हमारी प्यारी मिश्री रेडी हो चुकी थी हॉस्पिटल जाने को आज मिश्री ने नाश्ता नही किया था आज उसे हॉस्पिटल जल्दी आना था इसलिए वो जल्दी हॉस्पिटल के लिए निकल गई।
मिश्री स्कूटी चला ही रही थी की अचानक ही उसकी स्कूटी बंद हो गई
मिश्री — हेय मातारानी इसे क्या हुआ अब अचानक ही बंद हो गई हम हॉस्पिटल केसे पहुचेंगे अपने सर पर हाथ रखते हुए की तभी मिश्री के पास से एक कार निकल कर कुछ दूर निकल गई,जिससे पास में जो कीचड़ का पानी था वो पूरा मिश्री के ऊपर आ गया।
मिश्री— ने एक नजर खुद को देखा और सामने जाती हुई कार को देख कर कहा " अबे ओह अंधे हो, इतनी बड़ी लड़की नही दिखाई देती अंधा कही का"
मिश्री को खुद से बड़बड़ाते हुए देखा वो कार वापस पीछे आई और मिश्री के सामने आकर रुक गई मिश्री ने एक नजर कार को देखा और उसके पास जाकर उसके विंडो पर अपनी हाथ से बजाने लगी।मिश्री के बार बार खिड़की पर हाथ मारने से कार का विंडो नीचे हुआ तो मिश्री ने कार के अंदर की और देखा तो आर्यन कार चला रहा था।
मिश्री— आप आप अंधे है सच्ची में दिखाई नही देता ?"
अर्जून— रोड साइड कोन ऐसे खड़ा होता है,!"
मिश्री— रोड पर खड़े नही होते तो क्या घर में होते है, इतनी बड़ी गाड़ी लेकर खुद को क्या समझते हो कही के बड़े बिजनेस मैन हो?"
अर्जुन— हा तुम्हे नही पता
मिश्री— आह एक तो बाहर निकलो
अर्जुन— " NEVER "। इतना बोल अर्जुन ने कार स्टार्ट कर दी
मिश्री— को गुस्सा आया तो उसने पास में देखा और एक पत्थर उठाकर कार पर जोर से मार दिया जिससे पीछे का पूरा सीसा टूट चुका था।
कार चला रहे आर्यन को जब पता लगा तो उसने तुरंत ब्रेक लगाया और कार से बाहर आकर मिश्री के पास आया और कहा " are you crazy what have you done "
मिश्री— मुंह बनाते हुए ,मेने कुछ नही किया
आर्यन— " Do you even know how expensive my car is? "
मिश्री— मुझ क्या पता मेरी पास ऐसी कार नही है, और मुझे चाइए भी नही ऐसी कार जिसे लेकर में लोगो पर कीचड़ उछालती रहूं।
आर्यन ने एक नजर मिश्री को घूरा और उसकी और अपने कदम बढ़ाने लगा मिश्री आर्यन को अपनी और आता देख अपने कदम पीछे ले रही थी
मिश्री— ये... ये... ये.. क्या हो रहा है, दू... दु... दूर रहकर बात करो। ना ऐसे पास क्यों आ रहे हो।मिश्री हकलाते हुए इतना ही बोल पाई थी की वो पीछे गाड़ी से जा टकराई!"
आर्यन— ने मिश्री के दोनो साइड हाथ लगाया और उसे घूरते हुए कहा। " You and I had a bad first and second meeting,"
मिश्री— तो मेने कहा था क्या,
आर्यन उसके मुंह पर हाथ रख कर "You pray to God that we don't have a third meeting, if it doesn't happen then it will be good for you."
मिश्री— अपनी मोटी मोटी आंखो को बार बार हिला रही थी,।
आर्यन— ने मिश्री के दोनो साइड हाथ लगाया और उसे घूरते हुए कहा। " You and I had a bad first and second meeting,"
मिश्री— तो मेने कहा था क्या,
आर्यन उसके मुंह पर हाथ रख कर "You pray to God that we don't have a third meeting, if it doesn't happen then it will be good for you."
मिश्री— अपनी मोटी मोटी आंखो को बार बार हिला रही थी,।
आर्यन— ने मिश्री को धक्का देकर दूर किया और वापस अपनी कार की और चला गया मिश्री ने एक बार चैन की सांस ली और आर्यन को जाता हुआ देख कर कहा " कड़वा करेला सड्डू" आर्यन अपनी कार लेकर वहा से चल गया था!"
मिश्री ने खुद को सही किया और अपनी स्कूटी को धक्का देकर दुकान गेराज पर डाला और वहा से ऑटो लेकर वापस हॉस्पिटल चली गई।
मिश्री अपना काम करने में लगी हुई थी की उसे एक आवाज सुनाई दी उसने उस और देखा तो वहा एक लड़का खून के लिए किसी से बात कर। रहा था!"
मिश्री ने जेसे ही सुना तो वो उठकर उस लड़के के पास आई और कहा" — क्या हुआ है?"
लडका— मुझे मेरी वाइफ के लिए खून चाइए और मुझे खून कही नही मिला।
मिश्री— कोनसा ब्लड है?"
लडका — o " nagative,,,
मिश्री— मेरा यही है मैं दे दूंगी
लडका — थैंक यू
मिश्री उस लड़के के साथ आई और नर्स के साथ रूम में आकार उस औरत को ब्लड देने लगी, ब्लड देने के बाद नर्स ने उसे थोड़ी देर रेस्ट करने को कहा तो मिश्री खुद को ठीक बता कर वापस अपने काम की और आ गई,और वापस अपना काम करने लग गई।
सुबह से शाम तक काम करने से मिश्री को काफी थकान हो गई थी और आज तो ब्लड देने से उसे और भी थकान महसूस हो रही थी,उसे अब अजीब सा महसूस हो रहा था मिश्री ने टाइम देखा तो रात के आठ बज चुके थे!"
वो हॉस्पिटल से बाहर आई और ऑटो का वेट करने लगी टाइम बढ़ता ही जा रहा था लेकिन कोई ऑटो रुक ही नही रहा था
मिश्री— एक कार के सामने हाथ करके रोकने लगी तो ,एक व्हाइट कलर की कार वहा आकर रुक गई!"
मिश्री कार को देख पीछे हो गई कार में एक औरत बैठी हुई थी वो औरत दिखने में बहुत ही सुंदर लग रही थी उसने विंडो खोला और मिश्री की और देख कर कहा— क्या में तुम्हे छोड़ दू बेटा?"
मिश्री— नही आंटी हम चले जाएंगे
औरत— बेटा इतनी रात को कहा जाओगी ,रात काफी हो गई है हम तुम्हे छोड़ देंगे।
मिश्री— ठीक है इतना बोल मिश्री उस औरत के पास ही बैठ गई।
औरत— हमारा नाम नैना है,तुम्हारा नाम,
मिश्री— मिश्री,
नैना जी— उसके चहरे पर हाथ फेर कर बहुत ही प्यारा नाम है
मिश्री— वैसे तो सब हमे प्यारा ही बोलते है,
नैना जी— तुम इतनी रात को ऐसे ऑटो का इंतजार करती हो!"
मिश्री— नही आन्टी जी मेरे पास स्कूटी है पर आज सुबह ही वो खराब हो गई बस।
मिश्री को कार में बैठे हुए अजीब फील हो रहा था...
थोड़ी ही देर में अचानक ही मिश्री बेहोश हो गई नैना जी ने उसे देखा तो उसे उठाने लगी और जल्दी जल्दी में डॉक्टर को घर चलने की बोल दिया!"
नैना जी की गाड़ी घर आकर रूकी और वो साहिल की मदद से मिश्री को रुम में ले आई और डॉक्टर को फोन करवा दिया थोड़ी देर में ही डॉक्टर आए और मिश्री को देखा
नैना जी— इसे क्या हुआ है डॉक्टर?"
डॉक्टर— जायदा कुछ नही है वीकनेस हो गई सयाद इन्होंने ब्लड दिया है ,आज ही में कुछ दवाई दे रहा हूं आप दे दीजियेगा!"
नैना जी— जी डॉक्टर इतना बोल नैना जी ने दवाई ले ली!"
डॉक्टर वहा से चले गए थे नैना जी ने मिश्री को दवाई दी और वापस सुला दिया।नैना जी नीचे आई तो सब लोग रात के डिनर के लिए एक साथ बेठे हुए थे!"
साहिल— मॉम कैसी है अब वो लड़की.?"
नैना जी— वो अब ठीक है।
वसुंधरा जी ( दादी) — कौनसी लड़की?"
नैना जी— वो मां एक लड़की मिली थी मेने उसे लिफ्ट दे दी थी,वो अचानक ही मेरी कार में बेहोश हो गई तो में उसे घर ले आई!"
आर्यन— मॉम आप किसी भी अजनबी को ऐसे ले आती है अगर वो लड़की कुछ और सोच कर आई तो, मॉम ऐसे लोग कुछ भी कर सकते हैं!"
नैना जी— नही आर्यन वो लड़की किसी को ब्लड दे सकती है वो भला ऐसी केसे हो सकती है!"
दादी— अच्छा ठीक है पहले तुम सब डिनर कर लो सब ने एक साथ डिनर किया और अपने अपने रूम में सोने चले गए।
तो वही आश्रम में स्वामी जी बहुत परेशान हो रहे थे वो मिश्री को बार बार फोन लगा रहे थे लेकिन उसका फोन ऑफ आ रहा था।।
ठाकुर फैमली,।
" मिश्री ने जेसे ही अपनी आंखे खोली और चारो और देखा तो खुद को ऐसे अनजान कमरे में देख मिश्री एक बार को तो डर गई और जेसे ही उठने को हुई की सामने से आती नैना जी दिखाई दी
मिश्री— उठ कर बैठते हुए आंटी आप में यहां केसे।
नैना जी— तुम कार में अचानक ही बेहोश हो गई थी तो में तुम्हे मेरे घर ले आई अच्छा अब तुम कैसी हो और जल्दी से तुम रेडी हो जाओ और नाश्ता कर लो
मिश्री— में ठीक हु आन्टी।
नैना जी रूम से बाहर चली गई थी मिश्री भी बेड से उठ कर बाथरूम में आ गई और वहा लगे पानी के शॉवर को देख रही थी उसे कुछ समझ ही नही आ रहा था की वो उसे कहा से चलाए मिश्री को बहुत अजीब लग रहा था
तो वही रूम में आर्यन जेसे ही बाथरूम में घुसा और पानी का शॉवर ऑन किया तो पानी नही आ रहा था, आर्यन ने टावल लिया और दूसरे रूम में आ गया और दरवाजा खोल बाथरूम में चला गया उसी बाथरूम में मिश्री भी थी!"
आर्यन ने जेसे ही पीछे मुड़ के देखा तो सामने मिश्री को देख वो गुस्से में आ गया और चिल्लाते हुए कहा,
आर्यन— तुम यहां मेरे घर में क्या कर रही हो?"
"
तो वही रूम में आर्यन जेसे ही बाथरूम में घुसा और पानी का शॉवर ऑन किया तो पानी नही आ रहा था, आर्यन ने टावल लिया और दूसरे रूम में आ गया और दरवाजा खोल बाथरूम में चला गया उसी बाथरूम में मिश्री भी थी!"
आर्यन ने जेसे ही पीछे मुड़ के देखा तो सामने मिश्री को देख वो गुस्से में आ गया और चिल्लाते हुए कहा,
आर्यन— तुम यहां मेरे घर में क्या कर रही हो?"
" अचानक ही आर्यन की आवाज सुन कर मिश्री डर गई और डर के मारे उसके कदम अपने आप पीछे हो गए, जिससे मिश्री पीछे लगे शॉवर के बटन के जा लगी जिससे शॉवर चलने लगा मिश्री उसके नीचे ही थी वो शॉवर के नीचे पूरी भीग चुकी थी,
मिश्री— उसे बंद करने की कोशिश करते हुए, प्लीज इसे बंद कीजिए
" आर्यन जेसे ही आगे आया की अचानक ही उसका पैर स्लीप हो गया जिससे उसने मिश्री का हाथ पकड़ लिया दोनो एक दूसरे को देख रहे थे और ऊपर से पानी गिर रहा था मिश्री के कपड़े भीगने की वजह से उसका शरीर साफ दिख रहा था!"
आर्यन ने एक नजर मिश्री को देखा और अपनी नजरे दूसरी और फेर ली। और मिश्री को सही करके खुद ने शॉवर बंद किया और मिश्री का हाथ पकड़ कर कहा
आर्यन— तुम मेरे घर क्या कर रही हो
मिश्री— आआ बोल तो ऐसे रहे जो जेसे हमने मुंबई के सभी घर के लोगो को देखा है,हमे सपना थोड़ा ना आया था की ये घर कड़वे करेले का है और वहा नही आना चाइए
आर्यन— एक सेकंड ,तुमने अभी मुझे क्या बोला था
मिश्री— मेने , (हकलाते हुए) ओह मिश्री बातो को रिपीट नही करती
आर्यन—तुम्हे तो में बाद में देखता हूं फिलहाल यहां से निकलो,
मिश्री— में नही जा रही तुम यहां से जाओ एक तो हमारे कपड़े गीले कर दिए
आर्यन— मेने किए रियली
मिश्री— जाओ वरना हम जोर से चिलायेंगे
आर्यन— हा हा चिलाओं ना ,,
मिश्री— आप जाओ, यहां से
आर्यन— अभी जा रहा हु लेकिन बाद में देख लूंगा इतना बोल आर्यन बाथरूम का गेट खोला और वहा से निकलते हुए बाथरूम का गेट जोर से बंद किया!"
बाथरूम के गेट की आवाज से मिश्री ने अपनी आंखे बंद कर ली और खुद से ही बोली— मम्मी केसा कड़वा करेला है ये!"
थोड़ी देर में मिश्री ने खुद को सुखाया और बाहर आ गई और रूम से निकल कर नीचे आ गई जहा सभी लोग एक साथ नाश्ता कर बेठे हुए थे!"
नैना जी ने मिश्री को देखा तो उसका हाथ पकड़ कर नाश्ता करने के लिए बैठा लिया,
मिश्री— नही आंटी हम घर जाकर कर लेंगे ,आप ने हमारी इतनी मदद की उसके लिए थैंक यू
नैना जी— अच्छा तुम हमारी बात नही मानोगी, नाश्ता करके ही जाएगी
मिश्री ने एक नजर सब को देखा और वही चेयर पर बैठ गई,
थोड़ी देर में मिश्री सब से घुल मिल गई थीं सब ने नाश्ता किया तो नैना जी ने मिश्री से कहा,
नैना — तुम्हे में घर छुड़वा देती हूं
मिश्री— अरे नही आन्टी जी हमे चले जायेंगे आप टेंशन मत लो,,,,
नैना — नही हम तुम्हे अकेले नही जाने डेंगे
की तभी आर्यन अपनी कार की चाभी हाथ में लिए सीढ़ियों से नीचे आ रहा था नैना जी ने उसे देखा और उसके पास आकर कहा!
नैना जी— आर्यन तुम ऑफिस जा रहे हो ना ,,,
आर्यन— हा मॉम
नैना जी— अच्छा फिर तुम हमारा एक काम करो ।
आर्यन— हा बोलिए ना?"
नैना जी— मिश्री के पास आकर उसका हाथ पकड़ कर ,लो मिश्री को उसके घर छोड़ते हुए जाना।
आर्यन— मॉम में लेट हो जाऊंगा में नही छोड़ सकता
मिश्री— आर्यन को देख... नही आंटी आप रहने दीजिए में चली जाउंगी।
नैना जी— नही तुम्हे आर्यन घर छोड़ेगा जाओ आर्यन मिश्री को अच्छे से घर छोड़ना,
आर्यन— जी मॉम अच्छे से ही छोड़ूंगा आप टेंशन मत लिजिए, इतना बोल आर्यन मिश्री को घूरते हुए ,बाहर चला गया और दरवाजे तक जाकर कहा " अपने पैरो को कष्ट देकर थोड़ा जल्दी आ जाओ
मिश्री— ने आर्यन को देखा और अपनी गर्दन हिला कर हा की और नैना जी से गले लग कर जाने के लिए बाहर आ गई।
आर्यन कार के पास टेक लगा कर खड़ा हुआ था और सामने से आती हुई मिश्री को देख रहा था
मिश्री— आर्यन के सामने आकर " चले?"
आर्यन— हम्मम मॉम ने कहा है वरना में और तुम्हे अपनी कार में बैठाऊ " इंपॉसिबल "
मिश्री— कमर पर हाथ रख ... हा तो आंटी जी को वही माना कर दिया होता ना अच्छा वैसे एक बात बताओ आप कही हॉस्पिटल में चेंज हो गए थे क्या।
आर्यन— मिश्री को घूरते हुए, क्यो?
मिश्री— वो क्या है ना आप के परिवार वाले इतने अच्छे है और आप एक दम कड़वा करेला जेसे तो मुझे लगा आप हॉस्पिटल में चेंज हो गए थे।
आर्यन— तुम पागल हो?
मिश्री—में पागल नही हूं..
आर्यन— उसके चहरे की और झुक कर वैसे ना हर पागल यही बोलता है " की मैं पागल नही हुं...
मिश्री— उसे घूर कर दांत दिखाते हुए... वही तो अभी तो आप ने कहा कि आप पागल हो, मानते हो मतलब आप,
आर्यन — आह तुम्हे तो मिश्री का बाजू पकड़ कार दीवार से लगाकर उसकी और झुकते हुए) मेने तुमसे कहा था ना ,की मुझसे तीसरी बार मत मिलना वरना तुम्हारे लिए बिल्कुल अच्छा नही होगा, और तुम सीधा मेरे घर आ गई
मिश्री— आह मेरे हाथ को छोड़िए दर्द हो रहा है और में जान के नही आई आप के घर मुझे पता नही था की ये आप का घर है!"
आर्यन— I told you not to stay away and if we meet for the third time then it will not be good for you,,,, but I do not understand you,....!
मिश्री — आहा इंग्लिश, बड़े आए इंग्लिश बोलने वाले , इंग्लिश मुझे भी आती है बोलना ,I am not going to die from you, English speakers who came to meet you,
मिश्री ने इतना बोल खुद से बड़बड़ाते हुए कहा, " कड़वा करेला "
to be continue
आर्यन — आह तुम्हे तो मिश्री का बाजू पकड़ कार दीवार से लगाकर उसकी और झुकते हुए) मेने तुमसे कहा था ना ,की मुझसे तीसरी बार मत मिलना वरना तुम्हारे लिए बिल्कुल अच्छा नही होगा, और तुम सीधा मेरे घर आ गई
मिश्री— आह मेरे हाथ को छोड़िए दर्द हो रहा है और में जान के नही आई आप के घर मुझे पता नही था की ये आप का घर है!"
आर्यन— I told you not to stay away and if we meet for the third time then it will not be good for you,,,, but I do not understand you,....!
मिश्री — आहा इंग्लिश, बड़े आए इंग्लिश बोलने वाले , इंग्लिश मुझे भी आती है बोलना ,I am not going to die from you, English speakers who came to meet you,
मिश्री ने इतना बोल खुद से बड़बड़ाते हुए कहा, " कड़वा करेला "
आर्यन— तुम खुद से क्या बडबडा रही हो?"
मिश्री— आर्यन को खुद से दूर करके अपने एक हाथ को कमर पर रख कर और एक उंगली आर्यन की और करके " हम ये बोल रहे है अगर में हॉस्पिटल के लिए लेट हुई ना तो ,मेरी एक दिन की सैलरी कट जाएगी, और अगर वो कटी ना तो आप के लिए बिल्कुल अच्छा नही होगा समझे आप!"
आर्यन— हा तो क्या कहना चाहती हो,,,,
मिश्री— बस यही की मेरी वन डे सैलरी नही कटनी चाइए
आर्यन— तो जाओ,
मिश्री— आंटी जी की बात भूल गए, इतना बोल मिश्री ने कार का दरवाजा खोला और पीछे बैठ गई।
आर्यन— what a bad girl मुझसे ऐसे बात कर रही है, मुझसे आर्यन ठाकुर से
मन में सोचते हुए... तुम्हे तो में बताता हु!"
इतना बोल आर्यन ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गया, और मिरर से मिश्री को देख कर कहा,
आर्यन— ओह हैलो, मिस पक पक में तुम्हे तुम्हारा ड्राइवर दिखता हू अरे अरे में तो भूल गया लेकिन तुम्हारे पास तो कार ही नही है
मिश्री—नही है बस ऐसी कार भी क्या ,जो रोड पर चलते लोगो पर कीचड़ डालते हो
आर्यन— ओह आगे आकर बैठो में तुम्हारा ड्राइवर नही हूं तो आगे आकर बैठो।
मिश्री कार से उतरकर जोर से कार का दरवाजा बंद करके आगे आकर बैठ गई और आर्यन की और घूर कर कहा" जो मिश्री को ही घूर कर देख रहा था " अब चलो ज्यादा घूरो मत
आर्यन— ने कार स्टार्ट की और मिश्री के हॉस्पिटल की और लेली,,,,
थोड़ी देर में आर्यन ने वहा कार रोकी तो मिश्री कार से उतरकर जोर से वापस कार बंद कर दी
आर्यन— पागल!"
इतना बोल आर्यन भी अपने ऑफिस चला गया। मिश्री भी सुबह से शाम तक हॉस्पिटल में लगी हुई थी
रात हो चुकी थी,मिश्री हॉस्पिटल के बाहर आकर ऑटो लेकर अनाथ आश्रम चली गई।
आर्यन भी घर आ चुका था, और सब एक साथ खाना खा रहे थे
दादी— आर्यन तुमने हमारी बात के बारे में क्या सोचा ?"
आर्यन— दादी अगर आप शादी के लिए बोल रहे हो तो मुझे उस बारे में अभी कोई बात नही करनी मेने आप से पहले भी कहा था।
दादी— पर तुमने कहा था की तुम हमारी पसंद से शादी करोगे।
आर्यन— मेने कहा था बट अभी मेरा बिल्कुल मूड नही है शादी का,
दादी— आर्यन बेटा तुम पच्चीस के हो गए,
आर्यन— दादी सिर्फ पच्चीस, पचास का नही हुआ और जिस दिन मूड होगा। ना में बता दूंगा
नैना जी— आर्यन
आर्यन— मॉम अब आप नही प्लीज मुझे अब इस बारे में कोई बात नही करनी इतना बोल आर्यन अपने रूम में आया और बेड पर सो गया
---
दादी — आर्यन तुम पच्चीस के हो गए।
आर्यन — दादी सिर्फ पच्चीस, पचास का नहीं हुआ। और जिस दिन मूड होगा, ना में बता दूंगा।
नैना जी — आर्यन...
आर्यन — मॉम अब आप नहीं, प्लीज मुझे अब इस बारे में कोई बात नहीं करनी।
इतना बोल आर्यन अपने रूम में आया और बेड पर सो गया।
अगली सुबह
मिश्री रोज की तरह रेडी होकर हॉस्पिटल के लिए निकल गई थी।
आर्यन भी आज रेडी होकर नीचे आया तो दादी और नैना जी वही सोफे पर बैठ कर कुछ काम कर रही थीं।
आर्यन — उन्हें देख कर — "मैं ऑफिस जा रहा हूं"
दादी — रुक आर्यन, देख तेरे लिए हमने कुछ फोटो देखी हैं लड़कियों की, उनमें से पसंद कर ले।
आर्यन — दादी मुझे इन फालतू कामों के लिए टाइम नहीं है। ये सब आप न देखो तो ज़्यादा अच्छा है।
दादी — हां तो तुम्हें तो सुनना नहीं है। हमने कहा ना हमें बहू चाहिए और इस खानदान के लिए वारिस भी।
आर्यन — बहू... कहां से लाऊं? मैंने कहा ना मुझे अभी शादी नहीं करनी, तो प्लीज आप मान क्यों नहीं जाते मेरी बात।
दादी — आर्यन तू पूरा छब्बीस का हो गया है और तू बोल रहा है तुझे अभी शादी नहीं करनी। तुझे हमारी बिलकुल परवाह नहीं है क्या?
आर्यन — दादी छब्बीस एज ज़्यादा नहीं होती और रही बात आपकी तो मैं हमेशा आपकी हर बात मानता हूं। आपके हर फैसले में आपके साथ रहता हूं।
नैना जी — आर्यन, मांजी सही बोल रही हैं। कब तक ये सब चलेगा आर्यन?
आर्यन — ओह मॉम अब आप शुरू मत होना, अब आप भी। खैर मेरी मीटिंग है आज एक, मैं जा रहा हूं। और ये शादी पुराण बंद कर दीजिए दादी। ये कभी नहीं होगा।
इतना बोल आर्यन बाहर की ओर चला जाता है कि तभी सबके कानों में नैना जी की आवाज आती है — "माजी"
सब उसकी ओर देखते हैं तो दादी बेहोश होकर सोफे पर गिरी हुई थीं। साहिल और आर्यन दोनों भाग कर उन्हें उठाते हैं।
आर्यन — दादी, दादी उठिए ना प्लीज।
नैना जी — हमें इन्हें हॉस्पिटल लेकर चलना चाहिए ना।
आर्यन और साहिल दोनों दादी को लेकर हॉस्पिटल के लिए निकल जाते हैं।
मिश्री हॉस्पिटल आ चुकी थी।
वो रोज की तरह अपने कामों में लगी हुई थी कि तभी उसे किसी ने आवाज दी।
मिश्री ने आवाज सुनी तो उस दिशा में चली गई जहाँ एक छोटा सा बच्चा रो रहा था।
मिश्री – क्या हुआ बच्चा, आप क्यों रो रहे हो?
बच्चा – वो मेरी मम्मा... वहाँ... (अंदर रूम की ओर इशारा करते हुए)
मिश्री – ओह, आप आओ हमारे साथ।
इतना बोलकर मिश्री ने बच्चे का हाथ पकड़ा और हॉस्पिटल में बने छोटे से मंदिर में ले जाकर उसे खड़ा किया और पास बैठकर बोली –
रिया पाराशर
---
मिश्री हॉस्पिटल आ चुकी थी।
वो रोज की तरह अपने कामों में लगी हुई थी कि तभी उसे किसी ने आवाज दी।
मिश्री ने आवाज सुनी तो उस दिशा में चली गई जहाँ एक छोटा सा बच्चा रो रहा था।
मिश्री – क्या हुआ बच्चा, आप क्यों रो रहे हो?
बच्चा – वो मेरी मम्मा... वहाँ... (अंदर रूम की ओर इशारा करते हुए)
मिश्री – ओह, आप आओ हमारे साथ।
इतना बोलकर मिश्री ने बच्चे का हाथ पकड़ा और हॉस्पिटल में बने छोटे से मंदिर में ले जाकर उसे खड़ा किया और पास बैठकर बोली –
मिश्री – तुम्हें पता है ये भगवान बहुत अच्छे हैं। इनसे बोलो कि ये तुम्हारी मम्मा को जल्दी ठीक कर दें।
आर्यन हॉस्पिटल में आ गया था और डॉक्टर दादी को अंदर ले गए थे।
आर्यन वहाँ से सीधा बाहर की ओर जा रहा था कि तभी उसे मिश्री की आवाज सुनाई दी।
वह वहीं रुक गया और मिश्री को देखने-सुनने लगा।
बच्चा – ये सच्ची में मेरी सुन लेंगे ना?
मिश्री – (हाथ जोड़ते हुए) हाँ, अब मांगो। वो तुम्हारी बात ज़रूर सुन लेंगे।
इतना बोल मिश्री ने अपनी आंखें बंद कीं और मन ही मन कहा –
"इस बच्चे की सुन लो ना मम्मी, इस मासूम की क्या गलती है... प्लीज़ सुन लो ना मम्मी..."
आर्यन वहीं खड़ा सब देख रहा था।
मिश्री ने अपनी आंखें खोलीं, उस बच्चे के माथे पर किस किया और वापस चेयर पर बैठाकर उसे एक ग्लास पानी दे दिया।
बच्चा – दीदी, मम्मा ठीक हो जाएंगी ना?
मिश्री – हाँ, बिल्कुल।
तभी किसी की आवाज मिश्री के कानों में पड़ी –
"मिश्री, तुम यहाँ हो? तुम यहाँ काम करने आती हो या बातें करने?"
मिश्री – सॉरी, मैं जाती हूँ।
इतना कहकर मिश्री वापस रिसेप्शन पर आ गई।
आर्यन – कैसी लड़की है...
साहिल – (कंधे पर हाथ रखते हुए) क्या हुआ भाई?
आर्यन – हम्म... कुछ नहीं। तुम यहाँ?
साहिल – हाँ, वो दादी को थोड़ा ब्लड देना है तो रिसेप्शन पर जा रहा था।
आर्यन – अच्छा, तुम जाओ मैं पूछकर आता हूँ।
साहिल – ओके भाई।
आर्यन मिश्री के पास आ गया जो किसी काम में व्यस्त थी।
आर्यन – सुनो...
मिश्री – हम्म बोलिए।
आर्यन – सुनो ना...
मिश्री – अबे हम आँखों से नहीं कानों से सुनते...
(वो आगे कुछ बोलती इससे पहले देखा कि सामने आर्यन हाथ जोड़े खड़ा था)
आर्यन – O नेगेटिव ब्लड चाहिए।
मिश्री – मैंने दुकान खोली है क्या? या मेरे ऊपर लिखा है कि मैं ब्लड बैंक हूँ?
आर्यन – चुप हो जाओ और ब्लड बैंक में ही पूछो।
मिश्री – ब्लड बैंक में ये O नेगेटिव ब्लड नहीं है।
आर्यन – व्हाट! लेकिन ब्लड बहुत ज़रूरी है, मेरी दादी को लगना है।
मिश्री – आप अपने किसी से पूछो। यहाँ तो नहीं है।
आर्यन – ओह, तुम्हें पता है और कहाँ मिल सकता है?
मिश्री – कौन सा बताया आपने ब्लड?
आर्यन – O नेगेटिव।
मिश्री – मेरा ही मिलना था क्या?
आर्यन – तुम्हारा ब्लड यही है क्या? प्लीज़ तुम दे दो।
मिश्री – आह मम्मी... हॉस्पिटल में हजारों लोग आते हैं, ऐसे देंगे तो लोगों की जान बचाते-बचाते हम खुद भगवान के पास चले जाएंगे।
आर्यन – (उसके मुंह पर हाथ रखता है) कहीं नहीं जा रही... प्लीज़ दे दो ना।
मिश्री – आह, चलो हम देंगे।
इतना कहकर मिश्री आर्यन के साथ उसी रूम की ओर चली गई।
एक नर्स ने मिश्री को देखा और कहा –
नर्स – अरे मिश्री, तुमने कल ही तो ब्लड दिया था, ऐसे रोज ब्लड दोगी?
मिश्री – कुछ नहीं होगा। अगर मेरी वजह से किसी की जान बचती है तो मिश्री को कभी बुरा नहीं लगता।
आर्यन – (मन में) ओह गॉड, ये मेरी समझ से परे है।
नर्स ने मिश्री को कैनुला लगाया और ब्लड दादी को चढ़ने लगा।
नैना जी – ब्लड कहाँ से आया आर्यन?
आर्यन – वो मॉम, मिश्री ने।
नैना जी – मिश्री ने? वो यहीं है?
आर्यन – हाँ मॉम।
नैना जी – मैं आती हूँ उसके पास।
इतना बोलकर नैना जी मिश्री के पास चली गईं, जो आंखें बंद किए लेटी हुई थी।
थोड़ी देर में मिश्री ब्लड देकर बाहर आई, सब वहीं बैठे थे।
मिश्री ने सबको देखा और जाने लगी, तभी सामने से एक नर्स आती दिखी।
नर्स – मिश्री, तू यहाँ क्या कर रही है?
मिश्री – क्या हुआ मीता?
मीता – बॉस तुझ पर भड़का हुआ है, तुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था। आज तो तेरी जॉब पक्की गई।
मिश्री – ओह मम्मी... चल जल्दी।
इतना कहकर मिश्री और मीता रिसेप्शन पर आ गईं।
मिश्री – येस सर...
मिस्टर वाडिया – मिश्री, तुम्हें यहाँ क्यों रखा गया है? काम के लिए ना, ना कि बातें करने या काम चोरी करने को।
मिश्री – बट सर मैं...
मिस्टर वाडिया – कल से तुम्हें हॉस्पिटल आने की जरूरत नहीं है। इनफेक्ट, अभी से।
मिश्री – बट सर...
मीता – कोई फायदा नहीं है मिश्री, ये नहीं सुनेगा।
मिश्री – अब हम क्या करेंगे... खर्चा कैसे उठाएंगे... हेल्प करो ना मम्मी।
मीता – मैं चलती हूँ वरना मुझ पर भी भड़क जाएगा।
मिश्री – हाँ, तुम जाओ।
इतना कहकर मिश्री एक चेयर पर बैठ गई।
आर्यन अपनी दादी के पास था जिन्हें अब होश आ गया था।
थोड़ी देर मिलने के बाद आर्यन ने कहा –
आर्यन – अब आप ठीक हो तो मैं मेरी एक मीटिंग है, उसे करके आता हूँ।
दादी – हाँ जा, हमारा क्या है।
नैना जी – जाने दीजिए ना माजी, उसकी मीटिंग है और इस बात को छोड़ दीजिए।
आर्यन अपनी मीटिंग के लिए बाहर आया, तभी उसे मिश्री मिल गई।
वो अपनी गाड़ी लाकर मिश्री के आगे रोक देता है।
मिश्री – आर्यन को देखकर – अब क्या है, अभी भी ब्लड चाहिए क्या?
आर्यन – नहीं, मैं तुम्हें ड्रॉप कर दूंगा।
मिश्री – बिना बोले उसकी कार में बैठ जाती है और गर्दन सीट से लगा लेती है।
आर्यन – तुम हॉस्पिटल से इतनी जल्दी क्यों आ गई?
अगली सुबह...
आज मिश्री थोड़ा लेट से उठी थी, क्योंकि उसे आज हॉस्पिटल तो जाना नहीं था।
स्वामी जी बाहर गार्डन में बैठे बच्चों को कुछ समझा रहे थे। जब उन्होंने टाइम देखा तो कुछ देर सोचकर मिश्री के रूम की ओर चले गए।
अगली सुबह...
आज मिश्री थोड़ा लेट से उठी थी, क्योंकि उसे आज हॉस्पिटल तो जाना नहीं था।
स्वामी जी बाहर गर्दन में बैठे बच्चों को कुछ समझा रहे थे। जब उन्होंने टाइम देखा तो कुछ देर सोचकर मिश्री के रूम की ओर चले गए।
जहां मिश्री बेड पर बैठी कुछ कागजों को घूर रही थी।
स्वामी जी — (दरवाजे पर आकर) क्या हुआ मिश्री, आज हॉस्पिटल नहीं जाना?
मिश्री — आइए ना बाबा... नहीं, आज हॉस्पिटल नहीं जाऊंगी।
स्वामी जी — पर क्यों, क्या हुआ?
मिश्री — बाबा, वो...
स्वामी जी — जॉब चली गई?
मिश्री — हम्म बाबा...
स्वामी जी — कोई बात नहीं, दूसरी ढूंढ लेना।
मिश्री — उसी के लिए इन कागजों को तो घूर रही हूं। देखते हैं, कहां जाते हैं।
स्वामी जी — हां तो जल्दी से रेडी हो जाओ और नाश्ता करके जाना।
मिश्री — जी बाबा। इतना बोलकर मिश्री ने उन सभी कागजों की एक फाइल बनाई और अलमारी से कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई।
स्वामी जी भी वापस बाहर आ गए, जहां उन्हें निशा कहीं जाती हुई दिखाई दी।
स्वामी जी — कहां जा रही हो निशा?
निशा — कहीं भी जाऊं, शाम तक आ जाऊंगी।
स्वामी जी — ठीक है।
इतना बोलकर वो बच्चों के साथ उनके काम में लग जाते हैं। थोड़ी देर में मिश्री नाश्ता करके वहां से अपनी स्कूटी लेकर चली जाती है।
वहीं आर्यन अपने रूम में रेडी हो रहा था और नैना जी पूजा की थाली लेकर उसके रूम के दरवाजे पर खड़ी थीं।
आर्यन — (उन्हें देखकर) आ जाइए ना मॉम, क्या आपको भी अब मेरी परमिशन लेनी होगी?
नैना जी — हम्म... लो आरती ले लो और नीचे आ जाओ, नाश्ता लग गया है।
आर्यन — आ रहा हूं। इतना बोलकर आर्यन भी नैना जी के साथ नीचे आ जाता है।
साहिल — क्या बात है, इतना रेडी होकर कहां जा रहे हो भाई? कहीं भाभी तो नहीं मिल गई? आपने शादी करने का तो नहीं सोच लिया?
आर्यन — अच्छा रुक, तुझे मैं बताता हूं।
इतना बोलकर आर्यन उठ कर साहिल के पीछे भागने लगा।
साहिल — अरे भाई, मैं तो मजाक कर रहा था। देखो भाई, मेरे भाई हो ना प्यारे वाले, प्लीज नाश्ता करने दो। बहुत भूख लगी है।
आर्यन — नौटंकी... चल आजा।
आर्यन और साहिल वापस बैठ कर नाश्ता करने लगे।
मिश्री अपनी स्कूटी मंदिर के आगे लाकर रोकती है और वहीं सीढ़ियों पर बैठ जाती है।
मिश्री — लो उस खड़ूस की वजह से हुआ है ये सब। पर इसमें हमारी भी गलती है। अब क्या करें, अच्छी-खासी जॉब थी, वो भी गई। अब कोई नया जॉब देखना होगा।
मिश्री उठकर मंदिर में चली जाती है और माता रानी के आगे हाथ जोड़ कर खड़ी हो जाती है और धीरे-धीरे बड़बड़ाने लगती है।
मिश्री — मिल गई आपको खुशी? मेरी लाइफ अच्छी हो, इससे आपको प्रॉब्लम है क्या? अच्छी-खासी जॉब ले गए आप। मम्मी, आप तो मेरी मदद कीजिए।
वो मंदिर से बाहर आई और अपनी स्कूटी लेकर चली गई।
थोड़ी देर वहां रहने के बाद पंखुड़ी एक-दो इंटरव्यू के लिए ऑफिस भी गई थी, लेकिन इन सब में उसे पूरा दिन लग गया। ना तो उसने सुबह से कुछ खाया और ना ही जॉब मिली।
आर्यन भी ऑफिस में बैठा हुआ किसी केस की फाइल पढ़ रहा था।
अमन — (उसका दोस्त और असिस्टेंट) आर्यन सर, ये फाइल एक बार और देख लो। इसकी हियरिंग है दो दिन बाद।
आर्यन — हम्म ठीक है, मैं देख लूंगा।
आर्यन का भी आज पूरा दिन ऑफिस में निकल जाता है। शाम को वह जैसे ही घर से निकलता है तो रास्ते में बहुत ज्यादा ट्रैफिक हो रहा था। आर्यन अपनी कार का विंडो नीचे करके बाहर देखता है तो उसकी नजर सामने रोड पर जाती है, जहां मिश्री एक हाथ से रोड से कुछ सामान उठा रही थी और एक हाथ से अपने बालों को पीछे करते हुए बड़बड़ा रही थी।
आर्यन — (खुद से) पागल लड़की... टकराए बिना कुछ नहीं होता इससे। स्टूपिड!
मिश्री सामान समेट कर उठती है और उस बैग को अपने सामने खड़ी बुजुर्ग महिला को पकड़ा कर रोड के दूसरी साइड कर देती है। तब तक ट्रैफिक भी खत्म हो चुका होता है।
आर्यन के मुंह से सीधा यही निकला — "वाव, ये इतना अच्छा काम भी करती है!"
मिश्री ने एक नजर सबको देखा और अपनी स्कूटी के पास जाकर वहां से चली गई।
आर्यन के दिमाग में अभी भी मिश्री ही घूम रही थी। वो उसमें खोता ही जा रहा था—उसका एक हाथ से बालों को पीछे करना और होठों को बार-बार हिलाना...
आर्यन घर आया और रूम में जाकर ड्रेस चेंज करके अपने रूम की खिड़की के पास खड़ा हो गया।
मिश्री भी घर आ चुकी थी। वो बिना चेंज किए सीधा बेड पर सो गई थी।
स्वामी जी सभी बच्चों को खाना खिलाते हैं और उनके रूम में सुला देते हैं, और वो खुद मिश्री के रूम में आते हैं। देखते हैं कि मिश्री अपने बेड पर आराम से सो रही थी। उनके फेस पर स्माइल आ गई। उन्होंने उसके माथे पर हाथ फिराया और कंबल उड़ा कर चले गए।
वहीं एक बड़ा सा घर, जिसमें एक बड़ा सा हॉल जहां सामने एक औरत, एक आदमी और निशा बैठे हुए थे।
वो औरत — क्या सोचा? मैंने तुम्हें जो काम दिया था, वो कब तक होगा? (वो निशा पर चिल्लाते हुए)
निशा — हां तो मैं क्या करूं? ऐसा कोई मौका भी तो हो। एक तो वो बुड्ढा मुझे वैसे भी अच्छा नहीं लगता, और तुम...
वो औरत निशा को घूरने लगी तो निशा थोड़ा धीरे बोलने लगी।
निशा — अच्छा, अभी टाइम दो, मैं देखती हूं।
औरत — ठीक है, अभी जाओ।
निशा तुरंत वहां से चली गई। और वो औरत सोफे पर अपने एक पैर पर दूसरा पैर रख कर उस आदमी की ओर देखकर बोली — "वो ज़मीन हमें चाहिए, चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े। कैसे भी, कुछ भी प्लान करो।"
वो आदमी — हम्म, पूरी कोशिश है ये निशा कुछ कर ले।
औरत — हम्म...
to be continue......
पढ़कर बताया कीजिए स्टोरी किसी लगी
अगली सुबह।
मिश्री आज जल्दी उठ गई थी। उसे आज भी जॉब के लिए जाना था। पंखुड़ी जल्दी-जल्दी रेडी हो रही थी कि किसी से टकरा गई। उसने देखा तो सामने निशा और एक आदमी खड़े हुए थे।
मिश्री — ये कौन है निशा?
निशा — ये एक गरीब है। इन्हें रहने के लिए जगह चाहिए थी, तो मैं इन्हें यहाँ ले आई। तू प्लीज बाबा से पूछ ले ना।
मिश्री — (उस आदमी को देख कर) अच्छा, तू इन्हें यहाँ रख ले। मैं शाम को बात करती हूँ बाबा से। और हाँ, ध्यान से रखना।
निशा — तू टेंशन मत ले। मैंने इनके बारे में पता लगाया है।
मिश्री — हम्म, मैं शाम को मिलती हूँ।
इतना बोलकर मिश्री वहाँ से निकल गई। और आज भी किसी ऑफिस में जाकर जॉब के लिए चक्कर लगाने लगी। आज मिश्री अपनी स्कूटी लेकर नहीं आई थी। काफी देर परेशान होने के बाद भी जब उसे जॉब नहीं मिली तो वो धीरे-धीरे पैदल चलने लगी।
मिश्री पैदल चलते-चलते थक गई, तो एक साइड बैठ गई। बैग से बॉटल निकाली, लेकिन उसमें पानी नहीं था।
उसने एक नजर बॉटल को देखा और पास के गार्डन की तरफ चली गई। गार्डन के बाहर एक साइड पानी दिखाई दिया, तो वो उसी ओर बढ़ गई, जहाँ काफी भीड़ लगी हुई थी।
मिश्री ने एक नजर भीड़ पर डाली और अंदर जाकर देखा तो आँखें बड़ी हो गईं—कुछ लड़के एक लड़की को परेशान कर रहे थे।
मिश्री — मम्मी ये क्या हो रहा है!
इतना कहकर मिश्री ने पास पड़े पत्थर को उठाया और सीधे एक लड़के पर फेंक दिया।
पत्थर लगते ही लड़के के सिर से खून निकल आया। उसने लड़की को छोड़ दिया और चारों ओर देखकर चिल्लाया—
लड़का — किसकी हिम्मत हुई जो मुझे मारा?
सब डर गए और कुछ लोग भाग गए।
मिश्री ने पास पड़ा डंडा उठाया और सामने आकर बोली—
मिश्री — हमने मारा है, बोलो।
लड़का — ए लड़की, पकड़ो इसे सब।
मिश्री डंडा लेकर सभी को मारने लगी। वो लड़की साइड में छुप गई थी।
अब सभी गुंडे मिलकर मिश्री को घेर चुके थे। मिश्री डर गई थी, लेकिन उसने आँखें बंद कर डंडे को मजबूती से पकड़ा और बड़बड़ाई—
मिश्री — बचा लेना मम्मी।
जैसे ही उसने डंडा चलाया, एक लड़के ने उसे पकड़ लिया। डंडा गिर गया। दो लोगों ने उसे पकड़ा और एक ने थप्पड़ मार दिया।
मिश्री का गाल लाल हो गया, होंठ से खून बहने लगा।
लड़का — बड़ा शौक है ना दूसरों के बीच पड़ने का।
तभी किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया।
मिश्री ने डरते-डरते आँखें खोलीं तो सामने आर्यन खड़ा था। उसकी आँखें गुस्से से लाल थीं।
आर्यन — (मिश्री की ओर देख कर) बड़ा शौक है ना ऐसे फँसने का? क्या करने आई थी यहाँ?
मिश्री — आप हमें इनसे बचाने आए हैं या हमसे लड़ने?
आर्यन — I want to give it to you… (धीरे से बड़बड़ाया)
मिश्री — आह आह इंग्लिश। बड़े आए इंग्लिश बोलने वाले। बोलते ऐसे हो जैसे कहीं के बहुत बड़े लॉयर हो।
गुंडा — अबे चुप करो दोनों। क्या लगा रखा है तुमने?
मिश्री — मैंने कुछ नहीं किया, इनसे बोलो।
आर्यन — मैंने कुछ नहीं बोला, ये लड़की बोलती है।
गुंडा — अबे तू भी उसकी तरह इसे बचाने आया है?
आर्यन — जब इतना दिमाग है तो किसी अच्छे काम में लगाओ। वरना ऐसा केस लगाऊँगा कि जिंदगी भर जेल में रहोगे।
गुंडा — तू है कौन बे जो हमें जेल भेजेगा?
आर्यन — मुंबई शहर का नंबर वन लॉयर हूँ मैं — आर्यन अवस्थी।
मिश्री को यकीन नहीं हुआ। अभी थोड़ी देर पहले ही उसने मजाक में कहा था।
आर्यन ने मिश्री को देख कर हल्की सी स्माइल की और फिर गुंडों की पिटाई शुरू कर दी। थोड़ी देर में गुंडे भाग खड़े हुए।
मिश्री ने आर्यन को देखा और फिर अपने सिर पर हाथ रख लिया—उसे चक्कर आ रहे थे। वो लड़खड़ाते हुए आर्यन के पास आई और हाथ आगे बढ़ा दिया।
आर्यन ने उसका हाथ पकड़ा और उसे संभाल लिया।
मिश्री (भीड़ की ओर देखकर): अब क्या तमाशा देख रहे हो सब? घर जाओ, पिक्चर खत्म हो गई है!
आर्यन बस मिश्री को देखता रह गया।
मिश्री (गुस्से में): भाड़ में जाए ऐसे लोग।
तभी उन दोनों के कानों में वही लड़की की आवाज़ पड़ी जिसे गुंडे परेशान कर रहे थे।
लड़की: थैंक यू आप दोनों का। अगर आप नहीं होते तो पता नहीं क्या हो जाता...
मिश्री (बात काटते हुए): ऐसा कुछ नहीं होता। और हाँ, डरना बंद करो। जब तक डरोगी, लोग डराएंगे। लेकिन जब डरना बंद करोगी ना, तो कोई हिम्मत नहीं करेगा तुम्हें छूने की भी। खुद लड़ना सीखो, कोई साथ नहीं देता। अभी देखा ना कितने लोग थे, पर किसी ने मदद नहीं की।
लड़की (आँखों में आँसू लिए): लेकिन आप आ गई ना... आप जैसी लोगों की वजह से इंसानियत अब भी जिंदा है।
आर्यन बस ये सब सुनता रहा।
मिश्री: अब आराम से घर जाओ।
लड़की चली गई। आर्यन अब भी मिश्री को देख रहा था। मिश्री ने एक नज़र उसे देखा और आगे बढ़ी, लेकिन अचानक बेहोश हो गई। गिरने से पहले आर्यन ने उसे अपनी गोद में ले लिया और उसे अपनी कार की ओर ले गया।
(बैकग्राउंड में गीत की तर्ज़ पर):
इश्क़ में तेरे फूलों-सी खिलने...
मोहब्बत के रास्ते तेरे संग चलने...
ज़माने की सारी रश्में तोड़े...
मैं दुनिया में आई पिया तोसे मिलने...
आर्यन ने मिश्री को कार की सीट पर बैठाया, लेकिन जब हटने लगा तो उसका लॉकेट मिश्री के कुर्ते में उलझ गया। उसे निकालते समय उसकी नज़र मिश्री के मासूम चेहरे पर टिक गई। मिश्री के होंठों से खून सूख चुका था, गाल अब भी लाल थे। आर्यन ने धीरे से उसका गाल छुआ, तभी मिश्री होश में आने लगी।
उसने जैसे ही आर्यन को पास देखा, झट से उसे धक्का दे दिया।
मिश्री: क्या बदतमीज़ी है! क्या करने वाले थे आप? मेरी बेहोशी का फायदा?
आर्यन (गंभीर होकर, हाथ उसके होठों पर रखते हुए): मुझे तुममें इतना सा भी इंटरेस्ट नहीं है। ऐसी वैसी हरकतें अर्जुन… मतलब आर्यन नहीं करता।
मिश्री: तो इतना करीब क्यों थे?
आर्यन: क्योंकि मेरा लॉकेट तुम्हारे कुर्ते में फँस गया था।
मिश्री (शर्मिंदा होकर): सॉरी...
To be continued...
मिश्री: क्या बदतमीज़ी है! क्या करने वाले थे आप? मेरी बेहोशी का फायदा?
आर्यन (गंभीर होकर, हाथ उसके होठों पर रखते हुए): मुझे तुममें इतना सा भी इंटरेस्ट नहीं है। ऐसी वैसी हरकतें अर्जुन… मतलब आर्यन नहीं करता।
मिश्री: तो इतना करीब क्यों थे?
आर्यन: क्योंकि मेरा लॉकेट तुम्हारे कुर्ते में फँस गया था।
मिश्री (शर्मिंदा होकर): सॉरी...
आर्यन चुपचाप ड्राइविंग सीट पर जाकर बैठ गया।
मिश्री: मुझे घर ड्रॉप कर दो।
आर्यन: क्यों? मैं तुम्हारा ड्राइवर हूं?
मिश्री (जिद से): मुझे नहीं पता, ड्रॉप करो बस।
आर्यन ने मिश्री को उसके घर छोड़ा और खुद भी घर चला गया। वह अपने रूम में जाकर लैपटॉप पर केस की तैयारी करने लगा, लेकिन उसे मिश्री की बातें याद आ गईं जो उसने उस लड़की से कही थीं।
उधर मिश्री भी थककर सो गई थी। रात को खाना खाकर बाबा के कमरे में गई तो देखा बाबा सो चुके थे। वह खुद भी अपने कमरे में जाकर सो गई।
अगली सुबह...
मिश्री रोज़ से जल्दी उठ गई थी, शरीर में हल्का दर्द था। वह जल्दी से तैयार हुई और बाहर आई। वहाँ स्वामी जी बच्चों के साथ बैठे थे।
स्वामी जी: क्या हुआ बिटिया? तबीयत ठीक है ना?
मिश्री: हाँ बाबा, आप कैसे हैं?
स्वामी जी: मैं ठीक हूं। वो कल निशा एक आदमी को लाई थी, उसकी आईडी देखी?
मिश्री: नहीं, लेकिन मैंने निशा से कहा है, वो देख लेंगी।
स्वामी जी: ठीक है लेकिन देख ही के मुझे अजीब लगा थोड़ा । और हाँ, कल कहीं जा रही हो?
मिश्री: नहीं, क्यों?
स्वामी जी: तुम्हारी दोस्त आरती की शादी है। बुलाया है।
मिश्री: ओके बाबा, हम चलेंगे।
फिर मिश्री आज भी जॉब की तलाश में निकली और इस बार उसे एक शादी में हॉल डेकोरेशन का थोड़ा काम मिल गया। खुश होकर वह घर आई, डिनर किया और सो गई।
आर्यन भी आज एक केस में बिज़ी था। बहुत थक गया था और बिना डिनर किए ही सो गया।
अगली सुबह...
मिश्री नाश्ता किए बिना स्कूटी लेकर निकल गई। उधर आर्यन भी तैयार होकर नीचे आया।
नैना जी: अरे बेटा, आज इतनी जल्दी?
आर्यन: हाँ माँ, कल वाला केस था ना, उन्होंने शादी में बुलाया है।
नैना जी: अच्छा है!
आर्यन: और उन्होंने कहा है आप सब भी चलो। उन्होंने सबको बुलाया है।
नैना जी: जरूर बेटा।
आर्यन: तो नाश्ता लगा दो।
दादी: आर्यन, हमें तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।
आर्यन: अगर ये बात शादी की है तो प्लीज़, मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है।
दादी: हमारे एक पुराने दोस्त की बेटी है—सिम्मी। हम चाहते हैं कि तुम्हारी शादी उससे हो।
आर्यन: मुझे शादी नहीं करनी।
दादी: देखो आर्यन, अगर हमें कुछ मानते हो तो ये शादी करनी पड़ेगी। और हाँ, तीन महीने बाद इस घर में वारिस चाहिए!
आर्यन (चौंकते हुए): दादी! आप किस ज़माने की बातें कर रही हैं? मैं लॉयर हूं, मुझे पता है इस तरह की ज़बरदस्ती को क्या कहा जाता है। आपकी ये रूढ़िवादी सोच बहुत गलत है।
दादी (गुस्से में): अगर मेरी बात नहीं मानी तो फिर मेरा मरा मुंह देखना पड़ेगा! (कहते हुए वहाँ से चली जाती हैं)
आर्यन: मम्मी, ये तो सरासर गलत है। किसी पर शादी का दबाव डालना ठीक नहीं।
नैना जी: बेटा, लेकिन शादी तो तुम्हें करनी ही है, वैसे भी...
आर्यन (बीच में रोकते हुए): मेरी उम्र इतनी भी ज़्यादा नहीं है। (गुस्से में उठकर चला जाता है)
नैना जी: अरे बेटा, नाश्ता तो कर ले...
आर्यन (दूर से): आप लोगों की बातों से ही पेट भर गया मेरा।
(आर्यन घर से निकल जाता है)
नैना जी (हैरानी से): हे माता रानी, इस लड़के की ज़िंदगी में कोई लड़की भेज दो!
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तो वही दूसरी और मिश्री स्कूटी से एक जगह रुकती है, सामने एक बोर्ड लगा होता है—"अन्वथा मैरिज हॉल"।
वो अंदर जाती है, कुछ बातचीत करती है और काम पर लग जाती है। हॉल में शादी की तैयारियां चल रही हैं। लड़के-लड़की वालों के मेहमान भी यहीं ठहरे हैं।
मिश्री अपने दुपट्टे को कमर में अटकाकर सीढ़ी पर चढ़ती है और एक पिलर पर फूल सजाने लगती है। तभी उसका पैर फिसलता है और वो गिरने ही वाली होती है कि कोई मजबूत हाथ उसे पकड़ लेते हैं।
मिश्री आँखें बंद किए रहती है। जब गिरने का एहसास नहीं होता, तो आंखें खोलती है... वो आर्यन की बाहों में होती है!
मिश्री: थैंक यू... एक बार फिर से बचाने के लिए!
आर्यन: एक बार? मैंने न जाने कितनी बार तुम्हें बचाया है! क्या तुम हर बार मेरे आसपास ही गिरती हो?
मिश्री: मुझे शौक नहीं है आपके आसपास गिरने का।
आर्यन: रियली?
मिश्री: अब छोड़िए मुझे...
आर्यन (मुस्कुराते हुए): सच्ची?
मिश्री (झल्लाकर): हाँ!
(आर्यन उसे धीरे से नीचे उतार देता है)
आर्यन: मेरे सामने मत आया करो। तुम्हें बचाने का ठेका नहीं लिया मैंने।
मिश्री: आऊंगी मैं तो। जो करना है कर लो। रोज मेरे सामने रहोगे—ये मेरा चैलेंज है!
आर्यन (आईब्रो उठाकर): और मैं तुम्हें रोज क्यों देखूंगा?
मिश्री: मुझे नहीं पता... बस बोल दिया।
आर्यन: कल को ये भी बोल सकती हो कि मुझसे शादी करोगे?
मिश्री (हँसते हुए): शादी? तुमसे? मुंबई के सारे लड़के मर गए क्या? अगर पूरी पृथ्वी पर भी तुम अकेले होते ना, तब भी मिश्री तुमसे शादी नहीं करती!
आर्यन: ओह, देख लेना ये बात कहीं महंगी ना पड़ जाए।
मिश्री: जब भी मुंह खोलते हो, कुछ कड़वा ही क्यों बोलते हो?
आर्यन: तो तुम भी ‘मिश्री’ नाम रख लेने से मीठी नहीं बन जाती। कड़वी करेली!
मिश्री: करेली? ये क्या होता है?
आर्यन: तुम्हारे लिए नया नाम है।
मिश्री: जाओ जाओ...
आर्यन: मैं शहर का नंबर वन लॉयर हूं। यूं बात मत किया करो मुझसे!
मिश्री: हे भगवान! सारे शब्द खत्म हो गए क्या? ये तीन ही लाइनें याद हैं तुम्हें?
आर्यन: जाओ वरना उठाकर बाहर निकाल दूंगा!
मिश्री: इतना दम नहीं है आप में!
आर्यन (उंगली दिखाते हुए): अब सामने मत आना वरना...
मिश्री (उसकी उंगली थामते हुए): वरना क्या?
आर्यन: वो तो तुम देख लेना...
(आर्यन जैसे ही दो कदम बढ़ाता है, मिश्री अपना पैर अड़ा देती है। आर्यन गिरते-गिरते बचता है।)
मिश्री आर्यन को देखकर हंसने लगती है
आर्यन: How dare you?
मिश्री–" आह इंग्लिश ये इंग्लिश की माला कही और जाकर जपना मेरे सामने इसका कोई फायदा नहीं!
(मिश्री हँसते हुए वहाँ से चली जाती है)
To Be Continued...
मिश्री ने शादी की सारी तैयारियां कर ली हैं। उसने स्वामी जी से पता लिया और जब एड्रेस देखा, तो वह चौंक गई वो वहीं थी जहां आज काम कर रही थी।
मिश्री ने एक नजर खुद को देखा—मेहरून अनारकली सूट, हल्की चूड़ियां, चोटी में बंधे बाल... जैसे ही वह अंदर जा रही थी, किसी से टकरा गई।उसने नजरे उठकर सामने देखा तो सामने नैना जी खड़ी थीं
नैना जी (हैरानी से): अरे मिश्री, तुम यहां?
मिश्री— जी आंटी हमारी एक फ्रेंड की शादी है यह तो यही आए है...
नैना जी— तुम्हारी फ्रेंड की मतलब यही में भी यही हु...
मिश्री— ओह अच्छा उन्हे देखते हुए ...आप बहुत अच्छे लग रहे हो...!!
नैना जी— थैंक यू... तुम रेडी नही हुई...
मिश्री— खुद को देखते हुए ...में इन्ही में ठीक हूं...
नैना जी— और ऐसे केसे मेरे साथ आओ ... इतना बोल नैना जी मिश्री को अपने साथ एक रूम में ले आई ... और उसे कुछ कपड़े दे दिए ... ये साड़ी में लेकर आई थी...
मिश्री— पर आंटी...
नैना जी— पर वर कुछ नही क्या जल्दी रेडी हो जाओ...
थोड़ी देर में सब नीचे शादी एंजॉय कर रहे थे... आर्यन दूल्हे के साथ खड़ा हुआ था...
चारो और की लाइट्स ऑफ थी हल्की हल्की लाइट से पूरा हॉल जगमगाया हुआ था... हल्का हल्का म्यूजिक चल रहा था ... और सब के कानो में शोर कर रहा था वो था किसी के हाथ की चूड़ियां जो सबका ध्यान अपनी और खींच रही थी...
सब सीढ़ियों की और देख रहे थे... आर्यन ने जेसे ही सीढ़ियों की और देखा तो देखते ही रह गया ... सीढ़ियों से मिश्री ब्लू कलर फ्री पल्लू साड़ी पहने हाथो में भरी भरी चूड़ियां बालो को खुला छोड़ रखा था...
मिश्री इन सब में बहुत प्यारी लग रही थी मिश्री जल्दी से आई और नैना जी के पास खड़ी हो गई थोड़ी देर बाद मिश्री वहा से दुल्हन के पास आ गई और उसे स्टेज की और ले आई...
तो वही स्वामी जी और बच्चे सब मिलकर एंजॉय कर रहे थे... आज बच्चो के लिए मिश्री ने एक छोटी से पार्टी रखी थी... सब एकसाथ खेल रहे थे...
अनाथ आश्रम के बाहर निशा किसी आदमी को धमकी दे रही थी...
निशा — तुमसे एक काम ठीक से नही होता मेने मारने को बोला था। ना...
आदमी— इतने लोगो में केसे मारता उसे ... पागल हो तुम...
निशा — ओह गॉड सारे बेवकूफ मुझे ही मिले है क्या ... एक तो वो दोनो ...एक तुम ...इतना बोल निशा ने किसी को फोन लगाया और कुछ बाते की...
" थोड़ी देर बात करने के बाद निशा ने किसी को इशारा किया और वहा से चली गई ...वो जल्दी से स्वामी जी के पास आई और उनके पास बैठ गई...
निशा — बाबा सो जाओ अब बंद करते है बच्चे भी थक गए और रात भी बहुत हो गई है...
स्वामी जी— हा चलो बच्चो बंद करो ये सब ... और सो जाओ सब...
" सब बच्चे वहा काम करने वाली काकी के साथ सोने के लिए चले गए...
" स्वामी जी भी अपने रूम में आकर अपना चश्मा और चैन ...चाभी ,और अपनी रिंग्स वहा टेबल पर रख कर सो गए...
" निशा ने एक नजर सब से बचकर स्वामी जी के रुम में आई और कुछ ही देर में बाहर निकल आई...
" दुल्हन को लेकर मिश्री आई तो उसकी नजर दूल्हे के बगल में खड़े आर्यन पर गई...
मिश्री— मुंह बनाते हुए ... कड़वा करेला...
दुल्हन— क्या बोल रही है ...
मिश्री— कुछ नही...
" आर्यन को नजर तो मिश्री पर ठहर गई थी... उसने भी धीरे से बड़बड़ाया ... कड़वी करेली...
दूल्हा — क्या हुआ आप ने कुछ बोला ...
आर्यन— नही तो...
" सब शादी एंजॉय कर रहे थे ... रात के बाद अब सुबह होने वाली थी ...रात के दो बजे हुए थे...
मिश्री ने सब से बाय कहा...
नैना जी— अच्छा बेटा आर्यन छोड़ देगा तुम्हे
मिश्री — नही आंटी में चली जाउंगी ... में स्कूटी से आई थी...
नैना जी— पर इतना रात हो रही है...
मिश्री— अरे तीन बजने वाले है अब तो दिन हो रहा है में चली जाउंगी ...इतना बोल मिश्री जेसे ही निकलने को हुई की अचानक उसका फोन बजने लगा
" उसने फोन को कान के लगाया और कुछ बोलती उससे पहले दूसरी और से कुछ कहा गया जिसे सुन मिश्री के हाथ से फोन नीचे गिर गया और उसकी आंखो में आंसू आने लगे...
" सब उसे ऐसे देख कर परेशान हो गए थे ... उसने बिना किसी की तरफ देखे या कुछ बोले अपनी स्कूटी ली और ... अनाथ आश्रम की और चली गई...
" थोड़ी देर में वो अनाथ आश्रम आई तो उसे बाहर ही पुलिस की गाड़ी खड़ी हुई दिखाई दी ...उसने स्कूटी को खड़ा किया और जल्दी से अंदर आ गई ... जहा स्वामी जी सबके बीच खड़े थे ...बच्चे एक साइड थे , निशा भी वही खड़ी हुई थी...
मिश्री— क्या हुआ है ... इंस्पेक्टर क्या हुआ है यहां...
इंस्पेक्टर— किसी का कत्ल हुआ है आप के आश्रम में ... और वो किसी और ने नही स्वामी जी ने किया है...और हमने इन्हें रंगे हाथों पकड़ा है चाकू के साथ,
मिश्री— नही बाबा नही कर सकते ऐसा ... क्या सबूत है आप के पास ... मेरे बाबा ऐसा कभी नही करेंगे ... अरे उन्होंने तो हम अनाथ को पाला है वो भला किसी को केसे ... नही ... नही... नही... बाबा ने कुछ नही किया...
इंस्पेक्ट — अरेस्ट करो इन्हे ... और आप सबूत की बात कर रही हो ना ... एक मिनट मिस्टर पाटिल दिखाओ इन्हे सबूत...
मिस्टर पाटिल— ने जेसे ही उसके आगे एक चाकू की तो मिश्री ने तुरंत अपने बाबा के पास देखा उनके हाथों में खून लगा हुआ था,
इंस्पेक्टर— हो गया आप का सुबत... देखने का काम तो अब हमे हमारा काम करने दो...
मिश्री— एक मिनट आप केसे किसी को लेकर जा सकते है जानते है इनको किसी ने मारा है लेकिन एक चाकू देखकर आप केसे अरेस्ट कर सकते हो ... हो सकता है ,
इंस्पेक्टर— जो भी सवाल जवाब है। ना आप के ,उसे आकार थाने करना ... लेके चलो इसे...
मिश्री— बाबा का हाथ पकड़ कर ...बाबा बोलो ना इनसे...
स्वामी जी— ध्यान रखना सबका,
मिश्री— रोते हुए ... बाबा ... मेरे बाबा को मत लेकर जाओ...
मिश्री — रोते हुए
बाबा, मेरे बाबा को मत लेकर जाओ।
इंस्पेक्टर स्वामी जी को लेकर निकल गए थे, और मिश्री बाहर खड़ी रोने लगी थी। उसके आंसू रुक ही नहीं रहे थे और सभी बच्चे उसके चारों तरफ खड़े थे।
तभी वहीं से आर्यन की गाड़ी भी निकली। उसने देखा, मिश्री लगातार रो रही है तो उसके हाथ स्टेयरिंग पर कस गए थे। वह वहाँ से घर के लिए निकल गया था।
मिश्री थोड़ी देर वहाँ खड़े रहने के बाद अंदर आ गई और सभी बच्चों को सुला दिया।
आज की सुबह सब के लिए जल्दी हो गई थी।
मिश्री ने काकी की मदद से सभी बच्चों को नाश्ता करवाया और खुद रेडी होकर बाहर निकल गई।
आर्यन भी आज कोर्ट चला गया था। आज उसकी एक हियरिंग थी।
मिश्री ने अपनी स्कूटी एक वकील के ऑफिस के बाहर रोकी और उससे बात करने अंदर चली गई।
मिश्री — अंदर आकर, चेयर पर बैठते हुए
मुझे मेरे बाबा के केस के लिए आप से बात करनी थी।
एक आदमी —देखिए, केस तो ले लेंगे लेकिन जितना न जितना भगवान के हाथ में है।
मिश्री — सोचते हुए पर...
वो आदमी —देखिए, कल ही फाइल दे दीजिए और एडवांस अभी दे दीजिए। पाँच लाख अभी दे दो और बाकी के दस लाख केस के बाद दे देना।
मिश्री —इतने पैसे...? हम आपको बताते हैं।
इतना बोल मिश्री जल्दी से वहाँ से निकल गई और बाहर आकर अपने सर पर हाथ रख कर खुद से ही बोलने लगी
हे मातारानी, इतने पैसे तो आज तक देखे भी नहीं। लाएँगे कहाँ से? और बाबा को कैसे छुड़ाएंगे? कोई तो रास्ता दिखाओ मातारानी।
इतना बोल मिश्री अपनी स्कूटी तक आई और जैसे ही उस पर बैठने को हुई, मिश्री ने एक नज़र अपनी स्कूटी को देखा और उस पर बैठ कर एक दुकान पर आ गई।
मिश्री —भैया, ये स्कूटी देनी थी। कितने तक ले लोगे?
आदमी —बीस हजार।
मिश्री —बस बीस हजार?
आदमी —क्या मैडम, देखो इसे। बिल्कुल पुरानी है बेचारी, पता नहीं कैसे चल रही है आपके साथ।
मिश्री —हाँ हाँ ठीक है, दे दो।
मिश्री ने एक नज़र स्कूटी को देखा और जैसे ही स्कूटी की चाभी देने को हुई, अचानक मिश्री के हाथ कुछ पल को रुक गए। लेकिन अगले ही पल उसने वो चाभी दी और पैसे लेकर पैदल ही घर के लिए निकल गई।
सुबह से भूखी होने की वजह से मिश्री एक जगह बैठ गई। उसने अपने गले में पहनी हुई चेन को देखा जो सोने की थी। उसने उसे लिया और कुछ ही समय में उसे बेचकर पैसे जोड़े तो उसके पास अभी टोटल पचपन हजार रुपए हुए थे।
मिश्री —अब क्या करूं? ये तो इतने से ही पैसे हुए हैं। बाबा को कैसे बचाऊंगी? और तो और, ये सब कैसे साबित होगा कि बाबा निर्दोष हैं?
इतना बोलते हुए मिश्री वहाँ से पैदल ही अनाथ आश्रम के लिए निकल गई।
आर्यन भी केस कंप्लीट करके घर के लिए निकल गया। लेकिन अचानक रास्ते में खड़ी मिश्री पर उसकी नज़र गई तो उसने तुरंत अपनी कार को उसी के सामने रोक लिया।
मिश्री के सामने अचानक कार आने से मिश्री ने जल्दी से सामने देखा तो आर्यन था।
मिश्री —क्या है अब?
आर्यन —मैं घर छोड़ दूंगा।
मिश्री —मैं चली जाऊंगी।
आर्यन —तुम्हारी स्कूटी कहाँ है?
मिश्री —उसे तो मैंने बेच दी। लेकिन तुम्हें उससे क्या? जाओ, अपना काम करो।
आर्यन —कार में बैठो।
मिश्री भी बिना बोले कार में बैठ गई थी क्योंकि वो अब बहुत थक गई थी। मिश्री आकार आर्यन के साइड में बैठ गई। आर्यन भी उसे देख कर कार चलाने लगा।
मिश्री कार से बाहर देख रही थी, और बैठे-बैठे कब उसकी आंख लग गई पता ही नहीं चला।
आर्यन —क्या हुआ है? बोलो ना। वैसे तो बड़ा बोलती रहती हो, चुप ही नहीं होती और अब देखो, बोल ही नहीं रही।
इतना बोल आर्यन ने जैसे ही उसके शोल्डर को हल्का टच करके देखा तो मिश्री सो चुकी थी। आर्यन ने उसका फेस कार की सीट से लगाया और सुला दिया।
आर्यन —शायद सोई नहीं है कल से।
इतना बोल आर्यन ने अपनी कार एक साइड रोक ली और खुद बाहर आ गया।
तकरीबन एक से दो घंटे के बाद मिश्री की आंख खुली तो उसने खुद को अभी तक कार में देखा। मिश्री ने जल्दी से अपने बगल में देखा जहाँ अभी भी आर्यन नहीं था। मिश्री ने अपनी आंखों को हाथों से मसला और कार का दरवाजा खोल कर बाहर आई तो देखा, आर्यन बाहर कार से टेक लगाकर खड़ा हुआ था।
मिश्री —तुमने मुझे घर क्यों नहीं छोड़ा?
आर्यन —तुम सो गई थी।
मिश्री —तो तुम नहीं सोए थे ना? कार तो तुम ही चला रहे थे।
आर्यन —मुझे लगा घर आते ही तुम उठ जाओगी तो तुम्हारी नींद खराब हो जाएगी, बस इसलिए। अब बैठो, मैं छोड़ देता हूँ।
मिश्री — आर्यन से अपनी नज़रें चुराकर उसे ही देख रही थी।
आर्यन —ऐसे मत देखो, प्यार हो जाएगा।
मिश्री —व्हाट?
आर्यन — मुस्कुराकर गर्दन हिलाते हुए
चलो।
इतना बोल दोनों कार में आकर बैठ गए। आर्यन ने वापस कार स्टार्ट कर दी।
मिश्री —कैसा आदमी है, इसे समझना बहुत मुश्किल है यार। मेरे सोने के लिए इसने कार रोक दी। आह (अपनी गर्दन को ना में हिलाते हुए)
आर्यन —क्या हुआ? तुम ठीक हो ना?
मिश्री —हाँ आह, थोड़ा जल्दी चलाओ। मुझे घर जाना है।
आर्यन —तुम्हारे बाबा के केस का क्या हुआ?
मिश्री —कुछ नहीं हुआ।
आर्यन — हम्म।
इतना बोल आर्यन ने ब्रेक लगा दिए।
मिश्री — आर्यन की ओर देख कर
अब गाड़ी क्यों रोक दी? मतलब है क्या प्रॉब्लम?
आर्यन — उसका फेस पकड़ कर बाहर की ओर घूमते हुए वो देखो और उतरो अब
मिश्री— हा हा तो बोल भी सकते हो ना
आर्यन— तुम बोलने का टाइम तो दो किसी को, ना तो किसी को बोलने देती हो ना किसी की सुनती हो
मिश्री— कड़वा करेला इतना बोल गाड़ी से उतर गई
आर्यन भी उसे एक नजर देख कर चला गया
मिश्री आश्रम आई तो सभी बच्चे उसके चारो और आ गएपिंकी— दीदी बाबा नही आए ?""
मिश्री— नही बाबा कुछ दिन बाद आयेंगे
मिश्री ने देखा तो सब बच्चो का चेहरा उदास हो गया था उसने सबको देखा और कहा चलो खाना खाते है थोड़ी देर में सब ने खाना खाया और सो गए
अर्जुन भी घर आ गया तो वो भी सबके साथ डिनर करके सो गया था
मिश्री आश्रम आई तो सभी बच्चे उसके चारो और आ गएपिंकी— दीदी बाबा नही आए ?""
मिश्री— नही बाबा कुछ दिन बाद आयेंगे
मिश्री ने देखा तो सब बच्चो का चेहरा उदास हो गया था उसने सबको देखा और कहा चलो खाना खाते है थोड़ी देर में सब ने खाना खाया और सो गए
अर्जुन भी घर आ गया तो वो भी सबके साथ डिनर करके सो गया था
अब आगे
अगली सुबह आर्यन ऑफिस जा रहा था। लेकिन आज सुबह से लगातार बारिश हो रही थी। वह कार चला रहा था कि तभी उसकी नजर एक साइड रोड पर गई, जहाँ मिश्री खड़ी थी। बारिश के पानी में भी उसकी आँखों के आँसू साफ दिखाई दे रहे थे। वह एक ही जगह खड़ी चारों ओर देख रही थी। आर्यन ने उसे देखा और अपनी कार वहाँ से निकाल ली।
"पता नहीं मैं इस लड़की के बारे में इतना क्यों सोचता हूँ... ओह माय गॉड, ये स्टूपिड लड़की मुझे सच में पागल कर देगी..."
उधर मिश्री पूरी तरह भीग चुकी थी। उसे अपने हालात पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने इधर-उधर देखा और जैसे ही एक चेयर पर बैठने लगी, उसकी चप्पल टूट गई।
"वाह मम्मी, बस इसी चीज की कमी थी। लो, सारी परीक्षा अभी ही ले लो, अगले जन्मों के लिए कुछ मत बचाना!"और आगे वाले ही क्या, कल ,परसो के लिए भी कुछ मत बचाओ..!" आज का तो दिन ही मनहूश हो गया है, पहले घर से निकलते ही गिर गई, गई,, फिर कुछ दूर चलते ही पीसल गई, फिर थोड़ी दूर आते ही बारिश में नहा ली और अब ये चप्पल तोड़ डाली.... आपने ना तो, भगवान जी मुझे पर गाना बना दिया... इसे बैठ के गाऊ की रोऊं....!"
मिश्री चप्पल ठीक करने लगी और बारिश में ही बैठ गई। उसके खुले बाल पूरी चेयर पर फैले हुए थे और शरीर से चिपक गए थे। उसने खुद को देखा आस पास देखकर उठकर चल पड़ी और खुद से बड़बड़ाई "हाय मम्मी, लॉयर कहाँ से लाएँ जो बाबा को निर्दोष साबित करे... और पैसे कहा से लाए वो भी समझ ही नहीं आ रहा!""
थोड़ी दूर चलते हुए उसे आर्यन की याद आई। जब उसने बताया था कि वो लॉयर है। ये सोचते ही मिश्री के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने एक ऑटो रोका।
"भैया, आर्यन राठौड़ लॉयर हैं ना, उनके ऑफिस जाना है।"
ऑटो वाले ने गर्दन हिलाई और अपना ऑटो चलाने लगा...!" मिश्री को तो आर्यन का लॉयर जानकर ही बहुत खुशी हो रही थी... उसके फेस से लग रहा था जेसे आर्यन उसका कैस लड़ने को तैयार है...!"
"... मिश्री अपने मन में ये सब सोचे जा रही थी की तभी ऑटो वाले ने ऑटो को रोका और उसकी और देख कर कहा...." उतरो मैडम आ गया आपने जो पता दिया था...!"
मिश्री ने बाहर देखा और पर्स से कुछ पैसे देकर आर्यन के ऑफिस में चली गई। ऑफिस छोटा था, लेकिन व्यवस्थित।
मिश्री को देख कर आर्यन के असिस्टेंट ने मिश्री के आने की खबर लेकर आर्यन तक आया और उसके सामने खडा होकर कहा....." सर सर वो आई है...!"
आर्यन — "कौन आ गया ?"
असिस्टेंट –" सर वही लड़की आई है " बाहर है
आर्यन— झुंझलाते हुए....!" कौन आया है आप क्लियर बताएंगे आप तो ऐसे बता रहे है जेसे कोई लड़की न होकर भूत देख लिया हो..." आर्यन ने फाइल के पेज पलटते हुए कहा...!"
असिस्टेंट — सर वो लड़की जो अनाथ आश्रम से है, जिसके बाबा को पुलिस ले गई है...!" क्या नाम था उसका...."( याद करते हुए)
आर्यन — ओह..... दिमाग पर जोर कम दो, और काम पर ज्यादा दो..."उसे अंदर भेज दो।" इतना बोल आर्यन मुस्कुरा दिया
असिस्टेंट — ने आर्यन को देखा और वहा से बाहर आ गया, उसने मिश्री की और अपने कदम बढ़ाए थे की तभी मिश्री उसके पास आ गई...!"
मिश्री — "आप बता सकते हैं, आर्यन कहाँ हैं?" मुझे उनसे मिलना है
असिस्टेंट — "सर अंदर हैं, आप जा सकती हैं।"
आर्यन — "वाह, तुम आई हो? ऐसा क्या काम आ गया जो तुम्हें आर्यन याद आ गया?"
मिश्री — मुंबई के जाने माने लॉयर आर्यन राठौड़ से मिलने आए है
आर्यन — ओह.... तो मतलब तुम मानती हो की में फेमस लॉयर हूं...!"
मिश्री— बिल्कुल नही..... जब मानेंगे जब आप हमारे बाबा का केस लेकर उसे जीतेंगे....!" इतना बोल मिश्री ने जोर से छींका तो आर्यन ने उसकी और देखा तो पाया मिश्री भीगी हुई थी, उसके बालो से हल्का हल्का पानी अभी भी बह रहा था...!"
आर्यन ने मिश्री को देखा और उठ कर अपनी अलमीरा खोली और एक टॉवल देते हुए कहा.... बाल साफ कर लो, तुम्हे ठंड लग जायेगी...!"
मिश्री ने कुछ नही कहा और उसके हाथ से टॉवल लेकर साफ करने लगी, वो अपने बालो को आराम से साफ कर रही थी, तो वही आर्यन उसे देख रहा था...!"
आर्यन — तो तुम्हे ऐसा क्यों लगता है की में तुम्हारा कैस लडूंगा...." अगर तुम्हारे बाबा निर्दोष नही हुए तो.... अर्जुन कोई गलत कैस नही लेता..... तो ये सवाल ही पैदा नही होता एंड तुम मेरी फीस चार्ज नही पे कर पाओगी...!"
मिश्री— कितना होगा...?"
आर्यन— जब में कैस नही ले रहा तो फीस चार्ज क्या करूं बता के...!" आप जा सकती है...!"
मिश्री ने टॉवल को लिए खड़ी हुई और उस टॉवल को जोर से आर्यन के ऊपर फेक कर कहा..." काश किसी की मदद की होती आपने... फ्री में नही बोला था मेने। और रही बात बाबा की तो वो निर्दोष है... समझे आप इतना बोल मिश्री आगे ही आई थी की, उसके कदम रुक गए उसने पीछे पलट कर देखा और कहा...." होंगे आप बड़े लॉयर लेकिन मेरे किसी काम के नही है.... आप इन्सान ही नही है....!" इतना।बोल मिश्री उसके ऑफिस से बाहर आ गई, वो जेसे जेसे चल रही थी उसके फेस के भाव बदल रहे थे...!" थोडी दूर चलते ही उसकी आंखो से आंसू आने लगे उसने वही पास के थोड़ी देर एक जगह देखी और बैठ गई...." हाय मम्मी कितनी उम्मीद से गए थे हम उस कड़वे करेले के पास लेकिन ये अमीर लोग किसी की मदद कर देतो इन्हे तो मौत आ जाए....!" खेर हम भी ना पागल है किस्से उम्मीद कर ली, आखिर है तो कड़वा करेला ही..….!" जब देखो कड़वा ही बोलता है तो आज मीठा केसे बोल लेता पता नही खुद को क्या समझता है, अकडू कही का साफ ही मना कर दिया..." अब क्या करेगी तू मिश्री कहा से बाबा के केस के लिए लॉयर लायेगी....!" सोच मिश्री .... सोच मिश्री…...!"
To be continue...…..
"
थोडी दूर चलते ही उसकी आंखो से आंसू आने लगे। उसने वही पास के थोड़ी देर एक जगह देखी और बैठ गई....
"हाय मम्मी, कितनी उम्मीद से गए थे हम उस कड़वे करेले के पास लेकिन ये अमीर लोग किसी की मदद कर दे तो इन्हे तो मौत आ जाए....! खैर हम भी ना पागल हैं, किससे उम्मीद कर ली, आखिर है तो कड़वा करेला ही..! जब देखो कड़वा ही बोलता है तो आज मीठा कैसे बोल लेता! पता नही खुद को क्या समझता है, अकडू कहीं का, साफ ही मना कर दिया..."
"अब क्या करेगी तू मिश्री, कहां से बाबा के केस के लिए लॉयर लाएगी....! सोच मिश्री... सोच मिश्री…...!"
मिश्री वही एक पेड़ के नीचे बैठ गई थी। उसे तो कुछ समझ ही नही आ रहा था...! उसकी आंखों में अनायास ही आंसू आने लगे। उसने अपना बैग वही टेबल पर रखा और सामने देखने लगी। रोड पर हजारों लोगों की भीड़ थी.....! लेकिन सब चल रहे थे, बैठा कोई नहीं था। मिश्री ने सब को देखा और उठ कर खड़ी हो गई...!
"क्या करे, सच में कुछ समझ नहीं आ रहा...! इसकी तो ऐसी की तैसी तो कर रहा है....!"
तो वही आर्यन मिश्री के जाते ही टेबल पर बैठ गया और कुछ सोचने लगा....! तभी उसके फोन की रिंगटोन बजने लगी...! मिश्री नंबर देखा तो अनाथ आश्रम से था...! मिश्री ने फोन उठा लिया और कान पर लगाया तो सामने से आवाज आई...
"दीदी कब तक आओगी और बाबा कब तक आयेंगे...?"
मिश्री — "अरे पिंकी तुम... बाबा ना जल्दी आ जायेंगे, डॉन्ट वरी। काकी से बोलकर खाना खा लेना, ओके? हमें थोड़ा लेट हो जायेगा..." इतना बोल मिश्री ने बिना सुने फोन रख दिया।
"कहां से क्या करे, एक बार और ट्राय करते हैं।" इतना बोलकर मिश्री कोर्ट के बाहर आई, जहां कई सारे वकील थे। मिश्री ने काफी लोगों से बात की लेकिन सब ने कुछ न कुछ बोल कर मना कर दिया। तभी मिश्री की एक और वकील से बात हुई...
मिश्री — "देखिए हमारे बाबा निर्दोष हैं, उनके खिलाफ अभी तक कोई सबूत नहीं है...! तो फिर आप केस लड़ लीजिए न...!"
वकील — "मैं तैयार हूं.... बस आप फाइल दे दीजिए और मेरे साथ स्टेशन चलिए...!"
मिश्री ने हां की और टाइम देखा तो अभी दोपहर के दो बजे थे। वो वकील के साथ स्टेशन आ गई थी...
उसने जैसे ही स्टेशन में अंदर आकर देखा तो सामने से दो कांस्टेबल स्वामी जी को लेकर जा रहे थे। मिश्री भाग के उनके पास आई और उनके सामने खड़ी होकर कांस्टेबल से बोली...
"इन्हें आप कहां लेकर जा रहे हो, अभी तक कुछ प्रूफ ही नहीं हुआ न, तो कैसे कहीं लेकर जा रहे हैं आप बाबा को...!"
तभी इंस्पेक्टर आए और मिश्री को देख कर कहा...
इंस्पेक्टर — "क्या हुआ...?"
मिश्री — "आप बाबा को कहां लेकर जा रहे हैं, अभी तो कुछ भी इनके खिलाफ प्रूफ नहीं हुआ न! छोड़िए न इन्हें...!"
इंस्पेक्टर — "ओह, आप वकील लेकर आई हैं..!"
वकील — "मिश्री, एक मिनट... हेलो इंस्पेक्टर, मेरा नाम अरविंद रस्तोगी है..."
इंस्पेक्टर — "यस, लेकिन आप समझिए अपनी मैडम को वकील साहब, कि जब तक कोर्ट में पेशी नहीं होती, इनकी ज़िम्मेदारी हमारी है कि हम इन्हें कहां रखेंगे....!"
वकील — "डॉन्ट वरी मिश्री, अभी चुप रहो लेकिन कोर्ट में हम चुप नहीं रहेंगे। जो होगा अब वही होगा...!"
इंस्पेक्टर — "चुप तो अब आपको रहना पड़ेगा वकील साहब, क्योंकि सबूत के साथ अब हमारे पास एक प्रत्यक्षदर्शी गवाह भी है, जिसने खून होते हुए अपनी आंखों से देखा है, और वो गवाही देने के लिए भी तैयार है...!"
मिश्री — "गवाह...? कौन है वो झूठा इंसान...!"
इंस्पेक्टर — "आपके ही आश्रम में रहती है — मिस निशा...!"
निशा का नाम सुनते ही मिश्री और स्वामी जी को बहुत अजीब लगा...! इंस्पेक्टर स्वामी जी को लेकर चले गए, और मिश्री भी इंस्पेक्टर से बात करके बाबा से मिलने चली गई...!
मिश्री बाबा से मिलकर घर आ गई थी। उसकी आंखों में निशा का नाम सुनकर गुस्सा और आंसू दोनो आ रहे थे...! उसने आश्रम में आकर अपने रूम में आकर बेड पर बैठ गई....!
"क्या करे अब....!"
तो वही आर्यन भी घर आ गया था लेकिन उसे अभी भी मिश्री की बातें याद आ रही थीं। उसने एक फाइल उठाई और पढ़ने लगा...! कल से उसका एक केस था...! जिसकी तैयारी में आर्यन लगा हुआ था....!
मिश्री ने सभी बच्चों को फिर से एक झूठ बोल दिया था कि बाबा जल्दी आ जायेंगे। उसने सभी को खाना खिलाया और खुद भी खा कर बाहर लॉन में आकर बैठ गई....! वो जब से आई थी, उसने निशा को नहीं देखा था...!
"क्या करूं... वकील भी अब तो मान गए, लेकिन ये निशा का क्या मामला है? निशा तो नहीं जानती थीं ना उस आदमी को... उसने भी तो मदद की थी...! और वो क्या बाबा को नहीं जानती क्या? कि बाबा कभी ऐसा काम नहीं कर सकते। डर भी बता दिया...! लेकिन जो उसने देखा नहीं, वो कैसे और क्या बताएगी...!"
"आज का दिन यूं ही निकल गया था....!"
अगली सुबह आर्यन जल्दी उठ कर कोर्ट चला गया था...! आज उसका कोई केस था…
मिश्री भी वकील के पास गई थी...! लेकिन कल जो गवाही देने के लिए निशा का नाम आया था, उससे वकील ने भी केस लेने से वापस मना कर दिया था…
मिश्री — "पर वकील साहब आप ऐसे कैसे कर सकते हैं...? आपने तो केस ले लिया था न! अब क्या हुआ? आप कल तक तो तैयार थे लेकिन अब अचानक क्या हुआ...?"
वकील — "आपने कहा था कि आपके बाबा के खिलाफ कोई सबूत या गवाह नहीं है, लेकिन कल जो इंस्पेक्टर ने बताया उसके बाद मैं ये केस नहीं लेने वाला…!" इतना बोलकर वकील वहां से चला गया...!
मिश्री — "अरे तो मेरी बात सुनिए वकील साहब...!"
एक बार आप मेरी बात तो सुन लीजिए... मिश्री वहीं खड़ी होकर उस वकील से बात करने की कोशिश कर रही थी लेकिन वकील जा चुका था...!
मिश्री ने फाइल ली और कोर्ट के बाहर से जाने लगी, तभी उसकी नजर बाहर आती भीड़ पर गई जिसमें से आर्यन और क्लाइंट बाहर आ रहे थे...!
मिश्री वहीं एक साइड खड़ी ये सब देख रही थी...! उसने अपना पर्स ठीक किया और वहां से और पीछे हो गई...!
आर्यन भी बात करते हुए बाहर आ गया था, क्लाइंट के जाते ही आर्यन कोर्ट को देख कर मुस्कुराने लगा..!
तो वही मिश्री भी जल्दीबाजी में निकल रही थी कि तभी उसे अचानक किसी से टक्कर लगी और वो पीछे से सीधे आर्यन से टकरा गई।
टकराने की वजह से आर्यन के हाथ से सामान गिर गया और नीचे ज़मीन पर जा गिरा था...!
"तो वही मिश्री भी जल्दीबाजी में निकल रही थी की तभी उसे अचानक किसी की टकर लगी की वो पीछे से अचानक से आर्यन से टकरा गई। टकराने की वजह से आर्यन के हाथ से सामान गिर गया, आर्यन का पूरा सामान नीचे जमीन पर जा गिरा था...!"
आर्यन — "अंधी हो तुम? जब देखो टकराती रहती हो, कभी मेरी कार से आकर टकराती हो कभी मुझसे! तुम्हें दिखाई नहीं देता क्या? यार तुम मिश्री, घर में ही रहा करो...! शुक्र मनाओ तुम मुझसे ही टकराती हो, किसी और से टकराओगी न, तो कोई भी सुना कर चला जायेगा...!"
मिश्री — "सॉरी……."
आर्यन ने मिश्री की ओर देखा और खुद से ही बड़बड़ाते हुए कहा,
"आज कहां से सूरज उगा है जो ये सॉरी बोल रही है, वरना जब देखो लड़ने के लिए तैयार रहती है।"
इतना बोल आर्यन जैसे ही अपना सामान लेने के लिए झुका कि मिश्री भी उसी समय नीचे झुकी, और दोनों के सर आपस में टकरा गए...
💞💞💞
काश तू मेरे हक में होता ही सही,
काश तू मेरे हिस्से में होता ही सही,
किस्मत में तेरा मेरा मिलना होता ही सही,
कि तू मेरी इन हाथों की लकीरों में होता...!!!
काश तेरा मेरा मिलना होता ही सही,
इन लकीरों में पिया तेरा मेरा मिलना होता ही…
आर्यन सीधा खड़ा हुआ और वापस सामने देखने लगा……
मिश्री — "आप ने अनुष्का जी की मदद की, बहुत अच्छा लगा... उन्हें यूं इंसाफ दिला कर उनके चेहरे पर अलग ही खुशी थी न…!"
आर्यन — "मैं हमेशा सच का साथ देता हूं... लोगों के लिए ही लड़ता हूं, जिसमें मुझे बहुत खुशी मिलती है।"
मिश्री (एक आस भरी निगाहों से आर्यन की ओर देखते हुए) — "आप लोगों की खुशी के लिए लड़ते हैं, तो प्लीज़... आप मेरी भी मदद कर दीजिए न, मेरा भी केस ले लीजिए... मेरे बाबा निर्दोष हैं, मैं सच बोल रही हूं... उन्हें फंसाया जा रहा है...!"
आर्यन (कुछ सोच कर) — "ठीक है, मैं तुम्हारा केस लेने के लिए तैयार हूं, लेकिन तुम्हें मुझे फीस चार्ज देना होगा..."
मिश्री — "फीस चार्ज...?"
आर्यन — "वो भी पूरे 30 लाख।"
मिश्री (मन में सोचते हुए) — "हाय मम्मी, ये तो बड़ा ही अजीब इंसान निकला... इतने पैसे... कौन से केस में लेते हैं इतने पैसे...? और इतने पैसे कहां से लाएंगे हम..."
आर्यन (मन में सोचते हुए) — "ज्यादा मांग लिए शायद मैंने... ये इतने पैसे कहां से देगी? सुनो मिश्री...!"
मिश्री (बात को बीच में काटते हुए) — "आपकी फीस आपको मिल जाएगी... बस आप केस के लिए रेडी रहें... पर मैं आधी ही पेमेंट करूंगी... आधी पेमेंट आपको केस के बाद मिलेगी...!"
आर्यन ने मिश्री को देखा और दोनों एक दूसरे को देखते हुए वहां से चले गए...!!
मिश्री — ने अपना बैग सही किया और वहां से सीधा एक मंदिर में आ गई जहां एक छोटा सा चबूतरा बना हुआ था। मिश्री वहां आकर उस चबूतरे पर बैठ गई और भगवान से कहने लगी...
मिश्री — "इतने पैसे कहां से लाएंगे, भगवान जी...? उस कड़वे करेले ने तो फीस चार्ज भी इतना मांगा है... इतने पैसे तो मैंने देखे क्या सुने भी पहली बार होंगे न...! इतना तो कोई किसी की शादी में दहेज भी नहीं मांगते हैं...!"
"मदद कीजिए न भगवान जी..."
इतना बोल वो लड़की वापस वहीं पर चक्कर काटने लगी... उसने अपने बैग को खोला और देखा तो उसमें ज़्यादा पैसे नहीं थे...!
"तीस लाख...? कहां से लाऊंगी तीस लाख...? हाय मम्मी, मेरे पास तो पचास हजार रुपये हैं बस...!"
इतना बोल मिश्री ने अपने बैग की चैन बंद की और वहां से बाहर आकर एक ऑटो लिया और आश्रम के लिए निकल गई...!"
तो वहीं आर्यन भी अपने घर के लिए निकल गया था...!
वो घर आया तो देखा उसकी दादी सोफे पर बैठी हुई थीं और कुछ और लोग भी वहीं बैठे हुए थे...!
नैना जी — ने जैसे ही आर्यन को देखा तो वो उठ कर आर्यन के पास आईं। उन्होंने आर्यन से जैसे ही कुछ कहने को मुंह खोला कि उससे पहले आर्यन ने कहा...
आर्यन — "ये लोग अगर मुझे देखने आए हैं तो मुझे किसी से नहीं मिलना...!"
इतना बोल आर्यन अपने रूम में चला गया...!
नैना जी — आर्यन के पीछे जाते हुए... "आर्यन एक बार आप हमारी बात सुनिए ना...!"
लेकिन आर्यन बिना सुने ही वहाँ से चला गया था। नैना जी भी उसे जाता देख सबके पास आकर बैठ गई थीं...!
"सब को देखकर... वो अभी ऑफिस से आया है ना, तो बस थक गया है, रूम में गया है...!"
दादी — "कोई बात नहीं... आर्यन को तो इन्होंने देख रखा है ना... बाकी हम उससे पूछ कर आपको और बता देंगे...!"
इतना बोल दादी ने सबके सामने हाथ जोड़ कर खड़ी हो गईं...!
"सब लोग उनसे मिलकर चले गए थे... दादी भी नैना जी की ओर देखकर बोलीं..."
"आर्यन को समझा दीजिए आप, नैना, हमें उसकी शादी करनी है... आप कुछ भी कीजिए... उसे शादी के लिए मना लीजिए...!"
नैना जी — "मां, आप उसे जानती हो ना, अभी भी वो साफ मना करके गया है। पता नहीं इसके दिमाग में क्या चल रहा है...! कहीं इसकी लाइफ में कोई लड़की तो नहीं है ना?"
दादी — "हां, हमने इस बात पर तो गौर ही नहीं किया। आप उससे बात कीजिए...!"
नैना जी — "बिलकुल, पर मैं फिलहाल साहिल के पास जाकर आती हूं, उसे मुझसे कुछ काम था!"
"तो वहीं आर्यन अपने रूम में चेंज करके बेड पर बैठा कुछ सोच रहा था। उसने अपने सर पर हाथ रखा और कुछ अजीब सा महसूस किया..."
"उसने अपना लैपटॉप खोला और उस दिन स्वामी जी वाली न्यूज देखने लगा...!"
"वो न्यूज को बड़े ध्यान से देख रहा था तभी उसकी नजर मिश्री पर गई जिसकी आंखों में आंसू थे... आर्यन के हाथ लैपटॉप पर ही रुक गए थे...!"
"और वो कुछ सोचने लगा..."
"मैंने शायद उससे कुछ ज़्यादा ही पैसे मांग लिए... वो इतने पैसे कहां से लाएगी...!"
मन में सोचते हुए आर्यन ने अपना हाथ अपने सिर पर रखा और कहा,
"ओह गॉड, ये लड़की सच में पागल है... और मुझे भी पागल करेगी...!!"
"कौन लड़की तुम्हें पागल कर रही है आर्यन...?"
आर्यन ने जैसे ही नैना जी की आवाज सुनी तो उसने सामने देखा, तो नैना जी हाथ में कॉफी का मग लिए हुए खड़ी थीं...!
"कौन लड़की तुम्हें पागल कर रही है आर्यन...?"
आर्यन ने जैसे ही नैना जी की आवाज सुनी तो उसने सामने देखा, तो नैना जी हाथ में कॉफी का मग लिए हुए खड़ी थीं...!
आर्यन — "कोई नहीं मॉम... आइए ना, कुछ काम था..."
नैना जी — "हां, मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी..."
इतना बोल नैना जी ने कॉफी आर्यन की ओर बढ़ाई और उसके पास बेड पर बैठ गईं...!
आर्यन — लैपटॉप में काम करते हुए — "अगर आप फिर से मेरी शादी के बारे में कुछ बात करने आई हैं ना, तो मॉम... मैं शादी नहीं करने वाला।
सो आप ये बात दिमाग से निकाल दीजिए कि मैं किसी लड़की से मिलूं और शादी कर लूं..."
नैना जी — "मार करो... नहीं कर रही ये बात। लेकिन ये तो बता दो कि क्या तुम किसी को पसंद करते हो...?"
आर्यन ने जैसे ही नैना जी की बात सुनी, तो उसने उन्हें सवालिया नज़रों से देखा और कहा —
"अगर पसंद करता तो अब तक शादी करके उसे यहाँ ले आता..."
नैना जी — ने आर्यन की बात सुनी तो उनके चेहरे पर उदासी छा गई। उन्होंने अपने चेहरे पर हाथ रखते हुए कहा —
"मतलब हम सास नहीं बनने वाले... हमारी बहू नहीं आएगी...?"
आर्यन — अपनी मॉम को देखते हुए — "बिलकुल नहीं, ऐसा किसने बोला...?
आपका आइडिया बुरा नहीं है कि मैं किसी से शादी कर लूं..."
नैना जी — "हैं ना? बुरा नहीं है ना...?
बस तो फिर तुम उस लड़की का नाम बता दो जिसे तुम पसंद करते हो, हम खुद बात कर लेंगे उसके घर जाकर..."
आर्यन — "रिलैक्स मॉम... रुक जाइए, मैं मजाक कर रहा था...
और मुझे इन प्यार-व्यार से दूर रखिए आप...!"
"और प्लीज मॉम, दादी से जाकर बोलिए कि मुझे शादी नहीं करनी और मेरे लिए लड़की देखना बंद करें।
जब मुझे शादी करनी होगी तब मैं खुद आपको बता दूंगा...!"
नैना जी — "और वो शुभ दिन कब आएगा...? बताइए हमें आर्यन...!"
आर्यन — नैना जी को देखकर कुछ सोचते हुए — "बहुत जल्दी। अब जाइए और डिनर लगा दीजिए, मुझे भूख लगी है...!"
नैना जी — आर्यन को देखकर उसके कंधे पर हाथ रखकर बोलीं —
"जल्दी नीचे आ जाओ, डिनर रेडी है...!"
आर्यन — "एक शर्त पर आऊंगा... दादी मुझसे शादी की बात नहीं करेगी...!"
नैना जी — "ओके..."
इतना बोल नैना जी नीचे चली गईं।
उनके जाते ही आर्यन ने अपने सिर पर हाथ रखा और कहा —
"चलो कुछ दिन तो शांति मिलेगी ना...!"
इतना बोल आर्यन ने लैपटॉप बंद किया और नीचे आ गया...!
---
"तो वहीं मिश्री भी आज खुश थी। वो सब बच्चों के साथ खाना खाकर बाहर गार्डन में बैठी हुई थी।
उसने सबको बाबा के केस के बारे में बताया, तो सामने से आती हुई निशा ने भी ये बात सुन ली थी।
उसने मिश्री की नजर से खुद को बचाया और वहां से अंदर चली गई....!"
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"तो वहीं आर्यन सबके साथ खाना खा रहा था।
सब लोग उसे देख रहे थे...!
उसने चारों ओर देखा और फिर वापस खाना खाने लगा...!"
दादी — "आर्यन..."
आर्यन — उठते हुए — "मॉम मेरा डिनर हो गया और मुझे अभी बहुत नींद आ रही है।"
इतना बोल आर्यन वहाँ से चला गया...!
"उसके जाते ही दादी ने नैना जी को देखा और कहा —
'समझाओ नैना, इसे... मनाओ इसे शादी के लिए... ओके ना?'
इतना बोल दादी वहाँ से चली गईं...!"
नैना जी — "हे भगवान, ये दादी-पोते के बीच में क्यों पीस कर रह जाती हूं...! दोनों को बस मैं ही दिखाई देती हूं क्या...
आर्यन बोलता है 'मॉम दादी को समझा दो', और मां बोलती हैं 'नैना, आर्यन को समझा दो'...!
और कोई मुझे तो समझाओ कि मुझे समझना क्या है?
एक को शादी नहीं करनी और दूसरे को शादी करवानी है... हे भगवान, कुछ तो करो, मुझे मत फंसाओ दादी-पोते के बीच...!"
साहिल — "क्यों मॉम, आपको बहू नहीं चाहिए इसका मतलब...?"
नैना जी — डाइनिंग टेबल पर अपना हाथ रखकर, अपने सर पर रखते हुए —
"चाहिए साहिल, लेकिन ऐसे नहीं कि मुझे पीसा जाए दोनों के बीच... जो बात करनी है, आमने-सामने करें ना!
मुझे क्यों बोलते हैं दोनों...!"
राम जी — "क्यों टेंशन ले रही हो नैना जी.... हम मां से बात करते हैं..."
यशोदा — "भगवान भला करे, आर्यन भी ना... उम्र निकलती जा रही है लेकिन शादी की बात न करो इसके सामने...!
भाभी, आप क्यों नहीं समझाती...!"
राज — "सही बोल रही हो तुम यशोदा...!"
यशोदा — "भगवान भला करे, मैं तो हमेशा सही ही बोलती हूं जी...!!"
नैना जी — "हां, मैं आती हूं..."
इतना बोल नैना जी वहां से आर्यन के रूम में आईं, तो देखा कि आर्यन सो चुका था।
नैना जी ने आर्यन को देखा और उसके सर पर हाथ रखकर धीरे से कहा —
"दादी-पोते के बीच में मैं सच में पिस रही हूं, पर बहू की आस मुझे भी है, जो मेरे बेटे और इस घर को अच्छे से संभाल ले..."
इतना बोल नैना जी ने आर्यन को ब्लैंकेट उड़ाया और वहां से रूम से चली गईं।
उनके जाते ही आर्यन ने अपनी आंखें खोली और कुछ सोचकर वापस बंद कीं और सो गया...!"
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"तो वहीं ऐसे ही एक-दो दिन निकल गए थे। संडे होने की वजह से कोर्ट भी ऑफ था...
और इसी बीच आर्यन और मिश्री एक बार भी इन दो दिनों में नहीं मिले थे...!"
"तो वहीं आज मंडे होने की वजह से मिश्री अपने बाबा से मिलने के लिए पुलिस स्टेशन में गई हुई थी...!"
मिश्री — "बाबा... आपको पता है, निशा ने गवाही देने के लिए 'हां' बोल दिया है...!"
स्वामी जी — "पता नहीं, निशा ऐसा क्यों कर रही है मिश्री, उसी ने तो उस आदमी को वहां लाया था...!"
मिश्री — "बहुत तेज है बाबा वो... सीधे-सीधे जवाब भी नहीं देगी...!"
स्वामी जी — "हम्म... पता नहीं उसे हमसे क्या दुश्मनी है...!"
मिश्री — "जो भी होगी, हम उससे पूछ कर रहेंगे...!"
स्वामी जी — "अच्छा अब तुम जाओ।"
मिश्री — "हम आपको जल्दी निकाल लेंगे यहां से बाबा...!"
स्वामी जी ने मिश्री के सर पर हाथ रखा और धीरे से कहा —
"खुश रहो बेटा, अभी तुम जाओ।"
मिश्री — "हम आपको जल्दी निकाल लेंगे यहां से बाबा...!"
स्वामी जी ने मिश्री के सर पर हाथ रखा और धीरे से कहा —
"खुश रहो बेटा, अभी तुम जाओ।"
मिश्री वहां से बाहर आ गई थी, उसने टाइम देखा तो शाम होने वाली थी।
वो पैदल कुछ कदम ही चली थी कि उसके फोन की रिंग बजने लगी।
मिश्री ने फोन निकाला और देखा —
स्क्रीन पर लिखा था: "कड़वा करेला"
मिश्री ने फोन को घूरा और तुरंत उठा लिया...!
मिश्री — "बोलो...!"
आर्यन — "सुनो...!"
मिश्री — "बोलो..."
आर्यन — अपने डेस्क पर से फाइल उठाकर देखते हुए — "सुनो..."
मिश्री — गुस्से में दांत पीसते हुए — "हां हां, सुना दो, क्या सुनाना बाकी है...!"
आर्यन — अपने सर पर हाथ मारकर — "तुम्हारे बाबा की फाइल मुझे दो...!"
मिश्री — एक हाथ कमर पर रखकर — "क्यों...? और आपको क्यों दू मैं...!"
आर्यन — "मिश्री... तुम्हारे बाबा का केस कौन लड़ेगा...?"
मिश्री — अपने सर पर हाथ मारकर — "सॉरी सॉरी, मैं देती हूं, कहां देनी है...?"
आर्यन — "ऑफिस ही दे देना..."
इतना बोल आर्यन ने जैसे ही फोन काटना चाहा उससे पहले ही उसने एक बार फिर मिश्री को आवाज दी —
आर्यन — "तुम सुन रही हो ना स्टूपिड गर्ल...!"
मिश्री — "सुन रही हूं ना... स्टूपिड बॉय और कड़वे करेले!"
आर्यन — "ओह... फीस के साथ आना!"
इतना बोल आर्यन ने फोन कट कर दिया...!
मिश्री ने फोन को देखा और अपने सर पर हाथ से मारते हुए कहा —
"हाए मम्मी... पैसे तो हुए ही नहीं मेरे पास...!"
---
"तो वहीं आर्यन कब से मिश्री का इंतजार कर रहा था।
उसने जैसे ही अपना फोन उठाया, उससे पहले ही उसे मिश्री दिखाई दी जो दरवाजे पर हांफते हुए खड़ी थी...!"
मिश्री ने आर्यन को देखा और अंदर आकर चेयर पर बैठ गई...!"
आर्यन — "हम्म... तो फाइल दो...!"
मिश्री — फाइल निकालकर देते हुए — "ये फाइल है, इसके सारे डॉक्युमेंट्स हैं..."
आर्यन — "फीस...?"
मिश्री — "वो तो अभी मेरे पास नहीं है आर्यन..."
आर्यन — फाइल लेते हुए — "पैसे?"
मिश्री — "अभी तक... नहीं हुए..."
आर्यन — "हम्म... इतने पैसे कहां से लाओगी...? इससे अच्छा, मेरे पास तुम्हारे लिए एक रास्ता है..."
मिश्री के कान के पास जाकर —
"मुझसे एक साल की कॉन्ट्रैक्ट मैरिज कर लो..."
मिश्री ने जैसे ही "कॉन्ट्रैक्ट मैरिज" सुनी तो आंखें उठाकर आर्यन को देखा —
"क्या बोला... कॉन्ट्रैक्ट मैरिज और आपसे?
आप पागल हैं...? क्यों करूं मैं आपसे शादी...?
आपका दिमाग आपके साथ है या पैसे के चक्कर में उसका भी जहाज बनाकर उड़ा दिया...?
कितने चीप इंसान हैं आप...!"
आर्यन — "तो फिर पैसे दो मेरी फीस के... कैसे बचाओगी अपने बाबा को और उनके आश्रम को...!"
मिश्री — "आर्यन...!"
आर्यन — "सोच लेना आराम से, केस बाद में देखूंगा..."
इतना बोल आर्यन ने फाइल वापस मिश्री के हाथ में थमा दी...!
मिश्री — "आर्यन मेरी बात...!"
आर्यन — "बाहर का रास्ता उस ओर है... जब पैसे बन जाएं, तब आ जाना..."
इतना बोल आर्यन ने जैसे ही किसी को फोन लगाकर बात करना चाहा कि...
मिश्री — ने आर्यन का फोन उसके कान से हटाया और कहा —
"मैं रेडी हूं... पर प्लीज़, बाबा का केस मत छोड़ो...
तुम्हारे अलावा उसे कोई नहीं लड़ सकता आर्यन... प्लीज़!
मैं कॉन्ट्रैक्ट के लिए रेडी हूं..."
आर्यन — "गुड..."
इतना बोल आर्यन ने मिश्री की ओर देखा, जिसकी आंखों में आंसू थे।
आर्यन ने मिश्री के कंधे पर हाथ रखा और कहा —
"केस मैं देख लूंगा... और हम शादी कल ही करेंगे।
बाकी तुम अभी घर जाओ..."
मिश्री ने आर्यन को देखा और फाइल टेबल पर रखकर वहां से चली गई...!
"आर्यन अभी भी कुछ सोच रहा था..!" उसके दिमाग में क्या चल रहा था ये तो उसे भी मालूम नही...!" उसने अपना फोन देखा और किसी को कॉल लगा दिया, तो वही मिश्री भी घर जाने को निकल गई थी, उसने अपनी स्कूटी को एक जगह रोकी और सामने गार्डन में लगी चेयर पर बैठ गई..!"
मिश्री— हाए ये क्या हो रहा है मेरे साथ.... इस करेले को शादी करनी है, मुझे नही बंधना इन सब में... अगर नही की तो, ये बाबा का केस नही लेगा...!" और अगर कर लेती हूं तो मेरी ज़िंदगी...!" इतना बोल मिश्री ने अपनी आंखो के आंसू साफ किए और उठ कर अपनी स्कूटी के पास आई और उसे लेकर आश्रम में चली गई...!"
" तो वही आर्यन आज जल्दी घर आ गया था..." उसने सब को देखा सब लोग हॉल के बैठे हुए थे, आर्यन ने सब को देखा और कहा..." क्या कर रहे हो आप सब..!"
दादी— तुम्हारे लिए लड़की देख रहे है...!"
आर्यन— अच्छा... वैसे दुल्हन को क्या देते है...!"
नैना जी— मतलब.... तुम शादी करना चाहते हो...!"
आर्यन— मॉम ये बताओ ना शादी के लिए लड़की को क्या देते है जरूरी सामान,..!"
नैना जी— आर्यन के ये बोलते ही, नैना जी ने उसे देखा और कहा.... शादी के लिए...!"
दादी— तुम शादी के लिए रेडी हो गए, कोन है वो लड़की बताओ ना आर्यन...!"
आर्यन— मेरी नही दादी मेरे दोस्त की है ,
दादी— यही उम्मीद थी मुझे, बिना मुझे मेरे पोते पोतियों की शक्ल दिखाए मारेगा...!"
आर्यन— कही नही जा रही आप... आराम से बैठो और अब बताओ ना क्या जरूरी होता है..!"
नैना जी— एक लड़की के लिए उसकी शादी उसका सपना होता है और जीवनसाथी से भी उसकी काफी उम्मीद होती है..!" लड़की को अपनी शादी में सभी रस्मो के साथ उसकी शादी और सबसे जरूरी उसका जोड़ा...!" दुल्हन का जोड़ा जो उसके ससुराल से आएगा...!"
आर्यन— अच्छा.... ओके इतना बोल आर्यन जाने लगा तो दादी की आवाज वापस उसके कानो में पड़ी...!"
" और ये हक हम अपनी बहु को कब देंगे, बता ना आर्यन... इतना बोल दादी जो की आर्यन की और देख रही थी, आर्यन अभी भी उनकी और पीठ करके खड़ा हुआ था...!" आर्यन ने बिना किसी की और देख कहा...." थोड़ा और इंतजार कर लीजिए दादी .... इतना बोल आर्यन अपने रूम में आ गया...!"
नैना जी— थोड़ा इंतजार मतलब मां ये शादी के लिए हा बोल देगा क्या...!"
दादी— हमे क्या पता नैना, हमे तो कुछ मालूम ही नही मेरी तो उम्र ही गुजर जानी है, इसकी शादी देखने के लिए...!"
नैना जी— थोड़ा इंतजार मतलब मां ये शादी के लिए हा बोल देगा क्या...!"
दादी— हमे क्या पता नैना, हमे तो कुछ मालूम ही नही मेरी तो उम्र ही गुजर जानी है, इसकी शादी देखने के लिए...!"
नैना जी— पता नही ये कब होगा मां मेरी तो उम्र की सब सहेलियों के बेटो की शादी होकर भी बच्चे हो गए और एक में हूं.... जिसे पोता पोती तो दूर.... बहू तक नसीब न हुई...!"
साहिल— हे भगवान आप लोगो का दुख, में शादी कर लेता हूं, भाई को सिंगल रहने दो आप दोनों...!"
भुआ जी — हे भगवान इस लड़के की अकल पर पत्थर पद गए क्या, बड़े भाई की शादी हुई नही और ये नालायक शादी करेगा...!"
साहिल— हाए बुआ.... अब आप के आर्यन को शादी तो करनी ना है, तो सोचा में ही कर लूं...!" इतना बोल साहिल वापस हसने लगा..."
यशोदा जी— हाए भगवान.... आजकल के बच्चे भी ना.... इन्हे शादी की कितनी जल्दी होती है..!" इतना बोल यशोदा जी उठी और जाने लगी की तभी उनके कान में साहिल की आवाज आई..!"
" तो फिर भाई की शादी करवाने की क्या जल्दी है आप सब को उन्हे तो आप बुरा बोलते हो जब वो शादी के लिए मना करते है तो..!" फिर मेरा शादी के लिए हा बोलना आप को क्या बुरा लगा... आप सब तो दो बच्चो में फर्क करते हो.....!"इतना बोल साहिल ने मासूम सा फेस बनाया और सब को देखने लगा...!"
" सारे नौटंकी और तमाशे इसी घर में भर दिए, एक बेटा शादी नही कर्म चाहता और दूसरा के लिए मारा जा रहा है...!" भगवान अब तू ही जाने, मेरे नसीब में बहु का प्यार है या नही इतना बोल नैना जी उठ कर वाह से चली गई...!"
साहिल— क्या करे दादी, अपन भी चलते है इतना बोल साहिल ने टेबल से बाइक की चाभी ली और उसे घुमाते हुए बाहर निकलने को हुआ की अचानक रुक कर उसने वापस पीछे देखा और कहा..." में दोस्तो के पास जा रहा हूं अपने,जल्दी आ जाऊंगा...!" इतना बोल साहिल चला गया...!"
" दादी ने गर्दन ना में हिलाई और उठ कर रूम में।चली गई, तो वही आर्यन ने अब तक, अपने असिस्टेंट को फोन करके दुकान से एक जोड़े की बोल दी थी, असिस्टेंट ने आर्यन से खुद जाकर लाने को भी कहा तो आर्यन ने मना कर दिया..!" आर्यन ने फोन कट किया और अपने वकील को कॉल करके उससे बात करने लगा..!"
आर्यन— कांट्रेक्ट पेपर ध्यान से बनवाना...!" मेंने जो जो बताया है सब उसके लिखवाना. एंड हा में पेपर खुद आकर ले लूंगा तुम गलती से भी घर मत दे देना.....!" इतना बोल आर्यन ने फोन कट हो किया था की तभी उसकी नजर दरवाजे पर गई जहा नैना जी खड़ी हुई थी..!"
".....आर्यन ने नैना जी को देखा और फोन को नीचे करके मन में कहा..." कही मॉम ने.. ओह गॉड आर्यन, इतना बोल आर्यन मुस्कुराते हुए नैना जी की और आया तो नैन जी ने उसे वही रोकते हुए,खुद अंदर आते हुए कहा..." कौनसे पेपर की बात कर रहे थे, कौनसे कांट्रेक्ट पेपर की बोल रहे थे, और यहां नही चाइए ... क्या है आर्यन...!"
".....आर्यन ने जेसे ही नैना जी की बात सुनी तो उसने मुस्कुराते हुए कहा..." ऑफिस का काम था, में हैंडल कर लूंगा किसी केस की वजह से कांट्रेक्ट पेपर बनवाए है डोंट वरी मॉम ये वकालत आप के समझ से बाहर है..!"
नैना जी— हा भई सारी समझ भगवान ने तुम्हे ही दे दी तभी तो इतना बोलने लगे हो, भई कोर्ट में बोलते हो अच्छी बात है, लेकिन घर में भी तुम तो ऐसे वकील बनकर घूमते हो, जेसे घर जा होकर तुम्हारा कोर्ट हो गया हो, और मां ना होकर जज हो गई हो...!"
आर्यन— अच्छा आप बैठे जज साहब और जो सजा सुननी है वो सुना दीजिए आप...!"
नैना जी— ठीक है, तो नैना जी की बात को मध्य नजर रखते हुए, में आर्यन राठौड़ को शादी करने की सजा सुनाता हूं, इतना बोल नैना जी आर्यन की और देखने लगी..!"
आर्यन— सजा..... शादी... हाए जज साहब ऐसा न कीजिए इससे अच्छा आप मुझे सजा — ए — मौत सुना दीजिए..!" इतना बोल आर्यन हसने लगा तो उसे देख नैन जी ने हस्ते हुए वापस कहा...!"
" नही नही.... नैना की आदलत में मौत की सजा नही दी जाती,क्योंकि यह उसकी डिक्शनरी में नहीं आता, इतना बोल नैना जी ने आर्यन को देखा और जोर जोर से हंसने लगी,
आर्यन— आप मेरी टांग खींच रही है, मॉम आपको लगता है मेरी शादी की उम्र हो चुकी है, आप सब को शादी में दिखता क्या है, कितना बोरिंग वर्ड है शादी...!"
नैना जी— ज्यादा बड़े वकील हो गए, तुम हर तरह के केस हैंडल करते हो..!"
आर्यन— तभी को बोल रहा हूं मॉम, मेने देखा है, लोगो को, कोई शादी करके खुश है तो कोई दुखी, किसी की पत्नी पति से परेशान है, तो किसी का पति..!" में हर रोज एक नए केस को देखा हूं अलग अलग लोगो से मिलता हूं...!"
नैना जी— तुम्हारे लिए हम गुस्से वाली और इस घर को संभालने वाली बहु लायेंगे, गुस्से वाली इसलिए अगर तुम्हे गुस्सा आया तो उसे भी आएगा तो तुम दोनो बहस कर सकते हो वरना बेचारी तुम्हारे गुस्से का शिकार हो जायेगी, ऐसी लाऊंगी जो तुम्हारी हर बात का पलटवार जवाब दे...!"
" हा जेसे वो मिश्री देती है, हमेशा कुछ भी बोलो उसका उल्टा ही और करारा जवाब देती है...!"
उस लड़की जितना बोलती है ना उतना तो दुनिया की सारी लड़कियां भी नही बोलती होगी....!"
आर्यन मिश्री की और उसकी हर मुलाकात को याद करके ये सब नैना जी को बता रहा था, तो नैना जी आर्यन की बाते सुनकर मुस्कुरा रही थी,
आर्यन— वैसे मॉम दुनिया में उसकी जैसी लड़की कहीं नहीं मिलेगी जिसकी बकबक पूरे दिन चलती है, उसका मुंह बिल्कुल नहीं दुखता...! उसकी जैसी लड़की आपको दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी...!
नैना जी— कुछ तो बात है...!
"आर्यन ने जैसे ही नैना जी की बात सुनी तो उसने तुरंत नैना जी की ओर देखा और कहा...." क्या कहा आपने...." मॉम उस लड़की में कोई बात नहीं है, ...!" आर्यन ने अपने हाथ जेब में डालते हुए नैना जी के सामने खड़े होकर कहा...!!"
नैना जी— कुछ तो बात है...!
"आर्यन ने जैसे ही नैना जी की बात सुनी तो उसने तुरंत नैना जी की ओर देखा और कहा...." क्या कहा आपने...." मॉम उस लड़की में कोई बात नहीं है, ...!" आर्यन ने अपने हाथ जेब में डालते हुए नैना जी के सामने खड़े होकर कहा...!!"
नैना जी— "कुछ तो बात है उस मिश्री में तभी तो हमारे," आर्यन के आगे आकर उसके कोर्ट के बटन ठीक करते हुए, "लॉयर साहब उसकी इतनी तारीफ़ कर रहे हैं, वरना तो उन्होंने आज तक किसी की भी तारीफ नहीं की, यहाँ तक कि अपनी मॉम की भी नहीं...!" इतना बोल नैना जी ने आर्यन के गाल को प्यार से छुआ...!"
आर्यन— आप को गलतफहमी हो रही है मॉम, उस लड़की की मैंने तारीफ़ नहीं की, मैंने तो उसके बारे में आप को बताया, मैं दुनिया की किसी भी लड़की की तारीफ़ कर सकता हूँ लेकिन उस चटर-पटर करने वाली लड़की की नहीं.... अगर वो दुनिया में इकलौती भी बची न तो भी मैं, उसकी तारीफ़ नहीं करूंगा...! आर्यन राठौड़ किसी की तारीफ़ नहीं करता...!"
इतना बोल आर्यन ने वापस अपनी मॉम की आँखों में देखा और उनके गाल पर हाथ रख दिया...!"
नैना जी— शर्त लगाओ, तुम एक दिन ज़रूर उस लड़की की तारीफ़ करोगे, और उसकी तारीफ़ करते हुए थकोगे भी नहीं...!
आर्यन— हाए मॉम आपके सपने, जाएं और जाकर डिनर की तैयारी कीजिए मुझे भूख लगने लगी है...!" इतना बोल आर्यन ने नैना जी को देखा और रूम की बालकनी में चला गया...!"
नैना जी— तुम्हें किसी लड़की की तारीफ की है फिर तो जरूर मिश्री में कोई तो बात है, खैर बस तुम भी शादी के लिए मान जाओ...!" इतना मन में सोच नैना जी रूम से बाहर चली गई...!"
"तो वहीं मिश्री आश्रम आई तो उसकी नजर अंदर दरवाज़े पर खड़ी अपनी एक दोस्त पर गई तो मिश्री ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए कहा..."
मिश्री— तुम यहाँ आशी, अचानक क्या हुआ..!"
आशी— ये क्या बात हुईं, अब क्या मैं तुमसे मिलने भी नहीं आ सकती क्या...?" आशी ने अपनी कमर पर हाथ रखते हुए कहा...!
मिश्री— आ सकती हो, लेकिन तुम अंदर चलो हम तुम्हें ही फोन करने वाले थे, " इतना बोल मिश्री ने आशी का हाथ पकड़ा और अपने रूम में ले आई..!"
... मिश्री— "अंदर तो चल यार सब बताते हैं...!" इतना बोल मिश्री आशी को अपने रूम के लाई और अंदर आकर रूम का गेट लॉक कर दिया...!
आशी— "तू बता ना क्या हुआ है..! तुम इतनी टेंशन में क्यों लग रही हो मिश्री, तुम तो बाबा के लिए वकील करने गई थी ना, वो हुआ या नहीं...!"
मिश्री— "हम गए तो थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया, फिर हम आर्यन के पास भी गए थे, दो दिन पहले तो उसने हां बोल दिया लेकिन बदले में उसने तीस लाख रुपए मांग लिए...!"
आशी— "तीस लाख रुपए...? इतने पैसे कहां से देंगे..! फिर तुमने क्या बोला..?"
मिश्री— "मिश्री क्या बोलती, जोश जोश में मैंने भी उस दिन तो हां बोल दिया! लेकिन आज मेरे पास पैसे नहीं थे, मैं गई थी उसे फाइल देने, तो उसने मेरे सामने शादी का ऑप्शन रख दिया..! अब बता क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा...!"
आशी— "शादी...? ये क्या मतलब हुआ, तुम्हारी लाइफ तो बिल्कुल टीवी सीरियल जैसी हो रही है, वो तुमसे कॉन्ट्रैक्ट मैरिज करना चाहता है..! जैसे कहानियों में होता है वैसे बिल्कुल तेरे साथ हो रहा है..!"
मिश्री— "तू पागल है आशी, ऐसा कुछ नहीं होता रियल लाइफ में, ये सब कहानियों में ही अच्छा लगता है,...! बता ना अब क्या करूं...!"
आशी— खड़े होते हुए..."बट वो तुमसे शादी करना क्यों चाहता है, और क्या वो शादी करके बाबा का केस ले लेगा..!"
मिश्री— "हां.... उसने हां बोला है..!"
आशी— "अब क्या करे...! तूने क्या सोचा और तूने क्या जवाब दिया..!"
मिश्री— "मैंने हां बोल दी, यार बाबा का केस जरूरी है, कोई भी वकील नहीं मान रहा, ऊपर से आर्यन बहुत बड़े लॉयर हैं यार...!"
आशी— "जब तूने हां बोल ही दिया तो क्या पूछ रही है फिर...? तूने एक बार भी सोचा तेरा क्या होगा, तू खुश रहेगी उसके साथ..? तुम अपनाओगी उसे, तुम प्यार कर पाओगी उससे, बताओ मिश्री...?"
मिश्री— "बाबा ने मुझे इस अनाथ आश्रम में जगह दी है, बेटी माना है उन्होंने मुझे... क्या मेरा इतना भी हक़ नहीं बनता कि मैं अपने बाबा को निर्दोष साबित करूं? ये काम तो करके रहूंगी और रही बात शादी की तो ऐसी हजारों ज़िंदगियाँ बाबा के ऊपर कुर्बान, मैं खुश रह लूंगी...!"
आशी— "काश तू वहां खुश रहे..! कब का बोला है उसने..!"
मिश्री— "कल सुबह दस बजे, कोर्ट में जाना है..!"
आशी— "ओके मैं आ जाऊंगी...! तुम टेंशन मत लो, चलो आओ और खाना खा लो...!"
मिश्री— "मेरा बिल्कुल मन नहीं है, तुम खा लो और घर जाओ, रात होने वाली है..!"
आशी— "कैसी लड़की है एक बार भी ये नहीं बोला कि यही रुक जाओ....!"
मिश्री— "अच्छा बाबा, यही रुक जा..!"
आशी— अपनी कमर पर हाथ रख कर..."नहीं अब तो मैं जा रही हूं।" इतना बोल आशी वहां से निकल गई और दरवाजे पर आकर बोली, "के जा रही हूं, सुबह आ जाऊंगी...!" इतना बोल आशी वहां से चली गई थी, मिश्री भी उसके जाते ही सीधे चेंज करने चली गई थी...!
तो वहीं आर्यन भी डिनर करके रूम में बैठा मिश्री के बारे में सोच रहा था, उसे सुबह हुई मिश्री से बात याद आ गई, तभी आर्यन को अचानक ही मिश्री की आंखों के आए आंसू याद आ गए तो उसके फेस पर एक अजीब भाव आ गए। आर्यन ने बेड से टेक लगाया और आंखों को बंद करके कहा..."सॉरी मिश्री... मेरे पास कोई रास्ता ही नहीं था!" इतना बोल आर्यन वैसे ही लेट गया..!
तो वहीं मिश्री बिना डिनर किए बेड पर लेट गई लेकिन उसकी आंखों में नींद ही नहीं आ रही थी, उसने कस के आंखें बंद की और तकिए को सर पर रख लिया...!
अगली सुबह....
" मिश्री आज जल्दी उठ गई थी, क्योंकि उसे पूरी रात नींद ही नही आई थी...!" उसने टाइम देखा तो सुबह के सात बज चुके थे, मिश्री भी नहा कर के बाहर आई और गार्डन में आकर चेयर पर बैठ गई.....
अगली सुबह....
" मिश्री आज जल्दी उठ गई थी, क्योंकि उसे पूरी रात नींद ही नही आई थी...!" उसने टाइम देखा तो सुबह के सात बज चुके थे, मिश्री भी नहा कर के बाहर आई और गार्डन में आकर चेयर पर बैठ गई..... उसने चारो और देखा और .... अपने सर पर हाथ रख कर बैठ कर कुछ सोचने लगी...!" क्या करु कुछ समझ नही आ रहा... हा बोलूं या ना.... मिश्री इन सब सोच में ही गुम थी की तभी उसका फोन बजने लगा, मिश्री ने अपने साइड में रखे अपने फोन की आवाज सुनी तो उसके साइड में देखा, जिस पर कड़वा करेला" लिखा हुआ था..!" मिश्री ने फोन को देखा और उठा कर कान के लगा लिया..!"
" दस बजे रेडी रहना, मिश्री के फोन उठाते ही उस और से आर्यन ने कहा...!"
" मिश्री ने बस हा बोला और चुप हो गई...!" उसने अपने फोन पर हाथ कसे हुए थे, तभी आर्यन ने कहा, मेरा असिस्टेंट तुम्हे कुछ सामान देगा रेडी हो जाना..!"
मिश्री— ओके,.... इतना बोल मिश्री ने बीना बोले चुप चाप फोन कट कर दिया...!"
"तो वही आर्यन को काफी अजीब लगा, लेकिन उसने अपनी गर्दन झटकी और फोन को बेड पर रख कर नीचे चला गया...!" और मन में सोचने लगा.... इसे क्या हुआ आज ऐसे अजीब तरह से क्यों बिहेव कर रही थी, वरना तो पूरा दिन बोलती रहती है...!" आर्यन नीचे आया और चारों तरफ नजर दौड़ा कर डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया...!"
"नैना जी ने आर्यन को देखा तो उसके पास आकर कहा इतनी जल्दी कैसे उठ गए, तुम कहीं जा रहे हो क्या आर्यन....!" नैना जी आर्यन के पास बैठते हुए कहा...!"
आर्यन— "यस जरुरी काम है, मुझे में जल्दी आ जाऊंगा एंड हा आप के लिए एक सरप्राइज है...!"
"कितने ही सरप्राईज दे दो, लेकिन जिस दिन तुमने शादी कर ली ना वही दिन मेरे लिए सबसे ज्यादा सरप्राइज़ वाला दिन होगा...." ये आवाज सुन आर्यन और नैना जी ने पीछे देखा तो दादी खड़ी हुई दोनों को देख रही थी...!"
"वह भी कर लूंगा में, दादी डोंट वरी अच्छा वाला सरप्राइज आप लोगों के लिए जिसे देखकर आप सब बहुत खुश हो जाओगे...!" आर्यन ने इतना कहा और टेबल से एक प्लेट में नाश्ता लेकर खाने लगा...!"
"ये देखो, बस खाए जा रहा है, ये भी नही की दादी ने कुछ बोला है, इधर से सुनता है और इस कान से निकाल देता है, जैसे इसे हम कोई अच्छी बात न बोलकर इसे बुरी बात बोल रहे है ना...!" दादी ने इतना कहा और नैना जी और आर्यन को देखकर कहा...!"
आर्यन ने मुंह साफ किया और खड़े होकर कहा...." हाए मेरी प्यारी दादी अब में आप को नाश्ता करता हुआ भी प्यारा नही लगता हूं ना, मुझे तो लगता है अब जब तक आप मेरी शादी नही करवा देती आप मुझे चैन से नाश्ता या डिनर नही करने देंगी..." उंगली दिखा कर " है ना...!"
दादी— "मैने कब बोला तुम शादी करो," नैना जी की और देख कर "तुम बताओ नैना मेने सुबह से अब तक एक बार भी इससे शादी के लिए नही बोला ना..!"
"नैना जी कुछ बोलती उसे पहले ही आर्यन ने दादी की और देख कर कहा...." सुबह से अब तक नही बोला हो तो क्या हुआ, दादी रोज आप यही पुराण करती है, खैर अभी के जा रहा हूं," इतना बोल आर्यन हॉल में आया और टेबल से कार की चाभी लेकर चला गया...!"
"तो वही मिश्री जो की अपनी फ्रेंड के घर आई हुई थी, उसने अपने फोन पर रिंग होते देखा तो उसने फोन उठा कर देखा तो स्क्रीन पर आर्यन का फोन था...!" मिश्री ने फोन उठाया और कान के लगाया ही था की, उस और से...!" आर्यन की आवाज आई...!"
"अनाथ आश्रम के बाहर आओ...." में बाहर वेट कर रहा हूं....!" आर्यन ने कार की स्टेरिंग पर हाथ रख खिड़की से बाहर आश्रम की और देखते हुए कहा...!"
"बट में तो वाह हूं ही नही...." मिश्री ने आईने में खुद को देखते हुए इतना ही कहा था की आर्यन को मिश्री की बात सुनकर काफी गुस्सा आया उसने अपने हाथ को स्टेरिंग पर जोर से मारा और कहा..." तुम बच नही सकती अब... तुम भाग गई.... देखो मिश्री...!"
"मिश्री ने आर्यन की बात सुनी तो उसे भी गुस्सा आ गया उसने गुस्से के चेयर से उठते हुए कहा...." कम अकल के लॉयर, समझ आता नही लॉयर किसने दिया तुम्हे , अपने दिमाग को इतना एक्स्ट्रा मत दोडाओ...." मेने बोला की में भाग गई हूं? नहीं न"...!"
"आर्यन ने जैसे ही मिश्री की बात सुनी तो उसने अपना गुस्सा थोड़ा शांत करते हुए कहा...." फिलहाल कहा हो ये बताओ...!"
"मालूम नही इतना बोल मिश्री ने गुस्से से फोन कट कर दिया...!" और वही चेयर पर बैठ कर खुद को देखकर कुछ सोचे लगी...." मेने फोन तो काट दिया, अब कही वो बाबा का केस ना लेने से मना कर दे...!" मिश्री अपनी सोच से बाहर आई और अपना फोन उठा कर जैसे ही देखा आर्यन का फोन आने लगा...!" मिश्री ने कान के फोन लगाया ही था की उस और से आर्यन की गुस्से से भरी हुई आवाज आई....!"
"चाहती नही हो क्या में तुम्हारे बाबा...!" आर्यन ने अभी इतना ही बोला था की मिश्री ने गुस्से में उसे चिल्लाते हुए कहा..." मुझे ये लाइन बार बार याद दिलाने की जरूरत नही है समझे ना आर्यन राठौड़, मुझे अच्छे से याद है और हा, अगर मेरी मज़बूरी नही होती ना तो मुझे तुम्हारी ये सड़ियल सी लाइन सुननी नही पड़ती..." और रही बात मेरे कहा होने की तो, में खुद तुम्हारा इंतजार कर रही हूं मेने तुम्हारे उस असिस्टेंट को बताया था...!" अगर उसने तुम्हे नही बताया तो मेरी गलती नही है समझे ना, आगे से मुझे कुछ बोलने से पहले दस बार नही हजार बार सोच कर फिर बोलना...!" और उससे एड्रेस पूछ कर यहां आ जाओ, में नही आ रही...!" इतना बोल मिश्री ने फोन कट कर दिया, और अपने सीने से लगा लिया....!"
"तो वही आर्यन अभी भी अपने फोन को घूर रहा था, उसने खुद से ही फोन को पास की सीट पर पटकते हुए कहा..." में ना इसके बारे में गलत सोच रहा था,