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ए दिल संम्भल जा ज़रा

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इस स्टोरी मे मेन तीन लीड रोल हैं 😊 सिक्स मेन किरदार यानि थ्री जोड़िया मेन किरदारों मे हैं, ज़ैद और अलविरा, जिब्रान और पारसा, गौरव और सिद्धि पर...  इन तीन मेन किरदारों वाली जोड़ियों के साथ ही इंटेन्टेनमेंट का अलग ही तड़का मिलेगा रीडर्स को इन किरदारों क...

Characters

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ज़ैद

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जिब्रान अली

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गौरव

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Total Chapters (14)

Page 1 of 1

  • 1. ए दिल संम्भल जा ज़रा - 1

    Words: 2030

    Estimated Reading Time: 13 min

    जल्दी-जल्दी से किचन में आकर तन्वी में सबसे पहले चाय बनाया और फिर दो कप चाय लेकर वह घर में बनी सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर वाले कमरे में आई थी जहां नेहा से मिलने उसका दोस्त सौरभ आया था।


    तन्वी एक गांव की लड़की थी जो अभी कुछ दिन पहले ही शहर आई थी अपने लिए काम ढूंढने और उसे किस्मत से नेहा के डैड ने अपने घर में मेड का काम भी दे दिया था तन्वी ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी पर रंग रूप की धनी थी उसकी गोरी गुलाबी रंगत खूबसूरत चेहरा छोटे-छोटे शोल्डर तक आते बाल हल्का फुल्का, सजीला गठीला बदन, एक अच्छा फिगर था।
    तन्वी दिखने में खास नहीं बल्कि बिल्कुल किसी ऐंजल जैसी थी पर उसका रहन-सहन और पहनावा कुछ ढंग का नही था गांव की बहन जी जैसे आँखों पर चश्मा, ढीले ढाले सलवार सूट में बेरंग कपड़े पर उनमें भी उसका रंग रूप खिलता था जिसे एक बार देखने के बाद दोबारा नजर उठाकर देखने पर मजबूर हो ही जाता।

    भले ही हाथ में पैसा नही था लेकिन फिर भी वह खुश थी कि उसके मां-बाप ने उसके साथ थे जिन्हें गांव में छोड़कर वह यहाँ काम करने आई थी जो अक्सर बीमार रहते थे और अब उनकी जिम्मेदारी तन्वी पर थी और तन्वी दिन रात कोशिश और जी तोड़ मेहनत करती पैसे कमाने केलिए ताकि अपने माँ बाप केलिए वह कुछ कर पाए?


    वह जल्दी-जल्दी से चाय लिए कमरे के दरवाजे को नॉक करने वाली थी कि जैसे ही उसने दरवाजे पर हाथ रखा दरवाजा जो शायद अंदर से लॉक नहीं था अपने आप ही खुल गया और अंदर का जो नजारा था तन्वी ने जल्दी से आंखें बंद कर ली और झट से दूसरी तरफ पलट गई क्योंकि,
    सामने ही उसके मालक की बेटी नेहा और उसका दोस्त जिसको नेहा ने अपने घर में दोस्त के नाम से ही इंट्रोड्यूस करवाया था लेकिन वह सिर्फ एक दोस्त नहीं बल्कि नेहा का बॉयफ्रेंड था दोनों इस वक्त एक दूसरे की बाहों में बिना कपड़ों के बिस्तर पर पड़े हुए एकदूसरे को एन्जॉय कर रहे थे और पूरे कमरे में नेहा की गर्म सुलगती आहें गूंज रही थी।

    यह देखते ही तन्वी के चेहरे पर पसीना आ गया था वह जल्दी से अपने दुपट्टे के आंचल से पसीना पहुंचने लगी थी जब एक गुस्से भरी आवाज से नेहा ने उसे डांट दिया।
    "तन्वी गांव की गवार कहीं की तुझे तमीज नहीं है क्या किसी के रूम में जाने से पहले नॉक करते हैं?

    नेहा जल्दी से खुद को चादर से कवर करते हुए उठकर बैठ गई थी लेकिन उसका बॉयफ्रेंड सौरभ अभी भी नेहा के ऊपर ही था और वह जैसे अब बीच में रुकना नही चाहता था जब नेहा का सुरूर उस पर हावी था उसने वापस नेहा को उठाकर अपने ऊपर लिटा लिया।


    "चल जा अब यहां से मनहूस!… नेहा सौरभ के सीने पर अपने होंठ रब करते हुए बोली थी।


    "वैसे यह कौन है बेबी?…  सौरभ ने नेहा के निचले होठ को अपने दांतों से काटते हुए मदहोश आवाज में पूछा था और उसकी बाइट से नेहा सिहर गई थी और वह कस कर सौरभ की शर्टलेस सीन से लिपट गई जो खुद भी इस वक्त बिना कपड़ों के थी।


    "जान आज बड़े दिनों बाद तुम्हारे घर में कोई नही है मै तुम्हे पूरा इंजॉय करना चाहता हूँ?


    "हां तो मै तुम्हारे लिए ही तो हूँ आ जाओ ना।… नेहा ने अपने ऊपर से चादर हटाकर जैसे सौरभ को इन्वाइट किया था जो पागलो की तरफ उस पर बरस पड़ा।


    "बेबी वह लड़की गई की नही?… सौरभ ने नेहा के जिस्म से खेलते हुए तन्वी की तरफ देखा था जहाँ वह पीछे पलटकर दूसरी और चेहरा किये खड़ी थी।

    सौरभ को पीछे से ही उसे देखकर नशा चढ़ने लगा था उसे तन्वी की खुली गोरी सी पीठ देखकर लालच आ गया था और वह नेहा पर और भी कसकर टूट पड़ा।


    "अरे कुछ नहीं सौरभ पागल है यह गांव की गवार बहन जी,  जाने क्या सोचकर डैड ने इसे काम पर रख लिया अभी दो दिन भी नहीं हुए इसे यहां आए हुए पर अगर यह ऐसे ही बदतमीजी करेगी तो देखना तुम में इसे निकाल फेंकूंगी?

    नेहा ने सौरभ से कहा और फिर दरवाजे पर तन्वी की तरफ देखते हुए बोली… "अरे अब जाना तू क्या कर रही है यहां?


    "जी, जी हां मैं…!!
    तन्वी जल्दी-जल्दी घबराई हुई सी सर  हिलाते कमरे से बाहर निकल गई थी और किचन में आकर पानी पीने लगी वह नेहा के बारे में सोच रही थी कि क्या लड़कियां ऐसा भी कर सकती हैं जो बिना शादी के किसी के भी साथ सो जाये और इसे फैशन कहा जाता है?


    इधर नेहा का मूड ऑफ हो गया था और सौरभ जो अब तन्वी को देखकर नेहा पर दुगनी रफ्तार से टूट पड़ा था नेहा सिसकियां भरते हुए बोली… "अरे यार सौरभ अगर इसने घर में डैड को कुछ बता दिया तो मेरी तो वाट लग जाएगी?

    नेहा ने सौरभ की बाहों से खुद को छुड़ाते हुए जरा सा दूर हटना चाहा था जब सौरभ ने उसे खींचकर एक बार फिर से अपने नीचे दबोच लिया और वह दोनों एक बार फिर से एंजॉय करने लगे थे, जहां सौरभ अभी भी फुल ऑन मूड में था वही नेहा का मूड ऑफ हो चुका था।


    "सौरभ तुम्हें किसी बात का होश भी है इसके अलावा?


    "ओफ्फो नेहा यार तुम इतना डरती क्यों हो प्यार किया तो डरना क्या?


    "नही ऐसी बात नहीं है सौरभ लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरे डैड को कुछ पता चले वरना वह मेरा कॉलेज बन्द करवा देंगे और मुज्जे अभी एक बेस्ट फेमस एक्ट्रेस भी तो बनना है?


    "हां तो मै तुम्हारे साथ हूं ना तुम डरती क्यों हो अंकल तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे मैं बता दूंगा कि मैं उनकी बेटी से प्यार करता हूं बस?

    सौरभ जो नेहा के ऊपर था वह नेहा के दोनों हाथों में हाथ फंसाए उसे बार-बार प्यार किया जा रहा था जिससे नेहा का बदन गर्म हो रहा था और वह बार-बार मदहोश हो जाती लेकिन उसे डर भी था जिससे वह अब पहले की तरह सौरभ का बराबर साथ नहीं दे पा रही थी तो सौरभ ने उसे छोड़ दिया।


    "तो तुम क्या चाहती हो अब नेहा यह लड़की तुम्हारे घर वालों को कुछ ना बताएं, यही ना?


    "हां तो फिर ठीक है चलो मेरे साथ।…  सौरभ ने अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर जाने लगा जबकि नेहा अभी भी बिना कपड़ों के चादर लपेटे बेड पर बैठी थी और अभी-अभी हुए थकाव से हाफ रही थी उसका पूरा बदन पसीने से तरबतर था।


    "सौरभ तुम कहां जा रहे हो?


    "उस गवार लड़की की वजह से तुम्हारा करियर खराब ना
    जाए इसलिए उसे सबक सिखाते हैं।


    "सौरभ तुम क्या करने वाले हो?


    "आओ बताता हूं।… सौरभ कमरे से बाहर निकल गया और नेहा भी अब अपने कपड़े पहन कर उसके साथ पीछे-पीछे आई थी।
    वह दोनों जब सीढ़ियां उतरते हुए नीचे आए तो सामने ही हाल में उन्हें तन्वी मिल गई जो साफ सफाई कर रही थी सौरभ ने उसे नीचे से ऊपर तक देखा और उसने अपने होंठ पर लगी नेहा की लिपस्टिक को अपने अंगूठे से रब करते हुए बहुत ही मदहोश निगाहों से पहले नेहा को देखा और फिर तन्वी को।


    "सौरभ तुम क्या करने वाले हो?

    "आओ बताता हूं।… सौरभ कमरे से बाहर निकल गया और नेहा भी अब अपने कपड़े पहन कर उसके साथ पीछे-पीछे आई थी।


    वह दोनों जब सीढ़ियां उतरते हुए नीचे आए तो सामने ही हाल में उन्हें तन्वी मिल गई जो साफ सफाई कर रही थी सौरभ ने उसे नीचे से ऊपर तक देखा और उसने अपने होंठ पर लगी नेहा की लिपस्टिक को अपने अंगूठे से रब करते हुए बहुत ही मदहोश निगाहों से पहले नेहा को देखा और फिर तन्वी को।


    "ओह, तो तुम हो इस घर की नहीं केयर टेकर क्या चाहिए तुम्हें?… सौरभ ने सरकास्टिक नशीली आँखो से तन्वी को देखा था।


    "नन, नहीं तो, नही सर मुझे कुछ नहीं चाहिए?… तन्वी घबरा गई थी आखिर सौरभ उसे इस नजर से जो देख रहा था कि वह जल्दी से अपने दुपट्टे को ठीक करने लगी थी।

    सौरव की नजरे उसकी बॉडी के हर एक अंग को स्कैन कर रही थी भले ही उसने इस वक्त ढीला डाला था एक कुर्ता पहना था लेकिन फिर भी सौरभ की नजरों की तफिश से वह शर्मिंदा सी हो रही थी।


    सौरभ ने आगे बढ़कर जल्दी से तन्वी को पकड़ लिया और अभी तन्वी उससे खुद को छुड़ा पाती की सौरभ ने उसे सोफे पर पटक दिया था।
    "तो तुम नेहा को उसके घर वालों के सामने एक्सपोज करोगी, राइट इससे अच्छा है मैं तुम्हें ही जवानी के कुछ मजे दे दूँ।

    सौरभ सोफे पर पड़ी तन्वी के ऊपर आ ग़या था जब नेहा ने उसे डांटते हुए पुकारा… "हे, हे सौरभ तुम यह क्या कर रहे हो?


    "अरे बेबी चुपचाप देखती रहो ना ऐसे लोगों को मैं अच्छे से जानता हूं इन्हें क्या चाहिए होता है जिनके पास जिंदगी का कोई सुख नही होता ना ही मानसिक और न ही शारिरिक तो यह लोग दूसरों को भी सुखी नही देख पाते नेहा बेबी?

    सौरभ ने अपनी एक ब्लिंक करते हुए शरारत से नेहा की तरफ देखा था तो नेहा उसका इशारा समझ गई और खुद भी हंसने लगी थी जबकि तन्वी डर से कांप रहीं थी सौरभ की करीबी से।


    "सर मुझे, मुझे जाने दीजिए मैं ऐसी लड़की नहीं हूं मुझे माफ कर दीजिए सर छोड़ दीजिए?

    तन्वी ने फौरन सौरभ के सामने हाथ जोड़ दिए थे जो अपनी शर्ट उतारते हुए तन्वी के ऊपर आ रहा था जैसे उसे तन्वी के आंसुओं से कोई मतलब ही नहीं हो?


    "सुनो नेहा बेबी तुम जरा इसकी ऐसी वाली जबरदस्त एक वीडियो तो निकालो मेरे साथ।… सौरभ ने नेहा से कहा था।


    "लेकिन क्यों, इसका क्या मतलब?… नेहा को समझ नही आया था तो उसने सवालिया पूछा था।


    सौरभ ने अपने नीचे पड़ी तन्वी के होंठो पर अपनी एक अंगुली रब की और उसे मदहोशी से देखते हुए नेहा से बोला… "क्योकि इसे सबक जो सीखाना है बेबी, सोचो जरा तुम इसकी अगर हमारे पास ऐसी वीडियो होगी तो यह हम से डरकर रहेगी और कभी तुम्हारे पापा तो क्या किसी को भी हमारे बारे में कुछ नही बोलेगी वर्ण हम भी इसका यह एमएमएस लीक कर देंगे और यह…!!


    सौरभ अभी अपनी बात पूरी कर पाता कि नेहा ख़ुशी से झूम उठी… "ओह माय बेबी यह तो अच्छा प्लान है हम इससे तो इसे ब्लैकमेल कर सकते हैं और यह अपना मुंह बंद रखेगी, वाव बेबी यू आर सो जीनियस।


    नेहा कहते हो जल्दी से अपना कैमरा ले आई थी और उसका फोकस तन्वी और सौरभ पर कर दिया।

    "तो चलो बेबी शुरू करते हैं, मजा आएगा!!


    तन्वी रोने लगी थी पर उसके आंसुओ को इग्नोर किये सौरभ ने अपनी शर्ट उतार कर एक साइड फेंकी और तन्वी के दोनों हाथ पकड़ कर उसे सोफे से लगा दिए थे और अभी उसने तन्वी के पैरों पर अपने पैर रखे थे कि तन्वी ने अपनी पूरी ताकत से उसके प्राइवेट पार्ट पर एक जोरदार लात मारी थी जिससे सौरभ दर्द से दो कदम पीछे हट गया और जैसे ही तन्वी ने उससे खुद को छुड़ाया वह फौरन भागती हुई घर से बाहर निकल गई।

    "नेहा ने फौरन सौरभ को थाम लिया… "सौरभ तुम ठीक हो ना बेबी?


    "हां मै ठीक हूं उस लड़की को पकड़ो नेहा।… सौरभ कराहते हुए बोला था।

    नेहा अब जल्दी से तन्वी के पीछे भागी थी और सौरभ भी लड़खड़ाता हुआ तन्वी के पीछे आया था, तन्वी रात के इस पहर सुनसान सी रोड पर अकेली भागती हुई आगे बढ़ रही थी उसकी आंखों से आंसू जारी थे और वह जोर-जोर से हांफ रही थी।
    इस वक्त उसकी इज्जत और जान दोनों ही दांव पर लगे हुए थे लेकिन शायद उसकी किस्मत उसका साथ देने को तैयार भी नहीं थी।

    तन्वी बेकरार सी पागलो की तरह इधर से भागते हुए बार-बार पीछे पलट कर सौरभ और नेहा को देखे जा रही थी जब सडनली ही एक छलांग लगा कर सौरभ ने लपक कर उसे पकड़ना चाहा था कि तभी सौरभ का हाथ लगने से तन्वी डिस्बेलेंस होकर लड़खड़ा कर जमीन पर गिर गई और उसके नीचे गिरते ही सौरभ ने उसे कस कर अपने दोनों हाथो से दबोचते हुए पकड़ा और उसे वहीं नीचे जमीन से लगा दिया।।।


                और आगे………………

  • 2. रेप, तंवी कि जिंदगी से खिलवाड़ - 2

    Words: 2188

    Estimated Reading Time: 14 min

    तन्वी रोने लगी थी पर उसके आंसुओ को इग्नोर किये सौरभ ने अपनी शर्ट उतार कर एक साइड फेंकी और तन्वी के दोनों हाथ पकड़ कर उसे सोफे से लगा दिए थे और अभी उसने तन्वी के पैरों पर अपने पैर रखे थे कि तन्वी ने अपनी पूरी ताकत से उसके प्राइवेट पार्ट पर एक जोरदार लात मारी थी जिससे सौरभ दर्द से दो कदम पीछे हट गया और जैसे ही तन्वी ने उससे खुद को छुड़ाया वह फौरन भागती हुई घर से बाहर निकल गई।

    "नेहा ने फौरन सौरभ को थाम लिया… "सौरभ तुम ठीक हो ना बेबी?


    "हां मै ठीक हूं उस लड़की को पकड़ो नेहा।… सौरभ कराहते हुए बोला था।

    नेहा अब जल्दी से तन्वी के पीछे भागी थी और सौरभ भी लड़खड़ाता हुआ तन्वी के पीछे आया था, तन्वी रात के इस पहर सुनसान सी रोड पर अकेली भागती हुई आगे बढ़ रही थी उसकी आंखों से आंसू जारी थे और वह जोर-जोर से हांफ रही थी।
    इस वक्त उसकी इज्जत और जान दोनों ही दांव पर लगे हुए थे लेकिन शायद उसकी किस्मत उसका साथ देने को तैयार भी नहीं थी।


    तन्वी बेकरार सी पागलो की तरह इधर से भागते हुए बार-बार पीछे पलट कर सौरभ और नेहा को देखे जा रही थी जब सडनली ही एक छलांग लगा कर सौरभ ने लपक कर उसे पकड़ना चाहा था कि तभी सौरभ का हाथ लगने से तन्वी डिस्बेलेंस होकर लड़खड़ा कर जमीन पर गिर गई और उसके नीचे गिरते ही सौरभ ने उसे कस कर अपने दोनों हाथो से दबोचते हुए पकड़ा और उसे वहीं नीचे जमीन से लगा दिया।।।


    "अब कहां भागेगी तू अब तो तुझे मौत मिलेगी?… सौरभ ने तन्वी की तरफ देखते हुए नेहा से कहा था जिस पर नेहा भी हंसने लगी।


    "अरे बेबी मैं तो डर गई थी कि अगर यह मेरे डैड को कुछ पता देती तो मेरा तो…!!


    "लेकिन अब इसका करना क्या है नेहा?


    "अरे करना क्या है इसे मार देते हैं और क्या, ना रहेगी बांस न बजेगी बांसुरी अगर यह जिंदा रहेगी तो मुझे हमेशा डर कर रहना होगा ?


    नेहा ने गुस्से में दांत पीसते हुए कहा तो इस बार सौरभ से पहले तन्वी रुहांसी होकर तड़पते हुए बोली… "नही, नही नेहा दीदी मै सच कह रही हूँ मै किसी को कभी कुछ नही बताऊंगी दीदी मै चुप रहोगी, मुझे छोड़ दीजिए मै यहां से चली जाउंगी दीदी मुझे कुछ मत कीजिये मै अपना मुंह बंद रखूंगी?
    तन्वी रोते हुए नेहा के सामने हाथ जोड़े जमीन पर पड़ी थी जिसे सौरभ ने दबोच रखा था।


    अब नेहा ने दो पल कुछ सोचा और बड़ी अदा से चलते हुए तन्वी के पास आकर बैठ गई और जरा से झुककर उसने तन्वी को एक थप्पड़ जड़ दिया।
    "तुझे पता है गवार लड़की मै तुझे इसलिए नही मार रही कि तू मेरे पापा को कुछ बताएगी बल्कि मै तुझे इस दुनिया से मिटाना इसलिए चाहती हूँ क्योकि तू बहुत खूबसूरत है, एकदम परफेक्ट और गजब की बला है तू और तुझसे मुझे जलन हो रही है कि मै तेरे जैसी नही, महीने में लाखों खर्च करती हूँ मै खुदको प्रीटी बनाने में और तू नेचुरल ही प्रीटी है इतनी प्रीटी कि तुझे देखकर आज तो मेरा बॉयफ्रेंड भी तुझ पर फिसल गया कमीनी।


    नेहा तन्वी के कान में झुकी आहिस्ता आहिस्ता बोल रही थी जिससे तन्वी की आँखों में जो आंसू थे वह अब और भी दर्द में उसकी आँखों से टूटकर उसके चेहरे पर फैलने लगे उसने तो ऐसा सोचा भी नही था कि उसकी खूबसूरती उसकी मौत की वजह भी बन सकती है।

    नेहा ने तन्वी का गाल पकड़कर उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया और एक और थप्पड़ उसे जड़ दिया जिससे तन्वी जमीन पर मुंह के बल गिर गई थी।


    "तूने देखा न कैसे सौरभ तेरा एमएमएस बनाने के नाम पर मुझे बेवकूफ बनाकर तेरे साथ इंजॉय करने वाला था तभी मै समझ गई कि वह, और तुझ पर मेरा बॉयफ्रेंड फ़िदा हों यह मै कैसे बर्दास्त कर सकती हूँ?
    नेहा तन्वी के कान में फुसफुसा रही थी जो सौरभ को सुनाई नही दे रहा था पर तन्वी की जान सूखने लगी थी नेहा की आँखों में जलन और नफरत की ज्वाला देखकर



    "तो ठीक है नेहा बेबी जैसा तुम कहती हो हम वैसा ही करते हैं इसका काम खत्म कर देते हैं।…  सौरभ ने नेहा के तन्वी के पास से हटते ही खुद आगे बढ़कर उसका गला दबा दिया था जिससे तन्वी जो पहले ही बेहाल हो गई थी वह अब छटपटाना लगी जब एकदम से ही नेहा ने सौरभ का हाथ पकड़ लिया।


    "रुको सौरभ एक मिनट,,


    "अब क्या हुआ बेबी?


    "सौरभ अगर हमने इसे अभी मार दिया तो हम पकड़े जाएंगे और मैं नहीं चाहती मेरा फ्यूचर खराब हो और मेरे साथ साथ तुम्हारा।



    "तो फिर अब हम क्या करें नेहा तुमने ही तो कहा इसे मार देते हैं?


    "हां मार देंगे लेकिन...!!


    "लेकिन क्या बेबी?… सौरभ ने अब समझी में सवाल किया था।


    नेहा एकदम से हंसते हुए बोली… "सौरभ हम एक काम करते हैं हम अभी इसे कहीं छुपा देते हैं तब तक के लिए जब तक मामला शांत नहीं हो जाता इसके घर वाले अगर इसके बारे में कुछ पूछेंगें तो हम कह देंगे कि हम नहीं जानते भाग गई होगी अपने आशिक के साथ और इससे मेरे पापा और इसकी फैमली भी इससे नफरत करने लगेंगी और वैसे भी यह छोटे लोग गांव के गवार क्या ही आगे बात बढ़ाएंगे फिर कुछ दिन बाद जब केस रफादफा हो जायेगा हम चुपचाप इसे खत्म कर देंगे और तब हम पर किसी को शक भी नहीं होगा?


    "अरे वह नेहा क्या दिमाग लगाया है यार तुमने?…  सौरभ ने तन्वी को सारकास्टिक नजरों से देखते हुए नेहा की तारीफ की थी तो नेहा घमंड से मुस्कुरा दी।।


    तन्वी को जो नेहा और सौरभ ने एक सुनसान से अंधेरी कोठरी में बंद कर रखा था उसे कुर्सी पर बिठाकर उसके दोनों हाथ पैर कस कर बंधे हुए थे, तन्वी के चेहरे पर जख्म के कई निशान थे जो सौरभ और नेहा के दिए हुए थे और वह तकलीफ से चूर बहुत ही दर्द में थी।
    जगह-जगह उसे चोटे थी, जले और कटे के गहरे निशान थे और तन्वी थकान से चूर जैसे जाने कब की भूखी और प्यासी थी उसके होंठ तक खुस्क हो गए थे।

    जिस दिन से तन्वी को कैद किया था नेहा तो उससे शायद ही कभी-कभी मिलने आई थी लेकिन सौरभ अक्सर उससे मिलने आता था और उसके साथ सारी जबरदस्ती करता था, उसके साथ जबरदस्ती इंटिमेट होता जहां तक कि सौरभ ने अपने कई सारे दोस्तों को भी तन्वी को बेचा था जिनसे सौरभ ने अच्छे पैसे कमाए थे क्योकि उन सारे दोस्तों ने जो सौरभ को पैसे दिए थे तो उन्होंने उसका भरपूर तन्वी से उसूला भी था तन्वी के जिस्म को नोच कर।


    हर रोज तन्वी पर ऐसे ही जुल्म किया जाता था एक नहीं कई बार उसके साथ रेप अटेम्प्ट होता था और जब वह थक जाती बेहोश हो जाती तब सौरभ उससे अपनी भूख मिटाने लगता एक पल को भी तन्वी को आराम नहीं था उसको मेंटली ही नहीं फिजिकल भी टॉर्चर किया जाता था।


    नेहा को तो वैसे ही तन्वी से नफरत हो गई थी उसकी खूबसूरती देखकर और वह तन्वी की तरह बनने के लिए हर कोशिश करती क्योंकि उसे फ्यूचर में हीरोइन बनने का सपना था लेकिन तन्वी की खूबसूरती तो अपनी जगह अलग ही थी जिसका मुकाबला नेहा कभी नहीं कर पाती और जब भी वह खुद को तन्वी से कम पाती वह तन्वी की पिटाई कर दिया करती।


    धीरे-धीरे कई दिन बीत गए थे तन्वी को उनका टॉर्चर सहते हुए अब तो बस शायद उसके जिस्म में जान बाकी थी लेकिन जिस्म पूरी तरह खाक हो चुका था।


    नेहा और सौरभ ने काल कोठरी जैसे सुनसान जगह का दरवाजा खोला तो अंदर तन्वी बेड पर पेट के बल ओंधे मुंह पड़ी थी और उसके बगल में ही है एक अनजान लड़का भी सोया हुआ था।

    तन्वी इस वक्त भी बिना कपड़ों की थी उसके साथ ही वह लड़का भी जिससे साफ पता चल रहा था दोनों के बीच क्या हुआ है और वह लड़का कोई और नही तन्वी का ही एक खरीददार था जिससे सौरभ को मुंह मांगे पैसे मिले थे एक रात के?


    नेहा ने हंसते हुए सौरभ की तरफ देखा तो सौरभ ने हैवानियत से हाँ में सर हिलाते हुए उसे कुछ इशारा कर दिया और फिर अपनी जेब से निकालते हुए तो बहुत सारे पैसो की गड्डियां उसने नेहा की तरफ करते हुए बोला… "बेबी यह आज की कमाई है आज तो मजे करेंगे हम दोनों।


    सौरभ तुमने अच्छा दिमाग लगाया है मेरी जान मुझे तो इसकी खूबसूरती से सिर्फ जलन थी लेकिन तुमने इसकी खूबसूरती को अच्छे से यूज किया और आज हम इसकी वजह से कितने पैसे कमा रहे हैं यार।
    नेहा ने सौरभ के हाथ से पैसा का पूरा बंडल ले लिया था और इतराते हुए उससे अपने चेहरे पर हवा करते हुए तन्वी की तरफ देखने लगी थी जो किसी बेजान मोम की नाजुक सी गुड़िया की तरह बेड पर पड़ी हुई थी।


    तन्वी की आंखों से आंसू जारी थे और चेहरे पर भी जैसे कोई नूर नहीं बचा था पर वह अभी भी हसीन लग रही थी।


    नेहा बड़े अदा से चलते हुए तन्वी के पास आ गई और उसके सामने जरा सा झुक कर उसकी ठुड्डी पकड़ कर चेहरा ऊपर करते हुए बेहद मगरूर सी बोली… "तो कहो तन्वी क्या हाल है, वैसे तुम्हें तो हमको थैंक्स कहना चाहिए यार क्योकि तुम्हारी खूबसूरती से मुझे तो सिर्फ पैसे मिले हैं लेकिन तुम्हें भी तो कितने मजे मिलते हैं ना, हर रोज एक नया बंदा।


    नेहा बोल रही थी जब तन्वी ने उसके चेहरे पर थूक दिया और जलकर बोली… "छि शर्म आनी चाहिए तुम्हें कैसी घटिया लड़की हो तुम, तुम्हे मै अपनी दीदी बोलती थी और तुमने मेरे साथ…!!


    तन्वी गुस्से में दांत पीसते हुए नेहा को सुनाये जा रही थी जब नेहा ने खींचकर थप्पड़ तन्वी के गाने पर जड़ दिया।


    "कमीनी तेरी इतनी हिम्मत तू मुझ पर थुकेगी।
    नेहा ने गुस्से में तन्वी का मुंह पकड़ कर दबा दिया और उसकी आंखों में आंखें डालते हुए बोली… "तेरी औकात क्या ही थी और क्या है तू, तू शायद भूल रही है कि हमने तेरी एक से बढ़कर एक वीडियो भी बनाई हैं जिन्हें अगर हमने सोशल मीडिया पर डाल दिए ना तो तू तो फेमस ही हो जाएगी, समझी ना?


    "नही, नहीं प्लीज ऐसा मत कीजिएगा मै बर्बाद हो जाऊंगी।
    तन्वी की आंखों में एक बार फिर से आंसू आ गए थे और उसने जल्दी से नेहा के सामने हाथ जोड़ दिए साथ ही नेहा के पीछे खड़े हंसते हुए सौरभ की तरफ देखते हुए रोकर बोली… "प्लीज़ आप दोनों मेरे साथ ऐसा मत कीजिए मैंने आखिर क्या बिगाड़ा है आप लोगों का?


    "नही यार तुमने कुछ नहीं बिगाड़ा है मेरी जान लेकिन तुमने हमारी नियत जरूर बिगाड़ दी?
    सौरभ भी चलते हुए तन्वी के पास आ गया था और बेड पर उसके पास बैठते हुए वह तन्वी के गाल पर अपनी एक उंगली रब करने लगा जिससे तन्वी को घिन आ गई थी और उसने झटक कर सौरभ का हाथ अपने गाल से अलग कर दिया।


    "दूर रहिए मुझसे, मुझे घिन आती है आप लोगों को देखकर कितने घटिया इंसान है आप लोग भगवान आप लोगों को कभी माफ नहीं करेगा, आप लोगों ने मेरी जिंदगी पर बर्बाद कर दी।
    तन्वी उन दोनों से दूर हटकर बेड के दूसरी साइड पर आ गई थी और अब नेहा हंसते हुए पैसों के उस बंडल से अपने चेहरे पर हवा करने लगी साथ ही तन्वी की तंजिया देख रही थी।


    "चलो सौरभ इस लड़के को हटाओ यहां से इससे कहो कि इसका पेमेंट पूरा हुआ और जितना इसने पैसा दिया था उतना मजे कर चुका है यह तन्वी के साथ अब हम किसी और को बेचेंगे हमारी प्यारी तन्वी को।
    नेहा ने सौरभ की तरफ देखते हुए कहा तो सौरभ उस  लड़के की तरफ बढ़ गया था जो तन्वी के बगल में सोया हुआ था।


    तन्वी कभी नेहा को देखती तो कभी सौरभ को वह इस वक्त भी रोते हुए दीवार से चिपकी सिसकियां ले रही थी पर सौरभ जैसे ही उससे जरा सा अलग हुआ तनवी को मौका मिल गया क्योकि आज दरवाजा भी खुला था।
    वह अब धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए बिना आवाज किये जल्दी से दरवाजे के पास आ गई और जैसे ही सौरभ ने तन्वी को खुले दरवाजे की तरफ देखा नेहा से चिल्लाकर बोला… "बेबी पकड़ो इसे भाग जाएगी यह!

    सौरभ अभी कह ही रहा था जब तन्वी ने जल्दी से बाहर निकल कर दरवाजा बंद किया पर वह जल्दी-जल्दी में  लॉक नही लगा पाई थी पर वह अपनी पूरी ताकत लगाते हुए वहां से भाग जरूर निकली थी और उसके भागते ही नेहा और सौरभ भी उसके पीछे आए थे, अब आगे आगे तन्वी थी और पीछे-पीछे नेहा और सौरभ।



    और आगे...................


    तो क्या तन्वी की यही तक की छोटी सी जिंदगी थी क्या, वह नेहा और सौरभ के शातिर प्लान की बली चढ़ जाएगी, क्या तन्वी का अब यहां से अंत होता है, क्या उसके सपने पूरे होने से पहले ही खत्म हो जाएंगे या फिर..
    यह जानने के लिए पढ़ेंगे स्टोरी का नेक्स्ट एपिसोड  बहुत जल्द, लेकिन स्टोरी से जुड़े रहिए और कमेंट करना बिल्कुल मत भूलिए गाइज💓🤗🤗


                
           

  • 3. तंवी का भागना, शरारती गौरव को थप्पड़ - 3

    Words: 2455

    Estimated Reading Time: 15 min

    तन्वी कभी नेहा को देखती तो कभी सौरभ को वह इस वक्त भी रोते हुए दीवार से चिपकी सिसकियां ले रही थी पर सौरभ जैसे ही उससे जरा सा अलग हुआ तनवी को मौका मिल गया क्योकि आज दरवाजा भी खुला था।
    वह अब धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए बिना आवाज किये जल्दी से दरवाजे के पास आ गई और जैसे ही सौरभ ने तन्वी को खुले दरवाजे की तरफ देखा नेहा से चिल्लाकर बोला… "बेबी पकड़ो इसे भाग जाएगी यह!

    सौरभ अभी कह ही रहा था जब तन्वी ने जल्दी से बाहर निकल कर दरवाजा बंद किया पर वह जल्दी-जल्दी में  लॉक नही लगा पाई थी पर वह अपनी पूरी ताकत लगाते हुए वहां से भाग जरूर निकली थी और उसके भागते ही नेहा और सौरभ भी उसके पीछे आए थे, अब आगे आगे तन्वी थी और पीछे-पीछे नेहा और सौरभ


    अभी तन्वी उन दोनों से आजाद होकर भागते हुए रोड की तरफ आई थी कि एकदम ही जैसे उसे चक्कर सा आ गया और वह सामने से आ रही एक तेज रफ्तार गाड़ी से जा टकराई जिससे टकराते ही तन्वी वहीं गिर गई थी जबकि वह गाड़ी भी कुछ दूर आगे निकल गई थी और आगे जाते ही वह गाड़ी भी जैसे आउट ऑफ कंट्रोल होकर पलट गई।

    तन्वी ने आंखें बंद करते हुए बस इतना ही देखा था और आंखें बंद करने के बाद उसने एक बार फिर से जब पलके झपकाईं तो सामने नेहा और सौरभ खड़े थे जो बेहद उसके पास थे और हंस रहें थें।


    तन्वी ने नेहा को सौरभ से कहते सुना था कि, "चलो अच्छा हुआ भले ही अब यह हमारे काम की नहीं रही लेकिन यह हमारा काम बिगड़ेगी भी तो नहीं आज इसका आखिरी दिन था इसलिए यह यहां से भागी थी शायद पर कोई नहीं काम से कम यह पुलिस में नहीं जा पाएगी और ना ही इसकी वजह से हमें कोई प्रॉब्लम हुई सो अब हमें डरने की जरूरत बेबी?

    नेहा ने हंसते हुए सौरभ से कहा तो सौरभ ने भी तन्वी की तरफ देखते हुए हंस कर हाँ में पलके झपका दी और दोनों हंसते हुए वहां से चले गयें।


    धीरे-धीरे कर तन्वी की सांसे उखड़ने लगी थी और उसने धीरे-धीरे अपनी आंखें बंद कर ली जो वापस नहीं खुल पाईं और वह वहीं जमीन पर बदहवास पड़ी रह गई।
    आंखें बंद किए हुए तन्वी बस अंदर ही अंदर दिल से रो रही थी भगवान को याद नहीं कर रही थी कि आज से उसका जीवन खत्म।


    "भगवान जी आपने मेरे साथ यह अच्छा नहीं किया अब मेरे मां-बाप का ख्याल कौन रखेगा यह कैसा खेल है आपका आखिर, मेरा कसूर क्या था जो आपने मुझे ऐसी जिंदगी और ऐसी सजा दी?

    तन्वी की आंखें बंद थी और उसकी बंद आंखों से ही आंसू झलक कर उसके गाल पर बिखर गयें थें वह दिल ही दिल में बोल रही थी होंठ नहीं हिल रहे थे


    * * * * * * * * * * *


    रात का जाने कौन सा पर था शायद बारह बजे के बाद दो या फिर तीन बजे का वक्त था जब एक रोड किनारे लगी गाड़ी की बोनट पर बैठा है छब्बीस सत्तईस है साल का एक हैण्डस्म सा लड़का मायूसी से अफ़सोस मे सर झुकाए बैठा जैसे किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था, उसके दिल में इस वक्त शायद कहीं कोई तड़पती कोई बेचैनी थी जो वह सह नहीं पा रहा था और इस वक्त वह यहां इस भरे शहर में बहुत सारे लोगों के बीच में भी खुद को पूरी तरह तन्हा महसूस कर रहा था जो किसी से कह भी नहीं पा रहा था?
    रोड पर आती जाती सरासर गाड़ियां अपने हिसाब से दौड़ती जा रही थी और रात का यह पहर था लेकिन कहीं से कोई सन्नाटा या फिर कोई तन्हाई नहीं थी, शहर में अभी भी वही शोरगुल मचा था?

    हर तरफ लाइट्स ही लाइट्स जल रही थी गाड़ियों की लाइट से लेकर स्ट्रीट लाइट और जहां तक की घरों की भी कुछ लाइटे ऑन थी, शहर पूरी तरह इस वक्त भी जगमगा रहा था और रोड पर जो रस था उससे तो कहीं भी नहीं लग रहा था कि यह रात का पहर है ऐसा लग रहा था जैसे पूरा शहर पूरी दुनिया ही जग रही है और सबको इस वक्त भी अपने अपने काम की पड़ी हो किसी को किसी से कोई मतलब नहीं था ना ही कोई किसी के लिए रुकने वाला था और ना ही कोई किसी के लिए अपना वक्त बर्बाद करना चाहता था?
    सब कुछ अपने हिसाब से चल रहा था बस उस लड़के डॉक्टर गौरव का ही दिल खाली खाली सा था और दूसरे तरफ उसी रोड से कुछ दुरी पर एक और सत्ताइस अट्ठीइस साल का लड़का जिब्रान अपनी गाड़ी पर बेकरार सा बैठा सर झुकाये अपनी ही दुनिया मे खोया हुआ था।

    गौरव और जिब्रान इस वक्त दोनों कि ही हालत उलझी उलझी बेचैन सी थी और दोनों ही अलग अलग ही दिशा मे एक ही रोड पर काफ़ी काफ़ी दूर दूर एक दूसरे से अनजान बेखबर बैठे थे वह दोनों ही एक दूसरे को नहीं जानते थे ना ही पहचानते पर जाने क्या था कि इस वक्त उन दोनों की ही हालत एक जैसी थी शायद बेकरार मन थे दोनों के?


    गौरव जिसकी धड़कनें काफ़ी तेज चल रही थी वह गाड़ी की बोनट पर उदास बैठा खामोश अपनी ही दुनिया में गुम खुद से ही बाते कर रहा था, आज जैसे खुशियों से उसे कोई गहरा धक्का मिला था जिससे वह गम मे था, उसने अपने हाथों में पकड़ी सिगरेट सुलगाई और उसका एक कश लेते हुए वही गाड़ी की बोनट पर आहिस्ता से सीधा सीधा बेसुध सा लेट गया और अपनी दूसरे हाथ की कलाई मोड कर उसने अपनी आंखों क पास रख ली थी अब उसके जस्ट सामने ऊपर खुला आसमान था जहां हजारों तारों की भीड़ मे चाँद अकेला था ठीक उसी की तरह जो आज भरी दुनिया मे अकेला ही था।

    आसमान पर चमकते तारों की रौशनी थी पूरी तरह खुला मौसम खुला आसमान था और आसमान मे भी उसी तरह तारों की जगमगाहट थी जिस तरह उसके चारों तरफ इस वक्त शहर की वह जगमगाहट थी.


    वह अब एकटक खुले आसमान की तरफ देख रहा था और फिर अपनी आंखों के पास रखे अपने हाथ को अपने बालों में फेरने लगा फिर खुद से ही बोला... "शिट यार फर्स्ट टाइम, ओह सॉरी सिकेंड टाइम तो शायद मुझे किसी से प्यार हुआ था आई मीन सच्चा वाला प्यार, मुझे पता ही नहीं चला कब मुझे पारसा से प्यार हो गया और कब वह मेरी होने से पहले ही किसी और की हो गई?

    गौरव ने अपने आप पर ही कोई जोक किया था ठीक उसी तरह मजाकिया जख्मी हंसी-हंसते हुए उसने अपना ही मजाक बनाया था और फिर झट से उठकर दोनों पैर तोड़ मरोड़कर गाड़ी की बोनट पर ही बैठ गया।


    "यार यह कैसे हो सकता है पारसा शादीशुदा है, पारसा और जहाँ तक कि अलविरा भी,. वह लड़की अलविरा जिसकी अभी मुझसे भी शायद कितनी कम उम्र होगी वह शादीशुदा है और एक बच्चे की मां भी, ऐसा कैसे हो सकता है कहीं मेरी आंखों का भ्रम तो नहीं अलविरा?

    गौरव ने अपने हाथ में पकड़ी सिगरेट का एक और कस लिया और गाड़ी की बोनट से उतरकर वह वही इधर-उधर पागलों की तरह बेचैन सा घूमने लगा.... "गॉड यह कैसे हो सकता है अलवीरा तुम मैरिड नहीं हो सकती तुमने इतनी जल्दी शादी क्यों की क्या तुम्हें पता नहीं था कि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं तुम मेरे हॉस्पिटल मे नर्स हो और मुझसे पहले शादी भी कर ली तुमने कितना पसंद थी तुम मुझे और तुमने मुझे इस तरह शौक कर दिया पहले क्यों नहीं पता चला मुझे कि तुम एक बच्चे की मां हो?


    गौरव ने अब अपने ही हाथों से इरिटेशन में अपने बाल नोच डाले थे और फिर गाड़ी की बोनट पर एक जोरदार लात मारते हुए एकदम से चीख उठा.... "अलविरा तो गई ही थी अब यह पारसा कमीनी भी हाथ से निकल गई इसने भी शादी और बच्चे कर लिए।

    गौरव पागलो सा अपने ऊपर ही हंस दिया और खुद को ही इंसल्ट करते हुए बोला.... "गौरव तू तो एक नंबर का गधा है यार तेरी किस्मत हमेशा ही खराब रही है और तू हमेशा वहां उस टाइम पर पहुंचा हूं जहां तुझे पहले पहुंचना चाहिए होता है, शायद मेरी किस्मत का ही दोष है जो मैं हर जगह लेट हो जाता हूं।

    गौरव ने अपने बालों में हाथ फेरते हुए स्टेशन से सोचा था और आकर वापस गाड़ी की बोनट पर बैठ गया... "यार यह लड़कियों को शादी की इतनी जल्दी क्यों होती है जरा सा वेट नहीं कर सकती थी अलवीरा तुम मेरे लिए और ऊपर से अब यह पारसा भी इसे इतनी जल्दी क्या थी शादी करने की और शादी के साथ-साथ बच्चा भी कर लिया मुझे बताया तब नहीं काहे की दोस्त हैं यह जब अपनी शादी का मुझसे इसने कोई जिक्र ही नहीं किया एक तो सालों बाद मुलाकात हुई और कितनी आसानी से वह शादी करके बैठ गई... अरे नहीं, नहीं शादी और बच्चा कर के बैठ गई?


    गौरव ने इरिटेशन से कहते हुए अपने दोनों हाथों से सर पकड़ लिया था और फिर दांत पीसते हुए बोला... "अलविरा और पारसा, मै अब तुम दोनों से कभी बात नहीं करूंगा जब मैं अभी अनमैरिड हूं तो तुम दोनों मैरिड क्यों, अलवीरा का तो ठीक था यह मुझे अभी कुछ दिन पहले ही मिली थी लेकिन पारसा तुम, तुमने भी यही किया यार बचपन से दोस्ती थी हमारी और मैं तुम्हारे साथ घर बसाना चाहता था पर तुम किसी और का घर बसा कर बैठी हो... ओह गॉड पारसा मर जाओ तुम।

    लेकिन हां आज मेरी किस्मत ने मेरे साथ इतना बड़ा एहसान जरूर किया है अलविरा जो वक्त रहते तुम्हारे बारे मे जान गया क्योंकि अगर मैंने तुम्हें प्रपोज किया होता और तब मुझे पता चलता कि तुम मैरिड हो तो पूरे हॉस्पिटल में मेरी इज्जत का कचरा हो जाता यार।


    गौरव ने अपने आप से ही कहते हुए ऊपर खुले आसमान की तरफ देखा था और एकदम से चिल्लाते हुए बोला... " थैंक यू भगवान जी मेरी इज्जत बचा लिया आपने आई एम प्राउड ऑफ यू वरना तुम्हें तो मै अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता था।



    गौरव पागलों की तरह जोर-जोर से चीखते हुए खुले आसमान की तरफ देख रहा था और इस वक्त उसकी आवाज वहां से आने जाने वाली हर गाड़ियों में बैठे लोगों को सुनाई दे रही थी और जो भी उधर से गुजरता वह एक नजर गौरव की तरफ जरूर देखता किसी को उस पर हंसी आ जाती तो कोई बस उसको हैरानी से देखकर रह जाता।


    वहीं दूसरी तरफ जिब्रान जो अपनी गाड़ी की बोनट पर सर झुकाए बैठा था वह दिल ही दिल में अपने आप से ज्यादा अपने घर वालों को कोस रहा था जैसे उसका भी गम कुछ ऐसा था कि वह किसी से कह नहीं पाया था तो बस यूँ तन्हाई में अपने आप को संभालने चला आया था।
    रात का यह पहर था और वह तन्हा तन्हा सा अपने आप को जैसे हौसला दे रहा था।

    "नहीं कोई बात नहीं जिब्रान सब ठीक हो जाएगा!


    जिब्रान ने अपने दोनों हाथों को अपने हाथों के पंजों से रब करते हुए खुद को समझाया था जैसे खुद को ही गले लगा रहा हो और फिर झटके से उठ कर खड़ा हो गया।

    "नहीं यार क्या ठीक हो जाएगा अब वह लड़की पागल सी सिर्फरी चुड़ैल पारसा आज से मेरी जिंदगी में आ चुकी है वह भी मेरी हमसफर बनकर, डैड आपने यह काम ठीक नहीं किया आपको मेरे लिए कोई और नहीं मिली थी जो आप उस पागल चुड़ैल को मेरे लिए लेकर आ गए है?


    जिब्रान अपने आप से कहते हुए कई सारे जोरदार मुक्के गाड़ी की बोनट पर जड़ता जा रहा था।

    "नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं उस लड़की पारसा को कभी एक्सेप्ट नहीं करूंगा वह लड़की मेरी बीवी नहीं हो सकती, नेवर?


    जिब्रान ने अपने आप से कहा और फिर खुले आसमान की तरफ देखते हुए एकदम से चीख उठा... "नहीं हो सकती पारसा तुम मेरी बीवी कभी नहीं हो सकती, समझी तुम मैं तुम्हें कभी अपनी लाइफ में इंवॉल्व नहीं करूंगा यह निकाह तुम्हारा है पारसा पर मेरी मौत है यह?

    जिब्रान ने उसी तरह खुले आसमान को उंगली दिखाते हुए जैसे पारसा को वार्निंग दी थी जब उसकी नजर उसकी कलाई में पड़ी उसे वॉच पर चली गई जो उसे उसकी फुफ्फो अलीशा ने पहनाई थी उस वक्त जब उसका पारसा के साथ निकाह हुआ था और बड़ी आसानी से उसके डैड मकसूद साहब और सलमा बेगम पारसा को जिब्रान के साथ रुखसत कर अपने घर ले आए थे।


    जिब्रान उस वॉच को दो पल देखता रहा और फिर अपने दूसरे हाथ से उस वॉच को नोचकर उसने वही गाड़ी के अंदर फेंक दिया।
    "फुफ्फो आपको अपनी बेटी के लिए कोई और मिल सकता था आपने मुझे क्यों बली का बकरा बनाया है वह लड़की चुड़ैल है मैं उसके साथ अपनी लाइफ कैसे गुजार सकता हूं मुझे घोलकर पी जाएगी वह?

    जिब्रान ने इरिटेशन से कहा और एक जोरदार लात गाड़ी की बोनट पर चढ़ दिया फिर दोनों हाथों से अपना सर पकड़ कर वहीं जमीन पर बैठ गया।।


    इधर दूसरी तरफ गौरव का भी ऐसे ही जाने कितना वक्त बीत गया था जब वह अपनी गाड़ी की बोनट से उतरा और सिगरेट का आखिरी कश लेते हुए सिगरेट वहीं फेंक दी थी और अभी उस पर अपना पैर रखकर उसे बुझाने वाला था कि उससे पहले ही किसी और ने उस सिगरेट के टुकड़े पर अपना पैर रख दिया था?
    गौरव जो सिगरेट की तरफ जमीन पर देख रहा था उसने जब सिगरेट पर रखे किसी के पैर को देखा जो एक हाई हील्स वाली किसी लड़की का था तो वह पागलों की तरह उस पैर को देखता रहा और फिर अपना चेहरा झटकते हुए वह उस पैर से होते हुए धीरे-धीरे ऊपर बढ़ता हुआ अब सामने देखने लगा था जहां उसके जस्ट सामने एक लड़की खड़ी थी?


    "कौन है आप मिस?


    "मेरा नाम पूजा है।


    तो मै क्या करूँ आप यह क्या कर रहीं है.....!!
    गौरव ने जैसे ही सवाल किया उस लड़की ने खींचकर एक थप्पड़ गौरव के गाल पर जड़ दिया।।


    * * * * * * * * *


    वही उधर दूसरी तरफ जिब्रान एक बार फिर से गाड़ी की बोनट पर चढ़कर बैठ गया था और उस वॉच को एक हाथ से पकड़े अपने दूसरे हाथ की कलाई में पहनने की कोशिश कर रहा था जहां जिस जगह पर वह वॉच उसकी फुफ्फो ने आज शादी के वक्त उसे पहनाई थी, जिब्रान को डर था कि कहीं उसके डैड ने वह वॉच उसके हाथ में ना देखी तो उस की अच्छी खासी खबर ले लेंगे बस यही डर था जो जिब्रान जल्दी-जल्दी उस वॉच को पहनने की कोशिश कर रहा था लेकिन हर बार नाकामयाब हो रहा था।।




    और आगे.............

  • 4. गौरव और जिब्रान कि पहली मीटिंग- 4

    Words: 2107

    Estimated Reading Time: 13 min

    गौरव जो सिगरेट की तरफ जमीन पर देख रहा था उसने जब सिगरेट पर रखे किसी के पैर को देखा जो एक हाई हील्स वाली किसी लड़की का था तो गौरव पागलों की तरह उस पैर को देखता रहा और फिर अपना चेहरा झटकते हुए वह उस पैर से होते हुए धीरे-धीरे ऊपर बढ़ता हुआ अब सामने देखने लगा था जहां उसके जस्ट सामने एक लड़की खड़ी थी।

    "हे यू, कौन है आप?


    "आई एम पूजा।


    "तो मै क्या करूँ पूजा हो आप या पुजारन पर आप यहाँ क्या कर रही हो मिस?... गौरव ने जैसे ही सवाल किया अब उस लड़की पूजा ने खींचकर एक जोरदार थप्पड़ उस के गाल पर जड़ दिया।


    "नालायक, शर्म नहीं आती पब्लिक पैलेस पर सिगरेट पीते हुए।... पूजा ने बेहद गुस्से में कहा था और उसके थप्पड़ से तो जैसे गौरव पूरी तरह चकरा ही गया था वह पूरी तरह अपने चारों तरफ घूम कर वापस लड़की के सामने आकर खड़ा हो गया और अब वह गौर से उस लड़की को देख रहा था जो बेहद छोटे स्टाईलिश कपड़ों में खुले बालों के साथ हल्के फुल्के मेकअप में   नजर आ रही थी और इस चांदनी रात की रात में उसकी गोरी रंगत किसी चांद की तरह चमक रही थी और गौरव बस उसे गौर से देखता रह गया।
    उस लड़की ने गौरव को कॉलर से पकड़ा और झटकते हुए उसे उसके पीछे ही धक्का देकर फेंक दिया जिससे गौरव एक बार फिर से चकरा गया था और वह अपने पीछे अपनी गाड़ी से जा टकराया।

    पूजा अब चलते हुए वापस गौरव के सामने आकर खड़ी हो गई थी और गौरव के पास उसकी गाड़ी की बोनट पर अपना एक पैर रखते हुए गौरव को उंगली दिखाते हुए बोली.... " ऐसे क्या देख रहे हो तुम मुझे कभी तुमने कोई लड़की नहीं देखी क्या स्टुपिड देखने में तो शरीफ लग रहे हो लेकिन हरकतें छिछोरों वाली है तुम्हारी?


    "देखो मिस मै छिछोरा नहीं हूं आई एम डॉक्टर।... गौरव ने बड़ी ही मासूमियत से जैसे पूजा को अपना इंट्रो दिया था जब पूजा ने उसका व्हाइट कोट देखा और जल्दी से अपना पैर पीछे खींचकर सीधी खड़ी हो गई।


    "सॉरी पर देखने में तुम डॉक्टर कम पेशेंट ज्यादा लग रहे हो।
    पूजा ने जैसे गौरव का मजाक बनाया था और वहां से चली गई पर जाते हुए उसने पलट कर गौरव की तरफ देखा था और उसे उंगली दिखाते हुए बोली.... "डॉक्टर कम पेशेंट सुनो आइंदा अगर मैंने तुम्हें ऐसे पब्लिक पैलेस पर सिगरेट पीते देखा ना तो जान ले लूंगी तुम्हारी, समझे तुम।


    पिजा ने मुक्का दिखाते हुए गौरव को वॉर्न किया था और वहां से चली गई जबकि गौरव अपने दोनों हाथों से अपना सर पकड़ कर बैठ गया था।


    "भगवान जी मैंने अभी आपका थैंक्यू किया था और अभी आपने मुझे थप्पड़ खिला दिया आज आपने एक बार फिर से साबित कर दिया कि आप मेरे दुश्मन ही है और हमेशा रहेंगे।
    गौरव ने एक बार फिर से बोलिए आसमान की तरफ देखते हुए अपने दोनों हाथों को फैला कर जैसे ऊपर वाले से शिकायत की थी उसके चेहरे पर इस वक्त मासूमियत से कहीं ज्यादा फनी अंदाज था जिस पर वह खुद ही हंस दिया और अपना गाल सहलाने लगा।

    जब वह हँसते हुए जैसे आपे मे आया तो एक बार फिर से उसका दिल उदास हो गया था और वह अपनी पहली वाली सिचुएशन में लौट आया था जहां वह अलवीरा के ख्यालों में खोया हुआ था उसने अलविरा और पारसा के नाम पर जैसे अपने दिल पर दोनों हाथ रख लिए थे और बेहद अफ़सोस से अपने आप को ही जैसे हौसला देने लगा  "कोई बात नहीं मेरे दिल अलविरा अगर मेरी किस्मत में होती तो मुझे जरूरी मिलती  पर मैं अब उसके बच्चे का मामू भी हरगिज नहीं बनूंगा"


    वह अपने आप को ही समझा रहा था कि एकदम से ही इरिटेशन में अपनी गाड़ी का गेट खोल कर अंदर बैठ गया और स्टेरिंग संभालते हुए गाड़ी आगे बढ़ा ले गया, अभी वह कुछ दूर  अपनी खुली गाड़ी में हवा खाता हुआ आगे आया था जब उसकी नजरें उसी रोड के किनारे पर गई जहां पर जिब्रान अपनी गाड़ी की बोनट पर अकेला खामोश बैठा हुआ था।
    जिब्रान इस वक्त मायूस मायूस लग रहा था और उसकी सर्द अफसोस भरी निगाहें उस वॉच पर टिकी हुई थी जो उसने अपनी कलाई में पहन रखी थी जो उसे उसके निकाह की याद दिला रही थी कि वह अब पारसा के साथ बंध चुका है।

    गौरव ने जब जिब्रान को इस तरह तन्हा बैठा देखा तो उसे उसका भी दर्द अपने ही दर्द की तरह लगा था और उसने अपनी गाड़ी लाकर जिब्रान की गाड़ी के पास रोक दी और गाड़ी से बाहर आकर जिब्रान के सामने खड़ा हो गया।


    "हे ब्रो क्या बात है आर यू फाइन?... गौरव ने जिब्रान की तरफ देखते हुए बेहद खुश दिली और अपनेपन से उसे पुकारा था ज़ब जिब्रान ने एक नजर उठाकर सामने गौरव को देखा और फिर उसे नजरअंदाज करता हुआ वह वापस अपने ख्यालों में खो गया।

    जिब्रान चुप रहा तो गौरव उसके पास आकर उसकी गाड़ी के बोनट पर ही उसके पास टेक लगाकर खड़ा हो गया... "हेलो दोस्त मै तुमसे बात कर रहा हूं, लगता है तुम भी काफ़ी दुख के मारे हो वैसे क्या हुआ किसी लड़की का चक्कर है या फिर मोहब्बत में ठुकरा दिए गए हो, गर्लफ्रेंड बेवफा निकली या फिर बीवी से झगड़ा हुआ है तुम्हारा मै इन सब चीज का एक्सपर्ट हूं तुम मुझे बताओ मैं शायद तुम्हारी हेल्प कर पाउँ?


    गौरव बस अपनी ही धुन में बोलता जा रहा था जबकि जिब्रान उसकी तरफ ना तो देख रहा था और ना ही उसकी किसी बात पर ध्यान दे रहा था तो गौरव ने अब उसका हाथ पकड़ कर हिलाते हुए उसे पुकारा....
    "हे हैल्लो, सुनो ना दोस्त क्या बात है बताओ शायद हम दोनों एक ही आग में जल रहे हो आई मीन एक ही गम के सताए हुए हो मेरे साथ भी गलत हुआ है यार इस लिए मै यहाँ तन्हाई मे रोने चला आया था और अब तुम भी मिल गए, वैसे अगर तुम्हें तुम्हारी गर्लफ्रेंड छोड़ कर गई है तो मुझे लगता है उसका बेड लक है क्योंकि दिखने में तुम इतने हैंडसम लग रहे हो बिलकुल मेरी तरह मुझे नहीं लगता तुम्हारी गर्लफ्रेंड तुम्हें धोखा दे सकती है तो फिर क्या बात है, बताओ?


    गौरव बड़े ही शरारती मूड में जिब्रान के मजे लेते हुए बोल रहा था ज़ब जिब्रान ने खींचकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया और वह ना तो कुछ बोला था और ना ही उसने गौरव को कोई जवाब दिया था बस अकस्माद उसका हाथ गौरव के गाल पर आकर पड़ा तो गौरव जैसे पूरी तरह तिलमिला गया और एकदम से उछल कर दूर जा खड़ा हुआ।


    "यार सब लोग मुझे पीटते क्यों रहते हैं?... गौरव वह बड़ी ही मासूमियत से अपना गाल सहला रहा था जबकि जिब्रान एक बार फिर से सर झुकाए बैठा पारसा के बारे में सोच रहा।

    गौरव ने अपने दोनों हाथ कमर पर रखे और किसी डरावनी लड़ाकू औरत की तरह जिब्रान को घूरते हुए बोला... " तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर हाथ उठाने की जानते नहीं मैं कौन हूं मैं एक डॉक्टर हूं?


    "अच्छा पर दिखने में तो तुम किसी पागल पेशेंट की तरह लग रहे हो।... जिब्रान ने जवाब दिया था तो गौरव ने मुंह बना लिया और वह मानो लाजवाब सा रह गया।


    गौरव ने अब बड़ी ही क्यूटनेस से अपने आपको नीचे से ऊपर तक देखा फिर जिब्रान को अंगुली दिखाते हुए बोला.... "तुम एक पेशेवर डॉक्टर को इंसल्ट कर रहे हो मिस्टर!!


    "अच्छा जब तुम्हे फील हो रहा है कि मैं तुम्हें इंसल्ट कर रहा हूं तो फिर यहां क्यों खड़े हो मेरे साथ, चलो निकलो यहां से?

    जिब्रान ने उसे उंगली दिखाते हुए अपनी घूरती निगाहों से जाने का इशारा किया था पर गौरव भी किसी ढीट से कम नहीं था वह डटकर बोला.... "मै नहीं जाऊंगा मेरी मर्जी मैं यहीं खड़ा रहूंगा यह रोड तुम्हारी नहीं है, समझे तुम?


    "तो तुम्हारी है क्या यह रोड?

    अब जिब्रान भी उसके सामने आकर खड़ा हो गया था जिसके सामने गौरव ने अपनी हाइट छोटी पाई थी और जिब्रान के तेवर उसके रॉब के सामने गौरव अपने आप को ज्यादा देर तक टिका नहीं पाया था तो बड़ा क्यूट फेस बनाते हुए बोला... "ओय हीरो देखो तुम मुझे डराने की कोशिश मत करो।


    "और अगर कोशिश करूंगा तो क्या कर लोगे?


    "यार तुमने मुझ पर हाथ क्यों उठाया मैंने तो बस यही पूछा था ना कि क्या मैटर है तुम उदास क्यों हो?... गौरव ने जैसे ही जिब्रान से कहा जिब्रान ने एक और थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर जड़ दिया था जिससे गौरव अब दो कदम दूर जाकर खड़ा हो गया।


    "ए मैं तुमसे बात नहीं करूंगा तुम बार-बार मुझ पर हाथ क्यों उठा रहे हो तुम मुझे ऐसे थप्पड़ नहीं मार सकते समझे तुम मै एक डॉक्टर हूं?

    गौरव ने बड़े ही बेकार के तेवर दिखाते हुए जैसे जिब्रान पर अपना रॉब झाड़ना चाहा था जिसका असर जिब्रान पर हुआ नहीं था तो गौरव रुहांसा मुंह लेकर और भी पीछे हट गया जबकि जिब्रान गौरव को वहीं छोड़कर अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ गया था बिना कुछ बोले तो गौरव ने उसे पीछे से पुकारा... "हे यू तुम कहां जा रहे हो मैं तुमसे बात कर रहा हूं ना?


    गौरव ने जिब्रान को पुकारा था लेकिन जिब्रान अपनी गाड़ी के पास आ गया और उसमें से एक लोहे की रोड निकाल कर वह वापस गौरव के सामने आकर खड़ा हो गया जिसे देखकर गौरव ने मुंह बनाते हुए पूछा... "अब यह क्यों लेकर आए हो तुम?


    जिब्रान बोला... अरे भूल गए क्या तुमने ही तो कहा कि मैं तुम पर हाथ नहीं उठा सकता इसलिए सोच रहा हूं तुम्हारी पिटाई इस रोड से करूं?


    जिब्रान ने जैसे ही उस रोड को राउंड राउंड घूमाते हुए गौरव की आंखों में आंखें डालते हुए कहा था गौरव की बोलती बंद हो गई और अब मानो वह फंस गया था उसने जल्दी से जिब्रान की तरफ देखा और क्यूट मासूम फेस बनाकर बोला... "अरे नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते यार।


    "डॉक्टर अगर तुम यहां से एक मिनट में नहीं गए तो मैं ऐसा ही करूंगा और तुम्हें इतनी जगह से तोडूंगा कि अगर तुम हड्डी के डॉक्टर हो तो भी खुद को जोड़ नहीं पाओगे।
    जिब्रान में बड़े ही सादा से अंदाज में बेभाव गौरव को जैसे वॉर्न किया था और गौरव एक मिनट तो क्या शायद एक पल में ही वहां से गायब हो गया था, वह जल्दी से अपनी गाड़ी में बैठा और फौरन वहां से निकल गया जिसके जाते ही जिब्रान ने वह लोहे की रोड वापस अपनी गाड़ी में रखी और खुद भी गाड़ी में बैठकर वहां से अपने घर कि तरफ रवाना हो गया।।


    गौरव जिब्रान से पीटकर उसको कोसते हुए उसे दिन ही दिल में बद्दुआ देता गाड़ी तेजी से बढ़ाए जा रहा था और उसके हाथ जो स्टेरिंग पर घूम रहे थे उसने स्टेरिंग पर एक जोरदार मुक्का जड़ दिया और फिर दिल ही दिल में बड़बड़ाते हुए बोला... "यह आदमी खुद को समझता क्या है इसने मुझ पर हाथ उठाया देख लूंगा मैं इसे इसने इतने बड़े डॉक्टर से पंगा लिया है इसकी खैर नहीं अब तो।


    गौरव ने जिब्रान पर बड़बड़ाते हुए गाड़ी के शीशे से उस पार झाँका तो उसकी नजर रोड के दूसरे छोड़ पर जा टिकी और जैसे ही उसने रोड पर उस लड़की पूजा को देखा जिसने अभी-अभी उसे थप्पड़ मारा था और उसकी सिगरेट बुझाई थी तो उसे देखते ही उसने अपनी गाड़ी को ब्रेक लगा दिया और गाड़ी से बाहर आकर वह उसी तरह बढ़ने लगा जहां पर पूजा अपनी कई सारी दोस्तों के साथ खड़ी खुले आम हल्ला गुल्ला हँसी मजाक और बियर एंजॉय कर रही थी।

    गौरव को अपनी तरफ आता देखकर वह सारी लड़कियां तो उसे इग्नोर कर अपनी अपनी बियर बॉटल लिए पीने लगी थी जबकि  पूजा अपनी बियर की बॉटल अपने सीने में छुपाए उसने अपनी दोस्तों के पीछे छुपने की कोशिश की थी जब गौरव ने उसका हाथ पकड़ कर खींचा और उसे अपने सामने लाकर खड़ा कर लिया।


    गौरव ने जब पूजा को इस तरह पूरे हक के साथ पकड़ा था तो उसकी सारी सहेलियां गौरव की तरफ गुस्से में घूरने लगी थी और चिल्ला उठी... "ए तू यह क्या कर रहा है छोड़ हमारी दोस्त को?


    पूजा की एक दोस्त ने गौरव को अंगुली दिखाते हुए जैसे वार्निंग दी थी जब गौरव ने उसे देखते हुए ही पूजा के गाल पर थप्पड़ जड़ दिया और गौरव ने थप्पड़ मारा तो पूजा के साथ-साथ उसकी सारी दोस्ते भी चौंक कर अपनी अपनी जगह सीधी खड़ी हो गई थी और जैसे उनकी बियर का नशा एक झटके में उनके सर के ऊपर से गुजर गया था।।।



    और आगे...............

  • 5. लड़कियों ने किया गौरव का गैंग रेप😁 - 5

    Words: 2031

    Estimated Reading Time: 13 min

    गौरव को अपनी तरफ आता देखकर वह सारी लड़कियां तो उसे इग्नोर कर अपनी अपनी बियर बॉटल लिए पीने लगी थी जबकि  पूजा अपनी बियर की बॉटल अपने सीने में छुपाए उसने अपनी दोस्तों के पीछे छुपने की कोशिश की थी जब गौरव ने उसका हाथ पकड़ कर खींचा और उसे अपने सामने लाकर खड़ा कर लिया।

    गौरव ने जब पूजा को इस तरह पूरे हक के साथ पकड़ा था तो उसकी सारी सहेलियां गौरव की तरफ गुस्से में घूरने लगी थी और चिल्ला उठी... "ए तू यह क्या कर रहा है छोड़ हमारी दोस्त को?


    पूजा की एक दोस्त ने गौरव को अंगुली दिखाते हुए जैसे वार्निंग दी थी जब गौरव ने उसे देखते हुए ही पूजा के गाल पर थप्पड़ जड़ दिया और गौरव ने थप्पड़ मारा तो पूजा के साथ-साथ उसकी सारी दोस्ते भी चौंक कर अपनी अपनी जगह सीधी खड़ी हो गई थी और जैसे उनकी बियर का नशा एक झटके में उनके सर के ऊपर से गुजर गया था।

    "ए लडके तेरी हिम्मत कैसे हुई हमारी दोस्त पर हाथ उठाने की?


    एक और पूजा की दोस्त ने गौरव की तरफ आते हुए अभी कुछ और कहना चाहा था जब गौरव ने अपने हाथ में पकड़ी पूजा को एक और थप्पड़ जड़ दिया जिससे पूजा अपनी सारी दोस्तों को घूरकर डांटने लगी.... "ए तुम सब चुप रहो अगर इससे कुछ बोलोगी तो यह जवाब में मुझे ही मारेगा यार।


    अब पूजा ने बड़ा बेचारा सा चेहरा बनाकर गौरव की तरफ देखा तो गौरव ने उसे अपनी आँखों के इशारे से डपट दिया और पूजा ने कान पकड़ लिए।
    "अभी ज़ब मै सिगरेट पी रहा था तो वह पब्लिक पैलेस था जिससे तुमने मुझे थप्पड़िया दिया और अब जो तुम कर रही हो यह क्या है, यह पब्लिक पैलेस नहीं क्या जहाँ तुम सारे आम ऐसे छिछोरियो की तरफ नशा कर रही हो गंदी छोरी इससे यहां का माहौल खराब नहीं होगा अब?

    गौरव ने पूजा के बाल पकड़कर खींचे थे ज़ब वह रूहाँसा सा मुंह बनाकर बोली.... "सॉरी, आई एम सॉरी सर!


    "सॉरी की बच्ची दूसरों को नसीहद देने से पहले खुद की हरकतों पर भी ध्यान दो।

    "सॉरी सर आइंदा ऐसा कभी नहीं करुंगी वह मैंने बस उस वक्त थोड़ा टशन झाड़ने के चक्कर में आप पर हाथ उठा दिया सर, सॉरी सर?


    "शटअप.... पूजा अभी अपनी बात पूरी कर पाती कि गौरव ने उस को एक और थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया था और फिर अपना हाथ यूं ही हवा में रोकते हुए उसे छोड़ दिया और उंगली दिखाते हुए बोला.... "क्या कहा टशन, टशन की बच्ची तुम्हारे टशन के चक्कर में मेरे गाल की अच्छीखासी मरम्मत कर दी तुमने?


    "नहीं सर, सर अब ऐसा नहीं करूंगी?


    "क्या नहीं करोगी?



    "सर मै अब कुछ नहीं करूंगी?


    जैसे कि क्या नहीं करोगी किसी को नसीहत नहीं दोगी या फिर यह ड्रिंक नहीं करोगी?

    गौरव ने पास मे रखी कई सारी बियर की बॉटलस की तरफ इशारा करते हुए कहा तो पूजा जल्दी से हाथ जोड़कर खड़ी हो गई... नहीं सर, सॉरी सर अब से कुछ भी नहीं करूंगी कसम से?


    "गुड गर्ल ख़ासकर मेरे जैसे हेंडसम लड़के पर हाथ तो बिलकुल मत उठाना, समझी कि नहीं।


    "हाँ हाँ सर समझ गई, समझ गई मै सर आप तो महान हो प्लीज् मुझे जाने दो सर मेरे घर वालो को पता चला कि मै ड्रिंक कर रही थी तो वह लोग मेरा... प्लीज् सर जाने दो।

    पूजा ने अपने गले के पास हाथ रखते हुए कसम खाकर बड़े ही मायूस मगर फनी सी अंदाज में कहा था तो गौरव जैसे और भी तन गया और वह अब अपना सीना चौड़ा करते हुए जैसे खुश हो गया था कि कोई उससे भी डरता है?


    "प्लीज् सर वह घरवालो को पता ना चले इसलिए हम सब यहाँ छुपकर पीने आई थीं क्योंकि यहाँ आस पास हमारी पहचान का कोई नहीं रहता, हम सब कॉलेज स्टूडेंट है ना सर?


    "क्या कहा कॉलेज स्टूडेंट?


    "जी हां सर।


    " कॉलेज स्टूडेंट और इतनी होसियारी।


    "सर वह मैंने बताया ना सर कि मै बस आप पर रौब झाड रही थी ताकि आप हमसे डरे।


    "यानि मुज्जे डराने केलिए मुझे थप्पड़िया ही दिया, बाप रे तुम लड़की हो या तोप।


    "नहीं सर आइंदा ऐसा कुछ नहीं करूंगी मै?


    "पक्का ना किसी को परेशान नहीं करोगी ना अब से?


    ""नहीं सर कभी नहीं।


    "ओके फिर ठीक है!
    सब गौरव ने बियर पूजा के हाथ से छीन ली और खुद उसे बड़े रोबिले तेवर से पीते हुए पूजा की तरफ देखने लगा... "वेल, ठीक है माफ कर रहा हूं लेकिन आइंदा तुम मुझे...!!


    गौरव अभी पूजा और उसकी दोस्तों पर और ज्यादा रॉब झाड़ता कि पूजा ने अपने दोस्तों की तरफ देखा था और जैसे उन सबको आंखों का कोई इशारा किया तो उसकी सारी दोस्त एकदम से मुस्कुरा दी और फिर वह सब एक दूसरे को देखते हुए गौरव की तरफ बढ़ने लगी और गौरव अभी कुछ समझ पाता कि उन सारी लड़कियों ने गौरव को चारो तरफ से घेर लिया था और गौरव के हाथ से तब बीयर की बॉटल छूटकर जमीन पर गिर गई जब उन सारी लड़कियों ने उसे जगह-जगह से जबरदस्ती किस करना शुरू कर दिया था.

    गौरव उन लड़कियों के झुंड के बीच में फंसा तिलमिलाने लगा था और वह सारी लड़कियां गौरव पर जैसे हमला ही बोल चुकी थी और जब वह सब उसे छोड़कर अलग हटी तो गौरव ने अपने दोनों हाथों से अपने सीने पर जैसे क्रॉस कर लिया था और उसके चेहरे पर इस वक्त बेचारे जैसे पर फनी अंदाज थे जो कोई भो देखता तो उसे हंसी आ जाती और वह कभी खुद को देखता तो कभी उन लड़कियों की तरफ जो अब शरारत से भरी नजरो से गौरव को घूर रही थी।


    गौरव रोने लगा.... "गंदी लड़कियो तुम सब ने यह क्या किया क्यों किया, तुम सब लोगों ने मिलकर मेरा गैंग रेप किया है मेरी इज्जत पर हमला ओह माय गॉड?

    गौरव ने मुंह बनाते हुए कहा था जबकि वह लड़कियां उस पर हँस रही थीं वह सब एक दूसरे को देखते हुए गौरव का मजाक बनाती हंसते हुए वहां से चली गई जबकि गौरव जैसे कोई लुटा फूटा सा भिखारी की तरह खड़ा रहा उसके पूरे कपड़ों से लेकर पूरे चेहरे और गर्दन पर उन सारी लड़कियों की लिपस्टिक के गहरे गहरे निशान थे उन सबने उसे इतना किस जो किया था।


    गौरव उन सबको जाते हुए देखता चिल्लाने लगा... "छिछोरियो तुम सारी लड़कियां छिछोरी नहीं हो गुंडी हो गुंडी तुम लोगों ने मिलकर मेरा रेप किया है रेपिस्ट कहीं की, एक बेचारे अबला मासूम मर्द की इज्जत लूटते हुए तुम लोगों को शर्म नहीं आई, मर जाओ तुम सब?

    गौरव उन लड़कियों को गुस्से में डांट रहा था जबकि वह लड़कियां अपनी अपनी बियर एंजॉय करती वहां से चली गई थी बिना गौरव की तरफ देखे लेकिन उनकी हंसी मजाक और कहकहे गौरव को साफ सुनाई दे रहे थें जो उसका मजाक उड़ा रहीं थीं।


    "हे भगवान जी इन लड़कियो ने मेरी सारी इज्जत लूट ली यानि मै अब किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहा मै क्या करूँ अब?


    गौरव मुंह बनाते हुए अपने आप से भी कह रहा था और उन लड़कियो को कोस रहा था ज़ब उसे अपने पीछे थोड़ी दूर पर किसी कि आहट सी महसूस हुईं थी तो वह जल्दी से उसी तरफ बढ़ गया?

    वह ज़ब रोड के दूसरी तरफ आया तो उसे जिब्रान मिला जो इस वक्त घुटनों के बल बैठा था और उसके सामने एक लड़की बेसुध सी पड़ी थी जिसे देखकर ही समझ आ रहा था कि उसका बुरी तरह से एक्सीडेंट हुआ है।
    गौरव अब और तेजी से जल्दी जल्दी दौड़ते हुए जिब्रान और उस लड़की के पास आया था और कभी वह जिब्रान को देखता तो कभी उस बेहोश पड़ी लड़की को जिसे जिब्रान ने संभाल रखा था?


    "कक, क्या, क्या हुआ भाई तुमने इसे ठोक दिया क्या, ओह माय गॉड तुमने, तुमने इसका एक्सीडेंट कर दिया अब तो तुम लम्बा जाओगे मिस्टर अगर इसे कुछ हुआ तो?
    गौरव बड़ी अदा से अपने दोनों हाथ से सर पकड़े जिब्रान को डराते और उसे जैसे डांटते हुए वहीं उसके साथ ही घुटने के बल उस लड़की के पास बैठ गया था जो लड़की कोई और नहीं बल्कि तन्वी थी।

    तंवी जो सौरभ और नेहा से बचकर भागी थी लेकिन शायद उसकी किस्मत उसका साथ ही नहीं देना चाहती थी और वह जो अब सौरभ और नेहा से बचकर भागते हुए रोड की तरह  आई थी उसका एक तेज रफ्तार गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ था और उसे सौरभ और नेहा यूं ही मरता हुआ छोड़ कर चले गए थे उन्हें लगा था कि तन्वी मर गई है लेकिन अभी भी उसकी सांसे चल रही थी जिसके पास बैठा जिब्रान उसे आवाजे देता उसे होश मे लाने की कोशिश कर रहा था और अब गौरव भी वहीं आ गया था।

    गौरव ने हैरत से तन्वी की तरफ देखा और फिर जिब्रान का हाथ पकड़ कर उसे हिला डाला... "ओ भाई क्या किया तुमने एक अच्छी भली लड़की की जान ले ली तुमने दिखने मे शरीफ लगते हो और मर्डर निकले तुम तो?


    गौरव अपने ही अंदाज मे था और जिब्रान जो पहले से ही परेशान था तन्वी की ऐसी हालत देखकर उसको वाकई घबराहट, टेंशन और एक दर्द सा हुआ थाअब गौरव की ऐसी बात पर उसे जैसे और भी गुस्सा आ गया उसने खींचकर उसके गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया।


    "अबे नालायक डॉक्टर अकल नहीं है क्या तुम्हे डॉक्टर कम पेशेंट कहीं के मेरी गाड़ी तो वहां उधर देखो इतनी दूर खड़ी है मैंने नहीं किया इसका एक्सीडेंट?

    जिब्रान ने गौरव को अपनी गाड़ी की तरफ इशारा किया था जो इस वक्त सचमे उससे काफी दूर खड़ी थी फिर उसने तन्वी की तरफ देखते हुए गौरव को डपट दिया.... "गाड़ी वहाँ है मेरी और यह लड़की यहां पड़ी हुई है मतलब कि मैंने इसका एक्सीडेंट नहीं किया मैं तो अपनी गाड़ी से घर जा रहा था जब मेरी नजर इस पर गई तो मैं इसे देखने यहां चला आया मुझे तो लगा था कि यह जिंदा नहीं है लेकिन इसकी सांसे चल रही है देखो तुम इसे जरा चेक करो तुम तो डॉक्टर होना।


    जिब्रान घबराते हुए तन्वी का एक हाथ अपने दोनों हाथों के बीच रखकर रब करने लगा था जिससे तंवी को राहत हो लेकिन वह बदहवास बेदम सी उसी तरह जमीन पर पड़ी रही अब गौरव भी जल्दी से पागलों की तरह सर हिलाते हुए तंवी क और पास आया था।
    उसने सबसे पहले तंवी की नफ्ज चेक की तो पाया कि वह सच मे जिन्दा है तो गौरव भी अब काफ़ी हद तक सीरियस हो गया था।


    "आई थिंक मुझे इसे मेरे हॉस्पिटल ले जाना होगा जहां इसका ट्रिमेंट होगा तो यह ठीक हो सकती है।... गौरव ने घबराहट और बेचैनी से जल्दी जल्दी कहा था।


    जिब्रान ने भी अब गौरव कि तरफ देखते हुए सर हिला दिया... "हाँ चलो मै भी तुम्हारे साथ चलता हूं, जल्दी करो।


    "कोई बात नहीं मै हैंडल कर लूंगा तुम जाओ?


    "नहीं मैंने कहा ना मै चलूँगा तुम्हारे साथ वैसे भी इस लड़की की जिम्मेदारी अब मेरे ऊपर भी है.।

    जिब्रान ने कहते हुए तंवी को अपनी गोद मे उठा लिया था और अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ने लगा ज़ब गौरव ने उसे पुकारा.... "सुनो हम इसे मेरी गाड़ी मे लेकर चलते है!


    "हाँ ठीक है चलो।... जिब्रान तंवी को लिए गौरव की गाड़ी मे आकर बैठ गया था और गौरव ने तेज रफ्तार से गाड़ी अपने हॉस्पिटल की तरफ दौड़ा दी।


    दोनों ज़ब हॉस्पिटल पहुंचे तो गौरव के कहने पर वार्डबोय जल्दी से स्ट्रेचर ले आये थे और तंवी को लेकर गौरव और बाकि सब इमेरजेंसी की तरफ भागे थे।

    तन्वी का इलाज शुरू हो गया था और ज़ब गौरव ने तंवी क बारे मे जिब्रान को बताया कि उसका सिर्फ एक बार एक्सीडेंट नहीं हुआ है बल्कि कई बार उसके साथ रेप और मारपीट किया गया है तो जिब्रान कि जैसे जान ही निकल गई थी गौरव की आँखों मे जो आंसू थे वह जिब्रान की आँखों को भी गीला कर गए तंवी की हालत बहुत नाजुक थी और उसके साथ जो हुआ था उससे गौरव और जिब्रान दोनों को तकलीफ हुई थी।।।



    और आगे...........


    तो अब मिले हैं जिब्रान गौरव और तंवी तो क्या होगा यह स्टोरी का नया टशन जिसमे कब क्या होगा कोई नहीं जानता, बस डियर रीडर्स आप जुड़े रहिये कहानी के साथ 🙏

  • 6. पारसा और जिब्रान की नॉटी नोकझोंक - 6

    Words: 2128

    Estimated Reading Time: 13 min

    दोनों ज़ब हॉस्पिटल पहुंचे तो गौरव के कहने पर वार्डबोय जल्दी से स्ट्रेचर ले आये थे और तंवी को लेकर गौरव और बाकि सब इमेरजेंसी की तरफ भागे थे।

    तन्वी का इलाज शुरू हो गया था और ज़ब गौरव ने तंवी क बारे मे जिब्रान को बताया कि उसका सिर्फ एक बार एक्सीडेंट नहीं हुआ है बल्कि कई बार उसके साथ रेप और मारपीट किया गया है तो जिब्रान कि जैसे जान ही निकल गई थी गौरव की आँखों मे जो आंसू थे वह जिब्रान की आँखों को भी गीला कर गए तंवी की हालत बहुत नाजुक थी और उसके साथ जो हुआ था उससे गौरव और जिब्रान दोनों को तकलीफ हुई थी।.


    जिब्रान तंवी को एडमिट करवाकर वापस अपने घर की तरफ रवाना हो गया था क्योंकि रात खत्म होने को थी और उसे घर पहुंचना जरुरी था जबकि गौरव ने अब तंवी की पूरी रिस्पॉन्सब्लिटी उठाई थी और उसका वह खुद ही इलाज कर रहा था इस वक्त वह कहीं से भी फनी, चुलबुला सा मस्तमोला और स्टुपिड हरकते करने वाला नहीं लग रहा था बल्कि वह इस वक्त लग रहा था एक रिस्पॉन्सबल, मिच्योर प्रोफेशनल सीरियस डॉक्टर जो तंवी केलिए अपना बेस्ट दे रहा था।

    गौरव अक्सर ऐसे बेसहरा लोगो का सहारा बनकर उन्हें इस हॉस्पिटल मे फ्री ट्रीटमेंट दिया करता था और वह अक्सर ऐसे ही तंवी जैसे लोगो का गरीब और रोजाना ही बहुत से जरूरतमंद के काम आता था जिनकी वह बेझिझक और बिना किसी अपने निजी फायदे के इलाज किया करता था जिससे वह उस पूरे हॉस्पिटल मे फेमस था और सबका फेवरेट भी।
    सब उसकी शरारतो को इसी लिए ज्यादा पसंद करते थे क्योंकि वह दिल का साफ और एक इनोसेंट सा सब से अलग था और आज भी ज़ब वह तंवी के काम आया बिना किसी लालच के तो एक बार फिर से वह सबकी नजरो मे रिस्पेक्टली काफ़ी ऊपर उठ गया था, अलविरा इस वक्त हॉस्पिटल मे नही थी क्योंकि वह नाइट शिफ्ट नहीं करती थी पर वह गौरव को अपना डॉक्टर कम दोस्त ज्यादा मानती थी ठीक वैसे ही जैसे गौरव की वह पसंदीदा नर्स थी और हाँ शायद एकतरफा प्यार भी।।


                  ** * * * * * * * *


    जिब्रान अभी शॉवर लेकर चेंजिंग रूम में गया था जहां से घर के कपड़ो में बाहर निकला और बेड की तरफ आ गया उसने एक ढीली सी ग्रीन लोवर पहनी थी और व्हाइट टीशर्ट लिए उसे पहनने ही वाला था कि जब कमरे का दरवाजा खोलकर कोई अंदर आया ज़िबरान ने जैसे ही दरवाजे पर देखा सामने पारसा को देखकर उसका मुंह बन गया और साथ ही फौरन टीशर्ट खुद पर लपेट ली।


    "तुम्हे किसी ने सिखाया नही क्या किसी के कमरे में जाने से पहले नॉक करते हैं?


    पारसा ने ज़िबरान को देखा और उसे हंसी आ गई जो किसी डरे हुए बच्चे की तरह टीशर्ट को कसकर पकड़े उस से खुदको ढकने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था।

    "अरे तुम तो शर्मा गये ज़ुबू मै बीवी हूँ तुम्हारी।


    "पारसा यह लफ्ज तुम अपनी जुबान पर लाना छोड़ दो वरनामै... बड़ी आई बीवी।

    ज़िबरान ने उसे घूरते हुए दांत पीसकर कहा और मिरर की साइड आ गया.... "जब देखो मेरे ही इर्द गिर्द घूमती रहती है चुड़ैलों की तरह।


    वह अपने मन में बुदबुदाया था जिसे पारसा सुन नही पाई और कमरे में अंदर बेड की तरफ आ गई।

    "मेरे सामने शर्माने की जरूरत नही ज़ुबू तुम शर्टलेस भी मुझे कमाल ही लगते हो।


    निकल जाओ मेरे कमरे से... "ज़िबरान चिढ़कर उसकी तरफ पलटा था जबकि पारसा को हंसी आ रही थी उसे चिढ़ाने में।


    अरे मिस्टर ज़िबरान मकसूद अली शायद तुम भूल रहें हैं यह कमरा मेरा भी है और अब यहां मुझे आने केलिए किसी से पूछने की जरूरत नही पड़ती।


    "मर जाओगी तुम तब भी यह कमरा सिर्फ मेरा ही रहेगा,,


    अच्छा, तो क्या मै तुम्हारी नई नवेली दुल्हन नही क्या ज़िबरान मेरे पति परमेश्वर?
    पारसा ने आँखे मटकाते हुए फुल ऑन शरारती मूड में इस अंदाज से कहा था कि ज़िबरान का खून ही ख़ौल गया।


    "क्यों आई हो यहां?


    "तुम्हारे दीदार को आँखे तरस रही थी आज तुम ऑफिस से इतना लेट क्यों आये हो?


    "इसमें क्या है.... "पारसा के सवाल पर ज़िबरान ने जवाब देने के बजाय उसे दो पल देखा और उसके हाथ में एक प्लेट में कुछ देख उसने बेभाव पूछ लिया जिसे पारसा ने अपने दुपट्टे के कोने से ढ़का था।


    "तुम्हारी मुंह दिखाई है और क्या?  "पारसा ने दुपट्टा प्लेट पर से हटाते हुए मुस्कुराकर जवाब दिया।


    "मुंह दिखाई, व्हाट यू मीन?


    "आई मीन ज़िबरान तीन दिन हो गए हमारी शादी को और तुमने अभी तक मुझे मेरी मुंह दिखाई नही दी जो हर लड़की का हक होता तो मैने सोचा मै ही तुमको मुंह दिखाई दे दूँ।


    "अच्छा, और जो दो लाख का लॉकेट दिलवाया है अम्मी ने उसका क्या, वह भूल गई तुम?

    ज़िबरान ने भी अब सीने पर हाथ बांधे और उसे खा जाने वाली नजरो से घूरते हुए बोला था।


    "हाँ तो वह मेरा हक महर है ज़िबरान जो शादी पर घर से हर बहू को मिलता होगा पर मुझको मुंह दिखाई तो तुम्हे देनी चाहिए थी ना जो तुमने नही दी।
    पारसा अब उसके सामने आकर खड़ी हो गई थी जो उसे ही देख रहा था।

    "तुमने नही दी मुंह दिखाई तो क्या हुआ मै ही तुम्हारे लिए लेकर आ गई, यह लो.... "पारसा ने प्लेट उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा।


    "यह है क्या?


    "अब तुम लड़कियों की तरह नैकलेस, झुमके, पायल कंगन तो पहनोगे नही जो मै तुम्हे गिफ्ट में दे सकती इसलिए मुंह दिखाई के तौर पर तुम्हारे लिए मै यह डिश बनाकर लाई हूँ फिशकरी।


    "ओह, ऐसा क्या?


    "हां तो और क्या मै बहुत पोजेसिव हूँ?


    "दिख रहा है मुझे कितना पॉजिसिव हो,,


    "शुक्रिया,,


    पारसा खुश हो गई थी जब ज़िबरान ने उसे अंगुली दिखाते हुए डपट दिया.... "ओह शटअप!!


    क्या हुआ?  "पारसा उछल गई थी ज़िबरान के गुस्से भरी चीख पर।


    "तुम मुझे मारना चाहती हो ना ताकि यह कमरा तुम्हारा हो जाये, राइट?


    "रॉन्ग, मै ऐसा क्यों चाहूंगी यह कमरा तो ऑलरेडी मुझे तीन दिन पहले ही मिल गया ना।


    "तुम्हे पता है मुझे फिश से एलर्जी हो जाती है इसीलिए तुम इसे मेरे पास लाई हो ना, हटाओ इसे मेरे सामने से मै साँस नही ले पाउँगा?
    ज़िबरान ने प्लेट पारसा की तरफ पुश किया जो वह उसके सामने लिए खड़ी थी और खुद भी वहां से हट गया…

    "मै तुम्हारी चाल समझता हूँ पारसा सगीर अहमद,,


    "अरे हाँ मै कैसे भूल गई यार तुम्हे तो मछली से एलर्जी है.... "पारसा पर ज़िबरान की तल्खी और तंज का कोई असर नही था वह हंसते हुए वापस उसके पास आ गई।

    "ज़ुबू इधर देखो मेरी तरफ,,


    "नही देखूंगा पहले यह फिश मुझसे दूर करो,,


    "ओके यह लो,,

    पारसा ने प्लेट अलग रख दी और ज़िबरान के सामने आकर खड़ी हो गई.... "हाय यह छोटा बच्चा तो मछली से डरता है मुझे याद ही नही रहा।


    "मै तुम्हे बच्चा दिखता हूँ,,


    "तभी तो फिश के काँटों से डरते हो,,


    "चली जाओ मेरे सामने से वरना....!!


    "वरना क्या करोगे तुम, मै नही जाऊँगी यहीं रहूंगी,,

    पारसा कमर पर हाथ रखे डटकर बोली थी.... "यह कमरा अब मेरा भी है।


    "तुमसे तो बात करना ही बेकार है डफर लड़की,,
    ज़िबरान ने उसे घूरते हुए कहा और खुद ही उसके सामने से हटकर बेड की तरफ आ गया।


    पारसा ने मिरर में देखते हुए बाल सुलझाए और फिर पीछे पलटकर देखा जहां बिस्तर पर ज़िबरान बैठा फोन यूज कर रहा था और पारसा से जब रहा नही गया तो उसने उसे पुकारा....

    "जिब्रान,,

    जिब्रान ने उसकी तरफ नजर उठाई तो उसने शरारत से उसे आंख मारते हुए मुंह चिढ़ाया और जोर से हंस दी जबकि ज़िबरान की मुठ्ठियाँ मिंच गई थीं।


    अब तुम यहां एक मिनट भी नही रहोगी निकलो मेरे कमरे से.... "ज़िबरान उठकर उसकी तरफ आते हुए चिढ़कर बोला था और उसका हाथ थामकर दरवाजे की तरफ आ गया।

    "चली जाओ मेरे सर पर तांडव मत किया करो,,


    "मै नही जाऊंगी यह घर और ये कमरा सब मेरा है ज़िबरान.... "पारसा ने झटककर उससे अपना हाथ छुड़ाया और तनकर बोली।

    "मुझे मामू और मामी यहां लाये हैं मै अब कहीं नही जाऊंगी?


    अम्मी अब्बू लाये हैं ना तुम्हे यहां तो जाकर उन्ही के कमरे में रहो मै तुम्हे एक मिनट भी बर्दाश्त नही कर सकता अब।


    "क्यों उनके कमरे में रहूं... मामूजान मुझे तुम्हारी बीवी बनाकर लाएं है?


    तुम्हारे मामू ने जो किया है ना मेरे साथ उसका बदला अब मै तुमसे लूंगा।


    "मेरे मामू तुम्हारे बाप हैं जिब्रान भूल गए क्या?


    "तो फिर इसका बदला मै तुम्हारे बाप से लूंगा छोडूंगा नही मै फूफा और फूफी को जिन्होंने अपनी इतनी गन्दी चुड़ैल सी बेटी मेरे पल्ले बांध दी और अब दोनों वहाँ आराम से सोएं होंगे और मै यहां जाग रहा हूँ क्योंकि तुम मेरे लिए जहर हो पारसा ।

    जिब्रान ने पारसा का हाथ वापस पकड़ा और उसे कमरे से उस पार धकेलकर जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया जो उसने इतनी जल्दी जल्दी में किया था कि पारसा को जैसे समझ नही आया कुछ?


    उधर से पारसा दरवाजा पीट रही थी लेकिन ज़िबरान ने दरवाजा नही खोला और आराम से आकर बेड पर लेट गया जैसे आज काफी दिनों बाद उसे ख़ुशी मिली थी जब वह अपने कमरे में अपनी मर्जी से बेड पर था वेसे तो पारसा के आने से उसे नीचे बिस्तर डालकर सोना पड़ रहा था।
    पारसा ने कुछ देर वेट किया और जब दरवाजा नही खुला तो वह चली गई और जब दरवाजे पर दस्तक होना बंद हुई तो जिब्रान इधर कमरे में आराम से सो गया ज़ब उसे लगा कि पारसा अब उसे डिस्टर्ब नहीं करेगी।



    जिब्रान सो तो गया था आराम तो उसे मिला था पारसा को कमरे से निकालकर लेकिन सुबह उसके साथ क्या होने वाला है यह वह शायद नही समझा था।

    वह सुबह जब फ्रेश होकर कमरे से बाहर आया और सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था कि जैसे ही उसने आखिरी सीधी पर कदम रखा एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा था जिससे वह अचानक हुए इस हमले से झिझक उठा।
    उसने अपने गाल पर हाथ रखे सामने देखा तो उसकी मां सलमा खड़ी उसे गुस्से से निहार रहीं थीं।


    "अम्मी,,

    ज़िबरान ने मासूम सा चेहरा बनाया और सामने दूर डाइनिंग टेबल पर उसकी नजर उठ गई जहाँ पारसा आराम से बैठी ब्रेकफास्ट कर रही थी।


    "मत बोल मुझे अम्मी ज़िबरान तुझे शर्म नही आई... सलमा ने उसे डपट दिया था।

    "इतनी रात को तूने पारसा को उसके कमरे से बाहर निकाल दिया, तुझे पता है रात भर बेचारी हाल में सोफे पर सोई है।


    "अरे अम्मी तो मैने इसे....!!


    मुझे कुछ नहीं सुनना चुपकर तू.... इससे पहले ज़िबरान अपनी सफाई में कुछ कह पता कि सलमा ने उसे गुस्से में अंगुली दिखाते हुए डांट दिया।

    "ज़िबरान अगर तेरे बाप को पता चला ना तो वह तेरी जान ले लेंगे क्या जरूरत थी तुझे पारसा के मुंह पर दरवाजा बंद करने की वह कमरा इसका भी है, तुम दोनों कब तक उस कमरे के लिए झगड़ते रहोगे?


    नो अम्मी आप मेरी बात तो सुनिए दरवाजा रात भर खुला रहा अगर यह आना चाहती तो वापस आ सकती थी मैंने कौन सा दरवाजा लॉक किया था?


    "अच्छा तुमने लॉक नहीं किया था, झूठे कहीं के ज़िबरान अब तुम अपनी मां से झूठ भी बोलोगे ?


    "अम्मी मै झूठ नही बोल रहा,,

    ज़िबरान ने सलमा को एक नजर देखते हुए पारसा की तरफ देखा जिसने अपनी आइब्रो उचकाकर शरारत से उसे मुंह चिढ़ा दिया और ज़िबरान का खून ख़ौल उठा।


    पारसा के साथ बैठे ज़िबरान के छोटे भाई बहन आईना और जाफर भी ज़िबरान की पिटाई देख कर शायद खुश हो रहे थे जो घर में कितनी शान से रहता था घर का सबसे बड़ा हर चीज जिसके हिसाब से चलती लेकिन जब उस पर सलमा का ऐसे ही कभी हाथ उठता था तो कुछ ऐसा ही नजारा हुआ करता था?


    "मेरा मन तो कर रहा है मैं तेरी जान ही ले लूं जिब्रान बताओ भला यह भी कोई बात हुई?

    सलमा ने ज़िबरान का कान पकड़कर मरोड़ दिया... "बच्चा नही है तू अब दो दिन भी नहीं हुए तेरी शादी को और तू उसके साथ ऐसे पेश आयेगा वह इस घर की बहू है समझा।


    "हां तो मैं कौन सा आपकी बहू को पानी में घोलकर पी जाने वाला हूं अम्मी,,


    तू मुझसे जबान चला रहा है, मुझसे.... "सलमा ने उसका मुंह पकड़ कर दबाना चाहा था जब वह हंसते हुए दो कदम पीछे हट गया।

    "अम्मी प्लीज रहने दीजिए ना""


    यह देखो, हाय अल्लाह यह मुझ पर हंस भी रहा है तुझे बिल्कुल भी शर्म नहीं आती नालायक लड़के...

    सलमा ने जब उसे ऐसे हंसते देखा तो उन्हें और भी गुस्सा आ गया था जबकि जिबरान को अपनी हंसी पर इस वक्त नफरत हो रही थी क्योंकि कहते हैं ना कि मौत आ जाये पर मां की मार पर हंसी ना आये क्योकि ऐसे में दो थप्पड़ अलग से पड़ जाते हैं।।।

                    
                     जारी…………….....

  • 7. बेचारा जिब्रान, शरारती पारसा फिर क्यों आँखों मे आंसू - 7

    Words: 2116

    Estimated Reading Time: 13 min

    हां तो मैं कौन सा आपकी बहू को पानी में घोलकर पी जाने वाला हूं अम्मी,,


    तू मुझसे जबान चला रहा है, मुझसे.... "सलमा ने उसका मुंह पकड़ कर दबाना चाहा था जब वह हंसते हुए दो कदम पीछे हट गया।

    "अम्मी प्लीज रहने दीजिए ना""


    यह देखो, हाय अल्लाह यह मुझ पर हंस भी रहा है तुझे बिल्कुल भी शर्म नहीं आती नालायक लड़के...

    सलमा ने जब उसे ऐसे हंसते देखा तो उन्हें और भी गुस्सा आ गया था जबकि जिबरान को अपनी हंसी पर इस वक्त नफरत हो रही थी क्योंकि कहते हैं ना कि मौत आ जाये पर मां की मार पर हंसी ना आये क्योकि ऐसे में दो थप्पड़ अलग से पड़ जाते हैं।

                    
    "देख ज़िबरान आइंदा ऐसा कुछ हुआ तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा याद रखना, पारसा तुम्हारी जिम्मेदारी है?


    "हाँ तो अम्मी मैं कहां अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा हूं मैंने तो गुस्से में बोल दिया था अगर यह चाहती तो वापस आ सकती थी ना?


    "क्यों आती यह वापस तुम इसे खुद से दूर करते रहो और यह बार-बार अपना हक मांगती रहे?


    अरे रहने दीजिए ना मामी यह वैसे भी झूठ बोल रहा है उसने कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक किया था मैने देखा था।
    पारसा ने सैंडविच का टुकड़ा अपने मुंह में डालते हुए जैसे एक और आग लगाई थी।

    सलमा ने उसकी तरफ पलट कर देखा और फिर सामने खड़े ज़िबरान से बोली.... "तो अब कहो क्या कहते हो तुम ज़ुबू अगर यह नहीं आई थी कमरे में तो तुम आकर इसे यहां से ले जाते ना?


    सॉरी अम्मी अब ऐसा नही करूँगा मैं इसकी नौकरी करूँगा आज से, ठीक है।


    देखो ज़ुबू मै तुम्हें....!!

    अभी सलमा कुछ कहने वाली थी जब पारसा के पास बैठी आईना ने उन्हें पुकारा....
    "अम्मी मुझे लगता है भाई गुस्सा हैं भाभी से क्योंकि यह जब से आई है उन्हें परेशान भी तो कितना करती है और कल भी यह उनके लिए मछली लेकर गई थी शायद इसीलिए इन्होंने भाभी को कमरे से निकाल दिया हो?


    आईना ने हंसते हुए बताया था और फिर पारसा की तरफ देखने लगी जिस पर पारसा ने उसे आंखें दिखाई और फिर वह दोनों ही हाई-फाई लेते हुए मजाक में एक साथ हंस दी जो जिबरान पर एक और वॉर था।


    देखा अम्मी यह लड़की जब से आई है मेरा खून चूस्ती रहती है एक भी मौका नहीं छोड़ती यह मुझे परेशान करने का!
    ज़िबरान मासूमियत सा शिकायती सा बोला था।


    हां तो क्या हुआ तुम्हें परेशान नहीं करेगी तो किसे करेगी शौहर हो तुम इसके अगर तुम्हें नहीं खानी थी मछली तो मत खाते उसके लिए इसे सजा देने की क्या जरूरत थी?

    सलमा ने कुछ कहते हुए दो पल सोचा और फिर जैसे उसे समझाने की अंदाज से बोली.... "देखो ज़ुबू पारसा मेरी और तुम्हारे अब्बू की पसंद है तुम्हारी फुफ्फो की बेटी मैं नहीं चाहती इसे यहां कोई तकलीफ हो यह यहां अपनी मर्जी से नहीं आई है निकाह करके लाए हो तुम इसको?


    ओके अम्मीजान ओके आप जो कहें, आप ऐसे सीरियस क्यों हो जाती हैं?
    ज़िबरान ने आगे बढ़कर सलमा के शोल्डर पर अपना चेहरा रख दिया.... "अम्मी प्लीज डैड को मत बताना नहीं तो मुझे बहुत डांटेंगे।


    नहीं बताऊंगी लेकिन आगे से तुम भी ख्याल रखना चलो अब जाकर ब्रेकफास्ट करो तुम्हें ऑफिस भी जाना है तुम्हारे डैड वहीं मिलेंगे तुमको।

    सलमा फौरन मान भी गई थी और उसके गाल पर प्यार से हाथ थपथपाते हुए बोली, ज़िबरान खुश हो गया था लेकिन उसकी सुलगती नजरे अभी भी पारसा पर ही थी जिसकी मुस्कुराहट उसको जहर लग रही थी।


    उसने डाइनिंग टेबल के पास आकर जाफर की प्लेट में रखा सैंडविच उठाया और उसे दांतों से नोच नोच कर चबाने लगा क्योंकि इस वक्त वह गुस्से में दांत पीस रहा था आखिर पारसा भी तो अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रही थी और वह सबसे नजरे चुराये उसे मुंह चिढ़ा रही थी क्योकि उसको वजह से सलमा ने आज फिर उसे पीटा था।


    "अरे भाई यह सैंडविच मेरा है.... "जाफर ने उसकी तरफ पलटते हुए कहा था।


    "क्यों इस पर तुम्हारा नाम लिखा है क्या.... "ज़िब्रान ने बेभाव अंदाज में जाफर के सर पर एक थप्पड़ जड़ दिया था जबकि उसकी नज़ारे पारसा पर थी।

    उसने यूं ही खड़े-खड़े ही ब्रेकफास्ट किया और वापस अपने कमरे में चला गया, वही पारसा आईना से हंस-हंसकर बातें कर रही थी उसे अंदाजा भी नही था कि वह इस वक्त किसी के नजरो के हिसार में थी पारसा को बिल्कुल भी खबर नही थी कि वहां मौजूद कोई उसे बेहद प्यार से निहार रहा है और उसकी मुस्कुराहट पर फिदा जैसे वह उसके सामने अपना दिल ही रख देने को तैयार था और वह कोई और नहीं बल्कि जाफर था।


    जब वह ऊपर कमरे में आई तो जिबरान ऑफिस जाने को  रेडी हो चुका था और उसने जैसे ही दरवाजा खोला था कि  अपने एकदम सामने पारसा को पाया जो अंदर कमरे में आ रही और ज़िबरान उससे टकराते टकराते बचा।


    "अरे अरे देख कर चलो जिबरान बाबू दाएं ही नहीं बाएं भी ऊपर ही नहीं नीचे भी,,


    पारसा ने फुल ऑन मूड में गाना गाते हुए ज़िबरान के सर पर अपना हाथ फेरकर उसके बालों को बिगाड़ दिया था और हंसते हुए कमरे में आ गई जबकि वहीं दरवाजे पर खड़े जिबरान ने पलट कर उसकी तरफ देखा।

    "पारसा तुम्हें शर्म नहीं आती मेरी अम्मी से शिकायत कर दी तुमने!!


    वैसे ज़ुबू तुम ऑफिस जा रहे हो क्या?  "पारसा ने उसको जवाब देने की बजाय खुद ही सवाल कर डाला जिस पर जिबरान उसे यूं ही घूरता रह गया।

    पारसा ने आँखे मटकाते हुए हंसकर पूछा.... "क्या हुआ मुझे देखने से तुम्हारा मन नही भरता क्या ज़ुबू?


    "मुझे तुम्हारी शक्ल ही पसंद नहीं!!


    "हां तो मै कौन सा तुम्हारी शक्ल पर मरी जा रही हूं।


    काश कि तुम मर ही जाओ पारसा।


    अरे ऐसे कैसे मर जाऊं अभी तो मुझे मेरी शादी पर मिले मेरे सारे कपड़े और ज्वैलरी भी नही पहने और ना ही सुहागन के शौक पुरे हुए हैं मेरे?

    पारसा ने शरारत से कहा था पर ज़िबरान जलभुन गया कि वह क्या करे इस लड़की का जो हमेशा उसे लाजवाब कर देती है?


    "बोलो ना ज़ुबू ऑफिस ही जा रहे हो ना तुम?


    "तुमसे मतलब मैं कहीं भी जाऊं?


    "ठीक है, आई क्नो ऑफिस ही जाआगे तुम।


    "नहीं मरने जा रहा हूं चलोगी क्या मेरे साथ मरने?


    "जी नहीं मेरा अभी मरने-वरने का कोई प्लान नहीं ज़ुबू सॉरी।


    "तो जहन्नुम में जाओ तुम।  "ज़िबरान ने कुदकर कहा और दरवाजे से बाहर जाने लगा जब पीछे से पारसा ने उसे आवाज दी....

    "नो ज़ुबू इतनी जल्दी अगर तुम जहन्नुम में चले गए तो मेरा क्या होगा, मेरी तो अभी नई-नई शादी हुई है तुमसे और मुझे इतने सालों बाद दूल्हा मिला है जो इतनी जल्दी  जहन्नुम में भी चला जाएगा तो मेरे सारे शौक तो धरे के धरे ही रह जाएंगे ना।

    पारसा शरारत से हंसते हुए बोल रही थी और ज़िबरान ने सर पीट लिया।


    "पारसा तुम्हें मै, तुम मुझसे चाहती क्या हो, क्यों मेरा पीछा नहीं छोड़ती, मैंने कभी तुम्हारे जैसी लड़की नहीं देखी बेहया?


    "और अब देखोगे भी नहीं।


    हां क्योंकि तुम्हारे जैसी इतनी कमज़र्फ कोई होगी ही नहीं.... "जिबरान गुस्से में बोला था जब पारसा ने धीरे से उसका हाथ थाम लिया और उसकी आंखों में देखते हुए उसने आहिस्ता से उसके हाथ पर अपना चेहरा टिका दिया।

    गॉड... अब यह क्या हरकत है मै तुम्हे....!!


    ज़िबरान अपनी बात पूरी कर पाता कि जब उसे अपने हाथ पर कोई गर्माहट महसूस हुई थी जो पारसा के आंसू थे।

    "अरे क्या, क्या हुआ तुम्हें पारसा?  "जिबरान अचानक नर्म पड़ गया और उसका गुस्सा ऐसे गायब हुआ कि वह बेचैन हो उठा था।


    उसने पारसा का चेहरा ऊपर उठाने चाहा था लेकिन अगले ही पल वह उसका हाथ छोड़े जल्दी-जल्दी भागकर बालकनी में चली गई, ज़िबरान भी उसके पीछे आया था लेकिन तब पारसा ने बालकनी का डोर बंद कर लिया।

    "देखो पारसा प्लीज तुम रोना नहीं, सॉरी मैं तो बस यूं ही बोल रहा था....

    जिब्रान दरवाजा पीटते हुए उसे आवाजे दे रहा था लेकिन उस तरफ से कोई हलचल नहीं हुई?


    पारसा ने बालकनी में खुद को बंद कर लिया जबकि बाहर खड़ा ज़िबरान बेचैन था भले ही वह पारसा से चिढ़ता था जो इसे सताने का एक भी मौका नही छोड़ता लेकिन वह उसे हर्ट नही कर सकता कभी, जहां उसे पारसा की शरारतों पर गुस्सा आ जाता वही वह पारसा को उदास भी नही देख सकता था?

    पारसा, देखो प्लीज दरवाजा खोलो देखो अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो आई एम सॉरी लेकिन तुम मुझे इतना परेशान करती हो तो गुस्से में मेरे मुंह से निकल गया होगा कुछ?


    ज़िबरान ने दरवाजा पीटते हुए पारसा को पुकारा लेकिन उसने दरवाजा नहीं खोला तो वह दो पल यूं ही खड़ा उसका वेट करता रहा और फिर आहिस्ता से बोला....

    "सॉरी अब से तुम्हें कुछ नहीं कहूंगा, प्लीज् रोना मत अम्मी मेरी जान ले लेगी, मुझे लेट हो रहा है मैं ऑफिस जा रहा हूं बाय।


    वह वहां से हटकर कमरे से बाहर चला गया और थोड़ी देर तक यूं ही पारसा बालकनी का दरवाजा बंद किए बैठी रही फिर कमरे में आकर वह बेड पर औंधे मुंह सीधी सीधी गिरने से लेटने गई।

    जाने उसे इस वक्त क्या हुआ था कि वह अपने सर को दोनों हाथों से पकड़े फफक कर रो दी, ऐसा नहीं था कि उसका झगड़ा जिबरान से कभी हुआ नहीं था लेकिन हमेशा वही जीतती थी क्योंकि वही तो उसे परेशान करती थी ज़िबरान तो बस खामोशी पसन्द इंसान था जबकि सारी शरारते, ऊंटपटांग हरकते और मस्तियां तो पारसा के रोम रोम में थीं लेकिन इस वक्त वह बेचैन थी और रो लेना ही शायद इस वक्त उसे सुकून पहुंचा सकता था।



    * * * * * * * *


    अलविरा ज़ब सुबह हॉस्पिटल आई और उसने अभी अभी अपनी ड्यूटी संभाली थी ज़ब उसे किसी ने बताया आकर कि उसे डॉक्टर गौरव ने अपने कैबिन मे मिलने बुलाया है जिसे सुनकर अलविरा गौरव से मिलने उसके केबिन की तरफ बढ़ गई।
    अलविरा नॉक करके अंदर आई तो गौरव शायद उसी का वेट कर रहा था वह फौरन उठकर खड़ा हो गया, अलविरा को अभी तक तंवी के बारे मे कुछ पता नहीं चला था जिससे वह गौरव को गौर से देख रही थी जो जाने कितने दिनों बाद उसे आज इतना सीरियस लग रहा था वैसे तो वह डॉक्टर कम कोई कॉमेडियन ज्यादा लगता था हर वक्त मस्ती करने वाला शरारती सा बंदा?


    "क्या बात है डॉक्टर गौरव आपने मुझे बुलाया?... अलविरा हाथ बांधे खड़ी हो गई थी।


    "अलविरा यह फॉर्मेलिटी मत किया करो यार हम दोस्त है तुम भूल क्यों जाती हो? … गौरव चलते हुए अलविरा के सामने आकर खड़ा हो गया था।


    "हाँ हम दोस्त है गौरव पर अभी इस वक्त हम दोनों अपनी ड्यूटीज़ कर रहें हैं जहाँ तुम मेरे सीनियर हो... अलविरा ने सादगी से जवाब दिया था क्योंकि जहाँ गौरव हमेशा मस्तीयां करता रहता था वहीं अलविरा एक शांत स्वाभाव की सिम्पल सी अपने मे ही रहने वाली सीरियस लड़की थी।


    "तुमसे तो बात करना ही बेकार हैं देवी माँ अच्छा चलो अलविरा मै तुम्हे कुछ दिखाता हूं, आओ मेरे साथ।... गौरव अब बोरियत से कहते हुए अलविरा का हाथ पकड़े दरवाजे की तरफ बढ़ गया था।


    अलविरा ने पहले अपना हाथ देखा और गौरव के साथ उसके पीछे आते हुए बोली... "कहां गौरव, तुम मुझे कहां ले जा रहे हो क्या दिखाना है तुमको


    "डोंट वरी किडनैप नहीं कर रहा तुम्हे मै बस तुमको किसी से मिलवाना है अलविरा?


    "किससे?... अलविरा ने नासमझी मे पूछा था पर अब गौरव कुछ नहीं बोला और वह अलविरा को लिए उस वार्ड मे आ गया था जहां सुबह ही तंवी को शिफ्ट किया गया था।

    अलविरा ने हैरत से वार्ड के स्ट्रेचर पर बेहोश लाचार बेबस सी पड़ी तंवी को देखा और फिर गौरव को जो अब तंवी के पास जाकर खड़ा हो गया था, अलविरा को समझ नहीं आ रहा था कुछ पर तंवी की हालात देखकर अलविरा को अफ़सोस जरूर हुआ था जिसके मासूम से मायूस चेहरे पर जाने कितने सारे ज़ख्म थे?


    "यह, यह कौन हैं गौरव?... अलविरा भी फौरन तंवी के पास आ गई थी और उसे बड़ी बड़ी आंखे किये देखने लगी।


    "अलविरा यह तंवी है यह मुझे बहुत ही बुरी हालत मे मिली थी जिसे मै यहाँ ले आया।

    गौरव ने सीरियसली और आहिस्तागी से कहते हुए अलविरा को तन्वी के बारे मे सबकुछ बता दिया था कि तंवी उसे कहां, कैसे और किस कंडीशन मे मिली थी और वह उसे यहाँ तक किस तरह से लेकर आया था, तंवी का क्या ट्रीटमेंट किया उसने और तंवी के साथ क्या क्या हुआ है सबकुछ यह भी कि उसकी हेल्प जिब्रान ने की थी गौरव ने सारी स्टोरी अलविरा को सुना डाली जो सुनकर अलविरने घबराहट से अपने मुंह पर हाथ रख लिया था।।।



    और आगे............


                    

  • 8. तन्वी का पास्ट जिब्रान, गौरव और अलविरा का सामना - 8

    Words: 2020

    Estimated Reading Time: 13 min

    यह, यह कौन हैं गौरव?... अलविरा भी फौरन तंवी के पास आ गई थी और उसे बड़ी बड़ी आंखे किये देखने लगी।


    "अलविरा यह तंवी है यह मुझे बहुत ही बुरी हालत मे मिली थी जिसे मै यहाँ ले आया।

    गौरव ने सीरियसली और आहिस्तागी से कहते हुए अलविरा को तन्वी के बारे मे सबकुछ बता दिया था कि तंवी उसे कहां, कैसे और किस कंडीशन मे मिली थी और वह उसे यहाँ तक किस तरह से लेकर आया था, तंवी का क्या ट्रीटमेंट किया उसने और तंवी के साथ क्या क्या हुआ है सबकुछ यह भी कि उसकी हेल्प जिब्रान ने की थी गौरव ने सारी स्टोरी अलविरा को सुना डाली जो सुनकर अलविरने घबराहट से अपने मुंह पर हाथ रख लिया था।


    "यह तो इसके साथ बहुत बुरा सुलूक हुआ है गौरव कोई इतना कैसे गिर सकता है कैसे सहन किया होगा इस बेचारी ने इतना सबकुछ गौरव?... अलविरा की दर्द से आंखे भर आईं थीं और उसने धीरे से तंवी का हाथ थाम लिया।

    "गौरव तुमने बहुत अच्छा किया जो तुम इसे यहाँ लेकर आये मगर...!!


    "मगर क्या अलविरा?... अलविरा बीच मे ही बोलते हुए चुप रह गई थी तो गौरव जो तन्वी केलिए इंजेक्शन रेडी कर रहा था उसके हाथ हवा मे ही रुक गए और वह नासमझ सा अलविरा को देखने लगा था।



    "मगर यह कि गौरव इसे तुम ट्रीट कर रहे हो यह अच्छी बात है और तुम बहुत नेक काम कर रहे हो एक गैर और अजनबी की ऐसी मदद बहुत बड़ी चीज है गौरव जो तुम जैसे कुछ अच्छे लोग ही कर सकते है लेकिन गौरव यह एक पुलिस केस भी तो है ऐसे तो तुम ही ना कहीं फंस जाओ, आई थिंक तुम्हे पुलिस को इन्फॉर्म करना चाहिए?


    "करने को तो मै बहुत कुछ कर सकता हूं अलविरा पर इस वक्त मै बस इस लड़की की जान बचाने का सोच रहा हूं बस मुझे कुछ और नहीं करना?


    "तुम ऐसे कैसे रेप और ऐसे केस को हल्के मे ले सकते हो गौरव?


    "अलविरा पुलिस को इन्फॉर्म भी कर दूंगा यार क्यों टेंशन ले रही हो पर अभी इस लड़की को किसी पुलिस या हेल्पर की नहीं सिर्फ इलाज की जरूरत है अलविरा इसे इंसाफ हम बाद मे दिलवाएंगे पहले हम इसकी जान तो बचाये जो मेरे हिसाब से सबसे ज्यादा इंपोर्टेन्ट है इस वक्त?... गौरव ने अपने हाथ मे पकड़ा इंजेक्शन तंवी के बाजू पर लगाते हुए सादगी से जवाब दिया था और अलविरा सर हिलाकर रह गई।

    "हाँ कह तो तुम ठीक रहे हो इसे अभी सिर्फ इलाज की जरूरत है गौरव।


    अलविरा और गौरव तंवी की केयर मे लगे हुए थे साथ ही बातो मे ज़ब उन्हें वार्ड के दरवाजे से जिब्रान अंदर आता दिखा जिसे देखकर अलविरा तो चुप रही पर गौरव ने हँसते हुए खुशदिली से फौरन आगे बढ़कर उसे हग कर लिया।

    "ओह भाई तुम, तुम तो यार बड़ी जल्दी आ गए मुझे तो लगा था अब तुम यहाँ कभी नहीं आओगे?


    "क्यों नहीं आऊंगा यह लड़की मेरी दुश्मन है क्या जो इसे तुम्हे सौंपकर मै मुंह चुरा लूंगा?
    जिब्रान ने गौरव को शोल्डर से थामकर अपने सामने खड़ा किया और उससे हेंडशेक करते हुए मुस्कुराकर उसी तरह अपने सादा से सर्द अंदाज मे बोला था.... "वैसे यह लड़की अब कैसी है डॉक्टर गौरव?


    "जैसी थी वैसी ही है समझो।


    "क्या मतलब?


    "मतलब, क्योंकि इसकी हालात बहुत नाजुक है अभी मै कुछ कह नहीं सकता यह बस जिन्दा है वरना इसका वजूद तो शायद खत्म ही था।


    "देखो जो भी तुम से बन पाए तुम करो अगर तुमसे ना हो पाए तो मै बाहर से भी डॉक्टर बुलवा सकता हूं तुम बस मुझे मेडिकल आयडियास दो मै सब करूंगा गौरव जितना खर्चा होगा मै सारा खर्चा भी उठाऊंगा तुम्हे इसकी भी कोई टेंशन लेने की जरूरत नहीं बस यह लड़की ठीक होनी चाहिए।

    जिब्रान की आंखे तंवी पर ठहरी हुई थीं वह गौरव से बात करता तन्वी की तरफ आ गया था तो अलविरा ने तन्वी का हाथ छोड़ दिया... "गौरव यह लड़की बहुत बर्दास्त कर चुकी है अब इसे राहत दो यार।


    "मै अपनी पूरी कोशिश करूंगा जिब्रान तुम टेंशन मत लो मै सब संभाल लूंगा इसको ठीक करने केलिए मै खुद दिन रात एक कर दूंगा।... गौरव ने काफ़ी सीरियसली कहा था और अलविरा की तरफ देखने लगा जो खामोश खड़ी दूर से ही कभी गौरव तो कभी जिब्रान को देख और सुन रही थी।

    गौरव ने अलविरा को पुकारा.... "अलविरा यह वहीं है जिसके बारे मे मैंने तुम्हे बताया था, मिस्टर जिब्रान अली।


    "जी, आपसे मिलकर अच्छा लगा...। अलविरा ने जरा सा यूँ ही मुस्कुराकर जिब्रान की तरफ देखा था।


    "थैंक्स।... जिब्रान सादगी से जवाब देते बस तंवी को देख रहा था और उसके खामोश चेहरे के पीछे छिपे दर्द को महसूस कर रहा था।

    "गौरव इश्क बारे मे कुछ पता चले तो मुझे इन्फॉर्म करना मत भूलना मै इससे मिलने आता रहूंगा, ठीक है?... जिब्रान ने अब गौरव से कहा था।


    "हाँ यार क्यों नहीं वैसे हमारी रिसेप्सनालिस्ट ने बताया की तुमने इसकी सारी मेडिसिन, हॉस्पिटल का खर्चा और एवरिथिंग की सारी फीस पहले ही भर दी और तुम इसका ए टू ज़ेड सारा खर्चा उठा रहे हो?... गौरव ने एकदम से याद करते हुए पूछा था।


    "हाँ तो मै नहीं कर सकता क्या?


    "कर सकते हो जिब्रान मगर मै हूं तो यहाँ फिर तुमने ऐसा क्यों किया?


    "क्योंकि मेरी मर्जी और वैसे भी तुम डॉक्टर हो तुम इसके लिए फ्री मे इलाज और बाकि सबकुछ कर रहे हो तो मै क्या उसका खर्चा नहीं उठा सकता हाँ बस मै तुम्हे इसके इलाज का एक भी पैसा नहीं दूंगा?


    "मुझे चाहिए भी नहीं यार मै बस जो करने लायक हूं कर रहा हूं तन्वी ठीक हो जाये यही मेरी मुझसे फीस होंगी।


    "तन्वी, यह तन्वी कौन है?... जिब्रान ने स्वालिया पूछा था।


    "गौरव ने सामने स्ट्रेचर पर पड़ी तंवी की तरफ देखा फिर जिब्रान से बोला.... "इस लड़की का नाम ही तंवी है।


    "पर तुम्हे कैसे पता?


    "इसके विडिओ से।


    "कैसा विडिओ?

    जिब्रान ने हैरत से पूछा था ज़ब गौरव ने अपना फोन निकाला और उस पर एक विडिओ चालू करके जिब्रान के सामने फोन स्क्रीन कर दी जो तंवी का वही विडिओ था जिसे सौरभ और नेहा ने बनाकर डाला था जिसमे कई सारे लड़के बारी बारी से तो कभी एक साथ तन्वी के जिस्म से खेल रहे थें।
    जिब्रान ने जल्दी से अपनी नजरें फेर ली और अफ़सोस से जैसे उसकी आंखे बंद हो गईं थी गौरव ने जल्दी से विडिओ हटाकर फोन बंद कर दिया।


    "ऐसे ही एक या दो नहीं और भी कई सारे गंदे विडिओ तन्वी के वायरल किये गए है जिन्हे वायरल करने वाला कमाई कर रहा होगा और तन्वी बेचारी यहाँ ऐसे मौत और जिंदगी से लड़ रही है।

    गौरव बेहद अफ़सोस स्वागत बोल रहा था और जहां जिब्रान का दिल कटकर रहा गया था तो वही अलविरा की भी आँखों मे आंसू आ गयें थे गौरव ने अब तन्वी की तरफ देखते हुए सीरियसली कहा.... "तुमने देखा ना जिब्रान इन विडियॉस मे तन्वी के साथ कैसे बर्बरता की गईं है और इसे हर्ट किया गया है अगर यह इन विडिओ को अपनी मर्जी से पैसो या पब्लिसिटी केलिए बनवा रही होती तो यह इतना रो या तड़प नहीं रही होती बल्कि इसके साथ जबरदस्ती रेप करके किसी से इसे बदनाम किया है?


    "दो घंटे बस दो घंटो मे मै तन्वी के यह सारे नेट के अश्लील विडिओ और इमेज़ वगैरह सब हटवा दूंगा गौरव इसकी अब तुम फ़िक्र मत करो और बहुत जल्द मै इसके मुजरिमो को भी उनके किये की सजा दिलाऊंगा।

    जिब्रान काफ़ी धृढ़ता से कहता खुद भी तन्वी के पास ए गया था उसके गाल को धीरे से छूकर वह उसी तरह जैसे पुरे जूनून और नफ़रत से बोला.... "तन्वी आज से तुम मेरी बहन हो और मै तुमसे प्रोमिस करता हूं कि तुम्हारे आंख खोलने से पहले मै तुम्हारे उन सभी गुनाहगारो को तुम्हारे सामने लाकर खड़ा कर दूंगा।


    "ऐसा ही होना चाहिए जिब्रान तभी हम तन्वी को शायद ठीक कर पाएंगे क्योंकि तन्वी के बाहरी ज़ख्म नहीं पहले इसके अंदर के ज़ख्म भरने बहुत जरूरी हैं।

    गौरव ने हाँ मे सर हिलाते हुए जिब्रान के शोल्डर पर अपना हाथ रख दिया था और अब अलविरा की तरफ देखा तो अलविरा जिब्रान की तरफ आते हुए बोली... "मिस्टर जिब्रान तंवी के नेट पर ऐसे विडिओ होना और लाखो लोगो का उन्हें देखना, लाइक और कमेंट करना वाकई तन्वी के दिल को बड़ा घाव देता होगा।


    "आप लोग तन्वी को देखे मै इसके पास्ट को देखकर आता हूं कि क्या ठीक करने की जरूरत है?... जिब्रान ने अलविरा को जवाब दिया और दरवाजे की तरफ बढ़ा गया बाहर जाने केलिए ज़ब दरवाजे से अंदर आ रही पारसा को देखकर वह अपनी जगह पर ही रुक गया।

    पारसा का यूँ अचानक आना जहां जिब्रान ने बोरियत से मुंह बना लिया था वहीं एक जोरदार झटका गौरव को लगा था जबकि अलीवरा तो गौरव की हालात देखकर ही नामसझ सी खड़ी की खड़ी रह गई थी कि उसे हुआ क्या??


    "तुम यहाँ क्या कर रही हो मैंने तुम्हे बाहर रुकने को बोला था ना फिर क्यों आई मेरे पीछे?
    जिब्रान ने जैसे झुंझुलाकर दबी जुबान मे पारसा को डांट ही दिया था पर वह गौरव और अलविरा के सामने ज्यादा रियक्ट नहीं कर पाया था।


    "मै तो बस तुम्हे देखने आई थी जुबू तुम यहाँ हॉस्पिटल मे किसी से मिलने आये थे क्या कौन एडमिट है यहाँ पर तुम्हारा, दोस्त है क्या?

    पारसा ने पहले समाने खडे जिब्रान को देखा और फिर उसे नजरअंदाज किये एकदम से हँसते हुए वह गौरव के पास आ गई थी.... "अरे गौरव, ओ माय गॉड गौरव तुम तुम यहां पर, वाव फाइनली हम आज कितने सालो बाद मिल ही गए वैसे तुम यहाँ पर, यहां कैसे आई मीन तुम, तुम यहाँ पर डॉक्टर हो क्या, ओह वाव गौरव?


    पारसा ने गौरव पर सवालों की बौछार कर दी थी और गौरव भी पारसा को देखकर उतना ही खुश हुआ था जितना की इस वक्त पारसा खुश थी उस ने फौरन उसके सामने हाथ बढ़ाया था और पारसा भी उसके साथ हैंडसेंक करते हुए मुस्कुरा दी।

    "तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा गौरव।


    "हां मुझे भी लेकिन तुम यहां कैसे पारसा?... गौरव ने अपने सवालों के जवाब देने के बजाय खुद सवाल किया था।


    "तुम इसे जानती हो क्या?... पारसा का इस तरह गौरव को देखकर खुश हो जाना और बेहद खुशदिली से उन दोनों को इस तरह मिलना और बातें करना जिब्रान को हैरान कर गया था उसने पारसा की तरफ देखते हुए पूछा था

    फिर गौरव की तरफ देखने लगा... "तुम दोनों एक दूसरे को जानते हो क्या गौरव पर कैसे ?


    "अरे हाँ जुबू यह गौरव है मेरे साथ स्कूल में पढ़ता था फिर हम दोनों अलग हो गए और हमने अलग-अलग कॉलेज में पढ़ाई की लेकिन हम हमेशा से दोस्त थे और अभी भी दोस्त हैं हां वह अलग बात है कि हम अब मिल नहीं पाते यह शहर चला आया था और डॉक्टर बन गया अपनी लाइफ में आगे भी बढ़ गया जबकि मैं गांव में ही थी, मेरी पढ़ाई कंप्लीट हुई लेकिन हम कभी एक दूसरे से मिल नहीं पाए बस गौरव कभी-कभी मेरे घर जरूर आता था मुझसे मिलन लेकिन सालो से यह मुझसे मिलने नहीं आया तो मै...?
    पारसा जिब्रान से कह रही थी लेकिन उसकी चमकती नज़रें बार बार गौरव पर ही टिकी हुई थी उसने अभी भी गौरव का हाथ थाम रखा था वहीं उन सब से थोड़ी दूर पर खड़ी अलवीरा बस उन्हें खामोशी से दे रही थी।


    गौरव मै बता नहीं सकती मैं तुम्हें यहां देख कर कितना खुश हूं आज मुझे तो लगा था अब हम कभी नहीं मिलेंगे?


    "मैं भी बहुत खुश हूं पारसा और मुझे हैरत भी है कि तुम यहां कैसेआई मीन अचानक से इतने दिनों बाद?
    गौरव ने मुस्कुराते हुए कहा था फिर जिब्रान से पूछा... "जिब्रान तुम भी पारसा को जानते हो क्या यार?


    "हाँ बदकिस्मती से।


    "क्या मतलब?


    "मतलब यह मेरी वाईफ है और मै इसे ही बाहर लेकर आया था घुमाने इसकी फरमाइश पर।


    जिब्रान ने मुंह बना दिया था और गौरव ने स्वालिया नजरो से पारसा कोदेखा तो वह चाहककर उठी .... "गौरव तुम इसे छोड़ो यह हमेशा सड़ा रहता है तुम बताओ तुम कैसे हो और हाँ मै भी अब यही इसी शहर मे रहती हूं।



    और आगे...................

  • 9. जिब्रान ने फंसा दिया गौरव को - 9

    Words: 2034

    Estimated Reading Time: 13 min

    गौरव ने मुस्कुराते हुए कहा था फिर जिब्रान से पूछा... "जिब्रान तुम भी पारसा को जानते हो क्या यार?


    "हाँ बदकिस्मती से।


    "क्या मतलब?


    "मतलब यह मेरी वाईफ है और मै इसे ही बाहर लेकर आया था घुमाने इसकी फरमाइश पर।


    जिब्रान ने मुंह बना दिया था और गौरव ने स्वालिया नजरो से पारसा कोदेखा तो वह चाहककर उठी .... "गौरव तुम इसे छोड़ो यह हमेशा सड़ा रहता है तुम बताओ तुम कैसे हो और हाँ मै भी अब यही इसी शहर मे रहती हूं।


    "अच्छा पर कभी मिली नहीं तुम मुझे यहाँ कहीं?


    "हां क्योंकि मैं अभी दो दिन. पहले ही आई और मै नहीं जानती थी कि तुम भी इसी शहर में रहते हो वरना मैं तुमसे मिलने जरूर आती तुम्हारे हॉस्पिटल में?


    "अरे यह हॉस्पिटल मेरा नहीं है पागल मैं बस यहां पर डॉक्टर हूं पारसा।... गौरव ने अपने दूसरे हाथ से पारसा के बालों में धीरे से टच किया था और अपना दूसरा हाथ देखने लगा जिसे अभी भी पारसा ने थाम रखा था।


    "हाँ कुछ भी हो डॉक्टर तो होना तुम मै बस इसी से बहुत खुश हूं तुम्हें ऐसे देखकर मुझे लगा ही नहीं था कि तुम सच में डॉक्टर बन जाओगे और देखो आज मै शॉक हूं?... पारसा ने हंसते हुए जैसे गौरव का मजाक बनाया था और वह अपने बालों में हाथ फेर कर रह गया।

    "अरे यार पारसा तुम भी ना।

    "हाँ तो और क्या तुम्हारी शक्ल नहीं लगती थी कि तुम वाक़ाई डॉक्टर बन ही जाओगे लंगूर कहीं के, एनीवेज एक बात बताओ गौरव तुम उस दिन मुझसे मिलने मेरे घर आए थे ना दो तीन महीने पहले, राइट?


    "हाँ पर तुम घर पर थी नहीं।


    "निदा ने मुझे बताया लेकिन तुम मुझे मिले बिना वापस क्यों आ गए थे मै घर पर ही थी छत पर मिल तो लेते मुझसे?
    गौरव जो अभी पारसा से बातें करते हुए कितना खुश लग रहा था पारसा कि बात पर उसका चेहरा एकदम से ही उतर गया और उसे अब एक बार फिरसे पारसा की शादी और बच्चे याद आ गए थे जो उसे निदा ने बताया था इसलिए तो वह पारसा से मिले बिना ही वापस लौट आया था।

    "ओय कहां खो गए तुम बोलो गौरव?
    पारसा ने गौरव को खामोश देखा तो उसके हाथ में चुटकी काट ली थी और तुनककर बोली... "अच्छे खासे डॉक्टर बन गए हो लेकिन अभी भी तुम्हें मेंटल प्रॉब्लम है ना तुम नहीं सुधरने वाले गौरव के बच्चे।


    "नहीं यार ऐसा कुछ नहीं है पारसा मै वह बस मुझे काम याद आ गया था तो मैं जल्दी वापस लौट आया था निदा से मिलकर।... गौरव ने बात छुपा ली अब क्या कहता कि क्यों नहीं मिला था वह उससे उसका तो दिल ही टूट गया था ना उसकी शादी का सुनकर?


    "अच्छा अब इतना भी क्या बिजी हो गए हो कि दोस्तों के लिए भी टाइम नहीं तुम्हारे पास और उस दिन से तुम दोबारा मेरे घर आए भी नहीं मैंने तुम्हें कॉल और मैसेज भी किये तो तुमने रिप्लाई नहीं किया तुम सच में बिजी हो गए हो या फिर भाव खा रहे हो गौरव?... पारसा ने उसे घूरते हुए आंखें दिखाई थी और वह बस हंसकर रह गया।

    "नहीं ऐसा कुछ नहीं है?


    "नहीं ऐसा ही है वरना तुम मुझसे मिलते गौरव और तुम्हें पता है मेरी शादी हो गई है मैंने तुम्हें मेरी शादी में इनवाइट करने के लिए भी फोन किया था पर तुम तो...!!

    पारसा अभी अपनी बात पूरी कर पाती की गौरव ने उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए धीरे से कहा... "हां मुझे पता है पारसा।


    "क्या पता है तुम्हे?


    "यही कि तुम्हारी शादी को काफ़ी साल हो गयें है।


    "व्हाट, अरे पागल निदा ने तुमसे मजाक किया था मेरी शादी को कई साल नहीं हुए हैं और ना हीं मेरे कोई बच्चे हैं समझे?

    पारसा को जैसे गौरव की रूठी रूठी सी बात समझ आई थी तो उनसे जल्दी से हंसते हुए पहले जिब्रान की तरफ देखा फिर गौरव की तरफ देखते हुए बोली... "मेरी शादी को अभी बस दो-तीन दिन ही हुए हैं कई साल नहीं हुए गौरव निदा ने तुमसे मजाक किया था कि मैं मैरिड हूं जबकि तुम जब मुझसे मिलने आए थे तो तब तक तो मेरी शादी फिक्स भी नहीं हुई थी पागल?


    "क्या?... पारसा की बात सुनकर जैसे गौरव को अब भारी धक्का लगा था और वह जो नजरे झुकाए खड़ा था झट से पारसा की तरफ देखने लगा... " यू मीन तुम मैरिड नहीं थी तब सिंगल ही थी?


    "हाँ बेवकूफ लेकिन क्यों?


    "कुछ नहीं पारसा नहीं बेवकूफ ही हुं यार।... गौरव ने मुंह बनाकर धीरे से जवाब दिया था जैसे उसके साथ कोई बहुत ही बुरा हादसा हो चुका था अब जिसे वह वापस ठीक नहीं कर सकता था।


    "वही तो बेवकूफ़ अगर ऐसा कुछ होता तो मैं तुम्हें बताती नहीं क्या तुम मेरे बचपन के दोस्त हो?... पारसा गौरव कि फिलिंग से अनजान हँसकर बोली थी।


    "शायद बेवकूफ नहीं मैं गधा हूं पारसा.... पारसा की बात पर गौरव ने जैसे अपने दिल ही में कहते हुए अपने आप को ही कोस लिया था।

    "गॉड, छोड़ूंगा नहीं मैं उस निदा की बच्ची को इसके मजाक के चलते मेरे हाथों से एक बार फिर से तुम निकल गई पारसा।


    "क्या सोच रहे हो गौरव?

    गौरव जो अपने आप से ही कह रहा था पारसा ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा तो वह एकदम से चौंक गया... अरे नहीं, कुछ भी तो नहीं तुम बताओ तुम कैसी हो अभी कहां रह रही हो तुम?


    "कहा तो यही पर इसी शहर में निकाह हुआ है मेरा।
    पारसा ने गौरव से कहते हुए जिब्रान का हाथ थाम लिया... "यह देखो गौरव यह है मेरे शौहर मिस्टर जिब्रान अली।



    "क्या कहा यह, यह है तुम्हारे हस्बेंड, यह?... गौरव ने अब जिब्रान की तरफ देखा और जैसे पागलों की तरह हैरान रह गया था।
    "पारसा तुम्हारी शादी इससे हुई है जिब्रान से?


    गौरव कभी जिब्रान को देखता तो कभी पारसा को जिसे खुद भी समझ नहीं आ रहा था कि गौरव ऐसे रियक्ट क्यों कर रहा है उसने सवालिया पूछा... "क्या हुआ गौरव?


    "पारसा तुम्हारी शादी जिब्रान से हुई है, रियली?


    हाँ तो क्या हुआ मै इंसान नहीं क्या?
    जिब्रान अब पारसा के साथ खड़ा हो गया था और गौरव को
    घूरने लगा तो गौरव ने बस सर झुका लिया था क्योंकि जिब्रान की आंखों की तपिश गौरव को अपने चेहरे पर महसूस हुई थी तो वह जैसे झेँप गया क्योंकि जिब्रान ने कुछ इस नजर से उसे देखा था जैसे गौरव के चेहरे से ही उसने पारसा केलिए गौरव की फीलिंग्स और सब कुछ भाँप लिया।

    "तुम क्यों मरे जा रहे हो इतना अगर सालो पहले ही इसकी शादी हो गई हो तो भी तुम्हें इतनी प्रॉब्लम क्यों हो रही है गौरव, बोलो ?... जिब्रान ने डायरेक्ट गौरव की आँखों मे झांका था और वह बेचारा दम साधे रह गया कि पारसा के सामने क्या बोले?


    "बोलो गौरव क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी अगर पारसा तब मैरिड होती तो?


    "अरे नहीं यार मैंने ऐसा कब कहा कि मुझे प्रॉब्लम हो रही मैं तो बस यूं ही पूछ रहा था कि यह तुम्हारी वाईफ है, वाव क्या कोइन्सिडेन्स है ना?... गौरव ने यूं ही बेवजह सा मुस्कुराते हुए सर झुकाकर अपने पीछे बालों में हाथ रब किया था और जिब्रान से बचने लगा जो शायद अब समझ चुका था।


    "अच्छा जुबू और गौरव तुम, तुम दोनो एक साथ हो यहाँ पर इसका मतलब है तुम दोनों दूसरे को जानते हो, राइट?... पारसा जल्दी से गौरव और जिब्रान कि तरफ आ गई थी।


    "हां मैं इसे जानता हूं अच्छे से।... जिब्रान ने गौरव को इस तरह घूरते हुए पारसा से कहा था कि गौरव तो जैसे सकपकाया हुआ सा जिब्रान से नजरे भी नहीं मिल पा रहा था।


    "वाह यह तो बहुत अच्छी बात है जिब्रान तुम गौरव को जानते हों यह मेरा बचपन का दोस्त है?


    "अच्छा तो तुम इसे दोस्त समझती हो पर मुझे तो नहीं लगता कि गौरव भी तुम्हे सिर्फ दोस्त ही समझता होगा क्योकि यह तो....?


    जिब्रान ने गौरव पर जैसे तीर चलाने के लिए अपनी बात अधूरी छोड़ दी थी और गौरव जल्दी से घबराया हुआ सा नहीं मे सर हिलाता जिब्रान की तरफ देखने लगा और आंखों से कुछ इशारा करते हुए धीरे से बोला... "अरे रहने दे भाई प्लीज इज्जत का कचरा मत कर देना पारसा के सामने मेरी।

    गौरव बड़ी ही मासूमियत से रिक्वेस्ट करता जिब्रान के कान में फुसफुसाते हुए बोला था जो सिर्फ जिब्रान ही सुन पाया था अलवीरा और पारसा नहीं 


    "अरे पर मैंने तो अभी कुछ कहा भी नहीं  मैंने क्या किया है?... जिब्रान भी अब जैसे गौरव के मजे लेने के लिए बड़े ही सीरियस अंदाज में धीरे से उसके कान में बोला था।


    गौरव ने अब जल्दी से मासूम सी सूरत बनाकर जिब्रान का हाथ थाम लिया... "नहीं यार प्लीज चुप करो तुमने कुछ नहीं किया यार पर तुम प्लीज चुप रहो वरना पारसा को पता चला तो यह मेरी जान की दुश्मन बन जाएगी।


    "अच्छा लेकिन क्यों?


    "क्योंकि मैं जो कल रात को जिस लड़की के बारे में तुम्हें बता रहा था वह लड़की पारसा ही तो है और यह अब तुम्हारी वाईफ है यार एम सॉरी मुझे नहीं पता था वरना मै ऐसा कुछ नहीं कहता मेरी मति मारी...!!!
    गौरव अभी अपनी बात पूरी कर पाता कि जिब्रान ने उसे घूर कर देखा था तो वह चुप होकर रह गया।

    "सॉरी यार आई एम सॉरी मुझे पता नहीं था कि यह तुम्हारी वाइफ है और पता नहीं यह तुम्हारा गुड लक है या फिर मेरा बेड लक।... गौरव ने अपना सर ही पीट लिया था।


    "सच कहूं यह तुम्हारा गुड लक है गौरव क्योंकि ऐसी लड़की मुझे मिली है तो मेरा बेड लक हुआ ना।... जिब्रान ने इस बार  अपने आप से ही धीरे से कहा था जिसे गौरव ने सुना तो उसकी तरफ देखने लगा।

    "क्या मतलब है तुम्हारा जिब्रान?


    "नहीं कुछ नहीं तुम अपना काम करो मुझे तन्वी की रिपोर्ट जल्द से जल्द चाहिए इसे जल्दी ठीक करना तुम्हारा काम है, समझे?



    "हाँ मैं कर रहा हूं मुझसे जो बनेगा में करूंगा।...गौरव ने जिब्रान से कहा और वापस पारसा के सामने आकर खड़ा हो गया जो अलविरा को बड़ी गौर से देख रही थी।

    "क्या हुआ पारसा?


    "गौरव यह तुम्हारी नर्स है क्या? पारसा ने गौरव से कहकर वापस अलविरा को देखा था।


    "पारसा यह मेरी नहीं इस हॉस्पिटल कि नर्स है लेकिन हाँ यह मेरी बहुत अच्छी दोस्त जरूर है अलविरा नाम है इसका... गौरव ने भी अलविरा कि तरफ देखते हुए कहा था।


    "ओह वाव दोस्त अलविरा !
    पारसा ने हँसते हुए अलविरा के सामने अपना हाथ कर दिया था... हैलो अलविरा आई एम पारसा।


    "हैल्लो मैम।... अलविरा ने धीरे से पारसा से हाथ मिलाते हुए हल्का सा मुस्कुराकर जवाब दिया था।


    "करे तुम मुझे मैम नहीं पारसा बोलो ना क्योंकि तुम मेरे दोस्त कि दोस्त हो तो हुई ना तुम मेरी भी दोस्त।


    "जी हाँ, थैंक्स।

    पारसा और अलवीरा मिल रही थी ज़ब उन्हें काफ़ी देर देखने के बाड़ जिब्रान ने पारसा से कहा..." अगर मिलना मिलाना हो गया हो तुम्हारा तो अब हम घर चले।


    "जिब्रान ने उसे अपने साथ ले जाते हुए खींचा था पर वह गौरव कि तरफ देखते हुए काफ़ी जोर से बोली थी.... गौरव कभी तुम मेरे घर आना ठीक है।


    "वह मेरे घर तक आएगा जब मै उसे बुलाऊंगा तुम्हारे बुलाने से नहीं आएगा वह, समझी तुम।... जिब्रान पारसा को लिए हॉस्पिटल से बाहर आते हुए बोला था


    "क्यों नहीं आ सकता वह मेरा दोस्त है जिब्रान?... पारसा ने भी मुंह बनाते हुए जैसे जिब्रान को सुना ही दिया था।


    "तुम्हारा दोस्त हैतो जाओ और यहीं रह जाओ ना मेरी भी तुमसे जान छूटेगी।


    ""मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जिब्रान जैसे तुम्हें जलन हो रही है गौरव से?


    "जलन नहीं है यह मेरी खुशी होगी पारसा जाओ ना।... जिब्रान कहते हुए गाड़ी में बैठ गया था।


    " मैं क्यों जाऊं मेरा खुद का घर है तुम जाकर रहो ना हॉस्पिटल में वैसे भी मुझे लगता है तुम्हें इलाज की जरूरत है मिस्टर जिब्रान, खड़ूस कहीं के?... पारसा ने तिमीलाकर जवाब दिया और खुद भी आकर गाड़ी मे बैठ गई।

    "अकड़ू कहीं के जब देखो तुम मुझसे लड़ाई करने के बहाने ढूंढते रहते हो और फिर मामू मामी के सामने मासूम बना जाते हो।... पारसा भूनभूना रही थी जबकि जिब्रान ने बिना कुछ कहे अब चुपचाप गाड़ी आगे बढ़ा दी।।।



    और आगे.................

  • 10. क्या और कौन है दर्द अलविरा का - 10

    Words: 2178

    Estimated Reading Time: 14 min

    पारसा जिबरान की फुफ्फो अलीशा की बेटी थी अलीशा की दो बेटियां थी बड़ी बेटी पारसा और छोटी निदा दोनों ही अलीशा और उनके शौहर सगीर अहमद की जान थी जो, ज़िबरान को अपनी फुफ्फो के घर आना-जाना कुछ खास ज्यादा पसन्द नही था पहले तो पारसा की वजह से जो उसे बचपन से अपनी दुश्मन लगती थी।
    पारसा की शौख हरकतों की वजह से वह उससे हमेशा से चिढ़ता आया था और दूसरा ज़िबरान की फुफ्फो गांव में रहती थी और गांव की जिंदगी शहर की जिंदगी से बिलकुल अलग थी जहां ज़िबरान को वह सारी चमक दमक मुहैया नही हो पाती जिस आजादी और रौनक मे वह पला-बढ़ा था।


    पारसा अपने कॉलेज में किसी लड़की से बेइंतहा मोहब्बत करती थी लेकिन जब शादी की बात आई तो वह मुकर गया और उसने पलट कर भी पारसा की तरफ नहीं देखा।

    पारसा ने सबकुछ अपने पैरेंट्स से भी कह रखा था क्योकि वह उस लड़के आफताब के लिए वाकई सीरियस थी जो एक हादसा बनकर रह गया और सगीर अहमद और अलीशा से मिलने आने वाले दिन वह पारसा को अकेला छोड़ गया।


    पारसा ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला था और आइंदा वह कभी किसी पर इतना भरोसा नहीं करेगी यह उसने दिल में ठान लिया था लेकिन दिल का क्या है यह तो अपनी मर्जी करता है ना?
    उस हादसे को कई साल हो गए थे लेकिन पारसा आफताब को कभी भूल नहीं पाई हमेशा कोशिश करती कि उससे नफरत करे लेकिन वह उससे नफरत भी नहीं कर पा रही थी और रही बात मोहब्बत की तो शायद उसके दिल से उसके लिए मोहब्बत भी निकल चुकी थी क्योंकि उसकी वजह से उसका दिल दुखा था और आंखें बेइंतहा रोई थी तो ऐसे में कैसे वह उससे मोहब्बत के लिए वफादार रह पाती जिससे वह बेइंतहा नाराजगी थी।


    सगीर अहमद पारसा की शादी अपनी बहन के बेटे से करवाना चाहते थे जबकि अलीशा ने अपनी जिद पर उसकी शादी अपनी बहन के बेटे से तय कर दी जब सगीर अहमद उनके सामने हार गए और बारात अलीशा के भांजे की आई थी पारसा दुल्हन बन गई।

    पारसा ने मान लिया था कि जिसे उसने चाहा वह नही मिला तो अब कोई भी हो उसके लिए क्या फर्क पड़ता उसने शादी मंजूर करली, बारात आई और सारी तैयारियां जोरों पर थी हर तरफ शादी का माहौल था लेकिन ऐन निकाह के वक्त अलीशा के भांजे ने निकाह कुबूल करने से इनकार कर दिया।
    वह पारसा से निकाह तभी करता जब सगीर अहमद अपनी आधी जायदात उसके नाम करते पर शादी से पहले तक तो यह बात पड़ी रही और जब उसने शादी के ऐन मौके पर यह मुद्दा उठा दिया तो जैसे अब किसी के पास कोई जवाब ही नहीं रहा सब सकते में आ गए?


    अलीशा ने बहुत समझाया अपनी बहन को और साथ ही भांजे को जिसे अपना दामाद बनाने को उन्होंने सगीर अहमद और बाकी सब से बेहद झगड़ा किया था लेकिन आज उसने इस तरह से जब उन्हें धोखा दिया तो वह जैसे काटो तो खून नहीं उनकी आंखो में बेशुमार आंसू थे वह किसी से नजरे नहीं मिल पा रही थी?


    आखिरकार यह मौका सोचने का नही था और सगीर अहमद की आधी-आधी जायदाद की हिस्सेदारी वैसे भी पारसा और निदा ही थी यह बात सगीर अहमद ने भी उसे समझाया लेकिन जब वह टस से मस नहीं हुआ उसकी जिद थी कि क्या पता शादी के बाद सगीर अहमद बदल जाए।

    तो अब सगीर अहमद अपनी बेटी को बेइज्जत तो नहीं करवा सकते थे इसलिए उन्होंने उसकी वह बात मान ली और निकाह से पहले कागज साइन करके वह उसे देने ही वाले थे लेकिम अब अलीशा का दिल कच्चा हो गया था उसकी तरफ से और अब उन्होंने अपने भांजे से पारसा का निकाह करने से साफ इनकार कर दिया।


    सभी हैरत में थे सब ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन अब उनका दिल पूरी तरह से हट चुका था वह अपनी बेटी को ऐसे हाथों में देना नही चाहती थी जो दौलत का इतना भूखा हो उन्होंने तो पारसा के लिए एक अच्छा हमसफर चाहा था कोई दौलत से खरीदा हुआ खिलौना नहीं।


    बहुत गहमागहमी हुई और बारात वापस लौट गई है, अब पारसा जो दुल्हन बनी हुई थी एकदम ही माहौल बिगड़ गया घर में शादी की खुशियों का माहौल पूरी तरह खत्म हो गया था।


    सगीर अहमद ने अपनी बहन के सामने जैसे अपनी इज्जत ही रख दी थी कि वह अपने बेटे केलिए पारसा को अपना ले लेकिन अब उनकी बहन नही मानी और भांजे ने भी सख्त इनकार कर दिया कि वह ऐसी लड़की को कभी नहीं अपनायेगा जिसकी ऐन निकाह के वक्त बारात लौट गई हो, कल को उसके जानने वाले उसका मजाक ना बनाएं कि जिसे किसे ने छोड़ा हो उसे उसने अपना लिया।

    अब सगीर अहमद को एक झटका लगा था कैसे उन्होंने अपनी बहन और अपने भांजे के लिए अपनी बीवी अलीशा से झगड़ा किया था पर आज वह दोनों ही ऐसे मुकाम पर थे जहां उन्हें अपनों से ही चोट लगी थीं?


    अलीशा के भाई मकसूद अली ने माहौल ऐसा पाया तो उन्होंने अपनी बीवी सलमा बेगम से बात की और वह दोनों ही जब राजी हुए तो मकसूद अली नइ अपने बड़े बेटे जिबरान को पारसा के साथ ला खड़ा किया।


    ज़िबरान की तो सांसे अटक गई थी वह तो यहां शादी में अपनी फैमिली के साथ अपनों की खुशियों में शरीक होने आया था उसे अपनी फुफ्फो से लगाव तो था पर उनके लिए भी वह कभी गांव नही आता लेकिन आज पारसा की शादी में जबरदस्ती उसकी मां उसे खींच लाई थीं जहां वह बेमन से शादी में था लेकिन,
    जब उसके बाप ने अपनी बहन के सामने उसे पेश किया तो जैसे उसकी नजरों के सामने काला साया सा छा गया उसकी जान तो नहीं गई थी शायद लेकिन उसका हाल बुरा था।


    ज़िबरान इस वक्त इनकार भी नहीं कर सकता था क्योंकि भले ही पारसा से उसे चिढ़ थी क्योंकि बचपन से लेकर आज तक कभी उन दोनों की आपस में बनी ही नही थी लेकिन आज इस सिचुएशन में वह पारसा को अकेला भी नहीं छोड़ पाया था, ऊपर से यह उसके बाप का हुक्म और मां की नसीहत बन गई तो वह झुकने को तैयार था खासकर सगीर अहमद केलिए, जो बड़ी उम्मीद से उसे देख रहें थे जिस पर उनका कोई जोर नही था कि वह तो इनकार कर दे तो कोई उससे जबर्दस्ती भी नही कर सकता उन्होंने कब उसे इतना तवज्जो दी थी की बेटी दे देते लेकिन,
    ज़िबरान ने इंकार करने के बजाय पारसा का हाथ थाम लिया जो खुद इस वक्त बेजान सी कोई नाजुक गुड़िया सी हो गई थी कि उसकी बारात लौट गई है और साथ ही उसने खो दिया है लोगो में अपना गुरुर जो खोखला समाज उसे उठते बैठते उस चीज के ताने देता जो गलती उसने की ही नही थी।


    सब खुश हो गए और तीर जाकर सीधा जाफर को लगा था जो ज़िबरान का भाई था उससे दो साल छोटा और पारसा की हमउम्र का जो पारसा को दिल ही दिल में मुहब्बत करता था एकतरफा मुहब्बत जिसकी पारसा तो क्या किसी को खबर नही थी?

    ज़िबरान जो शादी में शरीक होने गया था वहां से वह बिना बारात के दुल्हन ले आया और जब शहर वापस अपने घर लौटा तो वहां के लोगो को जैसे इस शादी से रूबरू करवाने को सलाम और मकसूद अली ने पारसा और ज़िबरान की एक ग्रैंड रिसेप्शन पार्टी रखी थी जिसमे सभी को इनवाइट किया गया था और साथ ही ज़िबरान पर शादी शुदा की मुहर लग गई थी।।।



    * * * * * * * * * * * *


    रात तो अब उसकी यूं ही कटती थी कहां नींद आती थी और कहां अब अलवीरा सो पाती थी, उसका जहन जो पूरी तरह उलझ चुका था बिलकुल उसकी जिंदगी की तरह वह क्या चाहती है उसे खुद नहीं पता था लेकिन वह जो चाहती है शायद वह उसका अब नहीं था और शायद वह उसका होना भी चाहता तो अब अलवीरा उसे नहीं चाह सकती थी कभी?
    आज की रात भी उसने रोते हुए खामोशी से अपने में सिसकते हुए अकेलेपन से काट दी, उसे अपना ही होश नहीं था और बिस्तर पर बैठे-बैठे उसने आधे से ज्यादा रात यूं ही बिताई थी।

    नींद उसकी आंखों से कोसों दूर हो चुकी थी जबकि उसकी गोद में सर रखें उसकी छः-सात साल की छोटी सी बच्ची इरम दुनिया जहां से बेखबर सो रही थी आखिर,
    जब जहन उसी तरह उलझा रहा और उसको चैन नहीं मिला तो रात के शायद दो बजे थे जब अलवीरा ने बच्ची को धीरे से बिस्तर पर लिटाया और खुद उठ कर फ्रेश होने चली गई।


    उसने दिल में ठान लिया था कि वह अब उसे भूल जाएगी वह जिसे भूलना इतना आसान नहीं उसके दिल का सुकून था जो उसके जहन पर छाया हुआ जिसे भूलने के लिए "खुदा,, की बरगाह में जाना होगा दुआ करेंगी अलवीरा कि उस इंसान को भूल जाए जिसके लिए वह इतने सालों से तड़प रही है और जो उसका नहीं है ना ही कभी था और ना ही वह उसका होना चाहता था।

    उसकी तरफ से अपना दिल मजबूत हो जाने के लिए और उसे भूलने का इरादा लिए उसे भूल जाने की दुआ करने की गरज से पहले अलवीरा ने खुद को फ्रेश किया और फिर वजू के लिए पानी लेकर वह आंगन में आ गई।


    उसकी आंखों में आंसू थे और ठंड की बेहद सिद्दत, जमा देने वाले जनवरी, जिससे हाथ कांप रहे थे साथ ही हाथों में वजू केलिए पानी लिए हो वह धीरे-धीरे खुद पर पानी डाल रही थी और आखिर में उसने जांनमाज बिछाई और दो रकात नमाज पढ़ने के बाद दुआ के लिए हाथ उठा दिए।
    अलवीरा के दिल में बस यही था कि वह किसी तरह उसे भूल जाए और उसने जैसे ही दुआ के लिए हाथ उठाएं आंखें भरभराकर आंसुओं से तारबद्तर हो गई दिल कांप उठा और होठों पर बस एक ही आवाज आई 

    "याह मेरे अल्लाह मुझे उससे मिला दे,,

    दुआ करने आई थी वह जिसको भूलने की जिसकी तरफ से सुकून मांगने आई थी वह सब तो उसने कहा ही नहीं बस उसके दिल से एक ही आवाज आई "मेरे रब मुझे उससे मिला दे,,
    जिसके लिए मैं बेचैन हूं।


    * * * * * * * * *


    अलवीरा आज हॉस्पिटल आई तो सबसे पहले वह तन्वी से मिली उसे चेक किया और उसके बाद ज़ब वह बाहर कोरिडोर मे आई तो उसे आज यहां पहले की तरह कुछ भी नहीं लग रहा था, जहां हमेशा एक शांत माहौल हुआ करता था वही आज एक गहमागहमी सी थी कहां तो अक्सर हॉस्पिटल स्टाफ अपना काम खत्म करके आपस में बातों में लगे रहते थे तो वही आज यहां सब दौड़ भाग कर रहे थे?
    काम के बेकाम के लिए भी सारा स्टाफ डॉक्टर से लेकर नर्स और वार्ड बॉय सब अपने-अपने काम में लगे दौड़ रहे थे यहां तक की मरीज के साथ जो उनके तीमारदार यहां पर मौजूद थे वह भी काफी शांत लग रहे थे।

    अलवीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर रातो रात में ऐसा क्या हो गया है कि हॉस्पिटल का मिजाजे रुख ही बदल गया?


    अलवीरा कई सालों से यहां नर्स की जॉब कर रही थी लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ इतना तो जब हॉस्पिटल का ओनर आता, ट्रस्टी तब भी माहौल इतना गर्म नही होता।


    अरे अलवीरा तू यहां क्या कर रही है इतना लेट कैसे हो गई तू आज, पता है मै कब से तेरा वेट कर रही थी, कहाँ थी तू?

    अलवीरा जो हॉस्पिटल अभी-अभी पहुंची थी और अपनी ड्रेस चेंज करके वह अभी हॉस्पिटल के नस वाली ड्रैस पहनकर बाहर लॉबी भी खड़ी थी जब उसकी दोस्त सिया जो खुद भी एक नर्स और उसकी सीनियर थी वह दौड़ते हुए उसके पास आई।


    उसने फस्टएड के सामान से भरी एक ट्रे और मैडिकल फाइल अलवीरा की तरफ बढाते हुए जल्दी-जल्दी कहा.... "ले चल जा अब डॉक्टर शर्मा भी तुझे पूछ रहे थे, लेट मत कर अब।


    अच्छा सिया दी यह सब क्या है मैं जब से हॉस्पिटल आई हूं हॉस्पिटल में अजीब तरह माहौल बना हुआ है सब अंदर से जैसे घबराए हुए से है यह कैसी दौड़ भाग मची है हॉस्पिटल में कुछ हुआ है क्या, सब ठीक तो है ना?

    अलवीरा ने सिया को देखते हुए अच्छे खासे हैरत से पूछा था।


    हां अलवीरा सब ठीक तो है लेकिन सब ठीक भी नहीं है यार।  "सिया ने अपनी ड्रेस की पॉकेट में दोनों हाथ डालते हुए मुंह बनाकर कहा जो अलवीरा को समझ नहीं आया था।
    क्या बताऊं तुझे अलवीरा रात से मैं बहुत परेशान हो गई हूं तुम्हारी तो नाइट ड्यूटी नहीं होती है लेकिन अब लगता है तुम्हें भी नाइट ड्यूटी करनी ही पड़ेगी?


    अरे क्यों ऐसा क्या हुआ है मैं तो नाइट ड्यूटी नहीं करती ना और ना ही कर सकती हूं मेरी छोटी सी बेटी है सिया दी?


    यह हम समझते हैं अलवीरा लेकिन....!!  "सिया अपनी बात कहते हुए एकदम से चुप हो गई थी जैसे उसकी जुबान ही जम गई थी।



    और आगे..................


    नफरते दिलों से मोहब्बत ना मिटा दे,
    इतना रखना भरम कि दिल मेरा तुझको दुआ दे!!




                  

  • 11. कौन है ज़ैदल्लाह खान - 11

    Words: 2165

    Estimated Reading Time: 13 min

    अलवीरा ने सिया की बात अधूरी हुई तो जैसे और परेशान होकर पूछा.... "लेकिन क्या दीदी ऐसा क्या हो गया रातों रात में ही हॉस्पिटल में की सब कुछ बदल गया सारा माहौल ही चेंज हो रहा है हॉस्पिटल का?


    एक्चुअली अलवीरा तू नहीं जानती है पर कल रात को मिस्टर खान को यहां एडमिट किया गया है।


    व्हाट? मिस्टर खान... अरे कौन मिस्टर खान?  "अलवीरा ने पूछा।
    उसे वाकई इस बारे में कोई नॉलेज नहीं था?


    सिया ने उसके शोल्डर पर हाथ रखा और उसे झटक डाला.... "अरे स्टुपिड तुझे मिस्टर खान के बारे में नहीं पता पागल?


    नहीं तो दी कौन है यह?


    अरे मिस्टर खान मुम्बई के बहुत ही जाने माने मशहूर इंसान है कौन है जो उन्हें नहीं जानता या फिर उनका नाम किसे नहीं का पता दिल्ली में बहुत चलती हैं, इन्फेक्ट पूरी दुनिया में?


    ऐसा क्या, सॉरी।  "अलवीरा ने मुंह बनाकर शरारत से कहा.... "पूरी दुनिया कैसे जानती हूँ उनको मै खुद नह जानती, मेरी बस्ती में उनको कोई नही जानता?


    कल रात को किसी से हाथापाई मे मिस्टर खान को गोली लग गई और उनके आदमियों ने उन्हें यहां एडमिट करवाया है जब से वह यहां एडमिट हुए हैं हॉस्पिटल का पूरा माहौल ही चेंज हो गया, सारे डॉक्टर्स डरे हुए हैं उन्हें ट्रीट के लिए कोई आगे नहीं बढ़ रहा था कहीं एक चूक और उनकी जान ना चली जाए।

    सिया बड़े चाव से बता रही थी डर से ज्यादा मिस्टर खान के नाम से वह एक्साइटेड हो रही थी और अलवीरा को हंसी आ गई।


    दी आप इतना खुश क्यों है? "अलवीरा ने सिया की ठुड्डी पकड़कर हंसते हुए पूछा था।


    सिया ने उस पहले तो घूरा फिर इतराते हुए शरारत से बोली.... "यार अलवीरा मै भी कुवारी हूँ और यहाँ मौजूद सारी फीमेल के क्रश है मिस्टर खान तो मेरे क्यों नही, जो उनको एक नजर देख ले...हाय्य दीवाना हो जाता हैं वह बहुत हैंडसम है, स्मार्ट इन डेशिंग है अलवीरा।


    ओह तो यह बात है, वाव दी तो फिर बात कीजिये जाकर उनसे शायद काम बन जाये।


    मरना नही हैं मुझे अलवीरा, मिस्टर खान हैं वह कहीं उनकी एक गोली और मै परलोक सिधार जाऊंगी।

    सिया ने जैसे ही कहा उसके साथ साथ अलवीरा भी जोर से हंस दी।


    यू क्नो अलवीरा मिस्टर खान एक अकेले पेशेंट है उनके लिए हॉस्पिटल का सबसे बेस्ट वर्ड सजेस्ट किया गया है उनके साथ उनके दर्जनों आदमी उस वार्ड में है अभी भी डॉक्टर शर्मा उन्हें इंजेक्शन देने गए हैं उनके साथ जो ट्रेनर और नर्स हुआ करते थे आज कोई भी उनके साथ जाने को तैयार नहीं था तो उन्होंने मुझसे बोला कि मैं तुझे भेज दूं, तू चल जा अब जल्दी से कहीं मिस्टर खान की तीमारदारी में भूल हो गई या फिर कुछ गलत हुआ तो मिस्टर शर्मा के साथ-साथ पूरे हॉस्पिटल पर आफत आ जाएगी?


    मिस्टर खान कोई बड़े आदमी है या फिर कोई विलन और अगर वह विलन है, एक गुंडे तो उनसे डरने के बजाय हमें पुलिस इन्फॉर्म करना चाहिए शायद पुलिस को उनकी तलाश हो।


    तुम पागल हो गई हो अलवीरा मिस्टर खान कोई सड़क छाप गुंडे नहीं है जिन्हें पुलिस तलाश करेगी या फिर कोई चोर नहीं और हाँ... वह विलन जरूर है लेकिन बहुत अच्छे आदमी है वह अच्छो के साथ जितने अच्छे हैं बुरो के साथ उतना ही बुरा करते हैं।
    सिया ने अलवीरा को आंख दिखा तो वह अपनी जुबान दांतो ताले काटकर रह गई ।

    तुम नही जानती अलवीरा अच्छाई को जीताने के लिए अगर कुछ बुरा करना पड़े तो मिस्टर खान पीछे नहीं हटते यही उनकी पहचान है और उनसे इतना प्यार करते हैं लोग कि उनसे डरने से कहीं ज्यादा सब उनकी इज्जत करते हैं पुलिस खुद उनको सलाम करती।


    अरे वाह फिर तो ऐसे आदमी से मिलना होगा मैंने कभी नहीं देखा इतना अच्छा पाक दिल विलन? 

    अलवीरा ने मासूमियत से कहा और सिया को हंसी आ गई.... "क्या कहा पाक दिल विलन यह कैसा नाम हुआ?


    हां तो आपने कहा ना कि वह अच्छे हैं लेकिन आपने जिस तरह से उनका इंट्रोडक्शन दिया उस हिसाब से तो वह एक डॉन ही हुए यानि... वह विलन भी है और अच्छे इंसान भी तो सब मिलाकर पाक दिल मिलन हुआ ना।


    अच्छा-अच्छा ठीक है तुझसे कोई नहीं जीत सकता अलवीरा चल जा अब जल्दी से वरना डॉक्टर शर्मा जो मिस्टर खान को इंजेक्शन देने गए हैं मिस्टर खान अपनी गन से डॉक्टर शर्मा को ऐसा ट्रीटमेंट देंगे की उनकी फोटो पर माला लटक जाएगी?

    सिया ने हंसते हुए कहा और वहां से चली गई जबकि अलवीरा उस वार्ड की तरफ बढ़ गई थी जिसके बारे में सिया ने बताया था।


    अलवीरा घबराई हुई सी जब वार्ड के अंदर आई तो डॉक्टर सामने ही खड़े थे जो स्ट्रेचर पर लेटे एक बंदे से आहिस्ता आहिस्ता रिस्पेक्टिवली और बहुत ही अदब से बात कर रहे थे जबकि स्ट्रेचर पर लेटा इंसान भी बेहद नॉर्मली और सर्द लहजे में उनकी बातों का जवाब दे रहा था।

    अलविरा दरवाजे पर ही खड़ी पूरे वार्ड के अंदर का जायजा ले रही थी जहां जगह-जगह काले कपड़ों में भयानक शरीर वाले बॉडीगार्ड खड़े थे और साथ ही दर्जनों ऐसे लोग थे जो शायद उस स्ट्रेचर पर लेटे आदमी के दोस्त रिश्तेदार थे।


    अलवीरा दबे कदमों से धीरे-धीरे अंदर आ गई जब डॉक्टर ने उसकी तरफ पलट कर देखा तो उसकी ट्रे में से उन्होंने इंजेक्शन उठाया और स्टेचर पर लेटे आदमी से नर्म लहजे में बात करते हुए बोले!!

    सॉरी मिस्टर खान इसे ज्यादा पता नहीं है वरना तो हमारे हॉस्पिटल में कभी कोई भूल नहीं हुई और ना ही कभी किसी पेशेंट के साथ लापरवाही की गई देरी केलिए मांफी चाहता हूं आपसे?


    डॉक्टर ने माजरत करते हुए कहा और अलवीरा को देखकर आंखों ही आंखों में इशारा किया.... "कहां रह गई थी तुम, देर क्यों हुई?


    सॉरी डॉक्टर सो सॉरी वह मैं....!! अलवीरा ने इतना ही कहा और अभी जो तो कुछ देर पहले उस घायल इंसान को देखने की उसके दिल में इच्छा थी अब उसका यह रॉब रुतबा देख कर अलवीरा के होश उड़ गए थे, उसकी नजर ही नहीं उठी कि वह सामने स्ट्रैचर पर लेटे मिस्टर खान को देखते जबकि मिस्टर खान की भी आंखें बंद थी।

    डॉक्टर ने इंजेक्शन तैयार किया और जैसे ही उन्होंने मिस्टर खान की तरफ आते हुए इंजेक्शन उनके बाजू पर रखा मिस्टर खान ने झट से आंखें खोल दी और सबसे पहले सामने खड़ी अलवीरा नजर आई थी जो सर झुकाए डरी सहमी सी जैसे अंदर ही अंदर कांप रही थी।


    अलवीरा का चेहरा नजर नहीं आ रहा था उन्होंने डॉक्टर की तरफ देखा और पूछा.... "क्या हुआ डॉक्टर तुम्हारे हॉस्पिटल की सभी नर्स पर्दे में रहती हैं क्या लेट आकर सॉरी बोलने के बजाय यह वहां इतनी दूर क्यों खड़ी है?

    मिस्टर खान की आवाज अलवीरा के कानों में साफ-साफ सुनाई दी थी लेकिन उसकी हिम्मत नहीं थी कि वह सर उठाती जब डॉक्टर ने अलवीरा को पुकारा।


    अलवीरा इधर आओ, सॉरी बोलो सर को तुम्हारी वजह से इनको इंजेक्शन लगने में दस मिनट लेट हुआ है।


    सस...सॉरी... सॉरी सर वह मै....!!  "अलवीरा फौरन मिस्टर खान की तरफ पलट आई थी और जैसे ही उसने नजरे उनकी तरफ उठाई एक झटका सा लगा था और हाथ में पकड़ी ट्रे के साथ-साथ मेडिकल फाइल सब कुछ छूट कर जमीन पर आ गिरा वही,
    मिस्टर खान जिसके हाथ में डॉक्टर अभी इंजेक्शन लगाने वाले थे वह किसी बिजली की करंट की तरह झट से उठ बैठे।

    आरज़ू तुम!!  "मिस्टर खान ने चौक कर हैरत से कहा था जबकि अलवीरा के तो जैसे हाथ पांव फूलने लगे थे वह एक पल भी वहां अब खड़ी नहीं रह पाई और सब कुछ छोड़-छाड़कर सरपट वार्ड से बाहर भाग गई।।।



    क्या बात है पारसा आईना ने बताया मुझे कि तुम रो रही थी?
    सलमा पारसा के सामने बेड पर बैठी उसका हाथ थामे बेहद प्यार से उसे देख रही थी जबकि उन्हें कमरे में आता देखकर पारसा ने फौरन अपने आंसू छुपा लिए थे।

    "कुछ हुआ है क्या बेटा?


    नन... नहीं तो मामी, कुछ नही हुआ आईना को शायद गलतफहमी हुई होगी कोई?

    पारसा ने फौरन मुस्कुराकर जवाब दिया वह सलमा के सामने क्या जाहिर करती जिन आँसुओ की वजह तो वह खुद नही समझ पाई थी कि वह क्यों उसकी आंखें भिगो गयें?


    खुदा करे तुम हमेशा ठीक रहो लेकिन अगर कोई बात हो तो मुझे बताना जरूर, समझी?


    जी मामी आपसे ही तो बताऊंगी।


    ज़ुबू ने कुछ कहा है तुम्हें क्या?


    अरे नही तो मामी वह मुझे कुछ नहीं कहता?

    अब सलमा ने उसकी ठुड्डी पकड़ कर प्यार से पूछा था जिस पर उसने धीरे से मुस्कुरा कर नही में सर हिला दिया।


    "देखो पारसा तुम मेरी बेटी हो बिल्कुल मेरी आईना की तरह प्यारी हो मुझे तुम।


    "मामी मैं ठीक हूं बस थोड़ा सा दिल घबरा रहा था इसलिए आंखें भर आईं।


    "अच्छा पर क्यों दिल, क्यों घबरा रहा था?


    "बस मुझे मेरे घर वालों की याद आ गई थी सो थोड़ा सा यूँ ही आँखे भर आईं....!!

    पारसा ने अपनी मुस्कुराहट में अपनी परेशानी छुपा ली थी और सलमा उसके चेहरे को दोनों हाथों में प्यार से भर कर उसके माथे पर चूम लिया।


    मेरी बच्ची, मै तुम्हारी मामी हूं लेकिन सास नहीं तुम मेरी बेटी हो तो मैं तुम्हारी मां क्यों नही, तुम्हें क्यों तुम्हारे घर वालों की याद आ रही थी क्या हम लोग यहां पर तुम्हारे अपने नहीं?


    अरे नहीं मामी ऐसा कुछ नहीं है मुझे तो यहां आपसे और आप सबसे बेइंतहा मोहब्बत मिली है?


    तो फिर उदास क्यों हो, देखना एक दिन ज़िबरान भी मान जाएगा हां अभी थोड़ा उलझा हुआ है वह क्योंकि यह सब इतनी जल्दी-जल्दी में अचानक से हुआ तो वह थोड़ा शायद अनकंफरटेबल महसूस कर रहा है वरना तो मेरा ज़ुबू दिल का बहुत अच्छा है यह तुम खुद जानती हो पारसा बचपन से उसके साथ रही हो तुम?


    जी मामी मुझे पता है।


    चलो फिर ठीक है तुम फ़िक्र मत करो मैं ज़िबरान से कहूंगी वह तुम्हें तुम्हारे घर घूमा लायेगा तुम्हारा मन बहल जाएगा, ठीक है।

    सलमा ने बहुत ही मोहब्बत से उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा था लेकिन उसने नहीं में सर हिला दिया.... "अरे  नही मामी इसकी जरूरत नहीं है बस यूं ही याद आ गई थी थोड़ी सी कभी उनसे दूर रही नहीं हूँ ना इसलिए।

    पारसा ने सलमा को टालने के लिए मुस्कुरा कर कहा था लेकिन सलमा उसकी बात को जैसे अंदर तक महसूस कर गई थी और उन्होंने उसके सामने तो कुछ नहीं कहा लेकिन शाम को जब ज़िबरान ऑफिस से आया तो खाने की टेबल पर उन्होंने यही जिक्र छेड़ दिया जहां इस वक्त सभी इकठ्ठा थे।

    उन्होंने ज़िबरान को हिदायत दी थी कि वह पारसा को उसके गांव घूम लाये और ज़िबरान ने पलट कर अपने पास बैठी पारसा की तरफ देखा फिर उसे वह गांव याद आ गया अपनी फुफ्फो का घर।

    वह घर तो आलीशान था गांव में दूर से ही दमकता हुआ एक बड़ा सा रंगीन व्हाइट महल जैसा लेकिन घर के बाहर जो बाड़े थे उन्हें देखकर ही ज़िबरान को घिन आती थी जिसमें मुर्गियां दनदनाती फिरती हुई घर के दरवाजे तक आती थी साथ ही बकरियां और गाय, भैंस की आवाज़ो का शोर हालांकि उनकी देखभाल के लिए नौकर थे जहां चौबीसों घण्टो सफाई चलती रहती सगीर अहमद के खेतों पर भी काम के लिए अलग से फॉर्मर  थे लेकिन फिर भी वह गांव जिबरान को पसन्द नही था।


    उसने सब याद करते हुए फौरन बिजली के झटके की तरह नहीं में सर हिला दिया....

    "नो अम्मी मै वहां नहीं जाऊंगा, प्लीज्,,


    अरे पर क्यों नहीं जाओगे पारसा को उसके घर वालो की याद आ रही हैं तुम इसे घुमा लाओ ना जाकर?
    सलमा ने हैरत से ज़िबरान की तरफ देखा था जो डरा हुआ सा दिख रहा था।


    क्योकि अम्मी जब मै वहां एक बार गया था तो गांव की औरतों ने मेरे बहुत गाल खींचे थे।
    ज़िबरान ने मासूमियत सा मुंह बनाकर कहा और सलमा समेत आईना और जाफर को उस पर हंसी आ गई।

    "अम्मी मै नही जाऊंगा इसके साथ,,


    ज़ुबू तुम उस गांव के दामाद हो बेटा सबने प्यार में तुम्हारे गाल खींचे होंगे क्योकि अब वह सिर्फ तुम्हारी फुफ्फो का घर ही नही तुम्हारे लिए।


    नही अम्मी मै नही जाऊंगा बस,,

    ज़िबरान ने सलमा से कहते हुए पारसा की तरफ देखा.... "अम्मी इसे घर की याद नहीं आती है आप इससे पूछ ले ना, है ना पारसा बताओ मम्मी को?


    जिबरान की बात का पारसा कोई जवाब देती कि उसके के बगल में बैठे खाना खा रहे हैं उसके बाप मकसूद अली ने फौरन कड़क सख्त आवाज में उसे टोक दिया.... "क्यों नहीं जाओगे तुम पारसा के साथ इसके घर, तुम नहीं जाओगे तो कौन जाएगा यह जिम्मेदारी तुम्हारी है समझे तुम?


    अरे लेकिन डैड मै तो....!!


    बस करो कोई एक्सक्यूज नही चाहिए मुझे ज़ुबू,,

    ज़िबरान की आवाज हलक में अटक गई थी और वह अपने बाप के सामने कुछ नहीं बोल पाया।।





    और आगे.................


    तो क्या है आखिर अलविरा का पास्ट मिस्टर खान यानि ज़ैदल्लाह खान के साथजो एक डॉन नहीं पर ऐसा विलेन जरूर है कि जिसके सामने पूरी दुनिया कुछ नहीं😊 जानने केलिए पढ़ेंगे स्टोरी के नए पार्ट तो जुड़े रहिये दोस्तों ❤️❤️❤️🤗

  • 12. किसने किडनैप किया अलविरा को, सिद्धि विद शिवांश - 12

    Words: 2193

    Estimated Reading Time: 14 min

    आज कई दिन हो चुके थे अलवीरा ने हॉस्पिटल की तरफ मुंह तक नहीं किया था उसे डर था कहीं वह इंसान जिससे वह इतने दिनों से दूर भाग रही थी वह इंसान जिसका वह सामना करने की हिम्मत भी नहीं जुटा सकती थी और ना ही कभी उसका तसव्वर करती थी और उसके बारे में कुछ सोच पाती थी आज वही इंसान बेधड़क उसके सामने आ खड़ा हुआ था।
    अलवीरा को डर था कि अगर वह हॉस्पिटल गई तो फिर से वही सब पुराना एक बार ताजा हो जाएगा और उससे सामने हुआ तो वह कमजोर हो जायेगी इसलिए हॉस्पिटल छोड़ दिया जहां तक की घर से भी बाहर नहीं निकलती अब खर्चे का क्या होगा सब खुदा को सौंप दिया।

    आज पूरी रात भी अलवीरा ने यूं ही जागते हुए करवटे बदलते काट दी थी और सुबह होते-होते जब उसकी आंखें लगी तो उठने में देर हो गई और उसकी छः साल की छोटी सी बच्ची इरम जो स्कूल के लिए तैयार थी वह अपनी मां का सर खा रही थी।


    अरे अम्मी जल्दी करे बस छूट जाएगी मेरी तो फिर मुझे स्कूल पैदल जाना होगा और अब तो पैदल लेट भी हो जाएगा मुझे।
    इरम ने बोरियत से मुंह बनाते हुए कहा और सामने रखा वह नाश्ता करने लगी जिसे अलवीरा ने उसे लेकर दिया था और नाश्ते में सिर्फ वही आलू की सब्जी और रोटी इससे ज्यादा ना तो अलवीरा कर सकती थी और ना ही कर पाई थी।

    वह कोशिश तो करती पर इससे अच्छी जिंदगी इरम को नही दे पा रही थी लेकिन उसे अच्छा फ्यूचर देने के लिए वह खुद भूखी भी रह लेती और इरम को इस शहर के सबसे अच्छे और महंगे स्कूल में डाल रखा था जिसका शुमार भी ऐसी मिडिल क्लास फैमिली खासकर अलवीरा जैसे लोगो के बच्चे नहीं कर सकते थे, वहां इरम को अलवीरा ने एडमिशन दिलाया था।


    अरे ऐसे कैसे लेट हो जाएगा मैं हूं ना अपने बच्चा के लिए अगर बस छूट गई तो मैं आपको गोद में लेकर जाऊंगी दौड़ते हुए जैसे लेकर जाती हूँ मै?
    अलवीरा ने इरम के बालों में चूम लिया और फिर उसके बालों को बनाते हुए जल्दी-जल्दी खुद ही इरम के मुंह में निवाने डालने लगी।

    चलो बेटा जल्दी से ब्रेकफास्ट करो और उसके बाद मैं तुम्हारा टिफिन रेडी कर देती हूं तब तक तुम जाकर अपना स्कूल बैग देख लो।


    ओके अम्मी!!  "इरम ने मासूमियत से कहा और उठकर वहां से चली गई।

    अलवीरा जल्दी-जल्दी उसका टिफिन पैक कर रही थी कहीं देर ना हो जाए और आखिर उसने वक्त पर इरम को रेडी कर दिया था और जैसे ही उसकी स्कूल बस आई उसे हिदायत देते हुए अच्छे से समझा कर स्कूल बस में बिठा आई।


    अब वह फ्री होकर वापस घर के अंदर आ गई थी छोटा सा घर एक कमरे का जिसके सामने ही छोटा सा आंगन था और आंगन में ही जबरदस्ती बनाया हुआ किचन।
    एक मामूली सा घर जिसकी मिट्टी की कच्ची दीवारों में दराजों की कमी नहीं थी, छत के नाम पर कुछ पत्तलें रखी थी जो बरसात में बारिश का पानी मुश्किल से रोक पाती और बारिश का आधे से ज्यादा पानी उन पत्तलों को पार करके घर के अंदर गिरता जो अलवीरा का मामूली सा छोटा-मोटा सामान भिगो ले जाता या फिर तेज बारिश में बहा ले जाता और हर बार उसे एक नई कोशिश करके सब फिर से तैयार करना होता।

    ऐसे ही जिंदगी चल रही थी अलवीरा की पर वह खुश थी की इरम उसके साथ है आखिर उसी केलिए तो वह आज यहां तक पहुंची थी।


    अलवीरा ने इरम को स्कूल भेजा और खुद आकर उस का बचाया खाना लेकर बैठ गई, कहते हैं ना कि, कितनी भी तकलीफ हो दिल कितना भी बेचैन हो पर भूख तो लगती ही है भले ही खाना अच्छा ना लगे पर भूख को शांत करने के लिए जबरदस्ती ही सही निवाले तो हल्क से नीचे उतारने ही पड़ते हैं पेट जालिम ही नहीं बहुत बेशर्म भी होता है।

    उसने अभी पहला निवाला तोड़कर मुंह में रखा ही था जो उससे खाया तो नहीं जा रहा था लेकिन तभी उसे कुछ एहसास हुआ जैसे कोई बिना उसकी इजाजत उसके घर में उसके सामने आकर खड़ा हो गया है?
    घर की ही तरह घर का दरवाजा भी बेफजूल बेमतलब सा ही था जिसे खटखटाना या खोलकर अंदर आने की जरूरत नहीं थी बल्कि वह तो खुद पत्तलों से बना था जिसे बिना नॉक किये कोई भी अंदर आ जा सकता था?

    अलवीरा ने जब नजरे ऊपर उठाई तो सामने ही तीन चार अजनबी लोग खड़े थे जिन्हें वह नही जानती थी।


    अरे आप...आप लोग कौन... कौन है आप लोग और यह... यह इस तरह अंदर कैसे चले आए?

    वह फौरन उठकर उनके सामने आ गई थी जब उनमें से दो लोगों ने आगे बढ़कर उसे दोनों तरफ से पकड़ लिया जैसे वह कोई भागी हुई कैदी हो?
    यह क्या बदतमीजी है छोड़ो मुझे आप लोग कौन है? 


    अलवीरा चिल्लाई पर वह लोग ना तो कुछ बोले और ना ही जैसे कुछ सुना था वह अलवीरा को अपने साथ घसीटते बाहर ले आये जहां उनकी बड़ी बड़ी कई सारी ब्लैक गाड़ियां खड़ी थी, उन्होंने अलवीरा को उसमे से एक बीच वाली गाड़ी में बिठाया और लेकर चले गए, वहां मौजूद पूरी बस्ती यह मंजर देख रहा था पर किसी में हिम्मत नही थी आगे आने की?


    * * * * * * * * *

    शिवांश अभी रॉड किनारे बेंच पर उदास बैठा था जब उसकी नजर सामने रॉड के दूसरी साइड से आ रही सिद्धि पर पड़ी थी जिससे उसकी आंखें चमक उठी और वो फौरन ही दौड़ता हुआ सिद्धि की तरफ आया था।

    "सिद्धि तुम वहीं रुको मैं आ रहा हूं तुम्हारे पास तुम रॉड पे मत आना।
    शिवांश रॉड के उस पार खड़ी सिद्धि को आवाजे देता हुआ खुद ही रॉड पार करके उसके पास आया था और उसका. हाथ थाम लिया... "सिद्धि तुम, तुम यहाँ क्या रही हो, कोई काम था क्या तुम्हे?


    अरे, अरे बाबा जस्ट चिल यार इतने सारे सवाल, ओह मय गॉड शिव।... सिद्धि ने हंसते हुए कहा था और शिवांश ने उसे अपने सीने से लगा लिया।


    "सिद्धि तुम ठीक तो हो ना?


    अफ्कोर्स शिव आई एम फाइन तुम ऐसे क्यो पूछ रहे हो?


    " नही कुछ नही!


    "अरे तो छोड़ो मुझे शिवांश, व्हाट हैप्पन?
    शिवांश ने उसे अब तक अपने गले से लगा रखा था तो सिद्धि कसमसाते हुई बोली थी...  शिवांश तुमने मुझे रॉड पार करके तुम्हारे पास आने से क्यो रोका था, तुम क्यो आये मुझे लेने?


    "क्योकि देखो जरा वहां इतनी सारी गाड़ियां चल रहीं हैं तुम्हे कुछ हो जाता तो?... शिवांश बड़ी मासूमियत से बोला था सिद्धि उसकी गर्लफ्रेंड कम उसकी जान ज्यादा जो थी।


    "ओह गॉड शिव, तभी तो मैं तुम्हे भोंदू कहती हूँ, डफर कहीं के!... सिद्धि को शिवांश की उन भोलेपन सी बातों पर हंसी आ रही थी।
    "शिव तुम मेरी इतनी फिकर करते हो अगर मुझे कुछ हो गया और मैं सच मे मर गई तो, तब क्या करोगे तुम, बोलो?


    "जस्ट शटअप सिद्धि!.... शिवांश ने सिद्धि के बालों को अपनी मुट्ठी में मजबूती से जकड़कर उसे गुस्से में डांट दिया और उसके बालों को कसता ही गया जिससे उसकी आंखो में आँसू उमड़ आये थे और शिवांश ने उसे खींचा तो वो तड़पकर उसके और भी करीब हो आई।

    "सिद्धि मुझे ये सब पसन्द नही मैं तुमको खुद से दूर कहीं जाने नही दूंगा, कभी नही, समझी तुम तुम ऐसी बाते मत किए करो?


    शिवांश की आंखों में एक सनक थी और चेहरे पर अजीब से हैवानियत जैसे भाव उमड़ आएं थे सिद्धि ने कराहते हुए तकलीफ से कहा... "मुझे दर्द हो रहा है शिवांश प्लीज् लीव मी!


    "सस, सॉरी, सॉरी सिद्धि पर मैं तुमको खोने की बात से ही डर जाता हूँ यार!.... शिवांश ने अपनी गिरफ्त ढीली की थी और उससे छूटते ही सिद्धि उस से दो कदम दूर हट गई।



    "या आई क्नो शिव ईटस ओके!... सिद्धि ने उसकी आँखों में देखा था जिसमे उसे एक जुनून सा दिखाई दिया था और वह सहम गई थी।


    वैसे सिद्धि तुम यहाँ कैसे इस वक्त?


    "हाँ वह मै, मैं एटीएम आई थी  शिवांश पीजी का रेंट देना है उसके लिए पैसे निकलवाने थे पापा ने भेजें है।


    "अच्छा, तो निकाले की नही?


    "हाँ काम हो गया और ये देखो ये तुम्हारे लिए!
    सिद्धि ने एक शॉपिंग बैग शिवांश के आगे कर दिया था... "ये कुछ नए कपड़े है मैने तुम्हारे लिए खरीदे हैं शिव।


    "अरे पर क्यों, ये सब क्यो सिद्धि?... शिवांश कभी कपड़ो को देखता तो कभी सिद्धि को जो उसके सामने खड़ी थी।


    "क्योकि शिवांश तुम जरा खुदको देखो यार ये सब क्या है शिवांश तुम आज के लड़कों जैसे बिल्कुल लगते ही नही तुमने अपना हुलिया भी कभी नॉटिस किया है क्या तुम क्यो ऐसे हो शिवांश, ये ड्रेसिंगसेन्स, बढ़े बाल, ये अजीब सी सिरियस शक्ल, बढ़ी हुई सेव... ओह माय गॉड शिवांश तुम ना तो कभी हंसते हो और ना ही लाइफ के कोई मज़े लेते हो तुम्हारे पास जरा भी कोई भी नॉर्मल तरीका ही नही यह सब क्या है तुम आज कि जेनिरेशन जैसे क्यों नहीं लगते क्यों तुम ऐसे शांत डरवाने से बने घूमते रहते हो शिव ?
    सिद्धि शिवांश की एक-एक चीज पर गौर करती हुई बिना सांस लिए जल्दी जल्दी बोल रही थी।

    "तुम आज के जमाने के मॉर्डन लड़के लगते ही नही शिव आज कल के मेंटेनस इंसान के बजाय तुमने ये पागलो सा हुलिया क्यो अपना रखा है शिवांश थोड़ा तो खुदको चेंज करो यार प्लीज् शक्ल अच्छी है तो इसे बिगाड़ कुओ रहे हो तुम ऐसे रह कर मैं नही चाहती लोग तुम्हारी ऐसी लाइफस्टाइल का मजाक बनाये क्योकि ये तुम्हारा जानवरो सा हुलिया बहुत गंदा सा विलेन की तरह लगता है शिव


    "सिद्धि मैं तुम्हे पसन्द नही क्या?... शिवांश ने सिद्धि कि आँखों मे देखते हुए गहराई से पूछा था।


    "नही पसंद हो तुम मुझे !

    सिद्धि ने एकदम से ही सपाट जवाब दिया था और शिवांश चीखा.. "सिद्धि,,


    "सॉरी शिवांश मेरा मतलब है तुम मुझे ऐसे पसन्द नही इस तरह आज कल कौन रहता है भला, तुम चलो मेरे साथ!... सिद्धि ने शिवांश को अपने साथ खींचा था।

    थोड़ी ही देर मे सिद्धि शिवांश को अपने साथ खींचते हुए लिए एक शॉप में आ गई थी जहां से उसने उसके लिए कपड़े खरीदे थे और कुछ और जरूरी सामान भी।


    "तुम मुझे यहां लेकर क्यो आई हो सिद्धि?... शिवांश को सिद्धि चेंजिग रूम की तरफ लाई थी तो उसने अब हैरत से पूछा था।


    "जाकर चेंज करके आओ शिव, राइट नऊ?


    "अरे पर इन कपड़ो में बुराई क्या है सिद्धि ये भी तो सही लग रहे हैं ना यार?


    "शटअप! मुंह बंद रखो अपना तुम और जाकर चेंज करो!... सिद्धि ने अपनेपन भरे रॉब और बनावटी गुस्से में उसे डांटा था तो वो शॉपिंग बैग्स लिए आगे बढ़ गया और सिद्धि मुस्कुरा दी थी।

    शिवांश काफी देर बाद वापस आया तो उसे देखकर सिद्धि मानो चौक गई थी और बस एकटक उस पर नजर गड़ाए उसे ताकती रही.... "अरे वाव शिवांश यू आर लुकिंग सो गुड!    


    सिद्धि ने आगे बढ़कर उसके बाल ठीक करते हुए हंसकर कहा था तो वो भी मुस्कुराने लगा था... "अरे शिव मैं सच कह रही हूं, तुम वाकई अब इन कपड़ो में आज कोई इंसान लग रहे हो, आई मीन तुम हमेशा तो अजीब से बने रहते हो।


    पर ये सब क्यो सिद्धि मुझे ऐसे अच्छा नही लगता?


    "चुप करो तुम और ये क्या अपने चेंज किये हुए ये पुराने कपड़े वापस क्यो लिए खड़े हो तुम?
    सिद्धि ने उसे डांटने के साथ ही सवाल किया था... "शिवांश तुम अब ये गंदे, विलेन से शैतान वाले कपड़े कभी नही पहनोगे, समझे तुम फेंको इन्हे जाकर


    "सिद्धि ये सब क्यो मैं जैसा हूं मै बचपन से ऐसे ही अपनी लाइफ जीता आया हूं ये मेरी जिंदगी है सिद्धि तुम क्यो मुझे बदलना चाहती हो?


    "नहीं ये तुम्हारी जिंदगी नही तुमने अपनी जिंदगी को ऐसा बना रखा है शिवांश, शिवांश अब मैं हूँ तुम्हारी लाइफ में और मैं इसको और तुमको चेंज करके ही रहूंगी तुम्हे परफेक्ट बनाउंगी मै क्योंकि तुम मेरा. प्यार हो शिव।


    "सिद्धि मैं तुम्हे ऐसे ही पसन्द क्यो नही, क्या मैं तुमको अच्छा नही लगता क्या?
    शिवांश ने काफी अफसोस से पूछा था... बोलो सिद्धि  टेल मी! तुम्हें शर्म आती है क्या मुझे अपने साथ इंट्रो करवाने में?


    शिवांश का अंदाज ऐसा था कि सिद्धि झेंप गई और फौरन ही शिवांश के हाथ थाम लिए... ऐसा नही है शिव और मुझे तुम्हारी पहचान से कोई प्रॉब्लम नही ना ही तुम्हारे साथ रहने में मुझे शर्म आती है शिवांश बस मैं ये चाहती हूँ कि तुम किसी से कम ना लगो सबकी तरह नॉर्मल जियो और तुम भी औरों की तरह शानदार पर्सनालिटी और परफेक्ट लाइफ.....!!


    "अब आगे क्या करना होगा मुझे सिद्धि मैं तुम्हारे लिए अपनी लाइफ और लाइफस्टाइल दोनो चेंज कर दूंगा।... वो एक झटके में पर धीरे-धीरे नॉर्मली बोला था जिससे सिद्धि की बात कटकर रह गई थी।
    "सिद्धि तुम जो बोलोगी मैं सब करूंगा क्योकि मैं सचमे तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं तुमको खोने नही दूंगा।


    "मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ शिव तुम्हे कभी छोड़कर नही जाऊंगी?


    "मैं तुम्हे जाने ही कहाँ दूंगा?   

     
    मतलब?... शिवांश ने एक अजीब से अंदाज में कहा था तो सिद्धि ने चौककर पूछा था जिस पर वो नही में सर हिलाता हुआ मुस्कुराकर रह गया।।।




      जारी………………✍️

  • 13. शिवांश और लड़की, जलन सिद्धि को - 13

    Words: 1201

    Estimated Reading Time: 8 min

    शिवांश जिस कम्पनी में एक छोटे से सेल्समैन की जॉब करता था उसके मालिक थे मिस्टर अमर जो शिवांश के बॉस ही नही उसके कर्ताधर्ता भी थे, शिवांश ने जबसे उनकी कंपनी ज्वाइन की थी मिस्टर अमर शिवांश के बॉस और उसके पिता जैसे भी थे। 
    शिवांश सालों से मिस्टर अमर की कंपनी में काम कर रहा था और उनके साथ उन्हीं के घर में रहता भी था, उसने कभी भी मिस्टर अमर से अपनी सैलरी नहीं मांगी जबकि मिस्टर अमर उसे उसकी सैलरी के साथ-साथ उसका बोनस भी देते हैं पर शिवांश हर बार वही पैसे उन्हें वापस कर देता है यह कहकर कि वह पैसों का क्या करेगा?

    शिवांश चाहता कि मिस्टर अमर उसके पैसे अपने पास ही जमाकर रखे और जब उसे जरूरत होगी वो उनसे मांग लेगा।


    शिवांश का दुनिया मे कोई नही था और वो एक अनाथ था जिसे काम के साथ-साथ अपना साथ और सहारा भी मिस्टर अमर ने ही दे रखा था मिस्टर अमर केलिए शिवांश उनके सगे बेटे जैसा ही था वो बचपन से ही अकेला, बेसहारा और अनाथों सा जिया था जिस वजह से शिवांश अकेले रहते हुए एक शांत माइंडेड और कम बोलने वाला बन गया था ज़ब उसकी लाइफ मे आई सिद्धि जो एक कॉलेज स्टूडेंट थी और बीजी मे रहती थी शिवांश उससे इतना प्यार करने लगा मानो वह उसकी दुनिया, उसकी जान, उसकी जिंदगी सबकुछ बन गई थी।।


                  * * * * * * * * *


    शिवांश जब मिस्टर अमर की कम्पनी का एक राउंड लेकर घर वापस आया तो मिस्टर अमर ने उसके हाथ के एक कार्ड थमा दिया जिसे वह हैरत से देखने लगा... ये क्या है सर?


    "शिवांश इसे एटीएम कार्ड कहते हैं और इसकी मदद से तू अब से जब चाहे, जहां चाहे, और जितने चाहे पैसे निकाल सकता है।... मिस्टर अमर ने शिवांश को समझाते हुए मुस्कुराकर कहा था।
    "शिवांश पर तुझको इसे अपने पास बहुत ही संभालकर रखना होगा याद रहे ये कार्ड कभी किसी और के हाथ नहीं लगना चाहिए शिवांश क्योंकि यह कार्ड बहुत ही.....!!


    "यह आप क्या कह रहे हैं मिस्टर अमर इससे जब चाहे जितना चाहे पैसे कैसे निकाल सकते हैं, अगर ऐसा ही है तो फिर इंसानों को मेहनत करके कमाने की क्या जरूरत हर कोई इस कार्ड को ही मशीन में डालें और जब चाहें, पैसे निकाल ले?... शिवांश ने भोलेपन से कहा था तो मिस्टर अमर को हंसी आ गई।


    "शिवांश तू मेरी बात नहीं समझा यार रुक मैं तुझे ठीक से समझाता हूं!
    मिस्टर अमर उसके कांधे पर हाथ रखे, उसे लिए अपने घर के गार्डन में ही बैठ गए थे... लिसेन शिवांश ये कार्ड कोई फ्री में पैसे देने वाला पैसों का पेड़ नहीं है ये कार्ड तेरे ही पैसे तुझे देगा जब तू इसे एटीएम मशीन में डालकर एक नम्बर डालेगा, मेरा मतलब है तेरे बैंक में जितने पैसे मैंने जमाकर रखे हैं, जो तेरी ही कमाई है तू जब चाहे इस कार्ड के जरिए अपने पैसे किसी भी एटीएम मशीन से निकाल सकता पर यह कार्ड तुझे अपने पास से कभी खोने नहीं देना है शिवांश इसे तू पैसों का एक नोट समझकर अपने पास रखना और ध्यान रहे कभी इसका नंबर या फिर यह कार्ड किसी दूसरे के हाथ ना लगने पाए.... यू अंडरस्टैंड।


    "यस आई अंडरस्टैंड पर इसकी जरूरत क्या थी सर मुझे जितने पैसे जब चाहिए होते हैं आप तो दे ही देते हैं।


    "जरूरत है शिवांश, तू अब अकेला नहीं है तेरी लाइफ में अब तेरी सिद्धि भी आ गई है तू कब तक मुझसे पैसे मांगता फिरेगा जबकि वह पैसे तेरे ही है शिवांश और जिन पर तेरा हक है मुझसे मांगना आखिर कब तक?


    "ऐसी कोई बात नहीं सर मुझे बुरा नहीं लगता आपसे पैसे मांगने में और ना ही मुझे शर्म ही आती है आखिर को आप मेरे पिता जैसे हैं और बचपन से लेकर आज तक आपने ही मुझे संभाला है?


    "अरे फिर भी शिवांश अब तुझे इसकी जरूरत है बेटा, वैसे शिवांश तू अभी कहीं जा रहा है क्या?


    "जी हाँ सर वह काम है कुछ सिद्धि से भी मिलना है आज तो आज मै काम पर लेट आऊंगा?


    "कोई बात नहीं अच्छा देख शिवांश अगर तू फ्री है और बाहर जा रहा है तो जाते वक्त रास्ते में मेरी बेटी रिया को कॉलेज ड्रॉप कर दे ना मुझे थोड़ा काम है और मेरी गाड़ी भी खराब है आज रिया की गाड़ी मैं लेकर जा रहा हूं तो क्या तू?

    मिस्टर अमर थोड़ा अनकम्फर्टेबल से बोले थे.... शिवांश प्लीज् बेटा रिया का कॉलेज रास्ते मे ही तो पड़ता है यू क्नो ना?


    "या आई नो सर क्यों नहीं मैं रिया को उसके कॉलेज ड्राप कर दूंगा वैसे भी आज मैंने कंपनी से छुट्टी ली है तो सारा दिन फ्री ही रहूंगा।... शिवांश ने मिस्टर अमर की बातों पर फौरन ही हांमी भरी थी तो वह खुश हो गए और अपनी बेटी रिया को आवाज देने लगे!!

    "रिया, रिया कहां हो बेटा जल्दी आ जाओ शिवांश तुम्हें आज कॉलेज ड्राप कर देगा?


    "पापा आप आज फिर नहीं आ रहे मेरे साथ, उफ्फ पापा!... रिया सीढियां उतरकर वहाँ आई थी और नखरे दिखाते हुए काफी नजाकत से कहा था।


    "अरे बेटा मुझे थोड़ा काम है अर्जेंटली कहीं जाना है शिवांश है ना तुम्हारे साथ ये तुम्हे कॉलेज छोड़ आयेगा।


    "या आई नो शिवांश है मेरे साथ!
    रिया ने एक नजर शिवांश की ओर देखा था और फौरन उसके साइड आकर खड़ी हो गई... "तो हम चले शिवांश।


    "हां ठीक है!... शिवांश जरा सा मुस्कुरा दिया था बस।


    "अच्छा शिवांश तू अपनी बाइक ले जा और टाइम मिले तो जरा गैराज में देखना मेरी गाड़ी ठीक हो गई हो तो उसे भी घर लेकर आना।


    "अरे सर आप बेफिक्र रहिए मैं हूं ना मै सारे काम देख लूंगा आप एकदम आराम से जाइए।
    मिस्टर अमर की बात काटकर शिवांश ने खुद ही उनकी बात पूरी की थी और रिया को देखने लगा...!सर मैं रिया को शाम को कॉलेज से पिक भी कर लूंगा, ठीक है।


    "थैंक यू सो मच शिवांश तू नहीं होता तो जाने ही में क्या करता? तेरी वजह से बहुत सारी प्रॉब्लम्स सॉल्व हो गईँ।


    "चलो जल्दी शिवांश मुझे लेट हो रहा है!... रिया ने शिवांश का हाथ पकड़कर खींचा था और दोनों दरवाजे से बाहर निकल गए और मिस्टर अमर बस मुस्कुराकर रह गए थे।


    "वैसे शिवांश आज तुम थोड़ा चेंज लग रहे हो मुझे, बात क्या है नए कपड़े, नया लुक?...
    रिया और शिवांश जब घर से बाहर आये तो रिया ने  बाइक पर बैठते हुए काफी हंसकर शिवांश से पूछा था... इस चेंजिंग का राज़ क्या है मिस्टर साईलेंट किलर शिवांश ?


    "कैसा चेंज?... शिवांश ने बाइक आगे बढ़ाते हुए बिना किसी एक्सप्रेशन और बेभाव के बेजारी से पूछा था।



    "अरे मिस्टर साइलेंट महाराज मैं आपकी वेषभूषा की बात कर रही हूं आज तुम वाकई इंसान जैसे लग रहे हो।


    "कपड़ो का सेंस चेज किया तो इंसान हो गया तो क्या पहले मैं जानवर था क्या?


    "अरे नहीं, नही जानवर नही! 


    "तो फिर व्हाट?


    जानवर नही तुम तो मुझे उससे भी बदतर कोई हैवान लगते थे पहले !... रिया ने नोर्मली कहते हुए एकदम से उसका मजाक बनाया था और जोर-जोर से हंस दी जबकि शिवांश उसी तरह खामोश रहा।

    "इसीलिए तो मैं तुमको मिस्टर साइलेंट कहती हूँ शिवांश यार कभी हंस भी लिया करो साइलेंटी महाराज जी।।



      

  • 14. ए दिल संम्भल जा ज़रा - Chapter 14

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