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Psychopath lover

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Psychopath! Psychopath! वर्ड सिंपल है पर मतलब उतना ही बड़ा। ऐसे तो अपनी जिंदगी में किसी ना किसी मोड़ पर हम psychopath लोगों से मिलते ही है पर क्या हो अगर हम किसी ऐसे साइको की कैद में फंस जाए जिसका हर move हमें हमारे वजूद से ही दूर ले जाए। सोचकर ही दि...

Total Chapters (53)

Page 1 of 3

  • 1. Psychopath lover - Chapter 1

    Words: 1892

    Estimated Reading Time: 12 min

    सुबह का समय था, इंदौर में।

    एक छोटे से घर की दूसरी मंज़िल के एक कमरे में, बिस्तर पर एक लड़की अपने टेडी बियर को सीने से चिपकाए सो रही थी। वह लड़की सोते हुए बेहद मासूम और निर्दोष लग रही थी। खिड़की पर लगे पर्दे से धूप की किरणें उसकी सूरत पर पड़ रही थीं। चेहरे पर धूप की किरण पड़ने से वह लड़की थोड़ी सी हलचल की और फिर चादर ओढ़कर सो गई।

    उसी समय, उसी घर की पहली मंज़िल पर एक औरत इधर-उधर भागदौड़ करते हुए कुछ बड़बड़ा रही थी।

    "हे भगवान! पता नहीं यह लड़की अभी तक क्या कर रही है... पता नहीं तैयार हुई भी है या नहीं।" (ऊपर की ओर देखते हुए)

    उस औरत ने एक बैग में कुछ सामान रखते हुए खुद से ही कहा-

    "सारी पैकिंग हो गई ना? कहीं कुछ छूट तो नहीं गया? एक बार फिर से चेक कर लेती हूँ... वरना... एक अनजान शहर में वह कैसे मैनेज करेगी?... पता चले पहले ही दिन परेशान होती फिरे।"

    फिर एक पल के लिए रुककर आह भरते हुए-

    "पता नहीं इस लड़की को भी इतनी दूर ही क्यों जाना है। यहाँ रहकर भी तो उसका सपना पूरा हो ही सकता था।

    ...न जाने क्यों, लेकिन मेरा दिल बिल्कुल नहीं कर रहा उसे खुद से दूर भेजने को।"

    यह कहते हुए उस औरत के चेहरे पर थोड़े परेशानी भरे भाव थे। वहीं, उस औरत को इस तरह परेशान होते देख, सोफे पर बैठे एक आदमी, जो काफी देर से उसे देख रहे थे और उसके हर भाव को नोटिस कर रहे थे, जोर-जोर से हँसने लगे।

    अपने पति को यूँ हँसता हुआ देख, उस औरत का मुँह बन गया। तभी वह आदमी ना में सिर हिलाते हुए सोफे से खड़ा हुआ और उस औरत को कंधों से पकड़कर बोला-

    "आशा, तुम क्यों इतनी परेशान हो रही हो? सारी पैकिंग हो चुकी है और अगर कुछ रह भी गया होगा तो भी उसे वहाँ किसी तरह की कोई समस्या नहीं होगी।... उसकी सुरक्षा के हिसाब से भी वह जगह बिल्कुल सही है।"

    "जानती हूँ, पर फिर भी एक माँ होने के नाते मेरा दिल अपनी बच्ची की फिक्र करता ही है।... आपको तो पता ही है, वह आज तक कभी हमसे दूर नहीं रही है।

    और सबसे ज़्यादा डर तो मुझे उसकी मासूमियत और निर्दोषता से लगता है।... वह खुद निर्दोष है, तो उसे लगता है कि बाकी सब भी उसकी तरह ही निर्दोष होंगे।... मुझे तो डर लगता है कि कहीं मेरी बच्ची अपनी इसी निर्दोषता की वजह से किसी मुसीबत में ना फंस जाए।"

    अजय (अपने पति की तरफ देखते हुए)---

    ---"क्या ऐसा नहीं हो सकता कि वह अपना सपना यहीं रहकर पूरा कर ले? हमारे कलेजे के नीचे रहेगी तो मुझे भी शांति रहेगी, नहीं तो मुझे उसकी फिक्र ही लगी रहेगी।" अजय ने आशा की बात सुनकर एक गहरी साँस भरी और आशा को अपने सामने करते हुए बोला -

    "आशा, तुम जानती हो ना उसने अपने सपने के लिए कितनी मेहनत की है।"

    "और काम तो वह यहाँ कर लेगी, पर मनाली उसका ड्रीम प्लेस है। जहाँ के हॉस्पिटल में अपनी ideal के अंडर काम करना हमेशा से उसका सपना रहा है।... और आज जब उसे अपना सपना पूरा करने का मौका मिला है, मनाली जाकर इंडिया के बेस्ट हॉस्पिटल में काम करने का मौका मिल रहा है, तो हमारा उसके सपने के बीच आना, वह भी सिर्फ एक डर की वजह से, यह उसके साथ गलत होगा। और अब वह बड़ी हो चुकी है। हाँ, वह निर्दोष है, उसकी निर्दोषता मुझे भी डराती है, पर मुझे यकीन है कि वह खुद को संभाल लेगी। इसलिए अब तुम परेशान होना बंद करो। नहीं तो तुम्हें देखकर वह भी परेशान होगी।"

    आशा ने अजय की बात सुनकर खुद को शांत किया और अपना सिर हाँ में हिला दिया।

    तभी बाहर से एक सत्रह-अठारह साल का लड़का अंदर आया। उसे बाहर से आता देख आशा उसे थोड़ा डाँटते हुए बोली-

    "अभि, तू वहाँ कहाँ से आ रहा है? मैंने तुझे ज़ारा को उठाने के लिए कहा था ना? तूने उसे उठाया नहीं... वह लेट..."

    "अरे रिलैक्स, रिलैक्स, मेरी प्यारी मॉम रिलैक्स।।।। आप बात-बात पर क्यों इतना तनाव लेते हो।।। मैंने ज़ारा को आधे घंटे पहले ही उठा दिया था और अब तक तो वह उठकर तैयार भी हो चुकी होगी।" अभि अपनी माँ को गले लगाते हुए बोला।

    "पता नहीं फिर अभी तक यह लड़की क्या कर रही है। मैं एक बार देखकर आती हूँ। पता चले कहीं गढ़े घोड़े बेचकर सो ही रही हो।"

    यह बोलकर आशा वहाँ से ऊपर की ओर चली गई और उनके पीछे-पीछे अभि भी।

    जैसे ही आशा कमरे में पहुँची, तो बिस्तर पर वह लड़की अभी भी चादर ओढ़कर सोई हुई थी। यह देख आशा की आँखें खुली की खुली रह गईं।

    "यह लड़की अभी तक नहीं उठी! हे भगवान!" कहते हुए आशा ने उस लड़की का चादर पूरी तरह हटा दिया और – "ज़ारा, उठो! अभि तुम्हें आधे घंटे पहले उठाकर गया और तुम हो कि अभी तक नहीं उठीं। तुम्हें जाना है या नहीं?"... ज़ारा कसमसाती हुई अपनी अधखुली आँखों से देखती है और फिर से अपनी आँखें बंद कर लेती है।

    तभी एक पल बाद ही उसके ऊपर कोई पूरा पानी से भरा जग उँडेल देता है। पानी पड़ते ही ज़ारा की सारी नींद गायब हो जाती है और वह हड़बड़ाते हुए झट से उठकर बिस्तर पर बैठती हुई कहती है-

    "बाढ़ आ गई... बाढ़ आ गई!"

    "हाँ-हाँ, बाढ़ आ गई। अब इससे पहले कि सुनामी आ जाए और आपको अपने साथ बहाकर ले जाए, उससे पहले जल्दी से उठो और जाकर तैयार हो जाओ। वरना कहीं ऐसा ना हो कि आप अपने सपने में ही डूबी रह जाओ और आपका खूबसूरत ख्वाब आपके हाथ से निकल जाए।"

    अभि की बात सुन ज़ारा, जो अभी तक अपने हाथों से चेहरा मसल रही थी, अभि को घूरने लगी और साइड से एक तकिया लेकर उसे पर फेंकते हुए-

    "अभि के बच्चे, यह सब तूने किया ना? तूने मेरे ऊपर पानी डाला, तुझे तो मैं छोड़ूँगी नहीं।"

    "हाँ, तो मैं क्या करता? आप उठ ही नहीं रही थीं। मैंने कब आपको उठाकर गया था? आप पाँच मिनट का बोलकर वापस सो गईं और अभी भी उठने का नाम ही नहीं ले रही थीं, तो फिर मुझे आपको ऐसे पानी डालकर उठाना पड़ा... और देखो, आप उठ भी गईं।"

    इतना बोल अभि हँसने लगा।

    "अभि के बच्चे, तू मेरा मज़ाक उड़ा रहा है... रुक... तुझे तो मैं अभी बताती हूँ।" बोल ज़ारा अभि पर सारे तकिए उठाकर फेंकने लगी। अभि बचते हुए-

    "यार दी, मार क्यों रही हो? मैंने तो यह आपके लिए ही किया, मतलब आपको उठाने के लिए, वरना जैसे आप सो रही थीं ना, उस हिसाब से तो आपकी ट्रेन का छूटना तय था... और फिर आपका अपने ड्रीम हॉस्पिटल में काम करने का सपना, सपना ही रह जाता, तो आपको तो मुझे थैंक्स बोलना चाहिए।" जैसे ही अभि यह बात बोलकर चुप हुआ, ज़ारा ने अपने सिर पर हाथ मार लिया-

    "ओ शिट!"... यह मैं कैसे भूल गई? (समय देखते हुए) कहीं मैं लेट तो नहीं हो गई?

    और अभि, तू इतनी देर से फालतू की बकवास किए जा रहा था, पहले नहीं बता सकता था?"

    अभि कुछ बोलता, उससे पहले ही आशा (ज़ारा की माँ) डाँटते हुए- "बस, बस करो अब तुम दोनों। जब देखो बच्चों की तरह लड़ते रहते हो... और ज़ारा, अब अगर तुम्हें जाना है तो जल्दी से तैयार होकर आओ।" नहीं तो...

    "नहीं-नहीं, मैं जाती हूँ।" बोल ज़ारा जल्दी से वाशरूम में भाग गई।

    थोड़ी देर बाद ज़ारा वाशरूम से आती है और आईने के सामने खड़े होकर अपने बाल बनाने लग जाती है।

    ज़ारा ने एक ए-लाइन, एंकल लेंथ, क्रीम कलर की ड्रेस पहनी थी, ऊपर व्हाइट कलर की डेनिम जैकेट और पैरों में व्हाइट शूज़।

    अब ज़ारा के बारे में जान लेते हैं- ज़ारा बिरला, उम्र 22 साल के करीब..! हेज़ल आँखें, हल्के भूरे बाल, छोटा सा चेहरा और गोरा रंग। बिल्कुल निर्दोष और गुड़िया जैसी। ज़ारा अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी है और एक intern डॉक्टर के तौर पर अपना पेशा शुरू करने वाली है। अब डॉक्टर किस क्षेत्र की है, यह तो अगले अध्याय में पता चलेगा।

    वापस कहानी पर...

    ज़ारा तैयार होकर सीढ़ियों से नीचे आती है, उसके हाथ में एक सूटकेस था और कंधे पर एक पर्स लिया हुआ था जो साइड से कमर तक लटक रहा था। अजय जी (ज़ारा के पिता)- "आओ बेटा, पहले नाश्ता कर लो। फिर निकलना भी है, तुम्हारी ट्रेन का समय हो रहा है।"

    ज़ारा हाँ में सिर हिलाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाती है। बाकी सब भी बैठते हैं और नाश्ता करने लगते हैं। आशा थोड़ी परेशान होती है तो अजय आशा के हाथ पर हाथ रखकर उसे शांत होने का इशारा करते हैं।

    तभी ज़ारा अभि से-

    "अभि, वैसे तेरे प्रोजेक्ट का क्या हुआ? सबमिट कर दिया क्या तूने?"

    अभि फ़ोन में देखते हुए- "नहीं दी। वह मुझे दोबारा से बनाना पड़ेगा।"

    ज़ारा कन्फ़्यूज़न से- "क्यों? इतना तो अच्छा था।"

    "हम्म... पर कल रोहित ने जानबूझकर उस पर पानी गिरा दिया था, जिससे वह खराब हो गया, सो..."

    "कम ऑन अभि... उससे गलती से गिर गया होगा... जानबूझकर वह यह क्यों करेगा?" ज़ारा की बात सुन आशा और अजय एक-दूसरे की तरफ देखते हैं।

    "पर दी..." तभी अजय उसे बीच में ही रोकता है... "अभि, तुम यह फ़ोन में क्या घुसे हुए हो? नाश्ता करो।"

    "वह मैं न्यूज़ देख रहा हूँ, डैड।" अभि उनकी बात का जवाब देते हुए बोला।

    "न्यूज़... तुझे न्यूज़ में कब से इंटरेस्ट आने लगा?" ज़ारा हँसते हुए बोली।

    "अभी मुँह बनाते हुए- "तब से जब से मैंने बिज़नेस कोर्स में एडमिशन लिया है।"... एंड यू नो व्हाट डैड... टुडेज़ ग्रेट न्यूज़ इज़ - इस बार फिर से राइज़ादा कंपनी को इंडियाज़ टॉप कंपनी का अवार्ड मिला है।... इस कंपनी की प्रेसिडेंट एक लेडी हैं और इस पूरे एम्पायर को उनका बेटा संभालता है... पर आज तक किसी ने भी उन्हें देखा नहीं है... स्ट्रेंज ना!"

    "तभी ज़ारा तपाक से- "स्ट्रेंज क्या है इसमें? मे बी उन्हें लाइमलाइट में रहने का शौक ही ना हो... वैसे भी आजकल ऐसे लोग कहाँ मिलते हैं।"

    यह सुन फिर से सब चुप हो जाते हैं।

    ***

    थोड़ी देर बाद-

    ज़ारा अपने माता-पिता और भाई के साथ रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ी थी। वहीं आशा उसे निर्देश दे रही थीं-

    "ज़ारा, वहाँ अगर कोई भी परेशानी हो तो सबसे पहले हमें कॉल करना। और जल्दी से किसी पर भरोसा मत करना... हम्म... बस एक महीने की बात है, फिर जैसे ही तुम्हारे पापा का ट्रांसफ़र वहाँ हो जाएगा, हम सब भी वहीं आ जाएँगे... तब तक अपना ख्याल रखना।"

    ज़ारा मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिलाती है और बारी-बारी से सबको गले लगाते हुए बाय बोलकर ट्रेन में चढ़ जाती है। ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म से रवाना होती है और इसी के साथ ज़ारा का मनाली का सफ़र शुरू होता है और उसकी खुशियों का सफ़र ख़त्म।

    ज़ारा के जाने के बाद आशा जी जाती हुई ट्रेन को देखती है और अपने हाथ जोड़ते हुए-

    "हे भगवान, मेरी बच्ची की रक्षा करना।"

    तभी अभि- "डोंट वरी मॉम... अब दी बड़ी हो चुकी है।"

    "हम्म... पर सिर्फ़ उम्र से... मासूमियत और निर्दोषता उसमें अब भी बच्चों जैसी है। जिसके चलते हर किसी पर भरोसा कर लेती है... बिना सोचे-समझे किसी की भी मदद के लिए तैयार हो जाती है।" आशा जी बोलीं और फिर वहाँ से सब अपने घर के लिए निकल जाते हैं।

    done... ये कोई लव स्टोरी नहीं है तो इसे कांसेप्ट समझकर ही पढ़े..!

  • 2. Psychopath lover - Chapter 2

    Words: 1877

    Estimated Reading Time: 12 min

    ज़ारा मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और बारी-बारी से सबको गले लगाकर, "बाय" बोलकर ट्रेन में चढ़ गई। ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म से रवाना हुई। और इसी के साथ ज़ारा का मनाली का सफ़र शुरू हुआ और उसकी खुशियों का सफ़र ख़त्म।

    ज़ारा के जाने के बाद आशा जी जाती हुई ट्रेन को देखती रहीं और अपने हाथ जोड़ते हुए बोलीं-

    "हे भगवान, मेरी बच्ची की रक्षा करना।"

    तभी अभि बोला- "डोंट वरी मॉम। अब दी बड़ी हो चुकी है।"

    "हम्म। पर सिर्फ़ उम्र से... मासूमियत और इनोसेंस उसमें अब भी बच्चों जैसी है। जिसके चलते हर किसी पर भरोसा कर लेती है... बिना सोचे-समझे किसी की भी मदद के लिए तैयार हो जाती है।" आशा जी बोलीं और फिर वहाँ से सब अपने घर के लिए निकल गए।

    वहीं ट्रेन में-

    ज़ारा खिड़की के पास वाली सीट पर बैठी थी। उसने अपना सिर सीट से टिका रखा था और बाहर की तरफ देख रही थी। उसके चेहरे पर एक बहुत प्यारी मुस्कान थी। बाहर मौसम बहुत सुहावना था, और इसी शांति के बीच पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ आ रही थी। ज़ारा ने अपना सिर खिड़की से बाहर निकाला और मुस्कुराते हुए बोली-

    "अच्छा हुआ मैंने मॉम-डैड की बात नहीं मानी और फ़्लाइट से जाने के लिए मना कर दिया। और उन्होंने भी मेरी ज़िद के आगे हार मान ली और मुझे ट्रेन से आने की परमिशन दे दी।"

    "अगर फ़्लाइट से आती तो ये सुकून भरी हवा और इतना ख़ूबसूरत नज़ारा कैसे देखने को मिलता।"

    ज़ारा कह रही थी, तभी ठंडी हवा का झोंका ज़ारा के चेहरे को छू गया। उसे महसूस करते हुए ज़ारा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और फिर एक गहरी साँस भर उस सुकून को खुद में समेटते हुए बोली-

    "इस हवा को देखो, कितनी फ़्रीली बहती है!... ये नदियों का पानी कितना साफ़ और प्योर है। और इस आसमान को देखकर तो ऐसा लगता है जैसे ये पक्षियों से कह रहा हो कि- 'खोलो, फैलाओ अपने विंग्स और उड़ो जितना उड़ना है।' कितना सुकूनदायक है ना ये सब।"

    फिर एक आह भरते हुए बोली- "फिर क्यों लोग कहते हैं कि इनोसेंस अच्छी नहीं है?... क्यों लोग किसी को कैद करना चाहते हैं जब आज़ाद रखकर सब कुछ इतना ख़ूबसूरत हो सकता है?... सच में पागल ही होंगे वो लोग जिनकी ख़्वाहिश किसी को कैद करने की होती है... थैंक गॉड जो आज तक मैं ऐसे किसी साइको से नहीं मिली।" हाँ, बोलकर ज़ारा ने अपना सिर फिर से सीट पर टिका लिया और हाथ बाहर निकालकर लहराने लगी।

    शाम का वक़्त-

    ज़ारा मनाली पहुँच चुकी थी। उसने अपना सूटकेस लिया और पर्स कंधे पर टांगते हुए प्लेटफ़ॉर्म से बाहर आई। और बाहें फैलाकर खुद से ही बोली-

    "हैलो! वेलकम टू मनाली ज़ारा।" कहते हुए चारों ओर देखने लगी।

    मनाली-

    प्रकृति की आड़ में छिपा ख़ूबसूरत मनाली बर्फ से ढका एक हिल स्टेशन सिटी है जिसकी ख़ूबसूरती, रोमांचक दृश्य मन को एक अलग ही एक्साइटमेंट से भर देते हैं। व्यास नदी के किनारे बसा हुआ ये शहर स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग, राफ़्टिंग, क्लाइम्बिंग के लिए और साथ ही घूमने के लिए बहुत फ़ेमस है। यूँ कहें कि यहाँ आकर हम एक अलग ही दुनिया में पहुँच जाते हैं।

    ज़ारा चारों तरफ़ देखती हुई बाहर आई और कैब देखने लगी। ज़ारा इधर-उधर देखती हुई चल रही थी कि तभी वह किसी से टकरा गई। उस शख्स के हाथ में एक माला थी जो ज़ारा के टकराने से नीचे गिर गई थी।

    ज़ारा ने झुककर उस माला को उठाया और बोली-

    "आई एम सॉरी। वो गलती से हो गया, मेरा ध्यान नहीं था। ये लीजिये अपनी..." कहते हुए उस शख्स को जैसे ही वो माला देने लगी तो ज़ारा ने देखा कि उसके सामने एक फ़कीर खड़ा हुआ उसे ही गौर से देख रहा था।

    ज़ारा को कुछ समझ नहीं आया। तभी वो फ़कीर बोला-

    "गलती ही तो कर रही हो तुम बच्ची जो यहाँ चली आई।"

    "क्या?" ज़ारा ने कन्फ़्यूजिंग नज़रों से उसे देखते हुए पूछा।

    "सफ़र कैसा बीता तुम्हारा?" उस फ़कीर ने गहरी आवाज़ में पूछा।

    "बहुत अच्छा। बहुत मज़ा आया मुझे। ये जगह कितनी ख़ूबसूरत है।" ज़ारा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। "वैसे आपको कैसे पता कि मैं कहीं से आई हूँ?"

    "ओह, अब समझी। मैं भी ना। ऑफ़कोर्स रेलवे स्टेशन के पास खड़े हुए और हाथ में लगेज देखकर तो कोई भी समझ जाएगा कि मैं सफ़र से आई हूँ।" खुद ही जवाब दे ज़ारा हँसने लगी।

    "अक्सर ख़ूबसूरत गुलाबों में ही काँटे होते हैं बच्ची। तेरा सफ़र ख़ूबसूरत था इसका मतलब ये नहीं कि मंज़िल भी ख़ूबसूरत होगी... अभी भी वक़्त है, बदल ले अपना फ़ैसला और लौट जा वापस..."

    "अरे ऐसे कैसे! मैं तो यहाँ अपना सपना पूरा करने आई हूँ, अभी तो कितना कुछ अचीव करना है मुझे, अभी कैसे चली जाऊँ।" ज़ारा बोली। ज़ारा को लग रहा था कि ये फ़कीर है इसलिए शायद हर किसी से ऐसे ही अजीब बातें करता होगा।

    "कुछ नहीं मिलेगा तुझे यहाँ, पाने नहीं बल्कि सब कुछ खोने आई है तू यहाँ।" उस फ़कीर ने अपनी गहरी आवाज़ में कहा और एक नज़र ज़ारा को देख आगे बढ़ गया।

    वहीं ज़ारा कुछ पल तो उसकी बातों के बारे में सोचती रही, फिर अपना सिर झटकते हुए बोली-

    "अजीब ही था। एनीवे मुझे क्या करना। लेट्स फ़ाइंड द कैब ज़ारा।" बोल ज़ारा आगे बढ़ गई।

    वहीं वो फ़कीर ज़ारा को जाते हुए देख पीछे मुड़ता है और खुद से ही कहता है-

    "बहुत मासूम हो तुम और तुम्हारी यही मासूमियत कहीं तुम्हें बर्बाद ना कर दे... ख़ूबसूरत ख़्वाब कहीं भयानक हक़ीक़त ना बन जाए... रक्षा करना इस बच्ची की भगवान।" इतना बोल वो फ़कीर भी वहाँ से चला गया।

    थोड़ी देर बाद-

    ज़ारा एक घर, जो ना ही ज़्यादा छोटा, ना ही ज़्यादा बड़ा था, के दरवाज़े के सामने खड़ी हुई और डोरबेल बजा रही थी। तभी एक 25-26 साल की लड़की दरवाज़ा खोलती है और कहती है-

    "ज़ारा... आओ, मैं आपका ही इंतज़ार कर रही थी... मुझे मैडम ने फ़ोन कर दिया था।" कहते हुए खुद साइड होकर ज़ारा को अंदर आने के लिए कहती है।

    "लता दीदी कैसे हो आप?" ज़ारा कहते हुए अपना सूटकेस एक तरह से पटकती है और सोफ़े पर पसरकर बैठ जाती है।

    "मैं ठीक हूँ, आप बताओ।" लता जवाब देती है। ये घर ज़ारा के डैड अजय जी का ही था जो उन्होंने एक साल पहले लिया था। और लता उस घर की केयरटेकर थी। ज़ारा लता को पहले से जानती थी क्योंकि लता के डैड ज़ारा के घर पर काम करते थे, लेकिन उनकी डेथ हो चुकी थी जिसके बाद लता अपनी नानी के पास यहाँ रहती थी।

    रात का वक़्त-

    ज़ारा अपने रूम की बालकनी में खड़ी अपने मॉम-डैड से बात कर रही थी। वहीं आशा जी उससे सवाल करती जा रही थीं।

    "ज़ारा, तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई ना... आराम से पहुँच गई ना?"

    "हाँ मॉम! मैं बिल्कुल आराम से पहुँची हूँ।" ऐसे ही कुछ देर सब से बात करने के बाद ज़ारा "टेक केयर" बोलकर फ़ोन रखती है और कुछ देर ऐसे ही बालकनी में खड़ी रहती है।

    थोड़ी देर बाद जब वो अंदर आती है तो अपना फ़ोन बेड पर पटककर एकदम से गोल-गोल घूमने लग जाती है और खुशी से उछलते हुए कहती है-

    "ये ये, फ़ाइनली कल मेरा सपना पूरा होगा। आई एम सो हैप्पी, सो सो... सो हैप्पी।" खुशी से कहते हुए ज़ारा बेड पर औंधे मुँह गिरती है और अपने टेडी बियर को गले लगाकर अपनी आँखें बंद कर लेती है। थोड़ी देर बाद ज़ारा को नींद आ जाती है।

    अगली सुबह-

    आज की सुबह सबके लिए वैसी ही थी, पर ज़ारा के लिए बहुत अलग होने वाली थी। आख़िर आज अपना सपना पूरा करने जा रही थी वो। काफ़ी खुश थी ज़ारा। लेकिन उसे कहाँ पता था कि उसकी ये सुबह, जिसे वो अपनी ज़िंदगी की बेस्ट सुबह समझ रही है, वो उसकी ज़िंदगी की सबसे अंधेरी रात साबित होने वाली थी।

    ज़ारा इस वक़्त आईने के सामने खड़ी थी। उसने एक व्हाइट कलर का हाई नेक टॉप, ब्लू जीन्स, व्हाइट बूट और टॉप के ऊपर फ़ुल स्लीव्स रेड कलर का जैकेट डाला हुआ था और गले में ब्लू कलर का स्कार्फ़ डाला हुआ था।

    ज़ारा बेबी पिंक लिप ग्लॉस लगाते हुए बोली-

    "ज़ारा, योर ड्रीम हैव कम ट्रू। फ़ाइनली तू आज इंडिया के बेस्ट हॉस्पिटल में एज़ अ डॉक्टर अपॉइंट होने जा रही है। आर यू रेडी फ़ॉर इट ज़ारा?"

    आईने में देखते हुए- "येस! आई एम रेडी।"

    बोल ज़ारा बेड से अपना बैग उठाती है और खुद को एक नज़र आईने में देखकर कहती है-

    "लुकिंग ब्यूटीफ़ुल, जस्ट लाइक अ वाउ।" कहते हुए ज़ारा खुद को एक फ़्लाइंग किस देती है और रूम से बाहर निकल जाती है।

    लता दीदी- "लो ज़ारा, दही-शक्कर खाओ।" ज़ारा का मुँह मीठा करवाती है और फिर कटोरी टेबल पर रखकर कहती है-

    "एक मिनट ज़ारा, मैं आपको काजल लगा दूँ।"

    "अरे लता दीदी, ये रहने दो। अभी टाइम नहीं है। आई एम गेटिंग लेट।" बोल ज़ारा घर से निकल जाती है।

    वहीं लता दीदी- "अरे पर काजल तो..." पर ज़ारा नहीं सुनती है।

    "लो, काला टीका लगाना तो रह ही गया। काफ़ी जल्दी में थी।" बोल लता दीदी भी अपने काम में लग जाती है।

    कुछ देर बाद- ज़ारा की कैब एक बड़ी सी बिल्डिंग के बाहर आकर रुकती है।

    ज़ारा कैब से बाहर निकलकर ड्राइवर को पैसे देती है और सामने उस बड़ी सी बिल्डिंग की तरफ़ देखती है जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था-

    "रेगल साइकियाट्रिक हॉस्पिटल।"

    ज़ारा इस नाम को देखते हुए एक गहरी साँस लेकर कहती है-

    "द वेट इज़ ओवर ज़ारा... पहुँच गई तू अपने सपने के करीब। आज से तेरी ज़िंदगी बदलने वाली है।" चल बढ़ा अपने क़दम...

    ज़ारा अपने क़दम धीरे-धीरे बढ़ाने लगती है, पर उसे कहाँ मालूम था कि वो अपने सपने के नहीं बल्कि अपने सबसे बुरे नाइटमेयर के करीब जा रही है।

    ज़ारा रिसेप्शनिस्ट के पास जाती है और स्मूथली कहती है-

    "आ... एक्स्कीज़ मी..."

    "येस, मे आई हेल्प यू?" रिसेप्शन पर बैठी उस लड़की ने कहा।

    "येस। एक्चुअली मुझे मिसेज़ सिद्धि मेहरा से मिलना है। तो कैन यू प्लीज़ टेल मी कि वो मुझे कहाँ मिलेंगी।"

    "डू यू हैव एनी अपॉइंटमेंट?"

    ज़ारा ने मासूमियत से ना में सिर हिला दिया तो वो लड़की बोली-

    "सॉरी, बट बिना अपॉइंटमेंट आप उनसे नहीं मिल सकती हैं।"

    "उम्म... मेरे पास अपॉइंटमेंट तो नहीं है, बट आप ये देखिये। मुझे इस हॉस्पिटल की तरफ़ से ई-मेल आया है। और मुझे आज यहाँ जॉइन करना है, बट उससे पहले मुझे मिसेज़ मेहरा से मिलना है।" ज़ारा ने अपना फ़ोन दिखाते हुए कहा।

    "ओह! तो आप ज़ारा बिरला हैं जिन्हें यहाँ न्यू अपॉइंट किया गया है। एज़ अ साइकोलॉजिस्ट ।"

    रिसेप्शनिस्ट की बात सुन ज़ारा ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया।

    तभी उस रिसेप्शनिस्ट ने ज़ारा से कुछ डॉक्यूमेंट्स लिए और उसे एक आईडी कार्ड देते हुए बोली-

    "ओके देन। बेस्ट ऑफ़ लक ज़ारा: द साइकोलॉजिस्ट । और हाँ, मिसेज़ मेहरा का कैबिन लेफ़्ट साइड में है, आप वहाँ चली जाइये।"

    ज़ारा ने "थैंक्स" कहते हुए आईडी कार्ड लिया और अपने क़दम मिसेज़ मेहरा की तरफ़ बढ़ा दिए। वहीं वो रिसेप्शनिस्ट कंप्यूटर में देखते हुए बोली-

    "सुनिये ज़ारा। अभी डॉ. मेहरा एक पेशेंट के साथ हैं, तो आप वेट..." बोलते हुए रिसेप्शनिस्ट नज़र उठाकर देखती है तो ज़ारा तो जा चुकी थी।

    डन।

    क्यों कहा उस फ़कीर ने ज़ारा को वापस जाने के लिए?

    और क्या होने वाला है अब ज़ारा के साथ? जानने के लिए पढ़िये "साइकोपैथ लवर।"

  • 3. Psychopath lover - Chapter 3

    Words: 1693

    Estimated Reading Time: 11 min

    ओह! तो आप ज़ारा बिरला हैं जिन्हें यहाँ नया नियुक्त किया गया है, एक मनोचिकित्सक के तौर पर।

    रिसेप्शनिस्ट की बात सुन ज़ारा ने मुस्कुराते हुए सिर हिला दिया।

    तभी उस रिसेप्शनिस्ट ने ज़ारा से कुछ दस्तावेज़ लिए और उसे एक आईडी कार्ड देते हुए बोली—

    "ओके देन। बेस्ट ऑफ़ लक ज़ारा: द साइकोलॉजिस्ट ।।

    और हाँ, मिसेज़ मेहरा का केबिन लेफ्ट साइड में है, आप वहाँ चली जाइए।"

    ज़ारा ने धन्यवाद कहते हुए आईडी कार्ड लिया और अपने कदम मिसेज़ मेहरा की ओर बढ़ा दिए। वहीं वो रिसेप्शनिस्ट कम्प्यूटर में देखते हुए बोली—

    "सुनिए ज़ारा। अभी डॉ मेहरा एक मरीज़ के साथ हैं तो आप वेट..." बोलते हुए रिसेप्शनिस्ट नज़र उठाकर देखती है तो ज़ारा जा चुकी थी।

    ज़ारा एक केबिन के सामने खड़ी हुई थी। उसने एक गहरी साँस ली और दरवाज़ा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई। ज़ारा ने हल्का सा दरवाज़ा खोलकर देखा तो सामने कुर्सी पर एक महिला बैठी हुई थी, जिसने साड़ी के ऊपर डॉक्टर कोट पहन रखा था और उसकी नज़रें फ़ाइल में गड़ी हुई थीं।

    ज़ारा उस महिला को देखकर इतनी खुश हो गई कि उसने बिना इधर-उधर ध्यान दिए सीधा जाकर उस महिला के गले लग गई। और—

    "मैम... मैम!" चिल्लाते हुए उन्हें खुशी से गले लगा लिया। वहीं वो महिला अचानक किसी के गले लगने से चोंक गई और उनके हाथ से फ़ाइल छूटकर नीचे गिर गई।

    ज़ारा उनसे अलग होकर खुशी से तेज आवाज़ में—

    "मैम, आई एम सो ग्लैड टू सी यू। फ़ाइनली, मैं आपसे तीन साल बाद मिल रही हूँ।"

    कंधे उचकाते हुए—"मुझे तो लगा था कि मैं आपसे कभी नहीं मिलूँगी... लेकिन अब तो मैं यहीं आपके साथ, आपके अंडर काम करने वाली हूँ। ओह माय गॉड! आई एम सो... सो हैप्पी।" बोलते हुए ज़ारा के चेहरे पर खुशी साफ़ नज़र आ रही थी।

    वहीं वो महिला, जो कि सिद्धि मेहरा थीं, वो चोंकते हुए अब तक अपनी कुर्सी से खड़ी हो चुकी थीं। उन्होंने हैरान होकर कहा—

    "ज़ारा तुम... तुम यहाँ? तुम यहाँ क्या कर रही हो? तुम यहाँ कैसे आई?"

    इस वक़्त मिसेज़ मेहरा के चेहरे पर ज़ारा को देखकर कोई खुशी नज़र नहीं आ रही थी, बल्कि एक घबराहट नज़र आ रही थी। उनकी नज़रें ज़ारा के ठीक पीछे थीं जहाँ सोफ़े पर एक शख़्स एक पैर पर दूसरा पैर रखे बैठा हुआ था। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। उसके एक हाथ में रबर की बॉल थी जिसे वो अपने नाखूनों से खरोंच रहा था और दूसरा हाथ उसने अजीब तरह से अपने सिर पर टिकाया हुआ था। उसे देखकर लग रहा था जैसे उस शख़्स को बहुत गुस्सा आ रहा है।

    वहीं ज़ारा ने अपनी खुशी में ध्यान ही नहीं दिया कि इस वक़्त उस केबिन का तापमान गिर चुका है। वो तो अपनी ही एक्साइटमेंट में बोले जा रही थी—

    "क्या मैम। आप भूल गईं क्या कि मुझे एक मनोचिकित्सक के तौर पर यहाँ इस हॉस्पिटल में नियुक्त किया गया है... और आज मुझे ज्वाइन करना था, लेकिन उससे भी ज़्यादा एक्साइटमेंट तो मुझे आपसे मिलने की थी इसलिए मैं पहले सीधा यहीं आ गई।

    मैं आपको बता नहीं सकती मैम कि आज मैं कितनी खुश हूँ। आई कैन्ट बिलीव दिस कि मैं अपनी फ़ेवरिट प्रोफ़ेसर और आइडियल मिसेज़ सिद्धि मेहरा के अंडर काम करूँगी। ओह माय गॉड! आई एम सो हैप्पी। ओह माय गॉड!" एक्साइटमेंट में चिल्लाते हुए ज़ारा ज़ोर-ज़ोर से घूमने लगी। वहीं मिसेज़ मेहरा ज़ारा से कुछ कहने या उसे रोकने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन ज़ारा ने उन्हें नोटिस नहीं किया।

    ज़ारा घूम रही थी कि तभी उसका पैर एकदम से फिसल गया और वो धड़ाम से गिर गई। गिरने के डर से ज़ारा ने अपनी आँखें बंद कर लीं, लेकिन तभी उसे फील हुआ कि वो किसी के ऊपर गिरी है और उस शख़्स ने उसे बाहों में थामा हुआ है।

    वो गिरी नहीं है, ये फील कर ज़ारा ने एक चैन की साँस ली और उस शख़्स को "थैंक्स" कहते हुए उठने की कोशिश करने लगी।

    लेकिन उस शख़्स ने ज़ारा को नहीं छोड़ा, बल्कि उसकी कमर को और भी कसकर पकड़ लिया। वो शख़्स जो अभी तक ज़ारा के यूँ केबिन में आ जाने से गुस्से में था, उसकी नज़रें एकटक ज़ारा पर टिकी हुई थीं। इसी के साथ ही उसका गुस्सा अपने आप गायब हो गया और उसकी आँखों में अजीब से एक्सप्रेशन आ गए। लेकिन जो भी था, ये एक्सप्रेशन सॉफ्ट तो बिल्कुल नहीं थे।

    जब उस शख़्स ने ज़ारा को नहीं छोड़ा तो "छोड़ो मुझे!" कहते हुए ज़ारा ने नज़र उठाकर उस शख़्स की तरफ़ देखा। तो सोफ़े पर एक 27-28 साल का लड़का, जिसकी काली आँखें और भौंहों के ऊपर एक कट था, वो अपनी अजीब नज़रों से ज़ारा को ही एकटक देख रहा था।

    उसकी काली आँखों को देख ज़ारा के दिल में डर की एक लहर दौड़ गई। लेकिन ज़ारा इसे इग्नोर करती है और—

    "अब छोड़ो भी मुझे! या ऐसे ही पकड़कर रखने का इरादा है?" बोलते हुए उठने की कोशिश करती है।

    ज़ारा की बात सुनकर उस शख़्स के चेहरे पर एक ईविल स्माइल आ जाती है और वो उसे छोड़ते हुए धीरे से—"पकड़कर नहीं, कैद करने का, तुम्हें कैद करने का इरादा है अपनी कैद में।"

    "कुछ कहा तुमने?" ज़ारा ने खड़े होकर अपने बाल ठीक करते हुए पूछा।

    "डॉल..." उस शख़्स ने ज़ारा को देखते हुए कहा।

    "क्या?"

    "डॉल, यू आर डॉल।" वो शख़्स ज़ारा की तरफ़ ऊँगली कर बोला।

    तभी ज़ारा हँसकर—"डॉल नहीं, ज़ारा, ज़ारा बिरला।" बोल ज़ारा अपना हाथ आगे करती है।

    "नो, ओनली डॉल।" उस शख़्स ने अजीब नज़रों से ज़ारा को देखते हुए सर्द आवाज़ में कहा। ज़ारा उसकी सर्द आवाज़ सुन कुछ पल तो डर से सिहर जाती है और उसे हैरानी से देखने लगती है।

    "क्या? क्या मतलब?" ज़ारा अपनी हकलायी आवाज़ में।

    वो शख़्स ज़ारा की हैरानी को भाँपकर खुद को नॉर्मल करते हुए हँसकर—

    "हह... मेरा मतलब कि तुम डॉल हो... आई मीन डॉल जैसी दिखती हो।

    बाय द वे, माइसेल्फ़ वंश, वंश राय... (एक पल कुछ सोचता है) आह, वंश।" कहते हुए ज़ारा से हाथ मिलाता है।

    "ओह। फिर ठीक है..."

    "एंड वंश, आई एम ज़ारा, नाइस टू मीट यू।" अपना सिर झटक ज़ारा अब एक स्माइल के साथ वंश से हाथ मिलाते हुए बोलती है।

    वंश ज़ारा को देखते हुए उसका हाथ सहला रहा होता है और मन ही मन—

    "आज से ज़ारा नहीं, डॉल हो तुम, मेरी डॉल, वंश की लिटिल इनोसेंट डॉल।" अजीब तरह से बुदबुदाता है।

    वहीं मिसेज़ मेहरा जो वहीं थीं, उनके दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी ये सब कुछ देख। उनके माथे पर पसीना आ चुका था। वो मन ही मन—

    "ओह नो! पता नहीं इस वंश के दिमाग में क्या चल रहा है। कहीं ज़ारा इसका नया टारगेट तो नहीं... नो, नो ऐसा नहीं हो सकता। अगर ऐसा हुआ तो ज़ारा तुम बहुत बड़ी मुसीबत में फँसने वाली हो।

    और फिर तुम्हें वंश से कोई नहीं बचा सकता। कोई भी नहीं... नो, नो, नो। मुझे ज़ारा को वंश की नज़रों से दूर करना होगा।"

    फिर ज़ारा को देखते हुए कड़क आवाज़ में—

    "ज़ारा तुम यहाँ क्या कर रही हो? तुममें इतने भी मैनर्स नहीं हैं कि किसी के केबिन में ऐसे ही बिना उसकी परमिशन लिए नहीं जाते हैं... डोंट यू नो दैट?"

    ज़ारा मिसेज़ मेहरा की कड़क आवाज़ सुन अपना सिर झुका लेती है और—"सॉरी मैम... वो मैं आपसे मिलने के लिए इतनी एक्साइटेड थी कि मुझसे वेट ही नहीं हुआ... मैंने डोर नॉक भी किया था पर कोई रिस्पांस नहीं आया तो मैं बिना परमिशन के अंदर आ गई।" ज़ारा धीमी आवाज़ में कहती है।

    "शट अप ज़ारा... तुम अब कोई छोटी बच्ची नहीं हो जो ऐसी हरकतें करो... तुम्हें देखना चाहिए था कि मैं अभी पेशेंट के साथ हूँ। और मिल लिया ना मुझसे, अब जाओ यहाँ से। जाकर वेटिंग रूम में वेट करो। आती हूँ मैं थोड़ी देर में।" मिसेज़ मेहरा ज़ारा को डाँटते हुए कहती हैं।

    तभी मिसेज़ मेहरा को खुद पर किसी की तेज नज़रें फील होती हैं। वो वंश की तरफ़ देखती हैं तो वंश उन्हें गुस्से से घूर रहा था। ये देख मिसेज़ मेहरा फिर चुप हो जाती हैं।

    वहीं—"सॉरी मैम, दिस वोंट हैपन अगेन।" कहते हुए ज़ारा बाहर जाने के लिए कदम बढ़ाती है।

    तभी ज़ारा को फील होता है कि उसका हाथ किसी की गिरफ्त में है। ज़ारा मुड़कर देखती है तो वंश ने ज़ारा का हाथ काफ़ी टाइटली पकड़ रखा था। उसकी नज़रें नीचे ज़ारा के हाथ पर झुकी हुई थीं। ज़ारा अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है, लेकिन वंश उसका हाथ नहीं छोड़ता।

    ज़ारा धीरे से—"वंश, लीव माई हैंड।"

    वंश नज़रें उठा ज़ारा को देखता है और "वेट" कहते हुए मिसेज़ मेहरा को अपनी गुस्से भरी नज़रों से घूरने लगता है। तभी अचानक ही अपने एक्सप्रेशन्स एकदम से नॉर्मल कर के सॉफ्ट आवाज़ में—

    "इट्स ओके डॉ मेहरा। इट्स नॉट अ बिग डील।

    ज़ारा को यहाँ रहने दीजिए। ज़ारा के यहाँ रुकने से मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। आई हैव नो प्रॉब्लम।

    एंड आई एम श्योर आपको भी कोई प्रॉब्लम नहीं होगी, अदरवाइज़..." बोल वंश चुप हो जाता है और गुस्से भरी नज़रों से डॉ मेहरा को देखने लगता है।

    ज़ारा हैरानी से वंश को देखती है जिससे वंश अपने गुस्से को दबाकर—

    "अदरवाइज़ मैं ही यहाँ से चला जाऊँगा क्योंकि अब डॉल, आई मीन ज़ारा तो सैड होते हुए अच्छी लगेगी नहीं। राइट डॉ मेहरा?"

    वंश की तीखी नज़रें खुद पर महसूस कर डॉ मेहरा के रौंगटे खड़े हो जाते हैं और वो हाँ में सिर हिला देती हैं।

    डॉक्टर को हाँ में सिर हिलाता देख ज़ारा के चेहरे पर एक बहुत प्यारी सी स्माइल आ जाती है।

    वहीं वंश अपनी गर्दन टेढ़ी करते हुए ज़ारा को देखता है और खुद से ही कहता है—

    "ये मासूमियत, ये इनोसेंस, सब कुछ एक फरेब है, पर तुम में कुछ अलग है डॉल। तुम्हारी ये इनोसेंस तुम्हारी तरह ही प्योर है जो मुझे अट्रैक्ट कर रही है।

    मज़ा आएगा डॉल, तुम्हें तोड़ने में। बहुत मज़ा आएगा। पर उससे पहले तुम्हें ट्रैप करना होगा डॉल, तुम्हें खुद पर विश्वास दिलाना होगा। तभी तो तुम मेरी कैद में आओगी।"

    खुद से कह वंश अजीब तरीके से मुस्कुरा देता है।

    वहीं डॉ मेहरा वंश के हर एक एक्सप्रेशन को नोटिस कर रही थीं।

    "ज़ारा बहुत गलत वक़्त पर आ गई तुम।" पता नहीं अब क्या होगा?

  • 4. Psychopath lover - Chapter 4

    Words: 1435

    Estimated Reading Time: 9 min

    डॉक्टर को हाँ में सिर हिलाते देख ज़ारा के चेहरे पर एक बहुत प्यारी सी मुस्कान आ गई।

    वहीं वंश अपनी गर्दन टेढ़ी करते हुए ज़ारा को देखता रहा और खुद से ही कहा-

    "ये मासूमियत, ये innocence सब कुछ एक फरेब है पर तुम में कुछ अलग है doll। तुम्हारी ये innocence तुम्हारी तरह ही pure है। जो मुझे attract कर रही है।

    मज़ा आयेगा doll तुम्हें तोड़ने में। बहुत मज़ा आयेगा। पर उससे पहले तुम्हें trap करना होगा doll, तुम्हें खुद पर विश्वास दिलाना होगा। तभी तो तुम मेरी कैद में आओगी।"

    खुद से कह वंश अजीब तरीके से मुस्कुरा दिया।

    वहीं डॉ मेहरा वंश के हर एक भाव को ध्यान से देख रही थीं।

    "ज़ारा बहुत गलत वक्त पर आ गई तुम," पता नहीं अब क्या होगा?


    वंश सोफे पर बैठा था। और ज़ारा वंश के ठीक सामने कुर्सी पर बैठी हुई थी। वंश अपनी गर्दन टेढ़ी किए हुए ज़ारा को देख रहा था। और अपनी उंगलियों को माथे पर लगातार टैप कर रहा था।

    तभी वंश ज़ारा से अजीब लहजे में कहा- "तो Doll तुम पागलों की doctor हो?"

    वंश की बात सुन ज़ारा वंश को देखने लगी। तभी वंश ज़ारा को खुद की तरफ देखता हुआ पाकर कहा- "मेरा मतलब है कि एक मनोचिकित्सक हो।"

    ज़ारा एक अजीब सी मुस्कान करती है और-

    "हाँ, मैं एक मनोचिकित्सक हूँ.... (एक पल रुक) और वंश जो लोग मनोचिकित्सक के पास आते हैं वो पागल नहीं होते, बस या तो मानसिक रूप से थोड़े परेशान होते हैं या फिर जिंदगी के किसी आघात की वजह से आघातग्रस्त होते हैं।"

    ज़ारा को ऐसे बोलते और खुद को संशोधित करते हुए देख वंश को गुस्सा आया। वह गुस्से में अपनी कटी हुई भौंह पर उंगली फेरता हुआ मन ही मन कहा-

    "गलती doll, गलती की तुमने। मुझे मेरी बात के बीच में बोलने वाले लोग बिल्कुल पसंद नहीं हैं और तुमने मेरी बात को बीच में काटा doll, गलत किया। ... अब गलती की है तो सज़ा तो बनती है doll।

    तुम्हें सज़ा मिलेगी।" कहते हुए वंश तिरछा मुस्कुरा दिया।

    तभी ज़ारा का फ़ोन बजा। ज़ारा "मम्मी का फ़ोन है, मैं बात करके आती हूँ।" कहते हुए बाहर चली गई।

    वंश जो ज़ारा को देख रहा था, उसे बाहर जाते देख अपनी आँखें गुस्से से बंद कर लीं। वहीं मिसेज़ मेहरा भी जल्दी से कुर्सी से खड़ी होकर ज़ारा के पीछे बाहर जाने को हुईं कि वंश उन्हें पीछे से रोक लिया।

    "डॉक्टर मेहरा।" वंश की इतनी ठंडी आवाज़ सुन डॉ मेहरा के कदम वहीं रुक गए और वो धीरे से पीछे मुड़कर देखती हैं तो वंश उनके ठीक पीछे खड़ा था और अपनी तर्जनी में पहनी हुई अंगूठी को घुमा रहा था।

    तभी वंश अपनी तिरछी निगाहों से डॉ मेहरा को घूरता है। वंश की वो काली आँखें और उनमें बसी अँधेरा देख डॉ मेहरा को अपना गला सूखता हुआ महसूस हुआ और उनकी पूरी बॉडी में डर की एक लहर दौड़ गई।

    वंश डॉ मेहरा को घूरते हुए उनकी मेज़ के पास जाता है और वहाँ रखा एक फोटो फ्रेम उठाते हुए कहा- "आज से आपकी छुट्टी डॉ मेहरा। आप अपने दूसरे मरीज़ों को देखिए। आज से मेरा केस मेरी doll हैंडल करेगी।... मुझे मेरी doll ठीक करेगी।" बोलते हुए वंश के चेहरे पर शैतानी सी मुस्कान थी।

    फिर डॉ मेहरा की तरफ देखकर- "और आप अब से दूर रहिए मेरी doll से, अगर आपने मेरी doll को मुझसे दूर करने या फिर उसे कुछ भी बताने की कोशिश की तो...

    (फोटो फ्रेम डॉ मेहरा के सामने करते हुए) ये दोनों आपके ही बच्चे हैं ना, आपके जीने की वजह... अगर इन्हें कुछ हो गया .. तो सोचिए आप कैसे जियेंगी। नहीं जी पाएंगी ना डॉ मेहरा।" वंश बेचारे सी शक्ल बनाते हुए बोला।

    उसकी शक्ल भले ही बेचारों वाली थी लेकिन उसने ये बात इतने अजीब लहजे में कही थी कि डॉ मेहरा की तो हालत खराब हो गई।

    पर फिर भी ज़ारा उनकी छात्रा थी इसलिए वो ज़ारा को वंश से बचाना चाहती थी। वो हिम्मत करते हुए वंश को देख बोली-

    "व- वंश please, ज़ारा को छोड़ दो। उसके साथ कुछ मत करो। Please वो मेरी छात्रा है। मैं उसे..."

    वंश डॉ मेहरा की बात बीच में ही काट कर- "आपकी कुछ नहीं है वो। वो बस मेरी doll है, वंश की doll।।। My little doll।"

    "वंश please तुम समझ क्यों नहीं रहे हो। उसे अपना शिकार मत बनाओ। वो बहुत मासूम और innocent है...."

    "इसलिए तो वो मेरी doll है। मेरी doll innocent है इसलिए तो उसे अपने पास कैद करना है... अगर वो innocent नहीं होती तो अब तक तो... You know what I mean. डॉ मेहरा ये मुझे atleast आपको तो समझाने की ज़रूरत नहीं है that innocence is my addiction..." वंश अपनी गर्दन को हल्का घुमा एक आँख टेढ़ी कर देखते हुए बोला। और जाकर डॉ मेहरा की गोल कुर्सी पर बैठ गया। उसने अपना सिर कुर्सी पर टिका लिया और अपनी आँखें बंद कर लीं।

    "वंश please..." डॉ मेहरा विनती भरी निगाहों से बोलीं।

    "डॉ मेहरा क्या होगा अगर आज आपके दोनों बच्चे घर ही ना पहुँचे... या फिर अगर आपका बेटा छत से गिर जाए, या उसका accident हो जाए। Tch.. Tch। Tch।"

    और इससे भी बुरा कुछ हो सकता है। होने को तो आपकी बेटी का अपहरण हो सकता है और उसके साथ... वैसे भी आजकल बलात्कार कितने बढ़ गए हैं। Am sure News तो पढ़ती ही होंगी आप डॉ मेहरा। हो सकता है ना डॉ मेहरा। होने को तो कुछ भी हो सकता है।

    "सोचिए कितना कुछ बुरा हो सकता है आपके साथ... और मुझे पता है, doll आपको अपने बच्चों से प्यारी तो नहीं होंगी।"

    वंश अपनी आँखें बंद किए हुए ही बोला साथ ही वो गोल कुर्सी को आगे-पीछे किए जा रहा था।

    वंश की ऐसी बातें सुन डॉ मेहरा का दिल काँप गया। तभी वंश अपनी आँखें खोल ठंडी आवाज़ में-

    "I know आप बहुत समझदार हैं डॉ मेहरा इसलिए कोई भी ऐसी गलती नहीं करेंगी जो आपके अपनों की ज़िन्दगी खतरे में डाल दे... इसलिए अगर ऐसा कुछ भी नहीं चाहती तो जाइए और चुपचाप वो करिए जो मैंने आपसे करने के लिए कहा है।"

    वंश की सीधी धमकी सुन डॉ मेहरा के पास अब और कोई विकल्प नहीं था। वो मजबूरी भरे भाव के साथ कमरे से बाहर निकल गई।

    वहीं वंश "बहुत जल्द तुम मेरी कैद में होगी doll। उसके बाद तुम्हारा वजूद ख़त्म। फिर तुम पर और तुम्हारी इस बॉडी पर मेरा निशान होगा। वंश राइज़ादा का निशान।" खुद से बोलते हुए वंश अजीब तरीके से मुस्कुरा दिया।

    वहीं दूसरी तरफ-

    ज़ारा डॉ मेहरा के सामने खड़ी हुई थी उसके चेहरे पर मुस्कान और उत्साह था। तभी डॉ मेहरा ने उसे एक फाइल पकड़ाते हुए कहा-

    "ये लो ज़ारा, ये वंश की पिछली फाइल है। तुम आज से वंश का केस हैंडल करोगी।.."

    "लेकिन मैडम वंश तो आपके मरीज़ हैं। तो फिर उनका केस मैं कैसे..."

    तभी डॉ मेहरा "मरीज़ पर किसी डॉक्टर का निजी अधिकार नहीं होता ज़ारा। और अब तक वंश का केस मैं हैंडल कर रही थी but अस्पताल के अधिकारियों ने फैसला लिया है कि अब से वो केस तुम हैंडल करोगी और उसकी रिपोर्ट मुझे दोगी।

    और ये फैसला अधिकारियों का है इसलिए इसमें तुम या मैं कुछ नहीं कर सकते हैं।" डॉ मेहरा थोड़ी सख्त आवाज़ में बोलीं। या फिर कह सकते हैं कि उन्होंने जानबूझकर अपनी आवाज़ सख्त की हुई थी ताकि खुद को मज़बूत रख सकें।

    "ओके मैडम। तो क्या मैं आज से ही ज्वाइन कर सकती हूँ।"

    "ज़रूर। वैसे भी वंश से तो तुम मिल ही चुकी हो। तो जाओ, वंश अभी थेरेपी रूम में है।"

    "हाँ मैडम। मैं जाती हूँ... (एक पल रुक) वैसे तो वंश देखने में ठीक ही लगता है। लगता नहीं है उसे कोई समस्या होगी।"

    ये सुन डॉ मेहरा ज़ारा की तरफ देखने लगीं। और मन ही मन- "तुम इतनी मासूम क्यों हो ज़ारा... तुम्हारी यही मासूमियत तुम्हें बर्बाद कर देगी।"

    ज़ारा डॉ मेहरा को मुस्कान देती है और वहाँ से चली जाती है। उसके जाते ही डॉ मेहरा की आँखों में आँसू आ जाते हैं।

    "ओ माय गॉड। ये क्या हो गया। कहाँ फँस गई तुम ज़ारा। काश तुम यहाँ आती ही नहीं।" कहते हुए डॉ मेहरा एक गहरी साँस लेती है। इसी के साथ उनकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं और वो अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लेती हैं।

  • 5. Psychopath lover - Chapter 5

    Words: 1545

    Estimated Reading Time: 10 min

    डॉ मेहरा ने ज़ारा की तरफ़ देखा और मन ही मन सोचा, "तुम इतनी मासूम क्यों हो ज़ारा? तुम्हारी यही मासूमियत तुम्हें बर्बाद कर देगी।"

    ज़ारा ने डॉ मेहरा को मुस्कुराकर देखा और वहाँ से चली गई। उसके जाते ही डॉ मेहरा की आँखों में आँसू आ गए।

    "ओह माय गॉड! ये क्या हो गया? कहाँ फँस गई तुम ज़ारा? काश तुम यहाँ आती ही नहीं," कहते हुए डॉ मेहरा ने एक गहरी साँस ली। उनकी आँखों से आँसू बहने लगे और उन्होंने अपना चेहरा दोनों हाथों से छिपा लिया।


    ज़ारा ने थेरेपी रूम का दरवाज़ा खोला और अंदर आई तो हैरान रह गई क्योंकि कमरे में बिल्कुल अँधेरा था और कट-कट की आवाज़ आ रही थी।

    ज़ारा को अंधेरे से डर लगता था। वो बोली, "वंश, वंश तुम हो क्या यहाँ पर? वंश तुमने इतना अँधेरा क्यों किया हुआ है? वंश लाइट ऑन करो प्लीज़। वंश..." वो वंश को आवाज़ लगा रही थी। तभी उसे अचानक से कमरे के दरवाज़े के बंद होने की आवाज़ आई।

    ज़ारा झट से पीछे मुड़ी, लेकिन अंधेरे की वजह से कुछ भी नहीं देख पा रही थी। "ये कैसे बंद हो गया?"

    ज़ारा ने अपनी जेब में हाथ डालकर फ़ोन निकालने की कोशिश की, कि उसका हाथ से फ़ोन छूटकर नीचे गिर गया।

    "ओह गॉड! अब ये क्या मुसीबत है?" ज़ारा जैसे ही नीचे झुकी तो टेबल के कोने से उसका सिर टकरा गया। "आह!" सिर मसलते हुए ज़ारा इधर-उधर अपना फ़ोन ढूँढ़ने लगी, लेकिन उसे फ़ोन नहीं मिला।

    ज़ारा को तो पहले ही अंधेरे से डर लगता था, ऊपर से ये कट-कट की आवाज़ उसे और डरा रही थी। ज़ारा डरते हुए बोली, "वंश, वंश ये आवाज़ कैसी है? वंश देखो अगर तुम यहीं हो तो प्लीज़ कुछ बोलो। वंश प्लीज़ मुझे डर लग रहा है। मुझे पता है तुम यहीं हो, मैम ने मुझे कहा था।"

    ज़ारा की आँखें भर आई थीं। तभी ज़ारा को एकदम से ठंड लगने लगी। अब तो ज़ारा की धड़कन दोगुनी रफ़्तार से चलने लगी।

    ज़ारा डरते हुए बोली, "कोई, कोई है? वंश, वंश। वंश प्लीज़ मज़ाक मत करो।" कमरे में ठंड बढ़ती ही जा रही थी। ज़ारा ठंड से काँपने लगी थी।

    वो काँपते होठों से बोली, "प्लीज़, कोई है। हेल्प मी।" ज़ारा ने अपने हाथों से खुद को ढँक लिया और धीरे से नीचे बैठ गई। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थे।

    ज़ारा धीमी आवाज़ में बोली, "समवन प्लीज़ हेल्प मी।"

    उसी अँधेरे में कुर्सी पर बैठा वंश तिरछा मुस्कुराता हुआ अपनी कुर्सी को आगे-पीछे कर रहा था।

    ज़ारा से अब बोला नहीं जा रहा था। वो काँपते हुए अपने हाथों को रगड़ रही थी।

    ज़ारा को अंधेरे में डर लग रहा था और ऊपर से कट-कट की आवाज़ से उसके दिल में धड़कनें तेज हो रही थीं।

    ज़ारा घबराते हुए बोली, "कोई, कोई सुन रहा है मुझे? समबडी प्लीज़ हेल्प मी। मैम, वंश।"

    ज़ारा रोने लगी थी। तभी किसी ने पीछे से उसे बाहों में भर लिया। ज़ारा की साँस अटक गई। वो अपनी बढ़ी हुई धड़कनों के साथ बोली, "को, कौन है? वंश ये तुम हो क्या?"

    लेकिन कोई आवाज़ नहीं आई। ज़ारा लगभग बेहोश ही होने वाली थी कि तभी वंश की भारी आवाज़ आई-

    "शशश...डॉल मैं हूँ वंश। व्हाय आर यू क्राइंग?"

    "व-व-वंश। मुझे बहुत ठंड लग रही है," बोलते हुए ज़ारा वंश के सीने से लग गई। वहीं ज़ारा की टूटी-फूटी आवाज़ सुन वंश के चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ गई। वो मन ही मन सोचा, "तुमने मेरी बात के बीच में बोलने की गलती की ना डॉल, अब देखो तुम्हारे मुँह से आवाज़ ही नहीं निकल रही।"

    "तुम्हें पनिशमेंट तो मिलनी ही थी डॉल, तो मैंने तुम्हारा मुँह ही बंद कर दिया।" बोलते हुए वंश अजीब तरह से मुस्कुराया।

    वंश उसे बाहों में भरकर खड़ा हुआ और बोला, "रिलैक्स, काल्म डाउन डॉल। देखो मैं आ गया हूँ ना। अब तुम बिल्कुल सेफ़ हो।"

    "वंश, वंश रूम में इतना अँधेरा क्यों है? मुझे डर लग रहा है, लाइट ऑन करो और ये दरवाज़ा भी पता नहीं किसने लॉक कर दिया।"

    "आई नो डॉल, तुम्हें अंधेरे से डर लगता है। इसलिए तो अंधेरा चुना मैंने ताकि तुम डरो।" वंश ने मन ही मन कहा। और इसी के साथ लाइट ऑन हो गई।

    लाइट आते ही ज़ारा ने चैन की साँस ली। तभी उसे महसूस हुआ कि वो वंश के सीने से लगी हुई है। वो जल्दी से वंश से अलग हुई। ये देख वंश की मुट्ठी कस गई। वो ज़ारा को घूर कर देखने लगा।

    ज़ारा ने वंश को नोटिस नहीं किया और दरवाज़े की तरफ़ उंगली करके बोली, "वंश दरवाज़ा किसी ने बाहर से लॉक कर दिया था।"

    "रिलैक्स डॉल। दरवाज़ा किसी ने बंद किया होगा, वो जाम हो गया होगा। पहले भी हुआ है ऐसा।"

    "पर वंश यहाँ कोई कट-कट जैसी आवाज़ आ रही थी और लाइट भी ऑफ थी। ऊपर से पता नहीं कैसे अचानक से रूम में ठंड बढ़ गई।"

    "ये सब मैंने किया डॉल।" वंश बिना किसी भाव के बोला। तो ज़ारा उसे हैरानी से देखने लगी। "तु-तुमने? लेकिन क्यों? और मैं तुम्हें कब से आवाज़ दे रही थी, अगर तुम यहीं थे तो तुमने कुछ जवाब क्यों नहीं दिया?"

    ज़ारा के ऐसे सवाल करता देख वंश ने गुस्से से अपनी आँखें बंद कर लीं। फिर आँखें खोलते हुए बोला-

    "डॉल वो मैं मेडिटेशन कर रहा था इसलिए मुझे तुम्हारी आवाज़ सुनाई नहीं दी। और ठंड इसलिए थी रूम में क्योंकि मैंने ही ए.सी. का टेंपरेचर हाई कर दिया था ताकि रूम ठंडा हो जाए।"

    "और वो अंधेरा भी मैंने ही किया था।" वंश ने कहा तो ज़ारा ने फिर उसे देखा।

    वंश पीछे मुड़ता हुआ बुझी हुई आवाज़ में बोला-

    "मेरी ज़िंदगी में अंधेरे के सिवा कुछ भी तो नहीं है डॉल, इसलिए मुझे अंधेरे में ही रहना पसंद है डॉल, बेहद पसंद।...इस अंधेरे की वजह से ही तो आज मैं यहाँ हूँ।" बोलते हुए वंश की आवाज़ भले ही धीमी थी पर उसके होठों पर एक निर्दयी मुस्कान थी।

    ज़ारा को वंश की बात सुनकर बहुत बुरा लगा। तभी वंश ज़ारा की तरफ़ मुड़ते हुए बोला, "अच्छा मेरी छोड़ो डॉल, तुम बताओ तुम यहाँ क्या कर रही हो और डॉ मेहरा कहाँ है?"

    "डॉ मेहरा अपने केबिन में हैं और उन्होंने ही मुझे यहाँ भेजा है। अब से तुम्हारा केस मैं हैंडल करूँगी और देखना तुम बहुत जल्दी ठीक हो जाओगे।"

    ज़ारा की बात सुन वंश ने अपना सिर हिला दिया।

    थोड़ी देर बाद वंश सोफ़े पर बैठा रबर की बॉल को घुमा रहा था। वहीं ज़ारा वंश की फ़ाइल पढ़ रही थी। तभी ज़ारा की नज़र एक जगह जाकर ठहर गई और उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।

    उसने नज़र उठाकर वंश को देखा जो उसे ही देख रहा था। ज़ारा अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज़ में बोली-

    "व-व-वंश इस फ़ा-फ़ाइल में तो लिखा है कि-कि तुम-तुम्हें..."

    "कि मुझे नार्सिसिस्ट लव एडिक्शन और ऑब्सेस्ड लव डिसऑर्डर है।"

    ये सुनते ही ज़ारा के शरीर में कपकपी होने लगी। उसे अच्छे से पता था कि ऐसे लोग किस हद तक स्वार्थी होते हैं और कितने खतरनाक होते हैं। वो डरते हुए बोली, "तुम-तुम सच कह रहे हो?"

    "नहीं डॉल। ऐसा कुछ नहीं है।" ऐसा मैं नहीं कह रहा, ऐसा सिर्फ़ लोगों को लगता है।

    "तो फिर इस फ़ाइल में ये क्यों?"

    "ये फ़ाइल फ़ेक है डॉल, जो उन डॉक्टर्स ने बनाई है जहाँ मैं पहले ट्रीटमेंट के लिए गया था। मेरे कुछ बिज़नेस राइवल के कहने पर उन डॉक्टर्स ने मेरी फ़ेक रिपोर्ट तैयार की ताकि वो लोग इस बात का फ़ायदा उठा सकें और मेरे बिज़नेस को हड़प सकें।" वंश बेचारी सी शक्ल बनाकर बोला।

    "इन फैक्ट लोगों को तो ये भी लगता है डॉल कि मैं एक साइकोपैथ हूँ।" कहते हुए वंश की आँखों में एक शैतानियत थी।

    ज़ारा चुपचाप खड़ी वंश की बात सुन रही थी। वंश आगे बोला-

    "जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है डॉल। मुझे बस स्ट्रेस है। मेरी लाइफ़ में कुछ साल पहले कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से मैं डिप्रेशन में चला गया...और इसकी वजह से मुझे गुस्सा थोड़ा जल्दी और ज़्यादा आता है। और इसी बात का फ़ायदा उठाकर उन लोगों ने ये रिपोर्ट तैयार की।"

    (फिर एक गहरी साँस लेकर) - "लेकिन वक़्त रहते मुझे पता चल गया डॉल जिसकी वजह से मैं बच गया।" और फिर मैं यहाँ इस हॉस्पिटल में आया जहाँ मुझे डॉ मेहरा मिली।"

    जिसे सुन फिर ज़ारा सामान्य हो गई। वहीं वंश ने बिल्कुल सफ़ेद झूठ बोल दिया था और ज़ारा आसानी से उसकी बातों में आ गई।

  • 6. Psychopath lover - Chapter 6

    Words: 2298

    Estimated Reading Time: 14 min

    वंश ने ज़ारा को अपनी बातों में बखूबी फँसा लिया था। ज़ारा को पूरा विश्वास हो गया था कि वंश के साथ ठीक यही हुआ होगा।

    ज़ारा को वंश की बात सुनकर काफी बुरा लग रहा था। और यह उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रहा था। वहीं वंश अपनी बात खत्म करके ज़ारा के चेहरे को देखता है तो उसके होठों पर एक टेढ़ी, विनिंग स्माइल आ जाती है।

    तभी ज़ारा, जिसे लग रहा था कि वंश दुखी है, उसका ध्यान हटाने के लिए बोली-

    "तुम दुखी क्यों हो रहे हो वंश, यह तो अच्छा है ना कि तुम्हें वक़्त रहते उन लोगों के इरादों के बारे में पता चल गया और तुम बच गए।"

    "सो डोंट बी सैड। और अब तुम वह सब छोड़ो, यह बताओ कि-"

    "तुम्हें कोई एतराज नहीं है कि अब से तुम्हारा केस मैं हैंडल करूँगी। आई मीन मैंने आज ही जॉइन किया है और आज ही मैनेजमेंट ने तुम्हारा केस मुझ जैसी नई डॉक्टर को दे दिया।"

    ज़ारा की बात सुनकर वंश मन ही मन शैतानी स्माइल करने लगा।

    "मुझे क्यों एतराज होने लगेगा डॉल जबकि यह सब मेरे कहने पर ही तो हुआ है।"

    "तुम मेरे पास रहोगी तभी तो तुम मुझ पर भरोसा करोगी, और तब जाकर तुम मेरी कैद में आओगी। फिर तुम मेरे साथ रहोगी, सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे साथ, मेरी डॉल बनकर। वंश की लिटिल इनोसेंट डॉल बनकर।" बोलते हुए वंश ज़ारा की आँखों में देख रहा था जिनमें कोई छल नहीं था।

    फिर अनजान बनते हुए ज़ारा से-

    "नहीं डॉल, भला मुझे क्या प्रॉब्लम होगी। अब सीनियर डॉक्टर्स ने तुम्हें रेकमेंड किया है तो कुछ सोच-समझकर ही किया होगा ना। सो आई हैव नो प्रॉब्लम।"

    वंश की बात सुनकर ज़ारा के चेहरे पर स्माइल आ गई। और वह चेयर पर बैठकर फ़ाइल पढ़ने लगी। वहीं वंश ज़ारा की मुस्कराहट को गौर से देख रहा था।

    थोड़ी देर बाद ज़ारा चेयर से खड़ी हुई और टाइम देखते हुए वंश से बोली-

    "टाइम इज़ ओवर वंश।"

    "क्या?" वंश, जो ज़ारा को ही देख रहा था, अपना हाथ सोफ़े के आर्म रेस्ट से हटाकर आगे बढ़ाते हुए बोला।

    "मैंने कहा टाइम हो गया है। अब मैं चलती हूँ। तुम्हारी थेरेपी हम कल से स्टार्ट करेंगे। सो कल तुम टाइम से आ जाना। ओके।" कहकर ज़ारा टेबल से अपना बैग उठाने लगी।

    वहीं वंश की आँखें हल्की लाल हो गई थीं ज़ारा के जाने का सुनकर। वह कसकर अपनी मुट्ठी बना लेता है।

    ज़ारा जाने लगती है, तभी पीछे से वंश उसका हाथ पकड़ लेता है। ज़ारा पीछे मुड़ती है और अपने हाथ को देखती है जिसे वंश ने कसकर पकड़ा हुआ था। ज़ारा अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन वंश उसके हाथ पर अपनी पकड़ और भी मज़बूत कर देता है।

    ज़ारा - "वंश मेरा हाथ छोड़ो। मुझे जाना है।" लेकिन वंश की नज़र सिर्फ़ ज़ारा के हाथ पर टिकी थी।

    तभी ज़ारा फिर से- "वंश क्या हुआ, क्या कर रहे हो तुम? मेरा हाथ छोड़ो।" कहते हुए ज़ारा अपना हाथ छुड़ाती है। वंश उसके हाथ को छोड़ देता है और पहले अपने हाथ को देखता है और फिर ज़ारा को। ज़ारा के चेहरे पर एक डर था जिसे देख वंश मुस्कुरा देता है।

    "अम सॉरी डॉल। वह मुझे आज पहली बार किसी से बात करने का मन कर रहा था, और तुमने जाने की बात की तो.... खैर तुम जाओ, तुम्हारा वेट करने के लिए तो तुम्हारे घर पर सब होंगे। मेरा क्या है? मैं तो वैसे भी अकेला हूँ।" वंश बिल्कुल दुखी होने की एक्टिंग करते हुए बोला।

    ज़ारा अपनी इनोसेंस के चलते फिर से उसकी बातों में आ गई।

    "वंश मैं परमानेंट थोड़ी ना जा रही हूँ। मैं कल फिर आऊँगी, तब हम कल फिर मिलेंगे ना।" ज़ारा ने मुस्कुराते हुए कहा और रूम से निकल गई।

    वहीं वंश ज़ारा के जाते ही अपनी आँखें गुस्से से बंद करता है और अपने माथे पर टैप करने लगता है। फिर अपनी आँखें खोलता है और-

    "सही कहा डॉल तुमने, तुम परमानेंट थोड़ी ना जा रही हो। हम दुबारा मिलेंगे और तब तुम मेरी कैद में कैद होगी, वह भी हमेशा के लिए।"

    "बस कुछ वक़्त डॉल। उसके बाद तुम मेरे साथ, मेरे पास होगी, मेरे घर में, मेरे रूम में, मेरे बेड पर। और उसके बाद तुम्हारा वजूद सिर्फ़ मुझसे होगा और मुझ तक होगा।" अजीब लहजे में बोलते हुए वंश भी वहाँ से उठकर चला जाता है।


    अगली सुबह

    होटल के एक प्राइवेट रूम में सोफ़े पर एक शख़्स अपने एक पैर पर दूसरा पैर चढ़ाए बैठा हुआ था और पेन घुमा रहा था। उसने अपने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था, लेकिन फिर भी उसकी पर्सनालिटी से उसके एटीट्यूड और डार्क ऑरा का अंदाज़ा लगाया जा सकता था। इसी शख़्स के बगल में एक औरत बैठी हुई थी जिसने एक क्रीम कलर की खुले पल्ले की साड़ी पहनी हुई थी जिसका पल्लू उसने कंधे पर डाला हुआ था। हाथ में घड़ी पहने वह औरत अपने सामने बैठे किसी शख़्स से सीरियस एक्सप्रेशन के साथ बातें कर रही थी।

    यह शख़्स वंश था और इसके बगल में बैठी हुई औरत अनिका थी जो कि वंश की माँ थी। वहीं सोफ़े के पीछे वंश का असिस्टेंट खड़ा हुआ था। वहीं सामने जो शख़्स बैठा हुआ था, वह अनिका को देखते हुए बोला-

    "मिस्टर वंश, तो क्या हम यह डील पक्की समझे?" वहीं वंश की नज़र तो उस शख़्स के पास बैठी हुई एक लड़की पर थी जिसने काफी शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी और वह वंश को ही निहार रही थी। बेशक वंश ने मास्क लगा रखा था, पर फिर भी उसका एटीट्यूड ही ऐसा था कि वह लड़की जब से आई थी, उसका ध्यान मीटिंग में न होकर वंश पर ही था। और वंश को लेकर उसके इरादे कुछ ठीक नहीं थे।

    वहीं उस शख़्स की बात सुनकर वंश के होठों पर एक जहरीली स्माइल आ गई। मास्क की वजह से उसकी स्माइल छुप गई थी। वंश उस आदमी को देखकर बोला-

    "इतनी जल्दी भी क्या है आपको डील फ़िक्स करने की मिस्टर खुराना?" यह सुनते ही अनिका ने वंश को देखा। वंश ने भी एक नज़र अपनी मॉम को देखा और फिर वापस अपनी नज़रें सामने करते हुए बोला- "वैसे भी यह डील हमारे तो किसी काम की नहीं है। इसमें हमें अपने फ़ायदे वाली कोई बात नज़र नहीं आ रही है। तो मुझे लगता है कि हमें यह डील कैंसिल ही करनी होगी मिस्टर खुराना, क्योंकि हमें ऐसी घटिया डील करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है।" बोलते हुए वंश की आँखों में एक शैतानियत थी।

    तभी वह आदमी वंश से रिक्वेस्ट करते हुए बोला- "ऐसा मत कहिए मिस्टर वंश। मैंने इस डील के लिए काफ़ी मेहनत की है। इसमें मेरा काफ़ी पैसा और समय लगा है और अब अगर यह डील कैंसिल हुई तो इसमें मेरा काफ़ी नुकसान होगा।" कहते हुए उस आदमी ने अपनी बेटी को इशारा किया।

    तभी वंश ने अपना पेन नीचे गिरा दिया। यह देख वह लड़की झुकी और पेन उठाकर वंश को देते हुए उसके हाथ को अजीब तरीके से छूने लगी।

    उस लड़की को ऐसे छूते देख वंश के होठों पर ईविल स्माइल आ गई। वहीं वंश के असिस्टेंट ने अपना सिर ना में हिलाया और खुद से ही बोला-

    "लगता है मरने की कुछ ज़्यादा ही जल्दी है इसे।" वहीं अनिका तो चुपचाप यह सब देख रही थी, जैसे उसे पता हो कि आगे क्या होने वाला है।

    तभी वह लड़की खड़ी हुई और वंश के करीब आकर उसके सीने पर अपनी उंगलियाँ चलाते हुए बोली-

    "एक बार नज़र उठाकर तो देखिए, फ़ायदा ही फ़ायदा नज़र आएगा आपको मिस्टर वंश। एंड ट्रस्ट मी, बिल्कुल घाटे का सौदा नहीं होने वाला है यह आपके लिए। एक मौका तो दीजिए हमें आपको खुश करने का।" बोलते हुए वह लड़की वंश के काफ़ी करीब आ गई थी। उसने वंश की शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दिए थे और अब उसकी उंगलियाँ वंश के खुले सीने पर चल रही थीं।

    वंश एक तिरछी स्माइल के साथ- "सच में मुझे खुश करने का टैलेंट है क्या तुम में मिस खुराना?"

    "कहीं ऐसा ना हो अपनी बात से पलट जाओ तुम, एंड यू नो व्हाट, मुझे उन लोगों से सख्त नफ़रत है जो अपनी जुबान के पक्के नहीं होते।" वंश अपनी भौहें चढ़ाते हुए बोला।

    "आप एक मौका तो देकर देखिए मिस्टर वंश, आपको खुश ना कर दिया तो मेरा नाम भी माया खुराना नहीं।" वह लड़की माया, एटीट्यूड के साथ बोली।

    "सोच लीजिए मिस खुराना, वंश राइज़ादा की खुशी कहीं आपको भारी ना पड़ जाए। क्योंकि अपनी बातों से मुकरने वालों का अंजाम बहुत बुरा होता है वंश राइज़ादा।"

    "और माया खुराना भी किसी काम को करने के बारे में सोचने के बाद उसके अंजाम की परवाह नहीं करती मिस्टर वंश।" माया ने भी एटीट्यूड से कहा, जिसे सुन वंश अजीब तरीके से मुस्कुराने लगा। माया को तो अंदाज़ा भी नहीं था कि उसका यह एटीट्यूड उस पर कितना भारी पड़ने वाला था।

    वंश चेयर से खड़े होते हुए-

    "एक घंटे बाद राइज़ादा कंपनी के ऑफ़िस में मिलते हैं। अगर तोहफ़ा पसंद आया तो डील पक्की मिस्टर खुराना।" वंश ने कहा और वहाँ से बाहर निकल गया। वंश के पीछे उसका असिस्टेंट भी चला गया, वहीं अनिका के पास फ़ोन आ गया था तो वह पहले ही जा चुकी थी।

    वंश के जाने के बाद उन दोनों बाप-बेटी के होठों पर भी एक स्माइल आ गई। मिस्टर खुराना अपनी बेटी से बोले-

    "बस अब मिस्टर राइज़ादा को खुश करने में कोई कमी मत छोड़ना। फिर तो इस डील को हमारी होने से कोई नहीं रोक सकता।" मिस्टर खुराना की बात सुन माया ने भी अपना सिर हाँ में हिला दिया।

    एक घंटे बाद-

    वंश ऑफ़िस के टॉप फ़्लोर पर बने अपने केबिन की ग्लास विंडो के पास खड़ा बाहर का नज़ारा देख रहा था। तभी उसके केबिन का गेट खुला और माया अंदर आई। वंश ने पीछे पलटकर नहीं देखा, लेकिन उसके चेहरे पर ईविल स्माइल थी।

    माया अंदर आई और बड़ी अदा से चलकर वंश के पास आकर खड़ी हो गई। उसने वंश की शर्ट के ऊपर से ही उसकी बाजू पर उंगलियाँ फेरते हुए उसे अपनी तरफ़ घुमाया।

    वंश खड़ा सिर्फ़ उसकी हरकतों को देख रहा था। तभी माया ने अपनी ड्रेस के दो बटन खोले जिससे उसकी ड्रेस का गला थोड़ा लूज़ हो गया और उसका क्लीवेज शो होने लगा। फिर उसने वंश की शर्ट के बटन भी खोल दिए और उसके खुले सीने पर हाथ फेरने लगी। माया जैसे ही वंश के सीने पर अपने होंठ रखने को हुई कि वंश ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे दीवार से सटाते हुए बोला-

    "तुम वाकई में मुझे सैड्यूस करना चाहती हो?"

    "तुम्हें लगता है कि तुम मुझे खुश कर पाओगी?"

    "कोई शक? एनीवे अगर है भी तो अभी दूर कर देती हूँ आपका शक।" माया बड़ी अदा के साथ बोली।

    "तो चलो, पर यहाँ नहीं। कहीं और, आई मीन स्पेशल जगह।"

    बोलकर वंश ने अपने केबिन में ही बनी एक लिफ़्ट की तरफ़ क़दम बढ़ा दिया। माया भी खुशी-खुशी उसके साथ चली गई।

    वंश लिफ़्ट से निकलकर एक रूम में गया जिसमें बेड और भी बाकी लग्ज़ेरियस फैसिलिटीज़ थीं। तभी वंश ने माया को एक इशारा किया और माया उसके इशारे को समझकर बेड पर लेट गई और उसे देखने लगी। वंश ने एक नज़र उस पर डाली, एक बटन प्रेस किया तो बेड के चारों कोनों से लोहे की बेड़ियाँ निकलीं और माया के हाथ-पैरों में बंध गईं।

    अपने पैरों में बेड़ियाँ देख माया अचानक से चोंक गई, लेकिन फिर कुछ सोचकर उसके चेहरे पर स्माइल आ गई।

    "तड़पाना चाहते हो मुझे? कोई बात नहीं, यह भी करके देख लो, पर माया भी कोई कच्ची खिलाड़ी नहीं है। खुश तो मैं तुम्हें करके ही रहूँगी।"

    "अभी पता चल जाएगा। तुम मुझे खुश कर पाती हो या नहीं।" बोलकर वंश ने एक बटन और प्रेस किया तो अब ऊपर से माया के शरीर पर कीड़े गिरने लगे।

    यह देख माया शॉक्ड हो गई और उसकी आँखों में डर भर आया। वह-

    "वंश ये ये क्या कर रहे हो तुम? मैं यहाँ किसलिए आई थी और तुम...?"

    तभी वंश- "मुझे खुश करने के लिए ही तो आई थी तुम, तो अब करो खुश, क्योंकि मैं ऐसे ही खुश होऊँगा।"

    वहीं अब तक माया जोर-जोर से चिल्लाने लगी थी क्योंकि वह कीड़े माया के शरीर की चमड़ी को खा रहे थे। वंश ने तभी एक और स्विच दबाया तो उन लोहे की बेड़ियों में धारदार कीलें आ गईं जिससे वह कीलें माया के बॉडी में धँसने लगीं और उसकी बॉडी से खून निकलने लगा।

    माया जितना हिलती, वह कीलें उतनी ही उसकी बॉडी में धँसतीं। कीलों से माया के कपड़े भी फट चुके थे और वह जोर-जोर से चीख रही थी। उसके चेहरे का माँस भी बाहर लटकने लगा था। वहीं वंश तो एक ईविल स्माइल के साथ यह सब देख रहा था। उसे तो माया की चीख सुनकर जैसे सुकून मिल रहा था।

    तभी माया अपनी टूटी हुई आवाज़ में बोली-

    "वंश वंश प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो। मुझे छोड़ दो प्लीज़। मुझे कोई डील नहीं चाहिए। मैं यहाँ से चली जाऊँगी। प्लीज़ मुझे छोड़ दो।" माया दर्द से चीखते हुए कह रही थी।

    "आह आह, मैंने पहले ही कहा था मुझे अपनी बातों से मुकरने वाले लोगों से सख्त नफ़रत है और तुम वही कर रही हो। तो इनाम तो तुम्हें मिलना ही चाहिए ना।" बोलते हुए वंश माया के चेहरे पर चाकू धँसाने लगा।

    माया तो अब तक मरने की हालत में पहुँच चुकी थी।

  • 7. Psychopath lover - Chapter 7

    Words: 2068

    Estimated Reading Time: 13 min

    अब आगे- 

    जैसे ही माया ने कहा की वो यहाँ से चली जायेगी तो वंश ने चोंकते हुए उसकी तरफ देखा और भौहें चढ़ाते हुए-

    " ऐसे कैसे जाने दूँ तुम्हे।... मैने तुम्हे छोड़ दिया तो तुम तो बाहर जाकर सबको सब कुछ बता दोगी।... ( फिर सोचने की acting करते हुए) और अगर तुमने किसी को कुछ भी बताया तो मैं तो फंस जाऊँगा ना।... मुझे तो police पकड़ लेगी। अब खुद के लिए इतना बड़ा risk तो मैं नहीं ले सकता ना। तो इसलिए मैं तुम्हे बाहर तो नही जाने दे सकता।... तुम्हे यहीं मरना पड़ेगा। Tch. Tch. Tch. बोल वंश मुस्कुराने लगा। 

    वहीं माया दर्द से तड़प रही थी। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। और वो जोर- जोर से चीख रही थी पर वंश को तो माया के दर्द से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था उल्टा उसे तो माया की चीखे सुन एक सुकूँ मिल रहा था। माया दर्द से तड़पते हुए ही बोली- " 

    वंश i swear मैं किसी को कुछ भी नहीं बताउंगी। मैं यहाँ से बहुत दूर चली जाऊँगी, पलट कर कभी तुम्हारी तरफ देखूँगी भी नहीं। Please मुझे छोड़ दो। 

    "ये कैसी बातें कर रही हो तुम। तुम्ही ने तो कहा था की तुम मुझे खुश करना चाहती हो, तो करो खुश।... अब तुम गला क्यों फाड़ रही हो।... अरे तुम्हे तो बल्कि खुश होना चाहिए miss खुराना की तुम्हे वंश राइज़ादा को खुश करने का मौका मिला है और तुमने वाकई मुझे बहुत खुश किया। " वंश ने teasing way में कहा तो माया ने उसकी तरफ हैरानी से देखा। 

    "सच में। तुमने मुझे बहुत खुश किया। तुम्हारी ये तड़प देख, ये चीखें सुनकर मुझे वाकई बड़ा मज़ा आ रहा है।... Am really happy बोल वंश evil smile करते हुए सोफे पर जाकर बैठ गया। 

    वहीं माया की पूरी body लोहे की कीलें गडने से  छिल चुकी थी और उसकी body से खून पानी की तरह बह रहा था। कीड़े अभी भी उसकी skin से चिपके हुए उसका खून चूस रहे थे। .. माया की आँखों से आँसू बह रहे थे और वो बेड पर पड़ी छटपटा रही थी। 

    माया जितना चीखती वंश के होठों पर उतनी ही बड़ी smile आती। माया कितनी ही बार बेहोश हो चुकी थी लेकिन दर्द की वजह से बार बार उसे होश आ रहा था। जैसे ही उसे होश आता वो उतना ही चीखती लेकिन अफसोस अब उसकी चीखे भी कम हो चुकी थी। वंश तो सोफे पर बैठे arm rest पर अपनी बाहें टिकाए इस नजारे को enjoy कर रहा था। 

    तभी वंश- " अच्छे से पूरी हुई ना मुझे खुश करने की तुम्हारी wish miss माया खुराना "। वंश devil smile के साथ बोला। 

    तभी माया अपनी टूटी हुई आवाज़ में बोली- 

     वंश मैं माफी मांगती हूँ तुमसे।.. मुझे नहीं खुश करना तुम्हे। Please मुझे बख्श दो, जाने दो मुझे"। 

    " आ आ मैने पहले ही कहा था मुझे अपनी बातों से मुकरने वाले लोगों से सख्त नफरत है और तुम वहीं कर रही हो।... तो इनाम तो तुम्हे मिलना ही चाहिए ना। ... खैर छोड़ो बहुत हो गया enjoy, बहुत time waste कर लिया, अब तुम्हारा final touch up करने का वक़्त आ गया है।... बोल वंश सोफे से खड़ा हुआ और side table पर रखा हुआ knife उठाकर अपने हाथ में घुमाने लगा। 

    वहीं माया अधखुली आँखों से वंश को देखती हुई अपना सिर ना में हिला रही थी। वंश एक smile के साथ बेड पर झुका और चाकू को माया के चेहरे पर धँसाने लगा। माया में तो जान ही नहीं बची थी जिससे वो चीख भी नही पा रही थी। बस अपना चेहरा इधर- उधर हिला रही थी। 

    वंश ने चाकू उसके होठों पर धँसा दिया जिससे उसका नीचला होठ दो भागों में कट गया। 

    " इन्ही होठों से मुझे छूने के लिए  बड़ी बेताब थी ना तुम miss माया "। तो सबसे पहले इनाम इन्ही होठों को मिलना चाहिए ना"। अजीब लहजे में वंश बोला और उसके पूरे फेस पर बेरहमी से चाकू धँसाने लगा।... माया की हालत बहुत बुरी हो चुकी थी, उसकी पूरी body से माँस बाहर लटक रहा था। वो बस मरने से पहले तड़प रही थी। वंश ने एक नजर उसे देखा और फिर चाकू को। उसने चाकू सीधा जमीन पर फेंका। 

    तभी वंश उठा और drawer से एक गन निकाल सीधा माया को शूट कर दिया। और माया का खेल वहीं खतम । 

    कुछ देर बाद- 

    वंश washroom में shower के नीचे खड़ा खुद को रगड़ रगड़ कर साफ कर रहा था। जहाँ- जहाँ माया ने उसे छुआ था, उस जगह को बहुत बुरी तरह रगड़ रहा था वंश लेकिन फिर भी शायद जैसे उसे satisfaction नहीं मिला था। 

    थोड़ी देर बाद वंश ready होकर बाहर आया तो उसके cabin का gate knock हुआ। वंश ने " Come in" कहा तो उसका assistant अंदर आया और वंश को greet किया। 

    तभी वंश- " काम हो गया "

    "Yes sir"  Miss खुराना की body वहाँ से हटा दी गयी है और उस जगह को अच्छे से clean कर दिया है "। 

    Hmmm. आगे तुम्हे पता ही होगा  उस body का क्या करना है। जाके उसे भी वहीं उसी जगह रख दो"।( एक पल रूक) और हाँ mister खुराना को यहीं खबर मिलनी चाहिए की माया खुराना कभी राइज़ादा comapny  पहुंची ही नहीं थी"। ...वंश अपनी table के drawer में से कुछ निकाल अपनी पॉकेट में डालते हुए बोला। वंश की बात सुन उसके assistant ने एक गहरी साँस ली और वहाँ से चला गया। 

    उसके जाने के कुछ देर बाद वंश भी अपना mask पहनते हुए बाहर आया तो उसके कानों में एक आवाज़ पड़ी। 

    " क्या किया तुमने माया के साथ वंश " 

    ये आवाज़ पहचानते ही वंश ने अपना चेहरा घुमा कर देखा तो वहाँ अनिका खड़ी थी और हाथ बांधे वंश को ही घूर रही थी। 

    वंश ने अपनी आँखे roll की और बेपरवाह अंदाज़ में बोला- 

    " You know better mom ". 

    "कर दिया तुमने उसका काम तमाम"।  ... वंश तुम उसे एक warning के साथ छोड़ भी तो सकते थे। "। मारने की क्या जरूरत थी। अनिका ने एक गहरी साँस लेकर कहा। 

    "Come on mom आप जानती है मुझे बिना मेरी मर्जी के खुद को किसी का भी touch करना बर्दाश्त नहीं है।  नफरत है मुझे ऐसी लड़कियों से ।और वैसे भी उसे काफी शौक था मुझे खुश करने का, so i gave her a chance. और उसने मुझे सच में काफी enjoy करवाया। "

    लेकिन वंश.... 

    अनिका कुछ कहती की उससे पहले ही वंश अनिका की बातों को बीच में काटते हुए बोला- " 

    "Mom क्या आप यहाँ पर उस माया के बारे में मुझसे बात करने आयी है। अगर ऐसा तो है मुझे कोई बात नहीं करनी वैसे भी आपको पहले से पता था की उसकी इस हरकत का अन्जाम क्या होने वाला है। So leave it. It's not a big deal.... वंश ने सर्द लहजे में लेकिन normaly कहा। " वंश इतनी normaly बोल रहा था जैसे उसके लिए किसी की जान लेना कोई बड़ी बात नहीं थी। अनिका ने भी वंश की बात सुन ना में सिर हिलाया। वैसे भी उसे अपने बेटे के बारे में सबकुछ पता था। 

    "Anyway आप mansion जाइये मैं आपसे बाद में मिलता हूँ। " वंश ने कहा और वहाँ से जाने लगा। 

    "कहाँ जा रहे हो तुम इस वक़्त"। अनिका ने वंश को पीछे से टोकते हुए कहा तो वंश के होठो पर अजीब सी smile आ गयी। 

    " Hospital जा रहा हूँ mom अपना treatment करवाने। " वंश नॉर्मल way में बोला। 

    " हमेशा तो  कहने पर भी नहीं जाते तो फिर आज वहाँ जाने की इतनी जल्दी क्यों हो रही है तुम्हे वंश। "

    "आपको सच में नहीं पता मोम या फिर आप मेरे मुह से सुनना चाहती है"। वंश पीछे मुड़ा और अपनी मोम को देखते हुए बोला। .. वैसे सच  में अपना permanent treatment  करवाने जा रहा हूँ मैं इस बार वहाँ। " वंश अजीब लहजे में बोला और वापस जाने के लिए मुड़ा। तभी अनिका- 

    ' " Treatment करवाने या फिर अपने नये target को trap करने "। वंश के आँखों में अलग सी चमक आ गयी ये सुन। लेकिन वो कुछ बोला नही। 

    वंश को कुछ ना बोलते देख अनिका ने एक गहरी साँस लेकर कहा- 

    "तो  finaly तुम्हे तुम्हारा नया शिकार मिल ही गया।... हर बार की तरह   इस बार फिर से किसी की innocence  को मिटाने वाले हो तुम"। 

    " आपको already सबकुछ पता तो है मोम "। And इस बार का शिकार हर बार से काफी अलग है। She is different from others. She is doll , my little innocent doll. जो सिर्फ मेरी है। और बहुत जल्द मेरे पास होगी।... वंश ने अपनी सर्द आवाज़ में कहा तो अनिका ने उससे अगला सवाल किया- 

    " और कब तक होगी वो तुम्हारे पास "। कब आओगे तुम। "

    "बस कुछ वक़्त मोम, मुझे पहले उसे trap करना है तभी तो वो मेरी कैद में आयेगी। और तब पूरी दुनिया से मिटाकर मैं उसे अपने पास रखूँगा। " वंश ने कहा। तो अनिका भी confusing नजरो से वंश की तरफ देखने लगी। शायद उसे भी वंश के कहने का मतलब नहीं समझ आया था। 

    तभी वंश बोला- " बहुत हो गए सवाल जवाब, अब आप जाइये मैं आपसे बाद में मिलता हूँ।... मुझे अभी अपनी doll के पास जाना है। और खुद पर से उस माया का f***ing  touch remove करना है। "

     घिन आ रही है मुझे अपनी body पर उसके touch से।अब मेरी doll ही ये touch हटाएगी तभी मुझे अच्छा फील होगा। So am leaving " वंश गुस्से से बोला और बिना आगे कुछ सुने वहाँ से निकल गया। 

    वंश के जाने के बाद अनिका ने एक लंबी साँस ली और खुद से ही बोली- " तुम्हारा ये"multiple personality disorder " तो बढ़ता ही जा रहा है वंश।... और अब एक और मासूम तुम्हारी चपेट में आने वाली है। 

    फिर ज़ारा के बारे में सोचते हुए - तुम्हारी कोई गलती नहीं है सिवाय इसके की तुम बहुत innocent हो। बस तुम्हारी ये innocence ही तुम्हारी बदकिस्मती है की तुम्हे मेरे बेटे का शिकार बनना पड़ेगा।... पर जो भी है मेरे लिए मेरे बेटे से बढ़कर कुछ नहीं है। बोल अनिका भी वहाँ से चली जाती है। 

    वहीं दूसरी तरफ 

    Hospital में ज़ारा अपने कैबिन में बैठी थी। और वो वंश का ही इंतज़ार कर रही थी। 

    अपनी घडी में देखते हुए- " ये वंश अभी तक आया क्यों नहीं।... अब मैं क्या करू। Hospital वालों ने मुझे और किसी patient का case भी नहीं दिया ये बोलकर की अभी मुझे सिर्फ वंश के case पर focus करना है।... ये case काफी important है। 

    अजीब है। वंश में तो इतनी कुछ प्रॉब्लम भी नजर नहीं आती फिर भी मुझे सिर्फ वंश का ही case देखना है।.. और ये वंश है की अभी तक आया नही।.. मैं तो बोर हो रही हूँ बैठे बैठे।.. वंश दरवाजे की तरफ देखती हुई बोली। 

    तभी door खुलता है और वंश अंदर आता है। 

    ज़ारा वंश से- " Thank god वंश तुम आ गए मैं तुम्हारा ही wait कर रही थी।... मुझे जल्दी बुलाकर खुद इतनी late आये हो।... 

    वंश बिना किसी भाव के- " Sorry doll वो मैं किसी बहुत जरूरी काम में फंस गया था। किसी को उसकी  सही जगह पहुंचा रहा था। ( माया के बारे में सोचते हुए) 

    तभी ज़ारा- "ओह तो तुम किसी की help कर रहे थे उसे उसके सही address  तक पहुंचाने में।.. अच्छा है वैसे भी मेरे पापा कहते है की हमें हमेशा सबकी help करनी ही चाहिए"। ज़ारा ने मुश्कुराते हुए कहा तो वंश ज़ारा को है देखने लगा। 

    उसने उसकी smile को गौर से देखा और खुद भी तीरछा मुश्कुरा दिया। 

    तभी ज़ारा आगे जाने लगी की वंश ने  झट से चेयर को अपना पैर लगा आगे कर दिया। जिससे अचानक ही बीच में आ जाने से ज़ारा के चेयर की ठोकर लगी और वो लडखडाकर गिरने को हुई की- 

    वंश ने आगे बढ़ उसे पीछे से अपनी बाहों में संभाल लिया। ज़ारा ने अभी एक crop top पहन रखा था जिसमें से उसका पेट और उसकी हल्की कमर नजर आ रही थी। वंश के हाथ पीछे से होते हुए उसके पेट पर थे। 

    ज़ारा कुछ समझ पाती तभी वंश ने अपनी जेब से एक injection निकाला और ज़ारा की गर्दन पर inject कर दिया। 

    ज़ारा वंश की बाहों में झूल गयी। ज़ारा को ऐसे देख वंश अजीब तरीके से मुश्कुराया और उसके पेट पर हाथ फिराते हुए  बोला

    So soft doll.

    Guys अगर story पसंद आ रही है तो like, comment और share करो और review दो। 

  • 8. Psychopath lover - Chapter 8

    Words: 1361

    Estimated Reading Time: 9 min

    ज़ारा आगे जा ही रही थी कि वंश ने जानबूझकर कुर्सी और ज़ारा के बीच अपना पैर रख दिया। ज़ारा ने ध्यान नहीं दिया जिससे वह लड़खड़ाकर गिरने लगी।

    लेकिन वह गिरती उससे पहले ही वंश ने ज़ारा को पीछे से अपनी बाहों में संभाल लिया। ज़ारा के सफ़ेद क्रॉप टॉप में उसकी कमर और पेट दिख रहा था और वंश के हाथ उसकी कमर से होते हुए उसके पेट पर लिपटे हुए थे।

    ज़ारा खुद को गिरता देख एकदम घबरा गई। वह कुछ बोलती या समझ पाती उससे पहले ही वंश ने अपनी जेब से एक इंजेक्शन निकाला और तिरछा मुस्कुराते हुए ज़ारा के बालों को एक तरफ़ कर उसकी गर्दन में इंजेक्शन लगा दिया।

    इंजेक्शन लगते ही ज़ारा का सिर एकदम चकराने लगा और वह वंश की बाहों में झूल गई।

    वहीं वंश के चेहरे पर एक मुस्कान थी। उसने ज़ारा के पेट पर हाथ फिराते हुए कहा-

    "So soft doll. Very soft."

    वहीं ज़ारा का सिर एक तरफ़ वंश के बाजू से हल्का टिका हुआ था। वंश ने कुछ पल ज़ारा के चेहरे को गौर से देखा और उसे अपनी बाहों में उठा लिया।

    वंश ने ज़ारा को सोफ़े पर लिटा दिया और खुद कुर्सी पर बैठ ज़ारा को अजीब भाव-भंगिमा के साथ निहारने लगा।

    वह ज़ारा के गालों पर अजीब तरह से उंगलियाँ फिराते हुए बोला-

    "वाकई डॉल, तुम्हारी त्वचा काफी कोमल है, बिल्कुल किसी सॉफ़्ट टॉय की तरह... तभी तो तुम मेरा अब तक का सबसे फ़ेवरिट टॉय हो। मेरी डॉल, वंश की डॉल। My little innocent doll।" बोलते हुए वंश के होठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी।

    वंश ज़ारा के चेहरे को देखते हुए उसके पूरे शरीर पर अपने हाथ चला रहा था। वह ज़ारा के माथे से नाक, फिर उसके गालों पर अपने हाथ चलाते हुए गर्दन तक आया और पूरी गर्दन को अजीब तरह से सहलाने लगा।

    वंश के हाथ अब ज़ारा के खुले पेट पर थे। उसने ज़ारा के क्रॉप टॉप को थोड़ा ऊपर किया और उसके पेट पर अपनी उंगलियाँ फिराते हुए अचानक ही उसके पेट में अपने नाखून गाड़ दिए। ज़ारा के पेट पर हल्के खरोंच के निशान बन गए थे। नाखून गाड़ते ही वंश के चेहरे पर एक काली मुस्कान आ गई।

    "डॉल, डॉल मेरी लत तुम्हारे लिए बढ़ती ही जा रही है... I am going crazy for you।"

    "बस कुछ दिन, फिर तुम्हारा वजूद इस दुनिया से ही मिट जाएगा और उसकी वजह बनेगी तुम्हारी यह मासूमियत, तुम्हारी यह पवित्रता। इसी की वजह से तुम मेरी कैद में आओगी और फिर हमेशा वहीं कैद होकर रह जाओगी।"

    "तुम्हारी यह मासूमियत तुम पर बहुत भारी पड़ने वाली है डॉल। पछताने वाली हो डॉल तुम, you will be regret। Tch tch tch।"

    ज़ारा के चेहरे को गौर से देखते हुए वंश बोला। उसकी बातें और उसकी मुस्कान दोनों ही ज़ारा के लिए काफी खतरनाक होने वाली थीं।

    वंश ज़ारा पर झुका और उसकी गर्दन में अपना चेहरा छिपाकर उसके बालों को गहराई से सूंघने लगा।

    अचानक ही वंश हल्की घबराहट भरी आवाज़ में-

    "डॉल डॉल देखो मुझे उस माया ने छुआ। छुआ उसने मुझे, मैंने खुद को कितना साफ़ किया पर फिर भी उसका स्पर्श मुझे अपनी बॉडी पर महसूस हो रहा है।"

    "तुम तुम तो मेरी डॉल हो ना तो तुम करो ना उसका स्पर्श दूर... करोगी ना डॉल... बिल्कुल करेगी। डॉल की तो ड्यूटी है मेरी बात मानना।"

    "I am not feeling well doll. Remove her touch।"

    कहते हुए वंश ने ज़ारा के हाथ को अपने हाथ में लिया और अपने चेहरे, सीने और जहाँ-जहाँ भी माया ने छुआ था वहाँ-वहाँ रगड़ने लगा।

    इस वक़्त अगर ज़ारा वंश को देख लेती तो डर से ही बेहोश हो जाती, पर अफ़सोस वह पहले ही बेहोश थी।

    कुछ देर बाद जब वंश संतुष्ट हुआ तब उसने ज़ारा को छोड़ा और अपना चेहरा उसकी गर्दन में छिपाकर ज़ारा की गर्दन को सूंघने लगा।

    लगभग एक घंटे बाद-

    ज़ारा की आँखें फड़फड़ाने लगीं। ज़ारा को होश आता देख वंश ज़ारा से पीछे हटकर सीधा होकर बैठ गया।

    "आह मेरा सिर! मेरा सिर क्यों दुख रहा है?" बोलते हुए ज़ारा ने अपने सिर पर हाथ रख लिया। उसने धीरे से अपनी आँखें खोली तो खुद को सोफ़े पर लेटे देख उसकी आँखें फैल गईं और वह हड़बड़ाकर उठकर बैठ गई।

    "मैं... मैं यहाँ कैसे? मैं तो वहाँ कुर्सी पर थी तो..." ज़ारा ने अपनी कुर्सी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा।

    जिसे सुन वंश तिरछा मुस्कुरा दिया, जिसे ज़ारा ने नोटिस नहीं किया।

    "Relax doll. तुम्हें नींद आ गई थी।" "...तुम बस सो गई थी और कुछ नहीं।"

    "क्या? मैं... मैं सो गई थी? पर कैसे? मैं यहाँ कैसे आई और मेरा सिर क्यों दुख रहा है?"

    "O god मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा है।" ज़ारा थोड़ी चिड़चिड़ी आवाज़ में बोली।

    वंश मन ही मन मुस्कुराते हुए-

    "तुम्हें याद कैसे आएगा डॉल? मैंने तुम्हें इंजेक्शन दिया था ताकि अभी जो कुछ भी हुआ, वह तुम्हें याद ना रहे और मैं अपना काम कर सकूँ... तुम अगर सोती नहीं तो मैं वह सब कैसे करता।"

    फिर ज़ारा से-

    "हाँ डॉल, तुम कुर्सी पर ही बैठी थी लेकिन तुम्हें अचानक ही सिर दर्द होने लगा, इसलिए मैंने ही तुमसे कहा था कि थोड़ी देर यहाँ सोफ़े पर आराम कर लो।"

    "और फिर आराम करते-करते ही तुम्हें नींद आ गई। तुम नींद में इधर-उधर हो रही थी तो मैंने तुम्हें हल्का सा लिटा दिया था।"

    "You're just sleeping. So relax doll... तुम तो ऐसे घबरा रही हो जैसे मैंने नींद में तुम्हारा फायदा उठाया हो..." बोलते हुए वंश ने अपनी शक्ल उदास बना रखी थी पर अंदर ही अंदर वह शैतानी मुस्कान कर रहा था।

    ज़ारा की आँखें एकदम बड़ी हो गईं। फायदा उठाने वाली बात तो ज़ारा ने अपने दिमाग में सोची भी नहीं थी। वह तो बस कुछ भी याद ना आने की वजह से थोड़ी चिड़चिड़ी हो रही थी।

    ज़ारा कुछ कहती तभी वंश फिर बेचारा सा चेहरा बनाकर बोला-

    "क्या हुआ डॉल? तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है क्या? तुम्हें सच में कहीं ऐसा तो नहीं सोच रही ना कि मैंने नींद में तुम्हारा..."

    "नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं, मैंने ऐसा कुछ नहीं सोचा वंश।" "वो तो मैं बस ऐसे ही..."

    "Am sorry doll. तुम्हें बुरा लगा ना मैंने तुम्हें ऐसे सोफ़े पर लिटा दिया... मैं क्या करता? वो तुम ठीक से सो नहीं पा रही थी तो... Am really sorry doll. शायद मुझे यह नहीं करना चाहिए था, मैं तो बस..."

    "तुम तो बस मेरी मदद कर रहे थे वंश... And तुम व्याख्या क्यों दे रहे हो? मैंने सच में तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ भी नहीं सोचा... मुझे पता है तुम ऐसे नहीं हो जो किसी का फायदा उठाओ।"

    "वो तो बस मुझे कुछ याद नहीं आ रहा था तो मैंने पूछ लिया। और कोई वजह नहीं थी।"

    "I trust you।" यह सुनते ही वंश के होठों पर एक दुष्ट मुस्कान आ गई। पर उसने जल्द ही मुस्कान छिपाई और अपना सिर हाँ में हिला दिया।

    वहीं ज़ारा को थोड़ा अजीब तो लगा यह सब क्योंकि उसे बिल्कुल याद नहीं आ रहा था कि वह कुर्सी से यहाँ सोफ़े पर कब और कैसे आई। लेकिन फिर भी उसने वंश की बातों पर भरोसा कर लिया और अपना सिर झटकते हुए सोफ़े से खड़ी हो गई।

    "लो डॉल पानी पीओ। You'll feel better।"

    ज़ारा ने एक मुस्कान के साथ गिलास लेकर पानी पी लिया और बोली-

    "चलो वंश अब थेरेपी रूम में चलते हैं। वैसे भी काफी समय बर्बाद हो गया है।"

    "'डॉल अगर तुम्हें ठीक फील नहीं हो रहा है तो आज रहने देते हैं। You can rest. हम ट्रीटमेंट कल से कंटिन्यू कर लेंगे।'"

    "No वंश। इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। Am fine. Let's go।"

    "Ok doll. As you wish। अगर तुम ठीक हो तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।" बोलते हुए वंश ज़ारा के केबिन से बाहर निकल थेरेपी रूम की तरफ़ बढ़ गया।

    वहीं ज़ारा भी उसके पीछे जाते हुए- "Vansh is really a nice man।"

  • 9. Psychopath lover - Chapter 9

    Words: 1213

    Estimated Reading Time: 8 min

    ज़ारा ने मुस्कान के साथ गिलास उठाकर पानी पी लिया और बोली-

    "चलो वंश, अब थेरेपी रूम में चलते हैं। वैसे भी काफी समय बर्बाद हो गया है।"

    "डॉल, अगर तुम्हें ठीक महसूस नहीं हो रहा है तो आज रहने देते हैं। तुम आराम कर सकती हो। हम इलाज कल से जारी रख लेंगे।"

    "नहीं वंश। इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मैं ठीक हूँ। चलते हैं।"

    "ठीक है डॉल। जैसी तुम्हारी इच्छा।" अगर तुम ठीक हो तो मुझे कोई समस्या नहीं है।" इतना बोलते हुए वंश ज़ारा के केबिन से बाहर निकल थेरेपी रूम की ओर बढ़ गया।

    ज़ारा भी उसके पीछे चलते हुए बोली- "वंश वाकई एक अच्छा इंसान है।"


    वंश और ज़ारा थेरेपी रूम में थे। थेरेपी रूम में सन्नाटा छाया हुआ था। वंश सोफे पर बैठा था और ज़ारा उसके पास कुर्सी पर बैठी वंश को कुछ एक्सरसाइज़ करवा रही थी। तभी वंश ने टेढ़ी नज़रों से कुछ पल ज़ारा को घूरा। और तभी सन्नाटे को चीरते हुए वंश की आवाज़ आई-

    "डॉल, क्या तुम ठीक हो?" उसके शब्दों का लहजा कुछ अजीब था। ज़ारा वंश की ऐसी आवाज़ सुनकर एक पल तो उसे हैरानी से देखती रही। फिर मुस्कुराते हुए बोली-

    "हाँ वंश, मैं बिल्कुल ठीक हूँ। मुझे कुछ नहीं हुआ है। तुम क्यों इतनी टेंशन ले रहे हो?"

    "टेंशन"... सच में।" वंश बोला। यह कहते वक़्त वंश मन ही मन मुस्करा रहा था।

    ज़ारा ने यह नहीं सुना। तभी ज़ारा बोली-

    "वंश"

    "हम्म।"

    "मुझसे एक बात पूछूँ?" ज़ारा ने वंश को देखते हुए कहा। वंश ने हाँ में सिर हिला दिया।

    "वंश, तुम मुझे डॉल क्यों कहते हो?" ज़ारा ने वंश से पूछा और मासूमियत से वंश को देखने लगी।

    वंश की नज़र ज़ारा पर नहीं थी। उसने ज़ारा का सवाल सुनकर अपना सिर उठाया और ज़ारा की आँखों में देखा, जिनमें एक चमक थी। वंश ने कुछ पल ज़ारा की आँखों में देखा, फिर बिना किसी भाव के बोला-

    "मैं तुम्हें डॉल ही कहूँगा क्योंकि तुम डॉल हो। मेरी डॉल।"

    यह सुनते ही ज़ारा के चेहरे की चमक एकदम गायब हो गई। उसके दिल में धड़कन तेज हो गई। क्योंकि वंश की आँखों में उसे कुछ अलग नज़र आ रहा था।

    "मत... मतलब..." ज़ारा ने हकलाते हुए नासमझी से पूछा।

    "मतलब भी तुम्हें जल्द समझ में आ जाएगा डॉल।" वंश ज़ारा को एकटक देखते हुए बोला। उसके चेहरे पर एक रहस्यमय मुस्कान थी।

    ज़ारा की धड़कन दोगुनी रफ्तार से चलने लगी।

    "तु... तुम कहना क्या चाहते हो वंश? क्या मतलब है तुम्हारा? मैं कुछ समझी नहीं।" ज़ारा ने घबराहट के साथ पूछा। इस वक़्त उसकी आँखों में एक अजीब सा डर साफ़ देखा जा सकता था।

    ज़ारा की ऐसी आवाज़ सुनकर वंश ज़ारा को देखने लगा। ज़ारा भी वंश को ही देख रही थी। वह अपने सवाल का जवाब जानने के लिए काफी बेताब लग रही थी।

    न जाने क्यों, लेकिन ज़ारा की आँखों में एक अजीब सा डर था। वह वंश से कुछ भी ऐसा-वैसा नहीं सुनना चाहती थी। और क्यों, यह तो अभी खुद ज़ारा भी नहीं जानती थी।

    वंश ने कुछ नहीं कहा। तभी ज़ारा फिर बोली-

    "वंश, बोलो ना। तुम चुप क्यों हो? तुम मुझे डॉल क्यों कहते हो?" बोलते हुए ज़ारा काफी बेचैन थी। वंश ने ज़ारा के चेहरे पर आई बेचैनी को भाँप लिया था। और ज़ारा की यह बेचैनी देखकर वंश मन ही मन मुस्कुरा रहा था। उसकी मुस्कान और ज़ारा की बेचैनी इस बात का सबूत थी कि वह अपने मकसद के काफी करीब है।

    तभी कुछ पल तक वंश चुप रहा।

    फिर बिना किसी भाव के बोला-

    "तो तुम्हें मुझसे अपने सवाल का जवाब चाहिए डॉल।" ज़ारा ने वंश की बात सुनकर हाँ में सिर हिला दिया।

    "क्या तुम पक्की हो?" एक बार फिर सोच लो डॉल। कहीं ऐसा ना हो कि तुम विश्वास और बर्दाश्त दोनों ही न कर पाओ।" वंश अपनी भौंहें चढ़ाते हुए बोला।

    ज़ारा ने अपने काँपते दिल के साथ फिर से गर्दन हिला दी।

    तो वंश ने उसे देखा और आँखों में एक बेरहमी लिए बोला-

    "मैं तुम्हें डॉल इसलिए कहता हूँ क्योंकि तुम मेरा पसंदीदा खिलौना हो। तुम मेरा सबसे पसंदीदा खिलौना हो। अब तुम्हें अपना जवाब मिल गया।"

    वंश चुप हो गया। वंश ने जैसे ही चुप होकर ज़ारा की तरफ़ देखा, तो ज़ारा एकदम सुन्न हो गई।

    उसके चेहरे पर पसीना आ गया था। कुछ पल कमरे में खामोशी छा गई। तभी वंश बोला-

    "क्या हुआ डॉल? क्या हुआ? मेरी बात पर विश्वास नहीं है?"

    वंश के बोलने से ज़ारा अपने होश में आई। और हकलाते हुए बोली-

    "ये... ये तु... तुम क्या बोल रहे हो वंश?"

    वंश वैसे ही बोला- "वही जो तुमने सुना।"

    "बकवास मत करो वंश। What you mean by I am your toy?" ज़ारा ने इस बार थोड़े गुस्से और तेज आवाज़ में कहा।

    तभी वंश ने ज़ारा के सामने अपना हाथ कर दिया और खतरनाक आवाज़ में बोला-

    "शशश डॉल। पहली बात- आवाज़ नीचे। मुझे अपने सामने किसी की भी तेज आवाज़ पसंद नहीं है।" वंश का इतना बोलना था कि ज़ारा आगे कुछ कह ही नहीं पाई।

    "और दूसरी बात- You are my toy इसका मतलब है कि तुम मेरा खिलौना हो। Simple। अब इसका मतलब तो तुम समझती हो ना।" वंश ने अजीब भाव के साथ कहा।

    वंश के मुँह से यह सब सुनकर ज़ारा बिल्कुल खामोश हो गई। और अगले ही पल अपने होठों पर छोटी सी मुस्कान लिए बोली-

    "वंश, तुम मुझे मूर्ख बना रहे हो। मज़ाक कर रहे हो ना।" ज़ारा ने एक गहरी साँस लेकर बोली।

    "मेरी आँखों में देखो। मुझे देखकर तुम्हें कहीं से भी लग रहा है कि मैं मज़ाक कर रहा हूँ? I am damn serious।" वंश बिना किसी भाव के बोला।

    वंश का ऐसा जवाब सुनकर ज़ारा की मुस्कान गायब हो गई। उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह अपनी भरी हुई आँखों से बोली-

    "न... नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। नहीं हो सकता ऐसा। तुम मज़ाक कर रहे हो। Please बोलो ना कि तुम मज़ाक कर रहे हो।"

    "नहीं डॉल।"

    ज़ारा की बची-खुची उम्मीद भी खत्म हो गई। उसकी आँखों से आँसू टप-टप गिरने लगे।

    "नहीं... नहीं, मैं तुम्हारा कोई खिलौना नहीं हूँ। मुझ पर सिर्फ़ मेरा हक़ है। मैं किसी का कोई खिलौना नहीं हूँ। नहीं हूँ।" लड़खड़ाते शब्दों में कहते हुए ज़ारा ने वंश को देखा, जिसके चेहरे के भाव बिल्कुल गंभीर थे।

    वंश ज़ारा को ही घूर रहा था। उसने कुछ पल तक ज़ारा को वैसे ही घूरा, फिर एकदम से हँस पड़ा। वंश को यूँ हँसते हुए देखकर ज़ारा हैरान रह गई। उसे तो कुछ समझ ही नहीं आया। वह एकटक वंश को देखने लगी। वंश काफी जोर-जोर से हँस रहा था। उसकी हँसी देखने में भले ही सामान्य थी, पर वंश ही जानता था कि उसकी हँसी में क्या छुपा हुआ था।

    तभी वंश खुद को काबू करते हुए बोला- "अपने आप को देखो डॉल। तुम्हारे चेहरे पर तो बारह बज गए हैं।

    Seriously डॉल। मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे साथ मज़ाक कर रहा था, पर तुम हो कि तुमने मेरे मज़ाक को सच मान लिया।" हाहाहा।

    ज़ारा वंश को ही देख रही थी। वंश की बात सुनकर ज़ारा की आँखों से आँसुओं की धारा और भी तेज़ बहने लगी।

  • 10. Psychopath lover - Chapter 10

    Words: 1886

    Estimated Reading Time: 12 min

    वंश ज़ारा को घूर रहा था। कुछ पल तक उसने ज़ारा को वैसे ही घूरा, फिर अचानक हँस पड़ा। वंश को यूँ हँसते देख ज़ारा हैरान रह गई। उसे कुछ समझ नहीं आया। वह एकटक वंश को देखने लगी। वंश जोर-जोर से हँस रहा था। उसकी हँसी देखने में भले ही सामान्य थी, पर वंश ही जानता था कि उसकी हँसी में क्या छुपा हुआ था।

    तभी वंश खुद को नियंत्रित करते हुए बोला-
    "Look at yourself doll. तुम्हारे चेहरे पर तो बारह बजे हुए हैं।

    Seriously doll. मैं तो सिर्फ तुम्हारे साथ मज़ाक कर रहा था, पर तुम हो कि तुमने मेरे मज़ाक को सच मान लिया।" हाहाहा।

    ज़ारा वंश को ही देखे जा रही थी। वंश की बात सुन ज़ारा की आँखों से आँसुओं की धारा और भी तेज बहने लगी।

    वंश को ऐसे हँसते देख ज़ारा की आँखों से आँसू बहने लगे।

    वहीँ वंश हँसते हुए ही-
    "O doll! तुम भी ना सच में बिल्कुल सिली हो। I mean तुमने सच में मेरे words को इतना सीरियसली ले लिया कि मेरी बातों को सच मान बैठी।"

    कहते हुए वंश की नज़र ज़ारा पर गई जो अपनी भरी हुई आँखों से उसे ही देख रही थी।

    वंश ने अपनी हँसी रोकी और ज़ारा की तरफ झुकते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया। लेकिन वंश का हाथ ज़ारा को छू पाता, उससे पहले ही ज़ारा पीछे हो गई। उसने अपना चेहरा पीछे कर लिया। वंश का हाथ हवा में ही रह गया। उसने गुस्से से अपने दूसरे हाथ की मुट्ठी कस ली।

    फिर वंश ने एक गहरी साँस ली और थोड़ा सा आगे खिसका। वहीँ ज़ारा पीछे हो रही थी। पीछे होते-होते अब ज़ारा की कुर्सी दीवार से सट चुकी थी। ज़ारा के पास पीछे होने के लिए बिल्कुल जगह नहीं बची थी।

    तभी वंश ने ज़ारा के गाल पर हाथ रखा तो ज़ारा ने अपना मुँह फेर लिया। ज़ारा को यूँ बार-बार खुद से दूर जाते देख वंश को अंदर ही अंदर बहुत गुस्सा आ रहा था। वंश गुस्से से-
    "गलती कर रही हो doll।

    मुझसे मुँह फेरना तुम्हें बहुत भारी पड़ेगा। क्योंकि अब तुम्हारा ज़र्रा-ज़र्रा सिर्फ़ मुझसे जुड़ा है। और मुझे अपनी चीज़ों को अपने हिसाब से रखना पसंद है। I only like my own way and manner doll।

    और फिर तुम तो...."

    वंश ने गुस्से से मन ही मन कहा और अपनी आखिरी बात अधूरी छोड़ दी। वंश ने फिर अपने हाथ को देखा जो उसने ज़ारा के गाल पर रखा हुआ था। वंश ने अपने हाथ को दबाया और जैसे ही ज़ारा के गाल पर अपने नाखून गाड़ने वाला था,

    तभी उसने अपनी आँखें बंद की और इसी के साथ उसके चेहरे पर एक दुष्ट मुस्कान आ गई।

    वंश एक गहरी साँस लेकर खुद से-
    "Wait वंश। Wait। शिकार को पिंजरे में आने में अभी वक़्त है।" बस कुछ वक़्त फिर doll मेरी कैद में होगी। और मेरी कैद की पकड़ इतनी मज़बूत होगी कि उससे तुम्हारी रिहाई नामुमकिन होगी... और उसके बाद तुम्हारे पास मुझसे मुँह फेरने या मुझसे दूर जाने का कोई रास्ता नहीं होगा doll।

    तुम्हारी ज़िंदगी का एक-एक मिनट मेरे मर्ज़ी से तय होगा।" कहते हुए वंश काफ़ी डरावना लग रहा था। फिर उसने खुद को सामान्य किया और ज़ारा का चेहरा पकड़ अपनी तरफ़ किया।

    ज़ारा खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वंश की पकड़ उस पर मज़बूत थी। वंश ने कुछ पल उसकी आँखों में देखा और फिर अपने अंगूठे से ज़ारा के आँसुओं को पोछ दिया।

    "Why are you crying doll? Am just kidding with you।"

    ये सुन ज़ारा ने वंश की तरफ़ गुस्से से देखा। तभी वंश-
    "Ok my mistake. I am sorry. I know मुझे तुम्हारे साथ ऐसा मज़ाक नहीं करना चाहिए था।"

    ज़ारा ने अब भी वंश को नहीं देखा। तो वंश ज़ारा से थोड़ा पीछे हट गया और मासूम सी शक्ल बनाते हुए-
    "Am sorry doll कि मैंने तुम्हारे साथ मज़ाक किया। शायद मुझे ये नहीं करना चाहिए था। वैसे भी मैं कौन होता हूँ तुमसे मज़ाक करने वाला। हँसी-मज़ाक करने का हक़ तो दोस्तों और फ़ैमिली को ही होता है। और मैं तो ना ही तुम्हारी फ़ैमिली हूँ ना ही तुम्हारा फ़्रेंड... कोई भी तो रिश्ता नहीं है मेरा तुमसे सिवाय patient और doctor के।" बोलते हुए वंश ने अपने चेहरे पर बिल्कुल मासूमियत वाला भाव बना रखा था और तिरछी नज़रों से ज़ारा को ही देख रहा था।

    वहीँ वंश की बात सुन ज़ारा, जो अब तक वंश की तरफ़ देख भी नहीं रही थी, जल्दी से बोली-
    "नहीं वंश ऐसी कोई बात नहीं है। वो तो बस..."

    "No doll. It's ok. तुम्हें कुछ भी कहने की ज़रूरत नहीं है... मैं आगे से ध्यान रखूँगा कि मैं तुम्हारे साथ बिल्कुल एक patient की तरह behave करूँ... शायद मेरी किस्मत ही ख़राब है इसलिए तो मेरे साथ कोई नहीं है... शायद मेरी ज़िंदगी में अकेलेपन ही लिखा है।" वंश ने बिल्कुल दुखी होने का नाटक करते हुए कहा।

    वहीँ वंश के मुँह से ये सब सुन ज़ारा ने जल्दी से वंश का हाथ पकड़ लिया। वहीँ ज़ारा के हाथ पकड़ते ही वंश के होठों पर टेढ़ी मुस्कान आ गई। अब तक जो ज़ारा वंश से दूर भाग रही थी, उसी ने अब खुद वंश का हाथ पकड़ लिया था।

    ज़ारा वंश से-
    "नहीं वंश तुम अकेले नहीं हो। और ना ही तुम्हें sorry कहने की ज़रूरत है। और मैं तुमसे बिल्कुल नाराज़ नहीं हूँ।

    वो तो बस तुमने ऐसे अचानक मज़ाक किया ना तो... और फिर तुम्हारे चेहरे के भाव भी इतने serious थे कि मैं घबरा गई थी। बाकी और कोई बात नहीं है। और तुम कोई patient नहीं हो, you're just like my friend.... इसलिए तुम मेरे साथ हँसी-मज़ाक कर सकते हो... तुम्हारा हक़ है मुझ पर।" ज़ारा ने एक मुस्कान के साथ कहा। वहीँ वंश के होठों पर एक जीत की मुस्कान आ गई।

    फिर- "सच doll"... अब तुम तो कोई मज़ाक नहीं कर रही जैसे मैंने तुम्हारे साथ किया था।"

    "नहीं मैं बिल्कुल सच कह रही हूँ।" ज़ारा ने अपना हाथ वंश के हाथों से हटाते हुए कहा।

    ज़ारा ने वंश का हाथ सामान्य रूप से पकड़ा हुआ था, बिना ये जाने कि वंश के दिमाग में क्या चल रहा था और उस पर क्या और कैसे ये सारी चीज़ें असर कर रही थीं। वंश जो लगातार ज़ारा की हर हरकत, हर भाव-भंगिमा को नोटिस कर रहा था, उसने कुछ पल तक ज़ारा के हाथ को देखा, फिर-

    "वैसे doll तुमने इतना react क्यों किया? मेरा मतलब है मेरी बात सुनकर तुम घबरा क्यों गई थी?"

    ये सुन ज़ारा इधर-उधर देखने लगी। तभी वंश फिर से-

    "बोलो ना doll. आखिर तुमने मेरी बात का क्या मतलब निकाला था। मेरा ये कहना कि तुम मेरा खिलौना हो, मेरी doll हो, इससे तुम्हें क्या लगा?"

    ये सब सुन ज़ारा चुप पड़ गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह वंश की इस बात का क्या जवाब दे। ज़ारा ने वंश की बात का सही मतलब निकाला था, पर उसे लग रहा था कि कहीं वंश के मज़ाक का मतलब भी वह ना हो। और वह यह सब बताकर वंश का दिल नहीं दुखाना चाहती थी। इसलिए उसने वंश को कोई जवाब नहीं दिया।

    वहीँ वंश सब समझ रहा था कि ज़ारा के दिमाग में क्या चल रहा था। इसलिए वह ज़ारा के सामने चुटकी बजाते हुए बोला-

    "What happened doll. किस सोच में खो गई।" और तुमने अभी तक जवाब नहीं दिया मेरी बात का...

    "Wait. Wait. Doll कहीं तुमने ये तो नहीं सोचा कि मैं उस type का लड़का हूँ जो लड़कियों का advantage लेते हैं, उन्हें use करते हैं और फिर उन्हें अपनी ज़िंदगी से किसी कचरे की तरह निकालकर फेंक देते हैं।"

    ये सुन ज़ारा की आँखें फैल गईं। उसने हैरानी से वंश को देखा।

    "Doll क्या सच में तुम मुझे उस तरह का लड़का समझती हो?"

    "No not at all वंश। मैं कभी सपने में भी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोच सकती... I trust you. तुम तो बहुत अच्छे हो। तुम तो कभी किसी लड़की, infact किसी के भी साथ कुछ गलत कर ही नहीं सकते।"

    ज़ारा की बात सुनकर वंश ने एक मुस्कान कर दी। वह मन ही मन-

    "सही कहा doll तुमने। मैं बिल्कुल भी उस तरह का लड़का नहीं हूँ। और मैं क्या हूँ ये तुम्हें बहुत जल्द समझ में आ जाएगा।"

    फिर वंश-
    "तब ठीक है।" By the way doll अगर सच में मैंने कोई मज़ाक नहीं किया हो तो। हो सकता है कि मैंने सच कहा हो। हो सकता है कि मेरी बातों में सच में कोई गहराई छुपी हो तो... मैं अगर सच में तुम्हारी expectation के opposite निकला तो।" वंश ने ज़ारा की आँखों में देखते हुए अजीब लहजे में कहा। और सच में उसने इस बार कुछ गलत नहीं कहा था। उसकी बातों में सच में एक गहराई छुपी हुई थी जिसे अपनी मासूमियत के चलते ज़ारा नहीं देख पाई।

    वहीँ ज़ारा की नज़रें भी वंश से टकराईं। वंश की उन काली आँखों में कुछ अजीब था, जिसे देख ज़ारा भी एक बार के लिए तो सहम गई। लेकिन फिर ज़ारा ने अपनी इस भावना को अनदेखा किया और

    वंश की बात सुन ज़ारा हँसने लगी। उसने अपनी आँखें घुमाते हुए-
    "हूँ। गहराई, सच, मज़ाक whatever।" अगर तुम्हारी बात सच हुई ना तो फिर मेरे लिए बहुत बुरा हो जाएगा। I will break। Hahaha।" बोल ज़ारा जोर-जोर से हँसने लगी।

    "अरे doll सच्ची।"

    "वंश।" ज़ारा वंश को घूरते हुए बोली।

    "अब बस भी करो।"

    "Ok. Ok doll अब no joke, no मस्ती।" वंश ने ज़ारा के आगे अपने दोनों हाथ करते हुए कहा।

    "तुम भी ना वंश।" ज़ारा ने ना में सिर हिलाया।

    "अच्छा वंश मज़ाक वगैरह तो ठीक है लेकिन तुमने मेरे सवाल का जवाब तो अभी तक नहीं दिया। तुमने बताया तो नहीं तुम मुझे doll क्यों कहते हो।" ज़ारा ने फिर से मासूमियत से वंश से सवाल किया।

    "I call you doll cause you're just like a doll. तुम बिल्कुल किसी doll की तरह ही प्यारी और innocent हो। That's why मैं तुम्हें doll कहता हूँ।" ...

    मुझे तुम्हें doll कहना अच्छा लगता है... तुम्हें इससे कोई एतराज तो नहीं है।" वंश ने ज़ारा की तरफ़ देखते हुए पूछा।

    वहीँ वंश की बात सुन ज़ारा ने ना में सिर हिला दिया और मुस्कराते हुए वंश को देखने लगी।

    वंश धीरे से खुद से-
    "तुम्हें पसंद ना भी हो तब भी मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। क्योंकि तुम मेरी doll हो और मैं तुम्हारा owner। और एक doll को अपने owner की हर बात माननी ही पड़ती है।" बोलते हुए वंश भी मुस्कुरा दिया।

    और फिर ज़ारा से बात करने लगा। वहीँ ज़ारा भी वंश के साथ ऐसे बात कर रही थी जैसे उसे कितने ही सालों से जानती हो।

    वहीँ ये सब कोई और भी देख रहा था और ये सब देखते हुए उस शख्स के चेहरे पर बेबसी और अपराधबोध के सिवा कुछ नहीं था।

  • 11. Psychopath lover - Chapter 11

    Words: 2169

    Estimated Reading Time: 14 min

    कहानी अब तक-

    वंश धीरे से खुद से बोला,

    "तुम्हें पसंद ना भी हो तब भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि तुम मेरी doll हो और मैं तुम्हारा owner। और एक doll को अपने owner की हर बात माननी ही पड़ती है।" बोलते हुए वंश मुस्कुरा दिया।

    और फिर ज़ारा से बात करने लगा। वहीं ज़ारा भी वंश के साथ ऐसे बात कर रही थी जैसे उसे कई सालों से जानती हो।

    वहीं ये सब कोई और भी देख रहा था, और ये सब देखते हुए उस शख्स के चेहरे पर बेबसी और guilt के सिवा कुछ नहीं था।

    अब आगे-

    डोर के बाहर mrs. मेहरा खड़ी थीं, वंश और ज़ारा को देख रही थीं। उन्होंने वंश और ज़ारा के बीच की सारी बातें सुन ली थीं। ज़ारा भले ही innocent थी, लेकिन mrs. मेहरा नहीं। उन्होंने अपनी life में बहुत से लोगों को देखा था और कई patients को treat किया था। और वंश को तो वो बहुत अच्छे से जानती थीं।

    उन्हें समझ आ रहा था कि वंश किस तरह से ज़ारा के दिमाग के साथ खेल रहा था। वो खुद से बोलीं,

    "ज़ारा एक ही दिन में किसी पर इतना विश्वास! (ना में सिर हिलाते हुए) तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है कि आगे कौन सी मुसीबत तुम्हारा इंतज़ार कर रही है… वंश पर विश्वास करके बहुत बड़ी गलती कर रही हो तुम ज़ारा।" mrs. मेहरा ने डोर के बाहर से ही ज़ारा को देखते हुए कहा।

    "तुम्हें तो मालूम भी नहीं है कि ये हॉस्पिटल खुद वंश का ही है और वंश यहाँ पर किसी treatment के लिए नहीं, बल्कि अपने नए शिकार के लिए आया है। वो कुछ वक़्त से शांत था, पर अब उसे अपना शिकार मिल चुका है।" mrs. मेहरा बेबसी से सिर हिलाते हुए बोलीं।

    mrs. मेहरा ये सब सोच ही रही थीं कि तभी ज़ारा की नज़र उन पर गई।

    "अरे ma'am आप! आप यहाँ! आइये ना। आप बाहर क्यों खड़ी हैं?"

    बोलते हुए ज़ारा चेयर से खड़ी हुई और डोर खोलकर mrs. मेहरा के पास आई।

    वहीं mrs. मेहरा, जो अपनी ही सोच में गुम थीं, ज़ारा की आवाज़ से चोंक गईं।

    "हाँ हाँ। क्या हुआ?" वो हड़बड़ाते हुए बोलीं और एक नज़र ज़ारा पर डालकर वंश की तरफ देखा, जो गुस्से से उन्हें ही देख रहा था।

    तभी ज़ारा बोली, "Ma'am आइये ना।"

    "नहीं ज़ारा। तुम अपना काम करो। मैं तो बस यहाँ से गुज़र रही थी तो रुक गई, ये देखने के लिए कि तुम अपना काम ठीक से तो कर रही हो ना… कोई गलती तो नहीं कर रही।" वहीं ये सुनते ही वंश के होठों पर एक जहरीली smile आ गई।

    "बस इसलिए। Now you go and back to your work." mrs. मेहरा ने जल्दी से कहा और वहाँ से जाने लगीं।

    तभी ज़ारा ने उनका हाथ पकड़ लिया और उन्हें रोकते हुए politely बोली,

    "हाँ तो फिर अंदर आइये। आप ही कहती हैं ना कि हमें कोई काम अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए तो फिर चलिए… आप देखने आई थीं ना कि मैं अपनी duty ठीक से कर रही हूँ या नहीं तो देखिये और कीजिये examine।" ज़ारा एक smile के साथ बोली और mrs. मेहरा को अपने साथ अंदर ले गई।

    वहीं mrs. मेहरा की नज़र तो वंश पर टिकी थी, जो उन्हें अपनी जलती हुई नज़रों से देख रहा था। mrs. मेहरा समझ रही थीं कि उनका इस वक़्त वंश और ज़ारा के बीच आना वंश को बिल्कुल पसंद नहीं आया।

    ज़ारा mrs. मेहरा को अपनी ready की हुई file दिखा रही थी जिसमें उसने वंश की कुछ details लिखी थीं। वहीं mrs. मेहरा का ध्यान तो ज़ारा की किसी बात में था ही नहीं।

    "Am sorry ज़ारा। पर मैं मजबूर हूँ। तुमने मुझे अपना ideal माना और मैं सब कुछ जानते हुए भी तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पाई।"

    "काश कि मैंने पहले ही इस बात पर ध्यान दिया होता। काश तुम्हें जब यहाँ appoint किया गया था तब ही मैंने reject कर दिया होता… ये जानते हुए भी कि तुम कितनी मासूम हो और वंश यहाँ है और वंश को क्या attract करता है, मैंने इस बात के लिए agree किया।"

    "बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे… तुम्हारा dream अधूरा रहता, पर जिंदगी safe रहती। लेकिन अब तुम वंश की नज़रों में आ चुकी हो और शायद ही अब तुम बच पाओ।" खुद से सोचते हुए mrs. मेहरा ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं और रूम से बाहर निकल गईं।

    कुछ देर बाद-

    mrs. मेहरा के जाने के बाद ज़ारा वंश से कुछ discuss कर रही थी। और वंश एकटक उसे देखे जा रहा था।

    तभी ज़ारा का फ़ोन ring हुआ। ज़ारा ने screen पर फ्लैश हो रहे नाम को देखा और बोली,

    "मैं अभी आती हूँ।" बोलकर बिना वंश को देखे बाहर चली गई। वहीं ज़ारा के बाहर जाने के कुछ ही minute बाद एक शख्स रूम में enter हुआ और उसने वंश को greet करते हुए अपनी जेब से एक pouch निकालकर टेबल पर रखा और बिना कुछ बोले बाहर चला गया।

    थोड़ी देर बाद ज़ारा डोर खोलकर जैसे ही अंदर आई, वंश वहाँ नहीं था। ज़ारा ने इधर-उधर अपनी नज़रें घुमाईं और जैसे ही

    "वंश!" बोलकर कुछ कदम आगे बढ़ाए, किसी ने पीछे से उसका हाथ पकड़कर एक झटके से अपनी तरफ खींचा।

    ऐसे झटके से खींचने से ज़ारा के मुँह से एक चीख निकल गई और ज़ारा की पीठ वंश के सीने से जा लगी।

    वहीं वंश ने ज़ारा को खुद से चिपका रखा था। वहीं ज़ारा के दिल की धड़कन double speed से भाग रही थी। तभी ज़ारा की नज़र वंश की watch पर गई।

    "वंश तुम… तुम ये क्या कर रहे हो। तुमने मुझे ऐसे क्यों पकड़ हुआ है?" बोलकर ज़ारा वंश से दूर होने की कोशिश करने लगी, लेकिन वंश ने ज़ारा को काफी tightly पकड़ रखा था और उसके बालों में अपनी गर्दन घुसाकर ज़ारा के बालों को sniff कर रहा था।

    लेकिन ज़ारा ये notice नहीं करती है। वो वंश से बोली,

    "वंश अब छोड़ो तो मुझे।" वंश ये सुनकर अपनी आँखें कसकर बंद करता है और फिर एक बार गहराई से ज़ारा के बालों को सुंघकर ज़ारा को छोड़ देता है।

    "लो छोड़ दिया doll।"

    ज़ारा को वंश की इस हरकत से कुछ अजीब feel हुआ। वो वंश की तरफ पलटकर बोली,

    "वंश तुम ये क्या कर रहे थे। मुझे इस तरह से क्यों खींचा तुमने। तुम्हें पता भी है मैं कितना डर गई थी?"

    वंश ये सुनकर टेढ़ा मुस्कुरा देता है। फिर ज़ारा को कंधे से पकड़कर वापस सामने की तरफ करते हुए बोला,

    "Look at the floor doll।" सामने काँच बिखरा हुआ है। तुम्हारा ध्यान इस पर नहीं था। अगर तुम कुछ कदम और आगे बढ़ती तो काँच तुम्हारे पैरों में चुभ जाता… इसलिए मैंने तुम्हें ऐसे खींचा। वंश फर्श की तरफ इशारा करते हुए बोला।

    वहीं ज़ारा ने भी अब फर्श की तरफ देखा तो वहाँ काँच के टुकड़े पड़े हुए थे। ज़ारा ने अब ये देख अपनी awkward feeling को ignore किया और relax होते हुए खुद से बोली,

    "मैं भी ना। वंश ने तो मुझे चोट लगने से बचाया है और मैं उसी के बारे में पता नहीं क्या सोच रही थी।" "वंश थोड़ी ना जानबूझकर ऐसा कुछ करेगा।" कहते हुए ज़ारा अपना सिर झटकती है और काँच के टुकड़ों को उठाते हुए बोली,

    "पर ये काँच यहाँ आया कैसे?"

    वंश बिना किसी भाव के बोला, "वो मुझसे वास टूट गया था doll।"

    ज़ारा अब कुछ नहीं कहती है। तभी ज़ारा की नज़र टेबल पर जाती है जहाँ दो cups रखे हुए थे।

    ज़ारा खुशी से उछलते हुए बोली,

    "अरे वाह! चाय… I love it।"

    "वंश ये चाय तुमने मंगवाई क्या? तुम्हें कैसे पता कि मुझे चाय पसंद है। You know what अभी इस मौसम में मेरा चाय पीने का कितना मन कर रहा था। तुमने तो मेरी मन की wish पूरी कर दी।" बोलते हुए ज़ारा काफी खुश थी।

    वहीं वंश ज़ारा की मुस्कराहट को काफी गौर से देख रहा था।

    फिर गर्दन टेढ़ी कर ज़ारा को देखते हुए बोला,

    "Of course doll। ये चाय मैंने ही मंगवाई है तुम्हारे लिए। मुझे पता है तुम्हें चाय कितनी पसंद है।" वंश ने mysterious way में ये बात कही और ज़ारा के सामने जाकर सोफे पर किसी किंग की तरह बैठ गया।

    वहीं ज़ारा वंश की बात सुन उसे हैरानी से देखने लगी। वो कुछ पूछने को हुई कि वंश उसे बीच में टोकते हुए बोला,

    "चाय doll। चाय पीओ। वरना ठंडी हो जाएगी। And I know कि तुम्हें hot tea ही पसंद है।" (फिर मन ही मन) "as hot as your hotness।" बोलते हुए वंश तिरछा मुस्कुरा देता है।

    वहीं अब ज़ारा वंश की बात मान चुपचाप चाय पीने लगती है। वंश ने अपने cup को सिर्फ़ होठों से लगा रखा था और एकटक ज़ारा को चाय पीते हुए देखकर counting कर रहा था।

    "5, 4, 3, 2 and one।" और इसी के साथ ज़ारा ने चाय की last सीप ली और cup जैसे ही वापस टेबल पर रखा, वैसे ही ज़ारा का मुँह बुरी तरह जलने लगा।

    "आह! आह!" करते हुए ज़ारा अपने हाथ से हवा करने लगी। वहीं वंश के face पर ज़ारा को देख winning smile थी, जिसका साफ़ मतलब था कि उसे ज़ारा को तकलीफ में देख काफी मज़ा आ रहा था।

    ज़ारा ने अपने कान पर हाथ रख लिया। उसका मुँह बुरी तरह से जल रहा था।

    "वंश please कुछ करो। मुझे बहुत मिर्ची लग रही है। आह! मेरा मुँह जल रहा है।"

    "पानी! पानी! Please पानी दो।" ज़ारा तड़पते हुए इधर-उधर पानी ढूँढने लगी। उसका मुँह इतनी बुरी तरह जल रहा था कि ज़ारा की आँखों में आँसू आ गए थे।

    वहीं वंश "ये सब कैसे हुआ?" सोचने लगा। दरअसल, जब ज़ारा फ़ोन पर बात करने के लिए बाहर गई थी, तभी वंश ने अपने assistant से बोलकर 'पेपर एक्स ब्लैक pepper' मँगवा ली थी, जो इतनी ज़्यादा तीखी होती है कि वो किसी नॉर्मल आदमी के खाने की बस की बात नहीं है। और वहीं मिर्च वंश ने ज़ारा की चाय में add कर दिया था।

    ज़ारा को इतनी मिर्ची लग रही थी कि उसने अपना चेहरा कसकर भींच लिया। उसकी आँखें बुरी तरह लाल हो चुकी थीं और मनाली की ठंड में भी ज़ारा का चेहरा पसीने से भीग चुका था।

    ज़ारा जलन से तड़पते हुए बोली,

    "वंश पानी दो ना please। मुझसे इतनी मिर्ची बर्… बर्दाश्त नहीं… नहीं हो रही है।" ज़ारा अटकते हुए बोली। वहीं वंश ने अब परेशान होने की acting करते हुए कहा,

    "Doll, doll क्या हुआ तुम्हें? तुम्हें इतना पसीना क्यों आ रहा है?"

    "पा… पानी।"

    Finally, ज़ारा के इतना तड़पने के बाद वंश अब जाकर सोफे से उठा और पानी का जग ज़ारा के सामने टेबल पर रखते हुए उसे धीरे से ग्लास में डालने की acting करने लगा। लेकिन ज़ारा का मुँह इतने बुरे तरीके से जल रहा था कि ज़ारा ने पानी ग्लास में डालने का भी wait नहीं किया और jug को ही उठाकर पानी पीने लगी, जिससे कुछ पानी उसके कपड़ों पर भी गिर गया।

    ज़ारा ने एक ही साँस में पूरा jug ख़त्म कर दिया, लेकिन उसकी जलन अब भी ख़त्म नहीं हुई। ज़ारा खुद को शांत करने की कोशिश करने लगी। वहीं वंश मन ही मन बोला,

    "ये तो होना ही था doll। आखिर तुम्हारी punishment थी ये मुझसे ऊँची आवाज़ में बात करने की… कहा था ना मैंने मुझे अपने सामने किसी की तेज आवाज़ पसंद नहीं है। और तुम तो मेरी doll हो तो तुम्हारा अपनी limit cross करना मुझे कैसे बर्दाश्त हो सकता था… अब देखो अपनी गलती की वजह से कितनी तकलीफ झेलनी पड़ी तुम्हें। Tch. Tch. Tch।" बोलते हुए वंश पागलों की तरह अंदर ही अंदर मुस्कुरा रहा होता है।

    (वंश के ज़ारा को अपना toy कहने पर जब ज़ारा ने तेज आवाज़ में गुस्से से वंश पर चिल्ला दिया था, तभी वंश को काफी गुस्सा आया था क्योंकि उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि कोई उसके सामने ऊँची आवाज़ में बात करे और इसी की सज़ा देने के लिए वंश ने ज़ारा को सबसे तीखी ब्लैक pepper खिला दी थी।)

    पर वंश बाहर से खुद को normal दिखाते हुए बोला,

    "Are you okay doll?" "How are you feeling now?"

    "Feeling better।" ज़ारा ने low voice में जवाब दिया।

    "लेकिन तुम्हें इतनी मिर्ची लगी किसमें? चाय पीने से पहले तक तो तुम बिल्कुल ठीक थीं।"

    "पता नहीं। I think चाय में ही काफी तीखा ब्लैक pepper था और मैं ज़्यादा तीखा नहीं खा सकती।" ज़ारा ने फिर से धीमी आवाज़ में कहा। उसे अपने गले और मुँह में अभी भी जलन हो रही थी जिससे उसके मुँह से आवाज़ नहीं निकल रही थी।

    तभी वंश अपनी पॉकेट से एक चॉकलेट निकालकर ज़ारा को देते हुए बोला,

    "लो इसे खाओ। Take this chocolate. You'll feel better।"

    ज़ारा वंश की तरफ देखती है और चुपचाप चॉकलेट खाने लगती है।

  • 12. Psychopath lover - Chapter 12

    Words: 2181

    Estimated Reading Time: 14 min

    ज़ारा वंश से बाहर निकलते हुए, खुद को सामान्य दिखाते हुए बोला,

    "Are you okay doll?" How are you feeling now?"

    "Feeling better," ज़ारा ने धीमी आवाज़ में जवाब दिया।

    "लेकिन तुम्हें इतनी मिर्ची लगी किसमें? चाय पीने से पहले तक तो तुम बिल्कुल ठीक थीं।"

    "पता नहीं। I think चाय में ही काफी तीखा ब्लैक pepper था और मैं ज्यादा तीखा नहीं खा सकती।" ज़ारा ने फिर से धीमी आवाज़ में कहा। उसे अपने गले और मुँह में अभी भी जलन हो रही थी जिससे उसके मुँह से आवाज़ साफ़ नहीं निकल रही थी।

    तभी वंश अपनी जेब से एक चॉकलेट निकालकर ज़ारा को देते हुए बोला,

    "लो इसे खाओ। Take this chocolate. You'll feel better."

    ज़ारा वंश की तरफ़ देखती है और चुपचाप चॉकलेट खाने लगती है।

    ज़ारा वंश को चॉकलेट देते हुए देखकर हैरान रह जाती है और वह वंश को देखने लगती है। वहीं वंश जब ज़ारा को खुद को ऐसे देखता हुआ पाता है तो अपना सिर टेढ़ा करके ज़ारा को देखता है और कहता है-

    "ऐसे क्या देख रही हो doll? Take this. जलन कम हो जाएगी।" कहते हुए चॉकलेट लेने का इशारा करता है। वहीं ज़ारा के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है। ज़ारा चॉकलेट ले लेती है और चुपचाप खाने लगती है। वहीं वंश कुछ सोचने लगता है।


    ज़ारा घर आती है और अपने कमरे में आकर अपना बैग सोफ़े पर पटक कर खुद को आईने में देखने लगती है।

    तभी ज़ारा को कुछ अजीब लगता है। वह कमरे में चारों तरफ़ नज़र घुमाकर देखती है, लेकिन उसे सब कुछ सामान्य ही लगता है।

    ज़ारा अपना सिर झटकती है और अपना जैकेट उतारकर टेबल पर रख देती है। तभी ज़ारा को वापस कुछ अजीब महसूस होता है। वह वापस इधर-उधर देखती है, लेकिन उसे फिर से सब कुछ सामान्य ही लगता है।

    ज़ारा खुद के सिर पर हल्की चपत लगाते हुए कहती है-

    "मैं भी ना। पूरे दिन Movies और drama देखती हूँ ना। ये सब उसी का ही असर है कि मुझे कभी भी कुछ भी गड़बड़ महसूस होने लगता है।... अभी भी मुझे ऐसा doubt हो रहा है कि कोई मुझे देख रहा है।

    सही कहती है मोम, मुझे ये dramas देखना कम करना पड़ेगा, वरना मुझे ऐसे ही कुछ भी वहम होता रहेगा। अगर अभि को पता लगा कि मैं फिर से ऐसा कुछ imagine कर रही हूँ तो वो गधा फिर से मुझ पर हँसेगा, मेरा मज़ाक बनाएगा।"

    खुद से ही बात करते हुए ज़ारा अपने क्रॉप टॉप को हल्का सा ऊपर करती है और अपने पेट पर हाथ फेरती है। तभी उसे हल्का दर्द का एहसास होता है और उसकी सिसकी निकल जाती है।

    ज़ारा कन्फ्यूज़न से आईने में खुद को देखती है और अपना टॉप निकालकर बिस्तर पर फेंक देती है और खुद को अच्छे से देखने लगती है।

    उसकी नज़र अपने पेट पर जाती है जहाँ खरोंचें थीं।

    "ये कैसे हुआ? मेरे पेट पर ये खरोंचें कैसे आईं? सुबह तो नहीं थीं।" बोलकर ज़ारा उन खरोंच के निशानों को अपनी उंगली से छूती है।

    लेकिन फिर ज़ारा इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं देती है और कहती है- "ऐसे ही हुआ होगा।" बोलकर वॉशरूम में चली जाती है।

    वॉशरूम में भी ज़ारा को अजीब महसूस होता है, लेकिन ज़ारा अपनी इस भावना को फिर से अनदेखा करते हुए अपने कपड़े उतारकर शावर के नीचे खड़ी हो जाती है और गाने गुनगुनाते हुए शावर लेने लगती है। इस बात से बेखबर कि कोई उसकी अब तक की हर हरकत, हर मूव को नोटिस कर रहा था और उसे इस स्थिति में भी बड़े गौर से देख रहा था।

    वहीं वंश अपने ऑफिस के केबिन में किंग साइज़ चेयर पर अपना सिर पीछे टिकाए आईपैड में ज़ारा को लाइव देख रहा था।

    ज़ारा इस वक़्त अपने बालों को इधर-उधर करते हुए शावर ले रही थी। वहीं वंश स्क्रीन पर हाथ फेरते हुए कहता है-

    "Doll... Doll... क्या हो तुम? मेरी तलब तुम्हारे लिए बढ़ती ही जा रही है। Am going crazy for you.

    तुमसे पहले भी मेरे बहुत से ऑब्सेशन रहे हैं, पर you are different. तुम में कुछ तो अलग है doll. तुम्हारी बॉडी मुझे अट्रैक्ट कर रही है और तुम्हारे लिए मेरा एडिक्शन बढ़ता ही जा रहा है। Tch. Tch. Tch. Doll तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है कि ये सब करके तुम बस अपनी बर्बादी और मेरी कैद की तरफ़ ही अपने कदम बढ़ा रही हो। ऐसी कैद जिसकी रिहाई का दरवाज़ा बना ही नहीं। You are trapped doll." बोलते हुए वंश खतरनाक तरीके से मुस्कुरा देता है।

    दूसरी तरफ़ ज़ारा वॉशरूम से बाहर निकल अपनी नाइट ड्रेस पहन नीचे आती है और डाइनिंग टेबल पर बैठकर अपना डिनर करने लगती है।

    थोड़ी देर बाद-

    ज़ारा अपने कमरे की बालकनी में खड़ी थी। बाहर इस वक़्त मौसम काफी अच्छा था। हल्की-हल्की हवा चल रही थी जिससे ज़ारा के बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे। वहीं ज़ारा एकटक चाँद को देखकर कुछ सोच रही थी।

    "ये चाँद कितना खूबसूरत है ना! नज़र हटाने का मन ही नहीं करता। न जाने हर रोज़ इसे कितने ताकते होंगे और कितनों ने इसमें अपने स्पेशल वन को छुपा रखा होगा।

    (फिर एक गहरी साँस लेती है) बेशक चाँद में दाग हैं, पर वो दाग सबकी नज़रों से दूर हैं। हमें तो इसकी खूबसूरती के सिवा कुछ नज़र नहीं आता।" बोलते हुए ज़ारा को अचानक ही वंश का ख्याल आता है।

    ज़ारा आज जो भी कुछ हुआ वो सब सोचने लगती है। उसे वंश थोड़ा अलग लग रहा था, पर ज़ारा इस बात को इतना नोटिस नहीं करती है।

    "थोड़ा different है पर काफी अच्छा है। लगता ही नहीं कि उससे अभी-अभी मिली हूँ।" कहते हुए ज़ारा को एक-एक करके सारे पल याद आने लगते हैं।

    वो उन पलों को सोचने लगती है जब वंश ने अंधेरे में उसे संभाला था, उसे काँच पर गिरने से बचाया था और आज उसे चॉकलेट दी थी। ये सब सोचते हुए ज़ारा के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है जिससे खुद ज़ारा भी अनजान थी।

    तभी ज़ारा को वंश की वो बात याद आती है जब उसने कहा था कि उसे अंधेरा पसंद है। ज़ारा उदास होते हुए कहती है-

    "वंश के साथ कितना बुरा हुआ! दुनिया में कैसे-कैसे स्वार्थी लोग होते हैं जो सिर्फ़ अपने फायदे के लिए किसी को भी बर्बाद करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते।... पर मैं वंश को स्ट्रेस से बाहर निकालकर ही रहूँगी।" बोलते हुए ज़ारा की नज़र नीचे जाती है जहाँ इस वक़्त हल्का स्नोफ़ॉल हो रहा था।

    "Wow snowfall!" Excited होते हुए ज़ारा नीचे जाती है।

    वहीं दूसरी तरफ़ वंश कहता है- "यहीं तो गलत फ़ितरत है लोगों की doll कि जिसे पसंद करते हैं उसकी बुराइयाँ नहीं देखते और उस पर हद से ज़्यादा विश्वास कर बैठते हैं। और यही चीज़ उन्हें किस तबाही के रास्ते पर ले जाती है उन्हें खुद पता नहीं चलता।" बोलते हुए वंश भी झूले पर सिर टिकाए अपनी आँखें बंद करके चाँद की रोशनी में बैठा था और अपनी उंगलियों को माथे पर टैप करते हुए मुस्कुरा रहा था।

    वहीं ज़ारा घर का दरवाज़ा खोल बाहर जाती है और अपने दोनों हाथ फैलाते हुए गोल-गोल घूमने लगती है। उस पर बर्फ गिर रही थी, तभी ज़ारा की नज़र कोने में जाती है जहाँ एक व्हाइट कलर का खरगोश कोने में दुबक कर बैठा हुआ था।

    "अरे! अरे! तुम कितने cute हो! लेकिन तुम यहाँ क्या कर रहे हो ठंड में?" मासूमियत से कहते हुए ज़ारा उस व्हाइट रैबिट को अपनी गोद में उठा लेती है और उसे अपने गाल से रब करने लगती है। थोड़ी देर ज़ारा उस रैबिट के साथ ही रहती है और फिर उसे किसी गर्म और सुरक्षित जगह पर छोड़ वापस अपने कमरे में आती है, तो उसकी नज़र अपने फ़ोन पर जाती है जो रिंग कर रहा था।

    ज़ारा जल्दी से अपने फ़ोन को देखती है तो हैरान रह जाती है क्योंकि ज़ारा के फ़ोन में अपनी माँ के कई सारे मिस्ड कॉल्स थे।

    "ओह माय गॉड! अब तो मोम मुझे नहीं छोड़ने वाली।" बोलकर ज़ारा जल्दी से अपनी माँ को कॉल लगाती है। आशा जी पहली ही रिंग में कॉल पिक करते हुए कहती हैं-

    "ज़ारा कहाँ हो तुम? कब से फ़ोन कर रही हूँ, मेरा फ़ोन क्यों नहीं उठा रही थी तुम? सब ठीक तो है?"

    आशा जी की परेशानी भरी आवाज़ सुनकर ज़ारा कसकर अपनी आँखें बंद करती है और फिर कहती है-

    "Relax mom, everything is fine." वहीं आशा जी अब रिलैक्स होती हैं और इस बार स्ट्रिक्ट आवाज़ में कहती हैं-

    "तो फिर कॉल का जवाब क्यों नहीं दे रही थी?"

    "वो actually mom, बाहर स्नोफ़ॉल हो रहा था और आपको तो पता ही है मुझे स्नोफ़ॉल कितना पसंद है, तो बस वहीं देखने बाहर गई थी और मेरा फ़ोन यहीं रूम में रह गया था।" ज़ारा कहती है।

    "तुम्हारा ये नाइट आउट करने का शौक और खुद को लेकर इतना लापरवाह होना तुम्हें कभी किसी बड़ी मुसीबत में ना फँसा दे ज़ारा।" आशा जी गुस्से से कहती हैं।

    वहीं आशा जी की बात सुन ज़ारा बोरियत से कहती है-

    "ओहो मोम! आप फिर से शुरू हो गईं। ऐसा कुछ नहीं होगा।"

    ज़ारा की बात सुन आशा जी एक गहरी साँस लेती हैं और कहती हैं-

    "अच्छा और शाम में क्या कर रही थी? तब कॉल क्यों नहीं उठाया?"

    "आ वो..." ज़ारा अभी अपनी माँ की बातों का क्या जवाब दे सोच ही रही थी कि उससे पहले ही ज़ारा को फ़ोन के दूसरी तरफ़ से अभि के हँसने की आवाज़ सुनाई दी।

    अभि हँसते हुए ही कहता है-

    "Don't tell me di कि आपने कॉल इसलिए नहीं उठाया क्योंकि आप अपने वहीँ सड़े हुए और बोरिंग K-drama देख रही थीं।" बोलकर अभि हँसने लगा।

    वहीं ज़ारा को अभि की बात सुनकर गुस्सा आया और वह गुस्से से कहती है-

    "अभि के बच्चे चुप हो जा तू! ख़बरदार जो तूने मेरे कोरियन dramas को सड़ा हुआ बोला तो! तुझे पता भी है क्या ये नया वाला drama super best है।"

    "देखा mom, मैंने आपसे कहा था ना कि दी ज़रूर अपने उन्हीं dramas में खोई हुई होंगी इसलिए आपका कॉल नहीं उठाया और आप थे कि बेवजह ही परेशान हो रहे थे।

    And दी, देखा था मैंने आपका वो नया वाला ड्रामा। बिल्कुल बकवास था। पता नहीं आपको क्या मज़ा आता है ऐसे पागल psycho lover वाले dramas देखने में जो अपने प्यार को ही कैद करके रखते हैं और उन्हें बस तकलीफ़ के सिवा कुछ नहीं देते।" अभि ने ज़ारा से कहा।

    "पर वो तो सिर्फ़ फ़ैंटेसी है ना अभि। असल ज़िंदगी में थोड़े ही ऐसा कुछ होता है।" ज़ारा ने मासूमियत से कहा।

    "होता है दी। और ऐसे लोगों की असलियत बहुत ख़तरनाक होती है। ऐसे लोग psycho होते हैं जो सामने से जैसे दिखते हैं असल में वैसे बिल्कुल भी नहीं होते और एक बार ऐसे इंसान के चंगुल में फ़ँस जाए तो निकलना नामुमकिन है क्योंकि वो फिर हमें अपनी कैद में कैद करके इस दुनिया से हमारा एक्ज़िस्टेंस ही ख़त्म कर देते हैं।" अभि ने सीरियस होकर कहा।

    वहीं अभि की बात सुन ज़ारा हँसने लगी। "तू और तेरे डायलॉग अभि!" ये सुन अजय और आशा जी एक-दूसरे की तरफ़ देखते हैं। वहीं अब अभि कुछ कहता कि तभी अजय जी बीच में बोलते हुए ज़ारा से पूछते हैं-

    "तुम्हारा काम कैसा जा रहा है ज़ारा?"

    "Awesome dad."

    "कोई पेशेंट मिला? I mean जिसे तुम ट्रीट कर रही हो?"

    "Ya dad। एक पेशेंट का केस मुझे हैंडओवर किया गया है।" ज़ारा खुशी से कहती है।

    तभी अभि जल्दी से कहता है- "ओह तो एक पागल को दूसरा पागल मिल ही गया।" Superb। दोनों को अच्छी कंपनी मिल जाएगी।" बोलकर अभि जोर-जोर से हँसने लगा।

    ज़ारा भड़कते हुए कहती है- "What you mean by this? तुझे क्या मैं पागल लगती हूँ?"

    "Definitely! तुझे कोई शक है क्या? तुझ जैसी पागल के पास जो अपना ट्रीटमेंट करवाने आया होगा उससे बड़ा पागल इस दुनिया में कोई और हो ही नहीं सकता।" अभि ज़ारा का मज़ाक बनाते हुए बोला।

    "Dad देखो ना इसे! कैसे मुझे चिढ़ा रहा है।" ज़ारा ने अपने पिता से शिकायत की।

    "अभि क्यों परेशान कर रहे हो उसे?" अजय जी ने अभि को डाँटते हुए कहा तो अभि का मुँह बन गया। वह कहता है-

    "ये क्या आप हर बात की शिकायत dad से करते हो?"

    "ये जो तू अभी मुँह बनाता है, जिस दिन मेरी शिकायतें बंद हुईं उस दिन तुझे ही सबसे ज़्यादा याद आने वाली हैं मेरी बच्चू।" ज़ारा बोली।

    "Whatever! मैं और आपको याद? Never! मैं तो चाहता ही हूँ कि आप किसी ऐसी जगह चले जाओ जहाँ से लौटकर आ ही ना सको और फिर मोम, dad का सारा अटेंशन मुझे मिले।" अभि ने लापरवाही से कहा।

    "तथास्तु बच्चे!" ज़ारा बोली और दोनों भाई-बहन हँसने लगे। इस बात से अनजान कि यह बात बहुत जल्दी सही साबित होने वाली थी।

  • 13. Psychopath lover - Chapter 13

    Words: 1828

    Estimated Reading Time: 11 min

    ज़ारा तैयार होकर आईने के सामने खड़ी थी। उसने आसमानी रंग का अनारकली सूट पहना हुआ था, जिस पर लहरिया दुपट्टा उसने अपने कंधे पर पिनअप करके पूरा खोलकर हाथ तक गिरा रखा था। कान में बड़े-बड़े झुमके पहने हुए थे और माथे पर छोटी सी स्टोन की मैचिंग बिंदी लगा रखी थी। बालों को पूरा खुला छोड़ रखा था। सादगी से भरे इस लुक में ज़ारा काफी प्यारी और खूबसूरत लग रही थी।

    ज़ारा नीचे आई और डाइनिंग टेबल से सैंडविच उठाकर जल्दी-जल्दी बाहर जाने लगी। ज़ारा को नाश्ता ना करता देख लता दी किचन से बाहर आते हुए बोली,
    "ज़ारा, नाश्ता तो करके जाओ।"

    "नहीं लता दी, अभी टाइम नहीं है। लेट हो रहा है।" कहकर ज़ारा जल्दी से बाहर चली गई। वहीं लता दी अपना सिर हिलाते हुए बोली,
    "ये ज़ारा भी ना! इनका कुछ नहीं हो सकता। पता नहीं किस बात की इतनी जल्दी रहती है।"

    दूसरी तरफ ज़ारा हॉस्पिटल पहुँची और अपनी घड़ी में टाइम देखते हुए बड़बड़ाने लगी,
    "ओह नो! लेट हो गई। वंश ने कहा था जल्दी आने के लिए।" ज़ारा जल्दी से अपने केबिन में गई। वहाँ अंधेरा था और सिर्फ एक छोटी सी डिम लाइट जल रही थी। उसे देख ज़ारा को अपने दिल में डर का एहसास हुआ।

    वहीं सोफ़े पर वंश आधा लेटा हुआ था और उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। ज़ारा ने जैसे ही टेबल पर अपना बैग रखकर एक गहरी साँस ली और एक कदम आगे बढ़ाया, वैसे ही

    वंश ने ज़ारा का हाथ पकड़कर झटके से अपने ऊपर खींच लिया। जिससे ज़ारा पूरी तरह से वंश पर झुक गई। वंश ज़ारा के बालों को सूँघने लगा।

    ज़ारा वंश के अचानक खींचने से थोड़ी डर गई थी। उसने धीरे से कहा,
    "वंश, मैं हूँ ज़ारा।" वह अपना चेहरा उठाकर वंश को देखने की कोशिश करने लगी।

    वंश, जो ज़ारा की खुशबू ले रहा था, ज़ारा के ऐसे बोलने और हिलने से गुस्से से अपनी आँखें बंद कर लीं, और फिर आँखें खोलकर सामान्य रूप से बोला,
    "ओह डॉल, तुम हो। मुझे लगा कोई और है, इसलिए मैंने ऐसे रिएक्ट किया।" बोलकर वंश ज़ारा को गौर से देखने लगा।

    वहीं ज़ारा अपना सिर उठाकर बोली,
    "नहीं वंश, यहाँ और कोई नहीं है मेरे अलावा। सी।" ज़ारा पूरे रूम में अपनी नज़र घुमाते हुए बोली। वहीं वंश की नज़र तो बस ज़ारा पर ही थी। वंश ज़ारा के बालों को कान के पीछे करते हुए बोला,
    "सो सॉफ्ट।"

    ज़ारा यह सुनकर वंश की तरफ कन्फ्यूज़न से देखने लगी। तभी वंश ज़ारा के बालों से खेलते हुए बोला,
    "योर हेयर। तुम्हारे बाल डॉल काफी सॉफ्ट हैं।" (फिर अपने मन में) बिल्कुल तुम्हारी तरह। बोलते हुए वंश का पूरा ध्यान ज़ारा पर ही था।

    वहीं वंश की बात सुन ज़ारा के चेहरे पर छोटी सी स्माइल आ गई। तभी ज़ारा को महसूस हुआ कि वह वंश के काफी करीब है। ज़ारा जल्दी से वंश से दूर होने की कोशिश करने लगी, लेकिन वंश की पकड़ उस पर काफी मज़बूत थी।

    ज़ारा ने वंश से कहा,
    "वंश, लीव मी।" यह सुनते ही वंश, जिसने अपनी उंगलियों को ज़ारा के बालों में उलझा रखा था, एकदम से ज़ारा के बालों को पकड़कर जोर से खींच लिया। जिससे ज़ारा की चीख निकल गई।

    वंश गुस्से से अपनी भौंह पर लगे कट को रब करते हुए ज़ारा का हाथ छोड़ दिया।

    "ऐम सॉरी डॉल। वो गलती से हो गया। तुम्हें ज़्यादा दर्द तो नहीं हो रहा?" वंश फ़िक्र भरी आवाज़ में बोला।

    ज़ारा वंश के छोड़ते ही उससे दूर होकर सीधी खड़ी हो गई और अपने बालों को सहलाते हुए बोली,
    "नो, इट्स ओके। ऐम फ़ाइन।"

    ज़ारा दवाइयों को देखते हुए बोली,
    "वैसे वंश, तुम्हें ऐसे क्यों लगा कि यहाँ कोई और है?"

    ज़ारा की बात सुन वंश सोफ़े पर सीधा होकर बैठ गया। और अपने चेहरे के भाव सख्त करते हुए बोला,
    "क्या करूं डॉल? अब जिसके आस-पास हर वक़्त खतरा हो, उसे चौकन्ना रहना ही पड़ता है। और मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है। मेरे आस-पास ऐसे लोग हैं जो हर वक़्त मुझे अपनी साज़िशों का शिकार बनाने की फ़िराक में रहते हैं। वो तो इसी तलाश में रहते हैं कि कब उन्हें मौका मिले और कब वो मुझे ख़त्म करके मेरा सारा एम्पायर पर राज करें।"

    फिर वंश सोफ़े से उठा और खिड़की के पास जाकर खड़ा होते हुए एक उदासी भरी आवाज़ के साथ बोला,
    "तुम्हें पता है डॉल, मैं यहाँ आने से पहले जिस हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट के लिए गया था, वहाँ उन डॉक्टर्स ने मेरी फ़ेक रिपोर्ट ही नहीं बनवाई, बल्कि ट्रीटमेंट करने के बहाने से वो लोग मेरे हाथ-पैर बाँधकर मुझे गलत ट्रीट करते थे, मुझसे गलत एक्सरसाइज़ करवाते थे, मुझे गलत दवाइयाँ देते थे ताकि मैं कभी स्ट्रेस से बाहर निकल ही ना पाऊँ और वो मुझे पागल साबित करके मेरा सारा बिज़नेस हड़प सकें।"

    ये सब कहते हुए वंश की आवाज़ उदास थी पर उसके होठों पर एक ईविल और रूथलेस स्माइल थी।

    वहीं ज़ारा को वंश की बात सुनकर काफी बुरा फील हो रहा था। वह धीरे से गई और खिड़की के पास जाकर वंश के बगल में खड़ी हो गई। ज़ारा के आते ही वंश के फेस एक्सप्रेशन बिल्कुल चेंज हो गए। और वह वापस सैड सी शक्ल बनाते हुए बोला,
    "इतना ही नहीं डॉल, वो लोग तो मुझे टॉर्चर भी करते थे।" (फिर एक गहरी साँस ले) "बस इसलिए, इसलिए ही अब हर वक़्त मुझे ऐसा लगता है कि कोई मुझे नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा। अब तक न जाने कितनी बार मैंने ऐसे हादसों से डील किया है, बट देयर बैड लक कि मैं बच गया।"

    (ज़ारा की तरफ देखते हुए) "दैट्स व्हाई आई लाइक डार्कनेस डॉल। वेरी लाइक।" वंश ने स्केरी वे में कहा तो ज़ारा ने वंश की आँखों में देखा। वंश की आँखों में ज़ारा को एक अजीब सी डार्कनेस दिखाई दी जिसे देख एक पल के लिए तो ज़ारा की बॉडी में डर की लहर दौड़ गई।

    लेकिन अगले ही पल वंश की बातों को सोचते हुए ज़ारा की आँखें नम हो गईं। ज़ारा ने वंश के कंधे पर हाथ रखा तो वंश मन ही मन मुस्कुरा दिया।

    अभी ज़ारा कुछ कहती, कि तभी वंश बोल पड़ा,
    "मुझे किसी पर विश्वास नहीं है। आई डोंट ट्रस्ट एनीवन।" फिर एक पल चुप होकर - "बट आई ट्रस्ट यू डॉल।"

    ज़ारा का हाथ कंधे से हटाकर अपने हाथ में लेते हुए वंश बोला,
    "तुम तो मुझे छोड़कर नहीं जाओगी ना डॉल? बोलो ना डॉल।" बोलते हुए वंश ज़ारा की तरफ देखने लगा।

    वहीं वंश की बातें सुन ज़ारा हैरान रह गई। वह वंश को एकटक देखने लगी और सोचती है कि वंश उस पर इतना विश्वास करता है। पर ज़ारा इस बात से बेखबर थी कि ये सब बस वंश की एक चाल है जिसमें ज़ारा फँसती ही जा रही थी।

    ज़ारा वंश के हाथ पर अपना दूसरा हाथ रखते हुए बोली,
    "हाँ वंश, मैं यहीं हूँ। मैं कहीं नहीं जाऊँगी। और यहाँ तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा। इसलिए तुम्हें इतना परेशान और इनसिक्योर होने की ज़रूरत नहीं है। हम्म।"

    "और पहले जो भी हुआ उसे भूल जाओ, अब बस कुछ दिनों में तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे। सो डोंट वरी।"

    ज़ारा ने कहा तो वंश ने अपना सिर हल्का सा हिला दिया। तभी वंश मन ही मन बोला,
    "ओह डॉल, तुम सच में कितनी इनोसेंट हो। तुमने कितनी जल्दी बिना सोचे समझे मुझ पर मेरी बनाई हर कहानी पर विश्वास कर लिया, पर ऐसा करके तुम सिर्फ़ मेरी कैद की तरफ़ ही अपने क़दम बढ़ा रही हो।" बोलते हुए वंश ख़तरनाक तरीके से मुस्कुरा दिया।

    वहीं ज़ारा को पता ही नहीं था कि वंश ये सब उसकी सिम्पैथी और अटेंशन पाने के लिए कर रहा है और उसे ज़ारा का अटेंशन और सिम्पैथी दोनों ही मिल भी रही थी।

    वंश अब बाहर देख रहा था और ज़ारा वंश को ही एकटक देख रही थी। लेकिन वंश को पता था कि ज़ारा की नज़रें उसी पर हैं।

    ज़ारा वंश से अट्रैक्टेड थी। आखिर वंश था भी बेहद हैंडसम। वंश के फ़ेशियल फ़ीचर्स काफी कमाल थे। गोरा रंग, लंबी हाइट, ब्लैक आइज़ से वंश की पर्सनैलिटी इतनी अट्रैक्टिव थी कि कोई भी लड़की उस पर फ़िदा हो जाए, लेकिन सिर्फ़ तब जब उन्हें वंश के डिज़ऑर्डर के बारे में पता ना हो।

    वहीं ज़ारा भी वंश की तरफ़ अपने अट्रैक्शन को जानती थी। लेकिन कहीं ना कहीं ये सिर्फ़ अट्रैक्शन नहीं, बल्कि अट्रैक्शन से कुछ ज़्यादा था। और अपने इन एहसासों से ज़ारा अभी अनजान थी।

    ज़ारा वंश को देख रही थी, तभी वंश ज़ारा की तरफ़ मुड़ा और उसके कान के पास जाकर बोला,
    "व्हाई आर यू स्टेरिंग मी डॉल? आखिर इरादा क्या है?" वंश अपनी एक भौंह उठाते हुए बोला।

    वहीं ज़ारा वंश की बात सुन झेंप गई। उसके गाल हल्के रेड हो गए थे।

    "वो...वो तो बस ऐसे ही। मैं तुम्हें नहीं देख रही थी। मैं अभी आती हूँ।" बोलकर ज़ारा जल्दी से वॉशरूम में चली गई।

    वहीं ज़ारा के जाते ही वंश एक नज़र अपने हाथ को देखता है और फिर अपनी शर्ट को अजीब तरीके से स्निफ़ करने लगता है। उसे अपने हाथ और शर्ट में ज़ारा की खुशबू आ रही थी।

    वंश शर्ट स्निफ़ करते हुए ही बोला,
    "तुम्हारी ये खुशबू मुझे बेकाबू कर रही है डॉल।"

    वहीं दूसरी तरफ वॉशरूम में ज़ारा अपना फेस वॉश करती है और आईने में अपना चेहरा देखते हुए बोली,
    "व्हाट द हेल? तु पागल हो गई है क्या ज़ारा? तू ऐसा कैसे कर सकती है? वंश तेरा पेशेंट है और तू उसे... ओह गॉड।" कहते हुए ज़ारा अपने चीक्स को टच करती है जो अभी भी हल्के ब्लश कर रहे थे।

    "मैं भी क्या करूँ? वंश इज़ सो हैंडसम एंड अट्रैक्टिव। उफ़्फ़।" कहते हुए ज़ारा वॉशरूम से बाहर निकल जाती है।

    ज़ारा जब कॉरिडोर में आती है तो सामने का नज़ारा देख ज़ारा की आँखें शॉक से बड़ी हो जाती हैं।

  • 14. Psychopath lover - Chapter 14

    Words: 2445

    Estimated Reading Time: 15 min

    ज़ारा जैसे ही कॉरिडोर में पहुँची, उसकी आँखें शॉक से बड़ी हो गईं।

    सामने मिसेज़ मेहरा खड़ी थीं, जिनके हाथ और सिर पर पट्टी बंधी हुई थी। उन्हें एक वार्ड ब्वॉय पकड़े हुए था। ज़ारा भागते हुए मिसेज़ मेहरा के पास गई और उनकी चोट को देखते हुए घबराई आवाज़ में बोली-

    "मैम! ये क्या हुआ आपको? कैसे हुआ? आपको इतनी चोट कैसे आई?"

    ज़ारा काफी परेशान लग रही थी। उसने मिसेज़ मेहरा को चेयर पर बिठाया और पानी का ग्लास देते हुए बोली-

    "लीजिए मैम, आप पहले पानी पीजिए और फिर बताइए ये सब कैसे हुआ?"

    तभी मिसेज़ मेहरा ने वार्ड ब्वॉय को जाने का इशारा किया और ज़ारा को रोकते हुए बोली-

    "ज़ारा, रिलैक्स। तुम्हें इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। बस हॉस्पिटल आते वक़्त किसी गाड़ी ने टक्कर मार दी थी। उसी में ये चोट..."

    मिसेज़ मेहरा की नज़र सामने से आते हुए वंश पर गई।

    वंश को देखकर मिसेज़ मेहरा ने कसकर अपने हाथ की मुट्ठी भींच ली। वहीं वंश ने यह देख मिसेज़ मेहरा को एक ईविल स्माइल दिया।

    वंश उनके पास आया और अपनी आँखें बड़ी करते हुए, फ़िक्र करने की एक्टिंग करते हुए बोला-

    "ओ शिट! मिसेज़ मेहरा। ये क्या हुआ आपको? आपको तो काफ़ी चोट आई है। पर ये सब हुआ कैसे?"

    "क्या किसी ने एक्सीडेंट कर दिया क्या?" वंश ने टेढ़ी नज़रों से मिसेज़ मेहरा की तरफ़ देखा।

    यह सुन मिसेज़ मेहरा ने अपनी मुट्ठी और भी कसकर भींच ली। तभी ज़ारा बोल पड़ी-

    "हाँ। वो मैम को किसी गाड़ी ने टक्कर मार दी। पता नहीं कैसे-कैसे गाड़ी चलाते हैं लोग।"

    "यू आर राइट, डॉल। आजकल किसी का कोई भरोसा नहीं, कब क्या हो जाए? कब, किसको किस बात पर गुस्सा आ जाए, और कब इसकी कीमत हमें अपनी जान देकर चुकानी पड़े, कैन्ट से।" वंश ने अपनी सर्द नज़रों से मिसेज़ मेहरा को देखते हुए कहा।

    "इसलिए मिसेज़ मेहरा, बीच में टांग नहीं अड़ाना चाहिए।" वंश गुस्से से बोला। वहीं मिसेज़ मेहरा को समझ आ गया था कि यह एक्सीडेंट वंश ने ही किया था और वो भी इसलिए क्योंकि कल उन्होंने वंश और ज़ारा को डिस्टर्ब कर दिया था।

    लेकिन वंश की बातें ज़ारा नहीं समझ पाई, तो उसने कन्फ़्यूज़न से वंश की तरफ़ देखते हुए कहा-

    "क्या? व्हाट यू मीन?"

    "आई मीन टू से, डॉल, कि मिसेज़ मेहरा शायद रोड के बीच में चल रही होंगी, इसलिए उनको टक्कर लग गई। मिसेज़ मेहरा, आपको संभलकर रोड क्रॉस करना चाहिए।"

    "टुडे योर गुड लक वाज़ कि आप बच गईं। हमेशा ऐसा हो, ये ज़रूरी तो नहीं।" बोल वंश ने अपनी गुस्से भरी नज़रें मिसेज़ मेहरा पर डाली। उसकी आँखों में मिसेज़ मेहरा के लिए वॉर्निंग थी।

    तभी अचानक ज़ारा का हाथ मिसेज़ मेहरा के हाथ से लगा, जिससे मिसेज़ मेहरा को एक तेज दर्द का एहसास हुआ। वहीं मिसेज़ मेहरा को ऐसे देख ज़ारा की आँखें नम हो गईं। उसकी आँखों से एक-दो बूँद आँसू उसके गालों पर लुढ़क गए।

    वंश की नज़र जैसे ही ज़ारा के आँसुओं पर गई, उसने गुस्से से अपने दाँत भींच लिए। उसने अपनी गर्दन दाएँ-बाएँ झटकाई और अपनी आइब्रो को रब करते हुए धीरे से गुस्से में बोला-

    "गलती कर रही हो, डॉल, जो किसी और के लिए अपने आँसू बहा रही हो।...आई कांट टॉलरेट दिस। तुम मेरी डॉल हो, तो किसी और की फ़िक्र कैसे कर सकती हो, किसी और के लिए आँसू कैसे बहा सकती हो?"

    "बहुत शौक है ना, डॉल, तुम्हें अपने ये बुलशिट आँसू किसी और के लिए बहाने का, अब तुम मेरी वजह से आँसू बहाओगी।...नाउ आई शो यू व्हाट्स द पेन एंड हाउ टू फील।" कह वंश खतरनाक तरीके से मुस्कुराने लगा।

    तभी ज़ारा के पास कॉल आया। तो मिसेज़ मेहरा उसे वहाँ से जाने के लिए कहती हैं। ज़ारा के जाने के बाद मिसेज़ मेहरा भी वहाँ से जाने लगती हैं, तभी वंश उनका रास्ता रोक लेता है। वो उन्हें कुछ पल घूरता है और फिर मिसेज़ मेहरा के चारों तरफ़ गोल-गोल चक्कर लगाते हुए वॉर्न करने वाली टोन में बोलता है-

    "आई विश अब आपको समझ आ गया होगा, मिसेज़ मेहरा, कि मैं क्या कर सकता हूँ।"

    फिर एक ईविल स्माइल के साथ- "आप ही ने मेरी डॉल को ये सिखाया है ना कि कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए...तो उस पर खुद भी अमल कीजिए, डॉ मेहरा। आज आप बच गईं क्योंकि मैंने चाहा, अगली बार अगर आप मेरे और मेरी डॉल के बीच में आईं, तो मैं अपना काम अधूरा नहीं छोड़ूँगा।...अगली बार मेरा निशाना नहीं चुकेगा। सो बी केयरफुल, डॉ मेहरा।" वंश की बात सुन डॉ मेहरा ने अपना दाँत भींच लिए। लेकिन वो कुछ कह नहीं सकती थी, इसलिए अपने गुस्से का घूँट पीकर रह गईं।

    तभी वंश आगे बोला-

    "ये तो सिर्फ़ एक ट्रेलर था, अगर अब आप मेरी डॉल के आस-पास नज़र आईं, तो आप उसके बाद का सूरज नहीं देखेंगी।..." फिर थोड़ा हैरान होने का नाटक करते हुए- "आपके तो बच्चे भी हैं, फिर आपके बिना आपके बच्चों का क्या होगा? वो तो अनाथ हो जाएँगे।" कहते हुए वंश ने डॉ मेहरा को एक स्केरी लुक दिया और वहाँ से चला गया। वहीं डॉ मेहरा अपने बच्चों का सोच और वंश की धमकी सुन सहम गईं।


    थोड़ी देर बाद-

    वंश ज़ारा के पास आया जहाँ ज़ारा हॉस्पिटल के रूम में बैठी हुई थी। ज़ारा अभी फ्री थी, तो वो सोफे पर बैठी बुक पढ़ रही थी। वंश ज़ारा के पास आया और उसके हाथ से बुक लेकर टेबल पर रखा और उसकी तरफ़ एक ग्लास बढ़ाते हुए बोला-

    "मेरा ध्यान रखते-रखते थक गई होगी, डॉल। इसलिए बुक छोड़ो और ये ग्लास पकड़ो।"

    वंश की बात सुन ज़ारा ने एक नज़र उसके हाथ में पकड़े ग्लास पर डाली और फिर वंश की तरफ़ देखते हुए मासूमियत से बोली-

    "नहीं वंश, मैं बिल्कुल नहीं थकी हूँ। तुम परेशान मत हो। और वैसे भी तुम मुझे अपना ध्यान रखने कहाँ देते हो? बल्कि हर वक़्त तो तुम मेरा ध्यान रखते हो।...थोड़ी देर पहले भी तुमने मुझे रेस्ट करने को कहा और अब ये जूस।"

    तभी वंश ज़ारा के फ़ेस को गौर से देखते हुए बोला-

    "डॉल, मैं ये सब तुम्हारे लिए नहीं, अपने लिए कर रहा हूँ। मेरा ध्यान रखने के लिए ही तो तुम्हें अपना ध्यान रखने की ज़रूरत है।"

    यह सुन ज़ारा ने नासमझी से वंश की तरफ़ देखा, तो वंश अपने एक्सप्रेशन नॉर्मल करते हुए बोला-

    "मेरा मतलब है कि अगर तुम एनर्जेटिक रहोगी, तब ही तो मुझ पर ध्यान दे पाओगी, मुझे ठीक कर पाओगी।...और अभी मुझे तुम्हारे चेहरे पर थकावट दिख रही है, सो मैं कुछ नहीं जानता। तुम बस जूस पी रही हो।"

    "टेक एंड ड्रिंक दिस।" बोल वंश ने ज़ारा को जूस का ग्लास पकड़ा दिया।

    ज़ारा एक स्माइल के साथ जूस का ग्लास जैसे ही पकड़ने को हुई, तभी वंश ने तिरछी नज़रों से ज़ारा को देखा और बिना ज़ारा को पता चले ग्लास को हाथ से छोड़ दिया। जिससे पूरा जूस ज़ारा के पैर पर गिर गया।

    "ओ, आई एम सॉरी, डॉल। मेरे हाथ से ग्लास छूट गया। तुम जल्दी से वाशरूम में जाकर क्लीन कर लो।"

    "इट्स ओके, वंश। शायद मैंने ही ठीक से नहीं पकड़ा। मैं साफ़ करके आती हूँ।" बोल ज़ारा वाशरूम में गई।

    वहीं वंश ज़ारा को जाते हुए देख- "अब आएगा मज़ा। लेट्स सी द फ़न एंड एन्जॉय।"

    "बहुत शौक है आँसू बहाने का, अब बहाना, डॉल, तुम्हें जितने आँसू बहाने हैं। क्योंकि मेरी डॉल किसी और के लिए, किसी और की वजह से आँसू बहाए, ये मुझे बर्दाश्त नहीं है।..." कहते हुए वंश की नज़र ज़ारा की डायरेक्शन की तरफ़ ही थी।

    वहीं दूसरी तरफ़ ज़ारा अपने दुपट्टे को पकड़े अपने पैरों को टैप के नीचे करती है और जैसे ही टैप ऑन करती है, एक पल बाद ही ज़ारा की चीखने की आवाज़ आने लगती है।

    वहीं वंश, जो शायद इसी का वेट कर रहा था, उसके फ़ेस पर ज़ारा की चीख सुनके एक विनिंग स्माइल आ जाती है और वो वाशरूम के बाहर खड़ा होकर ज़ारा की चीख सुनने लगता है।

    वाशरूम में ज़ारा जोर-जोर से चिल्ला रही थी क्योंकि टैप से बिल्कुल उबलता हुआ गर्म पानी ज़ारा के पैरों पर गिर रहा था, जिससे ज़ारा के पैर जल रहे थे।...और ज़ारा अपने पैर टैप के नीचे से नहीं हटा पा रही थी क्योंकि ज़ारा के बाल वॉल पर लगे हैंगर में अटक गए थे। और ना ही ज़ारा से वो टैप बंद हो रहा था।

    "आ...आ..." ज़ारा जोर-जोर से चीखते हुए छटपटा रही थी। उससे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसकी आँखों से टप-टप आँसू बह रहे थे।

    "आह! आह! वंश! वंश! प्लीज़ सेव मी! वंश!"

    वहीं वंश तो स्माइल कर रहा था। "तुम्हें ही तो दर्द फील करना था, डॉल, तो देखो मैंने तुम्हारी विश पूरी कर दी।" वंश किसी साइको की तरह हँसते हुए बोला।

    "बस एक मिनट और, डॉल, देन आई विल कम।"

    वहीं ज़ारा रोते हुए छटपटा रही थी। वो एक हाथ से अपने बाल छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और दूसरी ओर अपने पैरों को हिला रही थी।

    "आह! आह!...मेरा पैर! आह! मम्मा! बहुत पेन हो रहा है! प्लीज़! प्लीज़! कोई है! वंश! सेव मी!" बोलते हुए ज़ारा बुरी तरह रोने लगती है।

    तभी "वेट इज़ ओवर।" कहते हुए वंश वाशरूम का डोर खोल अंदर आता है और ज़ारा को देखकर शॉक होने की एक्टिंग करते हुए तेज आवाज़ में ज़ारा का नाम चिल्लाता है।

    "डॉल!"

    "वंश! प्लीज़ टैप बंद करो! जल्दी!" ज़ारा बुरी तरह रोते हुए कहती है। वंश जल्दी से टैप बंद करता है।

    "डॉल, रिलैक्स। मैं आ गया हूँ।" कह ज़ारा के बालों को हैंगर से निकालता है।

    ज़ारा बाल छूटते ही संभल नहीं पाती और लड़खड़ाकर धम्म से फ़र्श पर गिर जाती है और रोने लगती है।

    "डॉल, संभलकर।" वंश ज़ारा के पास घुटनों के बल बैठ जाता है और उसे गले से लगा लेता है।

    ज़ारा वंश को पकड़ कर जोर-जोर से रोने लगती है।

    "वंश! बहुत-बहुत दर्द हो रहा है! प...पता नहीं कैसे नल में से गर्म पानी आने लगा, और ये टैप भी बंद नहीं हो रहा था।...आह! बहुत दर्द हो रहा है!" ज़ारा काफ़ी मासूमियत से वंश से रोते हुए ये सब कह रही थी। लेकिन उसे कहाँ पता था कि जिससे वो अपना दर्द बाँट रही है, उसके हर दर्द की वजह वहीं है।

    "हमने जिससे दर्द बाँटा, असल में वहीं हमारे दर्द की वजह बना।"

    "हमने ज़ख्मों पर मरहम समझा जिसे, असल में वो तो हमारे ज़ख्मों पर नमक निकला।"

    "शशशश डॉल, रिलैक्स। कुछ नहीं होगा।...डोंट क्राई।"

    ज़ारा वंश से अलग होकर उठने की कोशिश करती है, लेकिन दर्द की वजह से वापस ज़मीन पर बैठ जाती है।

    "मैं लेकर चलता हूँ तुम्हें, डॉल।" बोल वंश झुक कर ज़ारा को अपनी गोद में उठा लेता है और वाशरूम से बाहर जाते हुए पीछे मुड़कर एक नज़र गीज़र को देखता है और मन ही मन शैतानी स्माइल कर देता है।

    (वंश ने गीज़र को हाई लेवल पर कर दिया था, जिससे जैसे ही ज़ारा ने नल ऑन किया, उसके पैर पर गर्म पानी गिरने लगा। टैप भी वंश ने ही जाम किया था। और हैंगर के साथ भी ज़ारा ने ही छेड़खानी की थी जिससे ज़ारा के बाल उसमें अटक गए थे।)

    वंश ज़ारा को सोफ़े पर बिठाता है और उसका पैर अपने हाथों में लेते हुए टच करता है। जिससे ज़ारा की दर्द से सिसकी निकल जाती है।

    "वंश," ज़ारा के पैरों को सहलाते हुए- "बहुत दर्द हो रहा है क्या, डॉल?"

    ज़ारा मासूमियत से हाँ में सिर हिला देती है। "इट्स टू मच हर्टिंग।"

    "ये सब मेरी गलती है, डॉल। मैंने ही पहले तुम्हारी आवाज़ नहीं सुनी, अदरवाइज़ मैं पहले ही आ गया होता और तुम्हें इतना दर्द नहीं झेलना पड़ता।"

    ज़ारा दर्द से सिसकते हुए-

    "नहीं वंश, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। इन फैक्ट तुमने तो मुझे बचाया है। अगर तुम सही वक़्त पर नहीं आते, तो मेरे पैर अब तक जल गए होते..."

    "शशश डॉल, कुछ नहीं होता तुम्हें। (फिर मन ही मन) मुझे तो आना ही था, डॉल। आफ्टर ऑल मैं तुम्हें कुछ थोड़े ही होने दे सकता था। अभी तो मैंने एन्जॉय भी नहीं किया है।" मन ही मन डेविल स्माइल के साथ वंश ज़ारा के पैर सहला रहा था।

    "डोंट क्राई। अभी ठीक हो जाएगा।" बोल वंश आस-पास नज़र घुमाकर देखता है और फ़र्स्ट ऐड बॉक्स में से ऑइंटमेंट निकाल ज़ारा के पैरों पर लगाने लगता है।

    वहीं ज़ारा वंश को एकटक देखने लगती है। वो मन ही मन- "वंश, तुम कितने अच्छे हो। हमेशा मेरी हेल्प करते हो, मेरी केयर करते हो। अभी भी मुझे दर्द में देख तुम अपनी गलती बता रहे थे, जबकि तुम्हारी तो कोई गलती भी नहीं थी, तुमने तो मुझे बचाया है।" ज़ारा के मन में वंश के लिए फ़ीलिंग्स आ रही थीं, जिसका ज़ारा को अभी एहसास नहीं था।

    वहीं ज़ारा के पैर रेड हो चुके थे और उसे काफ़ी जलन हो रही थी, जिससे उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।

    वंश ऑइंटमेंट अप्लाई करके ज़ारा के आँसू पोछ देता है और उसके थोड़ा करीब झुक उसके बालों को ठीक करने लगता है। वहीं ज़ारा की नज़र तो अपने पैरों पर थी।

    वंश ज़ारा की स्मेल इनहेल करते हुए- "उफ़्फ़! तुम्हारी स्मेल, डॉल। तुम्हारी स्मेल मुझे अट्रैक्ट कर रही है। और तुम्हारी ये सॉफ़्ट स्किन। उफ़्फ़!"

    "आई वॉन्ट टू टच यू, आई वांना किस यू राइट नाउ, डॉल। कांट वेट।"

    ज़ारा को तिरछी नज़रों से देखते हुए- "अब ऐसे तो तुम मुझे खुद को टच करने नहीं दोगी, तो मुझे कुछ तो करना होगा ना, डॉल।"

    "उम्म...क्या करूँ?...आईडिया।" बोल वंश बॉक्स में से एक पेन किलर निकाल ज़ारा को देते हुए कहता है- "लो, डॉल, इसे खाओ। तुम्हारा पेन ठीक हो जाएगा।"

    ज़ारा पेन किलर खा लेती है। तभी वंश चुपके से अपनी पॉकेट से एक शीशी निकाल उसकी कुछ ड्रॉप अपने रूमाल पर छिड़कता है और ज़ारा के पास जा उसके फ़ेस से पसीना पोछने लगता है। तभी अचानक वंश ज़ारा को वो रूमाल सूँघा देता है, जिसके कुछ पल बाद ही ज़ारा की आँखें बंद हो जाती हैं।

    वंश ज़ारा की बंद पलकों को देख एक अजीब स्माइल करता है और उसे गोद में उठाकर वहीं रखी टेबल पर लिटा देता है और उसे ऊपर से नीचे तक स्कैन करने लगता है।

    डन। क्या पनप रहे हैं ज़ारा के मन में वंश के लिए एहसास?

    क्या ज़ारा को पता चलेगी वंश की असलियत?

    वेट फ़ॉर नेक्स्ट चैप्टर गाइज़...

  • 15. Psychopath lover - Chapter 15

    Words: 1526

    Estimated Reading Time: 10 min

    ज़ारा ने पेनकिलर खा लिया। तभी वंश चुपके से अपनी पॉकेट से एक शीशी निकाली और उसकी कुछ बूँदें अपने रूमाल पर छिड़कीं। फिर वह ज़ारा के पास गया और उसके चेहरे से पसीना पोंछने लगा। अचानक वंश ने ज़ारा को वह रूमाल सूँघा दिया, जिसके कुछ पल बाद ही ज़ारा की आँखें बंद हो गईं।

    वंश ने ज़ारा की बंद पलकों को देखकर एक अजीब सी मुस्कान की और उसे गोद में उठाकर वहीं रखी टेबल पर लिटा दिया। फिर वह उसे ऊपर से नीचे तक स्कैन करने लगा।

    वंश ने ज़ारा को टेबल पर लिटा दिया और सीधा खड़ा हो गया। फिर वह ज़ारा को ऊपर से नीचे तक स्कैन करने लगा। वंश बिना किसी भाव के ज़ारा के पूरे शरीर को निहार रहा था। वंश ज़ारा को देखते हुए बोला-

    "अब लगभग दो घंटे तक तुम ऐसे ही गहरी नींद में रहने वाली हो, doll. And इतनी देर मैं तुम्हें जैसे चाहूँ वैसे टच कर सकता हूँ... और जब तुम जागोगी तब तुम्हें कुछ याद नहीं होगा।" बोलते हुए वंश एक एविल स्माइल कर दिया।

    तभी वंश ज़ारा के ऊपर झुका और उसके करीब होकर उसके गाल पर अपनी उंगलियाँ फेरने लगा। वंश के हाथ ज़ारा के माथे से नाक, गाल पर होते हुए उसके गले तक हरकत कर रहे थे।

    वंश ने ज़ारा के गालों को अपने अंगूठे से सहलाया और झुककर ज़ारा की नाक पर किस कर लिया। वंश ने पहले ज़ारा की नाक पर किस किया, फिर उसके गाल पर किस करके ज़ारा के गालों को अपनी जीभ से चाटने लगा। इस वक्त वंश ज़ारा पर पूरी तरह झुका हुआ था और पागलों की तरह ज़ारा के गालों को चाट रहा था।

    वंश ने अब ज़ारा के होठों की तरफ देखा और उसके होठों को अपने अंगूठे से रगड़ने लगा।

    होठों को रगड़ते हुए ही फिर वंश ज़ारा के गले पर आया और उसकी बाजू पर अपनी उंगलियाँ चलाते हुए ज़ारा की गर्दन में अपना चेहरा छुपाकर उसकी गर्दन की खुशबू लेने लगा।

    इस वक्त वंश बिल्कुल किसी साइको की तरह लग रहा था। वह ज़ारा की गर्दन को ऐसे सूँघ रहा था जैसे उसकी खुशबू को हमेशा के लिए खुद में समा लेगा।

    वंश ने ज़ारा के ईयरलोब पर किस किया और फिर ज़ारा की गर्दन को चूमने लगा। वंश काफी पैशनेट होकर ज़ारा की गर्दन को चूम रहा था। किस करते हुए ही वंश ने ज़ारा को देखा और एक डार्क स्माइल करते हुए बोला-

    "तुम पछताने वाली हो, doll. बहुत बुरा पछताने वाली हो cause your body fragrance is attracting me badly.

    Doll कहाँ फँस गई तुम... Tch. Tch. Tch." बोलते हुए वंश ने एक एविल स्माइल किया और वापस ज़ारा की गर्दन को किस करने लगा।

    किस करते हुए ही अचानक वंश ने ज़ारा की गर्दन पर काट लिया। वहीं ज़ारा को तो कोई होश ही नहीं था। वह तो बिल्कुल बेसुध होकर वंश के नीचे लेटी हुई थी। ज़ारा की गर्दन पर काट के निशान बन गए थे।

    वहीं वंश ने ज़ारा की गर्दन को काटा और फिर उसी जगह किस कर लिया। और काट के निशान को अपने अंगूठे से सेन्स्यूअली सहलाने लगा। किस करते हुए वंश ज़ारा की गर्दन को चाटने लगा। वह ज़ारा की गर्दन को अपनी गर्म जीभ से सहला रहा था।

    किस करते हुए ही वंश अब नीचे आया और ज़ारा के दुपट्टे को थोड़ा हटाते हुए उसके कोलरबोन पर किस करने लगा।

    वंश ने ज़ारा के कोलरबोन पर काट लिया। काटने से ज़ारा की गर्दन पर लाल निशान बन गए थे। तभी वंश ने ज़ारा के होठों को देखा और कुछ सोचते हुए बोला-

    "इसमें अभी थोड़ा वक्त है, doll. इससे पहले तुम्हें तड़पना होगा, after all तभी तो तुम मेरा अच्छे से एंटरटेनमेंट कर पाओगी, doll." बोल वंश पागलों की तरह हँसने लगा और ज़ारा को कसकर पकड़कर उसके बगल में लेट गया और उसके बालों में अपना चेहरा छुपाकर उसे अजीब तरीके से सूँघने लगा।

    लगभग दो घंटे बाद-

    ज़ारा की पलकें फड़फड़ाने लगीं। और कसमसाते हुए ज़ारा ने अपनी आँखें खोलीं।

    "आउच, मेरा सिर!" आह। करहाते हुए ज़ारा ने अपने सिर पर हाथ रख लिया। और अपनी आँखों को ठीक से खोलने लगी। क्योंकि खिड़की से आती हुई रोशनी सीधा ज़ारा की आँखों पर पड़ रही थी जिससे ज़ारा अपनी आँखें नहीं खोल पा रही थी।

    ज़ारा जैसे ही आँखें खोलीं और सामने देखा तो वंश वहीं चेयर पर बैठा हुआ अपने फ़ोन में कुछ कर रहा था। वहीं ज़ारा सोफ़े पर बैठी हुई थी और उसका सर पीछे सोफ़े के आर्मरेस्ट पर टिका हुआ था।

    वंश ने ज़ारा को देखते हुए खड़ा हुआ और अपनी फ़ोन को पॉकेट में डालकर ज़ारा के सामने खड़े होते हुए फ़िक्र भरी आवाज़ में बोला-

    "Doll. What happened? Are you ok?"

    "मेरा सिर। आउच! मेरे सिर में इतना दर्द क्यों हो रहा है? ऐसे लग रहा है जैसे मैंने किसी चीज़ का नशा किया हो... जैसे भांग के नशे से जागी हूँ।" ज़ारा अपने सिर को पकड़ते हुए कहती है।

    वहीं ज़ारा की बात सुनकर वंश मन ही मन सोचा-"Of course तुम ऐसा कह सकती हो, doll. क्योंकि तुम्हें जो पेनकिलर मैंने खिलाई थी वो एक तरह से स्लीपिंग पिल्स थी। और उस पर तुम्हें जो ड्रग दिया गया था उससे तुम्हें तब से लेकर अब तक का कुछ भी याद नहीं है। और ये हेडेक भी उसी ड्रग की वजह से है।"

    फिर एक एविल स्माइल के साथ-"But you don't worry. मैं हूँ ना तुम्हें सब कुछ याद दिलाने के लिए।" खुद से कहते हुए वंश ने ज़ारा को देखा जो अभी भी अपना सिर पकड़ कर बैठी हुई थी।

    तभी वंश ज़ारा से बोला-"Doll तुमने पेनकिलर खाई थी, शायद उसी का साइडइफेक्ट है। इसलिए तुम्हें हेडेक हो रहा है... In fact उसी पेनकिलर के असर की वजह से तुम अब तक सो रही थी।"

    जैसे ही ज़ारा ने यह सुना कि वह सो रही थी, उसकी आँखें बड़ी हो गईं और उसने अपना सिर उठाकर हैरानी से वंश को देखते हुए बोला-

    "क्या? क्या कह रहे हो ये तुम वंश? मैं सो रही थी।" वंश ने हाँ में सिर हिलाया तो ज़ारा ने पपी आइज़ से वंश को देखते हुए बोला-

    "और कब से?"

    वंश बिना किसी भाव के-"पिछले दो घंटे से।"

    "What? क्या कहा तुमने? दो घंटे। You mean कि मैं पिछले दो घंटे से सो रही थी और वो भी ड्यूटी के टाइम।"

    फिर नाखून चबाते हुए-"वाह बेटा ज़ारा! वाह! मतलब तू अपने ड्यूटी टाइम में अपने पेशेंट को ट्रीट करने के बजाय, उसका ध्यान रखने के बजाय आराम फरमा रही थी, मस्त अपनी नींद पूरी कर रही थी... सुपरब ज़ारा बिरला, सुपरब।" कहते हुए ज़ारा वंश को देखती है जो उसे ही देख रहा था।

    वंश ने ज़ारा की बात सुन ली थी और यह सब बोलते हुए ज़ारा काफी मासूम लग रही थी। अगर वंश की जगह इस वक्त कोई और यहाँ होता तो ज़ारा की मासूमियत पर अपना दिल हार बैठता। पर यहाँ वंश था जो ज़ारा की इसी मासूमियत पर अट्रैक्ट था, लेकिन वंश का यह अट्रैक्शन ज़ारा के लिए बहुत भयानक साबित होने वाला था क्योंकि वंश का अट्रैक्शन सॉफ्ट और प्योर ना होकर एक ऐसा ऑब्सेशन था जिसमें वंश ज़ारा को तोड़ने के लिए अपनी हदें पार करने वाला था, उसकी मासूमियत को कुचलने वाला था।

    वंश ज़ारा को देख रहा था और उसकी इनोसेंस उसे और भी पागल बना रही थी। वह ज़ारा को बस जल्दी से जल्दी खुद के पास कैद करना चाहता था। वहीं ज़ारा वंश को देखते हुए मासूम सी शक्ल बनाकर बोली-

    "मतलब आज मैं फिर ड्यूटी के टाइम सो गई।" "O god! अगर Ma'am को इस बारे में पता चला कि मैं तुम्हें ट्रीट करने के बजाय यहाँ इतनी गहरी नींद सो रही हूँ तो Ma'am तो मुझे नहीं छोड़ने वाली। तब तो मैं पक्का गई।"

    वहीं वंश को ज़ारा की यह बात सुनकर काफी गुस्सा आ रहा था। उसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि उसकी doll उसके अलावा किसी और के बारे में सोच रही है, किसी और से डर रही है।

    उसने गुस्से से अपनी आँखें बंद की और खुद को शांत रखते हुए बोला-"Doll तुम्हें किसी से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। कोई तुम्हें कुछ नहीं कहेगा।"

    फिर मन ही मन सोचा-"Except me. सिवाय मेरे तुम्हें किसी से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। But you should definitely afraid of me. Cause तुम मेरे पास पूरी दुनिया की प्रॉब्लम से सेफ हो, बस मेरे अलावा। तुम्हें मुझसे कोई नहीं बचा सकता।" कहते हुए वंश के दिमाग में बहुत खतरनाक कुछ चल रहा था।

    वहीं वंश की बात सुन ज़ारा रिलैक्स हो गई। तभी ज़ारा की नज़र दरवाजे पर गई तो वह एकटक दरवाजे की तरफ देखने लगी।


    तो क्या देखा होगा ज़ारा ने दरवाजे पर?

    आखिर क्या चल रहा है वंश के दिमाग में?

    क्या कभी वंश का यह डिज़ऑर्डर खत्म होगा?

    जानने के लिए पढ़िए "Psychopath lover"

  • 16. Psychopath lover - Chapter 16

    Words: 2111

    Estimated Reading Time: 13 min

    वंश को ज़ारा की बात सुनकर बहुत गुस्सा आया। उसे बिलकुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि उसकी doll उसके अलावा किसी और के बारे में सोच रही है, किसी और से डर रही है।

    "Doll तुम्हें किसी से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। कोई तुम्हें कुछ नहीं कहेगा।" उसने गुस्से से अपनी आँखें बंद की और खुद को शांत रखते हुए कहा।

    "Except me. सिवाय मेरे तुम्हें किसी से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। But you should definitely be afraid of me. Cause तुम मेरे पास पूरी दुनिया की problem से safe हो, बस मेरे अलावा। तुम्हें मुझसे कोई नहीं बचा सकता।" कहते हुए वंश के दिमाग में बहुत खतरनाक कुछ चल रहा था।

    ज़ारा वंश की बात सुनकर relax हो गई। तभी ज़ारा की नज़र दरवाजे पर गई और वह एकटक दरवाजे की तरफ देखने लगी।

    ज़ारा वंश की बात सुनकर relax हो गई थी और उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई थी। तभी ज़ारा को एक आवाज़ सुनाई दी, जिसे सुनकर ज़ारा की नज़र दरवाजे पर चली गई।

    "वंश"

    वह आवाज़ सुनकर वंश ने भी पीछे मुड़कर दरवाजे पर देखा तो नीले रंग की साड़ी, कानों में earrings और एक हाथ में watch पहने, दरवाजे पर हाथ बांधे एक औरत खड़ी थी जो काफी elegant और confident लग रही थी। उसकी personality से ही पता चल रहा था कि वह काफी strong personality की होगी। वह औरत कोई और नहीं, बल्कि वंश की mom थी।

    अपनी mom को देखकर वंश ने कोई reaction नहीं दिया, वहीं ज़ारा अपनी confusing नज़रों से दरवाजे की तरफ देख रही थी। वह कभी वंश को देखती तो कभी अनिका (वंश की mom) को।

    तभी अनिका अंदर आ गई और आकर ज़ारा के सामने खड़ी हो गई। "Hello Dr. ज़ारा," कहते हुए अनिका ने ज़ारा के सामने हाथ बढ़ाया। ज़ारा ने भी हल्का मुस्कुराते हुए अनिका से हाथ मिला लिया। लेकिन उसके चेहरे पर confusion अभी भी था।

    "Hello. Umm how do you know me?" ज़ारा ने थोड़ा awkwardly मुस्कुराते हुए पूछा।

    अनिका अभी कुछ कहती, कि तभी-

    "Mom आप यहाँ? आप यहाँ हॉस्पिटल में क्या कर रही हैं?" वंश ने चेयर पर बैठे हुए अपना फोन scroll करते हुए अपनी mom से पूछा।

    वंश का सवाल सुनकर अनिका ने ज़ारा से अपनी नज़रें हटाईं और वंश को देखते हुए बोली-

    "क्यों मैं यहाँ नहीं आ सकती?"

    "अब मैंने ऐसा तो नहीं कहा mom. Of course आप यहाँ आ सकती हैं।" वंश ने अब अपनी नज़रें फोन से हटाकर अपनी mom को देखते हुए कहा।

    वहीं अब अनिका ने कुछ नहीं कहा और ज़ारा की तरफ देखने लगी। जो कि वंश के मुँह से 'mom' सुनकर थोड़ी हैरान थी।

    "What happened miss ज़ारा?" अनिका ने ज़ारा को अपनी तरफ हैरानी से देखते हुए पूछा।

    "No nothing." ज़ारा जल्दी से अपने senses में आते हुए बोली।

    "Ok. By the way, I am अनिका रा…"

    "My mom." अनिका अभी कुछ कहती कि वंश जल्दी से बीच में बोल पड़ा। वहीं वंश को ऐसे बोलते देख ज़ारा और अनिका दोनों ही वंश को देखने लगे। तभी वंश ने अनिका की तरफ अपनी आँख blink कर दी, जिसे देख अनिका को समझ आ गया कि वंश ने ज़ारा को अभी तक अपनी real identity नहीं बताई है।

    "Meet my mom, doll." वंश ने ज़ारा से कहा तो ज़ारा ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया।

    कहीं ना कहीं ज़ारा अनिका के इतने confident nature को देखकर impressed थी। ज़ारा को अनिका को देखकर हैरानी इसलिए नहीं हुई कि वह वंश की mom है, बल्कि इसलिए क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वंश की mom इतनी attractive और confident होंगी।

    ज़ारा मन ही मन सोचने लगी, "ये वंश की mom तो काफी young हैं। इन्हें देख कोई नहीं कह सकता कि ये वंश की mom होंगी… और तो और ये तो बिलकुल किसी business woman की तरह लग रही हैं। वैसा ही attitude।"

    फिर आँखें roll करते हुए, "हो भी सकता है। आखिर वंश के behavior और उसकी बातों से तो यही लगता है कि वंश का business काफी बड़ा है… खैर तुझे क्या। कुछ भी हो ज़ारा।" बोल ज़ारा अपनी आँखें टिमटिमा देती है, जिससे ज़ारा काफी मासूम लग रही थी।

    वहीं अनिका और वंश ज़ारा को ही देख रहे थे और ज़ारा अपने ही ख्यालों में गुम थी। अनिका को अब अच्छे से समझ आ गया था कि आखिर क्यों ज़ारा पहली ही नज़र में वंश का obsession बन गई थी। वहीं वंश अपनी mom को ज़ारा की तरफ देखता पाकर टेढ़ा मुस्कुरा देता है।

    तभी ज़ारा फिर पूछती है, "आपने बताया नहीं आप मुझे कैसे पहचानती हैं?"

    "Mom को मैंने बताया तुम्हारे बारे में, doll." वंश ज़ारा को देखते हुए बोला।

    "Oh." ज़ारा ने सिर्फ़ इतना ही कहा, पर मन ही मन उसे काफी खुशी हो रही थी कि वंश ने उसका ज़िक्र अपनी mom के सामने किया।

    तभी अनिका, "तो फिर Dr. ज़ारा। कैसा चल रहा है treatment? Any improvement?"

    "Yes. मैंने वंश की reports देखी हैं और उसे अच्छे से observe किया है, वंश को कोई mental problem नहीं है। उसे सिर्फ़ stress है and I am sure वो जल्दी ही recover हो जाएगा।" ज़ारा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। वहीं अनिका ज़ारा को देखने लगी।

    "Yes mom, doll मेरा काफी ख्याल रखती है।" वंश बोला।

    "तुम सच में काफी innocent हो ज़ारा। वंश ने तुमसे कहा और तुमने उसे सच भी मान लिया।" अनिका अपना सिर हिला देती है।

    तभी ज़ारा "मैं आती हूँ" कहकर बाहर चली जाती है। वहीं ज़ारा के जाते ही अनिका गहरी साँस लेकर-

    "वंश, ज़ारा सच में बहुत innocent है। तुम please इसके साथ कुछ गलत…"

    "ज़ारा नहीं mom. Doll. She is my doll." वंश ने सर्द लहजे में कहा तो अब अनिका ने आगे कुछ नहीं कहा। क्योंकि वह जानती थी उसका कुछ भी ऐसा वैसा कहना वंश को सिर्फ़ गुस्सा दिलाएगा।

    अनिका ने अब एक गहरी साँस ली और-

    "तो क्या सोचा है? कब लाने का इरादा है उसे अपने पास?"

    "अभी कुछ वक़्त और mom। मुझे इस game में काफी मज़ा आ रहा है so I want to play this game for some time. And मुझे अभी doll को trap करना है, उसे खुद पर विश्वास दिलाना है। वो जब मुझ पर पूरी तरह से trust करने लगेगी तभी तो मेरी कैद में आएगी। And then she will be only mine. मैं उसे पूरी दुनिया की नज़रों से दूर अपने पास कैद करके रखूँगा। अपनी doll बनाकर।" बोलते हुए वंश शैतानी मुस्कान कर देता है। जिसे सुन अब अनिका गहरी साँस लेकर कहती है।

    "Ok do as you wish. जैसा तुम्हारा मन करे। क्योंकि मेरे लिए मेरे बेटे से बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं है।" बोल अनिका भी वहाँ से चली जाती है।

    अनिका चलते हुए ही अपने मन में सोचती है, "I am sorry ज़ारा। तुम सच में बहुत innocent हो और मैं सच में नहीं चाहती कि तुम्हारी ये purity, ये innocence बर्बाद हो, पर मैं चाहकर भी तुम्हारी help नहीं कर सकती क्योंकि इस पूरी दुनिया में मुझे अपना बेटा सबसे प्यारा है… और तुम्हारी कोई गलती नहीं है सिवाय इसके कि तुम बहुत मासूम हो… ये तुम्हारी बदकिस्मती है कि तुम वंश की नज़र में आ गई और उसका obsession, उसका addiction बन गई… लेकिन मैं pray करूँगी कि काश वंश तुम्हें ज़्यादा नुकसान ना पहुँचाए… वो ना करे जो उसने बाकियों के साथ किया है।"

    अनिका सोचते हुए ही हॉस्पिटल से बाहर आती है और अपनी car में बैठकर वहाँ से निकल जाती है।

    वहीं दूसरी तरफ ज़ारा अपने cabin में आती है तो वंश पहले से ही वहाँ बैठा हुआ था।

    ज़ारा वंश को देखते हुए, "तुम्हारी mom चली गई क्या?"

    "हाँ।" वंश बिना किसी भाव के बोला।

    यह सुनकर ज़ारा का चेहरा लटक गया। "Oh. शायद मैं late हो गई।"

    वहीं वंश ने ज़ारा का लटका हुआ चेहरा देखा तो उसने ज़ारा से पूछा-

    "क्यों तुम्हें कोई काम था क्या mom से?"

    "हाँ, वो मुझे उनसे बात करनी थी।"

    "बात करनी थी? लेकिन तुम्हें mom से क्या बात करनी थी?" वंश बोला तो ज़ारा थोड़ा सकपका गई।

    "आ… कुछ नहीं बस ऐसे ही। तुम्हारी mom मुझे काफी strong और confident लगी तो बस थोड़े tips लेने थे…" ज़ारा ने खुद को normal रखते हुए जवाब दिया।

    फिर मन ही मन, "Are you mad zara. अभी अगर तुम कुछ भी उल्टा सीधा बोल देती और वंश को पता चल जाता कि मैं उसके बारे में जानना चाहती थी तो पता नहीं वंश कैसे react करता। But thank god बच गई।" बोल ज़ारा ने एक गहरी साँस ली।

    ज़ारा ने ये सब normally खुद से कहा था, लेकिन उसे एक बार भी इस बात का एहसास नहीं हुआ कि आखिर क्यों वह वंश के बारे में और जानना चाहती थी।

    वहीं वंश के होठों पर एक winning smile थी, जैसे कि उसे पता हो कि ज़ारा के मन में क्या चल रहा था। तभी वंश ज़ारा को देखते हुए बोला-

    "कोई बात नहीं doll, तुम्हारा mom से मिलना होता ही रहेगा। तो जब next time उनसे मिलो तब सीख लेना।" (फिर मन ही मन) "वैसे तुम्हें इन सब की ज़रूरत ही नहीं पड़ने वाली है doll, क्योंकि तुम्हें सिखाने के लिए मैं हूँ ना। मैं तुम्हें सब कुछ अपने हिसाब से सिखाऊँगा। और वो सब कुछ तुम्हें सीखना भी होगा।"

    ज़ारा ने वंश की बात सुनकर उसे देखा और बोली, "क्या मतलब? मैं समझी नहीं। मैं कहाँ मिलूँगी तुम्हारी mom से?"

    यह सुन वंश के चेहरे पर टेढ़ी मुस्कान आ गई, लेकिन अगले ही पल वंश अपने expression को normal करते हुए बोला-

    "तुम्हें कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है, यहीं हॉस्पिटल में मिल सकती हो तुम उनसे।"

    यह सुन ज़ारा ने वंश को नासमझी से देखा-

    "कैसे? तुम्हारी mom बार-बार हॉस्पिटल क्यों आएंगी?"

    "क्योंकि mom इस हॉस्पिटल की head director हैं।" वंश ने जैसे ही यह कहा तो ज़ारा सदमे से वंश को देखने लगी।

    "क्या? तुम सच कह रहे हो?… तुम्हारी mom इस हॉस्पिटल की head director है? It's mean…"

    "It's mean doll कि यह हॉस्पिटल मेरा ही है।" वंश ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा। वहीं ज़ारा तो बिलकुल हैरान थी यह सुनकर। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह हॉस्पिटल खुद वंश का होगा। तभी ज़ारा के दिमाग में कुछ आया और उसने वंश को देखते हुए पूछा-

    "वंश, अगर यह हॉस्पिटल तुम्हारा खुद का है तो फिर तुम direct यहीं treatment करवाने क्यों नहीं आए? किसी दूसरे हॉस्पिटल में क्यों गए?"

    "क्योंकि यह हॉस्पिटल अभी दो साल पहले ही शुरू हुआ है और मैं treatment करवाने उससे पहले गया था।" बोल वंश ने ज़ारा को तिरछी नज़रों से देखा तो अब ज़ारा वंश के जवाब से satisfied थी। जबकि वंश ने फिर से ज़ारा से झूठ बोला था, उसे trap किया था। और ज़ारा ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि अगर यह हॉस्पिटल दो साल पहले शुरू हुआ था तो Mrs. मेहरा पिछले तीन सालों से यहाँ काम कैसे कर सकती थी।

    लेकिन ज़ारा ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और आगे जाने लगी, तभी वंश ने पीछे से उसके दुपट्टे पर पैर रख दिया। जिससे ज़ारा के मुँह से एक चीख निकली।

    वंश ने ज़ारा की चीख सुनकर अपना पैर उसके दुपट्टे से हटा दिया और evil smile करने लगा। वहीं ज़ारा ने अपने कंधे पर हाथ रख लिया क्योंकि वंश के ऐसे पैर रखने से दुपट्टे की पिन खुलकर ज़ारा के कंधे में चुभ गई। और उसका दुपट्टा भी हल्का फट गया था।

    तभी वंश आगे आते हुए बोला, "What happened doll?"

    "वो… वो वंश…" ज़ारा वंश से बोल नहीं पा रही थी कि उसका पिन फंस गया है।

    वहीं वंश frustrate हो रहा था ज़ारा के ना बोलने से। वंश ज़ारा को देखते हुए सर्द लहजे में-

    "Doll I don't like to repeat my words. So tell me क्या हुआ?"

    वहीं ज़ारा वंश की ऐसी आवाज़ सुनकर सहम गई। और थोड़ा डरते हुए- "So… sorry वो actually…"

    ज़ारा को बहुत अजीब लग रहा था, लेकिन वंश का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। इसलिए ज़ारा हिम्मत करते हुए बोली-

    "वो… वो वंश मेरा पिन दुपट्टे में उलझ गया है।" बोल ज़ारा अपने दुपट्टे में फंसे हुए पिन को निकालने की कोशिश करने लगी। वह अपना हाथ भी कंधे से नहीं हटा सकती थी।

    "Done."

  • 17. Psychopath lover - Chapter 17

    Words: 2236

    Estimated Reading Time: 14 min

    वँश की आवाज़ सुन ज़ारा सहम गई और थोड़ा डरते हुए बोली, "So. sorry वो actually..."

    ज़ारा को बहुत अजीब लग रहा था, लेकिन वंश का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। इसलिए ज़ारा हिम्मत करते हुए बोली-

    "वो...वो वंश, मेरा पिन दुपट्टे में उलझ गया है।"

    ज़ारा अपने दुपट्टे में फंसे हुए पिन को निकालने की कोशिश करने लगी। वो अपना हाथ कंधे से नहीं हटा सकती थी।

    वंश ने एक नज़र ज़ारा को देखा और फिर ज़ारा के पीछे जाकर खड़ा हो गया। वंश ज़ारा के काफी करीब खड़ा था। वहाँ वंश को अपने इतने करीब खड़ा देख ज़ारा को काफी घबराहट होने लगी। जिससे ज़ारा वंश से दूर हट गई।

    ज़ारा को दूर हटता देख वंश ने गुस्से से अपने दाँत भींच लिए। वंश से ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि उसकी doll उससे दूर जाए। उसकी आँखें लाल हो गई थीं। वो अपनी आँखें बंद कर अपने अंगूठे को माथे के बीचों-बीच tap करते हुए बोला-

    "ये मुझसे कुछ ज़्यादा ही दूर नहीं भागती है...मन तो करता है कि इसे जान से..."

    तभी वंश बीच में ही रुक गहरी साँस लेते हुए बोला-

    "No. No. No. वंश! Control yourself. She is my doll. मैं उसे कैसे मार सकता हूँ? अगर वो मर गई तो फिर मैं किसके साथ खेलूँगा? No, I can't kill her."

    वंश आँखें खोल ज़ारा की तरफ देखता है। उसकी आँखों में अभी भी गुस्सा भरा हुआ था।

    वहीं ज़ारा इन सबसे बेखबर वंश की तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी और अपने दुपट्टे को निकालने की कोशिश कर रही थी। वंश उसे देखते हुए ही खुद से बोला-

    "मुझसे दूर जाने की कोशिश भी मत करना doll, क्योंकि आना तुम्हें मेरे पास ही है...ऐसा करके तुम बस अपने लिए मुसीबतें बढ़ा रही हो...तो कुछ भी ऐसा मत करना doll कि मुझे गुस्सा आए और मैं अपने गुस्से में तुम्हें वक़्त से पहले ही मार दूँ।"

    गुस्से से खुद से कहते हुए वंश किसी psycho की तरह लग रहा था। लेकिन अगले ही पल उसने खुद को शांत किया और ज़ारा की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए।

    वहीं ज़ारा खुद में ही उलझी हुई बड़बड़ाए जा रही थी-

    "O god क्या मुसीबत है! इस दुपट्टे को भी अभी फँसना था। अब मैं क्या करूँ? वंश के सामने ऐसे भी तो नहीं जा सकती।"

    बड़बड़ाते हुए ज़ारा काफी इरीटेट हो रही थी और अपना पिन निकालने की कोशिश कर रही थी। साथ ही उसने अपने हाथ से कंधे को भी ढक रखा था क्योंकि पिन फंसने की वजह से ज़ारा का सूट उसके कंधे से थोड़ा खिसक गया था और हाथ हटाते ही ज़ारा का कंधा काफी reveal होता। और ज़ारा वंश के सामने खुद को ऐसे नहीं दिखाना चाहती थी।

    ज़ारा लगी हुई थी कि तभी एक बार फिर से वंश ज़ारा के पीछे उसके करीब आकर खड़ा हो गया। ये महसूस कर ज़ारा के दिल में फिर से धक-धक सी होने लगी, साथ ही उसे काफी nervousness भी हो रही थी।

    वहीं वंश ज़ारा के पीछे खड़ा एकटक ज़ारा पर नज़रे गड़ाये अपने मन में सोच रहा था-

    "Don't you dare doll, वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा। अगर इस बार तुमने मुझसे दूर जाने या मुझे खुद से दूर करने की कोशिश की तो तुम्हें बहुत बुरी punishment मिलेगी doll."

    कह वंश ने अपने expression नॉर्मल किए और ज़ारा से बोला-

    "कर ली कोशिश? हुआ doll?"

    ये सुन ज़ारा ने टेढ़ी नज़रों से वंश को देखा और बोली-

    "नहीं नहीं, वो नहीं हुआ।"

    "नहीं हुआ ना doll? होगा भी नहीं।" वंश ने सर्द लहजे में कहा। उसे इस वक़्त ज़ारा पर काफी गुस्सा आ रहा था। वहीं वंश का ऐसा लहजा और इतनी सख्त आवाज़ सुन एकदम से ज़ारा सहम गई और उसे थोड़ा हैरानी भी हुई। उसने वंश की तरफ देखा तो-

    "मेरा मतलब है doll, तुम इतनी देर से कोशिश कर रही हो इसे निकालने की, लेकिन नहीं हुआ ना। Now let me try."

    वंश ज़ारा के थोड़ा और करीब हुआ और उसका हाथ उसके कंधे से हटा दिया।

    वंश ज़ारा के करीब हो उसके बालों को सूँघने लगा। लेकिन ज़ारा को इस बात का एहसास नहीं हुआ। बल्कि उसका दिल तो ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।

    वहीं ज़ारा के हाथ हटाते ही ज़ारा का कंधा और collarbone काफी reveal होने लगा। ज़ारा को वंश के सामने ऐसे काफी uncomfortable feel हो रहा था। इसलिए वो धीरे से वंश से बोली-

    "व...वंश वो actually ये पिन बुरी तरह दुपट्टे में उलझ गया है। मैं भी कितनी कोशिश कर चुकी हूँ, निकल ही नहीं रहा है। तुमसे नहीं हो पाएगा...इस...इसलिए तुम रहने दो...तुम बस एक काम करो please, बस बाहर से किसी नर्स वगैरह को बुला दो। वो निकाल देंगे।"

    ज़ारा ने किसी तरह खुद की घबराहट और बेचैनी को control करते हुए वंश से धीमी आवाज़ में कहा। वहीं वंश जो आँख बंद कर ज़ारा के बालों को sniff कर रहा था, ज़ारा की बात सुन अचानक ही उसके expression dark हो गए और उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं। उसने गुस्से से अपनी आँखें कसकर मींच लीं और अपनी index finger से eyebrow के ऊपर लगे cut को rub करने लगा।

    वंश को काफी गुस्सा आ रहा था ज़ारा के मुँह से ये सुनकर कि वो किसी और को बुला दे उसकी help करने के लिए। वंश को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं था कि उसकी doll को कोई देखे भी और यहाँ तो ज़ारा touch करने की बात कर रही थी।

    "Doll, तुम नहीं सुधरोगी। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे दूसरी बार मना करने की?...तुम मुझसे दूर होकर किसी और से help लेनी है, किसी और को खुद को touch करने दोगी तुम? How could you think that? तुमने सोचा भी कैसे?...लगता है तुम्हें सब कुछ मुझे ही सिखाना पड़ेगा अपने हिसाब से...Now ready for the punishment doll."

    बोलते हुए वंश के होठों पर एक evil smile आ गई।

    तभी वंश ज़ारा से बोला-

    "Doll, इस वक़्त सब अपने काम में busy हैं तो तुम क्या चाहती हो मैं उन्हें disturb करूँ?...नहीं ना, so let me do this."

    वंश ने ज़ारा के कंधे पर हाथ रखा।

    वहीं वंश की बात में कुछ तो ऐसा था कि ज़ारा चाहकर भी आगे कुछ नहीं बोल पाई। उसकी body में वंश का लहजा सुन एक अजीब सी डर की लहर दौड़ गई थी। इसलिए वो चुपचाप खड़ी हो गई।

    वहीं वंश ने ज़ारा के कंधे पर हाथ रख उसके दुपट्टे को थोड़ा खिसका दिया और उसकी पिन को निकालने लगा। वहीं वंश के छूते ही ज़ारा एकदम से सिहर गई। उसे काफी uncomfortable और awkward भी feel हो रहा था और शर्म भी आ रही थी।

    वंश पिन को निकालने की कोशिश कर रहा था या यूँ कहें कि acting कर रहा था, उसने अचानक ही तिरछी नज़र से ज़ारा को देखा जो आँखें बंद कर के खड़ी थी और घबराहट से अपने हाथों को मसल रही थी। ज़ारा को ऐसे देख वंश के होठों पर एक टेढ़ी smile आ गई और उसने पिन को ज़ोर से ज़ारा के कंधे पर चुभा दिया जिससे ज़ारा की चीख निकल गई और वंश मुस्कुराने लगा।

    वहीं ज़ारा ने कसकर अपनी आँखें मींच लीं। दर्द से ज़ारा की आँखों में आँसू आ गए थे। वंश ने इतनी ज़ोर से ज़ारा को पिन चुभाई थी कि पिन ज़ारा के कंधे में धँस गई थी और उसके कंधे से blood निकलने लगा था।

    वंश अपने चेहरे पर guilty expression लाते हुए बोला-

    "Am sorry doll. Am really sorry. मैंने जानबूझकर नहीं किया। पिन टेढ़ा हो गया था और अटक गया था। इसलिए निकलने की जगह चुभ गया...तुम्हारे shoulder से तो blooding भी हो रही है। It will be hurting doll."

    बोलते-बोलते वंश मुस्कुरा रहा था।

    वहीं ज़ारा को काफी दर्द हो रहा था, लेकिन फिर भी वंश को इस तरह से guilt में देख ज़ारा ने अपनी आँखें खोली और खुद को संभालते हुए बोली-

    "It's ok वंश। I know तुमने जानबूझकर नहीं किया होगा, so don't be feel guilty."

    फिर एक पल रुक कर बोली-

    "इसलिए ही मैं कह रही थी ये सब तुम्हारे बस की बात नहीं है। (हल्का मुस्कुराते हुए) तुम अपना business ही संभालो, वहीं ठीक है।"

    वंश जानता था कि ज़ारा उसे guilty feel ना हो इसलिए ऐसे बोल रही थी, वरना वो काफी दर्द में थी।

    "तुम मुझे challenge कर रही हो doll...Then for your kind information, मैं अपना कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ता। अपना हर काम और हर challenge बखूबी निभाना जानता हूँ वंश।"

    वंश एक अजीब expression के साथ बोला और ज़ारा के पिन को वापस निकालने लगा।

    लेकिन वंश असल में पिन निकाल नहीं रहा था, बल्कि वो निकालने का नाटक करते हुए पिन को कंधे में अंदर से धँसा रहा था। जिससे ज़ारा की दर्द से सिसकी निकल रही थी। उसने दर्द सहन करने के लिए अपने होठों को कसकर भींच लिया था।

    वहीं वंश ने पिन को अंदर तक धँसाया और फिर एकदम से खींचकर निकाल दिया जिससे ज़ारा के मुँह से ज़ोर की चीख निकली।

    "आह!" करते हुए ज़ारा ने अपने हाथ कंधे पर रख लिया।

    "So sorry doll. बस हो गया।" वंश पिन को दुपट्टे से निकालने लगा।

    तभी वंश ने कुछ सोचते हुए कहा-

    "Doll, ये इसमें फंस गया है। मुझे इसे निकालने के लिए तुम्हारा zip थोड़ा खोलना पड़ेगा।"

    ये सुन ज़ारा की साँसें अटक गईं। वो ब्लैंक हो गई थी। तभी वंश की आवाज़ फिर से उसके कानों में गई-

    "Can I doll?" वंश ने भौंहें उचकाते हुए कहा। वहीं ज़ारा चुपचाप खड़ी थी। वो मना करना चाहती थी, पर ना तो वंश को मना कर पा रही थी और ना ही हाँ कर पा रही थी। वो सोच ही रही थी कि क्या जवाब दे, तभी वंश एक गहरी आवाज़ में फिर बोला-

    "You can trust me doll. मैं अपनी आँखें बंद रखूँगा। कुछ नहीं देखूँगा।"

    वंश ने ज़ारा की तरफ अपनी eye blink कर दी।

    जिससे ज़ारा एकदम से हड़बड़ा गई और उसके गाल blush करने लगे। लेकिन ज़ारा ने खुद को संभाल एक गहरी साँस ली और "I trust you" बोलते हुए हाँ में सिर हिला दिया।

    जिसे सुन वंश के फेस पर एक winning smile आ गई और वंश ने ज़ारा की zip को खोल दिया। ज़ारा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी मुट्ठियों को भींच लिया। वहीं वंश एकटक ज़ारा की गोरी, बेदाग़ पीठ को देख रहा था और उसे छूने के लिए बेताब हो रहा था।

    ज़ारा को ऐसा फील हो रहा था जैसे वंश की नज़र उसी पर हो, लेकिन फिर भी अपने विश्वास के चलते उसने इस feeling को ignore कर दिया। तभी ज़ारा को अपनी पीठ पर वंश की उंगलियाँ चलते हुए फील हुईं।

    ज़ारा ने झटके से अपनी आँखें खोली, लेकिन उसी पल वंश ने अपने हाथ हटा लिए।

    "Come on ज़ारा, उसकी आँखें बंद हैं तो हाथ शायद गलती से touch हो गया होगा।" खुद से ही सोचते हुए ज़ारा ने अपना सिर झटका।

    वहीं वंश अब ज़ारा के कंधे पर झुका और ज़ारा को inhale करते हुए मन ही मन बोला-

    "मुझे तुम्हारी craving हो रही है doll...और इस craving को शांत करने के लिए कुछ तो करना होगा।"

    बोलते हुए वंश अपनी आँखें बंद करता है और blood को अपनी उंगली से सहलाते हुए ज़ारा का पिन उसके दुपट्टे से निकाल देता है।

    "हो गया doll."

    "Thanks," कहते हुए ज़ारा उसकी तरफ पलटती है और फिर जल्दी से वॉशरूम में भाग जाती है।

    वहीं वंश ज़ारा के जाते ही एक नज़र अपने हाथ को देखता है और अपनी उंगली में लगा हुआ blood lick कर लेता है।

    वहीं ज़ारा वॉशरूम में खड़ी हुई blush कर रही थी।

    "What the hell ज़ारा! ये क्या हो गया था तुझे? वंश के छूने से इतना अजीब क्यों feel हो रहा था?"

    बोलते हुए ज़ारा एक लंबी साँस लेती है और अपना face wash करके बाहर आती है।

    वहीं जब वंश को आते हुए देखता है तो उसकी नज़रें ज़ारा पर जाती हैं जिसने खुद को ठीक कर लिया था, लेकिन उसके कंधे से अब भी blood आ रहा था। वहीं ज़ारा तो वंश से नज़रें चुरा रही थी। उसे काफी शर्म आ रही थी वंश के सामने आने में।

    वंश ज़ारा को कुछ पल बिना भाव के देखता है और फिर उसके पास जा उसका हाथ पकड़ता है और उसे सोफे पर बिठाते हुए बोला-

    "तुम्हारे shoulder से blooding हो रही है doll. मैं dressing कर देता हूँ।"

    वंश ज़ारा की bandage करने लगता है।

    शाम का वक़्त था। ज़ारा रोड पर पैदल चल रही थी। इस वक़्त मौसम काफी अच्छा था। आस-पास काफी चहल-पहल थी। ज़ारा अपनी ही मस्ती में गुम चली जा रही थी, तभी उसकी नज़र एक जगह जाकर रुक गई और उसकी आँखों में एक चमक आ गई।

    वहीं वहाँ कोई और भी था जो ज़ारा को ही एकटक देख रहा था। उसने एक नज़र आसमान में देखा और फिर ज़ारा की तरफ।

    तो क्या लगता है कौन होगा वो शख्स? और क्या पनप रहे हैं ज़ारा के मन में वंश के लिए कोई एहसास?

  • 18. Psychopath lover - Chapter 18

    Words: 1985

    Estimated Reading Time: 12 min

    शाम का वक़्त था। ज़ारा रोड पर पैदल चल रही थी। मौसम काफी अच्छा था, आस-पास चहल-पहल थी। ज़ारा अपनी ही मस्ती में गुम थी, तभी उसकी नज़र एक जगह रुक गई और उसकी आँखों में चमक आ गई।

    वहीं, वहाँ कोई और भी था जो ज़ारा को एकटक देख रहा था। उसने एक नज़र आसमान में देखा और फिर ज़ारा की तरफ देखा।

    ज़ारा की नज़र सामने पानी-पूरी के ठेले पर गई। उसे देखते ही ज़ारा की आँखों में चमक आ गई और उसके मुँह में पानी आ गया।

    "चल ज़ारा, तेरी पानी-पूरी तेरा इंतज़ार कर रही है," अपने होठों पर जीभ फेरते हुए ज़ारा मासूमियत से बोली। इस वक़्त वह किसी छोटे बच्चे की तरह लग रही थी। ज़ारा जल्दी से ठेले के पास गई और चहकते हुए बोली-

    "भैया, एक प्लेट पानी-पूरी लगाना। और एकदम तीखी वाली होनी चाहिए।" अपनी आँखें टिमटिमाते हुए, पानी-पूरी वाले की तरफ उंगली point करते हुए ज़ारा बोली। पानी-पूरी वाले ने हँसते हुए सिर हिलाया और पानी-पूरी बनाने लगा।

    वहीं, कोई और भी था जिसकी नज़रें ज़ारा पर टिकी हुई थीं। यह शख़्स और कोई नहीं, बल्कि वह फकीर था जो मनाली में कदम रखते ही ज़ारा से टकरा गया था।

    फकीर गौर से ज़ारा को देख रहा था जो मजे से पानी-पूरी खा रही थी और उसके होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान सजी हुई थी। उस फकीर ने एक नज़र आसमान में देखा और फिर ज़ारा को देखते हुए बोला-

    "आखिर तू फँस ही गई बच्ची। जिसे तू अपने दिल में बसा रही है, उसके पास दिल तो है मगर उस दिल में एहसास नहीं है। धड़कन तो है मगर धड़कनों में सिर्फ़ बर्बादी की चाहत है… तेरा हर बढ़ता क़दम तुझे उसके पिंजरे की तरफ़ लेकर जा रहा है। तेरी मासूमियत उसकी नज़रों में बस चुकी है और अब तुझे बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता…"

    बोलते हुए उस फकीर की आवाज़ काफी गहरी थी और आँखों में कुछ था। उसकी नज़र ज़ारा के पैरों पर गई जो अब भी लाल थे। यह देख उस फकीर ने एक गहरी साँस ली और-

    "वो शतरंज के खेल में माहिर है, उसकी चालों को तेरा मासूम दिल कभी नहीं समझ पाएगा। और जब तक समझेगा, तेरा यकीन और तेरी मासूमियत दोनों ही बिखर चुके होंगे…"

    "हिम्मत देना इस बच्ची को भगवान, कि ये खुद को संभाल सके।" बोलकर उस फकीर ने एक नज़र ज़ारा की उस प्यारी सी smile को देखा और वहाँ से चला गया।

    वहीं ज़ारा आने वाले तूफ़ान से बेख़बर, मजे से अपनी मस्ती में मस्त थी।

    रात का वक़्त था। ज़ारा अपने टेडी बियर को हग किए हुए अपने बेड पर लेटी थी। एक प्यारी सी मुस्कान उसके होठों पर सजी हुई थी। ज़ारा अपने टेडी को देखते हुए बड़बड़ा रही थी-

    "कोई इतना हैंडसम कैसे हो सकता है। पर वंश, वो तो सच में बहुत हैंडसम है… और उतना ही caring भी… आज वो जिस तरह से मेरी care कर रहा था, मेरी इतनी help की, मुझे बहुत अच्छा लगा।

    I think I have a crush on him." बोलते हुए ज़ारा के गाल शर्म से लाल हो गए और उसने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया। तभी ज़ारा वापस अपने हाथ हटाते हुए बोली-

    "लेकिन ज़ारा, तू ना खुद को control किया कर। देखा नहीं वंश आज तुझे कैसे tease कर रहा था।"

    "O god, what's wrong with you ज़ारा? तू वंश के बारे में इतना क्यों सोच रही है?" ज़ारा irritate होकर अपने टेडी को जोर-जोर से हिलाते हुए खुद से ही बड़बड़ाई और फिर टेडी को "Good night" बोलते हुए खुद को ऊपर तक ब्लैंकेट से cover कर लिया। थोड़ी देर बाद ही ज़ारा गहरी नींद में चली गई।

    आधी रात को ज़ारा गहरी नींद में सो रही थी। तभी ज़ारा को अपने गाल और हाथ पर कुछ रेंगता हुआ सा महसूस हुआ। जिससे ज़ारा एक बार के लिए नींद में ही कँप गई, लेकिन तभी किसी ने उसके बालों को सहलाया जिससे ज़ारा relax होकर वापिस सो गई।

    यह और कोई नहीं, बल्कि वंश था जो इस वक़्त ज़ारा के रूम में, उसके बेड पर ज़ारा के ऊपर झुका हुआ था और अपनी उंगलियों को उसके गाल और बाजू पर चला रहा था और एकटक गौर से ज़ारा को देख रहा था।

    "Doll, तुमसे आती ये खुशबू मुझे और भी ज़्यादा पागल कर रही है। Look, तुम्हारी craving की वजह से मुझे तुम्हारे रूम और तुम्हारे बेड पर आना पड़ा जबकि मैं तुम्हें अपने रूम, अपने बेड पर लाना चाहता था…" वंश ज़ारा के चेहरे पर ऊपर से लेकर नीचे तक अपनी उंगलियाँ फिराते हुए psycho way में बोला और उसके फेस पर एक ख़तरनाक smile आ गई।

    उसने उसी smile के साथ आगे कहा-

    "लेकिन कोई बात नहीं doll. बस कुछ वक़्त और, तब तक तुम enjoy करो… क्योंकि उसके बाद तो तुम मेरे रूम, मेरे बेड पर ही होगी। वो भी हमेशा के लिए… And then I will enjoy." बोलते हुए वंश ने ज़ारा के बालों को कान के पीछे किया और उसके earlobe को kiss किया।

    वहीं ज़ारा नींद में थी, तभी उसे नींद में ही अपने कपड़े उतरते हुए महसूस हुआ। जिसकी वजह से वह नींद में ही हिलने लगी और उसकी आँखें भी फड़फड़ाने लगीं। ज़ारा ने अभी night suit पहना हुआ था। वहीं वंश, जो ज़ारा के ऊपर था, उसके हाथ ज़ारा के night suit पर थे और वह उसकी night suit के shirt के बटन खोल रहा था। यह सब महसूस कर ज़ारा ने झटके से अपनी आँखें खोलीं, लेकिन वह अपनी नींद से बोझिल आँखें ठीक से खोल पाती, उससे पहले ही वंश ने उसकी गर्दन में एक पिन चुभो दी जिससे ज़ारा की फड़फड़ाती पलकें फिर से बंद हो गईं। वंश ने बिना किसी भाव के उसे देखा और फिर ज़ारा की top के बटन खोलकर top को ज़ारा की body से अलग कर दिया।

    वंश ज़ारा की बाजू पर उंगलियाँ चलाते हुए गले तक लेकर आया और गले से फिर ज़ारा की क्लिवेज पर अपनी उंगलियाँ फिराने लगा। वंश अपना चेहरा ज़ारा की neck में छुपाकर ज़ारा की खुशबू लेने लगा। वंश ज़ारा को इतनी गहराई से inhale कर रहा था जैसे वह कोई drug inhale कर रहा हो।

    थोड़ी देर तक ऐसे ही ज़ारा को inhale करने के बाद वंश ने ज़ारा के गले पर अपने होठ रख दिए और उसे kiss करने लगा। kiss करते हुए वंश अपने हाथ ज़ारा की upper body पर फिरा रहा था। वंश ने kiss करते हुए ही ज़ारा के गले पर bite कर लिया। उसके हाथ अब ज़ारा की कमर को सहला रहे थे। वंश नीचे आया और ज़ारा के collarbone को kiss और bite करने लगा। साथ ही वह ज़ारा को अपनी tongue से lick भी कर रहा था… kiss करते हुए ही वंश ज़ारा की क्लिवेज पर आकर रुका और ऊपर से नीचे तक अपना हाथ फेरते हुए उसने कसकर ज़ारा की क्लिवेज को bite कर लिया…

    वंश ने अपनी नज़र उठाकर देखा तो वहाँ हल्का red mark बन चुका था। उस red mark को देख वंश ने एक evil smile की और bite वाली जगह अपनी गर्म tongue से सहलाने लगा। लेकिन इसमें वंश के हाथ continuously ज़ारा की कमर और उसके पेट पर चल रहे थे। वहीं इन सबसे बेख़बर, ज़ारा गहरी नींद में थी। आख़िर वंश ने उसे जो पिन चुभोई थी, उस पर एक ऐसे salt का chemical लगा हुआ था कि ज़ारा बिल्कुल बेहोशी वाली नींद में जा चुकी थी।

    ऐसे ही कुछ देर बाद वंश का एक हाथ ज़ारा के पेट और कमर पर हरकत कर रहा था और दूसरा हाथ अपने सिर से टिकाए हुए वंश एकटक गौर से ज़ारा के फेस को देख रहा था। इस वक़्त रूम में हल्की dim light थी और उस रोशनी में ज़ारा का face चमक रहा था। उसके फेस पर अभी भी एक प्यारी सी smile और वही innocence नज़र आ रही थी।

    "Doll… Doll… Why are you so innocent? अगर तुम इतनी innocent ना होती तो मुझसे दूर, मुझसे safe होती, लेकिन तुम बहुत innocent हो इसलिए मेरा obsession हो…

    तुमसे पहले भी मेरे कई obsession रहे, लेकिन मैं कभी उनके लिए इतना addict नहीं हुआ, इसलिए तो उन सबको अपनी जान गँवानी पड़ी… लेकिन तुम, तुम अलग हो, तुम्हारी ये innocence बहुत pure है, इसलिए तुम्हारे लिए मेरे addiction की कोई limit नहीं है। और इसी वजह से तुम अब तक ज़िंदा हो, क्योंकि मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता, बल्कि तोड़ना चाहता हूँ… तुम्हें टूटते हुए देखकर मुझे बहुत मज़ा आने वाला है doll." बोलते हुए वंश की आँखों में ज़ारा को तोड़ने की एक बेताबी नज़र आ रही थी।

    इसी के साथ वंश के expressions अजीब से हो गए और वह जोर-जोर से पागलों की तरह हँसने लगा। हँसते हुए ही न जाने उसे क्या सूझा कि उसके हाथ जो ज़ारा के पेट पर चल रहे थे, उसने अपने नाख़ून ज़ारा के पेट में धँसा दिए और उन scratch को देखने लगा, साथ ही वह उन scratch को अंगूठे से सहला भी रहा था। लेकिन ज़ारा को इन सबका कोई एहसास नहीं था।

    अगली सुबह ज़ारा उठी तो वह काफी refresh थी। उसे देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा था कि उसके चेहरे पर ज़रा सी भी थकान होगी। और ना ही बिस्तर पर ज़ारा की side वाली जगह के अलावा और कहीं सिलवटें थीं जिससे यह लगे कि रात को कमरे में कोई आया था। ज़ारा बेड से उतरी और अपने बालों का जूड़ा बनाते हुए वॉशरूम में चली गई।

    थोड़ी देर बाद ज़ारा dressing table के सामने mirror में खड़ी हुई अपनी गर्दन को इधर-उधर घुमाकर देख रही थी जहाँ वंश के दिए हुए bite marks थे, लेकिन वह इतने light थे कि कोई उन्हें ध्यान से देखता तो ही पता चलता। लेकिन ज़ारा को इन सबका कोई idea नहीं था।

    "ये मेरी neck पर ये red marks कैसे हैं… कल भी थे, आज भी हैं… लगता है नींद में मच्छर ने काट लिया होगा, वैसे भी मुझे कहाँ पता चलता है नींद में।" बोलते हुए ज़ारा ने उन marks को touch किया तो ज़ारा को हल्का दर्द का एहसास हुआ।

    ज़ारा ने अपना सिर झटका और बैग लेकर नीचे आई और रोज़ की तरह dinning table पर बैठ गई। तभी लता दी kitchen से आई और "Good morning" कहते हुए उसने ज़ारा को breakfast serve किया।

    ज़ारा ने भी "Good morning" wish किया और breakfast करने लगी। Breakfast करते हुए ही ज़ारा ने कहा-

    "लता दी, यहाँ मच्छर बहुत हैं…" आप all out वगैरह use नहीं करते क्या?

    "नहीं ज़ारा, यहाँ तो बिल्कुल भी मच्छर नहीं हैं।" लता दी ने अपनी भौंहें सिकोड़ कर ज़ारा को देखते हुए कहा।

    "नहीं दी, हैं यहाँ मच्छर। कल रात ही मुझे काटा था।" ज़ारा ने फिर से breakfast करते हुए ही कहा।

    लता दी भी उसकी बातों को ज़्यादा seriously ना लेते हुए बोली-

    "तुम्हें ऐसे ही लगा होगा ज़ारा।" यहाँ पर मच्छर नहीं हैं।

    ज़ारा अभी आगे कुछ कहती कि ज़ारा को जोर-जोर से खाँसी आने लगी। ज़ारा को यूँ खाँसता देख लता दी ने ज़ारा को जल्दी से पानी दिया और उसकी पीठ rub करते हुए बोली-

    "आराम से खाओ ज़ारा। जल्दी का काम शैतान का काम होता है। पता है ना।"

    "Hmm," कहते हुए ज़ारा पानी पीने लगी।

    एक घंटे बाद थेरेपी रूम में वंश सोफे पर लेटा हुआ था। वहीं ज़ारा उसके सामने खड़ी होकर वंश की आँखों के सामने कुछ घुमा रही थी।


    Done.

    क्या मतलब है उस फकीर की बातों का?

    क्या वो जानता है वंश के बारे में?

    और क्या होगा आगे?

    जानने के लिए पढ़िए "Psychopath lover"

    Wait for next chapter guys.

  • 19. Psychopath lover - Chapter 19

    Words: 1200

    Estimated Reading Time: 8 min

    लता दी ने उसकी बातों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया और बोली-

    "तुम्हें ऐसे ही लगा होगा ज़ारा।" "यहाँ पर मच्छर नहीं हैं।"

    ज़ारा अभी आगे कुछ कहती, कि ज़ारा को जोर-जोर से खांसी आने लगी। ज़ारा को यूँ खांसते देख लता दी ने जल्दी से ज़ारा को पानी दिया और उसकी पीठ रगड़ते हुए बोली-

    "आराम से खाओ ज़ारा। जल्दी का काम शैतान का काम होता है। पता है ना।"

    "Hmm," कहते हुए ज़ारा पानी पीने लगी।

    एक घंटे बाद, थेरेपी रूम में वंश सोफे पर लेटा हुआ था। ज़ारा उसके सामने खड़ी होकर वंश की आँखों के सामने कुछ घुमा रही थी। ज़ारा के हाथ में एक लॉकेट जैसा कुछ था जिसे वह वंश की आँखों के सामने घुमा रही थी।

    "वंश, इसे ध्यान से देखो और इस पर अपना ध्यान concentrate करने की कोशिश करो।"

    ज़ारा की बात सुन वंश एकटक उस लॉकेट जैसी चीज़ को देखने लगा। थोड़ी देर बाद वंश की आँखें बंद होने लगीं। ज़ारा चुपचाप वंश को देख रही थी। वंश ने एक बार आँखें बंद करके फिर खोलीं। इस वक्त उसकी आँखें एकदम शांत और स्थिर थीं।

    तभी ज़ारा ने उसे ध्यान से देखते हुए पूछा-

    "वंश, मेरी बात ध्यान से सुनो और मुझे बताओ कि तुम्हें क्या प्रॉब्लम है।"

    वंश ने खोये हुए स्वर में जवाब दिया- "Doll, मैं बहुत परेशान हूँ। मुझे बहुत अकेला फील होता है। मैं जीना नहीं चाहता। ऐसा लगता है जैसे मेरे पास जिंदगी जीने का कोई मकसद नहीं है।"

    वंश की बात सुन ज़ारा को बहुत बुरा लगा। लेकिन फिर भी उसने आगे पूछा-

    "वंश, ये बताओ तुम इतने स्ट्रेस में क्यों हो? क्या कुछ हुआ है तुम्हारे पास्ट में?"

    "हाँ, Doll, मैं बहुत स्ट्रेस में हूँ। मेरे पास्ट में कुछ ऐसा हुआ है कि मैं उसे भूल नहीं पा रहा हूँ। वो सारी चीज़ें मेरे दिमाग में बैठ गई हैं। मैं जब भी उन बातों को याद करता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरा सिर फट जाएगा। ऐसा लगता है जैसे मेरे दिमाग में मेरा नहीं, बल्कि मेरी बीती ज़िंदगी का कंट्रोल है।"

    वंश जो भी बोल रहा था, वो सब ज़ारा ध्यान से सुन रही थी और अपनी फ़ाइल में रिकॉर्ड भी कर रही थी।

    ज़ारा ने उससे आगे पूछा- "वंश, क्या तुम्हें कभी ऐसा लगता है कि तुम्हें कोई मेंटल प्रॉब्लम है, या फिर कभी तुम्हारा मन डार्क चीज़ों को देखकर अट्रैक्ट होता है? जैसे तुम्हें खून देखकर मज़ा आता हो या फिर अचानक ही किसी चीज़ को देखकर तुम्हें एकदम से ज़्यादा गुस्सा आता हो?"

    "नहीं, Doll, मुझे डार्क चीज़ें बिल्कुल पसंद नहीं हैं। और मुझे तो सॉफ्ट चीज़ें पसंद आती हैं, सॉफ्ट चीज़ों को छूने का मन करता है।" वंश ने अपनी शांत और स्थिर आँखों से एकटक सामने देखते हुए कहा। वंश की बात सुन ज़ारा के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने वंश के सामने चुटकी बजाई जिससे वंश ने झटके से अपनी पलकें झपकाईं। और इसी के साथ वंश इधर-उधर देखने लगा।

    फिर वंश उठा और उसने ज़ारा को देखते हुए कहा- "Doll, तुमने मुझे सम्मोहित किया था," और वो भी मुझे बिना बताए।

    "सॉरी वंश। पर तुम्हारे ट्रीटमेंट के लिए ये ज़रूरी था।" "तुम बताओ अब तुम्हें अंदर से कैसा फील हो रहा है? रिलैक्स फील हो रहा है या नहीं?"

    ज़ारा की बात सुन वंश एक पल रुका और फिर बोला- "तुम सही कह रही हो, Doll। मुझे रिलैक्स तो फील हो रहा है। ऐसे लग रहा है जैसे किसी ने सिर से बोझ उतार दिया।"

    फिर सोफे पर एक पैर पर दूसरा पैर रखते हुए- "वैसे, Doll, क्या-क्या इन्वेस्टिगेशन की तुमने मुझसे और मैंने क्या जवाब दिया?" "मुझे बताओ। I want to know everything। मुझे जानना है कि कहीं तुमने मुझे सम्मोहित करके कुछ ऐसा तो नहीं जान लिया जो तुम्हें नहीं जानना चाहिए था।" वंश ने एक मिस्टीरियस अंदाज़ में कहा। इस वक्त उसकी आँखों में अलग से ही भाव थे।

    वहीं वंश की बात सुन ज़ारा का मुँह बन गया। वह अपने होठों का पाउट बनाते हुए बोली-

    "डोंट वरी। मैंने सिर्फ़ वहीं पूछा है जो मेरे लिए जानना ज़रूरी था। तुम्हारा कोई सीक्रेट मेरे सामने नहीं आया है... और वैसे भी कहते हैं कि अपने वकील और डॉक्टर से कुछ नहीं छुपाना चाहिए। तो तुम्हारे लिए भी यही अच्छा है कि तुम मुझे सब कुछ बता दो..."

    ज़ारा की बात सुन वंश ने एक ईविल स्माइल की। लेकिन फिर उदास सी शक्ल बनाते हुए बोला-

    "यू नो व्हाट, Doll, लोग कहते हैं कि मुझे कोई मेंटल डिसऑर्डर है। They say that I am a psychopath।" (फिर उठकर खिड़की के पास जा खड़ा होकर)

    "पर ऐसा कुछ भी नहीं है। मुझे कोई मेंटल डिसऑर्डर नहीं है। मुझे बस स्ट्रेस है और डिप्रेशन है जिसकी वजह से मुझे गुस्सा थोड़ा ज़्यादा और जल्दी आता है।" फिर ज़ारा की तरफ पलटते हुए-

    "माना कि मुझे गुस्सा ज़्यादा आता है, पर इसका मतलब ये नहीं है कि मैं अपने गुस्से में किसी को नुकसान पहुँचा दूँ या उन्हें जान से मार दूँ।"

    ज़ारा को वंश की बात सुनकर अंदर ही अंदर काफी सैड फील हो रहा था। उसने सिम्पैथी भरी नज़रों से वंश को देखते हुए कहा-

    "डोंट वरी, वंश। तुम्हें कोई मेंटल इशू नहीं है। और जो स्ट्रेस है वो भी बिल्कुल ठीक हो जाएगा। तुम देखना, तुम थोड़े ही दिनों में बिल्कुल ठीक हो जाओगे।... अच्छा, तुम बैठो, मैं मैम को रिपोर्ट देकर आती हूँ।" बोल ज़ारा रूम से बाहर चली गई। वहीं ज़ारा के जाते ही वंश ने, जो अब तक उदास सी शक्ल बना रखी थी, अपने एक्सप्रेशन्स बदल दिए और उसके होठों पर एक शैतानी मुस्कान आ गई। वह जोर-जोर से पागलों की तरह हँसने लगा।

    वंश ने अपना सिर टेढ़ा किया और ज़ारा की दिशा में देखता हुआ बोला-

    "Doll, Doll, तुम कितनी इनोसेंट हो। तुम्हें क्या लगता है तुमने मुझे सम्मोहित किया? No, Doll, वो तो मैं नाटक कर रहा था। मुझ पर तो तुम्हारा कोई ट्रीटमेंट काम ही नहीं करने वाला, cause I am a psychopath।" बोल वंश जोर-जोर से हँसने लगा।

    फिर वंश कुछ पल रुका और बोला- "लेकिन कुछ बातें मैंने बिल्कुल सच कही थी तुमसे, Doll। मुझे सॉफ्ट चीज़ें ही अट्रैक्ट करती हैं। जैसे तुम्हारी इनोसेंस ने मुझे अट्रैक्ट किया है। और इस हद तक किया है कि अब मैं तुम्हें तोड़ना चाहता हूँ क्योंकि मुझे सॉफ्ट चीज़ों को डिस्ट्रॉय करने में बड़ा मज़ा आता है।" बोलते हुए वंश सच में किसी साइको से कम नहीं लग रहा था।

    वहीं दूसरी तरफ ज़ारा मिसेज़ मेहरा के सामने खड़ी हुई थी। उनके हाथ में वंश की रिपोर्ट थी जिसमें ज़ारा ने अब तक वंश का जो भी ऑब्ज़र्वेशन और ट्रीटमेंट किया था, उन सबकी डिटेल्स लिखी हुई थीं।

    मिसेज़ मेहरा काफी ध्यान से वंश की रिपोर्ट को देख रही थीं। उन्होंने अपने चेहरे के भाव काफी नॉर्मल रखे थे, लेकिन उस रिपोर्ट को देखते हुए वे अंदर से काफी अशांत थीं क्योंकि उन्हें समझ आ रहा था कि ज़ारा वंश के जाल में बुरी तरह फँस चुकी है।

  • 20. Psychopath lover - Chapter 20

    Words: 1497

    Estimated Reading Time: 9 min

    कहानी अब तक-

    वहीं दूसरी तरफ ज़ारा मिसेज़ मेहरा के सामने खड़ी हुई थी। उनके हाथ में वंश की रिपोर्ट थी जिसमें ज़ारा ने अब तक वंश का जो भी ऑब्ज़र्वेशन और ट्रीटमेंट किया था, उन सबकी डिटेल्स लिखी हुई थीं।

    मिसेज़ मेहरा काफी ध्यान से वंश की रिपोर्ट को देख रही थीं। उन्होंने अपने चेहरे के भाव काफी नॉर्मल रखे थे, लेकिन उस रिपोर्ट को देखते हुए वे अंदर से काफी अशांत थीं क्योंकि उन्हें समझ आ रहा था कि ज़ारा वंश के जाल में बुरी तरह फँस चुकी है।

    अब आगे-

    मिसेज़ मेहरा ने ज़ारा को देखते हुए पूछा-

    "ज़ारा, क्या तुमने वंश को अच्छे से चेक कर उसकी रिपोर्ट बनाई है?"

    "I mean, क्या उसकी रिपोर्ट में जो कुछ भी तुमने मेंशन किया है, is that right?"

    "येस मैडम, मैंने पूरी रिपोर्ट बिल्कुल अच्छे से ऑब्ज़र्वेशन करने के बाद ही बनाई है। इसलिए इस रिपोर्ट में मिस्टेक के चांस नहीं हैं।… वंश को कोई मेंटल इशू नहीं है, उसे बस थोड़ा स्ट्रेस है।" ज़ारा ने एक स्माइल के साथ कहा।

    ज़ारा की बात सुन मिसेज़ मेहरा ने गौर से ज़ारा को देखा और मन ही मन बोली-

    "तुम्हारी मासूमियत का बहुत अच्छे से फायदा उठाया है वंश ने ज़ारा। उसे कोई स्ट्रेस या डिप्रेशन नहीं, बल्कि ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर है।"

    "और मैंने तुम्हें पहले ही दिन इंफॉर्म करने के लिए वंश की वो प्रीवियस फ़ाइल दी थी, पर अफ़सोस तुम समझ ही नहीं पाईं और वंश के हर एक जाल में फँसती चली गईं।…"

    फिर एक गहरी साँस ले-

    "पता नहीं आगे तुम्हारे साथ क्या होगा। It's not possible, but still I wish कि वंश को तुम पर तरस आ जाए।"

    बोल मिसेज़ मेहरा ने एक गहरी साँस ली और उस रिपोर्ट पर सिग्नेचर कर दिया। और फ़ाइल ज़ारा को पकड़ा दी।

    वहीं दूसरी तरफ थेरेपी रूम में बैठा वंश चेयर के आर्म रेस्ट पर अपनी फ़िंगर्स टैप कर रहा था। वह एक बार घड़ी की तरफ़ देखता और फिर डोर की तरफ़, जहाँ से ज़ारा अभी तक नहीं आई थी।

    "पूरे 19 मिनट 44 सेकंड हो गए हैं तुम्हें गए हुए, डॉल्ल। अगर 20वें मिनट तक तुम यहाँ नहीं पहुँची ना, then get ready for the punishment।" बोल वंश वापस से टैप करते हुए घड़ी की तरफ़ देखने लगा।

    "19 मिनट 58 सेकंड, 59 सेकंड…" डार्क वॉइस में बोलते हुए वंश काउंटिंग कर रहा था और ज़ारा के ना आने की वजह से उसका गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। तभी-

    "20 मिनट…" कहते हुए वंश जैसे ही अपनी चेयर से उठने को हुआ कि तभी उसकी नज़र डोर पर गई जहाँ से ज़ारा आ रही थी।

    "ज़ारा स्माइल करते हुए वंश के पास आई। तभी वंश सख़्त लहजे में बोला-

    "डॉल्ल, कहाँ रह गई थी तुम इतनी देर से? पूरे 20 मिनट हो गए हैं तुम्हें। क्या तुम मुझे अवॉइड करने की कोशिश कर रही थी?"

    वंश की ऐसी टोन सुन ज़ारा के क़दम जहाँ थे वहीं रुक गए। एक बार के लिए तो उसका दिल डबल स्पीड से धड़कने लगा। वहीं वंश ज़ारा को अभी भी खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था।

    "I already told you doll that I don't like to repeat my words."

    "I'm waiting my answer." वंश इस वक़्त काफी गुस्से में था। वहीं वंश को ऐसे गुस्से में देख ज़ारा वंश को हैरानी से देखने लगी। उसके मुँह से लफ़्ज़ ही नहीं निकल रहे थे। वैसे भी ज़ारा थोड़ा लाड़-प्यार से पली थी, जिस वजह से उसे ऐसे गुस्सा फ़ेस करने की आदत नहीं थी।

    "डॉल्ल, डोंट टेस्ट माई पेशेंस।" वंश ने फिर से गुस्से से कहा और अपनी आइब्रो रब करने लगा। वंश की आवाज़ सुन ज़ारा अपनी सेंस में आई और थोड़ा आगे आते हुए धीमी आवाज़ में बोली-

    "आई एम सॉरी वंश। वो मैडम को मुझसे कुछ डिस्कस करना था। इसलिए उन्होंने मुझे रोक लिया।"

    "पर तुम इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो?"

    "क्योंकि मुझे गुस्सा आ रहा है, डॉल्ल। और मिसेज़ मेहरा को हमेशा तुमसे ही क्यों काम होता है। अगर अगली बार तुम मुझे छोड़कर उनके पास गई ना तो मैं उन्हें जान…"

    वंश अभी अपनी बात पूरी करता कि उससे पहले ही ज़ारा ने वंश को गले लगा लिया। जिससे वंश एकदम से चुप हो गया और ज़ारा को कसकर पकड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर गहरी साँस लेने लगा। अभी अगर ज़ारा ने वंश को गले नहीं लगाया होता तो वंश अब तक मिसेज़ मेहरा को मारने की बात कह चुका होता।

    वहीं जब ज़ारा ने देखा कि वंश शांत हो गया है तो वह वंश से अलग होने लगी, पर वंश ने उसे कसकर खुद में भींचा हुआ था जिससे ज़ारा को घुटन हो रही थी। वहीं वंश तो ज़ारा की नेक में अपना चेहरा छुपाए उसे स्निफ़ कर खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था। तभी ज़ारा धीरे से घुटती हुई आवाज़ में बोली-

    "वंश, मेरा दम घुट रहा है। प्लीज़ लीव मी।"

    ज़ारा की बात सुन वंश ने एक ईविल स्माइल करते हुए ज़ारा को छोड़ दिया।

    ज़ारा ने छूटते ही एक लंबी साँस ली। फिर उसने वंश को देखते हुए कहा-

    "क्या हुआ वंश? तुम इतने गुस्से में क्यों हो?"

    वंश अभी कुछ कहता कि तभी ज़ारा की नज़र वहीं साइड टेबल पर पड़ी मेडिसिन्स पर गई। ज़ारा मेडिसिन्स देखते हुए-

    "वंश, इसका मतलब तुमने अभी तक अपनी मेडिसिन्स नहीं ली हैं। इसलिए तुम्हें इतना गुस्सा आ रहा था।"

    ज़ारा की बात सुन वंश ने भी एक नज़र मेडिसिन्स पर डाली और अपना सिर हाँ में हिला दिया। तभी ज़ारा फिर बोली-

    "लेकिन वंश, मैं तो जाने से पहले तुम्हें बोलकर गई थी ना कि तुम अपनी मेडिसिन्स ले लेना, फिर तुमने अभी तक क्यों नहीं ली?"

    वहीं ज़ारा की बात सुन वंश बिना किसी भाव के-

    "क्योंकि तुम नहीं थी इसलिए। और मुझे तुम्हारे हाथ से ही मेडिसिन्स लेनी थीं।"

    "मुझे अच्छा लगता है जब तुम मेरा ख़्याल रखती हो, डॉल्ल। ऐसे लगता है जैसे मेरे पास भी कोई है, कोई अपना।…" बोल वंश ज़ीरो एक्सप्रेशन के साथ ज़ारा को देखने लगा।

    वहीं वंश की बात सुन ज़ारा एकटक वंश को देखने लगी। तभी वंश उसके पास झुकते हुए उसके कान में धीरे से-

    "ऐसे घूर क्या रही हो, डॉल्ल? ऐसे अपने पेशेंट्स को घूरना अच्छी बात नहीं है, डॉल्ल।"

    वंश के ऐसे बोलने से ज़ारा अपने सेंस में आई और उसकी आँखें बड़ी हो गईं। वह सकपकाते हुए-

    "ऐसा कुछ नहीं है। मैं तुम्हें कोई घूर नहीं रही थी।" बोल ज़ारा जल्दी से पीछे मुड़ गई। उसके कान और गाल शर्म से लाल हो गए थे और होंठों पर एक स्माइल थी। वंश का यह कहना कि ज़ारा का ख्याल रखना उसे अच्छा लगता है, यह बात ज़ारा के दिल में एक अलग ही एहसास जगा रही थी।

    वहीं वंश ने भी ज़ारा को ब्लश करते हुए देख लिया था और यह सब देख उसके होंठों पर भी एक मुस्कुराहट थी, लेकिन यह मुस्कुराहट कोई प्यारी या जेन्युइन स्माइल नहीं थी, बल्कि एक ईविल स्माइल थी जिसका मतलब था कि ज़ारा वंश के ख़तरनाक इरादे से अनजान उसके प्लान में फँसती जा रही थी।

    तभी खुद को शांत कर ज़ारा पीछे मुड़ी और वंश को देखते हुए बोली-

    "चलो वंश, अब मेडिसिन्स खा लो।" वंश ने उससे दवा ले ली। तभी ज़ारा बोल पड़ी-

    "वंश, यहाँ तो तुम्हें मैं मेडिसिन्स दे दूँगी, पर घर पर तो तुम्हें अकेले ही खुद का ख्याल रखना होगा ना?"

    ज़ारा का सवाल सुन वंश एकदम से रुक गया और ज़ारा को गौर से देखने लगा। फिर दवा अपने मुँह में डालते हुए-

    "तो तुम चलो मेरे विला मेरा ख्याल रखने के लिए।"

    "मेरी डॉल्ल बनकर।" बोलते हुए वंश टेढ़ा मुस्कुरा दिया। वहीं ज़ारा तो मुँह खोले वंश को देखने लगी। तभी वंश फिर से-

    "व्हाट हैपन्ड, डॉल्ल? आइडिया पसंद नहीं आया क्या?"

    ज़ारा ने कुछ नहीं कहा तो वंश फिर से उसके पास झुकते हुए-

    "बोलो ना, डॉल्ल। चलोगी ना मेरे विला मेरी डॉल्ल बनकर।" बोलते हुए अब वंश अजीब नज़रों से ज़ारा को देख रहा था।

    वहीं ज़ारा आज वंश का यह रूप देख हैरान थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह कैसे रिएक्ट करे। एक तरफ़ उसे घबराहट भी हो रही थी और दूसरी तरफ़ उसके दिल में अजीब सी हलचल हो रही थी। ज़ारा का दिल वंश की तरफ़ झुक रहा था। पर वह इस बात से बेख़बर थी कि जिस शख़्स से वह दिल लगा रही है, उस शख़्स को दिल संभालना नहीं, बल्कि दिल के टुकड़े कर उन टुकड़ों से खेलना पसंद है।

    शतरंज का बादशाह था वह, तुम्हारा हारना तो लाज़मी था।

    तुम नासमझ, दिमाग के खेल में दिल जो लगा बैठे थे।

    वहीं ज़ारा को समझ नहीं आ रहा था वह वंश से क्या कहे। इसलिए वह बात को बदलते हुए बोली-

    "वंश, तुम बाहर हर वक़्त यह मास्क क्यों लगाकर रखते हो?"