यह कहानी है काजल और देव की। काजल एक भोली-भाली, थोड़ी नटखट सी छात्रा थी, जिसे अपने प्रोफेसर देव सर से प्यार हो गया। लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसे दोनों ने कभी सोचा भी नहीं था। अचानक उनकी शादी हो जाती है। एक नई यात्रा शुरू होती है। लेकिन द... यह कहानी है काजल और देव की। काजल एक भोली-भाली, थोड़ी नटखट सी छात्रा थी, जिसे अपने प्रोफेसर देव सर से प्यार हो गया। लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसे दोनों ने कभी सोचा भी नहीं था। अचानक उनकी शादी हो जाती है। एक नई यात्रा शुरू होती है। लेकिन देव क्या शादी के बाद काजल से प्यार कर पाएगा? यह एक ऐसी कहानी है जो न केवल उम्र के अंतर को, बल्कि दो अजनबी की अलग-अलग ज़िंदगी को जोड़ती है। कृपया मेरी किताब को एक बार ज़रूर पढ़ें। अगर आपको पसंद आए तो मुझे फॉलो करें। आपका समर्थन मेरे लिए बहुत मायने रखता है।
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**Kajal POV**
"१० बज चुके हैं काजल, जल्दी उठ! आज भी कॉलेज के लिए लेट होना चाहती है क्या? जल्दी उठ जा एक दिन।"
"आह्ह्ह माँ, थोड़ा और सोने दो ना।"
"नहीं, अभी के अभी उठेगी तू!" माँ ने मेरे मुँह के ऊपर से चादर खींच कर नीचे फेंक दिया। अब मुझे उठना ही पड़ेगा। पता नहीं क्या हो जाता है, हर रोज़ सुबह मैं लेट ही उठती हूँ। मन ही नहीं करता आँख खोलने का।
पर अब मुझे उठना ही पड़ेगा, वरना मेरी माँ मुझे गुस्से में ज़िंदा खा जाएंगी। उनका मुँह वैसे भी लाल हो जाता है जब उन्हें गुस्सा आता है।
जल्दी-जल्दी मैं नहाने चली गई। नहाने के बाद कॉलेज के लिए तैयार होकर, खाना खाकर निकल जाऊंगी। मेरा पहला लेक्चर ११:३० बजे से शुरू होगा। तो मैं ज़्यादा लेट नहीं हुई हूँ शायद।
जल्दी से नहाने के बाद मैंने एक सुंदर सी लाल कुर्ती पहन ली। साथ में एक सफेद दुपट्टा। मुझे पता नहीं क्यों सफेद दुपट्टे बहुत पसंद हैं। सबको सफेद पसंद नहीं आता, पर मुझे तो बहुत अच्छे लगते हैं।
नाश्ता करने के लिए मैं ने मेरे लिए गरमागरम पराठे और आलू की सब्जी बनाई थी। साथ में थोड़ा सा अचार भी रखा था। मैं जल्दी-जल्दी खाने लगी क्योंकि मुझे पता था कि कॉलेज के लिए निकलने का समय हो रहा है।
नाश्ता खत्म करने के बाद मैंने अपना बैग उठाया और माँ से जल्दी-जल्दी विदा ली। घर से बाहर निकलते ही ठंडी हवा ने मेरे चेहरे को छुआ। मैं तेज़ कदमों से बस स्टॉप की तरफ बढ़ने लगी। मन में यह उम्मीद थी कि आज का दिन अच्छा बीतेगा।
पढ़ाई का समय अच्छा गुजरेगा, क्योंकि कॉलेज में तो वो भी होंगे।
वो कौन हैं? वो मेरे एक प्रोफेसर हैं। देव सर।
मुझे वो थोड़ा पसंद हैं। वैसे सिर्फ मैं ही नहीं, हमारी पूरी कॉलेज उनकी दीवानी है। बस दो महीने ही हुए हैं उनके कॉलेज जॉइन किए हुए और इन ६० दिनों में हमारे देव सर ने लड़कियों को अपना दीवाना बना दिया है।
वो दिखने में इतने सुंदर हैं, एकदम शांत स्वभाव के इंसान हैं। हर टॉपिक अच्छे से समझाते हैं। और उनकी क्लास लड़कियां कभी मिस नहीं करतीं। मैं भी नहीं करती।
पाँच मिनट में मैं कॉलेज पहुँच गई थी। मेरा कॉलेज मेरे घर से ज़्यादा दूर नहीं है, पास ही है। अगर पैदल चलूँ तो दस मिनट लगते हैं, और अगर बस से जाऊँ तो सिर्फ पाँच मिनट।
"महारानी का आखिरकार कॉलेज में आने का टाइम हुआ। है ना, काजल?"
"हम तो सोच रहे थे कि तू आज कॉलेज आएगी ही नहीं।"
निशा और खुशबू, मेरी सबसे अच्छी सहेलियाँ, कॉलेज गेट के सामने ही खड़ी थीं। उनको देखकर मैं तुरंत उनकी तरफ भागकर चली गई।
"ऐसे मत बोलो। मैंने ज़्यादा लेट नहीं किया आज," मैंने उनसे कहा।
"हाँ, कल परसों इसने और भी ज़्यादा लेट किया था... आज थोड़ा जल्दी आई है," आखिरकार निशा ने मेरा समर्थन करते हुए कहा। हम तीनों अपने क्लासरूम की तरफ़ बढ़ने लगे।
"सर आए हैं ना आज?" मैंने पूछा।
"कौनसे सर?"
ये क्या सवाल है? क्या इन्हें नहीं पता मैं कौनसे सर के बारे में पूछ सकती हूँ?
"और कौन? हमारे प्यारे, हैंडसम से सर। देव सर," मैंने कहा।
"आए हैं शायद। हमने देखा नहीं," उन्होंने जवाब दिया।
अब मैं उनसे सीधा क्लास में मिलूँगी। मैं बहुत उत्साहित हूँ। पहली क्लास उन्हीं की है।?