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Ranaway Romance

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Simran Meshram

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Description

अर्थव, एक अनाथ और गरीब लड़का, और रूमी, एक अमीर प्रतिष्ठित खानदान की लड़की, दोनों की जिंदगी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थी। फिर भी, प्यार की ताकत ने उन्हें एक दूसरे के करीब ला दिया। दो साल के गहरे प्यार के बाद, रूमी ने हर तरीके से अपने परिवार को मनाने की...

Characters

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अर्थव वसिष्ठ

Hero

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रूमी चौधरी

Heroine

Total Chapters (2)

Page 1 of 1

  • 1. Ranaway Romance - Chapter 1

    Words: 1105

    Estimated Reading Time: 7 min

    आज से हमारा और तुम्हारा हमसे कोई रिश्ता नहीं है। मैं तुम्हारा पापा नहीं और तुम मेरी बेटी नहीं। जब तुम भाग गई ना इस घर से अपने इस आशिक से शादी करने के लिए उसी वक्त हमारा रिश्ता खत्म हो गया था रूमी। आर्यन चौधरी रूमी के पिता ने गुस्से में कांपते हुए कहा।

    रूमी जो कि उसी के सामने खड़ी थी लाल साड़ी में दुल्हन की तरह सजी हुई उसके बगल में एक लड़का भी खड़ा था। रूमी का सर जो कि अब तक झुका हुआ था।

    अपने पिता की बात सुन अपने धीरे से अपना सर उठाया उसकी आंखें डबडबा गई थी उसके होटल के से कांप रहे थे। अपने पिता की आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था।

    रूमी ने रूंधी आवाज में कहा पापा आपने मेरे पास कोई रास्ता छोड़ ही नहीं मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि मैं ऐसा करूंगी।

    मैंने तो आपको सब बताया था ना फिर भी आपको दिक्कत थी तो मैं क्या करती। उसने इतना बोला ही था कि अचानक वहां जोरदार थप्पड़ की आवाज गुंज गई और रूमी का चेहरा एक तरफ झुक गया।

    वही उसके बगल में ही खड़े लड़के अर्थव जिसने अभी-अभी रूमी से शादी की थी उसके हाथों में मुठिया भीच गई ‌पर उसने खुद शांत किया।

    उसके आर्यन जी गुस्से में बोलें तुझे जरा भी शर्म नहीं है एक तो इतनी बड़ी गलती की है तुमने और बोल रही हौ कि क्या करतीं तुम।

    रूमी ने धीरे से उनकी तरफ देखा वो सिसक रही थी। आर्यन जी ने कहा छोड़ी थी हमने ऐसा फैसला लिया है। कहां कमी रह गई थी हमारे प्यार में।

    रूमी कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी पर उसके शब्द उसे गले से निकल ही नहीं रहें थे। वो हिम्मत करते हुए बोली।

    कोई कमी नहीं थी आपके प्यार में पापा। आर्यन जी ने कहा खबरदार जो तुमने हमें अपनी जुबान से पापा कहा हम नहीं है तुम्हारे पापा तुम नहीं हो हमारी बेटी हमारी बेटी मर गई है।

    ये बात सुन रूमी को ऐसा लगा जैसे ना जाने कितनी खंजर उसके सीने में भोग दिए गए हैं। तभी वहां पर एक औरत आई उसकी आंखें नमकीन उसने आर्यन जी के कंधे पर हाथ रखकर कहां की क्या कर रहे हो आप क्या बोल रहे हो।

    कोई जवान बेटी पर हाथ उठाता है क्या, और कोई ऐसे बोलता है कि अपनी बेटी को। मालिनी चौधरी रूमी कि मां ने कांपती हुई आवाज में कहा।

    आर्यन जी ने गुस्से में उनका हाथ हटा दिया। और चिल्लाते हुए कहा ये लड़की हमारी बेटी कभी नहीं हो सकती कभी नहीं लड़की को बोल दो कि हमारी नजरों से दूर हो जाए।

    दोबारा हमें अपना चेहरा कभी ना दिखाएं वरना यह हमारा मरा हुआ मुंह देखेंगी। रूमी अंदर तक हिल गई उसकी आंखों में आंसू की धार बहने लगी।

    वह सोचने लगी क्या सच में उसके पिता को उससे इतनी नफरत हो गई कि वह उसका चेहरा तक नहीं देखना चाहते। उसके होंठ कांपन कर रहे थे।

    उसके गाल पर अब भी वह थप्पड़ का निशान था। रोने के कारण उसकी आंखों का काजल हल्का सा बिखर गया।

    वही उसके पापा ने कहा हमारा इस लड़की से कोई रिश्ता नहीं और अगर किसी ने भी इस लड़की से बात करने की कोशिश की तो हमसे बड़ा कोई नहीं इतना बोल वह घर के अंदर चले गये।

    वही मालिनी जी बेबस होकर उन्हें देखतीं रह गई। उन्होंने अपनी आंखें बंद करें उनकी आंखों से हल्का सा आंसू बह गया।

    मालिनी जी ने मोड़ पर रूम को देखा जो रो रही थी। मालिनी की उसके पास आई और सर पर हाथ रखकर बोली।

    तू तो जानती है ना अपने पापा का गुस्सा। वो नाराज़ हैं इसलिए इतना कुछ बोल गये देखना उनका गुस्सा जैसे ही शांत हो जाएगा ना सब ठीक हो जाएगा।

    उन्होंने प्यार से समझाते कहां। रूमी ने अपनी मां को गले लगा ले और रोने लगी। मालिनी जी ने भी उसे लगाया और उसकी पीठ सहलाते हुए कहा।

    रोना बंद करो। रोते नहीं मालिनी जीने से खुद से दूर किया तो सर पर हाथ रखकर कहा अभी मुझे भी जाना होगा वरना तुम्हारे पापा बहुत गुस्सा करेंगे।

    हमेशा खुश रहो। वही मालिनी जी ने एक नजर अर्थव को देखा तो चुपचाप से बस अपनी नज़रें झुका कर खड़ा था। मालिनी की उसके पास है और उसके कंधे पर हाथ रखते हैं उम्मीद करती हूं कि मेरी बेटी को कभी तकलीफ नहीं दोगे।

    इतना बोल वो मुड़ गई। अर्थव उन्हें देखता रह गया। वही वहां पर शिवांश पास में आ गया उन्होंने रूमी को देखकर कहा तुमसे मुझे यह उम्मीद नहीं थी। इतना बोल वो भी चला गया।

    रूमी कुछ नहीं बोल पाई । कभी उसे अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ उसने देखा यह उसकी भाभी कनक थी।

    कनक ने कहा कोई कुछ भी बोलो मैं तुम्हारे साथ हूं मैं जानती हूं तुमने कुछ गलत नहीं किया अपने प्यार के लिए लड़ना कोई गलत बात नहीं है।

    और पापा का गुस्सा वह शांत हो जाएगा। कनक ने हल्का सा मुस्कुराते हैं ऐसे उदास मत रो शादी हुई आज तुम्हारी। तुम्हें किसी बात की टेंशन लेने की जरूरत नहीं है सब ठीक हो जाएगा।

    आज तुमने अपनी जिंदगी की नई शुरुआत की तो सब कुछ भूल जाओ और खुश रहो मैं तुम्हें कॉल करती रहूंगी और घर के बारे में बाताते रहूंगी हम्म।

    जल्दी से स्माइल दे दो मुझे को प्यारी सी। रूमी ने जबरन झुठी मुस्कान दि। तभी एक आवाज आई कनक। पान अपने मुड़ के देखो मुझे जाना होगा।

    इतना बोल घर के अंदर भाग गई। अब वहां पर कोई नहीं था। रूम में खड़ी चुपचाप उसे विला को देख रही थी जहां पर उसका बचपन मिलेगा कितनी सारी यादें जुड़ी हुई थी उसकी।

    वो चुपचाप बस उसे विला को निहार रही थी उसकी आंखों में आंसू थे लाखों जज्बात थे और दिल में दर्द भी था। वही अर्थव थोड़ा उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखा।

    रूमी ने उसकी तरफ आशु भरी आंखों से देखा। अर्थव ने धीरे से उसके आंसू अपनी अंगूठे से पूछ दिए और उसकी आंखों में देखकर अपनी आंखें हल्की सी झपका दी।

    जैसे बोल रहा हूं सब ठीक होगा। रूमी ने उसका हाथ पकड़ लिया। अर्थव ने भी उसका हाथ मजबूती से पकड़ लिया और धीरे से कहा चलो चलते हैं।

    To be continue.....

    अब क्या होगा आगे ? क्या माफ कर देंगे आर्यन जी रूमी को ? क्या वह अपनाएंगे अर्थव और रूमी के रिश्ते को जानने के लिए पढ़ते रहे।

    और प्लीज लाइक कमेंट शेयर करना कमेंट तो जरूर कर देना ‌ स्टोरी आगे चलकर बेहद इंटरेस्टिंग होने वाली इसलिए प्लीज कमेंट करके बताना कि कैसी लग रही है वरना मैं स्टोरी बंद कर दूंगी।

  • 2. Ranaway Romance - Chapter 2

    Words: 1073

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब तक…

    अब वहां कोई नहीं था…
    रूमी खामोशी से खड़ी, उस विला को देख रही थी  जहां उसका बचपन बसा था, उसकी मासूम यादें, उसकी हँसी, उसके आँसू… सब यहीं तो थे।

    आंखों में आंसू थे, दिल में दर्द… और जुबां पर खामोशी।
    उसी वक़्त अर्थव उसके करीब आया। उसने रूमी के कांपते कंधों पर अपना हाथ रखा।

    रूमी ने आंसुओं से भीगी नज़रों से उसकी ओर देखा।
    अर्थव ने बिना कुछ कहे, अपने अंगूठे से उसके आंसू पोंछ दिए… और आंखों से इशारा किया“सब ठीक होगा…”

    रूमी ने धीरे से उसका हाथ थाम लिया… और वो दोनों वहां से निकल गए।

    अब आगे…

    दो घंटे बाद, दोनों एक बिल्डिंग के बाहर खड़े थे।
    अर्थव लिफ्ट खोल रहा था, तभी एक औरत सामने आई।

    “अरे वाह! आख़िरकार अपनी दुल्हन को ले ही आए तुम…”
    उसने रूमी की ओर देखा “बहुत ही प्यारी है तुम्हारी बीवी…”

    अर्थव हल्के से मुस्कुराया। रूमी बस सिर झुकाकर खड़ी रही… क्योंकि वह किसी को जानती नहीं थी यहां पर, न कुछ समझ पा रही थी।

    उस औरत ने अर्थव के सिर पर प्यार से हाथ रखती हुई बोली “बहुत खुश हूं तुम्हारे लिए।” और फिर वहां से चली गई।

    अर्थव ने रूमी का हाथ थामा और लिफ्ट की ओर बढ़ गया।
    कुछ देर बाद, दोनों एक अपार्टमेंट के दरवाज़े पर खड़े थे।

    “दो मिनट… यहीं रुको।”
    रूमी ने चुपचाप सिर हिला दिया।

    थोड़ी ही देर में अर्थव एक थाली और एक कलश लेकर आया। थाली में आरती सजी थी, और कलश में चावल।
    उसने कलश दरवाज़े के आगे रखा और थाली से रूमी की आरती उतारने लगा।

    रूमी उसे हैरानी स देखने लगी ।
    अर्थव ने उसकी आंखों में देखकर हल्के से मुस्कुराते हुए उसके माथे पर तिलक लगाया।

    "सीधा पैर आगे बढ़ाओ… और इस कलश को गिरा दो।"
    रूमी थोड़ी झिझकी… फिर अर्थव की आंखों में भरोसा देख, उसने अपना पैर आगे बढ़ाया और कलश गिरा दिया।

    अर्थव ने थाली एक तरफ रख दी और रूमी फिर दरवाजे के बाहर कदम रखा और उसके बगल में आकर खड़ा हो गया। का हाथ थाम कर बोला अब चलो… हमारे घर में तुम्हारा स्वागत है।”

    रूमी ने उसकी आंखों में देखा,उसके चहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई यह सच्ची मुस्कुराहट थी। अब तक जो उसका चेहरा लटका हुआ था इतना कुछ होने के बाद।

    अर्थव की छोटी सी कोशिश के बाद उसका छोटा सा चेहरा हल्का सा खिल उठा। वही अर्थव और वह दोनों अंदर है अर्थव होने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।

    अर्थव के हाथ में बड़ा सा बैग था जो रूमी का था। औरतों ने दूसरे हाथ से रूमी का हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे में ले आया और बैग को बेड पर रख दिया।

    और फिर रूमी के चेहरे पर प्यार से हाथ रखकर कहां जाओ चेंज कर लो मैं तुम्हारे लिए कुछ बना देता हूं भूख लगी होगी ना हम्म।

    रूमी ने हां में सर हिला दिया। अर्थव ने कहा हम्म तो अब जल्दी से फ्रेश हो जाओ चेंज कर लो तब तक मैं कुछ बनाकर लाता हूं ।

    वॉशरूम वहां पर है।‌ वह इतना बोल कमरे से बाहर चला गया। वही रूमी ने अपना बैग खोला उसमें से उसने एक सूट निकला।

    और फिर वॉशरूम में आ गई उसने मिरर में खुद को देखा। और फिर एक गहरी सांस ली और फिर अपना चेहरा साफ कर लिया।

    उसके लिए यह दिन बहुत भारी था। एक ही दिन में सब कुछ बदल गया  समाज और परिवार ही नजरों में वह गलत हो चुकी थी क्योंकि उसने अपने प्यार को जो चुना। और अगर परिवार को चुनौती तो प्यार छूट जाता।

    उसकी आंखों में हल्के से आंसू आ गए सब कुछ दोबारा याद करके अपने पापा की बातें अपने भाई की बातें।

    पर उसने खुद को संभाल लिया और कहां मैं मना लूंगी पापा को। उसने खुद को समझाया और फिर चेंज करके बाहर आई। चुपचाप से बेड पर बैठ गई।

    कुछ देर बाद अर्थव आया उसके हाथ में खाने की प्लेट थी वह उसके पास में बैठ गया। रोटी का टुकड़ा तोड़ते हुए सब्जी में डुबोकर उसकी तरफ बढ़ा दिया।

    रूमी ने उसकी तरफ देखा। अर्थव ने कहा देखना नहीं खाना हैं उसने खान की तरफ इशारा करते हुए कहा।

    रूमी ने धीरे से अपना मुहं खोला और का लिया। रूमी धीरे से चबाने लगी। अर्थव ने कहा कैसा बना हैं। मतलब अच्छा बना है ना वह जल्दी-जल्दी में बनाया है मैंने।

    रूमी ने उसकी तरफ देखा और धीरे से बोली अच्छा हैं। अर्थव ने बस मुस्कुरा दिया। उसने दूसरा निवाला रूमी की तरफ बढ़ाया।

    तो रूमी ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया और उसके से रोटी का टुकड़ा ले लिया। और उसकी तरफ बढ़ते हुए धीरे से बोली तुम भी खाओ।

    अर्थव ने शांत आंखों से उसे देखा और फिर चुपचाप से खा लिया। कुछ देर बाद दोनों ने अपना खाना खत्म कर लिया था।

    अर्थव प्लेट रखने जा ही रहा था कि रूमी ने धीरे से कहा अर्थव। अर्थव ने तुरंत पलट कर देखा और बोला हां। रूमी ने अपने बैग की तरफ देखते हुए धीरे से कहा यह..ये कपड़े कहां रखूं।

    अर्थव ने शांत आवाज में कहा उस कबर्ड में रख दो । रूमी ने सर हिला दिया। वही अर्थव किचन में चला गया। रूमी अपने कपड़े कबर्ड में अच्छे से रखना लगी।

    वही अर्थव प्लेट रख कर आया और उसकी मदद करने लगा। रूमी ने उसे देखा पर कुछ बोली नहीं।

    कुछ देर बाद उन दोनों ने सब कुछ सही से रख दिया। वही अर्थव ने खिड़की दरवाजे बंद कर दिये। और फिर बेड पर आकर बैठ गया और बोला।

    रूमी काफी टाइम हो गया है अब सो जाओ ऐसे भी आज का दिन काफी थकान भरा था तुम्हारे लिए तुम्हें आराम करना चाहिए।

    वही रूमी उसे अपने मासूम आंखों से देख रही थी जैसे कुछ पूछना चाह रही है पर उसकी आंखों में एक अलग से झिझक थी।

    अर्थव नेउसकी आंखों में देखकर कहां कुछ बोलना है। जैसे कि उसने उसका चेहरा पढ़ लिया हो उसकी आंखों की बात समझ ली हो।

    रूमी ने ने अपना सर झुका लिया और अपने निचले होठों को हल्का सा बाइट करने लगी। अर्थव समझ गया कि वह नर्वस है उसने उसका चेहरा ऊपर की और उसके थोड़ा करीब आकर बैठ गया।

    और कहा क्या हुआ क्या बात हम्म बाताओ मुझे।

    To be continue.....

    आखिर क्या बोलना चाहती है रूमी अर्थव को। क्या उनका प्यार मुकम्मल हो पाएगा या कोई आएगी परेशानी? आर्यन जी एक्सेप्ट करेंगे अर्थव को ?

    जानने के लिए पढ़ते रहे और कमेंट करना बिल्कुल मत भूलना प्लीज।