प्यार जो इस दुनिया मे सबसे पबित्र है, क्या होगा ज़ब वही श्रापित होगा ! दुनिया से अनजान एक जगह, श्रापित जंगलों के बीच पबित्र शक्तियों की एक जादुई गुरुकुल। ईभान जो इसी गुरुकुल का कमजोर सा स्टूडेंट था, हमेशा से कुछ ना सिख पाने के वजह से सभी उसे बुली किया... प्यार जो इस दुनिया मे सबसे पबित्र है, क्या होगा ज़ब वही श्रापित होगा ! दुनिया से अनजान एक जगह, श्रापित जंगलों के बीच पबित्र शक्तियों की एक जादुई गुरुकुल। ईभान जो इसी गुरुकुल का कमजोर सा स्टूडेंट था, हमेशा से कुछ ना सिख पाने के वजह से सभी उसे बुली किया करते थे। पिछले एक साल से ईभान के सपनो मे अपना बसेरा बनायी थी, एक भेम्पयार क्वीन, छलो की रानी - यशना राठी। यशना उसे सपनो मे ही दिखाती है -की दोनों एक दूसरे से सदियों से प्यार करते आ रहे ओर यशना को काली दुनिया कैद कर लेती है। ये देखते ही बिना ये जाने वो सच थी या भ्रम, ईभान यशना को बचाने जाता है काली दुनिया मे ओर वहा कुछ ऐसा होता है की उसे बनना पड़ता है वहा का बादशाह। लेकिन इतने मे कहानी खत्म नहीं हुयी, उसी वक़्त यशना ईभान को खाई मे फेक देती है। क्या ईभान का सपना हक़ीक़त था ? क्या है यशना की सच्चाई? वो छल है या हक़ीक़त ! क्यों ईभान को बनना पड़ा काली दुनिया का बादशाह ? क्यों यशना ने उसे खाई मे फेका ?
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"तुम्हें बर्बाद कर दिया मैंने" — एक लड़की ये बोलते हुए ज़ोर-ज़ोर से हँसे जा रही थी। कुछ देर तक उस सुनी जगह पर बस लड़की की हँसी गूंज रही थी। हँसते-हँसते उसे कुछ याद आता है, वो अपना सर उठाकर सामने देखती है।
अंधेरों से भी ज़्यादा काला आसमान के नीचे एक नीले रंग का चमचमाता महल था, जिसे देखते हुए उसकी आँखों में नफरत दिखाई दे रही थी।
थोड़ी देर बाद एक लड़का उस महल के अंदर चला जाता है। वो लड़का बस चले जा रहा था, उसकी आँखें आगे चल रही एक सुनहरी रौशनी पर टिकी हुई थीं। जैसे-जैसे वो लड़का उस रौशनी के पास जाता, वो रौशनी उतनी ही दूर होती जा रही थी। कुछ ही देर में वो लड़का एक खाई के सामने खड़ा था और वो सुनहरी रौशनी एक परछाईं में बदल चुकी थी। वो बहुत कोशिश करता है उस परछाईं का चेहरा देखने के लिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाता। तभी वो परछाईं अपना एक हाथ आगे बढ़ाती है और कुछ ऐसा करती है कि वो लड़का खींचा चला जाता है आगे और पल भर में वो खाई में गिर जाता है।
"नहीं!" — एक लड़का बेड पर चीखते हुए उठता है, वो लगातार हाँफ रहा था। कुछ देर में वो नार्मल हो जाता है और चारों तरफ़ देखने लगता है। वो खुद को एक छोटे से घर के अंदर बिस्तर पर पाता है। ये देख वो दोबारा बेड पर लेट कर खुद से बोलता है, "क्यों बार-बार ऐसा सपना आता है मुझे? कौन है वो परछाईं?" ये सब सोचने लगा, पिछले कुछ दिनों से उसके साथ काफ़ी कुछ हो गया था।
अगली सुबह
ईभान उठकर अपने रूम से बाहर आता है तो उसकी नज़र सामने जाती है — एक खूबसूरत सा बग़ीचा था, जो मनमोहक होने के साथ-साथ जादुई भी था।
असम को काले जादू का मुख्य केंद्र कहा जाता है। कहते हैं, यहाँ सबसे ज़्यादा बुरी शक्तियाँ वास करती हैं। पर कोई नहीं जानता था कि काले जादू के साथ कुछ ऐसी अद्भुत शक्तियाँ भी थीं जो अच्छाइयों पर आधारित थीं।
ये जगह थी असम के एक घने जंगल के बीचो-बीच, जहाँ आज तक एक नार्मल इंसान भी नहीं आ पाया था। कोई भी अंदर तक जाने की कोशिश करता, तो भ्रमित होकर कहीं और पहुँच जाता था। ये जंगल जीवित था। सब कहते हैं कि ये जंगल लोगों को ज़िंदा खा जाता था — जिसका नामोनिशान नहीं मिलता था। आप कह सकते हैं — यह एक शापित जादुई फॉरेस्ट था।
लोग कहते हैं, अच्छाई के साथ बुराई का कोई मेल नहीं होता — लेकिन ये एक ऐसी पवित्र जगह थी, जहाँ की रक्षा बुरी शक्तियाँ करती आ रही हैं युगों-युगों से। यहाँ जंगल के बीच में एक पवित्र मठ था, जहाँ था एक जादुई गुरुकुल — और उस जादू की रक्षा हमेशा ही काली शक्ति करती आ रही थी।
इस जंगल में एक अलग ही क़ानून लागू होते हैं। यहाँ रह रही बुरी शक्तियाँ कभी भी अच्छी शक्तियों के साथ छल नहीं कर सकती थीं, न ही कभी उनके विरुद्ध जा सकती थीं। पुराने ज़माने में बुरी शक्तियों के राजा और अच्छी शक्तियों के देवता के बीच एक संधि हुई थी कि वो लोग हमेशा इनकी रक्षा करेंगे और इस जगह को सबसे छुपाकर सुरक्षित रखेंगे। बुरी शक्तियों के आधार पर अच्छी शक्तियों का रहस्य हमेशा छुपा रहता है। यहाँ एक नहीं, दो नहीं — कई बुरी शक्तियाँ थीं जो अब चाहकर भी कुछ बुरा नहीं कर सकती थीं। और कहते हैं ना — हर बुरी चीज़ बुरी नहीं होती, यहाँ भी ऐसा ही था। हम सबको पता है — ज़्यादा अच्छी शक्तियाँ अगर सबके हाथ लग गईं, तो दुनिया विनाश हो सकती है — क्योंकि हर इंसान अच्छा नहीं होता।
इस संधि के बदले में अच्छी शक्तियाँ हमेशा ही उन्हें उनकी असली ताक़त को दुनिया से छुपाकर रखने में मदद करती हैं। क्योंकि बुरी शक्तियाँ कितनी ही अच्छी हो जाएं, उनकी नीयत और फ़ितरत कभी भी बदल जाती है — तो उस जंगल के बीच में बने मठ के पुजारी के पास कुछ ऐसा द्रव्य था, जो उन्हें काबू में रख सकता था — और दुनिया के सामने एक इंसान बनकर वो आराम से जी भी सकते थे।
"गुरुकुल"
ईभान इसी गुरुकुल का एक स्टूडेंट था — वो काफ़ी साधारण सा था। वो बाहर खड़ा होकर अभी भी सामने ही देख रहा था कि उसके कानों से एक आवाज़ टकराई — वो उस आवाज़ का पीछा करते हुए जाने लगा।
"त्रिष, इधर देखो यार — मुझसे ये होता क्यों नहीं?" — एक लड़की मुँह बनाते हुए बोल रही थी।
त्रिष, जो कि अभी अपनी ट्रेनिंग कर रहा था, उस लड़की की बात सुनकर उसे घूर कर देख बोला, "देख, ज़हरीली चुड़ैल! मुझे परेशान मत कर।"
"तेरी तो! तू मुझको चुड़ैल बोलेगा?" — ये बोल वो लड़की जो अभी अपने ध्यान को केंद्रित करके कुछ करने की कोशिश कर रही थी, वो त्रिष की तरफ़ दौड़ती है। त्रिष ने जैसे ही ये देखा — वो जल्दी से वहाँ से भागने लगा और चिल्लाते हुए बोला, "अरे मैंने 'ज़हरीली' भी तो बोला था, ज़ारा की बच्ची!"
ये लड़की थी ज़ारा ठाकुर — कोलकाता की ठाकुर परिवार की इकलौती नातिन। सबकी जान — प्यारी सी, पर बस दिखने में, शैतानी में इसका कोई जवाब नहीं। हाइट 5 फ़ीट 5 इंच, दुबली-पतली सी, चेहरा एकदम जैसे कोई कोमल गुलाब — आकर्षण उसमें कूट-कूट कर भरा था।
जहाँ त्रिष भाग रहा था और ज़ारा पीछे — वहीं त्रिष की बातें सुन ज़ारा ने कहा, "हाँ ठीक है, वो तो मैं हूँ ना, इसलिए बुरा नहीं लगता।"
वो दोनों एक-दूसरे के पीछे ऐसे ही भाग ही रहे थे कि तभी एक हल्की ठंडी हवा का झोंका उनके पास से आकर गुज़र गया। हवा महसूस करते ही दोनों अपनी जगह रुक गए और घूर कर उस तरफ़ देखे जिधर से ठंडी हवा आई थी। फिर दोनों ही एक साथ टोंट मारते हुए बोले, "बस एक साल में इतना ही सीख पाए हो तुम?" — ये बोलकर दोनों ही हँसने लगे।
सामने एक नार्मल सा दिखने वाला लड़का खड़ा था, जिसके आँखों में चश्मा और माथे के बाल बिखरे हुए थे। आँखें उसकी हल्की आइस ब्लू कलर की थीं। उसने एक ढीली सी व्हाइट शर्ट और ब्लैक पैंट पहना हुआ था। वो लड़का उनकी टोंट भरी बातें सुन बस हल्का सा मुस्कुरा देता है और वहाँ से जाने लगता है। तभी एक दूसरा लड़का आता है और उसे रोकते हुए कहने लगा, "चल, तू आज बता ही दे — तू क्यों ये हमेशा बस मुस्कुरा कर चला जाता है?"
वो लड़का उसकी बात सुनकर उस लड़के को एक नज़र देखकर बोला, "कुछ नहीं।" फिर वो वहाँ से जाने लगा। तभी वो दूसरा लड़का दुबारा उसे रोकते हुए बोलने लगा, "सुना है, तुझे तेरे सपने ने बहुत परेशान कर के रखा है।" ये सुनते ही वो पहला लड़का जो वहाँ से जा रहा था — वो रुक गया और मुड़कर उस दूसरे लड़के को देखते हुए बोला, "आज नहीं, अंश।"
"अरे अरे, क्यों आज नहीं? तू आज बता ही दे हमको — कि तूने ठीक क्या देखा था? और किसको बचाने की बात तू करता रहता है अपने सपने में?" — वो तीनों उसके सामने आकर खड़े हो जाते हैं और उसका मज़ाक उड़ाते हुए बोले जा रहे थे। तभी अंश उसके और पास जाकर कुछ सोचने का नाटक करता हुआ बोला, "हाँ... यशना! यही नाम था ना उसका?"
ये बोल वो ज़ोरों से हँसने लगा — तो साथ में ज़ारा और त्रिष भी हँसने लगे। वहीं वो लड़का परेशान हो जाता है उन सबकी बातों से और अपने दोनों हाथ कानों पर रख लेता है — दिन में ये लोग और रात में वो सपना — दोनों ही उसे चैन से जीने नहीं देते थे।
वो तीनों हँस ही रहे थे कि तभी उन्हें किसी की सख्त आवाज़ सुनाई देती है, "क्यों उसको परेशान करते रहते हो? वो बस दोस्ती करने आता है तुम सबसे, और तुम लोग!"
इस आवाज़ को सुनते ही वो तीनों अपने जगह जम जाते हैं — वो पीछे मुड़कर देखने लगते हैं। उन तीनों को शॉक में देख, सामने वाला इंसान कहता है —
"अब क्या हुआ? साँप सूंघ गया तीनों को? अभी तो शोर मचा रहे थे! ऐसे ही करते रहे, तो तुम लोग 'क्लाउड ऑफ हैवन' तो कभी नहीं पहुँच सकते हो! मैं यक़ीन के साथ कह सकता हूँ — ये आधी विद्या भी तुम्हारी कोई काम नहीं आएगी वहाँ पर जब परीक्षा होगी। और बाबा भी तुम लोगों की इन्हीं हरकतों के वजह से गुस्सा हो जाएँगे। क्या तुम तीनों भूल चुके हो कि तुम तीनों यहाँ मेरे और उसके जैसे ही हो? इन सब स्टूडेंट्स से ज़्यादा ताक़तवर — एक ही साल में तुम लोगों ने वो पद हासिल किया जो किसी ने इतना जल्दी नहीं किया था — ना पिछले 100 वर्षों में कोई कर पाया था।"
सामने खड़ा इंसान जैसे ही ये सब बोलता है — वो तीनों सर झुका लेते हैं, उन्हें भी समझ आ गया था कि अपना ट्रेनिंग छोड़कर वो लोग टाइम वेस्ट कर रहे थे।
वो लड़का इन तीनो को डांट लगा कर जाने लगा ओर फिर मुड़ कर बोला, "ज़ब कोई दोस्ती करे तो कर लेनी चाहिए क्या पता आगे हमारे साथ क्या हो?" इतना बोल वो चला जाता है।
वही उसकी बाते सुन ज़ारा मुँह बनाते हुए बोली, "लेकिन हमें तो यही पता था की अपने टाइप की लोगो से दोस्ती करनी होती है नाकि कमजोर तो फिर उससे क्यों करे?"
वो लड़का जाते हुए ये सुन लेता है ओर फिर धीरे से खुद मे कहने लगा, "क्या पता कब किस्मत क्या करे ओर कौन कमजोर ओर कौन ताकतवर ये तो वक़्त बताएगा?"
वही दूसरी तरफ ज़ारा गुस्से से जाते हुए लड़के को देखती है ओर बोलने लगी, "ये शान कभी कभी तो लगता है की ये हमारा दोस्त नहीं दुश्मन है।"
त्रिष ये सुन कर उसके सर पर मारते हुए बोला, "तू भूल क्यों जाती है वो कौन है?"
"अरे हाँ!" ज़ारा कुछ याद करते हुए अपने सर को सेहला कर बोली। जिसे देख त्रिष सर ना मे हिलाते हुए साइड मे देखने लगा जहा कोई नहीं था ये देख वो इधर उधर नजर दोहराते हुए बोला, " अब ये अंश कहा गया?"
वो तीसरा लड़का जो आया था वो था अंश त्रिपाठी। मसूरी के मशहूर कुक आनंद त्रिपाठी के बड़ा बेटा है।
वो दोनों अंश को ढूंढ ही रहे थे कि एक आदमी वहाँ आया और उनसे बोला, "आप दोनों को गुरु जी बुला रहे हैं।"
ये सुनकर वो दोनों सिर हिला दिए और वहाँ से एक तरफ़ जाने लगे।
चारों तरफ़ हरियाली ही हरियाली थी। रंग-बिरंगे फूल चारों दिशाओं की शोभा बढ़ा रहे थे। बीच में से एक बड़ा सा रास्ता था, जिस पर से सब लोग चल रहे थे, और फूलों के बगीचे के पार छोटी-छोटी सुंदर कुटीर बनी हुई थीं। कुटीर तो छोटा था, पर बहुत ही अनोखे तरीके से बनाया हुआ था — जैसे कोई राजा का छोटा सा महल। कुटीर के पीछे बड़े-बड़े घने पेड़, जो लगभग आसमान छू रहे थे — वो उस जगह को एक अलग ही तरह से दर्शा रहे थे।
जो जगह थी तो काफ़ी सिंपल और मनोरम, लेकिन एक पवित्र आभा उस जगह को एक अलग ही नूर दे रही थी। सूरज की किरण जहाँ-जहाँ पड़ रही थी, वहाँ-वहाँ चमक रही थी।
वो दोनों कुछ देर उस रास्ते पर चलते हुए एक बड़ी सी महल जैसी जगह के पास आकर रुके और ऊपर देखने लगे। उस महल जैसी जगह के गेट पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था, "गुरुकुल"। ये वही जगह थी मठ की, जहाँ हज़ारों से भी ज़्यादा लोग आते थे हर 5 साल बाद, और फिर उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी।
त्रिष और ज़ारा गुरुकुल के अंदर चले गए और फिर एक हॉल में जाकर खड़े हो गए। वहाँ उनकी तरह ही बहुत से लड़के-लड़कियाँ खड़े थे।
"तो आप सब यहाँ आ गए हैं। आइए, आप सबको यहाँ बुलाने का कारण बताते हैं।" — एक रोबदार आवाज़ उस जगह पर गूंज गई।
सबने सिर उठाकर सामने देखा, जहाँ एक 50 साल के आदमी खड़ा था। ये कोई और नहीं, इस गुरुकुल के मास्टर थे, जिन्हें सब गुरु जी बुलाते थे। इनमें अनंत शक्तियाँ थीं — इतनी शक्तियाँ कि किसी को भी ये पल में मार सकते थे। पर ये अकेले उस भयानक शक्तियों का मुक़ाबला नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने अपनी सेना बनाना शुरू किया। मास्टर शिवांश — इनके नाम की तरह ही, इनमें शिव जी की अपार शक्तियाँ थीं, जैसे कि नागमणि की शक्तियाँ। ये दिखने में जितने शांत थे, उतने ही गुस्सैल और डरावने भी थे। उनको लापरवाही बिल्कुल पसंद नहीं थी।
सब लोग उनकी तरफ़ देखे, तो वो आगे बोले, "आज से एक साल पहले हमने आप सबको यहाँ लाया था। आप सबके आते ही आपकी यादें ज़ेहन से मिटा दी गई थीं, पर यहाँ कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी यादें हमारे बस में नहीं आईं। शायद उनमें कुछ ऐसी शक्तियाँ पहले से थीं, जिस वजह से हम उनकी यादें नहीं मिटा पाए। तो आइए, बुलाते हैं उनको और आप सबसे उन्हें मिलवाते हैं।" इतना बोलकर वो नाम लेकर बुलाए, "त्रिष कंवर, ज़ारा ठाकुर और अंश त्रिपाठी।"
जैसे ही उन तीनों का नाम लिया गया, सब हैरान रह गए क्योंकि वो तीनों गुरुकुल के सबसे बदमाश बच्चे थे — सबको परेशान करना उनका काम था। सभी फुसफुसाने लगे और आपस में कहने लगे, "ऐसी क्या खास बात है इनमें, कि इनकी यादें नहीं गईं? हम तो सब भूल चुके हैं पास्ट का!" तभी वो तीनों स्टेज पर गए, जहाँ मास्टर जी खड़े थे। जाते ही उन्होंने झुककर प्रणाम किया, "प्रणाम गुरु जी।"
गुरु जी बस हल्का सा सिर हिला दिए और फिर दोबारा सारे स्टूडेंट्स की तरफ़ देख कर बोले, "तो चलिए, आज आप सबको एक राज़ की बात बताते हैं।"
ये सुनते ही सब एक-दूसरे को देखने लगे और फिर गुरु जी को। तभी वो आगे बोले, "आप सबको पता है — यहाँ हम आपको जादुई शक्तियाँ सिखाते हैं, कैसे हमें हवा, पानी, बर्फ, मिट्टी और भी कई तत्वों को अपने वश में करना है। लेकिन इसका एक लेवल होता है, जिसे पार करने में लोगों को कम से कम 4 साल लगते हैं — तभी जाकर वो किसी एक तत्व को अपने वश में कर सकते हैं और उस इंसान के अंदर उस तत्व की खूबियाँ आती हैं। लेकिन यहाँ ये तीनों, जो आपके सामने खड़े हैं — इन्होंने बस एक साल के अंदर वो कर दिखाया, जो लोग चार साल में भी मुश्किल से कर पाते हैं।"
जैसे ही गुरु जी ने ये कहा, सभी हैरान होकर त्रिष, अंश और ज़ारा को देखने लगे। मास्टर जी आगे कुछ कहते कि तभी एक लड़का दौड़ते हुए अंदर आया और चिल्लाकर बोला, "गुरु जी! जंगल में कोई घुस आया है और हमारे मठ के बहुत क़रीब आ गया है — वो शक्तियाँ भी उस इंसान को रोक नहीं पाईं!"
आखिर कौन घुस आया था ? क्या है इस गुरुकुल का राज ?
"गुरु जी! जंगल में कोई घुस आया है और हमारे मठ के बहुत करीब आ गया है। वो शक्तियाँ भी उस इंसान को रोक नहीं पाईं!" एक लड़का दौड़ते हुए अंदर आकर बोला।
ये सुनते ही गुरु जी की भौहें सिकुड़ गईं और सारे स्टूडेंट्स डर गए। क्योंकि अभी तक उन्होंने किसी भी बड़ी शक्ति तो क्या, छोटी शक्तियों का भी सामना नहीं किया था। अभी तो बस वे लोग सीख ही रहे थे।
गुरु जी जल्दी से उस लड़के ने जिस ओर कहा था, उस तरफ़ के लिए निकल गए। उनके साथ अंश, ज़ारा और त्रिष भी पीछे-पीछे जाने लगे। यह महसूस करते ही गुरु जी उन्हें पीछे मुड़कर घूरने लगे। तो त्रिष जल्दी से बोला, "गुरु जी, हम कर सकते हैं।"
यह सुनकर वो आँखें छोटी करके उन्हें देखने लगे—जैसे कह रहे हों, "मुझसे ज़्यादा खुद को जानते हो? मैंने ही तुम तीनों को यह सिखाया है, तो मुझे पता है कौन क्या और कितना कर सकता है!"
उनकी तीखी आँखें देखकर वे तीनों वहीं रुक गए। उनमें हिम्मत नहीं थी आगे जाने की। तभी एक लड़का आया और बोला, "बाबा, आपका नहीं पता, लेकिन मुझे इन पर भरोसा है।"
यह सुनकर गुरु जी, जो उन्हें घूर रहे थे, वो हाँ में सिर हिला दिए। और वहीं तीनों खुश होकर उस लड़के को देखने लगे। ज़ारा से तो रहा नहीं गया कि वो बोल पड़ी, "शान, आज मुझे लगा तुम मेरे सच्चे यार हो!"
ज़ारा की बात सुनकर सभी सिर पीट लिए और गुरु जी भी ना में सिर हिलाकर आगे बढ़ गए। ज़ारा की हरकतों से सभी परेशान थे, लेकिन वो बहुत काबिल थी—इसलिए सब उसकी हरकतें झेल लेते थे।
शान भी हल्के से मुस्कुरा दिया और फिर सभी साथ चलने लगे। शान मास्टर जी का बेटा है, "शान अदरेजा"। काबिल और होनहार, ज़ारा, त्रिष और अंश की तरह वो भी 1 साल में सब कुछ सीख गया था। वो उन तीनों के ही उम्र का था। 18 से 21 साल के बीच के लड़के-लड़कियों को चुना जाता था ट्रेनिंग के लिए। शान, त्रिष, ज़ारा और अंश—तीनों 20 साल के थे।
थोड़ी देर में ही वे लोग मठ से निकलकर जंगल के उस हिस्से में थे जहाँ से वो इंसान आ रहा था। उनके पीछे सभी स्टूडेंट्स भी थे—जो युद्ध कैसे होता है, देखने आए थे, और कुछ लोग देखकर सीखने आए थे।
यह दिन का वक्त था, फिर भी वो जंगल इतना घना था कि लग रहा था जैसे रात हो गई है। मठ जितना खूबसूरत था—यह जंगल उतना ही डरावना था।
तभी दूर झाड़ियों में कुछ हलचल हुई। गुरु जी और उनके कुछ साथी, जो काफ़ी सारे जादू जानते थे और वर्षों से इस मठ की रक्षा करते आए थे—वे सब साथ में उस तरफ़ गए।
थोड़ी ही देर में एक छोटी सी जंग छिड़ गई। एक परछाईं, जिसे पकड़ने के लिए सारे मठ के मास्टर्स और त्रिष, शान, ज़ारा, अंश कोशिश करने लगे। वे लोग जितना उस परछाईं को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे—वो परछाईं उन्हें चकमा देकर दूर भाग जाती या दूसरी तरफ़ चली जाती। उन सब का कोई भी जादू वहाँ काम नहीं कर रहा था। सब लोग इससे बेहद परेशान हो गए।
तभी अंश आगे बढ़ा और अपने दोनों हाथ आगे कर कुछ किया। तुरंत उसके हाथों से आग निकलने लगी। पल भर में वहाँ की सारी झाड़ियाँ राख में बदल गईं। जो स्टूडेंट्स वहाँ लड़ाई देख रहे थे—वे हैरान हो गए, अंश को ऐसा करते देख। आग जलाकर भी वहाँ कोई नहीं दिखा, तो त्रिष आगे आया और वहाँ कुछ मंत्र पढ़कर हाथ को आगे बढ़ा दिया—जिससे पानी का एक फव्वारा निकला और सारी जगह एकदम शांत हो गई।
सब के सब स्टूडेंट्स एकदम हैरान थे यह सब देखकर। वहीं गुरु जी प्रसन्न थे। पर तभी एक शैडो वहाँ से आकर उन सबके करीब से गुजर गई। जैसे ही सबको यह एहसास हुआ—सब चौकन्ने हो गए और उस दिशा में दौड़े।
लेकिन वे लोग कुछ कर पाते, इससे पहले ही उनके आँखों के सामने पूरा जंगल जगमगा उठा—जैसे कोई सुनहरी रौशनी हो। सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं और वहीं गुरु जी की आँखें चमक उठीं। उन्हें जैसे इसी का इंतज़ार था। वे मन में बोले, "आख़िरकार मेरी चाल काम आई... तुम आ ही गए सामने।"
जी हाँ—सब लोग सही सोच रहे थे, यह गुरु जी की चाल थी उस पावर वाले इंसान को सामने लाने की। वह इंसान इतना पावरफुल था कि उसने अपनी पहचान भी छुपा रखी थी—वह इतना माहिर था इसमें। जब गुरु जी सब कोशिश कर चुके थे—कुछ हासिल ना हुआ, तब जाकर उन्होंने छल का सहारा लिया।
वहीं सब आँखें फाड़े जंगल को देखे जा रहे थे—किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि वे लोग लाइटनिंग पावर देख रहे थे। यह एक ऐसी पावर थी जो सौ सालों बाद किसी एक इंसान को मिलती है। किसी को यकीन नहीं हो रहा था—ऐसा पावर उनके साथ ही किसी स्टूडेंट में था! पर किसमें और कब आया—यह किसी को नहीं पता था। गुरुकुल का एक ऐसा शिष्य था जो 200 साल पहले इस पावर को हासिल किया था—और अब किसी और ने किया है।
सब जानना चाहते थे कि कौन है वह—लड़का है या लड़की। लेकिन इस सुनहरी रौशनी में कुछ भी नहीं दिख रहा था साफ़-साफ़। तभी उनको बीच में कुछ आभास हुआ और एक चीज़ उड़ते हुए उनके पास आकर गिरी। सब उस ओर देखे, तो एक लड़की की बॉडी थी जो गिरी थी। गुरु जी यह देख परेशान हो गए और जल्दी से उस लड़की के पास गए—चेक करने के लिए कि ज़िंदा है या नहीं। तभी एक आवाज़ गूंजी, "इतना आसान नहीं है मुझे पकड़ना... रौशनी और अंधेरा—दोनों का राजा हूँ मैं!"
यह सुनते ही सब जंगल को देखे, जहाँ एक पल में फिर से अंधेरा छा गया—जैसे कुछ हुआ ही नहीं था। वह सुनहरी रौशनी ऐसे ग़ायब हुई—जैसे थी ही नहीं।
आखिर क्यों आते हैं ईभान को सपने? कैसे मिले होंगे ईभान और यशना? क्या थी इनकी कहानी?
"इतना आसान नहीं मुझे पकड़ना! राजा हूँ मैं राजा! अंधेरा और रौशनी दोनों का किंग!" गुरु जी शॉक हो गए जब उन्हें वह आवाज सुनाई दी। वे जल्दी से सामने देखने लगे और उस आवाज को ढूंढने लगे। उन्हें अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि उनका इतना अच्छा प्लान उस इंसान को पता लग गया था, पर कैसे?
सभी स्टूडेंट्स और बाकी लोग भी उस आवाज की तरफ देखने लगे थे। लेकिन जहाँ कुछ देर पहले रौशनी ही रौशनी थी, वहाँ अब दुबारा से अंधेरा छा गया, एकदम पहले की तरह, जैसे यहाँ कुछ हुआ ही नहीं था। चारों तरफ सन्नाटा छा गया था।
वहीं गुरु जी को अचानक कुछ याद आया। वे जल्दी से अपने सामने पड़ी लड़की को चेक करने लगे। उनकी तो साँसें ही अटक गईं थीं जब उन्होंने उस लड़की को ऐसे उड़ते हुए आकर अपने सामने गिरते हुए देखा। जैसे ही उन्होंने चेक किया, तो उनकी साँस में साँस आई। वहीं उन्हें ऐसे दुश्मन के पास जाकर साँसें चेक करते हुए सब देखकर कन्फ्यूज और हैरान होना पड़ा। फिर आगे उन्होंने जो किया, वह सब सदमे में चले गए।
गुरु जी ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके उस लड़की के अंदर जान फूँक दी। वह जो बेहोश थी, एक ही पल में झटके से उठ गई और बैठकर जोर-जोर से खांसने लगी।
सब अपनी जगह एकदम सुन्न खड़े थे। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था।
वहीं वह लड़की खांसने के बाद गहरी-गहरी साँस लेने लगी और फिर एक लंबी साँस खींचकर बोली, "गुरू जी आपने तो आज जान ही ले ली थी!"
उस लड़की की इस बात पर एक बार दुबारा सब हैरान रह गए। एक अनजान लड़की, जिसे वे लोग जानते तक नहीं थे, ऊपर से इसी को पकड़ने के लिए सभी कब से परेशान थे और अपनी ताकत इस्तेमाल किए जा रहे थे, वह गुरु जी पर इल्ज़ाम कैसे लगा रही थी? और तो और, गुरु जी को क्यों बुला रही थी?
गुरु जी ने जैसे ही उस लड़की की बात सुनी, वह उसे घूरने लगे और फिर वहाँ से उठकर दुबारा मठ के अंदर की तरफ चल दिए। वह लड़की जैसे ही उन्हें जाते हुए देखी, वह भी उनके पीछे जाने लगी कि सामने एक दीवार जैसा आदमी आ खड़ा हुआ।
"अरे तुम कौन हो? हटो सामने से!" यह बोलती हुई वह लड़की अपना छोटा सा चेहरा उठाकर ऊपर देखने लगी।
"सावला सा रंग, काली-काली तीखी नज़रें, शार्प फिचर्स, हल्की सी बियर्ड, वाइट पैंट और हल्की ढीली ब्लू टी-शर्ट पहने एक लड़का खड़ा था।"
उसको देखते ही वह लड़की एक पल को जैसे फ़िदा हो गई। पर अगले ही पल उसे याद आया कि उसे गुरु जी के पास जाना है। वह उस लड़के को घूरने लगी और बोली, "हैं मिस्टर स्टूडेंट, मुझे जाने दो।"
यह सुन वह लड़का उस छोटी सी लड़की को देखा जो अभी मिट्टी से भरी हुई थी, शायद गिरने के कारण लग गई थी उसके बदन और चेहरे पर मिट्टी। एक नज़र देख वह बोला, "शान नाम है मेरा।"
जी हाँ, यह था शान। वही शान ने जैसे ही अपना नाम बताया तो वह लड़की बोली, "मेरा भी नाम सानवी है।" इतना बोल वह आगे बोली, "अब हटो।" फिर भी शान जब नहीं हटा तो सानवी साइड से जाने लगी, पर यह क्या? इतने स्टूडेंट्स उसके सामने क्यों आ गए थे? सानवी का सर चकरा रहा था। सबको इस वक्त सामने देख, उसे गुरु जी से ज़रूरी बात करनी थी और ये सब रास्ते में आ रहे थे।
सानवी आँखें छोटी कर सबको घूरती है और फिर अचानक ही गायब हो जाती है। सानवी के गायब होते ही सब एक-दूसरे को देखने लगे, फिर शान को। तभी शान धीरे से खुद में बोला, "मैं भूल कैसे गया? ये शैडो गर्ल है।"
वहीं अंश यह देख हँसते हुए उसके पास आया और बोला, "मानना पड़ेगा, जिस शान के हाथ से हम भी भाग नहीं पाते, वह भाग गई।"
शान जो पहले से ही गुस्से में था, अंश की बात सुनकर हवा की रफ्तार से उसके पास जाता है और उसका गला जोर से पकड़ लेता है। वहीं अंश की अब बोलती बंद हो जाती है। वह अपना गला छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोलने की कोशिश करने लगा। जिसे देख शान ने थोड़ा और तेज़ी से उसका गला दबाया और फिर एकदम से छोड़ दिया।
अंश जोर-जोर से खांसने लगा और फिर शान को देखते हुए घूरकर बोला, "भाई, दोस्ती का तो जमाना ही नहीं रहा।"
अंश की बातों पर ज़ारा, जो कब से सब देख रही थी, वह आकर शान के कंधे पर हाथ रख बोली, "वैसे शान, अंश झूठ नहीं बोल रहा था। तुमसे आज तक कोई नहीं जीत पाया। इतना तेज़ जो तुम भागते हो हवाओं की तरह! और तो और, अरे भाई, बायु को कंट्रोल कर सकते हो। तुमसे भी ज़्यादा तेज़ तो वह चुहिया निकली, परछाई बनकर गायब हो गई और तुम बस देखते रह गए।" यह बोलकर वह जोर-जोर से हँसने लगी।
शान अब अंश के साथ ज़ारा को भी घूरने लगा, पर यह सच था कि वह आज एक शैडो को नहीं पकड़ पाया था। तभी शान को कुछ याद आया और वह जल्दी से दौड़ा गुरुकुल की तरफ़। उसके पीछे अंश, त्रिष और ज़ारा भी दौड़ीं। बाकी के लोगों को कुछ समझ ही नहीं आया। वे लोग भी धीरे-धीरे मठ में वापस चले गए।
"गुरु जी, रुकिए तो!" सानवी यहाँ गुरु जी के पीछे-पीछे आ गई थी और चिल्लाये जा रही थी। वहीं गुरु जी बिना रुके चले जा रहे थे। वे गुरुकुल के अंदर घुस गए। यह देख सानवी भी जाने लगी, पर पहरेदार ने उसे रोक दिया। फिर क्या? सानवी दुबारा शैडो बन गई और गायब हो गई। सभी पहरेदार शॉक हो गए। अब उन्हें क्या पता था कि यह लड़की ऐसी ही है।
गुरुकुल के एक कमरे में, "गुरु जी, आपने मुझे मौत के मुँह में डाल दिया था।" यह बोल सानवी ने मुँह फुला लिया।
"तुमने यह रास्ता खुद चुना है।" गुरु जी भी उसे घूरते हुए कठोर आवाज़ में बोले। तो सानवी बच्चों सा मुँह बना ली और बोली, "पर मुझे नहीं पता था वह इतना ताकतवर होगा।"
उसकी इस बात पर गुरु जी कुछ सोचते हुए बोले, "पता तो मुझे भी नहीं था। आज लग गया, पर लगता है अभी भी सही से पता नहीं लगा कि वह कितना ताकतवर है।"
सानवी जो नौटंकी कर रही थी, वह एकदम से गुरु जी की बातें सुनकर सीरियस हो गई और बोली, "गुरु जी, आपको मुझे कुछ और भी बताना है।"
सानवी जो अब तक बच्चों जैसा कर रही थी, अचानक से सीरियस हो गई। यह देख गुरु जी भी सीरियसली पूछे, "बताओ क्या बात है?"
"गुरु जी, आपके कहने पर जब मैं चोरी-छुपे मठ में घुसने की कोशिश कर रही थी, तभी मुझे ब्लडी हैवन दिखाई दिया।" सानवी बहुत धीरे से बोली। लेकिन सानवी की बात सुनकर गुरु जी के कदम लड़खड़ा गए। वे हैरानी से सानवी को देखने लगे।
वहीं गुरु जी के कमरे के बाहर, दरवाजे के पास खड़े शान, अंश, त्रिष और ज़ारा ने भी यह बात सुनी। वे लोग तो यह सुनकर दंग रह गए कि यह शैडो गुरु जी के कहने पर यह सब कर रही थी, पर क्यों? उनकी दिमाग़ में जब यह सवाल आया, तभी ज़ारा कुछ सोचते हुए धीरे से बोली, "लाइटनिंग किंग को पकड़ने के लिए क्या यह एक चाल थी!"
ज़ारा ने यह बात इतनी भी धीरे नहीं बोली थी। गुरु जी और सानवी को भी सुनाई दे गया। वे दोनों मुड़कर उसकी तरफ देखने लगे। उन चारों को वहाँ देख गुरु जी घूरकर उन्हें देखे, पर अब देर हो चुकी थी। उन्होंने आधी बात सुन ली थी। वैसे भी, गुरु जी को अब उन सबकी ज़रूरत पड़ने वाली थी। गुरु जी उन सबको अंदर बुलाए, "अंदर आओ और दरवाज़ा बंद कर दो।"
कुछ ही देर में सब लोग आमने-सामने बैठे हुए थे, पर सब खामोश थे। यह देख ज़ारा ने सवाल किया, "क्या तुम्हें सच में गुरु जी ने बुलाया? मेरा मतलब है, तुम गुरु जी के कहने पर जानबूझकर सब कर रही थी?" यह बोलते हुए उसकी नज़रें सानवी पर थीं।
अंश भी ज़ारा की बात सुन कुछ पूछने वाला था कि गुरु जी कठोर आवाज़ में बोले, "क्या किया! क्या हुआ! क्यों इसे बुलाया! यह सब अब बेवजह है। अब बात यह है कि हमें कैसे भी करके उस राजा का पता लगवाना होगा, क्योंकि एक वही है जो हमारे लिए ब्लडी हैवन जा सकता है, वरना—"
सब एक बार फिर चुप हो गए। तभी शान ने सवाल किया, "यह क्या है ब्लडी हैवन? यह नाम मैंने पहले भी सुना है कहीं तो।"
शान के सवाल पर गुरु जी ने कुछ सोचते हुए गंभीर आवाज़ में कहा, "ब्लडी हैवन बसेरा है नरभक्षियों का।"
"मतलब वेम्पायर?" त्रिष ने पूछा तो गुरु जी ने सर हिला दिया और आगे बोलने लगे, "यह एक ऐसा अशुभ शक्ति है जो हमारे साथ ही यहाँ रहती है, लेकिन हर कोई अच्छा नहीं है। तुम सबको पता है यहाँ बुरे शक्तियाँ और हम सब साथ में रहते हैं, लेकिन न हम उनकी साम्राज्य में जा सकते, न वे हमारे मठ में आ सकते हैं। पर कुछ ऐसा है कि हम में से कोई भी खतरे में पड़े तो हमें एक-दूसरे की मदद करनी पड़ती है। यह वर्षों से होता आ रहा है।"
गुरु जी इतना कहकर उठ खड़े हुए और पास में रखी टेबल से एक किताब उठा लाए। फिर उसे खोलते हुए एक पन्ना उन सब के सामने रख दिए। सभी झाँककर उस पन्ने की तरफ़ देखने लगे तो सब हैरान रह गए।
सब उस पन्ने पर लगी हुई तस्वीर को हैरान होकर देख रहे थे। उन्होंने सुना था कि वेम्पायर सुंदर होते हैं, लेकिन इतना कोई नहीं जानता था।
वहाँ एक लड़की की तस्वीर थी और नीचे नाम लिखा था, "प्रिंसेस यशना।"
यह नाम पढ़कर त्रिष, ज़ारा, शान और अंश हैरान सा उस नाम को बार-बार सही से देखने लगे। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था। "यशना?" यह नाम सच में है।
"यह नाम... यह तो ईभान..." अंश इतना ही कह पाया था कि गुरु जी उसे रोकते हुए बोले, "ईभान के सपनों में आता है यही है।"
उनकी इस बात पर एक बार फिर सब हैरान रह गए, शिवाय सानवी के।
आखिर क्या है राज यशना के पीछे? कौन है लाइटनिंग किंग?
जहाँ गुरु जी सब पुरानी राज खोल रहे थे, वहीं ईभान गुरुकुल के बाहर जंगल में पागलों की तरह दौड़ रहा था। दौड़ते-दौड़ते वह आस-पास देखने लगा। जहाँ अभी सवेरा था, वहाँ अचानक घना अंधेरा छा गया। अंधेरा देखते ही ईभान के कदम रुक गए। तभी बिल्कुल उसके कान के पास एक फुसफुसाती आवाज़ आई।
"ईभान!"
ईभान ने जैसे ही अपना नाम इतने करीब से सुना, वह एक पल के लिए डर गया। पर तुरंत उसने उस डर को काबू कर लिया और मुड़कर देखा, लेकिन कोई नहीं था। वह इधर-उधर हर जगह ढूँढ़ने लगा। तभी उसकी नज़र ऊपर की ओर गई। सामने एक पेड़ था, जो देखकर लग रहा था सदियों पुराना हो। ईभान को ना जाने क्यों लगता था वहाँ कोई है। तभी उसके पूरे बदन में एक ठंडी लहर दौड़ गई। उसे लगा जैसे कोई बहुत स्ट्रॉन्ग बुरी शक्ति उसके आस-पास है। गुरुकुल में सबसे पहले यही ट्रेनिंग दी जाती थी, कैसे कोई बुरी शक्ति आस-पास हो तो पहचाना जा सके! ईभान डर से काँपने लगा। वह जल्दी से वहाँ से भागने लगा, तो किसी ने उसके हाथ पकड़ लिए। यह होते ही उसने अपने हाथों को देखा, लेकिन कोई नहीं था।
"ईभान," फिर उसे अपने दूसरे कान के पास वह आवाज़ सुनाई दी जो उसके नाम पुकार रही थी। और देखते ही देखते उसे लगा जैसे बहुत कोई उसे घेर कर खड़े थे, लेकिन वह किसी को नहीं देख पा रहा था। वह इतना डर गया कि वह कुछ बोल भी नहीं पा रहा था, ना आगे बढ़ पा रहा था। उसकी हथेली अभी भी किसी की पकड़ में थी, कोई ऐसा जिसे वह महसूस कर सकता था, बस देख नहीं पा रहा था।
ईभान ने डर से कसकर अपनी आँखें बंद कर लीं। तभी उसे किसी की साँस अपने चेहरे पर महसूस हुई, वह भी बहुत करीब। वह पूरी तरह सुन्न हो गया। उसे लगा आज वह नहीं बचेगा। तभी एक झटके से किसी ने उसके दूसरे हाथ को थामा और वह हवाओं से बात करते हुए भागने लगा। ईभान को जैसे ही महसूस हुआ, उसने आँखें खोलकर देखने लगा, पर इतनी तेज़ी से सामने वाला उसे लेकर भाग रहा था कि वह उसे देख नहीं पा रहा था। उसे लग रहा था जैसे कोई परछाई उसे लेकर भाग रहा हो। उसे अब वे नेगेटिव शक्तियाँ महसूस नहीं हो रही थीं।
ईभान के वहाँ से जाते ही अचानक उस जगह, जहाँ ईभान अभी खड़ा था, दस परछाई दिखाई दीं, जिन सब के होंठों पर एक रहस्यमय मुस्कान थी। तभी उनमें से एक परछाई बोली,
"समय आ गया है अब तुम्हारे सच जानने की और उससे मिलने की।"
यह कहते हुए वह परछाई हवा में गायब हो गई।
वहीं ईभान २ मिनट में एकदम पेड़ के ऊपर खड़ा था। उसने पल भर में खुद को इतना ऊपर पाया तो हैरान रह गया। तभी उसे महसूस हुआ वह उसी पेड़ पर है जहाँ अभी कुछ देर पहले उसे लगा था कोई है। उसने तुरंत सामने देखा। उसके सामने खुद से थोड़ी दूरी पर कोई दिखाई दिया। शायद वही उसे बचाकर लाई थी। उसके लंबे-लंबे बाल हवाओं से बातें कर रहे थे और उसकी डार्क ग्रीन कलर की आँखें ईभान को ही देख रही थीं। चेहरा उसका अभी भी अंधेरों में था।
ईभान उसे जैसे ही ध्यान से देखता है, वह हैरान रह जाता है।
"तुम?"
ईभान के यह कहते ही वहाँ एक सुनहरी रोशनी चमकने लगी और पल भर में अंधेरा छट गया। अब ईभान के सामने वह लड़की खड़ी थी और सूरज की किरणें सामने खड़ी लड़की के चेहरे पर गिर रही थीं।
उस लड़की को देखते हुए ईभान को सब कुछ याद आने लगा जो वह भूल गया था। सब याद आते ही एक दर्द भरी लकीर खिंच गई उसके माथे पर।
ईभान अब उसे एकटक देखते हुए धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा था। वे दोनों अभी भी पेड़ के ऊपर थे, लेकिन उन्हें देख लग रहा था जैसे वे नॉर्मल जगह पर हैं। ना ईभान आगे बढ़ते हुए डर रहा था, ना वह लड़की डरते हुए खड़ी थी। ईभान पल भर में उसके पास पहुँच जाता है और तुरंत उसे गले लगा लेता है। उसके ऐसा करते ही उस लड़की की आँखें भी बंद हो जाती हैं।
"कहाँ चली गई थी तुम? मैंने कितना ढूँढा तुम्हें?" ईभान उसे कस कर गले लगाते हुए पूछा। जिस पर वह लड़की उसके बाहों में और सिमट गई, पर कुछ नहीं बोली।
उसे कुछ ना बोलते देख ईभान धीरे से उससे दूर हुआ और उसके चेहरे को दोनों हाथों में थामते हुए उसका नाम पुकारा।
"यशना।"
अपना नाम सुनकर यशना बोली,
"तो तुम्हें याद आ गया अपना अतीत?"
यह सुनते ही ईभान के चेहरे पर एक गुस्सा उभर आया। उसे याद आया उसकी अच्छी-भली ज़िंदगी यहाँ आते ही कैसे बदल गई थी। ईभान एक साधारण सा लड़का था। वह अपने कॉलेज में लॉ की पढ़ाई कर रहा था और फिर एक दिन वह यशना से मिला। दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे। पर इश्क़ पर नज़र तो लगते ही है। उन्हें नहीं पता था यह जंगल श्रापित है। वे दोनों इस जंगल के पास वाले झरने के पास घूमने आए थे और तभी अचानक यशना गायब हो गई थी। जिसे देख ईभान उसे पागलों की तरह ढूँढ़ा, पर वह कहीं नहीं मिली। उसी दिन ईभान को भी गुरुकुल वाले ले आए थे और उसकी यादें मिटा दी गई थीं। इसके बाद ईभान सब भूल गया।
ये गुरुकुल के नियम थे। जो भी यहाँ आता, उनकी यादें 1 साल के लिए मिटा दी जाती थीं।
ईभान को गुस्सा करते देख यशना सीरियस हो गई और बोली,
"तुम्हें आज सच जानना होगा कि मैं क्यों गायब हुई थी?"
ईभान यशना की यह बात सुन गुस्सा भूलकर उसे देखने लगा। यह लड़की उसकी पहली और आखिरी मोहब्बत थी। वह भी जानना चाहता था क्या हुआ था उस दिन?
"ईभान, अब तुम भी यह सच जानते हो, यह फ़ॉरेस्ट जादुई है, साथ-साथ श्रापित भी।" यह कहते हुए यशना खो गई उन यादों में।
1 साल पहले,
"ईभान, देखो ना यहाँ कितने सुंदर फ्लावर्स भी हैं!" यशना खुश होती हुई दिखाई दी। तभी उसे महसूस हुआ ईभान उसकी नहीं सुन रहा है। यह देख वह पीछे मुड़कर देखी तो उसके भाव बदल गए। ईभान वहीं था, पर उसे देख लग रहा था जैसे उसे कोई होश नहीं है। यशना का दिमाग़ हिल गया। वह ईभान को बार-बार बुलाती रही और फिर उसके पास जाने लगी। पर तभी कुछ ऐसा हुआ कि यशना के कदम वहाँ से हिल भी नहीं रहे थे।
यह सब याद कर वह हकीकत में लौट आई और ईभान को देख बोली,
"अब समय आ गया तुम्हें मेरी सच्चाई जानने का।"
ईभान उसकी बातें कुछ समझ नहीं पा रहा था। तभी यशना ने आँखें बंद कीं और फिर से वहाँ का माहौल बदल गया।
एक पल में वहाँ अंधेरा छा गया और रात हो गई। तभी वहाँ वही सुनहरी रोशनी चमक गई जो कुछ देर पहले पूरे जंगल में चमक उठी थी। ईभान यह देख हैरान रह गया। वह आँखें फाड़कर सामने देखने लगा।
सामने यशना खड़ी थी। उसके बदन से रोशनी निकल रही थी और उसकी ग्रीन आँखें लाल हो गई थीं। ईभान हैरान सा, सदमे में खड़ा रह गया। उससे कुछ पूछा भी नहीं जा रहा था। यशना उसे ऐसे देख उसकी ओर हाथ बढ़ा दिया, तो ईभान पीछे हटने लगा और होश में आते हुए पूछा,
"तुम वही हो जो मेरे सपने में एक साल से आ रही हो?"
ईभान के इस बात पर यशना ने कुछ नहीं कहा, पर ईभान समझ गया था। यशना के कुछ ना बोलने पर वह दुबारा बोला,
"तुम वही हो, मैं जानता हूँ इस आभा को, मैं जानता हूँ और वही किंग भी तुम ही हो जिसे गुरु जी ढूँढ़ रहे हैं, जिसने आज उस शैडो गर्ल को पकड़ा था।"
यशना अब भी चुप रही, तो ईभान बौखला गया उसकी चुप्पी से। वह गुस्से में उसके पास गया और झटके से उसका बाजू थाम कर चिल्लाते हुए पूछा,
"क्यों आई थी मेरे ज़िंदगी में? तुम जानती थी पहले दिन से तुम कोई साधारण इंसान नहीं हो, तो क्यों आखिर मेरे जीवन में आई? और आई तो कहाँ गायब हो गई? तुम्हें पता भी है उस दिन मैं कितना डर गया था! कितना ढूँढा तुम्हें, पूरा जंगल छान लिया था। मेरी ज़िंदगी उस गुरुकुल में जाकर अटक गई सिर्फ़ तुम्हारी वजह से। मैं अपने मम्मी-पापा, सबसे दूर हो गया।"
यशना बस सब सुन रही थी। यह देख ईभान उसे झटके से छोड़ देता है और दूसरी तरफ देखते हुए बोला,
"हर रात वह सपना मुझे परेशान करता था। हर रात तुम दिखती थीं और मैं बेचैन हो जाता था, पर क्यों समझ नहीं पाता था! ज़िंदगी में तुम थीं, बस यादों से गायब हो गई। आखिर क्यों हुआ यह सब? तुम्हारे प्यार में एक ऐसा इंसान बन गया जिसका हर कोई मज़ाक उड़ाता रहता है। मैं कितना कोशिश कर चुका, पर कोई नहीं समझता। मैं नहीं बना जादू के लिए। पता नहीं क्यों कुछ ना सिख पाने पर भी गुरु जी ने मुझे यहाँ बंदी बना दिया है! नरक बन गया मेरा जीवन।"
यशना यह सुनकर उससे पूछी,
"क्या तुम्हें सच में लगता है तुम्हें कुछ नहीं आता?"
उसकी इस बात पर ईभान ने उसे देखा, तो यशना उसे इशारे से नीचे देखने बोली। ईभान ने उसकी नज़रों को फ़ॉलो किया तो वह हैरान रह गया।
आखिर क्या वजह है यशना के गायब होने की? क्या देखा ईभान ने ऐसा?
यशना ईभान के एकदम करीब खड़ी थी। उसने ईशारे से ईभान को नीचे देखने को बोला। ईभान ने उसकी नज़रों को फॉलो किया और हैरान रह गया। वह एकदम पेड़ के ऊपर एक पतले से डाली पर खड़ा था। ईभान के कदम एकदम से डगमगा गए, पर वह गिरा नहीं। ईभान ने देखा, उसके आस-पास वही सुनहरी रोशनी चमक रही थी। यह देखकर उसने सामने देखा; यशना ने अपनी शक्ति से उसे गिरने से रोक रखा था।
ईभान तुरंत सामान्य खड़ा हो गया, तो यशना ने अपनी रोशनी हटा दी। ईभान कुछ पूछने ही वाला था कि यशना ने उसे एक गहरी नज़र से देखा और उसके पास आकर बोली, "तुम कोई साधारण इंसान नहीं हो। तुममें कुछ तो है, वर्ना तुम इतने पतले से डाली पर खड़े नहीं हो पाते, ना ही कुछ देर पहले उन सारी शक्तियों को अपने पास महसूस कर पाते।"
यशना ने जैसे ही यह कहा, ईभान ने पूछा, "तुम जानती हो वो सब कौन थे?" उसके सवाल पर यशना ने हाँ कहा। तो ईभान ने दूसरा सवाल किया, "अगर तुम उन्हें जानती हो, तो तुम उसे भी जानती होगी; वो महल जो मेरे सपनों में आता है और वो लड़की जो चीखती रहती है, उसके सामने खड़ी होकर।"
उसके इस सवाल का जवाब यशना ने नहीं दिया और मुड़कर आसमान में चमकते चाँद को देखने लगी। यह देख ईभान उसकी तरफ बढ़ने लगा। तभी यशना झट से उसकी तरफ मुड़ गई; ईभान तुरंत एक कदम पीछे हो गया। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
यशना के होंठों के साइड से दाँत निकले हुए थे। वह एक खतरनाक नरभक्षी लग रही थी। खुले बाल उसकी फिर से डरावने तरीके से हवा में उड़ रहे थे; आँखें लाल अंगार की तरह देहक रही थीं। ईभान हैरान सा उसे देखते हुए पूछा, "ये तुम!"
उसके आधी-अधूरे सवाल पर यशना चेहरा फेर लेती है और चाँद को देखती है, जो उसके देखने भर से लाल हो गया, फिर काला हो गया। वहीं ईभान यह सब देख एकदम सन्न रह गया। उसे समझ ही नहीं आ रहा था आखिर उसने जिसे जाना था, वो यशना सच थी या यह यशना!
वह अपने सवालों में ही गुम, सन्न खड़ा था कि यशना चाँद को घूरते हुए बोली, "यही सच है मेरा; मैं एक वैम्पायर हूँ, इस श्रापित जंगल की रानी।"
ईभान यह सुनकर दंग रह गया। उसे सच में यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन यशना का रूप सामने था; उसे ना चाहते हुए भी मानना पड़ता है।
"तो वो कौन थी जिससे मैंने प्यार किया था?" ईभान ने बहुत मुश्किल से खुद को संभालकर सवाल किया।
"वो भी मैं थी, ये भी मैं हूँ।" यशना ने जैसे ही यह कहा, ईभान बस उसे देखता रहता है।
ईभान को यूँ हैरान और सदमे में देख यशना आगे बोली, "हाँ ईभान, एक छलावा है मेरा रूप, मेरा अक्स, सब कुछ।"
ईभान तो जैसे यह सब यकीन कर ही नहीं पा रहा था, तभी एकदम से यशना उसके बेहद करीब आ जाती है। इसे देख ईभान उससे दूर होने लगता है। लेकिन यशना ने उसे दूर होने नहीं दिया; उसके गले में हाथ डाल वो उसे खुद के एकदम पास ले आई और उसकी हल्की आइस ब्लू आँखों में देखते हुए बोली, "सब सच है ईभान, ये सब कुछ और वो सब कुछ भी; प्यार करती हूँ मैं आज भी तुमसे और ये सच कोई नहीं बदल सकता।"
यशना ने इतना ही कहा था कि अचानक वहाँ आंधी आ जाती है। आंधी देख यशना ईभान से दूर जाने लगती है, तो ईभान उसे पकड़ कर खुद के करीब रखता है। पर यशना उसके हाथों से पकड़कर खुद को छुड़ाती है और कहती है, "शायद हमारा प्यार इस श्रापित जंगल में दफ़न ही रहेगा हमेशा। मुझे जाना होगा, वर्ना वो लोग मुझे पकड़ लेंगे।"
"कौन लोग?" ईभान ने उसे जाते देख उसके हाथ पकड़ते हुए पूछा। तो यशना ने उसे बेबसी से देखा और फिर तुरंत उससे दूर हो गई, लेकिन शायद उसकी किस्मत खराब थी। यशना जैसे ही दूर हुई, वहाँ आंधी तेज हो गई। यशना भागना चाहती थी, पर भाग नहीं पाई। उसके कदम वहीं थम गए, जैसे किसी ने उसके पैर जकड़ लिया हो।
ईभान हैरान सा देख रहा था; उसके भी साथ यही हाल था, वो भी हिल नहीं पा रहा था। पल भर में वहाँ बर्फ की चादर जमने लगे; सारे पेड़ सफ़ेद हो गए और ठंड बढ़ने लगी। ईभान का ठंड से बुरा हाल हो रहा था, पर फिर भी वो चारों तरफ़ अपनी नज़र दोहराते हुए समझने की कोशिश कर रहा था, क्या हो रहा है यहाँ?
आसमान गहरे नीले रंग से लाल हो गया और वहाँ आंधी अचानक से थम गई। एक तेज रोशनी ईभान की आँखों में आकर लगी। ईभान ने सर उठाकर देखा, तो सामने एक नीले रंग की चमकता महल था। वो महल बेहद खूबसूरत था; चाँद की रोशनी उस पर पड़ रही थी, जिससे वो काफ़ी सुंदर दिख रही थी। तभी ईभान को याद आया, ये वही महल था जो उसके सपनों में आता है। ईभान यह याद करते हुए उस महल की खूबसूरती में खो रहा था, तभी उसे यशना की आवाज सुनाई दी, "ईभान, नज़रें हटाओ अपनी।"
ये सुनते ही ईभान यशना को देखने लगा, तो यशना आगे बोली, "ये खूबसूरती बस छलावा है। तुम इसे ऐसे देखोगे तो ये तुम्हें खुद में समा लेगा। तुम कुछ नहीं जानते इस बारे में; ये एक नरक है, खूबसूरती का छलावा करता एक श्रापित नरक।"
यशना के ये कहते ही वहाँ हज़ारों लोगों की हँसी सुनाई दी। ईभान यह सुनकर डर गया; वो हँसी, उन सबकी आवाज काफ़ी डरावनी थी। ईभान ने नज़रें घुमाकर उस महल को दुबारा देखा, तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वो सुंदर सा महल जो अभी खूबसूरत सा था, अब उसे देखकर लग रहा था जैसे कोई खंडहर हो।
पर आगे जो हुआ; उस महल के हर कोने से एक-एक चेहरा बाहर आ गया और सब दिखने में काफ़ी भयानक थे। सबकी आँखें लाल और दाँत बाहर थे; मुँह के कोने में खून भी लगा हुआ था।
ईभान डर के मारे काँपने लगा, तभी एक भयानक आवाज आई, "यशना, हमारे साथ चलो।" यशना ने जैसे ही यह सुना, वो पूरी कोशिश की वहाँ से भागने की, पर उसके कदम वहीं जमे रहे; एक इंच भी नहीं हिले।
यशना को भागने की कोशिश करते देख वो हँसी तेज हो गई। कोई कुछ समझ पाता कि एक तेज रोशनी उस महल से निकली और यशना को आकर लगी। ऐसा होते ही यशना बेहोश हो गई और फिर हवाओं में झूलते हुए महल की तरफ जाने लगी। ऐसा लग रहा था कोई उसे बाहों में उठाकर ले जा रहा हो।
वहीं ईभान ने जैसे ही यशना को बेहोश होकर ऐसे देखा, वो जोर से चीखा, "यशना!" फिर वो महल की तरफ देखकर पूछा, "कौन हो तुम लोग? क्यों उसे ले जा रहे हो?"
"ये जानने के लिए तुम्हें हमारी दुनिया में आना होगा कि हम क्यों ले जा रहे हैं इसे! तुम बस इतना जानो, ये हमारी है।" एक डरावनी आवाज दुबारा गूंज गई।
"नहीं, वो बस मेरी है!" ईभान भी तेज आवाज में बोला, तो वहाँ फिर से हँसी गूंज गई। कुछ देर यूँ हँसी की आवाज आई और फिर आगे वो डरावनी आवाज दुबारा आई, "वो कल भी तुम्हारी नहीं है, आज भी नहीं है, समझे बच्चे?"
ईभान यह सुनकर बोखला गया और उधर जाने लगा जहाँ यशना हवा में झूल रही थी। ईभान को उन्होंने आजाद कर दिया था। ईभान दौड़ते हुए महल के पास पहुँचा, पर वो यशना को छू पाता, तभी एकदम से यशना को उस भयानक महल ने अपने अंदर खींच लिया।
"यशना!" ईभान की चीख गूंज गई। वह सदमे में उधर देखने लगा। अभी-अभी उसे यशना मिली थी और अभी-अभी किसी ने उसे छीन भी लिया।
"वो तुम्हारी कभी नहीं होगी।" एक आवाज़ ईभान के कानों के एकदम पास से आई। इसे सुनकर ईभान ने साइड में देखा तो वह डर गया। एक हल्की सी परछाई वहाँ थी। पर ईभान ने जल्दी ही खुद को संभाला और उस महल को देखते हुए चिल्लाकर बोला, "वो बस मेरी ही है और मेरी ही रहेगी। अब देखो मैं कैसे उसे ले आता हूँ वापस।" इतना बोलते ही वह महल के अंदर जाने के लिए फुल स्पीड में भागा। वह पेड़ के डालों पर से होते हुए दौड़ रहा था, जैसे यह सब बहुत आसान काम है उसके लिए। वह परछाई भी यह देख हैरान थी कि कैसे वह इतनी आसानी से भाग रहा था। यह बिलकुल किसी स्किल्ड इंसान की तरह था। पर ईभान तो काफ़ी साधारण था, फिर कैसे?
ईभान जैसे ही महल में घुसने वाला था, वैसे ही वहाँ फिर से सवेरा हो गया। ईभान यह देख हैरान सा रह गया क्योंकि सवेरा होते ही महल वहाँ से गायब हो चुका था, जैसे था ही नहीं। ईभान के कदम डगमगा गए और वह वहीं से नीचे गिर गया।
"आह!" पसीने से तर-बतर ईभान के मुँह से एक दर्द भरी सिसकी निकली। तभी ईभान को ध्यान आया। वह आस-पास देखने लगा तो खुद को गुरुकुल के अपने रूम में देखकर हैरान रह गया।
ईभान जल्दी से उठ खड़ा हुआ और चारों तरफ़ हैरानी से अच्छे से देखा। तब जाकर उसे यकीन हुआ कि वह सच में यहीं था। तभी उसे ध्यान आया। "क्या वो ख्वाब देख रहा था? पर इतना सच्चा ख्वाब!" उसने मन ही मन सवाल किया।
वह सवालों में ही उलझा था कि उसे यशना के बारे में ध्यान आया। ना जाने क्यों उसे लग रहा था, वो ख्वाब नहीं, सच्चाई थी। वो सच्चाई जो उसकी ख्वाब में आई थी।
"क्या सच में मैं उससे प्यार करता हूँ? क्या वो सब बस सपना था या हक़ीक़त? क्या सच में उसे कैद कर लिया उस महल ने?" ईभान ने खुद से ही सवाल किया, पर जवाब एक भी नहीं था।
ईभान को ना जाने क्यों सब अभी भी सच लग रहा था और उसके दिल में दर्द भी हो रहा था, जैसे सच में यशना उसकी मोहब्बत थी और उसे दूर कर दिया गया उससे। वह अपने सवालों में ही उलझा था कि एक आवाज़ आई दरवाजे से।
"वो सपना सच्चाई थी तुम्हारी।"
यह सुनते ही ईभान ने तुरंत उस तरफ़ देखा तो पाया, गुरु जी खुद खड़े थे और उसे ही देख रहे थे। गुरु जी धीरे-धीरे अंदर आ गए और ईभान के सवालों भरी आँखों को देख बोले, "हमेशा तुम्हें शिकायत थी कि क्यों तुम्हें यहाँ से हम भेज नहीं देते! जब कि दूसरे स्टूडेंट्स जो कुछ सीख नहीं पाते हैं, तो उन्हें वापस भेज दिया जाता है।"
ईभान उनकी इस बात पर उन्हें चुपचाप देखने लगा तो गुरु जी आगे बोले, "क्योंकि तुम ही वो हो जिसकी हमें तलाश थी!"
"मतलब?" ईभान ने ना-समझी से पूछा।
"मतलब ये कि तुम वो हो जो हमें उस तक पहुँचा सकते हो। जिसे हम सदियों से ढूँढ रहे हैं, वही किंग जो राज करता है इस जंगल में। "द लाइटनिंग किंग।" गुरु जी शांति से कहते हैं। जिस पर ईभान को याद आता है, लाइटनिंग किंग एक लड़की है और वो लड़की यशना है, पर यह बात वो अभी नहीं बताता। जो सब हो रहा था, उसे अब किसी पर यकीन नहीं करना था तुरंत।
वही ईभान को सोचते देख गुरु जी बोले, "जो सपने तुम्हें आते हैं, वो तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई है। तुम उससे जुड़े हुए हो, इसलिए तुम्हें वो सपने में सच से रूबरू करवाती है।"
गुरु जी की एक भी बात ईभान को समझ नहीं आती। वह झल्लाते हुए पूछता है, "क्या सच और कौन सी सच? उस सपने में मैंने देखा कि मैं कह रहा था- हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे और तो और मेरे पास मेरा परिवार भी था, लेकिन ये सब कब हुआ? हाँ, ये सच है मैं यहाँ परेशान हूँ, पर ये भी उतना ही सच है कि मैं पिछले 3 साल से यहीं रहता हूँ। तो कब मैं एक साल पहले बाहर गया और परिवार वो कब आया, कहाँ से आया? और कब उससे प्यार हुआ जिसको मैं जानता तक नहीं? उसने ये भी कहा मेरी यादें वापस आ गईं। मैंने भी सपने में देखा कि मैं उसे पहचान गया, सब कुछ याद भी आ गया, पता नहीं क्या-क्या याद आया! ऐसी चीज़ें याद आईं जो मेरी इस जन्म में मैंने कभी नहीं किया! मुझे याद आई हम दोनों की प्यार की कहानी, उस प्यार के बारे में मुझे कुछ नहीं पता।"
गुरु जी शांत होकर सब सुनते हैं पर आगे कुछ नहीं कहते। यह देख ईभान और चिढ़ जाता है। तभी उस कमरे में पाँच लोग और आते हैं। ईभान जो चिढ़ा हुआ था, उन पाँचों को देख उन्हें सवालिया नज़रों से देखने लगता है।
तभी गुरु जी कहते हैं, "मैं बस ज़रिया हूँ तुम्हें यह बताने का कि वो सपना हक़ीक़त है और इसके आगे जो सवाल हैं तुम्हारे, वो सब तुम्हें खुद जानना होगा। तो जाओ और जानो अपना सच।"
"कहाँ?" ईभान तुरंत सवाल करता है, जिस पर गुरु जी आगे बोले, "वहीं जहाँ से सब शुरू हुआ था, ब्लडी हैवन, जो तुम्हें सपने में दिखाई देता है।"
ईभान यह सुनकर सब याद करता है और मन में कहता है, "जाना तो मैं भी वहाँ चाहता हूँ, पर अपना सच जानने नहीं, उसे बचाने। मेरा दिल क्यों बार-बार कह रहा है उसके पास जाऊँ। उसकी आँखों का वो दर्द अब भी मेरे आँखों में घूम रहा है।"
"ईभान, तुम्हारे साथ ये पाँचों भी जाएँगे।" गुरु जी ईभान को खोया देख कहते हैं। जिसे सुन ईभान उनकी तरफ़ देखता है और फिर बाहर जाते हुए कहता है, "चलो फिर, सब टाइम क्यों गँवाना।"
यह सुनकर गुरु जी मुस्कुरा देते हैं। उनकी आँखें बहुत कुछ कह रही थीं, पर लब्ज़ खामोश थे। वही वो पाँचों घूर के एक-दूसरे को देखते हैं।
कुछ देर पहले, जब सब यशना को देख हैरान थे, तभी गुरु जी उनसे कहते हैं, "अपनी जंग खुद ही लड़नी होती है। अब समय आ गया कि तुम लोग जाओ और अपनी किस्मत लिखो।"
"क्या मतलब? कहाँ जाऊँ?" ज़ारा पूछ बैठती है। जिसे सुन सभी के साथ गुरु जी भी उसे देखते हैं। तो ज़ारा दाँत दिखाती हुई कहती है, "मेरा मतलब कोई तो जगह होगा, वो भी बोलिये ना।"
उसकी बात पर गुरु जी कहते हैं, "वही जो सानवी को दिखा आज।"
यह सुन सभी भौचक्के रह जाते हैं। "ब्लडी हैवन? मैं नहीं जा रही।" ज़ारा एकदम से कहती है। जिसे सुन गुरु जी उसे खतरनाक नज़रों से देख बोलते हैं, "डरने के लिए तुम लोगों को यह सब नहीं सिखाया गया। सब जाओगे, यह मेरा आखिरी फैसला है।"
ज़ारा मुँह बना लेती है और बोलती है, "पर इसको क्यों ले साथ? ये मुझे परेशान की थी।" वो सानवी को देख बोली थी यह बात।
उसकी बात पर शान, अंश, त्रिष, भी सहमत थे। वही सानवी सबको घूर रही थी। तभी गुरु जी बोले, "ये मेरी शिष्या है, सबसे काबिल। तुम सबसे भी ये एक परछाई है जो किसी के हाथ नहीं लगती, तुम्हारे काम में सबसे ज़्यादा इसका साथ लगेगा।"
ज़ारा उन्हें शौक से देखती है और पूछती है, "सच में ये हमसे ज़्यादा ताकतवर है?"
गुरु जी उसकी बात पर बस उसे घूरते हैं। वही शान को यह बात बिलकुल नहीं पसंद आई थी। यह लड़की उससे पंगा लेती थी और तो और पहली बार अपने पिता के मुँह से खुद से ज़्यादा किसी की तारीफ़ सुनी थी उसने। वो सानवी को खा जाने वाली नज़रों से घूरने लगा।
"अब बहुत हुआ सबकी सवाल। सब चलो, तुम्हें उससे मिलाते हैं जिसके साथ तुम्हें जाना है वहाँ। और हाँ, याद रहे कि वो लीड करेगा तुम सबको। जो वो बोलेगा, अब वही होगा। तुम सबको उसकी बात ऐसे माननी होगी जैसे उसकी हर एक बात तुम्हारे लिए मेरे हर एक बात का समान। याद रहे, उसे सबसे ज़्यादा ज़रूरत तुम सबकी होगी। वो वहाँ अकेले नहीं जा सकता, वरना मैं उसे अकेला भेजता। वहाँ जाने के लिए पाँचों तत्व का एक साथ होना ज़रूरी है और तुम सब में यह हुनर है। तो आखिर बार मेरी सुन लो, वहाँ शांति से रहना, तभी तुम क्लाउड ऑफ़ हैवन जा सकते हो जब यहाँ से जिंदा वापस आओ।"
यह सब याद करते हुए ज़ारा हक़ीक़त में लौट आई। बाकी सब भी लौट आए प्रेजेंट में। सभी ईभान के पीछे जाने लगे तो ज़ारा त्रिष से बोली, "एक बात बताना, यह किधर जा रहा है? जब हमें नहीं पता कहाँ है यह ब्लडी हैवन और दिखता कैसा है? बस गुरु जी तो यह बोलकर भेज दिए, जाओ जी लो ज़िंदगी। इसे तो वो भी नहीं बोले तो यह किधर जा रहा है।" इतना बोल वो मुँह बना ली और त्रिष बस उसे घूर कर देखा।
सभी चुपचाप जंगल में चल रहे थे। त्रिष, ज़ारा, शान साथ में थे और सानवी उनसे थोड़ा आगे चल रही थी, उससे आगे ईभान था। ज़ारा फिर से बोली, इस बार अंश से, "देख, इतना ठीक था कि हमें फिर भी उस हवा के झोंके, वो परछाई के साथ भेज रहे थे, पर अब इस गँवार को लीड बना दिया। बताओ, ये सही नहीं किया उन्होंने। मैंने सोचा कोई सुंदर सा होगा, पर यहाँ तो ये निकला जिसे ना कुछ आता ना जाता। तो क्यों इसे लीड बना दिया? अरे, कम से कम मुझे बना देते, कोई तो काम करती! अरे, काम से याद आया, वहाँ करना क्या है?" इतना कहते हुए वो सर खुजलाने लगी।
तभी उसे कुछ याद आया। "अरे हाँ, काम भी यही गधा बताएगा। मुझे समझ नहीं आ रहा क्या हो गया हमारे साथ।" ये कहते हुए उसे दुबारा कुछ याद आया और वो चीखकर बोली, "अरे हाँ, इसे कुछ आता ही तो नहीं है, तभी हम जैसे सुपर पावर लोगों को इसके साथ भेजे गुरु जी ने।"
सभी ज़ारा की बात पर उसे घूरकर देखते हैं, सिवाय ईभान के। वो अभी भी सीधा चल रहा था।
कैसे बचाएगा ईभान अपनी मोहब्बत को? आखिर क्या है इस महल का और यशना का रिश्ता? क्या सच में ये पाँचों पहुँच पाएँगे काली दुनिया में?
ईभान अकेला आगे बढ़ रहा था। सभी उसके पीछे चलते हुए थक गए थे। अब धीरे-धीरे शाम ढलने लगी थी; सबके पैर दुख रहे थे। वही ज़ारा अभी भी चालू थी, लेकिन कोई भी उसकी बातों का जवाब नहीं दे रहा था। उसके कदम तो थक गए थे, पर ज़ुबान नहीं।
"देखो, मैंने पहले ही बोला था, ये कुछ नहीं जानता, बस हम सबको थका रहा है। अरे, मैं तो कहती हूँ, कुछ दिमाग़ लगाते हैं।" ज़ारा पीछे-पीछे चलते हुए चिल्लाकर बोली। तभी सानवी उसकी तरफ बिना मुड़े बोली, "वो सही जा रहा है।"
"और ये बात तुम्हें कैसे पता? मुझे तुम दोनों पर ही यकीन नहीं है।" ज़ारा गुस्से से बोली। सानवी रुक कर उसे घूरती हुई देखती है और बोली, "शायद तुम भूल गईं। आज जब मैं आ रही थी, मुझे वो दिखाई दिया था। और मुझे वो यहाँ से थोड़ी दूरी पर दिखाई दिया था, जहाँ अभी ईभान जा रहा है।"
सानवी की बात सुनकर ज़ारा मुँह बना लेती है। तभी सानवी उसके थोड़ा पास आ जाती है। यह देख ज़ारा घबरा जाती है। ना जाने सानवी की आँखों में क्या था, वो डर गई एक पल को। ज़ारा कुछ कहती, या सानवी... तभी शान उन दोनों के बीच आ गया और सानवी को घूरने लगा, जैसे कह रहा हो, "मेरे दोस्त को धमकाओ मत।"
यह समझकर सानवी शान को घूरती है और सख्त लहजे में कहती है, "तो तुम भी अपने दोस्त को समझाओ। गुरु जी ने क्या कहा है? याद नहीं है तो बोलो, मैं दुबारा याद दिलाती हूँ।" इतना बोल वो पीछे झाँककर ज़ारा को देखती है, फिर आगे कहती है, "वैसे मुझे नहीं पता था ज़हर देने वाली की दिमाग़ कमज़ोर होगी इतनी। मैंने तो सुना था साँप की दिमाग़ भी इससे तेज़ चलता है, जब कि वो एक जीव है और ये इंसान।" इतना बोल वो मुड़कर आगे बढ़ जाती है।
वही ज़ारा का पूरा मूड बिगड़ जाता है। वो सानवी पर हमला करने जाती है। तभी शान उसे घूमकर गुस्से में देखता है और बोलता है, "उसने गलत भी नहीं कहा। तुम्हें ना जाने कब अक्ल आएगी। वो एक बाहर की लड़की, हमें सुना रही तुम्हारी बकवास की वजह से। क्या तुम सच में भूल गईं बाबा क्या बोलकर भेजे थे?" शान को इतने गुस्से में देख ज़ारा डर गई। फिर उसे भी समझ आया, शायद ये ज़्यादा हो गया था या टाइम सही नहीं था। अभी उन्हें तो पता भी नहीं था आगे कौन सा खतरा है। वो सर झुका ली, फिर धीरे से बोली, "सॉरी।"
शान ने फिर आगे कुछ कहना चाहा, तो अंश बीच में आ गया और बोला, "छोड़ ना, एक ही बहन है हम सबकी।"
बस अंश का इतना कहना था कि ज़ारा का बातों का रुख ही पलट गया। वो उन तीनों का सर खाने लगी। ऐसे ही सब आगे बढ़ने लगे। घना जंगल, ऊपर से रोशनी के नाम पर कुछ भी नहीं। उस अँधेरे में वो लोग जैसे-तैसे अब आगे जा रहे थे। जाते हुए कई बार उनके आगे झाड़ियाँ आ जा रही थीं, या तो साँप भी आ रहे थे। अंश आग जलाकर कभी-कभी रोशनी कर रहा था, जिससे वो लोग समझ पा रहे थे किधर जाना है।
"इस जंगल को देख कौन बोलेगा कि अंदर उतनी खूबसूरत गुरुकुल भी है!" सानवी खुद से बोली। जिस पर इतने देर से खामोश ईभान ने कहा, "सब खेल है माया का, भूलो मत। ये एक जादुई और श्रापित जगह है। मैंने सुना है बाहर के लोग यहाँ आते हैं तो जंगल उन्हें खा जाता है, वो कभी नहीं मिलते।"
सानवी ये सुनकर ईभान को देखती है और तेज़ कदमों से उसके पास आती हुई पूछती है, "वैसे सच में तुमने आज तक कुछ नहीं सीखा?"
उसके इस सवाल पर ज़ारा, त्रिष और शान की नज़रें भी ईभान पर ठहर गईं। ईभान ने कुछ नहीं कहा, बस सानवी को देख हल्के से मुस्कुरा दिया। ये देख सानवी और ज़्यादा उत्सुक हो गई। उसे ना जाने क्यों ये स्माइल मिस्टीरियस लगी। वही उससे अलग वो तीनों चिढ़ गए। वो एक साल से इसी मुस्कान को झेल रहे थे, लेकिन शान नहीं चिढ़ा, वो बस ईभान को देखता रहा।
ईभान आगे बढ़ गया। सानवी भी उत्सुक होकर बढ़ने लगी। तभी एक सुनहरी रोशनी वहाँ खिलने लगी। उस रोशनी को देखते ही ईभान की आँखें चमक उठीं। वही सानवी थोड़ा डर गई। कुछ देर पहले सुबह हुई हरकत उसे याद थी; जान बचाते-बचाते बची थी उसकी। शान, अंश, ज़ारा, त्रिष भी थोड़ा रुक गए। लेकिन ईभान उस तरफ बढ़ने लगा। ये देख सभी डर गए।
ईभान के जेहन में वो बात घूम गई जब गुरु जी के पास से गुज़रते हुए वो बाहर निकला। गुरु जी बहुत धीमी आवाज़ में कुछ कह रहे थे, "याद रखना, वो सुनहरी रोशनी ताकत है और तुम लोगों की मंज़िल भी।"
ईभान ये याद करते हुए आगे बढ़ता गया। उसे ये भी याद आया जब गुरु जी बोले थे, वही है जो उन्हें उस लाइटनिंग किंग तक पहुँचा सकता है। गुरुजी ने कहा था यशना का कोई तो कनेक्शन है इस रोशनी से, बस वो ये नहीं जानते थे यशना ही वो रोशनी है।
ईभान पीछा करते-करते एक जगह आकर रुक गया। उसके पीछे वो सभी आ गए थे। थोड़ा घबराए हुए थे, पर फिर भी आए थे। तभी ईभान के जेहन में कुछ आया। वो झट से पीछे मुड़ा और पूछा, "यशना के बारे में जानते हो?"
ये नाम सुनते ही सभी एक-दूसरे को देखे और फिर ईभान को। ईभान समझ गया, अब वक्त आ गया जब एक-दूसरे से सभी बातें शेयर करनी होंगी, तभी शायद कुछ रास्ता मिलेगा।
ज़ारा, त्रिष और शान अभी भी चुप रहे, तो अंश आगे आते हुए बोला, "हमें यहाँ आने के कुछ देर पहले ही पता लगा यशना जी के बारे में।"
"तो तुमने मान लिया वो है?" ईभान ने सवाल किया, क्योंकि ये लोग हमेशा उसे चिढ़ाया करते थे ये कहकर कि यशना उसका भ्रम है।
ये सुनकर अंश ने कुछ नहीं कहा, बस ईभान को देख हाँ में सर हिला दिया। तभी सानवी बोली, "मानना ही पड़ता है। आखिरकार गुरुजी ने बात ही ऐसी बोली थी।"
"कौन सी बात?" ईभान ने पूछा। तो इस बार त्रिष ने जवाब दिया, "कि प्रिंसेस यशना से तुम्हारा सबसे गहरा रिश्ता है। पर ये नहीं बताया आखिर क्या रिश्ता है। बोले वो हमें हमारी राहों में हर सवाल के जवाब मिलेंगे।"
ईभान ने ये सुना तो थोड़ा आगे बढ़ते हुए निकल गया।
"देखा, इसकी इसी हरकत पर मुझे गुस्सा आ जाती है।" ज़ारा चिढ़कर बोली।
तभी ईभान की आवाज़ आई, "इधर आओ, यहाँ बैठने की जगह है।"
"हम यहाँ बैठने नहीं आए हैं। शायद ये बात तुम्हें पता है।" इस बार त्रिष चिढ़कर बोला।
"हाँ, पता है। लेकिन मुझे लगता है कि तुम सब जानना चाहते हो आखिर क्या रिश्ता है मेरा उससे!" ईभान उन्हें तेज आवाज़ में कहता है। जिसे सुनकर सभी बिना सवाल किए उस तरफ चले जाते हैं जहाँ ईभान ने बुलाया था।
वहाँ कुछ मोटी-मोटी लकड़ियाँ रखी हुई थीं। वो सब उस पर बैठ गए। तभी वो सुनहरी रोशनी उन सबको घेर ली। ये देख सभी डर गए, पर ईभान उन्हें देख शांत आवाज़ में बोला, "ये कुछ नहीं करेंगी।"
"और तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?" सानवी ने पूछा। तो ईभान फिर से मुस्कुरा उठा और बोला, "क्योंकि ये मोहब्बत है मेरी।"
बस इतना कहना था ईभान का कि हर कोई हैरान रह गया। वो सब आँखें फाड़ ईभान को देखने लगे। तभी अंश बोला, "यशना कम थी क्या इस रोशनी से भी?"
"क्या मतलब? ईभान यशना से भी मोहब्बत करता है?" ज़ारा कन्फ्यूज होकर पूछी अंश के बोलने पर।
अंश कुछ नहीं कहता तो ज़ारा मुँह बनाकर ईभान को देखती है। तभी ईभान कहता है, "तुम लोग सही भी नहीं हो और गलत भी नहीं।"
"क्या मतलब इसका?" शान, जो कब से चुप था, वो पूछता है। जिस पर ईभान फिर से एक स्माइल करता है।
उसके सिम्पल से चेहरे पर हल्के लम्बे बाल, जो कान के थोड़े नीचे थे, लूज़ पैंट शर्ट में उसका यह लुक काफ़ी कैज़ुअल था, फिर भी हल्के पतले से होंठों पर ना जाने क्यों वो मुस्कान काफ़ी दिलकश लगती थी।
ईभान इस बार बस स्माइल ही नहीं करता, उसके बाद सीरियस होकर उन्हें वो सब बताता है जो उसके साथ आज हुआ और जो यादें उसे याद आयीं। यह भी कि यशना को कैद कर लिया गया उस महल में। बस यह नहीं बोला कि वो किंग यशना ही है।
सब बोलने के बाद ईभान एक गहरी साँस ले बोलता है, "अगर वो सपना एक हकीकत है तो यशना सच में कैद है और हमें शायद इसलिए ही उस महल में भेजा जा रहा है ताकि हम उसे बचा पाएँ।"
ईभान बोलकर चुप हो जाता है और सबको देखता है। सब आँखें फाड़कर उसे घूर रहे थे, जैसे पूछ रहे हों, "ये सब सपने में हुआ था?"
"सपने भी इतने सच्चे होते हैं क्या?" ज़ारा शोक से बाहर आती हुई पूछती है। जिस पर ईभान ने बोला, "आज मुझे भी इस बात पर यकीन नहीं आ रहा था, लेकिन मुझे खुद में उसका दर्द महसूस हुआ और तो और मुझे बहुत स्ट्रांग फीलिंग्स आयीं। मैंने वो सब महसूस किया था। मुझे लगता है गुरुजी सच बोल रहे थे; वो सपना नहीं, एक सच है।"
सबकी नज़रें फिर से ईभान पर टिक गईं।
"ईभान सच कह रहा है। ये मैंने सुना था, कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जो अगर हम तक पहुँच ना पाएँ तो वो हमें सपनों के द्वारा सच दिखाती हैं; उनकी काबू हमारे नींद में होती है। और जैसे ईभान ने बोला, वो एक छल है तो उसका सपनों में आना 100% पॉसिबल है।" सानवी सबको समझाते हुए बोली।
त्रिष, जो ये सब सुनकर कब से कुछ सोच रहा था, वो आखिरकार बोला, "वैसे एक बात है, नोटिस किया सबने?" उसकी इस बात पर सब उसे देखने लगे। तो त्रिष आगे बोला, "यशना ब्लडी हैवन की प्रिंसेस है, उसी जगह की जो आज सानवी तुम्हें और ईभान तुम्हें दिखाई; तुम्हारे हिसाब से जिसके अंदर यशना को कैद कर लिया गया। कोई राज्य अपनी ही रानी को क्यों कैद करेगा?"
त्रिष की इस बात ने सबके दिमाग़ हिला दिए। सब गहरी सोच में चले गए। तभी ईभान ने कहा, "वो मुझे बोली थी वो श्रापित दुनिया की रानी है, मतलब वो उस महल की रानी है। क्योंकि वही महल श्रापित जंगल का पॉवर पॉइंट है, वही उनका मेन बसेरा है। अब हमारा मिशन ये होगा कि पहले पता करें वो लोग अपनी ही रानी को क्यों कैद कर रहे हैं और दूसरा मिशन, क्यों यशना उन सब से भाग रही है?"
सब अब अपनी-अपनी सोच में गुम हो गए। तभी शान को कुछ याद आया और वो पूछा, "ईभान, तुमने तब कहा कि ये सुनहरी रोशनी मोहब्बत है तुम्हारी और अब कहा यशना है? ये कुछ समझ नहीं आया!"
ईभान ये सुनकर फिर से मुस्कुरा देता है। इस बार सब उसकी मुस्कान की वजह समझ जाते हैं और काफ़ी हैरान भी होते हैं। वहीं ज़ारा शॉक्ड होकर चीखकर बोली, "अब ये मत कहना यशना ही वो किंग है और वो लड़की है!"
ईभान ने बस हाँ में सर हिला दिया। ये देख ज़ारा रोने जैसा मुँह बना ली और बोली, "मेरा उस किंग पर दिल आ गया था! उफ़्फ़ क्या नखरे थे उसके!" फिर जोर से रोते हुए बोली, "नहीं! उसे लड़की कौन बना दिया? वो लड़का है! तुम झूठ बोल रहे हो!"
"ज़ारा, ईभान सच कह रहा है। हमारी चारों तरफ़ देखो, वही रोशनी है और ईभान के साथ ही वो रह रहा है, मतलब साफ़ है ईभान की बात झूठ तो नहीं है।" शान गहरी आवाज़ में कहता है।
वो सब कुछ देर वैसे ही बैठे रहे। फिर सानवी बोली, "अब जाने का वक़्त आ गया हमारा। चलो।"
सानवी के कहते ही सब उसे देखने लगे। ईभान उठ खड़ा हुआ और सामने देखा; उसके दस कदम दूरी पर वही पत्थर था जिस पर आज वो सपने में खड़ा था और वो महल इसी जगह दिखाई दी थी। ईभान आगे बढ़ते हुए वो दस कदम चला। ईभान के पीछे शान, ज़ारा, त्रिष, अंश भी बढ़े; उन्हें समझ नहीं आ रही थी कैसे उस महल को बुलाएँ। तभी सानवी आगे आती हुई बोली, "अपने-अपने शक्तियों को जागृत करो और एक हाथ में उसको नियंत्रण करो।"
उसके ऐसा कहते ही त्रिष आगे आया और अपनी शक्ति से पानी को जागृत करके अपने एक हाथ में उसे एक गोला बना दिया। अंश भी आया और आग का एक गोला बनाकर एक हाथ में रख लिया। शान ने भी वैसा ही किया; एक हवा का छोटा सा भँवर बना लिया अपने हाथ में। इन सबके बाद सानवी ने कुछ मंत्र पढ़े और मिट्टी को ऊपर उठाते हुए एक गोला बना लिया।
अब वहाँ चारों के हाथ में अलग-अलग तत्व का गोला था। ज़ारा उन चारों को देखी और पूछी, "मैं क्या करूँ?"
"समय आने पर तुम्हें समझ आ जाएगा।" ईभान ये कहते हुए उनके पास आया और एक नज़र उन सबके हाथों को देख, उस रोशनी को देखा, फिर मन में कुछ बोला और उन्हें देख कहा, "इन सबको साथ में मिलाओ; जल्दी, वक़्त कम है।" उसके ये बोलते ही सबने चारों तत्व को एक जगह पॉइंट कर हिट किए। चारों तत्व सामने एक जगह पर जाकर एक साथ मिल गए और लाल रंग का गोला बनकर घूमने लगा। तभी ईभान ने ऊपर आसमान में देखा; उसके इतना करते ही वहाँ आसमान से एक तेज रोशनी आयी और उस गोले में आकर मिल गई। एक तेज झटका सबको लगा; सब थोड़ी दूरी पर जाकर गिर गए।
"ये क्या था? इसके पास इतनी ताकत कि आकाश तत्व को बस में कर लिया?" ज़ारा हैरान होकर बोली।
उसकी बात पर शान ने बोला, "मैंने कहा था हर वक़्त सबको छोटा नहीं समझना चाहिए, कुछ तो था इसमें; तभी बाबा इसे लीड बनाये और कभी गुरुकुल से भेजे नहीं।"
ये सुनकर अंश ने पूछा, "लेकिन उसने कैसे किया?"
"शायद तुम लोग भूल रहे हो, एक ऐसी पॉवर है जो हम सब से ऊपर है; वो है, हम किसी के भी पॉवर को कण्ट्रोल कर सकते हैं और वही ईभान में है। ईभान ने ये प्रिंसेस यशना के लाइटनिंग पॉवर को कण्ट्रोल किया और ये कर दिया।" सानवी अंश के बातों का जवाब देते हुए कही। तो सबको समझ आ गया यहाँ क्या हुआ अभी-अभी और कैसे हुआ।
अब सबकी ईभान को निकम्मा समझने की नज़रिया बदलने लगी। सबकी आँखें ईभान को देख चमक रही थीं। तभी उनका ध्यान आया; वो सब सामने देखें जहाँ अब वो गोला धीरे-धीरे काला और फिर नीला हो रहा था। वो लोग समझने की कोशिश करने लगे। सब उठकर उसी तरफ़ जाने लगे कि एक ज़ोर की आँधी आयी। सबने एक साथ आँखें बंद कर लीं। तभी उन सबको एक भयानक हँसी सुनाई दी।
सबने डरते हुए आँखें खोलीं तो सामने वो खंडरनुमा महल दिखा जिसके हर हिस्से से एक-एक ख़तरनाक सर निकला हुआ था। ज़ारा डर के मारे लड़खड़ा गई। सबकी आँखों में देहशत दिखाई दे रही थी। वहीं वो भयानक हँसी और तेज हो गई, फिर एक सर अचानक से वहाँ से उन सब के सामने आ गया।
जिसे देख सबने कदम पीछे कर लिए, लेकिन ईभान वहीं खड़ा रहा। "तू फिर आ गया! तुझे पता है तू क्या करने की कोशिश कर रहा है?" वो सर ईभान के इर्द-गिर्द घूमते हुए बोला।
ईभान ने ये सुनकर कहा, "यशना मेरी है!"
ईभान के कहते ही वो सर उसके आँखों के सामने आकर तेज चिल्लाकर बोला, "चुप! यशना कभी तेरी नहीं है, समझा!"
"वो मेरी थी, मेरी है!" ईभान ने बिना डरे हुए उसकी ख़तरनाक काली आँखों में आँखें डाल बोला।
"यार, हम तो इसे डरपोक समझते थे, पर ये तो कैसे बिना डरे खड़ा है? मुझसे तो ये देखा ना जा रहा, मुझे उसके लिए डर लग रहा है। बेचारा ना जाने किस जन्म की मोहब्बत को बचाने यहाँ आ गया है, जिसका उसे बस सपनों में याद आया, हकीकत से कोई लेना-देना ही नहीं है और आया तो ठीक था, हमें भी साथ लाया। अरे नहीं! वो गुरुजी हमें भेज दिया।" ज़ारा डर के मारे बड़बड़ाने लगी।
तभी सानवी उसके पास जा उसे गुस्से में घूरती हुई बोली, "बोलने के अलावा और कुछ आता भी है तुम्हें तो वो कर लो! तब तो पूछ रही थी क्या करूँ? अब करती क्यों नहीं!"
ज़ारा पहले तो सानवी की बात पर उसे घूरती है, फिर उसे याद आता है सानवी क्या कह रही थी! वो डर को काबू करती है, फिर अपनी शक्तियाँ जागृत करती है और एक बड़ा सा भँवर बनाकर ईभान को देख बोलती है, "ईभान, झुको।"
उसके ये कहते ही ईभान झुक जाता है और ज़ारा उन सारे आधे-कटे सर पर हमला कर देती है। ज़ारा के ख़तरनाक ज़हर से वो सब सर वहीं गल जाते हैं और हवा में लीन हो जाते हैं। ये देख ज़ारा के होंठों पर मुस्कान आ जाती है। वो गर्व से सबको देखती है, जैसे कह रही हो, "देखो, तुम सब से कुछ नहीं होता, मैंने सबको भगा दिया!"
सब उसे घूरकर देखते हैं। ये देख ज़ारा दाँत दिखा देती है। तभी उसकी आँखें हैरानी से चमक जाती हैं। ज़ारा का रिएक्शन देखकर सभी सामने देखते हैं तो सब की आँखें चमक जाती हैं। सामने चमकता हुआ सुंदर सा नीला महल खड़ा था। वो महल जो अभी खंडर था, वो अब खूबसूरत मूरत लग रही थी। उस महल की चमक सुनहरी थी। सबकी आँखें चोंधिया रही थीं उसकी चमक में। इतना खूबसूरत महल आज तक कभी उन्होंने देखा नहीं था।
ज़ारा कदम बढ़ाते हुए उस तरफ़ जाती है तो ईभान उसके हाथ पकड़ लेता है। ये देख ज़ारा मुड़कर उसे देखती है तो ईभान कहता है, "याद रखना, ये एक छलावा है। हम यहाँ से आगे बढ़ेंगे, हर कदम पर छल हो सकती है। हमें वहाँ किसी पर यकीन नहीं करना है और हम छह लोग जा रहे हैं तो हम सभी अगर आए तो साथ आएंगे, किसी को भी ख़तरे में छोड़ हम खुद की जान नहीं बचाएँगे; हमें साथ जीतकर आना है।"
ज़ारा ईभान की बातों पर मुस्कुरा देती है और कहती है, "यकीन नहीं आता इतना खूबसूरत महल भी छल हो सकती है।" ये सुनकर ईभान आगे कहता है, "हमें एक दूसरे पर भी यकीन नहीं करना है, याद रहे।"
ईभान की इस बात पर सभी उसे कन्फ्यूज होकर देखते हैं तो ईभान पॉकेट से कुछ निकालता है और सबके हाथों में बाँध देता है। सब चुपचाप बस देखते हैं। ईभान लास्ट में ज़ारा को एक देते हुए कहता है, "बाँध दो मुझे।"
ज़ारा वैसा ही करती है। उसके बाद ईभान कहता है, "ये निशानी है कि हम हैं। सामने कोई छल नहीं। वहाँ हमारा भी छल होगा, बस हाथ का ये धागा देखते रहना, वर्ना कोई भी हमारे रूप में आ सकता है। ये धागा मामूली धागा नहीं है, एक पवित्र जादुई धागा है जो उन शैतानों के पास नहीं होगा और इसके होते हुए वो हमें छू भी नहीं पाएँगे।"
सभी ईभान के बातों को सुन हाँ में सर हिला देते हैं। उसके बाद ईभान एक-एक कदम बढ़ाता हुआ उस महल के दरवाजे के पास जाता है और सबको देख कहता है, "साथ में इसे खोलना होगा। ये तभी खुलेगा। यही वजह है कि मेरे साथ तुम सबको यहाँ भेजा गया। हमें यहाँ साथ में कदम रखना होगा, वर्ना कोई अंदर नहीं जा सकता, ना बाहर आ सकता।"
इसके बाद सब साथ मिलकर उस दरवाजे को खोलते हैं; एक भयंकर आवाज़ के साथ वो दरवाज़ा खुल जाता है तो सभी एक साथ कदम बढ़ाते हैं और अंदर चले जाते हैं। उनके अंदर जाते ही एक भयंकर हँसी फिर से गूंजती है और दरवाज़ा बंद हो जाता है।
सब पीछे मुड़कर बंद हो चुकी दरवाज़े को देखते हैं, फिर एक दूसरे को। एक दूसरे को देखते हुए सब हैरान हो जाते हैं।
"ये क्या? हम ये कैसे ड्रेस में आ गए?" ज़ारा खुद को घूरती हुई बोली।
सभी खुद को ही घूर रहे थे। उन्हें देख लग रहा था जैसे वो लोग किसी पुरानी रियासत में आ गए हों। लड़के लोग कुर्ता-पजामा पहने हुए थे और लड़कियाँ लहंगा-चोली।
ज़ारा खुद को अच्छे से देखती है, फिर कहती है, "वैसे ये बुरा भी नहीं है।" ये बोल वो खुश हो गई। सब उसे देख ना में सर हिला दिए।
वहीं ईभान सामने देख रहा था; सामने एक बड़ा सा राज्य था; चारों तरफ़ घर बना हुआ और सभी आधी बर्फ से ढके हुए। जैसे कोई बर्फीला साम्राज्य हो ये। ईभान के साथ अब सभी की नज़र भी उसी जगह को देख रहे थे।
सानवी ये सब देखते हुए कहती है, "कौन कह सकता है कि इस भयानक जंगल में कोई ऐसी भी जगह होगी जो दिखाई नहीं देती, लेकिन इतनी खूबसूरत है जैसे कश्मीर।"
सब लोग धीरे-धीरे अब आगे बढ़ने लगे; उनके हर कदम के साथ वहाँ नीचे सड़क पर बिछी बर्फ की चादर हटते जा रही थी और वहाँ पानी हो जा रहा था। त्रिष पीछे मुड़कर हैरानी से देखता है और कहता है, "ये कैसा जादू है?"
सभी पीछे मुड़कर देखते हैं; वो लोग भी हैरान होते हैं। तभी शान बोला, "ये जगह कितनी खाली है, लग रहा कोई नहीं है।"
"भूलो मत, ये शैतानों का बसेरा है और हम उनकी रानी को ढूँढने आए हैं।" सानवी कहती है उसकी बात पर।
तभी एक सुरेली सी आवाज़ वहाँ गूंज जाती है, "तो तुम आ ही गए मेरे पीछे यहाँ। मुझे पता था तुम आओगे।"
सब सर उठाकर सामने देखते हैं जहाँ से वो आवाज़ आयी थी। सामने देखते ही सब हैरान रह जाते हैं। ईभान जो अब तक शांत सा था, उसके भी कदम एक पल के लिए जम जाते हैं।