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Devil's love

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Pooja 🥰

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ये कहानी एक 19 साल के कॉलेज स्टूडेंट अथर्व और 25 साल के पुलिस ऑफिसर अद्विक मल्होत्रा की।जहां अथर्व एक माफिया फैमिली से बिलॉन्ग करता था और उसके अंदर गुस्सा बहुत होता है वो दूसरे से न के बराबर बातें करता है। एक कैसे के दौरान अद्विक और अथर्व दोनो की मुल...

Total Chapters (19)

Page 1 of 1

  • 1. Devil's love - Chapter 1 <br> <br>कॉलेज में लड़ाई

    Words: 1095

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक बड़े कॉलेज के अंदर कुछ लड़कों की भीड़ लगी हुई थी। वहाँ पर एक लड़का, चार लड़कों को मार रहा था और बाकी सभी खड़े होकर उन्हें लड़ते हुए देख रहे थे। वही लड़का भागते हुए डीन के केबिन के अंदर गया। उस वक्त वह हाफ रहा था। केबिन में बैठे डीन की नज़र अचानक किसी के आ जाने से दरवाजे की तरफ चली गई।

    "अरे गौरव! क्या हुआ? तुम इतने हाफ क्यों रहे हो?" डीन ने गौरव की हालत देखकर उससे पूछा।

    "सर, वो...वो...राज और उसके दोस्तों के साथ अथर्व की लड़ाई हो रही है। प्लीज़ जल्दी चलिए!" गौरव ने जैसे-तैसे खुद को कंट्रोल करते हुए, सब एक ही साँस में बताया।

    "क्या? ये लड़का भी! जब सभी जानते हैं कि उसे गुस्सा कंट्रोल नहीं होता है, तो उससे भिड़ने की ज़रूरत क्या थी उस राज और उसके दोस्तों को?" डीन ने कहा और जल्दी से ऑफिस से निकल गए। उसके पीछे ही गौरव भी चल गया।

    वहीं फ़ील्ड में अभी भी वो लड़का, जिसका नाम अथर्व था, जो कि 19 साल का एक हैंडसम सा लड़का था, लेकिन उसके चेहरे पर कोई इमोशन नहीं होता था। लेकिन इस वक्त गुस्से से उसका चेहरा लाल हो गया था। जिसे देखकर कोई भी उसके पास जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।

    तभी डीन की आवाज़ वहाँ पर आई। सब उनकी तरफ़ देखने लगे। अथर्व अभी भी उन्हें मारने पर तुला हुआ था। उसे रुकता हुआ न देखकर, डीन खुद उसके पास गए और उसका हाथ पकड़कर उसे रोका।

    अपना हाथ पकड़ा हुआ देखकर, अथर्व गुस्से में पहले अपने हाथ को देखा, फिर उसके हाथ को पकड़े हुए इंसान को देखा। अपने सामने डीन को देखकर भी उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा।

    ये देखकर डीन बोले, "अथर्व, रुक जाओ! वरना मुझे मजबूरन तुम्हारी मॉम को बुलाना पड़ेगा।" डीन के मुँह से ये सुनकर अथर्व ने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसके बाद उसने एक गहरी साँस ली और अपने गुस्से को शांत किया।

    तभी वहाँ पर चार लड़के और एक लड़की उनके पास आ गए और अथर्व के बगल में खड़े हो गए।

    कुछ देर बाद अथर्व और उसके साथ राज और उसके दोस्त, डीन के केबिन में मौजूद थे। उनके साथ वहाँ पर दो आदमी भी मौजूद थे, जो सामने सोफ़े पर बैठे हुए थे। एक आदमी के पीछे राज और उसके दोस्त खड़े थे, तो दूसरे आदमी के पीछे अथर्व और साथ में चारों लड़के और वो लड़की खड़ी थी।

    "अब प्लीज़ आप दोनों ही मिलकर ये कैसे सॉर्ट आउट करिए। मुझे नहीं लगता है कि इस बात को बढ़ाने का कोई मतलब होगा।" डीन ने दोनों लोगों को देखकर कहा।

    अथर्व के सामने बैठे हुए आदमी ने, बिना अथर्व को देखे ही उससे पूछा, "अथर्व, क्या था? और इस लड़ाई की वजह क्या थी?" लेकिन अथर्व ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया।

    तब उनमें से एक लड़के ने कहा, "चाचू, दरअसल हम कैंटीन में गए हुए थे और अपना कुछ एन्जॉय कर रहे थे। तभी राज अपने इन तीन दोस्तों के साथ वहाँ पर आया था और द्वितीका को गलत तरीके से बात कर रहा था। उस वक्त अथर्व भाई वहाँ पर नहीं थे। लेकिन शायद किसी तरह से अथर्व भाई को ये बात पता चल गई। इसीलिए इन्होंने ऐसा किया।" इतना बोलकर वह चुप हो गया।

    उसकी बात सुनकर उस आदमी की आँखें गुस्से से लाल हो गईं और वह गुस्से में राज और उसके दोस्तों की तरफ़ देखने लगा। जिसे देखकर राज और उसके दोस्त, और उसके सामने बैठे हुए आदमी भी डर गए।

    डीन को समझ नहीं आ रहा था कि वह अब क्या बोले। तभी राज के सामने बैठे हुए आदमी ने कहा, "मैं अपने बेटे की तरफ़ से माफ़ी माँगता हूँ, मिस्टर राजवत। प्लीज़ आखिरी बार माफ़ कर दीजिए। आगे से ऐसी गलती दुबारा नहीं करेंगे। मैं आपसे वादा करता हूँ और ये सभी भी अपनी गलती की माफ़ी माँग लेंगे।"

    इतना बोलकर उसने राज और उसके दोस्तों को देखकर कहा, "अब खड़े-खड़े देख क्या रहे हो? माफ़ी माँगो उनसे।"

    उनकी बात सुनकर राज तो माफ़ी माँगना नहीं चाहता था, लेकिन वह अभी कुछ भी नहीं कर सकता था। इसीलिए वह और उसके दोस्त द्वितीका से माफ़ी माँगते हैं। वहीँ अथर्व अभी भी गुस्से में उन सभी को देख रहा था।

    "मिस्टर चौधरी, इस बार आखिरी गलती समझकर माफ़ कर रहा हूँ। लेकिन अगली बार माफ़ी की कोई गुंजाइश भी मत करिएगा। क्योंकि अगर फिर से ऐसा कुछ हुआ, तो शायद अगली बार मैं भी कुछ नहीं कर पाऊँगा।" उनकी बात में एक छुपी हुई धमकी थी, जिसे राज के पापा, रंजन, बहुत ही अच्छी तरह से जान चुके थे।

    "जी, ज़रूर मिस्टर राजवत।" बोलकर वह वहाँ से राज और बाकी तीनों को लेकर चले गए। अथर्व के मारने से उन चारों को काफी चोट आई थी, जिसकी वजह से राज के पापा उन्हें लेकर वहाँ से सीधे हॉस्पिटल गए।

    वहीं उन सभी के जाने के बाद सर्वम उन सभी के सामने आकर खड़ा हो गया। इस वक्त कोई कुछ भी नहीं बोल रहा था।

    उसके बाद वह द्वितीका के पास गया और उसे गले से लगा लिया। "तुम ठीक तो हो ना?" वह उसके बालों को सहलाते हुए उससे पूछा।

    "मैं ठीक हूँ पापा। और वैसे भी मेरे चारों भाई के होते हुए, भला मुझे कुछ हो सकता है? और ख़ासकर अथर्व भाई की वजह से।" द्वितीका अपने पापा सर्वम से बोली।

    "ठीक है। अब चलो घर चलते हैं। और हाँ, आज के बारे में घर पर किसी को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए। ठीक है?" वह सभी की तरफ़ देखकर बोला। उसके बाद में वह उन सभी को लेकर वहाँ से चला गया।

    बाहर जाकर वे सभी कार में बैठने लगे। तभी अथर्व बोला, "चाचा, आप सभी को लेकर जाओ। मैं अपनी बाइक से आ जाऊँगा।"

    सर्वम कुछ नहीं बोले और एक बोलकर वह कार लेकर वहाँ से चले गए।

    उनके जाने के बाद अथर्व अपनी स्पोर्ट्स बाइक लेकर कॉलेज से निकल गया।

  • 2. Devil's love - Chapter 2 <br> <br>अद्विक का ट्रांसफर

    Words: 1379

    Estimated Reading Time: 9 min

    अभी तक आपने पढ़ा

    वहीं उन सभी के जाने के बाद में सर्वम उन सभी के सामने आकर खड़ा हो जाता है इस वक्त कोई कुछ भी नहीं बोल रहा होता है।
    उसके बाद में वो द्वितीका के पास जाते है और उसे गले से लगा लेते है तुम ठीक तो हो ना वो उसके बालो को सहलाते हुए उससे पूछते है।
    मैं ठीक हूं पापा और वैसे भी मेरे चारों भाई के होते हुए भला मुझे कुछ हो सकता है और खाश कर अथर्व भाई को वजह से, द्वितिका अपने पापा सर्वम से बोलती है।
    ठीक है अब चलो घर चलते है और हां आज के बारे में घर पर किसी को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए ठीक है वो सभी की तरफ देखकर बोलते हैं उसके बाद में उन सभी को लेकर वहां से चले जाते हैं।
    बाहर जाकर वो सभी पीछे कार में बैठने लगते हैं तभी अथर्व बोलता है कि चाचा आप सभी को लेकर जाओ मैं अपनी बाइक से आ जाऊंगा।
    तो सर्वम भी कुछ नहीं बोलते है और एक बोलकर वो कार लेकर वहां से चले जाते हैं।
    उनके जाने के बाद में अथर्व अपनी स्पोर्ट्स बाइक लेकर कॉलेज से निकल जाता है।
    अब आगे

    वही दूसरी तरफ एक छोटे मगर बहुत ही खूबसूरत से घर के अंदर एक लड़का जो एक पुलिस की वर्दी पहना हुआ होता है उसके हाथ में एक लिफाफा होता है और उसके सामने उसके पापा बैठे हुए होते है।
    वो लड़का लिफाफा लेकर उनके पास बैठ जाता है और उनके हाथ को अपने हाथ में लाकर उनको देखते हुए बोलता है कि पापा आप भी मेरे साथ में चलिए न वैसे भी आप यहां पर अकेले कैसे रहेंगे।
    बाबा अकेले कहां हैं मैं रहूंगी न उनके साथ में दरवाजे से नदी आती हुई एक लड़की बोलती है जोकि देखने में बहुत खूबसूरत होती है वो आकर उस लड़के पास खड़ी हो जाती है और उससे बोलती है कि अद्विक आपको उनकी चिंता करने की जरूरत नहीं है मैं और मेरे घर वाले रहेंगे न यहां तुम बिना किसी चिंता के जाओ और जल्दी लौट कर आना ठीक है।
    ठीक है गौरी अगर ऐसी बात तो मैं जा चल जाऊंगा लेकिन पापा आप अपना पूरा ध्यान रखेंगे अगर मुझे पता चल न की आप अपना ख्याल नहीं रखते है न तो मैं वहां से सब कुछ छोड़ कर चला आऊंगा।
    ये क्या बोल रहा है तू अद्विक तुझे पता भी है कि तूने यहां तक पहुंचने के लिए कितनी कड़ी मेहनत किया है तब जाकर पहुंचा है तू इस मुकाम पर और वैसे भी मैं ये जगह छोड़ कर कहां जाऊंगा इस जगह पर तो तेरी मां की यादें है इसी लिए मैं इसे छोड़कर नहीं जा सकता ,अद्विक के पापा मिहित उससे बोलते हैं।
    कुछ देर बाद में वो तैयार होकर अपने रूम से बाहर आता है इस वक्त उसके हाथ में एक बैग होता है उसके बाद में वो अपने पापा से मिलता है और घर निकल जाता है और वहां से बस लेकर निकल जाता है।
    वहीं दूसरी तरफ अथर्व की बाइक एक बड़े से घर के अंदर जाकर रूकती है वो घर 3 फ्लोर का होता है और दुर्ग व्हाइट क्लियर का होता है उसके चारो तरफ बहुत से बॉडीगार्ड लगे हुए होते हैं।
    बाइक पार्क करके अथर्व घर के अंदर जाता है तो वहां पर दो तीन लोगों को छोड़कर सभी लोग मौजूद होते है वो वहां से सीधे ऊपर की तरफ चला जाता है और सबसे लास्ट वाले फ्लोर पर जाता है और एक रूम का दरवाजा खोलकर अंदर जाता है।
    ये अथर्व का रूम होता है जोकि पूरी तरह व्हाइट और ग्रे कलार में होता है और कोई भी कलर नहीं होता है वो बैग रखकर बाथरूम में जाता है और शॉवर 🚿 लेता है।
    कुछ देर बाद में वो बाहर आता है तभी उसका फोन रिंग करता है जब वो फोन पर नाम देखता है तो वो अननोन नंबर होता है लेकिन फिर भी वो पिक करता है और अपने कान में लगा लेता है और हेलो बोलता है।
    तभी उधर से कुछ बोला जाता है ठीक है रात को 2 बजे सभी को रेडी होने को बोलो मैं वहां पर पहुंच जाऊंगा, इतना बोलकर वो कॉल कट कर देता है।
    उसके बाद में वो अपने बाल सुखाता है फिर कपड़े पहन कर अपनी अलमारी में से एक लैपटॉप 💻 निकलता है और उसमें कुछ करने लगता है इस वक्त उसके लैपटॉप पर उसकी उंगलियां बहुत ही तेजी से चल रही होती हैं।
    कुछ देर काम करने के बाद में वो नीचे आ जाता है तब तक शासन भी ही चुकी होती है नक्षिता सार्वी और हर्षनी तीनो लोग मिलकर रात का डिनर बनाती है फिर सभी लोग आकर बैठ जाते है और उनके साथ में सारी बच्चा पार्टी भी होती है जोकि बातें करते हुए अपना अपना डिनर एंजॉय कर रहे होते हैं।
    कुछ देर बाद डिनर करके सभी अपने अपने रूम में चले जाते है और जाकर सो जाते है रात के 1:30 बजे अथर्व ब्लैक कलर के कपड़े पहन कर और चेहरे पर ब्लैक कलर का मास्क लगा लेता है और बालकनी से होकर नीचे जाता है।
    इस वक्त मेंशन के चारो तरफ कड़ा पहरा लगा हुआ होता है लेकिन अथर्व सभी को आराम से चकमा देकर वहां से निकल जाता है। 
    और कुछ देर पैदल चलने के बाद में ही उसे एक बाइक दिखती है जिस पर एक और लड़का पहले से ही बैठा हुआ होता है। 
    उसे देखकर अथर्व उसकी तरफ चला जाता है और वो लड़का चाबी अथर्व को दे देता है और खुद उसके पीछे जाकर बैठ जाता है और अथर्व बाइक लेकर वहां से निकल जाता है।
    कुछ देर बाद में ही उन्हें रोड पर ही दो और बाइक ज्वाइन करती है और उस पर भी दो दो लोग ऑलरेडी बैठे हुए होते है कुछ देर बाद में उनकी बाइक एक गोदाम के कुछ दूरी पर जाकर रूकती है।
    जिसके चारो तरफ बड़े बड़े पेड़ पौधे लगे हुए होते हैं उसके बाद में वो तीनो अपनी बाइक को वही झाड़ी में छुपा देते है और उसके बाद में अपने कमर के पीछे से गुम निकालते हैं और उस गोदाम की तरफ बढ़ जाते हैं।
    कुछ दूर जाने के बाद में वो सभी रुक जाते हैं तब एक लड़का अथर्व से बोलता है कि बॉस आगे क्या करना है तब अथर्व अपने जैकेट से कुछ निकलता है और उसे अपने हाथ में पकड़ लेता है उसके बाद में वो एक अब्द सा पत्थर उठाता है और उसे ज़ोर से दूसरी दिशा में फेक देता है।
    किसी चीज की आवाज सुनकर वहां पर पहरा दे रहे लोग उस तरफ चले जाते है तभी अथर्व और उसके साथी उसके साथ उन सभी के पीछे जाते है और एक एक को पीछे से ही पकड़ कर वही पर ही उन्हें मार देते हैं।
    उसके बाद में अथर्व उन सभी को दो दो ग्रुप जाने को बोलता है तो वो सभी पीछे की तरफ चले जाते हैं और अंतर और उसके साथ में एक लड़का आगे की तरफ से जाने लगते हैं।
    अंदर जाने के बाद में वो देखते हैं कि अंदर बहुत बड़े बड़े दो ट्रक खड़े होते है और लगभग 10 से 15 लोग वहां पर समान पैक कर उस ट्रक में भर रहे होते हैं।
    तभी अचानक उसे उन पर चारो तरफ से फायरिंग होने लगती है जिससे उन्हें संभलने का मौके ही नहीं मिलता है और कुछ ही देर की फायरिंग के बाद में उस जगह पर एक दम से शांति फैल जाती है।
    उसके बाद में वो सभी उस गोदाम से बाहर आए हैं तब अथर्व अपने फोन से किसी को कॉल करता है कुछ देर बाद में वो कॉल पिक होता है।
    हेलो, दूसरी तरफ से आवाज आती है , तब अथर्व बोलता है कि मैं अंजान बोल रहा हूं उसके बाद में उस जगह के बारे में बता देता है फिर वो सभी अपनी बाइक लेकर वहां से निकल जाते हैं।
    और कुछ देर बाद में अथर्व अपने रूम में मौजूद होता जब वो टाइम देखता है तो सुबह के 4 बज रहे होते हैं यानी की ये मिशन पूरा करने में इन लोगो को पूरे 2 घंटे से भीं कम का टाइम लगा।

    स्टोरी को पढ़कर जरूर बताए कि आप लोगो को ये स्टोरी कैसी लगी,लाइक कमेंट और दोस्तो में शेयर जरूर करें।
    Thank you 🥰 🥰 🥰।

  • 3. Devil's love - Chapter 3 <br> <br>अथर्व और अद्विक की पहली मुलाकात

    Words: 1399

    Estimated Reading Time: 9 min

    आर्येश ने अपनी आँखें छोटी करते हुए पूछा, "कहाँ से आ रहे हैं आप?"

    "मैं बाहर काम से गया हुआ था। एक गोदाम के अंदर कुछ इलीगल काम हो रहे थे, बस उसे ही रोकने के लिए गया हुआ था।" DCP विजय जी ने उत्तर दिया।

    "अच्छा, तो फिर आपने मुझे इसके बारे में कुछ क्यों नहीं बताया?" आर्येश ने कहा।

    "ये सब बहुत जल्दी में हुआ, इसीलिए किसी को बताने का मौका ही नहीं मिला।" DCP सर ने जवाब दिया।

    "ऐसा है? तो फिर वो इलीगल काम करने वाले कहाँ हैं? कोई मारा तो नहीं गया है?" आर्येश ने DCP विजय के पीछे की तरफ देखते हुए पूछा।

    "गोलीबारी में वो सभी मारे गए हैं। अब मुझे जाने दो, मैं यहाँ का DCP हूँ, लेकिन लगता है जैसे KG का कोई छोटा बच्चा हूँ जिससे एक के बाद एक सवाल कर रहे हो।" विजय जी ने जवाब दिया।

    उसके बाद वे वहाँ से अंदर गए, लेकिन फिर रुककर आर्येश से पूछा, "वैसे, आज जो नया ACP आने वाला था, वो आया या नहीं?"

    "वो अपने केबिन में है। सभी मिल चुके हैं, बस आप ही बाकी हैं। जाकर मिल लीजिए।" आर्येश ने जवाब देते हुए कहा और बाहर चला गया।


    DCP सर अद्विक के केबिन की तरफ चले गए। जैसे ही अद्विक को एहसास हुआ कि कोई उसके केबिन में आया है, उसने सामने देखा। वहाँ विजय सर को देखकर वो खड़ा हो गया और उन्हें सैल्यूट किया।

    उसके बाद विजय जी ने अद्विक को बैठने को कहा और खुद उसके सामने बैठ गए। कुछ देर तक उनसे बात करने के बाद वे अपने केबिन में चले गए।

    उसके बाद अद्विक का फ़ोन रिंग हुआ। उसने देखा तो उसके पापा का कॉल था।

    "हाँ पापा, बोलिए। सब ठीक तो है ना? और आपकी तबियत ठीक है ना? टाइम से अपनी दवा ले तो रहे हैं ना?" अद्विक ने एक ही साँस में सारे सवाल कर डाले।

    "अरे बेटा, शांत हो जाओ। मैं बिलकुल ठीक हूँ। मुझे कुछ नहीं हुआ है। मैं टाइम से दवा भी ले रहा हूँ और खाना भी खा रहा हूँ।" अद्विक के पापा, मिहित ने कहा।

    "तुम टाइम से और अच्छे से वहाँ पहुँच तो गए थे ना? कोई परेशानी तो नहीं हुई ना?" मिहित ने अद्विक से पूछा।

    "नहीं पापा, कोई परेशानी नहीं हुई है। सब ठीक है और अमीन अच्छे से पहुँच गया था। इस वक्त मैं स्टेशन में ही हूँ।" अद्विक ने कहा।

    कुछ देर बात करने के बाद उसने फ़ोन रख दिया और अपना काम करने लगा।

    ऐसे ही शाम हो गई और सभी घर वापस आ गए। बच्चे भी कॉलेज से वापस आ गए थे।

    वहीं, अद्विक के घर पर अद्विक किचन में कॉफ़ी बना रहा था कि तभी उसके घर की डोरबेल बजी। वो सोचने लगा कि अभी कौन होगा? वो यहाँ पर किसी को जानता भी नहीं था।

    कुछ देर वो सोचता रहा और फिर जाकर दरवाज़ा खोला। सामने DCP विजय थे।

    "सर, आप इस वक़्त यहाँ पर क्या कर रहे हैं?" अद्विक हैरान होकर उनसे पूछा।

    "क्या मैं अंदर आ जाऊँ?" विजय जी ने अद्विक से पूछा।

    "ज़रूर सर, आइए ना।" अद्विक ने साइड होकर कहा और विजय जी अंदर आ गए।

    उसके बाद अद्विक ने दरवाज़ा बंद किया और उनके पीछे आ गया। DCP सर सोफ़े पर बैठ गए। "सर, आप बैठिए। मैं कॉफ़ी लेकर आता हूँ।" इतना बोलकर अद्विक किचन की तरफ़ चला गया। कुछ देर बाद वो दो कप कॉफ़ी लेकर आया और एक विजय जी को और एक खुद के पास रख लिया।

    "अद्विक, ये मैं तुम्हारे लिए डिनर लेकर आया हूँ।" विजय जी ने एक थैला अद्विक को देते हुए कहा।

    "अरे सर, लेकिन इसकी क्या ज़रूरत थी? मैं खुद से भी डिनर बना लेता हूँ।" अद्विक ने कहा।

    "अरे ऐसे कैसे? तुम यहाँ पर आज ही आए हो और अकेले भी रहते हो। तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं ही तुम्हारे लिए डिनर ले आऊँ और फिर दोनों साथ में ही डिनर कर लेंगे। वैसे भी मैं भी अकेला ही रहता हूँ। मेरी बेटी पढ़ने के लिए बाहर गई हुई है।" DCP विजय सर ने कहा।

    "ठीक है सर, तो मैं खाना लगा देता हूँ। आप हैंडवाश करके आ जाइए।" अद्विक ने उस थैले को लेकर किचन में जाने के लिए कहा।

    वो थैले से खाना निकालकर लाया और डाइनिंग टेबल पर रख दिया। उसके बाद दोनों लोगों ने मिलकर डिनर किया। डिनर करने के बाद DCP सर अपने घर के लिए निकल गए।

    अद्विक भी डिनर करके सोने चला गया। अथर्व के घर पर भी सभी लोग डिनर करके सोने के लिए चले गए। ऐसे ही रात बीत गई।

    सब होने के बाद, हमेशा की तरह सभी ने ब्रेकफ़ास्ट करके अपने-अपने काम पर निकल गए।

    आर्येश अपने केबिन में काम कर रहा था, तभी एक लड़की आकर उसके पास कंप्लेंट लेकर आई। उसकी उम्र लगभग 23 साल होगी।

    "हाँ, बोलो, क्या हुआ है?" आर्येश ने पूछा।

    "सर, दरअसल बात ये है कि यहाँ से एक किलोमीटर की दूरी पर जो रोड है ना, वहाँ पर कुछ मवाली लड़के रहते हैं जो कि हर आने-जाने वाली लड़कियों को परेशान करते हैं। और आज उन्होंने मेरे साथ भी ऐसा ही किया। जब मैंने उनसे कहा कि मैं पुलिस में कंप्लेंट कर दूँगी, तो वो बोले कि पुलिस इतने छोटे काम के लिए फालतू नहीं बैठी हुई है।" इतना बोलकर वो चुप हो गई।

    "ठीक है, तुम चिंता मत करो। मैं उन्हें देख लूँगा। तुम कंप्लेंट फाइल करवा दो।" उसके बाद वो लड़की कंप्लेंट फाइल करवा देती है।

    "अब तुम जाओ।" आर्येश ने उस लड़की से कहा। उसके बाद वो लड़की वहाँ से चली गई।

    फिर आर्येश अद्विक के पास गया। "सर, सब ठीक तो है ना?" अद्विक ने आर्येश को देखकर पूछा।

    "हाँ, वो..." आर्येश कुछ बोलने ही वाला था कि तभी उसका फ़ोन रिंग हुआ। उसने फ़ोन पिक किया। उधर से कुछ बोला गया। "ओके, मैं अभी निकल रहा हूँ। ओके।" बोलकर उसने फ़ोन कट कर दिया।

    उसके बाद उसने अद्विक को देखकर कहा, "दरअसल, एक लड़की ने कुछ लड़कों के खिलाफ़ कंप्लेंट फाइल करवाई है कि वो लड़के आते-जाते हर लड़की को परेशान करते हैं। मुझे कुछ ज़रूरी काम से बाहर जाना है, तो क्या तुम उन्हें देख लोगे?"

    "नो प्रॉब्लम सर, ये तो मेरी ड्यूटी है। आप चिंता मत करिए, मैं सब देख लूँगा।" अद्विक ने कहा और वहाँ से निकल गया।

    उसके जाने के बाद आर्येश भी वहाँ से निकल गया। कुछ ही देर बाद वो उसी जगह पर पहुँच गया, लेकिन उसे वहाँ पर कोई नहीं दिखा।

    तभी किसी के कराहने की आवाज़ सुनाई दी। वो आवाज़ जिस तरफ़ से आ रही थी, उस तरफ़ एक छोटी सी दीवार थी। अद्विक धीरे से उस दीवार के पास गया।

    तभी अचानक से एक लड़का लड़खड़ाते हुए उस दीवार से बाहर निकला और दूसरी दिशा में भागने लगा। उसे देखकर अद्विक उस तरफ़ देखा, लेकिन फिर दीवार की तरफ़ देखा तो वहाँ पर एक लड़का दूसरे लड़के को मार रहा था।

    जो लड़का उस लड़के को मार रहा था, वो कोई और नहीं बल्कि अथर्व था और 3 वहाँ पास में पड़े हुए चिल्ला रहे थे। वो लोग पहले ही मार खा चुके थे।

    तभी जो 3 लड़के नीचे पड़े हुए थे, वो उठकर भागने लगे। उन्हें भागता हुआ देखकर अथर्व जल्दी से उनके पीछे भागकर पकड़ने वाला ही था कि तभी वो अद्विक से टकरा गया, क्योंकि तब तक अद्विक उसके पीछे आ चुका था और उसे रोकने के लिए हाथ बढ़ा ही रहा था कि अथर्व उससे टकरा गया।

  • 4. Devil's love - Chapter 4 <br> <br>महीने के 20 दिन तो लॉकअप में बीतते हैं

    Words: 1383

    Estimated Reading Time: 9 min

    उसके जाने के बाद आर्येश भी वहाँ से निकल गया। कुछ देर बाद वह उसी जगह पर पहुँचा, लेकिन उसे वहाँ कोई नहीं दिखा। तभी किसी के कराहने की आवाज़ सुनाई दी। वह आवाज़ जिस तरफ़ से आ रही थी, उस तरफ़ एक छोटी सी दीवार थी। अद्विक धीरे से उस दीवार के पास गया।

    तभी अचानक एक लड़का लड़खड़ाते हुए उस दीवार से बाहर निकला और दूसरी दिशा में भागने लगा। उसे देखकर अद्विक उस तरफ़ देखा, लेकिन फिर दीवार की तरफ़ देखा तो वहाँ एक लड़का दूसरे लड़के को मार रहा था।

    जो लड़का उस लड़के को मार रहा था, वह कोई और नहीं बल्कि अथर्व था और 3 लड़के वहाँ पास में पड़े हुए चिल्ला रहे थे। वे लोग पहले ही मार खा चुके थे।

    तभी जो 3 लड़के नीचे पड़े हुए थे, वे उठकर भागने लगे। उन्हें भागता हुआ देखकर अथर्व जल्दी से उनके पीछे भागकर पकड़ने वाला था कि तभी वह अद्विक से टकरा गया। क्योंकि तब तक अद्विक उसके पीछे आ चुका था और उसे रोकने के लिए अपना हाथ बढ़ाने ही वाला था कि तभी अथर्व उससे टकरा गया।

    किसी को अपने सामने देखकर अथर्व अपना सिर ऊपर करके देखा तो उसे अद्विक का हैंडसम चेहरा दिखा। यही अद्विक भी अथर्व को ही देख रहा था। तभी उसे अद्विक के पीछे से किसी की आवाज़ आई। अथर्व उस तरफ़ देखा तो कुछ पुलिस वाले उन भागे हुए लोगों को पकड़कर अपने साथ लाई हुई जीप में बिठा रहे थे।

    उन्हें देखने के बाद अथर्व फिर अद्विक को देखा। उसके बाद वह अपना बैग उठाकर वहाँ से जाने लगा। लेकिन तभी अद्विक ने उसका हाथ पकड़कर उसे जाने से रोक दिया। अद्विक के रोकने से अथर्व रुक गया। उसके बाद उसने एक बार अपने हाथ को देखा जिसे अद्विक ने पकड़ा हुआ था।

    उसके बाद वह अद्विक की तरफ़ देखा जो उसे ही देख रहा था। "ये क्या कर रहे हैं आप? मुझे जाने दीजिए," अथर्व अपनी हाथ छुड़ाते हुए बोला, लेकिन अद्विक ने उसका हाथ नहीं छोड़ा।

    "तुम ऐसे ही नहीं जा सकते। तुमने उन लोगों के साथ मारपीट की है, तो उसके लिए तुम्हें मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलना होगा। उसके बाद अगर कोई तुम्हारी ज़मानत करवाता है, तभी तुम घर जाओगे," अद्विक ने उससे कहा।

    उसकी बात सुनकर अथर्व ने एक गहरी साँस ली। उसके बाद उसने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा, "ठीक है, चलिए चलते हैं।" इतना बोलकर वह खुद से ही जीप की तरफ़ जाने लगा। इसे देखकर अद्विक हैरान हो गया। उसके बाद वह भी उसके पीछे चला गया।

    अथर्व अद्विक के साथ ही बैठा हुआ था। अद्विक ने जानबूझकर उसे उन लड़कों के साथ नहीं बिठाया था, कहीं ये सब मिलकर फिर से लड़ने न लग जाएँ।

    कुछ देर बाद उनकी जीप पुलिस स्टेशन के बाहर आकर रुकी और उसके बाद सभी लोग बाहर आए। उनके साथ ही अथर्व भी बाहर आया और बिना किसी के कुछ बोले अंदर चला गया। वहीं अद्विक उसे जाते हुए ही देख रहा था।

    अथर्व को देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वह पुलिस स्टेशन आया है, बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे उसे इस स्टेशन के बारे में सब कुछ पता हो। उसके बाद अद्विक भी उसके पीछे स्टेशन के अंदर चला गया।

    जब वह अंदर आया तो देखा कि अथर्व एक चेयर पर आराम से बैठा हुआ है और सामने DCP सर बैठे हुए हैं और कुछ लोग उसके चारों तरफ़ खड़े होकर उसे ही देख रहे हैं।

    "ये क्या हो रहा है?" अद्विक बोला और उनके पास चला गया।

    "अद्विक, तुम इसे लेकर क्यों आए हो?" अद्विक को देखकर DCP सर उससे पूछे।

    "सर, ये लड़का उन लड़कों के साथ मारपीट कर रहा था। इसके ख़िलाफ़ कंप्लेंट हुई थी और ये सब मैंने खुद अपनी आँखों से देखा है। ये लड़का न तो दिखने में मासूम है और न ही रियल में मासूम है," अद्विक ने जवाब दिया।

    अद्विक की बात सुनकर अथर्व घूरकर उसे देखता है। तभी DCP सर अपने हाथ खड़े करते हुए कहते हैं, "ठीक है, लेकिन जब तुम इस डेविल को लेकर आए हो तो अब इसे तुम ही देखो। हमें इसमें मत खींचो।"

    इसके बाद अद्विक एक कांस्टेबल से बोलता है, "अब इसे लेकर जाओ और लॉकअप में बंद कर दो। जब एक दिन इसके अंदर बिताएगा ना, तब इसकी अकल ठिकाने लग जाएगी। खुद को बहुत बड़ा हीरो समझता है ना, अब मैं इसकी सारी हीरोगिरी निकालूँगा।"

    वहाँ अद्विक की बात सुनकर कोई भी सामने नहीं आता। यह देखकर अद्विक बोलता है, "क्या हुआ? सुनाई नहीं? मैंने क्या कहा?"

    "एक काम करो, तुम खुद ही इसे लॉकअप में बंद कर दो।" किसी को सामने नहीं आता हुआ देखकर DCP सर अद्विक से कहते हैं।

    उनकी बात सुनकर अद्विक अथर्व का हाथ पकड़कर उसे लेकर लॉकअप में बंद कर देता है।

    उसके बाद वह एक कांस्टेबल से अथर्व के घर के किसी का भी नंबर बताने को बोलता है जिससे कि वह उसके घरवालों को इन्फॉर्म कर सके, लेकिन अथर्व उसे बताने से मना कर देता है।

    "ठीक है। अगर नहीं बताना है तो फिर आज रात यहीं पर बिताओ।" मुझे क्या? अद्विक वहाँ से चला जाता है।

    "क्या हुआ? कुछ बताया उसने?" DCP सर उससे पूछते हैं तो अद्विक गुस्से में उनकी तरफ़ देखता है।

    "क्या हुआ? मुझे ऐसे गुस्से में क्यों देख रहे हो? मैंने क्या कर दिया?" अद्विक को गुस्से में देखकर DCP सर उससे पूछते हैं।

    "क्योंकि उसने कुछ नहीं बताया है और आप यहाँ पर पूछकर मुझे गुस्सा दिला रहे हैं," अद्विक उससे बोलता है।

    "तुमने क्या कहा उससे?" DCP सर उससे पूछते हैं।

    "यही कि मुझे अपनी माँ या पापा का नंबर दो कॉन्टैक्ट करने के लिए," अद्विक बोलता है।

    "बस इसीलिए उसने तुम्हें कुछ नहीं बताया है," DCP सर आराम से बोलते हैं।

    "क्या मतलब है आपका?" अद्विक कन्फ्यूज़्ड होकर पूछता है।

    "क्योंकि अगर उसकी माँ आ गई ना, तो उसे सिर्फ़ आज रात ही नहीं बल्कि पूरे हफ़्ते भर के लिए वह लॉकअप में ही रखा जाएगा और उसके पापा को पता चला तो वह यहाँ पर आएंगे ही नहीं," DCP सर बोलते हैं।

    पीछे से आर्येश बोलता है, "विजय सर, ये अथर्व यहाँ क्या कर रहा है? आज क्या कर दिया उसने?"

    आर्येश की बात सुनकर विजय सर और अद्विक पीछे देखते हैं। "सर, क्या आप उस लड़के को जानते हैं?" अद्विक आर्येश से पूछता है।

    पीछे से विजय सर की आवाज़ आती है, "क्योंकि वह लड़का आर्येश के भाई का बेटा है और वह यहाँ आज पहली बार नहीं आया है। उसकी महीने की २० दिन यहीं पर बीतते हैं।"

    "क्या?" अद्विक चौंक कर बोलता है। "कोई बात नहीं। पहली बार है ना, इसीलिए ऐसा रिएक्ट कर रहे हो। आदत हो जाएगी।" विजय सर उसके कंधे को थपथपा कर बोलते हैं और वहाँ से चले जाते हैं।

    उनके जाने के बाद अद्विक आर्येश की तरफ़ देखता है जो कि उसके ही तरफ़ देख रहा होता है। "सर, आप अपने भांजे को समझाते क्यों नहीं हैं? वह अभी छोटा है और ऐसे ही किसी को मारना सही नहीं है," अद्विक आर्येश से बोलता है।

    "देखो अद्विक, मुझे नहीं पता है कि उसने क्या किया है, लेकिन मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि वह जो भी करता है, उसके पीछे कोई न कोई वजह ज़रूर होती है। और रही बात उसके लॉकअप में होने की तो उसकी माँ ही आकर देख लेगी। मैं कॉल करके उसे बुला लेता हूँ।" बोलकर वह फ़ोन लेकर अंदर जाकर उसकी माँ, हर्षिनी को कॉल करके उसे सब बता देता है। "वह आ रही है। जो भी बात इससे कर लेना।" इतना बोलकर वह अपने केबिन में चले जाते हैं।

  • 5. Devil's love - Chapter 5 <br> <br>अद्विक आया अथर्व के घर डिनर पर

    Words: 1370

    Estimated Reading Time: 9 min

    पहले तो अद्विक ने उसका बैग ले लिया था, लेकिन बाद में अथर्व ने डीसीपी सर से बात करके अपना बैग ले लिया।

    "ये लो, कुछ खा लो। तुमने दोपहर से शायद कुछ नहीं खाया है।" वो प्लेट उसकी ओर बढ़ाया।

    अथर्व बिना कुछ बोले प्लेट ले लिया। प्लेट देने के बाद, जैसे ही अद्विक जाने के लिए मुड़ा, अथर्व बोला, "मुझे अकेले खाने की आदत नहीं है।"

    उसकी बात सुनकर अद्विक रुक गया और उसकी ओर मुड़कर देखा। तब अथर्व फिर से बोला, "ऑफिसर, क्या आप मेरे साथ बैठकर खा सकते हैं?"

    इस वक्त अथर्व धीरे आवाज़ में बोल रहा था। अद्विक को भी मन नहीं हुआ। उसने भी अपनी प्लेट मंगवा ली और उसके साथ बैठकर खाने लगा। उस वक्त स्टेशन में ज़्यादा लोग नहीं थे।

    खाना खाते हुए अद्विक ने पूछा, "वैसे एक बात बताओ, तुम उन लोगों को मार क्यों रहे थे?"

    अथर्व ने भी खाना खाते हुए जवाब दिया, "जिस काम के लिए आप वहाँ पर आए थे, वही काम मैं भी कर रहा था। बस आपसे पहले मैं वहाँ पहुँच गया था।"

    "पता है, अगर वो लोग गलत नहीं होते न, तो तुम्हें और भी दिन जेल में बिताने पड़ते। समझे? अभी तुम बच्चे हो, तो ये सब बंद करो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। समझ गए? अब तुम आराम करो, मैं चलता हूँ।" अद्विक उठ गया।

    "अरे ऑफिसर, कहाँ जा रहे हैं? अगर आप घर जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो भूलिए मत कि मैंने क्या कहा था। अगर आप अपने घर गए न, तो मैं भी यहाँ नहीं रुकने वाला। और अगर रास्ते में मुझे कुछ हो गया, तो उसकी ज़िम्मेदारी आपकी होगी।" अथर्व ने एक टेढ़ी मुस्कान के साथ कहा।

    "मैं कहीं नहीं जा रहा, बस अपने केबिन में जा रहा हूँ।" अद्विक कहकर वहाँ से जाने लगा।

    तभी एक कांस्टेबल एक कम्बल लेकर आया। उसे देखकर अद्विक बोला, "ये क्या है?"

    "सर, वो इनके लिए है। वो क्या है न, कि ये यहाँ पर अक्सर आते ही रहते हैं न, बस इसीलिए।" कांस्टेबल अथर्व की ओर देखकर बोला और वो कम्बल अथर्व को दे दिया।

    "सच में, तुम जैसा लड़का मैं आज तक नहीं देखा है।" अद्विक अथर्व की ओर देखकर बोला।

    "और कभी देखेंगे भी नहीं, ऑफिसर। क्योंकि मैं इस पूरी दुनिया में इकलौता पीस हूँ।" अथर्व अद्विक से मुस्कुराकर बोला। उसके बाद अद्विक वहाँ से चला गया।

    अथर्व भी मुस्कुराते हुए अपनी चादर ओढ़ ली और सो गया।

    वहीं दूसरी तरफ, अथर्व के घर पर सभी लोग डिनर करने के लिए एक साथ डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे। अथर्व को न देखकर ऋषिक सबकी तरफ देखकर पूछा, "ये अथर्व कहाँ गया? दिखाई नहीं दे रहा है।"

    तब हर्षनी ने जवाब दिया, "वो आज पुलिस स्टेशन में है। कल सुबह तक वापस आ जाएगा।"

    "क्या? पुलिस स्टेशन? इस बार उसने क्या कर दिया?" मृणांक शॉक होकर उससे पूछा।

    "वो दरअसल, एक लड़की कुछ लड़कों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने आई थी, जो राह चलते हुए लड़कियों को परेशान करते थे। उस वक्त मुझे एक ज़रूरी काम से बाहर जाना था, तो मैंने ये काम अद्विक को दे दिया, जो कि अभी २ दिन पहले ही ट्रांसफर होकर आया है। जब वो उस जगह पर पहुँचा, तो साहब पहले से ही उन सभी को पीट रहे थे। बाद में इसीलिए उसने उन लोगों के साथ इसे भी लेकर लॉकअप में बंद कर दिया। और मज़े की बात पता है क्या? कि आज बेचारा अद्विक को भी स्टेशन पर ही रुकना पड़ा, क्योंकि उसने अद्विक को धमकी दे दी कि अगर वो गया, तो वो साहबज़ादे भी वहाँ नहीं रुकने वाले।" आर्येश खाना खाते हुए बोला।

    उसकी बात सुनकर सभी लोग रिलैक्स हो गए और अपना-अपना डिनर करने लगे। डिनर करके सभी अपने-अपने रूम में चले गए और ऐसे ही रात बीत गई।

    और सुबह होते ही अथर्व को लॉकअप से आज़ाद कर दिया गया। उसके बाद वो अद्विक के पास आया।

    और उससे बोला, "वैसे ऑफिसर, आपके ऊपर ये वर्दी अच्छी नहीं लग रही। बस कुछ दिन और इसे पहन लीजिए, उसके बाद में इसे चेंज होना ही है।" बोलकर वो वहाँ से चला गया।

    वहीं अद्विक को समझ में नहीं आया कि उसके कहने का क्या मतलब था। उसने उसकी बातों को इग्नोर करके अपने घर के लिए निकल गया। रात भर स्टेशन में रुकने की वजह से वो फ्रेश होने के लिए घर चला गया।

    अथर्व भी अपने घर आ गया। तभी उसे देखते ही अक्षांश उससे बोला, "इतनी देर क्यों कर दिए आने में? जल्दी से तैयार होकर आओ, अभी हम सब बस कॉलेज के लिए निकलने वाले हैं।"

    "तुम सभी जाओ, मैं आज नहीं आ रहा।" अथर्व बोलते हुए अपने रूम में चला गया। उसकी बात सुनकर अक्षांश और बाकी सभी कॉलेज के लिए निकल गए।

    ऐसे ही धीरे-धीरे काफी टाइम बीत गया। अद्विक को आए हुए लगभग 1 महीना हो चुका था। इस बीच अथर्व और अद्विक की मुश्किल से सिर्फ़ एक-दो बार ही मुलाक़ात हुई थी।

    आज आर्येश ने अद्विक को अपने घर पर डिनर के लिए बुलाया हुआ था। इसीलिए घर की लेडीज़ खाना बना रही थीं।

    "क्या बात है लेडीज़? आज किचन से काफ़ी अच्छी खुशबू आ रही है। कोई आने वाला है क्या?" वेदांश सूँघते हुए किचन के पास जाकर पूछा।

    "हाँ, आज एसीपी अद्विक मल्होत्रा आने वाले हैं। बस इसीलिए ये सारी खुशबू आ रही है।" शार्वी सब्ज़ी बनाते हुए बोली।

    "कभी हमारे लिए तो ऐसा कुछ नहीं होता है।" रुदान अपना चेहरा मासूम सा बनाते हुए बोला।

    "उसके लिए तो शायद तुम्हें भी कोई अच्छा काम करना होगा, या फिर शायद तुम लोगों को अपने लिए बॉयफ्रेंड खोज लेना चाहिए।" मृणांक वहाँ आकर रुदान और बाकी बच्चों से बोला।

    "सच में मृणांक अंकल! लेकिन मुझे न आपके जैसे लाइफ पार्टनर चाहिए। ऋषिक अंकल कितने लकी हैं न, जो आप उन्हें मिले हैं।" रुदान बोला।

    "और नहीं क्या? यही बात मैं भी ऋषिक को कितनी बार बोला हूँ, लेकिन वो मानता ही नहीं है।" मृणांक अपना मुँह बनाते हुए बोला।

    "मानेंगे मृणांक अंकल, ज़रूर मानेंगे। बस आज रात आप अंकल को अपने पास मत आने दीजिएगा, उसके बाद देखिए आप उनसे जो जो बोलेंगे, ऋषिक अंकल बिल्कुल वैसा-वैसा ही करते जाएँगे।" अक्षांश मृणांक से बोला।

    वहीं अथर्व, जो कि अभी नीचे ही आ रहा था, वो शार्वी के मुँह से अद्विक के आने की बात सुनकर रुक गया और कुछ सोचकर वहाँ से अपने रूम में चला गया।

    बाकी बच्चे भी अब जाकर अपना काम करने लगे।

    सारे बच्चों की बात सुनकर मृणांक भी ऋषिक के साथ में वैसा ही करने की सोचता है और वो भी वैसे ही अपने मन में कुछ सोचते हुए चला जाता है।

    ऐसे रात हो जाती है। तभी आर्येश, अद्विक और विजय सर के साथ अंदर आते हैं।

    उसके बाद आर्येश उन दोनों लोगों को सोफ़े पर बिठाता है। तब तक सभी लोग भी हॉल में आ जाते हैं। उसके बाद आर्येश अद्विक को सभी लोगों से मिलवाता है।

    "जैसी कि तुम हर्षनी, यानी कि अथर्व की माँ से तो तुम पहले ही मिल चुके हो। और ये है मेरी वाइफ शार्वी, जो कि एक बहुत ही फेमस हार्ट सर्जन है।"

    "और ये हैं वत्सल, अथर्व के डैड और हर्षनी के हसबैंड।"

    "और ये हैं ऋषिक, मेरा भाई। और ये है मृणांक, ऋषिक के हसबैंड। मृणांक एक बिज़नेसमैन है।"


    अथर्व का क्या रिएक्शन होगा अद्विक को देखकर?

  • 6. Devil's love - Chapter 6 <br> <br>हॉट 🥵 रोमांस

    Words: 1463

    Estimated Reading Time: 9 min

    रुदान ने कहा, "मृणांक अंकल, लेकिन मुझे आपके जैसे लाइफ पार्टनर चाहिए। ऋषिक अंकल कितने लक्की हैं न जो आप उन्हें मिले हैं!"

    मृणांक ने अपना मुंह बनाते हुए कहा, "और नहीं क्या? यही बात मैं भी ऋषिक को कितनी बार बोला है, लेकिन वो मानता ही नहीं है।"

    अक्षांश ने मृणांक से कहा, "मानेंगे मृणांक अंकल, ज़रूर मानेंगे। बस आज रात आप अंकल को अपने पास मत आने दीजिएगा। उसके बाद देखिए, आप उनसे जो जो बोलेंगे, ऋषिक अंकल बिल्कुल वैसा वैसा ही करते जाएंगे।"

    नीचे आ रहा अथर्व, शार्वी के मुँह से अद्विक के आने की बात सुनकर रुक गया। कुछ सोचकर वह अपने कमरे में चला गया। बाकी बच्चे भी अपना काम करने लगे।

    सारे बच्चों की बात सुनकर मृणांक ने भी ऋषिक के साथ वैसा ही करने की सोची और अपने मन में कुछ सोचते हुए चला गया।

    रात हो गई। आर्येश, अद्विक और विजय सर साथ में अंदर आए। आर्येश ने उन दोनों को सोफे पर बिठाया। तब तक सभी लोग हॉल में आ गए। आर्येश ने अद्विक का सभी लोगों से परिचय करवाया।

    "जैसी कि तुम हर्षनी, यानी कि अथर्व की माँ से तो तुम पहले ही मिल चुके हो। और ये है मेरी वाइफ शार्वी, जो कि एक बहुत ही फेमस हार्ट सर्जन है।"

    "और ये हैं वत्सल, अथर्व के डैड और हर्षनी के हसबैंड।"

    "और ये हैं ऋषिक, मेरा भाई, और ये हैं मृणांक, मेरे हसबैंड। मृणांक एक बिजनेसमैन हैं।"

    "और ये हैं सर्वम और नक्षिता, ये भी बिजनेसमैन हैं। और ये हैं रिदित और कर्णिक। रिदित एक डॉक्टर है। और ये सब इस घर के बच्चे हैं। एक से तो तुम मिल ही चुके हो," आर्येश ने कहा।

    अक्षांश ने बीच में ही कहा, "अब बाकी का इंट्रो हम खुद से दे देंगे।" सारे बच्चों ने अद्विक से अपना इंट्रो करवाया और अद्विक भी सबसे मिला।

    "मैं चेंज करके आ रहा हूँ," कहकर आर्येश अपने कमरे में कपड़े बदलने चला गया।

    शार्वी ने टेबल पर सब्जी रखते हुए कहा, "चलो, अब बातें बाद में करना, पहले डिनर कर लो।" सभी लोग बैठने लगे। आर्येश अद्विक को अपने साथ डाइनिंग टेबल पर लाया।

    वे लोग बैठे ही थे कि अथर्व आया और अद्विक के सामने वाली चेयर पर बैठ गया। अथर्व के आते ही अद्विक की नज़र उस पर गई। लेकिन उसने कुछ नहीं बोला और दोनों चुपचाप खाना खाने लगे। कुछ देर बाद, जब सभी का डिनर हो गया, तो अद्विक जाने को बोला।

    मृणांक ने उसे आज रात रुकने को कहा। भले ही अद्विक का घर ज़्यादा दूर न हो, लेकिन सब ने उसे रुकने को मना लिया, तो वह रुक गया।

    वत्सल और अथर्व ने अद्विक को गेस्ट रूम दिखाने को कहा। "ओके डैड, चलिए ऑफिसर," कहकर अथर्व अद्विक को लेकर गेस्ट रूम की तरफ चला गया।

    दूसरी मंज़िल पर आकर एक कमरे के बाहर अथर्व रुका और अद्विक की तरफ देखकर कहा, "ऑफिसर, ये है आपका रूम। अब मैं चलता हूँ।" कहकर अथर्व चला गया।

    अद्विक ने दरवाज़ा खोला, अंदर गया, दरवाज़ा अंदर से लॉक किया और बिस्तर पर लेट गया। कुछ देर बाद उसके कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। उसने दरवाज़ा खोला तो सामने अथर्व खड़ा था, हाथ में कपड़े लिए हुए।

    अथर्व ने कहा, "ये आप चेंज कर लो। ये लोगो वाली हुडी है, आपको फिट हो जाएगी।" अथर्व ने अद्विक को कपड़े दिए।

    अद्विक अभी भी यूनिफॉर्म में था। उसने कपड़े लिए और कहा, "गुड नाईट ऑफिसर।" अथर्व चला गया।

    अद्विक ने दरवाज़ा बंद किया, बाथरूम में जाकर कपड़े बदले, बिस्तर पर लेट गया और कुछ देर बाद सो गया।

    दूसरी तरफ, ऋषिक और मृणांक के कमरे में, जैसे ही दोनों आए, मृणांक बिस्तर पर चादर ओढ़कर लेट गया। यह देखकर ऋषिक की भौंहें सिकुड़ गईं और वह उसके पास जाकर उसकी चादर खींच ली।

    मृणांक ने कहा, "ये क्या कर रहे हो तुम? मुझे सोने दो।" उसने फिर से चादर ओढ़ ली।

    ऋषिक ने पूछा, "तुम्हें सच में अभी नींद आ रही है?"

    मृणांक ने वैसे ही लेटे-लेटे कहा, "हाँ, मुझे नींद आ रही है। इसीलिए अब मुझे सोने दो।"

    तभी उसे अपने पेट पर ऋषिक के हाथ का एहसास हुआ। वह सिहर उठा और आँखें बंद कर ली।

    मृणांक ने उसके हाथ को हटाते हुए कहा, "ये...ये क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे।" लेकिन ऋषिक ने उसके हाथों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उसके गले के पास अपना चेहरा ले जाकर उसे किस करने लगा।

    ऋषिक ने उसे किस करते हुए कहा, "क्या हुआ? नाराज़ हो मुझसे? लेकिन मैंने तो कुछ किया ही नहीं है।"

    मृणांक ने उसके चेहरे को पकड़कर खुद से दूर करते हुए कहा, "मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है। मैं तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं हूँ न? तो बस, जो तुम्हारे लिए अच्छा है, उसी के पास जाओ।"

    ऋषिक कन्फ्यूज्ड होकर पूछा, "ये क्या बोल रहे हो तुम? मैं कुछ समझा नहीं।"

    मृणांक उठकर बैठ गया और मुँह फुलाकर बोला, "तुम्हें पता है, आज नीचे मुझे सभी बच्चे क्यूट 🥰 और अच्छे लगे। लेकिन जब भी मैं तुमसे पूछता हूँ, तो तुम क्या बोलते हो? 'नहीं, तुम क्यूट नहीं हो, तुम तो हॉट और सेक्सी हो।' ये भी कोई बात हुई? भला, जब मैं उन्हें क्यूट और अच्छा लग सकता हूँ, तो क्या मैं तुम्हें नहीं लग सकता?"

    ऋषिक ने कहा, "ओ...ओ, तो मेरे बच्चा इस लिए मुझसे नाराज़ है? अरे, तुम तो बाकी के लिए क्यूट हो ही, लेकिन मैं तुम्हारा हसबैंड हूँ, तो तुम मेरे लिए तो हॉट और सेक्सी ही होगे न।" वह मृणांक के कान को चूमने लगा।

    मृणांक ने अपने कान को पकड़ते हुए कहा, "आह! क्या कर रहे हो?"

    ऋषिक ने कहा, "लेकिन अगर तुम्हें मेरे मुँह से ही सुनना है, तो सुनो, तुम इस दुनिया के सारे लोगों और बच्चों में से सबसे क्यूट और अच्छे के साथ-साथ हॉट और सेक्सी बच्चे हो, जो कि सिर्फ़ मेरा है।" वह मृणांक के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करने लगा।

    मृणांक ने भी अब उसे मना नहीं किया और उसके किस में साथ देने लगा। ऋषिक किस करते हुए मृणांक के ऊपर आ गया और उसे किस करते हुए उसके कपड़े उसके शरीर से अलग करने लगा।

    वह उसके पूरे शरीर पर किस करने लगा और उसे चूम भी रहा था जिससे मृणांक की सिसकियाँ निकल गईं।

    मृणांक ने भारी साँस लेते हुए कहा, "आह! ऋषिक, क्या कर रहे हो? धीरे करो न, दर्द हो रहा है।"

    कुछ देर बाद दोनों के कपड़े फर्श पर पड़े हुए थे। लगभग 2 घंटे बाद ऋषिक मृणांक को अपनी बाहों में लेकर सो गया। मृणांक पहले ही सो चुका था।

    रात के लगभग 2 बजे, प्यास की वजह से अद्विक की आँखें खुलीं। उसने देखा कि उसके कमरे में रखे जग में पानी नहीं है। वह पानी पीने के लिए नीचे जाने वाला था, तभी उसे कुछ गिरने की आवाज़ सुनाई दी। वह खिड़की की तरफ झाँककर देखने लगा। उसने देखा कि कोई साया, सारे बॉडीगार्ड्स से चुपके से बाहर जा रहा है। अद्विक उसे चुपके से देख रहा था।

    आखिर कौन है यह अंजान साया और क्या कर रहा है इस घर में?

  • 7. Devil's love - Chapter 7 <br> <br>अद्विक का अथर्व के घर पर रुकना

    Words: 1403

    Estimated Reading Time: 9 min

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    वही ऋषिक की बात सुनकर अब मृणांक भी उसे मन नहीं करता है और उसके किस में साथ देने लगता है।

    धीरे धीरे ऋषिक किस करते हुए ही मृणांक के ऊपर आ जाता है और उसे किस करते हुए ही उसके कपड़े हो किसके शरीर से अलग कर देता है।

    उसके बाद में वो उसके पूरे शरीर पर किस करने लगता है और उसके साथ ही बीते भी कर रहा होता है जिससे मृणांक के मुंह से सिसकियां निकल जाती है।

    आह ऋषिक क्या कर रहे हो धीरे करो न दर्द हो रहा है, मृणांक भारी सांस लेते हुए बोलता है।कुछ देर बाद में दोनो के कपड़े फर्श पर पड़े हुए होते है और लगभग 2 घंटे बाद में ऋषिक मृणांक को अपने बाहों में लेकर सो जाता है मृणांक जो कि पहले से ही सो चुका होता है।

    लगभग रात के 2 बजे प्यास की वजह से अद्विक की आंखे खुलती है तो वो देखता है कि उसके रूम में रखा हुआ जग में पानी नहीं है तो वो पानी पीने के लिए नीचे जाने वाला होता है।

    तभी उसे कुछ गिरने की आवाज सुनाई देती है तो वो जाकर खिड़की की तरफ धीरे से झाक कर देखता है तो कोई साया सारे बॉडीगार्ड से चुप चुप कर बाहर जाता है जिसे अद्विक चुपके से देख रहा होता है।

    अब आगे 

    कुछ देर बाद में वो साया घर के पीछे दीवार के पास चला जाता है ये देखकर अद्विक भी वैसे ही धीरे से खिड़की के पास लगे हुए पॉप के सहारे नीचे उतर जाता है और उस साए के पीछे चला जाता है।

    इस वक्त किसी भी बॉडीगार्ड की नजर उस पर नहीं जाती है और वो देवार कूद कर बाहर चला जाता है और अद्विक भी बिल्कुल वैसा ही करता है और धीरे धीरे उस साए के पीछे चलने लगता है।

    कुछ दूर चलने के बाद में वो साया पीछे पलट कर देखता है तो अद्विक एक पिलर के पीछे चुप जाता है ये देखकर वो साया किसी को कॉल कर देता है और कुछ बोलकर वहां से आगे बढ़ने लगता है।

    तभी वो साया एक गली में घुश जाता है तो अद्विक भी उसी तरफ जाता है लेकिन अब इसे वहां पर कोई भी दिखाई नहीं देता हुए कहां चला गया अभी तो यही था, साए को न देखकर अद्विक गुस्से में बोलता है और खुद देर इधर उधर देखने के बाद में वो वापस लौट जाता है।

    तभी एक घर के छत पर से वो साया बाहर आता है और जिस तरफ अद्विक गया हुआ होता है उसी तरफ देखकर मुस्कुरा देता है और उसके बाद में वो वहां से दूसरी तरफ चला जाता है।

    कुछ दूर जाने के बाद में उसे एक बाइक दिखती है जहां पर एक लड़का भी खड़ा होता है क्या हुआ आज कुछ हुआ था क्या और तुमने आज मुझे यहां पर आने को क्यों बोला, बाइक के पास खड़ा हुआ लड़का उससे पूछता है।

    तुम्हे इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए और वैसे भी कभी कभी कुछ नया ट्राई कर लेना चाहिए उसके बाद में बाइक की चाभी लेकर बाइक स्टार्ट करता है और वहां से चला जाता है।

    वहीं दूसरी ओर अद्विक जैसे बाहर गया था वैसे ही अंदर भी आ जाता है लेकिन उसके दिमाग से अभी भी वो साया गया हुआ नहीं था आखिर कौन था वो बिना किसी को पता लगे चला भी गया इतना बोलकर वो खड़की से ऊपर की तरफ देखता है तो उसके ऊपर भी एक खिड़की दिखाई देती है।

    तभी उसके दिमाग में कुछ आता है क्योंकि उसके रूम की खिड़की बंद थी मतलब वो जो भी था ऊपर की खड़की से ही अंदर गया था और बाहर भी आया था।

    उसके बा दमे अद्विक भी वैसे ही खड़की के रास्ते से ही ऊपर वाले फ्लोर पर जाता है जब वो वहां पर पहुंचता है तो देखता है कि खड़की पहले से ही खुला हुआ है।

     ये देखकर वो धीरे से रूम के अंदर जाता है और उसके बाद में वो बेड को देखता है जहां पर कोई सोया हुआ होता है लेकिन उसके ऊपर पूरा चादर ओढ़ा हुआ होता है जिससे पता नहीं चलता है कि आखिर वो है कौन।

    उसके बाद में वो अपनी नजरे उस रूम को चारों तरफ घूमकर देखता है तभी उसकी नजर एक फोटो फ्रेम पर जाकर रुक जाती है जोकि अथर्व की फोटो होती है।

    उस फोटो को देखने के बाद में वो बेड की तरफ देखता है उसके बाद में वो धीरे से चादर को हटाता है तो वो शॉक हो जाता है क्योंकि वहां पर अथर्व होता ही नहीं है बल्कि उसकी जगह पर तकिया रखा हुआ होता है जिसके ऊपर चादर ओढ़ा हुआ होता है।

    क्या इसका मतलब वो साया कोई और नहीं बल्कि अथर्व था, ये सब देखकर अद्विक सोचते हुए खुद से ही बोलता है कुछ देर बाद में वो अपने रूम में मौजूद होता है लेकिन नीद उसके आंखों से कोसों दूर थी।

    ये लड़का इतनी रात को ऐसे सबसे चुप कर कहां गया होगा अद्विक को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें ऐसे ही सोचते हुए कुछ देर बाद में वो जाकर लेट जाता है।

     और बाद में खुद ही उससे सब पूछ लेगा यही सब सोचकर सी जाता है उर रात ऐसे ही बीत जाती है।

    सुबह के टाइम ऋषिक और मृणांक के रूम में दोनो अभी भी एक दूसरे के बाहों में सोए हुए होते हैं इस वक्त दोनो के ऊपर सिर्फ एक पतली सी चादर होती है।

    तभी मृणांक की आंखे खुलती है तो वो खुद को ऋषिक के बाहों में पाता है ये देखकर वो मुस्कुरा देता है उसके बाद में वो ऋषिक के होटों पर किस करता है और फिर पीछे हो जाता है।

    उसके बाद में वो उठकर बैठने लगता है आह तभी उसके मुंह से सिसकारी निकल जाती है और वो वापस से बेड पर लेट जाता है उसकी आंखे दर्द की वजह से बंद हो गई थी।

    उसकी सिसकारी सुनकर ऋषिक की आंखे भी खुल जाती हैं तभी उसकी नजर मृणांक पर जाती है जोकि दर्द बर्दाश्त करनी की कोशिश कर रहा होता है।

    क्या हुआ जान ज्यादा दर्द हो रहा है, वो मृणांक के माथे पर किस करते हुए पूछता है।

    और नहीं तो क्या मैने तुम्हे कितनी बार रुकने को बोल था लेकिन तुम हो कि एक बार अगर शुरू हो गए तो रुकने का नाम ही नहीं लेते हो,मृणांक गुस्से में बोलता है।

    सॉरी माई लव लेकिन मैं भी क्या करूं तुम हो ही इतने हॉट की तुम्हे देखकर मुझसे रुका ही नहीं जाता है, ऋषिक बोलते हुए उसके सीने पर अपने हाथ चलने लगता है।

    इन्हें मुझसे दूर ही रखो समझे,मृणांक उसके हाथ पर मारते हुए बोलता है।

    अच्छा ठीक है अब चलो मैं तुम्हें फ्रेश करवा देता हूं बोलकर उसे अपने गोद में उठा लेता है और बाथरूम के अंदर लेकर चला जाता है कुछ देर बाद में वो दोनो शावर लेकर बाहर आए हैं वहीं मृणांक का मुंह अभी भी फूला हुआ था।

    क्या हुआ जान ऐसे मुंह क्यों फुला हुआ है तुम्हारा, ऋषिक मृणांक के चेहरे को छूते हुए पूछता है।

    बात मत करो मुझसे सिर्फ शॉवर का बोलकर गए थे और फिर शुरू हो गए रात का दर्द ठीक नहीं हुआ था और अब तो और भी दर्द करने लगा, मृणांक गुस्से में बोलता है।

    उसकी बताएं सुनकर ऋषिक उसके अपनी बाहों में भर लेता है और उसके माथे पर किस करते हुए उससे सॉरी बोलता है उसकी बात सुनकर मृणांक उसके सीने पर अपना सर रख लेता है उसके बाद में ऋषिक फोन करके ब्रेकफास्ट रूम में ही लाने को बोल देता है।

    वहीं अद्विक के रूम में अद्विक की आंखे अब जाकर खुलती है रात में जागने की वजह से सुबह देर से उसकी आंखे खुलती है जब वो टाइम देखता है 7 बज रहे होते हैं।

    तो वो जल्दी से उठकर बाथरूम चला जाता है और फ्रेश होकर बाहर आता है उसके बाद में दो अपनी वर्दी पहन लेता है और बालो सेट करके नीचे आता है।

    जहां पर अथर्व को छोड़कर बाकी सभी लोग मौजूद होते है अथर्व भी आकार एक चेयर पर बैठ जाता है उके बाद में सभी लोग ब्रेकफास्ट काने वाले होते हैं की तभी बाहर से अथर्व आता है उसे देखकर अद्विक को कल रात के बारे में याद आता है।

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  • 8. Devil's love - Chapter 8— <br> <br>अक्षांश और विराज की टक्कर वाली मुलाकात

    Words: 1382

    Estimated Reading Time: 9 min

    क्या हुआ जान? ऐसे मुंह क्यों फुला हुआ है तुम्हारा? ऋषिक, मृणांक के चेहरे को छूते हुए पूछता है।

    "बात मत करो मुझसे। सिर्फ़ शॉवर का बोलकर गए थे और फिर शुरू हो गए रात का दर्द। ठीक नहीं हुआ था और अब तो और भी दर्द करने लगा," मृणांक गुस्से में बोलता है।

    उसकी बातें सुनकर ऋषिक उसे अपनी बाहों में भर लेता है और उसके माथे पर किस करते हुए, "सॉरी," बोलता है। उसकी बात सुनकर मृणांक उसके सीने पर अपना सिर रख लेता है। उसके बाद ऋषिक फ़ोन करके ब्रेकफ़ास्ट रूम में ही लाने को बोल देता है।

    वहीं, अद्विक के कमरे में अद्विक की आँखें अब जाकर खुलती हैं। रात में जागने की वजह से सुबह देर से उसकी आँखें खुली थीं। जब वो टाइम देखता है, 7 बज रहे होते हैं।

    वह जल्दी से उठकर बाथरूम चला जाता है और फ्रेश होकर बाहर आता है। उसके बाद वह अपनी वर्दी पहन लेता है और बाल सेट करके नीचे आता है।

    वहाँ पर अथर्व को छोड़कर बाकी सभी लोग मौजूद होते हैं। अथर्व भी आकर एक चेयर पर बैठ जाता है। उसके बाद सभी लोग ब्रेकफ़ास्ट करने वाले होते हैं कि तभी बाहर से अथर्व आता है। उसे देखकर अद्विक को रात के बारे में याद आता है।

    "अरे अथर्व! तुम बाहर से आ रहे हो? मुझे तो लगा कि अभी तुम उठे ही नहीं होगे," हर्षनी अथर्व को देखकर बोलती है।

    "वो मोम, मैं आज जल्दी उठ गया था ना, तो वॉक पर चल गया था। मैं अभी फ्रेश होकर आता हूँ," बोलकर वह एक नज़र अद्विक को देखता है, जो उसे ही देख रहा होता है। उसके बाद वह अपने रूम में चला जाता है।

    कुछ देर बाद सभी लोग ब्रेकफ़ास्ट करके अपने काम से चले जाते हैं। उन सभी के जाने के बाद अथर्व अपने रूम से बाहर आता है और कॉलेज जाने के लिए अपने भाई और बहनों के साथ चला जाता है।

    वहीं, जब आर्येश और अद्विक स्टेशन पहुँचते हैं, तभी उन्हें पता चलता है कि एक बार में कुछ इलीगल काम हो रहे थे और पुलिस ने किसी के फ़ोन करने पर वहाँ पर छापा मारा था। कुछ लोग पहले से ही घायल पड़े हुए थे, जिन्हें पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। ये लोग वही लोग थे जो ड्रग्स की लेनदेन करते थे।

    लेकिन यह कभी उन लोगों तक कैसे और किसने दिया, इसके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चला था। उसके बाद सभी लोग आगे की कार्यवाही करते हैं। वहीं, अद्विक के मन में अभी भी अथर्व के कल रात को घर से बाहर जाने के बारे में ही सोच रहा होता है।

    "सर, मुझे कुछ ज़रूरी काम से बाहर जाना है, तो क्या मैं जा सकता हूँ?" अद्विक अपनी जगह से खड़ा होकर आर्येश से पूछता है।

    "हाँ, बिलकुल। तुम्हें कहीं भी जाने के लिए मुझसे पूछने की ज़रूरत नहीं है। अगर कुछ भी ज़रूरी हो तो मुझे बता देना," आर्येश अद्विक से बोलता है। उसके बाद अद्विक वहाँ से चला जाता है।

    वहीं दूसरी तरफ़, कॉलेज में सभी बच्चे पहुँच चुके होते हैं और अपने-अपने डिपार्टमेंट की तरफ़ चले जाते हैं। अक्षांश अकेले ही अपने मोबाइल में कुछ देखते हुए चल रहा होता है, तभी अचानक से किसी से टकरा जाता है।

    जिससे वह गिरने वाला होता है। जिसके डर की वजह से वह अपनी आँखें बंद कर लेता है। लेकिन जब कुछ देर बाद उसे किसी चोट का एहसास नहीं होता है, तो वह अपनी आँखें खोलता है। तो उसकी नज़रें सामने वाले की नज़रों से टकरा जाती हैं, जिसने उसे गिरने से बचाया हुआ था। कुछ देर दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में देखते हैं।

    "क्या तुम्हें मेरी बाहों में ही रखने का इरादा है?" वह शख्स उससे बोलता है। तब जाकर वह अपने होश में आता है और जल्दी से खुद को संभालकर खड़ा हो जाता है।

    "देखकर नहीं चल सकते थे क्या? अभी मैं गिर जाता और मुझे चोट लग जाती तो क्या होता?" अक्षांश उस आदमी पर गुस्सा करते हुए बोलता है।

    "वो बच्चे, तुम अब कुछ ज़्यादा ही बोल रहे हो, समझे? और रही बात देखकर न चलने की, तो वो तुम थे जो देखकर नहीं चल रहा था, समझे?" वह आदमी थोड़ी तेज आवाज़ में अक्षांश से बोलता है।

    "अगर मैं देखकर नहीं चल रहा था, तो तुम्हें तो दिखाई दे रहा था ना? तो तुम क्यों नहीं संभलकर चल रहे थे? एक मिनट, कहीं ऐसा तो नहीं कि आपने मुझ जैसे हैंडसम से लड़के को देखकर जानबूझकर मुझसे टकराया था?" अक्षांश अपनी आँखें छोटी करते हुए उससे बोलता है।

    "ये तुम क्या बकवास कर रहे हो?" वह आगे कुछ बोलता है कि तभी उसका फ़ोन रिंग करता है। तो वह अक्षांश पर से ध्यान हटाकर अपना फ़ोन उठाता है।

    "हाँ, बोल? क्या हुआ? तू पहुँच गया ना? हाँ, मैं बस क्लास में ही जा रहा था। चल, ठीक है। मैं बाद में मिलता हूँ। बाय।" इतना बोलकर वह कॉल कट कर देता है और बिना अक्षांश पर ध्यान दिए वहाँ से चला जाता है।

    वह उसके ऐसे ही बिना अक्षांश की बात सुने चले जाने की वजह से अक्षांश को बहुत गुस्सा आता है। "तुम्हें तो मैं छोड़ूँगा नहीं," बोलकर वह भी वहाँ से चला जाता है।

    वही वह आदमी चलते हुए एक क्लास के अंदर जाता है। इस वक़्त उसके हाथ में एक बुक होती है। उसके अंदर आते ही सारे बच्चे खड़े हो जाते हैं और एक साथ में उसे "गुड मॉर्निंग प्रोफ़ेसर" बोलते हैं।

    बदले में वह भी बच्चों को "मॉर्निंग" बोलकर उन्हें बैठने को बोलता है और उसके बाद बोलता है कि, "मेरा नाम है विराज और आज से मैं तुम्हारा मैथ्स का टीचर हूँ।" उसके बाद वह उन्हें पढ़ाने लगता है।

    "May I coming, सर?" बाहर से एक आवाज़ आती है। आवाज़ सुनकर प्रोफ़ेसर विराज भी दरवाज़े की तरफ़ देखते हैं तो उसकी आँखें छोटी हो जाती हैं क्योंकि दरवाज़े पर अक्षांश खड़ा होता है। वहीं अक्षांश की आँखें शरारत से बड़ी हो जाती हैं।

    "ये भी कोई तुम्हारा क्लास में आने का तरीका है? आज मेरी फ़र्स्ट क्लास है, इसीलिए इंडल्जेंट रहा हूँ। अगर आगे से ऐसा कुछ भी हुआ ना, तो पूछने की कोई ज़रूरत नहीं है, बाहर ही खड़े रहना। चलो, अब अंदर आ जाओ," प्रोफ़ेसर विराज थोड़े गुस्से में बोलते हैं।

    "इसमें मेरी कोई भी गलती नहीं, सर। मैं आते हुए एक दुष्ट आदमी से टकरा गया था और वो मुझसे सॉरी बोलने के बजाय मुझसे लड़ने लगा। बस इसीलिए देर हो गया था," अक्षांश भी गुस्से में उससे बोलता है।

    उसकी बात सुनकर प्रोफ़ेसर विराज भी उसे गुस्से में देखने लगते हैं, लेकिन अक्षांश को उससे जैसे कोई फ़र्क ही नहीं पड़ रहा था और वह जाकर सबसे पीछे वाली सीट पर बैठ जाता है, जबकि आगे वाली सीट्स पर भी कुछ लोगों को बैठने के लिए जगह खाली थी।

    उसके बाद वह भी सभी को पढ़ाने लगते हैं। कुछ देर बाद में उनकी पीरियड ख़त्म हो जाती है। "तो बच्चों, आज जो भी मैंने तुम लोगों को पढ़ाया है, उसी चैप्टर के बाकी के एक्सरसाइज़ करके कल लाना है। और जो नहीं करेगा, वो पनिशमेंट के लिए रेडी रहना।" यह बात प्रोफ़ेसर विराज अक्षांश की तरफ़ देखकर बोलते हैं और अक्षांश भी उन्हें ही देख रहा होता है। उसके बाद प्रोफ़ेसर विराज उसे देखकर मुस्कुरा देते हैं और वहाँ से चले जाते हैं।

    वही विराज को मुस्कुराते हुए जाते देखकर अक्षांश सोच में पड़ जाता है, "यह दुष्ट प्रोफ़ेसर मुझे देखकर ऐसे मुस्कुरा क्यों रहा था?"

    कुछ देर बाद में एक कार कॉलेज के अंदर आकर रुकती है और उसमें से अद्विक बाहर आता है। इस वक़्त उसने एक ब्लैक टी-शर्ट और ब्लैक कलर की जीन्स पहनी हुई होती है। वह कार से उतरकर अंदर जाने लगता है, तभी उसे डीन का केबिन दिखता है, तो वह सीधे वहीं पर चला जाता है।

    वहीं दूसरी क्लास में अथर्व अपने सीट पर सर रखकर लेटा हुआ होता है, तभी वहाँ पर एक आदमी आता है।

  • 9. Devil's love - Chapter 9 <br> <br>अद्विक आया अथर्व के कॉलेज

    Words: 1475

    Estimated Reading Time: 9 min

    इसमें मेरी कोई भी गलती नहीं सर, मैं आते हुए एक दुष्ट आदमी से टकरा गया था और वो मुझसे सॉरी बोलने के बजाय मुझसे लड़ने लगा। बस इसीलिए देर हो गया था।" अक्षांश ने गुस्से में कहा।

    उसकी बात सुनकर प्रोफेसर विराज भी उसे गुस्से से देखने लगे, लेकिन अक्षांश को उससे जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। वह जाकर सबसे पीछे वाली सीट पर बैठ गया, जबकि आगे वाली सीट्स पर भी कुछ लोगों को बैठने के लिए जगह खाली थी।

    उसके बाद प्रोफेसर विराज ने सभी को पढ़ाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद उनकी पीरियड खत्म हो गई। "बच्चों, आज जो भी मैंने तुम लोगों को पढ़ाया है, उसी चैप्टर के बाकी के एक्सरसाइज करके कल लाना है। और जो नहीं करेगा, वो पनिशमेंट के लिए रेडी रहना।" प्रोफेसर विराज ने अक्षांश की तरफ देखते हुए कहा। अक्षांश भी उन्हें ही देख रहा था।

    उसके बाद प्रोफेसर विराज ने उसे देखकर मुस्कुरा दिया और वहाँ से चले गए। विराज को मुस्कुराते हुए जाते देखकर अक्षांश सोचने लगा, "ये दुष्ट प्रोफेसर मुझे देखकर ऐसे मुस्कुरा क्यों रहा था?"

    कुछ देर बाद एक कार कॉलेज के अंदर आकर रुकी और उसमें से अद्विक बाहर निकला। इस वक्त उसने एक ब्लैक टी-शर्ट और ब्लैक कलर की जींस पहनी हुई थी।

    वह कार से उतरकर अंदर जाने लगा। तभी उसे डीन का केबिन दिखा, तो वह सीधे वहीं पर चला गया।

    वहीं दूसरी क्लास में अथर्व अपने सीट पर सर रखकर लेटा हुआ था। तभी वहाँ पर एक आदमी आया।

    "अथर्व, तुमको डीन सर अपने केबिन में बुलाया है।" बोलकर वह वहाँ से चला गया। अपना नाम सुनकर अथर्व उठकर सीधे डीन के केबिन की तरफ चला गया।

    और जैसे ही वह अंदर गया, तभी उसे केबिन में बैठा हुआ अद्विक नज़र आया। उसे देखकर अथर्व की आँखें छोटी हो गईं।

    "आपने मुझे बुलाया था सर?" अद्विक ने डीन से पूछा।
    "हाँ अथर्व, मैंने ही तुम्हें बुलाया था। दरअसल, ये हैं एसीपी अद्विक मल्होत्रा। यही तुमसे मिलना चाहते थे।" डीन सर ने अथर्व से कहा।

    "बाहर चलकर बात करें।" अद्विक अपनी जगह से खड़ा होकर बोला और दरवाजे की तरफ बढ़ गया। उसके पीछे ही अथर्व भी चला गया।

    अद्विक जाकर कार के ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और उसके बाद में पैसेंजर सीट पर अथर्व बैठ गया। फिर अद्विक कार लेकर वहाँ से चला गया।

    कुछ देर बाद उनकी कार एक हाइवे के पास आकर रुकी। उसके बाद अद्विक अथर्व की तरफ मुड़कर देखा और अथर्व भी उसकी तरफ देख रहा था।

    "क्या हुआ ऑफिसर? आज आप मुझे किस जुर्म में जेल लेकर जाने वाले हैं?" अथर्व ने अद्विक को देखकर कहा।

    "अभी तो पता नहीं, लेकिन अगर तुम मेरे सवाल का सही जवाब नहीं दिया, ना तो हो सकता है कि मैं तुम्हें अंदर कर दूँ।" अद्विक ने उससे कहा।

    "किस सवाल का जवाब चाहिए आपको? जिसके लिए आप मुझे यहाँ पर लेकर आए हैं?" अथर्व ने अद्विक से पूछा।

    "आज रात तुम कहाँ गए थे? और हाँ, झूठ बोलने की कोशिश तो बिल्कुल भी मत करना, क्योंकि मैंने खुद तुम्हें जाते हुए देखा था और उसके बाद जब तुम्हारे रूम में आया था, तब मैं वहाँ पर तुम्हारी जगह जो तुम पिलो रखकर गए थे ना, वो देखा था। इसीलिए सच-सच बताओ, कहाँ गए थे तुम?" अद्विक ने उससे सीधे सवाल किया।

    "आप किस बारे में बात कर रहे हैं ऑफिसर? और मैं भला रात को कहीं क्यों जाने लगा? भला आपको शायद कोई गलतफ़हमी हुई है और आप मुझसे सिर्फ़ यही बात करने के लिए यहाँ लेकर आए थे।" अथर्व ने कहा।

    "देखो, मुझे पता है वो तुम ही थे, तो अब झूठ मत बोलो, समझे? नहीं तो मुझे तुम्हारी फैमिली वालों को ये बताना होगा।" अद्विक ने उसे धमकी देते हुए कहा।

    "ठीक है, तो जाकर बता दो। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। तो अभी के लिए मुझे कॉलेज पर छोड़ सकते हैं क्योंकि आप मुझे काफी दूर लेकर आ गए हैं।" अथर्व ने भी उससे वैसे ही कहा जैसे कि उसे इससे कोई फर्क न पड़ता हो।

    उससे अपने काम का कोई भी जवाब न पाकर अब अद्विक भी कुछ नहीं कर सकता था। "ओके, लेकिन एक बात याद रखना, जिस दिन मुझे तुम्हारे खिलाफ़ कोई भी सबूत मिला, तो मैं क्या करूँगा, तुम सोच भी नहीं सकती।" इतना बोलकर अद्विक कार स्टार्ट कर दी और वहाँ से चले गए।

    कुछ देर बाद अद्विक अथर्व को लेकर उसके कॉलेज में लेकर आया और उसके बाद अथर्व कार से उतर गया। वहीं उसके जाने के बाद अद्विक भी वहाँ से चला गया।

    उसके बाद वह सीधे अपने क्लास की तरफ चला गया। ऐसे ही समय बीत गया। उसके बाद सभी क्लास खत्म होने के बाद घर लौट आए।

    उसके बाद सभी अपने रूम में फ्रेश होने के लिए चले गए और अथर्व अपने रूम में आकर दरवाज़ा बंद कर दिया और अद्विक के बारे में सोचने लगा।

    "मुझे लगा नहीं था कि ऑफिसर ये बात सीधे आकर मुझसे ही पूछेंगे। उन्हें मुझ पर शक तो हो गया है, नहीं शक नहीं, शायद पूरा यकीन हो गया है। अब जो भी करना है, सोच समझकर करना होगा।" अथर्व ने खुद से अद्विक के बारे में सोचकर कहा।

    वहीं दूसरी तरफ ऋषिक और मृणांक के रूम में मृणांक किसी से बात कर रहा था। इस वक्त उसका चेहरा बहुत ही सीरियस था।

    "ठीक है, तुम उनके बारे में पता लगाने की कोशिश करो, क्योंकि हमें किसी भी तरह से उन्हें यहाँ पर आने से रोकना होगा। उन्हें उनके मकसद में कामयाब होने नहीं देना है।" इतना बोलकर उसने कॉल काट दिया।

    उसके बाद वह फिर फ़ोन में कुछ टाइप करके सेंड कर दिया।

    ऐसे ही रात हो गई। उसके बाद सभी लोग बैठकर डिनर करते हैं। उसके बाद वो सभी अपने रूम में चले जाते हैं। वहीं उनके जाने के बाद मृणांक, नक्षिता, कर्णिक स्टडी रूम में मौजूद थे और उनके सामने ही अथर्व भी बैठा हुआ था।

    "क्या हुआ मृणांक? इतने अर्जेंट में मीटिंग के लिए बुलाया है? कुछ हुआ है क्या?" कर्णिक ने मृणांक को परेशान देखकर उससे पूछा।

    "हाँ, बात अर्जेंट है, इसीलिए ये मीटिंग रखी गई है। दरअसल, एक नया गैंग यहाँ पर, यानी कि गोवा में, अपने कदम रखने वाला है, जिसका नाम ब्लैक मून है और हमें नहीं पता है कि वो कैसे हैं, बस उन्हें किसी भी तरह से यहाँ पर आने से रोकना होगा।" मृणांक ने कर्णिक की बात का जवाब देते हुए कहा।

    "और तुम्हें ये बात कैसे पता चला है?" नक्षिता ने पूछा।

    "रोशन और अक्षत का कॉल आया था। उन्होंने ही ये इन्फॉर्मेशन दी है।" मृणांक ने बोला।

    "तो क्या इसके बारे में पुलिस को कोई इन्फॉर्मेशन मिली है?" अथर्व ने पूछा।

    "शायद अभी तक नहीं, लेकिन आगे का कुछ कह नहीं सकते हैं। लेकिन अच्छा होगा कि इसमें पुलिस इन्वॉल्व न हो, क्योंकि पुलिस कोई भी काम कानून के नियम के अंदर ही रहकर करती है और माफ़िया के लिए कोई भी कानून नहीं होती। अगर पुलिस इन्वॉल्व हुई तो इसमें उनका ही नुकसान होने के चांसेज ज़्यादा हैं।" मृणांक ने जवाब दिया।

    "तो फिर हमें आगे क्या करना है?" कर्णिक ने मृणांक से पूछा।

    "फ़िलहाल तो हम जो भी कर रहे हैं, उस काम को ही कंटिन्यू करना है और जहाँ पर भी ब्लैक मून के बारे में कुछ भी हिंट मिलता है, तो हमें उस जगह को खत्म करना है, क्योंकि उन लोगों को इतना तो पता है कि यहाँ पर ब्लैक ड्रैगन का राज है और उसके बाद में वो यहाँ पर आई है, मतलब साफ़ है कि उनके इरादे बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं। बस मुझे इसी के बारे में तुम लोगों को बताना था और अथर्व, तुम्हें ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है, क्योंकि तुम कॉलेज भी जा रहे हो।" मृणांक सोचते हुए बोला।

    "ओके चाचू।" मृणांक की बात सुनकर अथर्व ने जवाब दिया। उसके बाद सभी एक-दूसरे को गुड नाइट बोलकर वहाँ से चले गए।

  • 10. Devil's love - Chapter 10 <br> <br>सभी माफिया एक जैसे नहीं होते

    Words: 1231

    Estimated Reading Time: 8 min

    शायद अभी तक नहीं, लेकिन आगे का कुछ कह नहीं सकते। लेकिन अच्छा होगा कि इसमें पुलिस इन्वॉल्व न हो, क्योंकि पुलिस कोई भी काम कानून के नियम के अंदर ही रहकर करती है।

    "और माफिया के लिए कोई कानून नहीं होता। अगर पुलिस इन्वॉल्व हुई तो उनका ही नुकसान होने के चांसेज ज्यादा हैं," मृणांक ने जवाब दिया।

    "तो फिर हमें आगे क्या करना है?" कर्णिक ने मृणांक से पूछा।

    "फिलहाल तो हम जो भी कर रहे हैं, उसे कंटिन्यू करना है। और जहाँ पर भी ब्लैक मून के बारे में कुछ भी हिंट मिलता है, हमें उस जगह को खत्म करना है। क्योंकि उन लोगों को इतना तो पता है कि यहाँ पर ब्लैक ड्रैगन का राज है।"

    "और उसके बाद में वो यहाँ आई है, मतलब साफ़ है कि उनके इरादे बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं। बस मुझे इसी के बारे में तुम लोगों को बताना था। और अथर्व, तुम्हें ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है क्योंकि तुम कॉलेज भी जा रहे हो," मृणांक ने सोचते हुए कहा।

    "ओके चाचू," मृणांक की बात सुनकर अथर्व ने जवाब दिया। उसके बाद सभी ने एक-दूसरे को गुड नाइट बोलकर वहाँ से चल दिया।

    नेक्स्ट डे, संडे की वजह से सभी बच्चों की छुट्टी थी। इसीलिए आज सभी घर पर ही रुके हुए थे। सुबह के टाइम पर सभी लोग साथ में ही ब्रेकफ़ास्ट कर रहे थे।

    संडे की वजह से किसी को भी ज़्यादा काम नहीं था क्योंकि आज का दिन फैमिली टाइम था। ब्रेकफ़ास्ट के बाद सभी लोग आपस में बातें कर रहे थे, बच्चे अपने में ही लगे हुए थे।

    वहीँ, इन सभी से अलग, कुछ लोग स्टडी रूम में भी मौजूद थे।

    जैसा कि हम जानते थे, उन लोगों ने यहाँ पर किसी गलत काम के लिए अपने कदम रखे थे। उसका पता हमें चल गया था। वे सभी यहाँ पर इलीगल वेपन और ह्यूमन ट्रैफिकिंग का काम कर रहे थे। और तो और, वे छोटे-छोटे बच्चों को भी अपना निशाना बना रहे थे। वे उन्हें किडनैप करके फ़ॉरेन कंट्री में भेजते थे।

    इससे पहले वे लोग जहाँ पर थे, वहाँ पर भी उनका बहुत आतंक फैला हुआ था। इसीलिए हमें बस ये देखना था कि ये काम करने के लिए लोग कहाँ से ज़्यादा से ज़्यादा मिल सकते हैं, जिससे हम उनके अड्डे तक पहुँच सकें।

    "और जहाँ तक मेरा अंदाज़ा है, काले काम रात में ही होते हैं। तो इसका मतलब है कि वे लोग किडनैपिंग वहीं से करने वाले हैं जहाँ से ज़्यादा से ज़्यादा लोग एक साथ मिल सकें," मृणांक ने अपनी बात सबके सामने रखते हुए कहा।

    "रात के टाइम में ज़्यादा लोग इकट्ठे तो सिर्फ़ किसी होटल या फिर बार में ही होते हैं," कर्णिक ने कुछ सोचकर कहा।

    "हाँ, बार में। क्योंकि इस जगह पर लगभग सभी लोग नशे में होते हैं, तो उन्हें किडनैप करना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं होगा," अथर्व ने कहा।

    "तो क्या हमें अपने आदमी हर एक बार में लगा देने चाहिए?" नक्षिता ने पूछा।

    "लेकिन यहाँ पर तो बहुत से बार हैं और हमें पता कैसे चलेगा कि वे लोग किस जगह पर आने वाले हैं?" कर्णिक ने कहा।

    "हमारे पास भी लोगों की कमी नहीं है। अगर हम अपनी तरफ़ से एक की भी जान बचा सकते हैं, तो हम उसके लिए भी कुछ भी करेंगे," नक्षिता ने कहा।

    "तो फिर ठीक है। हम अब से इस बात का ध्यान रखेंगे कि ऐसे केस जितने हो सकें कम हों। अगर इस केस में मेरी किसी भी तरह की कोई भी हेल्प चाहिए हो तो आप मुझे बता दीजिएगा," अथर्व ने बोलकर खड़ा होकर वहाँ से चल दिया। उसके बाद वे तीनों भी कुछ बातें करने के बाद वहाँ से चले गए।

    ऐसे ही टाइम बीतने लगा और इस बात को लगभग कई दिन बीत चुके थे। एक दिन अथर्व अपने क्लास में था कि तभी उसके फ़ोन पर एक मैसेज आया। अथर्व ने उसे एक तरफ़ रख दिया और क्लास पर ध्यान देने लगा।

    क्लास ओवर होने के बाद वह वहाँ से अपनी बाइक लेकर सीधे घर की तरफ़ निकल गया और उसके बाद वह मृणांक के पास गया।

    वहीं दूसरी तरफ़, पुलिस स्टेशन में भी इस वक़्त मीटिंग हो रही थी। "आज रात को आप लोग ब्ल्यू बार में जाएँगे। इन्फ़ॉर्मेशन के अकॉर्डिंग, आज वे लोग उसी बार को अपना टारगेट करने वाले हैं। और हम भी वहीं पर आम आदमी की तरह जाएँगे, जिससे कि उन्हें हम पर कोई शक न हो," आर्येश ने सामने LED मॉनिटर पर कुछ दिखाते हुए कहा।

    कुछ देर की मीटिंग के बाद वे सभी वहाँ से चले गए। अब वहाँ पर सिर्फ़ आर्येश, डीसीपी सर और अद्विक थे।

    "कुछ भी हो जाए, ये गैंग यहाँ पर टिकनी नहीं चाहिए," आर्येश ने अद्विक और डीसीपी सर की तरफ़ देखकर कहा।

    "डोंट वरी सर, ऐसा कुछ नहीं होगा। वैसे भी यहाँ पर पहले से ही ब्लैक ड्रैगन गैंग मौजूद है, जिसके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं है," अद्विक ने कहा।

    उसकी बात सुनकर डीसीपी सर और आर्येश एक-दूसरे को देखने लगे। वहीँ अद्विक उन दोनों को ऐसे देखकर उनसे पूछता है, "क्या हुआ? आप दोनों ऐसे क्यों देख रहे हैं?"

    "अद्विक, तुम्हें ब्लैक ड्रैगन गैंग के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। उसकी वजह से हमें या फिर किसी को कोई नुकसान नहीं है, बल्कि उसने पुलिस की बहुत मदद की है। और वैसे भी ब्लैक ड्रैगन गैंग की वजह से ही यहाँ पर कोई और गैंग नहीं आ पा रही है। और उसने आज तक कोई ऐसा काम नहीं किया है जिससे किसी को कोई तकलीफ़ हो," डीसीपी सर ने अद्विक से कहा।

    "आपके कहने का क्या मतलब है सर? कि ब्लैक ड्रैगन गैंग अच्छा है? आप शायद भूल रहे हैं सर कि वो लोग माफ़िया हैं," अद्विक ने कहा।

    "बिलकुल हैं, लेकिन ये ज़रूरी तो नहीं है न कि सभी माफ़िया एक जैसे ही हों। कुछ अच्छे भी होते हैं और कुछ मजबूरी में माफ़िया बन जाते हैं," आर्येश ने अद्विक से कहा।

    "क्या आप उन्हें जानते हैं सर?" अद्विक ने दोनों से पूछा।

    "नहीं, हम नहीं जानते हैं। लेकिन शायद तुम्हें जल्द ही पता चल जाएगा। उसके पहले अभी के केस पर ध्यान दो," डीसीपी सर ने कहा। उसके बाद दोनों वहाँ से चले गए। वहीँ अद्विक उन्हें जाते हुए देखता रहा।

    वहीं दूसरी तरफ़, मृणांक के रूम में अथर्व ने मृणांक से कहा, "ठीक है चाचू, तो मैं अपनी टीम के साथ वहाँ पर चला जाऊँगा। अब मैं चलता हूँ।" बोलकर अथर्व वहाँ से चला गया।

    ऐसे ही रात बीत गई और अथर्व आज 8 बजे ही घर से जा चुका था। वहीं दूसरी तरफ़ अद्विक और उसकी टीम भी अपने काम के लिए निकल चुकी थी।

    वहीँ इन सब से दूर, एक बार में चारों तरफ़ गाने और शोर मचा हुआ था। लोग नशे में धुत होकर म्यूज़िक पर थिरक रहे थे, तो कुछ लोग काउंटर पर बैठकर पी रहे थे।

    तभी एक बाइक से 6 लोग उतरकर अंदर चले गए। ये 6 लोग कोई और नहीं, बल्कि अथर्व और उसके पार्टनर थे। रात के टाइम पर जाते ट्रैक के बाद वे अंदर आए और चारों तरफ़ नज़ारे घूमकर चेक करने लगे।

    लगभग आधे घंटे बाद उन्हें कुछ लोग एक साथ बाहर जाते हुए दिखाई दिए और उनके साथ में भी कुछ लोग थे जो उन्हें पकड़कर ले जा रहे थे, जो कि नशे में थे।

    इन लोगों को देखकर अथर्व ने अपने साथी, बाकी पाँचों को कुछ इशारा किया और वे लोग भी उनके पीछे-पीछे चले गए।

  • 11. Devil's love - Chapter 11 <br> <br>अथर्व हुआ किडनैप्ड

    Words: 1513

    Estimated Reading Time: 10 min

    अभी तक आपने पढ़ा

    बिलकुल हैं लेकिन ये जरूरी तो नहीं है न कि सभी माफिया एक जैसे ही हो कुछ अच्छे भी होते हैं और कुछ मजबूरी में माफिया बन जाते है, आर्येश अद्विक से बोलता है।

    क्या आप उन्हें जानते हैं सर, अद्विक दोनो से पूछता है।

    नहीं हम नहीं जानते है लेकिन शायद तुम्हे जल्द ही पता चल जाएगा उसके पहले अभी के केस पर ध्यान दो, डीसीपी सर बोलते है उसके बाद में दोनोग वहां से चले जाते है वही अद्विक उन्हें जाए हुए देखता है।

    वही दूसरी तरफ मृणांक के रोक में अथर्व मृणांक से बोलता है कि ठीक है चाचू तो मैं अपने टीम के साथ में वहां पर चला जाऊंगा अब मैं चलता है, बोलकर अथर्व वहां से चला जाता है।

    ऐसे यही रात बीत जाती है और अथर्व आज 8 बजे ही घर से जा चुका होता है वहीं दूसरी तरफ अद्विक और उसकी टीम भी अपने काम के लिए निकल चुकी होती है।

    वही इन सब से दूर एक बार में चारों तरफ गाने और शोर मचा हुआ होता है लोग नशे में धुत होकर म्यूजिक पर थिरक रहे होते हैं तो कुछ लोग काउंटर पर बैठ कर पी रहे होते हैं।

    तभी एक बाइक से 6 लोग उतर कर अंदर चले जाते हैं ये 6 लोग कोई और नहीं बल्कि अथर्व और उसके पार्टनर होते है जोकि रात के टाइम पर उसे जाते ट्रैक बाद में वो अंदर आते हैं और चारो तरफ नज़ारे घूमकर चेक करने लगते हैं।

    लगभग आधे घंटे बाद में उन्हें कुछ लोग एक साथ बाहर जाते हुए दिखाई देखते है और उनके साथ में भी कुछ लोग होते है जोकि उन्हें पकड़ कर लेकर जा रहे होते है जोकि नशे में होते हैं।

    इन लोगो को देखकर अथर्व अपने साथी हुए बाकी पांचों को कुछ इशारा करता है और वो लोग भी उनके पीछे पीछे चले जाते हैं।

    अब आगे

    उसके बाद में वो जैसे ही वो सभी लोग बाहर आकर इन सभी के सामने आकार खड़े हो जाते हैं इस वक्त अंतर और उसके साथी ने ब्लैक कलर के ड्रेस पहने हुए होते हैं।

    अचानक अपने सामने अंजान लोगो को देखकर वो सभी रुक जाते हैं।

    कौन हो तुम लोग और हमारा रास्ता क्यों रोके हुए हो,उन सभी में से एक आदमी अथर्व से पूछता है।

    इन लोगो को छोड़ दो वरना उसका बाद में क्या होगा इसका अंदाजा भी नहीं है तुम्हे, अथर्व उन्हें वार्निंग देते हुए बोलता है।

    देखो तो अब ये बच्चे हमें रोकेंगे, एक आदमी हस्ते हुए बोलता है।

    उसके बाद में वो अपने कुछ साथी को अथर्व और उसके दोस्तों को मारने का इशारा करता है तो कुछ लोग अपने साथ लाए हुए लोगों को वही जमीन पर छोड़कर अथर्व की तरफ बढ़ जाते है।

    ये ऐसे नहीं मानेंगे, बोलकर वो भी आगे बढ़कर उन सभी से लड़ने लगता है और साथ ही उसके दोस्त भी बाकियों से लड़ने लगते है।

    देखते ही देखते वहां पर कुछ पलो में बहुत ही बड़ी लड़ाई श्रुति जताई है तभी उनके कुछ लोग उन सभी के पास आ जाते है अरवा लोग भी उन लोगो को छुड़ाने लगते है तो कुछ को पीटने लगते है। अथर्व और उसके दोस्तों की चेहरे पर मास्क लगा हुआ था जिसकी वजह से कोई भी उन सभी का चेहरा देख नहीं पा रहे होते हैं।

    तभी अथर्व की नज़र अद्विक पर जाते है जोकि उन सभी लोगो के साथ में आया हुआ था ये देखकर अथर्व अपने काम में लगे हुए ब्ल्यूटू के जरिए अपने दोस्तों को वहां से निकलने को बोलता है।

    उस हाथा पाई में अथर्व के साथ में उसके दोस्त वहां से निकल जाते हैं और इनके बारे में अद्विक ऐ उसके दोस्तों को कुछ पता ही नहीं चलता है।

    तभी अचानक से वहां पर चारो तरफ धुआं धुआं भर जाता है और किसी को कुछ भी दिखाई नहीं देता है इसका फायदा उठाकर वो लोग जमीनें पर नसे में पड़े हुए कुछ लोगों को लेकर वहां से अपने गाड़ी में रखकर वहां से निकल जाता है।

    कुछ ही देर बाद में वहां पर सिर्फ अद्विक और उसके साथ हुए पुलिस वालो को छोड़कर सिर्फ नसे में कुछ लोग जमीन पर पड़े हुए नजर आ रहे होते हैं क्योंकि उनमें से कुछ लोगों को वो ब्ल्यू मून गैंग के लोग अपने साथ में लेकर चले गए होते है।

    तेरे सभी साथी तो तुझे छोड़कर चले गए लेकिन तू ही हमें उन सभी के बारे में बताएगा, अद्विक अपने हाथ में एक आदमी का कलर पकड़े हुए बोलता है जोकि उसी गैंग का ही एक मेंबर होता हैं।

    वहीं दूसरी तरफ वो वैन जाकर एक गोदाम के अंदर रूकती है उसके बाद में वो सभी बाहर का दरवाजा खोलकर अंदर जाते हैं और अपने साथ लाए हुए लड़कों को बाहर निकलते हैं जोकि अभी बेहोश होते हैं और उन्हीं लोगों में अथर्व भी मौजूद होता है।

    अब इन सबका क्या करना है , एक आदमी अपने साथ खड़े हुए लोगों को देखकर बोलता है।

    करना क्या है इन्हें भी बाकी के लड़कों और लड़कियों के साथ में ही बंद कर देते है और सभी को एक साथ लेकर जाएंगे, दूसरा आदमी बोलता है।

    उसके बाद में वो सभी उन लोगों को उठकर लेकर चले जाते हैं।

    और एक बड़े से ट्रक का दरवाजा खोलते है तो उसमें बहुत से लड़के और लड़कियों मौजूद होती है दरवाजा खुला हुआ देखकर वो सभी डर जाते है।

    उसके बाद में वो आदमी अपने साथ में लाए हुए लोगों को भी उसके अंदर छोड़ देते हैं और दरवाजा बंद कर देते हैं जिससे अंदर बिल्कुल अंधेरा हो जाता है।

    वही उन सभी के जाने के बाद में वो लड़के और लड़कियों अभी लाए हुए लोगों के पास जाती है और उन्हें देखने लगती है तभी अथर्व अचानक से खड़ा हो जाता है जिससे वो सभी डर कर पीछे हो जाते है।

    चिल्लाओ नहीं शांत हो जाओ किसी को कुछ भी नहीं होगा अथर्व उन लोगो को डरा हुआ देखकर बोलता है हालाकि उसके अंदर किसी का भी चेहरा सही से दिखाई नहीं दे रहा था।

    उसकी बात सुनकर सारे चुप हो जाते हैं उसके बाद में अथर्व अपने कपड़े के अंदर से एक ब्ल्यूटूथ निकलता है और उसे अपने कान में लगा लेता है।

    उसके बाद में वो अपने कपड़े के अंदर से ही एक फोन निकलता है जोकि किसी को भी पता नहीं चल सकता था कि उसके कपड़े के अंदर ये सब कहां से आया।

    हैलो हां मैं उस जगह पर पहुंच गया हूं मैं तुम्हे लोकेशन भेजता हूं कुछ देर बाद में पुलिस को खबर कर देना, बोलकर वो कॉल कट कर देता है और फोन को अपने जब के नदी रख लेता है।

    उसके बाद में वो अपने हाथ में पकड़े हुए गन को देखता है जोकि उसने अपने पैर के जूते में रखे हुए थे और वो लोग इसे एक नॉर्मल इंसान समझ कर बिना चेक किए ही लेकर आ गए थे क्योंकि उनको पता ही नहीं था कि जिसे वो लोग अपने साथ लेकर आए हैं वो कौन है और क्या कर सकता है।

    लगभग एक घंटे बाद में उस जगह पर बाहर 5 लोग आते हैं जोकि अथर्व के ही क्राइम पार्टनर होते है और ध्यान से पीछे से उस जगह पर घुस जाते है।

    तभी उनमें से एक अपनी गन लेकर दूसरी तरफ फायर कर देता है।

    जिससे वहां पर मौजूद सभी चौक जाते है और गोली की आवाज अथर्व और उसके साथ में मौजूद बाकियों को भी सुनाई देती है जिससे वो सभी भी डर जाते हैं लेकिन अथर्व के चेहरे पर एक किलर स्माइल आ जाती है और वो भी अपनी गुण लेकर तैयार हो जाता है।

    हे ये फायर कहां से हुआ है जाकर देखो एक आदमी बोलता है तो सभी बाहर की तरफ चले जाते हैं और वहां पर इस वक्त सभी का ध्यान भटक चुका होता है।

    तभी अथर्व का एक पार्टनर आकर उस वैन के डोर को खोल देता है जिससे पहले तो उसके अंदर मौजूद सभी डर जाते हैं तभी अथर्व बाहर आता है इस वक्त उसने एक ब्लैक कलर का ड्रेस पहना हुआ होता है।

     और उसके चेहरे पर एक मास्क लगा हुआ होता है और उसके बाके के पार्टनर भी बिल्कुल वैसे ही ड्रेस पहने हुए होते हैं।

     वही अथर्व को ऐसे देखकर वैन में मौजूद बाकी सभी भी चौक जाते हैं क्योंकि जब अथर्व को वन के नदी लाया गया था तब उसने दूसरा कड़ा पहना हुआ था।

    लेकिन अथर्व ने अंधेरे में ही अपने कपड़े को चेंज कर लिया होता है वैसे भी उसने जो कपड़ा पहना हुआ था उसके अंदर ही ये ब्लैक वाला कपड़ा पहना होता है।

     जिससे टाइम बिल्कुल भी नहीं लगा हुआ होता है और पहले वाले कपड़े को उसने अपने ब्लैक वाले के अंदर कर लिया होता है जिससे किसी को भी उसके बारे में बाद में कुछ भी पता न चले।

    क्या अथर्व अपने प्लान में कामयाब हो पाएगा?

    या फिर फंस जाएगा वो खुद के ही बनाए हुए जाल में?

    क्या होगा जब अद्विक को अथर्व की सच्चाई पता चलेगी?

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  • 12. Devil's love - Chapter 12 अथर्व को लगी गोली

    Words: 1347

    Estimated Reading Time: 9 min

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    हे ये फायर कहां से हुआ है जाकर देखो एक आदमी बोलता है तो सभी बाहर की तरफ चले जाते हैं और वहां पर इस वक्त सभी का ध्यान भटक चुका होता है।

    तभी अथर्व का एक पार्टनर आकर उस वैन के डोर को खोल देता है जिससे पहले तो उसके अंदर मौजूद सभी डर जाते हैं तभी अथर्व बाहर आता है इस वक्त उसने एक ब्लैक कलर का ड्रेस पहना हुआ होता है।

     और उसके चेहरे पर एक मास्क लगा हुआ होता है और उसके बाके के पार्टनर भी बिल्कुल वैसे ही ड्रेस पहने हुए होते हैं।

     वही अथर्व को ऐसे देखकर वैन में मौजूद बाकी सभी भी चौक जाते हैं क्योंकि जब अथर्व को वन के नदी लाया गया था तब उसने दूसरा कड़ा पहना हुआ था।

    लेकिन अथर्व ने अंधेरे में ही अपने कपड़े को चेंज कर लिया होता है वैसे भी उसने जो कपड़ा पहना हुआ था उसके अंदर ही ये ब्लैक वाला कपड़ा पहना होता है।

     जिससे टाइम बिल्कुल भी नहीं लगा हुआ होता है और पहले वाले कपड़े को उसने अपने ब्लैक वाले के अंदर कर लिया होता है जिससे किसी को भी उसके बारे में बाद में कुछ भी पता न चले।

    अब आगे

    वो लोग सम्भल पाते की उसके पहले ही वहां पर उस गैंग के लोग आ जाते हैं और उन सभी को चारो तरफ से घेर कर खड़े हो जाते हैं।

    इस वक्त उन सभी के हाथो में हथियार होते है उन सभी को देखकर अथर्व सबसे पहले सारे किडनैप्ड हुई लड़कियों और लड़कों को एक साइड कर देते है उसके बाद में वो सभी अपनी पोजीशन लेकर खड़े हो जाते हैं।

    उसके बाद में उस गैंग के सभी लोग एक साथ अथर्व और उसके साथियों पर हमला कर देते हैं।

    और वो सभी भी उनके साथ में लड़ रहे होते हैं कुछ देर तक उन सभी की लड़ाई चलती रहती है तभी पुलिस के आने की हॉर्न 📯 उन सभी को सुनाई देती है।

    जिसे सुनकर उस गैंग के सभी डर जाते हैं और वहीं किडनैप्ड हुए सभी लोग ये सुनकर खुश हो जाते है।

    तभी एक आदमी एक गन लेकर अथर्व पर गोली चला देता है जोकि जाकर अथर्व के कंधे पर लगता है तभी वहां पर होली चलने की आवाज सुनकर पुलिस भी पहुंच जाती है।

    उन सभी के साथ में अथर्व भी होता है वहीं पुलिस के आने पर सभी वहां से भागने की कोशिश करते हैं लेकिन वो लोग भाग पाते उसके पहले ही पुलिस उन लोगो को गोली चल देती है तो कुछ को पकड़ लेती है।

    वही गोली लगने की वजह से अथर्व की चीख निकल जाती है उसकी चीख सुनकर उसके साथी जल्दी से उसके पास जाते हैं।

    रुक जाओ तुम लोग कही नहीं जा सकते ,पीछे से अद्विक उन सभी को वहां से जाता हुआ देखकर बोलता है।

    ऑफिसर हमारा मकशद सिर्फ इन सभी लोगो को छुड़ाने और इस गैंग को पकड़वाना था जोकि हम कर चुके हैं इससे आगे क्या होता है क्या नहीं इससे हमारा कोई भी लेना देना नहीं है और हां हमने कुछ भी गलत नहीं किया है इस लिए मुझे नहीं लगता है को हमारा यहां रुकना इंपॉर्टेंट है, अथर्व अद्विक से बोलता है।

    लेकिन तुम्हे ये सब कानून के दायरे में रह कर करना चाहिए और इन सब के लिए पुलिस है , अथर्व की बात सुनकर अद्विक बोलता है।

    देश की सेवा करने का अधिकार देश के हर एक नागरिक का है इसके लिए जरूरी नहीं है कि हर कोई पुलिस में ही हो, अथर्व इतना बोलकर अपने हाथ में से कुछ अद्विक की तरफ फेक देता है जिससे उसमें से धुआं निकलने लगता है जिससे कुछ ही देर में चारों तरफ धुंआ धुंआ भर जाता है और उसके नीचे में से ही सभी वहां से निकल जाते हैं।

    कुछ ही देर बाद में वहां पर सब कुछ अच्छे से साफ हो जाता है और जब अद्विक की नजर जब सामने जाती है तो वो देखता है कि वहां पर कोई भी नहीं होता है।

    उसके बाद में अद्विक सारे किडनैप हुए लोगों को उनके घर पर छोड़ने का ऑर्डर दे देता है और बाके गैंग के जिन लोगों को उसने पकड़ा हुआ था उन्हें जेल में डाल देता है।

    वही दूसरी तरफ एक हॉस्पिटल में अथर्व बेड पर लिटा हुआ होता है गोली उसके बाजू को छूकर निकल चुका होता है लेकिन अभी भी उसके बाजू से खून बह रहा होता है।

    वहीं उसके सामने ही ऋषिक अपने हाथ बांधे खड़ा होता है कुछ ही देर बाद में अथर्व की ड्रेसिंग हो चुकी होती है।

    खतरे की कोई बात नहीं है गोली बस छू कर निकली थी लेकिन कुछ दिनों तक इस हाथ पर प्रेशर मत डालिएगा बाकी मैंने जो दवा दिया है उसे टाइम टू टाइम लेते रहिएगा, डॉक्टर ऋषिक से बोलते है।

    उसके बाद में ऋषिक अथर्व को लेकर वहां से चले जाते हैं ध्यान कहां था तुम्हारा उस वक्त अगर तुम्हे जायदा चोट लग जाती तो पता है क्या होता, ऋषिक अथर्व को समझते हुए बोलते है।

    सॉरी चाचू आगे से ध्यान रखूंगा वैसे वो जो सारे लोग किडनैप्ड हुए थे उनका क्या हुआ, अथर्व बात को टालते हुए पूछता है।

    उन सभी लोगो को ACP अद्विक ने उनके घर पर सही सलामत भेज दिए है और जिन लोगों को उसने अरेस्ट किया था उनसे पूछ ताछ हो रही है, ऋषिक अथर्व से बोलते है।

    उसके बाद में वो दोनो कार में बैठकर वहां से निकल जाते हैं।

    वही दूसरी तरफ अद्विक अपने सामने खड़े हुए कुछ पुलिस वालो से कुछ पूछ रहा होता है क्या हुआ कुछ पता चला कि वो बाकी के जो 6 लड़के थे वो कौन थे।

    सॉरी सर लेकिन हमें उनके बारे में कुछ भी इनफॉर्मेशन नहीं मिली है, उन सभी में से एक सामने आकर बोलता है।

    ठीक है जाओ उन सभी का जवाब सुनकर अद्विक उन्हें जाने के लिए बोल देता है उसके बाद में सभी वहां से चले जाते हैं।

    वही एक बड़े से घर के अंदर किसी के बहुत ही जोर जोर से चिल्लाने की आवाज आ रही होती है जैसे कि वो किसी के ऊपर चिल्ला रहा होता है।

    आखिर तुम सभी जो किस लिए हां उतने सारे होकर 6 लोगो का मुकाबला तक नहीं कर सके अच्छा हुआ की मर गए लेकिन जाते जाते मेरा करोड़ों का नुकसान कर गए साले, सामने खड़ा हुआ एक लगभग 27 साल का आदमी चिल्लाकर बोल रहा होता है।

    वो दिखने में बहुत ही हैंडसम होता है उसके बाल सेट हुए होते है और हाइट 6 फुट की होती है और काली आंखे होती है जोकि इस वक्त गुस्से की वजह से लाल हो चुकी होती है।

    अथर्व और ऋषिक की कार उनके मेंशन के अंदर जाकर रूकती है उसके बाद में दोनो बाहर आते है और अंदर जाने लगते है तभी उन दोनों को सोफे पर बैठा हुआ वत्सल दिखाई देता है।

    तभी उसकी नजर बाहर से आते हुए ऋषिक और अथर्व पर जताई है अथर्व की हाथ की चोट देखकर वो जल्दी से खड़ा हो जाता है।

    अथर्व ये क्या हुआ तुम्हे ये चोट कैसे लगी , वस्तल अंतर के पास आकर उससे एक साथ में सारे सवाल करता है।

    कुछ नहीं हुआ है वो बाइक से जाते वक्त रास्ते में एक क्विट गया था उसी को बचाने के चक्कर में बाइक को लेकर गिर गया था जिससे इसके हाथ में और कंधे में चित लग गई है डॉक्टर को दिखा दिया था घबराने की कोई बात नहीं कुछ दिन में पहले के जैसे हो जायेगा, ऋषिक वत्सल को जवाब देता है।

    तभी किचेन से हर्षनी अपने हाथ में खाने की प्लेट लेकर आती है और टेबल पर रख देती है वही अथर्व के हाथ को देखत वो भी डर जाती है और उसके बारे में पूछती है तो अथर्व भी ऋषिक की बात को उनको बता है जोकि वत्सल को बताया था।

    उसके बाद में वो सभी ब्रेकफास्ट करते है और अथर्व आराम करने को बोलकर अपने रूम में चला जाता है और दरवाजा अंदर से बंद कर देता है।

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  • 13. Devil's love - Chapter 13 <br> <br>स्टेशन के सामने आग लगना और लॉकअप से फरार हुए कैदी

    Words: 1306

    Estimated Reading Time: 8 min

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    अथर्व ये क्या हुआ तुम्हे ये चोट कैसे लगी , वस्तल अंतर के पास आकर उससे एक साथ में सारे सवाल करता है।

    कुछ नहीं हुआ है वो बाइक से जाते वक्त रास्ते में एक क्विट गया था उसी को बचाने के चक्कर में बाइक को लेकर गिर गया था जिससे इसके हाथ में और कंधे में चित लग गई है डॉक्टर को दिखा दिया था घबराने की कोई बात नहीं कुछ दिन में पहले के जैसे हो जायेगा, ऋषिक वत्सल को जवाब देता है।

    तभी किचेन से हर्षनी अपने हाथ में खाने की प्लेट लेकर आती है और टेबल पर रख देती है वही अथर्व के हाथ को देखत वो भी डर जाती है और उसके बारे में पूछती है तो अथर्व भी ऋषिक की बात को उनको बता है जोकि वत्सल को बताया था।

    उसके बाद में वो सभी ब्रेकफास्ट करते है और अथर्व आराम करने को बोलकर अपने रूम में चला जाता है और दरवाजा अंदर से बंद कर देता है।

    अब आगे

    उसके बाद में वो आयने के सामने आकर अपने कपड़े निकलने लगता है लेकिन उसके हाथ में दर्द की वजह से उसे बहुत मुश्किल हो रही होती है लेकिन फिर वो बगल के ड्रॉवर से एक सीज़र निकलता है और अपने शर्ट को काट देता है उसके बाद में वो बाथरूम में चला जाता है।

    कुछ देर बाद में वो बाथरूम से बाहर आता है और उसके बाद में वो आराम से अपने कपड़े चेंज कर लेता है और फिर बेड पर लेट जाता है तभी वहां पर ऋषिक आ जाता है।

    ऋषिक को देखकर अथर्व उठने वाला होता है कोई ज़रूरत नहीं है तुम लेते ही रहो, उसे उठता हुआ देखकर ऋषिक बोलता है उसके बाद में वो लेट जाता है।

    उसके बाद में ऋषिक हेयर ड्रायर लेकर उसे पास बैठ जाता है उसके बाद में वो ऋषिक को आराम से बेड पर बैठा देता है और उसके बालो को सुखाने लगता है।

    अब तुम्हारा हाथ कैसा है, ऋषिक अथर्व के बाल को सुखाते हुए उससे सवाल करता है।

    अभी ठीक है चाचू, अथर्व जवाब देता है।

    तुम्हे कुछ दिनों तक आराम करना चाहिए बाकी की जो भी है उसे हम देख लेंगे तुम्हारी सेफ्टी सबसे पहले है ठीक है , ऋषिक अथर्व को समझते हुए बोलता है तो अर्थव भी बस अपना सर हल्का सा हिला देता है।

    कुछ देर बाद में ऋषिक अथर्व को सुला देता है उसके बाद में वो रूम से निकल जाता है।

    वहीं यूनिवर्सिटी में इस वक्त सभी अपनी अपनी क्लास अटेंड कर रहे होते हैं इस वक्त उन सभी के क्लास में कोई दूसरे प्रोफेसर क्लास ले रहे होते है कुछ देर बाद में क्लास खत्म हो जाती है तभी उस क्लास में दूसरे प्रोफेसर इंटर करते है।

    जिनकी उम्र लगभग 27 साल की होगी हाइट 6 फुट और दिखने में भी वो काफी हैंडसम होते है उन्हें देखकर सारे स्टूडेंट खड़े हो जाते हैं।

    हैलो स्टूडेंट मेरा नाम है जय खुराना मैं आप लोगो का नया बिज़नेस मैनेजमेंट का प्रोफेसर हूं।

    उसके बाद में वो सभी लोगो का इंट्रो लेता है फिर अपना क्लास अटेंड करने लगते है।

    ऐसे ही टाइम बीतने लगता है उसके बाद में प्रोफेसर जय वहां से चले जाते है और केबिन के नदी जाते है जहां पर प्रोफेसर विराज अपनी चेयर पर बैठे हुए होते है।

    और तो कैसा रहा आज का तुम्हारा पहला क्लास, है को देखकर प्रोफेसर विराज खड़े होकर पूछते है।

    क्लास तो अच्छा था क्यों क्या हुआ ऐसे क्यों पूछ रहे हो, जय विराज से पूछता है और जाकर उसे बगल वाले चेयर पर बैठ जाता है।

    नहीं बस ऐसे ही दरअसल उस क्लास में एक बहुत ही बिगड़ा हुआ लड़का भी है तुम्हे नोटिस किया होगा वो सबसे पीछे बैठा है, विराज बोलता है और उसे चेहरे पर गुस्सा भी आ जाता है।

    नहीं तो मुझे ऐसा कुछ नहीं लगा बल्कि इस क्लास के तो सारे बचे ही बिल्कुल शांत और अच्छे थे , विराज की बात सुनकर जय उससे बोलता है।

    जय को बात सुनकर विराज कुछ नहीं बोलता है और अपने मन में बोलता है कि इसका मतलब ये है कि वो सिर्फ मेरी ही क्लास में ध्यान नहीं देता है और जानबूझकर ऐसी हरकते करता है जिससे कि मुझे गुस्सा आए।

    क्या हुआ अब तुम कहां खो गए, विराज को ऐसे ही खोया हुआ देखकर वह उसके सामने अपना हाथ हिलाते हुए बोलता है तब जाकर विराज अपने होश में आता है।

    ऐसे ही टाइम बीत जाता है और छुट्टी हो जाती है उसके बाद में सभी लोग अपने अपने घर के लिए निकल जाते हैं।

    वही दूसरी तरफ पुलिस स्टेशन में अद्विक अरेस्ट करके लाए हुए लोगों से पूछ ताछ कर रहा होता है लेकिन वो लोग अपना मुंह नहीं खोल रहे होते है जिससे अद्विक का दिमाग बहुत गर्म हुआ रहता है।

    वहीं आर्येश ने भी कोशिश की लेकिन वो लोग अपना मुंह खोलने के लिए तैयार ही नहीं थे ऐसे ही रात हो जाती है और सभी अपने घर चले जाते हैं इस वक्त पुलिस स्टेशन में ज्यादे लोग नहीं होते हैं तभी बाहर एक वैन आकार रूकती है।

    और उसमें से लगभग 5 से लोग बाहर निकल कर आते हैं और पुलिस स्टेशन के बाहर एक सूखे हुए पेड़ की तरफ बढ़ जाते हैं जोकि पुलिस स्टेशन के सामने ही होती है लेकिन अंधेरा होने की वजह से किसी को भी दिखाई नहीं देती है शायद वहां के खम्भे में लगे हुए बल्ब को भी किसी ने जान बूझकर खराब कर दिया था।

    उसके बाद में वो सभी उस पेड के पास जाते है और उसके चारों तरफ से कैरोसीन डाल देते है फिर उसमें आग लगा देता है अचानक से ही आग लग जाने की वजह से चारो तरफ उजाला हो जाता है और स्टेशन के अंदर से सभी लोग भागकर बाहर आते है कुछ ही देर में वहां पर काफी भीड़ इक्कठी हो जाती है।

    उसके बाद में वो वो पांचों सभी की नजरो से बचकर पुलिस स्टेशन के अंदर घुस जाते हैं और अरेस्ट किए हुए लोगों के पास चले जाते हैं इस वक्त उनके सामने जितने भी सीसीटीवी कैमरे आ रहे होते है वो एक एक करके सभी को डिस्ट्रॉय कर रहे होते हैं उनके गन में साइलेंसर लगा हुआ होता है जिससे उसकी आवाज किसी को भी नहीं जाती है।

    कुछ देर बाद में वो सभी उस रूम के पास पहुंच जाए है जहां पर उनके साथियों को रखा गया था उसके बाद में बापने गन से ही उसका लॉक तोड़ देते हैं उसके बाद में उन तीनो को लेकर वहां से निकल जाते हैं।

    जब वो सभी बाहर आते हैं तो देखते हैं उस पेड़ को पानी की मदद से बुझाया जा था होता ही उसके बाद में वो उन तीनो को बीच में कर लेते हैं और चारो तरफ से घर लेते है और सीधे अपने गाड़ी के पास चले जाते हैं उसके बाद में वो सभी बैठकर वहां से निकल जाते हैं।

    उनके जाने के लगभग 20 मिनट बाद ही सभी पुलिस वाले उस पेड़ को बुझने में कामयाब हो जाते हैं उसके बाद में वो सभी अंदर जाने लगते है।

    जैसे ही वो सभी अंदर जाते हैं तभी उनकी नज़र पुलिस स्टेशन के अंदर हुए हालत पर जाती है जहां पर सारे सीसीटीवी कैमरे टूट कर नीचे गिरे हुए थे।

    ये देखकर सभी चौक जाते हैं और जल्दी से भागकर उस लॉकअप की तरफ जाते है जहां पर उन तीनो गैंगस्टर को अरेस्ट करके रखा गया था।

    जब वो लोग वहां पर जाते हैं तो देखते है कि ताला पहले से हो गोली मार कर तोड़ दिया गया था और उस लॉकअप के अंदर भी कोई नहीं होती है।

    उसके बाद में उनमें से एक पुलिस वाला अद्विक और आर्येश के पास कॉल लगा देता है।

    स्टोरी को पढ़कर जरूर बताए कि आप लोगो को ये स्टोरी कैसी लगी,लाइक कमेंट और दोस्तो में शेयर जरूर करें।

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  • 14. Devil's love - Chapter 14 क्या आपको मेरी चिंता हो रही है ऑफिसर

    Words: 1422

    Estimated Reading Time: 9 min

    कुछ देर बाद वो सभी उस रूम के पास पहुँच गए जहाँ पर उनके साथियों को रखा गया था। बाप ने अपनी गन से ही उसका लॉक तोड़ा और उसके बाद उन तीनों को लेकर वहाँ से निकल गए।

    जब वो सभी बाहर आए, तो देखा कि उस पेड़ को पानी की मदद से बुझाया जा रहा था। उसके बाद उन्होंने उन तीनों को बीच में किया और चारों तरफ से घेर लिया और सीधे अपनी गाड़ी के पास चले गए। फिर वो सभी बैठकर वहाँ से निकल गए।

    उनके जाने के लगभग 20 मिनट बाद ही सभी पुलिस वाले उस पेड़ को बुझाने में कामयाब हो गए। उसके बाद वो सभी अंदर जाने लगे।

    जैसे ही वो सभी अंदर गए, तभी उनकी नज़र पुलिस स्टेशन के अंदर हुए हालत पर पड़ी जहाँ सारे सीसीटीवी कैमरे टूट कर नीचे गिरे हुए थे।

    यह देखकर सभी चौंक गए और जल्दी से भागकर उस लॉकअप की तरफ गए जहाँ पर उन तीनों गैंगस्टर को अरेस्ट करके रखा गया था।

    जब वो लोग वहाँ पर गए, तो देखा कि ताला पहले से ही गीली मार कर तोड़ दिया गया था और उस लॉकअप के अंदर भी कोई नहीं था।

    उसके बाद उनमें से एक पुलिस वाले ने अद्विक और आर्येश को कॉल लगा दिया।

    वही दूसरी तरफ अद्विक अपने अपार्टमेंट में इस वक्त किचेन में काम कर रहा था, तभी उसका मोबाइल बजा। उसने अपने हाथ धुलकर अपना फोन देखा, तो फोन पुलिस स्टेशन से था।

    तो उसने जल्दी से उसे पिक किया, लेकिन उसके बाद जो उसने सुना उसे सुनकर वो शॉक हो गया।

    "यह सब कैसे हुआ? ऐसे कैसे कोई उन तीनों को लेकर वहाँ से जा सकता है? तुम सब क्या कर रहे थे?"

    "ठीक है, मैं अभी आ रहा हूँ।" अद्विक बिना कोई बात सुने अपना फोन रख देता है और गैस बंद करके वैसे ही लोवर और टी-शर्ट में स्टेशन के लिए चला जाता है।

    वही दूसरी तरफ आर्येश सभी के साथ में डिनर कर रहा था तभी उसका फोन बजा और उसने फोन को पिक किया।

    "क्या? ठीक है, मैं अभी आ रहा हूँ," दूसरी तरफ की बात सुनकर आर्येश बोलता है और खड़ा हो जाता है।

    "क्या हुआ तुम्हें? किसका फोन था जो तुम ऐसे खाने को बीच में ही छोड़कर जा रहे हो?" रिदित आर्येश को ऐसे ही खाने को बीच में छोड़कर जाते हुए देखकर उससे पूछता है।

    "जिन तीन लोगों को ह्यूमन ट्रैफिकिंग करते हुए पकड़ा गया था, किसी ने उन तीनों को स्टेशन से बाहर निकाल दिया और तो और स्टेशन में मौजूद सारे सीसीटीवी कैमरे को भी खराब कर दिया है।"

    उसकी बात सुनकर सारे लोग भी परेशान हो जाते हैं वही अथर्व भी सोच में पड़ जाता है कि ऐसा कौन है जोकि पुलिस स्टेशन के अंदर जाकर बिना किसी के कुछ भी पता लगे उन तीनों को बाहर निकाल दिया।

    उसके बाद आर्येश वहाँ से जाने लगता है। "मैं भी आपके साथ में चलूँगा चाचू," अथर्व बीच में ही खड़ा होकर बोलता है।

    हर्षनी कुछ बोलने ही जाती है कि तभी वत्सल उसका हाथ पकड़कर उसे रोक देता है। उसके बाद वो अथर्व को जाने को बोल देता है तो अथर्व भी उठकर आर्येश के पीछे चला जाता है।

    आर्येश इस वक्त अपनी कार चला रहा था और अथर्व उसके बगल की पैसेंजर वाली सीट पर बैठा हुआ था।

    "वहाँ पर पहुँचने के बाद में कुछ भी उल्टा सीधा मत करना समझे," आर्येश अथर्व को समझाते हुए बोलता है।

    "आपको ऐसा क्यों लगता है कि मैं वहाँ पर जाकर कुछ भी उल्टा सीधा करूँगा? मैं तो आपके साथ में बस इसलिए चल रहा हूँ ताकि आपको स्टेशन तक अकेला न जाना पड़े," अथर्व आर्येश की बात सुनकर बोलता है।

    "अच्छा करते कि उसी टाइम पर उन तीनों को भी खत्म कर देते तो आज ये सब नहीं होता," आर्येश गाड़ी चलाते हुए ही अथर्व से बोलता है।

    "मैं तो उन्हें खत्म करने ही वाला था लेकिन तब तक बीच में ही ऑफिसर आ गए थे," अथर्व मुंह बनाते हुए बोलता है।

    ऐसे ही बात करते हुए उनकी गाड़ी पुलिस स्टेशन के अंदर जाकर रूकती है जहाँ पर अद्विक पहले से मौजूद था और वो सभी से बातें करके जो कुछ भी हुआ था उसकी जानकारी ले रहा था।

    गाड़ी से उतर कर आर्येश अद्विक के पास चले जाते हैं, "क्या हुआ अद्विक कुछ पता चला कि ये सब कैसे हुआ?" आर्येश अद्विक से पूछते हैं।

    "नहीं सर, कुछ खास पता नहीं चला है बस इतना तो पता चल गया है कि यहाँ पर जो आग लगी है वो खुद से नहीं बल्कि किसी ने जानबूझ कर लगाई है ताकि वो लोगों का ध्यान भटका सके और उन्हें लेकर निकल सके और हुआ भी ऐसा ही," अद्विक जवाब देता है।

    उसकी बात सुनकर आर्येश पुलिस स्टेशन के अंदर चला जाता है तभी अथर्व कार से निकल कर बाहर आता है और अद्विक की भी नजर इस पर चली जाती है।

    "ये तुम्हारे हाथ को क्या हुआ?" अद्विक अथर्व के हाथ को देखकर उससे पूछता है।

    "ज्यादा कुछ नहीं बस कॉलेज जाते टाइम पर बाइक लेकर गिर गया था, वैसे क्या आपको मेरी चिंता हो रही है ऑफिसर?" अथर्व अद्विक को जवाब देते हुए ही उससे सवाल करता है।

    "चिंता नहीं हो रही थी बस ऐसे ही पूछ लिया," अद्विक बोलता है।

    "वैसे जिन लोगों को आपने अरेस्ट किए थे उनसे कुछ पता चला क्या?" अथर्व पूछता है।

    "तुम्हे इसके बारे में कैसे पता चला?" अद्विक शक भरी नजरों से उसे देखते हुए पूछता है।

    "वो क्या है न कि जब स्टेशन से कॉल आया था तब सब लोग साथ में ही डिनर कर रहे थे तब रिदित चाचू ने आर्येश से पूछा था तब पता चला," अथर्व आराम से जवाब देता है।

    वो दोनों बात ही कर रहे होते हैं कि तभी आर्येश बाहर आता है और अथर्व से बोलता है कि अद्विक अंदर के कैदी ने उन लोगों को देखा है। उसने कहा है कि वो लगभग 5 से 6 लोग थे।

    "इसका मतलब ये है कि वो लोग किसी गाड़ी से आए ही होंगे तो एक काम करते हैं सुबह होते ही पुलिस स्टेशन के आस-पास के जिस भी शॉप में सीसीटीवी फुटेज लगे होंगे।"

    "उनसे हम पता कर सकते हैं कि जिस टाइम पर ये सब हुआ है उस टाइम पर कोई भी सस्पेक्ट गाड़ी या फिर कोई लोग होंगे तो पता चल जाएगा इस वक्त रात काफी हो गई है तो कल सुबह देखते हैं।"

    "लेकिन सर हम उन शॉप वालों को कॉल करके भी तो बुला सकते हैं न," अद्विक जल्दी से बोलता है।

    "रात काफी हो गई है अद्विक और इतनी रात को किसी का भी आना सेफ नहीं है। माना की हमारा काम ज़रूरी है लेकिन भूलो मत कि लोगों की सेफ्टी की जिम्मेदारी भी हमारी है।"

    "और अगर एक बार गाड़ी का पता चल गया तो वो लोग कहाँ पर गए होंगे वो भी हमें पता चल जाएगा। एक काम करो तुम जाओ तब तक मैं यहाँ स्टेशन के कैमरे से कुछ पता करवाने की कोशिश करता हूँ। एक बार यहाँ का वीडियो रिकवर हो जाए तो दिक्कत नहीं होगी। मैंने कुछ लोगों को बुलाया है अगर कुछ पता चला तो मैं फोन करके बता दूँगा।"

    "और अथर्व अब तुम्हें भी जाना चाहिए लेकिन तुम अकेले कैसे जाओगे तुम तो गाड़ी भी नहीं चला सकते हो," आर्येश अथर्व को देखकर बोलते है।

    "अद्विक अगर तुम्हें कोई दिक्कत न हो तो क्या तुम आज अथर्व को अपने साथ लेकर जा सकते हो सुबह होते ही मैं किसी को इसे पिक करने के लिए भेज दूँगा या फिर मैं खुद ही चल आऊँगा," आर्येश अद्विक से रिक्वेस्ट करते हुए बोलते है।

    "ऑफ कोर्स सर मुझे कोई दिक्कत नहीं," अद्विक बोलता है, "इसी बहाने हो सकता है कि मुझे उस रात के बारे में भी कुछ पता चल जाए," अद्विक अपने मन में सोचता है।

    उसके बाद में दोनों अद्विक की गाड़ी के पास आते हैं और अद्विक अथर्व के लिए दरवाजा खोलता है तो अथर्व मुस्कुराते हुए बैठ जाता है और उसके बाद में अद्विक भी जाकर ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और गाड़ी लेकर वहाँ से निकल जाता है।

  • 15. Devil's love - Chapter 15 अथर्व सोया अद्विक के रूम में

    Words: 1496

    Estimated Reading Time: 9 min

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    इसका मतलब ये है कि वो लोग किसी गाड़ी से आए ही होंगे तो एक काम करते है सुबह होते ही पुलिस स्टेशन के आश पास के जिस भी शॉप में सीसीटीवी फुटेज लगे होंगे।

      उनसे हम पता कर सकते है कि जिस टाइम पर ये सब हुआ है उस टाइम पर कोई भी सस्पेक्ट गाड़ी या फिर की लोग होंगे तो पता चल जाएगा इस वक्त रात काफी हो गई है तो कल सुबह देखते है।

    लेकिन सर हम उन शॉप वालो को कॉल करके भी तो बुला सकते हैं न, अद्विक जल्दी से बोलता है।

    रात काफी हो गई है अद्विक और इतने रात को किसी का भी आना सेफ नहीं है माना की हमारा काम ज़रूरी है लेकिन भूलो मत की लोगों की सेफ्टी की जिम्मेदारी भी हमारा है।

     और अगर एक बार गाड़ी का पता चल गया तो वो लोग कहां पर गए होंगे वो भी हमें पता चल जाएगा एक काम करो तुम जाओ तब तक मैं यहां स्टेशन के कैमरे से कुछ पता करवाने की कोशिश करता हूं एक बार यहां का वीडियो रिकवर हो जाए तो दिक्कत नहीं होगी मैने कुछ लोगों को बुलाया है अगर कुछ पता चला तो मैं फोन करके बता दूंगा।

    और अथर्व अब तुम्हे भी जाना चाहिए लेकिन तुम अकेले कैसे जाओगे तुम तो गाड़ी भी नहीं चला सकते हो, आर्येश अथर्व को देखकर बोलते है।

    अद्विक अगर तुम्हे कोई दिक्कत न जो तो क्या तुम आज अथर्व को अपने साथ लेकर जा सकते हो सब होते ही मैं किसी को इसे पिक करने के लिए भेज दूंगा या फिर मैं खुद ही चल आऊंगा, आर्येश अद्विक से रिक्वेस्ट करते हुए बोलते है।

    ऑफ कोर्स सर मुझे कोई दिक्कत नहीं अद्विक बोलता है इसी बहाने हो सकता है कि मुझे उस रात के बारे में भी कुछ पता चल जाए, अद्विक अपने मन में सोचता है।

    उसके बाद में दोनो अद्विक की गाड़ी के पास आए है और अद्विक अथर्व के लिए दरवाजा खोलता है तो अथर्व मुस्कुराते हुए बैठ जाता है और उसके बाद में अद्विक भी जाकर ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और गाड़ी लेकर वहां से निकल जाता है।

    अब आगे

    उनके जाने के कुछ देर बाद में ही एक गाड़ी आकर पुलिस स्टेशन के अंदर आकर रूकती है और उसने से कर्णिक ( माफिया ऋषिक का वर्क पार्टनर) और नक्षिता ( एक हैकर) बाहर आती हैं।

    उसके बाद में वो दोनो आर्येश के साथ में कंप्यूटर रूम की तरफ चली जाती है और वही पर रखी हुई चेयर पर बैठ जाती है।

    इस वक्त नक्षिता के हाथ कंप्यूटर पर बहुत ही फास्ट चल रहे होते है , वैसे ACP अद्विक कहां है दिखाई नहीं दे रहे है, कर्णिक आर्येश से पूछता है।

    उसे मैने घर भेज दिया है और उसके साथ में अथर्व भी गया हुआ है, आर्येश जवाब देता है।

    वैसे नक्षिता इसमें कितना टाइम लगेगा,आर्येश नक्षिता को देखते हुए पूछता है जायदा नहीं बस आधे घंटे में हो जाएगा, नक्षिता अपना काम करते हुए ही बोलती है।

    वही दूसरी तरफ अद्विक और अथर्व अद्विक के अपार्टमेंट के नीचे होते है उसके बाद में वो दोनो गाड़ी से निकल कर बाहर आते हैं और अथर्व अद्विक के साथ चलने लगता है।

     कुछ देर बाद में वो दोनो अपार्टमेंट के अंदर आ जाते है।

    उसके बाद में अद्विक अथर्व को बैठने को बोलता है और खुद उसके लिए पानी लेने के लिए चला जाता है।

    उसके जाने के बाद में अथर्व वही सोफे पर बैठ जाता है और अपने नारे चारो तरफ घूमकर पूरे अपार्टमेंट को देखता है तो वहां पर एक बड़ा सा हॉल होता है जहां पर डाइनिंग टेबल होता है जिसमें लगभग 4 से 5 लोग आराम से बैठ कर खाना खा सकते हैं और एक किचन और दो रूम होता है।

    तभी उसके सामने एक ग्लास पानी आता है जोकि अद्विक लेकर आया होता है अथर्व उसके हाथ से ग्लास लेकर पानी पी लेता है उसके बाद में अद्विक दुबारा से किचेन की तरफ चला जाता है उसके पीछे ही अथर्व भी चल जाता है।

    तो वो देखता है कि अथर्व खाना बना रहा होता है जो कि वो कॉल आ जाने पर वैसे ही गैस बंद करके चला गया होता है।

    क्या हुआ तुम यहां पर क्या कर रहे हो, अथर्व का होने का एहसास पाकर अद्विक इससे पूछता है।

    कुछ नहीं बस आपको खाना बनाते हुए देख रहा हूं काफी स्मार्ट लग रहे हो आप, अथर्व अद्विक को देखकर बोलता है जोकि चावल को गैस पर रख रहा होता है।

    तभी अथर्व अपने एक हाथ की मदद से किचेन के स्लैब पर बैठने के लिए जैसे ही कूदता है तभी उसका हाथ फिसल जाता है और वो एक चीख से साथ में नीचे गिरने वाला होता है तभी अद्विक जल्दी से उसे आकर पकड़ लेता है और गिरने से बचा लेता है।

    क्या कर रहे हो तुम आराम से बाहर जाकर बैठ नहीं सकते हो अगर गिर जाते और चोट लग जाती तो क्या करते बताओ, अद्विक थोड़ा गुस्से में इसे डांटते हुए बोलता है।

    ये मैने जा बूझकर नहीं किया ऑफिसर मेरा हाथ स्लीप हो गया था बस I am sorry 😔 आप खाना बना लो मैं बाहर हॉल में वेट कर रहा हूँ इतना बोलकर वो वहां से जाने लगता है लेकिन फिर रुक कर उसकी तरफ देखकर बोलता है कि वैसे ऑफिसर थोड़ा सा खाना मेरे लिए भी बना दीजिएगा वो क्या है न कि मैने घर से बस थोड़ा सा ही डिनर किया था उसके बाद में वो बाहर चला जाता है।

    वहीं अद्विक उसकी बात सुनकर अपना सर हिला देता है उसके बाद में वो खाना बनाने लगता है और अथर्व बाहर आकर सारे जगह को घूम घूम कर देख रहा होता है।

    तभी उसकी नजर अद्विक के रूम की तरफ जाती है जो वो उस रूम की तरफ चला जाता है और दरवाजा खोल कर अंदर चला जाता है वो रूम न ज्यादा बड़ा था और न ही ज्यादा छोटा था लेकिन वहां पर रखी हुई हर एक चीज बहुत ही सलीके से रखी हुई थी।

    तभी उसकी नजर वही टेबल पर रखी हुई एक फोटो फ्रेम पर जाती है जिसमें अद्विक और उसके पापा होते है।

    अथर्व उस फोटो को अपने हाथ में उठा लेता है और ध्यान से उस फोटो को देखने लगता है।

    वैसे मानना पड़ेगा कि फोटो से ज्यादा हैंडसम तो ऑफिसर रियल में लगते है बिल्कुल अंकल की तरह उसके बाद में वो फ्रेम को उसी जगह पर रख देता है और जाकर बेड पर बैठ जाता है।

    कुछ देर बैठने के बाद में वो अपने हाथ को पकड़कर लेट जाता है और अपनी आंखे बंद कर लेता है तभी उसे दरवाजा खुलने की आवाज आती है तो उठने की जगह पर जल्दी से अपनी आंखे बंद कर लेता है।

    तब अद्विक अंदर आता है और अथर्व को सोया हुआ देखकर खुद से बोलता है कि ये दूसरे के घर पर इतने आराम से कैसे सो सकता है।

    अर्थ उठ जाओ चलकर डिनर कर लो , अद्विक के मुंह से अपने लिए अर्थ सुनकर अथर्व को बहुत खुशी होती है तभी अद्विक जाकर उसका हाथ पकड़कर उसे उठाता है।

    आह, अचानक से अंतर कराह देता है जिससे अद्विक जल्दी से अपना हाथ हटा देता है।

    उसके बाद में अथर्व धीरे से उठकर बैठ जाता है और अद्विक की तरफ देखने लगता है क्या हुआ ऑफिस आप यहां पर क्या कर रहे हैं।

    ये तो मुझे तुमसे पूछना चाहिए कि तुम मेरे रूम में क्या कर रहे हो तुम्हे पता होना चाहिए कि ऐसे ही किसी के रूम में बिना पूछे नहीं आना चाहिए, अथर्व की बात सुनकर अद्विक इससे पूछता है।

    क्या ऑफिस आप तो गुस्सा हो गए मैं तो बस आपके घर को देखना चाहता था तो बस मेरी आंख लग गई थी इसके लिए आप मुझे ताना दे रहे है, अथर्व अपना मुंह बनाते हुए बोलता है।

    अद्विक बात को आगे नहीं बढ़ता है और उससे बाहर आकर डिनर करने को बोलता है और खुद बाहर चला जाता है उसके पीछे ही अथर्व भी बाहर आ जाता है।

    उसके बाद में सोनो डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ जाते है और अद्विक उसे खाना सर्व करता है और उसके बाद में खुद के लिए भी निकालता है उसके बाद में दोनो खाने लगते है।

    अरे वाह ऑफिसर आप खाना तो बहुत अच्छा बनाते है काश कि मैं रोज आपके हाथ का खाना खा पाता, अथर्व खाना खाते हुए बोलता है उसकी बात सुनकर अद्विक उसकी तरफ देखने लगता है जोकि अभी खाने में बिजी होता है उसके बाद में वो भी हल्का सा मुस्कुरा देता है और अपना खाना खाने लगता है।

    मैसे क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं , अद्विक कहते हुए ही उसे पूछता है।

    हूं बिल्कुल पूछ सकते है, अथर्व भी जवाब देता है।

    तुम कल रात को कहां थे, अद्विक पूछता है तो अथर्व का हाथ खाते हुए रुक जाता है और अद्विक की तरफ देखता है।

    स्टोरी को पढ़कर जरूर बताए कि आप लोगो को ये स्टोरी कैसी लगी,लाइक कमेंट और दोस्तो में शेयर जरूर करें।

    Thank you 🥰 🥰 🥰।

  • 16. Devil's love - Chapter 16 <br> <br>अक्षत और रोशन अथर्व से मिलने आए पुलिस स्टेशन

    Words: 1335

    Estimated Reading Time: 9 min

    "क्या ऑफिसर आप तो गुस्सा हो गए? मैं तो बस आपके घर को देखना चाहता था, तो बस मेरी आंख लग गई थी। इसके लिए आप मुझे ताना दे रहे हैं?" अथर्व अपना मुंह बनाते हुए बोलता है।

    अद्विक बात को आगे नहीं बढ़ाता है और उसे बाहर आकर डिनर करने को बोलता है, और खुद बाहर चला जाता है। उसके पीछे ही अथर्व भी बाहर आ जाता है।

    उसके बाद वो दोनों डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ जाते हैं और अद्विक उसे खाना सर्व करता है, और उसके बाद खुद के लिए भी निकालता है। उसके बाद वो दोनों खाने लगते हैं।

    "अरे वाह ऑफिसर, आप खाना तो बहुत अच्छा बनाते हैं! काश कि मैं रोज आपके हाथ का खाना खा पाता," अथर्व खाना खाते हुए बोलता है। उसकी बात सुनकर अद्विक उसकी तरफ देखने लगता है, जो कि अभी खाने में बिजी होता है। उसके बाद वो भी हल्का सा मुस्कुरा देता है और अपना खाना खाने लगता है।

    "अथर्व, क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं?" अद्विक कहते हुए झिझकते हुए पूछता है।

    "हूं, बिल्कुल पूछ सकते हैं," अथर्व भी जवाब देता है।

    "तुम कल रात को कहां थे?" अद्विक पूछता है तो अथर्व का हाथ खाते हुए रुक जाता है और अद्विक की तरफ देखता है।

    "कल रात को तो मैं घर पर ही था। क्यों? आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?" अथर्व बोलता है।

    "कुछ खास नहीं, बस ऐसे ही। लेकिन मैं तुम्हें एक बात बता देता हूं कि जो भी काम करना कानून के दायरे में रहकर करना। ऐसा कोई भी काम मत करना जिससे बाद में तुम्हें या फिर तुम्हारी फैमिली वालों को तकलीफ हो। मैं तुम्हें ये बात बस इसलिए बता रहा हूं क्योंकि तुम्हारी फैमिली वाले काफी अच्छे हैं और मैं नहीं चाहता कि उन्हें कभी भी कोई भी तकलीफ हो," अद्विक अथर्व की आंखों में देखते हुए बोलता है।

    "और मेरे बारे में क्या?" अद्विक की बात सुनकर अथर्व उससे पूछता है।

    "क्या?" अद्विक कंफ्यूज्ड होकर उससे पूछता है।

    "अभी आपने कहा न कि आपको मेरी फैमिली वाले अच्छे लगते हैं, तो क्या मैं आपको अच्छा नहीं लगता हूं?" अथर्व पूछता है।

    उसकी बात सुनकर अद्विक उसे देखने लगता है लेकिन उसे कुछ भी नहीं बोलता है। उसके बाद वो अपनी नजरें फेर कर बोलता है, "मैंने ऐसा तो नहीं कहा कि तुम बुरे हो।"

    "आपने मुझे ये भी नहीं कहा कि मैं अच्छा हूं," अथर्व भी उसे जवाब देता है।

    तब तक उनका खाना हो चुका होता है। उसके बाद अद्विक अपनी प्लेट लेकर किचेन में चला जाता है और अथर्व अद्विक को जाते हुए देखता रहता है। उसके बाद वो अपना खाना खाने लगता है।

    कुछ देर बाद में वो भी अपनी प्लेट लेकर किचेन की तरफ चला जाता है जहां पर अद्विक किचेन की सफाई कर रहा होता है।

    "तुम आते ही रख दो और जाकर सो जाओ," अद्विक अथर्व को देखकर बोलता है। उसके बाद में अथर्व भी प्लेट को रखकर वहां से चला जाता है और दूसरे रूम में जाने की जगह वो अद्विक के रूम की तरफ चला जाता है।

    कुछ देर बाद में अद्विक अपना काम करके अपने रूम की तरफ चला जाता है तो वो बेड की तरफ देखता है जहां पर अथर्व पहले से ही चादर ओढ़ कर सो रहा होता है।

    उसे अपने रूम में सोया हुआ देखकर अद्विक उसके पास आता है और उसे चादर अच्छे से ओढ़ा देता है और फिर वहां से निकल कर दूसरे रूम की तरफ चला जाता है और उस रूम में जाकर सो जाता है।

    वही दूसरी तरफ पुलिस स्टेशन में कर्णिक, आर्येश और नक्षिता कंप्यूटर रूम में बैठे हुए अपना काम कर रहे होते हैं।

    "हो गया," नक्षिता बोलती है। उसकी बात सुनकर वो दोनों जल्दी से स्क्रीन पर देखने लगते हैं जिसमें ब्लैक मून गैंग के लोग होते हैं।

    "ये लो, इसमें मैंने ये वीडियो सेव कर दी है, बाकी आगे काम हम घर पर चलकर करते हैं," नक्षिता कर्णिक को एक पेन ड्राइव देते हुए बोलती है।

    "आर्येश, क्या मैं इस वीडियो को यहां से परमानेंट डिलीट कर दूं या फिर रहने दूं?" नक्षिता आर्येश को देखकर पूछती है।

    "रहने दो, कुछ हम लोगों के लिए भी छोड़ दो। हो सकता है कि हम लोग भी मिलकर काम करें तो ये प्रॉब्लम जल्दी ही सॉल्व हो जाए," आर्येश बोलता है।

    "ओके तो फिर अब हम चलते हैं," नक्षिता और कर्णिक खड़े होते हुए बोलते हैं। "वैसे तुम्हें भी हमारे साथ में ही चलना चाहिए। इस वक्त तो कोई भी काम हो नहीं पाएगा जो भी करना है वो सुबह ही करना," कर्णिक बोलता है।

    "अरे ऐसे कैसे जा रहे हो तुम दोनों? काम अभी खत्म नहीं हुआ है," आर्येश उन दोनों को जाता हुआ देखकर बोलता है।

    "क्या मतलब है तुम्हारा? अब और क्या काम बाकी रह गया है?" कर्णिक पूछता है।

    "दरअसल नक्षिता, तुम्हें न वो यहां आस पास जितने भी शॉप पर सीसीटीवी लगे हुए हैं, क्या तुम उन्हें हैक करके बता सकती हो कि वो लोग कहां से आए थे?" आर्येश नक्षिता से रिक्वेस्ट करते हुए बोलता है।

    उसके बाद वो दोनों कुछ न बोलकर फिर से अपने काम पर लग जाते हैं। ऐसे ही टाइम बीत जाता है और नक्षिता सारे रिकॉर्ड आर्येश को दे देती है। उसके बाद में नक्षिता और कर्णिक दोनों वहां से निकल जाते हैं।

    सुबह होते ही अद्विक अपने रूम से बाहर आता है तो देखता है हॉल में तो अभी कोई भी नहीं है। उसका मतलब है कि अथर्व अभी भी उसके रूम में सो रहा है।

    तो वो सीधे फ्रेश होने के लिए चला जाता है। वो फ्रेश होकर आता है फिर अथर्व के पास चला जाता है।

    "अथर्व उठ जाओ सुबह हो गई है, तुम्हें अपने घर भी जाना है," अद्विक उसे उठाते हुए बोलता है।

    "ऑफिसर सोने दो न, बस 5 मिनट और उसके बाद में मैं उठ जाऊंगा," बोलकर वो फिर अपना चेहरा दूसरी तरफ करके सो जाता है।

    उसे इस तरह करता हुआ देखकर अद्विक उसके हाथ को पकड़ उसे उठाकर बैठा देता है, वही अथर्व की आंखे अभी भी बंद ही रहती है।

    "अब जाकर फ्रेश हो जाओ, मैं तब तक ब्रेकफास्ट रेडी कर रहा हूं। उसके बाद में हम पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाएंगे," इतना बोलकर उसे उठाकर खड़ा करता है और उसे बाथरूम के ले जाकर छोड़ देता है और उसे फ्रेश होने को बोलकर वहां से निकल जाता है।

    उसके बाद में अथर्व फ्रेश होने के लिए चला जाता है और अद्विक किचेन में ब्रेकफास्ट बनाने के लिए चला जाता है।

    कुछ देर बाद में अथर्व फ्रेश होकर आता है तब तक अद्विक भी ब्रेकफास्ट लेकर टेबल पर रख देता है और दोनों ब्रेकफास्ट करके पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाते हैं।

    जब वो दोनों पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं तो वहां पर आर्येश पहले से ही मौजूद होते हैं।

    "हाय अथर्व कैसे हो?" पीछे से एक आवाज आती है तो अथर्व, अद्विक और आर्येश पीछे मुड़कर देखते हैं तो पीछे दो हैंडसम से दिखने वाले लड़के खड़े हुए होते हैं और उन दोनों के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान होती है।

    "आप दोनों यहां क्या कर रहे हो और वापस कब आए?" अथर्व दोनों को देखकर पूछता है।

    "तो क्या तुम ये चाहते हो कि हम दोनों हमेशा वही पर ही रहें?" दोनों अथर्व के पास आते हुए बोलते हैं।

    "अक्षत और रौशन, तुम दोनों यहां? अच्छा से आ जाओगे, मुझे लगा नहीं था। तुम दोनों को देखकर अच्छा लगा," बोलकर आर्येश उन दोनों को अपने गले से लगा लेता है।

    "हम तो आप से घर पर ही मिलने वाले थे लेकिन घर जाकर पता चला कि ये भी यही पर ही होगा इसी लिए हमने सोचा कि चल कर सरप्राइज्ड ही दे दिया जाए और वैसे ही इस साहबजादे को भी हम पिक कर लेंगे," अक्षत मुस्कुराते हुए जवाब देता है।

    तभी रोशन की नजर अद्विक पर जाती है। "वैसे आर्येश भाई ये कौन है?"

  • 17. Devil's love - Chapter 17

    Words: 1396

    Estimated Reading Time: 9 min

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    उसके बाद में अथर्व फ्रेश होने के लिए चला जाता है और अद्विक किचेन में ब्रेकफास्ट बनाने के लिए चला जाता है।

    कुछ देर बाद में अथर्व फ्रेश होकर आता है तब तक अद्विक भी ब्रेकफास्ट लेकर टेबल पर रख देता है और दोनो ब्रेकफास्ट करके पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाते हैं।

    जब वो दोनो पुलिस स्टेशन पहुंचते है तो वहां पर आर्येश पहले से ही मौजूद होते हैं।

    हाय अथर्व कैसे हो , पीछे से एक आवाज आती है तो अथर्व अद्विक और आर्येश पीछे मुड़कर देखते है तो पीछे दो हैंडसम से दिखने वाले लड़के खड़े हुए होते है और उन दोनो के चेहरे पर एक हल्दी सी मुस्कान होती है।

    आप दोनो यहां क्या कर रहे हो और वापस कब आए, अथर्व दोनो को देखकर पूछता है।

    तो क्या तुम ये चाहते हो कि हम दोनो हमेशा वही पर ही रहे , दोनो अथर्व के पास आते हुए बोलते है।

    अक्षत और रौशन तुम दोनो यहां अच्छा से आ जाओगे मुझे लगा नहीं था तुम दोनो को देखकर अच्छा लगा बोलकर आर्येश उन दोनो को अपने गले से लगा लेता है।

    हम तो आप से घर पर ही मिलने वाले थे लेकिन घर जाकर पता चला कि ये भी यही पर ही होगा इसी लिए हमने सोचा कि चल कर सरप्राइज्ड ही दे दिया जाए और वैसे ही इस साहबजादे को भी हम पिक कर लेंगे, अक्षत मुस्कुराते हुए जवाब देता है।

    तभी रोशन की नजर अद्विक पर जाती है वैसे आर्येश भाई ये कौन है।

    अब आगे 

    आ हां ये , ये यहां के नए ACP हैं अद्विक मल्होत्रा, और अद्विक ये मेरे दोस्त कम छोटे भाई ज्यादा अक्षत और रौशन है, काम के सिलसिले में ये दोनो बाहर गए हुए था आज सुबह की फ्लाइट से वापस आए हैं, आर्येश दोनो का इंट्रो अद्विक से करवाते हुए बोलता है।

    ‎हाय आपसे मिलकर खुशी हुई, दोनो अद्विक से हटा मिलाते हुए बोलते है मुझे भी , अद्विक रिप्लाई देते हुए बोलता है।

    ‎चलो अथर्व घर चलते है, अक्षत अंतर का हाथ पकड़ते हुए बोलता है तो रोशन और अथर्व अक्षत के साथ में वहां से चले जाते हैं।

    ‎सर आपको कल रात के बारे में कुछ पता चला , उनके जाने के बाद में अद्विक आर्येश से पूछता है।

    ‎हां अंदर चलो, बोलकर आर्येश अंदर चला जाता है और उसके पीछे अद्विक भी चल जाता है।

    ‎वही दूसरी तरफ एक रोड पर एक कार रुकी हुई थी शायद खराब हो गई थी तभी उस कार में से रुदान बाहर आता है क्या हुआ अंकल और कितना टाइम लगेगा, बाहर आकर रुदान ड्राइवर से बोलता है।

    ‎सर कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हुआ है मैकेनिक को दिखाना पड़ेगा, ड्राइवर रुदान की तरह देखकर उससे बोलता है।

    ‎क्या, इसे भी आज ही खराब होनी थी एक तो देर हो रहा है ऊपर से मैं भी सभी को जाने को बोल दिया था अब मैं कॉलेज कैसे जाऊंगा, रुदान परेशान होते हुए बोलता है।

    ‎आप चिंता मत करिए सिर मैं अभी कोई गाड़ी रुकवा देता है आप उससे चले जाना शाम तक मैं कार ठीक करवा लूंगा, डिब्लव बोलता है और रोड की तरफ जाकर गाड़ी रुकवाने लगता है।

    ‎दो से तीन गाड़िया ऐसे ही निकल जाती है लेकिन वो रूकती नहीं है तभी एक कार सामने से आती हुई नजर आती है तो इस बार रूदान अपना हाथ दिखाकर कार रुकवाता है तो कार आगे निकल जाती है लेकिन थोड़ी ही दूर जाने पर वो वापस से पीछे की तरफ आती है और रुदान के पास आकार रूकती है।

    ‎उसके बाद में उस कार का मिरर नीचे होता है तो उस कार में जय बैठ हुआ दिखाई देता है।

    ‎जय को देखकर रुदान तो शौक हो जाता है और वो कुछ बोलता उसके पहले ही ड्राइवर बोलता है कि सर दरअसल इनकी कार खराब हो गई है तो क्या आप इन्हें इनके कॉलेज तक ड्रॉप कर सकते हैं।

    ‎ठीक है आ जाओ, ड्राइवर की बात सुनकर जय रुदन की तरफ देखकर बोलता है।

    ‎पहले तो रुदन थोड़ा हिचकता है लेकिन फिर धीरे से जाकर पीछे का दरवाजा खोलने लगता है मैं तुम्हारा ड्राइवर नहीं हूं आगे आकर बैठो, रुदान को पीछे बैठता हुआ देखकर जय उससे बोलता है।

    ‎उसके बाद में जय आगे का डोर खोल देता है उसके बाद में रुदन आकर बैठ जाता है।

    ‎अपनी सीट बेल्ट लगा लो, जय रूदान को बेल्ट लगाने को बोलता है तो रुदान जल्दी से अपनी सीट बेल्ट लगा लेता है।

    ‎उसके बाद में जय कार आगे बढ़ा देता है रुदान से तो कुछ बोलने ही नहीं बन रहा था वहीं रुदान को इतना चुप हुआ देखकर जय उसकी तरफ देखकर बोलता है कि क्या हुआ तुम इतने चुप क्यों हो डर लग रहा है क्या।

    ‎नहीं सर ऐसी कोई बात नहीं है, रुदान धीरे से बोलता है चलो अच्छा है वैसे तुम्हे मुझसे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है मैं ऐसा प्रोफेसर नहीं हूं जोकि किसे के बोलने पर उसे डांटने लग जाऊंगा, जय थोड़ा सा मुस्कुराते हुए बोलता है।

    ‎वैसे तुम आज अकेले ही आए हो क्या तुम्हारे भाई और बहन भी तो तुम्हारे साथ में ही पढ़ते है न, जय रूदान से पूछता है।

    ‎वो दरअसल प्रोफेसर आज मुझे उठने में देर हो गया था तो मैने उन्हें पहले ही जाने को बोल दिया था लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरी कार रास्ते में ही खराब हो जाएगी, रुदान अब भी अपना सर नीचे किए हुए ही बोलता है।

    ‎ऐसे ही कुछ देर बाद में वो दोनो यूनिवर्सिटी पहुंच जाते हैं फिर रुदान और जय कार से बाहर आते है मुझे यूनिवर्सिटी तक लाने के लिए शुक्रिया प्रोफेसर, रुदान जाने से पहले जय को बोलता है।

    ‎और वहां से बिना जय की बात सुने अपने क्लास की तरफ चला जाता है वहीं उसे ऐसे ही जाता हुआ देखकर जय मुस्कुरा देता है और अपने केबिन की तरफ चला जाता है।

    ‎जहां पर प्रोफेसर विराज पहले से ही जय के ही आने का इंतजार कर रहे होते है जब जय अपने केबिन में आता है तो वो अब भी मुस्कुरा रहा होता है।

    ‎उसे देखकर विराज बोलता है कि क्या बात है आज सुबह किसी परी का चेहरा देख लिया है क्या जो मुस्कुराए ही जा रहा है।

    ‎हां कुछ ऐसा ही समझ लो लेकिन वो तो परी से भी ज्यादा हैंडसम है, जय भी मुस्कुराते हुए उससे बोलता है।

    ‎हैंडसम, इसका मतलब है कि वो कोई लड़की नहीं बल्कि एक लड़का है, है न, विराज जय की बात सुनकर उससे बोलता है।

    ‎हां सही कहा लेकिन अभी ये सब छोड़ क्लास का टीमें गया है जल्दी चल, जय टाइम देखते हुए बोलता है उसके बाद में दोनो अपने अपने क्लास की तरफ चले जाते हैं।

    ‎वही जब विराज अपनी क्लास में जाता है तो सारे बचे खड़े हो जाते है उसके बाद में विराज उन्हें बैठने को बोलता है तो सारे बचे बैठ जाते है।

    ‎उसके बाद में विराज एक नजर सारे क्लास में डालता है तभी उसकी नज़र अक्षांश पर जाती है जो कि उसे ही देख रहा होता है।

    ‎उसे ऐसे देखता हुआ देखकर विराज पढ़ाने लगता है कुछ देर बाद में वहां पर दिन सर आते है तो विराज पढ़ाने बंद कर देता है।

    ‎देखो बच्चों जैसा कि आप सभी लोग जानते हो इस बार के न्यू स्टूडेंट का वेलकम पार्टी अभी नहीं हुआ है तो तुम लोगो को उसकी तैयारी जल्द से जल्द स्टार्ट कर देनी चाहिए और हमेशा की तरह इस बार भी बहुत ही ग्रैंड पैरी होनी चाहिए लेकिन इस पार्टी में नो ऐल्कोहॉल ok, डीन सर बोलते है।

    ‎यस सर, सारे बच्चे खुश होकर एक साथ में बोलते है वही पार्टी की बात सुनकर सारे बच्चों में एक्साइटमेंट देखी जा सकती है उसके बाद में डीन कंटिन्यू बोलकर वहां से चले जाते हैं।

    ‎उनके जाने के बाद में सारे बच्चे तौर के बारे में ही बातें करने लगते हैं साइलेंस अभी क्लास अटेंड कर लो उसके बाद में खाली टाइम पर अपने टूर के बारे में बात कर लेना।

    ‎उसकी बात सुनकर सारे बच्चे शांत हो जाते है।

    ‎खुद तो बोरिंग हैं हमें भी अपने ही जैसा बनाने की सोच रहे हैं, विराज की बात सुनकर अक्षांश बोलता है।

    ‎जब अक्षांश ये बात बोलता है तो सारे बचे शांत हो चुके थे जिससे इसकी बात थोड़ी तेज हो चुकी होती है।

     स्टोरी को पढ़कर जरूर बताए कि आप लोगो को ये स्टोरी कैसी लगी,लाइक कमेंट और दोस्तो में शेयर जरूर करें।

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  • 18. Devil's love - Chapter 18 खड़ूस और कड़वे करेले प्रोफेसर

    Words: 1352

    Estimated Reading Time: 9 min

    अभी तक आपने पढ़ा

    देखो बच्चों जैसा कि आप सभी लोग जानते हो इस बार के न्यू स्टूडेंट का वेलकम पार्टी अभी नहीं हुआ है तो तुम लोगो को उसकी तैयारी जल्द से जल्द स्टार्ट कर देनी चाहिए और हमेशा की तरह इस बार भी बहुत ही ग्रैंड पैरी होनी चाहिए लेकिन इस पार्टी में नो ऐल्कोहॉल ok, डीन सर बोलते है।

    ‎यस सर, सारे बच्चे खुश होकर एक साथ में बोलते है वही पार्टी की बात सुनकर सारे बच्चों में एक्साइटमेंट देखी जा सकती है उसके बाद में डीन कंटिन्यू बोलकर वहां से चले जाते हैं।

    ‎उनके जाने के बाद में सारे बच्चे तौर के बारे में ही बातें करने लगते हैं साइलेंस अभी क्लास अटेंड कर लो उसके बाद में खाली टाइम पर अपने टूर के बारे में बात कर लेना।

    ‎उसकी बात सुनकर सारे बच्चे शांत हो जाते है।

    ‎खुद तो बोरिंग हैं हमें भी अपने ही जैसा बनाने की सोच रहे हैं, विराज की बात सुनकर अक्षांश बोलता है।

    ‎जब अक्षांश ये बात बोलता है तो सारे बचे शांत हो चुके थे जिससे इसकी बात थोड़ी तेज हो चुकी होती है।

    अब आगे

    ‎उसकी बात सुनकर द्वितीका उसे चुप होने को बोलती है वही अक्षांश की बात को विराज भी सुन चुका होता है वो गुस्से में एक नजर अक्षांश को देखता है उसके बाद में वो वापस से पढ़ाने लगता है।

    ‎कुछ देर बाद में उसकी क्लास बंद हो जाती है उसके बाद में वो सभी अपने में लग जाते हैं।

    ‎वही उसके जाने के कुछ देर बाद में जय को क्लास होती है तो वो क्लास में आता है उसे देखकर सारे बच्चे उसे मॉर्निंग विश करते है उसके बाद में बैठ जाते है।

    ‎इस वक्त सारे बच्चे शांत हो चुके होते है ये देखकर जय उन लोगो की तरफ देखकर बोलता है कि क्या बात तुम लोगो के क्लास में तौर की बात नहीं हुई है क्या?

    ‎हुआ सर लेकिन ये बात आप क्यों पूछ रहे है, एक लड़का जय से पूछता है।

    ‎मैं ये बात इस लिए पूछ रहा हूं क्योंकि जब तौर की बात होती है तो सारे बच्चे अपना प्लान बनाने लगते हैं लेकिन यहां पर तो सारे लोग शांत है।

    ‎वो क्या है न प्रोफेसर अभी अभी प्रोफेसर विराज बोल कर गए हैं कि जब क्लास खाली हो तभी इस बारे में बात कर सकते है, अक्षांश जय से बोलता है।

    ‎वहीं उसके बगल में ही रुदान बैठा हुआ होता है जोकि उसे हो देखता है जैसे ही जय की नज़ारा उस पर जाती है वो तुरंत ही अपनी नज़ारा नीचे कर लेता है।

    ‎उसे ऐसा करता हुआ देखकर जय मुस्कुरा देता है और बोलता है कि ऐसा नहीं है प्रोफेसर विराज दिल के बहुत अच्छे हैं वो जिस काम को करता है बहुत ही मन से करता है।

    ‎उसकी बात सुनकर अक्षांश का मुंह बन जाता है और बोलता है कि सर आपको उनके बारे में इतना कुछ कैसे पता है जब की आप भी उसी दिन और हैं जिस दिन प्रोफेसर विराज आए थे, वेदांश पूछता हैं।

    ‎दरअसल प्रोफेसर विराज और मैं दोनों स्कूल फ्रेंड है और हमारी फैमिली भी एक दूसरे को काफी अच्छे से जानती है, जय मुस्कुराते हुए बोलता है।

    ‎लेकिन फिर भी और आपको और प्रोफेसर विराज को देखकर कोई भी नहीं बोल सकता है कि आप दोनो बचपन के दोस्त है कहां आप इतने अच्छे और स्वीट्स हैं और कहां वो एक दम खड़ूस और कड़वे करेले अक्षांश मुंह बनाते हुए बोलता है।

    वही उसकी बात सुनकर जय मुस्कुराते हुए बोलता है कि प्रोफेसर विराज चाहे जैसे भी हो लेकिन वो प्रोफेसर बहुत अच्छे है।

    ‎अच्छा ये सब बातें छोड़ो और पहले ये बताओ कि टूर पर जाने के लिए तुम लोगो ने कुछ डिसाइड किया भी है नहीं।
    ‎नहीं सर अभी तो कुछ भी डिसाइड नहीं हुआ है ,रौनक बोलता है।

    ‎कोई बात नहीं तुम सब मिलकर अपना सब डिसाइड कर लेना लेकिन शोर बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए, जय सभी से बोलता है।

    ‎ओके प्रोफेसर, सारे बच्चे खुश होकर बोलते हैं उसके बाद में वो सभी अपना अपना काम करने लगते है कि टूर के दौरान क्या क्या करना है।

    ‎वहीं जय सारे बच्चों को देखता है तभी उसकी नज़र रुदान पर जाती है जोकि ज्यादा नहीं बोल रहा होता है उसे देखकर जय के होटों पर अपने आप ही एक स्माइल आ जाती है।

    तभी अचानक से रुदान की नज़र भी जय पर जाती है उसे मुस्कुराता हुआ देखकर रुदान का दिल जोरो से धड़कने है।

    ‎तभी जय उससे इशारा में पूछता है कि क्या हुआ ये देखकर रुदान जल्दी से अपना सर न में हिल देता है जैसे बोलता हो कुछ नहीं हुआ है।

    ‎ऐसे ही टाइम बीतने लगता है कॉलेज की छुट्टी हो जाती है तो सारे स्टूडेंट बाहर आते हैं और उनके साथ ही अक्षांश , रुदान , द्वितीका, और बाकी सभी भी आते हैं।

    ‎उसके बाद में वो सभी अपनी अपनी कार में बैठ जाते है और और वहां से निकल जाते है।

    ‎कल संडे होने की वजह से आज वो सभी घर न जाकर बार जाने की प्लानिंग करते है जोकि उन लोगो के फैमिली वालो की ही होती है।

    ‎वही जय और विराज भी अपनी कार लेकर निकल जाते है तो कल संडे है तो आज कहां जाने की प्लानिंग है, जय पूछता है।

    ‎जान कहां है बात चलते है थोड़ा सा मूड भी फ्रेश हो जाएगा, विराज बोलता है।

    ‎ठीक है चलते है फिर बोलकर जय अपनी कार आगे बढ़ा देता है।

    ‎कुछ देर बाद में अक्षांश और उसके बाकी के दोस्त और भाई बहन बार पहुंच जाते है उसके बाद मे वो सभी काउंटर के पास बैठ जाते है।

    ‎उसके बाद में वो वो सभी अपनी अपनी ग्लास लेकर पीने लगते हैं बाकी द्वितीका और रुदान के लिए वो सभी ऑरेंज जूस ऑर्डर करते हैं और उन दोनो को भी इससे कोई ऐतराज नहीं होता है तो वो दोनो भी पिन लगती है।

    ‎तभी अक्षांश बोलता है कि चलो अब चलकर थोड़ी सी मस्ती करते हैं बोलकर वो स्टेज की तरफ चला जाता है।

    ‎उसके पीछे ही बाकी सभी भी जा चुके होते हैं अब वहां पर सिर्फ अकेले रुदान बचता है क्योंकि वो बैठ कर सभी लोगो को देखकर एंजॉय कर रहा होता है।

    ‎तभी वहां पर जय और विराज भी आ जाते है और काउंटर के पास जाकर बैठ जाते हैं।

    ‎तभी जय की नज़र अपने से कुछ दूर पर बैठे हुए रुदान पर जाती है।

    ‎उसे देखकर जय को भौहें उठ जाते है ये यहां पर क्या कर रहा है, जय रुदान को देखकर खुद से ही सवाल करता है।

    ‎सर आपका ग्लास, एक वेटर आकर विराज और जय को ड्रिंक सर्व करते हुए बोलता है और वहां से चला जाता है।

    ‎क्या हुआ कहां खो गए , विराज जय को देखकर पूछता है और ग्लास को होठों से लगा लेता है और सांस फ्लोर की तरफ देखने लगता है तभी उसकी नजर सभी के साथ में डांस कर रहे अक्षांश पर जाती है।

    ‎तू यहीं रुक मैं अभी आया, जय विराज से बोलता है और वहां से उठकर रुदान के पास चा जाता है और उसके पास वाली खाली चेयर पर बैठ जाता है।

    ‎तुम अकेले यहां पर क्या कर रहे हो, जय रुदान की तरह देखकर उससे पूछता है।

    ‎किसी की आवाज सुनकर रुदान जय की तरफ देखता है तो वो चौक जाता है स.. सर आप यहां आप यहां पर क्या कर रहे हैं रुदान डरते हुए जय से पूछता है।

    ‎मैं यहां पर कई आया तुम ये सब छोड़ो ये बताओ तुम यहां पर क्या कर रहे हो, जय रुदन से सवाल के बदले में उसे सवाल करता है।

    ‎सर वो दअरसल मैं यहां पर अपने भाई बहनों के साथ में आया हूं।

    ‎तो तुम यहां अकेले क्या कर रहे हो और तुम्हारे भाई बहन कहां पर हैं।

    ‎वो वहां पर है बोलकर रुदान डांस फ्लोर की तरफ उंगली करता है तो जय की नज़र भी उसी तरफ चली जाती है लेकिन तभी उसकी आंखे बड़ी हो जाती है।

    ‎आखिर ऐसा क्या देख लिया जय ने की वो शॉक हो गया?

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  • 19. Devil's love - Chapter 19 विराज को हुई जलन

    Words: 1021

    Estimated Reading Time: 7 min

    अभी तक आपने पढ़ा

    ‎तू यहीं रुक मैं अभी आया, जय विराज से बोलता है और वहां से उठकर रुदान के पास चा जाता है और उसके पास वाली खाली चेयर पर बैठ जाता है।

    ‎तुम अकेले यहां पर क्या कर रहे हो, जय रुदान की तरह देखकर उससे पूछता है।

    ‎किसी की आवाज सुनकर रुदान जय की तरफ देखता है तो वो चौक जाता है स.. सर आप यहां आप यहां पर क्या कर रहे हैं रुदान डरते हुए जय से पूछता है।

    ‎मैं यहां पर कई आया तुम ये सब छोड़ो ये बताओ तुम यहां पर क्या कर रहे हो, जय रुदन से सवाल के बदले में उसे सवाल करता है।

    ‎सर वो दअरसल मैं यहां पर अपने भाई बहनों के साथ में आया हूं।

    ‎तो तुम यहां अकेले क्या कर रहे हो और तुम्हारे भाई बहन कहां पर हैं।

    ‎वो वहां पर है बोलकर रुदान डांस फ्लोर की तरफ उंगली करता है तो जय की नज़र भी उसी तरफ चली जाती है लेकिन तभी उसकी आंखे बड़ी हो जाती है।

    अब आगे

    क्योंकि वहां पर विराज अक्षांश का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए नीचे आ रहा होता है और उन दोनो के पीछे ही उसके भाई बहन और दोस्त भी आ रहे होते हैं।

    ‎दरअसल हुआ ये था कि जब अक्षांश डांस कर रहा होता है तभी कुछ लड़कियां उसके करीब आने की कोशिश कर रही होती है।

    ‎जिसे देखकर विराज की मुट्ठियां गुस्से में कस जाती है और जब उससे कंट्रोल नहीं होता है तो वो उठकर अक्षांश के पास जाता है और उस लड़की को उससे दूर करता है।

    ‎जिससे वो लड़की उससे दूर चली जाती है वही अक्षांश विराज को अपने सामने देखकर चौक जाता है।

    ‎वो विराज से कुछ बोलता की उसके पहले ही विराज अक्षांश का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए नीचे लेकर आने लगता है।

    ‎ये क्या कर रहे हैं सर मेरा हाथ छोड़िए,अक्षांश अपना हाथ विराज के हाथ से छुड़ाने को कोशिश करता है लेकिन विराज की पकड़ बहुत मजबूत होती है जिससे अक्षांश के लाख कोशिश करने के बाद भी वो अपना हाथ नहीं छुड़ा पाता है।

    ‎उसके बाद में विराज उसे नीचे सभी के पास लेकर आता है और उसका हाथ छोड़ देता है।

    ‎तुम सभी को यूनिवर्सिटी से सीधे अपने घर जाने के बजाय यहां बार में क्या कर रहे हो, विराज सभी से बोलता है।

    ‎ये पूछने वाले आप होते कौन है भूलिए मत की आप लोग सिर्फ कॉलेज के टाइम तक ही हमारे प्रोफेसर हैं और उसके बाद में हम कहां जाते हैं और क्या करते हैं इससे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए, अक्षांश बोलता है जिसे सुनकर विराज उसे गुस्से में देखने लगता है और बाकी सभी अक्षांश के बोलने पर डर जाते हैं और विराज की तरफ देखकर अपना सर न में हिलाने लगते है।

    ‎प्रोफेसर विराज आप प्लीज़ 🥺 इसके बातों को सीरियस में लीजिएगा ये पीने के बाद में क्या बोलता है इसे खुद भी पता नहीं होता है,  द्वितीका विराज को समझाते हुए बोलती है।

    ‎ठीक है अब तुम लोग घर जाओ एक काम करता हूं मैं तुम सभी को छोड़ देता हूं वैसे भी तुम सब ने पी रखी है और पीकर ड्राइव करना सेफ नहीं है, विराज बोलता है।

    ‎वो उसे मन करने की सोचते है लेकिन फिर विराज के गुस्से को देखकर चुप रहना ही बेहतर समझते हैं उसके बाद में वो सभी विराज के पीछे चले जाते हैं।

    ‎जय भी रूदान को अपने साथ में चलने को बोलता है तो इसके बाद में सभी विराज के पीछे चले जाते हैं।

    ‎बाहर आने के बाद में विराज उन लोगो की ही कार के ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और उसके बगल में अक्षांश बैठ जाता है और उसके बाद में रुदन को छोड़कर द्वितीका ,वेदांश और बाकी सभी भी बैठ जाते हैं।

    ‎और दूसरे कार में जिससे जय और विराज आए हुए होते है उसमें जय और रुदान बैठे हुए होते हैं।

    ‎उसके बाद में विराज द्वितीका से उसके घर का एड्रेस पूछता है तो वो उसे बता देती है उसके बाद में वो कार लेकर वहां से निकल जाता है।

    ‎ और उसके पीछे ही जय भी अपनी कार लेकर निकल जाता है।

    ‎वैसे तुम चाहो तो मुझे बता सकते हो कि कॉलेज के बाद में तुम सभी यहां क्यों आए थे, जय ड्राइव करते हुए रुदान से पूछता है जोकि उसके पास ही पैसेंजर वाली सीट पर बैठ हुआ होता हैं।

    ‎‎वो प्रोफेसर दरअसल वो बार हमारा ही है और हम कभी कभी यहां पर आ जाते हैं और काम भी करते हैं आज टूर के बारे में जानकार हम लोग थोड़ा एक्साइटेड हो गए थे और सेलिब्रेट करने के लिए यहां पर आ गए थे।

    लेकिन मैने ड्रिंक बिल्कुल भी नहीं किया है मेरा यकीन करिए, रुदान जय को समझाते हुए बोलता है और वो खुद के बारे में जय को इतनी सफाई क्यों दे रहा है उसे खुद भी नहीं पता होता है।

    ‎वो सब तो ठीक है लेकिन लेकिन अभी तुम लोगो की उम्र ही क्या है जो तुम लोग इस जगह पर आए थे भले ही ये जगह तुम लोगो की है लेकिन अभी इस उम्र में तुम लोगो को ये सब करना अच्छा लगता है, जय उसे समझाते हुए बोलता है।

    ‎आई एम सॉरी प्रोफेसर लेकिन हम तो बस थोड़ा सा एंजॉय करने के लिए आए हुए थे, रुदान अपना सर नीचे करके धीरे से बोलता है।

    ‎कोई बात नहीं लेकिन आगे से ध्यान रखना कि इतना जायदा ड्रिंक कोई न करे ठीक है।

    ‎ओके प्रोफेसर, रुदान बोलता है।

    ‎तब तक उनकी गाड़ी मेंशन के सामने आकर रूकती है तो वॉचमैन उन लोगो को देखकर दरवाजा खोल देता है तो वो अपनी कार को लेकर अंदर चले जाते हैं ।

    ‎उसके बाद में सभी कार से बाहर आते हैं तो प्रोफेसर विराज और बाकी सभी भी बाहर आते है उन सभी को देखकर सामने खड़े हुए गार्ड उनके पास आते हैं।

    ‎तो विराज अक्षांश को कार से बाहर निकालते है जो कि ड्रिंक की वजह से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था।

     स्टोरी को पढ़कर जरूर बताए कि आप लोगो को ये स्टोरी कैसी लगी,लाइक कमेंट और दोस्तो में शेयर जरूर करें।

    Thank you 🥰 🥰 🥰।