वो शहर का सबसे अमीर और सबसे खतरनाक इंसान था Aryan Malhotra, एक ruthless CEO, जिसकी दुनिया दिखती कुछ और थी और असल में कुछ और। FBI को उस पर शक था करोड़ों की डील्स के पीछे छुपी माफिया एक्टिविटी का। एक सीक्रेट मिशन पर लगी टीम उसके हर कदम पर नज़र रख... वो शहर का सबसे अमीर और सबसे खतरनाक इंसान था Aryan Malhotra, एक ruthless CEO, जिसकी दुनिया दिखती कुछ और थी और असल में कुछ और। FBI को उस पर शक था करोड़ों की डील्स के पीछे छुपी माफिया एक्टिविटी का। एक सीक्रेट मिशन पर लगी टीम उसके हर कदम पर नज़र रख रही थी, सबूत जुटाए जा रहे थे, फाइलें खुल रही थीं… और हर रास्ता जा रहा था सीधा Aryan तक। लेकिन तभी एक ऐसा मोड़ आया, जब हालात ने उसे मजबूर कर दिया उसे शादी करनी पड़ी एक कॉलेज में पढ़ने वाली, बेपरवाह, दिल की साफ़ लड़की से, जो इस अंधेरी दुनिया से बिल्कुल अनजान थी। अब एक तरफ प्यार जैसा कुछ पनपने लगा था तो दूसरी तरफ केस और भी गहरा होता जा रहा था। क्या सच सामने आएगा या रिश्ते सब कुछ बदल देंगे?
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शहर की सबसे ऊँची इमारत, Malhotra Empire, की टॉप फ़्लोर पर एक शख्स खड़ा था। उसने अपने शहर को ऐसे देखा, जैसे कोई बादशाह अपनी सल्तनत को देखता हो। उसके पीछे कांच की दीवारें थीं, सामने चमकती लाइट्स थीं, और उसके हाथ में एक ग्लास था—whiskey हल्के-हल्के हिल रही थी, पर उसके चेहरे पर एक भी लहर नहीं थी। आर्यन मल्होत्रा—नाम ही काफी था। एक ऐसा नाम जो बिज़नेस वर्ल्ड की टॉप लिस्ट में आता था। एक ऐसा चेहरा जो हर अखबार के फ्रंट पेज पर छपता था। लेकिन उसकी असली कहानी? वो सिर्फ़ कुछ गिने-चुने लोग जानते थे… और वो सब या तो उसकी टीम में थे, या ज़मीन के नीचे। "Shipment कहाँ पहुँचा?" उसकी आवाज़ साइलेंस तोड़ते हुए कमरे में गूंजती थी। "Boss, Dubai से माल रवाना हो गया है। पर FBI की नज़र तेज़ है।" फ़ोन के दूसरे छोर से जवाब आया। आर्यन की आँखों में कोई डर नहीं झलकता था। सिर्फ़ एक ठंडी मुस्कान। "तेज़ है… तो टूटेगा भी जल्दी।" उसी वक़्त, एक सुनसान बिल्डिंग की छत पर, एक शख्स कैमरा सेट कर रहा था। दूर से आर्यन की मूवमेंट्स रिकॉर्ड हो रही थीं। "Target in visual. Malhotra is in the building," उसने अपने वायरलेस में कहा। "Maintain the distance, Agent 47. हमें सबूत चाहिए, अंदाज़ा नहीं।" एक फ़ीमेल वॉइस ने जवाब दिया। FBI की टीम पिछले चार महीने से आर्यन पर नज़र रख रही थी। डील्स, बिज़नेस ट्रांजेक्शन्स, अंडरवर्ल्ड कनेक्शन—सब कुछ एक फ़ाइल में जमा किया जा रहा था। लेकिन वो चालाक था। उसका हर क़दम ऐसा था, जैसे शतरंज का मास्टर हो… और सामने वाला सिर्फ़ प्यादा। दूसरी तरफ़, रंग-बिरंगे बैलून, कैंटीन की आवाज़ें, और कॉलेज के गलियारे थे… वहाँ एक लड़की अपने दोस्तों के साथ हँस रही थी। उसकी हँसी में ऐसी मासूमियत थी, जैसे ज़िंदगी ने अभी उसे छुआ तक न हो। सिया वर्मा—सोशल वर्क की स्टूडेंट, दिल से सीधी-सादी और दुनिया की चालाकियों से दूर। "अरे सिया! तूने आज फिर अपनी चप्पल उल्टी पहन ली!" एक दोस्त ने चिढ़ाया। "कम से कम पहन तो ली! तुम लोग तो आज लेट ही हो!" सिया हँसते हुए बोली। उसकी आँखों में कुछ अलग था—न सपने बहुत बड़े थे, न ख्वाहिशें भारी। बस छोटी-छोटी चीज़ों में वो खुश रहना जानती थी। उसे क्या पता था… कि उसकी सीधी-सादी दुनिया जल्द ही टकराने वाली है एक ऐसे तूफ़ान से… जो उसकी ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगा। रात को, आर्यन अपनी गाड़ी में बैठकर किसी सीक्रेट लोकेशन की ओर निकला। उसके बॉडीगार्ड्स पीछे-पीछे थे। FBI की टीम भी तैयार थी—एक छोटी सी गलती, और रेड की योजना थी। लेकिन आर्यन को सब पता था। उसकी दुनिया में कोई उसकी मर्ज़ी के बिना साँस तक नहीं ले सकता था। उसने अचानक अपनी गाड़ी रोक दी। पीछे खड़ी surveillance वैन में बैठे एजेंट चौंक गए। "Why did he stop? Did he sense us?" "Maintain silence… don’t move…" आर्यन उतरा, पीछे मुड़ा, और अपनी ठंडी आँखों से अंधेरे में देखा। मानो अंधेरे से भी बातें कर लेता हो। उसकी आवाज़ धीमी लेकिन तेज़ थी, "अगर पीछा करोगे… तो खेल खत्म कर दूँगा।" अगली सुबह, सिया कैंटीन की खिड़की के पास बैठी थी, हाथ में कॉफ़ी और सामने खुली हुई डायरी। वो कुछ लिख रही थी—अपनी ही दुनिया में गुम। शब्द उसके दिल से निकलकर पन्नों पर उतर रहे थे—बिल्कुल वैसे ही जैसे वो महसूस करती थी, बेझिझक, सच्चे। "कभी-कभी लगता है, ज़िंदगी एक शांत समुंदर है… लेकिन कब उसमें कोई तूफ़ान आ जाए, पता ही नहीं चलता।" वहीं दूसरी तरफ़—उसी शहर के किसी दूसरे कोने में, आर्यन मल्होत्रा एक ब्लैक SUV में बैठा अगली डील की तैयारी कर रहा था। "उसके बारे में पता लगाओ," उसने अपने आदमी से कहा। "किसके बारे में, सर?" आर्यन की नज़रों में अजीब सी बेचैनी थी। "जिसका नाम अभी नहीं जानता… लेकिन जिसकी झलक उस रात दिखी थी। कुछ था उसकी आँखों में… शांति… जो मेरी दुनिया में नहीं है।" उसके मुँह से ये बात निकलते ही वो खुद भी थोड़ी देर के लिए चुप हो गया। शहर के दो कोनों में बैठे दो लोग… जिनका मिलना अभी बाकी है, लेकिन उनकी किस्मतें एक ही धागे से बँध चुकी हैं। सिया की उंगलियाँ कॉफ़ी कप के किनारे घूम रही थीं, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था। डायरी के पन्ने पर पेन चलते-चलते रुक गया। उसने खिड़की से बाहर झाँका—हल्की सी हवा चल रही थी, और आसमान पर बादल तैर रहे थे। "किसके ख्यालों में खोई है, मैडम?" उसके बगल में बैठी तृप्ति बोली। सिया हल्का मुस्कुराई, "बस यूँ ही… कल रात एक सपना देखा। किसी अनजान शहर में थी… और कोई पीछे-पीछे आ रहा था। पर चेहरा साफ़ नहीं दिखा।" "उफ्फ… अब तो तुम भी फिल्मी होने लगी हो!" तृप्ति ने उसकी डायरी छीन ली, "क्या लिखा है इसमें? फिर से कोई शायरी?" सिया ने हाथ बढ़ाया, "दे ना… सब कुछ नहीं लिखा जाता, कुछ चीज़ें बस महसूस की जाती हैं।" तृप्ति ने उसे देखा, फिर डायरी वापस दे दी। "तू पागल है सिया… पर प्यारी भी।" दूसरी ओर, आर्यन मल्होत्रा अपने प्राइवेट ऑफ़िस में बैठा CCTV फ़ीड्स देख रहा था—पूरे शहर में उसके अपने कैमरे लगे थे। हर गली, हर मोड़, हर चेहरा। पर आज उसकी आँखें एक अनजाने चेहरे की तलाश में थीं—उस लड़की की, जिसे उसने एक शाम बाज़ार में देखा था। वो बस दो सेकंड की झलक थी… भीड़ के बीच से गुजरती एक मासूम सी मुस्कान। लेकिन आर्यन की आँखों में वो मुस्कान अब तक जिंदा थी। "सर, आज रात डी-क्लास लोकेशन पर मीटिंग है," उसका राइट हैंड मैन बोला। आर्यन ने बिना उसकी तरफ़ देखे कहा, "गाड़ी तैयार रखो। और उस लड़की को ढूँढो। उसका नाम, कॉलेज, बैकग्राउंड—सब चाहिए। कुछ ऐसा है… जो समझ नहीं आ रहा।" "क्या आप उसे पहचानते हैं?" "नहीं…" आर्यन की आँखें स्क्रीन पर टिकी रहीं, "पर शायद मेरी किस्मत उसे पहचानती है।" शाम के समय, सिया और उसकी क्लासमेट्स ने एक NGO विज़िट की प्लानिंग की थी। बच्चों के साथ समय बिताना, उनकी लाइफ़ स्टोरीज़ सुनना—यही उसका सुकून था। NGO की इमारत के बाहर हल्की हलचल थी। सिया आज कुछ बच्चों से मिलने आई थी, जिन्हें वो पिछले हफ़्ते से कहानी सुनाने का वादा कर चुकी थी। वो भीतर गई, बच्चों से मिली और उन्हें लेकर बैठ गई—सब बच्चे गोल घेरा बनाकर बैठ गए और सिया ने अपनी वही जादुई आवाज़ में कहानी शुरू की। उसके शब्दों में ऐसा जादू था कि बच्चे भी खो से गए। वहीं दूसरी ओर… शहर के उसी इलाके में, आर्यन मल्होत्रा की कार धीरे-धीरे निकली। वो NGO की बिल्डिंग के सामने से गुज़रा, एक हल्की सी झलक पड़ी—बच्चों की हँसी, एक लड़की की आवाज़, और बहुत सारी सादगी। कार के अंदर बैठे-बैठे उसने एक नज़र उस इमारत पर डाली, लेकिन ज़्यादा देर नहीं रुका। वो उस मंज़िल से बस गुज़रा, ठहरा नहीं। "ये इलाका तुम्हारे टाइप का नहीं है, सर," ड्राइवर ने बोला। आर्यन ने सिर्फ़ इतना कहा, "कभी-कभी सुकून की तलाश में इंसान ऐसे ही रास्तों से गुज़रता है, जहाँ वो कभी नहीं रुकता।" NGO के अंदर सिया बच्चों को कहानी सुना रही थी: "और तब राजकुमारी को नहीं पता था कि उसके राज्य की सीमा के बाहर एक तूफ़ान धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रहा है… मगर वो तूफ़ान क्या था, ये उसे अभी पता नहीं था।" रात के वक़्त, आर्यन अपने ऑफ़िस की बालकनी में खड़ा था, सिगार जलाते हुए। उसके दिमाग़ में ना आज की डील थी, ना FBI की फ़ाइलें। बस एक पल—जो यूँ ही सड़क से गुज़रते वक़्त आया था… और चला गया। लेकिन किसी की आवाज़, किसी की हँसी—कहीं दिल को छू गई थी।
रात का सन्नाटा था… और एक खामोश इमारत।
चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था, पर एक कमरे में लाइट जल रही थी। उस कमरे के अंदर कुछ लोग लैपटॉप्स के सामने बैठे थे। फाइलें खुली हुई थीं, और दीवार पर आर्यन मल्होत्रा की तस्वीर टंगी थी।
FBI — इंडिया डिविज़न, स्पेशल सीक्रेट ऑपरेशन रूम।
“His name is everywhere — business, ports, digital imports, even Dubai connections. But we don’t have solid proof.”
एक महिला एजेंट बोली, “His public face is clean. Rich, powerful, and ‘legally’ successful. लेकिन असली खेल उसके परदे के पीछे है। हमें चाहिए एक चूक… एक ऐसा कनेक्शन, जो इस सब को एक्सपोज़ कर दे।”
हैड एजेंट राघव ने सामने रखी फाइल उठाई।
"Code name: A.M. — The Ghost of the East."
“हम उसके पीछे के हर शेड को एक्सप्लोर करेंगे। और इस बार वो नहीं बचेगा।” उनकी आँखों में जुनून था… और एक ऐसी आग, जो बरसों की हार से जली हुई थी।
आर्यन के हवेली जैसे बंगले में, रात के दो बज चुके थे, पर नींद आर्यन से कोसों दूर थी। वो अपनी स्टडी में बैठा था, सामने एक पुरानी फोटो रखी हुई थी। फोटो में एक बच्चा अपनी माँ के साथ मुस्कुरा रहा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो फिर से पुराने दिनों को याद कर रहा है।
“माँ, तुम होती तो शायद मैं ये इंसान ना बनता…” वो बुदबुदाया।
आर्यन मल्होत्रा की कहानी सिर्फ माफिया की नहीं थी। वो एक ऐसे बच्चे की कहानी थी जिसे बचपन में सिस्टम ने छीन लिया था। उसकी माँ को झूठे केस में फँसाया गया था, बाप ने आत्महत्या कर ली थी, और 14 साल की उम्र में उसने अपना नाम और शहर दोनों छोड़ दिए थे। डर के वजह से नहीं, अपने परिवार के साथ हुए अन्याय का बदला लेने के लिए।
अब उसे सिर्फ दो चीज़ों पर यकीन था: पैसा और पावर। और वो दोनों उसने क़ायनात से छीनकर लिए थे।
उसी वक्त फोन बजा।
“Boss, हमारे Dubai वाले shipment में दिक्कत आई है। FBI ने मुंबई पोर्ट के एक एजेंट को ट्रैक किया है।”
आर्यन ने ठंडे लहजे में कहा, “Handle it. कोई भी गलती नहीं होना चाहिए और कोई चीज नहीं छूटनी चाहिए।”
ये बोलकर उसने फोन काट दिया और व्हिस्की पीते हुए आर्यन ने अपनी गर्दन पर हाथ रब किया। ऐसा लग रहा था कि वो अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है।
अगली सुबह, सिया एक और नए दिन के साथ तैयार थी। वो कॉलेज के लिए रेडी हो चुकी थी। उसने ब्रेकफास्ट किया और कॉलेज के लिए निकल गई।
उसका मन थोड़ा सा उलझा हुआ था। पिछली रात वो सपना फिर आया था। वही धुंधली छाया, वही साँसों की आवाज़।
क्लास में बैठी सिया अपने सपनों के बारे में सोच रही थी। हर बार की तरह इस बार भी उसे रियल वाली फीलिंग आ रही थी, मानो ये उसके साथ सच में हुआ हो।
“तू बहुत deep सोचने लगी है आजकल,” तृप्ति ने कहा।
सिया मुस्कुराई, “पता नहीं यार क्या हो रहा है। ऐसे क्यों हो रहा है, शायद कोई कहानी बनने को तैयार।”
तृप्ति बोली, “तुम और तुम्हारी बातें मुझे समझ नहीं आतीं।”
सिया अपनी बैग उठाते हुए बोली, “मुझे समझना किसी की बस की बात नहीं है। पहेलियों की पहेली हूँ, सबके समझ से बाहर हूँ। कब क्या कर दूँ, किसी को नहीं पता।”
“अब इसका क्या मतलब है?” तृप्ति ने अपनी आँखें रोल करते हुए पूछा।
सिया बोली, “तुम खुद ही सोच लो। वैसे मैं लाइब्रेरी जा रही हूँ। अगर कुछ काम हो तो वही आ जाना ठीक है।”
ये बोलकर वो चली गई।
कॉलेज में उसका दिन अच्छा बीता। लाइब्रेरी में उसने एक नई किताब पढ़ना शुरू किया, “Shadows and Secrets” और उसमें लिखी एक लाइन उसके ज़ेहन में गूँजती रही:
“सच्चाई सबसे खतरनाक होती है, जब वो मोहब्बत के पीछे छुपी हो।”
दूसरी ओर, FBI अब आर्यन के स्कूल टाइम फ्रेंड्स तक पहुँच चुकी थी। एक पुराना दोस्त मिला, जिसे बचपन में ही आर्यन ने छोड़ दिया था।
पूर्वी, जो FBI officer है, ने आर्यन के दोस्त से पूछा, “आर्यन मल्होत्रा… मैंने सुना है तुम आर्यन मल्होत्रा के सबसे अच्छे दोस्त हो।”
अतुल, जो आर्यन का दोस्त था, ने उल्टे सवाल करते हुए बोला, “सॉरी, आप कौन? मैंने पहचाना नहीं।”
पूर्वी ने अपनी ID कार्ड दिखाते हुए बोली, “FBI officer पूर्वी। मुझे आर्यन मल्होत्रा के बारे में जानना है।”
अतुल पूर्वी को देख बोला, “कुछ हुआ है क्या? आर्यन ने कुछ किया है क्या?”
पूर्वी अपनी आँखों से घूरती हुई बोली, “जितना पूछा गया है, उसका जवाब दो। आर्यन बचपन से कैसा था? तुम उसके दोस्त हो, तो उसे अच्छी तरह जानते होगे।”
अतुल ने ज़्यादा बोलना ठीक नहीं समझा और सब बताने लगा। “उसकी आँखों में बचपन से ही कुछ अलग था, वो रोता नहीं था… बदला लेता था। और जब उसकी माँ जेल गई, तो उसकी आँखें पूरी तरह बदल गईं। उसे देखकर ऐसे लगता था जैसे वो अभी सामने वाले को मार डाले। स्कूल में, कॉलेज में, सब बच्चे उसे चिढ़ाने लगे थे। इन सब से वो सबसे ज़्यादा चिढ़ने लगा था, पर अचानक वो एक दिन गायब हो गया। मैंने उसे बहुत ढूंढने की कोशिश की, हमारे दोस्त उसे ढूंढते रहे, पर वो मिला नहीं।”
अतुल आर्यन का सबसे अच्छा दोस्त था। वो आर्यन के बारे में बताने लगा। पूर्वी अतुल की बातें रिकॉर्ड की और सारी डिटेल्स लेकर चली गई।
अब FBI को यकीन हो चुका था कि आर्यन सिर्फ माफिया नहीं है, वो emotionally dead इंसान है… लेकिन अगर उसकी ज़िंदगी में कोई इमोशनल लिंक हो, तो वहीं से उसकी कमजोरी बनेगी। और वो इमोशनल लिंक धीरे-धीरे बन रही थी: सिया।
अभी तक अनजानी… अनदेखी… पर किस्मत की डोर से बंधी हुई।
रात को, सिया छत पर बैठी थी, डायरी में एक नई कविता लिख रही थी,
“उसकी आँखों में एक तूफ़ान है,
पर वो छुपा है… जैसे रात की चुप्पी में कोई साया।
मैं नहीं जानती कौन है वो,
पर मेरे ख्वाब उसे रोज़ बुलाते हैं।”
और उस छत से बहुत दूर, एक और छत पर आर्यन खड़ा था। शहर की रोशनी उसके सामने बिछी हुई थी, लेकिन उसका मन किसी अंधेरे को देख रहा था।
“ये सुकून मुझे क्यों बेचैन करता है? ये उस लड़की की वजह से हो रहा है, कौन है वो?” उसने खुद से पूछा।
सिया की कलम धीरे-धीरे थम रही थी, लेकिन दिल की बेचैनी और भी तेज़ होती जा रही थी। हर रोज़ वो एक ही सपना देख रही थी… एक परछाई, जो उसे पुकारती है… लेकिन चेहरा कभी साफ़ नहीं होता।
सिया तृप्ति को कॉल करके बोली,
“ये क्या है तृप्ति? क्यों लगता है जैसे कुछ होने वाला है?” सिया ने पूछा।
तृप्ति मुस्कुराई, “तू बस फालतू सोचती है। तू अपनी novels की दुनिया में खोई रहती है, इसलिए तुझे ऐसा लग रहा है। तू बस नोवेल पढ़ना बंद कर, चल अब सो जा।”
“हाँ…” सिया ने बेमन से कहा, लेकिन उसका दिल अब भी उस अनदेखे अजनबी की तलाश में था, जो बस सपनों तक सीमित था।
दूसरी ओर… आर्यन। वो अपने कमरे में दाखिल हुआ। सामने पुरानी CCTV फुटेज चल रही थीं — Dubai port, Delhi deals, और कुछ लोग जिनके चेहरे बार-बार blur हो जाते थे।
“Zayan, who the hell leaked that file?” उसने गुस्से से पूछा।
ज़ायन, उसका सबसे वफादार और dangerous आदमी, तुरंत उसके सामने झुका।
“Boss, हमें शक है किसी ने अंदर से info दी है। शायद कोई नया नाम है जो FBI को लीड कर रहा है।”
आर्यन की आँखों में आग थी। “उसे ज़िंदा मत छोड़ना…”
सुबह, सिया NGO पहुँची। वहाँ के बच्चों के चेहरों पर हँसी थी, और वो मुस्कुरा पड़ी।
“दीदी, आज आप कहानी सुनाओ!” एक बच्चा बोला।
सिया ने बच्चों को एक छोटी-सी कहानी सुनाई, लेकिन फिर वो खुद खो गई अपनी बातों में…
“कभी-कभी हम जिस रास्ते पर चल रहे होते हैं, हमें लगता है वो सीधा है… लेकिन अचानक कोई मोड़ आता है जो हमारी पूरी ज़िंदगी बदल देता है। कभी ये मोड़ हमें किसी से मिलवाता है… और कभी किसी को हमसे छीन लेता है।”
सभी बच्चे चुप हो गए थे, और सिया के चेहरे पर एक अजीब-सी उदासी छा गई थी। एक बच्चे ने उसके पास जाकर उसे हग कर लिया। तब जाकर सिया को होश आया और वो उस बच्चे को देख बोली, “क्या हुआ बच्चे?” तो उस बच्चे ने बोला, “कुछ नहीं दीदी। मुझे लगा कि आप बहुत उदास हो, इसलिए मैंने आपको हग कर लिया।”
सिया बस मुस्कुरा दी और बच्चों को कहानी सुनाने लगी।
उसी दिन शाम को — FBI एजेंट्स। अब FBI ने सिया की NGO को under observation रखा था क्योंकि उन्हें शक था कि शायद माफिया कोई social front का इस्तेमाल कर रहा है। क्योंकि FBI के एक जासूस ने FBI वालों को ये बताया था कि आर्यन हर बार जब भी shipment होता है, आर्यन इसी रास्ते से जाता है। और जब उस एरिया के फुटेज को FBI वालों ने ट्रैक किया, तो उन्हें doubt होने लगा था कि यहाँ कुछ तो गड़बड़ है।
वहाँ आस-पास FBI के लोग थे। राघव बोला, “We’ll keep an eye on everyone. Aryan Malhotra का कोई न कोई आदमी तो है जो… अगर उसे पकड़ लिया, तो उसके खिलाफ एक स्ट्रॉन्ग सबूत मिल जाएगा हमें।”
सबने राघव का कमांड फॉलो किया।
रात, आर्यन की स्टडी में एक पुरानी file खुली हुई थी, एक orphanage की। नाम था — Samar Children Home और उसी orphanage की लिस्ट में एक नाम आर्यन की नज़र में अटक गया…
"Siya Sharma – Age: 6 (Adopted)"
उसकी आँखें चौड़ी हो गईं।
“Siya…?”
उसने तुरंत कंप्यूटर पर उसकी डिटेल्स सर्च कीं। सामने आई एक फोटो। सिया की हाल की तस्वीर। उसके चेहरे पर अजीब-सी खामोशी थी। “ये लड़की… ये इतनी मासूम… क्यों इसके नाम पर फाइल में ब्लैक मार्क है?” उसने खुद से पूछा। वो बस तस्वीर को देखे जा रहा था, पर उसे वो लड़की जैसे नहीं दिखी जो उसने उस दिन रात को देखी थी।
इधर सिया, वो अपनी खिड़की के पास बैठी थी, चाँद को देखती हुई। उसकी आँखें भारी थीं, लेकिन नींद नहीं आ रही थी।
“जिससे कभी मिले ही नहीं… उसका इंतज़ार कैसा होता है?” उसने खुद से पूछा… और फिर वही सपना आया। पर इस बार… वो परछाई एक कदम और पास आई।
उसी वक़्त आर्यन… उसने अपने एक आदमी को कॉल किया, “मुझे उस orphanage की पूरी जानकारी चाहिए। और इस लड़की की भी: Siya Sharma. सब कुछ।”
ज़ायन बोला, “Why her, boss?”
आर्यन की आवाज़ धीमी थी… “मैंने जो कहा है, बस वो करो। ज़्यादा सवाल-जवाब मत करो। मैं तुम्हारा बॉस हूँ, तुम नहीं।”
"ज़िन्दगी में कुछ सच, खौफ़ के अन्धेरे में ही छुपे होते हैं..."
रात के दो बजे थे। आर्यन स्टडी रूम में काम कर रहा था। तभी उसे कॉल आया। उसने कॉल उठाते हुए सर्द आवाज़ में बोला, "अगर कुछ काम है तो बोलो, वरना अगर मेरे दिमाग खाने के लिए कॉल किए हो तो फ़ोन रखो।"
दूसरी तरफ़ से उसका दोस्त बोला, "तुम हर बार इतने रूड होकर बात क्यों करते हो? मेरे पास भी फ़ालतू टाइम नहीं है। मैं तो बस ये बताने के लिए कॉल किया था कि FBI के कुछ लोग तुम्हारी पूरी डिटेल्स निकाल रहे हैं। वो अतुल से तुम्हारे बारे में पूछताछ कर रहे थे।"
आर्यन जो अपनी कंप्यूटर पर काम कर रहा था, अचानक उसकी उंगलियाँ रुक गईं। उसने कहा, "अतुल कहाँ है? अभी पता लगाओ।"
दूसरी तरफ़ से अर्जुन बोला, "ठीक है, पर उस गद्दार का भी पता लग गया है जो हमारी चीज़ों को किसी और को बेच रहा था, और उस आदमी का भी पता लग गया है।"
"ठीक है, मैं आ रहा हूँ।" यह बोलकर आर्यन कॉल रख दिया।
FBI का सीक्रेट ऑपरेशन रूम। (मुंबई से कुछ किलोमीटर दूर एक पुराना गोदाम, जिसे अंदर से हाई-टेक ऑफ़िस में बदला गया है।)
एक हल्की नीली रोशनी वाले कमरे में, बड़े-बड़े मॉनिटर्स पर डेटा फ़्लो हो रहा था। हर जगह स्क्रीन पर बस एक ही नाम चमक रहा था—आर्यन मल्होत्रा।
आर्य, FBI एजेंट, अपनी टीम के साथ एक बड़े टेबल के चारों ओर बैठा था। एक ऐसी टीम जिसे सीक्रेटली काम करने के लिए तैयार किया गया था, जिसे लीड कर रहा था एक FBI का नया हेड ऑफ़िसर, जो फ़िलहाल अभी किसी के सामने नहीं आया था। उसकी पहचान इतने सीक्रेटली रखी गई थी कि कोई उस तक पहुँच नहीं सकता था। सबके सामने आर्यन की फ़ाइल खुली थी। आर्य बोला,
"ये आदमी जितना साफ़ दिखता है, उतना है नहीं। उसके नेटवर्क में कुछ तो गड़बड़ चल रहा है... और हमें उसके 'ब्लैक मनी रूट' और उसके इलीगल काम तक पहुँचना ही होगा।"
एक फ़ीमेल एजेंट बोली,
"सर, आर्यन के पास एक सीक्रेट लोकेशन है जहाँ हाई-लेवल मीटिंग्स होती हैं। लेकिन कोई भी उस जगह तक नहीं पहुँच पाया है। उस लोकेशन के बारे में किसी को नहीं पता। अगर किसी को पता चल भी गया, तो वो अगले दिन का सूरज नहीं देख पाया।"
आर्य ने कहा,
"तो अब हमें उसके नेटवर्क में घुसना होगा... ये केस सिर्फ़ एक बिज़नेस की आड़ में चल रही है। असली बिज़नेस तो एक अलग क्राइम एम्पायर बनाना है, ये एक ग्लोबल ख़तरा बन चुका है।"
टीम में सब गंभीर हो गए। तभी स्क्रीन पर आर्यन का लाइव लोकेशन दिखने लगा।
आर्य मुस्कराया,
"अब शिकार खुद अपने जाल में फँसता चला जाएगा।"
शहर की सड़कों पर सन्नाटा था, लेकिन मल्होत्रा हवेली के आस-पास हद से ज़्यादा सुरक्षा थी। हर कोने पर गन लिए बॉडीगार्ड्स तैनात थे। और उसी सन्नाटे को चीरता हुआ एक काला SUV बाहर निकला।
SUV के अंदर...
गाड़ी की पिछली सीट पर बैठा शख्स चुप था, मगर उसकी आँखों में गुस्से की आग साफ़ झलक रही थी। वो कोई और नहीं, आर्यन मल्होत्रा था।
"बॉस, फ़ैक्ट्री की पूरी तैयारी हो चुकी है।"
ड्राइवर ने धीमे से कहा।
आर्यन (ठंडी आवाज़ में): "आज रात उसे मिटा देना है। मुझे मेरे रास्ते में आने वाले लोग पसंद नहीं..."
गाड़ी एक पुरानी फ़ैक्ट्री की तरफ़ मुड़ी।
दूसरी ओर, FBI की टीम अपनी पोज़िशन ले चुकी थी। आर्य राघव को ऑर्डर देता है,
"राघव, आर्यन अपनी मेंशन से निकल चुका है। उसको फ़ॉलो करो। उसे पता नहीं चलना चाहिए। पिछली बार की गलती इस बार नहीं होनी चाहिए।"
राघव बोला,
"इस बार कोई गलती नहीं होगी।"
थोड़ी देर बाद आर्यन फ़ैक्ट्री पहुँच चुका था। पीछे-पीछे राघव और उसकी टीम भी थी।
राघव (अपने वॉकी पर): "टारगेट फ़ैक्ट्री में घुस चुका है। ऑपरेशन शुरू करो। सब लोग फैल जाओ।"
इसी वक़्त दूसरी ओर, शहर के दूसरे कोने पर, अपने कमरे में सो रही सिया अचानक उसका फ़ोन बजा।
सिया (नींद में): "उफ़्फ़, कौन है ये रात के इस टाइम... हेलो?"
दूसरी तरफ़ से आवाज़: "सिया बेटा, तेरे अंकल की तबीयत बहुत ख़राब है, तुरंत घर आ जा।"
सिया घबरा गई। बिना ज़्यादा सोचे, वो उठी, अपनी हूडी पहनी और स्कूटी लेकर निकल पड़ी।
सिया (स्कूटी चलाते हुए): "भगवान जी! अंकल को कुछ मत करना... मैं आ रही हूँ।"
फ़ैक्ट्री के अंदर... आर्यन अपनी टीम के साथ अंदर दाखिल हो चुका था।
आर्यन (गद्दार को देखकर): "तू मुझे धोखा देगा, लेकिन इतना सस्ता निकलेगा ये नहीं सोचा था।"
गद्दार (डरते हुए): "मुझे मत मारो आर्यन... मैं... मैं सब वापस कर दूँगा।"
आर्यन (ठंडी मुस्कान के साथ): "अब कुछ वापस लेने का वक़्त नहीं बचा।"
जैसे ही आर्यन ने अपनी गन निकाली, अचानक फ़ायरिंग शुरू हो गई।
राघव (चिल्लाते हुए): "रुक जाओ आर्यन! ऐसी भूल बिल्कुल भी मत करना।"
आर्यन (गुस्से में): "फिर आ गया तू, राघव। इस बार बचकर नहीं जाएगा।"
दोनों के बीच गोलियों की बारिश होने लगी। राघव आर्यन को मारते हुए बोला,
"बहुत हो गया तेरा खेल। खुद को हमारे हवाले कर दे।"
आर्यन एक ख़तरनाक हँसी के साथ राघव को ज़ोरदार धक्का देकर दूर करता है और राघव का गला पकड़कर बोला,
"इतनी भी जल्दी क्या है एजेंट राघव? अभी तो खेल शुरू हुआ है। इस खेल के छोटे-छोटे, बड़े-बड़े खिलाड़ियों का सामने आना बाकी है। तब तक ये खेल ऐसे ही चलता रहेगा।"
यह बोलकर आर्यन राघव को दूसरी तरफ़ फेंक देता है। और आर्यन के आदमी वहाँ ब्लास्ट करके निकल जाते हैं।
और बाहर... सिया उसी रास्ते से गुज़र रही थी, जहाँ फ़ैक्ट्री थी। अचानक एक तेज़ धमाके की आवाज़ हुई, और सामने से एक काला SUV निकलता दिखा।
सिया (हैरान होकर): "ये क्या था? यहाँ तो सब कुछ जल रहा है..."
सिया पेड़ के पीछे छुप गई और जाते हुए SUV को देख रही थी। सभी गाड़ी के जाने के बाद वो फ़ैक्ट्री के अंदर गई और देखती है तो सब कुछ जल चुका था। कुछ लाशें पड़ी हुई थीं। जिसे देखकर उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। वो तुरंत वहाँ से भाग निकली, पर जाते-जाते उसके हाथ में एक चीज़ लगी थी जिसे वो अपने साथ ले गई।
FBI ऑपरेशन टीम बेस पर वापस लौट चुकी थी। राघव और बाकी टीम घायल थे, तो उन्हें बेस के हॉस्पिटल रूम में रखा गया था। सभी लोग एक बड़े स्क्रीन की तरफ़ देख रहे थे, जहाँ एक घड़ी लगातार समय गिन रही थी। सन्नाटा था। सबकी निगाहें एक ही चीज़ पर टिकी थीं।
आर्य (धीरे से): "बस अब आने वाला है..."
एक एजेंट: "तय वक़्त पर कॉल आएगा... पहली बार वो खुद बात करेगा।"
दूसरा एजेंट (काफ़ी गंभीर): "FBI का नया चीफ़ हेड है जिसने अभी तक अपना चेहरा तक नहीं दिखाया। सिर्फ़ उसकी आवाज़, उसके फ़ैसले और अब वो खुद इस मिशन को लीड कर रहा है।"
आर्य बोला,
"Aryan Malhotra का खेल अब ख़त्म होगा, अगर उसका प्लान काम कर गया।"
दूसरी ओर, सिया अपने अंकल के घर पहुँच चुकी थी। दरवाज़ा खुला था। अंदर माहौल थोड़ा अजीब सा लग रहा था।
सिया बोली,
"अरे आंटी! इतनी रात को भी दरवाज़ा खोलकर रखते हो?"
आंटी (बदले हुए चेहरे के साथ): "हाँ बेटा... तू आने वाली थी न इसलिए..."
सिया कुछ और बोलती, उससे पहले ही कमरे का दरवाज़ा लॉक हो गया। अंकल पीछे से आए और बोले,
"अब तुझे वही ले जाएगा जिसे बेचना है... जो दाम लगाया है, उसके लिए तू ही काफ़ी है। अब तुझे हमसे कौन बचाएगा।"
सिया हैरानी से चीखते हुए बोली,
"क्या? ये आप क्या बोल रहे हैं अंकल? आपने मुझे बेचने का सोचा? आप मेरे मम्मी-पापा जैसे थे!"
आंटी मुस्कुराकर बोली,
"पैसे सब कुछ होते हैं बेटा... और अब तेरा काम है हमारी कीमत चुकाना!"
सिया जैसे-तैसे एक फूलदान से उन्हें मारती है और दरवाज़ा खोलकर भाग निकलती है। भागते हुए उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, उसकी आँखों में आँसू थे और डर होना चाहिए था, पर नहीं, उसके चेहरे पर गुस्सा भरा हुआ था। पता नहीं क्यों, पर वो अब पहली वाली सिया नहीं लग रही थी।
सिया (भागते हुए): "अब किसी पर भरोसा नहीं कर सकती... मुझे खुद को बचाना होगा इन लोगों से।"
FBI रूम के सीक्रेट बेस, स्क्रीन ब्लिंक करती है... कॉल आ चुका है। सभी एजेंट्स खड़े हो जाते हैं। स्क्रीन पर बस एक आवाज़ आती है, ठंडी, सख़्त और पूरी टीम को झकझोर देने वाली।
रहस्यमयी आवाज़: "एक काम दिया गया था तुम सबको, पर वो भी तुमसे नहीं हुआ। अब जैसे-जैसे मैं कहूँगा, वैसे ही होगा। मैंने एक नया प्लान बनाया है और मेरे प्लान के अकॉर्डिंग तुम सब काम करोगे।"
सभी एक-दूसरे की तरफ़ हैरानी से देखते हैं। कौन है ये इंसान, जिसकी एक आवाज़ से FBI जैसी एजेंसी भी खड़ी हो जाती है?
कॉल काट होने के बाद, स्क्रीन पर लिखा था: "इस खेल में, नकाब सिर्फ़ आर्यन पर नहीं... कई चेहरों पर है।"
सब ये पढ़कर एक-दूसरे को देखते हैं। आर्य बोला, "अब इसका क्या मतलब है? और भी लोग हैं क्या?" यह बोलकर वो कन्फ़्यूज्ड लुक देता है।
एक सुनसान सी दिखने वाली पुरानी इमारत… दरवाजे के पीछे एक गुप्त रास्ता। आर्यन ने फिंगरप्रिंट स्कैन किया और जैसे ही दरवाज़ा खुला, एक हाई-टेक बेसमेंट सामने आया।
हर तरफ़ मॉनिटर, मैप्स, शिपमेंट ट्रैकिंग सिस्टम और हथियारों से भरे लॉकर थे। कुछ भरोसेमंद लोग आर्यन का इंतज़ार कर रहे थे।
आर्यन (गंभीर आवाज़ में)
"अब एक भी चूक नहीं होनी चाहिए। FBI हमारी हर हरकत पर नज़र रख रही है। शिपमेंट अब पुराने रास्तों से नहीं, अंडरग्राउंड टनल से जाएगा। हर एक सेकंड की कीमत होगी। समझे सब?"
वह एक बड़ा मैप निकाला, रास्ता समझाया, और हर एक आदमी को अलग-अलग ज़िम्मेदारी दी। सभी लोग गंभीरता से उसकी बातें सुन रहे थे।
आर्यन
"अगर कोई भी बाहर की दुनिया को ज़रा सा भी इशारा दे, तो समझ लो वो आख़िरी बार सांस ले रहा होगा। अब से हम हर कदम सोच-समझकर उठाएँगे।"
ये वो लोग थे जो हर शिपमेंट को देश-विदेश में ट्रांसपोर्ट करते थे। शिपमेंट कहाँ जाएगी, किस रास्ते से जाएगी, ये आर्यन के कहने पर ये लोग करते थे। आर्यन माफिया वर्ल्ड का बादशाह था। कुछ गिने-चुने लोगों को ही पता था कि आर्यन अपनी कंपनी के साथ-साथ अपनी माफिया वर्ल्ड भी चलाता है।
अर्जुन राय आर्यन का सबसे अच्छा दोस्त था, जो हमेशा से आर्यन का सपोर्ट करता था। यहाँ तक कि जब आर्यन छोटा था, उसके सिचुएशन ठीक नहीं थे, तो अर्जुन ने ही आर्यन की मदद की थी, उसे संभाला था।
सब कुछ सॉर्ट करने के बाद आर्यन अपने रूम में गया। उसने अपनी सीक्रेट बेस पर भी अपने लिए रूम बनवाया था। रूम में जाने के बाद उसने अर्जुन से कहा, "पता लगाओ कि फैक्ट्री के आस-पास जो इंसान था, उसका कुछ पता चला या नहीं और हाँ, Zayan को कहो कि मुझे उस लड़की के बारे में सारी डिटेल्स चाहिए, जितनी जल्दी हो सके।"
अर्जुन आर्यन के सामने आते हुए हैरानी से बोला, "क्या? फैक्ट्री के आस-पास कोई था? पर मैंने तो नहीं देखा। तुम्हें कोई गलतफहमी हो रही है। वहाँ कोई नहीं था।"
ये बोल कर अर्जुन वहीं पड़े सोफे पर बैठ गया। तभी उसे आर्यन की एक सर्द आवाज आई, "अर्जुन।" अर्जुन, जो आराम से सोफे पर बैठे हुए जूस पी रहा था, वो आर्यन की आवाज सुनकर जल्दी से उठा और बोला, "जा रहा हूँ, जा रहा हूँ। हर बार अपनी आवाज से डराना ज़रूरी है क्या?" ये बोलकर वो पैर पटक कर वहाँ से चला गया।
आर्यन जल्दी से फ्रेश होकर वहाँ से चला गया। क्यों? वो ज़्यादा देर यहाँ नहीं रुक सकता था क्योंकि उसे पता था कि FBI वाले उसके पीछे हाथ धोकर पड़े हैं और अगर उनको इस जगह के बारे में पता चला, तो वो इस जगह तक पहुँच जाएँगे।
जहाँ एक ओर आर्यन अपने अंधेरे और खतरों से भरे खेल को और गहरा बना रहा था… वहीं दूसरी ओर एक पहाड़ी की चोटी पर, सिया अपने टूटे हुए अतीत से दोबारा जुड़ने की कोशिश कर रही थी।
भीड़-भाड़ वाली दुनिया से सबसे दूर, एक पहाड़ी इलाके में सबसे ऊपर एक घर था। वहाँ बस एक ही घर था। आस-पास हरियाली छाँई हुई थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई वहाँ उन फूलों का ख्याल रखता हो।
बारिश की हल्की फुहारें पड़ रही थीं। सिया धीरे-धीरे उस तरफ़ बढ़ रही थी और बहुत जल्द वह पहुँच भी गई। सामने एक पुराना घर था, जो न जाने कब से या कितने सालों से बंद पड़ा था… उसका बचपन का आशियाना।
पुराने घर के दरवाज़े की कुंडी को पकड़ते हुए उसके हाथ काँप रहे थे… एक अजीब सी सिहरन सी हो रही थी। डर की नहीं, यादों की।
उसके सामने हर वो चीज़ सामने आ रही थी जो उसके अतीत में बीती थी: अपनी मम्मी-पापा के साथ हँसी-खुशी की यादें, उनकी मौत का दृश्य, सब कुछ। वह धीरे-धीरे दरवाज़ा खोलती है। हर चीज़ धूल और मकड़ी के जालों से रहना चाहिए था, पर ऐसा नहीं था। घर एकदम साफ़ था, मानो वहाँ कोई रहता हो।
खामोशी में लिपटी हुई माहौल में, उसका चेहरा थका हुआ और उदासी से भरा हुआ था।
वह खुद से बोली, "यहाँ सब साफ़ कैसे है? यहाँ कोई रहता है क्या?" ये बोलकर वह चारों तरफ़ अपनी नज़र दौड़ाती है। फिर वह धीरे-धीरे एक कमरे में जाती है। उस कमरे में एक टेबल पर कुछ पुरानी तस्वीरें रखी हैं और कुछ दीवारों पर टंगी हैं। वो भी बिलकुल साफ़।
वह एक तस्वीर उठाती है जिसमें सिया अपने मम्मी-पापा के साथ मुस्कुरा रही है। उसके चेहरे पर दर्द साफ़ झलकता है।
सिया (धीरे-धीरे बोलते हुए, आँखों में नमी)
"जब समझ ना आए कि कहाँ जाना है… तो इंसान वहीं लौटता है जहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था…"
"आई मिस यू मम्मी पापा। आप क्यों मुझे छोड़कर चले गए?"
वह एक पुराना टेडी बियर उठाती है, जो उसकी माँ ने उसे तोहफ़े में दिया था। उसे सीने से लगाती है।
वह कोने में बैठ जाती है, चुपचाप… आँसू नहीं रोक पाती, कोई आवाज़ नहीं आती। एकदम शांत। बस एक टूटे दिल की खामोशी पूरे कमरे में फैल जाती है।
वह जमीन पर लेटकर टेडी को पकड़कर कब सो जाती है, उसे पता ही नहीं चलता।
दोनों की किस्मत धीरे-धीरे एक-दूसरे को पास तो ला रही थी, पर उसी के साथ उनके अतीत भी आ रहे थे। क्या वो दोनों अपने अतीत से लड़ पाएँगे?
दुबई की एक बड़ी सी इमारत के सामने तेज़ रफ्तार से एक ब्लैक कार रुकी। दरवाज़ा खुलते ही एक आदमी बाहर निकला: काला कोट, नुकीली आँखें, चाल में घमंड… वो था कबीर खान। आर्यन का सबसे बड़ा कंपटीटर।
वह सीधा उस इमारत के अंदर गया और एक डार्क रूम में गया। वहाँ कंप्यूटर स्क्रीन पर आर्यन की तस्वीरें, उसका शेड्यूल, शिपमेंट का प्लान और बेसमेंट की हल्की सी झलक थी।
कबीर मुस्कुराया।
कबीर
"आर्यन मल्होत्रा… तू समझता क्या है खुद को? बादशाह? अंडरवर्ल्ड का बादशाह? My foot! अब तू देख कैसे तुझे मैं चुन-चुन कर बदला लेता हूँ।"
वह जेब से एक छोटा सा ट्रैकिंग डिवाइस निकाला और एक नक्शा खोला। नक्शे पर आर्यन की हर मूवमेंट मार्क की हुई थी।
तभी उसके सामने स्क्रीन पर एक विडियो कॉल आई। बस एक परछाईँ नज़र आई, चेहरा नहीं दिखा। आवाज़ भारी और रहस्यमयी थी।
रहस्यमयी आवाज़
"कबीर, मुझे आर्यन के सारे अपडेट्स चाहिए, एक भी चूक नहीं होनी चाहिए। वो बहुत चालाक है। हमें किसी भी तरह से उसे शक नहीं होने देना है।"
कबीर
"सब कंट्रोल में है। जल्द ही वो हमारे हाथों में होगा।"
रहस्यमयी आवाज़
"आर्यन को लगता है वो चालें चल रहा है… लेकिन असली खेल हम खेल रहे हैं। अब देखता हूँ कब तक बचता है।" ये बोलकर वह एक सैतानी हँसी हँसा और कॉल काट दिया।
कबीर खिड़की से बाहर देखता है, मुट्ठी भींचते हुए।
कबीर (धीरे से)
"तेरा हर राज अब मेरे पास है आर्यन, तेरा वो हर चीज तुझसे छीन लूँगा, तुझसे हर वो चीज छीन लूँगा जो तेरी कीमती चीज है, हर वो चीज।" ये बोलकर वह जोर से हँसा, पागलों की तरह।
आर्यन के मेंशन के सामने चार-पाँच गाड़ियाँ आकर रुकीं। गाड़ियों से आर्यन सिया को बाहर निकाला और खींचते हुए मेंशन के अंदर ले गया। आर्यन के मेंशन में काम करने वाले सभी नौकर एक लड़की को आर्यन के साथ देखकर चौंक गए। सब नौकर कानाफूसी करने लगे।
एक नौकर बोला, "ये क्या देख रहा हूँ? बॉस के घर में एक लड़की!"
दूसरे ने बोला, "वो भी इतनी खूबसूरत!"
पहले वाले नौकर ने कहा, "धीरे से बोल! अगर बॉस ने सुन लिया तो हमें मारने में एक सेकंड नहीं लगाएगा।"
एक बूढ़ी औरत, जो आर्यन का बचपन से ख्याल रख रही थी, बोली, "पर ये बच्ची तो आर्यन बाबा से बहुत छोटी लग रही है।"
वह बूढ़ी औरत कुछ सोचकर बोली, "मुझे उन्हें बताना चाहिए या नहीं? अगर नहीं बताया तो वो मुझे नहीं छोड़ेंगे। अगर बता दिया तो आर्यन बाबा मुझे नहीं छोड़ेंगे। क्या करूँ?"
यह बोलकर वह आखिरकार किसी को कॉल करती है। दूसरी तरफ से कॉल पिक होता है।
"हैलो, शांति बोलो, क्या खबर है?"
शांति जी बोलीं, "आपको हमेशा पता चल जाता है कि मैं किस लिए कॉल करती हूँ।"
उधर से आवाज आई, "हाँ, मुझे सब पता चल जाता है, क्योंकि मैं बहुत सालों से हूँ और तुम्हें अच्छे से जानती हूँ।"
शांति जी इधर-उधर देखकर बोलीं, "बड़ी मालकिन, मैं जो बात बताऊँगी ना, आप उसे सुनकर बेहोश हो जाएँगी।"
यह बात सुनकर बड़ी मालकिन देविका मल्होत्रा, जो आर्यन की दादी हैं, बोलीं, "ऐसा क्या बात पता चली है तुम्हें, जिसे सुनकर मैं बेहोश हो जाऊँगी? चलो, बताओ।"
शांति जी बोलीं, "अरे बड़ी मालकिन, आपको यकीन नहीं होगा, आज आर्यन बाबा एक लड़की को घर ले आए हैं और वो लड़की को देखकर लगता है वो आर्यन बाबा से बहुत छोटी है।"
देविका दादी चौंकते हुए बोलीं, "क्या? ये क्या कह रही हो तुम शांति? कहीं तुम्हें धोखा तो नहीं हुआ है ना?"
शांति जी अपना माथा पीटते हुए बोलीं, "मुझे कोई धोखा नहीं हुआ है। अगर यकीन नहीं हो रहा है तो बाकी सब से पूछ लीजिए।"
देविका जी कुछ सोचते हुए बोलीं, "इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मैं वहीं आ रही हूँ।"
यह बोलकर उन्होंने कॉल काट दिया।
शांति जी चौंककर बोलीं, "क्या?"
वह आगे कुछ बोलती, उससे पहले ही कॉल कट चुका था। वह खुद से बड़बड़ाती हुई बोली, "अब हो गई मेरी छुट्टी! आज ही आने की क्या ज़रूरत थी? दो-तीन दिन बाद आ जाते।"
यह बोलकर वह अपना माथा पीट लेती है। पास खड़े एक नौकर ने आकर बोला, "शांति काकी, आपको बॉस स्टडी रूम में बुला रहे हैं।"
शांति जी बोलीं, "क्यों बुला रहे हैं?"
नौकर ने अपना कंधा उचकाते हुए बोला, "पता नहीं।"
यह बोलकर वह अपने काम पर चला गया।
शांति जी आर्यन के स्टडी रूम में चली गईं। आर्यन उन्हें सख्त ऑर्डर देते हुए बोला, "शांति काकी, सबसे कह दीजिए कि गेस्ट रूम का दरवाज़ा कोई भी नहीं खोलेगा। इसलिए मेरे परमिशन के बगैर कोई भी उस कमरे के आस-पास नहीं जाएगा। और हाँ, अगर उसे कुछ भी ज़रूरत हो तो उसे दे दीजिएगा।"
शांति जी बोलीं, "ठीक है आर्यन बाबा, पर क्या... क्या वो आपकी गर्लफ्रेंड है?"
यह शांति जी ने घबराते हुए पूछा था। आर्यन, जो लैपटॉप पर काम कर रहा था, अचानक रुक गया और शांति जी को देखा। शांति जी डर गईं और बोलने लगीं, "सॉरी आर्यन बाबा, मुझे ये बोलना नहीं चाहिए था।"
यह बोलकर वह चुप हो गई।
आर्यन बोला, "नहीं, वो मेरी गर्लफ्रेंड नहीं। अभी आप जा सकती हैं।"
मल्होत्रा विला में, देविका दादी एक बड़े से सूटकेस में अपने सारे कपड़े पैक करवा रही थीं। अरमान मल्होत्रा, जो आर्यन का छोटा भाई है, बोला, "पर दादी, मैं आपके साथ क्यों नहीं चल सकता? मैं जाऊँगा तो हम दोनों साथ में भैया को मनाएँगे।"
दादी अरमान को मनाते हुए बोलीं, "मैंने कहा ना, तुम अभी मेरे साथ नहीं जा सकते।"
अरमान जिद करते हुए बोला, "पर क्यों दादी?"
देविका दादी बोलीं, "अगर तुम मेरे साथ वहाँ चलोगे तो तुम्हारे चालक भाई को हम दोनों के ऊपर शक हो जाएगा और वो हमें भगा देगा। इसलिए मैं नहीं चाहती कि मेरा प्लान फेल हो।"
दूसरी तरफ, मून कैफे में पूर्वी आर्य को मैसेज करती है, "'आर्य, यहां बहुत अजीब हुआ।'" यह बोलकर वह उसे मैसेज करती है और सब बताती है। आर्य पूर्वी का मैसेज पढ़कर शॉक हो जाता है और सोच में पड़ जाता है।
आर्य बाकी टीम मेंबर्स को भी बताता है और सबको ऑर्डर देता है कि आर्यन का जितना भी जानकारी निकाल सकते हो, निकालो। सब अपने काम पर लग जाते हैं। आर्य बड़े से स्क्रीन को घूरकर देख रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि पूर्वी ने जो बताया वो सच है या आर्यन कोई खेल खेल रहा है।
आर्यन के मेंशन में, देविका जी एकदम से दरवाज़े से अंदर आती हैं, जिसे देखकर सब शॉक रह जाते हैं और एक-दूसरे को देखते हैं। शांति जी अनजाने में मुस्कुराकर बोलीं, "अरे बड़ी मालकिन, आप!"
यह बोलकर वो उनके पास जा ही रही थीं कि आर्यन की एक सर्द आवाज़ आती है, "आप मेरे घर पर क्या कर रही हैं?"
इसे सुनकर सब डर जाते हैं और अपने काम करने लगते हैं। देविका दादी भी डरी हुई थीं। वो जल्दबाजी में यहाँ आ तो गईं, पर उन्हें अब समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें, आर्यन से क्या बोलें। वो अपना डर छुपाकर बोलीं, "हाँ, तो क्या हुआ? मैं यहाँ नहीं आ सकती क्या? अब मेरा पोता मुझसे मिलने नहीं आता तो मुझे ही उससे मिलने आना पड़ता है।"
यह बोलकर वो सोफे पर बैठ जाती हैं और शांति जी को ऑर्डर देते हुए बोलीं, "और तुम शांति, जाओ जाकर मेरे बैग्स मेरे कमरे में रखवा दो।"
इसे सुनकर आर्यन बोला, "आप यहाँ नहीं रह सकतीं।"
देविका दादी चौंकते हुए बोलीं, "क्यों नहीं रह सकती? क्या मेरे यहाँ रहने से तुम्हें प्रॉब्लम हो रही है?"
आर्यन बोला, "नहीं, मेरा यह कहने का मतलब नहीं था।"
देविका दादी सोफे से उठते हुए बोलीं, "तुम्हारा यही मतलब है। तुम नहीं चाहते कि तुम्हारी दादी तुम्हारे साथ ना रहे। तो ठीक, यही सही, जा रही हूँ मैं तुम्हारे घर से। एक तो तुम कभी अपने दर्शन नहीं देते, मिलने आते हो तो बस 5 मिनट के लिए, कभी थोड़ी देर बैठकर हमारा हालचाल पूछा है तुमने? नहीं! बस तुम्हें अपना काम दिखता है और कुछ नहीं। जा रही हूँ मैं! और हाँ, अगली बार से मेरे घर आने की भी कोई ज़रूरत नहीं है तुम्हें, समझे?"
यह बोलकर वो वहाँ से जाने लगीं। तभी आर्यन जल्दी से देविका दादी के आगे आया और उन्हें गले लगाकर बोला, "मेरा मतलब वो नहीं था दादी। मैं कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूँ और आप यहाँ बोर हो जाएँगी, इसलिए मैं मना कर रहा था।"
दादी बोलीं, "मैं अकेली कहाँ हूँ? शांति और बाकी सब हैं ना मेरे साथ।"
आर्यन हर मानते हुए शांति जी को देविका दादी के बैग्स को उनके कमरे में ले जाने को कह दिया, क्योंकि वो जानता था उसकी दादी के आगे उसकी बात नहीं चलने वाली। आर्यन देविका दादी के कमरे में जा रहा था क्योंकि उसे पता था सिया, जिसको आर्यन ने रूम में लाते ही बेहोश कर दिया था, वो कभी भी होश में आ सकती है। और वही हुआ जो उसने सोचा था। तभी उन्हें सिया की चिल्लाने की आवाज़ आई, जिसे सुन वो चौंक गई और आर्यन की तरफ़ देखने लगी। आर्यन गेस्ट रूम के दरवाज़े को घूरने लगा।
क्या होगा आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए "THE SECRET BRIDE OF A MAFIA"