कहानी है सनम और अभिमन्यु की सनम को उसके अपने ही मौत के घाट उतार देते हैं सनम का rebirth होता है नोबेल में क्या इस जन्म में भी सनम होगी साजिश का शिकार या सनम के अपने उसे बचा लेगे अभिमन्यु है एक हार्टलेस शैतान एक दिन उसकी नजर पढ़ती है सनम पर और... कहानी है सनम और अभिमन्यु की सनम को उसके अपने ही मौत के घाट उतार देते हैं सनम का rebirth होता है नोबेल में क्या इस जन्म में भी सनम होगी साजिश का शिकार या सनम के अपने उसे बचा लेगे अभिमन्यु है एक हार्टलेस शैतान एक दिन उसकी नजर पढ़ती है सनम पर और उसे हो जाता है सनम से प्यार अभिमन्यु के जूननी इश्क की और सनम के बदले की क्या सनम होगी अभिमन्यु के पिंजरे में कैद या अभिमन्यु और सनम लिखेंगे मोहब्बत की दास्तान किसका इश्क होगा पूरा और किसका होगा अधूरा क्या सनम ले पाएगी अपनी मौत का बदला.....
Abhimanyu/ Sanam
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मुंबई को माया नगरी के नाम से जाना जाता है। एक बार जो मुंबई में आया, वह हमेशा के लिए इस माया नगरी का होकर रह गया। लेकिन हर किसी को अपना मुकम्मल जहां नहीं मिला; किसी को जमीन तो किसी को आसमान नहीं मिला। ऐसी ही एक कहानी है सनम और अभिमन्यु की, जहाँ सनम एक मासूम, चंचल लड़की थी, तो वहीं अभिमन्यु एक हार्टलेस बिज़नेसमैन था, जिसके लिए उसका बिज़नेस ही उसकी पूजा और उसका खानदान उसका सब कुछ था। अभिमन्यु खून और खानदान को बहुत मानता था; उसके लिए खून और खानदान बहुत मायने रखते थे।
कैसे होगा अभिमन्यु और सनम का मिलन? जहाँ एक घमंड में डूबा था, वहीं दूसरी जमीन से जुड़ी हुई थी। क्या ये दोनों एक-दूसरे के हो पाएँगे? क्या एक-दूसरे को अपना पाएँगे? या उनकी मोहब्बत हमेशा के लिए अधूरी रह जाएगी...?
एक सेवन स्टार होटल में शादी की सारी तैयारियाँ हो चुकी थीं। दुल्हन मंडप पर दूल्हे के आने का इंतज़ार कर रही थी, लेकिन अभी तक दूल्हे का कुछ पता नहीं था। तभी अचानक वहाँ पर किसी की बहुत तेज आवाज़ सुनाई दी। "यह शादी नहीं हो सकती!" सब लोग उस तरफ़ देखते हैं, तो वहाँ से ब्लैकबेरी के सूट पहने एक आदमी, अपने रौब और घमंड से, चला आ रहा था।
वह लड़का मंडप में आकर खड़ा हो जाता है और चारों तरफ़ अपनी कुटिल निगाहों से देखने लगता है। मंडप में बैठी दुल्हन, अपने सामने खड़े लड़के को देखकर, आँखों में नमी लिए खड़ी होती है और उसका हाथ पकड़कर कहती है, "सुमित, तुम बारात लेकर क्यों नहीं आए? और तुम इस तरह यहाँ क्या कर रहे हो?" तभी जो लड़का अभी आया था, वह सुमित था, जिससे आज सनम की शादी होने वाली थी।
सुमित सनम का हाथ झटक देता है और इसी के साथ सनम दो कदम पीछे हट जाती है। तभी सुमित जोर-जोर से हँसने लगता है और सनम का चेहरा अपने हाथ में कसकर पकड़कर कहता है, "तूने मुझे थप्पड़ मारा था ना, पूरे कॉलेज के सामने मेरी बेइज़्ज़ती की थी! उसी बेइज़्ज़ती का बदला है यह! जब तू मंडप में बैठी है, और मंडप में छोड़ी हुई औरत को कोई मर्द नहीं अपनाता, इसीलिए मैंने तेरे साथ यह प्यार का खेल खेला।"
"सनम, आज तुझे ऐसी हालत में देखकर ना मेरे दिल को बहुत सुकून मिल रहा है, मेरी आत्मा को शांति मिल रही है। मैं तेरी वही बेइज़्ज़ती करना चाहता था जो तूने पूरे कॉलेज के सामने मेरी की थी। इसीलिए तेरी नज़रों में अच्छा बनने के लिए मैंने अपने दोस्त के ऊपर सारा इल्ज़ाम डाल दिया, और वह प्लान मेरी दोस्ती के लिए काम भी गया। और फिर शुरू हुआ हमारे बदले का प्रोग्राम, और इस बदले में तेरी इज़्ज़त, तेरा परिवार, तेरा खानदान, सब कुछ बर्बाद हो गया, और तू एक मंडप में छोड़ी हुई लड़की बन गई।"
सुमित चाहत को एक झटके में खुद से दूर करता है और कहता है, "जानती है, मेरा इन सब में साथ किसने दिया?" सुमित दरवाज़े की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाकर कहता है, "इधर आ जाओ, बीवी! तुम भी तो मिलो मेरी छोड़ी हुई इस लड़की से।" तभी एक लड़की, लाल रंग की साड़ी पहने, माँग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र लिए, सनम के आगे आकर खड़ी हो जाती है। सनम उस लड़की को देखकर अपने मुँह पर हाथ रख लेती है और चार कदम पीछे हट जाती है। वह पूरी तरह से लड़खड़ा गई थी, और वहाँ खड़े सारे मेहमान तमाशा देख रहे थे। सनम के मुँह से लफ़्ज़ नहीं निकल रहे थे; उसकी आँखों की नमी और उसकी आँखों से बहता हुआ समुद्र इस बात की गवाही दे रहे थे कि उसे धोखा देने वाले उसके अपने ही थे।
सनम आगे जाकर उस लड़की का हाथ पकड़कर कहती है, "क्यों किया तूने, निधि? तू तो मेरी बेस्ट फ़्रेंड थी ना! मैं अपनी हर बात तुझसे शेयर करती थी ना, और तूने ही मुझे इतना बड़ा धोखा दे दिया! सुमित तो पराया था, अभी 6 महीने पहले ही मेरी ज़िन्दगी में आया था, लेकिन तू तो बचपन से मेरे साथ थी ना! हर सुख-दुःख में एक-दूसरे की भागीदार थीं हम, तो फिर कैसे तूने मुझे धोखा दे दिया, निधि?" निधि सनम का हाथ झटक देती है और कहती है, "प्यार करती हूँ मैं सुमित से, और वह मुझसे करता था। तो तेरे लिए कैसे छोड़ देता उसे? और फिर तू तो अकेली थी, तेरे आगे-पीछे कोई नहीं था। अगर तुम मर भी जाएगी ना, तो किसी को ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ेगा, लेकिन मेरा परिवार है। मैं अपने परिवार को तेरे लिए क्यों छोड़ दूँ?"
"मेरी माँ बचपन से मुझसे कहती आई थी कि तू एक मनहूस है, जिसकी ज़िन्दगी में जो जाती है, उसकी ज़िन्दगी का सर्वनाश कर देती है। लेकिन तूने मुझे मेरा प्यार छीनने की कोशिश की, तूने मेरे सुमित को बहकाने की कोशिश की, और तुझे लगता है कि मैं तुझे माफ़ कर दूँगी? ऐसा तो कभी नहीं हो सकता!" यह कहकर निधि एक जोर का तमाचा सनम के गाल पर मार देती है। सनम का चेहरा एक तरफ़ झुक जाता है, वहीं सुमित के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कराहट थी। उसने दो बेस्ट फ़्रेंड्स को एक-दूसरे का दुश्मन बना दिया था।
सुमित और निधि सनम की बहुत बेइज़्ज़ती करते हैं। अब तो सनम के कानों में किसी की आवाज़ ही नहीं जा रही थी। वह मंडप से धीरे-धीरे चलते हुए नीचे आ जाती है और होटल से बाहर निकल जाती है। बहते आँसुओं से भरी उसकी खामोश आँखें उसकी बदहाली का बयान कर रही थीं। सनम को समझ ही नहीं आ रहा था कि वह कहाँ जाए, क्या करे, क्या ना करे; कुछ भी नहीं था उसके पास; ना परिवार, ना प्यार, ना दोस्त; बिल्कुल अकेली थी वह इस दुनिया में। सनम को कभी भी अपने अनाथ होने पर अफ़सोस नहीं हुआ था, लेकिन आज उसे अफ़सोस हो रहा था। अगर उसका परिवार होता, उसके अपने होते, तो कोई सुमित, कोई निधि उसे धोखा नहीं दे पाता, कोई उसे बेइज़्ज़त नहीं कर पाता।
सनम पागलों की तरह रोड पर चल रही थी। उसे इस बात का होश भी नहीं था कि वह चलते-चलते रोड के बीच में आ गई है। तभी एक तेज रफ़्तार से आई गाड़ी सनम को टक्कर मार देती है, और सनम उछलकर बहुत दूर रोड पर जाकर गिरती है, और उसके सर से खून बहने लगता है, जो पूरे रोड पर फैल चुका था। सनम इस दुनिया को अलविदा कह चुकी थी।
एक आलीशान कमरे में एक लड़की सोफ़े पर सोई हुई थी। उसके लम्बे बाल सोफ़े पर बिखरे हुए थे; उसकी आँखों के नीचे आँसुओं के निशान थे, और उसके होंठ काँप रहे थे। धीरे-धीरे उस लड़की की आँखें खुलने लगती हैं, और वह जैसे ही अपने आस-पास देखती है, वह अपने आस-पास का माहौल देखकर एकदम से घबराकर बैठ जाती है, और अपने मन में सोचती है, "क्या मैं बच गई? या किसी ने मुझे बचा लिया? लेकिन मेरी ज़िन्दगी में तो ऐसा कोई नहीं था जो मुझे बचाए या मेरे लिए कुछ भी करे।"
वह लड़की उठकर कमरे के चारों तरफ़ देखती है, लेकिन उसे वहाँ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी उसकी नज़र सामने की दीवार पर लगी एक बहुत खूबसूरत पेंटिंग पर जाती है। उसे पेंटिंग को देखकर, और उस पेंटिंग में मौजूद लड़की की खूबसूरती को देखकर, वह लड़की मंत्रमुग्ध हो जाती है, और उस पर अपना हाथ फेरकर कहती है, "इस दुनिया में इतनी खूबसूरत लड़की कोई हो सकती है?" फिर वह अपना सर झटककर आस-पास देखती है, तो चारों तरफ़ उसे उस लड़की की तस्वीरें दिखाई देती हैं। यह देखकर उस लड़की के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है, लेकिन वह गेट खोलने की कोशिश करती है, तो गेट बाहर से लॉक था।
वह लड़की अपने मन में सोचती है, "सनम, यह तुम कहाँ गई? कुछ समझ नहीं आ रहा, कहाँ फँस गई मैं?" तभी उसे वॉशरूम दिखाई देता है। अब वह वॉशरूम में चली जाती है। जैसे ही वह वॉश बेसिन पर पानी लेकर अपने चेहरे पर लगाती है, उसकी आँखें हैरानी से चौड़ी हो जाती हैं, क्योंकि यह उसका चेहरा नहीं था। वह अपने चेहरे को बार-बार छूने की कोशिश करती है, और बार-बार खुद को यकीन दिलाने की कोशिश करती है कि यह उसका चेहरा नहीं है। जैसे-जैसे वह अपने चेहरे पर हाथ फेर रही थी, वैसे-वैसे आईने में उसका अक्स दिखाई दे रहा था। यह देखकर सनम हैरानी से वहीं जमीन पर बैठ जाती है और कहती है, "यह मेरे साथ क्या हो रहा है? कुछ समझ नहीं आ रहा।"
क्या यही अंत है सनम की मोहब्बत का? या कहानी अभी बाकी थी? क्या कभी सनम को मिलेगी उसकी सच्ची मोहब्बत? क्या कभी मिलेगा सनम को अपनों का प्यार और अपनों का साथ? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में।
सनम उठकर खड़ी हुई और कमरे में चारों तरफ कुछ ढूँढने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसे कुछ भी दिखाई नहीं दिया। तभी उसकी नज़र वहाँ पड़े फ़ोन पर गई। उसने दो फ़ोन उठाकर देखे, लेकिन ये उसका फ़ोन नहीं थे। सनम सोफ़े पर बैठ गई और सोचने लगी कि क्या उसका चेहरा खराब हो गया था? अगर हाँ, तो किसने उसका चेहरा बदलवाया था? वह किसके घर में थी? उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी उसे कमरे का गेट धीरे से खुलता हुआ दिखाई दिया और एक लड़का अंदर आया। उसे लड़का देखकर सनम उठकर खड़ी हो गई।
वह लड़का सनम के सामने आकर खड़ा हो गया और बोला, "कैसी है मेरी गुड़िया?" सनम हैरानी से इस लड़के को देख रही थी, जैसे वह अपनी पूरी ज़िंदगी में कभी नहीं मिला हो। और वह सनम से इतने प्यार से बात कर रहा था! यह देखकर सनम की आँखें नम हो गईं। वह लड़का जल्दी से सनम के पास आया और उसे अपने सीने से लगाकर बोला, "क्या हुआ मेरी गुड़िया को? मेरी गुड़िया क्यों रो रही है? किसी ने कुछ कहा मेरी बच्ची से?" वह लड़की रोते हुए उसे लड़के से गले लग गई। उसे इस लड़के के पास बहुत सांत्वना और अपनापन महसूस हो रहा था। इसीलिए सनम खुद को रोक नहीं पाई और उसके सीने से लगकर जोर-जोर से रोने लगी।
थोड़ी देर बाद वहाँ दो और लड़के आ गए और उसे लड़की को रोता हुआ देखा। वह दोनों लड़के घबराने लगे। सनम को समझ नहीं आ रहा था कि ये लोग कौन हैं। तभी उनमें से एक लड़के ने सनम के सर पर हाथ रखकर कहा, "क्या हुआ सनम? क्यों रो रही हो, बेटा?" वहीँ सनम ने उस लड़के के मुँह से अपना नाम सुनकर हैरान हो गई, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। तभी वह लड़का सनम से बोला, "अच्छा, चलो जल्दी से तैयार हो जाओ। उसके बाद ब्रेकफ़ास्ट करते हैं, ठीक है? उसके बाद हम सात्विक से बात करेंगे। वह हमारी बहन के साथ ऐसे कैसे कर सकता है?"
जब सनम को कुछ समझ नहीं आया, तो वह वाशरूम में जाकर नहा-धोकर तैयार होकर बाहर आई। आज सबको सनम का व्यवहार अजीब लग रहा था, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों है। क्या सात्विक ने जो व्यवहार सनम के साथ किया था, उससे वह इतनी दुखी हो गई थी कि वह किसी से बात ही नहीं करना चाहती थी? यही सोचते हुए तीनों सनम के पीछे आ रहे थे। अचानक सनम का पल्लू उसकी ड्रेस में फँस गया और वह सीढ़ियों से लड़खड़ाते हुए नीचे आने लगी। सनम को गिरता देख वह तीनों लड़के जोर से चिल्लाए और नीचे की तरफ भागने लगे। वहीं डाइनिंग टेबल पर बैठा पूरा परिवार एक झटके में उठकर सनम के पास आ गया, लेकिन सनम तब तक बेहोश हो चुकी थी।
उन तीनों में से एक लड़का जल्दी से सनम को अपनी बाहों में उठाकर अस्पताल की तरफ भागने लगा, और उसे बाहर की तरफ भागते देख बाकी सभी उसके पीछे-पीछे चले गए। आधे घंटे बाद सब लोग अस्पताल में थे। सनम को एडमिट कर लिया गया था और उसका इलाज चल रहा था। सनम का इलाज करने के बाद डॉक्टर पूरी मल्होत्रा फैमिली के पास आये और बोले, "देखिए मिस्टर मल्होत्रा, आपकी बेटी के सर में चोट बहुत गहरी लगी है। अब उनके होश में आने के बाद पता चलेगा। मुझे पूरे चांस लग रहे हैं कि आपकी बेटी की मेमोरी लॉस हो सकती है।" जैसे ही सब लोगों ने यह सुना, सब सकते में आ गए, लेकिन कोई कुछ नहीं कर सकता था।
सुबह से शाम हो गई थी, लेकिन सनम को होश नहीं आया था। वहीं पूरा परिवार परेशान होकर यहाँ-वहाँ चक्कर काट रहा था। शाम के करीब बैठा उसका एक भाई उसके सर पर हाथ रखे हुए था। धीरे-धीरे सनम की आँख खुली। उसने चारों तरफ हैरानी से देखा। जैसे ही वह लड़का सनम के सर पर हाथ रखकर बोला, "अब कैसी है मेरी गुड़िया?" सनम ने अजीब तरीके से उस लड़के को देखकर कहा, "मैं आपको नहीं जानती। आप कौन हैं?" वह लड़का यह सुनते ही सनम के सर से अपना हाथ हटा लिया और हैरानी से सनम के चेहरे को देखने लगा। सनम ने उस लड़के को देखकर कहा, "देखिए, मैं आपको नहीं जानती और यह सब क्या हो रहा है? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।" वह लड़का चुपचाप सनम की सारी बातें सुनता रहा, फिर कमरे से बाहर चला गया।
पूरा परिवार उस लड़के की तरफ देख रहा था। तभी एक बुजुर्ग आदमी उस लड़के के सामने खड़ा हो गया और बोला, "समीर, बताया क्या हुआ है हमारी गुड़िया को?" समीर मल्होत्रा, मल्होत्रा खानदान का बड़ा बेटा और सनम का सबसे बड़ा भाई, अपने दादाजी जयवर्धन मल्होत्रा की तरफ देखकर बोला, "हमारी गुड़िया सब कुछ भूल गई है दादाजी। उसे कुछ भी याद नहीं है। उसे अपना भाई याद नहीं है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या हो गया है।" वहीं सब लोग सकते में आ चुके थे। किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या है उनकी बेटी के साथ।
सनम कमरे के अंदर अकेली बैठी थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है उसकी ज़िंदगी के साथ और वह कहाँ है। तभी उसे कमरे में एक सफ़ेद रोशनी दिखाई दी जो उसके आसपास फैलने लगी। सनम बहुत डर गई, लेकिन वह सफ़ेद रोशनी सनम की तरफ़ देखकर बोली, "डरने की ज़रूरत नहीं है। मैं तुम्हारा कन्फ़्यूज़न दूर करने आई हूँ।" जैसे ही सनम ने सफ़ेद रोशनी की बात सुनी, उसने अपने धड़कते दिल के साथ उस रोशनी की तरफ़ देखकर पूछा, "क्या बताने आई हैं आप?" वह रोशनी बोली, "तुम अब अपनी दुनिया में नहीं हो। तुम एक नई दुनिया में आ गई हो। जिस वक़्त तुम्हारी मौत हुई, उस वक़्त इस कहानी के जिस किरदार में तुम थीं, उसकी भी मौत हो गई। लेकिन वह किरदार हीरोइन का नहीं, बल्कि विलेन का था और तुम्हारी सोल उसके अंदर आ गई और उसकी सोल हमेशा के लिए इस दुनिया से आज़ाद हो गई।" जैसे ही सनम ने यह सुना, वह हैरान रह गई। उसने कहा, "लेकिन मुझे कुछ याद नहीं।"
वह सफ़ेद रोशनी उसे और बहुत कुछ बताती है और उसके बाद वहाँ से ग़ायब हो जाती है। अब सनम को समझ आता है कि वह कहाँ है। उसे यह दुनिया अपनी दुनिया जैसी ही लग रही थी, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। इसीलिए वह फैसला करती है कि वह सबके सामने ऐसे दिखाएगी जैसे उसे कुछ भी याद नहीं है, और यह सच भी था। उसे इस सनम के बारे में कुछ भी याद नहीं था। यह सनम कैसी थी, क्या थी, इसका किसके साथ क्या रिश्ता था, यह पूरी तरह से इस सनम को नहीं पता था। और सबसे अच्छी बात यह थी उसके लिए…
अभी कुछ ही पल बीते होंगे कि पूरी मल्होत्रा फैमिली अंदर आ गई। सनम ने उन सबको अजीब तरीके से देखा। सबके दिल में एक चुभन हुई कि उनकी बेटी उन्हें अजनबियों की तरह देख रही है।
तभी दादाजी और दादी मां आगे आये और सनम के सर पर हाथ रखकर बोली, "हमें माफ़ कर दो बेटा, तुम हमारे घर की इकलौती बेटी हो, फिर भी हम तुम्हारा ध्यान नहीं रख पाए।" सनम ने दादा-दादी का हाथ पकड़कर कहा, "पहले ही मुझे कुछ भी याद नहीं है, लेकिन आप सबको देखकर मुझे लगता है जैसे आप सब लोग मुझसे बहुत प्यार करते हैं। तो चलिए ना, एक नई शुरुआत करते हैं, एक नई सनम के साथ। क्योंकि यह सनम एक कोरा कागज़ है। दादी मां, आप इस पूरे कागज़ पर जो भी लिखोगी, जैसा भी लिखोगी, यह सनम वैसे ही बन जाएगी।" सनम की इतनी प्यारी बातें सुनकर पूरा परिवार हैरान रह गया, लेकिन फिर उन्हें याद आया कि सनम अपनी याददाश्त खो चुकी है। एक तरह से यह उनके लिए एक वरदान था, क्योंकि बेटी अब उनके पास थी, वरना कल जो भी हुआ था, उसके बाद ऐसा लग रहा था जैसे उनकी बेटी हमेशा के लिए उनसे दूर हो गई हो। उन्होंने अपनी बेटी को पा लिया था।
आईए जानते हैं मल्होत्रा फैमिली के बारे में।
जयवर्धन मल्होत्रा, मल्होत्रा फैमिली के मुखिया और सनम के दादाजी, और पूरी मल्होत्रा कॉर्पोरेशन के M.D. हैं।
सरिता जयवर्धन मल्होत्रा, सनम की दादी मां और एक हाउसवाइफ हैं। इस घर में वह सबसे ज़्यादा सनम से प्यार करती हैं, क्योंकि सनम 7 पोतों के बाद उनके खानदान में पैदा होने वाली इकलौती बेटी थी।
हर्षवर्धन मल्होत्रा, सनम के पापा और मल्होत्रा एम्पायर के सीईओ थे, लेकिन एक महीने पहले उन्होंने अपनी यह पोस्ट अपने बड़े बेटे समीर मल्होत्रा को दे दी थी और खुद रिटायरमेंट एन्जॉय कर रहे हैं। वह इस दुनिया में सबसे ज़्यादा प्यार अपनी सनम से करते हैं, और सनम की अच्छी-बुरी हर एक बात का ख्याल रखते हैं।
रागिनी हर्षवर्धन मल्होत्रा, सनम की माँ और पेशे से प्रोफ़ेसर हैं। उनकी पूरी दुनिया उनके बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है। वे अपने चारों बच्चों से सबसे ज़्यादा प्यार करती हैं, और उनकी एक कमज़ोरी है, और वह है उनकी बेटी सनम।
समीर मल्होत्रा, सनम का बड़ा भाई और मल्होत्रा एम्पायर के सीईओ हैं। और उनकी एक ही कमज़ोरी है, उनकी बहन सनम।
अर्जुन मल्होत्रा, सनम का दूसरा भाई है और वह सनम से सबसे ज़्यादा प्यार करता है। अगर उसकी बहन को कोई ऊँची आवाज़ में कुछ बोल भी देता है, तो दूसरे दिन का सवेरा वह इंसान नहीं देख पाता।
अक्षय मल्होत्रा, सनम का छोटा भाई है। सनम और अक्षय दोनों ही जुड़वाँ हैं, लेकिन एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। जहाँ अक्षय बिल्कुल शांत रहता है, वहीं सनम तूफ़ान है। लेकिन अक्षय की भी एक ही कमज़ोरी है, और वह है उसकी बहन। वह अपनी बहन के लिए अपनी जान दे भी सकता है और किसी की जान ले भी सकता है।
सात्विक शर्मा, अक्षय का दोस्त और एक मिडिल क्लास फैमिली का बेटा है। एक बार अक्षय सात्विक को अपने घर लाया था, तभी से सनम उस पर फ़िदा हो गई थी। और सात्विक ने 2 दिन पहले अपनी बेस्ट फ़्रेंड कामना से सगाई कर ली थी। उस दिन सनम ने बहुत हंगामा किया था, लेकिन सात्विक ने उसे सबके सामने बहुत नीचा दिखाया। और उसके बाद पूरा मल्होत्रा परिवार सात्विक से अपना सारा रिश्ता ख़त्म करके हमेशा-हमेशा के लिए सनम को लेकर वहाँ से आ गए थे।
सात्विक को हमेशा लगता था कि सनम एक बिगड़ी हुई अमीर लड़की है, जो चाहती है वह पा लेती है। इसीलिए सात्विक ने कामना से सगाई की थी, क्योंकि वह चाहता था कि सनम उसका पीछा छोड़ दे। लेकिन जब सनम वहाँ से रोकर आई, तो सात्विक के दिल में कुछ टूटा सा महसूस हुआ, लेकिन सात्विक ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया।
सनम मल्होत्रा, पूरे मल्होत्रा परिवार की जान थी। अपने फैमिली के साथ-साथ अपने दोस्तों की भी जान थी। लेकिन उसके अंदर ज़िद और घमंड बहुत था, जिसके चलते वह सब की नज़रों में एक बुरी लड़की बन गई थी। वरना वह दिल की बुरी नहीं थी। उसे हमेशा से सबका ध्यान और प्यार पाने की आदत थी, लेकिन जब सात्विक ने उसे रिजेक्ट किया, तो यह चीज़ सनम बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसकी छवि एक बुरी लड़की की बन गई।
सात्विक को हमेशा लगता था कि सनम एक बिगड़ी हुई अमीर लड़की है, जो चाहती है वही करती है। इसीलिए सात्विक ने कामना से सगाई की थी क्योंकि वह चाहता था कि सनम उसका पीछा छोड़ दे। लेकिन जब सनम वहाँ से रोकर आई, तो सात्विक के दिल में कुछ टूटा सा महसूस हुआ। लेकिन सात्विक ने इस बात पर गौर नहीं किया।
सनम मल्होत्रा पूरे मल्होत्रा परिवार की जान थी, अपने परिवार के साथ-साथ अपने दोस्तों की भी। लेकिन उसके अंदर ज़िद और घमंड बहुत था, जिसके चलते वह सबकी नज़रों में एक बुरी लड़की बन गई थी। वरना वह दिल की बुरी नहीं थी। उसे हमेशा से सबका ध्यान और प्यार पाने की आदत थी। लेकिन जब सात्विक ने उसे रिजेक्ट किया, तो यह चीज़ सनम बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसकी छवि एक बुरी लड़की की बन गई।
सनम को इन लोगों का प्यार और अपनापन बहुत अच्छा लग रहा था, इसीलिए वह शांत रही। तभी सनम का भाई आगे आता है और कहता है, "मैं सनम के डिस्चार्ज पेपर रेडी करवा कर लाता हूँ। तब तक शर्म को तैयार कर दीजिए।" दादा-दादी और सनम के माता-पिता हाँ बोल देते हैं। दादा-दादी तो वार्ड से बाहर चले गए थे, और साथ में सनम के पिता भी। लेकिन सनम की माँ अभी भी सनम के पास मौजूद थी और उन्होंने एक ड्रेस देकर कहा, "आप यह ड्रेस चेंज करके आओ।"
रागिनी जी सनम को सहारा देकर वॉशरूम में ले जाती हैं और सनम की ड्रेस चेंज करने में उसकी मदद करती हैं। तब तक घर के बाकी सदस्य भी अस्पताल से जा चुके थे, क्योंकि सबको सनम के स्वागत की तैयारी करनी थी। वहीं अक्षय, अर्जुन और समीर हॉस्पिटल के बाहर अपनी गाड़ी के पास खड़े थे। समीर अक्षय की तरफ देखकर कहता है, "भाई, मैं नहीं चाहता कि सनम को दोबारा सात्विक का चेहरा भी देखने को मिले। आप ऐसा कीजिए कि सात्विक खुद-ब-खुद यह शहर और यह देश छोड़कर चला जाए, क्योंकि मैं अपनी बहन को अब कोई दुख-दर्द नहीं दे सकता।"
अर्जुन, समीर और अक्षय अपनी सारी बातें क्लियर करके वहाँ से अंदर वार्ड की तरफ चले जाते हैं। जैसे ही वे कमरे में पहुँचते हैं, देखते हैं कि सनम पूरी तरह से तैयार थी। समीर आगे बढ़ता है और सनम को अपनी बाहों में उठा लेता है। सनम को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था। पिछली ज़िन्दगी में कभी उसे किसी का प्यार, अपनापन नहीं मिला था, और इस ज़िन्दगी में उसे सब कुछ भर-भर के मिल रहा था, और वह भगवान का शुक्रिया अदा भी कर रही थी। वहीं अक्षय और अर्जुन मुँह बना लेते हैं और वे दोनों ही समीर के पास आकर कहते हैं, "हम सनम को गोदी में उठाने वाले थे। आपने क्यों उठाया? आप उसे नीचे उतारो, हम लेकर जाएँगे।" उन तीनों को बच्चों की तरह लड़ते हुए देखकर हर्षवर्धन जी आगे आते हैं और समीर के हाथों से सनम को अपनी बाहों में उठाकर अस्पताल से बाहर निकल जाते हैं। और तीनों भाई मुँह खोले हर्षवर्धन जी को देखते ही रह गए थे।
समीर गुस्से में अक्षय और अर्जुन को देखकर कहता है, "तुम्हारी वजह से मेरी गुड़िया मुझसे दूर चली गई और पापा को मौका मिल गया हमारी गुड़िया को हमसे दूर करने का।" वे दोनों भी समीर की बात से सहमत हो जाते हैं, क्योंकि घर के सारे पुरुष सनम को लेकर बहुत पॉज़िटिव थे, चाहे दादा-दादी हों, चाहे हर्षवर्धन जी हों, चाहे तीनों भाई। रागिनी जी अपने बेटों की यह खट्टी-मीठी तकरार देखकर मुस्कुरा रही थीं। वरना जब से सात्विक इन सबकी ज़िन्दगी में आया था, उनकी बेटी और उनके बेटे आपस में एक-दूसरे के दुश्मन बन गए थे। और सनम की याददाश्त जाते ही सब कुछ पहले की तरह नॉर्मल हो गया था। वह सात्विक को पूरी तरह से भूल चुकी थी और अब वह कोई ऐसी हरकत नहीं करेगी जिससे उनके परिवार में दरार आए।
थोड़ी ही देर में सब लोग मल्होत्रा मेंशन पहुँच जाते हैं, जिसे फूलों से सजाया हुआ था। सनम हैरानी से उस घर को देख रही थी। फिर उसे अपने पिता की आवाज़ सुनाई देती है, "आओ अंदर।" जैसे ही सनम बाहर कदम रखने वाली होती है, उससे पहले ही हर्षवर्धन जी उसे अपनी बाहों में उठा लेते हैं और घर के अंदर चले जाते हैं। तीनों भाई फिर से हाथ-पांव मारते रह गए थे, क्योंकि हर्षवर्धन जी ने उन्हें मौका ही नहीं दिया था सनम को उठाने का। वहीं रागिनी जी मुस्कुराते हुए अंदर आ रही थीं।
हर्षवर्धन जी जैसे ही सनम को सोफ़े पर बिठाते हैं, तभी कोई अचानक से आकर सनम को अपनी बाहों में उठाकर अपनी गोदी में बिठा जाता है। हर्षवर्धन जी जब सामने देखते हैं, तो अपने छोटे भाई अनुज को देखकर उनका मुँह बन जाता है। क्योंकि हर्षवर्धन जी और अनुज के बीच में हमेशा ही सनम को लेकर झगड़ा रहता था। अनुज अपनी फैमिली के साथ पिछले 2 साल से लंदन में था किसी काम से, और आज सुबह ही वह वापस आया था। वापस आते ही उसे सनम के बारे में सब कुछ पता चल गया था। वह बहुत परेशान थे कि उनके न रहने पर उनकी गुड़िया के साथ इतना सब कुछ हो गया। लेकिन जब उन्हें पता चला कि सनम अपनी याददाश्त खो चुकी है, तो उन्हें एक तरह से दुख भी हुआ और एक तरह से खुशी भी।
अनुज जी के वापस आने से सब लोग बहुत खुश हो जाते हैं। समीर, अक्षय, अर्जुन आगे जाकर अनुज जी के पैर छूते हैं। अनुज जी सनम को अपनी बाहों में उठाकर ही दादा-दादी और हर्षवर्धन, रागिनी जी के पैर छूते हैं। तभी रागिनी जी अनुज जी की तरफ देखकर कहती हैं, "तुम अकेले आए हो? पायल नहीं आई?" तभी किचन से एक मीठी सी आवाज़ आती है, "ऐसा कैसे हो सकता है दीदी? मैं तो अपनी गुड़िया के लिए नाश्ता बना रही थी किचन में।" वहीं रागिनी जी अपनी गर्दन हिला देती हैं, क्योंकि वह जानती थी कि पायल जी और अनुज जी के आने के बाद उन लोगों को बहुत कम ही वक्त मिलने वाला था सनम के साथ।
अर्जुन, अक्षय और समीर अनुज जी के आसपास आकर बैठ जाते हैं और अनुज जी को रिक्वेस्ट भरी नज़रों से देखने लगते हैं। वहीं हर्षवर्धन, रागिनी जी, दादा-दादी अलग सोफ़े पर बैठ गए थे। वहीं पायल जी एक चेज़ लंगोटी करके आगे बैठ जाती हैं और अपने हाथों में पड़े हुए सूप को लेकर धीरे-धीरे सनम को पिलाने लगती हैं। यह देखकर सनम की आँखों में आँसू आ जाते हैं। वहीं सनम की आँखों में आँसू देख पूरा परिवार परेशान हो जाता है और चिंता भरी आवाज़ में सनम से पूछने लगता है कि उसे कहीं दर्द हो रहा है, कुछ हुआ है, डॉक्टर के पास चलें, हॉस्पिटल चलें। सनम अपने आँसू साफ़ करके कहती है, "मुझे कुछ याद तो नहीं, लेकिन आप सब लोगों का प्यार देखकर मुझे लगता है कि मैं बहुत खुशनसीब थी जो मुझे इतना प्यार करने वाला परिवार मिला। मैं तो भगवान से दुआ करूँगी कि अगर मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी कोई गलती की हो या पहले मैं कोई गलत काम करती थी, तो मुझे कभी भी मेरी बातें याद न आएँ।"
सनम की बात सुनकर पूरे परिवार की आँखें नम हो जाती हैं। तभी बाहर से एक बटलर आकर कहता है कि बाहर सात्विक शर्मा आया है अपनी मंगेतर के साथ। सब लोग हैरान रह जाते हैं, लेकिन वे सनम के सामने सात्विक का कोई ज़िक्र नहीं करना चाहते थे, इसीलिए वे उन्हें अंदर आने के लिए बोल देते हैं। अनुज जी सनम को अपने बगल में बिठाकर उसे सूप पिलाने लगते हैं। सात्विक जैसे ही अंदर आता है, उसकी नज़रें सामने सोफ़े पर बैठी सनम पर जाती हैं, जिसके सर में पट्टी बंधी हुई थी और हाथ और पैरों में भी। सात्विक के दिल में एक दर्द होता है, लेकिन वह इस बात को इग्नोर करके समीर से कहता है, "तुमने मेरी कंपनी क्यों बंद करवाई और मेरा घर भी तुमने खरीद लिया? तुम साबित क्या करना चाहते हो?"
"मैंने तुम्हारी बहन को रिजेक्ट करके अपनी पसंद की लड़की से इंगेजमेंट की, इसलिए तुम मुझसे बदला लेना चाहते हो?" वह समीर को और भी बहुत कुछ बोलता है, लेकिन समीर चुप था, क्योंकि वह अपनी बहन को किसी गिल्ट में नहीं डालना चाहता था। तभी सात्विक के कानों में एक गुस्से भरी आवाज़ सुनाई देती है। जब सात्विक सामने देखता है, तो अपने सामने गुस्से में भरी सनम को देखकर वह हैरान रह जाता है। सनम धीरे-धीरे चलकर सात्विक के सामने आती है और कहती है, "मुझे यह तो नहीं पता कि मैंने अपने पास्ट में क्या गलतियाँ की थीं, लेकिन अगर यह सब कुछ मुझसे जुड़ा हुआ है ना मिस्टर, तो शायद मेरी सबसे बड़ी गलती यही थी कि मैं तुम्हें जानती थी। और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे भाई से इस तरीके से बात करने की?"
सात्विक को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि जो लड़की हमेशा उसके आगे-पीछे घूमती थी, वह कितना भी उसे बेइज़्ज़त करे, नीचा दिखाए, वह कभी कुछ नहीं कहती थी। आज वह अचानक से इतनी कैसे बदल गई? वहीं समीर, अक्षय और अर्जुन की आँखों में नमी आ जाती है, क्योंकि उन्हें बचपन वाली सनम नज़र आ रही थी, जो किसी को भी अपने भाइयों से कुछ नहीं बोलने देती थी। सनम गुस्से में सात्विक और उसकी लड़की के पास आकर खड़ी होती है और कहती है, "मेरे घर में कदम रखने की हिम्मत कैसे हुई तुम लोगों की? और दूसरी बात, मेरे घर में आए तो मेहमान बनकर आओ। मेरे भाई से इस तरीके की बात करने की हिम्मत भी नहीं करो। मेरा भाई इसलिए चुप है कि शायद पास्ट में मैंने कोई गलती की होगी, इसलिए शायद मेरा भाई तुम जैसे इंसान को अपने मुँह से कुछ नहीं कहना चाहता।" सनम की इतनी कड़वी बातें सुनकर सात्विक के दिल में दर्द हो रहा था, लेकिन यह सब कुछ तो उसका ही बोया हुआ बीज था, तो काटना भी उसे ही था।
सनम समीर की तरफ़ देखकर कहती है, "भाई, यह इंसान कौन है और आपसे इस तरीके से बात क्यों कर रहा है? और आप इसे कोई जवाब क्यों नहीं दे रहे?"
सात्विक को यकीन नहीं हो रहा था कि जो लड़की हमेशा उसके आगे-पीछे घूमती थी, कितनी भी बेइज़्ज़ती या जलील करे, वह कभी कुछ नहीं कहती थी। आज वह अचानक इतनी कैसे बदल गई? वहीं समीर, अक्षय और अर्जुन की आँखों में नमी आ गई क्योंकि उन्हें बचपन वाली सनम नज़र आ रही थी, जो किसी को भी अपने भाइयों से कुछ नहीं बोलने देती थी।
सनम गुस्से में सात्विक और उस लड़की के पास आकर खड़ी हुई और बोली, "मेरे घर में कदम रखने की हिम्मत कैसे हुई तुम लोगों की? और दूसरी बात, मेरे घर में आते हो तो मेहमान बनकर आओ। मेरे भाई से इस तरीके की बात करने की हिम्मत भी नहीं करो। मेरा भाई इसलिए चुप है कि शायद पास्ट में मैंने कोई गलती की होगी, इसलिए। वरना मेरा भाई तुम जैसे इंसान को अपने मुँह से नहीं लगाता।"
सनम की कड़वी बातें सुनकर सात्विक के दिल में दर्द हो रहा था, लेकिन यह सब कुछ तो उसका ही बोया हुआ था, तो काटना भी उसे ही था।
सात्विक गुस्से में सनम की तरफ देखकर बोला, "तुम यह सब बातें इसलिए बोल रही हो ना क्योंकि मैंने तुम्हें रिजेक्ट करके किसी और को पसंद किया, इसलिए? तुम मुझसे बदलना चाहती हो और मेरी नज़रों में अच्छी बनने की कोशिश कर रही हो ना? लेकिन तुम्हारे ये सब नाटक मेरे सामने नहीं चलेंगे।"
सात्विक की बातें सुनकर सनम जोर-जोर से हँसने लगी और हँसते हुए बोली, "मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारे दिमाग का एक स्कूल ढीला है, इसीलिए तुम ऐसी बातें कर रहे हो। खुश प्रेमी में जी रहे हो, मिस्टर? सनम मल्होत्रा तुम जैसे इंसान से प्यार और शादी करेगी? तुम्हारी औकात है मेरे बराबर खड़े होने की? जो मैं तुमसे शादी करूँगी? तुम्हें क्या लगता है? और हाँ, पास्ट में मैंने जो भी किया, वो मेरा बचपन, मेरी नादानी थी। शायद मैं तुम्हारी तरफ अट्रैक्ट हो गई थी, लेकिन फिर मुझे अकल आ गई कि मैं तुम जैसे इंसान के पीछे अपनी लाइफ स्पॉइल नहीं कर सकती।"
"और हाँ, आज के बाद मेरे भाई से इस लैंग्वेज में बात करने की कोशिश भी मत करना। वरना मेरा भाई तुम्हारे साथ कुछ करे ना करे, लेकिन मैं तुम्हें जान से मार दूँगी और मुझे अफ़सोस भी नहीं होगा। और हाँ, मैं तुमसे शादी सिर्फ़ इसलिए करना चाहती थी क्योंकि मुझे लगता था कि रात में मेरी इज़्ज़त और मेरी जान बचाने वाले तुम थे। लेकिन मुझे आज ही पता चला कि ना तो तुमने मेरी जान बचाई थी, ना ही मेरी इज़्ज़त। वो बचाने वाला कोई और था। इसीलिए अब इस बात को फैमिली में मत रहने दो कि सनम मल्होत्रा तुम जैसे दो कौड़ी के इंसान से शादी करेगी।"
सात्विक हैरानी से सनम के चेहरे को देख रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि दो दिन पहले तक यह लड़की उसके प्यार में पागल थी और आज उसे इस तरह से बात कर रही है। फिर सनम दो कदम आगे जाकर उन दोनों के पास खड़ी हुई और बोली, "जानते हो, तुम दोनों की जोड़ी मेड फॉर ईच अदर, दोनों ही भिखारी हो, तो एक-दूसरे को तो पूरा कर ही लोगे ना? लेकिन सुनो, मल्होत्रा के लिए कोई ऐसा आएगा जो उसकी टक्कर का और उसकी हैसियत का होगा, तुम जैसे नहीं। और हाँ, आज के बाद मेरे घर आने की कोशिश भी मत करना, वरना धक्के मारकर इस शहर से, क्या इस दुनिया से ही विदा कर दूँगी। क्योंकि आज तक असली सनम मल्होत्रा को तुम जानते नहीं हो। और हाँ, तुम्हारी वजह से आज तक मैंने अपने भाइयों को बहुत दुःख दिया है। लेकिन अब नहीं, तो निकलो यहाँ से, गेट आउट!"
सनम सात्विक से बातें करके वापस जाकर अनुज जी के पास बैठ गई। अनुज जी आँखें फाड़े सनम को देख रहे थे। बचपन से लेकर आज तक उन्होंने सनम का ऐसा रूप कभी नहीं देखा था। वह हमेशा सबके सामने दबी-दबी सी रहती थी, लेकिन आज की सनम तो फुल ऑन मोड में थी, जिसे देखकर एक बार फिर अनुज जी और हर्षवर्धन जी और पजेसिव हो गए अपनी बेटी के लिए।
समीर, अर्जुन और अक्षय सात्विक के पास आये और बोले, "अब यहाँ से जाने का क्या लोगे? आज तक हम तुम्हें सिर्फ़ इसलिए बर्दाश्त करते थे, तुमसे दोस्ती इसीलिए की थी, तुम्हारे बिज़नेस में हेल्प इसीलिए कर रहे थे कि हमें लगता था कि तुमने हमारी बहन की इज़्ज़त और उसकी जान दोनों बचाई हैं। लेकिन जब तुमने यह सब कुछ किया ही नहीं है तो फिर हम तुम्हें यह सब क्यों सहें? आज के बाद यहाँ नहीं आना।"
सात्विक अपने पैर पटकते हुए तुरंत ही मल्होत्रा मेंशन से बाहर चला गया। उसके पीछे-पीछे समीर भी चली गई। समीर ने सात्विक का हाथ पकड़कर कहा, "तुमने तो बोला था यह बिज़नेस तुम्हारा है, इसीलिए मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हुई थी। जब तुम्हारे पास कुछ है ही नहीं तो मैं भी तुमसे शादी नहीं कर सकती। एक भिखारी से कौन शादी करेगा?" और इंगेजमेंट रिंग उतारकर सात्विक के हाथ में रखकर चली गई। वहीं अपने गेट पर खड़े तीनों भाई यह सीन देख रहे थे और उनके चेहरे पर एक प्राउड सी मुस्कान आ गई।
अक्षय सनम के पास आकर बोला, "बेटा, जब तुम्हें कुछ याद नहीं तो तुम्हें ये सारी बातें कैसे याद हैं?" सनम अपना फ़ोन अक्षय के आगे कर दिया जिसमें एक डायरी ओपन थी जिसमें सात्विक और सात्विक से जुड़ी सारी चीज़ें लिखी हुई थीं। यह सब पढ़कर अक्षय हैरान रह गया। उसे तो पता ही नहीं था कि उसकी बहन फ़ोन में दिन भर इसीलिए लगी रहती थी क्योंकि वह उसमें डायरी लिखती थी, अपने मन की बातें लिखती थी। इसीलिए अब सब लोग शांत हो गए। वरना सबको लगा था कि सनम नाटक कर रही है, मेमोरीज़ आने का। वहीं सनम भी खुद के दिल पर हाथ रखकर गहरी साँस लेती है। वरना आज तो उसका खेल ख़त्म ही होने वाला था।
सनम पायल जी की तरफ़ देखकर बोली, "छोटी मम्मी, आज मैं आपके साथ सोऊँगी और छोटे पापा, आपके साथ भी।" तभी पीछे से दो बच्चे जाकर बोले, "ये तो गलत बात है ना सनम! आज हम सारे भाई-बहन एक साथ सोने वाले थे और तुमने मम्मी-पापा के साथ सोने का फैसला कर लिया।" सनम सब की तरफ़ देखकर बोली, "तो ऐसा करते हैं, आज हम सब लोग एक साथ यहीं हाल में सोते हैं। गड्ढे बड़ा लेंगे तो किसी को भी मुझसे दूर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।" सनम का आईडिया सबको पसंद आया और सब तैयारी में लग गए।
समीर बार-बार किसी का कॉल कट कर रहा था। यह देखकर सनम के चेहरे पर कुछ भाव आकर चले गए क्योंकि इस सनम को अब समीर की सारी बातें याद आ चुकी थीं, सात्विक को देखने के बाद। इसीलिए वह सब के बारे में सब कुछ जानती थी। और सनम समझ गई कि समीर किसका कॉल कट कर रहा है। समीर अपना फ़ोन टेबल पर रखकर गड्ढे बनाने में अक्षय और अर्जुन की मदद करने लगा। तो जल्दी से सनम समीर का फ़ोन उठाकर कॉल अटेंड कर ली। दूसरी तरफ़ से एक लड़की की प्यारी सी आवाज़ आई, "कहाँ हो आप समीर? मैं कब से आपको कॉल कर रही हूँ, आप मेरा कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रहे हैं?"
"मैं जानती हूँ सनम मुझे पसंद नहीं करती, इसीलिए सनम ने मुझे घर आने से मना कर दिया है। पर समीर आप भी समझने की कोशिश कीजिए ना, हमारी शादी हो चुकी है। मैं कब तक अपने घर में रहूँगी? सब लोग बातें बनाने लगे हैं, मम्मी-पापा की भी इंसल्ट हो रही है। समीर आप घर में सब से बात करो ना और ले जाइए ना मुझे यहाँ से। अगर सनम को मैं पसंद नहीं हूँ तो कोई बात नहीं है, मैं उसके सामने नहीं आया करूँगी, मैं उसका कोई काम नहीं किया करूँगी, लेकिन मुझे ले जाइए ना यहाँ से।" सनम चुपचाप सामने वाले की सारी बातें सुन रही थी। फिर उसने कॉल कट करके अपने भाई की तरफ़ देखा, जिसके चेहरे पर कुछ परेशानी झलक रही थी। सनम समझ गई कि समीर सनम और अपनी बीवी में से किसी एक को चुनने की कोशिश कर रहा था।
सनम सब की तरफ़ देखकर बोली, "तो अब सब काम हो गए हैं तो सब लोग अपने-अपने कमरे में जाइए, फ़्रेश होकर आइए। मैं तब तक गार्डन में जाती हूँ।" सनम गार्डन की तरफ़ चली गई और बाहर आकर ड्राइवर से बोली, "क्या आप समीर भाई की वाइफ़ का घर जानते हैं?" सारे बॉडीगार्ड्स हैरानी से सनम की तरफ़ देखते हैं, लेकिन फिर खुद का सर नीचे झुकाकर बोले, "जी मैडम, हम जानते हैं।" "तो मुझे लेकर चलो वहाँ।" सनम जल्दी से गाड़ी में बैठकर उसके घर की तरफ़ निकल गई।
महिमा, समीर मल्होत्रा की पत्नी। सनम को महिमा कभी पसंद नहीं थी। समीर और महिमा की लव मैरिज हुई थी। समीर बहुत प्यार करता था महिमा से। महिमा एक मिडिल क्लास फैमिली की लड़की थी, लेकिन सनम को कभी भी महिमा पसंद नहीं थी। इसीलिए महिमा बहुत कम सनम के आगे आती थी। लेकिन जब भी आती थी, सनम हमेशा उसकी बेइज़्ज़ती करती थी, उसका इंसल्ट करती थी। इसीलिए एक दिन समीर महिमा को उसके घर छोड़ आया था।
उस दिन के बाद महिमा कभी भी मल्होत्रा मेंशन नहीं आई थी और इस बात को 6 महीने बीत चुके थे। इन 6 महीनों में महिमा बहुत कुछ सह चुकी थी, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकती थी। कभी-कभी सनम की नज़रों से बचकर समीर महिमा से मिलता था। महिमा का पूरा खर्चा उठता था, लेकिन वह उसे कभी अपने घर नहीं लाता था क्योंकि वह अपनी बहन को दर्द में नहीं देख सकता था। लेकिन अब उसने फैसला कर लिया था कि वह महिमा को तलाक देकर हमेशा के लिए सनम की खुशी चुन लेगा। लेकिन इस फैसले से सबसे ज़्यादा दर्द अगर किसी को हो रहा था तो वह समीर ही था। महिमा तो आज भी उम्मीद में थी कि एक दिन समीर आएगा और उसे वापस ले जाएगा। किसी दिन तो सनम समझेगी समीर की खुशी को, किसी दिन तो पता चलेगा कि समीर महिमा के बिना अधूरा है। लेकिन ऐसे ही सोचते-सोचते 6 महीने बीत गए थे, लेकिन कुछ भी नहीं बदला था।
सनम की गाड़ी एक कॉलोनी के बाहर आकर रुकी। सनम उस कॉलोनी को देख रही थी जहाँ मिडिल क्लास फैमिली के लोग रहते थे। इस वक़्त शाम का टाइम था, इसीलिए सब लोग अपने-अपने घर के बाहर बैठे हुए एक-दूसरे से बातें कर रहे थे। वहीं ड्राइवर सनम से बोला, "यहाँ से आगे पैदल ही जाना पड़ेगा, गाड़ी नहीं जाएगी।" सनम "ओके" बोलकर गाड़ी से बाहर निकल गई और आगे की तरफ़ चलने लगी। पूरा कॉलोनी सनम को देख रहा था। तभी एक बच्चा सनम को देखकर बोला, "अरे ये तो महिमा दीदी की ननंद है! जाकर दीदी को बताना पड़ेगा।" वह बच्चा भागकर महिमा के घर गया और महिमा को बताया कि आपकी ननंद आ रही है। यह सुनकर महिमा डर गई।
महिमा बार-बार समीर को कॉल कर रही थी, लेकिन समीर का फ़ोन तो सनम के पास था, तो वह कैसे ही फ़ोन उठाती। इसीलिए महिमा डरी-डरी सी नज़रों से बाहर खड़ी हो गई। सनम को देखते ही महिमा जल्दी से उसे अंदर ले आई क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि बाहर के पड़ोसी उनकी बातें सुनें और बाद में उसके मम्मी-पापा को बेइज़्ज़त करें। इसीलिए सनम महिमा के पास आकर बोली, "भाभी, आई एम रियली वेरी सॉरी। मेरी वजह से आपको और भाई को बहुत सफ़र करना पड़ा है ना? आज के बाद मैं कभी आपके और भाई के बीच नहीं आऊंगी। आप जल्दी से तैयार हो जाइए, मैं आपको लेने आई हूँ।" जैसे ही महिमा सनम के मुँह से सारी बातें सुनती है, उसे यकीन ही नहीं होता। उसे लगता है सनम फिर कोई नाटक कर रही है, लेकिन वह सनम से कुछ कह भी नहीं सकती थी क्योंकि समीर ने महिमा को वॉर्न किया था कि कभी भी और कितनी भी हालातों में वह कभी सनम के खिलाफ़ नहीं जाएगी।
महिमा जल्दी से तैयार होकर सनम के साथ जाने के लिए तैयार हो जाती है। महिमा के मम्मी-पापा बहुत खुश थे कि चलो उनकी बेटी अपने ससुराल जा रही है। जैसे ही महिमा सनम के साथ बाहर आती है, पूरी कॉलोनी वाले महिमा से पूछते हैं कि वह अपने ससुराल जा रही है। तो सनम सब की तरफ़ देखकर कहती है, "हाँ, मेरी भाभी अपने ससुराल जा रही है और आप लोग यहाँ कभी-कभी भाई के साथ आया करेंगे।" और महिमा को लेकर वापस मल्होत्रा मेंशन के लिए निकल जाती है। वहीं महिमा तो अभी भी डरी हुई थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर सनम अचानक से इतनी कैसे बदल गई क्योंकि सनम के एक्सीडेंट के बाद महिमा की कोई भी बात समीर से नहीं हुई थी। इसीलिए महिमा को नहीं पता था कि सनम की याददाश्त जा चुकी है।
समीर जैसे ही हाल में आता है, वह अपनी माँ की तरफ़ देखकर कहता है, "मॉम, क्या गुड़िया अभी तक बाहर से आई नहीं है? मैं भी देखकर आता हूँ।" जैसे ही समीर गेट की तरफ़ बढ़ता है, सामने से आ रही महिमा नज़र आती है। महिमा को देखकर समीर हैरानी से महिमा के पास जाकर कहता है, "तुम मुझे बिना बताए, बिना बात किए कैसे आ सकती हो? मैंने तुमको बोला था ना कि तुम घर मत आना, सनम को यह सब बर्दाश्त नहीं है।" तभी पीछे से सनम की आवाज़ आती है, "और कब तक आप मेरी खुशियों के लिए अपनी खुशियाँ कुर्बान करते रहोगे भाई?" समीर की इतनी तेज आवाज़ सुनकर घर के बाकी मेंबर भी बाहर आ चुके थे। वहीं सभी जैसे ही महिमा को पीछे देखते हैं, उनकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। उन्हें सच में यकीन नहीं आ रहा था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। लेकिन फिर उन्हें याद आया कि उनकी बहन की याददाश्त चली गई है, तो कुछ भी पॉसिबल हो सकता है।
समीर जैसे ही हाल में आता है वह अपनी मां की तरफ देखकर कहता है मोम क्या गुड़िया अभी तक बाहर से आई नहीं है मैं भी देख कर आता हूं जैसे ही समीर गेट की तरफ बढ़ता है सामने से आई हुई महिमा नजर आती है महिमा को देखकर समीर हैरानी से महिला के पास जाकर कहता है तुम मुझे बिना बताए मुझे बिना बात करें या कैसे आ सकते हैं मैंने तुमको बोला था ना कि तुम घर मत आना सनम को यह सब बर्दाश्त नहीं है तभी पीछे से सनम की आवाज आती है और कब तक आप मेरी खुशियों के लिए अपनी खुशियां कुर्बान करते रहोगे भाई समीर कितनी तेज आवाज सुनकर घर के बाकी मेंबर भी बाहर आ चुके थे वहीं सभी जैसे ही महिमा के पीछे देखा है उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है उसे सच में यकीन नहीं आ रहा था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है लेकिन फिर उसे याद आया कि उसकी बहन की याददाश्त चली गई है तो कुछ भी पॉसिबल हो सकता है ll 🔥
सनम की आवाज सुनकर समीर पीछे मुड़कर देखता है l समीर सनम को देखकर कहता है तुम्हें कैसे पता चला महिमा के बारे में सनम समीर की तरफ देखकर कहती है आपको क्या लगता है भाई मैंने जो गलतियां अपने पास्ट में कीजिए मैं वह गलतियां नहीं दोहराना चाहती मेरी वजह से अब भाभी को इस घर में नहीं लाना चाहते थे लेकिन अब तुम्हें खुद भाभी को इस घर में लेकर आई हूं और मुझसे ज्यादा इस घर में भाभी का हिस्सा है और आज के बाद आप या इस घर का कोई भी मेंबर भाभी को इस घर से दूर नहीं कर सकता ll🔥
समीर सनम को अपने सीने से लगा लेता है कहीं सनम आरती की था लेकर आती है समीर और महिमा का गृह प्रवेश करवाती है फिर समीर की तरफ देखकर कहती है अब सब लोग डिनर कर लो उसके बाद हम सब लोग साथ में ही सोएंगे लेकिन आप भाभी के साथ अपने कमरे में जाएंगे वहीं महिमा सनम का हाथ पकड़ कर कहती है मैं भी आप सबके साथ ही रहूंगी मैं भी इस परिवार को और आपको बहुत मिस किया है महिमा की बात सुनकर समीर के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है तो सब लोग जल्दी से डिनर करके वहां लगेगा पर बैठ जाते हैं और कहते हैं चलो बैठकर क्या करते हैं कोई गेम खेलते हैं ll
अक्षय सनम की तरफ देखकर कहता है क्यों ना ट्रुथ और डियर खेलें सनम भी हां बोल देती है तो सब लोग फूल गहरा बनाकर बैठ जाते हैं और गेम स्टार्ट हो जाता है तकिया को एक दूसरे को पास कर रहे थे तभी म्यूजिक बंद होता है और तकिया अक्षय के पास रूकती है तो सनम अक्षय की तरफ देखकर कहती है आप तीनों भाइयों से सवाल मैं पूछूंगी और आपको जवाब देने होंगे वहीं तीनों भाई हां बोल देते हैं तभी अक्षय की तरफ देखकर कहती है आप किसी से प्यार करते हो ll
सनम का सवाल सुनकर अक्षय हैरान रह जाता है और वह सनम की तरफ देखकर कहता है यह तुम कैसी बातें कर रही हो सनम अक्षय की तरफ देखकर कहती है अब आपको जवाब देना होगा आपने ट्रुथ चूस किया था l
अक्षय बीच में आकर खड़ा हो जाता है और कहता है हां मैं कॉलेज टाइम से एक लड़की से प्यार करता हूं और वह लड़की भी मुझसे प्यार करती है मैं फैमिली वालों को बताने ही वाला था पापा वह आपके दोस्त बृजभूषण अंकल की बेटी तारा है जैसे ही हर्षवर्धन जी अक्षय की बात सुनते हैं उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है और वह कहते हैं तुम लोगों को क्या लगता है मेरे बच्चों की जिंदगी में क्या चल रहा है मुझे पता नहीं मैं और बृजभूषण ने तो तुम्हारी शादी भी तय करती है बस तारा के इंडिया आने की देर है और तुम दोनों की शादी करवा दूंगा अक्षय जल्दी से अपनी जगह जाकर बैठ जाता है उसकी शैतान पहने उसका काम बहुत आसान कर दिया था ll
म्यूजिक स्टार्ट होता है और तकिए को एक दूसरे को पास करने लगते हैं अक्षय गेम से आउट हो चुका था इसलिए वह दादा-दादी के पास बैठा था वही म्यूजिक बंद होता है और अबकी बार तकिया हर्षवर्धन जी के पास आता है तो रागिनी जी हर्षवर्धन जी की तरफ देखकर कहती हैं आप क्या लेंगे ट्रुथ या dear हर्षवर्धन की रागिनी जी की तरफ देखकर कहते हैं ट्रुथ l
रागिनी जी हर्षवर्धन जी की तरफ देखकर कहते हैं आपके वार्डरोब में जो तस्वीर रखी है वह तस्वीर किसकी है जैसे ही हर्षवर्धन जिए सुनते हैं उनके चेहरे का रंग उड़ जाता है और वह अपने काले पड़े चेहरे के साथ रागिनी जी को देखने लगते हैं वहीं रागिनी जी के चेहरे पर इस वक्त कोई भावनाएं नहीं थी वह एकता हर्षवर्धन जी के जवाब का इंतजार कर रही थी l
हर्षवर्धन की रागिनी जी की तरफ देखकर कहते हैं वह फोटो मेरी बड़ी बहन की है उसने लव मैरिज की थी इसीलिए पापा ने उसे सारे रिश्ते नाते खत्म कर दिए थे इसलिए तुमको इस बारे में कुछ नहीं पता क्योंकि उसे दिन के बाद दीदी का जिक्र इस घर में कभी नहीं हुआ था और हम दोनों भाइयों ने भी तुम दोनों से कभी इस बात का जिक्र नहीं किया जैसे ही रागिनी जी यह सुनती हैं उनकी आंखों में नमी आ जाती है वरना जिस दिन से उन्होंने वह तस्वीर देखी थी वह हमेशा हर्षवर्धन जी पर शक करती रहती थी लेकिन आज उनका सब दूर हो चुका था और उनके दिल में एक सुकून उतर आया था ll
सनम जैसे ही देखते हैं माहौल थोड़ा अजीब सा हो गया है तो वह जल्दी से कहती है अच्छा-अच्छा चलिए टाइम आप टाइम आप स्टार्ट करते हैं फिर दोबारा से स्टार्ट होता है इस बार हर्षवर्धन जी आउट हो चुके थे इस बार जब तक यह पास होता है तो इस बार समीर के ऊपर आता है तो सनम समीर के सामने आकर बैठ जाती है और कहती है हां तो आपसे सवाल मैं पूछूंगी बताइए आप क्या सुनेंगे ट्रुथ या डरे समीर हंस के कहता है डरे क्योंकि मैं जानता हूं तुम ट्रुथ में पता नहीं क्या ही पूछ लोगी ll
सनम समीर की तरफ देखकर कहती है तो ठीक है आपको हम सबके सामने भाभी को प्रपोज करना होगा जैसे ही महिमा यह सुनती है उसके गाल लाल हो जाते हैं वहीं समीर हैरानी से सनम को देखा है वही अक्षय और अर्जुन तो अपनी हंसी रोकने की कोशिश कर रहे थे कहीं समीर उठकर खड़ा होता है और महिमा के पास जाकर अपने घुटनों के बल बैठ जाता है और महिमा का हाथ पकड़ कर कहता है मैं जानता हूं पिछले 6 महीने में मैं तुम्हारे साथ जो बर्ताव किया है वह माफी के काबिल नहीं है क्योंकि बहन और पत्नी दो अलग चीज होती है और मैं अपनी बहन के लिए अपनी पत्नी को छोड़ने का फैसला कर लिया था तुम जानती हो महिमा मैं इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार अपनी गुड़िया से करता हूं और मैं नहीं चाहता था मेरी गुड़िया कभी भी किसी तकलीफ में रहे इसीलिए वह फैसला किया आज पूरे परिवार के सामने सबको साक्षी मानकर मैं तुमसे यह कहता हूं कि मैं इस दुनिया में सबसे ज्यादा तुमसे प्यार करूंगा लेकिन अपनी बहन से थोड़ा काम समीर का ऐसा प्रपोज सुनकर सब लोग हंसने लगते हैं वह प्रपोज कम माफी नामा ज्यादा लग रहा था ll
एक बार फिर गेम स्टार्ट होता है और इस बार जब म्यूजिक स्टार्ट होता है तो तक यह बार-बार पास हो रहा था तभी म्यूजिक रुकता है और ताकि आता है अर्जुन के पास तो सनम के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ जाती है और वह अर्जुन की तरफ देखकर कहती है तो भाई आपके ऑफिस में जो आपकी पर्सनल असिस्टेंट है उसके साथ आपका क्या रिश्ता है अर्जुन सनम की बात सुनकर हड़बड़ा जाता है और वह सनम की तरफ देखकर कहता है तुमने मुझे ट्रुथ और डरे तो पूछा ही नहीं सीधा सवाल तो सनम रहती है क्योंकि मैं जानती थी आप दोनों ही तरीके से मुझे बचाने की कोशिश करते थे इसीलिए मैं सीधा सवाल पूछा और आपको सीधा-सीधा जवाब देना है ll
अर्जुन गहरी सांस लेता है और सब की तरफ देखकर कहता है उसका नाम अक्षरा है और अक्षरा और मेरी शादी 6 महीने पहले हो चुकी है अक्षरा की शादी उसकी फैमिली वाले कहीं और कर रहे थे और जब मैं उसकी शादी में पहुंचा तो मैंने देखा बारात वापस चली गई थी क्योंकि उन्हें लड़की का किसी और के ऑफिस में काम करना पसंद नहीं आया था यह सब कुछ मेरी वजह से हो रहा था क्योंकि शाम के वक्त नहीं ज्यादातर अक्षरा को उसके घर ड्रॉप करके आता था तो मोहल्ले वालों ने इस बात का यीशु बना करउसे बेचारी की जिंदगी हराम करती थी इसीलिए मैंने उससे शादी कर ली और उसे एक अपार्टमेंट देकर वहां रख दिया और वह मेरे साथ मेरे ऑफिस में काम करती है मैं यह बात आप लोगों को बताना चाहता था लेकिन कभी हिम्मत ही नहीं हुई ll
सनम सबसे पहले उठकर ताली बजती है और अपने भाई के गले लगा कर कहती है आपने बहुत अच्छा काम किया है भाई अगर आप उसे वक्त भाभी को ऐसे ही छोड़ते ना तो जरूर मैं आपसे नाराज हो जाती और हां कल भाभी को घर लेकर आइएगा पूरा परिवार शौक था किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हुआ लेकिन जब वह लोग सनम को नॉर्मल बिहेव करता देखते हैं तो सब समझ जाते हैं कि सनम को पहले से ही शायद सब कुछ पता था या उसकी मेमोरी में जो डायरी थी उसे डायरी में ही सब कुछ लिखा था ऐसे ही हर किसी के राज सबके सामने आते हैं लास्ट में बारी आती है सनम की तो तीनों भाई उठकर खड़े हो जाते हैं और कहते हैं हम तीनों ही तुमसे सवाल करेंगे सनम हैरानी से कहती है एक सवाल करना है तीन-तीन नहीं करने आप में से कोई एक कर लो डिसाइड कर लो किसको मुझे क्या पूछना है ll
अर्जुन सनम की तरफ देखकर कहता हैक्या तुम्हें वाकई में कुछ भी याद नहीं है या तुम सिर्फ यह सब इसलिए कर रही हो कि हम सब लोग परेशान ना हो सनम अर्जुन के सर पर हाथ रख कर कहती है मुझे अपनी पिछली जिंदगी के बारे में कुछ भी नहीं आप मैंने जो भी जाना है वह मेरी पर्सनल डायरी से जाना है अब आप इस बात पर भरोसा करो ना करो कि आपकी मर्जी है लेकिन मैं आपकी कसम खाकर कहती हूं भाई मुझे कुछ भी याद नहीं और हां सात्विक से मैं जिस तरह से बात की वह मुझे इसलिए पता चला क्योंकि मैं अपनी पर्सनल डायरी पड़ी थी और उसमें सात्विक के बारे में बहुत कुछ लिखा था बस शायद पहले में बेवकूफ थी जो समझी नहीं लेकिन अब मैं बेवकूफ नहीं हूं तो आपसे फिर ना करें भाई मैं अब ऐसा कुछ नहीं करुंगी कि मेरे परिवार को जरा सी भी तकलीफ हो ll
सब लोग वहीं गधों पर लेट कर सो जाते हैं अगली सुबह सब लोग जल्दी उठकर अपने-अपने कमरे में चले गए थे लेकिन सनम अभी भी बाहरी सो रही थी और किसी ने सनम को उठाया नहीं था घर के नौकर भी इस तरह से कम कर रहे थे कि सनम की नींद में बिल्कुल भी खलल ना पड़े बहुत धीरे-धीरे काम कर रहे थे इस घर के सर्वेंट को भी पुरानी वाली सनम से अच्छा अच्छी यह वाली सनम लग रही थी क्योंकि यह वाली सनम सबसे बहुत प्यार से बात करती थी अपने घर के सब लोगों की इज्जत करती थी वही तीनों भाई सनम के आसपास बैठे इस बात की जानकारी रख रहे थे कि कोई भी जरा सा भी शॉट नहीं करें और सनम की नींद ना खुले धीरे-धीरे सनम की आंखें खुलती है और जब उठ कर बैठी है तो अपने पास अपने भाइयों को देखकर उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है और वह तीनों कोई बड़ी-बड़ी से गले लगा कर गुड मॉर्निंग विश करती है तभी समीर जल्दी से सनम को अपनी बाहों में उठाकर उसके कमरे की तरफ जाने लगता है वहीं अक्षय और अर्जुन अपने पैर पटकते रह जाते हैं क्योंकि हर बार समीर बाजी मार लेता था ll
ऑस्ट्रेलिया
एक 70 मंजिला इमारत के एक ऑफिस में एक लड़का अपनी हेड चेयर पर बैठा था और उसके सामने खड़ा एक लड़का सामने बैठे दूसरे लड़के को कुछ बता रहा था उसकी बातें सुनकर उसे लड़के के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट आ जाती है और वह कहता है इंटरेस्टिंग वेरी वेरी इंटरेस्टिंग मतलब कुछ तो ऐसा हुआ है कि मेरी जान इतना बदल गई औरक्या डॉक्टर से कंफर्म किया सच में उसकी याददाश्त गई है तो सामने खड़ा लड़का कहता है जी सर जी सच में ही लेडी बॉस की याददाश्त गई है उन्हें अपना फैसला कुछ भी याद नहीं और आपको जानकर अच्छा लगेगा कि लेडी बॉस ने सात्विक शर्मा को बेइज्जत करके अपने घर से बाहर निकाल दिया था यह सब जानकर सामने बैठा लड़का हद से ज्यादा खुश हो जाता है ll
उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट थी तभी उसके सामने खड़ा दूसरा लड़का कहता है सर जी क्या माताजी इस बारे में जानकर आपको लेडी बॉस से शादी करने से मना तो नहीं कर देंगे वह लड़का अपनी चेयर पैसे उठकर ग्लास बॉल की दीवाल के पास आकर खड़ा हो जाता है और कहता है तो मैं क्या लगता है राघव मैं मेरी जान को ऐसे ही छोड़ दूंगा तब तक मैं उसके सामने नहीं गया था तब तक वह किसी और को अपनी जिंदगी में शामिल करना चाहती थी आप जब उसकी जिंदगी में उसे इंसान का कोई वजूद ही नहीं है तो अब तो उसे मेरा होने से कोई नहीं रोक सकता ll
यह है अभिमन्यु राजावत हमारी कहानी के हीरो एक डोमिनेटिंग पर्सनालिटी के इंसान उनके लिए इनका खून और खानदान बहुत मायने रखता है और जब इन्होंने पहली बार सनम को देखा था सभी से सनम के दीवाने हो गए थे जब उन्होंने सनम की जानकारी निकलवाई तो इन्हें पता चला सनम सात्विक शर्मा के पीछे पागल है तो इन्होंने खुद को अंधेरे में रख लिया लेकिन उनके पास सनम की हर एक छोटी से बड़ी जानकारी मौजूद रहती थी सनम के एक्सीडेंट से लेकर उसकी याददाश्त जाने तक इन्हें सब कुछ पता था ll
वैसे तो इन्हें अपने खानदान नाम और खून का बहुत महत्व है लेकिन जब से इन्हें सनम से प्यार हुआ तब से यह सनम से शादी करने के लिए पागल हुए जा रहे हैं इन्होंने अपने घर में सबको कह रखा है यह किसी के साथ कमिटेड है और उनके अलावा किसी से शादी नहीं करेंगे चाहे पूरी जिंदगी ने कुंवारा ही तो ना रहना पड़े ll
अभिमन्यु राजावत राजावत इंडस्ट्रीज का सीईओ और पूरे एशिया का नंबर वन बिजनेसमैन पूरी दुनिया में सिक्का चलता है अभिमन्यु राजावत का अभिमन्यु राजावत अगर किसी काम में हाथ डाल दे तो कोई दूसरा बिजनेसमैन उसका में हाथ डालने की सोचता भी नहीं है अभिमन्यु राजावत खुद में ही खौफ का दूसरा नाम है जहां अभिमन्यु राजावत हो वहां कोई दूसरा खड़ा ही नहीं हो सकता उनकी नजर एक बिजनेस पार्टी में सनम मल्होत्रा के ऊपर पड़ी थी तब से सनम मल्होत्रा के दीवाने हैं यह लेकिन कभी सामने नहीं आए लेकिन अब सनम की जिंदगी में एक जुनून और पागलपन की शुरुआत होने वाली थी ll
क्या रंग लाएगा अभिमन्यु का सनम की जिंदगी में आना.....
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अभिमन्यु राजावत, राजावत इंडस्ट्रीज के सीईओ और पूरे एशिया के नंबर 1 बिजनेसमैन थे। उनका सिक्का पूरी दुनिया में चलता था। अगर अभिमन्यु राजावत किसी काम में हाथ डाल देते, तो कोई दूसरा बिजनेसमैन उसके बारे में सोचता भी नहीं था। अभिमन्यु राजावत खुद में खौफ का दूसरा नाम थे। जहाँ अभिमन्यु राजावत होते, वहाँ कोई दूसरा खड़ा ही नहीं हो सकता था। उनकी नज़र एक बिजनेस पार्टी में सनम मल्होत्रा पर पड़ी थी। तब से वह सनम मल्होत्रा के दीवाने थे, लेकिन कभी सामने नहीं आए। लेकिन अब सनम की ज़िंदगी में जुनून और पागलपन की शुरुआत होने वाली थी।
अभिमन्यु ने अपने असिस्टेंट, राघव की तरफ़ देखकर कहा, "राघव, इंडिया चलने की तैयारी करो। क्योंकि अब मैं अपनी रानी से ज़्यादा दिन दूर नहीं रह सकता।"
जैसे ही राघव ने यह सुना, उसने जल्दी से अभिमन्यु की तरफ़ देखकर कहा, "मैंने सारी तैयारी कर दी है। आप बस चलने की तैयारी कीजिए।"
अभिमन्यु जल्दी से टेबल से अपना कोट उठाकर बाहर निकल गया। वहीं उसके पीछे-पीछे राघव भी चला गया। क्योंकि अगर वह जरा भी देर करता, तो अभिमन्यु उसके साथ क्या करता, यह उसे पता था।
अभिमन्यु वहाँ से सीधा अपने प्राइवेट जेट में बैठकर इंडिया के लिए निकल गया। वहीं दूसरी तरफ़, अपनी ज़िंदगी में आने वाले इस नए तूफ़ान से अनजान सनम अपने घर में सबके साथ समय बिता रही थी। जब सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे, तो सनम ने सब की तरफ़ देखकर कहा, "अटेंशन प्लीज! मुझे आप सब से एक अर्जेंट बात करनी है।"
सब लोग सनम की तरफ़ देखने लगे। सनम नर्वस हो गई।
"मैंने फैसला किया है कि मैं ऑफिस जाया करूँगी।"
अक्षय ने सनम की तरफ़ देखकर कहा, "लेकिन गुड़िया, अभी तो तुम्हारी स्टडी कंप्लीट नहीं हुई है, और तुम कंपनी जाओगी? यह तो सही नहीं है ना? तुम्हारी स्टडी इससे इफेक्ट हो जाएगी।"
सनम ने अक्षय का हाथ पकड़कर कहा, "ऐसा कुछ नहीं होगा भाई। मैं पढ़ाई भी करती रहूँगी। मैंने अपने कॉलेज के प्रिंसिपल से बात कर ली है। वह मुझे डेली नोट्स भेज दिया करेंगे। मैं कॉलेज नहीं जाना चाहती। मैं आप लोगों के साथ बिज़नेस सीखना चाहती हूँ, और उसके बाद खुद का बिज़नेस खोलना चाहती हूँ। अगर आप लोग इसमें मेरा साथ दोगे, तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।"
सनम की बात सुनकर तीनों भाई, साथ ही अनुज जी और हर्षवर्धन जी के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। क्योंकि बचपन में सनम ऐसी ही थी – खुद पर डिपेंड होने वाली, खुद को सबसे ऊपर रखने वाली, अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट के लिए कुछ भी कर जाने वाली।
दादाजी ने सनम की तरफ़ देखकर कहा, "लेकिन गुड़िया, जब हमारा खुद का इतना बड़ा बिज़नेस है, तो तुम्हें खुद का बिज़नेस खोलने की क्या ज़रूरत है? अगर तुम कहो, तो मैं तुम्हें मल्होत्रा एम्पायर का सीईओ बना देता हूँ। उसके बाद तुम्हारा हमारा साथ होगा, तुम्हारे सारे भाई, तुम्हारे पापा, चाचा तुम्हें असिस्ट करेंगे।"
वहीं, अपने दादाजी की बात सुनकर सनम के चेहरे पर मुस्कान आ गई, और आँखों में नमी। क्योंकि पिछले जीवन में सनम को कभी इतना प्यार, इतना केयर नहीं मिला था, जितना उसे यहाँ आने के बाद मिल रहा था। वह अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश थी, और अब इस ज़िंदगी को अपना चुकी थी। उसे कभी-कभी रियल सनम पर गुस्सा आता था कि इतनी अच्छी फैमिली होने के बाद वह सात्विक के प्यार में इतनी पागल क्यों थी।
सनम दादाजी के पास बैठ गई और बोली, "दादाजी, आप चाहते हो कि दुनिया मुझे इसलिए जाने क्योंकि मेरे नाम के पीछे मल्होत्रा सरनेम लगा है? लेकिन मैं चाहती हूँ दुनिया मुझे सनम मल्होत्रा के नाम से जाने, और पापा और आप मुझ पर प्राउड फील करें। वह दिन बहुत जल्द आएगा, आप देखना। आपकी बेटी अब कभी निराश नहीं करेगी, फ़ालतू के लोगों के चक्कर में।"
सबकी आँखें नम हो गई थीं सनम की बात सुनकर। एक पिता और एक दादा के लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है? दादाजी ने सनम के सर पर हाथ रखकर कहा, "अगर ऐसी बात है, तो हम तुम्हें आज़ादी देते हैं। करो अपने मनपसंद काम, तुम्हारे हर फ़ैसले में, तुम्हारी हर लड़ाई में, तुम्हारे दादाजी तुम्हारे साथ हैं।" वहीं बाकी सभी ने सनम के हाथ पैरों पर हाथ रख दिया। सनम खुशी से सबके गले लग गई, और फिर अक्षय की तरफ़ देखकर बोली, "भाई, आप भी जल्दी से शादी कर लो। और थोड़ी देर में हमारी दूसरी भाभी भी आने वाली है, तो उनके गृह प्रवेश की भी तैयारी करनी है।" अब वह मुस्कुराते हुए घर की डेकोरेशन करवाने लग गई।
बाकी सब अभी भी हाल में बैठे हुए थे। दादाजी ने सब की तरफ़ देखकर कहा, "इस सनम में और उस सनम में ज़मीन आसमान का अंतर है। हमें कभी-कभी ऐसा लगता है कि यह दूसरी ही सनम है। हमारी सनम इतनी मैच्योर हो ही नहीं सकती थी। वह तो हर काम हम लोगों की मर्ज़ी से करती थी। याददाश्त जाने के बाद इंसान इस तरह बदलता है, यह तो हमें पता ही नहीं था। और अगर पता होता, तो हम कब का अपनी बेटी को अपना बना चुके होते।"
सनम ने बाकी सब की तरफ़ देखकर कहा, "मुझे कुछ सामान लेने के लिए मार्केट जाना है, तो मेरे साथ आप में से कौन चलेगा?" अक्षय सनम के साथ जाने के लिए तैयार हो गया। अक्षय और सनम दुकान पर पहुँचकर सामान लेने लगे। वहीं अक्षय सनम के लिए कुछ कपड़े देखने लगा था। तभी किसी ने सनम का हाथ पकड़कर उसे एक साइड ले जाया। जब सनम ने अपने हाथ पकड़ने वाले को देखा, तो उसकी आँखें ठंडी हो गईं।
सनम के सामने सात्विक खड़ा था। सात्विक ने सनम को दीवार से लगाया, उसके आस-पास अपने हाथ रखकर कहा, "यह नया नाटक क्या है तुम्हारा? मुझे इग्नोर करके क्या साबित करना चाहती हो? मैं जानता हूँ यह सब कुछ तुम्हारा नाटक है, मुझे हासिल करने के लिए। लेकिन मेरी एक बात कान खोलकर सुन लो, तुम अगर सात जन्मों में भी वापस आ जाओ, तब भी मैं, सात्विक शर्मा, तुम्हें नहीं अपनाऊँगा।"
सनम ने एक झटके में सात्विक को खुद से दूर कर दिया और कहा,
"मैं तुम जैसे इंसान के मुँह से लगे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती। मेरी एक बात कान खोलकर सुन लो, सात्विक शर्मा! सनम मल्होत्रा कोई ऐसी-वैसी लड़की नहीं है जो तुम जैसे दो कौड़ी के आदमी के लिए अपना घर, अपना परिवार, अपनी रेपुटेशन दे। और हाँ, तुम्हारे भौंकने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो, उससे मुझे कोई मतलब नहीं है। लेकिन एक बात हमेशा याद रखना, आज तुमने मेरी बिना मर्ज़ी के मेरा हाथ टच किया, आइंदा अगर मेरी बिना मर्ज़ी के मेरा हाथ टच किया ना, तो तुम्हारा हाथ उखाड़कर दूसरे हाथ में पकड़ा दूँगी।"
सात्विक गुस्से में सनम के बालों को अपने हाथ में पकड़ लिया और कहा, "बहुत उड़ने लगी हो ना? अगर तुम्हें धरती पर नहीं लाया ना, तो मेरा भी नाम सात्विक शर्मा नहीं।"
वही सनम ने एक झटके में सात्विक के हाथ को अपने बालों से हटाया, मोड़कर उसकी पीठ से लगा दिया और कहा, "जब तक मैं तुमसे प्यार करती थी, तब तक तुम्हारी बदतमीज़ी बर्दाश्त करती थी। लेकिन जिस दिन मुझे यह पता चला कि मेरी जान और मेरी इज़्ज़त बचाने वाला कोई और था, उस दिन के बाद मेरे आस-पास भी मत आना। क्योंकि तुम असली सनम मल्होत्रा को नहीं जानते हो। तुम्हारे सामने जो थी, वह सिर्फ़ कुछ परसेंट थी सनम की। लेकिन अगर पूरी सनम मल्होत्रा तुम्हारे सामने आ गई ना, तो जीते जी नर्क के दर्शन हो जाएँगे।"
तभी सात्विक ने एक झटके में अपना हाथ छोड़ा, सनम के बालों को पकड़कर खींच लिया और उसके चेहरे को ऊपर करके कहा, "तुम्हें क्या लगता है? तुम यह नया नाटक करोगी, मुझे अपनी तरफ़ अट्रैक्ट करने की कोशिश करोगी, तो मैं हो जाऊँगा...?"
सनम ने अपने घुटने को उठाकर सात्विक के प्राइवेट पार्ट पर मार दिया। पल भर में सात्विक की पकड़ सनम के बालों पर ढीली पड़ गई और सनम सात्विक से दूर हटकर सात्विक के चेहरे पर थूककर बोली, "यह तुम्हारी आखिरी गलती थी। इसके बाद कोई गलती मत करना, वरना सनम मल्होत्रा वह तांडव मचाएगी कि अपनी ज़िंदगी पर भी तुम्हें अफ़सोस होगा कि तुम इस दुनिया में आए ही क्यों। और तुम्हें क्या लगता है, मैं नहीं जानती कि तुमने वह सब नाटक क्यों किया? मैं अच्छे से जानती हूँ कि तुमने वह नाटक सिर्फ़ इसलिए किया क्योंकि तुम मेरे भाई से पैसे लेना चाहते थे अपने बिज़नेस के लिए। वरना जब तुम्हें पता ही था कि मेरी जान और इज़्ज़त बचाने वाले तुम नहीं थे, तो तुमने मेरे भाई को क्यों बोला कि तुमने मेरी जान और इज़्ज़त बचाई थी? अगर इतनी ही सेल्फ रिस्पेक्ट थी तो मुँह पर मना करते, उनसे और मुझसे कहते कि तुम्हारी जान बचाने वाला मैं नहीं था। तब मैं मानती तुम्हें कि तुम लॉयल इंसान हो।"
सात्विक हैरानी से सनम के चेहरे को देख रहा था। सनम ने उसके चेहरे को अपने हाथों से दबाते हुए कहा, "आइंदा से मेरे रास्ते में आने की कोशिश मत करना, वरना अभी तो तुम्हें गाली का कुत्ता बनाया है, फिर तुम्हें कुत्ते की तरह ठोकरें खाने पर भी मजबूर कर दूँगी। मैं इसलिए कह रही हूँ, आइंदा से अपनी यह बेहया शक्ल लेकर मेरे सामने मत आना।" वहीं दूर खड़ा अक्षय सनम और सात्विक की सारी बातें सुन रहा था। आज उसे अपनी बहन एक अलग ही रूप में दिखाई दे रही थी। उसे कभी नहीं पता था कि उसकी बहन की कोई ऐसी साइड भी है जिसके बारे में वह बिल्कुल अनजान है। उसने तो हमेशा अपनी बहन को एक बिगड़ी हुई लड़की के रूप में ही देखा था। वह इतनी मैच्योर और इतनी धाकड़ कैसे हो गई थी, उसे तो पता ही नहीं था। या उसकी बहन के साथ ऐसा कुछ हुआ था कि उसने खुद को इस तरह बदल लिया था।
सनम जैसे ही वहाँ से जाने वाली थी, सात्विक ने जल्दी से सनम का एक पल्लू पकड़ने की कोशिश की। लेकिन सनम साइड से होकर निकल गई और बोली, "कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं हो सकती, ना वैसे ही तुम जैसे इंसान कभी सीधा नहीं हो सकता। मेरी एक बात कान खोलकर सुन लो, दोबारा से मेरे सामने मत आ जाना, वरना तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ूंगी मैं।" और अपने पैर को जानबूझकर सात्विक के पैरों पर रखकर निकल गई। वहीं सात्विक की आँखों में गुस्सा, नफ़रत, बदले की भावना दिखाई दे रही थी। क्योंकि आज सनम ने सात्विक की जो बेइज़्ज़ती की थी, वह तो नेक्स्ट लेवल की हो गई थी। और तो और, सनम ने सात्विक को कुत्ता तक बोल दिया था। यह चीज़ सात्विक कैसे भूल सकता था? लेकिन अनजान था सात्विक इस बात से कि सनम के एक-दो नहीं, तीन प्रोटेक्टर थे, बल्कि सबसे बड़ा प्रोटेक्टर तो आने वाला था। अगर उसे पता चला कि सात्विक सनम को नुकसान पहुँचाने के बारे में सोच रहा है, तो सात्विक की दुनिया ही बदल देगा, या उसे इस दुनिया से ही बाहर कर देगा।
अक्षय जल्दी से वहाँ से हटकर बिलिंग काउंटर पर पहुँच गया। सनम ने शर्माते हुए अक्षय की तरफ़ देखकर कहा, "भाई, आपकी शॉपिंग हो गई?" अक्षय ने हाँ बोला। सनम वहाँ से अक्षय के साथ अपनी गाड़ी में बैठकर दोबारा मल्होत्रा मेंशन के लिए निकल गई। सनम खामोशी से रास्तों को देख रही थी। वहीं अक्षय सनम के चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। वहाँ जो कुछ भी हुआ, अक्षय ने उसका वीडियो बनाकर अपने फैमिली ग्रुप में भेज दिया था, जिसमें सनम के अलावा पूरी फैमिली थी, यहाँ तक के दादा-दादी तक। इस ग्रुप में अभी तक सनम को ऐड नहीं किया गया था, क्योंकि सनम ने खुद ही इस ग्रुप से खुद को अनफॉलो किया था। इसीलिए दोबारा किसी ने उसे इस ग्रुप में ज्वाइन नहीं किया था। वहीं सब लोग उस वीडियो को देखकर शॉक्ड थे। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनकी यह बिगड़ी हुई सनम इतनी मिर्ची और इतनी खतरनाक कब से बन गई थी। वहीं अगर सबसे ज़्यादा कोई खुश था, तो वह हर्षवर्धन जी थे, क्योंकि वह समझ चुके थे अब उनकी बेटी को प्रोटेक्शन की कोई ज़रूरत नहीं थी, क्योंकि वह खुद में ही एक आग का गोला थी। अगर कोई उसके पास आने की कोशिश करेगा, तो जलकर राख हो जाएगा।
अर्जुन अक्षरा के घर पर बैठकर वह वीडियो देख रहा था। अक्षरा भी उसके पास बैठी हुई वीडियो देख रही थी। अक्षरा ने हैरानी से अर्जुन की तरफ़ देखकर कहा, "आपकी बहन इतनी खतरनाक है? मुझे तो पता ही नहीं था। मैं तो भैया, सनम को कभी भी परेशान नहीं करूँगी, वरना पता चला उसने मेरी भी इसी तरीके से धज्जियाँ उड़ा दीं, तो मैं क्या करूँगी?" वहीं अक्षरा की बात सुनकर अर्जुन के चेहरे पर मुस्कान आ गई। क्योंकि वह जानता था कि उसकी बहन ऐसी नहीं थी। शायद वक़्त और हालातों ने उसे ऐसा बना दिया था। वरना उसकी बहन तो एक काँच की गुड़िया की तरह थी, और सब लोगों से काँच की गुड़िया की तरह ही पेश आती थी। लेकिन आज जो सनम उनके सामने थी, वह तो खुद में ही एक टाइम बम थी, जो कभी भी, कहीं भी, किसी पर भी फट सकती थी, और उसकी चपेट में आने वाला इंसान अपने वजूद तक को खो सकता था।
अर्जुन ने अक्षरा की तरफ़ देखकर कहा, "जल्दी से तैयार होकर चलो। अगर हमसे पहले वह घर पहुँच गई ना, तो सोच लेना फिर तुम्हारे साथ क्या करेगी।" सनम के नाम का खौफ उसकी तीनों भाभियों में इस तरह समा गया था कि अक्षरा जल्दी से वहाँ से अपने कमरे की तरफ़ भाग गई। वहीं अक्षरा को इस तरह जाते देखा अर्जुन के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
अक्षय के फ़ोन पर बार-बार तारा का कॉल आ रहा था, और अक्षय बार-बार तारा के कॉल को कट कर रहा था। तभी सनम ने बिना खोले अक्षय से कहा, "भाई, उठा लो, भाभी परेशान हो रही है।" अक्षय ने जल्दी से फ़ोन उठाकर अपने कान से लगाया। दूसरी तरफ़ से तारा की आवाज़ आई, "अक्षय, कहाँ हो तुम? और यह सनम इतना कैसे बदल गई? जब तक मैं इंडिया से गई थी, तब तक तो यह सात्विक के पीछे पागल थी, और जब मैं इंडिया आई, तो वह पूरी तरीके से बदल चुकी है। कहीं यह सनम की जगह तुम किसी और को तो नहीं उठा लाया अपने घर?" वहीं अक्षय ने धीमी आवाज़ में तारा से कहा, "वह मेरे पास बैठी है। अगर तुम चाहती हो कि आज शाम को वह तुम्हारी बैंड बजाए, तो बकवास करते रहो।" जैसे ही तारा ने यह सुना कि सनम अक्षय के पास बैठी है, तारा ने जल्दी से फ़ोन कट कर दिया। क्योंकि उसे इस डेविल से पंगा नहीं लेना था। तारा की इस हरकत पर अक्षय के चेहरे पर मुस्कान आ गई, और उसने फ़ोन को अपनी पॉकेट में रखकर सनम की तरफ़ देखने लगा। सनम अभी भी अपनी आँखें बंद करके बैठी थी, और अपनी आँखें बिना खोले ही अक्षय से बोली, "मेरे चेहरे पर कुछ लिखा है क्या, जो आप इस पर इतने गौर से पढ़ने की कोशिश कर रहे हो?"
सनम के और कौन-कौन से रूप देखने वाले हैं घर वाले? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में।
अक्षय के फ़ोन पर बार-बार तारा का कॉल आ रहा था, और अक्षय बार-बार कॉल काट रहा था। तभी सनम, आँखें बिना खोले, बोली, "भाई, उठा लो। भाभी परेशान हो रही हैं।"
अक्षय ने जल्दी से फ़ोन उठाकर कान से लगाया। दूसरी तरफ़ से तारा की आवाज़ आई, "अक्षय, कहाँ हो तुम? और यह सनम इतनी कैसे बदल गई? जब तक मैं इंडिया से गई थी, तब तक तो यह सात्विक के पीछे पागल थी। और जब मैं इंडिया आई, तो वह पूरी तरह से बदल चुकी है। कहीं यह सनम की जगह तुम किसी और को तो नहीं उठा लाए अपने घर?"
अक्षय ने धीमी आवाज़ में कहा, "वह मेरे पास बैठी है। अगर तुम चाहती हो कि आज शाम को वह तुम्हारी बैंड बजाए, तो बकवास करते रहो।"
तारा ने यह सुनते ही, कि सनम अक्षय के पास बैठी है, फ़ोन काट दिया, क्योंकि उसे इस "डेविल" से पंगा नहीं लेना था।
तारा की इस हरकत पर अक्षय के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उसने फ़ोन अपनी पॉकेट में रखकर सनम की तरफ़ देखना शुरू कर दिया। सनम अभी भी अपनी आँखें बंद किए बैठी थी। उसने आँखें बिना खोले ही कहा, "मेरे चेहरे पर कुछ लिखा है क्या, जो आप इतने गौर से पढ़ने की कोशिश कर रहे हो?"
अक्षय सनम की बात सुनकर हड़बड़ा गया। "कुछ नहीं, बस देख रहा था कि एक हफ़्ते में मेरी बहन कितनी बदल गई है। कल तक तुम्हारी वजह से सब परेशान रहते थे, लेकिन अब, तुम्हारी वजह से, सबको यह लगता है कि तुम्हारे सामने कोई भी मुसीबत आएगी, या कुछ भी आएगा, तुम सब संभाल लोगी।"
सनम ने अपनी आँखें खोलीं और अक्षय की तरफ़ देखा। एक गहरी साँस भरकर बोली, "पता नहीं भाई, ऐसा क्यों लग रहा है कि मेरी ज़िंदगी में कोई तूफ़ान आने वाला है, और वह तूफ़ान हम सब की ज़िंदगियों को हिलाकर रख देगा। कभी-कभी ऐसा लगता है कि इतनी शांति ज़िंदगी में होना, मतलब तूफ़ान के पहले की शांति माना जाता है।"
अक्षय ने सनम का सर अपने कंधे पर रखते हुए कहा, "कुछ नहीं होगा। सब बेस्ट है। तो फ़िक्र मत कर। तेरे भाई, पापा, चाचू सब हैं ना तेरे साथ? फिर तुझे किस बात की टेंशन है? तुम तो दूसरों को टेंशन देती हो, खुद कोई टेंशन मत लो।"
सनम के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उसने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं। आज सनम के सर में सुबह से बहुत दर्द हो रहा था, और ऊपर से सात्विक के साथ बहस ने उसके दर्द को और बढ़ा दिया था।
एयरपोर्ट पर हलचल मची हुई थी। सबको पता चल गया था कि राजावत खानदान का इकलौता वारिस, अभिमन्यु राजावत, आज इंडिया आने वाला है। एयरपोर्ट पर भारी भीड़ थी, और ज़्यादातर भीड़ में लड़कियाँ थीं। सब लोग अभिमन्यु की एक झलक देखने के लिए बेताब थे। अपने प्राइवेट जेट से बाहर आते हुए, अभिमन्यु ने चारों तरफ़ देखा और राघव से कहा, "पीछे के दरवाज़े से चलो। क्योंकि आगे के दरवाज़े पर भीड़ बहुत है। तुम जानते हो ना, मुझे यह सब बिल्कुल पसंद नहीं।"
थोड़ी देर में अभिमन्यु वहाँ से निकल गया। जैसे ही यह खबर मीडिया वालों को लगी, वे परेशान हो गए, क्योंकि वे आज फिर अभिमन्यु को कैप्चर नहीं कर पाए थे। कल रात से ही वे डेरा जमाए बैठे थे, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा था। अभिमन्यु अपनी गाड़ी में अपने लैपटॉप पर मेल चेक कर रहा था।
अभिमन्यु का मोबाइल बजने लगा। यह अभिमन्यु का पर्सनल फ़ोन था, जिस पर उसकी माँ, बाबा, दादा-दादी और बहन-भाई के अलावा कोई कॉल नहीं कर सकता था। इसलिए उसने बिना देखे फ़ोन अटेंड कर लिया। दूसरी तरफ़ से एक भरी हुई और थोड़ी तेज आवाज़ सुनाई दी, "आप इंडिया आ गए और आपने अपनी माँ को बताया भी नहीं? इतने पर आये तो नहीं हुए हैं।"
अभिमन्यु ने अपनी आवाज़ को विनम्र करते हुए कहा, "ऐसी बात नहीं है माँ। मैं अर्जेंट काम से इंडिया आया था, इसलिए आपको कोई सूचना नहीं दे पाया। आपसे मिलने ज़रूर आऊँगा। लेकिन अभी ऑफ़िस में काम बहुत है, इसलिए एक हफ़्ते तो मैं नहीं आ सकता।"
दूसरी तरफ़ से अभिमन्यु की माँ, वैष्णवी जी ने कहा, "आपके घर लाने के लिए बंदोबस्त कर दिया है हमने। आपके लिए लड़की पसंद की है। जल्दी से आकर पसंद कीजिए और शादी कर लीजिए। हम जानते हैं, शादी हो जाने के बाद आप दिन में कहीं भी रहो, लेकिन शाम को लौटकर घर वापस आ ही जाओगे।"
शादी की बात सुनकर अभिमन्यु के चेहरे पर गुस्से की झलक आ गई। उसने अपना गुस्सा शांत करने के लिए अपनी आँखें बंद कीं। उसकी आँखों के सामने सनम का मुस्कुराता हुआ चेहरा आ गया, और उसी के साथ अभिमन्यु का सारा गुस्सा शांत हो गया। अभिमन्यु ने अपनी भरी और कठोर आवाज़ में सख्ती से कहा, "माँ, आपको कितनी बार बोला है, मैं शादी नहीं करना चाहता। और जब शादी करूँगा, तो अपनी पसंद की लड़की से करूँगा। ऐसे ही किसी अनजान को अपने गले में घंटी की तरह नहीं लटकाऊँगा। मैं आपसे मिलने आऊँगा, और हाँ, लड़की हम खुद पसंद करेंगे। जिस दिन लड़की की तरफ़ से हाँ हो जाएगी, उस दिन आपको बता देंगे। तब तक आपकी शादी की माला जपना बंद कीजिए।" फिर उसने फ़ोन काट दिया।
अभिमन्यु की बात सुनकर पूरा परिवार सदमे में आ गया था, क्योंकि फ़ोन स्पीकर पर था और पूरा परिवार वैष्णवी जी और अभिमन्यु की बातें सुन रहा था। अभिमन्यु के पापा, राघवेंद्र राजावत, अपने पिताजी, मिस्टर मानवेंद्र राजावत की तरफ़ देखकर बोले, "बाबा साहब, हमें लगता है हमें अभिमन्यु को शादी के लिए फ़ोर्स नहीं करना चाहिए। आप जानते हैं वह कितना ज़िद्दी है। अगर हमने उसके साथ थोड़ी सी भी ज़बरदस्ती करने की कोशिश की, तो इस घर में भूकंप आ जाएगा। और हम अपने घर में शांति चाहते हैं। अगर वह अपनी पसंद की लड़की से शादी करना चाहता है, तो हमें कोई एतराज़ नहीं है।"
दादाजी ने दादी और माँ की तरफ़ देखा। वे भी हाँ में सिर हिला रही थीं। दादाजी ने राघवेंद्र जी की तरफ़ देखकर कहा, "आप फ़िक्र ना करें बेटा। हमें भी अभिमन्यु के लव मैरिज करने से कोई दिक्कत नहीं है।"
तभी वैष्णवी जी की आवाज़ आई, "हमें दिक्कत है! और हम अपने बेटे की लव मैरिज कभी नहीं होने देंगे! आप जानते हैं ना, देवर जी ने लव मैरिज की थी और उसके बाद क्या हुआ था? कितना दर्दनाक अंत हुआ था देवर जी की लव मैरिज का! और हम अपने बेटे की किस्मत में ऐसा दर्द कभी नहीं आने देंगे! इसीलिए हम लव मैरिज के ख़िलाफ़ हैं! अगर हमारे बेटे ने हमारे ख़िलाफ़ जाकर कुछ भी क़दम उठाया, तो फिर हम भी वैष्णवी राघवेंद्र राजावत हैं! हम अगर अपनी बात पर अड़े, तो कोई हमें रोक नहीं पाएगा!"
दादी ने वैष्णवी जी के कंधे पर हाथ रखा, "इतना गुस्सा सेहत के लिए ठीक नहीं है, वैष्णवी। शांत रहिए। और एक बार अभिमन्यु की पसंद से मिलने में कोई बुराई नहीं है। अगर हमें वह लड़की पसंद नहीं आएगी, तो हम कभी भी अभिमन्यु की शादी उससे नहीं होने देंगे। चाहे अभिमन्यु ज़िंदगी भर बिना शादी के ही रहे, लेकिन हम किसी गलत लड़की से अपने बेटे की शादी नहीं होने देंगे। इसीलिए खुद को शांत रखिए। अगर अभी आप बगावत करेंगी, तो अभिमन्यु आपसे ज़्यादा बगावत करेगा और तांडव मचा देगा पूरे घर में। इसीलिए शांत रहिए और उनकी पसंद को ऑब्ज़र्व कीजिए।"
सब बड़े आपस में बातें कर रहे थे, लेकिन वहाँ दो लोग ऐसे थे जो अभिमन्यु की बात सुनकर खुश हो गए थे। अगर अभिमन्यु लव मैरिज कर सकता है, तो शायद आगे चलकर वे दोनों भी कर सकेंगे। लेकिन उन्होंने अपने चेहरे पर ऐसी कोई भी भावना आने नहीं दी, वरना वैष्णवी जी उन दोनों का घर से बाहर निकलना बंद कर देतीं। वहीं अभिमन्यु की छोटी बहन राधिका और अभिमन्यु का छोटा भाई निखिल चुपचाप वहाँ से उठकर अपने-अपने कमरों में चले गए, क्योंकि वे जानते थे कि अगर बड़ों की नज़र उन पर पड़ गई, तो उनकी ज़िंदगी का आखिरी दिन हो जाता। इसलिए वे चुपचाप अपने कमरे में जाकर सोचने लगे कि कौन है वह नसीबदार लड़की, जिसे अभिमन्यु राजावत ने पसंद किया है।
अभिमन्यु की भावनाओं से अनजान सनम अपने घर पर अपनी भाभियों के वेलकम की तैयारी कर रही थी। हर्षवर्धन जी ने तय कर लिया था कि वे अक्षय की भी कोर्ट मैरिज कर देंगे, और उसके बाद अपने तीनों बेटों की शादी का एक बहुत ही ग्रैंड रिसेप्शन देंगे, जिसमें वे सबको बुलाएँगे। इसलिए उन्होंने तय कर लिया था कि कल अक्षय और तारा की भी कोर्ट मैरिज कर दी जाए, और उसके बाद अच्छा सा मुहूर्त देखकर उनका रिसेप्शन कर देंगे। सनम बहुत खुश थी। इस ज़िंदगी में आकर उसे बहुत कुछ मिल गया था – परिवार का साथ, परिवार का प्यार, तीन भाई, तीन भाभियाँ, दो माँओं का प्यार, पिताओं का प्यार, दादा-दादी का आशीर्वाद। लेकिन उसे दुख भी होता था कि वह अपनी ज़िंदगी नहीं जी रही थी, वह किसी और की ज़िंदगी जी रही थी। लेकिन फिर अपने आप को शांत करके अक्षय की शादी की तैयारी में लग गई।
अगली सुबह पूरे मल्होत्रा मेंशन में अफरा-तफरी मची हुई थी, क्योंकि आज एक बहू का गृहप्रवेश था, और दूसरी बहू पहली बार अपने ससुराल आ रही थी। महिमा भी बहुत खुश थी कि उसके दो देवरानियाँ इस घर में आ गई हैं। अगर कभी वह नाराज़ होगी, तो वे तीनों मिलकर उसका गुस्सा सहन कर लेंगी। वहीं हर्षवर्धन जी के पास ऑफ़िस से कॉल आया कि राजावत इंडस्ट्रीज़ ने उनका प्रपोज़ल एक्सेप्ट कर लिया है, और वे उनके साथ प्रोजेक्ट करने के लिए तैयार हैं। अब हर्षवर्धन जी परेशान थे कि वे अपने किस बेटे को भेजें, लेकिन वे अपने किसी बेटे को नहीं भेज सकते थे। लेकिन तभी उनकी नज़र सनम पर गई। उन्होंने सनम को अपने पास बुलाकर उसे सारी बात बताई। सनम ने अपने पिता की बात सुनकर कहा, "ठीक है, मैं चली जाती हूँ। इसमें क्या है? उन तीनों का यहाँ रहना ज़रूरी है।" हर्षवर्धन जी को थोड़ी परेशानी हो रही थी, क्योंकि वे राजावत इंडस्ट्रीज़ के सीईओ, अभिमन्यु राजावत के बारे में जानते थे। वह बहुत ही गुस्से वाला आदमी था, और वे अपनी बेटी को ऐसे किसी आदमी की नज़रों में आने देना नहीं चाहते थे।
आधे घंटे में सनम तैयार होकर मल्होत्रा कंपनी के लिए निकल गई। वहीं उसके तीनों भाइयों को बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन सनम ने अपने भाइयों को समझा दिया था कि अभी उनकी भाभियों को उन तीनों की ज़रूरत है, और वह जल्दी ही प्रेजेंटेशन देकर वापस आ जाएगी।
सनम की कार मल्होत्रा कंपनी के बाहर रुकी। तुरंत ही एक बॉडीगार्ड जाकर गेट खोल दिया। अपने बिज़नेस सूट में सनम बाहर निकली। उसने ब्लैक कलर का बिज़नेस सूट पहना हुआ था। वह अप्सरा की तरह खूबसूरत लग रही थी। उसके चेहरे पर एटीट्यूड साफ़ झलक रहा था। उसकी चाल में एक रॉयलटी थी। ऐसा लग रहा था कि कोई कहानी की रानी चलकर आ रही हो। जैसे-जैसे वह जा रही थी, वैसे-वैसे ऑफ़िस के एम्प्लॉयी की नज़र उसके ऊपर जा रही थी, लेकिन कोई भी सनम को कुछ नहीं बोल सकता था। सब लोग उसे "गुड मॉर्निंग" विश करके अपनी-अपनी जगह खड़े हो गए थे। सनम ने भी सबको प्यार से "गुड मॉर्निंग" विश किया और अपनी प्राइवेट लिफ़्ट से सीईओ के केबिन में चली गई। वहाँ जाकर उसने प्रेजेंटेशन को अच्छे से रिहर्सल किया।
थोड़ी देर में समीर का असिस्टेंट आकर सनम को बताया कि राजावत इंडस्ट्रीज़ के सीईओ कॉन्फ़्रेंस हॉल में पहुँच चुके हैं। यह सुनकर सनम भी अपने पूरे कॉन्फ़िडेंस के साथ वहाँ से कॉन्फ़्रेंस हॉल के लिए निकल गई। जैसे ही कॉन्फ़्रेंस हॉल का गेट खुला और सनम अंदर गई, अभिमन्यु की नज़रें सनम पर टिक गईं। ऐसा लग रहा था कि वह अपनी आँखों से ही सनम को स्कैन कर लेगा। वह सनम के एटीट्यूड और कॉन्फ़िडेंस को बारीकी से देख रहा था, और आज उसे अपने पसंद पर गर्व हो रहा था।
सनम ने अभिमन्यु से हाथ मिलाया और अपनी चेयर पर जाकर बैठ गई। अभिमन्यु अपने उस हाथ को देख रहा था, जिसे थोड़ी देर पहले सनम ने पकड़ा था। अभी तक सनम की नज़रें अभिमन्यु पर नहीं गई थीं। फिर सनम ने अभिमन्यु की तरफ़ देखते हुए कहा, "मीटिंग स्टार्ट करें। हमें अर्जेंटली कहीं जाना है मीटिंग के बाद।" अभिमन्यु ने "ओके" कहा। सनम प्रेजेंटेशन देने लगी। सनम का प्रेजेंटेशन देने का तरीका देखकर अभिमन्यु इम्प्रेस हुए बिना नहीं रहा। उसे सच में आज अपनी पसंद पर बहुत प्राउड फील हो रहा था। अब वह जानता था कि सनम उसके खानदान को और वहाँ के रीति-रिवाजों को बहुत अच्छे से निभा लेगी। इसीलिए अब उसका जुनून और पागलपन सनम के लिए और बढ़ गया था। अनजान थी सनम इस बात से कि उसने किसी और को अपनी तरफ़ आकर्षित करने में कामयाबी पाई है।
जैसे ही प्रेजेंटेशन बंद हुआ और कॉन्फ़्रेंस हॉल की लाइट जली, वैसे ही कॉन्फ़्रेंस हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई देने लगी। सबसे पहले ताली बजाने वाला कोई और नहीं, अभिमन्यु था। आज पहली बार अभिमन्यु ने किसी के लिए खड़े होकर अपना सम्मान दिखाया था। वहीं सनम के चेहरे पर कॉन्फ़िडेंस और बढ़ गया। उसने अभिमन्यु से हाथ मिलाते हुए कहा, "प्रोजेक्ट पक्का?" अभिमन्यु ने सनम का हाथ पकड़कर कहा, "जी, बिल्कुल! चलिए, पेपर सेंड कर लेते हैं, और कल से ही काम स्टार्ट कर देते हैं। मुझे यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।" लेकिन सनम ने अभिमन्यु की तरफ़ देखते हुए कहा, "लेकिन यह प्रोजेक्ट मेरे बड़े भाई हैंडल करेंगे।"
सनम की बात सुनकर अभिमन्यु के चेहरे पर गुस्सा दिखाई देने लगा, लेकिन उसने अपने गुस्से को बाहर नहीं आने दिया। फिर अभिमन्यु ने सनम की तरफ़ देखते हुए कहा, "देखिए मिस मल्होत्रा, प्रेजेंटेशन आपने दिया, इंप्रेशन आपका बना, तो यह प्रोजेक्ट भी आपको ही करना होगा। अदरवाइज़, मैं यह प्रोजेक्ट किसी और कंपनी को दे दूँगा, क्योंकि मैं ऐसे लोगों के साथ काम करना पसंद नहीं करता जो प्रेजेंटेशन कोई और बनाए और कोई और उसे प्रेजेंट करे।" अभिमन्यु की बात सुनकर सनम को थोड़ा गुस्सा आया, लेकिन उसने कुछ ना कहकर कहा, "ठीक है, मैं यह प्रोजेक्ट हैंडल करूँगी।" वहीं कॉन्फ़्रेंस हॉल में लगे सीसीटीवी कैमरों से तीनों भाई, हर्षवर्धन जी, दादाजी और अनुज जी, सनम को देख रहे थे। सनम का कॉन्फ़िडेंस, उसका प्रेजेंटेशन देने का तरीका, उसका एटीट्यूड, उन सबको बहुत पसंद आ रहा था। हर्षवर्धन जी को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनकी वही सनम है, जिसे खुद का होमवर्क करने में भी मुश्किल होती थी।
आगे क्या होगा, कहानी में जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ। मिलते हैं अगले एपिसोड में...
सनम की बात सुनकर अभिमन्यु के चेहरे पर गुस्सा दिखाई देने लगा, लेकिन उसने अपने गुस्से को बाहर नहीं निकलने दिया। तभी अभिमन्यु सनम की तरफ देखकर बोला, "देखिए मिस मल्होत्रा, प्रेजेंटेशन आपने दिया, इंप्रेशन आपका बना, तो यह प्रोजेक्ट भी आपको ही करना होगा। वरना मैं यह प्रोजेक्ट किसी और कंपनी को दे दूँगा, क्योंकि मैं ऐसे लोगों के साथ काम करना पसंद ही नहीं करता जो प्रेजेंटेशन कोई और बनाए और कोई और उसे present करे।"
कोई और।
अभिमन्यु की बात सुनकर सनम को थोड़ा गुस्सा आया, लेकिन उसने कुछ न कहकर कहा, "ठीक है, यह प्रोजेक्ट मैं ही हैंडल करूंगी।"
वहीं कॉन्फ्रेंस हॉल में लगे सीसीटीवी कैमरे से तीनों भाई—हर्षवर्धन जी, दादा जी और अनुज जी—सनम को देख रहे थे। सनम का कॉन्फिडेंस, उसका प्रेजेंटेशन देने का तरीका, उसका एटीट्यूड, उन सबको बहुत पसंद आ रहा था। हर्षवर्धन जी को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनकी वही सनम है जिसे खुद का होमवर्क करने में भी मौत आती थी।
हर्षवर्धन जी दादा जी की तरफ देखकर बोले, "पापा, आपको नहीं लगता कि सीडीओ से गिरने के बाद सनम बिल्कुल बदल गई है? पुरानी सनम और इस सनम में जमीन आसमान का अंतर है।"
दादाजी हर्षवर्धन के हाथ पर अपना हाथ रखकर बोले, "बेटा, जब कोई हमारे आत्मसम्मान को चोट पहुँचाता है ना, तो इंसान खुद-ब-खुद बदल जाता है। और तुम फ़िक्र मत करो, हमारी सनम मैच्योर हो गई है। हम हमेशा यही सोचते थे ना कि सनम का क्या होगा, लेकिन आज की सनम को देखकर हमें लगता है कि उसे किसी के प्रोटेक्शन की ज़रूरत नहीं है। तो उसे खुलकर उसकी ज़िंदगी जीने दो। उसे बिज़नेस सीखना है, तो उसे बिज़नेस सीखने दो। और मैं चाहता हूँ यह प्रोजेक्ट सनम ही करे, क्योंकि मिस्टर राजावत के साथ काम करके सनम को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। इसीलिए मेरा यह फ़ाइनल डिसीज़न है।"
सब लोग दादाजी की तरफ देखकर बोले, "हमें कोई दिक्कत नहीं है अगर सनम यह प्रोजेक्ट करती है तो।"
अपने बेटों और पोतों की बात सुनकर दादा जी को बहुत अच्छा लगा।
दादाजी वहाँ से उठकर अपने कमरे की तरफ चले गए और कमरे में आने के बाद बालकनी में खड़े होकर बोले, "मैंने मिस्टर राजावत की आँखों में सनम के लिए जो जुनून देखा है, अगर वह सच हुआ, तो हमारी सनम इस दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की होगी, जिसे अभिमन्यु राजावत जैसा जीवनसाथी मिलेगा। हमने पहले ही अभिमन्यु की शादी अपनी सनम से करवाने का फैसला ले लिया था। सनम को उनकी फैमिली पसंद भी करती है, लेकिन मुद्दा यह था कि क्या अभिमन्यु सनम से शादी करना चाहता है। लेकिन आज देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। इसीलिए मैंने सनम को यह प्रोजेक्ट करने के लिए बोला। मेरी बेटी की ज़िंदगी में खुशियाँ आ जाएँ, इससे ज़्यादा मुझे क्या ही चाहिए।"
वहीं दूसरी तरफ, सात्विक अपने घर पर इधर-उधर चहलकदमी कर रहा था। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि कल तक जो लड़की उसके प्यार में पागल थी, उसके पीछे दीवानों की तरह घूमती-फिरती थी, आज वह लड़की उसे बेइज़्ज़त कैसे कर सकती है? क्या यह सब कुछ वह इसलिए कर रही है कि सात्विक ने उसे रिजेक्ट किया था? या वह यह सब सात्विक की नज़रों में आने के लिए कर रही है? यही सब सोचते हुए सात्विक सोफ़े पर बैठ गया। तभी सात्विक का दोस्त संजय सात्विक से बोला, "जैसे तूने बताया, उस हिसाब से अब सनम को तुझमें कोई इंट्रेस्ट नहीं रहा है।"
संजय की बात सुनकर सात्विक को बहुत गुस्सा आया। पता नहीं क्यों, वह सनम को अपनाना भी नहीं चाहता था और उसे छोड़ना भी नहीं चाहता था। उसके मन में क्या था, यह तो वही जानता था। लेकिन संजय की बात सुनकर सात्विक के दिमाग के तार हिल गए थे। सात्विक संजय की तरफ देखकर बोला, "मैं उसे अपनी ज़िंदगी में शामिल भी नहीं करूँगा और उसे किसी और का होने भी नहीं दूँगा, क्योंकि उसने मेरी, सात्विक शर्मा की, बेइज़्ज़ती की है। अब तुम देखो, मैं उसे पूरी दुनिया के सामने बेइज़्ज़त कर दूँगा और ताउम्र अकेली रहेगी वह, देख लेना इस बात को।"
संजय सात्विक के कंधे पर हाथ रखकर बोला, "अपनी ज़िंदगी में खुश रह सात्विक, और उसे अपनी ज़िंदगी में खुश रहने दे, क्योंकि वह तेरी ज़िंदगी से जा चुकी है। उसके बारे में शायद तुझे पहले नहीं पता था, लेकिन आज मैं तुझे बता देता हूँ, सनम मल्होत्रा कोई छोटी-मोटी अमीर लड़की नहीं है। सनम मल्होत्रा दुनिया के नंबर 2 पर आने वाली मल्होत्रा परिवार की इकलौती बेटी है, जयवर्धन मल्होत्रा की पोती, हर्षवर्धन मल्होत्रा की बेटी और समीर मल्होत्रा की बहन है। वह शायद समीर ने और सनम ने तुझे कभी बताया नहीं, लेकिन पूरी दुनिया में पैसों के मामले पर नंबर 2 है मल्होत्रा फैमिली। लेकिन जब तूने उनकी बेटी को रिजेक्ट कर दिया, तो अब वह तुझे क्यों कोई मौका देंगी? तुझे क्या लगता है तेरा बिज़नेस ऐसे ही चलने लगा था? तुझे प्रोजेक्ट ऐसे ही मिलने लगे थे? यह सब कुछ सनम कर रही थी तेरे लिए। तुझे यह घर खरीदने के लिए पैसे मैंने नहीं, बल्कि सनम ने दिए थे। मेरे पास इतने पैसे कहाँ थे जो मैं तुझे दे देता? तेरे घर में, तेरे किचन में जो भी सामान आया, वह कुछ सनम ने अपने हाथों से रखा था, और यह बात सिर्फ़ मैं जानता हूँ। अब जब तूने उसका दिल तोड़ ही दिया है, तो खुश रहना समीरा के साथ, क्यों उसकी ज़िंदगी को बर्बाद करने पर तुला है?"
सात्विक हैरानी से संजय की तरफ देखकर बोला, "लेकिन यह सब कुछ तो मेरे लिए समीरा ने किया था ना? उसने खुद मुझे बताया।"
संजय हँसते हुए बोला, "तुझे लगता है उस मिडिल क्लास फैमिली की उस बेटी के पास इतना पैसा और पॉवर कहाँ से आ गई जो वह तेरे लिए इतना सब कुछ कर सके?" 🔥
संजय की बात सुनकर सात्विक का पूरा वजूद हिल चुका था। आज जाकर उसे समझ आया था कि उसने क्या खो दिया है। तो उसने संजय का हाथ पकड़कर कहा, "क्या सनम मुझे माफ़ करेगी जब मैं उसे यह सब कुछ बताऊँगा?"
संजय सोफ़े पर से उठकर खड़ा हुआ और बोला, "नहीं करेगी, क्योंकि सनम मल्होत्रा अपनी एक बार छोड़ी हुई किसी चीज़ को दोबारा नहीं अपनाती। यह बात तुझे उसके बारे में कहीं भी देखने और सुनने को मिल जाएगी। इसीलिए अब उसकी आँखों के सामने कभी मत आना, क्योंकि इस बार अगर तुम उसके सामने आए, तो वह तुम्हें पूरी तरीके से बर्बाद कर देगी, क्योंकि सनम मल्होत्रा प्यार भी शिद्दत से करती है और नफ़रत तो उससे भी ज़्यादा शिद्दत से करती है।" यह बोलकर संजय वहाँ से चला गया और सात्विक अपना सर पकड़कर बैठ गया। समीरा के एक झूठ ने सात्विक से उसकी सनम को छीन लिया था।
राजावत इंडस्ट्रीज़
अभिमन्यु अपने केबिन में बैठा अपने ऑफ़िस का काम कर रहा था। तभी उसके ऑफ़िस का गेट एक झटके में खुला। गुस्से में अभिमन्यु जैसे ही सामने देखा, उसने अपने सामने अपनी माँ को देखा। अभिमन्यु अपनी चेयर से उठकर खड़ा हुआ और आकर वैष्णवी जी के पैर छूकर बोला, "आपके यहाँ आने की क्या ज़रूरत पड़ गई माँ? मैं खुद ही आपके पास आ जाता शाम को।"
वैष्णवी जी ने गहरी साँस भरकर सोफ़े पर जाकर बैठकर कहा, "हमने आपकी शादी तय कर दी है। अब आपकी मर्ज़ी हो ना हो, आपको इस लड़की से शादी करनी पड़ेगी, क्योंकि यह हमारी इज़्ज़त और हमारे खानदान का सवाल है।"
अभिमन्यु गुस्से में अपनी माँ की तरफ़ देखकर बोला, "आपने मुझसे बिना पूछे मेरी ज़िंदगी का इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया माँ? और मैं आपको पहले ही बता चुका था कि मैंने अपने लिए लड़की पसंद कर ली है। फिर क्यों आप दो-दो लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद करना चाहती हैं?"
वैष्णवी जी अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोलीं, "जो लड़की अभी हमारे घर और तुम्हारी ज़िंदगी में आई नहीं, तभी उसने हमारे घर में तमाशा और लड़ाइयाँ स्टार्ट कर दी, तो सोचो अगर वह तुम्हारी ज़िंदगी में आ जाएगी तो हमारे घर में कितने तमाशे होंगे? हमारी इज़्ज़त, हमारा खानदान, सब कुछ बर्बाद हो जाएगा।"
अपनी माँ की बात सुनकर अभिमन्यु गुस्से में वहाँ का एक बस उठाकर जमीन में मार दिया और गहरी-गहरी साँसें लेने लगा। अभिमन्यु का गुस्सा देखकर वैष्णवी जी भी एक पल को डर गईं, लेकिन फिर भी वह वहीं खड़ी रहीं, क्योंकि वह जानती थीं अभिमन्यु कभी उनके साथ कोई गलत व्यवहार नहीं कर सकता और आखिर में अभिमन्यु को वैष्णवी जी की बात माननी ही पड़ेगी।
अपने बॉस के केबिन में से इस तरह की लड़ाई-झगड़े की आवाज़ सुनकर पूरा ऑफ़िस डर गया था, क्योंकि सब जानते थे कि अब अभिमन्यु उन सब का गुस्सा अपने एम्प्लॉइज़ पर निकालेगा। इसलिए सब डरकर जल्दी-जल्दी अपना काम करने लगे, क्योंकि सबको अपनी जान और अपनी नौकरी बहुत प्यारी थी।
अभिमन्यु अपनी माँ की तरफ़ देखकर बोला, "माँ, मेरी एक बात आप कान खोलकर सुन लो, मैं अपनी ज़िंदगी में अपनी रानी सा के अलावा किसी और को जगह नहीं दूँगा। अगर आपने मेरी शादी जबरदस्ती उस लड़की से करवा दी, तो वह दिन मेरा राजावत परिवार में और राजावत महल में आखिरी दिन होगा। तो आप सोच-समझकर फ़ैसला लेना, क्योंकि आप बहुत अच्छे से जानती हैं कि अभिमन्यु राजावत अपनी बात से कभी मुकरता नहीं है। मैंने तो खुद से कहा है कि मैं उस लड़की के प्रति कमिटेड हूँ। अभी तक तो वह यह भी नहीं जानती कि कोई अभिमन्यु राजावत उससे मोहब्बत करता है, तो आप कैसे हमारे बीच हो रही बातचीत का ज़िम्मेदार उसे समझ सकती हैं? क्यों आप उसे दोष दे रही हैं?"
अभिमन्यु की बात सुनकर वैष्णवी जी को एक तगड़ा झटका लगा, क्योंकि वैष्णवी जी को नहीं लगा था कि उनका बेटा उनके ख़िलाफ़ जाकर ऐसी बात भी कर सकता है। लेकिन अब उन्हें अपनी सास की बात सच होती नज़र आ रही थी। इसीलिए वैष्णवी जी अभिमन्यु से बिना कुछ बोले अभिमन्यु के केबिन से निकल कर चली गईं।
वैष्णवी जी के जाने के बाद अभिमन्यु अपने ऑफ़िस में मौजूद सारी चीज़ों को तोड़ दिया, क्योंकि उसका गुस्सा उसे संभाले नहीं संभल रहा था। क्योंकि यह पहली बार था जब अभिमन्यु ने अपनी माँ से इस तरह बात की थी और इस बात को अभिमन्यु बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। लेकिन वह अपनी मोहब्बत को भी तो नहीं छोड़ सकता था। उसकी माँ समझने की कोशिश ही नहीं कर रही थी कि अभिमन्यु की खुशी किसमें है।
वहीं वैष्णवी जी अभिमन्यु के केबिन से निकलने के बाद अपनी गाड़ी में आकर बैठ गईं और अपने मन में गुस्से और नफ़रत की भावना से बोलीं, "हम उस लड़की को कभी अपने घर की बहू नहीं बनाएँगे, जिसने हमारे घर में आने से पहले ही हमारे बेटे को हमसे छीन लिया।"
मिलते हैं next part में.....
वैष्णवी जी अभिमन्यु के केबिन से निकलने के बाद अपनी गाड़ी में बैठ गईं और अपने मन में गुस्से और नफरत की भावना से कहा, "हम उसे लड़की को कभी अपने घर की बहू नहीं बनाएँगे। जिसने हमारे घर में आने से पहले ही हमारे बेटे को हमसे छीन लिया।"
वैष्णवी जी इस बात से अनजान थीं कि उन्होंने अपने बेटे के लिए जिस लड़की को चुना है, वह लड़की और उनके बेटे ने जिस लड़की को पसंद किया है, दोनों एक ही हैं। लेकिन शायद बेटे के मुँह से वैष्णवी जी सही और गलत का फर्क नहीं कर पा रही थीं।
राजावत मेंशन में माहौल बहुत तनावपूर्ण हो गया था। क्योंकि जब से वैष्णवी जी आई थीं, तब से वे बहुत गुस्से में थीं और इसी गुस्से में अपने आस-पास के लोगों को कुछ भी बोल रही थीं। राघवेंद्र जी हैरानी से अपनी पत्नी को देख रहे थे, क्योंकि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वैष्णवी जी किस बात से इतना नाराज़ हैं। उन्हें तो खुश होना चाहिए था कि अभिमन्यु ने अपनी ज़िंदगी में किसी को शामिल करने की कोशिश की है, उसे इस दुनिया में कोई पसंद आया है। लेकिन वैष्णवी जी का जैसा व्यवहार था, उसे देखकर उन्हें यही लग रहा था कि बहुत जल्दी इस मेंशन में बहुत बड़ा तूफ़ान आने वाला था। और यह तूफ़ान से पहले की खामोशी उन्हें बहुत चुभ रही थी।
राघवेंद्र जी अपने माता-पिता के पास बैठे हुए थे, उनसे बात कर रहे थे। "पिताजी, वैष्णवी जी का व्यवहार हमें समझ नहीं आ रहा है। आप जानते हैं कि अगर अभिमन्यु नाराज़ हो गया तो वह किसी से भी शादी नहीं करेगा और अपनी ज़िंदगी में हमेशा अकेला रह जाएगा। लेकिन वैष्णवी को यह बात समझ क्यों नहीं आ रही है?" वहीं दादाजी राघवेंद्र जी के कंधे पर हाथ रखकर बोले, "कोई बात नहीं, अभी वैष्णवी को यह बात समझ नहीं आ रही है, लेकिन एक दिन उसे बात समझ आ जाएगी। आप चिंता ना करें, अभिमन्यु सब संभाल लेगा। इतना विश्वास तो है हमें हमारे पोते पर।"
अभिमन्यु अभी भी गुस्से में अपने ऑफिस में इधर-उधर घूम रहा था। उसे यही सोच-सोचकर गुस्सा आ रहा था कि उसकी माँ उसे उसके प्यार से दूर करना चाहती है। अभिमन्यु ने आज तक अपनी पूरी ज़िंदगी अपनी माँ के नाम की थी। जो उन्होंने कहा, वह माना; जो उन्होंने बताया, वही किया। उन्होंने कहा, "इससे दोस्ती करो," तो उसने की; कहा, "इससे मत करो," तो नहीं की; कहा, "यहाँ जाओ," तो गया; कहा, "यहाँ मत जाओ," तो नहीं गया। लेकिन अब अभिमन्यु बड़ा हो चुका था और अपने खुद के फैसले ले सकता था। अब वह किसी का मोहताज नहीं था। लेकिन फिर भी अपनी माँ की रेस्पेक्ट के लिए वह हमेशा उनके कहे काम को करता था। लेकिन आज वैष्णवी जी ने जो हद पार की थी, वह शायद अभिमन्यु की बर्दाश्त की आखिरी हद थी। अब वह किसी भी कीमत पर सनम को खुद से दूर नहीं जाने देगा।
कहीं दूसरी तरफ, मल्होत्रा मेंशन में अलग ही माहौल था। आज वहाँ पर बहुत सारी खुशियाँ थीं; चारों तरफ खुशियाँ ही मनाई जा रही थीं। तभी सनम ने सबको बताया कि उन्हें राजावत वाली डील मिल चुकी है और इस डील पर सनम काम करेगी। किसी ने कोई ऑब्जेक्शन नहीं किया। यह देखकर सनम को बहुत खुशी हुई कि इस जीवन में उसे समझने वाले लोग हैं, बल्कि उसे हमेशा दबाकर, छुपाकर रखने वाले लोग नहीं हैं।
सनम सोफे पर खड़ी हो गई और सबकी तरफ देखकर बोली, "मेरे पहले प्रोजेक्ट की सक्सेसफुल प्रेजेंटेशन के लिए मैंने सोचा है कि आज मैं अपनी तरफ से आप सबको ट्रीट दूँ। पापा, आप इन तीनों का जब रिसेप्शन रखोगे, तब रखना, लेकिन आज का खाना मैं बनाऊँगी आप सबके लिए।" सनम की यह बात सुनकर सब लोग हैरानी से सनम को देखने लगे। तो सनम सबको अपनी तरफ देखकर बोली, "क्या मैं किसी का मर्डर करने का नहीं बोला? मैंने बोला है मैं खाना बनाऊँगी। आप लोग तो ऐसे रिएक्ट कर रहे हो जैसे मैंने खाना ना बनाने का बोलकर किसी का मर्डर करने का बोल दिया हो।"
अनुज जी सनम के पास आकर बोले, "बेटा, अगर तुम मर्डर करने का बोल देतीं ना, तो हमें इतना बड़ा झटका नहीं लगता, जितना बड़ा झटका हमें यह सुनकर लगा है कि हमारी सनम खाना बनाएगी! वह भी किचन में! आज तक तुमने किचन में कदम भी रखा है?" अनुज जी की बात सुनकर सनम अपना मुँह खोलकर बैठ गई और बोली, "ठीक है, तो आज आप सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठकर देखना कि मैं खाना बना पाती हूँ कि नहीं। अगर मैं खाना नहीं बना पाई तो आज के बाद फिर मैं किचन में नहीं जाऊँगी।" सनम की बात सुनकर सब लोगों को दूसरा झटका लगा, क्योंकि वे लोग जानते थे कि सनम को खाना बनाना नहीं आता। लेकिन वे यह नहीं जानते थे कि यह सनम नहीं, सनम के अंदर कोई और है, जिसके बारे में किसी को खबर ही नहीं थी और उसे अपनी हर एक चीज़ के बारे में पता था। इसीलिए सब एग्री हो गए।
सनम किचन में चली गई। वहीं, सनम के जाने के बाद सब लोग आपस में देखने लगे और अक्षय उठते हुए बोला, "मैं बाहर से खाना ऑर्डर कर रहा हूँ। जिसको खाना है, वह बता दो। क्योंकि अगर इसने कहीं खाने में ऐसा-वैसा कुछ मिला दिया ना, तो सब लोग आज ही परलोक सिधार जाएँगे।" अक्षय की बात सुनकर समीर गुस्से में अक्षय की तरफ देखकर बोला, "क्या बकवास लगा रखी है? मेरी गुड़िया जैसा खाना बनाएगी! आज सबको वही खाना खाना है, नहीं तो किसी को पूरे एक हफ़्ते तक खाना नहीं मिलेगा।" समीर की धमकी सुनकर अक्षय चुपचाप तारा के बगल में बैठ गया। तारा धीरे से अक्षय के कान में बोली, "आज तक आप मुझे डराते आए थे ना, सनम का नाम लेकर। अब आप देखिए कि मैं आपको कैसे आपकी सनम से मार खिलाती हूँ। मैं उसे कहूँगी कि आप उसके खाने की बुराई कर रहे थे। फिर देखना, वह हर रोज़ अपने हाथ से बना-बनाकर आपको खाना खिलाया करेगी, नए-नए एक्सपेरिमेंट करके।"
सब लोग वहाँ से उठकर डाइनिंग टेबल की तरफ चले गए, क्योंकि सब लोग जानते थे कि अगर सनम को पता चल गया तो वह सबसे नाराज़ हो जाएगी और वे अपनी बेटी को नाराज़ नहीं करना चाहते थे। वहीं अनुज जी और पायल जी तो आज बहुत खुश थे कि उनकी बेटी आज पहली बार कुछ बनाने जा रही है। वे सब लोग जैसे ही किचन के दरवाज़े पर खड़े होकर सनम को देखते हैं, तो सबकी आँखें शौक के मारे बाहर आने को हो गई थीं। क्योंकि सनम बहुत प्रोफ़ेशनल तरीके से सब्ज़ियाँ काट रही थी; उसका हर एक कट बहुत परफ़ेक्ट था। इतने अच्छे तरीके से तो अभी तक उनके घर में कोई भी खाना नहीं बन पाता था। सब लोग एक-दूसरे का मुँह देख रहे थे।
अक्षय का मुँह हैरानी के मारे खुल गया था, क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी यह मासूम सी बिगड़ी हुई बहन खाना कब बनाना सीख गई। लेकिन वह यह बात अपनी बहन के मुँह पर नहीं बोल सकता था, क्योंकि उसके बाद उसके पास मुँह ही नहीं रहता कुछ बोलने के लिए। इसलिए उसने चुप रहना ही बेहतर समझा।
समीर और अर्जुन किचन के अंदर आते हैं और सनम के दोनों तरफ़ खड़े हो जाते हैं। फिर कहते हैं, "बेटा, आपको कोई हेल्प की ज़रूरत है तो बता दो, हम लोग कर देंगे।" सनम मुस्कुराकर उन दोनों की तरफ़ देखकर कहती है, "नहीं भाई, मैं खाना बना लेती हूँ।" एक बार फिर समीर सनम के सर पर हाथ फेर कर कहता है, "लेकिन बेटा, आपने खाना बनाना कब सीखा?" सनम मुस्कुराकर कहती है, "मैंने खाना बनाना कॉलेज टाइम में सीखा था। जब मैं आप लोगों को बोलती थी ना कि मुझे एक्स्ट्रा क्लास जाना है, तो मैं खाना बनाना सीखने जाती थी। क्योंकि मैं शायद सात्विक को खुश करना चाहती थी। क्या कुछ भी था, मुझे याद नहीं, पर हाँ, खाना बनाना मैंने सीखा था। यह बात मुझे मेरी डायरी से पता चली।" सब लोगों को अब जाकर पता चलता है कि उनकी बेटी सात्विक को अपनी ज़िंदगी में लाने के लिए कितनी मेहनत कर रही थी, लेकिन उसे सात्विक ने एक पल नहीं लगाया उसका दिल तोड़ने में।
1 घंटे के अंदर-अंदर सनम ने पूरा खाना बना दिया था और सनम की इतनी अच्छी स्पीड देखकर सब लोगों का मुँह खुला का खुला रह गया था। किसी को यकीन नहीं आ रहा था कि सनम ने 1 घंटे में इतना सारा खाना बना दिया था। उसने सबकी पसंद की एक-एक डिश बनाई थी; मीठे में रसमलाई और खीर बनाई थी, और जीरा राइस और रोटी बनाई थी। सब लोग खाने की खुशबू लेकर जल्दी से डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं। वहीं सनम अक्षय की तरफ़ देखकर कहती है, "आपको मेरे हाथ का खाना नहीं मिलेगा, क्योंकि अगर मैंने उसमें कुछ मिला दिया होगा तो खाना खाकर आप परलोक सिधार जाओगे। इससे तो अच्छा है आप अपने लिए खाना बाहर से ऑर्डर कर दो।" सनम के मुँह से यह बात सुनकर अक्षय हैरानी से तारा और बाकी घरवालों की तरफ़ देखता है, तो सब लोग अपने कंधे उचका देते हैं, जैसे उन्हें नहीं पता कि सनम को यह बात कैसे पता चली। वहीं अक्षय गिड़गिड़ाते हुए सनम से कहता है, "प्लीज़ ना, गलती हो गई। प्लीज़, आज तुमने पहली बार खाना बनाया है और अपनी प्यारी भाई को नहीं खिलाओगी?" सनम ना में अपनी गर्दन हिलाकर कहती है, "बिल्कुल नहीं!" और सबको खाना परोसने लगती है।
अभिमन्यु अपने ऑफिस में बैठा मल्होत्रा मेंशन की लाइव वीडियो देख रहा था। उसे बहुत खुशी हो रही थी कि उसकी सनम हर फ़ील्ड में नंबर वन है। वरना उसे तो यही लग रहा था कि पढ़ाई और बिज़नेस के चक्कर में सनम पता नहीं घर का काम कर पाएगी कि नहीं। लेकिन आज सनम को खाना बनाते हुए और उसे सब कुछ परफ़ेक्ट तरीके से करते हुए देखकर अभिमन्यु को अपनी पसंद पर बहुत गर्व महसूस हो रहा था। वह समझ गया था कि वह अभी सनम के बारे में बहुत कुछ नहीं जानता है। लेकिन इन दो महीनों में ऐसा क्या हो गया कि सनम पूरी तरीके से बदल चुकी थी? यही बात अभिमन्यु को समझ नहीं आ रही थी, क्योंकि उन दो महीनों का कोई भी डाटा अभिमन्यु के पास नहीं था, क्योंकि उन दो महीनों में अभिमन्यु किसी सीक्रेट मिशन पर बाहर गया हुआ था। इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है।
अभिमन्यु अभी सनम को देख ही रहा था कि अभिमन्यु के फ़ोन पर उसकी माँ का कॉल आने लगा। अभिमन्यु गहरी साँस लेकर कॉल उठा लेता है और कहता है, "बोलिए माँ।" वैष्णवी जी दूसरी तरफ़ से कहती हैं, "अब आपके घर आने के लिए भी फ़ोन करना पड़ेगा? रात के 10:00 बजने वाले हैं और आप अभी तक घर नहीं आए? आपको अपनी माँ का और अपने परिवार का ख्याल है भी या उस लड़की के पीछे पूरी तरीके से पागल हो चुके हैं?" अपनी माँ की इतनी कड़वी बात सुनकर अभिमन्यु कहता है, "माँ, अभी तक वह मेरी ज़िंदगी में आई नहीं है, आपको इतनी प्रॉब्लम हो रही है। अगर वह मेरी ज़िंदगी में आ गई तो आप उसे चैन से जीने दीजिए या नहीं?" अपने बेटे के मुँह से ऐसी बात सुनकर वैष्णवी जी को बहुत बुरा लगता है और वह तुरंत ही कॉल काट देती हैं।
वैष्णवी जी गहरी साँस लेकर कहती हैं, "मैं तुम्हें अपनी बेटे की ज़िंदगी में कभी नहीं आने दूँगी। लड़की, तुमने आने से पहले ही हमसे हमारा बेटा छीन लिया है और अगर तुम उसकी ज़िंदगी में आ गई तो तुम हमसे हमारे बेटे को दूर कर दोगी। अब देखते जाओ, तुम्हारे बारे में पता करके, तुम्हें अगर अपने बेटे की ज़िंदगी से बाहर निकालकर नहीं फेंकना तो हमारा भी नाम वैष्णवी राघवेंद्र राजावत नहीं।"
अभिमन्यु अपना लैपटॉप लेकर अपने ऑफिस से निकलकर अपनी गाड़ी में बैठकर राजावत मेंशन के लिए निकल गया। पूरे रास्ते वह सनम को ही देख रहा था। सनम के हाथों का खाना खाकर पूरा परिवार बहुत खुश था और सब लोग सनम को गिफ्ट देते हैं। खाना खाकर बचा हुआ खाना सनम फ्रिज में रख देती है और अपने कमरे में चली जाती है। तभी दबे पाँव कोई मल्होत्रा मेंशन में आता है और फ्रिज में रखा हुआ बचा हुआ खाना ले जाकर वहाँ से हवा की रफ़्तार से गायब हो जाता है। कहीं, अभिमन्यु की कार रोड के एक साइड रुकी हुई थी। तभी वहाँ भागते हुए राघव आता है और एक पॉली बैग अभिमन्यु की तरफ़ फेंक देता है। अभिमन्यु बैग लेकर अपनी गाड़ी में बैठकर वहाँ से निकल जाता है। राघव गहरी साँस लेकर कहता है, "प्यार ये करें खतरा! बोल मुझे उठाना पड़ेगा यार! उनके प्यार के चक्कर में किसी दिन मेरी बलि ना चल जाए!" यह बोलते हुए वह अपनी गाड़ी लेकर वहाँ से अपने घर की तरफ़ निकल जाता है।
अभिमन्यु अपनी गाड़ी में बैठा बार-बार उस बैग को देख रहा था; बार-बार उसकी तरफ़ हाथ करता और बार-बार उसे छुपा लेता। इसी बीच उनकी कार कब राजावत मेंशन पहुँच जाती है, उसे पता ही नहीं चलता। राजावत मेंशन पहुँचने के थोड़ी देर बाद ही अभिमन्यु अपने कमरे की तरफ़ जा रहा था, तभी उसे अपनी माँ की आवाज़ सुनाई देती है, "खाना लग रहा है, जल्दी आकर खाना खा लीजिए।" अभिमन्यु गहरी साँस लेकर कहता है, "माँ, हम खाना खाकर आए हैं, तो आप प्लीज़ खाना खाकर सो जाइए और आज हम आपको एक बात बता देते हैं, इतनी देर रात तक हमारा इंतज़ार मत किया कीजिए। हमें आने में कई बार बहुत देर हो जाती है और आप इस तरह भूखे बैठकर हमारा इंतज़ार करती हैं, हमें बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।"
वैष्णवी जी अभिमन्यु की तरफ़ देखकर कहती हैं, "ठीक है, कल से नहीं करेंगे आपका इंतज़ार।" यह बोलकर अपने पैर पटकते हुए अपने कमरे की तरफ़ निकल जाती हैं। अभिमन्यु गहरी साँस भरता है, फिर अपने कमरे में चला जाता है। उसे बैग को और अपने कोट को वहीं रख देता है, फिर नीचे आता है और किचन से खाना गरम करके एक प्लेट में लगाकर अपनी माँ के कमरे की तरफ़ चला जाता है। जैसे ही वह कमरे में पहुँचता है, देखता है राघवेंद्र जी बेड पर बैठे कोई बुक पढ़ रहे थे। अभिमन्यु जाकर अपने पापा के पैर छूता है, फिर अपनी माँ के पैर छूकर कहता है, "माँ, नाराज़ होने की कोई बात नहीं है। मैंने तो सिर्फ़ इसलिए कहा क्योंकि मुझे देर रात हो जाती है और आपको अपनी दवाइयाँ लेनी होती हैं, तो आप टाइम से अपना खाना खा लिया कीजिए ना। और फिर मुझे खाना देने के लिए घर में बहुत सारे सर्वेंट हैं, नहीं तो मैं खुद से लेकर खा लिया करूँगा।" वैष्णवी जी गुस्से में अभिमन्यु की तरफ़ देखकर कहती हैं, "यह क्यों नहीं कहते आप कि उस लड़की ने आपको मना किया है इसलिए आप हमसे मना कर रहे हैं? आप उसी के साथ खाना खाकर आए ना?" अभिमन्यु गहरी साँस भरकर अपने पापा की तरफ़ देखकर कहता है, "पापा, संभालिए। जो लड़की अभी तक इस घर में आई नहीं है, उसके लिए ऐसे शब्द इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता माँ को। और हम उन्हें कुछ बोलकर उनकी बेइज़्ज़ती नहीं करना चाहते। और हम आपकी कसम खाकर कहते हैं माँ, हम उनके साथ खाना खाकर नहीं आए और ना ही उन्होंने आपके बारे में हमसे कुछ कहा है। बल्कि अभी तक तो हमने अपने दिल की बात उनको नहीं बताई है। आप कैसे कह सकती हैं कि हर गलत काम का ज़िम्मेदार मैं हूँ?" यह बोलकर अभिमन्यु वहाँ से निकल जाता है।
राघवेंद्र जी वैष्णवी जी की तरफ़ देखकर बोलते हैं, "आपको एक बात बता देते हैं वैष्णवी, आपका जो रवैया है ना, आप अपनी इस रवैये की वजह से अपने बेटे को एक दिन खो देंगी। क्योंकि आप उन्हें बहुत अच्छे से जानती हैं, वह जब तक शांत है तब तक शांत हैं, वरना जिस दिन उनका दिमाग घूम गया ना, उसके बाद इस महल में तांडव होगा और आप बहुत अच्छे से जानती हैं, उसके बाद आप अपने बेटे का चेहरा तक देखने के लिए तरस जाएँगी। हमसे बेहतर आप जानती हैं अभिमन्यु को। इसीलिए बेहतर होगा, खुद के रवैये को बदल लीजिए।" यह बोलकर राघवेंद्र जी बेड पर लेट जाते हैं और आँखें बंद कर लेते हैं। वहीं वैष्णवी जी गुस्से और नफरत की भावना लिए अपने मन में कहती हैं, "हम आपको अपने बेटे की ज़िंदगी में कभी नहीं आने देंगे। अपने आने से पहले ही हमसे हमारा बेटा, हमारा पति छीन लिया और आने के बाद पता नहीं आप क्या करेंगी।"
सनम गहरी नींद में अपने कमरे में सो रही थी, लेकिन वह अपने पिछले जन्म को सपने में देख रही थी, जहाँ सब लोग उसे टॉर्चर कर रहे थे, प्रताड़ित कर रहे थे। वह मदद के लिए चिल्ला रही थी, रो रही थी, लेकिन कोई उसकी मदद के लिए नहीं आ रहा था। सनम की चीखें पूरे मल्होत्रा मेंशन में गूंज जाती हैं, जिसे सुनकर पूरा परिवार हैरानी से सनम के कमरे की तरफ़ भागता है। सनम दर्द के मारे बेड पर तड़प रही थी; उसका सर कभी इधर, कभी उधर; उसके पूरे शरीर से पसीना बह रहा था। यह देखकर सब लोग शौक रह जाते हैं और जल्दी से सनम के पास आकर समीर उसे अपनी बाहों में उठाकर बैठ जाता है और उसके गालों को थपथपाने लगता है। लेकिन सनम पर शायद कोई असर ही नहीं हो रहा था। तभी अर्जुन तुरंत ही डॉक्टर को कॉल करके मल्होत्रा मेंशन आने को बोल देता है और जल्दी से सनम के पास जाकर बैठ जाता है। सनम सिर्फ़ एक ही बात बोल रही थी, "मुझे मत मारो, मुझे छोड़ दो, मुझे मत मारो, मैंने क्या बिगाड़ा है आप लोगों का? मुझे क्यों मार रही हो आप लोग?" यही सब बातें सनम सपने में बोल रही थी।
क्या रंग लाएगा वैष्णवी जी की नफ़रत? क्या अभिमन्यु सनम को एहसास कराएगा अपने प्यार का? क्या वैष्णवी जी सनम को अपनाएँगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में।
सनम गहरी नींद में अपने कमरे में सो रही थी। लेकिन, वह अपने पिछले जन्म को सपने में देख रही थी जहाँ सब लोग उसे टॉर्चर कर रहे थे, प्रताड़ित कर रहे थे। वह मदद के लिए चिल्ला रही थी, चीख रही थी, लेकिन कोई उसकी मदद के लिए नहीं आ रहा था। सनम की चीखें पूरे मल्होत्रा मेंशन में गूंज गईं। जिसे सुनकर पूरा परिवार हैरानी से सनम के कमरे की तरफ भाग गया। सनम दर्द के मारे बेड पर तड़प रही थी। उसका सर कभी इधर, कभी उधर; उसके पूरे शरीर से पसीना बह रहा था। यह देखकर सब लोग शौक़ रह गए और जल्दी से सनम के पास आकर समीर उसे अपनी बाहों में उठाकर बैठ गया और उसके गालों को थपथपाने लगा। लेकिन, सनम पर शायद कोई असर ही नहीं हो रहा था। तभी अर्जुन तुरंत ही डॉक्टर को कॉल करके मल्होत्रा मेंशन आने को बोल दिया और जल्दी से सनम के पास जाकर बैठ गया।
"मुझे मत मारो! मुझे छोड़ दो! मुझे मत मारो! मैंने क्या बिगाड़ा है आप लोगों का? मुझे क्यों मार रही हो आप लोग?" यही सब बातें सनम सपने में बोल रही थी।
हमेशा एंग्री मूड में रहने वाला समीर, अर्जुन और अक्षय की आँखों में आँसू आ गए क्योंकि वे अपनी बहन का दर्द देख रहे थे। वहीं तारा, महिमा, अक्षरा के तो आँसू बहने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वहीं अनुज जी, हर्षवर्धन जी, जयवर्धन जी, दादी माँ रागिनी जी और पायल जी, वे तो अपने मुँह पर हाथ रखकर रो रही थीं।
10 मिनट बाद डॉक्टर मल्होत्रा मेंशन पहुँच गए। डॉक्टर जल्दी से सनम को चेक करने लगे।
"अपने बेड पर लिटा दीजिए, हमें चेक करना है," डॉक्टर ने समीर से कहा।
समीर गुस्से में उसकी तरफ देखकर बोला, "ऐसे ही चेक करो मेरी बहन को!"
डॉक्टर डर की वजह से सनम को चेक करने लगे। डॉक्टर ने सनम को एक इंजेक्शन लगाकर सबको बाहर आने को बोल दिया। बाद में सबकी तरफ देखकर कहा, "बाहर चलिए, कुछ अर्जेंट बात करनी है।" सब लोग बाहर आ गए।
समीर हैरानी से डॉक्टर की तरफ देखकर बोला, "बोलिए डॉक्टर, ऐसी क्या बात थी जो आप कहानी बता सकते थे?"
डॉक्टर समीर की तरफ देखकर बोला, "मिस्टर मल्होत्रा, आपकी बहन को पैनिक अटैक आया है। और यह पैनिक अटैक क्यों आया है, यह तो आप लोग पता कीजिए। सोते में शायद उन्हें अपनी पिछली जिंदगी का ऐसा कुछ याद आ गया है जिससे वह इस तरह से रिएक्ट कर रही है। जब उनका एक्सीडेंट हुआ, उनके साथ क्या हुआ था, आप यह पता करने की कोशिश कीजिए।" डॉक्टर वहाँ से अपनी बात कहकर चले गए।
समीर, अक्षय, अर्जुन तीनों ही हैरान थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उनके रहते हुए उनकी बहन के साथ ऐसा क्या हो गया कि उसे पैनिक अटैक आने लगा, वह भी इस उम्र में। सब लोग सनम के कमरे में पहुँच गए। सनम गहरी नींद में चली गई थी क्योंकि उसे इंजेक्शन दिया गया था। लेकिन फिर भी उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे और उसके माथे पर परेशानी इस बात का सबूत थी कि वह अभी भी अपने होश में वापस नहीं आई थी। तारा अक्षय के सीने से लगकर रह गई।
अक्षय ने कहा, "क्या हुआ है गुड़िया को? तुम तो हमेशा कहते थे कि तुम सब उसका बहुत ख्याल रखते हो, उसे एक छोटी सी खरोच नहीं आने देते। तो फिर ऐसा क्या हो गया गुड़िया की ज़िंदगी में कि उसे पैनिक अटैक आने लगे और आप में से किसी को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है?" तारा की बात सुनकर सब लोग परेशान थे क्योंकि सच में उन्हें नहीं पता था कि सनम को पैनिक अटैक क्यों आ रहे थे।
वहीं दूसरी तरफ, अभिमन्यु जैसे ही अपनी माँ के कमरे से आया, उसने सनम का बना हुआ खाना खाया। उसके बाद उसका मन किया कि वह एक बार सनम को देख ले। और जैसे ही उसने लैपटॉप में सनम के कमरे की लाइफ फ़ुटेज चालू की, दर्द में तड़पती सनम को देखकर अभिमन्यु की मुट्ठी बन गई और वह गुस्से में पैनिक करने लगा। और वह तुरंत ही लैपटॉप लेकर घर से बाहर निकल गया। वैष्णवी जी अपनी बालकनी में खड़ी यह सब कुछ देख रही थीं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं पूछा। अभिमन्यु जल्दी से मल्होत्रा मेंशन के बाहर आकर खड़ा हो गया और वह अभी भी सनम को देख रहा था। डॉक्टर का आना, सबकी चिंता, सब कुछ अभिमन्यु को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हो गया कि सनम को पैनिक अटैक आ रहा है और इस बारे में उसको पता ही नहीं।
अभिमन्यु इंतज़ार कर रहा था कि कब सब लोग सनम के कमरे से बाहर जाएँ और वह सनम से मिल सके। लेकिन पूरा परिवार सनम के कमरे में ही बैठा था, इसीलिए अभिमन्यु वहाँ नहीं आ सकता था। लेकिन वह लैपटॉप में घर से बाहर बैठा सनम की हर एक गतिविधि को देख रहा था और यह भी देख रहा था कि सोते में भी सनम की आँखों से आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। यह सब देखकर अभिमन्यु को बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था। इसीलिए उसने एक बार फिर राघव को कॉल करके सनम की पूरी डिटेल निकालने को बोला। "छोटी सी छोटी चीज़ मिस नहीं होनी चाहिए।"
समीर ने सारे घरवालों को अपने-अपने कमरे में जाने को बोल दिया था, लेकिन कोई जाने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन फिर अनुज जी, दादा-दादी, हर्षवर्धन जी, रागिनी जी, पायल जी सबको बोलकर जबरदस्ती उनके कमरे में भेज दिया। लेकिन तारा, अक्षरा और महिमा ने जाने से साफ़ मना कर दिया। वे वहीं जमीन पर ही बैठ गए थे।
समीर, अर्जुन और अक्षय, वे तीनों ही सनम के पास बैठे थे और बारी-बारी से उसके बालों को सहला रहे थे। वहीं समीर अर्जुन की तरफ देखकर बोला, "अर्जुन, कहीं यह पैनिक अटैक उसे वजह से तो नहीं है? अभी 2 महीने पहले सात्विक ने उसे एक अंधेरे कमरे में बंद कर दिया था और उस कमरे में बहुत सारे जंगली जानवर थे।" जैसे ही अर्जुन को यह बात याद आई, अर्जुन का गुस्सा आसमान पर पहुँच गया। वहीं अपने लैपटॉप के ज़रिए अभिमन्यु भी यह सब कुछ सुन रहा था। इसीलिए उसने तुरंत राघव को ऑर्डर दिया कि वह सात्विक को उसके टॉर्चर रूम में ले आए क्योंकि जितना दर्द और जितने आँसू सनम के बहे थे, उतना ही खून सात्विक का बहने वाला था।
तारा हैरानी से समीर की तरफ देखकर बोली, "भाई, ऐसा क्या हुआ था सनम के साथ कि उसे वजह से उसे पैनिक अटैक आने लगे?"
समीर सबकी तरफ देखकर बोला, "यह बात 3 महीने पहले की है जब सनम सात्विक से मिलने उसके घर गई थी। लेकिन सात्विक अपने घर पर नहीं था। तो सनम ने पता किया तो पता चला कि वह जंगल में एडवेंचर के लिए गया हुआ है। सनम भी वहीं पहुँच गई। हमें यह बात तुम्हारे से पता चली। हमें लगा वह वापस आ जाएगी, इसीलिए हमें सात्विक पर भरोसा था। लेकिन वहाँ समीरा भी सात्विक के साथ थी और समीरा ने ऐसे दिखाया कि सनम ने समीरा को मारने की कोशिश की है। इसीलिए सात्विक ने गुस्से में जंगल में एक कमरा था जिसमें जंगली जानवरों को रखा जाता था, उसमें सनम को बंद कर दिया। सनम पूरी रात उन जंगली जानवरों के बीच बंद रही थी।"
अगली सुबह जब सनम का फोन नहीं लगा और हमें कोई जानकारी नहीं मिली तो हम लोग जंगल पहुँचे। हमने पूरा जंगल ढूँढ लिया था, लेकिन हमें सनम कहीं नहीं मिली थी। फिर हम उस कमरे के पास पहुँचे तो वहाँ जंगली जानवरों की अजीब सी आवाज़ आ रही थी। डर तो हमें बहुत लगा, लेकिन फिर भी पता नहीं दिमाग में क्या आया कि हमने वह कमरा खोल दिया। उसे कमरे को खोलते ही उसमें से जंगली जानवर भागकर जंगल में चले गए। जब हमने अंदर देखा तो सनम बेहोश पड़ी थी। जब हम उसे लेकर अस्पताल पहुँचे तो 2 महीने बाद उसे होश आया था। उसे इतना गहरा सदमा लगा था कि वह टेम्परेरी कोमा में चली गई थी। उसके बाद उसे अंधेरे से और जानवरों से बहुत डर लगने लगा था। यह सब सुनकर तारा गुस्से में समीर, अक्षय और अर्जुन की तरफ देखकर बोली, "और आप लोगों ने उसे सज़ा नहीं दी? ऐसे ही छोड़ दिया कि वह हमारी सनम को दोबारा हानि पहुँचा सके? भाई, आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? आपने देखा ना सनम की कैसी हालत थी?"
आज समीर गुस्से में बोला, "बस कल सुबह का सूरज सात्विक शर्मा के लिए बर्बादी का आगाज़ लेकर आएगा।" यह कहकर उसने जल्दी से किसी को कॉल करके सात्विक शर्मा को उठाने को बोल दिया।
अभिमन्यु समीर की सारी बातें सुन चुका था और अब उसे पता चला कि 2 महीने का डाटा क्यों अभिमन्यु के पास नहीं था, क्यों ऐसा लगता था कि सनम इस दुनिया में होकर भी उससे दूर थी। अभिमन्यु का गुस्सा उसकी हर एक हद पार कर चुका था। अब वह किसी भी कीमत पर सात्विक और समीरा को टॉर्चर करने वाला था, जैसे उन्होंने सनम के साथ किया था, वही अब सात्विक के साथ होने वाला था। अभिमन्यु गुस्से में अपनी कार लेकर वहाँ से निकल गया क्योंकि वह जानता था कि उसके भाई और उसकी भाभियाँ सनम को अकेला नहीं छोड़ेंगे, तो वह कल सुबह ऑफ़िस में ही सनम से मिलेगा। वहीं राघव ने सात्विक और समीरा को उनके घर से उठा लिया था और उन्हें टॉर्चर रूम में जाकर बंद कर दिया। दोनों ही हैरान थे कि उन्हें किसने किडनैप किया और किस वजह से किया।
आधे घंटे बाद अभिमन्यु अपने डार्क और खतरनाक अंदाज़ के साथ अपने टॉर्चर रूम में गया। वहाँ सामने ही कुर्सियों पर सात्विक और समीरा को बाँधकर रखा गया था। अपने सामने अभिमन्यु राजावत को देखकर सात्विक की हालत खराब हो गई। सात्विक अपनी काँपती आवाज़ में अभिमन्यु से बोला, "मिस्टर राजावत, मैंने आपका कुछ नहीं बिगाड़ा, तो आपने मुझे क्यों किडनैप किया?"
सात्विक की बात सुनकर अभिमन्यु जोर-जोर से हँसने लगा और फिर एक लात सात्विक की चेयर में मार दी। तो सात्विक धड़ाम की आवाज़ के साथ फ़र्श पर गिर गया और सात्विक के मुँह से एक जोरदार चीख निकल गई। लेकिन इतने से भी अभिमन्यु का गुस्सा कम नहीं हुआ था।
समीरा की तो हालत ही खराब हो गई थी। सात्विक के साथ ऐसा होते देख अब उसे डर लग रहा था कि उसने कैसे अभिमन्यु राजावत को निराश कर दिया, जिससे उसकी शामत आई है। लेकिन अभी तक अभिमन्यु का ध्यान समीरा के ऊपर नहीं गया था, उसका पूरा ध्यान इस वक़्त सात्विक पर था। तभी एक बॉडीगार्ड जाकर सात्विक की चेयर को फिर से उठा दिया। वहीं सात्विक गिड़गिड़ाते हुए अभिमन्यु से बोला, "मिस्टर राजावत, मेरी गलती तो बता दीजिए, मैं आखिर ऐसा क्या किया है कि आप मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं?"
अभिमन्यु गुस्से में सात्विक के बालों को पकड़ लिया और बोला, "तुम्हारी वजह से मेरी जान को पैनिक अटैक आने लगे! तुम्हारी वजह से! अगर तुम उसे पसंद नहीं करते थे तो मुझे साफ़-साफ़ इनकार भी कर सकते थे, लेकिन तुमने उसके साथ ऐसा व्यवहार किया कि आज वह दर्द से तड़प रही थी! जब वह दर्द से तड़प रही है तो तुम कैसे सो सकते हो?" सात्विक को कुछ समझ नहीं आया था। वह अभिमन्यु की तरफ देखकर बोला, "देखिए मिस्टर राजावत, मैंने आपसे जुड़े हुए किसी भी इंसान को परेशान नहीं किया है और मैं ऐसा इंसान नहीं हूँ जो किसी को परेशान करता हूँ।" तभी अभिमन्यु एक जोरदार थप्पड़ सात्विक के गाल पर मारा और बोला, "मैं सनम मल्होत्रा की बात कर रहा हूँ, मेरी ज़िंदगी है वह लड़की और तुमने मेरी ज़िंदगी को ख़तरे में डाला, तो सोचो मैं अब तुम दोनों के साथ क्या करूँगा?" जैसे ही सात्विक के कानों में यह बात गई कि अभिमन्यु सनम से प्यार करता है और उसका बदला लेने के लिए उसने सात्विक को यहाँ लाया है, तो वह हैरानी से अभिमन्यु को देखने लगा।
अभिमन्यु गुस्से में सात्विक और समीरा की तरफ देखकर बोला, "बहुत शौक़ है ना तुम्हें मेरी जान को जंगली जानवरों के बीच छोड़ने का? अब तुम देखो मैं तुम्हें कैसे जंगली जानवरों के साथ छोड़ता हूँ! और हाँ, सनम को बचाने के लिए तो उसके तीन भाई पहुँच गए थे, लेकिन तुम्हें बचाने के लिए कोई नहीं आएगा! जब तक मैं नहीं चाहूँगा, तुम उन जंगली जानवरों के साथ ही रहोगे!" ऐसा कहते ही अभिमन्यु तुरंत अपने असिस्टेंट राघव को इशारा किया। थोड़ी ही देर में उन दोनों को उठाकर जंगली जानवरों के कमरे में फेंक दिया गया। दोनों ही वहाँ दर्द से चिल्ला रहे थे क्योंकि वे जानवर उन्हें मार रहे थे, ना उन्हें खा रहे थे, लेकिन हाँ, उन्हें डरा जरूर रहे थे।
अभिमन्यु गुस्से में वहीं सोफ़े पर बैठकर ट्रांसपेरेंट ग्लास से उस कमरे में हो रही हर एक चीज़ को देख रहा था। लेकिन अभी तक अभिमन्यु का गुस्सा शांत नहीं हुआ था। इसीलिए उसने वहाँ पर और ख़तरनाक जंगली जानवरों को छुड़वा दिया और वहीं बैठकर उन दोनों के डरे हुए चेहरे को देख रहा था, जो जाने कब के बेहोश हो चुके थे।
अगली सुबह धीरे-धीरे सनम की आँखें खुलीं। जैसे ही उसकी आँखें खुलीं, उसे सबसे पहले समीर का चेहरा दिखाई दिया। सनम हैरानी से समीर को देख रही थी। जब उसने दूसरी तरफ़ देखा तो अर्जुन बैठा था, पैरों की तरफ़ अक्षय बैठा था। जैसे ही उसने सामने देखा तो फ़र्श पर उसकी तीनों भाभियाँ बैठी थीं। यह देखकर सनम हैरान रह गई। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है। सनम की हलचल से तीनों भाइयों की आँखें खुल गईं और तीनों भाई बड़ी-बड़ी आँखों से सनम से उसकी तबियत के बारे में पूछ रहे थे। सनम हैरानी से उन तीनों की तरफ़ देखकर बोली, "लेकिन मुझे क्या हुआ? आप लोग ऐसे क्यों रिएक्ट कर रहे हो?"
समीर ने कहा, "कुछ नहीं बेटा, तुमने रात को एक डरावना सपना देखा था, ना? बस इसीलिए पूछ रहे थे।" सनम को समीर की बात समझ नहीं आई, लेकिन फिर वह समीर की तरफ़ देखकर बोली, "भाई, मुझे ऑफ़िस जाना है।" तीनों ही बेड पर से उठकर खड़े हो गए और सनम बेड पर से उठकर सीधा वॉशरूम में चली गई।
सनम के जाते ही समीर के चेहरे पर बहुत ही अजीब से एक्सप्रेशन आ गए थे। वह सबकी तरफ़ देखकर बोला, "मुझे ऐसा लगता है कि गुड़िया को कल रात के पैनिक अटैक के बारे में कुछ भी याद नहीं है। तो कोई भी इस बारे में उससे बात नहीं करेगा क्योंकि मैं नहीं चाहता कि किसी भी वजह से उसको वो सारी चीज़ याद आए।" सब लोग हाँ बोलकर कमरे से बाहर निकल गए। तारा, अक्षरा और महिमा तीनों ही सनम के कमरे को अच्छे से साफ़ करके सनम के कपड़े बेड पर निकालकर रख दिया और फिर अपने-अपने कमरों में चली गईं।
क्या वाकई में सनम को याद नहीं है कुछ? क्या सज़ा देगा अभिमन्यु अब सात्विक और समीरा को? जानते हैं अगले एपिसोड में!
सनम के जाते ही समीर के चेहरे पर एक अजीब सा भाव आ गया। उसने सबकी तरफ देखकर कहा, "मुझे ऐसा लगता है कि गुड़िया को कल रात के पहले अटैक के बारे में कुछ भी याद नहीं है। तो कोई भी इस बारे में उससे बात नहीं करेगा। क्योंकि मैं नहीं चाहता कि किसी भी वजह से उसे वो सारी चीजें याद आएँ।" सब लोग हाँ बोलकर कमरे से बाहर निकल गए। तारा, अक्षरा और महिमा ने सनम के कमरे को साफ किया, उसके कपड़े बिस्तर पर रखे और फिर अपने-अपने कम्बल में समा गईं।
वॉशरूम में सनम खुद को आईने में देख रही थी। फिर उसने अपने चेहरे पर पानी मारा और कहा, "मैं आप सबको अपने दर्द के बारे में नहीं बता सकती। यह अटैक इस जन्म का नहीं, मेरे पिछले जन्म के अपनों का धोखा है। और इस जन्म में मैं अपने अपनों को कोई दर्द नहीं देना चाहती। मैं वही करूंगी जो मेरी फैमिली चाहती है। पिछली बार मुझे फैमिली का प्यार नहीं मिला, लेकिन इस बार मुझे भाई, माँ, पापा, दादा, दादी, भाभी सबका प्यार मिला है। और मैं इस प्यार को किसी के लिए ठुकरा नहीं सकती।"
सनम नहाकर बाहर आई तो देखा कि बिस्तर पर उसके लिए कपड़े रखे हुए थे। जैसे ही उसने अपने कमरे को देखा, उसे पहले जैसा साफ-सुथरा पाकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह तैयार होकर जल्दी से डाइनिंग टेबल पर पहुँची। वहाँ सब लोग पहले से ही मौजूद थे और सनम को उत्सुकता से देख रहे थे। लेकिन सनम ने सबकी तरफ देखकर कहा, "क्या बात है? आज मैं अच्छी नहीं लग रही क्या? या मेरे चेहरे पर कुछ लगा है जो आप मुझे इस तरह देख रहे हो?" सनम की बात सुनकर सब लोग हड़बड़ा गए और इधर-उधर देखने लगे।
सनम दादाजी की तरफ देखकर बोली, "दादाजी, आज मुझे राजावत इंडस्ट्रीज जाना है, तो मैं निकलती हूँ। उसके बाद भाई, आप लोग ऑफिस आओगे तो वहाँ आपको इस प्रोजेक्ट की सारी डिटेल मिल जाएगी। और सब कुछ देखकर फाइनल कर दीजिएगा। और हाँ, कल एक नया टेंडर है, जो कि सरकारी टेंडर है। उसकी प्रेजेंटेशन अगर आप बनाना चाहो तो बना देना, वरना मुझे बता देना, घर आने के बाद मैं बना दूँगी। और आप तीनों, आप तीनों को यहाँ घर में खाना बनाने के लिए नहीं लाया गया है। आप लोग जो-जो अपना काम करते हो, अपने-अपने काम पर वापस जाइए। घर में काम करने के लिए बहुत सारे नौकर हैं। आप लोग अपना करियर बर्बाद नहीं कर सकती हैं।"
महिमा, तारा और अक्षरा तीनों ने सनम को गले लगा लिया। सनम मुस्कुराते हुए बोली, "अपने-अपने पतियों को गले लगाओ जाकर, मेरे गले क्यों पड़ रही हो यार? मेरे गले पड़ने से कुछ नहीं मिलने वाला किसी को।" सनम की बात सुनकर पूरा घर हँसने लगा। तभी समीर ने सनम के सर पर हाथ रखकर कहा, "इतना काम करने की ज़रूरत नहीं है बेटा, हम तीनों हैं ना तुम्हारी हेल्प करने के लिए।" तभी कार्तिक आया और बोला, "आप तीनों नहीं, चारों। मैं भी आज से ऑफिस जाऊँगा। क्योंकि मैं नहीं चाहता मेरी इकलौती बहन ऑफिस में जाकर परेशान हो। तो आज से मैं तुम्हारा असिस्टेंट हूँ सनम, और तुम्हारा सारा काम मैं करूँगा, तुम सिर्फ़ ऑर्डर देना।" कार्तिक की बात सुनकर सनम की आँखों में आँसू आ गए, क्योंकि इतना प्यार उसे कभी नहीं मिला था। प्यार, सम्मान, इज़्ज़त बहुत मायने रखती है एक लड़की की ज़िन्दगी में।
अनुज जी ने कार्तिक के सर पर हाथ रखा और कहा, "आज तूने बहुत अच्छी बात कही। आज जाकर मुझे एहसास हुआ कि तू सच में मेरा बेटा है। आज तो सच में तूने मेरा दिल खुश कर दिया। और हाँ, शर्म को बिल्कुल परेशान मत होने देना। सारा काम तू खुद करना। और अगर तूने मेरी बेटी को परेशान किया ना, तो मैं तुझे साउथ अफ्रीका के जंगलों में फेंक दूँगा।" अपने पापा की बात सुनकर कार्तिक ने अजीब से मुँह बनाकर कहा, "मॉम, अपने पति को समझा लीजिए। हर वक़्त मुझे साउथ अफ्रीका भेजने की धमकी ना दिया करें। मैं बड़ा हो गया हूँ। कल को मेरी बीवी आएगी तो वो क्या कहेगी कि घर में मेरी इज़्ज़त ही नहीं है।"
सनम ने कार्तिक को अपने करीब खींचकर गले लगाते हुए कहा, "मैं हूँ ना तुम्हारे लिए। तुम्हारी बीवी मैं अपनी पसंद से लेकर आऊँगी और उसे खूब सारा बिगाड़ दूँगी, जिससे वह हमेशा मेरी सहायता करे, जैसे ये तीनों मेरी साथ हैं, वैसे वो भी हो जाएगी।"
कार्तिक ने सनम के सर पर हाथ रखकर कहा, "तो आज ये तय रहा, मेरी शादी तुम्हारी पसंद से होगी। और अपनी बात से मुकरना मत, क्योंकि मेरी ज़िन्दगी में कोई नहीं है और ना ही मैं किसी से प्यार करता हूँ। तुम मेरे लिए जो भी लड़की पसंद करोगी, मैं पूरी ज़िन्दगी उसके साथ बिताऊँगा, ठीक है?" सनम मुस्कुराकर कार्तिक के गले लग गई। तभी समीर, अक्षय और अर्जुन भी उसे गले लगा देते हैं। इतने प्यारे मोमेंट को देखकर दादा-दादी की आँखों में आँसू आ गए, क्योंकि एक वक़्त था जब उन्हें ऐसा लगता था कि उनके परिवार को किसी की नज़र लग गई है और यह परिवार टूटकर बिखर गया है। लेकिन अचानक से सनम के बदलने से सब कुछ बहुत बेहतरीन हो गया था।
सनम सबकी तरफ देखकर बोली, "अगर मैं यहाँ इसी तरह आप लोगों से बातें करती रहूँगी तो मिस्टर राजावत ये प्रोजेक्ट कैंसिल कर देंगे। क्योंकि आप सब लोग जानते हैं वो कितने समय के पाबंद इंसान हैं।" सनम की बात सुनकर सब लोग सनम को छोड़ देते हैं। सनम सबको बाय बोलकर वहाँ से सीधा राजावत इंडस्ट्रीज के लिए निकल गई। वहीं बाकी सब भी अपने-अपने काम से ऑफिस निकल गए। वहीं कार्तिक बोला, "मैं तो यहीं रह गया।" समीर ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, "तुम मेरे साथ ऑफिस चलो, सनम वहीं आ जाएगी थोड़ी देर बाद।" कार्तिक भी समीर के साथ चला गया। तारा, अक्षरा और महिमा भी अपने-अपने काम पर वापस चली गईं। तारा अपने पापा का बिज़नेस संभालती थी, महिमा कॉलेज में प्रोफ़ेसर थी और अक्षरा वकील थी। इसीलिए सनम ने तीनों को ही अपना-अपना काम करने के लिए बोला था, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी भाभियाँ हाउसवाइफ बनकर अपना करियर खराब करें।
सबके जाने के बाद पायल जी और रागिनी जी दादा-दादी के पास बैठ गईं और बोलीं, "देखिए पापाजी, हमारी सनम कितनी बदल गई है! कहाँ वो महिमा को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी! और आज उसकी एक समझदारी भरे कदम ने सबकी ज़िन्दगियों को खुशियों से भर दिया है।" दादाजी ने रागिनी जी के सर पर हाथ रखकर कहा, "ये तुम्हारी परवरिश थी बेटा, कि वो बहक जरूर गई थी कुछ वक़्त के लिए, लेकिन बिगड़ी नहीं थी। और देखो, आज एक सनम ने पूरे घर को एक माला में बाँधकर रख दिया है। मुझे तो उस दिन के लिए डर लगता है जब हमारी सनम शादी करके अपने घर चली जाएगी। हम सब कैसे रहेंगे उसके बिना, समझ ही नहीं आता।" सनम की शादी की बात सुनकर सबकी आँखों में नमी आ गई। तभी दादी माँ बोलीं, "अभी थोड़ी है हमारी सनम की शादी करना। अभी हमारी सनम बहुत छोटी है। जब होगी, तब का तब देखेंगे।"
दादाजी सबकी तरफ देखकर बोले, "मैंने सनम की शादी तय कर दी है। मेरे एक दोस्त हैं, उनके पोते के साथ। बहुत सालों से मैं उन दोनों को एक-दूसरे से मिलवाना चाहता हूँ। लेकिन उससे पहले मैं घर के बाकी फैमिली मेंबर्स से इस बारे में बात करना चाहूँगा। और सबसे पहले हमें सनम से भी पूछना होगा कि वो क्या चाहती है, क्या वो किसी को पसंद करती है या कोई है उसकी ज़िन्दगी में? उसके बाद ही हम कोई फैसला लेंगे। और ये बात मैंने अपने दोस्त को भी बता दी है।" यह सब सुनते ही दादी माँ गुस्से में दादाजी पर भड़कते हुए बोलीं, "अभी मेरी बेटी २२ साल की है और आप उसकी अभी से शादी करना चाहते हो? आज मैं उसे कहूँगी कि तुम्हारे दादाजी तुम्हें यहाँ से भगाने की प्लानिंग कर रहे हैं!" दादाजी दादी माँ की तरफ देखकर बोले, "इतना झूठ बोलने लगी हो आप? सच में क्या मंशा है आपकी? मुझे उसके हाथों..." दादाजी-दादी माँ की ये सारी बातें सब लोग बैठे-बैठे सुन रहे थे, लेकिन कोई कुछ नहीं कह रहा था।
दूसरी तरफ सनम राजावत इंडस्ट्रीज पहुँची। सनम के बाहर निकलते ही अभिमन्यु का असिस्टेंट, राघव, पहले से ही उसका इंतज़ार कर रहा था। राघव सनम को अपने साथ लेकर अभिमन्यु के ऑफिस में चला गया। वहाँ अभिमन्यु के ऑफिस में मौजूद सारे एम्प्लॉइज़ हैरानी से राघव और अभिमन्यु के ऑफिस के गेट को देख रहे थे, क्योंकि आज तक अभिमन्यु राजावत ने किसी लड़की के साथ काम नहीं किया था। और अगर कभी किया भी था तो वो लड़की सिर्फ़ राघव के टच में रहती थी। और आज ये लड़की डायरेक्ट अभिमन्यु राजावत के ऑफिस में आ गई थी। इसका मतलब ये लड़की अभिमन्यु राजावत के लिए कोई ख़ास है।
सनम जैसे ही अभिमन्यु के ऑफिस का गेट खोला, अंदर से एक भारी, मर्दाना और सख्त आवाज़ सुनाई दी, "Come in." सनम जैसे ही अंदर पहुँची, उसने अभिमन्यु की तरफ़ देखकर कहा, "गुड मॉर्निंग, मिस्टर राजावत।" सनम की आवाज़ सुनकर अभिमन्यु के चेहरे पर एक सुकून छा गया। उसने सनम की तरफ़ देखकर कहा, "वेरी गुड मॉर्निंग, मिस मल्होत्रा। बैठिए। आप एक घंटा लेट हो।"
सनम अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोली, "आई एम रियली वेरी सॉरी, श्री राजावत। थोड़ा फैमिली टाइम था, इसलिए देर हो गई।" अभिमन्यु कुछ नहीं बोला। सनम और अभिमन्यु अपने प्रोजेक्ट पर काम करने लगे। काम करते-करते सुबह से दोपहर हो गई, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे से कुछ नहीं कहा था और ना ही उन दोनों को वक़्त का पता चला था। तभी एक बार फिर अभिमन्यु के ऑफिस का गेट खुला और दो लोग अंदर आ गए। अभिमन्यु बिना रुके किसी को अंदर आता देख गुस्से से भर गया, लेकिन जैसे ही उसने अपना सर उठाकर देखा, तो उसके सामने उसके दादाजी और उसके पापा खड़े थे। उन दोनों को देखकर अभिमन्यु तुरंत अपनी चेयर से खड़ा हो गया। अभिमन्यु के खड़े होते ही सनम भी चेयर से खड़ी होकर पीछे घूमकर देखती है।
राघवेंद्र जी और दादाजी अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोले, "बेटा, आपसे कुछ बात करनी थी।" सनम अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोली, "मैं चलती हूँ, मिस्टर राजावत। बाकी बचा हुआ काम हम लोग कल कर लेंगे।" तभी राघवेंद्र जी बोले, "बेटा, आप अपना काम कीजिए। ऐसी कोई ख़ास बात नहीं है कि हम आपके सामने नहीं कर सकते।" सनम राघवेंद्र जी और दादाजी की तरफ़ हाथ जोड़कर नमस्ते करके उनके पैर छू लेती है। यह देखकर दोनों के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान आ जाती है। अभिमन्यु का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है कि उसकी जान कितनी संस्कारी है, जो अनजान लोगों को भी आदर और सम्मान देती है। और अगर वो उसकी पत्नी बन गई तो उसके घर के मेंबर्स को कितना सम्मान देगी।
सनम वापस चेयर पर बैठकर अपना काम करने लगी। दादाजी, राघवेंद्र जी और अभिमन्यु सोफ़े पर जाकर बैठ गए। अभिमन्यु सबके लिए कॉफ़ी ऑर्डर करता है। अभिमन्यु राघवेंद्र जी की तरफ़ देखकर बोला, "बताइए पापा, कैसे आना हुआ? मैं जानता हूँ आप बिना किसी ज़रूरी काम के नहीं आते। और मैं ये भी जानता हूँ कि मॉम ने आपको परेशान कर रखा है।"
राघवेंद्र जी अभिमन्यु के कंधे पर हाथ रखकर बोले, "बेटा, हम वैष्णवी को समझा लेंगे। बस हम एक बार उसे उस लड़की से मिलवाना चाहते हैं, जिसे आप पसंद करते हैं, जिससे आप शादी करना चाहते हैं। और अगर हम दोनों को वो लड़की पसंद आती है, तो हम वैष्णवी को समझा लेंगे। और हम आपकी पसंद को उनके सामने आपकी पसंद बनकर ले जाएँगे। और आपकी माँ को कभी पता ही नहीं चलेगा कि वो लड़की आपकी पसंद की है।" अभिमन्यु अपने पापा की बात से सहमत हो गया और वो राघवेंद्र जी की तरफ़ देखकर बोला, "पापा, आप अभी-अभी जिस लड़की से मिले, सनम मल्होत्रा, वही है मेरी मोहब्बत। और अभी से नहीं, बल्कि पिछले ७ साल से मोहब्बत करता हूँ मैं उससे। और ७ साल से उसे ढूँढने की नाकाम कोशिश कर रहा था। फिर एक दिन वो मेरी नज़रों के सामने आ गई और अब उसका दिल जीतने की कोशिश कर रहा हूँ।"
दादाजी काफ़ी देर से सनम को देख रहे थे। दादाजी ने फिर सनम को आवाज़ देकर कहा, "बेटा, कॉफ़ी पी लीजिए।" सनम उठकर दादाजी के पास जाकर बैठ गई। दादाजी ने सनम के सर पर हाथ रखकर कहा, "आप जयवर्धन मल्होत्रा की पोती हैं?" सनम ने अपने दादाजी का नाम सुनकर जल्दी से उनकी तरफ़ देखकर कहा, "आपको कैसे पता?" "क्योंकि आपके दादाजी हमारे बहुत अच्छे दोस्त हैं और उन्होंने आपकी तस्वीर भेजी थी हमें। इसलिए हम आपको पहचानने में कामयाब हो पाए, वरना तो हम नहीं पहचान पाते कि इतनी प्यारी बच्ची हमारे दोस्त की पोती हो सकती है।" सनम खुशी से दादाजी की तरफ़ देखकर बोली, "अच्छा, तो आप वो दादाजी के दोस्त हो जिनके बारे में दादाजी बताते हैं कि गाँव में से आम चुराकर खाया करते थे?" यह बात सुनकर दादाजी जोर-जोर से हँसने लगे और बोले, "तुम्हारे दादा के पेट में कोई बात नहीं रख सकता।"
सनम मुस्कुराकर दादाजी की तरफ़ देखकर बोली, "तो आप मेरे साथ घर चलोगे? क्योंकि दादाजी आपको बहुत याद करते हैं। और जब मैं आपको अपने साथ लेकर जाऊँगी ना, तो वो और ज़्यादा खुश हो जाएँगे।" दादाजी प्यार से सनम के चेहरे को छूकर बोले, "आप सच में बहुत प्यारी हो। जयवर्धन जितनी आपकी तारीफ़ करता है ना, उससे कहीं ज़्यादा प्यारी और ख़ूबसूरत हो आप। अच्छा, चलिए हम आपको अपने बेटे और अपने पोते से मिलवाते हैं। ये हैं हमारे बेटे, राघवेंद्र राजावत।" सनम ने हाथ जोड़कर नमस्ते करके उनके पैर छू लिए। "और ये हैं अभिमन्यु राघवेंद्र राजावत, हमारे पोते।" सनम मुस्कुराकर बोली, "अब इनके साथ तो हम काम कर रहे हैं, तो जानते ही हैं।" सनम की वो पूरी मुस्कान, उसकी वो बिना छल-कपट की बातें राघवेंद्र जी और दादाजी को बहुत पसंद आईं। तभी सनम के फ़ोन पर कार्तिक का कॉल आने लगा। सनम दादाजी और राघवेंद्र जी की तरफ़ देखकर बोली, "हम थोड़ी देर में आते हैं, वरना कार्तिक भाई परेशान हो जाएगा कि हम कॉल क्यों नहीं उठा रहे।"
सनम अपना फ़ोन लेकर वहाँ से सीधा बाहर निकल गई। सनम के जाते ही दादाजी राघवेंद्र जी की तरफ़ देखकर बोले, "आपको वैष्णवी बहू को समझाने की कोई ज़रूरत नहीं है। क्योंकि वैष्णवी बहू ने जो लड़की पसंद की है, अभिमन्यु की शादी उसी लड़की से होगी।" अभिमन्यु और राघवेंद्र जी हैरान रह गए। तभी दादाजी उन्हें ऐसा कुछ बताते हैं कि अभिमन्यु का चेहरा हैरानी और उत्सुकता से चौड़ा हो जाता है।
ऐसा क्या बोला दादाजी ने अभिमन्यु और राघवेंद्र जी से, जो वो इतना हैरान हो गए? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में!
सनम अपना फोन लेकर वहाँ से सीधा बाहर निकल गई। सनम के जाते ही दादाजी राघवेंद्र जी की तरफ देखकर बोले, "आपको वैष्णवी बहू को समझने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि वैष्णवी बहू ने जो लड़की पसंद की है, अभिमन्यु की शादी उसी लड़की से होगी।" अभिमन्यु और राघवेंद्र जी हैरान रह गए। तभी दादाजी ने उन दोनों को कुछ ऐसा बताया कि अभिमन्यु का चेहरा हैरानी और शौक से बड़ा हो गया।
दादाजी राघवेंद्र जी की तरफ देखकर बोले, "अरे, सनम को ही तो मैं और वैष्णवी ने पसंद किया था अभिमन्यु के लिए, और अभिमन्यु की शादी वैष्णवी ने सनम से ही तय कर ली है।" यह सुनकर अभिमन्यु का दिल गार्डन-गार्डन हो गया और वह दादाजी की तरफ देखकर बोला, "आप सच बोल रहे हो ना, दादाजी?"
दादाजी अभिमन्यु की तरफ देखकर बोले, "अरे बेटा, मैं तुमसे झूठ क्यों बोलूँगा?" कहीं अपने दादाजी की बात सुनकर अभिमन्यु बहुत खुश हो गया और बोला, "तो फिर ऐसा कोई चक्कर चलाया ना दादा जी के मन में जो नाराज़गी है सनम की तरफ़, वह ख़त्म हो जाए।" दादाजी अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोले, "बेटा, वह तो तब हो सकती है जब तुम खुद अपनी माँ से कहो कि तुम उस लड़की से शादी करने के लिए तैयार हो। लड़की तुम्हारी माँ ने पसंद की है। देखो, काम को सीधे पकड़ो या घूमकर पकड़ो, तुम्हारी शादी होनी तो सनम से ही है, तो फिर अपनी माँ को भी खुश कर दो ना।"
अभिमन्यु खुश होकर दादाजी को गले लगा लिया। वहीं, बचपन वाले अभिमन्यु को वापस आते देखकर दादाजी और राघवेंद्र जी दोनों की आँखें नम हो गईं। फिर वे दोनों वहाँ से चले गए। अभिमन्यु अपना काम करने लगा। थोड़ी देर बाद अभिमन्यु के पास सनम का टेक्स्ट मैसेज आया कि उसे किसी अर्जेंट काम से वापस अपनी कंपनी जाना पड़ा। अब आगे का जो भी काम है, वह लोग कल कंटिन्यू करेंगे।
मल्होत्रा कंपनी में इस वक्त सारे एम्पलाइज़ ऑडिटोरियम में इकट्ठे थे और उनके सामने स्टेज पर दादाजी, हर्षवर्धन जी, अनुज जी, समीर, अर्जुन, अक्षय, कार्तिक और सनम खड़े हुए थे। दादाजी सबकी तरफ़ देखकर गहरी साँस लेकर बोले, "लास्ट बार पूछ रहे हैं, किसने हमारी कंपनी के सीक्रेट हमारी राइवल कंपनी को दिए? अगर वह इंसान खुद-ब-खुद हमारे सामने आ जाता है, तो हम उसे कुछ नहीं करेंगे, सिर्फ़ नौकरी से निकाल देंगे। और अगर हम उसे ढूँढकर निकालते हैं, तो उसे हम इतनी भयानक सज़ा देंगे कि आने वाली सात पीढ़ी की भी रूह काँप जाएगी।"
अभी भी कोई कुछ नहीं बोला। तभी सनम सबकी तरफ़ देखकर बोली, "फर्स्ट एंड लास्ट वार्निंग है मेरी तरफ़ से। मैं दादाजी, पापा, चाचा जी या अपने भाइयों की तरह दयालू नहीं हूँ जो तुम लोगों को छोड़ दूँ। तुम लोगों को सज़ा अपने आप आने के बाद भी मिलेगी और अगर हमने ढूँढा, फिर भी मिलेगी। लेकिन जो सज़ा हम उसे देंगे, उसमें थोड़ी-सी नमी नहीं बढ़ेगी, क्योंकि धोखा देने वालों की हमारी कंपनी में कोई जगह नहीं है। इसीलिए खुद-ब-खुद सामने आ जाओ, वरना अगर मैं लेकर आई, तो फिर देख लेना क्या होगा।" लेकिन अभी भी कोई भी सामने नहीं आया था। कहीं सबसे लास्ट में खड़ा एक इंसान काँप रहा था क्योंकि अब उसे लग रहा था कि सब लोग उसे सिर्फ़ सज़ा देकर छोड़ देंगे। ज़्यादा से ज़्यादा उसे नौकरी से निकाल देंगे। इससे ज़्यादा क्या ही उसके साथ करेंगे? इसीलिए वह शख्स अभी तक किसी के सामने नहीं आया था।
सनम सारे एम्पलाइज़ की तरफ़ देखकर बोली, "तो ठीक है। आप लोगों को अगर ऐसा लगता है कि हम नहीं जानते वह इंसान कौन है जिसने हमारे साथ धोखेबाज़ी की है, तो आप लोग गलत हो। ठीक है, चलिए, सामने टीवी स्क्रीन पर देखिए उस इंसान को। वह भी लाइव।" सनम एक पेन ड्राइव ऑडिटोरियम में प्ले कर दी, जिसमें एक इंसान चोरी-छुपे हर्षवर्धन जी के ऑफ़िस में जाता है, वहाँ से फ़ाइल चुराकर किसी को सेंड करता है और वहाँ से मुस्कुराता हुआ चला जाता है। यह देखकर पीछे खड़ा आदमी लड़खड़ाकर गिर गया क्योंकि वह पहले भी यह सब कर चुका था, लेकिन कभी पकड़ा नहीं गया था, तो इस बार कैसे पकड़ा गया?
सनम बॉडीगार्ड्स की तरफ़ इशारा करके बोली, "सामने लेकर आओ।" बॉडीगार्ड्स मिस्टर बंसल को सनम के सामने लाकर खड़ा कर देते हैं। सनम उसकी तरफ़ चारों तरफ़ चक्कर काटती हुई बोली, "तुम्हें क्या लगा? तुम इतने दिनों से हमारी कंपनी को धोखा दे रहे थे और हमें पता नहीं था? अगर पता नहीं होता तो हम अपने ऑफ़िस में सीसीटीवी कैमरा, हिडन कैमरा क्यों लगाते? हमें पता चल चुका था कि हमारे ऑफ़िस का कोई बंदा हमें धोखा दे रहा है, इसीलिए तो हमने यह सब कुछ किया। और वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए एक बात बता दूँ, सरकारी प्रोजेक्ट की फ़ाइल भी तुमने चुराकर राइवल कंपनी को दी है। वह फ़ाइल तो मेरे पास थी, तो तुमने चोरी क्या किया था? एक बार चोरी करने से पहले फ़ाइल को पढ़कर तो देख लेते, उसमें क्या लिखा था?" सनम की बात सुनकर वह इंसान हड़बड़ा गया। अब जाकर उसे एहसास हुआ कि वह सनम के बिछाए हुए जाल में फँस चुका है।
सनम तुरंत ही अपनी रिवॉल्वर निकालकर उस इंसान के माथे पर रख देती है और कहती है, "अगर मैं चाहूँ ना, तो 1 सेकंड के अंदर तुम्हारा काम तमाम कर सकती हूँ। लेकिन नहीं, सज़ा तो मैं इन सबके सामने दूँगी, क्योंकि आइंदा से कोई भी हमें धोखा देने के बारे में सोचेगा नहीं। इससे बेहतर यही होगा कि अब अपना गुनाह कबूल कर लो।" मिस्टर बंसल बोला, "आप मेरा कुछ नहीं कर सकतीं क्योंकि आपके पास कोई सबूत नहीं है और यह सीसीटीवी फ़ुटेज कोई सबूत नहीं मानेगा क्योंकि यह तो बनाई भी जा सकती है।"
सनम मुस्कुराते हुए बंसल की तरफ़ देखकर बोली, "तुमने क्या मुझे पागल समझा है कि मैं इतने कम सबूत लेकर पुलिस के पास जाऊँगी? यह मेरा ऑफ़िस है, यहाँ की जज मैं हूँ, लॉयर भी मैं हूँ और फ़ैसला सुनाने वाली भी मैं हूँ। मैं तुम्हें पुलिस के हवाले करूँगी और तुम वहाँ से छूट जाओगे, ज़मानत मिल जाएगी? इतनी बेवकूफ़ लगती हूँ क्या तुम्हें?" तभी सनम अपने पेट से एक धारदार चाकू निकालती है और उसे बंसल के हाथ पकड़कर उसकी सारी उँगलियाँ एक झटके में काटकर फेंक देती है। यह सीन देखकर सब चौंक गए, और सबसे ज़्यादा तो चारों भाई। उन्हें तो समझ ही नहीं आ रहा था कि उनकी बहन इतनी क्रूर कब बन गई थी। वहीं, दादाजी, अनुज जी और हर्षवर्धन जी खुद हैरान थे, लेकिन इस वक़्त कोई भी बात अपने चेहरे पर शो नहीं कर रहे थे।
सनम बंसल का दूसरा हाथ पकड़ती है और उसके हाथ की भी सारी उँगलियाँ काट देती है। सारे एम्पलाइज़ डर की वजह से थर-थर काँप रहे थे। सबको सनम में यमराज नज़र आ रहा था। सनम बंसल के नाखूनों को एक-एक करके निकालने लगती है और फिर बॉडीगार्ड्स की तरफ़ देखकर कहती है, "इन्हें मेरे पालतू टाइगर के सामने डाल देना, और वह भी ज़िंदा। तब इसको पता चलेगा कि धोखेबाज़ी का अंजाम क्या होता है। और हाँ, टाइगर जैसे ही खाएगा ना, वह लाइव प्रसारण पूरे ऑफ़िस में होना चाहिए, क्योंकि सबको पता चलना चाहिए कि सनम मल्होत्रा से गद्दारी करने का अंजाम क्या होता है।"
सनम यह बोलकर वहाँ से चली गई। वहीं, अक्षय धीरे से समीर और अर्जुन की तरफ़ देखकर बोला, "भाई, यह लड़की क्या चीज़ है? मतलब, मैं क्या ही बोलूँ? अब तो मुझे इससे डरने लगा है। मैं तो सच बोल रहा हूँ, मैं तो इससे पंगा नहीं लूँगा कहीं।" अर्जुन भी अपने दिल पर हाथ रखकर बोला, "मैं भी नहीं।" समीर उन दोनों को गुस्से से देखता है। तभी कार्तिक बोला, "भाई, ऐसे मत देखो। उसे, लेडी डॉन को देखकर हमारी हालत ख़राब है। अगर आप भी इस तरह देखोगे ना, तो देख लेना कहीं हमारी पेटी यहीं भी ले जाए और फिर हमारी बेइज़्ज़ती हो जाएगी।"
सब लोग वहाँ से सनम के ऑफ़िस में चले गए। सनम इस वक़्त अपने ऑफ़िस में बैठी गहरी-गहरी साँस ले रही थी। तभी दादाजी उसके सर पर हाथ रखकर बोले, "बेटा, इतना गुस्सा करने की कोई ज़रूरत नहीं थी।" सनम अपने दादाजी की तरफ़ देखकर बोली, "मैं जानती हूँ दादा जी, लेकिन वह इंसान हमें इतने सालों से धोखा दे रहा है और आप लोगों ने जानबूझकर उस धोखेबाज़ को ऑफ़िस में क्यों रखा था? क्या मजबूरी थी आपकी?" दादाजी उसके सर पर हाथ रखे रहे। "बेटा, मजबूरी नहीं थी। इसके पिताजी हमारे साथ काम करते थे और मुझे बचाने में उनकी जान चली गई थी। इसीलिए हम बंसल को कुछ नहीं बोलते थे क्योंकि उसके पिताजी का एहसान था हमारे ऊपर।"
सनम गहरी साँस लेकर सबकी तरफ़ देखकर बोली, "चलो, शाम हो गई है, घर जाने का वक़्त हो गया है। आप लोग निकलिए, मैं थोड़ी देर बाद आऊँगी।" समीर सनम के सर पर हाथ रखकर बोला, "अगर कोई बात है तो मुझे बता सकती हो।" सनम समीर की तरफ़ देखकर बोली, "कोई बात नहीं है भाई, आप चलो, मैं आती हूँ थोड़ी देर में।" सब लोग वहाँ से मल्होत्रा मेंशन के लिए निकल गए। वहीं सनम वहाँ बैठकर एक फ़ाइल पढ़ने लगी। उस फ़ाइल में सात्विक और समीरा की किडनैपिंग के बारे में सारी जानकारी थी, लेकिन वे किडनैप होने के बाद कहाँ गायब हो गए, इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
सनम काफ़ी देर सोचती है, फिर अपने ऑफ़िस से बाहर निकल जाती है। अपनी गाड़ी में बैठकर मल्होत्रा मेंशन के लिए निकल जाती है। तभी बीच रास्ते में उसे एक बूढ़ी औरत और एक मिडिल-एज्ड औरत दिखाई देती हैं, जिन्हें कुछ आदमी चारों तरफ़ से घेरकर खड़े थे और उनके ऊपर बंदूकें तानी हुई थीं। यह देखकर सनम जल्दी से अपनी गाड़ी से बाहर आकर उन सबके पास आ जाती है। "यह क्या बदतमीज़ी है? और इस तरीके से आप बुज़ुर्ग लोगों को परेशान नहीं कर सकते।" वहीं, उनमें से जो गुंडे थे, वे सनम को देखकर बोले, "वैसे तू माल तो बहुत अच्छा लग रही है। क्यों ना इन दोनों बुढ़िया को छोड़कर इस लड़की को ही पकड़ लें।" सनम हँसते हुए बोली, "हलवा है क्या जो तुमने कहा और पकड़ लिया? छोड़ो उन लोगों को, वरना तुम लोगों को इतनी मार मारूँगी, फिर ज़िंदगी में दोबारा किसी को छूने की हिम्मत नहीं करोगे।"
सनम उन सबकी तरफ़ देखकर उन्हें धमकी भरे अंदाज़ में कहती है, "अगर अभी-अभी निकले यहाँ से, वरना एक-एक को ज़िंदा जमीन में गाड़ दूँगी।" लेकिन वे लोग वहाँ से नहीं जाते। तभी एक गुंडा पीछे से आकर सनम को पकड़ने की कोशिश करता है, तो सनम बिना पीछे देखे ही उसका वार रोक लेती है और उसे मारकर जमीन में गिरा देती है। एक ही वार में उसकी गर्दन उसके धड़ से अलग हो गई थी। वहीं, सारे गुंडे पहले तो डर जाते हैं, लेकिन फिर अपने साथी का बदला लेने के लिए एक साथ सनम पर हमला कर देते हैं। सनम 5 मिनट में उन सबको मारकर जमीन में गिरा देती है और उन बुज़ुर्ग औरतों के पास आ जाती है। "आप लोग इतनी रात को यहाँ क्या कर रही थीं? और आपके साथ कोई है नहीं क्या?"
वैष्णवी जी सनम के सर पर हाथ रखकर कहती हैं, "आप बहुत बहादुर हो, बेटा।" जी हाँ, यह कोई और नहीं, वैष्णवी जी और दादी माँ थीं। दादी माँ सनम के सर पर हाथ रखकर कहती हैं, "आप जिस घर में भी जाएँगी, उस घर में रौनक ला देंगी।" सनम उनके दोनों हाथ जोड़कर कहती है, "यह तो आपका बड़प्पन है। आप लोग इतनी रात को यहाँ क्या कर रही थीं?" वैष्णवी जी सनम की तरफ़ देखकर कहती हैं, "बेटा, हमारी कार ख़राब हो गई थी और हम दोनों बिना बॉडीगार्ड्स के बाहर आ गई थीं। अब यह समझ नहीं आ रहा कि हम घर कैसे जाएँगी।"
सनम उन दोनों की तरफ़ देखकर कहती है, "तो इसमें टेंशन वाली क्या बात है? मैं छोड़ दूँगी आप लोगों को घर। चलिए मेरे साथ।" वे दोनों पहले तो सनम को मना करती हैं, लेकिन सनम जबरदस्ती उन लोगों को अपनी कार में बिठाकर उन दोनों से पूछती है, "अच्छा, आप एड्रेस बता दीजिए, मैं आपको छोड़ दूँगी।" वैष्णवी जी सनम को एड्रेस बता देती हैं। सनम थोड़ी ही देर में वैष्णवी जी को राजावत मेंशन के बाहर छोड़ देती है। वैष्णवी जी और दादी माँ जबरदस्ती सनम को घर के अंदर ले आती हैं। तभी वहाँ पर राघवेंद्र जी और दादाजी बैठे हुए थे। राघवेंद्र जी को देखकर सनम कहती है, "अरे दादा जी!" सनम को देखकर राघवेंद्र जी हैरान रह जाते हैं।
राघवेंद्र जी जल्दी से दादी माँ और वैष्णवी जी को पूरी तरीके से चेक करते हैं और सनम से कहते हैं, "बेटा, आप नहीं जानतीं, आज आपने हमें कितना बड़ा एहसान कर दिया है।" सनम राघवेंद्र जी से कहती है, "अंकल जी, एक इंसान ही तो दूसरे इंसान के काम आता है। मैंने कुछ ज़्यादा बड़ा काम नहीं किया। जो चीज़ मुझे आती है, अगर उस चीज़ को हम इंसान की भलाई के काम में लगाएँ, तो कोई अच्छी बात है ना।"
सनम उठकर खड़ी होती है और हाथ जोड़कर कहती है, "अब मुझे चलना चाहिए। घर पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। दादाजी, पापा, दादी माँ, चाचू, चाचा, भाई, भाभी, सब लोग परेशान हो गए होंगे। अब मैं चलती हूँ।" सनम सबके पैर छूकर हाथ जोड़कर वहाँ से बाहर निकल जाती है। वहीं, वैष्णवी जी दादा जी की तरफ़ देखकर कहती हैं, "आप कैसे जानते थे?" दादाजी वैष्णवी जी से कहते हैं, "यह सनम मल्होत्रा है, मेरे दोस्त की पोती, और इसी को तो हमने अपने अभिमन्यु के लिए पसंद किया था।" यह सुनते ही वैष्णवी जी के चेहरे पर 440 वोल्ट की मुस्कान आ जाती है और वह कहती है, "पापा जी, अब कुछ भी हो जाए, अब सनम ही हमारे घर की बहू बनेगी और हमारे अभिमन्यु की पत्नी, क्योंकि सनम के अंदर वह सारी क्वालिटी है जो हमें हमारे घर की बहू के लिए चाहिए थी।"
दादाजी भी खुश हो जाते हैं। राघवेंद्र जी भी खुश थे। तभी दादी माँ कहती हैं, "लेकिन अभिमन्यु शादी नहीं करना चाहता। वैष्णवी, तुम क्यों ज़बरदस्ती कर रही हो?" वैष्णवी जी सबकी तरफ़ देखकर कहती हैं, "आप चाहे हमें कुछ भी करना पड़े, चाहे साम, दाम, दंड, भेद, कुछ भी अपनाना पड़े, लेकिन अब सनम ही हमारे अभिमन्यु की पत्नी बनेगी, क्योंकि हमें सनम पहली नज़र में पसंद आ गई है और वह हमारे बेटे के टक्कर की भी है।"
क्या होगा सनम का फ़ैसला जब उसे पता चलेगा अपनी शादी के बारे में? क्या सज़ा देने वाली सनम बंसल को जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में।
दादाजी और राघवेंद्र जी खुश थे। तभी दादी माँ ने कहा, "लेकिन अभिमन्यु शादी नहीं करना चाहता। वैष्णवी जी, आप क्यों ज़बरदस्ती कर रही हैं?"
वैष्णवी जी सबकी तरफ देखकर बोलीं, "आप चाहे हमें कुछ भी करना पड़े, चाहे साम, दाम, दंड, भेद कुछ भी अपनाना पड़े, लेकिन अब सनम ही हमारे अभिमन्यु की पत्नी बनेगी। क्योंकि हमें सनम पहली नज़र में पसंद आ गई है और वह हमारे बेटे के टक्कर की भी है।"
राघवेंद्र जी, दादाजी और माँ मुस्कुरा रहे थे। उनका बेटा जिस लड़की से शादी करना चाहता था, उसी लड़की को वैष्णवी जी अपनी सर आँखों पर बिठाकर बैठी थीं। लेकिन दोनों को ही इस बात का पता नहीं था। राजावत मेंशन में हो रही इस तकरार के बारे में सनम को भी कोई जानकारी नहीं थी। वरना वह खुद ही सारी बात क्लियर कर देती। देर रात सनम मल्होत्रा मेंशन पहुँची तो सब लोग सनम के आने का इंतज़ार कर रहे थे।
समीर, अक्षय, अर्जुन और कार्तिक चारों भागकर सनम के पास पहुँचे और पूछा, "तुम्हें आने में इतनी देर कैसे हो गई?"
सनम सोफे पर बैठते ही, उसके लिए किसी ने एक गिलास पानी लाया। सनम पानी पीते हुए उन सबको बताने लगी, "रास्ते में दो बुज़ुर्ग औरतों को कुछ गुंडे परेशान कर रहे थे, इसलिए मैं उन्हें उनके घर तक छोड़ने गई थी।"
यह सुनकर सबको बहुत अच्छा लगा। उनकी बेटी इंसानियत के रास्ते पर चल रही थी।
सनम जैसे ही पानी पीकर गिलास टेबल पर रखा, उसके सामने एक कॉफी का कप आ गया। सनम ने नज़र उठाई तो सामने अक्षरा खड़ी थी। अक्षरा को देखकर सनम मुस्कुराई और कॉफी का कप ले लिया। फिर सब से बातें करने लगी।
सनम अक्षरा, तारा और महिमा की तरफ देखकर बोली, "आप लोगों को इतनी फॉर्मेलिटी करने की ज़रूरत नहीं है। इन सब कामों के लिए घर में बहुत सारे सर्वेंट हैं। आप लोग भी अपने-अपने ऑफिस से थककर आई हों, आराम कीजिए। मैं अकेली ऑफिस काम करने के लिए नहीं गई थी और अगर मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत होगी तो मैं खुद से बना लूंगी, ठीक है?"
महिमा ने सनम का हाथ पकड़कर कहा, "बेटा, इसमें परेशान होने की या फॉर्मेलिटी की कोई बात ही नहीं है। और अगर हम थकी होंगी तो तुम हमारा काम कर देना, और आज तुम थकी हुई हो इसलिए हमने कर दिया। हम एक फैमिली हैं, फैमिली में अपना-तेरा नहीं, बल्कि हमारा होता है।"
सनम मुस्कुराकर महिमा को गले लगा ली। तभी पीछे से तारा और अक्षरा भी सनम के गले लग गए। तीनों-चारों लोगों का इतना प्यार देखकर पूरे घरवाले बहुत खुश थे, क्योंकि यह चीज़ वे मिस कर रहे थे।
वहीं दादाजी सबकी तरफ देखकर बोले, "अब जब तुम सब लोग यहाँ मौजूद हो, तो तुम सब लोगों को मैं एक बात बताना चाहता हूँ।"
सब लोग दादाजी की तरफ देखने लगे। दादाजी बोले, "मैंने सनम की शादी तय कर दी है।"
पूरा परिवार दादाजी की बात सुनकर हैरान परेशान हो गया। तभी समीर ने कहा, "दादाजी, अभी तो बच्ची है, अभी से उसकी शादी नहीं करनी चाहिए।"
सब लोग यही बोल रहे थे, तभी सबको सनम की आवाज सुनाई दी।
"दादाजी, आपने जिससे भी मेरी शादी तय की है, मैं शादी करने के लिए तैयार हूँ। क्योंकि मुझे पता है मेरे दादाजी मेरे लिए वर्ल्ड का बेस्ट हस्बैंड ढूँढ़ कर लाएँगे। इसीलिए इस बात के लिए मैं आप पर पूरा विश्वास कर सकती हूँ। और आप फ़िक्र ना करें, मेरी तरफ़ से हाँ है। लेकिन मैं शादी अभी फ़िलहाल में नहीं करना चाहती, तो आप देख लीजिए।"
सनम की बात सुनकर दादाजी बहुत खुश हो गए और सनम की हाँ सुनकर पूरा परिवार शांत हो गया। सब लोग जानते थे कि सनम ऐसे ही किसी चीज़ के लिए हाँ नहीं करेगी, जब तक उसका मन ना हो।
सनम उठकर खड़ी हुई और अक्षरा को कॉफी के लिए थैंक यू बोला। "मैं फ़्रेश होकर आती हूँ, तब तक आप लोग डिनर लगा दीजिए, क्योंकि मुझे पता है आप में से किसी ने अभी तक डिनर नहीं किया है।"
सनम की बात सुनकर सब लोग मुस्कुरा दिए। सनम सीढ़ियाँ चढ़कर अपने कमरे की तरफ़ चली गई। तभी हर्षवर्धन जी दादाजी की तरफ़ देखकर बोले, "पिताजी, इतनी जल्दी क्या है सनम की शादी की?"
दादाजी हर्षवर्धन जी की तरफ़ देखकर बोले, "आप भूल रहे हैं, हर्षवर्धन के 25 साल होने से पहले हमें सनम की शादी करनी पड़ेगी।"
दादाजी की बात सुनकर हर्षवर्धन जी और अनुज जी दोनों ही शांत हो गए। लेकिन बाकी किसी को दादाजी की बात समझ नहीं आई थी। लेकिन जैसे ही समीर दादाजी से कुछ बोलने वाला था, दादाजी ने हाथ दिखाकर उसे रोक दिया। और फिर किसी की हिम्मत नहीं हुई दादाजी से कुछ भी पूछने की, क्योंकि घर में एक सनम थी जो दादाजी से अपनी हर एक बात मनवा सकती थी।
सब लोग चुपचाप जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। वहीं थोड़ी देर बाद सनम भी नीचे आई। आज सनम ने एक शर्ट और नीचे शॉर्ट्स पहने हुए थे। इन कपड़ों में सनम बहुत खूबसूरत लग रही थी। सनम डाइनिंग टेबल पर आकर बैठते ही, महिमा सनम को खाना सर्व करने लगी।
सनम ने महिमा को रोका, "आप भी खाना खाइए। सब लोग अपने आप खाना ले सकते हैं, ठीक है?"
और सब लोग बैठकर अपना-अपना खाना खाने लगे। दादाजी सनम की तरफ़ देखकर बोले, "बेटा, अगर आप लड़के से मिलना चाहें या उनकी फ़ोटो देखना चाहें तो हम आपको दे सकते हैं।"
सनम दादाजी की तरफ़ देखकर बोली, "आपने देखा है दादाजी?"
दादाजी ने गर्दन हिला दी। "तो मैंने भी देखा है। क्योंकि मुझे पता है मेरे दादाजी वर्ल्ड बेस्ट लड़का चुनेंगे। तो आप हर बात के लिए मुझे पूछना बंद कीजिए, ठीक है?"
और अपना डिनर करने लगी।
डिनर हो जाने के बाद सब लोग अपने-अपने कमरे में चले गए। सनम भी अपने कमरे में जाकर लैपटॉप पर अपना काम करने लगी। लेकिन उसके दिमाग में यही बात चल रही थी कि उसके दादाजी ने किस लड़के को उसके लिए चुना है? वह लड़का कैसा होगा? क्या उसके परिवार को अपने परिवार की तरह प्यार करेगा या नहीं? यही सब बातें सनम के दिमाग में चल रही थीं। फिर सनम सारी बातों को अपने दिमाग से झटककर चुपचाप बैठकर सो गई।
वहीं सनम को सोए हुए 10 मिनट भी नहीं हुए थे कि सनम के कमरे में तीन लोग आए और उनके पीछे और तीन लोग आए। जब वे तीनों एक-दूसरे को देखते हैं तो मुस्कुरा देते हैं। फिर बारी-बारी से सनम को प्यार से चूमकर अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं। वहीं अपने लैपटॉप पर सनम को देख रहा अभिमन्यु इन भाई-बहनों के प्यार को देखकर बहुत खुश था कि उसकी जान को अपने परिवार का प्यार मिला है, इतना प्यार करने वाले भाई और भाभियाँ मिली हैं।
अभिमन्यु अभी लैपटॉप में वीडियो देख ही रहा था कि उसके पास उसके असिस्टेंट राघव का कॉल आया और वह उसे बताता है कि सात्विक ने वहाँ से भागने की कोशिश की है। यह सुनते ही अभिमन्यु का गुस्सा बढ़ गया और वह तुरंत लैपटॉप बंद करके वहाँ से अपने टॉर्चर रूम की तरफ़ निकल गया। 1 घंटे बाद पहुँचा तो देखा कि वहाँ आज और दिन से भी ज़्यादा टाइट सिक्योरिटी थी। यह देखकर उसे राघव पर प्राउड फील हुआ।
अभिमन्यु जैसे ही अंदर पहुँचा, देखा कि राघव सात्विक को बहुत बुरी तरह से मार रहा था। सात्विक के नीचे बर्फ की सिलियाँ रखी हुई थीं, जिस पर सात्विक को बाँधा गया था और राघव उसके पैरों में मार रहा था। जिससे सात्विक को चोट तो लग रही थी, लेकिन ज़ख्म नहीं दिख रहे थे। यह देखकर अभिमन्यु राघव की तरफ़ देखकर बोला, "Well done राघव, आज तो तुमने मेरा काम आसान कर दिया। वैसे उसने भागने की कोशिश क्यों की, यह पता करवाया?"
राघव ने अपना सर झुकाकर कहा, "सर, यह यहाँ से भागकर सीधा मल्होत्रा मेंशन जाने वाला था। यह आपकी सच्चाई और आपके बारे में मल्होत्रा परिवार और लेडी बॉस को बताने वाला था, ताकि लेडी बॉस कभी भी आपको अपना ना समझे और आपके साथ कोई रिश्ता ना रखें।"
यह सुनते ही अभिमन्यु का गुस्सा बढ़ गया और वह जाकर सात्विक के पास खड़ा हो गया और बोला, "मैंने तुम्हें जो सज़ा दी थी, वह शायद तुम्हारे लिए कम थी। वैसे मैं तुम्हें आज छोड़ देने वाला था, वार्निंग देकर। लेकिन अब तुम्हें तब तक यहाँ रहना होगा जब तक मेरी शादी मेरी जान से नहीं हो जाती। दुआ करो कि मेरी शादी उससे जल्दी हो जाए और तुम्हें यहाँ से जल्दी आज़ादी मिल जाए।"
सात्विक के मन में घृणा और नफ़रत की भावना अभिमन्यु के लिए आ चुकी थी। सात्विक गुस्से में अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोला, "सनम मुझसे प्यार करती है और वह तुम जैसे इंसान से कभी शादी नहीं करेगी। तुम नहीं जानते हो उसे! जिस दिन उसे सच पता चल गया ना, और यह पता चल गया कि तुमने मुझे किडनैप करके मुझे टॉर्चर किया है, तो वह तुमसे नफ़रत करेगी। क्योंकि वह मुझे पागलों की तरह प्यार करती है, मेरे बिना जीना उसके लिए आसान नहीं है।"
अभिमन्यु को बहुत तेज गुस्सा आया। बार-बार सात्विक का सनम का नाम लेना और उसके बारे में ये सारी बातें अभिमन्यु का गुस्सा बढ़ाने के लिए काफी थीं। अभिमन्यु गुस्से में राघव की तरफ़ देखकर बोला, "जो है इसे टाइगर के पिंजरे में छोड़ दो और टाइगर को बोलना कि यह उसकी माँ के ऊपर गंदी नज़र डाल रहा है।"
जैसे ही राघव यह सुनता है, राघव के हाथ-पैर काम में लगते हैं, क्योंकि टाइगर बहुत एग्रेसिव था, वह अपने आसपास किसी को नहीं आने देता था। वह सिर्फ़ अभिमन्यु के काबू में आता था। यहाँ तक कि राघव भी कभी उसे काबू नहीं कर पाया था। अगर अभिमन्यु कभी यहाँ से बाहर भी जाता था तो उसे अपने साथ लेकर जाता था, क्योंकि यहाँ खड़े किसी बॉडीगार्ड या किसी भी मेंबर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह टाइगर को रोक सके या उसके आसपास जा सके। जैसे ही सात्विक राघव को इतना डरते और काँपते हुए देखा तो उसे भी अब डर लगने लगा और उसे गुस्सा आ रहा था कि उसने अभिमन्यु राजावत से ज़्यादा जवान लड़ाई क्यों नहीं की। अच्छा खासा यहाँ से निकल जाता, उसके बाद जाकर सनम को सारी सच्चाई बता देता।
अभिमन्यु यह कह ही रहा था कि अचानक से अभिमन्यु का फ़ोन बजने लगा। अभिमन्यु के फ़ोन पर सनम का नाम शो हो रहा था, जिसे देखकर अभिमन्यु खुश हो गया और राघव की तरफ़ देखकर बोला, "इसकी आवाज़ नहीं आनी चाहिए, तुम्हारी लेडी बॉस का फ़ोन है।"
अभिमन्यु वहीं सोफ़े पर बैठकर सनम का कॉल उठा लेता है। दूसरी तरफ़ से सनम की आवाज़ आती है, "मिस्टर राजावत, मुझे आपसे एक बात करनी थी। हम जिस प्रोजेक्ट के बारे में दोपहर में डिस्कस कर रहे थे, उसमें कुछ मिस्टेक्स हैं। तो या तो आप उन मिस्टेक्स को सही कर दीजिए या फिर कल ऑफ़िस आने के बाद मैं कर दूँगी। और उससे पहले यह टेंडर भरना नहीं चाहिए, वरना यह टेंडर हमें कभी नहीं मिलेगा।"
सनम की बात सुनकर अभिमन्यु अपने चेहरे पर एक मुस्कराहट लाकर बहुत गर्मजोशी से बोला, "आपके जैसा ठीक लगे सनम, आप वह कर लीजिए। और आप जानते हैं कि आपके किसी काम में मैं कोई गलती नहीं निकाल सकता, क्योंकि आप कभी कोई गलती नहीं करतीं। वैसे इतनी रात को फ़ोन करने का यही कारण था या कुछ और भी था?"
सनम की आवाज़ फिर से आती है, "नहीं, बस यही कारण था। मुझे लगा कहीं कल सुबह राघव वह टेंडर भर ना दे, बस इसीलिए।"
अभिमन्यु मुस्कुराते हुए बोला, "जो बात आप मुझे अभी बता रही हैं, ना, वह बात मैं शाम को देख चुका था और मैंने उसे सही भी कर दिया है। तो आप बेफ़िक्र रहकर सोइए। और हाँ, गुड नाइट, स्वीट ड्रीम्स।"
सनम भी गुड नाइट कहकर कॉल काट देती है। वहीं सनम का कॉल करते ही सात्विक अभिमन्यु की तरफ़ देखकर कहता है, "अभी वह जितना प्यार से बात कर रही है ना, जब उसे तुम्हारी सच्चाई पता चल जाएगी ना, इससे भी कहीं ज़्यादा नफ़रत करेगी वह तुमसे।"
सात्विक के पास जाकर उसके बालों को अपनी मुट्ठी में पकड़कर खींच लेता है और कहता है, "और वह दिन कभी नहीं आएगा। मैं वह दिन कभी आने ही नहीं दूँगा जब मेरी जान को मेरी सच्चाई पता चलेगी। मेरी जान हमेशा मुझे सिर्फ़ अभिमन्यु के नेचर से जानेगी, शैतान तो मैं दुनिया के लिए हूँ, तुम जैसे इंसानों के लिए। लेकिन उसके लिए तो मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ एक प्यार करने वाला अच्छा और एक पति बनूँगा। तभी उसके ऊपर गुस्सा नहीं करूँगा। तो वह तुम्हारी बातों पर कभी यकीन ही नहीं करेगी। और अगर तुमने ज़्यादा तंग करने की कोशिश की ना, तो तुम्हें मारकर कहाँ फेंक दूँगा, किसी को पता भी नहीं चलेगा। तो आज के बाद मेरी जान के बारे में सोचना छोड़ देना।"
अभिमन्यु राघव की तरफ़ देखकर कहता है, "अरे यार, मुझे मेरे टाइगर से मिलाकर लाओ, उसे भी उसके खेलने का टाइम हो गया है। और सात्विक साहब को भी सबक सिखाना ज़रूरी है।"
जैसे ही सात्विक यह सुनता है, डर के मारे उसकी हालत खराब हो जाती है। वहीं सात्विक के पास बाँधी हुई समीरा पागलों की तरह अभिमन्यु को ताड़ रही थी, क्योंकि अभिमन्यु बहुत हैंडसम लग रहा था। अभिमन्यु इतना सुंदर था कि उसके आगे अच्छे-अच्छे मॉडल भी फेल थे। समीरा की नियत बिगड़ चुकी थी अभिमन्यु के ऊपर। इसीलिए समीरा अपनी आवाज़ में मिठास बढ़ाते हुए कहती है, "मिस्टर राजावत, आप मुझे छोड़ दीजिए ना। मैं इसे अपने सारे रिश्ते ख़त्म कर दूँगी और मैं कभी भी सनम को परेशान नहीं करूँगी। और अगर आप चाहें तो मैं आपको भी खुश कर सकती हूँ। आप पहले ही सनम से शादी कर लीजिए, लेकिन आप मेरे साथ फ़िजिकल रिश्ता तो बना ही सकते हैं ना? मैं आपके साथ आपकी रखैल बनने में भी अपनी खुशकिस्मती समझूंगी।"
राघव समीरा की तरफ़ ऐसे देख रहा था जैसे वह किसी पागल को देख रहा है। वहीं अभिमन्यु जोर-जोर से हँसने लगा और राघव की तरफ़ देखकर बोला, "राघव, इस लड़की के पर कुछ ज़्यादा ही निकल आए ना? मतलब यह अभिमन्यु राजावत को रिश्वत देने की बात कर रही है? और मुझे इसकी बॉडी की नीड होगी? यार, पता नहीं कितने जानवरों ने इसे चखा होगा। अभिमन्यु राजावत इस जैसी चीज़ को कभी हाथ भी नहीं लगाएगा, इसके साथ फ़िजिकल रिलेशन बनाना तो बहुत ही दूर की बात है।"
अपने लिए इतनी इन्सल्टिंग बातें सुनकर समीरा का चेहरा शर्मिंदगी से झुक गया। उसे तो लगा था जैसे सात्विक उसके बहकावे में आ गया था, वैसे ही अभिमन्यु भी आ जाएगा। लेकिन वह सात्विक शर्मा नहीं, बल्कि अभिमन्यु राजावत था, जो उड़ती चिड़िया के पर गिन लेता था। यह तो फिर भी एक मामूली सी लड़की थी।
राघव समीरा की तरफ ऐसे देख रहा था जैसे वह किसी पागल को देख रहा हो। वहीं अभिमन्यु जोर-जोर से हँसने लगा और राघव की तरफ देखकर कहा, "राघव, इस लड़की के पर कुछ ज़्यादा ही निकल आए ना? मतलब ये अभिमन्यु राजावत को रिश्वत देने की बात कर रही है और मुझे इसकी बॉडी की नीड होगी यार। पता नहीं कितने जानवरों ने इसे चखा होगा। अभिमन्यु राजावत इस जैसी चीज़ को कभी हाथ भी ना लगेगा, इसके साथ फिजिकल रिलेशन बनाना तो बहुत ही दूर की बात है।"
अपने लिए इतनी इंसल्टिंग बातें सुनकर समीरा का चेहरा शर्मिंदगी से झुक गया। उसे तो लगा था जैसे सात्विक उसके बहकावे में आ गया था, वैसे ही अभिमन्यु भी आ जाएगा। लेकिन वह सात्विक शर्मा नहीं, बल्कि अभिमन्यु राजावत था, जो उड़ती चिड़िया के पर गिन लेता था। यह तो फिर भी एक मामूली सी लड़की थी।
सात्विक हैरानी से समीरा की तरफ देख रहा था। उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि समीरा सामने से ऐसा प्रपोज़ दे सकती है। लेकिन अब जाकर उसे एहसास हुआ था कि उसने कोयले के चक्कर में हीरे को खो दिया है और अब शायद वह उसे इतनी दूर जा चुकी है कि कभी वापस नहीं आएगी। सात्विक अपने मन में कहता था, "अगर वह यहां से निकल गया तो वह कुछ भी करके सनम को अपनी ज़िंदगी में शामिल करके रहेगा, क्योंकि आज जाकर उसे एहसास हुआ था कि सनम उसके लिए क्या थी।"
तभी दोनों के कानों में अभिमन्यु की आवाज़ सुनाई दी, "राघव, क्यों ना इस लड़की को अपने बॉडीगार्ड को दिया जाए? उनकी भी कुछ नीड्स होती हैं ना, तो वह पूरी कर लेंगे। अगर ये ज़िंदा बच गई तो इसकी किस्मत, मर गई तो इसकी किस्मत। उसमें हम कुछ नहीं कर सकते।" जैसे ही समीरा के कानों में अभिमन्यु की बात गई, वह हैरान रह गई। क्या अभिमन्यु उसे अपने बॉडीगार्ड को देना चाहता था? यह सुनकर समीरा की रूह काँपने लगी, क्योंकि उसने यहाँ मौजूद सारे बॉडीगार्ड्स को देखा था; सब इतने लम्बे-चौड़े, तगड़े थे कि अगर एक भी बॉडीगार्ड उसके साथ कुछ किया, तो समीरा तो वैसे ही मर जानी थी।
राघव ने ना में अपनी गर्दन हिलाकर कहा, "इन लोगों को मारने के लिए इस शैतान के पास ही आना होता है और इन जैसे लोगों के चक्कर में हम जैसे मासूम लोगों की ज़िंदगी खराब हो जाती है। बताओ, रात के 2:00 बजे हमें शो देखना पड़ रहा है यार! अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन मेरी बीवी मुझे छोड़कर भाग जाएगी। इस शैतान की तो शादी नहीं हुई है, लेकिन मेरी तो हो गई है। इस हार्टलेस इंसान को थोड़ा तो मुझ पर दया करनी चाहिए।" अभी राघव अपने मन में बात कर ही रहा था कि उसके कानों में अभिमन्यु की आवाज़ गई, "अगर मेरी बुराई करना हो गया हो तो जो काम बोला है वह करो और अपने घर जा सकते हो, क्योंकि मैं भी जा रहा हूँ। मुझे भी नींद लेनी है।"
अभिमन्यु अपनी बात कहकर वहाँ से चला गया। राघव बॉडीगार्ड्स की तरफ देखकर कहा कि वह लोग समीरा के साथ जो चाहें, वह कर सकते हैं। "अगर वह मर जाती है तो उसकी बॉडी को उठाकर जंगल में जंगली जानवरों के पास फेंक देना। अगर जानवर भी इसकी बॉडी को ना खाएँ तो इसकी बॉडी को ज़मीन में दफना देना।" बॉडीगार्ड्स को ऑर्डर देकर राघव भी वहाँ से चला गया। वहीं समीरा चिल्लाने लगी और सात्विक की तरफ देखकर कहती है, "मुझे बचाओ इन सब से!" सात्विक समीरा को घिनभरी नज़रों से देख रहा था क्योंकि रणविजय जो कह रहा था, वह अब सात्विक को सही लग रहा था। इसलिए सात्विक को समीरा से घिन आ रही थी।
सात्विक हैरानी से अपने सामने खड़ी बॉडीगार्ड की फ़ौज को देख रहा था, जो ललचाई नज़रों से समीरा को देख रहे थे। वहीं सात्विक हैरान था कि कम से कम 70 से 80 बॉडीगार्ड समीरा के साथ फिजिकल होंगे। यह सोचकर सात्विक का मन नफ़रत से भर गया और वह अपनी नज़रें फेर लेता है। तभी दो बॉडीगार्ड आते हैं और सात्विक को वहाँ से लेकर चले जाते हैं। वहीं सात्विक के वहाँ से जाते ही समीरा पागलों की तरह चिल्लाने लगी, लेकिन कोई उसकी आवाज़ पर ध्यान नहीं देता। थोड़ी देर बाद, कमरे से समीरा के चीखने और चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी, जो इतनी दर्दनाक थी कि सुनने वाले की आँखें भी नम हो जाएँ। पूरी रात उसे कमरे से इसी तरह चीखने-चिल्लाने, रोने की आवाज़ आती रही, लेकिन वहाँ कोई और जाकर यह नहीं देखा कि उसके साथ क्या हो रहा है। वहीं सात्विक पूरी रात उन आवाज़ों को सुनता रहा था और उसके मन में इतनी नफ़रत भर गई थी समीरा के लिए कि वह उसकी शक्ल भी नहीं देखना चाहता था। आज जाकर सात्विक को एहसास हुआ था कि उसने क्या खो दिया है।
अगली सुबह, पूरा मल्होत्रा परिवार डाइनिंग टेबल पर मौजूद था और सब लोग अपना-अपना ब्रेकफ़ास्ट कर रहे थे। तभी सनम के पास अभिमन्यु का फ़ोन आता है और वह उसे बताता है कि उन्हें आज साइड विज़िट के लिए दूसरे शहर जाना है। जैसे ही सनम यह सुनती है, वह "हाँ" बोलकर कॉल कट कर देती है और अपनी फैमिली की तरफ देखकर कहती है, "क्या, जिस साइड विज़िट के लिए दूसरी सिटी जाना है, इसीलिए वह आज रात को घर नहीं आ पाएगी और वह कल शाम को ही घर आएगी।" यह बात सुनकर घरवाले उदास हो जाते हैं। सनम सबके चेहरे पर स्माइल लाने के लिए कहती है, "अच्छा है ना? आप लोगों को एक दिन मिल रहा है, इन्जॉय करो आराम से। मेरे आने के बाद मेरे आगे-पीछे लगे रहते हो।" सनम की बात सुनकर सबके चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है।
सनम उठकर खड़ी होती है और दादा-दादी के पैर छूकर कहती है, "मैं आती हूँ कल शाम तक।" जैसे ही वह घर से बाहर निकलने वाली होती है, वह पलटकर अपने तीनों भाइयों की तरफ देखकर कहती है, "आपको आज का पूरा दिन और पूरी रात और कल का पूरा दिन मिल रहा है। जो मुझे सबसे जल्दी बुआ बनाएगा, उसी को मेरे तरफ से एक गिफ्ट मिलेगा।" यह बोलकर वह वहाँ से चली जाती है और तीनों लड़के शर्मा के किचन में चले जाते हैं। वहीं तीनों लड़के अपनी बहन की बात को समझने की कोशिश कर रहे थे। तभी कार्तिक उन तीनों की तरफ झुकते हुए कहता है, "मेरी बहन का कहने का यह मतलब था कि तुम तीनों जल्द से जल्द बुआ बना दो।" और वहाँ से चला जाता है।
अब जाकर सबको बात समझ आती है और जैसे ही उन्हें बात समझ आती है, उन तीनों के चेहरे शर्म की वजह से लाल हो जाते हैं और वह तीनों ही वहाँ से जल्दी से निकलकर अपने-अपने ऑफ़िस की तरफ चले जाते हैं।
दादाजी उन तीनों के लाल चेहरे देखकर मुस्कुराने लगते हैं और अनुज जी और हर्षवर्धन जी की तरफ देखकर बोलते हैं, "तुम्हारी बेटी आइटम बम है। किसी को भी अपने जवाब से मार सकती है या शर्मिंदा तो कर ही देगी।" हर्षवर्धन जी मुस्कुराकर कहते हैं, "पापा, ये बेटियाँ कितनी जल्दी बड़ी हो जाती हैं ना? ऐसा लगता है कि कल की ही तो बात थी जब हमारी नन्ही सी सनम हमारी ज़िंदगी में आई थी और आज वह इतनी बड़ी हो गई है कि उसे विदा करने का वक़्त आ गया है। लेकिन क्या कर सकते हैं, बेटियों को तो एक दिन अपने ससुराल जाना ही होता है।"
अनुज जी दादाजी की तरफ देखकर कहते हैं, "पापा, ऐसा क्यों होता है कि हमेशा बेटियों को ही अपना घर छोड़कर जाना पड़ता है? यह रीत क्यों बनाई गई? जिन बेटियों को हम जन्म देते हैं, उन्हें पालकर बड़ा करते हैं, उन्हें उंगली पकड़कर चलना सिखाते हैं, फिर कैसे हम उसे किसी और के आँगन में भेज देते हैं? हमें तो यह भी नहीं पता होता कि वहाँ हमारी बेटियों के साथ कैसा सुलूक होगा, उन्हें आजादी मिलेगी भी या नहीं? जब वह एक बंद पिंजरे में जाकर कैद हो जाएँगी।"
तभी तारा उन सब की तरफ देखकर कहती है, "दादाजी, क्यों ना हम उस लड़के को घर जमाई बना लें, जो लड़का आपने देखा है?" दादाजी तारा की बात सुनकर इमोशनल हो जाते हैं क्योंकि उन्हें लगा नहीं था कि उनकी बहू ऐसी बात करेगी। बेटी और बहू के बीच का प्यार देखकर उन्हें सच में अपनी बेटी पर गर्व महसूस हो रहा था। थोड़े वक़्त के लिए सनम भटक जरूर गई थी, लेकिन कभी भी उसने अपनी मर्यादा नहीं छोड़ी थी, कभी भी अपने परिवार को शर्मिंदा नहीं किया था। दादाजी की नज़र में प्यार करना गुनाह नहीं होता, लेकिन उसे प्यार पाने के लिए गलत रास्ता चुना गया था।
दादाजी तारा के पास जाते हैं और उसके सर पर हाथ रखते हुए कहते हैं, "ऐसे तो बेटा, हमें अक्षय को आपके साथ विदा कर देना चाहिए था ना? फिर आप इस घर में कैसे आतीं और आपको इस घर में इतने सारे मेंबर कैसे मिलते? बताइए?" तारा इमोशनल होकर कहती है, "मैं तो इतने प्यारे, पूरे परिवार में आना चाहती थी दादाजी, क्योंकि पापा के अलावा वहाँ कोई था भी तो नहीं और अब देखिए, पापा भी बिल्कुल अकेले रह गए।"
सनम अभी बाहर चली गई थी, लेकिन वह अपनी एक फ़ाइल घर पर ही भूल गई थी और वही फ़ाइल लेने के लिए वह वापस आई थी। तारा की बात सुनकर उसे बहुत बुरा लगता है क्योंकि पिछले जन्म में उसका अपना कोई नहीं था, इसलिए अकेलापन क्या होता है, यह वह बहुत अच्छे से जानती थी। इसीलिए पीछे से आकर वह कहती है, "दादाजी, क्यों ना हम अंकल को यहीं बुला लें? हम सबके साथ रह लेंगे, क्या ही परेशानी है? और भाभी को भी उनकी कोई फ़िक्र नहीं होगी।" सनम की बात सुनकर सब लोग सहमत हो जाते हैं। सनम कहती है, "इसमें सोचने की क्या बात है? जब वह अपनी बेटी हमें दे सकते हैं, तो क्या हम अंकल को अपने घर नहीं बुला सकते? उनकी देखभाल करने के लिए वहाँ भी तो कोई नहीं है।" सनम की बात सुनकर दादाजी खुश हो जाते हैं और कहते हैं, "सच में, हमारे पास एक ही दिल है और उसे आप कितनी बार जीओगी, हमें यह समझ ही नहीं आता।"
सनम मुस्कुरा कर तारा की तरफ देखकर कहती है, "अब तो आप खुश होना भाभी। अब अंकल को भी अकेला नहीं रहना पड़ेगा। उनकी बेटी, उनका दामाद, उनके साथ रहेंगे और उन्हें फ़्री में एक बेटी मिल जाएगी जो हर वक़्त उनका एंटरटेनमेंट करती रहेगी।" सनम की बात सुनकर तारा के चेहरे पर एक मुस्कराहट आ जाती है। तारा अक्षरा की तरफ देखकर कहती है, "जानती हूँ भाभी, अकेलापन क्या होता है, इसीलिए आप फ़िक्र ना करें। यह पूरा परिवार आपका अपना है और इस परिवार में कभी भी आपको अकेलापन नहीं लगेगा। अगर कभी आपको ऐसा लगे कि आपको अकेलापन लग रहा है तो आप मुझे जाकर बता देना।" अक्षरा सनम के गले लग जाती है और कहती है, "मुझे तो पता ही नहीं था कि ननंद इतनी प्यारी होती है। अगर पता होता ना तो मैं बहुत पहले अर्जुन के साथ यहाँ आ चुकी होती।"
सनम महिमा की तरफ देखकर कहती है, "आप भी जब चाहे तब अंकल, आंटी और अपने भाई-भाभी से मिल सकती हो, हमें किसी को ऐतराज़ नहीं है। और अगर आपके भाई-भाभी आपके मम्मी-पापा के साथ नहीं होते तो हम उन दोनों को भी यहीं बुला लेते, ठीक है?" महिमा तुरंत सनम के गले लग जाती है और कहती है, "आपके जैसी बेटी पाकर तो सच में हर कोई धन्य हो जाएगा। इसीलिए तो समीर हमेशा आपको अपनी बेटी की तरह प्रोटेक्ट करते हैं और आज सच में मुझे लग रहा है कि मुझे और समीर को बच्चों की कोई ज़रूरत नहीं है, आपको ना, हमारी बच्ची।"
सनम महिमा को गले लगाकर कहती है, "मैं जानती हूँ भाभी कि आप और भाई मुझे अपनी बच्ची मानते हो, लेकिन यह बच्ची कुछ वक़्त बाद इस घर से कहीं और चली जाएगी; किसी और का घर बसाने, किसी और के वंश को बढ़ाने, किसी और के आँगन में तुलसी पूजन करने। तो फिर तो आपके बच्चे की कमी महसूस होगी ही ना? तो मैं चाहती हूँ कि मेरी शादी होने से पहले आप तीनों माँ बन जाओ, तो मुझे भी खुशी होगी कि मैं अपने भतीजे या भतीजी को अपनी आँखों के सामने जन्म लेते हुए देख सकूँ। क्या पता वह परिवार कैसा होगा, वहाँ के लोग कैसे होंगे, वह मुझे यहाँ आने भी देंगे या नहीं?" यह सारी बातें सुनकर सब लोग इमोशनल हो जाते हैं। तभी दादाजी सनम के सर पर हाथ फेरकर कहते हैं, "इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो हमसे हमारी बेटी को छीन सके।"
कार्तिक पीछे से सनम को गले लगाकर कहता है, "अगर आपके जैसी बहन-बेटी हर किसी के घर में हो, सनम, तो कोई इंसान अपने घर से अलग रहने नहीं जाएगा। उसे अपने परिवार और पत्नी में से किसी एक को कभी चुना ही नहीं पड़ेगा।" कार्तिक की बात सुनकर अनुज जी कहते हैं, "आज पहली बार इस नालायक ने कोई अच्छी बात कही है।" पायल जी तुरंत कार्तिक की बालियाँ लेकर रहती हैं, "यह बात तो आपने सही कही। आखिर मेरी बेटी के साथ रहने का कुछ तो असर हुआ इस गधे के ऊपर।" वहीं कार्तिक इतने प्यार से अपनी बेइज़्ज़ती सुनकर अजीब सा मुँह बना लेता है, क्योंकि हर बार उसके साथ यही होता था, इसलिए अब उसे इस सब की आदत पड़ गई थी।
सनम तारा की तरफ देखकर कहती है, "भाभी, आप अपने घर जाइए और अंकल जी को यहाँ लेकर आइए। कल जब मैं यहाँ लौटूँगी तो मुझे अंकल जी यहाँ मिलने चाहिए, वरना सोच लेना, मैं नाराज़ हो जाऊँगी और मुझे मनाना इतना भी आसान नहीं है। घर में किसी से पूछ लेना, मैं जब नाराज़ नहीं होती तो नहीं होती, अगर एक बार हो गई तो फिर मानती भी जल्दी नहीं हूँ।" अपनी बात कहकर सनम सबको बाय बोलकर अपनी साइड विज़िट के लिए चली जाती है।
तारा खुशी-खुशी तैयार होकर अपने पापा को लेने के लिए अपने घर चली जाती है। जब वह अपने घर पहुँचती है, तो देखती है कि तारा के पापा, बृजभूषण जी, अकेले बैठे कोई फ़ाइल चेक कर रहे थे। तारा पीछे से उनके गले लग जाती है और कहती है, "कैसे हो आप?" बृजभूषण जी तारा को अपने सामने देखकर कहते हैं, "बहुत अच्छा हूँ, आप तुम्हें देख लिया तो और अच्छा हो जाऊँगा।" तारा बृजभूषण जी के सामने बैठकर कहती है, "आप जल्दी से अपना सामान पैक कर लीजिए, आप मेरे साथ जा रहे हो।" बृजभूषण जी हैरान से तारा से कहते हैं, "यह कैसी बातें कर रही हो बेटा?" तारा कहती है, "हाँ पापा, आज से आप मेरे साथ रहोगे और यह फ़ैसला मेरे अकेले का नहीं है, बल्कि यह फ़ैसला मेरे पूरे परिवार का है कि अब आपके यहाँ अकेले रहने की ज़रूरत नहीं है। आप वहाँ रहेंगे जहाँ मैं अपने ससुराल और अपने पिता दोनों का ख्याल रख सकूँ।"
बृजभूषण जी तारा के सर पर हाथ फेरकर कहते हैं, "बेटा, ऐसे थोड़ी ना होता है? एक पिता अपनी बेटी के ससुराल में जाकर कैसे रह सकता है?" तारा मुस्कुराकर कहती है, "यह सिर्फ़ कहने की बातें होती हैं पापा। आपके पास आपकी बेटी है, तो आपका ख्याल आपकी बेटी रखेगी ना, कोई और थोड़ी रखेगा? और फिर वहाँ पर किसी को कोई दिक्कत नहीं है।" बृजभूषण जी कहते हैं, "बेटा, अभी किसी को दिक्कत नहीं है, थोड़े वक़्त बाद सबको दिक्कत होने लगेगी।" तभी सारा उनकी तरफ देखकर कहती है, "पापा, सनम भी चाहती है कि आप वहाँ रहो। यह उसका फ़ैसला है और उसके फ़ैसले से सब सहमत हैं।" जैसे ही बृजभूषण जी यह सुनते हैं, उन्हें बहुत हैरानी होती है क्योंकि वह जानते थे कि सनम तो बदतमीज़, ज़िद्दी, और घमंडी थी।
साइड विज़िट पर होने वाला है बहुत बड़ा धमाका। जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ। मिलते हैं अगले एपिसोड में।
भूषण जी ने तारा के सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "बेटा, ऐसे थोड़ी ना होता है? एक पिता अपनी बेटी के ससुराल में जाकर कैसे रह सकता है?"
तारा मुस्कुराकर बोली, "यह सिर्फ कहने की बातें होती हैं, पापा। आपके पास आपकी बेटी है, तो आपका ख्याल आपकी बेटी रखेगी ना, कोई और थोड़ी रख जाएगा। और फिर वहाँ पर किसी को कोई दिक्कत नहीं है।"
बृजभूषण जी ने कहा, "बेटा जी, अभी किसी को दिक्कत नहीं है, थोड़े वक्त बाद सबको दिक्कत होने लगेगी।"
तभी सारा उनकी तरफ देखकर बोली, "पापा, सनम भी चाहती है कि आप वहाँ रहो। यह उसका फैसला है, और उसके फैसले से सब सहमत हैं।"
बृजभूषण जी यह सुनकर हैरान हो गए, क्योंकि वे सनम को जानते थे। वह तो बदतमीज, बददिमाग और घमंडी थी।
तारा बोली, "पापा, पहले वह जैसी भी थी, लेकिन अब वह बहुत अच्छी है। आप नहीं जानते, वह पूरी तरीके से बदल चुकी है। वह हम तीनों को बहुत इज़्ज़त देती है और हमें 'भाभी' बोलती है। सब घर में बहुत खुश रहते हैं, और आप भी रहोगे।"
बृजभूषण जी ने तारा के सर पर हाथ रखते हुए कहा, "अगर ऐसी बात है, तो ठीक है।"
वे अपना सामान पैक करके तारा के साथ मल्होत्रा मेंशन चले गए। जैसे ही बृजभूषण जी मल्होत्रा मेंशन पहुँचे, सब लोगों ने उनका बहुत अच्छे से स्वागत किया। यह देखकर बृजभूषण जी को अपने दोस्त और दामाद पर बहुत गर्व हुआ।
दूसरी तरफ, सनम राजावत इंडस्ट्रीज पहुँची तो उसने देखा कि वहाँ का माहौल बहुत खतरनाक था। ऐसा लग रहा था जैसे यह तूफ़ान से पहले की शांति है। लेकिन उसने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और चुपचाप अभिमन्यु के केबिन में चली गई। जब वह अभिमन्यु के केबिन में पहुँची, तो देखा कि अभिमन्यु चेयर पर बैठा हुआ था और उसके पास राघव खड़ा था।
सनम अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोली, "क्या हम मंदिर जा सकते हैं?"
अभिमन्यु सनम को देखकर बोला, "अरे, आपको पूछने की क्या ज़रूरत है?"
सनम बोली, "अगर आपकी इजाज़त हो तो, चलें। क्योंकि मैं चाहती हूँ कि हम शाम से पहले वापस लौट आएँ।"
अभिमन्यु उठकर खड़ा हो गया और राघव की तरफ़ देखकर बोला, "ऑफिस का ख्याल रखना। जो भी मीटिंग है, अटेंड कर लेना। और घर पर इन्फ़ॉर्म कर देना कि मुझे आने में थोड़ा लेट हो जाएगा।"
यह बोलकर वह सनम के साथ ऑफिस से बाहर निकल गया। सनम और अभिमन्यु एक ही कार में बैठकर साइट विज़िट के लिए गए।
अभिमन्यु सनम की तरफ़ देखकर बोला, "हम पिछले 1 घंटे से गाड़ी में बैठे हुए हैं, और दोनों ही एक-दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे। ऐसे तो यह 4 घंटे का रास्ता बहुत मुश्किल से गुज़रने वाला है।"
सनम अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोली, "तो क्या बात करें हम? मैं आपको इतने अच्छे से जानती भी नहीं हूँ, और आप भी मुझे नहीं जानते। तो हम एक-दूसरे से क्या बातें कर सकते हैं?"
अभिमन्यु सनम की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाते हुए बोला, "हम दोस्ती कर सकते हैं, एक-दूसरे को जान सकते हैं, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद जान सकते हैं। शुरुआत तो यहीं से हो सकती है ना?"
सनम ने एक सेकंड अभिमन्यु के हाथ को देखा, फिर उसे हाथ मिलाते हुए बोली, "ठीक है, फ्रेंड।"
अभिमन्यु बोला, "तो दोस्ती का पहला रूल होता है कि दोस्त एक-दूसरे को नाम से बुलाते हैं। तो आज से हम दोनों एक-दूसरे को नाम से बुलाएँगे।"
सनम "ठीक है," बोली।
दोनों एक-दूसरे से बातें करने लगे – कॉलेज की, स्कूल की। उन्हें पता ही नहीं चला कि 4 घंटे का रास्ता कब बीत गया। जैसे ही अभिमन्यु की गाड़ी रुकी, सनम अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोली, "आपने गाड़ी क्यों रोक दी?"
अभिमन्यु सनम की तरफ़ इशारा किया। जब सनम बाहर देखी, तो वे साइट पर पहुँच चुके थे। यह देखकर सनम ने अपने सर में टप्पी मारी और गाड़ी से उतर गई।
जैसे ही अभिमन्यु और सनम गाड़ी से बाहर उतरे, सनम का व्यवहार फिर से सीरियस हो गया। अभिमन्यु सनम को इतनी जल्दी पर्सनालिटी चेंज करते हुए देखकर बहुत इम्प्रेस हुआ। अभिमन्यु अपने खतरनाक स्टाइल के साथ आगे बढ़ने लगा। वहाँ काम कर रहे सारे मज़दूर हैरान रह गए कि कोई लड़का और लड़की इतनी अच्छी कैसे लग सकते हैं। लेकिन वे यह बात अभिमन्यु के सामने नहीं बोल सकते थे।
तभी एक मज़दूर ने दूसरे मज़दूर से धीरे से कहा, "अरे, आज तो अपने राजावत साहब के साथ यह गुड़िया कौन है? दोनों की जोड़ी कितनी अच्छी लग रही है ना, राम और सीता की तरह!"
भले ही उन्होंने कितने भी धीरे से कहा था, लेकिन यह बात अभिमन्यु के कानों तक पहुँच चुकी थी। और अभिमन्यु यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ, क्योंकि वह यही तो चाहता था कि लोग उनकी जोड़ी की तारीफ़ करें – कि वे एक-दूसरे के साथ परफेक्ट मैच हैं।
अभिमन्यु वहाँ जाकर ठेकेदार से बात करने लगा। दोनों पूरी साइट देख रहे थे। सनम नीचे खड़ी कुछ मज़दूरों से बात कर रही थी। तभी अचानक ऊपर से एक सरिया एक मज़दूर के हाथ से गिर गई, और वह जैसे ही सनम को लगने वाली थी, अभिमन्यु सनम को लेकर पीछे हट गया, और वह सरिया अभिमन्यु की पीठ में लग गई। अभिमन्यु की पीठ पर खून बहने लगा। यह देखकर सनम घबरा गई और जल्दी से अभिमन्यु के पास आकर, उसके पीठ से सरिया निकालकर, जल्दी से अपने गले में पड़ा स्कार्फ बांध दिया।
अभिमन्यु घबराहट के मारे सनम को अपने सीने में छिपा लेता है और कहता है, "आपको कहीं चोट तो नहीं लगी? आपको कहीं दर्द तो नहीं हो रहा?"
सनम हैरानी से अभिमन्यु के चेहरे को देख रही थी। इस बंदे को चोट लगी थी, फिर भी वह उसके बारे में सोच रहा था। पता नहीं क्यों, लेकिन अभिमन्यु के करीब आने से सनम का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसके दिल में एक मासूम सी तितली उड़ने लगी, और ऐसा लग रहा था जैसे अभिमन्यु सनम को इम्प्रेस करने में कामयाब हो गया था, चाहे इस बार उसने कुछ भी नहीं किया हो। लेकिन फिर भी सनम के दिल में उसके लिए कुछ-कुछ होने लगा था।
सनम हैरानी से अभिमन्यु को देखकर बोली, "चोट आपको लगी है, और आप मुझसे पूछ रहे हो?"
अभिमन्यु सनम को एक बार फिर अपने सीने से लगाकर, उसके माथे को चूम लेता है। उसे यह एहसास भी नहीं था कि वह क्या कर रहा था। और जैसे ही सनम अपने हाथों को अभिमन्यु की पीठ पर रखती है, सनम के हाथों में खून लगता है। जब उसने अपने हाथों को देखा, तो उसके दोनों हाथ खून से रंग गए थे। वह घबराते हुए अभिमन्यु को जल्दी से वहाँ से किसी नज़दीकी अस्पताल के लिए ले गई। चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि अचानक क्या हुआ, लेकिन अभिमन्यु के चेहरे पर एक शिकन नहीं थी। दर्द की नहीं, बस वह यह सोचकर परेशान हो रहा था कि अगर यह सरिया उसकी नाज़ुक सी सनम को लग जाती, तो उसकी क्या हालत होती।
सनम चोरी-छुपे अभिमन्यु को देख रही थी। आज सनम की आँखों में कुछ सॉफ्टनेस थी, क्योंकि पिछले जन्म में भी किसी लड़की ने उसे बचाने के लिए इस तरह खुद को घायल नहीं किया था, और जब वह यहाँ इस नोबल में आई तब भी सात्विक ने उसके साथ कुछ अच्छा नहीं किया था। लेकिन अभिमन्यु का उसके लिए इतना सब कुछ करना, सनम के दिल में मोहब्बत का बीज बन गया था।
सनम अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोली, "हम अस्पताल पहुँच गए।"
सनम और अभिमन्यु दोनों अस्पताल के अंदर गए। सनम ने डॉक्टर को जल्दी से सब कुछ बता दिया। डॉक्टर अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोला, "मिस्टर राजावत, आप अपनी शर्ट निकाल दीजिए, हमें ड्रेसिंग करनी है।"
अभिमन्यु सनम की तरफ़ देखा, तो सनम बोली, "निकालो ना, मेरी तरफ़ क्या देख रहे हो आप?"
अभिमन्यु ने अपनी शर्ट उतार दी। जैसे ही डॉक्टर अभिमन्यु की पीठ देखी, वह हैरान रह गया और अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोला, "मिस्टर राजावत, आपको इतनी चोट लगी है, और आप इतने नॉर्मल व्यवहार कैसे कर सकते हैं?"
अभिमन्यु सनम की तरफ़ एक नज़र देखकर बोला, "डॉक्टर साहब, जब कोई अपना खतरे में होता है ना, जो दिल के करीब हो, साँसों में बसा हो, तो उसके लिए अपनी जान भी दी जा सकती है। यह तो फिर भी मामूली सी चोट है।"
अभिमन्यु की बात सनम के दिल में घर कर गई थी। उसका दिल जोरों से धड़कने लगा था। वह हैरानी से अपने दिल पर हाथ रखकर बोली, "यह पहले कभी इतनी जोर से नहीं धड़का। आज ऐसा लग रहा है जैसे यह बाहर ही निकल आएगा।"
फिर वह डॉक्टर की तरफ़ देखकर बोली, "डॉक्टर साहब, आप ड्रेसिंग कीजिए।"
डॉक्टर ने अभिमन्यु की पीठ को अच्छे से साफ़ करके उस पर ड्रेसिंग कर दी। डॉक्टर अभिमन्यु और सनम की तरफ़ देखकर बोला, "देखिए मिस्टर राजावत, आप इनका ख्याल रखिएगा, और उनकी चोट पर पानी नहीं पड़ने दें। कम से कम एक हफ़्ते तक। जल्दी ठीक हो जाएगी।"
डॉक्टर के कहे शब्द अभिमन्यु के कानों में गूंज रहे थे – "मिस्टर राजावत" और सनम ने भी इस चीज़ के लिए डॉक्टर का विरोध नहीं किया था। यह अभिमन्यु के दिल में खुशियों की लहर भर गया था।
सनम ने अभिमन्यु को शर्ट पहनाई और उसके साथ बाहर आ गई। दवाइयाँ वगैरह लेकर, वह कार में बैठकर अभिमन्यु से बोली, "मैं आपका शुक्रिया किन लफ्ज़ों में करूँ? सच में मुझे समझ नहीं आ रहा। आज आपने मेरे लिए जो किया है ना, वह शुक्रिया कहकर मैं अदा नहीं कर पाऊँगी। लेकिन कभी भी आपको मेरी ज़रूरत पड़े, या आपको ऐसा लगे कि मैं आपके काम आ सकती हूँ, तो प्लीज़ बेझिझक मुझे बता देना।"
अभिमन्यु सनम की तरफ़ देखकर बोला, "दोस्त हो मेरी, और अपने दोस्त के लिए मैं इतना तो कर ही सकता हूँ।"
सनम मुस्कुराकर गाड़ी स्टार्ट करते हुए बोली, "आज रात हम यहीं रुकते हैं, क्योंकि आपको भी बैठने में प्रॉब्लम होगी, और मैं रात में गाड़ी ड्राइव नहीं कर पाऊँगी, क्योंकि दिन भर की भाग-दौड़ से मैं थक चुकी हूँ।"
अभिमन्यु बोला, "यहाँ पर मेरा घर है, हम वहीं चलकर रेस्ट करते हैं। मैं वहाँ के केयरटेकर को कॉल करके हम लोगों के लिए डिनर बनाने के लिए बोल देता हूँ।"
सनम "हाँ," कह दी। दोनों की कार थोड़ी देर बाद एक सफ़ेद मेंशन के सामने जाकर रुकी। वह ज़्यादा बड़ा तो नहीं था, लेकिन खूबसूरत बहुत था।
जैसे ही अभिमन्यु और सनम अंदर पहुँचे, एक केयरटेकर आकर उन दोनों को पानी दिया और उनके लिए खाना पूछकर चली गई। सनम ने अपना फ़ोन निकालकर समीर को कॉल लगा दिया। समीर बाकी सबके साथ इस वक़्त हाल में बैठा था और सनम के फ़ोन का इंतज़ार कर रहा था। सनम का फ़ोन आते ही समीर ने जल्दी से कॉल रिसीव कर ली। तभी अक्षय ने उसके हाथ से फ़ोन छीनकर फ़ोन को स्पीकर पर कर दिया। तभी दूसरी तरफ़ से सनम की आवाज़ सुनाई दी।
"भाई, आप घर पर पहुँच गए? और घर पर बाकी सब कैसे हैं? भाभी, अंकल जी को लेकर आ गई ना?"
समीर बोला, "सब लोग ठीक हैं। मैं घर आ गया, और अंकल जी भी घर आ गए। तुम बताओ, तुम कितनी देर में आ रही हो?"
सनम थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली, "भाई, आज मैं नहीं आ सकती, क्योंकि मिस्टर राजावत को चोट लग गई है।"
समीर हैरानी से बोला, "मिस्टर राजावत को चोट? कैसे लग गई?"
सनम बोली, "भाई, मिस्टर राजावत को मुझे बचाते वक़्त चोट लग गई। हम जिस साइट पर गए थे, वहाँ एक मज़दूर के हाथ से लोहे का सरिया छूट गया था। वह मुझे लगने वाला था, लेकिन उससे पहले ही मिस्टर राजावत मेरे सामने आ गए, और जो चोट मुझे लगने वाली थी, वह उन्हें लग गई। मैं उन्हें डॉक्टर के पास से लेकर आई हूँ। डॉक्टर ने उन्हें रेस्ट के लिए बोला है, इसलिए मैं आज नहीं आ सकती। उन्होंने मेरी जान बचाई है, तो मैं उन्हें कैसे अकेला छोड़ दूँ?"
सनम की बात सुनकर घर के सारे लोग घबरा गए। समीर घबराते हुए बोला, "बेटा, तुम मुझे एड्रेस दो, मैं अभी तुम्हारे पास आता हूँ। और तुम फ़िक्र मत करो, हम मिस्टर राजावत को भी बहुत शुक्रिया अदा करेंगे।"
सनम कम डाउन करते हुए बोली, "भाई, प्लीज़, कुछ नहीं हुआ मुझे। यह एक हर रोज़ की बात भी नहीं है। मैं बिलकुल ठीक हूँ। और जब कल सुबह मैं घर आऊँगी, तब आप आराम से देख लेना। और यहाँ से वहाँ का रास्ता 4 घंटे का है, और आप अभी ऑफ़िस से आए हो, थक जाओगे। और घर में सबसे कहना, मैं बिलकुल ठीक हूँ, कुछ नहीं हुआ मुझे। अगर आपको विश्वास ना हो, तो वीडियो कॉल कर दीजिए।"
समीर ने जल्दी से वीडियो कॉल ऑन कर दी।
वीडियो कॉल अटेंड करते ही, जैसे ही सनम सामने आई, अपने पूरे परिवार को देखकर अपना माथा पीटते हुए बोली, "आप लोग इतना टेंशन क्यों लेते हो? कुछ नहीं हुआ मुझे!"
वही सबको उसके बगल में बैठा अभिमन्यु दिखाई दिया। सब लोगों ने अभिमन्यु को गुड इवनिंग विश किया और उसे शुक्रिया अदा किया सनम की जान बचाने के लिए। तभी दादाजी ने अपनी रौबदार आवाज़ में कहा, "अभिमन्यु बेटा, अपना और सनम का ख्याल रखना।"
अभिमन्यु जैसे ही सामने दादाजी को देखा, बोला, "बिलकुल दादाजी, मैं आपकी पोती का बहुत ख्याल रखूँगा।"
थोड़ी देर बात करके सब लोगों ने कॉल काट दिया। समीर दादाजी पर नाराज़गी दिखाते हुए बोला, "दादाजी, आपने अभिमन्यु को क्यों बोला 'दादाजी'?"
दादाजी उन सब की तरफ़ देखकर बोले, "नालायकहो! अभिमन्यु राजावत वह इंसान है जिसके साथ मैंने सनम की शादी तय की है। अगर वे दोनों एक-दूसरे के साथ थोड़ा टाइम स्पेंड करते हैं और एक-दूसरे को पसंद कर लेते हैं, तो यह अच्छी बात है ना?"
वही तीनों-चारों भाइयों के अंदर से प्रोटेक्टिव भाई बाहर आने लगा, और सब बोले, "ऐसे कैसे? शादी से पहले हम अपनी बहन को उसके साथ रहने देंगे? हम लोग अभी जा रहे हैं।"
दादाजी गुस्से में उन चारों की तरफ़ देखे, तो वे चुपचाप सोफ़े पर जाकर बैठ गए। तारा, अक्षरा, महिमा अपने मुँह पर हाथ रखकर हँस रही थीं।
बृजभूषण जी इस घर के माहौल को देखकर बहुत खुश थे कि उनकी बेटी को इतना अच्छा परिवार मिला है, इतनी खुशियाँ हैं घर में। और आज उन्हें तारा की बात पर यकीन भी हो गया था कि सनम पूरी तरीके से बदल चुकी है।
क्या सनम के दिल में भी पनपने लगी है अभिमन्यु के लिए मोहब्बत? या यह सिर्फ़ एक सॉफ्ट कॉर्नर है? क्या अभिमन्यु जीत पाएगा सनम का दिल? जानने के लिए बने रहिए, मिलते हैं अगले एपिसोड में।
अभिमन्यु बेटा अपना और सनम का ख्याल रखना अभिमन्यु जैसे ही सामने दादाजी को देखता है कहता है बिल्कुल दादाजी मैं आपकी पोती का बहुत ख्याल रखूंगा थोड़ी देर बात करके सब लोग कॉल कट कर देते हैं समीर दादाजी पर नाराजजी दिखाते हुए कहता है दादाजी अपने अभिमन्यु को क्यों बोला दादाजी उन सब की तरफ देखकर कहते है नालायकहो अभिमन्यु राजावत थी वह इंसान है जिसके साथ मैंने सनम की शादी तय करी है अगर वह दोनों एक दूसरे के साथ थोड़ा टाइम स्पेंड करते हैं और एक दूसरे को पसंद कर लेते हैं तो यह अच्छी बात है ना वही तीन ऑन चारों भाइयों के अंदर से प्रोटेक्टिव भाई बाहर आने लगता है और सब कहते हैं ऐसे कैसे शादी से पहले हम उसके साथ अपनी बहन को रहने दे हम लोग अभी जा रहे हैं दादाजी गुस्से में उन चारों की तरफ देखते हैं तो वह चुपचाप सोफे पर जाकर बैठ जाते हैं तारा अक्षरा महिमा अपने मुंह पर हाथ रखकर हंस रही थी l
बृजभूषण जी इस घर के माहौल को देखकर बहुत खुश थे कि उनकी बेटी को इतना अच्छा परिवार मिला है इतनी खुशियां है घर में और आज उन्हें तारा की बात पर यकीन भी हो गया था कि सनम पूरी तरीके से बदल चुकी है ll
हर्षवर्धन जी बृजभूषण जी की तरफ देखकर कहते हैं क्या हुआ क्या देख रहे हो बृजभूषण जी कहते हैं आज मैं सच में खुश हूं कि मेरी बेटी को अपने ससुराल में इतना प्यार इतना मन और सम्मान मिल रहा है शायद अगर मैं उसके लिए कोई लड़का ढूंढने जाता तो इतना अच्छा परिवार नहीं ढूंढ पता हर्षवर्धन जी कहते हैं यह तो हमारे अक्षय की किस्मत है कि उसे तारा जैसी पत्नी मिली और हम सब की किस्मत है कि मैं तारा जैसी बहू मिली वरना आजकल जैसी लड़कियां आ रही है वह कभी भी एक संयुक्त परिवार में नहीं रहती यह सच भी था आज के टाइम में कोई भी संयुक्त परिवार में नहीं रहना चाहता सबको अपना स्पेस और अपनी प्राइवेसी चाहिए होती है ll
दूसरी तरफ सनम अभिमन्यु को मेडिसिन देकर उसके रूम में सुला देती है और खुद अपने रूम में आकर लेट जाती है अभी थोड़ी ही देर हुई थी कि सनम को सपने में फिर से अपनी पिछली जिंदगी दिखाई देने लगती है उन लोगों का टॉर्चर उन लोगों का धोखा प्रॉपर्टी के लिए उसे मार देना सब कुछ उसकी आंखों के सामने किसी फिल्म की reel की तरह चल रहा था वह झटपट आ रही थी बोलने की कोशिश कर रही थी लेकिन ना तो उसके मुंह से शब्द निकल रहे थे और ना ही आंखें खोल पा रही थी ऐसा लग रहा था उसका शरीर तो क्या था लेकिन उसकी आत्मा वहां पहुंच गई थी ll
सनम एक अंधेरी जगह में थी जहां चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा था वह उसे अंधेरे से बाहर निकालने के लिए इधर-उधर भाग रही थी लेकिन वह अंधेरे से निकल नहीं पा रही थी तभी उसे कुछ लोगों की आवाज सुनाई देती है जैसे ही वह वहां जाकर देखते हैं तो वह शौक रह जाती है क्योंकि यह तो उसका वही घर था जहां से वह मर के उसे नवल में गई थी यह देखकर उन लोगों की बातें सुनती है और उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं कि जिन्हें उसने अपना सब कुछ मन जिनके लिए उसने अपनी जिंदगी तक बर्बाद कर दी वह इंसान उसे इतनी नफरत करता है ll
सनम अपनी आंखों के सामने सुमित और अपनी दोस्त को देख रही थी जो एक दूसरे के साथ मगन थे लेकिन वह सनम को नहीं देख पा रहे थे सनम देख रही थी कि वह दोनों कैसे अपनी दुनिया में खुश थे उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि सनम नाम की कोई लड़की कभी उनकी जिंदगी में भी जाकर की थी इस आदमी ने उसका विश्वास मोहब्बत से हटा दिया था वह इस लड़की ने दोस्ती पर से लेकिन उसे नोबेल में जाने के बाद सनम को बहुत सारे रिश्ते मिले थे प्यार मिला था अपनापन मिला था यही सब सोते हुए उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ जाते हैं और वह अपने मन में रहती है अच्छा हुआ जो मैं इस दुनिया से इस दुनिया में चली गई यहां तू मेरा कोई अपना था ही नहीं काम से कम वहां परिवार तो है भाई है मम्मी पापा है चाचा चाचा हैं दादा दादी हैं भाभियों है सब मुझसे कितना प्यार करते हैं यही सब सोते हुए सनम बुरी तरीके से तड़प रही थी वहीं अपने कमरे से निकल अब अभिमन्यु सनत के कमरे की तरफ जाता है तो देखा है सनम के कमरे से चिल्लाने की आवाज आ रही थी l
सनम को सपने में एहसास हो रहा था कि कोई उसके पास है कोई उसे शांत कर रहा है उसका हाथ उसके सर पर लग गई सनम शीतल जल की तरह शांत हो जाती है और धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलता है आगे खोलने के बाद उसकी आंखों के सामने अभिमन्यु का चेहरा आता है तुम ठीक हो ना अभिमन्यु की बात सुन सनम अभिमन्यु के सीने से लग जाती है सनम को इस वक्त खुशी नहीं था कि वह क्या कर रही है वह तो अपने टूटे दिल का माता मना रही थी अभी-अभी वह अपने प्यार और अपनी दोस्त को एक दूसरे के साथ मोहब्बत के रंग में रंग कर देखते हुए आई थी ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा था वह इस और इस दुनिया के बीच में क्यों फंस चुकी थी या तो वह पूरी तरीके से इस दुनिया की हो जाए या पूरी तरीके से उसे दुनिया में चली जाए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था इन्हीं चक्र में वह अभिमन्यु के बहुत करीब चली गई थी l
सनम अभिमन्यु के सीने से अपना सर निकाल कर उसके चेहरे की तरफ देखती है तो सनम की आंखें अभिमन्यु के पतले गुलाबी होठों पर जाकर टिक जाती है अभिमन्यु अभी भी सनम को समझने की कोशिश कर रहा था वही सनम बिना सोचे समझे अभिमन्यु के होठों को अपने होठों से मिला देती है सनम की इस हरकत से अभिमन्यु शौक रह जाता है एक पल को तो वह पूरी तरीके से ब्लैक हो चुका था उसे ऐसा लग रहा था कि उसके दिमाग में काम करना बंद कर दिया लेकिन जैसे ही अभिमन्यु को अपने होठों पर सनम के होठों का दबाव पड़ता है तब जाकर वह अपने होश में वापस आता है और वह भी सनम का पूरा साथ देने लगता है वह तो कब से सनम को रखना चाहता था उसके गुलाबी होठों को अपने होठों से मिलना चाहता था लेकिन यह काम सनम नहीं पूरा कर दिया था ll
अभिमन्यु पूरी तरीके से सनम के ऊपर हावी हो चुका था सनम के होठों को छोड़ उसकी गर्दन में और उसके कंधे पर बाइट करने लगता है और फिर उसके होठों को अपने कब्जे में कर लेता है अभिमन्यु के हाथ सनम की कमर को मसल रहे थे धीरे-धीरे सनम शांत हो जाती है जब अभिमन्यु को सनम का कोई मूवमेंट दिखाई नहीं देता तो वह अपनी आंखें खोलकर उसके चेहरे को देखता है तो अभिमन्यु के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है क्योंकि सनम सो चुकी थी अभिमन्यु उठकर बैठ जाता है और अपने हाथ बालों में हाथ घुमा कर कहता है ऐसे मोमेंट पर कोई कैसे सो सकता है यार लेकिन इसमें ऐसा क्यों किया अगर कल सुबह उसने मुझे ही ब्लेम किया तो यही सब सोचते हुए अभिमन्यु वहीं सोफे पर बैठा बैठा सो जाता है क्योंकि वह सनम को अकेले छोड़ने का रिस्क नहीं ले सकता था सनम जिस तरह दर्द से तड़प रही थी वह देखकर अभिमन्यु का दिल तड़प कर रह गया था लेकिन वह सनम के दर्द को कम नहीं कर सकता था क्योंकि उसे पता ही नहीं था कि सनम को दर्द है आखिर किस बात का ll
अगली सुबह सनम की धीरे धीरे खुलने लगते हैं और वह अंगड़ाई लेते हुए अपने पेट पर उठकर बैठ जाती है अभी वह बैठी ही थी कि कल रात का मंजर उसके साथ आंखों के सामने आ जाता है कि कैसे चल उसने अभिमन्यु को किस किया था कैसे वह उसके इतने करीब चली गई थी अगर वह बीच में सोना चाहती तो कल शायद वह दोनों अपनी मर्यादा पर कर देते यह सब सोते हुए सनम का चेहरा जलने लगा था ऐसा लग रहा था जैसे अभी धरती फटे और वह उसी में समा जाए सनम जल्दी वॉशरूम में जाती है और अपने होठों को देखने लगती है जो अभी भी सूजे हुए थे यह देखकर सनम अपने मन में कहती है मेरी इस जिंदगी और उस जिंदगी दोनों जिंदगी की पहली किस अभिमन्यु को देती और वह भी कैसे मेरी किसने मेरा साथ देने लग गए अब मैं कैसे उनका सामना करूंगी वह क्या सोच रहे होंगे कि किस तरह की लड़की है नहीं नहीं मुझे उनको उठने से पहले यहां से निकलना होगा यह सब सो कर सनम जल्दी से तैयार होकर बाहर आती है तो देखी है पूरा हॉल खाली था वह एक पेपर डाइनिंग टेबल पर रखती है और वहां से निकल जाती है ll
सनम के वहां से जाने के आधे घंटे बाद अभिमन्यु डाइनिंग टेबल पर आता है वह एक सर्वेंट की तरफ देखकर कहता है जो मैडम को बुलाकर लाओ सर्वेंट ऊपर चली जाती है और आकर रहती है सर मैडम कमरे में नहीं है अभिमन्यु हैरान रह जाता है कि इतनी सुबह-सुबह लड़की कहां चली गई तभी उसकी नजर डाइनिंग टेबल पर रखें पेपर पर पड़ी थी अभिमन्यु वह पेपर उठाकर पढ़ने लगता है ll
सॉरी अभिमन्यु कल रात मैं नहीं जानती कि वह सब कुछ कैसे हुआ कैसे मैं आप कितने करीब चली गई कैसे मैं अपने ऊपर आपको हक दे दिया कैसे मैं अपनी पहली किस् आपको दे दी मैं नहीं जानती लेकिन मैं इतना जानती हूं क्या मैं आपको फेस नहीं कर पा रही हूं इसीलिए मैं यहां से जा रही हूं मैं आपकी असिस्टेंट राघव को कॉल कर दिया है वह आपको लेने आ जाएंगे और मैं अब यह प्रोजेक्ट भी आपके साथ नहीं करूंगी क्योंकि मैं आपको फेस करने की हिम्मत नहीं रखती इसीलिए भूल जाएगा कि कभी कोई सनम आपकी दोस्त हुआ करती थी ll
अभिमन्यु उसे पेपर को अपनी पॉकेट में रख लेता है और कहता है तुम कितना भी कोशिश कर लो मुझसे दूर जाने की लेकिन अब तुम मुझसे दूर नहीं जा सकती क्योंकि पहला कदम तुमने खुद मेरी तरफ बढ़ाया था और आप तुम जाकर भी अभिमन्यु राजावत की कैद से आजाद नहीं हो सकती क्योंकि अब तुम इस दिल की रानी बन चुकी हो और यह दिल अपनी रानी सा को कभी भी खुद से दूर नहीं जाने देगा यह बोल अभिमन्यु भी बिना ब्रेकफास्ट किया बाहर निकल जाता है जैसे वह बाहर पहुंचता है राघव पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था राघव को देखकर अभिमन्यु कहता है तुम इतनी जल्दी यहां कैसे आगे राघव अभिमन्यु की तरफ देखकर कहता है मैं तो कल रात को यहां गया था जब मुझे साइड से पता चल रहा था कि आपको चोट लगी है लेकिन मैं घर नहीं आया था होटल में रुका हुआ था अभिमन्यु जाकर अपनी गाड़ी में बैठ जाता है और राघव ड्राइविंग सीट पर राघव एक नजर अभिमन्यु की तरफ देखकर कहता है सर सनम मेम सुबह यहां से निकल गई थी मैंने उन्हें देखा था जाते हुए मैंने उन्हें रोकने की भी कोशिश की थी लेकिन वह बहुत जल्दी में लग रही थी कुछ हुआ था क्या कल रात ll
अभिमन्यु राघव की किसी बात का जवाब नहीं देता वह सामने की तरफ एक तक देख रहा था जैसे उसके दिमाग में कोई खुराफा चल रही हो वही अभिमन्यु अपना फोन उठाकर सनम के नंबर पर मैसेज करता है मेरा फायदा उठाकर मुझे छोड़कर इस तरह भाग जाना एक लड़की को शोभा नहीं देता और अब तो मैं आपको छोड़ने वाला नहीं हूं बिल्कुल भी आपने जो किया है आपको उसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी क्योंकि कल रात को मेरी पहली किस् आपने ली है और मुझे बहुत करीब से आपने देखा है तो अब आप मुझे छोड़कर नहीं जा सकती l
सनम अभी भी कब में बैठी हुई थी जैसे उसके फोन वाइब्रेट करता है वह उसे ओपन करके देखते हैं अभिमन्यु का मैसेज देखकर सनम की आंखें हैरानी से फैल जाती हैं और वह कहती है एक किस करने से मुझे इनकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी क्या अजीब लॉजिक है यार यह बोलकर वह अपना फोन बिना कोई रिप्लाई करें बंद कर देती है वहीं अभिमन्यु फोन को देख रहा था और वह यह भी देख चुका था कि सनम ने मैसेज को सेंड कर लिया है लेकिन उससे कोई रिप्लाई नहीं दिया तभी उसके चेहरे पर एक खतरनाक मुस्कुराहट आ जाती है और वह अपने मन में कहता है भाग लो जितना भरना है लेकिन आना तो तुम्हें मेरी बाहों में ही है चाहे अपनी मर्जी से चाहे जबरदस्ती से लेकिन मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं कि तुम अपनी मर्जी से आओ और हमें खुशहाल जिंदगी बताएं ll
राघव करते हुए अभिमन्यु की तरफ देखकर कहता है सर कल रात समीर ने अपना दम तोड़ दिया क्योंकि सारे बॉडीगार्ड्स ने उसकी हालत बहुत खराब कर दी थी तो मैं उसकी बॉडी को जंगल में फेंक दिया था लेकिन सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह हुई है कि उसकी बॉडी को किसी जंगली जानवर ने नहीं खाया और उसकी बॉडी पुलिस को मिल गई है अब पुलिस जांच कर रही है कि उसके साथ इतना सब कुछ कैसे हुआ और उसका जो टेस्ट हुआ था उसमें 110 लोगों के सैंपल्स मिले हैं और पुलिस में 110 लोगों को तलाश करने की कोशिश कर रही है और यह मामला अब पूरी मीडिया में चर्चा का विषय बन चुका है l
अभिमन्यु बिना किसी भाव के राघव की तरफ देखकर कहता है तो उसकी बॉडी को गायब करो हॉस्पिटल से किसी को मिलेगी ही नहीं तो आगे की जांच कैसे होगी और हां सारे रिपोर्ट्स को डिस्ट्रॉय कर दो कुछ भी किसी के हाथ नहीं लगना चाहिए उसके बाद मीडिया कुछ दिन बोलकर चुप हो जाएगी राघव कुछ नहीं कहता और सामने देखकर गाड़ी चलने लगता है अभिमन्यु अभी भी सनम कि उसे कैसे में खोया हुआ था जो कल रात सनम ने अभिमन्यु को की थी ll
अभिमन्यु अचानक से राघव से बोलता है और उसे सात्विक का क्या हुआ राघव कहता है वह ठीक है हां उसे चोट लगी हुई है लेकिन ठीक है अभिमन्युराघव की तरफ देखकर कहता है उसे छोड़ दो क्योंकि मैं चाहता हूं वह सनम के पास जाए मैं चाहता हूं कि वह सनम को मेरे बारे में जो भी कहना चाहता है बोले फिर मैं यह देखना चाहता हूं कि सनम का उसे पर विश्वास जाता है कि मुझ पर और अगर उसने मुझ पर विश्वास नहीं किया तो हमारे रिश्ते की डोर बहुत कमजोर हो अभिमन्यु की बात सुनकर राघव अपना सर पीट लेता है उसके बस पता नहीं क्योंकि कांड करते रहते हैं ll
वहीं दूसरी तरफ सनम मल्होत्रा मेंशन पहुंच चुकी थी सब लोग इस वक्त हाल में बैठे चाय और कॉफी पी रहे थे सनम को आया देकर उसके चारों भाई जल्दी से उसके पास जाते हैं और उसे अपने पास लाकर बिठा लेते हैं तभी तारा सनम के लिए काफी ले आती है सनम तारा को अपने पास बिठाकर रहती है और formalities करने की जरूरत नहीं है भाभी ll
महिमा सनम की तरफ देखकर कहती है सनम क्यों ना आज तुम ऑफिस मत जाओ हम चारों लोग शॉपिंग करने चलेंगे और साथ में मां और छोटी मां को भी ले चलेंगे मजा आएगा ना जबसे हम सब इस घर में आए हैं हमें वक्त ही नहीं मिला तुम्हारे साथ वक्त बिताने के लिए इसीलिए मैंने ही प्लान बनाया उसके बाद कोई अच्छी सी मूवी देखेंगे सनम एक नजर महिमा अक्षरा और तारा को देखते हैं फिर कहती है ठीक है मुझे कोई दिक्कत नहीं 11:00 का शो देखते हैं तो यहां से 10:00 बजे निकलेंगे उसके बाद शाम को शॉपिंग करके घर आ जाएंगे चारों भाई उन चारों की प्लानिंग सुनकर कहते हैं और हम कहां गए सनम उनकी तरफ देखकर कहती आप लोग अपना अपना ऑफिस संभालिए जाकर आज का दिन हम चारों का है इसीलिए कोई डिस्टर्ब मत करना हमें फोन करके और ना ही अपने गॉड्स हमारे पीछे लगाना ll
दादाजी हर्षवर्धन जी अनुज जी और भूषण जी की तरफ देखकर कहती है मैंने आप सबके लिए क्लब में एंट्री करवा दी है आज से आप लोग क्लब जा सकती हो वहां आप अपने मनपसंद गेम खेल सकते हो कुछ भी कर सकते हो दोस्त बन सकते हो इस तरह आप खुद के लिए टाइम निकालो और इसमें मैं आप लोगों की कोई भी बात नहीं सुनूंगी और दादी मैं आपका रजिस्ट्रेशन पर पास के ही मंदिर में कर दिया है वहां आप जब चाहो वहां भजन कीर्तन सत्संग करवा सकती हो और मां छोटी मां आपको मैंने क्लब में ज्वाइन करवा दिया है वह वुमन क्लब है आप वहां जाकर पार्टी कर सकती हो गेम्स खेल सकते हो और जो आपका मन हो वह कर सकते हो घर की जिम्मेदारियां हम सब मिलकर उठा देंगे ll
सब लोग सनम की बात सुनकर हैरान रह जाते हैं लेकिन कोई भी सनम को मन नहीं करता सनम सब की तरफ देखकर कहती है तो ठीक है मैं थोड़ा आराम कर लेती हूं जाकर तब तक आप सब लोग अपना-अपना काम निपटा लीजिए उसके बाद हम लोग मूवी देखने चलेंगे वहां से पार्क चलेंगे फिर शॉपिंग करेंगे फिर रात को बाहर डिनर करके घर वापस आएंगे ll
अक्षय जल्दी से सनम के पास आकर उसके हाथों को पड़कर कहता है सनम मुझे भी ले चलो ना अपने साथ बहुत वक्त से हम लोग भी तो तुम्हारे साथ कहीं बाहर नहीं गए हैं l तारा जल्दी से अक्षय का हाथ सनम के हाथ से हटा कर कहती है नहीं तुम ऑफिस जाओ वहीं अक्षय और तारा आपस में लड़ने लगते हैं वही अर्जुन भी सनम की तरफ देखकर कहता है मुझे भी ले चलो ना तभी अक्षरा सनम को अर्जुन से दूर करके कहती है तुम लोग अपने ऑफिस जा रहे हो नहीं जा रहे वही समीर सनम के सर पर हाथ रख कर कहता है अपना ख्याल रखना बेटा और यह कार्ड रखो जो भी चाहिए तुम सबको इसे शॉपिंग कर लेना और हां यह कार्ड में सनम को ही नहीं दे रहा तुम सबके लिए भी दे रहा हूं जो भी शॉपिंग करनी है जो भी खाना पीना है जहां भी जाना है इस कार्ड से पेमेंट कर देना तुम लोग और अपना ख्याल रखना और हां सीक्रेट बॉडीगार्ड तुम लोगों के साथ रहेंगे इसमें मैं कोई बात नहीं सुनूंगा किसी की ll
समीर महिमा की तरफ देखकर कहता है मेरे साथ जरा मुझे थोड़ा काम है तुमसे महिमा भी बिना किसी बात के समीर के साथ चली जाती है कमरे में आने के बाद समीर महिमा से कहता है सॉरी वह कार्ड मैंने सनम को दे दिया वह कार्ड में तुम्हें देना चाहता था लेकिन मुझे लगा कहीं उसे बुरा न लग जाए इसीलिए महिमा समीर का हाथ पकड़ कर कहती है कोई बात नहीं पेमेंट कोई भी करें क्या फर्क पड़ता है वह आपकी बहन है आपका पहला हाथ बंटा है उसका इसीलिए टेंशन वाली कोई बात नहीं है बाहर चली जाती है ll
सब लोग ब्रेकफास्ट करके अपने-अपने ऑफिस के लिए निकल जाते हैं सनम ने जिनको जो बताया था सब अपने-अपने कामों में बिजी हो जाते हैं सनम तारा महिमा अक्षरा तैयार होकर मूवी देखने के लिए चले जाते हैं ll
मिलते है next part me
समीर ने महिमा की तरफ देखकर कहा, "मेरे साथ जरा मुझे थोड़ा काम है तुमसे।" महिमा बिना किसी बात के समीर के साथ कमरे में चली गई। कमरे में आने के बाद समीर ने महिमा से कहा, "सॉरी, वह कार्ड मैंने सनम को दे दिया। वह कार्ड तुम्हें देना चाहता था, लेकिन मुझे लगा कहीं उसे बुरा न लग जाए, इसीलिए..."
महिमा ने समीर का हाथ पकड़कर कहा, "कोई बात नहीं। पेमेंट कोई भी करे, क्या फर्क पड़ता है? वह आपकी बहन है, आपका पहला हाथ बँटा है उसका, इसीलिए टेंशन वाली कोई बात नहीं है।" वह बाहर चली गई।
सब लोग ब्रेकफास्ट करके अपने-अपने ऑफिस के लिए निकल गए। सनम ने जिनको जो बताया था, सब अपने-अपने कामों में बिजी हो गए। सनम, तारा, महिमा और अक्षरा तैयार होकर मूवी देखने के लिए चले गए।
सनम, तारा, महिमा और अक्षरा चारों लोग मूवी देखने के लिए माल पहुँचे। टिकट्स लेकर मूवी देखने गए। मूवी देखते-देखते 3 घंटे बीत गए, उन्हें पता ही नहीं चला। मूवी देखने के बाद चारों लोग रेस्टोरेंट में जाकर लंच किया। लंच करने के बाद फिर वे शॉपिंग पर निकल गए।
महिमा अपने लिए साड़ी देख रही थी और अक्षरा भी साड़ी देख रही थी। तारा और सनम, सनम के लिए ड्रेस देख रहे थे; इसीलिए वे अलग-अलग दिशाओं में थे। तभी एक लड़की आई और महिमा के हाथ से साड़ी छीन ली। महिमा ने जब अपनी नज़र उठाकर सामने देखा, तो वह कोई और नहीं, महिमा की कज़िन सिस्टर थी। उसने महिमा के हाथ से साड़ी छीनकर कहा, "तुम्हारी औकात है इतनी महँगी साड़ी लेने की? जो यहां इतने बड़े मॉल में आ गई।" लड़की की बातें सुनकर वहाँ खड़ी सेल्स गर्ल्स भी महिमा को अजीब नज़रों से देखने लगीं। महिमा को बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। तभी अक्षरा ने लड़की की तरफ देखकर कहा, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई भाभी से इस तरह बात करने की?"
तभी वह लड़की, जिसका नाम निशा था, उसने बताया कि वह महिमा के चाचा की बेटी थी। क्योंकि महिमा के चाचा पैसे वाले थे, उनका अपना बिज़नेस था, इसीलिए उनके चाचा के बच्चे महिमा और उसके परिवार को गरीब समझते थे और हमेशा उसकी इंसल्ट करते थे।
महिमा ने अक्षरा का हाथ पकड़कर कहा, "कोई बात नहीं, हम दूसरी साड़ी देख लेंगे।" वहीं निशा ने महिमा का हाथ पकड़कर कहा, "पर्स में ₹500 नहीं होंगे और साड़ी देख रही है ₹500000 की? क्या बात है? औकात से बाहर के सपने नहीं देखने चाहिए महिमा। तुम्हारी हैसियत सिर्फ़ बाहर नुक्कड़ के कपड़े खरीदने वाली है, इसीलिए वही किया करो। इतने बड़े मॉल में आकर यहाँ के सेल्स गर्ल्स का भी तुम नुकसान कर रही हो।" महिमा अपनी बेइज़्ज़ती सुनकर चुप रही। अक्षरा कुछ बोलने वाली थी, कि महिमा ने अक्षरा को भी नहीं बोलने दिया। वह चुप हो गई।
निशा ने सब लोगों की तरफ देखकर कहा, "आप लोगों को पता है इस लड़की के माँ-बाप एक घटिया से झोपड़ी में रहते हैं? उनके दो वक़्त की रोटी खाने के लिए तो अकाल पड़ा रहता है और यह ₹500000 की साड़ी खरीद लेगी? इसकी औकात है इतनी? और तुम्हें शर्म नहीं आई इतने बड़े मॉल में आकर यहाँ के लोगों का टाइम वेस्ट करते हुए? तुम्हारी औकात यहाँ से रुमाल खरीदने वाली भी नहीं है, तो अंदर ऐसी जगह आना मत।" सब लोग महिमा को अजीब नज़रों से देख रहे थे। तभी वहाँ तीखी सी आवाज़ सुनाई दी, "और तुम्हें कैसे पता मिस निशा कि मेरी भाभी की औकात है यहाँ कपड़े खरीदने की कि नहीं?" जैसे ही सबकी नज़र सामने खड़ी लड़की पर गई, तो सब उसे पहचान गए कि वह मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़ के मालिक हर्षवर्धन मल्होत्रा की बेटी और समीर मल्होत्रा की बहन है, जो खुद भी एक बिज़नेस वूमेन है।
निशा ने सनम की तरफ देखकर कहा, "मिस मल्होत्रा, आप शायद इस लड़की को नहीं जानती हैं। बेकार, फटीचर लड़की है यह। इसकी शक्ल-सूरत पर मत जाइए। शक्ल से जितनी भोली लगती है, उतनी ही शातिर है। किसी अमीर आदमी को फँसाने के चक्कर में है, जिससे इसकी और इसके परिवार का पालन-पोषण हो सके।" सनम ने खींचकर एक थप्पड़ निशा के गाल पर मारा और कहा, "बहुत बोल लिया तुमने और बहुत सुन लिया मैंने! तुम जिसकी औकात की बात कर रही हो ना, वह जयवर्धन मल्होत्रा की पोती-बहू है।"
"हर्षवर्धन मल्होत्रा की बहू और समीर मल्होत्रा की पत्नी है। वह तो तुम्हारी औकात से बहुत ऊपर है। वो तुम्हें जवाब नहीं दे रही है, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें जवाब देना नहीं आता, बल्कि वह इसलिए नहीं दे रही है कि वह तुम जैसी गंदगी के मुँह में नहीं लगाना चाहती क्योंकि उनके मुँह और हाथ दोनों गंदे हो जाएँगे। लेकिन मुझे बड़ा मज़ा आता है गंदगी को साफ़ करने में, इसीलिए अपनी जुबान को लगाम दो! और जिस मॉल में तुम खड़ी हो ना, वह उनके पति का मॉल है और वह मॉल से चाहे खरीदे या ना खरीदे, चाहे फेंक दे, यह उनकी मर्ज़ी है, तुम्हारी नहीं! और हाँ, तुम्हारी औकात है यहाँ से एक ड्रेस खरीदने वाली। चलो ठीक है, यह साड़ियाँ तुम खरीदकर दिखाओ मुझे! और हाँ, इस साड़ी का प्राइस 5 लाख नहीं, बल्कि इस साड़ी का प्राइस 5 करोड़ है! अब यह साड़ी तुम लोगी, वरना मैं तुम सबके साथ क्या करूँगी, यह तो मैं भी नहीं जानती! इसीलिए शांति से यह साड़ी खरीदो और निकलो यहाँ से।" जैसे ही निशा ने 5 करोड़ सुना, उसके तो पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे पॉकेट मनी महीने की मुश्किल से 15 से 20,000 मिलती थी, वह तो 5 लाख की साड़ी भी नहीं खरीद सकती थी, तो 5 करोड़ की तो बहुत बड़ी बात है।
निशा को लगा नहीं था कि इस बार वह बुरी फँस जाएगी। वह हमेशा महिमा को इसी तरह परेशान किया करती थी। पहले तो वह चुपचाप सुन लेती थी और महिमा के सपोर्ट में कोई नहीं बोलता था, लेकिन आज सनम मल्होत्रा इसके सपोर्ट में बोल रही थी। इसका मतलब सच में वह समीर मल्होत्रा की पत्नी है। इस जैसी दो कौड़ी की लड़की को सनम जैसा पति कैसे मिल गया? यही बातें निशा के मन में चल रही थीं। तभी निशा को फिर से सनम की गुस्से भरी आवाज़ सुनाई दी, "तुमने सुना? मैंने क्या कहा?" निशा ने अपना सर नीचे करके कहा, "मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं यह साड़ियाँ खरीद पाऊँ।" सभी ने सनम को महिमा की तरफ़ देखकर कहा, "भाभी, आप यह साड़ियाँ खरीदिए।" महिमा ने सनम का हाथ पकड़कर कहा, "सनम, जाने दो ना, मुझे इतनी साड़ियों की ज़रूरत नहीं है और मुझे इन साड़ियों का कोई शोरूम थोड़ी ही खोलना है।" सनम गुस्से में महिमा की तरफ़ देखती है तो महिमा दो कदम पीछे हट जाती है। सनम गुस्से में मैनेजर की तरफ़ देखकर कहती है, "यह कैसा स्टाफ़ रखा है आप लोगों ने? यहाँ अमीर और गरीब देखकर कस्टमर को अटेंड किया जाता है क्या?"
मैनेजर साहब, आपको नहीं पता आपकी स्टाफ ने किसकी इंसल्ट करने की कोशिश की? वह समीर मल्होत्रा की बीवी है, और समीर मल्होत्रा कैसे हैं, यह बात आपसे बेहतर कोई नहीं जानता होगा। और अभी जो यह हुआ, अब तक तो वह सब कुछ भाई को पता चल भी गया होगा। तब तुम सोचो कि तुम यह सब सहोगे या इन सब से माफ़ी मँगवाओगे?
मैनेजर जल्दी से चिल्लाकर सब सेल्स गर्ल्स से बोला कि वे महिमा से माफ़ी माँगे। वे सभी अपना सिर झुकाकर महिमा से माफ़ी माँगने लगे।
"यह साड़ियाँ पैक करके घर पर पहुँचा दो," सनम ने मैनेजर की तरफ देखकर कहा, "और हाँ, यह मेरे भाई का मॉल है, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं पेमेंट नहीं करूँगी।"
"भाभी, पेमेंट कीजिए," सनम ने धीरे से अपना कार्ड महिमा के हाथ में पकड़ा दिया। महिमा ने कार्ड मैनेजर की तरफ बढ़ा दिया। मैनेजर पहले तो हिचकिचाया, लेकिन सनम की गुस्से भरी लाल आँखों को देखकर डर के मारे उसने जल्दी से महिमा के हाथ से कार्ड लेकर पेमेंट कर दिया।
सब कुछ हो जाने के बाद, सनम गुस्से में निशा की तरफ देखकर बोली, "मेरी भाभी ने तो 5 करोड़ की साड़ियाँ खरीद लीं, इसका मतलब उनकी औकात तुमसे बहुत ऊपर है। तो आइंदा से अगर उनके सामने कभी आओ ना, तो अपनी गर्दन और अपनी नज़रें दोनों झुकाकर रखना, क्योंकि मुझे किसी की गर्दन तोड़ने में और आँखें निकालने में बहुत मज़ा आता है। समझी? अब निकलो यहाँ से!"
"और मैनेजर, इस लड़की को अपने सारे माल से ब्लैकलिस्टेड करो। यह हमारे एक भी मॉल में दिखने नहीं चाहिए, वरना मैं तुम्हें इस ज़िन्दगी में देखने नहीं दूँगी।"
सनम की धमकी सुनकर मैनेजर जल्दी से निशा को अपने सारे माल से ब्लैकलिस्टेड कर दिया। वहीं, सब लोग फिर अपने लिए थोड़ा बहुत शॉपिंग करते हैं और वहाँ से घर के लिए निकल जाते हैं। क्योंकि सबका मूड खराब हो चुका था, इसलिए कोई कुछ नहीं कहता। तारा, अक्षरा और महिमा हैरानी से सनम को देख रही थीं। आज सनम ने अपनी भाभियों के लिए स्टैंड लिया था। यह चीज़ उन सबके दिल में एक मीठा सा एहसास करा गई थी।
दूसरी तरफ, राजावत कॉर्पोरेशन में शॉपिंग मॉल की लाइव फ़ुटेज चल रही थी, और सनम का वह रूप देखकर अभिमन्यु मुस्कुरा रहा था। क्योंकि उसे आज सच में अपनी पसंद पर बहुत गर्व महसूस हो रहा था कि सनम अपने सारे रिश्तों को लेकर चलती है, हर रिश्ते को इज़्ज़त देती है। और अभिमन्यु को क्या ही चाहिए था अपनी जीवनसाथी में? वह तो यही चाहता था कि उसकी बीवी उसकी माँ-बाप की इज़्ज़त करे, उन्हें प्यार करे। और क्या ही चाहिए था? पहले सनम का जैसा व्यवहार था, उसे सोचकर अभिमन्यु को कभी-कभी डर लगता था, लेकिन अब जिस सनम को अभिमन्यु देख रहा था, वह तो नेक्स्ट लेवल पर थी।
"एक दिल है मेरे पास, इस दिल की कितनी बार जीत होगी रानी सा," अभिमन्यु ने दिल पर हाथ रखकर कहा।
सनम की गाड़ी जैसे ही मल्होत्रा मेंशन में आकर रुकी, वह गुस्से में धड़धड़ आते हुए अंदर चली गई। शाम हो चुकी थी, इसीलिए सारे मेंबर्स घर आ चुके थे। तभी पीछे से तारा, महिमा और अक्षरा भी आईं। सनम को इतने टाइम बाद इतने गुस्से में देखकर सब हैरान थे। सबको लग रहा था कि सनम उन तीनों के ऊपर नाराज़ है। सनम गुस्से में अपनी चप्पल कहीं फेंकती है, पर्स कहीं फेंक देती है, फोन को कहीं फेंक देती है, जैकेट उतारकर कहीं फेंक देती है। ऐसे सारा सामान फेंकते हुए वह अपने कमरे में जा रही थी। सनम पहले भी ऐसा ही करती थी, जब उसे हद से ज़्यादा गुस्सा आता था तो वह इसी तरह सारे सामान को फेंक दिया करती थी। समीर, अक्षय और अर्जुन जल्दी से महिमा, अक्षरा और तारा के पास आते हैं और पूछते हैं कि क्या हुआ। तभी तारा मॉल में हुई सारी बात सब घरवालों को बता देती है। सब लोगों को बहुत खुशी हो रही थी कि सनम सच में बदल गई है, लेकिन सनम को किस बात का गुस्सा था, यह बात किसी को समझ नहीं आ रही थी।
सनम अपने कमरे में पहुँचती है और अपना दूसरा फ़ोन निकालकर अपने असिस्टेंट, समर को कॉल करती है। समर कॉल उठाते ही कहता है, "जी, मैं बोलिए।"
"मुझे निशा बजाज की एक-एक जानकारी चाहिए," सनम ने कहा, "और हाँ, बजाज इंडस्ट्रीज को पूरी तरीके से बर्बाद कर दो। और इस तरह बर्बाद करना कि वह दोबारा उठने के लायक ना रहे, भीख माँगते नज़र आने चाहिए ये लोग मुझे। रात तक।"
समर सनम को इतने गुस्से में देखकर कुछ नहीं कहता और जल्दी से "ओके" कह देता है। थोड़ी देर बाद सनम के पास एक मैसेज और एक वीडियो आता है। उसे देखकर सनम के चेहरे पर एक संतोषजनक मुस्कुराहट आ जाती है, और वह कपड़े बदलकर नीचे आती है। तो सब लोग हाल में बैठे हुए थे। अचानक से सनम को मुस्कुराते हुए, इतना शांत देखकर सब लोग हैरान रह जाते हैं। किसी को समझ नहीं आ रहा था। वही सनम किसी पर ध्यान न देते हुए सीधा किचन में चली जाती है।
दादाजी, हर्षवर्धन जी, अनुज जी, तीनों आपस में कहते हैं, "यह सनम इतनी जल्दी शांत कैसे हो गई?" "होती तो नहीं है," समीर सब की तरफ देखकर कहता है, "क्योंकि बजाज इंडस्ट्रीज बर्बाद हो चुकी है। निशा बजाज ने महिमा की बेइज़्ज़ती की थी, इसीलिए सनम ने बजाज इंडस्ट्रीज को बँकराप्त कर दिया है, और निशा बजाज को फुटपाथ पर भीख माँगने के लिए बिठा दिया है। इसीलिए वह शांत हो गई है।" वही सब लोग हैरानी से मुँह खोले समीर को देख रहे थे।
"ऐसे क्या देख रहे हो?" समीर ने कहा।
"आपके पास कोई कॉल नहीं आया, आपने कोई मैसेज नहीं देखा, कोई वीडियो नहीं देखा, किसी से बात नहीं की, तो आपको कैसे पता कि सनम ने यही सब कुछ किया है?" अक्षय ने समीर की तरफ देखकर कहा।
समीर ने अक्षय के सर पर थप्पड़ मारते हुए कहा, "विश्वास नहीं हो रहा ना? तो टीवी चलाकर देख ले! और मुझे सब इसलिए पता चला क्योंकि मैं मेरी बहन की हर एक हरकत को बहुत अच्छे से जानता हूँ।"
तभी अर्जुन जल्दी से टीवी का रिमोट लेकर टीवी ऑन कर देता है, तो सच में वहाँ पर वही खबरें चल रही थीं जो अभी-अभी समीर ने सबको बताई थीं। सब लोग मुँह खोले हैरानी से समीर को देख रहे थे।
"क्या? बचपन से जानता हूँ उनसे, कि वह कब क्या करती है और क्या कर सकती है। जब उसे गुस्सा आता है तो वह उस इंसान को पूरी तरीके से बर्बाद कर देती है जिसके ऊपर उसे गुस्सा आया है। तो निशा बजाज का बर्बाद होना कोई बड़ी बात नहीं थी।"
महिमा के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है। वहीं तारा, अक्षरा, वह दोनों भी मुस्कुराने लगती हैं। तभी रागिनी और पायल जी समीर की तरफ देखकर कहते हैं, "तुम्हें उसे समझना चाहिए ना? इतना गुस्सा अच्छी बात नहीं है। उसकी शादी की बात चल रही है। अगर वह ऐसे ही नाराज़ होगी, ऐसे ही गुस्सा करेगी, तो उसके ससुराल वाले को पसंद नहीं आएगा।"
समीर रागिनी जी की तरफ देखकर कहता है, "मोम, आपको क्या लगता है कि अभिमन्यु राजावत ऐसा ही कोई इंसान है या वह ऐसे ही किसी लड़की को अपने लिए पसंद कर लेता है? आज मॉल में जो कुछ भी हुआ, वह अब तक उसे पता चल चुका होगा। और अगर उसे सनम पर या सनम की हरकत पर गुस्सा आता, तो अब तक सनम को फ़ोन करके बता चुका होता। और अगर उसने ऐसा नहीं किया है, इसका मतलब सनम के इस कदम से उसे कोई एतराज़ नहीं है, और शायद वह एतराज़ करना भी नहीं चाहता।"
यह बात सुनकर सब लोग हैरानी से समीर को देखते हैं।
"मैंने पता लगाया था अभिमन्यु राजावत के बारे में," समीर ने कहा, "अभिमन्यु आपसे नहीं, बल्कि पिछले 4 सालों से सनम से मोहब्बत करता है और उसे पाना चाहता है। लेकिन जब उसे सात्विक और सनम के बारे में पता चला, तो वह इंडिया छोड़कर चला गया था, क्योंकि उसे लगता था कि अगर वह यहाँ रहा, तो सनम को अपना बनाने के लिए वह कुछ भी कर सकता है, और वह सिर्फ़ सनम की खुशी चाहता था। लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि सात्विक ने किसी और से सगाई कर ली है, और सनम ने खुद को पूरी तरीके से बदल लिया है, वह उसी पल इंडिया वापस आ गया। और उस दिन से हर पल, हर सेकंड वह सनम के आसपास ही रहता है।"
मल्होत्रा परिवार को यह बात नहीं पता थी, लेकिन जैसे-जैसे समीर सबको बता रहा था, सब हैरानी से मुँह खुले समीर को देख रहे थे। हमेशा चुप और शांत रहने वाला समीर हर पल हर किसी पर इस तरह नज़र रखता है, किसी को पता ही नहीं था। वही अर्जुन समीर की तरफ देखकर कहता है, "भाई, अगर ऐसा कुछ है, तो फिर अभिमन्यु ने किसी से बात क्यों नहीं की? अगर वह हम सब से बात करके, अगर सनम से शादी करना चाहता था, तो वह कर सकता था ना? और फिर अभिमन्यु राजावत को कौन नहीं जानता? वह जो चाहता है, वह पाकर रहता है।"
मल्होत्रा परिवार को यह बात नहीं पता थी, लेकिन समीर जैसे-जैसे सबको बता रहा था, सब हैरानी से मुंह खोले समीर को देख रहे थे। हमेशा चुप और शांत रहने वाला समीर, हर पल हर किसी पर इस तरह नज़र रखता था, किसी को पता ही नहीं था। वही अर्जुन समीर की तरफ देखकर कहता है, "भाई, अगर ऐसा कुछ है, तो फिर अभिमन्यु ने किसी से बात क्यों नहीं की? अगर वह हम सब से बात करके सनम से शादी करना चाहता था, तो वह कर सकता था ना? और फिर अभिमन्यु राजावत को कौन नहीं जानता? वह जो चाहता है, वह पाकर रहता है।"
समीर अर्जुन की तरफ देखकर कहता है, "तुमने जो कहा, वह सच था। लेकिन वह सनम को पाना नहीं चाहता था, बल्कि वह सनम का प्यार चाहता था। और अगर वह इस तरह सनम से शादी कर भी लेता, तो सनम हमेशा उससे नफ़रत करती, कभी उससे प्यार नहीं करती। उसके दिल में हमेशा सात्विक रहता। लेकिन अब ऐसा नहीं है। सात्विक सनम की ज़िंदगी से बहुत दूर जा चुका है क्योंकि सनम ने खुद ही उसे अपनी ज़िंदगी से बाहर निकाल कर फेंक दिया है। तो अब अभिमन्यु से शादी कर सकता है, इसीलिए। और तुम्हें क्या लगता है? कल उसने सनम की जान बचाई। अभिमन्यु राजावत का किसी की जान बचाना, यह तुमने कभी सपने में भी सोचा है?"
अक्षय समीर की तरफ देखकर कहता है, "लेकिन भाई, वह एक राक्षस है, शैतान है! वह हम अपनी मासूम सी बहन को उसे कैसे दे सकते हैं?" समीर मुस्कुराते हुए कहता है, "और हमारी सनम तो कोई कांच की गुड़िया है ना, जिसे कोई राक्षस तोड़ देगा? बल्कि सनम तो वह शैतान है जो अभिमन्यु राजावत जैसे इंसान को झुकाने की ताकत रखती है। और तुम्हें क्या लगता है? सनम ने अभी तक उसके बारे में पता नहीं किया होगा? सब कुछ पता कर लिया होगा उसने। और खुश हूँ मैं इस बात से कि मेरी बहन खुश है, और फिर उसे उसके टक्कर का जीवन साथी मिला। यही तो हम सब लोग चाहते थे।"
थोड़ी देर बाद, सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे डिनर कर रहे थे। वहीँ सनम चुपचाप अपना डिनर कर रही थी। उसके दिमाग में अभी भी अभिमन्यु और अपनी वह किस चल रही थी। वह कैसे अभिमन्यु का सामना करे, यही बात सनम के दिमाग में चल रही थी। सब लोग आपस में बातें कर रहे थे, लेकिन आज सनम का ध्यान तो अभिमन्यु में अटका हुआ था। सब लोग गौर से सनम को देख रहे थे, लेकिन किसी को समझ नहीं आ रहा था कि सनम इतना अजीब व्यवहार क्यों कर रही है।
डिनर हो जाने के बाद, सनम अपने कमरे की तरफ जाने लगती है। तभी दादाजी कहते हैं, "बेटा, तुम्हारी बुआ दादी आने वाली हैं। उनकी फ़्लाइट का वक़्त हो गया है, तो तुम में से कोई जाकर ले आओ।" बुआ दादी का नाम सुनकर सनम के दिमाग में एक औरत का ख़्याल आता है। वह औरत, जो हमेशा सनम को अपने परिवार के ख़िलाफ़ भड़काती थी। बुआ दादी ही थीं, जिन्होंने जानबूझकर सनम को मल्होत्रा फैमिली से अलग किया था। और इस बार उनका आना, मतलब इस घर में फिर से भूकंप आने के बराबर था। इसीलिए अब उसने सोच लिया था, वह बुआ दादी के सामने ऐसे प्रिटेंड करेगी जैसे वह अपनी भाभियों से, भाई से, सबसे ज़्यादा मतलब नहीं रखती। वरना बुआ दादी फिर लग जाएँगी सनम को सबसे अलग करने में। अभी तक दादाजी या घर के किसी भी मेंबर को इस बारे में पता नहीं था, वरना वह कभी भी बुआ दादी को इस घर में नहीं आने देते।
अभी दादाजी यह कह ही रहे थे कि बाहर से एक गाड़ी रुकने की आवाज़ आती है, और उस गाड़ी में से एक भारी-भरकम औरत निकलती है, जिसने एक बनारसी साड़ी पहन रखी थी। हाथों में रुद्राक्ष की माला फेरते हुए वह घर के अंदर आ जाती है। "अब खाने से क्या फ़ायदा, जब मैं खुद ही टैक्सी करके घर आ गई! अरे भैया, आपको तो अपनी बहन की चिंता ही नहीं है! और देख लो, आपके घर में इतने लोग हैं, फिर भी आपकी बहन को लाने के लिए कोई गया नहीं! आपकी बहन को तो यहाँ अपने आप ही आना पड़ा!" दादाजी अपनी बहन की आदत जानते थे, इसलिए वह बात को ज़्यादा ना बढ़ाते हुए कहते हैं, "अरे माला, तुम आ तो गई ना, अब क्यों फ़ालतू में नाराज़ हो रही हो? बच्चों से गलती हो गई, लेकिन इसमें बच्चों की भी गलती नहीं थी। मैं ही बच्चों को बात नहीं बता पाया था, और जब बताया, तब तक तुम आ गई थीं।"
बुआ दादी चारों तरफ़ अपनी नज़रें घुमाकर कहती हैं, "सनम नहीं दिख रही, कहाँ है वह?" दादाजी भी देखते हैं, तो कहते हैं, "वह अपने कमरे में होगी, खाना खा लिया है उसने।" दादी माँ खुश हो जाती हैं कि सनम अभी भी अपने परिवार से अलग है। सनम पिलर के पीछे खड़े होकर बुआ दादी के चेहरे की मुस्कुराहट को देख रही थी और अपने मन में कहती है, "मैं पहले वाली सनम नहीं हूँ जो आप पर अंधा विश्वास कर लेगी। मैं तो वह सनम हूँ जो जैसे को तैसा करने में विश्वास रखती है। अब आप देखो मैं कैसे आपकी सच्चाई इस पूरे परिवार के और दादाजी के सामने लेकर आती हूँ। मुझे पता है इस बार आप किसी न किसी मकसद से आई हुई हैं।"
महिमा, तारा और अक्षरा बुआ दादी के पैर छूती हैं। बुआ दादी महिमा को देखकर अजीब मुँह बनाती हैं और कहती हैं, "पता नहीं यह समीर कहाँ से इस मिडिल क्लास लड़की को उठाकर ले आया! मैंने अपनी दोस्त की बेटी को समीर के लिए पसंद किया था, लेकिन नहीं, इनको तो यह गंदगी पसंद आई थी, इसलिए घर में लाकर बैठा दी है।"
बुआ दादी की बात सुनकर महिमा की आँखें नम हो जाती हैं। वहीं समीर गुस्से में बुआ दादी की तरफ़ देखकर कहता है, "आप हमारे यहाँ मेहमान बनकर आई हैं, तो मेहमान बनकर रहिए। मेरी पत्नी को कुछ भी कहने का आपका हक़ नहीं है। और वह किस परिवार से है, कहाँ से नहीं है, इस बात से आपका कोई लेना-देना नहीं है। बस आप यह याद रखिए कि वह महिमा, समीर मल्होत्रा है, समीर मल्होत्रा की बीवी, और उसकी इज़्ज़त! अगर आपने उसकी बेइज़्ज़ती करने की कोशिश की ना, तो आपकी रिटर्न टिकट मैं बहुत जल्दी कटवा दूँगा। इसीलिए अपने ज़बान पर लगाम दे दीजिए।"
बुआ दादी समीर की तरफ देखकर बोलीं, "तो इस लड़की ने तुम्हें जवान चलाना भी सिखा दिया? देख लो भाई साहब, आपके घर में आकर आपकी ही बहन की बेइज़्ज़ती हो रही है, लेकिन आप तो कुछ कहेंगे ही नहीं! आप तो अपने बेटे-बहू के आगे बोल नहीं सकते!"
तभी रागिनी आगे आई और बोली, "ऐसी बात नहीं है बुआ जी। बच्चा है, गुस्सा आ गया इसलिए बोल दिया। आगे से ध्यान रखेगा।"
बुआ दादी रागिनी की तरफ देखकर बोलीं, "तुम्हारी शहरियानत! इसलिए ये बच्चे इतना बोलते हैं। मुझे तो मेरी सनम अच्छी लगती है, मेरी हर बात मानती है, मेरी अच्छी बच्ची। पता नहीं तुम लोगों ने उससे क्या कर दिया है? कहीं किसी हॉस्टल में तो नहीं फेंक दिया, कि तुम लोगों को उसका हिस्सा न देना पड़े?"
सबको बुआ दादी की बातों पर गुस्सा आया, लेकिन कोई कुछ नहीं बोला। सभी दादाजी की तरफ देख रहे थे। दादाजी बोले, "तुम चलो, मैं तुम्हें तुम्हारा कमरा दिखा देता हूँ।" बुआ दादी उठकर दादाजी के साथ चली गईं।
तारा उनकी तरफ मुँह बनाकर रह गई। "मुझे पता नहीं क्यों, बहुत स्ट्रांग फीलिंग आ रही है। मां की ये बुआ दादी कुछ सही नहीं है, और सनम के उस व्यवहार के पीछे बुआ दादी का ही हाथ है।"
पायल बोली, "तुम सही कह रही हो तारा। बुआ दादी ही हमेशा शर्म को भड़काती रहती थीं। और एक बार फिर आ गई हैं यहाँ। अब पता नहीं मेरी बच्ची के कानों में क्या-क्या भरेंगीं। कहीं फिर से हमारी बच्ची को हमसे दूर न कर दें।"
समीर गुस्से में कमरे की तरफ देखते हुए बोला, "जिस कमरे में अभी-अभी बुआ दादी गई थीं, इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा, और ना ही मैं ऐसा कुछ होने दूँगा। क्योंकि मैं अपनी बहन को एक बार और ठगा नहीं जा सकता। आप फ़िक्र ना करो, मैं ऐसा चक्कर चलाऊँगा कि बुआ दादी दो-चार दिन में यहाँ से रवाना हो जाएँगीं।"
दादी मां बोलीं, "बेटा, अपने दादाजी के आगे कुछ मत कहना, वरना वे नाराज़ हो जाएँगे कि उनकी बहन इतने सालों बाद आई और फिर भी हम लोग इस तरह से व्यवहार कर रहे हैं।"
पीछे से सनम की आवाज़ आई, "वह इसी के लायक हैं! दादी मां, आप नहीं जानतीं, इन्होंने क्या-क्या बोला था आप लोगों के बारे में! और मेरा आप लोगों से दूर जाना मेरी मर्ज़ी नहीं थी, बल्कि इन्होंने साज़िश रची थी मुझे आप सब से दूर करने के लिए!"
तभी दादाजी आते हुए बोले, "खाने का क्या हुआ?"
सनम अपने पूरे परिवार की तरफ देखती हुई बोली, "आपको याद है जब मैं 10 साल की थी और एक बार पुल में गिर गई थी, और मेरे साथ-साथ अक्षय भैया भी गिरे थे? तो समीर भैया ने अक्षय भैया को पहले निकाला था और मुझे बाद में। इस बात के लिए बुआ दादी ने मेरे दिमाग में समीर भाई, अक्षय भाई और अर्जुन भाई के लिए इतना जहर भर दिया था कि मैं नफ़रत करने लगी थी सब से। लेकिन जिस वक्त मेरा एक्सीडेंट हुआ और फिर मैं सीढ़ियों से गिरी, तब जाकर मुझे समझ आया कि ये सब तो मेरे अपने हैं। वह औरत हमेशा मुझे झूठ ही बताती थी। इसीलिए मैंने आप लोगों के साथ ऐसा व्यवहार किया था।"
समीर सनम के सर पर हाथ रखकर बोला, "बेटा, मैंने वो इसलिए किया था क्योंकि अक्षय को पानी से डर लगता है, और तुम बहादुर थीं, तुम्हें डर नहीं लगता था। अगर अक्षय को कुछ हो जाता, तो मैं खुद को माफ़ नहीं कर सकता था।"
सनम समीर का हाथ पकड़कर बोली, "आपको मुझे सफ़ाई देने की ज़रूरत नहीं है भाई। मैं वो 10 साल की बच्ची नहीं हूँ जो उनकी बातों में आ जाऊँगी। बस आप सब लोग मेरा साथ देना। फिर देखना, मैं उनकी सच्चाई उन्हीं के मुँह से कैसे निकलवाती हूँ। और इस समय मैं आप तीनों से माफ़ी माँगना चाहती हूँ। भाभी, क्योंकि मैं आपसे बात नहीं करती थी, और करती भी तो रूठे तरीके से, क्योंकि मैं उन्हें अपने झांसे में फँसाना चाहती थी। पहले से ही मैं आप सब से माफ़ी माँग रही हूँ। आज उन्होंने जो मेरी भाभी की बेइज़्ज़ती की है ना, इसका बदला तो लेना ही होगा, और थोड़ी ही देर में इसका कमाल भी शुरू होगा।"
अभी सनम का फ़ोन ही फ़्री हुआ था कि अंदर से बुआ दादी के चिल्लाने की आवाज़ आने लगी। सब लोग हैरानी से सनम को देखते रहे।
सनम अपने कंधे झटके हुए वहाँ से अपने कमरे में चली गई। वहीं सब लोग बुआ दादी के कमरे की तरफ गए। बुआ दादी बेड पर बैठी हुई, फ़ोन पर किसी से बातें कर रही थीं। फ़ोन काटने के बाद वह दादाजी की तरफ़ देखकर बोलीं, "भाई साहब, पता नहीं कैसे हमारी कंपनी के शेयर्स गिर गए! उनके दाम कौड़ियों के भाव हो गए हैं! हम तो बर्बाद हो जाएँगे! भाई साहब, आप मदद कर दीजिए ना हमारी!"
दादाजी बुआ दादी की तरफ़ देखकर बोले, "मालूम है, मैं बिज़नेस नहीं संभालता। आपका बिज़नेस अक्षय, समीर और अर्जुन संभालते हैं, और वे लोग देख लेंगे कि उन्हें क्या करना है।" यह कहकर सब लोग वहाँ से बाहर आ गए।
बाहर आने के बाद तारा मुस्कुराते हुए बोली, "ये मारा सनम ने सिक्सर! अब तो ये बुढ़िया जल्दी से जल्दी यहाँ से भाग जाएगी!"
सब लोग अपने-अपने कमरों में जाकर सो गए। वहीं दूसरी तरफ अभिमन्यु आज सनम को देखने के लिए बहुत बेचैन था क्योंकि आज वह अपनी किसी मीटिंग के लिए आउट ऑफ़ सिटी गया था, और वह गलती से अपना लैपटॉप ऑफ़िस में ही छोड़ आया था। इसीलिए वह बहुत बेचैन था।
राघव अभिमन्यु की तरफ़ देखकर बोला, "सर, इतना परेशान मत होइए। हम लोग चल रहे हैं ना, फिर आप उन्हें देख लीजिएगा।"
अभिमन्यु अपने सीने पर हाथ रखते हुए बोला, "पता नहीं क्यों आज अजीब सी बेचैनी हो रही है। ऐसा लग रहा है कुछ बुरा होने वाला है। बस मेरी सनम के साथ कुछ ना हो।"
एक अंधेरे कमरे में एक आदमी सोफ़े पर बैठा हुआ, सामने लगी एक लड़की की तस्वीर को बहुत गौर से देख रहा था। उसकी आँखों में नफ़रत की झलक साफ़-साफ़ नज़र आ रही थी। वह आदमी उठकर खड़ा हुआ और उसने चाकू तस्वीर पर चलाते हुए कहा, "जिस तरह तुमने मुझे मेरा भाई छीना था ना, उससे भी ज़्यादा दर्दनाक मौत मैं तुम्हें दूँगा, सनम मल्होत्रा! वापस लौट आया हूँ मैं। तुम्हारी बर्बादी करके, और इस बार ऐसा बर्बाद करूँगा कि तुम किसी को अपना मुँह तक नहीं दिखा पाओगी! तब तुम्हें पता चलेगा कि रैगिंग करके लोगों को मारना क्या होता है!"
सामने दीवाल पर सनम की तस्वीर लगी थी जिसमें सनम मुस्कुरा रही थी। वह आदमी उस तस्वीर को देखकर बोला, "तुम्हारी मुस्कुराहट जहर लग रही है मुझे! ऐसा लग रहा है कि तुम अभी मेरे सामने आओ, मैं अभी के अभी तुम्हें जान से मार दूँ! मैं सात्विक की ज़िन्दगी में समीर को इसीलिए भेजा था कि तुम्हें वो दर्द, वो तकलीफ़ और बदनामी सहनी पड़े। लेकिन नहीं, तुम्हारे भाइयों ने फिर से तुम्हें बचा लिया। तीनों भी कब तक तुम्हें प्रोटेक्ट करेंगे? एक न एक दिन तो तुम अकेली मिलेगी ही मुझे, और वो दिन तुम्हारी ज़िन्दगी का सबसे काला दिन होगा! तुम्हारी इज़्ज़त का तमाशा बनाऊँगा मैं शरीफ़ बाज़ार में, और तुम्हें कोठे पर ले जाकर बिठा दूँगा! फिर तुमसे पूछूँगा कि एक लड़के की और एक लड़की की इज़्ज़त में क्या फ़र्क होता है!"
वह इंसान नफ़रत में इतना अंधा हो चुका था कि उसे सही-गलत, अच्छे-बुरे की कोई नॉलेज ही नहीं थी। लेकिन वह इंसान था, इस बात को सनम पर हाथ डालना इतना आसान नहीं था।
सनम खुद में ही खौफ़ का दूसरा नाम थी, लेकिन उसके पीछे अभिमन्यु राजावत उसे प्रोटेक्ट करने के लिए खड़ा था, और उसके सामने खड़े थे उसके चार भाई, जो उसे अपने जीते जी तो कुछ नहीं होने दे सकते थे। वहीं सनम बेड पर लेटी हुई थी, उसे अजीब सी बेचैनी हो रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे धीरे-धीरे उसकी शरीर से जान बाहर जा रही है। अचानक से वह तड़पने लगी। वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी। उसके चिल्लाने की आवाज़ सुनकर पूरा परिवार उसके कमरे में आ गया, और वे देखते हैं कि सनम के मुँह से...