ये कहानी है धरा की जो अपनी मौत का बदला लेने की चाह में इधर-उधर भटकती रहती है , इसी दौरान उसकी मुलाकात होती है अविनाश से , जो उसे देख सकता था ये देख धरा को अविनाश में एक उम्मीद की नई किरण दिखती है , और वो अविनाश के पीछे पड़ जाती है , आखिर क्या राज था... ये कहानी है धरा की जो अपनी मौत का बदला लेने की चाह में इधर-उधर भटकती रहती है , इसी दौरान उसकी मुलाकात होती है अविनाश से , जो उसे देख सकता था ये देख धरा को अविनाश में एक उम्मीद की नई किरण दिखती है , और वो अविनाश के पीछे पड़ जाती है , आखिर क्या राज था धरा की मौत का , कौन थे उसके कातिल , क्या होगा जब अविनाश को पता चलेगा धरा का सच , क्या धरा अपने कातिलों से अपनी मौत का बदला ले पाएगी , क्या अविनाश उसका साथ देगा , आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा
निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
ओम जय श्री गणेशाय नमः
मैं लेकर आ रही हूं आप लोगों के लिए एक हॉरर स्टोरी अपनी लाइफ में मैंने कई ऐसी घटनाओं को सुना और देखा है कि मुझे भूत प्रेतों पर विश्वास है। इसीलिए सोचा क्यों ना इसमें भी एक बार अपना हाथ आजमाया जाए आशा करती हूं कि आप लोग मेरी इस कहानी को भी पसंद करेंगे ।और अपना प्यार देंगे...तो चलिए शुरू करते हैं-
(गाजियाबाद , उत्तर प्रदेश)
यह कहानी है , गाजियाबाद के कवि नगर में रहने वाले अविनाश व्यास की। जो फिलहाल अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण फिलहाल होटल में सैफ उसका काम करता है। यह कुछ समय पहले तक किसी बड़ी बैंक में मैनेजर का काम करता था। लेकिन कुछ रिश्वत खोरो की वजह से वो बैंक दिवालिया हो गई और इसकी नौकरी चली गई।
अविनाश व्यास , उम्र - 28 साल , सामान्य रंग , भूरी आंखें हाइट 5.10 , घने काले बाल , और मनमोहक चेहरा।
अब बात करें इनके व्यवहार की , तो बचपन से ही हंसमुख और चंचल स्वभाव रहा है, लेकिन अब वही शांत गंभीर और गुस्से में रहता है। वो कहते हैं - ना समय के साथ हर किसी में बदलाव आता है जिद में सबसे बड़ा हाथ जीवन की परिस्थितियों का होता है कुछ ऐसा ही इनके साथ है। पापा दिल के मरीज है और दो बार हार्ट अटैक भी आ चुका है इसीलिए दिन भर बिस्तर पर रहते हैं। मां कुशल ग्रहणी है लेकिन समय के साथ घर की परेशानियों की वजह से उनका बर्ताव चिड़चिड़ा हो गया है। दो बहने हैं जिनमें से एक की शादी हो चुकी है। दूसरी कॉलेज में है और जिसकी शादी की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर है। कुल मिलाकर पूरे घर को संभालने वाला यह अकेला हैं। जिससे इसे अपने सपनों को छोड़ना पड़ा। इसी वजह से फ्रस्ट्रेशन में उन्हें बहुत गुस्सा आ जाता है। और यह किसी पर भी बरस पड़ते हैं, लेकिन सुंदर लड़कियों को देखते ही वो गुस्सा कहीं छूमंतर भी हो जाता है।
सुबह के 6:00 बजे
सुबह के 6:00 बज रहे थे और व्यास हाउस के किचन में खतर पटर चालू थी वही बाहर हॉल में 19 , 20 साल की लड़की उबासी लेते हुए झाड़ू लगा रही थी साथ में बड़बड़ा भी रही थी
किचन से बाहर आती लक्ष्मी ने जब अपनी बेटी रितु का बड़बड़ाना सुना तो उसे गुस्सा आ गया। और वो गुस्से में रितु से बोली, " ओ महारानी झाड़ू पोछा करके मेरे ऊपर तू कोई एहसान नहीं कर रही घर में कोई 10 नौकर नहीं लगा रखे तेरे बाप ने सारा काम मैं अकेले ही करती हूं। तो अगर थोड़ा सा सुबह हाथ बटा देगी तो तेरे हाथ नहीं टूट जाएंगे। खाना अकेले मैं नहीं खाती तू भी खाती है। अब अगर तेरा बड़बड़ाना हो गया हो तो जल्दी से झाड़ू लगाकर ऊपर जाकर अपने भाई को उठा दे। उसके होटल जाने का टाइम हो गया है नहीं तो लेट हो जाएगा और अगर होटल वालों ने इसे नौकरी से निकाल दिया, तो फिर तो चल गया घर खाने के भी लाले पड़ जाएंगे।"
लक्ष्मी जी की बात सुनकर की भी रितु ने उन्हें अनसुना कर दिया। तो आखिर में हार मानकर लक्ष्मी जी खुद ही सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जाने लगी.... जब वो ऊपर कमरे में पहुंची , तो उन्होंने देखा उनका घोड़े जैसा जवान बेटा गधे घोड़े सब बेच कर पूरे पलंग पर फेल कर गधे की तरह सो रहा था। जिसके खर्राटों की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी।
लक्ष्मी जी ने जब उसे इस तरह सोते देखा तो गुस्से में उन्होंने उसके कमरे में रखा झाड़ू उठाया.... और उसके पास जाकर खींचकर एक उसके पिछवाड़े पर मार दिया। जिसके साथ ही चीखते हुए वह लड़का बिस्तर पर उठ बैठा, और अपनी मां को इतने गुस्से में देख उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई।
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"क्या मम्मी प्यार से भी तो उठा सकती थी ? इतनी सुबह-सुबह इतना गुस्सा करने की क्या जरूरत है?"
" अविनाश लक्ष्मी जी को गुस्से में देख उनसे बोला। और बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया।"
"क्योंकि तेरे जैसे लातों के भूत को बातों की भाषा समझ में नहीं आती.... पहले भी तुझे जगा कर गई थी पर मजाल है तू उठ कर बैठा हो जाए। अरे अगर यह नौकरी भी तेरे हाथ से चली गई तो घर कैसे चलेगा ? वैसे भी तेरे बाप ने घर को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी बची खुची कसर तेरे उस धोखेबाज चाचा ने पूरी कर दी। ऐसे में घर का सारा खर्चा , रितु की कॉलेज फीस , यहां तक कि खुद के घर का किराया भी देना पड़ता है , और सब कुछ तेरी कमाई से चलता है। ऐसे में अगर नौकरी गई तो खाने के भी लाले पड़ जाएंगे इसीलिए कम से कम तू तो संभल कर रहा कर.... अब जा जल्दी बाथरूम में फ्रेश होकर तैयार हो जा मैं नीचे तेरे लिए नाश्ता लगाती हूं। और टिफिन भी पैक कर दूंगी जल्दी से नीचे आजा।"
" लक्ष्मी जी अविनाश का कमरा साफ करते हुए अविनाश से बोली , और फिर नीचे चली गई। वहीं अविनाश अलमारी से अपने कपड़े निकाल कर बाथरूम में नहाने चला गया...!!
थोड़ी देर में अविनाश तैयार होकर नीचे आया। और नाश्ते के लिए बैठा , तो रितु भी उसके पास बैठते हुए बोली " भैया मुझे कॉलेज की फीस के लिए और प्रैक्टिकल के लिए पैसों की जरूरत है।"
तो अविनाश ने अपने जेब से वॉलेट निकालकर उसमें से ₹2000 रुपए निकालकर रितु को देते हुए बोला ," इनसे काम हो जाएगा ?"
तो रितु ने हा मैं सिर हिलाते हुए उन पैसों को ले लिया।
तभी वहीं सोफे पर बैठे हुए नारायण जी अविनाश से बोले ," बेटा मेरी भी दवाइयां खत्म हो गई है। उसके लिए भी अपनी मां को पैसे देते जा...!!
उनकी बात सुनकर लक्ष्मी जी टोंट करते हुए उनसे बोली , "हां तो इसमें मेरा बेटा क्या करें ? जाइए ना अपने उस धोखेबाज भाई के पास जिसने धोखे से हमसे हमारा सब कुछ छीन लिया। हमारा घर , गाड़ी , शोरूम , होटल , जिसके बाद सदमे से आपको हर्ट अटैक आ गया। और उसके बाद आप के इलाज के लिए हमें इस पुश्तैनी घर को भी गिरवी रखना पड़ा.... जिसका किराया आज भी भरना पड़ता है। और आपका भाई मजे से हमारे घर कारोबार पर ऐश कर रहा है ।"
उनकी बात सुनकर नारायण जी कुछ बोल नहीं पाते...! क्योंकि अपने भाई प्रेम में वो इतने अंधे हो गए थे , कि उन्होंने कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया। कि उनका भाई उनसे झूठा प्यार दिखा कर धीरे-धीरे उनका सब कुछ अपने नाम करवा रहा है। एक वक्त पर नारायण जी कवि नगर के सबसे धनी व्यक्ति माने जाते थे। लोगों को कोई भी जरूरत होती तो वह हमेशा उनके पास ही आते थे और अपने मिलनसार स्वभाव के कारण नारायण जी हमेशा सभी लोगों की मदद करते थे। इसीलिए सब लोग बड़े प्यार से उनके साथ पेश आते थे वही उनका भाई भी उनसे बहुत प्यार से रहता था। नारायण जी उस पर खुद से भी ज्यादा विश्वास करते थे। और इसी बात का फायदा उसने उठाया और धोखे से नारायण जी के घर और कारोबार को अपने नाम करवा लिया। अभिनव उस वक्त पढ़ाई के लिए दिल्ली गया हुआ था... वही सब कुछ अपने नाम करवाने के बाद नारायण जी के भाई ने अपना रंग दिखाया। और नारायण जी को उनके परिवार के साथ घर से बाहर निकाल दिया।
जिसका सदमा वो बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्हें हार्ट अटैक हो गया। अविनाश को जैसे ही यह बात पता चली तो वह वापस अपने मां पापा के पास आ गया डॉक्टर से पूछने पर पता चला तो उन्होंने बताया की नारायण जी हार्ट की बाईपास सर्जरी करनी होगी... लेकिन इलाज बहुत ज्यादा महंगा होने के कारण उस वक्त सर्जरी संभव नहीं थी । इसलिए उन लोगों ने डॉक्टर से कुछ वक्त मांगा और दवाइयों के जरिए ही नारायण जी को ठीक रखने लगे। और उन दवाइयों के लिए भी उन्हें अपने पुश्तैनी घर को गिरवी रखना पड़ा।
नारायण जी को उदास देख अविनाश को अच्छा नहीं लगा। और वो लक्ष्मी जी से बोला ," क्या मम्मी जानती हो ना पापा की इस वक्त क्या हालत है.. इसमें हमें उन्हें हमेशा खुश रखना चाहिए। और आप हो कि बीती बातों को याद करके खुद भी परेशान होती हो और उन्हें भी परेशान करती रहती हो। जो हो गया सो हो गया अब उसे बदल तो नहीं सकते.... तो इससे अच्छा है कि हमारे पास जितना है उसी में खुश रहना सीखें...!" (फिर अपने पापा की तरफ देखते हुए बोला) "और पापा आप चिंता मत कीजिए शाम को लौटते वक्त मैं आपकी दवाइयां ले आऊंगा। और मम्मी की बातों को दिल पर मत लगाइएगा। आप तो जानते हैं ना उनकी आदत है बकबक करने की...!"
(जारी है- स्टोरी अच्छी लगे तो रेटिंग जरूर दीजिएगा।🙏🙏)
(कहानी के किरदार में अभिनव नाम को बदलकर अविनाश कर दिया गया है)
अविनाश घर से बाहर निकला। और अपनी बाइक स्टार्ट कर होटल के लिए निकल ही रहा था , कि पीछे से उसे एक मीठी सी आवाज आई....!!
"सुनो अविनाश।।।"
जिसे सुनकर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उसने मुस्कुराते हुए पीछे देखा... तो एक 26 साल की लड़की देखने में बेहद खूबसूरत मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी। उसने हाथ दिखाकर अविनाश को रुकने का इशारा किया। और धीरे धीरे चल कर उसके पास आने लगी , उसके मांग में लगा सिंदूर उसकी शादीशुदा होने की गवाई दे रहा था।
वह अविनाश के पास आई। और शर्माते हुए अपने बालों को कान के पीछे किया। और धीरे से उससे बोली , "वो आज ना इनको कुछ जरूरी काम से जल्दी ही ऑफिस जाना पड़ गया। इसीलिए यह हमें छोड़ कर चले गए। तो क्या तुम हमें स्कूल तक छोड़ दोगे ?"
उसकी बात सुनकर अविनाश के दिल में तितलियां उड़ने लगी। उसका मन खुशी से गदगद होकर नाचने लगा। और वह अपने मन में बोला , "तुम तो हमारी पहली मोहब्बत हो वैशाली , तुम्हें कैसे छोड़ने के लिए मना कर दे। तुम्हारे साथ अकेले बाइक पर बैठने का मौका मैं कैसे गवा सकता हूं ? भले ही तुम्हारी शादी हो गई हो , लेकिन यह कमीनी मोहब्बत जो तुम्हारे लिए अभी भी इस दिल में है तुम्हें इस दिल से जाने ही नहीं देती।"
फिर वैशाली से बोला ," हां हां क्यों नहीं वैशाली तुम जब चाहो मेरे साथ चल सकती हो। तुम्हें पूछने की जरूरत नहीं है। आओ बैठो...!"
उसकी बात सुनकर वैशाली खुश हो गई। और पीछे मुड़ते हुए चिल्लाते हुए बोली ," सोनू चिंकी चलो बाहर आ जाओ। अविनाश मामा तुम्हें स्कूल छोड़ने के लिए तैयार है।"
उसकी बात सुनकर अविनाश का दिल टूट कर टुकड़ों टुकड़ों में बिखर गया। उसके कानों में एक ही शब्द गूंज रहा था। उसे बार-बार वैशाली का उसे मामा कहना सुनाई दे रहा था। जिसका मतलब साफ था.... कि वैशाली उसे अपना भाई समझती है।
वह अपने मन में बोला ," साला कहां हम सैयां बनने के सपने देख रहे थे.... वही इसने मुझे भैया बना दिया। और किसी और के साथ ब्याह रचा के चली गई। और अब जब इसका बॉयफ्रेंड बनने की सोची.... तो इसने मुझे अपने बच्चों का मामा बना दिया यह तो वही बात हो गई। दिल के अरमां आंसुओं में बह गए हम अकेले थे अकेले रह गए।"
तभी उसने देखा वैशाली अपने बच्चों को उसके बाइक पर बैठाने लगी थी....!
कि तभी वो एकदम से वैशाली से बोला ," ओ नो वैशाली में तो भूल गया मुझे ना आज होटल जल्दी जाना है। और स्कूल इनका ऑपोजिट डायरेक्शन में पड़ेगा। सो एम सो सॉरी मैं इन्हें नहीं छोड़ने जा सकता तुम ना कोई ऑटो लेकर चली जाओ.... इतना कहकर बिना वैशाली की बात सुने बाइक तेजी से स्टार्ट करो वहां से निकल गया।
होटल पहुंचकर वो तेजी से होटल के किचन में चला गया। और वहां पर अपना काम करने लगा। तभी उसका दोस्त मनीष उसके पास आया उसके हाथ में एक प्लेट थी जिसने केक रखा हुआ था। उसने अविनाश की तरफ प्लेट को बढ़ा दिया। तो अविनाश ने उसमें से थोड़ा सा केक लेकर खा लिया। और मनीष से बोला ," यह किस खुशी में भाई?"
तो मनीष जी के खाते हुए बोला , "अरे वो राजीव है ना उसने सौरभ से शर्त लगाई थी। की भूत भूत कुछ नहीं होते .... लेकिन सौरव अपनी जिद पर अड़ा हुआ था कि भूत होते हैं। इसलिए सौरभ ने राजीव से कहा कि वो एक रात कब्रिस्तान में अकेले बिताकर दिखाएं तो वो उसे ₹50000 देगा....! तो राजीव ने भी चैलेंज एक्सेप्ट कर लिया और पूरी रात कब्रिस्तान में रहकर आया है। अब इसीलिए शर्ट जीतने की खुशी में सबको केक की पार्टी दी है।
उसकी बात सुनकर अविनाश हंसते हुए बोला ," तो सही तो कहा राजीव ने यह सौरभ भी ना पागल है। अब देख ₹50000 यूं ही उसकी जेब से चले गए। अरे यार सच में भूत भूत कुछ नहीं होते.... यह सिर्फ हमारे मन का वहम होता है। और सौरभ तो कुछ ज्यादा ही डरता है रात में अकेले सुसु करने भी जाएगा तो भी उसे लगेगा कि उसके पीछे कोई चुड़ैल खड़ी है। इतना कहकर हंसने लगता है मनीष भी उसके साथ हंसने लगता है।
तभी उनके पीछे खड़ा उनका एक और दोस्त विक्रम उसे अविनाश की बात पसंद नहीं आई। और वह अविनाश से बोला , "देख भाई अगर तुझे ऐसी बातों पर विश्वास नहीं तो मत कर.... लेकिन किसी का भी मजाक मत उड़ा। बेशक राजीव का सामना कल किसी से भी ना हुआ हो , लेकिन इसका मतलब यह नहीं की भूतों का इस दुनिया में कोई अस्तित्व ही नहीं। सौरभ की तरह मैं भी मानता हूं , की भूत प्रेत जिन्न सभी का इस दुनिया में अस्तित्व है।
उसकी बात सुनकर अविनाश हंसते हुए बोला ," अब तू भी सौरभ की तरह पागलपन कर रहा है। विक्रम देख इन भूत-प्रेतों के चक्कर में ही सौरभ को 50000 का चूना लग गया। तो तू क्यों ऐसी बातों को करके पागलपन कर रहा है ? अगर सच में भूत होते तो कल कब्रिस्तान में राजीव को जरूर दिखते... पर ऐसा हुआ नहीं ना ?"
तभी सौरभ जो उनकी बात सुन रहा था। वह आगे आकर अभिनाश से बोला ," हां राजीव को कल कोई नहीं दिखा क्योंकि कल अमावस की रात नहीं थी। अगर कल अमावस की रात होती , तो मैं हंड्रेड परसेंट श्योरिटी के साथ कहता हूं की आज राजीव हम सबके बीच इस तरह नहीं होता। बल्कि उसने भी मेरी बातों पर विश्वास कर लिया होता।
उसकी बात सुनकर अविनाश उसका मजाक उड़ाते हुए उससे बोला ," तू क्या पागल है अब यह अमावस की रात कहां से बीच में आ गई भाई ? मतलब अब अपनी बात को सच करने के लिए कुछ भी बोलेगा... देख ऑलरेडी 50000 का लॉस हो चुका है तुझे अब अपने इस पागलपन को बंद कर दे। वरना इन्हीं शर्तों के चक्कर में तू किसी दिन बर्बाद हो जाएगा।"
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