रुद्राणी पंडित, जिसकी जिंदगी में बहुत गहरे राज थे एक बत्तमिज, बददिमाग और मुंहफट लड़की, हर किसी की बेइज्जती मुंह पर करना । जिसे अपने अंगुली के नाखुन पर भी भरोसा नहीं थी । जब आईआईटी दिल्ली से बीटेक करने के लिए आयी तो उसकी टकराहट सबसे पहले ही काॅलेज... रुद्राणी पंडित, जिसकी जिंदगी में बहुत गहरे राज थे एक बत्तमिज, बददिमाग और मुंहफट लड़की, हर किसी की बेइज्जती मुंह पर करना । जिसे अपने अंगुली के नाखुन पर भी भरोसा नहीं थी । जब आईआईटी दिल्ली से बीटेक करने के लिए आयी तो उसकी टकराहट सबसे पहले ही काॅलेज के स्टूडेंट प्रेसीडेंट शिवार्थ जोशी से हो जाती हैं । दोनों का स्वभाव अलग , पसंद अलग यहां तक बोलने का तरीका भी बिल्कुल अलग । ऐसे में क्या होगा इनकी कहानी का अंत ? क्या होगा जब रुद्राणी का राज सबके सामने आयेगा ? क्या होगा उसे मोहब्बत पर भरोसा
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आईआईटी दिल्ली
हर उस लड़के-लड़की का सपना होता है, जो इंजीनियरिंग की दुनिया में अपना नाम बनाना चाहता है। और जब बात आईआईटी दिल्ली की हो, तो वो सपना नहीं — जुनून बन जाता है। देश के कोने-कोने से हज़ारों छात्र इसी उम्मीद के साथ यहाँ पहुँचते हैं, कि एक दिन उनकी पहचान भी इस ख़ास नाम से होगी।
रुद्राणी पंडित — एक छोटे शहर की साधारण, लेकिन हौसलों से भरी लड़की। इस वक्त वो अपने हाथ में एक पुराना, थोड़ा भारी सूटकेस थामे खड़ी थी। माथे पर हल्की पसीने की बूंदें, जिनमें सफर की थकान और मंज़िल तक पहुँचने की बेचैनी साफ़ झलक रही थी।
उसका एक हाथ सूटकेस के हैंडल पर था, और दूसरा अपने सलवार-सूट के दुपट्टे को संभालने में। हवा थोड़ी तेज़ थी, जो उसके खुले बालों को चेहरे पर उड़ा रही थी। वो बार-बार उन बालों को पीछे करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी निगाहें आईआईटी दिल्ली के भव्य गेट पर ही टिकी हुई थीं।
वह खुद से , " आंटी से वादा ही नहीं करना चाहिए था कि मैं अगले तीन दिन तक उनकी मन्नत पूरी करने के लिए सूट ही पहनूंगी और मंदिर भी जाउंगी। "
इतना सोचते हुए वह सूटकेस को खिंचते हुए अंदर लेकर जाती हैं और पहले हाॅस्टल के रिसेप्शन पर जाकर रुम की , की लेती हैं और फिर अपने रुम की तरफ चली जाती हैं । इस वक्त हाॅस्टल में ज्यादा चहल पहल नहीं थी कि क्योंकि समर वेकेशन के कारण अधिकतर स्टूडेंट्स अपने घर गये थे और जो बचे थे वो इधर उधर घूम रहे थे ।
वह खुद से ही , अच्छा हैं जो इस वक्त कोई सिनियर नहीं मिला वरना पहले ही इस गर्मी ने दिमाग खराब कर रखा हैं ।
इतना कहते हुए वह गेट का ताला खोलने लगती हैं और फिर गेट खोलकर अंदर चली जाती हैं । पहले सुटकेस रखती हैं और फिर चारों तरफ देखते हुए , अच्छा हैं चलों सफाई तो नहीं करनी पड़ेगी । फिर देखती रहती हैं तो साइड में ही किसी का सामान भी रखा था , अच्छा तो कोई रुममेट भी हैं । अब इसे भी झेलना पड़ेगा।
खैर कुछ सोचते हुए , पहले सारा सामान जमा लेती हूं इतना सोचते हुए , वह सारा सामान जमाकर अंत में सुटकेस में से तीन मुर्तीया निकालकर साइड टेबल पर रखती हैं और रुद्राक्ष की माला को अपने गले में पहन लेती हैं ।
रुद्राणी पंडित अब सब कुछ सेट हैं तो अब तुम शावर लेकर आराम कर सकती हो ।
इधर आईआईटी दिल्ली के ही डिन ऑफिस में
शिवार्थ जोशी हाथ बांधे खड़ा था और डिन सर उसकेसामने बैठे थे ," शिवार्थ , मैं चाहता हूं कि तुम खुद सब कुछ संभालों । तुम तो जानते हो ना कि रैगिंग के केसेज बढने लगे हैं तो अपनी पूरी टीम को लगा दो कि वो ध्यान रखे कि किसी भी जुनियर की रैगिंग नहीं होनी चाहिए । "
शिवार्थ , ओके सर , मैं आपसे प्राॅमिस करता हूं कि किसी भी जूनियर की रैगिंग नहीं होगी ।
डिन सर , ओके तो अब तुम जा सकते हो ।
जी सर इतना कहते हुए शिवार्थ बाहर निकल गया । बाहर ही उसकी सारी पलटन खड़ी थी ।
हे डूड ! अब क्या कहां हैं डिन ने , सुवंश ने कहां ।
यही कहां होगा कि जुनियर्स की रैगिंग नहीं होनी चाहिए लेकिन हम थोड़ा सा मजाक तो कर ही सकते हैं ना , रिया ने कहां ।
बट यह तो गलत हैं ना , उनके ग्रुप के सबसे सिंसियर वीर ने कहां ।
हे ! डिसिप्लेन तुम चुप रहो , आरुषि ने कहां
शिवार्थ चिढ़ते हुए, तुम सब चुप रहो और आरुषि तुम और वीर नाॅटिस बोर्ड पर यह नाॅटिस लगाकर आओगे कि कोई भी सीनियर, जुनियर की रैगिंग करता हुआ पाया गया तो उसे इस सैमेस्टर एक्जाम से रस्टिकेट कर दिया जायेगा ।
जिस पर वीर और आरुषि गर्दन हिला देते हैं ।
फिर शिवार्थ , रिया और सुवंश तुम दोनों नरेन के ग्रुप पर नजर रखोगे , शाम को कैंटिन में मिलते हैं । अभी मेरी काउंसिल के साथ एक इम्पोर्टेंट मीटिंग हैं ।
इतना कहकर शिवार्थ चला जाता हैं और रिया , सुवंश के कंधे पर हाथ रखते हुए क्या तुम्हें लगता हैं कि इस साल शिवांश को कोई उसकी टक्कर की लड़की मिलेगी ।
वीर भी कुछ सोचते हुए , मुझे नहीं लगता हैं कि उसे कोई ऐसी लडकी इस जन्म में मिलेगी जो उसकी विश लिस्ट में फिट बैठती हो ।
आरुषि , उसके घरवाले तो लव मैरिज के लिए रेड़ी हैं चाहे लड़की किसी भी स्टैंडर्ड से हो लेकिन वीर , हम दोनों के पैरेंट्स उनको मनाने के लिए बहुत ताकत चाहिए ।
जिस पर वीर कुछ बोलता उससे पहले ही रिया , तुम दोनों का फिर शुरू हो गया । यह चोंच लड़ाने से पहले जाकर नाॅटिस बोर्ड पर नाॅटिस लगाकर आओ वरना शिव तुम दोनों की लवस्टोरी पर ब्रैक लगाने के लिए काफी हैं ।
जिस पर वीर और आरुषि तो चले गये लेकिन सुवंश - तुम आजकल बहुत गुस्सा करने लगी हो ।
जिस पर रिया - और तुम बेवकूफ बनते जा रहे हो और अब तुम भी चलों पहले नरेन के ग्रुप को भी ढूंढना हैं और फिर हाॅस्टल जाना हैं । मेरी कोई रुममेट आने वाली हैं और पता नहीं कैसी होगी ।
जिस पर सुवंश - मैं तो यह सोच रहा हूं कि अगर कोई जुनियर हुई तो ।
जिस पर रिया हंसते हुए - तब तो उससे काम करवाने में मजा आयेगा लेकिन पहलेहम अपनाकाम खत्म करते हैं।
इधर रुद्राणी फोन पर बात करते हुए - जयहिंद सर , मैं यहां आईआईटी दिल्ली में आ चुकी हो तो अब आगे मुझे क्या करना होगा ।
जिस पर - वही जो तुमसे कहां जाये और भूलनामत कि अगर उस नरक से आजाद करवा सकता हूं तो वापिस भेज भी सकता हूं तो डोंट अंडस्टमेट मी और ध्यान रहे वहां किसी के पास भी अपना अतीत लेकर मत बैठ जाना वरना बर्बादी क्या होती हैं यह मुझसे पता चलेगा । नाउ योवर टर्न इज स्टार्ट और यह चांस मिस हुआ तो जिंदगी भी मिस हो जायेगी । तुम अच्छे से जानती होगी कि जिंदगी दुबारा मौका नहीं देती हैं ।
जिस रुद्राणी सिर्फ इतना कह पाती हैं कि - ओके सर ।
जारी हैं.......
आईआईटी दिल्ली
शाम का समय और हाॅस्टल
रुद्राणी एक ढिला सा पजामा और टिशर्ट पहने अपने लैपटॉप पर कुछ कर रही थी ।इस वक्त उसकी आंखें स्क्रीन पर अटकी थी और बहुत आसानी से उसने सारे कैमरा हैक कर लिये । अब गर्ल्स हॉस्टल का हर काॅरीडोर उसके लैपटॉप की स्क्रीन पर दिख रहा था जहां फिल्हाल शांति थी । वह खुदसे - पहला कदम तो रख दिया और फटाफट यह काम खत्म और इसके बदले में जिंदगी भर की आजादी ।
इधर सुवंश ,रिया , आरुषि, वीर और शिवार्थ सब लोग आराम से बैठकर काॅफी पी रहे थे और सुवंश - शिव तुम कब शिफ्ट हो रहे हो हाॅस्टल में ।
जिस पर शिव - हम्म, तीन दिन बाद ।
रिया - शिव , दादी के हाथ के लड्डू भी लाना बहुत टेस्टी लड्डू बनाती हैं वो और आंटी के हाथ का बेसन का हलवा।
जिस पर आरुषि और वीरभी गर्दन हिलाने लगतेहैं ।
शिव - ओके तो अब मैं चलता हूं वरना लेट हुआ तो दादी डांटेगी ।
इधर रुद्राणी खुद से - कैंटिन चलना चाहिए , चाय कि बड़ी तलब लगी हैं ।
इतनासोचते हुए वह खुद को मुश्किल से उठाकर कैंटिन की तरफ चल दी ।
इस वक्त वह अपने फोन में गेम खेल रही थी तो उसे होश ही नहीं था सामने से कोई आ रहा हैं और वह जाकर टकरा गयी एक दिवार जैसी सख्त चीज से ।
वह अपने सिर को सहलाते हुए तेज चिल्लायी - ओ रामजी ! लग गयी और वो भी इतनी तेज । कौन हैं बे ..... इतना कहकर वह जैसे ही सामने देखती हैं तो वहां एक लम्बा चौड़ा हट्टा कट्टा नौजवान खड़ा था जो दिखने में बड़ा ही खूबसूरत था ।
लेकिन रुद्राणी , उसे उसकी हैडंसमनेस से कुछ फर्क नहीं पडा़ । वह सामने घूरते हुए - तुम्हें चलने के मैनर्स नहीं हैं मि. एक्स वाई जेड़ ।
सामने खड़ा वह शख्स तो उस लड़की को देख रहा था जिसके कंधे से थोड़े नीचे तक आते बाल , जो इस वक्त चिड़िया का घोसला लग रहे थे और ढिला सा पजामा ओर टिशर्ट , ऐसा लग रहा था कि उसमें उस जैसे दो और आ जाये और ऊपर से मुंह में च्विगम और हाथ में फोन और मन में - ना चलने का सलिका , ना पहनने का और ना बोलने का ।
रुद्राणी चिल्लाते हुए - बहरे हो क्या मि. वाटएवर अंधे होने के साथ ही । ना तो तुम्हें दिखाई दे रहा हैं और ना ही सुनाई दे रहा हैं ।
जिस पर शिव अपने नाॅर्मल टोन में - देखिए मिस ! आप देखकर नहीं चल रही थी , आपका पूरा ध्यान तो फोन में था और अब मुझे ब्लैम कर रही हो ।
रुद्राणी , जिसे कभी पसंद ही नहीं आया कि कोई उसको उल्टा जवाब दे , उसके सामने वाले का इस तरह कहना खल गया । वह भी जानती थी कि गलती उसकी ही थी लेकिन वह माने तब ना वह फिर गुस्से से चिल्लायी - क्यों मैं देख कर नहीं चल रही थी लेकिन तुम तो चल रहे थे ना तो फिर साइड नहीं हट सकते थे लेकिन नहीं ! तुम्हें लगा सामने इतनी खूबसूरत लड़की आ रही हैं तो क्यों ना टकरा जाऊ ।
इतना कहते हुए वह बिल्कुल उसके करीब आ चुकी थी और उसके एक हाथ की अंगुली बिल्कुल शिव पर ही उठी हुई थी । शाम का वक्त था इसलिए काॅलेज के उस एरिया में अभी के लिए शांति थी वरना किसी को पता चलता कि कोई लड़की सरेआम शिवार्थ जोशी पर भड़क रही थी , जिसके सामने बोलने तक की कोई हिम्मत नहीं कर पाता था तो सच में उस काॅलेज में कयामत आ जाती ।
शिवार्थ जो हमेशा ही किसी लड़की के हल्का सा करीब आने पर अनकम्फर्टेबल हो जाता था । उस पर रुद्राणी के करीब आने का कोई फर्क ही नहीं पडा़ ।
वह बिल्कुल शांति से - आप खुद इस वक्त मेरे करीब आ रही हैं तो प्लीज थोड़ा दूर रहेगी ।
उसके इतना कहते ही रुद्राणी को अहसास हुआ कि वह उसके ज्यादा ही करीब खड़ी थी तो वह झटककर दूर हट गयी लेकिन उसके चेहरे पर हल्की सी शर्मींदगी नहीं दिख रही थी । वह फिर बोली - मि. वाॅटएवर , आगे से कान और आंखें दोनों खुली रखकर चलना क्योंकि हो सकता हैं आगे खाई हो और तुम उसमें गिर जाओ और वही तुम्हारा दि एंड हो जाये ।
वो आगे कुछ कहती तब तक उसका फोन बजने लगा जिस पर आंटी शो हो रहा था । वह फोन की स्क्रीन पर शो हो रहे नाम को देखकर सामने खडे लड़के से - दुआ करना कि आगे हमारी मुलाकात ना हो वरना पूरा काॅलेज रुद्राणी पंडित का स्वैग देखेगा ।
इतना कहते हुए वह बाल झटकते हुए चली गयी लेकिन शिवार्थ वो उसे कुछ पल तक देखता रहा और खुद से - क्या थी यह लड़की ? इतनी बत्तमिज या ओवरकाॅम्फिडेंट ।
तभी उसे अहसास हुआ कि वह आॅलरेडी उस लड़की की वजह से लेट हो गया था तो वह सिर झटकते हुए पार्किंग की तरफ निकल गया ।
इधर रुद्राणी कैंटिन की तरफ जाते हुए , काॅल उठाकर - बोलिए आंटी ।
जिस पर आंटी बरस पड़ी - तुमने हमारी मन्नत पूरी कि हैं ना सूट पहनी हो या फिर आवारा बनी घूम रही हो ।
जिस पर रुद्राणी ने अपनी तरफ देखा जहां ढिली सी टिशर्ट और लोवर पहन रखा था ।
वह थूक निगलते हुए - क्या आंटी आप भी ? अब आपके लिए इतना तो कर ही सकते हैं पर आपको मुझ पर विश्वास ही नहीं है ।
जिस पर आंटी मुंह नचाते हुए - वो का हैं ना बेटा , विश्वास तो बहुत हैं लेकिन इस बात पर कि तुम हमरी बात कभी ना मानोगी ? तो बस चैक कर रहे थे वरना तुम और सूट ... हम कभो नहीं मान सकत हैं ।
जिस पर रुद्राणी चिढ़ते हुए - आप बड़ी बकलौल हैं आंटी ? वरना मैं बड़ी मासुम हूं तो प्लीज आप अब मुझ पर शक ना करेगी ।
जिस पर सामने से फिर - अच्छा तो अब हमरे से ज़बान लड़ाएगी वो का कहत हैं ? हमरी बिल्ली हम्ही से म्याऊं... तुम बस यहां आओ तो बताते हैं कि तुमरी चाची क्या चीज हैं।
जिस पर रूद्राणी चिढ़ते हुए - फोन काहे किया था ।
जिस पर आंटी - तुमरे आसपास का लोगों का हालचाल जानने के लिए । वो का हैं ना उनको पता नाही हैं कि उनके साथ एक बम रह रहा हैं और वह कभी भी काहे पर भी फट सकत हैं तो बस.....
जिस पर रुद्राणी गुस्से से - अब ले लिया हैं तो फोन रखे
जिस पर आंटी - अरे ! फोन काहे रख रही हो अभी तो इम्पोर्टेंट बात करनी हैं । हमने तुम्हारे लिए एक गाय सा लड़का देखा हैं ।
बस अब हुआ पारा गर्म , रुद्राणी पंडित को परिवार और शादी नाम से भी नफरत थी और उसके सामने कोई शादी का बात छेड़ दे ।
वह 😠 से दांत भींचते हुए - तो उस गाय को खूंटे से बांध दो । वो क्या हैं ना उसके साथ बंधने के लिए हम कौनो बेल ना हैं । वो क्या कहते हैं सांड .. जय भोले अब फोन रखती हूं जब आपका दिमाग सही ठीकाने पर आ जाये तब बात करेगे ।
पूरा कैंटिन उसे हैरानी से देख रहा था लेकिन उस पर तो कोई फर्क ही नहीं पड रहा था वो खुद में ही लीन थी
जारी हैं ......
आगे .....
रुद्राणी गुस्से से कैंटिन में आकर एक चेयर खिंचकर बैठ जाती हैं । गुस्से से उसका बीपी हाई हो गया था । इधर उसके पास वाली चेयर पर ही आरुषि , सुवंश , वीर और रिया बैठे थे और आपस में बात करते हुए समोसे खा रहे थे ।
इधर रुद्राणी बैठे हुए खुद से - हर किसी को बस शादी की पड़ी रहती हैं । लड़की अठारह पार क्या गयी बस उसे किसी और खुंटे से बांध दो । यह नहीं कि कुछ दिन उसे खुशी मनने दो , अपनी जिंदगी जीनों दे बस धक्के देकर बाहर निकालने की चुल्ल मची रहती हैं हर किसी को बस एक बार वो प्राणी हमारे सामने आ जाये जिसने शादी नामक सजा का निर्माण किया था । जो घूसंड मारेगे ना उसको साला अगला पिछला सब बुरे कर्म याद आ जायेगे । साले ने अपने आविष्कार से मेरी जिंदगी झंड कर रखी हैं और ना जाने कितनों की बर्बाद की हैं ।
वह चारों जो अब तक उसकी सारी बाते सुन रहे थे । सुन तो पूरा कैंटिन रहा था और हर किसी के मुंह खुले थे जब उसको इस तरह तेज आवाज में बात करते देख रहे थे ।
कैंटिन में काम करने वाला एक लड़का जिसका नाम छोटू था वहां आते हुए - क्या लाये आपके लिए दिदी ।
जिस पर वह झुझलाकर अपना सिर हिलाते हुए - अमा यार ! डिस्टर्ब तो मत करो अब , देख नहीं रहे जरुरी टाॅक कर रहे हैं ।
लेकिन आप तो .... वह हैरानी से बोला क्योंकि उसके सामने ।
जिस पर उसके चेहरे को देखती रुद्राणी - मुझे ना कोनो स्ट्रेस नहीं हैं तुमसे बात करने में इसलिए अपना यह खुले मुंह का शटर बंद करों और जाकर एक कड़क अदरक वाली चाय लाओ ... वो का हैं ना इस वक्त दिमाग का भाजी पाला हो रखा हैं और तुम अभी भी मेरे सामने खड़े हो ।
उसकी बाते सुनकर और उसका गर्म दिमाग देखकर छोटू सिर पर पैर रखे फटाफट किचन की तरफ भागा ।
इधर सुवंश हैरानी से मुंह खोले - यह क्या हैं ? वो चारों अभी भी रुद्राणी को देख रहे थे जो कभी गुस्से से सिर पिटती तो कभी मुंह बनाती और कभी गुस्से से दांत पिसती लेकिन वह लग बहुत फनी रही थी पर गुस्से से उसकी आंखें बिल्कुल लाल हो चुकी थी ।
रिया उसका मुंह बंद करते हुए - तुम अपना मुंह बंद रखो ।
आरुषि, उस लड़की को देखते हुए - इसे कभी यहां देखा नहीं हैं , न्यू एडमिशन हैं शायद ....
वीर अपने चश्में को नाक पर चढ़ाते हुए - लड़की नहीं हैं ।चलता फिरता टेप रिकॉर्डर हैं ।इतनी देर से बस अपनी घूंनस निकालने में लगी हैं ।
आरुषि - पर मुझे इसका एट्यिट्यूड और कांम्फिडेंस अच्छा लगा । अगर ऐसा हो कि हमारे शिव और इस लड़की की जोड़ी बन जाये तो मजा आ जायेगा । एक शांत और एक बकबक मशीन ।
जिस पर रिया हंसते हुए - you are right
सुवंश - आरु , अपने अरमानों पर थोड़ा काबू रखो और तुम रिया .... यह कहां तक पहुंच गये तुम दोनों । शिव और इसकी जोड़ी कभी नहीं बन सकती क्योंकि इसे देखने से लग रहा हैं कि यह जमीन हैं तो शिव आसमान ?
वीर फिर से नाक पर चश्मा चढ़ाते हुए - सुवंश सही कह रहा हैं । हम किसी के बारे में नहीं सोच सकते हैं ।
इधर शिवार्थ कार चलाते हुए उस अनजान लड़की के बारे में ही सोच रहा था - सिल्ली गर्ल ।
किसी भी अनजान लड़के से किस तरह बात कर रही थी जैसे बहुत अच्छे से जानती थी । अगर कोई गलत लड़का होता और अगर कुछ गलत करने की कोशिश करता तो क्या करती वह ? फिर भी चिल्लाती ... इसलिए आई हेट दिस टाइप आॅफ गर्ल , जो बीना सोचे समझे कुछ भी कर देगी और फिर बस पछतायेगी । जिन्हें अपने ऊपर कुछ नहीं दिखता ।
तभी उसकी कार एक आलिशान बंग्ले के पोर्च में आकर रुकी जिसके बाहर नेम प्लेट पर जोशी हाउस लिखा था । वह गार्ड को कार पार्क करने के लिए कहकर अंदर चला गया
जोशी हाउस के अंदर अलग ही हल्ला मचा था । वहां सोफे पर बैठी गायत्री जोशी चिल्लाते हुए - अरे ! जोशी पोता कब आयेगा मेरा । तुम्हें कहां था ना कि बाप हो तुम तो अपने बेटे की जरा खोज खबर रखा करो पर नहीं तुम्हें तो बस अपने बिजनेस की पड़ी रहती है।
जिसपर अनिकेत जोशी , उनके ही साइड में बैठे न्यूज पेपर पढ़ रहे थे वह चिढ़ते हुए - मां , आपके पास ही बैठा हूं तो प्लीज धीरे बोलिए वरना गला खराब हो जायेगा और शिव अब बड़ा हो गया हैं और समझदार भी हैं तो आपका उसकी इतनी चिंता करना सही नहीं हैं और मैं अच्छे से जानता हूं कि आप , उसके बारे में क्यों पूछ रही हैं ।
इतने में ही लता जोशी हाथ में रसमलाई की प्लेट लाते हुए - मां , आपके लिए रसमलाई ।
जिस पर गायत्री जी एक नजर अपने बेटे को देखकर - बेटा , न्यूजपैपर सुबह पढ़ा जाता हैं ना कि रात में... और अब तुम चुप रहना ।मुझे पसंद नहीं कि मिठाई और मेरे बीच कोई और आये ।
गायत्री जी की नजरेबस प्लेट पर गड़ी थी और जैसे ही , वह रसमलाई उठाकर अपने मु़ह में रखने वाली थी तब तक उनकी नजर सामने हाॅल की दीवार से टेक लगाकर खडे़ शिव पर पढ़ गयी । रसमलाई तो छूटकर वापिस प्लेट में गिर चुकी थी और वह बस मुश्किल से हंसते हुए - अरे शिव बेटा कब आये तुम ?
जिस पर शिव हाॅल में आते हुए - तभी जब आप रसमलाई का स्वाद ले रही थी यह जानते हुए कि आपको डायबिटीज की शिकायत होने लगी हैं ।
इतना कहते हुए , शिव सामने टेबल पर रखी रसमलाई की प्लेट उठाकर अपनी मां लता को देते हुए - मां , आप इनके इमोशनल अत्याचार में मत आया किजिए प्लीज । इनका काम हो गया हैं कि जैसे ही मैं घर से बाहर निकलूं आप से कुछ मीठा बनवाने का ।
लता जी बीना कुछ कहे प्लेट उठाये किचन में चली गयी और इधर गायत्री जी - बड़ा हुकुम तान रहा हैं थारा छोरा जोशी ! जल्दी से इसको किसी के खूंटे बाद दो वरना निकला हाथ से । इतनाआ कहते हुए वह गुस्से से मुंह फुलाकर अपने कमरे में चली जाती हैं ।
जिस पर अनिकेत जी - वो बस गुस्सा होने का नाटक कर रही हैं ।
जिस पर शिव - फिर भी मैं , उन्हें रसमलाई खाने नहीं दूंगा ।
जिस पर अनिकेत जी भी हंसने लगे और खुद से - कोई ऐसी आये जो मां को भी डरा कर रखे इनकी बदमाशीया इस उम्र में भी बढ़ ही रही हैं ।
इधर रुद्राणी ने जैसे ही चाय पीने के लिए कप उठाया पीछे से आवाज आयी - रूको ।
आगे .......
रुद्राणी पंडित के बारे में अब थोड़ा थोड़ा तो जान ही गयेहोगे तो आगे शुरू करते हैं -------
रुद्राणी फोन में कुछ देख रही थी जब डरते हुए छोटू ने उसकी टेबल के सामने चाय का कप रखा । रुद्राणी के डर से आज उसने दूध वाली ही चाय बनायी थी .....
अपने सामने चाय का कप देखते ही रुद्राणी के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ गयी , उसने फोन रखते हुए चाय के कप को दोनों हाथों से उठाया और उसमें से आती अदरक की खुशबू लेते हुए - खुशबू तो बडी अच्छी आ रही हैं ।
इसके बाद पहला घूंट लेते ही उसके चेहरे पर एक अनकही मुस्कराहट आ गयी , जो जाने का नाम ही नहीं ले रही थी , इतनी देर से गर्म हुआ उसका दिमाग बिल्कुल शांत हो चुका था ।
वह जैसे ही दूसरा घूंट लेने लगी , उसको पीछे से आवाज आयी - रुको ।
जैसे ही वह पीछे मुड़ी सामने एक ग्रुप खड़ा था । उसमें से एक लड़का आगे आते हुए - फ्रेशर हो ।
जिस पर रुद्राणी चाय के कप की तरफ देखते हुए - पहले चाय पी ले वो क्या ना चाय से बड़ा प्यार हैं मुझे ...
जिस पर एक छोटा सा घूटनों से भी ऊपर तक वन पीस पहने लड़की आगे आयी - तुम जानती नहीं हो कि हम कौन हैं ? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमसे इस तरह बात करने की ।
जिस पर रुद्राणी मासुम सा चेहरा बनाते हुए - क्यों तुम नहीं जानते कि तुम लोग कौन हो जो मुझ से पूछ रहे हो ।
एक और लड़का सामने आते हुए - तुम अपनी यह लम्बी जुबान संभाल कर रखो वरना इस काॅलेज में तुम्हारे साथ कुछ भी हो सकता हैं ।
जिस पर रुद्राणी के हाथ की मुठ्ठी कस सी गयी । वह चाहकर भी सामने खड़े उन लोगों का मुंह नहीं तोड़ सकती थी । अपनी प्यारी चाची ने कसम जो दे दी थी कि तीन दिन वह किसी के साथ मारपीट नहीं कर सकती , उसे पूरी अहिंसा के साथ रहना था । वह खुद से - अमा! हाथ में इतनी खुजली चल रही हैं कि इन मेकअप से पूती दुकानों को और पोत दे लेकिन यह हाथ ..... अगर भोलेनाथ की सौगंध ना दी होती ना तो आज इनको बताते की रुद्राणी पंडित क्या चीज हैं । अभी के लिए बचा लो भगवान बस दस रुपए का प्रसाद चढ़ायेंगे।
उस ग्रुप के आने से पहले इधर सुवंश , रिया , आरुषि और वीर चारों कैंटिन से निकल गये थे लेकिन रिया अपना बैग कैंटिन में ही भूल गयी थी जिस कारण उन्हें वापिस आना पड़ा ।
जैसे ही उन्होंने नरेन के ग्रुप को उस लड़की को परेशान करते देखा तो उनको समझ आ गया कि वो कभी नहीं सुधर सकते । वाॅर्निंग देने के बाद भी वो लोग फिर किसी जुनियर की रैगिंग लेने की कोशिश कर रहे थे ।
रिया उधर जाते हुए - इस नरेन का अच्छा इंतजाम करना होगा । इधर नरेन जैसे ही रुद्राणी कीतरफ बढ़ता है । रुद्राणी खुदको भागने के लिए तैयार करती तब तक सुवंश उसके और नरेन के बीच आ गया ।
उसको देखते ही नरेन के चेहरे की एक पल के लिए हवाइयां उड़ गयी लेकिन खुद को संभाले वह बोला - तुम बीच में मत पड़ो ।
जिस पर आरुषि- तुम्हें , हमने आज ही वाॅर्निंग दी थी ना नरेन की तुम और तुम्हारा ग्रुप जुनियर्स से दूर रहना और तुम्हें पता होगा कि अगर तुम रैगिंग करते पकड़े गये तो हमेशाके लिए आई आई टी दिल्लीसे रस्टीकेट हो जाओगे तो एक बार में बात तुम्हारे भेजे में घूसती नहीं हैं क्या ? जो फिर वही हरकत करने आ गये ।
वीर भी गुस्से से - शिवार्थ जोशी की आंखों में चढ़े तो कही के नहीं रहोगे नरेन तो प्लीज अपनी यह नीच हरकते करना बंद करो । स्टूडेंट्स यहां पढ़ने आते हैं तो उन्हें पढ़ने ही दो ना कि उन्हें टाॅर्चर करकर डराने का काम ।
रिया - यह तुम्हारे लिए आखिरी वाॅर्निंग हैं तो आगे से ध्यान रखना वरनाअगलीबार तुम्हारे सामने शिवार्थ खड़ा होगा और उसकी पावर और पाॅजिशन बड़े अच्छे तरीके से जानते होगे तुम ...
सुवंश गुस्से से - अब जाओ ।
एक लड़की आगे आते हुए - सुवंश बेबी , तुम ज्यादा गुस्सा मत करो ।
इतना सिरियस मोड़ चल रहा था जिसमें अब तक खुदके बचने का नहीं सामने खड़े उन लोगों केबचने का जश्न मना रही रुद्राणी की हंसी छूट गयी । वह हंसते हुए - सुवंश बेबी , कटी ही छिपकली तुमको कहां से इतना बड़ा इंसान बेबी लगता हैं ।
उसकी बात पर उन चारों के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी और नरेन का ग्रुप घूस्से से वहां से निकल गया ।
उस्नके जाते ही रुद्राणी सभीकी तरफ देखते हुए - थैक्स फाॅर योवर हैल्प । इतनाकहते हुए वह अपना फोन उठाये निकल जाती हैं ।
रिया चिढ़ते हुए - हमने इसकी हेल्प की और यह इग्नोर करके चली गयी ।
आरुषि - एट्यिट्यूड बहुत हैं।
इधर जोशी हाउस में
अलग ही युध्द छिड़ा था । डायनिंग टेबल पर बैठी गायत्री जी अपनी प्लेट में उबली हुई सब्जियां ओर दलिया देखकर गुस्से से - यह सब क्या हैं लता बहुं , मैं अब इस तरह का खाना खाऊंगी । अरे हमारे घर में खाने का अकाल नहीं पड़ा हैं अभी ...
जिस पर लता बहू - साॅरी मां लेकिन अभी के लिए आपको यही खाना पड़ेगा क्योंकि आपके पोते को पता चल गया कि आपने सुबह से कितना मीठा खाया हैं ।
जिस पर अनिकेत जी भी - यह तो बहुत बुरा हुआ आपके साथ मां ।
जिस पर गायत्री जी मुंह फुलाते हुए - तुमको पैदा करने के अलावा युझसे कुछ बुरा नहीं हुआ तो अपना मुंह बंद रखो ।शर्म नहीं आती अपनी मां का मजाक बनाते हुए । यह नहीं कि अपनी मां को अच्छा अच्छा खाना खिलाये लेकिन हर वक्त सामने यह दलिया , खिचड़ी, उबली हुई सब्जियां रख देते हो ।
जिस पर अनिकेत जी - लेकिन मां ...
जिस पर गायत्री जी - तुम चुप रहो ।अभी हमारा दिमागगर्म हैं ।
शिव ऊपर से नीचे आते हुए - डिएम , अभी के लिए अपना ड्रामा बंद करके बस खाना खाइए क्योंकि सुबह से बहुत अच्छा अच्छा खाना खाया हैं आपने तो अब सेहत के लिए जो सही हैं वह खाइए और आपके इस चेहरे का मुझ पर फर्क नहीं पड़ेगा।
जिस पर गायत्री जी - एक बार तुम्हारी शादी होने दो । तुम्हारी बीवी को तुम्हारे खिलाफ भडकाकर तुम्हें अपने ही कमरे से गेटआउट नहीं करवाया तो मेरा नाम गायत्री जोशी नहीं ।तुम्हारे बच्चे को इतना शैतान बनाउंगी कि हर पल तुम्हारे नाक में दम करके रखेगे ।
इधर रुद्राणी हाॅस्टल रुम मे आते ही थकान से बेड पर गिर पड़ी। उसके लिए यह माहौल नया नहीं था । अपनी तेज जुबान और मुंहफट अंदाज के कारण रोज ही उसे , ऐसे लोगों से सामना करना पड़ता था लेकिन आज वह उन्हें मुंह तोड़ जवाब नहीं दे पायी और इसलिए उसके हाथ में जोरदार खुजली मच रही थी । वह बार बार करवटे बदलने लगी और आखरी में थककर वापिस खड़ी हो गयी । इसके बाद वह रुम में ही चक्कर काटने लगी और फिर कुछ देर बाद बोर होकर वापिस टेबल के पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी । कुछ सोचते हुए , वह फटाफट अपने बैग में कुछ खंगालने लगी और कुछ देर बाद उसके हाथ में एक चिप्स का पैकेट था और वह फटाफट उसे खाने लगी । चिप्स का पैकेट खाकर उसने रैपर डस्टबिन में डाला और डकार लेते हुए वापिस बेड पर बैठ गयी ।
लेकिन इससे भी उसे शांति नहीं मिली तो वह फोन में गेम खेलने के लिए गेम ओपन ही करने वाली थी कि रुम का डोर खटखटाने की आवाज आयी ।
जिस पर वह खुद से ही - लगता हैं रुममेट हैं।
इतना सोचते उसने जैसे ही गेट खोला । उसका मुंह हैरानी से खुला रह गया और सामने खड़ा शख्स तो और भी ज्यादा हैरान था ।
जारी हैं .........
आगे .....
शिव अभी अपने रुम में बैठा था और लता जी उसे अपनी दादी से नाराज ना होने के लिए समझाने में लगी थी ।
शिव उन्हें समझाते हुए - आप तो जानती हैं ना मां , अगर उनपर कंट्रोल ना लगाया जाये तो वह कुछ भी उटपटांग खाती हैं तो बस यह सब इसलिए था और मैं अपनी फैमिली से कभी भी नाराज नहीं रह सकता हूं ।
जिस पर लता जी उसे सोने का कहकर चली गयी ।
इधर रुद्राणी ने जैसे ही सामने देखा तो उसका मुंह हैरानी से खुला रह गया । वह हैरानी से - आप ?
असल में उसके सामने रिया खड़ी थी और जब रुद्राणी को डाउट हुआ कि वह उसकी रुममेट हो सकती हैं तो उसके तोते उड़ गये । वह मन में सोचने लगी कि क्या सीनियर के साथ रुम शेयर करना पड़ेगा तो अब मैं रुम में उटपटांग हरकते नहीं कर पाउंगी। जुनियर को वह डरा धमकाकर रख सकती थी लेकिन इस बार सच में उसकी लंका लगी थी ।
इधर रिया मन में सोच रही थी कि वह इस लड़की को बर्दाश्त नहीं कर सकती थी जिसका एट्यिट्यूड इतना हाई था कि मदद करने के बाद भी वह अपने सिनियर्स को इग्नोर कर कर चली गयी ।
रुद्राणी होश में आते हुए - जी
जिस पर रिया उसके हाथ को गेट से हटाकर अंदर आते हुए - इस रुम में मैं पिछले तीन सालसे रह रही हूं तो नो डाउट कि तुम मेरा रास्ता रोक सकती हो और अब साइड हटो । आई एम योवर रुममेट और सिनियर भी ....
इतनाकहकर वह जैसे ही अंदर आयी उसका दिमाग गर्म हो गया क्योंकि चारों तरफ चिप्स के रैपर पड़े थेऔर कपड़े बिखरे पड़े थे और उसका खुद का बेड़ कबाड़ा बना हुआ था ।
वह जोर से चिल्लायी कि उसने रुम का यह हाल कर दिया । रिया के बाल उसके चेहरे पर फैल गये और वह गुस्से से कहने लगी कि उसे इतना भी कामनसेंस नहीं था क्या जो सारा रुम गंदा कर रखा था ।
वह गुस्से से आगे बढ़ते हुए - यह रुम तुम्हारे अकेले का नहीं हैं जो तुम इतनी गंदगी फैलाओ ।आगे से याद रखना कि तुम्हारी एक रुममेट भी हैं जिसे गंदगी जरा भी पसंद नहीं तो अभी के अभी सबकुछ समेटो । जब तक मैं फ्रेश होकर आऊं तब तक सबकुछ नीट एंड क्लीन होना चाहिए।
जिस पर रुद्राणी इनोसेंट सा फेस बनाये , सिर हिलाने लगी । जिस पर रिया तो फ्रेश होने चली गयी लेकिन बैचारी रुद्राणी , वो फटाफट सारा रुम क्लीन करने लगी क्योंकि इस बार गलती उसकी खुदकी थी ।
रुम साफ होने के बाद वह गहरी सांस लेने लगी और शांति से बैठ गयी और वो भी पसरकर ।
जैसे ही रिया फ्रेश होकर आयी , उसने रुद्राणी का एक पिक्चर इसी तरह ले लिया और मुस्कराने लगी ।
रुद्राणी की नजर जब रिया पर पड़ी तो वह गुस्से से - आप हंस रही हैं मुझपर ..
जिस पर रिया गर्दन ना में हिलाते हुए - नहीं तुम पर नहीं तुम्हारी हरकतों और अभी के लिए कोई बहस नहीं । खुद भी सो जाओ और मुझे भी सोने दो ।
जिसपर रिया तो सो गयी लेकिन रुद्राणी , जिसका अतीत उसे सोने नहीं देता था वो जाकर बाल्कनी में बैठ गयी ।
और चांद को देखने लगी - कहते हैं चांद में दाग हैं पर फिर भी वह सबके लिए खुबसूरत हैं लेकिन क्या खुबसूरती सिर्फ अभिशाप हैं । चांद खुबसूरत था तो अभिशाप में उसे दाग मिला लेकिन मुझे क्यों यह दाग मिला ? जिस दिन इस काॅलेज को सच्चाई पता लगी .. मुझे यहां से भी निकाल दिया जायेगा बट मैं खुद भी तो यहां पढ़ने नहीं आयी । मेरा मकसद सिर्फ यहां से उन चूजों का मर्डर करना हैं जो बिल में छूपे हैं ।
रुद्राणी पंडित ने इतनी सी उम्र में ना जाने कितने लोगों का कत्ल किया था और यह बात आज तक कोई नहीं जान पाया था कि मासूम से दिखने वाले उस चेहरे के पीछे लाखों राज छिपे थे ।
यही सोचते-सोचते ना जाने रात के कौनसे पहर वो वही सो गयी । इधर सुबह होते ही जैसे ही रिया उठी उसे रुद्राणी के बेड़ पर एक भी सिलवट नहीं दिखी और बाथरुम का दरवाजा भी खुला था । लगता हैं यह लड़की जल्दी उठती हैं इतना सोचते हुए वह बाहर बाल्कनी में चली गयी और जैसे ही उसकी नजर नीचे ग्राउंड में गयी तो उसके होश ही उड़ गये । वह लड़की , एक जैकेट और पैंट पहने बहुत तेज दौड रही थी । असल बात तो यह थी कि वह बिल्कुल ढिले कपड़े पहनती थी और इसलिए किसी को भी उसकी फिट बाॅडी नहीं दिखती थी ।
रिया का आधा घंटा उसे देखते हुए निकल गया लेकिन वह लड़की अभी भी दौड़ रही थी ना तो उसकी सांसे फूली थी ना ही चेहरे पर कोई अलग लालिमा नजर आ रही थी । ऐसा लग रहा था कि वह डेली ही इतना दौड़ती होगी ।
रिया खुद से - ओह माय गॉड, यह लड़की क्या बवाल है । लगता है जैसी दिखती है वैसी है नहीं । कुछ तो है जो इसको सबसे अलग बना रहा है ।
तभी उसकी नजर घड़ी पर गई जिसमें अब 6:30 बज रहे थे । मैं वहीं से चिल्लाते हुए - जूनियर और कितना दौड़ोगी । अगर इसी तरह दौड़ती रही तो क्लास के लिए लेट हो जाओगी चलो जल्दी ऊपर आओ ।
उसकी आवाज से रुद्राणी की नजर पीछे अपने हॉस्टल की खिड़की पर गई जहां से रिया हाथ हिला रही थी । जिस पर जैसे उसने घड़ी में टाइम देखा आज 6:30 बज गए थे और उसे वक्त का होश तक ना रहा । वह हाथ हिलाते हुए ऊपर आने का इशारा करती और फटाफट हॉस्टल की तरह बढ़ने लगी - लगता हैं आज तो पक्का लेट हो जाउंगी ।
जैसे ही उसने कमरे को नाॅक किया , रिया ने दरवाजा खोलते हुए - अपने जूते हाथ में लो , बाथरुम में ले जा कर रखो और नहाते टाइम इन्हें धोकर बाल्कनी में सुखा देना । जानती हूं कि तुम्हें लेट हो जायेगा और तुम मेरी जूनियर हो तो मैं तुम्हारे लिए नाश्ता मैं ले आऊंगी क्योंकि अगर तुम नहाकर नाश्ता करने गयी तो तब तक मेस बंद हो जायेगा ।
इतना कहकर रिया तो निकल गयी लेकिन रुद्राणी वो बिल्कुल खामोश खड़ी रही । इसके दो रीजन थे पहला उसे रिया पर गुस्सा आ रहा था कि वो उसे एक छोटी बच्ची की तरह ट्रिट कर रही थी और दूसरा कुछ अजीब फील भी हो रहा था क्योंकि उसकी इतनी फिक्र अपनों ने भी नहीं की थी आज तक जितनी रिया कर रही थी ।
आंखें बेचते हुए अपने गुस्से को कंट्रोल करती है और पैरों में से जूते निकाल कर उन्हें हाथ में लेते हुए सीधा बाथरूम में घुस गयी ।
उधर शिवार्थ जैसे ही तैयार होकर नीचे आया तो कल की बात पर गायत्री जी का मुंह अभी भी फूला हुआ था । जैसे ही उसकी नजर अनिकेत जी पर गई । अनिकेत जी ने इशारे से बताया कि बहुत गुस्सा हैं ।
शिवार्थ गर्दन ना में हिलाते हुए नीचे आया और गायत्री के सामने बैठते हुए - दादी , आप अपने परपोते और परपोती का मुंह देखना चाहती हैं ना ..
इस बात पर गायत्री जी खुश होते हैं क्या तू शादी करने के लिए तैयार है । अरे तू हां कर बस तेरे लिए एक से बढ़कर एक लड़कियों की लाइन लगा दूंगी ।
जिस पर शिवार्थ गर्दनन हिलाते हुए - नहीं दादी , अभी के लिए मुझे शादी नहीं करनी लेकिन यह बस आपको इतना समझाना चाहता हूं कि आप इसी तरह मीठा खाते रही तो यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है । आगे आपकी मर्जी कि आप मुझे दुःखी देखना चाहती हैं या नहीं ..
शिवार्थ का उदास चेहरा देखकर गायत्री जी फट से मान गई वह अपने पोते को कभी भी उदास नहीं देख सकती थी चाहे वह गुस्सा होने का कितना भी नाटक करें लेकिन शिवार्थ का उदास चेहरा उन्हें हमेशा मना ही लेता था ।
इसके बाद अपनी दादी के हाथों ब्रेकफास्ट करके शिवार्थ काॅलेज के लिए निकल गया
रिया , रुद्राणी को ब्रेकफास्ट देकर , जिस पर रुद्राणी उसे सवालिया निगाहों से देखती हैं ।
जिस पर रिया - इस तरह क्यों देख रही हो मैं बस तुम्हें मेरा नंबर ऐड करने के लिए बोल रही हूं अगर तुम्हें हेल्प चाहिए हो तो मुझसे ले सकती हो । जिस पर रुद्राणी फोन हाथ में लेते हुए रिया की तरफ देखती हैं तो रिया उसे नंबर बताकर चली गयी ।
जैसे ही रूद्राणी ने ब्रेकफास्ट देखा , उसका मुंह बन गया और वह बमुश्किल के साथ उसे खाते हुए अपना फोन और बैग उठाकर रुम से बाहर निकल गयी और लाॅक लगाना वह बिल्कुल नहीं भूली थी ।
जैसे ही हॉस्टल से बाहर निकली उसके पास उसकी चाची का कॉल आ गया और वह काॅल उठाते हुए - जी आंटी बोलो ।
वो का हैं हम को तुम पर भरोसा ना ही हैं तो विडियो काॅल कर रहें हैं । काहे कि मरने से पहले देखना था कि तुम सूट में कईस लगती हो ।
रुद्राणी , जिसे पता था कि चाची का विडियो काॅल जरुर आयेगा । वो आज सूट पहनकर ही निकली थी ।
वह काॅल उठाते हुए - देखो बुढापा ! उम्र के साथ तुम सटियाने लगी हो । तुम हमारी आंटी हो इसलिए वरना जानती हो ना हमारा मुक्का कैसा होता है । तुमको एक बार बोल चुके हैं ना कि तुम्हारी मन्नत पूरी करेंगे तो बार-बार में वीडियो कॉल करना जरूरी है क्या यहां पर कोई हमें वीडियो कॉल पर तुमसे बात करते हुए देखेगा तो हंसेगा कि बॉयफ्रेंड से बात करने के जमाने में हम एक बुढ़ापा से वीडियो कॉल पर बात कर रहे हैं । अभी के लिए फोन रखते हैं और आपको अब काॅल हम करेंगे ।
इसके बाद उसने विडियो काॅल रखा और गहरी सांस लेते हुए - आंटी बिल्कुल पीछले जन्म में जेम्स बॉन्ड थी वो तो अच्छा रहा कि लास्ट मोमेंट पर सूट बदल लिया
जारी हैं......
रुद्राणी नेसिर झटकते हुए मोबाइल बैग में रखा और जैसे ही वह आगे जाने के लिए बढ़ी , उसकी नजर वही पास में बैठे कुत्ते पर पड़ी जो उसे घूरकर देख रहा था । वह भी कुछ देर तक उस कुत्ते को देखने लगी और फिर - घूर काहे रहे हो बे ! लडके तो लड़के अब तो कुत्ते भी लाइन में लगने लगे हैं क्या ?
वो कुत्ता अभी भी बिना झपकाए उसे ही घूर रहा था।
रुद्राणी ने एक भौंह ऊपर उठाई और तिरछी नज़रों से उसे देखा। इसके बाद एक कदम आगे बढ़ाते हुए, गर्दन तिरछी करके, हाथ कमर पर रखते हुए ,
अबे ओ हेयरफॉल वाले शेरू! क्या घूर रहा है? कोई सीरीज़ चल रही है क्या मेरे चेहरे पे? या अपनी बिछड़ी हुई गर्लफ्रेंड की शक्ल दिख रही हैं ।
कुत्ता फिर भी घूरता रहा।
रुद्राणी , उसके पास जाकर झुकते हुए, आंखें बड़ी करके - ऐ! तेरे मोहल्ले में नहीं देखी होगी ऐसी क्लासी लड़की, है ना? जब भी इतनी देर से बीना झपकाए एकटक देख रहा हैं ।
फिर उँगली दिखाकर,
घूरना बंद कर वरना ......
कुत्ता थोड़ा पीछे तो हटा , लेकिन फिर भी उसकी तरफ टकटकी लगाए देखता रहा -
रुद्राणी तेज़ लहजे में, थोड़ी हँसी के साथ ,
क्या बात है, तेरी एक्स ने भी तुझे छोड़ दिया क्या? इसलिए हर आती-जाती लड़की को ऐसे देखता है?
वो अपनी आंखें मटकाती है और अचानक कुत्ते के पास बैठ जाती है।
रुद्राणी नखरे में, लेकिन दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए- चल ठीक है, तेरा भी दिल टूटा लगता है। बैठ! आज से हम , ब्रोकन हार्ट्स एसोसिएशन के मेंबर हैं। तू अध्यक्ष, मैं उपाध्यक्ष , नहीं नहीं ... मैं अध्यक्ष और तुम उपाध्यक्ष और हम दोनों मिलकर उसे ढूंढकर ही रहेगे जिसने तुम्हें धोखा दिया वरना मेरा नाम भी रुद्राणी पंडित नहीं ।
इतना कहते हुए वो आलती पालती मारकर वही उसके पास बैठ गयी और उस कुत्ते के साथ अपनी फोटोस लेने लगी । फिर इंस्टा पर स्टोरी लगाते हुए - हैसटेग, मीट माई न्यू फ्रेंड... दिलजला आशिक ।
इस वक्त रुद्राणी भूलचुकी थी कि उसकी क्लास भी थी और वह बस अपनी उटपटांग हरकतों में बिजी हो गयी ।
उसने अपना बैग खोलकर उसमें से चिप्स का पैकेट निकाला और खुद भी खाने लगी और कुत्ते को भी खिलाने लगी ।
रुद्राण स्टाइल में, बाल संवारते हुए , कुत्ते हो मगर taste बढ़िया है तुम्हारा ।
यह बात उसने खुदको देखते हुए कही थी ।
कुत्ता दुम हिलाते हुए धीरे से रुद्राणी के पैर पास बैठ गया ।
ड्राइवर शिवार्थ को काॅलेज छोड़कर जा चुका था , आज वह खुद की कार से नहीं आया था क्योंकि उसकी कार सर्विस पर थी । शिवार्थ ने जैसे ही काॅलेज में कदम रखा तो चारों तरफ चहल पहल थी । वो डिन आॅफिस की तरह जाने वाला था कि उसके पास सुवंश का काॅल आ गया ।
वो शिवांश से - शिवार्थ कहां पर हैं
जिसपर शिवांश - मैं काॅलेज पहुंच ही गया हूं लेकिन इतना परेशान क्यों लग रहा हैं ?
.. बात ही ऐसी हैं । रिया का मैसेज आया था कुछ टाइम पहले .. उसने सभी को कैंटिन आने के लिए कहां था क्योंकि उसे कुछ जरुरी बात करनी थी । हम सब कैंटिन आ भी गये ।
शिवार्थ , उसे बीच में रोकते हुए - फिर प्राॅब्लम क्या हैं ।
सुवंश - प्राॅब्लम ... मत पूछ, पिछले बीस मीनट से वह शाॅक होकर बैठी हैं । ना तो कुछ बोल रही हैं ना किसी से कुछ कह रही । बस इतना कह रही हैं कुछ कुछ देर में कि - ऐसा नहीं हो सकता हैं ? ऐसा कैसे हो सकता हैं ?
शिवार्थ , जो कि बात करते करते गर्ल्स हाॅस्टल की तरफ ही आ गया था । वह काॅल कट करते हुए - तुम सब वही रुको , मैं आ रहा हूं ।
वो पीछे मुड़ने वाली ही वाला था कि उसे रुद्राणी की आवाज सुनाई दी और साथ ही वह उसकी बाते सुनने लगा और खुद से - कोई इतना ओब्सेसड कैसे हो सकता हैं ? और एक डाॅग से इस तरह बात करना ।
उसकी नजर फिर से उस लड़की पर पड़ी , जिसने लाल कलर का सूट पहन रखा था लेकिन उसका चेहरा नहीं दिख रहा था ।
कुछ देर तक तो वह उसकी शक्ल देखने की कोशिश करता रहा और तभी उसके फोन की मैसेज टोन बजी - कब तक आ रहा हैं । हम सब तेरा वेट कर रहे हैं ।
जिस पर शिवार्थ सिर झटकते हुए कैंटिन की तरफ बढ़ गया लेकिन उसके जहन में उस लड़की की बाते जम सी गयी थी और उसके मुंह से सिर्फ इतना निकला - सिली गर्ल
इधर रुद्राणी के हाथ से चिप्स का पैकिट खत्म हुआ । वह खुद से - अभी तो मेरा पेट भी नहीं भरा था और तभी उसे अचानक याद आया कि उसे क्लास भी जाना था ।
वह उस कुत्ते की तरफ देखते हुए - आज तुम्हारी वजह से मैं पहले दिन ही लेट हो गयी .. जिमी , वैसे जिमी मैंने तुम्हारा नाम रखा हैं । तुम्हें पसंद तो आया ना । जिस पर कुत्ता पूंछ हिलाने लगा और रुद्राणी खुद की पीठ थपथपाते हुए - शुक्रिया , तुम्हारे दिमाग का जवाब नहीं रुद्राणी ।
फिर खड़े होकर बैग टांगते हुए - बाद में मिलते हैं जिमी । बाय बाय .........
रुद्राणी तो निकल गयी और जिमी अभी भी वहां पड़े कुछ चिप्स के टुकड़ों को खा रहा था ।
इधर शिवार्थ जैसे ही कैंटीन में पहुंचा उसे एक टेबल पर सुवंश , रिया , आरुषि और वीर बैठे हुए दिखाई दिए और वह उसी तरफ बढ़ गया ।
एक चेयर खिंचकर बैठते हुए , उसने जैसे ही उन तीनों की तरफ देखकर इशारा किया । उन तीनों ने ही गर्दन ना में हिला दी ।
जिस पर शिवार्थ थोड़ी तेज आवाज में - रिया ....।
लेकिन रिया , वो तो अपने सपने में खोयी थी । उसे होश ही नहीं था कि आसपास क्या हो रहा था ?
रुद्राणी , किसी तरह लोटते पोटते क्लास में पहुंची तो उसकी सांसे रुक सी गयी क्योंकि अंदर प्रोफेसर पढ़ा रहे थे और वह आईआईटी दिल्ली के रुल अच्छे से जानती थी कि स्टूडेंट्स, प्रोफेसर के आने के बाद अलाव ही नहीं होते थे ।
उसने जैसे ही गेट को हल्का सा धक्का दिया , वह चर्र की आवाज के साथ हल्का सा खुला और प्रोफेसर के साथ उन गिने चुने बच्चों का ध्यान भी दरवाजे की तरफ चला गया जहां रुद्राणी मासूम चेहरे के साथ खड़ी थी ।
जारी हैं ...
आपको क्या लगता हैं ? रिया के शाॅक का रारण क्या हो सकता हैं ? रुद्राणी को क्लास में एंट्री मिलेगी । कमेंट करके जरुर बताइएगा
और मेरी प्रोफाइल को फाॅलो करना ना भूले
आगे....…....…
रुद्राणी ने जैसे ही सामने मासुम शक्ल बनाये देखा तो , प्रोफेसर - नाम ..?
जिस पर रुद्राणी मासुमियत से - प्रोफेसर , मुझे आपका नाम कैसे पता होगा ।
जिस पर प्रोफेसर उसे घूरते हुए - तुम्हारा
जिस पर रुद्राणी हाथ हिलाते हुए - ओह मेरा ! रुद्राणी पंडित
ओह तो मिस पंडित , आपके लेट से आने की वजह ...
बस रुद्राणी को तो मौका चाहिए था । वह सिर झुकाए हुए - सर , बस आज सुबह नींद देर से खुली । रुद्राणी की एक ही गलत आदत थी कि उससे झूठ नहीं बोला जाता था और आज फिर उसकी यह आदत , उसे फंसा चुकी थी ।
उसेबस प्रोफेसर की गुस्से भरी आवाज आयी - गेट आउट फ्राॅम माई क्लास। तुम आराम से अपनी नींद पूरी करो ? क्लास में आने की जरुरत नहीं हैं ।
सारी क्लास दबी आवाज में हंस रही थी लेकिन रुद्राणी, उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। वह आराम से ओके कहकर , वहां से निकल गयी ।
रुद्राणी चलते हुए - यह सबकुछ उस कुत्ते के पिल्ले की वजह से हुआ और हमायी आंटी , उनका भी कुछो परमानेंट इलाज करना पड़ेगा । काहे कि अब और टाॅलरेट , हमसे किया नहीं जाता .....!!
तभी उसे अपने सामने एक पत्थर का टुकड़ा दिखा और उसने अपने पैर से उसे लात मारी दी । वह पत्थर उछालता हुआ जाकर लगा एक लड़के को , जिसकी पीठ रुद्रानी की तरफ थी । उसे देखकर ही रुद्राणी को समझ आ गया कि उसने किसे पत्थर मारा हैं । उसने बीना देर किये भागने में ही अपनी भलाई समझी और झट से कैंटिन की तरफ भागी और खुद से बड़बड़ाते हुए - अम्म्आ यार ! किस्मत ही खराब हैं हमायी तो.....!! किसी दिन बहुतो बड़ा पंगा होगा ....हमारा किसी के साथ ....!!
रुद्राणी जो भागी तो सीधे कैंटीन के गेट पर जाकर रुकी और दोनों घुटनों पर हाथ रखते हुए गहरी सांस लेने लगी।
.....
उन चारों की नजरे अब रिया पर टिकी थी जो शिवार्थ की तेज आवाज सुनने पर भी होश में नहीं आई थी । शिवार्थ ने गुस्से से मुठिया भींचते हुए जैसे मुक्का टेबल पर मारा उसकी तेज आवाज से रिया को तेज झटका सा लगा । वह खड़े होते हुए - नहीं नहीं .....!!
सुवंश , रिया को हिलाते हुए - अब क्या हो गया ?
रिया को जैसे , सुवंश के हिलाने से होश आया हो और जैसे ही , उसकी नजरे सभी पर पड़ी, जो उसे ही देख रहे थे । वो चौंककर - वाॅट इज दिस गाइस , तुम लोग मुझे इस तरह क्यों घूर रहे हो ।
आरुषि , जिसका दिमाग अब तक रिया की अजीब हरकतों की वजह से खराब हो चुका था । वह गुस्से से - यूं रियली डोंट नो कि हम , तुम्हें घूर क्यों रहे हैं ? एक्चुअली you have gone crazy एंड फोर योवर कांइड इन्फोर्मेशन, हम सबको यहां , तुमने ही काॅल करके बुलाया था और उस वक्त , तुम काफी परेशान थी तो हम फटाफट , तुम्हारे कहने पर कैंटिन आ गये लेकिन आधे घंटे से तुम एक अलग ही दुनिया में खोयी हुई हो और हम सब बस , तुम्हारे बोलने का वेट कर रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि तुम ख्वाबों की दुनिया से हकीकत में तशरीफ़ ला सको ।
वीर, आरुषि के कंधे पर हाथ रखते हुए - काम डाउन अरु , रिया को कुछ तो बोलने का मौका दो ।
शिवार्थ ने भी गर्दन हिलाते हुए - वीर इज राइट अरु ! बीना रिया की बात सुने , हम में से कोई भी उस पर हाइपर नहीं हो सकता हैं । वह सच में परेशान होगी ।
रिया को उन सब की बात सुनकर सारी हकीकत का अहसास हुआ और यह भी फील हुआ कि वो अभी बैठे बैठे अलग ही ख्वाब देख रही थी । वह निराशा से - साॅरी गाइस !
सुवंश और वीर एक साथ - इट्स ओके रिया ! तुम बस यह बताओ कि इतनी परेशान क्यों थी ।
रिया अपने सिर के बाद नोचकर - क्या बताऊं गाइस ! जो कुछ भी कल मेरे साथ हुआ , वो अनएक्सेप्टेड था । मतलब , आई डोंट थिंक कि ऐसा भी कुछ हो सकता हैं ।
आरुषि खुद को कंट्रोल करते हुए - रिया ..... मुझे सस्पेंस मूवीज पसंद हैं इसका मतलब यह नहीं कि तुम ......!!
शिवार्थ गुस्से से - एकदम चुप आरु .....उसे बोलने का मौका तो दो ।
शिवार्थ की एक आवाज पर आरुषि मुंह पर अंगुली रखकर बैठ गयी । वीर और सुवंश गर्दन हिलाकर रिया - अब तुम किसका वेट कर रही हो ।
रिया , सामने रखी बोतल से पानी का घूंट पीकर - हम्म .....!!
फिर उसने सुवंश आरुषि और वीर को एक नजर देख कर - तुम्हें याद हैं कल जब हम कैंटीन में बैठे थे तो जाते वक्त , मेरा बैग , यही छूट गया था और जब हम तीनों बैग लेने यहां आए थे तो नरेन का ग्रुप एक लड़की को परेशान कर रहा था । उसकी बात सुनकर , आरुषि गर्दन हिलाते हुए - हम्म ..... याद है और हमारे हेल्प करने पर भी उस लड़की के चेहरे पर कुछ भी नहीं था । पता नहीं उसके अंदर इतना इगो किस बात का था जो बिना रिस्पेक्ट दिये बस चली गयी । जैसे वो सीनियर और हम सब जूनियर हो ........ लेकिन अभी तुम उस लड़की की बात क्यों कर रही हो ।
आरुषि की बात सुनकर रिया - वो मेरी रुममेट हैं ।
अच्छा ........!! इतना कहकर आरुषि और वीर ने तसल्ली .... वो तेरी रुममेट हैं और इसके साथ ही उन दोनों के मुंह और आंखें हैरानी से खुली रह गयी और वो दोनों ही एक साथ - वाॅट .....!!
सुवंश जो पानी पी रहा था वो सीधा जाकर - छोटू के ऊपर गिरा जो उन सभी के लिए कोल्डड्रिंक और समोसे लाया था ।
शिवार्थ तो नासमझी का भाव लिए बस उन सब के चेहरे देख रहा था ।
छोटू , रोतला सा मुंह बनाये - भईया जी .....यह क्या किया आपने ....।।
सुवंश जल्दबाजी में खड़ा होकर छोटू की शर्ट झाड़ते हुए - साॅरी ....साॅरी छोटू वो बस गलती से हो गया ।
छोटू , जिसकी आंखों में दो मोटे आंसू आने ही वाले थे । वह गुस्से से , सुवंश को घूरते हुए किचन की तरफ जाने लगा लेकिन सामने रखी टेबल से टकराकर धड़ाम से गिर पड़ा । आरुषि और वीर , रिया की बात भूलकर हंसने लगे और शिवार्थ की गुस्से भरी आवाज निकली - चुप .... बिल्कुल चुप......!! इतना कहकर वो छोटू की तरफ भागा मदद करने के लिए , उसने किसी तरह छोटू को उठाकर किचन की तरफ भेजा और फिर उन चारों तरफ घूरते हुए देखा , जो दबी हंसी हंस रहे थे ।
शिवार्थ के घूरने से , वह शांत होकर बैठ गये और शिवार्थ, अपनी चेयर पर बैठते हुए - अब बता रिया किस लड़की की बात कर रहे हो ।
रिया , सारी बात बताते हुए - तुम सबको पता है जैसे ही मैंने रूम में एंटर किया और उसकी शक्ल देखी तो मैं हैरान थी लेकिन इससे बड़ी हैरानी वाली बात यह थी कि पूरे रूम में चिप्स के पैकेट बिखरे पड़े थे । वह तो सीनियर के डर से उसने सारा रूम साफ कर दिया वरना मेरी क्या हालत होती । तुम सब जानते नहीं हो पूरी रात कैसे सोयी हूं ।
सुबह जब मैं उठी तो वह बाहर जॉगिंग कर रही थी पर हैरानी की बात यह थी कि उसके चेहरे पर एक भी बूंद पसीना नहीं था । पता नहीं मैं सही सोच रही हूं या गलत लेकिन जैसी वह लड़की दिखती है वैसी है नहीं......!!
शिवार्थ सारी बात सुनकर गंभीरता से - तो क्या अब तुम्हें रूम चेंज करना है ?
जिस पर रिया गर्दन नहीं में हिलाते हुए - नो नो......!! मैंने ऐसा तो नहीं कहा ।
आरुषि टेबल पर मुक्का मारते हुए - तो अब तक दिमाग का भाजीपाला क्यों कर रही थी ।
वीर मासूमियत से - यह कैसी लैंग्वेज.....!!
आरुषि वीर को घूरकर - तुम्हें, इतने सीरियस मैटर में भी लैंग्वेज की पड़ी है ।
वीर हाथ हिलाकर - लेकिन .......!!
आरुषि गुस्से से टेबल पर प्लेट में रखा ब्रेड वीर के मुंह में ठूंसते हुए - तुम थोड़ी देर चुप रहो ना ....!!
इतना कहकर , वह रिया की तरफ देखते हुए - तो फिर तुम इतनी शाॅक क्यों थी ।
रिया गहरी सांस लेकर - हम्म , वो लड़की ही सबसे बड़ी टेंशन हैं । यहां कैंटिन में फोन पर बहुत तेज आवाज में बात कर रही थी मतलब इतनी तेज आवाज में फोन पर कौन बात करता हैं । मैं रात को जब भी उठी , वह बाल्कनी में ही खड़ी मिली और जब सुबह उठी तो वह बाहर रनिंग कर रही थी । बहुत ही अजीब हैं ....ना तो बोलती हैं और ना ही हंसती हैं । ऐसा लगता हैं कि पूरी मशीन हैं । एनीवे .......!!
इतना कहकर , उसने सबकी तरफ देखा तो सभी लोग चेहरे पर हाथ रखे , उसे ही देख रहे थे ।
रिया सभी को अपनी तरफ देखते देख - वाॅट , इस तरह क्यों देख रहे हो ?
सुवंश - हमें लगा नहीं था कि तुम लड़कीयों को इस हद तक आॅब्जर्व करती हो । आरुषि को , तुमसे दूर रखना पड़ेगा वरना वीर का क्या होगा ?
वीर और आरुषि तो मुंह फाड़कर हंसने लगे और शिवांश खुद से - एक यह लड़की जो इतनी गंभीर हैं और एक वह लड़की, जो इतनी मुंहफट और बातूनी थी ।
रिया ने सुवंश को घूरकर , जैसे ही सामने नजर उठायी , उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गयी ।
जारी हैं ...........
आगे ......
रिया हैरानी से सबको , कैंटिन के गेट की तरफ इशारा करते हुए - वहां देखो ....!!
जिस पर सबकी नजरें उस तरफ चली गयी । जहां एक रेड कलर के अनारकली सूट में खड़ी रुद्राणी , गहरी सांस लें रही थी ।
रुद्राणी , जिसके बाल कंधे से थोड़ा नीचे तक आते थे ....वो लहरा रहे थे और उसकी खुबसूरत आंखें छनकर आती धूप में चमक रही थी । हाथ में पकड़ा बैग , उसने कन्धे पर टांककर नजरें इधर उधर दौड़ायी।
उन सभी की नजरें , उसके खुबसूरत चेहरे पर टिकी थी और शिवार्थ, वो तो उसी में खो गया और बीना पलकें झपकाये .... उसे ही देखने लगा । आरुषि मुंह फैलाते हुए - वेरी ब्यूटीफुल.... अमेजिंग... ऐसा लग रहा हैं कि फेरीटेल की परी ही आ गयी हो । वैसे इसका नाम क्या होगा ?
उसने इतना ही कहां था जब तक रुद्राणी तो दूसरी तरफ पलट गयी और शिवार्थ के मुंह से बेख्याली में निकला - रुद्राणी पंडित......!!
वो चारों शिवार्थ की तरफ देखते हुए - तुम्हें कैसे पता कि उसका नाम , रुद्राणी पंडित हैं।
शिवार्थ को जैसे ही अहसास हुआ कि वो क्या बोल गया हैं तो वह हड़बड़ाहट में - बस गेस किया .....!!
रिया , शिवार्थ के दोनों हाथ पकड़कर - नो ....नो .... तुमने अनुमान नहीं लगाया क्योंकि उसका नाम रुद्राणी पंडित ही हैं और इसका साफ मतलब हैं तुम , उस लड़की को जानते हो ।
उन लोगों की बात और आगे बढ़ती तब तक शिवार्थ के पास किसी का काॅल आया और काॅल उठाकर कुछ देर बात करने के बाद , वह सभी कि तरफ देखता हैं जो जवाब की उम्मीद में उसे ही देख रहे थे ।
वह हड़बड़ाहट में - डिन सर ने सभी को अपने आॅफिस में बुलाया हैं .... अर्जेंट हैं ।
आरुषि गुस्से से - इस डिन की तो साला हर वक्त गलत टाइम पर एंट्री मारता हैं ।
वीर फिर मासुमियत से - आरु , तुम गाली ......!!
आरुषि खड़े होकर - तुम..... वीर के चेहरे पर छायी मासुमियत देखकर - छोड़ो .... पहले इस डिन को निपटाकर आते हैं ।
जिस पर सभी , उसे घूरने लगे तो आरुषि - यार छोड़ो.... मेरा मतलब था कि पहले डिन सर का काम करके आते हैं ।
इसके बाद , वो सब तो डिन सर के आॅफिस निकल गये लेकिन रुद्राणी को कोई कॉल आया । कॉलर आईडी पर नाम पढ़ते ही वह फोन को लेकर इधर-उधर देखते हुए एक साइड में चली गई ।
कॉल उठाकर - हेलो.....!!
उसके हेलो बोलते ही सामने से - तुम शायद भूल रही हो कि तुम्हें वहां पर क्यों भेजा गया था मेरी नजर हर पल तुम पर ही है तो इस तरह की बेवकूफाना हरकत करके तुम क्या साबित करना चाहती हो ।
जिस पर रुद्राणी बिना कुछ सोचे समझे ही - यही की मैं एक अव्वल दर्जे की बेवकूफ हूं पर मसाला यह नहीं है , मसाला यह है कि आई एम नॉट योर सर्वेंट ......!! मैं आपका काम कर रही हूं क्योंकि आई वांट इट ना कि इसलिए कि आप चाहते हैं । रुद्राणी पंडित वह नहीं जो उसे पूरी दुनिया समझती है वह खुद में एक भौकाल है अगर कभी आप इस भौकाल के सामने आये तो इस जिंदगी में दोबारा कभी सामने आने की गलती नहीं करेंगे । मुझे कोई अपनी लिमिटेशन में नहीं बांध सकता हैं और ना हीं खुद के अकॉर्डिंग चला सकता है इसलिए आइंदा कभी मुझ पर हुक्म चलाने से पहले दो बार सोच लेना क्योंकि आप भी जानते हो और मैं भी यह बहुत अच्छी तरीके से जानती हूं कि इस वक्त आपको मेरी जरूरत है , मुझे आपकी नहीं.....!! और अपने कहावत तो सुनी होगी जरूर के वक्त गधे को भी बाप बनाना पड़ता है । एंजेट रुद्रा को आज तक आपने जो भी काम दिया आपको कंप्लीट ही मिला है और आगे भी मिलता रहेगा ।
इतना कहकर उसने काॅल कट कर दिया लेकिन तभी उसके फोन पर एक मैसेज शो होने लगा । उसने जैसे ही मैसेज पढ़ा, उसका मुंह बन गया - बाग में नया फूल खिला हैं उम्मीद हैं उसकी मदद लोगी ....... और अभी ही डिन सर से भी मिल लेना !!
मैसेज पढ़कर उसने फोन पाॅकेट में रखा और खुद से ही - पहले चाय फिर डिन से मिलुगी। इतना सोचते हुए वह कैंटिन की तरफ चली गयी और इधर शिवार्थ के साथ , सभी दोस्त ... डिन के केबिन में चला गये । उन सभी को पता था कि यह मीटिंग रैगिंग से रिलेटेड ही थी ।
अभी काॅलेज में कुछ गिने-चुने ही बच्चे आये थे तो वो लोग नरेन के ग्रुप पर आसानी से नजर रख सकते थे लेकिन सभी बच्चों के आ जाने के बाद यह मुश्किल होने वाला था । रेगिंग काॅलेज कैम्पस में ना होकर हाॅस्टल्स में भी हो सकती थी ।
वो डिन सर से आने वाले सभी फंक्शन्स की भी बातें कर रहे थे उनके अलावा वहां कुछ स्टूडेंट , काॅउंसिल के मैम्बर्स भी थे ।
चीफ ने रुद्रानी से बात करके जैसे फोन साइड में रखा उनके साथ ही खड़े एक राॅ एजेंट ने गुस्से से - चीफ आप हमारे सीनियर है और आपसे इस तरह बात करने की हिम्मत कोई कैसे कर सकता हैं ?
चीफ ने एक नजर उस एजेंट को देखा और फिर सिर हिलाते हुए चले गये बस इतना कहकर - एजेंट रुद्रा पर नजर रखो और अपना एक और एजेंट, उस काॅलेज में भेजों क्योंकि रुद्रा को इस तरह खुला छोड़ने का रिस्क हम नहीं ले सकते हैं ।
इधर रुद्राणी चाय पी रही थी और छोटू का मुंह अभी भी बना हुआ था क्योंकि उसे अभी रुद्राणी से भी डांट सुनने को मिली थी ।
वो चाय पीकर सुकून की सांस लेते हुए डिन सर के केबिन की तरफ चली गयी । जहां डिन को सिर्फ इतना पता था कि ड्रग्स रैकेट को पकड़ने के लिए उनके काॅलेज में पुलिस की तरफ से एक आॅफिसर आयेगा और उन्हें उससे , काॅलेज में हुए सभी संदिग्ध इवेंट्स और उनको जिन भी लोगों पर शक हैं उनकी रिपोर्ट्स शेयर करनी थी । उन्हें सिर्फ नाम पता था - रुद्राणी पंडित.......!!
चलते हुए उसने एक नजर अपने कपड़ों पर डाली .... उसका रेड कलर का सूट ... जिसे देखकर एक बार फिर उसका मुंह बना गया ।
जारी हैं ............
वह रेड सूट में चेहरे पर दुनिया जहां की मासुमियत समेटे , हाथ में बैग को कसके पकड़े डिन के केबिन के गेट पर खड़ी थी - में आई कमिन सर ...!!
उसको देखकर डिन गुस्से से - वाॅट इज दिस .... मैं यहां मीटिंग में बीजी हूं और इस तरह ...
शिवार्थ के साथ सभी कि नजरें उसी पर चली गयी । शिवार्थ तो उसे देखकर नजरें झुकाना भी भूल गया । उसका एक हाथ अपने आप , अपने सीने के बांयी तरफ चला गया ।
डिन सर आगे कुछ भी बोलते तब तक रुद्राणी के मुंह से निकला - Sir I am Rudrani....Rudrani Pandit...!!!
रुद्राणी पंडित , यह नाम सुनते ही डिन का सारा गुस्सा कहीं गुम सा गया और वह खड़े होकर सभी की तरफ देखकर - यह मीटिंग दो घंटे बाद कंटिन्यू होगी , अभी के लिए आप सब जा सकते हैं ।
इतना कहते ही सभी लोग बाहर निकल गये । आरुषि , सुवंश , वीर और रिया तो एक बार डिन को तो एक बार रुद्राणी को देखते ... क्योंकि उनको डिन के चेहरे पर पसीना और रुद्राणी के चेहरे पर सख्ती के कुछ अंश दिखे लेकिन शिवार्थ , उसे किसी बात का होश नहीं था ।
उन सभी के जाने के बाद , डिन सर घबराते हुए - साॅरी मैम ...!! I didn't know it was you...
रुद्राणी डिन के सामने चेयर पर बैठकर बैग टेबल पर रख देती हैं और फिर नेम प्लेट देखती हैं जिस पर संदीप सिंह लिखा हुआ था । वह गहरी सांस लेकर - देखिए मि. सिंह .... हमें हमारी इन्वेस्टीगेशन में पता लगा हैं कि आपके काॅलेज में ड्रग्स सप्लाई करके यूथ को इनका आदी बनाया जा रहा हैं । I don't know what information you have but I got only 3 months to complete this mission. सो आई होप यूं काॅपरेट ... आपके पास जितनी भी इन्फोर्मेशन हैं वो सब मुझे चाहिए साथ ही उन लोगों के नाम भी जिन पर आपको शक हैं और काॅलेज के हर स्टाफ से लेकर प्रोफेसर्स , वर्कर , स्टूडेंट्स सभी का डाटा ...तो आप मुझे यह रिपोर्ट कब तक देंगे ।
डिन सर एक साथ आठ दस फाइल्स निकालकर टेबल पर रखतें हुए - इसमें सबकुछ हैं ....आप चेक कर सकती हैं । उन सब को एक नजर देख ... वह फटाफट उन सभी फाइल्स के पन्नों की मोबाइल से फोटो खिंचते हुए अलग अलग फोल्डर बनाने लगी और साथ ही डिन से बात भी करने लगी ।
वो सारा काम खत्म करने बाद , उसने केबिन में चारों तरफ देखा और फिर , आप इन फाइल्स को कहां पर रखेंगे ।
डिन उसकी बात सुनने के बाद - केबिन ..!!
जिस पर रुद्राणी गर्दन ना में हिलाते हुए - नो ...नो ... इट्स वेरी रिस्की ..!! फिर वह डिन की तरफ देखकर - आज के बाद आप मुझे नाॅर्मली एक स्टूडेंट की तरह ही ट्रिट करेंगे ताकि किसी को भी मुझपर शक ना हो और ना ही ड्रग्स सप्लाई से लेकर किसी भी एक्टीविटी पर नजर रखोगे ताकि किसी को आप पर भी शक ना हो । हमारा अगली बार सामना तीन महिने बाद ही होगा ..जय महादेव ..!!
इतना कहकर रुद्राणी निकल गयी और डिन सर माथा पीटते हुए बैठ गये और कम्प्यूटर में उसका डाटा निकाला तो उन्हें और भी बड़ा झटका लगा - वह अभी भी बच्ची ही थी बीस की उम्र में यहां पर आकर ....वो इतने बड़े लोगों को पकड़ने वाली थी .. उन्हें लग रहा था कि पुलिस डिपार्टमेंट ने उनके साथ मजाक किया था ।
रुद्राणी ने बाहर आते ही पहले वो सारी फाइल्स जलायी और फिर शांति से सांस लेकर गार्डन में आ गयी ।
शिवार्थ का सारा ग्रुप गार्डन में बैठा था और रुद्राणी भी उधर से ही निकली थी लेकिन शिवार्थ का ध्यान , उस पर नहीं था लेकिन रुद्राणी का उस पर चला गया । वह बड़बड़ाते हुए - साला चिपडा... डिन के केबिन में कैसे घूर रहा था ।
इतना सोचते हुए वह अपने हाॅस्टल की तरफ चली गयी ।
इधर सभी लोगों के बारे बार पूछने पर शिवार्थ ने उन्हें कल शाम की सारी घटना बता दी कि कैसे वह उससे टकरायी थी और फिर उसी पर बरस पड़ी और अंत में यह भी कहकर गयी थी - दुआ करना कि आगे हमारी मुलाकात ना हो वरना पूरा काॅलेज रुद्राणी पंडित का स्वैग देखेगा ....!!
उसकी बात सुनकर , वीर और सुवंश .... शिवार्थ को देख रहे थे और आरुषि और रिया पेट पकड़कर बैठे थे । हंसते-हंसते उन दोनों का बुरा हाल था ।
वीर फिर खुजाते हुए - बट तुम्हारी तो कोई ग़लती ही नहीं थी ...!!
आरुषि हंसकर - वो ना बिल्कुल मेरी तरह हैं चिल्ड ...!!
रिया हंसते हुए - मुझे लगा नहीं था कि शिवार्थ बीना गलती के सुनकर भी आ सकता हैं ।
जिस पर सुवंश , शिवार्थ पर ही नजरे जमाये ...हम्म .. बात कुछ और तो नहीं ...!!
लेकिन शिवार्थ , उन सभी को अपनी तरफ देखते देख - गाइज ..!! जैसा सोच रहे हो वैसा कुछ भी नहीं हैं बस ऐसा लगा कि मैंने, उसे पहले भी कहीं देखा हैं ।
सुवंश - मतलब ... !!
शिवार्थ - मतलब मुझे पता नहीं लेकिन वो चेहरा जाना पहचाना था ।
इतना कहकर वो उठते हुए , मैं कैंटिन से कुछ खाने को पैक करवाकर लाता हूं तब तक तुम सब लोग बातें करो ।
.….....
इसी तरह दो दिन और निकल गये । रुद्राणी कम ही बात करती थी और अधिकतर उसकी नजरें इधर उधर घूमती रहती थी और ना ही उसका कोई दोस्त बना । रिया से भी उसकी बात नाममात्र ही होती थी । रिया को भी उससे बात करने का मौका तक नहीं मिलता था क्योंकि वह हर बात का जवाब , हां या ना में देकर .... खत्म कर देती थी । इन दो दिनों में उसने चाची की मन्नत के लिए सूट ही पहने थे और बिल्कुल शिष्टता के साथ ही रह रही थी बिल्कुल शांत एंड सुशील...अब तक उसने खुद को काबू में रखा था । शिवार्थ की नजरें जब भी उस पर पड़ती, उसको लगता जैसे वह बहुत अच्छे से जानता हो उसे ....!! शिवार्थ को जैसी लड़की अपनी वाइफ के रुप में चाहिए थी उसमें, उसे रुद्राणी फीट आती दिखती .....!!! हां इन तीनों में उसे प्यार हो गया था रुद्रानी से या फिर सिर्फ अट्रैक्शन था यह तो वक्त बतायेगा ...!!!
आगे ........
आसमान में तारों के नीचे वह बैचेनी से फर्श पर करवट बदल रही थी । उसे सिर्फ आवाजे सुनाई दे रही थी - मारो इसे और जोर से मारों...!! जब तक सच ना उगले मारते जाओ ....!! सच भी नहीं बोलेगी तो भी इसके शरीर की भूख तो मर ही जायेगी ...!! इतनी सी उम्र और इतने गन्दे काम.... खूनी हैं यह कातिल हैं ....!! इन सब में उसके रोने की आवाजें आ रही थी और अचानक ही रुद्राणी चीखते हुए उठ गयी । उसने डर से खुद को समेटा और बाल्कनी के ही एक कोने में बैठ गयी । उसके चेहरे पर पसीना था और पूरी बाॅडी डर से कांप रही थी । अतीत ने उसे अभी भी परेशान करना बंद नहीं किया था । कहते हैं कि कुछ दर्द हमें कभी उभरने नहीं देते और उसका अतीत कभी भी उसे .... इन सब से उभरने की शक्ति भगवान खुद भी नहीं दे सकता था ।
वह आज तीन दिन से बाल्कनी में ही सो रही थी । कुछ पल की नींद भी उसके नसीब में नहीं थी । उसने कुछ पल में खुद को शांत किया ... और फिर गहरी सांस लेकर अंदर रुम में आ गयी । रिया अपने बेड पर सो रही थी उसने अपने टेबल से फोन उठाया और उसमें टाइम देखा तो पांच बज गये थे । उसने सबसे पहले बाल्कनी में आकर मुंह धोया और फ्रेश होने के बाद , वह जाॅगिग सूट पहनकर बाहर निकल गयी ।
सुबह छः बजकर तीस मीनट
रिया पिछले दो दिनों से बाल्कनी में बैठकर उसे ही देख रही थी और अभी भी उसकी नजरें उसी पर टिकी थी ।
वह वही से चिल्लायी - जुनियर अब आ भी जाओ वरना लेट हो जाओगी ।
उसकी आवाज सुनकर रुद्राणी सिर हिलाते हुए अंदर आने के लिए मुड़ गयी लेकिन आज एक बात अलग थी । वह कुत्ता , जिमी भी रुद्राणी के पीछे दौड़ रहा था ।
दो दिनों में उसकी दोस्ती , रुद्राणी के साथ काफी अच्छी हो गयी थी । रुद्राणी के हाॅस्टल के अंदर जाते ही वो हांफते हुए वह पसर पड़ा । शिवार्थ अपने हाॅस्टल की बाल्कनी में खड़ा इतनी देर से रुद्राणी को ही देख रहा था । वो खुद से - यूं आर वेरी मिस्टीरियस मिस पंडित .... तुम पर नजर रखनी पड़ेगी....!!
रुद्राणी ने जैसे ही रुम के अंदर कदम रखा , रिया उसके पैरों की तरफ देखकर - हाश् , आज तुमने शूज गंदे नहीं करें ।
इतना कहकर वह - तुम नहाओ जब तक मैं नाश्ता लाती हूं ।
आज पहली बार रुद्राणी के मुंह से आवाज निकली थी - मुझे पसंद नहीं कि कोई मुझ पर अहसान करें ..!!
उसकी बात सुनकर रिया मुस्कराकर - और मुझे पसंद नहीं कि मेरे जुनियर, मुझसे ज़बान लडा़ये।
इतना कहकर रिया तो निकल गयी और रुद्राणी अपने कपड़े लेकर बाथरुम में चली गयी । शाॅवर चलाकर वह पानी के नीचे खड़ी हो गयी , उसने जैसे ही आंखें बंद करी ..... मुझे पसंद नहीं कि मुझसे छोटे , मुझसे ज़बान लडा़ये ...!!
इतना याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आयी लेकिन जल्दी ही उसने आंखें खोल दी और हकीकत का भान होते ही उसने अपना हाथ बाथरुम की दिवार पर दे मारा । दिवार को तो कुछ नहीं हुआ लेकिन उसके हाथ पर नील पड़ गयी ।
कुछ वक्त बाद वह बाथरुम से बाहर निकली तो वहां पर नाश्ता रखा था और साथ ही एक चाॅकलेट भी , वह खुद से - पता नहीं लोग इतना चिपकने की कोशिश क्यों करते हैं। उसने नाश्ते करते करते ही अपने गीले बालों में कंघी करी और फिर एक नजर आयने में खुद को देखा -- उसने एक ढिली सी जींस और ढिला सा ब्लैक शर्ट पहना था । हाथ में घड़ी बांधकर उसने वाइट स्नीकर पहने और हाथ में बैग पकड़े बाहर निकल गयी और इससे पहले वह ...नाश्ते की प्लेट धोना नहीं भूली थी और साथ में बिस्किट के पैकेट लेना भी .....!!!
जैसे ही वह हाॅस्टल के बाहर निकली तो जिमी पूंछ हिलाते हुए उसके आगे पीछे घूमने लगा । उसने जिमी का सिर सहलाते हुए - अम्मा यार ..!! तुमको हमारी खुशबू आ जाती हैं क्या ...?? जो पूंछ हिलाते हर बार हाजिर हो जाते हो ....!!
वह उससे बात करते-करते बिस्किट भी डाल रही थी जिन्हें जिमी पूछ हिलाते हुए खा रहा था ।
सारे बिस्किट डालने के बाद वह हाथ झड़ते हुए उसके सामने नीचे ही बैठ गई और उसका सिर सहलाते हुए - बड़े ही बुड़बक हो , जो हमायी बात का जवाब नाही दे रहे हो । जिमी पूंछ नचाते हुए जीभ बाहर निकालकर , उसके हाथ को चाटने लगा - रुद्राणी मुस्करा रही थी । वह हंसते हुए - यार टोपा हो का ... हमें गुदगुदी हो रही हैं ।
इतना कहकर वह हाथ हटाते हुए खड़े होकर , अरे ! हमें जाने दो हमारे बाप ....!! का हैं कि आज कौंनो प्रोफेसर मिश्रा आ रहे हैं ।
इतना कहकर वह हाथ हिलाते हुए निकल गयी और जिमी उछलते हुए भौंकने लगा ।
रुद्राणी, आज काॅलेज कैम्पस में आयी तो भीड़ कुछ ज्यादा ही थी क्योंकि लगभग सभी स्टूडेंट्स काॅलेज आ गये थे और उसी भीड़ के पास नरेन का ग्रुप खड़ा था । उनको देखकर नजरंदाज करते हुए वह अपने रास्ते निकलने ही लगी थी कि एक सीनियर अमृत झां चिल्लाते हुए - यूं .... इधर आओ ... मिस सूट आज जींस में ...!!
उसकी बात पर रुद्राणी की आंखें बंद हो गयी वह खुद से - ओह नो ...!! फिर ऊपर देखकर - महादेव ..!! इसमें मैं कुछ नहीं कर सकतीं ... अब इन लोगों को चूल्ल मची रहती हैं आपकी भक्त से पंगा लेने की .....!!
रुद्राणी धीमें धीमें पैर उठाते हुए, उनके सामने जाकर खड़ी हो गयी । वो पांच लोगों का ग्रुप था ....!!
रुद्राणी सभी को देखकर - जी ........
शिवार्थ अपने ग्रुप के साथ गार्डन में बैठा था कि एक लड़का वहां आते हुए - शिवार्थ, नरेन का ग्रुप, किसी जुनियर को परेशान कर रहे हैं।
वो सभी उठकर कैम्पस में भागे ... इधर सभी लोगों की भीड़ इक्ट्ठी होने लगी और कुछ पल में ही सारा कैम्पस भर गया और सभी लोग सांसें रोके तमाशा देख रहे थे । सब जानते थे कि नरेन के ग्रुप से पंगा सिर्फ , शिवार्थ का ग्रुप ही ले सकता था ।
रुद्राणी आंखें टिमटिमाते हुए - जी सर .....!! गुस्सा तो बहुत आ रहा था उसे लेकिन यह काॅलेज .... आजतक सब पर हुक्म चलाने वाली रुद्राणी किसी के नखरे झेल रही थी ।
नरेन गुस्से से हंसते हुए - आज तुम्हें कौन बचाएगा...!! वैल नाम क्या हैं तुम्हारा ..!!
रुद्राणी हाथ बांधे धीमे से - जी रुद्राणी पंडित...!!
अमृता हाथ सीने पर बांधे - लगता हैं सारी अकड़ निकल गयी ... उस दिन शेरनी और आज भीगी बिल्ली ... !!! तुम तो गिरगिट निकली ...!!
रुद्राणी - मैम , वो बात नहीं हैं । अकड़ तो बहुत हैं लेकिन अभी दिखायी तो आप कुछ दिखाने लायक नहीं बचोगी ।
यह बात उसने धीमे से कहीं थी और यही कारण था कि किसी को कुछ सुनाई नहीं दी ।
नरेन के अंदर , रुद्राणी की खुबसूरती देख लालच सा जाग गया - मिस पंडित ...टास्क तो हैं तुम्हारे लिए ... इतना कहकर वह , उसके करीब आते हुए - हम्म ...!! खुबसूरत तो हो ... बचना चाहती हो तो बस एक किस ...!! इस वक्त उसकी नजरें रुद्राणी पर थी ।
शिवार्थ, जो अभी अभी आया था , नरेन के ग्रुप के सामने रुद्राणी को देख , उसकी सांसें ही अटक गयी । वो नरेन को रुद्रानी के करीब बढ़ते देख पा रहा था । इधर रुद्राणी खुद से - आगे मत बढ़ो मि. सिनियर वरना जिंदगी भर के लिए पछताओगे ।
शिवार्थ से रुका नहीं गया ...वो उस तरफ बढ़ा लेकिन अगले ही पल उसके पैर ...जैसे जाम हो गये .....!!!!
जारी हैं ..….....
आगे ............
शिवार्थ ने जैसे ही आगे कदम बढ़ाया...... उसकी सांसें ही रुक गयी । सारी भीड़ का मुंह हैरानी से खुला रह गया । रुद्राणी ने एक मुक्का बनाकर ...... सीधा नरेन के मुंह पर मारा था और पैर सीधा उसके पैर में अड़ाकर... उसे नीचे गिराया और फिर उसकी काॅलर पकड़कर उठाते हुए - यूं नाॅ वाॅट मि. सिनियर .... तुम अगर रुद्राणी पंडित को जानते तो सामने आने की गलती ना करते ...!!!
इसके बाद वह गिरे हुए नरेन के सामने बैठ गयी और उसकी गर्दन के सामने अपनी गर्दन लाकर .... हमायी चाची को हमेशा टेंशन रहता हैं कि हमारे आसपास के लोग सैफ तो हैं ना क्योंकि उनका मानना हैं कि हम चलते फिरते एटम बम हैं जो कभी भी ब्लास्ट हो सकता हैं ..... बूम ...!!
फिर हंसकर - पर हम उनको कइसे समझाये कि हम तो बड़े मासूम हैं ..... फिर अपना चेहरा मासूम बनाकर ... देखो ..! हम मासूम ही हैं ना ... हमायी मासुमियत पर पूरा काशी फिदा हैं और हम खुद भी .... कभी कभी तो मन करता हैं कि एक दो चूम्मा खुद को दे ही दे ... पर यह दुनिया बड़ी ज़ालिम हैं ... हर जगह कुछ लोग मिल ही जाते हैं जिनको हर जगह मुंह मारने की आदत होती हैं ... और इसी आदत के चलते वो अपना मुंह तुड़वा लेते हैं ... अब तुमको ही देख लो ..!! खुद को बड़ा हरामी समझते हो लेकिन हम तुमसे भी बड़े हरामी हैं ....और हम तो इतने नीच हैं कि सीधा काटते हैं ... ताकि अगली बार कोई किसी की तरफ देखे भी ना ...!!
कभी काशी जाओ तो पूछना ... पता चलेगा कि रुद्राणी पंडित खुशी में गुलाब देती हैं तो गुस्से में खोपड़ी खोलती हैं ... आइंदा से किसी जुनियर की तरफ आंख भी उठायी तो सब कुछ खोलकर रख देंगे ...!!
अमृता गुस्से से - से ...!! तुम अपनी लिमिट क्रॉस कर रही हो पंडित...!!
रुद्राणी हाथ झाड़कर खड़े होते हुए - अबे ..!! लगता हैं तमीज कहीं बेच आयी हो जो समझ नाही आ रहा ... अगर दो बड़े बात कर रहे हो तो बच्चे बीच में आर्ग्युमेंट नहीं करा करते हैं .....!!
अमृता गुस्से से आगे बढ़ते हुए - तुम्हारी इतनी हिम्मत ...!! लेकिन रुद्राणी ने जैसे ही अपना हाथ उठाया तो वह डरकर पीछे हो गयी लेकिन रुद्राणी हंसते हुए - अपने बाल झाड़ रहे हैं ... तुम्हारा गाल साफ नहीं करना हमको ... फिर अपने बाल झाड़ते हुए - बेबी डाॅन्ट क्राॅस योवर लिमिट वरना हमने क्राॅस की तो कुछ क्राॅस करने लायक नहीं रहोगी ।
इतना कहकर वह सारी भीड़ की तरफ देखने के बाद - अबे तमाशा खत्म हो गया तो अब चलते बनो ... इतना कहकर उसने जैसे ही घूरा सारी भीड़ तीतर भीतर हो गयी और वो भी डर से क्योंकि अगला नम्बर उनका भी हो सकता हैं ... नरेन जमीन पर पड़ा बेइज्जती का घूंट पीकर हांफ रहा था और रुद्राणी मुस्कराते हुए - हमायी नजरें अबसे तुमपर हैं जबतक यहां रहेंगे... तुमको चैन से सांस तक ना लेने देंगे।
इतना कहते हुए वह बैग उठाये अपनी क्लास की तरफ बढ़ गयी .... तभी उसके फोन पर मैसेज आया - अगर वक्त हो तो बात कर लेना ....!!
उसने नम्बर देखे और काॅल मिलाने लगी ।
.........
शिवार्थ शाॅक्ड भी था और मुस्करा भी रहा था । उसकी धड़कनें रफ्तार पर थी । उसके साथ कैंटिन में बैठी रिया और आरुषि अभी भी शाॅक थी और वीर तो अपने दोनों गाल पकड़े बैठा था और सुवंश ... उन सभी को देखकर काॅक का कैन मुंह से लगाते हुए - अब तुम सब इतने शाॅक क्यों हो ....!!
आरुषि चिप्स खाते हुए - शाॅक ... अरे ! उस बीते भर की लड़की ने नरेन को क्या घूंसा मारा था । दो सैकंड के अंदर उसका थोबड़ा सूज गया था ...!!
वीर मासुमियत से - इस रिया ने हमको बुद्धू बनाया हैं । यह बोल रही थी कि उसके मुंह से शब्द नहीं निकलते और जो अभी देखा ना ..! लगता नहीं कि वो चुप भी रहती होगी ।
आरुषि मुंह में चिप्स ठूंसकर - बड़ा कड़क बोलती हैं ....ऐसा लग रहा था कि कैंपस में एक्शन मूवी की शूटिंग हो रही हो ।
रिया शाॅकनेस से - अब मेरा क्या होगा ? उसपर बहुत से हुक्म चलाये हैं मैंने...!!
आरुषि कुछ सोचकर - बट मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा हैं कि यह लड़की शांत सीता से ... चांडाल काली मां कैसे बन गयी ।
सुवंश - बट मुझे लग रहा हैं कि तुम दोनों पागल हो चुकी हो ।
फिर शिवांश को देखकर - तुम इतने शांत क्यों हो ? इनको समझाओं ना कि ...!!
शिवांश , उसको आगे बोलने का मौका ना देते हुए - मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूं कि कुछ पल पहले क्या हुआ तो इनको क्या समझाऊं...!! हमें इस बारे में डिन सर से बात करनी पड़ेगी। वो शायद उसके बारे में जानते होंगे। तुम लोगों ने देखा था ना कि उस लड़की का नाम रुद्राणी पंडित हैं यह जानते ही डिन के सिर पर पसीना आ गया था ।
आरुषि भी - हम्म तभी मैं सोचूं कि जो टकला हर किसी पर भड़कता रहता हैं वो उस मिस पंडित से कितनी इज्जत से बात कर रहा था ।
रिया आंखों में आंसू भरकर - मुझे बचा लेना भगवान ... मैं अबला लड़की... कैसे उसे झेलूंगी।
शिवांश खड़े होकर - मैं डिन सर से इस बारे में बात करके आता हूं .....!!
सभी एकसाथ हम लोग भी चलते हैं । इतना कहकर वो लोग डिन के केबिन की तरफ चले गये ....!! इधर काॅल उठाते ही , रुद्राणी - बताइए... अब क्यों काॅल किया हैं ?
सामने से अफसोस भरी आवाज - अपने गुस्से को काबू करो ..!! इस तरह हर किसी को सींग मारना सही बात नहीं ...!!
रुद्राणी चारों तरफ देखकर - यह हम पर नजर रखना कब बंद करने वाले हैं । वो का हैं ना हम नाही सुधरने वाले हैं तो अपना बीपी बढ़ाने का कोनों फायदा वायदा नहीं हैं ।
...... हम तुम्हारे सीनियर हैं तो तमीज से .....!!
रुद्राणी कान में ब्लुटूथ लगाकर चारों तरफ देखते हुए - साला सुबह से सीनियर सीनियर सुनकर दिमाग खराब हो रखा हैं तो अब आप मत पकाइये। वैसे आप भी हमको कम बेइज्जत नहीं करते हैं । काम की बात करीये ...बीना वजह बोलना .. आप जैसे लोगों को सूट नहीं करता ...!!
मुझे, तुमसे जरुरी बात करनी हैं इसलिए काॅलेज के बाहर .. एक कार खड़ी होगी ... उसमें बैठो ...!!
रुद्राणी हंसते हुए - किसी ने देखा और उसको शक हुआ तो कि मुझ जैसी गरीब एक महंगी गाड़ी में ....!!
जिस पर सामने से जो कहां गया , उसे सुनकर तो उसकी बोलती ही बंद हो गयी ।
वैसे क्या कहां गया होगा ...??? सोचिए - सोचिए एंड गिव कमेंट्स
जारी हैं .....
अगर पार्ट अच्छा लगे तो गिव रेटिंग्स
आगे, शिवार्थ ने जैसे ही आगे कदम बढ़ाया, रुद्राणी ने नरेन को मारा और कहा कि वह रुद्राणी पंडित को जानता तो सामने आने की गलती ना करता। उसने धमकी दी कि वह उसे चैन से सांस तक ना लेने देगी।
अमृता के टोकने पर उसने उसे भी चुप करा दिया। भीड़ तितर-बितर हो गयी। रुद्राणी को एक मैसेज मिला और उसने कॉल मिलाया।
शिवार्थ और उसके दोस्त शाॅक्ड थे। रिया डरी हुई थी क्योंकि उसने रुद्राणी पर हुक्म चलाये थे। शिवांश ने कहा कि उन्हें इस बारे में डीन सर से बात करनी पड़ेगी क्योंकि वे रुद्राणी को जानते हैं।
रुद्राणी ने फोन पर बात करते हुए कहा कि वह सुधरने वाली नहीं है। उसे कॉलेज के बाहर एक कार में बैठने के लिए कहा गया।
Now Next
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आगे ......
रुद्राणी हंसते हुए - किसी ने देखा और उसको शक हुआ तो कि मुझ जैसी गरीब एक महंगी गाड़ी में ....!!
जिस पर सामने से जो कहां गया , उसे सुनकर तो उसकी बोलती ही बंद हो गयी ।
..... लेकिन हमने टैक्सी भेजी हैं ...इतना सुनते ही उसने काॅल कट करा और खुदसे बात करते हुए एंट्रेंस की तरफ बढ़ गयी लेकिन वह खुदमें ही बड़बड़ा रही थी - जल्दी ही मुझे इस जंजाल से बाहर निकलना होगा वरना ...!!
शिवार्थ एंड टिम , डिन सर के सामने खड़ी थी और उनसे रुद्राणी के बारे में पूछ रहे थे लेकिन डिन सर कुछ बताना नहीं चाहते थे इसलिए आखिर में पीछा छुड़ाने के लिए - उसका आईआईटी बैंगलुरू से यहां ट्रांसफर हुआ हैं और वो भी वहां के प्रिंसिपल के रिकमेंड करने पर ... इसके अलावा वो कुछ नहीं जानते हैं ।
इतना कहकर उन्होंने सबको , केबिन से बाहर निकलने के लिए कह दिया ।
इधर काशी ....
रुद्राणी की चाची , जो एक अनाथ आश्रम चलाती थी और रुद्राणी भी उनके ही आश्रम में पली बढ़ी थी । वह आश्रम का कोई काम देख रही थी जब , उसे किसी का काॅल आया । उसके काॅल उठाते ही सामने से - क्या वह शादी के लिए मानी ...!!
चाची परेशानी से - मानना तो दूर की बात हैं वह शादी की बात भी नहीं करना चाहती हैं । पता नहीं क्या भूत चढ़ा हैं वो लड़के से मिलना तक नहीं चाहती ...!!
देखो सुमित्रा ...!! रुद्रा , हमें अपने घर की बहूं के रुप में चाहिए ... उसकी दादी से वादा किया था कि उसकी पोती , हमारे ही घर की बहूं बनेगी । अब तक उसकी जिम्मेदारी... तुम्हें सौंपी थी ताकि उस पर कोई आंच ना आये लेकिन उसके बाइस के होने से पहले ... हमें वह अपने घर में चाहिए ।
चाची भी परेशानी से - लेकिन वो नहीं मानेगी ....!!
वह शख्स मुस्कराते हुए - लेकिन हम मनायेंगे उनको ... आप बस उससे बोलों कि कोई उससे मिलना चाहता हैं और इतना कहकर उन्होंने, सुमित्रा जी को एड्रेस बताया और काॅल कट कर दिया ।
इधर रुद्राणी , एंट्रेंस से बाहर आकर टैक्सी में बैठ गयी और कुछ पल बाद टैक्सी एक माॅल के सामने रुकी । टैक्सी से उतरकर , वह माॅल में चली गयी और फिर वहां से सबकी नजरों से बचकर एक चेंजिंग रुम में घूसकर उसने एक बटन दबाया और वहां एक दरवाजा खूल गया और उस सीक्रेट डोर से होकर वह एक तहखाने में आ गयी जो उस माॅल से बहुत दूर था लेकिन उसके अंदर जाने का एक रास्ता , उस माॅल से होकर था ।
वहां जाकर कई केबिन से गुजरते हुए वह एक काॅन्फ्रेस रुम में घूस गयी । जहां कई सारे आॅफिसर्स के बीच में चीफ रामकृष्ण सुब्रमण्यम बैठे नजर आये । उनकी एज इस वक्त लगभग पचास के करीब थी पर फिर भी उनकी आंखों में एक अलग ही आग और तेज था ।
वह एक खाली चेयर पर पसर गयी और सभी की तरफ देखकर - इतने सारे लोग मतलब मसला बड़ा हैं ।
एक आॅफिसर शब्द दांतों तले चबाते हुए - ठीक से बैठो एजेंट... यह तुम्हारा घर नहीं हैं ।
रुद्राणी पैर हिलाते हुए - बट हमें लगता हैं कि एक एजेंट के लिए हर जगह घर हैं । वैल हम शांति से बैठ तो सकते हैं ना ...!! अब इसमें भी पाबंदी लगायेंगे आप ......!!
जिस पर वह आॅफिसर , रामकृष्ण जी की तरह देखते हुए - राम सर , यह हैं आपकी एजेंट....!! ना बोलने का सलीका , ना बैठने का .... डिसिप्लिन भी नहीं हैं और पैशेंस लेवल ....वो तो हम डेली टूटते देखते हैं ।
जिस पर सभी आॅफिसर सिर हिलाने लगते हैं । रुद्राणी हमेशा .. अपने आपको काम ही रखने की कोशिश करती थी लेकिन कुछ लोग थे जो उसके पैशेंस लेवल का हमेशा टेस्ट लेते रहते थे ।
वो उनकी बातों को नजरंदाज करते हुए - काम की बात करते हैं चीफ .... तो बताइए कि किस काम के लिए बुलाया हैं मुझे...??
उसको इस तरह लापरवाही से उनकी बातों को नजरंदाज करने के कारण सभी ऑफिसर्स के अंदर गुस्सा भर गया .... वह तो वैसे भी पहले से ही एजेंट रुद्र से खार खायें बैठे थे । एक नजर गुस्से से रूद्राणी को देख .....फिर रामकृष्ण जी से---- यह बहुत ही अनप्रोफेशनल है । हमारी बातों को नजरअंदाज करना .... इसको कहां तक सही लगता हैं आफ्टरऑल , हम इसके सीनियर हैं । हमे एक इंपॉर्टेंट बात करनी हैं और यह हमारी बातों को नजरअंदाज कर रही है। राम सर, यह इतने सेंसेटिव कैस के लायक ही नहीं है ।
बस यही रुद्राणी का ट्रिगर दबा गया ....!! वो गुस्से से खड़े होकर - ओह माय गॉड... आप सब मेरे अनप्रोफेशनल बिहेव की बात कर रहे हैं । जो इस वक्त एक छोटे बच्चे की तरह अपने मां से मेरे बारे में शिकायत कर रहे हैं कि मैंने , आप सब का खिलौना छिन लिया ....!! फोर योवर काइंड इन्फोर्मेशन... जब हम, इस एंजेसी में आये थे तो हमारी एक ही शर्त थी कि जो भी काम हमको मिलेगा ...वो हम अपने हिसाब से करेंगे लेकिन आप लोग को एक ठो बात याद नहीं रहती कि रुद्राणी पंडित का भौकाल एक तुफ़ान हैं और तुफ़ान को हवा देने से बेहतर हैं कि उससे बचा जाये ....!! अम्मा ! यार चूर्ण नहीं हैं हम ...जो हर कोई चबा जाये ...हम नमक हैं जो शुद्ध खाया जाये तो निगला तक नहीं जायेगा ...!!
इतना कहते हुए , वह गिलास में पानी भरकर पीने लगी और सभी लोग , उसकी तरफ ही देखने लगे । रामकृष्ण जी की आवाज पहली बार आयी थी - काम डाउन ..एजेंट ...!! हमें इस सीक्रेट मिशन के बारे में बात करनी हैं तो रिलेक्स होकर बैंठो...!!
जिस पर रुद्राणी वापिस चेयर पर बैठते हुए - हम्म ....!!
रामकृष्ण की नजरों के अहसास से ही सभी आॅफिसर्स सिर झुकाकर बैठ गये और रामकृष्ण जी - हमने इस मिशन पर आपकों भेजने से पहले दो आॅफिसर्स को वहां स्टाफ मेम्बर बनाकर भेजा था और उनकी रिपोर्ट के अकाॅर्डिग --- वहां पर सप्लायर चैन बहुत बड़ा हैं । प्रोफेसर से लेकर स्टाफ मेम्बर इवन स्टूडेंट भी ... जब भी किसी को ड्रग्स की रिक्वायरमेंट होती हैं तो यह ड्रग्स बहुत से लोगों से होकर गुजरती हैं ... आई मीन एक चैन जैसा कुछ.... इसलिए बहुत मुश्किल होगा कि हम इनके बाॅस तक पहुंच पाये ....तो बताओं इसके लिए हमें आगे क्या करना होगा ...??
रुद्राणी कुछ सोचकर- मुझे लगता हैं कि इन तक पहुंचने के लिए ... फिर स्माइल करते हुए - वो मैं आपको नहीं बताने वाली .....!!
इतना कहकर वह उठते हुए - अब मैं चलती हूं वरना ... आपको तो पता हैं कि जब कोई मासूम लड़की बाहर घूमे तो उसका मतलब ....!!
रामकृष्ण जी - लेकिन ...!! लेकिन रुद्राणी तो जा चुकी थी और रामकृष्ण जी बस देखते रह गये । हमेशा की तरह इस बार भी वह उन्हें डबल क्रॉस कर गयी थी । जब भी उनको लगता था कि वह एक काबिल एजेंट हैं तब ही वह कुछ ऐसा कर जाती कि उन्हें अफसोस होता कि क्यों और किस घड़ी में उन्होंने उसे , अपनी एजेंसी में जगह दी ।
जारी हैं ...…..........
आगे........
रुद्राणी को इस वक्त बहुत ही गुस्सा आ रहा था और ना उससे कंट्रोल हो रहा था । वह जैसे ही कॉलेज के एड्रेस से अंदर कहीं उसके पास कॉल आने लगा वह खुद से बडबडाते हुए कॉलर आईडी देखकर - इनका कॉल भी अभी आना था ।
रुद्राणी ने फोन उठाते ही जबरदस्ती गुस्से को कंट्रोल करते हुए मुस्कुराकर -जी प्रणाम , अभी इस वक्त काहे काॅल किया ...!!
उसकी बात पर सामने से जासूसी से भरी आवाज आयी और बस यही रुद्राणी इरीटेट हो गयी - तुम्हारी मुंह से मिश्री काहे झलक रही हैं । हमको ऐसा काहे लग रहा हैं कि बहुते गुस्से में हो अभी...!!
रुद्राणी इरिटेट होकर - काहे हमारे दिमाग का भाजीपाला करने में लगी है आप .... सीधे-सीधे कहिये ना कि कॉल काहे की है आप ..... क्योंकि अभी हम आपके जासूसी मूड को झेलने के मुड़ में नाही हैं ।
बस फिर क्या था - अब तो ऐसा कहोगी ना बनारस से दूर जो भेज दिए ... तुमको पाल पोसकर इस लिए बड़ा किया था क्या जो तुम हमको सुनाओ । एक ठो बात याद रखो तुम...!! तुम्हारा भौकाल बनारस में होगा पर हमाये घर में सिर्फ हमारा भौकाल हैं तो आइंदा से इस तरह से बात करी ना तुम हमसे तो बस एक कंटाप म अगला पिछला सब याद दिला देंगे...!! अब हमारी बात कान खोल कर सुनो ...हम चाहते हैं कि किसी से मिलों... एड्रेस भेजे हैं फोन पर कल का छूट्टी हैं ना तुम्हारा तो जाकर मिलों उनसे ....और थोड़ा तमीज से पेशान क्योंकि हमाये लिए वो मां जइसी हैं तो....!!
इतनाकहकर उन्होंने कॉल कट कर दिया और रुद्राणी को कुछ बोलने का मौका तक ना मिला वह तो बस आज उस इंसान को गुस्सा करते देख रही थी जिसने एक चींटी पर भी गुस्सा ना किया होगा । वह फोन की स्क्रीन को देखते हुए - अच्छा तो यह नया पेतरा निकाला है हमसे बात मनवाने के लिए..... हम भी देखते हैं कौनो को इतनी तीव्र इच्छा हो रही है हमसे मिलने की....!!
इधर कॉल कट करने के बाद में सुमित्रा जी - सच में इस लड़की से बात करने में तो हमारी सांसे छुटती है कब कौन बात पर भड़क जाए.... पता नहीं यह लड़की गुस्सा करना कब छोड़ेगी । एक बार इसकी शादी हो जाए.... फिर हम भी गंगा में डुबकी लगाएंगे...!!
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रुद्राणी हॉस्टल की तरफ जा ही रही थी कि आज जिमी जो एक सफेद और काले रंग का कुत्ता था वह हॉस्टल के मैंन गेट पर ही पूछ हिलाते हुए बैठा था ऐसा लग रहा था वह कश रुद्राणी का ही इंतजार कर रहा हो ...!!
रुद्राणी , जिमी के पास बैठकर ही उसका सर सहलाने लगी..!!
तभी पीछे से शिवार्थ के साथ , उसका सारा ग्रुप वही आ गया ... वो यहां पर रिया और आरुषि को ही छोड़ने आये थे ... सुबह से जिस इंसान ने उनका दिमाग खराब कर रखा था वह तो आसानी से सब कुछ भूल कर अपने ही ख्यालों में खोई थी ।
शिवार्थ रुद्राणी को देखकर सभी से - चलो बात करके आते हैं मिस पंडित से....!!