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Pregnant by Mafia

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Simran Meshram

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म....मैं प्रेग्नेंट कैसे हो सकती हूं डॉक्टर ? आज तक मैं खुद को किसी को छूने तक नहीं दिया ऐसा कैसे हो सकता है19 साल की हर्षा ने कांपते हुए कहां । डॉक्टर लोग भी उसकी बात सुनकर हैरान हो गए उन्होंने कहा कि आपके साथ किसी ने कुछ गलत किया है। 19 साल की हर्ष...

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हर्षा त्रिपाठी

Heroine

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अरहान रायचंद

Hero

Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. Pregnant by Mafia - Chapter 1

    Words: 1458

    Estimated Reading Time: 9 min

    एक अस्पताल के कमरे में एक 18 साल की लड़की हाथों में एक रिपोर्ट लिए खड़ी थी। उसके हाथ कांप रहें थे उसकी आंखों में अंशू थे और उसके होंठ कांप रहें थे। 

    वह हैरान परेशान सी अपनी जगह पर खड़ी थी वह रोते हुए अटकते हुए रकहा:- ऐसा कैसे हो सकता है म..मैं ....मैं प्रेग्नेंट कैसे हो सकती हूं डॉक्टर ?

    मैंने आज तक खुद को किसी को छूने तक नहीं दिया ऐसा कैसे हो सकता है। उसकी आवाज लड़खड़ा रही थी उसकी आवाज में हैरानी डर दर्द सब था।



    उसकी आवाज कांप रही थी। उस लड़की ने अपने सामने खड़ी डॉक्टर से सवाल किया। के सामने खड़ी लेडी डॉक्टर भी बहुत हैरान थी वह बोली ये आप यह क्या बोल रही है। 



    ऐसा है तो फिर ये इंपॉसिबल है। पर फिर वो डाक्टर कुछ सोचते हुए सोफ्ट आवाज में बोली:- क्या आपके साथ किसी ने कुछ गलत किया है आपके साथ किसी ने कुछ गलत काम किया हो और आपको पता नहीं ऐसा हो सकता है। 



    वही हर्षा के बगल में खड़ी एक लड़की जो कि खुद भी शौक थी वह उन्हें  समझाते हुए बोली:- डॉक्टर देखिए आपसे कोई गलती हुई होगी आपने किसी और की रिपोर्ट दे दी होगी इसे आप एक बार चेक तो कीजिए। 



    अब देखिए तो सही है ये बस 19 साल की अब इसकी शादी तक नहीं हुई है मैं इसकी बेस्ट फ्रेंड हूं मुझे हर एक बात पता होती है इसका तो कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं है। 



    अरे बॉयफ्रेंड की बात छोड़ो मैं इसका तो कोई लड़का फ्रेंड भी नहीं है तो ऐसा कैसे हो सकता है यह तो लड़कों से हमेशा दूर रहती है।



    और अगर किसी ने इसके साथ कुछ गलत किया भी होगा तो इसे पता कैसे नहीं चलता डॉक्टर अब ये इतनी भी नासमझ नहीं है कि इसके साथ कुछ हो और इसे पता भी ना चले। 

    अगर ग़लत होता तो ये समझ जातीं। आप मेरी बात समझ रही होगी क्योंकि आप खुद डॉक्टर है। यह हर्षा की फ्रेंड स्नेहा थी। स्नेहा ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा:- प्लीज डॉक्टर आप एक बार रिपोर्ट चेक कीजिए कि कहीं किसी और की रिपोर्ट तो नहीं आ गई , ऐसे भी अस्पताल में हजारों लोग आते हैं चेकअप कराने। 



    और नाम भी सेम होते हैं आप एक बार प्लीज चेक कीजिए उसने समझदारी से कहा। तो डॉक्टर ने भी उसकी बात सही लगी उसने सोफ्ट आवाज में कहा हा ठीक है मैं फिर से एक बार चेक करती हूं। 

    प्लीज तब तक आप इंतजार कीजिए यहां पर बैठकर। वही बोल डॉक्टर लेडी चली गई स्नेहा ने हर्षा को संभाला और कहा हर्षू कुछ नहीं होगा।



    तू तू प्रेग्नेंट नहीं हो सकती समझी गलती से किसी और की रिपोर्ट आ गई होगी वो उसे हिम्मत देते हुए उसे समझाते हुए कहा ।  फिर उसने उसे सहारा देते हैं बैठाया और अपने बैग से पानी की बोतल निकाली और कहां पानी पी लें तुझे अच्छा लेगेगा।



    वही हर्षा ने कांपते हाथों से बोतल ले ली और पानी पिया और फिर बोतल उसे देते हुए डरते हुए बोली स्नेहा कहीं सच में मैं प्रेग्नेंट तो नहीं ना। 



    अगर ऐसा हुआ ना तो मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी तू भरोसा कर यार मेरा मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है उसकी आवाज रूंध गई थी ये सब बोलते हुए। 



    स्नेहा ने उसे संभालने के लिए गले लगा लिया और उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा देख प्लीज तू रो मत आई ट्रस्ट यू मुझे पूरा भरोसा है तुझ पर तू कभी ऐसा कुछ नहीं करेगी। 



    अभी देखना डॉक्टर आएगी और बोलेगी की रिपोर्ट किसी और की थी तू परेशान मत हो ठीक है ऐसे भी तेरी तबीयत ठीक नहीं है तू ऐसे परेशान रहेगी तो तेरी तबीयत और खराब हो जाएगी।

    वो उसे सम्भालने कि कोशिश करती है 

    हर्षा ने उसकी बात समझते हुए सर हिलाया और उसे फिर थोड़ा दूर हुई उसने अपने आंसू साफ किये । उसका मन अभी परेशान था दिमाग में उलझन थी उसे डर था कि कहीं यह बात सही ना हो जाएगा 

    वह मन ही मन प्रार्थना करती है बोली भगवान जी यह कैसी सिचुएशन में डाल दिया है आपने मुझे काश वह रिपोर्ट मेरी ना हो , फिर‌ वो बोली, मेरी कैसे हो सकती है वह रिपोर्ट वह मेरी रिपोर्ट नहीं होगी, आई नो। 



    फिर उसने खुद से दोबारा कहा बस मेरी रिपोर्ट ना हो भगवान जी प्लीज मै प्रेग्नेंट नहीं हो सकती अगर ऐसा हुआ तो तो मैं कहां जाऊंगी की किसके पास जाऊंगी। 



    दादी को क्या मुंह दिखाऊंगी। उसे छोटी सी लड़की के दिमाग में यही सब चल रहा था। स्नेहा ने उसकी तरफ देखा और उसके कंधे पर हाथ रख हल्का सा थपथपाते में कहां हर्षू शांत हो जा।

    वही स्नेहा उसे समझा रहीं थीं पर वो भी बहुत परेशान थी। वो मन ही मन बोली भगवान जी प्लीज ऐसा ना हो प्लीज वो रिपोर्ट किसी और की हो ।

    हर्षा कि जिंदगी में पहले से ही बहुत दुख है और अगर वो प्रेग्नेंट हुई तो वो क्या करेगी मैं जानती वो ऐसी लड़की नहीं है। पर अगर किसी ने उसके साथ गलत किया हो तो ।



    नहीं नहीं ये बात सही नहीं होनी चाहिए प्लीज कुछ करो वो मुंह दिखाने लायक नहीं बचेगी समाज उसे जीने नहीं देगा अगर उसकी गलती नहीं है फिर भी वो भागवन से प्रार्थना करते हुए बोली उसका दिल धक-धक कर रहा था। 



    वो खुद से बोली अभी मुझे हर्षा को सम्हालना होगा। इतना बोल उसने खुद को संभाला और फिर हर्षा के कंधे पर हाथ रखा।

    वह लोग काफी देर तक ऐसे ही बैठे रहे। कुछ देर बाद वह लेडी डॉक्टर वहां पर आई। से देखकर हर्षा तुरंत खड़ी हो गई और स्नेहा भी। 



    हर्षा परेशानी से डॉक्टर से जल्दी-जल्दी सवाल करने लगी डॉक्टर वह रिपोर्ट मेरी नहीं है ना किसी और की है ना। उसका भी नाम मेरी तरफ से है इसलिए आप कंफ्यूज हो गए हैं ना ।



    डॉक्टर को बिल्कुल चुप देख परेशानी कहा डॉक्टर आप चुप क्यों है प्लीज कुछ बोलिए ना आप कुछ बोल क्यों नहीं रही हो बताइए ना वह मेरी रिपोर्ट नहीं है वह किसी और की है प्लीज कुछ तो बोलिए मुझे डर लग रहा है। 



    डॉक्टर उसे इस तरह पैनिक करते हुए देख वो उसे समझाते हुए बोली मिस हर्षा आप प्लीज पैनिक मत कीजिए बैठीए डॉक्टर ने उसे थोड़ा सा समझते हुए कहां और फिर टेबल से पानी का ग्लास उठाकर उसे देते हुए बोली प्लीज पहले पानी पीजिए। 



    हर्षा बैठी नहीं वो ऐसे ही उसने जल्दी से पानी पिया। वही स्नेहा उसके कंधे पर हाथ रखे हुए खड़ी थी स्नेहा ने डॉक्टर की तरफ देखते हुए कहां डॉक्टर प्लीज आप कुछ बोलिए अब मुझे भी थोड़ी टेंशन हो रही है।



    वही डॉक्टर ने एक गहरी सांस छोड़ी और कहां मुझे नहीं पता यह सब कैसे हुआ पर सच कहूं तो यह रिपोर्ट हर्षा की ही है और वो 4 वीक प्रेग्नेंट है। 



    वही हर्षा के हाथ से क्लास छूट कर नीचे गिर गया उसकी आंखों में फिर से एक अलग सा डर आ गया उसके होंठ एक बार फिर कांप उठे वो दो कदम पीछे हट गई।



    उसकी सांस फूलने लगी उसकी आंखों से आंसू अपने आप गिरने लगे। स्नेहा उसकी हालत देख घबरा गई और उसे संभालने लगी। हर्षा की यह हालत होना लाजिमी था।

    एक तो मिडिल क्लास फैमिली से थी और आज तक वह किसी के करीब भी नहीं गई तो फिर वह प्रेग्नेंट कैसे हो सकती है। 

    ऊपर से उसकी उम्र भी छोटी थी उसे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें।

    वही डॉक्टर हर्षा को की हालत देखकर वो समाझाते हुए सोफ्बोट ली, देखिएअपने आपको प्लीज संभालिए ।

    अब आप अकेली नहीं है आपके अंदर एक और छोटी सी जान पल रही है उसे पर इफेक्ट पड़ेगा। और अगर आपको ये बच्चा नहीं चाहिए तो आप अच्छे से सोच समझ कर 

    अपना डिसीजन ले सकती है कि आपको इस बच्चे को रखना है या अबॉर्शन करवाना है। मैं आपकी पूरी मदद करूंगी आपकी डिसीजन में । उसे डॉक्टर लेडी ने एक अच्छी डॉक्टर होने का फर्ज निभाते हुए कहां।

    डॉक्टर की यह बात सुन हर्षा उनकी तरफ देखने लगी। उसका दिमाग तो इस वक्त बिलकुल सुन हो चुका था जैसे कि उसने काम करना ही छोड़ दिया। 

    वह कुछ भी नहीं बोल पा रही थीऐसा लग रहा था ऐसे उसके गले को कि पकड़ कर रखा है । और उसकी आवाज उसके गले से बाहर नहीं आ रही है।



    To be continue.......



    अब क्या करेगी हर्षा ? कैसे हुई वह प्रेग्नेंट जब कोई उसके करीब नहीं गया उसे किसी ने छुआ नहीं तो ? आखिर बच्चा है उसके पेट में ? क्या वह इस बच्चे को गिरा देगी ? 



    सभी सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़ते रहें। और प्लीज लाइक कमेंट शेयर करना बिल्कुल मत भूलना आगेकी स्टोरी बहुत इंटरेस्टिंग है 


    कमेंट जरुर करे।

  • 2. Pregnant by Mafia - Chapter 2

    Words: 2212

    Estimated Reading Time: 14 min

    अब तक...

    अब आप अकेली नहीं है आपके अंदर एक और छोटी सी जान पल रही है उसे पर इफेक्ट पड़ेगा। और अगर आपको ये बच्चा नहीं चाहिए तो आप अच्छे से सोच समझ कर 

    अपना डिसीजन ले सकती है कि आपको इस बच्चे को रखना है या अबॉर्शन करवाना है। मैं आपकी पूरी मदद करूंगी आपकी डिसीजन में । उसे डॉक्टर लेडी ने एक अच्छी डॉक्टर होने का फर्ज निभाते हुए कहां

    डॉक्टर की यह बात सुन हर्षा उनकी तरफ देखने लगी। उसका दिमाग तो इस वक्त बिलकुल सुन हो चुका था जैसे कि उसने काम करना ही छोड़ दिया। 

    वह कुछ भी नहीं बोल पा रही थी ऐसा लग रहा था ऐसे उसके गले को कि पकड़ कर रखा है । और उसकी आवाज उसके गले से बाहर नहीं आ रही है।

    अब आगे.....

    अब आप अकेली नहीं है आपके अंदर एक और छोटी सी जान पल रही है उसे पर इफेक्ट पड़ेगा। और अगर आपको ये बच्चा नहीं चाहिए तो आप अच्छे से सोच समझ कर 

    अपना डिसीजन ले सकती है कि आपको इस बच्चे को रखना है या अबॉर्शन करवाना है। मैं आपकी पूरी मदद करूंगी आपकी डिसीजन में । उसे डॉक्टर लेडी ने एक अच्छी डॉक्टर होने का फर्ज निभाते हुए कहां



    डॉक्टर की यह बात सुन हर्षा उनकी तरफ देखने लगी। उसका दिमाग तो इस वक्त बिलकुल सुन हो चुका था जैसे कि उसने काम करना ही छोड़ दिया। 



    वह कुछ भी नहीं बोल पा रही थी ऐसा लग रहा था ऐसे उसके गले को कि पकड़ कर रखा है । और उसकी आवाज उसके गले से बाहर नहीं आ रही है।



    अब आगे.....



    उसे कुछ ना बोलता देख डॉक्टर ने सोफ्ट आवाज में कहा मै आपकी सिचुएशन समझ रहीं हूं कि आप पर क्या बीत रही होगी।



    इस वक्त आपको सोच समझ कर फैसला लेना होगा आपकी जिंदगी है आपकी बॉडी है आपका फैसला होगा कि आपको यह बच्चा चाहिए या नहीं।



    और प्लीज सोच समझ कर फैसला लीजिएगा और ज्यादा देर भी मत कीजिएगा फैसला लेने में क्योंकि अगर ज्यादा वक्त होगा तो बेबी अबॉर्शन करने में बहुत दिक्कत आएगी।



    आप इस वक्त काफी छोटी है तो आपकी बॉडी पर भी इफेक्ट पड़ेगा फिलहाल आप घर जाइए और फिर अच्छे से शांत दिमाग से सोच कर बताइएगा।



    स्नेहा को डॉक्टर की बात सही लगी उसने हर्षा को देखा वह चुपचाप बैठी हुई थी जैसे किसी सदमे में हों स्नेहा ने उसके कंधे पर हाथ रखा और धीरे से कहा ।



    हर्षू चल घर चलते हैं। पर हर्षा चुपचाप वैसे ही बैठी थी स्नेहा उसकी हालत समझ सकती थी इसलिए उसने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे खड़ा किया और बोली हर्षा तू यहीं रूक मैं पेमेंट कर देती हूं।



    वह डॉक्टर को पेमेंट देने के लिए वहीं रुक गई। डॉक्टर ने कहा आप उनकी बेस्ट फ्रेंड होना देखिए अभी आपको संभालना होगा उसे।



    शायद किसी ने उसके साथ कुछ गलत किया और उसे कुछ पता नहीं इस वक्त उसे आपकी जरूरत है। यह कुछ मेडिसिन से उसे दे देना आप।



    और प्लीज कुछ चीजों से उसे दूर रखना मतलब की मनाही कर देना जैसे की पपीता डॉक्टर से कुछ-कुछ चीज बताने लगी।



    जब तक आपकी फ्रेंड फैसला नहीं कर लेती थी कि उसको यह बच्चा चाहिए या नहीं तब तक उसे सही से रहना होगा उसकी बॉडी भी कमजोर है उसकी उम्र भी ज्यादा नहीं है।



    उसके बाद जो भी उसका फैसला होगा मैं आपकी पूरी मदद करूंगी और यह बात भी छुपा कर रखूंगी। स्नेहा ने हल्की सी स्माइल की और बोली, डॉक्टर आप बहुत अच्छी हो।



    थैंक्यू इतनी मदद के लिए। डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए सॉफ्ट आवाज में कहा ये तो मेरा फर्ज है। वही स्नेहा मुड़कर देखा वह हर्षा नहीं थी।



    वह थोड़ा घबरा गई वह तुरंत डॉक्टर के केबिन से बाहर आई। उसने आसपास नजरे घूम कर देखी उसे कोई नजर नहीं आया।



    स्नेहा ने अपने सर पर हाथ रख लिया और परेशान होते हुए बोली हर्षा कहां चली गई यह लड़की खुद को कुछ करना ना ले।



    भागते हुए अस्पताल के बाहर आई उसने देखा कि हर्षा बस चली जा रही थी चली जा रही थी उसे कोई होश नहीं था वह क्या कर रही है ।



    जैसे उसे किसी चीज का होश ही नहीं की आसपास क्या हो रहा है क्यों हो रहा है। उसे कोई खबर ही नहीं थी।



    वही स्नेहा उसे देखकर घबरा गई उसने देखा कि हर्षा चली जा रही और सामने से एक बाइक आ रही है। जिसे देख स्नेहा जल्दी से दौड़ते हुए उसके पास आई और अपनी तरफ खींच लिया उसे।



    हर्षा होश में आ गई वह उसे देखने लगी उसकी आंखें अब भी नाम थी। स्नेहा चिल्लाते हुए बोली, तू पागल हो गई है क्या हर्षू क्या कर रही है तुझे होश नहीं है क्या।



    क्या कर रही है यार तू अभी कुछ हो जाता तो तुझे अगर मैं टाइम पर नहीं आती तो। स्नेहा ने उसे गले लगा लिया उसकी आंखें नम हो गई थी ।



    तेरे बिना मेरा है कौन हर्षू तुझे कुछ हो गया तो मैं तो अकेली हो जाऊंगी ना अपने बारे में ना सही मेरे बारे में तो सोच ले।



    फिर उसने उसे खुद से दूर किया और बोली मैं नहीं जानती यह सब कैसे हुआ पर मुझे पूरा विश्वास है तेरी कोई गलती नहीं है तूने कुछ गलत नहीं किया।

    अगर तेरे साथ किसी ने कुछ गलत किया है ना आई प्रॉमिस यू मैं उसे बारे में पता लगाऊंगी और उन्हें सजा भी दिलाऊंगी वह भी बिना किसी को पता चले।

    प्लीज खुद को संभालना उसे समझाते हुए बोली उसकी आवाज भी थोड़ी दब सी गई थी उसकी आवाज में हर्षा के लिए चिंता फिक्र साफ थी‌‌।

    हर्षा ने स्नेहा की आंखों में देखा उसकी आंखों में उसके लिए साफ फिक्र थी। पर हर्षा की आंखें बिल्कुल खाली थी उसके दिल में उलझन थी डर था।

    स्नेहा ने उसका हाथ पकड़ा और बोली चल अभी तू मेरे घर। उसने ऑटो लिया और फिर दोनों ऑटो में बैठ गए। हर्षा कुछ नहीं बोल रही थी।

    चुप थी बिल्कुल। कुछ देर बाद वह एक छोटे से अपार्टमेंट के बाहर रुक यह स्नेह का अपार्टमेंट था जहां वह अकेले रहती थी।

    उसने ऑटो वालों को पैसा दिया और फिर हर्षा को लेकर अपने अपार्टमेंट में आई उसने उसे बैठाया और बोली तू यहीं पर रूप में कॉफी बना कर लाती हूं।

    वह किचन में आ चली गई। वही हर्षा ने अपने पेट पर हाथ रखा जैसे वह कुछ महसूस करना चाहती हो। पर पहले ही स्नेहा दो कप कॉफी लेकर आ गई।

    उसके बगल में बैठ गई और उसे काफी देते हुए बोली ज्यादा स्ट्रेस मत ली प्लीज हेल्थ पर असर पड़ेगा। देख तेरा जो भी फैसला मैं तेरे साथ में हूं।

    हमेशा की तरह जैसे हम दोनों एक दूसरे के बुरे वक्त में हमेशा साथ रहते हैं वैसे इस वक्त में भी मैं तेरे साथ हूं। फिलहाल तो कॉफी पी आराम से फिर मैं तुझे तेरे घर छोड़ दूंगी।

    हर्षा ने बस हां मे सर हिला दिया। उसने थोड़ी सी कॉफी पी और कप वहीं पर रख दिया। स्नेहा बोली हर्षू तू अपनी प्रेगनेंसी रिपोर्ट मुझे दे दे।

    मैं उन्हें संभाल कर अपने पास रख दूंगी अगर तूने अपने साथ लेकर जाएगी तो तेरे घर में कोई ना कोई देख ही लेगा और फिर बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी।

    ऐसे भी तेरे घर वालों को तुझे घर से निकलने का बस बहाना चाहिए कोई क्योंकि वह तुझे पसंद नहीं करते। जितना हो सके उतना खुद को संभालने की कोशिश कर और किसी को पता मतलब ना देना।

    ठिक है। और अगर कोई भी प्रॉब्लम हो तो बस मुझे एक बार कॉल कर देना। हर्षा ने तुरंत गले लगा लिया और रोते हुए बोली, थैंक यू सो मच स्नेहा तू नहीं होती तो मैं क्या करती ऐसी सिचुएशन में मैं तो अकेली पड़ जाती।

    स्नेहा ने उसकी पीठ पर हाथ रखा और बोली तू पागल है क्या थैंक्यू क्यों बोल रही है तू तो मेरी फैमिली है पागल मेरी एक लौटी फैमिली मेरी बहन मेरा भाई सब कुछ है तू मेरा।



    तू भी तो मेरी हर प्रॉब्लम में मेरे साथ होती है ना तो फिर मैं तेरा साथ कैसे छोड़ दूं और यह बात जानते हुए कि तू गलत नहीं है तेरे साथ गलत हुआ है।



    स्नेहा ने उसे थोड़ा सा दूर किया और बोली देख तू याद करने की कोशिश करना कि क्या तेरे साथ किसी ने कुछ गलत किया है।



    प्लीज याद करके सोचाना थोड़ा और मैं भी पता लगाने की कोशिश करूंगी तो फिक्र मत कर मैं तेरी प्रेगनेंसी के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलने दूंगी सब कुछ चुपचाप करूंगी।



    हर्षा ने बस हां मे सर हिला दिया। स्नेहा ने कहा चलो अब मैं तुझे घर छोड़ दूं वरना तेरी चाची बेवजह बरखेड़ा खड़ा करेगी।



    दोनों एक बार फिर अपार्टमेंट से बाहर निकाल लिए। आधे घंटे बाद स्नेहा ने उसे घर के बाहर छोड़ दिया और फिर वह चली गई। वही हर्षा के घर पहुंच गई थी। हर्षा ने धीरे से डोर बेल बजाई।



    उसकी चाची ने दरवाजा खोला और ताना देते हुए बोले आ गई महारानी बहुत जल्दी आ गई तुम तो हॉस्पिटल गई थी या अस्पताल बनाने।



    तभी पीछे से एक सख्त आवाज आई संध्या यह क्या तरीका है बच्ची अभी-अभी आई है और तुम फिर शुरू हो गई अरे बच्ची को पहले घर के अंदर आने दो।



    वही संध्या जी चीड़ गई और वह दरवाजे साइड और ताना कसते हुए बोली आ जाओ महारानी। हर्षा ने अपना सर झुका लिया और धीमे कदमों से अंदर आई।



    उसने अपना सर उठा कर देखा तो वहां पर व्हीलचेयर पर एक बुजुर्ग औरत बैठी हुई थी शारदा जी उसकी दादी। शारदा जी ने कहा क्या हुआ मेरी बच्ची डॉक्टर ने क्या कहा तेरी तबीयत ठीक है ना।



    अपनी दादी का सवाल सुन हर्ष थोड़ा डर गई और हड़बड़ा गई उसके होंठ हल्का-हल्का सा कंपन करने लगे। शारदा जी ने कहा क्या हुआ बात भी क्या बात है।



    कोई बड़ी बात तो नहीं है ना शारदा जी ने चिंता करते हुए कहा। हर्षा ने खुद को संभाला और फिर इधर-उधर देखते हुए देखना नहीं दादी सब ठीक है उसकी आवाज थोड़ा कांप रही थी।



    वह अपनी दादी से नजरे नहीं मिल पा रही थी क्योंकि वह झूठ बोल रही थी। शारदा जी ने उसकी बातों पर यकीन ना करते बताओ सच में ठीक तो है ना बिटीया।



    तेरे पेट में दर्द था ना। हर्षा ने घबराते कहा ज..जी दादी सब ठीक है। वो बस ऐसे ही था। हर्षा फिर बात को पलटते हुए बोली अच्छा दादी

     अपने अपनी दवा ली।

    शारदा जी ने हल्का सा मुस्कुराते देखा हां बिटिया हमने दवा खा ली तू हमारी फिक्र मत कर। जा बिटिया तू आराम कर अभी हस्पिटल से आई है ना।

    वहीं संध्या जी पैर पटकती हुई अंदर आईं और तीखे लहजे में बोलीं,

    "हां, आराम तो करेगी ही ना! घर का काम क्या इसकी मरी हुई मां उठकर करेगी? तीन घंटे से खींच के हॉस्पिटल गई थी, और काम वैसे का वैसा पड़ा है!"

    शारदा जी ने धीरे से कहा,

    "संध्या... देख तो रही है, बच्ची अभी हॉस्पिटल से लौटी है। ऐसी बातें करता है क्या कोई?"

    संध्या ने मुंह बिचकाते हुए कहा,

    "तो मैं क्या करूं सासू माँ? काम तो इसे करना ही पड़ेगा, वरना खाना भी नसीब नहीं होगा इसे। और प्लीज़, आप बीच में मत बोलिए। एक तो दोनों के दोनों हम पर बोझ बनकर बैठे हैं, ऊपर से कोई काम भी नहीं करेंगे!"

    ये सुनते ही शारदा जी चुप हो गईं। बेचारा मन तो बहुत कुछ कहने को करता था, पर शरीर साथ नहीं देता था। खुद अपाहिज थीं, दो वक्त की रोटी मिल रही थी यही बहुत था।

    वहीं हर्षा की आँखें भर आईं। अपनी मरी हुई माँ का नाम इस तरह सुनना उसके दिल को चीर गया। दादी की बेबसी देखकर भी वो खुद को रोक नहीं पाई। धीरे से बोली

    "मैं कर देती हूँ चाची... काम।"

    संध्या जी बिना कोई दया दिखाए बोलीं,हां हां करो ही ना, और क्या! हम तो बस तमाशा देखने बैठे हैं!"कहते हुए वह मुंह बना के वहाँ से चली गईं।



    वहीं हर्षा ने जबरन ज़रा सी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए अपनी दादी की तरफ देखा और प्यार से बोली

    "दादी, आप आराम करो। मैं सब संभाल लूंगी।"

    शारदा जी की आँखों में नमी तैरने लगी। उन्होंने धीरे से कांपती आवाज़ में कहा

    "माफ करना बिटिया… हम तेरे लिए कुछ नहीं कर पाए। तेरे मां-बाप के जाने के बाद तुझे वो जिंदगी नहीं दे सके जिसकी तू हक़दार थी।"

    कुछ पल के लिए हर्षा चुप रह गई। उसकी आंखें भर आईं, लेकिन उसने खुद को संभाला और हल्के से मुस्कुराते हुए बोली

    "दादी… आप भी ना, कुछ भी बोलती हो! आप तो बेस्ट हो… मेरे लिए सब कुछ हो।"

    उसने धीरे से अपनी दादी की व्हीलचेयर पकड़ी और उन्हें प्यार से उनके कमरे की ओर ले जाने लगी। रास्ते में उसकी आंखों से एक आंसू चुपचाप बह निकला… जिसे उसने अपनी दादी से छुपा लिया।



    To be continue......

    अब क्या करेगी हर्षा ? क्या स्नेहा पता लग पाएगी क्या हुआ था हर्षा के साथ ? क्या हर्षा घर वालोंसे इतनी बड़ी बात छुपापएगी ? जानने के लिए पढ़ते रहो 

    प्लीज आप लोग लाइक कमेंट शेयर कर दो। कमेंट करो आखिर मुझे भी तो पता चले आप लोगों कोसरी अच्छी लग रही है कि नहीं वरना स्टोरी बंद कर दूंगी।🙂

     मुझे यह भी बताना कि आपके पास स्नेहा की तरह दोस्त है।

  • 3. Pregnant by Mafia - Chapter 3

    Words: 1168

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब तक.....

    वहीं हर्षा ने जबरन ज़रा सी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए अपनी दादी की तरफ देखा और प्यार से बोली

    "दादी, आप आराम करो। मैं सब संभाल लूंगी।"

    शारदा जी की आँखों में नमी तैरने लगी। उन्होंने धीरे से कांपती आवाज़ में कहा

    "माफ करना बिटिया… हम तेरे लिए कुछ नहीं कर पाए। तेरे मां-बाप के जाने के बाद तुझे वो जिंदगी नहीं दे सके जिसकी तू हक़दार थी।"

    कुछ पल के लिए हर्षा चुप रह गई। उसकी आंखें भर आईं, लेकिन उसने खुद को संभाला और हल्के से मुस्कुराते हुए बोली

    "दादी… आप भी ना, कुछ भी बोलती हो! आप तो बेस्ट हो… मेरे लिए सब कुछ हो।"

    उसने धीरे से अपनी दादी की व्हीलचेयर पकड़ी और उन्हें प्यार से उनके कमरे की ओर ले जाने लगी। रास्ते में उसकी आंखों से एक आंसू चुपचाप बह निकला… जिसे उसने अपनी दादी से छुपा लिया।

    अब आगे.........

    वहीं दूसरी तरफ़......, 

    कुर्सी पर एक शख्स बैठा था — जैसे कोई ताज पहनकर नहीं, अपनी आंखों और आभा से ही राजा बन बैठा हो।



    काले ट्राउजर पर ढीला सिल्क का कुर्ता, एक हाथ में सिगार, और आंखें… इतनी ठंडी जैसे उनमें आग नहीं, बर्फ जमी हो  मगर वो बर्फ भी किसी को जला देने की ताकत रखती थी।

    "ग़लती… हो गई हम्म।उसने बेहद शांत लहजे में कहा,हो जाती है। पर तुमने जो किया है वो सजा है

    उसका लहजा इतना धीमा था कि सामने खड़ा आदमी झुककर सुन रहा था, मगर फिर भी उसकी रूह तक काँप रही थी।

    "तुमने समझा नहीं शायद, अरहान रायचंद की दुनिया में माफ़ी नहीं… मात होती है।"उसने अपने सिगार की राख झटकते हुए नज़रें घुमाईं, और इशारा किया ले जाओ इसे… और अगली बार अगर मेरी नज़र में आया… तो सिर्फ़ कंधा बचेगा, जिस पर तुम्हारा जनाज़ा रखा जाएगा।"

    उसके बोलने का लहजा बड़ा ही खतरनाक था जो किसी डरा सकता था उसकी आवाज धीमी और शांत थी पर उसके बोलने का तरीका वहां खड़े लोगों को पूरी तरह डरा चुका था।


    वही उसके गॉड्स में उसकी बात मानते हुए अपना सर हिलाया और आदमी को पकड़ते हुए लेकर चले गए। वही अरहान ने एक आदमी को बुलाया और कहां। 



    शहर का कौना कौना छान मारो अगर इस शहर में ना मिले तो दूसरे शहर में ढूंढो कोई जगह छूट नहीं नहीं चाहिए समझ गए।उसकी आवाज में एक आर्डर था ।



     उसके आदमी ने कहा। जी सर। अरहान ने कहा। और जल्द से जल्द पता करो मैं तुम्हें बस एक हफ्ते का मौका दे रहा हूं। काफी वक्त दिया हैमैने तुम्हें और अगर इन एक हफ्ते के टाइम में तुमने उसे नहीं ढूंढा तो तुम जानते हो तुम्हारे साथ क्या होगा।

    सामने खड़ा आदमी उसकी बात सुन पूरी तरह काम गया और थरथराते हुए कहा जी सर हो जाएगा।उसकी आवाज में एक डर था उसकी आवाज कंपन कर रही थी कोई भी उसकी आवाज सुनबता सकता था कि वह कितना डरा हुआ है अंदर से।

    वही अरहान बिना कुछ बोले वहां से बाहर निकल गया। 

    वही इधर......

    शाम हो गई थी...

    हर्ष अपने कमरे में चुपचाप सी बैठी हुई थी दरवाजा बंद करके खिड़की के पास उसका मन अशांत था उसे खुद नहीं पता था कि वो क्या करें 

    उसने अपनी नज़रें झुका ली और अपने पेट को देखने लगी। उसकी आंखों में हल्की नमी थी और शायद बहुत से इमोशंस में जो वह खुद नहीं समझ पा रही थी।

    ना चाहते हुए भी हर्षा का हाथ अनजाने में उसके पेट पर आ गया । अचानक से उसका दिल बेचैन हो गया उसके दिल में अजीब सी फिलिंग्स आ गई।


    उसके दिमाग में डॉक्टर की सारी बातें गूंजने लगी जो की उन्होंने की थी

    हर्षा देखो आपका फैसला है क्या आप इस बच्चे को चाहती हो या नहीं अगर आप नहीं चाहती तो तुम्हारे पास एक ही ऑप्शन है अबॉर्शन 

    आपका फैसला है शांति से फैसला कीजिएगा। हर्षा ने अपने पेट पर हाथ रखा उसके होंठ हल्के कांप गये। वह धीरे से बोली किसका बच्चा है कैसे आया क्यों आया।

    आखिर क्या हुआ है क्या सच में मेरे साथ किसी ने कुछ गलत किया है। अगर किया तो मुझे कैसे नहीं पता। क्या मुंह दिखाऊंगी दादी को उन्हें तो यही लगता है कि वह मुझे कोई खुशी नहीं दे पाई।

    कही अगर गलती से भी घर में किसी को पता चल गया वह गलत ना समझ ले कि मैं अपनी कोई जरूरत के लिए ऐसा किया नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता। मुझे नहीं पता यह बच्चा किसका है कहां से आया मैं मैं क्यों रखूं इसे मैं नहीं रखने वाली इस बच्चे को।

    इस वक्त उसका दिमाग बच्चे जैसा हो गया था उसे खुद को पता था कि वो क्या बोल रही है उसका दिमाग जैसे बंद हो चुका था।

    वो यही सब सो रही थी। कि अचानक से उसका फोन बजने लगा वह अपने आप में इतनी मगन हो गई थी कि उसने सुना ही नहीं कि उसका फोन बज रहा है बहुत देर तक फोन बजानेक बाद का ध्यान गया।

    वह तुरंत उठकर बैठ के बेड पास आईं जहां उसका फोन रखा था। उसने अपना फोन उठाया 

    स्नेहा का कॉल था।हर्षा ने जल्दी से कॉल उठाया।

    "कहां थी यार? कब से कॉल कर रही हूं," स्नेहा ने पूछा, थोड़ी चिंता और मस्ती के साथ।

    हर्षा ने धीरे से जवाब दिया, "कहीं नहीं, बस ऐसे ही।"

    "तू ठीक तो है ना? तेरी तबीयत ठीक है? घर में किसी ने कुछ बोला क्या तुझे?" स्नेहा ने पूछा, उसकी आवाज़ में साफ़ चिंता थी।

    हर्षा ने अपनी आवाज़ में हलका सा विश्वास लाते हुए कहा, "हां, ठीक है सब... मैं भी ठीक हूं।"

    स्नेहा ने फिर कहा, "तू अपना ध्यान रख, यार। प्लीज ज्यादा मत सोच। मैं जानती हूं तेरे लिए ये सब आसान नहीं है, पर खुद को स्ट्रेस से दूर रख।"

    हर्षा अचानक से बोली, "स्नेहा, मैं ये बेबी नहीं चाहती... मैं क्यों रखूं यार इसे? मुझे तो पता ही नहीं ये किसका बेबी है, कैसे आया, इसके पापा कौन हैं।

    मुझे क्यों रुकना चाहिए इसे? क्यों मेरी जिम्मेदारी है ये सब? मुझे कुछ भी नहीं पता ये सब हुआ कब... अगर मेरे साथ कुछ गलत हुआ है तो... उसे कोई फर्क नहीं पड़ा मेरे साथ।"

    उसकी आवाज़ में दर्द था, और दिल से निकलती हुई बातें थीं।

    "उसे तो ये भी नहीं सोचना था कि अगर ऐसा कुछ हुआ, तो क्या होगा। मैं क्यों सोचूं? जब मेरी गलती नहीं है, तो मैं क्यों अपनी इज्जत को दाव पर लगाऊंगी? मुझे ये बच्चा नहीं रखना... नहीं!"

    हर्षा ने फफकते हुए, बिलख-बिलख कर रोने की कोशिश की।

    स्नेहा ने उसे शांत करते हुए कहा, "हर्षा, ठीक है... तू रोना बंद कर। जो भी तू फैसला लेगी, मैं तेरे साथ हूं।



    ये सब आसान नहीं है, पर तू

    सही कह रही है। अगर किसी ने तेरे साथ गलत किया है और उसने कुछ नहीं सोचा, तो तू क्यों सोचेगी?

    तू अपने फैसले में अकेली नहीं है, मैं तेरे साथ हूं, हमेशा।"

    To be continue.....

    कौन है अरहान रायचंद ? और क्या सचमुच हर्षा अपने बच्चों को गिरा देगी।

    जानने के लिए पढ़ते रहे ।

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  • 4. Pregnant by Mafia - Chapter 4

    Words: 1311

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब तक.....



    "उसे तो ये भी नहीं सोचना था कि अगर ऐसा कुछ हुआ, तो क्या होगा। मैं क्यों सोचूं? जब मेरी गलती नहीं है, तो मैं क्यों अपनी इज्जत को दाव पर लगाऊंगी? मुझे ये बच्चा नहीं रखना... नहीं!"



    हर्षा ने फफकते हुए, बिलख-बिलख कर रोने की कोशिश की।



    स्नेहा ने उसे शांत करते हुए कहा, "हर्षा, ठीक है... तू रोना बंद कर। जो भी तू फैसला लेगी, मैं तेरे साथ हूं।



    ये सब आसान नहीं है, पर तू



    सही कह रही है। अगर किसी ने तेरे साथ गलत किया है और उसने कुछ नहीं सोचा, तो तू क्यों सोचेगी?

    तू अपने फैसले में अकेली नहीं है, मैं तेरे साथ हूं, हमेशा।



    अब आगे....

    तू कल आ जाना हम दोनों साथ में क्लीनिक चलेंगे ठिक है। हर्षा ने हल्के से कहा हम्म। फिर हर्षा ने फोन रख दिया। उसके दिमाग में कई सवाल थे।



    बहुत कुछ चल रहा था उसके दिमाग में जिसे समझ पाना मुश्किल था उसने एक बार फिर अपने पेट पर हाथ रखा। तभी बाहर से आवाज है अरे हर्षा कहा चली गई ।



    वह आवाज सुन हर्षा जल्दी से अपने आंसू साफ किया और बाहर आए तो देखा वहां पर उसकी चाची खड़ी थी। वह गुस्से में बोली कहां गई थी तू कब से आवाज दे रही हूं शाम होने को ए तूने अभी तक मेरी चाय नहीं बनाई वह चिल्लाते हुए तीखे लहजे में बोली।



    हर्षा ने हड़बड़ाते हुए कहा जी चाची म..मैं अभी बना देती हूं। वही संध्या जी ने उसे देखकर अपना मुंह बिगाड़ दिया और फिर कुर्सी पर बैठ गई।



    वही हर्षा किचन में आकर जल्दी से चाय का पाटीला गैस पर चढ़ा दी। और कुछ ही देर में चाय का कप लेकर धीरे कदमों से अपनी चाची के पास आए आई।



    और कब उन्हें दे दिया। संध्या जी ने चाय का कप लिया लेकिन का चेहरा अब भी शब्द था उन्होंने कहा इतना वक्त लगता है कि चाय बनाने में।



    हर्षा ने कुछ नहीं कहा। वही संध्या जी गुस्से में अब क्या यही पर खड़े रहोगी या घर के बाकी काम भी करोगी अभी रात का खाना भी बनाना है बर्तन भी साफ करने हैं तुम तो जानती हो ना सारा काम तुम्हीं को करना है ।



    यहां पर खड़ी होकर टाइम पास क्यों कर रही हो। उन्होंने चिल्लाते हुए कहा। हर्षा डर गई वो कांप गई थी। वहां से जाने को हुई कि तभी उसकी चाची ने कहा और एक बेवकूफ लड़की अभी चाय का कप तो लेती जा।



    1 साल की बच्ची नहीं है तू जिसे हर काम समझाना पड़े खुद में दिमाग नहीं है क्या। वही हर्षा जाने के लिए कुछ कदम बढ़ाए ही थे।



    वह अपनी जगह ठीठक गई। वह वापस मुड़ी और फिर धीरे से वापस आई उसने चाय का कप उठा लिया। और बिना कुछ कहे किचन में आ गई पर किचन में आते ही उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।



    वह अपने आंसू को बार-बार पूछ रही थी पर बार-बार उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रहे थे पता नहीं क्यों उसका दिल भरी भरी सा हो रहा था।। वह खुद से ही बुदबुदाते हुए बोली।



    मुझे रोना क्यों आ रहा है। मुझे तो आदत है चाचा की इतनी बातें सुनने की‌। रोज सुनती हूं मैं ये सब । फिर और इतना रोना क्यों हुआ है मुझे क्या हो गया।



    उसने मुश्किल से खुद को शांत कराया पर उसे यह नहीं पता था कि उसके आंसुओं का कारण उसकी प्रेगनेंसी है क्योंकि प्रेगनेंसी के वक्त ऐसा होता था छोटी-छोटी बातों पर आंसू आ जाते थे बुरी लग जाती थी बातें।



    उसने खुद को संभालते हुए चुप किया और गहरी गहरी सांस छोड़ी और फिर अपने काम में लग गई। उसके हाथ तो कम कर रहे थे पर उसका दिमाग कहीं और ही था वह अपनी ही सोच में डूबी हुई थी।



    उसके दिमाग में अभी डॉक्टर की बातें गूंज रही थी और उसने जो स्नेह से बात की थी वह सब भी। इस वक्त सब्जियां कट रही थी उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं था।



    तभी संध्या जी की तेज करी आवाज आई ओ महारानी ध्यान कहां है । हाथ काटना चाहती हो क्या अपना। अगर तेरा हाथ कट गया तो तुझे काम नहीं करना पड़ेगा सोचना भी मत समझी ध्यान लगाकर काम कर।



    वरना भूल जा की तुझे खाना मिलेगा। ‌वही हर्ष का ध्यान अचानक की उन पर चला गया वह डरते हुए ज..जी चाची। कटिंग बोर्ड पर सब्जियां कटने लगी वह भी ध्यान देकर।



    वही उसकी चाची बड़बड़ाते हुए बोली पता नहीं इसका ध्यान कहां रहता है एक तो हमारे सर पर बोझ बनकर बैठी हो और तोर काम भी नहीं करना इसे वह बुदबुदाते हुए चली गई।



    रात का वक्त सब ने खाना खा लिया था हर्षा ने भी बर्तन साफ कर दिए। फिर वह कमरा में आई और अपने कमरे की खिड़की उसने धीरे से खोल दी ।



    बाहर की ठंडी हवा उसे छू रही थी हर्षा को लगा जैसे कि वह ठंडी हवा छूकर उसे सुकून दे रही है उसकी सारी बेचैनी उड़ा कर ले जा रही है।



    उसने अपनी आंखें बंद कर ली ठंडी हवाओं का झोंका महसूस करने लगी।



    तभी उसका फोन बजा जिससे उसका ध्यान टूटा वह अपने फोन के पास आई उसने अपना फोन उठा कर देखा स्नेहा का नंबर दिख रहा था।



    उसने एक गहरी सांस ली और खुद को थोड़ा शांत किया और अपना गला साफ किया और फिर कॉल उठा लिया और धीरे से बोली हां।



    स्नेहा ने कहा हर्षू मैं डॉक्टर से बात कर लिया कल अपॉइंटमेंट ले लिया मैंने 2:00 की। तू कॉलेज आ जाना फिर कॉलेज से ही हम सिद्धा क्लिनिक चलेंगे ठीक है।



    हर्षा ने धीरे से कहा हम्म thank you yaar..। स्नेहा ने कहा अबे यार तू भी ना चल अब मैं फोन रखती तू आराम कर।

    हर्षा ने हम्म में जवाब दिया और फोन रख दिया वह बेड पर आई और चुपचाप लेट गई। उसकी नज़रें ऊपर सीलिंग पर थी जहां पर पंखा चल रहा था।

    की आंखों की किनारो से आंसू की धारा बह गए। उसकी सांसे धीमी धीमी चल रही थी उसके दिल में अजीब सा भारीपन सा था।

    उसे सुकून की जरूरत थी पर उसे सुकून कहां मिलता है किसके पास जाती है वह सुकून के लिए यहां पर तो उसका कोई अपना था ही नहीं दादी के पास जाति में तो क्या बोल कर जाती ।

    हर्षा ने धीरे से कहा काश मां पापा आप लोग मेरे पास होते शायद मुझे यह सब नहीं जीना पड़ता यह दिन आता ही नहीं काश मेरे सर पर पाप का हाथ होता।

    कोई आपकी हर्षी पर गंदी नजर डालता भी नहीं और यह सब होता भी नहीं किया। मैं सच बोल रही हूं मां मुझे कुछ नहीं पता यह सब कैसे हुआ और आप लोगों को त्रस्त है ना अपनी हर्षी पर मैंने कुछ गलत नहीं किया है।



    उसने तकिया को अपने सीने से लगाया और फफक कर रो पड़ी। उसका रोना शांत करने वाला भी कोई नहीं था। रोने की वजह से और पूरा दिन काम करने की वजह से वह बुरी तरह थक चुकी थी और ऐसे भी वह इस वक्त प्रेग्नेंट थी तो उसे थकावट कुछ ज्यादा ही महसूस

     हो रहे थे उसे नींद आ गई।

    उसे खुद भी नहीं पता चला की रोते-रोते कब वह सो गई।

    To be continue.....

    क्या सच में हर्षा इस बच्चे को अपनी कोख में हीं मार देंगी? क्या कभी से पता चलेगा उसके बच्चे पिता के बारे में? क्या कभी उसे पता चलेगा उसकी प्रेगनेंसी का राज। जानने के लिए पढ़ते रहे ।



    यार डियर रीडर्स मैं यह स्टोरी बहुत ही मन से लिख रही हूं अपनी हर एक फीलिंगके साथ। शायद बहुत सी गलतियां हुई है तो माफ कर देना क्योंकि मैं शायद अच्छी राइटर नहीं हूं पर मैं पूरी कोशिश कर रही हूं कि मैं अपना बेस्ट दू।

    तो आप लोग प्लीज सपोर्ट करो और जितना हो इस नॉवेल को शेयर करो और लाइक कमेंट करो प्लीज आपका छोटा सा सपोर्ट चाहिए 🙂🙂

  • 5. Pregnant by Mafia - Chapter 5

    Words: 1865

    Estimated Reading Time: 12 min

    अब तक....

    कोई आपकी हर्षी पर गंदी नजर डालता भी नहीं और यह सब होता भी नहीं । मैं सच बोल रही हूं मां मुझे कुछ नहीं पता यह सब कैसे हुआ और आप लोगों को विश्वास है ना अपनी हर्षी पर मैंने कुछ गलत नहीं किया है।

    उसने तकिया को अपने सीने से लगाया और फफक कर रो पड़ी। उसका रोना शांत करने वाला भी कोई नहीं था। रोने की वजह से और पूरा दिन काम करने की वजह से वह बुरी तरह थक चुकी थी और ऐसे भी वह इस वक्त प्रेग्नेंट थी तो उसे थकावट कुछ ज्यादा ही महसूस

     हो रहे थे उसे नींद आ गई। उसे खुद भी नहीं पता चला की रोते-रोते कब वह सो गई।

    अब आगे .....

    अगले दिन वह सुबह जल्दी उठ गई और तैयार हो कर नाश्ता भी बना दिया। उसने सब को नाश्ता दे दिया । और फिर अपना कॉलेज बैग उठा कर जाने लगी तभी संध्या जी ने थोड़ा कठोर लहजे में कहा अरे ओ निकम्मी।

    ऐसे ही मत जा किचन मैं जो बर्तन है उन्हें साफ कर तब जाना कॉलेज। वही शारदा जी जो नश्ता करने टेबल पर बैठी हुई थी वह धीरे से बोली संध्या पर उसे कॉलेज जाने के लिए देर हो रही है।



    वही संध्या जी ने कटाज भरे लहजे में कहा,, तो मैं क्या करूं अगर इसे यहां पर रहना है तो काम करना पड़ेगा मैं एक ही बात रोज-रोज नहीं बोलूंगी।



    और ऐसे भी आपकी पोती कॉलेज जाकर कुछ बड़ा नहीं करने वाली कुछ टाइम बाद इसकी शादी हो जाएगी इसे अपने घर जाकर झाडू पोछा हि करना है । अफसर नहीं बन जाएगी पढ़ लिखकर।



    उन्होंने अपना मुंह बनाकर कहा। वही हर्षा को बहुत बुरा लगा उसके दिल में यह बात चूभ गई उसकी तो रोज की आदत थी सब सुनने की। रोज वह ऐसे ही तने खाती थी।



    उसने अपनी चाची को कहा, जी चाची ठीक है। उसने अपना बैग धीरे से रखा और किचन की और बढ़ गई। वही शारदा जी बेबी से अपनी छोटी सी बच्ची को देखते रह गई।



    उन्होंने संध्या को कहा, संध्या बहू वह छोटी है अभी वह तो सारे काम करती है ना घर के अभी उसके कॉलेज जाने का टाइम है जान देती हूं उसे थोड़ा खुद कर लेती।



    कोई संध्या जी गुस्से में खड़ी हो गई। और बोली, देखिए माझी इस मामले में आप ना पड़े तो अच्छा है ऐसे भी आपके बड़े बेटे की बेटी को हम पाल रहे हैं ना इतना ही बहुत है।



    पालने के साथ-साथ पढ़ा भी रहे हैं। सारी जिम्मेदारी तो उठा रखी है ना हमने अब वह घर का काम भी ना करें क्या। शारदा जी चुप हो गई वह कुछ बोल नहीं सकती थी अब आखिर वह सही तो बोल रही थी।



    उसने पाल पोस कर बड़ा किया उसे पढ़ भी रहे हैं जिम्मेदारी उठा रखी है उसकी। उन्हें बुरा भी लगता था हर्षा के साथ ऐसा व्यवहार होता देख।



    करीब आधे घंटे बाद हर्षा बर्तन धोकर बाहर आई। अब वहां पर बस शारदा जी की हर्षा ने अपना बैग उठाया और बोली, दादी मां मैं जा रही हूं।



    शारदा जी ने बस सर हिला दिया। वही हर्षा बहुत थकी थकी लग रही थी क्योंकि वह प्रेग्नेंट भी थी और काम भी कर रही थी इस हालत में प्रेगनेंसी की वजह से उसे थकान काफी ज्यादा हो जाती थी और बहुत ही जल्दी हो जा रही थी।



    पर वह किसी को कुछ बोल भी नहीं सकती थी कितनी बुरी किस्मत थी बिचारी की पहले ही मां-बाप का हाथ सर पर नहीं था ऊपर से घर में चाचा के ताने पहले ही मुसीबत उसके सर पर कम थी जो अभी यह बच्चा भी आ गया था।



    उसने गहरी सांस छोड़ी और फिर धीमे कदमों से घर से बाहर निकाल गई वह सड़क पर चुपचाप से चले जा रही थी उसका एक हाथ पेट पर था।



    उसने अपने मन में कहां आज मैं डॉक्टर के पास चली जाऊंगी किसी को फिर कुछ पता भी नहीं चलेगा और फिर कोई मेरी दादी के संस्कारों पर मम्मी पापा के संस्कारों पर उंगली नहीं उठाएगा।



    फिर उसने अपने पेट को जोर से पकड़ा और अपने मन में कहां हम जानते हैं बच्चा हम बहुत गलत कर रहे हैं आपके साथ, पर मैं मजबूर हूं‌।



    मैं जानती हूं मैं बहुत बड़ा पाप करने जा रही हूं आप तो इस दुनिया में भी नहीं आए हो फिर भी ,आपकी जान लेने जा रही हूं माफ कर देना मुझे,।



    और भगवान जी आप भी माफ कर देना पर अपने हि ऐसी problem लाई हैं, उसने ऊपर आसमान में देखा उसकी आंखें डबडबा गई उसकी आंखों से आंसू आ गए।



    फिर उसने खुद को संभाला और फिर आटो लिया। कुछ देर बाद वो अपने college में आईं। वो अपना सर झुका कर चुपचाप से अपनी सीट पर आकर बैठ गई वहा पहले से ही स्नेहा थी।



    स्नेहा ने उसे देखा और धीरे से बोली , जितना लेट कैसे हो गया और इतनी थकी क्यों लग रही है तू तेरी तबीयत तो ठीक है ना उसने चिंता करते हुए कहा।



    फिर वह कुछ सोचते हुए कहां, क्या तेरी चाची ने कुछ कहा या काम करवाया तुझसे । हर्षा ने बस शांति से उसकी तरफ देखा और कुछ कहानी उसकी आंखों में एक अजीब सा तूफान था।



    स्नेहा उसे देखकर समझ गई कुछ ना कुछ हुआ है उसने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहां, सब ठीक हो जाएगा लंच ब्रेक में हम छुट्टी लेकर हॉस्पिटल चलेंगे ठीक है।



    हर्षा ने सर हिला दिया। ऐसे ही करके लंच टाइम भी हो गया लंच टाइम में वह दोनों छुट्टी लेकर कॉलेज के बाहर आए। स्नेहा ने हर्षा को देखा और उसका हाथ पकड़ते हुए कुछ नहीं होगा सब ठीक हो जाएगा।



    फिर वह दोनों हाथों में बैठकर क्लीनिक के लिए निकल गये।



    क्लीनिक में...



    हमने वही डॉक्टर लेडी बैठी हुई थी उन्होंने कहा, मिस हर्षा अब शोर है कि आपको यह बेबी नहीं चाहिए। हर्षा उलझन में थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्या ना करें।



    वह कुछ बोल नहीं पाई। तो डॉक्टर ने कहा अच्छा ठीक है पहले हमें आपका चेकअप करना होगा कि आपकी बॉडी अबॉर्शन के लिए रेडी है या नहीं।



    हर्षा ने स्नेहा की तरफ देखा। स्नेहा ने उसके कंधे पर हाथ रखकर हल्का थपथपाते हुए अपनी पलके झपका दी जैसे कि सब ठीक है।



    हर्षा ने भी गहरी सांस छोड़ी और अपनी आंखें बंद कर ली। वही डॉक्टर ने कहा चलिए हमारे साथ। वह स्नेहा ने कहा, डॉक्टर क्या मैं भी आपके साथ आ सकती हूं प्लीज जब तक इनका चेकअप हो रहा है तब तक। स्नेहा ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा।



    डॉक्टर लेडी ने कहा, ओके आ जाइए। स्नेहा हर्षा के साथ डॉक्टर के पीछे-पीछे चलने लगी। हर्ष धीरे कदमों से आगे बढ़ रही थी वह अपने हाथों में हाथों को उलझा रही थी।



    कुछ देर बाद हर्षा हॉस्पिटल बेड पर लेटी हुई थी वही डॉक्टर चेकअप कर रही थी। सारे चेकअप करने के बाद डॉक्टर ने कहा एवरीथिंग इस फाइन सब कुछ ठीक है।



    पर क्या आखिरी बार आप बच्चे की धड़कन सुनना चाहोगी और उसे देखना चाहोगी। डॉक्टर ने बड़े ही प्यार भारी लहजे कहां।



    हर्षा ने स्नेहा की तरफ देखा स्नेहा ने हर्षा की तरफ। दोनों एक दूसरे को आपस में देखने लगे और फिर हर्षा आने डॉक्टर की तरफ देखा।



    डॉक्टर ने कहा, क्या आप देखना चाहोगी। हर्षा कुछ सोचते हुए हां बोल देती है।



    उसकी बात सुन डॉक्टर ने सारा इंतजाम किया और फिर एक छोटी सी स्क्रीन की तरफ इशारा करते हुए कहा देखिए यह है आपका बच्चा।



    हर्षा ने उसे स्क्रीन की तरफ देखा जहां पर ब्लैक - ब्लैक दिखाई दे रहा था बिल्कुल छोटा सा। जिसे देख हर्षा की आंखों से कुछ गुर्जर सा गया।



    उसका दिल जैसे एक पल के लिए रूक सा गया वह लगातार स्क्रीन की तरफ देखे जा रही थी यह समझ पाना मुश्किल था कि उसके दिल में चल क्या रहा है।



    वही डॉक्टर ने फिर उसके पेट में एक मशीन लगाई और फिर एक सिरा अपने कान में लगाया और दूसरा उसके। मशीन में धड़कन की आवाज सुनाई देने लगी।



    अनजाने में ही हर्षा के कांपते हुए हाथ अपने कान से लग गए जैसे वह सुनना चाहती हो इस आवाज को उसकी आंखों से पानी बह गया अपनी आंखें बंद कर ली सुकून से।



    उसके होंठ हल्का-हल्का सीवर करने लगे। वही डॉक्टर ने कुछ पल बाद वह मशीन हटा ली और बोली, सब कुछ ठीक है‌।



    वैसे तो आप बहुत छोटी हैं बट कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी अबॉर्शन में पर मैंने सोचा कि एक बार सब कुछ सही से चेकअप कर लूं पर अब सब कुछ जब सही है तो अबॉर्शन।



    वह बोल ही रही थी तभी अचानक हर्षा ने रूंधे गले से दबी हुई आवाज में कहा नहीं करना। स्नेह और डॉक्टर उसे हैरत से देखने लगे।



    हर्ष की आंखों से आंसू अभी बह रहे थे वह धीरे-धीरे मुश्किल से उठ कर बैठी उसने अपना हाथ अपने पेट पर रख लिया और थरथराते होठों से कहां मुझसे नहीं होगा।



    मैं ऐसे कैसे इस मासूम से बच्चे की जान ले लूं इसकी क्या गलती है यह तो अभी अच्छे से बना भी नहीं है ना की कैसे मार दूं मैं मुझसे नहीं होगा यह पाप।



    मुझसे नहीं होगा । मैं नहीं कर सकती वह कांपते हुए बोली। वो रोने लगी। से देख स्नेहा तुरंत उसके पास आई और उसे सीने से लगा लिया और उसके बाल को सहलाने लगी उसे शांत करने की कोशिश करने लगी।



    और बोली कोई जबरदस्ती नहीं है हर्षा तुझे जैसा लगता है तू वैसा कर। मैंने कहा ना मैं तेरे हर फैसले में तेरे साथ हूं तुझे अगर यह बच्चा नहीं चाहिए तो भी मेरे साथ तो अगर चाहिए तो भी मैं साथ हूं।



    वही हर्षा ने भी उसकी कमर पर अपने हाथ लपेट लिए और रोते हुए बोली मुझसे नहीं होगा स्नेहा। वही डॉक्टर ने कहा आप लोग पहले डिसीजन ले लीजिए कि आपको क्या करना है आपको यह बच्चा चाहिए या नहीं।



    वही स्नेहा उससे थोड़ा दूर हुई। स्नेहा उसकी तरफ देखने लगी जैसे पूछना चाह रही हो कि आखिर क्या डिसीजन है उसका।



    वही हर्षा ने स्नेहा को देखा। और फिर उसने डॉक्टर की तरफ देखा उसकी आंखों में आंसू थे उसके होंठ अब भी थरथरा रहे थे।



    उसने बड़ी ही मुश्किल से बोलने की कोशिश करते हुए कहा मैं ऐसा नहीं कर सकती यह बच्चा तुम मेरी वजह से इस दुनिया में आ रहे हैं ना मेरे भरोसे।



    मैं कैसे मार दूं उसे उसकी कोई गलती नहीं है, इसमें मैं नहीं मार सकती मैं नहीं मार सकती वह फफक कर रो पड़ी। डॉक्टर ने शांत और नर्मा आवास में कहा मिस हर्षा आप शोर हो कि आपको यह बच्चे चाहिए।



    हर्षा ने गहरी सांस ली और अपने आंसुओं को साफ करते हुए कहा मैं शोर हूं पूरी शोर

     मुझे ये बेबी चाहिए। उसने हिम्मत दिखाते हुए अपनी आवाज को मजबूत करते हुए थोड़ी ऊंची आवाज में कहा।

    To be continue.......

    हर्षा का लिया हुआ यह फैसला सही हैं। पर कैसे संभालेगी आगे वह इस बच्चे को ? और कब तक छुपा पाएगी वह अपने बच्चों का राज अपने परिवार वालों से ? सही सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़ते रहें। 



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