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आन्या के कॉल पर हुई बात सुनने के बाद विनम्र परेशान हो गया था और उस आदमी के बारे में सोचने लगा था जिससे आन्या बात कर रही थी। उसे उस आदमी के बारे में जानना अत्यंत महत्वपूर्ण था, मगर अभी उसे यहां से बाहर निकलना था ताकि वह संयोगिता और शंभू के बारे में भी देख सके कि उन दोनों के साथ क्या हो रहा है। विनम्र ने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया और अचानक एक ऐसा भ्रम पैदा किया जैसे दरवाज़ा खोलकर एक सिक्योरिटी एडवाइज़र आया हो। सिक्योरिटी एडवाइज़र ने दरवाज़ा खोला और सीधे विनम्र की ओर देखते हुए कहा, “मुझे एक सैनिक की ज़रूरत है, इस कमरे में से। यह लड़का, तुम मेरे साथ चलो।” विनम्र ने सिर हिलाया और फिर सिक्योरिटी एडवाइज़र के साथ बाहर चला गया। जैसे ही वह बाहर गया, उसने देखा कि बाहर अभी भी काफ़ी सारे सैनिक खड़े थे और वे दरवाज़े के सामने एक लाइन बनाकर खड़े थे। जो ब्रह्म विनम्र ने कमरे के अंदर बनाया था, वह बाहर आते ही बदल गया और अब वह खुद आन्या के रूप में सामने आ रहा था। विनम्र के लिए यह सब काफ़ी मुश्किल था क्योंकि वह अपने भ्रम को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पा रहा था। आन्या ने गहरी साँस लेते हुए कहा, “मुझे फ़ोकस बनाए रखना होगा क्योंकि एक बार मेरा फ़ोकस चला गया, तब शायद इन लोगों को पता चल जाएगा कि यहां पर क्या हो रहा है। मैं बड़ी मुश्किल से खुद पर नियंत्रण कर पा रहा हूँ और मुझे इसी तरह से खुद पर नियंत्रण बनाए रखना होगा।” विनम्र लिफ़्ट तक पहुँचा और फिर लिफ़्ट का बटन दबाया जिससे लिफ़्ट का दरवाज़ा खुल गया और फिर वह लिफ़्ट के अंदर चला गया। लिफ़्ट के अंदर जाते ही विनम्र ने अपने चेहरे को बदल दिया और एक सैनिक के रूप में आ गया। फिर उसने थोड़ा सा सोचा और दोबारा अपने कपड़े बदल दिए और उसे सिक्योरिटी ऑफ़िसर्स की वर्दी पहने हुए दिखाई देने लगा जो यहाँ पर प्रेसिडेंट के राइट हैंड के साथ आए थे, मगर विनम्र को यह भी ठीक नहीं लगा, तो उसने खुद को तुरंत फिर से बदल दिया और दोबारा सैनिक बन गया। विनम्र इस बारे में सोच रहा था कि दरवाज़ा खुलने पर उसका सामना किससे होगा, क्योंकि अगर उसका सामना सिक्योरिटी एडवाइज़र से हुआ, तो वह तुरंत समझ जाएगा कि विनम्र में कोई गड़बड़ है क्योंकि वह एकदम से ऊपर से नीचे नहीं आ सकता और ना ही ऐसा कोई आदेश मिला है। जैसे ही विनम्र ने लिफ़्ट का दरवाज़ा खोला, ठीक सामने सिक्योरिटी एडवाइज़र ही था जिसकी पीठ फ़िलहाल विनम्र की ओर थी। वह किसी और आदमी से बात कर रहा था और उसे गुस्से से कह रहा था, “तुमने क्या कहा? सीसीटीवी कैमरा देखने के लिए मैं आया था, लेकिन मैं नहीं आया था। यह क्या बकवास मेरे साथ कर रहे हो? लगभग पिछले तीन घंटे से मैं नीचे ही नहीं आया, फिर मैं तुम्हारे कमरे में आकर कैसे कैमरा देखकर वापस जा सकता हूँ?” फिर पास खड़े लड़के ने कहा, “सर, आप जो मुझे कह रहे हैं, मुझे वह सब समझ में नहीं आ रहा है। मैं तो ऊपर गया ही नहीं, फिर मैं आपको कैसे आकर बेवकूफ़ बनाने जैसी बातें कह सकता था? यह इल्ज़ाम आप मुझ पर गलत लगा रहे हैं।” सिक्योरिटी एडवाइज़र ने उस लड़के की ओर गुस्से से देखा और कहा, “तो तुम्हें लग रहा है मैं तुमसे झूठ बोल रहा हूँ? तुम मुझे यह बताओ, मुझे तुमसे झूठ बोलने की भला क्या ज़रूरत पड़ेगी? तुम जैसे दो कौड़ी के इंसानों के लिए मैं इतना नहीं गिर सकता हूँ। बात तुम्हें समझ में आ गई?” विनम्र को समझ में आ गया था कि उसका पर्दाफ़ाश होने वाला है क्योंकि धीरे-धीरे सभी लोगों को पता चल रहा था कि यहां पर क्या गड़बड़ हो रही है। सिक्योरिटी एडवाइज़र ने कहा, “ठीक है, चलो अभी के अभी मुझे सारे सीसीटीवी कैमरे दिखाओ। मैं देखता हूँ यहां पर क्या हो रहा है?” जल्दी से सभी लोग सीसीटीवी कैमरों के कमरे में चले गए ताकि वहाँ से वीडियो देख सकें और जैसे ही वे गए, आन्या ने सैनिक के तौर पर बाहर का रास्ता पकड़ लिया। बाहर पहुँचते ही उसने देखा कि जहाँ पर भी सैनिकों का पहरा लगा हुआ था और वे बाहर जाने वाले रास्ते को बंद किए हुए थे, मगर आन्या ने दरवाज़े को पार करते ही सिक्योरिटी एडवाइज़र को रोक लिया था ताकि वह जल्दी से बाहर जा सके। किसी की हिम्मत सिक्योरिटी एडवाइज़र को ना तो रोकने की हो रही थी और ना ही बात करने की। विनम्र ने काफ़ी जल्दी से और बिना किसी परेशानी के इस दरवाज़े को पार कर गया और फिर जैसे ही वह बाहर आया, उसने एक और इंसान का रूप ले लिया जो कोरियन लड़के की तरह दिख रहा था ताकि अब वह सुरक्षित रेस्टोरेंट तक पहुँच सके। उधर, सिक्योरिटी एडवाइज़र जब कैमरों की ओर देख रहा था, तो उसे हैरानी हो रही थी क्योंकि उसने देखा कि दरवाज़ा खोलने वाला कोई नहीं था और ना ही वह जिससे बात कर रहा था, वहाँ पर कोई खड़ा था, मगर फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी से बात कर रहा हो और ऐसा ही कमरे में हुआ था। सिक्योरिटी एडवाइज़र को समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। उसने अपने बालों में हाथ फेरा और कहा, “आखिर यह सब क्या है? क्या कोई हमारे साथ खेल खेल रहा है? हमारे दिमाग के साथ? मगर कोई किसी के दिमाग पर कैसे नियंत्रण कर सकता है?” वहीं विनम्र रेस्टोरेंट तक पहुँचा तो वहाँ पर संयोगिता और शंभू दोनों उसके आने का इंतज़ार कर रहे थे, मगर दोनों ने उसे पहचाना नहीं। हाँ, विनम्र ने संयोगिता को पहचाना नहीं था, हालाँकि वह शंभू को पहचान गया था। विनम्र उनके पास पहुँचा और बोला, “अगर तुम शंभू हो, तो यह संयोगिता होगी?” उसने यह लाइन हिंदी में कही थी ताकि संयोगिता इस लाइन को समझ सके। संयोगिता ने सिर हिलाया और इस बात को समझते हुए बोली, “हाँ, यह मैं ही हूँ। तुमने आने में काफ़ी देर लगा दी। अब मुझे बताओ, कुछ पता चला भी या फिर नहीं?” विनम्र ने उसे सारी बातें बता दीं और बताया कैसे आन्या एक कठिन सुरक्षा के अंदर है और कैसे वह एक और आदमी के साथ बात कर रही है जो उसके लिए मिस्ट्री बन गया है। जिसे सुनकर संयोगिता को हैरानी हुई और साथ में शंभू को भी। शंभू ने कहा, “अब हम क्या करेंगे?”
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