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My Rude Professor

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Soumya Tripathi

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एक ऐसी लड़की की कहानी है ये जिसके पास सब कुछ था, मगर कुछ भी नहीं 🥹 जिंदगी के सफर में उसे बहुत सारे धोखे मिले और बहुत सारी तकलीफ भी | जिसे उसने अपना समझा था वही उसके सबसे बड़े दुश्मन बन गए 🥺 हर जगह से टूट जाने के बाद उसके इस तकलीफ भरे सफर में एक ऐ...

Total Chapters (91)

Page 1 of 5

  • 1. My Rude Professor - Chapter 1

    Words: 688

    Estimated Reading Time: 5 min

    कहानी की शुरुआत एक बहुत बड़े और नामी कॉलेज से होती है। कॉलेज के प्रिंसिपल के ऑफिस में चार बच्चे खड़े थे, प्रिंसिपल की बातें सुन रहे थे।

    वैसे तो उनमें से किसी को भी प्रिंसिपल सर की बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वे सब बिना दिलचस्पी लिए उनकी बातें सुन रहे थे; या यूँ कह लें कि वे पूरी तरह उनकी बातों को नज़रअंदाज़ कर रहे थे।

    प्रिंसिपल इन चार बच्चों के बैकग्राउंड को जानते थे। वे चारों बच्चे बहुत ही पैसे वाले घराने से थे और साथ ही उनके बाप इस कॉलेज के इन्वेस्टर थे, इस कॉलेज के हिस्सेदार थे।

    उन चार बच्चों में से 1 का नाम इशिका, 2 का नाम सानवी, 3 का नाम रूआन और 4 का नाम तनय था। जिनमें से सबसे अच्छा बैकग्राउंड रूआन और इशिका का था।

    प्रिंसिपल उन चार बच्चों को समझाते हुए बोले, "मुझे अच्छे से पता है कि आप चारों बच्चों का ग्रुप ही सबसे ज़्यादा बदमाश है पूरे सेकंड ईयर क्लास में। अब आप लोग कोई छोटे बच्चे नहीं हैं जिन्हें पनिशमेंट देकर पढ़ाया जाए। मैंने जितने भी प्रोफेसर आप लोगों को पढ़ाने के लिए हायर किए, आप लोगों ने मिलकर सबको इतना परेशान कर दिया कि अब कोई भी प्रोफेसर आपकी क्लास में पढ़ाने के लिए नहीं आना चाहता।"

    "इसलिए अब मैं एक नए प्रोफेसर को हायर कर रहा हूँ जो आज आप लोगों का डेमो क्लास लेंगे।" जैसे ही इशिका यह सुनती है, उसका शरारती दिमाग तुरंत ही नया प्लान बनाने लगता है। वह अपने अगल-बगल के बच्चों को देखकर हल्का सा मुस्कुराती है।

    "इस बार अगर कोई भी शिकायत मुझे उस प्रोफेसर से आई तो बिल्कुल अच्छा नहीं होगा। क्योंकि यह प्रोफेसर अब तक के सारे प्रोफेसर से बहुत अलग है। अगर आप लोगों की कोई भी बदमाशी उन्हें नज़र आई तो वे खुद ही आप लोगों को पनिश करेंगे।"

    "नाउ गो बैक टू योर क्लास।"

    तो बच्चे जैसे ही प्रिंसिपल के ऑफिस से बाहर आते हैं, वे आपस में देखकर हँसना शुरू कर देते हैं, जैसे प्रिंसिपल की डाँट से उन्हें जरा भी फर्क ना पड़ा हो।

    इशिका तीनों बच्चों को समझाते हुए कहती है, "गाइस, मेरे पास एक मस्त प्लान है हमारे नए प्रोफेसर के स्वागत के लिए।" और यह बोलकर वह जोर-जोर से हँसना शुरू कर देती है।

    रूआन उसकी बात में दिलचस्पी दिखाते हुए कहता है, "हाँ हाँ, बताइए कौन सा नया साजिश बना लिया आपने?"

    सानवी और तनय भी उसकी बात को बहुत गौर से सुनते हैं।

    इशिका कहती है, "तो सुनो, किसी भी प्रोफेसर को सबसे ज़्यादा गुस्सा किस बात पर आता है?"

    सारे बच्चे उसकी बात सुनकर सोच में पड़ जाते हैं।

    इशिका उन लोगों को बताते हुए कहती है, "जब हम प्यारे बच्चे प्रोफेसर की इज़्ज़त नहीं देते, उनकी बात नहीं मानते, तो चोट सीधा उनके दिल पर और उनके स्वाभिमान पर लगती है। तो बस यही चोट हमें उन्हें देनी है। इतने बुरे तरीके से उनकी बेइज़्ज़ती करनी है कि वे खुद ही कॉलेज छोड़कर भाग जाएँ।"

    सारे बच्चे इशिका की बात पर अपना सिर हाँ में हिलाते हैं।

    इशिका कहती है, "क्लास में सबको यह रूल समझाना पड़ेगा, चलो।"

    सानवी इशिका से पूछती है, "क्या सब लोग हमारी बात मानेंगे?"

    इशिका बड़े ऐटिट्यूड में कहती है, "इशिका सहगल की बात ना माने की हिम्मत आज तक किसी में हुई है?"

    रूआन उसकी बात सुनकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है, "ये तो सच है।"

    इशिका को किसी के भी टच अपने शरीर पर पसंद नहीं थे। वह रूआन का हाथ झटके से अपने कंधे से हटाते हुए कहती है, "स्टे अवे, दूर रहा करो मुझसे।"

    रूआन किसी गुलाम की तरह अपना सर उसके सामने झुकाते हुए कहता है, "जी साहिबा।"

    आगे क्या होने वाला है, और कैसे करेंगे वे आने वाले प्रोफेसर की इंसल्ट? क्या भगा पाएँगे इस प्रोफेसर को भी कॉलेज से या फिर यह प्रोफेसर बाकीयों से अलग होंगे?

  • 2. My Rude Professor - Chapter 2

    Words: 536

    Estimated Reading Time: 4 min

    इशिका की योजनाएँ जबरदस्त थीं। उसके तीनों दोस्त उसके साथ कक्षा में पहुँच गए।

    इशिका जानती थी कि अगर उसने पूरे कक्षा में कोई आदेश दिया, तो उसके ख़िलाफ़ जाने की हिम्मत किसी में नहीं होगी। वह कक्षा के पोडियम के पास पहुँची।

    "सुनो सब," इशिका बोली, "प्रिंसिपल सर ने हमारी कक्षा को हैंडल करने के लिए, या यूँ कह लें कि हमारी बदमाशियाँ हैंडल करने के लिए, एक सख्त प्रोफ़ेसर को हायर किया है।"

    वह हँसने लगी। 😅

    सारे बच्चे भी उसका साथ देने लगे और हँसने लगे, क्योंकि सबको पता था कि ऐसे बहुत सारे प्रोफ़ेसर आए और गए, मगर उनकी बदमाशियाँ कहाँ कम होने वाली थीं!

    "अच्छा-अच्छा, चुप रहो!" इशिका बोली, "अभी मेरी बात ध्यान से सुनो। अब इसमें प्रोफ़ेसर के स्वागत के लिए कोई नया इंतज़ाम तो करना पड़ेगा ना।"

    "हाँ, बिल्कुल!" सारे बच्चे चिल्लाते हुए बोले।

    "अगर वह प्रोफ़ेसर के आते ही उनकी घोर बेइज़्ज़ती हो जाए, तो क्या वे और ज़्यादा दिन रुकना चाहेंगे?" इशिका ने कहा। 😂

    सारे बच्चे समझ गए कि इशिका की क्या योजना है।

    इशिका अभी भी पोडियम के पास खड़ी थी। वह सबसे पहले अपनी योजना बताते हुए बोली, "1. उनके आने पर एक बड़ा धमाका होना चाहिए। उनके वेलकम के लिए थोड़ा पटाका का इंतज़ाम हो जाए तो मज़ा ही आ जाए।"

    इस बात पर सारे बच्चे हूट करने लगे। 🥳

    और उसने अपने कक्षा के दो लड़कों को प्रोफ़ेसर के स्वागत का सामान मँगवाने के लिए भेज दिया।

    सारे बच्चों में से एक लड़की, जिसका नाम सेजल था, उसने इशिका से पूछा, "और अगर फिर भी सर हमें डाँटकर पढ़ना शुरू कर दिए तो...?" 🤔

    इशिका ने अपनी दूसरी योजना बताते हुए कहा, "2. कोई भी उन पर ध्यान नहीं देगा। हम उन्हें इस तरह नज़रअंदाज़ करेंगे जैसे वे हमें दिखाई ना दे रहे हों।"

    "3. वे जैसा-जैसा कहेंगे, हम बिल्कुल उसका उल्टा करेंगे।" 😅

    "इतनी बेइज़्ज़ती के बाद क्या कोई ऐसे बच्चों को पढ़ाना चाहेगा?"

    "नहीं........." सारे बच्चे चिल्लाते हुए बोले और हँसने लगे। 😂

    इशिका अब जाकर सानवी के बगल में आकर बैठ गई। सानवी ने इशिका से कहा,

    "कहीं ऐसा ना हो कि पटाखे की आवाज़ से हमारे बूढ़े प्रोफ़ेसर का दिल ना बैठ जाए।"

    इशिका ने सानवी को बताया, "मैं कल अपने पापा की फ़ोन पर हो रही बात सुनी थी, उससे पता तो यही चल रहा था कि प्रोफ़ेसर अभी कम उम्र के हैं।"

    सानवी ने इशिका से कहा, "बहन, ज़्यादा हैंडसम हुए तो 😒 फिर तो बेचारे डर जाएँगे ना.. 🥺"

    इशिका ने अपने हाथ से उसके सर पर धीरे से मारते हुए कहा, "हँ बहन, तू इश्क़ लड़ा ले पहले। 🤧"

    सानवी ने उसकी बात थोड़ा चिढ़ते हुए कहा,

    "अगर सच में देखने में ज़्यादा हैंडसम हुए, तो बहन मुझे अपने प्लान से निकाल दे... फिर मैं ना जाने दूँगी उन्हें इस कॉलेज से।" 😌

    आइये जानते हैं आखिर क्या होने वाला है आने वाले प्रोफ़ेसर के साथ, क्या टिक पाएँगे वे इस कॉलेज में? 🧐

  • 3. My Rude Professor - Chapter 3

    Words: 601

    Estimated Reading Time: 4 min

    कॉलेज की तीसरी घंटी बजने पर पूरे सेकंड ईयर सेक्शन-B में हलचल मच गई। क्लासरूम में बच्चे बेंचों पर बैठे थे, लेकिन सबका ध्यान दरवाज़े की तरफ था। वजह साफ़ थी—आज नए प्रोफेसर आने वाले थे। और जब तक कोई नया आता है, तब तक उसके साथ मस्ती करना तो स्टूडेंट धर्म है!

    सबसे आगे वाली बेंच पर रुआन और तनय बैठे थे। रुआन अपनी नोटबुक के कोने में प्रोफेसर की काल्पनिक तस्वीर बना रहा था—बड़े चश्मे, टेढ़े बाल और एक बड़ी सी मूंछ।

    "देख तनय, ऐसे लगेंगे प्रोफेसर। बिलकुल पुराने ज़माने के डिटेक्टिव टाइप।"

    तनय ने हँसते हुए कहा, "या फिर जैसे कोई बोरिंग सीरियल का विलेन। बस अब डायलॉग की कमी है—'मैं तुम्हें पढ़ा-पढ़ा कर थका दूंगा!'"

    पीछे वाली बेंच पर, क्लास की सिरफिरी क्वीन—ईशिका—एकदम मिशन मूड में थी। उसके बगल में उसकी पक्की साथी, सान्वी, बैठी थी, जो हमेशा उसके प्लान में शामिल होती थी, लेकिन हर बार पछताती भी थी।

    "सान्वी, तुझे तो पता है ना, नये प्रोफेसर को डराना हमारा रिवाज है," ईशिका ने कान में फुसफुसाते हुए कहा।

    "पर ईशु, इस बार पटाखे?" सान्वी ने आँखें फैलाते हुए पूछा।

    "हाँ! बिलकुल...छोटे वाले हैं, बम थोड़ी है। जैसे ही वो क्लास में आएंगे, दरवाज़े के पास रखा पटाखा बूम!"

    सान्वी ने माथा पीट लिया। "कहीं कोई सस्पेंड ना कर दे यार…"

    "अरे, तू बस देखती जा। पूरी क्लास के सामने बवाल मचने वाला है!" ईशिका ने मुस्कराते हुए झुककर दरवाज़े के पास पटाखों की डोरी चेक की।

    सारा क्लास धीरे-धीरे शांत हो गया। दरवाज़े के बाहर फुटस्टेप्स सुनाई देने लगे। सबकी नजरें एक साथ दरवाज़े पर टिक गईं।

    "आ गया नया प्रोफेसर!" रुआन ने धीरे से कहा।

    "अब होगा पटाखा प्रहार," ईशिका ने कमर सीधी करते हुए अपने अंदर के 'पंकज त्रिपाठी' को बाहर निकाला।

    लेकिन जैसे ही दरवाज़ा खुला, सबकी साँसें अटक गईं। सामने से एक लंबे कद, स्मार्ट लुक वाले, परफेक्ट फिटेड शर्ट में बेहद हैंडसम आदमी क्लास में कदम रखते हैं। उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान, बाल एकदम सिल्क की तरह सेट और चाल ऐसी जैसे किसी फिल्म के हीरो की हो।

    पटाखा तो फूटा… लेकिन क्लास में नहीं।

    असल धमाका हुआ पीछे, जब प्रोफेसर के बजाय प्रिंसिपल साहब अंदर दाखिल हुए।

    "ब…ब…बोम्ब!" प्रिंसिपल ने चिल्लाते हुए कुर्सी के पीछे छलांग लगाई।

    पटाखे फूटे, आवाज़ गूंजी, और क्लास में सन्नाटा छा गया।

    प्रिंसिपल साहब ज़मीन पर पड़े हुए थे, उनका चश्मा टेढ़ा और बाल हवा में उड़ चुके थे।

    ईशिका के चेहरे से सारा रंग उड़ गया।

    सान्वी ने धीरे से कहा, "बधाई हो… डराना था प्रोफेसर को, डरा दिया प्रिंसिपल को!"

    अगले ही पल, क्लासरूम के दरवाज़े पर असली प्रोफेसर प्रकट हुए। और जैसे ही उन्होंने क्लास में कदम रखा, लड़कियों की आँखों में सितारे चमक उठे।

    "ओह माय गॉड… ये तो हॉलीवुड वाला स्टाइल है!" सान्वी ने धीमे से कहा।

    ईशिका का मुँह खुला का खुला रह गया।

    रुआन ने तनय की ओर देखकर कहा, "भाई, ये तो विलेन नहीं… ये तो हीरो निकले!"

    तनय बोला, "लगता है इस सेमेस्टर की क्लास interesting होने वाली है…"

    रुआन उससे कहता है, "क्लास तो होगी interesting मगर शायद पढ़ने के लिए हम लोग नहीं रहेंगे…"

    तनय, भौवे चढ़ाते हुए पूछता है, "और वह क्यों भाई?"

    रुआन, निराश होते हुए कहता है, "प्रिंसिपल सर के मुँह पर पटाखा फोड़ दिया, तुझे लगता है कि वह हमें इस कॉलेज में रहने देंगे…"

    रुआन और तनय, जिनकी आँखों में पूरी तरह से निराशा छाई हुई थी, वह दोनों मुड़कर सान्वी और ईशिका को देखते हैं।

    अब क्या होने वाला था क्लास में..... 🥲

  • 4. My Rude Professor - Chapter 4

    Words: 761

    Estimated Reading Time: 5 min

    पटाखे फूट चुके थे। क्लासरूम में धुआँ और सन्नाटा दोनों छा गए थे। सारे स्टूडेंट्स अपने-अपने चेहरों पर "अब तो गए काम से" वाला एक्सप्रेशन लिए एक-दूसरे को घूर रहे थे।

    बीचों-बीच ज़मीन पर गिरे हुए प्रिंसिपल साहब उठने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। उनके चेहरे पर काला धुआं ऐसे चिपका था जैसे किसी ने जानबूझकर चारकोल पोत दिया हो। बाल उनकी सामान्य ‘साइड-पार्टिंग’ से उठकर अब ‘फुल स्पाइक’ बन चुके थे। और उनकी आँखें—बस ऐसा समझिए कि एक काली बिल्ली के सामने दूध गिर गया हो।

    "ये… ये… किसने किया?" प्रिंसिपल साहब की आवाज़ किसी टूटे हार्मोनियम जैसी लग रही थी।

    उसी वक्त, क्लासरूम के दरवाज़े पर एक परछाईं फिर से दिखाई दी। और इस बार कोई धमाका नहीं हुआ—बल्कि एक गहरा सन्नाटा हुआ। क्लास में प्रवेश किया कॉलेज के नए प्रोफेसर ने।

    लंबे कद, चार्मिंग लुक, और सख़्त चेहरा। कदमों में ऐसा कॉन्फिडेंस कि जैसे पूरा कॉलेज उन्हीं की जागीर हो।

    उन्होंने पूरी सिचुएशन को एक नज़र में समझ लिया: धुआँ, सहमे हुए बच्चे, ज़मीन पर पड़े प्रिंसिपल। उन्होंने बिना कुछ कहे हाथ उठाकर पीछे खड़े दो कॉलेज गार्ड्स को इशारा किया।

    "इन्हें ऑफिस तक ले जाइए," उन्होंने शांत लेकिन ऑथॉरिटेटिव आवाज़ में कहा।

    गार्ड्स दौड़ते हुए आए और प्रिंसिपल साहब को पकड़कर बाहर ले गए। जाते-जाते प्रिंसिपल साहब ने गुस्से में कहा, "इस क्लास को देख लीजिएगा प्रोफेसर साहब… ये सबसे बदमाश बैच है!"

    अब क्लास में केवल सन्नाटा और प्रोफेसर की गहरी नज़रें बची थीं।

    उन्होंने क्लास के एक-एक स्टूडेंट्स को घूर कर देखा। ऐसा लग रहा था जैसे उनकी आँखों में एक्स-रे हो, और वो हर किसी की शरारत की फाइल स्कैन कर रहे हों।

    सबने घबरा कर निगाहें झुका लीं। रुआन, तनय, सान्वी—सब चुप। लेकिन एक थी जो अब भी अपनी जगह पर बेफिक्र बैठी थी—ईशिका। पीठ सीधी, चेहरा सामने, और आँखों में वही टेढ़ी मुस्कान।

    प्रोफेसर ने क्लास की खामोशी को तोड़ते हुए गहरी आवाज़ में कहा,
    "I think आप लोगों को 2nd क्लास के बच्चों से डिसिप्लिन सिख कर आना चाहिए।"

    "सिर्फ शरीर बड़े होने से, इंसान बड़ा नहीं हो जाता, दिमाग भी चाहिए होता है.. जो आप लोगों के पास काफी कम है.."

    जहाँ इशिका के ग्रुप और इस क्लास को प्रोफेसर की इंसल्ट करनी थी... वही प्रोफेसर तो खुद ही पूरे क्लास पर भारी पड़ रहे थे।

    प्रोफेसर की नज़र, जो काफी शांत मगर बहुत ही गहरी थी, अगर कोई बच्चा उनकी आँखों में देखता तो उसे अपने आप ही डर लगने लगता; जिसकी वजह से सारे बच्चे अपनी नज़रें नीचे झुका लेते थे।

    मगर अभी भी किसी भी बच्चे ने कुछ नहीं कहा था क्योंकि सबको इशिका का अगला ‘प्लान B’ याद था—कोई प्रोफेसर को greet नहीं करेगा। सब आपस में बातें करेंगे ताकि नया प्रोफेसर लगे कि कोई उसे सीरियसली नहीं ले रहा।

    चंद सेकंड तक प्रोफेसर सबको देखते रहे, फिर उनकी आवाज़ अचानक कड़क हो गई।

    “तो सुनिए… आप लोग सोच रहे हैं कि नये प्रोफेसर हैं, कुछ नहीं कहेंगे… पर आप गलत हैं। यह क्लास अब वैसी नहीं चलेगी जैसी आप चलाते आए हैं।”

    उनकी आवाज़ में ऐसा गुस्सा और वजन था कि खिड़की के बाहर बैठे कबूतर भी उड़ गए।

    “Discipline नाम की चीज़ अगर किसी को नहीं पता, तो मैं सिखाऊँगा। मेरा क्लासरूम मेरी शर्तों पर चलेगा। देर से आना, बदतमीज़ी, शोर-शराबा—इनमें से कुछ भी बर्दाश्त नहीं होगा। और अगर किसी को लगता है कि वो बड़ा स्टार है, तो कॉलेज के बाहर बहुत जगह हैं—YouTube, Instagram, और Reels पर जाइए। यहाँ सिर्फ पढ़ाई होगी।”

    इतना कहकर उन्होंने क्लास की तरफ दोबारा नज़र घुमाई। इस बार सबके चेहरों पर सिर्फ एक ही बात लिखी थी—सर, सॉरी!

    धीरे-धीरे तनय ने गर्दन उठाई और बोला, “गुड मॉर्निंग सर…”

    फिर रुआन, फिर सान्वी, फिर पूरी क्लास एक सुर में बोल पड़ी, “गुड मॉर्निंग सर!”

    सिवाय एक के।

    ईशिका अब भी वैसे ही बैठी थी। हाथों को मोड़कर, सिर थोड़ा टेढ़ा, और होठों पर हल्की सी मुस्कान।

    प्रोफेसर की नज़र उस पर पड़ी। बाकी क्लास अब उन्हें देख रही थी कि सर अब इस ‘एटीट्यूड क्वीन’ के साथ क्या करेंगे।

    लेकिन प्रोफेसर मुस्कराए नहीं, गुस्सा भी नहीं हुए। बस उसकी ओर देखकर बोले, “शायद आपको मेरे शब्द अभी भी हल्के लगे हैं।”

    ईशिका ने बिना डरे कहा, “नहीं, शब्द भारी थे। लेकिन इम्प्रेशन अभी बनना बाकी है।”

    प्रोफेसर एक पल के लिए चुप रहे, फिर बोले, “ठीक है। Challenge accepted.”

    फिर उन्होंने अपनी फाइल खोली, क्लास लिस्ट निकाली और बोले,

    “रोल कॉल शुरू करते हैं… और हाँ, जो भी absent रहेगा, उसका नाम रेड पेन से लिखा जाएगा।”

    पर ईशिका? उसके दिमाग में अब भी कुछ और चल रहा था। प्लान C…

  • 5. My Rude Professor - Chapter 5

    Words: 891

    Estimated Reading Time: 6 min

    “Relax कीजिए,” इस शांत आवाज़ ने सभी बच्चों के बीच का सन्नाटा तोड़ा।

    सभी की नज़रें उस एक इंसान पर टिक गईं जिसने आज की क्लास को उलट-पुलट कर रख दिया था।

    “मैं आज सिर्फ़ एक demo lecture देने आया हूँ,” उन्होंने कहा।

    “और वह अपना नाम बताते हुए कहते हैं,” सो थिस इस योर साइकोलॉजी प्रोफेसर "Dhruv Kashyap"

    क्लास के कई कोनों से हल्की-सी सरसराहट उठी। कुछ लड़कियाँ तो वैसे ही मुस्कुराने लगीं, मानो नाम सुनते ही उनका दिल धड़कना भूल गया हो। लड़कों ने एक-दूसरे को देखा—Competition ka level badh gaya hai, bro.

    ध्रुव का कद—कम से कम 6 फुट 3 इंच, सीधे खड़े हुए ऐसे लग रहे थे जैसे किसी पुरानी अंग्रेज़ी फिल्म से बाहर निकले हों। सफ़ेद रंग की फुल स्लीव शर्ट जो उनके शरीर की बनावट को उभर कर दिखा रही थी... वह सफ़ेद शर्ट जो उनके चेस्ट और साथ ही उनके बाजू पर जाकर थोड़ा टाइट हो गया था...उनके मस्कुलर बॉडी की वजह से। शर्ट की बाँहें मोड़ी गई थीं, जिससे उनके हाथों की नसें उनकी पर्सनालिटी में और चार चाँद लगा रहे थे और स्लेटी ट्राउज़र उनकी पर्सनालिटी से मेल खा रही थी।

    उनका चेहरा—गहरी, तीखी नज़रें, हल्की सी trimmed दाढ़ी, और एक ऐसा एक्सप्रेशन मानो हर इंसान की सोच को पढ़ सकते हों।

    “आप सबका नाम जानना ज़रूरी है… लेकिन उससे पहले, याद रखिए—मैं किसी के बैकग्राउंड, ग्रेड या स्टाइल में दिलचस्पी नहीं रखता। मुझे सिर्फ़ इंसान की सोच पढ़नी आती है… और वो उसकी आँखों में साफ़ दिखती है।”

    उन्होंने स्मार्ट पेन उठाया और स्मार्ट बोर्ड की तरफ़ मुड़ गए। क्लास में कुछ लड़कियाँ अब सीधा बैठ चुकी थीं, कुछ ने अपने बाल ठीक किये, और कुछ की स्माइल खुद पर काबू नहीं रख पा रही थी।

    “चलो, नाम बताओ एक-एक करके। Front row से शुरू करते हैं।”

    लड़कियाँ जो अब तक शांत थीं, अब जैसे कॉन्फ़िडेंस का फव्वारा बन गईं।

    “Hi Sir! I’m Ria…”

    “Sir, my name is Twinkle… सेकंड रो…”

    “मेरा नाम… सजल।”

    लड़कियों के नाम बताने का तरीका हमें ज़्यादा ही अलग लगा, जैसे वे अपनी आवाज़ में ही उनसे रिक्वेस्ट करने की कोशिश कर रही हों, प्लीज…

    मेरे नाम को ज़रूर याद रखिएगा सर… 🥹

    ध्रुव कश्यप मुस्कुराए नहीं, लेकिन उनकी आँखों में हल्की सी चंचलता आई, जैसे सब समझ रहे हों लेकिन जता नहीं रहे।

    क्लास के पीछे बैठी ईशिका अब तक एकदम चुप थी। ना सिर उठाया, ना एक बार भी उनकी तरफ़ देखा। उसके लिए ये सब बस एक routine था—एक और show off वाला टीचर।

    उसके बगल में बैठी सान्वी अब धीरे-धीरे उसे कोहनी मारकर कुछ कहने लगी।

    “तूने अब तक देखा नहीं?” सान्वी ने धीरे से कहा।

    “किसे?” ईशिका ने आँखें घुमाकर कहा।

    “अरे जिसे पूरी क्लास देख रही है… हमारे नए प्रोफेसर साहब। यार तू कभी-कभी इतनी बोरिंग क्यों हो जाती है?”

    “Height से impress नहीं होती मैं।” ईशिका ने बिना देखे कहा।

    “Height से नहीं, तो expression से हो जा!” सान्वी ने धीरे से कहा और फिर धीरे-धीरे पूरा बयान शुरू कर दिया।

    “देख… 6’3’’ की height… और सीधा खड़ा ऐसा जैसे किसी air force academy से अभी-अभी निकला हो।”

    ईशिका अब भी पेन से खेल रही थी।

    “Eyes देखी तूने? Black, intense… जैसे एक्स-रे मशीन हो, सीधे अंदर झाँकती हैं। हर किसी को देख रहे हैं वैसे ही, जैसे उनको सब पता हो।”

    “मुझे पता है, उनको सब कुछ पता नहीं,” ईशिका ने धीरे से कहा, “बस लड़कियाँ overreact कर रही हैं।”

    “Overreact?! तू खुद देख तो सही… वो jawline! Sharp है, जैसे भगवान ने किसी बढ़िया कलाकार से उन्हें नवाज़ा हो।” सान्वी ने नज़रें घुमाकर कहा।

    “तू तो sculptor बन गई।” ईशिका ने पहली बार हल्की सी हँसी में कहा।

    “और beard… एकदम trimmed, sophisticated। और lips—”

    “बस कर,” ईशिका ने उसे टोक दिया, “बोलते-बोलते तू गालों तक पहुँच जाएगी।”

    सान्वी हँसी नहीं रोक पाई।

    तभी सामने से प्रोफेसर ध्रुव की आवाज़ आई, “आप दोनों अगर बात ख़त्म कर लें, तो अपने नाम भी बता सकती हैं।”

    सान्वी का चेहरा एकदम लाल हो गया। “S-s-sorry sir… मैं… सान्वी वर्मा।”

    “Very well,” ध्रुव बोले और फिर ईशिका की तरफ़ देखा।

    अब पहली बार ईशिका ने सिर उठाया।

    उनकी नज़रें मिलीं। मगर वह कुछ भी बताने को तैयार नहीं थी।

    “यहाँ पर स्टिक नहीं होगी…?” की तबीयत हो जो बाहर एक वर्कर को अंदर बुलाते हुए कहते हैं।

    “मारने वाला डंडा की बात कर रहे हैं आप…?” वो दाई जो थोड़ा हैरान होकर पूछती हैं।

    “हम्म्म…” ध्रुव जो अपनी नज़र को ईशिका की तरफ़ टिकाए हुए कहते हैं।

    “अभी लाते हैं सर।” दाई जो कहती हैं।

    ईशिका के चेहरे पर वही पुराना टशन था। उसने धीरे से कहा, “ईशिका…”

    ध्रुव ने पूछा नहीं, बस देखा… जैसे वही काफी हो।

    “अभी फ़िलहाल ज़रूरत नहीं है मगर आप तैयार रखिएगा मैं कभी भी मांग सकता हूँ।” ध्रुव जो दाई को रोक देते हैं और कहते हैं। वह दाई अपना सर हाँ में हिलाकर वहाँ से चली जाती हैं।

    ईशिका ने थोड़ा रुककर फिर कहना चाहा, “ईशिका सह—”

    “बस ईशिका,” ध्रुव ने बीच में टोक दिया। “यहाँ बैकग्राउंड से मुझे कोई लेना-देना नहीं।”

    पूरा क्लास एकदम चुप।

    ईशिका की आँखों में हल्की सी चिंगारी थी… और चेहरे पर वही पुरानी मुस्कान।

    “ठीक है,” उसने धीमे से कहा, “जैसा आप चाहें, सर…”

    ध्रुव चुपचाप अपनी लिस्ट पर कुछ नोट करते रहे। पर नज़रें अब भी उसी एक चेहरे पर टिक गई थीं।

  • 6. My Rude Professor - Chapter 6

    Words: 573

    Estimated Reading Time: 4 min

    ध्रुव कश्यप ने रोल कॉल पूरी कर ली थी, लेकिन उनकी नज़रें हर नाम के साथ कुछ ज़्यादा ही नोट कर रही थीं। क्लास में कुछ बच्चों ने धीरे-धीरे साँस लेना शुरू ही किया था कि उन्होंने अचानक बोर्ड की तरफ जाते हुए कहा—

    "आज की क्लास में हम पढ़ाई नहीं करेंगे।"

    अब तो सच में सब चौंक गए।

    "आज सिर्फ एक activity होगी… एक mind-reading exercise।"

    क्लास में कुछ लड़कियाँ फिर से फुसफुसाने लगीं, लड़के एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए।

    "हर इंसान अपनी personality को कैसे छुपाता है और दूसरों की कैसे पकड़ में आता है… ये हम आज एक लाइव demonstration से सीखेंगे।"

    अब curiosity सबके चेहरे पर दिखने लगी।

    "तो शुरुआत करें?" उन्होंने पूछा।

    और फिर बोले, "Miss… ईशिका, ज़रा सामने आइए।"

    ईशिका, जो अब तक अपने अटिट्यूड के साथ पीछे बैठी थी, उसकी भौंहें थोड़ी ऊपर उठीं। उसे बुलाया गया? पब्लिकली?

    सान्वी ने धीरे से कहा, "फँस गई तू…"

    ईशिका उठी, बिना कोई एक्सप्रेशन बदले, और सीधे आगे जाकर खड़ी हो गई। क्लास अब साँस रोक कर देख रहा था।

    "आप comfortable हैं?" ध्रुव ने पूछा।

    "Depends…" ईशिका ने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, "Activity कैसी है?"

    ध्रुव भी अब मुस्कराए… पहली बार।

    "सीधी सी बात है। मैं आपसे कुछ सवाल नहीं पूछूँगा। मैं सिर्फ आपकी body language, eye movement और expression पढ़ूँगा… और बताऊँगा कि आप अंदर से क्या सोचती हैं।"

    ईशिका का चेहरा अब भी शांत था। लेकिन उसकी आँखों में अब एक चमक थी।

    "ठीक है," उसने कहा, "Try your best, Sir."

    क्लास अब almost pin-drop silence में था।

    ध्रुव ने अपनी जेब से एक छोटी-सी डायरी निकाली और उसमें एक random लाइन पढ़ते हुए कहा—

    "कभी-कभी जो सबसे ज़्यादा हँसते हैं, वही सबसे ज़्यादा चुप रहते हैं।"

    ईशिका की पलकें नहीं झपकीं, लेकिन उसकी ऊँगलियों की हरकतें ज़रा तेज़ हो गईं।

    ध्रुव ने नोट किया।

    "आप उन लोगों में से हैं जो हर किसी से पहले सब समझ जाती हैं… लेकिन ज़ाहिर नहीं करतीं।"

    ईशिका ने कुछ नहीं कहा, लेकिन हल्की सी गर्दन तिरछी करके देखा।

    "आपको लोग बहुत strong समझते हैं… जबकि असल में आपने खुद को मज़बूत दिखाने की आदत बना ली है।"

    क्लास में अब लोग एक-दूसरे को देखने लगे थे—क्या सच में ऐसा है?

    ईशिका अब भी शांत थी, लेकिन एक बात साफ़ थी—ध्रुव की नज़रें उसकी दीवारों में सुराख़ कर रही थीं।

    "आप सवालों से नहीं डरतीं," ध्रुव बोले, "लेकिन किसी को जवाब देने का हक़ भी आसानी से नहीं देतीं।"

    ईशिका ने हल्की सी साँस ली और कहा, "Impressive…"

    ध्रुव मुस्कराए, "यह सिर्फ observation था। अब आप कुछ कहना चाहें तो कह सकती हैं।"

    ईशिका एक पल को चुप रही, फिर बोली, "आपको भी पढ़ना अच्छा आता है… पर खेल खेलने वाले को खेल समझना पड़ता है, सर।"

    क्लास अब आधी तालियों में और आधी हैरानी में थी।

    ध्रुव ने एक पल को सिर झुकाया, जैसे chess में किसी चाल की तारीफ़ की हो।

    "Noted," उन्होंने कहा।

    फिर क्लास की ओर मुड़कर बोले, "यह थी psychology—बिना सवाल पूछे भी बहुत कुछ जान लेना। अब आप सब सोचिए… आपकी बॉडी लैंग्वेज दूसरों को क्या बताती है?"

    सब चुप थे।

    लेकिन सबसे बड़ी बात—ईशिका और ध्रुव के बीच जो एक silent spark शुरू हुआ था, वो अब सिर्फ एक गेम नहीं रह गया था।

    वो दो दिमाग अब एक-दूसरे को decode करने निकले थे।

  • 7. My Rude Professor - Chapter 7

    Words: 779

    Estimated Reading Time: 5 min

    क्लास खत्म हो चुकी थी। बच्चे धीरे-धीरे बाहर निकल रहे थे, लेकिन माहौल में अब भी वही खामोशी बनी हुई थी, जो ध्रुव की मौजूदगी से आई थी।

    ईशिका अपनी जगह से नहीं उठी थी। वह अब भी ध्रुव को घूर रही थी—आँखों में वही सवाल, वही टशन।

    ध्रुव ने भी जाते-जाते एक पल को उसकी ओर देखा… और उस नज़र में कुछ था—ना घमंड, ना झुकाव। बस एक शांत, गहरी स्थिरता… जो हर बात बिना कहे कह देती है।

    सान्वी उसके पास आकर बोली, "चल न, क्लास खत्म हो गई।"

    "तू चल, मैं आ रही हूँ।" ईशिका ने धीरे से कहा।

    ध्रुव बोर्ड पर कुछ लिख रहे थे—शायद कल की क्लास का टॉपिक, या शायद बस समय खींच रहे थे।

    जैसे ही क्लास पूरी खाली हुई, ईशिका उठी और सीधा उनके सामने जा खड़ी हुई।

    "Nice performance," उसने बिना मुस्कराए कहा।

    ध्रुव ने एक पल को देखा, फिर सिर हलका सा झुकाया, "तुम्हारे standard पर pass हुआ क्या?"

    "Depends… performance acting थी या real?"

    ध्रुव अब पूरी तरह उसकी आँखों में देखने लगे।

    "Performance तभी असरदार होती है जब कोई देखकर भी उसे पहचान न सके," उन्होंने धीरे से कहा।

    ईशिका का चेहरा अब और सख्त हो गया।

    "आपको पता है न… ये demo आज सिर्फ पढ़ाने के लिए नहीं था। कुछ लोग आपको observe कर रहे थे।"

    ध्रुव मुस्कराए। "हाँ, मुझे पता है… investors में से कोई था।"

    "Investors में से नहीं… investor की बेटी," ईशिका ने सीधा जवाब दिया।

    अब एक हल्की सी खामोशी छा गई।

    ध्रुव ने सिर्फ एक पल को सर उठाया, और बिना चौंके कहा—"So… वो आप हैं।"

    ईशिका ने सिर हिलाया। "And my opinion matters."

    "तब तो आप और भी दिलचस्प हो गईं," ध्रुव ने कहा, और अब उनकी आवाज़ में एक अजीब सी गर्मी थी—जैसे किसी शतरंज के खिलाड़ी को पता हो सामने भी एक खिलाड़ी बैठा है।

    "आपको कोई फर्क नहीं पड़ा?" ईशिका ने पूछा।

    "फर्क तो पड़ता है," ध्रुव बोले, "लेकिन मैं लोगों को impress करने के लिए पढ़ाता नहीं… मैं सिखाने के लिए पढ़ाता हूँ।"

    "तो अगर मैं कह दूँ कि मुझे आपकी teaching style पसंद नहीं आई?" ईशिका ने अपने एटीट्यूड को अपने चेहरे पर लाते हुए पूछा।

    "तो मैं मान लूँगा… कि आपको सिखने की आदत नहीं है। क्योंकि मेरे टीचिंग स्टाइल में कोई प्रॉब्लम नहीं है।" ध्रुव ने भी बिल्कुल उसी लहजे में जवाब दिया।

    ईशिका का चेहरा अब सचमुच तमतमा गया।

    "आप हर बात का जवाब देना ज़रूरी समझते हैं?"

    "नहीं," ध्रुव बोले, "सिर्फ उन बातों का… जो attitude में पूछी जाती हैं।"

    ईशिका ने दो कदम पीछे लिए।

    "आप मुझे lightly ले रहे हैं, प्रोफेसर।"

    "नहीं ईशिका," ध्रुव ने धीमे से कहा, "मैं तो बस वो दिखा रहा हूँ, जो आप दूसरों से छुपाती हैं… Strong दिखना आसान है, पर समझदार बनना अलग बात है।"

    ईशिका अब गुस्से में पूरी तरह सीधी खड़ी हो गई।

    "कल की क्लास में, Sir… मैं फिर से यहीं बैठूँगी। Let’s see who reads whom next time."

    "Deal," ध्रुव ने कहा, और मुस्कराए नहीं—पर उनके होंठों पर एक सीधा सा curve ज़रूर आया… जैसे उन्हें अगले दिन का इंतज़ार हो।

    थोड़ी देर बाद दूसरी क्लास शुरू हो गई। मगर ईशिका तो कॉलेज सिर्फ इंजॉय करने और साथ ही दूसरों पर रूल करने के लिए आया करती थी।

    वह सारे क्लासेस पढ़ने की ज़रूरत नहीं समझती थी, और ना ही उसे कोई रोकने वाला था।

    वह सान्वी से कहती है, "बहुत हो गई आज की पढ़ाई, मुझे घर जाना है।" जहाँ सारी लड़कियों का मूड आज अच्छा बना हुआ था, वहीं ईशिका पूरी तरह तमतमाई हुई थी।

    सानवी जो कहती है—"कोई खोया खोया सा लग रहा है। प्रोफेसर के ऊपर ही ध्यान है ना तेरा?"

    ईशिका उसे घूर कर देखती है और अपना बैग उठाते हुए कहती है, "तू चल रही है या नहीं?"

    सानवी उसके साथ बाहर निकल जाती है। पार्किंग एरिया में जाते हुए ईशिका कहती है, "तू यहीं रुक, मैं गाड़ी लेकर आती हूँ।" और वह पूरे स्टाइल से अपने हाथों की एक उंगली में चाबी को घुमाते हुए पार्किंग एरिया में पहुँच जाती है।

    वह अपनी गाड़ी निकाल ही रही थी कि तभी उसकी नज़र अपने साइड मिरर पर जाती है, जहाँ वह देखती है कि एक सफ़ेद रंग की मर्सिडीज़ के ठीक बगल में ध्रुव खड़े थे और वह फोन पर किसी से बात करते हुए अपनी गाड़ी खोल रहे थे…

    बस अब क्या था? ईशिका के दिमाग में एक नया ख़ुराफ़ात जन्म लेता है 🤭 आईए जानते हैं आखिर क्या करने वाले हैं ईशिका ध्रुव सर के साथ… 🫠

  • 8. My Rude Professor - Chapter 8

    Words: 705

    Estimated Reading Time: 5 min

    ईशिका क्लासरूम के दरवाज़े से बाहर निकली और घड़ी देखी—12:15।

    "साढ़े घंटे और बैठूं उस बोरिंग लेक्चर में? No way," उसने बड़बड़ाया।

    सान्वी उसके पीछे-पीछे बाहर आई।

    "ऐसे कैसे निकल रही है? Attendance नहीं लगेगी?"

    "Dad को सब जानते हैं मेरे, बस यही benefit है investor की बेटी होने का," ईशिका ने बिना रुके जवाब दिया।

    "तू तो seriously full power में है आजकल," सान्वी मुस्कुराई।

    "अभी तो और देख," ईशिका ने कंधे उचका दिए, "मैं जा रही हूं। तू आ रही है?"

    "नहीं रे, मेरा presentation है English में… तू जा, बाद में मिलती हूं।"

    ईशिका ने अपने बालों को एक झटके में पीछे किया और बोली, "तो यही रूक में जा रही हूं।"

    वह अपनी कार की ओर बढ़ने लगी।

    पार्किंग एरिया में पहुँचते ही उसने key-fob से गाड़ी unlock की और दरवाज़ा खोलकर बैठी ही थी कि उसकी नज़र side mirror पर पड़ी।

    एक सफेद मर्सिडीज़—बिलकुल शांत, चमकदार, क्लास का symbol—धीरे-धीरे सामने से मुड़ रही थी।

    गाड़ी में बैठा शख्स एक हाथ से स्टेयरिंग थामे, दूसरे हाथ में फोन पकड़े, किसी से बहुत calm लेकिन authoritative आवाज़ में बात कर रहा था।

    ईशिका की आँखें थोड़ी चौड़ी हो गईं।

    "Of course," उसने धीमे से कहा, "कौन होगा सफेद मर्सिडीज़ में… Dhruv Kashyap himself."

    फोन पर उनकी बातों के टुकड़े सुनाई दे रहे थे।

    “…haan, maine kaha tha, I don’t need a permanent contract if the system doesn’t value merit…”

    ईशिका का चेहरा अचानक गंभीर हो गया।

    "System doesn't value merit?" मतलब... क्या वो मेरी वजह से बात कर रहे हैं?

    और तब… वही हुआ जो होना था।

    ध्यान गड़बड़ा गया, और ईशिका ने गाड़ी reverse करते वक्त हल्के से, पर साफ़ तौर पर मर्सिडीज़ की front bumper से टक्कर कर दी।

    Thakkk!

    ध्रुव की नज़र एक सेकंड में आईने से हटकर उसकी कार पर चली गई।

    फोन काटते हुए वह गाड़ी से उतरे। चेहरे पर कोई झटका नहीं था, बस एक लंबा, ठंडा silence।

    ईशिका भी फौरन उतरी।

    "Oops," उसने बहुत ही casual अंदाज़ में कहा, "didn’t see you there."

    ध्रुव धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़े। मर्सिडीज़ की bumper की ओर इशारा करते हुए बोले, "Didn’t see me? White Mercedes दिखी नहीं?"

    "Your car is too polite," ईशिका बोली, "ज़्यादा शोर करती तो दिख जाती।"

    ध्रुव एक हल्की साँस लेते हुए मुस्कराए, "Ya right, and you were just too lost admiring me in your rear-view mirror?"

    ईशिका की आँखें तिरछी हो गईं। "Excuse me?"

    "मुझे लगा था आप बस class में ही attitude दिखाती हैं, पर अब तो traffic rules पर भी domination चालू है।"

    "Attitude नहीं, confidence है," ईशिका बोली, "और वैसे भी… अगर सामने से कोई silently स्टाइल मारते हुए निकले तो गलती किसकी होगी?"

    "Silent style?" ध्रुव हँस पड़े, "You seriously think I was posing for you?"

    "Posing नहीं," ईशिका बोली, "But हाँ, आप definitely aware थे कि कोई देख रहा है।"

    "Sorry to disappoint you," ध्रुव ने कहा, "मैं किसी investor की बेटी को impress करने की कोशिश में नहीं हूँ।"

    ईशिका अब ठहर गई। वह लाइन personal थी।

    "आपको लगता है कि मैं impress होने आई थी?" उसने पूछा, अब स्वर थोड़ा नीचे, पर तीखा।

    ध्रुव एक पल के लिए चुप रहे, फिर बोले, "आपकी नज़रें कुछ और कहती हैं… आपकी गाड़ी कुछ और।"

    एक छोटा सा pause हुआ।

    फिर ईशिका ने थोड़ा मुस्कराकर कहा, "Well… आपकी गाड़ी भी कुछ कम seductive नहीं है।"

    ध्रुव ने भी हल्की मुस्कान दी, "Thank you. But next time, try flirting without denting."

    अब दोनों कुछ पल के लिए चुप हो गए, और फिर एक अजीब सा mutual smirk दोनों के चेहरे पर उभरा।

    ईशिका गाड़ी की ओर बढ़ते हुए बोली, "आपके पास मेरी complaints already होंगी… एक और जोड़ दीजिएगा।"

    "नहीं," ध्रुव ने कहा, "मैं सिर्फ उन चीज़ों को notice करता हूँ जो repeat होने की संभावना रखती हैं।"

    ईशिका का हाथ door handle पर रुका।

    "मतलब?"

    ध्रुव ने बिना जवाब दिए अपनी मर्सिडीज़ का दरवाज़ा खोला और कहा, "See you in the next class, Miss Sehgal."

    और फिर वह गाड़ी में बैठकर निकल गए। लेकिन उस एक हल्की टक्कर ने जो chemistry शुरू की थी… वह अब किसी फॉर्म में बढ़ने वाली थी।

  • 9. My Rude Professor - Chapter 9

    Words: 557

    Estimated Reading Time: 4 min

    रात के लगभग 11 बज चुके थे। ईशिका अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। कमरे की लाइटें बंद थीं, केवल बिस्तर के पास रखे लैम्प की नर्म रौशनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी। हाथ में फ़ोन था और स्क्रीन पर सान्वी के साथ चैट खुली हुई थी।

    सान्वी: "कल क्या लिखने वाली है रिव्यू में?"

    ईशिका: "कन्फ़्यूज़्ड हूँ… बंदा स्ट्रिक्ट है, पर स्मार्ट भी।"

    सान्वी: "स्मार्ट तो है ही… पर थोड़ा अहंकारी भी!"

    ईशिका: "एग्ज़ैक्टली… मुझे पता नहीं क्यों लगता है वो मुझे जान-बूझकर टारगेट कर रहा है।"

    चैट के बीच में ही उसका फ़ोन हल्के से वाइब्रेट हुआ। एक नया मैसेज आया—अननोन नंबर से।

    ईशिका की उंगलियाँ रुक गईं। उसने स्क्रीन पर नज़र डाली:

    Unknown Number:
    "उन्हें तो इस कॉलेज में मैं खुद रखवाऊँगी…
    बस इसलिए, ताकि मैं हर दिन उनका अपमान लौटा सकूँ—
    हर उस नज़र के लिए, जो उन्होंने नीचा दिखाने के लिए उठाई थी…
    हर उस शब्द के लिए, जो उन्होंने मेरी काबिलियत पर मारा था।
    अब मेरा इरादा सिर्फ़ एक है—बदला।
    और तुम ही हो मेरी पहली चाल।"

    ईशिका की आँखें कुछ पल के लिए मोबाइल स्क्रीन पर टिक गईं।

    "क्या…?" उसने खुद से ही कहा।

    उसने मैसेज को दोबारा पढ़ा—एक-एक लाइन जैसे उसकी सोच में उतरती चली गई।

    "अब मेरा इरादा सिर्फ़ एक है—बदला।
    और तुम ही हो मेरी पहली चाल।"

    वह झट से उठकर बैठ गई। उसकी साँसें थोड़ी तेज़ हो गई थीं। ये कौन था? किसके लिए कहा जा रहा था ये? और 'उनके' का मतलब क्या था?

    उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा।

    "कहीं ये प्रोफ़ेसर…?" लेकिन फिर उसने खुद को झटका दिया।

    "नहीं, वो इतने केल्मली ऐक्ट करते हैं… उनका टोन, उनका स्टाइल… कोई ऐसा थोड़ी लगेगा…"

    पर फिर दिमाग में एक फ़्लैश आया—वो जब उसने पार्किंग में उन्हें फ़ोन पर कहते सुना था:

    “…I don’t need a permanent contract if the system doesn’t value merit…”

    क्या वो किसी पुराने अपमान की बात कर रहे थे?

    कहीं ऐसा तो नहीं कि ये उनकी कोई पर्सनल लड़ाई हो… और ये कॉलेज उनके बदले का हिस्सा हो?

    ईशिका अब फ़ुल अलर्ट मोड में थी। उसने Unknown नंबर को रिप्लाई करने की कोशिश की—"कौन हो तुम?"

    लेकिन मैसेज फ़ेल चला गया—"This number does not exist.”

    "वेट… व्हाट?" उसने चौंककर कहा।

    उसका दिमाग अब एकदम तेज़ी से घूम रहा था। अगर ये सब सच है, तो वो गलती से एक ऐसे इंसान को बाहर करवाने जा रही है, जो इस कॉलेज में आने का कोई और हिडन मोटिव लेकर आया है।

    उसने सान्वी को फिर से मैसेज लिखा:

    ईशिका: "मैं शायद प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ नहीं लिखूँ कल…"

    सान्वी: "मतलब?? तू तो फ़ुल रिवेंज मोड में थी?"

    ईशिका: "मूड चेंज हो गया…"

    "या शायद गेम," ईशिका ने खुद से कहा और फ़ोन साइड में रख दिया।

    अब वो लेटी हुई थी, पर आँखें खुली थीं—और दिमाग में बस एक बात चल रही थी:

    "तुम्हें मैं खुद यहाँ रखवाऊँगी… ताकि मैं तुम्हारा हर अपमान वापस कर सकूँ…"

    "तो चलो," उसने धीमे से कहा, "अब खेल शुरू करते हैं।"

    आखिर कौन था वह अननोन नंबर पर… और कौन चाहता था कि ध्रुव इस कॉलेज में रहे? और कौन से गेम की बात कर रही थी ईशिका?

  • 10. My Rude Professor - Chapter 10

    Words: 581

    Estimated Reading Time: 4 min

    स्टूडेंट्स एक-एक करके अपनी सीटों पर बैठते गए। सामने पोडियम पर वाइज़ प्रिंसिपल, कुछ फैकल्टी मेंबर्स और… वही शख्स — ध्रुव कश्यप, एक हाथ में अपनी मशहूर Beard Books सीरीज़ की किताब पकड़े, दूसरा हाथ पॉकेट में और चेहरा ऐसा जैसे ये सब उनके लिए कोई बड़ा मुद्दा ही नहीं।

    रुआन, तानय, और सान्वी पीछे की रो में बैठे थे।

    "भाई, आज तो फ़ाइनल डिसाइड होना है," तानय ने फुसफुसाया।

    रुआन ने सिर हिलाया, "हाँ, और सबसे मज़ेदार बात? ईशिका जो भी बोलेगी, उसी से फ़ाइनल फैसला होगा।"

    "लेकिन ईशिका बोलेगी क्या? तूने देखा था ना, कल गाड़ी भी भिड़ा दी थी… और attitude भी कुछ अलग ही लेवल का था," सान्वी बोली।

    सबको पूरा यकीन था कि ईशिका आज फाड़ के रख देगी उस प्रोफ़ेसर का करियर।

    वाइज़ प्रिंसिपल माइक पर आए।
    "Good morning, students. As you know, Professor Dhruv Kashyap is here for a demo. आज हम कुछ selected students से feedback लेंगे, जिसके आधार पर फ़ाइनल निर्णय लिया जाएगा।"

    एक खामोशी सी फ़ैल गई पूरे हॉल में।

    "हम शुरुआत करेंगे... ईशिका से।"

    जैसे ही माइक पर ईशिका का नाम लिया गया, पूरा हॉल एकदम सन्न हो गया।

    "क्या? सबसे पहले ईशिका?" रुआन ने दबी आवाज़ में कहा।

    "अब तो समझो क्लास से पहले ही bye-bye," तानय बोला।

    लेकिन उस वक़्त सबकी नज़रें उसी पर थीं — ईशिका, जो अपनी सीट से खड़ी हुई। आँखों में वही पुराना confidence, होठों पर एक शांत सी मुस्कान।

    ध्रुव ने धीरे से किताब बंद की और उसकी तरफ़ देखा — बिना किसी एक्सप्रेशन के। और उन दोनों की आँखें एक-दूसरे से मिल गईं।

    ईशिका ने पोडियम के पास आकर माइक लिया।

    "Hello everyone," उसने कहा, और फिर पल भर के लिए पूरे हॉल को देखा।

    "Professor Dhruv Kashyap…"

    सबको लगा अब शुरू होगा।

    “…I think,” ईशिका रुकी, “…they are one of the finest teachers I’ve seen walk into this college.”

    एक पल की ख़ामोशी।

    "क्या?" सान्वी के मुँह से निकल गया।

    "वो smart हैं," ईशिका बोलती रही, "strict हैं, लेकिन justified तरीके से… और सबसे बड़ी बात — इनका teaching style… वो बाकी सब से बिल्कुल अलग है। मुझे personally बहुत पसंद आया।"

    अब तो हॉल में कानाफ़ूसी शुरू हो चुकी थी।

    "वो जो rules और boundaries set करते हैं… वो मुझे एक challenge जैसा लगा। और मुझे challenges पसंद हैं।"

    ध्रुव की आँखों में हलकी सी चमक आई, लेकिन चेहरा अब भी calm था।

    "तो हाँ," ईशिका ने एक आखिरी नज़र उन पर डालते हुए कहा, "मुझे लगता है कि इन्हें इस कॉलेज में permanent रखा जाना चाहिए।"

    सन्नाटा। लेकिन एक ऐसा सन्नाटा जिसमें सबके दिमाग हिल चुके थे।

    ईशिका ने माइक रखा और वापस अपनी सीट की तरफ़ बढ़ने लगी। उसके चेहरे पर एक अजीब सा satisfaction था। सब उसे घूर रहे थे — कुछ confusion में, कुछ respect में, कुछ shock में।

    ध्रुव ने अब finally माइक लिया।

    "Thanks for the reviews," उन्होंने कहा, "बाकी स्टूडेंट्स से भी फीडबैक लिया जाएगा, लेकिन सबसे पहले एक बात…"

    वो थोड़ा रुक कर बोले, “…I don’t like surprises. But Miss Sehgal just proved that sometimes… surprises can be strategic too.”

    ईशिका के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान थी — लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ही खेल चल रहा था।

    "भाई ये क्या हुआ?" रुआन ने पीछे से तानय से कहा।

    "कुछ ना कुछ ज़रूर पक रहा है। ईशिका इतनी जल्दी impressed नहीं होती…" तानय बोला।

    "या तो उसको कुछ दिख गया… या फिर… वो खुद कुछ दिखाना चाहती है," सान्वी ने धीरे से जोड़ा।

  • 11. My Rude Professor - Chapter 11

    Words: 546

    Estimated Reading Time: 4 min

    धूप थोड़ी ढलने लगी थी। क्लास के बाद का वह आलसी सा वक्त, जब सब कैंटीन या लाइब्रेरी की तरफ बढ़ चुके थे।

    ईशिका अपनी कार की तरफ बढ़ रही थी, तभी उसकी नज़र एक गाड़ी पर पड़ी—साफ़-सुथरी, बिल्कुल चमकती हुई white BMW।

    उसके कदम रुक गए। वह गाड़ियों की बहुत शौकीन थी।
    वह एकदम वहीं रुक कर उस गाड़ी को देखने लगी।
    "Uff... क्या लुक है! Bilkul brand new…"

    वह थोड़ी देर तक गाड़ी को देखती रही; उसके curves, detailing, glass की clarity, सब कुछ एक perfect luxury look दे रहा था।
    "इंसान का taste अच्छा होना चाहिए... गाड़ी से ही class दिखती है।"

    "खुश हूँ, तुम approve करती हो..."
    पीछे से आवाज़ आई—ठंडी, calm, और वही जानी-पहचानी। यह आवाज सुनते ही वह समझ गई कि यह कोई और नहीं, बल्कि ध्रुव कश्यप है।

    ईशिका मुड़ी—ध्रुव सामने खड़े थे, हाथ जेब में डाले, एक eyebrow उठा कर। जैसे वह अपनी निगाहों से ही उसकी insult करने के लिए तैयार खड़े हों।

    ईशिका हल्के से चौंकी, फिर खुद को संभालते हुए कहा,
    "मैं गाड़ी की बात कर रही थी। ड्राइवर की नहीं।"

    ध्रुव की हल्की मुस्कान इशिका की बात सुनकर उसके चेहरे पर आ गई। वह अपने चेहरे के भाव से ही इशिका को dominate करने के लिए तैयार खड़े थे।

    इशिका भी पूरे attitude भरे लहजे में बोली,
    "Waise... आपको हर बार luxury upgrade करने की आदत है क्या? कल तक Mercedes थी, आज BMW?"

    ध्रुव:
    "Luxury नहीं... mood switch करने की आदत है। कुछ dents बाहर के होते हैं, कुछ अंदर के।"

    ईशिका थोड़ी चुप हुई, फिर कहा,
    "Dents अंदर हों या बाहर, इतनी जल्दी तो कोई गाड़ी नहीं बदलता।"

    ध्रुव:
    "जो चीज़ें replace की जा सकती हैं, उन्हें पकड़ कर बैठना... immature होता है।"

    इस बार ईशिका के पास दो सेकंड जवाब नहीं था। वह कुछ कहने ही वाली थी कि ध्रुव ने एक कदम आगे बढ़ाया और कहा,
    "Waise... तुम भी तो काफी जल्दी opinions बदल लेती हो, Miss Sehgal।"

    ईशिका ने आँखें तरेरीं,
    "Main kab badli?"

    ध्रुव हल्के से मुस्कराए,
    "कल तक hostile, आज supportive। मेरे review में तुम्हारा ‘Perfect’ कह देना… I wonder… किस बात ने mind change कर दिया?"

    ईशिका थोड़ी चिढ़ी,
    "हो सकता है मेरी नजरें भी कभी-कभी गलती कर दें।"

    ध्रुव बिना मुस्कराए, उसी calm लहज़े में बोला,
    "या शायद, पहली बार सही देख रही थीं।"

    ईशिका कुछ नहीं बोली। वह पीछे मुड़ी और अपनी गाड़ी की ओर बढ़ी, मगर उस usual confidence के साथ नहीं। कुछ अंदर-ही-अंदर खलबली थी।

    तभी पीछे से आवाज़ आई—धीमी, सीधी और तीखी।
    "वैसे... उस ‘Perfect’ review का reason अब भी unclear है। कभी मन हो तो बताना जरूर।"

    ईशिका रुकी, मगर बिना पलटे अपनी गाड़ी में बैठ गई।

    ध्रुव अपनी BMW की तरफ बढ़े। गाड़ी स्टार्ट की, धीमे से आगे बढ़ी… और जैसे ही ईशिका की कार के सामने आई, कुछ सेकंड के लिए वहीं रुकी।

    BMW का शीशा नीचे हुआ, और ध्रुव ने एक आखिरी लाइन कही,
    "और हाँ… अगली बार dent लगाने से पहले सोचना पड़ेगा, Miss Sehgal। अब car थोड़ी personal हो चुकी है।"

    गाड़ी आगे बढ़ गई… और पीछे बैठी ईशिका की नज़रों में अब गुस्सा नहीं था… सिर्फ एक अजीब सी उलझन थी।

  • 12. My Rude Professor - Chapter 12

    Words: 609

    Estimated Reading Time: 4 min

    रूआन:
    "अबे ईशिका! तूने… सच में बोल दिया ‘Perfect’? वही बंदा जिसे डराने के लिए पटाखे फोड़े थे?"

    तनय: (हँसते हुए)
    "इसका मतलब हम सबने जिसे विलेन समझा… वो तो तेरा हीरो निकला?"

    ईशिका (आँखें तरेरते हुए):
    "Oh hello! कोई हीरो वीरो नहीं हैं, मत देना... मैं ये किसी खास वजह से बोली थी, होनेस्ट थी बस।"

    रूआन (थोड़ा फ्लर्टी होकर):
    "Honest या impressed?"

    ईशिका (तेज़ आवाज़ में):
    "रूआन, तुझे लग रहा है मैं तेरी तरह पागल हूँ?"

    सान्वी पीछे से आती है और तीनों को बहस करते देख मुस्कुराती है।
    "चलो लड़को, अब क्लास ख़तम, बहस भी ख़तम… और ईशिका, तू मेरे साथ घर चल रही है!"

    ईशिका बेमन से सान्वी के साथ गाड़ी में बैठती है, और दोनों घर की ओर निकलीं।


    सीन: सान्वी की कार — रास्ते में

    सान्वी (गाड़ी चलाते हुए, शरारत भरी मुस्कान के साथ):
    "तो… मिस परफेक्ट प्रोफेसर की सीक्रेट फैन… कैसी रही आज की लव स्टोरी की ओपनिंग सीन?"

    ईशिका (भौंहें चढ़ाकर):
    "सान्वी, एक और शब्द बोला ना 'लव स्टोरी', तो मैं यहीं गाड़ी से उतर जाऊंगी!"

    सान्वी (हँसते हुए):
    "अरे बाबा! मज़ाक कर रही हूँ… पर सीरियसली, रिव्यू वाला ट्विस्ट तो धमाकेदार था। वो ध्रुव कश्यप का चेहरा… सीधा ‘mission accomplished’ वाला था!"

    ईशिका:
    "वो बस प्रोफेशनल था। मुझे लगा अगर कोई इतना स्ट्रिक्ट है और क्लास में डिसिप्लिन ला सकता है, तो उसे चांस मिलना चाहिए। That’s it."

    सान्वी:
    "हाँ हाँ… बिल्कुल! और तुम्हारा उस BMW को ऐसे घूरना… वो भी प्रोफेशनली था?"

    ईशिका (थोड़ी शर्मिंदा होकर):
    "वो गाड़ी सच में अच्छी थी यार… और वो भी थे.. थोड़ा सा…"

    सान्वी:
    "थोड़े सा… क्या?"

    ईशिका (आँखें घुमाते हुए):
    "थोड़ा सा... annoyingly हैं वैसे और थोड़े.....!"

    फिर उसे खुद ही एहसास होता है कि वो क्या ही बकवास कर रही है… और फिर वो चुप हो जाती है।

    सान्वी (ज़ोर से हँसते हुए):
    "मतलब… दिल थोड़ा डोल गया ना?"

    ईशिका (गंभीर होकर):
    "इशिका सहगल हूँ मैं, इतनी जल्दी किसी से इम्प्रेस नहीं होने वाली हूँ मैं।"
    "उन्हें इस कॉलेज में रखने का मकसद कुछ और है, तुम्हें नहीं पता.."

    सान्वी (धीरे से मुस्कराते हुए):
    "हम्म्म भाई, मुझे क्या ही पता होगा आपके दिल के हाल।"

    ईशिका खिड़की की ओर देखने लगती है… हल्की सी उलझन उसके चेहरे पर है, जैसे वो खुद भी नहीं समझ पा रही कि आखिर वो क्यों सोच रही है उनके बारे में।

    वह घर पहुँचकर… उसका मूड काफी ऑफ था।

    इशिका तन-तन कर अपने घर के अंदर पहुँचती है, और जोर से अपनी बेबो जान को आवाज लगाते हुए कहती है, "बेबो जान.... बेबो जान कहाँ हैं आप?"

    इशिका जो अपने घर पर अपनी बेबो जान के साथ ही रहा करती थी, उसके डैड जो हमेशा उससे दूर ही रहते थे अपनी बिज़नेस की वजह से…

    बेबो जान भी उसे एक बार आवाज़ लगाने पर किचन से भागी-भागी उसके पास आती है, और थोड़ा घबराते हुए उससे पूछती हैं, "क्या हुआ बेटा? आप ठीक तो हैं?"

    इशिका उन्हें गले लगाकर अपनी दिल की बातें उनसे बताते हुए कहती है, "मैं बहुत परेशान हूँ। मुझे कुछ अच्छा सा खाने के लिए बना दीजिए... आपको पता है ना मेरे खराब मूड का सिर्फ एक ही दावा है अच्छा-अच्छा खाना।"

    बेबो जान उसके सर पर हाथ रखते हुए कहती हैं, "मैं अभी बनाकर लाती हूँ आपकी फेवरेट डिशेस… आप जाइए अपने कमरे में, मैं लेकर आती हूँ बेटा…"

    इशिका भी दौड़कर अपने कमरे की तरफ भाग जाती है…

    आखिर क्यों परेशान थी ईशिका, और क्या थी वजह?
    इसे अगले चैप्टर में पढ़ते हैं।

  • 13. My Rude Professor - Chapter 13

    Words: 622

    Estimated Reading Time: 4 min

    वहीँ, सानवी और इशिका का घर आ चुका था। सानवी, जो उसकी पड़ोसी थी, इशिका की कार से उतरते हुए उसे बाय बोलती हुई कहती है, "जा बहन, अब तू भी आराम कर ले, बहुत थक गई होगी।"

    इशिका, जो अपने घर नहीं जाना चाहती थी, काफी परेशान थी। इसलिए, गाड़ी लेकर वह थोड़ी देर सड़क पर अपनी गाड़ी दौड़ाने लगी।

    उसके हाथ लगातार स्टेरिंग पर घूम रहे थे, और वह काफी गुस्से में भी लग रही थी, जैसे वह अपना गुस्सा खुद पर उतार रही हो।

    उसका मूड जब भी खराब रहता, वह अपनी कार लेकर सड़क पर निकल जाती थी। उसे कार ड्राइव करना बहुत पसंद था, और यह करने में उसे बहुत मज़ा आता था। थोड़ी देर यूँ ही गाड़ी चलाकर, वह अपने घर की तरफ गाड़ी मोड़ देती है।

    दरवाज़ा खुलते ही जैसे पूरे घर में एक सुकून सा बिखर जाता है। वो भारी सा दिन, क्लास की सारी टेंशन और उस प्रोफ़ेसर की हर एक लाइन, अब दरवाज़े के पीछे छूट जानी चाहिए थी। मगर नहीं छूटी।

    ईशिका चुपचाप अपने बैग को सोफ़े पर फेंकती है और सीधे किचन की तरफ जाती है, जहाँ बिब्बो जान हमेशा की तरह अपने एप्रन में, गरम सूप बना रही थीं।

    "आ गई मेरी गुड़िया? आज बहुत लेट हो गई... चेहरा भी उतरा हुआ है। क्या हुआ बेटा?" बिब्बो जान कहती हैं।

    ईशिका मुस्कुराने की कोशिश करती है, लेकिन मुस्कान थकी हुई और झूठी सी होती है।

    "कुछ नहीं बिब्बो जान... बस कॉलेज में एक नया प्रोफ़ेसर आया है... थोड़े अजीब हैं... और कुछ नहीं।" ईशिका कहती है।

    "अजीब मतलब? अच्छा अजीब या बुरा अजीब?" बिब्बो जान चाय की केतली रखते हुए पूछती हैं।

    ईशिका कुछ देर चुप रहती है। फिर धीरे से बर्तनों को देखने लगती है, जैसे उनमें कोई जवाब छिपा हो।

    "पता नहीं... बस... सब कुछ बहुत जल्दी हो रहा है। कुछ समझ नहीं आता कि मुझे उससे चिढ़ है या... कोई और बात है। बस हर चीज़ उसके आस-पास घूमती सी लगती है।" ईशिका कहती है।

    "कभी-कभी बेटा, कुछ लोग हमारे दिल के दरवाज़े ऐसे खटखटाते हैं कि हम खुद से ही सवाल करने लगते हैं। तू सोच मत इतना... दिल को आराम दे।" बिब्बो जान धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहती हैं।

    ईशिका अब बिब्बो जान के गले लग जाती है। इशिका को बिब्बो जान अपनी माँ से कम नहीं लगती थीं; वह उन्हें बहुत मानती थीं और उन्हें हर बात बताती थीं।

    बचपन से लेकर आज तक उसका ख्याल उसकी बिब्बो जान ने ही रखा था। उसकी आँखें नम हो जाती हैं, पर वो रोती नहीं... बस चुपचाप उस पल में बिताना चाहती है।

    "कभी-कभी लगता है मम्मा होती तो... सब बता देती, समझा देती।" ईशिका कहती है।

    "तेरी मम्मा तुझमें ही तो हैं बिटिया... और मैं हूँ ना, जब तक ये बिब्बो जान जिंदा है, तुझे कभी भी अकेलापन महसूस नहीं होने दूँगी।" बिब्बो जान मुस्कुराते हुए कहती हैं। "हर पल किसी परछाई की तरह तेरे आसपास ही रहूँगी। एक तू ही तो है मेरी बच्ची।" अब इशिका की आँखों के आँसू और ज़्यादा उसे रोक नहीं पाते।

    ईशिका सिर हिलाकर फिर से मुस्कुरा देती है। लेकिन उसके मन में ध्रुव कश्यप की वो शांत सी आँखें, वो स्टिक के पीछे छुपी सख्ती, और वो हर बार का तीखा मगर सधा हुआ जवाब... अब भी घूम रहा है।

    और मन में सिर्फ एक सवाल...

    "क्यों फर्क पड़ने लगा है मुझे उनकी बातों से, उनकी नज़रों से?"

    आखिर किस असमंजस में पड़ी थी इशिका और क्या वह निकल पाएगी इस सवालों के उलझन से बाहर?

    आईए जानते हैं इसे अगले चैप्टर में।

  • 14. My Rude Professor - Chapter 14

    Words: 922

    Estimated Reading Time: 6 min

    बेबो जान के बनाए स्वादिष्ट खाने से इशिका का मूड थोड़ा बहुत ठीक हो गया था। बचपन से ही इशिका को नींद आने में काफी दिक्कत होती थी। इसलिए बेबो जान उसे लोरी या कहानी सुनाकर सुलाया करती थीं।

    इशिका अपने कमरे में बेबो जान की गोद में सिर रखे हुए थी। बेबो जान इशिका के बाल सहलाते हुए बोलीं, "चलिए, आज आपका मूड बहुत खराब था ना? आज मैं आपको एक बहुत ही खूबसूरत कहानी सुनाती हूँ। जो बिल्कुल आप जैसी प्यारी परी की कहानी है।"

    इशिका की आँखों में कहानी सुनने की चमक आ गई। उसने अपना ध्यान पूरी तरह से कहानी पर लगा दिया।

    बेबो जान ने धीरे-धीरे इशिका के बालों में उंगलियाँ फेरते हुए कहा—

    "एक ज़माना था बिटिया, बहुत दूर एक हसीन वादी में एक परी रहती थी। नाम था उसका नूरिया।"

    इशिका आधी नींद में मुस्कुराई—

    "परी?"

    "हाँ... वो कोई आम परी नहीं थी। उसके पंखों में रौशनी नहीं, उदासी थी। वो सिर्फ रात को निकलती थी, जब सब सो रहे होते थे। क्यों? क्योंकि उसका दिल टूटा हुआ था।"

    इशिका की आँखें हल्के से खुलीं।

    "क्यों टूटा था उसका दिल?"

    "उसने एक इंसान से मोहब्बत की थी... एक साधारण इंसान। वो हर रात चुपके से उसकी खिड़की के पास आकर उसे देखती थी, बस देखती थी... क्योंकि वो जानती थी कि अगर उसने उसे छू लिया, तो वो इंसान उसका हो जाएगा... मगर हमेशा के लिए अपना असली रंग खो बैठेगा।"

    इशिका की साँस गहरी हुई, जैसे वह कहानी में डूबने लगी हो।

    "एक दिन उस इंसान ने उसे देख लिया... और मुस्कुरा दिया। बिना डरे, बिना कुछ पूछे। और बस, उस दिन से नूरिया का सारा डर, सारी हिचकियाँ धीरे-धीरे मिटने लगीं। वो उसके पास जाने लगी। बात करने लगी। और दोनों को प्यार हो गया।"

    "फिर?" इशिका ने आँखें मूंदते हुए पूछा।

    "फिर वो दिन आया... जब उस इंसान ने नूरिया से कहा—'अब तुम हर रात नहीं, हर दिन मेरे साथ रहो।' नूरिया डर गई। क्योंकि अगर उसने इंसान की दुनिया को छू लिया, तो उसकी परी वाली दुनिया हमेशा के लिए छूट जाती। मगर प्यार के आगे कब कोई ताक़त टिक पाई है?"

    "उसने छू लिया?"

    "हाँ। और वो इंसान नूरिया के साथ हमेशा के लिए चला गया एक ऐसी जगह... जहाँ न रात थी, न दिन। बस मोहब्बत थी। वो दोनों एक-दूसरे की दुनिया बन गए। और कहा जाता है कि हर बार जब कोई दिल टूटा हुआ इंसान नींद नहीं ले पाता, तो नूरिया चुपके से उसके सिरहाने बैठ जाती है... उसकी नींद वापस देने।"

    इशिका अब गहरी साँसों में सोने लगी थी। बेबो जान ने उसके माथे पर हाथ फेरते हुए कहा—

    "शायद तू भी किसी नूरिया की तरह है... या शायद तुझे कोई वैसा ही इंसान मिलने वाला है। जो तुझसे बिना कुछ पूछे मुस्कुरा दे।"

    धीरे-धीरे बत्ती बुझा दी गई। खिड़की से आती हल्की हवा इशिका के चेहरे को छूती थी... जैसे किसी ने वाकई उसका सिरहाना छू दिया हो।

    आज इशिका की नींद हर दिन से ज़्यादा गहरी थी। नींद की गहराई में उसकी आँखों के सामने ध्रुव का मुस्कुराता हुआ चेहरा आ गया। उसे देखकर अनजाने में ही इशिका भी मुस्कुरा दी।

    बेबो जान उसके पास आकर बोलीं, "अरे, उठना नहीं है? कॉलेज जाना है बेटा!" मगर इशिका कहाँ इतनी आसानी से उठने वाली थी? एक बार नींद लग गई तो वह पूरी तरह कुंभकरण बन जाती थी।

    कई बार बेबो जान के उठाने पर भी इशिका नहीं उठी तो बेबो जान उसके कमरे की खिड़की पर लगे पर्दे को पूरी तरह खोल दिया। बाहर सूरज पूरी तरह उग आया था।

    धूप की हल्की-हल्की किरणें सीधा इशिका के चेहरे पर पड़ रही थीं। उसकी आँखें धीरे-धीरे खुलने लगीं। वह फिर से दूसरी करवट लेकर अपने मुँह पर तकिया रखते हुए बोली, "अम्म... थोड़ी देर और सोने दीजिए ना।"

    बेबो जान उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं, "बेटा, आपकी कॉलेज लेट हो जाएगी..." इशिका नाराज़ होते हुए मुँह बनाकर अपनी आँखें खोलकर बोली,

    "इतना खूबसूरत सपना देख रही थी... बेबो जान, आपने जगा दिया..."

    इशिका अभी भी पूरी तरह नींद के आगोश में यह सब बोल रही थी।

    बेबो जान उसकी गाल पर धीरे से हाथ फेरते हुए बोलीं, "कौन और क्या बोलने जा रहा था?"

    अचानक बेबो जान की आवाज़ से इशिका को होश आया और वह एकदम से बेड से खड़ी होकर बोली,

    "कु...कुछ नहीं।"

    और यह बोलकर वह जल्दी से नहाने के लिए बाथरूम की तरफ भाग गई, जैसे वह अगर थोड़ी देर और बेबो जान के सामने रही तो उसका झूठ पकड़ा जाएगा।

    बाथरूम में आते ही इशिका ने अपने ही हाथ से खुद के सिर पर एक चपेट मारते हुए कहा, "क्या मेरा दिमाग खराब हो गया है जो मैं उनके बारे में सोचकर यूँ मुस्कुरा रही हूँ?... आज मिलने दो मुझे उनसे कॉलेज में। जितनी बेइज्जती मेरी पहले दिन उन्होंने की थी, उसकी डबल आज मैं उन्हें लौटा कर वापस करूँगी।"


    आइए जानते हैं आखिर क्या करने वाली है इशिका आज ध्रुव के साथ.... और कैसे लेगी वह अपनी बेइज्जती का बदला?

    आइए जानते हैं इसे आने वाले अध्याय में।

  • 15. My Rude Professor - Chapter 15

    Words: 607

    Estimated Reading Time: 4 min

    इशिका जो अब उठ चुकी थी, मगर बेमन से—बेबो जान ने उसे जबरदस्ती उठाया था, हमेशा की तरह।

    वह किसी सोच में गुम थी और हल्की नींद में होने की वजह से खुद से ही बड़बड़ाते हुए कहती है,
    "क्या बेबो जान...😒"

    बस इतना ही वह बोलने जा रही थी कि उसे जगा दिया गया।

    बेबो जान, उसकी बात पर गौर करते हुए कहती हैं, "क्या मतलब..🧐 कौन और क्या बोलने जा रहा था?"

    अब जाकर इशिका का दिमाग काम करना शुरू किया और वह हड़बड़ाते हुए कहती है,
    "कु..कु...कुछ नहीं, मैं तो... मुझे नहाना है, मैं जा रही हूँ।"

    और यह बोलकर वह बाथरूम में भाग जाती है।

    बाथरूम में शावर ऑन करके, इशिका ठंडे पानी को अपने बदन पर महसूस कर पा रही थी। शावर का पानी उसके बालों से फिसलकर उसके हर एक बदन के कोने को भीगो रहा था।

    उसके दिमाग में बार-बार वही शख्स आ रहा था, जिस शख्स से वह नफरत करने का दावा करती थी।

    अपने दिमाग को उस ख्याल से झटके से हटाकर, वह खुद से कहती है, "आज मिलते हैं कॉलेज में, तब बताऊँगी उन्हें।"

    "बहुत हो गया उनका... आज मेरी तरफ से भी कुछ इंसल्ट उनके मुबारक होने वाला है।"

    और फिर वह तैयार होने के लिए कमरे में चली जाती है। हमेशा की तरह, उसने ब्लैक क्रॉप टॉप पहना, जिसमें उसकी पतली कमर थोड़ी बहुत दिख रही थी।

    नीचे उसने ब्लू फेडेड जींस पहनी। उसके बाल, जो नेचुरल ही बहुत खूबसूरत और सिल्की थे, खुले छोड़ दिए थे। होठों पर हल्की गुलाबी लिपस्टिक, हाथ में एक स्मार्ट वॉच और पैरों में स्नीकर्स पहनकर वह पूरी तरह तैयार हो चुकी थी।

    आइने में खुद को देखकर वह कहती है, "तैयार हो जा, इशिका। आज तुझे इस जंग में जीतना है।" और खुद को आइने में हाई-फाई करके वहाँ से चली जाती है।

    बेबो जान ने उसके लिए नाश्ता पहले ही तैयार करके रखा था, लेकिन आज उसने नाश्ता नहीं किया। वह बस अनार का जूस पीकर बेबो जान से अपनी गाड़ी की चाबी मांगती है।

    बेबो जान उसे देखकर कहती हैं, "आपको अनार का जूस कब से इतना पसंद आने लगा?"

    इशिका कहती है, "पसंद नहीं आने लगा, मुझे आज ताकत की बहुत जरूरत है। आप मेरी चाबी दीजिए, बेबो जान।"

    और वह अपनी गाड़ी लेकर सानवी के घर के सामने रुकती है। सानवी भी पहले से तैयार हो गई थी। इशिका की गाड़ी आते ही वह भी बाहर आती है और इशिका की गाड़ी में बैठ जाती है।

    इशिका को इतना शांत देखकर सानवी उससे पूछती है, "क्या बात है आज? यह खामोशी मुझे आने वाले किसी बहुत बड़े बवंडर का इशारा दे रही है।"

    इशिका कहती है, "हँ... बहुत हो गया उनकी तरफ से वार, अब आज एक मेरा वार सहना होगा उन्हें। आखिर समझ क्या रखा है इशिका सहगल को? हो गई होंगी बाकी लड़कियाँ लड्डू उन पर, मगर मैं उनमें से नहीं हूँ। आज दिखाना ही पड़ेगा उन्हें कि इशिका सहगल क्या चीज है।"

    सानवी उससे पूछती है, "क्या करने वाली है तू?"

    इशिका, बहुत ही गर्व से अपने बालों को थोड़ा झटके से पीछे करते हुए कहती है, "बस देखती जा तू। आज मुझे उन पर बहुत गुस्सा आ रहा है। आज तो कुछ बहुत बड़ा करने का सोचा है मैंने।"

    और इसी बातचीत के साथ वे लोग कॉलेज पहुँच जाते हैं।

    आगे जानेंगे कि इशिका प्रोफेसर ध्रुव के साथ क्या करने वाली थी।

  • 16. My Rude Professor - Chapter 16

    Words: 980

    Estimated Reading Time: 6 min

    इशिका सानवी के साथ कॉलेज पहुँची थी। इशिका ने सफ़ेद-काले रंग का क्रॉप टॉप और नीली फ्लेयर्ड जीन्स पहन रखा था। बाल खुले थे और आँखों में हमेशा की तरह शरारत थी। सान्वी उसके बगल में चलते हुए हँस रही थी।

    सान्वी (हँसते हुए): "वैसे, तेरी तारीफें सुनकर तो प्रोफेसर साहब आज कुछ ज़्यादा ही कॉन्फिडेंट होंगे।"

    इशिका (आँखें मटकाते हुए): "कॉन्फिडेंट नहीं, घमंडी हो जाएँगे... तो थोड़ा बैलेंस करना ज़रूरी है।"

    सान्वी हँस पड़ी। इशिका के दिमाग में अब भी ध्रुव की बातें घूम रही थीं। वह कल वाले कॉन्फिडेंस का बदला लेना चाहती थी—कुछ ऐसा जिससे प्रोफेसर ध्रुव थोड़ा असहज हों।

    कॉरिडोर में चलते हुए उन्हें सामने से ध्रुव आते दिखे—सफ़ेद शर्ट में, हल्के खुले कॉलर, काली पैंट्स और घड़ी पहने हुए। वह अपनी फ़ाइल्स देखकर कुछ सोचते हुए आ रहे थे।

    सान्वी (धीरे से): "अबे, आज तो और भी ज़्यादा स्मार्ट लग रहे हैं।"

    इशिका की नज़र उनकी शर्ट के ऊपर के दो बटन पर पड़ी जो खुले थे, और उस नीचे की हल्की सी muscular chest line पर जो साफ़ दिख रही थी। उसने तुरंत अपनी नज़रें घुमा लीं।

    इशिका (हँसी रोकते हुए): "अच्छा है, जल्दी target clear हो जाएगा…"

    जैसे ही वह सामने आई, जानबूझकर अपनी पानी की बोतल का ढक्कन थोड़ा ढीला कर दिया। चलते-चलते जैसे ही वह पास पहुँची, अचानक बोतल टकराई और ध्रुव की सफ़ेद शर्ट पर पानी गिर पड़ा।

    ध्रुव (चौंकते हुए): "Excuse me?!"

    इशिका (बिलकुल मासूमियत से): "ओह... सॉरी सर, गलती से गिर गया।"

    ध्रुव ने उसकी आँखों में झाँका। वह साफ़ समझ रहे थे कि यह कोई गलती नहीं थी।

    ध्रुव (कसकर): "Miss Sehgal, एक बार आप 'गलती' से क्लास में देर हो जाती हैं, अब यह… आइए मेरे साथ, अभी।"

    वह तेज़ी से मुड़े और अपने केबिन की ओर चल दिए। ध्रुव के केबिन में…

    ध्रुव ने जैसे ही दरवाज़ा खोला, अंदर जाते ही अपनी शर्ट के ऊपर के दो और बटन खोल दिए और वाइपर से पानी साफ़ करने लगे। इशिका दरवाज़े पर खड़ी मुस्कुरा रही थी।

    ध्रुव (बिना देखे): "अंदर आइए, यह बाहर खड़े होकर मुस्कुराने की जगह नहीं है।"

    वह धीमे क़दमों से अंदर गई और सामने कुर्सी पर बैठ गई। उसकी नज़र अनजाने में उनके सीने की ओर गई, और फिर तेज़ी से उसने नज़रें घुमा लीं।

    ध्रुव (उसकी हालत भांपते हुए): "क्या देख रही हैं आप? या फिर कोई अगला 'गुनाह' प्लान कर रही हैं?"

    इशिका (हल्के से मुस्कुराते हुए): "नहीं सर, बस सोच रही थी कि आप इतने स्ट्रिक्ट हैं, लेकिन शर्ट के बटन खुले रखना allowed है क्या?"

    ध्रुव ने उसकी तरफ़ देखा, धीरे से शर्ट के कॉलर को अपनी उंगली से छुआ और इशिका से कहा, "तुम्हें अगर नज़ारे इन्जॉय करने से फुर्सत मिल गई हो तो मेरी बातों पर फ़ोकस करो।"

    यह सुनकर इशिका का मुँह बन गया, और वह फिर से अपने एटीट्यूड भरे लहजे में बोली, "एक्सक्यूज मी, मुझे कोई शौक नहीं है, आपको इस तरह देखने का।"

    ध्रुव, जो इशिका के मुँह से ही सब कुछ बुलवाना चाहते थे, वह तो हक़ीकत जानते थे कि इशिका ने यह सब कुछ जानबूझकर किया है।

    ध्रुव: "मुझे बहुत अच्छे से पता है कि यह सब कुछ तुमने क्यों किया है… तुम यह सिर्फ़ दिखाने की कोशिश करती हो कि तुम बाकी बच्चों से अलग हो, मगर ऐसा है नहीं। 'मिस इशिका सहगल।'"

    इशिका: "तो आपको क्या लगता है मैंने क्यों किया?"

    ध्रुव: "Ofcourse, तुम भी बाकी लड़कियों की तरह मुझे देखना चाहती थी।"

    इशिका: यह सुनते ही वह अपने आप पर कंट्रोल खोती हुई थोड़ी तेज आवाज़ में बोली, "मैं उन बेवकूफ़ लड़कियों में से बिल्कुल नहीं हूँ। मैंने तो बस यह इसलिए किया था ताकि मैं आपको…"

    उसने इतना ही बोला था कि तभी उसकी नज़र ध्रुव के चेहरे पर गई, और अब जाकर उसे सारा खेल समझ आ गया था।

    ध्रुव के चेहरे पर एक विनिंग स्माइल आ गई थी, जैसे वह ईशिका से जो बुलवाना चाहते थे, वह उन्होंने बुलवा लिया।

    इशिका अब और कुछ नहीं कहती। वह उसे और ज़्यादा चढ़ाते हुए बोले,

    ध्रुव: "प्रोफेसर प्रोफेसर ही होता है…"

    अब इशिका कहाँ चुप रहने वालों में से थी। वह भी तंज कसते हुए बोली,

    इशिका: "वैसे सर, आपको पानी की जगह थोड़ा sarcasm भी धो डालना चाहिए था। बहुत चिपक गया है।"

    ध्रुव उसके पास आकर उसकी तरफ़ झुके, और अब दोनों के बीच महज़ एक हाथ का फ़ासला था। कमरे में कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया।

    ध्रुव (धीरे से): "और आपको sarcasm छोड़कर थोड़ी seriousness अपना लेनी चाहिए, Miss Sehgal। वरना अगली बार सिर्फ़ केबिन नहीं, suspension भी हो सकता है।"

    इतना कहकर उन्होंने हाथ बढ़ाया, सामने पड़े फ़ाइल्स में कुछ ढूँढने लगे। इसी दौरान इशिका उठी और गलती से उसके हाथ उनके हाथ से टकरा गए।

    दोनों के हाथ एक पल के लिए जुड़े, और उसी पल कुछ अजीब सा एहसास दोनों के दिलों में हुआ।

    इशिका ने हाथ खींचा, पर उसकी आँखें अब भी ध्रुव के चेहरे पर टिकी थीं। और ध्रुव… वह पहली बार कुछ पलों तक चुप थे।

    ध्रुव (धीरे से, थोड़े भारी आवाज़ में): "अब जाइए… और अगली बार ज़रा संभलकर चलिए।" वरना अगर मैं शरारत करने पर आया था, तुम झेल नहीं पाओगी… इशिका।

    इशिका: "देखते हैं कौन किसको नहीं झेल पाता।"

    ध्रुव: "वैसे… वह कल वाला review… अचानक से opinion बदल गया?"

    इशिका (उसने तंज भरे लहजे में कहा): "प्रोफेसर तो आखिर प्रोफेसर ही होता है ना सर… तो आपको तो अच्छे से पता होगा कि मैंने आपको इस कॉलेज में रखने का ओपिनियन क्यों दिया। मैं किसी से डरने वालों में से नहीं हूँ। अगर मेरी कोई एक भी बेइज़्ज़ती करेगा तो उसे ज़िन्दगी भर के लिए पछताना पड़ेगा।"

    आइए जानते हैं यह कन्वर्सेशन आखिर कहाँ जाकर रुकेगी… और आज की लड़ाई में कौन बनने वाला है विनर—हमारे प्रोफ़ेसर या फिर इशिका?

    आइए जानते हैं इसे अगले चैप्टर में।

  • 17. My Rude Professor - Chapter 17

    Words: 686

    Estimated Reading Time: 5 min

    सारे क्लास के बच्चे इशिका की तरफ ही नज़रें करते हुए आपस में गॉसिप कर रहे थे, क्योंकि बाकी स्टूडेंट्स को भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इशिका ने ऐसा क्यों कहा। कल ध्रुव ने इशिका का insult भी किया था, और इशिका को तो अपनी insult बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती। तो फिर वह इस प्रोफेसर को कैसे रोक सकती है?

    इशिका, जो सबकी नज़रों को इग्नोर करते हुए अपनी बुक पर कंसंट्रेट कर रही थी—यह बच्चों के लिए दोबारा से एक शॉकिंग चीज़ थी। इशिका तो कभी भी पढ़ाई में मन नहीं लगाती थी, वहीं आज वह अपनी साइकोलॉजी की बुक खोलकर पढ़ रही थी।

    सान्वी ने अपने एल्बो से उसके पेट पर हल्का सा धक्का मारा।

    "ओ हेलो मैडम! पढ़ाई की दुनिया में इतनी गुम हो गई हैं कि आप हमको अवॉइड कर रही हैं?"

    इशिका ने अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा, "नहीं यार, मैं बस पढ़ रही हूँ। प्लीज डोंट डिस्टर्ब मी..."

    सान्वी ने इशिका की बुक पकड़ी और उसे अपनी तरफ खींचते हुए उसकी बुक बंद कर दी।

    "ओ भैया! चुपचाप से मुझ पर फोकस कर, और दूसरी चीज़ यह बता कि आखिर तूने प्रोफेसर के बारे में ऐसा रिव्यू क्यों दिया...? आई मीन, हमें तो लगा था कि तू कुछ बहुत ही बुरा और बहुत ही खराब सा बोलेगी उनके बारे में। तूने तो यार सब कुछ शॉक करके रख दिया! सैटिस्फाइंग लगे प्रोफेसर? वो क्यों? भाई, ऐसा क्या सैटिस्फाई कर दिया तुझे?"

    इशिका ने सान्वी की तरफ घूरते हुए कहा, "तू कभी भी चीज़ों को सीधे तरीके से नहीं बोल सकती है। हमेशा जलेबी की तरह घुमा कर क्यों बोलना होता है? और कहना क्या चाहती है तू?"

    "अगर वो प्रोफेसर अच्छे हैं, टैलेंटेड हैं, तो—"

    सान्वी ने उसकी बात को बीच में ही काटते हुए कहा, "हाँ हाँ! हैंडसम हैं, चार्मिंग हैं, बहुत ही गुड लुकिंग हैं, कमाल की पर्सनालिटी है, डैशिंग हैं—यही कहना चाहती हो ना? तो फिर ये 'टैलेंटेड' का मुखौटा मत डालो उस पर!"

    इशिका ने सान्वी की बात सुनकर अपनी बुक उससे छीनते हुए कहा, "तेरा दिमाग बस इन्हीं सब चीज़ों में रह जाएगा!"

    सान्वी ने उसे मुस्कुराते हुए देखा और कहा, "हाँ तो! अब तेरा दिमाग तो लगता ही नहीं लड़कों में। जितने भी लड़के तुझे आज तक प्रपोज़ कर चुके हैं, सबके मुँह पर सिर्फ़ और सिर्फ़ थप्पड़ मले हैं। आखिर तू किसी लड़के के साथ सेटल क्यों नहीं हो जाती? अच्छा मान ले, हमेशा के लिए नहीं... कम से कम कुछ दिनों के लिए डेट करके तो देख! अच्छी चीज़ होती है।"

    इशिका ने कुछ सोचते हुए कहा, "ट्राई करूँगी मैं..."

    वो जिसके बारे में सोच रही थी, उसे सोचकर ही उसके चेहरे पर स्माइल आ गई। जब वो दोबारा सान्वी की तरफ देखती है, तो सान्वी उसे टीज़िंग निगाहों से देख रही थी और अपनी आइब्रोज़ उठाते हुए इशिका से कहा,

    "हम हम... किसके बारे में सोचा जा रहा है? वैसे डेट करने के लिए तुम्हारे लेवल का लड़का... मुझे नहीं लगता कि इस कॉलेज में कोई स्टूडेंट मिलेगा। हाँ, अगर किसी प्रोफेसर-वोफेसर पर तुम्हारी निगाहें हैं तो..."

    जैसे ही इशिका उसकी बात सुनती है, उसने उसके सिर पर हल्का सा मारते हुए कहा,

    "चुप भी हो जा! अब हर बात पर बस वही बात? तेरे दिमाग में कुछ और चलता ही नहीं क्या?"

    और ऐसे ही सान्वी, इशिका को बार-बार परेशान करती रही।

    थोड़ी देर बाद उनके इंग्लिश के प्रोफेसर क्लास में आये—जिनके पीरियड में किसी का भी इंटरेस्ट नहीं था... इवन इशिका का भी नहीं। इशिका ज़रूर इंग्लिश के प्रोफेसर से पढ़ रही थी, मगर उसका ध्यान अभी भी किसी और ने अपनी तरफ अट्रैक्ट करके रखा हुआ था।

    जैसे ही क्लास ओवर हुई, सान्वी फिर से इशिका को वैसे ही तंग करने लगी। और ऐसे ही, आज का कॉलेज का टाइम भी ओवर हो गया।

  • 18. My Rude Professor - Chapter 18

    Words: 766

    Estimated Reading Time: 5 min

    इशिका, कॉलेज ओवर होने के बाद अपने दोस्तों को बाहर इंतज़ार करने को कहकर, हाथ में कार की चाबी लेकर स्टाइलिश अंदाज़ में पार्किंग की ओर जा रही थी।

    तभी उसकी नज़र ध्रुव पर पड़ी—जो किसी से फ़ोन पर बात कर रहे थे।

    इशिका की नज़र ध्रुव पर पड़ते ही उसका पूरा एक्सप्रेशन बदल गया। जहाँ अभी तक वह बड़ी स्टाइल से अपनी गाड़ी की ओर आ रही थी, वहाँ ध्रुव को देखकर उसकी चाल ही बदल गई।

    ध्रुव, पीछे मुड़कर अपना फ़ोन काटते हुए, इशिका को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करते हुए अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गए—जैसे कि वे उसे पहचानते ही ना हों, या फिर जैसे उनके लिए इशिका कोई ख़ास न हो।

    इशिका को यह सब बहुत अजीब लगा। वह खुद से बुदबुदाती हुई ध्रुव के पीछे-पीछे उन्हें रोकने की कोशिश करने लगी।

    अपना गला साफ़ करते हुए वह ध्रुव का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहती थी, मगर ध्रुव उस पर ध्यान नहीं दे रहे थे। वह हल्का सा पीछे मुड़े और इशिका को देखकर फिर से अपनी गाड़ी की ओर जाने लगे। इशिका उनके सामने आकर बोली,

    "ज्यादा ओवर स्मार्ट बनने की ज़रूरत नहीं है और हाँ, कहीं ज़्यादा खुश तो नहीं हो गए आप कि आपको ईशिका से तारीफ़ मिल गई और इस कॉलेज में रोक लिया है तो आपने कोई बहुत बड़ी जंग जीत ली है।"

    ध्रुव ने बहुत ही सख़्ती से कहा,

    "मेरा टाइम वेस्ट मत करो..."

    ध्रुव की बात सुनकर इशिका को थोड़ा अजीब लगा क्योंकि अब तक ध्रुव ने इतने एटीट्यूड में इशिका से बात नहीं की थी। वैसे तो उसने ध्रुव के साथ ज़्यादा बातें नहीं की थीं, मगर उसे इस बात का अंदाज़ा था कि ध्रुव इतने एटीट्यूड वाले और इतने एरोगेंट नेचर के नहीं हैं। मगर आज ध्रुव का व्यवहार इशिका के साथ कुछ अलग ही था।

    ईशिका ने अपनी भौंहें चढ़ाते हुए कहा,

    "ओह! तो टाइम नहीं है आपके पास?"

    ध्रुव ने दोबारा से उसकी तरफ़ बिना देखे कहा, "हम्म्म... और तुम मेरा टाइम वेस्ट कर रही हो।" ध्रुव ने यह बात काफी सख़्त लहजे में कही।

    इशिका फिर से गुस्से में उनके पीछे-पीछे आई और बोली,

    "एक मिनट..."

    "मैं आपको कुछ क्लियर कर देना चाहती हूँ।"

    "ये जो आप खुशफहमी पाल ली है ना! कि आपको ईशिका सहगल ने इस कॉलेज में रोक लिया है तो आप बहुत ही अच्छे प्रोफ़ेसर हैं, बहुत टैलेंटेड हैं या जो भी कुछ मैंने प्रिंसिपल सर के सामने कहा वो सब कुछ झूठ था।"

    "ओके! मुझे आप में जरा भी इंटरेस्ट नहीं है।"

    ध्रुव ने इशिका की बात सुनकर उसकी ओर मुड़कर, आँखों में आँखें डालते हुए, उसकी ओर आते हुए उसे एक गाड़ी से टिकाकर उसके चेहरे के थोड़ा करीब आकर कहा,

    "अच्छा तो तुम्हारे इंटरेस्ट में तुम्हें लगता है कि मुझे कोई इंटरेस्ट है...?"

    ध्रुव की ये जलेबी जैसी बातें सुनकर इशिका का मुँह बन गया। इशिका ने उनके सीने पर अपनी एक उंगली से इशारा करते हुए उन्हें खुद से अलग करते हुए कहा, "थोड़ा दूर होकर बात करेंगे आप मुझसे।"

    "मुझे चिपकू लोग पसंद नहीं हैं।"

    ध्रुव इशिका के और करीब आते हुए उसकी उंगली को अपने सीने से हटाते हुए उसकी आँखों में आँखें डालकर बोले, "और मुझे चिपकना पसंद नहीं है। सो... "स्टे अवे फ्रॉम मी...." और यह बोलकर वह अपनी कार स्टार्ट करके अपनी कार में बैठ गए।

    वहीं इशिका, ध्रुव की कार की खिड़की के पास आकर खड़ी हो गई और बोली,

    "हम्म्म... एक दिन में काफ़ी रूड हो गए हैं, आप?"

    ध्रुव झुककर, बिना उसकी तरफ़ देखे, ठंडे लहजे में बोले,

    "वो मैं पहले से था। और अब तुम दूर हो जाओ, वरना कल तुमने मेरी कार ठोकी थी, आज कहीं मैं तुम्हें न ठोक दूँ।"

    और यह बोलकर वह अपनी गाड़ी स्टार्ट करके कॉलेज से बाहर निकल गए।

    इशिका से इस तरह की बात कोई नहीं करता था... मगर पता नहीं क्यों, प्रोफ़ेसर की यह बात उसे उतनी बुरी भी नहीं लगी। ना जाने क्यों... मगर प्रोफ़ेसर का व्यवहार, जैसा भी हो, इशिका को काफ़ी अनोखा लगा था।

    वह भी इन सब ख्यालों को झटकती हुई अपने घर की ओर गाड़ी लेकर निकल गई।

  • 19. My Rude Professor - Chapter 19

    Words: 631

    Estimated Reading Time: 4 min

    इशिका ध्रुव से बात करने की कोशिश करती रही, पर ध्रुव का रवैया पूरी तरह बदल चुका था। इशिका को अंदाजा ही नहीं था कि ध्रुव इतने अभिमानी हैं।

    वो इशिका को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करते हुए जाने लगे, तो इशिका उनके सामने आकर बोली,
    "ज़्यादा ओवर याद करने की ज़रूरत नहीं है... और खुद को क्या समझते हैं आप? बहुत बड़ा तीर मार लिया इस कॉलेज में रुक के? वो तो मेरी मर्ज़ी से आप रुके हैं!"

    इशिका ध्रुव को गुस्सा दिलाने की कोशिश करती रही, मगर ध्रुव पर उसके शब्दों का कोई असर नहीं हुआ। वो उसे अनदेखा करते हुए अपनी कार में बैठ गए और कॉलेज से निकल गए।

    इशिका का मुँह खुला का खुला रह गया। उसे उम्मीद नहीं थी कि ध्रुव इस तरह प्रतिक्रिया देंगे। वैसे तो इशिका ने ध्रुव से ज़्यादा बात नहीं की थी, मगर उनकी आदतों से उसे लगा था कि वो बाकी प्रोफ़ेसरों की तरह सामान्य होंगे। मगर ये रवैया... पहली बार किसी ने इशिका को दिखाया था। इस बात से इशिका दंग रह गई थी।

    पीछे से सान्वी उसके सिर पर हल्का सा मारते हुए बोली,
    "ये गेट पर क्यों देख रही है तू? क्या गेटकीपर बनने का शौक लग गया है तुझे?"

    सान्वी की बातें सुनकर इशिका अपना ध्यान गेट से हटाकर अपनी कार की ओर जाने लगी। सान्वी भी उसी की कार से आती-जाती थी, इसलिए वो भी उसके पीछे-पीछे कार में बैठ गई।

    आज इशिका का मूड कुछ खास अच्छा नहीं था। सान्वी ने पूछा,
    "क्या हुआ? तू ऐसे क्यों मुँह बनाकर बैठी है, जैसे तेरा ब्रेकअप हो गया हो?"

    इशिका ने सिर ना में हिलाते हुए कहा,
    "हर बात ब्रेकअप ही थोड़ी होती है सान्वी। और वैसे भी इंसान का मूड सिर्फ़ इसी वजह से खराब हो, ऐसा ज़रूरी थोड़ी है।"

    सान्वी ने तुरंत कहा,
    "नहीं नहीं... ऐसा ज़रूरी तो नहीं है। हो सकता है तेरा किसी पर क्रश हो... और वो तुझे इग्नोर कर रहा हो?"

    नहीं, वह क्रश तेरा ध्रुव सर पर तो....

    जैसे ही सान्वी कुछ ऐसा कहने वाली थी, इशिका ने गाड़ी की ब्रेक जोर से मारी और गुस्से में कहा,
    "अगर आइंदा से इस तरह की बातों से मुझे टीज़ करने की कोशिश की ना तू, सान्वी... तो एक काम कर, तू उतर! मुझे नहीं जाना, तू उतर गाड़ी से!"

    सान्वी हँसते हुए बोली,
    "सॉरी यार, मज़ाक कर रही थी। तू तो काफी ज़्यादा सीरियस ले रही है मेरी बातों को। पहले तो तू सारे मज़ाक सह लिया करती थी। शायद ये मज़ाक तुझे चुभ गया।"

    इशिका का मूड पूरी तरह से खराब हो चुका था। सान्वी समझ गई और माहौल बदलने के लिए बोली,
    "अरे... वो देख! हमारा फेवरेट गुपचुप वाला! चल ना, आज गुपचुप खाते हैं!"

    इशिका ने धीरे से ना में सिर हिलाते हुए कहा,
    "मुझे नहीं खाना... मेरा मूड नहीं है।"

    सान्वी फिर भी नहीं मानी, अपनी सामान्य मस्ती में बोली,
    "यार देख तो सही, कितना तीखा पानी लग रहा है! उफ्फ... ओ माय गॉड! और वो देख — दही भी डाल के दे रहा है! चल ना खाते हैं प्लीज़... मेरे तो मुंह में पानी आ गया।"

    सान्वी की बातों पर इशिका भी थोड़ा मुस्कुरा दी। गुपचुप तो उसे भी बहुत पसंद था। वो अपनी गाड़ी एक तरफ पार्क करती है...

    आंखें क्यों बुरा लग रहा था इशिका को, ध्रुव का यह बदला हुआ रूप? आईए जानते हैं अगले अध्याय में...

  • 20. My Rude Professor - Chapter 20

    Words: 893

    Estimated Reading Time: 6 min

    दोनों एक साथ गुपचुप खाने चली गईं। इशिका को इस बात से जरा भी फर्क नहीं पड़ता था कि रोड साइड पर खाने से कोई उसे जज करेगा या नहीं; उसे तो बस मज़ा आता था, इसीलिए वह रोड साइड पर खाया करती थी। वहीं सानवी को भी उसने बिल्कुल अपने जैसे बना लिया था। खाते-खाते वे दोनों आपस में बातें करती रहीं। सानवी इशिका से कहती है, "तुझे पता है ना, आज हमें क्लब जाना है।"

    इशिका कहती है, "हम्म... याद है मुझे।"

    इशिका (गुपचुप वाले भैया से): "भैया, थोड़ा और तीखा करिए ना, अभी मज़ा नहीं आ रहा।"

    सानवी उससे कहती है, "देख, बहन, कहीं पेट ना खराब हो जाए। इतना तीखा कैसे एडजस्ट करती है तू?"

    इशिका कहती है, "भाई, तीखा खाने से तुझे नहीं पता क्या होता है?"

    सानवी उससे पूछती है, "क्या होता है...?"

    "प्रोफेसर पट जाएंगे..."

    इशिका, अपने हाथ में ली प्लेट को उसके मुँह पर मारते हुए कहती है, "तू ना कभी सुधर नहीं सकती क्या? हर बात को प्रोफेसर तक ले जाती है!"

    सानवी हँसते हुए पीछे हटती है, "अब क्या करूँ? तू भी तो हर बात पर blush करने लगती है ध्रुव सर का नाम सुनते ही!"

    इशिका उसकी तरफ घूरते हुए कहती है, "तेरे जैसे फ्रेंड हो तो दुश्मन की ज़रूरत नहीं। कभी नहीं सुधरेगी तू!"

    सानवी के मुँह पर इशिका ने प्लेट मार दी थी, जिसकी वजह से उसके गुपचुप का पानी सानवी के मुँह पर जा गिरा। जिसकी वजह से वह अपनी हैंकी से जल्दी से अपना मुँह पोछती है और इशिका को गुस्से में कहती है, "तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या? ये क्या कर दिया तूने? मेरी पूरी ड्रेस खराब कर दी!"

    इशिका चिढ़ते हुए वहाँ से चली जाती है, वहीं सानवी, इशिका के पीछे-पीछे आते हुए कहती है, "तू रुक! मैं तुझे बताती हूँ!"

    इशिका जल्दी से गाड़ी में आकर बैठ जाती है और सानवी भी आकर बैठ जाती है। फिर दोनों एक साथ हँसने लगती हैं।

    वहीं इशिका उससे कहती है, "सॉरी बेबी गर्ल, मैं तुझे जानबूझकर ये सब नहीं की। अब क्या करूँ, पैसे ना देने का और कोई बहाना था ही नहीं मेरे पास।"

    इशिका की बात सुनकर सानवी हँसते हुए कहती है, "अरे यार! हम हमेशा उन्हें ऐसे ही पोपट बनाते हैं। वैसे हमें उनका पैसा मारना नहीं चाहिए, पर फिर भी हम आदत से मजबूर हैं, क्या करें?"

    इशिका कहती है, "और नहीं तो क्या! और वैसे भी हम कितनी फुल्की खा लेते हैं? वही तो, बस 20 फुल्की खाए, उसका भी पैसा लेते हैं वो।"

    इशिका और सानवी यह बोलकर निकल गईं, जिससे हमें यह पता चला कि इशिका और सानवी कितनी बदमाश थीं।

    वहीं कार सानवी के घर के सामने आई। इशिका कहती है, "ले, आ गया तेरा घर।"

    सानवी गेट खोलती है और बाहर निकलते हुए कहती है, "याद है ना, आज 8 बजे तैयार हो जाना। हमें क्लब जाना है। और प्लीज़ मेरी जान, लेट मत करना! वैसे भी तू लेट करने में बहुत माहिर है।"

    इशिका बड़े ऐटिट्यूड में कहती है, "तुझे नहीं पता है डार्लिंग, स्टार हमेशा लेट ही आते हैं।"

    सानवी हँसते हुए कहती है, "बहुत बड़ी स्टार है ना तू!"

    इशिका, सानवी को ड्रॉप करके अपने घर के लिए निकल जाती है। कुछ ही देर में उसका भी घर आ जाता है और अपनी कार को पार्क करके वह गुनगुनाते हुए अंदर चली जाती है।

    पहले तो उसका मूड काफी ज्यादा ऑफ था, मगर फुल्की खाने के बाद दोबारा से इशिका का मूड काफी अच्छा हो चुका था।

    उसके घर पर उसके अलावा और कोई नहीं रहा करता था। कभी-कभी उसके पेरेंट्स उसके साथ रहने के लिए आ जाते थे, मगर वैसे तो वे लोग बाहर ही रहते थे। इशिका के साथ उसकी फेवरेट मेड रहती थी, जिसे वह "बेबो जान" कहकर बुलाया करती थी।

    वह गुनगुनाते हुए घर आती है और अंदर बेबो जान को देखकर कहती है, "बेबो जान! देखिए, आपकी जान हाज़िर है यहाँ पर।"

    वह मेड जो इशिका के लिए लंच की तैयारी कर रही थी, इशिका को देखकर कहती है, "आप इतनी जल्दी आ गईं?"

    इशिका उनसे कहती है, "मैंने कितनी बार कहा है बेबो जान, मुझे आप कहकर मत बुलाया करें। ऐसा लगता है कोई बहुत ही बढ़िया सी इंसान हूँ मैं। अब मुझे 'तू' या 'तुम' कहकर बुला सकती हैं।"

    वहीं बेबो जान कहती हैं, "आपको हम कैसे 'तू' या 'तुम' कहकर बुला सकते हैं हम?"

    वह आगे कुछ कहती हैं कि तब तक इशिका उनको हग करते हुए कहती है, "आप आज इस तरह की कोई बकवास नहीं करेंगे, जिससे मेरा मूड दोबारा से खराब हो!"

    "और क्या बना रही हैं आप?"

    इशिका बड़े क्यूरियस होते हुए कढ़ाई में देखती है।

    बेबो जान इशिका से कहती हैं, "आपकी फेवरेट बटर चिकन बन रही है। आपको बहुत पसंद है ना?"

    इशिका अपना सर हाँ में हिलाते हुए कहती है, "थैंक यू! आप कितनी अच्छी हैं। आपको सारी बातें पता होती हैं। आप तो मेरी मम्मी और डैडी से ज़्यादा मेरा ख्याल रखती हैं।"

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