सिमरन अपने मम्मी पापा की मौत का बदला लेने के लिए हर हद से गुजर जाती है। उसके इस बदले की आग को बुझाने में अर्नव उसकी मदद करता है।
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मुंबई एयरपोर्ट, २००२। प्रकाश जी अपनी पत्नी कल्पना के साथ एयरपोर्ट से बाहर निकले। आज वे एक महीने बाद अपनी दस वर्षीय पुत्री से मिलने जा रहे थे। उन्होंने देखा कि उनका ड्राइवर उन्हें लेने आया है। अपने सामान की ट्रॉली लेकर वे उसकी ओर बढ़े। ड्राइवर ने अपने मालिक प्रकाश मेहरा जी को देखकर सलाम किया और मुस्कुराते हुए कहा, "आप आ गए मालिक, आपको देखकर बहुत खुशी हुई।" प्रकाश जी ने ड्राइवर हरि काका की पीठ पर थपथपाते हुए कहा, "मैं तो ठीक हूँ, आप बताइए हरि काका, आप कैसे हैं और हमारी बिटिया कैसी है? इस बार बिज़नेस मीटिंग में ज़्यादा समय लगा है, वह मुझसे ज़्यादा नाराज़ तो नहीं है ना?" हरि काका ने सामान को गाड़ी की डिक्की में रखते हुए कहा, "मैं बहुत अच्छा हूँ मालिक... बिटिया भी ठीक है। बस थोड़ी सी रूठी हुई है आपसे। आपने इस बार वहाँ से आने में कुछ ज़्यादा ही देर लगा दी। वह कितने दिनों से आपका इंतज़ार कर रही है। बहुत बहला-फुसलाकर मैंने उन्हें समझाया था।" कल्पना जी ने अपना बैग कार के अंदर रखते हुए कहा, "हरि काका, हम दोनों को देखकर उसकी नाराज़गी यूँ ही दूर हो जाएगी। जल्दी चलें, कब उसे देखूँगी और अपने गले से लगाऊँगी, इसका सब्र नहीं हो रहा मुझसे।" हरी काका ने ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए कहा, "आपने सही कहा मालकिन, आप दोनों को देखकर उनकी नाराज़गी पल में गायब हो जाएगी। और एक बात, आप आ रहे हैं, यह बात उन्हें पहले से ही पता है। पूरे घर को सजा रही है वह।" प्रकाश जी ने थोड़े गंभीर स्वर में पूछा, "हरि काका, शेखावत की कोई खबर? घर पर कितने चक्कर लगाए हैं उसने?" हरि काका ने सामने की ओर देखते हुए गाड़ी चलाते हुए कहा, "अब तक पाँच चक्कर लगाए हैं और शायद आज भी वह आने की कोशिश करेंगे। आप दोनों इतने अच्छे दोस्त हैं, लेकिन बात बिगड़ी कहाँ पर गई?" प्रकाश जी ने ठंडे स्वर में कहा, "बिज़नेस में ऐसी छोटी-मोटी नाराज़गियाँ तो चलती रहती हैं हरि काका, इसका मतलब यह नहीं कि हम अच्छे दोस्त नहीं। हम पहले से अच्छे दोस्त हैं और आगे भी ऐसे ही रहेंगे, बस जिस बात की नाराज़गी है उसका हल ढूँढना बाकी है।" प्रकाश जी की बात सुनकर हरि काका ख़ामोश हो गए। लेकिन कल्पना जी का मन अशांत हो गया। उन्हें पता था बिज़नेस में नाराज़गी कोई छोटी बात नहीं होती। एयरपोर्ट से वे लोग बहुत दूर निकल आए थे। हरि काका ने अब तक कार की स्पीड नहीं बढ़ाई थी। बातें करते हुए वे आगे चल रहे थे। तभी प्रकाश जी ने कहा, "हरि काका, दो मिनट साइड में गाड़ी रोकना, मुझे अपनी प्रिंसेस के लिए गिफ्ट खरीदना है। अगर आज उसे उसका गिफ्ट नहीं मिला, तो मुझे घर के अंदर नहीं आने देगी।" हरि काका ने जैसे ही गाड़ी के ब्रेक दबाए, गाड़ी के ब्रेक लगे नहीं और गाड़ी की स्पीड अपने आप बढ़ गई। हरि काका परेशान हो गए और प्रकाश जी ने यह सब देखते हुए कहा, "क्या हुआ हरि काका? ब्रेक क्यों नहीं लगाया आपने?" हरि काका ने परेशान होते हुए कहा, "मालिक, गाड़ी के ब्रेक फेल हो चुके हैं, पता नहीं कैसे लेकिन ब्रेक नहीं लग रहे हैं।" कल्पना जी डर गईं। उनके माथे पर पसीने की बूँदें चमक गईं। इसके साथ ही प्रकाश जी भी बहुत परेशान हो गए। गाड़ी को कैसे रोका जाए, इसका हल ढूँढ रहे थे कि तभी सामने से उन्हें एक बस आती हुई दिखाई दी। वह बस सीधा गाड़ी के ऊपर आ रही थी। हरि काका ने बड़ी मेहनत से गाड़ी का स्टीयरिंग घुमाया और गाड़ी को दूसरे रोड की तरफ़ मोड़ दिया। यह रोड खाली था, लेकिन रोड का काम चल रहा था। आगे थोड़ी दूरी पर रोड ही नहीं था, एक बहुत बड़ी खाई सी थी। हरि काका ने प्रकाश जी और कल्पना जी को समझाते हुए कहा, "मालिक, इस गाड़ी के ब्रेक नहीं लग रहे हैं। अगर आप चाहें, तो यहीं पर कूद सकते हैं। यहाँ पर दूसरी तरफ़ से कोई गाड़ियाँ नहीं आ रही हैं, आप लोग कूद जाइए।" प्रकाश जी ने हैरानी से कहा, "नहीं हरि काका, हम गाड़ी से इतनी स्पीड पर कूदेंगे भी, तो भी बच नहीं पाएँगे। आप गाड़ी छोड़कर कूद जाइए।" हरि काका ने मना करते हुए कहा, "मैं ऐसा नहीं कर सकता मालिक। मैं आपको मरने के लिए छोड़कर खुद अपनी जान नहीं बचा सकता। मुझे माफ़ कर दीजिए, लेकिन मैं यहाँ से नहीं कूँडूँगा।" कल्पना जी ने हरि काका के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा, "हमारी बेटी घर पर अकेली है हरि काका, अगर हम घर पर नहीं पहुँचे, तो सोचिए उसका ख्याल कौन रखेगा? हमने तो अपनी ज़िन्दगी जी ली। लेकिन उसके सामने उसकी पूरी ज़िन्दगी पड़ी है। वह आँखों में तेल डाले हमारी राह देख रही होगी। हरि काका, अगर आप उसके पास रहेंगे, तो मुझे तसल्ली रहेगी कि मेरी बेटी सुरक्षित है। आप कूद जाइए, हमारी फ़िक्र मत कीजिए।" हरि काका ने देखा कि आगे रोड ख़त्म हो रही है, तो उन्होंने माफ़ी माँगते हुए कहा, "गाड़ी के ब्रेक किसी ने फेल किए हैं जानबूझकर मालकिन, और मैं इसका पता लगाकर रहूँगा। लेकिन आप दोनों बाहर कूदने की कोशिश तो कीजिए, आगे जाकर रोड ख़त्म हो रहा है।" हरि काका की बात दोनों ने मान ली। प्रकाश जी और कल्पना जी ने बाहर कूदने के लिए दरवाज़ा खोला और दोनों बाहर कूदे। हरि काका भी अगले ही पल कूदे। लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। प्रकाश जी और कल्पना जी उस ख़त्म हो रहे रोड की चट्टान से नीचे गिरने लगे। हरि काका ने भी कूदने में देर कर दी थी, इसलिए वे भी उन्हीं के साथ बड़ी तेज़ी से नीचे गिर रहे थे। कार जब नीचे गिरी, तब बहुत ज़ोर से आवाज़ हुई और कार की डिक्की में आग लग गई। हरि काका का इतनी ऊँचाई से गिरने की वजह से सिर फट गया था और उनकी तुरंत मृत्यु हो गई। वहीं प्रकाश जी अभी भी हल्की सी साँस ले रहे थे। उन्हें भी बहुत बुरी तरह चोटें लगी थीं। कल्पना जी गिरते ही साँस ना आने की वजह से पहले ही इस दुनिया को छोड़ चुकी थीं। प्रकाश जी मदद के लिए यहाँ-वहाँ देख रहे थे, लेकिन वहाँ पर कुछ भी नहीं था। प्रकाश जी ने थोड़ी दूरी पर एक काला कोट पहना हुआ आदमी अपनी बाइक पर बैठा हुआ देखा। वह काले रंग की बाइक प्रकाश जी अपनी आँखों से देख पा रहे थे। इसके साथ ही उस काले कोट पहने हुए आदमी ने सिर पर हेलमेट पहना हुआ था, जिसकी वजह से उसका चेहरा ढका हुआ था। प्रकाश जी ने बड़ी हिम्मत जुटाकर अपना हाथ दिखाकर मदद माँगने की कोशिश की। पर उस आदमी ने उनकी ओर देखकर भी अनदेखा कर दिया। प्रकाश जी अपनी अंतिम साँसें गिन रहे थे। बाइक वाले के मोबाइल पर किसी का कॉल आया और उसने कहा, "काम ख़त्म हुआ या नहीं? अगर इस बार कोई भी गलती हुई, तो मैं तुम्हें जान से मार दूँगा।" बाइक वाले ने प्रकाश जी की ओर नज़र डालते हुए कहा, "फ़िक्र मत कीजिए, आपका काम पूरा हो चुका है। थोड़ी ही देर में इस एक्सीडेंट की ख़बर हर न्यूज़पेपर में आपको देखने को मिल जाएगी।" फ़ोन कट गया। वह आदमी प्रकाश जी के सामने अपनी बाइक पर बैठ गया और एक नज़र उन पर डालकर उसने तसल्ली की कि प्रकाश जी अब बच नहीं सकते। जब उसे विश्वास हो गया कि प्रकाश जी की मदद के लिए कोई नहीं आएगा, तब वह अपनी बाइक स्टार्ट कर वहाँ से निकल गया। कार में ब्लास्ट हो चुका था। यह देखकर वहाँ पर भीड़ जमा होने लगी और आधे घंटे के अंदर-अंदर पुलिस और एम्बुलेंस वहाँ पर पहुँच गई। जारी...
पुलिस इंस्पेक्टर मिस्टर खान ने उस जगह का जायजा लिया जहां पर एक्सीडेंट हुआ था। गाड़ी में आग लगने की वजह से गाड़ी जलकर खाक हो गई थी। हवलदार ने पुलिस इंस्पेक्टर खान के पास आते हुए कहा,"सर गाड़ी बुरी तरह से जल गई है और तीन लाशें मिली है। लगता है यह लोग कार के अंदर थे। इन्होंने कार के बाहर कूदने की कोशिश की और नीचे गिरकर उनकी मौत हो गई।" इंस्पेक्टर ने उन तीन लाशों के पास आते हुए कहा,"वह सब तो ठीक है, लेकिन इन्हें पता था कि वह रोड खत्म होने वाला है और उनकी कार इस तरफ जा रही है, तो इन्होंने कार के ब्रेक्स क्यों नहीं लगाएं ,कार के नीचे कूदने की कोशिश क्यों की।" हवलदार ने कहा,"लगता है सर ..कार के ब्रेक्स फेल हो गए थे।इसी वजह से उन्होंने कार से कूदने की कोशिश की। लेकिन देर होने की वजह से उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।" इंस्पेक्टर ने थोड़ी दूर जाते हुए कहा,"हम्मम..तो पता लगाओ की इस सुनसान जगह पर यहां कौन बाइक लेकर आया था?" हवलदार ने हैरानी से पूछा," बाइक सर..? बाइक यहां कैसे आ सकती है?" इंस्पेक्टर ने हवलदार को थोड़ी दूरी पर इशारा करते हुए कहा," वहां एक बाइक के टायरों के निशान हैं। इसका मतलब जब यह एक्सिडेंट हुआ, यहां कोई और भी अपनी बाइक के साथ मौजूद था।" हवलदार ने चौंकते हुए कहा,"इसका मतलब यह कोई सीधा-साधा एक्सीडेंट नहीं है, लगता है किसी ने जानबूझकर गाड़ी के ब्रेक्स फेल किए थे।" इंस्पेक्टर खान ने मुस्कुराते हुए कहा,"खूनी कितना भी शातिर क्यों ना हो, कोई ना कोई सुराग पीछे छोड़ जाता है। ऐसा ही उसने इस बार किया है। इस खून को उन्होंने बड़ी होशियारी से एक्सीडेंट बनाने की कोशिश की है। लेकिन मेरे सामने उसकी सारी होशियारी धरी की धरी रह जाएगी। लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और पता करो, मरने वाले आखिर है कौन ?" Bandra इस्ट बंगलों नंबर 15. मिस्टर शेखर शेखावत अपने घर पर ऑफिस जाने के लिए रेडी हो रहे थे। डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए उन्होंने अपने हाथ में आज का न्यूज़ पेपर पकड़ रखा था। न्यूजपेपर पढ़ते हुए वह अपने कप से कॉफी के घूंट लिए जा रहे थे। तभी उनका 12 साल का बेटा वहां पर दौड़ते हुए आया। उनके बेटे का नाम था अर्नव शेखावत। अर्नव ने अपने पापा के पास आते हुए कहा, "पापा आज तो हम आश्रम जाएंगे ना ?" शेखर शेखावत ने अर्नव को डांटते हुए कहा,"अरे मुझे आज बहुत सारे काम है और तुम्हें स्कूल नहीं जाना। हम आज आश्रम नहीं जा सकते। संडे को मैं तुम्हें ले चलूंगा, वैसे तुम्हें आश्रम जाना क्यों है?" तभी वहां पर शेखर शेखावत की वाइफ मिसेज रागिनी शेखावत आती है और अर्नव शेखावत से उन्होंने कहा,"देखो बेटा.. पापा आज बिजी है ना , बेकार की जिद छोड़ दो। हम तुम्हें संडे आश्रम लेकर चलेंगे। अभी तुम्हें स्कूल के लिए देर हो रही है ना, जाओ जल्दी से रेडी हो जाओ।" अर्नव रूठ गया और कमरे में आ गया। उसे आज कैसे भी करके सिमरन से मिलना था। सिमरन और अर्नव दोनों दोस्त थे। एक दूसरे के साथ आश्रम मिलकर वह बाकी बच्चों के साथ बहुत मस्ती करते थे। सिमरन का साथ उसे बहुत अच्छा लगता था। अगर आज वह आश्रम नहीं गया, तो सिमरन उसका वेट करेगी यह बात वह अच्छे से जानता था। उसने हार मानते हुए स्कूल जाने के लिए रेडी होना ही सही समझा। शेखर शेखावत के मोबाइल पर एक फोन आया। फोन का नंबर देखकर शेखर शेखावत ने वह फोन उठा लिया। सामने से किसी ने कहा,"हेलो मिस्टर शेखर शेखावत.. मैं इंस्पेक्टर खान बोल रहा हूं।" शेखर शेखावत ने हैरानी से पूछा,"हेलो इंस्पेक्टर, क्या बात है आपने मुझे क्यों फोन किया है?" इंस्पेक्टर खान ने कहा,"वह दरअसल बात यह है कि आपके दोस्त मिस्टर प्रकाश मेहरा की एक कार एक्सीडेंट में डेथ हो गई है।" शेखर शेखावत ने बुरी तरह चौंकते हुए कहा,"व्हाट ..यह क्या कह रहे हैं आप ? आज ही तो मेरा दोस्त एब्रॉड से लौटने वाला था। प्रकाश की डेथ कैसे हो सकती है?" इंस्पेक्टर खान ने शेखर शेखावत की बात को नजर अंदाज करते हुए कहा,"देखिए आप पैनिक मत होइए। मैंने यह बताने के लिए फोन किया है कि उनकी फैमिली मेंबर्स में से एक आप ही उनके सबसे क्लोज फ्रेंड है,ऐसा हमें पता चला है। उनकी बेटी अभी बहुत छोटी है इसलिए उसे बुलाने से पहले हमने आपको कॉल करना सही समझा। क्या आप हॉस्पिटल आ सकते हैं?" शेखर शेखावत ने जल्दी से कहा,"जी मैं प्रकाश की बेटी सिमरन को लेकर अभी वहां पर पहुंचता हूं।" शेखर शेखावत ने अपनी पत्नी रागिनी को आवाज लगाते हुए कहा,"रागिनी प्रकाश और भाभी जी का एक्सीडेंट हुआ है। अभी अभी इंस्पेक्टर का फोन आया था। उन्होंने कहा कि दोनों की डेथ हो गई है। मैं तो यह सोच रहा था कि वह लंदन से आने के बाद सबसे पहले हमें फोन करेंगे और अपने आने की खुशखबरी देंगे ,लेकिन यहां तो सारा मामला ही उल्टा पड़ गया है। जल्दी से रेडी हो जाओ और अर्नव को भी साथ लाना। हमें हॉस्पिटल जाना पड़ेगा, मैं सिमरन को यहीं पर बुला लेता हूं।" रागिनी ने हैरानी से कहा,"ऐसा कैसे हो सकता है जी ,दोनों करीब 1 महिने के बाद उसके पास लौट रहे थे, कितने दिनों से वह बच्ची उन दोनों का इंतजार कर रही थी और जब आज उन दोनों के लौटने का दिन आया ,तो यह सब हो गया। क्या गुजरेगी उस बच्ची पर । मैं अभी अर्नव को लेकर आती हूं.. जल्दी चलिए।" रागिनी अर्नव को लाने के लिए चली गई और शेखर शेखावत फिर से अपनी जगह पर जाकर बैठ गया। उसने अपनी कॉफी को खत्म किया और न्यूजपेपर साइड में रख दिया। फोन को हाथ में लेकर उन्होंने एक नंबर डायल किया। शेखर जी ने कहा,"थोड़े दिनों के लिए अंडरग्राउंड हो जाओ। किसी को पता नहीं चलना चाहिए की तुम कहां गए। जब तक मैं ना कहूं बाहर निकलने की कोशिश मत करना।" शेखर शेखावत की बात सुनकर सामने वाले ने फोन रख दिया और रागिनी जी अर्नव को लेकर वहां पर आ गईं । तीनों अपने कार में बैठकर हॉस्पिटल की तरफ निकल गए। सिमरन जो घर पर अकेली थी, आश्रम जाने की तैयारी कर रही थी। सिमरन की केयरटेकर जिसका नाम राधिका था, उसने उसे रेडी कर दिया था। सिमरन ने सुबह से राधिका को हजार सवाल पूछ कर परेशान कर रखा था। उसने राधिका से फिर पूछा,"राधिका दीदी बताओ ना मम्मी पापा कब आ रहे हैं?" राधिका ने चौंकते हुए कहा,"देखो सिमरन बेबी.. आपके मम्मी पापा की फ्लाइट लेट हो गई होगी, इसलिए उन्हें आने में देर हो रही है। थोड़ी देर में वह लोग आ जाएंगे। वैसे पहले हम दोनों आश्रम चलें ,आपको आश्रम जाना था ना?" सिमरन ने मना करते हुए कहा,"नहीं मुझे आश्रम अभी नहीं जाना। मैं मम्मी पापा से मिलें बगैर आश्रम नहीं जाना चाहती।" शेखर शेखावत ने सिमरन के घर के आगे कार रोकी और कार से अर्नव जल्दी निकल कर सिमरन की तरफ भागा। अर्नव ने सिमरन को अशआवाज देते हुए कहा,"सिमरन में आ गया हूं ,कहां हो तुम?" सिमरन ने अर्नव की आवाज पहचान ली थी और उसने बाहर आते हुए कहा,"मैं यहीं पर हूं। क्या हुआ ,हम तो आश्रम में मिलने वाले वाले थे ना ? तुम मेरे घर पर क्या कर रहे हो?" तभी शेखर शेखावत और उनकी पत्नी रागिनी वहां पर आईं । रागिनी ने सिमरन को गले लगाते हुए कहा,"सिमरन बेटा हम तुम्हें कहीं और ले जाने के लिए आए हैं।" सिमरन उन्हें ऐसे देखकर सोच में पड़ गई थी। उसने राधिका की तरफ देखा और फिर पूछा,"रागिनी आंटी सब ठीक तो है ना.. क्या हुआ आप लोग यहां पर क्यों आए हैं?" जारी!!!
रागिनी ने कहा,"कुछ नहीं बेटा बस तुम हमारे साथ चलो। राधिका उसकी बैग और पानी की बोतल ले लो। तुम भी हमारे साथ चलो।" सिमरन को लगा उसके लिए कोई सरप्राइज है, इसलिए वह खुशी-खुशी अंदर जाकर अपनी बैग लाने गई।तभी राधिका ने रागिनी से पूछा,"मैडम क्या हुआ है ,आप इतना परेशान क्यों है और इस तरह सिमरन बेबी को ले जाने का मतलब क्या है?" रागिनी ने राधिका के पास आते हुए कहा,"अभी सिमरन को कुछ मत बताना। लेकिन उसके मम्मी पापा का एक्सीडेंट हो गया है।हमें हॉस्पिटल जाना है जल्दी करो।" मालिक और मालकिन की एक्सीडेंट की बात सुनकर राधिका के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने हैरानी से रागिनी की तरफ देखते हुए कहा,"वह लोग ठीक तो है, ना मैडम?" रागिनी ने राधिका को समझाते हुए कहा,"हमें भी पूरी बात पता नहीं है राधिका। सिमरन को कुछ मत बताओ। वह यहीं पर रोने लगेगी। पहले हमें वहां पर जाकर देखना होगा कि आखिर हुआ क्या है, चलो जल्दी करो।" रागिनी की बात सुनकर राधिका ने अपने हाथ झटपट चलाएं। उसने घर के सारे खिड़की दरवाजे बंद कर दिए और फिर किचन में जाकर सिमरन के लिए एक महीने की बोतल ले लीं। बाहर आकर देखा, तो रागिनी सिमरन के साथ कार के अंदर बैठ गई थी। राधिका ने जल्दी से घर को लॉक किया और वह भी पीछे की सीट पर जाकर बैठ गई। मिस्टर शेखर शेखावत ने गाड़ी को सीधा अस्पताल की तरफ मोड़ दिया था। अर्नव ने सिमरन से पूछा,"सिमरन जब तुम्हारे मम्मी पापा आ जाएंगे, हम दोनों तुम्हारे घर पर खेलेंगे। क्योंकि अब मुझे छुट्टियां लगने वाली है।" सिमरन ने मुस्कुराते हुए कहा,"बिल्कुल मेरी भी छुट्टी लग चुकी है। तुम कभी भी मेरे घर पर आ सकते हो, लेकिन पहले मुझे मम्मी पापा को देखना है। एक महीना हो गया उनको गए हुए, अब तक नहीं लौटें। कह कर गए थे कि कोई बिजनेस मीटिंग है ,लेकिन उन्हें इतना टाइम लग गया। पता नहीं उन्हें याद है, या नहीं की उनकी एक बेटी भी है।" रागिनी ने सिमरन को समझाते हुए कहा,"ऐसी बात नहीं है बेटा, उनके लिए तो उनका काम भी जरूरी है ना। वह सब जो कर रहे हैं, वह तुम्हारे लिए ही तो कर रहे हैं।" रागिनी की बात सुनकर सिमरन खामोश हो गई। सिमरन ने देखा की रागिनी उससे ठीक से बातें कर नहीं रही है और अपनी नज़रें चुरा रही है। उसे इस बात का एहसास हुआ, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं। थोड़ी ही देर में वह लोग अस्पताल पहुंच गए थे। हॉस्पिटल पहुंचते ही रागिनी सिमरन को लेकर अस्पताल के अंदर चली गई। वहां पर जाकर इंस्पेक्टर खान उनके सामने आ गए। इंस्पेक्टर खान ने रागिनी की तरफ देखते हुए कहा,"क्या आप इंस्पेक्टर शेखावत हैं?" रागिनी ने सिमरन और अर्नव का हाथ पकड़ रखा था। उसने इंस्पेक्टर की तरफ देखते हुए कहा,"जी मैं ही रागिनी शेखावत हूं। मेरे पति गाड़ी पार्क करके आ रहे हैं, कहां है भाई साहब और भाभी ..हमें उनके पास लें चलिए।" रागिनी के मुंह से भाई साहब और भाभी नाम सुनकर सिमरन हैरान हो गई। आखिर उसके मम्मी पापा इस अस्पताल में क्या कर रहे थे, उसे समझ में नहीं आया। लेकिन इस वक्त पुलिस अंकल के सामने यह सब पूछना उसे अच्छा नहीं लगा। इसलिए वह खामोश रह गई। रागिनी एक रूम के बाहर आकर जहां पर मिस्टर खान उन्हें ले आए थे, सिमरन के सामने बैठते हुए कहा,"देखो सिमरन बेटा तुम्हारी मम्मी पापा का घर आते वक्त एक बहुत बड़ा एक्सीडेंट हुआ है। वह अंदर हैं , तुम्हें उनसे मिलना है। अपने आप को संभालो बेटा, हम सब यहां पर है।" एक्सीडेंट की बात सुनकर सिमरन की आंखों से आंसू निकलने लगे। उसने राधिका की तरफ देखा, तो राधिका ने झट से आकर उसे गले से लगा लिया। दोनों बहुत देर तक बाहर ही रोती रहीं। फिर इंस्पेक्टर खान के इशारे पर सिमरन रूम के अंदर आ गई। राधिका उसका हाथ पकड़ कर खड़ी थी। ऐसे मुश्किल घड़ी में सिमरन को अकेला छोड़ना उसे अच्छा नहीं लगा। सिमरन ने देखा कि एक बेड पर उसकी मम्मी और दूसरे बेड पर उसके पापा सोए हुए हैं और तीसरे बेड पर उसकी नजर गई, तो हरि काका को देखकर उसके आंसू और तेजी से बहने लगे। अभी सुबह-सुबह उसने हरि काका को गाड़ी को साफ करते हुए देखा था। हरि काका कहीं बाहर गए थे, लेकिन कहां गए थे इस बारे में उसे पता नहीं था। जब वह अंदर से खेलते हुए बाहर आई थी, तब उसने हरि काका को तैयार होकर कहीं जाते देखा, तभी उसने उनसे पूछा,"हरि काका आप कहां जा रहे हैं ? आप मुझे अपने साथ नहीं ले जा रहे हैं।" हरि काका ने कहा,"बेटा मैं किसी काम की वजह से बाहर जा रहा हूं। तुम्हें कुछ बाहर से चाहिए, तो मैं लेकर आ जाऊंगा। बताओ तुम्हें क्या चाहिए।" सिमरन ने बड़े प्यार से उनसे कहा,"हरि काका मुझे कुछ नहीं चाहिए। पर आप मुझे बता दीजिए कि मेरे मम्मी पापा कब आने वाले हैं। आपको पता है ना मैं कितने दिनों से उनका इंतजार कर रही हूं। जब आएंगे मैं उनसे बात नहीं करूंगी। उन्होंने मुझे एक फोन करना तक सही नहीं समझा। शायद वह मुझे भूल गए हैं ,कोई अपनी ही बेटी को भूलता है भला।" हरि काका ने सिमरन को समझाते हुए कहा,"ऐसी बात नहीं है बेटा। वह दोनों जरूर किसी काम में फंस गए होंगे। इसलिए उन्होंने तुम्हें फोन नहीं किया। कोई मां-बाप अपने बच्चों से बात ना करें, ऐसा कभी हो सकता है क्या। जब वह वापस लौटेंगे ना हम दोनों मिलकर उनकी क्लास लेंगे। उन्हें पनिशमेंट देंगे और तुम उनसे बात मत करना। मैं भी उनसे बात नहीं करूंगा। तुमसे इतने दिनों तक दूर रहने के लिए ठीक है बेटा।" सिमरन हरि काका को अपनी साइड लेते हुए देख खुश हो गई और फिर घर में आ गई। हरि काका गाड़ी लेकर चले गए थे। अब उसे पता चला हरि काका कहां गए थे। उसी के मम्मी पापा को लाने के लिए गए थे और अब उनके साथ यह सब हो गया था। सिमरन जोर जोर से रो रही थी। जब भी उसे मम्मी पापा की याद आती, हरि काका उसे हमेशा अच्छा महसूस करवाते थे। उसके साथ खेलते थे। उन्हें ऐसे टेबल पर लेटे हुए देख, सिमरन को बहुत बुरा लग रहा था। वह जानती थी वह अब कभी लौटकर नहीं आएंगे। रोती हुई सिमरन को डॉक्टर ने कहा,"देखो बेटा तुम बहुत छोटी हो। अभी यह बातें नहीं समझोगी ,लेकिन उनकी गाड़ी के ब्रेक्स फेल हो गए थे, ऐसा इंस्पेक्टर अंकल ने कहा है। गाड़ी का एक्सीडेंट इसी वजह से हुआ और तुम्हारे मम्मी पापा भगवान के पास चले गए।" सिमरन ने रोते हुए डॉक्टर से कहा,"ऐसा कैसे हो सकता है डॉक्टर अंकल ? मैं कितने दिनों से उनके लौटने का इंतजार कर रही थी। अब जब वह मेरे सामने आएं ,तो इस तरह। मैं कैसे यकीन कर लूं कि यह दोनों अब इस दुनिया में नहीं है। मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है मम्मी पापा के अलावा । उन्होंने मुझसे वादा किया था वह आने के बाद मुझे ढेर सारे तोहफे देंगे और मुझे घूमने ले जाएंगे। अब मैं क्या करूंगी, मैं अकेले कैसे जिऊंगी। डॉक्टर अंकल मम्मी पापा ने मेरे साथ धोखा किया है। उन्हें ऐसे भगवान जी के पास जाने का हक किसने दिया। उनसे कहिए ना उठकर खड़े हो जाएं । उन्हें ऐसे सोते देख मुझे डर लग रहा है। उनसे कहिए ना डॉक्टर अंकल कि वह भगवान जी के पास न जाएं । मुझे उनकी जरूरत है। अभी मैं बहुत छोटी हूं, उन्हें मेरा ख्याल रखना है, मेरे साथ खेलना है। अगर वहीं चले जाएंगे तो मैं कैसे जिऊंगी।" जारी!!!
सिमरन की बातें सुनकर और उसका रोना सुनकर सभी की आंखों में आंसू आ गए थे। सभी उसे ऐसे देखकर परेशान हो रहे थे। सिमरन रो रही थी और राधिका उसे सहारा देने की कोशिश कर रही थी। लेकिन इतनी छोटी सी बच्ची को आखिर वह समझाती भी कैसे ? राधिका ने सिमरन का हाथ पकड़ लिया और उसके सिर से हाथ फिराने लगी। इंस्पेक्टर खान ने महसूस किया कि शेखर शेखावत अभी भी वहां पर नहीं आए थे। इंस्पेक्टर खान ने पुछा," मिसेज शेखावत आपके पति कहां है ?" रागिनी ने कहा,"अभी मेरे पीछे ही थे ,गाड़ी ही पार्क कर रहे थे, थोड़ी देर में जाएंगे।" इंस्पेक्टर खान शेखर शेखावत ढूंढने के लिए बाहर आएं ,तो वह किसी से फोन पर बात कर रहे थे । इंस्पेक्टर को देखकर शेखर शेखावत ने फोन रख दिया और वह इंस्पेक्टर खान के पास आ गए। इंस्पेक्टर खान ने शेखर शेखावत के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा,"मिस्टर शेखावत इस केस की सिलसिले में मुझे आपसे बहुत सारे सवाल पूछने हैं । मैं चाहता हूं पहले आप अपने दोस्त और उनकी वाइफ से मिल लीजिए। फिर हम आगे की बात करेंगे।" शेखर शेखावत ने इंस्पेक्टर खान से हाथ मिलाते हुए कहा,"इंस्पेक्टर खान मेरा नाम शेखर शेखावत है। मैं इस शहर का बहुत बड़ा बिजनेसमैन हूं। जिनकी एक्सीडेंट में मौत हुई है, वह मेरे बहुत गरीबी दोस्त हैं । जिनका नाम है प्रकाश मेहरा। प्रकाश 1 महीने से एब्रॉड गया हुआ था, अपने बिजनेस के सिलसिले में और आज ही इंडिया वापस लौट रहा था। इसके साथ-साथ उसकी बेटी सिमरन को वह अपने घर पर ही छोड़ कर गया था। क्योंकि उसके स्कूल के एग्जाम चल रहे थे । घर में नौकर चाकर उसकी देखभाल करते थे और मैं भी यहीं पर था। इसलिए वह हमेशा सिमरन को हमारे पास छोड़कर अपना काम पूरा करने चला जाता था। सिमरन की मम्मी जाना नहीं चाहती थी, लेकिन इस बार उन्हें भी प्रकाश के साथ जाना पड़ा। क्योंकि प्रकाश की तबीयत थोड़ी खराब थी। लेकिन ऐसा कुछ हो जाएगा इसके बारे में हमें कुछ भी पता नहीं था।" इन्स्पेक्टर खान ने एक बात नोटिस की, शेखावत ने उन्हें यह सब कुछ बताने में 2 मिनट भी नहीं लगाएं थे। इसका मतलब शेखर शेखावत को अपने दोस्त से मिलने से ज्यादा, उसके बारे में सब कुछ बताना ज्यादा सही लगा। इंस्पेक्टर खान के मन में शक की सुई घूम रही थी। लेकिन अभी कुछ साबित नहीं हो पाया था। इसलिए शेखर शेखावत पर अपनी नज़रें बनाए हुए थे। सारे शहर में यह बात हवा की तरफ फैल गई की प्रकाश मेहरा का और उनकी वाइफ का एक एक्सीडेंट में देहांत हो गया है। सारे प्रेस रिपोर्टर में यह बात हर जगह फैला दी थी । दूसरे ही दिन प्रकाश मेहरा उनकी वाइफ और हरि काका इन तीनों का अंतिम संस्कार रखा गया, जहां पर बिजनेस इंडस्ट्री के बहुत बड़े-बड़े लोग उन्हें अंतिम विदाई देने शामिल हुए थे। सिमरन रो-रोकर टूट चुकी थी। उसके ऊपर दुखों का पहाड़ गिर गया था। राधिका उसे संभालने की कोशिश कर रही थी। लेकिन वह खुद सिमरन का दर्द समझ सकती थी, इसलिए उसके आंसु पोछने में के अलावा उसके पास और कोई रास्ता नहीं था। सिमरन रो रही थी, तो अर्नव उसके पास चला गया और उसने उसे एक दोस्त की तरह संभालने की कोशिश की। तभी वहां पर कंपनी के कुछ लोग आ गए। उन्होंने सिमरन और राधिका से बात करने की इच्छा जाहिर की। राधिका ने उन लोगों की तरफ से गुस्से से देख कहा,"आप देख नहीं रहे हैं सिमरन बेबी की मम्मी पापा का अभी अंतिम संस्कार नहीं हुआ है और आप यहां पर उससे बात करने के लिए चलें आएं।" कंपनी के लोगों में से एक ने कहा,"हमारा सिमरन बेबी से बात करना बहुत जरूरी है। आप समझने की कोशिश क्यों नहीं करती। कंपनी को बंद करने के लिए कोर्ट ने हमें नोटिस भेजा है। अगर ऐसा हुआ, तो हम सब कहां जाएंगे, क्या करेंगे?" उनकी बात सुनकर राधिका को शॉक लगा, उसने हैरानी से पूछा,"ऐसा कैसे हो सकता है ? कंपनी बंद कैसे हो सकती है ? साहब ने तो सब कुछ अपने नाम पर कर रखा था और इसी सिलसिले में वह एब्रॉड गए थे । फिर ऐसा कैसे हो सकता है?" राधिका की बात सुनकर कंपनी के लोग भी शॉक हो गए। उन्हें नहीं पता था कि यह बात उन दोनों को भी पता नहीं है। राधिका ने कहा,"अभी के लिए शांति से यह सब निपट जाने दीजिए, उसके बाद हम बात करेंगे।" पूरे रीती रिवाज के साथ प्रकाश जी, कल्पना जी और हरी काका का अंतिम संस्कार किया गया। सब घर आ गए, शेखर शेखावत ने हर काम में मदद की थी। इसलिए सिमरन को उनसे और हमदर्दी और अपनेपन का भाव दिखने लगा था। वही रागिनी एक मां की तरह हमेशा उसके पीछे थी। उसे सहारा दे रही थी। उन दोनों की वजह से ,उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी मम्मी पापा कहीं नहीं गए हो और उसी के पास हूं। सिमरन कंपनी के लोगों को वहां पर देखकर घबरा गई थी। उसने उनके पास आकर कहा,"आप सब लोग मम्मी पापा को बहुत अच्छे से जानते हैं, आप सब यहां पर आएं ,उसके लिए थैंक यू।" तभी एक ऑफिस के कॉलीग ने कहा,"सिमरन बेबी हमारी कंपनी बंद होने वाली है। कोर्ट का कहना है कि आपके पापा ने सरकार से जो कंपनी चलाने के लिए लोन लिया था ,वह उन्होंने टाइम पर पूरा नहीं किया है। इसलिए अभी इस कंपनी पर आपका कोई भी हक नहीं रहेगा। इस कंपनी को बंद करने का नोटिस दिया गया है।" सिमरन ने घबराते हुए कहा,"अंकल देखिए, मैं इतनी छोटी हूं। मुझे बिजनेस के बारे में कुछ नहीं पता। पापा ने कहां से लोन लिया था, इसके बारे में भी मुझे नहीं पता। शायद शेखर अंकल इसके बारे में जानते हैं, मैं उन्हें बुलाकर लाती हूं।" सिमरन शेखर शेखावत को बुलाने के लिए गई , और शेखर जी वहां पर आ गए ।शेखर जी ने उन सब की तरफ देखते हुए कहा, "तुम लोगों को शर्म नहीं आती, छोटी सी बच्ची के सामने बिजनेस की प्रॉब्लम डिस्कस करते हुए। उसे कुछ भी पता नहीं है इस बारे में। अभी-अभी उसने अपनी मम्मी पापा को खोया है और तुम उसे इतना बड़ा दुख दे रहे हो, यह सब बता कर। बिजनेस की जो भी बातें हैं,वह मैं संभाल लूंगा। सिमरन से इस बारे में और कोई बात नहीं होगी। मैं जानता हूं की प्रकाश ने सरकार से लोन लिया था और वह उसे पूरा नहीं कर पाया। कोर्ट को जो भी एक्शन लेना होगा, वह ले सकते हैं। हम इसमें कुछ भी नहीं कर सकते।" सिमरन ने शेखर शेखावत की तरफ देख हैरानी से पूछा," शेखर अंकल पापा ने यह कंपनी बहुत मेहनत से खड़ी की थी। अगर वह कोई लोन चुका नहीं पाए हैं, तो हम चुका देते हैं पापा की सेविंग्स के जरिए।" शेखर शेखावत ने सिमरन को समझाते हुए कहा,"सिमरन बेटा बिजनेस की बातें तुम्हारी समझ से बाहर है। पापा की क्या सेविंग्स है और कितनी है ,इसके बारे में मुझे भी अभी सही से नहीं पता। मैं कल कोर्ट जाऊंगा और इसके बारे में सारी पूछताछ करके आऊंगा ठीक है बेटा। जाओ तुम बहुत थक गई हो, अंदर जाकर आराम करो।" शेखर शेखावत के इशारे पर रागिनी सिमरन को लेकर घर के अंदर चली गई और शेखर शेखावत की कंपनी के स्टाफ को डराते हुए कहा,"आज से प्रकाश की कंपनी का और बिजनेस का जो भी काम होगा, वह मैं देखूंगा। इसलिए तुम सब डायरेक्टली मुझसे बात करोगे। उस छोटी सी जान से बिजनेस के बारे में डिस्कस करना, तुम लोगों को शोभा नहीं देता। मैंने जो कहा वह समझ गए ना तुम लोग।" कंपनी का स्टाफ पहले ही शेखर शेखावत के स्वभाव और रवैए से वाकिफ था। वह लोग वहां से चले गए और इंस्पेक्टर खान जो अभी भी शेखर शेखावत पर अपनी नजर बनाए हुए थे, उन्हें यह सब देखकर शेखर शेखावत के ऊपर अपना शक और भी मजबूत होता दिखाई दे रहा था। जारी!!!
शेखर शेखावत सिमरन के पास आ गया था। सिमरन राधिका की गोद में सर रखकर सोने की कोशिश कर रही थी। शेखर शेखावत ने वहां पर आते हुए कहा,"राधिका क्या सिमरन सो गई ?" राधिका ने कहा,"हां सर अभी अभी उसकी आंख लगी है ,आप मुझे बताएंगे बाहर यह सब क्या चल रहा है?" शेखर शेखावत ने राधिका को डांटते हुए कहा,"अब मुझे... तुम्हें सारी बातों का हिसाब देना पड़ेगा ? भूलो मत.. तुम यहां पर नौकर हो और बिजनेस की बातें तुम्हारे पल्ले नहीं पड़ेंगी । तुम होती कौन हो मुझसे ऐसे सवाल करने वाली ? यह मेरे दोस्त का घर है और उसका बिजनेस है। मैं देख लूंगा इसके साथ क्या करना है, तुम इन बातों से दूर रहो।" राधिका ने माफी मांगते हुए कहा,"सर मैं माफी चाहती हूं ,अगर मैंने आपको अपनी बातों से हर्ट किया हो तो। लेकिन सिमरन बेबी के लिए मुझे बहुत फिक्र हो रही है। उनके बिजनेस की बात है। इसलिए मुझे लगता है कि मुझे पता होना चाहिए कि आगे क्या होने वाला है। यह उनकी फ्यूचर के लिए अच्छा नहीं है।" शेखर शेखावत ने सिमरन की तरफ देखते हुए कहा,"अगर कोर्ट कंपनी का केस जीत जाती है, तो सिमरन को बिजनेस में से एक भी फुटी कौड़ी नहीं मिलेगी। फिर तुम यहां काम कैसे करोगी ? तुम्हें यहां से जाना पड़ेगा। अपना इंतजाम पहले ही करके रखो ,जब सिमरन के खुद के खाने के लाले होंगे वह तुम्हें पेमेंट कैसे करेंगी?" शेखर शेखावत वहां से चला गया और राधिका सोचने लगी, अब सिमरन के साथ क्या होने वाला था यह किसी को नहीं पता था। मुंबई 2024 सब कुछ याद करते हुए सिमरन तेज अलार्म बजने की वजह से अपने बेड पर उठकर बैठ गई। उसने अलार्म को बंद किया और घड़ी की तरफ देखा ,जिसमें सुबह के 6:00 बज रहे थे। मोबाइल को लेकर वह बाथरूम के अंदर चले गई। उसने जल्दी से एक मैसेज सेंड किया और फिर ब्रश को अपने मुंह में डाल दिया और बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया। करीब आधे घंटे बाद वह नहा कर बाहर आई । उसके लंबे बाल गीले होने की वजह से पीठ पर बिखरे पड़े थे। साथ ही उसका गोरा बदन अब चमक रहा था। जल्दी से पैन पर बटर डालकर उसने अपने लिए एक सैंडविच बनाया और दूध लेकर वह खाने की टेबल पर आकर बैठ गई। सैंडविच को खाते हुए वह मोबाइल को देखे जा रही थी। जिस मैसेज का उसे इंतजार था, वह अभी तक उसके मोबाइल पर नहीं आया था। 22 साल की सिमरन अब बहुत खूबसूरत हो गई थी। उसकी तेज और करारी आंखें जिनमें एक जुनून सा था। जो इस वक्त मोबाइल की स्क्रीन को ताड़ रही थी। सिंगल वूमेन होने की वजह से उसने रेंट के तौर पर रहना स्टार्ट कर दिया था। अभी भी वह ऐसे ही घर में रह रही थी। थोड़ी ही देर में मैसेज की ट्यून बजी और सिमरन की आंखें बड़ी हो गई । उसने जल्दी से मोबाइल उठाकर मैसेज देखा। उस मैसेज में लिखा था,"गुड मॉर्निंग सिमरन आज रात शेखावत कंपनी में एक बहुत बड़ा कंसाइनमेंट आने वाला है। टिप मिली है कि वह लोग आज ही माल शिफ्ट करेंगे, मैं तुम्हें एड्रेस भेज रहा हूं,तुम वहां पर पहुंच जाना.. राजवीर।" राजवीर का मैसेज मिलते ही सिमरन के होठों पर मुस्कुराहट आ गई। लेकिन उसकी आंखें, उसकी आंखों में खून उतर आया था। अब तक उसकी तेज और करारी आंखें सिकुड़ कर गुस्से से लाल हो गई थी। उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे। उन पर एक गुस्से वाली लकीर ने जगह ले ली थी। सिमरन ने सैंडविच को तोड़ते हुए कहा,"आज मैं तुम्हारे इस अंपायर की पहली नींव हटाने जा रही हूं। इसके बाद तुम्हें पता चलेगा तुमने कितनी बड़ी गलती की है। बहुत जल्द तुम्हें एहसास होगा कि तुमने कितना बड़ा पाप किया है, मेरे मम्मी पापा को मारकर। मैं तुम्हें कभी भी चैन से जीने नहीं दूंगी मिस्टर शेखर शेखावत। दोस्ती के नाम पर तुमने मेरे ही सीने में पीछे से खंजर डाला है, इसका हिसाब तो तुम्हें देना ही पड़ेगा।" सिमरन यह सब अभी सोच रही थी कि उसके मोबाइल पर कॉल आई, जो उसके ऑफिस से थी। एक लड़की ने जल्दी से कहा,"सिमरन तुम आज भी लेट आने वाली हो ऑफिस में ,टाइम देखा है 8:00 बज गए हैं यार।" सिमरन फोन बजते ही होश में आ गई थी और लड़की की बातें सुनकर उसने जल्दी से अपनी नजर घड़ी की तरफ डाली ,जिसमें 8:00 बज रहे थे। उसने लड़की से कहा,"रिया मैं अभी 2 मिनट में ऑफिस पहुंचती हूं, तब तक मेरी टेबल पर जो फाइल रखी है वह ले जाकर सर के केबिन में रख देना।" रिया ने घबराते हुए कहा,"मैं कोई फाइल ले जाकर वहां पर नहीं रखने वाली। तुम जानती हो ना हमारा बॉस कैसा है ? वह सिर्फ तुमसे हैंडल होता है, मुझे नहीं। जल्दी आओ वरना हम दोनों की बैंड बज जाएगी.. अभी हमने हमारा प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया है।" सिमरन ने जल्दी से टेबल पर से उठते हुए कहा,"फोन रखेगी तब तो मैं यहां से निकल पाऊंगी ना.. जल्दी से फोन रखो।" जैसे ही रिया ने फोन रखा ,सिमरन ने अपनी पर्स समेटना शुरू किया। उसने अपने पर्स में जरूरी चीज डालीं अपना लैपटॉप लेकर और स्कूटी की चाबी लेकर वह रूम को लॉक करके नीचे आ गई। अपने आंखों पर चश्मा लगाकर उसने स्कूटी को स्टार्ट कर लिया था और करीब 1 घंटे की ड्राइव के बाद वह ऑफिस के सामने पहुंच गई थी। जैसे ही सिमरन ऑफिस के अंदर आई, रिसेप्शनिस्ट ने उसे एक कार्ड थमाते हुए कहा,"सिमरन तुमसे मिलने के लिए यह लड़का पिछले आधे घंटे से वेट कर रहा है।" सिमरन ने हैरान होते हुए कहा,"मिस्टर रौनक भाटिया, यह कौन है ? मैं इसे नहीं जानती.. तुमने पूछताछ नहीं की।" रिसेप्शनिस्ट ने उस लड़के की तरफ इशारा करते हुए कहा,"तुम्हें क्या लगता है मैंने नहीं पूछा होगा। मैंने जानने की कोशिश की लेकिन वह कहता है कि वह तुमसे ही आकर बात करेगा।" सिमरन ने अपना चश्मा उतारकर उस लड़के की तरफ नजर डालते हुए कहा,"ठीक है इसे मेरे केबिन में भेज दो और हां प्लीज मेरी स्ट्रांग कॉफी भेजना।" रिसेप्शनिस्ट ने मुस्कुराते हुए कहा,"इतनी स्ट्रांग कॉफी पियोगी तो हमारे ऑफिस की इकलौती खूबसूरत लड़की काली पड़ जाएगी।" सिमरन ने हल्की मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए कहा,"कोई तो होगा जो काली लड़की से शादी करना चाहेगा, वह सब छोड़ो पहले मेरी कॉफी भेजो,तुम्हें पता है ना मैं कॉफी के बगैर काम नहीं कर पाऊंगी।" दुर बैठा वह लड़का सिमरन के सामने आकर खड़ा हो गया, तो सिमरन ने चौंकते हुए कहा,"तुम...? तुम यहां कैसे?" जारी!!!