तुम्हारी और तुम्हारे पेट में पल रहे इस बच्चे की जान मैं अपने हाथों से लूंगा क्योंकि तुम दोनों से अब मेरा कोई वास्ता नहीं है। मुझे तो बस तुम्हारा यह धड़कता हुआ दिल चाहिए अपनी गर्लफ्रेंड की जान बचाने के लिए," कहकर जोर से हंसते हुए रितिक ने उस धारदार चा... तुम्हारी और तुम्हारे पेट में पल रहे इस बच्चे की जान मैं अपने हाथों से लूंगा क्योंकि तुम दोनों से अब मेरा कोई वास्ता नहीं है। मुझे तो बस तुम्हारा यह धड़कता हुआ दिल चाहिए अपनी गर्लफ्रेंड की जान बचाने के लिए," कहकर जोर से हंसते हुए रितिक ने उस धारदार चाकू को सबसे पहले निधि के बिल्कुल सीने के पास मार दिया और फिर चाकू से चीरते हुए उसके पेट तक ले आया, जिससे निधि की दिल दहला देने वाली तड़पती हुई आवाज़ उस पूरे बेसमेंट में गूंज उठी। ये था निधि का मंगेतर और होने वाला पति रितिक, जिसने खुद अपने हाथों अपने होने वाली बीवी और बच्चे की जान ले ली। अपनी गर्लफ्रेंड और अपने राज़ को हमेशा के लिए दफन करने के लिए। पर क्या ये मासूम निधि का अंत था या फिर है एक नई जिंदगी की शुरुआत? आखिर क्यों मिली निधि को प्यार करने की सजा? क्यों ले ली रितिक ने इतनी बेरहमी से निधि की जान? निधि फिर लौटेगी दीपिका के रूप में एक मर्सिलेस वूमेन बनकर ! कैसे लेकर अपना मतलब क्या फिर कभी वह कर पाएगी किसी पर प्यार और विश्वास? जानने के लिए पढ़िए "Rebirth For Merciless Revenge"!
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देहरादून की शानदार इमारतों में से एक, "द बिरला कॉरपोरेशन" के शीर्ष तल पर स्थित सीईओ के केबिन में उस दिन का माहौल बेहद तनावपूर्ण था। आर्यन, इस कंपनी का प्रभावशाली और करिश्माई सीईओ, अपनी कुर्सी से खड़ा होकर कमरे में टहल रहा था। उसकी आँखों में चिंता और नाराज़गी साफ़ दिखाई दे रही थी। वहीं निधि, उसकी करीबी दोस्त, अपने ही विचारों में खोई हुई थी।
आर्यन ने शांत और धीमी आवाज़ में कहा, "निधि, तुम मुझ पर विश्वास क्यों नहीं कर रही हो? क्या तुम सच में सोचती हो कि मैं तुम्हारा बुरा चाहूँगा? मैंने तुम्हारे लिए हमेशा अच्छा सोचा है, और तुम यह बहुत अच्छे से जानती हो। मैंने कभी कुछ गलत नहीं किया।"
निधि, जिसने अपना सिर पकड़ रखा था, अपने आँसुओं को रोकते हुए बोली, "विश्वास है मुझे तुम पर आर्यन, पर जो तुम कह रहे हो...उस पर कैसे भरोसा करूँ? तुम जानते हो, मैं पिछले तीन साल से उससे प्यार करती हूँ। अब तो हमारी सगाई भी हो चुकी है। कैसे यकीन करूँ कि वह मुझे धोखा दे रहा है?"
आर्यन का धैर्य अब जवाब दे रहा था। उसका चेहरा लाल हो गया था, उसकी भौहें सिकुड़ गई थीं। गुस्से से उसने अपना हाथ टेबल पर पटक दिया, और ऐसा लगा जैसे वह कुछ भी उठाकर फेंकने वाला हो। पूरे कमरे में एक अजीब तरह से इधर-उधर देखते हुए उसकी आँखों में धधकते गुस्से की लपटें साफ़ नज़र आ रही थीं।
तभी निधि, जो अब तक कमरे के एक कोने में खड़ी सब देख रही थी, तेज़ी से आर्यन के पास आई। उसने बिना सोचे-समझे उसका हाथ पकड़ लिया और उसे रोकते हुए बोली, "क्या कर रहे हो आर्यन? तुम इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो?"
निधि को पता था कि आर्यन का गुस्सा कितना खतरनाक हो सकता है, लेकिन उसकी मासूमियत और प्यार ने उसे रुकने पर मजबूर कर दिया। उसने धीरे-धीरे अपने नाज़ुक हाथों से आर्यन के गालों को पकड़ा और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोली, "आर्यन, शांत हो जाओ। मैं जानती हूँ कि तुम जो कर रहे हो, वह मेरे और मेरे भविष्य के भले के लिए है, पर इस तरह गुस्सा करना सही नहीं है।"
निधि के शब्दों ने जैसे आर्यन के दिल को सुकून पहुँचा दिया। उसका गुस्सा धीरे-धीरे ठंडा हो गया। उसके अंदर की आग बुझने लगी और उसके अंदर की कठोरता अचानक से पिघल गई। निधि के नर्म और प्यार भरे स्पर्श ने उसे शांत कर दिया था। आर्यन ने गहरी साँस ली और उसकी आँखों में कुछ नरमी आ गई। वह अब पहले जैसा नहीं रहा; उसकी सारी नाराज़गी निधि की मासूमियत के आगे हार गई थी।
आर्यन ने निधि की ओर देखा, जिसकी आँखें अभी भी आँसुओं से भरी हुई थीं, और बोला, "निधि, मैं सिर्फ़ तुम्हें बचाने की कोशिश कर रहा हूँ। कभी-कभी सच बहुत कड़वा होता है, पर उसे स्वीकार कर लेना भविष्य के लिए उतना ही मीठा होता है! मैं तुम्हें कभी धोखा नहीं दूँगा। अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा है, तो तुम समझोगी कि मैं सही कह रहा हूँ।"
कमरे में गहरी खामोशी छा गई, पर वह खामोशी आर्यन के शांत होते दिल की गवाही दे रही थी। निधि कुछ नहीं कह रही थी। बस एकटक उसकी आँखों में देख रही थी, ना समझो कि तरह।
फिर आर्यन ने गहरी साँस लेते हुए निधि के दोनों हाथों को कसकर अपने हाथों में थाम लिया। आगे के शब्द कहते हुए उसकी आँखों में अब शांति के साथ हल्के गुस्से की चमक साफ़ दिखाई दे रही थी। वह बोला, "निधि, अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ कि वह आदमी तुम्हें धोखा दे रहा है? समझने की कोशिश करो। और एक बात बताओ, तुम्हें अपने बचपन के सबसे अच्छे दोस्त पर भरोसा नहीं है, लेकिन उस कमीने इंसान पर है? सच में? तुम सोच रही हो कि मैं इस पर गुस्सा नहीं करूँगा? तो क्या मैं जश्न मनाऊँ?"
आर्यन के लहजे में शांति के बावजूद भी गहरी नाराज़गी थी। उसने अपनी पकड़ और मज़बूत करते हुए कहा, "मेरे सामने तुम अपनी पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर रही हो, और मैं यूँ ही चुपचाप बैठकर देखता रहूँ? मैं कोई नासमझ नहीं हूँ, इतनी बार बता चुका हूँ लेकिन तुम्हें समझ नहीं आ रहा है! आखिर क्यों? मैं झूठ क्यों बोलूँगा तुमसे, निधि?"
आर्यन की आवाज़ में अब दर्द भी साफ़ झलक रहा था। उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था, और उसकी साँसें भारी हो गई थीं। उसने गुस्से से अपनी नज़रें नीची कर लीं, फिर अचानक अपना चेहरा ऊपर उठाकर जोर से बोला, "तुम्हें क्या लगता है कि मैं बिना किसी वजह के तुमसे यह सब कह रहा हूँ? तुम मुझे क्या समझती हो? इस 'बिरला कॉरपोरेशन', जो देहरादून की शीर्ष कंपनियों में से एक है, के अकेले सीईओ होने के नाते, क्या मैं तुम्हारे सामने बिना किसी प्रमाण के आकर ऐसी बातें करूँगा?"
उसकी आँखें अब लाल हो गई थीं, गुस्से और हताशा से भरी हुईं। उसकी लंबी-लंबी साँसें उसकी बेचैनी को जाहिर कर रही थीं। आर्यन अब हाँफने लगा था, जैसे उसके दिल में उमड़ते गुस्से का बोझ उसके सीने पर भारी पड़ रहा हो। उसके शब्दों में सिर्फ़ नाराज़गी ही नहीं, बल्कि दर्द भी झलक रहा था—एक ऐसा दर्द जो सिर्फ़ वही महसूस कर सकता था, जिसने सच्चाई देखी हो और जिसके लिए किसी ख़ास को खोने का डर गहराता जा रहा हो।
वह निधि की आँखों में गहराई से देखते हुए चिल्लाया, "तुम मुझे नहीं जानती क्या? मैं वह नहीं हूँ जो बिना किसी सबूत के बातें करता है! मैं तुम्हें सिर्फ़ इसलिए इस धोखेबाज़ इंसान और उस रिश्ते से बचाना चाहता हूँ क्योंकि मुझे तुम्हारी परवाह है! क्या तुम्हें मेरी कोई बात समझ नहीं आ रही?"
उसकी बातों ने कमरे में एक गहरी खामोशी पैदा कर दी, जहाँ सिर्फ़ आर्यन की गुस्से से तेज़ होती साँसें सुनाई दे रही थीं।
निधि ने धीरे से अपनी आँखें उठाई और बोली, "ठीक है, तुम्हारे पास है, ना प्रमाण? तो मुझे प्रमाण दो। तुमने मुझे प्रमाण दे दिया, तो मैं रितिक से आज ही अपना सारा रिश्ता तोड़ दूँगी। लेकिन मुझे अभी प्रमाण दो।"
आर्यन ने एक गहरी साँस ली और तुरंत लैंडलाइन से किसी को कॉल किया। दूसरी ओर से कॉल उठते ही वह गंभीरता से बोला, "नितिन, मेरे ऑफिस में अभी आ जाओ, और उन तस्वीरों को भी लेकर आना जो मैंने तुम्हें रखने को कहा था।"
नितिन ने फ़ोन पर जवाब दिया, "ओके सर," और कॉल कट हो गई।
सिर्फ़ दो मिनट बाद केबिन का दरवाज़ा खटखटाया गया। "अंदर आओ," आर्यन ने कहा। नितिन कमरे में दाखिल हुआ, उसके हाथ में एक लिफ़ाफ़ा था। नितिन के हाथ में उस लिफ़ाफ़े को देखते ही निधि का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसके अंदर एक अनजाना डर और घबराहट उठ रही थी। उसकी नज़रें लगातार उस लिफ़ाफ़े पर जमी थीं। नितिन चुपचाप आर्यन की ओर बढ़ा और लिफ़ाफ़ा उसके हाथ में थमा दिया। आर्यन ने आँखों से ही उसे इशारा किया कि वह जा सकता है, और नितिन बिना कुछ कहे बाहर चला गया।
जैसे ही नितिन केबिन से बाहर निकला, आर्यन ने बिना एक पल गँवाए लिफ़ाफ़े से फ़ोटोज़ निकाले और निधि की ओर देखा। निधि का दिल अनजाने में ही तेज़ धड़कने लगा, उसकी नज़रें सीधे आर्यन के हाथ में पकड़े लिफ़ाफ़े पर थीं। वह तेज़ कदमों से आर्यन के पास आई और बिना कुछ कहे फ़ोटोज़ को उसके हाथों से छीन लिया।
कमरे में एक पल के लिए भयंकर सन्नाटा छा गया। केवल निधि की काँपती उँगलियाँ और उसके थरथराते होंठ उसकी भावनाओं की गवाही दे रहे थे। जैसे-जैसे निधि एक-एक फ़ोटो देखती गई, उसके चेहरे की रंगत फ़ीकी पड़ती चली गई। निधि का दिल जैसे हज़ारों टुकड़ों में बिखर चुका था। उसकी आँखें लाल हो गई थीं, और आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वह काँपते हुए उन तस्वीरों को देख रही थी, जिनमें रितिक किसी और लड़की के साथ था। उसके होंठ थरथराने लगे, और जैसे ही उसकी आँखों ने एक और तस्वीर देखी, वह तस्वीरें उसके हाथों से फिसलकर नीचे गिर गईं।
उसके घुटने कमजोर हो गए। वह गिरने ही वाली थी कि आर्यन ने उसे तुरंत पकड़ लिया। निधि उसके गले लगकर जोर-जोर से रोने लगी। उसकी सिसकियों में टूटे हुए सपनों की गूंज थी, जो आर्यन के दिल तक पहुँच रही थी। फ़ोटोज़ में रितिक किसी और लड़की के साथ बेहद करीबी पलों में था; वह हँस रहा था, उसे गले लगा रहा था, और फिर कुछ तस्वीरों में दोनों एक होटल के कमरे में थे।
"आ...आर्यन," निधि ने रोते हुए कहा, "क्या ये सच है? क्या उसने सच में मुझे धोखा दिया? वो मुझसे प्यार करता था... हमने इंगेजमेंट कर ली थी, और जल्द ही शादी करने वाले थे। फिर ये सब... वो किसी और लड़की के साथ... ये सब क्या है, आर्यन?"
आर्यन ने निधि को और कसकर अपने सीने से लगा लिया। उसकी आँखों में दर्द था, लेकिन उसके लहजे में ठहराव था। "निधि," उसने धीरे से कहा, "सच बहुत कड़वा होता है। मैं जानता हूँ कि ये तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है, लेकिन अब तुम्हें इस सच का सामना करना होगा। जो तुम्हारे साथ हुआ है, उसका दर्द मैं समझ सकता हूँ। पर रितिक ने तुम्हारे साथ जो किया, वो माफ़ी के काबिल नहीं है। अब तुम्हें उसे अपने दिल से निकालना होगा। भरोसे के साथ खेला है, उस बास्टर्ड ने।"
क्या होगा आगे? कैसे विश्वास दिलाएगा आर्यन अपनी दोस्त को? क्या प्रमाण है उसके पास? क्या करेगी अब निधि? जानने के लिए इंतज़ार करें।
निधि ने काँपते हाथों से आर्यन के चेहरे को छुआ और उसकी आँखों में देखा।
"आर्यन... तुमने जो सच मुझे बताया है, उससे मेरे दिल के टुकड़े-टुकड़े हो गए हैं, आर्यन। अब मैं क्या करूँ? मैं कैसे आगे बढ़ूँ? उसने मुझे ऐसे तोड़ दिया है कि मैं खुद को भी पहचान नहीं पा रही हूँ।"
"और तुम्हें कैसे पता चला?"
आर्यन की आँखों में एक सख्त नज़र आई।
"मुझे तुम्हारी परवाह है, निधि, और जब मैंने महसूस किया कि तुम्हें धोखा दिया जा रहा है, मैंने अपने सभी सोर्सेज का उपयोग करके ये सब पता किया है। मैंने तुम्हें इस दर्द से बचाने के लिए यह सब किया है।"
निधि की आँखों से आँसू बहते रहे। उसने फ़ोटोज़ को देखा, फिर आर्यन की ओर पलटी।
"तो ये सब सच है," वह फुसफुसाई।
आर्यन ने उसकी आँखों में देखते हुए हल्की मुस्कान के साथ कहा, "तुम्हें खुद पर विश्वास करना होगा, निधि। और जब तक तुम्हें मेरी ज़रूरत होगी, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा। ये मेरा वादा है।"
निधि ने अपने आँसू पोछे और आर्यन के गले लग गई, जैसे वह उसकी आखिरी उम्मीद हो।
आर्यन ने धीरे-धीरे निधि की पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे शांत करने की कोशिश की, मगर निधि का रोना रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
आर्यन ने गहरी साँस लेते हुए कहा, “निधि, मैंने तुम्हें पहले भी समझाया था कि ये सब मुझे सही नहीं लग रहा था, लेकिन तुमने मेरी बात को अनसुना कर दिया और अपनी फैमिली की बात सुनी। पर कोई बात नहीं, अब जो हो चुका है, उसे जाने दो।”
वह कुछ पल रुका और निधि की आँखों में देखते हुए बोला, "अब तुम्हें ही इस सब को ठीक करना है, क्योंकि मैं आज की ही फ़्लाइट से कुछ दिनों के लिए विदेश जा रहा हूँ। और मुझे पता है कि मेरी दोस्त बिल्कुल भी कमज़ोर नहीं है। तुम खुद को संभाल सकती हो।"
आर्यन की बातों से धीरे-धीरे निधि का दर्द शांत हो रहा था। उसने अपने आँसू पोछते हुए कहा, “तुम सही कह रहे हो, आर्यन। उसकी इतनी हिम्मत कैसे हुई, मेरे रहते हुए किसी और लड़की के साथ... छी, ये कहते हुए भी मुझे शर्म आ रही है।”
उन दोनों के बीच सन्नाटा छा गया था। तभी अचानक बिना नॉक किए कोई उनके केबिन में दाखिल हुआ। आर्यन और निधि अब तक संभल चुके थे और एक-दूसरे को देख रहे थे, लेकिन अचानक किसी के आने से दोनों का ध्यान उस ओर चला गया।
सामने खड़ी लड़की को देखकर निधि का चेहरा थोड़ा सख्त हो गया। वह लड़की बहुत खूबसूरत लग रही थी; हल्के मेकअप और ब्लेज़र के साथ शॉर्ट स्कर्ट पहने हुए, हाई हील्स की टक-टक करती आवाज़ ने कमरे का माहौल बदल दिया। उसकी चाल में कॉन्फिडेंस और नज़रें सिर्फ़ आर्यन पर थीं।
वह तेज़ी से चलते हुए आर्यन के करीब आई और बिना कुछ कहे उसके गले लग गई।
आर्यन को अचानक गले लगाती उस लड़की को देखकर निधि की आँखों में एक पल के लिए अजीब सा भाव आया, जैसे किसी ने उसके दिल में हलचल पैदा कर दी हो। उसने तुरंत ही अपनी भावनाओं को नियंत्रित किया, लेकिन उसका मन बेचैन हो चुका था। वह लड़की आर्यन के इतने करीब, इतनी आसानी से कैसे आ सकती थी?
आर्यन, जो अभी तक निधि को शांत करने की कोशिश कर रहा था, उसके आगे किसी और लड़की के गले लगने से असहज महसूस करने लगा। उसने उस लड़की को खुद से दूर हटाते हुए कहा, "हीना, ये क्या कर रही हो? यहाँ ऑफ़िस में इस तरह..."
हीना ने उसकी बात को बीच में ही काटते हुए अपनी सॉफ़्ट सी आवाज़ में बोली, "ओह, आर्यन! You know what, तुम्हारे बिना एक पल भी रहना कितना मुश्किल होता है, मेरे लिए।" वह उसके कंधे पर अपना सिर रखते हुए बोली।
निधि का चेहरा इस दृश्य को देखकर सख्त हो चुका था। उसने अपने आँसुओं को छिपाने की कोशिश करते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं। आर्यन ने उसकी तरफ देखा और महसूस किया कि कुछ गड़बड़ हो रही है।
"हीना, अभी मैं एक ज़रूरी बात कर रहा था, क्या तुम थोड़ी देर के लिए बाहर जा सकती हो?" आर्यन ने शांति से कहा, लेकिन उसके आवाज़ में एक अजीब सी कड़वाहट थी।
हीना ने आर्यन को छोड़ते हुए निधि की तरफ देखा और व्यंग्यात्मक अंदाज़ में बोली, "ओह, तो ये वही लड़की है... तुम्हारी 'बचपन की बेस्ट फ्रेंड'।" उसकी आँखों में कुछ अलग सा चमक रहा था।
आर्यन ने हीना की बनावटी आवाज़ और उसकी बेहूदगी से पहले ही खुद को मुश्किल से काबू में रखा था, लेकिन जब उसने निधि को जाते हुए देखा, तो उसका गुस्सा चरम पर पहुँच गया। हीना की मौजूदगी और उसकी हरकतें अब और बर्दाश्त के बाहर थीं।
हीना, अपनी मीठी और बनावटी आवाज़ में बोली, “Heyy Aryan baby! कब से तुम्हें कॉल कर रही थी, तुमने उठाया ही नहीं, तो मुझे बड़ी चिंता होने लगी। इसीलिए मैं यहाँ आ गई!” हीना की इस बेशर्म हरकत पर आर्यन के हाथों की मुट्ठियाँ कस गईं। वह कुछ कहने ही वाला था कि इससे पहले निधि गुस्से से पैर पटकते हुए केबिन से बाहर चली गई। आर्यन को निधि का इस तरह जाना और भी ज़्यादा गुस्से में डाल गया।
आर्यन ने हीना को झटकते हुए तेज़ आवाज़ में कहा, “कैसे हुई, हीना? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बिना नॉक किए और मेरी परमिशन के बिना इस केबिन में आने की? और मेरे करीब आने की तो सोचना भी मत।”
हीना को आर्यन के इस बर्ताव से गुस्सा तो बहुत आया, मगर उसने खुद को शांत रखा और उसकी बातों को अनसुना करते हुए बोली, “बेबी, वैसे वो बहन जी कौन थी? सच में इतनी आउटडेटेड लड़की! आजकल के टाइम में ऐसे बहन जी बनकर कौन घूमता है?” कहते हुए हीना हँसने लगी, उसकी हँसी में घमंड और ताने झलक रहे थे।
उसकी बातों से आर्यन का गुस्सा और भी बढ़ गया। उसकी आँखों में एक ख़तरनाक चमक आ गई। उसने गुस्से में सामने रखे फ्लावर वास को जोर से जमीन पर पटक दिया। “अपना काम देखो, मिस हीना ख़ान! किसी और की पर्सनालिटी पर कमेंट करने से पहले अपनी पर्सनालिटी पर थोड़ा काम कर लो।"
आर्यन ने बिना समय गँवाए केबिन से बाहर निकलने की कोशिश की, किन्तु तभी हिना ने उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी आवाज़ में पहले से ज़्यादा मिठास थी, और इरादे कहीं गहरे।
"डार्लिंग, तुम तो नाराज़ हो गए! तुम्हें नहीं लगता हमें कुछ समय अकेले में इंजॉय करना चाहिए?" हिना ने अपने लहजे में मिठास भरते हुए कहा, उसकी उंगलियाँ धीरे-धीरे आर्यन की कलाई पर सरक रही थीं।
लेकिन इस बार आर्यन का सब्र टूट चुका था। उसकी आँखों में गुस्से की लहरें उमड़ रही थीं। हिना ने उसे और पास खींचते हुए कहा,
"डार्लिंग, तुम तो बहुत स्ट्रॉन्ग हो, लेकिन शायद तुम्हें भी किसी का साथ चाहिए... कुछ खास, मुझ जैसा कोई।"
हिना के होंठ अब आर्यन के कानों के करीब थे, उसकी साँसों की गर्मी आर्यन की गर्दन को छू रही थी। उसने धीमे से कहा,
"तुम्हें मेरे साथ समय बिताना चाहिए। हम दोनों के बीच की केमिस्ट्री को महसूस करो, बेबी।" उसकी आवाज़ में एक खिंचाव था, जो आर्यन के दिल की धड़कनों को तेज कर रहा था।
आर्यन ने उसकी तरफ़ देखा, उसके चेहरे पर गुस्सा कम और कुछ बदलने लगा था। हिना ने अब आर्यन के सीने पर अपनी उंगलियाँ चलाना शुरू किया, उसकी निगाहें आर्यन की आँखों में गहराई से झाँक रही थीं।
"कभी-कभी तुम्हें भी रिलैक्स करने का हक़ है, और मैं तुम्हें वैसा एहसास दिला सकती हूँ," हिना ने अपनी आवाज़ को और भी आकर्षक बनाकर कहा।
आर्यन ने उसकी बातें सुनते हुए अपने गुस्से को रोकने की कोशिश की, मगर हिना के नज़दीक आते ही उसकी साँसें तेज हो रही थीं। हिना ने अब आर्यन के कॉलर को हल्के से पकड़ते हुए उसे और करीब खींचा, उसकी आँखों में एक चालाकी भरी चमक थी। उसने धीरे-धीरे आर्यन के ब्लेज़र की कॉलर को खोलते हुए कहा,
"क्या हुआ बेबी? क्या तुम अब भी मुझसे दूर रह सकते हो?"
आर्यन के भीतर का गुस्सा और हिना की हरकतें मिलकर अब उसे पूरी तरह से मदहोश करने लगी थीं। उसने गुस्से और तड़प के साथ हिना की कलाई को झटका, मगर हिना ने इसे अपने फायदे के लिए मोड़ लिया। उसने आर्यन की पकड़ को महसूस करते हुए कहा,
"ufff, तुम्हारा ये aggressive, wild nature मुझे बहुत ज़्यादा पसंद है, बेबी।"
हिना ने उसे और पास खींचा और उसकी आंखों में एक गहरी निगाह डालते हुए कहा, "तुम्हारे जैसे पावरफुल आदमी की बनने के लिए मैं हमेशा तैयार हूँ, आर्यन।"
आर्यन ने अपनी एक आंख को वीक किया, तो हीना ने उसके चेहरे पर seductive अंदाज में उंगली फेरते हुए कहा, "एक जवान हैंडसम लड़का और एक मुझ जैसी hot लड़की साथ हों, तो इस कांबिनेशन को वेस्ट नहीं जाने देना चाहिए।"
आर्यन ने उसके बालो को कसकर पकड़ के खींचते हुए, तुम्हें लगता है कि तुम मुझे अपने जाल में फंसा सकती हो? मैं एक जंगली जानवर हूँ, और तुम मुझसे दया की उम्मीद बिल्कुल भी मत करना," उसने सख्ती से कहा।
फिर, उसने हीना के गले पर जोर से बाइट किया, जिससे वह चिहुक उठी। "आह!" उसकी सिसकी सुनकर आर्यन ने रुकने का नाम नहीं लिया और उसके गाल पर भी अपने दांतों का एहसास देने लगा।
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आर्यन ने उसके बालों को कसकर पकड़कर खींचते हुए कहा, "तुम्हें लगता है कि तुम मुझे अपने जाल में फँसा सकती हो? मैं एक जंगली जानवर हूँ, और तुम मुझसे दया की उम्मीद बिल्कुल भी मत करना।" उसने सख्ती से कहा।
फिर, अचानक उसने हिना के गले पर जोर से काटा, जिससे वह चीख उठी।
"Aahhhhhhh!"
उसकी सिसकी सुनकर आर्यन ने रुकने का नाम नहीं लिया और उसके गाल पर भी अपने दाँतों का एहसास दिलाने लगा।
कुछ पल बाद, आर्यन ने उसे अपनी बाहों में खींच लिया, उसे कुर्सी पर लिटा दिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
"बहुत शौक हैं तुम्हें, ना? बहुत आग लगी है, तुम में। आज तुम्हारी सारी आग बुझाता हूँ।" उसकी आवाज़ में एक सख्ती थी, जो हिना को और भी उत्तेजित कर रही थी।
वो उसके कॉलर को खींचकर बोली, "मैं तो कब से रेडी हूँ जान, एक बार पास तो आओ।"
आर्यन ने हिना को घूरते हुए उसके चेहरे पर कातिलाना मुस्कान दे दी। फिर वो उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे चूमने लगा। किस के साथ-साथ उसने उसके होंठों पर काटा भी, जिससे हिना की आहें निकलने लगीं।
"आर्यन... तुम बहुत बुरे हो," हिना ने सिसकते हुए कहा, उसकी आवाज़ में दर्द और खुशी दोनों थे।
"But i like..." कहकर वो उसे चूमने लगी।
आर्यन ने उसे और भी ज़ोर से चूमा, उसके पूरे शरीर पर हाथ फेरने लगा। फिर उसने उसके होंठों पर काट दिया, जिससे हिना अपना मुँह खोल देती है। जैसे ही उसने अपना मुँह खोला आर्यन ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और उसकी जीभ से खेलने लगा।
हिना अब पूरी मदहोश हो चुकी थी। उसने आर्यन को और भी करीब खींचते हुए उसकी बाहों में अपनी बाहें डाल दीं। धीरे-धीरे उसने आर्यन को किस बैक करना शुरू कर दिया। जब आर्यन ने महसूस किया कि हिना उसे बैक किस कर रही है, तो उसकी उत्तेजना और बढ़ गई। हिना उसकी मस्कुलर बॉडी को ऊपर से नीचे स्पर्श कर रही थी, उसके बदन के हर कोने को छूते हुए।
20 मिनट तक ऐसे ही पैशनेट किस के बाद, उनकी साँसें उखड़ने लगीं और उन्होंने एक-दूसरे को छोड़ दिया। आर्यन ने उसे प्यार से नहीं, बल्कि गुस्से से चूमा। फिर उसने उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए और उसे रफली चूमने लगा, काटने भी लगा। उसके हाथ उसकी पूरी बॉडी पर घूमने लगे। धीरे-धीरे, उसने उसके कपड़े उतार दिए और खुद के कपड़े भी उतारकर ऑफिस के कोने में फेंक दिए।
अब दोनों के कपड़े पूरी तरह केबिन में फर्श पर पड़े थे, और वे एक-दूसरे की प्यास बुझाने में लगे हुए थे। दोनों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे प्यासे को कुआँ मिल गया हो।
दो घंटे तक उनका यह सेशन चला, जिसमें वे एक-दूसरे में खोए रहे।
अब आर्यन की फ्लाइट का समय हो रहा था, इसलिए उसने हिना की छाती पर तेज काट के साथ उसे छोड़ दिया।
आर्यन की फ्लाइट का समय भले ही हो रहा था, लेकिन वह हिना को यूँ ही छोड़कर जाने के मूड में बिल्कुल नहीं था। उसकी आँखों में वही वहशीपन और गुस्सा था। आर्यन ने हिना की छाती पर इतनी जोर से काटा कि हिना दर्द से चीख उठी।
फिर उसी तरह उसकी पूरी बॉडी पर आखिरी बार काट दिया और उसे वैसे ही टेबल पर पटकते हुए अपनी शर्ट पहनने लगा। हिना दर्द से कराह रही थी, उसकी साँसें तेज हो गई थीं, लेकिन आर्यन के चेहरे पर शिकन तक नहीं आई। उसने अपनी शर्ट के बटन बंद करते हुए हिना को देखा, जो अभी भी दर्द से कराह रही थी और उसके शरीर पर आर्यन के काटने के निशान साफ़ दिख रहे थे।
वह हिना के करीब गया और आर्यन ने एक शैतानी मुस्कान के साथ उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फँसाईं, और उन्हें खींचते हुए उसका चेहरा अपने करीब लाया।
"अब तुम्हें सबक मिल गया होगा," आर्यन ने ठंडी आवाज़ में कहा।
"तो आगे से मेरे करीब आने से पहले 25 बार सोच लेना। और मेरे किसी भी करीबी के खिलाफ़ एक लफ़्ज़ भी बर्दाश्त नहीं करूँगा। आज तो छोड़ दिया, लेकिन अगली बार तुम्हारा ऐसा हाल करूँगा कि तुम सोच भी नहीं पाओगी।"
आर्यन के शब्दों को सुनकर हिना की धड़कनें तेज हो गईं। फिर उसकी निगाहें हिना के होंठों पर टिक गईं, जैसे एक शिकारी अपने शिकार पर नज़र गड़ाए हो। उसके चेहरे पर एक क्रूर मुस्कान थी। हिना अभी भी उसके हाथों में जकड़ी हुई थी, वह पूरी तरह से आर्यन के काबू में थी। आर्यन ने उसके होंठों की ओर देखा और उन पर एक काट के साथ उसे टेबल पर पटक दिया, जैसे वह कोई खिलौना हो। हिना ने दर्द से कराहते हुए उसे देखा, मगर कुछ कह नहीं पाई।
फिर वह हिम्मत जुटाकर दर्द से कराहते हुए मुस्कुराकर बोली,
"Ohh baby, you are so rude and wild!! चार दिन तक बिस्तर से उठने लायक नहीं छोड़ा है मुझे... पता नहीं मेरा क्या होगा... Ummh..."
आर्यन उसकी बातें सुनकर हल्का सा मुस्कराया और अपने बालों में हाथ फेरते हुए कहा, "तो संभल के रहना। मेरे पास वक्त नहीं है तुम्हारी और बकवास सुनने का।" उसने फिर से उसकी तरफ देखा, उसके चेहरे पर कोई नरमी नहीं थी।
हीना ने आर्यन को जाते हुए देखा, उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद होने लगी थीं, लेकिन आर्यन ने अचानक उसके कपड़े जमीन से उठाकर उसकी तरफ फेंके। "ये लो, खुद उठाओ और अपनी हालत सुधारो," उसने कहा, और फिर बिना कुछ और कहे वॉशरूम की तरफ बढ़ गया।
हीना ने अपने आधे बंद होती आँखों से बेबस होकर उसे देखा, लेकिन कुछ कहने की हालत में नहीं थी। उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद हो रही थीं। कुछ देर बाद आर्यन के बाहर आने बाद धीरे-धीरे अपने कपड़े उठाए और वॉशरूम में चली गई, उसकी आँखों में आँसू थे लेकिन वे आँसू किसी दर्द के नहीं, बल्कि satisfaction के थे। आर्यन ने उसकी ओर देखे बिना ही दरवाजा खोला और बाहर निकल गया।
उधर निधि टूटे हुए दिल के साथ आर्यन के कैबिन से तेज़ी से बाहर निकल गई, लेकिन उसका दिल अंदर से टूट चुका था। उसकी आंखों में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वो सीधे पार्किंग में गई और जैसे ही अपनी गाड़ी तक पहुंची और फौरन बैठी, उसकी आंखों से आंसू झर-झर बहने लगे। । उसने गाड़ी में बैठते ही एक लंबी सांस ली, उसका मन गुस्सा और दर्द से भरा हुआ था। लेकिन उसके दिल और दिमाग में एक तूफान मचा हुआ था।
आर्यन के ऑफिस में वो लड़की और उसके finance रितिक का धोखा। वो अब किसी भी तरह रितिक से मिलना चाहती थी, अपने सारे रिश्तों को खत्म करने के लिए। वो रितिक से पूछना चाहती थी कि उसने उसके साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया।
उसने स्टेरिंग पर जोर से अपना हाथ मारते हुए कहा, "क्यों आखिर क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा कहां कमी रह गई थी मेरे प्यार में कि तुम दूसरी लड़कियों के पास....!" इसके आगे के शब्द वो बोल ही नहीं पाई उसका गला रूंध गया। उसकी आंखों में नफरत और दुख था। बिना ज्यादा सोचे-समझे, उसने गाड़ी स्टार्ट की और सीधे रितिक से मिलने का फैसला किया। उसे अब सारे रिश्ते खत्म करने थे, और यह जवाब भी चाहिए था कि आखिर रितिक ने उसके साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया।
निधि की आँखों से आँसू बहने को थे, लेकिन उसने खुद को संभालने की पूरी कोशिश की। गाड़ी की स्पीड बढ़ाते हुए उसके दिमाग में बार-बार रितिक की वो तस्वीरें घूम रही थीं, जो उसने कुछ दिन पहले देखी थीं—रितिक किसी और लड़की के साथ, उसे गले लगाते हुए, मुस्कुराते हुए। उसका दिल बार-बार यह सोचकर चीख रहा था कि जिस इंसान पर उसने अपना सब कुछ न्योछावर किया, उसी ने उसे धोखा दिया।
रास्ते में गाड़ी चलाते हुए, निधि अपने गुस्से और दर्द को काबू में रखने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसकी आंखों में आंसू आ ही गए। उसका मन बार-बार उस धोखे को याद कर रहा था, जो रितिक ने उसके साथ किया था। तभी अचानक उसका फोन बजा। उसने देखा, फोन hospital से आ रहा था एक दो बार तो उसने इग्नोर किया वो इस वक्त किसी से भी बात करने के मूड में नहीं थी। पर जब लगातार कॉल आने लगी तो निधि उसने स्टेयरिंग व्हील को कसकर पकड़ा, जैसे अपनी पूरी ताकत से खुद को संभालने की कोशिश कर रही हो। फिर गहरी सांस लेकर कॉल पिक कर लिया।
"Hello?" निधि ने फोन उठाते ही कहा।
"निधि, ये डॉक्टर विनिता बोल रही हूं।
Dr विनिता देहरादून के सबसे बड़े hospital, 'सूर्या मेडिकेयर' की हेड डॉक्टर थीं और उसकी फैमिली फ्रेंड भी।
निधि, "yes Dr कहिए!"
"निधि, तुम्हें तुरंत अस्पताल आना होगा।" डॉक्टर विनिता ने शांत आवाज में कहां।
"क्या हुआ, डॉक्टर? सब ठीक तो है?"
"तुम बस आ जाओ, निधि। रिपोर्ट्स आ गई हैं, और मुझे फॉरेन तुमसे मिलना है।" डॉक्टर विनिता ने बिना ज्यादा डिटेल में बताए फोन काट दिया। निधि का दिल और तेजी से धड़कने लगा। उसने तुरंत गाड़ी की दिशा बदली और सूर्या मेडिकेयर की तरफ बढ़ी।
क्या करेगी अब निधि अपने वित्तीय स्थिति का सच जानकर? किस तरह संभालेगी वह अपने टूटे हुए दिल को? और कौन है, यह आर्यन बिरला और क्या रिश्ता है उसका हिना से? जानने के लिए बने रहें Rebirth For Merciless Revenge।
निधि अपना रूटीन चेकअप डॉक्टर विनिता से ही करवाती थी। इस बार भी उन्हीं की रिपोर्ट्स के लिए डॉक्टर ने उसे बुलाया था।
निधि ने पार्किंग में गाड़ी रोकी और जल्दी से हॉस्पिटल में सीधे डॉक्टर विनिता के ऑफिस की तरफ बढ़ गई। डॉक्टर विनिता उसे देखकर मुस्कुराईं, अपनी कुर्सी से उठकर उसे गले लगाया।
"आओ, निधि। तुम्हें देखकर अच्छा लगा," उन्होंने कहा।
"आपने अचानक बुलाया, सब ठीक तो है?" निधि ने थोड़ा घबराते हुए पूछा।
"पहले ये बताओ तुम कैसी हो?"
निधि झूठी मुस्कान के साथ, "मैं बिलकुल ठीक हूँ, डॉक्टर।"
"झूठ, तुम अपना ध्यान नहीं रख रही हो, निधि। तुम बहुत स्ट्रेस में दिख रही हो," डॉक्टर विनिता ने उसे देखा और हल्की सी फटकार दी।
"मैं...बस थोड़ा सा परेशान थी।" निधि ने घबराते हुए कहा। उसकी आँखों में कई सवाल थे, लेकिन डॉक्टर विनिता ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। वे उसे देखती रहीं, जैसे कुछ सोच रही हों।
"क्या हुआ है, डॉक्टर? आप मुझे यूँ ही परेशान कर रही हैं," निधि ने थोड़ी बेचैनी से पूछा। डॉक्टर विनिता ने उसकी ओर देखा और हल्की सी मुस्कान दी। फिर अचानक वे उसकी ओर झुक गईं और उसे गले लगा लिया।
डॉक्टर विनिता ने उसे ध्यान से देखा और एक पल को रुककर कहा, "सब कुछ ठीक है, लेकिन तुम्हें अपना ख्याल रखना होगा।"
"ख्याल? मतलब क्या?" निधि और भी ज़्यादा कन्फ्यूज़ हो गई। डॉक्टर ने उसकी बेचैनी देखी और हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "अभी बताती हूँ। पहले कुछ देर बैठो और आराम से सुनो।"
निधि के चेहरे पर हल्का तनाव था, और डॉक्टर विनिता ने जानबूझकर कुछ देर उसे सस्पेंस में रखा। जब निधि से रहा न गया, तो वह बोली, "डॉक्टर, प्लीज़ बताइए, मैं और इंतज़ार नहीं कर सकती।"
डॉक्टर ने उसकी बात को अनदेखा करते हुए हँसी, फिर हल्की आवाज़ में कहा, "तुम इतनी जल्दी प्रोग्रेस करोगी, मैंने सोचा भी नहीं था। काफ़ी फ़ास्ट निकलीं तुम तो।"
निधि अब तक बेचैन हो चुकी थी। "डॉक्टर, प्लीज़ मुझे बताइए, बातें मत घुमाइए। मुझे सीधे-सीधे बताइए कि बात क्या है?"
निधि डॉक्टर विनिता की मुस्कान और खुशी को देखकर हैरान हो गई थी। उसकी उलझन और बढ़ गई थी। अभी कुछ पल पहले उसकी ज़िंदगी में तूफ़ान मचा हुआ था, और अब डॉक्टर की ऐसी बातें उसे और भी ज़्यादा असमंजस में डाल रही थीं।
डॉक्टर विनिता ने हल्के से हँसी रोकते हुए कहा, "अरे, निधि, तुम बहुत जल्दी घबरा जाती हो। पहले थोड़ा आराम करो।" निधि की आँखों में सवाल साफ़ झलक रहा था, और जब वह ज़्यादा सहन नहीं कर पाई, तो डॉक्टर विनिता ने उसे छेड़ते हुए कहा, "ठीक है, ठीक है, मैं और नहीं तंग करूँगी।"
फिर डॉक्टर विनिता ने उसकी ओर देखा और हल्की सी मुस्कान दी। और अचानक वे उसकी ओर झुक गईं और उसे गले लगा लिया।
"कॉन्ग्रेचुलेशन्स, निधि!" डॉक्टर विनिता की आवाज़ में खुशी थी, लेकिन निधि अब भी कन्फ़्यूज़ थी।
"क...किस बात के लिए?" निधि ने घबराकर पूछा।
डॉक्टर विनिता ने निधि के हाथ थामते हुए उसकी रिपोर्ट्स को टेबल पर रखा और कहा, "तुम माँ बनने वाली हो, निधि। तुम तीन हफ़्ते की प्रेग्नेंट हो!"
यह सुनते ही निधि की दुनिया जैसे रुक गई। उसकी आँखें चौड़ी हो गईं और वह डॉक्टर को विश्वास न कर पाने वाली नज़रों से देखने लगी।
"व्हाट...?" उसने हैरानी से कहा।
डॉक्टर विनिता ने उसके कंधे को पकड़कर कहा, "हाँ, तुम प्रेग्नेंट हो।"
निधि के चेहरे पर जैसे Emotions का सैलाब आ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे कैसे reaction देनी चाहिए। उसकी आँखों के सामने धुंधलापन सा छाने लगा, उसके कानों में सिर्फ डॉक्टर के शब्द गूंज रहे थे—"you are pregnant..."
उसके हाथ धीरे-धीरे डॉक्टर की पकड़ से छूटते गए और वो एकदम से कुर्सी पर बैठ गई। उसकी साँसें तेज हो गई थीं, और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे खुश होना चाहिए या दुखी।
मैं प्रेग्नेंट हूँ?..." उसने खुद से फुसफुसाते हुए कहा। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वो इतनी बड़ी जिम्मेदारी उठाने वाली है, और जिस इंसान पर उसने भरोसा किया था, वो इस पल उसके साथ नहीं था।
डॉक्टर ने सिर हिलाते हुए कहा, "हां, निधि। तुम माँ बनने वाली हो।"
उसकी सांसें अटक सी गईं और हाथों में पकड़ी रिपोर्ट्स उसके हाथ से फिसलने लगीं।
"तुम ठीक हो?"
निधि की आंखों में आंसू छलक आए । उसने बिना कुछ कहे डॉक्टर को गले लगा लिया और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे, लेकिन इस बार यह आंसू खुशी के थे।
"मैं माँ बनने वाली हूँ..." उसने Dr से फुसफुसाते हुए कहा।
डॉक्टर विनिता ने उसकी हालत देखकर एक गिलास पानी दिया और उसके पास बैठते हुए कहा, "निधि, मुझे पता है कि तुम बहुत उलझी हुई हो। लेकिन यह पल तुम्हारी ज़िंदगी का सबसे खास पल है। तुम्हें अब खुद के साथ-साथ अपने बच्चे का भी ख्याल रखना होगा।"
निधि ने डॉक्टर के हाथ से पानी का गिलास लिया और धीरे-धीरे पीते हुए अपने आँसू पोंछे। उसकी आँखों में अब भी दर्द था, लेकिन उसके अंदर एक नयी feeling ने जन्म लिया था—माँ बनने की फीलिंग।
डॉक्टर विनिता ने उसे हिदायत देते हुए कहा, " ये तुम्हारे जीवन का सबसे खूबसूरत समय है, लेकिन इसके साथ जिम्मेदारी भी आती है।"
कुछ देर तक दोनों चुपचाप बैठे रहे। निधि के मन में सवालों का तूफान चल रहा था, लेकिन अब उसे अपने बच्चे की चिंता थी।
"मुझे रितिक से मिलना होगा," निधि ने गहरी सांस लेते हुए कहा। डॉक्टर विनिता ने उसका हाथ पकड़कर कहा, "तुम जो भी फैसला लो, निधि, ध्यान रखना कि अब तुम सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि अपने बच्चे के लिए भी सोच रही हो।"
निधि ने सिर हिलाया और डॉक्टर को धन्यवाद कहकर अस्पताल से बाहर निकल आई। उसकी आँखों में अब भी आंसू थे, लेकिन इस बार उनमें सिर्फ दर्द नहीं।
निधि ने अपनी रिपोर्ट्स संभालीं और अब वह रितिक से मिलने जा रही थी। उसकी आँखों में खुशी की चमक थी, जो अभी कुछ देर पहले गुस्से और दुख से भरी हुई थीं। अब वह उस धोखे को भूलकर सिर्फ अपने होने वाले बच्चे के बारे में सोच रही थी।
निधि अब इतनी खुश थी कि उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई थी। उसने एक आखिरी बार अस्पताल की पार्किंग में खड़ी अपनी गाड़ी की ओर देखा, फिर अपने पेट पर हाथ रखते हुए हल्के से मुस्कुराई। "थैंक यू सो मच, बेबी, मम्मा की लाइफ में आने के लिए। आपको पता भी नहीं है कि मम्मा आज कितनी खुश है," उसने धीरे से फुसफुसाया, जैसे अपने आने वाले बच्चे से बातें कर रही हो।
उसकी आंखों में उम्मीद की एक नई चमक थी। रितिक ने जो धोखा दिया था, वो सब अब कहीं पीछे छूट गया था। उसकी सारी दुखद यादें धुंधली हो चुकी थीं। वह अब बस उस पल में जी रही थी—अपने बच्चे के साथ, जो उसकी ज़िंदगी में सबसे बड़ी खुशी बनकर आया था।
"चलो, अब हम चलते हैं तुम्हारे डैडी से मिलने, उन्हें ये गुड न्यूज़ देने," निधि ने अपने पेट को हल्के से थपथपाते हुए कहा। उसके चेहरे पर मुस्कान थी, मानो सारी दुनिया उसके लिए फिर से खूबसूरत हो गई हो।
वो अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ी, दरवाजा खोला, और धीरे से अंदर बैठ गई। उसकी सांसों में एक नई ताजगी थी। अब वह सिर्फ अपने बच्चे के बारे में सोच रही थी, अपनी खुशियों को रितिक से शेयर करने के लिए बेकरार थी। उसने गाड़ी स्टार्ट की, और तेज़ी से उसे रितिक के घर की ओर मोड़ दिया।
लेकिन कहीं न कहीं, निधि के दिल के एक कोने में अभी भी रितिक का ख्याल था। उसने अपने आप को संभालते हुए हिम्मत दी कि वो इस सच्चाई का सामना करेगी, चाहे कुछ भी हो। मगर उसने खुद से वादा किया कि वह बीती बातों को अब अपने और अपने बच्चे की खुशियों पर हावी नहीं होने देगी।
"मैं अपनी खुशी खुद से छीनने नहीं दूंगी। चाहे जो हो, मैं अब और अपने बेबी के साथ कुछ गलत नही हों दूंगी," उसने मन ही मन सोचा।
रितिक को यह खुशखबरी बतानी होगी... शायद सब कुछ बदल जाए," उसने सोचा और फिर तेज़ी से गाड़ी चलाने लगी।
तभी उसके फोन पर लगातार आर्यन का फोन आने लगा । मगर वह उससे बात करने का मूड में बिल्कुल नहीं थी , इसलिए उसने कॉल को इग्नोर कर दिया और फोन साइलेंट कर दिया। आर्यन ने कई बार निधि को फोन किया, लेकिन उसने कॉल नहीं उठाई। निधि का फोन न उठाना उसे और बेचैन कर रहा था, लेकिन उसके पास वक्त की कमी थी। लगभग 20 कॉल के बाद आर्यन ने कॉल करना बंद कर दिया। क्योंकि अब उसकी बोर्डिंग का वक्त हो चुका था और उसका जाना बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट था पर उसे निधि की भी चिंता थी।
वही निधि ने गाड़ी का रुख अपने घर की ओर कर लिया, जहाँ वह और रितिक एक साथ रहते थे। जैसे-जैसे वह घर के करीब पहुँच रही थी, उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। उसके मन में कई सवाल उठ रहे थे—"रितिक... उसे क्या बताऊंगी? क्या वह इस सच को Accept करेगा? क्या वह इस रिश्ते को निभाने लायक है, जब उसने पहले ही मुझे धोखा दिया है? क्या वह इस बच्चे का बाप बनने लायक है?" इन सवालों के साथ वह गाड़ी से उतरी और धीरे-धीरे उस आलीशान घर के अंदर कदम रखा, जहाँ कभी वह अपनी खुशहाल ज़िंदगी के सपने देखा करती थी।
अब क्या होगा आगे? निधि कैसे रिएक्ट करेगी अपनी प्रेग्नेंसी की न्यूज़ सुनकर? जानने के लिए बने रहें मेरे साथ अगले भाग में!!
जैसे ही वह घर के अंदर गई, उसे किसी लड़की की हल्की-हल्की साँसें और सिसकियाँ सुनाई देने लगीं। ये आवाज़ें उसे एक पल के लिए झकझोर गईं। उसके अंदर कुछ अजीब सा महसूस हुआ, जैसे कोई बड़ा सच उसके सामने आने वाला हो। दिल की धड़कनें और तेज़ हो गईं, और उसका पूरा शरीर काँपने लगा।
निधि ने धीरे-धीरे उस आवाज़ का पीछा किया और उसे एहसास हुआ कि ये आवाज़ रितिक के कमरे से आ रही है। उसकी साँसें रुकने लगीं, और आँखों के सामने अंधेरा छा गया।
"क्या ये वही है जो मैं सोच रही हूँ?" उसने अपने मन में सोचा, "नहीं, प्लीज़, भगवान... अंदर रितिक और रिहाना नहीं होने चाहिए।" उसकी आवाज़ काँप रही थी, जैसे वह खुद को समझा रही हो। उसने अपने पेट पर हाथ रखते हुए धीरे से कहा, "मैंने सब कुछ भुला दिया, ये सोचकर कि हम एक नई शुरुआत कर सकते हैं। लेकिन अगर आज मैंने वही देखा जो मैं सोच रही हूँ, तो..."
निधि ने अपने दिल को संभालते हुए धीरे से रितिक के कमरे के दरवाज़े को धकेला। जैसे ही दरवाज़ा थोड़ा खुला, जो दृश्य उसके सामने आया, उसने उसे पूरी तरह से तोड़कर रख दिया। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं और आँसू उसकी गालों पर बहने लगे। उसकी आँखों में आँसू थे, और दिल में दर्द का तूफान उमड़ रहा था।
इस नज़ारे ने उसकी उम्मीदों और भरोसे का तो जैसे कत्ल ही कर दिया था। रितिक और वही लड़की, रिहाना, जो पहले भी उसकी ज़िंदगी में ज़हर बनकर आई थी, दोनों आज फिर से एक-दूसरे की बाँहों में लिपटे हुए थे, और उनकी हरकतें यह साबित कर रही थीं कि उनके बीच का रिश्ता कितना गलत और गंदा था।
कमरे में रितिक और रिहाना एक-दूसरे में इस कदर खोए हुए थे कि उन्हें इस बात का पता ही नहीं चला कि उनकी दुनिया में एक तीसरी आँख उन्हें देख रही थी। रितिक ने रिहाना को अपनी बाहों में कसकर पकड़ा हुआ था, और दोनों की नज़दीकियों से साफ़ था कि वे एक-दूसरे के बेहद करीब आ चुके थे। निधि के लिए यह नज़ारा ऐसा था मानो किसी ने उसकी आत्मा को छलनी कर दिया हो।
रितिक ने रिहाना की ओर ऐसे देखा जैसे वह उसकी पूरी दुनिया हो। उसकी आँखों में एक ऐसा जुनून था जो कभी निधि के लिए नहीं था। लेकिन आज, वह नज़ारा निधि के लिए धोखे का कड़वा सच था। उसने खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन उसके हाथ काँपने लगे।
वह दोनों एक-दूसरे से ऐसे चिपके हुए थे जैसे मधुमक्खी शहद के छत्ते से। ऋतिक के होंठ रिहाना के नग्न बदन पर हर जगह घूम रहे थे और रिहाना अपने नाखून ऋतिक की पीठ पर चुभो रही थी। ऋतिक रिहाना में समा रहा था। ऋतिक को देखकर ही पता चल रहा था कि वह रिहाना के शरीर के लिए कितना बेताब है।
प्रतीक ने रिहाना से प्यार भरे शब्दों में कहा, "आई जस्ट लव टू प्ले विद योर बॉडी लाइक दिस, आई जस्ट वांट टू ईट योर बी***स, योर बॉडी इज़ वेरी टेस्टी जस्ट लाइक चॉकलेट।"
रिहाना ने प्रतीक को अपने शरीर से सटाते हुए कहा, "देन ईट मी, ना बेबी। वैसे भी मेरी यह बॉडी तुम्हारी है।"
ऋतिक रिहाना में समाते हुए बोला, "यू नो व्हाट बेबी, मैं जब भी तुम्हें या तुम्हारी बॉडी को टच करता हूँ और तुम्हारी इस मखमली कमल का एहसास पाता हूँ, तो मेरे बदन में एक करंट सा दौड़ उठता है और तुम्हें पाने की चाह और बढ़ जाती है।"
यह सुनकर रिहाना ने शैतानी मुस्कान के साथ ऋतिक की छाती पर काट लिया। इस पर ऋतिक ने अपनी गति और भी तेज करते हुए कहा, "दैट्स लाइक माई वाइल्ड कैट!" और दोनों खिलखिला कर हँस पड़े।
ऋतिक नीचे आकर रिहाना के पेट को चूमने लगा। उसके नाभि को चाट रहा था। और रिहाना उसका सिर सहलाते हुए, उसके कमर के आस-पास अपने पैर लपेटे हुए बस आहें भर रही थी।
बाहर खड़ी निधि, ऋतिक और रिहाना की बातें और उनकी हरकतें बहुत अच्छे से देख और समझ रही थी। उसे सब समझ आ रहा था कि रिहाना और प्रतीक सिर्फ़ उसका फायदा उठाते आए हैं। उनके बीच की बातों से उसे सदमा लग गया था।
"कैसे कर सकता है वह मेरे साथ यह सब?" उसने खुद से बड़बड़ाया। "मैं उसकी ज़िन्दगी में इतनी छोटी बात थी कि उसने मेरे साथ ऐसा खेल खेला?"
उसके मन में तूफ़ान चल रहा था। पेट पर हाथ रखते हुए उसने महसूस किया कि वह अब अकेली नहीं थी—उसके अंदर एक नई ज़िन्दगी पल रही थी, और रितिक की इस हरकत ने सब कुछ तबाह कर दिया था।
आँसू उसकी आँखों से थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उसने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन शब्द गले में अटक गए। उसके पैरों तले ज़मीन खिसक चुकी थी, और वह खुद को संभालने की कोशिश करते हुए दीवार का सहारा लेने लगी।
रितिक की ओर देखते हुए उसने धीमी आवाज़ में कहा, "रितिक... यह क्या किया तुमने?"
रिहाना बोली, “खड़े क्यों हो गए, प्यार करो मुझे, आई एम डेस्परेट फॉर योर लव।”
रितिक ने उसकी आवाज़ सुनते ही अचानक मुड़कर देखा। उसका चेहरा एकदम हड़बड़ा गया। निधि को इस हाल में देखकर वह बिलकुल स्तब्ध रह गया था। उसकी आँखों में घबराहट साफ़ दिखाई दे रही थी।
"निधि," ऋतिक के मुँह से इतना ही निकला और रिहाना हैरान हो गई। निधि को वहाँ एक पल भी रुकना अपनी बेइज़्ज़ती जैसा लग रहा था। इसलिए उसने अपने कदम आगे बढ़ाए और उस जगह से बाहर जाने लगी।
मगर निधि की आँखों के सामने अंधेरा छा गया। उसका पूरा शरीर जैसे पत्थर बन गया। उसकी प्रेग्नेंसी रिपोर्ट्स उसके हाथ से छूटकर ज़मीन पर गिर गईं। उसका शरीर काँपने लगा, और वह लड़खड़ाते हुए ज़मीन पर बैठ गई। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, लेकिन अब वह कुछ भी महसूस नहीं कर पा रही थी।
ऋतिक तुरंत रिहाना के ऊपर से उठा, अपने लोअर पहने और तुरंत निधि के पास जाने लगा। उसने तुरंत निधि का हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींचते हुए बोला, "निधि।"
निधि ने एक झटके में अपना हाथ छुड़ाया और किसी तरह खड़े होते हुए उसे गुस्से से देखा। उसकी आँखों में गहरा दर्द और नफ़रत साफ़ झलक रही थी।
निधि को अभी भी ऋतिक को देखने में बहुत अजीब सा लग रहा था। ऐसा लग रहा था कि वह किसी कीचड़ के सामने खड़ी है, उसे घिन आ रही थी। फिर वह अपनी नज़र दूसरी तरफ़ करते हुए बोली, "आई एम सॉरी, मुझे कहीं और जाना था। शायद मैं गलती से आपके रूम में आ गई थी।" और उसके बाद निधि वापस जाने लगी तो प्रतीक ने उसका हाथ फिर से पकड़ लिया और अपनी ओर घुमाते हुए बोला, "आई एम सॉरी बेबी, मैं बहक गया था।"
"बेबी?" निधि ने कड़वाहट भरी हँसी के साथ कहा। "तुम मुझे बेबी कह रहे हो? तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं आई, रितिक? यह सब कुछ देखने के बाद भी तुम्हारी हिम्मत हो रही है मुझे रोकने की?"
रितिक की आँखों में घबराहट थी, उसने एक और बार सफ़ाई देने की कोशिश की, "निधि, प्लीज़... यह सब एक गलती थी। मैं खुद नहीं समझ पा रहा कि यह कैसे हुआ। मैं बस बहक गया था, मैं सच में तुमसे प्यार करता हूँ।"
"प्यार?" निधि की आवाज़ में गुस्सा और दर्द दोनों थे। "अगर तुम मुझसे प्यार करते, तो यह सब नहीं होता, रितिक। तुम्हारा प्यार सिर्फ़ तुम्हारे शब्दों तक है, और तुम्हारी हरकतें...वह बस एक झूठ हैं। क्योंकि तुम सिर्फ़ खुद से प्यार करते हो। यू आर अ सेल्फिश पर्सन।"
"देखो कितनी कमाल की बात है, ना! तुम्हें यह सब करने के लिए और कोई नहीं, मेरी ही बहन मिली। वाओ, जस्ट अमेज़िंग! मुझे आप दोनों से ऐसी उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी। लेकिन आप लोगों ने काफी अच्छी तरह से मेरे विश्वास को तोड़ा है। मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी इस चीज को।" कहते हुए उसकी आँखों से झर-झर आँसू बह रहे थे।
"निधि...आ...ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम सोच रही हो, मैं...मैं तुम्हें एक्सप्लेन करता हूँ," रितिक ने घबराते हुए कहा। अब इस झूठी सफ़ाई का कोई समय नहीं था। निधि की दुनिया पूरी तरह से बिखर चुकी थी।
लेकिन निधि की आँखों में अब कोई भाव नहीं बचा था। उसका दिल पूरी तरह से टूट चुका था। उसने एक फीकी सी मुस्कान के साथ कहा, "और क्या कहा था तुमने? बहक गए थे! कितना अच्छा बहाना निकला था, तुमने इस सब से बचने का।"
निधि ने ऋतिक का चेहरा देखते हुए कहा, "रियली? तुम रिहाना के साथ बहक गए और हमारे तीन साल के रिश्ते का क्या? मैंने तुम्हें कभी अपने करीब नहीं आने दिया, फिर तुमने किसी और लड़की को चुन लिया, और वह भी मेरी खुद की बहन? और जो कुछ दिन पहले हमारे बीच हुआ उसका क्या?"
ऋतिक ने उसकी बात सुनकर बचाव करते हुए कहा, "वह सब तो हमारी मर्ज़ी से हुआ था, क्योंकि मैं नशे में था और कहीं ना कहीं तुम भी यही चाहती थी। और आज तो तुम मेरा फ़ोन नहीं उठा रही थी। मुझे तुम्हारी ज़रूरत थी, तुम्हारे प्यार की ज़रूरत थी। मैं तुम्हें खोज रहा था, और तभी अचानक रिहाना घर पर आ गई। मैं खुद पर कण्ट्रोल नहीं कर पाया और बहक गया।"
अब क्या होगा आगे? निधि क्या करने वाली है, ऋतिक के साथ? क्या वह अब भी सब कुछ भूलकर उसके साथ ही आगे की ज़िन्दगी बिताएगी? अब क्या होगा उसके बच्चे का? क्या होगा जब ऋतिक को अपने बच्चे के बारे में पता चलेगा? क्या वह अपने बच्चे को स्वीकार करेगा? या रिहाना को छोड़ देगा? जानने के लिए पढ़ते रहें, "Rebirth For Merciless Revenge"।
निधि ने गुस्से से कहा, "ये विक्टिम कार्ड मेरे सामने मत खेलो। मुझे अच्छी तरह समझ आ गया है कि आज पहली बार तुम दोनों एक-दूसरे के करीब नहीं आए हो। तुम इससे पहले भी कई बार एक-दूसरे के साथ ना जाने कितने बार यह सब कर चुके हो, और तुम्हारी आवाज़ें इस बात का गवाह हैं। तुम सिर्फ़ मेरे साथ छल कर रहे थे, मेरा फ़ायदा उठा रहे थे। तुमने कभी मुझसे प्यार किया ही नहीं, यह सिर्फ़ एकतरफ़ा प्यार था।"
ऋतिक ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहा, "एकतरफ़ा प्यार? मैंने तुम्हें कितनी बार कहा कि मेरे पास आओ, मुझसे प्यार करो, लेकिन तुम कभी नहीं आई। मुझे तुम्हारी ज़रूरत थी, लेकिन तुमने कभी मुझे अपनी बॉडी नहीं दी। दी भी तो सिर्फ़ एक बार। वही रिहाना ने मुझे हर बार वह प्यार दिया, इसलिए मैंने गलती की।"
"गलती?" निधि ने उसकी बात पर हँसी उड़ाई। "क्या तुम इस धोखे को गलती कह रहे हो? यह धोखा है, ऋतिक, वह भी उस इंसान के साथ जो तुम्हारे लिए अपनी जान देने को तैयार थी।"
उसके आँसू अब थम चुके थे, लेकिन उसकी आँखों में अब बेइंतिहा नफ़रत थी। उसने अपना हाथ ऋतिक की पकड़ से झटकते हुए खुद को छुड़ाया।
"तुम्हारे लिए क्या मायने रखता है, ऋतिक?" निधि ने कठोर लहजे में पूछा, "मेरे साथ के वो सारे वादे, वो प्लान्स... सब कुछ क्या झूठ था? या फिर तुम इतने कमज़ोर हो कि तुम खुद को संभाल नहीं सकते? और इस सबसे बढ़कर, तुम्हें कभी मेरे प्यार की कद्र थी भी या नहीं?"
ऋतिक कुछ कहने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं था। उसका चेहरा शर्मिंदगी और पछतावे से झुका हुआ था, लेकिन यह देखना निधि के लिए काफी नहीं था।
ऋतिक ने पछतावे के साथ कहा, "मुझे पता है कि मैंने बहुत बड़ी गलती की है और उसके लिए मैं तुमसे सॉरी बोलता हूँ। अब आगे से कभी रिहाना के पास नहीं जाऊँगा। अगर तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है, तो चलो, आज ही कोर्ट जाकर शादी कर लेंगे। अब तो तुम मुझ पर विश्वास करोगी ना?"
"क्या? शादी? विश्वास? ये सब तुम्हारे मुँह से सुनने के बाद मुझे इन शब्दों से नफ़रत हो रही है! तुम जैसे छोटे, मक्कार, घटिया और दरिंदे के साथ बात करके भी मुझे नीचा महसूस हो रहा है! मैं इतने वक़्त से क्यों नहीं समझ पाई कि मैं एक साँप को पाल रही हूँ जो मुझे ही बहुत जल्दी डसने वाला है! मुझे तो खुद पर शर्म आ रही है कि मैंने तुम जैसे इंसान से प्यार किया! छी..."
वह अभी भी बोल ही रही थी कि तभी पीछे से रिहाना की आवाज़ आई, "ओह माय गॉड! क्या यह सच है?" इतना सुनते ही निधि तुरंत रिहाना की तरफ़ मुड़कर देखी, जिसके हाथों से निधि की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट छूटकर नीचे गिर गई थी।
जिसे दौड़कर ऋतिक ने उठाया और यह देखकर उसकी भी आँखें चौड़ी हो गईं कि निधि 3 हफ़्ते प्रेग्नेंट है। अब तो निधि को भी थोड़ी घबराहट होने लगी थी क्योंकि ऋतिक की ऐसी हरकत देखकर वह उसे अपने बच्चों के बारे में बिल्कुल नहीं बताना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी कि ऋतिक को इस बारे में पता चले और उसे अपने बच्चों को उसके साथ शेयर करना पड़े।
ऋतिक की आँखें चौड़ी हो गईं। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि निधि गर्भवती है। उसकी आवाज़ धीमी हो गई, "तुम... प्रेग्नेंट हो?"
"हाँ, लेकिन अब यह खुशी नहीं रही। तुमने सब बर्बाद कर दिया।" निधि ने उसे ठंडे स्वर में कहा। "अब मैं सिर्फ़ अपने बच्चे के लिए ज़िंदा हूँ, तुम्हारे लिए नहीं। तुम मेरे लिए मर चुके हो, ऋतिक।"
ऋतिक ने फिर से उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन निधि ने उसका हाथ फिर से झटक दिया। "मुझे मत छूओ। तुम्हारी छुअन अब मुझे घिनौनी लगती है।"
ऋतिक ने थोड़ा घबराते हुए कहा, "मगर तुम्हें इस बारे में मुझे बताना चाहिए था। तुमने अब तक मुझे बताया क्यों नहीं?"
निधि ने ठंडी मुस्कान दी और बोली, "क्या कहा? मेरे बारे में तुमने बताया नहीं? अरे! मैं तो कितनी खुश थी तुम्हें यह सब बताने आई थी, मगर देखो जरा यहाँ कुछ अलग ही चल रहा है।" कहकर वह रिहाना की तरफ़ देखने लगी।
उसने अपना पेट छूते हुए कहा, "मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ, ऋतिक। लेकिन आज, मुझे समझ में आ गया कि तुम इस बच्चे के लायक भी नहीं हो। तुमने सिर्फ़ मेरे भरोसे को नहीं तोड़ा, बल्कि इस बच्चे का भी हक़ छीना है।"
निधि के पेट को देखते हुए ऋतिक भी उसके करीब आने लगा और जैसे ही वह निधि के पेट को टच करने जा ही रहा था कि निधि दो कदम पीछे ले लिए और अपनी उंगली दिखाते हुए बोली, "खबरदार! अगर मेरे बच्चे के करीब आने की कोशिश की तो मैं तुम्हारी गंदी परछाई भी अपने बच्चों पर नहीं पड़ने दूँगी! तुम दोनों ही बाहर निकलो मेरे घर से! अब तुम्हारी यहाँ कोई जगह नहीं है! सब दफ़ा हो जाओ!" वह जोर से चिल्लाई।
रिहाना अब और यह सब बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। वह ऋतिक के पास जाकर बोली, "डार्लिंग, इसकी बातों से लग रहा है कि इसने हमारे बीच की सारी बातें सुन ली हैं। अगर इसे ऐसे ही छोड़ दिया, तो हमारे लिए बहुत बड़ा खतरा हो जाएगा।"
ऋतिक, जो पहले ही गुस्से में था, उसकी बातों से सहमत हो गया। उसके दिमाग में कुछ क्लिक हुआ। वह तुरंत निधि के पास आया और उसे जोरदार थप्पड़ मार दिया। निधि यह सब समझ नहीं पाई। उसकी आँखों में दर्द था, और वह ऋतिक को देख रही थी, जैसे वह यह पूछ रही हो कि ऐसा क्यों कर रहा है।
"साली कामिनी!" ऋतिक ने गरजते हुए कहा, "इतने वक़्त से कुछ नहीं बोल रहा, तो ऐसे बातें कर रही है? यह मेरा बच्चा है, पता नहीं किसका गंदा खून लेकर आई है, और मुझे कह रही है कि यह मेरा बच्चा है!" उसकी आवाज़ में गुस्सा था। "तुझे तो जाकर डूब के मर जाना चाहिए!" कहकर उसने जोर से निधि के बालों को अपने मुट्ठी में पकड़ा और खींचते हुए उसे धक्का दे दिया। निधि सीधे दीवार से टकरा गई, जिससे उसे बेहद दर्द हुआ, और उसके मुँह से चीख निकल पड़ी, "आह्ह्ह्ह्ह..."
रिहाना, जिसने अपने बदन पर केवल एक बाथरोब लपेटा हुआ था, चलकर निधि के सामने आकर बैठ गई। उसने निधि का जबड़ा अपने हाथों से दबाते हुए कहा, "गलती प्यारी दीदी, आपने बहुत बड़ी गलती कर दी। इस वक़्त आकर और हमारे बीच की सारी बातें सुनकर, अब हम आपको ऐसे नहीं छोड़ सकते। वरना आप हमारे लिए खतरा बन जाएँगी। आफ़्टर ऑल, हमारे इतने वक़्त का प्लान सब मिट्टी में मिल जाएगा।"
"तुम दोनों जैसे घटिया इंसान मैंने अपनी ज़िन्दगी में आज तक नहीं देखा," निधि ने तिक्तता से कहा। "एक अपनी खुद की बहन और एक होने वाला पति, तुमने मिलकर मेरी ज़िन्दगी का इतना बड़ा मज़ाक बनाया है। नहीं बचोगे! मैं तुम लोगों को ऐसे नहीं जाने दूँगी।"
उसका इतना कहना था कि ऋतिक गुस्से से बौखला गया। उसने निधि के बालों को पकड़कर खींचते हुए उसे घर के अंदर घसीटने लगा। निधि चिल्ला रही थी, उसकी चीखें मानो दीवारों में गूंज रही थीं, लेकिन ऋतिक इतना गुस्से में था कि उसे किसी की परवाह नहीं थी।
वह निधि को घसीटते हुए अपने कमरे के एक बड़े से शेल्फ़ के पास ले गया। उसने शेल्फ़ के बीच में एक बटन दबाया, जिससे वह शेल्फ़ एक साइड हो गया और वहाँ एक अंधेरी सीढ़ी दिखाई देने लगी। निधि को घसीटकर लाते हुए ऋतिक सीधी सीढ़ी से नीचे जाने लगा, और रिहाना भी उसके पीछे-पीछे चल दी।
नीचे पहुँचकर अंधेरे ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। निधि की साँसें तेज़ हो गईं, और उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। "ऋतिक, तुम क्या कर रहे हो?" उसने डरते हुए पूछा।
"चुप रहो!" ऋतिक ने गुस्से में जवाब दिया। "तुम्हारे लिए यहाँ कोई जगह नहीं है। तुम्हें इस बार सबक सिखाना पड़ेगा।"
अंधेरे में, रिहाना ने अपनी शैतानी मुस्कान के साथ "निधि," उसने कहा, "तुमने जो किया, उसकी कीमत तुम्हें चुकानी पड़ेगी। हम तुम्हें यहां से जाने नहीं देंगे।"
निधि ने घबराकर कहा, "क्यों? तुम मेरी बहन हो! तुम मुझे ऐसे बर्बाद न कर सकती?"
"बर्बाद? तुमने खुद को बर्बादी का रास्ता चुना है," रिहाना ने ठंडे स्वर में कहा। "तो अब तुम्हें आबाद रहने का कोई हक नहीं।"
वह जैसे ही यह बोल रही थी, ऋतिक ने निधि को एक ओर धक्का दिया, जिससे वह सीढ़ी के किनारे गिरने लगी। "नहीं!" निधि ने चीखते हुए कहा, "नहीं प्लीज छोड़ दो मुझे बचओ!"
लेकिन ऋतिक ने उसकी आवाज़ को अनसुना कर दिया। वह अंधेरे में उसे और घसीटने लगा। निधि का दिल धड़क रहा था। उसने खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन उसे अपने शरीर के हर हिस्से में बेतहाशा दर्द हो रहा था और साथ ही उसे अपने बच्चे भी चिंता हो रही थी।
"अब से तुम्हारी यही जगह है," रिहाना ने कहा, उसकी आवाज़ में कोई दया नही थी अपनी बहन के लिए।
अब आगे क्या होने वाला है निधि के साथ? क्या करेंगे रिहाना और रतिक निधि और उसके बच्चे के साथ? रिहाना और रितिक के बीच की ऐसी कौन सी बात थी, जिसे निधि ने सुन लिया और उसे इतनी बड़ी सजा मिल रही है? जानने के लिए पढ़ते रहे,"Rebirth For Merciless Revenge"
रिहाना की बात सुनकर निधि ने अपनी आवाज़ को समेटते हुए कहा, "रितिक, रितिक मैं तुम्हें प्यार करती हूँ। कम से कम हमारे प्यार के लिए तो मुझे छोड़ दो।"
लेकिन ऋतिक ने उसकी बातों को ठुकरा दिया। "प्यार? क्या प्यार ऐसे होता है?" उसने तिरछी मुस्कान के साथ कहा। "अब जब तुम्हें सब कुछ पता ही चल गया है तो नाटक यहीं पर खत्म होता है।" कहकर वह और रिहान जोर जोर से हंसने लगे।
घने अंधेरे, गीले और बदबूदार बेसमेंट में, खिड़की के पास दीवार से लगा एक पुराना बिस्तर था। उस पर निधि लेटी थी, जैसे ज़िन्दगी का सारा भार उसके नाज़ुक शरीर पर हावी हो गया हो। उसका ग्रे और सफेद रंग का गाउन उसकी टूटी हुई आत्मा का अक्स सा लग रहा था।
पैर बिस्तर के किनारे से लटक रहे थे, जैसे किसी ने उनकी बेकसी को नज़रअंदाज़ कर दिया हो। उसकी आँखें, जो कभी चमकदार रही होंगी, अब उस मंद, धुंधली रोशनी को घूर रही थीं, जो ऊपर से छन कर आ रही थी। उसकी आँखों में कोई सवाल नहीं, कोई शिकवा नहीं, सिर्फ़ खामोशी पसरी थी।
Basement की हवा भारी और बासी थी, जिसमें एक सड़ी हुई गंध बसी हुई थी। निधि के सीने में हल्का सा दर्द हो रहा था, जैसे हर सांस लेने में तकलीफ हो। उसके नीचे की चादरें अब सफेद नहीं रही थीं, उन पर पीले दाग पड़ चुके थे, और उसमें से हल्की मछली की बदबू आ रही थी, जो Basement के इस वीरान, खौफनाक माहौल में और डर पैदा कर रही थी।
उसके सीने, जो आधे खुले हुए थे, किसी बीती रात की दरिंदगी का सबूत थे। उसके बाएँ कंधे के पास एक नीले रंग का किस और बाइट के निशान थे जिसे देखकर उसकी आत्मा कांप गई। वह दर्द और बेबसी का निशान, जो न जाने कितनी बार उसे याद दिला रहा, था कि वह क्या झेल चुकी है।
"क्यूं..." एक हल्की सी सरगोशी उसके होंठों से निकली, जैसे वह अपने आप से ही सवाल कर रही हो, "ये... आखिर क्यों?" लेकिन जवाब न आज था, न शायद कभी मिलेगा।
निधि की आँखें धीरे-धीरे खुलीं, जैसे किसी बुरे सपने से जागने की कोशिश कर रही हो। उसकी पलकों पर एक नन्हा क्रिस्टल आंसू ढुलक गया, जो उसके गालों से होते हुए उसकी गर्दन तक पहुंच गया। वह आंसू एक खामोश चीख थे, जो कोई सुन नहीं सकता था, कोई समझ नहीं सकता था।
हवा में फैली सर्दी ने उसकी कसमसाहट को और गहरा कर दिया। उसकी नज़रों में बिखरे हुए सितारे अब अजनबी लग रहे थे, बिल्कुल उसी तरह जैसे इसके सारे सपने बिखर चुके थे। उस पल, उसे एहसास हुआ कि वह अभी भी ज़िंदा थी। पर ऐसी ज़िन्दगी का अब कोई मतलब नहीं रह गया था।
"मुझे यहाँ से निकालो मुझे बाहर जाना है... कोई तो सुन लो," उसकी टूटी आवाज़ में अब बस यही ख्वाहिश थी। पर Basement की उन मोटी दीवारो ने उसकी आवाज़ को निगल लिया।
तभी कहीं दूर एक दरवाज़े की चरमराहट सुनाई दी, जिससे उसकी धड़कनें तेज हो गईं। उसने कोशिश की उठने की, लेकिन जैसे उसके शरीर ने भी उसका साथ देने से इंकार कर था।
निधि का दिल ज़ोर से धड़कने लगा, जैसे वह किसी अनदेखे शिकारी के सामने खड़ी हो। उसका शरीर बिस्तर पर मजबूती से बंधा हुआ था, जैसे किसी जंजीर से जकड़ दिया गया हो,जो उसे अपनी जगह से हिलने नहीं दे रही हो। चाहकर भी वह इस अंधेरे, घुटन भरे Basement से भाग नहीं सकती थी। उसकी उँगलियाँ बिस्तर के किनारे पर कस गईं, और उसके नाखून बेतरतीबी से चादर को चीरने लगे।
जैसे ही उसने ऊपर से कदमों की आवाज़ सुनी, उसका दिल डर से धड़कने लगा। हर एक कदम उसकी नसों में सिहरन पैदा कर रहा था। वह जानती थी कि वो राक्षस वापस आ गए हैं। वही राक्षस, जिनकी हैवानियत वह छह महीनों से झेल रही थी, जिनके कदमों की आवाज़ें हर रात उसकी नींद को चीर कर रख देती थीं। उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, उनमें खौफ था, बेबसी थी, और सबसे बड़ी बात — एक कभी ना खत्म होने वाला दर्द।
"नहीं... नहीं फिर से नहीं!" उसके मन ने चीखते हुए कहा, लेकिन होंठों से आवाज़ बाहर नहीं निकली। उसने खुद को झटका देने की कोशिश की, जैसे इस बिस्तर से छुटकारा पाना चाहती हो, पर उसके अंग बंधे हुए थे, जैसे मौत की पाश में हो। उसकी रगें तन गईं, और पसीने की बूंदें उसके माथे से बहने लगीं। वह बेहद ही डर गई थी आगे क्या होने वाला था यह सोचकर ही उसका शरीर कहां रहा था।
"मैं वापस आ गया हूँ, निधि," वह मोटी, गहरी आवाज़ गूँजी, और साथ ही ज़ंग लगे दरवाज़े के जोर से बंद होने की आवाज़ उसके कानों में गूँज गई। वह आवाज़, जो उसके लिए एक खौफनाक और घिनौनी थी। उसकी रूह काँप गई।
वह जानती थी कि इस तहखाने में हर रात की तरह एक और दर्द का सामना करना होगा। उसकी धड़कनें तेज हो गईं, जैसे कोई अनजाना तूफान उसके दिल में उठ रहा हो। उसने अपनी साँसों को रोका, शरीर को तान लिया, और दाँत पीसते हुए चिल्लाई, "बाहर निकलो! बाहर निकल जाओ! मेरी नजरों से दूर हो जाओ तुम लोग!"
लेकिन उसकी चीखें उस घने अंधेरे में खो गईं, जैसे वह चीखती रह जाए और कोई सुनने वाला ही न हो। कदमों की आवाज़ धीरे-धीरे करीब आ रही थी। वह अब इस राक्षस और Basement की सर्द, भयानक दीवारो के बीच घिरी थी ।
"तुम, तुम... सुन रहे हो ना चले जाओ..." उसकी आवाज़ कांपते हुए फुसफुसाई, जैसे खुद को दिलासा दे रही हो, लेकिन वह जानती थी कि यहाँ कोई सुनने वाला नहीं।
Basement की गंदी दीवारों के बीच से अचानक एक भयानक हंसी गूंजी, जैसे रात के अंधेरे को चीरती हुई कोई डरावनी चीख हो। दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला और उस धुंधली रोशनी में, पॉलिश किए हुए चमकते जूते दिखे। वो जूते, जो कभी निधि को अपने prince charming के होने का एहसास दिलाते थे, आज उसकी नजर में एक दरिंदे की पहचान ले ली थी। उसकी धड़कनें बेकाबू हो गईं, और हवा एक बार फिर से भारी लगने लगी।
"निधि," वह अपनी खौफनाक हंसी को रोकते हुए बोला, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी बेरहमी थी, "मैं तुम्हें देखने आया हूं... हमारे बच्चे को देखने।"
ऋतिक की यह बात सुनते ही निधि के पेट में एक अजीब सी ऐंठन होने लगी। जैसे उसके अंदरूनी घाव फिर से ताज़ा हो गए हों, जैसे कोई अनदेखी तलवार उसकी आत्मा को चीरे दे रही हो। उसकी नज़रों में अब तक का प्यार और अपनापन अब गुस्से और नफरत में तब्दील हो चुका था। वह उस आदमी को पहचान नहीं पा रही थी, जिसे कभी उसने अपने दिल की गहराइयों से चाहा था। उसकी सांसें भारी हो गईं, और वह गुस्से से बिफरकर गेट की ओर मुड़कर चीखने लगी।
"ऋतिक! तुम एक हैवान हो! तुम्हें सज़ा जरूर मिलेगी, अपने कर्मो की तुम उस मोटे चमड़ी वाले, दरिंदे जानवर हो, ऋतिक!"
निधि की आवाज़ में जितना गुस्सा था, उतनी ही दर्द भी। उसका चेहरा, जो कभी कोमल और शांत था, अब गुस्से से लाल हो गया था। उसकी आँखों में छलकते आंसू और दिल में उठते तूफान को रोक पाना अब उसके बस में नहीं था।
वह कभी अपने पहले प्यार को कैसे भूल सकती थी? वह ऋतिक था — उसका प्यार जिसके साथ वह अपने फ्यूचर के सपने बुन चुकी थी। निधि को काफी यकीन था, कि उसने सबसे अच्छे इंसान से प्यार किया है, और ये भी उसे सच्चा प्यार मिला गया है। वह उसका जीवन साथी बनने वाला था। उसे प्राउड होता था,खुद पर अपनी किस्मत पर ।
वह रिश्ता, जो उसकी उम्मीदों, उसके सपनों का आधार था, उसी ने उसकी ज़िन्दगी को नर्क बना दिया था।
कौन सोच सकता था कि मेहता परिवार की इकलौती बेटी, जो हमेशा नाजों के साथ महफूज़ और इज़्ज़त के साथ पली-बढ़ी, आज इस तरह से राक्षसों के चंगुल में फंस जाएगी? ऋतिक — जिसे उसने भगवान की तरह चाहा, वही उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा दुश्मन बन जाएगा। किसने सोचा था, कि उसने प्यार में डूबकर जो फैसले किए थे, वो अब उसकी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी गलती बन गए थे।
"तुम्हें इन सब की सजा जरूर मिलेगी, ऋतिक... तुम्हारे पापों का अंजाम, बाद से भी बेहतर होगा" उसकी आवाज़ काँप रही थी, पर उसमें एक अजीब सा विश्वास था।
वही ऋतिक उसकी बातो और चीखों पर हंस रहा था, उसकी नज़रें अब भी उसी घिनौनी वैहेशीपने से भरी हुई थीं।
Mehta Family जिसे देहरादून शहर की सबसे रिच families में गिना जाता था। जिनके बिजनेस की ऊँचाइयों का कोई मुकाबला नहीं था। वही ऋतिक की Family financially उनके आस पास भी नहीं टिकती थी ।
उस के परिवार की हालत इतनी खराब थी कि उनकी कंडीशन मेहता फैमिली की प्रॉपर्टी के दसवें हिस्से से भी कम थी। फिर भी, निधि ने कभी इन बातों की परवाह नहीं की। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि ऋतिक की Identity क्या है, उसके पास कितना पैसा है। वह सिर्फ उससे बेइंतहा प्यार करती थी।
उस के परिवार की हालत इतनी खराब थी कि उनकी कंडीशन मेहता फैमिली की प्रॉपर्टी के दसवें हिस्से से भी कम थी। फिर भी, निधि ने कभी इन बातों की परवाह नहीं की। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि ऋतिक की Identity क्या है, उसके पास कितना पैसा है। वह सिर्फ उससे बेइंतहा प्यार करती थी।
ऋतिक ने निधि को अपनी बाहों में समेटकर जितना लाड़-प्यार दिया था, वह किसी सपने जैसा था। वह भी उसे अपने सच्चे प्रेम से सराबोर कर देती थी, मानो उसे दुनिया की हर खुशी दे रही हो। और इसी में वह अपनी खुशी समझती थी।
जब भी ऋतिक उसके करीब होता, उसका दिल खुशी से भर जाता था। उसे लगता था कि उसने अपनी दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ पा ली है। हर बार जब ऋतिक उसे अपने प्यार का एहसास कराता था, तो निधि को वह अहसास कभी न भूलने वाला लगता था। उन पलों में निधि ने उसे वह सब कुछ दिया, जो एक प्यार करने वाला दिल दे सकता है।
लेकिन आज, जब वह उन्हीं पलों को याद कर रही थी, उसके सामने खड़ा आदमी कोई और था। वह ऋतिक नहीं था, जिसे वह जानती थी।
"क्या तुम अतीत को याद कर रही हो?" उसकी आवाज़ में एक ठंडी और बेरहम मुस्कान थी।
ऋतिक उसके बिस्तर के पास आकर खड़ा हो गया, उसकी बिखरी और बेबस निगाहों को देखता हुआ। उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी, जो एक समय पर उसकी खुशी का कारण होती थी, लेकिन आज उसमें खौफ और घिनौना लालच झलक रहा था। वह अचानक झुक गया, उसकी बड़ी, भारी हथेली निधि के चिकने और उभरे पेट पर रख दी। उसकी उंगलियों की सख्त पकड़ ने निधि के शरीर को जकड़ लिया, जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को जकड़ता है।
"निधि," उसने एक धीमी, घिनौनी आवाज़ में कहा, "क्या हमारा बच्चा सात महीने का हो गया है? आखिरकार, समय आ गया है, जिसका हम इतने वक्त से इंतज़ार कर रहे थे।"
निधि के पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई। उसकी आँखें ऋतिक के चेहरे से हटकर उसकी हथेली पर टिक गईं, जो उसके पेट पर अजीब तरह से रखी थी। उसका दिल घबराहट से धड़कने लगा, और उसका मन अंदर से बुरी तरह काँप उठा। उसके दिमाग में वे सारे खौफनाक लम्हे फिर से ताज़ा हो गए, जो उसने पिछले छह महीनों में झेले थे।
उसकी नज़रें अब सीधे उस आदमी पर टिकी थीं, जिसे कभी उसने प्यार किया था। लेकिन वह आदमी अब उसके लिए एक राक्षस से कम नहीं था, जिसने उसकी दुनिया को तबाह कर दिया था।
"तुम... तुम यह सब कैसे कर सकते हो, ऋतिक?" उसकी आवाज़ कांपते हुए निकली, लेकिन उसकी आँखों में नफ़रत और घृणा साफ़ दिखाई दे रही थी।
"तुम सच में क्या चाहते हो, ऋतिक?" निधि की आवाज़ गुस्से और घबराहट से काँप रही थी। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन वे आँसू अब दर्द के नहीं थे, बल्कि उन तमाम धोखों के थे, जो उसने सहन किए थे। "मेरे परिवार ने तुम पर भरोसा किया! मेरे माता-पिता ने तुम्हें अपने बेटे की तरह माना! तो अब तुम्हें और क्या चाहिए?!"
निधि का दिल जोर से धड़क रहा था, मानो वह अपने सारे सवालों का जवाब चाहती हो, लेकिन ऋतिक की सर्द, खामोश आँखें सिर्फ़ उसकी बेबसी पर हँस रही थीं। उसे याद आया कि कैसे एक साल पहले उनकी सगाई हुई थी। वह कितनी खुश थी, ऋतिक के साथ अपनी नई ज़िंदगी शुरू करने के ख़्वाब देख रही थी।
वह उसके साथ अपने विला में रहने आ गई थी। जहाँ उनकी नई ज़िंदगी, जिसमें हर सुबह एक नई खुशी के साथ शुरू होती थी।
लेकिन वह दिन... वह मनहूस दिन... जब उसकी सहेली ने उसे बताया था कि ऋतिक उसे धोखा दे रहा है। वह दर्द, वह शक़ उसकी नसों में दौड़ गया था। वह जवाब माँगने, हक़ की लड़ाई लड़ने के इरादे से सीधे ऋतिक के पास आई थी। लेकिन रास्ते में ही उसे पता चला कि वह तीन हफ़्ते की गर्भवती है। उसकी पूरी दुनिया पल भर में बदल गई थी। सारी तकलीफ़ें एक तरफ़ हो गई थीं, और उसकी आँखों में अपने बच्चे के आने की खुशी थी। वह यह खुशखबरी ऋतिक के साथ शेयर करना चाहती थी, अपने बच्चे के लिए तैयारियाँ करना चाहती थी।
लेकिन किस्मत को यह मंज़ूर नहीं था।
वह इस घर में आई, वहाँ का नज़ारा उसकी रूह को छलनी कर देने वाला था। ऋतिक, जिसे उसने पूरी शिद्दत से चाहा था, उसी दिन उसकी बहन को अपनी बाहों में लेकर प्यार कर रहा था। वह नज़ारा उसकी आँखों में इस तरह बसा कि कभी धुंधला नहीं हुआ। और उसी दिन, उसी पल से उसकी ज़िंदगी इस तहखाने में कैद हो गई थी।
यह सब याद करते हुए निधि का शरीर काँपने लगा। उसे याद आया कि वह अपने परिवार के पास लौटना चाहती थी। वह अपने पिता से कहना चाहती थी कि ऋतिक को एजेंसी के सारे अधिकार वापस ले लें, जो उन्होंने उसे दिए थे। लेकिन ऋतिक ने बिल्कुल किसी शातिर लोमड़ी की तरह उससे पहले ही अपनी चाल चल दी थी। उसने निधि के पिता को अपनी झूठी बातों में उलझाकर उसे गलत साबित कर दिया। वह उनके सामने बदनाम हो गई थी, और उसके माता-पिता को अब उस पर कम और ऋतिक पर ज़्यादा भरोसा था।
ऋतिक ने उसकी ज़िंदगी को नर्क बना दिया था। जब निधि इस तहखाने से भागने की कोशिश कर रही थी, उसने उसे फिर से पकड़ लिया था, और इस बार उसे और भी बुरी तरह से इस अंधेरे, घुटन भरे बेसमेंट में बंद कर दिया था। उस दिन के बाद से उसकी हालत और भी ख़राब होती चली गई।
छह महीनों से वह इस कैद में थी। हर दिन, हर रात उसे अपने बच्चे की चिंता सताती थी। अब वह सात महीने की गर्भवती थी, लेकिन उसकी हालत किसी कैदी से भी बदतर थी। उसकी लाइफ़ ऋतिक ने मनहूसियत से भर दी थी। उसने सोचा था कि उसकी ममता उसे इस दर्द से बाहर निकालेगी, लेकिन अब तो यह कैद ही उसकी दुनिया बन गई थी।
"क्या तुम्हें कोई शर्म नहीं आती, ऋतिक?" उसने चिल्लाते हुए कहा, उसकी आँखों में आग और दर्द एक साथ चमक रहे थे। "तुमने मुझे धोखा दिया, मेरे परिवार को धोखा दिया, और अब हमारे बच्चे को भी इसी नरक में घसीट रहे हो?"
ऋतिक बस खड़ा रहा, उसकी आँखों में वही पुरानी, बेमानी मुस्कान।
निधि का शरीर कांप रहा था। क्योंकि वह अस्थायी ऑपरेटिंग टेबल पर बंधी हुई थी, उसके चारों ओर अंधेरा और सर्द माहौल था, और सामने खड़े लोग जो मास्क पहने हुए थे, उसे घूर रहे थे। उसकी आँखों में खौफ साफ़ दिखाई दे रहा था। उसकी हालत उस कैद की तरह थी जिससे वह पिछले छह महीनों से गुजर रही थी, पर अब यह और भी ज़्यादा डरावना था।
"ऋतिक! तुम... तुम क्या कर रहे हो?" उसकी आवाज़ काँपती हुई निकली, जैसे वह जानती हो कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं है।
ऋतिक की आँखों में ठंडक और निर्दयता थी। उसकी मुस्कान में कोई इंसानियत नहीं थी, थी तो सिर्फ़ और सिर्फ़ हैवानियत। उसने बस एक भौं उठाई, उसकी आँखों में नफ़रत और लालच की झलक थी।
निधि का दिल थम सा गया। उसकी साँसें घुट रही थीं। उसने बेतहाशा कोशिश की, अपने शरीर को हिलाने की कोशिश की, पर वह बेबस थी। उसके शरीर के अंग इतने कसकर बंधे हुए थे कि वह हिल भी नहीं पा रही थी। उसकी छटपटाहट सिर्फ़ उसके दर्द को बढ़ा रही थी।
उसी समय, एक पतली लड़की, जिसने लंबे बाल ढीले छोड़ रखे थे, ऑपरेटिंग टेबल के पास आकर रुकी। उसकी आँखों में सवाल और हल्की घबराहट थी। उसने ऋतिक की ओर देखा।
"क्या तुम्हें सच में लगता है कि उसे एनेस्थेटिक्स की ज़रूरत नहीं है, ऋतिक?" लड़की ने गंभीर आवाज़ में कहा। "सिजेरियन सेक्शन ऐसी चीज़ नहीं है जिसे वह बिना दर्द के सह सके।"
ऋतिक ने उसकी ओर देखा, जैसे उसकी बात सुनकर उसे थोड़ी भी परवाह नहीं थी। "क्या एनेस्थीसिया के बाद भी हम उसके दिल का उपयोग कर सकते हैं?" उसकी आवाज़ में बेरहमी थी, मानो उसे निधि की तकलीफ़ से उसे कोई मतलब न हो।
वह लड़की, जो और कोई नहीं रिहाना थी, उसने हल्की चिंता से भौंहें सिकुड़ लीं। "बच्चा सिर्फ़ सात महीने का है, ऋतिक। अगर तुम उसे निकाल दोगे, तो बहुत कम संभावना है कि उसके बचने की।"
ऋतिक ने बेरहमी से हँसते हुए कहा, "बच्चा? मुझे इस बच्चे से कोई मतलब नहीं है! यह केवल एक समस्या से ज़्यादा कुछ नहीं है।" उसकी आँखों में ख़ून की प्यास थी, जैसे वह किसी अनहोनी की तैयारी कर रहा हो। "मुझे जल्दी से सुनिश्चित करो कि उसका दिल अभी भी अच्छी स्थिति में है!"
निधि की आँखें चौड़ी हो गईं। उसकी साँसें तेज़ हो गईं, और उसकी धड़कनें बेतरतीब हो गईं। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है। उसके अंदर एक नन्ही सी जान पल रहा था, जिसे वह बचाना चाहती थी। मगर इस समय, उसकी खुद की ज़िंदगी भी उसके हाथों से फिसल रही थी।
"ऋतिक... प्लीज़... मत करो..." उसकी आवाज़ धीमी हो गई, जैसे वह बेहोश हो रही हो। पर ऋतिक के कानों तक वह दर्द और बेबसी नहीं पहुँची। उसके लिए, निधि और उसका बच्चा कोई मायने नहीं रखते थे।
रिहाना ने अपने हाथों में सर्जिकल उपकरण लिए, लेकिन उसके चेहरे पर घबराहट थी। उसने एक आखिरी बार ऋतिक की ओर देखा, मानो कुछ कहना चाहती हो, मगर ऋतिक की ठंडी नज़र ने उसे चुप रहने पर मजबूर कर दिया।
तहखाने की घुटन भरी हवा में सिर्फ एक ही आवाज़ गूंज रही थी—निधि के दिल की धड़कनें, जो अब धीरे-धीरे शांत होती जा रही थीं।
निधि की धड़कनें इतनी तेज़ हो गई थीं कि वह महसूस कर सकती थी जैसे उसका दिल उसके सीने से बाहर निकलने वाला हो। उसकी आँखों में आंसू और गुस्सा दोनों एक साथ उमड़ पड़े। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऋतिक, जिसे उसने कभी अपने Life का सबसे अहम हिस्सा माना था, इतना पत्थर दिल कैसे हो सकता है। उसने अपने सिर को थोड़ा मोड़ा और अपने दांत भींचकर कहा, "ऋतिक, तुमने कभी मुझसे प्यार किया भी था या सब कुछ सिर्फ एक दिखावा था?"
ऋतिक ने स्केलपेल को अपने हाथों में घुमाते हुए एक ठंडी मुस्कान दी। उसकी लोमड़ी जैसी, Ruthless आँखें निधि के चेहरे पर गढ़ी हुई थीं। "प्यार?" उसने एक हंसी के साथ कहा, "मैं तुमसे कभी प्यार नहीं करता था। तुम मेरे लिए सिर्फ एक जरिया थी, अपने मकसद को।पूरा करने के ।"
निधि के चेहरे पर गहरी चोट के निशान साफ दिखाई देने लगे, लेकिन उसका गुस्सा उससे भी ज़्यादा उभर रहा था। "अगर तुम मुझसे प्यार नहीं करते थे, तो मुझसे सगाई क्यों की? मुझे इस नरक में क्यों फेंक दिया? मेरे साथ वह सब क्यों किया? मुझे प्रेग्नेंट क्यों किया? जवाब तो मुझे" उसकी आवाज़ टूट रही थी, पर उसकी आँखों में नफरत की आग थी।
ऋतिक ने एक और सर्द हंसी छोड़ी और अपनी बात जारी रखी, "जिस लड़की से मैं सच में प्यार करता हूँ, उसे हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है। और तुम, निधि, इस काम के लिए सबसे बेस्ट हो। अगर तुम्हें मेरे Plan का पहले पता न चलता, तो शायद मैंने तुम्हें ज़िंदा रहने दिया होता।"
निधि का दिल डूब गया। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह इंसान जिसे उसने अपना सब कुछ मान लिया था, अब उसे एक बेजान शरीर की तरह देख रहा था, सिर्फ एक organ donation का जरिया समझता है।
उसी समय, रिहाना, जो ऑपरेशन की तैयारी कर रही थी, आगे बढ़ी। उसके हाथों में सर्जिकल equipment थे और उसने निधि की ओर बढ़ते हुए कहा, "मैं बच्चे को निकालने की ज़िम्मेदारी लेती हूँ, और तुम उसके H heart' की।" उसकी आवाज़ में कोई Emotion नहीं थी, जैसे वह उसके लिए एक नॉर्मल काम हो।
निधि की पूरी ताकत चिल्लाने लगी, और वह बेबस होकर रिहाना को देखती रही, जो उसके पेट पर ठंडे चाकू से मार्क कर रही थी। उसने अपने सारे शरीर को झटका देने की कोशिश की, पर इतना kas ke बांधने के कारण वो हिल नहीं पाई। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, लेकिन उन आँसुओं में सिर्फ दर्द नहीं था, बल्कि एक गुस्सा भी था।
"ऋतिक वर्मा!" निधि ने गुस्से और हिम्मत से चिल्लाया, "तुम बेरहम आस्तिन के सांप हो! मैं तुम्हें छोडूंगी नहीं! चाहे जो हो जाए, मैं तुम्हें बर्बाद कर दूँगी! तुमने जो मेरे साथ किया है, उसका अंजाम तुम भुगतोगे। मैं तुम्हें तिल तिल कर मरने पर मजबूर कर दूंगी, क्यों नीति मेहता का तुमसे वादा रहा!"
ऋतिक बस खड़ा रहा, उसकी Unkind smile ruthless अब और भी ज्यादा भयानक हो गई थी। "तुम पहले खुद जिंदा तो बचा जाओ अब तुम्हारे पास कोई रास्ता नहीं है, निधि। यह तुम्हारी जिंदगी का the end है।"
निधि का दिल अब दर्द और डर के साये में धड़क रहा था, लेकिन उसकी आँखों में अब भी वो ज्वाला जल रही थी, जो ऋतिक को जला कर रख कर देना चाहती थी।
तभी बड़ी बेरहमी से रिहाना ने उस चाकू को उसके पेट में चुभा दिया, एक जोरदार चीख उसे पूरे बेसमेंट में गूंज उठी। जो किसी के भी दिल को कंपा देने के लिए काफी थी। निधि उस ऑपरेटिंग टेबल पर दर्द से छटपटाने लगी और अपने हाथ पैर इधर करने लगी। मगर इन सब का अब कोई फायदा नहीं था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर में से किसी ने उसकी आत्मा को छीन लिया हो।
निधि का शरीर दर्द के समंदर में डूब रहा था, जैसे हर साँस उसके अंदर किसी तीखे चाकू से खींची जा रही हो। उसकी आँखें बेबस होकर उस छोटी सी नन्ही सी जान पर टिकी थीं, जो अभी-अभी उससे छीन लिया गया था। वह मासूम बच्चा, जो उसका हिस्सा था, उसे एक तरफ फेंक दिया गया, जैसे वह कुछ मायने ही नहीं रखता था। उसका पूरा शरीर काँप उठा, दर्द और ममता की असहनीय दर्द ने उसे अंदर तक झकझोर दिया।
"नहीं!" उसकी चीख इतनी भयानक थी कि उस basement की दीवारे भी कांप उठी। लेकिन उसकी चीख से किसी का दिल नहीं पसीजा। ऋतिक और रिहाना के चेहरे पर बस एक अजीब सी शांति थी, जैसे वे किसी Laboratory के अंदर कोई experiment कर रहे हों, निधि की जिंदगी उन्हें किसी खिलवाड़ की तरह लग रही थी।
निधि के शरीर पर दर्द के झटके बढ़ते जा रहे थे, जैसे उसकी 206 हड्डियाँ एक साथ टूट रही हों। तभी उसके सीने पर हमला किया गया, चाकू की धार उसकी skin को 2 हिस्सो में फाड़ रही थी, और दर्द की लहरें उसकी ठीक है और बढ़ा रही थी मगर इससे वहां मौजूद इन दोनों लोगों को जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा था।
पर उसकी चीखें, उसके आंसू, और उसका तड़पना सब बेअसर थे। Basement की हर चीज़ उसकी चीखों से गूंज रही थी। चारों ओर का सन्नाटा अब उसकी दर्द से भरा हुआ था। बाहर के पक्षी, कीड़े, और यहाँ तक कि फूल और घास भी इस भयानक माहौल में काँपने लगे थे। ऐसा लगता था मानो पूरी प्रकृति उसके दर्द की गवाह बन गई हो, लेकिन कोई भी उसकी मदद नहीं कर सकता था।
उसके दिल पर वार किया जा रहा था, उसका जीवन धीरे-धीरे उससे छिनता जा रहा था। उसकी आँखों में आँसू और बेहिसाब से भरी हुई थी। उसका शरीर और दिमाग अब उसके Control में नहीं था, पर उसकी रूह अब भी तड़प रही थी।
निधि के दर्द और गुस्से से भरे शरीर ने अब अपनी सारी ताकत खो दी थी। उसकी धड़कनें धीमी पड़ने लगी थीं, और उसकी साँसें इतनी हल्की हो गई थीं कि वो खुद भी उन्हें महसूस नहीं कर पा रही थी। बस कुछ था, तो उसकी आँखों में जलती हुई बदले की आग।
रिहाना ने ऑपरेशन का काम खत्म कर दिया था। वह खून से सने हुए इक्विपमेंट्स को साफ कर रही थी, जबकि ऋतिक ने दिल निकालने के लिए आगे बढ़ा। निधि की आँखें अब भी खुली थीं, लेकिन उनमें अब जीने की कोई झलक नहीं थी—सिर्फ दर्द, धोखा, और नफरत।
ऋतिक ने अपना चाकू उसकी चेस्ट पर रखा और धीरे से मुस्कराया, "ये सब बस एक खेल था, निधि। तुम्हारी ज़िंदगी का सबसे बड़ा धोखा मैं ही था। अब तुम्हारा दिल उस लड़की में लगाया जाएगा जिससे मैं सच में प्यार करता हूँ, जो और कोई नही मेरी रिहाना है ।" उसने निधि के आगे रिहाना को kiss करते हुए कहा।
ऋतिक का चाकू अब निधि की Chest पर धंसने ही वाला था। वह हंसते हुए बोला,"निधि तुमने मुझसे दिल से प्यार किया और मैंने रिहाना से और मेरी रिहाना को जिंदा रहने के लिए दिल की जरूरत थी, तो मैंने तुम्हारा दिल ले लिया। अब तुम्हारा दिल जिंदा रहेगा रिहाना के अंदर इसे तुम अपने प्यार के लिए अपना बलिदान समझना।"
निधि की सांसें धीमी और कमजोर हो चुकी थीं, लेकिन उसकी धड़कनें अभी भी चालू थीं। उसकी आँखें अब भी खुली थीं, और उनमें नफरत, दर्द और आंसुओं का गहरा समुद्र उमड़ रहा था।
"अब, इस तुम्हारे साथ ही ये खेल भी खत्म होने वाला है। तुम्हारा दिल... मेरी निधि का होने वाला है।" उसने चाकू को पूरी ताकत से निधि की सीने में धंसाया।
निधि की चीख कमरे की ठंडी दीवारों में गूंज उठी, लेकिन वह आवाज़ ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई। खून की धार तेजी से उसके बदन से बाहर निकलने लगी, और उसकी आँखें धीरे-धीरे ठंडी और बेजान हो गईं। ऋतिक ने बेरहमी से चाकू को और गहराई से अंदर धसाया, उसके हाथ खून से लथपथ हो गए।
निधि की धड़कनें अब लड़खड़ाने लगी थीं, उसकी साँसें थम गईं, और उसकी आँखें एक पूरी तरह बेजान हो गईं। ऋतिक ने बिना किसी पछतावे के चाकू को वापस खींचा और अपने खून से सने हाथों से निधि का दिल बाहर निकाल लिया।
निधि की बेजान शरीर अब वहां पड़ा था, उसके सीने से खून की नदियां बह रही थीं। ऋतिक ने उसके दिल को अपनी हथेली में पकड़कर देखा, जैसे वह कोई precious चीज़ हो।
"आखिरकार, अब यह दिल मेरे पास है," उसने खुद से कहा, और धीरे से निधि की बेजान शरीर की ओर देखा।
निधि की मौत हो चुकी थी, और उसकी आत्मा इस बेरहम ऋतिक के कारण अपने शरीर से आजाद हो चुकी थी लेकिन उसकी आँखों में अब भी वो जलता हुआ बदला बाकी था—एक आग जो उसकी मौत के बाद भी बुझ नहीं सकती थी।
निधि के आत्मा में अब सिर्फ एक मकसद बचा था—बदला। लेकिन क्या उसे यह मौका मिलेगा?यह क्या हो गया निधि के साथ? क्या इसी तरह हो जाएगी निधि की मौत? क्या यही था उसकी जिंदगी का अंत? क्या होगा जब पता चलेगा निधि के घर वालों को निधि के इस हाल के बारे में? क्या निधि के घर वाले कभी ऋतिक पर विश्वास कर पाएंगे? जानने के लिए पढ़ते रहे, "Rebirth for Merciless Revenge" 🔪
ऋतिक ने निधि की मृत देह की ओर एक आखिरी बार देखा और फिर पीछे मुड़कर बेसमेंट के अंधेरे में गुम हो गया। उसके हाथ में वह दिल था जिसे उसने क्रूरता से चुराया था।
सुबह की हल्की ठंड और घना कोहरा देहरादून की सड़कों पर पसरा हुआ था। शहर के लोग अपने दैनिक जीवन में व्यस्त थे, जब अचानक एक भयानक हादसा हुआ। एक तेज रफ्तार कार बेकाबू होकर पेड़ से टकरा गई, और उससे एक ज़बरदस्त धमाका हुआ। उसकी लपटें आसमान को छूने लगीं, और चारों ओर धुँआ ही धुँआ फैल गया। लोगों की चीखें, कार की भयावह स्थिति, और जलती हुई कार का दृश्य वहाँ मौजूद हर किसी को सन्न कर गया।
तुरंत एम्बुलेंस को बुलाया गया, और थोड़ी ही देर में एम्बुलेंस चालकों का दल उस जगह पर पहुँच गया। आग अब तक खतरनाक रूप ले चुकी थी, और हवा में जलन और बर्बादी की गंध घुल चुकी थी।
"जल्दी करो! आग बुझानी होगी!"
एक चालक ने घबराहट में चिल्लाते हुए कहा। सबकी निगाहें कार पर थीं, लेकिन कोई अंदर झाँकने की हिम्मत नहीं कर रहा था।
जैसे ही आग बुझाई गई, कार के अंदर का मंज़र और भी भयावह था। सीटों के बीच एक जली हुई लाश पड़ी थी। उसका शरीर इतना बुरी तरह से जला हुआ था कि पहचान पाना असंभव था।
एक चालक ने अपनी साँस रोकते हुए कहा, "हे भगवान! इतना बड़ा हादसा मैंने अपने पूरे जीवन में नहीं देखा।"
पुलिस तुरंत उस जगह पर पहुँच गई। लाश को कार से निकालने के बाद फॉरेंसिक की टीम ने जाँच शुरू कर दी और कुछ घंटों बाद एक भयावह सच्चाई सामने आई।
"ये निधि मेहता की लाश है।"
जांच अधिकारी ने थरथराते हुए कहा, और चारों ओर सन्नाटा छा गया।
मेहता परिवार की इकलौती बेटी, जो शहर की शान थी, अब सिर्फ एक जली हुई लाश बनकर रह गई थी। उसके जलते हुए शरीर की तस्वीर ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया। किसी को भी विश्वास नहीं हो रहा था कि इतनी हँसमुख और सफल लड़की अब इस दुनिया में नहीं थी।
निधि के पिता, जो शहर के जाने-माने उद्योगपति थे, को जैसे ही यह खबर मिली, वे खुद को संभाल नहीं पाए। उनकी आँखों में आँसुओं का सैलाब उमड़ आया, और उनकी आवाज़ भर्रा गई।
"ये कैसे हो सकता है? मेरी बेटी... मेरी निधि!"
उनकी चीखें हवाओं में बिखर गईं, जैसे किसी टूटे हुए इंसान की आखिरी पुकार हो।
उनकी माँ, जो अपनी बेटी की शादी के सपने बुन रही थी, अब जीवन के सबसे बड़े कष्ट का सामना कर रही थी।
"निधि... मेरी बच्ची!"
उनका शरीर इतना कमजोर हो गया था कि वे ज़मीन पर गिर पड़ीं।
आसमान में छाए काले बादल, सड़कों पर फैला कोहरा और जलती हुई कार का दृश्य अब भी सभी की आँखों में ठहरा हुआ था, मानो वे खुद इस दर्द और धोखे के गवाह बन गए हों। हर टीवी न्यूज़ चैनल को ब्रेकिंग न्यूज़ था, "निधि मेहता की इतनी दर्दनाक मौत!"
अब तक निधि की मौत के दो दिन हो चुके थे। हवा में भारीपन था, जैसे कि हर साँस दर्द से घुली हुई हो। मेहता परिवार के हर चेहरे पर मायूसी और थकान साफ झलक रही थी। सफ़ेद कुर्तों और साड़ियों में लिपटे लोग चुपचाप खड़े थे, सिर झुकाए हुए। उसका घर एक गहरे शोक में डूबा हुआ था। सफ़ेद चादर में लिपटी उसकी बेजान देह घर के हाल में रखी हुई थी। चारों ओर खामोशी छाई थी, मानो किसी ने हर आवाज़ को रोक दिया हो। हवा में फूलों की महक तैर रही थी, पर उसमें भी शोक की गंध मिली हुई थी।
रिश्तेदारों और पड़ोसियों की भीड़ लगी हुई थी। लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि सफ़ेद चादर हटाकर निधि के शांत चेहरे को देख सके। उसकी माँ, जो अपनी बेटी को हमेशा हँसते-खिलखिलाते देखती थी, अब उसकी देह के पास बैठी थी, आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे।
निधि के माता-पिता ने पंडित जी को बुलाया था, जो अंतिम संस्कार की विधि की तैयारी में जुटे थे। पंडित जी ने समझाया कि सबसे पहले निधि के शरीर को गंगाजल से स्नान कराना होगा। मगर निधि का शरीर पूरी तरह जल चुका था, यह संभव नहीं था, इसलिए उसके ऊपर गंगाजल की बूँदों के छींटे डाले गए।
घर के सभी पुरुषों ने मिलकर निधि की अर्थी तैयार की। बाँस की बनी अर्थी पर उसे बड़े आदर से रखा गया। उसके सिरहाने गंगाजल और चन्दन की लकड़ियाँ रखी गईं।
अर्थी के बगल में खड़ी निधि की माँ की सूजी हुई लाल आँखें उस चादर की तरफ टिकी हुई थीं, जिसके नीचे उनकी बेटी थी। उनके काँपते हुए होंठों से कोई शब्द नहीं निकल रहे थे, मानो दिल का दर्द जुबान तक आकर भी न निकल पा रहा हो। उनके दिल में सिर्फ एक सवाल बार-बार गूंज रहा था—"क्यों?"
वहीं पर खड़ा ऋतिक, जिसने अब तक कोई आँसू नहीं बहाया था, बिना किसी भाव के निधि के रिश्तेदारों से मिल रहा था। उसके बगल में रिहाना थी, जो अब लोगों की नज़रों से बचने की कोशिश कर रही थी। उसके चेहरे पर एक अजीब सा संतोष था, मानो उसकी ज़िंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा हो। ऋतिक और रिहाना के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी। आखिर जो वे चाहते थे, वह हो चुका था।
कुछ पल बाद, मेहता परिवार के बुजुर्ग ने लोगों को निधि की देह को श्मशान में ले जाने के लिए इशारा किया, ताकि उसे चिता पर जलाया जा सके। तभी अचानक बाहर से एक तेज आवाज़ आई, और हर कोई अपने पीछे मुड़कर देखने लगा।
आर्यन बिरला, बेहद हैंडसम और जो पिछले छह महीनों से गायब था। रिपोर्टर उसे घेरकर खड़े थे, उनके कैमरों की फ़्लैश उस पर ही थी।
हॉल के अंदर मौजूद लोगों की निगाहें उसकी ओर मुड़ गईं, और उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि वह वापस आ गया है। निधि का भूत, जो इतनी देर से हवा में तैर रहा था, और हर एक चीज़ को देख रही थी, अचानक से उसकी ओर ध्यान चला गया। उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, जैसे उसकी खोखली निगाहों में कुछ अजीब सा दिखने लगा।
"आर्यन मेहता!"
किसी ने आह भरते हुए कहा।
मेहता परिवार के लोगों में हड़कंप मच गया। क्या यह सच में वही लड़का था जो छह महीने पहले रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था?
आर्यन के ठंडे और हैंडसम चेहरे पर सभी की नज़रें टिकी हुई थीं। वह सीधा निधि के पिता के पास गया। उसने आदरपूर्वक झुककर कहा, "मिस्टर मेहता, मैं निधि को देखना चाहता हूँ।"
चेयरमैन मेहता ने आर्यन को कड़ी नज़रों से देखा, उसकी आँखों में गहरी नफ़रत छिपी थी।
"तुम यहाँ क्या कर रहे हो?! तुम्हें यहाँ किसने बुलाया?"
उनका लहजा कठोर था, जैसे वे उसे यह देखना भी न चाहते हों।
आर्यन ने अपने हाथों को मुट्ठी कसते हुए कहा, "मुझे नहीं पता कि आप मुझसे क्या चाहते हैं, लेकिन मैं सिर्फ़ निधि को देखने आया हूँ। पिछले पाँच सालों से मैं आपके ही कहने पर उससे दूर रहा और छह महीने पहले भी वही आप थे, जो चाहते थे कि जब तक निधि की शादी न हो, मैं उससे दूर रहूँ, पर अब और नहीं।"
चेयरमैन मेहता ने उसे घूरते हुए कहा, "तुम्हारे लिए अब यह कोई जगह नहीं है। निधि अब हमारे बीच नहीं रही। तुम्हारा हमसे कोई वास्ता नहीं और जिससे था वो खत्म हो चुका है, तो अब तुम भी चले जाओ।"
उनका लहजा अब भी कठोर था, लेकिन अंदर से एक अजीब सी बेचैनी का अहसास हो रहा था।
आर्यन ने अपने दाँत पीसते हुए कहा, "आप खुद को क्या समझते हैं, मिस्टर मेहता? मैं यहाँ उसके लिए आया हूँ, एक आखिरी बार उसे देखने के लिए और उसे देखे बिना कहीं नहीं जाऊँगा। सुना आपने!"
उसका दिल गुस्से से काँप रहा था।
भीड़ में सन्नाटा पसर गया। कुछ लोगों ने आपस में फुसफुसाते हुए कहा, "क्या वह सच में वापस आ गया है?" और "क्या यह सच है कि वह निधि से प्यार करता था?"
"मिस्टर मेहता, मैं बस निधि को देखना चाहता था," आर्यन ने फिर से कहा, उसकी मुट्ठी भींची हुई थी, "मुझे विश्वास नहीं होता कि वह इस तरह मर गई। मैंने उसे पाँच महीने पहले छोड़ दिया था, जैसा कि आपने माँग किया था। और छह महीने पहले ही मैं ज़रूरी काम से विदेश चला गया, लेकिन यह वह परिणाम नहीं है जो मैं चाहता हूँ!"
उसने कहा, उसका दिल गुस्से से काँप रहा था।
हॉल में खड़ी भीड़ ने उसकी सच्चाई में झलकती निराशा को महसूस किया। कुछ रिश्तेदारों ने एक-दूसरे को घूरा, जैसे यह एक अनकही कहानी का हिस्सा हो।
मिस्टर मेहता की छाती में दर्द हुआ और उन्होंने हल्की साँस ली, जिससे मिसेज़ मेहता उनके पास पहुँचीं और उन्हें शांत करने के लिए उनकी छाती पर हाथ फेरा।
"आर्यन, यह मुश्किल समय है,"
उन्होंने कहा, "लेकिन हमें अपने दुःख को एक साथ सहन करना है।"
"देखिए जी, आर्यन को बस निधि को एक बार देखने दीजिए... सब कुछ खत्म हो चुका है, हम इस सच को बदल नहीं सकते, मगर वह आखिरी बार निधि को देख तो सकता है ना!"
मिसेज़ मेहता ने मिस्टर मेहता को समझाया।
"मैं जानता हूँ कि यह वक्त बहुत कठिन है," आर्यन ने कहा, "फिर भी मैं निधि को आखिरी बार देखे बिना नहीं मानूँगा। एक आखिरी बार... मुझे उसे देखना है।"
"ठीक है," चेयरमैन मेहता ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा।
आर्यन ने धीरे-धीरे चादर हटाई, मानो वह एक कीमती खजाना खोल रहा हो। उसके हाथ काँप रहे थे।
आर्यन ने बर्फ से ठंडे हाथों से चादर हटाकर निधि की जलकर काली पड़ चुकी हड्डियों को देखा, तो उसकी आँखों की शांति आग में तब्दील हो गई। उसके दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही थीं, और जब उसने देखा कि वह लाश निधि की ही है, तो उसका दिल धड़क से रुक गया।
"किसने कहा यह निधि है?" उसकी आवाज़ धीरे से फुसफुसाई, लेकिन उस फुसफुसाहट में ऐसा गुस्सा था जो सबके रोंगटे खड़े कर देता। हॉल में सभी की आँखें आर्यन पर टिक गईं, लेकिन उसने किसी की परवाह नहीं की। वह उन ठंडी हड्डियों को देखता रहा, जो अब भी उसकी आँखों के सामने थीं।
आर्यन का गुस्सा अब खुलकर सामने आ रहा था। उसने पूरी ताकत से चिल्लाया, "यह निधि नहीं है!" उसकी आवाज़ पूरे हॉल में गूंज गई।
भीड़, जो अभी तक इस पूरे दृश्य को देख रही थी, अब डर से काँपने लगी। सभी रिश्तेदार, जो पहले सदमे में थे, अब डर से काँप उठे। यह आर्यन की दहाड़ से था, जैसे एक जंगली शेर अपनी खोई हुई शिकार को वापस माँग रहा हो।
वहीं, हवा में झूलती निधि का भूत, जो अपनी कड़वी मुस्कान के साथ सब कुछ देख रही थी, उसे अपनी आत्मा में एक अजीब-सी चुभन हो रही थी। "ये अब क्यों आया है? जब मुझे इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, तब मुझे अकेला छोड़कर चला गया था।" निधि ने खुद से फुसफुसाते हुए कहा।
निधि के दिल में एक और कड़वाहट घुलने लगी। क्या उसने आर्यन को कभी मौका दिया होता, तो क्या वह ऋतिक की चालों को समझ पाती? शायद नहीं। वह तो सिर्फ़ अपने प्यार में अंधी हो गई थी और ऋतिक की बेरहमी से, धोखे से उसकी जान ले ली गई थी।
दीदी के पिता ने दाँत पीसते हुए कहा, "अब तुमने उसे देख लिया है, तो कोई सीन क्रिएट करने की ज़रूरत नहीं है! अब आगे की प्रक्रिया करने दो, ताकि हमारे ऋतिक की आत्मा को शांति मिल सके।"
"नहीं, यह वह नहीं है! तुम सब झूठ बोल रहे हो!" आर्यन की दर्द भरी आवाज़ फिर से गूंज उठी।
निधि के भूत ने सिर झुकाया; उसे अपनी बेबसी पर हँसी आ रही थी। आखिर यह सब उसकी ख़त्म हो चुकी ज़िन्दगी में क्या हो रहा था? उसे खुद कुछ समझ नहीं आ रहा था।
सभी लोग आर्यन के इस भयानक रूप से घबराए हुए थे। एक तरफ़ उनके दिल में डर था कि यह आदमी अब क्या करने वाला है, और दूसरी तरफ़, वे उस आत्मा की शांति को महसूस कर रहे थे, जो अभी हॉल में तैर रही थी।
आर्यन के पास अब भी एक सवाल था। उसकी आँखों में एक ज्वालामुखी धधक रहा था। वह जानता था कि कुछ गलत है, और उसे इस झूठ का सच जानना ही था।
लेकिन क्या वह सच में निधि को वापस पा सकता था?
मिस्टर मेहता ने आर्यन की बातें सुनीं, और उनके गुस्से का बाँध टूट गया। उनकी साँसें तेज़ होने लगीं, चेहरा गुस्से से लाल हो गया। वे ठहरे हुए लहजे में आर्यन को घूरते हुए बोले, "तुम खुद को क्या समझते हो आर्यन? तुम मेरे घर आकर मेरी बेटी के अंतिम संस्कार में यह सब करोगे? मेरे सामने मेरी बेटी की मौत पर सवाल उठाओगे?"
आर्यन ने एक गहरी साँस ली; उसकी आँखों में दर्द और गुस्से का सागर था। उसने अपनी ठंडी और कठोर निगाहें मिस्टर मेहता पर टिका दीं। "हाँ, मिस्टर मेहता। आपने ही मुझे मजबूर किया था। आपने कहा था कि अगर मैं निधि से दूर हो जाऊँ, तो वह खुश रहेगी। आपने ही कहा था कि उसे मुझसे बेहतर कोई और मिल सकता है। वह मुझसे बेहतर डिस्टर्ब करती है, ऐसा कहने वाले आप ही थे... और देखिए आज कहाँ है वो!"
आर्यन की आवाज़ में इतनी ताकत और गुस्सा था कि हॉल में खड़े सभी लोग एक पल के लिए सन्न रह गए। उसके शब्द मिस्टर मेहता के दिल में छुरी की तरह चुभ रहे थे। आर्यन का सारा गुस्सा आज खुलकर बाहर आ रहा था।
"आप कहते हैं कि मैं यहाँ आकर तमाशा कर रहा हूँ?" आर्यन ने तीखे स्वर में कहा, "अगर मैं उस दिन आपकी बातों में नहीं आता, तो शायद मेरी निधि आज ज़िंदा होती! उसे मुझसे दूर करने का फ़ैसला आपका था, और उसका अंजाम यह मिला!"
मिस्टर मेहता ने अपनी मुट्ठी भींच ली। उनके चेहरे की नसें तन गई थीं, और उनकी साँसें उखड़ने लगी थीं। आर्यन के शब्द उन पर बिजली की तरह गिर रहे थे। "तुम्हें कोई हक़ नहीं, आर्यन! कोई हक़ नहीं कि तुम मेरे सामने खड़े होकर ऐसी बातें करो!" उन्होंने बुरी तरह काँपते हुए कहा। "तुम कौन होते हो मुझे सिखाने वाले? मेरी बेटी की मौत पर ऐसे बोलने वाले तुम कौन होते हो?"
आर्यन ने ठंडी हँसी हँसते हुए, मिस्टर मेहता को कड़ी नज़रों से देखा, "हक़?" उसने व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहा। "आपके ही हाथों सब कुछ बर्बाद हुआ, और अब आप मुझसे पूछ रहे हैं कि हक़ किसका है?"
आर्यन की यह बात मिस्टर मेहता के दिल को बुरी तरह चोट पहुँचा गई। उनकी आँखों में एक पल के लिए पछतावा झलकने लगा, लेकिन गुस्सा इतना हावी था कि उन्होंने उसे दबा दिया। "तुम चुप रहो, आर्यन!" वे चिल्लाए। "मेरे घर में तुम मेरे ख़िलाफ़ एक शब्द भी नहीं बोल सकते!"
लेकिन इससे पहले कि वे और कुछ कह पाते, उनके चेहरे की रंगत सफ़ेद पड़ने लगी। उनकी साँसें और भी तेज़ हो गईं, और अचानक उन्हें चक्कर आने लगा। उनका शरीर काँपने लगा, और वे अपनी छाती पकड़कर घुटनों के बल गिरने लगे।
"मेहता जी!" मिसेज़ मेहता घबराते हुए दौड़ीं, उनके हाथों को पकड़ते हुए। उनकी आवाज़ में दर्द और घबराहट थी।
हॉल में सब लोग सन्न रह गए थे। आर्यन अपनी जगह पर खड़ा था; उसकी आँखों में अब भी वही कठोरता थी, लेकिन अंदर से कहीं न कहीं दर्द की लहर दौड़ रही थी। उसने यह सब होने की कल्पना कभी नहीं की थी, लेकिन जो हुआ, वह अब उसे पीछे छोड़ने वाला नहीं था।
"आपको जो करना था, वह कर चुके, मिस्टर मेहता। अब उसकी कीमत आप खुद चुकाएँगे।" उसने बिना किसी भाव के कहा और मुड़ गया।
ऋतिक ने उसकी ओर देखा और अपने झूठे दिखावे को जारी रखते हुए आगे बढ़ा, "डॉक्टर को बुलाइए, और जल्दी कीजिए, मॉम। मैं यहाँ सब देख लूँगा।" उसकी आवाज़ में दिखावटी चिंता थी, और उसके चेहरे पर उदासी का मुखौटा लगा हुआ था।
निधि का भूत गुस्से से काँप रहा था। उसकी नफ़रत, उसके दिल का दर्द—सब कुछ उस एक पल में समा गया था। उसने पूरी ताकत से ऋतिक को थप्पड़ मारने की कोशिश की, लेकिन उसका हाथ उसकी भूतिया हालत की वजह से उसके चेहरे के आर-पार हो गया। उसकी चीख़ उसके गले में फंस गई; उसकी छटपटाहट उस इस दुनिया में गूँजने लगी, जहाँ अब कोई उसे सुनने वाला नहीं था।
मिसेज़ मेहता ने ऋतिक की ओर एहसानमंद होकर देखा, जैसे वे अपने दामाद को अपने बेटे से कम नहीं समझती थीं। उनकी आँखों में आँसू थे, और उन्होंने अपनी हिम्मत जुटाकर अपने पति की हालत को संभालने के लिए डॉक्टर को फ़ोन किया। उनके पास इतना समय नहीं था कि वे यह समझ सकें कि उनके सामने खड़ा ऋतिक एक धोखेबाज़ था, जो केवल अपने स्वार्थ के लिए सब कुछ कर रहा था।
निधि का भूत अपनी बेबसी पर जल उठा। "कितने गिरे हुए घटिया इंसान हो तुम, ऋतिक! मेरे परिवार को धोखा दिया, मुझे मार डाला... और अब यहाँ खड़े हो, जैसे तुम्हें सब की कितनी परवाह है!" उसने कड़वाहट से फुसफुसाया, लेकिन उसकी आवाज़ ऋतिक तक नहीं पहुँची। उसकी आँखों में आँसुओं की लहर थी, लेकिन भूत होने की वजह से वह रो भी नहीं सकती थी।
ऋतिक ने कुछ रिश्तेदारों को बुलाकर अंतिम संस्कार की तैयारियों के बारे में आदेश देने शुरू किए। ऋतिक ने निधि के अंतिम संस्कार की ओर क़दम बढ़ाते हुए सारा काम-काज संभाल लिया। और सभी निधि की अर्थी उठाकर श्मशान घाट की ओर चल दिए।
श्मशान घाट का माहौल ग़मगीन और बोझिल था। हर कोई अपने भावों को दबाने की कोशिश कर रहा था, "राम नाम सत्य है" की गूंज के बीच हर कोई चल रहा था।
ऋतिक ने एक नज़र पीछे डाली, और देखा कि आर्यन जमीन पर गिरा पड़ा था; उसका लंबा और मज़बूत शरीर मानो किसी भारी बोझ तले दबा हुआ हो। मगर इस वक़्त ऋतिक के पास आर्यन के दर्द को समझने का या उसे दिलासा देने का वक़्त नहीं था। उसे बस यह यकीन दिलाना था कि निधि का अंतिम संस्कार बिना किसी रुकावट के पूरा हो।
श्मशान घाट पर पहुँचते ही, चिता की तैयारी शुरू हुई। गीली लकड़ियों की तीखी गंध और चारों ओर बिखरे फूलों की मुरझाई खुशबू ने माहौल को और भी भारी बना दिया। निधि का शरीर चिता पर रख दिया गया, और उसके चारों ओर चन्दन की लकड़ियाँ सजाई गईं, जैसे कि उसकी आत्मा को शांति और पवित्रता मिल सके। उसके सिर के नीचे मिट्टी का दीया रखा गया—शायद उस रोशनी के प्रतीक के रूप में जो अब बुझ चुकी थी।
सबसे कठिन पल था निधि को मुखाग्नि देना।
मिस्टर मेहता, जो अब तक मुश्किल से खुद को संभाल पा रहे थे, अपनी कंपकंपाती उँगलियों से आगे बढ़े। वे नहीं चाहते थे कि किसी और के हाथों से उनकी इकलौती बेटी को अंतिम विदाई दी जाए। जलती हुई लकड़ी उनके हाथों में थी, लेकिन उनकी आँखों में वो आग थी जो उनकी बेटी की मौत से जल रही थी। एक आखिरी बार उन्होंने निधि के चादर में लिपटे चेहरे को देखा और अपनी लाचारगी को दिल में दबाकर लकड़ी को चिता के पास लाकर उसे अग्नि दी। मंत्रोच्चार के बीच, जलती हुई चिता की लपटें धीरे-धीरे उठने लगीं, और साथ ही उठने लगा सबका दर्द।
हर कोई मौन में था, एक-दूसरे की ओर देखे बिना, जैसे किसी ने सबकी आवाज़ छीन ली हो। आँखों में आँसू तो थे, लेकिन किसी के पास शब्द नहीं बचे थे।
आर्यन बिल्कुल भावहीन होकर ये सब देख रहा था, ऐसा लग रहा था, जैसे उसकी आत्मा का एक हिस्सा भी उसी आग में जल रहा हो। वह खड़ा था, लेकिन अंदर से टूट चुका था। उसके पास कहने को कुछ नहीं था। सिर्फ खालीपन, जैसे कोई साया, उसे घेर रहा था। वह जानता था कि यह सब जो हो रहा है, वह उसकी पसंद का परिणाम है, और आज उसकी निधि इस दुनिया में नहीं थी, शायद उसकी वजह से। अगर वह उस दिन विदेश ना गया होता तो शायद वह निधि को बचा सकता था।
वहीं, निधि, जो सबके बीच मौजूद थी लेकिन फिर भी नहीं थी।
वह अपनी खुद की चिता को जलते हुए देख रही थी। वह चीखना चाहती थी, चिल्ला-चिल्ला कर अपना दर्द सबको बताना चाहती थी, मगर अब उसे सुनने वाला कोई नहीं था। वह हवा में तैरती हुई अपनी किस्मत को कोस रही थी। उसकी आत्मा अब उस हाल में पहुँच चुकी थी कि उसका 'होना' और 'न होना' एक बराबर हो गया था।
वह भूत बन चुकी थी, जो अपनी जिंदगी की आखिरी परछाईं को आग में जलते हुए देख रही थी। हर लपट के साथ उसका दिल और टूटता गया। वह जानती थी कि जो कुछ भी हुआ, उसकी वजह से वह मर चुकी थी, लेकिन अंदर की खामोश चीखें अब भी ज़िंदा थीं।
निधि ने एक कड़वी मुस्कान के साथ आसमान की ओर देखा। शायद वहाँ से भी उसे कोई उम्मीद नहीं थी।
तभी एक जोरदार आवाज़ उसके कानों में गूंजी। निधि की निगाहें तेज़ी से उस भयानक दृश्य पर टिक गईं। एक काली पोर्श कार, जो विपरीत दिशा से गुज़र रही थी, अचानक एक बड़े ट्रक से टकरा गई। ट्रक ने रेलिंग को उखाड़ते हुए कार को कुचल दिया।
वह नज़ारा बिल्कुल किसी बुरे सपने से कम नहीं था। कार की विंडशील्ड टूट गई, और लाल कपड़े में लिपटी एक लड़की रेलिंग से जा टकराई। उसका नाज़ुक शरीर मुरझाए हुए फूल की तरह लेन के बीच में जा गिरा।
आसपास की गाड़ियाँ एक-एक कर रुक गईं, जैसे वक़्त ठहर गया हो। लोग घबराए हुए अपनी-अपनी गाड़ियों से बाहर निकल आए। चारों ओर अफ़रातफ़री मच गई थी, कोई चिल्ला रहा था, कोई मदद के लिए दौड़ रहा था। लेकिन निधि की आँखें उस लड़की से हट ही नहीं रही थीं, जो जमीन पर बेहोश पड़ी थी।
उसके मुँह के कोने से खून बह रहा था, और उसकी आँखों की पुतलियाँ इतनी सिकुड़ गई थीं कि लग रहा था जैसे उसकी आत्मा किसी अंधेरी खाई में गुम हो रही हो।
सबसे अजीब बात यह थी कि… वह लड़की हूबहू निधि की तरह ही दिखती थी।
वही कद-काठी, वही रंग-रूप, वही नाज़ुक शरीर, सब कुछ बिल्कुल निधि की तरह था।
यह देख निधि की साँसें थम गईं। ऐसा लग रहा था जैसे वह अपनी ही प्रतिबिम्ब को ज़मीन पर पड़ा देख रही हो। क्या यह उसका ही कोई और रूप था? या यह किस्मत का एक क्रूर मज़ाक?
उसने देखा कि धीरे-धीरे, ज़मीन पर पड़ी उस घायल लड़की के शरीर से एक परछाई निकलने लगी। वह लड़की अब भी बेहोश पड़ी थी, मगर उसकी आत्मा, या जो कुछ भी वह थी, उसकी तरह ही दिख रही थी। लेकिन उसकी हरी आँखें… वह हरी आँखें निधि से अलग थीं। वे आँखें, जो किसी पहेली की तरह थीं।
वह हरी-आँखों वाली परछाई निधि को देखकर हल्के से मुस्कुराई, एक ऐसी मुस्कान जो न तो डरावनी थी और न ही सुकून देने वाली। बस… एक मुस्कान थी, जिसमें सब कुछ कहने के बाद भी बहुत कुछ बाकी था।
उस मुस्कान में एक अजीब-सी शांति थी, जैसे वह लड़की जानती थी कि अब उसका समय आ गया है।
धीरे-धीरे, वह परछाई रोशनी की एक किरण में बदल गई और फिर हवा में गुम हो गई। जैसे वह कभी थी ही नहीं।
निधि वहीं खड़ी रही, भूत-सी। उसकी आँखों में हज़ारों सवाल थे, मगर जवाब एक भी नहीं। समय जैसे थम गया था, मगर निधि के दिल में तूफ़ान मच गया था।
अचानक, सड़क पर सन्नाटा पसर गया। हर तरफ़ से लोग उस लड़की की ओर भागे, जो अब भी सड़क के बीचों-बीच पड़ी थी। कुछ ने एम्बुलेंस को कॉल किया, तो कुछ ने ट्रक ड्राइवर को घेर लिया। मगर निधि अभी भी वहीं खड़ी थी, हिलने-डुलने की हालत में नहीं। वह लड़की… जो हूबहू उसकी तरह दिखती थी, वही कद-काठी, वही चेहरा, वही सब कुछ—उसके मन में एक अजीब बेचैनी भर रही थी।
निधि ने खुद को इस चीज़ से बाहर निकालने की कोशिश की, मगर हर बार उस हरी आँखों वाली परछाई की मुस्कान उसकी सोच में आकर रुक जाती। कौन थी वह? और क्यों उसने निधि की ओर देखते हुए उस तरह से मुस्कुराया?
तभी, एम्बुलेंस की आवाज़ ने उसकी सोच को तोड़ा। तेज़ सायरन के साथ एक सफ़ेद वैन आई और जल्दी से इमरजेंसी मेडिक्स ने लड़की को स्ट्रेचर पर उठाया। लोग चौकस खड़े थे, कोई भी हिलने-डुलने की हिम्मत नहीं कर रहा था।
निधि ने देखा कि एक डॉक्टर ने उस लड़की की नब्ज़ चेक की और तुरंत सीपीआर देने लगा। पर वह लड़की पूरी तरह शांत थी, उसकी आँखें बंद थीं, और हर साँस के साथ उसका जीवन और दूर जा रहा था।
"अब क्या होगा?" निधि ने खुद से सवाल किया। मगर इससे पहले कि वह कोई और कुछ सोच पाती, उसे एक झटका सा लगा—उसकी आत्मा अचानक उस लड़की के शरीर के ऊपर खिंचने लगी। जैसे वह किसी अदृश्य धागे से बंधी हो, और उसे जबरन वापस खींचा जा रहा हो।
निधि घबरा गई। यह क्या हो रहा है?
उसने खुद को उस खिंचाव से बचाने की कोशिश की, लेकिन बेकार। निधि की आत्मा उस लड़की के शरीर की तरफ़ खिंच रही थी। उसकी आँखों के सामने सब कुछ धुंधला हो गया, जैसे वह किसी अंधेरी सुरंग में धकेला जा रहा हो।
और फिर अचानक…
निधि की आत्मा उस घायल लड़की के शरीर के अंदर समा गई।
उसने जोर से अपनी आँखें खोलीं और हड़बड़ाकर साँस ली। वह लड़की… अब वह निधि बन चुकी थी।
अस्पताल के एक ठंडे, सफ़ेद कमरे में अजीब सी खामोशी छाई हुई थी। धीमे-धीमे आवाज़ें लौट रही थीं, जैसे कुछ देर पहले एक भयंकर शोर से भागी हों। बिस्तर पर लेटी लड़की की आँखें हल्के से खुलीं, और उसकी निगाहें उस सफ़ेद रंग की बड़ी सी जगह पर टिकी रह गईं। उसके दिमाग में एक झटका सा महसूस हुआ, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। जैसे यादों का तूफ़ान धीरे-धीरे उस कार एक्सीडेंट की ओर लौट रहा था।
निधि अपने ख्यालों में डूबी थी। उसने देखा था कि एक लड़की, जो हूबहू उसकी तरह दिखती थी, उस हादसे का शिकार हुई थी। वह चेहरा, वह शरीर… और फिर उसकी आत्मा… उसने देखा था कि वह आत्मा उसके शरीर से बाहर निकल चुकी थी, और यहीं उसकी अपनी कहानी भी ख़त्म हो जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वह अपने ख्यालों में डूबी ही थी कि, दरवाज़े की हल्की सी चरमराहट हुई और अंदर आए एक आदमी ने उस खामोशी को तोड़ा। डॉक्टर नितेश देशमुख, सफ़ेद कोट पहने, हाथ में रिकॉर्ड बुक लिए, बेहद प्रोफेशनल अंदाज़ में बिस्तर के पास खड़ा हुआ। उसकी आँखों में कुछ सवाल छिपे हुए थे, और उसके चेहरे पर वही जानलेवा सीरियसनेस थी, जो नॉर्मली डॉक्टर्स के शांत भाव से बिल्कुल उलट था।
“आप अब कैसी महसूस कर रही हैं, सुश्री नितिका सोलंकी?” उन्होंने काफी सख्त अंदाज़ में, सधी हुई आवाज़ के साथ पूछा, जिसमें एक अजीब सख्ती भी थी। “क्या सिरदर्द हो रहा है?”
निधि कुछ पल तक उसकी बात को समझ नहीं पाई। उसकी आँखों में अजीब सा खालीपन था। उसने धीरे से अपनी पलकों को झपकाया, “यह डॉक्टर यहाँ क्या करने आया है और यह सवाल किससे कर रहा है?” वह बड़बड़ाई।
निधि एक बार फिर खुद से बोली, “यह डॉक्टर है, कि क्या है? शक्ल ऐसी भेड़ियों जैसी बना रखी है, जैसे इसकी किसी ने बीवी चोरी कर ली हो!😑 जिससे भी पूछ रहा हो, ठीक से नहीं पूछ सकता। इसे देखकर तो चंगा भला इंसान भी बीमार पड़ जाएगा।” फिर उसने एक नज़र डॉक्टर को ऊपर से नीचे तक स्कैन किया, “पर जो भी कहो, बंदे में बात तो है, कुछ काफी स्ट्रांग पर्सनैलिटी है, इसकी।”
फिर उसने अपनी नज़र पूरे वार्ड में घुमाई और एक हाथ से अपने सिर को सहारा दिया।
यह क्या हो गया? आखिर वह लड़की कौन थी? वह उसकी तरह क्यों दिख रही थी? और यह सब क्यों हो रहा था? तो आगे क्या होगा, जानने के लिए पढ़ते रहें, 💫🐦🔥REBIRTH FOR MERCILESS🔥 REVENGE 🔪✨
निधि ने चौंककर डॉक्टर की ओर देखा और बोली, "क्या? क्या कहा आपने? मुझसे कहा? क्या आप मुझसे बात कर रहे हैं?" उसकी आवाज में हैरानी की हल्की झलक थी।
डॉक्टर ने थोड़ा चिढ़कर कहा, "क्या आपको यहां वार्ड में कोई और दिख रहा है अपने अलावा? क्या मैं आपकी भूत से बात कर रहा हूँ, मिस सोलंकी?"
तो निधि ने अपनी आँखें छोटी करके थोड़ा मुँह बनाकर बोली, "ऐसी शक्ल और आवाज वाले लोग किसी भूत से कम नहीं होते। तुमसे बड़ा यहां कौन होगा? बाकी मैं तो होती हूँ, पर मुझे मिस सोलंकी नहीं, मिस मेहता कहो, यू इडियट। इसे पता भी नहीं है कि लोगों से बात कैसे की जाती है।" वह यह सब धीरे-धीरे बोल रही थी, मगर डॉक्टर ने यह सब सुन लिया था। उन्होंने हाथों की मुट्ठियां कस लीं, फिर गहरी साँस लेकर खुद को शांत करते हुए बोले, "जी हाँ, मिस सोलंकी, मैं इतने वक्त से आप ही से बात कर रहा था। आपके सिर पर गहरी चोट आई थी और आपका क्रिटिकल ऑपरेशन करना पड़ा था।" डॉक्टर नितेश ने अपनी भौंहें सिकोड़ीं, जैसे उसकी कन्फ्यूजन उसे परेशान कर रही हो। "मैं जानना चाहता हूँ कि अब आप कैसा महसूस कर रही हैं। तो क्या आप बता सकती हैं?"
निधि का दिमाग एक झटके में तेज़ी से दौड़ने लगा। उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगा। क्या यह सब सपना था? क्या वह सचमुच मर नहीं चुकी थी? उस भयानक कार हादसे की यादें जैसे ज़ेहन में घुलने लगीं—वो चीखें, वो पल जब उसने देखा था कि दूसरी आत्माएँ अपने शरीरों से बाहर निकल रही थीं। वह जानती थी कि वह खुद भी मरी हुई थी। तो अब, यह सब क्या था?
"क्या यह Heaven है?" उसकी आवाज कांपते हुए निकली, जैसे वह किसी और ही दुनिया से सवाल कर रही हो।
डॉक्टर नितेश ने हल्की सी ठंडी मुस्कान के साथ उसे देखा। “Heaven?” उसने सिर हिलाया। “मिस सोलंकी, आप Heaven में नहीं, बल्कि एक VIP हॉस्पिटल में हैं। फिर थोड़ा रुककर, आप बहुत अच्छी तरह से बोल रही हैं और देखने से कोई खास problem भी नहीं लग रही। तो चिंता की कोई बात नहीं।”
वह रिकॉर्ड बुक बंद करता हुआ पीछे मुड़ा और जाने को तैयार हो गया। लेकिन तभी, निधि—जो अब अपने सवालों में खो चुकी थी—ने झट से डॉक्टर के सफेद कोट का एक कोना पकड़ लिया। उसकी आँखों में बेबसी थी।
"रुकिए!" उसकी आवाज में अब डर की झलक थी। "मैं... मैं कहाँ हूँ? क्या मैं सच में ज़िंदा हूँ? और... और आप कौन हैं?"
नितेश एक पल के लिए रुके, जैसे कुछ सोच रहे हों। उनकी आँखों में हल्की सी नरमी आई, पर चेहरा अभी भी वैसा ही सख्त और प्रोफेशनल था। "मिस सोलंकी," उन्होंने गहरी आवाज़ में कहा, "आप ज़िंदा हैं, और मैं आपका डॉक्टर हूँ। हो सकता है आपके सिर पर लगी चोट से, आपकी याददाश्त थोड़ी कमजोर हो गई है। इसलिए, आप ऐसे सवाल पूछ रही हैं। आराम कीजिए, सब नॉर्मल हो जाएगा।"
निधि के मन में इस वक्त एक तूफान उठ रहा था। वह अभी भी डॉक्टर नितेश को देख रही थी, और उसके दिमाग में एक ही सवाल बार-बार घूम रहा था— "ये इतना सीरियस होकर भी इतना डैशिंग कैसे हो सकता है?" उसकी शरारती मुस्कान चेहरे पर साफ झलक रही थी।
"अगर ये बंदा मुस्कुरा दिया, तो क्या होगा? दहशत फैल जाएगी!" निधि ने अपने अंदर की बात को जैसे बड़बड़ाते हुए बाहर निकाल दिया। "बिल्कुल 'किंग कोबरा' है! इसकी तो सिर्फ निगाहें ही कत्ल करने के लिए काफी हैं।"
डॉक्टर नितेश ने उसके बदलते भावों पर गौर नहीं किया और जाने के लिए मुड़ा। लेकिन तभी निधि ने बिना सोचे-समझे उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया और चिल्लाई, "सब कुछ नॉर्मल नहीं है डॉक्टर! पहले मेरे सवालों का जवाब दीजिए। मैं... मैं कौन हूँ?"
डॉक्टर नितेश का चेहरा पूरी तरह से सर्द हो चुका था। उनकी प्रतिक्रिया में झुंझलाहट और झटका दोनों था। "मिस सोलंकी! यह क्या बेहूदगी है?" उसने अपनी कमर छुड़ाने की कोशिश की, "लीव मी! क्या कर रही हैं आप?" उसकी आवाज़ में अब सख्ती थी, लेकिन निधि की पकड़ और मजबूत हो चुकी थी।
"पहले मेरे सवालों का जवाब दो! तुम भाग क्यों रहे हो?" निधि की आवाज़ अब गुस्से और घबराहट से भर गई थी।
डॉक्टर नितेश इरिटेट होते हुए बोले, "कहा ना, आप रेस्ट कीजिए! सब ठीक हो जाएगा। अब कौन से सवाल हैं जिनका जवाब चाहिए?" उसने अपनी आवाज़ को काबू में रखते हुए कहा, लेकिन उसकी आँखों में चिड़चिड़ाहट साफ थी।
फिर उसने निधि को एक झटके से दूर करने की कोशिश की, लेकिन वह लड़खड़ा गया और निधि के बेड पर गिर पड़ा, साथ ही निधि उसके नीचे दब गई। उनकी हरी-भरी आँखों में उसकी हल्की झिझकती नज़रें फंस गईं, जैसे वह पहली बार किसी की इतनी करीब से आँखों में देख रहा हो। वह पूरी तरह हक्का-बक्का रह गया।
"हटिए मेरे ऊपर से! आप क्या दानव जैसे शरीर लेकर चढ़ गए हैं!" निधि की एक जोरदार चीख ने पूरे वार्ड को हिला दिया।
डॉक्टर नितेश तुरंत खुद को संभालते हुए उठने की कोशिश करने लगा, लेकिन जैसे ही उसने खुद को खड़ा करने की कोशिश की, निधि ने उसकी छाती पर अपना हाथ फेर दिया। नितेश के चेहरे पर हैरानी के साथ हल्की-सी हिचकिचाहट भी थी।
"क्या कर रही हैं आप?" उसने लगभग फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज़ अब पहले से कहीं अधिक कमजोर थी। मगर इससे पहले कि वह खुद को संभाल पाता, निधि ने फिर से चिल्लाते हुए कहा, "आप तो ऐसे गिर रहे हैं जैसे कोई फिल्मी सीन हो! थोड़ी तो तमीज़ रखो डॉक्टर साहब!"
निधि को इस दौरान यह भी होश नहीं था कि गलती उसकी थी; उसने ही अपना हाथ डॉक्टर पर रखा हुआ था, जिस वजह से वह गिर रहे थे। इस बार भी जैसे ही डॉक्टर नितेश का हाथ निधि से छुड़ाने के चक्कर में फिसला, वह हड़बड़ाहट में सीधा उसके ऊपर जा गिरे। दोनों के होंठ अचानक टकराए, और निधि को अपने होठों पर एक अजीब सी कोल्ड और हार्डनेस का एहसास हुआ। उसकी आँखें पूरी तरह से फैल गईं, जैसे उसके दिमाग में समझ ही नहीं आया हो कि अभी क्या हुआ। डॉक्टर नितेश की भी आँखें खुली की खुली रह गईं, और उनके चेहरे पर साफ-साफ झुंझलाहट दिखाई देने लगी।
कुछ सेकंड के लिए दोनों के बीच अजीब सी खामोशी छा गई। डॉक्टर नितेश ने जल्दी से खुद को संभाला, उठते ही अपने रिकॉर्ड बुक को इस तरह पलटने लगे जैसे कुछ बहुत जरूरी ढूँढ रहे हों, लेकिन उनके चेहरे की redness बता रही थी कि उन्हें खुद भी समझ नहीं आ रहा था कि इस situation से कैसे निकला जाए।
जैसे ही उन्होंने यह महसूस किया कि अभी-अभी क्या हुआ है, नितेश के चेहरे पर गुस्से की एक लहर दौड़ गई। उनकी लाल होती आँखों से साफ गुस्सा झलक रहा था। उन्होंने गुस्से में निधि की ओर देखा, जो अब भी बेड पर पड़ी हुई थी, पूरी तरह कन्फ्यूज और सदमे में। क्योंकि उसे अभी-अभी अपने होठों पर वह ठंडापन महसूस हो रहा था।
निधि ने धीरे-धीरे अपने होश में आते हुए अपनी आँखें बंद कीं, और फिर अचानक से उठकर जाते हुए डॉक्टर को देखकर चिल्लाई, "अरे! सुनिए तो! पहले मेरे सवालों के जवाब दीजिए! आप ऐसे कैसे जा सकते हैं?"
लेकिन नितेश वहाँ से तेजी से निकल चुके थे। वह अब उसकी बात सुनने के मूड में नहीं थे। निधि का चेहरा एकदम सख्त हो गया। उसके दिमाग में गुस्से और शर्मिंदगी का तूफान मच गया।
उसका गुस्सा अब उबलने लगा था। उसके होठों पर एक अजीब-सी कड़वाहट छा गई। "डॉक्टर, तुम्हें तो मैं छोड़ूंगी नहीं!" वह दाँत पीसते हुए बुदबुदाई, उसकी आवाज़ में झल्लाहट साफ झलक रही थी।
निधि एक पल के लिए भी नहीं रुकी और जैसे ही देखा कि डॉक्टर नितेश दरवाज़े से बाहर निकले हैं, वह भी बिना सोचे-समझे भागते हुए उनके पीछे गई। उसकी नज़र दरवाज़े पर जमी थी, जहाँ से नितेश निकल चुके थे। "आज तुमसे जवाब लेकर ही रहूँगी!" निधि ने गुस्से में खुद से बड़बड़ाते हुए उनका पीछा किया।
"कहाँ भाग रहे हो डॉक्टर साहब?" उसने दरवाज़े से बाहर झाँकते हुए अपनी आँखों से उन्हें ढूँढने की कोशिश की। वार्ड के बाहर अब डॉक्टर कहीं नज़र नहीं आ रहे थे, पर उसका गुस्सा ठंडा नहीं हुआ था।
"तुमसे अभी सब सवाल पूछने हैं, डॉक्टर! और यह जो... जो... हुआ... वह?" निधि खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसके होठों की अजीब-सी सिहरन और डॉक्टर का सख्त चेहरा उसकी आँखों के सामने बार-बार घूम रहा था।
वह दरवाज़े के पास खड़ी थी, पर अब तक उसकी उलझन और गुस्सा उसे शांत होने नहीं दे रहे थे।
फिर निधि ने कुछ सोचकर, हँसते हुए बड़बड़ाई, "लगा नहीं था, 'किंग कोबरा' को भी झटके लग सकते हैं।"
निधि ने बेड पर वापस जाते हुए गहरी साँस ली। "अब मैं क्या करूँगी? और यह डॉक्टर आखिर इतना एटीट्यूड क्यों दिखा रहा है?"
डॉक्टर के बिहेवियर को याद करके निधि के चेहरे पर हल्की झुंझलाहट आ गई। उसने खुद को बड़बड़ाते हुए कहा, "हैंडसम है तो क्या मतलब है, तो डॉक्टर ही? डॉक्टर है, डॉक्टर की तरह behave कर! यह एटीट्यूड कहाँ से आ गया?"
तभी उसे जैसे होश आया। "निधि, तुम यहाँ सोच रही हो कि मरी हो या ज़िंदा… और दिमाग किसी डॉक्टर की हैंडसमियत पर अटका हुआ है! हद है यार… कुछ तो शर्म कर!" उसकी हँसी अब हल्की झुंझलाहट में बदल गई थी, जैसे वह खुद पर ही चिढ़ गई हो।
उसकी आँखों में उलझन उतर आई। "ये मैं हूँ?" उसने खुद को बिस्तर पर बैठी देखा, पर जिस चेहरे पर नज़र पड़ी, वह उसे अपना नहीं लगा। "मैं कौन हूँ?" एक बार फिर से वही सवाल उसके दिमाग में घूमने लगे।
क्या वह सचमुच नितिका सोलंकी थी, जैसा कि डॉक्टर ने कहा था? या फिर वह अब भी निधि थी, जो अपने ही finance की दरिंदगी का शिकार हो चुकी थी? उसका दिल धड़कते-धड़कते जैसे ठहर गया, फिर एकदम से तेज़ी से धड़कने लगा। "ये सब क्या हो रहा है?" उसकी धड़कनों के साथ उसकी उलझन भी बढ़ती जा रही थी।
निधि बिस्तर पर बैठी थी। उसकी आँखों के सामने जैसे पूरी दुनिया घूमने लगी थी। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और दिल की धड़कनें इतनी तेज थीं कि उसे खुद सुनाई दे रही थीं। यह सब सपने जैसा लग रहा था—नहीं, यह तो किसी बुरे ख़्वाब से भी बुरा था। उसने अपनी उंगलियों से अपने चेहरे को छुआ। आईने में देख रही लड़की वही थी, वही बाल, वही चेहरे का शेप, मगर आँखें... हरे रंग की आँखें! आईने में अपनी शक्ल देख, वह ठिठक गई थी। वही नाक, वही होंठ, वही गालों की हल्की गुलाबी रंग। मगर, उस एक फर्क ने उसे अंदर तक हिला दिया—आँखें। वो आँखें जो कभी काली हुआ करती थीं, अब हरे रंग की थीं। मगर ये कोई आम हरी आँखें नहीं थीं—फॉरेस्ट ग्रीन eyes।
उसने धीमे से अपनी उंगलियों से उन आँखों को छुआ, जैसे यकीन करना चाहती हो कि ये वाकई उसकी हैं। "इतनी खूबसूरत?" वह फुसफुसाई। पहले तो वह खुद में ही खो गई, फिर अचानक झटका सा महसूस हुआ—क्या अब यह सच में उसका चेहरा था? क्या अब वह वही निधि थी? या फिर यह किसी और की आँखों से अपनी ही ज़िंदगी को देख रही थी?
हर बार जब वह अपनी हरी आँखों को देखती, उसे लगता कि वह किसी फॉरेस्ट की तरह है। "क्या ये आँखें मेरा अक्स दिखा रही हैं?" उसने धीरे से खुद से सवाल किया। वह पहले कभी इतनी सुंदर नहीं लगी थी खुद को, जितनी आज इन आँखों से शीशों के पीछे झांकते हुए लगी।
इन आँखों में एक कशिश थी। और जब वह गौर से देखती, उसे ऐसा लगता जैसे ये आँखें उसे कुछ कहना चाहती हों, कोई अनकही कहानी सुनाने के लिए तड़प रही हों। मगर उस कहानी को समझ पाना शायद उतना आसान नहीं था।
"अब ये शरीर मेरा है?" उसने हिचकते हुए खुद से पूछा। "मगर... अब मैं क्या करूँगी?" सवाल अब भी वही था।
उसका दिमाग उस कार एक्सीडेंट और उस अजीब तरह से किसी की बॉडी में आने पर आ गया था। उस हादसे ने उसकी पूरी ज़िंदगी को जैसे उलट-पुलट कर दिया था। पहले वह निधि थी, जो मर गई थी, लेकिन अब... अब वह नितिका सोलंकी के शरीर में वापस आ चुकी थी।
निधि की आँखों में अब भी वह उलझन बसी हुई थी। उसके शरीर में दर्द की टीसें उसे लगातार याद दिला रही थीं कि कुछ गंभीर हुआ था, मगर उसकी यादें अब भी धुंधली थीं। तभी दरवाजे की आवाज़ से उसका ध्यान टूटा। उसने दरवाजे की ओर देखा, जहाँ एक महिला डॉक्टर दाखिल हो रही थी।
निधि ने उसे आते देखा और बिना कोई रुचि दिखाए सवाल किया, "क्या आप डॉक्टर हैं?"
डॉक्टर अवनी ने एक पल के लिए कदम रोक दिए। उसने निधि की ओर देखा, उसकी आँखों में अनमनी सी उदासी और सिर पर पट्टियाँ बंधी हुई थीं। उसने ठहर कर जवाब दिया, "हाँ, मैं आपकी डॉक्टर हूँ। अब से आपकी देखभाल मैं करूंगी क्योंकि डॉक्टर नीतीश ने आपका केस मुझे हैंडओवर कर दिया है।"
निधि ने एक झुंझलाहट भरी साँस ली। "अच्छा... ऐसा है।" फिर उसने थोड़ा गंभीर होकर सवाल किया, "मैं... मतलब, वो कह रहे हैं, मेरा कार एक्सीडेंट हुआ था?"
डॉक्टर अवनी ने सिर हिलाया। "जी हाँ, मिस सोलंकी। आपको समय से बचा लिया गया और आपका वक्त पर ऑपरेशन किया गया था, और आप पूरे दो दिन तक बेहोश रहीं। आपने एक बड़ा हादसा झेला है, मगर आप अब सुरक्षित हैं।"
निधि की आँखें हल्की-सी सिकुड़ गईं। उसका दिमाग एक बार फिर सवालों से घिर गया था। "सुरक्षित..." उसने धीरे से दोहराया। *मैं तो सुरक्षित हूँ पर अब उन लोगों को सुरक्षित नहीं रहने दूंगी।* उसने मन ही मन सोचा।
डॉक्टर अवनी उसकी रिपोर्ट्स चेक करने लगी, मगर निधि की निगाहें अब भी शून्य में कुछ ढूंढ रही थीं।
"ओके मिस सोलंकी," डॉक्टर अवनी ने सहजता से कहा, "आप थोड़ा आराम कीजिए, शायद कुछ देर में आपके घर से कोई आपसे मिलने आ जाएगा।"
निधि ने सिर हिलाते हुए, "ओके डॉक्टर," धीरे से जवाब दिया।
डॉक्टर अवनी ने उसे एक नर्म मुस्कान दी और उसके सिर पर बंधी पट्टी पर हल्के से नज़र डालते हुए कहा, "डोंट वरी, सब ठीक हो जाएगा। आपको अच्छा महसूस होने में थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन आप ठीक हो जाएंगी।"
डॉक्टर अवनी ने वार्ड से बाहर जाते-जाते उसे एक और हल्की मुस्कान दी। "मैं थोड़ी देर में वापस आऊंगी, अगर आपको कुछ चाहिए तो बस कॉल कर देना।"
निधि ने सिर हिलाया और धीरे से बिस्तर पर लेट गई। अब उसे बेचैनी महसूस हो रही थी।
आर्यन बिस्तर पर बेसुध-सा अपनी कमज़ोर सी हालत में पड़ा था, इटैलियन थीम से सजे मेंशन में। हर चीज़ बिल्कुल परफेक्शन से रखी गई थी। उसका चेहरा थका हुआ था, आँखों के नीचे गहरे काले घेरे थे। उसकी आँखों में बेबसी और गुस्से का मिला-जुला भाव साफ़ झलक रहा था। कमरे की ठंडी हवा और सफ़ेद पर्दों के बीच, उसके सामने उसके असिस्टेंट जय खड़ा था, जो उसके इस हालात को देखकर घबराया हुआ था।
जय ने झिझकते हुए कहा, "सर, मिस मेहता की डेथ को अब दो दिन और दो रातें बीत चुकी हैं, और आपने अब तक कुछ भी नहीं खाया पिया है। अगर ऐसे ही चलता रहा, तो आपकी बॉडी पूरी तरह से वीक हो जाएगी।"
आर्यन की बिखरी हुई नज़रें दीवार की तरफ़ लगी रहीं, जैसे उसकी बातों का कोई असर ही न हो। उसने अपनी ठंडी आवाज़ में कहा, "मेहता फैमिली का क्या हाल है, जय?"
जय ने एक पल के लिए थोड़ा सोचा फिर कहा, "सर, आप इस बात से परेशान हैं कि मिस्टर मेहता अभी तक निधि की मौत के सदमे से बाहर नहीं आ सके, या आप जानना चाहते हैं कि अब उनके घर का क्या हाल है?"
फिर जय रुककर साँस लेता है। आर्यन की निगाहें अब भी दूर कहीं थीं। जय ने अपनी बात जारी रखी, "मेहता फैमिली के पास अब ऋतिक है। निधि मैम की मौत से पहले ही मिस्टर मेहता ने ऋतिक को सब कुछ दे दिया था... यहाँ तक कि उसे अपने बेटे की तरह रखा।"
यह सुनते ही आर्यन की आँखों में गुस्से की एक लहर दौड़ गई। उसकी मुट्ठियाँ कस गईं। "ऋतिक?" आर्यन का नाम सुनते ही उसके चेहरे के भाव dark हो गए।
उसने अपनी मुट्ठियाँ इतनी ज़ोर से भींच लीं कि उसकी नसें उभर आईं। उसकी आवाज़ में अब ठंडा नहीं, बल्कि आग भरी हुई थी, "उस ऋतिक पर नज़र रखो। उसकी हर हरकत, हर कदम... मुझे उसके पल-पल की खबर चाहिए।"
जय ने थोड़ी घबराहट के साथ पूछा, "सर, आप कहना क्या चाहते हैं?"
"कहना क्या चाहता हूँ?" उसने अपने दाँत भींचते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता ये महज़ एक 'एक्सीडेंट' था। निधि की मौत... यूँ ही नहीं हुई। मैं यह पता लगाऊँगा कि आखिर वह मरी कैसे, और क्यों मरी।"
जय ने थोड़ा पीछे हटते हुए कहा, "पर सर... फॉरेंसिक रिपोर्ट्स में साफ-साफ लिखा था कि निधि मैम की डेथ एक कार एक्सीडेंट से हुई थी।"
आर्यन ने एक कड़वी हँसी के साथ उसे देखा। उसकी नज़रें अब और भी खतरनाक हो गई थीं, "रिपोर्ट्स... फॉरेंसिक रिपोर्ट्स हमेशा सच नहीं होती, जय। किसी की मौत की वजह एक रिपोर्ट से नहीं पता चलती। उस रिपोर्ट के पीछे छिपे झूठ को सामने लाना है... और यह तुम्हारा काम है।"
जय कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। उसने सिर झुका लिया। आर्यन ने ठंडी और मगर धमकी भरी आवाज़ में कहा, "और सुनो... इस बार कोई गलती नहीं होनी चाहिए। एक भी सुराग नहीं खोना चाहिए।"
जय ने हड़बड़ाते हुए सिर हिलाया और जल्दी से कमरे से निकल गया। आर्यन अब अकेला था, लेकिन उसके भीतर का गुस्सा और दर्द दोनों ही उसकी नसों में धधक रहे थे। उसकी आँखों में वही चमक थी जो एक शिकारी की होती है, जिसने अपनी सबसे प्यारी चीज़ खो दी हो।
"निधि... यू वेर माई लाइफ, और अब मैं तुम्हारे दर्द का हर हिसाब लूँगा। ऋतिक... तुम्हें तो मैं... जीते जी खत्म कर दूँगा।"
आर्यन की आँखों में एक अजीब सा पागलपन था, जिसे देखकर उसके सामने किसी का भी खड़ा रहना मुश्किल था।
आर्यन ने बिस्तर से उठकर शीशे में खुद को देखा। उसकी हालत ऐसी हो चुकी थी, मानो उसने कई दिनों से कुछ नहीं खाया। उसके चेहरे पर हल्की दाढ़ी उग आई थी, और आँखें धँस गई थीं। लेकिन उसकी नज़रों में बदले की आग अभी भी जल रही थी। उसने आईने में खुद को देखा और अपने आप से बड़बड़ाया, "तूने मेरी दुनिया उजाड़ दी, ऋतिक। अब मेरी बारी है... हर दर्द का हिसाब बराबर करूँगा।"
उसके होठों पर एक क्रूर मुस्कान तैर गई।
क्या होगा आगे निधि उर्फ नितिका की ज़िन्दगी में? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
वही अस्पताल में,
निधि ने दरवाज़े के बंद होने की आवाज़ सुनी और सोच में पड़ गई। "ये सब...ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ?" उसने अपने माथे पर हाथ रखा, जैसे उसकी उलझनें बढ़ रही हों। "क्या सच में मुझे किसी और की बॉडी मिली है? क्या मैं इस धरती पर अपना बदला लेने आई हूँ, जो मेरी आखिरी ख्वाहिश थी?" उसकी आवाज़ में खुद के लिए तंज था।
उसकी साँसें तेज़ हो गईं। "जिसका एक्सीडेंट हुआ, वो नितिका सोलंकी थी? तो...क्या उसकी मौत मेरी वजह से हुई?"
नितिका की वो आखिरी मुस्कान उसकी आँखों के सामने आई। वो मुस्कान, जो उसने मरने से पहले निधि को दी थी। उस मुस्कान ने निधि के दिल को चीरकर रख दिया। दर्द और अपराधबोध से उसका दिल भर उठा। "Did she die because of me? अगर मैं इस शरीर में नहीं आई होती, तो शायद वो आज जिंदा होती।" उसे अच्छा नहीं लग रहा था, ये महसूस करके कि उसका पुनर्जन्म नितिका की मौत की वजह है।
एक अजीब खामोशी ने उसे घेर लिया। उसने नीचे झुककर नितिका के शरीर पर गौर किया। "कार एक्सीडेंट के बाद ये बॉडी...कितनी बुरी हालत में है।" उसकी आँखें शरीर के सूजे हुए हिस्सों पर टिकीं। उसके घुटनों पर पट्टी बंधी हुई थी और उसकी त्वचा लाल हो चुकी थी, जो गहरे चोट के निशान थे।
उसने अपने बालों को छुआ। वो लंबे, काले, रेशमी बाल, जो उसके कंधों पर बिखरे थे। बालों को देखते ही उसने एक हल्की मुस्कान दी क्योंकि उसे अपने बालों से बहुत प्यार था। "कम से कम बाल तो ठीक-ठाक हैं...लेकिन, क्या बालों से ज़िंदगी चलेगी?" सोचते हुए उसने झटके से अपने बालों को हवा में उछाला।
फिर अचानक उसकी नज़र फिर से चोटों पर गई और उसे याद आया कि जब वो डॉक्टर नितेश के पीछे भागी थी, तब उसे कितना दर्द हुआ था। "हद हो गई यार, मैं इस हालत में भी डॉक्टर के पीछे भागी!" उसने अपने माथे पर हाथ मारते हुए खुद से कहा।
"और ये डॉ. नितेश..." उसने गुस्से में कहा। "पहले तो ऐसे देख रहे थे, जैसे कि मैं कोई अप्सरा हूँ। और जब मैंने थोड़ा पास जाने की कोशिश की, तो ऐसे भागे जैसे कोई Black mamba पीछे पड़ गई हो! ये डॉक्टर था या डरपोक?"
पर मुझे क्या? कौन सा मुझे जिंदगी भर इसके साथ रहना है, जो मैं इतना सोच रही हूँ इसके बारे में?
ऋतिक के दिए उस दर्द की याद ने जैसे अचानक निधि को अपनी गिरफ्त में ले लिया। उसकी आँखों के सामने वो बेरहम दृश्य चलने लगा, जब ऋतिक ने उसके बच्चे को उससे बेरहमी से छीन लिया था। उसकी साँसें तेज़ हो गईं और दिल की धड़कनें जोर से धड़कने लगीं। वो लम्हा जब उसने उसकी बॉडी से उसके बच्चे को बिना किसी दया के निकाल लिया था—वो दर्द जो उसने सहा था, और उसका बच्चा उसकी क्या गलती थी इस सब में?
"किस तरह से उसने मेरी ज़िंदगी को तबाह कर दिया था..." निधि की आँखों में आँसू आ गए। उसने अनजाने में खुद को जोर से गले लगा लिया, जैसे कि वो उस दर्द से खुद को बचाने की कोशिश कर रही हो। उसका पूरा शरीर उस दर्द और डर को महसूस करते हुए कांपने लगा था। उसकी हथेलियाँ ठंडी पड़ चुकी थीं और उसके होंठ सूख गए थे।
लेकिन अगले ही पल उसने खुद को झटके से संभाला। उसकी आँखों में अब दर्द की जगह गुस्सा था, एक जुनून, एक बदले की आग, जो उसकी रूह को जलाने लगी थी। "नहीं!" उसने खुद से कहा, उसकी आवाज़ कांप रही थी पर उसका इरादा अब और भी मजबूत हो गया था।
"ऋतिक!" उसने उस नाम को घृणा और गुस्से से उगला, जैसे वो नाम भी जहरीला हो। "भगवान ने मुझे वाकई एक नई ज़िंदगी दी है, और मैं तुझे वादा करती हूँ...जिस दर्द से तूने मुझे जकड़ा था, उससे दस गुना ज़्यादा दर्द मैं तुझे दूँगी!" उसकी आवाज़ में अब केवल नफ़रत और बदले की आग थी।
उसके चेहरे पर एक अजीब-सी ठंडी मुस्कान तैर गई थी। "तूने मुझे बर्बाद किया, ऋतिक, पर अब तू मेरी बर्बादी का अंजाम देखेगा।"
दूसरी तरफ,
डॉ. नितेश उस वार्ड से बाहर निकले तो जैसे किसी तूफ़ान से निकलकर आए हों। पर अपने अंदर चल रहे तूफ़ान में फँस गए थे। उनके माथे पर शिकन थी, और उनकी आँखों में अब भी निधि की उस हरकत की झलक दिख रही थी, जब उसने उन्हें अचानक पकड़ लिया था। वो लड़की... "Miss Solanki, you crossed the line." उनके चेहरे पर चिढ़ और नाराज़गी साफ़ झलक रही थी, जैसे कोई उनकी दुनिया में जबरदस्ती घुस आया हो।
वो हमेशा से एक ऐसे इंसान थे जिन्हें किसी भी चीज़ से फ़र्क नहीं पड़ता था। न ही उन्हें किसी के करीब आने से जरा भी फ़र्क पड़ता था। कोई लड़की उनके पास आ जाए या दूर चली जाए, उन्हें परवाह नहीं थी। वो हमेशा अपनी ज़िंदगी में सीरियस, जिम्मेदार, और भावशून्य रहे थे। "Feelings are for the weak," ये सोच उनके लाइफ़ का हिस्सा बन चुकी थी।
पर आज...आज कुछ अजीब हुआ था।
"क्यों...आज ऐसा क्या था?" उसके माथे पर पसीने की हल्की बूँदें उभर आई थीं।
"क्या हो रहा है मुझे?" उनके कदम धीमे हो गए। उनका दिल, जो आमतौर पर शांत रहता था, आज बेवजह तेज़ धड़क रहा था। उन्होंने अपनी उंगलियों से अपनी नब्ज़ को चेक किया, जैसे कि ये जानने की कोशिश कर रहे हों कि सब कुछ सामान्य है या नहीं। पर अंदर कुछ बदल चुका था। उनकी साँसें भारी थीं।
वो निधि के बारे में सोचते ही, फिर से उसके हरे रंग की बड़ी-बड़ी आँखों का ख्याल आया, जो उनकी आँखों में देखकर ठहर गई थीं। "वो आँखें...ऐसी निगाहें...उसके होंठ..." उन्होंने खुद से बुदबुदाया, फिर अचानक से गुस्से में अपने बालों को पीछे करते हुए बोले, "Shit! ये क्या हो रहा है मुझे? It's ridiculous!"
उसने खुद को कई बार समझाया, "It's just a patient नीतीश...Nothing more. कोई फ़र्क नहीं पड़ता तुम्हें किसी से भी। लेकिन..."
उनके कदम तेज़ हो गए, और वो तेज़ी से अस्पताल कॉरिडोर से गुज़रे। बार-बार वो घटना याद आ रही थी, जब निधि ने उसे जोर से पकड़ा था, और वो उस पर गिर पड़ा था। उसके सख्त होंठों पर उन कोमल लेकिन सफ़ेद पड़ चुके होंठों का एहसास...उसने तेज़ी से अपने होंठों को रगड़ा, जैसे वो उस अजीब एहसास को मिटाना चाहता हो।
वो गुस्से में था, निधि की हरकत ने उन्हें परेशान कर दिया था। कोई उनकी पर्सनल स्पेस में इस तरह से घुसे, ये उसने कभी सोचा भी नहीं था। उसने खुद को संभाला और जोर से अपने फाइल्स को टेबल पर पटका। "वो लड़की पागल है, बिल्कुल बेहूदा हरकत की है, उसने!" उनका चेहरा अब भी लाल था। वो एक पेशेवर डॉक्टर था, लेकिन निधि की उस बेतुकी हरकत ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था।
"Damn it! ये लड़की क्या चाहती है? इतने सारे सवाल, इतनी बेचैनी। और मेरे अंदर ये अजीब सी फीलिंग...क्या ये नॉर्मल है?!" उसकी भौंहें एक बार फिर से चढ़ गईं। नीतीश ने अपने हाथों को कड़क अंदाज़ में मोड़ा और जोर से डेस्क पर रख दिया। वो खुद को समझ नहीं पा रहा था कि आज पहली बार किसी लड़की के पास जाकर उसके अंदर इतनी हलचल क्यों हो रही है।
नितिका के साथ ही उसे वो अजीब एहसास हो रहा था, जो उन्हें कभी किसी के करीब आने पर नहीं हुआ था। "क्यों? क्यों आज ऐसा महसूस हो रहा है?" वो अपने अंदर उठ रही इस बेचैनी से झुंझला रहे थे। उन्हें हमेशा से 'Antidetachment Disorder' रहा था, किसी से जुड़ने या पास आने पर कोई महसूस नहीं होता था। पर आज...आज हालात उल्टे थे। वो पहली बार किसी के करीब आने पर कुछ महसूस कर रहा था, और ये बात उन्हें अंदर तक परेशान कर रही थी।
"No...This can't be happening. It's just...it's nothing, और मेरे इस डिसऑर्डर के चलते तो बिल्कुल भी नहीं।" उसने खुद को समझाने की कोशिश की। पर सच ये था कि उसका दिल और दिमाग खुद से लड़ रहा था। उनके होंठों से अनजाने में निधि के होंठों का स्पर्श अब तक महसूस हो रहा था। "No!" उन्होंने जोर से अपने दिमाग से इस ख्याल को झटक दिया, "ये बकवास है। मैं इस तरह की फीलिंग्स नहीं कर सकता, और वो भी ऐसी लड़की के लिए...बिल्कुल नहीं!"
उन्होंने अपने फाइल्स को जोर से बंद किया और अपनी कुर्सी पर बैठ गए, गुस्से में अपनी आँखें बंद कर लीं। पर जितनी बार वो इन सब से बाहर निकालने की कोशिश करते हैं, उतनी बार निधि का चेहरा उनकी आँखों के सामने आ जाता है। उसकी घिनौनी हरकत के बाद भी वो खुद को रोक नहीं पा रहे थे। "I need to get rid of this feeling...immediately!" उसने अपने बालों को खींचते हुए कहा।
आखिर क्या हो रहा है डॉक्टर नीतीश के साथ? और उन्हें क्या बीमारी है? क्या है 'Antidetachment Disorder'? कैसे लेगा आर्यन निधि का बदला? क्या वह अब निधि से प्यार करता है? और निधि के दिमाग में क्या प्लानिंग चल रही है, जानने के लिए पढ़ते रहें, "Rebirth for Merciless Revenge 🔪"
वह हमेशा से ऐसा ही था—भावहीन, उदासीन, किसी से भी कोई लगाव नहीं। लेकिन आज... उस एक मुलाकात ने उसे हिला कर रख दिया था। उसकी कठोर व्यक्तित्व पर जैसे किसी ने पहली बार प्रहार किया हो। उसे इस भावना से घृणा थी। वह नीतीश देशमुख, जो किसी को भी अपने करीब नहीं आने देता, खासकर किसी लड़की को, आज एक आम लड़की के व्यवहार से इतना परेशान क्यों हो रहा था?
"नहीं, यह बस....", उसने खुद से फिर कहा, और कंधे झटकते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ गया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। "Aahhhh,,,, मैं किसी से भी प्रभावित नहीं होता..."
पर नितिका का चेहरा, उसकी हरी आँखें, बार-बार उसकी नज़रों के सामने आकर उसे परेशान कर रही थीं। पर कहीं न कहीं, उसे खुद में नितिका से एक अजीब सा संबंध महसूस हो रहा था, एक खिंचाव... और यह बात उसे खाए जा रही थी।
"तुम कौन हो, मिस सोलंकी? या जो भी हो...", उसके होठों पर एक मुस्कान आई, "अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती की है, तुमने।" वह गुस्से से भर उठा।
एक आलीशान होटल के कमरे में नाइटलैंप की मद्धम रोशनी ने एक अलग माहौल बना रखा था। रिहाना बिस्तर के पास खड़ी थी। ऋतिक ने अचानक उसकी कलाई पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया। उसकी आँखों में जुनून और वासना साफ़ झलक रही थीं। वह धीरे-धीरे रिहाना के करीब आया, धीरे से रिहाना का चेहरा अपने हाथों में लिया, उसकी आँखों में गहराई से झांकते हुए और बिना एक पल गँवाए, उसके होंठों को अपने होंठों से पूरी शिद्दत से छू लिया। जैसे ही उसके होंठ रिहाना के होंठों से मिले, दोनों की धड़कनें तेज हो गईं।
रिहाना की साँसें गहरी होने लगीं। उसकी आँखें बंद हो चुकी थीं, और वह पूरी तरह से इस क्षण में खो गई थी। ऋतिक का हाथ अब उसके टॉप के अंदर फिसलने लगा था, और उसने हल्के से उसके सीने को सहलाना शुरू कर दिया।
रिहाना के मुँह से हल्की सी सिसकी निकली, "ऋतिक...", उसकी आवाज़ में बेबसी और चाहत का मिलाजुला भाव था। ऋतिक ने उसके होंठों को एक बार फिर से जोर से चूमा, फिर अपने हाथों को उसकी पीठ पर ले गया, और धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा।
"तुम्हारी यह बेकरारी मुझे पागल कर देती है, रिहाना," उसने अपनी साँसें रिहाना के कानों में छोड़ते हुए कहा।
रिहाना ने एक हल्की मुस्कान दी, "आज मैं तुम्हें खुद सौंप रही हूँ... जितना चाहो उतना समा जाओ मुझमें।"
रिहाना के मुँह से एक हल्की सिसकी निकली, उसके बदन में एक अजीब सी गर्मी महसूस होने लगी थी। क्योंकि ऋतिक उसके बदन के हर हिस्से पर अपनी छाप छोड़ रहा था।
"आई वांट यू...", रिहाना ने उसकी गरम साँसों को अपने कानों में महसूस करते हुए कहा। "आज फिर से पा लो मुझे... पूरी तरह से। इतने दिन से जिस तड़प में थे हम, उसे आज ख़त्म कर दो। उस निधि के कारण हमें इतने वक्त से दूर रहना पड़ा।"
ऋतिक की साँसें भी गहरी हो रही थीं, उसकी आँखों में जुनून और वासना थी। उसने रिहाना के कान में सरगोशी करते हुए कहा, "आज इस हसीन क्षण में उस मनहूस का नाम लेकर मत बिगाड़ो।"
यह सुनते ही रिहाना के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। उसने धीरे से अपने हाथ ऋतिक की शर्ट के बटन खोलने लगे, और उसे एक झटके में नीचे फेंक दिया। उसके मजबूत बदन पर हल्का पसीना था, जो उसकी आकर्षक व्यक्तित्व को और भी उभार रहा था। इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, ऋतिक ने उसे फिर से उन्मादपूर्ण जुनून से चूमना शुरू कर दिया। उसकी हरकतें इतनी उग्र थीं कि वहाँ से हल्का खून बहने लगा, जिसे ऋतिक ने बिना रुके चूमते हुए पी लिया।
उसने एक झटके में रिहाना को उठाया और उसे बिस्तर पर लेटा दिया। उसने बिना एक पल की देरी के रिहाना के कपड़े भी उतार दिए। उसकी उंगलियाँ रिहाना के बदन पर घूमने लगीं, उसकी पीठ से लेकर उसकी जांघों तक।
रिहाना की साँसें तेज हो चुकी थीं, उसने एक हल्की सिसकी ली और अपने नाखूनों से ऋतिक की पीठ को दबाया। ऋतिक अब और भी उन्मादपूर्ण हो चुका था। उसने एक झटके से रिहाना के बचे हुए सारे कपड़े उतार दिए और उसकी हर एक वक्र को अपनी नज़रों से छूने लगा। उसकी उंगलियाँ अब रिहाना के शरीर के हर हिस्से पर घूमने लगीं, जैसे वह हर एक इंच को अपने अंदर महसूस करना चाहता हो।
रिहाना के मुँह से हल्के-हल्के कराहने की आवाज़ें निकल रही थीं, उसने ऋतिक को कस के पकड़ लिया, अपनी आँखें बंद कर लीं और धीरे से कहा, "बस अब और इंतज़ार नहीं कर सकती, डार्लिंग। Please... तड़पाना बंद करो।"
ऋतिक ने उसकी कमर को अपनी बाहों में भरते हुए कहा, "तुमने मुझे तड़पाया है, रिहाना, अब मेरी बारी।"
यह कहकर वह उसके निचले हिस्से पर हाथ फिराता है और अपने होठ उसके उभरे हुए होठों पर रख देता है। रिहाना की पीठ ऊपर उठती है तो ऋतिक उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़कर जबरदस्ती चुंबन करता है। लगता है वह चूम भी रहा था और सहला भी रहा था, जिससे रिहाना अपना संयम खो रही थी।
रिहाना उसके सिर को पकड़कर दबाती है तो ऋतिक अपनी दो उंगलियाँ निकालकर उसमें दबाता है, जो रिहाना के जलते हुए बदन पर घी का काम करता है। वह उसके हाथ को पकड़ती है और जोर से दबाती है, जिससे उसके मुँह से आह निकल जाती है। वह अपनी साँसों को संभालते हुए बोलती है, "अब बस तड़पना बंद करो, मुझे प्लीज़ जो चाहिए वो दे दो, डार्लिंग।" ऋतिक अब उसकी शक्ल देखता है और अपने कपड़े उतारकर फेंक देता है।
"बेबी, क्या तुम मेरा साथ नहीं दोगी?" कहते हुए वह रिहाना का हाथ अपने संवेदनशील अंग पर रखता है। उसकी बात को समझकर रिहाना मुस्कुराती है और उसकी तरफ देखते हुए, उसके ऊपर आती है, उसके होठों पर और उसकी गर्दन पर चूमती है, अपने हाथ से उसके संवेदनशील अंग को पकड़कर,"you know what baby The top three most lovely and wild things on this earth are your chin, your shoulders, and your . . . I think you know what I’m trying to say here.” कहकर जोर से मसल देती है जिससे ऋतिक के मुँह से कराह निकल जाती है और वह उसकी छाती को जोर से मसल देता है।
रिहाना उसे पकड़े हुए अपनी जगह पर ले आती है और खुद उसके ऊपर बैठ जाती है और अपने कंधे को आगे-पीछे देखती है।
ऋतिक भी उसकी कमर को पकड़कर उसका साथ देते हुए बोला, "यू आर जस्ट अमेजिंग बेबी।" फिर वह एक झटके से रिहाना को बिस्तर पर लिटा देता है और खुद उसके ऊपर आकर उसे बार-बार किस करते हुए अपनी गति को बढ़ाता है।
जिस कारण रिहाना को दर्द होने लगता है और वह उसकी गर्दन को कस के पकड़े हुए कहती है, "आराम से, दर्द हो रहा है, डार्लिंग।"
ऋतिक अपनी गति कम कर देता है। रिहाना उसकी गाल को पकड़कर किस करती है, तो ऋतिक उसके सीने को सहलाते हुए उसके चेहरे पर आ रहे बालों को हटाता है और उसकी गर्दन पर अपनी पूरी ताकत लगाकर काट लेता है। इसी तरह उस होटल रूम में सिसकियों और कराहों का सिलसिला देर रात तक चलता रहा।
धीरे-धीरे एक महीना बीत चुका था। इस दौरान निधि ने न सिर्फ़ शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी खुद को संभाल लिया था। नितिका की सबसे करीबी दोस्त अव्या चौहान ने उसकी पूरी देखभाल की थी, और उसकी मेहनत और प्यार से यह साफ़ झलकता था कि अव्या और नितिका के बीच कितनी गहरी और सच्ची दोस्ती रही होगी।
आज एक महीने बाद, निधि को अस्पताल से छुट्टी मिल रही थी। उसके शरीर की चोटें लगभग ठीक हो चुकी थीं, लेकिन उसकी आत्मा पर लगे जख्म अब भी हरे थे। निधि के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, मगर अंदर ही अंदर वह बेचैन भी थी। वह जानते हुए भी कि उसे अब नितिका की ज़िंदगी जीनी थी, हर दिन यह महसूस करना कि उसके अंदर दो लोगों की यादें, दो लोगों की ज़िंदगियाँ बसी थीं।
अस्पताल के डिस्चार्ज पेपर्स पर साइन करने के बाद अव्या ने निधि को नितिका का पर्स, फ़ोन, और बैंक कार्ड थमाया। "यह सब तुम्हारा है... और यह लो, फ़ोन भी," अव्या ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा।
निधि ने फ़ोन हाथ में लिया, और जैसे ही उसने स्क्रीन पर स्वाइप किया, उसका पुराना पासवर्ड खुद-ब-खुद याद आ गया। वह बिना किसी झिझक के पासवर्ड डालते ही फ़ोन को अनलॉक कर चुकी थी। स्क्रीन पर पहली बार वह नितिका की ज़िंदगी के छोटे-छोटे पहलुओं से रूबरू हो रही थी। उसका फ़ोन, उसकी गैलरी, उसके संदेश... सब कुछ जैसे उसकी ज़िंदगी के टुकड़े बन चुके थे, जिन्हें वह अब सहेजने वाली थी।
"तुम्हें सब ठीक से याद आ रहा है, न?" अव्या ने उसकी ओर थोड़ा चिंतित होकर देखा। तो निधि बिना कुछ कहे सिर हिलाकर मुस्कुरा दी।
तो अगले भाग में जानेंगे हम, डॉक्टर नीतीश देशमुख और नितिका सोलंकी के बारे में! कौन हैं, ये? और क्या करते हैं? इसलिए बने रहें और पढ़ते रहें, "Rebirth For Merciless Revenge"
हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर नितिका और अव्या उसकी ब्लैक मर्सिडीज में बैठीं। कार में अजीब सी खामोशी छा गई थी। खिड़की से बाहर का नज़ारा बेहद खूबसूरत था, लेकिन नितिका की आँखें कहीं और, गहरी सोच में डूबी हुई थीं। उसकी बेस्ट फ्रेंड और पर्सनल असिस्टेंट, अव्या, जो हमेशा उसके साथ रहती थी, आज भी उसका ख्याल रख रही थी।
“कैसा लग रहा है वापस घर जाकर?” अव्या ने धीरे से पूछा, उसकी आवाज़ में गर्माहट थी।
नितिका ने हल्की सी मुस्कान दी, जो ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई।
“घर? मेरा कौन सा घर है, अव्या? ये बड़ी-बड़ी दीवारें और महंगी चीज़ें... सिर्फ एक façade है। घर तो वो होता है जहाँ दिल लगता है, और मेरा दिल, सुकून... वो तो कहीं खो गया है। मेरा दिल अब पूरी तरह खाली है।”
अव्या ने उसकी ओर देखते हुए सिर हिलाया, जैसे वो पहले से ही इस जवाब की उम्मीद कर रही हो।
“हाँ, लेकिन नीती, इस façade के लिए ही तो तुम इतनी मेहनत की थी, क्या-क्या नहीं किया तुमने इन सब के लिए।”
इस पर नितिका कुछ नहीं बोली, बस बाहर देखती रही।
तभी कार उसकी आलीशान मेंशन के सामने रुककर ब्रेक लगाए। नितिका ने गहरी साँस ली।
“तू अंदर चल, मैं कार पार्क करवा देती हूँ,” अव्या ने कहा, नितिका की तरफ मुस्कुराते हुए।
नितिका ने हल्की सी हामी भरी और अंदर की ओर बढ़ गई। अव्या भी उसके साथ आ गई।
दोनों मेंशन के अंदर दाखिल हुईं, जहाँ हर चीज़ परफेक्ट थी। बड़े-बड़े कांच के दरवाज़े, व्हाइट मार्बल की फर्श, और दीवारों पर लगे महंगे आर्ट पीस। पर इस सबके बावजूद, हवेली में एक सूनापन था, जो हमेशा से रहा था। नितिका ने अपने लिविंग रूम की ओर कदम बढ़ाए, अव्या उसके पीछे-पीछे चलती रही।
लिविंग रूम में पहुँचकर नितिका ने अपनी जैकेट उतारी और सोफे पर गिर गई। फिर थोड़ी सी आवाज़ में गहरी साँस लेते हुए बोली, “आज मैं पूरा दिन आराम करूँगी।”
अव्या मुस्कुराकर बोली, “ऑफ़कोर्स, आज तू नीतिका सोलंकी नहीं, बस मेरी नीती है। कोई फ़ोन कॉल्स नहीं, कोई मीटिंग्स नहीं। लेकिन क्या तू रात को क्लब में नहीं जाएगी? तेरे वो हाई-प्रोफ़ाइल कस्टमर्स तेरा इंतज़ार कर रहे होंगे।”
नाइट क्लब का नाम सुनते ही नितिका के दिमाग में नाइट क्लब से जुड़ी सारी यादें ताज़ा हो गईं। उसने सिर हिलाकर जवाब दिया, “येस डेफ़िनेटली! वहाँ जाना मैं कैसे छोड़ सकती हूँ! यू नो वेरी वेल।”
अव्या ने उसकी ओर अजीब नज़र से देखा और हँसते हुए बोली, “वही तो मैं सोच रही थी, भाई तूने कब से इतना आराम करना शुरू कर दिया? तू तो कभी इतनी जल्दी नहीं थकती थी।”
दोनों खिलखिलाकर हँस उठीं।
“ठीक है, तू अभी आराम कर। मैं सारे मीटिंग्स कैंसिल कर देती हूँ,” अव्या ने कहा और नितिका को उसके बेडरूम तक छोड़ने के लिए चल पड़ी।
नितिका सीढ़ियाँ चढ़ती हुई अपने मास्टर बेडरूम में गई, जहाँ चारों तरफ कांच की दीवारें और एक बड़ी बालकनी थी, जहाँ से देहरादून का शानदार नज़ारा दिखाई देता था। उसने दरवाज़े के पास खड़ी होकर गहरी साँस ली।
बेडरूम में पहुँचते ही नितिका ने अपने कपड़े बदले और बिस्तर पर लेट गई। अव्या उसे देखकर बोली, “इफ यू नीड एनीथिंग जस्ट गिव मी अ कॉल, ओके?”
“हम्म,” नितिका ने धीमी आवाज़ में कहा, उसकी नज़रें कहीं दूर खोई हुई थीं।
जैसे ही अव्या कमरे से बाहर गई, नितिका ने गहरी साँस ली। कमरे की छत को घूरने लगी और अपने बार में सोचने लगी।
नितिका सोलंकी, इंडिया की टॉप बिज़नेस वुमन, जिसने अपने दम पर एक फैशन डिजाइनिंग कंपनी शुरू की थी, आज सबसे बड़ा नाम बन चुकी थी। उसे लेकर शहर में कई कहानियाँ मशहूर थीं। लोग कहते थे कि नितिका बेहद खूबसूरत, इंटेलिजेंट, और कम बोलने वाली है, लेकिन उसे आज तक किसी ने देखा नहीं था। हमेशा मास्क, सनग्लासेस, कैप, और हुडी से खुद को कवर करने वाली नितिका ने आज तक अपनी असली पहचान किसी को नहीं दिखाई थी।
वह भीड़ में भी मौजूद होकर अकेली रहती थी। उसकी मिस्टीरियस पर्सनालिटी के पीछे क्या राज़ छिपा था, किसी को नहीं पता था। इसलिए सब अंदाज़ा ही लगा सकते थे, उसके बारे में।
दिन ढलने लगा था। रात का माहौल धीरे-धीरे अपने रंग में रंगने लगा था। घर के कोने-कोने में हल्की-हल्की रोशनी थी, और खामोशी के बीच सिर्फ़ घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे रही थी। नितिका अपने कमरे में खड़ी, अपने बेड पर रखी हुई उस बोल्ड और बेहद ही ग्लैमरस ड्रेस को देख रही थी। यह ड्रेस बिल्कुल अलग थी, कुछ ऐसा जिसे उसने पहले कभी पहनने का सोचा भी नहीं था। उसकी उंगलियाँ उस सिल्क की ड्रेस पर फिर रही थीं, जैसे वह आज पूरी तरह खुद की अपनी रूह की पर्सनालिटी बदलने के लिए तैयार थी।
“टुनाइट इज़ स्पेशल,” उसने मन ही मन सोचा।
फिर वह उस ड्रेस को पहनने लगी। डार्क मैरून कलर की उस बैकलेस ड्रेस ने उसकी हर कर्व को खूबसूरती से उभार कर दिखाया था। उसकी ड्रेस की डीप नेकलाइन और हाई स्लिट उसके बोल्डनेस को बखूबी बयान कर रहे थे, लेकिन इसके साथ ही उसकी एलिगेंस भी बरकरार थी।
नितिका ने खुद को शीशे में देखा। उसकी आँखों में एक नई चमक थी। पहली बार था, जब नितिका खुद को पूरी तरह एक्सपोज़ कर रही थी।
उसकी नज़रें अपने चेहरे पर टिक गईं, जहाँ हल्का सा मेकअप और बोल्ड रेड लिपस्टिक था। उसने अपनी हाई हील्स पहनीं और खुद को इस लुक में देखा। आज की रात उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी। आज वह अमावस्या की काली रात की खूबसूरत चाँद की तरह लग रही थी।
अभी वह खुद को देख ही रही थी कि दरवाज़े पर हल्की सी दस्तक हुई।
“नीती... आर यू रेडी?” अव्या की आवाज़ में हमेशा की तरह कंसर्न था, लेकिन इस बार उसकी आवाज़ में हल्का सा झिझक भी था।
जब नितिका ने दरवाज़ा खोला और अव्या की नज़र उस पर पड़ी, तो वह एक पल के लिए हैरान रह गई। उसकी आँखें बड़ी हो गईं, जैसे उसने किसी को पहली बार देखा हो।
“व्हाट द... ओह माय गॉड, नीती! ये तू... सच में तू ही है?” अव्या के चेहरे पर शॉक और सरप्राइज़ का मिला-जुला एक्सप्रेशन था।
नितिका ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा, “ऑफ़ कोर्स, इट इज़ मी।”
अव्या ने उसकी तरफ एक बार फिर से देखा। पहले तो वह हमेशा उसे कैप, हुडी, मास्क में देखती थी, लेकिन आज की नितिका कुछ अलग ही दिख रही थी। वह एक मिस्टीरियस, कातिल हसीना लग रही थी। उसकी खूबसूरती और कॉन्फिडेंस ने अव्या को थोड़ा अनकम्फ़र्टेबल कर दिया था। क्योंकि इस वक्त नीती से वाइब ही अलग आ रही थी, जो आज से पहले की नितिका में कभी नहीं आई थी।
“तू कितनी... बोल्ड लग रही है नीती। ये क्या अचानक से...?” अव्या के मन में कई सवाल थे, लेकिन उसने खुद को रोक लिया। वह जानती थी कि नितिका हमेशा एक ऐसी इंसान थी जो अपनी कम बोलना और अपनी लाइफ़ प्राइवेट रखना पसंद करती थी, इसलिए उसने ज़्यादा कुछ पूछना सही नहीं समझा और अपने सवाल मन में ही दबा लिए।
अव्या ने पूछा, “तूने ऐसे रहना कब से शुरू किया?”
नितिका ने एक हल्की मुस्कान दी और कहा, “बस आज से ही।”
अव्या ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा। उसके चेहरे पर साफ़ शॉक था।
“तूने हमेशा खुद को कवर करके रखा, और आज... इस तरह से? आई मीन... तुझे क्या हो गया है?”
नितिका ने उसे शांत तरीके से जवाब दिया, “अब और खुद को छिपाने का मन नहीं है। अब वक्त आ गया है कि मैं दुनिया के लिए भी वो बनूँ जो मैं हमेशा से हूँ।”
अव्या ने एक बार फिर उसकी तरफ देखा, और थोड़ा झिझकते हुए बोली, “बट नीती... तू हमेशा कहती थी कि लोग तुझे तुम्हारे काम से जानें, ना कि तेरी शक्ल से। अब अचानक ये सब?”
नितिका ने एक गहरी साँस ली और जवाब दिया, “लोग मुझे जानें, लेकिन अब मैं खुद खुलकर जीना चाहती हूँ। हमेशा से दुनिया ने मुझे मास्क के पीछे देखा है... पर अब कोई रीज़न नहीं खुद को छुपाने का।”
इस पर अव्या ने कन्फ्यूज़ होकर कहा, “व्हाट यू मीन बाय दैट, मैं समझी नहीं!”
तो नितिका ने एक गहरी साँस लेकर अपनी बात कहनी शुरू की, “अव्या, तुम्हें पता है ना मैं किस स्टेटस से बिलॉन्ग करती थी। मैंने किस तरह से आज दुनिया में अपना इतना नाम बनाया है, इतनी सक्सेस अचीव की है। मेरी खूबसूरती मुझे बहुत आसानी से ये सक्सेस दिला सकती थी, जो मैंने आज इतनी मेहनत के बाद पाई है। ये मैं बहुत अच्छे से जानती थी, हमेशा से। मगर मुझे यह सक्सेस अपनी काबिलियत के दम पर चाहिए थी, ना कि अपनी खूबसूरती का यूज़ करके। इसलिए मैंने हमेशा खुद को कवर्ड रखा, सबसे छुपा कर रखा। और अपनी काबिलियत और मेहनत के बलबूते पर मैंने इतनी कम उम्र में वह मुकाम हासिल किया जो आज भी कुछ लोगों का सपना है, ईवन मेरा भी यही सपना था।”
उसने छोटा सा पॉज़ लिया और खिड़की की तरफ मुड़कर अपनी बात जारी रखते हुए बोली, “मगर अब मैं ऑलरेडी सक्सेसफुल हो चुकी हूँ। मुझे अपनी काबिलियत से दुनिया की हर चीज़ मिल चुकी है। तो अब इस चेहरे को छुपा कर रखने का कोई सेंस नहीं। यू नो व्हाट अव्या, इस एक्सीडेंट ने मुझे रियलाइज़ करवाया कि मैं इतने पैसे, प्रॉपर्टी, लग्ज़री लाइफ़ का क्या करूँगी जब मेरी सोल खुश ही ना हो। मैं खुद को इस तरह कैद करके क्यों रखूँ? क्या होता अगर उस एक्सीडेंट में मेरी डेथ हो जाती? मेरी रूह सेटिस्फ़ाइड तो रहती, मगर खुश कभी नहीं।”
नीति इतनी गहराई से ये सब कह रही थी कि अव्या को लगा वो हर एक लम्हे को जी रही थी। अपने स्ट्रगल टाइम से लेकर सक्सेस तक की जर्नी को अपने शब्दों के ज़रिये महसूस कर रही थी। उसका तो मुँह खुला का खुला रह गया था, नीति को सुनकर। उसे नितिका की हर बात समझ आई हो या नहीं, मगर ये वो अच्छे से समझ गई थी कि इस एक्सीडेंट ने उस पर गहरा असर डाला है या नितिका काफ़ी हद तक बदल चुकी है। क्योंकि उसकी नीति जो इतनी कम बोलती थी, आज इतना कुछ बोल गई। एक पल को उसे भी लग रहा था कि ये उसकी नीति है भी या नहीं। क्योंकि नितिका ने आज अपना पूरा दिल खोलकर रख दिया था, ऐसा लग रहा था।
वह कुछ कहने को ही रही थी कि नितिका उसकी तरफ मुड़ी और उसके सर पर हल्का सा टकला मारते हुए बोली, “बस कर पागल, अपने छोटे से दिमाग को कितना काम कराएगी अब? चल, हमें लेट हो रहा है, वरना तेरे कारण मैं आज की नाइट भी एन्जॉय नहीं कर पाऊँगी।”
अव्या उसकी बात सुनकर चुप हो गई और बस सिर हिला दिया।
तो आखिर क्या स्पेशल है आज की नाइट में? क्यों इतनी एक्साइटेड है नितिका आज रात के लिए? जानने के लिए बने रहें मेरे साथ। अगले भाग में!
हवा में चारों ओर स्मेल फैली हुई थी एक लड़की नशे में तो एक टेबल पर बैठी हुई थी इस
एक लड़की नशे में dhutth एक कोने में बैठी हुई थी, हवा में चारों ओर अजीब सी कांड पहले हुई थी जो उसे लड़की को नशे में और भी डूबा रही थी उसका हल्का बदन क्लब के सॉन्ग की रिदम पर धीमे-धीमे हिल रहा था
कभी-कभी लगता है, यह मतलब इतनी है सर पर से छूट पर ही चल रही है हर किसी ने मुखौटा लगा रखा है अगर कोई चाहे पर विश्वास करना चाहे भी, तो कोई धोखे में लगता इंसान आता है और बार-बार किसी सच्चे इंसान का दिल तोड़ दिया जाता है और उसकी मासूमियत को छिन लेता है।
रात अपनी चरम पर थी शोर से भरे एक शानदार से क्लब के कोने में एक लड़की बेबाकी से नशे में धुत बैठी हुई थी मगर उसके अंदर खामोशी पसरी हुई थी। आंखों का काजल और मस्कारा फैल चुका था उसके उसके दिल में इतना खाली था जैसे किसी ने उसे टुकड़ों में तोड़ दिया हो
क्लब की तेज़ रोशनी उसके खूबसूरत चेहरे पर पड़ रही थी मगर उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था आंखें बस शून्य में ताके जा रही थी।