यह कहानी एक बिंदास लड़की की है जिसकी सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी " मेरी जिंदगी, मेरे उसूल " उसे अपनी जिंदगी अपनी हिसाब से जीनी थी बिल्कुल आजाद.. मगर यह ख्वाहिश उसकी ख्वाहिश बनकर ही रह जाती है 🥹 तू बहुत ही बेमिसाल थी, हर कोई उसके अंदाज से वाक... यह कहानी एक बिंदास लड़की की है जिसकी सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी " मेरी जिंदगी, मेरे उसूल " उसे अपनी जिंदगी अपनी हिसाब से जीनी थी बिल्कुल आजाद.. मगर यह ख्वाहिश उसकी ख्वाहिश बनकर ही रह जाती है 🥹 तू बहुत ही बेमिसाल थी, हर कोई उसके अंदाज से वाकिफ था || जब वह कहां निकलती तो सबकी निगाहें नीचे हो जाती | अब वह हर बात-बात पर लड़ा जो करती थी|| थी तो लड़की मगर अंदाज सारे लड़कों वाले 🤗 आईए जानते हैं आखिर उसकी एक ख्वाहिश पूरी हो भी पाएगी, या उसकी उड़ान को रोकने के लिए कोई उसे अपने प्यार के पिंजरे में बंद कर लेगा ❤️🔥
Aashi 💖
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Aaryansh Raijada
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रात के 11:00 बज रहे थे, हाईवे पॉइंट पर एक गाड़ी में दो लड़कियां बैठी हुई आपस में बातें कर रही थी....
एक लड़की जो दिखने में बहुत ही बिंदास, और थोड़ा गुस्से में लग रही थी, जैसे उसे कोई बात बहुत ही ज्यादा परेशान कर रही हो, वहीं दूसरी लड़की उसके ठीक बगल में बैठी हुई काफी घबरा रही थी!! 😥
काव्या : जो अपने बगल में बैठी लड़की से कहती है, यार तू परेशान नहीं हो सब ठीक हो जाएगा, पर अभी यहां से चल बहुत रात हो चुकी है..
आशी : जब से यहां आई है 25 बार यही बकवास कर रही है, रात हो चुकी है! रात हो चुकी है! अरे मेरे को भी दिख रहा है रात हो गई है, तो क्या करूं क्या रात में इंसान परेशान भी नहीं हो सकता || 😑
काव्या : परेशान तो इंसान घर पर भी हो लेता है ना!
आप परेशान रोड पर ही हुआ चाहिए जरूरी थोड़ी ना है
आशी : देख बहन मेरा भेजा फ्राई मत कर😤
कोई रास्ता बता मुझे आखिर क्या करूं मैं....?
काव्या : मेरी बात मन तो जाकर मंदिर में प्रसाद चढ़कर भगवान को थैंक यू बोल 😌
आशी : मुझे पहले से पता है कि तू दिमाग से पैदल है, 😏 मगर इतनी ज्यादा ये अब पता चला 😑
काव्या : मुझे समझ तो यह नहीं आ रहा है कि आखिर तेरी परेशानी है क्या... इतना अच्छा रिश्ता आया है तेरे लिए और फिर भी तुझे रोना है... 😒
आशी : रिश्ता और अच्छा यह तो मुमकिन ही नहीं है
शादी भी कोई अच्छी चीज हो सकती है, होती भी होगी पर मुझे नहीं चाहिए
काव्या : जैसा रिश्ता तेरे लिए आया है ना, उसके लिए बाकी लड़कियां कुछ भी करने को तैयार हो सकती हैं
मैं खुद ही सोमवार का व्रत रहती हूं 🫠
प्रसाद भगवान ने मेरा फल तुझे दे दिया...
आशी : हां तो एक काम कर तू अपने फल को अपने पास ही ले जा.. मुझे तो सिर्फ आजादी चाहिए, जिंदगी भर की आजादी
काव्या : हे भगवान! इतना हंडसम बंदा मिल रहा है, और वह भी पूरे शहर में सबसे बड़े घराने का एक लोता वारिश...
और पद में भी मंत्री है बहन मंत्री.....
लड़की आगे पीछे घूमती हैं उनके 💃
तूने देखा भी है कभी उन्हें ठीक से.. हाय 🤭 कित्ती सॉलिड बॉडी है उफ़ 🫠
और पैसों से तो भाई क्या मालदार पार्टी है, तेरे तो भाग्य ही खुल जाएंगे
आशी : अपनी भाग खोलने के लिए मैं खुद ही काफी हूं😏
किसी और के भरोसे अपनी जिंदगी को तबाह नहीं कर सकती मैं, शादी तो होती रहेगी पहले मेरे को अपना बिजनेस खड़ा करना है 🤞
काव्या : 2 साल से परेशान है तेरे मम्मी पापा, एक भी लड़का तुझे शादी करने के लिए तैयार नहीं हुआ, और होगा भी क्यों तुझे सब डरते जो है || लड़की से ज्यादा तो गुंडी है तू... कौन ही करेगा तुझसे शादी 🤔
आशि : हां तो मैं भी कोई मेरी थोड़ी ना जा रही हूं शादी के बिना😏
काव्या जो सामने देखते हुए थोड़ा घबराने लगती है
और आशि के हाथ को पकड़ते हुए उससे कहती है बहन आगे की बातें हम घर पर चलकर करेंगे.. वह देख सामने दो लड़के हमारे गाड़ियों के तरफ देख रहे हैं
आशी जो किसी भी चीज से डरने वालों में से नहीं थी, वह काव्या से केहती है अबे पागल है क्या तू...
अभी मेरी समस्या का समाधान मिल नहीं मुझे, कुछ कर बहन...!!
बाहर बहुत ही अच्छा मौसम हुआ था,ठंडी हवाएं चल रही थी... आशि जो गाड़ी का दरवाजा खोलकर बाहर आ जाती है, काव्य से रोकने की भी कोशिश करती है मगर आशि किसी के सुनने वालों में से कहां थी...
वह बाहर आकर, अपनी शर्ट के स्लीव्स को ऊपर चढ़ते हुए गाड़ी के बोनट पर आकर बैठ जाती है..
और काव्या को भी बुलाते हुए कहती है आ ना बहन बाहर देख कितना मस्त मौसम हुआ है... आ ठंडी हवा में सोचते हैं शायद कोई आईडिया मिल जाए
क्या ढूंढ पाएगी आज आशी मंत्री जी के रिश्ते से बचने का तरीका... 👀🧐
आईए जानते हैं इसे अगले चैप्टर में..
अपना कमेंट देकर प्लीज मुझे फॉलो करें💕✨💖💖
By Soumya Tripathi
आशी जो काव्या को बाहर बुलाते हुए कहती है
"अरे यार... आ ना यार, देख कितनी अच्छी हवा चल रही है। थोड़ा मज़े करते हैं। वैसे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं। काव्या जो कहती है — 'मिनिस्टर से तेरी शादी तय हो गई है' — और ऊपर से पूछ रही है कि अब क्या करूं। भगवान खुद तुझे बिना मांगे इतना खूबसूरत फल दे रहा है और तू एक लेने को तैयार नहीं है।"
आशी जो कहती है — "उस खूबसूरत फल का मैं क्या करूंगी? चल मान भी लिया कि वो बहुत पैसा कमाता है, लेकिन अगर किसी दिन ड्रिंक करके आ के मुझे मार-पीट दिया तो मैं क्या करूंगी? मेरा हाथ तोड़ दिया तो मैं क्या करूंगी?"
काव्या कहती है — "भगवान के लिए इस तरह की बातें तो मत कर। अभी शादी नहीं हुई और अभी से मारने के बाद स्टार्ट?"
आशी कहती है — "देखा है यार मैंने अपने घर पर। पापा पैसे कमा कर आते थे तो कितना रौब झाड़ते थे मम्मी पर। और मुझे ये सारी लाइफस्टाइल नहीं चाहिए शादी में।"
काव्या कहती है — "हम इस बारे में घर पे भी तो चलकर बात कर सकते हैं ना। प्लीज़ चल। देख, वो लड़के इसी तरफ आ रहे हैं।"
आशी कहती है — "आने दे, मेरे को क्या! आ रहे होंगे, जा रहे होंगे, कुछ भी करें। तू मेरी प्रॉब्लम सॉल्व कर दे बहन।"
लेकिन काव्या को डर लगने लगता है, तो वो जाकर के गाड़ी के अंदर बैठ जाती है। तभी वह देखती है कि दो लड़के जो अपने मुंह में सिगरेट लगाए हुए थे, आशी की तरफ ही बढ़ रहे हैं। आशी और ज़्यादा लीन होते हुए बोनट पर पूरी तरह से लेट जाती है। अपने एक पैर को बोनट पर रखती है और दूसरे को उसके ऊपर। वह बहुत ही स्टाइल से, आराम से लेटी हुई थी।
तभी वो दो लड़के पास आते हुए कहते हैं — "कोई प्रॉब्लम है? हम सॉल्व कर देते हैं।"
आशी कहती है — "भाई, बहुत बड़ी प्रॉब्लम है। अगर बताऊंगी ना, तो तू सॉल्व नहीं कर पाएगा। रहने दे।"
दूसरा लड़का कहता है — "अरे, बताइए तो मैडम। हम करते हैं सॉल्व। कोई दिक्कत नहीं है।"
आशी कहती है — "पैसे चाहिए मुझे। दे पाएगा?"
वो दोनों लड़के हाईफाइव करते हुए कहते हैं — "वाह मैडम! बहुत स्ट्रेट फॉरवर्ड हो। चलो देते हैं आपको पैसे।"
आशी कहती है — "अच्छा? तो दे पाएगा?"
वो लड़के सर हिलाते हुए कहते हैं — "हां हां, क्यों नहीं! दे लेंगे। बहुत पैसे वाले हैं।"
आशी कहती है — "मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी कोई औकात है कि तुम इतने पैसे दे पाओगे। और फूटो यार, मेरा दिमाग वैसे ही खराब है।"
तभी एक लड़का कहता है — "अरे आप बताइए तो रकम, हम देते हैं। लेकिन उसके लिए आपको एक फेवर करना पड़ेगा।"
आशी कहती है — "50 करोड़ चाहिए मुझे। दे पाएगा?"
इतनी बड़ी रकम सुनके पहले तो उन दोनों को अपने कानो पर विश्वास नहीं होता...
आईए जानते हैं आने वाले चैप्टर में क्या होने वाला है..
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आशी जैसे ही 50 करोड़ की डिमांड करती हैऔर
जैसे ही वो दोनों लड़के इतना बड़ा रकम सुनते हैं, तो दोनों हंसते हुए कहते हैं — "पागल हो गई क्या? यह 50 करोड़ मांग रही है! शक्ल देख अपनी!"
आशी कहती है — "तेरे से तो अच्छी ही है। और निकल ना, मेरा भेजा क्यों फ्राई कर रहा है यार।"
फिर वो कुछ सोचने लगती है — कि आखिर भाग कर जाए तो कहां और कैसे बचे उस मिनिस्टर से।
तभी एक लड़का, आशी के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहता है — "कुछ मदद हमसे करवा ही लीजिए। अब इतना दूर से आए हैं तो वैसे जाएंगे तो नहीं।"
आशी कहती है — "ना मतलब... मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि भगवान ने तुम्हें मेरे लिए भेजा है। वो चाहते हैं कि मैं अपना सारा फ्रस्ट्रेशन और गुस्सा तुम लोगों पर उतार ही दूं। मैं आखिरी बार वॉर्न कर रही हूं — अगर चुपचाप से जाना है तो जाओ, वरना थोड़ा देर और यहां खड़े रहो, उसके बाद तुम खड़े रहने लायक नहीं बचोगे।"
आशी की बात सुनकर वो दोनों लड़के एक-दूसरे को देखते हैं और थोड़ा मुस्कुराते हुए कहते हैं — "बहुत चर्बी है आप में तो। आपके साथ तो अलग लेवल का मज़ा आएगा मैडम!"
बस अब क्या था — आशी को गुस्सा आ जाता है और फिर उनकी धुलाई स्टार्ट हो जाती है।
वहीं अंदर, काव्या एकदम घबरा जाती है क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हावी कौन हो रहा है — आशी या वो दोनों लड़के।
आशी जो एक लड़के के ऊपर ही बैठकर उसे इतना पंच मारती है कि उसके मुंह से पूरी तरह खून निकलने लगता है। वहीं दूसरा लड़का, जो उसके पीछे आता है, वह उसकी पीठ पर ज़ोर से एक डंडे से मारता है — जिससे आशी ऑलमोस्ट आगे की तरफ झुक जाती है।
मगर फिर वो उठकर कहती है — "भाई भाई भाई, इतना ज़ोर से नहीं मारना था।"
और आशी अपनी पीठ को सहलाते हुए कहती है — "ना मतलब... सोच! अभी तक तो तूने सिर्फ हाथ लगाया था, मैंने इतना मार दिया। अब तो तूने मुझे खुद मार दिया — अब तू सोच, तेरा क्या होगा।"
और यह बोलकर, जैसे ही वह डंडा हाथ में लेकर उसके पीछे भागती है, तो वो लड़का दौड़ने लगता है। मगर आशी दौड़ने में बहुत माहिर थी। वह इतनी तेज़ दौड़ती है और साथ ही अपने पैर के नीचे उसका पैर लगा देती है, जिससे वो धड़ाम से गिर जाता है।
आशी, जो ऑलमोस्ट उसे घसीटते हुए अपनी कार के पास लाती है, और उसकी पीठ पर इतना मारती है... इतना मारती है... कि वो दोनों आशी के पैर पकड़ लेते हैं।
मगर फिर भी आशी उनको छोड़ने के मूड में नहीं थी, क्योंकि आशी का गुस्सा इस वक्त उसके सर से ऊपर निकल चुका था।
वहीं काव्या जो तुरंत ही अपने मिनिस्टर जीजू को कॉल करते हुए कहती है — "जीजू, बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है! प्लीज़ आ जाइए यहां पर! आशी को कुछ लड़के छेड़ रहे हैं।"
वहीं दूसरी तरफ से आवाज़ आती है — "मैं आता हूं। अपनी लोकेशन सेंड करो।"
आशी, जो उन दोनों की पूरी तरह से सुताई कर चुकी थी, तभी तीसरा लड़का जो गाड़ी से बाहर निकल कर आता है — वह पूरी तरह से नशे में धुत लग रहा था और देखने में काफी बॉडी बिल्डर भी था।
मगर आशी, जो कराटे में बहुत ही ज़्यादा मास्टर थी, वो जैसे ही लड़का आ के आशी का हाथ पकड़ के उसे उठाते हुए कहता है — "बहुत चर्बी आ गई है नरे में!" — और ये बोलकर वो आशी के मुंह पर एक ज़ोरदार थप्पड़ जड़ देता है।
आज तक कभी भी आशी पर किसी ने थप्पड़ उठाने की तो गलती की नहीं थी। बस अब क्या था — अब तो उसकी शामत आ चुकी थी।
आशी अपने हाथ में लिया हुआ डंडा — जिसे अभी वो उन दोनों की पीठ पर मार रही थी — वह एक ज़ोरदार तरीके से उस आदमी के सर पर मार देती है, जिससे वो तुरंत ही नीचे गिर जाता है।
काव्या जो कहती है — "हे भगवान! इसका रात में निकलना इतना डेंजरस है... भगवान जी अब क्या होगा? तीन लड़कों को मार दिया!"
वहीं बाहर आशी, जो अपने शर्ट के स्लीव्स को पूरी तरह से फोल्ड करते हुए कहती है — "और किसी को यहां हेल्प करनी है मेरी?"
और यह बोलकर वो तीनों लड़कों को एक बार अपनी लातों से मारती है। फिर अपना फ्रस्ट्रेशन निकालने के लिए फिर से वो डंडा उठाती है। जैसे ही वो तीनों को फिर से मारने वाली होती है — तभी वह देखती है कि लगातार पुलिस की गाड़ियां उसी की तरफ बढ़ रही हैं।
और वो कोई एक-दो गाड़ियां नहीं, बल्कि पाँच से छह गाड़ियां लग रही थीं।
आशी कहती है — "यो! इतना जल्दी पुलिस आ गई? भाई ये इतने काम लायक पुलिस हो कब से गई!"
आशी जो पूरे गुस्से के मूड में आ चुकी थी.. लेकिन शायद आज उन तीनों की किस्मत अच्छी थी, आशी उन लोगों को और ज्यादा मारने वाली होती है कि तभी वह देखीती है
की पुलिस की बहुत सारी गाड़ियां जो उसी की तरफ आगे बढ़ रही है, वह पहले तो चारों तरफ देखती है कि कहीं सीसीटीवी कैमरा तो नहीं लगा
लेकिन उसे कहीं पर भी कैमरा नजर नहीं आता
आशी जो खुद से ही कहती है
“यो! इतनी जल्दी पुलिस आ गई? भाई ये इतने काम लायक पुलिस कब से हो गई?”
और जैसे ही वो डंडा उठाती है, उसे पुलिस की गाड़ी अपनी ही तरफ आती दिखती है। तो वो एकदम से डंडा छोड़ते हुए कहती है,
“भाई, आजकल तो भारत की पुलिस कुछ ज़्यादा ही तेज हो गई है।”
यह बोलते हुए वह फटाफट गाड़ी के अंदर आकर बैठ जाती है और काव्या से कहती है,
“यार, ये पुलिस कैसे आ गई यहाँ? कोई कैमरा-वेमरा लगा है क्या? अबे यार, अब क्या होगा? पचास सवाल पूछेंगे मुझसे! खैर छोड़, तू बस मेरी एक्टिंग देख।”
काव्या कहती है,
“बहन, बस-बस कर... एकदम शांत रहियो। ठीक है? कुछ नहीं होगा। सब ठीक हो जाएगा।”
आशी बोलती है,
“सब ठीक नहीं होगा! सब बिगड़ने वाला है। पुलिस वाले आकर पूछेंगे, ‘मैडम जी, आपको तो कुछ हुआ ही नहीं है।’ अच्छा एक मिनट... यहाँ देख तो, खून आया क्या?”
जब उस तीसरे लड़के ने आशी पर हाथ उठाया था, तब उसके होंठ हल्के से कट गए थे, और होंठ के किनारे से थोड़ा खून आ गया था।
काव्या कहती है,
“हाँ, तुझे तो ब्लीडिंग हो रही है।”
काव्या पूरी तरह से घबरा जाती है।
तो आशी उसके फोरहेड पर हल्के से हाथ मारते हुए कहती है,
“पगला मत। अभी थोड़ा सा ना... इसको और ज़्यादा बढ़ाना पड़ेगा।”
और फिर आशी अपने ही दांतों से होठ को थोड़ा और काटती है ताकि ब्लीडिंग बढ़े। साथ ही अपने हाथ और गले पर अपने ही नेल्स से कुछ स्क्रैच बनाने लगती है। वो अपने शर्ट के शोल्डर पर भी थोड़ा सा कट लगा देती है ताकि लगे कि उसके साथ बदतमीज़ी हुई है।
तभी पुलिस वाले तुरंत बाहर निकलते हैं और देखते हैं कि तीनों लड़के नीचे गिरे पड़े हैं। सारे पुलिस वाले एक लाइन में लग जाते हैं। तभी एक मिनिस्टर की गाड़ी आती है — बाकी सब गाड़ियाँ साइड हो जाती हैं, रास्ता खाली कर देती हैं और सारे लोग उनके सामने सर झुका लेते हैं।
वो आदमी — जो काफी रौबदार दिख रहा था — अपने कुर्ते की स्लीव्स को ऊपर फोल्ड करता है, अपनी घड़ी को रिस्ट से थोड़ा ऊपर खिसकाता है और आशी की गाड़ी की तरफ बढ़ता है।
वो आशी की विंडो की तरफ इशारा करते हैं और उसे नॉक करते हुए कहते हैं,
“नीचे करो इसे।”
आशी जिसे समझ नहीं आता कि ये कौन है, लेकिन फिर भी वो शीशा नीचे कर देती है क्योंकि उसे समझ आ चुका था कि ये ज़रूर कोई हाई-रैंक पुलिस ऑफिसर होगा।
तभी आर्यांश अंदर से दरवाज़ा अनलॉक करते हैं और आशी से कहते हैं,
“बाहर निकलो,”
और उसके लिए दरवाज़ा खोल देते हैं।
अब आगे कैसे हैं साबित करेगी आशी खुद को मासूम आर्यांश के सामने..
आईए जानते हैं इसे इंग्लिश चैप्टर में
follow plz 🥹🤗
अब तक की कहानी मैं आप लोगों ने पढ़ लिया था कि
आज से जो बहुत ही बदमाश लड़की थी
पहले वह सारे कांड कर देती और उसके बाद मासूम बन जाया करती थी.. वही आर्यांश के बाहर बुलाने पर
आशी चुपचाप किसी मासूम लड़की की तरह बाहर निकल जाती है। वैसे उसकी आदत बहुत ही खराब थी—खुद दूसरों की धुनाई कर देती और फिर उस मासूम से चेहरे का ऐसा इस्तेमाल करती कि सामने वाले को लगे, जैसे उसने तो कुछ किया ही नहीं।
आर्यांश बिना किसी वार्निंग के उसे अपने गले से लगाते हुए कहते हैं,
"आप ठीक तो हैं?"
और ये कहकर वो धीरे-धीरे उसके सिर पर हाथ फेरने लगते हैं।
अचानक से किसी अनजान इंसान का यूं पास आना आशी को थोड़ा अटपटा लगता है। और आशी तो थी ही दमदार—तुरंत ही अपने दोनों हाथों से उसके सीने पर धक्का देती है, जिससे आर्यांश करीब दो कदम पीछे हो जाते हैं। वैसे उन्हें पहले से अंदाज़ा था कि आशी कुछ ऐसा ही करेगी।
आशी उन्हें घूरते हुए कहती है,
"क्या बदतमीजी है ये?"
इतना कहकर वो तुरंत पीछे मुड़ जाती है और काव्या को विंडो से घूरते हुए बोलती है,
"मैडम जी, सर आप बाहर तो आएंगी?"
काव्या मुस्कुराने की कोशिश करती है, पर उसके चेहरे पर सिर्फ एक फेकी स्माइल होती है। माथे से पसीना टपक रहा था। वो आशी से डरती थी—भले ही बेस्ट फ्रेंड थी—but she knew कि आशी किसी का भी सर फोड़ सकती है।
आशी उसे देखती है और कहती है,
"अगर यहां पुलिस वाले ना होते ना, तो इस आर्यांश मिनिस्टर की तो मैं चटनी बना देती।"
काव्या घबराकर कहती है,
"ठहर जा बहन! मिनिस्टर हैं वो... और बॉडी देख, तू तो उनके सीने तक ही पहुंचती है।"
आशी तुरंत जवाब देती है,
"हां, लेकिन एक बार मेरे पैर हवा में चले ना... तो सीधा सर पर लगेंगे। सर भी फोड़ सकती हूं मैं!"
वो खुसर-पुसर काव्या से बात करने लगती है, तभी आर्यांश फिर से सामने आते हैं और कहते हैं,
"ये सब क्या हुआ है, आप बता सकती हैं?"
आशी जवाब देती है,
"दिख नहीं रहा आपको? बदतमीजी कर रहे थे। बस बचने के लिए मार दी।"
आर्यांश को अच्छी तरह पता था आशी कैसी लड़की है। पहले भी उसे यूं बिना वजह लड़ते देखा था, इसलिए वो जानते थे कि उसे मारने का थोड़ा बहुत शौक है।
वो दोबारा पूछते हैं,
"ये लोग बदतमीजी कर रहे थे?"
आशी तुरंत कहती है,
"हां, पूछ लीजिए इससे।"
और ये बोलते हुए वो काव्या का हाथ उठा देती है।
"बता बहन!"
अब जब आशी ने काव्या को फंसा ही दिया, तो काव्या क्या ही कर सकती थी। वो भी सिर हिला देती है। हां, लड़के बदतमीजी तो कर रहे थे, लेकिन इतना भी नहीं कि सर फोड़ दिए जाएं।
आर्यांश पुलिस वालों की तरफ मुड़ते हैं और ऑर्डर देते हैं,
"इन तीनों को ले जाइए। और हां, कोई केस फाइल नहीं होना चाहिए।"
फिर वो आशी की ओर मुड़ते हैं और कहते हैं,
"आप घर चलिए... घर चलकर बात करते हैं।"
अब तक की कहानी में आप लोगों ने पढ़ लिया था कि
काव्य जो आशिकी हरकतों को देखकर और उसे इस तरह गुंडो की पिटाई करता देखकर वह थोड़ा घबरा जाती है
और वह घबराकर आर्यांश को कॉल कर देती है
आशी लगातार अपनी काली आंखों से काव्या को घूर रही थी।
उसके चेहरे पर वो मासूम सी मुस्कान नहीं, बल्कि एक धमकी भरा इशारा था — ‘घर चल, फिर बताती हूं तुझे।’
काव्या, जो उसके पड़ोस में ही रहती थी, अंदर से काँप रही थी। वो खुद तो संस्कारी और सीधी-सादी थी, लेकिन आशी के साथ उसकी दोस्ती ऐसी थी जैसे आग और पानी का रिश्ता — विपरीत, मगर एक-दूसरे के बिना अधूरे।
आशी की हरकतों ने उसे कई बार मुसीबत में डाला था। मगर फिर भी, हर बार आशी का फोन आते ही, वो हाज़िर हो जाती। और आज भी वही हुआ।
पुलिस की गाड़ी में ड्राइवर एक कॉन्स्टेबल था, और आर्यांश आशी के बगल में बैठे थे।
आशी ने हल्की झुंझलाहट में कहा,
“थोड़ा दूर बैठिए, हम ज़रा अपनी स्पेस में रहना चाहते हैं।”
आर्यांश ने हल्की मुस्कान के साथ उसका रिस्ट पकड़ते हुए कहा,
“नहीं। पता है तुम्हें, तुम किसी भी वक्त यहां से छलांग मारकर भाग सकती हो।”
आशी ने पलटकर कहा,
“लेकिन मेरी ‘धन्नो’ तो वहीं रह जाएगी ना? आग छोड़कर नहीं जाया करती मैं।”
आर्यांश ने संयम से कहा,
“तुम्हारी स्कूटी मैं तुम्हारे घर पहुंचवा दूंगा। सो डोंट वरी।”
आशी ने झटके से अपना हाथ छुड़ाया,
“स्टे अवे। ठीक है?”
वो ज़्यादा डरती नहीं थी आर्यांश से, मगर अपने मां-पापा की इज्ज़त का ख्याल रखती थी। उसे पता था, अगर इस लड़के के साथ किसी ने कुछ देख लिया तो... सवाल वो पर नहीं, उस पर उठेंगे।
गाड़ी आशी के घर के पास रुकती है।
काव्या बिना किसी देरी के चुपचाप अपने घर की तरफ भाग जाती है।
आर्यांश अब भी आशी का हाथ पकड़े हुए था।
“छोड़िए ना! क्या कर रहे हैं? कहां चल रहे हैं?”
“तुम्हारे घर,” आर्यांश बोले।
“नहीं नहीं नहीं! आप नहीं आ सकते। कल सुबह की बात अलग थी। अब अगर आप आए ना... तो मेरे घर पर मेरी खैर नहीं।”
“ओह, तो डर लगता है?”
“डर नहीं... रिस्पेक्ट है,” आशी बुदबुदाई।
उसे एहसास था कि अगर आज का सीन उसके घरवालों को पता चला, तो वो उसकी शादी की तारीख और जल्दी तय कर देंगे। और तब उसके पास कोई रास्ता नहीं बचेगा।
लेकिन आर्यांश ने उसका हाथ नहीं छोड़ा।
वो उसे घर की ओर खींचते हुए ले गया।
गेट पर आते ही परिवार वालों को गाड़ियों की आवाज़ सुनाई दी, और सब बाहर निकल आए।
जैसे ही उन्होंने आशी को देखा — सब सन्न।
उसके होंठों से खून रिस रहा था, बाल बिखरे हुए थे, कंधे से उसका कुर्ता फटा हुआ था, और चेहरे पर हल्के चोट के निशान थे।
उसकी मां दौड़ती हुई आई और बोली,
“अरे दामाद जी! आप आने वाले थे, एक बार बता देते...”
लेकिन तभी उनकी नजर गई आशी की हालत पर।
पूरे घर में एक अजीब सा सन्नाटा फैल गया।
हां यह चाहते हैं आगे क्या होने वाला है...?
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आशी जो लगातार अपनी काली निगाहों से सिर्फ काव्या को ही घूरे जा रही थी और वो बार-बार अपने मुंह से ऐसे इशारे कर रही थी कि बेटा तू तो घर चल, वहां तुझे बताती हूं।
काव्या जो उसकी नेबरहुड थी और उसके ठीक घर के बगल में ही रहती थी, वैसे तो आशिक के चक्कर में काव्या को हमेशा डांट पड़ती थी क्योंकि काव्या तो बहुत ही संस्कारी और सिंपल लड़की थी, मगर वहीं आशी जो बहुत ही बिंदास थी और बस उसे रात में बाहर घूमना और आलतू-फालतू काम करने में बहुत मज़ा आता था। साथ ही वो इन सारे कामों में काव्या को भी अपने साथ ले लेती थी, जिसकी वजह से उसे हमेशा घर पर डांट पड़ती थी। मगर उसकी दोस्ती हमेशा उसके डैड से ज्यादा इंपॉर्टेंट रहती थी, जिसकी वजह से काव्या एक बार आशी के बुलाने पर तुरंत ही हाज़िर हो जाया करती थी।
गाड़ी इस वक्त एक पुलिस वाला ही ड्राइव कर रहा था। आर्यांश जो आशी की तरफ बैठे हुए थे, आशी जो उनसे कहती है — "थोड़ा दूर होकर बैठेंगे हम?"
वहीं आर्यांश उसका रिस्ट पकड़ते हुए कहते हैं — "नहीं, मुझे पता है अगर आपका मन किया तो आप भाग जाएंगी यहां से।"
आशी जो कहती है — "पर मेरी धन्नो, वो वहीं रह जाएगी ना। मुझे उसके साथ जाना है, आग छोड़ के ना मैं चली जाऊंगी।"
आर्यांश उससे कहते हैं — "उसे आपके घर पर मैं पहुंचवा दूंगा ओके, सो डोंट वरी।"
आशी जो अपने रिस्ट को उनके हाथ से ज़बरदस्ती एकदम से छुड़ा लेती है और कहती है — "स्टे अवे बी ओके।"
आर्यांश से भी वो कुछ खास डरती नहीं थी, मगर वो सिर्फ अपनी मां की इज्जत और अपने डैड की इज्जत करती थी। और उसे पता था कि अगर वो आर्यांश के साथ कुछ भी करेगी या उन्हें कुछ भी बोलेगी तो उसके मॉम-डैड उसे डांटेंगे।
थोड़ी ही देर में आशी का घर आ जाता है।
काव्या जो तुरंत ही भागकर अपने घर चली जाती है और वहीं आशी भी अब अपने घर की तरफ आ चुकी थी।
आर्यांश जो उसका रिस्ट पकड़े हुए उसे लगभग थोड़ा तेज कदमों से उसके घर की तरफ आगे बढ़ने लगते हैं, तो आशी अपना हाथ लगभग कूदते हुए छुड़ाते हुए कहती है —
"ओ छोड़िए! क्या कर रहे हैं? कहां जा रहे हैं आप?"
आर्यांश कहते हैं — "कहां जा रहे हो मतलब? तुम्हारे घर चल रहा हूं।"
आशी जो कहती है — "नहीं नहीं नहीं नहीं, आप नहीं चल सकते, आप नहीं आ सकते।"
आर्यांश कहते हैं — "क्यों नहीं आ सकता? अभी कल सुबह ही तो आया था मैं।"
आशी जो कहती है — "कल सुबह वाली बात दूसरी थी, इस टाइम अगर आप जाएंगे ना तो मेरे घर पे बहुत पिटाई होगी। आप जाइए यहां से।"
आर्यांश जो कहते हैं — "जब से अंदर चलो और पता चले कि मैं यहां से जाऊं और तुम फिर से यहां से रफादफा हो जाओ।"
आशी कहती है — "ऐसा कुछ नहीं होगा ठीक है, और मुझे वैसे बाहर घूमने का शौक नहीं है। मेरा दिमाग थोड़ा फ्रस्ट्रेटेड था इसलिए।"
आशी जानती थी कि अगर उसके मॉम-डैड को पता चला कि उसने क्या कांड किया है, तो वो उसकी शादी की डेट और ज्यादा जल्दी कर देंगे। और वो मना भी नहीं कर पाएगी क्योंकि उसके पास कोई ऑप्शन भी नहीं है।
कूदने-फांदने के बावजूद भी आर्यांश उसका हाथ नहीं छोड़ते और उसे फिर से तेज कदमों से उसके घर के अंदर लेते जाते हैं।
जैसे ही वो अंदर आते हैं, सारे लोग जो आशी को ही ढूंढ रहे थे, आशी जो अपने कमरे से गायब थी और यह बात उसका छोटा भाई बता देता है सबको।
जैसे ही आर्यांश और साथ ही गाड़ियों की आवाज बाहर से आती है, वो लोग समझ जाते हैं कि कुछ प्रॉब्लम है।
तो सब लोग नीचे उतर कर आते हैं और देखते हैं कि आर्यांश इस वक्त आशी का हाथ पकड़े हुए खड़े हैं।
जैसे ही आर्यांश को सब लोग देखते हैं, वो लव पर उनके सामने हाथ जोड़ते हुए कहते हैं —
"आप इतने टाइम कि—" तभी आशी की मॉम आते हुए कहती हैं —
"अरे दामाद जी, आप आने वाले थे, आपने बताया भी नहीं।"
तभी वो देखती हैं अपनी बेटी की हालत, जिसके होठों पर हल्का सा खून लगा हुआ था। साथ ही मारपीट करने की वजह से उसका बाल भी बिखर गया था और उसके चेहरे पर भी थोड़े बहुत धब्बे लग गए थे।
कपड़ा भी कुछ खास ठीक नहीं था — उसके कपड़े जो शोल्डर से फटे हुए थे (वैसे वो उसने खुद ही फाड़ा था)।
आशी की हालत देखकर उसके मॉम-डैड पूरी तरह शर्मिंदा हो जाते हैं।
आशी की हालत देखकर उसके मॉम-डैड पूरी तरह शर्मिंदा हो जाते हैं। उसके डैड, जो आर्यांश के सामने हाथ जोड़ते हुए कहते हैं —
"अब क्या गुल खिलाया इसने..."
आर्यांश तुरंत कहते हैं —
"आप हाथ जोड़ना बंद करिए अंकल, क्या कर रहे हैं आप?"
वो आशी का हाथ छोड़ते हैं और उसके डैड के हाथ को पकड़ते हुए कहते हैं —
"आप मेरे सामने ऐसे मत आया करिए... आप तो मेरे पापा की उम्र के हैं!"
और ये बोलकर वो आशी की मॉम से भी कहते हैं —
"आप भी प्लीज़, अपना हाथ नीचे करिए।"
फिर वो आशी को देखते हैं, जो धीरे-धीरे सरकते हुए अपने कमरे की तरफ भाग रही होती है।
वो तेज और कड़क आवाज़ मे कहते हैं —
"कहाँ जा रही हो धीरे से..?
इधर आके चुप चाप खड़ी रहो।"
ये कहकर वो उसे वापस हॉल एरिया में ले आते हैं।
आशी की मां उससे पूछती हैं —
"कहाँ गई थी इतनी रात में? और ये क्या हुलिया बना रखा है?"
आर्यांश बोलते हैं —
"आराम से... कोई बात नहीं है। वैसे ये समझ नहीं आ रहा कि आप लोग इतनी रात में इसे बाहर जाने कैसे देते हैं?"
आर्यांश की बात सुनकर आशी के दांत भींच चुके थे। अगर वो इस वक्त अपने मॉम-डैड के सामने नहीं होती, तो आर्यांश की बैंड बजा देती — ऐसा उसके दिमाग में चल रहा था।
आर्यांश आगे कहते हैं —
"आप लोगों को पता है ना बाहर कितना खतरा है?"
मॉम-डैड सिर हिलाते हैं —
"हाँ... लेकिन हमने तो..."
तभी आर्यांश कहते हैं —
"लड़कों को बहुत खतरा है इस लड़की से! इसलिए मैं चाहता हूं कि लड़कों की सेफ्टी के लिए मैडम जी अंदर ही रहें।
आपको पता है — तीन लड़कों का सिर फोड़कर आ रही है ये। अब कौन संभालेगा केस?"
जैसे ही आशी की मॉम और डैड ये सुनते हैं, वो आंखें बड़ी कर लेते हैं और फिर से हाथ जोड़ते हुए कहते हैं —
"हम बहुत परेशान हो गए हैं इस लड़की से... हद से ज़्यादा बदमाशी करती है!"
आशी, जो झटके से अपना हाथ आर्यांश की पकड़ से छुड़ाती है, अपने कमरे की तरफ चली जाती है।
उसकी मॉम, सुरभि जी, आर्यांश से कहती हैं —
"हम बहुत शर्मिंदा हैं बेटा... I’m really sorry। हमें इसे बंद करके रखना चाहिए था।"
आर्यांश जवाब देते हैं —
"नहीं, इसकी ज़रूरत नहीं है। वैसे भी केस का कुछ नहीं होगा, मैं देख लूंगा। कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी।
आप लोग आराम करिए... बस कोशिश कीजिए कि इसे रात में बाहर न भेजें।"
तभी आशी के डैड, सौरभ जी कहते हैं —
"आपका बहुत-बहुत शुक्रिया है... आप मेरी बच्ची के बारे में ये सब कुछ जानने के बाद भी उससे शादी करने के लिए तैयार हैं।"
अर्यांश जो सुरभी जी का जवाब देते हुए कहते है..
उसके बारे मे जानने के बाद भी नहीं उसको जान लिया हूँ इसी वजह से उससे शादी कर रहा हूँ
और आर्यांश आगे हल्का सा मुस्कुराते हुए कहते हैं —
"आपको क्या लगता है अंकल? कि कल आपकी वजह से वो सूट-सलवार पहनकर मेरे सामने एक संस्कारी लड़की की तरह बैठ गई तो मुझे वो बहुत सिंपल और स्वीट लगी?
मुझे अच्छे से पता है कि वो कैसी लड़की है... और सच कहूं तो — she is amazing."
आशी की मॉम कहती हैं —
"इतना सब कुछ जानने के बाद भी... आप उससे शादी कर रहे हैं?"
आर्यांश उनकी बात को बीच में काटते हुए कहते हैं —
"इतना सब जानने के बाद नहीं — इतना सब जानने की वजह से मैं उससे शादी कर रहा हूँ।
वरना ऐसा नहीं है कि मेरे पास लड़कियों की कमी है...
But you know what? आपकी बेटी लाखों में एक है। She is amazing.
किसी से नहीं डरती, किसी के आगे नहीं झुकती — डर से तो ऐसे लड़ती है जैसे डर की वो खुद मालकिन हो।
I’m really proud of myself कि मुझे एक ऐसी लड़की मिलेगी as a life partner.
और आपको इसके लिए शर्मिंदा होने की कोई ज़रूरत नहीं है।
अपनी बेटी पर फ़ख्र किया करिए।
बस... थोड़ी कोशिश किया करिए कि उसे बाहर थोड़ा कम ही भेजा करें,
क्योंकि बाहर... लोगों को उससे problem हो जाती है — हमको नहीं।"
और ये बोलकर वो उन लोगों को 'नमस्ते' करते हैं और वहां से चले जाते हैं।
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दृश्य कट होता है आशी के कमरे की तरफ—
वहाँ आशी अपने भाई के साथ लड़ाई कर रही थी।
वो उसके बाल नोचते हुए चिल्लाती है —
"तेरी तो! क्या ज़रूरत थी बताने की कि मैं यहां सो नहीं रही?
तकिया लगाकर तो गई थी पूरी सेटिंग करके!"
वो ग़ुस्से में बिस्तर की ओर इशारा करती है —
जहाँ तकिया रखकर चादर ओढ़ा दी गई थी ताकि लगे कि वही वहाँ सो रही है।
उसका भाई शरारत से मुस्कुराते हुए कहता है —
"इस घर में सब जानते हैं कि तुम रात में आराम से सोने वालों में से नहीं हो।
तुम तो चिड़िया की तरह फुर्र हो जाती हो...
इसलिए मम्मी-पापा चेक करने आ गए थे।
मैंने बस बता दिया कि तुम काव्या दीदी के साथ कहीं गई हो बात करने।"
आशी ग़ुस्से से कहती है —
"तू ना एक दिन बहुत पिटेगा मुझसे... बदमाश कहीं का!"
तभी वो लड़का चिल्लाता है —
"मम्मी! दीदी डांट रही है!"
आशी उसका कान पकड़ते हुए कहती है —
"ओ ओवरएक्टिंग की दुकान! डांट रही हूँ ना?
अभी ना बाल नोचकर तेरे नक ही काट दूंगी! भाग जा यहां से!"
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आइए जानते हैं —
क्या आशी भाग निकलेगी आर्यांश के चंगुल से?
या फिर... उल्टा फँस जाएगी उसी के दिल में?
आशी के कमरे से —
आशी अपने छोटे भाई को डांट लगाकर कमरे से बाहर भेज देती है और खुद जाकर बेड पर ऐसे बैठ जाती है जैसे बहुत थक गई हो।
वैसे वो आराम से बैठने वालों में से थी ही नहीं...
उसका तो बस एक ही काम था — खुद परेशान रहना और दूसरों को परेशान करना!
और हाँ — दूसरों को परेशान करना उसे ज्यादा पसंद था।
वो फौरन ही काव्या को कॉल लगाती है।
दूसरी तरफ —
काव्या फोन उठाते ही धीरे से कहती है —
"अब भी चैन नहीं है तुझे? क्या है बोल बहन!"
आशी कहती है —
"यार कुछ सेंस हुआ तुझे? मेरे घरवाले आकर मुझे पकड़ लिए हैं!
मुझे नहीं लगता कि तुझे पता है क्या हुआ —
वो जो मिनिस्टर है ना? वो आकर सब कुछ बता गया मेरे घर पे!
अब तो लग रहा है कि मेरे घरवाले जल्दी शादी करवा देंगे यार।
मुझे शादी नहीं करनी!!"
काव्या — थोड़ा थकी हुई आवाज़ में बोलती है —
"मुझे समझ नहीं आ रहा तेरी लाइफ में प्रॉब्लम क्या है और सॉल्यूशन क्या...
लेकिन एक बात सुन बहन — प्लीज़ थोड़ा रहम कर मुझ पर,
मैं अभी-अभी बहुत डांट खाकर आई हूं मम्मी से...
प्लीज़ यार... अभी—"
तभी पीछे से उसकी मम्मी की आवाज़ आती है —
"किससे बात हो रही है?"
और वो सीधा उसके रूम में आ जाती हैं।
काव्या घबराकर फोन छुपाते हुए कहती है —
"मैं? मैं तो बस फ्रेंड से नोट्स मांग रही थी मम्मी। मैं उससे बात नहीं कर रही!"
उसकी मम्मी उसके सामने आकर खड़ी होती हैं और कहती हैं —
"मुझे समझ नहीं आता लड़कियां चोरी-चोरी बॉयफ्रेंड से बात करती हैं,
और तू? तू अपनी बेस्ट फ्रेंड से भी चोरी-चोरी बात कर रही है?"
काव्या धीरे से बुदबुदाती है —
"आप बात ही नहीं करने देते...
अब उससे भी चोरी-चोरी करना पड़ता है।
सॉरी मम्मी।"
काव्या अपनी मम्मी से बहुत डरती थी। और मम्मी थी भी बहुत स्ट्रिक्ट।
वो झट से उसके हाथ से फोन छीन लेती हैं और गुस्से से कहती हैं —
"प्लीज़ भगवान के लिए... तुम्हें तो मिनिस्टर का रिश्ता मिल गया है...
कम से कम मेरी बेटी को तो अब छोड़ दो!"
दूसरी तरफ से आशी मुस्कुराकर चिढ़ाते हुए कहती है —
"अरे आंटी... आपकी बेटी मेरी हाफ गर्लफ्रेंड है —
उसे कैसे छोड़ सकती हूं?"
अब तक की कहानी मैं आप लोगों ने पढ़ लिया हां की आशी और काव्या जो एक दूसरे से बात करी थी
वही काव्या की मॉम रूम मे आ जाती हैं काव्या को वह हमेशा आशी से दूर रहने के लिए कहती थी क्योंकि आशी बहुत ही बदमाश लड़की थी... काव्या भी उनसे काफी ज्यादा दर करती थी
काव्य की मॉम तुरंत ही फोन लेते हुए आशी से कहते हैं तुम्हे तो मिनिस्टर का रिश्ता मिल गया है अब तो मेरी बेटी को छोड़ दो
लेकिन आशिक कहां किसी से डरने वाली और शर्माने वाली थी
वह काव्य की मॉम का जवाब देता हुए कहती है...
अरे.... आंटी जी आपकी बेटी तो मेरी हाफ गर्लफ्रेंड है उसे कैसे छोड़ सकती हूं
काव्या की मम्मी जैसे ही "हाफ गर्लफ्रेंड" वाला डायलॉग सुनती हैं —
वो फोन पर ही चिल्ला उठती हैं —
"पागल हो क्या तुम! उससे बात मत किया करो!
अजीब लड़की है — मेरी बेटी को हाफ गर्लफ्रेंड बोल रही है!"
काव्या को इस पर थोड़ी हँसी आ जाती है — क्योंकि उसकी मम्मी को समझ नहीं आता कि आशी सिर्फ मज़ाक कर रही थी।
मम्मी अब काव्या को डांट लगाते हुए कहती हैं —
"और तुम भी उससे दूर रहा करो! तुम तो वैसे ही लड़ाकू विमान हो,
वो तुम्हें अपनी तरह और भी बना देगी!"
और ये बोलकर वो मम्मी ताने मारती हुई वहां से चली जाती हैं।
लेकिन... ट्विस्ट —
काव्या ने सिर्फ दिखाने के लिए फोन काटा था — असल में फोन कटा ही नहीं था!
आशी तुरंत बोलती है —
"यार तेरी मम्मी कितना पटर-पटर करती हैं!"
काव्या — हँसते हुए कहती है —
"अरे यार... मॉम हैं मेरी, अब उनको तो मत बोल!
प्लीज़, उनको छोड़ दे। अच्छा सुन... बहुत लेट हो गया है —
चल अभी सोते हैं, बाद में बात करेंगे?"
लेकिन आशी को तो चैन नहीं —
"नहीं यार! सोना-वोना कुछ नहीं!
मुझे समझ नहीं आ रहा... कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा!
तू प्लीज़ कोई जुगाड़ निकाल यार,
मुझे कहीं भागना है — सच में!
कहीं भी भाग जाऊंगी, कोई प्रॉब्लम नहीं...
बस प्लीज़, कोई ऐसी जगह बता दे
जहां मैं जाकर उस शादी से बच सकूं!"
काव्या — थोड़ी धीमे स्वर में —
"वैसे एक जगह है...
पर तू पक्का डांटेगी तो नहीं?"
आशी चौंककर —
"अरे क्यों डांटूंगी! मुझे तो अभी सच में हेल्प की ज़रूरत है!
पता नहीं कब ये लोग मंडप में जबरदस्ती बैठा देंगे मुझे...
और फिर... और फिर मैं किसी की बीवी बन जाऊंगी!!
मुझे बीवी नहीं बनना!!!"
काव्या — हल्की सी मुस्कान के साथ —
"ओवरएक्टिंग बंद कर, ड्रामा क्वीन!
अब ध्यान से सुन —
एक जगह है... जहाँ तू छुप सकती है।"
जैसे ही ये बात आशी के कान में पड़ती है — उसका चेहरा चमक उठता है।
"जल्दी बोल! कौन-सी जगह?
हाय... मुझे तो जन्नत मिल जाएगी अगर तूने बता दिया!"
आशि को किसी भी हालत में इस शादी से बचाना था..
क्योंकि उसके सपने बहुत बड़े थे.. और वह हमेशा से अपने मां-बाप को देखकर बड़ी हुई थी उसे पता था की शादी के बाद जिंदगी कैसी हो जाती है और उसे अपनी मां की तरह एक हाउसवाइफ बनकर नहीं जीना था
आईए जानते हैं आगे क्या होने वाला है...??
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वहीं काव्या जो कहती है, "वो अमन को जानती है तू…"
जैसे ही काव्या के मुँह से अमन का नाम निकला, आशी उसे डाँटते हुए कहती है,
"पागल हो गई है क्या? मैं और अमन? तू सोच भी कैसे सकती है ऐसा?"
वहीं दूसरी तरफ काव्या कहती है,
"मैंने कहा था ना, डाँटना नहीं! अमन एक ऐसा लड़का था जो मेरा और साथ ही तुम्हारा दोस्त था… वैसे तुम्हारा दोस्त तो नहीं था वो, तुम्हारा तो… आशिक था। लेकिन ये बात मैंने कभी भी तुझसे नहीं बताई वरना तेरी धुलाई हो जाती।"
लेकिन लड़कियों के अंदर ये टैलेंट होता है — लड़कों की नज़रों से ही पहचान लेती हैं कि कौन उन्हें किस नज़र से देख रहा है। वैसे आशी को भी पता चल गया था। और ऊपर से काव्या ने उसे कन्फर्मेशन भी दे दी थी कि अमन उसे लाइक करता है।
आशी कहती है,
"मैं उसके घर नहीं जा सकती यार! वो बहुत ही चपड़गंजू सा लड़का है।"
वहीं काव्या कहती है,
"देख, अगर तुझे मिनिस्टर से बचना है तो अमन के साथ जाकर रह ले। वैसे भी वो तुझे लाइक करता है। और भले ही तुझे उसमें इंटरेस्ट ना हो, छुपने के लिए तो ठीक है ना? और अमन ही एकमात्र है जो अपने पूरे अपार्टमेंट में अकेला रहता है। बाकी जहाँ जाएगी, वहाँ फैमिली मिलेगी तुझे।"
आशी, काव्या की बात को समझते हुए कहती है,
"वैसे बात तो सही है… वो बंदा अकेले रहता है… लेकिन अच्छा नहीं लगेगा यार। मैं उसके घर नहीं जा सकती!"
काव्या कहती है,
"तो फिर मुझे सोने दे। और मैं जा रही हूँ सपने में तुझे और अपने जीजू को साथ में देखने!"
आशी कहती है,
"मारूंगी ना एक चपेट! क्या बकवास कर रही है! मुझे किसी से शादी-विवाह नहीं करनी!"
काव्या कहती है,
"अब अगर तू भागेगी नहीं, तो तेरी शादी तो होनी ही है। अब शादी हो ही जाएगी तो तू लहंगे में कितनी सुंदर लगेगी ना! ऊपर से तेरे पॉपकट हेयर… हाय! एकदम हॉट हीरोइन लगेगी तू!"
आशी कुछ सोचते हुए कहती है,
"मंकी तो नहीं करेगा ना? मान जाएगा?"
काव्या कहती है,
"अरे ऑब्वियसली मान जाएगा यार! और तेरी तो वो कितनी ज़्यादा सुनता है! अगर उसे पता चलेगा ना कि तू उसके घर पे पधार रही है… पूरी स्वागत की थाली लेकर तेरी आरती में खड़ा रहेगा दिन भर!"
आशी कहती है,
"वैसे कुछ ही दिन की तो बात है… लेकिन नहीं, उसके घर नहीं जा सकती मैं!"
और फिर उसका मूड फिर से चेंज हो जाता है।
काव्या कहती है,
"अच्छा एक दोस्त है मेरी, जो आउट ऑफ सिटी रहती है। अगर तू चाहे तो उसके यहाँ भाग के जा सकती है… लेकिन प्रॉब्लम ये है कि उसकी शादी हो गई है और अब वो अपने ससुराल में रहती है।"
आशी कहती है,
"यार तू जब भी कोई सॉल्यूशन बताती है ना, उसके साथ प्रॉब्लम भी दे देती है। तू रहने दे यार, मैं खुद ही सोच लूँगी!"
और ये बोलकर वो फोन कट कर देती है और अपनी आँखें बंद करके कुछ सोचने लगती है।
काव्या ने जिस तरह से बोला था कि अगर तू भाग के नहीं जाएगी तो ऑब्वियसली तेरी शादी मिनिस्टर जी से तो होने ही वाली है — ये सोचते ही जैसे ही वो अपनी आँखें बंद करती है, वो खुद को मंडप में पाती है… जहां पर वो लहंगा पहनकर मिनिस्टर के साथ खड़ी होती है।
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वैसे मिनिस्टर और उसकी जोड़ी अच्छी तो लग रही थी… लेकिन ये देखते ही आशी एकदम से अपनी आँखें खोलती है और अपने माथे पर मारते हुए कहती है,
"ये सब क्या सोच रही हूँ मैं? नहीं! नहीं! नहीं! ये नहीं हो सकता! मैं नहीं कर रही शादी! अभी तो मुझे बहुत अय्याशी करनी है, पैसे कमाने हैं, आराम से घूमना है, बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ लेनी हैं… शादी होगी तो सब खराब हो जाएगा!"
वो यही सब सोच ही रही थी कि तभी उसके फोन पर किसी का कॉल आ जाता है।
आशी के फोन पर तो हमेशा काव्या की कॉल आती थी, और अभी-अभी उसने उससे बात भी की थी। इसलिए रैंडमली फोन उठाते हुए कहती है,
"क्या हुआ? रह नहीं जा रहा मेरे बिना?"
वो हमेशा इसी तरह से काव्या को परेशान करती थी। लेकिन तभी दूसरी तरफ से एक मैस्कुलिन आवाज़ आती है:
"जी नहीं, बिल्कुल नहीं रह पा रहा… मगर आपको कैसे पता चला?"
जैसे ही आवाज़ आशी के कान में पड़ती है, वो झटके से फोन को कान से हटाकर देखती है — यह तो अननोन नंबर था।
आशी फिर फोन कान से लगाते हुए कहती है,
"किसको अपनी मौत को इनविटेशन देने का मन कर रहा है जो मुझे इस तरह कॉल करके बात कर रहा है? हां? कौन है?"
दूसरी तरफ से फिर वही आवाज़ आती है:
"जो भी हैं… अब जान भी आपके, और हम भी आपके… जब चाहे तब ले सकती हैं आप!"
आशी अपनी मुट्ठी कसते हुए कहती है:
"आप प्लीज़ अपना एड्रेस भेजेंगे? हम अभी आते हैं… फिर बताते हैं कि आप किससे बात कर रहे हैं! कोई आइडिया है भी कि ऐसे रैंडमली किसी को कॉल करने से आपकी जान को खतरा हो सकता है? बोल कौन रहा है?"
दूसरी तरफ से आवाज़ आती है:
"वैसे जान को खतरा तो है मुझे… लेकिन I think आपके बिना। मैं चाहता हूँ कि जल्द से जल्द आप हमारे पास आ जाएँ। लेकिन शादी से पहले मैं आपको अपने घर बुलाना नहीं चाहता। शादी के बाद तो साथ ही रहना है — थोड़ा वेट कर लो!"
जैसे ही आशी सुनती है, वो थोड़ा घबराते हुए कहती है:
"क्या… मैं मिनिस्टर जी से बात कर रही हूँ?"
दूसरी तरफ से आवाज़ आती है:
"अरे इतना घबरा क्यों रही हैं आप? और वैसे भी… आपको मेरा नाम तो पता ही है — आर्यांश नाम है मेरा। मिनिस्टर जी, मिनिस्टर जी क्यों करती हैं? ये तो दूसरों के लिए है।"
आर्यांश जी की बातें जैसे ही आशी सुनती है, उसकी भौवे एकदम से तन जाती है...
साथ ही उसकी मुट्ठी भी कस के बंद हो जाती है..
आखिर क्या जवाब देगी आशी आर्यांश का
आईए जानते हैं इसे आने वाले चैप्टर में क्या होने वाला है आशी के साथ, क्या वह कोई तरीका ढूंढ पाएगी अपनी शादी और आर्यांश जी से बचने की ...
यह कहानी बहुत ही दिलचस्प होने वाली है और यह कहानी बाकी हर रोमांटिक कहानी से बहुत ही अलग है इसमें आपको कॉमेडी के साथ रोमांस देखने को मिलेगा साथ में इसमें बहुत सारे सस्पेंस भी हैं