18 साल की सावली सी मीरा अपने अतीत को सीने मे दफन कर दिल्ली अपने सपने को पूरा करने आयी। पर कॉलेज के पहले दिन हुवा कुछ ऐसा हादसा जिससे अर्जुन और मीरा की तकरार हो जाती है। अर्जुन उसे परेशान करने के लिए कई तक़रीब लगाता है। मुसीबत से लड़ते हुवे मीरा का सामन... 18 साल की सावली सी मीरा अपने अतीत को सीने मे दफन कर दिल्ली अपने सपने को पूरा करने आयी। पर कॉलेज के पहले दिन हुवा कुछ ऐसा हादसा जिससे अर्जुन और मीरा की तकरार हो जाती है। अर्जुन उसे परेशान करने के लिए कई तक़रीब लगाता है। मुसीबत से लड़ते हुवे मीरा का सामना कई बार अर्जुन से हुवा, दोनों के बीच नया एहसास उमड़ने लगे। दोनों एक दूसरे से है बहुत अलग क्युकी एक आग है तो एक पानी जानिए कैसी होंगी इनकी कहानी? कैसा अतीत है मीरा का? प्यार की कश्ती मे सवार अर्जुन और मीरा को मिलेगा कोई किनारा?... जानने के लिए पढ़िए “ बुलेट राजा ”
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दिल्ली की सड़कों पर एक साइकिल बड़ी तेज़ी से दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर बढ़ रही थी। उस साइकिल पर बैठी लड़की ने खुद से कहा, "जल्दी कर, मीरा, वरना आज पहले दिन ही लेट हो जाएँगी।" कहकर वह आगे बढ़ी। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के गेट के पास आकर अपनी साइकिल पार्क कर रही थी कि वहाँ अचानक ही एक बुलेट आकर रुकी। मीरा अचानक आई बुलेट को देखकर एकदम से हड़बड़ा गई। खुद की साइकिल ना संभाल पाने के कारण वह वहाँ साइकिल के साथ गिर गई। यह नज़ारा देखकर गेट से अंदर जा रहे लोग वहीं रुक गए। मीरा ने उठते हुए उस बुलेट सवार लड़के से कहा, "यह क्या बदतमीज़ी है? मैं यहाँ अपनी साइकिल पार्क कर रही थी।" वह लड़का, जिसने अभी-अभी अपनी बुलेट लगाई थी, वह बड़े स्टाइल से अपनी बुलेट से नीचे उतरा। व्हाइट टी-शर्ट, ब्लैक जैकेट और ब्लू पैंट में वह लड़का काफ़ी आकर्षक लग रहा था। कॉलेज में मौजूद लड़कियों की नज़र उस लड़के पर थी। मीरा अपनी साइकिल उठा रही थी। तभी उस लड़के ने रूखे स्वर में कहा, "पूरा कॉलेज जानता है कि अर्जुन राठौर अपनी बुलेट यहाँ पार्क करता है। तो तुम क्या सोचकर अपनी खटारा पार्क करने आई थी?" यह सुनकर मीरा, जो अपनी साइकिल साफ़ कर रही थी, उसने सर उठाकर अर्जुन को देखा। अर्जुन ने मीरा को देखा; जिसका हल्का साँवला रंग, आँखों पर बड़े फ़्रेम के चश्मे, हाथों में कंगन, माथे पर बिंदी और कानों में छोटी-छोटी बालियाँ थीं। मीरा ने अर्जुन से गुस्से में कहा, "ओह! मिस्टर राठौर, जो भी तुम्हारा नाम है। बुलेट पार्क करने से पहले एक बार हॉर्न नहीं दे सकते थे? अगर एक्सीडेंट हो जाता तो?" अर्जुन ने अपने सामने खड़ी लड़की का ऐटिट्यूड देखा। पहली बार किसी लड़की ने उससे बदतमीज़ी से बात की थी। अर्जुन ने उससे आँखें छोटी करते हुए कहा, "लगता है तुम यहाँ नई आई हो? इसलिए मुझसे ऊँची आवाज़ में बात कर रही हो?" मीरा उसे कोई जवाब देती, उससे पहले वहाँ अर्जुन के दोस्त आ गए। उसके दोस्तों ने मीरा को देखा और अर्जुन की तरफ देखा। तभी अर्जुन के बेस्ट फ्रेंड कृष ने उससे पूछा, "हे! अर्जुन क्या हो गया? गेट पर भीड़ कैसी है?" अर्जुन ने मीरा की तरफ देखते हुए कहा, "एक अंधी लड़की मेरी बुलेट के आगे आकर मरना चाहती है।" यह सुनकर वहाँ मौजूद लोग हँसने लगे। तभी आरव ने हँसते हुए कहा, "कहीं यह तेरे प्यार में पागल तो नहीं हो गई? जो अपनी जान देने चली आई?" कीर्ति मीरा का मज़ाक बनाकर बोली, "ओह हेलो! अभी तो कॉलेज शुरू भी नहीं हुआ। प्यार का पहला एपिसोड तो तुमने अभी से शुरू कर दिया।" कॉलेज के बाकी लोग भी उस पर हँस रहे थे। मीरा ने गहरी साँस ली और अपनी साइकिल बुलेट के पास पार्क करते हुए अर्जुन से कहा, "मेरे दिन इतने बुरे भी नहीं आए कि मैं तुम्हारी खटारा के आगे आकर अपनी जान दूँ। अरे! जान देने के लिए दुनिया में और भी अच्छी जगहें हैं।" मुँह बनाकर वह जाने लगी। अर्जुन को यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं था कि कोई उसकी बुलेट को लेकर कुछ भी उल्टा-सीधा कहे। पूरा कॉलेज अर्जुन का उसकी बुलेट को लेकर लगाव अच्छे से जानता था। अर्जुन अब गुस्से में आकर मीरा से बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसी हुई मेरी बुलेट को खटारा कहने की?" मीरा ने हाथ बाँधकर कहा, "वैसी ही, जैसी तुम्हारी हिम्मत हुई मेरी साइकिल को खटारा कहने की।" इतना कहकर मीरा ऐटिट्यूड में कॉलेज के अंदर चली गई। अर्जुन गुस्से में उसे जाते हुए देख रहा था। मीरा के पायलों की आवाज़ अर्जुन के कानों में जा रही थी। कृष अब हँसते हुए अर्जुन से बोला, "क्या कमाल की लड़की है! पहली बार देखा है कि कोई लड़की तेरे टक्कर की है।" अर्जुन ने कृष को घूरते हुए कहा, "यह कोई मज़ाक नहीं है। उसने सबके सामने मेरी बुलेट को खटारा कहा है, अब वह सबके सामने माफ़ी माँगेगी।" आरव ने उससे पूछा, "पर वह लड़की है कौन? पहले तो कभी नहीं देखा।" अर्जुन ने उसकी तरफ देखा और एक शब्द में जवाब दिया, "न्यू एडमिशन।" कीर्ति बोली, "तो यह बात तुझे पहले बतानी चाहिए थी। वैसे भी अंदर कुछ लोगों की रैगिंग चालू है। उस लड़की की रैगिंग हम यहाँ गेट पर कर लेते।" अर्जुन ने ईविल मुस्कान के साथ कहा, "पहले दिन क्यों? पूरे साल हम उसे परेशान करेंगे। जब तक वह मेरी बुलेट के लिए मुझसे माफ़ी नहीं माँग लेती।" कृष ने अर्जुन से कहा, "मुझे नहीं लगता यह सही है। उसे नहीं पता था कि तू यहाँ अपनी गाड़ी पार्क करता है। हो गई अनजाने में गलती।" अर्जुन ने उससे ज़िद में कहा, "तो अब वह अपनी गलती की सज़ा भुगते।" इतना कहकर अर्जुन अंदर चला गया। कुछ देर बाद, थर्ड ईयर की क्लास में काफ़ी लोग इस बारे में बात कर रहे थे कि किसी लड़की ने अर्जुन राठौर को जवाब दिया है। तभी वहाँ अर्जुन अपने दोस्तों के साथ आया। उसके आते ही सब लोग चुप हो गए। पर एक लड़की अर्जुन के पास आकर बोली, "अर्जुन क्या तुम ठीक हो? क्या जो मैंने सुना वह सच है? कौन है वह लड़की?" अर्जुन का जवाब देने का बिलकुल मूड नहीं था। वह कृष के साथ अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। मनीषा ने उस लड़की की बात का जवाब देते हुए कहा, "निकिता, रिलैक्स! अभी अर्जुन का मूड ख़राब है। पर हम उसे ऐसे ही जाने नहीं देंगे।" निकिता ने सर हिलाया और मनीषा के साथ जाकर बैठ गई। जल्द ही क्लास शुरू हो गया। उनकी क्लास टीचर, मिस शिल्पी वहाँ आई तो सारे स्टूडेंट खड़े हो गए। मिस शिल्पी ने उन्हें बैठने को कहा और आगे बोली, "स्टूडेंट्स, आज हमारे क्लास में कोई नया स्टूडेंट आया है। उम्मीद है कि आप सब उसका ख्याल करेंगे और दोस्त की तरह रहेंगे।" कहकर मिस शिल्पी मुस्कुराई। अर्जुन इस वक़्त अपनी नज़र किताबों में रखे हुए था। तभी उसके कानों में पायलों की आवाज़ आई। अर्जुन की आँखें तुरंत ही क्लास के गेट पर गईं जहाँ से अभी-अभी कोई और नहीं, बल्कि मीरा आई थी। मीरा को वहाँ देखकर अर्जुन का ग्रुप काफ़ी हैरान था। तो अब क्या करेगा अर्जुन? कैसे करेगी मीरा मुश्किलों का सामना? जानने के लिए सुनिए "बुलेट राजा।"
अर्जुन की कक्षा में एक नया छात्र आया था। वह कोई और नहीं, बल्कि मीरा थी। मीरा को देखकर अर्जुन का समूह हैरान रह गया। मीरा ने पूरी कक्षा में नज़र घुमाई, यह देखने के लिए कि वह किस सीट पर बैठेगी। तभी उसकी नज़र उन दो काली, गहरी आँखों से मिली जो लगातार उसे ही घूर रही थीं।
मीरा की आँखें बड़ी हो गईं और उसने मन ही मन कहा, "यह बुलेट वाला लड़का इसी कक्षा में है? आखिर क्यों?"
तभी मिस शिल्पी ने मीरा से कहा, "कक्षा में सभी को अपना परिचय दे दो।"
मीरा ने सिर हिलाया और कक्षा में सभी को देखकर कहा, "हेलो, माई नेम इज़ मीरा राजपूत फ्रॉम..." कहते हुए मीरा रुक गई। मीरा ने ध्यान दिया कि कक्षा में सभी लोग अपनी बातों में लगे हुए थे। किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया था।
मिस शिल्पी ने पूरी कक्षा को घूरा और लाचार होकर मीरा से कहा, "जाओ, जाकर सीट पर बैठ जाओ। लेक्चर शुरू करती हूँ।"
मीरा ने उनसे पूछा, "पर मैं जाऊँ कहाँ?"
मिस शिल्पी ने पूरी कक्षा में देखा जहाँ सब लोग अपने दोस्तों के साथ बैठे हुए थे। अर्जुन के पास कृष बैठा हुआ था। मनीषा और निकिता एक साथ बैठी हुई थीं। तभी मिस शिल्पी की नज़र आरव के बेंच पर गई।
मिस शिल्पी ने मीरा से कहा, "तुम वहाँ आरव के पास बैठ जाओ।" यह देखकर कक्षा के लोग हैरान हो गए। आरव ने तुरंत मना करते हुए कहा, "नहीं मैम, मैं इसे अपने पास नहीं बैठाने वाला हूँ।"
मीरा ने मिस शिल्पी को देखा।
मिस शिल्पी ने आरव से पूछा, "आरव, तुम्हें इससे क्या दिक्कत है?"
आरव ने अर्जुन की तरफ़ देखा, जैसे पूछ रहा हो कि उसे क्या करना चाहिए।
अर्जुन ने धीरे से सिर हिला दिया। तब आरव ने मिस शिल्पी से कहा, "कोई प्रॉब्लम नहीं है, मैं एक लड़का हूँ, इससे पूछ लो कि क्या यह एक लड़के के साथ बैठ सकती है? कहीं इसे आगे चलकर प्रॉब्लम ना हो?"
मिस शिल्पी ने उससे कहा, "हमेशा के लिए तुम्हारे पास नहीं बिठा रही हूँ? कल नई बेंच कक्षा में लग जाएगी।"
मीरा अब आरव की तरफ़ बढ़ने लगी। तभी एक पैर बीच में आ गया जिसके कारण मीरा धड़ाम की आवाज़ से फर्श पर गिर गई। पूरा कक्षा हँसने लगा। मीरा ने नज़र घुमाकर मनीषा को देखा जो उसे चिढ़ाने वाली मुस्कान दे रही थी।
कृष जल्दी से आगे आया और उसने मीरा का चश्मा उठाया और उसे आँखों पर लगाया।
मीरा ने कृष की तरफ़ देखकर कहा, "शुक्रिया।"
कृष ने उसकी जमीन पर गिरी किताबें उसे वापस देते हुए कहा, "मैं इन जैसा नहीं हूँ, प्लीज़ फील फ्री टू आस्क मी एनी थिंग।"
मीरा मुस्कुराई और सामान लेकर आरव के पास जाकर बैठ गई।
अर्जुन ने कृष को घूरते हुए कहा, "कुछ ज़्यादा समाज सेवा नहीं की जा रही है?"
कृष ने उससे कहा, "अरे! वो गिर गई तो मैंने उसकी मदद की। इसमें क्या प्रॉब्लम है?"
अर्जुन ने उससे कहा, "तू उसकी मदद नहीं करेगा। वो मेरी दुश्मन है।"
कृष ने हँसते हुए कहा, "अर्जुन, यह कुरुक्षेत्र का युद्ध नहीं है, यह शिक्षा का मंदिर है। क्रोध में विवश होकर कोई गलत कदम ना उठाना।"
अर्जुन ने उसे घूरा और कहा, "तेरे ये महाभारत के डायलॉग बंद कर, समझा?"
कृष ने मुस्कुराकर कहा, "ऐसे कैसे? तू अर्जुन है, जिसे महाभारत के अर्जुन की तरह अपना बदला लेना है। और मैं वो कृष हूँ, जो महाभारत के कृष्ण की तरह तुझे रास्ता दिखाऊँगा।"
अर्जुन ने परेशान होकर अपने कान बंद कर लिए।
कक्षा शुरू हो गई। मिस शिल्पी ने एक अच्छा लेक्चर लिया, पर फिर उन्होंने आखिरी दस मिनट में उस टॉपिक से संबंधित सवाल किए, जिसके जवाब अर्जुन और कृष ने दिए।
मिस शिल्पी ने कहा, "लड़कियों में से कोई सवाल के जवाब नहीं देगा।"
आरव ने मीरा को देखा जो किताबों में आँखें लगाए हुए थी। उसने धीरे से मीरा का हाथ ऊपर कर दिया। यह देखकर मिस शिल्पी ने मीरा से कहा, "क्या तुम जवाब दोगी?"
मीरा ने हैरानी से आरव को देखा और अपने हाथ को जल्दी से नीचे किया और मिस शिल्पी से हिचकिचाकर कहा, "मैं तो..."
आरव ने बीच में मीरा से कहा, "तुम इतनी देर से किताब ध्यान से पढ़ रही हो, मुझे लगा तुम्हें जवाब देना चाहिए। ऐसा मौका सबको नहीं मिलता।"
मीरा ने घूरकर आरव को देखा, पर अब कोई विकल्प नहीं था। मीरा को जवाब देना होगा।
कृष ने अर्जुन की तरफ़ देखकर कहा, "तूने इसलिए आरव से हाँ कहलवाया जिससे मीरा उसके पास बैठे और आरव उसे परेशान कर सके।"
अर्जुन के चेहरे पर एक दुष्ट मुस्कान थी।
अर्जुन ने मीरा की तरफ़ देखते हुए कहा, "शक्ल से ही चौथी फेल डम्बो नज़र आती है। अच्छा होगा कि मिस शिल्पी इसकी अच्छी खासी डाँट लगाए।"
तभी कक्षा में मौजूद सारे छात्र मीरा के जवाब से हैरान रह गए। मीरा ने धाराप्रवाह अंग्रेज़ी में सारे सवालों के जवाब दिए। मिस शिल्पी हैरान होकर बोली, "मुझे उम्मीद नहीं थी। पर तुम्हें देखकर लग रहा है कि कक्षा का रिजल्ट और भी अच्छा आएगा।"
मीरा ने उन्हें धन्यवाद कहा।
मिस शिल्पी ने आरव से कहा, "कुछ सीखो मीरा से, अगली बार मैं तुम्हारा हाथ ऊपर उठते हुए देखना चाहती हूँ। समझें?"
आरव ने मासूम सी शक्ल बनाकर सिर हिला दिया। मिस शिल्पी वहाँ से चली गईं।
उनके जाते ही सब लोग मीरा को देखने लगे।
आरव ने मीरा से कहा, "हे यू लिसन, डोंट बी ओवरस्मार्ट। एंड आल्सो डोंट फॉरगेट आई एम योर सीनियर।"
मीरा ने उससे चिढ़ाने वाली मुस्कान के साथ कहा, "जी दादाजी।"
"दादाजी" सुनकर सब आरव पर हँसने लगे। आरव को गुस्सा आया।
अर्जुन ने कक्षा को देखकर कहा, "क्लास, मुझे लगता है हमें नए छात्र का स्वागत करना चाहिए।"
मीरा कुछ समझ पाती, उससे पहले उस पर काफ़ी सारे पेपर बॉल गिरने लगे। छात्र उस पर पेपर बॉल मारने लगे। तभी मीरा ने उन सब को रोकते हुए कहा, "हे, क्या कर रहे हो? यह बहुत गलत बात है।"
कृष अर्जुन को रोक रहा था, पर अर्जुन ने उसकी नहीं सुनी। अर्जुन ने सब को इशारा किया और सारे छात्र कक्षा से बाहर चले गए। मीरा यह देखकर बाहर जाने लगी तो अर्जुन ने बाहर से कक्षा का दरवाज़ा बंद कर दिया।
मीरा ने चिल्लाते हुए कहा, "यह क्या बदतमीज़ी है? दरवाज़ा खोलो!"
अब क्या करने वाला है अर्जुन?
कैसे कक्षा से बाहर आएगी मीरा?
जानने के लिए पढ़ें "बुलेट राजा।"
मीरा को कक्षा में बंद कर दिया गया था; सारे बच्चे बाहर हो गए थे। मीरा ने चिल्लाते हुए कहा, "यह क्या बदतमीज़ी है? खोलो दरवाज़ा!"
खिड़की से सब मीरा को देख रहे थे। अर्जुन ने उससे कहा, "कक्षा में कितना कचरा फैला हुआ है। उसे साफ़ करो।"
मीरा ने हाथ बाँधकर कहा, "यह कचरा तुम लोगों ने फैलाया है। तुम लोगों ने मुझ पर पेपर बॉल्स फेंके थे।"
आरव ने अट्टिट्यूड में कहा, "इसकी वजह भी तुम ही थी। तुम अगर हमसे बदतमीज़ी नहीं करती तो..."
इससे पहले कि आरव कुछ और कह पाता, मीरा ने पलटवार करते हुए कहा, "तमीज़ और बदतमीज़ी का पाठ तुम मुझे ना पढ़ाओ तो बेहतर होगा।" यह सुनकर सब हूटिंग करने लगे। आख़िरकार मीरा ने सबके सामने आरव को जवाब दिया था।
आरव गुस्से में आकर कक्षा के अंदर जाने वाला था कि अर्जुन ने उसे रोकते हुए कहा, "इसकी अकड़ तो मैं निकालूँगा।" कहकर वह अंदर जाने लगा। आज तो वह मीरा को नहीं छोड़ेगा।
कृष ने अर्जुन को रोकते हुए कहा, "अर्जुन रुक जा, यह बहुत ज़्यादा हो रहा है। वह एक लड़की है।" पर अर्जुन ने कृष की एक न सुनी।
अर्जुन कक्षा में आया और वहाँ रखी डस्टबिन उठाकर मीरा की आँखों के आगे रखते हुए और कचरा करते हुए कहा, "मैं कक्षा का प्रेसिडेंट हूँ, तुम्हें मेरे ऑर्डर मानने पड़ेंगे।"
मीरा ने मुँह बनाकर उसकी नकल करते हुए कहा, "मेरे ऑर्डर मानने पड़ेंगे।" इतना कहकर वह गुस्से में बोली, "मैं नहीं मानती किसी प्रेसिडेंट को, जिसे सही और गलत का अंतर तक नहीं पता। अरे! ऐसे प्रेसिडेंट का क्या फ़ायदा जिसने गलत होकर भी अपनी आँख पर पट्टी बांध रखी हो?"
अर्जुन को अब गुस्सा आने लगा। उसने ज़ोर से अपना हाथ बोर्ड पर मार दिया। जिससे खिड़की से देख रहे स्टूडेंट डर गए। पर मीरा की आँखों में ज़रा सा भी डर नहीं था। और यह बात अर्जुन और कृष के लिए काफ़ी हैरान करने वाली थी।
मीरा ने उसे नकली स्माइल के साथ कहा, "आपको क्या लगता है? सिर्फ़ गुस्सा आपको ही आता है?" कहकर मीरा ने अर्जुन की आँखों के आगे वहाँ रखा चौक और डस्टर फेंक दिया।
मनीषा ने मीरा को देखते हुए कहा, "बाप रे! सलवार सूट पहनकर दिखने में तो कितनी सीधी लगती है। पर अकड़ तो देखो।"
निकिता को काफ़ी गुस्सा आ रहा था क्योंकि इस वक़्त बातों ही बातों में मीरा और अर्जुन एक-दूसरे के बेहद करीब खड़े थे। तभी किसी लड़के ने उन पर कमेंट करते हुए कहा, "तुम लोग लड़ते हुए हस्बैंड-वाइफ़ लग रहे हो?"
मीरा और अर्जुन ने चौंकते हुए खिड़की की तरफ़ देखा। "हस्बैंड और वाइफ़?"
अर्जुन ने उन सब से कहा, "मेरी पर्सनालिटी और इसकी पर्सनालिटी में कितना फ़र्क है? कोई पागल ही होगा जो..."
इससे पहले कि अर्जुन कुछ कह पाता, मीरा ने उस लड़के को करेक्ट करते हुए कहा, "कुत्ता और बिल्ली।"
अर्जुन ने मीरा की तरफ़ आँखें छोटी करके देखा, पर मीरा ने उस लड़के से कहा, "तुम मुझे बिल्ली कह लो, इसे कुत्ता कह लो। पर हस्बैंड-वाइफ़ तो बिलकुल नहीं। सात जन्म का क्या, सत्तर जन्म में भी इस आदमी की शक्ल ना देखूँ।"
अर्जुन ने चिढ़ाते हुए कहा, "हाँ हाँ, मैं तो तुम्हारी शक्ल पर मर रहा हूँ। काफ़ी तड़प रहा हूँ।" कहकर वह उसके थोड़ा करीब आया। तो मीरा पीछे हटते हुए हकलाकर बोली, "क्या तुम्हें पता नहीं है कि एक लड़का और लड़की में कुछ दूरियाँ होती हैं? मुझसे दूर खड़े रहो।" मीरा की धड़कनें बढ़ गई थीं।
मीरा बोर्ड से जा लगी और अर्जुन ने दोनों हाथ मीरा के अगल-बगल रखकर उसे ब्लॉक कर दिया। मीरा एकदम से घबरा गई। वह अर्जुन के चेहरे को निहारने लगी। अर्जुन का हैंडसम चेहरा उसके सामने था।
वहीँ अर्जुन मीरा के नैन-नक्श देख रहा था। मछली जैसी उसकी आँखें, और गुलाब की पंखुड़ियों जैसे उसके होंठ, सावला रंग होने के बावजूद मीरा अपने नैन-नक्श के वज़ह से सुंदर दिखाई देती थी।
अर्जुन ने मन ही मन कहा, "अगर इसका रंग दूध जैसा सफ़ेद होता तो यह किसी जलपरी से कम नहीं लगती।"
तभी एक पेन मीरा की आँखों के पास आकर लगा। "आह!" मीरा दर्द से कराही। अर्जुन जो अब तक उसके चेहरे में खोया हुआ था, उसने खिड़की पर देखा और गुस्से में सब से कहा, "किसकी हिम्मत हुई ऐसा करने की?" कहकर वह मीरा को देखने लगा जिसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढँका हुआ था।
निकिता डर गई क्योंकि वह अपनी जलन को ज़्यादा देर तक काबू में नहीं रख पाई थी। और उसने पेन फेंककर मीरा को तकलीफ़ पहुँचाने की कोशिश की थी। माही ने निकिता से कहा, "रिलैक्स! वह हमारा दोस्त अर्जुन है। आख़िर में वह हमारा ही साथ देगा।"
कृष जल्दी से कक्षा में आया और मीरा की फ़िक्र करते हुए बोला, "हे! मीरा तुम ठीक हो?" मीरा ने अपनी दूसरी आँख से कृष को देखा और उसे साइड करके अपना बैग उठाने लगी।
अर्जुन ने उसकी बाज़ू पकड़कर अपनी तरफ़ किया। "मुझे देखने दो।" कहकर वह मीरा के हाथों को हटाकर उसका हाथ देखने लगा। मीरा चिढ़ते हुए बोली, "बंद करो दिखावा। तकलीफ़ देकर अब मरहम लगाने आये हो।"
अर्जुन ने अब उसकी आँखों में फूँक मारते हुए कहा, "मेरी फ़ितरत ही कुछ ऐसी है।"
वहीं कृष ने अपने बैग से पानी की बोतल निकालकर अपने रुमाल को गीला किया। वह मीरा के पास आकर बोला, "इसे आँखों पर रख लो। तुम्हें अच्छा लगेगा।"
मीरा ने कृष को देखा; उसके चेहरे पर अपने लिए सच्ची फ़िक्र देखकर मीरा ने उससे रुमाल लिया और आँखों पर रख लिया जिससे उसे ठंडक लगने लगी।
कक्षा में अब तक आरव सारे स्टूडेंट के साथ अंदर आ गया था। आरव ने मीरा से कहा, "आँख ठीक होते ही कक्षा साफ़ कर देना।"
अर्जुन ने आरव से कहा, "आज के लिए इतना सबक काफ़ी है। सब अपना-अपना कचरा खुद उठाएँ।"
सब कक्षा वाले अर्जुन को हैरानी से देखने लगे। अब जब कक्षा के प्रेसिडेंट ने कहा है तो उन्हें यह करना था। मीरा ने कृष से कहा, "मैं कल तुम्हें यह रुमाल ज़रूर वापस कर दूँगी। अभी के लिए थैंक्स।" कहकर वह अपना बैग उठाई और वहाँ से चली गई। उसने एक बार भी मुड़कर अर्जुन को नहीं देखा।
क्या अर्जुन को होगी अपनी गलती का एहसास?
क्या मीरा कभी उसे माफ़ करेगी?
जानने के लिए पढ़िए "बुलेट राजा।"
शाम के वक्त, अर्जुन अपने घर की बालकनी में बैठा हुआ था। गिटार बजाते हुए वह ढलते हुए शाम को देख रहा था। तभी अचानक उसे मीरा का ख्याल आया। आज जिस तरह मीरा ने उसकी आँखों में आँखें डालकर बात की थी, शायद यह पहली बार हुआ था।
"एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गयी, फिर क्या हुआ ना जाने क्यों कुछ ऐसी बात हो गयी।" अर्जुन यूँ ही गिटार पर गा रहा था कि तभी अचानक कृष उसके कमरे में आते हुए गाना लगा, "हो गया है तुझको तो प्यार सजना, लाख कर ले तू इनकार सजना, ये है प्यार सजना।"
कृष ने इतना ही गाया था कि अर्जुन ने उसके मुँह पर तकिया मारकर कहा, "चुप कर बेसुरे, गाना गा रहा है या भीख मांग रहा है?"
कृष ने तकिया मुँह पर लगने से अपना मुँह पकड़ते हुए गुस्से में बोला, "नालायक अर्जुन, मैं तो फिर भी गाना गा रहा हूँ। पर तू क्या कर रहा है? तुझे कब से ऐसे गाने पसंद आने लगे?" इतना कहकर कृष सोफ़े पर बैठ गया।
अर्जुन भी कमरे में आते हुए बोला, "वो तो यूँ ही गिटार बजा रहा था।"
अर्जुन ने अपनी बात खत्म की तो एक अधेड़ उम्र की महिला वहाँ आई। अर्जुन ने उस औरत को देखकर पूछा, "क्या हुआ माँ आप यहाँ?"
यह उर्मिला जी थीं, अर्जुन की माँ। उर्मिला जी अंदर आते हुए बोलीं, "कृष आया है, तो सोचा आज का डिनर उसकी पसंद का बना दूँ।" इतना कहकर उर्मिला जी ने कृष को देखा और पूछा, "बताओ बेटा क्या खाओगे?"
कृष खुश होकर बोला, "आंटी जी आप जो भी बनाएँ, मैं खुशी-खुशी खा लूँगा।"
उर्मिला जी ने सोचते हुए कहा, "तो तुम्हारे मनपसंद पुलाव बना देती हूँ।" इतना कहकर वे कमरे से बाहर चली गईं।
"क्या बात है? मुझसे तो पूछा ही नहीं।" अर्जुन ने यूँ ही निराश होकर कहा। कृष ने उससे हँसते हुए कहा, "मेरी माँ भी तो तेरे आने से मुझे नहीं पूछती है, क्यों ना मैं तेरे घर शिफ्ट हो जाऊँ और तू मेरे घर?"
अर्जुन ने उससे कहा, "वैसे आईडिया बुरा नहीं है, पर ये बता मेरी बुलेट बन गई ना?"
अर्जुन के पूछने पर कृष ने उससे कहा, "हाँ, एकदम पहले जैसी बना दी है। कोई दिक्क़त नहीं है।"
अर्जुन अपना गिटार रखकर बोला, "जब तक मैं उसे देख नहीं लेता, तब तक मुझे शांति नहीं मिलेगी।" इतना कहकर वह कमरे से बाहर आया और उसने अपने घर के बाहर पार्क में अपनी बुलेट देखी। अपनी बुलेट को एकदम पहले जैसा पाकर उसे अच्छा लगा। उसके चेहरे की खुशी देखकर अभिमन्यु खुश हुआ।
मीरा घर आई और उसने अपना बैग रखा। आज जो कुछ हुआ था, उसे याद करके उसका मन उदास हो गया। उसने अपने हाथ में पकड़े हुए रुमाल को देखा तो उसे कृष का चेहरा याद आया। अब जाकर मीरा के होंठों पर मुस्कान आ गई।
मीरा ने खुद से कहा, "लगता है भगवान कृष्ण ने कृष का अवतार लिया है, मुझे बचाने के लिए। वाकई मेरे कान्हा मुझसे बहुत प्रेम करते हैं।" कहकर वह घर के कामों में लग गई।
अगले दिन, मीरा ने अपनी साइकिल पार्क की और कॉलेज में अंदर आ गई।
तभी आरव ने उसे टोकते हुए कहा, "ओह! मिस फ्रेशर!"
मीरा रुकी और मन ही मन कहा, "हे भगवान! मैं रोज आपकी पूजा करती हूँ, प्लीज़ मुझे बचा लो।" इतना कहकर उसने आरव को देखा जो उसके पास आ गया था।
मीरा एक कदम की दूरी बनाकर आरव से बोली, "बोलिए।"
"कल तो बचकर चली गई, आज कहाँ जाओगी?" आरव ने उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा।
"आखिर मैंने आपका क्या बिगाड़ा है?" मीरा ने लाचारी से आवाज़ में पूछा।
निकिता वहाँ आकर बोली, "कितनी बिचारी बनती हो तुम।"
मीरा ने उसे देखा और वहाँ से जाने लगी तो आरव ने उसका हाथ पकड़ लिया, "बचकर कहाँ जा रही हो?"
आरव की पकड़ मीरा के बाजू पर हो गई थी। मीरा ने अपनी मुट्ठी बांध ली। मीरा ने आरव से अपना हाथ छुड़ाकर कहा, "छोड़िये मुझे, दर्द हो रहा है।"
आरव ने उसकी बाजू छोड़ी तो मीरा लड़खड़ाकर पीछे गिरने लगी। उसने खुद को संभाला ही था कि मनीषा ने अपना पैर बीच में कर दिया, जिससे मीरा जमीन पर गिर गई।
"हाय! मेरी कमर!" मीरा ने दर्द में कहा। वहीं मनीषा, आरव, निकिता उस पर हँसने लगे।
मीरा को एक बार फिर कॉलेज में परेशान किया जाने लगा। मीरा जमीन पर गिरी हुई थी। आरव, मनीषा, डिम्पल उस पर हँसने लगे थे। तभी वहाँ कृष आया और उसने मीरा को उठाया। कृष ने मीरा को उठाते हुए पूछा, "क्या तुम ठीक हो?"
मीरा ने हाँ में सर हिलाते हुए कहा, "मदद के लिए शुक्रिया।"
कृष ने आरव, मनीषा और निकिता को देखकर कहा, "अब क्यों परेशान कर रहे हो इसे? आज तो इसका दूसरा दिन है। अब यह फ्रेशर नहीं है।"
कृष ने अभिमन्यु से कहा, "कल यह साफ़ तौर पर हमसे बच गई थी और इसने हमें पूरे मैदान में अपने पीछे भगाया था।"
आरव ने आगे आकर कहा, "हाँ, यह ज़रूरत से ज़्यादा चलाक बनने की कोशिश कर रही है। आज तो यह नहीं बचने वाली।"
मीरा ने आरव से कहा, "आखिर तुम चाहते क्या हो?"
आरव ने ईविल स्माइल के साथ कहा, "अब आया उठ पहाड़ के नीचे।"
मनीषा आगे आकर बोली, "सबके सामने हमसे माफ़ी मांगो और आगे से कभी हमसे पंगे नहीं लोगी।"
मीरा ने उससे कहा, "बाबा हमेशा कहते हैं, जब गलत नहीं हो तब तक झुकना नहीं।"
तभी पीछे से एक दमदार आवाज़ आई, "हालत देखकर झुकने में भलाई है, वरना बहुत कुछ गलत हो सकता है।"
यह आवाज़ सुनकर मीरा ने उस तरफ़ देखा तो वहाँ अर्जुन अपनी बुलेट पर बैठा हुआ था। अर्जुन बड़े स्टाइल से अपनी बुलेट से नीचे उतरकर उसके पास आया। गुलाबी सूट, नीला दुपट्टा, बालों की लम्बी चोटी में मीरा बहुत सुंदर लग रही थी। अर्जुन की नज़र उस पर ठहर गई थी।
मीरा ने उसकी आँखों में देखकर कहा, "हालत देखकर पीछे हट जाऊँ, मैं उनमें से नहीं हूँ।" इतना कहकर मीरा कॉलेज की तरफ़ जाने लगी।
अब क्या आरव के दोस्त फिर मीरा को परेशान करेंगे? या फिर मीरा बच निकलेगी? जानने के लिए पढ़ते रहिये।
मीरा को कॉलेज में एक बार फिर परेशान किया गया। आरव उसके सामने आया और अचानक उसके मुँह पर मिट्टी डाल दी। मीरा ने एकदम आँखें बंद कर लीं ताकि मिट्टी उसकी आँखों में ना जाए, पर उसका चेहरा मिट्टी से भर चुका था।
मीरा को बहुत गुस्सा आया। उसने आरव पर भड़कते हुए कहा, "तुम्हें जरा सा भी अक्ल नहीं है कि एक लड़की के साथ किस तरह का बर्ताव किया जाता है। इतने बड़े हो गए हो, कॉलेज में पढ़ाई करते हो, पर अक्ल ढेले भर की भी नहीं है।" इतना कहकर वह अपना चेहरा दुपट्टे से साफ करके जाने लगी।
निकिता ने गुस्से में कहा, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे दोस्त को ये सब कहने की?"
"आप सब से कुछ कहना ही बेकार है," मीरा बोली, "मैं चली प्रिंसिपल के पास।" इतना कहकर वह जाने लगी तो सब हँसने लगे।
आरव ने हँसते हुए कहा, "प्रिंसिपल ही क्यों? यहाँ के ट्रस्टी से भी शिकायत कर लोगी, तब भी हम नहीं डरने वाले हैं।"
मीरा रुकी और उसे मुँहतोड़ जवाब देते हुए बोली, "आपको अपने ढीठ होने का प्रमाण पत्र देने की ज़रूरत नहीं है। आपके चेहरे से लटक रहा है कि आप अव्वल दर्जे के ढीठ हैं।"
अर्जुन मीरा के सामने आया और बोला, "तुम्हारी जुबान कुछ ज़्यादा नहीं चलती। अभी तक तुमने अर्जुन राठौर का ढीठपन नहीं देखा है।"
मीरा एक कदम पीछे गई और कुछ बोलने को हुई तो मनीषा आगे आकर मीरा को वार्निंग देते हुए बोली, "अगर हम अपनी पर आ गए तो ये पूरे साल हमसे डरेगी।"
मीरा जाने को हुई तो आरव ने उसे पैर डालकर गिराना चाहा। मीरा गिरते-गिरते बची, पर तभी आसमान में कौवे लगातार शोर करने लगे। आरव और निकिता ने ऊपर देखा तो क्रो शिट उनके ऊपर आकर गिरी।
आरव और निकिता की शक्ल देखने लायक थी। उन दोनों के मुँह से निकला, "ओह! शिट।" अर्जुन और कृष उनसे दूर हुए।
मीरा हँसते हुए बोली, "ओह! शिट नहीं, क्रो शिट है। भगवान जी सब देखते हैं। वक्त है, सुधर जाओ।" इतना कहकर मीरा तेज़ी से वहाँ से भागने लगी, पर अर्जुन ने उसे बाजू से पकड़ लिया। दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में देखने लगे। मीरा की धड़कनें बढ़ गईं।
मीरा ने खुद को छुड़ाना चाहा, पर अर्जुन की पकड़ मीरा पर कसती जा रही थी। मीरा ने अर्जुन को एक तेज़ धक्का दिया और कॉलेज में भाग गई।
अर्जुन ने गुस्से में कहा, "इसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे धक्का देने की? तुम इसकी कीमत चुकाओगी।" कृष मुस्कुराने लगा।
आरव ने गुस्से में कहा, "ये लड़की आज नहीं बचेगी।"
मनीषा ने निकिता से कहा, "आओ, मैं तुम्हारी मदद कर दूँ।" कहकर वह उसे वाशरूम में लेकर चली गई। आरव भी खुद को साफ करने चला गया।
कॉलेज में एक बार सबको मीरा के कारनामों के बारे में पता चल गया था। मीरा क्लास में आई तो एक एक्स्ट्रा बेंच लगी हुई थी। मीरा बिना देर किए बेंच पर जाकर बैठ गई। अर्जुन अपने दोस्तों के साथ वहाँ आया। अर्जुन और उसके दोस्तों ने मीरा को घूरकर देखा और अपनी जगह पर जाकर बैठने लगे।
तभी मीरा ने महसूस किया कि उसके दाहिने बगल में जो बेंच है, वहाँ कोई और नहीं, बल्कि कृष और अर्जुन बैठे हुए हैं। बाएँ तरफ़ मनीषा और निकिता बैठे हुए हैं और पीछे बैठा है शरारती आरव।
मीरा ने मन ही मन कहा, "मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे इन सब ने मुझे घेर कर रखा है।"
थोड़ी देर में क्लास शुरू हो गई। प्रोफ़ेसर विनय आए और उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा, "मुझे क्लास में शोर बिल्कुल पसंद नहीं, ख़ासतौर से तब जब मैं पढ़ाऊँ। अगर उस बीच किसी ने आवाज़ की तो मैं उसे क्लास से बाहर निकाल दूँगा।" इतना कहकर वह पढ़ाने लगे।
थोड़ी ही देर हुई थी कि आरव ने पीछे से मीरा के बाल खींचे। मीरा ने दर्द में कहा, "आह! मेरे बाल।"
ये सुनकर सब का ध्यान उस ओर गया। विनय ने उसे घूरते हुए कहा, "मैंने थोड़ी देर पहले कुछ कहा था।"
मीरा खड़े होकर बोली, "प्रोफ़ेसर, मेरे बाल पीछे से खींचे गए हैं।"
विनय ने पीछे देखा जहाँ आरव बैठा हुआ था। आरव ने तुरंत मना करते हुए कहा, "प्रोफ़ेसर, ये झूठ कह रही है। इसके बाल बेंच में फँसे हुए हैं और मुझ पर इल्ज़ाम लगा रही है।"
प्रोफ़ेसर विनय ने वहाँ जाकर देखा तो वाकई मीरा के बाल बेंच में फँसे हुए थे। मीरा ने अपने बाल निकाले। आरव ने अर्जुन की तरफ़ तिरछी मुस्कान दी। कृष ने अपने सर पर हाथ रख लिया।
प्रोफ़ेसर विनय ने मीरा से कहा, "तुम लड़कियाँ पढ़ाई करने आती हो या बाल बनाने?" मीरा एकदम से शर्मिंदा महसूस करने लगी।
किसी ने कमेंट में कहा, "ब्यूटी कॉम्पिटिशन करने आई होंगी।"
निकिता ने टोंकते हुए कहा, "ब्यूटी कॉम्पिटिशन में भाग लेने के लिए सुंदरता और रूप की ज़रूरत होती है। गोरा रंग ज़्यादा ज़रूरी है।"
सब ने मीरा की तरफ़ देखा जिसका रंग साँवला था। आँखों पर बड़े फ़्रेम का चश्मा और लंबी चोटी, गुलाबी-नीले रंग का सलवार सूट पहने हुए मीरा इतनी सुंदर नहीं दिखाई दे रही थी। मीरा ने क्लास में सबको देखा और हलकी मुस्कराहट के साथ बोली, "महाभारत और रामायण हमें यही सिखाती हैं कि मनुष्य की सुंदरता उसके रूप से नहीं, परंतु उसके कर्मों से की जाती है। शायद आप लोगों ने पढ़ा है, पर पचाया कुछ नहीं।"
उसकी इस बात पर कृष ने तालियाँ बजाईं। उसे देखकर कुछ लोगों ने भी मीरा की इस बात का समर्थन किया। प्रोफ़ेसर विनय इस बात से थोड़े हैरान हुए। तभी पीरियड ओवर हो गया। उन्होंने मीरा से कहा, "इस बात को छोड़ रहा हूँ, पर अगली बार नहीं।" कहकर वे चले गए।
निकिता ने गुस्से में मीरा से कहा, "तुम खुद को समझती क्या हो जो हमें महाभारत और रामायण का ज्ञान दे रही हो?"
आरव ने मज़ाक बनाकर कहा, "कल से गूगल में 'ज्ञानी बाबा .com' टाइप करेंगे। वहाँ पर तुम अपना प्रवचन ज़रूर दोगी।"
मीरा ने कुछ नहीं कहा और वहाँ से चली गई।
अब क्या करेगा अर्जुन?
जानने के लिए पढ़े "बुलेट राजा।"
मीरा गार्डन के बेंच पर आकर बैठ गई। वह काफ़ी गुस्से में लग रही थी। तभी उसके बगल में दो लोग आकर बैठ गए। मीरा ने उन्हें एक नज़र देखा और किताब निकालकर पढ़ने लगी। कुछ देर बाद मीरा ने महसूस किया कि वे लोग कोई सवाल हल कर रहे हैं। पर उन्हें यह करने में दिक्क़त आ रही थी।
मीरा ने धीरे से उनसे पूछा, "क्या मदद कर दूँ?"
उन दोनों ने मीरा को देखा। मीरा ने कहा, "मेरा नाम मीरा है। मैं तीसरे वर्ष की छात्रा हूँ। यह सवाल हल करना मेरे लिए आसान है।"
वह दोनों मुस्कुराए। उस लड़की ने कहा, "मेरा नाम आइशा है। हम पहले वर्ष के छात्र हैं।"
तभी एक लड़के ने कहा, "मेरा नाम अभय है। हमें यह प्रश्न करने में दिक्क़त आ रही है।" कहकर उसने मीरा को प्रश्न दिखाया। मीरा ने थोड़ी देर उस प्रश्न को देखा और उन्हें समझाने लगी।
बातों के दौरान वे काफी अच्छे दोस्त बन गए। तभी वहाँ अर्जुन आया और मीरा से बोला, "तुम खुद तो चौथी फेल हो, और दूसरों को ज्ञान दे रही हो?"
आइशा और अभय ने अर्जुन और मीरा को देखा। मीरा ने घूरते हुए अर्जुन से कहा, "बकवास बंद करो, मैं कोई चौथी फेल नहीं हूँ। तुमसे ज़्यादा अच्छे नंबर रहे होंगे मेरे।"
अर्जुन ने उसे ऐसे देखा जैसे यह जानना चाह रहा हो कि मीरा सच बोल रही है या नहीं। मीरा ने अर्जुन से पूछा, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
अर्जुन ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "क्या करूँ? तुम्हारे बिना मेरा दिल नहीं लग रहा था तो तुम्हारे पास चला आया।"
मीरा को यह बात बहुत बुरी लगी। वह कुछ कहती उससे पहले आइशा बोल पड़ी, "वाह! आप क्या बात कही है? क्या आप दोनों कपल हैं?"
अर्जुन ने कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोला, पर उससे पहले मीरा बोल पड़ी, "ओह! प्लीज़, यह मेरे टाइप का नहीं है।"
"टाइप?" अर्जुन सोचने लगा। और उसने कहा, "एक्सक्यूज़ मी! तुम कहना क्या चाहती हो? मैं पूरे कॉलेज का हैंडसम लड़का हूँ। लड़कियाँ आगे-पीछे रहती हैं मेरे। और तुम मुझे टाइप बता रही हो?" कहकर अर्जुन ने ऐटिट्यूड में सामने की तरफ़ देखा।
मीरा ने अर्जुन को अपनी तरफ़ घुमाया और उसके चारों ओर देखने लगी। उसकी इस हरकत पर अर्जुन ने पूछा, "तुम क्या देख रही हो?"
मीरा ने जवाब में कहा, "लड़कियाँ देख रही हूँ, जो तुम्हारे आगे-पीछे घूमती हों? फ़िलहाल तो मुझे कोई दिखाई नहीं दे रही है।"
आइशा और अभय को हल्की सी हँसी आ गई। अर्जुन ने उन्हें घूरकर देखा तो वे दोनों चुप हो गए। अर्जुन ने मीरा से कहा, "हाँ तो मिस राजपूत, आप जरा बताएँगी कि किस टाइप के लड़के मुझसे ज़्यादा अच्छे हैं।"
मीरा ने उससे कहा, "मैं तुम्हें क्यों बताऊँ?" कहकर वह जाने लगी। आइशा ने अर्जुन से कहा, "अगर आप उन्हें मनाना चाहते हैं तो आप अपना लुक्स बदल लीजिये, कुछ ऐसे।" कहकर उसने अर्जुन को कुछ मॉडल की फ़ोटो दिखाई।
मीरा गेट के पास आई तो देखा कुछ लोग उसकी साइकिल के पास थे। मीरा ने जोर से कहा, "हे! क्या कर रहे हो तुम लोग?" वे लड़के जल्दी से वहाँ से भाग गए।
मीरा जल्दी से अपनी साइकिल के पास गई तो देखा उसकी दोनों टायरों में हवा नहीं थी। मीरा ने जोर से अपना हाथ सीट पर मार दिया। तभी पीछे से आरव की आवाज आई।
"क्यों ज्ञानी बाबा? कॉम्पलीट सारी हवा निकल गई।" आरव ने उसका मज़ाक बनाकर कहा।
निकिता ने आरव का साथ देते हुए मीरा को धमकाते हुए कहा, "अभी वक़्त है, मान जाओ। हमसे माफ़ी माँगो। वरना अगली बार तुम्हारी हवा निकलेगी।"
मीरा ने गुस्से में उन दोनों से कहा, "माफ़ी मुझे नहीं, तुम दोनों को माँगनी चाहिए।"
तभी अर्जुन, कृष और मनीषा के साथ वहाँ आ गया। अर्जुन ने उससे कहा, "अब क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी?"
मीरा ने उससे शिकायत करते हुए कहा, "तुम्हारे दोस्त ने मेरी साइकिल खराब कर दी।"
अर्जुन ने एक नज़र उसकी साइकिल को देखा और कहा, "यह तो सच में खटारा हो गई।" कहकर वह हँसने लगा।
मीरा ने उसे घूरते हुए देखा पर कुछ नहीं कहा। उसने अपनी साइकिल अनलॉक की और वहाँ से जाने लगी। कृष उसके पीछे जाते हुए बोला, "मीरा, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ।"
मीरा ने उसे मना करते हुए कहा, "नहीं कृष जी, इसकी ज़रूरत नहीं है।"
अर्जुन ने कृष से कहा, "ओए, तुझे मेरे साथ जाना है।"
कृष ने उसे मना करते हुए, लगभग तुनकते हुए कहा, "नहीं, तुझे और आरव को अब भी बहुत से काम होंगे। जाओ जाकर किसी और की साइकिल की हवा निकालो, उन्हें डराओ-धमकाओ। आख़िरकार तुम लोग देश का महान काम जो कर रहे हो।"
यह सुनते ही मनीषा और मीरा की हँसी छूट गई। आरव ने मनीषा के कंधे पर मारकर कहा, "तुझे बड़ी हँसी आ रही है।"
मनीषा ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, "मुझे तो वह दिन याद आ गया जब तू उस लड़की..." इसके आगे मनीषा कुछ कह पाती, आरव ने उसके मुँह पर हाथ रखकर कहा, "खबरदार जो तूने कुछ कहा तो।"
मनीषा ने उसके हाथों को झटक दिया जिससे आरव की पकड़ उससे छूट गई। मनीषा उसे धक्का देकर भाग गई। कृष ने मीरा से कहा, "मुझे रास्ते में कुछ लेना है। चलो साथ चलते हैं।" कहकर वह उसके साथ चलने लगा।
मीरा ने अपनी साइकिल पकड़ी हुई थी और कृष के साथ बातें करते हुए आगे बढ़ने लगी। यह देखकर अर्जुन को बिलकुल अच्छा नहीं लगा। उसने अपनी बुलेट निकाली और उनके पीछे निकल गया।
निकिता वहाँ अकेली रह गई। निकिता ने खुद से कहा, "कल की आई लड़की के वज़ह से मेरे दोस्तों ने आज मुझे नज़रअंदाज़ कर दिया।"
निकिता को बहुत गुस्सा आ रहा था। वह ऐसा नहीं होने दे सकती थी। उसने खुद से कहा, "अब जल्द से जल्द मुझे इस लड़की को रास्ते से हटाना होगा।" कहकर वह वहाँ से चली गई। उसका गुस्सा बहुत तेज था।
तो क्या मीरा और अर्जुन की नोक-झोक कभी खत्म होंगी?
क्या करने वाली है निकिता?
जानने के लिए पढ़ें "बुलेट राजा।"
रास्ते में कृष और मीरा बातें करते हुए जा रहे थे। उनके बगल में अर्जुन अपनी बुलेट धीरे-धीरे चला रहा था। अर्जुन ने कृष से पूछा, "कृष, तुझे कहाँ जाना है?"
कृष ने उसकी बात को अनसुना करते हुए मीरा से कहा, "लगता है तुम अपनी साइकिल से ज़्यादा आत्मीय हो।"
मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, यह हमें हमारे पापा ने दी है, हमारा बर्थडे गिफ्ट है। हमने इसका नाम भी रखा हुआ है।"
कृष ने हल्का सा हँसते हुए पूछा, "अच्छा, वैसे क्या नाम है तुम्हारी साइकिल का?"
मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा, "धन्नो।"
यह सुनते ही अर्जुन की बुलेट एकदम से रुक गई। और वह जोर-जोर से हँसने लगा, "साइकिल का नाम धन्नो? हाहाहाहा।"
अर्जुन को ऐसे हँसते देखकर मीरा का मुँह छोटा सा हो गया। अर्जुन ने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा, "अगर यह तुम्हारी धन्नो है, तो फिर तुम तो बसन्ती हुई।"
मीरा ने मुँह बना लिया। कृष ने अर्जुन से कहा, "अर्जुन, क्यों छेड़ रहा है उसे? धन्नो नाम में बुराई क्या है? तेरी बुलेट का भी तूने नाम रखा था।"
अर्जुन ने बड़े गर्व से कहा, "बुलेट राजा।" मीरा ने घमंडी अर्जुन की तरफ देखा तो अर्जुन ने आगे कहा, "यह मेरी बुलेट और इस पर बैठने वाला मैं किंग। इसलिए बुलेट राजा।" कहकर उसने अपने कॉलर खड़े किए।
मीरा ने उससे परेशान होकर कहा, "तुम थोड़ा दूर जाकर कहीं डूब क्यों नहीं जाते? क्यों मेरी ज़िंदगी में ग्रहण बनकर आए हो?"
अर्जुन ने उससे कहा, "मैं ग्रहण हूँ या तुम? मेरा दोस्त हमेशा मेरे साथ आता-जाता था। पर आज वह तुम्हारी वजह से पदयात्रा कर रहा है। तुम सिर्फ़ ग्रहण ही नहीं, बल्कि राहु-केतु बनकर आई हो।"
मीरा को गुस्सा अब बहुत बढ़ चुका था। वह कुछ कहती उससे पहले कृष ने उसे शांत करते हुए कहा, "मीरा, शांत हो जाओ। देखो, हमारी मंज़िल आ गई है।"
मीरा ने आस-पास देखते हुए पूछा, "बीच रास्ते में मंज़िल कैसे?"
कृष ने उसे सड़क किनारे एक दुकान की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, "यहाँ तुम अपनी साइकिल रिपेयर करा लेनी चाहिए।"
मीरा और अर्जुन दोनों ने वहाँ देखा, और फिर वहाँ चले गए। मीरा ने वहाँ काम कर रहे आदमी से अपनी साइकिल बनाने को कहा, तो उस आदमी ने उसे थोड़ी देर रुकने को कहकर अपना काम करने लगा।
मीरा वहीं खड़ी थी। अचानक ही कृष का फ़ोन बजने लगा। वह मीरा को क्षमा माँगते हुए थोड़ा दूर चला गया। मीरा को उस दुकान में खड़े रहने से थोड़ा अजीब लग रहा था।
वहाँ आए कुछ आदमी मीरा को अजीब नज़रों से देखने लगे। एक आदमी ने टिप्पणी करते हुए साइकिल शॉप के मालिक से कहा, "तुम्हारी दुकान के बाहर आज काफ़ी चमक है।"
दूसरे ने टिप्पणी में कहा, "यह चमक काफ़ी अच्छी है। तुम आराम से हमारी साइकिल बनाओ। तब तक हम इस नज़ारे को अपनी आँखों में बसा लें।"
सड़क के किनारे अर्जुन यह सब कुछ देख और सुन रहा था। उसने मन ही मन कहा, "क्या यह लड़की पागल हो गई है। ये लोग उस पर टिप्पणी कर रहे हैं और यह अब भी वहीं खड़ी है।" कहकर अर्जुन मीरा के पास आया और कुछ इस तरह खड़ा हो गया जिससे वे आदमी मीरा को देख न पाएँ।
मीरा ने अर्जुन को देखा, तो अर्जुन ने उससे कहा, "तुम सड़क के दूसरी तरफ़ भी खड़ी हो सकती थी। या तुम्हें कुछ समझ नहीं आता। या फिर तुम कुछ समझना नहीं चाहती।" कहकर उसने मीरा का हाथ ज़ोर से पकड़ा और उसे सड़क के दूसरे किनारे ले जाने लगा।
मीरा ने उससे हाथ छुड़ाकर कहा, "अरे! क्या कर रहे हो? धीरे चलो।" अर्जुन ने उसका हाथ छोड़ा और गुस्से में उन आदमियों को देखने लगा, जिन्होंने अब अपनी नज़रें फेर ली थीं।
कृष वहाँ आकर बोला, "क्या हुआ तुम दोनों यहाँ? साइकिल बन गई।"
अर्जुन ने दाँत पीसकर कहा, "साइकिल का तो पता नहीं, पर और भी बहुत कुछ पंचर हो सकता है।" कहकर उसने एक बार फिर उन आदमियों को घूरा। कृष ने अर्जुन की नज़र का पीछा किया तो वह कुछ-कुछ समझने लगा।
मीरा ने कृष से अर्जुन की शिकायत करते हुए कहा, "देख लीजिए, बेवजह ही गुस्सा कर रहे हैं। बहकी-बहकी सी बातें कर रहे हैं। कहीं दौरे तो नहीं पड़ रहे इनको?"
अर्जुन ने उसे गुस्से में कहा, "ऐसे तो तुम ज्ञान भरी बातें कहकर लोगों का दिमाग खा जाती हो, और अब तक तुम्हें समझ नहीं आया कि मैं..." कहते हुए वह चुप हो गया। अर्जुन को एहसास हुआ कि वह अनजाने में मीरा की फ़िक्र करने लगा।
अर्जुन बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया। मीरा ने कृष से कहा, "देखा, कितना अजीब इंसान है यह।"
कृष ने हल्का सा मुस्कुराकर कहा, "वह जब भी कुछ करता है, तो बेवजह कुछ नहीं करता है।"
मीरा बोली, "मतलब?"
कृष ने उसे समझाते हुए कहा, "ज़रूर उस दुकान पर मौजूद लोग तुम्हें गंदी नज़रों से देख रहे होंगे। शायद यही वजह होगी अर्जुन के गुस्से की।"
मीरा की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। उसने एक नज़र उन आदमियों को देखा जो उसे देख रहे थे और फिर अर्जुन को देखा जो दूर से उन्हें घूर रहा था। मीरा ने कृष की तरफ़ देखा और कहा, "मैंने ध्यान नहीं दिया।" कृष ने सिर हिला दिया।
कुछ ही देर में मीरा की साइकिल बनकर तैयार हो गई। अर्जुन और कृष ने उसे घर तक छोड़ा। मीरा ने कृष से कहा, "थैंक्यू सो मच।"
कृष ने सिर हिलाया और जाकर अर्जुन की बुलेट पर बैठ गया। मीरा अर्जुन को थैंक्यू और सॉरी कहना चाहती थी, पर अर्जुन के चेहरे पर ज़्यादा नाराज़गी देखकर उसकी हिम्मत नहीं हुई कुछ कहने की। अर्जुन ने उसे एक नज़र देखा तक नहीं और वहाँ से चला गया।
मीरा घर में आ गई। उसने खुद से कहा, "इतनी सिंपल सी बात थी। वह कह देता कि वह मुझे प्रोटेक्ट कर रहा है। इसमें इतना गुस्सा करने वाली क्या बात है?" पर अगले ही पल मीरा ने खुद से कहा, "मुझे उससे रूड होकर बात नहीं करनी चाहिए थी। ऐसा करती हूँ, कल उसे थैंक्यू और सॉरी कह दूँगी।"
कैसे कहेगी मीरा अर्जुन को सॉरी?
क्या अर्जुन माफ़ करेगा?
जानने के लिए पढ़ें "बुलेट राजा।"
रात का समय था। क्लब 9 में कुछ गुंडे स्टेज पर हो रहे नृत्य का आनंद ले रहे थे। साथ ही, कुछ अवैध गतिविधियाँ भी वहाँ चल रही थीं। उन सबका सरदार अपने सामने खड़े लड़के को देखकर बोला, "तो आरव सिंघानिया नाम है तुम्हारा?"
आरव ने सिर हिलाकर कहा, "हाँ भाई, मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत है।"
"पैसे मिल जाएँगे," उस आदमी ने कहा, "पर तू हमें वापस कब करेगा?"
आरव ने कहा, "बहुत जल्द लौटा दूँगा भाई।"
उस आदमी ने आरव को ऊपर से नीचे तक देखा और कहा, "समय पर पैसे नहीं मिले, या तू कहीं भाग गया, तो जहाँ मिलेगा वहीं तेरी जान निकालकर पैसे वसूल करूँगा।"
आरव डर से अपना गला घुटका। उसके सामने मनाली का जाना-माना गुंडा, नंदन चौरसिया बैठा हुआ था, जिसने कुछ समय पहले मुंबई आकर अपनी पहुँच काफी बढ़ा ली थी।
नंदन चौरसिया ने उसे पैसे दिए और आरव वहाँ से चला गया। नंदन चौरसिया ने अपने आदमियों से कहा, "इस लड़के पर नज़र बनाए रखो।" उसके आदमियों ने सिर हिला दिया।
अगले दिन, मीरा कॉलेज आकर अर्जुन को ढूँढ रही थी। वह क्लासरूम में गई तो उसे अर्जुन मिला। पर मीरा ने अपने आस-पास के लोगों को देखकर उससे कुछ नहीं कहा; वह उसे अकेले में सॉरी और थैंक्यू कहना चाहती थी।
क्लास खत्म हुई और स्टूडेंट्स के साथ मीरा बाहर आई। मीरा एक बार फिर अर्जुन को ढूँढने लगी। अर्जुन को ढूँढते हुए वह गलती से कॉलेज के पिछले हिस्से के कोरिडोर में आ गई। मीरा ने हताश होकर कहा, "अब मुझे चलना चाहिए।" कहकर वह जाने लगी तो पीछे से किसी ने उसे पकड़ा और उसका मुँह दबाकर एक कमरे में ले गया।
मीरा को समझने और संभलने का मौका तक नहीं मिला। उस शख्स ने उसे स्टोर रूम में धक्का दे दिया। मीरा जल्दी से उस शख्स का चेहरा देखने के लिए मुड़ी, पर उस शख्स ने वहाँ का दरवाजा बंद कर दिया।
मीरा ने दरवाजा पीटकर कहा, "हे! क्या कर रहे हो? खोलो दरवाजा।"
बाहर खड़ी निकिता मुस्कुराई और अपने बगल में मौजूद लड़कों से कहा, "उसने तुम्हारा चेहरा नहीं देखा है; तुम लोग भागो यहाँ से।" कहकर उसने उन्हें वहाँ से भगा दिया।
मीरा ने दरवाजा पीटकर कहा, "निकालो मुझे यहाँ से, यहाँ काफी अंधेरा है। निकालो मुझे। प्लीज, कोई निकालो। कोई सुन रहा है? प्लीज, मेरी मदद करो।"
बाहर खड़ी निकिता ने मन ही मन कहा, "और चिल्लाओ, पर यहाँ तुम्हारी आवाज कोई नहीं सुनने वाला है। उम्मीद करती हूँ कि तुम कल सुबह तक मर जाओ।" कहकर वह चली गई।
मीरा ने कई बार दरवाजा खटखटाया, पर कोई आवाज न पाकर मीरा रोते हुए नीचे बैठ गई। मीरा ने खुद को समेटकर रोते हुए कहा, "माँ-पापा, प्लीज मुझे बचा लो।" कहकर वह घुटने मोड़कर बैठकर रोने लगी। मीरा को इस कमरे में बहुत घबराहट हो रही थी। उसने अपने दिल पर हाथ रख लिया; बंद कमरे में ठीक से साँस लेना मुश्किल था।
अर्जुन कृष कॉलेज के मैदान में बैठे हुए थे। अर्जुन की निगाहें काफी देर से इधर-उधर जा रही थीं, जैसे उसकी निगाहों को किसी की तलाश हो। कृष ने धीरे से पूछा, "क्या वह दिखाई दी?" अर्जुन ने ना में सिर हिलाकर कहा, "पता नहीं, कहाँ चली गई? अब तक तो दिखाई नहीं दी।"
तभी अर्जुन को एहसास हुआ कि उसने क्या कह दिया। अर्जुन ने कृष की तरफ देखा तो कृष मुस्कुरा रहा था। अर्जुन ने कृष से पूछा, "यह कैसा सवाल था?"
कृष ने उसकी चुटकी लेते हुए कहा, "सवाल को छोड़, जवाब की सोच। आखिर तेरी निगाहें किस लड़की को तलाश कर रही हैं?"
कृष की बातों से अर्जुन ने कंधे उचकाकर कहा, "मैं अर्जुन राठौर हूँ, लड़कियों की निगाहें मुझ पर होती हैं। भला मैं किसे क्यों तलाश करूँ?"
कृष ने कहा, "सारी लड़कियों की निगाहें तुझ पर होती हैं, सिवाय एक लड़की के। हो सकता है कि तेरी निगाहें उसे ही तलाश कर रही हों।"
अर्जुन ने चिढ़कर कहा, "तुझे आखिर हुआ क्या है? तू साफ़-साफ़ बता, कहना क्या चाहता है?"
कृष उससे कुछ कहने वाला था कि वहाँ मार्क आ गया और उन्हें अपने साथ म्यूज़िक रूम की तरफ़ चलने को कहा क्योंकि उन्हें प्रैक्टिस करनी थी। अर्जुन और कृष रूम में आ गए।
कुछ देर बाद निकिता, मनीषा और आरव उन्हें घर चलने के लिए कहने आए। अर्जुन ने मना करते हुए कहा, "दरअसल, कॉम्पिटिशन जल्द ही शुरू होगा। मुझे इस बार अच्छी तैयारी करनी है। इसलिए तुम लोग जाओ।"
आरव ने उससे कहा, "कल जल्दी आकर प्रैक्टिस कर लेना। अभी के लिए, बाहर घूमते हैं।"
कृष ने आरव से कहा, "नहीं, कल हम ऑडिशन लेने वाले हैं। लड़कियों की आवाज़ कॉम्पिटिशन में चाहिए। इसलिए तू इन सबको घर लेकर चला जा।"
मनीषा ने कृष और अर्जुन से कहा, "कल तुम्हारे ऑडिशन की तैयारी में मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
निकिता ने अर्जुन से कहा, "अर्जुन, अपना ख्याल रखना। मुझे तुम्हारी जीत का इंतज़ार रहेगा। आखिरकार तुम्हारी आवाज़ बहुत अच्छी है।"
अर्जुन ने मुस्कुराकर कहा, "हाय! मुझे तो शर्म आ गई।" कहकर वे सभी हँसने लगे। आरव, मनीषा और निकिता को लेकर वहाँ से चले गए। मार्क, कृष, अर्जुन प्रैक्टिस करने लगे। शाम हो गई थी; कॉलेज में अब कोई नहीं था।
अर्जुन ने मार्क से पूछा, "पिछले साल कॉलेज ने कुछ गिटार खरीदे थे। वे सारे गिटार कहाँ हैं?"
कृष ने पूछा, "उन सब की क्या ज़रूरत है?"
अर्जुन ने कहा, "हमें ध्यान रखना होगा कि कॉम्पिटिशन से पहले हमारे सारे इक्विपमेंट अच्छे से काम कर रहे हों। मैं इस कॉम्पिटिशन में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं करूँगा।"
मार्क ने अर्जुन से कहा, "सारे इक्विपमेंट कॉलेज के पिछले हिस्से के कोरिडोर के स्टोर रूम में हैं।"
कृष ने उससे कहा, "कल स्टोर रूम से निकाल लेना सारे इक्विपमेंट।"
अर्जुन ने कहा, "नहीं, कल ऑडिशन है, लेक्चर है, एक दिन में इतना सारा काम कैसे होगा? इसलिए अभी बाहर निकाल लेते हैं।"
अर्जुन, मार्क और कृष कॉलेज के पिछले हिस्से की तरफ़ बढ़ने लगे।
क्या अर्जुन मीरा को बचा लेगा? जानने के लिए पढ़े "बुलेट राजा"।
मीरा स्टोर रूम के कमरे में बंद, खुद में सिमट कर रो रही थी। एक साथ कई बातें उसके दिमाग पर हावी हो गई थीं। उसका दिमाग पुरानी बातों को सोचने लगा था; जहाँ वह एक कमरे में बंद होकर अपनी मदद के लिए गुहार लगा रही थी।
"प्लीज, ऐसा मत करो। मुझे कमरे में बंद मत करो। जैसा तुम कहोगे, मैं वैसा करूँगी। पर प्लीज मेरे माँ-बाप को छोड़ दो।" मीरा ने गिड़गिड़ाते हुए एक शख्स से कहा।
उस शख्स ने मीरा को ऊपर से नीचे तक देखकर कहा, "अगर अपनी सलामती चाहती हो तो जैसा मैं कहता हूँ वैसा करना। वरना..." कहकर उस शख्स ने गोली चला दी।
मीरा की चीख निकल गई, "नहीं! ईईईईईईई!"
कॉलेज के पिछले हिस्से में आए अर्जुन, कृष और मार्क ने जब यह चीख सुनी, तो उनके कदम वहीं रुक गए। कृष ने हैरानी से अर्जुन और मार्क से पूछा, "यह चीख कैसी थी?"
मार्क ने डरते हुए कहा, "पूरा कॉलेज तो खाली है। अब क्या यहाँ चुड़ैल और भूतनी तो नहीं आ गई?"
अर्जुन ने भी थोड़ा डरते हुए कहा, "कहीं भूतनियों को पता तो नहीं चल गया कि मैं आया हूँ? क्या अब मैं भूतनियों को भी पसंद आने लगा हूँ? अरे! मैं इतना हैंडसम क्यों हूँ?"
कृष ने उसके सर पर चपत लगाकर कहा, "चुप कर नौटंकी। ऐसी सिचुएशन में भी तुझे मज़ाक सूझ रहा है। मुझे लगता है यहाँ कोई है।" कहकर कृष आगे बढ़ने लगा।
अब उन्हें पायल की आवाज़ आने लगी। अर्जुन ने कृष से कहा, "कृष, तू मेरा इकलौता बेस्ट फ्रेंड है। मैं तुझे खो नहीं सकता। चल, चलते हैं यार यहाँ से, सुबह आ जाएँगे।"
मार्क ने अर्जुन और कृष से कहा, "मुझे ऐसे समय में भूल भुलैया मूवी की मंजूलिका क्यों याद आ रही है?"
अर्जुन ने उसके सर पर चपत लगाकर कहा, "अबे! तू हम लोगों को क्यों याद दिला रहा है। ऐसे ही फटी पड़ी है, और तू है कि?"
कृष ने उन दोनों से कहा, "तुम दोनों चुप करोगे।"
मीरा, जो कमरे में बैठे अपने अतीत से बाहर आई थी, उसे बाहर कुछ आवाज़ें आने लगीं। वह दरवाजे पर खड़ी हुई और खटखटाकर बोली, "निकालो मुझे यहाँ से, निकालो मुझे। जल्दी करो, दरवाज़ा खोलो।"
पूरे कॉरिडोर में मीरा की आवाज़ कुछ ऐसे गूंजने लगी जिससे अब अर्जुन, मार्क के साथ कृष को भी डर लगने लगा। अर्जुन ने कृष का हाथ पकड़ा और वहाँ से भागते हुए बोला, "जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपिट त्रिलोक उजागर।"
अर्जुन डर के मारे हनुमान चालीसा पढ़ने लगा। मार्क ने उन दोनों को भागते देखा तो वह खुद अब उनके पीछे जाने लगा और गुस्से में बोला, "नालायक अर्जुन, देख ली तेरी दोस्ती। कमीने, क्या सिर्फ़ कृष तेरा दोस्त है, मैं नहीं?"
भागते-भागते अब वे तीनों कॉलेज गेट पर आ गए थे। तीनों की साँसें भागने और डर के वजह से फूल रही थीं। अर्जुन ने हाँफते हुए कहा, "मैंने तो फिल्मों में देखा था कॉलेज का भूत, पर अब तो सच में देख लिया रे! बाबा।"
कृष ने अपने कमर पर हाथ रखकर कहा, "मुझे तो अब भी लगता है कि वह कोई भूत नहीं थी।"
मार्क ने उससे पूछा, "तो कौन सी लड़की कॉलेज पायल पहनकर आती है? साफ़ तौर से भूतनियों का काम है पायल पहनकर लोगों को डराना।"
अर्जुन ने अपनी बुलेट की तरफ़ देखा जहाँ उसकी बुलेट के साथ मीरा की साइकिल पार्क थी। अर्जुन की आँखें छोटी हो गईं, "मीरा।" अर्जुन के मुँह से मीरा का नाम सुनकर कृष ने मार्क से कहा, "मीरा, मीरा पहनती है पायल।"
उसी वक़्त कृष को कुछ एहसास हुआ और उसने अर्जुन से पूछा, "हे! तूने अचानक मीरा का नाम क्यों लिया?"
अर्जुन ने उस साइकिल को देखते हुए कहा, "उसकी साइकिल अब तक पार्किंग में क्या कर रही है? कॉलेज तो कब का ख़त्म हो गया।" कृष भी सोचने लगा।
तभी अचानक ही दोनों की दिमाग की बत्ती जली। मार्क ने उन दोनों को देखकर पूछा, "क्या तुम्हें ऐसा लगता है कि कॉरिडोर की भूतनी कोई और नहीं बल्कि मीरा है?"
मार्क ने इतना पूछा ही था कि अर्जुन और कृष बिना कुछ कहे एक बार फिर कॉलेज के अंदर भागने लगे। मार्क ने अपने सर पर हाथ मारकर कहा, "अबे! स्टोर रूम की चाबी मेरे पास है।" कहकर वह भी उनके पीछे भागने लगा।
वही स्टोर रूम में मौजूद मीरा को जब बाहर से आवाज़ आना बंद हो गई, तो वह एक बार फिर निराश हो गई। वह वहीं जोर-जोर से रोने लगी, "कोई तो मुझे यहाँ से निकालो, मुझे अंधेरा नहीं अच्छा लगता। मैं मर जाऊँगी।"
मीरा ने इतना कहा ही था कि उसके कानों में एक आवाज़ आई, "मैं तुम्हें मरने नहीं दूँगा।" मीरा ने जब यह आवाज़ सुनी तो डरते हुए पूछा, "कौन है?"
बाहर कृष और अर्जुन ने कहा, "मीरा, हम हैं, अर्जुन, कृष, मार्क।"
मीरा ने हड़बड़ी में कहा, "अर्जुन तुम? अर्जुन, प्लीज यहाँ से बाहर निकालो। मुझे डर लग रहा है। अर्जुन, प्लीज मदद करो।"
अर्जुन ने दरवाज़े पर हाथ रखकर उसे शांत कराते हुए कहा, "मीरा, शांत हो जाओ, हम तुम्हें यहाँ से निकाल लेंगे।" उसकी आवाज़ सुनकर मीरा को शांति मिल रही थी।
तभी मार्क भागता हुआ वहाँ आया और जेब से चाबी निकालकर कृष की तरफ़ फेंकते हुए कहा, "ये ले चाबी।"
कृष ने चाबी ली और दरवाज़ा पीछे की तरफ़ खोला। दरवाज़ा खुलते ही मीरा बाहर आई और अर्जुन के सीने से लिपट गई। अर्जुन को इसकी उम्मीद बिलकुल नहीं थी। अर्जुन की धड़कनें जैसे रुक सी गई थीं।
वहीं मीरा उसके सीने से लिपट कर रोने लगी, "अंदर बहुत अंधेरा था। मैं बहुत डर गई थी।" कृष और मार्क ने उन दोनों को देखा और गहरी साँस ली।
कृष ने मीरा से कहा, "मीरा, अब डरने की ज़रूरत नहीं है।"
मीरा उसकी आवाज़ सुनकर अर्जुन से थोड़ा दूर हुई। अर्जुन अब भी हैरान था। मीरा ने अपनी भीगी पलकों से अर्जुन को देखा तो अर्जुन ने राहत की साँस लेकर अपने रुमाल से उसके आँसू पोछे; उसकी इस हरकत पर मीरा उसे देखती रह गई।
अर्जुन ने बहुत प्यार से कहा, "रोने की ज़रूरत नहीं है। मैं हूँ ना।" मीरा ने उसकी आँखों में देखते हुए सर हिला दिया।
मार्क ने मीरा से पूछा, "वैसे तुम यहाँ बंद कैसे हो गई?"
मीरा और अर्जुन दोनों होश में आए। मीरा ने गहरी साँस लेकर कहा, "वो मैं अर्जुन को ढूँढ़ते हुए गलती से यहाँ आ गई। मैं जा ही रही थी कि किसी ने मेरा मुँह पीछे से पकड़कर रूम में बंद कर दिया। मैं उसका चेहरा देख तक नहीं पाई।"
अर्जुन और कृष ने एक-दूसरे को देखा और आँखों ही आँखों में सवाल किया, "आखिर कौन हो सकता है वो?"
अर्जुन ने मीरा से पूछा, "तुम मुझे क्यों ढूँढ़ रही थी?"
क्या कृष और अर्जुन पता लगा पाएंगे कि कौन था इन सब के पीछे?
तो क्या जवाब होगा अर्जुन के इस सवाल का?
जानने के लिए पढ़ें "बुलेट राजा।"
अर्जुन, कृष और मार्क ने मिलकर मीरा को स्टोर रूम से बाहर निकाला। उन्होंने मीरा से पूछा, "तुम अर्जुन को क्यों ढूँढ़ रही थी?"
मीरा ने अर्जुन को देखा और कहा, "मुझे याद नहीं कि मैं तुम्हें क्यों ढूँढ़ रही थी। डर के मारे सब भूल गई।" मीरा ने अपनी नज़रें चुरा लीं।
कृष ने मीरा का बैग उठाया और कहा, "अब चलो घर, रात होने वाली है। बाकी का काम सुबह कर लेंगे।"
मार्क ने स्टोर रूम अच्छे से बंद किया और सबके साथ कॉलेज गेट पर आया। कृष ने मीरा से कहा, "मैं साइकिल चलाता हूँ, तुम पीछे बैठ जाओ।"
इस पर अर्जुन की भौंहें सिकुड़ गईं। मीरा ने कृष को मनाते हुए कहा, "नहीं कृष जी, आपने मुझे वक़्त रहते बचाया, उसके लिए थैंक्स, पर अब मैं चली जाऊँगी।"
अर्जुन ने बीच में कहा, "एक्सक्यूज़ मी! कृष ने नहीं, मैंने तुम्हें बचाया है।" मीरा ने अर्जुन की तरफ देखा। अर्जुन ने आगे कहा, "मैंने सबसे पहले तुम्हारी साइकिल यहाँ पार्क में देखी, शक सबसे पहले मुझे हुआ, स्टोर रूम के दरवाज़े तक मैं आया हूँ। और तुम सबसे पहले आकर मेरे गले लगीं।"
मीरा की आँखें शर्म से बड़ी हो गईं। मार्क की हल्की सी मुस्कान छूट गई। मीरा ने उससे कहा, "माना कि आपने मुझे बचाया और मैं अनजाने में आपके पास आ गई। पर कम से कम बोलने का लिहाज़ तो रखिए।"
अर्जुन ने हाथ बाँधकर पूछा, "क्यों रखूँ? मैंने बचाया है तो मैं तो सबको बताऊँगा।"
कृष ने अर्जुन को देखा और फिर मीरा के हाथ से उसकी साइकिल की चाबी लेकर बोला, "मीरा, इस बातों को छोड़ो, आओ मेरे साथ।" कहकर वह साइकिल के पास गया। मीरा भी उसके साथ गई।
कृष साइकिल पर बैठने से पहले, अर्जुन ने साइकिल पकड़ते हुए कहा, "नहीं, तू मेरे साथ जाएगा।"
कृष ने अर्जुन से कहा, "अर्जुन, अब रात होने वाली है। मैं मीरा को अकेले तो नहीं छोड़ने वाला हूँ।"
मार्क ने बीच में कहा, "मैं घर छोड़ देता हूँ मीरा को।"
अर्जुन ने घूरकर मार्क को देखा और मन ही मन कहा, "एक तो मेरा दोस्त पहले ही इस लड़की के आगे-पीछे घूम रहा है और अब मार्क भी वही हरकतें करके इरिटेट कर रहा है।"
कुछ सोचकर अर्जुन ने कहा, "कोई कहीं नहीं जाएगा।"
मीरा ने उससे कहा, "पर मुझे मेरे घर जाना है।"
अर्जुन ने उसका हाथ पकड़ा और अपनी बुलेट की तरफ़ ले जाते हुए बोला, "मेरी बुलेट पर आ जाओ। जल्दी पहुँच जाओगी।"
कृष और मार्क की आँखें बड़ी हो गईं। दोनों ने अर्जुन को हैरानी से देखा। क्या यह वही उनका अर्जुन है जिसने कभी किसी लड़की को अपनी बुलेट पर बैठने का मौका नहीं दिया?
मीरा ने मना करते हुए कहा, "नहीं, मुझे नहीं आना तुम्हारी बुलेट पर, मैं अपनी साइकिल पर ही जाऊँगी।"
अर्जुन ने उससे एटीट्यूड में कहा, "ओह! बसंती। ज़्यादा नखरे ना दिखाओ, मैं बुलेट राजा अपनी बुलेट की सवारी किसी को ऑफ़र नहीं करता। पर तुम्हें कर रहा हूँ, You should be greatful."
मीरा ने कहा, "मैं तुम्हें थैंक्यू कहना चाहती थी। पर तुम्हारा एटीट्यूड देखकर मेरा मन बदल गया है।" कहकर वह कृष के पास आई।
अर्जुन को ना जाने क्यों उन दोनों का साथ में होना अच्छा नहीं लग रहा था। उसने कृष को अपनी कसम देते हुए कहा, "कृष, तुझे मेरी कसम।"
यह सुनकर कृष ने झल्लाते हुए कहा, "अर्जुन, तेरा दिमाग ख़राब हो गया है, इतनी सी बात के लिए कौन कसम देता है?"
अर्जुन ने मीरा को सुनाते हुए कहा, "सुना तुमने? अब छोटी सी बात के लिए किचकिच मत करो, और आओ बुलेट पर।" कहकर उसने उसका बैग ले लिया और बुलेट पर जाकर बुलेट शुरू कर दी।
मीरा उसे हैरानी से देखती रह गई। मार्क ने मीरा से कहा, "मीरा, यह बहुत जिद्दी है, जब तक तुम इसके साथ जाओगी नहीं, तब तक यह बैग वापस नहीं करेगा।"
मीरा मन मारकर उसके साथ बुलेट पर बैठ गई। अर्जुन ने कृष से कहा, "तू मार्क को छोड़कर आ जाना।" कहकर वह निकल गया।
मार्क ने कृष से कहा, "कैसा कमीना दोस्त है। लड़की लेकर निकल गया और साइकिल छोड़ गया।"
कृष ने साइकिल पर बैठते हुए कहा, "इसका कमीनापन मीरा ही निकाल सकती है।" मार्क भी साइकिल पर बैठ गया।
वहीं बुलेट पर मीरा ने काफ़ी कसकर अर्जुन को पकड़ा हुआ था। अर्जुन के होठों पर बड़ी सी मुस्कान थी। अर्जुन ने मीरा को छेड़ते हुए पूछा, "तो मिस राजपूत, कैसा लग रहा है आपको? रंगीन शाम में हैंडसम लड़के के साथ बुलेट पर ठंडी-ठंडी हवा का मज़ा लेना?"
मीरा ने आस-पास देखने का नाटक करते हुए कहा, "मुझे तो कोई हैंडसम लड़का दिखाई नहीं दे रहा है?"
अर्जुन ने अचानक ही बुलेट रोक दी और घूरते हुए मीरा को देखा। अर्जुन ने मीरा से कहा, "तुम दूसरों को ज्ञान बाँटती हो, क्या यह मेनर नहीं कि मुझे थैंक्यू बोल दो, मैं तुम्हें लिफ़्ट दे रहा हूँ और तुम मुझे ही..." कहते हुए अर्जुन रुक गया।
मीरा ने हल्का सा मुस्कुराकर कहा, "थैंक्यू कहने का एक तरीका होता है, जो कि मेरे बैग में है। घर चलो तो बताती हूँ।"
अर्जुन ने बुलेट शुरू करते हुए पूछा, "तुम्हारे बैग में कोई बम तो नहीं?"
मीरा ने मन ही मन कहा, "बम से तुम्हारे जैसे प्राणी को कोई फर्क पड़ता भी होगा?"
कुछ देर में मीरा का घर आया। मीरा ने अपने बैग से टिफ़िन निकाला और अर्जुन को देते हुए बोली, "यह मेरे थैंक्स कहने का तरीका और स्टोर रूम में मुझसे पूछे गए सवाल का जवाब।"
अर्जुन ने उस टिफ़िन को आँखें छोटी करते हुए बोला, "इसका क्या मतलब है?"
मीरा ने उसे समझाते हुए कहा, "तुमने कल साइकिल की दुकान पर मुझे उन लोगों की गंदी नज़र से बचाया, इसलिए तुम्हें थैंक्स कहने के लिए मैं पूरे कॉलेज में तुम्हें ढूँढ़ रही थी। पर मैं स्टोर रूम में बंद हो गई।" कहकर मीरा ने मुँह लटका लिया।
अर्जुन ने डब्बा खोलकर खुश होकर कहा, "वाह! समोसे।" कहकर उसने समोसे खाए।
अर्जुन को ऐसे बच्चों की तरह खाता देखकर मीरा के होठों पर मुस्कान आ गई। अर्जुन ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "उम्मीद नहीं थी बसंती कि तुम इतना अच्छा खाना बना लोगी?"
मीरा ने मुँह बनाकर कहा, "ओह! प्लीज़, मेरा नाम मीरा है।"
अर्जुन ने समोसे खाते हुए कहा, "दूसरों के लिए, पर मेरे लिए सिर्फ़ बसंती।"
मीरा ने हल्के गुस्से में कहा, "अगर ऐसा है, तुम भी दूसरों के लिए अर्जुन राठौर और मेरे लिए..." कहते-कहते वह रुक गई।
उसे रुकता देखकर अर्जुन ने बड़े एहसास के साथ उसकी आँखों में देखकर उससे पूछा, "मैं तुम्हारे लिए क्या?" मीरा उसकी आँखों में देखते हुए खामोश सी हो गई।
क्या जवाब होगा मीरा का? क्या धीरे-धीरे हो रहा है प्यार? जानने के लिए पढ़िए "बुलेट राजा।"
शाम का वक्त था।
शॉपिंग मॉल में अर्जुन और कृष पार्टी के लिए कपड़े देख रहे थे। अर्जुन ने कई सारे जैकेट ट्राई किए, पर कोई भी उसे पसंद नहीं आया। कृष ने चिढ़कर कहा, "अर्जुन, तू तैयार होने में लड़कियों से ज़्यादा समय लगाता है।"
अर्जुन ने जैकेट अपने ऊपर ट्राई करते हुए आईने में देखते हुए कहा, "क्या करूँ? कॉलेज की कई सारी लड़कियाँ कल मुझे देखने वाली हैं। मैं उन्हें निराश नहीं कर सकता हूँ।"
कृष ने एक कपड़ा उसके मुँह पर फेंकते हुए कहा, "सुधर जा अर्जुन, तेरे इनहीँ नखरों की वजह से तेरी आज तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।"
अर्जुन ने अपने चेहरे से कपड़ा हटाकर कहा, "वो लड़कियाँ मेरे टाइप की नहीं हैं। और मेरा आधा से ज़्यादा समय तो तेरे साथ जाता है। तू मुझे छोड़ दे, तब ना मैं दूसरी पटाऊँ।"
कृष ने हल्के गुस्से में कहा, "गो टू हेल।" इतना कहकर वह मेन्स सेक्शन से बाहर जाने लगा।
अर्जुन ने हँसते हुए कहा, "अरे! मुझे पता है तू वहाँ भी मेरा पीछा नहीं छोड़ेगा।" कहकर वह कपड़े देखने लगा।
कृष नीचे के फ्लोर पर आया तो वहाँ ग्रॉसरी का सामान मिल रहा था। कृष वहाँ से जा ही रहा था कि तभी उसे जानी-पहचानी आवाज़ आई। उसने मुड़कर देखा तो वहाँ और कोई नहीं, बल्कि मीरा एक बच्चे के साथ थी।
मीरा ने सामने छोटी सी बच्ची को सीधा खड़ा करते हुए कहा, "गिर जाओगी, भागो नहीं।" वह बच्ची सर हिलाकर वहाँ से चली गई। मीरा मुस्कुराई और जैसे ही पलटी, उसके सामने कृष खड़ा था।
कृष ने उससे पूछा, "हे! मीरा, तुम यहाँ कैसे?"
मीरा ने उससे कहा, "मैं तो यहाँ घर का सामान लेने आई थी। पर आप यहाँ कैसे?"
कृष ने मुँह बनाकर कहा, "पार्टी के लिए कुछ कपड़े देखने आया था। पर अर्जुन तीन घंटों से खुद के लिए कपड़े देख रहा है। जब तक उसकी सिलेक्शन नहीं हो जाती, तब तक मैं सिर्फ़ बोर हो सकता हूँ।"
मीरा ने कहा, "मुझे तो लगता था कि वो सिर्फ़ मुझे परेशान करते हैं। पर नहीं, वो तो अपने बेस्ट फ्रेंड के साथ ऐसा कर रहा है। यह तो गलत बात है।"
"तो तुम गलत-सही ज्ञान देने मॉल चली आई।" इस आवाज़ को सुनकर मीरा और कृष ने वहाँ देखा तो वहाँ अर्जुन खड़ा था। अर्जुन उन दोनों के पास आकर कृष से बोला, "मैं तुझे ढूँढ़ रहा था और तू यहाँ चला आया।"
कृष ने उससे कहा, "मैं शूज़ देखने जा रहा था, रास्ते में मीरा मिल गई।"
अर्जुन ने मीरा और उसकी ट्रॉली में रखे सामान को देखा और पूछा, "यह क्या है? तुमने पार्टी के लिए कपड़े नहीं लिए? यह मत कहना कि तुम पार्टी में नहीं आ रही हो, मैं कोई एक्सक्यूज़ नहीं सुनने वाला हूँ।"
मीरा ने उसे डाँटकर बोला, "चुप करो, कितना बोलते हो, मुझे तो बोलने दो।"
अर्जुन ने उसे आँखें छोटी कर घूरता हुआ देखा तो मीरा आगे बोली, "घर का ज़रूरी सामान लेने आई थी और मेरे पास पहले से ही कपड़े हैं, मुझे नहीं खर्च करने फालतू के पैसे।"
अर्जुन ने उसे उंगली दिखाकर ऐटिट्यूड में कहा, "इट्स बेटर फॉर यू टू फॉलो माई वर्ड।"
मीरा ने उसकी उंगली नीचे करते हुए कहा, "उंगली किसी और को दिखाना।" वो दोनों ही टशन में एक-दूसरे को घूरने लगे।
कृष लाचार होकर बोला, "तुम दोनों कितना लड़ते हो, कॉलेज का तो समझ में आता है पर मॉल में भी लड़ाई।"
अर्जुन ने उसे सफ़ाई देते हुए कहा, "इतिहास गवाह है, लड़ाई पहले लड़कियाँ शुरू करती हैं। इसलिए इसे समझा, और मैं यह बताने आया था कि..."
कहकर उसने एक जैकेट कृष को दिखाते हुए पूछा, "देख कैसी है? एकदम झक्कास ना?"
मीरा ने भी उस जैकेट को देखा और बोल पड़ी, "पूरे तीन घंटे लगाकर तुमने बेकार सी जैकेट ढूँढ़ी।"
मीरा का इतना कहना था कि अर्जुन भड़क गया। अर्जुन उससे बोला, "एक्सक्यूज़ मी! तुम क्या जानो लड़कों की पसंद और नापसंद? मैंने कितनी मेहनत से ढूँढ़ी है इसे।"
मीरा बोली, "बोल तो ऐसे रहे हो जैसे कोहिनूर हीरा ढूँढ़ निकाला हो, आधी फटी जैकेट और कलर देखकर ऐसा लग रहा है जैसे सालों से कपड़े धोए ही नहीं गए हों।" मीरा के मुँह में जो आया उसने बुराई कर दी।
कृष ने अर्जुन का गुस्सा भाँपकर कहा, "मीरा सही कह रही है, यह झक्कास नहीं, बकवास लगेगी तुझ पर।"
अर्जुन ने गहरी साँस लेकर कहा, "आओ मेरे साथ।" कहकर वह मीरा को अपने साथ ले जाने लगा। कृष मीरा की ग्रॉसरी वाली ट्रॉली लेकर मेन्स सेक्शन की तरफ़ लेकर आया।
अर्जुन ने मीरा से कहा, "यह रहा शोरूम, जितनी शिद्दत से मेरे चॉइस की बुराई की है ना, अब उतनी ही ईमानदारी के साथ मेरे लिए कपड़े सेलेक्ट करो। मैं भी तो देखूँ तुम्हारी पसंद।"
मीरा बोली, "मैं तुम्हारी नौकर नहीं हूँ।"
अर्जुन ने उसे धमकाकर, दाँत पीसते हुए धीमी आवाज़ में कहा, "भाषण देना आसान होता है, इतने सारे कपड़ों को देखकर मैं कंफ्यूज़ हो गया था। पर आखिर में तुमने मेरी मेहनत को बेकार कहा, अब ढूँढ़ो मेरे लिए कपड़े, नहीं तो इस मॉल से निकलने के बारे में भूल जाओ।"
मीरा ने कृष की तरफ़ देखा तो कृष ने कंधे उचकाए और कहा, "ढूँढ़ दो मीरा, वरना यह लड़का नहीं मानेगा।"
मीरा ने गहरी साँस ली और अर्जुन की बाजू पकड़कर उसे अंदर ले गई। कृष कुछ दूर खड़ा होकर उन दोनों को देख रहा था। उसने मन ही मन कहा, "अगर मीरा जैसी लड़की अर्जुन की ज़िन्दगी में आ जाए तो अर्जुन की ज़िन्दगी सवर जाएगी।"
वहीं मीरा एक-एक करके अर्जुन पर कपड़े लगाकर देख रही थी। जो उसे पसंद नहीं आता, वह उसे वापस रख देती। यह देखकर वहाँ मौजूद कुछ कपल आपस में बात करने लगे।
"देखो कैसे वो लड़की अपने बॉयफ्रेंड के लिए कपड़े ले रही है, और वो लड़का शांति से उसकी सारी बातें मान रहा है।"
"लड़की अपने लिए नहीं, बॉयफ्रेंड के लिए कपड़े ले रही है। एक हमारी गर्लफ्रेंड है, जो अपने ऊपर ही पैसे खर्च करती है।"
"कितनी समझदार और सुलझी हुई लड़की मिली है उस लड़के को, दोनों कितने अच्छे लग रहे हैं साथ में।"
अर्जुन वहाँ लोगों की बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था। पर मीरा का तो ध्यान सिर्फ़ अर्जुन के लिए अच्छे कपड़े सेलेक्ट करने में था।
तो कौन से कपड़े पहनेगा अर्जुन?
क्या होगी नज़दीकियों की शुरुआत?
जानने के लिए पढ़े "बुलेट राजा।"
कॉलेज में, अर्जुन अपनी बुलेट पर सवार होकर आया। उसके आते ही सबकी निगाहें उस पर टिक गईं। अर्जुन का नया लुक देखकर सभी लड़के-लड़कियाँ दंग रह गए। निकिता, आरव और मनीषा वहीं मौजूद थे।
निकिता ने अर्जुन को देखकर कहा, "वाह! हमारा अर्जुन कितना हैंडसम लग रहा है।"
आरव ने अर्जुन की ओर देखते हुए सवाल किया, "इसे हुआ क्या है?"
मनीषा मुस्कुराते हुए बोली, "अर्जुन का तो पता नहीं, पर अर्जुन को देखकर सभी लड़कियों को कुछ होने लगा है।"
तभी अर्जुन, कृष के साथ वहाँ आकर बोला, "कैसा लग रहा हूँ मैं?"
इस पर आरव ने उससे पूछा, "तूने खुद को बदल कैसे लिया? और क्यों?"
अर्जुन कोई जवाब दे पाता, उससे पहले आइशा अभय के साथ आ गई। "वाह! अर्जुन सर, आप तो बहुत हैंडसम लग रहे हो। देखना, मिस मीरा आपको देखकर जरूर बेहोश हो जाएंगी।"
अर्जुन ने अपने बालों में हाथ फेरा। निकिता गुस्से में बोली, "अरे! लड़की, ये क्या बोल रही हो तुम?"
मनीषा ने पूछा, "हाँ, अर्जुन के लुक्स का मीरा से क्या लेना-देना है?"
आइशा ने अर्जुन की ओर देखा और सबको हिचकिचाते हुए बोली, "दोनों कपल हैं ना?" यह सुनकर अर्जुन के दोस्त हैरान रह गए।
कृष ने अर्जुन से पूछा, "अबे! ये कब हुआ?"
अर्जुन कुछ कह पाता, उससे पहले निकिता ने गुस्से में आइशा से कहा, "तुम्हारा दिमाग खराब है? वो काली कालोटी लड़की और अर्जुन कपल? बिलकुल नहीं। तुम लोगों में दिमाग है भी या नहीं?"
अर्जुन ने निकिता से कहा, "निक, बोलने से पहले सोच ले।"
अर्जुन ने आइशा और अभय से कहा, "ऐसा कुछ नहीं है। वो हमारी क्लासमेट है, और मुझे उसे परेशान करना अच्छा लगता है।"
आइशा ने सिर हिला दिया। अर्जुन ने कृष से कहा, "चल, म्यूजिक कॉम्पिटिशन के लिए ऑडिशन देना है।" कहकर वह कृष को अपने साथ ले जाने लगा।
मनीषा उनके पीछे जाते हुए बोली, "मैं मदद के लिए आ रही हूँ।"
उनके जाने के बाद, निकिता का मीरा को "काली कालोटी" कहना अभय और आइशा दोनों को बुरा लगा। अभय ने धीरे से कहा, "वो बहुत अच्छी लड़की है। हम उनके बारे में ऐसा नहीं सुन सकते। चल, आइशा।" कहकर वह आइशा को लेकर जाने लगा।
आरव ने अभय का बैग पकड़ते हुए कहा, "रुको चिरकुट, क्या बोला तू?"
अभय ने अपना बैग छोड़ते हुए कहा, "प्लीज, हमें जाने दीजिये। क्लास का टाइम हो रहा है।"
आइशा ने अभय का बैग आरव से लेने की कोशिश की, पर छीना-झपटी में आइशा नीचे गिर गई। अभय उसे उठाने लगा। "आइशा, क्या तुम ठीक हो?" आरव और निकिता हँसने लगे।
तभी निकिता ने उसके बालों से पकड़कर उठाया और धमकाते हुए कहा, "अगर दुबारा अर्जुन और उस काली कालोटी मीरा को कपल कहा, तो इससे भी ज्यादा बुरा कहेंगे।"
आइशा ने दर्द में कहा, "क्या कर रही हो? छोड़ो मेरे बाल।"
निकिता ने उसका सर झटके से छोड़ा। आरव ने अभय को धक्का दिया। अभय गिर गया। तभी वहाँ मीरा आ गई। उसने अभय और आइशा को जमीन पर देखा तो मदद के लिए अपना हाथ बढ़ाया।
मीरा ने आरव को डाँटकर कहा, "आरव, ये क्या तरीका है? किसी को परेशान करने का?"
आरव ने उससे कहा, "ये मेरा अपना तरीका है। बेहतर होगा कि तुम बीच में ना पड़ो, ज्ञानी बाबा।com"
मीरा को अब गुस्सा आने लगा था। उसने उससे कहा, "और अगर आ गई तो क्या कर लोगे?"
निकिता आगे आकर बोली, "कुछ ज़्यादा अकड़ नहीं आ गई है तुममें?" कहकर वह कई बार मीरा को कंधे से पीछे धकेलने लगी।
मीरा ने उसे चेतावनी देते हुए कहा, "अपने हाथ रोक लो, नहीं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।"
निकिता ऐटिट्यूड में बोली, "क्या कर लोगी तुम? जानती हो हमने आइशा और अभय को परेशान क्यों किया? क्योंकि इसने तुम्हें और अर्जुन को कपल कहा।"
मीरा ने आइशा और अभय की ओर देखा, जिन्होंने अपना सिर झुकाकर कहा, "गलतफ़हमी हो गई थी छोटी सी।"
मीरा ने निकिता और आरव से कहा, "गलतफ़हमी के लिए तुम ऐसे किसी को ट्रीट नहीं कर सकते हो।"
आरव ने कहा, "ओह प्लीज! मुझे तो लगता है ऐसी बातें तुम ही कॉलेज में फैला रही हो कि कॉलेज का सबसे हैंडसम लड़का तुम पर मरता है। मुझे तो पहले दिन से तुम्हारे कैरेक्टर पर शक था।"
मीरा ने चिल्लाते हुए कहा, "बस, बहुत हो गया।"
उसके चिल्लाने से वहाँ मौजूद लोगों की नज़र मीरा पर आ गई। मीरा ने आरव और निकिता को देखकर कहा, "तुम होते कौन हो? मेरे कैरेक्टर पर सवाल करने वाले? मैंने ये हक किसी को नहीं दिया है, किसी को भी नहीं।"
आरव ने उसे उंगली दिखाकर कहा, "तुम मुझसे ऐसे बात नहीं कर सकती।"
मीरा ने आगे आकर उसकी उंगली को पकड़ के बेखौफ उसकी आँखों में देखकर कहा, "मैं क्या कर सकती हूँ, इसका अंदाज़ा तुम्हें है नहीं। इसलिए मेरे रास्ते में आओ मत।"
आरव उसकी इस बेबाकी से हैरान रह गया। निकिता कुछ बोलने वाली थी, पर मीरा की नज़रों को देखकर उसकी बोलती बंद हो गई। मीरा अभय और आइशा को लेकर वहाँ से चली गई।
आरव के लिए ये बहुत बेइज़्ज़ती वाली बात हो गई थी। पूरे दिन कॉलेज में लोग आज के हुए इंसिडेंट की बात कर रहे थे। अर्जुन, कृष, मनीषा तो कॉम्पिटिशन की तैयारी में इतने व्यस्त थे कि उन्हें इस बात की भनक नहीं लगी।
मीरा लाइब्रेरी की सीढ़ियों से नीचे आ रही थी। अचानक उसका पैर फिसला और वह लड़खड़ा गई। दो मज़बूत बाहों ने आकर उसे थाम लिया। मीरा ने डरते हुए अपनी आँखें खोली और उसकी नज़रें दो आँखों से जाकर मिलीं।
मीरा अर्जुन को देखती रह गई। अर्जुन भी मुस्कुराते हुए मीरा को देख रहा था। मीरा के चेहरे पर आए बालों की लट अर्जुन ने पीछे कर दी। मीरा का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। तभी वहाँ आसपास कुछ स्टूडेंट आए तो मीरा जल्दी से खड़ी हो गई।
अर्जुन ने अपने बालों पर हाथ फेरे और मीरा के कुछ कहने का इंतज़ार करने लगा। मीरा "थैंक्स" कहकर जाने लगी तो अर्जुन ने टोक कर कहा, "व्हाट? क्या सिर्फ़ थैंक्स? और कुछ नहीं कहोगी?"
मीरा ने उससे पूछा, "क्या मुझे कुछ कहना चाहिए?"
अर्जुन ने अपने लुक्स की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, "क्या मैं तुम्हें ठीक से नज़र नहीं आ रहा हूँ?"
मीरा ने उसे बड़े गौर से देखा, उसकी आँखें छोटी हो गईं। अर्जुन बहुत हैंडसम लग रहा था। मीरा के मुँह से निकला, "हैंडसम।"
अर्जुन की आँखें बड़ी हो गईं। "क्या कहा तुमने?" अर्जुन मीरा के मुँह से यही तो सुनना चाहता था। मीरा को एहसास हुआ कि उसने क्या कह दिया।
तो क्या मीरा कहेगी अपने दिल की बात?
जानने के लिए पढ़े "बुलेट राजा।"
अर्जुन मीरा के मुँह से "हैंडसम" सुनकर काफ़ी खुश नज़र आने लगा। मीरा ने जल्दी से खुद को सही करते हुए कहा, "हैंडसम नहीं लग रहे हो, तुम।"
अर्जुन ने उसकी बात को बीच में काटकर कहा, "नहीं, तुमने मुझे हैंडसम कहा।"
मीरा बोली, "तुमने आधी बात सुनी। मैं कह रही हूँ कि हैंडसम नहीं लग रहे हो, अच्छे लग रहे हो, ठीक लग रहे हो, ठीक-ठाक।" कहते हुए वो उससे नज़र चुराने लगी।
अर्जुन समझ गया कि मीरा ऐसी ही है। पर अर्जुन उसे छेड़ने का मौका छोड़ना नहीं चाहता था। अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्या बात है? मैं तुम्हें अच्छा लगने लगा हूँ। आखिरकार तुम भी मेरे चार्म में खोने लगी हो।"
मीरा ने मुँह बनाकर कहा, "गलतफ़हमी है तुम्हारी, इतनी सारी लड़कियाँ मरती हैं तुम पर तो तुम उनके पास जाओ। मेरे होने या ना होने से क्या फ़र्क पड़ता है?"
अर्जुन ने उसे देखकर मन ही मन कहा, "फ़र्क पड़ता है, तुम नहीं समझोगी।"
अर्जुन ने मीरा से शिकायत करते हुए कहा, "अब तुम्हें ऐसे टाइप के लड़के पसंद हैं, तो मैं वैसा बनकर आ गया। उसके बावजूद तुम ऐसा कह रही हो?"
मीरा की आँखें छोटी हो गईं। "What? क्या तुम ये कहना चाहते हो कि तुमने सिर्फ़ मेरे लिए खुद को बदला है?"
अर्जुन कभी गर्दन हाँ में हिलाता तो कभी ना में। अर्जुन ने उसे ना करते हुए कहा, "बिलकुल नहीं, मैं अर्जुन राठौर हूँ, भला मैं किसी के लिए क्यों खुद को बदलूँ?"
मीरा उसे शरारती नज़रों से देख रही थी। अर्जुन झेंप गया। मीरा ने अर्जुन से कहा, "किसी के लिए खुद को मत बदलो, वक़्त और हालात के साथ बदलो, क्योंकि वक़्त और हालात हमें मज़बूत बनाते हैं।"
अर्जुन ने उसके आगे हाथ जोड़कर कहा, "बस, बसंती लेक्चर ख़त्म हो गया है। अब तुम अपना लेक्चर बंद करो।"
मीरा ने उसकी भाषा में जवाब देते हुए कहा, "मैं भूल गई थी। भला डायनासौर भी कभी स्कूल जाते हैं क्या? डायनासौर को ज्ञान देना मतलब समय की बर्बादी।" इतना कहकर वो जाने लगी तो अर्जुन ने पीछे से कहा, "क्या तुम इस डायनासौर के साथ कैंटीन चलोगी?"
मीरा ने हँसते हुए कहा, "ना बाबा, पता चला तुम समोसे की जगह मुझे खा गए तो?"
अर्जुन ने हँसते हुए कहा, "मैं शुद्ध नॉन वेजिटेरियन हूँ।" मीरा इंकार में सर हिलाकर वहाँ से चली गई।
शाम के वक़्त, आरव निकिता के साथ बार में आया हुआ था। वहाँ उसकी मुलाक़ात नंदन चौरसिया से हुई। निकिता ने नंदन चौरसिया को मीरा के बारे में बताते हुए कहा, "उस लड़की ने अपनी हद पार कर दी है। आप जल्द से जल्द उसका कुछ करो।"
आरव ने भी कहा, "हाँ भाई, उस लड़की की अकड़ बहुत बढ़ गई है। मुझसे तो वो सम्भलती नहीं इसलिए मैं आपके पास आया हूँ। आप उसका कुछ कर सकते हो?"
नंदन चौरसिया ने कहा, "हाथ-पैर तोड़ना, किडनैप करना, रेप करना, या रेप करके मारना, इन सब के अलग-अलग चार्जेज़ होते हैं।"
आरव ने जब मुँह से "रेप" के बारे में सुना तो जल्दी से कहा, "नहीं भाई, रेप नहीं। आप खाली डरा-धमका कर हाथ-पैर तोड़कर, उसकी अकड़ ख़त्म कर दो।"
निकिता ने आरव की तरफ़ देखा और मन ही मन कहा, "अगर ये नंदन चौरसिया उसका रेप कर देता तो अच्छा रहता। कम से कम अर्जुन से उसका पीछा छूट जाता।"
अगले दिन, आरव सुबह कॉलेज आया तो वो बहुत परेशान सा था। उसे ऐसे परेशान देखकर कृष और अर्जुन ने उससे पूछा, "हे! आरव क्या हुआ तुझे?"
आरव ने उसकी तरफ़ देखा और रोने जैसी शक्ल बनाकर कहा, "यार मेरे दोस्त, मैं मरने वाला हूँ।"
अर्जुन ने उसके सर पर चपत लगाकर कहा, "बकवास बंद कर, और सीधे-सीधे बता, हुआ क्या है?"
आरव ने उससे नज़र चुराते हुए कहा, "तुझे पता चला तो तू मुझे बहुत मारेगा।"
अर्जुन ने उससे कहा, "नहीं बताएगा तो उससे ज़्यादा मारूँगा।"
कृष ने अर्जुन को शांत कराते हुए कहा, "तू उसे कहने तो दे, वो पहले ही परेशान है।" इतना कहकर उसने आरव को कहने का इशारा किया।
आरव ने गहरी साँस ली और कहा, "साक्षी के पापा की तबियत ख़राब थी। ऑपरेशन के लिए 10 लाख चाहिए थे। घर पर से तो पैसे मिलने से रहे। इसलिए मैंने किसी से उधार लिए और..."
कृष ने उससे पूछा, "और क्या?"
आरव ने रोने जैसी शक्ल बनाकर कहा, "और अब वो अपने पैसे वापस मांग रहा है। मैं क्या करूँ? मैंने साक्षी को कांटेक्ट करने की कोशिश की तो उसका फ़ोन बंद आ रहा है।"
कृष और अर्जुन ये सुनकर हैरान थे। अर्जुन ने हैरानी से कहा, "आरव तेरा दिमाग ख़राब है? तूने 10 लाख की उधारी ली। और तूने साक्षी पर विश्वास किया।"
आरव ने आँसुओं के साथ कहा, "साक्षी मुझे पसंद है। मैं उसे तकलीफ़ में नहीं देख सकता।" ये सुनकर अर्जुन कुछ कहता उससे पहले कृष ने आरव से पूछा, "तुझे इतनी जल्दी 10 लाख रुपये जैसी बड़ी रकम किसने दी?"
आरव ने उन दोनों का चेहरा देखा और डरते हुए कहा, "शहर का गुंडा नंदन चौरसिया।"
उसके इतना कहते ही अर्जुन के एक पंच उसके मुँह पर दे मारा। आरव लड़खड़ा गया। कृष ने अर्जुन को रोकते हुए कहा, "तेरा दिमाग ख़राब हो गया है अर्जुन, वो पहले ही मुसीबत में है और तू है कि..."
अर्जुन ने गुस्से में कहा, "अरे! ये पागल हमसे कह देता। उस गुंडे से पैसा लेने की क्या ज़रूरत थी।"
कृष ने आरव से कहा, "अर्जुन सही कह रहा है। गुस्सा मुझे भी तुझ पर आ रहा है। पर इस वक़्त होश से काम लेना होगा।"
तीनों ये सोचने लगे कि अब आख़िर वो क्या करेंगे? कृष ने अर्जुन से कहा, "हमें साक्षी को ढूँढना होगा।" अर्जुन ने सर हिलाया और आरव से पूछा, "वो कौन से हॉस्पिटल में है?"
आरव ने हिम्मत करते हुए कहा, "सिटी हॉस्पिटल।" तीनों ने सर हिलाया और अर्जुन ने कहा, "शाम को कॉलेज ख़त्म होने के बाद हम वहाँ जाएँगे।"
इसके बाद अर्जुन, कृष म्यूज़िक रूम में चले गए। वहाँ काफ़ी लड़कियाँ लाइन लगाए हुए ऑडिशन दे रही थीं। काफ़ी सारे ऑडिशन देने के बाद भी अर्जुन ने हताश होकर कहा, "ये वो आवाज़ है ही नहीं, जो मैं चाहता हूँ।"
कृष ने कहा, "अभी कुछ लड़कियाँ और हैं। शायद उनमें से कोई हो।"
निकिता ने अर्जुन से कहा, "अर्जुन, तुम्हारी प्रॉब्लम का सलूशन मैं ही हूँ। मैं गाऊँगी तुम्हारे साथ।"
आरव ने हल्का सा हँसकर कहा, "पिछली बार माइक फट गया था तेरी आवाज़ सुनकर।" निकिता ने उसे कोहनी मारकर कहा, "आरव तू पिटेगा मुझसे।" सभी हँस रहे थे।
अब क्या करेगा नंदन चौरसिया?
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निकिता हाथ में माइक लेकर गाना गा रही थी। उसकी आवाज़ सुनकर कई लोगों ने अपने कान पर हाथ रख लिए। निकिता की आवाज़ सुनकर अर्जुन ने माइक का बटन बंद कर दिया और उससे कहा, "निक, प्लीज, मैं पहले से ही परेशान हूँ।"
तभी वहाँ ऑडिशन के लिए आइशा, अभय और मीरा आए। मीरा ने ठंडी आह भरी और आइशा को ऑडिशन देने का इशारा किया। आइशा की आवाज़ अर्जुन को अच्छी लगी। अर्जुन ने आइशा से कहा, "तुम क्लास के बाद मेरे साथ प्रैक्टिस करना।"
अभय ने आइशा से कहा, "Congratulation!" आइशा मुस्कुरा दी।
कृष ने मीरा से पूछा, "हे! मीरा, तुम भी ऑडिशन दोगी?" अर्जुन उसे उम्मीद से देखने लगा।
मीरा ने मना करते हुए कहा, "नहीं, मुझे इंटरेस्ट नहीं है।"
निकिता ने हाथ बाँधकर कहा, "वैसे भी स्टेज पर तुम्हारा सुंदर चेहरा देखने के लिए लोग मरे जा रहे हैं। तुमने उन पर बहुत उपकार किया है।" मनीषा और आरव हँसने लगे।
मीरा ने जवाब में कहा, "शक्ल तो फिर भी बर्दाश्त हो जाएगी, लोग नज़र फेर सकते हैं। पर तुम्हारी शानदार आवाज़ का नमूना लोगों से कहाँ बर्दाश्त होगा?"
निकिता का चेहरा गुस्से में लाल हुआ और अर्जुन, कृष और मार्क को हल्की सी हँसी आ गई।
निकिता ने मीरा से कहा, "अगर है हिम्मत तो हमें अभी अपनी आवाज़ का नमूना दिखाओ।"
मनीषा बोली, "ऑफ़्कौर्से! सब पर हँसना आसान होता है। निकिता ने कोशिश तो की, पर तुम तो सीधे ना कह रही हो।"
अर्जुन शांत था; वह खुद मीरा को गाते हुए सुनना चाहता था। आइशा ने मीरा के पास आकर धीरे से कहा, "आप प्लीज गाओ ना, मैं चाहती हूँ कि इस निकिता का मुँह जल जाए।"
अभय ने उससे कहा, "हाँ प्लीज, यही हमारा बदला होगा।"
उन दोनों के कहने से मीरा ने मार्क से कुछ कहा, तो मार्क ने उसे ओके का इशारा किया। मीरा ने गहरी साँस ली और गाना शुरू कर दिया।
"बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम
बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम
कसम चाहे ले लो
कसम चाहे ले लो
ख़ुदा की कसम
बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम
बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम
हमें हर घड़ी आरजू है तुम्हारी
हमें हर घड़ी आरजू है तुम्हारी
होती है कैसी सनम बेकरारी
मिलेंगे जो तुमको तो
मिलेंगे जो तुमको तो
बताएँगे हम
बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम
बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम"
मार्क ने मीरा की धुन के साथ ही पियानो बजाया। गाना ख़त्म होते ही मीरा ने सर उठाकर सब को देखा; निकिता का चेहरा पीला पड़ा हुआ था और उस कमरे में मौजूद लोगों के चेहरे पर हैरानी थी। साथ ही म्यूज़िक रूम के बाहर मौजूद लोग भी हैरान थे।
तभी आइशा ने सीटी बजाकर कहा, "मीरा, आप तो छा गईं।"
अभय ने ताली बजाकर कहा, "वंडरफुल, उम्मीद से बढ़कर।"
अभय और आइशा के साथ सब ने ताली बजाकर मीरा का अभिवादन किया। अर्जुन ने तो अपने दिल पर हाथ रख लिया। कृष मीरा को देखकर मुस्कुरा उठा।
मीरा ने आरव, मनीषा और निकिता को देखकर कहा, "इंसान की पहचान उसकी सूरत से नहीं, सीरत से होती है, जो कि मेरे पास है।" कहकर मीरा अपनी जगह से खड़ी हो गई।
अर्जुन ने मीरा से कहा, "मुझे कॉम्पीटिशन में जिस आवाज़ की ज़रूरत है, वो तुम्हारे पास है। क्या तुम...?"
मीरा ने उसकी बात पूरी होने से पहले ही मना करते हुए कहा, "मैंने ये सिर्फ़ आइशा और अभय के कहने से किया है। मुझे किसी कॉम्पीटिशन में शामिल नहीं होना है।"
आइशा ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा, "मीरा, मान जाओ ना, हम साथ में गाएँगे।"
अभय ने उससे कहा, "यहाँ बात मान ली तो अब कॉम्पीटिशन के लिए भी मान जाओ।"
मीरा ने सीधे तौर पर मना करते हुए कहा, "बिलकुल नहीं।" कहकर वह म्यूज़िक रूम के बाहर चली गई।
अर्जुन को अच्छा नहीं लगा कि मीरा ने उसे मना कर दिया है। अर्जुन ने मन ही मन कहा, "मैं इसे कॉम्पीटिशन में शामिल करके रहूँगा।"
अर्जुन और कृष ने ऑडिशन बंद कर दिया और फ्रेशर पार्टी की तैयारी में जुट गए। फ्रेशर पार्टी की तैयारी जोरों-शोरों में थी। अर्जुन और उसके ग्रुप ने सब को गार्डन में इकट्ठा किया और फ्रेशर पार्टी की अनाउंसमेंट की।
आरव ने सब को लगभग धमका कर कहा, "देखिए, ये पार्टी आप लोगों के लिए है तो आप लोगों का आना ज़रूरी है। अगर कोई नहीं आया तो पूरे साल मैं उसे परेशान करूँगा।"
आरव की धमकी सुनकर किसी की हिम्मत नहीं हुई कुछ कहने की। निकिता ने माइक हाथ में लेकर कहा, "पार्टी के लिए आज सबको हाफ डे मिल रहा है। जाओ जाकर शॉपिंग करो, मस्ती करो और कल टाइम से पार्टी वेन्यू पर आ जाना।"
सारे स्टूडेंट्स में जोश का माहौल था। चारों तरफ़ पार्टी की बातें हो रही थीं: कि कोई क्या पहनेगा? कल क्या सरप्राइज़ से भरे गेम होंगे? और भी बहुत कुछ।
सब अपने दोस्तों के साथ वहाँ से चले गए। मीरा वहीं थी। अर्जुन ने उसके पास आकर कहा, "पार्टी में ज़रूर आना।"
मीरा ने उससे कहा, "पार्टी फ्रेशर्स के लिए है, मतलब फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स, और मैं तो तुम्हारे क्लास में ही हूँ।"
अर्जुन ने उससे कहा, "बसन्ती, तुम इस कॉलेज के लिए तो नई हो, इसलिए ये पार्टी तुम्हारे लिए भी हुई ना।"
मीरा ने मना करते हुए कहा, "मुझे पार्टी पसंद नहीं।"
अर्जुन ने उसे एकदम से हल्की नाराज़गी दिखाकर कहा, "तुम क्या एलियन हो?"
मीरा ने मुँह बना लिया तो अर्जुन ने आगे इरिटेट होकर कहा, "ये नहीं पसंद, वो नहीं पसंद, अरे! कितने नखरे हैं तुम्हारे? तुम ये सारा नखरा मुझे ही क्यों दिखाती हो, मैं कोई तुम्हारा बॉयफ्रेंड नहीं हूँ जो तुम्हारे नखरे झेलूँगा। चुप करके पार्टी में आ जाना, वरना मेरे पास और भी तरीक़े हैं।" कहकर अर्जुन वहाँ से निकल गया।
मीरा का मुँह खुला का खुला रह गया। उसने मन ही मन कहा, "डायनासौर कहीं का।"
निकिता ने किसी को फोन मिलाया और कहा, "आज रात पार्टी में किसी का ध्यान उस पर नहीं होगा, तो आप अपना काम कर सकते हो।"
तो किसको फोन किया है निकिता ने?
कैसी रहेगी ये फ्रेशर पार्टी?
मीरा ने कॉम्पीटिशन में जाने से क्यों मना कर दिया?
जानने के लिए पढ़ें "बुलेट राजा।"
शाम का वक्त था।
शॉपिंग मॉल में अर्जुन और कृष पार्टी के लिए कपड़े देख रहे थे। अर्जुन ने कई सारे जैकेट ट्राई किए, पर कुछ भी पसंद नहीं आए। कृष ने इर्रिटेट होकर कहा, "अर्जुन, तू तैयार होने में लड़कियों से ज़्यादा समय लगाता है।"
अर्जुन ने जैकेट अपने ऊपर ट्राई करते हुए आईने में देखते हुए कहा, "क्या करूँ? कॉलेज की कई सारी लड़कियाँ कल मुझे देखने वाली हैं। मैं उन्हें निराश नहीं कर सकता हूँ।"
कृष ने एक कपड़ा उसके मुँह पर फेंकते हुए कहा, "सुधर जा अर्जुन, तेरे इन्हीं नखरों की वजह से तेरी आज तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।"
अर्जुन ने अपने चेहरे से कपड़ा हटाकर कहा, "वो लड़कियाँ मेरे टाइप की नहीं हैं। और मेरा आधे से ज़्यादा समय तो तेरे साथ जाता है। तू मुझे छोड़े, तब ना मैं दूसरी पटाऊँ।"
कृष ने हल्के गुस्से में कहा, "go to hell." इतना कहकर वह मेन्स सेक्शन से बाहर जाने लगा।
अर्जुन ने हँसते हुए कहा, "अरे! मुझे पता है तू वहाँ भी मेरा पीछा नहीं छोड़ेगा।" कहकर वह कपड़े देखने लगा।
कृष नीचे के फ्लोर पर आया तो वहाँ ग्रॉसरी का सामान मिल रहा था। कृष वहाँ से जा ही रहा था कि तभी उसे जानी-पहचानी आवाज़ आई। उसने मुड़कर देखा तो वहाँ और कोई नहीं, बल्कि मीरा एक बच्चे के साथ थी।
मीरा ने सामने छोटी सी बच्ची को सीधा खड़ा करते हुए कहा, "गिर जाओगी, भागो नहीं।" वो बच्ची सर हिलाकर वहाँ से चली गई। मीरा मुस्कुराई और जैसे ही पलटी, उसके सामने कृष खड़ा था।
कृष ने उससे पूछा, "हे! मीरा, तुम यहाँ कैसे?"
मीरा ने उससे कहा, "मैं तो यहाँ घर का सामान लेने आई थी। पर आप यहाँ कैसे?"
कृष ने मुँह बनाकर कहा, "पार्टी के लिए कुछ कपड़े देखने आया था। पर अर्जुन तीन घंटे से खुद के लिए कपड़े देख रहा है। जब तक उसकी सिलेक्शन नहीं हो जाती, तब तक मैं सिर्फ़ बोर हो सकता हूँ।"
मीरा ने कहा, "मुझे तो लगता था कि वो सिर्फ़ मुझे परेशान करते हैं। पर नहीं, वो तो अपने बेस्ट फ्रेंड के साथ ऐसा कर रहा है। ये तो गलत बात है।"
"तो तुम गलत सही ज्ञान देने मॉल चली आई।" इस आवाज़ को सुनकर मीरा और कृष ने वहाँ देखा तो वहाँ अर्जुन खड़ा था। अर्जुन उन दोनों के पास आकर कृष से बोला, "मैं तुझे ढूँढ रहा था और तू यहाँ चला आया।"
कृष ने उससे कहा, "मैं शूज़ देखने जा रहा था, रास्ते में मीरा मिल गई।"
अर्जुन ने मीरा और उसकी ट्रॉली में रखे सामान को देखा और पूछा, "ये क्या है? तुमने पार्टी के लिए कपड़े नहीं लिए? ये मत कहना कि तुम पार्टी में नहीं आ रही हो, मैं कोई एक्सक्यूज़ नहीं सुनने वाला हूँ।"
मीरा उसे डाँटकर बोली, "चुप करो, कितना बोलते हो, मुझे तो बोलने दो।"
अर्जुन ने उसे आँखें छोटी कर घुरा तो मीरा आगे बोली, "घर का ज़रूरी सामान लेने आई थी और मेरे पास पहले से ही कपड़े हैं, मुझे नहीं खर्च करने फालतू के पैसे।"
अर्जुन ने उसे उंगली दिखाकर ऐटिट्यूड में कहा, "it's better for you to follow my word."
मीरा ने उसकी उंगली नीचे करते हुए कहा, "उंगली किसी और को दिखाना।" वो दोनों ही टशन में एक-दूसरे को घूरने लगे।
कृष लाचार होकर बोला, "तुम दोनों कितना लड़ते हो, कॉलेज का तो समझ में आता है पर मॉल में भी लड़ाई।"
अर्जुन ने उसे सफ़ाई देते हुए कहा, "इतिहास गवाह है, लड़ाई पहले लड़कियाँ शुरू करती हैं। इसलिए इसे समझा, और मैं ये बताने आया था कि..."
कहकर उसने एक जैकेट कृष को दिखाते हुए पूछा, "देख कैसी है? एकदम झक्कास ना?"
मीरा ने भी उस जैकेट को देखा और बोल पड़ी, "पूरे तीन घंटे लगाकर तुमने बेकार सी जैकेट ढूँढी।"
मीरा का इतना कहना था कि अर्जुन भड़क गया। अर्जुन उससे बोला, "एक्सक्यूज़ मी! तुम क्या जानो लड़कों की पसंद और नापसंद? मैंने कितनी मेहनत से ढूँढी है इसे।"
मीरा बोली, "बोल तो ऐसे रहे हो जैसे कोहिनूर हीरा ढूँढ निकाला हो, आधी फटी जैकेट और कलर देखकर ऐसा लग रहा है जैसे सालों से कपड़े धोए ही ना गए हों।" मीरा के मुँह में जो आया उसने बुराई कर दी।
कृष ने अर्जुन का गुस्सा भाँपकर कहा, "मीरा सही कह रही है, ये झक्कास नहीं बकवास लगेगी तुझ पर।"
अर्जुन ने गहरी साँस लेकर कहा, "आओ मेरे साथ।" कहकर वह मीरा को अपने साथ लेकर जाने लगा। कृष मीरा की ग्रॉसरी वाली ट्रॉली लेकर मेन्स सेक्शन की तरफ़ लेकर आया।
अर्जुन ने मीरा से कहा, "ये रहा शोरूम, जितनी शिद्दत से मेरे चॉइस की बुराई की है ना, अब उतनी ही ईमानदारी के साथ मेरे लिए कपड़े सेलेक्ट करो। मैं भी तो देखूँ तुम्हारी पसंद।"
मीरा बोली, "मैं तुम्हारी नौकर नहीं हूँ।"
अर्जुन ने उसे धमका कर, दाँत पीसते हुए धीमी आवाज़ में कहा, "भाषण देना आसान होता है, इतने सारे कपड़ों को देखकर मैं कंफ़्यूज़ हो गया था। पर आखिर में तुमने मेरी मेहनत को बेकार कहा, अब ढूँढो मेरे लिए कपड़े, नहीं तो इस मॉल से निकलने के बारे में भूल जाओ।"
मीरा ने कृष की तरफ़ देखा तो कृष ने कंधे उचकाए और कहा, "ढूँढ दो मीरा, वरना ये लड़का नहीं मानेगा।"
मीरा ने गहरी साँस ली और अर्जुन की बाजू पकड़कर उसे अंदर ले गई। कृष कुछ दूर खड़ा होकर उन दोनों को देख रहा था। उसने मन ही मन कहा, "अगर मीरा जैसी लड़की अर्जुन की ज़िंदगी में आ जाए तो अर्जुन की ज़िंदगी संवर जाएगी।"
वहीं मीरा एक-एक करके अर्जुन पर कपड़े लगाकर देख रही थी। जो उसे पसंद नहीं आता वो उसे वापस रख देती। ये देखकर वहाँ मौजूद कुछ कपल आपस में बात करने लगे।
"देखो कैसे वो लड़की अपने बॉयफ्रेंड के लिए कपड़े ले रही है, और वो लड़का शांति से उसकी सारी बातें मान रहा है।"
"लड़की अपने लिए नहीं, बॉयफ्रेंड के लिए कपड़े ले रही है। एक हमारी गर्लफ्रेंड है, जो अपने ऊपर ही पैसे खर्च करती है।"
"कितनी समझदार और सुलझी हुई लड़की मिली है उस लड़के को, दोनों कितने अच्छे लग रहे हैं साथ में।"
अर्जुन वहाँ लोगों की बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था। पर मीरा का तो ध्यान सिर्फ़ अर्जुन के लिए अच्छे कपड़े सेलेक्ट करने में था।
तो कौन से कपड़े पहनेगा अर्जुन?
क्या होने लगी नज़दीकियों की शुरुआत?
जानने के लिए पढ़े "बुलेट राजा।"
मीरा ने अर्जुन के लिए कपड़े देखे। पाँच मिनट से भी कम समय में उसने ग्रे कलर का पैंट और कोट निकाला, साथ ही वाइट कलर की टी-शर्ट, काफ़ी शाइन कर रही थी।
मीरा ने अर्जुन को कपड़े देकर कहा, "जाओ, पहनकर आओ।"
अर्जुन ने कपड़े देखे और चेंजिंग रूम में अंदर चला गया। मीरा ने रॉयल ब्लू कलर का पैंट, कोट और वाइट टी-शर्ट निकाला और उसे लेकर कृष के पास गई।
मीरा ने उससे कहा, "आप दोनों की दोस्ती जय-वीरू जैसी है। इसलिए मैंने कपड़े भी एक जैसे निकाले हैं। सिर्फ़ कलर का फ़र्क है।" इतना कहकर उसने वे कपड़े कृष की ओर बढ़ा दिए।
कृष ने मुस्कुराकर कहा, "तुमने तो सारी प्रॉब्लम ही खत्म कर दी। मैं इसे ही पार्टी में पहनूँगा।" कहकर वह कपड़े लेकर दूसरे चेंजिंग रूम में चला गया।
वहीं अर्जुन ने कपड़े पहन लिए थे। वह खुद को आईने में देखकर बोला, "इस लड़की की पसंद तो कमाल की है। वाकई इससे अच्छा कपड़ा पार्टी के लिए कुछ हो नहीं सकता।" कहकर वह बाहर आया।
बाहर आकर उसने मीरा को ढूँढा, तो वह उसे कहीं नहीं दिखाई दी। उसने पास ही खड़ी एक लेडी से पूछा, "क्या आपने एक लड़की को देखा है? वह यहीं खड़ी थी।"
उस लेडी ने ना में सर हिलाया। अर्जुन ने परेशान होकर कहा, "यह लड़की क्या चली गई?"
"मैं यहाँ हूँ।" अचानक से मीरा की आवाज आई और अर्जुन उसे देखने के लिए पलट गया।
अर्जुन ने उससे पूछा, "तुम कहाँ चली गई थी? मैं काफ़ी देर से ढूँढ़ रहा हूँ।"
मीरा ने उसके आगे एक ब्रोच करते हुए कहा, "तुम्हारे लिए यह ब्रोच लेने गई थी।" कहकर उसने वह ब्रोच अर्जुन के कोट में लगाया।
अर्जुन हैरान था, पर वह हार्ट शेप का ब्रोच अर्जुन को बहुत पसंद आया था। अर्जुन ने उससे पूछा, "कैसा लग रहा है?"
मीरा ने उससे कहा, "यह सवाल मुझे तुमसे करना चाहिए? तुम्हें कैसी लगी मेरी चॉइस? तुम्हारी चॉइस से तो बेहतर है।"
अर्जुन ने गहरी साँस लेकर कहा, "मान गए मिस राजपूत, इस बार तुम जीती।"
तभी वहाँ कृष आते हुए बोला, "क्या बातें चल रही हैं दोनों में?"
अर्जुन ने कृष को देखते हुए कहा, "तुझे ये कपड़े कहाँ से मिले? ये काफ़ी हद तक मेरे कपड़ों जैसे हैं।"
कृष ने मीरा की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, "सारा कमाल मीरा का है। आखिरकार हमारी दोस्ती जय-वीरू जैसी है, तो कपड़े भी इसने कुछ ऐसे ही लिए।"
मीरा ने कृष को भी ब्रोच दिया। जिसे देखकर अर्जुन का मुँह बन गया। उसे बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था कि मीरा उतनी ही अटेंशन कृष को दे रही है।
मीरा ने अर्जुन और कृष को बाय कहा और वहाँ से चली गई। कृष ने अर्जुन से कहा, "अब हो गया है तो घर चलें।"
अर्जुन ने उसे मना करते हुए कहा, "मुझे मॉम के लिए कुछ लेना है।" कृष का बुरा सा मुँह बन गया। अब शॉपिंग में और भी समय लगेगा।
अगले दिन, पार्टी वेन्यू में स्टूडेंट काफ़ी पहुँच चुके थे, कुछ स्टूडेंट आ रहे थे। अर्जुन की नज़रें मीरा को खोज रही थीं। अर्जुन काफ़ी देर से मीरा का इंतज़ार कर रहा था। वहीं आइशा और अभय आपस में बातें कर रहे थे।
अर्जुन ने उनके पास आकर पूछा, "बसंती आ गई क्या?"
आइशा बोली, "बसंती कौन?"
अर्जुन ने अपनी बात को करेक्ट करते हुए कहा, "मीरा की बात कर रहा हूँ।"
आइशा ने मना करते हुए कहा, "नहीं, वह अभी तक घर से नहीं निकली है। तैयार होने में उन्हें समय लग रहा है। मेरी अभी थोड़ी देर पहले ही बात हुई।"
अर्जुन ने गहरी साँस ली और वहाँ से चला गया। आइशा ने अभय से कहा, "अभय, कुछ सुना तुमने?"
अभय ने पूछा, "क्या सुना?"
आइशा ने उसकी कोहनी पर मारते हुए कहा, "बुद्धू, अर्जुन सर, मीरा को प्यार से बसंती कह रहे थे। हाय! दोनों में कितना प्यार है।"
अभय ने मुस्कुराते हुए कहा, "अगर दो लोग एक-दूसरे के रंग-रूप और स्टेटस को ना देखें तो प्यार बरकरार रहता है।"
अर्जुन अपनी बुलेट के साथ मीरा के घर की बिल्डिंग के पास आ गया। अर्जुन ने बुलेट से उतरते हुए कहा, "कल तो मुझे और कृष को फटाफट से कपड़े दिलाए, और अब खुद इतना तैयार होने में समय ले रही है।" कहकर वह अंदर ही आया था कि सामने से मीरा आती हुई दिखाई दी।
अर्जुन जब मीरा को देखा तो देखता ही रह गया। रेड कलर की साड़ी में मीरा बला की खूबसूरत लग रही थी। खुले बाल, चेहरे पर हल्का सा मेकअप लगाए हुए मीरा बाहर आई तो उसने अर्जुन को देखा और उसके पास आकर बोली, "तुम यहाँ कैसे?"
अर्जुन सकपका गया और अपने ख्यालों से बाहर आकर बोला, "वो मैं यहाँ किसी काम से आया था। तो अब तुम मिल गई हो तो चलो, जल्दी पार्टी में देर हो रही है।" मीरा ने सर हिलाया।
मीरा ने उससे मासूम आवाज़ में पूछा, "अर्जुन, मैं ठीक तो लग रही हूँ ना?"
अर्जुन उसे देखता रह गया। मीरा आगे बोली, "वहाँ लड़कियाँ काफ़ी अलग तरीके के कपड़े पहनकर आई होंगी? और मैंने सिम्पल सी साड़ी पहनी हुई है। यह ठीक तो है ना?"
अर्जुन ने उसे देखते हुए कहा, "कुछ कमी लग रही है।"
मीरा ने उससे पूछा, "क्या कमी है? जल्दी बताओ।"
तभी अर्जुन ने जेब से एक छोटा सा बॉक्स निकालकर उसके आगे करते हुए कहा, "इसे पहन लो। यह तुम पर अच्छा लगेगा।"
मीरा ने उससे बॉक्स लिया और उसे खोलकर देखा तो उसमें खूबसूरत सा हार्ट शेप का पेंडेंट था। मीरा ने पेंडेंट देखकर कहा, "Wow! यह बहुत खूबसूरत है। पर यह किसके लिए है?"
अर्जुन ने अपने सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "तुमने कल इतना अच्छा सूट और ब्रोच पसंद करके दिया मुझे, तो यह तुम्हारे लिए।"
मीरा ने तुरंत मना करते हुए कहा, "अर्जुन, तुम्हारा शुक्रिया, पर मैं यह नहीं ले सकती हूँ।"
अर्जुन का चेहरा उदास हो गया। उसने जल्दी से कहा, "पर क्यों? यह तुम्हारी साड़ी पर सूट करेगा।"
मीरा ने मना करते हुए कहा, "नहीं अर्जुन, मेरा ज़मीर इसकी इजाज़त नहीं देता, कल को हमारे बीच कोई बहुत बड़ी लड़ाई हो गई तो?"
मीरा को डर था कि कल को उसके और अर्जुन की कोई लड़ाई हो गई और बातों ही बातों में पेंडेंट का ज़िक्र किसी एहसान की तरह सामने आया तो वह खुद से नज़रें नहीं मिला पाएगी।
क्या अर्जुन मीरा को उस पेंडेंट के लिए मना पाएगा?
क्या मीरा यह गिफ़्ट लेगी?
जानने के लिए पढ़े "बुलेट राजा।"
अर्जुन ने मीरा को एक पेंडेंट गिफ्ट किया था, पर मीरा ने उसे लेने से साफ़ मना कर दिया। अर्जुन, मीरा की भावनाओं को समझते हुए, बोला, "अगर कभी झगड़ा हुआ तो तुम मुझसे नाराज़ हो जाना। पर ये पेंडेंट वापस मत करना। क्योंकि मैं भी तुम्हें ये ब्रोच वापस नहीं करने वाला हूँ।"
मीरा ने अर्जुन को देखा और हल्का सा मुस्कुराई। मीरा पेंडेंट पहनने लगी तो अर्जुन ने हाथ आगे बढ़ाकर उसे पेंडेंट पहनाया। मीरा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने मन ही मन कहा, "ये डायनासौर इतना स्वीट बर्ताव कब से करने लगा?"
अर्जुन मीरा को लेकर बुलेट पर बैठ गया। मीरा ने अर्जुन से थोड़ी दूरी बनाई हुई थी। जिसे महसूस कर अर्जुन ने बुलेट को थोड़ा झटका दिया। मीरा डर से उसके करीब चली आई। "क्या कोई गड़बड़ है?"
अर्जुन ने उसका हाथ अपने कमर पर रखते हुए कहा, "मुझे कस के पकड़ रखो, कब कौन सी गड़बड़ हो जाए पता नहीं।" कहते हुए अर्जुन के होंठों पर शरारती मुस्कान थी। मीरा उसकी बातों में आ गई और अर्जुन को अच्छे से पकड़ लिया।
कुछ देर में वे पार्टी वेन्यू पर आ गए। अर्जुन ने देखा कि कृष पहले ही वहाँ खड़ा होकर उसका इंतज़ार कर रहा था। मीरा और अर्जुन दोनों ही बुलेट से उतर गए। मीरा ने कृष को हेलो कहा तो कृष ने पूछा, "तुम दोनों साथ-साथ?"
मीरा ने उससे कहा, "अर्जुन मेरे बिल्डिंग के पास ही था तो मैं उसके साथ चली आई।"
कृष ने अर्जुन की तरफ़ एक नज़र देखा; अर्जुन अपनी नज़रें इधर-उधर चुरा रहा था। कृष ने मीरा से कहा, "तुम बहुत ब्यूटीफुल लग रही हो।" मीरा ने मुस्कुराकर उसे थैंक्यू कहा। अर्जुन ने कृष से कहा, "अंदर चल, बहुत काम है।" कहकर वो उसे अपने साथ लेकर गया।
मीरा भी पार्टी हॉल में आ गई। आइशा और अभय ने उसके लुक्स की तारीफ़ की; मीरा अपने सांवले रंग में भी बहुत खूबसूरत लग रही थी। दूर खड़े आरव और निकिता ने उसे देखा और फिर एक-दूसरे को देखकर ईविल मुस्कान दी।
निकिता ने आरव से कहा, "वो लोग कुछ वक़्त में यहाँ पहुँचेंगे। सबके सामने जब मीरा कमज़ोर पड़ेगी तो मज़ा आएगा।"
आरव ने उससे कहा, "मैं मनीषा के साथ होस्ट करने जा रहा हूँ। तू इसे संभाल, मैं म्यूज़िक लाउड करवा दूँगा जिससे इसकी आवाज़ सुनकर कोई इसकी मदद को ना आए।" कहकर आरव वहाँ से चला गया।
निकिता ने वहाँ मौजूद वेटर से कुछ कहा और मीरा की तरफ़ जाने का इशारा किया। वेटर मीरा की तरफ़ बढ़ने लगा। मीरा आइशा और अभय से बातें करने में व्यस्त थी। वेटर ने उससे कहा, "मैडम, क्या आप कुछ लेंगी?"
मीरा ने मना करते हुए कहा, "नहीं, कुछ नहीं चाहिए।"
तभी आइशा बोली, "क्यों? ये सारे ड्रिंक हमारे लिए हैं। तो इन्जॉय करना तो बनता है।" कहकर उसने खुद के लिए एक ग्लास उठाया और दूसरा मीरा और अभय की तरफ़ बढ़ा दिया।
मीरा ने सर हिलाया और एक ग्लास ले लिया। निकिता की आँखें बड़ी हो गईं। "अरे! नहीं, ये ड्रिंक जो मीरा को लेनी थी वो तो आइशा ने ले ली।"
वेटर ने निकिता की तरफ़ देखा तो निकिता ने उसे बड़ी-बड़ी आँखें दिखाईं। आइशा ड्रिंक लेने वाली थी कि वेटर उसे रोकने वाला था, पर तभी अभय का हल्का सा धक्का आइशा को लगा जिससे आइशा की ड्रिंक मीरा की साड़ी पर गिर गई।
"अरे! नहीं।" मीरा ने परेशान होकर कहा।
"सॉरी! मीरा, गलती से हो गया।" आइशा ने जल्दी से कहा और ग्लास वेटर को वापस कर मीरा की साड़ी देखते हुए बोली, "बाहर चलकर इसे साफ़ कर लेते हैं।"
अभय ने मीरा से कहा, "सॉरी! गलती से धक्का लग गया।"
मीरा ने उन दोनों से कहा, "ओके, मैं इसे साफ़ करके आती हूँ।"
आइशा बोली, "मैं आपके साथ आती हूँ।"
मीरा ने उससे कहा, "तुम फ्रेशर हो, पार्टी तुम्हारे लिए है। तुम इन्जॉय करो, मैं अभी आई।" कहकर वो बाहर चली गई।
मीरा के जाते ही निकिता ने गहरी साँस ली और आरव ने मनीषा के साथ स्टेज पर जाकर पार्टी शुरू कर दी।
मनीषा ने स्टेज पर सबसे कहा, "तो आज पार्टी की शाम हमारे फ्रेशर्स के नाम।"
सब जोर-जोर से हूटिंग करने लगे। आरव ने उन सब से कहा, "गेम मस्ती के साथ। आज शाम के मिस्टर और मिस फ्रेशर का अनाउंसमेंट करेंगे।" ये सुनकर सब फ्रेशर्स में जोश आ गया।
वहीं स्टेज के पास खड़े मार्क, कृष और अर्जुन सारी अरेंजमेंट पर अपनी नज़रें बनाए हुए थे। अर्जुन ने नज़र घुमाकर देखा तो उसे मीरा कहीं दिखाई नहीं दी।
मनीषा और आरव ने गेम में पार्टिसिपेट करने वाले स्टूडेंट्स के नाम लिखवाए और म्यूज़िकल चेयर की गेम शुरू हुई। आइशा और अभय ने जमकर पार्टिसिपेट किया। गेम के चक्कर में आइशा और अभय दोनों ही मीरा को भूल गए थे।
बाहर मीरा ने वाशरूम में खुद को साफ़ कर लिया और बाहर आई। पर जैसे ही वो बाहर आई, बाहर कुछ गुंडे उसके सामने आकर खड़े हो गए। मीरा को ये बहुत अजीब लगा। वो जाने लगी तो एक गुंडे ने सीटी बजाकर उसके सामने आकर कहा, "कब से तुम्हारे दीदार को तरसे हैं, और तुम हो कि ऐसे जा रही हो।"
मीरा ने गुस्से में कहा, "ये क्या बदतमीज़ी है? छोड़ो मेरा रास्ता।" कहकर वो जाने लगी तो एक गुंडे ने बड़ी गंदी मुस्कान के साथ कहा, "अरे! ऐसे कैसे जाने देंगे, पैसे लिए हैं तो काम करना पड़ेगा।"
मीरा की आँखें छोटी हो गईं और चेहरे पर अनचाहा डर दिखाई देने लगा। "कौन सा काम? कौन से पैसे?"
वो गुंडे मुस्कुराने लगे; उनकी शक्ल देखकर ही मीरा का गुस्सा और डर बढ़ने लगा। मीरा ने मन ही मन कहा, "कहीं ये लोग उसके आदमी तो नहीं? कहीं मैं एक बार फिर उस दरिंदे के क़ैद में ना पड़ जाऊँ। अगर ऐसा हुआ तो इस बार वो पिंजरा लोहे का होगा जहाँ से मेरी रूह तक बाहर नहीं निकल पाएगी।"
उस गुंडे ने मीरा से कहा, "गुंडागर्दी का कुछ उसूल होता है। पैसे लेकर काम करना होता है, ना कि पैसे लेकर उस शख्स का भांडा फोड़ना होता है जिसने तुम्हारे हाथ-पैर तोड़ने की सुपारी दी है।"
तो क्या निकिता और आरव कामयाब हुए?
किस दरिंदे का डर सता रहा है मीरा को?
क्या कुछ हुआ है मीरा के अतीत में?
जानने के लिए पढ़ें "बुलेट राजा।"
लाइक, शेयर, कमेंट और रिव्यू देना ना भूलें।
फ्रेशर पार्टी के दौरान मीरा को कुछ गुंडों ने घेर लिया था। मीरा की आँखें छोटी हो गईं जब उन गुंडों ने बातों ही बातों में कहा कि उसके हाथ-पैर तोड़ने की सुपारी मिली है। मीरा ने उन गुंडों को देखा; वे तीन लोग थे, और उनके हाथों में हॉकी स्टिक थीं। मीरा ने ज़्यादा बात ना करते हुए अपनी साड़ी का पल्लू कमर में डाला।
मीरा ने उनसे कहा, "चलो फिर ठीक है, इससे पहले कि कोई यहाँ आ जाए, तोड़ दो मेरे हाथ-पैर।"
वह गुंडे एक-दूसरे को देखने लगे। ये दुनिया की पहली लड़की होंगी जो जान बचाने की भीख माँगने के बजाय, उन गुंडों को उसके हाथ-पैर तोड़ने के लिए कह रही थी।
मीरा के चेहरे के भाव बदल गए थे। वह मासूमियत और भोलापन उसके चेहरे से हट चुका था। तभी एक गुंडे ने उसके चेहरे पर हॉकी स्टिक से वार करना चाहा, तो मीरा ने उसके हाथ को पकड़ कर एक कस कर लात मारी और उसके हाथों से हॉकी स्टिक ले ली।
लात पड़ते ही वह गुंडा जमीन पर गिर गया। यह देखकर बाकी के दो लोग हैरान रह गए। वहीं कुछ दूर खड़ी निकिता भी हैरान रह गई। तभी बाकी के दो गुंडे मीरा पर टूट पड़े, पर मीरा उनसे लड़ रही थी।
निकिता ने घबराकर कहा, "बाप रे बाप! क्या लड़की है ये? कॉलेज तो बड़ी मासूम बनकर आती है, और अब यहाँ फ़ाइट कर रही है। आखिर ये लड़की है कौन?"
वहीं मीरा हाथ में पकड़ी हुई हॉकी स्टिक से उन गुंडों पर वार कर रही थी, पर इस बीच उसे थोड़ी चोट लगना शुरू हो गई थी।
पार्टी के अंदर अर्जुन ने मीरा को ढूँढ़ लिया था, पर मीरा उसे कहीं नहीं मिली। अर्जुन ने आइशा से पूछा, "मीरा कहाँ है?"
आइशा ने कहा, "उनकी साड़ी पर जूस गिर गया था। वह उसे साफ़ करने बाहर गई थी, पर अभी तक वापस नहीं आई।"
अर्जुन की आँखें छोटी हो गईं। "क्या मतलब? कितनी देर हुई?"
अभय ने कहा, "आधा घंटा हो गया है।"
अर्जुन के चेहरे पर परेशानी के भाव आ गए। कृष ने अर्जुन के पास आकर उससे पूछा, "क्या हुआ अर्जुन?"
अर्जुन ने बाहर की तरफ़ जाते हुए कहा, "तू पार्टी संभाल, मैं अभी आया।" कहकर वह जल्दी-जल्दी बाहर जाने लगा।
कृष ने मनीषा और आरव से कहा, "पार्टी संभालो, मैं अभी आया।" कहकर वह अर्जुन के पीछे निकल गया।
अर्जुन बाहर आया तो उसे निकिता मिल गई। अर्जुन ने उससे पूछा, "तुमने मीरा को देखा क्या?"
निकिता को गुस्सा आया कि अर्जुन मीरा के बारे में पूछ रहा है। निकिता ने ना में सर हिलाकर कहा, "नहीं, मैं यहाँ कॉल करने आई थी। वैसे तुम मीरा के बारे में क्यों पूछ रहे हो? वह तो हमारी दुश्मन है।"
तभी कृष भी बाहर आ गया। अर्जुन ने कृष से कहा, "मीरा नहीं मिल रही है।"
कृष ने उससे कहा, "यहीं कहीं होगी।"
अर्जुन ने थोड़ा तेज़ आवाज़ में कहा, "आधे घंटे से गायब है वह।"
कृष भी हैरान हुआ। अर्जुन ने उससे कहा, "पार्टी हमारे तरफ़ से है। इसका मतलब साफ़ है कि, कोई कहीं भी जाता है तो उसकी रिस्पॉन्सिबिलिटी हमारी है।"
कृष ने उससे कहा, "शांत हो जा। साथ में मिलकर ढूँढ़ते हैं।" कहकर वे दोनों निकिता को छोड़कर मीरा को ढूँढ़ने लगे।
अर्जुन ने पूरा गार्डन देख लिया। तभी उसका पैर किसी चीज़ पर पड़ा। अर्जुन ने नीचे झुक कर वह सामान उठाया तो देखा, यह वही पेंडेंट था जिसे उसने मीरा को पहनाया था।
कृष ने उसके हाथ में पेंडेंट देखकर पूछा, "ये क्या है अर्जुन? क्या ये मीरा का है?"
अर्जुन के चेहरे की हैरानी सब कुछ बयान कर रही थी। अर्जुन ने परेशान होकर कहा, "ये पेंडेंट ख़ून से लगा हुआ क्यों है?" कहकर उसने कृष को देखा। कृष ने आँखें छोटी करते हुए कहा, "कहीं वह कोई बड़ी मुसीबत में तो नहीं?"
उनके इतना कहते ही किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई। कृष और अर्जुन फ़ौरन उस तरफ़ दौड़े, तो सामने का नज़ारा देखकर उनकी आँखें फैल गईं।
वहीं पार्टी वेन्यू में प्रिंसिपल टीचर को किसी ने आकर कुछ कहा, जिसके बाद सब बज रहे गाने को रुकवा दिया और सब बाहर की तरफ़ गए। आरव ने निकिता से पूछा, "आखिर ये हो क्या रहा है?"
निकिता ने डरते हुए आरव से कहा, "आरव, तुम यकीन नहीं करोगे, वह मीरा असल में जो दिखती है, वह नहीं है।"
आरव ने कंफ़्यूज़ होकर पूछा, "क्या मतलब है तुम्हारा?"
निकिता ने आरव से कहा, "अरे! वह उन गुंडों से पीटने के बजाय उन्हें पीट रही थी।" आरव ये सुनकर हैरान हुआ और पार्टी वेन्यू के पिछले हिस्से की तरफ़ गया।
वेन्यू के पिछले हिस्से में, मीरा अपनी हाथ की बाजू पकड़े हुए थी। उसकी बाजू से ढेर सारा ख़ून निकल रहा था। चाकू का एक बड़ा सा कट उसकी बाजू पर लग गया था। वहीं अर्जुन और कृष उन गुंडों को मार-मार कर घायल कर दिया था।
प्रिंसिपल ने गुस्से में पूछा, "अर्जुन आखिर ये सब हो क्या रहा है?" कहकर उन्होंने उन गुंडों की तरफ़ देखा। अर्जुन ने सवाल का जवाब नहीं दिया और मीरा के पास जाकर पूछा, "मीरा क्या तुम ठीक हो?"
मीरा ने थोड़ा दर्द में कहा, "हाँ, मैं ठीक हूँ।" अर्जुन ने अपना कोट निकालकर उसे पहनाया और उसे अपने सीने से लगाया।
कृष ने प्रिंसिपल से कहा, "सर मीरा आधे घंटे से गायब थी। जब हमने उसे ढूँढ़ा तो देखा कि ये गुंडे इस पर हमला कर रहे थे, और देखिए तो चाकू भी मार दिया है।"
टीचर जल्दी से मीरा के पास आई। मिस शिल्पी ने मीरा से पूछा, "मीरा क्या तुम ठीक हो?"
मीरा ने सर हिलाया और उन गुंडों की तरफ़ देखते हुए अर्जुन से कहा, "इनका कहना है कि किसी ने मेरे हाथ-पैर तोड़ने की सुपारी दी है।"
ये सुनकर अर्जुन को बहुत गुस्सा आया। मीरा को और भी छोटी-मोटी चोट आई थी, पर ख़ून का रिसाव कुछ ज़्यादा था। वहीं अब तक वह गुंडे खड़े होकर वहाँ से निकलने वाले थे, पर वक्त रहते कुछ स्टूडेंट्स ने उन्हें पकड़ लिया।
कृष ने जेब से फ़ोन निकाला और कहा, "मैं पुलिस को फ़ोन करता हूँ।"
आरव और निकिता डर गए। अगर बात आगे बढ़ती तो पुलिस को उनके बारे में पता चल जाता। निकिता ने डरते हुए कृष से कहा, "कृष, इससे कॉलेज का नाम ख़राब होगा। और क्या पता? ये मीरा के कोई दुश्मन हों, जो पर्सनल प्रॉब्लम को लेकर यहाँ तक चले आए।"
आरव ने कृष से कहा, "वैसे भी इस लड़की के वजह से हमारे कॉलेज का नाम क्यों ख़राब हो?"
अर्जुन ने चिल्लाते हुए कहा, "आरव बकवास बंद करो, ये ऐसी लड़की नहीं है कि कोई ग़लत काम करे।"
मीरा अर्जुन को हैरानी से देखने लगी। अर्जुन वही लड़का था जिसके साथ कॉलेज के पहले दिन उसका झगड़ा हुआ था, और आज वही लड़का कॉलेज के सभी लोगों के सामने उसका साथ दे रहा है।
तो क्या आरव और निकिता पकड़े जाएँगे?
आखिर मीरा ने लड़ना कहाँ से सीखा?
जानने के लिए पढ़े "बुलेट राजा।"
लाइक, शेयर और कमेंट के साथ रिव्यू देना ना भूलें।
प्रिंसिपल ने पोलिस बुलाने से मना कर दिया था। इस बात को लेकर अर्जुन नाराज हो गया था। अर्जुन ने प्रिंसिपल से कहा "आपकी स्टूडेंट को चोट आयी है? क्या आपको रिस्पांसिबिलिटी नहीं लेनी चाहिए?"
प्रिंसिपल ने अर्जुन को जवाब मे कहा "मेरे ऊपर सिर्फ एक स्टूडेंट की जिम्मेदारी नहीं है। मेरे ऊपर पुरे कॉलेज के स्टूडेंट और कॉलेज की रेपुटेशन की जिम्मेदारी है।"
तभी वाईस प्रिंसिपल ने अर्जुन से कहा "प्रिंसिपल सर ठीक कह रहे है। आज तो यें तीन लोग है। क्या हुवा कल इन्हे बचाने इनकी गैंग आ गयी और बाकी के बच्चो को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की तो?"
अर्जुन ने अपनी मुट्ठीया कस ली। कृष ने प्रिंसिपल से कहा "लेकिन इस कमजोरी का फायदा उठाकर ऐसे गुंडे बहुत आएंगे। कल को किसी लडकी के साथ उच्च नीच हो गयी तो क्या जवाब देंगे आप और आपका कॉलेज?"
प्रिंसिपल ने शिल्पी मैम से कहा "शिल्पी मैम, सम्भालिये अपने स्टूडेंट को।" कहकर उन्होंने उन बच्चो को जिन्होंने गुंडों को पकडा हुवा था।
प्रिंसिपल ने उन बच्चो से कहा "छोडो उन्हें।"
बच्चो ने प्रिंसिपल के कहने से उन गुंडों को छोड दिया। उन गुंडों ने हस्ते हुवे कहा "अच्छा! हुवा जो छोड दिया। वरना तुम्हारे घर वाले तुम्हारा सुजा हुवा चेहरा पहचान नहीं पाते।"
प्रिंसिपल की मुट्ठीया कस गयी। पर वो खामोश रहा। तभी अर्जुन ने उन गुंडों से कहा "ओये!.. यें मत समझना की तू बच गया है।"
उन गुंडों ने अर्जुन की तरफ देखा तो अर्जुन ने उनकी आँखों मे आँखे डालकर धमकी देकर कहा "अब यें मामला कॉलेज का नहीं, मेरा अपना निजी मामला है। और मै अर्जुन राठौर तुम लोगो को इतनी आसानी से नहीं छोडने वाला हूं।"
मीरा की आँखे और फ़ैल गयी। उस गुंडे ने अर्जुन को घूरते हुवे कहा "बच्चे!. तू जानता नहीं है। हम किस के आदमी है?"
कृष और अर्जुन कुछ कहते उससे पहले प्रिंसिपल ने गुंडों से कहा "gate out from here. Otherwise i will definatly call the police."
वो गुंडे वहाँ से चले गए। आरव और निकिता ने चैन की सांस ली। आख़िरकार उन गुंडों ने उनका नाम नहीं लिया था। पर उन्हें इस बात का अफ़सोस था की मीरा को सबक नहीं सीखा पाए।
वाईस प्रिंसिपल ने शिल्पी मैम से कहा "आप मीरा को हॉस्पिटल लेकर चलिए। और इसका..."
वाईस प्रिंसिपल ने इतना कहा ही था की अर्जुन बोल पडा "इसकी जरूरत नहीं है, आप लोग अपनी रेपुटेशन बचाये।" कहकर उसने मीरा का हाथ पकडा और उसे वहाँ से लेकर जाने लगा।
कृष ने आरव मार्क से कहा "तुम लोग कुछ स्टूडेंट के साथ मिलकर पार्टी देखो या फिर प्रिंसिपल सर का ऑर्डर फ़ॉलो करो। अर्जुन को मेरी जरूरत है।" कहकर वो अर्जुन के पीछे निकल गया।
कुछ देर बाद हॉस्पिटल मे,
नर्स ने मीरा की ड्रेसिंग की, मीरा दर्द से कराहते हुवे बोली "अर्जुन इतना दर्द तो तब भी नहीं हुवा जब मुझे चाकू लगी। यें सच मे बहुत दर्दनाक है।"
अर्जुन का दिमाग पहले ही गर्म था। यें सुनकर उसने मीरा से कहा "बसंती, मै पहले ही बहुत गुस्से मे हूं। अब तुम क्या मुँह बंद करोगी।"
मीरा ने नाराजगी से मुँह फुला लिया। नर्स उन दोनों की नोक झोक देखकर वहाँ से बाहर चली गयी थी। कृष ने मीरा से पूछा "मीरा, आखिर तुम अकेले बाहर क्यों गयी? किसी को बता देती? और किसने उन गुंडों को सुपारी दी थी? क्या तुम्हारा पहले से कोई दुश्मन है?"
मीरा ने कृष से कहा "नहीं कृष जी, वो गुंडे मेरे दुश्मन नही थे। मुझे नहीं पता किसने उसे सुपारी दी। आप सब पार्टी मे व्यस्त थे इसलिए मै खुद ही बाहर चली गयी। मुझे नहीं पता था की बाहर किसी ने साजिश की होंगी।"
अर्जुन ने मीरा को आंखे छोटी कर देखा और सोचते हुवे कहा "तुम आधे घंटे से बाहर थी। इस आधे घंटे मे उन गुंडों ने कई बार तुम पर वार किया। पर फिर भी तुम्हे मामूली खरोच ही आयी। असल चोट तो तब आयी जब हम वहाँ आये और तुम्हारा ध्यान हट गया। जिसका फायदा उठाकर उन गुंडों ने चाकू से हमला किया।"
मीरा का गला सूखने लगा "तुम कहना क्या चाहते हो?"
अर्जुन उसके करीब आया और उसकी आँखों मे देखने लगा। मीरा की नजरो मे अनचाहा डर की हलकी झलक अर्जुन को दिखाई देने लगी। अर्जुन ने उसकी आँखों मे देखते हुवे पूछा "तुमने फाइट कहाँ से सीखी?"
कृष भी यें सवाल सुनकर मीरा को देखने लगा जैसे वो उसका जवाब जानना चाहता हो, हलाकि अर्जुन और कृष ने मीरा को ज्यादा लडते हुवे नहीं देखा था पर आधे घंटे तक तीनो गुंडों का डटकर सामना करना? यें बात बहुत सोचने वाली थी।
मीरा ने गहरी सांस ली और नजरें बचाते हुवे कहा "पता नहीं, मुझ मे अचानक से ताकत आ गयी और खुद को बचाने के लिए मुझे समझ आया मैने किया। मैंने कई बार मदद की गुहार लगाई। पर म्यूजिक लाउड होने के वज़ह से किसी ने सुना नहीं।"
अर्जुन को शक होने लगा। पर उसने मीरा को लडते हुवे देखा नहीं था। इसलिए वो यकीन से नहीं कह सकता था। आखिर मे उसने कहा "अच्छी बात है, ज़िन्दगी मे हर वक़्त कोई बचाने नहीं आता। और अब चलो घर छोड देता हूं।" कहकर वो बाहर चला गया।
मीरा ने कृष की तरफ देखा और पूछा "यें क्या अपना गुस्सा हमेशा नाक पर लेकर घूमता है? यें सच मे डायनासौर है।"
तभी आवाज आयी "तो मेरी बुराई करने के लिए अब भी तुम मे जान बाकी है।"
यें सुनकर मीरा की आँखे बडी हो गयी। कृष और मीरा ने पीछे देखा तो वहाँ अर्जुन मीरा को घूरते हुवे अंदर आया। मीरा उसके पास आने से डरने लगी। मीरा ने अटकते हुवे कहा "नहीं, मै बुराई नहीं कर रही थी। मै तो तारीफ कर रही थी।"
अर्जुन उसके बेहद करीब आ गया। और उसे देखते हुवे धीरे धीरे उस पर झुकने लगा। कृष ने मन ही मन हैरान होकर कहा "मेरा अर्जुन कब से बेशर्म हो गया? क्या वो मेरे सामने मीरा को किस करने वाल है?"
अगले ही पल अर्जुन ने हाथ बढ़ाकर मीरा की बगल की टेबल से चाभी उठायी। यें देखकर कृष और मीरा ने राहत की सांस ली। अर्जुन ने उससे ऐटिटूड मे कहा "जब इतना डरती हो तो कम बोला करो बसंती।" कहकर वो एक बार फिर बाहर चला गया।
कृष हसने लगा और मीरा से बोला "आओ बाहर चलते है।" कहकर वो उसे बाहर लेकर जाने लगा।
मीरा के दिमाग मे तो अर्जुन का उसका साथ देना, उसके करीब आना। यही सब घूम रहा था। मीरा को तो लगने लगा था की अर्जुन उसे किस करेगा? यें सोचकर ही उसके गाल लाल हो गए थे।
मीरा ने मन ही मन कहा "यें हो क्या रहा है? मेरी चॉइस कब से इतनी बेकार हो गयी? यें लडका मेरे टाइप का नहीं है।" कहकर उसने अपना सर झटका।
आगे की कहानी जानने के लिए पढे "बुलेट राजा।"
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दो दिन बाद,
कॉलेज के म्यूजिक रूम मे अर्जुन गिटार बजा रहा था पर उसका दिल नहीं लग रहा था। अर्जुन ने म्यूजिक रूम के दरवाजे पर देखा वहाँ कोई नहीं था। अर्जुन ने अपना चेहरा लटका लिया और मन ही मन कहा "पुरे दो दिन से उसे देखा नहीं है। वो ठीक तो होंगी ना?" कहकर अर्जुन ने गिटार बगल मे रख दिए।
उस रात हॉस्पिटल से मीरा को घर छोडने के बाद अर्जुन ने पुरे दो दिन से उसे नहीं देखा था। मीरा का नंबर भी उसके पास नहीं था। अर्जुन ने अपने जेब से पेंडेंट निकाला जो उसने मीरा को गिफ्ट किया था पर उस रात वो पेंडेंट मीरा के गले से निकल गया था। तब से लेकर वो पेंडेंट अर्जुन के पास ही था।
अर्जुन उस पेंडेंट को देख ही रहा था की वहाँ निकिता आ गयी। अर्जुन के हाथ मे पेंडेंट देखकर वो बोली "wow!. अर्जुन यें तो काफ़ी खूबसूरत है।" कहकर वो पेंडेंट हाथों मे लेकर देखने लगी।
अर्जुन अपने ख्यालो से बाहर आया। निकिता अपने गले मे पेंडेंट डालने वाली थी की अर्जुन ने तुरंत वो पेंडेंट वापस लेकर कहा "निकिता यें तुम्हारा नहीं है। तो तुम इसे नहीं पहन सकती।"
निकिता का थोडा बुरा लगा वो बोली "अर्जुन यें लेडिस पेंडेंट है, क्या तुम इसे पहनने वाले हो?"
अर्जुन ने उसे अपने जेब मे रखते हुवे कहा "यें मॉम के लिए है।"
निकिता उसे मुस्कुराते हुवे देखने लगी और मन ही मन बोली " मुझे अच्छे से पता है की यें पेंडेंट तुम्हारी मॉम के लिए नहीं बल्कि उस काली कलौटी मीरा के लिए है।"
तभी वहाँ कृष भागता हुवा आया। उसे ऐसे हफ्ता हुवा देखकर अर्जुन ने पूछा "अब क्या हुवा है?"
कृष ने अपनी साँसो को काबू करते हुवे कहा "निचे आरव, वो।" कहकर कृष बहुत परेशान नजर आने लगा।
अर्जुन कृष निकिता और मार्क म्यूजिक रूम से बाहर आये। और कोरिडोर से निचे देखा तो आरव गुंडों के बीच घिरा हुवा था। कुछ लोग काफी देर से उसकी पिटाई कर रहे थे। और मनीषा उन गुंडों से बचाने की कोशिश कर रही थी।
अर्जुन की आँखे बडी हो गयी। वो चारो जल्दी से निचे गए। निचे एक जीप खडी थी। आरव ने गिड़गिड़ाते हुवे कहा "नंदन भाई, कुछ टाइम की मोहलत दे दो, मै पैसे चूका दूंगा।"
नंदन ने उसके गले पर हाथ रखकर कहा "आरव, मेरे अपने कुछ उसूल है। मै वक़्त का बडा पाबंद हूं रे!. मुझे अभी पैसे चाहिए।" कहकर उसने उसे दूर धकेला। जिसके बाद उसके आदमी उसे चारो तरफ से घेर कर पीटने लगे।
"अरे!.. हटो, छोडो आरव को।" कहकर अर्जुन और कृष वहाँ भागते हुवे आये। अर्जुन ने आरव को उठाया। इस वक़्त आरव के चेहरे से बुरी तरह खून आ रहा था। उसके कपडे भी थोडे फट गए थे।
कृष ने मनीषा को संभाला और पूछा "क्या तुम ठीक हो?"
मनीषा के होठो पर हल्का सा कट लगा हुवा था वो बोली "इस बार आरव ने बहुत तगडी पार्टी से पंगा ले लिया है। हमें आरव को बचाना होगा।"
कृष और अर्जुन दोनों ने घूर कर नंदन चौरसिया को देखा, अर्जुन ने उससे कहा "तेरी हिम्मत कैसी हुवी इस पर हाथ उठाने की।"
आरव ने अर्जुन से कहा "रहने दो अर्जुन।"
कृष ने उससे कहा " नहीं आरव, पानी सर से ऊपर जा चूका है। पैसे तो हम देने वाले थे। पर इन लोगो ने तुझ पर हाथ उठाकर गलती कर दी है।"
अर्जुन और कृष नंदन चौरसिया की तरफ बढ़ने लगे। पर इससे पहले की वो उस तक पहुँच पाते। नंदन चौरसिया ने आदमियों से कहा "देख क्या रहे हो, कर दो इनका काम भी तमाम।"
यें सुनकर 10 गुंडे आगे आये। और अर्जुन कृष से भीड गए। मार्क ने आरव निकिता मनीषा को साइड मे किया। पर कुछ गुंडे उन भी हमला करने आने लगे। मार्क उनसे लड़ने लगा।
कॉलेज के पिउन वॉचमैन आगे आये यें सब रोकने के लिए। पर नंदन चौरसिया शहर का नामी गुंडा था। उसकी पावर काफ़ी ज्यादा थी। कॉलेज के स्टूडेंट दूर खडे होकर आँखों मे डर के साथ यें नजारा देख रहे थे।
कोई अर्जुन और कृष की मदद के लिए आगे नहीं बढ रहा था। अर्जुन ने अपने सामने वाले गुंडे से हॉकी स्टिक ली और उस गुंडे को ही मारने लगा। पीछे से एक गुंडे ने आकर अर्जुन की पीठ पर डंडा दे मारा।
कृष को भी कई सारे लात घुसे पड़ चुके थे। पर वो फिर भी लड़ रहा था। शिल्पी मैम ने प्रिंसिपल से कहा "सर कुछ करिये पोलिस बुलाइये, नहीं तो यें गुंडे बच्चो को मार देंगे।"
प्रिंसिपल ने खिझते हुवे कहा "मैंने कॉल कर दिया है। पर पोलिस स्टेशन यहाँ से आधे घंटे की दुरी पर है।"
टीचर इस बात के लिए परेशान थे की अगर स्टूडेंट को कुछ हुवा तो बच्चो के पेरेंट्स आ जायेंगे। प्रिंसिपल इसलिए परेशान था क्युकी कॉलेज के नाम की धज्जिया उड़ रही थी।
अर्जुन लडते हुवे नंदन चौरसिया के पास पहुंचा और एक घुसा उसे दे मारा। ननंद चौरसिया को घुसा पडते ही उसके सारे आदमी रुक गए थे। वही नंदन चौरसिया का चेहरा एक तरफ झुक गया था।
उसने जलती हुवी निगाहो से अर्जुन को देखा, अर्जुन की आगे आग उगल रही थी। देखते ही देखते दोनों मे घमासान युद्ध शुरू हो गया। कृष अर्जुन को बचाने आगे बढा तो उस पर बाकी के गुंडे टूट पडे। अर्जुन और ननंद चौरसिया दोनों ही एक दूसरे पर भारी पड रहे थे।
दूसरी तरफ,
मीरा ने फोन पर शम्भू काका से पूछा "काका कुछ पता चला? कौन थे वो लोग?"
शम्भू काका ने उससे कहा "मीरा बिटिया, वो दिल्ली शहर का नामी गुंडा ननंद चौरसिया है। मनाली मे कई बार तुम्हारे पापा इस पर केस लड़ चुके है। दिल्ली आकर वो अपनी धाक बनाना चाहता है।"
मीरा ने शम्भू काका से कहा "धाक बनानी है तो बनाये पर मेरे रास्ते ना आये। मेरे रास्ते आकर इसने बहुत बडी गलती कर दी है। आप समझ रहे है ना, मै क्या कह रही हूं?"
मीरा के ऐसा पूछने पर शम्भू काका ने कहा "फ़िक्र मत करो मीरा बिटिया, मै समझ गया हूं की मुझे क्या करना है, मै अभी करता हूं।" कहकर शम्भू काका और मीरा ने फोन काटा।
वही नंदन चौरसिया के आदमियों ने अर्जुन को पकड लिया था। नंदन चौरसिया ने गुस्से मे अर्जुन से कहा "साले बहुत अकड है ना तुझ मे, अब यें तेरी अकड तेरी साँसो के साथ बाहर निकलेगी।" कहकर उसने जेब से चाक़ू निकाला।
क्या अर्जुन बच पायेगा?
आखिर कौन है मीरा के पिता?
शम्भू काका क्या करने वाले है?
जानने के लिए पढे "बुलेट राजा।"
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