यह कहानी हैं जयराज सिंह शेखावत और मनिष्का चौधरी की । जयराज सिंह शेखावत , जिसके बाप की हुकुमत पूरे राजस्थान पर चलती हैं। उसकी जिंदगी में अचानक से मनिष्का चौधरी की एंट्री होती हैं जो जयराज के बाप से बदला लेने आयी हैं लेकिन जहां जयराज को उससे पहली नजर क... यह कहानी हैं जयराज सिंह शेखावत और मनिष्का चौधरी की । जयराज सिंह शेखावत , जिसके बाप की हुकुमत पूरे राजस्थान पर चलती हैं। उसकी जिंदगी में अचानक से मनिष्का चौधरी की एंट्री होती हैं जो जयराज के बाप से बदला लेने आयी हैं लेकिन जहां जयराज को उससे पहली नजर का प्यार हो जाता हैं वही मनिष्का , उससे परिवार से बदला लेने आयी हैं । ऐसे में क्या होगा ? जब जयराज के सामने मनिष्का का सच आयेगा । वही मनिष्का अपना बदला ले पायेगी या फिर उसकी जिंदगी में एक गहरा तुफान आयेगा जो सबकुछ बर्बाद कर जायेगा ? जानने के लिए पढ़िये ...My Darling : Everything For You
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चारो तरफ घनघोर अंधेरा छाया था और जयपुर में जोरदार बारिश के बीच एक कार बहुत तेजी से दौड रही थी । उसमें बैठा जयराज गुस्से से साइड सीट पर बैठे अपने दोस्त राजवीर को घूर रहा था ।
राजवीर सामने की तरफ देखते हुए , " इस तरह गुस्सा करने का कोई फायदा नहीं हैं । तुम्हारे पिताश्री मेरे सिर पर चढकर तांडव कर रहे थे और इसलिए उनको सबकुछ बता दिया और वो सब लोग कोई तुम्हारे दोस्त नहीं जिनके साथ तुम उस क्लब में बैठकर पेग पर पेग खाली किये जा रहे थे । "
जयराज गुस्से से स्टेयरिंग घूमाते हुए , " हम्म , अच्छा तो सही हैं । वैसे भी तुम भी कोई मेरे दोस्त नहीं हो । सिर्फ और सिर्फ आस्तीन के सांप हो जो हमेशा एमपी की जी-हजूरी करता रहता हैं । खैर मुझे ना तुमसे और ना ही एमपी से फर्क पडता हैं । वैसे भी मुझे यही जिंदगी प्यारी हैं और मैं कभी नहीं चाहूंगा कि मुझे उनकी कुर्सी संभालनी पडे । इस पाॅलिटिक्स ने बहुत पहले मेरे डैड को छिन लिया था और जिनका परिवार नहीं होता उनके पास जीने की वजह नहीं होती हैं । "
जिस पर राजवीर भी गुस्से से ," बहुत बडी गलतफहमी पाल रखी हैं तुने । तुम कभी भी पूरा सच जानने की कोशिश नहीं करते हो और तुम्हारी प्राॅब्लम क्या हैं । हमेशा इतना गुस्सा सही नहीं रहता हैं वो सबकुछ बर्बाद करके रख देगा । "
जयराज हंसते हुए , " अच्छा हैं ना मुझे भी सब कुछ बर्बाद ही करना हैं क्योंकि आबाद रहना मुझे कभी रास ही नहीं आया। "
इतना कहकर वो अचानक सामने देखता हैं और उसके मुंह से एकाएक चीख निकल जाती हैं और घबराहट में वह एकदम से ब्रेक लगा देता हैं ।
गाडी के टायर घिसते हुए वह एकदम से जाकर रुकती हैं और जैसे ही उनकी नजर सामने जाती हैं वो गहरी सांस लेते हैं ।
जयराज जैसे ही कार का दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढाता हैं , राजवीर उसे रोकते हुए ," नहीं तुम ऐसा नहीं करोगे वो एक ट्रेप भी हो सकता हैं तुम्हें नुकसान पहुचाने के लिए । "
जिस पर जयराज एकदम से राजवीर की आंखों में देखते हुए , " अगर यह ट्रेप ना होकर सच हुआ तो किसी को मरने के लिए छोड दूं । देख सामने " इतना कहकर वह राजवीर के चेहरे को सामने की तरफ घूमा देता हैं , " वो सामने पड़ा इंसान कौन हैं हम नहीं जानते लेकिन अगर हम उसे बचा नहीं पाये तो यह बोझ चाहकर भी हम नहीं झेल पायेगे । थोडी इंसानियत रखना सीख । "
जिस पर राजवीर, " ओके मान लेते हैं तुम्हारी बात लेकिन अगर उसने तुम्हें कोई नुकसान पहुचाया तो "
जिस पर जयराज बिना उसकी बात सुने कार से बाहर निकल गया ।
बाहर अब भी भयंकर बारिश हो रही थी । आऔधी की वजह से चारों तरफ पेड़ बहुत तेज हिल रहे थे । राजवीर अब भी कार में बैठा था और जयराज बाहर निकलते ही बारिश में पूरी तरह भींग गया जिससे उसके कपड़े उसके बदन के चिपक चुके थे और उसका सुडौल शरीर साफ दिख रहा था । वह बीना किसी तरफ ध्यान दिये भागकर उस शख्स के पास आया जो सड़क पर पड़ा था ।
जैसे ही उसे बिजली की तेज घड़घड़ाट में उसके लम्बे बाल उनके बीच मासुमियत से भरा चेहरा दिखा , उसकी निगाहें वही टिक गयी । वह चाहकर भी उसपर से नजरें नहीं उठा पाया । कुछ देर में बिजली की घड़घड़ाहट में उसका ध्यान सामने गया । सामने बेहोश पड़ी उस लड़की को गोद में उठाये वह तेजी से गाड़ी की तरफ भागा और फटाफट उसे लेकर कार की पिछली सीट पर बैठ गया ।
राजवीर अभी भी उसे समझाने के लिए , यह कोई ट्रेप भी हो सकता हैं जय , तुम्हें फंसाने के लिए ।
जिस पर जयराज , तुम बस गाड़ी चलाओ और अगर ट्रेप हुआ भी तो वो मेरे लिए होगा ।
जिस पर राजवीर फिर से कोशिश करते हुए , लेकिन
बस जयराज का पारा हाई हो गया , एक तो भीगा हुआ शरीर ऊपर से लाल चेहरा , हाथों की नसे बिल्कुल फूल चुकी थी । वह बहुत तेज चिल्लाया था , मैंने कहा ना बस गाड़ी चलाओ । तुम्हें इसकी हालत नहीं दिख रही हैं क्या ? पूरा बदन गर्म हो रहा हैं तपती भट्टी की तरह , अगर वक्त पर ईलाज नहीं मिला तो मर जायेगी यह "
इतना कहते हुए वह अपनी गोद में उठायी , उस लड़की को एक हाथ से संभाले हुए दूसरे हाथ से अपने पेंट के पाॅकिट में फोन ढूंढने लगता हैं और जैसे ही फोन मिलता हैं उसे ओपन करते हुए फटाफट डाॅक्टर को काॅल लगाते हुए - जल्दी से दस मीनट में शेखावत विल्ला पहुंचों।
राजवीर ने फिर से बोलने की कोशिश करी - यह लड़की आगे जाकर तुम्हारे लिए प्राब्लम खड़ी कर सकती हैं ।तुम्हें यह नहीं समझ आ रहा हैं और यह क्या कर रहे हो तुम ? इस लड़की को शेखावत विल्ला लेकर जा रहे हो । क्या अपने डैड को जानते नहीं हो जो इस तरह की हरकत कर रहे हो ।
राजवीर की बाते सिर्फ जयराज को गुस्सा दिलाने का काम कर रही थी । वह गुस्से से - अगर अब तुम चुप नहीं रहे तो इसी कार से निकालकर बाहर फेंक दूंगा । तुम मेरे दोस्त हो नहीं थे और जब से डैड के साथ मिलकर तुमने मेरे अगेंस्ट गेम खेला हैं ना तबसे ही यूं आर नाॅट माई फ्रेंड तो प्लीज अभी के लिए मुझे कार में शांति चाहिए ।
उसको गुस्से से हाइपर होते देख राजवीर तो चुप हो गया लेकिन जयराज वह परेशानी से बस अपनी गोद में बेहोश उस लड़की को देख रहा था ।
कुछ ही समय में कार शेखावत विल्ला के पोर्च में आकर रुकी ।बिना राजवीर पर ध्यान दिये वह उस लड़की को गोद में उठाये अंदर की तरफ भागा ।
जहां डाॅक्टर अपनी असीस्टेंट के साथ खड़े उसके ही आने का इंतजार कर रहे थे ।
सारा शेखावत विल्ला हैरानी में डूबा था जहां आज पहली बार किसी लड़की के कदम पड़े थे ।
।
जारी हैं ......
आगे .....
''मोहब्बत किसी से हो तो बेमिसाल हो और ना हो तो '' सवाल बड़ा ही दिलचस्प हैं लेकिन मोहब्बत आजकल का शुरुर बन गया हैं । हर कहानी प्यार में डुबी हैं लेकिन अधिकतर का अंजाम बेवफाई ही हैं ।
जयराज अपनी निगाहो को अभी भी उस मासुम सी खरगोश की तरह कम्बर में दूबकी लड़की पर टिकाये हुए था जो सबसे अंजान बस अपनी दूनिया में थी लेकिन वह जयराज का दिल बैचेन कर चुकी थी । वह दिवार से पीठ टिकाए पीछले एक घंटे से बस उसे ही निहार रहा था और शेखावत विल्ला में नीचे अलग ही बवाल मचा था ।
किसान पार्टी के अध्यक्ष और एक बहुत बड़े राजनीतिक नेता और साथ ही एमएलए भी , उनका गुरुर ही उनकी पहचान था और इस वक्त पार्टी की बहुत बड़ी मीटिंग खत्म करके लौटे थे । जैसे ही वह विल्ला के अंदर से घूसे , नौकरों की घूसर फूसर ने उनका ध्यान खिंचा ।
' छोटे साहब पता नहीं किस लड़की को उठा कर लाये हैं । '
' इस विल्ला में तो पहली बार किसी लड़की ने कदम रखा हैं '
' लगता हैं साहब उससे प्यार करते हैं । '
जैसे ही उन्होंने यह सब सुना उनका पारा हाई हो गया । वह गुस्से से नथुनों को फुलाते हुए चिल्लाए , " जयराज शेखावत " उनकी आवाज में एक अलग ही गुस्सा और तेजी थी । वह आवाज पूरे विल्ला में गुंज गयी । सभी नौकर डर के मारे कांप गये और राजवीर वो घबराते हुए खुद से ही बड़बड़ाने कि आज जयराज को कोई नहीं बचा सकता ।
जयराज शेखावत और महेंद्र सिंह शेखावत का रिश्ता बेटे और बाप का जरुर था लेकिन वो आपस में दुश्मनों की तरह झगड़ते थे और इसकी एक वजह राजवीर भी था । जो हमेशा उसकी चुगली , शेखावत साहब से करता रहता था ।
खैर इस वक्त वाइट कुर्ता पजामा पहने वह रोद्र रुप लिए खड़े थे और जयराज कहां कम था वह भी रोद्र रुप लिए खड़ा था ।
कौन हैं वह लड़की जिसे तुम उठाकर यहां ले आये ..
इससे आपको मतलब नहीं होना चाहिए ....
तो अब मुझे तुमसे सिखना पड़ेगा कि किस चीज से मतलब होना चाहिए और किस चीज से नहीं...
नहीं , मैंने ऐसा नहीं कहां बस मेरे मामलों से दूर रहिए ....
यह मामला तुम्हारा होता अगर तुम उसे , शेखावत विल्ला से दूर रखते लेकिन ...
लगता हैं आपकी याददाश्त कमजोर हो गयी , जो यह भी भूल गये कि यह मेंशन मेरी मां के नाम हैं तो उस कायदे से इस पर मेरा भी उतनाही हक हैं तो प्लीज मैं यहां किसी को भी ला सकता हूं ।
इतना कहकर वह अपने रुम में चला गया और इधर शेखावत साहब सिर्फ गुस्से से कुर्सी को उठाकर ही फेंक पाये वो खुद से ..एक दिन तुम पछताओगे अपने सभी फैसलों के लिए ..
राजवीर सिर्फ दूर से सबकुछ देखते हुए अफसोस ही कर पाया ।
इधर जयराज जैसे ही रुम में आया , उस लड़की को होश आ गया था और वो अनजानी निगाहों से चारों तरफ देख रही थी ।
जयराज फटाफट उसके सामने बैठते हुए -तुम्हे होश आ गया ।
लेकिन वह लड़की अनजानी निगाहों से उसे घूर रही थी जैसे समझने की कोशिश कर रही हो ।
जयराज उसके सामने बैठते हुए - तुम हो कौन ? अचानक से मेरी कार के सामने कैसे आ गई थी ।
लेकिन वो अभी भी सिर्फ जयराज को घूर रही थी । उसके मुंह से एक शब्द नहीं निकला ।
जिस पर जयराज गुस्से से - कुछ बोलोगी तुम ..
जिस पर वह लड़की - आप कौन हैं ? और मैं कौन हूं ? और फिर वह सवालिया निगाहों से जयराज को देखने लगी लेकिन तब तक तो जयराज उन गहरी काली आंखों में खो चुका था ।
उसे होश तब आया जब उस लड़की ने उसका चेहरा नाखुन से नोच लिया ।