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Tujhse huye jo rubaru

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Shivangi Gupta

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प्यार क्या होता है?कैसे होता है? यह सवाल अक्सर लोगों के दिल और दिमाग में आता है कोई इस एहसास को समझ जाता है तो कोई समझ कर भी समझ नहीं पाता,पर कहते हैं ना वक़्त रहते अपने प्यार को समझ जाओ क्या पता कब वह किसी और का हो जाए, कुछ ऐसी ही कहानी है हमारी...

Characters

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एकांश कपूर

Hero

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युक्ति मेहरा

Heroine

Total Chapters (24)

Page 1 of 2

  • 1. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 1(पहली मुलाकात)

    Words: 1417

    Estimated Reading Time: 9 min

    मुंबई शहर,

    एक लड़की एक बड़े से कॉलेज के बाहर खड़ी थी और उस कॉलेज को बड़े ध्यान से देखते हुए खुद से बोली "आख़िरकार मेरा सपना पूरा हुआ आख़िरकार मैंने यहां पर एडमिशन ले ही लिया" बोलते हुए उसने कॉलेज का नाम पड़ा "यूनिवर्सिटी of मुंबई" नाम पढ़ते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई l

    उसने एक गहरी सांस ली और चेहरे पर मुस्कान लेते हुए कॉलेज के अंदर जाने लगी, वो कॉलेज को बड़े ध्यान से देखते हुए आगे बढ़ रही थी तभी पीछे से उसको एक आवाज़ सुनायी देती हैं l

    कोई उसका नाम पुकार रहा था l

    ""युक्ति" ,"युक्ति रुक,

    वो लड़की पीछे मुड़ कर देखती हैं तो एक लड़की भागते हुए उसकी तरफ ही आ रही थी l

    उस लड़की को देख कर युक्ति के चेहरे की मुस्कान और ज्यादा गहरी हो गई l

    वो भी उस लड़की की तरफ भागते हुए गई और दोनों ने कस कर एक दूसरे को गले लगा लिया l

    "ईशा "i miss you युक्ति ने उस लड़की से कहा l

    i miss you मेरी जान

    ईशा के मुंह से अपने लिए जान सुनकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी l

    दोनो फिर अगल हुई तो युक्ति ईशा से बोली "हमें माफ़ करना कि हम पहले नहीं आ पाये",हम काफी पीछे हो गए होंगे ना

    ईशा तुम इतना भी लेट नहीं हुई हो अभी कॉलेज शुरू हूए तो 2 हफ्ते ही हुए हैं l तो तुम आराम से रहो तुम्हारी पढ़ाई इतनी भी पीछे नहीं हुई है सिर्फ एक दो ही चीज है जो तुम्हें कवर करना होगा l

    युक्ति "भगवान का शुक्र है हमे तो लगा था कहीं हमारी पढाई बहुत ज्यादा तो नहीं छूट गई पर अब ठीक हैं l "बोल कर वो मुस्कुराई "

    ईशा "अब चलो हम क्लास में चलते हैं l

    युक्ति हा में सर हिला कर उसके साथ जाने लगी l

    दोनो बीबीए की स्टूडेंट थी दोनो अपनी क्लास में पाहुंच कर अपनी क्लास करने लगती हैं l

    ऐसे ही वह दोनो अपनी क्लास पूरी करती है, उसके बाद उनका लंच ब्रेक हो जाता है l

    ईशा "युक्ति चलो हम कैंटीन चलते हैं"

    युक्ति ने भी ईशा की बात पर हा कहा और दोनो कॉलेज कैंटीन की तरफ चली गई l

    ईशा "युक्ति क्या तुमने शिफ्टिंग कर ली अगर नहीं हुआ है तो मुझे बताओ मैं तुम्हारी मदद करूंगी मैं कॉलेज ओवर होने के बाद तुम्हारे साथ चलूंगी तुम्हारे हॉस्टल रूम,"

    युक्ति "इसकी कोई जरूरत नहीं है ईशा मैंने सारी शिफ्टिंग कर ली है बस कुछ चीजें हैं जो मुझे यहां से ही लेनी है पर तुम टेंशन मत लो हम वह बाद में भी ले सकते हैं l

    ईशा ठीक है l

    वो दोनो बात करते-करते कॉलेज कैंटीन पाहुंच गई थी दोनो ने अपना ऑर्डर दिया और एक टेबल पर जाकर बैठ गई l

    ईशा "काव्या कैसी हैं"

    युक्ति "अच्छी है तुम्हें पता है वो बहुत ज्यादा उदास थी हमारे मुंबई आने की बात सुनकर,"

    ईशा "कितना अच्छा होता ना कि काव्या भी हमारे साथ होती"

    युक्ति "हाँ" उसने उदास होते हुए कहा l

    ईशा "पर इसमे हम क्या कर सकते हैं,"मैडम को देहरादून यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना था क्या हो जाता है अगर मैडम इस यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लेती बोल कर उसने अपना मुँह बना लिया l

    युक्ति "तुम जानती हो ना काव्या को देहरादून यूनिवर्सिटी मे शुरू से पढ़ना था हमें तो खुश होना चाहिए कि वह जो चाहती थी वह पूरा हो गया"l

    ईशा "हम्म"

    इसी तरह बात करते हुए दोनो ने अपना लंच पूरा किया l

    ईशा "युक्ति चलो मैं तुम कॉलेज कैंपस घुमती हूं तुमने अभी तक कॉलेज पूरी तरह से देखा नहीं होगा ना चलो अभी हमारे पास टाइम है अभी नेक्स्ट क्लास होने में आधा घंटा है तब तक हम कॉलेज कैंपस घुमते हैं l

    युक्ति ने भी ख़ुश होते हुए हा कहा और दोनों कॉलेज कैंटीन से निकल गये l

    ईशा युक्ति को कॉलेज कैम्पस घूमा रही थी और उसको बता रही थी की किधर क्या है और युक्ति भी उसकी बात सुनते हुए सब चीजे देख रही थी ईशा और युक्ति अभी तीसरी मंजिल पर मौजुद थी l

    ईशा युक्ति से युक्ति चल मैं तुझे लाइब्रेरी दिखाती हूं l

    युक्ति ने भी हाँ बोला और उसके साथ जाने लगी ,वो दोनो अभी लाइब्रेरी के पास पहुंची थी कि ईशा का फोन रिंग करने लगा l

    ईशा ने अपना फोन निकाल कर देखा तो उसकी मां का कॉल आ रहा था ईशा "युक्ति रुक मां का फोन आ रहा है मैं अभी बात करके आती हूं फिर हम साथ में लाइब्रेरी चलते हैं l

    युक्ति "हाँ तुम बात कर लो पहले फिर हम साथ जायेंगे"l

    ईशा ने कॉल रिसीव किया और बात करने लगी वो बात कर हुए थोड़े आगे को चली गई थी l

    और इधर युक्ति अपनी नज़र यहां से वहां घूमा रही थी वो ईशा को बात करते हुए देखती है तो वो भी इधर उधर चल कर सब चीजें देखने लगती है तभी उसे लाइब्रेरी के बगल में एक कॉरिडोर नजर आता है l और वो उस कॉरिडोर की तरफ चल देती है l

    वह चलते हुए थोडा आगे आ चुकी थी l

    युक्ति खुद से ही बोली इधर क्या है मुझे तो कुछ भी नहीं दिख रहा और ये सारे क्लासरूम बंद क्यूं है बोलकर वह पलट के जाने ही लगी थी कि तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ी ,

    युक्ति ने खुद से कहा"यह कैसी आवाज़ है फिर उसने ध्यान से सुना तो उसे म्यूजिक सुनाइ दे रहा था l

    वो उस म्यूजिक का पिछा करते हुए उस तरफ चली तभी उसको एक और कॉरिडोर दिखा वह आवाज़ अब धीरे-धीरे और तेज़ होने लगी थी l

    युक्ति आवाज का पिछा करते हुए उस कॉरिडोर की तरफ जाती है तभी उसे कुछ गाने की बोल सुनाई देते हैं l

    (आप सबको एक सुझाव है कि आप यह गाना सुनते हूए आगे की कहानी पढ़ें l)

    (मत आज़मा रे, फिर से बुला रे

    अपना बना ले, हूँ बेक़रार

    तुझको ही चाहा, दिल है ये करता

    आ, बेतहाशा तुझसे ही प्यार)

    "वो जितना आगे जा रही थी आवाज उतना ही साफ सुनायी दे रहा था "l

    (हसरतें बार-बार, बार-बार यार की करो

    ख़्वाहिशें बार-बार, बार-बार यार की करो

    चाहतें बार-बार, बार-बार यार की करो

    मन्नतें बार-बार, बार-बार यार की करो )

    युक्ति एक कमरे के पास आकर रुक जाती हैं, वो एक बार रूम को देख अपने कदम रूम के अंदर ले लेती है,तभी उसकी नज़र एक लड़के पर जा कर रुक जाती है,जो अपने हाथ में गिटार पकडे उसकी तरफ अपनी पीठ करके एक कुर्सी पर बैठा हुआ था l "तभी उसको गिटार के म्यूजिक के साथ-साथ लड़के की आवाज भी सुनाई देती है,"l

    (हम ज़ार-ज़ार रोते हैं, ख़ुद से ख़फ़ा भी होते हैं

    हम ये पहले क्यूँ ना समझे, तुम फ़क़त मेरे

    दिल का क़रार खोते हैं, कहाँ चैन से भी सोते हैं

    हम ने दिल में क्यूँ बिछाए शक़ ये गहरे?

    हसरतें बार-बार, बार-बार यार की करो

    ख़्वाहिशें बार-बार, बार-बार यार की करो

    चाहतें बार-बार, बार-बार यार की करो

    मन्नतें बार-बार, बार-बार यार की करो)

    "युक्ति तो उसकी आवाज और गाने में खो सी गई थी,उसे तो कुछ होश ही नहीं था ,वो तो बस खोए हुए उस लड़के का गाना सुन रही थी जिसकी आवाज़ में एक कशिश ,एक जुनून महसूस हो रहा था, जो उसे यहां तक खींच लाया था l

    (तेरे ही ख़्वाब देखना, तेरी ही राह ताकना

    तेरे ही वास्ते है मेरी हर वफ़ा

    तेरी ही बात सोचना, तेरी ही याद ओढ़ना

    तेरे ही वास्ते है मेरी हर दुआ

    तेरा ही साथ माँगना, तेरी ही बाँह थामना

    मुझे जाना नहीं कहीं तेरे बिना

    तू मुझसे फिर ना रूठना, कभी कहीं ना छूटना

    मेरा कोई नहीं यहाँ तेरे सिवा

    हसरतें बार-बार, बार-बार यार की करो

    ख़्वाहिशें बार-बार, बार-बार यार की करो

    चाहतें बार-बार, बार-बार यार की करो

    मन्नतें बार-बार, बार-बार यार की करो )

    तभी उस लड़के ने गाना गाना बंद किया ,और अपना गिटार रख कुर्सी पर से उठ खड़ा हुआ और युक्ति की तरफ पलटा , तभी उस लड़के की नज़र युक्ति पर पढी,

    hello friends 👋 😀

    उम्मीद करती हूं आप सबको यह कहानी अच्छी लगे,

    अगर आज का चैप्टर अच्छा लगा हो तो चैप्टर पर लाइक कमेंट करना ना भूले,और कहानी को अपनी रेटिंग जरूर से दे l

    और कहानी से जुड़ी जानकारी जानने के लिए आप मेरी प्रोफाइल को फॉलो करना ना भूले l

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    आज के लिए बस इतना ही मिलते है अगले भाग में,

    तब तक के लिए बाय और अपना ख्याल रखें 👋 🤗

    .

    .

  • 2. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 2 (तुम कौन हो)

    Words: 1599

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब तक आपने पढ़ा,

    तभी उस लड़के ने गाना गाना बंद किया ,और अपना गिटार रख कुर्सी पर से उठ खड़ा हुआ और युक्ति की तरफ पलटा , तभी उस लड़के की नज़र युक्ति पर पढी,

    अब आगे ,

    युक्ति कि भी नज़र उस लड़के से जा मिली वो लड़का काफ़ी हैंडसम था गोरा रंग, काली आंखें, लंबी और तीखी नाक हल्के गुलाबी होंठ उसकी ऊंचाई 6 फुट थी और उम्र कुछ 22,23 के आस पास,उसने नीले रंग की पैंट और सफेद रंग की शर्ट पहन रखा था जो उसको और भी ज्यादा गुड लुकिंग और हैंडसम बना रहा था l

    वो लड़का युक्ति को देखते हुए उसके पास जाने लगा जो पता नहीं कहा खोए हुए उसको ही देख रही थी,

    वो युक्ति को देख रहा था , उसने नीली जींस पर गुलाबी रंग की लंबी कुर्ती पहन रखी थी और बालों को उसने हाफ क्लच कर रखा था जो उसके गोरे रंग पर काफी ज्यादा खुबसूरत लग रहा था, उसकी बड़ी-बड़ी हल्की भूरी आँखों पर चश्मा लगा हुआ था उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ियां की तरह मुलायम और गुलाबी थे वह बहुत ज्यादा प्यारी और खूबसूरत थी l

    वह लड़का युक्ति के पास पहुंच कर बोला,तुम कौन हो और यहाँ पर क्या कर रही हो ,

    युक्ति उसकी आवाज सुनकर होश में आई,और हड़बड़ाते हुए इधर-उधर देख कर बोली "जी वो मैं मैं,

    "मैं" ,के आगे भी बोलोगी"

    युक्ति को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह उस लड़के को क्या बोले,की वो यहाँ पर क्यू और क्या करने आयी थी l

    युक्ति "वो मैं" "वो भी बोल ही रही थी कि उसको अपने पीछे से एक आवाज सुनाई दी, एकांश तू यहाँ पर हैं और मैंने तुम्हें कहा कहा नहीं ढूंढ लिया,

    बोल कर वो अंदर आया तो उसकी नज़र भी युक्ति पर गई,

    वो एकांश को देख बोला "ये कौन है भाई"

    एकांश उस लड़के का नाम था जो कुछ समय पहले गाना गा रहा था l

    एकांश "मैं भी जाना चाहता हूं कि ये कौन है" बोल कर युक्ति को देखने लगा , अब दोनो लड़के युक्ति को ही देखने लगे,

    ये देख युक्ति डर गई और हड़बड़ाते हुए बोली मैं इस कॉलेज में नई आई हूं ,मुझे नहीं पता था कि यहां पर आना मना है मुझे माफ कर दीजिएगा सॉरी

    बोल कर वो वहा से भाग गई उसने ये इतनी जल्दी में कहा और किया था कि उन दोनो को समझ ही नहीं आया l

    "भाई क्या मैंने कुछ गलत कह दिया जो यह डर कर भाग गई",या फिर मेरे चेहरे पर कुछ लगा है जिसे देखकर ये डर गई बोलते हुए उसने एक हाथ से अपना चेहरा छूआ l

    एकांश ने कुछ ना बोलते हुए रूम के अंदर आया और टेबल पर रखा अपना बैग उठाकर उस रूम से बाहर निकल गया l

    "अरे रुक यार एक तो मैं कब से तुझे ढूंढ रहा था और अब जो तू मिला है तो तु मुझे छोड़ कर भाग रहा है", बोल कर उसके साथ साथ चलने लगा l

    एकांश "और क्या मैं जान सकता हूं कि तुम मुझे क्यों ढूंढ रहे थे हर्ष राणा,

    हर्ष राणा उस लड़के का नाम था वह भी दिखने में काफी हैंडसम और स्मार्ट था l

    हर्ष "क्यों ढूंढ रहा था उसे क्या मतलब है तेरा"वो दोनो बात करते हुए वहा से जाने लगे थे l

    और इधर युक्ति भागते हुए लाइब्रेरी के पास वाले कॉरिडोर पहुंची तो वह सामने से आ रहे हैं व्यक्ति से टकरा गई l

    युक्ति टकराने की वजह से गिरने ही लगी थी कि सामने वाले इंसान ने उसे पकड़ लिया l युक्ति ने गिरने की डर से अपनी आंखें कस कर बंद कर ली तभी किसी ने अपने दोनो हाथ से उसके दोनो हाथों को पकड़ लिया l

    तभी उसे जानी पहचानी आवाज सुनाई दी युक्ति तु कहा चली गई थी और तू ऐसे भाग क्यों रही थी क्या हुआ ?

    युक्ति ने जब खुद को गिरता हुआ महसुस नहीं किया तो उसने अपनी आंखें खोल कर और ठीक से खड़े होते हुए सामने देखा तो सामने ईशा खड़ी थी जो उसको हेयरन और परेशन भारी नजरो से देख रही थी l

    युक्ति के ठीक से खड़े हो जाने पर ईशा ने उसका हाथ छोड़ दिया और उसके जवाब का इंतज़ार करने लगी ,

    युक्ति "वो मैं उधर गई थी" उसने अपने एक हाथ से गलियारे की तरफ इशारा करते हुए कहा ,

    ईशा ने एक नज़र युक्ति के इशारा किये हुए कॉरिडोर की तरफ देखा और फिर उसका हाथ पकड़ते हुए बोली "चल हमारी एक क्लास छूट भी गई ,"

    युक्ति "क्या" वो चौंक कर बोली

    ईशा "क्या", "क्या मैडम तूने टाइम देखा है हमारी 30 मिनट कब के पूरे हो गए ,और तेरा कुछ पता ही नहीं चल मैं कब से तुझे ढूंढ रही थी मैंने तुझे कॉल भी किया पर तूने तो कॉल भी नहीं पिक किया ,कहा ध्यान था तेरा ,

    युक्ति ने अपने जींस की जेब से अपना फोन निकाला और देखा, ईशा के काई के सारे मिस कॉल पड़े हुए थे, उसने अपने फोन को देखा , फिर ईशा को देख कहा, ''सॉरी यार मैंने ध्यान नहीं दिया, शायद मेरा फोन silent मोड पर था l

    ईशा "चल छोड़ अब,चल नीचे चलते हैं ताकी अगला क्लास मिस ना हो जाए l

    युक्ति "हाँ चलो''

    बोल कर दोनो अपनी क्लास की तरफ चल दी,

    इधर दूसरी तरफ ,,

    एकांश अपने क्लास में अपने सीट पर बैठा हुआ था और हर्ष उसको कुछ बोल रहा था, "तुझे पता है इस बार भी प्रोफेशन ने फ्रेशर पार्टी का सारा जिम्मा हमारे ऊपर डाल दिया है",''भाई मैं तुझसे बोल रहा हूँ , मुझे ये सब नहीं होगा ,मुझे पार्टी एन्जॉय करना पसंद है ना कि पार्टी अरेंज करना l

    बोल कर उसने अपने हाथों को अपने सिर के पीछे बंध लिया और सीट से अपनी बैक टिका ली l

    तभी उसके पास एक लड़की आते हुए बोली "तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे ना जाने तुम्हारे ऊपर कितने सारे भार हो"

    हर्ष ने देखा तो उसके पास एक लड़की खड़ी थी l जो दिखने में काफी खुबसूरत और स्टाइलिश थी उसने एक क्रॉप टॉप और बैगी जींस पहन रखा था और बालों का एक पोनीटेल बना रखा था l

    हर्ष "तुम क्या जानो मिस श्रेया कि मेरे इस नाज़ुक से कंधे पर कितने सारे भार हैं l

    श्रेया ने उसकी बातों पर अपनी एक आइब्रो ऊपर की तरफ उचकाई और बोली जरा मैं भी तो जानू की ऐसे कौन से काम तुम्हें करने है, जिसके भार तले तुम्हारे ये नाजुक से कंधे झुके जा रहे हैं l

    हर्ष उसको कुछ बोलता की तभी उन लोगो के कानों में एक और आवाज पड़ी "मैं भी ये जाना चाहता हूँ,कि तू जैसे अलसी को ऐसे कौन से काम करने हैं l

    उन लोगों ने आवाज कि दिशा की तरफ देखा तो एक लड़का चलते हुए उनके पास ही आ रहा था , उसने काले रंग की जींस और सफेद रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी और उसके एक कंधे पर बैग लटका हुआ था l

    हर्ष "हाँ बस तेरी ही कमी थी, ''आ तू भी मार ले ताने''

    वो लड़का बोला ''मैं ताने नहीं मार रहा बाल्की मैं सच में जानना चाहता हूं कि तुझे ऐसा कौन सा काम है"l

    हर्ष अब क्या बताओ तुम लोगो को

    श्रेया "जो हम जाना चाहते हैं वो और क्या"उसने अपने दोनों हाथों को बांधते हुए कहा

    हर्ष ने श्रेया को घूरा और चिड़े हुए बोला " तुमको क्यू बताऊ ''

    श्रेया ने भी उसकी बात सुनी तो वो भी उसको गुस्से से घूरती है l

    तभी वो लड़का बोला "बस कर अपनी फालतू बकवास मुझे पता है तेरे पास कोई काम नहीं है,यह सब बहाने हैं इसलिए जो काम दीया गया है वह काम चुपचप कर"

    हर्ष "रूद्र भाई मुझ अकेले को नहीं मिला है तुम सबको भी,

    रुद्र "मैं जानता हूँ और मैं अभी प्रोफेसर से मिल कर ही आ रहा हूँ ,

    हर्ष "अच्छा तभी मैंने सोचू कि अचानक से प्रोफेशनल ने फ्रेशर पार्टी की सारी जिम्मेदारी हमारे ऊपर क्यों शोप दी, जो की ये काम 5th सेमेस्टर वालो का था तूने कहा उनको"

    रुद्र "पागल है क्या तू ,मैं क्यों बोलूंगा"l

    तभी श्रेया बोली "प्रोफेसर ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें पिछली बार का हमारा किया गया तैयारी काफी अच्छा लगा था"इसलिए वह चाहते हैं कि इस बार भी हम ही फ्रेशर पार्टी की सारी तैयारी करे l

    हर्ष "हद है यार ये हमारा आखिरी साल है l और ये हमे पार्टी देने की जगह हमसे ही पार्टी की व्यवस्था करवा रहे हैं l उसने चिढ़कर कहा l

    श्रेया "correct your word", साल नहीं महीना only 6 month

    हर्ष "ओह देवी जी कृपया अभी मेरे शब्दों को नहीं मेरे जज्बातों को समझे"उसने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा

    श्रेया ने भी एक हाथ उठा कर उसको आशीर्वाद देते हुए कहा "बिल्कुल बिल्कुल शिष्य हम आपके जज्बातों की कदर करते हैं l

    रुद्र दोनो की नौटंकी देखकर अपना सर ना में हिला देता है और एकांश के पास जाकर बोला तू कुछ नहीं कहेगा ,

    एकांश अभिव्यक्तिहीन चेहरे के साथ कहा "इसमें कहना क्या है जो प्रोफेशन ने कहा है वह करो"l

    रुद्र ने भी हम्म्म्म् कहा

    hello friends 👋 😀

    उम्मीद करती हूं आप सबको यह कहानी अच्छी लगे,

    अगर आज का चैप्टर अच्छा लगा हो तो चैप्टर पर लाइक कमेंट करना ना भूले,और कहानी को अपनी रेटिंग जरूर से दे l

    और कहानी से जुड़ी जानकारी जानने के लिए आप मेरी प्रोफाइल को फॉलो करना ना भूले l

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    आज के लिए बस इतना ही मिलते है अगले भाग में,

    तब तक के लिए बाय और अपना ख्याल रखें 👋 🤗

  • 3. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 3(सुपरस्टार एकांश कपूर)

    Words: 1651

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब तक आपने पढ़ा,

    रुद्र दोनो की नौटंकी देखकर अपना सर ना में हिला देता है और एकांश के पास जाकर बोला तू कुछ नहीं कहेगा ,

    एकांश अभिव्यक्तिहीन चेहरे के साथ कहा "इसमें कहना क्या है जो प्रोफेशन ने कहा है वह करो"l

    रुद्र ने भी हम्म्म्म् कहा

    अब आगे ,

    आज दिन ऐसे ही गुजर गया,

    रात का वक़्त ,

    युक्ति अपने हॉस्टल के कमरे में अध्ययन टेबल पर बैठे पढाई कर रही थी l वो अपने किताबो मैं इतनी डूबी हुए थी कि उसको होश ही नहीं था कि वो 7 बजे के बैठी थी और अभी रात के 9:30 हो रहे हैं वो अभी भी अपने नोट बुक में से कुछ पढ़ ही रही थी कि तभी उसका फोन बजता है

    जिसकी आवाज से उसका ध्यान अपनी किताबों से हटता है वो अपना फोन इधर उधर देखने लगती है तभी उसकी नजर बिस्तर पर जाती है जहां पर उसका फोन रखा हुआ था वो अपनी कुर्सी से उठती है और बिस्तर के पास जा अपना फोन उठा कर देखती है तो उस पर मम्मी नाम फ्लैश हो रहा था l

    वो कॉल रिसीव कर बोली "हेलो मम्मी

    कॉल के दूसरे तरफ से भी आवाज आई ''हेलो युक्ति", "युक्ति बेटा कैसी हो ,तुम ठीक हो ना , तुम अपना ध्यान रख रही हो ना बेटा, और पढाई कैसी चल रही है, तुमको कोई परशानी तो नहीं है ना और क्या तुमने खाना खा लिया बोलो युक्ति बेटा"

    युक्ति "मम्मी आप बोलने तो दो आपने तो कॉल रिसीव करते हुए ही मुझ पर सवालों की बरसात कर दी,आपने मुझसे एक साथ इतने सारे सवाल पूछ लिए हैं कि मुझे समझ में ही नहीं आ रहा है कि मैं पहले कोन से सवाल का जवाब दूं",l

    युक्ति की माँ दीया मेहरा बोली , "मैं क्या करूँ बेटा तू मुझसे पहली बार इतना दूर जो गई हैं", तो मुझे तेरी फिक्र सता रही है कि तू ठीक है कि नहीं, तू अच्छे से खा पी रही है कि नहीं ,तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है तुझे वहां पर कोई परेशानी तो नहीं है इतने बड़े शहर में तू अकेली वहां पर कैसे रह रही होगी ये सब मेरे दिमाग में कब से चल रहा है" "मुझे"

    वो अभी बोल ही रही थी कि युक्ति बिच में ही बोल पड़ी मेरी प्यारी मम्मी सास तो लेलो,

    युक्ति की बात सुनकर दिया जी ने एक गहरी सास ली

    युक्ति "मैं जानती हूं मम्मी की आपको मेरी फिक्र हो रही है पर आप परेशान मत हो मैं अपना ध्यान अच्छे से रख रही हूं और मेरी पढ़ाई भी अच्छी चल रही है मुझे यहां पर कोई समस्या नहीं है और अगर मुझे कोई परेशानी होगी तो मैं सबसे पहले आपको बताऊगी , ठीक अब मेरी बाते छोड़ो और आप अपना बताओ "आप ठीक हैं ना और पापा ठीक हैं" l

    दीया जी "हाँ मैं और तेरे पापा अच्छे हैं" l तुम हमारी फ़िकर मत करो l

    युक्ति "ऐसे कैसे ना करूं क्या मैं आपको बोलती हूं कि आप मेरी फिक्र मत किया करो तो आप कैसे बोल रही हैं कि हम आपकी फिक्र ना करें"l उसने थोड़े गुस्से से कहा

    दिया जी "अच्छा बाबा" अब से नहीं बोलुगी ठीक

    युक्ति "हम्म्म्म" "बोल उसके चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ गई वो फिर से अपनी माँ से बोली "मां युग और आशी कैसे हैं''

    दीया जी ''ठीक हैं बस तुमको बहोत याद करते हैं l युक्ति मुझे भी आप सब की बहुत याद आ रही है माँ"

    और इस तरह वो अपनी माँ से फिर अपने पापा और भाई बहन से बात करने लगती हैं l

    इधर उधर तरफ ,

    मुंबई के वी.आई.पी क्षेत्र में जहां काफी बड़े-बड़े घर मौजुद थे उन्हें घर कम बंगला बोला जा सकता था उस क्षेत्र में उन बाकी घरों से थोड़ा दूर एक बड़ा सा सफेद रंग का मेंशन था जो देखने में काफी ज्यादा खुबसूरत और आकर्षण लग रहा था वह घर वहां मौजुद सभी घर से ज्यादा सुंदर और बड़ा था l

    घर के चारों तरफ गार्डन बना हुआ था जिसमें तरह-तरह के फूल और पेड़ पौधा लगे थे और बीच में ही एक बड़ा सा फव्वारा था जो रात के समय में काफी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था l

    घर के अंदर,

    घर के सभी सदस्या डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे तभी है head कुर्सी पर बैठा आदमी अपनी गंभीर आवाज़ में बोला "शिखा एकांश क्या अभी तक घर नहीं आया है"l

    ये आदमी एकांश के पापा मिस्टर चिराग कपूर हैं और जिस औरत से वह एकांश के बार में पूछ रहे हैं वह एकांश की माँ Mrs शिखा चिराग कपूर हैं l

    शिखा जी "अभी नहीं पर वो आता ही होगा"l

    चिराग जी "रात के 10 बाज रहे हैं और वो अभी तक घर से बाहर हैं "माना मैंने इस लड़के को आज़ादी दी है कुछ भी करने का पर यह कोई तरीका नहीं होता है"l

    तभी वहा बैठी एक 70 साल की औरत बोली ''तुम जब देखो तब मेरे पोते के पीछे ही क्यों पड़े रहते हो, आ जाएगा ना कुछ काम होगा तभी तो वह अभी तक नहीं आ पाया है l

    ये एकांश की दादी श्रीमती नीता कपूर हैं l

    चिराग जी ''मां अब आप फिर से अपने पोते का साइड लेना मत शुरू कर दीजिएगा''l

    नीता जी "मैं उसकी साइट कहां ले रही हूं"l मैं तो तुम्हें बता रही हूं कि वहां कोई जरूरी काम में फस गया होगा l

    शिखा जी बोली ''चिराग आप गुस्सा मत कीजिए एकांश लापरवाह नहीं है वह काफी समझदार और (mature) परिपक्व है l और आप भी ये बात अच्छे से जानते हैं l

    वह लोग अपनी बात कर ही रहे थे कि तभी एक लड़की सिद्धियों से भागते हुए नीचे आती है और डाइनिंग टेबल के पास आकर एक कुर्सी खींच कर फटाक से बैठ जाती है l

    उसको इस तरह बैठा देख शिखा जी बोली "ये क्या तारिका है राध्या"ऐसे कौन नीचे उतरता है अगर गिर जाती तो तुम्हें चोट लग जाती तो ,

    चिराग जी "हाँ बेटा ध्यान से उतरा करो,ऐसे सिद्धियों पर से भागते हुए नीचे आओगी तो गिर जाओगी l

    राध्या ''don't worry mom and dad मैं नहीं गिरूंगी''l

    नीता जी उसको डांट लगाते हूए बोली ''हा हा तुम्हें तो सब पता है कि तुम गिरोगी कि नहीं गिरोगी l हम बोल रहे हैं कुछ तो सोच कर ही ना बोल रहे होंगे l

    राध्या ''ओह मेरी प्यारी दादी आप इतनी फ़िक्र मत किया करो आपके ऐसे फ़िक्र करने से मेरा दिल ज़ोरो से धड़कने लगता हैं बोल कर उसने नीता जी को देख एक आँख मार दिया l

    नीता जी ''हट पागल लड़की"

    राध्या की उत्पातांग हरकतें और बातें सुनकर सबके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है l

    नीता जी "चलो अब डिनर करो काफ़ी लेट हो गया है''l

    नीता जी की बात सुनकर सभी अपना डिनर करने लगते हैं पर चिराग जी की नजर तो अभी भी हॉल की तरफ थी l

    ये देख शिखा जी बोली आप एकांश की फिक्र मत कीजिए वह आएगा तो मैं उसे डिनर करा दूंगी ,आप अपना डिनर कीजिए l

    शिखा जी ने अभी इतना ही कहा था तभी उनको एक आवाज़ सुनाई दी ''mom मैं आ गया"l

    आवाज़ सुनकर अपने पीछे देखा तो एकांश उनकी तरफ ही आ रहा था एकांश को देख शिखा जी के चेहरे पर मुस्कान खिल गई l

    इधर चिराग जी ने भी एकांश को एक नज़र अच्छे से देखा और फिर अपनी नज़र उस पर से हट लिया l

    नीता जी भी एकांश को देख बोलीं "आ गए तुम हम कबसे तुम्हारा इंतज़ार कर रहे थे''कहा रह गये थे l

    एकांश डाइनिंग टेबल के पास आकर अपनी कुर्सी खींचते हुए बोला ''एक काम में फैंस गया था दादी''

    नीता जी चिराग जी की तरफ देख बोली ''बोला था ना कुछ काम होगा पर तुझे तो मौका चाहिए मेरे पोते को सुनाने का''l

    चिराग जी अपनी माँ की बात सुनकर कुछ नहीं बोले और अब चुप चाप अपना डिनर करने लगे l

    एकांश ने एक नज़र अपने पापा की तरफ देखा पर उनको कुछ बोलते ना देख वो भी चुप चाप बैठा रहा

    शिखा जी ने दोनो बाप बेटे को देख अपना सर ना में हिलाया और एकांश के प्लेट में खाना सव करते हुए बोली एकांश तुम्हारा संगीत कैसा चल रहा है क्या तुम सच में अपना करियर इस्सी में बनाना चाहते हो l

    एकांश ने अपनी माँ की बात सुनकर एक बार फिर अपने Dad को देखता है फिर अपनी माँ की तरफ देख बोला yes mom मैं sure हूं अपने कैरियर को लेकर l

    एकांश की बात सुनकर चिराग जी के हाथ एक पल को रुके पर फिर से वो अपना डिनर करने लगे l

    इधर राध्या एकांश की बात सुनकर खुशी से बोली wow भैया कितना अच्छा लगेगा ना मेरा भाई the superstar ekansh Kapoor it's feel so good to hear this and It feels even better to call myself the sister of the superstar ekansh Kapoor ooo wow so amazing

    (सुपरस्टार एकांश कपूर यह सुनकर बहुत अच्छा लग रहा है और खुद को सुपरस्टार एकांश कपूर की बहन कहना और भी अच्छा लग रहा है ओ वाओ बहुत अद्भुत)

    उसने ख़ुशी से चाहते हुआ कहा l

    उसको इतना खुश देखकर एकांश के चेहरे पर भी एक छोटी सी मुस्कान आ गई l

    शिखा जी अच्छा चलो अब डिनर करो दोनो अपना उनकी बात सुन राध्या और एकांश ने डिनर शुरू कर दिया l

    और डिनर के बाद सभी अपने-अपने कमरे में चले गए l

    hello friends 👋 😀

    उम्मीद करती हूं आप सबको यह कहानी अच्छी लगे,

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    आज के लिए बस इतना ही मिलते है अगले भाग में,

    तब तक के लिए बाय और अपना ख्याल रखें 👋 🤗

  • 4. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 4( पहला प्यार हो)

    Words: 1699

    Estimated Reading Time: 11 min

    अगले दिन,सुबह का वक्त ,

    कपूर मेंशन में,

    एकांश अपने कमरे में सो रहा था अभी सुबह के 7:30 बजे थे तभी उसके बेडसाइड टेबल पर रखा उसका फोन बजता है, उसने फोन की आवाज को इग्नोर करते हुए अपना सर घुमा लिया पर फोन कट हो कर वापस से बज उठा l

    उसने इरिटेट होकर साइड टेबल से अपना फोन उठाया और बिना कॉलर आईडी देखे कॉल पिक कर लिया l

    एकांश ने गुस्से से कहा "who the hell are you''

    तभी फोन के दूसरे तरफ से आवाज आयी "एकांश क्या हुआ मेरे भाई तू इतना गुस्सा क्यों हो रहा है"l

    एकांश ने गुस्से से अपने दाँत पिस्ते हुए बोला "हर्ष राणा what's your problem", तुम मुझे इतनी सुबह सुबह क्यू कॉल कर रहे हो ऐसा भी क्या (महत्वपूर्ण) important काम है जिसके लिए तुम मुझे कॉल कर के डिस्टर्ब कर रहे हो,l

    हर्ष "भाई तू अभी तक सो रहा था क्या टाइम देखा है तूने सुबह के 7:30 बज रहे हैं और तू इसे इतनी सुबह बोल रहा है''l

    तभी किसी ने हर्ष के हाथ से उसका फोन छीनते हुए कहा बोल कौन रहा है जो खुद 9 बजे तक घोडे बेचकर के सोता है l

    हर्ष "रुद्र तूने मेरे हाथ से फ़ोन क्यू ली", "दे मैं बात कर रहा हूँ"l

    रुद्र ने हर्ष की बात को इग्नोर किया और एकांश से बोला ''एकांश तुम तैयार हो जाओ हम कुछ ही देर में तुम्हारे घर आ रहे हैं''l

    रुद्र की बातों में गंभीरता देख एकांश ने हां बोला और कॉल कट कर अपने बेड से उठकर वॉशरूम की तरफ चला गया l

    थोड़ी देर बाद वो वॉशरूम से बाहर आया इस वक्त उस ने अपनी कमर पर एक काले रंग का तौलिया लैपेट रखा था,और एक तौलिये से अपने बालों को पोछ रहा था l

    उसने अच्छी खासी बॉडी बना रखी थी सिक्स पैक्स ऐप चौडे शोल्डर उसकी बॉडी काफी ज्यादा हॉट और सेक्सी थी जो उसको और भी ज्यादा हैंडसम ,आकर्षक बनाता था l

    एकांश अपने कमरे में बने एक कमरे में चल गया जो उसका क्लोजेटरूम था l

    इधर कपूर मेंशन के पास एक कार आकर रुकी और उस कार में से हर्ष और रुद्र बाहर आए और मेंशन के अंदर जाने लगे वो हॉल में आए ही कि उनको नीता जी हॉल के सोफे पर बैठे मिल गई जो अपने हाथों में एक किताब के लिए पढ़ रही थी l

    किसी के कदमो की आहट को महसुस कर उन्हें अपनी किताब में से नजर हटाएं और सामने देखा तो रुद्र और हर्ष खड़े थे l

    नीता जी दोनो को देख बोली ''क्या बात है आज सुबह-सुबह तुम दोनों यहाँ पर रास्ता भटक गए थे क्या तुम दोनों जो भटके हुए यहां आ गए'',l

    हर्ष ''क्या दादी आप भी''बोल कर वो जबरदस्ती हंसने लगता है l

    रूद्र हर्ष को देखकर अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए नीता जी के पास आकर बोला ''सॉरी दादी"

    नीता जी "तुम्हारे सॉरी बोलने से मैं अपनी नाराजगी छोड़ नहीं दूंगी तुम लोग कितने दिन से मुझसे मिलने नहीं आये क्या मैं बस तुम्हारी नाम की दादी हूं''l

    रूद्र ''नहीं दादी''ऐसा नहीं है l

    तभी हर्ष बोला "दादी किसने कहा कि आप मेरी दादी हो,

    नीता जी हर्ष के ऐसा कहने पर अपनी आंखें छोटी करके उसको देखने लगी तभी हर्ष उनके बगल में बैठता हूए बोला ''आप तो मेरी स्वीटहार्ट हो पहला प्यार हो ख़बरदार जो खुद को मेरी दादी कहा तो",

    नीता जी हर्ष का कान पकड़ कर मोड़ते हुए बोली अपनी दादी से ऐसे बात करते हैं बदमाश कहीं के,

    अरे जानेमन कान छोड़ दो दर्द हो रहा है,

    हर्ष की बात सुनकर रुद्र के होंठ पर एक प्यारी मुस्कान आ गई थी,

    और इधर कोई था जो रुद्र को तब से देख रहा था,जब से वह घर के अंदर आया था और ये कोई और नहीं राध्या थी, जो एक तक सिढ़ियों पर खड़े होकर रुद्र को देख रही थी जब उसने रुद्र को मुस्कुराते हुए देखा तो उसका दिल तेजी से धड़कने लगा l

    राध्या ने अपने धड़कते हुए दिल के पास हाथ रखा और बोली ''आपके ऐसे मुस्कुराने भर से मेरा दिल इतनी तेजी से धड़कने लगता है'' l बोल उसके चेहरे पर भी एक लंबी सी मुस्कान आ गई l

    तभी उसके कानों में एकांश की आवाज पड़ी "राध्या तुम सीधीयों पर ऐसे खड़ी क्यों हो'' ''क्या हुआ?

    राध्या एकांश की आवाज सुनकर हड़बड़ा गई और उसकी तरफ देख बोली ''कुछ नहीं भैया''

    एकांश ''तो फिर यहां पर ऐसी खड़ी क्यू हो चलो'' बोल कर वो नीचे उतरने लगा इधर जब सब ने एकांश की आवाज सुनी तो वो लोग भी एकांश और राध्या की तरफ देखने लगे l

    दादी एकांश को आता देख बोली "तुम लोग कहीं जा रहे हो क्या''

    एकांश ''हाँ दादी कुछ काम है''l

    हर्ष सोफ़े पर से उठा कर एकांश के पास आया और बोला ''क्या बात है रोज सुबह जल्दी उठ जाने वाला बंदा आज इतनी देर तक सोता रहा ''क्या बात है भाई'' बोल कर वो आँखों में शरारत के लिए उसे ही देखने लगा l

    एकांश ने उसको एक नज़र बिना किसी भाव के देखा और उसको अपने सामने से साइड करता हुआ हॉल से बाहर जाने लगा l

    हर्ष एकांश को देख बोला ''जब देखो तब इसके चेहरे पर ऐसे ही एक्सप्रेशन देखने को मिलते हैं एक्सप्रेशन लेस"l

    रुद्र हर्ष के पास आकार उसके सर पर मरते हुए बोला और ''तुम जब देखो तब ऐसे ही बकवास करते हुए मिलते हो'' "कभी तो अपनी ऐसी बचकानी बातें बंद कर दिया करो''l बोल वो भी एकांश के पिछे चल दिया l

    हर्ष अरे भाई लोग मेरे लिए भी रुको फिर राध्या की तरफ देख बोला ''तुमसे बाद मैं मिलूंगा चुहिया''और नीत जी को देख बोला ''बाय जानेमन''

    इधर राध्या हर्ष के चुहिया बोलने से चिढ़ गई थी और गुस्से से उसको घुर रही थी l

    तभी नीता जी ने उन लोगो को रोकते हुए बोली एकांश,रूद्र, हर्ष तुम लोग नाश्ता तो करते हुए जाओ इतनी भी क्या जल्दी है l

    तभी शिखा जी भी किचन से बाहर निकलते हुए बोलीं "तुम लोग इतनी सुबह-सुबह कहां जा रहे हो वह भी नाश्ता करे बिना चलो आओ नाश्ता करो पहले"

    एकांश अपनी माँ की आवाज़ सुनकर कर उनकी तरफ से देखते हुए बोला ''mom अभी हमें कहीं जाना है हम बाहर नाश्ता कर लेंगे आप टेंशन मत लीजिये l

    तभी हर्ष शिखा जी की तरफ देखते हुए बोला ''आंटी आप चिंता मत कीजिए हम जल्दी ही आएँगे आपके हाथ का नाश्ता करने'' फिर नीता जी की तरफ देख बोला ''जानेमन मुझे ज्यादा मिस मत करना'' l

    बोल वो भी घर से बाहर निकल गया l तीनो घर के बाहर आये और रुद्र की कार में बैठते हुए तीनो वहां से चले गए l

    इधर युक्ति के हॉस्टल में,

    युक्ति अभी तक सो ही रही थी कि उसके फ़ोन में अलार्म बजा ये पहला अलार्म नहीं था इसे पहले भी काफी सारे अलार्म बज चुके थे जिसे युक्ति ने बंद कर दिया था l

    युक्ति ने एक बार फिर अपना हाथ आगे बढ़ाकर अलार्म बंद करना चाहा कि उसकी नजर समय पर आ गई और उसकी आधी खुली आंखें पूरी तरह से खुल गई l

    oh! no मार गई 8:45 हो गया है l बोल वो जल्दी जल्दी अपने बिस्तर से उठ और अलमारी से अपने कपड़े निकल वॉशरूम में भाग गई l

    15 मिनट बाद वो वॉशरूम से बहार आई और आइने के सामने खड़े होकर जल्दी जल्दी अपने बाल बनाने लगी उसके बाल गिले थे, उसने जल्दी जल्दी अपने बालों में कंघी की और खुला छोड़ दीया और वही टेबल पर से उसने एक लिपबाम उठाया और अपने होठों पर लगा, खुद को एक बार देख वो अपनी स्टडी टेबल के पास आई और अपना बेग ले उसने अपनी सैंडल पहनी और अपने रूम से निकल गई l

    उसके पास तो अब नाश्ता करने का भी समय नहीं था वो खुद मैं ही बड़बड़ाते हुए बोली "हे भगवान" ''हमेशा मेरे साथी ऐसा क्यों होता है मैं जब भी सोचती हूं जल्दी उठूंगी मैं तभी लेट क्यों उठती हूं'' उसका चेहरा लटक गया था l

    उसने खुद पर गुस्सा करते हुए कहा "युक्ति क्या जरूरी थी अलार्म को बार-बार बंद करने की, देख अब लेट हो गया ना'' बोल वो जल्दी से हॉस्टल के बहार आई और कॉलेज जाने के लिए ऑटो लेने लगी l

    युक्ति का हॉस्टल कॉलेज से 20 मिनट की दूरी पर था क्योंकि कॉलेज के हॉस्टलरूम सारे फुल हो चुके थे इसीलिये युक्ति को कॉलेज के बाहर ही हॉस्टल लेना पड़ा था l

    युक्ति ऑटो का इंतजार कर ही रही थी कि तभी ऑटो उसके पास आकर रुकी युक्ति ऑटो में बैठकर अपने कॉलेज की तरफ चल देती है l

    युक्ति ऑटो वाले से बोली ''भैया थोड़ा तेज चलाये ना''

    ऑटो वाले ''मैडम तेज तो चल रहा हूं'',और कितना तेज चलाऊ l

    युक्ति ''भैया बस थोड़ा सा तेज''l

    ऑटो वाले भैया मुस्कुराते हुए बोले ''मैडम लेट हो गया है क्या"

    युक्ति ने मासूम सा चेहरा बनते हुए कहा "हाँ भैया बहुत"इसलिए हम बोल रहे हैं कि थोड़ा तेज चलिए l

    युक्ति को परेशन देख ऑटो वाले ने ऑटो की स्पीड और तेज कर दी l

    कुछ 6,7 मिनट में ऑटो उसके कॉलेज के गेट के बाहर आकर रुकी , युक्ति ने ऑटो वाले को पैसे दिए और थैंक्यू बोल कर कॉलेज के अंदर जाने लगी l

    वह लगभाग दौड़े हुए कॉलेज के अंदर जा रही थी,की अचानक ठोकर लगने की वजह से वह गिरने ही लगी थी कि किसी ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया l

    युक्ति ने गिरने की डर से अपनी आंखें कस कर बंद कर ली l पर जब उसको किसी दर्द और गिरने का एहसास महसुस नहीं हुआ तो उसने अपनी आंखें धीरे-धीरे खोलीं तो उसकी आंखें सामने वाली की आँखों पर टिक गई l

    hello friends 👋 😀

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  • 5. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 5(आँखों में खोना)

    Words: 1419

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब तक आपने पढ़ा,

    वह लगभाग दौड़े हुए कॉलेज के अंदर जा रही थी,की अचानक ठोकर लगने की वजह से वह गिरने ही लगी थी कि किसी ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया l

    युक्ति ने गिरने की डर से अपनी आंखें कस कर बंद कर ली l पर जब उसको किसी दर्द और गिरने का एहसास महसुस नहीं हुआ तो उसने अपनी आंखें धीरे-धीरे खोलीं तो उसकी आंखें सामने वाली की आँखों पर टिक गई l

    अब आगे,

    वो उन आँखों में खोने लगी थी तभी उस व्यक्ति ने उसको अपने आप से दूर किया की पीछे से एक आवाज आई "एकांश"

    युक्ति जल्दी से अपने होश में आई और ठीक से खड़े होते हुए एकांश को देखने लगी जो उसको ही देख रहा था l युक्ति एकांश को देख अपने मन में ही बोली तो इनका नाम एकांश हैं l कितना अच्छा नाम है उसके चेहरे पर एकांश का नाम सुनकर के एक चमक आ गई थी जिससे वह खुद ही अनजान थी"l

    एकांश बोलते हुए श्रेया एकांश के पास आई और एकांश को देख बोली ''तुम बार-बार कहां गायब हो जाते हो, हम सब तुमको कब से ढूंढ रहे थे'' , वो एकांश को बोले ही रही थी कि उसकी नज़र युक्ति पर पड़ी जो एकांश को ही देख रही थी और एकांश अपने पैंट की जेब में हाथ डाले बिना एक्सप्रेशन के युक्ति को ही देख रहा था l

    श्रेया दोनो को देख बोली ''क्या हुआ कुछ हुआ है क्या'' फिर युक्ति की तरफ देख बोली ''तुम

    की युक्ति जल्दी से बोल पड़ी "hello मैम'' फिर एकांश की तरफ देख "thank you so much मुझे गिरने से बचाने के लिए''l

    बोल वो एकांश के कुछ बोलने का इंतज़ार करती हैं पर एकांश के ऐसे बिना अभिव्यक्ति रहित चेहरे को देख वो वहां से चली जाती है वैसे भी उसको अपनी क्लास के लिए देर हो गई थी और वो और देर नहीं होना चाहती थी l

    युक्ति को जाता देख श्रेया एकांश की तरफ देखती हैं जो अभी भी वैसा ही खड़ा था l

    श्रेया ''एकांश क्या तुम उसको जानते हो,

    एकांश ने अभिव्यक्तिहीन चेहरे के साथ ही कहा ''नही"

    श्रेया ने अपने होंठो को गोल कर बोली "ओओओ"

    एकांश ने श्रेया को देख कहा ''चलो सब हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे"l

    श्रेया अरे हा चलो जल्दी बोल उसके बाजू को पकड़ कॉलेज ऑडिटोरियम की तरफ जाने लगी,

    वो एकांश के साथ चलते हुए ही बोली मुझे लगता है वो लड़की फ्रेशर है क्यू की इसे पहले मैंने उसको कॉलेज में नहीं देखा था l

    एकांश ने श्रेया की बात पर कुछ नहीं कहा और श्रेया ऐसे ही कुछ ना कुछ बोलते हुए उसके साथ जाने लगी l

    इधर दूसरी तरफ,

    युक्ति भागते हुए अपने क्लास रूम के पास पहुँची तो क्लास में प्रोफेसर ऑल रेडी मोजूद थे और वो काफी सीरियस होकर पढा रहे थे l

    युक्ति ने ये देख एक गहरी सास ली और बोली प्रोफेसर क्या मैं अन्दर आ सकती हूँ?

    युक्ति की आवाज सुनकर क्लास के सभी स्टूडेंट युक्ति की तरफ देखने लगते हैं l और ईशा भी युक्ति को फ़िक्र भरी नज़रों से देखती हैं कि उसको डर लग रहा था कि कहीं प्रोफ़ेसर उसको डाट न दे

    और इधर प्रोफेसर ने जब आवाज सुनी तो वो युक्ति की तरफ देखते है और फिर अपने हाथ में पहले अपनी कलाई घड़ी की तरफ देखते हैं और वापस से युक्ति की तरफ देख बोले ये कोई टाइम है क्लास में आने का"

    युक्ति तो प्रोफेसर की कड़क आवाज़ सुनकर अपना सर नीचे की तरफ झुका लेती हैं l और धीरे से बोली sorry सर आगे से ऐसा नहीं होगा l

    प्रोफ़ेसर ने युक्ति की बात सुनी तो वो बोले ''ये पहली बार है अगर आगे से तुम मेरी क्लास में लेट हुए तो अगली बार से मैं क्लास में आने की इजाजत नहीं दूंगा"l

    युक्ति ''नहीं सर अगली बार से ऐसा नहीं होगा''l

    प्रोफ़ेसर "ठीक हैं अंदर आ जाओ''l

    युक्ति प्रोफेसर की अनुमति पा क्लास के अंदर चली जाती है वो अपने सीट के पास पाहुंच कर ,अपनी सीट पर बैठ जाती हैं तभी उसके बगल में बैठी ईशा बोली तुम्हे इतना देर कैसे हो गया l

    युक्ति ने क्यूट सा फेस बना ईशा को देखा तो ईशा अपना सर ना में हिलते हुए बोली "तुम भी ना युक्ति" ईशा को देख ऐसा लग रहा था कि वो युक्ति के बिना बताए उसकी अभिव्यक्ति देख कर ही समझ गई हो कि युक्ति लेट क्यों हुई l

    युक्ति ने ईशा के ऐसा कहने पर एक प्यारी सी मुस्कान दी और फिर दोनो प्रोफेसर के लेक्चर पर ध्यान देने लगी l

    इधर दूसरे तरफ कॉलेज ऑडिटोरियम में,

    एकांश अपने दोस्तो के साथ बैठा हुआ था, पर वहा पर दो तीन लोग और मौजूद थे वो लोग फ्रेशर पार्टी की तैयारी की बातें कर रहे थे की पार्टी किस दिन रखी जाए पार्टी कहा पर होगा ऐसे बहुत सी चीज़ों को लेकर आपस में चर्चा कर रहे थे l

    और एकांश एक साइड बैठा हुआ था उसके हाथ में उसका गिटार था जिस पर वह धीमे धीमे ही एक धुन बजा रहा था l उसको देख ऐसा लग रहा था कि उसको इन सब बातों में कोई रूचि ही ना हो वो तो अपनी ही धुन में खोया हुआ था l

    तभी उसके पास रुद्र आ कर बैठ जाता हैं l

    तो तुमने क्या सोचा है l

    रुद्र की आवाज सुनकर एकांश गिटार बजाना बंद करता है और रुद्र की तरफ देखते हुए बोला किस बारे में

    रुद्र "अपने म्यूजिक करियर के बारे में क्या सोचा है तुमने आगे तुम्हारा क्या प्लान है करने का"

    एकांश "एक गहरी सांस छोड़ते हुए बोला"सोचा तो बहुत कुछ है पर सबसे पहले मैं खुद के गाने को रिलीज करूंगा , और उसके बाद देखता हूं की क्या होता है l

    रुद्र तो तूने पूरी तैयारी कर ली है क्या तू अपना कैरियर इस में बनाने वाला है l

    एकांश "तो तुझे क्या लगा मैं ऐसे ही बोल रहा हूं"l

    रुद्र ''नही मैं जानता हूं तू कुछ भी ऐसा ही नहीं बोलता है''l

    रुद्र की बात सुनकर एकांश के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ जाती है l फिर एकांश रुद्र से ''चलो हम भी चल कर देखते हैं इन लोगो ने क्या तय किया हैं''l

    रुद्र एकांश की बात पर हम्म्म बोलते हुए उठता हैं और दोनों अपने ग्रुप की तरफ चल जाते हैं l

    एकांश "तो क्या फैसला किया तुम सबने"

    एकांश की बात सुन श्रेया ने एकांश और रुद्र को देख उन दोनो को अपना प्लान बताना शुरू किया l

    इधर दूसरी तरफ,

    युक्ति और ईशा ने अपनी क्लास ख़तम की और कॉलेज कैंटीन की तरफ चले गए क्यू की युक्ति को भूख लग गई थी तो युक्ति ने ईशा से कैंटीन चलने को कहा था l

    दोनो एक दूसरे से बात करते हुए कैंटीन की तरफ जा रही थी तभी ईशा किसी को देख अपना हाथ हवा में हिलाकर hii करने लगती है l

    युक्ति ईशा को किसी को hii करते देखती हैं तो वो भी उस डायरेक्शन में देखने लगती है जिस डायरेक्शन में वह अपना हाथ उठा कर hii कर रही थी l

    युक्ति देखती है तो सामने वही लड़की खड़ी थी जिससे वो सुबह मैं मिली थी l

    ईशा युक्ति का हाथ पकड़ श्रेया के पास लेकर चली जाती हैं l

    ईशा "हाय श्रेया दी''

    श्रेया भी मस्कुराते हुए ईशा को हाय बोलती है l

    श्रेया "तुम कल मुझे मिलने आने वाली थी ना''

    ईशा अपना जीभ दाँतो तले दाबते हुए बोली "sorry दी मैं आने वाली थी पर कल मैं अपने दोस्त के साथ उसके हॉस्टल चली गई थी''l और फिर मेरे दिमाग से ये बात निकल ही गई कि मुझे आपसे भी मिला था'' फिर अपना क्यूट सा चेहरा बना बोली "सॉरी दी''

    श्रेया ने उसको अपनी आंखें छोटे करके देखा फिर मुस्कुराते हुए बोली "कोई बात नहीं''l

    ईशा श्रेया के गले लगते हुए बोली ''आप बहुत sweet हो''l

    श्रेया उसकी बात पर मस्कुराते हुए बोली ''हा हा ठीक है अब ज्यादा बटर मत लगाओ मुझे"l

    तभी श्रेया की नजर युक्ति पर गई l

    hello friends 👋 😀

    उम्मीद करती हूं आप सबको यह कहानी अच्छी लगे,

    अगर आज का चैप्टर अच्छा लगा हो तो चैप्टर पर लाइक कमेंट करना ना भूले,और कहानी को अपनी रेटिंग जरूर से दे l

    और कहानी से जुड़ी जानकारी जानने के लिए आप मेरी प्रोफाइल को फॉलो करना ना भूले l

    और आप चाहे तो मेरी इंस्टाग्राम प्रोफाइल को भी फॉलो कर सकते हैं।

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  • 6. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 6(extra cheese)

    Words: 1716

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब तक आपने पढ़ा,

    ईशा श्रेया के गले लगते हुए बोली ''आप बहुत sweet हो''l

    श्रेया उसकी बात पर मस्कुराते हुए बोली ''हा हा ठीक है अब ज्यादा बटर मत लगाओ मुझे"l

    तभी श्रेया की नजर युक्ति पर गई l

    अब आगे,

    श्रेया ईशा से दूर होते हुए बोली क्या ये तुम्हारी दोस्त है जिसके बारे में तुम मुझे बताती हो, बोल वो वापस से युक्ति को देखने लगती है l

    ईशा ख़ुशी से चहकते हुए युक्ति के पास आई और उसकी बाजु को पकड़ते हुए श्रेया से मिलते हुए कहा "हाँ श्रेया दी ये मेरी वही दोस्त है जिसके बारे में मैंने आपको बताया है",और अब ये मुंबई आई है अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए l

    श्रेया अपने होठों पर मुस्कान सजाते हुए युक्ति के पास आती है और अपना हाथ आगे बढ़ते हुए बोली "hi" "I'm shreya"

    युक्ति भी श्रेया से हाथ मिलाते हुए बोली ''hello मैम'' मैं युक्ति"

    श्रेया युक्ति के मुँह से अपने लिए मैम सुनकर बोली ''तुम मुझे मैम क्यों बोल रही हो,मुझे अच्छा नहीं लग रहा l

    युक्ति "क्यो की आप हमारी सीनियर हैं"l

    श्रेया ''हां वो तो है पर मैं तुम्हारी दोस्त की बहन भी हूं तो तुम मुझे दी कह कर बुला सकती हो,मैं जैसे ईशा की दी हूं वैसे ही तुम्हारी भी दी हुई ना" बोल कर उसको मुस्कुराते हुए देखने लगी l

    युक्ति ने भी एक प्यारी सी मुस्कुरा देते हुए अपना सिर हा मैंने हिला दिया श्रेया को तो युक्ति काफी प्यारी लगी थी उसने एक उसके एक गाल को पुल करते हुए कहा ''यार तुम इतनी प्यारी हो''l

    तभी ईशा उनके बीच में टपकते हुए बोली ''हैं न दी मेरी युक्ति बहुत प्यारी, मैं आपसे ऐसे ही नहीं बोलती थी कि वो बहुत प्यारी हैं'' फिर युक्ति को एक तरफ से गले लगाती हुई बोली ''ये सच में बहुत प्यारी हैं, "extra cheese की तरह"l बोल वो खुलकर हँस दी

    और इधर युक्ति और श्रेया उसकी बात सुनकर उसको देखने लगी श्रेया "ये ऐसा example (उदाहरण) है'' ईशा अपने दांत दिखाते हुए बोली ''मेरा example (उदाहरण)है l

    उसकी ये बात सुन युक्ति और श्रेया हँस देती हैं l

    वो तीनो बात कर ही रही थी कि तभी श्रेया को एक आवाज आई ''श्रेया चलो हमें क्लास के लिए भी जाना है हमारे क्लास का टाइम हो गया है''l

    श्रेया उसकी बात सुनकर बोली ''आ रही हूँ'' फिर युक्ति और ईशा को बाय बोल वो अपने दोस्त के पास चली जाती है l

    ईशा ''चल जल्दी चल हम कैंटीन से पहले कुछ खाने को लेते हैं उसके बाद हम क्लास के लिए चलते हैं l

    युक्ति ''पर कुछ ही देर में हमारी भी क्लास है अगर हम कैंटीन जाएंगे तो हम क्लास के लिए लेट हो जाएगे,जाने दो पहले हम क्लास अटेंड करते हैं फिर उसके बाद कुछ खाने को चला जाएगा l

    ईशा "अभी क्लास शुरू होने में 10,15 मिनट हैं तब तक हम कैंटीन कुछ स्नैक्स ले लेते हैं ,और तुमने भी तो सुबह से अभी तक कुछ खाया नहीं है, चलो अब बोल उसका हाथ खिंचते हुए कैंटीन की तरफ जाने लगी l

    4:00 बजे,

    युक्ति और ईशा ने अपनी सभी क्लास ले ली थी और अब उनकी कोई भी क्लास नहीं बची थी l

    अभी दोनो कॉलेज कैंपस में बैठी बातें कर रही थी, उनके साथ एक लड़की और थी जो ईशा की दोस्त थी जो उसकी इस कॉलेज में पहले दिन ही बनी थी कल वो कॉलेज नहीं आई थी इस लिए ईशा उसको युक्ति से नहीं मिला पाई थी लेकिन आज उसने उसे युक्ति से मिला दिया था l

    और कुछ वक्त पहले वो इसलिए ईशा और युक्ति के साथ नहीं थी क्यू की उसने ही मना कर दिया था कि उसका मन नहीं है वो दोनो जाये वो लंच ब्रेक में कुछ खा लेगी l

    युक्ति ''वैसे रीति तुमने ये ही कॉलेज क्यों सेलेक्ट किया जब तुम्हारे माता-पिता चाहते थे कि तुम इंडिया से बाहार जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करो , तुम्हारे पास तो अच्छा option (विकल्प) था, फिर भी तुम क्यों नहीं गयी l

    रीति उस लड़की का नाम था l

    रीति युक्ति की बात पर सोचते हुए बोली ''हम्म बता तो तुम्हारी सही है कि मेरे पास एक अच्छा option (विकल्प) था l

    फिर रुक कर वो एक लम्बी सी मुस्कान देते हुए आगे बोली "पर मैं चाहती थी कि मेरा ग्रेजुएशन यहीं से पूरा हो क्योंकि डैड मुझे higher study के लिए किसी ना किसी बहाने से बाहर भेजेंगे ही भेजेंगे और फिर मुझे बाहर अपनी पढ़ाई के लिए जाना ही होगा तो वो मौका तो मुझसे बाद में मिली जाएगी, तो क्यू ना में अपनी ग्रेजुएशन इंडिया में ही कर लू और मुझे इस कॉलेज में पढ़ना था इसलिए मैंने यही चुना l बोल वो मुस्कुराने लगी l

    युक्ति और ईशा ने उसकी बात पर अपने होठों को गोल कर कहा "ओओओ''

    तभी रीति आगे बोली ये बाते छोड़ो क्या तुम दोनों को पता है,सीनियर हमारी फ्रेशर पार्टी की तैयारी कर रहे हैं, वो जल्दी हमें फ्रेशर पार्टी देने वाले हैं l

    ईशा अपनी आंखें बड़ी करते हुए बोली ''क्या सच में''

    युक्ति ''वाह" क्या हमारी फ्रेशर पार्टी होने वाली है वो भी इतनी जल्दी''l

    रीति "हा सुनने में तो यहीं आया है कि अगले महीने हमारी फ्रेश पार्टी होगी''मुझे अभी डेट तो नहीं पता, पर मैं sure हूं कि अगले महीने हमारी फ्रेशर पार्टी है l

    ईशा और युक्ति ने यह सुनकर एक दूसरे को देखा और जोर से चिल्लाई "ये ये ए" वो दोनो ये सुनकर काफी ज्यादा एक्साइटेड हो गई थी l

    रीति तो दोनो को इतना खुश देख खुल कर मुस्कुरा देती है वो भी खुश थी और अपने दोस्तों को खुश देख वो भी खुश हो जाती है l

    वो लोग ऐसे ही कुछ देर बात करते हैं फिर अपने घर के लिए निकल जाते हैं वैसे भी उनकी क्लासेस तो अब ख़त्म हो चुकी थी l

    इधर दूसरी तरफ,

    एकांश अभी उसी कमरे में था जिस दिन युक्ति उसे पहली बार मिली थी, ये एक म्यूजिक रूम था जहाँ वो स्टूडेंट आते थें, जिनको म्यूजिक में रुचि होती थी ये एक तरह की कॉलेज सुविधा में से एक ऐसी सुविधा थी जहाँ स्टूडेंट पढाई के अलावा यह सारी गतिविधियाँ भी कर सकते थें, उनको किसी भी तरह की रोक टोक नहीं थी ये स्टूडेंट के ऊपर डिपेंड करता था l

    एकांश अभी एक कुर्सी पर हाथ में गिटार लिए बैठा था और उस पर एक धुन बजा रहा था , उसकी आंखें इस वक्त बंद थी और वह अपने धुन में खोया हुआ था l

    तभी वहा पर रुद्र और हर्ष आ जाते हैं , और उसको अपने म्यूजिक की दुनिया में खोया देख मुस्कुरा देते हैं l और चुप चाप खड़े हो कर उसका म्यूजिक सुनते हैं जब एकांश अपना गिटार बजाना बंद कर अपनी आंखें खोलता है तो अपने सामने रुद्र और हर्ष को पता है जो उसे देख मुस्कुरा रहे थे l

    एकांश अपना गिटार रखे हुए बोला ''तुम दोनो कब आये''l

    हर्ष ''जब तू अपने म्यूजिक की दुनिया में खोया हुआ था तब''l

    रुद्र "तुझे देख कर लगता है कि तू सच में इसके लिए ही बना है तेरे धुन में एक अलग ही नशा जुनून है जो लोगो को खोने पर मजबूर कर दे,

    हर्ष "सही कहाँ तूने''

    एकांश अपनी कुर्सी पर से उठते हुए बोला ''चलो अब घर चलते हैं'' रुद्र और हर्ष भी हा बोल उसके साथ निकल गये l

    अगले दिन ,सुबह का वक्त,

    कॉलेज में,

    युक्ति आज कॉलेज जल्दी आ गई थी अभी सुबह के 8:30 बजे थे और उसकी क्लास 10:00 बजे से शुरू होती थी , उसको कुछ किताबें चाहिए थीं तो उसने सोचा कि वो सुबह जल्दी पाहुंच कर किताबें ले लेगी इस्लीये वो आज कॉलेज जल्दी आई थी l

    वो लाइब्रेरी की तरफ ही जा रही थी कि अचानक से उसके कदम उस कॉरिडोर के पास रुके जो लाइब्रेरी के बगल में था कुछ सोच कर वो कॉरिडोर की तरफ बढ़ गई l

    वो उस ही क्लास रूम की तरफ जा रही थी जहां वो अपने कॉलेज के पहले दिन पहुंच गई थी जहां वो पहली बार एकांश से मिली थी,

    अभी वो थोड़ी ही दूर थी कि उसको गाने के बोल सुना दिए,

    बेखयाली में भी

    तेरा ही ख्याल आये

    क्यूँ जुदाई दे गया तू

    ये सवाल आये

    थोड़ा सा मैं खफा हो

    गया अपने आप से

    थोड़ा सा तुझपे भी

    बेवजह ही मलाल आये

    (युक्ति गाने के बोल सुन अपने कदमों को थोड़ा और तेज किया और रूम के पास पाहुंच कर वह दरवाजा पर ही खड़ी हो गई और वही से एकांश को गाने हुए देखने लगी l)

    है ये तड़पन, है ये उलझन

    कैसे जी लूँ बिना तेरे

    मेरी अब सब से है अनबन

    बनते क्यूँ ये ख़ुदा मेरे

    हम्म..

    ये जो लोग बाग हैं

    जंगल की आग हैं

    क्यूँ आग में जलूं..

    ये नाकाम प्यार में

    खुश हैं ये हार में

    इन जैसा क्यूँ बनूँ

    ऊँ..

    (युक्ति की आंखें तो एकांश पर ही जम गई थी वो एक तक बिना अपनी पलक के झपकाए उसे ही देख रही थी,गाने के एक एक बोल उसके दिल को छू रहे थे, और वो उसको अपने जेहेन में उतारे ही जा रही थी l )

    रातें देंगी बता

    नीदों में तेरी ही बात है

    भूलूं कैसे तुझे

    तू तो ख्यालों में साथ है

    बेखयाली में भी

    तेरा ही ख्याल आये

    क्यूँ बिछड़ना है ज़रूरी

    ये सवाल आये

    ऊँ..

    नज़र के आगे हर एक मंजर

    रेत की तरह बिखर रहा है

    दर्द तुम्हारा बदन में मेरे

    ज़हर की तरह उतर रहा है

    नज़र के आगे हर एक मंजर

    रेत की तरह बिखर रहा है

    दर्द तुम्हारा बदन में मेरे

    ज़हर की तरह उतर रहा है

    आ ज़माने आजमा ले रुठता नहीं

    फासलों से हौसला ये टूटता नहीं

    ना है वो बेवफा और ना मैं हूँ बेवफा

    वो मेरी आदतों की तरह छुटता नहीं

    hello friends 👋 😀

    उम्मीद करती हूं आप सबको यह कहानी अच्छी लगे,

    अगर आज का चैप्टर अच्छा लगा हो तो चैप्टर पर कमेंट करना ना भूले,और कहानी को अपनी रेटिंग जरूर से दे l कृपया अपनी रेटिंग जरूर से दे l🙏🙏

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    आज के लिए बस इतना ही मिलते है अगले भाग में,

    तब तक के लिए बाय और अपना ख्याल रखें 👋 🤗

  • 7. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 7(जिंदगी भर )

    Words: 1790

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे,

    एकांश ने गाना गाना बंद किया और अपने गिटार को साइड में रखते हुए वो उठा,और अपना बेग टेबल से उठाया और म्यूजिक क्लास से बाहर निकलने लगा l

    वही युक्ति एकांश को उठते देखती हैं तो वो अपने होश में आती हैं और तुरन्त डोर पर से हट जाती हैं l और दीवार से अपनी पीठ लगा कर खड़ी हो जाती हैं l

    इधर एकांश डोर के पास आकर रुक जाता है और वही पर खड़ा रहता है ,और कुछ देर बाद वो बोला "क्या तुम दिन भर इसी तरह खड़ी रहने वाली हो"

    एकांश की आवाज़ सुनकर युक्ति घबरा जाती हैं उसको नहीं लगा था कि एकांश ने उसको देखा होगा वो अभी भी उसी तरह खड़ी रहती हैं कि उसको एक बार फिर से एकांश की आवाज आयी

    "क्या तुम मेरे सामने आओगी ये फिर मैं आऊ'' उसकी आवाज़ गंभीर और कड़क थी l जिसे सुनकर युक्ति का दिल धक सा कर गया था ना चाहते हुए भी उसे एक डर सा लग रहा था,उसने एक गहरी सास खींची और खुद को सामान्य करते हुए एकांश के सामने चली गई , और अपना सिर झुकाये खड़ी हो गई l

    एकांश ने जब युक्ति को अपने सामने देखा तो बोला "तुम मुझे ये बताना चाहोगी कि तुम यहाँ इस तरह क्यों खड़ी थी,l

    युक्ति ''एकांश के ये पुछने पर अपनी लड़खड़ाती जुबान से बोली", ''वो मैं ,वो मैं ई इधर से गुजर ही रही थी कि आपका गाना सुनकर में यहाँ आ गई, उसने अपना सिर झुकाए हुए ही कहा l

    एकांश " ऐसा है''

    युक्ति ने जल्दी से अपना सिर हा में हिलाया

    ये देख एकांश युक्ति के तरफ अपने कदम बढ़ाता है युक्ति एकांश को अपनी तरफ कदम बढ़ाता देखती है तो वो अपने कदम पीछे की तरफ लेने लगती हैं l

    एकांश जब युक्ति को अपने कदम पीछे लेते देखता हैं तो अपनी आइब्रो को उचका देता हैं , फिर भी वो युक्ति की तरफ अपने बढ़ते कदम को रोकता नहीं है , और इधर युक्ति भी अपने कदम एकांश के बढ़ते कदम के साथ पिछे की तरफ ले रही थी, की अचानक खुद के पैरो से ठोकर लगने की वजह से वह गिरने ही लगती है ,कि एकांश तूरंत आगे बढ़ उसके हाथ को पकड़ अपनी तरफ एक झटके से खिंच लेता है l

    एकांश के ऐसा करने से युक्ति एकांश की तरफ खिंची चली जाती है और उसके सीने से लग जाती हैं , एकांश के हाथ युक्ति के कमर पर आ जाते हैं l

    और इधर युक्ति का हाल बेहाल हो चुका था एकांश के इतने पास होने से उसका दिल बुलेट ट्रेन की गति से धड़क रहा था, उसको एक अलग सा एहसास हो रहा था जो आज तक उसको कभी भी नहीं हुआ था l वो उसके सीने से लगे उस एहसास को समझने की कोशिश कर रही थी , जो उसके दिल को एक सुकून पाहुंचा रहा था l

    तभी एकांश युक्ति को अभी भी अपने सीने से लगे देखता है तो बोला ''क्या जिंदगी भर मेरे सीने से लगकर ही रहना है l

    युक्ति एकांश की आवाज़ सुनकर होश में आई और ना समझी से बोली "हा'' फिर थोड़ा रुक आगे बोली ''क्या कहा आपने''

    एकांश युक्ति की बात सुन उसके चेहरे के पास अपना चेहरा झुकते हुए बोला ''क्या तुम ऐसे ही रहना चाहती हो'', मेरे सीने से लग कर ,

    एकांश की बात सुनकर युक्ति का ध्यान अब अपने ऊपर गया कि वो अभी भी एकांश के सीने से लगी हुई खड़ी हैं ये देख वो जल्दी से एकांश से दूर हुए और फिर से अपना सर झुका कर खड़ी हो गई और वैसे ही बोली ''सॉरी मैंने ध्यान नहीं दिया''

    एकांश ने जब ये सुन तो बोला "ध्यान दिया करो फ़िर'' बोल वो वहां से चला गया l

    युक्ति एकांश की बात को सुनकर अपना सिर उठा उसको देखने लगी जो वहां से जा रहा था l

    युक्ति एकांश को जाता देख खुद से ही बोली ये मुझे क्या हो रहा है मेरा दिल इतनी तेजी से क्यों धड़क रहा है जैसे अभी कूदकर बहार आ जाएगा और ये कैसा एहसास है , फिर खुद के गाल हो थप थपाते हुए बोली युक्ति होश में आ बोल उसने अपना सिर तेज तेज ना में हिलाने लगी l

    फिर वो भी लाइब्रेरी की तरफ़ जाने लगी l

    इधर एकांश जब अपने क्लास रूम मैं आया तो उसके दोस्त उसका इंतज़ार कर रहे थे l

    श्रेया "एकांश तुम कहाँ थे''

    हर्ष ''और कहां होगा श्रेया ये जहां हमेशा होता है वही गया होगा हैं ना मेरे भाई'' बोल वो एकांश को देखने लगा l

    एकांश ने हर्ष की बात पर एक नजर उसको देखा फिर अपनी सीट पर बैठे हुए बोला ''जब पता है तो पूछ क्यू रहे हो'' l

    हर्ष अपने दाँत दिखाते हुए बोला ''मैं बस कन्फर्म कर रहा था''l

    रुद्र ''एकांश हमने कुछ सोचा है''l

    एकांश "क्या''

    रुद्र ''अगर इस बार के फ्रेशर पार्टी में तुम गाना गाओ तो''

    श्रेया ''हा एकांश वैसे भी सभी को तुम्हारा गाना काफी पसंद है''पर वो तुम हो जो स्टेज परफॉर्मेंस करते ही नहीं हो,तुमने पिछली बार कॉलेज फेस्ट में परफॉर्म किया था वो भी सिर्फ एक बार, हम सब चाहते हैं कि तुम स्टेज परफॉर्मेंस करो l

    रुद्र ''हा एकांश वैसे भी तुम अपना कैरियर जब इस लाइन में बनाना ही चाहते तो तुम्हें आज नहीं तो कल स्टेज परफॉर्मेंस करना ही पड़ेगा तो अभी से क्यों नहीं,l

    हर्ष ''वैसे ये सही मोका हैं,खुद को साबित करने का खुद को इस्के लिए तैयार करें का, l

    एकांश ने एक गहरी सास छोड़ी और बोला ''मैं जानता हूं, और मैं खुद इसके लिए तैयार भी हूं l अभी तक मैं अपने ही उलझन में फंसना था पर अब जब मैंने फैसला कर लिया कि मुझे क्या करना है तो मैं यह करने के लिए तैयार हूं l

    श्रेया ''तो तुम फ्रेशर पार्टी में गाना गाओगे न ''

    एकांश ने मस्कुराते हुए कहा "हाँ''

    उसकी हा सुनकर सभी खुश हो जाते हैं l

    श्रेया तो ख़ुशी से चहकते हुए बोली ''आरे वाह''अब तो मजा ही आ जाएगा, इस बार की फ्रेशर पार्टी तो कमाल होने वाली है l

    हर्ष ''सही कहा तुमने गिलहारी"

    श्रेया हर्ष के मुह से गिलहारी सुनी तो गुस्से से बोली ''हर्ष मैंने तुझे कितनी बार कहा है मुझे गिलहरी मत बोला करो''

    हर्ष ''और मैंने भी तो कहा है कि मैं तो बोलुगा चाहे कुछ भी हो जाए,''गिलहरी''

    बस अब क्या था दोनो की लडाई शुरू हो चुकी थी श्रेया ''हर्ष के बच्चे आज मैं तेरा कुचम्बर बना कर ही रहूंगी रुक तु, बोल उसके पिछे भागी दोनो ही पुरे क्लास में इधर से उधर भाग रहे थे l

    और क्लास के सभी बच्चे जो वाहा पर मौजुद थे वो दोनों को टॉम एंड जेरी की तरह एक दूसरे के पीछे भागते देख हंस रहे थे l क्योंकि उनको लाइव टॉम एंड जेरी शो देखने को जो मिल गया था l

    एकांश और रुद्र भी उन दोनों को देख कर मुस्कुरा देते हैं l

    इधर दूसरी तरफ,

    युक्ति भी अपनी क्लास मैं बैठी थी और उसके सामने उसकी किताबें खुली हुई थी,पर उसका ध्यान अपनी किताबों पर नहीं था वो तो पता नहीं किन ख्यालों में गुम थी l

    तभी क्लास में रीति और ईशा आ जाते हैं युक्ति को पहले से ही क्लास में देख दोनों खुश हो कर उसके पास आ जाती हैं l

    रीति और ईशा साथ में "हाय युक्ति''

    ईशा ''तू आज जल्दी आ गयी,मुझे तो लगा कहीं तू आज फिर से लेट ना हो जाए बोलते हुए दोनों ही अपनी अपनी सीट पर बैठ गई

    रीति "हा'',अच्छा हुआ तुम पहले ही आ गयी तुम जानती नहीं हो वो प्रोफेसर कितने ज्यादा सख्त हैं l वो गलती सिर्फ एक ही बार माफ करते हैं l

    वो दोनों बोले ही जा रही थी पर युक्ति का ध्यान तो बिलकुल भी उनकी बातों पर नहीं था बातों पर छोड़ो उसको तो ये भी ध्यान नहीं था कि ईशा और रीति आ चुकी है और उसके बगल में बैठी भी है और कब से अपनी बात भी कहीं जा रही हैं l

    जब दोनों को युक्ति की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती तो दोनों युक्ति को ध्यान से देखती है तो वो उनको खोई हुई सी मिलती है ये देख दोनों एक दूसरे को देखती है फिर ईशा युक्ति के कंधे पर एक हाथ रख बोली ''युक्ति कहा खोई हुई हो''

    युक्ति को अचानक से अपने कांधे पर किसी का हाथ महसुस होता है तो वह झटके से अपने ख्यालों की दुनिया से बहार आती है, तो वो देखती हैं कि रीति और ईशा उसको ही देख रहे हैं कंफ्यूज होकर,

    युक्ति '' तुम दोनो कब आयी''?

    ईशा ''हम तो कब का आये हैं l

    रीति ''हमे आए हुए तो 5-6 मिनट हो गए'', पर तुम किस ख्यालों में खोई हुई हो कि तुम्हें पता नहीं चला कि हम आ गए और तुम्हारे पास बैठे हुए हैं हमने तो पता नहीं क्या-क्या तुम्हें बता भी दिया पर पता नहीं तुम्हारा ध्यान किधर था l

    ईशा फ़िक्र से बोली ''युक्ति तुम ठीक तो हो ना''

    युक्ति दोनो की बात सुनकर बोली ''sorry मेरा ध्यान नहीं था और फिर ईशा का एक हाथ जो उसने युक्ति के हाथ के ऊपर रखा था उसको पकड़ बोली मैं ठीक हूं , l

    ईशा ''पक्का''

    युक्ति ने हा मैंने अपना सिर हिला दिया l

    तभी रीति बोली ''वैसे तुम कहा खोई हुई थी मैडम",उसने थोड़ी शरारती अंदाज़ में पूछा

    ईशा भी उसको देख इशारा करने लगी जैसे बोल रही हो बताओ बताओ l

    युक्ति तो दोनो को के ऐसे पूछने से हड़बड़ा गई और वैसे ही हड़बड़ाते हुए बोली "क कहीं भी तो नहीं'',

    दोनो ने युक्ति को ऐसे हड़बड़ाते देखा तो शक भरी नजरों से उसको देखने लगी l

    ईशा कुछ बोलती ही है कि उसे पहले युक्ति बोल पड़ी ''प्रोफेसर आ गए"l

    ये सुनकर दोनो ने देख तो सच में प्रोफेसर आ गए, इस लिए दोनो ने आगे कुछ नहीं बोल और चुप हो कर बैठ गई दोनो को चुप देख युक्ति ने भी गहरी सास ली और वो भी क्लास में ध्यान देने लगी l

    hello friends 👋 😀

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    मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद मिलते हैं अगले भाग में तब तक के लिए बाय और अपना ध्यान रखें l👋🤗

    !

  • 8. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 8(हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे)

    Words: 1597

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे,

    अगले दिन सुबह का वक्त ,

    कपूर मेंशन में,

    एकांश अभी अपने कमरे में तैयार हो रहा था ,तभी उसके कमरे में राध्या आ जाती हैं वो बिना नोक किये अंदर आती हैं और चिल्लाते हुए बोली "भाई आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते l

    एकांश राध्या की बात सुन बोला ''क्या नहीं कर सकता मैं, बोल उसकी तरफ देखता है l

    राध्या एकांश की बात पर बोली ''आप मुझे ऑस्ट्रेलिया क्यू भेज रहे हैं मुझे नहीं जाना, मैं यहीं रह कर अपनी आगे की पढ़ाई करूंगी l वो काफ़ी उदास लग रही थी l

    एकांश राध्या के पास आकर प्यार से बोला राध्या "ये तुम्हारे लिए है , तुम्हारे भविष्य तुम्हारे करियर के लिए है, तुम बिजनेस स्टडी करना चाहती हो और ये तुम्हारे करियर के लिए एक अच्छा मोका होगा,और वो कॉलेज टॉप कॉलेज में से एक हैं l

    राध्या उदासी से बोली "जानती हूँ भाई की वो बेस्ट कॉलेज है,लेकिन मैं आप लोगो से दूर नहीं जाना चाहती ,मुझे आप लोगो के पास रहना है, ना कि दूर" मुझे एक अंजान देश में अकेला नहीं रहना भाई, बोलते वक्त उसकी आंखें पूरी तरह से नम हो गई थी उसको देख ऐसा लग रहा था कि वो किसी भी वक्त रो देगी l

    एकांश राध्या को अपने सीने से लगाते हुए बोला "किसने कहा कि हम तुम्हारे पास नहीं रहेंगे हम हमेशा तुम्हारे पास रहेंगे तुम्हें जब भी हमारी जरूरत पड़ेगी तुम हमेशा हमें अपने पास पाओगी, हम तुम्हें खुद से दूर नहीं कर रहे हैं राध्या, और तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया की मॉम , डैड और मैं तुम्हें अकेला छोड़ देंगे l

    "क्या तुम्हें हम पर इतना भी यकीन नहीं कि तुम्हारे मॉम , डैड ,भाई तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे तुम जहां नहीं भी कहोगी हम वहां भी तुम्हें अपने साथ मिलेंगे l चाहे तुम दुनिया के किसी भी कोने में चली जाओ तुम्हें जब भी जरूरी पड़ेगा हम तुम्हें अपने साथ मिलेंगे राध्या , तुमें हमारी जान बस्ती है ,और कोई अपनी जान को अकेला छोड़ता है क्या ?

    बोल उसको उसके कंधे से पकड़ खुद से थोड़ा दूर कर देख कहा था l

    राध्या के आँखों से आँसू बहाने लगा था वो रो रही थी और वो रोते हुए ही अपना सिर ना में हिलाते हुए बोली "नहीं भाई, ऐसा नहीं है मुझे आप सब पर पूरा भरोसा है मैं ये अच्छे से जानती हूं कि आप सब मुझे अकेला कभी नहीं छोड़ेंगे l वह सिसकते हूए बोली l

    एकांश ''तो फिर तुम इतना रो क्यों रही हो'' बोल उसके आंसुओं को पूछने लगा l फिर उसका मूड ठीक करने के इरादे से उसने कहा ''क्या तुमने अपनी आंखों में टंकी फिट करवा रखी है ?

    राध्या कन्फ्यूज्ड नजरों से देखते हुए बोली "क्या मतलब है आपका

    एकांश ''यहीं जब देखो तब तुम्हारी आंखों की टंकी फुल हो जाती है और फिर आँखों से पानी झर झर करके गिरने लगते हैं'',एक काम कर टंकी ना थोड़ा बड़ा फिट करा अपनी आँखों में ताकि वह इतनी जल्दी फुल ना हो, समझी l

    राध्या एकांश की बात सुनकर चिढ़ जाती है और वैसी ही बोली ''भाईईई''

    एकांश उसको चिढ़ा देख हँस दिया और वापस से उसको गले लगते हुए बोला ''मेरी प्यारी छोटी बहन अब तो हँस दो की पूरे दिन ऐसी शक्ल लेकर तुम घूमने वाली हो l

    एकांश की बात सुन पहले तो राध्या ने मुंह बनाया, फिर वो भी खुल कर मुस्कुरा दी वो मुस्कुराते हुए काफी क्यूट और प्यारी लग रही थी, उसे मुस्कुराते हुए देख एकांश भी मुस्कुरा देता है l

    इधर बहार मिस्टर चिराग एकांश और राध्या को साथ देख और एकांश का राध्या को इस तरह समझाता देख खुश थे, उनके होठों पर भी एक मुस्कान थी तभी उसको एक आवाज सुनाई पड़ी

    "तो हमारे एकांश ने राध्या को अच्छे से समझा ही दिया क्यों सही कहा न मैंने चिराग,

    मिस्टर चिराग शिखा जी को अपने पास देख अपनी मुस्कान को छुपा लेते हैं l शिखा जी ये देख फिर वो आगे एकांश और राध्या को देख बोली

    ''एकांश कभी भी राध्या को अकेला नहीं छोड़ेगा,वो हर एक मोड़ पर राध्या का साथ देगा,राध्या को बाल्की नहीं पता कि उसको अपनी जिंदगी में क्या चाहिए,पर एकांश अच्छे से जानता है कि उसकी बहन क्या चाहती है तो आप इतनी फिक्र मत कीजिए l

    मिस्टर चिराग ''मुझे राध्या की नहीं एकांश की फिक्र हैं उसने राध्या के लिए तो सही फैसला ले लिया पर खुद के लिए,तुम्हें क्या लगता है एकांश का फैसला सही है l बोलते हुए उनहोने एकांश राध्या पर से अपनी नजर हटा शिखा जी की तरफ देख कहा l

    शिखा जी उनकी बात सुन एक नजर चिराग जी को देख फिर वापस से एकांश को देख बोली ''मुझे ये तो नहीं पता चिराग की एकांश का फैसला कितना सही हैं और कितना गलत , मुझे ये भी नहीं पता कि वो जो चाहता है वो उसको पूरा कर पाएगा की नहीं पर मैं उसका साथ देना चाहता हूं , मैं उसको पूरी तरह से सपोर्ट करना चाहता हूं l

    फिर एक गहरी सास लेते और छोड़ते हुए वो आगे बोली ''मैं नहीं चाहती कि उसको ये लगे कि हमने उसका साथ नहीं दिया, फिर थोड़ा रुक वो बोली "मैं यह चाहती हूं कि जब भी मेरे बेटे को मेरी जरुरत पड़े तो मैं उसके पास रहु चाहे उसका ये फैसला आगे चलकर उसके लिए गलत ही क्यों ना साबित हो फिर भी मैं उसका साथ देना चाहती हूं l

    और फिर एक लम्बी सी मुस्कान लिए वो चिराग जी की तरफ देख बोली ''और मेरा दिल कहता है कि वो जरूर कामयाब होगा, उसका लिया फैसला उसकी जिंदगी मैं और खुशियां लायेगा और मेरे लिए मेरी बेटे की ख़ुशी बहोत मायने रखती है l

    चिराग जी शिखा जी की बात शांति से सुनते हैं पर वो कुछ नहीं बोलते और शिखा जी की बात ख़त्म होते ही वो बिना कुछ कहे उनको चले जाते हैं l

    शिखा जी उनको जाता देख अपना मुँह बना बोली ''ये न कभी भी नहीं सुधर सकते,इतना कुछ बोलने के बाद भी कुछ नहीं कहा l

    तभी उसको एक आवाज सुनाई दी किसकी बात कर रही हैं आप मम्मा कौन नहीं सुधार सकता l

    शिखा जी आवाज़ सुन देखी तो राध्या और एकांश उसके पास ही खड़े थे वो जिस दिशा में देख रही थी वो भी उधार ही देख रहे थे l

    राध्या की बात पर शिखा जी जो चिराग जी के ऐसे जाने से चिड़ गई थी वो वैसे ही बोली ''और कौन हैं तुम्हारे पापा के अलावा''

    राध्या अपनी माँ को ऐसे चिढ़ा देख जल्दी से बोली "डैड कभी भी आपको परेशान करना नहीं छोड़ सकते मॉम"बोल वो हँस दी राध्या की बात पर एकांश भी मुस्कुरा दिया l

    शिखा जी राध्या को हँसते देख अपनी आंखें छोटी-छोटी कर उसको घूरती हैं, उसका कान पकड़ के मोड़ते हुए बोली ''अपनी माँ पर हँसती हो बदमाश लड़की''

    राध्या दर्द से अपना कान छोड़ाते हुए बोली सॉरी मॉम अब नहीं हंसूगी माफ कर दो, फिर एकांश से बोली भाई माँ को बोलो न मुझे छोड़ दे''

    एकांश राध्या की बात सुन तुमको माँ पर हंसने से पहले सोचना चाहिए था बोल उसको देख तेड़ी मुस्कान करता और वहां से चला जाता है l

    राध्या ये देख रोने जैसा मुंह बना देती हैं और फिर से अपनी प्यारी और मासूम शकल बनकर अपनी मां को देखने लगती हैं, शिखा जी उसको ऐसे देख उसके कानों को छोड़ते हुए बोली ''जा तू भी क्या याद रखेगी, बोल वो भी नीचे हाल में जाने लगती हैं वो जाते हुए ही थोड़ी आवाज तेज कर बोली ''अब तू भी अपनी शक्ल सही कर और नीचे आ जा नाश्ता करने के लिए l

    इधर नीचे हाल में,

    एकांश जब नीचे आता है तो उसको हाल में ही हर्ष और रुद्र दिख जाते हैं जो उसका ही इंतजार कर रहे थे l

    एकांश उन दोनो के पास आते हुए बोला ''तुम दोनो कब आये,रुद्र ''थोड़े पहले ही'' एकांश ''ठीक चलो फिर, तभी शिखा जी उन लोगो को टोकते हुए बोली ''कहा चलो चुप चाप चल कर पहले नाश्ता करो फिर जाना जहां जाना होगा l

    शिखा जी की बात सुन हर्ष तपाक से बोल पड़ा ''बिल्कुल आंटी आज तो हम इस लिये तो आए हैं,ताकि आपके हाथ का नाश्ता कर सके'' बोल उनके पास आया और उनका एक हाथ पकड़ बोला ''चलिये मुझे बहुत जोर से भूख लगी है अब तो मेरे पेट मैं चूहे और हाथी ने मिलकर डांडिया खेलना भी शुरू कर दिया है l उसने काफ़ी नौटंकी तारिके से कहा था l

    हर्ष की बात सुन शिखा जी हंस देती हैं और उसके साथ साथ चल देती हैं तो इधर एकांश और रुद्र हर्ष की नौटंकी देख अपनी गर्दन को ना में हिला देते हैं और उनके पीछे चल देते हैं l

    hello friends 👋 😀

    सॉरी मैं 2,3 दिन से अध्याय नहीं दे पाई मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं थी इसलिए तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा l

    मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी अगर कहानी पसंद आ रही हो तो कहानी को रेटिंग देना ना भूले l

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    मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद मिलते हैं अगले भाग में तब तक के लिए बाय और अपना ध्यान रखें l👋🤗

  • 9. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 9(हाँ, हँसी बन गए,)

    Words: 1586

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे ,

    कपूर मेंशन में ,

    सभी लोग डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ जाते हैं l और शिखा जी सबको हाउस हेल्पर के साथ मिलकर ब्रेकफास्ट सर्व करने लगती हैं l

    नीता जी शिखा जी को ब्रेकफास्ट सर्व करते देख बोली ''तुम भी बैठ जाओ शिखा ये लोग सर्व कर देंगे l

    तभी हाउस हेल्पर बोली "हाँ भाभी आप बैठ जाइये हम खाना परोस देंगे'', शिखा जी कोई बात नहीं कविता मैं सबको सर्व कर के बैठ जाऊंगी फिर तुम देख लेना'' l

    शिखा जी की बात सुन कविता जी कुछ नहीं बोली और चुप चाप अपना काम करने लगी l

    तभी राध्या भगते हुए डाइनिंग टेबल के पास आती हैं, और अपनी कुर्सी खींच कर बैठ जाती हैं, वो अभी कुछ बोलने ही जा रही थी कि उसकी नज़र रुद्र को देख उसपर ही टिक जाती है,जो ठीक उसके सामने ही बैठा था, भाग के आने के कारण से उसका ध्यान पहले रूद्र पर नहीं गया था, पर कुर्सी पर बैठते जब उसने अपनी नजर सामने को की तो उसकी नजर रूद्र को देख थम सी गई l

    वो उसको खोये हुए ही देखे जा रही थी उसको तो अपने आस-पास का तो कोई होश ही नहीं था वो रुद्र को देखते हुए अपने मन ही मन में बोली ''कोई इतना सिंपल लुक में भी इतना हैंडसम कैसे लग सकता है, और ये आपकी मुस्कान जब देखो मेरे दिल की धड़कन को तेज करती रहती है,वो रुद्र में खोए हुए ही खुद से बात कर रही थी l

    "राध्या बेटा अपनी प्लेट सीधी करो" बोल उसके प्लेट सीधा करने का इंतजार करती है पर जब वो कोई भी हरकत नहीं करती तो फिर से आवाज देती है ''राध्या, राध्या'' तुम सुन क्यों नहीं रही हो" उसके बगल में बैठी शिखा जी कब से उसको आवाज दे रही थी जब वो उनके आवाज देने से भी आपने ख्यालों की दुनिया से वापस नहीं आई तो शिखा जी उसके कांधे पर हाथ रखकर के उसको हिलाते हुए बोली ''राध्या कहां ध्यान है तुम्हारा मैं कब से तुम्हें आवाज दे रही हूं तुम सुन क्यो नहीं रही हो l

    शिखा जी के ऐसे कंधे हिलाने से वह अपने होश में आती है और हड़बड़ाते हुए शिखा जी की तरफ देख बोली ''क्या हुआ मम्मा आपने कुछ कहा क्या,

    शिखा जी उसको घूरते हुए बोली ''मैं अब से तुमको आवाज दे रही हूं और तुम्हारा ध्यान पता नहीं कहा है, किस दुनिया में तुम खोई हुई हो कि तुमको अपने आस-पास का भी होश नहीं है l

    शिखा जी की बात सुन उसने डाइनिंग टेबल पर नजर डाली तो सभी उसे ही देख रहे थे, ये देख वो असहज हो गई और अपनी नजरें झुकते हुए बोली ''सॉरी वो मैं ,

    नीता जी उसको ऐसे नजरें झुकते हुए देख बोली "वो मैं'' "क्या राध्या कोई प्रॉब्लम है? तो तुम हमें बता सकती हो l

    चिराग जी ''क्या हुआ बेटा तुम ठीक हो न उन्होने फ़िक्र से राध्या को देख कहा l

    डाइनिंग टेबल पर बैठे एकांश रुद्र और हर्ष भी उसके ही कुछ बोलने का इंतजार कर रहे थे एकांश को लगा कि कहीं राध्या फिर से तो ऑस्ट्रेलिया जाने की बात लेकर परेशान तो नहीं हो गई l

    उसने राध्या से कहा ''राध्या क्या हुआ तुम फिर से उस बात को लेकर.. 'वो अभी बोल ही रहा था कि राध्या बिच में ही बोल पड़ी ''भाई ऐसा नहीं है वो तो मैं ये सोच रही थी की आज रूही का बर्थडे है तो उसके लिए मैं कुछ प्लान करलूं और उसको एक अच्छा सा सरप्राइज दे दूं वो खुश हो जाएंगी l

    तभी हर्ष बोल पड़ा ''ये लो हम यहां क्या-क्या सोच रहे थे और ये बंदरिया तो सरप्राइज प्लान कर रही हैं l

    हर्ष के मुंह से बंदरिया सुनकर राध्या ने गुस्से से टेबल पर रखा कांटा चम्मच उठाया और उसको दिखाते हुए बोली हर्ष भाई चुप हो जाइये नहीं तो मैं आपको छोडूगी नही जब देखो आप मुझे बंदरिया बंदरिया कहते रहते हो l

    हर्ष "अब क्या मैं बंदरिया को बंदरिया भी नहीं बोल सकता l

    राध्या ये सुन गुस्से से लाल होने लगी और अपना मुँह फुला कर बैठ गयी l

    रुद्र राध्या का गुस्से से फूला हुआ चेहरा देख मुस्कुरा दिया और एक दम धीरे से बोला ''so cute तुम तो गुस्से में भी बहुत प्यारी लगती हो ''छोटी खरगोश''

    तभी शिखा जी बोली अच्छा ठीक है अब बात यहीं पर खत्म करो और अपना अपना नाश्ता करो l

    मुंबई यूनिवर्सिटी में,

    युक्ति आज भी कॉलेज जल्दी आ गई थी और म्यूजिक क्लास के बाहर खड़ी होकर अंदर की तरफ झाकर देख रही थी l वो क्लास रूम के दरवाजे के पास आई और फिर इधर उधर देखने लगी

    युक्ति ''क्या आज वो यहाँ पर नहीं आये हैं, या फिर मैंने आज देर कर दिया पर अभी तो 8:45 ही हो रहे हैं''l वो खुद से बात करते हुए म्यूजिक क्लास के अंदर आ जाती है और वहां पर रखे सभी music instrument (संगीत वाद्ययंत्र )को बड़े ध्यान से देखती है तभी उसको वहां पर बड़ा सा पियानो दिखा वो उसको देख उस पियानो के पास आई और मुस्कुराते हूए अपने एक हाथ से पियानो को छूने लगी फिर वहां पर रखी कुर्सी पर बैठ गई l

    इधर कॉलेज के पार्किंग स्थल में एक कार आकर रुकी और उसमें से एकांश बहार निकला और कॉलेज के अंदर जाने लगा उसके साथ हर्ष और रुद्र भी थे l

    तीनो अपने क्लास रूम की तरफ जाने लगे क्लास रूम के पास पहुच एकांश दरवाजे पर ही रुक गया और वापस से कहीं जाने लगा उसको जाता देख हर्ष बोला "ओ भाई कहा जा रहा है क्लास नहीं करनी क्या तुझे,

    एकांश ''क्लास शुरू होने से पहले आ जाऊंगा" l

    हर्ष ''पर तू जा कहाँ रहा है"

    एकांश ने उसके सवालों का कोई जवाब नहीं दिया और चला गया इधर हर्ष एकांश के कुछ ना बोलने पर चिढ़ते हुए बोला ''बता देता तो इसका कुछ बिगड़ जाता''l

    रुद्र उसकी बात पर बोला ''क्या तुझे नहीं पता वो कहां जा रहा है जो तु पूछ रहा है''l

    रुद्र के ये बोलने पर हर्ष को जैसे कुछ याद आया और फिर रुद्र के तरफ देख उसके गले में अपना एक हाथ डाले बोला "हा मेरे भाई याद आया कि ये कहां जा रहा है,l

    रुद्र ने भी उसकी बात पर कहाँ ''तेरा दिमाग आज कल कुछ ज्यादा धीरे चल रहा है थोड़ा फ्यूल डाल अपने इस दिमाग में'' बोल उसका हाथ अपने गले से निकल क्लास के अंदर चला गया l

    रुद्र की बात सुन हर्ष ने अपना मुँह बना लिया और उसकी तरफ चल दिया l

    इधर दूसरी तरफ,

    एकांश म्यूजिक क्लास के तरफ ही जा रहा था वो अभी कॉरिडोर मैं ही था तभी उसको पियानो की आवाज सुनाई दी ,

    आवाज़ सुन उसने कन्फ्यूजन में खुद से ही कहा ''क्या कोई और भी इस वक़्त म्यूजिक क्लास में आता है,आज तक तो कोई भी इस समय यहां नहीं आया अधिकतर लोग 12 बजे के बाद ही आते हैं, फिर आज कौन आ गया''l

    बोल अपने चलने की स्पीड थोड़ी तेज की और म्यूजिक क्लास के अंदर आ गया और उसकी नज़र पियानो के पास बैठी लड़की पर गई जो पियानो पर एक धुन बज रही थी और गाने के बोल गाने शुरू कीजिए l

    मैं जान ये वार दूँ, हर जीत भी हार दूँ

    क़ीमत हो कोई तुझे बेइंतेहा प्यार दूँ

    (युक्ति गाने के बोल सुन एकांश एक तक उसको देखता रहा )

    मैं जान ये वार दूँ हर जीत भी हार दूँ

    क़ीमत हो कोई तुझे बेइंतेहा प्यार दूँ

    सारी हदें मेरी अब मैंने तोड़ दी

    देकर मुझे पता आवारगी बन गए

    हाँ, हँसी बन गए, हाँ, नमी बन गए

    तुम मेरे आसमाँ, मेरी ज़मीं बन गए

    (एकांश युक्ति के गाने में खोया हुआ ही उसके पास जाने लगा वो बहुत ही ज्यादा अच्छा तो नहीं गा रही थी पर उसकी आवाज सुरीली और मीठी थी)

    क्या खूब रब ने किया, बिन मांगे इतना दिया

    वरना है मिलता कहाँ हम काफिरों को ख़ुदा

    क्या खूब रब ने किया, बिन मांगे इतना दिया

    वरना है मिलता कहाँ हम काफिरों को ख़ुदा

    हसरतें अब मेरी तुमसे है जा मिली

    तुम दुआ अब मेरी आखिरी बन गए

    (एकांश युक्ति की पीछे खड़ा हो गया था और उसको पियानो बजाते और गाना गाते देखने लगा l)

    हाँ, हँसी बन गए, हाँ, नमी बन गए

    तुम मेरे आसमाँ, मेरी ज़मीं बन गए

    युक्ति ने गाना गाना बंद किया और फिर धीरे-धीरे करके उसने पियानो पर से अपने हाथ हटाये l उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी वो कुर्सी पर से उठी और पलटी की अचानक किसी के सामने खड़े होने की वजह से वो चौंक गयी l

    उसने अपनी पलकें उठा कर देखी तो एकांश उसके सामने खड़ा था एकांश को अपने सामने देख हैरानी से उसकी आँखें बड़ी बड़ी हो गई l

    hello friends 👋 😊

    सॉरी कल चैप्टर ना देने के लिए

    मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी अगर कहानी पसंद आ रही हो तो कहानी को रेटिंग देना ना भूले l

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    मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद मिलते हैं अगले भाग में तब तक के लिए बाय और अपना ध्यान रखें l👋🤗

  • 10. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 10(तारिफ और कमिया )

    Words: 1667

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब तक,

    युक्ति ने गाना गाना बंद किया और फिर धीरे-धीरे करके उसने पियानो पर से अपने हाथ हटाये l उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी वो कुर्सी पर से उठी और पलटी की अचानक किसी के सामने खड़े होने की वजह से वो चौंक गयी l

    उसने अपनी पलकें उठा कर देखी तो एकांश उसके सामने खड़ा था एकांश को अपने सामने देख हैरानी से उसकी आँखें बड़ी बड़ी हो गई l

    अब आगे,

    एकांश ने जब युक्ति का ऐसा रिएक्शन देखा तो उसके और नजदीक जा कर उसके चेहरे के पास अपना चेहरा झुका बोला ''अच्छा गाती हो, "पर ,

    युक्ति जो एकांश के नजदिक आने पर अपने सिर को झुका ली होती है, एकांश के तारीफ करने से उसके चेहरे पर भी एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है पर ,जैसे ही एकांश ''पर'' बोलता है तो वो अपना सिर उठा एकांश को देखती है जो अभी भी उसके चेहरे की तरफ झुका हुआ था, वो एकांश के पर बोलने से कन्फ्यूज हो गई थी और वो उसको अपने कन्फ्यूज्ड नजरों से देख रही थी l

    एकांश युक्ति के कन्फ्यूज्ड नज़रों को समझ जाता है वो उसे थोड़ा दुर होते हुये बोला ''पर तुम्हें थोड़ी ट्रेनिंग की ज़रूरत है ,तुमको अभी काफी कुछ नहीं आता है जैसे की अपनी आवाज़ को कब तेज़ करना है, कब धीमी ये तुमको अभी नहीं आता और कब तुम्हें अपनी टोन और लय में बदलाव करना है तुम को वो भी ठीक से नहीं पता वो एक एक कर युक्ति के गाने में कमिया निकले जा रहा था l

    और इधर युक्ति पहले तो एकांश की तारीफ करने से खुश थी पर अब जैसे जैसे एकांश उसके गाने की कमिया बता रहा था वैसे वैसे उसका चेहरा उतरता जा रहा था, हाँ वह यह जानती थी कि वह बहुत अच्छा गाना नहीं गाती पर आज तक किसी ने उसके गाने की इतनी कमियां नहीं गिनावाई थी जितनी एकांश ने कुछ मिनटों में कर दी थी l

    उसने गुस्से से एकांश को देखा और बोली ''हा मुझे पता है कि मैं अच्छा नहीं गाती लेकिन आप तो एक के बाद एक मेरे गाने में कमिया निकाले जा रहे हैं, जितनी आपने तारीफ नहीं की उतनी तो आपने कमियां निकाली दी l

    एकांश "तो तुम क्या चाहती हो कि मैं तुम्हारी झूठी तारीफ करु''

    युक्ति "मैने ऐसा तो नहीं कहा''

    एकांश ''तो फिर तुम क्या कहना चहती थी''l

    युक्ति ने अपना सिर नीचे झुका लिया और वैसे ही बोली ''यहीं आपको ठीक से किसी की तारीफ करनी नहीं आती आप तारीफ से साथ-साथ कमियों की लम्बी सी लिस्ट बता दे रहे हैं l

    एकांश ''तो क्या ये ग़लत हैं, किसी की कमियां बताना क्या

    गलत होता है'' फिर थोडा रुक वो आगे बोला ''मुझे तो लगता है लोगो को उनकी गलतियाँ बताना अच्छा होता है तभी उनको एहसास होता है कि वह कहाँ पर और किस जगह पर गलत है''l

    युक्ति ''मैंने ऐसा थोड़ी कहा कि किसी की कमियाँ बताना गलत होता है, मैं ये कहना चाहती हूँ कि आप जिस तरह से मेरी कमियां बता रहे हैं वो गलत हैं l पहले आपने कहा मैं अच्छा गा रही हूं और उसके बाद एक एक चीज में कमी बताने लगे, यहाँ यह गलत था वहां वह गलत था यहां सुर कम था यहा ताल कम था ऐसा थोड़ा होता है l

    वो एकांश से उसकी शिकायत करते समय काफी क्यूट लग रही थी और युक्ति को ऐसे बोलते देख एकांश के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ गई थी पर उसने जल्दी ही मुस्कान को छुपा लिया l

    एकांश युक्ति के चुप होते ही बोला ''क्या तुम्हें भी गाना गाना पसंद है l

    युक्ति ने ये सुन झट से बोली ''नहीं मुझे गाना सुना बहुत पसंद है, इसलिए तो मैं यहाँ आती हूँ ,आपका गाना सुने l

    एकांश ''तो तुम यहाँ सिर्फ मेरा गाना सुने आती हो,l

    युक्ति एकांश की बात सुनती हैं तब जाकर उसको एहसास होता है की वह अभी जल्दी जल्दी में क्या बोल गई थी l

    और यह एहसास होते ही उसने अपनी आँखें कस के बंद कर ली और दांतो तले अपने जीभ दबा लिया l

    एकांश ये देख कुछ नहीं बोला और वहा से जाने लगा, तभी युक्ति को कदमों की आहट दूर जाते हुए महसुस हुआ तो उसने अपनी आंखें खोली तो देखा एकांश म्यूजिक रूम से बाहर जा रहा था l

    युक्ति एकांश को जाता देख बोली ''पता नहीं क्यूँ मैं हर बार यहाँ चली आती हूँ क्या सच है मुझे सिर्फ आपका गाना सुनना होता है इसलिए मैं यहां आती हूं,यहां फिर कुछ और है जो मैं समझ नहीं पा रही हूं l

    वो खुद से बाते करते हुए सोचे ही जा रही थी कि तभी उसका फोन बजा जिसे वो अपनी सोच से बाहर आई और अपना फोन निकल देखा तो रीति का कॉल आ रहा था, उसने कॉल पिक करते हुए कहा ''हैलो रीति''

    कॉल के दूसरे तरफ से ईशा की आवाज़ आयी ''युक्ति मैडम कहां है अभी क्लास का टाइम होने वाला है और तुम अभी तक कॉलेज नहीं आई, l

    युक्ति ये सुन चौक गई और वैसे ही चौकते हुए बोली ''क्या क्लास का टाइम हो गया'' बोल उसने अपने कलाई घड़ी में टाइम देखा तो अभी उसकी क्लास शुरू होने में 6,7 मिनट ही बाकी थे l

    युक्ति ''ईशा में आ रही हूँ'' बोल उसने कॉल कट किया और पियानो के पास रखा हुआ अपना बेग उठा वो भागते हुए म्यूजिक क्लास से निकल कर अपनी क्लास की तरफ भागी वो काफी तेजी से भाग रही थी वो भागते हुए ही खुद में बड़बड़ा रही थी l

    युक्ति , युक्ति ,युक्ति तेरा दिमाग कहाँ रहता है क्या फ़ायदा तेरा जल्दी आने का कॉलेज जब तू जल्दी आकर के भी क्लास के लिए लेट हो जाये , हे भगवान् मेरे साथी ऐसा क्यों होता है l अगर प्रोफेसर आ गये तो आज तो मेरी क्लास में एंट्री बंद ओह नो जितना तेज भाग सकती है भाग युक्ति l

    बोल वो भागते हुए अपने क्लास के पास पाहुंची और लम्बी लम्बी सास लेते हुए उसने क्लास के अंदर झाँकर देखा तो अभी प्रोफेशन नहीं आये थे फिर उसने कलाई घड़ी में टाइम देखा तो अभी 1 मिनट बाकी था क्लास स्टार्ट होने में वो जल्दी से क्लास के अंदर आई और ईशा, रीति के पास जा अपनी सीट पर बैठ गई l

    ईशा और रीति ने उसे एक साथ ही पूछा ''कहा थी तू अब तक'',''तुम तो पहले ही कॉलेज आ गई थी न

    दोनो के एक साथ ऐसे पुछने पर युक्ति बोली ''एक एक कर के बोलो तुम दोनो'' l उसने गहरी सांस लेते हुए कहा वह अभी भी हाफ रही थी l

    रीति ''पहले तुम मुझे बताओ तुम कॉलेज तो जल्दी आ गई थी मैंने तुम्हें कॉल किया था, तो तुम रास्ते में हो बोल रही थी क्या इतना लंबा रास्ता है तुम्हारा हॉस्टल से कॉलेज तक का'', मुझे जब पता चला कि तुम कॉलेज जल्दी आ रही हो मैं भी तुम्हारी वजह से कॉलेज के लिए जल्दी निकल गई, लेकिन यहां आकार पता चला तुम तो अभी तक कॉलेज पहुंची की नहीं हो l उसने अपना मुँह बनाते हुए कहा l

    ईशा "हा और हम दोनो कब से तेरा इंतजार कर रहे थे कहाँ थी तू अभी तक,जो तुझे इतना टाइम लग गया कॉलेज आने में,उसने थोड़ी फ़िक्र और गुस्से से पूछा l

    युक्ति "वो मैं कॉलेज आ गई थी"l

    रीति ''जब तू कॉलेज आ गई थी तो इतनी देर से कहा थी मैडम"एक तो ये ईशा मैडम अपना आज फोन ही भूल गई घर पर जिसे हम तुझे कॉल भी नहीं कर पाएंगे ,

    ईशा रीति की बात सुन उसको गुस्से से बोली "चलो माना मैं अपना फोन घर पर भूल गई थी लेकिन तू तू तो मुझसे भी बड़ी महान आत्मा निकली बिना फोन चार्ज के ही फोन लेकर मैडम कॉलेज आ गई क्या फ़ायदा तेरी फ़ोन लाने और न लाने से l

    रीति उसकी बात पर पट से बोली '' आपने गलत कहा मैडम मेरा फोन चार्ज था l

    ईशा ''हा वो भी 3%'' उसने रीति को ताना मरते हुए कहा

    युक्ति तो दोनो को बहस करता देख चुप चाप बैठी रही वो अभी ये सोच रही थी कि ये दोनों कहीं वापस से अपने सवालों की लड़ी ना लगा दे उसके सामने

    तभी ईशा बोल पड़ी ''तूने बताया नहीं अब तक अगर तू कॉलेज आ गई थी तो अब तक थी कहां,

    युक्ति "मैं" वो अपनी आंखें बड़ी-बड़ी करते हुए अपनी तरफ उंगली दिखाते हुए बोली l

    ईशा और रीति फिर से साथ में बोल पड़ी ''हाँ तुम''

    युक्ति जबर्दस्ती हंसते हुए बोली "हा हा वो मैं लाइब्रेरी में थी लाइब्रेरी में,

    रीति ''तो तू ऐसे क्यों बोल रही है'' उसने थोड़ा उसको शक भरी नज़रों से देखते हुए कहा l

    युक्ति ने जब फिर से दोनो को खुद को देखा पाया तो बात का रुख मोड़ते हुए बोली ''क्लास का टाइम कब का हो गया है अभी तक प्रोफेसर आए क्यों नहीं,

    ईशा "हा क्या हुआ आज क्या वो क्लास नहीं लेंगे'' l

    वो तीनो दरवाजे की तरफ ही देख रही थी तभी उनके सीट के पीछे बैठी एक लड़की उससे बोली क्या तुम लोगों को नहीं पता कि आज प्रोफेसर क्लास नहीं लेने वाले क्या तुम लोगों ने मैसेज नहीं देखा कॉलेज ग्रुप का उस लड़की ने उन लोगों की बातें सुन ली थी l

    तीनो चौकते हुए बोली ''क्या''

    hello friends 👋 😊

    मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी अगर कहानी पसंद आ रही हो तो कहानी को रेटिंग देना ना भूले l

    कृपया मुझे अपनी रेटिंग देकर जरूर बताएं कि आपको कहानी कैसी लगी, आप कमेंट सेक्शन में कमेंट भी कर सकते हैं, मैं आप सबके कमेंट का इंतजार करूंगी, l

    और प्लीज मेरी प्रोफाइल को फॉलो करना ना भूले इसे आपको कहानी के नए अपडेट मिलते रहेंगे l

    और अगर आप मुझसे इंस्टाग्राम पर जुड़ना चाहते हैं तो आप इंस्टाग्राम की प्रोफाइल को भी फॉलो कर सकते हैं l

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    मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद मिलते हैं अगले भाग में तब तक के लिए बाय और अपना ध्यान रखें l👋🤗

  • 11. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 11( कॉलेज का क्रश )

    Words: 2038

    Estimated Reading Time: 13 min

    कॉलेज में ,

    ईशा "हा क्या हुआ आज क्या वो क्लास नहीं लेंगे'' l

    वो तीनो दरवाजे की तरफ ही देख रही थी तभी उनके सीट के पीछे बैठी एक लड़की उससे बोली क्या तुम लोगों को नहीं पता कि आज प्रोफेसर क्लास नहीं लेने वाले क्या तुम लोगों ने मैसेज नहीं देखा क्लास ग्रुप का उस लड़की ने उन लोगों की बातें सुन ली थी l

    तीनो चौकते हुए बोली ''क्या''

    रीति ये कब हुआ हमें तो कुछ पता ही नहीं चला

    वो लड़की जिसका नाम जिया था वो रीति की बात पर बोली क्या तुम लोग अपना फोन नहीं चेक करते हो सर ने तो 8:30 बजे ही मैसेज क्लास ग्रुप में कर दिया था

    जिया की बात सुन युक्ति ने अपना फोन निकाल कर अपने क्लास ग्रुप का मैसेज देखा तो वहा पर प्रोफेसर ने आज क्लास नहीं लेने का मैसेज कर रखा था l

    युक्ति मैसेज देख बोली "मैंने तो ध्यान ही नहीं दिया मैसेज पर और तुम दोनों ने भी नहीं देखा'' l

    ईशा ''मैं तो मैसेज तब देखती जब मेरा फोन मेरे पास होता और ये मैडम फोन लेकर आई भी थी तो 3% चार्ज के साथ और वो भी गेम खेलकर इन्होन डिस्चार्ज कर दिया ये तो अच्छा था कि जिया के पास पावरबैंक था जिसने हमने तुझे कॉल किया, नहीं तो हम दोनों को तुझे पुरे कॉलेज में ढूंढना पड़ता l

    रीति ईशा की बात पर मुंह बनाते हुए बोली ''मुझे क्या पता था कि आज ऐसा हो जाएगा और मैडम आप भी तो अपना फोन घर पर भूल आई मैं क्या तुमको उस बात के लिये ताने मार रही हूं l

    वो दो फिर से एक दूसरे से बहस करने लगी थी जो देख युक्ति अब इरिटेट हो रही थी उसने दोनों को गुस्से से कहा "चुप हो जाओ एक ही बात को लेकर कब से लड़े जा रही हो अब बस भी करो दोनो l

    युक्ति के गुस्से करने पर दोनो चुप तो हो गई लेकिन दोनो ही एक दूसरे को अभी भी घूर रही थी l

    युक्ति ये देख फिर बोली ''तुम दोनों को तलवार लाकर दु ज्यादा अच्छा रहेगा,आँखों आँखों वाली लड़ाई से कम से कम सामने वाले को कुछ तो मनोरंजन मिलेगा तुम दोनों की तलवार लड़ाई देख l

    युक्ति की बात सुन ईशा और रीति ने एक दूसरे को देखा फिर अपना मुंह बना एक साथ बोली ''तू कितनी बुरी है तू हम दोनों को तलवार से लड़ते हुए देखना चाहती है l

    युक्ति ''मैं बुरी कैसे हो गई मैं तो तुम दोनों की मदद कर रही थी तुम दोनों ही तो एक दूसरे को ऐसे घूर रहे थे जैसे मौका मिलाने पर अभी तुम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़ोगे l

    रीति "ऐसा कुछ नहीं है,

    ईशा "हां हम तो एक दूसरे से बात कर रहे थे न रीति

    रीति ''हां हां ,

    युक्ति ''अब नौटंकी बंद करो''

    युक्ति की बात सुन दोनो ने अपने दांत देखे दिए और युक्ति पर एक साथ झपट पड़ी युक्ति बीच में बैठी थी जिस वजह से वह दोनों के बीच में सैंडविच बन गई l उन दोनों ने युक्ति को कस कर गले लगा रखा था l

    युक्ति "अरे छोड़ो भी तुम दोनो जान लेकर मानोगी क्या मेरी''

    ईशा ''युक्ति के गाल पर किस करते हुए बोली ''ऐसे कैसे मेरी जान''

    रीति भी युक्ति के दूसरे गाल पर किस करते हुए आगे बोली ''हम तुम्हारी जान ऐसे कैसे जाने देंगे अगर तेरी जान चली भी गई तब भी हम तेरा पिछा नहीं छोड़ेंगे''

    ईशा ''हम भी तेरे पिछे पिछे नरक के दरवाजे तक चलेंगे,

    युक्ति ''नरक के दरवाजे तक से क्या मतलब है तेरा'' उसने अपनी एक आइब्रो उचका के पूछा

    ईशा ''अरे यार क्यों की यमराज जी मुझे तेरे साथ अंदर तक नहीं जाने देंगे ,

    युक्ति ईशा को अपनी आंखें छोटी छोटी कर के देख रही थी तो वही रीति इंटरेस्ट के साथ उसकी बातें सुन रही थी l

    ईशा आगे बोली ''अब मैं इतनी क्यूट और मासूम हूं समझदार नेक दिल इंसान हू कि मुझे ना चाहिए हुए,भी स्वर्ग में ही जाना होगा तो मैं तेरे साथ बस नरक के दरवाजे तक ही चल सकती हूं, उसके बाद मेरे लिए नो एंट्री का बोर्ड लग जाएगा l बोल उसने अपना मासूम सा चेहरा बना लिया और युक्ति को अपनी आँखें टिमटिमाते हुए देखने लगी l

    वही रीति ईशा की बात पर जोर जोर से हंसने लगी और युक्ति तो उसको खा जाने वाली नजरों से घूर रही थी l

    युक्ति ''तो तेरा कहने का मतलब ये है की मैं नरक में जाउंगी और तू स्वर्ग में, युक्ति फिर थोड़े गुस्से से बोली ''एक बात मैं तुझे क्लियर कर देती हूं तेरे जैसी हरकतें हैं ना तुझे स्वर्ग की एक झलक भी नसीब नहीं होगी l बोल उसने अपना मुंह टेढ़ा कर दिया l

    ईशा का तो युक्ति की बात सुन मुँह बन गया और रीति उन दोनों को देख अभी भी हंस रही थी l

    रीति को अपने पर हस्ता देख युक्ति और ईशा ने एक दूसरे को देखा और आंखें ही आंखों में कुछ इशारा किया और एक साथ वो रीति पर झपट गई और अब रीति उन दोनों के बीच सैंडविच बन गई थी l

    वो तीनो दोस्त ऐसे ही मस्ती करती रही फिर थोड़े ही देर बाद उनकी दूसरी क्लास का टाइम हो गया था और प्रोफेसर भी क्लास लेने आ गए थे।

    2:45 बजे तीनो कॉलेज के गार्डन में बैठी थी उनकी अगली क्लास शुरू होने में अभी समय था इस लिए वो तीनो गार्डन में बैठी बातें कर रही थी l

    तभी ईशा को किसी की आवाज आई वो इधर उधर देखने लगी तभी उसकी नज़र श्रेया पर गई जो उसको ही आवाज़ दे कर अपने पास आने का इशारा कर रही थी l

    ईशा ये देख मुस्कुरा दी और रीति युक्ति को अपने साथ ले वो श्रेया की तरफ चली गई l

    ईशा ''श्रेया दी वो श्रेया के गले लगते हुए बोली, श्रेया ने भी मुस्कुराते हुए ईशा को गले लगा लिया l

    ईशा श्रेया से अलग हो उससे पूछी दी क्या आप लोग की क्लास अभी नहीं है उसने हर्ष रुद्र को देखा कहा जो श्रेया के साथ ही खड़े थे श्रेया अभी 10 मिनट हैं क्लास शुरू होने में

    ईशा ''अच्छा अभी हमारी क्लास में भी टाइम है तो क्यों न हम कुछ बता करले l

    हर्ष ''और तुमको क्या बात करनी है चुहिया''

    ईशा हर्ष की बात पर चिढ़ते हुए बोली ''ओओ तो आप भी हैं बत्तख जी,

    ईशा के बत्तख जी बोलने पर युक्ति और रीति की हंसी छूट जाती है

    तभी हर्ष और रुद्र का ध्यान युक्ति और रीति पर जाता हैं l

    हर्ष युक्ति को देख बोला ''तुम तो वही होना जो उस दिन म्यूजिक क्लास में हमें मिली थी और फिर हमें देख भाग गई थी l

    हर्ष की बात सुन युक्ति को भी याद आया ये वही लड़का था जो उस दिन एकांश को खोजते हुए म्यूजिक क्लास में आया था जहां वो एकांश के साथ साथ वो हर्ष से भी पहली बार मिली थी l

    हर्ष फिर से युक्ति से बोला ''तुम उस दिन भाग क्यों गई थी l

    युक्ति कुछ बोलती है कि उससे पहले ईशा बोल पड़ी ''क्यों कि उसने आपका ये डरावना चेहरा जो देख लिया था इसलिए बिचारी डर के भाग गई l

    ईशा की बात पर श्रेया और रुद्र हंस दिए और हर्ष गुस्से से ईशा को घुरने लगा l

    रीति तो चुप चाप उन लोगों की बात सुन रही थी l और बिच बिच में मुस्कुरा भी रही थी l

    तभी ईशा हर्ष को इग्नोर कर रूद्र को हाय बोली और अपने दोस्तों को रुद्र से मिला और श्रेया तो पहले से ही युक्ति से मिल चुकी थी इसलिए ईशा ने रीति को श्रेया से मिला और वो लोग आपस में बात करने लगे l

    हर्ष ''तो तुम लोग सुपर जूनियर हो l

    रीति कन्फ्यूज्ड होकर बोली ''सुपर जूनियर से क्या मतलब है आपका l

    हर्ष ''मतलब यह है की तुम लोग से हम काफी ज्यादा सीनियर हैं ये हमारा लास्ट सेमेस्टर है और तुम लोगों का फर्स्ट तो हुई ना तुम लोग जूनियर से भी ज्यादा जूनियर यानी सुपर जूनियर l

    हर्ष की ऐसी बचकानी बातें सुनकर रीति और युक्ति मुस्कुराती देती हैं तो वही ईशा का मुंह बन जाता है l

    वो लोग बात कर ही रहे थे कि अचानक से श्रेया आवाज लगाती हैं "एकांश ,एकांश हम इधर हैं, वो अपना एक हाथ ऊपर कर एकांश को अपने पास आने का इशारा करती हैं l

    श्रेया की आवाज सुन सब एकांश की तरफ देखते हैं तो एकांश उनकी तरफ ही आ रहा था एकांश को देख युक्ति की धड़कन अचानक से बढ़ जाती है एकांश जैसा जैसा पास आ रहा था उसका दिल वैसे वैसे और तेजी से धड़क रहा था l

    एकांश वहा आ सभी को देखता है तो उसकी भी नज़र युक्ति पर जाती है वो उसके देखते ही अपनी नज़र इधर उधर करने लगी थी

    एकांश श्रेया को देख बोला ''तुम लोग अभी तक क्लास में नहीं गये रुद्र ''हम तुम्हारे ही इंतजार कर रहे थे l श्रेया "हा चलो अब तुम आ गए हो तो हम क्लास के लिए चलते हैं l

    एकांश ने हा कहा और क्लास की तरफ जाने लगा श्रेया ईशा युक्ति और रीति को देख बोली ''हम तुम लोग से बाद में मिलेंगे हमारी क्लास का टाइम हो गया है l

    तीनो ने हा कहा और उन लोगो को बाय कर वो भी अपनी क्लास की तरफ जाने लगी l

    रीति चलते हुए ही ईशा से बोली ''तुमने बताया नहीं कि तुम कॉलेज के इतने हैंडसम हंक ग्रुप को जानती हो ये ग्रुप तो पुरे कॉलेज में मशहूर है मैं तो अब तक उन लोगो को दूर से ही देखती आ रही थी अगर मुझे पता होता कि मेरी दोस्त उन लोगों को जानती है तो मैं कब का तुमसे बोलती हूं उनसे मिलवाने के लिये l

    रीति की बात सुन युक्ति बोली ''फेमस ग्रुप से क्या मतलब है तुम्हारा,

    रीति ईशा उसकी बात सुन फिर से एक साथ बोल पड़ी ''मैडम आप किस दुनिया में रहती हैं आप इसी दुनिया में रहती हैं न,

    युक्ति अपनी आँखें छोटी कर दोनो को घुरती हैं तो रीति बोल पड़ी ''फेमस ग्रुप से मतलब ये है कि इनका पूरा ग्रुप कॉलेज में काफी पॉपुलर है प्रिंसिपल सर से लेकर हर प्रोफेसर इनको बहुत ज्यादा मानते हैं और इनका बैकग्राउंड भी काफी हाई-फाई है और उस ग्रुप के लड़के तुमने देखे नहीं कितने ज्यादा हैंडसम है तो जाहिर सी बात है उनका फेमस होना तो बनता है ना l

    ईशा ''हा और तुमको पता है कॉलेज की सारी लड़कियां तो मारती हैं उन पर, सब से ज्यादा तो एकांश कपूर पर है l

    रीति ''हाँ ,''और मैं भी'' उसने थोड़े शर्मते हुए कहा ''वो कितने ज्यादा हैंडसम हैं मेरा तो उनको देख दिल तेजी से धड़कने लगता है जैसा लगता है कूदकर अभी बहार ही आ जाएगा l

    ईशा ''मेरा भी कुछ यही हाल होता है मैं जब जब एकांश को देखती हूँ l मेरा तो उन पर बहुत बड़ा वाला क्रश है l

    रीति मेरा भी बोल दोनो एक दूसरे को घूर कर देखती है और फिर हँसते हुए बोली ''हमारा ही नहीं पुरे कॉलेज का क्रश है वो तो''

    युक्ति उनकी बात सुन अपने मन ही मन में खुद से बोली ''तो क्या मेरा भी उनके ऊपर क्रश है इसलिए तो मेरा भी दिल उनको देख तेजी से धड़कने लगता है l वो अभी खुद में खोई हुई थी कि ईशा युक्ति को हिलाते हुए बोली तू रुक क्यों गई चल क्लास में नहीं चलना है l

    युक्ति होश में आते हुए ''हां हां चलो''l

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  • 12. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 12 ( मूवी की शॉपिंग)

    Words: 1504

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे,

    देखते-देखते समय कैसे बित गया कुछ पता ही नहीं चला और उनकी फ्रेशर पार्टी का दिन भी नजदीक आ गया था l

    सुबह का वक़्त ,

    युक्ति के हॉस्टल में,

    युक्ति अभी सो रही थी अभी सुबह 7:30 बजे थे तभी उसका फोन बज उठा उसने अपना एक हाथ बड़ा फोन उठाया और पिक करने की जगह कट कर दिया और वापस से करवट बदल कर सो गई l

    अभी कुछ ही मिनट हुए थे कि फोन वापस से बज उठा

    उसने अपनी निद से भरी आँखों को थोड़ा सा खोला और फोन उठाकर कॉल पिक किया , वो कुछ बोलती है कि उससे पहले ही फोन के दूसरे साइड से आवाज आई

    युक्ति की बच्ची तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरा फोन कट करने की

    युक्ति ''ईशा'' तू इतनी सुबह सुबह मुझे फ़ोन करके डिस्टर्ब क्यों कर रही हैं?

    ईशा ''युक्ति मैडम जागो और फटाफट तैयार हो जाओ हम 30 मिनट मैं तेरे हॉस्टल के बाहर मिलेंगे और तू 30 मिनट बाद मुझे हॉस्टल के बाहर नहीं दिखी तो देख लेना मैंने तेरा की हाल करना है कि तेनु पता दी नहीं चल्दी तू गई किथे समझ की फिर से समझाऊ युक्ति पुतर"

    युक्ति "क्या'' बोल उसने अपने फोन में ही टाइम देखा तो अभी 7:35 हो रहा था उसने टाइम देख चिड़े हुए कहा ''ऐसा कौन सा काम है तुमको जो तुम इतनी सुबह मेरे हॉस्टल मुझे लेने आ रही हो आज तो छूटी है कम से कम आज के दिन तो मुझे मेरी नींद पूरी कर लेने दो तुमको जो भी काम है बाद में करना अभी नहीं''

    ईशा "ओह मैडम चुपचप अपने बिस्तर पर से उतारो और जाकर के फटाफट रेडी हो मैं आ रही हूं मैं बस आने वाली हूं मेरे आने से पहले तू रेडी नहीं हुई ना, तो मैं तुझे जिस भी हाल में होगी ना उसी हाल में ले जाऊंगी l

    इतना बोल उसने फटाक से अपना फोन कट कर दिया l

    युक्ति ''ओये सुन'' पर तब तक फोन कट चूका था युक्ति ने फोन अपने कान पर से हटा दिया और फोन को घूरते हुए बोली ''ईशा की बच्ची तू आ फिर मैं तुझे बताती हूं मैंने भी तेरी नींद किसी दिन ऐसे ही खराब ना की तो कहना l

    युक्ति बेमन से अपने बिस्तर पर से उठ तैयार होने के लिए जाने लगी क्योंकि उसको ये बात भी अच्छे से पता थी अगर वो सच में तैयार नहीं हुई तो ईशा उसको इसी हाल में बहार ले जाएंगी l

    युक्ति फटाफट तैयार हो कर बाथरूम से बाहर आई इस समय उसके बाल गिले थे और वह एक साइड करके उन्हें तौलिये से सुखा रही थी इस समय उसने एक प्यारा सा simple लॉन्ग फ्रॉक पहन रहा था जो नीला रंग और सफ़ेद रंग का था l

    वो अपने बाल सुखाते सुखाते वाल घड़ी की तरफ देखती हैं तो 8: 7 हो रहे थे ये देख वो अपने हाथ में लिये तौलिए को बिस्तर पर फ़ेकते हुए मिरर के पास जा फटाफट रेडी होने लगती है l

    वो अभी अपने बालों में कंघी कर ही रही थी कि उसका फोन बजने लगा l

    युक्ति खुद से ही बोली "लगता ईशा आ गई जरूर उसका ही कॉल होगा'' बोलते हुए वो बिस्तर के पास आ अपना फोन उठाती है तो स्क्रीन पर ईशा का नाम ही शो हो रहा था l

    युक्ति कॉल पिक करते हुए बोली "थोड़ा इंतजार नहीं कर सकती आ रही हूं चुप चाप जहा हो वही रहो'' उसने थोड़े गुस्से से कहा था और कॉल कट कर दीया l

    इधर दूसरी तरफ,

    हॉस्टल के बाहर,

    ईशा अपनी कार के बाहर खड़ी हो कर युक्ति का इंतजार कर रही थी वो कुछ बोल भी रही थी ''पता नहीं कितना टाइम लग रहा है, कहा रह गई अभी तक आई भी नहीं और मुझ पर गुस्सा कर फोन भी कट कर दिया अब तो कॉल भी नहीं कर सकती नही तो फिर आएगी भी नहीं, वो खुद में ही बड़बड़ा रही थी l

    तभी कार की पिछली सीट की खिड़की खुली और खिड़की में से ही रीति अपना सिर निकाल कर बोली "जैसी तेरी हरकतें हैं ना गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है पर क्या करूं कुछ कर नहीं सकती ना दोस्त है अगर दोस्त ना होती ना तो इधर ही तुझे मार मार कर तेरा भरता बना देती l

    ईशा अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर मुंह खोले रह गई वो कुछ बोलती है कि खिड़की का शीशा फिर से बंद हो गया l

    ईशा ''क्या''

    ईशा अभी अपनी सोच में ही गुम थी कि उसको युक्ति की आवाज आई जो उसके पास ही आते हुए बोल रही थी ''इतनी सुबह-सुबह तुझे ऐसा कौन सा काम करना है जो बाद में नहीं हो सकता l

    ईशा युक्ति को देख खुश हो गई और उसके गले लगते हुए बोली तू आ गई चल अब हम चलते हैं बोल उसका हाथ पकड़ कार के पास लाई और कार की आगे की सीट का दरवाज़ा खोल उसको बैठने का बोल खुद ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गई l

    युक्ति अभी सीट बेल्ट लग ही रही थी कि पीछे से किसी ने उसके गले में अपना हाथ डाला जिसे वो डर कर चिल्ला दी "आआआह"

    उसके ऐसे चिल्लाने की आवाज सुन ईशा घबरा गई और पीछे की सीट पर बैठी रीति जो उसको गले लगाने के लिए अपना हाथ उसके गले में डाला था वो भी युक्ति के चिलाने पर खुद भी चिलाने लगी l

    ईशा दोनो को देख बोली ''ओये चुप हो जाओ पागलो''

    ईशा की आवाज सुन दोनो ने चिलाना बंद किया

    रीति गहरी गहरी सास लेते हुए ईशा से बोली ''क्या''

    रीति की आवाज़ सुन युक्ति ने पीछे देखा तो रीति बैठी थी रीति को देख युक्ति बोली "तुमने तो मुझे डरा ही दिया था यार रीति ऐसा कोन करता है मेरी तो जान ही निकल जानी थी आज''

    रीति ''सॉरी यार'' मुझे नहीं पता था कि तुम्हें नहीं पता कि मैं हूं l

    युक्ति "मुझे तब कुछ पता होगा ना जब यह मैडम मुझे कुछ बताएंगी, मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम भी आने वाली हो और ईशा की तरफ देख बोली ''अब तुम बताओगे कि हम कहां जा रहे हैं''l

    रीति ''हा इसने मुझे भी कुछ नहीं बताया मेरे घर आकार मेरे घर से मुझे उठा लाई बोल वो भी ईशा को घूरते हुए बोली ''अब बताने का कष्ट करेंगी देवी जी कि आप हमे किसके शरण में लेकर जा रही हैं'l

    ईशा ने जब दोनों की नज़रों को खुद पर पाया तो वो बोली ''आज हम लोग जा रहे हैं शॉपिंग'' उसने उत्साहित होते हुए कहा

    ईशा ये बोल ख़ुशी से युक्ति और रीति को देखा तो दोनों उसको ही घूर रही थी l

    युक्ति ''सुबह-सुबह मेरी नींद तुमने इसलिए हराम की''

    ईशा ''सुबह-सुबह शॉपिंग पर कौन जाता है पागल लड़की बोल अपना रोने जैसा मुंह बना लिया और वैसी ही आगे बोली ''मुझे तो अभी भी नींद आ रही है''l

    ईशा दोनो का ऐसा रिएक्शन देख बोली ''तुम दोनो कितनी बेकार हो यार एक तो मैंने कितना अच्छा खासा प्लान बनाया आज के दिन हम पहले फिल्म देखेंगे फिर कुछ खाने जाएंगे फिर शॉपिंग करेंगे आज पूरे समय हम तीनों इंजॉय करेंगे पर तुम दोनो ऐसा रिएक्शन दे रही हो l

    ईशा का उतरा हुआ चेहरा देख दोनो झट से बोली ''तो ये पहले बता चाहिए था न''

    युक्ति ''अब किसका इंतज़ार कर रही हो चलो भी अब''

    ईशा ख़ुशी से "हां हां'' चलो बोल उसने कार स्टार्ट की और वहा से निकल गई l

    45: मिनट ड्राइविंग के बाद उनकी कार एक बड़े से मॉल के आगे रुकी युक्ति और रीति कार से बाहर आई और ईशा कार पार्क करने चली गई l

    थोड़ी ही देर में ईशा के आने पर तीनो मॉल के अंदर जाने लगी l

    युक्ति ''क्या हम यहां से शॉपिंग करने वाले हैं,l

    ईशा "हाँ" कल हमारी फ्रेशर पार्टी है तो उसके लिए हमें प्यारी सी ड्रेस तो लेनी चाहिए ना इसलिए तो मैंने ये प्लान बनाया l

    रीति ये सुन बोली ''हां सही किया तुमने चलो बताओ पहले क्या करना है मूवी की शॉपिंग''l

    ईशा ''मूवी के लिए चलते हैं पहले''

    3 घंटे की मूवी के बाद युक्ति, ईशा और रीति फिल्म हाल से बाहर आयी l

    रीति चलो पहले कुछ खाते हैं उसके बाद शॉपिंग किया जाएगा l

    युक्ति "हा मुझे भी भूख लगी है l

    ईशा चलो फिर कैफ़े चलते हैं l

    hello friends 👋 😊

    मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी अगर कहानी पसंद आ रही हो तो कहानी को रेटिंग देना ना भूले l

    कृपया मुझे अपनी रेटिंग देकर जरूर बताएं कि आपको कहानी कैसी लगी, आप कमेंट सेक्शन में कमेंट भी कर सकते हैं, मैं आप सबके कमेंट का इंतजार करूंगी, l

    और प्लीज मेरी प्रोफाइल को फॉलो करना ना भूले इसे आपको कहानी के नए अपडेट मिलते रहेंगे l

    और अगर आप मुझसे इंस्टाग्राम पर जुड़ना चाहते हैं तो आप इंस्टाग्राम की प्रोफाइल को भी फॉलो कर सकते हैं l

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  • 13. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 13

    Words: 2064

    Estimated Reading Time: 13 min

    अब आगे,

    युक्ति रीति और ईशा मॉल आये हुए थे तीनों कैफे से निकल अब शॉपिंग कर रही थी ईशा और रीति तो एक के बाद एक ड्रेसेस देखे जा रही थी तो वही युक्ति उन दोनों को शॉपिंग करते देख रही थी l

    ईशा "युक्ति ये देख कैसा लग रहा है''l उसने एक गुलाबी रंग की मिडी ड्रेस दिखाते हुई पूछा

    युक्ति "अच्छा है तुम पर खुब जचेगा l

    ईशा ''ये मेरे लिए नहीं तेरे लिए हैं''तो अब ये ड्रेस पकड़ और जा ट्राई करके देख l

    युक्ति "क्या" उसने चौंककर कहा l

    ईशा ''क्या,''क्या कर रही हैं जा और ट्राई कर''

    रीति "हा तुम जाओ और ट्राई करके आओ हम भी तो देखें हमारी युक्ति इस ड्रेस में कैसी लगती है l

    युक्ति ''अपने हाथ में पकड़े ड्रेस को देखती हैं फिर उसके प्राइस टैग को युक्ति कीमत देख ड्रेस को वापस रखते हुए बोली "नहीं मैं ये ड्रेस नहीं ले सकती ये बहुत महंगा है l

    रीति ''तो क्या हुआ, अगर महंगा है तो

    युक्ति ''मैं ये ड्रेस अफोर्ड नहीं कर सकती ये काफी महंगी है और मेरे बजट के बाहर हैं l

    ईशा "तू ड्रेस की कीमत मत देख ये ड्रेस मेरी तरफ से है तो तू जा और ट्राई कर के आ l

    रीति ''हा तुम इतना मत सोचो''

    दोनो ने उसको जबरदस्ती ट्रायल रूम की तरफ भेज दिया युक्ति मना करती रह गयी पर दोनों ने कुछ नहीं सुना l

    ट्रायल रूम के अंदर,

    युक्ति वो पिंक ड्रेस देखते हुए बोली ''ये दोनो भी न,इतनी महँगी ड्रेस पकड़ दी मुझे, इस ड्रेस की कीमत में तो मैं 4 ड्रेस खरीद लू , पर अब क्या करूं दोनों ही मेरा इंतजार कर रही हैं बाहर क्या करूं मैं ये ड्रेस नहीं ले सकती और ईशा रीति मेरी सुनेगी नहीं l

    तभी बहार से ईशा की आवाज आई ''युक्ति क्या हुआ तुम बाहर आओ हम भी तो देखें तुम कैसी लग रही हो l

    रीति ''और कितना टाइम लगेगा जल्दी आओ''l

    दोनो की आवाज़ सुन युक्ति बोली ''हा आ रही हूँ दो मिनट''

    थोड़ी देर बाद ट्रायल रूम का दरवाजा खुला और युक्ति बाहर आई उसने अभी इस वक्त वही पिंक ड्रेस पहन रखी थी जो उसके थाई से थोड़ा नीचे आ रहा था वो एक बॉडीकॉन ड्रेस थी l

    वो उस ड्रेस में काफ़ी प्यारी और हॉट लग रही थी

    ईशा रीति युक्ति को देख एक साथ बोली wow 😲

    रीति युक्ति के पास आ बोली ''तुम कितनी हॉट लग रही हो'' ईशा ''और प्यारी भी युक्ति तू सच में बहुत खुबसूरत लग रही है l

    युक्ति दोनो की बात सुनकर मुस्कुरा दी

    रीति तो ये ड्रेस फाइनल करते हैं तू फ्रेशर पार्टी में ये ही ड्रेस पहनेगी l

    ईशा भी रीति की बात पर ख़ुशी से हा में सिर हिला देती हैं l

    युक्ति दोनो को देख बोली ''पर मैं ये ड्रेस नहीं ले सकती''

    ईशा ''तू फिर से स्टार्ट हो गई बोला न कीमत की तू फिक्र मत कर

    रीति हा युक्ति ये ड्रेस मेरे और ईशा की तरफ से हैं तो

    वो अभी बोली रही थी कि युक्ति बिच में ही बोल पड़ी ''कीमत की बात नहीं है,असल में मैं इस ड्रेस में कंफर्टेबल नहीं हूं, इसलिए मैं ये ड्रेस नहीं लेना चाहती l

    ईशा ''क्यू क्या हुआ कुछ प्रॉब्लम है क्या ड्रेस में''

    युक्ति ने मासूम का चेहरे बना, हाँ मैं अपना सिर हिला दिया l

    रीति अगर ऐसा है तो कोई बात नहीं हम दूसरी ड्रेस देखते हैं जिसमें तुम कंफर्टेबल फील करो l

    युक्ति ने ये सुन कहा ''ठीक है मैं चेंज करके आती हूं''

    युक्ति ट्रायल रूम की तरफ जाते हुए अपने मन में बोली ''भगवान का शुक्र है अब मुझे ये ड्रेस नहीं लेनी पड़ेगी,अगर में झूठ नहीं बोलती तो ये दोनो मुझे ये ड्रेस दिला कर ही मानती इस पहले ये दोनो फिर से मेरे लिए ड्रेस सेलेक्ट करें उसे पहले मैं खुद ही अपने हिसाब से ड्रेस ले लेती हूं l खुद से बात करते हुए वो फिर से ट्रायल रूम के अंदर चली गई l

    इधर दूसरी तरफ,

    ईशा और रीति बहार आ फिर से ड्रेसेस देख रही थी वो ड्रेस देख रही थी तभी पीछे से एक आवाज आई ''क्या बात है तुम भी शॉपिंग पर आई हो वो भी मुझे बिना लिए,

    ईशा और रीति ने जब जानी पहचानी आवाज सुनाई तो पीछे पलट कर देखा तो श्रेया खड़ी थी l

    ईशा श्रेया को देख खुशी से जाकर उसके गले लग गई और वैसे ही बोली "आप यहां पर''

    श्रेया भी ईशा को गले लगाते हुए बोली "हा'',मुझे थोड़ी शॉपिंग करनी थी इस लिए आई थी l

    ईशा श्रेया से अलग हुई फिर ईशा और रीति को देख बोली ''तुम दोनो शॉपिंग पर आने वाली थी, तो मुझे भी बात देती मैं भी आ जाती तुम दोनो के साथ

    रीति तो आप अकेले आई हैं l

    आई तो अकेले थी पर संयोग से एकांश मिला गया मॉल के बाहर वो अपनी बहन के साथ आया हुआ था l

    वो लोग वापस में बात कर ही रहे थे कि युक्ति भी उनके पास आई युक्ति को देख श्रेया खुश होते हुए बोली ''तुम भी आई हो फिर अपना मुंह बना ईशा से बोली तुम लोगो ने शॉपिंग की प्लानिंग कर ली और मुझे इसमें शामिल नहीं किया कितने बुरे हो तुम लोग"

    ईशा ''ऐसा नहीं है दी मैं आपको कॉल करने वाली थी पर मुझे लगा आप बिजी होगे इसलिए कॉल नहीं क्या

    श्रेया ने ईशा को घूरा फिर मुस्कुराए हुए बोली ''चलो कोई बात नहीं ,अच्छा तुम लोगो की शॉपिंग हो गई l

    रीति हा हमारी और ईशा की शॉपिंग तो हो गई अब बस युक्ति बची है हम उसके लिए ही ड्रेस सिलेक्ट कर रहे हैं l

    श्रेया अच्छा चलो फिर मैं भी युक्ति की ड्रेस चुनने में मदद कर देती हूं श्रेया की बात सुन युक्ति मुस्कुराती हुई हा बोल देती हैं वो लोग फिर से अपनी शॉपिंग में लग जाते हैं l

    थोड़े देर बाद,

    युक्ति ड्रेस देखते देखते उन लोगो से थोड़ी दूर आ गयी थी वो अपने लिए एक ड्रेस निकल ही रही थी तभी पीछे से उसको एक जानी पहचानी आवाज सुनाई दी उस आवाज़ को सुन पलट कर पीछे देखा तो एकांश फोन पर किसी से बात कर रहा था l

    वो एकांश को वहां पर देख शॉक्ड हो गई थी पर अचानक ही उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई वो एक तक सब कुछ भूल कर एकांश को देखने लगी l

    इधर एकांश बात करने हुए अपनी नज़र इधर उधर की तो उसकी नज़र भी युक्ति पर पड़ गई , युक्ति को खुद को देखता पा उसके चेहरे पर कोई भी भाव नहीं आया, फोन को कट करता हुआ युक्ति की तरफ बढ़ गया l

    और इधर युक्ति जब एकांश को अपने पास आता देखती है तब जा कर उसको होश आता है कि वो कब से एकांश को ही देख रही थी वो अपनी नजर झुका कर वापस से अपनी नजर ड्रेस पर कर लेती है l

    एकांश युक्ति के पास आ खड़ा हो जाता है युक्ति एकांश को अपने पास देख घबरा जाती है और अपनी नज़र ड्रेस पर ही टिकाए रहती हैं एकांश युक्ति को अपनी तरफ ना देखता बोला

    क्या हुआ अब नहीं देखोगी

    युक्ति उसकी बात सुन चौक कर उसकी तरफ देखते हुए बोली "हा"

    एकांश युक्ति के चेहरे के नजदीक अपना चेहरा लाते हुए बोला "अब नही देखोगी मुझे या फिर मैं दुर से ही तुमको हैंडसम लगता हूं पास से नहीं'' बोल उसने अपना एक आइब्रो ऊपर को किया l

    युक्ति ये सुन झट से बोली नहीं ऐसा नहीं है आप दुर से भी और पास से भी बहुत हैंडसम लगते हैं l तभी उसको एहसास हुआ कि जल्दी जल्दी में उसने एकांश से क्या कह दिया उसने जल्दी से अपने मुँह पर अपना एक हाथ रख दिया l

    एकांश युक्ति के इस हरकत पर ना चाहते हुए भी मुस्कुरा देता है, युक्ति अपनी नज़र एकांश की तरफ करती हैं तो उसको मुस्कुराता देख उसके चेहरे पर भी एक प्यारी सी मुस्कान खिल जाती है,

    वो अपने मन में ही बोली आप मुस्कुराते हुए कितने ज्यादा अच्छे लगते हैं, एकांश की मुस्कान उसके दिल की धड़कनों को बढ़ा रही थी और ये एहसास युक्ति के लिए दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी l

    वो अभी भी एकांश को देख रही थी तभी एकांश युक्ति से बोला क्या हुआ शॉपिंग नहीं करनी है, युक्ति एकांश की बात सुन अपनी सोच से बाहर आ बोली ''करनी है'' बोल वो फिर से अपने लिए ड्रेस देखने लगी l

    उसने अपने हाथ में दो ड्रेस पकड़ रखा था एक लाल रंग की ड्रेस थी तो दूसरी हरे रंग की युक्ति दोनो ड्रेस को कन्फ्यूज होकर देख रही थी शायद वो डिसाइड नहीं कर पा रही थी कि उसे कौन सी ड्रेस लेनी चाहिए l

    एकांश जो वहां से जाने वाला था वो युक्ति को कंफ्यूज देख समझ गया कि वो किस लिए कंफ्यूज है, उसने युक्ति को देख जाते हुए कहा ''green dress तुम पर ज्यादा अच्छा लगेगा'' l

    युक्ति एकांश की बात सुन उसको ही देखने लगी वो अब वहां से जा रहा था फिर अपनी नजर हरी ड्रेस पर किया उसके होठों पर एक लंबी सी मुस्कान आ गई l

    तभी उसके पास ईशा श्रेया और रीति आते हुए बोली युक्ति तुम ये ड्रेस ट्राई करो श्रेया के हाथ में एक सिल्वर कलर की ड्रेस थी जो वो युक्ति के लिए पसंद करके लाई थी l

    युक्ति श्रेया की लाई हुई ड्रेस देख बोली दी मैंने अपने लिए ये ड्रेस सेलेक्ट किया है बोल उसने हरे रंग की ड्रेस उन सबको दिखाई l

    श्रेया ने युक्ति की ड्रेस देखी तो सच में काफी खुबसूरत थी सिंपल और सभ्य थी l

    श्रेया युक्ति की ड्रेस देख बोली हा ये भी बहुत अच्छी है एक दम तुम्हारी तरह खूबसूरत l

    युक्ति श्रेया की बात सुन मुस्कुरा दी l

    ईशा ''तो अब जब शॉपिंग हो गई है तो अब हम चले l सब ने हा किया और अपनी अपनी ड्रेस का बिलिंग कराने काउंटर पर चली गई ईशा और रीति युक्ति के ड्रेस का भुगतान करने की जिद कर रही थी पर युक्ति ने मना कर दिया कि अगर वह भुगतान करेगी तो वह ड्रेस नहीं लेगी, इसलिए ना चाहते हुए भी दोनों ने युक्ति को ही भुगतान करने दिया l

    फिर तीनो पेमेंट कर श्रेया के पास आ गई वो उसका थोड़ी दुर पर इंतजार कर रही थी l

    श्रेया उन सबको देख बोली "चले''

    ईशा "हाँ"

    तभी रीति बोल पड़ी "वो आपके साथ एकांश भी आए थे ना वो नहीं दिखे" रीति की बात सुन श्रेया बोली ''वो चल गया उसको कुछ काम था और वो अपनी बहन के साथ आया था,और मैं अपनी कार से अकेले, जाना तो अगल अगल ही था, इसलिए मैंने उसको नहीं रोका पर तुम क्यों पूछ रही हो,

    रीति मुस्कुराते हुए ''बस ऐसे ही''

    श्रेया ''अच्छा'' बोल वो हस दी उसको अच्छे से पता था कि एकांश का क्रेज पूरे कॉलेज में कैसा है, सीनियर जूनियर यहां तक कि उसके खुद की क्लास में भी सब लड़कियाँ का वो क्रश था l

    युक्ति ने जब ये सूना की एकांश श्रेया के साथ आया था और चला भी गया उसको पता नहीं क्यू ये सुन अच्छा नहीं लगा l

    वो अपने ही सोच में गुम थी की ईशा बोली युक्ति चल

    ईशा की आवाज से वो फिर से अपनी सोच से बाहर आई और उन लोगों के साथ अपने हॉस्टल के लिए निकल गई l

    hello friends 👋 😊

    सब से पहले तो सॉरी रोज चैप्टर ना देने के लिए असल में कुछ काम आ गया है जिसके चलते मैं रोज चैप्टर नहीं दे पा रही हूं पर मैं अब से कोशिश करूंगी की रोज़ नहीं तो एक दिन के गैप पर अध्याय अपलोड कर दु l मुझे माफ़ कर दीजिएगा 🙏🙏

    मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी अगर कहानी पसंद आ रही हो तो कहानी को रेटिंग देना ना भूले l

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  • 14. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 14 (फ्रेशर पार्टी)

    Words: 1818

    Estimated Reading Time: 11 min

    अगले दिन,

    सुबह का वक़्त,

    अभी सुबह 8:30 बजे थे और युक्ति अभी अपने घर पर अपनी माँ से बात कर रही थी l

    युक्ति हा माँ में ध्यान रखुंगी आप इतनी फ़िक्र मत कीजिए फोन के दूसरे तरफ से आवाज आई तू ठीक से खाना पीना तो खा रही है न

    युक्ति "हा मम्मी"

    दीया जी ''अच्छा तू घर कब आ रही है''

    युक्ति अभी नहीं मम्मी अभी तो कोई भी छूटी नहीं है देखिए कब आते हैं l अच्छा पापा कैसे हैं मेरी उनसे बात नहीं हुई थी कल क्या वो कहीं गए हुए हैं l

    दीया जी ''हां उनको कुछ काम आ गया था इसलिए वो दिल्ली गए हुए हैं इसलीये तुमसे बात नहीं हो पाई होगी काम में फंस गए होगे

    वो दोनो लोग कुछ देर यू ही बात करते रहे l और कॉल कट कर वो फिर तैयार होने के लिए चल गई क्यू की आज उनकी फ्रेशर पार्टी थी और वो 11 बजे से शुरू होने वाली थी और अभी 9:30 बजे बज चुके थे l

    1 घंटा बाद युक्ति मिरर के सामने लड़की थी, वो खुद को शीशे में अच्छे से देखती हैं फिर अपना फोन और हैंडबैग ले अपने कमरे से निकल जाती हैं l

    युक्ति अभी सिधियाँ उतार रही थी की उसका फ़ोन बज उठा उसने अपना फोन निकाल कर देखा तो रीति का कॉल आ रहा था l

    युक्ति कॉल पिक करते हुए बोली "हा बस आ ही रही हूं" l

    रीति "ठीक है आओ हम इंतजार कर रहे हैं"l

    युक्ति ने कॉल कट किया और जल्दी जल्दी नीचे जाने लगी कुछ देर में वो अपने हॉस्टल के गेट के पास आ चुकी थी युक्ति ने ईशा और रीति को देखा तो दोनों आज काफी खुबसूरत लग रही थी l

    ईशा ने एक नीले रंग की खुबसूरत सी ड्रेस पहन रखी थी जो उसके टखने ankle तक आ रही थी ड्रेस की स्लीव्स थोड़े चौड़े डोरी जैसी थी जिसका उसने खूबसूरत सा बो बना रखा था l और पैरो में ब्लैक हील पहन रखी थी चेहरे पर उसने थोडा मेकअप कर रखा था वह उस पूरे लुक में काफी ज्यादा खुबसूरत और प्यारी लग रही थी l

    और इधर रीति भी अपनी multi colour की ड्रेस में काफी खुबसूरत लग रही थी l उसका वो ड्रेस एक फ्लोरल ड्रेस था जो उस पर खूब जच रहा था उसने भी अपने चेहरे पर थोड़ा मेकअप कर रखा था जो उसकी खूबसुरती को और ज्यादा बढ़ा रहा था l

    युक्ति दोनों को देख मुस्कुरादी और उनके पास आ बोली तुम दोनों कितनी ज्यादा सुंदर लग रही हो,''हाय किसी की नजर ना लगे'' बोल उसनी बलाये लेने लगी l

    उसकी बात सुन रीति और ईशा ने एक दूसरे को देखा और साथ में बोली "हमारी नजर बाद में उतरना पहले अपनी नजर उतारो l

    ईशा "मुझे तो डर है कहीं तुझे मेरी ही नज़र ना लग जाये"l

    रीति "हा तुम कितनी ज्यादा खुबसूरत लग रही हो अगर मेरा इंटरेस्ट लड़कों में ना होता तो मैं तुमको आज प्रपोज कर देती l

    युक्ति के चेहरे पर दोनो की बात सुन हल्की शर्मा भारी मुस्कान आ गई थी, फिर वो रीति को थोड़ा घुरते हुए बोली "पागल क्या बोल रही हो तुम कुछ भी बोलती हो"l

    रीति सच में यार फिर उसका एक हाथ पकड़ थोड़ा फ़्लर्टी अंदाज़ में बोली "मिस युक्ति क्या आप मेरी गर्लफ्रेंड बनना चाहेंगी"l

    युक्ति उसको खुद से साथ फ्लर्ट करता देख अपना हाथ खींच बोली "एएए पागल लड़की दूर रहो मुझसे"l

    ईशा युक्ति को रीति से ऐसे डरता देख हंसने लगती है l फिर दोनो को देख बोली अच्छा चलो अब अपना ये फ़्लर्ट कॉलेज में जाकर जारी रखना l

    उसकी बात सुनकर जहा रीति हँस दी तो वही युक्ति ने अपना मुँह बना लिया l

    इधर दूसरे तरफ कॉलेज में,

    कॉलेज में फ्रेशर पार्टी की तैयारी काफी अच्छी से हुई थी, और कॉलेज में कुछ स्टूडेंट आ गए थे,तो कुछ अभी भी आ रहे थे, सभी आज काफ़ी अच्छे से तैयार हो कर आये हुए थे,फ्रेशर तो फ्रेशर सीनियर भी किसी से कुछ कम नहीं लग रहे थे, आज कॉलेज का पुरा महौल काफी ज्यादा एनर्जेटिक था l

    सभी एक दूसरे से बात करने में तो कोई एक दूसरे को कॉम्प्लीमेंट देने में लगे हुए थे, कुछ लड़के तो आज अपनी क्रैश या जिसको वो पसंद करते थे उनको प्रपोज करने की तैयारी भी करके आये थे, और कुछ लड़किया भी थी जो खास कर अपने क्रश के लिए तैयार होकर आई थी l

    इसी सब के बीच दो कार आकर कॉलेज पार्किंग में रुकी

    पहली कार से रुद्र और हर्ष बहार आये तो दूसरी कार से एकांश और श्रेया बहार निकले और कॉलेज के अंदर जाने लगे,जैसे ही चारों ने कॉलेज में एंट्री की, सभी की नजरों को उन लोगों ने अपनी तरफ खींच लिया और ऐसा हो भी क्यों ना आखिर यह पुरे कॉलेज का पॉपुलर ग्रुप जो था, इस ग्रुप को कौन नहीं जानता था l

    सभी लड़कियाँ तो तीनो लड़को को देख पागल सी हो गई थी, और हो भी क्यों ना जब सामने इतना हैंडसम बंदा हो तो पागल होना तो बनता ही है l

    और लड़के श्रेया को देख रहे थे,श्रेया भी कम खुबसूरत नहीं थी और आज तो वो और भी खूबसूरत लग रही थी अपने लाल गाउन में l

    तीनो पार्टी एरिया के पास आए जहाँ आज के सभी प्रोग्राम होने वाले थे और वो फ्रेशर पार्टी के प्रभारी थे तो उनका वहा पर होना जरूरी था l

    वहा पर आते ही श्रेया ने सभी व्यवस्था देखना शुरू कर दिया और अपने साथ हर्ष और रुद्र को भी खिच लिया l

    और एकांश अपने बैंड ग्रुप के पास चला गया l

    कुछ ही देर बाद में ईशा की भी कार कॉलेज पार्किंग के पास रुकी और कार पार्क कर वो तीनो भी पार्टी एरिया के पास जाने लगी l

    तीनो ने जब पार्टी एरिया के पास एंट्री किया तो वहां पर खड़े लड़के और लड़कियां उन तीनो को ही देखने लगे,आखिर वह तीनों भी आज काफी ज्यादा खूबसूरत और प्यारी लग रही थी लड़कों की तो नजर उन पर से हट ही नहीं रही थी,तो कुछ लड़किया ये देख जल भी रही थी l

    वहा पर आते ही ईशा श्रेया को खोजने लगी, वो अपनी नजर इधर उधर कर देख ने लगी थी और उसको कुछ ही दूर पर श्रेया अपने ग्रुप के साथ नजर आ गई,वो युक्ति और रीति का हाथ पकड़ उनकी तरफ जाते हुए तेज आवाज में बोली "श्रेया दी''

    श्रेया और उसके ग्रुप ने आवाज़ सुनकर उस तरफ देखा तो ईशा युक्ति और रीति के साथ उनके पास ही आ रही थी l

    और इधर युक्ति का हाल बेहाल हो गया था एकांश को देख उसका दिल तेजी से धड़क रहा था,उसको तो ऐसा लग रहा था कि अभी उसका दिल कूदकर बाहर आ जाएगा l

    आज उसको एकांश और भी ज्यादा हैंडसम, चार्मिंग और डैशिंग लग रहा था, उसने आज all black get up ले रखा था काली शर्ट, काली पैंट और काला ब्लेज़र और काले चमचमाते जूते एक हाथ में ब्रांडेड कलाई घड़ी ,जेल से सेट किये हुए उसके बाल उस पुरे लुक में वो कहर ढा रहा था l

    और युक्ति का हाल बेहाल कर रहा था l

    तो वही एकांश की भी नज़र एक पल को युक्ति पर टिक गई थी जो आज रोज के मुकाबले काफी अलग लग रही थी वो उस ग्रीन ड्रेस में काफ़ी एलिगेंट और ख़ूबसूरत लग रही थी वो एक लांग गाउन था गाउन पर बाजू ना होकर एक पतली सी डोरी थी वो ड्रेस सिंपल थी लेकिन काफी ज्यादा खूबसूरत थी और युक्ति पर वो ड्रेस और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसके पैरो में सिल्वर कलर की हील थी और एक हाथ में एक कलाई घड़ी और एक हाथ में bracelet था l

    वो तीनो उनके पास आये श्रेया खुश हो कर तीनो के गले मिली श्रेया तुम तीनों कितनी प्यारी लग रही हो आज श्रेया की बात सुन तीनो मुस्कुरा दी l

    युक्ति श्रेया की बात सुन बोली ''आप भी बहुत ज्यादा खुबसूरत लग रही हैं l

    रीति "हा''

    वो लोग आपस में बात कर रही थी कि उनकी बातों के बीच हर्ष कूदते हुए बोला ''लड़कियां इधर भी ध्यान दीजिए हम भी हैं,क्या हम आपको दिखायी नहीं दे रहे हैं l

    हर्ष की बात पर ईशा तपाक से बोली "नहीं हमें बत्तख नहीं दिखाई देता''l

    ईशा की बात सुन रीति और श्रेया की हंसी छूट गई l

    और हर्ष ने गुस्से से ईशा को घूरा और बोला ''मैंने तुमसे नहीं पूछा चुहिया"l

    वो दोनो की बहस आगे बढती उसे पहले बीच में रुद्र बोल पड़ा

    ''हर्ष ईशा तुम दोनों आज भी मत शुरू हो जाओ'' l

    ईशा ने रुद्र की बात सुन कहा ''ठीक है आप बोल रहे हैं इस लिए मैं आज कुछ नहीं बोलूंगी इस बत्तख को,बोल हर्ष को देख अपना मुँह बिचका दीया l

    हर्ष ने भी ईशा को घूरा और फिर उसको इग्नोर कर युक्ति और रीति को देख बोला ''क्या बात है जूनियर तुम दोनो तो आज काफी ज्यादा खुबसूरत लग रही हो'' l

    हर्ष की बात सुन रीति बोली ''आप भी काफी हैंडसम लग रहे हैं फिर वो एकांश को और रुद्र को देख हाय बोली

    रुद्र ने तो मुस्कुरा कर दोनों को हाय बोला पर एकांश अभी भी वैसे ही चुप खड़ा रहा l

    तो वही युक्ति भी मुस्कुराते हुए उनको हैलो कहा पर एकांश की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना मिलें पर वो थोड़ा उदास हो गई l

    फिर श्रेया ने कहा ''तुम लोग जाओ और बैठ जाओ अब पार्टी शुरू करने का टाइम क्या हो गया है मैं जा रही हूं announcement करने के लिए अब सब program भी शुरू करना है l बोल वो हर्ष को खिचते हुए अपने साथ ले गई l

    हर्ष जाते हुए ही युक्ति से बोला ''युक्ति जूनियर मेरा इंतज़ार करना हम साथ में डांस करेंगे''l

    हर्ष की बात सुन युक्ति की आँखें बड़ी बड़ी हो गई थी तो वही ईशा हर्ष को गुस्से से घूर रही थी l

    और एकांश युक्ति को ऐसे आंखें बड़ी-बड़ी करते देख हल्का सा मुस्कुराया दिया जो किसी ने भी नहीं देखा था, और वो भी वहां से चला गया एकांश को जाता देख रुद्र भी एकांश के साथ चल दिया

    ईशा उन लोगो के जाते ही बोली चलो हम भी चलते हैं l

    hello friends 👋 😊

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  • 15. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 15(मिस/मिस्टर फ्रेशर )

    Words: 1532

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे,

    सभी स्टूडेंट सीट ले कर बैठ चुके थे ईशा,युक्ति,रीति आगे के तीसरी पंक्ति में बैठी थी और स्टेज पर इस वक्त श्रेया और हर्ष साथ में खड़े थे और हाथ में माइक के लिए वो फ्रेशर पार्टी की शुरुआत कर रहे थे l

    श्रेया ''गुड आफ्टरनून प्रिंसिपल सर और प्रोफेसर and dear friends.

    तो आज का दिन है हमारे नए कॉलेज स्टूडेंट के लिए जो अपने करियर की शुरुआत के लिए यहां पर आए हैं मुझे उम्मीद है कि आप सब अपने-अपने कैरियर में सफल होंगे और ये कॉलेज आपको सफल बनाने में मदद करेगा l

    तो बातो को और ज्यादा न खिचते हुए, मैं अपने फ्रेशर्स का इस कॉलेज में तहे दिल के साथ स्वागत करती हूं Welcome fresher to our college

    श्रेया की बात पर सभी लोगो ने तलिया बजाई l

    अब हर्ष ने बोलना शुरू किया "तो आप सब तैयार है''

    सभी स्टूडेंट ने जोश के साथ कहां "हाआआआआ''

    और इसी के साथ फ्रेशर पार्टी की शुरुआत हुई l

    स्टेज पर एक दोनो डांस प्रोग्राम हुए जो उनके सीनियर द्वार किये गये थे l

    डांस होने के बाद श्रेया फिर से स्टेज पर आईं और प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए बोलीं तो ''चलिए स्टार्ट करते हैं मिस फ्रेशर और मिस्टर फ्रेशर कम्पटीशन देखते हैं इस बार इस कम्पटीशन का विनर कौन होता है l

    बोल उसने कहा कि जिस को इस कम्पटीशन मैंने हिस्सा लेना है वो अपना नाम श्रेया को लिख कर देदे l

    ईशा और रीति तो बहुत खुश थी

    ईशा ''मैं इस कम्पटीशन मैं पार्टिसिपेट करूंगी और तुम दोनों'' रीति भी ख़ुशी से बोली ''मैं भी'' फिर दोनो ने युक्ति की तरफ देखा तो युक्ति दोनो को अपनी तरफ देखता देख झट से बोली "सोचना भी मत की मैं इस कम्पटीशन में पार्टिसिपेट करुंगी l

    ईशा और रीति ''पर क्यू नहीं करोगी''l

    युक्ति "क्यों कि मुझे पसंद नहीं है इसलिए''

    ईशा और रीति जिद करते हुए आगे बोली

    'रीति' प्लीज युक्ति बहुत मजा आएगा अगर तुम भी पार्टिसिपेट करोगी तो मना मत करो l

    दोनो प्लीजिंग eye से युक्ति को देखने लगी युक्ति उन दोनो के ऐसे देखने पर उनको मना नहीं कर पा रही थी,पर वो कम्पटीशन में पार्टिसिपेट भी नहीं करना चाहती थी उसको ऐसे फेमलाइट में आना पसंद नहीं था l

    युक्ति अपना उदास सा चेहरे लिए बोली ''ठीक है अगर तुम दोनों चाहती हो तो मैं भी कम्पटीशन में पार्टिसिपेट कर लेती हूं l

    ईशा ने जब युक्ति को ऐसे उदास हुए कम्पटीशन में पार्टिसिपेट लेते हुए देखा तो बोली ''कोई ज़रूरत नहीं है,अगर तेरा दिल नहीं कर रहा है तो तू जाने दे l

    रीति युक्ति की बात सुनकर खुश हो गई थी पर ईशा के ऐसे बोलने पर वो बोली ''पर क्यू अब युक्ति तो मान गई है तो तुम क्यों मना कर रही हो'' l

    रीति की बात सुन ईशा बोली ''रीति क्या फ़ायदा ऐसे कम्पटीशन में पार्टिसिपेट करने का जिसमे आपका दिल ही ना लगे और मैं जानती हूँ कि युक्ति को ऐसे फेमलाइट में आना बिल्कुल पसंद नहीं, वो अनकम्फर्टेबल हो जाती हैं तो हम रहने देते हैं l

    ईशा की बात सुन उसने युक्ति को देख तो युक्ति के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वो सच में ये नहीं करना चाहती है l

    रीति ने युक्ति और ईशा को देख कहा ''ठीक है फिर मैं भी युक्ति के साथ यहां पर हूं तुम जाओ और भाग लो''

    रीति की बात पर ईशा बोली ''मैं अकेले पार्टिसिपेट नहीं करुंगी''

    युक्ति ने दोनो को देख कहां "तुम दोनो ही पार्टिसिपेट कर रही हो तो चुप चाप जाओ और अपना नाम दो''

    ईशा और रीति कुछ बोलती उससे पहले युक्ति फिर बोल पड़ी तुम दोनो को मेरी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है, और मेरी वजह से ना अपना मन मारने की जरूरत है,मैं तो चाहती हूं कि तुम दोनों में से ही कोई मिस फ्रेशर का किताब हासिल करें, फिर उसने दोनों को चीयर अप करते हुए बोला ''जाओ मेरी कुड़ियाँ जाओ और मिस फ्रेशर की किताब हासिल करके आओ'' l

    युक्ति के ऐसे चीयर अप करने पर दोनों खुल कर मुस्कुरा दी फिर दोनों साथ में युक्ति के गले लगते हुई बोली ''बिल्कुल मेरी जान''

    थोड़ी ही देर में मिस एंड मिस्टर फ्रेशर कम्पटीशन शुरू हो गया था

    और युक्ति ख़ुशी से ईशा और रीति को सपोर्ट कर रही थी l

    कम्पटीशन का पहला राउंड स्टार्ट किया गया जो एक रैंप वॉक था कम्पटीशन में कम से कम 60 स्टूडेंट ने भाग लिया था और बारी बारी से सभी का नाम अनाउंसमेंट होने पर वह स्टेज पर आकार रैंप वॉक कर रहे थे ,और अपना इंट्रो दे रहे थे l अगला राउंड के लिये विनर को उनके वॉक, इंट्रो और कॉन्फिडेंस से चुना जा रहा था l

    धीरे धीरे कर के ईशा और रीति की बारी आई और दोनों ने ही आत्मविश्वास के साथ अपना इंट्रो और वॉक किया जो लोगो को काफी पसंद आया था और युक्ति तो खुशी से दोनों के लिए तालियां बजा रही थी l

    और ऐसी कर के अगला राउंड हुआ जिसमें सिर्फ 40 स्टूडेंट को चुना गया था और ईशा और रीति भी इसमे शमिल थी l अगला राउंड एक टैलेंट राउंड था जिसमें आपको अपना कोई एक टैलेंट दिखाना था l

    और एक एक कर फिर सभी स्टेज पर आ कर अपना टैलेंट दिखाना शुरू किया, कोई स्टेज पर डांस कर रहा था तो कोई गाना गा रहा था, तो कोई स्टैंड-अप कॉमेडी कर रहा था, तो कोई शायरी और कविताएं बोल रहा था l

    सभी ने अपना बेस्ट दिया था जो वहा बैठे लोगो ने खूब एन्जॉय किया था l

    ईशा ने भी अपना टैलेंट दिखाते हुए वायलिन बजाया था, उसको वायलिन बजाना बहुत पसंद था और उसने काफी अच्छा बजाया था। और रीति ने डांस किया था दोनो ने बहुत अच्छा किया था l

    और दोनो ही अगले राउंड के लिए भी सेलेक्ट की जा चुकी थी और उनके साथ-साथ और भी 20 स्टूडेंट को सेलेक्ट किया गया था l

    और अगल राउंड एक गेम था और वो गेम एक म्यूजिकल चेयर गेम था कुल स्टूडेंट 20 थे, ईशा और रीति को ले कर और वहा पर 15 कुर्सी ही रखे गए थे l

    और फिर खेल शुरू हो गया म्यूजिक के रुकते ही सभी कुर्सी पर बैठ जा रहे थे पहले राउंड में तो ईशा और रीति को कुर्सी मिल गई थी ,और दोबारा से म्यूजिक स्टार्ट और बंद हुआ तो रीति गेम से बाहर हो गई थी l

    रीति ने अपना उदास सा चेहरा बना लिया और ईशा के पास जा बोली ''अगर तू नहीं जितनी ना तो मैं तेरा सिर फोड दुगी याद रखना'' वो गेम से बाहर हो गई थी लेकिन वो खुश थी, कि ईशा अभी भी गेम में है और वो दिल से चाहती थी कि ईशा जीते l

    और थोड़ी ही देर में इस गेम का भी परिणाम घोषित हुआ और इस बार 5 लोग ही आगे गए थे जिसमें से 2 लड़के और 3 लड़कियां थीं l

    अगला राउंड क्विज राउंड था, जिसमें श्रेया लोगो से सवाल पूछती और उनको 1 मिनट के अंदर उस सवाल का जवाब देना था जो जितना ज्यादा सवाल का जवाब देता था वह आज का मिस और मिस्टर फ्रेशर होता l

    श्रेया एक-एक कर सब से सवाल करती है और देखते ही देखते ये राउंड भी ख़तम हो जाता है l

    और सभी जोर शोर से तालियां बजाने लगते हैं युक्ति और रीति भी काफी खुश थी, अब बस परिणाम का इंतजार कर रही थी और थोड़ी ही देर में श्रेया ने परिणाम घोषित कर दिया l

    श्रेया ''तो प्यारे दोस्तों इस बार के हमारे कॉलेज के मिस्टर फ्रेशर हैं ''मिस्टर ऋषि'' सभी ने जोर से तालियाँ बजाई l

    श्रेया ने फिर आगे कहा ''और इस बार हमारे कॉलेज की नई मिस फ्रेशर हैं "मिस ईशा''

    ईशा का नाम सुनते युक्ति और रीति खुशी से एक दूसरे के गले लग गई और श्रेया भी बहुत खुश थी फिर प्रिंसिपल सर स्टेज पर आ कर दोनों को मिस/मिस्टर फ्रेशर का किताब दिया और इसी तरह मिस्टर फ्रेशर और मिस फ्रेशर प्रतियोगिता ख़त्म हुआ l

    उसके बाद श्रेया फिर से स्टेज पर आई और बोली तो प्यारे दोस्तों दिल थाम के बैठिए और आनंद लीजिए हमारे कॉलेज के सुपरस्टार का गाना जो आपके दिल को कुछ इस तरह चुराए गा कि आपको पता ही नहीं चलेगा और इसी के साथ श्रेया ने जोर से एकांश का नाम लिया और स्टेज की लाइट बंद हो गई l

    और एक स्पॉटलाइट स्टेज के बिचो बिच पड़ी जहाँ एकांश हाथ में गिटार के लिए खड़ा था l

    hello friends 👋 😊

    मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी अगर कहानी पसंद आ रही हो तो कहानी को रेटिंग देना ना भूले l

    कृपया मुझे अपनी रेटिंग देकर जरूर बताएं कि आपको कहानी कैसी लगी, आप कमेंट सेक्शन में कमेंट भी कर सकते हैं, मैं आप सबके कमेंट का इंतजार करूंगी, l

    और प्लीज मेरी प्रोफाइल को फॉलो करना ना भूले इसे आपको कहानी के नए अपडेट मिलते रहेंगे l

    और अगर आप मुझसे इंस्टाग्राम पर जुड़ना चाहते हैं तो आप इंस्टाग्राम की प्रोफाइल को भी फॉलो कर सकते हैं l

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    मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद मिलते हैं अगले भाग में तब तक के लिए बाय और अपना ध्यान रखें l👋🤗

  • 16. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 16(तेरी झुकी नज़र)

    Words: 1684

    Estimated Reading Time: 11 min

    continue ✍️

    इसी के साथ श्रेया ने जोर से एकांश का नाम लिया और स्टेज की लाइट बंद हो गई l

    और एक स्पॉटलाइट स्टेज के बिचो बिच पड़ी जहाँ एकांश हाथ में गिटार के लिए खड़ा था l

    एकांश को देख युक्ति के चेहरे पर एक लम्बी सी मुस्कान खिल गई उसकी नज़र एकांश पर ही ठहर गई थी l

    और इधर धीरे धीरे करके वहां कि सभी लाइट ऑन हो गई और एकांश के साथ-साथ और भी लोग म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट के साथ दिखे l

    एकांश ने गिटार के तार छेड़े और एक प्यारी से धुन लोगो को सुनाई पड़ी और देखते ही सभी ने अपना अपना म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाना शुरू किया l

    और एकांश ने गाने के बोल गाना शुरू किया l

    चाहे कुछ ना कहना, भले चुप तू रहना

    मुझे है पता तेरे प्यार का

    खामोश चेहरा, आँखों पे पहरा

    खुद है गवाह तेरे प्यार का

    तेरी झुकी नज़र, तेरी हर अदा

    मुझे कह रही है ये दास्ताँ

    कोई शख़्स है जो कि इन दिनों

    तेरे ज़हन-ओ-दिल पे है छा गया

    तेरी झुकी नज़र, तेरी हर अदा

    मुझे कह रही है ये दास्ताँ

    (Hey, yeah)

    (एकांश के हर एक बोल युक्ति के दिल को छू रहे थे उसे ऐसा लग रहा था कि ये उसके खुद के दिल के जज्बात हो जो वो अभी तक समझ नहीं पाई थी और वो एकांश में पूरी तरह खो गई थी उसे तो अपने आस-पास का होश ही नहीं था l )

    तेरी ज़ुल्फ़ जब भी बिखर जाती है

    ऐ हसीं, तू हसीं और हो जाती है

    जो किताबों में पढ़ते रहे आज तक

    वो परी हमको तुझमें नज़र आती है

    तेरी ही बाँहों में, पनाहों में

    रहना मुझे हरदम सदा

    तेरी ही यादों में, निगाहों में

    रहना मुझे हरदम सदा

    तेरी ही बाँहों में, पनाहों में

    रहना मुझे हरदम सदा, हरदम सदा

    चाहे कुछ ना कहना, भले चुप तू रहना

    मुझे है पता तेरे प्यार का

    खामोश चेहरा, आँखों पे पहरा

    खुद है गवाह तेरे प्यार का

    तेरी झुकी नज़र, तेरी हर अदा

    मुझे कह रही है ये दास्ताँ

    कोई शख़्स है जो कि इन दिनों

    तेरे ज़हन-ओ-दिल पे है छा गया

    तेरी झुकी नज़र, तेरी हर अदा

    मुझे कह रही है ये दास्ताँ

    (Hey, yeah)

    धीरे धीरे एकांश ने गाना ख़त्म किया और गाना ख़तम होते वहां के शांत महौल में तालियों की शोर गूंज उठी सभी जोर शोर से एकांश का नाम चिल्ला रहे थे l

    एकांश ने जब सबकी तरफ देखा तो उसको ऐसा लगा जैसे उसने जो फैसला अपने लिए किया है वो सही है गाना गाना उसको एक सुकून देता है और आज अपने गाने पर लोग का ऐसा प्रभाव देख उसका दिल सुकून से भर गया था उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी जो दिल से उसके चेहरे पर आयी थी l

    और इधर युक्ति तो एक तक एकांश को देख रही थी उसके हर एक हाव भाव को वो नोटिस कर रही थी एकांश के चेहरे की मुस्कान देख उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी l

    ईशा ने चहकते हुए कहा ''एकांश किताना अच्छा गाते हैं इनकी आवाज में एक जादू है,जो लोगो को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है'' l

    रीति ''हाँ सही कहा तुमने'' मैं तो पूरी तरह खो ही गई थी इनके गाने में, युक्ति तुमको कैसा लगा बोल उसने युक्ति को देखा तो वह अभी भी एक तक स्टेज को ही देख रही थी जहां से एकांश अब जा रहा था l

    युक्ति को एकांश को देखता देख रीति ने ईशा को युक्ति को देखने का इशारा किया ईशा ने भी युक्ति को देख युक्ति के नज़रों का पिछा किया तो वो एकांश को देख रही थी ये देख ईशा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और ईशा और रीति ने आंखों आंखों में कुछ इशारा कर युक्ति के बाएँ दांए खड़ी हो गई l

    ईशा युक्ति के कंधे से अपना कंधा हल्का सा मरते हुए कहा ''क्या बात है तेरी तो नज़र ही नहीं हट रही है''l

    रीति ने भी युक्ति को छेड़ते हुए आगे कहा ''इतना भी मत खो जाओ कि आस पास की खबरी ना हो''l

    युक्ति तो ईशा के कांधे मारते ही अपने होश में आ चुकी थी और अब दोनो की बात सुन अब उसका चेहरा शर्म से लाल होने लगा था l

    ईशा और रीति ने युक्ति को ऐसे शर्मते देखा तो अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर बोलीं युक्ति तू शर्मा रही है दोनो युक्ति को देख मुस्कुराई और फिर से युक्ति को छेड़ने लगी l

    और इधर दूसरी तरफ ,

    हर्ष रुद्र ,और श्रेया के चेहरे पर भी एकांश को खुश देख लंबी सी मुस्कान थी वो जानते थे एकांश के लिए संगीत क्या है वो जानते थे कि एकांश की ख़ुशी किसमें है,और आज एकांश के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान देख उनको भी सुकून मिल रहा था और वो दिल से अपने दोस्त के लिए खुश थे हा अभी एकांश को बहुत कुछ करना था अभी तो उसने ठीक से शुरुआत भी नहीं की थी पर आज की शुरुआत ने उसे एक उम्मीद दी थी अपने सपने को पूरा करने की उम्मीद जो एकांश की आँखों में वो देख पा रहे थे l

    इधर एकांश स्टेज से नीचे आते ही अपने दोस्तों की तरफ बड़ा ही था कि लड़कियों की झुंड ने एकांश को पूरी तरह घेर लिया अचानक से लड़कियों के घेरे जाने पर वो थोड़ा चौक गया था पर जल्दी ही उसने खुद के एक्सप्रेशन फिर से पहले जैसा कर लिया एक दम सीरियस

    और इधर सभी लड़किया एकांश के गाने की तारीफ किये जा रही थी उससे बात करने की कोशिश कर रही थी एक तो पहले से ही वो पूरे कॉलेज का क्रश था और उन लड़कियों को एक मोका मिल गया था एकांश के पास जा उससे बात करने का उसकी नज़र में आने का तो ये मोका वो कैसे अपने हाथ से जाने दे सकती थी l

    इस लिए सब एक दूसरे को पीछे कर एकांश से बात करना चाह रही थी और इधर एकांश ये सब देख इरिटेट हो रहा था,उसको अपने पास ऐसे लड़कियों का होना पसंद नहीं था उसको चिड होती थी गुस्सा आता था और फ़िलहाल उसका हाल अभी कुछ ऐसा ही था ऊपर से सब उसे बात करने के लिए चिल्ला चिल्ला कर बोल रही थी एक दूसरा तो धक्का दे रही थी l

    और एकांश ये सब देख परेशान हो रहा था और इधर हर्ष रुद्र श्रेया ने जब ये देखा तो हँस दीये l

    हर्ष "ये जितना इन सब लड़कियों से दूर रहना चाहता है अब वो उतनी ही लड़कियों से घिरा रहेगा'' l

    श्रेया ''सही कहा तुमने पर मुझे एकांश के लिए बुरा लग रहा है देखो तो बेचारा कितना ज्यादा परेशान है''l

    रुद्र ''इस लिए अब यहां पर खड़े मत रहो और चल कर उसको उन लड़कियों से दूर करो वो खुद के गुस्से को ज्यादा देर तक कंट्रोल नहीं कर पाएगा और कुछ ऐसा कर देंगे जो उसको नहीं करना चाहिए l

    श्रेया ''हाँ सही कहा''

    हर्ष ने मुँह बना कर कहा ''इतनी हसीन लड़कियों से घिरा हुआ है और देखो कैसे इरिटेट हो रहा है,अगर मैं इसकी जगह होता तो मस्त सबसे बात करता l

    रुद्र ने हर्ष की बात सुन उसको घूरा और बोला ''अपनी बकवास बंद करेगा तू'' बोल वो लोग एकांश की तरफ चल दिये l

    और इधर युक्ति, ईशा और रीति ने भी एकांश को लड़कियों से घिरा देखा तो वो भी उधर ही देखने लगी l

    ईशा ने जब श्रेया को एकांश के पास जाते देखा तो वो भी युक्ति रीति से बोली "चलो हम भी चलते हैं श्रेया दी भी वही जा रही हैं''l

    ईशा की बात सुन रीति ने हा कहा और वो जाने लगी पर युक्ति को अपने साथ आता ना देख बोली ''क्या हुआ क्या सोच रही हो चलो''

    ईशा की आवाज सुन अपनी सोच से बाहर आई और बोली ''कुछ भी तो नहीं''l

    रीति तो चलो अब बोल वो भी एकांश की तरफ जाने लगी l

    और इधर एकांश उन लड़कियों की भिड़ से निकलने की कोशिश कर रहा था और सबको हटाने को बोल रहा था पर सब सुन ही नहीं रही थी l

    एकांश ''तुम सब हटो ये क्या तरीका है किसी को ऐसे घेर कर खड़े होने का'' वो खुद को शांत रखते हुए शांति से बोल रहा था पर सब उसकी बात को इग्नोर कर रही थी, जिसे उसका गुस्सा अब उसके कंट्रोल से बाहर हो गया और वो चिल्ला पड़ा

    ''मैंने बोला हटो और रास्ता छोड़ो मेरा एक बार में बात समझ नहीं आ रही है'' एकांश के ऐसे गुस्से से चिल्लाने पर सब उससे दूर हट गए और उसके लिए रास्ता छोड़ दिया l

    एकांश को गुस्से में देख वो सब डर गई थी वैसे भी पूरे कॉलेज में एकांश अपने गुस्से, rude behaviour और गंभीरता को लेकर भी काफी ज्यादा मशहूर था इसलिए तो कोई भी लड़की उससे बात करने से पहले सोचती जरूर थी उसकी गंभीर शख्सियत से लोगो को डर लगता था l

    और एकांश को फिर से अपनी वही गंभीर शख्सियत में देख कर सब पीछे हट गई थी l

    एकांश ने ये देख एक गहरी सास ली और खुद के गुस्से को कंट्रोल करते हुए वो वहा से जाने लगा अभी उसने एक ही कदम बढ़ाया था, कि एक लड़की भाग कर आ एकांश के गले लग गई l

    और एकांश के कदम अपनी जहां पर रुक गए l

    उसने अपनी नज़र झुका कर देखा तो एक लड़की कस कर गले लगी थी l

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  • 17. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 17

    Words: 1564

    Estimated Reading Time: 10 min

    continue ✍️

    एकांश के कदम अपनी जहां पर रुक गए l

    उसने अपनी नज़र झुका कर देखा तो एक लड़की कस कर उसके गले लगी थी l

    ये देख उसका अब तक कंट्रोल किया हुआ गुस्सा उसके कंट्रोल से बाहर हो गया और उसने उस लड़की को खुद से एक झटके से दूर किया l

    जिसकी वजह से वो एकांश से तीन चार कदम दूर हो गई एकांश को गुस्सा तो बहुत आ रहा था, उसके ऐसे गले लगाने पर उसका तो दिल कर रहा था कि उसको ढकेल कर नीचे गिरा दे पर उसने ऐसा नहीं किया l

    एकांश ने गुस्से से कहा ''ये क्या बदतमीजी है रिया,तुमसे कितनी बार कहा है मुझे दुर रहा करो तुमको एक बार में बात समझ नहीं आती है l

    तब तक वहा पर श्रेया ,हर्ष ,रूद्र और उसने पीछे-पीछे युक्ति, ईशा और रीति भी आ गई उन लोगों ने एकांश को गुस्से से भड़कते देखा तो अपनी-अपनी जगह पर ही रुक गई उन तीनो ने एकांश को इतने गुस्से में देखा तो उनकी हिम्मत ही नहीं हुई आगे जाने की

    रुद्र और हर्ष एकांश के पास जा बोले 'हर्ष ''एकांश रिलैक्स इतना गुस्सा मत कर

    रुद्र "हां आस-पास देख सब तुझे ही देख रहे है फालतू का बात का बतंगड़ बनेगा इसलिए अभी अपने गुस्से को कंट्रोल में रख l

    एकांश जो अभी भी रिया को गुस्से से घूर रहा था रुद्र और हर्ष की बात सुन उसने लंबी लंबी सांस ली और खुद को रिलैक्स करने लगा l

    और इधर रिया एकांश के गुस्से को इग्नोर कर फिर से उसके पास जा बोली ''एकांश तुम मुझे पर ऐसे गुस्सा क्यों कर रहे हो, आख़िर मैं भी तो तुम्हारी दोस्त हूँ न तो तुम मेरे साथ ऐसे कैसे बिहेव कर सकते वो भी सबके सामने l

    श्रेया रिया की बात सुन उसके पास जा बोली ''बिहेव की बात तो तुम ना ही करो तो अच्छा है रिया, हम सबको पता है तुम्हारी हरकतों के बारे में,एकांश तुम्हें कुछ बोलता नहीं है इसका मतलब ये नहीं है कि उसको पता नहीं है कि तुम कॉलेज में अपने और उसके बारे में क्या अफ़वाहें उड़ा रही हो l

    रिया को श्रेया का इस तरह बीच में बोलना अच्छा नहीं लगा था वैसे भी उसको श्रेया कुछ खास पसंद भी नहीं थी,उसको श्रेया को एकांश के साथ देख चिड़ और जलन होती थी l

    रिया एक नकचढ़ी और घमंडी लड़की थी जो अपने पिता के पैसो पर लोगो पर रोब झारती थी l और उसके पिता इस कॉलेज के एक बहुत बड़े इन्वेस्टर थे,जो काफी बड़ी मात्रा में वह कॉलेज को निवेश दीया करते थे, जिसकी वजह से रिया और भी ज्यादा लोगो पर हुकुम चलाये करती थी ,उसको ऐसा लगता था कि यह कॉलेज उसका खुद का है l और अपने से कम स्टैंडर्ड वाले लोगों को परेशान करना उसका पसंदीदा काम था वो उनको निचा दिखाने में एक भी मौका नहीं छोड़ती थी l

    और कोई उसके खिलाफ कुछ बोल भी नहीं पता था कि कहीं उसके खिलाफ शिकायत करने पर उनको ही कॉलेज से ना निकल दिया जाए l

    आज तक श्रेया से कोई भी बदतमीजी नहीं कर पाई थी , सिर्फ इस वजह से कि वो एकांश की दोस्त थी, और वो एकांश को नाराज़ करने का कोई जोखिम नहीं उठा सकती थी l

    पर आज उसका इस तरह बीच में आना रिया को बर्दाश्त नहीं हुआ था l

    रिया ने श्रेया को अपनी एक उंगली दिखाते हुए बोली ''श्रेया बिच में मत पड़ो तुम अपनी औकात में रहो,मैं तुमसे नहीं एकांश से बात कर रही हूँ , तो तुम अपनी औकात और हद याद रखो, तुम्हारा इस तरह हमारे बीच में बोलने का कोई हक नहीं है l

    रिया की बात सुन श्रेया गुस्से से रिया को घुर रही थी l

    रिया का श्रेया को इस तरह बोलना सभी को गुस्सा दिला दिया था ईशा रिया की बात सुन गुस्से से भड़क उठी थी वो अभी श्रेया को कोई जवाब देती कि उन सब से कानों में गुस्से से भरी आवाज सुनाई पड़ी l

    ''अपनी हद में तुम्हें रहने की जरूरत है रिया,और हक की बात है तो श्रेया के पास वो हक है की बिच बोले सिर्फ श्रेया ही नहीं मेरे सभी दोस्त के पास हैं l

    ये सुन रिया भी तपाक से बोली ''तो मैं भी तुम्हारी दोस्त हूं तो क्या मे.. वो अभी बोल ही रही थी कि एकांश ने उसकी बात पूरी होने से पहले ही बोल दिया ''मैंने तुमसे कब कहा कि हम दोस्त हैं,तुम बस मेरे Dad के बिजनेस पार्टनर की बेटी हूं इससे ज्यादा मेरे लिए तुम कोई नहीं हो, तो तुम अपनी ये उत्पातांग हरकतें बंद करो l

    और फिर उसको गुस्से से घूरते हुए अपने एक एक शब्द पर जोर देते हुए बोला और सबको ये बोलना बंद करो कि मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूं और ये आखिरी चेतावनी है कि तुम मुझे और मेरे दोस्तों से दूर रहो नहीं तो मैं ऐसा कुछ कर जाऊंगा कि तुम जिंदगी भर अफ़सोस करती रह जाओगी कि तुमने मेरी बात क्यों नहीं मानी और ये बातें सिर्फ बोलने के लिए नहीं हैं मैं ये कर भी सकता हूं l

    l hope you understood everything I said well

    रिया एकांश की गुस्से भरी बात और उसकी चेतावनी सुनकर डर गई थी, आखिर उसने पहली बार एकांश को इतने गुस्से में जो देखा था l

    एकांश इतना बोल वहां से चला जाता है एकांश को जाता देख हर्ष रुद्र और श्रेया भी एक गुस्से भरी नज़र रिया पर डाल एकांश के पीछे जाने लगते है, श्रेया जा ही रही थी कि उसको ईशा युक्ति और रीति भी दिख जाते हैं और वो उनको भी अपने साथ आने का बोल चली जाती है l

    थोड़ी देर बाद,

    सभी कॉलेज के गार्डन में एक बड़े से टेबल के चारो तरफ लगी कुर्सी पर बैठे हुए थे,l

    रिया से बहस करने के बाद सभी का मूड खराब था, सब चुप चाप बैठे हुए लोगो को एन्जॉय करता हुआ देख रहे थे तो वही एकांश अपने फोन में कुछ कर रहा था l

    हर्ष वहा का मूड लाइट करते हुए बोला 'अब क्या तुम सब ऐसे ही बैठे रहने वाले हो ' फिर युक्ति, ईशा और रीति को देख बोला ये तुम लोग की भी फ्रेशर पार्टी है तो ऐसे मुँह लटका कर मत बैठो चलो हम लोग भी एन्जॉय करते हैं l

    फिर ईशा को देख बोला ''वैसे मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा कि ये चुहिया मिस फ्रेशर बनी है,l

    हर्ष की बात सुन ईशा अपनी आंखें छोटी कर बोली ''क्या मतलब है बत्तख तुम्हारा''

    हर्ष ''यही की इस बार की मिस फ्रेशर एक चुहिया हैं''l

    ईशा उसके चुहिया बोलने पर चिड़ते हुए उसको मारने के लिए आगे बढ़ती हैं कि श्रेया और युक्ति उसको रोक लेती हैं l

    श्रेया ''हर्ष तुम क्यों उसको परेशान कर रहे हो''

    हर्ष ''मैं कहां परेशान कर रहा हूं l उसने अपने कंधे उचकाते हुए कहा

    फिर वो युक्ति की तरफ अपना एक हाथ बढ़ाते हुए बोला ''जूनियर मेरे साथ डांस करोगी l

    हर्ष के अचानक ऐसे पूछने पर युक्ति अपनी आँखें बड़ी बड़ी कर हर्ष को देखने लगी, तो वही एकांश ने भी जब हर्ष को ये बोलते सुना तो उसने भी अपनी नज़र फ़ोन से हटा कर उसकी तरफ किया l

    इधर युक्ति हर्ष को कुछ जवाब देती उसे पहले ईशा ने ही अपना एक हाथ हर्ष के हाथ में दे दिया और बोली ''क्यू नहीं सीनियर''बोल उसको खींचते हुए अपने साथ ले जाने लगी l

    और हर्ष ईशा से बोला ''ओये चुहिया मैने तुझसे नहीं पूछा था पर ईशा ने उसे बातों को इग्नोर किया और उसको डांस फ्लोर की तरफ ले गई l

    ईशा के ऐसे करने पर वहां पर बैठे सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई पर एकांश को छोड़ कर जो फिर से अपने फोन में लग चुका था l

    श्रेया ने ईशा और हर्ष को डांस के लिए जाते देखा तो वो भी युक्ति और रीति को लेती हुई डांस फ्लोर की तरफ जाने लगी l

    तभी रीति एकांश और रुद्र को देख बोली ''क्या ये लोग साथ नहीं जायेंगे रीति के पूछने पर युक्ति भी श्रेया के जवाब का इंतज़ार करने लगी l

    श्रेया ''इन दोनो से पूछना बेकार है ये साथ नहीं आने वाले, ये सुन जहां रीति ने हां में सिर हिला दिया तो वही युक्ति थोडा मायुस हो गई थी l

    श्रेया उन दोनो को लेकर हर्ष और ईशा के पास आ गई थी तो वही इधर हर्ष और ईशा एक दूसरे के साथ डांस कम झगड़ा ज्यादा रहते हैं जिसे देख वो तीनो को हंसी आ जाती है l

    तो वही रुद्र अपने दोस्त को एन्जॉय करता देख मुस्कुरा रहा था तो वही एकांश अभी भी अपने फोन पर ही लगा पड़ा था l

    hello friends 👋 😊

    मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी अगर कहानी पसंद आ रही हो तो कहानी को रेटिंग देना ना भूले l

    कृपया मुझे अपनी रेटिंग देकर जरूर बताएं कि आपको कहानी कैसी लगी, आप कमेंट सेक्शन में कमेंट भी कर सकते हैं, मैं आप सबके कमेंट का इंतजार करूंगी, l

    और प्लीज मेरी प्रोफाइल को फॉलो करना ना भूले इसे आपको कहानी के नए अपडेट मिलते रहेंगे l

    और अगर आप मुझसे इंस्टाग्राम पर जुड़ना चाहते हैं तो आप इंस्टाग्राम की प्रोफाइल को भी फॉलो कर सकते हैं l

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    मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद मिलते हैं अगले भाग में तब तक के लिए बाय और अपना ध्यान रखें l👋🤗

  • 18. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 18

    Words: 1599

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे ✍️

    वक़्त रेत सा होता है कब हाथ से फ़िसल जाए पता ही नहीं चलता और ऐसा ही हुआ फ्रेशर पार्टी के बाद सब फिर से अपने अपने पढाई में जुट गए और ऐसे ये 4 महीने बीत गए पता ही नहीं चल l

    पर 4 महीने में युक्ति और रीति की बॉन्डिंग श्रेया से काफी अच्छी हो गई थी l, जिस वजह से उनका मिलना जुलना भी लगा रहता था ,जिस वजह से युक्ति और करीब से एकांश को जाने लगी थी उसकी पसंद ना पसंद उसका व्यवहार उसका मूड वो सब नोटिस करती थी l

    युक्ति को लगता था कि उसका एकांश पर क्रश है उसकी तरफ आकर्षित होती है पर उसकी गलतफहमी जल्दी ही खत्म हो गई एकांश के एक एक्शन ने और वाक्य ने उसके अब तक के छुपे हुये भावना को उसके सामने लाकर रख दिया था l

    उस दिन उसको पता चला था की एकांश उसका आकर्षण नहीं उसका क्रश ही नहीं बल्कि उसका प्यार है ऐसा प्यार जो दिन पर दिन उसके लिए बढ़ता ही जाएगा जिसका अंदाज़ा अभी भी युक्ति को नहीं था , पर हां वह इतना तो समझ गई थी कि वह एकांश से प्यार करने लगी है l

    इसी तरह एक दिन कॉलेज में,

    युक्ति, ईशा और रीति अपनी सभी क्लास अटेंड करने के बाद लंच ब्रेक में कॉलेज के कैफेटेरिया में बैठी थी l

    तभी वहा पर श्रेया, हर्ष, रुद्र और एकांश भी आ गए श्रेया और हर्ष ने जब उन तीनों को देखा तो वो दोनों उनकी तरफ आकर बैठ गए अपने दोस्त को उनकी तरफ जाता देख रुद्र और एकांश भी उनके पास जा बैठ गए l

    हर्ष युक्ति के बगल वाली सीट पर बैठा हुआ था हर्ष युक्ति को देख बोला ''क्या बात है जूनियर तुम दिन-प्रतिदिन और सुंदर होती जा रही हो, तुम्हारे चेहरे की चमक और बढ़ती जा रही है, ऐसा भी क्या चेहरे पर लगा रही हो मुझे भी बताओ'' या फिर ये किसी के प्यार में पडने वाली चमकने है l

    हर्ष की बात सुन युक्ति हैरानी से अपनी आंखें बड़ी-बड़ी करते हुए हर्ष को देखने लगती है,उसके चेहरे का तो रंग ही उड़ गया एक पल को , हर्ष की बात सुन वहा बैठे सभी का ध्यान युक्ति पर ही चला जाता है, और सभी युक्ति को ही देख रहे थे l

    हर्ष ने जब युक्ति का ऐसा रिएक्शन देखा तो हँस पड़ा और बोला ''अरे यार मजाक कर रहा था,तुम ऐसा रिएक्शन क्यों दे रही हो जरा देखो खुद के चेहरे को ऐसा लग रहा है तुम्हारे चेहरे पर 12 बज गए हो l बोल वो फिर से हँस दीया l

    इधर युक्ति हर्ष को हँसते देख खुद भी मुस्कुरा दी l

    श्रेया हर्ष को हँसता देख बोली अपना टूथपेस्ट का ऐड करना बंद करो l

    हर्ष तुम्हें क्या प्रॉब्लम हो रही है मेरे हँसने से श्रेया के बोलने से पहले ईशा बोल पडी आपकी हँसी हमारे कान के परदे फाड़ रही है l

    ईशा की बात सुन जहा हर्ष का मुँह बन गया तो वही श्रेया , रुद्र और रीति की हँसी फूट पड़ी वो लोग एक दूसरे को चिढ़ाने में लगे हुए थे l

    तो वही एकांश अपना हाथ बंदे उन लोगो को देख रहा था और वही युक्ति अपनी नज़र चुरा के एकांश को देख रही थी और जब एकांश उसकी तरफ देखता है तो वो अपनी नजर इधर उधर करने लगती है l

    कुछ समय के बाद सभी फिर से अपनी क्लास की तरफ जाने लगते हैं, युक्ति जिसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी वो मुस्कुराते हुए चल रही थी कि तभी उसको ईशा की आवाज सुनाई पड़ी ''आख़िर तू कब बताने वाली है एकांश को कि तू उससे प्यार करती है, ईशा की ये बात सुन युक्ति चौंक गई और ईशा और रीति को देखने लगी l

    ईशा और रीति ने जब युक्ति को हैरान होकर खुद को देखते देखा तो बोली ,''रीति'' तुम्हें हैरान होने कि जरुरत नहीं है हमें पता है कि तुम एकांश से प्यार करने लगी हो l

    ईशा ''तुम्हें क्या लगा तुम हमें बताओगी नहीं तो हमें पता नहीं चलेगा कि तुम्हारे दिल में एकांश के लिए क्या है l

    युक्ति ये सुनकर अपना सर झुकाली और बोली 'ऐसा नहीं है कि मैं तुम दोनों को बताना नहीं चाहती थी, अभी तक तो मैं खुद अपनी फीलिंगस को नहीं समझ पाई थी इसलिए मैंने तुम दोनों को कुछ नहीं बताया ' मुझे कुछ दिन पहले ही अपनी फीलिंगस क्लियर हुई हैं कि मैं एकांश से प्यार करने लगी हूँ, मुझे नहीं पता ये कब और कैसे हुआ पर हो गया l

    ईशा युक्ति को साइड से गले लगाते हुए बोली ''मुझे तो पहले से ही पता था कि तू एकांश को पसंद करती है, पर तू प्यार भी करती है ये मुझे तेरी नज़रो ने बता दिया था, तू जिस तरह एकांश को देखती है, कोई भी बात देगा कि तू उसे कितना प्यार करती है l

    रीति ''हम्म और हम तो तुम्हारे दोस्त हैं हमें कैसे पता नहीं चलता l

    युक्ति ''दोनो को देख बोली तुम दोनो को कोई प्रॉब्लम नहीं है''l

    ईशा और रीति ने कन्फ्यूज हो कर एक दूसरे को देखा और फिर युक्ति को देख बोली ''हमें क्या प्रॉब्लम होगी'' l

    युक्ति थोडा झिझकते हुए बोली ''तुम दोनो का भी तो उन पर क्रश है, तुम दोनों भी तो उनको पसंद करती हो, बोल उनको ही देख रही थी उसका दिल तेजी से धड़क रहा था उसको ये डर लग रहा था कि कहीं एकांश से प्यार करने की वजह से उसकी दोस्ती ना टूट जाए l वो अपने दोस्तों को नहीं खाना चाहती थी इसलीये वो थोड़ी घबराई हुई थी l

    ईशा और रीति ने ये सुनकर गुस्से से युक्ति को घूरा

    रीति 'तू पागल है क्या''

    ईशा 'ये तू क्या बोल रही है l

    युक्ति ने दोनों को गुस्से में देखा तो बोली मैं नहीं चाहती कि एकांश से प्यार करने की वजह से तुम दोनों से मेरी दोस्ती टूट जाए, तुम दोनों मेरे लिए बहुत important हो और

    ईशा ''युक्ति को बिच में ही चुप करते हुए बोली ''युक्ति तुम ऐसा मत सोचो कि अगर तुम एकांश से प्यार करती हो तो हम तुमसे दोस्ती तोड़ लेंगे l

    रीति '' मुझे पता है तुम ऐसा क्यों कह रही हो तुम्हें लगता है हम भी एकांश को पसंद करते हैं पर युक्ति मैं एक बार तुम्हें क्लियर कर दूं क्रश ,लाइक या प्यार तीनो अलग-अलग हैं, और सच बोलू को हमें एकांश पसंद है पर उस तरह नहीं जिसकी तरह तुम्हें वह पसंद है l

    ईशा "हाँ'' इसलिए अपने दिमाग से फालतू से सोचा निकालो जाकर एकांश को बोलो कि तुम मुझसे प्यार करती हो समझी पागल लड़की l

    रीति युक्ति का एक हाथ अपने हाथ में पकड़े बोली और हम दोनों तुमको पूरी तरह से सपोर्ट करेंगे l और सच में हम दोनो बहुत खुश हैं अब तुम ये बात बस एकांश को जल्दी से बता दो l

    ईशा हाँ युक्ति इसे पहले देर हो जाये तुम्हें अपनी फीलिंगस एकांश को बाता देना चाहिए l

    अपने दोस्तो की बात सुन युक्ति बोली क्या वो भी मुझे पसंद करते होंगे मैं अपनी फीलिंगस को लेकर तो क्लियर हूं लेकिन मुझे नहीं पता कि एकांश के दिल में मेरे लिए क्या है उसने थोड़ा उदास होकर कहा l

    ईशा ''युक्ति जहां तक मैंने देखा है मुझे लगता है एकांश के दिल में भी तुम्हारे लिए फीलिंगस हैं तभी तो उस दिन उन्होंने कैसे कहा था कि तुम सिर्फ उनकी हो मैंने साफ साफ सुना था, और तुमने भी तो सुना था ना फिर तुम ये क्यों सोच रही हो कि एकांश के दिल में तुम्हारे लिए फीलिंगस हैं कि नहीं l

    रीति ''इसलिए अब इतना मत सोचो फिर उसके शोल्डर से अपना शोल्डर मारते हुई थोडा छेड़ते हुये बोली ''चलो बातो कब कर रही हो एकांश को प्रपोज l

    युक्ति रीति के ऐसे छेड़ने से शर्मा गई थी,उसका चेहरा धीरे-धीरे लाल होने लगा था युक्ति का चेहरा लाल देख दोनो की आंखें बड़ी बड़ी हो गई, ''ईशा बोली ''तुम तो इतने से बात पर शर्मा रही हो जब एकांश तुम्हारा बॉयफ्रेंड बन जाएगा तब तुम शर्म से लाल परी ही बन जाओगी l

    बोल हंस दी उसकी बात सुन रीति भी हँस पड़ी l

    युक्ति दोनो को खुद पर हँसता देख अपना मुँह बना ली, और वैसे ही बोली हँस लो हँस लो मेरा भी वक्त आएगा तब में भी तुम दोनों को ऐसे ही तंग करूंगी l

    ईशा और रीति ने जब युक्ति को मुँह बनते देखा तो बोली ''ठीक है अब नहीं हस रहे है पर तुमने क्या सोचा है l

    युक्ति ''किस बारे में''

    ईशा ने अपना सिर पिटते बोली ''लो अभी तक मैडम को समझ में नहीं ,अरे पागल प्रपोज़ल के बारे में हैं l

    रीति "हाँ"

    युक्ति ''अभी तक तो नहीं सोचा है कुछ''

    ईशा ''तो सोचो''

    रीति ''इसमें इतना सोचने की क्या बात है, युक्ति तू आज ही एकांश को अपने दिल की बात बता दे l

    रीति की बात सुन युक्ति चौंक कर बोली ''क्या'' l

    note : अब इस कहानी में लीप आयेगा जो आपको अगले चैप्टर में देखने को मिल जाएगा, अभी तक स्टोरी सॉफ्ट सॉफ्ट चल रही थी पर अब कहानी में ट्विस्ट, थोड़ा सस्पेंस ,रोमांस अब आपको देखने को मिलेगा इसलीये कहानी के साथ बने रहिए l

    कृपया मुझे अपनी रेटिंग देकर जरूर बताएं कि आपको कहानी कैसी लगी, आप कमेंट सेक्शन में कमेंट भी कर सकते हैं, मैं आप सबके कमेंट का इंतजार करूंगी, l

    और प्लीज मेरी प्रोफाइल को फॉलो करना ना भूले इसे आपको कहानी के नए अपडेट मिलते रहेंगे l

    मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद मिलते हैं अगले भाग में तब तक के लिए बाय और अपना ध्यान रखें l👋🤗

  • 19. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 19(5 साल बाद )

    Words: 1436

    Estimated Reading Time: 9 min

    5 साल बाद,

    मुंबई शहर,

    रात का वक़्त एक लड़की अपने कमरे की बालकनी में चाँद को देख रही थी उसके हाथ में एक डायरी थी जिसे वो अपने सीने से लगाये खड़ी थी l

    वो चाँद को देखते हुए खोए हुए ही बोली

    ''खिड़की पर बैठे तेरा इंतज़ार करते हैं,

    दिल ही दिल में तुम्हे याद करते है,

    वो भी वक़्त क्या हसीन हुआ करता था,

    तु सामने होता था और हम तेरा दीदार किया करते थे l

    वो एक तक चाँद को देख रही थी जैसे उस चाँद में किसी के अक्श को ढूंढ रही हो तभी उसको अपने पीछे से एक आवाज सुनाई पड़ी ''युक्ति तू सोई नहीं अभी तक, कहीं तू फिर से उसको याद तो नहीं कर रही हैं'' l

    युक्ति ने आवाज सुनकर अपने पीछे देखा तो उसकी दोस्त काव्या खड़ी थी युक्ति काव्या को देख बोली ''काव्या तू यहा तू सोई नहीं अभी तक''

    काव्या युक्ति के पास आते हुए बोली ''मैंने भी यही सवाल तुझसे किया था'' l

    युक्ति काव्या की बात सुन हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली ''नींद नहीं आ रहा था तो सोचा, उसकी बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि काव्या बीच में बोल पड़ी ''तूने सोचा ताजी हवा ही ले ली जाये, क्यों सही कहा न मैंने'' l

    युक्ति काव्या की बात पर अपनी नज़र इधर उधर घुमाने लगी उसको ऐसा करता देख काव्या चिढ़ गई और वो वैसे ही चिढ़ते हुई बोली ''यार युक्ति मुझसे झूठ मत बोल, तुझे क्या लगता है मैं तुझसे कुछ साल दूर क्या रह लिया अब तू मुझसे कुछ भी छुपा लेगी,मैं तेरे साथ बचपन से हूं और तुझे अच्छे से समझती हूं कि कब तू उदास है कब तू खुश है कब तू परेशान है कब तू सच बोल रही है और कब तू मुझसे झूठ'' बोल उसको घुरने लगी l

    काव्या की बात पर युक्ति ने उसको देखा और झट से उसके गले लग गई उसकी आँखें नम हो चुकी थी वो खुद के इमोशन को काफी देर से कंट्रोल किये हुए थी पर काव्या के ऐसे बोलने पर वो खुद को रोक ना सकी और वो उसके गले लगे हुई ही बोली

    ''काव्या आखिर क्यू क्यू मैने पहले ही उनको अपने दिल की बात नहीं बता पायी, क्यू मैने इतना वक़्त लिया आख़िर क्यों मैं अपने जस्बात को पहले नहीं समझ पाई आखिर क्यू'' बोल वो रोने लगी थी उसके आखों से आशु बहने लगे l

    काव्या ने युक्ति के पीठ को सहलाते हुए कहा ''युक्ति चुप हो जा''इसमें तेरी कोई गलती नहीं है कभी-कभी कुछ जज्बातो को समझने में वक्त लग जाता है,जो तुझे भी लगा पर हर बार एक ही चीज़ के लिए तू खुद को दोष नहीं दे सकती हैं'' बोल वो उसको शांत कराने लगी थी l

    युक्ति कुछ देर वैसे ही काव्या के गले लगी रही फिर जब वो शांत हुई तो काव्या ने युक्ति को बिस्तर पर बैठाया और उसको साइड टेबल से पानी का गिलास देते हुए बोली ''पहले पानी पियो तुम''

    युक्ति ने थोड़ा सा पानी पिया और उसको साइड टेबल पर रख बोली ''मैं ठीक हूं अब तुम जाओ और आराम करो''l

    काव्या ''तू सच में ठीक है न अगर नहीं तो आज मैं तेरे साथ तेरे पास ही सो जाती हूं''l

    युक्ति ''मैं ठीक हूं पर अगर तू मेरे साथ सोना चाहती है तो सो जा''उसने काफी मासूमियत से कहा था l

    उसके ऐसे बोलने पर काव्या के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई थी l

    काव्या ने कमरे की लाइट बंद की और बिस्तर पर आकर युक्ति के बगल में लेट गई कमरे की बालकनी से चाँद की रोशनी कमरे में आ रही थी इसलीये कमरे में पूरी तरह अँधेरा नहीं था l

    युक्ति लेटे हुई ही एक तक सिलिंग को देखे ही जा रही थी कि उसके कान में काव्या की आवाज पड़ी ''तू आज भी उसको उतना ही प्यार करती है न'' l

    युक्ति उसी तरह सिलिंग को देखते हुए बोली ''उसे भी कई ज्यादा, मुझे लगा उनके दुर जाने के बाद मेरा प्यार उनके लिए कम हो जाएगा, पर मैं गलत थी ये दिन पर दिन और बढ़ता गया, ये एहसास कम होने के जगह और बढ़ता जा रहा है, मैं कितना भी कोशिश कर लूं पर ये मेरे कंट्रोल में नहीं है काव्या'' बोल वो चुप हो गई l

    काव्या ने युक्ति की तरफ देखा और आगे बोली ''क्या तुझे लगता है तू उससे फिर मिल पायेगी,वो तो तुझसे बहुत दूर हैं उसको तो पता भी नहीं कि तु उसका इंतजार कर रही हैं, क्या तेरा उस व्यक्ति के लिए इंतजार करना सही है, जिसे तेरे प्यार का एहसास तक नहीं, जिसे तेरे होने तक का एहसास नहीं है'' l

    युक्ति चुप चाप काव्या की बात सुन रही थी उसने उसकी बात सुनकर भी एक शब्द नहीं कहा

    काव्या ने युक्ति को कुछ नहीं बोलता देखा तो वो आगे बोली ''युक्ति तू मुझे गलत मत समझ, मैं तेरे प्यार के ख़िलाफ़ नहीं हूँ पर तेरा प्यार तुझे सिर्फ दर्द दे रहा है इंतजार दे रहा है जिसे फिर मिलने की कोई उम्मीद तक नहीं है, तू वो अभी बोल ही रही थी कि युक्ति बीच में ही बोल पड़ी

    किसने कहा कि मेरा प्यार मुझे सिर्फ दर्द दे रहा है इंतज़ार दे रहा है तुझे नहीं पता काव्या अगर मेरे प्यार में दर्द है तो ख़ुशी भी है इंतज़ार है तो आस भी कि आज नहीं तो कल हम मिलेंगे और मेरा दिल कहता है मैं एकांश से फिर जरूर मिलूंगी'' ये बोलते वक्त उसके चेहरे पर एक उम्मीद थी खुशी थी एक चमक था अपने प्यार से फिर से मिलने की

    काव्या युक्ति की बात पर आगे कुछ नहीं बोली क्यू की वो महसुस कर सकती थी की युक्ति ने ये बात बहुत उम्मीद के साथ कहीं थी वो खुद से अपने मन में ही बोली ''उम्मीद करती हूं कि तुझे तेरा प्यार जल्द मिल जाए'' तेरा इंतज़ार जल्दी ख़त्म हो तूने काफी लंबा इंतजार कर लिया है युक्ति'' और प्लीज भगवान जी कुछ भी ऐसा मत करना जिसे मेरे दोस्त का दिल टूट जाए प्लीज''l

    अगले दिन सुबह का वक्त,

    युक्ति अपने कमरे में जल्दी जल्दी तैयार हो रही थी कि बाहर से एक आवाज़ आई ''युक्ति'' ''और कितना वक्त लगेगा तुझे जल्दी आ देर हो जाएगा'' क्या तू अभी तक तैयार नहीं हुई?

    ये काव्या की आवाज़ थी जो युक्ति को बुला रही थी l

    युक्ति ''बस हो गया काव्या आ रही हूँ'' बोल उसने खुद को आईने में देखा उसने ऑफिसियल फॉर्मल ड्रेस काला कलर की शर्ट क्रीम कलर का ट्रॉउज़र पहन रखा था बालों का उसने एक हाई पोनीटेल बना रखा था पैरो में काले रंग की हील थी वो उस लुक में काफी खुबसूरत और प्यारी लग रही थी l

    खुद को एक बार शीशे में देखा और अपना हैंडबैग लिए अपने कमरे से निकल कर हॉल में आ गई l

    ये एक 2BHK का फ्लैट था जिसमें दो कमरे एक बड़ा सा हॉल और हॉल से ही अटैच ओपन किचन था इस फ्लैट में युक्ति और काव्य साथ में रहती थी दोनो ने ये फ्लैट किराया पर लिया हुआ था l

    युक्ति ने हॉल में आकर देखा तो काव्या डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लगा रही थी युक्ति काव्या के पास आकर बोली तू इतना जल्दी उठ कैसे जाती है मेरी तो आँखें ही नहीं खुलती बोल कर उसने अपना मुँह बना लिया l

    काव्या ''मेरी आदत है और तू भी सिख ले''

    युक्ति ने ये सुन कर मुँह बनाते हुए ही कहा ''मैं सब कुछ सीख लूंगी पर यह नहीं''

    काव्या ने युक्ति को ऐसे मुंह बनाकर बोलते देखा तो वो हंस दी और वैसी ही बोली ''तुझे अपनी नींद बहुत प्यारी है ना''

    युक्ति ''बिलकुल''

    काव्या अच्छा चल बैठ और नाश्ता कर नहीं तो तुझे लेट हो जाएगा l

    युक्ति कुर्सी पर बैठते हुए बोली क्या तुझे आज ऑफिस नहीं जाना है l

    काव्या ''जाना है पर आज मैं थोड़ा देर से जाने वाली हूं l बोल वो भी अपना नाश्ता करने लगी l

    थोड़ी ही देर में युक्ति अपने घर से अपने ऑफिस के लिये निकल गई l

    hello friends 👋 😀

    सबसे पहले तो मैं माफ़ी मांगना चाहूंगी इतने दिन तक चैप्टर ना देने के लिये मैं कहानी को लेकर थोड़ा कन्फ्यूज हूं इसलिए मैं इतने दिन तक चैप्टर नहीं दे पाई पर मैं कोशिश करूंगी अपनी उलझन दूर करने की ताकि मेरी वजह से आप लोगों को समस्या न हो और मेरी कहानी पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद और इतने दिन वटे करने के लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद

    और आप सबसे रिक्वेस्ट है प्लीज मेरी प्रोफाइल को फॉलो कर लीजिये प्लीज 🙏🙏

    आज के लिए बस इतना ही मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए बाय और अपना ख्याल रखें 👋 🤗 ❤️

    .

  • 20. Tujhse huye jo rubaru - Chapter 20

    Words: 1581

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे ,

    30 मिनट बाद एक कैब एक बड़े से बिल्डिंग के बाहर आ कर रुकी कैब के बैक सीट का दरवाजा खुला और उसमें से युक्ति बाहर निकली l

    युक्ति ने कैब ड्राइवर को पैसे दिए और बिल्डिंग के अंदर जाने लगी अंदर आते ही रिसेप्शन पे बैठी लड़की ने युक्ति को देख कहा ''मैम आप कहाँ रह गयी थी सर कब से आपका इंतजार कर रहे थे'' l

    युक्ति ''क्या सर आ गए हैं'' फिर अपनी हाथ घड़ी में टाइम देख बोली ''पर मैं तो लेट नहीं हूं'' l

    रिसेप्शनिस्ट बोली ''हा आप लेट नहीं हैं लेकिन सर आज 1 घंटे पहले आ गए हैं'' और आते ही आप के बारे में पूछ रहे थे, आपको तो पता ही है सर कंपनी के नये सीईओ को अनाउंस करने वाले हैं और वो उसकी तैयारी को लेकर काफी ज्यादा एक्साइटेड और खुश हैं, इसलिए वो आज जल्दी आ गए हैं क्यों की कल की पार्टी के लिए वो अपनी तरफ से कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहते है'' l

    युक्ति ''हम्म्म'' समझ सकती हूँ, सर की फीलिंग्स को वो काफी टाइम से चाहते थे कि उनका बेटा इस पोजीशन के लिए हां कर दे और जब उन्होंने हां कर दिया हैं तो वह देर नहीं करना चाहते एक पल की भी'',

    फिर थोड़ा रुक वो बोली ''ठीक है मैं जा रहा हूं सर मेरा इंतजार कर रहे होंगे''l बोल वो मुस्कुराते हुए चली गई l

    रिसेप्शनिस्ट ने भी हा कहा और वापस से अपने काम पर लग गई l

    इधर युक्ति लिफ्ट से 6 फ्लोर पर आई और सीईओ के केबिन की तरफ चल दी वो एक केबिन के पास पहुंच कर दरवाजे पर दस्तक देती है ''केबिन के अंदर से एक आदमी की आवाज आई ''come in"

    युक्ति दरवाज़ा खोल अंदर आती हैं और सामने बैठे एक मध्य उम्र के व्यक्ति को देख बोली ''good morning सर''

    वो आदमी जिसकी नज़र आपने सामने रखी फ़ाइल पर थी वो अपनी नज़र उठा युक्ति की तरफ देखते हुए बोले ''good morning युक्ति तुम आ गई मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा था l

    युक्ति ''क्यों? क्या हुआ सर'' l

    वो आदमी बोले ''क्या तुमने कल के पार्टी की सभी अरेंजमेंट कर लिये हैं, तुमने होटल के मैनेजर को बताया तो दिया था ना हमारी रिक्वायरमेंट के बारे में और तुमने गेस्ट लिस्ट अच्छे से चेक की न कोई भी छूटा तो नहीं है न और हमारी कंपनी के एम्प्लोई को भी तुमने इनवाइट कर दिया है , वो एक के बाद एक सवाल युक्ति से किये ही जा रहे थे l

    युक्ति उनको इतना टेंशन लेता देख बोली ''सर relax आप पहले सास तो ले लीजिए एक साथ इतना कुछ पूछ लिया आपने, मुझे बोलने का मौका तो दीजिए'' l

    वो आदमी युक्ति की बात सुन एक लम्बी सास ली तभी युक्ति ने उनकी तरफ पानी का एक गिलास बड़ा देती हैं l

    युक्ति ''लीजिये पानी पिजिये'' l

    वो युक्ति के हाथ से पानी का गिलास ले पानी पीते हैं उनके पानी पीने के बाद युक्ति बोलना शुरू करती हैं "सर मैंने होटल के मैनेजमेंट से बात कर ली है उनहोने बोला है कि हम फिक्र ना करें वो हमें बेस्ट अरेंजमेंट करके देंगे", "और मैंने गेस्ट लिस्ट भी अच्छी तरह से चेक कर ली है और सबको invitation भी भेज दिया है और कंपनी के सभी एम्प्लोई को भी मैंने इनवाइट कर दिया है, food and drink का भी मेनू मैंने मैम से पूछ कर होटल मैनेजमेंट को बता दिया है, सब चीजें पूरी तरह से तैयार हैं लेकिन मैं एक बार personally से जाकर फिर से चेक कर लेती हूं अगर कुछ छूट गया होगा तो मैं उसको भी देख लूंगी आप फ़िक्र मत कीजिए आप जैसा चाहते हैं वैसी ही पार्टी होगी l

    बोल युक्ति चुप हो गई और उनको देखने लगी l

    वो आदमी युक्ति की बात सुन खुल कर मुस्कुरा दीये और बोले ''मैं तो झूठ मुठ का इतनी फ़िक्र कर रहा था मैं ये कैसे भूल गया कि तुम्हारे होते मुझे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं है, तुम सब कुछ अच्छे से मैनेज कर लोगी'', मुझे तुम पर बहुत गर्व है युक्ति तुम सच में एक अच्छी P.A. हो, जब से तुमने कंपनी ज्वाइन की है मुझे कभी भी निराशा नहीं किया है तुम अपना काम बहुत ही अच्छे से पूरा करती हो सच में तुम काबिलियत तारीफ हो'' l

    अपने सीईओ की बात सुन वो मुस्कुरा दी और वैसे ही मुस्कुराती हुई बोली धन्यवाद सर, पर अगर आप मुझे समय समय पर गाइड नहीं करते तो मेरे लिए ये सब करना मुश्किल हो जाता तो मेरा ये कहना गलत नहीं होगा कि मैं यहां तक आपके मार्गदर्शन की वजह से ही पाहुंची हूं इसलिए thank you so much sir''.

    वो आदमी युक्ति के ये बोलने पर बोले ''युक्ति मैंने सिर्फ तुम्हें गाइड किया है पर यहां तक तुम अपनी मेहनत से पहुंची हो तो इसलिए तुम मुझे thank you मत बोलो'' यह तुम्हारी मेहनत का फल है, तो इसे अपने पास रखो किसी दूसरे को मत दो क्योंकि तुम ये deserve करती हो'' l उन्होंने मुस्कुरा कर कहा

    युक्ति ने उनकी बात पर हा में सर हिला दिया l और बोली ''तो मैं एक बार जाकर सभी अरेंजमेंट फिर से देख लेती हूं'' l

    वो "हम्म जाओ'' l

    युक्ति फिर केबिन से निकाल कर होटल के लिए निकल गई जहां पर कल की पार्टी होने वाली थी l

    और इधर दूसरी तरफ,

    इंडिया से दूर लंदन में,

    एक बड़े से घर में जो देखने में काफ़ी मॉडल और ख़ूबसूरत था उस घर से एक कमरे में एक लड़का ट्रेडमिल पर लगतार दौड़ रहा था उसके कानों में ब्लूटूथ लगा हुआ था शायद वो किसी से बात कर रहा था l

    उसने दौड़ना बंद किया और ट्रेडमिल से नीचे उतरते हुए बोला नही अभी कोई भी कॉन्सर्ट में नहीं कर सकता तो फ़िल्हाल के लिए कोई भी कॉन्सर्ट का अरेंजमेंट मत करो l

    कॉल के दूसरे तरफ से कुछ कहा गया जिसे सुन वो बोला ''हां'' ''मैं बात दूंगा कि नए एल्बम की रिलीज डेट क्या होगी'' l

    वो कुछ देर ऐसे ही बात कर कॉल कट कर देता है l और अपने कान से ब्लूटूथ निकाल साइड के टेबल पर रख देता हैं और अपना शर्ट निकलने लगा जो उसके पसीने की वजह से गीला हो कर उसकी बॉडी से चिपका चुका था l

    कुछ ही पल में वो शर्टलेस हो चुका था और उसकी परफेक्ट बॉडी शो होने लगी थी उसकी बॉडी देख कर ही लग रहा था कि उसने ऐसे बॉडी बनाने के लिए काफी मेहनत की होगी बाइसेप्स, चौड़ा कंधे, 6 पैक ऐप्स, कुल मिला कर उसकी बॉडी और वो काफी आकर्षक लग रहे थे l

    वो अब पुशअप करने लगा था और पुशअप करते हुए उसके हाथ की नशे उभर के दिखने लगी थी वो भी पुशअप कर ही रहा था कि वहाँ पर एक लड़का आ जाता है उसके हाथ में एक टैब था वो उस लड़के के पास आ बोला ''एकांश सर,आपके Dad का कॉल आया था वो पूछ रहे हैं कि आप यहां से कब निकल रहे हैं''l

    वो लड़का कोई और नहीं एकांश ही था वो पुशअप करते हुए रुक गया और खड़ा होते हुए बोला ''उनको बोल दो हम कल सुबह तक पहुंच जाएंगे'' l

    अभी आये हुआ लड़का एकांश का मैनेजर था उसने एकांश की बात पर ओके कहा और वहां से चला गया l

    मैनेजर के जाते ही एकांश भी उस रूम से निकल कर अपने रूम की तरफ जाने लगा l

    और इधर इंडिया में,

    युक्ति होटल आ चुकी थी और वहां के सभी इंतजामों को देख रही थी और वहां काम कर रहे स्टाफ को बीच-बीच में कुछ निर्देश दे रही थी l

    वो अपना काम कर ही रही थी तभी उसका फोन रिंग करने लगा उसने अपना फोन देखा तो उस पर ईशा का नाम फ्लैश हो रहा था ईशा का कॉल देख युक्ति के होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई उसने कॉल उठा कहा ''हा बोल क्या हो गया तुझे जो तूने कॉल कर दिया, हम आज घर पर तो मिलने ही वाले हैं,फिर तूने कॉल क्यों कर दिया देख अभी मैं बहुत व्यस्त हूं तो मैं तुमसे बात नहीं कर सकती, हम घर पर बात करते हैं l

    वो कॉल पिक करते ही लगातार बोले ही जा रही थी जिस वजह से ईशा को कुछ बोलने का मौका ही नहीं मिल रहा था l

    ईशा युक्ति के लगातार बोलने पर बोली ''अरे मेरी माँ चुप हो जा पहले मेरी बात तो सुन ले, बोले ही जा रही हैं मुझे बोलने का मौका तो दे'' l

    ईशा की बात सुन युक्ति को एहसास हुआ कि वो बिना ईशा के कुछ कहे अपने ही बोले जा रही थी इसलिए उसने अब सिर्फ इतना ही कहा ''हा बोल''

    युक्ति के हा बोलने पर ईशा ने एक गहरी सास भरी और बोली ''युक्ति तेरा इंतज़ार ख़त्म हुआ, एकांश वापस आ रहा है''l

    ईशा के इतना बोलते ही युक्ति एक जगह पर जम सी गई थी उसके मुँह से तो कोई शब्द ही नहीं निकल रहा था l

    और इधर कॉल के दूसरे तरफ ईशा जो युक्ति के कुछ बोलने का इंतजार कर रही थी उसके कुछ ना बोलने पर वो थोड़ी परेशान हो गई l

    ईशा "युक्ति क्या हुआ युक्ति कुछ तो बोल

    hello friends 👋 😀

    आज का चैप्टर आप सब को कैसा लगा कमेंट करके और रेटिंग दे कर जरूर बताएं l

    और कृपया आप मेरी प्रोफाइल को फॉलो करें please 🙏 🙏 🙏 🙏

    आज के लिए इतना ही मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए बाय और ध्यान रखें 👋 🤗