Novel Cover Image

इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के

User Avatar

Vishal Varshney

Comments

6

Views

1926

Ratings

17

Read Now

Description

कहते है किस्मत की जोड़ियां ऊपर से बनके आती है तोह ऐसी जोड़ी है आदित्य बंसल और मीरा मिश्रा की। जहां मीरा एक गरीब घर की अनपढ़ लड़की है तोह वही आदित्य एक बिगड़ा स्मार्ट हैंडसम रईसजादा क्या होगा इन दोनों में प्यार या इश्क के धागे रह जायेगे कच्चे। जानने क...

Total Chapters (15)

Page 1 of 1

  • 1. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 1

    Words: 875

    Estimated Reading Time: 6 min

    सुबह-सुबह मिश्रा निवास में रोज़ की तरह ममता जी की चीखने की आवाज़ मोहल्ले वालों को सुनाई देने लगी।

    "अरे ओ मैडम साहिबा! सुबह के छह बज चुके हैं, पर तेरी सुबह की शुरुआत कब होगी? पेट में चूहे दौड़ रहे हैं और मैडम चैन की नींद सो रही हैं! अरे ओ मीरा मैडम जी! उठ जाइए! कब तक मैं चीखती रहूँगी?"

    मिश्रा निवास के स्टोर रूम में, एक पतले से दर्री पर—जो लगभग बहुत जगह से फटी हुई थी, लेकिन उसे कई बार सिला गया होगा, जिसकी वजह से वह दर्री कम फटी लग रही थी—एक मासूम चेहरे वाली लड़की सिकुड़ी अवस्था में पड़ी हुई थी। उसने एक पतला सा गला चादर ओढ़ रखा था। शायद उस लड़की को ठंड लग रही थी और वह गहरी नींद में सो रही थी। तभी किसी ने उस पर एक गिलास पानी फेंक मारा और उसकी आँखें खुल गईं।

    यही हमारी कहानी की बेबस नायिका मीरा है, जिसे ममता जी चीख-चीखकर बुला रही थीं। पानी भी ममता जी ने ही फेंक कर मीरा के मुँह पर मारा था।

    "करमजली! पूरे दिन चार काम क्या कर लेती है? अपने आप को महारानी समझती है! अब चल, सुबह की चाय और नाश्ता बना! और आगे से इतना लेट हुआ ना, तो अगली बार ऐसी सज़ा मिलेगी कि तेरी रूह काँप जाएगी! समझी? चल अब काम पर लग! फिर दुकान से सामान लाना, और उसके बाद आचार और पापड़ बनाना! फिर कस्टमर के कपड़े भी सिलना! समझी?"

    अब जानते हैं मीरा की बेबस ज़िंदगी के बारे में। जब मीरा सात साल की थी, उसके माता-पिता का सड़क हादसे में देहांत हो गया था। जिससे उसके ताऊ और ताई जी ने प्रॉपर्टी के कारण मीरा को अपने पास रखा और जैसे ही मीरा ताऊ और ताई जी के साथ रहने आई, ताऊ और ताई जी ने उसका स्कूल छुड़वा दिया और उसके बाद उसे घर की नौकरानी बना दिया। आज ताऊ और ताई जी मीरा के घर में रहते हैं और मीरा अपने ही घर में नौकरानी बनकर रह गई है।

    ताई जी की बात सुनकर मीरा किचन में चली गई।

    जैसे ही चाय बनकर तैयार हुई, मीरा चाय लेकर खाने की टेबल पर जा ही रही थी कि ममता जी की बड़ी बेटी मायरा से टकरा गई। जिससे चाय मीरा के हाथ पर गिर गई और मीरा का हाथ जल गया। लेकिन मायरा अपनी गलती मानने की बजाय मीरा को एक थप्पड़ मारते हुए बोली,

    "भगवान ने तुम्हें दो-दो सही-सलामत आँखें दी हैं, इसके बावजूद भी तुमने चाय फैला दी! अब दूध और चीनी का रुपया तेरा बाप भरेगा क्या?"

    इतना कहते ही ममता जी भी आ गईं और चाय को फैला देख समझ गईं कि मीरा ने कोई गलती की है। इसलिए उनका गुस्सा सिर तक पहुँच गया था। उन्होंने मीरा और मायरा से बिना पूछे ही मीरा के एक गाल पर थप्पड़ जड़ दिया और बोलीं,

    "सत्यानाशी! पूरे घर में किसी को भी चैन से नहीं रहने देगी! और ये चाय का नुकसान किया है, इसका भुगतान करके ही पता चलेगा! और भुगतान यह है कि आज तुम्हें खाना नहीं मिलेगा और एक घूँट पानी भी नहीं पिओगी! समझी तुम?"

    तभी ममता जी के पति गजेंद्र मिश्रा जी भी आ गए। यह सब देखकर गजेंद्र जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने मीरा के जले हुए हाथ को मरोड़ते हुए कहा,

    "ये क्या तुम मुफ्त की रोटियाँ तोड़ती हो? बाहर जाकर दिखाओ और कमाकर दिखाओ, तब तुम्हें पता चलेगा कि रुपये कैसे कमाते हैं।"

    इतना कहकर गजेंद्र जी मीरा का हाथ छोड़कर अपनी छोटी-सी चाय की दुकान पर चले गए। वैसे मिश्रा जी का घर उनकी कमाई से नहीं, बल्कि मीरा की कमाई से चलता है क्योंकि मीरा कपड़े सिलती है और उसी की बदौलत मिश्रा जी का गुज़र-बसर हो पाता है।

    जैसे ही गजेंद्र जी मीरा का हाथ छोड़ते हैं, मीरा के हाथ की जलन और भी बढ़ जाती है, लेकिन मीरा डटकर वहीं खड़ी रहती है। तभी ममता जी मीरा से बोलीं,

    "अब यहाँ खड़े रहकर और नुकसान करने का इरादा है मैडम साहिबा? चल अब इस ज़मीन पर जो चाय फैली है उसे साफ़ कर, फिर किराने का सामान लेकर आ।"

    मीरा पहले किचन में गई और ममता जी से छुपकर हाथ पर घी लगा दिया और फिर जहाँ चाय फैली हुई थी वहाँ साफ़ कर दिया।

    फिर बाज़ार में सामान लेने गई। जैसे ही मीरा किराने का सामान लेकर दुकान से निकली और रोड पर आ गई, घर जाने के लिए उसे पैदल ही चलना था। जैसे ही वह रोड पर चल रही थी, तभी एक गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। जिससे मीरा का सारा सामान गिर गया और गाड़ी थोड़ी दूरी पर जाकर रुक गई।

  • 2. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 2

    Words: 774

    Estimated Reading Time: 5 min

    मीरा बाजार से सामान लेकर दुकान से निकली और सड़क पर आ गई। उसे पैदल ही घर जाना था। जैसे ही वह सड़क पर चल रही थी, एक गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। मीरा का सारा सामान गिर गया और गाड़ी थोड़ी दूर जाकर रुकी।

    गाड़ी से आदित्य बंसल, कहानी का हैंडसम हीरो, गुस्से में निकला। आदित्य दिखने में बहुत हैंडसम था। उसने सफ़ेद टी-शर्ट और नीली जींस पहन रखी थी, जिसमें उसके बाइसेप्स और ट्राइसेप्स साफ़ दिख रहे थे। आदित्य इतना हैंडसम और आकर्षक था कि कोई भी लड़की उस पर फिदा हो जाती।

    आदित्य गुस्से में अपनी कार से उतरा और मीरा के पास आकर बोला, "ऐ लड़की! तुम्हें सड़क पर चलना नहीं आता? और इतना सामान लेकर कौन चलता है? अगर सामान नहीं उठा पाती तो क्यों उठाती हो? तुम्हें समझ नहीं आता कि तुम एक लड़की हो, इतना भारी सामान नहीं उठा सकती। ऑटो कर लेती।"

    बेचारी मीरा का सारा सामान सड़क पर बिखर गया था। वह अपने आँसू नहीं रोक पाई और रोने लगी। आदित्य को गुस्सा आ गया और वह बोला, "तुम जैसी लड़कियों की बस एक बात खराब है। थोड़ा नुकसान हुआ और रोना-धोना शुरू कर दिया। अब ये ड्रामा तुम्हारा कब तक चलेगा? चलो अब यहाँ से।"

    मीरा को डर था कि इतना नुकसान होने के बाद ताई जी से क्या कहेगी। इस डर से वह रो रही थी। रोते-रोते मीरा ने आदित्य से कहा, "मुझे मेरे दो हज़ार पाँच सौ छत्तीस रुपये दे दो, जिस सामान का तुमने नुकसान किया है।"

    आदित्य गुस्से में बोला, "कौन से रुपये? मैं तुम्हें एक रुपया नहीं दूँगा और तुम्हारे रोने का नाटक मुझ पर नहीं चलेगा, समझी तुम?"

    इतना कहते ही आदित्य जाने लगा। तभी मीरा ने उसके पैर पीछे से पकड़कर रोक लिया और रोते हुए कहा, "कृपया करके मुझे दो हज़ार पाँच सौ छत्तीस रुपये दे दीजिये। मुझे अपने घर सामान लेकर जाना है। मुझे माफ़ कर दो और मुझे मेरे सामान के रुपये दे दो।"

    मीरा के मासूम चेहरे पर आँसुओं की धारा देखकर आदित्य को तरस आ गया। आज से पहले किसी ने ऐसा नहीं किया था। आदित्य का दिल पिघल गया और उसने मीरा को पाँच हज़ार रुपये दे दिए। वह बोला, "अच्छा ठीक है। इनमें से एक रुपया मत लौटाना, समझी? अब जाओ।"

    लेकिन मीरा भोली-भाली थी। उसने दो हज़ार रुपये आदित्य को देते हुए कहा, "आप ये दो हज़ार रुपये रख लीजिये और बाकी के छुट्टे रुपये अभी लाती हूँ। और आप मुझे माफ़ कर दीजिये।"

    यह सुनकर आदित्य को गुस्सा आ गया। वह गुस्से में बोला, "अब यहाँ से जाने का क्या लोगी? बाकी बचे रुपये किसी गरीब को दे देना, समझी? अब जाओ।"

    इतना कहकर आदित्य वहाँ से चला गया और मीरा फिर से सामान लेने चली गई।

    थोड़ी देर बाद, आदित्य अपने घर, बंसल हवेली, पहुँचा। जैसे ही वह घर में घुसा, उसका सौतेला भाई, आर्यन बंसल, उसे रोकते हुए बोला, "सो सेड भाई! आपने एक लड़की को पाँच हज़ार रुपये की भीख दी और उस भीख में से उसने दो हज़ार रुपये लौटाकर आपको भीख दे दी और आपने रुपये भी ले लिए! भाई, आप उस लड़की के सामने एक भिखारी बन गए। सच में भाई, आप बहुत बड़े बेवकूफ़ हो।"

    यह सुनकर आदित्य को गुस्सा आ गया। गुस्से में आदित्य ने आर्यन के कान को पकड़ते हुए कहा, "अपनी हद में रहा करो, वरना मुझे बहुत अच्छे से आता है तुम्हें तुम्हारी हद में लाना। समझे? इसलिए मेरे सामने यह जो बड़बड़ बोलते हो, वह बोलना बंद कर दो, वरना मैं भूल जाऊँगा तुम मेरे सौतेले भाई हो, समझे?"

    आदित्य ने आर्यन का कान छोड़ दिया। तभी वहाँ आदित्य की सौतेली माँ, मेनका, आ गई और आदित्य पर चिल्लाकर बोली, "आदित्य! मैंने सब देखा और सुना। इसमें आर्यन ने गलत क्या बोला? उसने जो भी बोला, वह सच बोला। आख़िरकार तुमने अपनी यह घटिया हरकत अपनी माँ की तरह ही दिखा ही दी।"

    आदित्य गुस्से में मेनका को उंगली दिखाते हुए बोला, "आप अपनी हद में रहिये। मेरी माँ के बारे में उल्टा-सीधा बोलने का हक़ किसी को नहीं है। और एक बात कान खोल के सुन लो, अगर मेरी माँ के बारे में कुछ भी बोला तो मैं भूल जाऊँगा कि आप मेरी सौतेली माँ हैं। इसलिए आगे से मेरी माँ का नाम इज़्ज़त से लेना।"

    आर्यन गुस्से में गरम हो गया और आदित्य से बोला, "अगर ये उंगली आगे से मेरी माँ को दिखाई दी तो यह उंगली के साथ-साथ हाथ भी नहीं रहेगा, समझे?"

    यह सुनकर आदित्य ने आर्यन की कॉलर पकड़ ली। तभी कोई आकर आदित्य के हाथ से आर्यन की कॉलर छुड़ाकर आदित्य के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारता है।

    आखिर किसकी हिम्मत हुई आर्यन को थप्पड़ मारने की?

  • 3. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 3

    Words: 882

    Estimated Reading Time: 6 min

    इतना सुनकर आदित्य ने आर्यन की कॉलर पकड़ ली। तभी कोई आया और आदित्य के हाथ से आर्यन की कॉलर छुड़ाकर आदित्य के गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा।

    यह कोई और नहीं, आदित्य के पिताजी अमर बंसल थे। उन्होंने आर्यन और आदित्य को लड़ाई करते देखा। इसी वजह से उन्होंने आदित्य को जोरदार थप्पड़ मारा और बोले, "तुम दिन पर दिन गलती करते जा रहे हो और ऊपर से आज तो अपने छोटे भाई को भी नहीं छोड़ा। वरना वह दिन दूर नहीं कि तुम्हारी जगह इस घर में नहीं, सड़क पर होगी। समझे? इसलिए अपनी हरकतों को थोड़ा सुधार लो, समझे?"

    इतना सुनकर आदित्य को गुस्सा आ गया। गुस्से में उसने कहा, "सच में? आप मुझसे और मां से प्यार ही नहीं करते। तभी तो मां के मरने के बाद एक महीने में ही आपने दूसरी शादी कर ली। सच में, आप मुझसे बहुत नफरत करते हैं। दादी की वजह से ही आप मुझे यहाँ रख रहे हैं। यह आपकी मजबूरी है, पापा जी। आप मुझसे बहुत नफरत करते हैं, जो आपके चेहरे से साफ दिखता है।" इतना कहकर आदित्य गुस्से में घर से बाहर चला गया।

    आदित्य के घर से बाहर जाते ही मेनका ने अपनी आँखों में नकली आँसू लाते हुए अमर जी से कहा, "देख रहे हो? कैसे मेरे बेटे का हरदम अपमान करता है। कुछ कह दो तो गुस्से में हम पर चिल्लाता है। वैसे इसमें आदित्य की कोई गलती नहीं है। यह सब आदित्य की दादी की परवरिश का नतीजा है। जिसकी वजह से आदित्य दिन पर दिन बिगड़ता जा रहा है। और तो और, आदित्य नशा भी करने लगा है। अब आपको ही आदित्य की लगाम कसकर पकड़नी है, वरना सब कुछ सिमट के रह जाएगा। आप भी सोच लीजिए, वरना कहीं आदित्य की वजह से आपको शर्म से मुँह न झुकाना पड़े।"

    इतना सुनकर अमर बंसल बिना कुछ कहे अपने कमरे में चले गए।

    अमर जी के जाते ही मेनका और आर्यन एक-दूसरे को देखकर कातिलाना मुस्कान करने लगे। आर्यन ने मेनका से कहा, "माँ, कैसी लगी मेरी परफॉर्मेंस? बोलो माँ।"

    मेनका बोली, "तुम्हारी एक्टिंग लाजवाब थी। ऐसे ही आदित्य को इतना गुस्सा दिलाओ कि वह और गुस्से में आए, जिससे हमारा प्लान कामयाब हो जाए।"

    इधर, जैसे ही मीरा अपने घर, यानी ताई जी के घर पहुँची, ममता जी ने ताने भरे शब्दों में कहा, "किस मर्द के साथ मुँह काला करके आ रही हो? इतनी देर लग गई। कितने आशिक बना रखे हो? थोड़ा सा सामान लाने में इतनी देर लग गई? क्यों? जवाब तो पहले से ही तैयार रखा होगा, मैडम साहिबा ने? क्यों? और दोपहर का खाना कब बनाओगी? जल्दी से खाना बनाओ और हिसाब की पर्ची दो और बचे-कुचे रुपये भी दो।"

    तभी मायरा बोली, "मम्मी, पहले इसके आशिकों के बारे में तो जान लो। आखिर इसके कितने आशिक हैं? दोपहर का खाना तो बनता ही रहेगा, क्यों मीरा जी?"

    मीरा रोते हुए और हाथ जोड़कर विनती करते हुए बोली, "ऐसा कुछ नहीं है। आपको कोई गलतफहमी हुई होगी। इस तरह मेरे चरित्र पर कोई झूठा आरोप मत लगाइए।"

    तभी ममता जी ने मीरा के गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा और बोली, "करमजली हम तुझ पर झूठा आरोप लगाएँगे? अरे, तूने यह बताया कि तू लेट कैसे हो गई? चल, अब अपनी बकबास बंद कर और खाना बना। और खाने में आलू चिरोंज और गुप्पा रोटी बना। और अब खाना बनाने में लेट किया तो तेरी खैर नहीं, समझी? और तुझे खाना नहीं मिलेगा, समझी? और शाम को बाहर से गोलू की चाट हम सबके लिए लेकर आना। और उसमें भी थोड़ी सी देरी की तो देख लेना, आज तेरा खाना बंद किया और कल से तेरा सब कुछ बंद हो जाएगा, समझी? चल जा अब।"

    इतना सुनकर मीरा रोते हुए किचन में चली गई।

    शाम होने के बाद, जब मीरा सबके लिए गोलू की चाट लेने गई और गोलू चाटवाले से सभी के लिए चाट ले ली, तो चाटवाला बोला, "बेटा, तुम इतना कमाती हो, कभी अपने लिए भी चाट ले जाया करो। हमेशा ताई जी के घरवालों के लिए ही क्यों?"

    मीरा ने चाटवाले से कहा, "नहीं-नहीं काका, आज मेरा व्रत है, इसलिए मैं आज कुछ भी नहीं खा सकती। ठीक है, मैं चलती हूँ।"

    इतना कहकर मीरा वहाँ से जाने ही वाली थी कि रोड पर एक गाड़ी तेजी से आई और मीरा को टक्कर लगने ही वाली थी कि गाड़ी अचानक रुक गई। गाड़ी में से गुस्से में एक एंग्री लड़का निकला। उसे देखकर मीरा शॉक्ड हो गई। वह एंग्री लड़का कोई और नहीं, आदित्य बंसल ही था। वह गुस्से में मीरा से बोला, "तुमने मेरी गाड़ी के सामने आने का ठेका ले लिया है क्या? और तुम्हें समझ नहीं आता कि रोड पर कैसे चलना है? हमेशा गाड़ियों से टकराती रहती हो। फिर सामान गिरने के बहाने उनसे रुपये ऐंठने के तुम्हारे अच्छे बहाने हैं। तुम जैसी लड़कियाँ ऐसी ही होती हैं।"

    तभी मीरा के साथ कुछ ऐसा हुआ कि आदित्य घबरा गया।

  • 4. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 4

    Words: 858

    Estimated Reading Time: 6 min

    इतना कहकर मीरा वहाँ से जाने ही वाली थी कि रोड पर एक गाड़ी तेज़ी से आती हुई दिखी और मीरा को टक्कर लगने ही वाली थी कि गाड़ी अचानक रुक गई। गाड़ी में से गुस्से में एक लड़का निकला। मीरा शॉक हो गई। वह लड़का कोई और नहीं, आदित्य बंसल था। वह गुस्से में बोला, "तुमने मेरी गाड़ी के सामने आने का ठेका ले लिया है क्या? और तुम्हें समझ नहीं आता कि रोड पर कैसे चलना है? हमेशा गाड़ियों से टकराती रहोगी! फिर सामान गिरने के बहाने उनसे रुपये ऐंठने के तुम्हारे अच्छे बहाने हैं! तुम जैसी लड़कियाँ ऐसी ही होती हैं।"

    मीरा कुछ बोलने ही वाली थी कि अचानक बेहोश हो गई। आदित्य ने उसे अपनी बाँहों में संभाला और मीरा जमीन पर गिरने से बच गई। आदित्य काफी घबरा गया।

    आदित्य और मीरा को एक साथ देखकर किसी ने गुपचुप तरीके से वीडियो बना लिया।

    आदित्य, मीरा को होश में लाने की काफी कोशिश करता रहा, लेकिन मीरा को होश नहीं आया। बेचारी मीरा ने सुबह से कुछ खाया-पिया नहीं था और काम पर काम करती रही थी, इसलिए उसे होश नहीं आ रहा था।

    तभी एक चाटवाला आया और आदित्य से बोला, "बेटा, शायद इसे होश नहीं आ रहा है क्योंकि इसका आज व्रत है और इसका घर पास में ही है। तुम इसे अपनी गाड़ी में बिठाकर घर छोड़ आओ।"

    आदित्य ने चाटवाले से मीरा का पता लेकर बेहोश मीरा को गाड़ी में बिठाया और बताए गए पते पर चल दिया।

    थोड़ी देर बाद, आदित्य ने मीरा के घर के आगे गाड़ी रोकी और गाड़ी से उतरकर मीरा को फिर गोदी में उठा लिया। लेकिन आदित्य की इन हरकतों की कोई वीडियो बना रहा था। आखिर कौन आदित्य या मीरा का पीछा कर रहा था?

    आदित्य घर के मेन गेट पर पहुँचा और उसे हाथ से खटखटाया। मायरा ने दरवाज़ा खोला। जैसे ही मायरा की नज़र आदित्य पर पड़ी, वह देखती ही रह गई। आदित्य बोला, "आप मुझे इनका कमरा बताइए।" इतना कहकर आदित्य घर में घुस आया और मीरा को सोफ़े पर लिटा दिया। तभी ममता जी आ गईं और आदित्य से बोलीं, "बेटा, आप कौन हो? इसको क्या हुआ? यह तो हम सबके लिए चाट लेने गई थी और चाट कहाँ है? अब हम चाट नहीं खा पाएँगे... मेरा मतलब, हम सब मिलकर खुशियाँ नहीं बाँट पाएँगे।"

    मायरा ने आदित्य से कहा, "आप कुछ लेंगे? जैसे चाय, कॉफ़ी, ठंडा या गरम? बोलिए।"

    आदित्य को गुस्सा आ रहा था कि सभी को अपनी-अपनी पड़ी है, फिर भी उसने अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहा, "जी नहीं, मुझे कुछ नहीं पीना। और आपको मेरी चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। आपको इनकी चिंता करनी चाहिए। इन्होंने सुबह से कुछ नहीं खाया और यह सुबह से काफी काम कर चुकी है। इन्हें आराम की ज़रूरत है। अब मैं चलता हूँ।"

    तभी अचानक ममता जी बोलीं, "मेरी चाट..."

    आदित्य गुस्से में मुड़कर ममता जी की तरफ़ देखा और बोला, "मेरी कार में आपकी प्यारी चाट रखी है। बाहर आकर ले जाइए।"

    तभी अचानक मायरा बोली, "मैं चलती हूँ आपके साथ चाट लेने।"

    आदित्य आगे-आगे और मायरा थोड़ी पीछे चल रही थी। तभी मायरा के दिमाग में एक प्लान आया।

    मायरा ने जल्दी से अपने कदम आगे बढ़ाए और गिरने का नाटक किया। आदित्य ने उसे और मीरा को गिरने से बचा लिया। उस शख्स ने फिर से इन दोनों की फ़ोटो खींच ली।

    आदित्य का गुस्सा बढ़ गया। वह समझ गया कि मायरा जानबूझकर गिरी है। वह मायरा से बोला, "मुझे लगता है तुम्हें हॉट और हैंडसम लड़कों को पटाने में ज़्यादा अच्छा लगता है।"

    मायरा हिचकिचाते हुए बोली, "ऐसा कुछ नहीं है। मैं सच में गिर गई थी... अच्छा, अब मुझे चाट दे दो, वरना चाट ठंडी हो जाएगी।"

    आदित्य गुस्से में बोला, "यह लो अपनी चाट। सब के सब मतलबी हैं यहाँ पर।"

    फिर मायरा चाट लेकर अंदर आ गई और आदित्य कार में बैठकर चला गया।

    जैसे ही मायरा चाट लेकर अंदर आई, ममता जी ने उसके हाथ से चाट का पैकेट छीन लिया और उसे सूंघते हुए बोलीं, "अरे वाह! क्या चाट है! मायरा, चल पहले चाट खाते हैं, फिर इस करमजली को ऐसी सज़ा देंगे जो चाट खाने के बाद दुगुना मज़ा देगी।"

    लेकिन मायरा रानी तो अभी भी आदित्य के ख्वाबों में डूबी हुई थी।

    तभी ममता जी ने मीरा के ख्यालों में अपनी चाट की महक छोड़ दी जिससे मायरा के मुँह में पानी आ गया। मायरा ख्यालों की दुनिया से बाहर निकली और थोड़ी देर में दोनों माँ-बेटी चाट का स्वाद लेने लगीं।

  • 5. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 5

    Words: 861

    Estimated Reading Time: 6 min

    तभी ममता जी ने मीरा के ख्यालों में अपनी चाट की महक छोड़ी जिससे मायरा के मुँह में पानी आ गया। मायरा ख्यालों की दुनिया से बाहर निकली और थोड़ी देर में दोनों माँ-बेटी चाट का स्वाद लेने लगीं।

    इधर आदित्य अपने घर पहुँचा। तभी पीछे से आर्यन बोला, "भाई, थोड़ी तो शर्म करो! सुबह उस लड़की ने आपको भीख दी और फिर उसी लड़की को आप घर छोड़ने गए? सच में, आपसे बड़ा बेवकूफ कोई नहीं है। भाई, मुझे कहने में कितना बुरा लग रहा है! आप तो उस सड़क छाप लड़की की मदद करके आए हो। सो सेड, भाई! आप पूरे के पूरे किफायती बेवकूफ हो।"

    आदित्य गुस्से में बोला, "और कुछ कहना है? बोलो, मैं तुम्हारी जितनी भी बुराइयाँ मेरे खिलाफ भरी हुई हैं, मैं उन्हें आराम से सुनना चाहता हूँ। बोलो।"

    आदित्य का शांत व्यवहार देखकर आर्यन थोड़ा असमंजस में पड़ गया और चुपचाप चला गया।

    फिर आर्यन अपने कमरे में जा ही रहा था कि आदित्य की सभी मुश्किलों का हल, यानी आदित्य की बूढ़ी दादी गामिनी बंसल, पीछे से रोकते हुए बोलीं, "मेरा गुड्डा बाबू कहाँ जा रहा है अपनी दादी को अकेला छोड़कर?"

    यह सुनकर आदित्य के चेहरे पर मुस्कान आ गई। आदित्य मुस्कुराते हुए अपनी दादी से बोला, "दादी आप भी ना कितना ड्रामा करती हो! दादी, आप तो जानती हो कि आपके बिना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता। मैं अभी आपके ही कमरे में जाने वाला था।"

    यह सुनकर दादी ने आदित्य को प्यार से गले लगा लिया।

    इधर, जैसे ही मीरा को होश आया, दोनों माँ-बेटी, ममता जी और मायरा, आ गईं। मीरा को बहुत तेज प्यास लग रही थी। तभी ममता जी ने मीरा को सोफे से धक्का देते हुए कहा, "करम से जली मैडम साहिबा! एक घंटे से सोफा तोड़ रही हो और किसी लड़के के साथ मुँह काला करके उसी लड़के को घर ले आई! चल, अब सिलाई कौन तेरी मरी माँ करेगी? और पूरी की पूरी चार पत्ते चाट खाकर आ रही हो और बेहोश होने का नाटक करती है! अब तुम पूरी रात बिना खाए-पिए बिना सिलाई करोगी और सिलाई का काम बड़ी सफाई से करना, समझी? वरना तेरी उंगलियाँ तोड़ दूँगी, समझी?"

    तभी मायरा बोली, "यह सब काम करने से पहले मेरे लिए भेलपुरी बना दो, समझी? सही से बनाना।"

    यह सुनकर मीरा किचन में चली गई। मीरा को बहुत तेज भूख और प्यास लग रही थी इसलिए मीरा किचन में जाकर चुपचाप पानी पी लिया और फिर भेलपुरी बनाने लगी।

    रात हो गई।

    आदित्य के घर में सभी लोग खाना खाने बैठे। जैसे ही आदित्य खाने की टेबल पर आया और कुर्सी पर बैठा, आदित्य की चाची, अदिति बंसल, आदित्य पर हँसते हुए ताना मारते हुए बोलीं, "नवाबजादे की नवाबगिरी अब छोटे घर वालों के यहाँ भी चलती होगी।"

    आदित्य को गुस्सा आ रहा था, लेकिन दादी सब समझ गईं। तभी दादी जी अदिति को जवाब देते हुए बोलीं, "नवाबजादों की नवाबगिरी हर छोटे और बड़े घरों में चलती है, तुम्हारे पति की तरह नहीं कि उसे हमसे कोई मतलब ही नहीं, उसे मतलब है अपने आप से और किसी से नहीं। तो थोड़ी बुराइयाँ अपने पति की भी कर लिया करो।"

    यह सुनकर अदिति नज़र नीचे कर ली। सभी खाना खा रहे थे कि अमर बंसल गुस्से में आए और खाने की टेबल पर रखा पानी का जार उठाकर ज़मीन पर दे मारा जिससे सभी हैरान और थोड़े डर गए।

    तभी अमर बंसल आदित्य पर चिल्लाते हुए बोले, "आज तुम्हारी इन घटिया हरकतों की वजह से मेरी सौ करोड़ की डील कैंसिल हो गई! सब तुम्हारी इन नीची हरकतों की वजह से! जिस लड़की से तुम भीख माँगकर आ गए, उन्हीं हरकतों की वजह से तुम उस लड़की के घर चले गए! तुम इतने बड़े हो गए लेकिन तुममें अक्ल अभी भी नहीं आई कि छोटे घर की लड़कियाँ अमीर लड़कों को फँसाती हैं अपने मासूमियत के जाल में, फिर बन जाती हैं बड़े घर की महारानियाँ! और तुम्हें समझ नहीं आता? क्या तुम्हारी बुद्धि पत्थर की बनी है जो तुम्हारे दिमाग में कुछ घुसता ही नहीं? जैसा बेटा वैसी माँ! इसकी माँ एक गरीब घर की औरत जो अपने पति को धोखा देकर इस घर के ड्राइवर के साथ भाग गई! सच में तुम भी अपनी माँ की तरह बुज़दिल और बदतमीज़ हो! तुम्हारी माँ भी तुम्हारी तरह पूरी बेशर्म थी!"

    यह सुनकर आदित्य के सब्र का बांध टूट गया। आदित्य गुस्से में अपनी खाने की प्लेट को ज़मीन पर फेंक दिया और गुस्से में बोला, "बस कीजिए! जब आप मेरी माँ और मुझसे इतनी नफ़रत करते हो तो मुझे घर में क्यों रखा है? मुझे इसका जवाब चाहिए! आप मेरी छोटी-छोटी गलतियों की इतनी बड़ी सज़ा क्यों देते हो? मुझे इसका जवाब चाहिए!"

    यह सुनकर गामिनी बंसल कुछ ऐसा करती है जिससे सभी हैरान हो जाते हैं।

  • 6. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 6

    Words: 851

    Estimated Reading Time: 6 min

    इतना सुनकर आदित्य का सब्र टूट गया। गुस्से में उसने अपनी खाने की प्लेट जमीन पर फेंक दी और बोला, "बस कीजिए! जब आप मेरी माँ और मुझसे इतनी नफ़रत करते हो तो मुझे घर में क्यों रखा है? मुझे इसका जवाब चाहिए। आप मेरी छोटी-छोटी गलतियों की इतनी बड़ी सज़ा क्यों देते हो? मुझे इसका जवाब चाहिए।"

    तभी आदित्य की दादी ने आदित्य के पिता को जोरदार थप्पड़ मारा और अमर जी को आँख दिखाकर बोली, "क्यों तुम मेरे जिगर के टुकड़े को इतना दर्द देते हो? क्यों आखिर तुम उसे सज़ा देते हो? तुम क्यों कर रहे हो? अरे, जो गलती उसकी माँ ने की, उसकी सज़ा उसको क्यों देते हो? आखिर उसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? और तुम अपने आप को कब सुधारोगे? आखिर कब तक तुम इसको सज़ा देते रहोगे? तुम अच्छे से जानते हो आदित्य एक जवान खून है और इसने इस उम्र में कुछ गलत कर लिया तो जिंदगी भर मलाल करते रहना। अपनी गलती मानो और सुधर जाओ, वरना वो दिन नहीं बचेगा जब इस घर का चिराग तुम्हारी गलतियों की वजह से बुझ जायेगा। समझे? अपने आप को सुधार लो।"

    अमर बंसल को गाल पर थप्पड़ लगने से और गुस्सा आ गया। बिना कुछ कहे, वह गामिनी बंसल की बातें सुनकर चुपचाप वहाँ से चले गए। आदित्य गुस्से में घर से बाहर जा रहा था कि गामिनी बंसल ने उसे पीछे से पुकारते हुए कहा, "मेरे प्यारे बेटे, क्या अपनी दादी को छोड़कर अकेले चले जाओगे? तुम्हारे पीछे मेरा क्या होगा बेटा? प्लीज मत जाओ ना।"

    दादी की बातें सुनकर आदित्य की आँखों में हल्के से आँसू आ गए। आँसुओं को छुपाता हुआ वह अपने कमरे में चला गया।


    इधर, रात हो चुकी थी। मीरा के ताऊ और ताई जी समेत सभी ने खाना खा लिया था, लेकिन मीरा अभी भी भूखी थी। उसने खाना नहीं खाया था। तभी ममता जी आईं और मीरा को जोरदार थप्पड़ मारते हुए बोलीं, "चल अब बर्तन माज़ और फिर सिलाई कर। और ये हम सबके खाने की बची हुई झूठन है, इसे खाकर अपना पेट भर ले, समझी?"

    लेकिन मीरा ने अपने लिए पहले ही अच्छा खाना निकाल लिया था। खाना खाकर उसने घर का सारा काम और सिलाई करके सो गई।


    सुबह होने पर, आदित्य अपने जिम से लौट रहा था और मीरा बाजार से सब्जियां लेकर लौट रही थी। अचानक दोनों टकरा गए।

    तभी आदित्य, मीरा से गुस्से में बोला, "अंधी हो क्या? दिखाई नहीं देता? बार-बार मेरे सामने आ जाती हो। कभी मेरी गाड़ी से टकरा जाती हो। तुम्हें समझ नहीं आता क्या? और अब क्या बहाना बनाओगी? मिस टक्कर एक्सप्रेस! और अब तुम बोलोगी कि वो मैं गलती से टकरा गई और मुझे माफ़ करो, प्लीज सॉरी वगैरह-वगैरह।"

    मीरा ने आदित्य के सामने हाथ जोड़कर माफ़ी मांगी और मासूम चेहरे के साथ बोली, "जी, मेरा ध्यान सब्जियों पर था इसलिए मैंने आपको नहीं देखा। उसके लिए सॉरी।"

    इतना कहकर मीरा वहाँ से चली गई।


    थोड़ी देर बाद मीरा घर पर सब्जियां लेकर आई। तभी ममता जी ने मीरा से कहा, "आज शाम को हम मंदिर जाएँगे, तू भी चलना। अपने किए पापों की क्षमा माँग लेना, समझी।"


    शाम होने पर, मीरा और उसकी ताई जी का पूरा परिवार मंदिर दर्शन करने जा रहा था। तभी मेनका भी मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ रही थी और बिना देखे ही मीरा से टकरा गई। मेनका की चाँदी की थाली जमीन पर गिर गई। मेनका गुस्से में मीरा को थप्पड़ मारते हुए बोली, "तुम जैसे गरीब लोगों की अमीर लोगों की चीजों पर नज़र रहती है। और ऊपर से बोलते हो कि सॉरी! तुम मेरी चाँदी की थाली चुराने आई थी और मौका मिलते ही मुझसे जान-बूझकर टकरा गई और मेरी चाँदी की थाली को अपना बनाने आई हो। अभी रुको, मैं पुलिस को फोन करती हूँ, वही तुम्हें सही सज़ा देंगे।"

    मेनका की बातें सुनकर ममता जी को गुस्सा आ गया। गुस्से में ममता जी मेनका पर चिल्लाते हुए बोलीं, "ऐ गोरी मैम! ज़्यादा इंग्लिश हमें न पढ़ाओ, समझी? ज़्यादा इंग्लिश पढ़ना हमारे लिए काली भेड़ काला अक्षर बराबर है, समझी? और तेरी चाँदी की थाली तो तेरे पास है, तो इसने चुराने की कोशिश कहाँ की? अब तू ही बोल! अब मैं बुलाऊँ पुलिस को? तो मैडम जी, ज़्यादा शान-शौकत मत दिखाइए, वरना सब यूँ ही धरा का धरा रह जाएगा। और ज़्यादा इंग्लिश मत बोलिए, वरना आपकी जवान को लकवा मार जाएगा, समझी? आप अब जाएंगी? क्या पुलिस के आने के बाद ही जाएंगी?"

    मेनका वहाँ से चली गई। मुड़ते हुए मीरा के मासूम चेहरे को देखकर, कातिलाना स्माइल के साथ मुस्कुरा कर मन ही मन में बोली, "चलो, इस लड़ाई से मुझे एक ऐसा मोहरा मिल गया जो मेरे लिए तुरुप का इक्का का काम करेगा।" और मेनका वहाँ से चली गई।

  • 7. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 7

    Words: 852

    Estimated Reading Time: 6 min

    मेनका वहाँ से चली गई और मुड़ते हुए मीरा के मासूम चेहरे को देखा। कातिलाना स्माइल के साथ मुस्कुराकर उसने मन ही मन में कहा, "चलो इस लड़ाई से मुझे एक ऐसा मोहरा मिल गया जो मेरे लिए तुरुप का इक्का का काम करेगा।" वह वहाँ से चली गई।

    मेनका के जाते ही ममता जी अपने असली रूप में आ गईं और मीरा को डाँटते हुए बोलीं, "करमजली! तेरी नियत कब अच्छी होगी? मैंने तुझे यहाँ इसलिए लाया था कि मंदिर में मेरी बदनामी करवाने के लिए? आज घर चल, तुझे तेरे पापों की सज़ा देती हूँ।"

    थोड़ी देर बाद, जब मेनका घर पहुँची तो अमर बंसल के कमरे में प्रसाद देने के बहाने से गई और अमर बंसल जी से बोली, "मैंने कुछ आदित्य के बारे में सोचा है। क्योंकि दिन पर दिन आदित्य की हरकतें और बदतमीज़ी बढ़ती जा रही हैं। इन सब को देखते हुए हमें आदित्य की शादी कर देनी चाहिए जिससे आदित्य थोड़ा सुधर जाए। आज मैंने मंदिर में एक लड़की देखी जो कि हमारे आदित्य के लिए परफेक्ट होगी। और वैसे भी निखिल आने वाला है तो सेलिब्रेशन भी जो जाएगा। अगर आप मेरी बात मानो तो।"

    अमर बंसल बोले, "ठीक है। अगर आप चाहती हो तो एक बार मेरी माँ से परमिशन ले सकती हो।" इतना कहकर अमर बंसल वहाँ से चले गए।

    मेनका मन ही मन में कहती है, "उस बुढ़िया से भी पूछना पड़ेगा। मन तो करता है उसे नरक की सैर कर दूँ।"

    इधर, मीरा जैसे ही घर पहुँची तो ममता जी ने उसे थप्पड़ मारते हुए कहा, "करमजली! तुझ जैसी पापिन आज तक मैंने नहीं देखी। पूरे समाज में नाम बदनाम करवा के रख दिया है। आज तेरी सज़ा यहाँ है कि तुझे बिना सोए पूरी रात भर सिलाई करनी होगी। खाना नहीं मिलेगा, सो अलग। समझी?"

    "कृपया करके मुझे माफ़ कर दो," मीरा बोली, "सिलाई तो मैं कर लूँगी पूरी रात भर, पर मुझे खाने को कुछ दे दो।"

    ममता जी ने मीरा को एक और थप्पड़ लगाया और बिना कुछ कहे वहाँ से चली गईं।

    इधर, मेनका, दादी गामिनी बंसल के पास प्रसाद लेकर गई और बोली, "दादी जी, मैं आपके लिए प्रसाद लेकर आई हूँ। आप प्रसाद खाइए और एक ऐसी बात सुनिए, जिसे सुनकर आप शायद थोड़ी खुश हो जाएँ।"

    दादी ने भौंहें चढ़ाकर कहा, "ओहो! तो क्या तुम मेरे बेटे को छोड़कर जाने वाली हो?"

    यह बात सुनकर मेनका को बहुत गुस्सा आया, लेकिन अपने गुस्से पर काबू करते हुए मेनका बोली, "मम्मी जी, मैंने तो आदित्य के लिए एक लड़की देख ली है। वह बहुत ही मासूम और सुंदर है। बस आपको उस लड़की से मिलना है और तय करना है कि लड़की हमारे आदित्य के लिए ठीक है कि नहीं।"

    दादी मन ही मन में सोचती है, "आज तक मेनका ने इतना नाटक आदित्य के लिए नहीं किया, लेकिन आज यह इतनी सीधी-साधी बन रही है, मानो कितना प्यार करती है मेरे आदित्य से। अभी इसकी खबर लेती हूँ।"

    दादी बोलीं, "वैसे मैं आदित्य के लिए थोड़ी लड़ाकू लड़की ढूँढ रही हूँ, जो किसी का जवाब देने की हिम्मत रखे, न कि सभी के सामने झुके। और जो पढ़ी-लिखी हो और जो बिज़नेस को अच्छी तरह सम्भाल सके और घर को भी समझे।"

    मेनका बोली, "मैं अच्छे से जानती हूँ। इसलिए वह पढ़ाई में अव्वल है और समझदारी में आपसे भी चार कदम आगे है मम्मी जी। और तो और उसे अपनी आत्मरक्षा भी करना आता है। और सबसे बड़ी बात, वह खाना भी काफी टेस्टी बनाती है।"

    यह सब सुनकर दादी को उस लड़की से मिलने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई।

    तो दादी बोलीं, "तो कब मिलवाओगी हमें उस लड़की से?"

    मेनका बोली, "तो आप कल ही मिल लीजिए। मैं उसके घरवालों से बात कर लेती हूँ।"

    फिर मेनका मन ही मन में कातिलाना मुस्कान के साथ मुस्कुराती है और मन ही मन में कहती है, "चलो बुढ़िया फँसी तो सही।"

    रात होने के बाद, इधर मायरा पढ़ाई कर रही थी कि कायल उसके लिए दूध लेकर आई। लेकिन कायल को भूख के कारण चक्कर आ रहे थे और चक्कर के कारण ही कायल के हाथ से दूध का गिलास मायरा के ऊपर गिर गया। मायरा के हाथ की हल्की सी स्किन जल गई। इसे देखकर मायरा चीख-चीखकर सभी घरवालों को बुला लेती है और बोलती है, "इस मीरा ने मेरा हाथ जला दिया! इसको अभी इसी वक़्त सज़ा दो मम्मी!"

    तभी मीरा के ताऊ जी ने मीरा को एक जोरदार थप्पड़ मारा जिससे मीरा की नाक से खून बहने लगा और मीरा बेहोश हो गई।

    इसे देखकर ममता जी बोलीं, "ये क्या किया आपने? अगर इसे कुछ हो गया तो हमें जेल में चक्की पीसनी पड़ेगी।"

    ताऊ जी ने मीरा के मुँह पर पानी मारा, लेकिन मीरा को होश नहीं आया। सभी घबरा गए और डर भी गए।

    आखिरकार मेनका क्या चाल चलना चाहती है?
    आखिरकार मेनका आदित्य की शादी क्यों करवाना चाहती है?

  • 8. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 8

    Words: 792

    Estimated Reading Time: 5 min

    इसे देखकर ममता जी बोलीं, "ये क्या किया आपने? अगर इसे कुछ हो गया तो हमें जेल में चक्की पीसनी पड़ेगी।"

    ताऊ जी ने मीरा के मुँह पर पानी मारा, लेकिन मीरा को होश नहीं आया। सभी घबरा गए और डर भी गए।

    मायरा घबराते हुए बोली, "अरे! पापा यह क्या कर दिया आपने? अगर इसे कुछ हो गया तो हमें जेल भी हो सकती है। वो भी लंबी वाली।"

    तभी दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई और वह घर का दरवाजा खटखटाने लगा। इससे मीरा के ताऊ और मायरा के पिता के माथे पर डर के कारण पसीना आ गया।

    ममता जी घबराहट के मारे बौखलाते हुए बोलीं, "हमें इस लाश को कहीं छुपाना होगा, मेरा मतलब इस मीरा को।"

    तो मीरा के ताऊ जी, गजेंद्र मिश्रा, मीरा को मायरा के बिस्तर पर ले गए और ऊपर से चादर ढक दी। फिर वे जल्दी से दरवाजा खोलने गए।

    दरवाजा खोलते ही गजेंद्र की आँखें चौंधिया गईं क्योंकि शहर के अमीरों में गिनी-चुनी जाने वाली मेनका बंसल थीं।

    पीछे से ममता जी बोलीं, "अरे! कौन कमबख्त इस समय आया है?"

    यह शब्द सुनकर मेनका को थोड़ा गुस्सा आया, लेकिन उन्होंने अपने गुस्से को नियंत्रित किया। बिना किसी के आग्रह के वे अंदर आ गईं और बोलीं, "अंदर से दरवाजा बंद कर दो।"

    मेनका के कहने पर गजेंद्र जी ने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।

    मायरा, मेनका को देखकर काफी उत्साहित हुई और खुशी से पूछा, "आप यहां कैसे और क्यों?"

    मेनका सीधे मुद्दे पर आते हुए बोलीं, "मैं आपके लिए एक ऐसा ऑफर लाई हूँ जिससे आप करोड़पति बन जाएँगे।"

    ममता जी उछल कर बोलीं, "क्या कहा आपने? हम करोड़पति? सच में?"

    "हाँ, सच में आप करोड़पति बनेंगे। पर," मेनका ने कहा।

    "आप जो कहना चाहती हैं, साफ़-साफ़ कहिए," गजेंद्र जी ने कहा।

    "मैं आपको पचास करोड़ ऑफर करती हूँ। इसके बदले में मुझे मीरा मिश्रा चाहिए।"

    ममता जी बोलीं, "आज सुबह मंदिर में जो हुआ, आप उसका बदला लेने आई हैं मीरा से।"

    तभी मायरा बोली, "मीरा आपको क्यों चाहिए? उस अनपढ़ गवार के लिए आप हमें पचास करोड़ देंगी? ऐसा क्यों?"

    मेनका कातिलाना मुस्कान के साथ बोलीं, "मैं मीरा को बंसल परिवार की बहू बनाना चाहती हूँ। जिससे बंसल परिवार बर्बाद हो जाए और मैं बंसल परिवार की मालकिन बन जाऊँ। समझे आप लोग?"

    ममता जी कुछ सोच-समझकर बोलीं, "मीरा की जगह मेरी बेटी मायरा क्यों नहीं हो सकती?"

    यह सुनकर मायरा के चेहरे की मुस्कान और भी बढ़ गई।

    मीरा बोली, "अगर आपको मायरा की ज़िंदगी बर्बाद करनी है तो मैं मीरा की जगह मायरा को अपनाने को तैयार हूँ।"

    ममता जी ने सिर हिलाकर हल्का सा इशारा किया।

    तभी मायरा बोली, "माना आपको बंसल परिवार बर्बाद करना है प्रॉपर्टी के लिए, लेकिन मेरा तो अनपढ़, भोली-भाली बेवकूफ है। क्या उसे बंसल परिवार स्वीकार करेगा?"

    मेनका बोलीं, "वो सब मुझ पर छोड़ दीजिए। मैं सब देख लूँगी। आप सब जश्न मनाइए। बाकी की जानकारी मैं आपको फ़ोन पर दे दूँगी।"

    इतना कहकर मेनका ने पाँच लाख का चेक ममता जी के हाथ में थमा दिया। लालची ममता जी खुशी के मारे पागल होती हुई बोलीं, "सच में आप महान हैं और आपको हमारी तरफ़ से कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।"

    इतना सुनकर मेनका वहाँ से चली गई।

    मेनका के जाते ही ममता जी और मायरा नाचने लगीं और फुगड़ी खेलने लगीं। तभी गजेंद्र जी मायरा और ममता पर चिल्लाते हुए बोले, "अरे, मेनका जी को जिस चीज़ की ज़रूरत है, हमें उसे पहले ठीक कर लो, वरना सब उल्टा हो जाएगा।"

    इधर आदित्य अपने कमरे में सो रहा था। तभी उसके कमरे की खिड़की से कोई चुपचाप अंदर आया। इस वक्त आदित्य के तन पर कोई कपड़ा नहीं था क्योंकि आदित्य को ऐसे ही सोने की आदत थी। वह आकर आदित्य के प्राइवेट पार्ट को सहलाने लगा, जो पहले से ही थोड़ा सा हार्ड था, और उससे खेलने लगा। तभी आदित्य की आँख खुल गई और आदित्य ने लाइट ऑन की और कामुक आवाज़ में बोला, "बेबी, इससे खेलने के बजाय इसे चूस करो ना।"

    तभी आदित्य के कमरे के बाहर किसी ने दरवाज़ा खटखटाया। इससे आर्यन को गुस्सा आ गया और आदित्य ने कमरे के अंदर से ही चिल्लाकर पूछा, "कौन है?"

    कमरे के बाहर सिक्योरिटी गार्ड था। उसने कहा, "सर, आपके कमरे में खिड़की से कोई घुसा है। आप प्लीज़ अपना कमरा चेक कर लीजिए या मुझे अपना काम करने दीजिए।"

    आदित्य पाँच मिनट बाद बोला, "मेरे कमरे में कोई नहीं है। तुम्हें कोई गलतफ़हमी हुई है। अब मुझे सोने दो।"

    इतना सुनकर सिक्योरिटी गार्ड निश्चित होकर चला गया।

    तभी वह लड़की अपना मास्क उतारती है और आदित्य जल्दी से उसके होठों से अपने होठ मिला लेता है। एक दूसरे के होठ ऐसे चिपके थे जैसे कोई दूध पी रहा हो।

    तभी आदित्य के कमरे को किसी ने एक बार और खटखटाया।

    To be continued.......

  • 9. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 9

    Words: 548

    Estimated Reading Time: 4 min

    तभी वह लड़की अपना मास्क उतारती है और आदित्य जल्दी से उसके होठों से अपने होठ मिला लेता है। एक दूसरे के होठ ऐसे चिपके थे जैसे कोई दूध पी रहा हो।

    तभी आदित्य के कमरे को किसी ने एक बार और खटखटाया।

    दरवाजे की खटखटाहट सुनकर आदित्य को गुस्सा आ गया और आदित्य गुस्से में चीखते हुए बोलता, "किस mad*****d की हिम्मत है जो मुझे बार बार जगा रहा है।"

    आदित्य के मुंह से गाली सुनकर दरवाजे के दूसरी ओर खड़ा बॉडीगार्ड बिना कुछ कहे वहां से चला जाता है।

    और जो लड़की जिसका नाम अग्नि था वह बोलती है, "बेबी calm डाउन, और फिर से शुरू करते हैं।"

    इतना सुनकर आदित्य हॉर्नी वॉयस में बोलता है, "अगर यह डाउन हो गया बेबी तोह मेरे घोड़े की सवारी कैसे करोगी।"

    इतना सुनते ही अग्नि अपने दाहिने हाथ को आगे बढ़ती है और आदित्य के घोड़े को अपने हाथों से सहलाने लगती है थोड़ी देर में आदित्य का घोड़ा लंबी रेस में दौड़ने को तैयार हो जाता है।

    अग्नि धीरे से आदित्य के नि*ल्स को लिक करने लगती है और बाइट भी करती है जिससे आदित्य के नि*ल्स पर अग्नि के बाइट के निशान बन जाते है फिर अग्नि, आदित्य के एब्स को चाटने लगती है अग्नि, आदित्य के एब्स को ऐसे छत रही थी जैसे कोई आइसक्रीम लिक करता है।

    फिर आदित्य, अग्नि का मुंह अपने घोड़े के तरफ ले जाता है और अग्नि, आदित्य के घोड़े के मुंह पर किस एंड सक करने लगती है, आदित्य सिसकियां भरते हुए और हॉर्नी वॉयस में बोलता है, "ahhhh baby टाइटली सक करो टाइटली ahhh।"

    फिर अग्नि, आदित्य के कहे अनुसार आदित्य के घोड़े को टाइटली सक करने लगती है।

    फिर आदित्य अपनी रैक से अपने घोड़े जैसा दिखने वाला लचीला अंग निकालता है और एक हंटर निकालता है और हॉर्नी वॉयस में बोलता है, "बेबी अब मैं तुम्हे थोड़ा तड़पाने वाला हूं।"


    अग्नि की सॉफ्टनेस में कोल्डनेस बढ़ती ही जा रही थी वोह अग्नि हॉर्नी वॉयस में बोलती है, ",बेबी, मछली जैसे बिन पानी के तड़पती है वैसे ही मुझे तड़पाओ ना बेबी"

    इतना सुनकर आदित्य, अग्नि के क्लोज आता हैं और थोड़ी ही देर में आदित्य, अग्नि के शरीर से सारे कपड़े उतारकर अग्नि को सभी कपड़ों से आजाद करता है।

    आदित्य, अग्नि को उल्टा पलट देता है और अग्नि को एक जोर से हंटर मारता है जिससे अग्नि मचल जाती है और हल्का से करहाते हुए बोलती है, "बेबी और बेबी और जोर से"

    तभी दरवाजे को कोई जोर जोर से आदित्य के रूम का दरवाजा खटखटाता है।

    आदित्य का गुस्सा अब सातवें माले पर था वोह गुस्से में जल्दी से अंडरवियर पहनकर जल्दी से दरवाजा खोलता है और देखता है कि उसका सौतेला भाई आर्यन बंसल खड़ा है और आर्यन, आदित्य की शिक्स एब्स बॉडी को देखता ही देखता रह जाता है।

    तभी आदित्य, आर्यन को एक जोरदार थप्पड़ मारता है और बोलता है, "mad*****d तेरी g***d में बहुत खुजली है ल उसे मिटाता हूं"

    आदित्य इतना कहकर आर्यन की कॉलर को पकड़कर उसे अपने रूम में ले जाता है। आर्यन अपने बचाब के लिए चिल्लाता है लेकिन आदित्य का रूम साउंड प्रूफ होने की वजह से कोई आवाज बाहर नहीं जाती है।

    आदित्य, अग्नि से बोलता है, "बेबी तुम अभी जाओ इसको मै देखता हूं।"

    क्या करने वाला है आदित्य, आर्यन के साथ ?

  • 10. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 10

    Words: 546

    Estimated Reading Time: 4 min

    आदित्य ने इतना कहकर आर्यन की कॉलर पकड़ी और उसे अपने कमरे में ले गया। आर्यन बचने के लिए चिल्लाया, पर आदित्य का कमरा साउंडप्रूफ होने के कारण कोई आवाज़ बाहर नहीं गई।

    आदित्य ने अग्नि से कहा, "बेबी, तुम अभी जाओ। इसको मैं देखता हूँ।"

    यह सुनकर अग्नि वहाँ से चली गई। आदित्य ने आर्यन से कहा, "क्यों? तेरी ग**द में बहुत खुजली है आज? मैं तेरी ऐसी दशा करूँगा जिससे तुझे बहुत दर्द होगा।"

    आदित्य ने आर्यन के कपड़े जबरदस्ती फाड़ दिए। आर्यन एकदम नंगा हो गया और बचने के लिए भीख माँगने लगा। पर आदित्य ने उसे हंटर से तब तक मारा जब तक वह बेहोश नहीं हो गया।

    बेहोश आर्यन को आदित्य चुपके से घर के बाहर बाग़ में ले गया।

    इधर, मीरा को होश नहीं आ रहा था। गजेन्द्र जी घबरा गए और उनका ब्लड प्रेशर बढ़ने लगा क्योंकि उनकी सारी कोशिशें नाकामयाब हो गई थीं।

    ममता जी थोड़ी घबराहट में बोलीं, "अगर इसे कुछ हो गया तो हमारे हाथ से पचास करोड़ चले जाएँगे। ऐ भगवान, इसे होश आ जाए।"

    तभी मायरा बोली, "शायद इसने सुबह से कुछ नहीं खाया है, इसलिए ये बेहोश है। लगता है इसका ग्लूकोज़ लेवल गिर गया है। हमें बिना कोई लापरवाही किए डॉक्टर को बुलाना चाहिए।"

    "अरे! नहीं-नहीं। इसने कुछ डॉक्टर के सामने बोल दिया तो लेने के देने पड़ जाएँगे। हम सुबह तक इसके होश में आने का इंतज़ार करते हैं।" गजेन्द्र जी ने थोड़ा घबराते हुए कहा।

    गजेन्द्र जी की बातों पर ममता जी सहमति जताते हुए बोलीं, "मायरा बिटिया, जैसा तेरा बाप कह रहा है वैसा ही करो। हमें सुबह तक का इंतज़ार करना चाहिए।"

    ममता जी की बातें सुनकर मायरा भी मान गई और तीनों सुबह होने का इंतज़ार करने लगे।

    सुबह होने के बाद...

    इधर, जैसे ही धूप धीरे-धीरे बढ़ी, बाग़ में पड़े बेहोश आर्यन को होश आया। चारों ओर देखते ही उसे लोगों को उस पर हँसते हुए पाया। आर्यन दर्द से कराह रहा था। किसी तरह अपनी इज़्ज़त बचाते हुए वह घर आया। मेन गेट पर बॉडीगार्ड मन ही मन हँस रहे थे। जैसे ही घर का दरवाज़ा खुला, मेनका ने अपने बेटे को उस हालत में देखकर बहुत सदमा पहुँचा और जल्दी से उसे एक तौलिया दिया।

    अमर बंसल बहुत गुस्से में आ गए और आर्यन से बोले, "बेटा, तेरी यह हालत किसने की? मुझे बताओ, मैं उसका ऐसा हाल करूँगा जो वह सपने में भी नहीं सोच सकता।"

    आर्यन कुछ बोलने ही वाला था कि अदिति बंसल बोली, "वह कल रात को..."

    "कल रात को क्या? कुछ बोलो आगे," अमर बंसल ने अदिति से पूछा।

    "वह कल रात यह ड्र**स ले रहा था। शायद इसी वजह से यह सब हुआ।" अदिति ने काँपती हुई आवाज़ में कहा।

    तभी अमर बंसल ने आर्यन को जोरदार थप्पड़ मारते हुए कहा, "तुम जैसे घटिया औलाद होने से अच्छा मैं चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाऊँ।"

    आखिरकार अदिति ने झूठ क्यों बोला?

  • 11. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 11

    Words: 536

    Estimated Reading Time: 4 min

    "वह कल रात यह ड्रेस ले रहा था। शायद इसी वजह से यह सब हुआ।" अदिति ने काँपती हुई आवाज़ में कहा।

    तभी अमर बंसल ने आर्यन को जोरदार थप्पड़ मारते हुए कहा, "तुम जैसे घटिया औलाद होने से अच्छा मैं चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाऊँ।"

    आर्यन ने रोते हुए कहा, "नहीं पापा, चाची झूठ बोल रही है। कल रात को..."

    आर्यन इतना ही बोल पाया था कि आदित्य ने अमर बंसल को फ़ोन में कुछ दिखाया। अमर बंसल की आँखें फटी की फटी रह गईं। फिर आदित्य ने मेनका को भी वही वीडियो दिखाया जिससे मेनका की आँखों में भी सदमे का भाव स्पष्ट दिखाई दिया। आदित्य ने एक-एक करके सभी को वीडियो दिखाया जिससे सभी शॉक्ड हो गए और आर्यन को घूरने लगे।

    इधर, मीरा के घर में, जैसे ही ममता जी और गजेंद्र जी की आँखें खुलीं, ममता जी मीरा पर चिल्लाने लगीं। उनकी चिल्लाहट पर गजेंद्र जी ने मीरा पर चिल्लाते हुए कहा, "तुम्हारी अक्ल के अंधों की दौड़ में दौड़ लगाने गई है क्या? मीरा अभी भी बेहोश है, उसे होश में लाना है।"

    तभी मायरा आई और बोली, "मैंने डॉक्टर को फोन कर दिया है। मम्मी, आप घर का काम और नाश्ता बना दीजिए। जिससे मीरा यह खाना खा ले।"

    तभी मीरा के घर पर किसी ने दस्तक दी। वह दस्तक किसी और की नहीं, बल्कि एक डॉक्टर की थी।

    मायरा ने दरवाजा खोला और डॉक्टर को घर के अंदर बुलाया। थोड़ी देर में डॉक्टर ने मीरा को देखा और कहा, "मैं इन्हें इंजेक्शन दे रहा हूँ क्योंकि इनका ग्लूकोज़ लेवल निल हो चुका है। इसीलिए इन्हें अभी तक होश नहीं आया है। इन्हें कुछ मीठा खिलाइए।"

    इधर, आदित्य के घर पर, सभी आर्यन को घूर कर देख रहे थे। तभी अमर बंसल बोले, "तेरी वजह से, सब कुछ तेरी वजह से! आज क्यों हो रहा है यह सब? मुझे तुझ पर गर्व था और तूने ऐसा किया क्यों? इस वीडियो में साफ़-साफ़ दिख रहा है कि तू ड्रग्स ले रहा है और हम सबसे तू झूठ बोल रहा है। क्यों?"

    तभी गामिनी बंसल बोलीं, "इसकी इस गलती को हमें माफ़ करना चाहिए। जवानी का खून है, इस पर कोई गलती हो गई। अब इस पर मिट्टी डालो।"

    गामिनी के कहने पर अमर गुस्से में बोले, "इसकी यह पहली गलती है तो मैं इसे माफ़ करता हूँ, पर अगली बार इसने कोई ऐसी करतूत की तो यह घर से बाहर दिखेगा। सब चले जाइए।"

    इतना सुनकर आर्यन गुस्से में अपने कमरे में चला गया। अदिति ने आदित्य की तरफ़ इशारा किया और आदित्य अपने कमरे में चला गया।

    थोड़ी देर बाद...

    आदित्य अपने कमरे में शर्टलेस था। उसने केवल जींस पहनी हुई थी। तभी अदिति आई और बोली, "सच में तुम्हारा हुस्न कमाल का है! क्या डोले हैं तुम्हारे! तुम्हारा एक-एक अंग तराशा हुआ है।"

    इतना कहकर अदिति आदित्य के करीब आ गई और आदित्य की छाती पर हल्की सी किस कर दी। लेकिन कोई चुपके से यह सब देख रहा था।

    क्रमशः...

  • 12. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 12

    Words: 503

    Estimated Reading Time: 4 min

    आदित्य अपने कमरे में शर्टलेस था, केवल जींस पहनी हुई थी। तभी अदिति आई और बोली, "सच में तुम्हारा हुस्न कमाल का है! क्या डोले हैं तुम्हारे! तुम्हारा एक-एक अंग तराशा हुआ है।"

    अदिति आदित्य के करीब आ गई और आदित्य की छाती पर हल्की सी किस कर दी। लेकिन कोई चुपके से यह सब देख रहा था।

    अदिति आदित्य की जींस के ऊपर से उसके घोड़े को सहलाने लगी। आदित्य थोड़ा उत्तेजित हो रहा था; उसके शरीर में हलचल मच रही थी। वह मदहोश भरी आवाज़ में बोला, "डार्लिंग, माय चाची जी, अब मेरे घोड़े की लगाम खुल चुकी है। अब ये जींस से निकलने को मचल रहा है।"

    "मेरी बुलबुल भी तड़प रही है, मचल रही है कब से। आज तुम उसकी तड़पन मिटा दो," अदिति ने मदहोश भरी आवाज़ में कहा।

    "ऑफकोर्स जानेमन, मैं आज तुम्हारी तड़पन ऐसे मिटाऊँगा कि तुम मुझसे चुम्मन के लिए बिन पानी की मछली जैसे तड़पती ही रहोगी," आदित्य बोला।

    अदिति ने अपने एक हाथ से आदित्य की जिप खोल दी। आदित्य ने अंडरवियर नहीं पहना था। उसने उसकी उफनती गर्म रॉड को हाथ में ले लिया और उसे जोर-जोर से हिलाने लगी।

    आदित्य ने भी अदिति के पेटीकोट में हाथ देकर अदिति की बुलबुल को अपने हाथों से बहुत तेज़ी से रगड़ा और मदहोश भरी आवाज़ में बोला, "आज तुम्हें मैं ऐसा चोदूँगा जिससे तुम्हारी बुलबुल सूज जाएगी और तुम जन्नत की सैर करोगी।"

    आदित्य और अदिति की इन हरकतों की कोई वीडियो बना रहा था। फिर आदित्य ने अदिति का सिर नीचे की ओर झुका दिया और हॉर्नी आवाज़ में बोला, "बेबी, इसे मसाज की ज़रूरत है। इसे लॉलीपॉप की तरह चूसो, बेबी, चूसो।"

    इतना सुनते ही अदिति ने आदित्य का बड़ा केला अपने मुँह में ले लिया और उसे टाइटली तरीके से चूसने लगी। आदित्य की सिसकियाँ पूरे कमरे में गूंज उठीं।

    अदिति धीरे-धीरे आदित्य की नाभि को चाटने लगी, फिर एब्स को चूमने लगी, फिर आदित्य की चेस्ट पर अपने प्यार की निशानी छोड़ी और फिर आदित्य की बगलों की बदबू को सूँघने और चाटने लगी। "बेबी, अब तुम्हारी बारी," उसने कहा।

    आदित्य ने पहले अदिति के दोनों पक्षियों को आजाद किया, फिर उसके संतरों का रस निचोड़ने लगा। वह दोनों संतरों पर ऐसे टूट पड़ा, जैसे कोई शेर किसी हिरण पर टूट पड़ता है। वह उन्हें पीने के साथ-साथ काट भी रहा था।

    धीरे-धीरे आदित्य अदिति की नाभि की ओर बढ़ा और अपनी जीभ से उसे चाटने और चूसने लगा। धीरे-धीरे आदित्य अदिति की बुलबुल को भी रसदार करने लगा, साथ ही बुलबुल के मुँह में एक उंगली अंदर-बाहर करने लगा।

    फिर आदित्य ने अपने निजी अंग का प्रवेश अदिति के निजी अंग में करवाया और तेज गति से अपनी कमर चलाने लगा। इस तरह अदिति और आदित्य एक हो गए।

    क्रमशः

  • 13. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 13

    Words: 518

    Estimated Reading Time: 4 min

    फिर आदित्य ने अपने निजी अंग का प्रवेश अदिति के निजी अंग में करवाया और तेज गति से अपनी कमर चलाने लगा। इस तरह अदिति और आदित्य एक हो गए।

    अब आदित्य और अदिति बेड पर बिना कपड़ों के एक-दूसरे से लिपटे पड़े थे। तभी आदित्य फिर से एक बार और हॉर्नी हो जाता है और मदहोश भरी आवाज में बोलता है, "जानेमन, एक और राउंड हो जाए।"

    अदिति पहले ही राउंड में काफी थक चुकी थी। अब उसमें दूसरा राउंड करने की हिम्मत नहीं बची थी। तो थोड़ी थकी हुई आवाज में बोलती है, "बेबी, अब नहीं। मैं काफी थक चुकी हूँ। अब तुम किसी और के साथ कर लो।"

    इतना सुनकर आदित्य को गुस्सा आ जाता है। गुस्से में, वह अदिति के स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए बोलता है, "अब तुझे मैं और चो*गा तेरी चू* और गां* का कुआं बना दूंगा, समझी।"

    आदित्य जब अदिति के स्तनों को मसलता है, तो अदिति भी मदहोश हो जाती है और मदहोशी भरे शब्दों में बोलती है, "बेबी, आज तुम कुआं बना ही दो जिससे मैं तुम्हें हर रोज तुम्हारी प्यास बुझा सकूँ।"

    इतना सुनकर आदित्य और हॉर्नी हो जाता है और अदिति के स्तनों का रस पीने लगता है और साथ में बाइट भी करने लगता है।

    स्तनों का रस पीने के बाद आदित्य एक झटके में अदिति के अंदर प्रवेश करता है। फिर आदित्य अपने कमर के झटकों की ताबड़तोड़ बारिश कर देता है। लेकिन कोई आदित्य और अदिति की इन हरकतों की वीडियो बना रहा था।

    इधर, मीरा को होश आ जाता है। तो मायरा मीरा से बोलती है, "मीरा, थोड़ा सा मीठा खा लो जिससे तुम्हारा ग्लूकोज लेवल बढ़ जाएगा और भी जी भर के नाश्ता कर लेना।"

    मायरा की बात पूरी होते ही ममता जी का मन तो नहीं था, फिर भी दिल की कड़वाहट में नकली चीनी की चाशनी घोलते हुए ममता जी मीरा से बोलती हैं, "बेटा, आज तुम्हें कोई काम करने की जरूरत नहीं है। सब काम अब हो जाएगा और तुम थोड़ा पहले नाश्ता कर लो।"

    मीरा की इस केयर से मीरा को थोड़ा अजीब सा लगता है। मीरा समझ जाती है कि दाल में कुछ काला है। इसलिए मीरा बोलती है, "मुझे अभी चाट खाने का मन कर रहा है और मेरे सिर, पैर और हाथ में भी दर्द हो रहा है। क्या कोई दबा सकता है जिससे मुझे थोड़ा आराम मिल जाए?"

    इतना सुनते ही तीनों में से मायरा ने मीरा का सिर पकड़ लिया, गजेंद्र जी ने पैर और ममता जी ने मीरा के हाथ पकड़ लिए। और तीनों ही मीरा के हाथ, पैर और सिर पकड़कर अच्छे से दबाने लगते हैं।

    तभी मीरा समझ जाती है कि ये तीनों उससे उसका घर हड़पना चाहते हैं। लेकिन मीरा अपने माँ-बाप की आखिरी निशानी किसी को देना नहीं चाहती थी।

    कुछ देर सोचकर मीरा ममता जी से बोलती है, "मेरे लिए बाजार से देसी घी से बना खाना मंगाइए जिससे मैं अपनी भूख शांत कर सकूँ।"

    इतना सुनकर ममता जी को बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन अपने गुस्से का घूंट बनाकर ममता जी निगल गई।

  • 14. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 14

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 15. इश्क के धागे कुछ कच्चे कुछ पक्के - Chapter 15

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min