जब इनकी पहली मुलाकात ही शुरू होगी एक बड़ी तकरार से,तो क्या कभी होगा इनमें इश्क़,और रह पाएंगे आपस में कभी प्यार से!!!! तो चलिए शुरू करते है एक प्यारी से नोक झोंक भरी कहानी "तेरे लिए" जन्नत और अबीर के साथ। "जीस्म पाक आँखों में भर लूं सांस सा... जब इनकी पहली मुलाकात ही शुरू होगी एक बड़ी तकरार से,तो क्या कभी होगा इनमें इश्क़,और रह पाएंगे आपस में कभी प्यार से!!!! तो चलिए शुरू करते है एक प्यारी से नोक झोंक भरी कहानी "तेरे लिए" जन्नत और अबीर के साथ। "जीस्म पाक आँखों में भर लूं सांस साँस में शामिल कर लूं इस दुनिया में जान गवां तुझे उस दुनिया में हासिल कर लूं तेरे लिये, हाँ तेरे लिये तेरे लिये, हाँ तेरे लिये ज़िन्दगी गवां कर भी जो ज़िन्दगी मिले हर ख़ुशी गवां कर भी जो इक ख़ुशी मिले वो माँग लूँ तेरे लिये तेरे लिये, तेरे लिये, तेरे लिये, तेरे लिये"!!!!! "है तेरे बिना ये जन्नत्तें भी कुछ नही अब मेरे लिए बस तेरा साथ हो तो छोड़ दूं ये जां भी तेरे लिए"!!
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लखनऊ, तहज़ीब और तमीज़ में सबसे आला शहर था। यहाँ छोटे हों या बड़े, चाहे जिस कौम या मज़हब के हों, तहज़ीब से पेश आना वहाँ की सभ्यता थी; और अपनी इसी तहज़ीब और मीठी बोली के लिए लखनऊ का नाम आला तहज़ीब शहरों में हमेशा गिना जाता था। यहाँ लखनवी चिकनकारी के सूट बहुत ही प्रसिद्ध थे। वैसे तो बहुत सी ऐसी चीज़ें थीं जो यहाँ चर्चा का विषय थीं; मगर लखनऊ की एक बहुत ही प्रसिद्ध चीज़ थी लखनऊ का छोटा-बड़ा इमामबाड़ा, जहाँ पर "गदर" फिल्म की शूटिंग का एक हिस्सा भी शूट किया गया था। खैर, अब अगर हम इन सब बातों में जाएँगे तो बस इसी में खो जाएँगे। इन सबके बाद, वहाँ लोगों की बात करें तो उनकी बोली और रहन-सहन से ही तहज़ीब झलकती थी!
लखनऊ की हर प्रसिद्ध चीज़ की तरह यहाँ कुछ और भी बहुत प्रसिद्ध था, और वो थीं जन्नत अहमद राजपूत, जिन्हें शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जो नहीं जानता हो; और इन्हें जानने की वजह था जन्नत का खुशमिज़ाज और प्यार भरा स्वभाव। आस-पास के बच्चे और बुज़ुर्ग जन्नत पर जान छिड़कते थे; और जन्नत भी बहुत खुश रहती थी। कोई कमी नहीं थी उसकी ज़िन्दगी में, सिवाय उसके प्यार के, जिसके इंतज़ार में वो अपनी घड़ियाँ गिन रही थी; जिसकी उस समय उसे ना कोई खबर थी और ना कोई पता; और वो ये भी नहीं जानती थी कि उसका प्यार कभी लौट कर आएगा भी या नहीं। मगर फिर भी उसे भरोसा था अपने प्यार के वादे पर, जिसने उससे वादा किया था कि वो एक दिन ज़रूर लौटेगा और उसे अपने साथ हमेशा के लिए अपनी दुल्हन बनाकर ले जाएगा। बस इसी वादे के इंतज़ार में हर रोज़ वो जी रही थी कि शायद उसका प्यार उसे आज लेने आ जाए।
(लखनऊ, जन्नत का घर:)
मिसेज़ अहमद: जन्नत, कहाँ रह गई है आप? सहर भी कब से आपका इंतज़ार कर रही है, यहाँ बैठकर।
जन्नत (सीढ़ियों से उतरते हुए): हाय रब्बा! आ रही हूँ अम्मी जान। एक तो हम पहले से ही परेशान हैं, ऊपर से आप और हमें डराती रहती हैं।
मिसेज़ अहमद: आज आपका रिजल्ट आने वाला है, और आज के दिन भी आप इतनी देर से सोकर उठी हैं।
जन्नत: अम्मी जान, इसीलिए तो आज हम अल्लाह पाक से पर्सनली बातें कर रहे थे, और बोल रहे थे कि वो हमें अच्छे नंबरों से पास करके हमारे ख्वाब को पूरा कर दें।
अमन: तो आपी (दीदी), आप तो हमेशा कहती हो कि अल्लाह से आपका डायरेक्ट कनेक्शन है, और आप कभी भी नहीं डरती, तो फिर आज आप क्यों परेशान हो रही हैं?
जन्नत: किसने कहा आपसे हम रिजल्ट के लिए परेशान हो रहे हैं? हम तो ये सोच रहे थे कि आज हमारा रिजल्ट आ जाएगा, और हमने अभी तक देहरादून जाने के लिए शॉपिंग तक नहीं की।
मिसेज़ अहमद: आप देहरादून तो तब जाएँगी ना, जब आप अच्छे नंबरों से पास होंगी।
जन्नत: अम्मी जान, बस इससे ज़्यादा कुछ मत बोलिएगा, क्योंकि ये शक भरे अल्फ़ाज़ अब हम आपके मुँह से सुन नहीं पाएँगी। मतलब आपको अपनी बेटी की काबिलियत पर शक है? हाय! अल्लाह! ये दिन ही देखना रह गया था, बस हमारी ज़िन्दगी में।
मिसेज़ अहमद: बस कीजिए, ड्रामा क्वीन, अपना ड्रामा।
जन्नत: आप तो रहने दीजिए अम्मी जान। आपको हमारी कद्र ही नहीं है। हमारी कद्र तो अहमद साहब (जन्नत के वालिद/पिता) को है, बस।
सहर: ड्रामा क्वीन, बंद कीजिए ड्रामा। और ये सब जो आप सोच रही हैं, ये जब तक संभव नहीं है ना, जब तक जन्नत जी आप अपना रिजल्ट लेने नहीं जाएँगी। और पहले ही आप इतना लेट करा चुकी हैं, तो चलिए जल्दी।
जन्नत: हाय रब्बा! हाँ हाँ, सॉरी सॉरी अम्मी जान। हमेशा बातों में लग लेती हैं और हमें लेट करा देती हैं। चलो जल्दी। और अम्मी जान, मिठाई तैयार रखिएगा हमारे रिजल्ट की।
इतना कहते हुए जन्नत अपना बैग उठाकर सहर के साथ कॉलेज के लिए निकल गई।
मिसेज़ अहमद (अपना सर हिलाते हुए): इतनी बड़ी हो गई हैं, मगर इनका बचपना अभी तक नहीं गया।
जन्नत एक संयुक्त परिवार में रहती थी, जिसमें जन्नत की माँ (रुबीना), बाप (अहमद), एक भाई (अमन), चाचा (असद) और चाची (इकरा), सहर और इल्मा उसकी दो चचेरी बहनें, और दादा-दादी थे। सब लोग बहुत ही अच्छे और खुशमिज़ाज थे; और जन्नत वैसे तो सबकी ही बहुत चहीती थी और सबसे उसकी बहुत पटती थी। मगर घर में सबसे ज़्यादा वो अपने वालिद (पिता) अहमद जी से ज़्यादा निकट थी; और दोनों के बीच बिलकुल दो अच्छे दोस्तों की तरह रिश्ता था; और अपनी हर बात एक-दूसरे से शेयर करते थे; और बचपन से ही जन्नत ने कभी अपने बाबा को पापा या डैडी कहकर नहीं पुकारा, बल्कि वो हमेशा उन्हें अहमद साहब कहकर पुकारती थी; और कभी मिसेज़ अहमद ने इस बात को गलत कहकर रोकना चाहा तो अहमद साहब ने ही उन्हें ऐसा करने से रोक दिया; और कहा कि जन्नत के उन्हें ऐसा कहने से एक अलग ही अपनेपन का एहसास होता है; और अब तो सबको ही इस चीज़ की आदत पड़ चुकी थी; और घर में सब में बड़ी होने की वजह से जन्नत सबकी लाडली थी। हालाँकि सहर और जन्नत की उम्र में सिर्फ़ एक महीने का ही अंतर था। जन्नत और सहर का आज ग्रेजुएशन का रिजल्ट आने वाला था। जन्नत को शुरू से ही फैशन डिजाइनिंग करने का बहुत शौक था; मगर सामान्यतः इस कोर्स को करने के लिए बहुत ज़्यादा फीस थी; और जन्नत एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी; मगर इस बार उसकी किस्मत थी या ऊपरवाले की मेहरबानी कि जिस कॉलेज में वो पढ़ती थी, वहाँ सिर्फ़ अलग-अलग स्ट्रीम से ग्रेजुएशन ही होते थे; और इसीलिए कॉलेज वालों ने ये फैसला किया कि इस साल से जो भी स्टूडेंट प्रथम आएंगे, उन्हें देहरादून में इस कॉलेज की बड़ी ब्रांच में छात्रवृत्ति पर उनकी आगे की पढ़ाई के साथ उनकी पसंद के ऐसे ही किसी कोर्स में प्रवेश दिया जाएगा और उसे पूरे साल की छात्रवृत्ति दी जाएगी। तो इसीलिए वो देहरादून जाना चाहती थी, जहाँ पर वो अपनी आगे की पढ़ाई के साथ-साथ अपने सपने को पूरा करना चाहती थी, और वो भी अपने दम पर। थोड़ी देर बाद सहर और जन्नत कॉलेज पहुँच जाती हैं और नोटिस बोर्ड की तरफ़ जाने लगती हैं।
सहर: जन्नत, हमें तो बहुत डर लग रहा है। अगर हम पास नहीं हुईं तो अम्मी जान तो हमें मार ही डालेंगी।
जन्नत: बस रिलैक्स करो, और इतना मत सोचो।
सहर: आप हमेशा कैसे इतना रिलैक्स रह लेती हैं, और हर स्थिति में आप इतना सकारात्मक कैसे रह लेती हैं?
जन्नत (सहर के गले में हाथ डालते हुए): क्योंकि हम अच्छे से जानते हैं कि हमसे बेहतर हमेशा हमारे लिए हमारा रब सोचता है; और जो भी आपकी किस्मत में लिखा है, वो आपको हर हाल में किसी भी ज़रिए से मिलना ही है; और अगर आपकी किस्मत में वो चीज़ नहीं है तो फिर वो आपको नहीं मिलनी। मगर ऊपरवाले ने भी कहा है कि "तू मेहनत कर बन्दे, फल तुझे मैं दूँगा"; और जो हमारी किस्मत में रब ने लिखा भी नहीं है, वो भी हमें हमारी मेहनत और दुआओं से मिल सकता है। वो कहते हैं ना, सच्चे दिल से की हुई दुआएँ तकदीर का लिखा भी बदल सकती हैं; तो बस हमें हमेशा अपनी दिल से की हुई दुआओं और मेहनत पर सच्चे दिल से भरोसा होता है; और जहाँ भरोसा हो तो वहाँ डर कैसा!!
सहर: आप ना सच में बिलकुल अलग हैं। कोई नहीं समझ सकता आपको।
जन्नत: सिवाय दो इंसानों के...
सहर: एक आपके वालिद, यानी हमारे ताया जान, और दूसरे आपके ज़ामीन मियाँ... सही?
जन्नत (मुस्कुराते हुए): 100% सही। चलिए, नोटिस बोर्ड भी आ गया। अब चलिए रिजल्ट देख लें, या फिर यहीं सारी बातें कर लेंगी आप।
सहर: हाँ, चलिए।
सहर और जन्नत रिजल्ट देखने के लिए आगे बढ़ती हैं। पहले दोनों सहर का रिजल्ट देखती हैं, जो कि अच्छे मार्क्स से पास हुई थी; और अब सहर जन्नत का रिजल्ट देखने के लिए आगे बढ़ती है; और जैसे ही सहर की नज़र जन्नत के रिजल्ट पर पड़ती है तो वो उदास मुँह से जन्नत के पास आती है, जो कि थोड़ी दूरी पर खड़ी थी।
जन्नत: क्या हुआ? हम पूरी क्लास में प्रथम आए हैं ना?
सहर (अपना सर हिलाते हुए): नहीं, जन्नत।
जन्नत: देखिए सहर, मज़ाक मत कीजिए। सच-सच बताइए?
सहर: आपकी कसम, हम झूठ नहीं बोल रहे हैं।
तभी वहाँ सहर और जन्नत की कॉमन फ़्रेंड निशा आती है।
जन्नत: निशा, आपने हमारा रिजल्ट देखा?
निशा: हाँ जन्नत, बाकी सब्जेक्ट में तो आप पास हैं, बस हिस्ट्री में आप फ़ेल हो गई हैं।
जन्नत: ऐसा नहीं हो सकता! हम हिस्ट्री में कभी फ़ेल हो ही नहीं सकते। वो तो हमारा बेस्ट सब्जेक्ट है। और आप लोग यहीं रुकें, मैं खुद देखकर आती हूँ अभी।
इसके बाद जन्नत अपनी फ़िंगर क्रॉस करके अपना रिजल्ट देखने के लिए जाती है, और नोटिस बोर्ड पर अपना रिजल्ट देखकर उसे यकीन ही नहीं होता।
जन्नत (चिल्लाकर): हाय रब्बा!! ऐसा कैसे हो गया?
जन्नत ने जब अपना रिजल्ट देखा, तो उसे यकीन नहीं हुआ। वह अपनी कक्षा में ही नहीं, बल्कि पूरे कॉलेज में प्रथम आई थी और उसने टॉप किया था।
जन्नत (खुशी से आसमान की तरफ़ देखकर): "थैंक्यू, थैंक्यू, थैंक्यू सो मच! अगर आप और आपका साथ नहीं होते, तो हम यहाँ तक पहुँच ही नहीं सकते थे।"
सहर (पीछे से आवाज़ देकर): "क्या हुआ? देखा नहीं अभी तक आपने रिजल्ट?"
निशा (मज़ाक करते हुए): "या फ़ेल होने का शॉक लग गया आपको?"
जन्नत: "सहर और निशा, बच्ची रुकें आप दोनों। बताते हैं हम आपको, आप दोनों ने हमसे झूठ बोला।"
इतना कहकर जन्नत निशा और सहर की ओर भागी। वे दोनों जन्नत को अपनी ओर भागता देखकर, वहाँ से दूसरी ओर, जन्नत से बचने के लिए भागने लगीं। तभी भागते हुए जन्नत किसी से टकरा गई। वह जन्नत के वालिद के एक अच्छे दोस्त का बेटा, अरमान था; जिसे जन्नत और सहर दोनों ही, उसके बर्ताव के कारण पसंद नहीं करते थे; मगर अरमान जन्नत को पसंद करता था और उससे निकाह करना चाहता था।
जन्नत (संभलते हुए): "हाय रब्बा! देखकर नहीं चल सकते आप।"
अरमान: "अरे अरे, आराम से। अगर आपको चोट लग गई, तो बिना वजह हमारा नुकसान हो जाएगा।"
जन्नत (अपने दोनों हाथ बाँधते हुए): "और इसमें आपका नुकसान कैसे होगा, मि. अरमान जी? बताएँगे आप?"
अरमान: "अरे, हमारी होने वाली शरीके हयात (बीवी) हैं आप, तो ज़ाहिर है, आपको कुछ तकलीफ़ होगी तो हमारा नुकसान तो होगा ही।"
जन्नत (ज़ोर से हँसते हुए): "वाउ! वैसे तो आपमें कुछ क्वालिटी है ही नहीं, बस हमें आपकी यही चीज़ पसंद है कि आप मज़ाक बहुत बड़े लेवल के करते हैं। बाय गॉड!"
अरमान (मुस्कुराकर): "हाय! आपकी यही मुस्कराहट देखकर तो मेरी जान पर बन जाती है।"
जन्नत: "रियली?"
अरमान: "ऑफ़कोर्स।"
जन्नत: "तो अगर ऐसा है और हमारी मुस्कराहट से आपकी जान जा सकती है, तो बाय गॉड हम आज से हँसना ही नहीं छोड़ेंगे। कम से कम हमारे हँसने से इस ज़मीन से एक ना-पाक रूह तो चली जाएगी, और लोग हमें दुआओं से नवाज़ेंगे।"
जन्नत कुछ देर सोचती रही। "मगर हम सोच रहे हैं कि हम अपना इरादा बदल लेते हैं।"
अरमान: "और ये मेहरबानी किसलिए?"
जन्नत: "वो इसीलिए कि हम कुछ लोगों के भले के लिए, कुछ लोगों की ज़िन्दगी... नहीं... सॉरी... मौत को क्यों ख़राब करें।"
अरमान: "मतलब?"
जन्नत: "मतलब ये कि ये तो जीती-जागती दुनिया है। ये आपके टॉर्चर से बचने कहीं भी आ जा सकती है; मगर बिचारे जो ऊपर जा चुके हैं, उनके पास तो कोई ऑप्शन्स ही नहीं हैं। तो मैं क्यों उनकी हँसती-खेलती मौत के बाद की ज़िन्दगी में बर्बाद करूँ? इसीलिए बस, क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप जैसे गुनेहगार को वो अभी से झेलें, कम से कम कुछ सालों तक तो बिचारे सुकून से मौत जी लें।"
जन्नत की बात सुनकर, सहर और निशा के साथ-साथ अरमान के साथ खड़े उसके दोस्त भी हँसने लगे; और अरमान गुस्से भरी नज़रों से सबको देखता है, तो जल्दी से सब अपना मुँह नीचे करके चुप हो गए।
अरमान (नाराज़गी से): "आपके मज़ाक, जन्नत, अब बदतमीज़ियों की हद पार करने लगे हैं।"
जन्नत (अपने हाथ बाँधते हुए): "पहली तो ये मज़ाक नहीं होते, सीधे-सीधे इन्सल्ट करते हैं हम आपकी; उसके बावजूद भी आप रोज़ आ जाते हैं अपनी इन्सल्ट कराने... हाय रब्बा! मतलब बिलकुल ही शर्म नाम की कोई चीज़ नहीं है।"
अरमान: "अगर आपकी जगह कोई और होता, तो अरमान सिद्दीक़ी से इस लहज़े में बात करने के बाद उसकी लाश हमारे क़दमों में पड़ी होती।"
जन्नत (तीखी नज़रों से देखते हुए): "ना तो हम कोई और हैं, और ना ही कोई ऐरा-गेरा जिसे आप अपने क़दमों में झुका सकें। हम जन्नत अहमद राजपूत हैं, और राजपूत कभी किसी से नहीं डरते, और हमें डराने के बारे में कभी सोचिएगा भी नहीं।"
अरमान (डेविल स्माइल के साथ): "बस आपका यही ऐटिट्यूड तो वजह है कि हम आपके दीवाने हैं। और डोंट वरी, एक बार हमारा निकाह हो जाने दीजिए, फिर हम आपकी हर बदतमीज़ी और बदसलूकी का जवाब अच्छे से देंगे।"
जन्नत: "मिस्टर अरमान सिद्दीक़ी, खुली आँखों से देखने वाले सपने कभी पूरे नहीं होते; और रही हमारे निकाह की बात तो हम दिल से बहुत पहले ही किसी और को अपना हमसफ़र क़ुबूल कर चुके हैं; बस अब फ़ॉर्मेलिटी के लिए निकाह के तीन लफ़्ज़ बोलने रह गए हैं, जो कि वो भी बहुत जल्दी ही पूरा होगा।"
अरमान: "आपको सच में अभी तक वो मज़ाक सच लगता है? और इतने साल गुज़र गए, और आज के टाइम में आपका ज़ामीन से कोई राबता तक नहीं है; और चलिए मान भी लें कि अगर एक बार को वो वापस आ भी जाएँ, तो क्या अहमद अंकल इस रिश्ते के लिए अपनी रज़ामंदी देंगे?"
जन्नत (मुस्कुराकर): "हमें अपने प्यार और रब पर पूरा-पूरा भरोसा है, इसीलिए हमें कोई फ़िक्र नहीं है; और आप हमारी फ़िक्र छोड़ें, अपनी फ़िक्र कीजिए।"
अरमान: "हम तो अपनी ही फ़िक्र कर रहे हैं। और डोंट वरी, बहुत जल्दी ही हम अपने अम्मी और अब्बू जान के साथ आएंगे आपको अपने साथ ले जाने के लिए; और आप फ़िक्र मत कीजिए, हम आपको ज़ामीन मियाँ से मिलवाने ज़रूर ले जाएँगे, और ढूँढने भी जाएँगे; मगर हमारे आपके साथ निकाह होने के बाद।"
जन्नत (अरमान के पास आकर): "यू नो व्हाट? गो टू हेल! वैसे भी वो कहावत तो सुनी है आपने कि कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं हो सकती; तो एक्ज़ैक्टली आपके साथ यही चीज़ है; तो आपके साथ हम अपनी एनर्जी वेस्ट नहीं करना चाहते, क्योंकि हमें और भी काम है; तो बाय अल्लाह हाफ़िज़।"
इतना कहकर जन्नत निशा और सहर के साथ कॉलेज से बाहर निकलने के लिए आगे बढ़ गई।
राज (अरमान का दोस्त): "एक बात बताइए अरमान, पिछले तीन सालों में जन्नत ने कभी आपसे सीधे मुँह बात तक नहीं की है; और इतनी इन्सल्ट करती हैं आपकी, फिर भी आप उनसे ही निकाह करना चाहते हैं; जबकि आप पर पैसा, रुतबा, पर्सनैलिटी, किसी भी चीज़ की कमी नहीं है; और कोई भी अच्छी लड़की आपसे निकाह करने के लिए आसानी से राज़ी हो जाएंगी।"
अरमान: "हाँ, मगर हम अपने दिल के हाथों मज़बूर हैं; और हमारी बचपन की आदत है कि अगर एक बार हमारा दिल किसी चीज़ पर आ गया, तो मुझे फिर या तो हर हाल में हम उसे हासिल करके रहते हैं, या फिर किसी के हासिल करने लायक ही नहीं छोड़ते।"
राज: "मगर वो तो किसी और को चाहती हैं ना?"
अरमान (अपनी मुट्ठी बीनते हुए): "उसकी फ़िक्र हमें नहीं है; और बस एक बार हमारा निकाह हो जाए जन्नत से, फिर हम इन्हें बताएँगे कि अरमान सिद्दीक़ी आख़िर है कौन।"
इधर जन्नत और सहर निशा को अलविदा कहकर घर के लिए निकल पड़ीं।
सहर (रास्ते में): "जन्नत?"
जन्नत: "जी?"
सहर: "अरमान जो कह रहे थे वो..."
जन्नत: "सहर, आपको लगता है कि अरमान जैसे लोगों की बातों को सीरियस लेने की भी कोई ज़रूरत है?"
सहर: "आप ठीक कह रही हैं; मगर अगर ज़ामीन भाई वापस भी आ गए, तो जो कुछ भी माज़ी (पास्ट) में हुआ, तो क्या उसके बाद ताया जान इस रिश्ते को क़ुबूल करेंगे?"
जन्नत (कुछ देर सोचकर): "हम नहीं जानते कि हमारी किस्मत में क्या लिखा है; मगर हम इतना ज़रूर जानते हैं कि ज़ामीन हमारा मुस्तक़बिल (आने वाला कल) है; और इस हक़ीक़त को कोई भी नहीं बदल सकता।"
सहर (मुस्कुराकर): "आई होप ऐसा ही हो।"
जन्नत (मुस्कुराकर): "बेशक, इंशाअल्लाह ऐसा ही होगा।"
इसके बाद जन्नत और सहर घर पहुँचीं और सबको अपना रिजल्ट बताया, और सब लोग बहुत खुश हुए।
दादी (जन्नत का माथा चूमते हुए): "हमें नाज़ (फ़ख्र) है अपनी दोनों ही पोतियों पर; मगर जन्नत, आप तो हमेशा ही हमारा सर और नाम गर्व से ऊँचा करती हैं।"
इकरा (जन्नत को गले लगाकर): "हाँ, हमारा बच्चा है ही इतना ज़हीन (इंटेलिजेंट) और प्यारा।"
जन्नत (मुस्कुराकर): "शुक्रिया चाची जान।"
अमन: "आपी जान, आपने पूरे कॉलेज में टॉप किया है, फिर तो आज पार्टी होगी ना, वो भी बाहर जाकर।"
सहर: "हाँ, बिलकुल होगी।"
जन्नत: "वो सब तो ठीक है; और, दादी जान, चाचू-चाची जान, अम्मी जान, अमन, सहर, हम सब हैं यहाँ; मगर दादू जान और अहमद साहब कहाँ हैं?"
तभी दरवाज़े पर अहमद साहब आए।
अहमद साहब: "हम यहाँ हैं, मेरे बच्चे।"
जन्नत का चेहरा अहमद साहब को देखकर बिलकुल खिल उठा, और वह जल्दी से उनके पास गई। अहमद साहब के हाथ में बहुत सारे शॉपिंग बैग्स थे।
जन्नत: "हाय रब्बा! अहमद साहब, इतनी क्या शॉपिंग करके आए हैं आप? और आप कहाँ थे आप सुबह से?"
अहमद साहब: "हम आपके लिए ही शॉपिंग करने गए थे।"
जन्नत: "हमारे लिए?"
अहमद साहब: "जी, क्यों? आपने अपना इरादा बदल दिया क्या? और आपको देहरादून नहीं जाना क्या?"
जन्नत: "पर आपको कैसे पता था कि हम टॉप ही करेंगे?"
अहमद साहब: "अरे भाई, इसमें पता होने वाली क्या बात है? और वैसे भी हमारी बेटी जन्नत अहमद राजपूत हैं; आप तो पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता ना; और इसीलिए हम आपके लिए सुबह से ही शॉपिंग करने के लिए चले गए थे।"
जन्नत (ख़ुशी से अहमद साहब के गले लगते हुए): "हाय रब्बा! अहमद साहब, आप इतने अच्छे हैं कि हम आपको बता भी नहीं सकते... आई लव यू बहुत सारा..."
अहमद साहब: "आई लव यू टू, बेटा जी।"
जन्नत (ख़ुश होकर): "अब हम अपने देहरादून जाने की तैयारी करते हैं।"
तभी दरवाज़े से जन्नत के दादा जी अंदर आए।
दादा जी: "आप कहीं नहीं जाएँगी, जन्नत।"
अहमद साहब: "अब्बू जान, मगर क्यों? ये तो तय था ना कि जन्नत का रिजल्ट अगर अच्छा आएगा तो वो देहरादून जाएँगी, तो फिर?"
दादा जी: "बस हमने कह दिया तो कह दिया, जन्नत कहीं नहीं जाएँगी।"
ये सुनकर सब थोड़े हैरान हो गए। आख़िर दादा जी ने अचानक ऐसे क्यों मना कर दिया; और अहमद साहब जन्नत की तरफ़ देखकर थोड़े उदास हो गए...
ये सुनकर सब थोड़े हैरान हो गए। आखिर दादा जी ने अचानक ऐसा क्यों मना कर दिया? और अहमद साहब जन्नत की तरफ़ देखकर थोड़े उदास हो गए।
दादी जी: "मगर आपने तो कहा था कि जन्नत देहरादून जा सकती है। फिर अचानक क्या हुआ है? और आप आखिर अब मना क्यों कर रहे हैं?"
दादा जी (थोड़ी उदासी भरी आवाज़ में): "क्योंकि अगर हमारी जन्नत चली जाएगी, तो हमारा घर बिलकुल सूना हो जाएगा। और फिर हमारी लूडो और कैरम की पार्टनर भी तो जन्नत ही है ना। वो चली जाएगी तो हम बिलकुल बोर हो जाएँगे उनके बिना।"
जन्नत (दादा जी के गले लगते हुए): "दादू जान, तो हम कौनसा हमेशा के लिए जा रहे हैं? बस कुछ वक़्त की तो बात है, फिर हम वापस आपके पास आ जाएँगे।"
दादा जी: "हाँ, वो तो है; मगर एक साल, मतलब बारह महीने कम थोड़ी होते हैं।"
जन्नत: "ठीक है। अगर आपको हमारा जाना अच्छा नहीं लग रहा, तो हम कहीं भी नहीं जाएँगे, आपको छोड़कर।"
दादा जी: "मगर फिर आपके ख्वाब का क्या?"
जन्नत: "हमारा ख्वाब हमारे लिए ज़रूरी है, मगर हमारे दादू जान से ज़्यादा नहीं।"
दादा जी: "जब भी हम आपकी ये प्यारी-प्यारी बातें सुनते हैं ना, तो हमारा मन करता है कि आपकी हर बात मानते रहें। और आपको हमारी या किसी की भी वजह से अपने ख्वाबों का गला घोंटने की कोई ज़रूरत नहीं है। इसीलिए आप ज़रूर जाएँगी।"
जन्नत: "नहीं, हमें ऐसे नहीं जाना।"
दादा जी: "मतलब?"
जन्नत (दादा जी के गालों को खींचते हुए): "मतलब ये कि जब तक हम अपने हैंडसम से दादू जान के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल नहीं देख लेते, तब तक हम कहीं भी नहीं जाएँगे।"
दादा जी (स्माइल करते हुए): "अब ठीक है?"
जन्नत: "नहीं, ऐसे नहीं। हमारे दादू जान वाले स्टाइल में मुस्कुराकर दिखाइए, वो भी पूरे दाँतों के साथ।"
दादा जी जन्नत के कहने पर अपने बचे-कुछ दाँतों को दिखाकर हँसने लगे। और जब भी वे ऐसे हँसते थे, तो सच में बहुत ही क्यूट, छोटे बच्चे से लगते थे। उन्हें और जन्नत को देखकर बाकी सब भी मुस्कुरा उठे। शाम को सभी लोग खाने पर बाहर गए। दो दिन बाद ही जन्नत को देहरादून के लिए निकलना था। ये दो दिन पैकिंग करने और बाकी के कामों को निपटाने में ही निकल गए। और आज आखिरकार जन्नत देहरादून जाने के लिए अपने वालिद के साथ निकल रही थी। सब लोग जन्नत को जाते देखकर थोड़े उदास और भावुक थे।
मिसेज़ अहमद (उदास होकर): "अपना ख्याल रखिएगा। और कोई भी बात हो तो आप फ़ौरन हमें फ़ोन कीजिएगा।"
जन्नत (मिसेज़ अहमद को गले लगाते हुए): "जी अम्मी जान। और आप इतना उदास क्यों हो रही हैं? हम बस जल्दी ही वापस आ जाएँगे। और फिर हम कोई अनजान जगह थोड़ी जा रहे हैं, बल्कि फुप्पो जान (बुआ) के घर ही तो रुकने जा रहे हैं।"
दादी जान: "जी, और हमारी बात भी हो गई है सीमा से कि आप और अहमद आज वहाँ पहुँच रहे हैं।"
जन्नत (दादी से गले लगकर): "ठीक है दादी जान।"
इकरा (जन्नत को गले लगाते हुए): "बस अपना ध्यान रखिएगा जन्नत।"
जन्नत: "जी चाची जान, और आप भी।"
सहर: "हम आपको बहुत मिस करेंगे जन्नत।"
जन्नत (सहर से गले लगकर): "हम भी आपको बहुत मिस करेंगे।"
अमन (जन्नत के गले लगते हुए): "आपी, जल्दी वापस आइएगा। हमारा मन नहीं लगता आपके बिना।"
जन्नत (अमन के गाल खींचते हुए): "जी, हम जल्दी ही वापस आएँगे। और फिर हम जब तक वहाँ रहेंगे, तब तक डेली आपको वीडियो कॉल भी करेंगे।"
अहमद साहब: "जन्नत, चलिए अब। वरना ट्रेन छूट जाएगी।"
जन्नत: "जी, चलिए।"
दादा जी: "हम आपको बहुत-बहुत-बहुत ज़्यादा याद करेंगे, हमारे बच्चे।"
जन्नत (दादा जी के गले लगते हुए): "हम भी दादू जान। और सबसे ज़्यादा सुबह-सुबह हमारी पैशनी (माथा) का आपका बोसा (चूमना, किस) लेना हम बहुत मिस करेंगे।"
दादा जी (माथे को चूमते हुए): "बस मन लगाकर पढ़ाई कीजिएगा और अपने ख्वाब को पूरा कर, उसे अपना मुस्तक़बिल (आने वाला कल) बनाकर ही लौटिएगा। और बाकी तो आप हैं ही राजपूत, तो किसी चीज़ का डर होने का सवाल ही नहीं उठता।"
जन्नत (मुस्कुराकर): "जी दादू जान।"
इसके बाद जन्नत अपने वालिद के साथ देहरादून के लिए निकल गई। अंधेरा गहराने लगा था और अहमद साहब भी सो चुके थे; मगर जन्नत की आँखों से नींद कोसों दूर थी। वह खिड़की के बाहर अपनी मोहब्बत की मदहोशी में खोई हुई सी, रात में चाँद का नज़ारा देख रही थी। और खिड़की से आती हवा के झोंकों से जन्नत के बालों की लटें उसके चेहरे पर लहरा रही थीं; जिसकी वजह से वह चाँदनी रात में और भी खूबसूरत लग रही थी।
जन्नत (दिल में): "जानते हैं ज़मीन, आप जब से गए हैं, तब से एक लम्हा, एक पल ऐसा नहीं गया जब हमारे दिल-ओ-ज़हन (दिमाग) ने हमें आपकी यादों से रूबरू (आमना-सामना या समक्ष) ना करवाया हो... हम खुश हैं और हमेशा खुश ही रहने की कोशिश भी करते हैं; मगर हमेशा हमें और हमारे दिल को आपकी कमी खलती (खटकती) है... ये महताब (चाँद), आफ़ताब (सूरज) और तारे सब इस बात के गवाह हैं कि हम आपके बिना कितने तन्हा हैं... अब बस कीजिए, हमारी और ज़्यादा आज़माइश (परीक्षा) मत लीजिए और वापस आ जाइए ज़मीन, और अपना वादा और हमारे अधूरे इश्क़ को मुकम्मल (पूरा) कर दीजिए...."
जन्नत अपने बैग से एक बॉक्स निकालती है, जिसमें जन्नत और ज़मीन की कुछ पुरानी यादें थीं। और जन्नत ज़मीन के दूर जाने के बाद बस इन्हीं यादों के सहारे जी रही थी। इस बॉक्स में कुछ तोहफ़े थे, जो थे तो ऐसे ही मामूली; मगर जन्नत के लिए सबसे ज़्यादा अनमोल थे, क्योंकि ये उसे उसके प्यार ने दिए थे; और आज तक उसने इन्हें अपनी जान से ज़्यादा संभालकर रखा था। तभी जन्नत बॉक्स में से एक लेटर निकालती है और उसे खोलकर पढ़ते हुए वह अतीत की यादों में खो जाती है.....
(फ़्लैशबैक.....)
जन्नत को हमेशा से ही शायरी और ऐसे गाने पसंद थे, जिसमें सच्चे इश्क़ का एहसास भरा हो और जो दिल को सुनने के बाद एक सुकून देते थे। जन्नत अपने कमरे में बैठकर अपनी अलमारी सही करने का काम कर रही थी; तभी नीचे से जन्नत को ज़मीन के पुकारने की आवाज़ आती है।
ज़मीन: "जन्नत... जन्नत कहाँ हैं आप???"
जन्नत (आवाज़ देते हुए): "हम यहाँ हैं ज़मीन, ऊपर कमरे में।"
ज़मीन (ऊपर आकर): "ओहो! पूरे घर में हमने आपको ढूँढ लिया, और आप यहाँ बैठी हैं।"
जन्नत (काम करते हुए): "क्या हुआ? आप हमें क्यों ढूँढ रहे थे?"
ज़मीन: "क्यों ढूँढ रहे थे? मतलब अगर हमें कोई काम होगा, तभी क्या हम आपको ढूँढेंगे?"
जन्नत (अपनी अलमारी सही करते हुए): "हाय रब्बा!!... हमारे कहने का ये मतलब नहीं था।"
ज़मीन (जन्नत के हाथ से कपड़े लेते हुए): "मगर आपका मतलब तो यही लग रहा था। और दूसरी चीज़, हमसे बात करते हुए आप सिर्फ़ पूरी तरीके से हम पर तवज्जो (ध्यान) दिया करें। क्योंकि हमें ये बिलकुल ना-गवार (अच्छा नहीं लगना या नामंज़ूर) है कि आप हमारे सामने किसी और चीज़ को हमसे ज़्यादा तवज्जो दें।"
जन्नत (अपनी आइब्रो ऊपर करते हुए): "हाय रब्बा!! मतलब हम अब अपने काम भी ना करें।"
ज़मीन (नाराज़गी से): "ठीक है, तो आप अपने काम कीजिए आराम से। हम जा रहे हैं यहाँ से।"
जन्नत (रास्ते रोकते हुए): "अरे, हम तो बस मज़ाक कर रहे थे। आप इतना सीरियस क्यों हो गए? अच्छा, एम् सॉरी।"
ज़मीन (अपना मुँह घुमाते हुए): "हमें आपसे कोई बात नहीं करनी।"
जन्नत: "देखें ज़मीन, अब आप हमें मज़ीद (और ज़्यादा) परेशान ना करें... आप जानते हैं कि हम आपसे कभी नाराज़ नहीं हो सकते।"
ज़मीन: "और आप भी जानती हैं कि हम भी आपसे कभी नाराज़ नहीं हो सकते। आखिर आप हमारी इकलौती बेस्ट फ़्रेंड जो ठहरीं।"
जन्नत (मुस्कुराकर): "अच्छा, अब हमें बताइए कि आप हमें क्यों ढूँढ रहे थे?"
ज़मीन (अपनी जेब से लेटर निकालते हुए): "ये देखिए।"
जन्नत (लेटर देखते हुए): "ये क्या है?"
ज़मीन: "आपको शायरी और प्यार भरे नगमे बहुत पसंद हैं ना, तो हमने आपके लिए कुछ तैयार किया है।"
जन्नत (खुश होकर): "हमारे लिए... तो सुनाइए ना?"
ज़मीन: "मगर...."
जन्नत: "मगर क्या?"
ज़मीन: "मगर ये अभी कुछ ही सफ़ (लाइन्स) का है और मुकम्मल (पूरा) नहीं हुआ है। क्लास में बैठकर ये हमें इतना ही समझ आया; मगर आई प्रॉमिस, हम इसे ज़रूर पूरा सुनाएँगे, वो भी आपके लिए सिर्फ़।"
जन्नत: "कोई बात नहीं; मगर अभी फ़िलहाल तो आप हमें इतना ही सुनाइए, क्योंकि हम बहुत ही बेसब्र और बेताब हुए जा रहे हैं इसे सुनने के लिए।"
ज़मीन: "ठीक है, मोहतरमा (मिस), जैसे आपका हुक्म...."
इसके बाद ज़मीन गाना शुरू करता है।
ज़िन्दगी गँवाकर भी जो ज़िन्दगी मिले,
हर खुशी गँवाकर भी जो एक खुशी मिले,
ज़िन्दगी गँवाकर भी जो ज़िन्दगी मिले,
हर खुशी गँवाकर भी जो ज़िन्दगी मिले,
वो माँग लूँ तेरे लिए, तेरे लिए,
तेरे लिए.....
जन्नत तो जैसे इस गाने के इन अल्फ़ाज़ में खो सी गई थी; और ज़मीन जब जन्नत के चेहरे के आगे चुटकी बजाता है, तब वह अपने ख्यालों से बाहर आती है।
ज़मीन: "क्या हुआ? आपको पसंद नहीं आया?"
जन्नत (खुशी से): "हमें बहुत-बहुत पसंद आया; मगर आप इसे पूरा कब गाएँगे?"
ज़मीन: "हाँ, हम एक दिन आपके लिए इसे पूरा ज़रूर गाएँगे।"
जन्नत (मुस्कुराकर): "और हम उस दिन का इंतज़ार करेंगे।"
(फ़्लैशबैक एंड......)
जन्नत (दिल में): "इतना अरसा (समय) गुज़र गया। अब तो आ जाइए वापस। आपकी जन्नत कब से आपका इंतज़ार कर रही है ज़मीन।"
इसके बाद जन्नत अपनी अतीत की यादों को समेटकर कब नींद के आगोश में चली जाती है, उसे पता भी नहीं चलता; और सुबह को अहमद साहब की आवाज़ से उसकी आँख खुलती है।
अहमद साहब: "हम बस पहुँचने ही वाले हैं बेटा जी, आप उठकर फ़्रेश हो जाइए।"
जन्नत: "जी।"
इसके बाद कुछ ही वक़्त में जन्नत अहमद साहब के साथ देहरादून पहुँच जाती है और स्टेशन पर उतरती है, जहाँ पर एक हैंडसम सा लड़का उन्हें पिक करने के लिए पहले से ही खड़ा था।......!!
इसके कुछ ही समय बाद जन्नत अहमद साहब के साथ देहरादून पहुँची और स्टेशन पर उतरीं, जहाँ एक आकर्षक युवक पहले से ही उन्हें लेने के लिए खड़ा था।
अयान: अस्सलामुअलैकुम मामू जान।
अहमद साहब: वालेकुम अस्सलाम अयान बेटा, कैसे हैं आप?
अयान: हम ठीक हैं मामू जान, आप कैसे हैं?
अहमद साहब: हम भी बिलकुल ठीक हैं।
अयान: हमारी जन्नत साहेबा कहाँ रह गई हैं?
जन्नत (पीछे से आते हुए): हम यहाँ हैं अयान भाई जान।
अयान (जन्नत को गले लगाकर): कैसी हैं आप?
जन्नत: अल्हम्दुलिल्लाह (रब का शुक्र है) हम बढ़िया, आप बताइए कैसे हैं?
अयान: बिलकुल फिट एंड फाइन।
जन्नत: और बाकी सब कैसे हैं घर में भाई जान?
अयान: अल्हम्दुलिल्लाह सब ठीक हैं।... लखनऊ में सब कैसे हैं?
जन्नत: ओहो!! अब आप स्टेशन पर ही सब तफ़्तीश (पूछताछ) कर लेंगे? कुछ घर के लिए भी छोड़ दें।
अयान (हँसते हुए): जैसा आप कहें मैडम जी, चलिए।
जन्नत (मुस्कुराकर): ओके, अहमद साहब, चलें?
अहमद साहब: जी, चलिए।
अयान अहमद साहब की छोटी बहन सीमा का बेटा था। सीमा अपने परिवार के साथ देहरादून में ही रहती थी। उनके परिवार में सीमा, उनके पति आमिर, आमिर के पिता, और आमिर की वालिदा (माँ) – जिनकी कुछ साल पहले मृत्यु हो चुकी थी – अयान (सबसे बड़ा बेटा), फिर अज़ान, और फिर सारा थीं। अयान शांत स्वभाव का था, जबकि अज़ान उसके विपरीत, हमेशा मस्ती करने वाला था; और सारा सबकी लाडली और बहुत ही प्यारी थी। अज़ान, सारा और जन्नत लगभग हमउम्र थीं। जन्नत की सबके साथ अच्छी बॉन्डिंग थी और सब उसे पसंद भी करते थे, सिवाय अज़ान के... ऐसा नहीं था कि अज़ान या जन्नत एक-दूसरे को बिलकुल पसंद नहीं करते थे; बस इन दोनों में बचपन से ही नोक-झोंक चलती आ रही थी और दोनों एक-दूसरे को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। कुछ ही देर में अयान के साथ जन्नत और अहमद साहब अयान के घर पहुँचे और एक-एक करके सबसे मिले। सभी लोग बहुत खुश हुए। कुछ देर बातें करने के बाद जन्नत सारा के साथ उसके कमरे में फ़्रेश होने गई। हालाँकि घर में बहुत से खाली कमरे थे; मगर सारा और जन्नत एक-दूसरे के साथ रहना चाहती थीं; इसलिए दोनों सारा के कमरे में ही रुकने वाली थीं। सारा के कमरे के सामने ही अज़ान का कमरा था; और अज़ान के कमरे के बराबर में एक कमरा और था; और अयान और बाकी घरवालों के कमरे नीचे थे।
जन्नत (अज़ान के कमरे की तरफ़ इशारा करते हुए): ये तो अज़ान का रूम है ना?
सारा: जी।
जन्नत: हैं कहाँ ये जनाब? आज कहीं दिखाई नहीं दिए?
सारा: अपनी नई गर्लफ़्रेंड के साथ ही ज़्यादा रहते हैं आजकल। और दोनों किसी टूर पर गए हैं, कल ही वापस लौटेंगे।
जन्नत: नई गर्लफ़्रेंड... वो कौन है? और ये कब हुआ?
सारा: आज आप आई हैं ना, धीरे-धीरे सब समझ जाएँगी।
जन्नत: मगर हमें भी बताइए ना, किसके बारे में बात कर रही हैं आप?
सारा: वो जो अज़ान भाई के कमरे के बराबर में कमरा है ना, वहीं रहती हैं अज़ान भाई की गर्लफ़्रेंड।
जन्नत (हैरानी के साथ): क्या? और फुप्पी जान ने उन्हें ऐसा करने की इज़ाज़त दे दी?
सारा: वो एक्चुअली क्या है ना कि हम....
तभी सारा को नीचे से आवाज़ आई, और वह जन्नत से फ़्रेश होने का बोलकर नीचे चली गई। थोड़ी ही देर में जन्नत भी नीचे आ गई। रात तक कैसे समय बीता, बातों ही बातों में पता ही नहीं चला; और अगले दिन अहमद साहब को लखनऊ के लिए निकलना था। रात को खाने के बाद, देर रात तक बातें करने के बाद, सब लोग आराम करने के लिए चले गए। अगले दिन सुबह ही अयान अहमद साहब को स्टेशन छोड़ने के लिए तैयार हो गया। सब लोग चाहते थे कि कुछ दिन अहमद साहब यहीं रुकें; मगर काम के सिलसिले में उन्हें तुरंत वापस जाना पड़ रहा था।
अहमद साहब: अच्छा सीमा, हम चलते हैं। और इस बार लखनऊ, सबके साथ आइएगा आप भी।
सीमा: जी भाई जान, हम ज़रूर आएंगे।
आमिर: अच्छा होता भाई जान, अगर आप कुछ वक़्त और हमारे साथ रुकते। तो हमें ऐसे बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा।
सारा: जी मामू जान, रुक जाइए ना आप भी यहीं?
अहमद साहब: हम रुक तो जाते, अगर काम का मसला (मामला) नहीं होता तो। और फिर आप लोग ख़ामख़ा (बेकार में) ही उदास हो रहे हैं। हम फिर आ जाएँगे, इसमें क्या है।
आमिर: जी बिलकुल, हम सब आपका इंतज़ार करेंगे। बल्कि आप इस बार सभी के साथ देहरादून आइएगा। और वैसे भी आपके घर की रौनक (जन्नत) तो यहाँ आ गई है, तो वो घर तो वैसे ही सूना हो गया होगा।
अहमद साहब (जन्नत की तरफ़ देखकर): जी, ये तो बिलकुल सही है।
आमिर (जन्नत के सर पर हाथ रखकर): जी, मगर हमारे घर की रौनक ज़रूर बढ़ गई है।
सीमा (मुस्कुराकर): हाँ, बिलकुल।
दादा जी (आमिर के पिता): अहमद बेटा, जल्दी आइएगा।
अहमद साहब: जी, ज़रूर।
अयान (बाहर से आते हुए): चलिए मामू जान, हमने आपका सामान बाहर गाड़ी में रखवा दिया है।
अहमद साहब (अपना सर हिलाते हुए हाँ कहते हैं)... जन्नत से: अपना ख्याल रखिएगा, और कुछ भी बात हो तो हमें बस एक फ़ोन कर दीजिएगा।
जन्नत: हम तो ठीक हैं। और फुप्पी जान और बाकी सब हैं हमारे लिए। बस आप अपना और बाकी सब का ख्याल रखिएगा।
अहमद साहब: जी।
जन्नत (अपनी आइब्रो ऊपर करते हुए): अहमद साहब, अगर हमें पता भी चला कि आपने अपनी मेडिसिन लेने में या खाने में ज़रा भी कोताही (कमी) करी है, तो फिर जन्नत राजपूत को आप अच्छे से जानते हैं।
अहमद साहब (मुस्कुराकर जन्नत को गले लगाते हुए): नहीं, हम ऐसा बिलकुल नहीं करेंगे। क्योंकि हमें आपसे डाँट थोड़ी खानी है।
जन्नत (मुस्कुराकर): डेट्स लाइक अ गुड बॉय।
अहमद साहब (जन्नत के माथे को चूमकर): अल्लाह हाफ़िज़, ख्याल रखिएगा अपना।
जन्नत (अपना सर हिलाते हुए): अल्लाह हाफ़िज़।
इसके बाद अहमद साहब लखनऊ जाने के लिए रवाना हो गए। अगले दिन सुबह को जन्नत को कॉलेज में अपने एडमिशन के कुछ प्रोसीज़र पूरे करने के लिए कॉलेज जाना था, तो वह उसी की तैयारियों में लग गई। देर रात अहमद साहब लखनऊ पहुँचे और जन्नत और सबको फ़ोन करके यह बात बताई। इत्तेफ़ाक़ से जिस कॉलेज में जन्नत का एडमिशन होने वाला था, उसी कॉलेज में सारा ने भी हाल ही में मास्टर डिग्री के लिए एडमिशन लिया था। अगले दिन फ़ज़्र की नमाज़ (मुस्लिम लोगों में सुबह सूरज निकलने से पहले पढ़ी जाने वाली नमाज़, या दिन की सबसे पहली नमाज़ होती है।) पढ़कर जन्नत और सारा सुबह ही कॉलेज के लिए निकल गईं और दोपहर तक जन्नत अपने एडमिशन के प्रोसीज़र पूरे कर ली।
सारा: हो गया आपका काम पूरा?
जन्नत: जी, हो गया। घर चलें?
सारा: जी, चलते हैं। बस अयान भाई आने ही वाले होंगे। तब तक हमें अपनी एक फ़्रेंड से नोट्स के लिए मिलना है, तो बस हम थोड़ी देर में आते हैं।
जन्नत: ठीक है, आप जाइए। हम आपको वो सामने पार्क में मिलेंगे।
सारा: ठीक है।
इसके बाद सारा वहाँ से चली गई और जन्नत वहीं बेंच पर बैठकर सारा का इंतज़ार कर रही थी। तभी जन्नत के पास सहर की कॉल आई और वह सहर से कॉलेज के पार्क में चलते-चलते ही बातें करने लगी। बात करते-करते जन्नत जैसे ही पीछे पलटी, तो अचानक किसी से टकरा गई। जन्नत के हाथ से फ़ोन छूटकर नीचे ज़मीन पर गिर गया और जन्नत के सफ़ेद सूट पर उस शख्स के हाथ से थोड़ी कोल्डड्रिंक गिर गई। जन्नत नाराज़गी से उस शख्स की तरफ़ देखी, जो जन्नत से थोड़ा बहुत ही उम्र में बड़ा था। उसकी बड़ी-बड़ी भूरी आँखें, परफेक्ट फिगर एंड मस्क्युलर बॉडी, गोरा रंग और लम्बा-चौड़ा कद और ऐसी पर्सनैलिटी कि उसे एक बार देखने के बाद हर कोई अपनी नज़रें दुबारा उठाकर ज़रूर देखे। दोनों कानों में हेडफ़ोन और एक हाथ में कोल्डड्रिंक की बोतल थी।
जन्नत (नाराज़गी से): हाय रब्बा!! आपको दिखाई नहीं देता?
शख्स (अपने हेडफ़ोन निकालते हुए): और यही सवाल हम आपसे पूछें तो?
जन्नत: आप देखकर नहीं चल सकते थे?
शख्स: अगर हम देखकर नहीं चल रहे थे, तो आँखें तो शायद आपकी भी, मोहतरमा, बंद थीं!!!
जन्नत (नाराज़गी से): एक तो आपने गलती की, और बजाय माफ़ी-तलाफ़ी (हर्जाना या पूर्ति) के आप उल्टा हमें ही दोषी ठहरा रहे हैं?
शख्स (जाने के लिए आगे बढ़ते हुए): तो हम ही क्यों मानें कि गलती हमारी है?
जन्नत (रास्ता रोकते हुए): देखिए, हमारे गुस्से को बिना वजह ना बढ़ाएँ और बिना किसी बहस के माफ़ी माँगें हमसे अभी।
शख्स (अपनी आइब्रो ऊपर करते हुए, अपने हाथ बाँधते हुए): ओह, रियली? और आपसे माफ़ी माँगने की ज़रूरत क्यों है?
जन्नत: क्योंकि गलतियों की माफ़ी माँगी जाती है।
शख्स: या राईट... गलतियों की माफ़ी माँगी जाती है; और हमें लगता है कि हमें बेशक आपसे माफ़ी माँगनी चाहिए; मगर बशर्ते उससे पहले हमें गलती ज़रूर करनी चाहिए।
इससे पहले जन्नत कुछ समझती या बोलती, वह लड़का जन्नत के सफ़ेद कपड़ों पर बाकी बची पूरी कोल्डड्रिंक फेंक देता है; और जन्नत अचानक हुए इस वाक्ये को समझ ही नहीं पाती।
शख्स (विक्टरी स्माइल के साथ): नाउ एम् सॉरी मोहतरमा... नाउ यू आर हैप्पी???
जन्नत उस शख्स और अपने कपड़ों को देखकर गुस्से से लाल हो गई...!!
जन्नत गुस्से से अपनी ड्रेस की ओर देखती थी।
जन्नत: "आपकी हिम्मत कैसे हुई हमारे साथ ऐसा करने की? हम आपको..."
तभी पीछे से सारा जन्नत को आवाज़ देती है, और वह पीछे पलटी।
सारा: "क्या हुआ है जन्नत? (जन्नत की ड्रेस देखते हुए) और ये क्या हो गया?"
जन्नत (गुस्से से वापस पलटी): "ये सब इनकी वजह से..."
जन्नत वापस पलटी, मगर तब तक शख्स वहाँ से जा चुका था।
सारा (जन्नत के सामने आते हुए): "ये कैसा हुआ जन्नत?"
जन्नत (ख़राब मूड से): "अभी हमें घर चलना चाहिए, अयान भाई जान हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे।"
सारा: "जी, चलिए।"
जन्नत और सारा कॉलेज के बाहर गईं, जहाँ पर अयान पहले से ही उनका इंतज़ार कर रहा था।
अयान: "जन्नत, आपकी ड्रेस को क्या हुआ?"
जन्नत (नाराज़गी से): "भाई जान, एक पागल, स्टुपिड और बदतमीज़ इंसान ने हमारे साथ ये किया।"
अयान: "किसने?"
जन्नत: "हम नहीं जानते। बस अगर वो अब हमारे सामने आए ना, तो हम जान ले लेंगे उनकी।"
अयान: "अरे बस बस, इतना गुस्सा! वो भी किसी ऐसे शख्स के लिए, जिन्हें आप जानती भी नहीं।"
सारा: "मगर एक्चुअली में हुआ क्या था?"
जन्नत ने अयान और सारा को पूरी बात बताई, और फिर तीनों घर के लिए निकले। कुछ देर बाद तीनों घर पहुँच गए। लिविंग एरिया में जन्नत को अज़ान मिला।
अज़ान (जन्नत से): "तूफ़ान मेल... कैसे हैं आप?"
जन्नत: "हम तो ठीक हैं, आप बताइए?"
अज़ान (अयान से): "भाई, ये सचमुच जन्नत ही है ना? क्योंकि पहली बार नहीं, एक्चुअली ज़िन्दगी में पहली बार हमें जन्नत जी ने सीधा-सीधा जवाब दिया।"
जन्नत: "देखिए अज़ान, हमारा मूड पहले से ख़राब है। आप मज़ीद हमारा मूड मत ख़राब कीजिए।"
अज़ान: "मगर आपका मूड क्यों ख़राब है?"
सारा ने अज़ान को कॉलेज में हुई पूरी बात बताई।
अज़ान: "ओहो! बताइए हमें, कौन है वो? और कहाँ मिली आप उनसे?"
अयान: "अरे अज़ान, छोड़िए भी। कुछ लोग ऐसे ही होते हैं, जाने दीजिए।"
अज़ान: "अरे नहीं भाई जान, वो शख्स जो भी थे, आख़िर उन्होंने हमें बराबर की टक्कर दी है, तो हमें मिलना तो चाहिए ना उनसे।"
सारा: "आपको?"
अज़ान: "जी, क्योंकि इस पूरी दुनिया में हमारी तूफ़ान मेल को झेलना और बराबर टक्कर देने में अभी तक बस हमारा ही नाम शामिल था; मगर आज किसी दिलेर ने ये साबित कर दिया कि इस दुनिया में बेख़ौफ़ लोग और भी हैं।"
जन्नत: "हा हा हा हा... वेरी फ़नी... सच में बहुत ही ख़राब जोक था।"
अज़ान (हँसते हुए): "सच में।"
जन्नत: "चुप रहें आप।"
अयान: "अज़ान??"
अज़ान (अपनी हँसी रोकते हुए): "ओके, नोट अगेन भाई..."
अयान: "अच्छा, बाकी सब लोग कहाँ हैं घर में?"
अज़ान: "वो अम्मी जान और दादू जी पास में ही गए हैं, मार्केट तक। आते ही होंगे। और पापा जी अभी ऑफ़िस से आए नहीं।"
सारा: "और भाभी कहाँ है अज़ान भाई?"
अयान: "सारा, फिर आप शुरू हुईं?"
सारा: "ओके ओके... सॉरी भाई।"
अज़ान (मज़ाक बनाते हुए): "वैसे ये कलरफ़ुल सूट आप पर ऐसे बहुत ही जंच रहा है।"
जन्नत: "अज़ान, आप..."
सारा (बीच में ही): "जन्नत, आप छोड़िए भाई की बातों को। आप जाकर चेंज कर लीजिए, हम भी अभी आते हैं।"
जन्नत: "जी।"
इसके बाद जन्नत अपने रूम में चली गई और फ़्रेश होकर वहीं बिस्तर पर लेट गई; और कब वो नींद के आगोश में चली गई, उसे पता ही नहीं चला। कुछ समय बाद शाम को सारा जन्नत को उठाती है।
सारा: "उठिए जन्नत, कब से सो रही हैं आप?"
जन्नत (अपनी आँखें मलते हुए): "क्या हुआ है सारा?"
सारा: "मैडम जी, 8 बजने वाले हैं। चलिए उठिए और खाना खा लीजिए, अम्मी जान ने कहा है।"
जन्नत: "ठीक है, हम आते हैं। आप चलिए।"
सारा: "ओके, पर जल्दी आइएगा।"
जन्नत: "जी।"
जन्नत बिस्तर से उठकर फ़्रेश हुई; तभी मिसेज़ अहमद का फ़ोन आया और जन्नत के चेहरे पर खुशी के भाव आ गए और वो जल्दी से फ़ोन उठाकर बात करने लगी। और सबसे बात करते-करते जन्नत कमरे से बाहर आकर वहीं हॉल में चलते-चलते बात करने लगी और कुछ देर बाद फ़ोन रख दिया। तभी नीचे से सारा जन्नत को अज़ान को बुलाकर लाने के लिए आवाज़ देती है और जन्नत अज़ान के कमरे की तरफ़ अपने क़दम बढ़ाती है और उसके कमरे पर नॉक करती है; मगर अज़ान कोई जवाब नहीं देता और दरवाज़ा, जो कि पहले से ही खुला था, उसे खोलकर जन्नत अंदर जाती है; मगर अज़ान पूरे रूम में कहीं भी नज़र नहीं आता। जन्नत अज़ान के कमरे से बाहर आती है और नीचे जाने के लिए क़दम बढ़ाती है; कि तभी अज़ान के बराबर वाले रूम की लाइट ऑन देखकर जन्नत अज़ान को देखने उस रूम की तरफ़ जाती है और बाहर खड़े होकर नॉक करती है; मगर वहाँ से भी कोई जवाब नहीं आता और जन्नत वापस जाने के लिए मुड़ती है; कि उसे अंदर से किसी के गुनगुनाने की आवाज़ आती है। और जन्नत धीरे से दरवाज़ा खोलकर अंदर जाती है और अपनी नज़रें चारों तरफ़ कमरे में दौड़ाती है। और जब उसकी नज़र बिस्तर पर आँख बंद करके लेटे, हेडफ़ोन लगाए उसी कॉलेज वाले शख्स पर पड़ती है, तो आज हुई सारी घटना एक बार फिर जन्नत की नज़रों के सामने दौड़ पड़ती है और जन्नत को उस शख्स को देखकर फिर से गुस्सा आ जाता है और वो इधर-उधर कुछ ढूँढ़ते हुए देखने लगती है। और बिना कुछ बोले, टेबल पर रखे जूस के जग को उठाकर पूरी ताक़त के साथ पूरा का पूरा जूस बेड पर लेटे हुए उस शख्स के मुँह और बॉडी पर फेंक देती है। और अचानक हुई उस घटना से वो शख्स चौंककर हैरानी के साथ जल्दी से उठकर बिस्तर पर बैठ जाता है और सामने खड़ी जन्नत को देखकर वो सारा माजरा समझ जाता है।
शख्स (नाराज़गी से): "आर यू मेड और व्हाट?"
जन्नत: "ना तो हम पागल हैं और ना ही कुछ और। बस हमें आप जैसे एबनॉर्मल लोगों को अच्छे से सही करना आता है। और दुबारा जन्नत राजपूत से टक्कर लेने की कोशिश भी की ना, तो ये तो सिर्फ़ ट्रेलर था। आगे हम क्या करेंगे, आप सोच भी नहीं सकते।"
शख्स: "खुद को समझती क्या हैं आप? अपनी ऐटिट्यूड की हाइट देखी है? आपसे भी ज़्यादा बड़ी है। और आपकी हिम्मत कैसे हुई हमारे साथ ये करने की?"
जन्नत: "हम क्या करें? आप जैसे लोगों को देखकर हमारे अंदर ऐटिट्यूड आ ही जाता है। और हमारे अंदर भले ही ऐटिट्यूड हो, मगर कम से कम हम ख़ड़ूस तो बिलकुल नहीं हैं, आपकी तरह।"
शख्स: "एक तो हमारे ऊपर जूस डाला, और उस पर आपने हमें ख़ड़ूस कहा... यू..."
वो शख्स जन्नत की तरफ़ बढ़ता है; तभी बालकनी से दरवाज़ा खोलकर अज़ान अंदर आता है और दोनों को लड़ता देखकर जल्दी से दोनों के बीच में आ जाता है।
अज़ान: "अरे क्या हुआ है? आप दोनों ऐसे क्यों लड़ रहे हैं?"
जन्नत: "इनसे पूछिए अज़ान, ये हमारे घर में क्या कर रहे हैं? और कौन है ये?"
शख्स: "एक्सक्यूज़ मी... आप बताइए, आप हमारे कमरे में क्या कर रही हैं?"
जन्नत: "आपका रूम... दिमाग तो ठीक है ना आपका?"
शख्स: "हमारा दिमाग तो ठीक है, मगर शायद आपका ठीक नहीं है..... ओह सॉरी, हम तो भूल ही गए थे कि आपके पास तो दिमाग ही नहीं है शायद...."
जन्नत (गुस्से से): "आपको तो हम..."
अज़ान: "अरे बस कीजिए आप दोनों.... स्टॉप इट।"
जन्नत: "हमने कुछ नहीं किया। ये वही मिस्टर बदतमीज़ ख़ड़ूस है, जिन्होंने कॉलेज में आज हमारी ड्रेस ख़राब की... मगर इनसे पूछिए कि ये यहाँ कर क्या रहे हैं?"
अज़ान: "जन्नत, रिलैक्स। हम बताते हैं... ये अबीर है, अम्मी जान के दूर के भाई के बेटे; और पिछले कुछ महीनों से यहीं रह रहे हैं अपनी पढ़ाई के सिलसिले में। और अबीर, ये जन्नत है, लखनऊ में मामू जान की बेटी; और कल ही यहाँ आई हैं अपनी पढ़ाई के लिए। और इत्तेफ़ाक़ से आप दोनों और सारा का कॉलेज भी सेम ही है। तो हमें लगता है कि अब आप दोनों को एक-दूसरे से दोस्ती कर ही लेनी चाहिए।"
तभी वहाँ सारा आ जाती है।
सारा: "हम कब से आप तीनों का इंतज़ार कर रहे हैं। चलिए खाना खा लीजिए।"
अज़ान: "जी, हम बस आ ही रहे थे।"
सारा (अबीर पर गौर करते हुए हँसकर): "अबीर भाई, ये जूस पीने के लिए था, नहाने के लिए नहीं।"
अबीर: "जी सारा, हम जानते हैं; मगर कुछ बद्दिमाग़ लोगों को ये बात शायद समझ नहीं आती।"
जन्नत (अबीर की तरफ़ देखकर): "जी, बिलकुल सच है। ये सारा कुछ लोग वाक़ई बद्दिमाग़ ही पैदा होते हैं।"
सारा: "हमें कुछ समझ नहीं आ रहा कि आप लोग क्या कह रहे हैं। अच्छा, जन्नत, आप अज़ान भाई की गर्लफ़्रेंड, मतलब कि अबीर भाई से मिली?"
जन्नत (अबीर को घूरते हुए): "बहुत अच्छे से।"
अबीर: "वाक़ई, हम भी इस मुलाक़ात को कभी भूलेंगे भी नहीं।"
जन्नत: "और हम भूलने भी नहीं देंगे आपको।"
सारा इशारे से अज़ान से पूछती है कि आख़िर ये सब क्या चल रहा है; और अज़ान उसे आँखों से बाद में बताने का इशारा करता है।
सारा: "तो मतलब आप दोनों की दोस्ती हो गई?"
अबीर (हँसकर जन्नत की तरफ़ इशारा करके): "इनसे दोस्ती? वो भी हम... इम्पॉसिबल।"
जन्नत: "एक्ज़ैक्टली! हमसे दोस्ती करना आपके लिए इम्पॉसिबल ही है। क्योंकि आप अगर दस जन्म भी ले लेंगे, तब भी हमारे दोस्त बनने के काबिल नहीं हैं आप।"
अबीर: "और हमें आपका दोस्त बनने का शौक़ भी नहीं है; मगर हाँ, आपसे एक रिश्ता तो हमने बना ही लिया है, और वो है दुश्मनी और बदले का रिश्ता। (हाथ आगे बढ़ाते हुए)"
जन्नत (अबीर से हाथ मिलाते हुए): "डोंट वरी, इसमें तो हम भी आपका पूरा-पूरा साथ देंगी।"
अबीर: "मिस राजपूत, नाउ जस्ट वेट एंड वॉच।"
जन्नत: "यू टू।"
इतना कहकर जन्नत वहाँ से चली जाती है और अबीर वाशरूम में चेंज करने के लिए चला जाता है।
सारा: "भाई, ऐसा लग रहा है इन दोनों को देखकर, जैसे घर में ही युद्ध होने वाला है। और दोनों ही बराबर टक्कर देने और हार ना मानने वालों में से हैं।"
अज़ान: "जी, बिलकुल... ख़ैर, देखते हैं।"
इसके बाद सारा और अज़ान भी डिनर के लिए नीचे चले जाते हैं। कुछ देर बाद अबीर भी चेंज करके नीचे आता है; मगर उसकी नज़रें जन्नत को ही घूर रही थीं। जन्नत के बस बिलकुल सामने वाली कुर्सी खाली रह गई थी और अबीर वहाँ आकर बैठ जाता है। अबीर और जन्नत दोनों ही एक-दूसरे को ऐसे घूर रहे थे, जैसे शिकारी शिकार को घूरता है; और सारा और अज़ान उन दोनों को देखकर इस सोच में डूबे थे कि जाने कौन सा नया युद्ध शुरू होने वाला है...!!
सीमा ने कहा, "अबीर और जन्नत, आप दोनों कुछ खा क्यों नहीं रहे हैं? खाइए ना।"
जन्नत ने उत्तर दिया, "जी, फुप्पी जान।"
अबीर ने कहा, "जी।"
जन्नत ने मन ही मन सोचा, "मिस्टर अबीर, आपको तो हम छोड़ेंगे नहीं।"
अबीर ने मन ही मन सोचा, "मिस राजपूत, आप भी क्या याद करेंगी कि किससे आपका वास्ता पड़ा है।"
खाना खाकर सब लोग सोने के लिए अपने कमरों में चले गए।
जन्नत ने सारा से पूछा, "सारा, ये ख़ड़ूस अबीर कौन है?"
सारा ने बताया, "अबीर भाई अम्मी जान के दूर के भाई के बेटे हैं, जो कि अमेरिका में रहते हैं। मगर अबीर भाई को इंडिया और यहाँ के लोगों से बहुत लगाव है; और उनका कहना है कि यहाँ दिल को उस अपनेपन का एहसास होता है जो दुनिया में कहीं और नहीं होता। और इसीलिए वो यहीं से अपनी स्टडी कंप्लीट करना चाहते थे। और हम लोगों के सिवा उनका यहाँ और कोई नहीं है; इसीलिए अम्मी जान और पापा जी ने उन्हें यहीं हमारे घर में रहने के लिए कहा है। घर में वैसे तो सबसे ही अबीर भाई की अच्छी बनती है; मगर ज़्यादा वक़्त वो हमेशा अज़ान भाई के साथ ही बिताते हैं; और इसीलिए मैं अबीर भाई को अज़ान भाई की गर्लफ़्रेंड कहती हूँ।"
जन्नत ने कहा, "ओह! तो ये हिस्ट्री है मिस्टर ख़ड़ूस की।"
सारा ने कहा, "जी; और आपसे किसने कहा कि अबीर भाई ख़ड़ूस हैं? वो तो कितने स्वीट हैं।"
जन्नत ने कहा, "स्वीट और वो... ज़हर है वो बिलकुल।"
सारा ने कहा, "नहीं, ऐसा नहीं है। अभी आप उनको जानती नहीं हैं; इसीलिए आपको पता नहीं है उनकी पर्सनैलिटी। लड़कियाँ उन पर मरती हैं।"
जन्नत ने कहा, "अगर ऐसे ख़ड़ूस इंसान पर लड़कियाँ मरती हैं, तो सच में उन लड़कियों को मर ही जाना चाहिए फिर तो।"
सारा हँसते हुए बोली, "😂.... जन्नत, आप ना कुछ नहीं कहती हैं।"
जन्नत ने कहा, "हम बिलकुल सीरियस हैं।"
सारा ने कहा, "अच्छा, छोड़िए। टाइम के साथ आप खुद अबीर भाई के नेचर से रूबरू (आमने-सामने या पहचान) हो जाएँगी।"
जन्नत ने कहा, "जी, मगर हमें कोई आरज़ू (इच्छा) नहीं है उन्हें जानने की।"
इधर अज़ान अबीर के साथ उसके कमरे में बैठा था।
अबीर ने कहा, "आप सही कहते हैं अज़ान, ये लड़की पूरी तूफ़ान मेल ही है सच में।"
अज़ान हँसकर बोला, "जी, वो तो है; मगर दिल की बहुत अच्छी हैं जन्नत।"
अबीर ने कहा, "दिल का तो जो है सो है; मगर ज़ुबान की ख़ासी अच्छी हैं ये मोहतरमा।"
अज़ान हँसते हुए बोला, "😆.... बस यही चीज़ है उनमें कि वो अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर पातीं; और जो भी उनके दिल में होता है, वो बस अपनी ज़ुबान से बोल देती हैं। और दिल में कुछ भी नहीं रखती हैं; और इसीलिए हमें उन्हें परेशान करने में कभी-कभी बहुत मज़ा आता है।"
अबीर सोचते हुए बोला, "जी, देखते हैं... कि मिस राजपूत के साथ हमारी ये नई दुश्मनी क्या रंग लाएगी।"
अज़ान ने कहा, "ओनेस्टली, अगर हम सच कहें तो जन्नत से दुश्मनी मत लीजिए, पछताएँगे वरना।"
अबीर ने कहा, "इसका मतलब आपने हमें अभी अच्छे से समझा ही नहीं।"
अज़ान ने पूछा, "मतलब?"
अबीर खिड़की के पास खड़े होकर बोला, "मतलब ये कि हम जो भी रिश्ता कायम (बनाते) हैं, उसे पूरी शिद्दत और ईमानदारी से ही निभाते हैं; चाहे फिर वो मोहब्बत हो या दुश्मनी।"
अगले दिन सुबह सभी नाश्ता करने के लिए साथ में बैठे थे; और सबसे लेट अबीर ही डाइनिंग टेबल पर आया। जन्नत के बराबर वाली सीट खाली थी और अबीर वहाँ आकर बैठ गया और सब लोग नाश्ता करने लगे। सीमा सबको नाश्ता सर्व कर रही थी।
जन्नत ने कहा, "फुप्पी जान, आप भी बैठिए ना।"
सीमा ने कहा, "आप सब कीजिए, हम बाद में कर लेंगे।"
आमिर ने कहा, "अरे, बाद में क्यों? अभी कीजिए सबके साथ। और ये क्या तरीका है? आप हमेशा लास्ट में ही खाती हैं। आप सबके साथ बैठिए और खाइए।"
जन्नत ने कहा, "जी, फूपा जान, बिलकुल सही बोल रहे हैं। ऐसे तो आप और वीक हो जाएँगी।"
सीमा मुस्कुराकर बोली, "जी, ठीक है।"
सब लोग साथ में नाश्ता करने लगे।
दादा जी ने सीमा से पूछा, "सीमा, हमारी चाय?"
सीमा उठते हुए बोली, "अभी लाते हैं बाबा।"
जन्नत ने सीमा को रोकते हुए कहा, "आप नाश्ता कीजिए, हम चाय बनाकर लाते हैं।"
सीमा ने कहा, "मगर जन्नत, आप..."
जन्नत ने कहा, "हमने कहा ना फुप्पी जान, हम बनाकर लाते हैं। आप नाश्ता कीजिए।"
सीमा मुस्कुराकर बोली, "ठीक है।"
आमिर ने कहा, "जन्नत, एक कप हम भी लेंगे चाय।"
जन्नत ने कहा, "जी, फूपा जान।"
जन्नत खड़े होकर किचन की तरफ़ जाने लगी।
अबीर ने जन्नत को आवाज़ देते हुए कहा, "मिस राजपूत जी..."
जन्नत पीछे पलटकर बोली, "जी?"
अबीर ने कहा, "एक कप हमारे लिए भी चाय बना दीजिएगा, प्लीज़।"
जन्नत ने अपना सर हिलाते हुए कहा, "जी, ज़रूर अबीर जी।"
कुछ देर बाद जन्नत चाय लेकर आई।
दादा जी चाय पीते हुए बोले, "भई सीमा, आज से आपका एक काम हम कर देते हैं और जन्नत का एक काम बढ़ा देते हैं।"
सीमा ने पूछा, "क्या बाबा जान?"
दादा जी ने कहा, "आज से, जब तक जन्नत यहाँ हैं, हम जन्नत के हाथ की ही चाय पीएँगे... ठीक है ना जन्नत?"
जन्नत मुस्कुराकर बोली, "जी, दादा जी।"
आमिर ने कहा, "सच में आपने बहुत अच्छी चाय बनाई है।"
इसके बाद सब लोग डाइनिंग टेबल से उठकर हॉल में चले गए। बस, जन्नत, सारा और अबीर ही वहाँ थे। अबीर उठकर जाने लगा।
जन्नत ने पूछा, "आपने अपनी चाय नहीं पी?"
अबीर ने कहा, "नहीं, अब हमें नहीं पीनी।"
जन्नत ने कहा, "मगर कुछ देर पहले तो आपको पीनी थी?"
अबीर ने कहा, "मगर अब नहीं।"
जन्नत ने पूछा, "क्यों?"
अबीर ने कहा, "क्योंकि हम नहीं चाहते कि फुप्पी जान के बनाए हुए लज़ीज़ (टेस्टी) नाश्ते का टेस्ट ये ज़हरीली चाय पीकर ख़राब करें।"
जन्नत ने कहा, "आपने हमारी बनाई हुई चाय को ज़हरीली बोला?"
अबीर ने कहा, "हमने चाय को ज़हरीली नहीं बोला, अलबत्ता (निसंदेह) ये इसीलिए ज़हरीली है क्योंकि इसे आपने बनाया है। सो आप ही इसे पी लीजिए; क्योंकि हमने सुना है कि ज़हर ही ज़हर को काटता है; तो इस चाय को पीकर आपको तो कुछ नहीं होगा तो।"
जन्नत नाराज़गी से बोली, "आप समझते क्या हैं खुद को?"
अबीर ने कहा, "एक्चुअली, हम खुद को जो समझते हैं वो आपको बताना ज़रूरी नहीं समझते; और ना ही हमारे पास इतना फ़िज़ूल (फ़ालतू) वक़्त है कि हम ये बताएँ... तो बाय खुदा हाफ़िज़।"
जन्नत ने कहा, "कभी-कभी हमारा दिल करता है कि हम इनका सर फोड़ दें।"
सारा ने कहा, "मैडम, वो आप बाद में कीजिएगा; मगर अभी फ़िलहाल कॉलेज चलें, वरना पहले दिन ही लेट हो जाएँगे।"
जन्नत ने कहा, "ओह... हाँ, हम तो इन ख़ड़ूस की वजह से भूल ही गए... आप चलिए, हम बस अपना बैग लेकर आते हैं।"
जन्नत ऊपर अपने कमरे में से बैग लेकर नीचे आने के लिए मुड़ी; मगर तभी जन्नत की नज़र अबीर के कमरे पर पड़ी, जो कि इस वक़्त कमरे में किसी काम से गया था। जन्नत ये देखकर शरारती मुस्कान के साथ मुस्कुरा उठी और दबे क़दमों से अबीर के कमरे के बाहर खड़े होकर उसके कमरे को बाहर से लॉक कर दिया।
जन्नत मुस्कुराकर बोली, "हमें ज़हर बोला ना आपने, तो अब हम भी देखते हैं कि कैसे आप कॉलेज टाइम पर पहुँचते हैं और कैसे सेशन के फ़र्स्ट डे ही टीचर्स की डाँट से बचते हैं... सो गुड लक मिस्टर अबीर..... 🤪"
इसके बाद अबीर जब दरवाज़े को खोलने की कोशिश करता है, तो वो बाहर लॉक पाता है और अज़ान को आवाज़ लगाकर दरवाज़ा खोलने के लिए कहता है; और जन्नत शरारती मुस्कराहट के साथ वहाँ से वापस नीचे चली जाती है।
जन्नत सारा के पास आकर बोली, "चलिए सारा।"
सारा ने कहा, "जी, चलिए... हम लोगों को अज़ान भाई कॉलेज ड्रॉप कर देंगे।"
अज़ान ने कहा, "जी, बस अबीर आ जाएँ, फिर चलते हैं।"
जन्नत ने कहा, "मगर हम ऑलरेडी लेट हो चुके हैं। बेकार में मज़ीद लेट हो जाएँगे।"
सारा ने कहा, "जी भाई, और आज वैसे भी कॉलेज का फ़र्स्ट डे है, तो हम लेट नहीं होना चाहते। वरना टीचर्स की फ़र्स्ट डे ही डाँट खानी पड़ेगी। और वैसे भी अबीर भाई तो अपनी बाइक से ही कॉलेज जाते हैं, तो आप चलिए ना।"
जन्नत ने कहा, "जी अज़ान, चलिए ना।"
अज़ान ने कहा, "ठीक है, चलिए।"
इसके बाद अज़ान जन्नत और सारा को उनके कॉलेज छोड़ देता है और फिर अपने कॉलेज के लिए निकल जाता है। जन्नत और सारा की इंग्लिश और हिस्ट्री की क्लासेज़ साथ में ही थीं, तो दोनों पहली हिस्ट्री की क्लास साथ में ही लेने जाती हैं। प्रोफ़ेसर सबका इंट्रो लेना शुरू करते हैं और आधी क्लास का इंट्रो ही हुआ था; तभी क्लास के गेट पर अबीर नॉक करता है।
अबीर ने कहा, "मे आई कम इन सर???"
प्रोफ़ेसर ने कहा, "कम इन।"
अबीर अंदर आते हुए बोला, "थैंक्यू सर।"
प्रोफ़ेसर ने पूछा, "क्या नाम है आपका?"
अबीर ने उत्तर दिया, "अबीर।"
प्रोफ़ेसर अपनी घड़ी देखते हुए बोला, "क्या टाइम हुआ है?"
अबीर ने कहा, "सर, 9:30।"
प्रोफ़ेसर ने पूछा, "और क्लास कितने बजे से स्टार्ट होनी थी?"
अबीर ने कहा, "9 बजे से सर।"
प्रोफ़ेसर ने कहा, "मिस्टर अबीर, आज पहला दिन है कॉलेज का और आज ही आप लेट हैं।"
अबीर ने कहा, "एम् रियली सॉरी सर।"
प्रोफ़ेसर ने कहा, "यू शुड बी... और मैं बहुत ज़्यादा पंक्चुअल हूँ; तो मेरी क्लास में आगे लेट आए तो आपको आगे से अंदर आने की परमिशन नहीं मिलेगी... यू गेट दैट?"
अबीर ने कहा, "यस सर।"
प्रोफ़ेसर ने कहा, "नाउ यू कैन सीट।"
अबीर ने कहा, "थैंक्यू सर।"
अबीर बैठने के लिए आगे बढ़ा और जन्नत की तरफ़ देखा, जो अबीर को देखकर अपनी हँसी छुपाने की कोशिश कर रही थी। अबीर जन्नत के बराबर वाली रो में जाकर बैठ गया।
अबीर ने मन ही मन जन्नत की तरफ़ देखते हुए सोचा, "मिस राजपूत, आपने अपनी चाल चली... नाउ इट्स माय टर्न, जस्ट वेट एंड वॉच.......!!"
प्रोफ़ेसर ने सभी स्टूडेंट्स से कहा, “कल से अगर आपमें से कोई भी, खासकर मेरी क्लास में, पाँच मिनट भी लेट हुआ, तो आने वाले पूरे महीने के लिए वह मेरी क्लास नहीं ले पाएगा... और पूरे महीने उसे मेरी क्लास के बाहर, सज़ा के तौर पर, खड़े होना होगा।”
सभी स्टूडेंट्स यह बात सुनकर थोड़े डर गए। कुछ देर बाद प्रोफ़ेसर क्लास लेकर वहाँ से चले गए और सभी स्टूडेंट भी एक-एक करके क्लास से बाहर चले गए। जन्नत अबीर की तरफ़ देखकर, विक्ट्री स्माइल के साथ, दरवाज़े की तरफ़, बाहर जाने के लिए बढ़ी; कि अबीर उसके सामने आ गया।
“पहले ही दिन, पहली ही क्लास में डाँट पड़ी... हाउ सेड ना...” जन्नत ने सेड होने का नाटक करते हुए कहा।
“क्या बात है? बड़ी खुश हो रही हैं आप इतनी छोटी सी बात से?” अबीर ने पूछा।
“होंगे ही। आख़िर क्योंकि हमारे दुश्मन की, छोटी ही सही, पर हमसे हार तो हुई।” जन्नत मुस्कुराकर बोली।
“मिस राजपूत, आप अभी अबीर फ़ारूख़ को जानती ही नहीं हैं... सो जस्ट वेट एंड वॉच... नाउ इट्स माय टर्न... बाय, टेक केयर...” अबीर मुस्कुराते हुए बोला और वहाँ से चला गया।
“जन्नत, आपको संभलकर रहना होगा। क्योंकि इतने भी ईज़ी नहीं लग रहे ये इंसान...” जन्नत खुद से बात करती हुई कुछ पल सोचने लगी “...ये हम क्या सोच रहे हैं? हम कोई ऐंवी थोड़ी हैं? आख़िर हम भी एक सच्चे राजपूत हैं... जान भले ही दें दें, मगर सर नहीं झुकाएँगे...”
जन्नत क्लास से बाहर गई, तो वहाँ पर सारा जन्नत का इंतज़ार कर रही थी।
“चलिए सारा।” जन्नत ने कहा।
“कहाँ थीं आप इतनी देर से?” सारा ने पूछा।
“बस, आ ही रहे थे।” जन्नत ने जवाब दिया।
इसके बाद सारा और जन्नत अपनी कुछ और क्लासेज़ लेने गईं। लगभग आधा दिन निकल चुका था और इसके बाद की क्लासेज़ फ़्री थीं, इसलिए दोनों घर की तरफ़ वापस चली गईं। कुछ देर बाद ही अबीर भी वापस घर आ गया और घर आकर फ़्रेश होने के बाद तीनों ने खाना खाया और फिर अपने-अपने रूम में आराम करने चले गए। थोड़ी देर बाद जन्नत के पास अहमद साहब का कॉल आया।
“आदाब अहमद साहब... कैसे हैं आप?.... अम्मी जान कैसी हैं?... और बाकी सब कैसे हैं?... अमन और सहर?... दादू-दादी जान... और चाचू और...... ” जन्नत ख़ुश होकर एक साँस में ही बोली।
“अरे अरे, सब्र रखिए... इतने सारे सवाल एक साथ... हम जवाब कैसे दें एक साथ?” अहमद साहब ने कहा।
“हाय रब्बा!!... अहमद साहब, तो हम कब कह रहे हैं कि सारे सवालों के जवाब आप एक ही बार में, एक ही साथ दें? मतलब कि आराम से, सुकून और सब्र के साथ दें... हमारी कोई ट्रेन थोड़ी छूट रही है जो आपको जल्दी-जल्दी जवाब देना पड़े।” जन्नत ने कहा।
“हाँ, हम कैसे ये बात समझें? आख़िर हम नासमझ जो हैं। और अब आप भी यहाँ नहीं हैं जो हमें समझा सकें।” अहमद साहब ने कहा।
“तो हम कौनसा यहाँ उम्र भर के लिए बसने आए हैं? बस जल्दी ही वापस आ जाएँगे।” जन्नत ने कहा।
“जी... अच्छा, आपका कॉलेज का फ़र्स्ट डे कैसा रहा?” अहमद साहब ने पूछा।
“बिलकुल परफ़ेक्ट... अच्छा, ये सब छोड़िए आप... हमें ये बताइए कि आपकी अहलिया आपका ख्याल रख भी रही हैं या फिर हमारे आते ही आपको ज़्यादा परेशान तो नहीं करने लगी हैं?” जन्नत ने पूछा।
“ये लीजिए, ये बात आप ख़ुद ही अपनी अम्मी जान से पूछ लीजिए।... लीजिए, बात कीजिए।” अहमद साहब हँसते हुए बोले।
“जी, ज़रा कराइए बात।” जन्नत ने कहा।
“कैसी हो जन्नत आप?” मिसेज़ अहमद ने पूछा।
“अस्सलामुअलैकुम अम्मी जान... हम ठीक हैं बिलकुल। आप बताइए आप कैसी हैं?” जन्नत ने कहा।
“वालेकुम अस्सलाम... हम भी ठीक हैं। और वहाँ सब कैसे हैं?” मिसेज़ अहमद ने पूछा।
“सब ठीक हैं... घर पर सब कैसे हैं अम्मी जान?... कब से हम अहमद साहब से पूछ रहे थे कि सब कैसे हैं... मगर आप तो जानती हैं उन्हें कि एक बार उनकी बातें शुरू होती हैं तो फिर उनकी बातें ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेती।” जन्नत ने कहा।
फ़ोन स्पीकर पर था और जन्नत की बात सुनकर सब मुस्कुरा दिए।
“हमारी?” अहमद साहब ने पूछा।
“और नहीं तो क्या? बिलकुल।” जन्नत ने कहा।
“आप दोनों ही अपनी बातें बाद में कीजिएगा, क्योंकि आपकी बातें कभी ख़त्म नहीं होने वाली... लीजिए जन्नत, पहले बाकी लोगों से बात कीजिए। सब लोग आपसे बात करना चाहते हैं।” मिसेज़ अहमद ने कहा।
“हाय रब्बा!!! अहमद साहब, देखिए कितना जलती हैं आपकी शरीके ज़िंदगी हमारी बातों से।” जन्नत ने कहा।
“लीजिए, बात कीजिए।” मिसेज़ अहमद मुस्कुराते हुए अपना सर हिलाते हुए बोलीं।
“जी, दीजिए।” जन्नत मुस्कुराकर बोली।
इसके बाद अगले एक घंटे तक जन्नत बाकी घरवालों से बात करती रही। क्योंकि सबकी ही वह लाडली थी और उसके खुशमिज़ाज व्यवहार से सबकी प्यारी थी। और जहाँ भी जाती, सबको अपने प्यारे और अल्हड़पन से अपना बना लेती थी; और उसके वहाँ से जाने के बाद सबको जन्नत की कमी खलती ही थी। घरवालों से बात करने के बाद जन्नत बालकनी में गई और नीचे दादा जी को अकेले किसी सोच में बैठा देखकर उनके पास गई।
“आप यहाँ तन्हा बैठकर क्या कर रहे हैं?” जन्नत ने दादा जी के पास बैठते हुए पूछा।
“कुछ नहीं, हम बस आपकी दादी जान को याद कर रहे थे।” दादा जी ने कहा।
“आपको बहुत याद आती है उनकी?” जन्नत ने पूछा।
“जी, बहुत ज़्यादा। कभी-कभी तो इतनी कि दिल करता है कि उनके पास ही चले जाएँ।” दादा जी ने उदासी भरे स्वर में कहा।
“ऐसे बोलना गलत बात होती है। और हमारी ज़िन्दगी और मौत का फैसला हमारे इख़्तियार में नहीं है। क्योंकि किसी की मौत और ज़िन्दगी, इस सबका इख़्तियार तो हमारे रब के पास है।” जन्नत ने कहा।
“जी, बेशक।” दादा जी ने कहा।
“और जब हम किसी से सच्ची मोहब्बत करते हैं ना, तो उनकी रूह से हमारा राबता जुड़ जाता है। और वो राबता हमारी पूरी ज़िन्दगी हमसे जुड़ा रहता है। और उनकी हर तकलीफ़ से हमारी तकलीफ़, अपना एक गहरा रिश्ता कायम कर लेती है। और दादी जान जहाँ भी हैं, बेशक यहाँ से बेहतर जगह पर होंगी। और जब कभी भी आपको वो ऐसे उदास देखती होंगी, तो उन्हें बहुत बुरा लगता होगा... और उनकी रूह को तकलीफ़ होती होगी। तो क्या आपको उनका इस कदर बेचैन रहना अच्छा लगेगा?” जन्नत ने कहा।
“नहीं, बिलकुल नहीं। हम कभी नहीं चाहेंगे। और बल्कि हम तो चाहेंगे कि वो आज जहाँ भी हैं, बस खुश रहें हमेशा।” दादा जी ने कुछ सोचकर कहा।
“तो उसके लिए आपको एक काम करना होगा।” जन्नत ने कहा।
“वो क्या?” दादा जी ने पूछा।
“बहुत-बहुत-बहुत खुश रहना होगा और हमेशा बस मुस्कुराते रहना होगा।” जन्नत मुस्कुराकर बोली।
“ठीक है, हमें मंज़ूर है; मगर आपको भी हमारी एक बात माननी होगी।” दादा जी ने कहा।
“जी, ज़रूर... फ़रमाइए?” जन्नत ने कहा।
“अपने फ़्री टाइम में हमें एक अच्छे दोस्त की तरह अपनी कंपनी देनी होगी।” दादा जी ने कहा।
“ओके, हमें मंज़ूर है।” जन्नत दादा जी से हाथ मिलाते हुए मुस्कुराकर बोली।
“अच्छा, आप मोहब्बत की अभी इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रही थीं, तो आपको मोहब्बत का इतना इल्म कैसे है?... क्या आपने भी कभी किसी से सच्चा इश्क़ किया था?” दादा जी ने पूछा।
“किया था नहीं, बल्कि करते हैं।” जन्नत ने कुछ देर सोचकर कहा।
तभी पीछे से अबीर आया और दादा जी की दूसरी तरफ़ आकर बैठ गया।
“क्या बातें चल रही हैं दादा जी?” अबीर ने पूछा।
“बस कुछ ख़ास नहीं। हम तो आशिक हैं, तो आशिकी मिज़ाज़ की बातों के सिवा हम क्या बात कर सकते हैं।” दादा जी मज़ाक करते हुए बोले।
“आपको तो हमें पता है; मगर मिस राजपूत को हमने यहाँ देखा तो हमें लगा, शायद आपके शौक़ बदल गए हैं।” अबीर ने जन्नत की तरफ़ देखकर कहा।
“मतलब?” दादा जी ने पूछा।
“मतलब ये कि हमें लगा कि आप आजकल आशिकी मिज़ाज़ की बातें छोड़कर, लड़ाई और चिड़चिड़ेपन की बातों की ट्रेनिंग ले रहे हैं।” अबीर ने कहा।
“कहना क्या चाहते हैं आप कि हम लड़ाकू हैं?” जन्नत ने पूछा।
“हम ये कहना नहीं चाहते हैं, बल्कि यही कह रहे हैं।” अबीर ने कहा।
“आप ना...... ” जन्नत ने कहा।
“अरे नहीं, जन्नत तो हमारी बहुत ही प्यारी बेटी है और बहुत ही ज़हीन।” दादा जी बीच में ही बोले।
“ये और ज़हीन... वाउ दादू, यू आर टू गुड...” अबीर ज़ोर से हँसते हुए जन्नत की तरफ़ इशारा करते हुए बोला।
“आप कहना क्या चाहते हैं कि हम अह्मक हैं?” जन्नत नाराज़गी से खड़े होते हुए बोली।
“वाउ! आप सच में थोड़ी तो ज़हीन हैं। हमने तो सिर्फ़ इशारा किया और आप फ़ौरन समझ गईं... नॉट बैड।” अबीर अपनी हँसी रोकने की कोशिश करते हुए बोला।
“आप हैं दुनिया के सबसे बड़े अह्मक और ना-माकूल इंसान।” जन्नत नाराज़गी से बोली।
“थैंक्यू फ़ॉर दा लवली कॉम्प्लीमेंट।” अबीर ने कहा।
“यू....” जन्नत ने कहा।
“यस, आई नो, एम् दा बेस्ट।” अबीर ने कहा।
“माय फ़ुट।” जन्नत ने कहा।
इतना कहकर जन्नत वहाँ से जाने लगी।
“जन्नत बेटा, अपनी लव स्टोरी की बात तो पूरी करके जाएँ।” दादा जी ने कहा।
“हम फिर कभी सुनाएँगे दादा जी, क्योंकि इस वक़्त यहाँ की फ़िज़ाओं में भी ज़हर घुल गया है और हम इस वक़्त इसमें साँस तक नहीं ले सकते यहाँ।” जन्नत ने कहा और वहाँ से चली गई।
“क्यों बिचारी को परेशान करते हैं आप?” दादा जी ने अबीर से पूछा।
“दादू, कोई बिचारी नहीं है वो। वो पूरी शैतान की ख़ाला हैं।” अबीर ने कहा।
“अरे नहीं, बहुत ही प्यारी बच्ची हैं वो।” दादा जी हँसकर बोले।
“दादू, आप... अच्छा छोड़िए... मुझे कुछ काम है, मैं आता हूँ बाद में।” अबीर ने कहा।
“ठीक है।” दादा जी ने कहा।
इधर जन्नत अपने कमरे में जाने के लिए ऊपर आई, तो वहीं रेलिंग के पास अज़ान फ़ोन में कुछ काम कर रहा था।
“क्या हुआ है तूफ़ान मेल? आपका मूड ऑफ़ क्यों है?” अज़ान ने पूछा।
“और कौन हो सकता है? आपके वो अह्मक और पागल दोस्त के सिवा।” जन्नत ने माथा सिकोड़ते हुए कहा।
“ओह!!... क्या किया अबीर ने इस बार?” अज़ान ने पूछा।
“उन्होंने कहा, हमें अह्मक कहा।” जन्नत ने कहा।
“अब जब आप ऐसी हरकतें करेंगी, तो सब यही कहेंगे ना।” अज़ान ने कहा।
“आपको नहीं लगता है कि आप ख़ुद चाहते हैं कि हम आपको मारें?... और हमने ऐसी क्या हरकत की है?” जन्नत ने अपने दोनों हाथ कमर पर रखते हुए कहा।
“ऐसा हमारा कोई इरादा नहीं है कि हम आपसे मार खाएँ... और रही हरकत की बात तो क्या? आज सुबह आपने अबीर को कमरे में लॉक नहीं किया था?” अज़ान ने पूछा।
“तो शुरुआत उन्होंने ही की थी।” जन्नत ने कहा।
“हाँ, तो अब जो भी हो, फिर...” अज़ान ने कहा।
“फिर?” जन्नत ने पूछा।
“फिर ये कि जितना हम अबीर को जानते हैं, अबीर भी आसानी से बात मानने वालों में से नहीं है और अपना बदला लेते ज़रूर हैं... तो बेस्ट ऑफ़ लक तूफ़ान मेल।” अज़ान ने कहा।
“तो हम भी किसी से नहीं डरते हैं। देख लेंगे हम भी उन्हें।” जन्नत ने कहा।
इतना कहकर जन्नत अपने रूम में चली गई और यही सोचती रही कि अबीर आख़िर क्या करने वाला है। इसी सब में रात हो गई और जन्नत सो गई। अगले दिन सुबह को जब जन्नत की आँख खुली, तो 8 बज चुके थे और जन्नत जल्दी से बिस्तर से खड़ी हो गई और सारा को उठाया।
“सारा, उठें जल्दी। देर हो जाएगी वरना कॉलेज के लिए।” जन्नत ने कहा।
“सोने दीजिए जा जन्नत।” सारा ने नींद में कहा।
“प्रोफ़ेसर हमें क्लास से बाहर ही कर देंगे अगर हम लेट हो गए। पहले ही आठ बज चुके हैं। अब आप मज़ीद टाइम ज़ाया ना करें।” जन्नत ने कहा।
“मगर आपने तो सात बजे का अलार्म लगाया था ना, तो फिर?” सारा ने बिस्तर से उठते हुए पूछा।
“जी, हमें अच्छे से याद है कि हमने अलार्म तो लगाया था, मगर...” जन्नत सोचते हुए बोली।
“मगर?” सारा ने पूछा।
“ओह, तो ये ज़रूर मिस्टर ख़ड़ूस ने किया होगा।” जन्नत ने कहा।
“यू मीन अबीर भाई... पर वो ऐसा क्यों करेंगे?” सारा ने पूछा।
“हमसे बदला लेने के लिए। मगर इतना छोटा सा बदला, ये हमने नहीं सोचा था... ख़ैर, छोड़िए। आप जल्दी से रेडी हो जाएँ।” जन्नत ने कहा।
“जी, ठीक है। हम अम्मी जान के रूम में नहाने चले जाते हैं। आप यहाँ रेडी हो जाइए।” सारा ने कहा।
“ठीक है।” जन्नत ने कहा।
इसके बाद जन्नत नहाने के लिए चली गई और बाहर आकर अपने कॉलेज के कपड़ों पर प्रेस करने लगी। और अबीर का ख्याल आने पर जन्नत जल्दी से रूम का पूरा दरवाज़ा खोल दिया और तभी जन्नत की नज़र अबीर के कमरे पर पड़ी, जो कि बंद था। तभी सीमा उसे नाश्ते के लिए आवाज़ लगाई और जन्नत नीचे चली गई और अबीर अभी भी जन्नत को कहीं नज़र नहीं आया। जन्नत जल्दी-जल्दी नाश्ता करके वापस अपने रूम में आई और रूम में वापस आने के बाद जन्नत ज़ोर से चिल्लाई और उसकी चीख सुनकर सब लोग उसके रूम की तरफ़ जल्दी से भागे...!!
सभी लोग जन्नत के कमरे में आ गए थे। जन्नत अपना सूट हाथ में लिए बैठी हुई थी।
सीमा: क्या हुआ है जन्नत? तुम इतनी क्यों चिल्लाईं?
जन्नत: वो... फुप्पी जान...
आमिर: क्या हुआ है बेटा? बोलो।
जन्नत (रोने सी शक्ल बनाकर): हमारा सूट...
सीमा: तुम्हारा सूट? मतलब... तुम्हारे सूट को क्या हुआ है?
जन्नत अपने हाथ में पकड़े हुए सूट को दिखाती है, जो कि प्रेस की वजह से आगे से प्रेस की ही शेप में पूरा जल गया था।
आमिर: बेटा, तुमने तो हम सबको डरा ही दिया था।
सारा: सच में जन्नत।
जन्नत: मगर हमारा सूट.....
सीमा: कोई बात नहीं बेटा, हो जाता है कभी-कभी। शायद तुम भूल गई होंगी, प्रेस सूट पर रखकर।
जन्नत: नहीं फुप्पी जान, हमें अच्छे से याद है। हम नीचे जाने से पहले प्रेस निकालकर स्टैंड पर रखकर गए थे।
सीमा: अच्छा, चलो छोड़िए ये बात। अब तुम टेंशन मत लो।
जन्नत: जी।
इसके बाद अज़ान को छोड़कर सब लोग वहाँ से चले गए। तभी अबीर वहाँ आया।
अबीर: हाउ सेड... बहुत बुरा लगा सुनकर कि तुम्हारी ड्रेस जल गई।
अज़ान: जी, ये तो है; मगर जन्नत तो कह रही है कि उन्हें अच्छे से याद है कि उन्होंने प्रेस वहाँ से हटा दिया था।
अबीर: अब प्रेस के पैर तो हैं नहीं जो कि खुद चलकर आ गई होगी।
जन्नत: हमें अच्छे से पता है कि कैसे प्रेस वहाँ से हट गई।
अबीर: हमें भी समझाइए ना, फिर। आखिर कैसे हुआ फिर ये सब?
जन्नत: तुम ज़्यादा मासूम बनने की कोशिश मत करो। हमें अच्छे से पता है ये सब करतूत तुम्हारी ही है।
अबीर (जन्नत की नकल करते हुए): हाय रब्बा!!!! तुम हम पर इल्ज़ाम लगा रही हो।
जन्नत: तुम हमारे सामने ये ड्रामा मत करो। हमें सब अच्छे से समझ आता है। और हम तुम्हारे बारे में सही सोचते थे, तुम एक नंबर के खड़ूस हो... इन्फैक्ट, तुम बंदर हो जो बस इधर से उधर उछल-कूद करके लोगों को परेशान करते हो।
अबीर: हम बंदर हैं?
जन्नत: नहीं, तुम जंगली बंदर हो... और इसका एहसास तुम्हें जल्दी ही होगा।
अबीर: तुम...
अज़ान (बात को संभालने के लिए बीच में ही): मगर लाइक सीरियसली जन्नत... तुम इस सूट की वजह से इतनी ज़ोर से चिल्लाईं, जैसे पता नहीं कितना बड़ा मामला हो।
अबीर: अरे अज़ान, होते हैं ना कुछ लोग थोड़े नासमझ, तो उन्हें कोई क्या समझाए।
जन्नत: तुम्हें पता भी है, ये सूट हमारा लकी चार्म था और इसे अहमद साहब ने हमें हमारे लास्ट बर्थडे पर गिफ्ट किया था।
अज़ान: ओह! तो इसीलिए तुम इतनी अपसेट हो।
जन्नत (अबीर की तरफ़ देखकर): जो भी किया है ना आज तुमने, उसके बाद हमारे दिल से तुम्हारे लिए बचा हुआ रहम भी ख़त्म करा दिया... अब हम तुम्हारे साथ ज़रा भी रहम नहीं बरतेंगे... छोड़ेंगे नहीं हम तुम्हें।
अबीर (मुस्कुराकर घड़ी की तरफ़ इशारा करते हुए): हमें छोड़ना या ना छोड़ना बाद की बात है मिस राजपूत... फ़िलहाल क्लास शुरू होने में बस 20 मिनट बाकी हैं। अगर वो छूट गई आज तुम्हारी, तो...... बाय, टेक केयर... हम तो चले कॉलेज।
इसके बाद अज़ान और अबीर वहाँ से चले गए।
जन्नत (घड़ी की तरफ़ देखकर): हाय रब्बा! जन्नत, जल्दी करो, वरना आज तो तुम गईं।
जन्नत जल्दी-जल्दी दूसरे कपड़े निकालकर तैयार होती है। इधर अबीर क्लास में टाइम पर पहुँच जाता है और मन ही मन जन्नत के बारे में सोचकर खुश हो रहा था। क्लास शुरू होने में पाँच मिनट बाकी थे और तभी अबीर को जन्नत हाँफते हुए दरवाज़े से अंदर आते हुए दिखती है और उसकी बराबर वाली रो में आकर सारा के साथ बैठ जाती है। और तभी प्रोफ़ेसर भी क्लास में आते हैं और क्लास शुरू होती है। क्लास लेने के बाद अबीर सारा से पूछता है कि आखिर वो लोग इतनी जल्दी कॉलेज कैसे पहुँचे।
सारा: पूछिए मत अबीर भाई... आज हम अपनी जान जोखिम में डालकर यहाँ पहुँचे हैं।
अबीर: मतलब?
सारा: मतलब ये कि जन्नत हमें अपने साथ अपनी स्कूटी पर बिठाकर यहाँ लाई हैं। इन्फैक्ट, बिठाकर नहीं, उड़ाकर लाई हैं... इतनी तेज़ रफ़्तार से वो स्कूटी चलाकर यहाँ लाई हैं कि हमारी तो जान ही हलक में अटक गई थी।
अबीर: नॉट बैड।
सारा: कुछ कहा आपने?
अबीर: नहीं, कुछ नहीं... अच्छा, हम चलते हैं। हमारी अगली क्लास का टाइम हो रहा है।
सारा: ठीक है भाई... हम भी चलते हैं, हमारी भी क्लास है।
अबीर: ओके, मिलते हैं बाद में।
सारा: जी।
आज का दिन भी कॉलेज में ऐसे ही निकल गया। जन्नत और सारा घर के लिए निकलते हैं; मगर जन्नत अपनी स्कूटी मार्केट की तरफ़ मोड़ लेती है। जन्नत कई बार यहाँ आ चुकी थी, तो इसीलिए आसानी से उसे यहाँ के रास्ते याद थे।
सारा: हम मार्किट की तरफ़ क्यों जा रहे हैं?
जन्नत: हमें कुछ काम है।
सारा: क्या काम?
जन्नत (स्कूटी साइड में रोकते हुए): बाद में बताएँगे। अभी फ़िलहाल तुम यहीं स्कूटी के पास खड़ी रहो। हम सामने वाली शॉप से सामान लेकर आते हैं।
सारा: ओके।
कुछ देर में ही जन्नत वापस आ जाती है और फिर दोनों घर के लिए निकल जाती हैं। रात को जब अबीर किसी काम के लिए अज़ान के साथ बाहर जाता है, तब जन्नत चुपके से अबीर के कमरे में जाती है और एक व्हाइट कलर के पाउडर के पैकेट को बैग में से निकालती है, जो कि एक खुजली का पाउडर था।
जन्नत (टेबल पर रखी अबीर की फ़ोटो की तरफ़ देखकर): हमारे कपड़े जलाए ना तुमने? अगर अब तुमने खुद अपने हाथों से खुजाते-खुजाते अपने कपड़े नहीं फाड़े, तो हमारा नाम भी जन्नत राजपूत नहीं है।
इसके बाद जन्नत अबीर के पूरे बिस्तर और वहीं बेड पर रखे अबीर के नाईट सूट पर वो खुजली का पाउडर लगा देती है और अपने कमरे में वापस आ जाती है। और बाहर बालकनी में खड़े होकर अबीर की होने वाली हालत के बारे में सोचकर मुस्कुराने लगती है। कुछ देर बाद वहाँ अयान आता है।
अयान: क्या बात है? अकेले-अकेले मुस्कुरा रही हो? और जहाँ तक हम जानते हैं, ये तुम्हारी शरारत भरी मुस्कान है। और ऐसी मुस्कान से तुम तभी मुस्कुराती हो जब तुम कुछ नया कारनामा करती हो?
जन्नत (मुस्कान के साथ): बिलकुल सही फ़रमाया आपने भाई जान।
अयान: और ये शरारत किसके साथ करने वाली हो तुम?
सारा (पीछे से आते हुए): ऑफ़कोर्स... अबीर भाई के सिवा और किसके साथ करेंगी? क्योंकि आजकल तो अज़ान भाई और जन्नत के बीच माहौल नॉर्मल ही है... सिवाय अबीर भाई के अलावा।
अयान: अबीर तो काफ़ी अच्छे हैं और अज़ान से भी काफ़ी बेहतर हैं। इन्फैक्ट अज़ान तो तुम्हें जानबूझकर परेशान करते हैं; मगर अबीर तो काफ़ी सुलझे हुए हैं।
जन्नत: ऐसा बिलकुल भी नहीं है भाई जान। वो मिस्टर खड़ूस बंदर निहायती सरफ़िरा इंसान हैं। हम जब से यहाँ आए हैं, तबसे ही हमारे साथ बिना वजह उलझते रहते हैं।
सारा: और जैसे कि तुम तो निहायती शरीफ़ हो मोहतरमा, और कुछ करती ही नहीं।
जन्नत: हाँ, तो हम राजपूत हैं। आगे से कभी किसी को छेड़ते नहीं; और अगर कोई बिना बात के छेड़े तो उसे छोड़ते नहीं हैं।
अयान: वो सब तो ठीक है मोहतरमा; मगर बिचारे के साथ इतना राजपूताना मत दिखाइएगा कि बिचारे का जीना ही दुश्वार कर दें आप।
जन्नत: डोंट वरी भाई जान, हम उनकी ही ज़ुबान से बस उनको समझा रहे हैं।
सारा: मगर तुम करने क्या वाली हो?
जन्नत: थोड़ी देर में खुद ही देख लेना।
तभी बाइक की आवाज़ आती है और तीनों नीचे गार्डन में देखते हैं जहाँ अबीर और अज़ान आए थे। और उन्हें देखकर जन्नत के चेहरे की मुस्कान और बढ़ जाती है।
जन्नत (मन में): नाउ इट्स प्ले टाइम मिस्टर अबीर।
आज सीमा, आमिर और दादा जी किसी फ़ंक्शन में कहीं बाहर गए थे और आज लेट ही वापस आने वाले थे। थोड़ी देर अयान भी अपने कमरे में चला जाता है और अज़ान और अबीर भी वापस आकर अपने-अपने कमरों में चले जाते हैं। और कुछ देर बाद अबीर के कमरे की लाइट ऑफ़ हो जाती है। करीब आधा घंटा बीत जाता है और जन्नत की नज़रें रेलिंग के पास टहलते हुए अबीर के दरवाज़े की तरफ़ ही लगी हुई थीं।
सारा: सो जाओ जन्नत, काफ़ी रात हो चुकी है और सुबह कॉलेज भी तो जाना है फिर।
जन्नत: ऐसे कैसे? अभी तो शो टाइम है।
सारा: शो टाइम?
जन्नत (अबीर के कमरे की तरफ़ इशारा करते हुए): जी, बस थोड़ा इंतज़ार करो।
सारा: तुमने कहा था कि तुम कुछ करने वाली हो। इसका मतलब है कि तुम अपना काम कर चुकी हो?
जन्नत (मुस्कुराकर विंक करते हुए): राईट।
सारा: मगर किया क्या तुमने?
तभी अबीर के कमरे की लाइट ऑन हो जाती है।
जन्नत: लीजिए, शो शुरू हो चुका है... वन... टू... थ्री... एंड नाउ इट्स शो टाइम...।
जन्नत के इतना कहते ही अबीर के रूम का दरवाज़ा खुलता है और अबीर परेशान से अज़ान के कमरे की तरफ़ जाता है और कुछ पल बाद अज़ान वापस अबीर के रूम में उसके साथ जाता है।
सारा: ये चल क्या रहा है जन्नत?
जन्नत: आइए, चलिए दिखाते हैं।
इधर अबीर अचानक हुई अपनी पूरी बॉडी पर खुजली से बहुत परेशान हो रहा था और जन्नत और सारा अबीर के कमरे के दरवाज़े पर आकर खड़े हो जाते हैं। और जन्नत अबीर को ऐसे खुजली से परेशान देखकर हँस पड़ती है।
जन्नत (हँसते हुए): च च च च च च च... सारा, हमें ठीक से याद नहीं आ रहा वो किस चीज़ का ऐड था? तुमने वो ऐड देखा है जिसमें बिचारा वो बंदर कैसे खुजली से परेशान होता है? (सोचने का नाटक करते हुए) आ आ... हाँ, याद आया। वो तो बिटैक्स मरहम है ना... ये मजबूर है, पर तुम नहीं... क्यों मिस्टर अबीर?
जन्नत की बात सुनकर और अबीर की हालत देखकर अज़ान और सारा भी अपनी हँसी रोकने की भरपूर कोशिश कर रहे थे और अबीर बेचैन होकर जन्नत को घूर रहा था।
अज़ान: जन्नत, अब बता दो बिचारे की खुजली की दवा, क्योंकि शावर लेने के बाद तो ये और ज़्यादा परेशान हो गया है। और इतनी रात को कोई डॉक्टर भी नहीं होगा। तो बता दो... हमें यकीन है कि तुम्हें ज़रूर पता होगा।
जन्नत: जी, बिलकुल दुरुस्त फ़रमाया आपने; मगर पहले अपने खड़ूस दोस्त से कहो, उन्होंने हमारे साथ जो भी बदतमीज़ी की है, उसके लिए हमें अभी के अभी सॉरी बोलें।
अबीर (अपनी आँखें बड़ी करते हुए): दिमाग़ ख़राब हो गया है तुम्हारा? हम और तुम्हें सॉरी... इम्पॉसिबल।
जन्नत: ठीक है, तो फिर पूरी रात बैठकर बंदर की तरह खुजली से रहो परेशान... एक चीज़ तो हम तुम्हें दिखाना ही भूल गए... (तभी जन्नत अपने फ़ोन से अबीर की अभी-अभी कुछ देर पहले ही ली हुई तस्वीर उसे दिखाती है जिसमें वो खुजली से बेहाल हो रहा था।) देखो अज़ान, ये मजबूर है, पर हम नहीं.......😆😆....
अबीर: तुममें ज़रा भी अदब-तमीज़ है? किसी के कमरे में भी मुँह उठाकर चली आई तुम, और वो भी ऐसी हरकत करने के लिए।
जन्नत: हाँ, और तुममें तो अदब कूट-कूटकर भरा है; तभी तो तुमने हमारे कमरे में आकर हमारी ड्रेस जलाई।
अबीर (बेचैन होते हुए): हम तुमसे अभी कोई बहस नहीं करना चाहते। और तुम्हें तो हम बाद में देखेंगे। पहले अज़ान, कुछ करो, हम पागल हो जाएँगे ऐसे तो।
अज़ान: देखो जन्नत, तुम्हारी लड़ाई अलग है; मगर अभी बिचारे की हालत बहुत ख़राब है। इसकी दवाई बताओ, क्या है? और कैसे इसकी खुजली ठीक होगी?
जन्नत: पहले हमारी शर्त पूरी करो, तभी हम कुछ बताएँगे। वरना हम तो चले सोने। वैसे भी सुबह हमें कॉलेज जाना है, तो हमारे पास इतना वक़्त ज़ाया करने का टाइम नहीं है। इसलिए जल्दी से बोलो, कहीं हमारा इरादा बदल ना जाए... हम पाँच तक गिनती काउंट करेंगे और तब तक तुमने हमारी बात नहीं मानी, तब फिर जो करना है खुद करोगे, क्योंकि हम फिर कुछ नहीं बताएँगे... सो तुम्हारा टाइम स्टार्ट होता है अब.....
अबीर: तुममें बिलकुल दिमाग़ नहीं है क्या? ये कोई खेल है जो...
जन्नत (बीच में ही): 1...
अबीर: तुम...
जन्नत: 2...
अज़ान: जन्नत, तुम...
जन्नत: 3
अबीर: व्हाट दा...
जन्नत: 4..... एंड लास्ट.....
अबीर (जल्दी से): "एम् सॉरी....."
जन्नत (अपने कान पर हाथ रखते हुए): "क्या कहा आपने? हमने सुना नहीं... सारा और अज़ान, आप लोगों ने कुछ सुना?... ज़रा दुबारा से फ़रमाइए और वो भी अच्छे तरीके से।"
अबीर (बेचैनी से फ़्रस्ट्रेट होकर): "आज तक हमने आपके साथ जो कुछ भी किया है, उसके लिए....." (गहरी साँस लेकर) "....उस सबके लिए एम् सॉरी।"
जन्नत (कुछ सोचकर): "नहीं, अभी फ़ीलिंग नहीं आई... थोड़ा और दिल की गहराईयों से बोलिए ज़रा जनाब।"
अबीर: "देखिए अब आप..."
जन्नत: "मेडिसिन चाहिए कि नहीं?"
अबीर (गहरी साँस लेकर): "जन्नत जी, आज तक हमने आपके साथ जो भी कुछ किया, हम मानते हैं उसमें सिर्फ़ हमारी और हमारी ही गलती थी और इस सबके लिए हम आज आपसे तहे दिल से माफ़ी मांगते हैं।"
जन्नत (मुस्कुराकर): "नाउ परफ़ेक्ट।"
अबीर: "मेडिसिन दीजिए अब?"
जन्नत: "रुकिए, लाते हैं हम अभी।"
जन्नत अपने कमरे में से एक जैल लेकर आई और अबीर की तरफ़ बढ़ाई।
जन्नत: "ये लीजिए, ये जैल अपनी बॉडी पर लगा लीजिएगा, ठीक हो जाएगी... और एक बात और, आइन्दा हमसे उलझने से पहले हज़ार बार सोच लीजिएगा। और फिर भी आपके दिमाग़ का शैतान आपकी बात ना माने, तो आज की अपनी इस हालत को याद कर लीजिएगा... नाउ गुड नाईट।"
अबीर (जन्नत से जैल छीनते हुए): "24 घंटे... सिर्फ़ 24 घंटों में अगर आपसे हमने ठीक इसी तरीक़े से माफ़ी नहीं मंगवाई... तो हमारा नाम भी अबीर नहीं।"
जन्नत: "रस्सी जल गई, मगर बल नहीं गया... बिलकुल ठीक बैठती है ये कहावत आप पर... मगर अपनी तसल्ली के लिए ये नाकामयाब कोशिश भी करके देख लीजिएगा... मगर फ़िलहाल तो आप अपने आपे को दुरुस्त कीजिए... जब आप कुछ करेंगे, तब की तब देखेंगे... तब तक के लिए गुड नाईट... अल्लाह हाफ़िज़।"
इसके बाद जन्नत सारा के साथ अपने कमरे में आ गई और अज़ान अबीर की हेल्प करने उसके साथ चला गया।
अज़ान (अबीर की हेल्प करते हुए): "हमने पहले ही आगाह किया था आपको कि जन्नत से बैर मत लीजिए... उनका गुस्सा और ज़िद बिलकुल भी मुख़्तसर ना समझें आप।"
अबीर: "तो आपको क्या लगता है कि हम कोई बेहिस हैं? हम भी अच्छे से जानते हैं अपनी बात को मनवाना..."
अज़ान: "क्या करने वाले हैं आप अब?"
अबीर: "हम नहीं, आप करने वाले हैं।"
अज़ान: "हम?"
अबीर: "जी, आप।"
अज़ान: "मगर क्या?"
अबीर: "अभी बताते हैं।"
अगले दिन सुबह सब लोग एक साथ नाश्ता करने बैठे और जन्नत सब के लिए चाय लेकर आई। आमिर अपनी चाय का कप लेकर न्यूज़ पेपर पढ़ने के लिए सोफ़े पर चला गया और सीमा भी किसी काम से किचन में चली गई। जब जन्नत अपनी सीट पर नाश्ता करने बैठी, तो अबीर जन्नत के सामने से उसका चाय का कप उठाकर ख़ुद चाय पीने लगा और जन्नत उसे हैरानी से देखती रही।
अबीर (जन्नत की तरफ़ देखकर): "व्हाट... ऐसे क्यों घूर रही हैं आप हमें?"
जन्नत: "आपने हमारी चाय का कप क्यों लिया?"
अबीर (कप को चारों तरफ़ से देखते हुए): "हमें तो कहीं भी इस पर आपका नाम नहीं दिख रहा?"
जन्नत: "ज़्यादा स्मार्ट मत बनिए... आपको अच्छे से समझ आ रहा है कि हम क्या कह रहे हैं।"
अबीर: "हमें स्मार्ट बनने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि हम तो पैदायशी ही स्मार्ट हैं।"
जन्नत: "हा हा हा हा हा हा! वेरी फ़नी... जोक ऑफ़ दा सेंचुरी।"
अबीर: "एक बात बताइए, ये आप पैदा ही ऐसे हुई थीं या बड़े होकर आपको दिमाग़ में चोट आई?"
जन्नत: "नहीं, दरअसल जबसे हम आपसे मिले हैं, तबसे ज़्यादा असर हो गया है पागलपन का।"
अबीर: "अगर हमारा असर किसी ज़ालिम पर पड़ जाए तो वो फ़रिश्ता ही बन जाए।"
जन्नत: "आपने सुना है कि दुनिया में हर चीज़ का इलाज है, सिवाय गलत फ़ैमी के।"
अबीर: "ये तो बिलकुल सही कहा आपने, तभी तो आपकी बातों का कोई इलाज नहीं।"
जन्नत (कुर्सी से खड़े होते हुए): "चलिए सारा, हमें कॉलेज के लिए देर हो रही है। फ़िज़ूल वक़्त नहीं है हमारे पास।"
अबीर: "अरे, मगर चाय तो पी लीजिए अपनी?"
जन्नत (ताने भरी मुस्कान के साथ): "नहीं, आप ही पीजिए... हमें नहीं पीनी।"
अबीर: "आपकी मर्ज़ी।"
इसके बाद जन्नत सारा के साथ कॉलेज चली गई। शाम तक रोज़ की तरह ही कॉलेज में दिन गुज़र गया और शाम को दोनों वापस घर आ गईं। घर आकर जन्नत सहर और बाकी घरवालों से फ़ोन पर बात करती है।
सहर: "जन्नत, हम आपको बहुत मिस कर रहे हैं और आपके बिना हमारा यहाँ बिलकुल दिल नहीं लगता।"
जन्नत: "तो आप भी आ जाइए ना यहीं पर। साथ में पढ़ेंगे। और सच कहें तो हम भी आपको बहुत याद करते हैं।"
सहर: "आप बस जल्दी से वापस आ जाइए।"
जन्नत: "जी, हम बस अपना कोर्स पूरा होते ही वहाँ वापस आ जाएँगे।"
सहर: "जी।"
जन्नत: "सहर, ज़ामीन का कोई मैसेज?"
सहर: "नहीं... अगर आता तो हम आपको ज़रूर बताते।"
जन्नत (उदासी भरे लहज़े में): "ओके... कोई बात नहीं।"
सहर: "आप ऐसे उदास ना होया करें। और हमारे लिए ना सही, ज़ामीन भाई के लिए ही सही... क्योंकि उन्हें भी आपका उदास रहना बिलकुल पसंद नहीं। बस आपको मुस्कुराते हुए देखना उन्हें अच्छा लगता है... राईट?"
जन्नत (मुस्कुराकर): "राइट।"
कुछ देर बात करने के बाद जन्नत फ़ोन रख देती है और किचन में सीमा की हेल्प करने चली जाती है। रात को सब डिनर करते हैं, जहाँ पर आमिर सबको बताते हैं कि अयान के लिए एक बहुत ही अच्छा रिश्ता आया है। और अगले दिन संडे था और वो लोग अयान को देखने आ रहे थे। सब लोग ये बात सुनकर बहुत खुश होते हैं। खाना खाने के बाद जन्नत सीमा की किचन समेटने में मदद करने के लिए आती है।
जन्नत: "लीजिए फुप्पी जान, हम करते हैं ये सब। अब आप आराम कीजिए। वैसे भी कल मेहमान आएंगे और बहुत काम रहेगा।"
सीमा: "नहीं, कोई बात नहीं बेटा। आप आराम कीजिए। वैसे भी पूरा दिन कॉलेज में थक जाती हैं आप और फिर घर आकर यहाँ के कामों में।"
जन्नत: "ऐसा कुछ नहीं है। और जब से हम यहाँ आए हैं, आप हमें किचन में कुछ करने ही नहीं देतीं। ऐसे तो हम सब बनाना भूल जाएँगे। और अगर ऐसा हुआ तो अम्मी जान हमारा क़त्ल कर देंगी।"
सीमा (मुस्कुराकर): "ऐसा कुछ नहीं होगा, क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी जन्नत बहुत ज़हीन हैं और वो हर काम परफ़ेक्ट करती हैं।"
जन्नत: "हाय रब्बा! फुप्पी जान, एक आप और अहमद साहब ही हैं जिन्हें हमारी कद्र है। वरना अम्मी जान को तो लगता है जैसे पूरे ज़माने में सबसे ज़्यादा निकम्मी और जिन्हें कुछ नहीं आता, वो हम ही हैं। और वो कहती हैं कि अगर हम ऐसे ही रहीं तो हम अपने ससुराल वालों से हमेशा डाँट खाएँगे।"
सीमा: "और हम दावे के साथ कह सकती हैं कि आपकी शादी के बाद आपके ससुराल वाले तो एक बार में ही आपकी कुकिंग और बातों के फ़ैन हो जाएँगे।"
जन्नत: "वहीं तो हम अम्मी जान को समझाते हैं कि हमारे ससुराल वाले ऐसे बिलकुल नहीं हैं। और ज़ामीन तो ऐसे बिलकुल भी न....."
जन्नत बोलते-बोलते ही कुछ सोचकर बीच में ही रुक जाती है और सीमा उसकी उदास मुस्कराहट को देखकर उसके दिल का हाल समझ जाती है और प्यार से उसका हाथ पकड़ती है।
सीमा: "आप को लगता है कि माज़ी में जो कुछ भी हुआ, उसके बाद ज़ामीन वापस आएंगे?"
जन्नत: "जी फुप्पी जान, हमें ज़ामीन पर ख़ुद से ज़्यादा ऐतबार है और हम जानते हैं कि वो ज़रूर वापस आएंगे।"
सीमा: "चलिए मान भी लें एक पल के लिए वो वापस आएंगे, तब क्या अहमद भाई जान इस रिश्ते को मंज़ूरी देकर ज़ामीन को आपका मुस्तक़बिल बनाएँगे?"
जन्नत (उदासी भरे लहज़े में): "हम नहीं जानते कि हमारी किस्मत में अल्लाह ने क्या लिखा है; मगर हम इतना ज़रूर जानते हैं कि हमारा रब अपने बन्दों की हर जायज़ और सच्ची दिली तमन्ना को ज़रूर पूरी करता है।"
सीमा (जन्नत के सर पर हाथ रखते हुए): "रब से हमारी यही दुआ है कि वो आपको ज़िन्दगी की हर खुशी से नवाज़ कर आपकी हर ख़्वाहिश... हर तमन्ना को पूरी करे... आमीन!!!"
जन्नत: "जी।"
सीमा (बात बदलते हुए): "ओहो! अब आप ऐसे मायूसी भरा चेहरा नहीं बनाएँ... चलिए, आपको हमारी हेल्प करनी थी ना, तो आइए, ये दूध का ग्लास बाबा के रूम में उन्हें दे आइए।"
जन्नत (मुस्कुराकर, दूध का ग्लास लेते हुए): "जी, ठीक है।"
सीमा (मन में जन्नत को जाता देखकर): "या अल्लाह! जन्नत की सच्ची मोहब्बत जन्नत को मिल जाए। बस अब और ज़्यादा इम्तिहान ना लें इनके और उनकी सच्ची मोहब्बत इन्हें दे दें; वरना ये टूट जाएँगी।"
इसके बाद जन्नत सीमा की आँखों से ओझल हो जाती है और दादा जी के कमरे में दूध देकर थोड़ी बातें करने के बाद, कुछ देर बाद वापस अपने कमरे की तरफ़ जाने लगती है; तभी सामने से सारा भी आती है।
जन्नत: "आप कहाँ थीं?"
सारा: "वो, हम अयान भाई से अपनी एक बुक वापस लेने गए थे। तो फिर वहीं बैठ गए और उनसे आपके और अबीर भाई के झगड़े की बात होने लगी। और जब हमने अयान भाई को रात वाला इंसिडेंट बताया, तो भाई तो हँसते-हँसते पागल हो गए... मतलब सच में कितना लड़ते हैं ना आप दोनों।"
जन्नत: "हम नहीं लड़ते... शुरुआत वहीं करते हैं हमेशा।"
सारा: "मगर आप भी कम नहीं हैं।"
जन्नत: "तो हम क्यों किसी की बेवजह की बातें सुनें या सहें?"
सारा: "ओहो! हमारी झाँसी की रानी! जो आपने किया है, उसके बाद आपको लगता है कि अबीर भाई चुप बैठेंगे? बिलकुल नहीं।"
जन्नत: "तो हम कौनसा डरते हैं उनकी धमकियों से... (विक्ट्री स्माइल के साथ)... मगर आपके अबीर भाई के 24 घंटे तो लगभग पूरे होने ही वाले हैं, तो आप उनका अच्छा नाम सोचकर रखिए, उनका नाम बदलना जो है क्योंकि वो हमसे हारने वाले हैं।"
इतना कहकर जन्नत जैसे ही रूम का दरवाज़ा खोलकर सारा के साथ अंदर जाती है, वहाँ पहले से ही अबीर मुस्कुराता हुआ बैठा होता है।
अबीर: "आज हमने समझा कि लोग जन्नत के लिए इतना मुंतज़िर क्यों रहते हैं... कि उसे देखने के लिए अपनी जान गँवानी पड़ती है.....!!"
अबीर की ये बात सुनकर जन्नत के चेहरे का रंग ही उड़ गया।
जन्नत अबीर की बात सुनकर हैरान रह गई और उसके हाथ में अपना बॉक्स और पास में पानी का एक टब देखकर जन्नत के चेहरे का रंग उड़ गया।
जन्नत (घबराते हुए): "आ...आप हमारे सामान के साथ क्या कर रहे हैं? वापस दीजिए हमारा सामान?"
अबीर (शरारती मुस्कान के साथ): "अरे अरे...पढ़ने तो दीजिए हमें...आखिर हम भी तो देखें कि ये किसने लिखा है...एक मिनट (ज़मीन का नाम पढ़ते हुए) जी तो हम भी तो देखें कि मिस्टर ज़मीन ने कितना बड़ा झूठ लिखा है....मतलब आप और प्यारी, व्हाट अ जोक...."
सारा: "ज़मीन भाई ने लिखा था ये जन्नत...ओह! तो इस बॉक्स को आप इसीलिए इतना संभाल कर रखती हैं क्योंकि इसमें आपके और ज़मीन भाई के लव लेटर्स रखे हुए हैं।"
जन्नत (नाराज़गी से): "देखिए अबीर जी, हमारा सामान हमें चुपचाप वापस दीजिए, वरना..."
अबीर (बीच में ही अपनी आइब्रो ऊपर करते हुए): "वरना?"
जन्नत: "देखिए, हमारी और आपकी जो भी बातें हैं, वो हम दोनों के बीच हैं। प्लीज़, हमारी पर्सनल लाइफ़ को इसमें ना लाएँ।"
अबीर: "ओह, रियली.....ये बात आप कह रही हैं जिन्हें अपने बदले में कुछ याद ही नहीं रहता...अच्छा छोड़िए...हाँ, तो हम कहाँ थे..."
जन्नत: "हमारा सामान हमें वापस कीजिए, बस बहुत हुआ अब।"
तभी वहाँ अज़ान भी आ गया।
अज़ान: "अबीर, आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"
अबीर (जन्नत की तरफ़ देखते हुए): "कुछ हिसाब चुकाने थे, बस और कुछ भी नहीं।"
जन्नत: "हमें हमारा सामान दे दीजिए।"
अबीर: "ठीक है, मगर अच्छे तरीके से फ़रमाइए।"
जन्नत (गहरी साँस ले कर): "प्लीज़ अबीर जी, हमारा सामान हमें दे दीजिए।"
अबीर (सर हिलाते हुए): "नहीं जमा...और आज तक आपने जो भी हमारे जैसे नेक फ़रिश्ता जैसे इंसान को सताकर गुनाह किए हैं, उसकी माफ़ी तलाफ़ी (क्षतिपूर्ति) कौन करेगा?"
जन्नत: "मगर..."
अबीर: "देखिए, हमारे पास इतना वक़्त नहीं है ज़ाया करने के लिए, तो जल्दी कीजिए।"
जन्नत (बेमन से): "एम् सॉरी....."
अबीर ((जन्नत की नकल करते हुए) अपने कान पर हाथ रखते हुए): "क्या कहा आपने....हमने सुना नहीं....सारा और अज़ान, आप लोगों ने कुछ सुना....ज़रा दुबारा से फ़रमाइए और वो भी अच्छे तरीके से।"
जन्नत (नाराज़गी से): "आज तक हमने आपके साथ जो कुछ भी किया है...उस सबके लिए एम् सॉरी।"
अबीर (अपना सर हिलाते हुए): "नहीं, अभी फ़ीलिंग नहीं आई...थोड़ा और दिल की गहराईयों से बोलिए ज़रा मोहतरमा (मिस)।"
जन्नत: "देखिए अब आप...."
अबीर (ख़त देखते हुए): "वैसे मिस राजपूत, एक बात बताइए कि आपके मिस्टर ज़मीन की आँखें ख़राब हैं?"
जन्नत (नाराज़गी से): "ये क्या औल-फ़ौल (अनाप-शनाप) बोल रहे हैं आप...और अल्लाह के शुक्र (करम) से हमारे ज़मीन हर तरीके से बिल्कुल दुरुस्त (ठीक) हैं और सबसे आला (बेहतर) भी।"
अबीर: "वैसे सच में मान ना पड़ेगा कि मि. ज़ा मीन वाकई हिम्मत वाले और सबसे अलग इंसान हैं...हमें एक बार उनसे मिलवाएगा ज़रूर...हम भी तो देखें कि आखिर ऐसी कौन सी सुपर पॉवर है उनमें जो कि इतने बड़े ख़तरे (जन्नत) से वाकिफ़ (जानने) होने के बाद भी उसे अपने गले लगा रहे हैं...ये कोई आम इंसान तो नहीं कर सकता...।"
जन्नत: "अब आप अपनी हद से बढ़ रहे हैं और रही बात हमारे ज़मीन की तो उनके जैसा कोई दूसरा इस दुनिया में हो ही नहीं सकता और हीरे की परख जोहरी को ही होती है, आप जैसे लोहार को नहीं।"
अबीर (हँसते हुए): "आप और हीरा...जोक ऑफ़ द सेंचुरी 😆।"
जन्नत (फ़्रस्ट्रेट होते हुए): "आप समझते क्या हैं खुद को?"
अबीर: "ये हम आपको फ़ुर्सत से बताएँगे, फ़िलहाल मोहतरमा, आप मुद्दे पर आइए और जल्दी कीजिए, माफ़ी माँगिए।"
जन्नत (नाराज़गी से): "हमें कोई माफ़ी नहीं माँगनी आपसे।"
अबीर: "सामान चाहिए कि नहीं...जैसे हमने कहा था कुछ ऐसे ही फ़रमाएँ ज़रा....(कुछ सोच कर)....लगता है आपके लिए ये सामान इतना ज़रूरी और ख़ास भी नहीं, तभी आप हमसे माफ़ी माँगने के लिए इतना सोच रही हैं....(अबीर वो ख़त ले कर पानी की तरफ़ बढ़ाने लगता है)...."
जन्नत (घबराते हुए): "प्लीज़, प्लीज़ रुक...रुक जाइए, ऐसा मत कीजिए।...."
अबीर (अपने फ़ोन से जन्नत की फ़ोटो खींचते हुए): "ये है प्रूफ़।"
जन्नत: "कैसा प्रूफ़?"
अबीर: "कि जन्नत राजपूत किसी से नहीं डरती....इस फ़ोटो में डर आपके चेहरे से साफ़-साफ़ झलक रहा है और जब भी आप कभी इस गलत फ़ेमी में दुबारा आएंगी कि आप किसी से नहीं डरती, तब हम आपको ये फ़ोटो दिखाकर अपनी याद दिलाएँगे।"
जन्नत: "हम किसी से नहीं डरते और अगर बात हमारे इस बॉक्स और सामान की नहीं होती तो हम अपनी जान भी गँवा देते, मगर आपसे कभी माफ़ी नहीं माँगते।"
अबीर: "जानते हैं हम अच्छे से और हमें पता चला कि इन सब की आपकी लाइफ़ में क्या इम्पॉर्टेंस है क्योंकि ये आपको आपके लव ऑफ़ लाइफ़ से मिले हैं।..."
जन्नत गुस्से भरी नज़रों से अज़ान को घूरती है।
अज़ान (घबराते हुए): "हम...हमने क्या किया है जो आप हमें ऐसे मारने वाली नज़रों से घूर रही हैं?"
जन्नत: "आपसे तो हम फ़ुर्सत (फ़्री टाइम) से बात करेंगे और बताएँगे कि क्या किया है आपने।"
अज़ान अब समझ गया था कि उसकी ख़ैर नहीं है और जन्नत समझ चुकी है कि अबीर को इस सब के बारे में उसने ही बताकर उसकी मदद की है।
अबीर (जन्नत से): "जल्दी कीजिए और ज़रा प्यार और तहज़ीब से।"
जन्नत (अपने गुस्से को छुपाते हुए): "अबीर जी, आज तक हमने आपके साथ जो भी कुछ किया, हम मानते हैं उसमें सिर्फ़ हमारी और हमारी ही गलती थी और इस सबके लिए हम आज आपसे तहे दिल (दिल की गहराईयों से) से माफ़ी माँगते हैं...प्लीज़ हमें माफ़ कर दीजिए।"
अबीर (मुस्कुरा कर): "नाउ परफ़ेक्ट।"
जन्नत (अबीर से सामान लेते हुए): "निकलिए हमारे रूम से अभी।"
अबीर (खड़े होकर अंगड़ाई लेते हुए): "जी बिल्कुल, हम जा ही रहे हैं और वैसे भी आज तो दिल को इतना सुकून मिला है तो नींद भी बहुत ही उम्दा (बहुत अच्छी) आएगी। (अबीर अज़ान का हाथ पकड़ कर) चलिए अज़ान, सोने चलते हैं...जीत के बाद की नींद का मज़ा ही कुछ और है।"
जन्नत (गुस्से से अबीर की तरफ़ तकिया फेंकते हुए): "आप चले जाइए अभी के अभी यहाँ से, वरना हम ख़ून कर देंगे आपका।"
अबीर हँसते हुए जल्दी से वहाँ से चला गया और उसके साथ ही अज़ान और सारा भी जन्नत को इतना गुस्से में देखकर वहाँ से रफ़ूचक्कर हो गए। जन्नत उस ख़त और बॉक्स को लेकर वहीं बेड पर बैठ गई और एक बार फिर ज़मीन की याद उसे अतीत में ले जाती है।
(फ़्लैशबैक:)
जन्नत और ज़मीन रात में छत पर तारों को निहार रहे थे।
जन्नत: "ज़मीन, इस चाँद को देखकर हमेशा ऐसा महसूस नहीं होता कि जैसे ये हमारे कोई अपने हों।"
ज़मीन: "जी, आपने बिल्कुल सही कहा और ऐसा महसूस होता है कि जैसे ये सबकी मोहब्बत को मुकम्मल (पूरा) करने में उनका साथ देते हों।"
जन्नत (सोचते हुए): "वो कैसे?"
ज़मीन: "वो ऐसे कि जब कोई किसी से दूर होता है तो एक यही चाँद तो एक ऐसा ज़रिया (साधन) है जो दोनों एक साथ एक ही वक़्त पर देख सकते हैं।"
जन्नत: "जी, ये तो है।"
ज़मीन: "चलिए जन्नत, भूख लगी है, हम लोग बर्गर खाने चलते हैं।"
जन्नत (ख़ुशी से): "बर्गर?"
ज़मीन: "जी, और वो भी आपका ऑल टाइम फ़ेवरेट चीज़ बर्गर।"
जन्नत (खड़े होते हुए): "जी, चलिए।"
थोड़ी देर बाद जन्नत और ज़मीन पास में हमेशा जाने वाली एक बर्गर शॉप पर गए, मगर लेट हो जाने की वजह से आज शॉप पर सिर्फ़ एक ही बर्गर बचा था और जन्नत क्यूट भरी उदास नज़रों से ज़मीन की तरफ़ देखती है।
ज़मीन: "इट्स ओके, आप बर्गर खा लीजिए, हम अपने लिए सैंडविच ले लेंगे।"
जन्नत: "मगर...."
ज़मीन: "आप मुतमइन (फ़्री या सेटिस्फ़ाई) रहिए बिल्कुल और आपको तो पता है कि हमें सैंडविच भी पसंद है तो नो प्रॉब्लम।"
जन्नत (मुस्कुरा कर): "ओके।"
इसके बाद जन्नत और ज़मीन दोनों शॉप से बाहर आते हैं।
जन्नत: "हाय रब्बा! अच्छा हुआ ज़मीन, हम टाइम पर आ गए, वरना ये अकेला बर्गर भी चला जाता और फिर हमारा दिल टूट जाता।"
ज़मीन (अपना सर हिलाते हुए): "आपका ना कुछ नहीं हो सकता, आप बच्ची ही रहेंगी हमेशा....बर्गर के लिए तो आप इतनी दीवानी रहती हैं कि किसी रोज़ किसी का क़त्ल भी कर दें।"
जन्नत (हँस कर): "जी, ये तो सच है और आप बचकर रहिएगा हमसे, कहीं किसी रोज़ आपके साथ भी ऐसा ही कुछ ना कर दें हम।"
ज़मीन (मुस्कुराकर): "नहीं, इतना तो आपको जानते हैं हम और आप पर भरोसा भी है कि आपकी ज़िंदगी में इस बर्गर से तो कहीं ज़्यादा अहमियत और बड़ा मुक़ाम (पोज़िशन) रखते हैं हम।"
जन्नत (मज़ाकिया लहजे में): "ऐसी किसी गलत फ़ेमी में मत रहिएगा आप क्योंकि पहले हमारे लिए बर्गर और बाकी सब बाद में।"
ज़मीन: "ठीक है तो फिर आपका निकाह इसी बर्गर के साथ कर देंगे और..."
ज़मीन बात करते-करते अपने साइड में देखता है तो जन्नत वहाँ नहीं होती और इधर-उधर देखने के बाद ज़मीन की नज़र जन्नत पर पड़ती है जो कि एक ग़रीब फ़टेहाल बच्चे को, जो शक्ल से ही भूखा और लाचार लग रहा था, उसे अपना बर्गर दे देती है और जन्नत के पास उस वक़्त जितने भी पैसे थे वो उस बच्चे को पकड़ा देती है और इसके बाद उस बच्चे के चेहरे पर जो मुस्कुराहट और तेज दिखाई दिया उसे शायद शब्दों में भी बयाँ नहीं किया जा सकता और फिर वो बच्चा ख़ुशी-ख़ुशी वहाँ से चला जाता है।
ज़मीन: "आपने अपना बर्गर क्यों दिया उस बच्चे को जबकि अब तो और मिल भी नहीं सकता?"
जन्नत: "कोई बात नहीं।"
ज़मीन: "वाक़ई (सच) में?"
जन्नत: "जी, क्योंकि हम वो बर्गर शौक़ और अपनी पसंद के लिए खा रहे थे, मगर वो बच्चा उसे अपनी भूख मिटाने के लिए खाना चाहता था।"
ज़मीन: "और आपकी पॉकेट मनी का क्या जो पूरी आपने उस बच्चे को दे दी?"
जन्नत: "हमें शायद उसकी इतनी ज़रूरत नहीं है जितनी उस बच्चे को थी और फिर आप हैं तो हमें क्या फ़िक्र हो सकती है।"
ज़मीन: "जी, ये तो है।"
जन्नत: "चलिए घर चलते हैं, बहुत लेट हो गए हैं।"
ज़मीन: "जी, चलिए।"
अगले दिन सुबह को ज़मीन जन्नत को एक पेपर देता है।
जन्नत: "ये क्या है?"
ज़मीन: "ख़ुद ही देख लीजिए।"
जन्नत (पेपर को खोलकर पढ़ते हुए): "आज हमने समझा कि लोग जन्नत (स्वर्ग) के लिए इतना मुंतज़िर (प्रतीक्षा करना या फिर किसी चीज़ की चाहत रखने वाले) क्यों रहते हैं....कि उसे देखने के लिए अपनी जान गँवानी पड़ती है.....मगर ये ख़ुदा की हम पर इनायत (कृपा) है कि उसने हमें हमारी ज़िंदगी में ही हमारी असल (यथार्थ) जन्नत से रूबरू कराया है और अपनी जन्नत को देखकर हमें ये इल्म (जानकारी) हुआ कि बेशक़ (निसंदेह) जन्नत (स्वर्ग) हमारी जन्नत के जैसे ही प्यारी और ख़ूबसूरत होगी और हमने अपने जीते जी ही अपनी जन्नत को देख और पा लिया है..और बस हमारी रब से यही इल्तिजा है कि हमारा और आपका साथ हमारी आख़िरी साँस तक बना रहे!!....(आपके प्यारे ज़मीन)"
जन्नत: "ज़मीन, ये सब?"
ज़मीन: "हम अब कोई शायर तो नहीं हैं कि आपके लिए अल्फ़ाज़ चुनकर अपने एहसास को ज़ाहिर (स्पष्ट) कर सकें, बस इन्हीं टूटे-फूटे अल्फ़ाज़ से हमने अपने एहसासों को आपके सामने ज़ाहिर करने की कोशिश की है बस...बस इतना ज़रूर कहेंगे कि इसमें लिखा एक-एक अल्फ़ाज़ हमारे दिल की गहराईयों से निकला है और बिल्कुल सच है और हम रब का शुक्र अदा करते हैं कि हमारी ज़िंदगी में आप आई हैं और बस यही इल्तिजा (प्रार्थना) है हमारी हमारे रब से कि वो हमारा और आपका साथ हमारी आख़िरी साँस तक बनाए रखे....और हम अपनी आख़िरी साँस तक एक-दूसरे से कभी भी अलग ना हों।...."
(फ़्लैशबैक एंड.....)
जन्नत (उदासी भरे लहजे में ख़त को देखते हुए): "अब बस आ जाइए ज़मीन और हमसे किए हुए अपने वादे को पूरा कर दीजिए....हमारे सब्र (धीरज) का और इम्तिहान मत लीजिए....मत लीजिए ज़मीन.....!"
यहीं सब सोचते-सोचते कब जन्नत की आँख लग गई उसे पता ही नहीं चला.......!!!
अगले दिन सुबह से ही सीमा अयान के रिश्तेदारों के आने की तैयारी में व्यस्त थी। आज रविवार था, इसलिए सभी घर में ही थे। जन्नत और सारा भी सुबह से ही सीमा की मदद कर रहे थे। लगभग सारे काम निपट चुके थे, और कुछ ही देर में रिश्तेदार आ गए। पूरे आदर-सत्कार के साथ उन लोगों को घर में लाया गया। लड़की (जिया) के परिवार में लड़की के माँ-बाप (रुबीना और आरिफ), फूपी (सायरा), और उनका बेटा रिहान आया था। रिहान की नज़र जब पानी देने आई जन्नत पर पड़ी, तो वह जन्नत के मासूम, खूबसूरत चेहरे को निहारता ही रह गया, और पूरे समय जन्नत से उसकी नज़र नहीं हटी। कुछ देर बाद अयान भी आ गया, और जिया के घरवालों को अयान और सभी बहुत पसंद आए। वे लोग इस रिश्ते को अपनी सहमति देकर और अयान के घरवालों को आने के लिए कहकर कुछ देर बाद चले गए। इस सब के बीच अज़ान जन्नत को देख रहा था, जो बीच-बीच में उसे खा जाने वाली नज़रों से घूर रही थी। वह जानता था कि जन्नत अभी तो इन लोगों की वजह से शांत है, मगर इनके जाने के बाद वह उसका हाल बुरा करने वाली है। उन लोगों के जाने के बाद सभी लोग अपने-अपने कामों में लग गए। जन्नत और सारा लिविंग एरिया में बैठे थे।
सारा: जन्नत, तुमने आज कुछ नोटिस किया?
जन्नत: क्या?
सारा: यही कि वो रिहान तुम्हें कैसे घूर-घूर कर देख रहा था, और उसकी नज़र तुम पर से नहीं हटी थी।
जन्नत: उन्हें शुक्र करना चाहिए अल्लाह का कि वे अयान भाईजान के रिश्ते के लिए आए थे, वरना जैसे वे हमें घूर रहे थे ना, आपकी कसम, हम उनकी सारी हड्डियाँ तोड़कर उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करवा देते।
सारा (हँसते हुए): अरे बस बस! इतना भी जुल्म मत कीजिएगा बिचारे पर... वैसे हैं तो वो भी हैंडसम, तुम्हारी जोड़ी अच्छी जमेगी।
जन्नत: अगर इतने ही हैंडसम हैं, तो हम फूपी जान से कहकर तुम्हारा ही निकाह पढ़वा देते हैं उनके साथ, क्योंकि हमारे लिए तो हमारे ज़ामीन ही बेस्ट हैं।
तभी पीछे से अज़ान आया।
अज़ान (जन्नत का मूड ठीक करने की कोशिश करते हुए): जी, बिल्कुल दुरुस्त फरमाया आपने... तुम्हारे लिए कोई और थोड़ी ही हो सकता है, और फिर वो रिहान में वो बात कहाँ जो तुम्हारे साथ मैच हो सके... क्यों, ठीक कह रहे हैं ना हम?
जन्नत: जी, देख रहे हैं हम। आजकल तुम कुछ ज़्यादा ही ठीक-ठीक बोलने लगे हो।
अज़ान: देखिए जन्नत, तुम तो जानती हो अबीर को, और उसने हमें मजबूर किया, इसीलिए हमें उसे बताना पड़ा, वरना वह हमें मारता।
जन्नत (सोफे से खड़े होते हुए): मार तो तुम यकीनन अब भी खाओगे ही हमसे।
अज़ान (कदम पीछे लेते हुए): नहीं जन्नत, हम जैसे भी हैं, तुम्हारे भाई हैं आखिर।
जन्नत: जी, यह हम कैसे भूल सकते हैं कि अपने इन्हीं भाई की वजह से हमें उन खड़ूस, बदतमीज़ इंसान (अबीर) से माफ़ी माँगनी पड़ी।
अज़ान: एम सॉरी जन्नत, हम आगे से कभी दुबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे... पक्का।
जन्नत: हम तुम्हें दुबारा ऐसा करने लायक छोड़ेंगे तब ना।
इतना कहकर जन्नत सोफे से कुशन उठाकर अज़ान को फेंककर मारने लगी, और अज़ान इधर-उधर बचने के लिए भागने लगा। अज़ान को ऐसे देखकर सारा अपनी हँसी को रोक नहीं पाई। तभी जन्नत की नज़र टेबल के पास रखी दादा जी की छड़ी पर पड़ी, और वह अज़ान को मारने के लिए उसे उठा लेती है।
अज़ान (डरते हुए): आ...आप पागल हो गई हैं! लग जाएगी हमें।
जन्नत (गुस्से से): तो हम कौन सा मज़ाक कर रहे हैं? ज़ाहिर है कि तुम्हें मारने के लिए ही हम इसे यूज़ कर रहे हैं।
जैसे ही जन्नत अज़ान की तरफ बढ़ी, अज़ान दरवाज़े से बाहर निकलकर गार्डन में भाग गया, और जन्नत भी गुस्से में उसके पीछे-पीछे गई। अज़ान को पकड़ने के चक्कर में वह घास पर ध्यान ही नहीं दिया, जो कि इस वक्त गीली थी। अज़ान के पीछे भागते-भागते अचानक जन्नत का पैर फिसल गया, और वह जोर से अपनी आँखें बंद कर ली। मगर जब कुछ देर तक भी उसे गिरने जैसा कुछ महसूस नहीं हुआ, तो उसने अपनी आँखें खोली और अबीर को खुद के करीब पाया। अबीर ने ही जन्नत को गिरने से बचाया था और उसे संभाले रखा था।
अबीर: कभी तो तुम अपनी आँखों का इस्तेमाल ठीक से चलने के लिए किया करो, और कभी तो अपनी आँखें खोलकर चल लिया करो।
जन्नत: हमारी मर्ज़ी, हम जो चाहे, जैसे चाहे, वैसे चलें, तुमसे मतलब।
अबीर: जी, बिल्कुल मतलब है, क्योंकि हमेशा तुम हमसे ही टकराती रहती हो।
जन्नत: तुम खुद को समझते क्या हो? और तुमसे टकराने का हमें कोई शौक नहीं है।
अबीर: भूलिए मत कि अभी भी तुम हमारी वजह से ही गिरने से बची हो।
जन्नत: तो मैंने कहा था तुमसे कि हमें संभालो, और तुमसे मदद लेने से अच्छा तो हम गिरना पसंद करेंगे।
अबीर: हाय अल्लाह! कितना ज़्यादा एहसान फ़रामोश (उपकार ना मानने वाला) हैं इस दुनिया के कुछ लोग।
जन्नत: छोड़िए हमें... और मैंने नहीं कहा था कि हमारी हेल्प कीजिए तुम... छोड़िए हमें, अब हमें कोई ज़रूरत नहीं है तुम्हारी हेल्प की।
अबीर: सोच लीजिए?
जन्नत: जन्नत जो एक बार सोच लेती है, फिर दुबारा वो...
इससे पहले जन्नत अपनी बात पूरी कर पाती, अबीर जन्नत को छोड़ देता है, और जन्नत नीचे घास पर गिर जाती है। थोड़ी दूर खड़ी सारा और अयान जोर से हँस पड़े।
जन्नत (गुस्से से अबीर से): हाय रब्बा! मेरी कमर... तुम इंसान नहीं हो, ज़ालिम हो बिल्कुल।
अबीर: अरे! अब मैंने क्या किया? तुमने ही कहा था छोड़ दें तुम्हें, तो मैंने छोड़ दिया... नाउ बाय, टेक केयर।
जन्नत (फ़्रस्ट्रेट होते हुए): तुम्हें तो अल्लाह जहन्नुम (नर्क) में भी जगह नहीं देंगे।
अबीर (जाते हुए): मुझे वहाँ जगह चाहिए भी नहीं, क्योंकि वह तो मैंने तुम्हारे लिए छोड़ दी है... मेरे लिए तो जन्नत (स्वर्ग) पहले से ही रिजर्व है।
जन्नत गुस्से और फ़्रस्ट्रेशन से अबीर को जाते हुए देखती रह गई, और सारा जल्दी से उसकी उठने में मदद करने के लिए आई।
अयान: तुम ठीक हो जन्नत?
जन्नत: जी भाईजान, मैं ठीक हूँ।
अगले दो दिन ऐसे ही निकल गए, मगर जन्नत ने अब तक अबीर से ना तो कुछ कहा था और ना ही अब तक कुछ किया था। जिसकी हैरानी अबीर और अज़ान दोनों को ही हो रही थी।
अज़ान: अबीर, हमें तो समझ नहीं आ रहा कि जन्नत अब तक शांत कैसे है।
अबीर: डर गई होगी मुझसे, और क्या।
अज़ान: जन्नत और डर... इम्पॉसिबल! और तुम्हारी एक हरकत की वजह से मुझे कितना सॉरी बोलना पड़ा जन्नत को, तब जाकर उसने मुझे बख्शा (छोड़ा) है।
अबीर: जी, मगर दो दिन हो गए हैं, अब तक तो वह ज़रूर कुछ करती... बिचारी ने सोचा होगा कि मुझसे पंगा लेना ठीक नहीं है उसके लिए, और क्या।
अज़ान: जितना हम उसे जानते हैं, इतना तो हमें पता है कि वह हार मानने वालों में से तो बिल्कुल भी नहीं है, और हमें लगता है कि कुछ तो पक्का उसके ज़हन (दिमाग) में चल रहा है।
अबीर: जब कुछ होगा तब की तब देखेंगे... अभी फ़िलहाल शाम की चाय पीने चलें... क्योंकि भूलिए मत कि बुधवार है, और आज हमें बास्केटबॉल मैच खेलने जाना है, जिसका हम लोग पिछले एक महीने से इंतज़ार कर रहे थे।
अज़ान: जी, मुझे अच्छे से याद है, और मुझे ये भी याद है कि रॉकी की टीम और हमारे बीच क्या शर्त लगी है, जो कि हारने वाले को पूरी करनी है... मुझे तो सोच-सोच कर हँसी आ रही है, और जब रॉकी हारेगा तो सोचिए कितना मज़ा आएगा सबके सामने जब वह शर्त पूरी करेगा... क्योंकि तुम तो हारने से रहोगे, क्योंकि तुम तो बास्केटबॉल चैंपियन रह चुके हो, जो कि शायद यह बात वह नहीं जानते।
अबीर: इतना लंबा मत सोचिए... अब चलिए जल्दी, कहीं देर ना हो जाए।
अज़ान: जी, चलिए।
अबीर और अज़ान दोनों नाश्ता करने के लिए नीचे गए, और हमेशा की तरह आज भी अबीर जन्नत से उलझने के लिए जन्नत के सामने रखा चाय का कप ही उठाकर चाय पीने लगा, मगर आज जन्नत ने हमेशा की तरह कुछ भी नहीं कहा। यह बात अबीर को अजीब लगी, मगर वह इस बात को इग्नोर करके चाय पीने में लग गया... नाश्ता करने के बाद सभी लोग उठकर लिविंग एरिया में चले गए।
अज़ान: अबीर, तुम बाहर ही आ जाओगे, हम वहीं वेट कर रहे हैं तुम्हारा... इतने में हम एक ज़रूरी कॉल कर लेते हैं।
अबीर: ओके।
कुछ देर बाद जन्नत भी वहाँ से उठकर जाने लगी।
अबीर: क्या बात है? आज किसी ने कोई भी ऑब्जेक्शन नहीं उठाया मेरे चाय पीने पर।
जन्नत (मुस्कुराकर): थैंक्यू।
अबीर (कन्फ़्यूज्ड होकर): व्हाट?
जन्नत: मेरी हेल्प करने के लिए।
अबीर: मतलब?
जन्नत: वह तुम खुद समझ जाओगे... अल्लाह हाफ़िज़... टेक केयर।
इतना कहकर जन्नत वहाँ से चली गई, और अबीर जन्नत की बात के बारे में सोच ही रहा था कि तभी अचानक से वह उसकी बात का मतलब समझ गया।
अबीर (हड़बड़ाकर): ओह शिट... नो...
अबीर, कुपित होकर बोला, "ये नहीं करना चाहिए था आपको, जन्नत।"
अबीर यह कहकर अपने कमरे की ओर भाग गया। काफी देर इंतज़ार करने पर भी जब अबीर नहीं आया, तो अज़ान उसे देखने के लिए उसके कमरे में गया। कुछ पल बाद वह वापस आया और सोफ़े पर बैठी जन्नत और सारा के पास आकर बोला,
"आप लोगों ने अबीर को देखा है कहीं?"
"नहीं, हमने तो नहीं देखा," सारा ने उत्तर दिया।
"पता नहीं कहाँ चले गए। हमने पूरे घर में उन्हें ढूँढ लिया है," अज़ान ने कहा।
"उनके रूम में चेक कीजिए, वहीं होंगे," जन्नत ने सुझाव दिया।
"नहीं, वहाँ नहीं हैं। हमने चेक किया है," अज़ान ने कहा।
"दुबारा देखिए, शायद आपने वॉशरूम में चेक नहीं किया होगा," जन्नत ने कहा।
"फिर से?" सारा और अज़ान ने एक साथ हैरानी से पूछा।
"व्हाट... हमें ऐसे क्यों देख रहे हैं आप लोग?" जन्नत ने पूछा।
"अब क्या किया अबीर के साथ आपने, जन्नत?" अज़ान ने पूछा।
"हम क्या करेंगे... हमने तो आपको ऐसे ही नॉर्मली बोला," जन्नत ने कहा।
"नहीं, आप कोई भी बात नॉर्मली तो बोल ही नहीं सकती, वो भी जब बात अबीर भाई के मुतल्लिक हो," सारा ने कहा।
"जी, ये तो दुरुस्त फरमाया आपने," जन्नत ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।
"ओह गॉड... अब क्या किया आपने जन्नत उनके साथ, और वो कहाँ हैं?" अज़ान ने पूछा।
"हाय रब्बा! आप तो ऐसे बोल रहे हैं हमें जैसे हम वाकई में कोई शातिर किडनैपर हों, और हमने आपके अबीर जी का क़त्ल ही कर दिया हो... अरे भई, हम सच कह रहे हैं कि अबीर जी अपने रूम में ही हैं," जन्नत ने कहा।
"मगर आपने किया..." अज़ान ने कहा।
तभी अबीर ने अपने कमरे से अज़ान को आवाज़ लगाई, और अज़ान जल्दी से उसके कमरे में गया।
"हम कब से आपका पिछले एक घंटे से वेट कर रहे थे बाहर, और सब जगह ढूँढा भी आपको, और... अच्छा छोड़िए, जल्दी कीजिए मैच के लिए देर हो जाएगी वरना," अज़ान ने कहा।
"अज़ान, हम नहीं चल सकते आज मैच के लिए," अबीर ने कहा।
"ये क्या कह रहे हैं आप? और आप जानते हैं कि अगर आज आप मैच खेलने नहीं गए तो... नहीं अबीर, हम लोगों को जाना पड़ेगा," अज़ान ने हैरानी से कहा।
"हम सब समझ रहे हैं, मगर फिर भी हम नहीं चल सकते," अबीर ने कहा।
"मगर क्यों? और ऐसा क्या हो गया कि आप ऐसा बोल रहे हैं," अज़ान ने पूछा।
"वो एक्चुअली..." अबीर ने कहा।
तभी जन्नत अबीर के कमरे में आई।
"क्या हुआ अबीर जी.... आपकी तबियत ख़राब है क्या?" जन्नत ने मासूम बनते हुए पूछा।
"आप ज़्यादा मासूम मत बनिए... ऐसी हरकत भी करेंगी आप, हमने कभी सोचा भी नहीं था," अबीर ने दाँत पीसते हुए कहा।
"सोचते तो हम भी नहीं हैं जो आप कर जाते हैं," जन्नत ने कहा।
"कोई बताएगा कि हुआ क्या है?" अज़ान ने पूछा।
"वो..." अबीर ने कहा, पर अपनी बात पूरी करने से पहले ही वह जल्दी से वॉशरूम में चला गया। जन्नत अबीर के इस रिएक्शन पर अपनी हँसी रोक नहीं पाई। तभी सारा भी वहाँ आ गई।
"जन्नत, क्या है ये सब?" सारा ने पूछा।
"कुछ नहीं किया हमने, तो बस अबीर जी को चाय में उनका पेट दुरुस्त करने की दवाई दी है," जन्नत ने कहा।
"व्हाट?" अज़ान और सारा ने एक साथ कहा।
"कहीं आपने उन्हें ज़हर घोटा तो....." सारा ने चिंता से कहा।
"न...नहीं, जन्नत ऐसा नहीं कर सकती... हैं ना जन्नत?" अज़ान ने सारा से पूछते हुए अपना सिर हिलाया।
"अब अल्लाह की मर्ज़ी है सब, हम क्या कर सकते हैं... इंसान तो बस एक ज़रिया होता है कुछ भी काम करने का," जन्नत ने शरारती मुस्कराहट के साथ कहा।
"ओह नो!.... आपको पता है आज हमारा और अबीर का मैच है, और अगर अबीर आज रॉकी से हार गए तो उन्हें..." अज़ान ने बेड पर बैठते हुए कहा।
"बुलबुल पूरे एक हफ़्ते के लिए अबीर जी की गर्लफ़्रेंड बनेगी.... राईट?" जन्नत ने पूछा।
"आप जानती थीं ये बात," अज़ान ने कहा।
"ज़ाहिर है, तभी तो हमने अबीर जी की मदद की ताकि उनका और बुलबुल जी का रिश्ता जोड़ सकें... और वैसे भी दो लोगों के दिल मिलाना तो बहुत ही नेकी का काम है," जन्नत ने अबीर का मज़ाक बनाते हुए कहा।
"एक मिनट.... कहीं आप उस झल्ली दीवानी अपनी कॉलेज की बुलबुल की तो बात नहीं कर रहे हैं?" सारा ने पूछा।
"जी, बिल्कुल दुरुस्त फरमाया आपने," जन्नत ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।
"मगर वो तो..." सारा ने कहा।
"एक नंबर की पागल लड़की है, और कॉलेज में शायद ही कोई ऐसा लड़का हो जिसे उसने प्रपोज़ ना किया हो... और तो और, हद तो ये है कि हमारे कॉलेज में भी अक्सर ट्राई करती है वो ये... बिल्कुल चिपकू हैं वो लड़की, और उनका साइज़ तो....हाय अल्लाह... अबीर जैसे तो दो-तीन बनेंगे उनमें से... और अगर अल्लाह ना करें कभी किसी दिन वो किसी कमज़ोर इंसान पर गिर जाएँ तो उनका तो कचूमर ही निकल जाए... इन शॉर्ट, वो एक नॉर्मल लड़की नहीं, बल्कि पूरा नमूना और फ़नीएस्ट गर्ल है पूरे कॉलेज में, और उनके साथ एक हफ़्ता तो क्या, कोई नॉर्मल इंसान एक दिन भी नहीं बिता सकता," अज़ान ने बीच में ही कहा।
तभी वॉशरूम से बुरे हाल में बिचारा अबीर बाहर आया।
"लाइक सीरियसली.... अबीर भाई, आप वाकई में आज हमें हमारी फ़्यूचर भाभी से रूबरू करवाएँगे," सारा ने अपनी हँसी कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए कहा।
"सारा, इट्स रियली वेरी बैड जोक," अबीर ने कहा।
"अरे अरे, जोक कहाँ है ये.... सारा तो आपके मुस्तक़बिल के बारे में बात कर रही हैं, जो कम से कम अगले पूरे एक हफ़्ते के लिए तो आपकी किस्मत बनने वाला है। च च च च च च च..... (दुखी होने की एक्टिंग करते हुए) वैसे हमें बहुत अफ़सोस हो रहा है कि आप आज मैच नहीं खेलने जा पाएँगे," जन्नत ने अबीर को बिचारी की नज़रों से देखते हुए कहा।
"आप अपना ये ड्रामा बंद कीजिए, और भूलिए मत कि अल्लाह ने भी कहा है कि जो भी आमाल हम करते हैं उसका हमें दुगुना वापस मिलता है, तो बस आप अब अपनी सोचिए," अबीर ने जन्नत को घूरते हुए कहा।
"आप हमारी फ़िक्र छोड़िए और अपनी बुलबुल जी के बारे में सोचिए, और कम से कम आने वाले अगले एक हफ़्ते के लिए अपनी और बुलबुल की ज़िंदगी को साथ जोड़कर मीठे ख़्वाब बुनिए," जन्नत ने मुस्कुराकर कहा।
"आप को....." अबीर ने गुस्से से कहा, पर अपनी बात अधूरी छोड़कर वापस वॉशरूम में चला गया। जन्नत सारा के साथ हँसते हुए कमरे से बाहर आ गई, और अज़ान अफ़सोस में वहीं बेड पर बैठ गया। बिचारे अबीर का तो क्या ही कहना, ना अभी वो कुछ कहने की हालत में था और ना ही सुनने की, बस बिचारे की हालत इस वक़्त बहुत ख़स्ता थी। ख़ैर, ऊपर वाले का नाम लेकर जैसे-तैसे बिचारे की रात कटी थी, मगर अगले दो-चार दिन के बाद ही वो इस सदमे और इसके प्रभाव से उभर पाया था।
चार दिन बाद अबीर कॉलेज जाने और अपनी शर्त पूरी करने वाला था। कॉलेज पहुँचकर उसे रॉकी और उसकी टीम के सामने बुलबुल को अगले एक हफ़्ते के लिए अपनी गर्लफ़्रेंड बनाने के लिए हाँ कहना पड़ा। एक पल को बुलबुल को देखकर और आने वाले एक हफ़्ते तक उसे झेलने की बात सोचकर अबीर एक बार को तो मन ही मन खुद को कोस रहा था कि आखिर उसने जन्नत से पंगा लिया ही क्यों, मगर अब जो होना था वो तो हो चुका था। जन्नत और सारा अबीर से पहले ही कॉलेज पहुँच गई थीं, और यह नज़ारा देखकर जन्नत तो अपनी हँसी रोक ही नहीं पा रही थी।
"हँस लीजिए जितना हँसना है, मिस राजपूत, सूद समेत सब वापस करना होगा आपको," अबीर ने जन्नत से कहा।
"अरे आप हमारी फ़िक्र छोड़िए अभी, और जाकर अपनी प्यारी और क्यूट सी गर्लफ़्रेंड को संभालिए... ओके, एन्जॉय... सो अल्लाह हाफ़िज़," जन्नत ने कहा।
"हमारा ही दिमाग़ ख़राब है जो ऐसी सरफ़िरे दिमाग़ वाली लड़की से उलझे," अबीर ने मन ही मन सोचा।
शाम को अपनी कुछ क्लास लेने के बाद जन्नत और सारा फ़्री हुईं।
"अब नेक्स्ट क्लास तो फ़्री है," जन्नत ने कहा।
"जी, चलिए इतने में हम थोड़ा रेस्ट कर लेते हैं," सारा ने कहा।
"ओके, चलिए कहीं बैठते हैं," जन्नत ने कहा।
"ठीक है, चलिए, पर पहले हम कैंटीन चलते हैं। हमने आज सुबह जल्दी-जल्दी में ब्रेकफ़ास्ट भी नहीं किया था, तो अब हमें भूख लगी है बहुत ज़ोर से," सारा ने कहा।
"ठीक है, चलिए चलते हैं," जन्नत ने कहा।
इसके बाद जन्नत और सारा दोनों कैंटीन गईं। सारा ने अपने लिए पिज़्ज़ा सैंडविच, जो कि उसे बहुत पसंद था, और जन्नत ने चीज़ बर्गर ऑर्डर किया।
"वैसे जन्नत, सुबह से कितने लोग हमसे आपके बारे में पूछ चुके हैं," सारा ने कहा।
"हमारे बारे में क्यों?" जन्नत ने सैंडविच खाते हुए पूछा।
"अरे, आखिर आप इतनी हसीन और प्यारी जो हैं," सारा ने कहा।
"कुछ भी," जन्नत ने अपना सिर हिलाते हुए कहा।
"नहीं, हम सच कह रहे हैं, और...." सारा ने कहा।
तभी लगभग 25 साल का एक लड़का, दो-चार लड़कों के साथ, जन्नत और सारा की टेबल पर आया। उसने अपने पैर जन्नत और सारा की टेबल पर रखकर किंग स्टाइल में बैठ गया और जन्नत से नज़रें हटे बिना ही एक अजीब सी स्माइल उसके होंठों पर आ गई। जन्नत उस लड़के को खा जाने वाली नज़रों से घूर रही थी।
जन्नत ने उस लड़के को सर से पाँव तक देखा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह उस पर गुस्सा करे या उसके हुलिए पर हँसे। वह लड़का मध्यम कद का था, मगर उसके कपड़े और हुलिया बिल्कुल टपोरी जैसे थे। उसने लाल और पीले रंग के कपड़े पहने हुए थे, लाल रंग का चश्मा लगाया हुआ था और घुंघराले बालों में छोटी-छोटी क्लिप लगाकर चोटी बाँधी हुई थी।
लड़का (जन्नत से): "हम राजू भाई हैं, और बिहार के एक गाँव के रहने वाले हैं।"
जन्नत (लगभग चिल्लाते हुए): "तो क्या करें हम?"
राजू: "हमको बिलकुल पसंद नहीं है कि हमसे कोई ऊँची आवाज़ में बात करे।"
जन्नत (खड़े होते हुए): "आप अपना ये फ़ालतू बकवास उन्हें जाकर सुनाइएगा जो इसे सुनने में इंटरेस्टेड हो, और अगली बार हमारे साथ ऐसी बदतमीज़ी की तो आपका वो हाल करेंगे कि आप याद करेंगे।"
राजू: "इंटरेस्टिंग... ऊँ क्या है? हमको ब्रेव लोग बहुत पसंद हैं, और आपकी इसी अदा पर हमारा दिल आ गया है। इसीलिए अब आपको हमारी गर्लफ़्रेंड बनना पड़ेगा, वो भी अगले एक महीने के लिए।"
सारा: "अरे ये क्या बोल रहे हैं आप? आपको अपनी ज़िंदगी से ज़रा भी प्यार नहीं है जो आप जन्नत से ऐसा बोल रहे हैं?"
राजू भाई: "अरे बच्ची, तुम दूर रहो, वरना ये जो हमारे आस-पास हमारे चेले खड़े हैं ना, तुमको हमारे पालतू मगरमच्छ को खिलाने के लिए यहाँ से ले जाएँगे।"
सारा (जन्नत से धीरे से): "हमें तो ये बिलकुल पागल लगते हैं, जन्नत... चलिए यहाँ से चलते हैं हम लोग।"
जन्नत: "नहीं, अभी ठीक करते हैं हम इनका दिमाग़।"
सारा: "जन्नत, छोड़िए, क्यों ऐसे लोगों के मुँह लगना?"
राजू भाई: "ये क्या खुसर-पुसर चल रही है आपस में?"
जन्नत: "आप भाई हैं हमारे?"
राजू: "नहीं।"
जन्नत: "बाप हैं हमारे?"
राजू: "नहीं।"
जन्नत: "कोई रिश्तेदार या कोई भी रिश्ता है हमसे?"
राजू: "नहीं... मगर आप हमसे ये सब क्यों पूछ रही हैं?"
जन्नत: "ये बताने के लिए कि जब आपका हमसे कोई रिश्ता नहीं है और ना ही कोई मतलब, तो हम आपके नौकर नहीं हैं जो हम आपके फ़िज़ूल सवालों के जवाब दें।"
राजू (सारा से): "लड़की, समझाओ अपनी सहेली को कि जरा तमीज़ से बात करे हमसे, वरना इसके लिए ये अच्छी बात नहीं होगी।"
सारा: "अगर आप जानते ना कि किससे पंगा लिया है, तो आप कभी ऐसा नहीं बोलते। अब आपकी ख़ैरियत इसी में है कि हमारा रास्ता छोड़िए और जाइए यहाँ से।"
राजू भाई (अपनी जेब से चाकू निकालते हुए): "बच्ची, तुम बीच में ना आना, वरना अगर हमारा भेजा फ़िरा ना तो बहुत बुरा होगा।"
सारा (चाकू से डरते हुए): "य...ये क्या कर रहे हैं आप? ये सही बात नहीं है... हम आपकी शिकायत करेंगे।"
राजू भाई (चाकू घुमाते हुए): "बोला ना कुछ ना बोलो... तो बस चुप रहो।"
सारा ख़ामोश हो गई और इधर-उधर देखने लगी। उस वक़्त कैंटीन में बहुत कम लोग थे। ज़्यादातर लड़कियाँ थीं और इक्का-दुक्का लड़के भी चुपचाप तमाशा देख रहे थे।
राजू भाई (जन्नत से): "देखिए डियर, अब चुपचाप से हमारी बात मान लीजिए, व..."
जन्नत (बीच में ही अपनी बड़ी आँखों से घूरते हुए): "वरना??....." (अपने कदम आगे बढ़ाते हुए) "वरना क्या करेंगे आप?"
राजू: "ह...हम ब...बता रहे हैं, अगर हमें गुस्सा आ गया ना तो बहुत ही बुरा होगा ये, और..."
जन्नत (और नज़दीक आते हुए): "और?"
राजू (थोड़ा घबराते हुए खड़े होकर पीछे हटते हुए): "दे...दे...देखिए, ये चाकू अगर लग जाए ना तो ख़ून निकल जाता है, और इसीलिए हम आपको बोल रहे हैं थोड़ी दूर ही रहिए हमसे।"
जन्नत राजू के करीब कदम बढ़ा रही थी। जितना वह करीब आ रही थी, उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे। जो कुछ देर पहले दिलेरी दिखा रही थी, अब वह डर में तब्दील होती दिख रही थी।
जन्नत: "क्यों? आप तो हमें अपनी गर्लफ़्रेंड बनाना चाहते हैं ना, तो फिर हमसे दूर क्यों जा रहे हैं?"
राजू: "हाँ, मगर दूर से ही बनिए... हमरे करीब आने की क्या ज़रूरत है।"
जन्नत: "हमने जब आपको पहले देखा तो हमें गुस्सा आया था, मगर अब हमने अपना इरादा बदल दिया है, और हम आपकी हर बात मानने के लिए तैयार हैं अब।"
राजू के चेहरे पर हैरानी साफ़ दिख रही थी।
जन्नत: "क्या हुआ? आप इतना हैरान क्यों हैं इस बात से?"
राजू: "न...नहीं तो।"
जन्नत: "चलिए एक काम करते हैं, अपने घरवालों को एक-दूसरे के घरवालों से जल्दी ही मिलवाते हैं।"
राजू: "क...क्यों?"
जन्नत: "हमारी शादी तो वहीं फ़िक्स करेंगे ना।"
सारा (मन में): "हाय अल्लाह.... हमें तो लग रहा है जन्नत पागल ही हो गई हैं जो ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रही हैं।"
राजू (गहरी साँस ले कर): "ऐ ल...लड़की, तुम हमको बातों में उलझाने की कोशिश कर रही हो ना।"
जन्नत: "नहीं, बिलकुल भी नहीं।"
राजू (चाकू को अपने हाथ में हिलाते हुए): "हमरे साथ चालाकी करने की सोचना भी नहीं, वरना तुमको बहुत महँगा प..."
तभी जन्नत एक झटके से राजू के हाथ से चाकू छीनकर अपने हाथ में ले लिया। यह देखकर कोई भी कुछ समझ नहीं पाया। राजू के लोग आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, जन्नत ने उन्हें चाकू दिखाकर दूर रहने का इशारा किया।
राजू (अपने लोगों से): "अरे, काहे तुम लोगों को डर लग रहा है? ये कुछ नहीं करेंगी, बस हम लोगों को डराने के लिए ये सब कर रही हैं।"
जन्नत (मुस्कराहट के साथ): "अगर आपको सच में ऐसा लगता है कि हम सिर्फ़ आपको डराने की कोशिश कर रहे हैं, तो ये आपकी ग़लत फ़ैमी है।"
राजू: "अरे हम अच्छे से जानते हैं इन बातों को कि आप सिर्फ़ हम लोगों को, और..."
तभी जन्नत ने ऐसा किया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। उसने चाकू से राजू के हाथ पर एक गहरा नहीं, मगर खून रिसने लायक कट लगा दिया। राजू अपने हाथ से खून रिसता देखकर डर गया और बच्चों की तरह रोने जैसा चेहरा बनाकर जन्नत की तरफ़ देखने लगा।
राजू (घबराकर रोने सी सूरत बनाकर): "आपका दिमाग़ ख़राब है क्या? ये क्या किया आपने? हमारा कितना ख़ून बह रहा है... अरे कोई डॉक्टर को बुलाओ... नहीं तो हमारी जान चली जाएगी।"
जन्नत (चाकू को राजू की गर्दन पर हल्के से लगाकर): "अब तो आपको यकीन हो गया हम सिर्फ़ आपकी तरह डराते नहीं हैं बस, और अब इस चाकू को आपकी गर्दन पर चलाने के लिए भी हमें ज़्यादा सोचना नहीं पड़ेगा, और अगर आपको लगता है कि हम अब भी मज़ाक कर रहे हैं, तो हम ये भी अभी करके दिखाते हैं..."
राजू (बुरी तरह घबराकर): "न....न...नहीं.... हम...हम क...मा...माफ़ कर दो... अरे हम तो बड़ा ही सरीफ़ इंसान हैं... हम तो बिहार के बहुत ही सीधा और सच्चा इंसान हैं और बस सिर्फ़ यहाँ पढ़ने के लिए ही आया हूँ... हम तो बस आपको डराने की कोशिश कर रहे थे, और ये सब हमरे दोस्त हैं, हमरे गुंडे नहीं... हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई, हमको माफ़ कर दो बहिन... गंगा मैय्या की कसम खाकर कहते हैं आगे से कभी ऐसी कोई गलती दुबारा नहीं करेंगे।"
जन्नत: "जानते हैं हम, और आपको देखकर ही हम समझ गए कि आप निहायत ही शरीफ़ इंसान हैं, और ये सब जो आपने किया वो आपकी प्लानिंग भी नहीं हो सकती, और शायद हम अच्छे से जानते भी हैं कि ये सब आपने किसके कहने से किया है, मगर फिर भी हम एक बार आपके मुँह से ये बात सुनना चाहते हैं।"
कुछ देर तक राजू ख़ामोश रहा। जब जन्नत ने चाकू की नोक पर थोड़ा दबाव डाला तो उसकी हालत और ज़्यादा ख़राब हो गई।
राजू: "ह..हमको... बड़ा भाई मानता है वो, इसीलिए जिसके लिए हम ये सब करने को राज़ी हो गए।"
जन्नत (दमदार आवाज़ के साथ): "नाम?"
राजू: "आ...अ..अबीर।"
जन्नत (चाकू नीचे करते हुए मुस्कुराकर): "ओके, अब आप जा सकते हैं।"
राजू (गहरी साँस ले कर): "थैंक्यू बहिन।"
जन्नत: "मगर आइंदा से ऐसी उल्टी-सीधी हरकत करने की कोशिश भी की ना हमारे साथ तो ये चाकू सीधा... समझ गए ना?"
राजू: "हमारी माँ की तौबा... ज़िंदगी में दुबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे।"
जन्नत: "गुड।"
अबीर सुबह से ही बुलबुल से बहुत दुखी था। वह एक पल के लिए भी उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी और उसके पास ही चिपकी हुई थी, उसे अपनी हरकतों से परेशान कर रही थी। अबीर जब भी बुलबुल को देखता तो उसे जन्नत याद आती, जिसकी वजह से ये सब हुआ था। वह सोच रहा था कि बस एक बार जन्नत को राजू डराकर अपनी बात मनवा ले तो राजू के ज़रिए वह जन्नत को इसी तरह से परेशान करेगा जैसे बुलबुल उसे कर रही है। तब जन्नत को एहसास होगा और अबीर को थोड़ा सुकून मिलेगा। मगर उसे कहाँ पता था कि उसका प्यादा पहले ही जन्नत के आगे हथियार डाल चुका है, और उसका पूरा प्लान चौपट हो चुका है। वह यही सब सोच रहा था कि कुछ पल बाद जन्नत उसके सामने खड़ी थी.......!!!
अबीर (जन्नत से): आ...आप यहाँ?
अबीर को जन्नत के भाव देखकर लगा, शायद जन्नत को सब पता चल गया था, और वह अब उससे फिर से लड़ेगी। मगर जन्नत कुछ पल अबीर को देखने के बाद मुस्कुरा उठी, और अबीर उसको ऐसा देखकर असमंजस में पड़ गया।
जन्नत (मुस्कुराते हुए): आपने जो भी योजना बनाई थी हमारे लिए, हमें बताते हुए बहुत ही खुशी हो रही है, और आपके लिए बहुत ही अफ़सोस की बात है कि आपकी पूरी योजना (खराब) हो गई... आपको क्या लगा कि इतना आसान है जन्नत को डराना और अपनी बात मनवाना? अगर कोई भी सोचता है कि हमसे कोई जिद और जबरदस्ती, या फिर डराकर कुछ करने के लिए मजबूर कर देगा या अपनी बात मनवा लेगा, तो यह उन लोगों की सबसे बड़ी भूल है, क्योंकि जन्नत उन लोगों में से बिलकुल भी नहीं है जो डरकर या जबरदस्ती कुछ करने के लिए मान लें। बाकी प्यार और मोहब्बत भरे लहज़े से कोई हमारी जान भी माँगे तो हम बिना सोचे दे दें।
अबीर (हताशा के साथ बुलबुल की तरफ़ देखते हुए): आपकी ही कृपा है यह जो हम इस मुसीबत में फँसे हैं, और इसीलिए हम आपको भी ऐसे ही सताना चाहते थे।
जन्नत (अबीर का मज़ाक उड़ाते हुए बुलबुल की तरफ़ देखकर): हाय अल्लाह! कितनी तो प्यारी हैं बुलबुल जी! और किस्मत से ही किसी को इतनी ज़हीन और खूबसूरत लड़की मिलती है, और बाकी का तो पता नहीं, मगर आपके और बुलबुल जी के रिश्ते को जुड़ने को लेकर हम तो आज बहुत खुश हैं, और आपके लिए इतना बड़ा दिन है आज, इसलिए हमने आज आपके किसी भी मज़ाक और हरकत का बुरा नहीं माना, और आपकी किसी भी बात को दिल से नहीं लगाया... (जन्नत अबीर के भाव देखकर अपनी हँसी दबाने की कोशिश करते हुए)... खैर, हम चलते हैं, क्योंकि हम नहीं चाहते कि हमारी वजह से आपके और आपकी बुलबुल जी की प्राइवेसी खराब हो... तो टेक केयर एंड एन्जॉय... अल्लाह हाफ़िज़।
इतना कहकर जन्नत वहाँ से अबीर को तरस भरी नज़रों से देखकर मुस्कुराकर चली गई, और अबीर बस हताशा से जन्नत की बात सुनकर रह गया। और जन्नत के जाने के बाद बुलबुल, जो इतनी देर से जन्नत और अबीर की बातें चुपचाप सुन रही थी, और जिसके दोनों हाथों में खाने का सामान भरा था, अगर कोई उसे देखे तो यही सोचता कि पता नहीं इसने कब से खाना नहीं खाया, मगर बुलबुल के लिए तो यह आम था, और पूरे दिन बस उसके दो ही काम होते... लड़कों के पीछे भागना और दूसरा बस लगातार खाना। बुलबुल अबीर के पास आई।
बुलबुल (बर्गर खाते हुए): कौन थी यह लड़की? आप जानते हैं उन्हें?
अबीर: कोई भी हो, आपको उससे क्या फर्क?
बुलबुल: अरे ऐसे कैसे? हमें कोई फर्क नहीं होगा? आखिर आप हमारे बॉयफ्रेंड हैं, और हम आपको ऐसे ही किसी के साथ थोड़ी बात करने दे सकते हैं।
अबीर (खीझते हुए): आपको इतना स्वामित्वसूचक होने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि आप हमारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं हैं, यह बात आप जितनी जल्दी अपने दिमाग में बिठा लें, इतना ही आपके लिए बेहतर होगा।
बुलबुल (अपनी अजीब हँसी हँसते हुए): अब आप मानें या ना मानें, मगर अगले एक हफ़्ते तक तो आप हमारे बॉयफ्रेंड हैं, और वह तो रब की मेहरबानी है जो आप हार गए और हमें आप मिल गए, फिर चाहे एक हफ़्ते के लिए ही सही, और जब हमें यह सुनहरा मौका मिला है तो इसे हम खुलकर जिएंगे।
अबीर (हताशा के साथ): या अल्लाह! कहाँ फँस गए हैं हम।
अबीर हताश होकर वहाँ से चला गया, और बुलबुल भी अबीर के पीछे-पीछे चल पड़ी, और पूरा दिन उसके पीछे-पीछे ही लगी रही, जिससे अबीर बुरी तरह खीझ उठा। शाम को जब अबीर घर पहुँचा तो आमिर, सीमा और दादा जी जिया के घर गए हुए थे, और सारा, अज़ान, अयान और जन्नत लिविंग एरिया में ही एक साथ बैठे हुए थे। जन्नत, सारा और अज़ान के साथ-साथ अयान भी जन्नत की बताई हुई अबीर की हालत और उसके चेहरे से उसकी हालत को समझकर एक साथ जोर से हँस पड़े, और अबीर और भी ज़्यादा खीझ गया और अपने कमरे में चला गया, और अज़ान भी अबीर के पीछे-पीछे उसके कमरे में गया।
अबीर: क्यों आए हैं आप यहाँ? ... जाकर हँसें और...
अज़ान: एम सॉरी बडी... प्लीज़ नाराज़ मत होइए।
अबीर: अज़ान यार, एम डन... हम उस पागल सी लड़की को एक दिन नहीं झेल पा रहे थे तो हम पूरे हफ़्ते कैसे... नहीं, अज़ान, कुछ कीजिए, वरना हम पागल हो जाएँगे।
अज़ान: जस्ट रिलैक्स अबीर... आप इतना मत सोचिए, और एक हफ़्ते की ही तो बात है, यूँ ही गुज़र जाएगा।
अबीर: आपके लिए यूँ ही गुज़र जाएगा, मगर हमारे लिए नहीं, क्योंकि आप नहीं जानते आज एक दिन ही हमारे लिए कितनी मुश्किल से गुज़रा है, पहाड़ की तरह।
अज़ान: अच्छा, फ़िलहाल घर आकर तो इस सब के बारे में मत सोचिए, और फ़्रेश हो जाइए जल्दी से, फिर साथ में खाना खाते हैं।
अबीर: ठीक है, हम आते हैं।
रात को दादा जी, सीमा और आमिर घर आकर बताते हैं कि उन लोगों को जिया बहुत पसंद आई है, और इसी हफ़्ते अयान की सगाई भी तय हो चुकी है। सब लोग बहुत ही खुश होते हैं। रात को जन्नत अपने घर पर बात करती है, और वह लोग भी यह बात जानकर बहुत खुश होते हैं।
सहर (खुश होकर): चलिए इसी बहाने हम लोग इतने दिनों बाद वापस तो मिलेंगे।
जन्नत: जी, बिलकुल, हम भी आप सबको बहुत मिस कर रहे हैं।
सहर: लीजिए जन्नत, ताया जान से बात कीजिए।
जन्नत: जी, दीजिए फ़ोन... (कुछ पल बाद अहमद साहब फ़ोन पर आते हैं) अस्सलामुअलैकुम अहमद साहब।
अहमद साहब: वालेकुम अस्सलाम हमारी जान... कैसी हैं आप?
जन्नत: हम तो बिलकुल दुरुस्त हैं... आप बताइए, और अम्मी जान और बाकी सब कैसे हैं?
अहमद साहब: अल्हम्दुलिल्लाह सब बिलकुल ठीक हैं।
जन्नत: आप सब आ रहे हैं ना अयान भाई की सगाई में?
अहमद साहब: भला यह भी कोई पूछने वाली बात है?
जन्नत: पूछने वाली बात तो नहीं है, मगर फिर भी हमने पूछ लिया।
अहमद साहब (मुस्कुराकर): हम सब आएंगे... चलिए सो जाइए आप, बहुत रात हो चुकी है, फिर कॉलेज भी जाना होगा सुबह।
जन्नत: जी, और आप अपना और सबका ख्याल रखिएगा, और आप समय से अपनी बीपी और बाकी की दवा तो ले रहे हैं ना? कहीं हमारे आते ही आपकी पत्नी ने लापरवाही करनी तो शुरू नहीं कर दी... अगर ऐसा है तो आप हमें बिना किसी हिचकिचाहट के बता दीजिए, हम उनसे अभी बात करते हैं और पूछते हैं।
अहमद साहब (अपना सर हिलाते हुए हँसकर): कब बड़ी होंगी आप जन्नत...
जन्नत: हाय रब्बा! अहमद साहब, यहाँ हम आपकी सेहत की बात कर रहे हैं, और आपको हमारे बड़े होने की फ़िक्र सता रही है।
अहमद साहब: जी बेटा जी, आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, आपकी अम्मी जान हमारा पूरा ख्याल रख रही हैं, और हम बिलकुल ठीक भी हैं।
जन्नत: गुड, मगर इसका यह मतलब नहीं है कि सिर्फ़ हमारी अम्मी जान ही आपका ख्याल रखें... आपको भी उनका इतना ही ख्याल रखना होगा।
अहमद साहब (हँसकर): जो हुक्म मेरे आका... अब ठीक है?
जन्नत (हँसते हुए): बिलकुल ठीक है...
अहमद साहब: ख्याल रखिएगा अपना।
जन्नत: जी, और आप भी... अल्लाह हाफ़िज़।
अहमद साहब: अल्लाह हाफ़िज़।
इसके बाद जन्नत सोने के लिए चली गई। अगले दिन जैसे ही जन्नत सबको चाय परोसकर बैठती है, तो अबीर फिर से उसका कप उठा लेता है और चाय पीने लगता है... उस दिन चाय में जन्नत के ज़हर घोटने के बाद भी उसने जन्नत की चाय उठानी कभी नहीं छोड़ी, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि जन्नत को लगे कि वह उसकी इस हरकत की वजह से उससे डर गया है। आज फिर से अबीर जानबूझकर जन्नत की चाय उसे परेशान करने के लिए उठाता है, तो जन्नत मुस्कुरा उठती है। अबीर एक पल को सोच में पड़ जाता है कि कहीं आज भी जन्नत ने इसमें कुछ मिलाया तो नहीं है जो वह ऐसे मुस्कुरा रही है। जन्नत भी अबीर के भाव देखकर समझ जाती है कि वह क्या सोच रहा है।
जन्नत: डोंट वरी, आज हमने इसमें कुछ नहीं मिलाया है, आप बिना किसी डर के इसे पी सकते हैं, क्योंकि इसमें कुछ नहीं है।
अबीर: मगर फिर आप मुस्कुराईं क्यों?
जन्नत: यही सोचकर कि आपको इस चाय की ज़्यादा ज़रूरत है।
अबीर: और ऐसा आपको क्यों लगता है?
जन्नत (खड़े होते हुए): क्योंकि आपको कॉलेज जाकर अपनी प्यारी और स्वीट गर्लफ्रेंड का पूरा दिन नाज़-नख़रे भी तो उठाने हैं ना, तो इसीलिए यह आपके मन को थोड़ा शांत करेगी... तो पी लीजिए (जन्नत कुछ कदम चलकर) और हाँ, अगर और भी चाहिए तो हमें बिना झिझक बता दीजिएगा, क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप अपनी इकलौती और अज़ीज़ गर्लफ्रेंड से निराश या थके मन से मिलें... बल्कि हम तो चाहते हैं कि आप उनसे पूरे खुश और तरोताज़ा मन से मिलें।
इतना कहकर जन्नत वहाँ से मुस्कुराती हुई चली जाती है।
अबीर (चाकू टोस्ट में डालकर खीझकर): गर्लफ्रेंड माय फ़ुट... (बुलबुल का सोचते हुए): या अल्लाह! हमारी मदद कीजिए, हम नहीं झेल सकते उस लड़की को... इनफ़ैक्ट इन दोनों लड़कियों को..... हम पागल हो जाएँगे... एक यह (जन्नत) हैं जो हमें मानसिक रूप से सताने पर लगी हैं, और एक बुलबुल जो हमें पूरा दिन सताकर हमारे दिमाग़ का दही कर देंगी... हाय अल्लाह!.... छह दिन... कैसे कटेंगे..... इस दुनिया में सब कुछ आसान है सिवाय एक लड़की को समझने और झेलने के... ओह गॉड.......!!!
अबीर मजबूरी में कॉलेज पहुँचा, क्योंकि अगर वह उस बीच कॉलेज नहीं जाता तो उसे अगले पन्द्रह दिनों तक यह शर्त पूरी करनी पड़ती। अब उसके पास कोई विकल्प नहीं था। जब अबीर कॉलेज पहुँचा और इधर-उधर देखने लगा कि कहीं बुलबुल तो यहाँ नहीं है, और जब उसे तसल्ली हुई तो उसने अपने कदम आगे बढ़ाए। जैसे ही उसने कुछ कदम चले, उसे बुलबुल की आवाज़ सुनाई दी जो पीछे से उसे पुकार रही थी।
अबीर (इग्नोर करते हुए चलते हुए): "ओह नो... नॉट अगेन।"
तभी अबीर के सामने रॉकी और उसके दोस्त आ गए।
अबीर (मन में): "बस यही एक कमी बची थी।"
रॉकी (अबीर का मज़ाक उड़ाते हुए): "दिस इज़ नॉट गुड अबीर... अपनी इतनी क्यूट एंड ब्यूटीफुल गर्लफ्रेंड को भी कोई ऐसे इग्नोर करता है।"
तभी वहाँ बुलबुल आ गई।
बुलबुल: "अबीर, हम कब से आपको आवाज़ दे रहे हैं, आप सुन ही नहीं रहे थे।"
अबीर: "अच्छा... सच में... हमने नहीं सुना।"
बुलबुल (अपनी बत्तीसी दिखाते हुए): "कोई बात नहीं, अगर आपने नहीं सुना तो कोई बात नहीं।"
अबीर (फ़ेक स्माइल करते हुए): "जी।"
रॉकी: "वैसे अबीर, तुम्हें अगले एक हफ़्ते तक कॉलेज ही नहीं आना चाहिए था।"
अबीर (अपनी आइब्रो ऊपर करते हुए): "और वो किस लिए?"
रॉकी: "अरे, अब तुम्हें एक हफ़्ते का टाइम मिला है बुलबुल के साथ, तो उसे ख़राब मत कीजिए, और इस रोमांटिक टाइम को ऐसे बर्बाद मत कीजिए, और इसको अच्छे से यूज़ कीजिए।"
अबीर: "थैंक्यू, पर हमें आपकी इस एडवाइस की बिलकुल ज़रूरत नहीं है... हाँ, अगर फ़्यूचर में पड़ी तो ज़रूर लेंगे... मगर हमें बहुत अफ़सोस है कि आप इस ख़ूबसूरत ऑपर्च्युनिटी को हमारी वजह से नहीं ले पाए।"
रॉकी: "अब ये मेरा गुड लक था या फिर तुम्हारा बैड लक, जो भी था, मगर ये चांस तो तुम्हें ही मिला।"
अबीर: "वो तो शुक्र कीजिए कि हम उस दिन किसी वजह से वो मैच खेलने के लिए हाज़िर नहीं हो पाए थे, वरना आप भी अच्छे से जानते हैं कि हमें हराना बहुत ही मुश्किल है, क्योंकि हम खेल में ज़रा भी अफ़्फ़ (दया) नहीं बरतते, और हमसे इस खेल में जितना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।"
रॉकी: "ये तो तभी पता चलता अगर ये खेल पूरा हो पाता कि कौन ज़्यादा काबिल है... ख़ैर, अभी फ़िलहाल तो तुम्हें और बुलबुल को साथ देखकर मैं बस उस कारण को दिल से थैंक्यू बोलता हूँ।"
तभी जन्नत वहाँ आई।
बुलबुल: "थैंक्यू जन्नत..."
जन्नत (मुस्कुराकर): "वेलकम।"
अबीर: "किस लिए ये आपको थैंक्यू बोल रही है?"
जन्नत: "वो दरअसल, हम जब कॉलेज आए तब ये बिचारी आपको ढूँढ़ रही थीं, और इनको लगा कि आप शायद अभी तक कॉलेज आए ही नहीं, और इसीलिए ये आपका वेट कॉलेज के दरवाज़े पर खड़े होकर रही थीं, फिर हमने ही इन्हें बताया कि आप तो अभी-अभी अंदर गए हैं और यहीं आस-पास ही मिल जाएँगे।"
अबीर (जन्नत को घूरते हुए): "सच में आपके इतने एहसान हो चुके हैं हम पर कि लगता है इन्हें सूद समेत उतारकर खुद को फ़ारिग़ (फ़्री) कर लें।"
जन्नत (शरारती मुस्कान के साथ): "इसकी बिलकुल ज़रूरत नहीं है, क्योंकि हम आप जैसे ग़रीब लोगों पर ऐसे एहसान अक्सर करते रहते हैं।"
रॉकी (जन्नत से): "आई थिंक आपकी बातों से मुझे लग रहा है कि आप ही वो वजह हैं जिसकी वजह से अबीर और बुलबुल आज साथ हैं?"
जन्नत: "जी, बिलकुल दुरुस्त (सही) फ़रमाया (बोला) आपने।"
रॉकी: "आपको देखकर ही मैं समझ गया था कि आप ही इतना ब्रेव काम कर सकती हैं, और एक्चुअली में मुझे ब्रेव और ख़ूबसूरत लड़कियाँ बहुत पसंद हैं, और मुझे लगता है कि हम दोनों की जोड़ी अगर बन जाए तो पूरे कॉलेज में क़हर ढा जाएगा।"
जन्नत: "एक्चुअली हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है, और वैसे भी जोड़ियाँ बराबर वालों लोगों की ही जँचती हैं।"
रॉकी: "अरे किसने कहा आपसे कि आप हमारे बराबर की नहीं हैं?"
जन्नत: "हम अपनी नहीं, बल्कि आपकी बात कर रहे हैं, क्योंकि हम तो रब के शुक्र से ज़ेहनी (दिमागी) तौर पर बिलकुल दुरुस्त हैं।"
रॉकी (चिढ़कर): "मतलब कि मैं पागल हूँ?"
जन्नत: "हमने ऐसा तो कुछ नहीं कहा, मगर अपने बारे में दूसरों से ज़्यादा खुद को ही बेहतर मालूम होता है, और अब आप अगर कह रहे हैं तो हम आपकी मुख़ालफ़त (विरोध) कैसे कर सकते हैं? ख़ैर... अगर आपको सच में अपनी जोड़ी बनानी ही है तो बुलबुल जी से परफ़ेक्ट कोई हो नहीं सकता आपके लिए, और इस वीक के बाद तो ये फ़्री भी हो जाएँगी, और यक़ीनन हम कह सकते हैं कि आपकी और बुलबुल जी की जोड़ी पूरे कॉलेज में नहीं, बल्कि पूरे शहर में क़हर ढा जाएगी... ओके, जो हमने कहा है उस पर ध्यान ज़रूर दीजिएगा, ओके, अल्लाह हाफ़िज़... (ज़ोर देकर बोलती हुई) भाईजान..."
इतना कहकर जन्नत वहाँ से चली गई, और अबीर और रॉकी के दोस्त जन्नत की बात सुनकर हँसने लगे।
अबीर: "वाउ... भाईजान... कम से कम हमें आज तक किसी लड़की ने, जिन्हें हमने प्रपोज़ किया हो, तो हमें कभी भाईजान नहीं कहा, और वो भी ऑन दी स्पॉट तो बिलकुल भी नहीं... तौबा तौबा... अगर एक बार को हम इतनी बड़ी इन्सल्ट से रूबरू (आमना-सामना) होते तो हम तो चुल्लू भर पानी में खुद को डूबोकर ज़ाया (ख़त्म) कर देते।"
रॉकी गुस्से में दनादन वहाँ से चला गया, और अबीर हँसते हुए उसे जाते हुए देखता रहा। मगर जैसे ही उसने बुलबुल को अपनी तरफ़ अजीब तरीके से खुद की तरफ़ मुस्कुराते हुए देखा तो उसके चेहरे की हँसी एक बार फिर गायब हो गई। धीरे-धीरे जैसे-तैसे बिचारे अबीर के लिए आज का दिन भी गुज़र गया, और अब सात दिनों में से पाँच दिन बाक़ी थे, और इन सात दिनों का एक-एक मिनट उसके लिए उंगलियों पर गिन-गिनकर गुज़र रहा था। ख़ैर, जैसे-तैसे बिचारे अबीर पर पहाड़ जैसे ये दिन भी गुज़र गए, और अब सिर्फ़ एक दिन ही बाक़ी था, और एक दिन बाद ही अयान की एंगेजमेंट भी थी। जन्नत और सारा घर में काम होने की वजह से आज कॉलेज नहीं गई थीं, और अबीर भी शाम को जल्दी ही कॉलेज से वापस आ गया था। वह जाना तो नहीं चाहता था, मगर अगर नहीं जाता तो आगे के और ज़्यादा दिन उसे बुलबुल का टॉर्चर सहना पड़ता, मगर आज अबीर खुश था कि आख़िरकार उसे बुलबुल को नहीं झेलना पड़ेगा, और कल तो संडे भी था और उसे कॉलेज भी नहीं जाना पड़ेगा, और रूल भी नहीं टूटेगा क्योंकि कल तो छुट्टी है कॉलेज की, तो वह कैसे बुलबुल से मिलता, और कल वह बस अच्छे से अयान की सगाई को एन्जॉय करने वाला है। घर में सब लोग कामों में बिज़ी थे। जन्नत के सब घरवाले भी आज ही आने वाले थे, मगर जब जन्नत घर फ़ोन करती है तो उसे पता चलता है कि किसी ज़रूरी काम आने की वजह से वे लोग कल फ़्लाइट से यहाँ आएंगे, और सगाई कल रात की होने की वजह से बाक़ी मेहमान भी कल सुबह ही आने वाले थे। लगभग कल शाम की सगाई की सभी तैयारियाँ हो चुकी थीं। जन्नत रात में खाने के बाद सबके लिए चाय बनाने के लिए गई, मगर कुछ पल बाद ही वह चीख़कर बाहर आ गई।
दादा जी: "जन्नत, क्या हुआ आपको?"
सीमा: "क्या हुआ जन्नत? आप ऐसे घबराई हुई क्यों हैं?"
आमिर: "आप ठीक तो हैं बेटा?"
जन्नत (घबराते हुए): "वो...वो किचन में....."
अयान: "क्या है किचन में?"
जन्नत: "भाईजान, किचन में ऊपर वाली दराज में कॉकरोच है, वो भी उड़ने वाला, और इतना मोटा।"
सीमा: "जन्नत, हद करती हैं आप भी बेटा, इतना क्या डरना कॉकरोच से।"
जन्नत: "आप तो जानती हैं, फ़ूफ़ी जान, कि हमें किसी चीज़ से डर नहीं लगता, मगर बचपन से ही हमें कॉकरोच से फ़ोबिया है, और हम जब भी उसे देखते हैं तो बस हमसे वो टॉलरेट नहीं हो पाता।"
अज़ान: "ओह गॉड, जन्नत, आप चाकू-तलवारों से डरती नहीं हैं, और एक मामूली कॉकरोच... लाइक सीरियसली?"
आमिर: "अज़ान.... आप फिर से शुरू हुए।"
अज़ान: "नहीं, हम तो सिर्फ़ बाबा जन्नत की तारीफ़ कर रहे थे।"
आमिर: "हम अच्छे से जानते हैं कि आप कितनी तारीफ़ करते हैं जन्नत की, असल में तो आप एक मौक़ा ज़ाया (बर्बाद) नहीं होने देते जन्नत को परेशान करने का।"
दादा जी: "अच्छा, आप बैठ जाइए, जन्नत, चाय सारा ले आएगी।"
सारा: "जी, जन्नत, आप बैठिए, हम बनाते हैं चाय।"
अज़ान: "अल्लाह तौबा... दादा जान, क्या आप चाहते हैं कि हम सब कल अयान भाई की सगाई में शिरकत (शामिल) ना कर सकें... जो आप सारा के हाथ की ज़हरीली चाय हम सबको पिलाना चाहते हैं।"
सारा (चिढ़कर): "बाबा जान, देखिए ना अज़ान भाईजान को।"
आमिर: "अज़ान....."
अज़ान (हँसकर): "सॉरी बाबा..."
सीमा: "आप सब बैठिए, चाय हम ले आते हैं।"
इन सब के बीच अब तक खामोशी से बैठा अबीर बस शरारती मुस्कराहट के साथ सारी बात सुन रहा था। कुछ देर बाद सीमा सबके लिए चाय लेकर आई।
दादा जी (चाय पीते हुए): "अरे भई, कल अयान की सगाई है, मगर हमारे घर में ऐसा एहसास ही नहीं हो रहा कि कल इतना बड़ा फ़ंक्शन है।"
सारा: "क्या मतलब दादा जानी?"
दादा जी: "मतलब ये कि ना कोई शोर, ना गुल, कुछ भी तो नहीं है। इससे कहीं ज़्यादा तो हमारे वक़्त पर शादी-ब्याह में हफ़्तों पहले ही रौनक़ (चमक-धमक या शोभा) की महफ़िल (सभा) लगती थीं, और आज के वक़्त में तो एक दिन पहले भी कुछ पता ही नहीं चलता। बस ये बड़े-बड़े डीजे और डेकोरेटर बजा-बजाकर माहौल को मायूस (दूषित या ख़राब) करके समझते हैं कि जश्न-ए-ख़ुशी का आगाज़ (शुरुआत) कर रहे हैं, मगर ऐसे जश्न का क्या फ़ायदा जब तक सब लोग एक साथ जमा होकर आने वाली ख़ुशियों को एक साथ मिलकर आगाज़ ना करें।"
जन्नत: "जी दादा जानी, ये तो आपने बिलकुल दुरुस्त फ़रमाया।"
दादा जी: "जी, हमारे ज़माने में कहाँ ये डीजे और सब हुआ करते थे, मगर उस ज़माने में ख़ुशियों के एक-एक लम्हे को खुलकर जिया जाता था, और ऐसे भाग-दौड़कर नहीं जिया जाता था। जब हमारी और आपकी दादी की शादी हुई थी तब महीनों पहले से तैयारियाँ शुरू हो गई थीं।"
सारा: "दादा जानी, एक काम करते हैं, आज हम लोग आपके ज़माने की तरह ही एन्जॉय करते हैं, बिना किसी डीजे और होम थिएटर के, मतलब कि हम लोग अँताक्षरी खेलते हैं..."
जन्नत: "गुड आईडिया।"
अबीर: "बिलकुल फ़्लॉप एंड बोरिंग आईडिया है।"
जन्नत: "जिन्हें फ़्लॉप या बोरिंग लग रहा है वो यहाँ से जा सकते हैं, मगर हमें तो खेलना है।"
अबीर: "हमें यहाँ रहना है या नहीं ये हमें आपसे जानने की ज़रूरत नहीं है।"
सीमा: "अरे बस बस! अब आप दोनों फिर शुरू मत हो जाइएगा।"
दादा जी: "अच्छा, ठीक है, फिर आज रात हम सब यही खेलेंगे।"
अज़ान: "अबीर, आप भी आइए ना, मज़ा आएगा।"
अबीर: "नहीं, हम तो बहुत थक गए हैं, आप लोग खेलिए, हम सोने जाते हैं।"
अज़ान: "ठीक है, फिर आप आराम करिए।"
इसके बाद सारा और जन्नत साबरा (नौकरानी) के साथ लिविंग एरिया में खेलने के लिए बैठने का इंतज़ाम करने जाते हैं। इतने में अज़ान अबीर के साथ रूम में चेंज करने जाता है।
अज़ान: "वैसे क्या चल रहा है ये?"
अबीर: "कुछ नहीं, बस हमारा मन नहीं है खेलने का।"
अज़ान: "हम खेल की बात नहीं कर रहे हैं।"
अबीर: "तो?"
अज़ान: "तो ये कि जब जन्नत के कॉकरोच से डरने वाली बात से आप इतना नॉटी स्माइल के साथ स्माइल क्यों कर रहे थे?"
अबीर: "क्योंकि हम भूल गए थे कि हर इंसान की एक ना एक कमज़ोरी और डर की नब्ज़ (नस) ज़रूर होती है, जो बस ढूँढ़ने की ज़रूरत होती है, और मिस राजपूत के केस में भी यही है। किसी चाकू या तलवार ने हमारा काम नहीं किया, मगर ये कॉकरोच हमारा काम ज़रूर करेगा, क्योंकि मुश्किल से सही मिस राजपूत अब हमारे वश में तो आएंगी।"
अज़ान: "आप क्या करने की सोच रहे हैं?"
अबीर (शरारती मुस्कान के साथ): "ये हम आपको बताएँगे नहीं, बल्कि कल करके दिखाएँगे।"
अज़ान: "अल्लाह ही जानें क्या होगा आप दोनों का। ख़ैर, बस हम तो यही कहेंगे कि कुछ भी करने से पहले फ़्यूचर में होने वाले जन्नत के वार के लिए संभल जाइएगा फिर।"
अबीर: "उसकी फ़िक्र आप मत कीजिए, वो सब अब हम संभाल लेंगे, क्योंकि शुक्र है कि बुलबुल से भी हम कल फ़्री हो जाएँगे, और अब हमारा सारा कॉन्संट्रेट जन्नत जी पर ही है। इस बीते हफ़्ते में इंतहा (अंतिम सीमा) कर दी है मिस राजपूत ने हमारे साथ, मगर अब हमारी बारी है।"
अज़ान: "वो सब तो ठीक है, मगर..."
तभी सारा अज़ान को खेलने के लिए आवाज़ लगाती है, और अज़ान नीचे चला जाता है, और अबीर बस जन्नत के बारे में सोचकर मुस्कुरा उठता है।
अबीर (मुस्कुराकर): "मिस राजपूत, बी रेडी........"
जन्नत और सारा ने लिविंग एरिया में बिस्तर और तकिए लगाकर बैठने का इंतज़ाम किया था। कुछ ही देर में सब लोग वहाँ इकट्ठे हो गए, और दो टीमें बन गईं। ए टीम लेडीज़ की थी जिसमें सीमा, जन्नत, सारा और साबरा शामिल थीं, और बी टीम में आमिर, दादा जी, अज़ान और अयान शामिल हुए थे। मगर एक ज़रूरी फ़ोन आने की वजह से आमिर अपने कमरे में चला गया।
अज़ान (मज़ाक में): "अरे ये क्या बात हुई? हम दो, वो भी एक ज़ईफ़ (बुज़ुर्ग) के साथ।"
दादा जी: "ज़ईफ़ होंगे आप और आपके वालिद (पिता), हम तो अभी जवान हैं।"
अयान: "जी, बिल्कुल दुरुस्त फरमाया आपने।"
दादा जी: "चलो भई, शुरू करते हैं हम लोग। आमिर को तो शायद टाइम लगेगा, अभी इतना ही खेलते हैं।"
सारा: "जी, ये ठीक है।"
दादा जी: "मगर गाने सब पुराने ही होंगे... ये आजकल के धूम-धड़ाके वाले नहीं।"
सारा: "दादा जानी, ये तो चीटिंग है। हमें तो आजकल वाले सॉन्ग ही पता हैं।"
दादा जी: "फिर हमें नहीं खेलना।"
अज़ान: "हम तो पहले ही कह रहे थे दादा जानी कि ये लोग खेलने से डरते हैं हमारे साथ, इसीलिए बहाने बना रहे हैं।"
जन्नत: "नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। और आप रुकिए दादा जान, हम खेलेंगे... डोंट वरी, सारा, जो आपको याद है आप वो गाना गाएँगी, बाक़ी हम और फ़ूपी जान भी तो हैं ना आपकी मदद करने के लिए।"
सारा: "ओके।"
जन्नत: "मगर हारने वाली टीम को जीतने वाली टीम की किसी भी एक शर्त को मुकम्मल (पूरा) करना होगा।"
अज़ान: "मंज़ूर है।"
सबसे पहले दादा जी की टीम से दादा जी गाना शुरू करते हैं।
दादा जी: "आजा रे, बहार, दिल है बेकरार... तेरे बिन रहा ना जाए, आजा..."
सीमा: "जा जा जा, मुझे ना अब ये यहाँ, मुझे भूल जाने दे, जाने दे, जा जा, मुझे ना अब याद आ तू..."
अयान: "तुम्हारी नज़र क्यों ख़फ़ा हो गई? ख़ता बख़्श दो, गर ख़ता हो गई। हमारा इरादा तो कुछ भी ना था, तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई..."
जन्नत: "एक बंजारा गाए जीवन के गीत, सुनाए हम सब जीने वालों को जीने की राह, बताए एक बंजारा गाए, हो हो हो..."
अज़ान (सीमा के साथ एक्टिंग करते हुए): "हाल कैसे है जनाब का? क्या ख़्याल है आपका? तुम तो मचल गए हो, ओह ओह... यूँ ही फिसल गए, आह हा, ये हाल कैसा है जनाब का..."
साबरा: "कहते कबीर सुनो भाई साँदो बात कहूँ मैं, घड़ी के दुनिया एक नम्बरी तो मैं दस नम्बरी के, कहते कबीर सुनो भाई साँदो बात कहूँ मैं, घड़ी के दुनिया एक नम्बरी तो मैं दस नम्बरी के..."
दादा जी: "रुक जा, रुक जा, ओह जाने वाली रुक जा, मैं तो राही तेरी मंज़िल का, नज़रों में तेरी, मेरी बुराई सही, आदमी बुरा नहीं मैं दिल का, रुक जा..."
सारा: "जहाँ मैं जाती हूँ वहीं चले आते हो, चोरी-चोरी मेरे दिल में समाते हो, ये तो बताओ कि तुम मेरे कौन हो..."
अज़ान (खड़े होकर डांस करते हुए): "हम तो तेरे आशिक़ हैं सदियों पुराने, हम तो तेरे आशिक़ हैं सदियों पुराने, चाहे तू माने चाहे ना माने, हम तो चले आए सनम तुझको मनाने, चाहे तू माने चाहे ना माने..."
सीमा: "नैनो में सपना, सपनो में सजना, सजना पे दिल आ गया हो, सजना पे दिल आ गया..."
दादा जी: "ये पब्लिक है, पब्लिक बाबू, ये जो पब्लिक है ये, सब भांति है पब्लिक है, अजी अंदर क्या है, अजी बाहर क्या है, अंदर क्या है, बाहर क्या है, ये सब कुछ पहचानती है, पब्लिक है, ये सब जानती है, पब्लिक है..."
अज़ान: "अब आपकी बारी (जन्नत की टीम सोचने लगती है)... टिक टिक 1... टिक टिक 2..."
सीमा (जल्दी से): "होंठों में ऐसी बात मैं दबा के चली आई, खुल जाए वही बात तो दुहाई है, दुहाई, बात किसमें प्यार तो है, ज़हर भी है, हाँ, होंठों में ऐसी बात मैं दबा के चली आई, खुल जाए वही बात तो दुहाई है, दुहाई..."
अयान: "इंतहा हो गई इंतज़ार की, आई ना कुछ ख़बर मेरे यार की, ये हमें है यकीन बेवफ़ा वो नहीं, फिर वजह क्या हुई इंतज़ार की..."
जन्नत: "काटे नहीं कटते ये दिन ये रात, कहनी थी तुमसे जो दिल की बात, लो आज मैं कहती हूँ, आई लव यू, आई लव यू, आई लव यू..."
अब दादा जी की टीम की बारी थी, मगर इस वक़्त उन लोगों को कुछ गाना याद नहीं आ रहा था, और ऊपर से जन्नत की टीम के शोर और गुल से वो लोग कॉन्संट्रेट भी नहीं कर पा रहे थे। जन्नत काउंटिंग स्टार्ट करती है... टिक टिक 1... 2... 3... 4... सारा... टिक टिक 5... 6...
अज़ान: "दादा जानी, भाई, कुछ कीजिए, वरना हम हार जाएँगे..."
जन्नत: "टिक टिक... 7..."
सारा: "... 8..."
जन्नत: "टिक टिक... 9... और..."
तभी पीछे से अबीर गाना गाता हुआ दादा जी की तरफ़ आता है, और दादा जी की टीम ख़ुशी से अबीर के साथ गाना शुरू कर देते हैं।
अबीर: "ये चाँद सा रोशन चेहरा, ज़ुल्फ़ों का रंग सुनहरा, ये झील सी नीली आँखें, कोई राज़ है इनमें गहरा, तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया, तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया..."
अज़ान (अबीर को गले लगाकर): "थैंक्यू हमारे भाई... आपने लास्ट मोमेंट पर हमें बचा लिया।"
जन्नत: "मगर आप ऑलरेडी हार चुके हैं।"
सारा: "जी, बिल्कुल ठीक कह रही हैं जन्नत।"
अयान: "क्यों? क्यों... हम क्यों हार गए?"
जन्नत: "क्योंकि अबीर जी तो इस गेम में थे ही नहीं, तो फिर ये आपकी टीम के लिए कैसे गा सकते हैं... और ये इंसाफ़ की बात है।"
अबीर: "क्यों? जब आप लोग चार थे और ये लोग तीन, तब तो आप इंसाफ़-ए-ज़ात (इंसाफ़ करने वाला) नहीं बनीं... अब आपको इंसाफ़ याद आ रहा है।"
जन्नत: "व...वो तो हम... हमने थोड़ी मना किया था, और वैसे भी इनकी टीम में भी चार लोग ही थे, वो तो लास्ट टाइम फ़ूफ़ा जान की कॉल आ गई और वो चले गए... तो इसमें हमारी क्या गलती?"
अबीर: "मगर जब आपने कुछ भी नहीं कहा तो अब आपको इतनी तकलीफ क्यों हो रही है?"
दादा जी: "जी, बिलकुल दुरुस्त फ़रमा रहे हैं अबीर... और इंसाफ़ भी यही कहता है कि इसमें कोई हर्ज़ (बाधा या नुकसान या मनाही) नहीं है।"
सारा: "दादा जानी, ये तो सरासर (साफ़) चीटिंग है।"
दादा जी: "कोई चीटिंग नहीं है, और अब बहुत रात हो चुकी है, सो जाइए सब लोग जाकर, सुबह जल्दी भी तो उठना है।"
अज़ान: "मगर जीता कौन है? ये तो बता दीजिए दादा जानी?"
जन्नत: "ज़ाहिर (स्पष्ट) है कि हमारी ही टीम जीती है।"
दादा जी: "नहीं, दोनों टीमें बराबर के मुक़ाबले पर रहीं हैं।"
सारा: "नहीं दादा जानी, अगर अबीर भाई नहीं आते लास्ट मोमेंट पर तो हम ही जीतने वाले थे।"
अज़ान: "मगर जीते तो नहीं ना, और इतना ही है तो एक बार और हो जाए।"
दादा जी (धीरे से अज़ान से): "क्यों हारना चाहते हो? और क्यों मज़ीद (बेकार में) ज़िंदगी भर के ताने सुनना चाहते हैं... अब तो जैसे-तैसे हम बराबरी पर आ गए हैं, मगर अबकी बार सच में हार जाएँगे हम, इसीलिए यहीं ख़त्म कर दीजिए इस गेम को।"
जन्नत: "ये क्या बातें हो रही हैं आप दोनों में?"
दादा जी: "क...कुछ भी नहीं... बस हम तो कह रहे थे कि बहुत मज़ा आया आज खेलकर... है ना अज़ान?"
अज़ान: "जी जी, बिल्कुल यही बात कर रहे थे हम लोग।"
सीमा: "चलिए अब सब सो जाइए, बहुत रात हो चुकी है।"
सब लोग सोने के लिए अपने-अपने कमरों में चले गए। जन्नत सारा के लिए मैगी बनाने किचन में गई तो वहाँ पहले से ही अबीर मौजूद था, पानी लेने आया था। जन्नत को देखकर अबीर जोर से गाना गुनगुनाने लगा।
अबीर: "आ देखे जरा किसमें कितना है दम, जम के रखना कदम मेरे साथिया, आगे निकल आए हम, वो पीछे रह गए, ऊपर चले आए हम, वो नीचे रह गए, यू कैन नेवर स्टॉप अस, नेवर ब्रेक अस डाउन, बीज़ आई हैव यू बिसाइड मी, आ देखे जरा किसमें कितना है दम, जम के रखना कदम मेरे साथिया..."
जन्नत (टमाटर को बेरहमी से चाकू से काटते हुए): "चलती फिरती बिजलियों को आँख ना दिखा, पतली गली से चला जा, सामने ना आ, पल में जलाऊँगी तुझे, दम दमा दम, राख बनाऊँगी तुझे, दम दमा दम, दिल में है तूफ़ान भरा..."
अबीर जो पानी पी रहा था, जन्नत का गाना सुनकर जोर से खांसने लगा... और कुछ देर बाद अपने कमरे में चला गया। अगली सुबह से ही सब लोग कामों में लगे थे, और जब जन्नत सोकर उठी तो उससे पहले ही सुबह से ही सारा कहीं बाहर गई हुई थी। सब लोग नाश्ता करने के लिए बैठते हैं। सारा और अज़ान कहीं बाहर गए हुए थे, और अबीर भी आज नाश्ते के लिए लेट आया। नाश्ता करने के बाद सीमा, अयान और आमिर के साथ जिया की कुछ जूलरी, जो ज्वैलर्स के पास रह गई थी, लेने गई, और दादा जी बाहर गार्डन में थे। नाश्ते के बाद जब जन्नत टेबल से सामान समेट रही थी, तभी अबीर मुस्कुराकर एक बार फिर गुनगुनाकर उसके पास से गुज़रने लगा।
अबीर: "जिसका मुझे था इंतज़ार, जिसके लिए दिल था बेक़रार, वो घड़ी आ गई, आ गई, आज दुश्मनी में हद से गुज़र जाना है, मार देना है तुझको या मर जाना है..."
इतना कहकर अबीर अपने कमरे में चला गया।
जन्नत (मन में): "हमें तो लगता है कि सच में ही पागल हो गए हैं ये... कुछ भी... ख़ैर... हम इतने फ़ारिग़ (फ़्री) नहीं हैं, हमें बहुत काम है।"
कुछ देर बाद जब जन्नत अपने कमरे की तरफ़ गई तो चुपके से जन्नत को देख रहा अबीर शरारती मुस्कान के साथ मुस्कुराकर अपने किए कारनामे के बाद उसके कमरे के सामने पड़े सोफ़े पर बैठकर जन्नत के रिएक्शन का इंतज़ार करने लगा......!!!
कुछ देर बाद भी जब जन्नत के कमरे से कोई आवाज़ नहीं आई, तब अबीर उठकर उसके कमरे के बाहर कान लगाया।
अबीर (मन में): कहीं सदमे से बेहोश तो नहीं हो गईं?
अभी अबीर यह सोच ही रहा था कि जन्नत के ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ आई, और वह झटके से कमरा खोलते हुए निकली। इससे अबीर का संतुलन बिगड़ने ही वाला था, किन्तु वह कमरे में आ गया। जन्नत चिल्लाते हुए, बिना कुछ सोचे-समझे, अबीर को कसकर गले लगा लिया, मगर उसका चिल्लाना अभी भी नहीं रुका था। अबीर उसे चुप करने की कोशिश करने लगा, मगर वह चुप नहीं हुई। उसे चुप करने के लिए अबीर ने उसे खुद से अलग करके अपना हाथ जन्नत के मुँह पर रख दिया। जन्नत ने अपनी आँखें कसकर बंद कर रखी थीं, और वह अभी-अभी नहाकर आई थी। इस कारण उसके बाल गीले थे जो उसकी बड़ी-बड़ी आँखों पर आ रहे थे, और उसके गुलाबी होंठ हल्के-हल्के काँप रहे थे, जिसका एहसास अबीर को अपने हाथ से हो रहा था। पिंक सूट में इस वक़्त वह बहुत ही प्यारी लग रही थी। जब अबीर उसे ऐसे देखता है तो कुछ पल के लिए वह भूल ही जाता है कि वह कहाँ है और यहाँ क्यों आया था। वह बस जन्नत को निहार रहा था, और आज पहली बार वह जन्नत के इतने करीब था। कुछ देर बाद जन्नत ने अपनी आँखें खोलीं और अबीर की तरफ़ देखी। अबीर ने जल्दी से अपना हाथ उसके मुँह से हटाया, और जब जन्नत ने पीछे बेड पर देखा तो एक बार फिर चिल्लाकर अबीर के गले लग गई।
अबीर (अपने कानों पर हाथ रखते हुए ज़ोर से): अरे बस कीजिए, वरना अगर आप मुसलसल (लगातार) ऐसे ही चिल्लाती रहीं तो हम यक़ीनन (पक्का) बहरे हो जाएँगे।
जन्नत: वो... वो कोक... हमारे बेड पर, हमारे कपड़ों के ऊपर...
अबीर (अनजान बनते हुए): क्या हुआ है वहाँ?
जन्नत जब अपने रूम में नहीं थी, तब अबीर ने कुछ प्लास्टिक के कॉकरोच, जो देखने में बिलकुल असली मालूम पड़ रहे थे और जिनके डंक और पैर भी हिलते थे, जन्नत के शाम वाली ड्रेस पर ऐसे सजाए थे कि वे ऐसे मालूम पड़ रहे थे जैसे असली दो बड़े-बड़े कॉकरोच रेंग रहे हों। शायद जब जन्नत कमरे में आई तब उसने ध्यान नहीं दिया था, और वह नहाने चली गई थी। मगर जैसे ही उसकी नज़र उन हिलते हुए कॉकरोचों पर पड़ी तो वह ज़ोर से चिल्लाकर बाहर की तरफ़ गई जहाँ वह अबीर से टकरा गई।
जन्नत: वो वहाँ... को... कॉकरोच हैं।
अबीर: कॉकरोच... मगर यहाँ कैसे आए वो?
जन्नत (डरते हुए): हमें नहीं पता, प्लीज़ उनको हमारे बेड से हटाइए... हमारी हेल्प कीजिए।
अबीर (जन्नत को देखते हुए): जी, ज़रूर करेंगे, मगर पहले इन लम्हों को थोड़ा जी लेने दीजिए, क्योंकि बार-बार ऐसे लम्हे ज़िंदगी में दस्तक नहीं देते।
जन्नत (अबीर से अलग होते हुए घूरते हुए): मतलब क्या है आपका?
अबीर: अरे नहीं, हम कुछ ग़लत नहीं बोल रहे हैं, बल्कि हम तो कह रहे थे कि आई लाइक इट...
जन्नत: व्हाट?
अबीर: ये जो डर है आपके चेहरे पर, ये।
जन्नत: आप...
अबीर (बेड की तरफ़ इशारा करते हुए): अरे ये तो उड़ने लगा... जन्नत, पीछे मत देखिएगा... वो आपके सर पर ही उड़ रहा है, अगर आपने पीछे देखा तो वो डायरेक्ट आपके फ़ेस पर भी हमला कर सकता है।
जन्नत (डरते हुए अबीर का हाथ कसकर पकड़ते हुए लगभग चिल्लाकर): प्लीज़ उसे निकालिए, हमें बहुत डर लगता है इनसे।
अबीर: वो सब तो ठीक है, मगर हम क्यों आपकी मदद करें? आखिर आज तक आपने एक भी नेक काम किया है हमारे साथ जिसका सिला (बदला) हम आपको दें।
जन्नत (नाराज़गी के लहजे से): आप ना...
अबीर (ताना मारते हुए): आपको नहीं लगता आपकी आवाज़ कुछ ज़्यादा ही आराम से निकल रही है।
जन्नत: अल्लाह हमेशा उन बंदों को पसंद करते हैं जो दूसरों की मदद के लिए खुद हमेशा तैयार रहते हैं, और जिसके कोई नफ़ा (फ़ायदा) नुक़सान नहीं सोचते अपना।
अबीर: क्या वाकई (सच में) आपको इस सब के बारे में इतना तफ़सील (विस्तार) से पता है? क्योंकि जैसे काम आप करती हैं हमारे साथ, लगता तो नहीं है।
जन्नत (फ़्रस्ट्रेट होते हुए): हाय रब्बा! आपमें थोड़े भी एहसास-ए-जज़्बात हैं और...
अबीर (अपनी हँसी को कंट्रोल करते हुए जन्नत को और डराते हुए): जन्नत, जन्नत, हिलिएगा नहीं, वो आपके सर पर है।
जन्नत (शॉक्ड होकर हाइपर होते हुए): जी??... नहीं... इसे हटाइए, प्लीज़... प्लीज़...
अबीर: अच्छा, सोचते हैं हम कि आपकी मदद करें या नहीं...
जन्नत (अपनी आँखें कसकर बंद करते हुए): प्लीज़, प्लीज़, उन्हें हटा दीजिए, हम पक्का आगे से कभी आपको दुबारा परेशान नहीं करेंगे।
अबीर: ऐसे नहीं, पहले आप सॉरी बोलिए और प्रॉमिस कीजिए कि दुबारा आप कभी भी हमें परेशान नहीं करेंगी, क्योंकि सच्चे राजपूत कभी अपने प्रॉमिस नहीं तोड़ते।
जन्नत: हम...
तभी वहाँ सारा आ गई, और जन्नत को अबीर का हाथ पकड़े देखकर हैरान हो गई।
सारा (जन्नत के करीब जाकर): हाय अल्लाह!... ये हम खुली आँखों से ख़्वाब देख रहे हैं कि दो जानी दुश्मन आज बिना लड़े एक-दूसरे का हाथ पकड़कर खड़े हैं।
जन्नत (अबीर का हाथ छोड़कर सारा का हाथ पकड़ते हुए जल्दी-जल्दी बोलते हुए): सारा, प्लीज़ हमारी हेल्प कीजिए... हमारे सर पर...
सारा: रुकिए, रुकिए... आराम से... और क्या हुआ है आपके सर पर?
जन्नत: वो हमारे सर पर कॉकरोच है।
सारा (जन्नत के सर पर देखते हुए): कॉकरोच?
जन्नत: जी।
सारा: मगर कहाँ?
जन्नत: हमारे सर पर... अबीर ने अभी-अभी हमें बताया।
अबीर: जी, देखिए ना ठीक से, यहीं तो है।
सारा: कहाँ है?
अबीर: अरे, ऊपर की तरफ़ देखिए ना।
सारा: हमें तो कहीं नज़र नहीं आ रहा है।
अबीर (सारा की तरफ़ इशारा करते हुए): हैं, देखिए ऊपर की तरफ़... दिखा ना अब आपको?
सारा (अबीर का मज़ाक समझते हुए): अबीर भाई...
जन्नत: सारा, सच-सच बताइए कि हमारे सर पर या हमारे आस-पास वो है?
सारा ने अपना सर ना में हिलाया।
जन्नत: इसका मतलब है कि आप हमें इतनी देर से बिना वजह पागल बना रहे थे।
अबीर: जो पहले से ही पागल हों, उन्हें दुबारा पागल कैसे किया जा सकता है... क्यों सारा?
जन्नत (नाराज़गी से): आपने हमसे इतनी मिन्नतें (रिक्वेस्ट) करवाईं, और वो भी बिना वजह।
जन्नत की नाराज़गी देखकर अबीर जल्दी से जन्नत के बेड की तरफ़ कदम बढ़ाया।
अबीर: हम तब मज़ाक कर रहे थे, मगर इस बार नहीं।
जन्नत: मतलब?
अबीर (जल्दी से बेड से नक़ली कॉकरोच की टांग पकड़कर उठाते हुए): मतलब ये कि अबकी बार ये सचमुच कॉकरोच है।
जन्नत (अपने कदम पीछे करते हुए): अबीर जी, हमसे दू...दूर रहिएगा।
अबीर: वरना क्या करेंगी आप?
सारा: अबीर भाई, जन्नत को सच में डर लगता है इनसे।
अबीर: जी, और हमारे साथ जो भी कारनामे इन्होंने आज तक किए, उसके बारे में आपके क्या ख़्याल हैं? और तब आपने इस बात को तवज्जो (ज़रूरत या अटेंशन) नहीं दी कि इन्हें कुछ समझाएँ।
जन्नत: आ...आप इसके अलावा हमसे और कुछ भी बदला ले लीजिए।
अबीर: हम आपकी बात मानेंगे, इसकी तवक्क़ो (उम्मीद) भी मत रखिएगा आज आप हमसे।
जन्नत: मगर...
अबीर (जन्नत को डराने के लिए डरावनी आवाज़ में ड्रामा करते हुए): जब हम ये कॉकरोच आप पर डालेंगे तो ये आपको धीरे-धीरे खाएगा... आपका ख़ून पिएगा, और सोचिए हमें कितनी दुआएँ देगा, क्योंकि हम इस बिचारे भूखे कॉकरोच और इसके ख़ानदान को रिज़्क़ (खाना) देने का ज़रिया (साधन) बनेंगे।
जन्नत (घबराकर): आ...आप मज़ाक कर रहे हैं ना हमारे साथ।
अबीर (हँसते हुए): जी... आप बिलकुल ही सही... (कुछ देर शांत रहकर) नहीं, सोच रही हैं क्योंकि हम बिलकुल मज़ाक नहीं कर रहे हैं।
जन्नत: हमें आपसे कोई बात नहीं करनी, अभी निकलिए हमारे कमरे से।
अबीर (कॉकरोच को ऊपर उठाते हुए): देखो भाई, मतलब रस्सी जल गई, मगर बल नहीं गया।
जन्नत (अपने डर को छुपाने की कोशिश करते हुए): आ...आप हमें डराना चाहते हैं, मगर हम आपकी इन धमकियों से डरने वाले नहीं हैं... अब जाइए यहाँ से।
अबीर: ठीक है, ठीक है, हम जा रहे हैं।
अबीर कुछ कदम चलकर दरवाज़े की तरफ़ आया, और जन्नत की साँस में साँस आई। मगर दरवाज़े पर जाकर वह पीछे पलटा।
अबीर: अरे, हम एक चीज़ तो भूल ही गए।
सारा: क्या?
अबीर: आज शाम तक अयान भाई की सगाई तक हम थोड़ा बिज़ी हैं, तो हमारी एक अमानत (धरोहर) को जन्नत और आप संभालकर रख लीजिएगा, प्लीज़ (ड्रामा करते हुए), और अपनी जान से बढ़कर उसकी हिफ़ाज़त (रक्षा) कीजिएगा।
जन्नत: क्या अमानत?
अबीर (जल्दी से कॉकरोच को जन्नत की तरफ़ फेंकता है): ये।
इतना कहकर अबीर वहाँ से हँसता हुआ भाग गया...
सारा और जन्नत अबीर के अचानक किए इस इंसिडेंट पर ज़ोर से चिल्ला पड़ीं, और जन्नत हाइपर होकर अपने कपड़े झाड़ने लगी। मगर कुछ पल बाद सारा उस कॉकरोच पर ध्यान देने लगी।
सारा (कॉकरोच को उठाते हुए): जन्नत...
जन्नत (डरते हुए अपनी आँखें कसकर बंद करते हुए): प्लीज़, प्लीज़, इसे हटाइए सारा।
सारा: जन्नत, ये नक़ली है।
जन्नत (अपनी आँखें खोलकर): क्या?
सारा: जी... नक़ली, रबर का कॉकरोच है ये।
जन्नत (कॉकरोच को देखते हुए): इसका मतलब तब से वो हमें सिर्फ़ बेवकूफ़ बना रहे थे, और हमें डराने के लिए उन्होंने ही ये सब किया...
सारा (हँसकर): जी, और आप इस नक़ली रबर से ही तब से डर रही थीं।
जन्नत (फ़्रस्ट्रेट होते हुए): हम सच बता रहे हैं सारा, हम क़त्ल करके ख़त्म कर देंगे किसी दिन इस शख़्स को।
सारा (ज़ोर से हँसते हुए): क़त्ल का तो पता नहीं, मगर हमें ऐसा ज़रूर लगता है कि आप दोनों की कहानी लंबी जाने वाली है।
जन्नत: लंबी मतलब?
सारा: मतलब कि लव एंड ऑल।
जन्नत: हमें लगता है कि आप पर भी आपके अबीर भाई के पागलपन का असर होने लगा है, जो कि ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रही हैं। पहली बात तो हम सिर्फ़ और सिर्फ़ ज़ामीन के हैं, और किसी और से रिश्ता जोड़ने का सवाल ही नहीं उठता, और अगर एक बार को हमारा ज़ामीन से कोई ताल्लुक़ (रिश्ता) नहीं भी होता तो हम इनसे रिश्ता जोड़ने से बेहतर खुदकुशी करना ज़्यादा मुनासिब (अच्छा या बेहतर) समझेंगे।
सारा: अच्छा बाबा, समझ गए अब हम। और आज भाई की सगाई है तो प्लीज़ आज अपना मूड ख़राब मत कीजिए।
जन्नत: जी।
सारा: नहीं, ऐसे नहीं, मुस्कुराकर।
जन्नत (मुस्कुराकर): ठीक है अब।
सारा (अपने सर पर हाथ मारते हुए): अरे, हम तो भूल ही गए आपको बताना... अम्मी जान अभी-अभी वापस आई हैं, और उन्होंने आपको नीचे बुलाया है।
जन्नत: ठीक है, आप चलिए, बस हम आते हैं।
सारा: ठीक है, मगर जल्दी आइएगा।
जन्नत: जी।
इसके बाद सारा नीचे चली गई।
जन्नत (ख़ुद से): कितना खुश थे हम, सब ख़राब कर दिया ये मिस्टर ख़ड़ूस ने... कोई बात नहीं, आपने हमारा दिन ख़राब किया है ना, हम भी आपकी पूरी शाम ख़राब कर देंगे... देखिए अब बस आप...
जन्नत के घर से किसी ज़रूरी काम आने की वजह से उसके बाबा, दादा जी और माँ यहाँ नहीं आ पाए थे, जिसे जानकर जन्नत थोड़ी उदास भी हुई थी। मगर दूसरी तरफ़ अपनी चाचा-चाची, भाई और ख़ासकर के सहर से इतने दिनों बाद मिलकर जन्नत बहुत खुश भी हुई थी। शाम को सब तैयार होकर निकलने की तैयारी में लग गए, जबकि जन्नत अभी तक नीचे नहीं आई थी। एक गाड़ी में सीमा, दादा जी, आमिर और अयान गए। दूसरी गाड़ी में जन्नत की फैमिली, और एक गाड़ी में सारा, जन्नत, अज़ान और अबीर जाने वाले थे। बाक़ी कुछ रिश्तेदार अपनी गाड़ी से निकल गए, और कुछ सीधा वेन्यू पर ही पहुँचने वाले थे। कुछ देर बाद जब जन्नत सीढ़ियों से पर्पल कलर की लॉन्ग ड्रेस में, अपने खुले कर्ली बालों और केज़ुअल मेकअप के साथ सीढ़ियों से जल्दी-जल्दी नीचे आ रही थी तो अबीर की नज़र उस पर ही टिक सी गई, क्योंकि आज पहली बार उसने जन्नत को ऐसे मेकअप में और तैयार होते देखा था, और उसके होंठों के ऊपर का जो तिल था, आज मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि उसकी नज़र उतारने के लिए ही रब ने यह उसके होंठों पर बनाया हो। सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए अचानक जन्नत का दुपट्टा फूलों की लड़ी में फँस गया, और जन्नत के चेहरे पर उसे निकालते वक़्त जो जल्दी की वजह से कुछ फ़्रस्ट्रेशन और कुछ गुस्से के एक्सप्रेशन आ रहे थे, और थोड़ा झुकने से जो उसके बाल उसके चेहरे पर लहरा रहे थे, वे उसकी ख़ूबसूरती में और ज़्यादा चार-चाँद लगा रहे थे, और फिर सारा जन्नत की हेल्प करने गई। अबीर एकटक जन्नत को निहार रहा था, हालाँकि अबीर भी ब्लैक कलर के ब्लेज़र और व्हाइट शर्ट में कम हैंडसम नहीं लग रहा था। और तभी कुछ दूरी पर जन्नत और सारा का इंतज़ार करते हुए खड़े अज़ान उसके पास आया।
अज़ान: जिस तरीके से आप जन्नत को देख रहे हैं ना, अगर उन्होंने आपको देख लिया तो आपकी ये दोनों आँखों में गरम सरिया डालकर उन्हें बाहर निकाल देंगी।
अबीर: आप हमें डरा रहे हैं?
अज़ान: नहीं, हम आपको सच बता रहे हैं, और जो कुछ आपने कारनामा आज किया ना, तो उसके बाद तो आप जन्नत के जानी दुश्मन बन बैठे हैं... पता नहीं क्यों करते हैं आप दोनों एक-दूसरे के साथ ऐसा।
अबीर (मुस्कुराकर): जानते हैं हम, मगर जब भी हम जन्नत को परेशान करते हैं ना तो हमें बड़ा सुकून मिलता है।
अज़ान: वाकई (सच में) हमें लगता है कि जन्नत दुरुस्त (सही) कहती है कि आप पागल हो गए हैं, क्योंकि जन्नत को परेशान करने का मतलब सुकून नहीं, बल्कि उसके बाद अपने सुकून की ख़ुद अपने हाथों से खुदकुशी करवाना है।
अबीर (हँसकर): जी, मगर फिर भी... शायद हम ख़तरों के खिलाड़ी बनना चाहते हैं।
तभी जन्नत और सारा भी वहाँ आ गईं, और चारों वेन्यू के लिए निकल पड़े। अबीर गाड़ी चला रहा था, और अज़ान उसके साथ वाली सीट पर बैठा था, और सारा और जन्नत पीछे बैठी थीं।
सारा (रास्ते में): हम कैसे लग रहे हैं अज़ान भाई और अबीर भाई?
अज़ान: चेहरा बदला है आपने क्या अपना... हमें तो हमेशा की तरह ही लग रही हैं, बस ये काला-पीला चेहरा कर लिया है, इसके अलावा तो हमें कुछ फ़र्क़ नज़र नहीं आ रहा।
अबीर (अज़ान की तरफ़ देखकर): अज़ान... आप बहुत प्यारी लग रही हैं सारा, बिलकुल प्रिंसेस की तरह।
सारा (ख़ुश होकर): थैंक्यू अबीर भाई... अच्छा अबीर भाई, जन्नत कैसी लग रही हैं?
अबीर: अब कोई इतने घंटे मेकअप करेगा तो कुछ तो ठीक-ठाक लगेगा ही।
जन्नत: कम से कम ठीक-ठाक तो लग रहे हैं, मगर आप तो ठीक-ठाक भी नहीं लग रहे... ख़ड़ूस।
अबीर: थैंक्यू फ़ॉर द कॉम्प्लीमेंट।
जन्नत (गुस्से वाली स्माइल करते हुए): नॉट वेलकम।
सारा: अरे नहीं अबीर भाई, जन्नत तो हमें तैयार करने के चक्कर में लेट हो गईं, और हमारी वजह से बिचारी ख़ुद जल्दी-जल्दी अफ़रा-तफ़री (भागदौड़ या बदहवास) में तैयार हुई हैं, और हमें तो सच में बहुत ही प्यारी लग रही हैं ये आज।
अबीर: जी, जब हमने इन्हें देखा तो एक पल को हमने भी यही सोचा, पर फिर...
जन्नत: पर फिर?
अबीर: पर फिर हमारे ज़हन में सच्चाई का एक बार फिर से आगाज़ (शुरुआत) हुआ कि चेहरा अच्छा होने से क्या होता है, और सब बेकार है अगर...
जन्नत (अपनी आइब्रो ऊपर करते हुए): अगर?
अबीर: अगर ज़ुबान ही पूरी ख़राब हो तो।
जन्नत: आप क्या कहना चाहते हैं कि हमारी ज़ुबान ख़राब है?
अबीर (मुस्कुराकर): अब समझदार को इशारा काफ़ी है।
जन्नत: आप...
अज़ान (बीच में ही): जन्नत, जस्ट रिलैक्स, और आज भाई की सगाई है तो कम से कम आज के दिन लड़कर अपने मूड मत ख़राब कीजिए।
जन्नत: ये बात आप इन्हें समझाइए कि हमसे ना उलझें।
अबीर: ठीक है, हम डर गए।
जन्नत (कुछ पल सोचकर): अभी से अभी तो असली डर का सामना करना है आपको।
अबीर (कन्फ़्यूज्ड होकर): मतलब?
जन्नत (मुस्कुराकर): वो तो आपको वहाँ जाकर पता चलेगा।
अज़ान: डोंट टेल मी, जन्नत, कि आपने भाई की सगाई में कुछ शरारत करने की सोची है?
जन्नत: नहीं, बिलकुल भी नहीं, बस हमने तो अबीर जी के सुबह जो उन्होंने हमें सरप्राइज़ दिया है उसका रिटर्न गिफ़्ट उन्हें देना है... बस... और कुछ नहीं।
अज़ान (मन में): अबीर बेटा, भुगतो अब... पहले ही वॉर्न किया था, मगर नहीं।
सारा: आप दोनों का कुछ नहीं हो सकता, बस एक-दूसरे से बदले लेते रहिए।
अबीर (मन में): या अल्लाह! अब क्या किया होगा इस लड़की ने... हमने तो सोचा था कि इतनी जल्दी बदले का सोचने का टाइम ही नहीं मिलेगा, मगर इन्होंने तो आज ही सब पर पानी फेर दिया...
जन्नत (शरारत भरे लहजे में अबीर से): कोई फ़ायदा नहीं है इतना सोचने का, क्योंकि आप हमारे सरप्राइज़ तक पहुँच ही नहीं सकते... (मुस्कुराकर)... तो ड्राइव पर ध्यान दीजिए, वैसे भी बस हम पहुँच ही गए वेन्यू पर... सो बी रेडी...!!
कुछ देर में सब लोग वेन्यू पर पहुँचे। अक्सर मुस्लिम समुदाय में दूल्हा और दुल्हन अपनी सगाई में रिंग एक्सचेंज नहीं करते, बल्कि उनके घर का कोई बड़ा यह रस्म दोनों के साथ अदा करता है। हालाँकि समय के साथ कुछ बदलाव हुए हैं, और फिर बाकी अपने-अपने अलग रीति-रिवाज होते हैं सब लोगों के। अयान और जिया दोनों ही अपनी सगाई में शामिल हुए थे और एक ही वेन्यू पर गए भी थे, मगर दोनों अलग-अलग जगह पर थे, और दोनों ने एक-दूसरे को आमने-सामने देखा भी नहीं था। आज सब लोग बहुत खुश थे। कुछ देर में ही जन्नत और अबीर की गाड़ी भी वेन्यू पर पहुँच गई। जन्नत के आने पर सहर भी उसके और सारा के पास आ गई।
सहर: "कहाँ रह गई थीं आप लोग? हम कब से आपका वेट कर रहे थे?"
जन्नत: "बस ट्रैफ़िक की वजह से लेट हो गए।"
सहर: "अच्छा... (अबीर की तरफ़ इशारा करते हुए)... जन्नत, ये अबीर हैं ना जिनके बारे में आपने हमें फ़ोन पर बताया था?"
जन्नत (अबीर को घूरते हुए): "जी, ये वही शख़्स हैं जिन्होंने हमारी ज़िंदगी में हमें बस मज़ीद (बेकार में) परेशान करने के लिए आए हैं।"
सहर: "परेशानी का तो पता नहीं, मगर बंदा हैंडसम है, बिलकुल किसी हीरो की तरह..."
सारा: "है ना? अबीर भाई बहुत हैंडसम है ना... हम भी जन्नत को यही बोलते हैं हमेशा।"
सहर: "जी, ये बात तो है।"
जन्नत: "अगर आप दोनों को उनकी तारीफ़ें ही करनी हैं तो करिए, हम जा रहे हैं यहाँ से अंदर।"
सारा: "अरे नहीं, हम लोग भी चलते हैं ना आपके साथ।"
सहर: "जी।"
लगभग आधा घंटा बीत चुका था, मगर अभी तक अबीर के साथ कुछ भी नहीं हुआ था, और वह जन्नत की धमकी के बाद हर चीज़ में बड़ी ही सावधानी बरत रहा था, मगर अब तक उसके साथ कुछ भी नहीं हुआ था। इधर जन्नत जब से यहाँ आई थी, रिहान किसी ना किसी बहाने से उसके आस-पास ही भटक रहा था, और जन्नत अच्छे से उसकी इंटेंशन समझ भी रही थी, और इसी वजह से वह इरिटेट भी हो रही थी। कुछ देर बाद सब लोग नाश्ते के लिए टेबल पर बैठे। एक तरफ़ टेबल पर बड़े लोग बैठे थे, और उन्हीं के करीब एक टेबल पर अयान को उसकी सालियाँ और बाक़ी ससुराल वाले घेरकर खिलाने के लिए बैठे थे, और बिचारे अयान की हालत नर्वसनेस से बहुत ही ख़राब हो रही थी। और उनसे थोड़ी दूरी पर बैठे अज़ान और अबीर, जिनके साथ जन्नत, सारा और सहर भी बैठे थे, अयान की हालत पर हँस रहे थे।
अज़ान: "चेहरा देखिए अयान भाई का, ऐसा लग रहा है जैसे कि बिचारे अयान भाई के सर पर किसी ने बंदूक तान रखी हो।"
अबीर (हँसते हुए): "सच में... अभी इनका ये हाल है तो आगे शादी के बाद पता नहीं क्या हाल करेंगे... हमें तो पक्का यकीन है कि इन लोगों की शादी में जिया भाभी की ही चलेगी, क्योंकि इनके एक्सप्रेशन बता रहे हैं इनके मुस्तक़बिल (फ़्यूचर) की कहानी।"
अज़ान (हँसकर): "जी, बिलकुल दुरुस्त कह रहे हैं आप।"
जन्नत: "यहाँ बैठकर बातें बनाने से बेहतर है कि आप लोग जाकर अयान भाई के साथ बैठें, ताकि उनको थोड़ी राहत महसूस हो सके।"
अबीर: "हम क्यों जाएँ? वो उनकी पार्टी के लोग हैं, उनको ही संभालने दीजिए।"
जन्नत (मुस्कुराकर अबीर के पीछे देखते हुए): "जी, ये भी सही कह रहे हैं आप... लीजिए, आपकी पार्टी के लोग भी आ गए।"
अबीर, जो कि इस वक़्त कोल्डड्रिंक की सिप ले रहा था, वह जन्नत की बात सुनकर पीछे पलटता है, और जैसे ही अपनी तरफ़ आ रही रंग-बिरंगी सजी बुलबुल को देखता है तो उसके मुँह से कोल्डड्रिंक एक झटके से बाहर आ जाती है। वह तो शुक्र था कि इस वक़्त अबीर का मुँह टेबल से पीछे की तरफ़ था, वरना उसके मुँह से निकली कोल्डड्रिंक सीधा अज़ान के चेहरे पर ही जाती।
अज़ान (अपनी हँसी छुपाते हुए): "आपने बुलबुल को भी बुलाया और हमें बताया भी नहीं... मतलब कि अब नौबत यहाँ तक आ गई है कि एक दिन भी नहीं रहा जा रहा आपसे।"
अबीर: "चुप करिए अज़ान आप... और आपको लगता है कि हम पागल हैं जो हम इन्हें यहाँ बुलाएँगे अपना चैन और सुकून तबाह करने के लिए।"
बुलबुल (अबीर के पास आकर): "हेलो अबीर... कैसे हैं आप?"
अबीर (इरिटेट होकर): "ज़िंदा ही दिख रहे हैं ना हम आपको, तो ज़िंदा ही हैं अभी तक..."
बुलबुल: "आप ऐसे क्यों बात कर रहे हैं हमसे?"
अबीर: "शुक्र कीजिए बात तो कर रहे हैं हम कम से कम... अब ये छोड़िए... और ये बताइए कि आप यहाँ क्या कर रही हैं?"
बुलबुल: "अब हम यहाँ खेलने तो आएंगे नहीं, ज़ाहिर है हम यहाँ अयान भाई की सगाई में शिरकत करने के लिए आई हैं।"
अबीर: "वाउ, अच्छा हुआ आपने हमें बता दी ये बात, वरना हमें तो पता ही नहीं था कि आप यहाँ अयान भाई की सगाई में शिरकत (शामिल) होने आई हैं।"
बुलबुल (अपनी अजीब सी हँसी हँसते हुए): "कोई बात नहीं अबीर जी, अब ज़रूरी थोड़ी है कि हर बात हर किसी को पता हो।"
अबीर: "चुप रहें आप, और हमें बताइए कि आपको यहाँ इनवाइट किसने किया है जो आप यहाँ आ गई हैं?"
जन्नत: "हमने किया है बुलबुल जी को इनवाइट।"
अबीर (जन्नत की तरफ़ देखते हुए): "ऐसे कामों की उम्मीद भी हमें आपसे ही हो सकती है, मगर इस एहसान की वजह जान सकते हैं हम?"
जन्नत: "वो क्या है ना, हमने सोचा कि आज आपका और बुलबुल का लास्ट डे था साथ में, और आप बिज़ी होने की वजह से सुबह से बुलबुल जी से मिले भी नहीं, तो हमने सोचा कि इन्हें यहाँ बुला लेते हैं, इसी बहाने आप लोग अपना कीमती समय एक-दूसरे के साथ बिता पाएँगे, और आपके एहसान हम पर कम थोड़ी हैं जो हम आप पर कोई एहसान नहीं कर सकते, बस इसीलिए।"
अबीर (जन्नत को टोंट मारते हुए): "सो स्वीट ऑफ़ यू... तो ये था आपका लवली सरप्राइज़... आपको सच में कितनी फ़िक्र रहती है हमारी।"
जन्नत: "जी, बिलकुल, और हमें उम्मीद है कि आपको ये सरप्राइज़ पसंद आया होगा।"
अबीर (जन्नत को घूरते हुए): "सरप्राइज़ का तो छोड़िए, मगर आपके जो ये एहसान जो हम पर रोज़ बढ़ रहे हैं, और जिनकी वजह से हमारी ज़िंदगी शदीद (कठिन) ख़्वार (तबाह या बेइज़्ज़ती) हो रही है, और अब हमें लगता है कि आपके इन एहसानों के बदले हमें सूद समेत उतार देने चाहिए।"
जन्नत (मुस्कुराकर): "कोशिश कर लीजिए, हर बार की तरह नाकाम ही रहेंगे।"
अबीर: "देखते हैं फिर।"
बुलबुल (बीच में): "अबीर जी, हमें अपनी फैमिली से मिलवाइए ना।"
अबीर (झूठी स्माइल करते हुए): "और किस खुशी में हम ऐसा करें?"
बुलबुल (शर्माते हुए): "क्या पता कल को हम आपके घर ब्याह कर आएँ तो कम से कम हम अपने ससुराल वालों को जान तो सकेंगे।"
अबीर (फ़्रस्ट्रेट स्माइल के साथ): "इससे पहले हम खुदकुशी नहीं कर लेंगे।"
यह सुनकर जन्नत और बाक़ी सब अपनी हँसी को दबाने की कोशिश करते हैं। अबीर बुलबुल से बचने के लिए सहर से बात शुरू करता है।
अबीर: "आप क्या करती हैं सहर?"
सहर: "हम भी मास्टर्स कर रहे हैं, और हमारा भी फ़र्स्ट ईयर ही है, जन्नत की तरह... हमने और जन्नत ने साथ में ही ग्रेजुएशन किया है।"
अबीर: "ओह... नाइस।"
सहर: "थैंक्यू।"
अबीर: "फिर आपने यहाँ क्यों एडमिशन नहीं लिया?"
सहर: "अम्मी जान और बाबा जान ने हमें इसकी इजाज़त नहीं दी, वरना हमारा भी बहुत मन था कि जन्नत के साथ रहें।"
अबीर: "मगर उन्होंने इजाज़त क्यों नहीं दी?"
सहर: "क्योंकि वो नहीं चाहते, ख़ासकर के बाबा जान, कि हम उनसे दूर जाएँ, क्योंकि..."
अबीर (बीच में ही): "हम समझ गए आपकी बात, दरअसल यही होता है कि जो लोग प्यारे और अच्छे होते हैं उन्हें कोई अपने से दूर भेजना ही नहीं चाहता... (जन्नत की तरफ़ देखते हुए) और जो लोग मज़ीद (बेकार) सर का दर्द बने रहते हैं उन लोगों को ही दूर भेजा जाता है अक्सर।"
जब जन्नत अबीर की बात सुनकर उसकी तरफ़ देखती है तो अबीर जल्दी से अपनी नज़रें उस पर से हटा लेता है। यह देखकर बाक़ी लोग अपनी हँसी को दबाने की कोशिश करते हैं।
सहर (मुस्कुराकर): "ऐसा नहीं है कुछ भी... दरअसल हमारे पैरेंट्स हमें इसीलिए यहाँ नहीं भेजना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता है कि हम निहायती (बहुत अधिक) नालायक हैं और यहाँ आकर भी हम कुछ ख़ास नहीं कर पाएँगे, जबकि जन्नत पर सबको पूरा यकीन है कि वो जो कहती हैं वो करती हैं, और सच बताएँ तो जन्नत हमारे पूरे घर की जान हैं।"
अबीर (धीरे से): "पता नहीं कैसे झेलते होंगे सब लोग इस तूफ़ान को..."
जन्नत: "कुछ कहा आपने?"
अबीर (हँसते हुए): "नहीं तो... कुछ भी नहीं... हम तो बस कह रहे थे कि आपके फ़िक्रमंद इसी तरफ़ आ रहे हैं।"
जन्नत: "मतलब?"
अबीर: "मतलब आप पीछे पलटकर ख़ुद ही देख लीजिए।"
जन्नत पीछे पलटकर रिहान को देखती है जो उसकी तरफ़ आ रहा था।
जन्नत (आसमान की तरफ़ देखते हुए धीरे से): "हाय रब्बा!!! ये सब झेलने के लिए आपने हमारा ही इख़्तियार (चुनना या चुना) क्यों किया है।"
जब से जन्नत यहाँ आई थी रिहान उसके आस-पास मँडरा रहा था, और जन्नत जब भी उसे ख़ुद के आस-पास देखती तो उसकी बातों से उसे एक इरिटेशन होती है।
रिहान (जन्नत के पास आकर): "क्या हम यहाँ बैठ सकते हैं?"
जन्नत: "आपके घर में आपकी कज़िन का फ़ंक्शन है ना ये?"
रिहान: "जी।"
जन्नत: "जब आपके घर का फ़ंक्शन है तो जहाँ मन करे वहाँ बैठिए।"
अज़ान: "आप बैठिए रिहान, जन्नत को तो बस मज़ाक करने की आदत है।"
रिहान: "नहीं, हम कभी भी जन्नत जी की बातों का बुरा मान ही नहीं सकते।"
अबीर (जन्नत को छेड़ने के लिए): "वाउ... ऐसा तो हम किसी स्पेशल के साथ ही कर सकते हैं।"
अबीर की बात सुनकर रिहान शर्माकर मुस्कुरा देता है, और जन्नत का ख़ून और जल जाता है।
जन्नत (अबीर से): "लगता है बुलबुल जी के साथ रहते-रहते आपको इस सब के मुतल्लिक़ (संबंधित) बहुत मालूमात (जानकारी) हो गई है।"
अबीर (रिहान की तरफ़ इशारा करते हुए शरारती मुस्कान के साथ): "हमारा तो पता नहीं, मगर हमें ऐसा महसूस हो रहा है कि आपको ज़रूर जल्द इस सबके मुतल्लिक़ मालूमात हो जाएगी।"
जन्नत (बुलबुल से): "बुलबुल जी, आप चुप क्यों बैठी हैं... कल से पता नहीं ये मौक़ा कब मिले, तो आप अबीर जी से बातें कीजिए ना... क्योंकि लगता है इनके ख़ुद के पास अपने मुतल्लिक़ कोई बात नहीं है, इसीलिए बग़ैर (बिना) किसी वजह के दूसरों के मामलों में अपनी टांग बीच में डालते रहते हैं।"
अबीर: "थैंक्स, बट नो थैंक्स... आपकी राय की हमें कोई ज़रूरत नहीं है।"
जन्नत: "और हमें कोई शौक़ भी नहीं है आपको राय देने की... चलिए सारा और सहर, हम जिया भाभी से मिलने चलते हैं।"
इतना कहकर सारा और सहर के साथ जन्नत वहाँ से उठकर जिया से मिलने के लिए चली जाती है। आज जिया भी स्काई ब्लू कलर के गाउन में बहुत ही प्यारी लग रही थी। जिया बहुत ही सुलझी हुई लड़की थी, और अयान की तरह ही वह भी बस कम ही बोलती थी। कुछ देर बाद सगाई की रस्म शुरू की जाती है। अयान की तरफ़ से सीमा और जिया की तरफ़ से उसके दादा जान अयान को रिंग पहनाकर सगाई की रस्म पूरी करते हैं। सब लोग बहुत खुश होते हैं। जिया के कुछ कज़िन, जिनमें रिहान भी शामिल था, ने अपनी कुछ परफ़ॉर्मेंस जिया की सगाई के लिए तैयार की थीं, जिनमें सिंगिंग और गिटार बजाना शामिल था। असल में रिहान ने यह सब जन्नत को इम्प्रेस करने के लिए अरेंज किया था। जब जिया के कज़िन अपनी परफ़ॉर्मेंस दे रहे थे तब अज़ान और अबीर जन्नत के आगे वाली कुर्सी पर ही बैठे थे और परफ़ॉर्मेंस की बातें कर रहे थे।
अज़ान: "ये भी कोई ख़ास परफ़ॉर्मेंस है... हम भाई की शादी पर इससे कहीं ज़्यादा बेहतर परफ़ॉर्मेंस रखेंगे अपनी।"
अबीर: "बिलकुल दुरुस्त कह रहे हैं आप... इन लोगों को गिटार भी ठीक से पकड़ना नहीं आ रहा... वरना गिटार तो ऐसे बजाया जाता है कि सुनने वालों को उसकी धुन से इश्क़ हो जाए... मगर ये जादू हर किसी की उंगलियों में नहीं होता..."
अज़ान: "जी, बिलकुल सही कह रहे हैं आप... और हमें यकीन है अगर आप इनकी जगह वहाँ होते तो यक़ीनन ऐसा ही हुआ होता।"
अबीर: "जी, मगर क्या कर सकते हैं? अब मज़बूरी में ये सब सुनना ही पड़ेगा, और..."
तभी अबीर को अपने कानों में माइक से एक जानी-पहचानी आवाज़ आती है, जो कि और किसी की नहीं, बल्कि जन्नत की ही होती है। अबीर स्टेज की तरफ़ देखता है।
जन्नत: "सबको आदाब!!! अब जब लड़की वालों ने परफ़ॉर्मेंस की है तो लड़के वाले पीछे रह जाएँ, ये इंसाफ़ की बात नहीं... हमने सुना कि एक बेहतरीन गिटार बजाने वाले की उंगलियों में ऐसा जादू होना चाहिए जो उसकी धुन सुने उसे उस धुन से इश्क़ हो जाए..."
अज़ान: "हमें ऐसा क्यों लग रहा है कि जन्नत के इरादे नेक नहीं हैं? ये बात तो आपने अभी बोली थी ना।"
अबीर: "लगता है ज़रूर ये लड़की फिर से कोई कारनामा करने वाली है।"
जन्नत: "तो आप सबके सामने हम आज लड़के वालों की तरफ़ से एक ऐसे ही शख़्स की परफ़ॉर्मेंस दिखाने जा रहे हैं जिनका ख़ुद को लेकर यही यक़ीन है... प्लीज़, वेलकम मिस्टर अबीर..."
जन्नत की यह अनाउंसमेंट सुनकर अबीर, जो कि कोहनी टिकाकर टेबल पर बैठा था, उसकी कोहनी स्लिप हो जाती है, और बिचारा यहाँ सबके सामने परफ़ॉर्मेंस को मना भी नहीं कर सकता था, मगर जन्नत ने बिना उससे पूछे या जाने कि उसे गिटार बजाना आता भी है या नहीं, बस अनाउंस कर दिया, और अब सब लोगों की नज़रें बस अबीर पर ही रुकी हुई थीं, और... अबीर बस बड़ी-बड़ी हैरानी भरी आँखों से जन्नत और स्टेज को देख रहा था.....!!!
जन्नत ने अबीर से कहा, "अरे अबीर जी, आइए ना, शर्माइए मत... और यहाँ बैठे सब लोगों को अपनी उंगलियों का जादू दिखाइए।"
बिचारा अबीर मरता क्या ना करता, उठकर स्टेज पर गया।
अबीर जन्नत के पास जाकर धीरे से बोला, "आपने बिना जाने कि हमें गिटार आता भी है या नहीं, बस अनाउंस कर दिया... ये जानना भी ज़रूरी नहीं समझा कि हम..."
जन्नत बीच में ही बोली, "आपको ही बहुत शौक़ है तीस मार ख़ान बनने का, तो बनिए अब, और जब सब लोग आपके ज़रिए वो बेसुरी धुन सुनेंगे और आपका मज़ाक उड़ाएँगे, तब शायद आगे से आप कुछ होश के नाख़ून लें और हमसे ना उलझें।"
अबीर जन्नत की बात सुनकर ख़ामोश रहा। एक लड़का अबीर के हाथ में गिटार पकड़ाकर चला गया। जन्नत इसके बाद स्टेज से नीचे उतरने के लिए आगे बढ़ी। वह सारा और सहर की तरफ़ बैठने के लिए बढ़ी, और अभी वो आधे रास्ते ही थी कि उसके कानों में अबीर के गिटार की धुन की आवाज़ आई। जन्नत पीछे पलटकर देखी, और वो अपनी जगह ही खड़े होकर एकटक स्टेज की तरफ़ अबीर को गिटार बजाते देखती रही। और वाकई में अबीर की उंगलियों में वो जादू था कि वो अपनी धुन से लोगों को इश्क़ करा दे, और उसकी धुन लोगों के ध्यान को अपनी तरफ़ आराम से आकर्षित करने वाली थी। उस वक़्त जन्नत के ज़हन में भी यही सब चल रहा था, और वो भी इस बात को अस्वीकार नहीं कर पा रही थी। हालाँकि जन्नत को ये बात मालूम नहीं थी, मगर इंडिया आने से पहले वो अपने कॉलेज और स्टेट में कई बार गिटार कॉम्पिटिशन का विनर रह चुका था, और गिटार और म्यूज़िक उसकी हॉबीज़ थीं। इस वक़्त यहाँ मौजूद हर कोई अबीर की तारीफ़ के पुल बाँध रहा था, और यहाँ मौजूद हर शख़्स का ध्यान इस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ अबीर पर ही था। उसने अपनी गिटार की धुन के साथ जैसे ही दो बोल गाए तो पूरे हॉल में, ख़ासकर के लड़कियों का एक ज़ोरदार शोर उसकी तारीफ़ में गूँज उठा। जैसे ही अबीर गिटार की धुन बजाना पूरा करता है, सब लोग तेज़ तालियों से उसकी प्रशंसा करते हैं। जन्नत भी अपने ध्यान से बाहर आई, और अबीर सबका शुक्रिया करके स्टेज से नीचे आया।
यहीं जिया की एक कज़िन, मरियम, जो कि एब्रॉड से आई थी, अबीर के पास आई और उसके गले लगकर उसके गिटार और गाने की तारीफ़ की। वहाँ मौजूद अज़ान और बाक़ी लोग हैरान रह गए कि कुछ मिनट में ही कैसे अबीर ने अपने फ़ैन्स बना लिए, ख़ासकर के ख़ूबसूरत और सिंगल लड़कियों को। इसके बाद अबीर जन्नत की तरफ़ आया।
अबीर ने कहा, "आपको इल्म नहीं था शायद, मगर फ़ॉर योर काइंड इंफ़ॉर्मेशन आपको बता दें कि हम गिटार में स्टेट चैंपियन रह चुके हैं।"
जन्नत ने अबीर को टेढ़ी नज़रों से घूर कर देखा।
अबीर विंक करते हुए बोला, "थैंक्यू हमारे फ़ैन्स बढ़ाने के लिए।"
इतना कहकर अबीर अज़ान की तरफ़ चला गया, और जन्नत भी गुस्से से सारा और सहर के पास चली गई। अबीर की इस परफ़ॉर्मेंस के बाद सब लोग उसकी तारीफ़ कर रहे थे, और ख़ासकर के वहाँ मौजूद लड़कियों की नज़र तो उससे हटी ही नहीं रही थी। इसके बाद सब लोग खाने के लिए गए। एक तो जन्नत अबीर की वजह से पहले ही फ़्रस्ट्रेट थी, और ऊपर से फिर से रिहान उसके आस-पास मँडरा रहा था। जन्नत, सारा, सहर, अज़ान और अबीर के साथ ही खाना खा रही थी कि रिहान एक बार फिर मिठाई देने के बहाने से जन्नत की टेबल पर आया। अबीर जन्नत को और ज़्यादा इरिटेट करने के लिए उसे वहीं बैठने के लिए कहा, और जन्नत गुस्से से अबीर को घूरकर देखती रही।
अबीर ने कहा, "अरे रिहान, आप कब से सिर्फ़ हम लोगों को ही खिलाने में लगे हैं... आइए ना आप भी हमारे साथ खाना नौश फ़रमाइए।"
रिहान ने कहा, "अरे नहीं, कोई बात नहीं, हम बाद में खा लेंगे।"
अबीर ने कहा, "अरे आप तो ख़ामख़्वाह़ तकल्लुफ़ उठा रहे हैं।"
रिहान ने कहा, "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है।"
अबीर ने कहा, "तो बैठें यहीं हमारे साथ... (जन्नत की तरफ़ देखते हुए)... और आप अगर यहाँ बैठेंगे तो हम सबके साथ-साथ जन्नत जी को भी बहुत अच्छा लगेगा।"
जन्नत ने गुस्से से अबीर को देखते हुए कहा, "जी, नहीं... हमारा मतलब है कि रिहान जी को बहुत से काम होंगे, तो कोई बात नहीं, फिर कभी हम लोग साथ बैठेंगे।"
रिहान जल्दी से जन्नत के सामने अबीर के बराबर वाली सीट पर बैठते हुए बोला, "नहीं-नहीं, आपसे ज़्यादा ज़रूरी तो कुछ नहीं है।"
जन्नत ने कहा, "जी?"
रिहान ने कहा, "हमारा मतलब है कि आज आप सब हमारे मेहमान हैं, और हम आपके मेज़बान तो आपसे ज़्यादा ज़रूरी कुछ काम कैसे हो सकते हैं।"
अबीर ने कहा, "सो स्वीट ऑफ़ यू... क्यों जन्नत जी?"
जन्नत ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली, "जी, वाकई।"
रिहान ने पूछा, "थैंक्यू... जन्नत जी, आपके वालिदेन नहीं आए हैं आज यहाँ?"
जन्नत ने कहा, "जी, नहीं, वो किसी ज़रूरी काम आने की वजह से यहाँ शिरकत नहीं हो पाए हैं।"
रिहान उदास होकर बोला, "ओह... बैड लक हमारा।"
जन्नत ने पूछा, "जी... कुछ कहा आपने?"
रिहान ने कहा, "न...नहीं तो, कुछ भी तो नहीं।"
जैसे-तैसे यह वक़्त कटा, और जन्नत और अबीर दोनों का बुलबुल और रिहान से पीछा छूटा। सब लोग जिया के घरवालों से बिदा लेकर वापस घर की तरफ़ निकल पड़े। अयान और जिया की शादी जिया की पढ़ाई पूरी होने के बाद की तय हुई थी, जिसमें अभी कुछ महीने बाक़ी थे। एक दिन के बाद शाम को आज जन्नत के घरवाले भी लखनऊ वापस जा रहे थे, जिसकी वजह से जन्नत थोड़ा उदास भी थी।
सीमा ने कहा, "असद और इकरा, आप रुक जाइए ना अभी, परसों ही तो आए थे आप लोग, और आज ही वापस भी जा रहे हैं।"
जन्नत ने कहा, "जी, चाचू और चाची जान, आप लोग अभी कुछ दिन और रुक जाइए ना?"
असद ने कहा, "दरअसल हम रुक तो जाते, मगर लखनऊ में भाईजान अकेले हैं, और सारे काम का बर्डन उन पर ही पड़ रहा होगा।"
इकरा ने कहा, "जी, और फिर हम लोग अयान की शादी में जल्दी ही वापस आएंगे।"
आमिर ने कहा, "ठीक है, अगर ऐसा है तो अभी तो चले जाएँ आप लोग, मगर इस वादे के साथ कि अयान की शादी में कम से कम एक हफ़्ते पहले और एक हफ़्ते बाद तक रुकेंगे।"
असद मुस्कुराकर बोला, "जी, ये पक्की बात रही।"
इकरा जन्नत के गले लगकर बोली, "अपना ख़्याल रखिएगा, और जल्दी से घर वापस आ जाइए।"
जन्नत ने कहा, "जी।"
असद जन्नत के सर पर हाथ रखते हुए बोला, "जी, बहुत सूना है आपके बिना पूरा घर, और बाबा और भाईजान तो बस हर वक़्त आपको याद करते हैं।"
जन्नत उदास होकर बोली, "हमें भी उनकी बहुत याद आती है, और अयान भाई की सगाई में वो लोग नहीं आ पाए, और हम उनसे मिल भी नहीं पाए, और हमने कई बार अहमद साहब को कॉल भी की, मगर उन्होंने हमारी कॉल ही नहीं उठाई, और अम्मी जान से बात हुई थी बस।"
असद ने कहा, "वो भाईजान शायद बिज़ी होंगे, मगर कोई बात नहीं, आप उदास मत होइए, हम घर जाकर आपकी भाईजान से ज़रूर बात कराएँगे।"
जन्नत ने कहा, "जी।"
अमन जन्नत के गले लगते हुए बोला, "आपी, आप जल्दी आइएगा बस... हमारा बिलकुल मन नहीं लगता आपके बिना।"
जन्नत ने कहा, "जी, हम जल्दी आएंगे।"
सहर जन्नत के गले लगते हुए बोली, "अपना ख़्याल रखिएगा, और हमें रोज़ कॉल कीजिएगा।"
जन्नत ने कहा, "जी, और आप भी।"
इसके बाद जन्नत के घरवाले चले गए, और सीमा उन्हें मिठाइयाँ और काफ़ी तोहफ़ों के साथ बिदा करती है। शाम को सारा, जन्नत, अज़ान और अयान सब साथ में बैठे हुए थे और सब लोग अयान को परेशान कर रहे थे।
जन्नत ने पूछा, "अयान भाईजान, आपको जिया भाभी कैसी लगी?"
अयान मुस्करा कर बोला, "अच्छी।"
अज़ान ने पूछा, "बस अच्छी, या बहुत अच्छी?"
अयान ने कहा, "अज़ान..."
सारा बोली, "अच्छा भाईजान, आप खुश तो बहुत होंगे ना आज... आज मैं ऊपर आसमान नीचे वाली सिचुएशन..."
अयान ने कहा, "जी नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।"
जन्नत ने कहा, "अच्छा भाईजान, अपना फोन दीजिए हमें।"
तभी वहाँ अबीर भी आ गया।
अयान ने पूछा, "क्यों?"
जन्नत अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली, "दीजिए ना।"
अयान अपना फोन देते हुए बोला, "लीजिए।"
जन्नत जिया का नंबर अयान के फोन में ऐड करके अयान को फोन वापस देते हुए बोली, "ये लीजिए..."
अयान ने पूछा, "क्या किया आपने इसमें?"
जन्नत ने कहा, "जिया भाभी का नंबर ऐड किया है हमने, और कुछ नहीं।"
अयान हैरानी से बोला, "मगर क्यों?"
अबीर ने कहा, "अरे भाईजान, ये 2020 है ना कि 90's... बात कीजिए भाभी से, और एक-दूसरे को समझिए जब तक शादी नहीं होती।"
अज़ान ने कहा, "एग्जैक्टली।"
अयान ने कहा, "मगर हम..."
जन्नत ने कहा, "कुछ अगर-मगर नहीं। आज हमें बातों-बातों में पता चला कि जिया भाभी का बर्थडे है दो दिन बाद, तो हमने उनसे उनका नंबर एक्सचेंज कर लिया। अब आप उनसे बात कीजिएगा और उन्हें विश भी कीजिएगा।"
सारा ने कहा, "वाउ जन्नत! आप तो कमाल हैं..."
अज़ान ने कहा, "ये तो हैं... वैसे आपका भी बर्थडे आने वाला है कुछ वक्त में।"
जन्नत ने कहा, "जी... मगर उसमें अभी टाइम है, और..."
अबीर अपनी आइब्रो ऊपर करते हुए बोला, "वैसे कब है जन्नत जी आपका बर्थडे?"
सारा बीच में ही बोली, "24th सितंबर..."
अबीर ने कहा, "ओह वाउ... मतलब कुछ टाइम ही बाकी है बस..."
जन्नत ने पूछा, "और आपको हमारे बर्थडे में अचानक इतना इंटरेस्ट क्यों आ रहा है?"
अबीर शरारती मुस्कान के साथ बोला, "दरअसल क्या है ना, अब आप इकलौती दुश्मन हैं हमारी... तो आपके बर्थडे पर कुछ खास तोहफा देना तो हमारा फ़र्ज़ बनता है ना।"
जन्नत ने कहा, "नो थैंक्स... हमें आपके किसी तोहफे की कोई भी ज़रूरत नहीं है।"
अबीर शरारती मुस्कान के साथ बोला, "ऐसे कैसे... आप देखिए बस..."
जन्नत ने कहा, "आप..."
अयान बीच में बोला, "अरे बस! अब आप लोग दुबारा मत शुरू हो जाइए।"
अज़ान बात को बदलते हुए बोला, "अच्छा जन्नत, आपको रिहान कैसे लगे?"
जन्नत ने कहा, "आपको लगता है कि अयान भाईजान को अच्छा लगेगा कि हम अयान भाईजान के इन-लॉज़ को उनके सामने बुरा-भला कहें या कोसें?"
अज़ान हंसते हुए बोला, "नहीं, बिल्कुल नहीं।"
ऐसे ही थोड़ी देर सबमें बातें हुईं, और फिर सब सोने के लिए चले गए। अज़ान अबीर के रूम तक उसके साथ आया।
अज़ान ने अबीर से पूछा, "अबीर, आपको लगता है इस बार जो आपने करने का सोचा है, उसके बाद..."
अबीर ने पूछा, "उसके बाद?"
अज़ान ने कहा, "उसके बाद जन्नत आपका वाकई में कत्ल कर देंगी।"
अबीर हंसते हुए बोला, "तो... हम डर कर पीछे हट जाएँ? नो, नेवर... इस बार बस देखिए आप हमारा कमाल।..."
अज़ान ने कहा, "बस अल्लाह रहम करे आप पर, इतना ही कह सकते हैं हम तो..."
अबीर मुस्कुरा कर बोला, "गुड नाईट।"
अज़ान ने कहा, "गुड नाईट।"
ऐसे ही समय निकलने लगा, और अबीर और जन्नत की नोक-झोंक भी ऐसे ही बरकरार रही। आज जन्नत की कॉलेज में मोस्टली क्लासेज़ फ्री थीं, और अब ब्रेक के बाद भी उसकी क्लास फ्री ही थी। इनकी बाकी दोस्तों की इस वक्त क्लास थी, और जन्नत घर जाने के लिए अपनी दोस्त का वेट करने फ़ुटबॉल प्ले ग्राउंड, जहाँ वो अक्सर बैठती थी, की सीढ़ियों पर बैठने गई क्योंकि आज सारा किसी ज़रूरी काम की वजह से कॉलेज नहीं आई थी, और जन्नत अकेली थी। इस वक्त यहाँ कोई भी नहीं था, और शांति पसरी हुई थी। इस वक्त जन्नत अकेले बैठी हुई अपने और ज़ामीन के ख्यालों में खोई हुई थी कि तभी वहाँ रॉकी इत्तेफ़ाक से अपने दोस्तों को ढूँढता हुआ आया, और जन्नत को वहाँ अकेला बैठा देखकर उसके होंठों पर एक शरारती स्माइल आ गई।
रॉकी ने कहा, "हमारी खुशकिस्मती, कि आपको यहाँ पाया हमने।"
जन्नत रॉकी की तरफ़ देखकर बोली, "और ज़ाहिर तौर पर हमारी बदकिस्मती है।"
रॉकी जन्नत के करीब आकर बोला, "यू नो, एटीट्यूड और इगो मुझे पसंद है, मगर सिर्फ़ एक हद तक। और उस दिन भी तुमने मेरे साथ बद..."
जन्नत खड़े होते हुए बोली, "उस दिन तो कुछ भी नहीं किया था हमने जो अब करेंगे। अगर दुबारा से हमारे करीब आने की कोशिश भी की तो... मुँह तोड़ देंगे आपका... इसीलिए बेहतर होगा हमसे दूर रहें, और..."
रॉकी जन्नत का हाथ पकड़ते हुए बोला, "और नहीं रहें तो क्या करोगी?"
जन्नत गुस्से से बोली, "हाथ छोड़िए हमारा, वरना..."
रॉकी जन्नत का हाथ और कसकर पकड़ते हुए बोला, "वरना क्या करोगी?... (खुद से) ओह! मिस जन्नत राजपूत की धमकी से मैं तो बिल्कुल डर गया हूँ, और..."
जन्नत ने कहा, "तड़ा डा डा डा डा डा क क क..."
रॉकी अपनी बात भी पूरी नहीं कर पाया था कि जन्नत ने एक जोरदार—जिसे सच में जोरदार कहेंगे—थप्पड़ रॉकी के गाल पर मारा, जिसके पड़ने से रॉकी का सर उसके दाएँ तरफ़ घूम गया, और कुछ सेकंड्स के लिए उसका गाल और कान दोनों झनझना गए, और जन्नत का हाथ उसके हाथ से छूट गया। रॉकी गुस्से से जन्नत की तरफ़ देखा।
जन्नत गुस्से भरी आँखों से बोली, "दुबारा हमारी मर्ज़ी के बिना हमारे करीब आये, या फिर हमें छुआ, तो आपको ज़िंदा जला देंगे हम। और इसे सिर्फ़ हमारी धमकी समझने की भूल मत करिएगा, क्योंकि जन्नत राजपूत जो कहती है वो करती है... सो, स्टे अवे।"
रॉकी अपने गाल को छूते हुए बोला, "तेरी इतनी हिम्मत! मुझ पर, रॉकी पर हाथ उठाया तूने... समझती क्या है खुद को? आज मैं तुझे बताता हूँ कि मेरे ऊपर हाथ उठाने का क्या अंजाम होता है।"
रॉकी जन्नत को थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ उठाता है कि जन्नत बीच में ही उसका हाथ पकड़कर उसे मोड़ देती है, और रॉकी एक दर्द भरी चीख से अपने कदम जल्दी से पीछे कर लेता है। और जब उसे दिखता है कि जन्नत को हराना आसान नहीं है, तो वो धोखे से एक नुकीली चीज़ जन्नत के सीधे हाथ में मारता है, जिससे जन्नत के हाथ से खून रिसने लगता है। वो गुस्से से रॉकी को दुबारा से मारने के लिए हाथ उठाती है, मगर रॉकी इस बार उसकी चोट का फ़ायदा उठाकर उसका हाथ बीच में ही पकड़ लेता है, और उसकी चोट वाले हिस्से को कसकर दबाता है, जिसमें से खून और ज़्यादा रिसने लगता है, मगर जन्नत के मुँह से एक दर्द भरी आह्ह भी नहीं निकलती है। हालाँकि उसे इस वक्त बहुत तकलीफ़ हो रही थी, मगर वो अपने दर्द को छुपाने का हुनर रखती थी। जन्नत को हमेशा से ही कमज़ोर दिखना और अपने इमोशंस को लोगों के आगे ज़ाहिर करना पसंद नहीं था। उसे पसंद नहीं था कि लड़कियों को कमज़ोर समझा जाए या कहा जाए, और वो इतने दर्द के बावजूद भी बिना किसी डर के सीधा रॉकी की आँखों में गुस्से से देख रही थी। रॉकी जब जन्नत के दर्द से भरी आवाज़ नहीं सुन पाता, तो उसे सुकून नहीं मिलता, और ये उसकी इगो को और भी ज़्यादा हर्ट कर गया। इसीलिए रॉकी जन्नत को मारने के लिए अपना दूसरा हाथ हवा में उठाता है, मगर तभी अचानक बीच में कोई उसका हाथ रोक लेता है... जो और कोई नहीं, बल्कि अबीर होता है.....!!
अबीर ने जब जन्नत के हाथ की ओर देखा, तो उसके चेहरे पर एक अलग ही भाव आ गया। वह झट से रॉकी का हाथ जन्नत से दूर किया और जन्नत के हाथ पर अपना रुमाल बांधा।
अबीर (जन्नत से): "आप ठीक हैं?"
जन्नत: "जी, हम ठीक हैं।"
रॉकी: "देखो अबीर, तुम इस मामले में मत पड़ो, और दूर रहो इससे। इस लड़की ने मेरी बेइज़्ज़ती की है, इसका हर्जाना इसे भरना होगा।"
अबीर: "ये तो बिलकुल गलत बात है... एक लड़की पर हाथ उठाना... बहुत बुरा..."
रॉकी: "तो ठीक है, लड़की के बजाय तुम पर हाथ उठा देता हूँ।"
इतना कहकर रॉकी ने अबीर के मुँह पर एक मुक्का मारा। अबीर के मुँह से थोड़ा खून निकलने लगा।
रॉकी: "अब तो ठीक है?"
अबीर मुस्कुराया और अपनी उंगली से होंठ पर लगा खून देखा। फिर उसने रॉकी के मुँह पर इतना जोरदार मुक्का मारा कि रॉकी के मुँह से खून निकलने के साथ ही एक दाँत भी टूटकर गिर गया। जन्नत एक पल के लिए हैरान रह गई।
अबीर: "अब परफेक्ट!!!"
रॉकी: "तुम्हारी इतनी हिम्मत! कि मुझ पर हाथ उठाया?"
अबीर: "ये तो बस ट्रेलर था मुन्ना... अभी हाथ उठाया कहाँ है हमने।"
रॉकी (अबीर से गुस्से से): "तुझे तो मैं देख लूँगा।"
अबीर (अपना कॉलर ऊपर करते हुए): "किसी भी समय... वैसे भी हमें देखने के लिए लोग तरसते हैं।"
जन्नत अबीर की बात सुनकर मुस्कुरा दी।
रॉकी समझ गया कि वह अकेला है और अबीर और जन्नत उस पर भारी हैं। वह दर्द से कराहता हुआ वहाँ से भाग गया।
अबीर: "आप यहाँ अकेले क्या कर रही थीं?"
जन्नत: "हम अपनी दोस्त का, घर जाने के लिए इंतज़ार कर रहे थे।"
अबीर: "चलिए हमारे साथ, हम भी बस घर ही जा रहे हैं।"
जन्नत: "नहीं, कोई ज़रूरत नहीं है हमें आपके एहसान की। हम खुद चले जाएँगे।"
अबीर (अपने दोनों हाथ बाँधते हुए): "अच्छा, तो अभी जो हमने आपको रॉकी से बचाया, उसके बारे में क्या ख्याल है आपका?"
जन्नत (अपने हाथ बाँधते हुए): "तो वो हमने नहीं कहा था, आप ही बीच में आये थे। और अगर आप नहीं भी आते, तो भी हम हैंडल कर ही लेते, और हमें आपकी कोई ज़रूरत नहीं थी, और ना ही है।"
अबीर (अपना सर हिलाते हुए): "हाय अल्लाह!!!... कितनी एहसान-फ़रामोश लड़की हैं आप... मतलब ज़रा भी एहसास है आप में?... हमने मार खाई... (अपने मुँह की तरफ़ इशारा करते हुए) इतना खून बहाया, और बजाय इसके कि हमारा शुक्रिया अदा करे... हमें ही क़ुसूरवार ठहरा रही हैं... (आसमान की तरफ़ देखते हुए) वाह! क्या खूब हैं आपकी दुनिया के बन्दे भी, या रब..."
जन्नत (अपनी आँखें घुमाते हुए): "हो गया, या और बाकी है आपका ड्रामा?🤨"
अबीर: "ड्रामा 🥺?????"
जन्नत: "इस चोट को साफ़ कीजिए, इसमें से खून बह रहा है।"
अबीर: "तो कीजिए, हमें कैसे दिखेगी ये चोट?"
जन्नत: "हम कैसे साफ़ करें... हमारा रुमाल भी नहीं है आज हमारे पास, और आपने अपना रुमाल हमें दे दिया?"
अबीर: "क्या पिक्चर-विक्चर नहीं देखती हैं आप?"
जन्नत: "मतलब?"
अबीर: "मतलब ये कि अपने दुपट्टे से साफ़ कीजिए, और क्या... जैसा हीरोइन करती हैं हीरो के लिए।"
जन्नत: "हाह हा हा हा... बहुत मज़ेदार... ना तो ये कोई पिक्चर है, और ना ही आप कहीं से हीरो लगते हैं, और ना ही हम अपना बेशकीमती और पसंदीदा दुपट्टा ऐसे फ़िज़ूल में ख़राब करेंगे।"
अबीर: "मतलब ये दुपट्टा आपके लिए हमारे खून से ज़्यादा अज़ीज़ है?"
जन्नत (अपनी पलकें झपकाते हुए): "बिलकुल सही फ़रमाया आपने..."
अबीर: "आप जैसा पत्थर दिल इंसान हमने अपनी पूरी ज़िन्दगी में नहीं देखा।"
जन्नत (इधर-उधर देखते हुए): "थैंक्यू फ़ॉर दा कॉम्प्लीमेंट....!!!! अच्छा, रुकिए, आप यहीं, हम बस दो मिनट में आते हैं।"
अबीर: "मगर कहाँ..."
जन्नत वहाँ से चली गई और कुछ देर बाद अपने हाथ में एक रुमाल और दवाई लेकर आई।
अबीर: "ये कहाँ से लाई हैं आप?"
जन्नत: "ये हमारे लॉकर में, इमरजेंसी के लिए रखते हैं हम हमेशा।"
फिर जन्नत ने अबीर की चोट को रुमाल से साफ़ किया। जैसे ही उसने दवाई लगाई, अबीर जोर से चिल्लाया।
अबीर: "आऊच... मम्मा!"
जन्नत: "चुप रहें... क्या छोटे बच्चों की तरह चिल्ला रहे हैं आप?"
अबीर: "तो दर्द हो रहा है, तो चिल्लाएँगे ही ना।"
जन्नत: "देखिए, हमारे पास इतना फ़िज़ूल वक़्त नहीं है कि इस तरह से फ़िज़ूल में ज़ाया करें। और ग़नीमत समझें कि हम आपकी हेल्प कर रहे हैं।"
अबीर (थोड़ी नाराज़गी से): "हद है यार! हमें नहीं लगवानी... एक तो ये इतनी जल रही है, ऊपर से आप हमें ही डाँट रही हैं, और वो भी एहसान के साथ... हमें नहीं चाहिए आपका कोई एहसान।"
जन्नत (कुछ पल शांत रहकर): "अच्छा ठीक है, अब नहीं चिल्लाएँगे, और आराम से लगाएँगे।"
जन्नत आराम से अबीर की चोट पर अपनी उंगली से फूँक मारते हुए दवाई लगा रही थी। अबीर उसके खूबसूरत चेहरे को निहार रहा था, जब तक उसके कानों में जन्नत की आवाज़ नहीं पड़ी।
जन्नत (धीरे से): "थैंक्यू।"
अबीर (शॉक में): "ओह माय गॉड!!... हमें सच में गहरी चोट आई है... हमने अभी सुना कि आपने हमें थैंक्यू बोला।"
जन्नत (तेज़ आवाज़ में): "आपने सुना, क्योंकि हमने आपको थैंक्यू बोला।"
अबीर (एक्टिंग करते हुए): "ये दिन तो इतिहास में सुनहरे अल्फ़ाज़ में लिखा जाएगा... जन्नत राजपूत... दा ग्रेट जन्नत राजपूत ने थैंक्यू बोला... हैयं..."
जन्नत (अपना सर हिलाते हुए): "ये लीजिए, हो गई आपकी चोट साफ़।"
अबीर: "नो थैंक्यू... क्योंकि ये तो आपका फ़र्ज़ था।"
जन्नत: "नॉट वेलकम, और वैसे भी हमने आपकी हेल्प की, क्योंकि आपने हमारी हेल्प की। इसके अलावा हमसे और कोई उम्मीद मत रखिएगा।"
अबीर: "अच्छा, आपने अपना रुमाल भी तो ख़राब किया, फिर दुपट्टे को ख़राब करने में क्या हर्ज़ था?"
जन्नत (अपना सामान बैग में रखते हुए): "क्योंकि हमें इरिटेशन होती है, इन फ़िल्मी चीज़ों से, और बस हमें नहीं पसंद।"
अबीर: "ओके ओके... खैर, आप तो हमेशा ही दुनिया से अलग बातें करती हैं, मगर ये गन्दा रुमाल आप बैग में क्यों रख रही हैं? कहीं हमारी निशानी समझकर तो... (शरारती मुस्कान के साथ)... हूँ... हूँ... बोलिए... बोलिए।"
जन्नत (गुस्से से अबीर की तरफ़ देखते हुए): "रॉकी ने तो बस खून निकाला है, हम आपके दाँतों की पूरी बत्तीस बाहर निकाल देंगे, अगर आपने हमसे ऐसी फ़िज़ूल बातें की तो।"
अबीर (थोड़ा डरकर अपना गला साफ़ करते हुए): "नहीं नहीं, हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है... बस हम तो ये पूछ रहे थे कि आप इसे रख क्यों रही हैं इतना संभालकर, क्योंकि इतना ख़ास महँगा भी नहीं लग रहा ये।"
जन्नत: "किसी चीज़ की अहमियत उसकी कीमत से नहीं, बल्कि जज़्बातों और मोहब्बत से लगाई जाती है, और इस रुमाल के साथ हमारे जज़्बात जुड़े हैं।"
जन्नत ने रुमाल खोला, जिसके कोने पर जे और जे अक्षर बने हुए थे। अबीर ने नोटिस किया था कि जन्नत गुस्सैल स्वभाव की थी, मगर जब वो जामीन का ज़िक्र करती है, तो उसके चेहरे के भाव बिलकुल अलग और कोमल होते हैं।
अबीर (सोचते हुए): "जे और जे... मीन्स... जामीन एंड जन्नत... सही?"
जन्नत: "जी। ये हमने और जामीन ने मिलकर बनाया था, अपने हाथों से।"
अबीर: "ओह... मगर आपके लिए तो ये फिर इतना ही अज़ीज़ होगा, जितना बाक़ी जामीन जी की चीजें... तो फिर आपने हमें क्यों दिया ये?"
जन्नत: "जी... क्योंकि इस वक़्त आपको इसकी ज़्यादा ज़रूरत थी।"
अबीर: "अगर हमारी जगह कोई और भी होता, तो क्या आप यही करती... या हमारे साथ ही ऐसा किया है बस?"
जन्नत (कुछ देर सोचकर): "कोई भी होता, तो हम यही करती।"
अबीर (सीरियस होते हुए): "जितना हमने आपको जाना है, हमें लगता है कि आप जामीन जी को बहुत चाहती हैं, मगर वो हैं कहाँ... और क्यों आपके साथ नहीं है?"
जन्नत (कुछ देर चुप रहने के बाद): "देर हो रही है, हमें लगता है कि घर चलना चाहिए हम लोगों को।"
अबीर: "मगर..."
जन्नत (बीच में ही कड़क आवाज़ से): "हमने कहा ना, चलिए तो बस चलिए।"
जन्नत वहाँ से चली गई।
अबीर: "कब तक बचेंगी मिस राजपूत हमारे सवालों से, हम भी देखते हैं।"
जन्नत अबीर के साथ उसकी बाइक पर घर गई। जन्नत के मन में अबीर के सवालों से उठा तूफ़ान घूम रहा था। वह चुपचाप बाग़ में अकेले बैठी सोच में डूबी हुई थी, तभी सीमा आई।
सीमा (जन्नत के सर पर हाथ रखते हुए): "क्या बात है जन्नत, आज आप उदास हैं?"
जन्नत (झूठी मुस्कराहट के साथ): "नहीं तो फुप्पी जान, ऐसा तो कुछ नहीं है।"
सीमा (जन्नत के पास बैठते हुए): "आपको पता है, आप बचपन से ही ऐसी हैं, हमेशा अपने इमोशंस और जज़्बातों को छुपाने में माहिर, मगर जो लोग आपको अच्छे से जानते हैं, वो आपके दिल का हाल बखूबी समझते हैं, और हम उनमें से ही एक हैं... आप हमारे लिए इतनी ही ख़ास और ज़रूरी हैं, जितनी कि सारा, और शायद उनसे भी थोड़ा ज़्यादा।"
जन्नत (मुस्कुराकर): "जानते हैं हम, और आप भी हमारे लिए इतनी ही ख़ास हैं।"
सीमा: "तो बताइए, क्या सोच रही थीं आप?"
जन्नत: "बस कुछ नहीं फुप्पी जान, यही कि पता नहीं हमारी किस्मत में, हमारे मुस्तक़बिल में क्या लिखा है, और..."
सीमा: "जितना हम आपको जानते हैं, तो आप किसी चीज़ से कभी फ़िक्रमंद नहीं होती, सिवाय... जामीन के।"
जन्नत: "हम कभी किसी चीज़ को लेकर परेशान नहीं होती, ना ही जामीन को लेकर भी, क्योंकि हम जानते हैं कि हम अपने रब के साथ के बलबूते पर अपना मुस्तक़बिल बदलने की हिम्मत और ताक़त दोनों रखते हैं।"
सीमा (मुस्कुराकर): "ये तो है... मगर फिर आप क्या सोच रही हैं?"
जन्नत: "बस यही कि ऐसा क्या हुआ है, जो इतना वक़्त लग रहा है जामीन को वापस आने में... वो बस ख़ैरियत से हों।"
सीमा: "आप भी ना जन्नत... कोई और आपकी जगह होता, तो वो ये सोचता इस वक़्त कि कहीं उनका प्यार उन्हें भूल तो नहीं गया, और एक आप हैं जो उनकी ख़ैरियत को लेकर फ़िक्रमंद हो रही हैं।"
जन्नत: "जी, क्योंकि हमें जामीन और अपनी मोहब्बत पर पूरा ऐतबार है, और हम जानते हैं कि वो जल्दी ही हमारे पास आएंगे।"
सीमा: "इंशा-अल्लाह।"
सीमा को आमिर ने अंदर से आवाज़ दिया और वह अंदर चली गई। जन्नत अपने कमरे की तरफ़ सारा को उठाने गई, जो सो रही थी। वहाँ जन्नत को अपने कमरे के बाहर सोफ़े पर अबीर बैठा मिला। वह उसे इग्नोर करके जाना चाहती थी, मगर अबीर ने उसे आवाज़ दी।
अबीर: "जन्नत... जी।"
जन्नत (अबीर की तरफ़ पलटकर): "जी?"
अबीर: "हमें आपसे कुछ बात करनी है।"
जन्नत: "देखिए, अगर आप कॉलेज वाले जामीन के टॉपिक पर हमसे बात करना चाहते हैं, तो हम..."
अबीर (खड़े होकर सीरियस होते हुए): "नहीं नहीं, हम कॉलेज वाले टॉपिक पर ज़रूर बात करना चाहते हैं, मगर जामीन जी के बारे में नहीं, बल्कि कुछ और बात करना चाहते हैं।"
जन्नत (मन में): "इन्हें क्या हुआ है? इतना सीरियस बिहेव कर रहे हैं..."
अबीर: "क्या हुआ?"
जन्नत: "नहीं, कुछ नहीं... आप बोलिए, क्या कहना है?"
अबीर (सोफ़े की तरफ़ इशारा करते हुए): "आप यहाँ बैठें ना, पहले प्लीज़..."
जन्नत (बैठते हुए): "जी, कहिए, क्या कहना है।"
अबीर (सोफ़े पर बैठकर अपने हाथ रगड़ते हुए): "हमें समझ नहीं आ रहा कि कहाँ से शुरू करें..."
जन्नत: "आप इतना नर्वस क्यों हैं... सब ठीक तो हैं ना? क्योंकि आमतौर पर तो आप तीस मार खान बनकर घूमते हैं, फिर अचानक से क्या हुआ है?"
अबीर: "हमें समझ नहीं आ रहा कि कहाँ से शुरू करें..."
जन्नत: "ठीक है, जब आपको समझ आ जाए, तब आप हमें बता दीजिएगा। अभी फ़िलहाल हम जा रहे हैं..."
अबीर (जन्नत को रोकते हुए): "नहीं नहीं, हम बताते हैं..."
जन्नत (मन में): "चोट तो मुँह पर लगी थी, पर लग रहा है जैसे असर दिमाग़ पर हुआ है।"
अबीर (जन्नत की आँखों में देखते हुए): "हम जब से मिले हैं, तब से हम दोनों के दरमियान बस लड़ाई और नोक-झोंक ही रही..."
जन्नत: "तो?... तो आप हमसे माफ़ी-तालाफ़ी करना चाहते हैं?"
अबीर: "जी... बल्कि उससे भी ज़्यादा।"
जन्नत (हैरानी से): "आपकी तबियत तो दुरुस्त है ना आज... जो ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं?"
अबीर: "बहके हुए तो अभी तक थे, मगर अब होश में आये हैं हम..."
जन्नत: "मतलब?"
अबीर (जन्नत के सामने बैठते हुए): "हमें नहीं पता कब, कैसे, और कहाँ, मगर इसका एहसास हमें आज हुआ, जब रॉकी ने आपको तकलीफ़ दी, और आपको तकलीफ़ में देखकर हमें एहसास हुआ कि हम आपको कभी तकलीफ़ में देख ही नहीं सकते, और अब हमारे बीच, हमारी तरफ़ से ये नोक-झोंक ना रहकर, बल्कि..."
जन्नत: "बल्कि???"
अबीर: "मोहब्बत बन गई है... जी जन्नत, हमें आपसे इश्क़ हो गया है... आई एम इन लव विद यू..."
जन्नत की आँखें फट गईं। वह पूरी तरह शॉक हो गई। हालाँकि ऐसा नहीं था कि जन्नत को किसी ने पहले ऐसा कुछ नहीं कहा था, मगर जन्नत को अबीर से ये उम्मीद नहीं थी। जन्नत हमेशा ऐसे लोगों को मुँह तोड़ जवाब देती आई थी, मगर आज अबीर के सामने उसके मुँह से कोई अल्फ़ाज़ ही नहीं निकल रहे थे। उसका चेहरा रंगहीन हो गया था, और उसका दिमाग़ जैसे सुन्न हो गया था। आज़ान और सारा ने ये बात सुनी तो उनके भी होश उड़ गए। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था...
अबीर: "जी जन्नत, हमें वाकई में आपका साथ अच्छा लगने लगा है, और आपसे इश्क़ हो गया है, वो भी सच्चा वाला..."
जन्नत बस सुन्न होकर अपनी फटी हुई, हैरानी भरी आँखों से अबीर को घूर रही थी, और उसका दिमाग़ अबीर के अल्फ़ाज़ों को समझने की कोशिश कर रहा था.....!!