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Written in the stars

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ये कहानी है महलो की राजकुमारी  इरा राजपूत की! जो है राजकुमारी पर उसकी जिंदगी नोकरो से भी बदतर है और दूसरी तरफ है अपनी दुनिया पर राज करने वाला इन्सान जिसका नाम है अर्नव यदुवंशी जिसके नाम मै ही महासागर समाया हो तो किरदार मै गहरापन होना लाजमी है! इरा अप...

Total Chapters (30)

Page 1 of 2

  • 1. Written in the stars - Chapter 1

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    ये कहानी है महलो की राजकुमारी  इरा राजपूत की! जो है राजकुमारी पर उसकी जिंदगी नोकरो से भी बदतर है और दूसरी तरफ है अपनी दुनिया पर राज करने वाला इन्सान जिसका नाम है अर्नव यदुवंशी जिसके नाम मै ही महासागर समाया हो तो किरदार मै गहरापन होना लाजमी है! इरा अपने ही घर में हो कर कैद है और अर्नव घर से बेघर हो कर भी राज करता है! इरा जो है दुनियादारी से अनजान बिलकुल नवजात शिशु की तरह वही अर्नव है शातिर खिलाड़ी! क्या होगा जब आयेंगे दोनों आमने सामने? क्या इरा कभी अपनी कैद से आजाद हो पाएगी? क्यो है अर्नव इतना शक्तिशाली होने के बाद भी अपने ही घर से बेघर?

    Episode 1

    सुबह की खिलती धूप खिड़की से छन कर एक परी जैसी खूबसूरत लड़की के चेहरे पर पड़ रही थी
    वह लड़की जमीन पर बिस्तर लगा कर सो रही थी

    " उठ जाओ इरा, सुबह हो गई है बेटा!" एक 45 साल की उम्र के आस पास की ओरत उस खूबसूरत परी को उठाने की कोशिश कर रहि थी।

    थोड़ी देर और सोना है इरा को आई , उस लड़की ने मासूमियत से निंद भरी आवाज मै कहा ।

    इरा की आई सुजाता : जो राजपूत हवेली मै सबसे वफादार और पुरानी मेड है ।

    इरा कस मसा कर वापस सो चुकी थी कि तभी उसके रूम का दरवाजा धड़ाम से खुला और एक 40 साल के आस पास की उम्र की औरत अंदर आई है उसके भारी कदमों की आवाज सुजाता को जैसे ही सुनाई दी सुजाता की आंखो मै डर के भाव आ गए

    "अगर तू इतनी देर तक सोती रहेगी तो हमारे लिए खाना कौन बनाएगा ?
    तुम दिन पर दिन बहुत काम चोर होती जा रही हो हमारा आदेश नहीं मान रही हो कुछ ज्यादा ही पर निकल आए हैं तुम्हारे मुझे कतरने पड़ेंगे ! "

    उस औरत की डरावनी आवाज सुन कर इरा बहुत ज्यादा घबरा चुकी थी वह तुरंत उठ कर बैठ गई और सुजाता के गले लगाते हुए बोली
    "इरा को डर लग रहा है  आई इन से बचाओ मुझे कहो मैं खाना बना दूंगी मैं इनका हर आदेश मानूंगी "

    इरा की ऐसी बात सुन कर उस औरत के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैर गई
    यह है इस हवेली की मालकिन सरोजिनी राजपूत ईरा की काकी सा!

    सरोजनी इतराते हुए बोलि
    " बस ये खोफ बरकरार रहना चाहिए तुम्हारे दिलो दिमाग मै समझी । "

    इरा ने मासूमियत से हा मै सर हिला दिया...

    वही दूसरी तरफ..

    मुंबई शहर.. का बाहरी इलाका.. जहा गाड़ियों का शोर शराबा बिलकुल नही है..

    यदुवंशी भवन
    एक बड़े से बंगलो पर खुबसूरती से यदुवंशी भवन लिखा था..
    उस घर के अंदर सैकड़ों की संख्या में सर्वेंट्स काम कर रहे थे...

    वही 5th floor पर जिम एरिया में..
    एक लड़का ट्रेड मिल पर फुल स्पीड से दौड़ रहा था.. उसने इस वक्त एक व्हाइट टाउजर पहना था और अप्पर बॉडी बेयर्ड थी.. जिससे पसीने से चमकते उसके एट पैक एब्स साफ़ साफ़ नजर आ रहे थे... ..

    उसकी amber ब्ल्यू eyes... भी अलग सा गुरुर लिए दहक रही थी...
    एक लड़का जिम एरिया में एंटर होते हुए बोलता है

    " अर्नव , मल्होत्रा के वो आदमी जो जबरदस्ती घुस आए थे अब हमारे कब्जे में है"

    अर्नव के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान खिल जाती है..
    " तुम चलो समीर मै आता हूं इस 3मल्होत्रा के बच्चे को तो मिल कर सबक सिखाना पड़ेगा"

    अर्नव ने अपनी भारी आवाज मै कहा और समीर वहा से वापस चला गया...

    अरनव ट्रेड मिल से उतर कर टॉवल से पसीना पोंछ कर बोलता है
    " किस्मत भी कितनी बेरहम है तुम लोगों की जो तुम सब अरनव यदुवंशी के हाथो मरने के लिए आ गए"

    ये दुश्मनी बहुत महंगी पड़ेगी तुम को। " मानिक मल्होत्रा "

    इतना बोल कर अरनव हैवानों की तरह हंस ने लगता है!

    कुछ देर बाद..

    अर्णव तेज कदमों से चलते हुए बंगलो के बेसमेंट में जाता है जहां तीन लड़के और एक लड़की फर्श पर गिरे थे और.. समर्थ की कुछ आदमी बंदूक तान उन तीनों के चारों तरफ खड़े थे!

    Arnav पेंट की पोकेट में हाथ डाले रूम में एंटर करता है!
    और फिर विशल बजाते हुए उस लड़की को उपर से नीचे तक घूरता है

    जिसने इस वक्त एक डेनिम शॉर्ट्स और क्रॉप टॉप पहना था
    क्लीवेज से लेकर थाईज तक उसका बहुत कुछ रिवील हो रहा था

    ये देख कर अरनव के चेहरे पर कुटिल मुस्कान खिल जाती है और वो समीर को बोलता है

    " सेम तुम इन तीनो लड़को की खातिर दारी करो और मैं इस हसीना को संभालता हु और हा रूहान और मौलिक से कॉन्टैक्ट कर लेना अभी तक उनका कोई मैसेज नही आया है "

    समीर हा मै सर हिलाते हुऐ वहा से चला जाता है और वो बॉडी गार्ड्स उन तीनों लड़को को घसीटते हुए वहा से ले जाते हैं... और वो लड़के चिल्लाने लगते हैं...

    Arnav वहा रखी एक चेयर पर बैठ जाता है और उस लड़की को शिद्दत से घूरने लगता है

    उस लड़की को लग रहा था वो अपने प्लान में कामयाब हो चूकी है तो वो हिम्मत कर के उठी और फिर समर्थ के पास आकर उसकी चेयर पर झुकते हुए बोलि

    " तो आपकों पसंद आई मेरी खूबसूरती!"
    Arnav एक smirk के साथ बोला

    " तो तुम्हे ये किम्मत लगती है arnav के जमीर को खरीदने की?"
    उसको मोह के जाल मै इतनी आसानी से फसाने की?"
    वो लड़की अपना क्लीवेज शो करते हुए बोलि

    " नही हम तो बस आपके किरदार के दीवाने है बस एक बार आप छू लो तो मुझे जन्नत नशीब हो जायेगी "

    Arnav ने झट से उस लड़की के बाल पकड़ते हुए दांत पीसते हुए कहा

    " दीवाने तो होंगे ना हमारे किरदार के जब हु ही इतना काबिल,
    पर अफ़सोस तुम्हे जन्नत नसीब नही करवा सकता, ना मै भगवान हु और ना मै खुदा मै तो बस एक बेरहम इन्सान हु जो तुम्हे जान से मार सकता है वो भी बिना उपर वाले की इजाजत के समझी "
    To be continued....

    " WRRITEN IN THE STARS "

  • 2. Written in the stars - Chapter 2

    Words: 1097

    Estimated Reading Time: 7 min

    इतना बोलते हुए अर्णव ने उसे लड़की का गला कसकर पकड़ लिया और फिर जाट पीसते हुए बोला तुम्हारे मालिक को अब तुम्हारी यह हसीन लाश मिलेगी शायद उसे मेरी लास्ट का इंतजार है और यह इंतजार उसका भगवान के पास जाकर ही खत्म होगा शायद हम दोनो hell में वापस मिले?"

    इतना बोल कर arnav एक झटके से उस उठ कर उस लड़की का सर दीवार पर दे मारता है और वो एक चीख के साथ जमीन पर गिर पड़ती है

    कुछ पलो मै तड़प कर उसने इस जिंदगी को अलविदा कह दिया!

    अर्णव उसके पास आया और उसकी खुली आंखों को हाथ से आहिस्ता से बंद करते हुए बोला

    " See you soon in the hell sweetheart!"

    इतना बोल कर arnav किसी साइको की तरह हस्ते हुए basement से बाहर निकल गया..
    उसके हाथ पर खून लग गया था. और वो लाल रंग अर्णव का पसंदीदा रंग था....

    अर्णव अपने रूम मै जाकर... शावर लेने लगता है वही हॉल मै बैठी एक औरत खुद मै बड़ बड़ा रहि थी

    " हे शिव कैसा बेटा दिया है! रोज सुबह इसकी खून के साथ होती है और दिन भी खून के साथ ढलता है "
    कब इसे अकल आएगी? और ये यहां एक दिन के लिए आता है तो भी खून खराबा किए बिना नहीं जाता है "


    इतना बोल कर वो ना मै गर्दन हिलाते हुए किचन की तरफ जाति है जहा.. कुछ सर्वेंट्स break fast की तैयारिया कर रहि थी

    " अंबी तुम जरा मेरे साथ चलो"
    मुझे गार्डन मै नए फूल लगवाने हैं!

    एक सर्वेंट ने हा मै गर्दन हिलाकर कहा
    " जी मालकिन चलिए!"

    ये है अर्णव की मां दामिनी यदुवंशी!

    अर्णव की फेमिली मै अर्णव, दामिनी, अर्णव का छोटा भाई समर्थ, अर्णव के चाचा दिलीप यदुवंशी चाची कोमल यदुवंशी और उनकी बेटी राधा यदुवंशी है!

    दामिनी के बाहर जाते हि एक एक कर के बाकी फेमिली मेंबर्स भी डाइनिंग हॉल मै आ जाते हैं...

    समर्थ और राधा स्टेयर्स से नीचे आ रहें थे

    और आपस मै बात कर रहे थे ओह sorry लड़ रहें थे 🤣

    राधा: देखो भाई अगर आपने अर्णव भाई से इस बारे मै कुछ भी कहा तो मुझसे बूरा कोई नही होगा "

    समर्थ ने दांत दिखाते हुए कहा
    " ए छिपकली मै तेरी बुजदिल धमकियों से डरता नहीं हु समझी! कोकरोच से डर लगता है और आई बड़ी समर्थ यदुवंशी से पंगा लेने वाली! हु!!!
    राधा ने जाड़ पीसते हुए कहा
    " भाई भूलो मत मेरी रगों मै भी यही यदुवंशी खून बहता है! अपनी पर आई ना! तो आपकों कॉकरोच समझ कर ही मसल डालूंगी!

    समर्थ ने हाथ दिखाते हुए कहा

    " चल हट बड़ी आई समर्थ यदुवंशी को डराने वाली!"

    राजपूत हवेली..
    इरा अपने रूम मै बैठ कर सिसक रहि थी खाना बनाते वक्त उसका हाथ जल गया था.. और सुजाता अभी काम मै busy थी.. इसलिए इरा को देखने वाला कोई नहीं था

    वो बस रोते हुए बोल रहि थी

    " आई इरा को दर्द हो रहा है आप कहा हो आ जाओ ना! इरा बहुत रो रहि है "

    जितना दर्द इरा की आवाज मै था.. उसे सुन कर तो कोई पत्थर दिल भी पसीच जाए...

    पर इस बेजुबान चार दिवारी मै उसकी ये दर्द भरी सिसकियां सुनने वाला कोई इन्सान नही था

    इस घर के लॉग इन्सान के रूप मै हैवान थे...

    राजपूत हवेली का दूसरा कमरा...  एक लड़का और एक लड़की बिना कपड़ो के एक दूसरे की बाहों मै चूर थे..  उस लड़के ने मदहोशी से उस लड़की के जिस्म को सहलाते हुए कहा

    " कब हो रहि है राजपूत हवेली तुम्हारे नाम baby"
    वो लड़की बिन पानी की मछली की तरह तड़पते हुऐ बोलि

    " फिलहाल तुम मूझ पर ध्यान दो बाद में बात करेंगे इस topic पर"
    तो वो लड़का उसकी गर्दन चूमते हुऐ बोला

    " अपना एक एक वादा याद रखना!  मानिक मल्होत्रा जितना वादे का पक्का है उतना ही सामने वाले से वादा मनवाना भी आता है।
    मुझे उस लड़की के 21 के होते ही उससे शादी करके अपनी दासी बनाना है और तुम इसमें मेरा साथ दोगी ये तुमने हि कहा था"
    "हम्म "
    वो लड़की एक आह भरते हुए बोलि
    मानिक और इरा की काकी सा की लड़की " हर्षाली दोनो कई बार हमबिस्तर हो चुके थे पर उनमें प्यार जैसा कुछ नही था। मानिक अपने फायदे के लिए, हर्षाली से जुड़ा था और हर्षाली अपने फायदे के लिए उससे।

    Dark heaven
    अर्णव सीढ़ियों से उतर कर नीचे आ रहा था की उसके चाचा दिलीप ने चिल्लाते हुए कहा
    " ये लड़का यहां क्या कर रहा है जब मैं इसे घर से धक्के मार कर निकाल चूका हूं?"
    राधा ने मुड़ कर अर्णव को देखा और फिर समर्थ को और फिर मन हि मन बोली
    " ये भाई भी ना कहा था ना इन्हे पिछे के दरवाजे से निकल जाना पर नहीं इन्हे सामने से जाना है और अगर by any chance पापा को कल का कांड पता चल गया तो भाई के साथ साथ मुझे भी घर से बेदखल कर देंगे। भगवान जी बचा लेना।

    ऐसा हि हाल समर्थ का भी था ।
    अर्णव नीचे आया और  दामिनी और कोमल के पास आकर उन्हें साइड हग करते बोला रिलैक्स चाचू आपकी भाभी जी को मेरी याद आ रही थी मैं बस निकल ही रहा हूं!
    इतना बोल कर अरनव समर्थ की तरफ eye wink करते हुए घर से बाहर चला गया....
    और दिलीप ने घुर कर समर्थ को देखा जो अब नीची नजरे किए उनसे नजरे चुरा रहा था और अपने मन में बोला

    " ये भाई खुद तो खिसक लेते हैं और हर बार मुझे फसा देते हैं मेरी तरफ आंख मारने की क्या जरूरत थी मैं कोई उनकी माशूका हूं हम्म्म्म!"


    " अर्णव घर से निकाल कर बाहर अपनी कर में बैठ जाता है और एक बार घर की तरफ देखकर एक गहरी सांस छोड़ना है और फिर स्पीड से अपनी कर सड़क पर दौड़ने लगता है कुछ ही पलों बाद अर्णव की कर एक और प्राइवेट प्लेस पर जाकर रुकती है जहां उसका प्राइवेट जेट खड़ा था अरनव तेज कदमों से चलकर जाट की तरफ बढ़ जाता है और वहां ऑलरेडी दो बॉडीगार्ड खड़े थे वह जीत का डोर अरनव के लिए ओपन करते हैं और अरनव स्टाइल से जात के अंदर चला जाता है कुछ देर बाद

    स्टार आईलैंड ( काल्पनिक)

    यह अरनव का पर्सनल आइलैंड है जहां दूर-दूर तक सिर्फ अरनव की दुनिया है यहां वही होता है जो अरनव चाहता है!

    अर्णव को सब यहां किंग के नाम से जानते हैं..
    अरनव की खुद की एक गैंग है जिसे डार्क डेविल्स के नाम से जानते हैं जिसमें टोटल 6 मेंबर है...

    क्रमशः
    " WRITTEN IN THE STARS "

  • 3. Written in the stars - Chapter 3

    Words: 1094

    Estimated Reading Time: 7 min

    राजपूत हवेली...

    शाम का वक्त..

    "आई आप इरा को कहा भेज रहि हो वो मालकिन बहुत डाट लगाएगी "

    इरा ने रोते हुए सुजाता से कहा..
    सुजाता ने कहा..
    " बेटा तेरी वो मालकिन तूझे बेचने वाली है और मेरे जीते जी मै ये कभी नही होने दूंगी चाहे कुछ भी हो जाए तू चल मेरे साथ..."

    सुजाता राजपूत हवेली के पीछे के रास्ते से इरा को बाहर लेकर जा रहि थी...

    सुजाता इरा को खुफिया रास्ते से हवेली से बाहर ले जाती है!
    इरा अपनी बड़ी बड़ी आंखों से बाहर की दुनिया देख रही थी जो उसने कभी नहीं देखी थी..
    सब कुछ कितना रंगबिरंगा है अम्मा!"

    इरा ने अपनी पलकों को मासूमियत से झपकाते हुए सुजाता से कहा

    सुजाता अपनी डरी हुई नजरों से चारों तरफ देख रही थी कहीं उन्हें बाहर जाते हुए कोई देख तो नहीं रहा है इरा की बात सुन कर वह एक बार उसकी तरफ छोटी सी स्माइल कर देती है और उसके बाद एक टैक्सी लेते हुए ईरा को शहर से बाहर ले जाने लगती है!

    वही मानिक मल्होत्रा जो हवेली के बाहर था उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी

    उसे पता था एक दिन ये होगा क्योंकि सुजाता इरा को बिल्कुल अपनी बच्ची की तरह मानती है तो वो उसे बिकने कैसे दे सकती है के उसकी मासूमियत किसी को छीनने दे सकती है

    वो तुरन्त अपनी कार उस टैक्सी के पीछे लगा देता है!

    वही सुजाता का दिल डर से कांप रहा था कही कुछ गलत ना हो जाए उसने इरा के चेहरे पर एक दुप्पटा बांध दिया था जिससे अब उसकी प्यारी नीली आंखे ही दिखाई दे रही थी उसका चेहरा नहीं!

    वही हीरा बाहर का यह शोरगुल गाड़ियां बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में हंसते खेलते लोग इन सबको देखकर बहुत ज्यादा हैरान थी वह बार-बार अपनी गर्दन घूमते हुए कभी इधर तो कभी उधर देख रही थी कहीं म्यूजिक बज रहा था तो कहीं लोगों के हंसने की आवाज ही गूंज रही थी कहीं कोई इंस्ट्रूमेंट चल रहा था तो कहीं गाड़ियों के होरन यह सब हीरा को बहुत ज्यादा एक्साइटेड कर रहे थे

    ईरा ने सुजाता का हाथ पकड़ते हुए कहां आई इरा को भी यह सब करना है इरा को भी जाना है यहां!

    सुजाता ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए काम हां मेरी बच्ची एक दिन तेरी जिंदगी में भी राजकुमार आएगा जो तुम्हें वह सारी खुशियां दे देगा जिसकी हकदार तू है बस कुछ दिन रुक जा

    इरा के होठों पर एक मुस्कान आ गई सुजाता उसे कब से बोल रही थी कि उसकी जिंदगी में एक राजकुमार आएगा हीरा को बेसब्री से इंतजार था उसे राजकुमार का जो उसे उसकी कैद से आजादी दिलवाएगा

    वही मानिक तेज स्पीड से उनकी टैक्सी का पीछाकर रहा था

    सुजाता शहर से बाहर निकलते ही टैक्सी वाले को रोकने के लिए बोलता है और उसे किराया देते हुए टैक्सी से उतर जाती है


    यह ऐसा इलाका था जहां से शहर खत्म होकर गांव आना शुरू हो जाते हैं यही पास में सुजाता की किसी रिलेटिव का गांव था वह बस यहां से बस लेकर वहां जाने वाली थी वह जैसे ही आगे कदम बढ़ाती है अचानक ही उन दोनों के आगे माणिक की कर आकर रुक जाती हैं जिसे देखकर सुजाता की आंखें दर से फैल जाती है और ईरा की पकड़ सुजाता के हाथ पर कश जाती है और वह धीरे से बोलता है

    " इरा को डर लग रहा है आई"
    सुजाता ने भी इरा पर अपनी पकड़ कस ली और फिर से उस car की तरफ देखने लगी


    वही मानिक एक जहरीली मुस्कान लिए कार से उतरता है!
    ओर अपने कदम उन दोनों की तरफ बढ़ा देता है
    मानिक के कदम लगातार इरा की ओर बढ़ रहे थे और सुजाता के हाथ बुरी बात इरा के हाथ पर कसते जा रहे थे
    डर से हालत उसकी भी खराब हो रही थी

    उसे समझ नहीं आ रहा था वो कहा जाए क्या करे

    ओर किससे मदद मांगे इस शैतान से बचने के लिए उसने हिम्मत कर के जैसे ही कदम बढ़ाया

    मानिक ने इरा का दूसरा हाथ कस कर पकड़ लिया

    और फिर डरावनी हंसी हंसते हुए बोला

    " कहा लेकर जाओ कि ताई इस कमसिन कली को इसे टूटना तो मेरे ही हाथों हैं पर तुम ये भगाने की कोशिश कर के इसे सिर्फ तोड़ने पर नहीं बल्कि बुरी तरह कुचलने पर मजबूर कर रही हो मुझे "

    ये सुन कर सुजाता की दिल डर के मारे कांप उठा

    और इरा भी उसकी इतनी तेज पकड़ से सिहर उठी

    और खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी

    पर उसकी कोशिशे सब बेकार थी

    मानिक ने एक झटके से खींचते हुए उसे अपने सीने से चिपका लिया

    और उसकी मासूम आंखो में देखते हुए बोला
    " बहुत इंतजार किया है मैने इस वक्त का इतनी आसानी से तो नहीं जाने दूंगा तुम्हे"

    ईरा डर ते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर उसकी नाजुक कलाइयों में इतनी ताकत नहीं थी कि वह मानिक जैसे बॉडीबिल्डर से खुद को छुड़ा पाए

    वही मानिक ने एक झटके से सुजाता का हाथ हीरा से झटक दिया था जिससे वह मुंह के बाल सड़क पर गिर चुकी थी और उसके हाथ पैर में कंकर चुप चुके थे उसकी दर्द के मारे एक आह निकल गई जिसे देख कर ईरा बुरी तरह रोने लगी

    मानिक ने ईरा के दोनों गालों को अपने हाथ से भींचते हुए कहा
    अरे तुम क्यों रो रही हो तुम्हें थोड़ी ना कुछ कर रहा हूं तुम तो बहुत नाजुक हो तुम्हें मैं बहुत संभाल के रखूंगा अपनी रानी बनाकर रखूंगा मैं तुम्हें

    ईरा की आंखों से मोटे-मोटे आंसू निकल कर गिर रहे थे

    उसकी सिसकियां बंधी हुई थी

    और अगले ही पल मानिक ने जबरदस्ती उसे उठाया और उसे अपनी कार की बैक सीट पर डालते हुए

    खुद ड्राइवर सीट पर बैठ गया और एक तिरछी मुस्कान सुजाता की तरफ देखते हुए पास की और एक झटके से कार स्टार्ट कर ली

    सुजाता बहुत हिम्मत करके उठी पर तब तक वह गाड़ी स्टार्ट हो चुकी थी सुजाता ने उसके पीछे भागते हुए इरा को आवाज़ लगाई पर उसके बूढ़े हो चुके शरीर में इतनी ताकत नहीं थी कि वह एक गाड़ी का पीछा कर सके कुछ ही देर में वह ठक्कर फिर से सड़क पर गिर गई और रोने लगी वह अपनी किस्मत को खुश रही थी उसकी वजह से ईरा की मुसीबतें कम होने की बजाय और ज्यादा बढ़ चुकी थी

    वह बस भगवान से प्रार्थना कर रही थी किसी फरिश्ते को भेजने की जो इरा को इन सब से निकल सके उसे एक शांति भरी जिंदगी दे सके जिसमें सुकून हो ईरा की मुस्कान हो

  • 4. Written in the stars - Chapter 4

    Words: 1030

    Estimated Reading Time: 7 min

    स्टार आइसलैंड

    अर्णव अपने स्टडी रूम में लैपटॉप पर कुछ वर्क कर रहा था
    की वहा उसके left hand कम भाई ज्यादा

    " क्रिश" की एंट्री हुई
    तो ये हैं dark devels gang के चार्मिंग प्रिंस
    क्रिश डिसूजा

    उम्र 26 साल नीली आंखे गोरा रंग 6 फूट हाइट 6 पै क्स एब्स वाली मस्कुलर बॉडी left eyebrow पर एक कट शर्ट के ऊपर से तीन बटन ओपन थे जिसमें से सीने पर बना ईगल टैटू थोड़ा थोड़ा विजिबल हो रहा था
    लड़कियां तो जैसे दीवानी हैं इनकी

    अर्णव ने बिना उपर देखे अपनि रूड टोन मै कहा
    " Hmm बोलो क्या न्यूज है"

    क्रिश ने स्टाइल से अर्णव के सामने बैठते हुए कहा

    Today's breaking news
    " King का जानी दुश्मन चला है love date पर"

    अर्णव ने आंखें छोटी करते हुए का साफ-साफ बोलो क्या हुआ है क्रिश ने एक डेविल स्माइल के साथ कहा
    आज मानिक मल्होत्रा को किसी लड़की के साथ देखा गया है !
    और सुना है बेहद खूबसूरत थी हो

    अर्णव ने घूरते हुए कृष को देखा क्योंकि उसे पता था वह उसे छेड़ रहा है
    अर्णव ने तुरंत लैपटॉप बंद करते हुए का
    " तो चलो हम भी मिल लेते हैं उसे खूबसूरत हसीना से "

    और क्रिश तुरंत ही खुश हो गया अर्णव और वो दोनों एक साथ बाहर निकल गए

    कुछ देर बाद वो दोनों एक चॉपर मै थे जो सीधा मुम्बई की एक सड़क के किनारे लैंड हुआ

    मानिक जिसे दूर से ही कुछ अजीब सा धुंध दिखाई दे रहा था

    जब उसे पता चला यह धूल का धुंध किसी चॉपर  के लैंड होने से हुआ है तो उसकी आंखों में थोड़ी हैरानी झलक आई और थोड़ा गुस्सा भी और शायद किंग का डर भी

    क्योंकि एक दिन पहले उसने जो आदमी भेजे थे उनकी लाश टुकड़ों में उसके पास आई थी वापस

    वह कुछ सोच समझ पाता उससे पहले ही उसकी कर के सामने चलते हुए कृष और अरनव दोनों आ गए वह दोनों hell से उतरे हुए devil लग रहे थे

    ब्लैक शर्ट ब्लैक पेंट ऊपर एक long ब्लैक कोर्ट
    ब्लैक शेड्स

    दोनों काफी डैशिंग लग रहे थे

    ईरा की मासूम नजरों में एक होप नजर आने लगी थी अपने सामने दूसरे आदमियों को देखकर उसे वह बिल्कुल फरिश्ते लग रहे थे जो उसे इस शैतान से बचाने आए थे

    वही मानिक जो डरा हुआ था उसने ध्यान ही नहीं दिया कि उसने ईरा का हाथ छोड़ दिया है ईरा ने तुरंत ही car का डोर खोला और भागते हुए उन दोनों के पास चली गई

    अर्णव और कृष अभी भी उसे देख रहे थे कृष की तो आंखें फैल चुकी थी उसे लग रहा था उसने किसी परी को देख लिया है

    वही अरनव भी उसके मासूमियत को देख रहा था क्योंकि ईरा के चेहरे पर बहुत ज्यादा डर नजर आ रहा था

    इरा भागते हुए आई और तुरंत ही अर्णव के पीछे छुप गई

    अर्णव और क्रिश को तो कुछ समझ ही नहीं आया आखिर इतनी जल्दी हुआ क्या
    इरा ने डरते हुए अर्णव की जैकेट को कस कर अपनी छोटी छोटी मुट्ठियों मै भर रखा था

    क्रिश झुकते हुए इरा को देखने की कोशिश कर रहा था

    अर्णव ने गर्दन टेढ़ी करते हुए घुर कर इरा को देखा


    अर्णव की silver eyes को खुद पर महसूस कर इरा ने जल्दी से अपनी आंखे भीचंते हुए अपनी मासूम आवाज मै कहा

    " आ... आई के पास जाना है इरा को!" " डर लग रहा है ,!"

    अर्णव एक आई ब्रो उचका ते हुए क्रिश की तरफ देखता है जैसे पूछ रहा हो कुछ समझ आया ये क्या कह रही है!

    क्रिश ने अपने कंधे उचका दिए क्योंकि इरा ने जो भी बोला उसके सर से 100 की स्पीड से गुजर गया था

    मानिक की पकड़ स्टेयरिंग पर कस गई और उसने जाड़ भींचते हुए इरा को देखा और अपने मन मै बोला

    " इसके पास जाकर तुम्हारी जिंदगी नरक से कम नहीं होने वाली है! और कोई कमी रहेगी तो मै पूरी कर दूंगा!"

    इतना बोल कर उसने एक झटके से कार स्टार्ट कर ली पर वो कही जा पाता उससे पहले ही एक बुलेट सीधा उसकी कार के टायर पर आकर लगी और उसकी कार एक अजीब सी आवाज के साथ इधर उधर होने लगी

    उसका बैलेंस बिगड़ चुका था और कुछ ही पलों मै कार पीछे एक पेड़ से टकरा कर रुक गई

    क्रिश के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान थी
    उसने खुद के कंधे को थप थपा कर कहा

    " Well done Krish you are make another right glitch "

    अर्णव ने कहा

    " अपने लें डायलॉग बाद में मारना CV को कॉल करो!"

    क्रिश ने कहा

    " करता हूं ना भड़क क्यों रहे हो"

    इतना बोल कर क्रिश ने किसी को कॉल किया वही अर्णव हाथ अपनी पॉकेट मै डाले

    मानिक की कार की तरफ बढ़ गया

    मानिक को जो अपने फुट चुके सर को संभाल रखा था उसे अपने करीब आता देख हड़ बड़ा हट मै अपना फोन लेता है और किसी को कॉल करता है

    सामने वाला कॉल जैसे ही उठाता है

    "। कहा मर गए हो तुम सब "

    सामने वाले ने मानिक की ऐसी आवाज सुन कर डरते हुए कहा

    " ज.. जी बॉस बस आ रहे है !""

    मानिक ने झल्लाते हुए कहा

    " क्या अब मेरी मैय्यत पर आओगे कमिने जल्दी आओ!"

    अर्णव ने अपनी जेब में रखी गन को लोड किया और मानिक ककी कार के दरवाजे को एक लात मारते हुए तोड़ दिया
    मानिक ने भी अपनी gun लोड कर ली थी


    अर्णव के होठों के कोने मुड़ चुके थे

    उसने हल्की devilish smile के साथ गहरी आवाज में कहा

    " तुम्हारे भेजे चुजे तो किसी काम के नहीं निकले मानिक मल्होत्रा... और वो खूबसूरत मोहतरमा भी! "

    " अब मजा नहीं आ रहा है तुम्हारे साथ ये गेम खेलने मै तुम दिन पर दिन बोरिंग होते जा रहे हो !"

    मानिक के दिमाग मै बहुत कुछ चल रहा था
    " उसकी नजर इरा पर गई जिसने अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छिपा रखा था और डर के मारे कांप रही थी "

    उसने एक स्माइल के साथ कहा

    " पर इस बार वाली अप्सरा तुम्हारा सब कुछ तबाह कर देगी "

    अर्णव ने एक eye ब्रो चढ़ाते हुए कहा

    " Lets see "

  • 5. Written in the stars - Chapter 5

    Words: 1044

    Estimated Reading Time: 7 min

    अर्णव और मानिक दोनों ने एक दूसरे के हेड पर निशाना लगा रखा था कि अचानक एक साथ 4 से 5 गाड़िया आ गई

    और मानिक के चेहरे पर स्माइल तैर गई क्योंकि ये उसके आदमी थे

    सबसे पहले एक कार से सूट बूट पहने एक आदमी बाहर आया

    ये था मानिक का राइट हैंड निर्भय सिंह!

    निर्भय के पीछे पीछे और भी आदमी उतरे जो गन का निशाना अर्णव की तरफ करते हुए आगे बढ़ रहा था

    मानिक ने कहा

    किंग अब तुम्हारा आखिर वक्त चल रहा है क्योंकि तुम्हारे आदमी हमेशा की तरह आज भी लेट है और शायद इतने लेट की सिर्फ तुम्हारा जनाजा उठाने आयेंगे
    उससे पहले नहीं

    अर्णव के होठों पर एक मुस्कान तैर गई जिसके अगले ही पल वहां पर चॉपर उड़ने की आवाजे आने लगी थी

    अर्णव ने गहरी आवाज मै कहा

    " तेरी जुबान से अब भी मेरे लिए किंग ही निकल रहा है ये मेरी जीत का सबसे बड़ा सबूत है "

    मानिक निर्भय और उनके बाकी सब आदमी आंखे फाड़े आसामान की तरफ देख रहे थे

    हमेशा तो माफिया किंग्स के बहुत सारे बॉडी गार्डस होते हैं पर यहां कुछ अलग था

    Devil's Gang mai 6 log है और उन 6 के पर्सनल 12 भरोसेमंद आदमी

    इतने काफी है दुश्मन की डर के मारे पेंट गीली करने के लिए

    उन चॉपर से कुछ लोग रस्सियों की मदद से उतरने लगे और देखते ही देखते ये नॉर्मल सी सड़क किसी जंग का मैदान लगने लगी

    वही इरा बहुत डर चुकी थी अभी वो डरते हुए पीछे हट रही थी कि वो किसी से टकरा गई

    उसने पीछे मुड़ कर देखा तो ये एक लड़की थी जिसकी मास्क की वजह से सिर्फ काली कजरारी आंखे दिख रही थी

    क्रिश ने दूर से ही कहा

    " CV इसे ले जाओ king का ऑर्डर है !"

    उस लड़की ने क्रिश की तरफ एक नजर देखा और फिर इरा का हाथ पकड़ लिया
    CV  यानी की चांदनी वासु जिसे सब CV बुलाते है वो इरा का हाथ पकड़े उसे जबरदस्ती अपने साथ खींचने लगती है

    तो इरा धीरे से बोलती है
    इरा को खींचों मत मै खुद आ रही हूं
    CV ने हैरानी से इरा को देखा कैसी लड़की है खुद ही गुंडों के साथ जा रही है और ऐसे बता रही है जैसे CV उसे ICECRRAM PARLER लेकर जा रही हो

    पर CV ने अपने ख्याल झटके और इरा को अपनी CAR मै लेजा कर बैठा दिया

    इरा अपनी नीली आंखे टीम टीमा ते हुए CV के हर एक एक्शन को देख रही थी

    जैसे समझने की कोशिश कर रही हो आखिर ये लड़की कर क्या रही है ...
    CV ने car स्टार्ट कर दी और इरा ने कस कर seat belt को पकड़ लिया

    जिसे देख कर CV के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान खिल गई

    वही मानिक और अर्णव दोनों के आदमियों के बीच फायरिंग हो रही थी

    और इसी बीच निर्भय ने मानिक को अर्णव की नजरो से दूर भी कर दिया था....

    क्रिश ने अर्णव को छेड़ते हुए कहा..

    " क्या हुआ किंग दुश्मन तो निकल गया?"

    अर्णव ने तीरछा मुस्कुराते हुए कहा

    " पर अपनी सबसे कच्ची नब्ज मेरे पास छोड़ गया!"

    क्रिश ने हैरानगी से अर्णव को देखा तो अर्णव ने मानिक की कार की तरफ इशारा किया और फिर उस कार की back seat से एक सूटकेस निकाल लिया

    जिसे देख कर क्रिश के चेहरे पर भी मुस्कान तैर गई और उन दोनों ने एक दूसरे को हाई फाइव दिया...

    जिसके बाद क्रिश ने अपने पर्सनल बॉडीगार्ड्स यानी कि 12 योद्धाओं के अलग ग्रुप मै मैसेज कर के बता दिया कि फाइट अब इतनी ही होगी..

    ओर वो दोनो चॉपर मै बैठते हुए
    Star आइलैंड के लिए निकल गए

    अर्णव के दिमाग मै अब भी सिर्फ इरा घूम रही थी...
    अर्णव का चॉपर सीधे star iland मै उसके बंगलो के टैरिस पर रुका और क्रिश और अर्णव तेजी से चलते हुए वहां से अंदर आ गए

    हॉल का माहौल कुछ गर्म था
    दो नौजवान हाथ मै तलवार लिए लड़ने की बजाय चमचे और कुकर लिए लड़ रहे थे 🤣😜...
    उनमें सी से एक ने लगभग चीखते हुए कहा

    " कमिने सब तेरी वजह से हुआ है!"

    सामने वाला भी कोई कम नहीं था उसने जवाब दिया
    " हराम जादे अपनी गलती मुझ पर डालना बंद कर वरना इस कुकर से तेरा सर फोड़ दूंगा"


    अर्णव साइड मै सोफे पर बैठते हुए अपना मोबाइल चलाते हुए बोला

    " नौटंकी करने की जरूरत नहीं है cv आ रही है थोड़ी देर में वो बना देगी खाना "
    क्रिश ने टेबल से एक apple उठाया और उसे बाइट करते हुए बोला

    " और उसके साथ एक अप्सरा जैसी लड़की भी आ रही है क्या पर आपको वो कितना अच्छा खाना बनाती होगी "

    अर्णव को इरा को थोड़ा बहुत भुला था उसके दिमाग मै फिर से इरा का मासूम चेहरा घूम गया...

    इतना बोल कर क्रिश भी अर्णव के साइड मै बैठ गया

    वही वो दोनो लड़के एकदम से चमचा और कुकर साइड में फेकते हुए क्रिश के पास आकर एक ने कहा

    " क्या सच मै उस डायन cv के अलावा भी कोई devil's villa मै आ सकता है बिल्कुल सपने जैसा लग रहा है"

    क्रिश ने हंसते हुए कहा

    " उग्र सिंह ये सपना नहीं है वो लड़की तेरी डायन से भी ज्यादा सुंदर है  "

    उग्र ने अपनी तीखी भूरी आंखे छोटी करते हुए कहा.. चल हट पहली बात तो वो मेरी डायन नहीं है वो सिर्फ डायन है "

    की अचानक ही दरवाजे से cv की आवाज आई

    " उग्रवादी... !!!"

    और उग्र की एकदम से हैरानी से आंखे फैल गई
    उग्रवादी!!

    तूने मुझे फिर से डायन कहा

    तो उग्र और क्रिश के साइड मै बैठे एक हैंडसम और क्यूट बॉय मीर ने उठ कर cv के पास जाकर उसके कंधे पर अपना सर रख ते हुए कहा

    " ऑफकोर्स my lord आप जैसी खूबसूरत, डैशिंग, क्यूट, प्रिटी, ब्यूटीफुल...."

    क्रिश ने एप्पल का एक ओर बाइट लेते हुए कहा

    " अबे कानखजूरे जल्दी कर कल पनवेल निकलना है .. "

    Cv को हंसी आ गई वहीं उग्र की डर से हालत खराब थी
    Cv ने अपनी जैकेट की बाजू कोहनी तक मोड़ते हुए कहा

    " रात को बताऊंगी ये डायन क्या क्या कर सकती है मिस्टर उग्रवादी एंड मीर babu मखन लगाने की जरूरत नहीं है बोलो क्या खाना है!"

  • 6. Written in the stars - Chapter 6

    Words: 1010

    Estimated Reading Time: 7 min

    मीर के होठों पर बच्चों जैसी स्माइल आ गई और उसकी sky blue eyes मै चमक उसने जल्दी से कहा

    " खीर खानी है " एकदम टेस्टी वाली मिस डैशिंग के हाथ की "

    Cv जैसे ही किचन की तरफ बढ़ी सबकी नजर डरी सहमी खड़ी इरा पर गई जो कब से सीवी के पीछे खड़ी होकर उनकी बकवास सुन रही थी पर सारी बकवास उसके सर के ऊपर से निकल चुकी थी

    पर सब उसे ऐसे देख रहे थे जैसे आज से पहले इतनी khubsirt लड़की ना देखी हो
    छोड़ के उग्र को
    क्योंकि उसे अपनी डायन का डर जो सता रहा था उसने नजरे उठा कर इरा को एक बार भी नहीं देखा था और आंखे बंद किए प्लान बना रहा था आज कैसे अपनी डायन से बचेगा

    की अचानक सबके कानों मै इरा की मिश्री जैसी आवाज पड़ी

    " आप सच मै सपनो के राजकुमार हो ?"

    और सब ने चौंक के उसकी तरफ देखा क्योंकि उसका इशारा अर्णव की तरफ था

    अर्णव ने आंखें छोटी करते हुए कहा
    " पागल हो गई हो "

    इरा ने चहकते हुए कहा
    " आपको वो वो क्या कहते है umm umm जादू हा जादू आता है आप कैसे हम से पहले यहां पहुंच गए वहां आप उस गंदे आदमी से लड़ रहे थे "

    इरा की मासूमियत भरी बाते सुन कर सबको हंसी आ रही थी और अर्णव की यकीन नहीं हो रहा था
    क्या ये लड़की सच मै इतनी पागल है इसे वहां खड़ा इतना बड़ा चॉपर नहीं दिखा और दिखा भी नहीं तो क्या इसका मतलब ये है कि वो उससे पहले नहीं पहुंच सकता "

    क्रिश ने अर्णव को चिढ़ाते हुए कहा

    "  आज की breaking news पहली बार king की जुबान हुई बंद एक अप्सरा जैसी दिखने वाली लड़की के मामूली से सवाल पर ओर सूत्रों से खबर मिल रही है king blush भी कर रहे है "
    तो जनाब अपने दिल को संभाल लो ये सीन को देख कर कही आपका दिल सीने मै उछल कूद ना करने लगे "

    वो आगे कुछ बोलता उससे पहले एक कुशन सीधे उसके मुंह पर आके लगा जो अर्णव ने फेंका था
    अर्णव ने गुर्राती आवाज में कहा
    " अपनी मासूमियत के मुखौटे के पीछे जो चालाक चेहरा है उसे मै बखूबी समझ सकता हूं
    मेरे सामने ये भोलेपन का नाटक करने की जरूरत नहीं है

    मीर शैलजा को कॉल करो
    मीर ने हैरानी से अर्णव को देखा क्योंकि इरा उसे सच में मासूम लग रही थी

    अर्णव ने उसे आंखे दिखाते हुए कहा
    सुनाई नहीं दिया मैने क्या कहा

    मीर ने हा मै सर हिलाते हुए जल्दी से किसी को कॉल किया
    अगले 5 मिनट बाद ही इक लड़की वहां आई जिसने बॉडी गार्ड जैसे कपड़े पहने थे
    और वो गुस्से में इरा का हाथ पकड़ कर उसे हथकड़ी पहनाने लगी

    इरा ने रोना चेहरा बना कर सबकी तरफ देखा जैसे वो उसे बचा लेंगे

    पर किसी ने उसकी तरफ नहीं देखा ओर इरा की मासूम नीली आंखों में आंसु आ गए

    उसने भरे गले से कहा

    " आ.. आई के पास जाना है इरा को.. सब... सब बुरे हो तुम.. म... मुझे.. मुझे नहीं जाना राजकुमार के पास आई.. कहा हो आप.. इरा को.. इरा को दर्द हो रहा है"

    इतना बोल ने के साथ ही इरा बुरी तरह सिसक उठी
    और ना चाहते हुए भी शैलजा की पकड़ ढीली होने लगी

    इरा की ऐसी आवाज ऐसी बाते सुन कर उसके दिल मै भी हल्का दर्द शुरू हो गया

    इरा के आंसु एक एक कर के बहने लगे

    इरा ने रोते हुए धीरे धीरे भी अपना बड बडाना बंद नहीं किया था

    " आ.. आई ले जाओ इरा को.. इरा को नहीं जाना कही"
    पूरी दुनिया बहुत गंदी है सब सब लोग गंदे हैं
    आई..!!!"

    शैलजा को ना चाहते हुए भी इरा को जबरदस्ती ले जाना पड़ा
    शैलजा ने इरा को अर्णव की बनाई स्पेशल जेल में बंद कर दिया था

    जहां आस पास ओर भी वैसे ही रूम बने हुए थे और उनमें कुछ आदमी जख्मी हालत में थे

    उन्हें देख कर इरा का दिल डर से कांप रहा था
    उसे सब बहुत डरावना और घुटन भरा लग रहा था

    और अचानक ही उसकी पूरी बॉडी बुरी तरह से शिविर करने लगी

    जिससे इरा ने अपने दोनों हाथों को खुद पर लपेट ते हुए धीरे से कांपते होठों से कहा

    " आ.. आई इरा को ठ... ठंड लग रही है ब.. बहुत तेज। "

    पर शायद उसकी आई इस वक्त उसके पास नहीं आ सकती थी

    इरा उस रूम के कोने में दुबक कर बैठ गई और दोनों घुटनो को मोड़ते हुए उन मै सर छुपाते हुए बस बार बार सुजाता को याद करने लगी

    क्योंकि जब भी इरा को कुछ होता था हमेशा सुजाता ही उसका ख्याल रखती थी वो भी तब जब सरोजनी आस पास नहीं होती थी

    इरा को इतनी तेज ठंड लगने लगी कि उसके होठ एकदम नीले पड़ने लगे....

    दूसरी तरफ

    Mumbai city hospital 🏥

    सुजाता इस वक्त हॉस्पिटल के बेड पर लेटी थी और उसके पास एक लड़की व्हाइट कोट पहने सुजाता के हाथ में लगे ग्लूकोस ड्रिप मै एक इंजेक्शन इंजेक्ट कर रही थी

    वो लड़की दिखने मै बेहद प्यारी लग रही थी
    सर पर पिंक दुप्पटा माथे के बीचों बीच छोटी सी काली बिंदी और होठों पर लिप बाम बस इतने मै ही उसकी सादगी निखर कर आ रही थी

    उसकी आंखे light purple थी जो उसे सबसे अलग बनाती है

    वो जैसे ही वहां से जाने को मुड़ी सुजाता की पलके फड़ फड़ा ने लगी

    और वो वहीं रुक गई



    सुजाता ने मुश्किल से अपनी आंखे खोलते हुए उस लड़की को देखा और फिर आस पास

    खुद को hospital मै पाकर सुजाता की आंखें फैल गई वो जैसे ही उठने को हुई उसे अपने हाथ में दर्द फील हुआ क्योंकि वहा ग्लूकोज ड्रिप की नीडल लगी थी

    उस लड़की ने सुजाता को फिर से बेड पर अच्छे से लेटा ते हुए कहा

    " अरे अम्मा शांत रहिए कहा जाना है आपको अभी आपकी तबियत ठीक नहीं है बिल्कुल भी"
    सुजाता ने हैरानी से उस लड़की को देखा तो उस लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा

    "

  • 7. Written in the stars - Chapter 7

    Words: 991

    Estimated Reading Time: 6 min

    अम्मा मेरा नाम मन्नत है मै एक डॉक्टर हु मै जब आज evening शिफ्ट देने आ रही थी हॉस्पिटल तो आप मुझे रास्ते में बेहोशी की हालत मै मिले थे"

    " कुछ हुआ था आपके साथ ?"

    मन्नत के इतना बोलते ही सुजाता की आंखों के सामने से मानिक और इरा का चेहरा घूम गया और सुजाता की आंखों में एकदम से पानी आ गया

    मन्नत सुजाता के पास बैठ कर उसका हाथ अपने हाथ मै लेते हुए बोली

    " क्या हुआ अम्मा ना आप कुछ बोल रही हैं और ऊपर से ये आंसु, कुछ हुआ है तो आप बताइए मुझे मै पुलिस कंप्लेन कर दूंगी कोई चोरी हुई है या आप बीमार रहती हो "

    मन्नत को बिलकुल सब्र नहीं था वो एक के बाद एक लगातार सुजाता के सामने सवालों की झड़िया लगा रही थी
    वही सुजाता के दिल में डर बैठा हुआ था उसे कभी ना कभी तो राजपूत हवेली के लोग ढूंढ ही लेंगे और साथ मै वो इरा की भी जान नहीं बचा पाई उसे भी उसकी आंखों के सामने मानिक उठा के ले गया

    उसने मन्नत का हाथ टाइटली पकड़ते हुए कहा
    " बे.. बेटा तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद तुम ने अनजान होते हुए भी मेरी जान बचाई पर.. पर मुझे यहां नहीं रुकना मेरे पीछे कुछ लोग पड़े हैं जिनका पुलिस कुछ नहीं बिगाड़ सकती ये ग्लूकोज निकालो तुम मुझे जाना है यहां से "

    मन्नत की आंखे छोटी हो गई

    " अम्मा किसी मै इतनी हिम्मत नहीं है जो इस हॉस्पिटल मै आकर दंगा कर पाए आप चिंता मत करो "
    सुजाता को समझ नहीं आ रहा था वो उसे कैसे समझाए

    सुजाता ने फिर से अपनी टूटी हुई आवाज में कहा

    " बेटा समझने की कोशिश करो वो लोग बहुत खतरनाक हैं पुलिस भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती भगवान के लिए मुझे इस हॉस्पिटल से जाने दो "


    मन्नत ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा

    " बहुत जिद्दी हो अम्मा.. पर ठीक है आप इस हॉस्पिटल से जा सकती हैं पर.."

    सुजाता ने जल्दी से कहा

    " पर क्या "
    मन्नत के एक स्माइल के साथ कहा " पर आपको मेरे साथ रहना पड़ेगा , मै अकेली रहती हु और आपको वहां कोई नहीं ढूंढ पाएगा "

    सुजाता ने कुछ सोचते हुए कहा

    " ठीक है "
    Devil's castle 🏯...

    अर्णव इस वक्त अपने कमरे में एक चेयर पर बैठा था उसके हाथ में ब्लैक कॉफी का एक मग था और उसके सामने एक फुटेज चल रही थी जिसमें ओर कोई नहीं बल्कि इरा थी

    जो ठंड लगने की वजह से बिल्कुल बेहोशी की कगार पर थी
    अर्णव की आंखे बुरी तरह गुस्सा उगल रही थी
    उसने अपने मन में कहा

    " हीटर ऑन हुए पूरा एक घंटा हो चुका है पर इस लड़की का नाटक अब तक खत्म नहीं हुआ है, सच मै काफी ट्रेनिंग ली है मानिक से, पर अर्णव के सामने बड़े बड़े चालबाजों ने घुटने टेके हैं ये 5 फूट क्या बिगाड़ लेगी मेरा "
    Evening 7 pm...
    Mumbai india
    Mumbai high way

    दो स्पोर्ट्स कार फुल स्पीड से दौड़ रही थी और कुछ इस तरह दौड़ रही थी जैसे दोनों कार्स मै एक दूसरे के जानी दुश्मन बैठे हो ...

    कभी black car 🖤आगे तो कभी gray 🩶
    आस पास चल रही गाड़ियों मै बैठे लोग उन्हें गालियां बक रहे थे
    पर उन दोनो को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था

    ओर एक टाइम पर दोनों गाड़िया एक दूसरे के बिल्कुल पास पास आ गई और ड्राइविंग सीट पर बैठे दोनों लड़कों की आंखे आपस मै मिली

    उनमें से जो ब्लैक कार ड्राइव कर रहा था उसकी आंखे " गहरी काली थी eye brow पर एक साइड हल्का सा कट लगा था माथे पर उसके बाल बिखरे थे जो उसके कान से कुछ नीचे तक लंबे थे जिनकी उसने हॉफ पोनी बना रखी थी

    वही दूसरे की आंखे light amber थी जिनमें कोई भी डूब सकता है

    कुछ ही देर मै फिर से उन cars के बीच कुत्तों बिल्ली वाली फाइट शुरू हो चुकी थी


    Star ✨ आइलैंड
    Devil's castle 🏯

    अर्णव इरा को देख देख कर फ्रस्ट्रेट हो चुका था वो उठा ओर gusse से चलते हुए castle से बाहर बने उस farm house मै चला गया जहां उसके कैदियों को रखा जाता है

    क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कोई इंसान हीटर के इतने ज्यादा टेंप्रेचर के बाद भी कैसे ठिठुरने की एक्टिंग कर सकता है

    वो जैसे ही अंदर गया वहां मौजूद सब लोग डर के मारे कांपने लगे थे

    उनको सबसे ज्यादा खौफ था किंग का.. ओर वो जब भी फॉर्महाउस आता है किसी न किसी की मौत पक्की होती है

    लेकिन फिलहाल अर्णव बिना किसी पर ध्यान दिए सीधा इरा के पास गया

    जहां इरा धीरे धीरे बोल रही थी उसकी आवाज बहुत ज्यादा धीमी थी
    और उसके होठों पर अब भी बस उसकी आई का नाम था जैसे वो अभी आके उसे वहां से ले जाएंगी

    अर्णव उसके पास जाकर एक घुटना मोड कर उसके बिल्कुल सामने बैठ गया और उसके बाल पकड़ते हुए उसके मासूम चेहरे को अपनी आंखों के सामने किया

    इरा का पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था
    उसने अपनी नीली आंखों को मुश्किल से खोलते हुए कहा
    " आ... आई..!"

    और अर्णव की आंखे छोटी हो गई अर्णव ने गुस्से से उसके बाल छोड़ते हुए सीधा उसका गला पकड़ लिया और दांत पीसते हुए बोला

    " ओवरएक्टिंग बंद करो समझी!!!""

    पर वो आगे कुछ नहीं बोल पाया क्योंकि इरा की बॉडी इतनी तेज तप रही थी कि अर्णव को अपनी हथेली पर जलन महसूस होने लगी

    और उसने इरा की गर्दन छोड़ दी
    और उसके ऐसा करते ही इरा निढाल हो कर वही फर्श पर गिर गई शायद बेहोश हो गई थी

    अर्णव को कुछ समझ नहीं आया कहा वो इसे सबक सिखाने आया था और ये लड़की अब उसके आते ही बेहोश हो गई

    अर्णव ने कुछ सोचते हुए उग्र को कॉल किया और डॉक्टर बुलाने को कहा और फिर गहरी सांस छोड़ते हुए इरा को अपनी बाहों मै उठा लिया

  • 8. Written in the stars - Chapter 8

    Words: 1042

    Estimated Reading Time: 7 min

    स्टार आइलैंड

    Devil 's castle 🏯

    Hall..

    हॉल मै सोफे पर इरा लेटी थी और एक फीमेल डॉक्टर उसे चेक कर रही थी

    अर्णव क्रिश और मीर वही साइड मै खड़े थे और बाकि उग्र ओर उसकी डायन सीवी दोनों किचन में कुकिंग कर रहे थे

    क्रिश ने धीरे से मीर के कान मै कहा
    " ये क्या हो रहा है इस devil मै angle आ गई क्या? अपने दुश्मन का इलाज wah wah"

    मीर ने क्रिश को एक चपत लगाते हुए कहा
    " कमिने वो बच्ची है दिख नहीं रही तुझे कितनी मासूम सी तो है"

    क्रिश को हंसी आ गई..

    अर्णव ने घूरते हुए दोनों की तरफ देखा तो क्रिश ने जबरदस्ती अपनी हंसी रोकते हुए मीर से फिर से कहा

    " तुझ से ज्यादा छोटी नहीं लग रही मुझे खुद को बहुत बड़ा आदमी समझता है तू पूरे 22 साल का है समझा आया बड़ा बच्ची है "

    मीर ने जाड़ भींच ते हुए कहा
    " हा छोटा हुआ तो क्या हुआ तूने  26 का होके कौनसे तीर मार लिए तेरे से तो ज्यादा मैच्योर हु"
    क्रिश ने puppy face बनाते हुए कहा

    " Ohh really my baby boy"
    Just set up idiots

    अर्णव ने गुस्से मै गुर्राते हुए कहा

    तो दोनों की बोलती बंद हो गई
    और वो डॉक्टर इरा को अब तक चेक कर चुकी थी उसने अर्णव की तरफ देखते हुए कहा

    " King ये डर के कारण बेहोश हो गई और शायद फीवर भी इसी वजह से आया है "

    इसे बहुत बड़ा ऐसे शोक लगा हो ऐसा कुछ हुआ है अभी या फिर इसने कुछ पहली बार देखा हो?

    अर्णव ने गहरी सांस छोड़ ते हुए कहा

    " आप जा सकती हैं हम संभाल लेंगे"
    डॉक्टर सर झुकाते हुए एक बार अर्णव को ग्रीट करती है और वहा से चली जाती है

    अर्णव वही उस सोफे के सामने लगे दूसरे सोफे पर बैठ जाता है और तिरछा मुस्कुराते हुए बोलता है

    " मानिक मल्होत्रा जिसे मेरी तबाही बोल रहा था वो मेरे इस विला को देखने भर से बुखार मै तप रही है इंट्रेस्टिंग वरी मच इंट्रेस्टिंग"

    क्रिश उसके बगल में बैठते हुए बोला

    " King लोग इतना जल्दी तो दोस्त पर विश्वास नहीं करती जितना तुमने अपने दुश्मन पर कर लिया है उसने बोला और तुमने मान लिया "

    I don't think so ऐसा कुछ है !
    अर्णव ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा
    " लेट्स सी क्या है और क्या नहीं क्योंकि इस अग्नि परीक्षा से तो इसे गुजरना होगा चाहे ये गुनहगार हो चालबाज हो या कोई मामूली बेगुनाह इंसान "
    कुछ देर बाद हॉल मै एक साथ दो लोगों की एंट्री होती है ये है
    " अरहान ओझा और फरमान दुर्रानी "

    ये दोनों भी devil's gang के मेंबर हैं..
    फरमान की आंखे light amber थी वही अरहान की deep black..

    वो दोनो आए और एकदम से क्रिश और मीर के गले लगते हुए बोले

    " I miss you my cuties.. "

    वो इतनी तेज चिल्लाए कि बेचारी इरा जो हल्की होश मै आई थी जागते हुए एकदम से हड़ बड़ा गई और सोफे से नीचे गिर गई...

    इतने मै CV और उग्र भी हाथो मै खाने की प्लेट लेकर आए और उसे डाइनिंग टेबल पर रखने लगे

    फरमान और अरहान दोनों की नजरे एक साथ इरा पर गई जो अब डरते हुए उन सब को देख रही थी

    अर्णव भी गर्दन टेढ़ी करते हुए उसे ही देख रहा था...

    सबकी नजरे खुद पर महसूस कर के तो उसका डर से गला सुख गया था
    उसका निचला होठ हल्का सा बाहर निकला हुआ था जैसे वो अब ही रोने वाली हो

    अरहान ने आंखे छोटी करते हुए कहा

    " तुम लोगों ने बच्चों का किडनैपिंग बिजनेस कब से चालू कर दिया बे"
    मीर ने उसका साथ देते हुए कहा

    " हा मै कब से यही तो समझा रहा हूं कि ये बच्ची है "
    अरहान ने हंसते हुए कहा

    " छोटे तुझसे नहीं पूछा मैने "

    अर्णव ने इरा को घूरते हुए कहा

    " Get up!!!'

    पर इरा आंखे टीम टीमा कर उसे देख रही थी क्योंकि उसे समझ नहीं आया अर्णव ने क्या कहा ...

    फरमान ने धीरे से कहा

    " शायद उसे इंग्लिश नहीं आती "
    अर्णव ने गुस्से से दो उंगली अपने माथे पर रब करते हुए कहा
    "
    " मैने कहा उठो यहां से "
    और इरा एकदम से डरते हुए खड़ी हो गई

    उसके घुटने डर के मारे कांप रहे थे

    उसकी नज़रे बस किसी ऐसे को तलाश रही थी जो उसकी मदद कर सके वो डरते हुए बारी बारी से सबको देख रही थी

    अचानक ही उसकी नजर CV पर पड़ी और वो भागते हुए उसके करीब चली गई और उसकी बाजू पकड़ते हुए बोली

    " ई इरा को नहीं रहना यहां हमे हमें आई के पास छोड़ आओ "
    ...
    उसकी इस हरकत पर अर्णव की मुट्ठियां गुस्से में कस गई
    CV को इरा को इस तरह रोते देख कर बहुत बुरा लग रहा था पर उसके हाथ बंधे थे वो अपने लीडर के ऑर्डर के बिना किसी दुश्मन की तरफदारी तो हरगिज नहीं कर सकती थी...

    अर्णव ने किसी राजा की तरह एक पैर पर दूसरा पैर चढ़ा कर सोफे पर फैल कर बैठते हुए एक सिगरेट जलाई और उसके लंबे कस भरते हुए बोला

    " Miss छुईमुई come to me.."

    इरा अब भी CV का हाथ कस कर पकड़े थी जिसे cv ने जबरदस्ती छुड़ा लिया था

    अर्णव ने फिर से तेज आवाज में कहा

    " छुईमुई इधर आओ मुझे तुमसे कुछ पूछना है उसका जवाब दे दो मै तुझे तेरी आई के पास खुद छोड़ कर आऊंगा "

    इरा ने जैसे ही ये सुना उसके होठों पर एक मासूम मुस्कान तैर गई और वो CV को छोड़ कर तेज कदमों से चल कर अर्णव के सामने खड़ी हो कर बोली

    " पूछो पूछो जल्दी पूछो मेरी आई मेरा इंतजार कर रही होगी और साथ मै इरा को भूख भी लगी है आई के पास जाकर खाना भी खाना है "

    इरा ये सब बिलकुल बच्चों वाले अंदाज मै बोल रही थी

    अरहान ने धीरे से अर्णव के कान मै कहा

    " कही मेंटली डिस्टर्ब तो नहीं है ये लड़की "
    फरमान ने उसका साथ देते हुए कहा

    " हा मुझे भी यही डिसऑर्डर लग रहा है इसे बिल्कुल 4 - 5 साल के बच्चे की तरह बिहेव कर रही है "

  • 9. Written in the stars - Chapter 9

    Words: 1210

    Estimated Reading Time: 8 min

    इरा को सब इस तरह देख रहे थे जैसे वो कोई एलियन हो !
    इरा ने उम्मीद भरी नजरो से अर्णव को देखते हुए कहा

    " अब पूछ भी लो राजकुमार क्या पूछना है "
    राजकुमार सुन कर तो अर्णव की बोहे तन गई थी
    पर उसने गहरी आवाज मै कहा
    " तुम मानिक मल्होत्रा के लिए क्या कर रही थी और क्या रिश्ता है तुम्हारा उसके साथ "

    इरा ने तीन चार बार अपनी पलके झपकाते हुए कहा
    " मानिक मल्होत्रा.. कौन है ? "

    और सब को एक साथ हंसी आ गई पर अर्णव का गुस्सा आसमान छू रहा था उसने दांत पीसते हुए कहा
    " ज्यादा भोली बनने का नाटक मत करो छुईमुई तुम्हारे लिए ये बहुत महंगा पड़ सकता है "

    इरा ने उसकी गुस्से भरी इतनी तेज आवाज सुन कर सहमते हुए कहा
    " पर मैं तो कुछ खरीदती ही नहीं जो आई देती है वहीं लेती हु तो कैसे महंगा पड़ेगा "
    क्रिश ने कहा
    " बाय गॉड ये मुझे सच मै पागल लगती है इसे टॉर्चर करके किंग को कुछ नहीं हासिल होने वाला  "
    मीर ने उसका साथ देते हुए कहा
    " हा मुझे भी यही लग रहा है "

    अर्णव सबसे ज्यादा ये आई वर्ड सुन सुन कर इरिटेट हो चुका था उसने मीर की तरफ देखते हुए कहा

    " इसकी आई का पता लगाओ कौन है कहा रहती है और क्या करती है "
    अर्णव की बात सुन कर मीर ने कहा

    " पर कैसे पता चलेगा कि किस ए बोल रही है और वह औरत कहां रहती है कैसी दिखती है हमें तो इसका भी नहीं पता है यह कौन है और कहां से आई है "

    अर्णव ने ईरा को घूरते हुए कहा
    "  यह खुद बताएगी इसकी ए कैसी दिखती है एक स्केच आर्टिस्ट को बुलाओ "

    ईरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह बस पलक झपकाते हुए कभी इधर देख रही थी तो कभी उधर
    उसे अरनव से एक उम्मीद मिली थी कि वह उसे उसकीआई के पास छोड़कर आएगा पर अरनव तो उसे डांटे ही जा रहा है

    ईरा ने धीरे से कहा  " क्या मैं आई से नहीं मिल सकती हूं " 

    अर्णव उस से बिल्कुल इरिटेट हो चुका था वह अपने माथे को अपने हाथ से रब करते हुए  जाड़ भींच कर बोला
    " तुझे पता है तेरी यही कहां रहती है या इस वक्त कहां है  "

    ईरा ने मासूमियत से ना मै है सर हिलाते हुए कहा
    " नहीं मुझे नहीं पता है उस गंदे  आदमी ने धक्का दिया था उनको जिससे वो गिर गई और फिर वो आई को सड़क पर छोड़ आया था इसके बाद आई वहीं गिरी हुई थी मैंने उसे नहीं देखा उसके बाद "

    उसकी इस बात पर अर्णव ने चिल्लाते हुए कहा
    "  तो फिर कहां से मिलेगी तू अपनी आई से जब तुझे पता ही नहीं है कि वह है कहां "

    ईरानी आंखें बड़ी करते हुए कहा
    "  पर आप तो राजकुमार होना आपको पता होगा मेरी आई कहां पर है क्योंकि उन्होंने ही तो भेजा होगा आपको मुझे बचाने के लिए "

    अरहान ने हंसते हुए कहा
    "  भाई साहब इसकी तो अलग ही कहानी चल रही है इसको लग रहा है तू इसका राजकुमार है जो इस मुसीबत से बचाने आया था वाह क्या विचार है दिव्य देवी आपके

    ईरा ने आंखें छोटी करते हुए कहा
    " मेरा नाम ईरा है दिव्य देवी नहीं "
    क्रिश ने हंसते हुए कहा
    " मुझे सच में लग रहा है इसका स्क्रु ढीला है "
    फरमान ने कहा
    " ढीला नहीं है भाई कहीं गिर चुका है निकल कर तभी तो ऐसी बहकी बहकी बातें कर रही है "

    वही उग्र ने स्केच आर्टिस्ट को कॉल कर दिया था
    कुछ पल की शांति के बाद सीवी ने कहा
    " अब ये खाना ठंडा हो जाएगा खा लो सब मै फिर से गर्म कर के नहीं दे रही "

    सब जल्दी जल्दी डाइनिंग टेबल पर बैठ गए
    वही इरा मासूमियत से होठों पर जीभ फेरते हुए उन्हें देख रही थी

    CV ने एक नजर अर्णव को देखते हुए कहा
    " King शायद उसे भी भूख लगी है "
    इरा ने जल्दी से कहा
    " हा हा इरा ने सुबह से कुछ नहीं खाया "

    अर्णव ने उसकी बात सुन कर मुड़ते हुए उसकी तरफ देखा और वो जिस गुस्से मै उसे घूर रहा था... इरा का मासूम चेहरा उतर गया और उसने नजरे झुकाते हुए कहा

    " ऐसे.. ऐसे डराओ मत इरा को... न.. नहीं लगी है भूख आप खा लो... बच जाएगा तो इरा खा लेगी "

    मीर अरहान सीवी और क्रिश को इरा के लिए दिल से बुरा लग रहा था अब तो वो जल्द से जल्द सच का पता लगाना चाहते थे

    बाकी फरमान अर्णव और उग्र तीनों के दिल मै सिर्फ अपनों के लिए इमोशंस है गैरों के लिए वो बिलकुल हार्टलेस हैं

    इरा अब उनकी तरफ देख भी नहीं रही थी वही अर्णव के डर से बाकी किसी मै भी हिम्मत नहीं थी कि वो इरा को खाने के लिए बोल सके

    कुछ देर बाद उनका खाना फिनिश हो चुका था और मीर तुरंत उठते हुए बोला

    " अब आ गई होगी स्कैच आर्टिस्ट मै बनवाता हु स्कैच"

    इतना बोल कर मीर इरा की तरफ आया और हल्की सी मुस्कुराहट के साथ बोला
    " चलो मेरे साथ..."

    इरा ने एक नजर मीर को देखा और फिर जल्दी से मीर का एक हाथ पकड़ते हुए बोली

    " Hmm चलो "

    इरा का हाथ मीर के हाथ पर देख कर अर्णव के जबड़े कस गए और अगले ही पल वो उठा और एक झटके से इरा की 3बाजू पकड़ कर उसे 4मीर से अलग करते हुए बोला

    " इतने प्यार से नहीं मीर baby..."

    और फिर इरा को देख कर " and you छुईमुई तुम्हे सिर्फ अर्णव संभाल सकता है चलो मेरे साथ.."

    इतना बोल कर वो उसे उस विला के बाहर ले गया

    गार्डन मै एक स्कैच आर्टिस्ट डरते हुए अर्णव के बॉडी गार्ड को देख रहा था क्योंकि उसे जबरदस्ती यहां लाया गया था

    क्योंकि जो कोई डेविल्स विला मै एंट्री लेता है बहुत चांसेज होते है कि वो मुर्दा ही वहां से लौटेगा

    अर्णव ने एक झटके से इरा को वहा छोड़ा और जेब में हाथ डालते हुए उस स्केच आर्टिस्ट को घूरते हुए बोला

    " अगले 15 मिनिट मै उस लेडी का स्केच रेडी होना चाहिए समझे"

    उस लड़के ने डरते हुए धीरे से हा मै सर हिला दिया और समान निकालने लगा जो जो उसे चाहिए था

    इरा बहुत बारीकी से अब उसे देख रही थी..
    की वो कैसे क्या कर रहा है

    उस लड़के ने एक चार्ट निकाला जिसमें बहुत सारे eye शेप थे उसने इरा को देखते हुए पूछा कैसी थी उनकी आंखे...

    इरा ने एक तरफ इशारा किया और वो आर्टिस्ट अपने काम मै लग गया..

    Eye complete होने के बाद उसने एक ओर चार्ट eye ब्राउज का निकाला तो इरा इरिटेट होते हुए बोला

    " इरा को भी करना है इरा खुद आई की तस्वीर बनाएगी"

    उस लड़के ने डरते हुए अर्णव को देखा जो अब कुछ दूरी पर किसी से कॉल से बात कर रहा था

    इरा ने बच्चों सा मुंह बनाते हुए कहा

    " बना ने दो ना "

    तो उस लड़के ने पेंसिल इरा के हाथ मै दे दी और इरा ने स्केच बनाना शुरू कर दिया
    "

  • 10. Written in the stars - Chapter 10

    Words: 935

    Estimated Reading Time: 6 min

    कुछ ही मिनटों में इरा ने बहुत ही खूबसूरती से बिना किसी मिस्टेक के सुजाता का स्कैच रेडी कर दिया था
    अर्णव हैरानी से इरा को देख रहा था जो अब उस स्कैच को देख देख के खुश हो रही थी और अचानक ही वो तालिया बजाते हुए बोली
    " Yeah!!!! इरा ने बना दिया आई का चित्र "
    उस लड़के ने डरते हुए अर्णव की तरफ देखा कही उसका गुस्सा अब उस पर ना फूट पड़े पर अर्णव तो हैरानी से इरा को ही देख रहा था
    क्या सच मै उसकी कैचिंग पावर इतनी अच्छी है?
    एक बार देखा और उसे बनाना आ गया

    कुछ देर बाद अर्णव ने मीर को बुलाया और समझाते हुए कहा
    "इस औरत को जल्द से जल्द ढूंढो"

    मीर बिना कोई सवाल किए वो स्केच अपने हाथ मै लेते हुए वहा से चला गया...

    अब तक दिन भी ढल आया था...

    वही इरा का मुंह उतरा हुआ था उसे भूखे रहने की आदत थी पर हमेशा उसका रोने का मन करता है जब जब वो भूखी रहती है

    अर्णव ने एक नजर उसे देखा और उसका हाथ पकड़ते हुए उसे अंदर को तरफ ले गई

    जहां अब सब लोग  ड्रिंक करने की तैयारी कर रहे थे...
    क्योंकि डिनर हमेशा शाम के वक्त ही हो जाता है...

    अर्णव ने सबको इग्नोर किया और इरा को सीढ़ियों से ऊपर की तरफ ले गया...

    फरमान ने आंखे छोटी करते हुए कहा
    " अब क्या चल। रहा है इसके दिमाग मै?"

    क्रिश ने एक शिप लेते हुए कहा

    " टेस्टिंग कर रहा है शायद  "

    ओर सबने हा मै सर हिला दिया
    उग्र हाथ मै लैपटॉप लिए बैठा था क्योंकि इन सब के बीच वही एक साधु था जो ड्रिंक नहीं करता...
    ओर उसकी पूर्ति पूरी पूरी सीवी करती है

    वो उन सबसे ज्यादा एल्कोहोलिक है..

    अर्णव ने एक कमरे के अंदर लेकर इरा को एक 3झटके से छोड़ते हुए कहा

    " छुईमुई.. तुम इस रूम को एंजॉय करो जब तक तुम्हारी आई नहीं मिल जाती"

    इरा ने कन्फ्यूजन से अर्णव को देखा और वो कुछ bopne को हुई उससे पहले ही अर्णव ने झटके से रूम बंद कर दिया और इरा एकदम से डर गई
    अर्णव वहां से निकल कर अपने मास्टर बेड रूम मै आता है जो ग्रे कलर से पेंट था बेड शीट ब्लैक थी कार्पेट लाइट रेड...
    ये कॉम्बो काफी अच्छी वाइब दे रहा था और उसके रूम मै अजीब सी शांति थी जो अर्णव के लिए सुकून था

    अर्णव रोलिंग चेयर ओपन करते हुए अपना कंप्यूटर ऑन करता है जिसमें उस रूम की सीसीटीवी फुटेज चल रही थी जिसमें अर्णव ने इरा को बंद किया था

    अर्णव की शार्प आइज इरा की हर छोटी हरकत पर बारीकी से नजर रख रही थी

    वही इरा को डर लग रहा था पर अक्सर उसे अंधेरे में रहने की आदत थी...
    उसने हल्के डर के साथ घुटने मोड़ लिए और दीवार से टेक लगा कर अपनी सहमी नजरो से इधर उधर देखने लगी

    उस कमरे हल्की रेड लाइट जल रही थी जो उसे हल्की डरावनी वाइब दे रही थी

    इरा ने घुटनो मै चेहरा छिपाते हुए अपने पेट को अपने हाथों से पकड़ लिया क्योंकि उसको भूख लगी थी

    उसने धीरे धीरे सिसकते हुए कहा

    " आई इरा को भूख लगी है आप आ जाओ "

    इसी लाइन को वो कई बार दोहराती रही और अचानक ही वैसे ही बैठे बैठे लुढ़क गई क्योंकि शायद उसे नींद आ गई थी

    अर्णव ने अपनी चेयर पर पीछे सर टिका लिया और आंखे बंद करते हुए अब तक हुए हर उस इंसीडेंट को याद करने लगा जो जो इरा के साथ हुआ था.....

    दूसरी तरफ सब टल्ली हो कर अपने कमरे मैं जा रहे थे
    वही उग्र ने सीवी को अपनी बाहों मै भर रखा था और उसे उसके रूम मै छोड़ने जा रहा था

    इन सब मै मीर नहीं था जो सुजाता को ढूंढने के लिए निकल गया था

    उग्र ने सीवी को उसके बेड पर आराम से लेटा कर उसके पांव से सैंडल उतारी और उसके गले मै पड़ा एक छोटा सा पेंडेंट निकालते हुए उसे बिल्कुल comfy pose मै सुला देता है पर जैसे ही जाने लगता है सीवी उसका हाथ पकड़ कर अपनी नशीली निगाहों से उसे घूरती हुई लड़ खड़ा ती जुबान मै बोली

    " कहा.. चले मिस्टर उग्रवादी , इस सीवी को कब अपनी बीवी बनाओगे ? Hmmm "

    उग्र ने मुड़ कर सीवी के हाथ को देखा जिसने उसकी शर्ट को अपनी मुट्ठी मै भर रखा था...

    उग्र की आंखो मै हल्की खुमारी आ चुकी थी उसने झुकते हुए हल्के से सीवी के फॉर हेड पर किस्स करते हुए कहा

    " तुम्हे पता है ड्रिंक करने के बाद तुम्हारी आवाज.. मुझ पर सो बोतलों का नशा चढ़ा देती है और मैं अपनी बाउंड्री क्रॉस नहीं करना चाहता मिस चुड़ैल "

    सीवी को तुरंत कुछ याद आया और उसने कस कर उसकी कॉलर पकड़ते हुए कहा

    " क्या बोल रहे थे तुम सब को.. hmm... मुझसे शादी नहीं करोगे मै चुड़ैल जैसी लगती हूं और बाकि सब अप्सराएं hmm "

    ये बोलते वक्त वो काफी क्यूट लग रही थी..
    पर उग्र ने अपने इमोशंस पर कंट्रोल करते हुए उसके हाथ हल्के से अगल करते हुए कहा
    " नहीं.. मुझे चुड़ैल ही पसंद है अब ठीक है सो जाओ अब hm "

    वो जैसे ही निकलने के मुड़ा अचानक क्रिश ने दरवाजे पर आकर उसकी तरफ eye wink करते हुए कहा

    " एंजॉय योर नाइट विद योर मिस चुड़ैल "

    इतना बोल कर उसने दरवाजा बाहर से लोक  कर दिया और उग्र बस उसे घूरते रह गया

    वो किसी तूफान की स्पीड से आया था और तूफान की स्पीड से वापस चला भी गया उग्र को फंसा कर

  • 11. Written in the stars - Chapter 11

    Words: 1224

    Estimated Reading Time: 8 min

    उग्र ने पीछे मोड़ते हुए व की तरफ देखा जो अभी नशीली निगाहों से एक तक उसे घूम रही थी

    उग्र ने सोफे की तरफ जाते हुए बोला
    " ऐसे क्यों घूर रही हो खाने का इरादा है क्या मुझे  "

    शिवनी बेड पर कडल करते हुए पेट के बल लेटते हुए कहा
    "  एक बार इजाजत तो दो रुकने को कहोगे तब भी नहीं रुकूंगी "

    उग्र ने सोफे पर लेटते हुए कहा
    " कितनी बेशरम चुड़ैल हो तुम "

    सीवी ने एक स्माइल करते हुए कहां
    " हु तुम लेकिन सिर्फ तुम्हारे लिए  उग्रवादी "

    इतना कह कर वह बेड से उठ गई और उग्र की तरफ बढ़ गई

    जिसे देखकर उग्र की आंखें हैरानी से फैल गई और उसने झट से सोफे पर से उठाते हुए कहा
    "  अरे नहीं मेरे पास मत आओ "

    सीवी ने उसके सीने पर हाथ रखते हुए उसको फिर से सोफे पर लेटा दिया और फिर उसके ऊपर पूरी तरह लेटते हुए बोली

    " यह तो तुम्हें मेरे पास आने से पहले सोचना चाहिए था अब एक बार तो मेरे पास आ चुके हो तो मैं तो हर बार तुम्हारे ही पास आऊंगी"


    इतना बोलने के साथ-साथ ही सीवी की पलके भारी हो रही थी क्योंकि उसने शायद कुछ ज्यादा ही नशा कर लिया था और कुछ ही पलों में नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया था

    और वह उग्र की गर्दन में अपना चेहरा छुपाते हुए सुकून से सो गई

    उग्र के चेहरे पर भी एक स्माइल आ गई उसने भी व को टाइट हग करते हुए उसके फोर हेड पर किस किया और अपनी आंखें बंद कर ली

    वही इरा के सोते ही अरनव उठा और उस रूम में वापस गया उसने इरा के चेहरे पर आए बालों को पीछे करते हुए इरा के मासूम से चेहरे को देखा जो डर के कारण कुछ ज्यादा ही मायूस लग रहा था उसके गालों पर आंसुओं के निशान बने हुए थे

    अर्णव ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए उसे अपनी बाहों में उठा लिया और अचानक की उसकी आंखों में हैरानी आ गई और उसने अपने मन में कहा
    "  इस लड़की में रुई जितना भी बोझ नहीं है छुईमुई नाम मैने बिल्कुल सही रखा है इसका  "

    कुछ ही पलों बाद अर्णव अपने कमरे में था उसने ईरा को आहिस्ता से अपने बेड पर सुलाया और फिर उसका टेंपरेचर चेक किया और जैसा कि उसे उम्मीद थी इरा का टेंपरेचर बहुत हाई था जिसका साफ मतलब था उसे फिर से फीवर हो गया है अर्णव ने कुछ सोचकर पास रखे जग के पानी से अपने रुमाल को भीगाते हुए इरा के माथे पर रख दिया ताकि उसका टेंपरेचर कुछ कम हो जाए

    वही मीर पूरे मुंबई शहर मै सुजाता को ढूंढते ढूंढते थक चुका था उसे वो कही नहीं मिली इसलिए उसने अब किसी होटल मै रुकने का सोचा

    आज बिन मौसम बरसात भी होने लगी थी मीर की पलके नींद के कारण बार बार झपक रही थी

    सामने लगे कांच पर पानी गिरने से सब धुंधला नजर आ रहा था और अचानक ही उसकी कार एक खंभे से जा टकराई
    मीर का सर स्टेयरिंग से टकराया और वहां से खून निकलने लगा

    " Shit ये भी अभी होना था "
    मीर ने अपना सर पकड़ते हुए कहा

    उसने अपनी पॉकेट से फोन निकाला और फरमान को कॉल लगा दिया

    " हेलो "

    सामने से फरमान ने नींद भरी आवाज मै कहा

    " हा वो....."

    मीर बोलते बोलते अचानक रुक गया क्योंकि उसकी कार की खिड़की पर एक लड़की बार बार नॉक कर रही थी

    मीर को बस उसके हाथ मै झूलता खूबसूरत ब्रेसलेट दिख रहा था

    मीर ने शीशा नीचे किया तो उस लड़की ने छाते को अपने चेहरे से ऊपर उठाते हुए मीर को देखा
    और मीर की नजर जैसे ही उसकी कजरारी आंखो पर पड़ी वो भूल ही गया कि उसके सर पर चोट लगी थी या वो किसी से बात कर रहा था
    ऐसे लग रहा था उसे जैसे सारा जहां एकदम से रुक गया हो और उसके सामने वो खूबसूरत लड़की ही हो

    उस लड़की ने उसकी आंखो के सामने हाथ हिलाते हुए कहा

    " हेलो मिस्टर मै आप से ही बात कर रही हु आपको कुछ सुनाई दे रहा है "

    ये लड़की और कोई नहीं बल्कि मन्नत थी जो हॉस्पिटल से अपने अपार्टमेंट पर ही जा रही थी

    फोन की दूसरी साइड से फरमान
    हेलो हेलो बोल बोल कर थक चुका था पर मीर की कोई आवाज नहीं आ रही थी लेकिन उसे मन्नत की आवाज सुनाई दे रही थी और फरमान ने एकदम से अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा
    " क्या बे तू भी गया एक लड़की के चक्कर में सारे लड़के बिगड़ चुके हैं
    इस गैंग का नाम डेविल्स गैंग की जगह फ्लर्टी गैंग होना चाहिए था एक से बाद एक नमूना भरा पड़ा है "

    इतना बोलकर उसने फ्रस्ट्रेशन में कॉल कट कर दिया और फिर से सो गया
    वही मन्नत ने एक बार फिर मीर के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे हिलाते हुए कहा
    " मिस्टर क्या आपको सुनाई नहीं देता है  "

    मीर एकदम से होश में आते हुए बोला  " जी जी कहिए मोहतरमा आपको कोई काम है मुझे  कोई मदद चाहिए "

    मन्नत ने आंखें छोटी करते हुए कहा
    " जी बिल्कुल नहीं आपकी ऐसी हालत नहीं है कि आप किसी की मदद कर सको फिलहाल आपको मदद की सख्त जरूरत है "

    इतना बोलकर मन्नत ने मिर का हाथ पकड़ा और उसे कार से बाहर निकाल लिया मीर भी बिल्कुल किसी पतंग की तरह उसके साथ खींचता चला गया मन्नत ने उसके हाथ में छाता पकड़ाते हुए कहा

    "  यह लो इसे पकड़ो वरना तुम्हारी चोट पर बारिश का पानी गिर जाएगा  " मिर ने बिल्कुल वैसा ही किया वह मन्नत की हर बात आंख मिचकर मान रहा था मन्नत उसे खींचते हुए लेजा रही थी

    मीर के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और यह उसे खुद भी नहीं पता था कि वह हंस भी रहा है

    कुछ ही देर में मन्नत का अपार्टमेंट आ चुका था मन्नत नहीं डोर बेल बजाई और सामने से सुजाता ने दरवाजा खोला

    वीर का ध्यान अब भी सिर्फ मन्नत पर था उसने सामने देखा कि नहीं की जिसे वह पूरे शहर में ढूंढ रहा था अब वह उसके सामने है मन्नत ने उसे अंदर ले जाते हुए सोफे पर बैठाया तो सुजाता ने हैरानी से कहा बेटा यह कौन है

    मन्नत ने एक नजर मिर को देख कर अपने गले से दुप्पटा निकाल कर गिले बालों को झटकते हुए
    ".कहा पता नहीं कौन है आई पर सर पर देखो कितनी चोट लग गई है इनकी कार खंभे से टकरा गई थी यही पास में तो मैं अपने साथ ले आई पट्टी करके इनको वापस भेज देंगे और एक मैकेनिक भेज देंगे इनकी कार के पास ताकि  वो उसे ठीक कर दे  "

    सुजाता ने हल्की मुस्कान के साथ हा मै सर हिलाते हुए
    " कहा ठीक है तुम उनकी पट्टी करो मैं खाना लगती हूं  "
    मन्नत ने एक स्माइल के साथ कहा  "  जी आई  "

    मन्नत अंदर गई और पांच ही मिनट बाद कपड़े चेंज करके आई

    अब वो और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसने इस वक्त टीशर्ट ओर पजामा पहन लिया था और बालों को खोल लिया था जो उसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रहे थे

    उसने फर्स्टेट बॉक्स साइड मै रखा और सोफे पर मीर के पास बैठ गई

  • 12. Written in the stars - Chapter 12

    Words: 2098

    Estimated Reading Time: 13 min

    अर्णव एक पल के लिए आँखें बंद करते हुए गहरी साँस लेता है, और फिर धीमे कदमों से इरा के पास जाता है और उसकी वह ड्रेस अपने हाथ में लेते हुए, पहले तो उसको सीधा करता है जिसको इरा ने देखने के लिए उल्टा कर दिया था, फिर वह उसे हाथ में पकड़ते हुए कहता है, "इसमें गला डालना है, इसमें हाथ, फिर यह तुम्हारे घुटनों तक आ जाएगी। उसके बाद पीछे से यह चैन लगानी है और यह डोरी बांधनी है।"

    इरा बार-बार आइस को ब्लिंक करते हुए अर्णव के सारे इंस्ट्रक्शन सुन रही थी, पर सब कुछ सौ की रफ़्तार से उसके सर के ऊपर से गुज़र चुका था। उसने कहा, "ऐसे कपड़े कौन बनाता है? मुझे अभी नहीं समझ आया, इसमें पाँव डालने के लिए जगह नहीं है।"

    क्योंकि इसके साथ नीचे पहनने के लिए कुछ नहीं था।

    अर्णव ने अफ़सोस से अपना माथा पीट लिया, और फिर एक गहरी साँस छोड़ते हुए बोला, "अपना टॉवल हटाओ, मैं पहनता हूँ।"

    इरा ने बिना एक पल गँवाए अपना टॉवल हटा दिया। उसने इस वक़्त व्हाइट कलर की ब्रॉलेट पहनी थी, जिसमें उसका दूध सा रंग और भी ज़्यादा निखरकर खूबसूरत लग रहा था, और ठंडे पानी से नहाने की वजह से उसका बदन हल्का गुलाबी हो चुका था, जो और ज़्यादा खूबसूरत लग रहा था।

    अर्णव ने अपनी नज़रें झुकाईं उसे इरा को देख कर अपना गला सूखता हुआ महसूस हो रहा था। और फिर इरा के गले में वह ड्रेस डालते हुए धीरे से बोला, "अपने हाथ इधर की साइड डालो।" इरा ने वैसा ही किया जैसा अर्णव ने कहा, और कुछ ही वक़्त में उसने वह खूबसूरत पिक नी लेंथ फ्रॉक पहन ली थी। फिर अर्णव ने एक गहरी साँस छोड़ते हुए कहा, "पीछे घूमो।" और इरा बिल्कुल किसी बच्चे की तरह एक्साइटमेंट में जल्दी से पीछे घूमते हुए बोली, "जल्दी करो दानव, मुझे खुद को मिरर में देखना है, मैं कैसी लग रही हूँ? मैंने ऐसे कपड़े आज से पहले कभी नहीं पहने।"

    अर्णव ने गहरी साँस लेते हुए अपनी आँखें उठाकर इरा की पीठ को देखा और अचानक ही उसकी आँखें छोटी हो गईं, क्योंकि उसकी पीठ पर एक नीला निशान बना हुआ था, जैसे किसी ने चाबुक चलाया हो। अर्णव की उंगली अपने आप ही उसे छूने के लिए बढ़ गई। उसने जैसे ही आहिस्ता से अपनी उंगली से इरा की पीठ को छुआ, इरा चिहुंकते हुए बोली, "अरे दानव, क्या कर रहे हो वहाँ? मुझे काकी सा ने मारा था। मैंने तुम्हें बताया था न कि एक काकी सा बिल्कुल तुम्हारी तरह मुझे बहुत डाँटती है, और तुम्हारी तरह पनिशमेंट देती है।"

    अर्णव को याद आया थोड़ी देर पहले इरा कैसे रोने लगी थी। इसलिए उसने जल्दी से फ्रॉक को पीछे से चैन लगाकर बांधते हुए कहा, "फिर से रोने मत लग जाना, ठीक है? मैं नहीं पूछ रहा तुमसे कुछ भी।" इरा ने भागते हुए मिरर के सामने खड़े होकर खुद को देखा और फिर खुशी से गोल-गोल घूमते हुए बोली, "अरे, मैं तो बिल्कुल राजकुमारी जैसी लग रही हूँ।"

    उसे इस तरह खुश देखकर पता नहीं क्यों पर अर्णव ने एक सुकून की साँस ली, जैसे इतनी देर से उसकी चोट को देखकर, उसकी बातों को देखकर उसकी साँसें गले में ही अटकी हुई थीं। अब इस तरह उसे खुश देखकर उसे थोड़ा आराम मिला था।

    वहीं दूसरी तरफ़ राजपूत हवेली...

    सरोजिनी अपने बॉडीगार्ड को फटकार लगाते हुए बोल रही थी, "जब हुकुम से आएँगे तो हम उन्हें क्या जवाब देंगे? हम एक लड़की को नहीं सँभाल पाए? तुम लोगों को दो दिन हो गए पागल कुत्तों की तरह भटकते हुए पर उस लड़की का कोई सुराग़ नहीं मिला है। आख़िर वह गई तो गई कहाँ? उसे धरती निगल गई क्या या आसमान खा गया?"

    हर्षाली कोने में चुपचाप खड़ी थी, क्योंकि उसे पता था कि मानिक इरा को लेकर गया था। मानिक ने हर्षाली से कुछ नहीं छुपाया था, पर अभी सरोजिनी का गुस्सा उस पर न उतर जाए, बस इस ख़याल से हर्षाली चुप खड़ी थी।

    सरोजिनी ने दोनों हाथों से अपना माथा पीटते हुए कहा, "अगर वह लड़की हमें नहीं मिली तो इस हवेली की एक फूटी कौड़ी हमारे नाम नहीं होगी, ऊपर से जितने लोन अय्याशी करने के लिए हम सबने ले लिए हैं, उस तरीक़े से अगर पूरी ज़िंदगी कटोरा लेकर भीख भी माँगें तो भी लोन नहीं चुका पाएँगे और बैंक वाले वैसे जीना हराम कर देंगे। तो जितनी जल्दी हो सके उस लड़की को ढूँढो, और अब हम कोई देर नहीं करेंगे। उसके मिलते ही प्रॉपर्टी पेपर पर उसके सिग्नेचर होंगे और उसके बाद उसकी अर्थी उठेगी सीधे।" यह बोलते वक़्त इरा के लिए सरोजिनी के चेहरे पर ढेर सारा गुस्सा दिख रहा था, जैसे अगर वह अभी होती तो उसे गुस्से की आग से ही जलाकर मार देती।

    फिर सरोजिनी ने सुजाता को याद करते हुए कहा, "और एक वह हरामख़ोर, नमक हराम हमारा खाकर हमें ही धोखा देकर चली गई, उस पर हमें विश्वास ही नहीं करना चाहिए था। उसी की वजह से इरा यहाँ से भागकर गई है, वरना उस पागल को तो यह भी नहीं पता कि हवेली का दरवाज़ा कहाँ है जिससे लोग बाहर जाते हैं।"

    सरोजिनी ने आँखें उठाकर अपने सामने खड़े उन पाँचों बॉडीगार्ड को देखा जो अब भी सर झुकाए उसकी डाँट सुन रहे थे, और फिर उन पर चिल्लाते हुए बोली, "गंज सेंड जैसे क्या खड़े हो? निकलो अब यहाँ से, अपने काम पर लग जाओ, आज शाम तक मुझे उसकी ख़बर चाहिए, वरना मैं तुम पाँचों को ज़रूर जान से मार दूँगी, बाक़ी तो कुछ कर पाऊँगी या नहीं।"

    वह बॉडीगार्ड डरते हुए जल्दी से हाँ में कर हिलाते हुए वहाँ से चले गए।

    वहीं अब सरोजिनी ने मुड़कर हर्षाली की तरफ़ देखा जो बिल्कुल ऐसे खड़ी थी जैसे उसने कोई चोरी की हो। फिर सरोजिनी ने आँखें छोटी करते हुए कहा, "अब तू क्या छुपा रही है, वह भी बता दे। वैसे भी दिमाग़ गरम है, अगर उसके बाद मुझे कुछ पता चला तो तुम्हारी भी ख़ैर नहीं है।"

    हर्षाली धीमे कदमों से सरोजिनी के पास आई और फिर उसके पास घुटनों के बल बैठते हुए बोली, "माँ प्लीज मुझ पर गुस्सा मत करना, पर मैंने मानिक से पूछा था कि क्या उसने इरा को देखा, तो वह बोला कि हाँ, मैं ही इरा को लेकर गया हूँ। उसके बाद से वह मेरा कॉल नहीं उठा रहा है।"

    हर्षाली की बात सुनकर मानो सरोजिनी के शरीर का खून उबल करने लगा था। उसने एक झटके से हर्षाली को एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए कहा, "मैं पागलों की तरह दो दिन से उस लड़की को ढूँढने के लिए भटक रही हूँ और तू मुझे आज बता रही है कि तुझे पहले से बताया कि वह कहाँ गई थी!" इतना बोलकर उसने हर्षाली के बाल पकड़ लिए और फिर उंगली पॉइंट करते हुए बोली, "जितना तुझे सर पर चढ़ना है, उतनी ही तेज़ी से फ़र्श पर भी गिर सकती हूँ जानती नहीं है तू सरोजिनी राजपूत को!" और फिर एक झटके से उसके बाल छोड़ते हुए बोली, "मेरे मुँह पर पागल लिखा है जो मैं पागलों की तरह तुम लोगों से सवाल-जवाब कर रही हूँ और सब के सब मुझे बस इनकार पर इनकार किए जा रहे हैं!" हर्षाली के होठों के किनारों से खून बहने लगा था और सरोजिनी की उंगलियों के निशान उसके गाल पर छप गए थे। वह दर्द से करती हुई पीछे हटते हुए बोली, "माँ मुझे नहीं पता अब वह कहाँ है, पर आख़िरी बार वह मानिक के साथ ही थी, बस मुझे इतना ही पता है इससे ज़्यादा नहीं।" इतना बोलकर उसने अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छुपा लिया, क्योंकि उसे सरोजिनी के गुस्से से बहुत ज़्यादा डर लग रहा था।

    कॉन्फ्रेंस रूम में सब लोग स्क्रीन के सामने देख रहे थे जहाँ फ़रमान तेज़ी से कीबोर्ड पर उंगलियाँ चला रहा था और सब बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे कि कब मानिक की डिटेल्स उनकी आँखों के सामने होंगी, और जैसे ही वह स्क्रीन विज़िबल होने लगी कृष्णा उछलते हुए कहा, "वह एक और गुड न्यूज़ मिल गई, मैं अभी किंग को बात कर आता हूँ।"

    उसे ऐसे जाते देखकर अरहान ने आँखें छोटी करते हुए कहा, "यह इस गैंग में कर क्या रहा है? इस लंगर बना देना चाहिए।"

    फिर अचानक ही अरहान ने मुड़ते हुए कहा, "हाँ यह काम तो हो गया पर आज मीर बाबू नहीं दिख रहे, कहाँ गए?"

    उसकी यह बात सुनकर फ़रमान और उग्र को हँसी आ गई। उन्होंने हँसते हुए कहा, "तुझे पता नहीं उसका फर्स्ट हार्टब्रेक हुआ है, उसी का सेलिब्रेशन कर रहा होगा मुझे तो नहीं पता बाक़ी।"

    वहीं मीर का कमरा... वह इस वक़्त सोफ़े पर बैठा था और उसके हाथ में एक शराब की बोतल थी जिसे वह अब तक आधी ख़त्म कर चुका था। हाँ वह ड्रिंक करता था, लेकिन इतनी ज़्यादा भी नहीं जितनी वह आज कर रहा था। उसका सर घूम रहा था और बार-बार बस मन्नत उसे नज़र आ रही थी। उसने उस बोतल को टेबल पर रखा और अचानक ही उसे लगा उस बोतल की जगह मन्नत है, और उसने अपनी आँखों को मसलते हुए अपनी नशीली आवाज में कहा कहा

    , "क्या तुम इतनी नशीली हो डॉक्टर साहिबा?" और उसे अब उस बोतल में मन्नत हँसती हुई नज़र आ रही थी। यह देखकर मीर ने छोटा मुँह बनाते हुए कहा, "क्या यार तुम मुझ पर हँस रही हो, मेरे फर्स्ट साइट लव का मज़ाक़ बना रही हो? दिस इज़ नॉट फेयर, मैं तुमसे कट्टी हूँ, मैं तुमसे बात ही नहीं करूँगा।"

    इतना बोलकर उसने साइड में मुँह कर लिया और कुछ पर बात जब उसे महसूस हुआ कि सामने से उसे कोई जवाब नहीं मिला तो उसने मुड़कर हुए देखा तो अब उसे वह बोतल ही नज़र आ रही थी और उसकी आँखों में तुरंत नमी आ गई। उसने लगभग रोते हुए कहा, "यह क्या डॉक्टर साहिबा तो नाराज़ हो गई फिर से गायब हो गई? मैं, मैं अपनी डॉक्टर साहिबा को ढूँढ कर लाऊँगा।"

    इतना बोलकर मेन्स ऑफिस से उठा और लड़खड़ाते कदमों से सीढ़ियों की तरफ़ चला गया। वहीं अर्णव जो इरा को कमरे में लॉक करके आ रहा था, आमिर को ऐसे जाते देखकर उसकी आँखें छोटी हो गईं, और उसने अपनी आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "इस घर के सारे लोग पागल हो चुके हैं, इनका कुछ न कुछ इलाज करना पड़ेगा।" पर फिलहाल उसके पास इतना टाइम नहीं था कि वह मीर से बकवास कर सके, इसलिए वह तेज़ कदमों से डार्क कैसल से बाहर चला गया। बाहर पहले से उसके लिए एक गाड़ी रेडी थी और ड्राइवर ने कर स्टार्ट कर रखी थी। दो बॉडीगार्ड कर के बाहर अर्णव के लिए दरवाज़ा खोलने के लिए खड़े थे। अर्णव जैसे ही वहाँ आया उन दोनों ने सर झुकाते अर्णव को ग्रेट किया और उनमें से एक ने दरवाज़ा खोल अर्णव अपना कोट सही करते हुए गाड़ी के अंदर बैठा, और फिर ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट कर ली।

    कुछ देर बाद अर्णव की गाड़ी एक घर के सामने रुकी जो आईलैंड पर ही बना था और यह थे अर्णव के पर्सनल डॉक्टर। अर्णव ने ड्राइवर को देखते हुए कहा, "मुझे आने में वक़्त भी लग सकता है।" तो ड्राइवर ने सर झुकाते हुए बस दो बार हमें सर हिला दिया, और अर्णव तेज़ी से अंदर चला गया।

    अंदर किचन में डॉक्टर साहब अपने लिए कुछ बना रहे थे। उन्होंने जैसे ही अर्णव को देखा तो वह जल्दी से हाथ धोकर हाल में आते हुए बोले, "किंग अपने यहाँ आने की तकलीफ़? क्योंकि मुझे बोल देते मैं खुद आ जाता आपको चेक करने, क्या ज़्यादा दिक्कत हो रही है आपको किसी चीज़ की?"

    अर्णव ने एक गहरी साँस लेकर कहा, "मुझे कोई दिक्कत नहीं है बस कुछ डिस्कस करना था।"

    "हाँ ज़रूर, यह डॉक्टर कपिल आपके लिए हमेशा हाज़िर है।"

    अर्णव वहीं सोफ़े पर बैठकर कुछ पल शांत रहता है और फिर एकदम से बोलता है, "मेरे अंदर हार्मोनल चेंजेज हो रहे हैं, पहली बार किसी लड़की को देखकर मुझे अजीब सा फील हुआ जो आज से पहले कभी नहीं हुआ। जैसा कि तुमने मुझे कहा था कि मैं लड़कियों की तरफ़ अट्रैक्टिव ही अट्रैक्ट ही नहीं हो रहा हूँ, तो मेरी बॉडी में ज़रूर कोई दिक्कत है, तो फिर उसे लड़की की वजह से ऐसा क्यों हो रहा है? मेरा दिल दिमाग़ सब काम करना बंद कर देता है जब वह बोलना शुरू करती है।"

    फिर अचानक ही अर्णव ने कहा, "और किसी ने कहा था कि उसने मुझे सेड्यूस करने के लिए ट्रेनिंग ली है वह मेरी तबाही है। क्या ऐसा हो सकता है कि कोई लड़की इतनी ज़्यादा ट्रेनिंग ले ले कि वह अर्णव यदुवंशी को पागल बना सके? क्योंकि मुझे उसका चेहरा देखकर फिलहाल एक परसेंट भी नहीं लगता कि वह मुझसे झूठ बोल रही है।"

    to be continued

  • 13. Written in the stars - Chapter 13

    Words: 2073

    Estimated Reading Time: 13 min

    अर्णव एक पल के लिए आंखें बंद करते हुए गहरी सांस लेता है और फिर धीमे कदमों से हीरा के पास जाता है और उसकी वह ड्रेस अपने हाथ में लेते हुए पहले तो उसको सीधा करता है जिसको इरा ने देखने की के लिए उल्टा कर दिया था फिर वह उसे हाथ में पढ़ते हुए कहता है इसमें गला डालना है इसमें हाथ फिर यह तुम्हारे घुटनों तक आ जाएगी उसके बाद पीछे से यह चैन लगानी है और यह डोरी बांधनी है।

    हीरा बार-बार आइस को ब्लैंक करते हुए अनु के सारे इंस्ट्रक्शन सुन रही थी पर सब कुछ सो की रफ्तार से उसके सर के ऊपर से गुजर चुका था उसने कहा ऐसे कपड़े कौन बनाता है मुझे अभी नहीं समझ आया इसमें पांव डालने के लिए जगह नहीं है।

    क्योंकि इसके साथ नीचे पहनने के लिए कुछ नहीं था।

    अर्णव ने अफसोस से अपना माथा पीट लिया और फिर एक गहरी सांस छोड़ते हुए बोला अपना टोल हटाओ मैं पहनता हूं।

    हीरा ने बिना एक पल दवाई अपना टॉवल हटा दिया उसने इस वक्त व्हाइट कलर की ब्रॉलेट पहनी थी जिसमें उसका दूध सा रंग और भी ज्यादा निखर कर खूबसूरत लग रहा था और ठंडे पानी से नहाने की वजह से उसका बदन हल्का गुलाबी हो चुका था जो और ज्यादा खूबसूरत लग रहाथा।

    अर्णव ने अपनी नज़रें झुकी और फिर इरा के गले में वह ड्रेस डालते हुए धीरे से बोला अपने हाथ इधर की साइड डालो हीरा ने वैसा ही किया जैसा अर्णव ने कहा और कुछ ही वक्त में उसने वह खूबसूरत पिक नीस एंड फ्रॉक पहन ली थी फिर अर्णव ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा पीछे घूमो और हीरा बिल्कुल किसी बच्चे की तरह एक्साइटमेंट में जल्दी से पीछे घूमते हुए बोली जल्दी करो दानव मुझे खुद को मिरर में देखना है मैं कैसी लग रही हूं मैं ऐसे कपड़े आज से पहले कभी नहींपहने।

    अर्णव ने गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखें उठाकर इराक की पीठ को देखा और अचानक की उसकी आंखें छोटी हो गई क्योंकि उसकी पीठ पर एक नीला निशान बना हुआ था जैसे किसी ने चाबुक चलाया हो अनु की उंगली अपने आप ही उसे छूने के लिए बढ़ गए उसने जैसे ही आहिस्ता से अपनी उंगली से हीरा की पीठ को छुआ हीरा चमकते हुए बोली अरे दानव क्या कर रहे हो वहां मुझे ताकि सैन मारा था मैंने तुम्हें बताया था ना कि एक काकी साहब बिल्कुल तुम्हारी तरह मुझे बहुत डांटती है और तुम्हारी तरह पनिशमेंट देती है 

    अर्णव को याद आया थोड़ी देर पहले हीरा कैसे रोने लगी थी इसलिए उसने जल्दी से फ्रॉक को पीछे से चेन लगाकर बांधते हुए कहा फिर से रोने मत लगा जाना ठीक है मैं नहीं पूछ रहा तुमसे कुछ भी इरा ने भागते हुए मिरर के सामने खड़े होकर खुद को देखा और फिर खुशी से गोल-गोल घूमते हुए बोली अरे मैं तो बिल्कुल राजकुमारी जैसी लग रही हूं

    उसे इस तरह खुश देखकर पता नहीं क्यों पर अर्णव ने एक सुकून की सांस ली जैसे इतनी देर से उसकी चोट को देखकर उसकी बातों को देखकर उसकी सांसे गले में ही अटकी हुई थी अब इस तरह उसे खुश देखकर उसे थोड़ा आराम मिला था

    वहीं दूसरी तरफ राजपूत हवेली

    सरोजिनी अपने बॉडीगार्ड को फटकार लगाते हुए बोल रही थी जब हुकुम से आएंगे तो हम उन्हें क्या जवाब देंगे हम एक लड़की को नहीं संभाल पाए तुम लोगों को दो दिन हो गए पागल कुत्तों की तरह भटकते हुए पर उसे लड़की का कोई सुराग नहीं मिला है आखिर वह गई तो गई कहां उसे धरती निकल गई क्या आसमान का गया


    हर्षाली कोने में चुपचाप खड़ी थी क्योंकि उसे पता था कि मानिक इरा को लेकर गया था मानिक ने हर साली से कुछ नहीं छुपाया था पर अभी सरोजिनी का गुस्सा उसे पर न उतर जाए बस इस ख्याल से हर्षाली चुप खड़ी थी


    सरोजिनी ने दोनों हाथों से अपना माथा पढ़ते हुए कहा अगर वह लड़की हमें नहीं मिली तो इस हवेली की एक फूटी कोड़ी हमारे नाम नहीं होगी ऊपर से जितने लोन अय्याशी करने के लिए हम सब ने ले लिए हैं उसे तरीके से अगर पूरी जिंदगी कटोरा लेकर भीख भी मांगे के तो भी लोन नहीं चुका पाएंगे और बैंक वाले वैसे जीना हराम कर देंगे तो जितनी जल्दी हो सके उसे लड़की को ढूंढो और अब हम कोई देर नहीं करेंगे उसके मिलते ही प्रॉपर्टी पेपर पर उसके सिग्नेचर होंगे और उसके बाद उसकी अर्थी उठेगी सीधे यह बोलते वक्त इरा के लिए सरोजिनी के चेहरे पर ढेर सारा गुस्सा दिख रहा था जैसे अगर वह अभी होती तो उसे गुस्से की आग से ही जलाकर मारदेती

    फिर सरोजिनी ने सुजाता को याद करते हुए कहा और एक वह हरामखोर नमक हराम हमारा खाकर हमें ही धोखा देकर चली गई उसे पर हमें विश्वास ही नहीं करना चाहिए था उसी की वजह से हीरा यहां से भाग कर गई है वरना उसे पागल को तो यह भी नहीं पता की हवेली का दरवाजा कहां है जिससे लोग बाहर जाते हैं

    सरोजिनी ने आंखें उठाकर अपने सामने खड़े उन पांचो बॉडीगार्ड को देखा जो अब भी सर झुकाए उसकी डांट सुन रहे थे और फिर उन पर चिल्लाते हुए बोली गंज सेंड जैसे क्या खड़े हो निकले अब यहां से अपने काम पर लग जाओ आज शाम तक मुझे उसकी खबर चाहिए वरना मैं तुम पांचो को जरूर जान से मार दूंगी बाकी तो कुछ कर पाऊंगी यानहीं

    वह बॉडीगार्ड डरते हुए जल्दी से हां मैं कर हिलाते हुए वहां सेचले गए
    वहीं अब सरोजिनी ने मूर्ति में हर्षाली की तरफ देखा जो बिल्कुल ऐसे खड़ी थी जैसे उसने कोई चोरी की हो फिर सरोजिनी ना आंखें छोटी करते हुए कहा अब तू क्या छुपा रही है वह भी बता दे वैसे भी दिमाग गरम है अगर उसके बाद मुझे कुछ पता चला तो तुम्हारी भी खैर नहीं है

    हर्षाली धीमे कदमों से सरोजिनी के पास आई और फिर उसके पास घुटनों के बाल बैठते हुए बोले मन प्लीज मुझ पर गुस्सा मत करना पर मैंने मानिक से पूछा था कि क्या उसने हीरा को देखा तो वह बोला कि हां मैं ही इरा को लेकर गया हूं उसके बाद से वह मेरा कॉल नहीं उठा रहा है

    हर्षाली की बात सुनकर मानो सरोजिनी के शरीर का खून उबल करने लगा था उसने एक झटके से हर्षाली को एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए कहा मैं पागलों की तरह 2 दिन से उसे लड़की को ढूंढने के लिए भटक रही हूं और तू मुझे आज बता रही है कि तुझे पहले से बताया कि वह कहां गई थी इतना बोलकर उसने हर साली के बाल पकड़ लिए और फिर उंगली पॉइंट करते हुए बोली जितना तुझे सर पर चढ़ना है उतनी ही तेजी से फर्श पर भी गिर सकती हूं जानती नहीं है तू सरोजिनी राजपूत को और फिर एक झटके से उसके बाल छोड़ते हुए बोली मेरे मुंह पर पागल लिखा है जो मैं पागलों की तरह तुम लोगों से सवाल-जवाब कर रही हूं और सब के सब मुझे बस इनकार पर इनकार किया जा रहे हैं हर्षाली के होठों से होठों के किनारो से खून बहने लगा था और सरोजिनी की उंगलियों के निशान उसके गाल पर छप गए थे वह दर्द से करती हुई पीछे हटते हुए बोली मां मुझे नहीं पता अब वह कहां है पर आखिरी बार वह मानिक के साथ ही थी बस मुझे इतना ही पता है इससे ज्यादा नहीं इतना बोलकर उसने अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छुपा लिया क्योंकि उसे सरोजिनी के गुस्से से बहुत ज्यादा डर लग रहा था

    कॉन्फ्रेंस रूम में सब लोग स्क्रीन के सामने देख रहे थे जहां फरमान तेजी से कीबोर्ड पर उंगलियां चल रहा था और सब बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि कब मानिक की डिटेल्स उनकी आंखों के सामने होगी और जैसे ही वह स्क्रीन विजिबल होने लगी कृष्णा उछलते हुए कहा वह एक और गुड न्यूज़ मिल गई मैं अभी किंग को बात करआता हूं

    उसे ऐसे जाते देखकर अरहान ने आंखें छोटी करते हुए कहा यह इस गैंग में कर क्या रहा है इस लंगर बना देना चाहिए

    फिर अचानक ही Arhaan ने मोड़ते हुए कहा हां यह काम तो हो गया पर आज अमीर बाबू नहीं दिख रहे कहांगए

    उसकी यह बात सुनकर फरमान और उग्र को हंसी आ गई उन्होंने हंसते हुए कहा तुझे पता नहीं उसका फर्स्ट हार्टब्रेक हुआ है उसी का सेलिब्रेशन कर रहा होगा मुझे तो नहीं पताबाकी

    वही मीर का कमरा वह इस वक्त सोफे पर बैठा था और उसके हाथ में एक शराब की बोतल थी जिसे वह अब तक आधी खत्म कर चुका था हां वह ड्रिंक करता था लेकिन इतनी ज्यादा भी नहीं जितनी वह आज कर रहा था उसका सर घूम रहा था और बार-बार बस मन्नत उसे नजर आ रही थी उसने उसे बोतल को टेबल पर रखा और अचानक कि उसे लगा उसे बोतल की जगह मन्नत है और उसने अपनी आंखों को मसलते हुए कहा क्या तुम इतनी नशीली हो डॉक्टर साहिबाऔर उसे अब उसे बोतल में मन्नत हंसती हुई नजर आ रही थी यह देखकर आमिर ने छोटा मुंह बनाते हुए कहा क्या यार तुम मुझ पर हंस रही हो मेरे फर्स्ट साइट लव का मजाक बना रही हूं दिस इस नॉट फेयर मैं तुमसे कट्टी हूं मैं तुमसे बात ही नहीं करुंगा इतना बोलकर उसने साइड में मुंह कर लिया और कुछ पर बात जब उसे महसूस हुआ कि सामने से उसे कोई जवाब नहीं मिला तो उसने मुर्दे हुए देखा तो अब उसे वह बोतल ही नजर आ रही थी और उसकी आंखों में तुरंत नमी आ गई उसने लगभग रोते हुए कहा यह क्या डॉक्टर साहिबा तो नाराज हो गई फिर से गायब हो गई मैं मैं अपनी डॉक्टर साहिबा को ढूंढ कर लाऊंगा इतना बोलकर मेंस ऑफिस से उठा और लड़खड़ाते कदमों से सीडीओ की तरफ चला गया वहीं अरनव जो इरा को कमरे में लॉक करके आ रहा था आमिर को ऐसे जाते देखकर उसकी आंखें छोटी हो गई और उसने अपनी आंखें छोटी करते हुए कहा इस घर के सारे लोग पागल हो चुके हैं इनका कुछ ना कुछ इलाज करना पड़ेगा पर फिलहाल उसके पास इतना टाइम नहीं था कि वह अमीर से बकवास कर सके इसलिए वह तेज कदमों से डार्क कैसल से बाहर चला गया बाहर पहले से उसके लिए एक गाड़ी रेडी थी और ड्राइवर ने कर स्टार्ट कर रखी थी दो बॉडीगार्ड कर के बाहर अरनव के लिए दरवाजा खोलने के लिए खड़े थे अरनव जैसे ही वहां आयाउन दोनों ने सर झुकाते वर्णों को ग्रेट किया और उनमें से एक ने दरवाजा खोल अरनव अपना कोर्ट सही करते हुए गाड़ी के अंदर बैठा और फिर ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट कर ली


    कुछ देर बाद अर्णव की गाड़ी एक घर के सामने रुकी जो आईलैंड पर ही बना था और यह थे अरनव के पर्सनल डॉक्टर अर्णव ने ड्राइवर को देखते हुए कहा मुझे आने में वक्त भी लग सकता है तो ड्राइवर ने सर झुकाते हुए बस दो बार हमें सर हिला दिया और अरनव तेजी से अंदर चला गया

    अंदर किचन में डॉक्टर साहब अपने लिए कुछ बना रहे थे उन्होंने जैसे ही अर्णव को देखा तो वह जल्दी से हाथ धोकर हाल में आते हुए बोले किंग अपने यहां आने की तकलीफ क्योंकि मुझे बोल देते मैं खुद आ जाता आपको चेक करने क्या ज्यादा दिक्कत हो रही है आपको किसी चीज की


    अर्णव ने एक गहरी सांस लेकर कहा मुझे कोई दिक्कत नहीं है बस कुछ डिस्कस करनाथा

    हां जरूर यह डॉक्टर कपिल आपके लिए हमेशा हाजिर है

    अर्णव वहीं सोफे पर बैठकर कुछ पल शांत रहता है और फिर एकदम से बोलता है मेरे अंदर हार्मोनल चेंजेज हो रहे हैं पहली बार किसी लड़की को देखकर मुझे अजीब सा फील हुआ जो आज से पहले कभी नहीं हुआ जैसा कि तुमने मुझे कहा था कि मैं लड़कियों की तरफ अट्रैक्टिव ही अट्रैक्ट ही नहीं हो रहा हूं तो मेरी बॉडी में जरूर कोई दिक्कत है तो फिर उसे लड़की की वजह से ऐसा क्यों हो रहा है मेरा दिल दिमाग सब काम करना बंद कर देता है जब वह बोलना शुरु करती है

    फिर अचानक ही अर्णव ने कहा और किसी ने कहा था कि उसने मुझे सेड्यूस करने के लिए ट्रेनिंग ली है वह मेरी तबाही है क्या ऐसा हो सकता है कि कोई लड़की इतनी ज्यादा ट्रेनिंग ले ले कि वह अरनव यदुवंशी को पागल बना सके क्योंकि मुझे उसका चेहरा देखकर फिलहाल एक परसेंट भी नहीं लगता कि वह मुझसे झूठ बोल रही है

  • 14. Written in the stars - Chapter 14

    Words: 1070

    Estimated Reading Time: 7 min

    तनुज के मुँह से सर के लिए ऐसे शब्द सुनकर सहज ने घबराते हुए सर की तरफ देखा, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि सारा की सबके सामने इंसल्ट हो और उसके बाद सारा यहाँ गैरों जैसा महसूस करे। वह जल्दी से तनुज के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "भाई, तेरा दिमाग तो ठीक है? क्या बोल रहा है तू?"

    तनुज ने अब भी अपनी नज़रें सर से नहीं हटाई थीं। वह चाक पीसते हुए बस सर को देखे जा रहा था, जैसे उसका बस चलता तो अभी सर को यहीं के यहीं जान से मार देता।

    सोनिया भी गुस्से से घूरते हुए तनुज को देख रही थी। उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था कि कोई उसकी बहन की इस तरह बेइज्जती कर रहा था, पर सारा की पलकें झुकी हुई थीं, जैसे गलती उसी की हो, इसलिए सोनिया कुछ बोल नहीं पा रही थी।

    तभी आईसीयू रूम का दरवाजा खुला और डॉक्टर बाहर आए। उसे देखकर तनुज और सहज जल्दी से उसके पास जाते हुए बोले, "कैसा है सूर्यांश? हाँ भैया, आउट ऑफ डेंजर तो है ना? आखिर उन्हें हुआ क्या है?"

    तनुज ने अपने मन में कहा, "नहीं, मैं सच नहीं बताऊंगा, क्योंकि जो बताना है वह सूर्यांश खुद बताएगा।" तनुज नहीं चाहता था कि वह कैसे भी सूर्यांश को नाराज कर दे।

    तनुज ने जल्दी से डॉक्टर से कहा, "आप यह बताइए पहले कि सूर्यांश को होश कब आएगा?"

    डॉक्टर ने एक लंबी सांस लेते हुए कहा, "बस आ जाएगा 10 मिनट में, थोड़ा इंतजार कीजिए।"

    सब ने एक साथ हाँ भरी, तो वहीं सहज ने कहा, "क्या मुझे माँ-पापा को इन्फॉर्म करना चाहिए?" तो तनुज ने उसे मना करते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता उन्हें परेशान होने की जरूरत है। जैसे ही सूर्यांश ठीक हो जाएगा, वह खुद उनसे बात कर लेगा, वरना वह ज्यादा पैनिक हो जाएंगे।" सहज को भी तनुज की बात काफी हद तक सही लगी, तो वहीं उत्पल ने सारा के कान में धीरे से कहा, "तुम भी अपना मुँह मत खोलना, जो बताना है सूर्यांश खुद बताएगा।"

    सर को वैसे भी कोई सुध-बुध नहीं थी। उसने न हाँ में जवाब दिया और न ना कहा। उसके दिल में क्या चल रहा था, यह अभी जान पाना बहुत मुश्किल था। तो वहीं सोनिया को अब सारा की भी चिंता हो रही थी। उसने सारा का हाथ पकड़ते हुए कहा, "तू भी चल, तुझे कितनी ज्यादा चोट लगी है, चल पट्टी करवा ले उधर।"

    सर बिल्कुल बेजान गुड़िया की तरह सोनिया के साथ खिंचती चली गई। सोनिया उसे हाथ पकड़े डॉक्टर के केबिन की तरफ लेकर जा रही थी।

    केबिन में जाकर सोनिया ने सर की चोट डॉक्टर को दिखाते हुए उसका इलाज करने के लिए कहा।

    करीब 10 मिनट में सारा की सब पट्टियाँ हो चुकी थीं। छोटा सा प्लास्टर उसके हाथ में बंधा था और खरोंचों के निशानों पर स्ट्रेचेज लगाई गई थीं। सूर्यांश ने शायद जिस वक्त लात मारी, उस वक्त सर के हाथ की हड्डी थोड़ी खिसक गई थी और वह जब नीचे गिरी तो टेबल से हाथ टकराने की वजह से उसकी बाजू में चोट आई थी।

    सर और सोनिया वापस वहीं आ गईं जहाँ उत्पल, तनुज और सहज बैठे थे।

    और कुछ ही वक्त में सूर्यांश के कमरे से एक नर्स निकलते हुए आई और उन सबको देखकर बोली, "सर को होश आ चुका है, आप सब उनसे मिल सकते हैं।"

    यह सुनकर सहज और तनुज जल्दी से उठते हुए कमरे के अंदर चले गए, वहीं सोनिया सर को देख रही थी, जो यह सुनने भर से कम उठी थी कि सूर्यांश को होश आ गया है।

    सर ने अपने मन ही मन कहा, "एक बार फिर वह इंसान जिंदा बच गया जिसको मारने में मुझे सौ बार मरने जैसा फील होता है। मुझे लगा था यह दर्द एक बार ही मिलेगा, उसके बाद मुझे शांति मिलेगी कि मेरा बदला पूरा हो गया है, लेकिन यह तो अधूरा रह गया, बिल्कुल किसी जख्म को रहने जैसा।"

    उसने अपनी मुट्ठियों को कसकर भींच रखा था, वही उत्पल ने सोनिया को देखते हुए कहा, "शायद इसे गहरा सदमा लगा है, आप कुछ गलत मत समझना।"

    सोनिया ने आँखें छोटी करते हुए कहा, "मैंने आपसे पूछा है? आप क्यों बीच में बोल रहे हो? आखिर आप हो कौन मेरे और मेरी बहन के बीच बोलने वाले?" इतना बोलकर सोनिया ने झट से सारा का हाथ पकड़ कर कहा, "चलो अंदर, अपने पति को देखना नहीं है कि उसकी हालत कैसी है?" सर ने जल्दी से अपनी आँखों में आई नमी को पोंछते हुए कहा, "जी, चलिए।"

    वही सूर्यांश को देखकर सहज ने जल्दी से कहा, "भाई यह सब क्या है? इतनी बड़ी पट्टी क्यों बांधी आपके सीने पर?"

    इतना बोलकर सहज ने छूना चाहा तो सूर्यांश ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "एक जंगली बिल्ली ने काट लिया है तो ज्यादा फिक्र मत कर, यहाँ आराम से बैठ।" फिर उसने तनुज को देखते हुए कहा, "एक पानी का गिलास लेकर आ।"

    तनुज ने पास रखी टेबल पर रखें जग से पानी का गिलास भरते हुए सूर्यांश के हाथ में दिया और सूर्यांश ने फिर वह गिलास सहज के हाथ में देते हुए कहा, "दो घूँट पानी पी और खुद को शांत कर, मुझे कुछ नहीं हुआ है।"

    सहज ने दो घूँट पानी पीकर गिलास वापस तनुज के हाथ में देते हुए कहा, "आप झूठ बोल रहे हैं ना? जंगली बिल्ली आपके पास क्या करेगी? सच-सच बताइए क्या हुआ है?"

    इतने में ही सोनिया और सर भी कमरे के अंदर आ चुकी थीं। सोनिया भी फुल क्यूरियोसिटी से सूर्यांश को देख रही थी, उसे भी जानना था आखिर सर और सूर्यांश दोनों को ही क्या हुआ था जो वह दोनों इतने ज्यादा चोटिल हो गए हैं?

    सूर्यांश ने सारा की तरफ देखते हुए बच्चों जैसा मुँह बनाकर कहा, "तुम्हारी भाभी डोमेस्टिक वायलेंस पर उतर आई है। हम दोनों के बीच लड़ाई हुई थी इसलिए मुझे मारा और मैं इसे, बस इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ है।"

    वहाँ खड़े सबके मुँह खुल चुके थे सूर्यांश के मुँह से ऐसी एक्सप्लेनेशन सुनकर।

    वही सारा हैरान-परेशान होकर सूर्यांश को देख रही थी। क्या सच में सूर्यांश को गोली लगने से भी सर से नफरत नहीं हुई? वह सूर्यांश की आँखों में अपने लिए नफरत, गुस्सा, जिल्लत सब कुछ देखना चाहती थी, लेकिन सूर्यांश की आँखों में सिर्फ शरारत और उसकी थोड़ी सी फिक्र दिख रही थी।

    सूर्यांश ने उठकर बैठने की कोशिश करते हुए कहा, "धर्मपत्नी तुम्हें ज्यादा तो नहीं लगी? इतनी बड़ी पट्टी कैसे बनवा कर आई हो?"

  • 15. Written in the stars - Chapter 15

    Words: 1131

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगली सुबह

    वृंदा सुबह तैयार हुई। उसने एक स्काई ब्लू कलर की नॉर्मल साड़ी पहनी और उसके साथ फुल स्लीव वाला कढ़ाई का ब्लाउज। वह सुबह से ही मन बना चुकी थी कि आज वह बनारस जाएगी किसी भी हाल में और साथ में आयशा को ले जाएगी क्योंकि अकेले जाने में उसे डर लग रहा था और आयशा वह लड़की थी जिसे यतीक्ष के बारे में सब कुछ पता भी था तो वृंदा को ज्यादा एक्सप्लेनेशन देने की भी जरूरत नहीं थी। सुबह वह हाल में सब को चाय दे रही थी। रजवंती और अवंतिका दोनों महसूस कर सकती थी कि वृंदा उनसे कुछ पूछना चाहती है। नवीन और चांदनी भी वही थे। अभी तक वह अपने घर नहीं गए थे। रजवंती ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा, "बेटा आपको कुछ पूछना है तो आप पूछ सकती हो, इसमें इतना घबराने की कोई जरूरत नहीं है।"

    अवंतिका ने भी राजवंती का साथ देते हुए कहा, "यह चेहरे से इशारे जो आप कर रही हैं उसकी कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उनकी वजह से हमें नहीं समझ आने वाला कि आपको क्या चाहिए तो जो बोलना है साफ-साफ बोलो।"

    अवंतिका की हर बात हमेशा तेजस की तरह टोंट के लहजे में ही होती है जिस वजह से वृंदा को अवंतिका खडूस लगती है। उसने एक पल अवंतिका को घूरा पर अगले ही पल जैसे अवंतिका ने नजर उठाई उसने अपनी नज़रें रजवंती की तरफ करते हुए धीरे से कहा, "वह दादी मां मुझे अपनी दोस्त के साथ कहीं जाना था। शादी के बाद मैं घर से बाहर गई ही नहीं और शादी से पहले भी मां ने बोला था कि नई नवेली दुल्हन बाहर नहीं जा सकती है तो मैं कई दिनों से बस घर ही घर में कह दूं मुझे बाहर घूमना था तो क्या मैं जा सकती हूं?"

    रजवंती ने जल्दी से कहा, "हां बेटा बिल्कुल आपको जहां घूमने है आप वहां घूम सकती हैं। वैसे भी वह नालायक तो खुद पूछने वाला है नहीं। मैं तो तुम्हें हनीमून पर भी भेजने के लिए बोलने वाली थी पर तेजस ने रात ही मुझे बताया कि वह कितना ज्यादा बिजी हो गया है और कुछ दिन उसका शेड्यूल बहुत ज्यादा हेक्टिक होने वाला है तो शायद वह घर भी नहीं आ पाएगा इसलिए तुम आराम से अपनी दोस्त के साथ घूम कर आ सकती हो।" वृंदा ने हर किसी स्माइल के साथ कहा, "थैंक यू दादी मां मैं कल शाम तक लौट आऊंगी।"

    वृंदा जाने के लिए मुड़ी ही थी कि अवंतिका ने अपनी कड़कती आवाज में पूछा, "और कहां जा रही हो तुम दोनों घूमने? हमें पता भी तो होना चाहिए ताकि अगर आप लोग ना लौटो तो हमारे पास तेजस को बताने के लिए कुछ तो हो कि आप दोनों कहां गई हो और हम भी आपको ढूंढ पाए अगर आप टाइम पर घर न पहुंचे।"

    वृंदा ने एक पल के लिए डरते हुए अपना सलाइवा गुटका। उसने मन ही मन कहा, "हे शिव क्या करूं अब आप ही मुझे बचा सकते हैं।" और अचानक ही वृंदा के होठों पर मासूम से इस्माइल आ गई क्योंकि उसे बहाना जो मिल गया था। उसने जल्दी से कहा, "मम्मी जी वह मुझे बनारस का अस्सी घाट देखना है। वह मेरा फेवरेट मंदिर है। मुझे वहां शिव की पूजा करना बहुत पसंद है लेकिन मैं बहुत दिनों से वहां जा ही नहीं पाई हूं।"

    रजवंती ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारी और तेजस की पसंद भी कितनी मिलती है। तेजस को भी बनारस का अस्सी घाट बहुत पसंद है। वह बहुत बार जयपुर से बनारस सिर्फ और सिर्फ उसे अस्सी घाट पर सुबह की पूजा देखने के लिए जाता है। तुम आराम से जाना और अच्छे मन से जाने वालों के साथ कुछ बुरा नहीं हो सकता।" यह बोलते वक्त रजवंती की गुस्से वाली नजर अवंतिका पर थी क्योंकि जिस लहजे में अवंतिका ने वृंदा को डांटा था रजवंती को बिल्कुल पसंद नहीं आया।

    अवंतिका ने बस एक गहरी सांस छोड़ी और कुछ नहीं कहा क्योंकि उसे भी पता था तेजस को आखिर बनारस का अस्सी घाट क्यों पसंद है लेकिन फिलहाल वह वृंदा के सामने तेजस के अतीत के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहती थी। वही वृंदा खुश होते हुए जल्दी से वापस किचन में चली गई ताकि सबके लिए ब्रेकफास्ट रेडी कर सके। उसने जल्दी-जल्दी 8:30 बजे तक सबका खाना बना दिया था और फिर वह आयशा को कॉल करके बता रही थी कि उसके घर वाले मान गए हैं उन्हें भेजने के लिए। वह आयशा से पहले ही बात कर चुकी थी।

    करीब 9:00 बजे वृंदा राजवंश हाउस से बाहर जा रही थी तो दादी ने उसे रोकते हुए कुछ पैसे देकर कहा, "यह लो अपनी पसंद का कुछ खरीद लेना और ड्राइवर से बोलो वह तुम्हें रेलवे स्टेशन तक छोड़कर आएगा और किसी भी चीज की जरूरत हो बस अपनी दादी मां को एक कॉल कर लेना।" वृंदा ने मुस्कुराते हुए राजवंती के पांव छू लिए और फिर तेजी से बाहर चली गई जहां ड्राइवर पहले से वृंदा का इंतजार कर रहा था। वृंदा कर में बैठी और ड्राइवर को आयशा को पिक करने के लिए कहा। आशा पहले से टैक्सी स्टैंड पर वृंदा का इंतजार कर रही थी। उसने इस वक्त व्हाइट शर्ट और ब्लैक पैंट पहनी थी जिसमें वह एकदम डैशिंग वूमेन लग रही थी। उसने अपने मन ही मन कहा, "मैं विराट को कुछ नहीं बता सकती वरना वह सो सवाल पूछेगा और वृंदा के लिए भी मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाएगी। इससे अच्छा है हम दोनों चुपचाप ही जाकर आ जाए क्योंकि वैसे भी वह दोनों ऑफिस में इतनी ज्यादा बिजी हैं तो दो-तीन दिन तो उन्हें भी लग ही जाएंगे और कल शाम तक हम वापस आ जाएंगे।"

    वृंदा ने आयशा को वहां से पिक किया और फिर ड्राइवर ने उन दोनों को रेलवे स्टेशन छोड़ दिया।

    वहीं दूसरी तरफ राजवंश कॉर्पोरेशन में तेजस और वैराग सुबह ऑफिस के ही पर्सनल बाथरूम में फ्रेश होकर रेडी हो चुके थे। तेजस मुस्कुराते हुए अपने लैपटॉप की तरफ देखकर बोला, "यह अतिक्ष इतना क्यों तिल मिल रहा है?" विराग ने उसके पास बैठकर लंबी सांस भरते हुए कहा, "तुमने तो कहा कि उसकी महबूबा से तुमने शादी कर ली इससे बड़ी चीज क्या हो सकती है किसी आदमी के लिए की जिसे वह पसंद करता है वह किसी और की हो जाए।"

    तेजस ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "पर मुझे कुछ और मामला लग रहा है क्योंकि वृंदा को तो उसने खुद छोड़ा था अगर उसे वृंदा से शादी ही करनी होती तो उसे दिन वह अपनी मां से लड़ता उसके लिए लेकिन उसने ऐसा नहीं किया बल्कि वह तो वृंदा को जान से करने के लिए भी तैयार था और वह जल्दी लड़की आज भी उसके पीछे उतनी ही पागल है। मुझे बोलती है वह अभी मेरे कांटेक्ट में है कांटेक्ट माय फुट मेरा जी बस चले तो उसे जिंदा गढ़ दूं।"

  • 16. Written in the stars - Chapter 16

    Words: 1694

    Estimated Reading Time: 11 min

    समर्थ का ऐसा उखड़ा हुआ जवाब सुनकर तृषा ने मुंह बनाते हुए कहा, "क्या तुमने किसी बात का सीधा-सीधा जवाब देना भी सीखा है या फिर हमेशा ही उल्टा बोलते हो?"

    समर्थ ने गाड़ी की स्पीड बढ़ाते हुए कहा, "मैं तो हमेशा ही उल्टा बोलता हूं और कुछ?"

    तृषा का मन वैसे ही बिगड़ चुका था कि उसने सुबह-सुबह अमर को नहीं देखा और अमर ने भी उसकी खूबसूरत साड़ी को नहीं देखा। इन फैक्ट, इस साड़ी में वह कितनी खूबसूरत लग रही थी, यह नहीं देखा। तो अब वो समर्थ से बहस करके अपना मूड और नहीं बिगाड़ना चाहती थी।

    वहीं माही अभी अपने बिस्तर पर औंधे मुंह लेटी थी कि अचानक उसका फोन जोर-जोर से बजने लगा। माही ने एक पल के लिए फोन को इग्नोर किया और पिल्लों से अपना मुंह ढक कर सो गई, लेकिन वह फोन लगातार बजते ही जा रहा था। जिससे खीजते हुए माही उठी और एक झटके से फोन उठाकर कान से लगाते हुए बोली, " यह क्या बदतमीजी है? सुबह-सुबह सोने भी नहीं देते हो। कौन है? क्या काम है मुझे?"

    सामने से दीक्षांत ने गुस्से में कहा, "क्या यह सोने का टाइम है?"

    दीक्षांत की आवाज सुनकर माही के शब्द गले में ही अटक गए और हड़बड़ाते हुए उसके हाथ से फोन छूट कर बेड पर गिर गया। उसने दोबारा कांपते हाथों से फोन उठाकर कान से लगाया तो दीक्षांत ने गुर्राती आवाज में कहा, "मैं कुछ पूछ रहा हूं, मिस माही। क्या यह सोने का वक्त है अभी? और सोना है तुम्हें?"

    माही ने जल्दी से हकलाते हुए कहा, "नहीं, नहीं सर, मुझे और नहीं सोना है। आई एम सॉरी, मैंने देखा नहीं था कि किसका फोन है।"

    दीक्षांत ने डेविल स्माइल के साथ कहा, "तो तुम तैयार हो ना वह सारा नुकसान चुकाने के लिए जो तुम्हारी वजह से हुआ है, रावत इंडस्ट्रीज में?"

    माही ने जल्दी से कहा, "यस सर, मैं, मैं सारा पैसा चुका दूंगी, चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े।"

    दीक्षांत ने धीरे से कहा, "ठीक है, फिर अभी आओ रावत इंडस्ट्रीज। मैं भी तो देखूं कितनी डेसपरेट हो तुम खुद की खुद्दारी साबित करने के लिए।"

    माही ने कहा, "जी सर, मैं अभी आती हूं।"

    दीक्षांत ने सामने से कहा, "और ध्यान रहे 15 मिनट से ज्यादा लेट नहीं होना चाहिए तुम्हें, वरना अपनी पनिशमेंट के लिए रेडी रहना।"

    माही ने धीरे से हां बोलते हुए फोन कट किया और फिर उछलते हुए बेड से उठकर जल्दी से कपबोर्ड की तरफ बढ़ गई। वह इतनी स्पीड से काम कर रही थी कि उसे खुद नहीं पता वह इतनी पावरफुल भी है कि इतनी तेज उसके कदम चल सकते हैं और वह भी सुबह नींद में उठते ही।

    अगले 5 मिनट में ही वह रेडी हो चुकी थी। उसने अपने बालों को जल्दी से खुला छोड़ा। उसने इस वक्त ब्लैक कुर्ती और उसके नीचे ब्लू जींस पहनी थी। उस कुर्ती का कट उसकी कमर से थोड़ा सा ऊपर था जिससे उसकी कमर हल्की सी विजिबल हो रही थी। उसने दुपट्टा उठाया, अपना फोन और बैग उठाया और फिर सैंडल पहनते हुए जल्दी से कमरे से बाहर निकल गई। वह सीढ़ियों से इतनी तेज उतर रही थी, तो कल्याण सिंह ने कहा, "बेटा, आपने बताया नहीं कि आप आज ही जा रही हो और इतनी सुबह? ब्रेकफास्ट किया आपने?"

    माही ने जल्दी से जबरदस्ती की मुस्कान अपने होठों पर सजाते हुए कहा, "दादा जी मैं जाकर वही किसी कैफे में खा लूंगी। अभी मेरा जाना बहुत जरूरी है, मेरे बॉस मुझ पर भड़क जाएंगे। मुझे जल्द से जल्द ऑफिस पहुंचना है।"

    कल्याण सिंह ने कहा, "मैं ड्राइवर भेज देता हूं।" माही ने जल्दी से कहा,

    "नहीं नहीं, इसकी कोई जरूरत नहीं है।"

    इतना बोलते-बोलते वह दरवाजे तक पहुंच चुकी थी। उसके बाद वह लगभग भागते हुए वहां से बस स्टैंड के लिए निकल गई। उसे 5 मिनट लगे बस स्टैंड पहुंचने में जिसके लिए उसे हमेशा 15 मिनट लगते थे। वह हांफते हुए टैक्सी ड्राइवर से रावत इंडस्ट्रीज जाने का पूछ रही थी।

    वह टैक्सी ड्राइवर भी उसे हैरानी से देख रहा था। फिर उसने कहा, "जल्दी बैठिए मैडम, लगता है आज आप जल्दी नहीं पहुंची तो आपकी जान ही चली जाएगी।" माही ने कहा, "जी भैया, कुछ ऐसा ही है।"

    वहीं दूसरी तरफ, अमर इस वक्त एक पुलिस स्टेशन की हेड वाली चेयर पर बैठा था। उसके सामने पुलिस इंस्पेक्टर खड़ा था। अमर ने मुस्कुराते हुए कहा, "इंस्पेक्टर साहब, मैंने सुना आपने शादी वाले दिन यह भविष्यवाणी की थी कि मेरी शादी में जो लड़की मैं सेलेक्ट की है, वह नहीं आएगी और ऐसा ही हुआ। तो मैं आज आपकी भविष्यवाणी सुनने आया हूं कि आज आपकी जिंदगी में क्या होने वाला है।" फिर उसने अपने हाथ पर खुजली करते हुए कहा, "क्योंकि मेरे हाथ में बहुत तेज खुजली हो रही है जैसे मेरा हाथ तड़प रहा हो किसी के गले को कसकर पकड़ने के लिए।"

    उसके सामने धारावी का सब इंस्पेक्टर हरिवंश यादव खड़ा था और डर से कांप रहा था।

    (चैप्टर नंबर 9 अगर आप इसे भूल गए है एक बार जरूर पढ़ लेना)

    हरिवंश ने हकलाते हुए कहा, "अब मुझे भी किसी ने वह इन लव ऑफर दिया था, मेरी कोई गलती नहीं है इसमें और यह पुलिस स्टेशन है आप पर भी कार्यवाही हो सकती है।" अमर ने किसी शैतान की तरह हंसते हुए कहा, "और वह कार्यवाही कौन करेगा? तू या कमिश्नर साहब? कौन करेंगे?"

    "तुझे पता है ना अमर रावत का मोटिव है पूरे एशिया की माफिया वर्ल्ड पर राज करना?" इतना बोलकर अमर एक प्राउडली स्माइल के साथ बोल रहा था, "जिस दिन माफिया वर्ल्ड मेरे कब्जे में आया पूरा मुंबई आतंकवाद से दूर हो जाएगा और अमर रावत का राज चलेगा जिसमें किसी के साथ बुरा नहीं होगा छोड़कर तुम जैसों को। तुम्हारे साथ तो इतना बुरा होगा जितना शायद यमराज भी अपने मेनू में नहीं रखते हैं किसी पापी को सजा देने के लिए। अमर रावत का पनिशमेंट मेनू काफी अट्रैक्टिव है और क्रिएटिव भी। क्या तुम देखना चाहोगे?"

    हरिवंश ने तीन-चार बार नाम में गर्दन हिला कर कहा, "नहीं, मुझे ऐसा कोई शौक नहीं है।" फिर उसने जल्दी से घुटनों के बल बैठकर हाथ जोड़ते हुए कहा, "मुझे माफ कर दीजिए, मैं बीवी बच्चों वाला आदमी हूं। मुझे जिसने जैसा कहा मैंने कर दिया। यह सब पॉलिटिक्स का मामला है, फिलहाल सरकार का गुंडाराज चल रहा है और हमारे हाथ भी बंधे हुए हैं। हम बस वह कर सकते हैं जो हमसे करने को कहा जाता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।"

    अमर नाम चेयर से उठकर हरिवंश के सामने आते हुए कहा, "बहुत सारे रास्ते हैं तुम्हारे पास, तुम्हारे पास एक रिवाल्वर है और जैसा कि तुमने कहा तुम्हारे साथ बदतमीजी करने वालों के साथ तुम कार्यवाही कर सकते हो। इस पुलिस स्टेशन में तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, लेकिन तुमने गलत रास्ता चुना अमर रावत से बेदाने का। और तुम्हें क्या लगता है मुझे पता नहीं है कि तुम्हें किस चीज का लालच है? क्या मेरे चेहरे पर बेवकूफ लिखा हुआ है?"

    हरिवंश को अपनी मौत अपने सामने नजर आ रही थी। उसने झट से अमर के दोनों पैरों को पकड़ते हुए कहा, "यह सब शेखर करवा रहा है और उसने मुझे कहा था कि वह मेरा प्रमोशन कमिश्नर तक करवा सकता है और मैं उसकी बातों में आ गया।" अमर ने हरिवंश के बाल पड़कर उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए कहा, "तो कमिश्नर की पोस्ट मुबारक हो तुम्हें और साथ में अमर रावत से दुश्मनी भी।"

    इतना बोलकर अमर ने अपना हाथ जेब से निकाला। अमर ने एक अजीब सा उंगली में पहनने वाला खंजर अपनी चारों उंगलियों में पहन रखा था जिसमें चार ब्लेड निकले हुए थे। उसने हरिवंश के बाल और कसकर पड़कर उसका चेहरा ऊपर की तरफ किया और अगले ही पल अपना हाथ उसके गले पर चला दिया। खून के चीते अमर की शर्ट पर गिर पड़े और हरिवंश की एक चीख पूरे पुलिस स्टेशन में गूंज गई।

    वहीं कुछ दूरी पर जहां मुजरिमों से मिलने के लिए लोग आते हैं, उनके लिए अलग से लकड़ी की स्टूल बनी हुई थी। उस पर एक 20 साल की लड़की बैठी थी। उसने जैसे ही अमर को यह करते देखा एक पल के लिए उसने डर से अपनी आंखें बंद कर ली, लेकिन उसके होठों पर एक स्माइल आ गई क्योंकि कुछ देर पहले जब अमर यहां आया था तो हरिवंश उसे मोलेस्ट करने की कोशिश कर रहा था। वह यहां अपने भाई को खाना देने आई थी, लेकिन "वह एक मुजरिम की बहन है, तो एक पुलिस वाला उसके साथ बदसलूकी कर सकता है" यह बोलकर हरिवंश उसे हैरेसमेंट करने की कोशिश कर रहा था। अमर नहीं जाते हुए उस लड़की के सर पर हाथ फेरा और फिर धीरे से कहा, "यहां आने की कोई जरूरत नहीं है, तुम्हारा भाई भगवान नहीं है और हॉस्पिटल का खाना भी हजम हो सकता है उसे।" उस लड़की ने जल्दी से अमर के पांव छूते हुए कहा, "काश आप मेरे भाई होते!"

    अमर के होठों पर एक स्माइल आ गई और वह हंसते हुए पुलिस स्टेशन से बाहर चला गया।

    अमर जैसे ही गाड़ी में जाकर बैठ तो उसका फोन बज उठा। उसने फोन पर फ्लैश होते नाम को देखा जहां लिखा था, "मेरा बच्चा।"

    अमर ने मुस्कुराते हुए फोन पिकअप किया तो सामने से जानवी की नींद भरी आवाज आई, "अमर आप कब वापस आओगे? मुझे घर में अकेले अच्छा नहीं लग रहा है।"

    अमर ने प्यार से कहा, "अभी आ रहा हूं बच्चा, टेंशन ना लो। अब तुम उठ गई हो तो फ्रेश हो जाओ, इतनी देर में मैं तुम्हारे सामने हाजिर हो जाऊंगा।" जानवी ने जल्दी से कहा, "अब आप बिजी तो नहीं है? मैंने आपको परेशान तो नहीं किया?" मैंने कहा, "नहीं बच्चा, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं बस पहुंच रहा हूं।"

    अमर को पता था आज जानवी को पीरियड्स आए थे जिस वजह से उसने जानवी से प्रॉमिस किया था वह उससे मिलने आएगा और पूरे दिन उसी के साथ रहेगा और फिर शाम को अपने ऑफिस का काम घर से ही कर लेगा। इसलिए जानवी उम्मीद लगाए सोफे पर बैठी थी और उसे वहीं वापस भी नींद आ गई और अब जब उसकी आंख खुली तो अमर को अपने पास न देखकर उसका मन उदास हो गया इसलिए उसने अमर को कॉल कर लिया।

    To be continued

  • 17. Written in the stars - Chapter 17

    Words: 1

    Estimated Reading Time: 1 min

    "माहिर ने ड्रिंक का एक घूँट लेकर डेविल स्माइल करते हुए कहा, "इतना क्यों शर्मा रहा है? कोई लड़की पसंद आ गई क्या? या तेरी शादी ही हो गई है? इतना तो आजकल लड़कियां भी नहीं शर्माती हैं। एकदम टमाटर बन गया है।"

    विवेक ने मुस्कुराते हुए अपना सर खुजाकर कहा, "हां, मैंने निशा को प्रपोज़ किया। मतलब प्रपोज़ तो क्या किया, लेकिन हम दोनों ने यह एक्सेप्ट कर लिया कि हम दोनों को एक साथ ही रहना है।"

    माहिर ने कहा, "यह तो अच्छी बात है। कांग्रॅजुलेशंस। तू भी सुधर जाएगा।"

    विवेक ने ड्रिंक उठाते हुए कहा, "जैसे तू सुधर गया, वैसे मैं ऑलरेडी सुधरा हुआ हूं। जरूरत तुझे सुधारने की थी। मैं अपनी वाइफ को पहले दिन से ही पलकों पर बिठा के रखूंगा, तुम्हारी तरह पहले उसे तंग नहीं करूंगा।"

    विवेक की बात सुनकर माहिर शांत पड़ गया। वह पीछे कुर्सी पर अपना सर टिकाते हुए खुले आसमान की तरफ देखने लगा, जहां तारे चमक रहे थे।

    विवेक को महसूस हुआ शायद उसने माहिर के जख्मों को कुरेद दिया। उसने झुकते हुए माहिर के हाथ पर हाथ रखकर कहा, "अरे, मैं तो बस यूं ही छेड़ रहा था तुझे। इतना तो कोई लड़की भी नहीं चिढ़ती है एक लाइन बोलने से जितना तू चिढ़ रहा है।"

    माहिर ने फीकी सी मुस्कान के साथ कहा,

    "कितना बेवकूफ इंसान था ना मैं और खुद को दी माहिर ओबेरॉय समझता था। मोस्ट हैंडसम बैचलर, मोस्ट इंटेलिजेंट जिसको सबका पता है, हर लड़की को एक नजर में पहचान लेने का हुनर समझता था अपने अंदर और देख, मैंने जितने फैसले लिए लड़कियों के बारे में, सब गलत निकले। वह लड़की जो इतनी इनोसेंट और प्योर थी, मैंने उस पर कीचड़ उछाला, इतनी बार उसके कैरेक्टर को गंदा बोला, कभी उसे फालतू के काम करवाए, कभी उससे 100 सीढ़ियां चढ़ाई, लेकिन उसने मुड़कर उफ्फ तक नहीं की, हमेशा मेरा ख्याल रखा। तुझे पता है, उसने आज तक मुझे 'तू' करके भी नहीं बुलाया, हमेशा माहिर जी, माहिर जी, माहिर जी बोलती रहती है और मेरी ही वजह से आज उसकी यह हालत है कि वह माँ भी नहीं बन सकती है और उसके बावजूद उसने मुझे आज तक महसूस नहीं होने दिया है कि कहीं से भी मेरी कोई गलती थी। काश मैं पहले सुधर गया होता और कभी उसको चोट नहीं देता।"

    इतना बोलते वक्त माहिर के गले में कांटे चुभते हुए महसूस हो रहे थे। उसने झुकते हुए एक और शराब का घूँट भरा। इतने में वहां पारुल आ गई। विवेक ने पारुल की गोद में छोटी सी बच्ची को देखा तो हैरानी से कहा, "यह बच्ची कौन है?"

    वहीं श्रृद्धी की नज़र जैसे ही माहिर के हाथ में पकड़े शराब के गिलास पर गई, उसने पारुल को कसकर पकड़ते हुए कहा, "नहीं, मुझे उन लोगों के साथ नहीं रहना जो शराब पीते हैं। आप नीचे चलो आंटी। यहां मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा। मुझे उन लोगों से डर लगता है जो शराब पीते हैं।"

    यह सुनकर माहिर का हाथ कांप गया। उसने मुड़ते हुए श्रृद्धी को देखा, जो पारुल की गर्दन में अपना सर छुपाए बिल्ली जैसी नीली आंखों से उसे डरते हुए देख रही थी। उसकी आंखों में अपने लिए डर देखकर माहिर को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। उसने तुरंत शराब का गिलास टेबल पर रखकर उठते हुए कहा, "नहीं डॉल, तुम डरो मत। मैं नहीं पियूंगा।"

    श्रृद्धी ने डरते हुए कहा, "अब तो आपने पी लिया ना, अब आप गुस्सा करोगे।"

    माहिर ने कहा, "नहीं बच्चा, मैं क्यों गुस्सा करूंगा? और आई एम सॉरी, मैंने पी ली, आगे से कभी हाथ नहीं लगाऊंगा।"

    श्रृद्धी ने झट से अपना सर पारुल की गर्दन से निकालकर अपने हाथ की छोटी उंगली को आगे करते हुए कहा, "पिंकी प्रॉमिस करो मुझसे कि आप कभी शराब नहीं पियोगे।"

    माहिर ने उसके आगे बढ़ी हुई छोटी सी उंगली को देखा और फिर मुस्कुराते हुए उसके पास जाकर अपने हाथ की छोटी उंगली उसकी उंगली में उलझाते हुए बोला, "पिंकी प्रॉमिस डॉल, मैं कभी शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा।"

    यह सुनकर श्रृद्धी ने अपनी बाहें फैला दी क्योंकि उसे अब माहिर से डर नहीं लग रहा था। माहिर ने उसे अपनी गोद में लेकर उसका सर चूमते हुए कहा, "मैं तुम्हारे लिए परफेक्ट बनकर दिखाऊंगा डॉल।"

    माहिर की बात सुनकर पारुल को अपने और माहिर के बीच का कन्वर्सेशन याद आ गया जिसमें वह दोनों शर्त लगा रहे थे कि आखिर सबसे अच्छा गार्जियन कौन बन पाता है। वह याद करके पारुल के होठों पर स्माइल आ गई। वहीं विवेक हैरानी से इस छोटी सी फैमिली को अपने आप में ही खुश होते हुए देख रहा था। उसे लगा जैसे वह तो यहां एक्स्ट्रा हो गया है। उसने उठते हुए कहा, "माहिर, यह बच्ची कौन है?"

    माहिर ने श्रृद्धी का चेहरा विवेक की तरफ किया और फिर कहा, "श्रृद्धि ", यह तुम्हारे अंकल इनका नाम है विवेक।"

    श्रृद्धी ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा, "हेलो विवेक अंकल, मेरा नाम श्रृद्धी है। मैं आज ही अंकल और आंटी के साथ इस घर में आई थी। यह मुझे यहां क्यों लेकर आए हैं यह तो मुझे भी नहीं पता, लेकिन मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है।"

    श्रृद्धी की इतनी प्यारी सी एक्सप्लेनेशन सुनकर विवेक को भी हंसी आ गई। उसने श्रृद्धी से हाथ मिलाते हुए कहा, "हम चाचा-भतीजी मिलकर इन्वेस्टिगेट

    करते हैं आखिर यह दोनों मियां-बीवी आपको यहां लेकर क्यों आए हैं।" इतना बोलकर विवेक ने अपनी बाहें फैला दी तो श्रृद्धी ने कहा, "नहीं, मुझे आपके पास नहीं आना है।"

    यह सुनकर विवेक ने आंखें बड़ी करके कहा, "अरे, आपको जानना नहीं है कि आखिर यह दोनों आपके यहां क्यों लेकर आए हैं? चलो हम इन दोनों का इंटरव्यू लेंगे, आ जाओ अच्छे बच्चों की तरह।"

    श्रृद्धी ने थोड़ा परेशान होते हुए माहिर की तरफ देखा तो माहिर ने उसके बालों में हाथ घुमाते हुए कहा, "डॉल, अगर तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा तो तुम मत जाओ, लेकिन यह बुरे अंकल नहीं हैं, यह मेरा सबसे अच्छा दोस्त है।"

    श्रृद्धी ने मुस्कुराते हुए कहा, "यू मीन बेस्ट फ्रेंड?"

    माहिर ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां, मेरा इकलौता पक्का वाला बेस्ट फ्रेंड।"

    कुछ सोचकर फिर श्रृद्धी विवेक की गोद में चली गई और विवेक भी खुश हो गया। उसने उसे गोद में लेकर फिर वापस वहां रखी चेयर पर बैठते हुए कहा, "तो मिस पारुल ओबेरॉय और श्री माहिर ओबेरॉय बैठिए हमारे सामने।"

    पारुल और माहिर मुस्कुराते हुए उनके सामने बैठ गए और श्रृद्धी ने मुस्कुरा कर ताली बजाते हुए कहा, "वाह, कितना अच्छा लग रहा है।"

    विवेक ने कहा, "तो बताइए मिस्टर ओबेरॉय आप अपनी डॉल को क्यों लेकर आए हैं यहां?"

    माहिर ने थोड़ा नर्वस होते हुए कहा, "क्योंकि मेरे पास अपनी कोई बेटी नहीं है तो मैं चाहता हूं यह प्यारी सी डॉल मेरी बेटी बन जाए।"

    पारुल ने भी माहिर का साथ देते हुए कहा, "हां, मैं भी चाहती हूं गुड़िया तुम मुझे मम्मा बुलाओ, मुझे बहुत अच्छा लगेगा।"

    यह सुनकर एक पल के लिए श्रृद्धी का चेहरा सीरियस हो गया और उसने मुड़ कर विवेक की तरफ देखा। विवेक को समझ आ चुका था कि माहिर और पारुल ने इससे पहले शायद श्रृद्धी के सामने ऐसी बात का जिक्र नहीं किया है जिस वजह से श्रृद्धी शॉकिंग रिएक्शन दे रही है। विवेक ने थोड़ा गुस्से में कहा, "लेकिन श्रृद्धी को तो आप जैसे माँ-पापा नहीं चाहिए है ना श्रृद्धी? तुम्हें तो अच्छे मॉम-डैड चाहिए ना या फिर इन दोनों से काम चला सकती हो तुम?"

    श्रृद्धी ने मुंह बनाते हुए कहा,

    "आप तो अभी आए हो आपको क्या पता यह अच्छे हैं या बुरे हैं? यह लोग बहुत ज्यादा अच्छे हैं, बहुत-बहुत बहुत ज्यादा अच्छे। यह तो मेरे ममा-पापा बन सकते हैं, लेकिन मैं तो इतनी अच्छी नहीं हूं कि मैं उनकी बेटी बन सकती हूं।"

    माहिर ने तुरंत उसका छोटा सा हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, "नहीं डॉल, तुम बहुत अच्छी हो और मैं चाहता हूं तुम मेरी बेटी बन जाओ। बताओ बनोगी?"

    श्रृद्धी ने हंसते हुए कहा, "हां, क्यों नहीं? मैं आपकी बेटी जरूर बनूंगी, मुझे आप बहुत अच्छे लगते हो तो मैं आपको पापा बुला सकती हूं।"

    माहिर उस पल की खुशी जाहिर नहीं कर पा रहा था। उसकी जुबान लड़खड़ा रही थी और होंठ कांप रहे थे। पारुल ने माहिर का दूसरा हाथ पकड़ते हुए कहा, "हां गुड़िया, तुम इन्हें पापा बुला सकती हो और हम कल मंदिर जाकर अच्छे से आपका नामकरण भी करवाएंगे। मतलब हम दोनों के साथ आपका नाम जुड़वाएंगे, और कोर्ट में जाकर आपको ऑफिशियली अपनी बेटी भी बना लेंगे। बताओ तुम्हें मंजूर है क्या?"

    श्रृद्धी ने दो-तीन बार ताली बजाते हुए कहा, "हां, मुझे बहुत अच्छा लगेगा अगर मेरे मम्मी-पापा इतने सुंदर और इतने पैसे वाले होंगे और साथ में मुझे इतना प्यार भी करते होंगे।"

    माहिर से अपनी खुशी कंट्रोल नहीं हो रही थी। उसने अपनी चेयर से उठते हुए विवेक की गोद से श्रृद्धी को ले लिया और फिर अपने सीने से लगाते हुए बोला, "थैंक यू सो मच डॉल, तुम्हें पता नहीं है तुमने मुझे कितनी बड़ी खुशी दे दी है। मैं तुम्हारा बहुत सारा ख्याल रखूंगा।"

    इतना बोलकर माहिर ने श्रृद्धी का माथा चूम लिया तो श्रृद्धी ने भी माहिर के गाल पर किस करते हुए कहा, "और मैं भी अच्छी बेटी बनने की कोशिश करूंगी पापा।"

    उसके मुंह से पापा सुनकर माहिर के दिल को इतनी ठंडक मिल रही थी कि उसकी आंखों में पानी तक आ चुका था और उसके आंसू देखकर श्रृद्धी का चेहरा मायूस हो गया।

    "पापा आप रो क्यों रहे हो? आपको अच्छा नहीं लगा? आई एम सॉरी मैं आगे से ऐसे किस नहीं करूंगी।"

    इतना बोलते बोलते ऐसा लग रहा था श्रृद्धी रो पड़ेगी अभी अभी तो उसे अच्छे से पापा मिले थे इतनी जल्दी अगर उसके पापा नाराज हो जाएंगे तो कैसे चलेगा। माहिर ने उसे वापस अपने सीने से लगाते हुए कहा, "नहीं डॉल, ऐसे कैसे आप मुझे किस नहीं करोगे?" इतना बोलकर माहिर उसके बालों को चूमते हुए कहा, "मैं पूरी जिंदगी तुमसे कभी नाराज नहीं होऊंगा और तुम्हारे लिए वर्ल्ड का बेस्ट फादर बनकर दिखाऊंगा।"

    फिर उसने पारुल की तरफ देखते हुए कहा, "अक्सर मैं इनोसेंट लोगों को बहुत परेशान करता हूं, लेकिन तुम्हें मैं फर्स्ट डे से ही अपनी राजकुमारी बना के रखूंगा, कभी परेशान नहीं करूंगा और जो तुम्हें परेशान करेगा उसकी इतनी बैंड बजाऊंगा की वापस मेरी डॉल को परेशान करने का सोच भी नहीं पाएगा।"

    पारुल ने अपनी आंखों में आई नमी पोंछते हुए माहिर के पास जाकर कहा, "श्रृद्धी तुम पापा के चक्कर में मुझे तो भूल ही गई हो।"

    श्रृद्धी ने अपनी बाहें फैला कर कहा, "नहीं ममा, मैं आपको नहीं भूलूंगी।"

    पारुल ने श्रृद्धी के मुंह से निकला शब्द वापस अपने मन में दोहराया, "ममा", कितना आरामदायक था यह शब्द! उसने झट से श्रृद्धी को माहिर की गोद से लेकर उसके दोनों गाल चूमते हुए कहा, "थैंक यू सो मच गुड़िया, मैं तुम्हें बात नहीं सकती तुमने मेरे दिल का कितना बड़ा बोझ हल्का कर दिया है।"

    उन्हें ऐसे रोते देखकर विवेक का दिल भी कर रहा था कि वह भी रोने लग जाए। उसने अपने सीने पर हाथ रखते हुए कहा, "हाय कितनी प्यारी फैमिली है। चलो मैं भी जाता हूं अपनी गर्लफ्रेंड के पास फिर मैं उसे बोलूंगा कि मुझे भी बेटी चाहिए और उसके लिए पहले हमें शादी करनी पड़ेगी तो मैं जल्दी-जल्दी शादी की प्लानिंग करता हूं ठीक है।"

    श्रृद्धी ने मुड़ते हुए कहा, "अरे विवेक अंकल आप भी प्रॉमिस करो कि आप कभी ड्रिंक नहीं करोगे वरना मैं आपसे गुस्सा हो जाऊंगी और फिर कभी आपकी गोद में नहीं आऊंगी।"

    विवेक के चेहरे का रंग उड़ गया। शराब तो उसकी फेवरेट चीज थी वह उसे कैसे छोड़ सकता है फिर उसने माहिर की तरफ देखा जो उसे गुस्से से घूर रहा था जैसे बोल रहा हो कि उसकी बेटी का आर्डर है मानना तो पड़ेगा। फिर विवेक ने जबरदस्ती की मुस्कान दिखाते हुए कहा, "हां हां क्यों नहीं श्रृद्धी बेटा, मैं शराब छोड़ दूंगा।" उसने रोनी शक्ल बनाकर कहा तो श्रृद्धी ने हंसते हुए कहा, "गुड बाय अब जा सकते हो आप अपनी गर्लफ्रेंड के पास।"

    विवेक ने रोनी सूरत बनाकर माहिर की तरफ देखा और माहिर अब प्राउडली अपनी बेटी की तरफ देख रहा था फिर उसने श्रृद्धी का सर सहलाते हुए कहा, "अब चलो बहुत रात हो गई है, हमें सो जाना चाहिए सुबह बहुत सारे काम है।"

    विवेक घर से निकलते हुए झल्लाकर बोला, "यह सब क्या था मेरी शराब!" फिर उसने अपने दिल को तसल्ली देते हुए कहा, "नहीं, मैं तो ऐसे ही प्रॉमिस किया था मैं शराब पी लूंगा", फिर उसे माहिर की वह लाल आंखें याद आई तो उसने अपने गाल पर दो थप्पड़ मारते हुए कहा, "नहीं नहीं मैं शराब नहीं पियूंगा वरना माहिर ओबेरॉय मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा कि उसकी प्रिंसेस का कहा नहीं माना और क्या पता बहुत मुझे जेल भेजने को तैयार हो जाए राम-राम क्या करूं।"

    विवेक खुद में बड़बड़ाते हुए अपनी गाड़ी में गया और कर स्टार्ट करते हुए बोला, "कहां मैं सेलिब्रेशन की शराब पीने आया था और अब पूरी जिंदगी के लिए शराब छोड़कर जा रहा हूं भगवान आप धन्य हैं कैसे-कैसे सीन क्रिएट करवाते हैं हमारी जिंदगी में!"

  • 18. Written in the stars - Chapter 18

    Words: 1036

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात के करीब 10 बजे

    Dark castle का मेन गेट खुलता है और अर्णव तेज कदमों के साथ हॉल में एंटर करता है, जहाँ डाइनिंग एरिया में सब डिनर कर रहे थे।

    अरहान, उग्र, फरहान, क्रिश, और सीवी मीर वहाँ नहीं था, ये देखकर अर्णव ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "मीर कहाँ गया?"

    फरमान ने हंसते हुए कहा, "वह आज पूरे दिन बेवड़ा बनके घूम रहा था, मीर की मन्नत, अमीर की मन्नत करते हुए इस लड़की के कमरे में गया था, फिर वापस नहीं आया।"

    उग्र ने एक बाइट खाते हुए कहा, "मैं उसे लेने गया था वहाँ से, लेकिन नींद में भी वह उस कमरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था, तो हमने उसे वहीं सोने दिया।"

    अर्णव ने एक गहरी सांस छोड़ी और फिर अपने कमरे की तरफ देखा जो अभी बंद था, जिसका मतलब था कि किसी ने भी एरा से कोई बात नहीं की थी।

    अर्णव ने वहाँ खाना सर्व करती मद से कहा, "मेरा खाना ऊपर रूम में भेज देना।"

    और फिर तेज कदमों से चलते हुए अपने कमरे की तरफ चला गया।

    क्रिश ने उसकी तरफ देखकर गुस्से से कहा, "वह लड़की इस दानव...सही बोलता है, उसे सुबह से खाने के लिए भी नहीं पूछा, पूरा दिन उसे कमरे में बंद रखा था और अब भी इसका मूड देखकर लग नहीं रहा है कि उसे चैन से सोने भी देगा।"

    फरमान ने खाना खाते हुए जवाब दिया, "हाँ, मुझे तो उसे पर दया आ रही है, मुझे सच में लगता है कि वह मासूम है, किंग को उसे परेशान नहीं करना चाहिए, यहाँ तक कि उसका अब यहाँ कोई काम भी नहीं है, उसे उसकी आई के साथ यहाँ से भेज देना चाहिए।"

    उग्र ने कुछ सोचते हुए कहा, "तुम दोनों की बात बिल्कुल सही है, लेकिन एटलीस्ट हमें पता तो करना चाहिए कि उसके साथ प्रॉब्लम क्या है।"

    क्रिश ने एक आइब्रो उठाते हुए कहा, "तो क्या हमने यहाँ धर्मशाला खोल रखी है जो उसकी प्रॉब्लम का पता लगाएंगे फिर उसकी केयर करेंगे? अगर हमारा उससे कोई लेना देना नहीं है तो हमें उस पर टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए।"

    अरहान ने अपनी गहरी काली आंखे छोटी करते हुए कहा, " बेरहम इंसान...इंसानियत नाम की भी कोई चीज होती होगी।"

    क्रिश ने अपने हाथ में पड़ी स्पून को स्टाइल से घूमते हुए कहा, "नेवर, डार्क डेविल्स के दिल में कभी किसी के लिए दया नहीं आ सकती और इंसानियत तो दूर-दूर तक नहीं, हम किसी को फिजूल में चढ़ते नहीं तो साथ में फिजूल में किसी पर अपने पैसे या टाइम भी वेस्ट नहीं करते हैं, समझे।"

    उन्हें यूँ लड़ता देख उग्र ने अपना माथा पकड़ लिया था।

    वहीं अर्णव ने जैसे ही अपने कमरे का दरवाजा खोला तो सामने का नजारा देखकर उसके माथे की नसें गुस्से से तन गई, वह तेज कदमों से अंदर जाते हुए बोला, "मिस छुईमुई, तुमने यह सब क्या किया है?"

    क्योंकि अंदर इरा ने पूरे कमरे का नक्शा ही बदल दिया था, अर्णव के सारे कपड़े तीतर-बितर थे, यहाँ तक की उसकी लगे पेंटिंग्स भी अब काफी हद तक खराब हो चुकी थी क्योंकि उन पर इरा ने अपने नाखून चुभो दिए थे और जिन कांच लगे थे उनके कांच टूट चुके थे।

    ऐसा लग रहा था अरनव के कमरे में कोई तेज तूफान आकर गुज़रा हो और सब कुछ तहस-नहस करके चला गया हो।

    एरा बेड पर घुटनों के बाल बैठी थी, उसके हाथ में फिलहाल एक किताब थी जिसे वह उल्टा-सुलटा करके देख रही थी और अचानक ही उसका एक पेज पढ़ते हुए बोली, "यह सब क्या है दानव, तुम इन सब चीजों का क्या करते हो?"

    इरा फूल ही चुकी थी कि उसने अब तक कितना नुकसान कर दिया है, वह फिलहाल जिस चीज के बारे में सोच रही थी सिर्फ उसी का जिक्र उसके लबों पर था।

    वह बिल्कुल किसी मासूम बच्चे की तरह अपना मुंह फुल अरनव से सवाल कर रही थी और अब उसका चेहरा देखते हुए उसके जवाब का वेट कर रही थी, अरनव की सिल्वर आइस अब तक गहरी लाल हो चुकी थी।

    वह अपने जबड़े कसे हुए धीमे कदमों से चलकर बेड के पास जाता है, इरा अब भी बार-बार पलके चिपकाते हुए उसे देख रही थी, फिर उसने चाहते हुए वह बुक अरनव के सामने करते हुए कहा, "मैं इसकी बात कर रही हूं, यह सब क्या है?"

    इरा यह बोलते हुए उसे किताब के अंदर बने ड्राइंग्स पर इशारा कर रही थी, अर्णव ने एक झटके से उसके हाथ से वह किताब ली और फिर उसे बेड पर फेंक दिया, अगले ही पल उसने इरा के छोटे से चेहरे को अपने हाथ में पकड़ लिया, इरा के गाल इतने मुलायम थे कि अर्णव ने जैसे ही उसके दोनों गालों को भेजो, इरा का चेहरा लाल हो गया और उसके होंठ भी हल्के से खुल गए, उसने अरनव का हाथ हटाने की कोशिश की तो अर्णव ने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और फिर दाँत पीसते हुए बोला, "तुमने मेरे कमरे का सारा सामान तोड़ दिया और अब मुझे उम्मीद करती हो कि मैं तुम्हें यह समझाऊं कि इस किताब में क्या लिखा है? सीरियसली तुमने मुझे पागल समझा है?"

    इरा की आँखों में आंसू आ गए थे, उसने झटपटाते हुए अर्णव को खुद से दूर करने की कोशिश की क्योंकि अरनव के ऐसे पकड़ने से वह अपनी सफाई में कुछ बोल भी नहीं पा रही थी।

    वहीं अरनव का गुस्सा हर पल बढ़ते ही जा रहा था, उसने एक झटके से इरा का चेहरा छोड़ा और अगले ही पल एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ते हुए बोला, "क्या तुम 5 साल की बच्ची हो जो इतना सारा नुकसान कर दिया मेरा? तुम्हें पता भी है यह एंटीक पीस कितने पैसे में आते हैं और कहाँ से लिए जाते हैं? अर्णव यदुवंशी का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता और तुमने उसकी इतनी एक्सपेंसिव चीज तोड़ दी, ब्लडी ड्रामा मेकर, तुम्हें क्या लगता है मैं तुम्हें सिंपैथी दूंगा बेवकूफ समझ कर।" इतना बोलकर उसने फिर से अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था कि उसे इरा के हाथ दिखे जो खून से सने हुए थे, उन्हें देखकर अरनव का बड़ा हुआ हाथ अपने आप अपनी जगह रुक गया और उसने माथे पर बल डालते हुए कहा, "यह सब क्या है इडियट ये हाथ पर चोट?"

  • 19. Written in the stars - Chapter 19

    Words: 1531

    Estimated Reading Time: 10 min

    अर्णव ने इरा के पैरों के जख्मों पर मरहम लगाने के बाद उसके छोटे-छोटे हाथों से भी कांच के टुकड़े निकाले। उसने नजर उठाकर इरा के चेहरे को देखा जो रोने के कारण लाल हो चुका था। अर्णव ने उसके हाथों पर दवाई लगाकर इरा को अपनी बाहों में उठाते हुए कहा, "तुम्हारे पूरे कपड़े भी खराब हो चुके हैं। मुझे घिन आती है ऐसे गंदे लोगों से।"

    इरा ने सुबह उठते हुए कहा, "मैं गंदी नहीं हूँ।"

    अर्णव उसे बाथरूम के स्लैब पर बैठाते हुए बोला, "नहीं, तुम गंदी नहीं, तुम बहुत ज्यादा गंदी हो।"

    इतना बोलकर वह वापस बाथरूम से बाहर आया और उसने रूम की कपबोर्ड से अपना एक शर्ट निकालते हुए वापस बाथरूम में गया, जहाँ इरा अपने दोनों हाथों को देख रही थी। उसकी चार उंगलियों पर अर्णव ने पट्टी की थी।

    अर्णव एक गहरी सांस छोड़ते हुए उसके करीब जाकर बोला, "मुझे तुम्हारे कपड़े चेंज करने हैं।"

    इरा ने अपने दोनों हाथ उठाते हुए कहा, "कर लो।"

    अर्णव ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "तुम एक मौका नहीं छोड़ती हो ना अपनी बेशर्मी दिखाने का और फिर कितनी जल्दी मासूम बनने का नाटक करने लगती हो।" अर्णव को गुस्सा आ रहा था इस विधर्मी सी लड़की पर जो तूफान की रफ़्तार से अपने बिहेवियर को चेंज कर लेती है।

    अर्णव ने आगे बढ़कर उसकी फ्रॉक की ज़िप खोली और फिर पीछे से डोरी भी खोल दी। उसके हाथ कांप रहे थे लेकिन उसके चेहरे पर अभी शक था, जैसे अपने मन में चल रही हलचल को वह इरा से बहुत दूर रखना चाहता हो।

    अर्णव ने उसके कंधों से जैसे ही ड्रेस को निकाला उसकी नजर एक बार फिर इरा के क्लीवेज पर चली गई जहाँ एक तिल बना हुआ था और काफी अट्रैक्टिव लग रहा था। अर्णव का दिल कर रहा था कि एक बार उसे दिल को छू ले और उसकी उंगलियां भी थरथर रही थी, जैसे उन पर से अर्णव का कंट्रोल छूट रहा हो।

    अर्णव बस उसे तिल को छूने ही वाला था कि अचानक इरा ने कहा, "दानव तुम क्या कर रहे हो? जल्दी करो ना, मुझे भूख लगी है।"

    इरा की आवाज सुनकर जैसे अर्णव होश में आया हो। उसने अपनी आंखें भिंचते हुए उसकी फ्रॉक को निकालकर अपना शर्ट उसकी बाजू में डाला, जिसके साथ ही इरा ने कराहते हुए कहा, "दोनों मेरे हाथ में दर्द हो रहा है। तुम छोड़ो लोगे, यह मुझे पहनना आता है।"

    इतना बोलकर इरा ने वह शर्ट खुद पहनना शुरू कर दिया और अर्णव ने एक गहरी सांस लेते हुए दो कदम पीछे रख लिए। उसने अब एक बार भी आंखें उठाकर इरा की तरफ नहीं देखा।

    वहीं इरा ने अपनी चहकती आवाज में कहा, "दानव, मैं पहन लिया। अब तुम मुझे फिर से गोद में उठाओ।"

    अर्णव की आंखों में गुस्सा आ गया। यह लड़की क्या उसे आर्डर दे रही है या उसे अपना नौकर समझती है? अर्णव तेज कदमों से बाथरूम से बाहर जाते हुए बोला, "तुम खुद आ सकती हो।"

    अर्णव बाहर आकर सोफे पर बैठकर अपना माथा पकड़ते हुए बोला, "यह सब क्या हो रहा है? ऐसा तो मैं कभी नहीं था। मैं क्यों इस लड़की की इतनी केयर कर रहा हूं, जबकि मुझे पता है यह मानिक मल्होत्रा ने भेजी है और यह जानबूझकर मेरे दिल के साथ खेलना चाहती है।"

    वह इतना सब सोच ही रहा था कि इरा की सिसकने की आवाज उसके कानों में पड़ी। उसने धीरे से गर्दन घुमा कर देखा तो इरा लड़खड़ाते कदमों से बाथरूम के दरवाजे से बाहर निकल रही थी। उसके पैरों में दर्द हो रहा था, लेकिन फिर भी वह तेज कदमों से चलकर अर्णव की तरफ आ रही थी। वह अर्णव के पास आकर सोफे पर बैठते हुए बोली, "अब ठीक है दानव, अब मुझे खाना दे दो।"

    अर्णव ने ट्रॉली में से खाना निकलते हुए सामने रखी टेबल पर दो प्लेट्स रखीं और इरा ने झट से एक प्लेट उठाकर खाना शुरू कर दिया। अर्णव ने हैरानी से उसकी तरफ देखा। उन्होंने अपने हाथ में चम्मच पकड़ी थी जो वह इरा को देना चाहता था, लेकिन इरा ने हाथ से ही खाना शुरू कर दिया था। दो-तीन बीते लगातार खाने की वजह से इरा के गले में खाना फस गया और वह जोर-जोर से खांसने लगी, जिसे देखकर अर्णव ने एक गिलास में पानी डालते हुए कहा कि खाना कहीं भाग कर नहीं जा रहा है, तुम आराम से भी खा सकती हो और यह क्या जानवरों वाली हरकत है? यहां चम्मच रखी है, तुम्हें दिखाई नहीं दे रही है?

    इरा ने वह निवाला निकलते हुए जल्दी से पानी पीकर कहा, "वह मुझे बहुत तेज भूख लगी है दानव और मैं तो हाथों से ही खाती हूं, चम्मच से खाना मुझे अच्छा नहीं लगता।" इतना बोलकर एक बार फिर इरा वैसे ही खाने लगी जैसा उसे पसंद था और अर्णव को उसे ऐसे देखकर अजीब लग रहा था। उसने अपनी नज़रें इरा से हटा ली और खुद आराम से खाना खाने लगा।

    अब करीब रात के 11:00 बज चुके थे। अर्णव ने इरा को इस कमरे में छोड़ते हुए कहा, "तुम पूरी रात यही रहना और भागने की कोशिश मत करना। मैं तुम्हारे साथ एक कमरे में तो कभी नहीं रह पाऊंगा, इसलिए मैं बगल वाले कमरे में हूं।"

    इतना बोलकर अर्णव तेज कदमों से कमरे से बाहर चला गया, वहीं इरा ने भी एक सुकून की सांस ली और धीमे कदमों से बेड की तरफ चली गई। बेड पर लेटने के बाद इरा अपने हाथों को देख रही थी जिस पर अर्णव ने पट्टी की थी। उसने धीरे से उस पट्टी को अपने दूसरे हाथ से छूते हुए कहा, "क्या यह दानव अच्छा है? इसने मेरे दर्द होने पर मुझे दवा लगाई है, लेकिन कैई सा तो ऐसा नहीं करती थी।"

    वहीं अर्णव अपने कमरे में बैठकर अब ड्रिंक कर रहा था क्योंकि उसके सामने बार-बार इरा की वह छवि आ रही थी जब उसने इरा के कंधों से उसे फ्रॉक को नीचे सरकाया था। चाह कर भी अर्णव के दिमाग से वह दृश्य निकल नहीं रहा था और उसका एक ही इलाज था कि वह अपने दिमाग को डाइवर्ट कर ले और उसका सबसे अच्छा इलाज थी उसकी शराब।

    अगली सुबह

    अर्णव की आंखें किसी के बार-बार दरवाजा बजाने से खुली और उसने अपने सर पर हाथ रखते हुए खुद की हालत को देखा। वह सोफे पर बैठे-बैठे ही सो गया था।

    वह कराहते हुए उठा और फिर जाकर दरवाजा खोला तो सामने अपनी चार्मिंग स्माइल लिए कृष खड़ा था।

    उसे देखकर अर्णव ने माथे पर बाल डालकर धीरे से कहा, "इतनी सुबह क्या चाहिए तुझे मेरे से?"

    कृष ने उसका यह हाल देखकर कहा, "क्या हुआ किंग, तुम सोए नहीं रात को?" अर्णव ने अपना सर पकड़ते हुए कहा, "हां, बस थोड़ा सा हेडेक है। तुम बताओ क्या बोलना है इतनी सुबह तुम्हें?"

    कृष अर्णव के पीछे-पीछे अंदर आते हुए बोला, "मैं कल शाम से तुम्हें ढूंढ रहा हूं। मानिक मल्होत्रा के बारे में न्यूज़ देनी थी पर तुम हो कि मिल ही नहीं रहे और फिर रात को इतनी लेट आए तो मैंने सोचा अभी रहने देता हूं, सुबह बताऊंगा।"

    अर्णव बेड पर बैठते हुए अपने पास रखे इंटरकॉम से नीचे किचन में कॉल करता है। सामने से एक मेड की आवाज आती है, "जी सर।" अर्णव बोलता है, "एक गिलास नींबू पानी लेकर आना।" और फिर कॉल कट कर देता है।

    कृष उसके पास बैठे हुए बोलता है, "वह बात यह है कि मानिक मल्होत्रा आज रात को मिस्टर डिसूजा की सेलिब्रेशन सेरेमनी में शामिल होने वाला है, हमारे पास इनविटेशन कार्ड आया है।"

    माणिक का नाम सुनते ही अर्णव के जहां में जो पहला ख्याल आया था वह था इरा का।

    अर्णव ने दृढ़ता से कहा, "हम जरूर जाएंगे और हमारे साथ वह छुईमुई भी जाएगी। वहां जाकर हो ना हो मानिक उसे एक बार मिलने की कोशिश तो जरूर करेगा या फिर वह खुद सामने से कोशिश करेगी ताकि यहां की अपडेट दे पाए क्योंकि उसके पास कोई फोन नहीं है तो अब तक मानिक को नहीं पता उसके साथ हमने क्या किया है और क्या नहीं।"

    कृष ने अपने दोनों हाथों को मिलते हुए कहा, "और मुझे भी उसे निर्भय से बदला लेने का मौका मिल जाएगा। माणिक का लेफ्ट हैंड होकर पता नहीं खुद को क्या समझता है, जब देखो तब मेरी हर डील में टांग अड़ाता रहता है।"

    अर्णव और कृष अपनी बातों में लग चुके थे और वहां मेड अर्णव के लिए नींबू पानी लेकर भी आ चुकी थी। अर्णव ने एक घूंट में वह नींबू पानी पिया और फिर कपबोर्ड से अपने कपड़े निकालते हुए बोला, "दो दिन बाद राधा का बर्थडे है, उसके लिए गिफ्ट भी खरीदने हैं तो तुम व और उग्र से बोल देना, वह दोनों साथ जाकर उसके लिए गिफ्ट खरीद लेंगे।"

    कृष ने कहा, "और कोई आर्डर?" अर्णव ने अपना सर दबाते हुए कहा, "एक मेरे लिए हेडेक की टेबलेट निकाल कर रखो, मैं बस फ्रेश होकर आया, उसके बाद हम डील के बारे में बात करेंगे, कल क्लाइंट भी आने वाले हैं।"

    कृष अपना सर खुजाते हुए बोला, "हां हां, इतने सारे काम एक साथ ही क्यों होते हैं?"

    इतना बोलकर कृष ने सबसे पहले टैबलेट निकालकर वहां रखी टेबल पर राखी और फिर तेज कदमों से बाहर चला गया व और उग्र को मार्केट भेजने के लिए।

  • 20. Written in the stars - Chapter 20

    Words: 1177

    Estimated Reading Time: 8 min

    परी को समझते देर नहीं लगी कि सोना ने ज़रूर उसकी कॉफि में कुछ मिला दिया था और इस हालत में कॉलेज में रहना खतरे से ख़ाली नहीं था। वह जल्द से जल्द कॉलेज से बाहर निकलना चाहती थी ताकि वह बेहोश ना हो जाए। वह मुड़कर जैसे ही कॉलेज के दरवाजे तक आई, अचानक ही गिरने को हुई लेकिन किसी के मज़बूत हाथों ने उसे थाम लिया। परी ने आँखें उठाकर देखा तो सामने अभिनव खड़ा था और उसने आँखें छोटी करते हुए कहा, "मिस परी, तुम वापस कहाँ जा रही हो और क्या तुमने ड्रिंक कर रखी है?"

    अभिनव के लहजे में नाराज़गी और गुस्सा था, जो एक तो पारुल वाली बात को लेकर था और दूसरा उसे परी नशेड़ी लग रही थी।

    परी ने अपने गले को तर करते हुए धीरे से कहा, "किसी ने कुछ पिला दिया है, प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो। मुझे बिल्कुल सही नहीं लग रहा है, मेरा सर घूम रहा है।"

    अभिनव ने एक झटके में उसे सीधा खड़े करते हुए कहा, "मेरे पास और भी बहुत सारे काम हैं। मैं यहाँ इंटर्नशिप करने आया हूँ ना कि तुम्हें संभालने के लिए।"

    इतना बोलकर अभिनव तेज़ कदमों से आगे बढ़ गया। परी ने खुद को संभालते हुए दो कदम आगे बढ़ाए, लेकिन उसका सर इतनी तेज़ी से घूमा कि वह लड़खड़ाते हुए घुटनों के बल गिर पड़ी और उसने फिर से अभिनव को आवाज़ लगाई, लेकिन अभिनव उसे नज़रअंदाज़ करता हुआ आगे बढ़ता चला गया और अगले ही पल परी की आँखों के सामने अंधेरा छा गया और वह धाम से फ़र्श पर गिर पड़ी।

    गिरते ही उसके सर पर चोट भी लग गई। वहीं अभिनव को जब महसूस हुआ कि पीछे परी के गिरने की आवाज़ आई है, उसने जल्दी से मुड़ते हुए देखा। उसे लग रहा था शायद परी नाटक कर रही है, लेकिन अब परी को इस हाल में देखकर अभिनव का दिल घबरा रहा था। वह तेज़ी से चलते हुए परी के पास आया। परी बेहोश नहीं हुई थी, उसकी आँखें अभी भी खुली हुई थीं और उनमें हल्का-हल्का नशा छाया हुआ था, जिसे देखकर अभिनव ने हकलाते हुए कहा, "तो तुम्हें सच में किसी ने कुछ पिला दिया है?" परी ने अपनी आँसू भरी आँखों को झपकाते हुए अभिनव को हाँ का इशारा किया और अगले ही पल अभिनव ने अपना फ़ोन निकालते हुए जल्दी से ऑनलाइन कैब बुक की और परी को बाहों में उठाते हुए कॉलेज से बाहर निकल गया। अभी उसे आए हुए बस 5 मिनट हुए थे कि बाहर कैब भी आ चुकी थी। अभिनव ने जल्दी से कैब का बैक साइड दरवाजा खोला और परी को गोद में लिए बैठ गया। वह परी के गाल थपथपाते हुए उसे बोल रहा था, "क्या हम अस्पताल चलें या तुम्हारे घर?"

    अभिनव ने आज से पहले ऐसी सिचुएशन कभी फ़ेस नहीं की थी, जिस वजह से उसे डर लग रहा था कि उसे अब क्या करना चाहिए।

    उसने कैब ड्राइवर को ओबेरॉय मेंशन का पता बताया। फिलहाल उसे सबसे सही रास्ता यही लगा कि वह परी को उसके घर छोड़ दे।

    लेकिन कुछ ही देर बाद परी अपने गीले होंठ अभिनव की गर्दन पर चलते हुए खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी। शायद उसकी बॉडी में ड्रग्स एक्टिवेट हो गए थे और अभिनव ने जैसे ही उसके होठों को अपनी गर्दन पर महसूस किया मानो उसके पूरे शरीर में एक साथ करंट दौड़ गया और उसके शरीर पर रोएँ तक बिल्कुल सीधे खड़े हो गए जैसे उसे बहुत तेज़ करंट लगा हो। उसने जल्दी से परी का चेहरा पकड़ कर अपने सामने किया और फिर हकलाते हुए बोला, "परी, प्लीज़ होश में आओ। तुम क्या कर रही हो? क्या तुम्हें भी समझ आ रहा है?"

    परी ने आँखों में पानी लिए कहा, "प्लीज़ मुझे ऐसे अच्छा लग रहा है।" इतना बोलकर इस बार उसने अपने होठों को सीधा अभिनव के उन डार्क ब्राउन होठों से मिला दिया, जिन्हें देखकर उसके शरीर में अजीब सी हलचल हो रही थी।

    अभिनव ने एक नज़र कैब ड्राइवर की तरफ देखा, जिसके चेहरे के एक्सप्रेशन बता रहे थे कि उसे इन दोनों को ऐसे देखकर कितना अजीब फ़ील हो रहा है। अभिनव ने जल्दी से परी का चेहरा अपने दोनों हाथों में थामते हुए उसे बिल्कुल किसी छोटे बच्चों की तरह समझाते हुए कहा, "परी, प्लीज़ तुम होश में आओ। अभी तुम नशे में हो, लेकिन जब तुम्हें होश आएगा और तुम्हें पता चलेगा कि तुमने क्या किया था, तब तुम्हें अपने किए पर बहुत ज़्यादा शर्मिंदगी महसूस होगी और मैं नहीं चाहता ऐसा कुछ हो।"

    इतना बोलकर अभिनव ने ज़बरदस्ती परी के चेहरे को खुद से अलग कर दिया और ड्राइवर से कहा, "भैया, थोड़ा जल्दी करो।" ड्राइवर भी इस सिचुएशन से जल्द से जल्द निकलना चाहता था इसलिए उसने कैब की स्पीड और ज़्यादा बढ़ा ली और कुछ ही देर में वह ओबेरॉय मेंशन के सामने थे। अभिनव जल्दी से उतरा और परी को अपनी बाहों में उठाते हुए मेंशन के अंदर गया। उसने अंदर देखा तो सब कुछ खाली था क्योंकि कबीर और ध्रुविका वीर को लेकर माहिर और पारुल के पास जा चुके थे और कौशल्या बहुत ज़्यादा पछता रही थी अपने किए पर इसलिए वह भारद्वाज मेंशन गई थी पारुल के माता-पिता से सॉरी बोलने के लिए। बच्चे तुषार जी तो वह अपने कमरे में थे और ऑफिस का कुछ वर्क कर रहे थे। इन सब चीज़ों में सबसे ज़्यादा पैसा था तो वह था उनका ऑफिस वर्क। सब कुछ इतना ज़्यादा बिगड़ चुका था कि उनसे कंट्रोल नहीं हो रहा था इसलिए वह नॉनस्टॉप काम करके सारी डील्स को क्रैक करने की कोशिश कर रहे थे और अब तो उन्हें लग रहा था माहिर भी उनकी हेल्प नहीं करेगा।

    माहिर ने ऑलरेडी अपनी कंपनी बहुत ग्रो कर ली थी लेकिन वह हमेशा तुषार जी की हेल्प करता था लेकिन जब से कौशल्या और पारुल की लड़ाई होनी शुरू हुई थी माही ने उनकी कंपनी में हाथ बटाना बंद कर दिया था। तुषार जी को लगता था यह सब कुछ पारुल की वजह से है क्योंकि माहिर अपनी बीवी को बहुत सपोर्ट करता है और हमेशा उसी की साइड रहना चाहता है, तो कोई उसे ग़लत कहेगा तो उसका साथ माहिर कभी नहीं देगा लेकिन असलियत कुछ और थी। माहिर अब सारा काम कबीर को सौंपना चाहता था क्योंकि उसे तुषार से कोई हक़ नहीं चाहिए था और कबीर का इंटर्नशिप लगभग ख़त्म होने को था तो वह जल्द से जल्द जितनी जल्दी बिजनेस वर्ल्ड में उतर जाए उतना अच्छा था। बस माही ने इसीलिए अपने पैर पीछे खींच लिए थे तुषार की कंपनी से।

    अभिनव ने नज़रें दौड़ाते हुए किसी को देखना चाहा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। परी फिर से अपने होंठ अभिनव की गर्दन पर चल रही थी जिससे अभिनव को अजीब सी गुदगुदी हो रही थी। वह फिर तेज़ कदमों से सीढ़ियों के ज़रिए परी को उसके कमरे में ले गया। अभिनव यहाँ इतनी बार आ चुका था तो उसे पता था परी का कमरा कौन सा है इसलिए वह डायरेक्ट उसे उसके कमरे में ले जाते हुए बेड पर बैठ कर बोला, "परी रुको, मैं ठंडा पानी लेकर आता हूँ। खुद को संभालो।