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Contract Ishq ka

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Manshi Vaswaan

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रागिनी को उसके प्यार राज ने ही बेच दिया—10 करोड़ में। अब वो अर्जुन मलिक की कैद में थी, जो कभी हीरो था, कभी विलेन। वो भागना चाहती थी, मगर अर्जुन ने शर्त रख दी—"पहले 10 करोड़ लाओ, फिर चली जाना।" रागिनी उसे अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा दुश्मन समझ बैठी,...

Total Chapters (8)

Page 1 of 1

  • 1. Contract Ishq ka - Chapter 1

    Words: 1142

    Estimated Reading Time: 7 min

    रागिनी अपनी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत दिन का सपना देख रही थी—शादी का दिन। लाल जोड़े में सजी, वह आइने में खुद को देख रही थी; उसकी आँखों में खुशी और उम्मीद की झलक थी। "बस कुछ ही घंटों में मैं और राज एक होंगे।"


    राज, वह लड़का जिससे वह दिल से प्यार करती थी। जिसने उसे यह एहसास दिलाया था कि दुनिया में कोई तो है जो सिर्फ उसके लिए बना है। लेकिन उसे नहीं पता था कि उसके सपनों की डोर पहले ही कट चुकी थी।


    शादी का मंडप तैयार था, बारात आ चुकी थी, लेकिन अचानक...


    "दुल्हन को ले जाओ!"


    यह शब्द किसी बवंडर की तरह आए और सब कुछ तहस-नहस कर गए।


    रागिनी ने घबराकर पीछे देखा—राज वहाँ नहीं था। उसकी जगह कुछ अजनबी लोग थे, और उनमें से एक ने उसकी कलाई इतनी जोर से पकड़ी कि दर्द की लकीरें उभर आईं।


    "तुम लोग कौन हो?" वह चिल्लाई।


    पर जवाब सिर्फ एक ही था—"अब तुम हमारे बॉस की हो।"



    कहीं दूसरी तरफ, अर्जुन मलिक—एक नाम जो दुनिया के लिए रहस्य था। जो दिखने में सख्त था, पर अंदर से... एक तूफान था।


    वह अपने आलीशान ऑफिस में बैठा हुआ था; उसकी आँखों में एक अजीब-सा सुकून था, जैसे उसे पहले से पता हो कि क्या होने वाला है।


    उसका फोन बजा।


    "काम हो गया।" दूसरी तरफ से आवाज आई।


    अर्जुन के होठों पर हल्की मुस्कान आई।


    "उसे मेरे पास ले आओ।"



    रागिनी खुद को बचाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वे लोग बहुत ताकतवर थे।


    "छोड़ो मुझे! मुझे राज के पास जाना है!" उसने गुस्से और बेबसी में चिल्लाते हुए कहा।


    पर तभी...


    "राज अब तुम्हारा नहीं रहा, रागिनी। उसने तुम्हें बेच दिया।"


    इन शब्दों ने उसकी दुनिया को एक झटके में बिखेर दिया।


    "झूठ! ऐसा नहीं हो सकता!"


    लेकिन सच हमेशा कड़वा होता है।


    उसकी आँखों के सामने एक कागज़ लहराया गया।


    "ये रहा सौदे का सबूत। तुम्हारी कीमत सिर्फ 10 करोड़ थी।"


    रागिनी के हाथ-पैर सुन्न पड़ गए।


    वह बस एक चीज़ सोच पा रही थी—"राज ने... मुझे बेच दिया?"


    रागिनी की आँखें अब भी कागज़ पर लिखी उन ठंडी सच्चाइयों को देख रही थीं। उसकी कीमत 10 करोड़। उसके अपने होने वाले पति ने उसे बेच दिया था!


    उसका पूरा शरीर कांप रहा था, लेकिन दिल कह रहा था—"नहीं, ये झूठ है। राज ऐसा नहीं कर सकता!"


    "तुम लोग झूठ बोल रहे हो!" उसने गुस्से से कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में अब भी बेबसी थी।


    "सच हमेशा दर्दनाक होता है, डियर," एक गहरी आवाज़ आई।


    रागिनी ने मुड़कर देखा—दरवाजे पर एक आदमी खड़ा था। ऊँचा कद, चौड़ी छाती, चेहरे पर हल्की दाढ़ी, आँखों में अजीब-सा सुकून लेकिन खतरनाक तेज।


    अर्जुन मलिक।


    रागिनी को उसका नाम मालूम था। यह वही इंसान था जिससे पूरी बिजनेस इंडस्ट्री डरती थी। जो हर डील अपने तरीके से करता था। और आज... डील उसने खुद पर होते हुए देखी थी।


    "तुम... कौन हो?" रागिनी ने गुस्से से पूछा।


    अर्जुन ने हल्की मुस्कान दी। "जिसने तुम्हें खरीदा है।"


    रागिनी का खून खौल उठा।


    "मैं कोई चीज़ नहीं जिसे खरीदा-बेचा जाए! मुझे अभी जाने दो!" उसने पूरी ताकत से चिल्लाया।


    अर्जुन ने उसकी आँखों में झाँका। "ठीक है, जाओ। लेकिन पहले मेरे 10 करोड़ वापस दो।"


    रागिनी के चेहरे से खून उतर गया।


    "मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं..." उसने धीरे से कहा।


    अर्जुन ने एक कदम आगे बढ़ाया। "तो फिर तुम्हें यहाँ रहना होगा... जब तक तुम मेरी कीमत चुका नहीं देती।"


    रागिनी को लगा कि जमीन उसके पैरों के नीचे से खिसक रही है।


    "तुम ये जबरदस्ती नहीं कर सकते!" उसने चीखते हुए कहा।


    अर्जुन के होंठों पर वही रहस्यमयी मुस्कान थी।


    "जबरदस्ती? तुम्हारी किस्मत ने तुम्हें मेरे पास भेजा है, रागिनी। और मैं कभी अपनी चीज़ को खोता नहीं।"


    उसने अपने आदमियों से कहा, "इसे इसके कमरे में लेकर जाओ।"



    रागिनी को यहाँ ज्यादा वक्त तक नहीं रहना था। वह अर्जुन मलिक की कैद में नहीं रह सकती थी!


    रात के अंधेरे में, जब पूरी हवेली शांत थी, वह अपने कमरे से बाहर निकली। सिर्फ एक ही रास्ता था—मुख्य दरवाजा।


    "बस यहाँ से बाहर निकल जाऊं, फिर कोई मुझे रोक नहीं सकता…" उसने खुद से कहा।


    लेकिन जैसे ही वह दरवाजे तक पहुँची, अचानक पीछे से एक आवाज़ आई—


    "Interesting. तुम इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं हो, राइट?"


    रागिनी के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई।


    वह धीरे-धीरे मुड़ी। अर्जुन मलिक सामने खड़ा था, काले आउटफिट में, आँखों में अंधेरा और चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान।


    "तुम्हें लगा मैं इतनी आसानी से तुम्हें जाने दूँगा?"


    रागिनी ने घबराहट छुपाते हुए कहा, "तुम मुझे जबरदस्ती नहीं रोक सकते, अर्जुन!"


    अर्जुन ने एक गहरी साँस ली और धीरे से आगे बढ़ा। "मैं जबरदस्ती में विश्वास नहीं रखता, रागिनी। लेकिन अगर कोई मुझे छोड़कर जाने की कोशिश करे, तो मैं उसे रोकना जानता हूँ।"


    रागिनी का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।


    "तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हें यहाँ इसलिए रख रहा हूँ क्योंकि तुम एक डील का हिस्सा हो?" अर्जुन ने आँखें संकरी करते हुए कहा। "ये सिर्फ एक वजह है। लेकिन असली वजह कुछ और है..."


    रागिनी को पहली बार महसूस हुआ कि अर्जुन सिर्फ एक क्रूर बिजनेसमैन नहीं था। उसके अंदर कुछ और भी था। कुछ जिसे वह छुपा रहा था।


    "आखिर मेरी ज़िंदगी में तुम्हारा मकसद क्या है?" रागिनी ने गुस्से से पूछा।


    अर्जुन मुस्कुराया, लेकिन उसकी मुस्कान में एक रहस्य था।


    "वक़्त आने पर पता चल जाएगा, रागिनी। पर तब तक... तुम्हें मुझसे दूर जाने की इजाज़त नहीं है।"



    रागिनी को लग रहा था जैसे किसी ने उसकी ज़िंदगी को अचानक pause पर डाल दिया हो।


    वह अर्जुन मलिक के पेंटहाउस में थी—एक खूबसूरत लेकिन अनजान जगह।


    "तुम मुझे कब जाने दोगे?" उसने गुस्से से पूछा।


    अर्जुन सोफे पर बैठा, विस्की घुमा रहा था। उसकी आँखों में वही शांति थी, जो तूफ़ान से पहले होती है।


    "जब तक मेरे 10 करोड़ वापस नहीं मिलते, तब तक तुम यहाँ रहोगी।"


    "पर मेरे पास पैसे नहीं हैं!"


    अर्जुन ने उसकी आँखों में देखा। "तो फिर अपने तरीके से चुकाने होंगे।"


    रागिनी पीछे हटी। "क्या मतलब?"


    अर्जुन मुस्कुराया, लेकिन उसकी मुस्कान खतरनाक थी। "डरो मत, मैं तुम्हें बेचने वाला नहीं हूँ। लेकिन जब तक कर्ज़ नहीं चुकता, तुम यहीं रहोगी।"


    "और मैं तुम्हें अपनी मर्जी से छोड़ूँगा भी नहीं।"


    रागिनी को लगा कि उसकी साँसें रुक गई हैं।


    "ये बकवास है!" उसने चीखकर कहा।


    अर्जुन ने विस्की का आखिरी घूंट लिया और ग्लास टेबल पर रख दिया।


    फिर वह उठकर उसके करीब आया। इतना करीब कि रागिनी को उसकी तेज़ साँसें महसूस हो रही थीं।


    "बकवास?" अर्जुन ने धीरे से कहा। "बकवास तो वो था जो तुम्हारे साथ हुआ। तुम बेची गई हो, रागिनी। एक प्राइस टैग के साथ।"


    उसके लहज़े में कोई भाव नहीं था।


    "और अब," उसने ठंडे स्वर में कहा, "तुम्हें अपनी कीमत चुकानी होगी।"


    रागिनी को समझ नहीं आ रहा था कि वह अर्जुन मलिक से डरे या उससे नफरत करे।

    क्रमशः...

  • 2. Contract Ishq ka - Chapter 2

    Words: 1278

    Estimated Reading Time: 8 min

    रागिनी की आँखों में आक्रोश था। उसने अर्जुन के बनाए नियमों को तोड़ने की कसम खाई थी।

    रात के सन्नाटे में, जब पूरा घर गहरी नींद में सो रहा था, वह दबे पाँव बाहर निकलने लगी। किंतु जैसे ही उसने दरवाज़े का हैंडल घुमाया, पीछे से एक सर्द आवाज़ आई—

    "कहीं जाने की जल्दी है, रागिनी?"

    रागिनी का दिल जोर से धड़क उठा। उसने धीरे से पलटकर देखा—अर्जुन मलिक, अपनी काली शर्ट की बाज़ू ऊपर चढ़ाए, ठंडी नज़रों से उसे घूर रहा था।

    "मैं… मैं बस…" रागिनी के शब्द गले में अटक गए।

    अर्जुन ने एक कदम आगे बढ़ाया। "तुम समझती क्यों नहीं कि भागना तुम्हारे लिए सही नहीं होगा?"

    रागिनी की आँखों में नफ़रत उभर आई। "और तुम्हारे साथ रहना सही होगा?"

    अर्जुन मुस्कुराया, मगर उस मुस्कान में एक अलग सख़्ती थी। "कम से कम ज़िंदा रहोगी।"

    रागिनी के अंदर डर की एक लहर दौड़ गई।

    "तुम मुझे धमका रहे हो?"

    अर्जुन ने उसकी आँखों में गहराई से झाँका। "नहीं, सिर्फ़ सच्चाई बता रहा हूँ। ये दुनिया उतनी आसान नहीं है जितनी तुमने सोची है, रागिनी। और मैं…" उसने एक पल के लिए रुककर गहरी साँस ली, "...मैं वो इंसान हूँ जो अपने पास रखी चीज़ को आसानी से जाने नहीं देता।"

    रागिनी ने गुस्से में मुट्ठियाँ भींच लीं।

    "मैं कोई चीज़ नहीं हूँ!"

    अर्जुन ने सिर झुकाया, हल्की हँसी आई। फिर वह झुका और उसके करीब आकर फुसफुसाया—

    "मुझे पता है। लेकिन तुम्हें भी ये समझना होगा कि यहाँ तुम्हारी मर्ज़ी नहीं चलेगी।"

    रागिनी की आँखों में आँसू आ गए, मगर उसने उन्हें बहने नहीं दिया। अब उसे इस खेल में अर्जुन को हराना था।


    अर्जुन की बातों ने रागिनी को अंदर तक हिला दिया था, लेकिन वह हार मानने वालों में से नहीं थी। अब उसे सिर्फ़ यहाँ से भागना नहीं था, बल्कि अर्जुन को उसकी हदें दिखानी थीं।

    सुबह, जब अर्जुन ऑफ़िस जाने के लिए तैयार हो रहा था, रागिनी ने उसके सामने खड़े होकर कहा—

    "अगर मैं यहाँ रहने वाली हूँ, तो अपनी शर्तों पर रहूँगी।"

    अर्जुन ने हल्की मुस्कान के साथ उसे देखा, जैसे उसकी यह बात उसे बिल्कुल भी प्रभावित नहीं कर रही थी। "सुनने में अच्छा लग रहा है, लेकिन ज़िंदगी में सब कुछ तुम्हारी मर्ज़ी से नहीं चलता, रागिनी।"

    रागिनी ने ठंडी साँस ली और अपनी जगह से हिली भी नहीं। "तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारी कैद में रहूँगी? तो ठीक है, देखना… मैं तुम्हारे सारे नियम तोड़ूँगी।"

    अर्जुन ने उसकी आँखों में झाँका, मानो पढ़ने की कोशिश कर रहा हो कि वह क्या करने वाली है। "Interesting. तो पहला कदम क्या होगा?"

    रागिनी मुस्कुराई। "Breakfast तुम्हें खुद बनाना पड़ेगा।"

    अर्जुन के चेहरे पर पहली बार असली हैरानी दिखी।

    "क्या?"

    रागिनी ने क्रॉस्ड आर्म्स के साथ खड़े होकर कहा—"तुमने मुझे यहाँ जबरदस्ती रखा है, तो यह तुम्हारी ड्यूटी बनती है कि मेरे लिए खाना बनाओ।"

    अर्जुन ने एक गहरी साँस ली और अपने माथे पर हाथ रखा। "रागिनी, मैं अर्जुन मलिक हूँ। मैं खाना नहीं बनाता।"

    रागिनी ने कंधे उचका दिए। "तो फिर भूखे रहो।"

    अर्जुन उसे घूरता रहा। उसके चेहरे पर नाराज़गी और हैरानी का मिला-जुला एक्सप्रेशन था।

    "तुम मुझे challenge कर रही हो?"

    रागिनी ने बिना डरे उसकी आँखों में देखा। "Challenge नहीं, बस तुम्हें एहसास दिला रही हूँ कि तुम्हारी दुनिया जितनी perfect लगती है, उतनी है नहीं।"

    अर्जुन ने एक पल के लिए उसे घूरा, फिर धीरे से मुस्कुराया। "ठीक है, रागिनी। खेल शुरू करते हैं।"

    उसकी आँखों में कुछ था… जैसे वह इस चैलेंज को और बड़ा करने का सोच रहा हो।


    अर्जुन की हल्की मुस्कान और उसकी आँखों में खेल का अंदाज़ा देखकर रागिनी का गुस्सा बढ़ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मज़ाक उड़ा रहा है या सच में यह चैलेंज स्वीकार कर चुका है।

    रागिनी ने उसे घूरते हुए कहा—"तो फिर, मिस्टर अर्जुन मलिक, तुम्हें नाश्ता खुद बनाना होगा। देखते हैं तुम्हारा एटीट्यूड कितनी देर तक टिका रहता है।"

    अर्जुन बिना कुछ कहे किचन की तरफ़ बढ़ा। रागिनी ने सोचा था कि वह चीख-पुकार करेगा, लेकिन उसकी चुप्पी ने उसे चौंका दिया।

    10 मिनट बाद…

    रागिनी किचन में झाँकने गई, तो जो नज़ारा उसने देखा, उससे उसकी हँसी छूट गई। अर्जुन के हाथ में एक अंडा था, और वह यह समझ ही नहीं पा रहा था कि इसे तोड़ना कैसे है।

    "Need help, Mr. Malik?" रागिनी ने मज़ाकिया अंदाज़ में पूछा।

    अर्जुन ने उसकी तरफ़ एक तीखी नज़र डाली और बिना कुछ कहे अंडे को तोड़ने की कोशिश करने लगा। लेकिन जैसे ही उसने ज़्यादा ज़ोर लगाया, पूरा अंडा उसके हाथ में ही फूट गया।

    रागिनी का हँस-हँसकर बुरा हाल हो गया। "Oh my God! तुमसे तो एक अंडा तक नहीं तोड़ा जाता!"

    अर्जुन ने आँखें तरेरीं। "Shut up, Ragini!"

    रागिनी हँसी रोकते हुए बोली—"Aww, finally अर्जुन मलिक को कोई काम ऐसा मिला जो उसे नहीं आता!"

    अर्जुन ने उसे घूरते हुए सिंक में हाथ धोया और किचन से बाहर निकला। "Fine. तुम जीत गई। अब नाश्ता बना दो।"

    रागिनी ने अपनी बाँहें मोड़ीं। "Nope. तुमने कहा था कि यह खेल शुरू हुआ है। तो अब तुम्हें पूरा करना पड़ेगा।"

    अर्जुन ने गहरी साँस ली और किचन की तरफ़ इशारा किया। "मैं तुम्हें तीन सेकंड दे रहा हूँ। या तो तुम नाश्ता बना दो, या फिर मैं तुम्हें उठाकर किचन में रख दूँ।"

    रागिनी को पता था कि अर्जुन जो कहता है, वह करता भी है। इसलिए उसने घूरते हुए किचन की तरफ़ कदम बढ़ाया। "ठीक है, लेकिन याद रखना… यह बस एक छोटी सी जीत थी। मैं तुम्हें हर मोड़ पर हराने वाली हूँ।"

    अर्जुन ने हल्की मुस्कान के साथ कहा—"देखते हैं, रागिनी।"

    लेकिन उसे क्या पता था कि रागिनी का अगला वार उससे भी ज़्यादा खतरनाक होने वाला है।


    रागिनी किचन में नाश्ता बना रही थी, लेकिन उसका दिमाग किसी और ही प्लान पर चल रहा था। अर्जुन को नीचा दिखाने का इससे अच्छा मौका शायद ही मिलता।

    "अगर अर्जुन मलिक सोचता है कि वह मुझे कंट्रोल कर सकता है, तो उसे ज़रा झटका देना ज़रूरी है!" उसने खुद से कहा।

    जैसे ही अर्जुन वापस ड्राइंग रूम में आया, रागिनी ने मुस्कुराते हुए एक प्लेट में उसके लिए नाश्ता लगाया और बड़े प्यार से सामने रख दिया।

    "Here you go, Mr. Malik!" उसने मीठी आवाज़ में कहा।

    अर्जुन ने उसे संदेह भरी नज़रों से देखा। "इतनी जल्दी मान गई?"

    रागिनी मुस्कुराई—"क्या करूँ? तुमसे बहस करके कोई फायदा नहीं।"

    अर्जुन ने थोड़ा चौंककर देखा, लेकिन फिर कंधे उचका कर खाने की प्लेट उठाई। जैसे ही उसने पहला निवाला मुँह में डाला, उसका चेहरा अचानक सख़्त हो गया।

    "What the…!" उसने झटके से प्लेट टेबल पर रखी।

    रागिनी का चेहरा मासूम बना हुआ था, लेकिन उसकी आँखों में शरारत थी।

    "कुछ प्रॉब्लम है, अर्जुन?" उसने पूछा।

    अर्जुन ने गुस्से से उसे देखा। "रागिनी! तुमने इसमें इतना नमक क्यों डाला?"

    रागिनी ने मासूमियत से जवाब दिया—"ओह, सॉरी! लगता है गलती से ज़्यादा हो गया। लेकिन अर्जुन, तुमने खुद कहा था कि यह गेम शुरू हो चुका है। तो फिर… मज़ा आया?"

    अर्जुन ने गहरी साँस ली और टेबल पर हाथ रखा। "रागिनी, तुम मुझसे पंगा ले रही हो।"

    रागिनी ने मुस्कुराते हुए सिर झुकाया। "Exactly!"

    अर्जुन ने ठंडी नज़रों से उसे घूरा। "तुम सोच भी नहीं सकती कि मैं तुम्हारे इस चैलेंज का क्या जवाब देने वाला हूँ।"

    रागिनी ने उसे चिढ़ाते हुए कहा—"Bring it on, Mr, Malik!"

    अर्जुन ने अपनी कुर्सी पीछे खींची और उठकर उसके करीब आया। "अब तुम्हें पता चलेगा कि अर्जुन मलिक से पंगा लेना कितना महँगा पड़ सकता है।"

    रागिनी ने हिम्मत से उसकी आँखों में देखा, लेकिन अर्जुन की नज़रों में कुछ ऐसा था जो उसे पहली बार थोड़ा असहज कर रहा था।

    क्या अर्जुन अब पलटवार करेगा? क्या रागिनी के इस मज़ाक का कोई बड़ा नतीजा निकलेगा?

    क्रमशः…

  • 3. Contract Ishq ka - Chapter 3

    Words: 1836

    Estimated Reading Time: 12 min

    एपिसोड 11 – अर्जुन की हार, या उसकी चाल?

    रागिनी ने जीत के एहसास के साथ अपनी बाहें क्रॉस कर लीं, चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी। "देखा? आखिरकार तुमने हार मान ही ली, अर्जुन मलिक!"

    अर्जुन ने एक हल्की मुस्कान के साथ अपनी शर्ट की कफ़ को एडजस्ट किया, उसकी आँखों में वो रहस्यमयी चमक थी, जो रागिनी को हर बार उलझन में डाल देती थी।

    "अगर तुम्हें लगता है कि तुमने मुझे हरा दिया, तो मैं तुम्हारी ये ख़ुशी नहीं छीनना चाहता।" उसने कंधे उचका दिए, जैसे ये सब उसके लिए कोई बड़ी बात ही न हो।

    रागिनी ने भौंहें टेढ़ी कीं, उसकी मुस्कान हल्की पड़ गई। "मतलब?"

    अर्जुन आगे बढ़ा, उसके और रागिनी के बीच सिर्फ कुछ इंच की दूरी थी। "मतलब ये कि कभी-कभी असली ताकत अपनी जीत को नहीं, बल्कि अपनी हार को कंट्रोल करने में होती है।"

    रागिनी के चेहरे का रंग हल्का पड़ गया। उसे अचानक ऐसा महसूस हुआ कि ये जितनी बड़ी जीत उसे लग रही थी, हो सकता है ये असल में अर्जुन की कोई चाल हो।

    लेकिन उसे खुद पर यकीन था। "तुम बस अपनी हार छुपाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हो।" उसने सिर ऊँचा किया, उसकी आँखों में वही जिद थी जो हर बार अर्जुन को चैलेंज करती थी।

    अर्जुन ने हल्की सी मुस्कान दी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो रागिनी को बेचैन कर गया। "शायद तुम सही कह रही हो, या शायद..." उसने जानबूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी।

    रागिनी ने गहरी सांस ली और खुद को समझाया कि ये उसकी चालाकी है, वो बस उसे डगमगाना चाहता है। लेकिन इस बार नहीं!

    "जो भी हो, अर्जुन मलिक, मैं तुम्हें हर बार हराऊँगी!" उसने ठोड़ी ऊँची करते हुए कहा।

    अर्जुन ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ उसकी आँखों में देखा। "बिलकुल, रागिनी। जितनी बार चाहो, मुझे हराती रहो..."

    लेकिन सिर्फ वही जानता था कि उसकी असली जीत क्या थी।


    ---एपिसोड 12 – कौन फँसा, कौन बचा?

    रागिनी अर्जुन की बातों में उलझ गई थी, लेकिन उसने खुद को समझाया कि ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। "तुम जितनी मर्जी बड़ी-बड़ी बातें कर लो, लेकिन इस घर में बॉस अब मैं हूँ!" उसने ठोड़ी ऊँची करते हुए कहा।

    अर्जुन ने हल्का सा सिर झुकाया, उसकी आँखों में वही रहस्यमयी चमक थी। "बिलकुल, तुम्हारी जीत हुई।"

    रागिनी ने अपनी बाहें क्रॉस कीं और उसे संदेह से देखा। "तुम इतनी आसानी से क्यों मान गए? तुम्हारा एटीट्यूड कहाँ गया?"

    अर्जुन ने एक शरारती मुस्कान के साथ उसे देखा। "क्योंकि मैं तुम्हारी खुशी देखना चाहता हूँ, प्रिंसेस।"

    रागिनी ने तुरंत नजरें घुमा लीं, लेकिन उसका दिल हल्का सा तेज धड़कने लगा। "ज्यादा स्मार्ट बनने की जरूरत नहीं है, अर्जुन। मुझे तुम पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है!"

    अर्जुन ने मजाकिया लहजे में सिर हिलाया। "अच्छी बात है, भरोसा नहीं करोगी, तो धोखा भी नहीं खाओगी।"

    रागिनी की भौंहें चढ़ गईं। "मतलब?"

    अर्जुन ने एक गहरी सांस ली, फिर अपने मोबाइल पर कुछ टाइप किया और मुस्कुराया। "मतलब ये कि इस खेल में जितना तुम सोच रही हो, मामला उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प है।"

    🔹🔹🔹

    रात को –

    रागिनी अपने कमरे में इधर-उधर टहल रही थी। "ये आदमी हर बार कुछ ऐसा कह देता है, जिससे मैं उलझ जाती हूँ!" उसने खुद से बड़बड़ाया।

    अचानक दरवाजा खुला। अर्जुन अंदर आया, हाथ में एक ट्रे थी।

    रागिनी ने आँखें चौड़ी कीं। "तुम...तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"

    अर्जुन ने ट्रे टेबल पर रखी और हाथ जेब में डालते हुए उसे देखा। "तुम्हें भूख लगी होगी, तो सोचा कुछ लेकर आ जाऊं।"

    रागिनी चौंकी। "तुम्हें क्यों लगा कि मुझे भूख लगी होगी?"

    अर्जुन ने कंधे उचकाए। "क्योंकि तुम इस घर की नई बॉस हो, और एक बॉस को भूखे नहीं सोना चाहिए, है ना?"

    रागिनी ने संदेह से उसकी ओर देखा। "तुम्हारी इन हरकतों का कोई मतलब नहीं बनता, अर्जुन। पहले तुम मुझे जबरदस्ती रोककर रखते हो, फिर खुद ही खाने के लिए लाते हो?"

    अर्जुन मुस्कुराया। "मैं खुद भी समझ नहीं पा रहा कि तुम्हारे साथ मैं ये सब क्यों कर रहा हूँ।"

    रागिनी ने कसमसाकर उसे देखा, लेकिन कुछ कहा नहीं।

    अर्जुन ने ट्रे से एक प्लेट उठाई, "चलो, मैं खिला दूँ?" उसने जानबूझकर मजाक किया।

    रागिनी ने झट से प्लेट छीनी। "जरूरत नहीं है!"

    अर्जुन हल्के से हँसा। "बिलकुल, प्रिंसेस। जैसी आपकी मर्जी।"

    वो जाने के लिए मुड़ा, लेकिन दरवाजे पर रुककर एक नजर रागिनी पर डाली। "वैसे, कभी-कभी चीजें उतनी सीधी नहीं होतीं जितनी वो दिखती हैं। इस घर में सबकुछ तुम्हारे हक में नहीं होने वाला, रागिनी।"

    और वो चला गया।

    रागिनी ने धीरे से प्लेट टेबल पर रखी और खुद को आईने में देखा। उसके चेहरे पर उलझन थी।

    "अर्जुन मलिक...तुम आखिर चाहते क्या हो?"

    (To be continued...)


    ---

    एपिसोड 13 – जीत किसकी और चाल किसकी?

    रागिनी ने अर्जुन की दी हुई थाली की तरफ देखा। "ये इंसान सच में पागल है!" उसने बड़बड़ाते हुए प्लेट उठाई।

    लेकिन जैसे ही उसने पहला निवाला लिया, उसके दिमाग में फिर वही सवाल आया— "अर्जुन की हरकतें इतनी अजीब क्यों हैं?"

    वो जबरदस्ती उसे रोककर रखता है, लेकिन फिर उसी के लिए खाना भी लाता है। जब वो उससे झगड़ती है, तो उसे उकसाने के बजाय उसकी जीत मान लेता है। ऐसा कौन करता है?

    "मैं क्यों उसके बारे में इतना सोच रही हूँ? छोड़ो, खाना खत्म करो और सो जाओ!" उसने खुद को समझाया और जल्दी-जल्दी खाना खत्म किया।

    लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी? अर्जुन की बातों ने उसके दिमाग में हलचल मचा दी थी।

    🔹🔹🔹

    अगली सुबह –

    रागिनी ने कमरे से बाहर कदम रखा और देखा कि अर्जुन सोफे पर रिलैक्स होकर बैठा था, अखबार पढ़ते हुए।

    उसने जानबूझकर नजरअंदाज किया और सामने से गुजरने लगी, लेकिन अर्जुन ने बिना अखबार से नजर हटाए कहा— "गुड मॉर्निंग, प्रिंसेस।"

    रागिनी की भौंहें चढ़ गईं। उसने पलटकर उसे घूरा। "मुझे प्रिंसेस मत बुलाओ!"

    अर्जुन ने अखबार नीचे किया और मुस्कुराया। "ठीक है, तो फिर क्या बुलाऊँ? बॉस?"

    रागिनी ने हाथ मोड़ लिए। "वैसे भी मैं यहाँ ज्यादा दिन नहीं रहने वाली। तुम्हें जो करना है, कर लो!"

    अर्जुन ने हल्का सिर झुकाया। "सही कहा, तुम्हें यहाँ जबरदस्ती रोका गया है। तो फिर तुम... भाग क्यों नहीं जाती?"

    रागिनी के कदम रुके। उसने अर्जुन को देखा—वो उसकी आँखों में सीधा देख रहा था, जैसे उसे चैलेंज कर रहा हो।

    "अगर तुम्हें इतना ही जाना है, तो दरवाजा खुला है, रागिनी। निकल सकती हो।"

    रागिनी को एक सेकंड के लिए समझ नहीं आया कि वो मजाक कर रहा है या सीरियस है।

    उसने ठोड़ी ऊँची की और बोली— "अगर मैं चली गई, तो तुम्हें अफसोस होगा।"

    अर्जुन मुस्कुराया। "शायद। लेकिन सवाल ये है कि तुम जा पाओगी?"

    रागिनी को अब गुस्सा आने लगा। उसने बिना कुछ कहे तेजी से दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाए। अर्जुन ने कोई रोकने की कोशिश नहीं की।

    लेकिन जैसे ही उसने दरवाजा खोला—

    "मेमसाब!"

    रागिनी चौंककर पीछे मुड़ी। सामने एक नौकर खड़ा था।

    "आप कहाँ जा रही हैं?" उसने चिंता से पूछा।

    रागिनी ने आँखें घुमाईं। "बाहर जा रही हूँ, तुम्हें इससे क्या?"

    नौकर हड़बड़ाया। "पर...सर ने कहा था कि आपको बाहर न जाने दिया जाए।"

    रागिनी ने अर्जुन की तरफ देखा, जो बिल्कुल शांत बैठा था, जैसे उसे पहले से ही पता था कि यही होगा।

    रागिनी ने गुस्से में अर्जुन की ओर उंगली उठाई। "तुमने कहा था कि दरवाजा खुला है!"

    अर्जुन ने कंधे उचकाए। "हाँ, खुला तो है। लेकिन तुम बाहर नहीं जा सकती।"

    रागिनी को अब समझ आया—ये सब पहले से प्लान किया हुआ था!

    "तुम जानबूझकर मेरा मजाक उड़ा रहे थे!" उसने तिलमिलाते हुए कहा।

    अर्जुन खड़ा हुआ और उसके पास आया। "मैंने सिर्फ सच कहा था। तुम जा सकती हो, पर बाहर कोई जाने नहीं देगा। जीत तुम्हारी, चाल मेरी।"

    रागिनी की आँखों में गुस्सा भर गया। "तुम बहुत घटिया आदमी हो, अर्जुन मलिक!"

    अर्जुन ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा— "और तुम बहुत मासूम हो, रागिनी।"

    (To be continued...)


    ---

    अगले एपिसोड में:

    रागिनी को अर्जुन की नई हरकतों का सामना करना पड़ेगा।

    क्या अर्जुन वाकई उसे खुश करने की कोशिश कर रहा है, या फिर ये सब उसका कोई नया खेल है?

    रागिनी पहली बार अर्जुन की किसी हरकत से सच में परेशान हो जाएगी।


    कैसा लगा ये एपिसोड? अर्जुन का "खेल कर भी न खेलना" वाला एटीट्यूड सही लगा?

    एपिसोड 14 – पर्दे के पीछे का खेल

    रागिनी गुस्से में कमरे में आई और जोर से दरवाजा बंद किया।

    "ये आदमी पागल है! सोचता क्या है खुद को?"

    वो गुस्से से बड़बड़ा रही थी, लेकिन अंदर कहीं एक अजीब-सी बेचैनी भी थी। अर्जुन की हर हरकत उसे उलझा रही थी। वो उसे जबरदस्ती रोककर रखता है, लेकिन फिर भी उसकी छोटी-छोटी खुशियों का ध्यान रखता है।

    "नहीं! ये बस उसका एक और गेम है, रागिनी! तुम्हें उसकी मीठी बातों में नहीं फँसना!" उसने खुद से कहा।

    लेकिन इसी बेचैनी के बीच, कहीं दूर अंधेरे में कोई और था, जो इस पूरे खेल का असली राजा था— राज!

    🔹🔹🔹

    दूसरी ओर – राज का अड्डा

    एक बड़ी डाइनिंग टेबल के सामने राज आराम से बैठा हुआ था। उसकी आँखों में वही ठंडापन था, जो शिकार को पकड़ने से पहले शिकारी की आँखों में होता है।

    टेबल के दूसरी तरफ उसका आदमी खड़ा था—रवि।

    "सर, अर्जुन ने अब तक रागिनी को छोड़ा नहीं है। लगता है, उसे सच में उस लड़की से कुछ मतलब है।"

    राज ने हल्का-सा सिर झुकाया, जैसे ये खबर सुनकर ज्यादा हैरान नहीं हुआ।

    "Interesting…" उसने धीमे से कहा।

    रवि ने थोड़ी हिचकिचाहट के साथ पूछा— "अब क्या करना है, सर?"

    राज ने चाकू उठाया और टेबल पर पड़े सेब को धीरे-धीरे काटने लगा।

    "अर्जुन को लग रहा है कि वो खेल खेल रहा है, लेकिन असली बाजी मेरे हाथ में है।"

    उसकी आँखों में एक खतरनाक चमक थी।

    "वक्त आने दो, रवि। जब मैं चाहूँगा, तब रागिनी को मैं अपनी मुट्ठी में कर लूँगा। और अर्जुन... उसे तबाह होते देखने में मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आएगा।"

    रवि को राज की आवाज़ में कुछ ऐसा अहसास हुआ, जिससे उसकी रीढ़ में एक ठंडी लहर दौड़ गई।

    "लेकिन सर, अगर अर्जुन को शक हो गया तो?"

    राज हंसा। "अर्जुन जितना चाहे स्मार्ट बन ले, लेकिन इस खेल का असली मास्टर मैं हूँ। वो सिर्फ एक मोहरा है, और रागिनी..." उसने चाकू से सेब का टुकड़ा उठाया और अपनी उंगलियों के बीच घुमाया।

    "रागिनी मेरी रानी है। और जब मैं चाहूँगा, वो सिर्फ मेरी होगी।"

    🔹🔹🔹

    अर्जुन – जिसने सब देख लिया!

    उसी वक्त, अर्जुन अपनी स्टडी में बैठा था। उसकी उंगलियाँ मेज पर हल्के-हल्के थपथपा रही थीं। उसकी आँखें लैपटॉप स्क्रीन पर टिकी थीं।

    स्क्रीन पर एक लाइव वीडियो चल रहा था— राज और रवि की बातचीत का लाइव फुटेज!

    अर्जुन की आँखों में एक अलग ही गहराई थी।

    "तो, तुम भी यही सोचते हो, राज?" उसने खुद से कहा।

    फिर उसने लैपटॉप बंद किया और धीरे से मुस्कुराया।

    "Let’s play then…"

    (To be continued...)


    ---

    अगले एपिसोड में:

    राज का अगला प्लान क्या होगा?

    अर्जुन कब तक चुप रहेगा, या फिर वो कोई पलटवार करने वाला है?

    रागिनी को इस पूरे खेल के बारे में कब पता चलेगा?


    कैसा लगा ये एपिसोड? अब अर्जुन और राज दोनों आमने-सामने अपने दिमाग के खेल खेल रहे हैं!

  • 4. Contract Ishq ka - Chapter 4

    Words: 1395

    Estimated Reading Time: 9 min

    एपिसोड 15 – अर्जुन का मास्टरस्ट्रोक!

    रागिनी बिस्तर पर बैठी थी, लेकिन नींद कोसों दूर थी। अर्जुन की हरकतें, उसकी बातें, और सबसे ज्यादा उसका रहस्यमयी बर्ताव उसे उलझा रहा था।

    "ये आदमी इतना कॉन्फिडेंट क्यों रहता है? ऐसा लगता है जैसे हर चीज़ उसकी प्लानिंग के हिसाब से हो रही हो…"

    वो सोच ही रही थी कि अचानक उसका फोन बजा। स्क्रीन पर "Blocked Number" चमक रहा था।

    रागिनी के हाथ अनायास ही कांप उठे। उसने कॉल रिसीव की।

    "हेलो?"

    दूसरी तरफ से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई— "रागिनी... मेरी जान, कैसी हो?"

    रागिनी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। उसकी आँखें डर और नफरत से भर गईं।

    "राज!"

    उसकी सांसें तेज़ हो गईं।

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे कॉल करने की?" उसने गुस्से से कहा।

    राज हंसा, एक ठंडी हंसी— "ओह, डार्लिंग, तुम अब भी मुझसे इतनी नाराज़ हो?"

    रागिनी की आँखों में आंसू आ गए। "नफरत करती हूँ तुमसे! तुमने मुझे बेचा था, राज! तुमने मेरा इस्तेमाल किया! मैं तुमसे प्यार करती थी, और तुमने मुझे सौदा समझ लिया?"

    राज की हंसी एकदम शांत हो गई। "प्यार? तुम अभी भी उस प्यार की बात कर रही हो? रागिनी, तुम सिर्फ मेरी हो… और मैं तुम्हें वापस लूंगा।"

    रागिनी का पूरा बदन गुस्से से कांपने लगा।

    "मैं अर्जुन की कैदी हूँ, लेकिन कम से कम वो तुम्हारी तरह धोखेबाज नहीं है!"

    इस बार, राज की आवाज़ में जलन थी। "अर्जुन? वो तो सिर्फ तुम्हें अपने अहंकार के लिए रखे हुए है। लेकिन देखना, रागिनी... वो तुम्हें बचा नहीं सकेगा। तुम्हें मेरी बाहों में आना ही होगा।"

    रागिनी ने गुस्से में फोन पटक दिया। "घिन आती है मुझे तुमसे!"

    🔹🔹🔹

    अर्जुन – सब कुछ पहले से जानता था!

    स्टडी में अर्जुन आराम से बैठा था, उसकी आँखों में वही पुरानी, ठंडी चमक थी। उसकी स्क्रीन पर रागिनी और राज की पूरी बातचीत लाइव चल रही थी।

    उसने एक सिगार उठाया, धीरे-से होंठों तक ले गया, और हल्की स्माइल के साथ कहा—

    "Interesting… अब खेल और भी मज़ेदार हो गया।"

    वो कुर्सी से उठा, अपनी जैकेट डाली और हल्के कदमों से रागिनी के कमरे की ओर बढ़ गया।

    🔹🔹🔹

    रागिनी का टकराव – अर्जुन से!

    रागिनी अभी भी गुस्से और तकलीफ में थी जब अर्जुन दरवाज़े से टिककर खड़ा हो गया।

    "इतनी गहरी सोच में हो, क्या मैं डिस्टर्ब कर रहा हूँ?" उसने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।

    रागिनी ने गुस्से से देखा। "तुम्हें क्या फर्क पड़ता है?"

    अर्जुन ने कंधे उचका दिए। "बिलकुल नहीं... लेकिन राज तुम्हें वापस पाना चाहता है। ये सुनकर कैसा लगा?"

    रागिनी के होश उड़ गए। "तुम... तुम ये कैसे जानते हो?"

    अर्जुन ने धीरे से उसकी ओर कदम बढ़ाया, उसकी आँखों में एक रहस्यमयी गहराई थी।

    "मैं सिर्फ जानता नहीं हूँ, रागिनी... मैं वो इंसान हूँ, जो चीज़ें होने से पहले ही देख लेता है।"

    रागिनी ने संदेह से देखा। "मतलब?"

    अर्जुन झुका, उसके बिल्कुल करीब आकर फुसफुसाया—

    "मतलब ये कि इस बार राज को शिकार बनाया जाएगा... और शिकारी कौन होगा, ये तो तुम समझ ही गई होगी?"

    रागिनी का दिल जोर से धड़कने लगा।

    एपिसोड 16 – रागिनी का टूटा विश्वास!

    रात के तीन बज रहे थे, लेकिन रागिनी की आँखों में नींद का नामोनिशान नहीं था। राज की बातें उसके दिमाग में हथौड़े की तरह बज रही थीं। "तुम सिर्फ मेरी हो, और मैं तुम्हें वापस लूंगा…"

    उसका मन घिन से भर गया।

    वो जानती थी कि राज ने उसे धोखा दिया, लेकिन उसने ऐसा क्यों किया? आखिर उसका मकसद क्या था?

    तभी अर्जुन के एक आदमी ने आकर उसे एक फाइल पकड़ाई। "बॉस ने कहा कि इसे देख लो, तुम्हारे लिए जरूरी है।"

    रागिनी ने अनमने मन से फाइल खोली, और उसके हाथ कांपने लगे।

    "ये... ये क्या है?"

    उसके आँखों के सामने उसकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सच था।


    ---

    राज ने सिर्फ उसे नहीं बेचा… बल्कि उसकी पूरी दुनिया लूट ली थी!

    फाइल में दस्तावेज थे— उसकी पुश्तैनी प्रॉपर्टी, उसके माता-पिता का घर, जिसे उन्होंने बड़े प्यार से बनाया था।

    "Transfer of Ownership"

    नया मालिक – राजवीर मेहरा

    रागिनी को काटो तो खून नहीं।

    "नहीं... ये झूठ है।" उसकी आवाज़ कांपने लगी।

    लेकिन नहीं, ये सच था। राज ने सिर्फ उसे नहीं बेचा, बल्कि उसके माँ-बाप की आखिरी निशानी भी हड़प ली थी।

    "इसका मतलब... वो सिर्फ मेरा इस्तेमाल कर रहा था... उसे मुझसे कभी प्यार था ही नहीं!"

    रागिनी की आँखों में आंसू आ गए।

    वो सच्चाई से भागना चाहती थी, लेकिन अब कोई रास्ता नहीं था।

    🔹🔹🔹

    अर्जुन – जो सब कुछ पहले से जानता था!

    अर्जुन अपने स्टडी में बैठा whiskey का ग्लास घुमा रहा था। उसके सामने स्क्रीन पर रागिनी की हालत दिख रही थी— उसकी आंखों में दर्द, गुस्सा और बेबसी।

    उसने एक लंबा घूंट लिया और हल्के से मुस्कुराया। "अब आई ना असली दुनिया की सच्चाई समझ में?"

    तभी दरवाज़ा धड़ाम से खुला।

    रागिनी अंदर आई, उसकी आँखें लाल थीं।

    "ये सब तुमने पहले से जान रखा था, है ना?" उसने लगभग चिल्लाते हुए कहा।

    अर्जुन ने धीरे से सिर झुकाया। "हाँ।"

    "तो तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?"

    अर्जुन खड़ा हुआ, उसकी आँखें अब गहरी हो गई थीं। "क्योंकि तुम तब तक विश्वास नहीं करती जब तक खुद अपनी आँखों से नहीं देख लेती।"

    रागिनी के गुस्से में आँसू छलक पड़े।

    "उसने सिर्फ मुझे नहीं बेचा, उसने मेरी पूरी दुनिया लूट ली…"

    अर्जुन ने धीरे से ग्लास रखा और रागिनी की ओर बढ़ा।

    "अब सवाल ये है, रागिनी… तुम क्या करोगी?"

    रागिनी ने उसकी आँखों में देखा, उसका दिल दर्द से भरा था। लेकिन इस बार, उसके आँसू उसके दर्द के नहीं, बल्कि बदले की आग के थे।

    "मैं उसे माफ़ नहीं करूंगी!"

    अर्जुन ने हल्की मुस्कान दी— "गुड। अब तुम सही रास्ते पर आ रही हो।"


    एपिसोड 17 – रागिनी की कसम!

    रात काली थी, लेकिन रागिनी की आँखों में उससे भी ज्यादा अंधेरा था। दर्द, गुस्सा और नफरत... ये तीनों भावनाएँ उसके दिल में तूफान मचा रही थीं।

    अर्जुन उसकी हर हरकत को गौर से देख रहा था।

    "तुम अब क्या करने वाली हो?" उसने सोफे पर बैठते हुए पूछा, whiskey का ग्लास घुमाते हुए।

    रागिनी ने गहरी सांस ली और अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं। "अब मैं राज को उसकी हर ग़लती की सजा दूंगी।"

    अर्जुन के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आई। "Interesting."

    "उसने मुझे सिर्फ धोखा नहीं दिया, बल्कि मेरी पहचान भी मुझसे छीन ली। मैं उसे उसकी औकात दिखाऊंगी!" रागिनी की आँखों में अंगारे थे।

    अर्जुन ने ग्लास नीचे रखा और उसकी तरफ बढ़ा। "अगर तुम वाकई बदला लेना चाहती हो, तो सही तरीका अपनाओ। गुस्से में कोई भी गलती मत करना, वरना बाज़ी पलट जाएगी।"

    रागिनी ने उसकी आँखों में देखा। अर्जुन की आवाज में अजीब सा इत्मिनान था।

    "तुम मेरी मदद करोगे?" उसने पूछा।

    अर्जुन मुस्कुराया, लेकिन जवाब दिए बिना ही मुड़ गया।

    "अगर तुम्हें मेरी जरूरत पड़ी तो तुम खुद मेरे पास आओगी।" उसने दरवाजे की तरफ इशारा किया। "अब सो जाओ, तुम्हें ताकत जुटाने की जरूरत है।"

    रागिनी जानती थी कि अर्जुन उसे यूं ही नहीं जाने देगा। वो उसकी हर चाल को परख रहा था। लेकिन अभी, उसका असली दुश्मन कोई और था— राज!


    ---

    अगली सुबह – रागिनी की नफरत का पहला कदम!

    सुबह होते ही रागिनी ने सबसे पहले अपने घर की ओर जाने का फैसला किया, जिसे राज ने हड़प लिया था।

    वो वहाँ पहुंची तो देखा— राज महल की तरह घर को सजवा रहा था!

    चारों ओर राज के आदमी थे, और बीच में वो खुद, एक सिगार पीते हुए खड़ा था।

    "क्या ये मेरा ही घर है?" रागिनी की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन अगले ही पल वो खुद को संभाल चुकी थी।

    राज ने उसे देखा और मुस्कुराया। "ओह माय डियर, देखो कौन आया है! तुम्हें देखकर अच्छा लगा।"

    रागिनी ने अपनी नफरत को चेहरे पर नहीं आने दिया। उसने एक नकली मुस्कान के साथ कहा— "इतनी जल्दी भूल गए, राज?"

    राज ने सिगार का धुआँ उड़ाया और करीब आया। "मैं तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ, रागिनी?"

    रागिनी ने अपने गले से चैन निकाली और उसके सामने लहराई।

    "मैं अपनी पहचान वापस लेने आई हूँ!"

    राज हँसा। "ओह स्वीटहार्ट, तुम्हारी पहचान अब मेरी है!"

    रागिनी का खून खौल उठा, लेकिन उसने खुद को शांत रखा।

    "अभी तो बस शुरुआत है, राज। मैंने तुमसे सब कुछ खोया है... अब देखना, तुमसे भी सब कुछ छीन लूंगी!"

    राज के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई। उसने पहली बार रागिनी की आँखों में वो आग देखी, जो पहले कभी नहीं थी।

    "ये गेम अब और दिलचस्प होने वाला है..." उसने खुद से कहा।


    ---

  • 5. Contract Ishq ka - Chapter 5

    Words: 1294

    Estimated Reading Time: 8 min

    एपिसोड 18 – खेल शुरू!

    रागिनी का बदला शुरू हो चुका था। उसका घर, जो उसके माता-पिता की आखिरी निशानी थी, अब राज के कब्जे में था। लेकिन वो इतनी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थी।

    अर्जुन ने अपनी बालकनी से खड़े होकर दूरबीन से सब कुछ देखा। whiskey का ग्लास उसके हाथ में था, और होंठों पर हल्की मुस्कान।

    "चलो, अब खेल में थोड़ा मज़ा आएगा।" उसने खुद से कहा।


    ---

    रागिनी का पहला वार!

    रात के अंधेरे में रागिनी ने राज के घर की तरफ कदम बढ़ाए। उसने नकाब पहना और अपने प्लान के मुताबिक अंदर घुस गई।

    "मुझे सिर्फ वो डॉक्यूमेंट्स चाहिए, जिनसे साबित हो कि ये घर मेरा था!" उसने खुद से कहा।

    वो स्टडी रूम में पहुंची और दराजें खंगालने लगी। लेकिन तभी—

    "रागिनी!"

    रागिनी का दिल जोर से धड़का। उसने मुड़कर देखा— अर्जुन दरवाजे पर खड़ा था!

    "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" उसने गुस्से से पूछा।

    अर्जुन ने कंधे उचका दिए। "तुम्हें मुसीबत में फंसा हुआ देखना मजेदार होता है।"

    रागिनी ने आँखें तरेरी। "मज़ाक का वक्त नहीं है, अर्जुन। मुझे मेरे पेपर्स लेने दो!"

    अर्जुन मुस्कुराया और पास आकर बोला— "तुम्हें लगता है कि बस यूं ही तुम ये पेपर्स लेकर निकल जाओगी?"

    रागिनी ने तड़पकर कहा— "तो और क्या करूँ? चुपचाप राज की गुलामी करूँ?"

    अर्जुन ने उसकी आँखों में देखा। "गुलामी? तुम इतनी कमजोर कब से हो गई?"

    रागिनी चौंक गई। "क्या मतलब?"

    अर्जुन ने एक फाइल निकाली और उसकी तरफ बढ़ा दी।

    "जो तुम ढूंढ रही हो, वो यहाँ है। लेकिन इसे ऐसे हासिल करना तुम्हारी जीत नहीं होगी। तुम्हें राज को उसके ही खेल में हराना होगा।"

    रागिनी ने फाइल पकड़ी, लेकिन उसकी नजर अर्जुन के चेहरे पर टिकी रही।

    "तुम ये सब क्यों कर रहे हो?"

    अर्जुन ने गहरी सांस ली। "क्योंकि मैं सिर्फ दर्शक बनकर ये खेल नहीं देख सकता।"


    ---

    अगली सुबह – राज की चाल!

    राज को खबर मिल चुकी थी कि उसके स्टडी रूम में कोई घुसा था।

    "तो, मेरी प्यारी रागिनी अब बदला लेना चाहती है?" उसने सिगार जलाते हुए कहा।

    उसने अपने आदमी को इशारा किया। "रागिनी को सबक सिखाने का वक्त आ गया है।"


    ---

    अगले एपिसोड में:

    राज का जवाब क्या होगा?

    रागिनी अर्जुन की मदद कबूल करेगी या खुद रास्ता निकालेगी?

    अर्जुन का असली मकसद क्या है?


    अब बताओ, ये एपिसोड कैसा लगा?🔥

    एपिसोड 19 – खतरे की आहट!

    रागिनी की आँखें अब सच्चाई देख चुकी थीं। राज, जिससे वो कभी बेइंतहा प्यार करती थी, वही उसका सबसे बड़ा धोखेबाज निकला। उसका घर, उसकी पहचान, सब कुछ पैसों के लिए बेच दिया गया था।

    अर्जुन ने उसे वो फाइल दी तो थी, लेकिन अब रागिनी समझ चुकी थी—"ये लड़ाई कागज़ों से नहीं, दिमाग से जीती जाएगी!"


    ---

    राज का जवाब – शिकंजा कसने की तैयारी!

    राज अपने आलीशान ऑफिस में बैठा whiskey के घूंट भर रहा था। सामने उसके आदमी खड़े थे।

    "रागिनी अब बहुत बोलने लगी है... वक्त आ गया है उसे चुप कराने का!"

    उसने अपने खास आदमी को इशारा किया— "रागिनी को उठा लो!"

    आदमी ने सिर झुका लिया। "पर अर्जुन राठौड़ उसके आसपास रहता है।"

    राज हंसा। "अर्जुन कितना भी शातिर हो, लेकिन मेरे खिलाफ टिक नहीं सकता!"


    ---

    रागिनी का नया फैसला!

    रात को रागिनी अपनी बालकनी में खड़ी थी, उसकी आँखों में गुस्सा था।

    अर्जुन उसके ठीक पीछे आया। "तुम सोच रही हो कि अब क्या करना चाहिए?"

    रागिनी ने गहरी सांस ली। "हाँ, लेकिन अब मैं सिर्फ सोचूंगी नहीं, बल्कि करूँगी भी!"

    अर्जुन मुस्कुराया। "Interesting... और मैं देखना चाहूँगा कि तुम कैसे लड़ती हो!"

    रागिनी पलटी और अर्जुन की आँखों में झांकते हुए बोली— "राज ने मुझे धोखा दिया है। अब उसे मेरी ताकत भी देखनी पड़ेगी!"

    अर्जुन ने सिर झुकाया और धीरे से फुसफुसाया— "आखिरकार, मेरी Queen जाग चुकी है!"

    रागिनी ने आँखें तरेरी। "मैं तुम्हारी कोई queen नहीं हूँ!"

    अर्जुन हंसा। "अभी नहीं हो... लेकिन जल्द ही बन जाओगी!"


    ---

    राज का वार!

    अगली सुबह, रागिनी अपने घर से बाहर निकली ही थी कि अचानक एक गाड़ी उसके सामने रुकी।

    चार आदमी बाहर निकले और रागिनी की तरफ बढ़े।

    "मैडम जी, हमारे साथ चलिए।"

    रागिनी के अंदर खतरे का सायरन बज उठा। "मैं क्यों जाऊँ?"

    तभी एक आदमी ने उसकी कलाई पकड़ ली।

    लेकिन...

    धड़ाम!!

    एक तेज़ घूंसा सीधे उस आदमी के जबड़े पर पड़ा और वो ज़मीन पर गिर गया।

    रागिनी ने चौंक कर देखा—अर्जुन वहाँ खड़ा था, आँखों में आग लिए हुए!

    "कोई भी मेरी चीज़ को छूने की हिम्मत कैसे कर सकता है?" अर्जुन की आवाज़ में एक अलग ही ठंडक थी।

    राज के आदमी पीछे हटे।

    अर्जुन ने रागिनी की कलाई पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और धीरे से फुसफुसाया—

    "मैंने तुमसे कहा था न, ये तुम्हारी लड़ाई है... लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं तुम्हें मरने दूँगा!"


    ---

    एपिसोड 20 – अर्जुन का दांव!

    अर्जुन की आँखों में वही सख्त ठंडक थी, जिसने सामने खड़े राज के आदमियों को हिलाकर रख दिया था। रागिनी उसके पास खड़ी थी, अभी भी उस झटके से उबरने की कोशिश कर रही थी।

    "तुम लोगों ने बहुत बड़ी गलती कर दी," अर्जुन ने धीमी, लेकिन खौफनाक आवाज़ में कहा।

    राज के आदमियों ने पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन...

    धड़ाम!

    अर्जुन ने एक आदमी को इतनी जोर से मुक्का मारा कि वो सीधे कार के बोनट पर गिरा। बाकी दो लोग डर के मारे भागने लगे, लेकिन अर्जुन की गाड़ी से पहले से ही उसके आदमी उतर चुके थे।

    "सर, क्या करना है इनका?"

    अर्जुन ने एक हल्की स्माइल दी, और फिर एक शब्द कहा— "सजा।"


    ---

    रागिनी का गुस्सा और दर्द

    रागिनी ने गहरी सांस ली। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन वो अब कमजोर नहीं लग रही थी—बल्कि गुस्से से भरी हुई थी।

    "राज ने मुझे धोखा दिया, मेरा सब कुछ लूट लिया, और अब मुझे ही खत्म करने के पीछे पड़ा है!" रागिनी की आवाज़ कांप रही थी, लेकिन वो हिम्मत से भरी हुई थी।

    अर्जुन उसकी तरफ बढ़ा, उसकी आँखों में गहराई से झांकते हुए।

    "अब क्या करने का इरादा है?"

    रागिनी ने ठंडी आवाज़ में कहा— "खेल अब मैं खेलूँगी, और इस बार मैं जीतूँगी!"

    अर्जुन मुस्कुराया। "इसीलिए मैंने तुम्हें चुना है, रागिनी। तुम्हारे अंदर आग है... और अब वो जलने के लिए तैयार है!"

    रागिनी ने उसे घूरा। "मैं तुम्हारे किसी गेम का हिस्सा नहीं हूँ, अर्जुन!"

    अर्जुन ने सिर झुकाकर फुसफुसाया— "Oh sweetheart, तुम इस गेम में कब की शामिल हो चुकी हो, बस तुम्हें एहसास अब हो रहा है!"


    ---

    राज का अगला कदम – प्लान B!

    दूसरी तरफ, राज अपनी ऑफिस में गुस्से से मेज पर हाथ मार चुका था।

    "अर्जुन राठौड़... तुमने मेरा प्लान खराब कर दिया, लेकिन ये लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई!"

    उसने अपने आदमी को फोन लगाया। "मुझे उस फाइल की सारी डीटेल चाहिए, जिसमें रागिनी की प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट्स हैं... अर्जुन को पता नहीं चलना चाहिए कि असली चाल मैं चल चुका हूँ!"

    आदमी ने हामी भरी। "सर, हम तैयार हैं!"

    राज की आँखों में नफरत थी। "अब रागिनी को इस खेल से हमेशा के लिए हटाना पड़ेगा!"


    ---

    अर्जुन का मास्टरस्ट्रोक!

    अर्जुन रागिनी को लेकर अपनी प्राइवेट सेफहाउस में आ चुका था।

    "तुमने मुझे यहाँ क्यों लाया?" रागिनी ने नाराजगी से पूछा।

    अर्जुन ने अपनी जैकेट उतारी और उसे देखते हुए कहा— "तुम्हें बचाने के लिए।"

    रागिनी हंसी। "ओह, तो अब तुम मेरे बॉडीगार्ड बन गए हो?"

    अर्जुन ने आँखें आधी बंद की और बेहद शांत लहजे में कहा— "नहीं, मैं सिर्फ अपनी चीज़ की हिफाज़त कर रहा हूँ।"

    रागिनी का गुस्सा भड़क गया। "मैं तुम्हारी चीज़ नहीं हूँ, अर्जुन!"

    अर्जुन ने उसकी तरफ एक कदम बढ़ाया, उसकी ठुड्डी को हल्के से छूते हुए कहा—

    "तो फिर भाग कर दिखाओ?"

    रागिनी का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, लेकिन उसने खुद को संभाला।

    "तुम जो भी सोचते हो, अर्जुन, मैं तुम्हें गलत साबित करके रहूँगी!"

    अर्जुन मुस्कुराया। "देखते हैं, किसकी जीत होती है!"


    ---

  • 6. Contract Ishq ka - Chapter 6

    Words: 1297

    Estimated Reading Time: 8 min

    एपिसोड 21 – रागिनी की आज़ादी या अर्जुन का कब्जा?

    रागिनी कमरे में बेचैनी से इधर-उधर टहल रही थी। अर्जुन उसे अपने प्राइवेट सेफहाउस में ले आया था, और यहाँ से बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं था।

    "तुम मुझे यहाँ कैद करके क्या साबित करना चाहते हो?" रागिनी ने गुस्से से अर्जुन की तरफ देखा।

    अर्जुन आराम से सोफे पर बैठा था, हाथ में कॉफी का मग था। उसने एक हल्की मुस्कान दी।

    "रागिनी, तुम अब तक समझी नहीं कि मैं क्या चाहता हूँ?"

    "हाँ, तुम सिर्फ मुझे कंट्रोल करना चाहते हो!" रागिनी ने गुस्से से कहा।

    अर्जुन उठा और धीरे-धीरे उसके करीब आया।

    "कंट्रोल? नहीं... मैं सिर्फ तुम्हारी हिफाज़त कर रहा हूँ।"

    रागिनी हंसी। "हिफाज़त? क्या मजाक है! मुझे तुमसे ज्यादा किसी और से खतरा नहीं!"

    अर्जुन ने ठंडी नज़रों से उसे देखा। "अगर मैं न होता, तो तुम इस वक्त राज के जाल में फँस चुकी होती।"

    रागिनी ने मुँह फेर लिया। "मैं खुद को संभाल सकती हूँ!"

    अर्जुन ने उसकी कलाई पकड़ ली, हल्के लेकिन मजबूती से।

    "सुनो, तुम इस वक्त मेरी ज़िम्मेदारी हो। और जब तक मैं तुम्हें इस खतरे से बाहर नहीं निकाल देता, तब तक तुम यहीं रहोगी।"

    रागिनी उसकी आँखों में देख रही थी, लेकिन वहाँ कोई नरमी नहीं थी—सिर्फ जिद थी।


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    राज का नया वार – किडनैपिंग प्लान!

    दूसरी तरफ, राज अपनी ऑफिस में बैठा था। उसका सबसे भरोसेमंद आदमी सामने खड़ा था।

    "सर, रागिनी अब भी अर्जुन के पास है। हमें क्या करना है?"

    राज ने गहरी सांस ली और मुस्कुराया। "अगर अर्जुन ने उसे अपने पास रखा है, तो इसका मतलब है कि रागिनी उसके लिए मायने रखती है।"

    आदमी ने सिर हिलाया। "हमें उसे खत्म कर देना चाहिए?"

    राज हंसा। "नहीं... उसे खत्म करना इतना आसान नहीं होगा। उसे तकलीफ होनी चाहिए। अर्जुन को दर्द महसूस होना चाहिए!"

    "तो?"

    "रागिनी को किडनैप करो!" राज ने ठंडे लहजे में कहा। "लेकिन ध्यान रहे... अर्जुन को पता भी न चले कि हम उसके कितने करीब पहुँच चुके हैं!"

    आदमी ने सिर हिलाया। "समझ गया, सर!"


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    रात का तूफान – अर्जुन बनाम रागिनी

    रात के 11 बज चुके थे। बाहर बारिश हो रही थी। रागिनी अब भी कमरे में बंद थी।

    अचानक, उसने एक कुर्सी उठाई और खिड़की के शीशे पर दे मारी।

    "धड़ाम!"

    शीशा टूट गया। लेकिन जैसे ही वह बाहर कूदने लगी, किसी ने उसे पीछे खींच लिया।

    "क्या कर रही हो, रागिनी?" अर्जुन की आवाज़ गरजी।

    रागिनी ने गुस्से से उसकी तरफ देखा। "मैं भाग रही हूँ! तुम मुझे रोक नहीं सकते!"

    अर्जुन ने उसे अपनी बाहों में कसकर पकड़ लिया।

    "तुम्हें लगता है कि तुम मुझसे बच सकती हो?" उसकी आवाज़ धीमी, लेकिन डरावनी थी।

    रागिनी ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन अर्जुन की पकड़ मजबूत थी।

    "छोड़ो मुझे!"

    अर्जुन ने उसकी आँखों में देखा और धीरे से फुसफुसाया—

    "तुम मेरी हो, रागिनी। और जब तक मैं चाहूँगा, तुम सिर्फ मेरे पास रहोगी!"

    रागिनी की सांसें तेज हो गईं। "तुम पागल हो!"

    अर्जुन मुस्कुराया। "शायद। लेकिन तुम्हारे लिए!"


    ---

    एपिसोड 22 – अर्जुन का क़हर या राज की चाल?

    रात के दो बजे थे। कमरे में हल्की रोशनी थी, लेकिन रागिनी की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। वो अर्जुन की गिरफ्त से बचने के हर तरीके के बारे में सोच रही थी।

    "मुझे यहाँ से निकलना होगा, वरना मैं हमेशा के लिए इसकी कैद में रह जाऊँगी!" रागिनी ने खुद से कहा।

    अर्जुन कमरे के कोने में खड़ा था, उसकी हर हरकत पर नज़र रखे हुए।

    "क्या सोच रही हो?" उसकी आवाज़ गूंज उठी।

    रागिनी चौंकी, लेकिन तुरंत खुद को संभाल लिया। "मैं सोच रही हूँ कि तुम्हारी ये जबरदस्ती कब खत्म होगी?"

    अर्जुन धीरे-धीरे आगे बढ़ा, उसकी आँखों में वही पुरानी सख्ती थी। "जब तुम मान जाओगी कि तुम मेरी हो!"

    रागिनी ने गुस्से से उसे धक्का दिया। "ख्वाबों की दुनिया में मत रहो! मैं कभी तुम्हारी नहीं हो सकती!"

    अर्जुन ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे करीब खींच लिया। "फिर ये देखना दिलचस्प होगा कि तुम इस सच को कब तक नकार सकती हो!"


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    राज की चाल – रागिनी पर खतरा!

    दूसरी तरफ, राज ने अपने आदमियों के साथ प्लान तैयार कर लिया था।

    "रागिनी को किडनैप करो, लेकिन बहुत सफाई से!" राज ने कहा। "मुझे अर्जुन को हर हाल में तोड़ना है!"

    उसका आदमी थोड़ा हिचकिचाया। "लेकिन सर, अर्जुन बहुत चालाक है। उसे बेवकूफ बनाना आसान नहीं होगा!"

    राज हंसा। "तुम बस मेरी बात सुनो। इस बार हम अर्जुन की शतरंज की बिसात पर उसे मात देंगे!"


    ---

    रात का खेल – अर्जुन की चालाकी या रागिनी की आज़ादी?

    रागिनी को मौका मिल चुका था। अर्जुन कहीं बाहर गया था, और उसने दरवाजा लॉक करना भूल गया था।

    "यही सही वक्त है!"

    रागिनी धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकली, लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे से बाहर कदम रखा—

    "तुम्हें लगा कि मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने दूँगा?"

    अर्जुन सामने खड़ा था, उसकी आँखों में खतरनाक चमक थी।

    रागिनी एक कदम पीछे हटी। "अर्जुन, प्लीज़... मुझे जाने दो!"

    अर्जुन आगे बढ़ा, और दीवार से सटाकर उसे घूरने लगा। "तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हें अपने दुश्मनों के हाथ में जाने दूँगा?"

    रागिनी गुस्से में बोली, "तुम्हें मुझसे मतलब ही क्या है? मुझे परवाह नहीं कि राज या कोई और मुझे क्या करेगा!"

    अर्जुन के जबड़े सख्त हो गए। "लेकिन मुझे परवाह है!"

    वो एक सेकंड के लिए रुका, फिर धीरे से फुसफुसाया—

    "क्योंकि मैं तुम्हें खो नहीं सकता, रागिनी!"


    ---


    एपिसोड 23 – अर्जुन की चाल, राज की साजिश

    रागिनी ने अर्जुन की आँखों में देखा। उसकी पकड़ अभी भी मजबूत थी, लेकिन उस पकड़ में अब जबरदस्ती नहीं, बल्कि डर था… उसे खो देने का डर।

    रागिनी ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की। "तुम मुझे कैद नहीं कर सकते, अर्जुन! ये कोई प्यार नहीं, पागलपन है!"

    अर्जुन की आँखों में हल्की मुस्कान उभरी, लेकिन उसके लहजे में वही सख्ती थी। "अगर ये पागलपन है तो हाँ, मैं पागल हूँ… तुम्हारे लिए!"

    रागिनी ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया। "मुझे तुमसे कोई फर्क नहीं पड़ता!"

    अर्जुन ने उसकी ठुड्डी पकड़कर उसे फिर से अपनी ओर घुमा दिया। "फिर इतनी नफरत क्यों?"

    रागिनी झटके से उसकी पकड़ से छूट गई और गुस्से से बोली, "क्योंकि तुमने मुझे जबरदस्ती रोका हुआ है! और जो चीज़ जबरदस्ती मिले, उससे मोहब्बत नहीं होती… नफरत होती है!"

    अर्जुन के चेहरे पर एक पल के लिए दर्द झलका, लेकिन वो तुरंत वापस अपने सख्त रूप में आ गया।

    "तुम अब भी समझ नहीं पा रही हो, रागिनी… मैं तुम्हें किसी और का होने नहीं दूँगा। चाहे जो भी हो!"


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    राज की साजिश – रागिनी पर मंडराता खतरा

    राज अपने लोगों के साथ एक अंधेरी गली में खड़ा था।

    "सब कुछ तैयार है?" उसने अपने आदमी से पूछा।

    आदमी ने सिर हिलाया। "जी सर, बस एक इशारा और रागिनी हमारी होगी!"

    राज के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आई। "इस बार अर्जुन को अपनी हार देखनी ही पड़ेगी!"


    ---

    रात का खेल – अर्जुन का पलटवार

    रागिनी कमरे में बेचैन होकर इधर-उधर टहल रही थी। उसे अब इस कैद से बाहर निकलना ही था, लेकिन जैसे ही वो दरवाजे के पास पहुंची, उसे हलचल महसूस हुई।

    कुछ लोग घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे!

    "कौन हो तुम लोग?" रागिनी ने चौंककर कहा, लेकिन तभी एक आदमी ने उसे दबोच लिया।

    "हमें माफ करना, मैडम, लेकिन हमें आदेश है!"

    रागिनी ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन तभी…

    धड़ाम!

    दरवाजा इतनी जोर से खुला कि सबका ध्यान वहीं चला गया।

    अर्जुन खड़ा था, उसकी आँखें गुस्से से लाल थीं।

    "जिसने भी उसे छूने की कोशिश की… उसका अंजाम बहुत बुरा होगा!"

    राज के आदमियों ने बंदूक निकाल ली, लेकिन अर्जुन के चेहरे पर डर नहीं था, बल्कि एक खतरनाक मुस्कान थी।

    "तुम्हें लगा, मैं तैयार नहीं रहूँगा?"

    और अगले ही पल, अर्जुन के आदमी भी अंदर आ गए।

    "खेल शुरू हो चुका है, राज… लेकिन खत्म मैं करूँगा!"


    ---

  • 7. Contract Ishq ka - Chapter 7

    Words: 1533

    Estimated Reading Time: 10 min

    एपिसोड 24 – अर्जुन का कहर, राज की शिकस्त

    कमरा लड़ाई का मैदान बन चुका था। अर्जुन के लोग राज के आदमियों को काबू में कर रहे थे, लेकिन असली खेल अब भी बाकी था।

    रागिनी घबराई हुई थी। "अर्जुन, संभलकर!"

    अर्जुन ने बिना उसकी तरफ देखे कहा, "डरने की जरूरत नहीं, रागिनी। जब तक मैं हूँ, तुम्हें कोई छू भी नहीं सकता!"

    राज का एक आदमी अर्जुन पर हमला करने ही वाला था कि अर्जुन ने उसे हवा में उठाकर जोर से दीवार पर पटका। "मैंने कहा था ना… मुझसे पंगा मत लेना!"

    राज अब भी अंधेरे में छुपा खड़ा था। उसने अपनी जेब से फोन निकाला और किसी को कॉल लगाया। "प्लान B एक्टिवेट करो!"

    अर्जुन के सामने खड़ा एक आदमी अचानक एक स्मोक बम फेंकता है। धुआं पूरे कमरे में फैल जाता है।

    रागिनी ने खांसते हुए अर्जुन को आवाज दी, "अर्जुन!"

    लेकिन अगले ही पल, उसे किसी ने पीछे से पकड़ लिया और उसके मुँह पर कपड़ा रख दिया।

    रागिनी की आँखें चौड़ी हो गईं। वो हाथ-पैर मारने लगी, लेकिन होश खोने से पहले उसने अर्जुन को पुकारा… "अर्जुन…!"


    ---

    अर्जुन का गुस्सा – जब शेर जागता है!

    धुएँ के खत्म होते ही अर्जुन ने देखा… रागिनी गायब थी!

    उसकी आँखें खून से लाल हो गईं। "राज!!"

    उसने अपने एक आदमी को पकड़ा और दहाड़ते हुए पूछा, "कहाँ ले गए उसे?"

    आदमी डर से कांप रहा था, लेकिन कुछ बोलने ही वाला था कि किसी ने उसे गोली मार दी।

    "BANG!!"

    अर्जुन ने देखा, सामने राज खड़ा था, हाथ में बंदूक और चेहरे पर एक शातिर मुस्कान।

    "बहुत हो गया तुम्हारा खेल, अर्जुन। अब ये मेरा मैदान है!"

    अर्जुन की मांसपेशियाँ तन गईं। उसने एक कदम आगे बढ़ाया, लेकिन राज ने हाथ उठाकर इशारा किया।

    "एक और कदम आगे बढ़ाया, तो रागिनी को नहीं पाओगे!"

    अर्जुन वहीं रुक गया। उसकी मुट्ठियाँ कस गईं।

    "तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी, राज…"

    राज हंसा, "गलती? मैंने तो बस तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाई है!"

    लेकिन राज नहीं जानता था… शेर से खेलना हर किसी के बस की बात नहीं होती!


    ---

    एपिसोड 25 – अर्जुन का कहर शुरू!

    कमरा अब खाली था, लेकिन अर्जुन की आँखों में एक अलग ही आग जल रही थी। राज ने उसकी रागिनी को छूने की गलती की थी… अब अंजाम भुगतना ही पड़ेगा!

    उसने फोन निकाला और अपने खास आदमी कबीर को कॉल लगाया।

    "रागिनी कहाँ है?" अर्जुन की आवाज़ इतनी ठंडी थी कि दूसरी तरफ खड़ा कबीर भी काँप उठा।

    "सर, हमें कुछ पता नहीं चल पा रहा, लेकिन हमने राज के आदमी ट्रैक करने शुरू कर दिए हैं।"

    अर्जुन की जबड़े भींच गए। "चौबीस घंटे। अगर रागिनी को एक खरोंच भी आई, तो पूरे शहर में राज का नाम लेने वाला कोई नहीं बचेगा!"


    ---

    रागिनी का डर और गुस्सा!

    रागिनी को जब होश आया, तो उसने खुद को एक अंधेरे कमरे में पाया। उसके हाथ रस्सियों से बंधे थे।

    "छोड़ो मुझे!" उसने ज़ोर से चिल्लाया, लेकिन तभी सामने से राज अंदर आया।

    "इतनी जल्दी क्या है, जान? हम तो बस तुम्हारे और अर्जुन के बीच की गलतफहमी दूर कर रहे हैं।"

    रागिनी की आँखों में नफरत भड़क उठी। "तुम सिर्फ एक घटिया इंसान हो, राज! मुझे तुमसे नफरत है!"

    राज हंसा। "अर्जुन ने तुम्हें मुझसे छीन लिया, लेकिन अब देखो, तुम फिर से मेरे पास हो!"

    रागिनी को घिन आ रही थी। "तुमने मुझे बेचा था, राज! मेरा घर छीना, मेरी ज़िंदगी से खेला! और अब तुम सोचते हो कि मैं तुम्हारे साथ रहूँगी?"

    राज मुस्कुराया, "रहना तो तुम्हें पड़ेगा, रागिनी… लेकिन अपनी मर्जी से या जबरदस्ती? ये तुम्हें तय करना होगा!"

    रागिनी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। "अर्जुन आएगा… और तुम्हारा खेल खत्म कर देगा!"

    राज की हँसी गूंज उठी। "अर्जुन अगर आ भी गया, तो इस बार उसे खाली हाथ लौटना पड़ेगा!"


    ---

    अर्जुन का वार – पहली चाल!

    दूसरी तरफ, अर्जुन अब शांत नहीं था। उसने अपने एक और खास आदमी को फोन किया।

    "शहर के हर कोने में राज के लोगों को ढूँढो। अगर रागिनी को कुछ हुआ, तो राज को ज़िंदा जलाकर मारूँगा!"

    कबीर ने सिर हिलाया। "हमें राज के पुराने अड्डे का लोकेशन मिला है। शायद उसने रागिनी को वहीं रखा हो!"

    अर्जुन के होंठों पर हल्की सी स्माइल आई। "अब खेल शुरू होता है!"


    ---

    2एपिसोड 26 – अर्जुन का पहला वार!

    "तुम समझते क्या हो खुद को?" रागिनी की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज गई।

    राज ने एक गहरी सांस ली और पास आकर उसकी ठुड्डी उठाई। "मैं वो हूँ जिसने तुम्हें अर्जुन से छीना है!"

    रागिनी ने झटके से अपना चेहरा हटा लिया। "तुमने मुझे नहीं छीना, तुमने मुझे धोखा दिया! और अर्जुन… अर्जुन तुम्हें छोड़ने वाला नहीं है!"

    राज हँस पड़ा। "अर्जुन को यहां तक पहुँचने में बहुत देर हो जाएगी, मेरी जान।"

    लेकिन राज की यह सोच जल्द ही गलत साबित होने वाली थी…


    ---

    अर्जुन का जाल!

    दूसरी ओर, अर्जुन अपने लोगों के साथ एक अंधेरे गोडाउन के बाहर खड़ा था। उसकी आँखों में खून उतर आया था।

    "दरवाजा तोड़ो!"

    एक ज़ोरदार धमाके के साथ लोहे का गेट टूटकर गिरा और अर्जुन अंदर घुसा।

    राज के लोग चौकन्ने हो गए, लेकिन इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते, अर्जुन ने पहला वार कर दिया।

    गोलियाँ गूंज उठीं!

    एक के बाद एक, राज के आदमी गिरते चले गए। अर्जुन की चालाकी और ताकत के आगे वे ज्यादा देर टिक नहीं पाए।


    ---

    रागिनी की उम्मीद जगी!

    रागिनी ने गोलियों की आवाज़ सुनी और उसकी आँखों में उम्मीद की चमक आ गई।

    "अर्जुन आ गया…" उसने खुद से बुदबुदाया।

    राज का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। "इसे बंद करो!" उसने अपने आदमियों को चिल्लाकर कहा।

    लेकिन बहुत देर हो चुकी थी।

    अर्जुन अब दरवाजे पर खड़ा था… उसकी आँखों में वही ठंडा गुस्सा था, जिससे पूरे शहर के लोग डरते थे।

    "राज!" अर्जुन की आवाज़ गूंज उठी।

    राज के शरीर में एक झुरझुरी दौड़ गई। उसने रागिनी की ओर देखा और फिर अर्जुन की ओर।

    "तुमने यहाँ तक पहुँचने में बहुत देर कर दी, अर्जुन!"

    अर्जुन की आँखों में हल्की हंसी चमकी। "और तुमने मुझे रोकने के लिए बहुत गलत चाल चल दी, राज। अब मैं तुम्हें तुम्हारी गलती का अंजाम देने आया हूँ!"


    ---

    एपिसोड 27 – अर्जुन बनाम राज!

    गोडाउन के अंदर चारों तरफ सन्नाटा था। सिर्फ हवा में गूंजती गोलियों की गंध और जलते हुए टायरों का धुआं था।

    "अर्जुन!" राज ने गुस्से से दांत पीसते हुए कहा।

    अर्जुन धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ा। उसकी चाल में वही ठहराव था जो सामने वाले को डराने के लिए काफी था।

    रागिनी की आँखें अर्जुन पर टिक गईं। उसकी हालत देख अर्जुन की मुट्ठियाँ कस गईं।

    "छोड़ दो उसे!" अर्जुन की ठंडी लेकिन सख्त आवाज़ गूंज उठी।

    राज हंस पड़ा। "तुम इतनी आसानी से उसे नहीं ले जा सकते, अर्जुन! उसे पाने के लिए तुम्हें मुझसे लड़ना होगा।"

    अर्जुन के होंठों पर एक हल्की मगर खतरनाक हंसी आई। "तुम जैसे लोग मेरे सामने खड़े रहने की भी हिम्मत नहीं रखते, लड़ने की बात तो दूर है।"

    राज को यह चैलेंज मंजूर नहीं था। उसने तुरंत अपने लोगों को इशारा किया।


    ---

    गोलियों की बारिश!

    राज के लोग जैसे ही आगे बढ़े, अर्जुन ने बिजली की तेजी से अपनी गन निकाली और पहली गोली दाग दी।

    "धायं!"

    पहला आदमी ज़मीन पर गिरा।

    राज की आँखें चौड़ी हो गईं। "फायर!" उसने चिल्लाकर कहा।

    अर्जुन ने खुद को कवर करते हुए लगातार दो और लोगों को गिरा दिया। अब सिर्फ राज और उसके कुछ खास आदमी ही बचे थे।


    ---

    रागिनी की जान खतरे में!

    राज समझ गया कि अर्जुन को लड़ाई में हराना मुश्किल होगा। उसने तुरंत रागिनी को पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर बंदूक रख दी।

    "रुक जाओ, अर्जुन!" राज चिल्लाया। "अगर एक कदम भी आगे बढ़ाया, तो मैं इसे यहीं खत्म कर दूँगा!"

    रागिनी की सांसें तेज हो गईं, लेकिन उसकी आँखों में डर के बजाय गुस्सा था।

    अर्जुन के चेहरे पर कोई भाव नहीं आया। उसने सिर्फ एक नज़र राज की पकड़ में दबी रागिनी पर डाली और फिर अपनी गन नीचे कर ली।

    राज ने मजे से हंसते हुए कहा, "मैं जानता था कि तुम उसके लिए कुछ भी कर सकते हो। लेकिन अर्जुन, तुम हार गए।"

    लेकिन तभी…

    "धायं!"

    एक गोली की आवाज़ गूंजी और रागिनी राज की पकड़ से छूटकर ज़मीन पर गिर गई।

    राज का चेहरा सदमे से सफेद पड़ गया। "त.. तुम?"

    रागिनी ने अपने हाथ में गन पकड़ते हुए धीरे से कहा, "हां, मैं! अब मेरी बारी थी।"


    ---

    अर्जुन का बदला!

    अर्जुन ने तुरंत आगे बढ़कर राज की गन छीन ली और उसे एक ज़ोरदार घूंसा मारा।

    "ये तुम्हारे धोखे के लिए!" एक घूंसा।

    "ये रागिनी को बेचने के लिए!" दूसरा घूंसा।

    "और ये मेरी बीवी को तकलीफ देने के लिए!" तीसरा घूंसा और राज ज़मीन पर गिर पड़ा।

    रागिनी ने अर्जुन की तरफ देखा। उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था। यह आदमी जो दुनिया के लिए पत्थर था, उसकी आँखों में सिर्फ रागिनी के लिए गुस्सा और चिंता थी।

    अर्जुन ने रागिनी का हाथ थामा और कहा, "चलो, घर चलते हैं। ये खेल खत्म!"

    लेकिन क्या वाकई ये खेल खत्म हो चुका था?


    ---

    अगले एपिसोड में:

    राज की आखिरी चाल क्या होगी?

    अर्जुन और रागिनी की जिंदगी में नया मोड़!

    क्या यह लड़ाई सच में खत्म हो चुकी है?


    🔥 कहानी में अभी और धमाका बाकी है! 🔥

  • 8. Contract Ishq ka - Chapter 8

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min