Author’s Note This story is entirely my own, and all copyrights are reserved under my name. It is based on my original Urdu novel Deewangi, which was previously posted on Facebook under the name Falak Urwa Shaifi. I am now transforming it into a... Author’s Note This story is entirely my own, and all copyrights are reserved under my name. It is based on my original Urdu novel Deewangi, which was previously posted on Facebook under the name Falak Urwa Shaifi. I am now transforming it into a BL love story with a new title. This story contains elements of dark romance, bold scenes, and intense emotional themes. If you are homophobic or uncomfortable with such content, kindly refrain from reading or giving unnecessary moral lectures or low ratings. You can expect kidnapping, forceful romance, and a red-flag male lead—who eventually turns into a green forest. It’s an Alpha-Omega universe featuring male pregnancy, family drama, and emotional rollercoasters. In the end, it’s a slow burn, deeply romantic, and happy ending love story. 💎
Page 1 of 1
छोटी सी झलक...
Author’s Note
This story is entirely my own, and all copyrights are reserved under my name. It is based on my original Urdu novel Deewangi, which was previously posted on Facebook under the name Falak Urwa Shaifi. I am now transforming it into a BL love story with a new title.
This story contains elements of dark romance, bold scenes, and intense emotional themes. If you are homophobic or uncomfortable with such content, kindly refrain from reading or giving unnecessary moral lectures or low ratings.
You can expect kidnapping, forceful romance, and a red-flag male lead—who eventually turns into a green forest. It’s an Alpha-Omega universe featuring male pregnancy, family drama, and emotional rollercoasters.
In the end, it’s a slow burn, deeply romantic, and happy ending love story. 💎💎
---
" आप मुझे जाने क्यों नहीं दे रहे हैं..."
ईवान कायल के हाथ से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रहा था,,कायल के चेहरे पर शैतानी मुस्कान तैर गई..
"नहीं जाने दे सकता अगर तुम्हें जाने दिया तो मेरी जान भी चली जाएगी...लगता है मुझे तुमसे बहुत शिद्दत से मोहब्बत हो गई है..."
"झूठ बोल रहे हैं आप...ये सब आप सिर्फ मेरे पापा से बदला लेने के लिए कर रहे हैं... मैं जानता हूँ आपकी शादी अवि से फिक्स हो चुकी है…!!
ईवान ग़ुस्से से चिल्लाया..
"अरे रहने दो स्वीटहार्ट... तुम ग़ुस्से में और भी हसीन लगते हो...शादी तो अब तुमसे ही होगी और आज ही होगी..देखता हूँ कौन रोकता है मुझे…!!
कायल ने उसे अचानक सोफे पर धकेल दिया..
ईवान को विश्वास नहीं हो रहा था कि कायल उसके साथ ऐसा भी कर सकता है...
"यकीन नहीं आ रहा होगा लेकिन हाँ…मैं तुमसे इश्क़ कर बैठा हूँ अब तो जुनून है कि तुम्हें अपना बनाऊँ...किसी और की तुम्हें बनते नहीं देख सकता..."
"भगवान के लिए प्लीज मुझे जाने दीजिए... मेरे पापा...____
"चुप…!
एकदम चुप..!!
हर वक़्त पापा…पापा.. अगर उन्हें इतनी फिक्र होती तो कब के तुम्हें यहाँ से छुड़ा ले जाते अब तुम सिर्फ मेरे हो…!!
कायल एकदम चीखा…
"जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ...यक़ीन करो मैं अच्छा इंसान हूँ...तुम्हें बहुत खुश रखूँगा अगर तुम मेरे नहीं हुए तो मैं मर जाऊँगा...जब तुमने कल रात जाने की बात की तो मुझे बहुत तकलीफ़ हुई...ऐसी तकलीफ़ जो पहले कभी नहीं हुई थी...मैं अवि से प्यार नहीं करता बस परिवार की वजह से रिश्ता तय हो गया था लेकिन मेरा दिल सिर्फ तुम्हें चाहता है…!!
कायल उसके सामने नरमी से बोला...
ईवान को यकीन नहीं हो रहा था कि ये वही कायल है...
"लेकिन मैं आपसे मोहब्बत नहीं करता…!!
मुझे घर जाना है... इस दुनिया में मेरे पापा के सिवा मेरा कोई नहीं... हम ग़रीब हैं लेकिन हमारी भी इज़्ज़त है..."
"इसका मतलब तुम मुझसे शादी नहीं करोगे अपनी बेकार सोच की वजह से..."
कायल ने ग़ुस्से से कहा और उसका चेहरा अपनी हथेली में जकड़ लिया।
"पता है... मुझे तुमसे नर्मी से बात ही नहीं करनी चाहिए थी…!!
तुम बहुत जिद्दी हो,, तुम्हारी रस्सी मुझे ढीली नहीं रखनी चाहिए थी...तुम एक नन्हें से छोटे से चिड़िया जैसे हो और मैं हूँ बाज़ कायल रणवीर सिंह— एक बेहद खतरनाक बाज़... जो अपने शिकार को धर दबोचना अच्छे से जानता है…!!
जो तुम्हारे पंख नोच कर,गर्दन दबा कर हमेशा के लिए पिंजरे में कैद कर सकता है... इसलिए अपनी औक़ात में रहकर बात करना सीखो..."
कायल की लाल आँखें ईवान की आंसुओं से भरी नीली आँखों में गड़ी थीं..
"चलो…अब रोना धोना बंद करो और एक कप अपनी हाथ की कड़क चाय बना कर दो…
ईवान रोता हुआ वहाँ से भाग गया और किचन में जाकर ज़मीन पर बैठ गया..आँसू उसके गालों पर बहते चले गए…
दूसरी तरफ कायल आराम से सोफे पर बैठकर मोबाइल चला रहा था..
उसे अब जल्दी से जल्दी बिना देर किए,,शादी करनी थी..
तभी मिहिर की आवाज पर कायल दुबारा नर्म पड़ गया..
“हेलो बिग ब्रो…कैसे हैँ…!?
ना घर आना ना कोई खोज खबर…इतने ज़्यादा बिज़ी रहते हैँ…!!मिहिर कायल के गर्दन लगते हुए शिकायत करने लगा..
ज़ब थोड़ी देर बाद ईवान चाय की ट्रे हाथों में ले आया तो मिहिर जो कायल से इधर उधर की बातों में लगा था अचानक ही ईवान की तरफ देख चौंक गया..
“अरे ईवा तुम….!?
ईवान जो ट्रे रख रहा था,,मिहिर की आवाज सुन झटके से उसकी तरफ देखने लगा..
कायल ने लम्बी सांस ली…
“अब ये मत कहना की तुम भी इसे जानते हो…!!
मिहिर उठा और ईवान की तरफ जैसे ही बढ़ा,,ईवान डर से दो कदम पीछे हट गया..
“अले अले क्या हो गया…ईवा बाबू को..!!
तुम यहाँ छुपे बैठे हो और उधर नैन और इनाया का बुरा हाल हुआ है..खास कर नैन का…और तुम इधर चाय सर्व कर रहे हो…!!
मिहिर अपनी उंगलियों के पोर से ईवान के सूजी आँखों को सेहलाने लगा..
“छोटे चुज़े ने रो रो कर आँखों को सुजा लिया है…!!मिहिर हमेशा उसे टीज करता रहता था..
यूनिवर्सिटी में नैन ईवान से चिपके हर जगह साथ रहता था और ईवान भी मिहिर को नैन के ज़रये जानता था…
क्यूंकि नैन सबको टूशन देता था और ईवान ने भी दो तीन बार मिहिर को टूशन दी थी..
“बिग ब्रो अब क्या आप लोगों को किडनेप करवाने का ठेका लेते हैँ….!!मिहिर मुड़कर जैसे ही कायल की तरफ देखने लगा,,ईवान चुपके से वहाँ से खिसक गया वरना फिर पीछे से उसे कायल की धमकी सुननी पड़ती…
ऊपर से मिहिर का बिग ब्रो सुन वह और ज़्यादा घबरा गया था,,उसे आज पता चला था की मिहिर कायल का छोटा भाई है..
“ऐसा कुछ नहीं है बस वह ईवा…मतलब की ईवान कुछ मजबूरी की वजह से यहाँ है…
तुम पहले बताओ की ये नैन कौन…!?
कहीं ये वही तो नहीं जिसकी शादी रयान से हो रही है फिर उसका ईवान से क्या लेना देना…!!
और तुम ईवान को इतना करीब से कैसे जानते हो….!?
कायल के अंदर शक का कीड़ा फिर जाग गया..
मिहिर हंसने लगा….”हाहाहाहा….हीहीही ब्रो…सीरियसली,,हम सब बस एक ही यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैँ और ईवान मेरा सीनियर फेलो है…ईवान का दोस्त नैन है बस और कुछ नहीं…!!
हम सब दोस्त हैँ पर आप तो ये सब कभी नहीं पूछते…!?
कोई और बात है क्या…!?
कायल ख़ामोश होगया..
“नहीं बस कुछ नहीं है…तुम अपनी सुनाओ…!!
कायल ने बातों का रुख बदल दिया..
"मैं क्या ही बताऊं...!!
सब ठीक है और आप अब घर भी नहीं आते हैँ,,जानता हूं मैं की हम सोतेले हैँ फिर भी प्यार तो अपनों जैसा है और आप मम्मी को इग्नोर किया कीजिये और घर आए...हमलोगो ने कितने सालों से कोई ट्रिप का प्लान नहीं बनाया,,कहीं गए भी नहीं बस बिजनेस में बिज़ी है...!!
कायल ने मिहिर के बालों में हाथ फेरते हुए कहा.."बहुत जल्दी हम साथ चलेंगे लेकिन सबसे पहले तुम अपनी स्टडीज़ पर धियान दो..."
मिहिर फिर बातों में ही लगा रहा और वापिस लोट गया...
It’s_Just_Beginning…❣️
खिड़कियों से छनकर आती धूप से कायल रणवीर ज़ोर से गरजा...
"कितनी बार कहा है मैंने, मेरे कमरे की खिड़कियों के पल्ले मत खोला करो और न ही परदे हटाने की ज़रूरत है... रोज़ मेरी नींद खराब कर देते हो..."
कायल गुस्से से बिस्तर से उठा और बड़बड़ाता हुआ सीधा वॉशरूम चला गया... जैसे ही फ्रेश होकर बाहर निकला, नौकरों की एक पूरी फौज सिर झुकाए कमरे में खड़ी थी...
कायल ने सब पर एक उड़ती नज़र डाली और होंठ कसकर भींच लिए...
"जगन, अपने लिए कोई और नौकरी तलाश लो, रोज़ मेरी नींद हराम कर देते हो..." कायल सपाट लहजे में बोला...
"लेकिन वो बड़े साहब का कहना है कि रोज़ आपको सूरज की पहली किरण निकलते ही उठा दूँ... इसलिए मैं रोज़ वक़्त पर परदे..." कायल ने हाथ उठाकर उसे बोलने से रोका और दो नौकरों को इशारा किया, तो वे जगन को बाज़ुओं से पकड़कर बाहर घसीट ले गए...
"आजकल देख रहा हूँ... इन नौकरों की ज़ुबान मेरे सामने ज़्यादा चलने लगी है... याद रखना, मुझे कोई मतलब नहीं और न ही फ़र्क पड़ता है पापा क्या कहते हैं या नहीं, मैं उनकी सारी बातें मानता हूँ और आगे भी उनका फ़रमाबरदार रहूँगा लेकिन... लेकिन तुम लोग मेरे ख़ास नौकर हो और मैंने तुम पर जो इनायतें की हैं, उन्हें कभी मत भूलना... इसलिए इस कमरे से लेकर बाहर की दुनिया तक, तुम लोग मेरे हुक्म के पाबंद रहोगे और जो मैं कहूँगा, वही होगा... और अगर मेरे साथ बदतमीज़ी या ज़ुबानदराज़ी की तो... बाकी तुम लोग अच्छे से जानते हो मैं कितना ख़तरनाक हूँ और कैसी सज़ाएँ देता हूँ..."
कायल की बात पर सारे नौकर काँप उठे... वे जानते थे कि उनका मालिक कितना ज़ालिम है...
जल्दी ही एक नौकर ने बढ़कर उसे कोट पहनाया और बाकी सब दबे पाँव कमरे से निकल गए...
कायल अपनी महँगी परफ्यूम खुद पर छिड़कता तैयार होने लगा... थोड़ी देर बाद जब वह कमरे से निकला तो बहुत ही हैंडसम लग रहा था...
भूरे बाल करीने से जेल से एक तरफ सेट किए हुए थे और ब्लैक थ्री पीस सूट, महंगे जूते और हाथ में ब्रांडेड घड़ी उसकी नफासत पसंद तबीयत को साफ दिखा रही थी... वह था ही इतना ज़्यादा गुड लुकिंग और डैशिंग कि जहाँ से भी गुजरता, सबकी नज़रें उस पर ठहर जाती थीं...
गोरापन जैसे दूध सा रंग और भूरी आँखें... हल्की बढ़ी हुई दाढ़ी जो हमेशा उसके चेहरे पर रहती थी—उसे हेवी बियर्ड पसंद थी... चेहरे के तीखे नाक-नक्श और कटीले होंठ, जो ज़्यादा सिगरेट पीने की वजह से थोड़े काले पड़ गए थे, लेकिन उसकी गंभीर और रौबदार शख्सियत पर जंचते थे... मिजाज़ में ठंडापन और गंभीरता थी... कम बोलना और फालतू बातें न करना उसकी आदतों में शामिल था...
कायल शाही अंदाज़ में चलता हुआ डाइनिंग टेबल तक पहुँचा जहाँ करणवीर सिंह — उसके पापा पहले से मौजूद थे...
"सुबह हो गई है शायद, मेरा शेर बेटा उठ गया है..." करणवीर साहब फख्र से बेटे की तरफ मुस्कराकर देखने लगे...
"प्लीज़ पापा... स्टॉप दिस नॉनसेंस... और नौकरों को उनकी औकात में रहने को कहिए... अगर ये मुँह को आ गए ना, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा... आप अच्छे से जानते हैं मेरा गुस्सा कितना ख़तरनाक होता है..." कायल बेरुखी से बोला...
"आज से तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं होगी... कोई भी तुम्हारी नींद में खलल नहीं डालेगा... हम ये बर्दाश्त नहीं कर सकते कि हमारे बेटे का मूड सुबह-सुबह ऑफ रहे और वो हमसे नाराज़ रहे..." करणवीर साहब संजीदगी से बोले...
"बेहतर यही होगा कि आप खुद ही समझा दें… वरना अगर मुझे अपने तरीके से समझाना पड़ा, तो बात बिना वजह बहुत आगे बढ़ जाएगी… और हाँ, मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ, बस मेरा मूड कुछ ठीक नहीं है… आज कुछ ज़्यादा ही चिड़चिड़ा महसूस हो रहा है," कायल चाकू की मदद से ब्रेड स्लाइस का टुकड़ा मुँह में डालते हुए बोला।
"कोई बात नहीं… ऐसा हो जाता है," करणवीर साहब बोले। उन्हें अच्छी तरह मालूम था, आखिर अपना ही खून था। वे कायल की रग-रग से वाकिफ थे। जानते थे कि कायल कितना गंभीर और ठंडे मिजाज का मालिक है… और उसका ग़ुस्सा तो जैसे ज्वालामुखी हो — हल्की सी ठेस भी पड़ी तो फट पड़े।
"और वो शरद ने सारी रकम लौटा दी?" करणवीर साहब ने माहौल बदलने की नीयत से पूछा।
"पहले ब्याज तो दें! इतने दिन हो गए लेकिन ना तो कोई खबर है, ना ही उन्होंने मूल रकम लौटाई, और न ही ब्याज की एक फूटी कौड़ी दी है। बात भी खुलकर नहीं करते… मेरे आदमियों से भी ढंग से पेश नहीं आए… और बस एक महीने की मोहलत की रट लगाए हुए हैं," कायल कुछ सोचते हुए बोला।
"तो फिर क्या सोच रखा है तुमने? ऐसे ही छोड़ दोगे या अपना पैसा…" करणवीर साहब बोलते-बोलते अचानक चुप हो गए।
"पापा, आप जानते हैं कि इतनी बड़ी कंपनी मैंने अपनी दौलत लुटाने के लिए नहीं खड़ी की है। उन्हें पैसे की ज़रूरत थी, इसलिए मैंने एक बड़ी रकम दी… क्योंकि वो काफी समय से मेरे मिल में काम कर रहे थे और मुझे भरोसेमंद लगे। लेकिन क्या पता था कि वो पैसा हज़म करने की नीयत से आए हैं। पर मैं भी कायल रणवीर हूँ… उनके हलक से अपने पैसे निकाल कर रहूँगा। वो ब्याज भी चुकाएँगे और मूल भी… बस आप देखते जाइए," कायल ने एक शातिर मुस्कान के साथ कहा।
"हां… मैंने भी सुना है कि शरद का एक बेटा है, जो उसकी जान से भी प्यारा है। उसे अगवा कर लो, फिर देखता हूँ कैसे पैसे नहीं लौटाता…"
"इतनी बड़ी बात करने की क्या ज़रूरत है? सीधे आदमियों से कहो उसे मरवा दें, फिर देखना कैसे बिलबिला उठेगा। जब जान उसके बेटे में बसती है, तो उसकी जान ही छीन लो… इन गरीबों पर ज़्यादा रहम खाने की ज़रूरत नहीं है," करणवीर साहब बेरहमी से बोले।
"नहीं पापा, डराना-धमकाना अलग बात है और खून-खराबा अलग। मैं मानता हूँ कि थोड़ा सा ज़ालिम हूँ, लेकिन वो भी सिर्फ अपने दुश्मनों के लिए। मैं किसी बेकसूर की जान नहीं ले सकता। मुझे उसके बेटे से कोई लेना-देना नहीं, मुझे बस अपने पैसे चाहिए। इमरान से कहूँगा, वो उसे उठवा लेगा… कुछ दिन गेस्ट हाउस में रखेंगे… जब पैसे मिल जाएँगे, तो उसे छोड़ देंगे," कायल ने ठंडे, सपाट लहज़े में जवाब दिया।
"ठीक है बेटा, जैसा तुम्हें सही लगे, वैसा ही करो। बस किसी मुसीबत में मत फँस जाना… समझे?" करणवीर साहब ने रौब के साथ कहा और डाइनिंग टेबल से उठकर चले गए।
कुछ देर बाद कायल ने भी नैपकिन से हाथ पोंछे, कुर्सी से उठा और बाहर की ओर बढ़ गया। उसने अपने खास नौकर को कॉल करके कुछ निर्देश दिए और फिर कॉल काट दी। फिर चश्मा आंखों पर चढ़ाया और अपने ड्राइवर राणा को इशारा किया, जिसके साथ वो पोर्च की ओर बढ़ गया।
To_be_continued…
बंगलोर की एक ठंडी सुबह थी। सूरज की पहली किरणें अभी धरती पर उतरनी शुरू ही हुई थीं, जब ईवान के सिरहाने रखा अलार्म अपनी धीमी-सी बीप में गूंजा।
ईवान ने नींद से भरी पलकों से हलचल की, आँखों पर हाथ रखे कुछ पल वैसे ही लेटा रहा, फिर जैसे तैसे उठकर अंगड़ाई ली और सीधे वॉशरूम की ओर बढ़ गया।
फ्रेश होकर निकला तो हल्के ग्रे रंग की कुर्ता-पायजामा पहन लिया। मंदिर में घंटी की आवाज़ और अगरबत्ती की खुशबू घर में तैर रही थी। ईवान ने मंदिर के सामने घुटनों के बल बैठकर आँखें बंद कीं, कुछ मिनटों तक ध्यान साधा और फिर एक शांत मुस्कान के साथ उठ गया।
सुबह के पाँच बजे थे। कॉलेज के आख़िरी दिन थे — एक दो दिन बाद फाइनल एग्ज़ाम शुरू होने वाले थे, और फिर लंबी छुट्टियाँ।
ईवान ने अपनी किताबें कुछ पल पलटीं, फिर उठकर रैक पर रखीं और किचन की तरफ़ चला गया — उसे नाश्ता बनाना था और फिर पापा को दवा भी देनी थी।
एक घंटे में किचन साफ कर के इडली और नारियल चटनी तैयार की। डाइनिंग टेबल पर रखी प्लेटों को सजाकर वो पापा के कमरे की ओर बढ़ा।
दरवाज़े पर हल्की सी दस्तक दी, जो पहली ही कोशिश में खुल गया। शरद वर्मा, एक उम्रदराज़ मगर बेहद सलीकेदार इंसान, खाकी कुर्ता और चप्पल पहने बाहर आए। उनकी आँखों में उम्र का सलीका, और चेहरे पर वर्षों की गरिमा थी।
"हमारा ईवान बाबू... तुम्हें देखे बिना तो मेरा दिन ही शुरू नहीं होता," शरद वर्मा ने अपने बेटे को गले लगाते हुए मुस्कुराकर कहा।
"आप हर रोज़ यही कहते हैं… लेकिन सुनकर अच्छा लगता है," ईवान ने बच्चों की तरह उनकी सीने में सिर टिकाया और फिर सीधा होकर बोला, "नाश्ता तैयार है, आइए चलिए।"
"हमारा बेटा... खुद उठकर नाश्ता बनाता है, दवा का ध्यान रखता है, और फिर कॉलेज जाता है — और कहते हैं, ज़माना बदल गया है। ऐसे बेटे सबको कहाँ मिलते हैं!" शरद बोले और ईवान के सिर पर हाथ फिराया।
"मैं हमेशा आपके साथ रहूंगा और कभी आपको छोड़कर नहीं जाऊंगा.. ये मेरा वादा है," ईवान ने उनका हाथ पकड़ते हुए कहा।
डाइनिंग टेबल पर दोनों बैठे तो ईवान की नज़र उनके चेहरे पर अटक गई।
"पापा, कुछ दिनों से आप बहुत चुप-चुप से हैं... कुछ बात है क्या?" ईवान ने बिना लाग-लपेट सीधे पूछा।
शरद वर्मा ने एक गहरी सांस ली, "बात कुछ खास नहीं... बस ज़रा टेंशन ज़्यादा हो गई है… कुछ कर्ज़े हैं जो अब खलने लगे हैं... और जो थोड़ी बहुत सेविंग थी वो भी खत्म हो गई है। एक काम करो — कुछ दिनों के लिए अपने मामा जी के पास हैदराबाद चले जाओ, जब हालात थोड़े ठीक हो जाएंगे तो बुला लूंगा।"
"मैं कहीं नहीं जा रहा पापा… घर आपकी सांसों से चलता है। अगर मुश्किल है तो मिलकर लड़ते हैं, भागेंगे नहीं," ईवान ने बिना एक पल की देरी के कहा।
शरद वर्मा ने प्यार से देखा, "मैं जानता हूँ कि मेरी ज़िद्दी औलाद ही है जो मौत के मुहाने तक भी मेरा साथ छोड़ेगी नहीं।"
"पापा, आप सुबह-सुबह इतनी दिल जलाने वाली बातें क्यों कर रहे हैं?" ईवान ने उनके हाथ थामते हुए कहा।
"बस यूँ ही… तुम जानो, दुनिया बहुत शातिर है और तुम बहुत मासूम हो… इसलिए बस डर लगता है..." शरद बोले।
"डरिए मत, आपका ईवान कहीं इतना भोलाभाला भी नहीं है.." ईवान ने मुस्कुरा कर कहा।
नाश्ता खत्म कर के ईवान तैयार होने अपने कमरे गया — नीली जींस, सफेद शर्ट और हल्का ग्रे स्वेटर पहनकर वो जैसे ही बाहर निकला, शरद वर्मा बैग लेकर खड़े थे।
"बड़े हो गए हो… लेकिन बैग भूलना नहीं छोड़ा," शरद बोले।
"बच्चा ही रहने दीजिए… ज़िम्मेदारी तो वैसे भी बहुत है," ईवान गले लगकर बोला और फिर मुस्कुराता हुआ बाहर निकल गया।
शरद वर्मा उसे जाते हुए देख रहे थे।
उनकी सोच फिर घूमने लगी — कैसे वो छोटा-सा लड़का अब बड़ा हो गया… अब कॉलेज भी जाने लगा था… लेकिन अकेलेपन में उनकी चिंता और गहरी हो गई थी।
ईवान, दिखने में जितना मासूम था, उतना ही समझदार भी। रिश्तों की अहमियत उसे उसकी कम उम्र में ही समझ आ गई थी — माँ नहीं थी, भाई-बहन नहीं थे, और बचपन से लेकर अब तक सिर्फ़ शरद वर्मा ने उसका सब कुछ संभाला था।
ईवान के दिल में सिर्फ़ एक ही दुनिया थी — उसका पापा। वहीं उसकी सीमाएँ थीं...
_____•°•°•
जैसे ही ईवान कॉलेज में दाख़िल हुआ, एक लड़का जो हाथों में कोट डाले उसकी तरफ मुस्कराकर देख रहा था… उसकी बड़ी-बड़ी आंखें, क्लीन शेव चेहरा और हल्की सांवली रंगत उसके नैन-नक्श को और भी खतरनाक बना रही थी।
"मिस्टर निहल,आपने अच्छा नहीं किया…" वो लड़का ग़ुस्से से बोला।
"ये गीदड़ भभकियाँ अपने पास ही रखो तो अच्छा होगा… जो तुमने मेरे साथ किया है, उसके सामने ये सब कुछ भी नहीं है…" ईवान सख्त लहजे में बोला।
"मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया था जो तुम मेरी प्रिंसिपल से शिकायत कर बैठे हो… याद रखना, आर्यन चौधरी कभी किसी का हिसाब अधूरा नहीं छोड़ता… सूद समेत वक़्त आने पर तुम्हें लौटा दूँगा…" आर्यन बोलते हुए उसे पूरी नज़रों से घूरता हुआ एक तरफ खड़ा हो गया।
ईवान की नीली आँखो में चिढ़ दिखने लगा...
"ठीक है… जब तुम्हारा वक़्त आए, तो मुझे इंफ़ॉर्म कर देना… मैं पूरी तरह तैयार रहूँगा…" ईवान तंज भरी मुस्कान के साथ वहाँ से चला गया और आर्यन उसकी हलकी नीली आंखें देखकर और भी भड़क गया।
पूरे कॉलेज में ईवान अपनी खूबसूरत नीली बिलोरी आँखों की वजह से बहुत मशहूर था।
ईवान सीधे अपनी क्लास में गया और सारे लेक्चर अटेंड करने के बाद, बैग उठाकर अपनी दोस्तों को अलविदा कहकर पार्किंग एरिया की ओर आया। वहाँ से वो पिछले गेट की तरफ निकलने लगा, लेकिन उससे पहले ही कुछ लोगों ने उसे घेर लिया। ईवान कुछ कह पाता, इससे पहले ही किसी ने उसका मोबाइल छीन लिया। वो एकदम जड़ हो गया। जब उसने एक शख्स के हाथ में चमकता हुआ चाकू (खंजर) देखा, तो उसकी चीख गले में ही अटक कर रह गई।
वो लोग एक-दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराने लगे — उन्हें लगा था कि ईवान को अगवा करना आसान नहीं होगा, लेकिन ईवान तो जैसे एक कांपता हुआ नन्हा पंछी की तरह उनके क़ाबू में आ गया था। ईवान की समझदारी और होशमंदी इस वक़्त जैसे कहीं गुम हो चुकी थी।
उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि वह जिस रास्ते पर खड़ा था वो हिस्सा अक्सर सुनसान रहता था।
तभी किसी ने उसके चेहरे पर स्लीपिंग पाउडर स्प्रे कर दिया, और अपनी नाज़ुक फितरत के कारण वो अगले ही पल ज़मीन पर गिर पड़ा।
और फिर… वो लोग ईवान को आराम से उठाकर एक वैन में डालकर ले गए…
-------
कायल रणवीर पूरे रुतबे और ठाठ-बाट के साथ अपने गोदाम में दाख़िल हुआ, जहां गोदाम के बीचोंबीच एक लड़का उल्टा पड़ा था।
"सर… यही है वो… ईवान निहल…" कायल के खास आदमी ने उससे कहा।
"निहल साहब तो पैसे देने वाले नहीं थे… अब मज़ा आएगा जब उनकी जान से प्यारा बेटा कॉलेज से घर नहीं पहुंचेगा… फिर देखता हूँ वो मेरे कर्ज़े कैसे नहीं चुकाते…" कायल ज़ोर से हँसते हुए बोला।
"इस लड़के को गेस्ट हाउस शिफ्ट कर दो… और हाँ काफ़ी आराम से… ये है आखिर… छोड़ो, तुम लोग मत छुओ, मैं खुद निलेश से कह देता हूँ…" कायल ये कहते हुए एक सिगरेट जलाता वहां से चला गया।
और कायल का खौफ इतना था कि किसी ने भी बेहोश पड़े ईवान की तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखा।
ईवान हर चीज़ से बेखबर, बेहोशी में पड़ा था।
To_be_continued…
जब ईवान को होश आया, तो उसने खुद को एक बेहद नरम और मुलायम बिस्तर पर लेटा हुआ पाया।
वो उठा और आंखें फाड़कर चारों ओर देखा, तो बीती रात की घटनाएं याद आ गईं और वह घबरा कर तुरंत उठ बैठा। सीधे दरवाज़े की तरफ बढ़ा और पागलों की तरह दरवाज़ा पीटने लगा।
"दरवाज़ा खोलिए प्लीज़… मुझे घर जाना है…" ईवान को अपने पापा की याद आई तो वो बेइंतिहा रोने लगा।
"प्लीज़… खोल दीजिए, भगवान का वास्ता है… मेरे पापा बहुत परेशान हो रहे होंगे…" ईवान सिसकता हुआ बोला, लेकिन बाहर से कोई जवाब नहीं आया। थक-हारकर वह दरवाज़ा पीटते-पीटते निढाल हो गया और उसी दरवाज़े से लगकर बैठ गया और रोने लगा।
पिछली रात से उसने कुछ खाया नहीं था, ऊपर से भारी नशे वाली दवाई की वजह से अब भी वो बेहद कमज़ोर महसूस कर रहा था… लगातार रोते-रोते वो फिर से बेहोशी के आलम में चला गया।
कुछ देर बाद जब दरवाज़ा खुला और कायल अंदर आया, तो ईवान को होश नहीं था।
अब कायल ने पहली बार उसका चेहरा ध्यान से देखा था। गोदाम में अंधेरा था और वो उल्टा पड़ा था, इसलिए कायल उसका चेहरा पहले नहीं देख पाया था। लेकिन अब जब उसने बेहोशी में डूबे ईवान को देखा, तो उसके दिल में एक अजीब सी चुभन हुई… यह वही लड़का था… शरद निहल का बेटा ईवान निहल… उसे यक़ीन नहीं हो रहा था।
कायल ने जल्दी से साइड टेबल से पानी का जग उठाया और उसके चेहरे पर कुछ छींटें मारीं।
ईवान ने आँखें झपकाईं और फिर सामने खड़े उस शख्स को ध्यान से देखने लगा…
कायल बेहद परेशानी और उलझन में कमरे के बीचोंबीच खड़ा था, जबकि ईवान ने हिम्मत जुटाकर खुद को सँभाला और थोड़ी मजबूती से खड़ा हुआ…
"आप… आप कायल सर हैं शायद… आप मुझे यहाँ क्यों लाए हैं...!!ईवान की आवाज़ में साफ़ बेचारगी झलक रही थी। वह कायल रणवीर को पहचानता था। उसके बारे में उसने सुना था, और टीवी व मैगज़ीनों में उसकी तस्वीरें भी देखी थीं।
"तुम शरद निहल वर्मा के बेटे हो...!!?
कायल ने जबड़े भींचते हुए बेहद सपाट लहजे में पूछा।
ईवान को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये लोग उसके पापा के बारे में क्यों पूछ रहे हैं…
"जी… मैं उनका का बेटा हूँ…" ईवान अब तक उठकर बैठ चुका था।
कायल की दोनों मुट्ठियाँ भींच गईं और वह ईवान को आग उगलती नज़रों से घूरने लगा… ईवान पहले से ही डरा और सहमा हुआ था, और अब और भी ज़्यादा घबरा गया।
अपने गुस्से पर काबू पाने के लिए कायल ने सामने रखी मेज़ पर पड़ा सारा सामान ज़ोर से ज़मीन पर फेंक दिया। ईवान सामान गिरने की तेज़ आवाज़ से सहम कर अपने कानों पर हाथ रखकर बैठ गया।
"अब देखो मैं तुम्हारा क्या हाल करता हूँ…" कायल खुद से बड़बड़ाता हुआ कमरे से बाहर निकल गया और बाहर खड़े नौकरों को सख़्त हिदायत दी कि लड़का कमरे से बाहर नहीं आना चाहिए…
ईवान कभी फर्श पर बिखरे टूटे-फूटे सामान को देखता, कभी खुद को… और सोचता कि आख़िर उसने ऐसा कौन-सा गुनाह किया है जो कायल सर ने उसे अपने घर में क़ैद कर रखा है…
________•°°°°
कुछ देर बाद..
ईवान कमरे में बैठा था… उसके दोनों हाथ पीछे की ओर रेशमी स्कार्फ से बँधे हुए थे… कायल सामने आराम से सोफ़े पर बैठा, एक पैर दूसरे पर चढ़ाए, उसे गहराई से देख रहा था… ईवान की नीली आँखें डर और उलझन के मिले-जुले भाव लिए अब भी उसकी तरफ उठी हुई थीं… पीछे खड़े कायल के बड़े अंकल ह्रदय की नज़र कभी कायल पर जाती, कभी ईवान पर, जिसने कमरे का अच्छा-ख़ासा सामान गिरा-पटका दिया था…
कायल कोशिश कर रहा था याद करने की कि उसने इस लड़के को कहाँ देखा था… फिर अचानक उसे याद आया—एक म्यूज़िक नाइट में, जहाँ ईवान ने अपनी गिटार पर कोई पुरानी, धीमी धुन गाई थी… लेकिन उस वक़्त उसने अपना नाम “ईवा” बताया था… कायल को बस एक ही झलक याद थी—काले टर्टलनेक स्वेटर में, बिखरे हुए चाँदी जैसे बाल, और होंठों पर हल्की-सी शरारती मुस्कान…
कायल की सोच तभी टूटी..जब ईवान की धीमी, घबराई आवाज़ उसके कानों तक पहुँची—
“मुझे घर जाने दीजिये प्लीज,,मैं आपको जानता भी नहीं…” ईवान ने अपनी आदत के मुताबिक़ रुक-रुक कर कहा, उसकी साँसें तेज़ थीं और गुलाबी गाल डर से और गहरे रंग के हो गए थे।
कायल कुछ नहीं बोला, लेकिन सामने बैठे इस लड़के की खूबसूरती उसके दिल की धड़कन को बेचैन कर रही थी… उसके भीतर एक अजीब-सा खिंचाव था—आज पहली बार उसे किसी को बस बैठकर देखना अच्छा लग रहा था… मगर चेहरे पर कोई भाव नहीं था, जिससे उसके अंदर की बेचैनी का अंदाज़ा नहीं लग पा रहा था…
“तुम मुझे जानते हो…” कायल ने आख़िरकार नज़रों में कुछ अनकहा भाव लिए पूछा।
“हाँ… मेरे पापा ने बताया था… और आपकी तस्वीर मैंने कई बार मैगज़ीन में देखी है,,लेकिन इससे ज़्यादा नहीं पता और आप मुझे यहाँ क्यों उठा लाये हैँ...!?” ईवान ने हल्के से कहा।
“हम्म…” कायल बस इतना बोलकर आराम से उठ गया और कमरे से बाहर चला गया…
ईवान अब भी समझ नहीं पा रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है…
•°•°•°°
शरद बेहद बेचैन थे… हवेली के ड्रॉइंग रूम से लेकर बरामदे तक बार-बार चक्कर काट रहे थे, जैसे पिंजरे में क़ैद कोई शेर रास्ता ढूँढ रहा हो…
थोड़ी देर पहले वो कॉलेज जाकर ईवान के दोस्तों से पूछताछ कर आए थे, लेकिन किसी के पास कोई ढंग का जवाब नहीं था…
शरद ने हर वो जगह खंगाल ली थी, जहाँ ईवान जा सकता था, लेकिन उसका नाम-ओ-निशान तक नहीं मिला… वो पुलिस स्टेशन जाने ही वाले थे कि तभी उनका फ़ोन बजा…
स्क्रीन पर नाम देखकर उनकी धड़कन तेज़ हो गई— कायल...
उन्होंने झट से कॉल उठाई—
“उम्मीद है अब तक आपको ख़बर मिल ही गई होगी कि आपका प्यारा ईवान निहल वर्मा… ग़ायब है…”
कायल की आवाज़ बिल्कुल सपाट थी, लेकिन उसके पीछे का ठंडा-सा रोमांच साफ़ महसूस हो रहा था।
शरद की आवाज़ जैसे गले में अटक गई… उनके लिए ईवान जान से भी बढ़कर था…
“कायल… तुमने ईवान के साथ क्या किया है...!!? उन्होंने भर्राई हुई आवाज़ में कहा।
कायल ने हल्की-सी साँस खींची और बेहद नपे-तुले लहजे में बोला—
“अभी कुछ नहीं किया… लेकिन बहुत कुछ कर सकता हूँ… और तुम तो मुझे जानते ही हो—मैं कितना ‘भला’ इंसान हूँ…”
इतना कहकर उसके होंठों से एक धीमी, शैतानी हँसी निकली…
To_be_continued…
कायल ने हल्की-सी साँस खींची और बेहद नपे-तुले लहजे में बोला—
“अभी कुछ नहीं किया… लेकिन बहुत कुछ कर सकता हूँ… और तुम तो मुझे जानते ही हो—मैं कितना ‘भला’ इंसान हूँ…”
इतना कहकर उसके होंठों से एक धीमी, शैतानी हँसी निकली…
“मेरे ग्यारह लाख मुझे एक हफ़्ते के अंदर मिल जाने चाहिए… वरना… इन दिनों नदी में पानी तेज़ बह रहा है… और कभी-कभी उसमें ऐसे राज भी बहकर बाहर आ जाते हैं, जिनके बारे में लोग सोचना भी नहीं चाहते… समझ गए न?”
शरद की उँगलियाँ काँप रही थीं…
कायल ने आगे कहा—
“अगर ईवान की ज़िंदगी प्यारी है, तो पैसों का इंतज़ाम करो… और हाँ, ज़्यादा होशियारी मत दिखाना… मुझे उम्मीद है अब तुम कुछ कर भी नहीं सकते… क्योंकि तुम्हारा ईवान… हर वक़्त मेरी पकड़ में रहेगा…”
एक पल को उसकी आवाज़ नरम हुई, मगर ठंडी मुस्कान अब भी बरक़रार थी—
“डरो मत… मैं इंसान हूँ… दिल मेरे पास भी है… और रहम करना आता है मुझे… उसकी इज़्ज़त पर कोई आँच नहीं आएगी… वो बस कुछ दिन मेरा ‘मेहमान’ रहेगा… लेकिन अगर…”
वो रुक गया, जैसे सोचकर कि आगे कहना फ़िज़ूल है।
“ख़ैर… एक शरीफ़ आदमी को मैं ज़्यादा नहीं डराता… अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मेरे पैसे कौन देगा?”
इतना कहकर कायल ने कॉल काट दी…
शरद हार सा गए… सोफ़े पर धप्प से बैठ गए… आँखों से आँसू बह निकले—
“ईवान… पता नहीं किस हाल में होगा…”
उनका दिल धक-धक कर रहा था…
कायल के लिए वो पैसे बेहद ज़रूरी थे… और अब ईवान का होना उसके लिए एक पागलपन-भरी सनक बन चुका था…
कुछ देर सोचने के बाद शरद ने एक फ़ैसला लिया… उन्होंने जेब से फ़ोन निकाला और एक नंबर डायल कर बात करने लगे…
°°°°
ईवान को अपनी ही अक़्ल पर अफ़सोस होने लगा... अक्सर वो छोटी-छोटी सी सिचुएशन में भी घबरा जाता था और यही उसके साथ कॉलेज के बाहर भी हुआ था... जब कायल के कुछ आदमियों ने उसे घेर लिया तो वो पैनिक में आ गया,, डर के मारे चीख भी नहीं पाया और उन्होंने आसानी से उसे काबू में करके अगवा कर लिया...
कायल को पहली बार ज़ब उसने देखा तो उसके होश उड़ गए... उसकी आँखें बेहद खतरनाक लग रही थीं और वो उसे ऐसे देख रहा था जैसे निगल जाएगा...
ईवान की आँखों से आँसू बहने लगे...
ईवान कुछ समझ पाता, उससे पहले ही कायल कमरे में आया... उसके जिस्म पर सरसरी नज़र डालकर उसकी पीठ पर बंधे हाथ खोले और ठंडे, नफ़रत भरे लहज़े में बोला—
"कुछ दिन यहाँ शरीफ़ी से रहो... और हाँ, भागने की ग़लती मत करना, क्योंकि यहाँ के पहरेदार बिना सोचे-समझे गोलियाँ बरसा देंगे... और जब तुम्हारे बाबा शरद पैसे लौटा देंगे, तब तुम इस क़ैद से आज़ाद हो जाओगे..."
"लेकिन... कौन से पैसे?" ईवान ने हैरान होकर पूछा...
"ओह... शायद तुम्हें पता नहीं... तुम्हारे बाबा शरद ने पूरे 11 लाख मुझसे क़र्ज़ के तौर पर लिए थे... अब जब तक वो पैसे नहीं लौटाते, तुम यहीं रहोगे..." वही सख़्त लहज़ा था, जिससे ईवान की रूह तक काँप गई...
"अच्छा..." ईवान को जैसे कुछ याद आया और वो चुप हो गया...
"लेकिन... प्लीज़,एक बार मुझे पापा से बात करा दीजिये... वो बहुत परेशान होंगे..." ईवान की आवाज़ में बेचारगी थी...
कायल ने शरद का नंबर मिलाया,जो दो रिंग के बाद ही उठा लिया गया...
ईवान की तरफ़ फ़ोन बढ़ाते हुए, कायल की नज़रें उसके पैरों पर टिकाकर उसके नाख़ून देखने लगा... जो सफ़ेद और हल्के गुलाबी रंग के थे, लेकिन ठंड की वजह से उनमें नीला पन आ गया था...
वो था ही इतना नाज़ुक... ऊपर से बात करने का अंदाज़ इतना धीमा और रुका-रुका—जैसे हर अल्फाज़ सोच-समझकर निकल रहा हो... फिर ठहराव से निचले होंठ को दाँतों तले दबा लेना...
कायल ने ज़्यादातर क्लब में बेहद बोल्ड और तेज़-तर्रार लड़के देखे थे,जो आँखों में आँखें डालकर बेझिझक बातें करते थे... लेकिन उसे लग रहा था जैसे दुनिया का सारा नाज़ुकपन इस लड़के में उतर आया हो...
ईवान ने जैसे ही अपने पापा की भारी आवाज़ सुनी, उसकी आँखों से आँसू फिर से छलक पड़े और लाल गालों को भिगोने लगे...
"पापा…आप कैसे हैं..!?
तबीयत ठीक है..!?
आपने कल रात से कुछ खाया भी है या नहीं और प्लीज़,,आप परेशान मत हो... मैं... मैं भी ठीक हूँ..." ईवान ने भर्राई आवाज़ में कहा...
"हाँ बेटा,मैं ठीक हूँ... और मुझे क्या होना है... बस तुम अपना ध्यान रखना... ईवान, मेरी बात ध्यान से सुनो... तुम्हें कायल के यहाँ कुछ दिन रहना होगा... बेटा ये कहते हुए मुझे शर्म आ रही है लेकिन मैं मजबूर हूँ... ऊपर से तुम्हारी फ़िक्र मुझे खाए जा रही है... कायल बहुत ख़तरनाक है और तुम्हें कोई भी नादानी नहीं करनी है... मैं किसी भी तरह से पैसों का इंतज़ाम कर लेंगे... तुम्हें बस हिम्मत रखनी है और रोना बिल्कुल नहीं... बस कुछ दिन गुज़ार लो फिर मैं तुम्हें ख़ुद लेने आऊँगा..." यह कहकर शरद ने फ़ोन काट दिया...
ईवान को अंदाज़ा हो गया था कि वो भी रो रहे हैं...
ईवान ने कुछ पल फ़ोन कान से लगाए रखा, होश तब आया जब कायल ने बिना आवाज़ किए उसका फ़ोन हाथ से ले लिया...
ईवान की नीली आँखों में फिर से आँसू भर आए और वो चुपचाप सामने खड़े कायल को देखने लगा... जो सीने पर बाज़ू बाँधे उसी को देख रहा था...
वो पत्थर-से चेहरे के साथ उसे घूर रहा था और ईवान भी निचला होंठ दबाए उसे देख रहा था...
कायल को रोते-सिसकते लड़के चिढ़ा देते थे,,लेकिन ईवान इतना मासूम और प्यारा लग रहा था कि उसका मन कर रहा था बस ऐसे ही उसे देखता रहे...
रोने से उसकी आँखें सूज गई थीं,, उनमें अजीब-सा नशा और लाली आ गई थी... नाक कान सब लाल पड़ गए थे..
"सुनो लड़के, रोना बंद करो... बेवजह का रोना-धोना करके मेरा दिमाग़ मत ख़राब करो... चुपचाप यहाँ रहो और अगर कुछ करने का मन हो तो जाकर किचन में सान्या आंटी की मदद करो..." कायल ने सख़्त लहज़े में कहा...
ईवान ने आँसू पोंछे और नज़रें हटा लीं...
कायल मर्दाना ख़ूबसूरती की मिसाल था... लेकिन ईवान को वो एक ख़तरनाक जानवर लगता था, जिसने उसे ज़बरदस्ती क़ैद कर लिया था और अब उसके रोने पर भी पाबंदी लगा रहा था...
ईवान सिर झुकाए अपने नाख़ून देखने लगा और कायल दबे क़दमों से कमरे से बाहर चला गया...
To_be_continued…
न्यूयॉर्क…
रयान अपने लग्ज़री ऑफिस के कमरे में काम कर रहा था तभी उसकी सेक्रेटरी लिया इजाज़त लेकर अंदर आई और अदब से झुककर बोली..
“सर आपने बुलाया…”
“हाँ लिया,, मेरे लिए इंडिया की टिकट बुक कर दो और हाँ, रज़ा सुल्तान अली से मीटिंग की सारी जानकारी मुझे मेल कर देना…” रयान ने प्रोफेशनल लहजे में कहा और दोबारा लैपटॉप पर झुककर काम में मशगूल हो गया…
लिया कमरे से बाहर निकल गई…
लिया अंदर ही अंदर जल रही थी क्योंकि वो रोज़ इतने अच्छे से ड्रेसअप और तैयार होकर आती थी लेकिन मजाल है जो रयान उस पर एक नज़र भी डाल ले…
ऑफिस की किसी भी लड़की से रयान ज़्यादा बातें नहीं करता था और न ही फ्लर्ट करता था…
जबकि वह एक डोमिनेट अल्फ़ा था लेकिन फिर भी बंदे में सेल्फ कण्ट्रोल बहुत ज़्यादा था..
रयान सब समझता था और जानता था कि लड़कियाँ और लड़के उसे रिझाने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन वो पत्थर बना रहता था…
रयान ईशानवीर राठी इंडस्ट्रीज़ का सी.ई.ओ था… मल्टीनेशनल और इंटरनेशनल कंपनियाँ उसके अंडर काम करती थीं…
रयान काफ़ी हैंडसम और आकर्षक था… सबसे खूबसूरत उसकी नीली झील जैसी आँखें थीं, अक्सर लोग उसे देखकर अमेरिकन समझते थे लेकिन था वो इंडियन…
रयान काम कर ही रहा था कि उसका फोन बजा… उसने स्क्रीन पर चमकते नाम को देखा और हल्का-सा मुस्कराया…
फिर फोन उठाकर बोला…
“हाँ ब्रो… हाँ आ रहा हूँ इंडिया,,डोंट वरी… तुम्हारी शादी पर मैं रहूँगा… और हाँ,कायल के साथ बिज़नेस डील भी करनी है और उसी बहाने मम्मा-पापा और ईनाया से भी मिल लूँगा… नहीं,, नहीं… ईनाया को कुछ मत बताना… मुझे सबको सरप्राइज़ देना है और हाँ, एक ज़रूरी काम भी करना है…” रयान बोला और फिर हँसकर फोन कट कर दिया…
उसने लैपटॉप बंद किया और सामने ग्लास वॉल से बाहर न्यूयॉर्क जैसे मशहूर शहर को देखने लगा… शहर अपनी रंगीनियों में खोया हुआ था लेकिन रयान का दिल इन सबसे उदासीन था क्योंकि उसका छोटा कपकेक उसके पास नहीं था… जो उसकी रूह का हिस्सा था…
रयान को हर हाल में अपने छोटे भाई को ढूँढना था, जिसके बिना उसे एक पल भी सुकून नहीं मिलता था… उसे लगता था कि उसकी रूह पर एक बोझ है जो उतरता ही नहीं…
वह इंडिया भी इसी वजह से जा रहा था और साथ ही उसकी बहन इनाया की शादी भी थी…
रयान ने मोबाइल को एक बार गौर से देखा, जिसकी होम स्क्रीन पर एक गोलू मोलू बच्चे की तस्वीर लगी थी… वो हल्की उदासी से मुस्कराया और आँखें बंद कर गहरी साँस ली…
उसने सोचा—पता नहीं इस वक़्त उसका भाई कहाँ होगा और किस हाल में होगा, लेकिन उसका दिल गवाही देता था कि वह जिस हाल में होगा… ठीक ही होगा…
---•°•°•°
नै़न पूरे क्लास में दौड़ते-दौड़ते थक चुका था,, लेकिन उसके पीछे आने वाली लड़की अब भी उसका पीछा कर रही थी…
“ओह्ह गॉड…” नै़न ने बुदबुदाया और तभी पीछे से दौड़ती आई इनाया ईशानवीर राठी ने उसे पकड़ लिया…
“अब भागकर दिखा…” इनाया ने गुस्से से कहा…
“बेवफ़ा कहीं के! कल मेहंदी के फ़ंक्शन में क्यों नहीं आया… मैं कितनी देर तेरा इंतज़ार करती रही… सारे कॉलेज फ्रेंड्स आए थे…” इनाया ने गुस्से में उसका कॉलर पकड़ लिया…
“यार अच्छा नहीं लगता यूँ किसी के घर अचानक चला जाना… और तेरे घर में सब हाई-क्लास लोग होते,,जो अक्सर मुझे देखकर मज़ाक उड़ाते… ऊपर से मुझे तेरा घर भी नहीं पता था…” नै़न ने सीधी-सादी मासूमियत से कहा…
“तेरे दिमाग़ में दही जम गया है क्या..!?
माना मेरी फैमिली थोड़ी मॉडर्न है,,लेकिन हमारे घरों में भी अपनी हदें हैं और अगर कोई तुझे घूरकर भी देख लेता ना तो मैं उसकी आँखें निकाल लेती… देख नै़न, मैं तुझे बहुत ज़्यादा नहीं जानती, लेकिन जितना जानती हूँ, उसके हिसाब से तू बहुत भोलाभाला है… और शायद इसी वजह से तू मुझे अच्छा लगता है…” इनाया ने नरमी से कहा…
“देख इनाया.. सॉरी… मेरा इरादा किसी का दिल दुखाने का बिल्कुल भी नहीं था… बस मैं ज़्यादातर भीड़-भाड़ और महफ़िल से दूर रहता हूँ… तू बुरा मत मान…” नै़न ने थोड़ा रुखे अंदाज़ में कहा…
“अरे यार,, मेरी शादी है… और मैं दिल से चाहती हूँ कि तू हर फ़ंक्शन में मेरे साथ रहे… और कौन सा मैं तुझे नाइट क्लब बुला रही हूँ…” इनाया ने तुनककर कहा…
“ठीक है,,देखता हूँ… अगर टाइम मिला तो ज़रूर आऊँगा…” नै़न ने सोचते हुए कहा…
“वह सब बहाने मत मार… तू आज शाम मेरी हल्दी में आ ही रहा है… मैं ड्राइवर को भेज दूँगी,,तुझे टेंशन लेने की कोई ज़रूरत नहीं है…” इनाया ने ज़िद्दी लहजे में कहा और फिर अचानक सोचकर बोली…
“ये हमारा पढ़ाकू ईवा बाबू क्यों नहीं आया..चाहे आंधी आए या तूफ़ान, रोज़ तो कॉलेज आता था फिर आज क्यों नहीं आया..!?
सब ख़ैरियत तो है ना..!?
नै़न का चेहरा उदास हो गया…
“नहीं… कुछ भी ख़ैर नहीं है… ईवा कल रात से घर नहीं पहुँचा है… शरद अंकल बहुत परेशान हैं… उन्होंने मुझे भी कॉल किया था… अब बस आगे भगवान ही बेहतर जानता है ईवा कहाँ है…!?
“ओह… शायद वो किसी मुसीबत में फँस गया हो… यार ईवा पढ़ाई-लिखाई में जितना तेज़ है,, असल में उतनी ही मासूम है… दिल से मासूम और दिमाग़ से एकदम बच्चा… मेरी दुआ है कि वो जल्दी से जल्दी घर वापस पहुँच जाए… ख़ैर है भई…” इनाया ने ईवा का मासूम चेहरा याद करते हुए कहा…
और दोनों अपने-अपने घर की तरफ़ निकल गए…
---••••-----___
मिहिर रणवीर सिंह दोनों हाथों की उँगलियाँ आपस में फँसाए गहरी सोच में डूबा था..तभी उसकी माँ मालविका रणवीर सिंह कमरे में आईं,, वो हल्के सुनहरे रंग की डिज़ाइनर साड़ी पर शॉल ओढ़े,,अपने रौबदार और ग्लैमरस अंदाज़ में हमेशा की तरह चमक रही थीं..
“मिहिर बेटा… सोच रही हूँ आज गोल्ड वाला सेट पहनूँ या डायमंड वाला..!?
मालविका ने उसके उतरे चेहरे को देखकर कहा।
मिहिर खामोश रहा..
“क्या बात है..!?
पिछले हफ़्ते से देख रही हूँ, बहुत चुपचाप रहते हो… कुछ दिक़्क़त है तो मुझे बताओ… माँ-बेटे की बातें हल निकाल ही लेती हैं..”मालविका उसके पास बिस्तर पर बैठ गईं।
“कुछ नहीं मोम… बस मन भारी है.. मिहिर ने उदासी से कहा..
“ये तो साफ़ दिख रहा है.. थोड़ा बाहर घूमो, दोस्तों से मिलो,पार्टी करो… कमरे में कैद रहोगे तो और डिप्रेस हो जाओगे.. तुम ऐसे बिल्कुल नहीं जंचते.. “मालविका ने हल्की डाँट और प्यार मिलाकर कहा..
“और हाँ…शाम को हमें इनाया की हल्दी में जाना है…तुम्हारा ये बुझा चेहरा वहाँ कैसा लगेगा इसलिए मुस्कुराओ…”
मिहिर ने अनमने ढंग से उठकर अलमारी खोली और एक नेवी ब्लू डिज़ाइनर शेरवानी के साथ सिल्वर स्टोल निकालकर बिस्तर पर रख दिया..
“गुड… जल्दी तैयार होकर नीचे आओ..”मालविका मुस्कुराईं और कमरे से बाहर चली गईं।
थोड़ी देर बाद मिहिर वही शेरवानी पहनकर, बालों को स्टाइलिश सेट करके नीचे आया.. उसे देख मालविका का चेहरा खिल उठा..पोर्च में ड्राइवर पहले से खड़ा था, दोनों माँ-बेटा अपनी मर्सिडीज़ बेंज में बैठे और देखते ही देखते इनाया के आलीशान बंगले पर पहुँचे…
To_be_continued…
नैन कॉलेज से लौटा तो बेहद थका-हारा दिख रहा था..
रेणुका किचन से बाहर आईं और बेटे को लाउंज में सोफ़े पर ढेर होते देखा तो मुस्कुरा दीं..
“मेरा शेर बेटा थक गया है… आओ, खाना लगाऊँ..!?रेणुका ने पास आकर उसके बाल सहलाए।
“माँ… आज तो हद हो गई..बस में एक भी सीट खाली नहीं थी,,पूरा रास्ता खड़े-खड़े ही आना पड़ा..” नैन ने थकान से सिर पीछे टिकाते हुए कहा..
“कोई बात नहीं बेटे… देखना एक दिन तेरे लिए एक खतरनाक माफिया टाइप बंदा आएगा जो तेरे पैर ज़मीन पर लगने भी नहीं देगी।” रेणुका हँसते हुए बोलीं..
“माँ… प्लीज़.. आप और आपके ये फ़िल्मी डायलॉग्स..ड्रीमिंग से अच्छा है जो मिला है उसी में खुश रहना..!!
नैन ने हँसते हुए मुँह बनाया पर नाजाने क्यों वह थोड़ा घबरा गया था…
“हट पगले… अब चलो खाना खा लो..”रेणुका मुस्कुराईं और किचन की ओर बढ़ गईं।
खाने के बाद नैन अपने कमरे में गया तो थोड़ा परेशान हो गया..शाम को इनाया की हल्दी थी और उसे समझ नहीं आ रहा था क्या पहनना है..
“माँ, बताओ ना… कौन सा आउटफ़िट पहनूँ..!?
मैं कन्फ्यूज़ हूँ..!! नैन ने कमरे से आवाज़ दी..
“नैन… हमेशा मैं तेरे साथ नहीं रहूँगी…धीरे-धीरे तुझे अपने फ़ैसले खुद लेने सीखने होंगे।” रेणुका ने डोर वे से खड़े होकर कहा..
“माँ… प्लीज़ ये बातें मत किया करो.. आप जानती हैं, मैं हर चीज़ में आपकी राय ही मानता हूँ..” नैन ने आकर उनकी बाँह पकड़ ली..
“ठीक है मेरे राजकुमार… ये डार्क येलो कुर्ता-पायजामा और वर्क वाली नेहरू जैकेट पहन लेना..और ध्यान रहे,, ज़्यादा दिखावा नहीं करना,,सादगी में ही असली क्लास है..” रेणुका ने प्यार से आउटफ़िट उसके हाथ में थमाया..
कुछ देर बाद जब नैन तैयार होकर बाहर आया तो रेणुका के मुँह से बरबस निकला—“वाह… मेरा बच्चा,मुझे तो डर है की कहीं मेरी नज़र ना लग जाए..”
नैन ने डार्क येलो कुर्ता पहना था जिस पर हल्का वर्क था, ऊपर नेवी ब्लू नेहरू जैकेट, हाथ में स्मार्ट वॉच और पैरों में ब्राउन लेदर शूज़…चेहरा बिलकुल नैचुरल और स्टाइलिश हेयरकट ने उसकी पर्सनालिटी को और निखार दिया था…
“नज़र न लगे… भगवान तुझे सलामत रखे..” रेणुका ने बालाएं ली..
“ठीक है माँ, आप आराम कीजिए। मैं फ़ंक्शन से जल्दी लौट आऊँगा..” नैन ने उनके हाथ चूमे और मुस्कुराकर बाहर निकल गया..
कुछ ही देर में इनाया का ड्राइवर उसे लिए आलीशान बंगले में पहुंच चूका था..
---
नैन ठीक वक़्त पर वहाज हाउस पहुँच गया था।
पोर्च में उतरते ही उसकी टक्कर कॉलेज की कई लड़कियों से हो गई..सब ही महंगे और नफ़ीस कपड़ों में सजी हुई थीं, लेकिन उनके कपड़ों और चाल-ढाल से साफ़ झलक रहा था कि फैशन और दिखावा ही सबकुछ है..
तंग कपड़े, बिना दुपट्टे की बेबाकी देखकर नैन ने नज़रें झुका लीं…
जैसे ही नैन अंदर आया, उसकी आँखें फैल गईं,, जितना बंगला बाहर से बड़ा और शानदार था,,अंदर से और भी ज़्यादा बड़ा और रॉयल लग रहा था…
भारी कामदार लहंगे में सजी ईनाया उसे देख रही थी और फिर दौड़कर गले लग गई।
“चश्म-ए-बददूर…!” ईनाया ने हँसते हुए उसे कसकर पकड़ा..
“वाह… ये रोशनी मेरे घर कैसे आ गई..!?
क्या बात है… आज तो खुद दूल्हा लग रहा है…” वह शरारत से बोली..
नैन हल्की मुस्कान के साथ झेंप गया —
“नहीं… बस ऐसे ही पहन लिया.. कहीं ओवर तो नहीं लग रहा..!?
ईनाया ने हँसते हुए उसके कंधे पर मुक्का मारा —
“ओवर तो सब कुछ है… ये सादगी,ये चेहरा और आज तो सुरमा भी लगाया है जनाब ने…!
नैन ने आँखें घुमाईं —
“अच्छा छोड़.. पहली बार आया हूँ,,अब अपने मम्मा-पापा से तो मिलवा..”
ईनाया बोली —
“मम्मा-पापा और बस मैं… और हाँ एक भाई है मेरा जिसके बारे में हमेशा कहती रहती थी,,वह जो आज ही न्यूयॉर्क से आया है..”
वह उसे एक उम्रदराज़ औरत रेशमी जी के पास ले आई..
रेशमी हल्के सिल्वर सूट में थीं,, कंधे पर सूती दुपट्टा और सिर पर चादर ओढ़े हुए..
उन्होंने नैन को गौर से देखा और बोलीं —
“ओह हाँ… ये तो रेणुका का बेटा है…”
नैन का दिल जैसे किसी ने ज़ोरो से भींचा हो..
उसने धीमे लेकिन साफ़ लहज़े में कहा —
“जी…सही पहचाना…!!
रेशमी जी ने हल्की मुस्कान के साथ उसके सर पर हाथ फेरा,उन्हें एहसास होगया था कि उन्हें यूँ मुंह खोले बेइख़्तियात होकर कुछ भी नहीं कहना चाहिए था…
“बेटा, बुरा मत मानना… मैं बस कॉलेज के ज़माने से रेणुका जो जानती हूं..हमारी बड़ी पक्की दोस्ती थी और ये बात तुम शायद जानते ही होगे…!!
ज़िंदगी आसान नहीं होती, लेकिन तुम समझदार हो,,संभाल लोगे सब..ख़ैर अब छोड़ो पुरानी बातें,, अच्छा बताओ पढ़ाई कैसी चल रही है…!!?
रेशमी जी ने बड़ी मुश्किल से बात को संभाला,,वह नहीं चाहती थी की नैन के दिल को चोट पहुंचे..
नैन ने सिर हिलाकर कहा —
“ठीक चल रही है… बस थोड़ा-सा बिज़ी रहता हूँ..”
फिर वह चुपचाप एक कोने की टेबल पर जाकर बैठ गया…
वह जानता था कि उसे समाज में उसके माँ के नाम से जाना जाता था…क्यूंकि उसका बाप कौन था,कहाँ था या केसा था…!?
वह कुछ भी नहीं जानता था,प्लस रेणुका ने आज तक उसे कुछ भी नहीं बताया था…
उसे स्कुल से कॉलेज हर जगह ताने और गलीज बातें सुनने को मिली थी और अब तो आदत सी होगई थी…
इसलिए भी वह इनाया के यहाँ नहीं आना चाहता था क्यूंकि रेणुका और रेशमी जी कॉलेज फ्रेंड्स थी…एक दूसरे की हमराज़ लेकिन उसकी माँ नसीबो की हारी हुई औरत थी..
नैन के सोचो का तानाबाना तब टुटा ज़ब पीछे से आवाज़ आई —
“अरे नैन… कैसे हो…!?
नैन ने पलटकर देखा..सामने मालविका खड़ी थी,,लबों पर एक तंज भरी मुस्कान सजाये…
नैन ने हल्का सिर झुकाकर कहा —
“मैं ठीक हूँ…आंटी आप केसी हैँ…!?
मालविका मुस्कुराई —
“मैं भी अच्छी हूँ..अच्छा ये बताओ,,इतने दिन कहाँ गायब थे..!?
तुम्हें देखे अरसा हो गया और हाँ मिहिर को टूशन क्लासेस देने क्यों नहीं आते…!?
नैन का दिल ज़ोरो से धड़कने लगा,वह नज़रे चुराने लगा..
“बस कॉलेज और काम में थोड़ा उलझा हुआ था बाकि कोई खास बात नहीं थी…”
मालविका ने उसके कुर्ते पर नज़र डाली और बोली —
“ये वही कुर्ता है ना,जो मैंने पिछले साल तुम्हें दिया था!?
देखो अब भी तुम पर अच्छा लग रहा है..”
नैन ने शर्मिंदा होते हुए कहा —
“हाँ..मुझे आरामदायक लगता है… इसलिए पहन लिया..”
मालविका ने सिर हिलाया और बोली —
“ठीक है…जब भी टाइम मिले, मिलने आते रहना.. तुम्हे मिहिर बहुत मिस करता है..”
नैन ने मुस्कुराकर कहा —
“ज़रूर…”
ये कहकर वह तेज़ी से आगे बढ़ गया..
लेकिन अब उसका चेहरा सर्द बन चूका था..
“मेरा दिल कर रहा है की अभी के अभी घर भाग जाऊं,,जहाँ देखो वहाँ पर सब लोग जज मेन्टल हैँ….!!
नैन यहाँ हरगिज नहीं आना चाहता था और सबसे बड़ी वजह मालवीका देवी थीं…
जैसे ही नैन आगे बढ़ता की किसी ने उसका बाज़ू पकड़के खींच लिया..
क्या बदतमीज़……है……..____
नैन की आवाज हलक में अटक गई ज़ब उसने सामने खड़े मिहिर को देखा..
मिहिर नेवी ब्लु शेरवानी और सिल्वर स्टोल पहने चेहरे पर गंभीरता लिए सामने खड़े नैन को ही घूर रहा था..
“तो तुम्हे लगता है,,तुम मुझे टूशन देना बंद कर दोगे तो मैं फेल हो जाऊंगा या फिर मुझे कोई दूसरा सीनयर स्टूडेंट हीं मिलेगा…!!
नैन कुछ नहीं बोला,,वह वैसे इसलिए हरगिज यहाँ आना ही नहीं चाहता था..
“सॉरी पर तुम कोई और कोचिंग वगेरा ज्वाइन करलो क्यूंकि अब ये मेरे लिए इम्पॉसिबल हैँ…!
नैन ने बाज़ू छुड़वाने की कोशिश की पर मिहिर की पकड़ काफ़ी मजबूत थी..
“मुझे अवॉयड कर रहे हो…!?
नैन ने इधर उधर देखते हुए कहा..”इस…ऐसा कुछ नहीं है बस मैं थोड़ा बी….
मिहिर ने उसके लबों पर हथेली जमा ली..
“गुलनैन…नाम भी तुम्हारा तुम्हारी तरह सादगी और हसुन की मिशाल हैँ…तुम यूँ मुझे टाल नहीं सकते,,जानते हो ना मुझे तुम बहुत पसंद हो…!!मिहिर उसके कुर्ते के कॉलर में उंगलियां फिसला कर गर्दन तक ले गया..
नैन की बांहे फड़फड़ा उठी,उसने कांपती नज़रो से मिहिर को देखा जो हरी सबज़ आँखों से मुस्कुरा रहा था…
नैन को लेकिन जैसे कुछ याद आया और उसने मिहिर को दूर झटक दिया…
“अपने लिमिट्स में रहो…!!
भूलो नहीं मैं तुमसे उम्र में बड़ा हूं और….और मैं……_____
मिहिर शरारत से बोला..”2 साल सिर्फ बड़े हैँ सर जी….!!
मैं 25 आप 27…इतना भी फर्क नहीं है प्लस ज़ब से आपको देखा तब से बड़ा बेकरार हूं..”
नैन ने वार्निंग दी…”मिहिर…आखिरी बार कह रहा हूं अगर मुझे परेशान किया या फिज़ूल बकवास की तो मैं आंटी से शिकायत कर दूंगा…!!
मिहिर हँस पड़ा..
एक गुस्से से काँपता हुआ लाल पड़ चूका छोटी हाईट का लड़का…______
“ठीक है फिर ये भी बता देना की तुमने एक बार मेरे सोने का फायदा उठाते हुए गाल पर चुपके से किश कर लिया था…!!मिहिर मासूम बन गया..
“भाड़ में जाओ तुम…..!!
झुटे कहीं के ____
नैन गुस्से में जाने लगा की मिहिर ने उसे झटके से बांहो में जकड़ लिया…
“पागल हो क्या छोड़ो मुझे…..कोई देख लेगा…..!???
नैन अपने कमर से उसके बांहो का हिसार तोड़ने की कोशिश में लग गया…
मिहिर ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया..
“सच सच बताओ,,इतना सज धज कर तयार होकर मुझे ही दिखाने आए हो ना…!!
ये परफ्यूम की खुसबू काफ़ी अच्छी है…!!
मिहिर अपने लबों को उसके गर्दन पर रख बेदर्दी से रगड़ने लगा..
“अह्ह्ह…बेहेव योर सेल्फ….!!नैन सीहर उठा..
जैसे तैसे कर वह मिहिर से दूर जाने की कोशिश करने लगा लेकिन मिहिर के होंट बड़े पियासे थे,,वह बार बार बस नैन के चेहरे को चूमना चाहते थे…
नैन की सांसे उखड़ने लगी थी पर किसी तरह वह मिहिर से पीछा छुड़वा कर वापिस से पार्टी में आगया…
मिहिर पीछे खड़ा उसे तेज़ी से भागते हुए देखते रहा…
मिहिर की हरी आँखे चमकी..
“मैं भी तो देखूँ और कितने दिन मुझसे यूँ शर्माते हुए भागते फिरोगे…!!
मिहिर अपनी बियर्ड सहलाने लगा..
To_be_continued…
गुल एक साइड में खड़ा था..
"यहाँ आकर क्यों ठंडी साँसें भर रहे हो… चल अंदर चलो, सब तुम्हें ढूँढ रहे हैं.." इनाया ने गुल का हाथ पकड़कर अंदर ले गई…
मालविका रेशमी के साथ एक टेबल पर बैठी बातें कर रही थीं…
"रेशमी,,मैं तुमसे एक बात शेयर करना चाहती हूँ…सोच रही हूँ मिहिर का रिश्ता किसी अच्छे घराने में पक्का कर दूँ…अब बच्चा बड़ा हो गया है, मैं नहीं चाहती उसके लाइफ़ में मेरे किस्मत की बदनसीबी का असर पड़े और आजकल बच्चे तो अपनी मनमर्ज़ी से चलते हैं,,मैं नहीं चाहती कि उसके कदम डगमगाये अगर तुम्हारी नज़र में कोई अच्छा लड़का हो तो मुझे बताना..”मालविका ने थकान भरी मुस्कान भरी..
"अरे,रयान मेरा बेटा… उसकी शादी की ज़िम्मेदारी भी मेरी है.. रयान बहुत ही अच्छा और समझदार है और मैं वैसे भी उसके लिए रिश्ता ढूँढ रही थी….उम्म्म पर वह भी अल्फा ठहरा और मिहिर भी,,हाहाहाहा माफ़ करना मालविका अगर मेरा बेटा ओमेगा होता तो कुछ सोचती…!!
"रयान बेटा…!!रेशमी ने पुकारा तो रयान जो दोस्तों के बीच खड़ा हँस-बोल रहा था,,पलटा और मुस्कुरा कर माँ की तरफ़ बढ़ा..
"जी मम्मी…" उसने आकर झुककर माँ के पैर छुए…
"खुश रहो बेटा… ये हैं मालविका आंटी है इन से मिलो..”रेशमी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो रयान ने हाँ में गर्दन हिला दिया,रयान और मिहिर साथ ही खेल कूद कर जवान हुए थे पर रयान मिहिर से 3 साल उम्र में बड़ा था…
"नमस्ते आंटी, कैसी हैं आप…!? रयान ने मुस्कुराकर कहा तो मालविका ने उसके सिर पर हाथ फेर दिया..
"मैं ठीक हूँ बेटा,तुम बताओ…मैं तो तुम्हे पहचान ही नहीं पाई…" मालविका की आँखों में हल्की चमक आई और वह मुस्कुरा दीं..
रयान वाकई काफी स्मार्ट था—लंबा-चौड़ा, फिट बॉडी,गोरा रंग,छोटे स्टाइलिश बाल और फ्रेंच-कट दाढ़ी… परफेक्ट बंदे का लुक…
पर मालविका को तो अपने बेटे के सामने कोई नहीं दीखता था...मिहिर से प्यारा उसे कोई नहीं लगता था...
थोड़ी देर इधर-उधर की बातें करने के बाद मालविका ने रेशमी को अलग ले जाकर कहा—
"गुल के बारे में क्या ख्याल है,वैसे भी गुल का इस साल लास्ट सेम चल रहा है,उसके बाद शायद रेणुका उसकी शादी करवा दे…सोचा तो नहीं था लेकिन अगर गुल से मिहिर की इंगेजमेंट करवा दी तो वह लड़का दब कर रहेगा और सबसे बड़ी बात गरीब है तो उसे अपनी ओकात हमेशा याद रहेगी…”मालविका की नज़र दूर खड़े मिहिर पर थी,जो जूस का ग्लास हाथ में लिए अपने दोस्त से बातें कर रहा था..
ये सुनकर रेशमी के चेहरे का रंग उतर गया..उनके दिमाग में तो गुल और रयान का ख्याल था,लेकिन मालविका की नज़र गुल पर थी..
"हाँ…सही है,पर शायद गुल कभी तयार ना हो…”रेशमी ने मुस्कान तो बनाई,लेकिन अंदर ही अंदर उसे गुल से बहुत हमदर्दी थी..
दूसरी तरफ़ इनाया ने एक पल के लिए भी गुल को अकेला नहीं छोड़ा था..
गुल की तो भूख ही मर गई थी,उसने गले से एक भी निवाला नीचे नहीं उतारा..
"ठीक है इनाया,अब मैं चलता हूं,,काफ़ी देर हो गई है और माँ परेशान हो रही होंगी..दो बार मिसकॉल भी कर चुकी हैं… ज़रूर टेंशन में होंगी..”
गुल जानता था कि रेणुका बहुत वहमी हैँ..
इनाया हँसकर बोली.."अरे रात हो चुकी है और ऐसे कैसे अकेले जाने दूँ,,रेणुका आंटी तो मुझे जान से मार डालेंगी.. कहेंगी — जब फ़ंक्शन की इजाज़त लेनी थी तो दस बार घर आई थी, कॉल कर-करके पूछती थी और अब उनकी चाँद के टुकड़े को अकेला भेज दिया..!?
ना बाबा,इतना बड़ा पाप मैं नहीं कर सकती..!!
रेशमी सोचते हुए मुस्कुराईं.."कोई बात नहीं,रयान तुम्हे छोड़ आएगा…"
"कौन रयान आंटी..!? गुल को झटका-सा लगा..
"रयान… मेरा बेटा,,डरो मत.. वह तुम्हें सही-सलामत घर तक पहुँचा देगा..” रेशमी ने गुल को बाहों में भरकर कहा…
"रयान बेटा… ज़रा इधर आना,एक काम था…!!
रेशमी ने इशारे से रयान को बुलाया..
गुल ने झट से नज़रें झुका लीं,, उसे अजीब लग रहा था… किसी अनजान लड़के के साथ गाड़ी में जाना उसके लिए नया था..
मिहिर ने कई बार उसे पीक एंड ड्राप किया था पर उसके साथ वह बहुत कम्फर्टेबल महसूस करता था..
"जी मम्मी कहिए क्या हुक्म है..!?रयान जोश से बोला..
"बेटा,इनाया के दोस्त को उसके घर छोड़ आओ,, रात काफ़ी हो गई है और वैसे भी तुम अभी फ़्री हो..” रेशमी ने प्यार और थोड़े हुक्म वाले अंदाज़ में कहा..
रयान की नज़र मिहिर पर गई जो इशारे में ना में गर्दन हिला गया..
"लेकिन मम्मी,कल मेरी ऑफ़िस मीटिंग है और कंपनी का प्रेज़ेंटेशन भी..अगर मैं जल्दी सोऊँगा तो ही सुबह उठ पाऊँगा..आपके पास ड्राइवर अंकल हैं ना,आप मुझे क्यों कह रही हैं..!!रयान ने जानबूझकर बेरुखी से कहा तो रेशमी ने जबड़े भींच लिए..
"रहने दीजिए आंटी, मैं चला जाऊंगा..आप ख्वामखा परेशान हो रही हैं…" गुल ने धीमे लहजे में कहा..
उसी पल पहली बार मिहिर उनके करीब आते हुए बोला..”आंटी मैं फ्री हूं,आपके खास मेहमान को मैं उसके घर सही सलामत छोड़ आऊंगा…”
"ठीक है…शुक्रिया मिहिर…!!रेशमी ने ठंडी साँस लेकर कहा…
मालविका कुछ दूर खड़ी शातिर अंदाज़ में मुस्कुरा रही थी क्यूंकि उनका बेटा बहुत सही जा रहा था,इस बार वह रयान को किसी भी हाल में मिहिर से जितने नहीं देने वाली थी..
वही रेशमी अच्छे से जानती थी की रयान और मिहिर की कितनी पक्की दोस्ती है,दोनों कभी एक दूसरे के रस्ते नहीं आते..
रेशमी ये सोचके दोनों की दोस्ती पर क़ुर्बान हुए जा रही थी..
रयान नज़रे झुकाये हँस रहा था क्यूंकि मिहिर की हरकतें साफ बता रही थी कि वह किस हद तक प्यार में डूब चूका है..
कुछ देर बाद गुल सबसे अलविदा ले कर मिहिर के साथ निकल पड़ा..
कॉर का फ्रंट गेट मिहिर ने जैसे ही खोला गुल सिमट कर अंदर बैठ गया..
मिहिर के ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं थी,रात के वक़्त वह भी अकेले वह और गुल….सुनसान सड़कों पर दौड़ती उनकी कॉर….
मिहिर गुनगुनाते हुए ड्राइव कर रहा था…
“इशारो इशारों में दिल लेने वाले,,
बता ये हुनर तूने सीखा कहाँ से…
गुल को अब फ़्रस्ट्रेशन सा होने लगा,मिहिर की तरफ देखना भी मुश्किल हो रहा था क्यूंकि हमेशा से उसकी ओट पटांग हरकतें…
“हीर…मिहिर गाना बंद करो और धियान से ड्राइविंग करो…कितने लापरवाह हो तुम…!?
मिहिर मासूम बन गया..
“सचमे मेरी इतनी फ़िक्र….!!
गुल ने बालों में रफली हाथ फेरा और तिरछी नज़रो से उसे देखा जो मुस्कुराये जा रहा था…
“गधा कहीं का….!!
मिहिर हँस पड़ा…
“तुम इतना जलते क्यों हो,,मेरी हंसी मुस्कान तुमसे बर्दास्त नहीं होती क्या….!?
गुल ने खामोश रहना ही सही समझा…
मिहिर आज शेरवानी में बहुत ज़्यादा खिल रहा था ऊपर से उसकी शरारती अंदाज़…
गुल के सीने में कसक सी उठ रही थी…
“अब कुछ देर खामोश रहना…!!
मिहिर पूरी तरह खामोश होगया..
कुछ देर बाद ज़ब एक छोटे से मकान के आगे मिहिर ने कॉर रोकी तो गुल निचे उतर आया…
“जाओ…तुम भी घर जाओ,, मालविका आंटी परेशान हो रही होंगी और हाँ प्लीज स्टडी पर धियान दो…चीज़ो को सीरियसली लेना सीखो..”गुल कॉर की विंडो से मिहिर को भाषण देने लगा..
मिहिर ने गुल का चेहरा नरमी से थाम लिया..
“मैं पूरे रस्ते खामोश रहा,,अब मेरा रिवॉर्ड दो…”
गुल का चेहरा गुलाबी पड़ गया..
क्यूंकि शुरुवात में ज़ब मिहिर हाई सकूलर था तो तब गुल उसे पढ़ने के लिए हमेशा रिवॉर्ड देता था,यानि अगर स्कुल में फर्स्ट रेंक लाया तो उसके गालों में किश देता था..वह उस वक़्त मिहिर को महज़ बच्चा समझता था पर अब ये बच्चा ज़्यादा ही सिर चढ़ रहा था…
गुल ने झुक कर उसके गालों को चूमना चाहा लेकिन मिहिर ने मुंह फेर लिया और उसके गर्दन पर हाथ रख उसके होंटो को बाईट कर मुस्करा दिया…
गुल सुन्न रहगया,सीने से दिल तेज़ी से धड़के जा रहा था…
मिहिर आँख मारते हुए बाय कर निकल गया…
गुल वहाँ खड़ा चेहरे को हथेली से ढक गया,,उसके होंटो में अब भी मीठा मीठा स्पर्श हो रहा था…
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
गुल जब अपनी क्लास से बाहर निकला तो सामने आर्यन आ गया और उसका रास्ता रोककर घूरने लगा...
"रास्ता छोड़ो..." गुल ने सफेद कुर्ते और सफेद स्कार्फ गले के पास लपेटे हुए नफ़रत से कहा..
"ईवान कहाँ है…!?आर्यन ने भौंह उठाकर कहा...
"मुझसे बकवास मत करो... और हाँ, मुझे क्या पता वो कहाँ है…!?
ये तो तुम ही बेहतर जानते होगे..." गुल ने तीखे लहजे में कहा...
"क्या मतलब मैं जानता हूँ... मैं तो खुद तुमसे उसके बारे में पूछने आया हूँ..." आर्यन झल्लाकर बोला...
"मैं सब जानता हूँ... मासूम मत बनो... ईवान के स्वेटर पर जानबूझकर जूस तुमने ही गिराया था और जब ईवान ने प्रिंसिपल सर से तुम्हारी शिकायत की थी तो पूरी क्लास के सामने उसे धमकी दी थी... पूरा कॉलेज जानता है कि तुम उसके दुश्मन हो और मुझे तो यही लगता है कि ईवान की गायब होने के पीछे तुम्हारा ही हाथ है..." गुल ने शक भरी नज़रों से उसे देखते हुए कहा...
"जो मुँह में आ रहा है बोले जा रहे हो... सच में मुझे कुछ नहीं पता... ईवान दो दिन से कॉलेज नहीं आया है और मैं बहुत परेशान हूँ... दिल घबराया जा रहा है फिर इनाया से पता चला कि ईवान दो दिन से घर भी नहीं पहुँचा..मुझे अजीब सा डर लग रहा है,, माना कि ईवान मुझे खास पसंद नहीं था लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि मैं उसे गायब कर दूँगा..." आर्यन बेचैनी से अपने बालों में हाथ फेरते हुए बोला...
"कमाल का ड्रामा कर लेते हो…!?
कब से तुम्हारा दिल ऐसे तड़पने लगा या फिर ये सब दिखावा है... सुन लो अगर तुमने सच में ऐसा कुछ किया है तो बाद में बहुत पछताओगे..." गुल ने उसे वार्निंग दी...
"मैं कसम खाने को तैयार हूँ... ईवान से मेरी कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं थी और मैं इतना गिरा हुआ इंसान भी नहीं हूँ कि किसी को उठवाऊँ... अगर तुम्हें ईवान के बारे में कुछ पता चले तो प्लीज़ मुझे बताना..." ये कहकर आर्यन आगे बढ़ गया और गुल बस नाक सिकोड़कर रह गया...
गुल अच्छे से जानता था कि आर्यन कितना निकम्मा और बदनाम लड़का है... कॉलेज की हर लड़की से दिल्लगी करता फिरता था और गुल को उससे हमेशा से नफ़रत रही थी... ईवान भी आर्यन से दूर ही रहता था...
गुल को अब भी लग रहा था कि ये लड़का बस एक्टिंग कर रहा है... असल में तो ईवान की गुमशुदगी से उसे अंदर ही अंदर खुशी मिल रही होगी...
गुल बड़बड़ाता हुआ वहाँ से चला गया,,ईवान का सोचते ही उसकी आँखे नम होगई..
---°•°•°
ईवान किचन में खड़ा बेध्यान सा काम कर रहा था... कायल की आंटी कुसुम देवी ने उसे कुछ पुराने नौकरों के कपड़े निकालकर दे दिए थे...
लेकिन कहते हैं ना,,रूप छुपाए नहीं छुपता... वही हाल ईवान का था... बालों को कपड़े की बैंड से बाँधे, झटपट बर्तन धो रहा था तभी कुसुम आंटी पीछे से आईं और बोलीं —
"जल्दी से नाश्ता और चाय का इंतज़ाम कर दो बेटा,,छोटे साहब के कुछ मेहमान आने वाले हैं..."
"यहाँ आएँगे..!? ईवान पूछे बिना रह ना सका क्यूंकि वह ज़ब से यहाँ आया था बस कामों में दिल बहला लिया था..
ना ही उसके पास मोबाइल था जो अपने पापा या किसी दोस्त से बात करता और ना ही यहाँ उसकी कोई किताबें थी…सबसे बढ़या उसे घर का काम ही लगता था,,कम से कम वह खुद को बिज़ी रख टाइमपास कर सकता था…
"हाँ,,इनका घर है... जब चाहें आएँ जाएँ,,हमें क्या..." कुसुम आंटी बड़बड़ाई तो ईवान चुप हो गया और फिर तेजी से काम में लग गया…
कुछ देर बाद कायल और रयान बातें करते हुए लॉन्ज एरिया में आ बैठे...
"कायल,,तुम्हारा ऑफ़र मुझे बहुत पसंद आया और मैं तुम्हारी कंपनी के साथ काम करना चाहूँगा क्योंकि तुम लोग काफी एडवांस और मज़बूत मार्केट रिलेशन रखते हो..." रयान ने प्रोफेशनल लहजे में कह रहा था…
"मुझे भी मंज़ूर है लेकिन बराबरी के बिज़नेस पार्टनर रहेंगे..." कायल ने आराम से अपनी बात रखी..
"वैसे,, तुम्हारे घर पर फैमिली नहीं रहती क्या…!?
कोई भाई-बहन,माँ-बाप या बीवी बच्चे…!? रयान ने इधर-उधर देखते हुए पूछा..
रयान को पता नहीं क्यों बड़ी बेचैनी महसूस हो रही थी..
"हाँ,पापा और उनकी फेमली टाउन साइड में रहते हैं और मेरा मंगेतर अवि परसों अमेरिका से आ रहा है...लेकिन ज़्यादातर मेरा रहना यही गेस्ट हॉउस में होता है क्योंकि यहाँ मुझे सुकून मिलता है..." कायल ने सिगरेट होंठों में दबाए हुए कहा..
"तुम सिगरेट भी पीते हो…!? रयान को लगा था कि कायल किसी भी तरह का नशा नहीं करता होगा..
"शराब भी पीता हूँ और भी बहुत बुरे काम करता हूँ..." कायल शैतानी मुस्कान के साथ बोला…
रयान चुप हो गया...
उसी वक्त कुसुम आंटी नाश्ते की ट्रे हाथ में लिए अंदर दाख़िल हुईं...
"चलो,आओ नाश्ता करते हैं..." कायल ने रयान को सोफ़े की तरफ इशारा करते हुए कहा और खुद धप्प से सोफ़े पर बैठ गया..
रयान भी धीरे से बैठ गया और भगवान का शुक्र करके खाने लगा लेकिन पहले ही निवाले में चौंक गया,, क्योंकि खाने का स्वाद बिल्कुल घर जैसा था... जैसे उसकी मम्मी के हाथ का हो..
"यार, बहुत टेस्टी है... किसने बनाया है..!!? बिल्कुल मेरी मम्मी के हाथ का लग रहा है..." रयान तारीफ़ किए बिना न रह सका।
कायल कुछ नहीं बोला... बस रयान को देखता रहा जो बड़े मज़े से नाश्ता कर रहा था...
नाश्ते के बाद कुसुम आंटी बर्तन धो रही थीं और ईवान खड़ा अपने हाथों को चुपचाप देख रहा था...
"जाओ बेटा,नाश्ते के बर्तन भी समेट लाओ..." कुसुम आंटी ने कहा तो ईवान किचन से बाहर आया और शर्ट की बाँहें ठीक से चढ़ाकर लॉन्ज एरिया में आया,जहाँ कायल और रयान टहलते हुए बातें कर रहे थे…
ईवान चुपचाप,, दबे पाँव आया और सारे बर्तन समेटने लगा कि तभी उसके हाथ से एक काँच का गिलास फिसल गया और फ़र्श पर गिरकर चकनाचूर हो गया…
आवाज़ सुनकर कायल और रयान दोनों पलटे तो देखा कि ईवान घुटनों के बल बैठा काँच के टुकड़े समेट रहा है..
"इन नौकरों से एक काम भी ढंग से नहीं होता! मेरा महँगा क्रॉकरी सेट तोड़ डाला..." कायल गुस्से में चिल्लाया…
ईवान का दिल डर से सहम उठा..
"कोई बात नहीं कायल... गलती हो जाती है और बस एक गिलास ही तो टूटा है..." रयान ने कहा और ईवान के पास झुककर टुकड़े समेटने में उसकी मदद करने लगा..
ईवान ने चुपचाप ऊपर नज़र उठाई तो सामने खड़े इस शख़्स को देखकर ठिठक गया... चेहरा कुछ जाना-पहचाना सा लगा...तीखे नैन-नक्श नुकीले और आँखें भी बिलकुल नीली बिलोरी…
रयान ने भी उसकी तरफ़ देखा और हल्की सी मुस्कान दी,ईवान बस अदब से सिर झुका गया तो रयान के दिल में अजीब सी तड़प उठी..
रयान उठकर टुकड़े उठाए और जाकर डस्टबिन में डाल दिए..
ईवान बिना कुछ कहे वापस चला गया…
कायल अब रयान की तरफ़ घूरने लगा…
"सीधा-सादा सा लड़का है और तुम उस पर चिल्ला रहे थे…" रयान ने ठंडी साँस भरकर कहा..
"सीधा-सादा... अच्छा..." कायल ने सख़्त लहजे में कहा और अपना ग़ुस्सा जबरदस्ती दबा लिया…
रयान के चले जाने के बाद जब ईवान रात के वक़्त कॉफ़ी लेकर कायल के कमरे में आया,,तब कायल नाइट गाउन (स्लीपिंग रोब) पहने आज हुए हादसे के बारे में सोच रहा था..
उसे बार-बार रयान की मुस्कान चुभ रही थी,, जिस तरह वह ईवान की तरफ़ बहुत नरम और ठंडे भावों से देख रहा था,,वही बात कायल को खल रही थी…
"कायल सर... आपकी कॉफ़ी..." ईवान ने धीमे से कहा…
"अच्छा... कॉफ़ी..." कायल ने नज़र उठाई तो देखा,ईवान कमरे की हल्की रोशनी में खड़ा था.. सादे कपड़ों में भी उसका रंग कुंदन की तरह साफ झलक रहा था,,छोटे बाल आँखों पर आते हुए और आँखें झुकी हुईं…
"ईवान... आगे से याद रखना,,मेरे किसी भी मेहमान के सामने आने की ज़रूरत नहीं है..अगर मुझे कभी तुम्हारी ज़रूरत होगी तो मैं खुद बुला लूँगा..मेरे बुलाए बिना अब तुम कमरे में नहीं आओगे..." कायल ने धमकी भरे लहज़े में कहा…
ईवान ने सिर हिलाकर हामी भरी और चुपचाप कमरे से बाहर चला गया…
कायल बिस्तर पर बैठकर कॉफ़ी की प्याली घूरने लगा..जब उसने प्याला उठाकर होंठों से लगाया तो अनायास ही उसे महसूस हुआ जैसे इस कॉफ़ी में ईवान के हाथों का एक अजीब सी मिठास घुल गयी हो..
कायल ने कुछ पल तक उस प्याले को देखा... मानो उसमें ईवान के हाथों का स्पर्श बाकी हो,, फिर अचानक अपने ख़्याल पर झुंझला कर उसने प्याला वापस साइड टेबल पर रख दिया और बिस्तर पर लेट गया..
लेकिन नींद आँखों से कोसों दूर थी... बार बार ईवान का चेहरा सामने आ रहा था..
मासूम सा चेहरा,उसका शांत मिजाज,,नर्म गुदाज़ बदन और आहिस्ता आवाज में बातें करना…..__ सब मिलकर कायल के मन के दबे जज़्बातों को बागी बना रहे थे..
कायल ने झुंझलाकर खुद को बुरा-भला कहा क्यूंकि वह आलरेडी इंगेजड था,फिज़ूल की सोच उसे बर्बाद कर देती,ऊपर से उसे तो अवि से भी आज तक कोई लगाव या हमदर्दी ना था वह बस अपने पापा के कहने पर उससे शादी कर रहा था…
ये सारी बेकार बातें सोचना बंद कर वह आँखें कसकर बंद कर सो गया…
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
मिहिर सुबह से ही उल्टियों से कमज़ोर हो चुका था..
कमरे में अकेला पड़ा वह बमुश्किल उठकर दरवाज़े तक आया लेकिन फिर पलंग पर ढह गया,, आँसुओं से भीगी आँखों में बस नैन की तस्वीरें तैर रही थीं…
नीचे हॉल में करणवीर रणवीर सिंह और मालविका देवी बैठकर बातें कर रहे थे..
"आपका क्या ख़्याल है…!? मालविका देवी बोलीं…
मिहिर की उम्र भी हो रही है और… नैन अच्छा लड़का है…”
करणवीर सिंह ने तुरंत सख़्त लहजे में कहा —
"कभी नहीं! किसी बिन बाप के ग़रीब लड़के से हमारे खानदान का बेटा शादी करेगा,,ये मैं सोच भी नहीं सकता…पहले बड़े कायल की शादी होगी फिर मिहिर की बारी आएगी और उसके लिए मैं खुद ऊँचे घराने के रिश्ते देखूँगा…”
मालविका देवी चुप हो गईं…
लेकिन ऊपर कमरे में खड़ा मिहिर सब सुन चुका था..
उसका दिल चीरकर रह गया..
उसने चाहा कि एक चीख़ मारकर कह दे — “पापा….मैं नैन के बिना जी ही नहीं सकता…” मगर गला भर आया..
वह वापस कमरे में लौटा और बिस्तर पर गिर पड़ा..
आँखें बंद करते ही उसका सीना धड़कनों से भारी हो गया,,आँसू पलकों से रिसते रहे..
मिहिर ने महसूस किया कि उसका शरीर बुख़ार से तपने लगा है और उसका दिल टूटकर चूर हो गया है…
---°•°•°•°
रयान जब से कायल के घर से आया था,,उसके दिल में एक कसक सी उठ रही थी…
ईवान से मिलकर उसकी रूह को जैसे सुकून मिल गया था…
सिर्फ़ एक छोटी सी मुलाक़ात,,हल्की सी झलक ही रयान को तड़पा कर रख दे रही थी और रयान जानता था — यह महज़ मोहब्बत का जज़्बा नहीं बल्कि कुछ और है… कोई पाक सा रिश्ता,,कोई अनचाही डोर जो उसे ईवान से बाँध रही थी…
ईवान की आँखें बिल्कुल रयान जैसी नीली झील सी थीं,,जिनमें ढेरों अनकहे जज़्बात छुपे थे..
रयान उसे और क़रीब से जानना चाहता था लेकिन वह इतना तो कायल को जान चुका था कि उसकी मौजूदगी में वह ईवान से खुलकर बात तक नहीं कर सकता..
रयान बिस्तर पर बेचैनी से करवटें बदल रहा था,, उसने फ़ोन की स्क्रीन ऑन की — होम स्क्रीन पर एक 3 साल का गोलू मोलू सा बच्चा था जो खिलखिलाकर हँस रहा था,,उसकी भी नीली आँखे थीं और हँसी में गालों पर गड्ढे पड़ रहे थे..
रयान ने तस्वीर को देखा और बुदबुदाया:
"कहाँ हो तुम… कब मिलोगे मुझसे!?
पता है हर किसी में तुम्हारी झलक ढूँढता फिरता हूँ,, सोचता हूँ ये ही तुम हो… लेकिन जो कुछ भी हो,,ईवान तुम बिलकुल मेरे गोलू जैसे दीखते हो… अब ये महज़ इत्तेफ़ाक़ है या…___
वह अचानक किसी गहरी सोच में डूब गया…
तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और रेशमी मुस्कुराते हुए अंदर आ गईं..
"क्या कर रहा है मेरा बेटा..!?
कहीं मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया..?
"कैसी बात कर रही हो मम्मा… आप मुझे कभी भी तंग नहीं कर सकतीं,,ये आपका घर है और मैं आपका छोटा-सा लाड़ला बेटा हूँ…”
रयान झट से उठा,,उनकी हथेलियाँ थामीं और चूमकर उन्हें अपने साथ बिस्तर पर बैठाया और खुद फ़र्श पर बैठ गया..
रेशमी ने उसके सिर पर हाथ फेरा,,उनकी आँखें भीग गईं थीं..
"माता रानी तुम्हें सलामत रखे मेरी जान..पता नहीं मैंने ऐसी कौन से पुण्य किये थे जो तुम्हारी जैसी औलाद मुझे मिली..”
"तो मम्मा… आज कोई ख़ास वजह से आई हो..!?
रयान ने आँखें सिकोड़कर सवाल किया,,उसे लगा कोई बात ज़रूर है…
रेशमी ने गहरी साँस भरी और फिर सीधे मुद्दे पर आ गईं —
"हाँ,कल हम करणवीर सिंह के यहाँ डिनर पर जा रहे हैं..हाँ और मेरी बातें गौर से सुनो वहाँ तुम्हे मिहिर से ज़्यादा बातें नहीं करनी है क्यूंकि मिहिर काफ़ी जज़्बाती होगया है और यूनिवर्सिटी जाना भी बंद कर दिया है..तुम तो जानते ही हो मिहिर नैन को कितना पसंद करता है लेकिन मालविका हमेशा अपने हिसाब से सबको चलाना चाहती है…
कहाँ तो उस दिन मुझसे केहह रही थी की मिहिर की शादी नैन से करवाउंगी ताकि सब उनके कण्ट्रोल में रहे,,हुंह और मुझे पहले ही पता था की करण कभी भी मिहिर की शादी नैन से नहीं करवाएगा,,और हुआ भी वही…मुझे आज कॉल कर कहती है की दोनों की उम्र में फर्क बहुत है….मेरा तो दिल किया कि चार बातें सुना दूँ की फर्क उम्र का नहीं स्टेटस का है,,अमीरी ग़रीबी का है…बड़ी आईं मॉडर्न ख़्यालात वाली औरत….!!
“मम्मी,,ओह्ह्ह ममम…मोम्मी बस बस शांत…मैं समझ सकता हूं,,वह शुरू से ही ऐसी हैँ…बस फेंकती रहती है…..!!रयान हँस पड़ा..
“खेर…तुम्हे नैन केसा लगा…वह तो बिलकुल तुम्हारे हम उम्र है…”रेशमी ने आखिरकार बात छेड़ ही दी..
रयान का चेहरा सख़्त हो गया…
"मतलब…?"
रेशमी ने उसके कंधे पर हाथ रखकर नरमी से कहा —
"मतलब ये कि तुम नैन से क़रीबी बढ़ाने की कोशिश करो,,मुझे लगता है वही तुम्हारे लिए ठीक रहेगा… सीधा-सादा और मासूम लड़का है…सबसे बड़ी बात ये कि मुझे बड़ा क्यूट लगता है,,जिस तरह झुक कर अदब से बात करता है…सोच तो सही तुझे कितना मान देगा…”
रयान कुछ पलों तक उन्हें घूरता रहा,, फिर धीमे से मुस्कराया…
लेकिन उसके दिल में हलचल और भी बढ़ चुकी थी…
क्यूंकि मिहिर के दिल का हाल जानता था और वह किसी के अरमानों की कब्र पर वह अपनी खुशियों का महल नहीं बनाना चाहता था..
---^^^^^^
रेणुका और नैन ख़ामोशी से बैठे कॉफ़ी पी रहे थे..
“मम्मी एक बात पुछु…!?
रेणुका की नीली आँखों में नमी उतर गई…”यही की तुम्हारा बाप कौन है….!?
नैन हैरान रह गया..
“नहीं….मम्मी केसी बातें कर रही हैँ….मुझे…मुझे कुछ नहीं जानना और मैं बस ये पूछना चाहता था की आप मिहिर के मोम को जानती हैँ…!?
रेणुका दो मिनट के लिए ठठक सी गई फिर मुस्कान क़ायम रखे बोली…”हाँ…हम सब किसी ज़माने में कॉलेज फ्रेंड्स हुआ करते थे…रेशमी और मालविका हम सब किसी ज़माने में साथ हुआ करते थे…
रेशमी मेरी बेस्टफ्रेंड हुआ करती थी पर अब तो सालों होगये हम एक दूसरे से बात नहीं करते….उफ्फ्फ वह भी क्या दिन हुआ करते थे…!!
और……!!?
“और…मालविका की बात करे तो वह जूनियर थी तो हमारी बस मुलाक़ात हो जाया करती थी…बाकि इससे आगे मैं सब भूल गई..”रेणुका ने तिरछी मुस्कान के साथ कहा…
“अरे लेकिन….और कुछ बताये ना,,क्या आपकी कभी मालविका आंटी से कोई झगड़ा वगेरा या फिर रेशमी आंटी से कोई मनमोटाव….!!नैन बेचैनी से पहलू बदल गया..
रेणुका ने कड़वे लहजे में कहा…”बिना शादी के माँ बन जाने वाली औरत से कोई रिश्ता नहीं रखना नहीं चाहता…इसलिए सबों ने मुझसे रिश्ते नाते खतम कर लिए थे…”
नैन लाजबाब होगया,,वह नहीं जानता था की उसकी मम्मी सही है या गलत है पर उसे बहुत तकलीफ होती,,बहुत तकलीफ होती थी…
लेकिन फिर भी ये वह माँ थी जिसने उसे हर ज़माने की बुराई से बचा रखा था…
हमेशा गलत सही,ऊंच निच समझाई थी और सबसे बड़ी बात खुद बदनाम हो कर भी उसे भरपूर खुशहाल जिंदगी नवाज़ी थी..
रेणुका की आँखों की तड़प और दर्द गुल अच्छे से महसूस कर सकता था…
उसके लिए तो उसकी माँ ही सब कुछ थी लेकिन फिर भी वह बहुत कुछ जानना चाहता था कि आखिर क्या हुआ था और कौन था वह घटया शख्स जिसने उसकी माँ को इतना बड़ा धोका दिया था…
अगर एक बार उसके सामने उसका बाप आ जाता तो वह उसका खून कर ही डालता क्यूंकि उसकी माँ की तड़प और रातों को छुपछुप कर रोना उसके दिल को निचोड़ देता था…
अचानक ही रेणुका ने कहा…”नैन…मिहिर से कोई दिली लगाओ मत लगाना…ये चार दिन की आशिकी जिंदगी भर बड़ा तड़पाती है…मैं नहीं चाहती जो मुझपर गुज़री वह कभी तुमपे भी गुज़रे इसलिए भूल जाओ…!!
मिहिर को भूल जाओ…!!
नैन ने रेणुका की तरफ देखा जो मुंह मोड़े किचन की तरफ बढ़ चुकी थी…
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
रयान सीधा अपनी बीएमडब्ल्यू पर बैठकर कायल के गेस्ट हाउस चला गया, क्योंकि कायल ने उसे खास तौर पर दावत पर बुलाया था और रयान खुश था.. इस खुशी की वजह तो वह खुद भी नहीं समझ पाया था लेकिन नाजाने क्यों वह अजीब सी ख़ुशी महसूस कर रहा था…
कायल ने बड़े ही गर्मजोशी से उसका स्वागत किया और उसे लेकर लिविंग एरिया में बैठकर यहाँ वहाँ की बातें करने लगा..
अवि किचन में ईवान के साथ खड़ा उसकी मदद कर रहा था,,अवि कायल का मंगेतर था और कुछ ही दिन पहले ही अमेरिका से लौटा था..
अवि बहुत ही दोस्ताना मिज़ाज का लड़का था और घर के नौकरों तक को इज़्ज़त देता था..ईवान से उसकी खूब जमी थी क्योंकि ईवान भी उतना ही कम बोलने वाला और शालीन स्वभाव का लड़का था…
दोनों की नेचर में कुछ तो ऐसा था जो उन्हें एक-दूसरे के करीब खींच रहा था या शायद इसलिए भी कि दोनों ओमेगा थे — और एक-दूसरे की परेशानियाँ और कमजोरियाँ बहुत जल्दी समझ पा रहे थें…
अवि जिस माहौल का आदी था,,वहाँ के लड़के बहुत बेबाक और खुले ख्याल के होते थे.. खुद अवि भी मॉडर्न सोच वाला था लेकिन अच्छे बुरे की तमीज़ रखता था,,इसलिए जब वह ईवान से मिला तो उसे लगा जैसे वह अपनी ही परछाई से बातें कर रहा हो…
ईवान ने सारे खाने बनाकर गैस बंद किया तो अवि जल्दी से बर्तन धोकर उसके पास खड़ा बातें करने लगा..
"ईवा वैसे तो ये सारे काम तुम्हे नहीं करने चाहिए पर क्या कर सकते हैँ..वह खड़ूस कायल बहुत चिड़चिड़ा है…और ये बहुत पुराने कपड़े हैं… तुम पर ये शर्ट बिल्कुल सूट नहीं करती…" अवि ने मुस्कुराते हुए कहा..
"कोई बात नहीं… मुझे यही अच्छे लगते हैं.." ईवान ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया..
"उफ़्फ़! तुम्हारी सोच बड़ी ही पुरानी है… मेरा पूरा वॉर्डरोब भरा पड़ा है,,तुम उसमें से कपड़े ले लिया करो..तुम्हारी पर्सनैलिटी बहुत स्ट्रॉन्ग है,,सूट-बूट में तो जान डाल दोगे.." अवि बोला…
ईवान चुप रहा,,बस हल्की सी हँसी दी..
"चलो मेरे साथ…" अवि ने उसका हाथ पकड़कर अपने कमरे की तरफ खींच लाया..
ईवान को कुछ समझ नहीं आया,,वह हक्का-बक्का सा बस देखता रह गया…
अवि उसे अपने कमरे में ले आया और एक नेवी ब्लू शोल्डर-कट टी-शर्ट निकालकर उसकी तरफ बढ़ा दिया…
"ये पहन लो…" अवि ने कहा तो ईवान ने तुरंत मना करते हुए सिर हिला दिया…
"नहीं, माफ़ कीजिएगा… मैं ये नहीं पहन सकता,,कायल सर गुस्सा होंगे…" ईवान जानता था कि कायल गुस्से का तेज़ है..
"यार,कायल को छोड़ो… तुम ये पहन लो और वैसे भी आज घर में मेहमान आने वाले हैं…" अवि ने हँसते हुए कहा..
"नहीं…मैं नहीं पहन सकता,,कायल सर को अच्छा नहीं लगेगा.. मैं तो बस एक नौकर की हैसियत से यहाँ हूं और मुझे अपनी औक़ात याद है…" ईवान धीरे से बोला..
"सीरियसली ईवान… तुम कायल से इतना डरते हो…!!?
और ये क्या नौकर और सर का रिश्ता जोड़ रखा है,,माना की तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी पर हम सब बराबर है…!!
यार..मैं चाहता हूँ तुम ये पहनो और मुझे अच्छा लगेगा अगर तुम ये पहनोगे.. ईवा बेबी,,तुम सिर्फ़ नौकर नहीं हो..मैं तो तुम्हें अपना छोटा भाई मानता हूँ तो क्या तुम मेरी खुशी के लिए भी ये नहीं करोगे…!? अवि ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए नरमी से कहा..
ईवान मजबूर हो गया क्योंकि अवि सीधे इमोशनल ब्लैकमेलिंग पर उतर आया था..
ईवान शर्ट लेकर अंदर वॉशरूम में चला गया और जब चेंज करके बाहर आया तो अवि की आँखें सचमुच चमक उठीं…
"ओह माय गॉड… तुम्हारी पर्सनैलिटी तो और भी उभर आई है… ओह्ह माई गॉड,,भगवान तुम्हें हर बुरी नज़र से बचाए..बहुत हैंडसम लग रहे हो…" अवि उसके दूधिया गोरे कंधों और फिट बॉडी को देखकर हैरान रह गया..
अवि का बस चलता तो वह उसे बांहो में कसे टेडीबीयर की तरह खूब प्यार करता..
ईवान की झील सी आँखें,,तराशे हुए होंठ और अब शोल्डर-कट टी-शर्ट से झलकते उसके गोरे कंधे…वह किसी की भी दिल की धड़कनो को पल भर के लिए रोक सकता था..
"तुम नीचे मत आना,,वरना लोग तुम्हें देखकर बेहोश हो जाएँगे…" अवि ने थोड़ी शरारत से कहा तो ईवान हल्की मुस्कान के साथ अपने बाल ठीक करने लगा..
नेवी ब्लू रंग और शोल्डर-कट स्टाइल में ईवान का मासूम चेहरा और दूधिया कंधे… उसे और भी दिलकश बना रहे थे…
"ओह्ह…मैं नीचे चलता हूँ…" ईवान को याद आया कि कुसुम आंटी अकेले सब मैनेज नहीं कर पाएँगी…
"हाँ चलो..मैं भी चलता हूँ…" अवि भी ईवान के साथ नीचे आ गया..
अवि जाकर रयान और कायल के पास बैठ गया और ईवान किचन की तरफ बढ़ गया..
अवि को देखकर कायल ने सपाट लहज़े में कहा –
"रयान,,ये मेरा मंगेतर है… अवि दरानी…"
"हेलो अवि…" रयान ने हाथ आगे बढ़ाया,,जिसे अवि ने थाम लिया और मुस्कराकर बोला –
"हाय रयान… नाइस टू मीट यू…"
अवि हाई सोसाइटी में उठने बैठने के तौर तरीके जानता था और खुद भी एक बिज़नेसमैन था..
लेकिन कायल को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं था..अवि का इस तरह हाथ मिलाना उसे ज़रा भी नहीं भाया लेकिन वह कुछ कह नहीं सका क्योंकि अवि बहुत मुँहफट और जवाब देने वाला लड़का था..वह लड़के और लड़कियों के साथ उठना बैठना,शराब पीना और डांस करना गलत नहीं मानता था..अमेरिका में ये सब उसके नॉर्मल लाइफ़ का हिस्सा था..
लेकिन कायल की सोच बिल्कुल पुराने ख्यालात वाली थी,,वह चाहता था की अवि लेट नाईट क्लब जाना छोड़ दे क्यूंकि दिन ज़माना सही नहीं था..
रयान से चिपक कर अवि बैठा बातों में लग गया..
कायल को ये सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और वह पानी पीने के बहाने किचन की ओर चला गया..
ईवान किचन में खड़ा कॉफ़ी बना रहा था जब उसे कायल की स्ट्रॉन्ग परफ़्यूम की ख़ुशबू अपने करीब महसूस हुई,, उसने गर्दन मोड़कर देखा तो घबरा गया..
कायल पास ही खड़ा उसे तीखी नज़रों से घूर रहा था..
"ये क्या पहन रखा है तुमने…!? कायल की दहाड़ पर ईवान अंदर तक सहम गया…
"ऐसे बेहूदा कपड़े पहनकर घर में घूम रहे हो… तुम्हारे कंधे और कमर साफ़ झलक रहे हैं और…" कायल आगे कुछ और कहने ही वाला था कि पीछे से अवि आ गया और बोल पड़ा –
"और क्या…!?
अब वह अपनी मर्ज़ी से पहन भी नहीं सकता क्या..!? देखो तो कितना हॉट लग रहा है… हर वक्त तो सफ़ेद कुरता और ओवरसाइज़ टी.शर्ट पहने बाबा बनकर घूमता रहता है…"
"तुम इससे दूर ही रहो वरना तुम भी इसे अपने रंग में रंग दोगे…" कायल सख़्त लहज़े में बोलता हुआ वहाँ से चला गया..
फिर ईवान कॉफ़ी के मग ट्रे में रखकर ले आया तो सब चुप हो गए और रयान ने ईवान पर एक नापसंदगी भरी नज़र डाली और अंदर ही अंदर खौल उठा…
“ये कैसे कपड़े कायल ने इसे पहनाये हैँ…!!रयान को तो कायल पर खून खोल उठा..
ईवान मुश्किल से खुद को ढाँप पा रहा था,,उसे खुद पर ही शर्म महसूस हो रही थी क्यूंकि वह हलका सा भी बाज़ू उठाता तो कमर साफ झलकने लगती..
ईवान सही ढंग से सोच नहीं पा रहा था की अचानक से गर्म कॉफ़ी का मग रयान को पकड़ाते हुए कॉफ़ी उसी के हाथ पर गिर गई..
ईवान के मुँह से एक ज़बरदस्त चीख निकल गई…
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
अवि और कायल दोनों ही तुरंत उठ खड़े हुए..
"अरे अरे… ज़्यादा तो नहीं जल गया…!?
"नहीं… आह्ह्ह…" ईवान को हाथ में तेज़ जलन महसूस हो रही थी..
रयान ने उसकी नाज़ुक हथेली अपने हाथ में लेकर ध्यान से देखा..
अवि तुरंत दौड़कर फ़र्स्ट एड बॉक्स ले आया.. रयान ने उसकी लाल पड़ चुकी हथेली को देखकर समझ गया कि ईवान को बहुत जलन हो रही है जिसे वह चुपचाप बर्दाश्त कर रहा है लेकिन उसकी आँखें दर्द से भर आई थीं..
रयान ने मरहम लगा दी और फिर पट्टी बाँध दी,,उसने ईवान का हाथ बड़े प्यार से पकड़ा ताकि उसे हिम्मत मिले…
कायल बस चुपचाप बैठकर ये तमाशा देख रहा था…
कायल रयान के चेहरे के बदलते भाव देखकर साफ़ समझ गया कि रयान को ईवान का दर्द सच में महसूस हो रहा है… और वो उसके दर्द में तड़प रहा है…
कायल को ये सब बिलकुल अच्छा नहीं लगा,, ईवान की इस तरह चिंता करना उसे खल रहा था लेकिन वह कुछ बोला नहीं..बस मन ही मन ठान लिया कि बाद में ईवान को अच्छा सबक सिखाएगा..
रात हो चुकी थी..रयान अपने घर जा चुका था और अवि भी अपने कमरे में जाकर सो गया था..
ईवान को अब देर रात तक जागने की आदत हो चुकी थी,,क्यूंकि यहाँ कुछ भी घर जैसा नहीं लगता था..
वह लॉन्ज के सोफ़े पर लेटा बार बार अपनी जली हुई हथेली को देख रहा था..
रयान का इस तरह उसकी देखभाल करना और उसके दर्द को समझते हुए बड़े प्यार से ज़ख़्म पर मरहम लगाना उसे अपने पापा की याद दिला गया..
लेकिन जो भी हो,,ईवान के दिल में रयान की इज़्ज़त और ज़्यादा बढ़ गई थी..क्यूंकि जिस तरह रयान हमेशा उसके लिए आगे बढ़ कर उसे कम्फर्ट करता था,,वह उसे बहुत अच्छा लगता था…गेरो के बिच में अपनेपन का एहसास होता था..
ईवान इन्हीं खयालों में डूबा था कि तभी कायल लॉन्ज में आया..
ईवान तुरंत उठ बैठा और कायल भी उसके पास आकर खड़ा हो गया..
"अब तुम्हारा हाथ कैसा है…!?
"बहुत बेहतर है…" ईवान ने हल्की आवाज़ में कहा..
"अच्छा…ज़रा मैं भी तो देखूँ…" कहकर कायल ने ज़बरदस्ती ईवान की हथेली पकड़ ली और अचानक ईवान दर्द से सिसक उठा..
"कायल सर… छोड़िए,,क्या कर रहे है..मुझे बहुत दर्द हो रहा है…" ईवान ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की..
"अरे क्यों छोड़ूँ…!?
जब मैंने साफ़ कहा था कि मेरे बुलाए बिना तुम मेरे किसी भी मेहमान के सामने नहीं आओगे तो फिर तुम नीचे क्यों आए…!? कायल ने उसका हाथ कसकर मरोड़ दिया..
"आह्ह… छोड़ दीजिए प्लीज़,,ग़लती हो गई…" ईवान रो पड़ा,,उसकी आँखों से आँसू बहने लगे..
कायल की लोहे जैसी पकड़ ईवान की नाज़ुक हथेली पर थी,,उसने उसका हाथ इतने कसके मरोड़ा था कि ईवान की बाज़ू उसकी पीठ से जा लगी थी..
"याद रखना…मेरे अलावा तुम्हें अगर किसी ने नज़र भरकर भी देखा तो ऐसा हाल करूँगा जो तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा..
अभी तो बस हाथ मरोड़ा है लेकिन अगर अगली बार किसी और ने तुम्हारा ये नरम हाथ छुआ—तो मैं यही हाथ तोड़कर रख दूँगा..!!
कायल ने झटके से उसका हाथ छोड़ दिया और ग़ुस्से से लाउंज से निकल गया..
ईवान अपना हाथ पकड़कर वहीं बैठ गया और सिसकने लगा…
°°°°°°
नैन क्लास में बैठा नोट्स बना रहा था..आज क्लासेस ऑफ थीं और कुछ गिने चुने स्टूडेंट्स इधर-उधर बैठे बातें कर रहे थे,,कुछ मोबाइल में बिज़ी थे…
उसी वक्त इनाया उसके पास आई और उसकी कॉपी-किताब एक तरफ खिसकाकर उसे घूरते हुए बोली –
"आधे घंटे से कॉल कर रही हूँ… क्यों नहीं उठाई…!?
नैन ने सिर उठाया और हल्की सी थकी मुस्कान दी –
"सॉरी यार…फोन वाइब्रेशन पर था,, ध्यान ही नहीं गया..
तू बता,,क्या हुआ…!?
इनाया ने गहरी साँस लेते हुए कहा..
"तुझे अभी तक किसी ने बताया नहीं..!? तेरी और रायन भाई की सगाई फिक्स कर दी गई है…!?
नैन का पेन उसके हाथ से छूटकर टेबल पर गिर पड़ा,,उसने ज़बरदस्ती मुस्कराने की कोशिश की –
"हाँ… पता है.. घर पर बात हुई थी..!!
इनाया ने उसकी आँखों में झाँका –
"सच में…तुझे पता है या नाटक कर रहा है..झूट हरगिज मत बोलना क्यूंकि जहाँ तक मुझे पता है मिहिर भाई ____
नैन ने नज़रें चुरा लीं और उसकी बात काटते हुए बोला…
"अरे नहीं मम्मी ने बताया था और फिर मुझे कैसे पता नहीं होगा,,तू ज़्यादा ही सोच रही है…”
इनाया ने उसका हाथ थाम लिया –
"खुद पर कोई ज़ोर ज़बरदस्ती मत कर…देख मुझे पता है तू क्या चाहता है..”
“मैं बस यही चाहता हूं की मम्मी और रेशमी आंटी ख़ुश रहें,,मैं बस यही चाहता हूं की मेरी वजह से किसी का दिल ना टूटे…और प्लीज मैं अब इस मामले में कोई बात नहीं करना चाहता…
रयान तेरा भाई है,,तुझे तो ख़ुश होना चाहिए…!!
इनाया बेंच पर कसके हाथ मारती हुई बोली..”रयान अगर मेरा बड़ा भाई है तो मिहिर भी मेरे छोटे भाई जैसा है…तू जानता है ना वह कितना जज्बाती और जिद्दी है…और तू इस तरह _____
उसी वक्त नैन का फोन बजा तो उसने रिसीव किया –
"जी मम्मी… आज ही…!!
लेकिन मैं अभी यूनिवर्सिटी में हूँ… अच्छा मैं कोशिश करता हूँ,,जी… ठीक है….
फोन रखते ही उसने गहरी साँस छोड़ी और बोला –
"आज ही हमें तेरे घर जाना होगा,,सब तैयारियाँ हो चुकी हैं…मैं भी ख़ुश हूं और तू भी ख़ुश होजा…!!
इनाया की आँखें भर आईं,,उसने नैन को कसकर गले लगा लिया –
"नैन… तेरा दर्द मैं समझती हूँ…तू अकेला नहीं है… मैं हमेशा तेरे साथ रहूँगी..तेरे लिए हमेशा मैं रहूंगी और मुझे नहीं पता ये ख़ुशी है की नहीं लेकिन तेरे चेहरे पर ज़बरदस्ती की हंसी मुझे बिलकुल अच्छी नहीं लगती है…”
नैन कुछ नहीं बोला बस उसके कंधे में मुंह छुपा गया…
°•°•°•
"मम्मी… क्या पहनूँ कुछ समझ नहीं आ रहा,,शाम को आपके साथ रेशमी आंटी के घर जाना है…
नैन फ़र्श पर बैठा मायूस होकर बोला..
रेणुका ने झुंझलाते हुए कहा –
"दो थप्पड़ जड़ दूँगी अभी… चुपचाप कोई भी सिंपल सा कुर्ता पहन ले और तयार हो,,तेरे नखरे कभी ख़त्म ही नहीं होते…!!
नैन ने मुँह बना लिया –
"मुझे नहीं जाना मम्मी… मेरा सिर दर्द कर रहा है..आप ही चली जाएँ मेरी प्यारी अम्मा प्लीज़…"
रेणुका ने उसे घूरते हुए कहा –
"अच्छा बेटा… अब समझी..असल बात ये है कि तुझे जाना ही नहीं इसलिए ड्रामा कर रहा है…”
नैन धप्प से फ़र्श पर लेट गया…
रेणुका ने उसके नौटंकी पर हँसते हुए कहा –
"चल उठ जा मेरी जान… जल्दी से तैयार हो जाओ और चुपचाप मेरे चलो वरना मालविका सोचेगी कि मैंने तुझे बहकाया है..”
आख़िरकार नैन गहरे नीले रंग का कुर्ता-पायजामा पहनकर और हल्की जैकेट डालकर तैयार खड़ा था..
“वैसे तू ख़ुश तो है ना एक्चुअली अचानक से शान का कॉल आया,,मैं उसे शायद ही कभी इंकार कर पाऊं…ज़ब उसने अपने बेटे रयान के बारे में बात की तो मैं ना नहीं कह पाई,,खेर मैं जानती हूं रेशमी में अब भी हिम्मत नहीं है के सामने से बात करे इसलिए शान को मोबाइल पकड़ाए खुद साइड में खड़ी खसूर पसूर कर रही थी…
आज ना जाने कितने दिनों बाद रेशमी,शान और मालविका और करण से मुलाक़ात होगी,,हाँ याद आया मैंने बस इनाया को देखा है,,रयान को बस तस्वीरों में देखा है..मुझे लेकिन बड़ा पसंद है,,हमारी कॉल पर अक्सर बात होती रहती है…”
नैन ने तिरछी नज़रो से रेणुका को देखा जो गुलाबी लेहंगे में खड़ी गालों में बल्स लगा रही थी..
“ये सब तो आपने मुझे कभी नहीं बताया…!?
“कोनसी बात,,रयान बेटे से कॉल पर बात करने वाली या हमारे कॉलेज टाइम वाली….!!
वैसे इतना तयार इसलिए भी हो रही हूं की तुम ये हमारा रीयूनियन समझ लो,,काफ़ी सालों बाद सब दोस्त एखटा होंगे बस इसलिए मैं भी हीरोइन बन कर जाना चाहती हूं प्लस मेरे जान बहार की सगाई भी है…”
रेणुका चौंक गई और उसकी तरफ मुस्काई,,नैन दिल पकड़के बेहोश होने को था क्यूंकि एक तो उसकी मम्मी इतनी क्यूट और इतनी खूबसूरत….वह अब भी जवान थी लेकिन बहुत ही शांत मिजाज और ख़ामोश तबियत वाली औरत थी..
नैन ने मुंह फुला लिया क्यूंकि आज पहली उसने अपनी माँ को यूँ सजते संवरते देखा था…वरना वह बस बनारसी साड़ी पहने घर में पड़ी रहती थी..
मालविका ने उनके लिए कार और ड्राइवर भेज दिया था…
नैन और रेणुका अपनी सादगी के बावजूद एक अलग निखार लिए शानवीर मेंशन पहुंच गए..
जहाँ नैन पहले भी एक बार हल्दी की रस्म में आ चुका था…
अंदर दाख़िल होकर नैन ने रेशमी देवी किया और शानवीर के झुक कर पैर छुए और चुपचाप जाकर एक कोने में सोफ़े पर बैठ गया..
रेणुका सबको नज़रअंदाज़ करती सीधा मालविका के करीब चली गई..
जहाँ मालविका देवी शालीन अंदाज़ में सिल्क की साड़ी और गहनों से सजी हुई सबका स्वागत कर रही थीं,,करणवीर सिंह वहीं पास बैठे मेहमानों से बातें कर रहे थे..
मालविका की नज़र ज़ब रेणुका पर गई तो वह उसे आँखे फाड़ फाड़ कर ऊपर से निचे देखती रही,,वही करणवीर तिरछी निगाहों से रेणुका को घूरने लगा…
शानवीर ने ठंडी सांस ली क्यूंकि वह जानता था अभी यहाँ कुछ ही देर में तानाशाही शुरू होने वाली है..
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
मालविका ने रेणुका को देखा तो हैरानी से बोली..”इतने सालों में तुम बिलकुल नहीं बदली हो,,आज भी वही दिहाती फैशन…हाहाहाहा…!!
करणवीर ने माथे को रगड़ा क्यूंकि उसे यहाँ औरतो के झड़प देखने का कोई शौक नहीं था…वह बस शानवीर के कहने पर आया था क्यूंकि रयान से कायल की बिजनेस पार्टनरशिप थी वरना उसे कोई फिज़ूल तमाशा देखने का कोई शौक नहीं था…प्लस उसे रेणुका या नैन से कोई सरोकार नहीं था..
“बिलकुल माला…तुम भी आज भी वैसी ही हो,,एकदम ओवर….ओवर रियेक्टिंग,ओवरफैशन एंड हमेशा की तरह ओवरस्मार्ट…सही कहा ना मैंने करण भया…!!रेणुका ने भी चोट की तो करणवीर वहाँ से खिसक गया…
रेशमी साइड से आती हुई बोली…”रेनू…मैं वह…तुझे….अब तो हम रिश्तेदार….मुझे माफ़…._____
रेणुका भी अजनबी बनती हुई साइड से चलती बनी..
रेशमी ने मुठियाँ भींच ली,,उसे बहुत रोना आया…वह इस तरह तो रेणुका से मुलाक़ात और बात हरगिज नहीं करना चाहती थी लेकिन अब हिम्मत नहीं थी…दोस्ती के परतों में वक़्त की मेल जम गई थी जो इतने आसानी से साफ नहीं हो सकती थी…
मालविका देवी लॉन्ग गाउन पर गोल्डन जूलरी का सेट पहने बड़े ठाठ से बैठी थीं..
करणवीर सिंह भी वहीं रेशमी देवी के पास बैठे शानवीर से गहरी बातें कर रहे थे..
“तुम सचमे नैन को ले कर सीरियस हो,,एक बार फिर सोच लो,,अब भी वक़्त है…रयान के लिए काफ़ी हाई क्लास के रिश्ते मिल जायेंगे…!!
"करण,,तुम किस सोच में जी रहे हो,,यार हकीकत में आओ…स्टेटस और हाई क्लास से ज़्यादा खरा किरदार और वफ़ादारी होनी ज़रूरी है…!!
फिर शानवीर रेणुका की तरफ मुड़ता हुआ बोला..”
तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो..आज से नैन हमारा बेटा हुआ,,मुझे तो नैन बचपन से ही बहुत पसंद था..घर का लड़का है और हमें ये रिश्ता दिल से मंज़ूर है..बस अब कोई नज़दीकी तारीख़ निकाल कर इनकी शादी कर देते हैं..”
नैन का गला सूखने लगा,,उसे लग रहा था जैसे कमरे की हवा भारी हो गई हो.. सब इतनी आसानी से उसकी ज़िंदगी का फ़ैसला कर रहे थे और वह कुछ कह भी नहीं पा रहा था..
"ये अपना कायल कहाँ है…!?शानवीर ने अचानक पूछा…
करणवीर सिंह ने घड़ी देखते हुए कहा –
"कायल की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए घर पर ही आराम कर रहा है,, तुम उसकी फ़िक्र छोड़ो और रायन को बुलाओ,,एक्चुअली मेरे पास ज़्यादा टाइम नहीं है…घर के लिए निकलना है…!!करणवीर बस मालविका की ज़िद पर यहाँ आया था वरना उसका मन हरगिज नहीं था कि वह यहाँ आए और किसी भी तमाशे का हिस्सा बने..
"हाँ..रायन भी आता ही होगा…"शानवीर बोले..
नैन इधर उधर देखने लगा,,अचानक उसके मुँह से निकला –
"आंटी..इनाया नहीं दिख रही…!?
रेशमी देवी ने नरमी से जवाब दिया –
"नहीं बेटा,,उसने बताया नहीं क्या..!?
आज वह अपने ससुरालवालों के साथ शॉपिंग पर गई है…!!
ये सुनकर नैन ने मन ही मन इनाया को मोटी सी गाली दी,,उसने कहा था की वह घर पर मौजूद होगी और अब पता चला कि मैडम तो ख़ुद शॉपिंग में बिज़ी है…
रेशमी देवी ने नैन को गौर से देखते हुए पूछा –
"क्या हुआ बेटा… किसी बात की चिंता है क्या…!?
नैन ने तुरंत संभलते हुए सिर हिलाया –
"नहीं आंटी,,कुछ नहीं…"
इतना कहकर वो चुपचाप वहीं बैठ गया और सोचने लगा – आख़िर मैं यहाँ आया ही क्यों हूँ..!?बड़ों के बीच मेरा क्या काम… और ये रिश्ता,जिसे ले कर सब खुश है वह मेरे लिए क्यों बोझ लग रहा है…
रेशमी देवी ने मुस्कराकर कहा –
"एक काम करो बेटा,,तुम जाकर इनाया के कमरे में बैठो क्यूंकि रयान के आने में अभी काफ़ी वक़्त है तो उसके कमरे में तुम्हारा मन भी लग जाएगा और उसके कमरे में ढेर सारी अच्छी किताबें भी हैं…”
नैन को जैसे साँस लेने का बहाना मिल गया,,उसे लग रहा था अगर थोड़ी देर और बैठा रहा तो दम घुट जाएगा.. वह तुरंत उठकर सीढ़ियाँ चढ़ गया और इनाया के कमरे में जा पहुँचा…
कमरा बहुत ही सलीके से सजा हुआ था, हर चीज़ में सलीके और नफ़ासत झलक रही थी.. नैन ने स्टडी टेबल के पास रखे बुक शेल्फ से एक किताब उठाई और पढ़ने लगा…
वह पढ़ ही रहा था कि तभी अचानक पूरे घर की लाइट चली गई…
नैन चौंककर गया,,दिल ज़रा तेज़ धड़कने लगा..अँधेरे से उसे डर नहीं लगता था लेकिन अकेले कमरे में उस सन्नाटे ने बेचैन कर दिया…
वह तेज़ क़दमों से कमरे से बाहर निकलना चाहता था पर किसी मज़बूत जिस्म से टकरा गया वो गिरते-गिरते बचा..
नैन ने नज़र उठाई तो सामने खड़े इंसान की आँखें हल्की हरी रोशनी में चमक रही थीं..वह पलभर को ठिठक गया..
"इनाया…!?उसके मुँह से अचानक निकला लेकिन अगले ही पल उसके हाथ उस चेहरे से टकराए और नुकीली दाढ़ी उसकी हथेली में चुभ गई..
नैन का चेहरा शर्म से लाल हो गया…
"शिट… ये तो…"
गुल कुछ सोच पाता की उसे उस साये ने फुर्ती से दिवार से लगा दिया,,और उसके कानो में झुके धीमे मगर भारी खतरनाक आवाज में बोला…”जिस से भी मँगनी करनी है कर लो लेकिन याद रखना तुम्हारी शादी तो मुझसे ही होगी और फिर तयार रहना,,क्यूंकि जितना तुमने मुझे तड़पाया है ना सबका बदला मैं गिन गिन कर शादी के रात लूंगा…”
नैन उसका चेहरा दूर करने की कोशिश में लग गया जो उसके गर्दन में बच्चों जैसे मुंह रगड़ रहा था..
“अह्ह्ह मिहिर…!!
इतने में ही बिजली वापस आ गई और सामने खड़ा शख्स मिहिर ही था..
“मेरी आहटों को भी तुमने पहचान लिया है और फिर भी लापरवाही का खोल चढ़ाये नाटक करते हो की मुझसे मोहब्बत नहीं है…”मिहिर बाज़ू दिवार से टिकाये नैन पर झुका था..
“मिहिर…कोई देख लेगा प्लीज…और आंटी….__
“शटअप…देख लेगा तब तो और ज़्यादा अच्छा है,,मैं भी चाहता हूं कि यहाँ अच्छा खासा तमाशा लगा कर जाऊं…”मिहिर की आँखे लाली छलकाने लगी..
नैन ने पूरे हिम्मत के साथ मिहिर का बाज़ू दबोचा और उसे इनाया के कमरे में खींच लाया…
“पागलों जैसी हरकत मत करो…क्यों अपने मोम डेड को हर्ट करना चाहते हो…जज़्बाती मत बनो और अपनी लाइफ में आगे बढ़ो…”
मिहिर ने जैसे कुछ सुना ही ना हो…
“हर्ट….और किसी के बारे में क्या सोचना ज़ब मेरे बारे में,,मेरी तकलीफ के बारे में किसी ने नहीं सोचा….__
और तुम भी गुलनैन…एक बार भी क्या तुम्हारे दिल में मेरे बारे में ख्याल ना आया,,मेरे बारे में सोचा नहीं और बस मँगनी के लिए बेज़ुबान जानवर की तरह सिर हिला दिया…”
“ये प्यार नहीं पागलपन है…तुम बच्चे हो अभी और कुछ नहीं समझते…बहुत कुछ सोचना पड़ता है,बहुत कुछ देख भाल कर कोई कदम या फैसला करना पड़ता है…ऐसे ही नहीं मुंह उठाकर कुछ भी बोल देते…उसे लोग बदतमीज़ी कहते हैँ और तुम वही बन रहे हो…”नैन उसपे गुस्सा करने लगा..
मिहिर जो बेड पर बैठा उसका भाषण सुन रहा था कि अचानक उसका दिमाग़ तप गया और उसने नैन को खींच अपने गोद में बिठा लिया..
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
मिहिर जो बेड पर बैठा उसका भाषण सुन रहा था कि अचानक उसका दिमाग़ तप गया और उसने नैन को खींच अपने गोद में बिठा लिया..
“बच्चा…हुंह सिर्फ 2 साल तुम मुझसे बड़े हो…ये भी कोई उम्र का फर्क होता है और अगर अपनी मोहब्बत के लिए सबके सामने आवाज उठाना बदतमीज़ी है तो हाँ हूं मैं बदतमीज़…
लेकिन कम से कम तुम्हारी तरह डरपोक तो नहीं हूं…चलो मान लिया तुम बहुत अच्छे और प्यारे बेटे का फर्ज निभा रहे हो लेकिन मेरी हालत के बारे में भी तो सोचो या फिर अगर मेरी मोहब्बत पर यकीन नहीं है तो मैं अपनी जान ___
नैन ने उसके मुंह पर अपनी हथेली कसके जमा ली..”बकवास मत करो वरना थप्पड़ लगा दूंगा…”
मिहिर के लिए वक़्त रुक सा गया,उसे इस पल बस नैन ही दिख रहा था..
नैन को ज़ब एहसास हुआ तो उसने मिहिर के होंटो से अपनी हथेली पीछे खींच ली..
“तो तुम मुझसे मोहब्बत नहीं करते…लेकिन मेरे मरने की बात पर चिढ़ जाते हो…”मिहिर के मजबूत बांहे उसके कमर पर कसती जा रही थी..
“तुम बिलकुल पागल हो चुके हो,,छोड़ो मुझे कितनी बार कहूँ की मुझे तुमसे कोई मोहब्बत नहीं है…मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई जज़्बात नहीं है…”नैन नज़रे फेर गया और मिहिर के बांहे अपने कमर से हटाने की जीतोड़ कोशिश करने लगा..
मिहिर ने नैन को बेड पर गिरा दिया और उसके ऊपर आते हुए बोला..”यही बात मेरी आँखों में देख कर कहो….!!
नैन ने निगाहेँ फेरी रखी,,जबरन मिहिर ने उसके गालों को नरमी से अपनी तरफ करते हुए कहा..”यही बात मेरी तरफ देख कर कहो तब मैं यकीन कर लूंगा…”
नैन का दिल काँप उठा,उसने अपनी नज़रे उठाते हुए मिहिर की हरी सबज़ आँखों में देखते हुए कहा…”में…मैं तुमसे मोहब्बत ____
मिहिर की हरी आँखे उसपे ही टिकी थी,नैन की भूरी आँखे भीगने लगी और दिल गद्दारी कर बैठा…
“मैं तुमसे मोहब्बत करता हूं_____
नैन को लेकिन झटका लगा की वह ट्रांस की कैफ़ीयत में क्या कहने वाला था…
वह अपने आप में नहीं था,,उसे खुद पर से पहरे नहीं हटाने चाहिए थे…
लेकिन अब तक बहुत देर हो चुकी थी..
मिहिर की मुस्कान देखने के काबिल थी और वही नैन का चेहरा गुलाबी पड़ गया…
“तुम्हे तो ठीक से झूट बोलना भी नहीं आता,,हाहाहाहा झुटे कहीं के….
बस यही तो सुनना था,,अब तुम देखो तुम्हे पाने के लिए मैं सारी हदों को कैसे तोड़ता हूं…”
नैन उसके जूनून से वाक़िफ़ था..
“मिहिर…नहीं तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे…खुद को तकलीफ नहीं पहुंचाओगे और….__
नैन कुछ बोल ही नहीं पाया क्यूंकि मिहिर ने उसके नाजुक लबों को चुम लिया..
“तुम्हारी क़सम कुछ गलत नहीं करूंगा ना ही होने दूंगा…तुम्हे हर जाइज़ तरिके से अपना बनाना है…!!मिहिर ने नैन को दोनों हाथों को थाम कर अपने आँखों से लगा लिया…
नैन तड़प कर उसके गले से लग गया…
मिहिर बस उसे बांहो में भरे प्यार से सहलाता रहा…
थोड़े देर बाद ज़ब इनाया रूम में आई तो उसके हाथों से शॉपिंग बैगस गिर गए..
“ओह माई गॉड…ये मैं क्या देख रही हूं….!!
नैन और मिहिर जो एक दूसरे की बांहो में समाये होंट से होंट टकरा रहे थे वह दोनों झटके से अलग हो गए..
“तू जैसा समझ रही है वैसा कुछ नहीं है…!!नैन शर्म से कट गया..
मिहिर बेपरवाह सा होगया…”हाँ ऐसा कुछ नहीं है और इतनी जल्दी क्यों आई…!?
कहा था ना अपनी गर्लफ्रेंड के साथ ज़्यादा से ज़्यादा टाइम स्पेंड करना,,अभी तो इतनी कोशिश और मनाने के बाद किश शुरू ही किया था की तू आ टपकी…!!
“ऐसा क्या….!?
लगता है मुझे अपनी बेडशीट चेंज करनी पड़ेगी…!!इनाया आँखे घुमा कर नैन को छेड़ने लगी…
“मैंने कहा ना ऐसा कुछ भी नहीं है…!!नैन चीख पड़ा तो इनाया की हंसी छूट गई..
“ओहोहो निचे मँगनी की तयारी में सब लगे हैँ और ऊपर कमरे में सुहागरात मनाई जा रही है…उफ्फ्फ मैंने तो रंग में भंग डाल ___
“कमीनी चुप कर….बेशर्म कहीं की….!!नैन इनाया के बाल खींचने लगा और मिहिर बस बैठा मुस्कुराहट लिए दोनों को देखता रहा…
“हम्म्म जाओ अब निचे तुम्हारा सब इंतेज़ार कर रहे हैँ…”इनाया ने नैन के बाज़ू में चुटकी काट ली..
“मतलब ये सब….तुम दोनों मिले हुए हो ना…!?
नैन की साँसें रुक सी गईं,,चेहरा तमतमा गया पर उसके पास जवाब नहीं था..
नैन नीचे आकर अपना साँस सँभालने लगा और खुद को अच्छी-अच्छी गालियाँ देकर सोचने लगा शायद उसके दिमाग पर पत्थर पड़ गया है जो वह मिहिर के बहकाने पर बहकता गया…
नैन ने लोगों का लिहाज़ किया और खुद को दो तीन थप्पड़ लगाने से बचा लिया..
लेकिन फिर भी दिल में मिहिर की बातें और स्पर्श याद कर गुदगुदी कर उठनी लगी..
इनाया और मिहिर भी निचे आए रेणुका के बगल में बैठे बातों में लग गए..
रायन भी थोड़ी देर में ऑफिस से लोट आया और सब से मिलकर एक सोफ़े पर बैठ गया..
नैन को बस अब वहाँ से किसी भी तरह भागना था…
रायन और इनाया बार बार नैन की तरफ़ देख मुस्कुराए जा रहा था और नैन को कोफ़्त सी होने लगी थी..
फिर रिश्ते की बात चीत कर सब चले गए…
मिहिर की नज़र एक पल के लिए भी नैन से नहीं हटी थी और यह बात नैन भी अनजाने तरीक़े से खुद पर किसी की जलती नज़र महसूस कर रहा था..
मालविका ने ज़ब मिहिर की नज़रो को नैन की तरफ उठते देखा तो पता नहीं क्यों वह तिरछी मुस्कान लिए गहरी सोच में डूब गई..
“नहीं….ऐसा नहीं हो सकता…एक बार फिर रेशमी मुझसे बाज़ी नहीं मार सकती..मुझे करण को समझाना होगा की वह मिहिर के लिए नैन को चुने लेकिन….!!
मालविका ने शानवीर की तरफ देखा जो बहुत ही शांत मिजाज से मुस्कुरा कर नैन के हाथों में रस्म की अंगूठी पहना रहा था..
“आखिर क्यों….मैं हमेशा पीछे रह जाती हूं…हर बार मैं ही क्यों मात खाती हूं…
20 साल पहले रेशमी ने भी मुझसे शान को छिना था और आज उसका बेटा…..नहीं मैं ऐसा हरगिज होने नहीं दूंगी चाहे मुझे कुछ भी करना क्यों ना पड़े…!!
रायन को नैन से अकेले रेशमी और शानवीर ने अकेले बात करने की इजाज़त भी दी लेकिन रायन ने साफ़ शब्दों में इंकार कर दिया और वही सब लोगों के बीच बैठा बातचीत करता रहा…
लोगों के जाने के बाद भी रायन थकान से अपने कमरे में बैठा दाएं हाथ की ऊँगली में चमकती अंगूठी को देखने लगा जो रेणुका ने उसे पहनाई थी..
लेकिन रयान को इन सब चीज में कोई दिलचस्पी नहीं थी,,उसे नैन बस पसंद था लेकिन कोई मोहब्बत के जज़्बात ना थे..
रयान को बस अपने छोटे भाई की खोज थी और कुछ नहीं….
और रह रह कर उसे कायल के फार्महॉउस में ईवान की याद आरही थी...
“ईवा ने खाना खाया होगा…!?
क्या कायल उसे मारता पीटता है,,वह हर घड़ी डरा सहमा रहता है…हाँ मेरे सामने कायल ने उसपे आवाज ऊँची की थी वह ज़रूर गुस्से में ईवान पर हाथ उठाता होगा…कपड़े भी अध नंगे पहनाता है…उफ्फ्फ आखिर क्यों मैं बार बार सोच रहा हूं,,नहीं मुझे कोई सरोकार नहीं है…वह कायल का निजी मामला है…!!
रयान बेड पर लेटा आँखे मुंद गया..
“मैं बस यहाँ अपने पापा की वजह से हूं,,ज़ब वह पैसे दे देंगे तो कायल सर मुझे घर वापिस जाने देंगे..”रयान को ईवान की बात याद आई..
“घटया इंसान,,पैसे के लिए किसी के बच्चे को उठाकर अपने घर पर गुलामी करवाता है…”रयान का खून खोल उठा..
लेकिन वह बेबस था क्यूंकि वह कोई नहीं था जो बिच में बोले या किसी के निजी मामले में टांग अड़ाए…
आखिर में वह सोचते सोचते गहरी नींद में चला गया…
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
जैसे ही नैन क्लास में इंटर हुआ किसी ने उसके कंधे पर बड़ी नरमी से हाथ रखते हुए कहा..."तुमने इनाया को देखा है...!?
नैन पीछे मुड़ा और पिंक प्लाज़ु और वाइट टॉप में खड़ी इशानी को देख शरारती अंदाज़ में बोला..."क्यों....!?
हर वक़्त ये निगाहेँ इनाया को ढूंढ़ती रहती है...!?
अब तो तुम दोनों की शादी होने वाली है फिर भी सब्र नाम की कोई चीज नहीं है...!!
ईशा का चेहरा शर्म से टमाटर बन गया..."गुलनैन तुम बहुत गंदे हो....जाओ मैं तुमसे बात नही करूंगी....!!
ईशा गुस्से में नैन के कंधे पर मुंह फुलाए मुक्के मारने लगी...
"तुम्हे पता है कितनी मुश्किल से मम्मी से इजाज़त ले कऱ असाइनमेंट सबमिट करने आई हूं वरना मम्मी ने तो मेरा शादी तक घर से जाना ही बेन कर दिया है...!!
नैन मुंह पर हाथ रख गर्दन तिरछी कर बोला..."मम्मी भी तुम्हारी हरकते जानती है...!!
"अह्ह्ह नैन...स्टॉप टीसिंग मी....!!ईशा को बिलकुल पसंद नहीं आया क्यूंकि हर कोई उसे इनाया का नाम ले ले कर छेड़ता रहता था...
तभी पीछे से मिहिर आ खड़ा हुआ...."एनीथिंग यु वांट....!?
ईशा ने गर्दन ऊँची कर देखी तो नैन के पीछे छुप गई...
"अरे मैं तो तुम्हारा देवर हूं,,मुझसे क्यों छिप रही हो...!!मिहिर की हरी आँखे चमकी...
ईशा और नैन की हाईट सेम थी,वह नैन के कानो में झुकते हुए बोली..."ये मुझे बहुत खतरनाक लगता है....!!
नैन ने ईशा के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा..."शशशश...उसके कान खरगोश जैसे तेज़ है....!!
मिहिर ने दाँत दिखाते हुए कहा..."और दाँत शेर जैसे तेज़ है...!!
"आवे....ये तो सचमे खतरनाक है...!!ईशा भाग खड़ी हुई तो नैन हँस पड़ा...
"फ़्लर्ट कर रहे थे...!?
नैन का दिमाग़ तप गया..."हर वक़्त फिज़ूल का शक मत किया करो...जाओ तुम्हारी नेक्स्ट क्लास का टाइम होगया है...!!
"हम्म्म जाता हूं लेकिन पुरानी लाइब्रेरी में ठीक 2 बजे मुझसे मिलने आना....नहीं आए तो खेर नहीं तुम्हारी....!!मिहिर धमका गया...
नैन बस दाँत पीस कर रह गया क्यूंकि ये बंदा हाथ से छूटते ही जा रहा था,,जिस दिन से नैन ने अपने मोहब्बत की हामी भरी थी,उस दिन के बाद से वह बोलड हो गया था...
नैन पैर पटक कर क्लास में वापिस जाके बैठ गया...
ईशा सीधा इनाया के साथ घर आई क्यूंकि इनाया की फेमली शादी की शॉपिंग पर गई थी...
इनाया उसे अपने रूम में ले आई...
"ये तुम्हारा बेस्टी नैन...मुझे हर वक़्त तंग करता रहता है...!!
इनाया मुस्कान लिए बोली..."वैसे तो वह खामोश ही रहता है लेकिन मुंह खोलता है तो हमेशा आग उगलता है...!!
पर मेरी ईशा को कौन तंग करेगा हाँ...मैं नैन की अच्छे से खबर लुंगी...!!
ईशा बेड पर झुकी थी और पीछे इनाया खड़ी उसके कमर को चुम रही थी..
“इना…अब तो हमारी शादी होने वाली है फिर भी तुझे सब्र नहीं है ना…”ईशा इनाया का हाथ अपने प्लाज़ू से हटाती हुई बोली…
इनाया ने उसका बाज़ू खिंच कर वापिस से बेड पर गिरा दिया..
“नाटक मत कर….इससे पहले जैसे हमने कुछ किया ही ना हो और ज़ब अब शादी हो रही है तो प्रैक्टिस अभी से शुरू कर दे ताकि सुहागरात के दिन फूल मज़े ___
ईशा उसके कंधे पर मुक्का मारती हुई बोली…”हट पगली….!!
इनाया ने उसकी हथेली थाम ली..
“क्या तुझे कोई एक्ससिटेमेंट या ख़ुशी नहीं है की मैं तेरे सामने मौजूद हूं,,तुझे पता है घर से सब शॉपिंग पर गए हैँ पर तेरे लिए मैं रुक कर इंतेज़ार करती रही,,सिर्फ तेरा ही एक इंतेज़ार रहता है मुझे…”इनाया ने मासूमियत का खोल खुद पर चढ़ा लिया..
“अब बंद कर नाटक….तुझे बस रोमांस का बहाना चाहिए…”ईशा हँस पड़ी…
इनाया ने उसका प्लाज़ू खींच कर निचे उतार दिया और उसके टांगो को सहलाने लगी…
ईशा ने आँखे मुंद ली…
इनाया ने अपने हाथ से हलका सा उसके टांगो के बिच गुलाबी पंखुड़ी को दबाया तो ईशा सिसक पड़ी और इनाया को अपने ऊपर खींच कर किश करने लगी…
ईशा के रेयर ओमेगा थी और इनाया डोमिनेट अल्फा…
इनाया बेदर्दी से उसके होंट को सक करती अपने हाथों से उसके टांगो के दरमियाँ सहलाती रही की तभी ईशा की चीख निकल गई ज़ब इनाया की उंगलियां उसके गहराई में समा गई…
“शश्शस…रिलैक्स….!!इनाया ने उसके बोबीज़ को टॉप के ऊपर से ही मसला तो वह काँप गई…
इनाया ने अपने कपड़े भी उतार फेंके और ईशा पर चढ़ कर थ्रर्स्ट करने लगी…
ईशा झटके खाती सिसकती ही रही कि अचानक एक सिरहन के साथ वह कम कर गई..
“ओहोहो….इतनी जल्दी….!!इनाया ने कहा और झुक कर उसके टांगो पर बहते मलाई पर ज़ुबान रख सक कर गई…
“अह्ह्ह्ह इना……या…..!!इनाया तीन उंगलियां अंदर दबाओ डालती रही,ज़ब दिल ना भरा तो पूरी तरह झुक कर अपनी ज़ुबान से उसके पंखुड़ी से रस्ते मलाई को सक करती रही…
ईशा ने इनाया का चेहरा अपने टांगो के बिच तेज़ी दबाया तो इनाया समझ गई की वह सही जा रही है…
इनाया ने उंगलियां की रफ्तार बढ़ाई तो ईशा के आँखों से आंसू बहह निकले,,वह सटिस्फैक्शन की हदों को तोड़ चुकी थी…
क्यूंकि वह कम करते ही जा रही थी…
थोड़ी देर बाद वह इनाया के गोद में बैठी हुई थी…दोनों बाथटब में बैठे थे…
“हुंह तू बड़ी जल्दी थक जाती है…”इनाया को एक और राउंड करना था पर वह ईशा की हालत देख पीछे हट गई थी…
“सॉरी…!!ईशा मायूस होगई तो इनाया ने उसे झटके से सामने कर लिया…
“डोंट से सॉरी…मैं बाद में हिसाब पूरा कर ही लुंगी…”ये कहकर इनाया ने उसके बोबीज़ को मसलना शुरू कर दिया…
ईशा बस बेक़रारी में उसके बालों में हाथ फेरती रही…
“प्लीज सक इट….!!ईशा ने कहा तो इनाया ने अपने ज़ुबान से उसके निपलस को लीक करना शुरू किया फिर बोबीज़ को लिए मुंह में सक करती तो कभी तेज़ी से बाईट करती…
ईशा की हलकी हलकी सिसकियाँ गूंजती ही रही…
फिर ईशा शॉवर के निचे खड़ी बुरी तरह इनाया से लिपटी बांहो में समाती गई..
“आई लव यु….आई लव यु सो सो मच….!!ईशा ने जैसे ही इनाया ने उसे किश कर लिया…दोनों के ज़ुबान आपस में टकराये और इनाया दुबारा से उसे सिसकने पर मजबूर करती रही…
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
(वैसे तो ये gl स्टोरी नहीं है फिर भी ऐसे ही एक स्पेशल एपिसोड लिख दिया,,इनाया और ईशा आगे भी इनके किरदार आएंगे और क्यूंकि इनाया ईशानवीर राठी परिवार की बेटी है इसलिए ये भी स्टोरी को आगे बढ़ाने और साथ ही साथ साइड करैक्टर में बड़ा रोल निभाएगी...खेर एन्जॉय करे....❣️💓🌸❤️)
ईवान सिर पकड़कर बैठा था…
लगातार दो दिन से कायल की तबीयत खराब थी और भुगतना उसे पड़ रहा था..
"ईवान बेटा…ये चिकन सूप ज़रा कायल के कमरे में दे आओ और उसका टेम्परेचर भी चेक कर लेना…" कुसुम आंटी ने कहा तो ईवान बस उन्हें देखता रह गया..
"अरे…ऐसे क्यों बैठा है…बच्चे जल्दी से सूप दे आओ…!!
"जी…दे आता हूँ…" ईवान बहुत ज़्यादा थक गया था क्योंकि सुबह से ही काम में लगा हुआ था और अभी भी वह दो मिनट आराम के लिए बैठा ही था कि कुसुम आंटी फिर से उसके सिर पर सवार हो गईं…
अब वह कुसुम आंटी के घुटनो का दर्द भी समझता था इसलिए भी वह खामोश था…
कुसुम आंटी तो ईवान के काम और उसकी फुर्ती देखकर दाद देती थीं क्योंकि ईवान सारे काम बड़े सलीके और साफ़ सुथरे अंदाज़ में करता था..जब से ईवान आया था घर उसने सँभाल लिया था,, अब हर चीज़ वक़्त पर होती थी…
कुसुम आंटी पहले अकेली कुछ नहीं कर पाती थीं लेकिन जब से ईवान आया था घर में मानो रौनक आ गई थी..
ईवान सफ़ेद शर्ट और ढीली-सी जीन्स में था,,उसने कंधों पर हल्की ग्रे शॉल डाल रखी थी और कायल के कमरे में चला गया…
कायल औंधे मुँह तकिया पेट पर दबाए सो रहा था..
ईवान ने सूप को साइड टेबल पर रख दिया…
"कायल सर…उठिए और ये सूप पी लीजिए…" ईवान ने नीचे फर्श पर गिरी शॉल उठाते हुए कहा लेकिन कायल सोया ही रहा…
ईवान चलकर कायल के बेड के पास आया और झुककर अपनी ठंडी हथेली उसकी चौड़ी पेशानी पर रखी तो कायल ने पल भर को आँखें खोलीं और अंगड़ाई लेकर सीधा हो गया..
"बुखार तो काफ़ी कम है… ख़ैर दवा असर कर गई वरना मेरी ड्यूटी तो ख़त्म ही नहीं होनी थी…" ईवान ने राहत की साँस ली और पीछे हट गया..
कायल उठ बैठा और अब वह हशाश-बशाश भी लग रहा था..
"तुम मेरे कमरे में क्या कर रहे हो…!? कायल उठते ही अपने पुराने तेवर में आ गया..
ईवान अपनी ही सोच पर हँस दिया कि वह तो कायल की आधी बेहोशी के हालत में दो रातों तक उसके सिरहाने बैठा उसका टेम्परेचर चेक करता रहा और गीली पट्टी उसके माथे पर रखता रहा… कायल को कोई होश नहीं था…वह तो बुखार की वजह से बेसुध पड़ा रहा..
"तुम मुस्कुरा क्यों रहे हो… मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ…!?
वही ठंडी और पत्थर-सी आवाज़ जो कायल के मिज़ाज की पहचान थी..
"वह… मैं बस सूप देने आया था… आपकी तबीयत ठीक नहीं थी ना…" ईवान उंगलियाँ मरोड़ते हुए बोला..
"रख दिया सूप..!?
अब जाओ और अपनी शक्ल गुम करो…" कायल के कहने पर ईवान का भी खून खौल उठा… और वह पैर पटकता हुआ वहाँ से निकल गया…
ईवान जो ठंडे मिज़ाज और संभला हुआ लड़का था,,वह भी कायल की ऐसी बात सुनकर तिलमिला उठता था..
"बेमुरव्वत, सख़्तदिल और ठंडा इंसान… कल रात से मैंने इसके लिए क्या कुछ नहीं किया लेकिन इसे क्या पता,,वैसे भी ये बंदा तो बेहोशी में पड़े थे…" ईवान बड़बड़ाता हुआ अपने छोटे से कमरे में आ गया.. जहाँ उसी छोटे से कमरे में कुसुम आंटी और उसका बिस्तर भी था…
ईवान आकर धप्प से अपने गद्देदार बिस्तर पर बैठ गया और उसका मुँह लटक गया..
"क्या हो गया बेटा…" कुसुम आंटी उसका उतरा चेहरा देखकर चिंता से बोलीं..
"आंटी… आप ही बताएं,,अगर हम किसी के साथ भलाई करें तो क्या उसका फल हमें इसी दुनिया में मिलेगा या फिर अगले जन्म में…!?
ईवान के सवाल पर कुसुम आंटी जो उंगलियों में माला फेर रही थीं,,हल्का सा मुस्कुराईं और बोलीं –
"बेटा..कर भला तो हो भला,,कर बुरा तो हो बुरा.. अगर तुम इस दुनिया में किसी के साथ अच्छा करोगे तो उसका असर भी तुम्हें इसी जीवन में मिलेगा.. लोग तुम्हारे साथ भी भलाई और अच्छे व्यवहार से पेश आएँगे..”
ईवान चुप हो गया क्योंकि उसे उसका जवाब मिल गया था..
रात अंधेरी और ठंडी थी..
थोड़ी देर बाद कुसुम आंटी भी चादर ओढ़कर सो गईं…
लेकिन ईवान जागता रहा…
ईवान के दिल में अजीब सा खालीपन उतर आया था,,
जिस ईवान को अपने पापा के बिना एक पल भी चैन नहीं मिलता था,,अब उसे हर पल उनके बिना ही गुज़ारना पड़ रहा था… और मजबूरी भी थी..
ईवान कहीं भाग नहीं सकता था क्योंकि कायल ने बहुत सख़्त पहरा लगा रखा था और सबसे बड़ी बात उसके पापा ने भी उसे कहा था कि जब तक वह कायल के पैसे वापस न कर दें तब तक ईवान को कायल के घर में ही टिके रहना है..
ईवान को इस घर में बहुत असहज और घुटन महसूस होती थी…
देखते देखते रात गहरी होती चली गई और ईवान भी आधी नींद और आधी जागी हालत में डूबता चला गया…
दूसरे दिन बड़ी हवेली से अवि लौट आया..
वह कुछ दिनों के लिए करणवीर साहब के यहाँ रहकर आया था क्यूंकि मालविका आंटी ने उसे खास इन्वाइट कर बुलाया था..
अवि आते ही बड़बड़ाने लगा और कायल से ज़िद करने लगा कि उसे फार्महाउस ले चले..
कायल लेकिन जाना नहीं चाहता था, क्योंकि उसका मिजाज कुछ भारी-भारी सा लग रहा था..
"मुझे कुछ नहीं पता तुम बस मेरे साथ अभी और इसी वक्त फार्महाउस चल रहे हो,,कितने दिन हो गए हमें अपने गाँव गए हुए..”अवि ज़िद पर अड़ा था..
"लेकिन अवि मेरी तबीयत ठीक नहीं है… ऊपर से रोज़ ऑफिस भी इसी हालत में जा रहा हूँ… थक जाता हूँ यार.. छुट्टी के दिन चलेंगे..” कायल ने उसे टालते हुए कहा..
"नहीं… मैं कुछ नहीं जानता,,हम अभी और इसी समय गाँव के लिए निकल रहे हैं और अंकल खुद चाहते हैं कि हम कहीं साथ जाकर अकेले में वक़्त बिताएँ..!!अवि ने फ़्लर्टी लहजे में कहा तो कायल ने झुंझलाकर उसका हाथ झटक दिया..
"मेरी बात कान खोलकर सुन को अवि… मैं बहुत बर्दाश्त कर चुका हूँ,,अगर तुमने दोबारा हद पार की या मुझसे बेतुकी बातें कीं तो मैं ये भूल जाऊंगा कि तुम मेरे मंगेतर हो और हाँ मेरा हाथ बहुत ज़ोर से भी पड़ सकता है..
तुम वैसे मुझ पर जबरदस्ती थोपे गए हो…अगर पापा का ख्याल न होता तो तो देखता मैं तुम्हारा क्या हाल करता.." कायल ने होंठों पर ख़तरनाक मुस्कान सजाते हुए हाथ झटककर नफ़रत से कहा..
कुछ देर तक तो अवि भी सुन्न खड़ा रहा लेकिन उसने कायल को एक सख़्त नज़र से देखा और वहाँ से निकल गया…
अपनी इस क़दर बेइज़्ज़ती पर अवि शर्म से तो कायल के सामने से चला गया लेकिन कायल जानता था कि अब वो सीधा जाकर करणवीर साहब से उसकी शिकायत करेग..
ईवान परदे के पीछे छुपा सारी बातें सुन चुका था और अब उसे सचमुच कायल से डर सा लगने लगा था…
"अगर हमारी बात छुपकर सुन ली है तो बाहर आ जाओ…"
कायल की दिल दहला देने वाली आवाज़ पर ईवान को ऐसा लगा मानो अब मौत सामने खड़ी है और उसे जवाब देना ही पड़ेगा..
ईवान शर्मिंदगी के साथ परदे के पीछे से बाहर निकला और अपनी शर्ट ठीक करते हुए कायल के सामने आकर खड़ा हो गया..
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
ईवान शर्मिंदगी के साथ परदे के पीछे से बाहर निकला और अपनी शर्ट ठीक करते हुए कायल के सामने आकर खड़ा हो गया…
"हमारी बातें छुपकर सुनते हो,,ज़रा भी शर्म नहीं आती तुम्हें..!? कायल ने उसकी बिखरी हुई हालत को देख कर सख़्त लहज़े में कहा…
"मैं बातें नहीं सुन रहा था…" ईवान ने बिना डरे जवाब दिया..
"सच में…!?
तो फिर वहाँ परदे के पीछे आप कौन सी पूजा में लीन थे..!?
ज़रा ये भी बताएं…!? कायल ने तंज़ कसते हुए कहा…
"मैं दरअसल आपसे कुछ कहने आया था…" ईवान ने नज़रें झुकाते हुए सपाट लहज़े में कहा..
"कहो क्या बात है…" कायल ने जबड़े भींचते हुए सख़्ती से कहा..
"आपकी तबीयत ठीक नहीं है और आप अभी ऑफिस से लौटे हैं,,जैसे ही आए हैं तभी से आप अवि भाई से बहस में लगे हुए हैं…खाने का वक़्त हो चुका है और आप ज़रूर भूखे होंगे..महरबानी चलकर खाना खा लीजिए…कुसुम आंटी कब से आपको आवाज़ दे रही हैं अगर वक़्त पर खाना खाएँगे तभी दवा भी वक़्त पर ले पाएँगे…" ईवान अपने ही ढंग से लगातार बोलता चला गया…
क्यूंकि उसे शुरुआत से आदत थी की अपने आस पास सबका ख्याल रखे..
कायल ईवान के इस ठहर ठहर कर बोलने पर बिल्कुल जड़ सा रह गया…
वह इतना धीरे धीरे बोल रहा था जैसे अपने ही शब्दों का बोझ उठा नहीं पा रहा हो..
वैसे भी वह था भी इतना नाज़ुक सा…
"तुम खाना ले आओ…"कायल ने कहा तो ईवान ख़ामोशी से चला गया..
कायल ने सोचा जब से वो घर आया था तभी से अवि उसके सिर पर सवार था,,मगर अवि ने एक बार भी ये नहीं पूछा कि उसने दिन का खाना खाया है या नहीं…!?
उसे कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता था,,बस अपनी बातें,अपनी ज़िद…!!
और एक ईवान था जो उसकी तबीयत,,उसके खाने पीने और दवाइयों का इतना ध्यान रखता था..हर बात पूछता था,,परवाह करता था… कभी भी लापरवाही नहीं बरती थी..
ईवान ने कायल के कमरे में खाना लगा कर ख़ामोशी से जाने लगा तो कायल बोलने लगा..
"आते समय मेरा एक छोटा सा एक्सिडेंट हो गया,,हाथ में काफ़ी दर्द है और दर्द की वजह से हाथ ठीक से काम नहीं कर रहा..अब बताओ मैं खाना कैसे खाऊँ..!? कायल ने सवालिया अंदाज़ में ईवान बगली झाँकने लगा क्यूंकि इस बात का मतलब वह समझ कर भी नहीं समझ सका था..
कायल ने हल्की सी मुस्कान के साथ ईवान का हाथ पकड़ लिया और फिर थोड़े सर्द लहज़े में कहा…
"यूँ ही खड़े खड़े मेरा मुँह देखते रहोगे या फिर मुझे खाना भी खिलाओगे…!?
ईवान ने कुछ पलों तक चुपचाप प्लेट में रखे खाने को देखा फिर धीरे से बेड पर बैठ गया,,उसके हाथ हल्के हल्के काँप रहे थे जब उसने चम्मच उठाकर कायल के मुँह के करीब किया..
कायल ने बिना कोई भाव दिखाए उसके काँपते हाथों को गौर से देखा और अंदर ही अंदर उसकी हालत देख मज़े लेते हुए उसके हाथों से खाना खाने लगा…
ईवान झुकी नज़रों से उसे खाना खिला रहा था..शर्म का बोझ इतना था कि वह निगाहेँ बस खाने पर गड़ाए रहा..
दिल तेज़ी से धक धक कर रहा था,,आज तक उसने किसी नौजवान मर्द को अपने हाथों से खाना नहीं खिलाया था बस चोंचलेबाज़ी में अपने पापा के हाथों से खाना ज़रूर खाया था…
ये सब उसके लिए नया था..
कायल उसकी हालत देख कर समझ चुका था,,ईवान बेहद शर्मीला है..
जैसे तैसे कर ईवान ने कायल को तेज़ी से पूरा खाना खिलाया और बर्तन समेट कर किचन में भागता हुआ आया..
“मेरा ही दिमाग़ खराब होगया था तो कायल सर को खाने के लिए पूछा…!!
ईवान ने लम्बी सांस ली और कामों में लग गया…
---^^^^^
ईवान शाम की पूजा कर रहा था तभी कायल उसके पास आकर खड़ा हो गया..
"ईवान… मेरी एक इम्पॉर्टेन्ट फाइल देखी है..!?
मैंने अपने ही कमरे में रखी थी अब मिल नहीं रही.. वाइट कवर वाली थी…" कायल परेशान था..
"हाँ आपके वार्डरोब के दूसरे दराज़ में पड़ी हुई है..”
ईवान ने आसन समेटते हुए कहा..
"ओह थैंक्स…" कायल अपने बाज़ू में कोट डालते हुए अपने रूम में चला गया..
"हे भगवान..कितने बड़े लापरवाह हैं,,इनकी याददाश्त कितनी कमजोर है…”ईवान छत की तरफ देखते हुए बड़बड़ाया और फिर कुसुम आंटी का पुराना कीपैड फोन उठाकर अपने पापा शरद जी से बात करने लगा..
कायल का ऑनलाइन मीटिंग था,,उसे कमरे में गए हुए दो घंटे हो गए थे तभी अचानक घर का लैंडलाइन बजा.. ईवान ने झट से रिसीवर उठाया और बोला…
"हैलो…"
"हाँ कायल सर…जी मैं घर पर ही रहूंगा और कहाँ रहूंगा,,अच्छा ठीक है…मैं फाइल भेजवाता हूँ क्या मैं ले आऊँ वह भी अभी आऊँ…!?
जी जी…कोई प्रॉब्लम नहीं है…"
ईवान ने फोन रखते ही माथे पर हाथ मार लिया…
ईवान को याद आया कि जिस फाइल का उसने बताया था,,कायल ने गलती से कोई दूसरी वाइट कवर वाली फाइल उठा ली थी..अब कायल उसे ऊपर अपने कमरे में बुला रहा था जहाँ वो मीटिंग में लगा हुआ था..
ईवान को याद आया कि असली फाइल शायद लिविंग एरिया में ही पड़ी होगी..
वह दौड़ते हुए लिविंग एरिया में पहुंचा तो सच में फाइल मैगज़ीन के पास रखी हुई मिली,,उसने माथे पर शिकन डाली और मन ही मन कायल को लापरवाह कहा फिर वह फाइल लेकर कायल के कमरे में पहुंचा जल्दी से फाइल थमाई और वापसी में जब हॉल में आया तो सामने काउच पर पैर चढ़ाए बैठे रयान को देख उसका दिल धक से रह गया..
ईवान जल्दी से वहां से निकलने लगा और बोला…
"मैं कायल सर को बुलाता हूँ…"
"मैं कायल से नहीं… तुमसे मिलने आया हूँ…!!
रयान ने आराम से कहा..ईवान ने उसे गौर से देखा,,वह हूबहू उसकी ही कॉपी था..
मतलब ईवान को एक पल को ऐसा लगा की वह आईने में अपने आपको देख रहा है..
रयान के पीछे से नैन बाहर आया तो ईवान भागकर उससे लिपट गया,,उसकी आँखों से आँसू झर झर गिरने लगे..
"मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था कि अंकल झूठ बोल रहे हैं..तुम मामा के पास नहीं थे क्योंकि तुमने हफ़्ते भर से तुम्हारा मोबाइल स्विच ऑफ आरहा था..!!
नैन ने उसके आँसू पोंछते हुए कहा..
"पापा ने बदनामी के डर से सबको कह दिया कि मैं मामा के घर गया हूँ…!!
ईवान ने भारी सांस लेते हुए कहा..
"अच्छा तो फिर तुम यहाँ क्यों हो और कायल सर के गेस्टहॉउस में क्या कर रहे हो..!?
नैन ने उसका बाजू पकड़कर सोफ़े पर बैठाते हुए पूछा…
"असल में… पापा ने कायल से बहुत बड़ी रकम उधार ली थी जो वह समय पर लौटा नहीं पाए,,तब कायल सर ने मुझे उठवा लिया और मैं मजबूरन यहाँ फँस गया..अब जब तक पापा पैसे नहीं लौटाते,,मैं इसी घर में कायल के कब्ज़े में रहूँगा…”
ईवान ने थकी हुई आवाज़ में कहा..
"कितने पैसे थे…!?
रयान के सवाल पर ईवान की आँखें भर आईं,,उसने बस सिर झुका लिया और कुछ नहीं बोला..
"बहुत बड़ी रकम थी लेकिन मुझे भरोसा है,,पापा जल्द ही सारे पैसे लौटा देंगे और फिर मैं इस कैद से आज़ाद हो जाऊंगा..”
ईवान ने जबरन हंसने की कोशिश की लेकिन उसकी हंसी खोखली थी..
नैन और रयान दोनों ने एक दूसरे को देखा,,उन्हें साफ़ पता चल गया था कि ईवान अंदर से कितना टूटा हुआ है..
“ईवान हमें बताओ,,शायद हम अंकल और तुम्हारी मदद कर पाएं..”
नैन ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए नरमी से कहा..
"नहीं… हमारी कोई मदद नहीं कर सकता..तुम दोनों मिलने आए मेरे बारे में सोचा यही मेरे लिए काफ़ी ह..अब तुम लोग चले जाओ वरना अगर कायल सर को पता चल गया कि उनकी गैरमौजूदगी में तुम मुझसे मिलने आए हो तो वह बहुत नाराज़ होंगे..”ईवान डर से काँप उठा क्यूंकि वह कायल का गुस्से और सख्ती से अच्छी तरह वाक़िफ़ था..
ईवान डर से सीढ़ियों की तरफ़ देखने लगा,,जहाँ ऊपर कायल का कमरा था..
कायल इस वक्त कमरे में अंदर बंद मीटिंग में बिज़ी था..
𝗖𝗢𝗡𝗧𝗜𝗡𝗨𝗘𝗗...
(हम्म्म पहले तो बहुत शुक्रिया सबका♥️💓💎🩵और दूसरी बात ये नॉवेल मैं ट्रांसलेट कर खुद से एडिट कर लिख रही हूं तो बहुत मेहनत पड़ रही है,,देखो एक नार्मल स्टोरी का पार्ट लिखना और एक पहले दूसरे लैंग्वेज से ट्रांसलेट कर एडिट करना काफ़ी थका देता है...
खेर अब तयार हो जाओ सब कायल के खतरनाक रोमांस के लिए....क्यूंकि जिस बंदे की शान और गरूर इतनी है वह मोहब्बत में उतना ही गिरा हुआ मिलेगा...🔥🔥🔥🔥)