प्रिया... एक बेहद खूबसूरत लड़की है, जिसने अपने मां बाप की पसंद से शादी की लेकिन उस शादी में उसे सिवाय धोखे और बेइज्जती के कुछ नहीं मिला, उसकी पूरी जिंदगी उजड़ गई जब उसे पता चला उसके पति का कही और अफेयर है। तो किस तरह से प्रिया ने खुद की जिंदगी को समे... प्रिया... एक बेहद खूबसूरत लड़की है, जिसने अपने मां बाप की पसंद से शादी की लेकिन उस शादी में उसे सिवाय धोखे और बेइज्जती के कुछ नहीं मिला, उसकी पूरी जिंदगी उजड़ गई जब उसे पता चला उसके पति का कही और अफेयर है। तो किस तरह से प्रिया ने खुद की जिंदगी को समेटा और अपनी एक पहचान बनाई क्या थी उसकी जिंदगी की मुश्किलें जानने के लिए पढ़िए दोस्तो broken hearted girl।।
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"अरे ओ लड़की, कब तक सोती रहोगी? सुबह के दस बज रहे हैं। अब उठ भी जाओ, ससुराल जाओगी तो कैसे करोगी? लगता है वहाँ जाकर हमारी नाक ही कटवाओगी।" प्रिया की माँ उस पर चिल्लाते हुए उसे उठा रही थी।
प्रिया झुंझला कर उठी। "अरे माँ, प्लीज सोने दे। बहुत नींद आ रही है, रात भर मच्छरों ने सोने नहीं दिया।"
इस पर माँ बोली, "ओह मेरी बच्ची, रात भर नहीं सोई। ठीक है, तो तू सो जा, पर उससे पहले चाय-नाश्ता तो कर ले। चाय पीकर फिर सो जाना।"
माँ ने उसकी कमजोरी पर वार किया था।
यह सौदा प्रिया को बुरा नहीं लगा। और वह जल्दी से उठी, ब्रश किया, फ्रेश होकर नाश्ता किया। अब उसकी नींद पूरी तरह से गायब हो चुकी थी। फिर वह घर के कामों में अपनी माँ की मदद करने लगी।
प्रिया को बचपन से ही ढेर सारा प्यार मिला था; उसके दादा, दादी, चाचा, चाची, सब उस पर जान छिड़कते थे। वह सबकी लाडली थी। वह पढ़ने में काफी तेज और होशियार थी, जिसकी वजह से वह अपने दादा की चहेती बनी रहती थी। हमेशा पढ़ाई में प्रथम आती थी। वह काफी दूर चलकर पढ़ने जाया करती थी और मेहनत लगाकर पढ़ाई करती थी। उसका ध्यान केवल पढ़ाई में ही रहता था।
मुश्किल से उसकी एक या दो ही सहेलियाँ थीं। उसके ज़्यादा दोस्त भी नहीं थे; उसके दादा ही उसके सबसे अच्छे दोस्त थे। वह सारी मन की बातें अपने दादा से कहती थी। धीरे-धीरे उसने बारहवीं फर्स्ट डिवीजन से पास कर ली थी। उसके बाद वह शहर आ गई थी, अपने माता-पिता के पास। उसके माता-पिता गाँव से शहर आ गए थे, रोज़गार के लिए। यहीं उन्होंने एक कमरे का घर किराए पर ले रखा था। उसी में उसके भाई-बहन सब रहते थे; वह एक मध्यमवर्गीय परिवार थी। पर सबमें बहुत मोहब्बत थी।
शहर आकर भी उसने बाहर की दुनिया नहीं देखी थी; वह कभी कहीं घूमने नहीं गई थी। उसके घर में उसे समझाया गया था कि जहाँ भी जाना है, अपने पति के साथ जाना। और उसने यह बात गाँठ भी बाँध ली थी। उसने स्नातक की परीक्षाएँ भी अपने पापा के साथ दी थीं।
एक साल उसने कंप्यूटर भी सीखा; काम उसने करीब-करीब सब सीख लिए थे। रिया ने स्नातक पूरा किया, जिसमें उसने द्वितीय श्रेणी हासिल की। पर उसमें भी वह खुश थी।
एक दिन उसके शादी के लिए रिश्ता आया। रिश्ता ठीक था, तो उसके पापा ने तय कर दिया; लेकिन रिश्ता होने के बाद जब उन लोगों को उसके परिवार की गरीबी का पता चला, तो उन्होंने वह रिश्ता तोड़ दिया। जिससे सबको बेहद दुःख हुआ। वह सबको लाडली थी; सबको यही रहता था कि उसको कोई दुख न हो। पर सगाई होने के तुरंत बाद वह टूट गई थी। पर सही मायनों में उसे कोई दुख नहीं था, बल्कि वह तो सगाई में मिले तोहफों से खुश थी। पर यह बात उसने ज़ाहिर नहीं होने दी, वरना बेहद मार पड़ती उसको।
पर एक ही दिन सगाई होकर उसी दिन टूटना, यह बात उसके दादा बर्दास्त नहीं कर पाए, और इस सदमे ने उनकी जान ले ली थी। दादा का अचानक जाना रिया को अकेला कर गया था। उनकी मौत का सदमा उसको इस कदर लगा था कि उसकी आँखों से एक भी आँसू नहीं आया था। वह बस अपने दादा के मृत शरीर को देखे जा रही थी। एक ऐसा लम्हा था, हर कोई उसको देखकर रो रहा था।
बहरहाल, उसके बाद, उसके पापा ने अपने बचपन के दोस्त के ऊपर प्रिया की सारी ज़िम्मेदारी सौंप दी थी और बोला था, "इसको अपनी बेटी समझना। तू जैसा इसके लिए करेगा, हमें मंज़ूर होगा।" क्योंकि उसकी पहली सगाई टूटने से उसके पापा का दिल टूट गया था।
इसलिए उन्होंने प्रिया का रिश्ता कराने की सारी ज़िम्मेदारी अपने दोस्त को दे दी थी। और जल्दी ही उसके पापा के दोस्त ने अपनी ही किसी रिश्तेदारी में उसका रिश्ता तय भी कर दिया था। एक बार फिर सारी तैयारी शुरू हो गई थी; शादी की तारीख भी तय कर दी गई थी।
प्रिया को किसी भी चीज़ की कोई जानकारी नहीं थी। उसको बस इतना पता था कि जो उसके घरवाले करेंगे, सब ठीक ही करेंगे। और फिर कुछ समय बाद शादी का दिन भी आ गया था। उसके पापा ने अपनी औकात से बढ़-चढ़कर शादी में खर्चा किया था; जितना हो सका, सब कुछ उतना अच्छा करने की कोशिश की थी। और गाँव के लोगों की नज़र में सब कुछ बेहद बेहतरीन था।
प्रिया शादी करके ससुराल पहुँच चुकी थी। प्रिया की शादी उसके माँ-बाप की मर्ज़ी से कुणाल से हो गई थी।
कुणाल का व्यवहार अजीब सा था प्रिया के साथ, और प्रिया को उसके परिवार का व्यवहार भी रूखा सा लग रहा था। कुणाल तीन बहनों का इकलौता भाई था; शादी के बाद ढेरों सपने लिए प्रिया ससुराल आ गई थी। सब कुछ उसे काफी अच्छा लग रहा था।
लेकिन धीरे-धीरे परिवार के लोगों की कड़वाहट उसे दिखने लगी थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है उसके साथ। उसकी सास हमेशा उससे खींची-खींची सी रहती थी। ननद उसके द्वारा लाए गए दहेज के सामान को देखकर ताने मारती रहती थी; दहेज में कार न मिलने का ताना, शादी में ज़्यादा खास सामान न मिलने का ताना।
पर प्रिया नादान थी। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह तो बस उस समय अपने पति में खोई सी रहती थी। शायद नई-नई शादी थी। वह अपने पति से बेहद मोहब्बत करने लगी थी; हर वक्त उसी के ख्यालों में डूबी रहती थी। लेकिन अकेली बहू होने के कारण जो प्यार, मान-सम्मान प्रिया को मिलना चाहिए था, वह उसे नहीं मिलता था।
कुणाल की बहनें अपने-अपने में ही खोई रहती थीं; किसी को कोई काम हुआ तो प्रिया की याद आ गई, वर्ना कोई मतलब नहीं था। किसी को उसकी सास केवल नाम की सास थी; बहू से ज़्यादा बेटियों का पक्ष लेती थी। सबको बस काम के समय प्रिया की याद आती थी। लेकिन कुणाल के प्यार में वह सब कुछ भूल जाती थी।
फिर एक दिन, प्रिया जैसे ही सोकर उठी तो उसने देखा कि उसकी बड़ी ननद अपने बच्चों के साथ सुबह-सुबह आ गई थी। उसको ऐसे आया देख, सभी लोग परेशान हो गए। थोड़ी देर बाद उसने बताया कि उसकी सास उसे जरा-जरा सी चीज़ों पर ताने मारती हैं, और आज तो उसने सबके सामने उसकी बेइज़्ज़ती की और उसके पति ने उस पर हाथ उठाया था; वह इसलिए गुस्से में मायके चली आई थी।
प्रिया को उसके बारे में जानकर दुःख हुआ, और वह सुबह के नाश्ते की तैयारी में जुट गई। सास ने आदेश दे दिया था कि सारा नाश्ता उनकी बेटी की पसंद का बनेगा। प्रिया ने सब तैयार कर दिया, और कुणाल को ऑफ़िस भेजकर साफ़-सफ़ाई में लग गई; फिर कपड़े धोकर सुखा दिए। इस बीच दोनों माँ-बेटी उसके ससुराल की बातें कर रही थीं।
इतने में सास की आवाज़ आई, "दोपहर का कुछ खाना मिलेगा या नहीं? आज सुबह खाली नाश्ता किया गया था, और मैं अब देखो, एक बज रहा है।"
प्रिया जल्दी से खाना बनाने में जुट गई, और दोनों माँ-बेटी को खाना खिलाया, फिर सारे बर्तन साफ़ किए और झाड़ू-पोछा किया। फिर उसने सोचा, थोड़ी देर आराम करके शाम के खाने की तैयारियाँ करूँगी। वह आज अपने पति के लिए उनकी पसंद का खाना बनाने की सोचने लगी और लेटे-लेटे प्लानिंग करने लगी, अपने पति को आज यह खिलाएगी, यह करेगी, ऐसे उनका ध्यान रखेगी।
यह सोचते-सोचते उसकी आँखें लग गईं। उसे सोए दस मिनट ही हुए थे कि उसे कुछ चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई दीं। वह जल्दी से उठकर बाहर की ओर भागी। तो उसने देखा कि उसकी सास नीचे गिरी हुई थीं और उसकी ननद उन्हें उठाने की कोशिश कर रही थीं।
उसने अपनी ननद को बच्चों के साथ घर रहने को कहा, फिर उसने जल्दी से एम्बुलेंस को फ़ोन किया और अपनी सास को लेकर अस्पताल की ओर रवाना हो गई। रास्ते में उसने सोचा, अपने पति को फ़ोन करके अस्पताल ही बुला लूँ, वह अकेली कैसे क्या करेगी। यह सोचकर उसने कुणाल को फ़ोन किया। पहली बार में कुणाल ने फ़ोन नहीं उठाया।
तीसरी बार में उसने फ़ोन उठाया; फ़ोन उठाते ही वह भड़क गया और बोला, "प्रिया, क्यों बार-बार फ़ोन कर रही हो, मैं बहुत ज़रूरी मीटिंग में हूँ।"
तब प्रिया ने कहा, "मेरी बात तो सुनो," लेकिन उसने बिना सुने ही फ़ोन काट दिया। एम्बुलेंस तेज़ी से अस्पताल की ओर जा रही थी।
रेड लाइट पर एम्बुलेंस रुकी तो उसने कुणाल को बाइक पर देखा, और देखा कि एक लड़की कुणाल के साथ उसकी कमर में हाथ डालकर बैठी हुई थी। इसे देखकर प्रिया की तो जैसे जान ही निकल गई; वह अपनी सास को लेकर अस्पताल जा रही थी, लेकिन उस समय वह खुद बेहोश हो गई थी।
तब नर्स ने उसे जगाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं उठ पाई; फिर उन दोनों सास-बहू को अस्पताल में एडमिट कर दिया गया। और दोनों के एडमिट होने की खबर उनके घर पहुँच गई।
ये देखकर प्रिया की जान ही जैसे निकल गई। वह अपनी सास को लेकर अस्पताल जा रही थी, किन्तु उस समय वह खुद बेहोश हो गई थी।
तब नर्स ने उसे जगाने की कोशिश की, पर वह नहीं उठ पाई। फिर उन दोनों सास-बहू को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया।
और दोनों के भर्ती होने की खबर उनके घर पहुँच गई। नर्स ने प्रिया के घर पर फ़ोन कर दिया था। प्रिया की ननद ने फ़ोन उठाया था। प्रिया के भी बीमार हो जाने की बात सुनकर उसने जल्दी से अपने भाई और पिताजी को फ़ोन करके सारी बात बता दी, और खुद भी हॉस्पिटल के लिए निकल गई।
कुछ ही देर में प्रिया की सास को होश आ गया था। फर्श पर गिरने की वजह से उनकी कमर की हड्डी फ्रैक्चर हो गई थी, लेकिन प्रिया को अभी होश नहीं आया था। कुणाल और बाकी सब परेशान हो गए थे।
थोड़ी देर में डॉक्टर प्रिया को चेक करके वापस आई, और आते ही उसने बताया, "प्रिया माँ बनने वाली है।" यह खबर सुनकर जहाँ प्रिया की ननद, सास, ससुर खुश हो गए, वहीं कुणाल ना जाने क्यों उदास सा हो गया था, लेकिन कुछ बोल नहीं पाया।
थोड़ी देर में प्रिया को भी होश आ गया था। उसने देखा, कुणाल ठीक उसके सामने खड़ा है। वह कुछ बोल नहीं पाई, बस चुपचाप काफी देर तक कुणाल को देखती रही। कुछ औपचारिकता के बाद दोनों सास-बहू को डिस्चार्ज कर दिया गया। हॉस्पिटल से घर का रास्ता खामोशी से गुज़रा।
प्रिया जैसे ही अपने कमरे में गई, उसे सब कुछ पराया सा लग रहा था। शादी के तीन साल उसने उस घर, उस कमरे में बिताए थे; आज हर चीज़ उसको अजनबी सी लग रही थी। वह रोना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थी, पर उसकी हालत अजीब सी थी; वह कुछ भी नहीं कर पा रही थी। इन उलझनों के बीच वह आँखें बंद करके लेटी रही, पर उसकी आँखों में दूर-दूर तक नींद नहीं थी।
आज उसे उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी और सबसे बड़ा ग़म दोनों मिले थे।
तभी दरवाज़े पर हल्की सी आहट हुई। कुणाल कमरे में आया। उसने देखा, प्रिया आँखों पर अपनी बाजू रखे लेटी थी। कुणाल को थोड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि प्रिया हमेशा कुणाल के आने का इंतज़ार करती थी, और उसने आज क्या-क्या काम किया, क्या बनाया, क्या खाया, किन लोगों से बात की, सारी बातें कुणाल के ना चाहते हुए भी उसको सुनाने बैठ जाती थी, और जब तक पूरी बात खत्म नहीं कर लेती थी, तब तक उसको सोने नहीं देती थी। लेकिन ये क्या, आज ऐसा कुछ नहीं था। प्रिया ने कुणाल के कमरे में आने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
कुणाल को लगा, शायद आज काफी थक गई होगी इसलिए सो गई है। वह उसे बिना कुछ कहे प्रिया की साइड में जाकर लेट गया और...
कुणाल को यकीन हो चुका था कि प्रिया सो चुकी है क्योंकि वह आँखों पर अपनी बाजू रखकर लेटी थीं। मौका पाकर कुणाल ने फ़ोन निकाला और बेख़बर होकर टीना से चैट करने लगा।
प्रिया को एहसास हो चुका था कि कुणाल उसी लड़की से बात कर रहा है जिसे आज सुबह उसने उसके साथ बाइक पर देखा था। यह सोचते हुए कब उसकी आँखों को आँसुओं ने भर लिया था, उसे पता ही नहीं चला। और इन सबसे बेख़बर कुणाल अपने ही ख्यालों में गुम, टीना से प्यार भरी बातें करने में व्यस्त था।
टीना से उसकी दोस्ती प्रिया से शादी से पहले की थी। टीना कुणाल के ऑफ़िस में ही काम करती थी। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती कब प्यार में बदली, उन्हें पता ही नहीं चला था। उनका प्यार इतना गहरा हो चुका था कि प्रिया से शादी के बाद भी कुणाल अपना रिश्ता खत्म नहीं कर पाया था। टीना जानती थी कुणाल शादीशुदा है, पर वह कुणाल के बिना नहीं रह सकती थी क्योंकि कुणाल उसके ऑफ़िस का सबसे आकर्षक व्यक्ति था; कमाल का शरीर था उसका। टीना बस कुणाल के साथ कुछ रातें गुज़ारना चाहती थी। कुणाल से पहले भी वह स्मार्ट और अमीर लड़कों के साथ रातें गुज़ार चुकी थी, लेकिन जबसे उसने कुणाल को देखा था, वह बस उसे पाना चाहती थी; उसके साथ सोना चाहती थी। कुणाल शादीशुदा है, यह जानते हुए भी बस वह किसी भी सूरत में कुणाल का साथ चाहती थी। कुणाल टीना से बेहद प्यार करने लगा था, लेकिन उसने कभी भी टीना के जिस्म की ख्वाहिश नहीं की थी; वह उससे दिल से चाहता था। उसने सोचा था प्रिया से शादी के कुछ महीनों के बाद ही वह कुछ न कुछ करके प्रिया से तलाक ले लेगा और टीना से शादी करेगा। लेकिन प्रिया से शादी के बाद वह उसमें कुछ कमी ही नहीं निकाल पाया और इन्हीं सब चक्करों में उसकी शादी को तीन साल हो गए और उसे प्रिया से पलगाँव सा हो गया था क्योंकि वह थी ही ऐसी बेहद मासूम, खूबसूरत और आकर्षक थी। कुणाल चाहकर भी उससे दूर नहीं रह पाया, और आज वह पिता बनने वाला था; यह सुनकर वह उदास हो गया था क्योंकि अगर वह बाप बन गया तो कभी भी प्रिया को नहीं छोड़ पाएगा। और दूसरी ओर वह टीना को भी नहीं छोड़ना चाहता था। इन्हीं सब सोचों में गुम वह टीना से प्यार भरी बातें कर रहा था। दूसरी ओर प्रिया को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था; उसकी हालत अजीब सी हो रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था; भगवान ने उसे जो खुशी दी थी, उसको लेकर वह खुश होना चाहती थी, पर हो नहीं पा रही थी। उसका तकिया रोते-रोते कब का भीग चुका था और ना जाने कब वह नींद के आगोश में जा चुकी थी। कुणाल भी टीना से कहीं बाहर मिलने का वादा करके सो चुका था।
अगली सुबह प्रिया कुणाल से पहले उठ चुकी थी। उसका पहला महीना था बेबी का, तो उसको काफी कमज़ोरी महसूस हो रही थी। उसकी सास ने कुणाल से कहा, "आज तुम प्रिया को डॉक्टर के पास ले जाना।"
यह सुनते ही कुणाल के माथे पर बल पड़ गए। उसने साफ़ इंकार कर दिया क्योंकि उसको तो आज टीना के साथ घूमने जाना था। कुणाल का इंकार करना प्रिया ने सुन लिया था क्योंकि दोनों माँ-बेटे की आवाज़ें दरवाज़े से बाहर तक आ रही थीं।
कुणाल के मना करने पर उसकी माँ ने बोला, "बेटा, मेरी कमर में अभी फ्रैक्चर है, वरना मैं ही ले जाती। और बेटा, उसकी इस हालत में डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है।"
अपनी सास का कंसर्न देखकर प्रिया को हैरानी हुई। लेकिन कुणाल ने साफ़ इंकार कर दिया और तेज़ी से कमरे के बाहर आने लगा। कुणाल को आता देख प्रिया साइड में पड़े बॉक्स के पीछे छुप गई थी ताकि कुणाल उसको ना देख सके। लंबा डिग भरता हुआ कुणाल एक पल में ही घर से बाहर चला गया। प्रिया भी अपने कमरे में आ गई थी।
प्रिया अपने कमरे में बेचैन होकर इधर-उधर टहलती रही। तभी उसके पास उसकी एक पुरानी सहेली रीमा का कॉल आया।
रीमा: "हेलो प्रिया, कैसी हो? कितने दिन हो गए तुमसे बात किए हुए?"
प्रिया: "हाँ रीमा, मैं ठीक हूँ। तू बता, कैसी है?"
अपने दुख को अंदर ही अंदर छिपाते हुए एक झूठी मुस्कराहट के साथ प्रिया ने जवाब दिया।
"मैं कैसी हूँ, यह सब छोड़ो। तुम और बीस मिनट में तैयार हो जाओ; मैं तुम्हें लेने आ रही हूँ।"
"लेने आ रही हो? पर क्यों? और कहाँ लेके जाओगी?" प्रिया ने हैरानी से पूछा।
"मैं आकर बताती हूँ। तू तैयार रह।" इतना कहकर रीमा ने फ़ोन काट दिया, और प्रिया बेमन से तैयार होने लगी। थोड़ी ही देर में रीमा आ गई और सीधा प्रिया के कमरे में चली गई। रीमा प्रिया की बचपन की दोस्त थी; उसका जब भी मन करता था, वह प्रिया से मिलने उसके ससुराल पहुँच जाती थी। शुरू-शुरू में प्रिया की सास को रीमा का अचानक से आ जाना बुरा लगता था, लेकिन रीमा ने जबसे महंगे गिफ़्ट और प्रिया की सास की तारीफ़ें करना शुरू किया था, उन्हें रीमा भाने लगी थीं; अब वह रीमा का इंतज़ार करती थीं – कब आएगी और महंगे गिफ़्ट और साड़ियाँ लेकर।
रीमा: "प्रिया, तुम तैयार नहीं हुई?"
प्रिया: "हाँ रीमा, मैं हो रही हूँ। पर तुम बताओगी हम जा कहाँ रहे हैं?"
रीमा: "यह सब मैं तुम्हें बाद में बताऊँगी। पहले तुम जल्दी से रेडी हो जाओ; तब तक मैं तेरी लालची सास से मिलकर तुम्हें ले जाने की परमिशन ले आऊँ।"
प्रिया ने हाँ में सिर हिला दिया और तैयार होने लगी। दूसरी ओर रीमा ने एक खूबसूरत सी बनारसी साड़ी प्रिया की सास को देकर प्रिया को अपने साथ ले जाने की परमिशन ले ली और साथ ही साथ प्रिया की सास ने उसे डॉक्टर को दिखाने को भी बोल दिया था। रीमा ने हाँ में सिर हिलाया और प्रिया को लेकर बाहर आ गई।
रीमा ने प्रिया को आराम से बैठाया और सीट बेल्ट लगा दी और खुद धीरे-धीरे गाड़ी चलाने लगी।
रीमा: "प्रिया, मुबारक हो मेरी जान! आखिर तुमने मुझे मासी बना ही दिया।"
बदले में प्रिया कुछ नहीं बोल पाई और उसकी आँखों में कुछ आँसू आ गए। प्रिया को इतना खामोश देखकर रीमा को अजीब लगा; उसने पूछा, "क्या हुआ प्रिया? तू ठीक तो है ना? आज तक इतना खामोश तुझे कभी नहीं देखा।"
प्रिया (झूठी मुस्कान के साथ): "अरे बाबा, कुछ नहीं हुआ। बस थोड़ी कमजोरी लग रही है।" प्रिया ने अपनी उदासी छिपाते हुए कहा।
रीमा: "ओह, आई सी। डोंट वरी, डियर। हम सबसे पहले डॉक्टर के पास चलेंगे, ओके?"
डॉक्टर को दिखाने के बाद रीमा प्रिया को लेकर एक जाने-माने फाइव स्टार होटल में ले गई। वहाँ उसके कॉलेज के और भी दोस्त थे। रीमा ने बताया, "हम सबका अचानक मिलने का प्रोग्राम बन गया और आज राहुल का बर्थडे भी है, तो सबने सोचा पार्टी की जाए।"
सभी दोस्तों से मिलकर प्रिया को कुछ अच्छा सा लगा; उसका मूड काफी हद तक ठीक हो चुका था। एक-एक करके सभी दोस्त चले गए थे; अब केवल प्रिया और रीमा ही बची थीं। रीमा प्रिया को लेकर पास में ही बने एक कपल पार्क में ले गई। दोनों कुछ देर तक एक बेंच पर बैठकर अपने कॉलेज के दिनों को याद करते रहे; तभी रीमा का एक कॉल आ गया था। रीमा प्रिया को वहीं बैठाकर बात करने पार्क से बाहर चली गई क्योंकि उसको कुछ खरीद कर भी लाना था ताकि वह दोनों पार्क में बातें करते हुए खा सकें।
रीमा के जाने के बाद प्रिया ने अपने आस-पास का माहौल देखा; वहाँ पर कितने ही लड़के-लड़कियाँ हाथों में हाथ डालकर बैठे थे और एक-दूसरे में ही खोए हुए थे। तभी ठीक उसके सामने घनी झाड़ियों के पीछे बनी बेंच पर उसको एक जाना-पहचाना सा चेहरा दिखाई दिया। उसका मुँह सामने की ओर था तो वह प्रिया को नहीं देख पाया था, लेकिन प्रिया उसे साफ़ देख सकती थी।
कुणाल के साथ टीना भी थी; दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए बैठे थे और देखते ही देखते टीना कुणाल के बेहद करीब आ गई थी। कुणाल और टीना की साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं।.........
कुणाल की बेवफ़ाई पर क्या करेगी प्रिया? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों!
टीना को इतने करीब पाकर कुणाल अपना होश खो बैठा था। उसने अपने होंठ टीना के होंठों से सटा दिए, और दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को किस करने लगे। किस करते हुए कुणाल के दोनों हाथ टीना के शरीर पर चल रहे थे; वह कभी टीना की पीठ सहला रहा था, कभी उसकी छाती को छू रहा था। वे भूल गए थे कि वे पार्क में हैं। तभी पार्क में अचानक एक शोर हुआ; एक जोड़े में झगड़ा शुरू हो गया, और देखते ही देखते दोनों में मारपीट होने लगी। कुणाल और टीना तब तक अलग हो चुके थे, और कुणाल टीना का हाथ पकड़कर उसे पार्क से बाहर ले गया।
प्रिया पत्थर की मूर्ति सी हो गई थी; उसके शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। उसका पति उसी के सामने किसी और को किस कर रहा था, छू रहा था; प्रिया के शरीर में जान ही नहीं बची थी।
तभी रीमा ने प्रिया को झकझोर कर जगाया। प्रिया निढाल सी रीमा के ऊपर गिर गई थी। रीमा ने उसे बेंच पर बिठाया और पानी पिलाया।
रीमा ने पूछा, "क्या हुआ? तुझे किसे देख रही थी?"
इतना कहना था कि प्रिया फूट-फूट कर रोने लगी। प्रिया ने रीमा को कुणाल और उसके धोखे की पूरी कहानी सुनाई। यह सब सुनकर रीमा का गुस्से से बुरा हाल था।
रीमा: "प्रिया, तुम रोना बंद करो और यह बताओ, वो दोनों किस ओर गए हैं?"
प्रिया ने अपने हाथ से सामने वाले रास्ते की ओर इशारा किया।
रीमा: "ओके, तो प्रिया, चलो मेरे साथ।"
रीमा और प्रिया कुणाल का पीछा करने लगीं। पार्क से निकलते ही प्रिया को कुणाल दिखाई दिया। टीना भी साथ थी। दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थाम रखा था। तभी उनके सामने एक कैब आकर रुकी, और दोनों उसमें बैठकर चले गए।
रीमा: "प्रिया, तुम यहीं रुको; मैं गाड़ी लेकर आती हूँ।"
इतना कहकर रीमा गाड़ी लेने चली गई, और प्रिया उस कैब को जाते हुए अपनी आँखों से देखती रही, और ना जाने कितने आँसू उसकी आँखों से गिरते रहे।
बहुत देर इंतज़ार नहीं करना पड़ा; रीमा जल्दी ही गाड़ी लेकर आ गई, और प्रिया को गाड़ी में बैठने के लिए कहने लगी। लेकिन प्रिया के पाँव जैसे जम गए थे; उसकी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह थोड़ा सा आगे चलकर रीमा के साथ गाड़ी में बैठ जाए। वह खाली नज़रों से उसी ओर देखे जा रही थी जिस ओर उसका पति अपनी गर्लफ्रेंड के साथ, उसका हाथ थामे, गया था।
तभी रीमा को लगा कि प्रिया इस तरह से उसके पास नहीं आएगी, तो वह गाड़ी से उतरकर प्रिया के पास आई। उसके कंधों को पकड़कर झुझलाते हुए बोली, "क्या तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा है? ऐसे समय पर ऐसे ही बैठे रहोगी? हाँ, मैंने तुम्हें कहा ना, चलो मेरे साथ; आज तुम्हारे पति को हम रंगे हाथ पकड़ेंगे, और उसके बाद देख मैं उसे कैसे सबक सिखाती हूँ।"
रीमा की बात सुनकर प्रिया अपने होश में वापस आई, और वह रीमा का हाथ पकड़कर कहने लगी, "लेकिन हम कहाँ जा रहे हैं? मुझे उसका पीछा नहीं करना है। मेरी बात सुनो, रीमा; मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है कि मैं कुणाल की बेवफ़ाई इस तरह से अपनी आँखों से देखूँ। मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है।" प्रिया को इस तरह टूटा हुआ देखकर रीमा का भी दिल कटरा-कटरा सा हो गया, लेकिन उस वक्त वह प्रिया के सामने ढीला नहीं पड़ सकती थी। उसने एक बार फिर उसके कंधों को पकड़ा और कहने लगी, "तू चल मेरे साथ।" ऐसा कहकर उसने जबरदस्ती उसे अपने साथ गाड़ी में बिठा लिया।
और जल्दी ही जिस ओर एक कैब में कुणाल और टीना गए थे, उसके पीछे रीमा ने अपनी गाड़ी दौड़ा दी, और थोड़ी देर बाद तेज ड्राइव करने पर सामने ही उन्हें वह कैब दिखाई देने लगी।
प्रिया ने जैसे ही उस कैब को देखा, उसे ऐसा लगा मानो कि उसकी पूरी ज़िंदगी ही पलट गई हो। उस कैब में उसका पति जा रहा था, जिसके साथ उसने जीने-मरने के सपने देखे थे, जिसके साथ उसने अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ारने का ख़्वाब देखा था, जो कि उसके होने वाले बच्चे का बाप था। और वह यूँ, उसके आँखों के सामने जा रहा था, वह भी किसी और के साथ; उसे रह-रहकर बहुत ही ज़्यादा बुरा लग रहा था, और रीमा उसके मन की हर बात को अच्छी तरह से समझ रही थी।
लेकिन फ़िलहाल उसे अपनी प्यारी सहेली का साथ देना था; उसे इस तरह से मुसीबत में अकेला वह किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ सकती थी। रीमा उसे पूरे रास्ते संभालती हुई चली गई और कहने लगी, "तुम्हें इस तरह से हिम्मत नहीं हारनी है; तुम्हें दिमाग से काम लेना होगा, प्रिया। तुम इस तरह से टूट नहीं सकती हो।" प्रिया के कानों में रीमा की बातें तो गूंज रही थीं, लेकिन वह क्या कहना चाह रही थी, वह सोचने-समझने की शक्ति खो बैठी थी।
वह कैब शहर के एक थर्ड क्लास होटल के सामने रुकी। जैसे ही रीमा और प्रिया ने देखा, दोनों हैरान हो गईं, और प्रिया जो सोच रही थी, वह भी रीमा सोचने लगी थी। और अब प्रिया को अपनी टाँगों में एकदम जान सी निकलती महसूस हो रही थी। उसे ऐसा लग रहा था मानो कि उसके पाँव बिल्कुल बर्फ के जैसे जम गए हों; उसके पैरों से ठंडी-ठंडी सी हवाएँ निकलने लगी थीं। रीमा ने अपना हाथ प्रिया के हाथों पर रख दिया और कहने लगी, "रिलैक्स; तुझे बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हारनी है; समझ गई ना?" ऐसा कहकर उसने सामने देखा; एक बार फिर कुणाल और टीना दिखाई दिए, जो कि दोनों एक-दूसरे के हाथों में हाथ डाले हुए थे।
तभी रीमा ने प्रिया से कहा, "एक काम कर; कुणाल को फ़ोन कर।"
प्रिया: "क्या? या...या..."
जैसे ही प्रिया ने यह सुना, वह थोड़ी हैरान हो गई और कहने लगी, "यह तुम क्या कह रही हो? कुणाल मेरी आँखों के सामने है, तो भला मैं उसे फ़ोन क्यों करूँ?"
तभी रीमा प्रिया की ओर देखकर कहने लगी, "वह तो मुझे भी पता है कि वह तेरी आँखों के सामने है, लेकिन फिर भी मैं यह देखना चाहती हूँ क्या उसके अंदर थोड़ी बहुत शर्म बची है या नहीं; और मैं यह देखना चाहती हूँ कि वह तेरी बातों का क्या जवाब देता है। हो सकता है कि तेरा फ़ोन आने पर वह जो कुछ करने जा रहा है, वह रुक जाए, और उसे यह याद आ जाए कि उसकी शादी ऑलरेडी तेरे साथ हो चुकी है।"
जैसे ही रीमा ने यह कहा, प्रिया केवल उसे देखती रही, और फिर प्रिया ने अपना फ़ोन निकाला, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह कुणाल को फ़ोन कर सके।
तभी रीमा उसके हाथ से फ़ोन लेकर कुणाल को फ़ोन मिला दिया। कुणाल उस वक़्त कैब वाले को पैसे दे रहा था। और जैसे ही प्रिया का फ़ोन आया, वह काफी ज़्यादा चौंक गया। और तभी टीना ने भी प्रिया का नंबर कुणाल के फ़ोन में देख लिया, और उसने जल्दी से कुणाल का हाथ पकड़ लिया और कहने लगी, "डार्लिंग, चले; जो काम हमने पार्क में स्टार्ट किया था, उसे हम यहाँ इस होटल के कमरे में फ़िनिश करेंगे।"
टीना तो वैसे भी शुरू से ही कुणाल के साथ शारीरिक संबंध चाहती थी; तो आज जो कि उसे मौका मिल रहा था, तो वह इस तरह से पीछे नहीं हटने वाली थी। कुणाल ने प्रिया का फ़ोन नहीं उठाया; यह देखकर रीमा गुस्से से आग बबूला हो उठी। उसने एक बार फिर कुणाल को फ़ोन लगा दिया, और इस बार कुणाल ने फ़ोन उठा लिया और कहने लगा, "तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है? तुम्हें पता नहीं है मैं ऑफ़िस में हूँ? तो ऑफ़िस टाइम में तो मुझे बार-बार फ़ोन करके परेशान क्यों कर रही हो?"
प्रिया ने एक भी शब्द नहीं बोला। कुणाल ने उधर से इतनी सारी बातें सुनकर प्रिया का फ़ोन काट दिया और कहने लगा, "आइन्दा से मुझे फ़ोन मत करना; समझी तुम?" ऐसा कहकर उसने फ़ोन काट दिया, और फिर वह अपने सामने खड़े कुणाल को देखती रही, और कभी एक नज़र वह फ़ोन को देख रही थी।
तभी रीमा गुस्से से बोली, "साला बास्टर्ड! मेरी आँखों के सामने खड़ा हुआ है अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रंगरलियाँ बनाने के सपने देख रहा है, और मेरी दोस्त का फ़ोन काट रहा है!" रीमा को उस वक़्त बहुत तेज़ कुणाल पर गुस्सा आ रहा था। उसका दिल कर रहा था कि अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाए, कुणाल और टीना दोनों को अपनी गाड़ी के पहियों के नीचे कुचल डालें। लेकिन फ़िलहाल वह ऐसा नहीं कर सकती थी; इसीलिए उसने देखा जैसे ही टीना और कुणाल उस होटल के अंदर गए और एक औपचारिकता पूरी करने के बाद उन्होंने कमरे की चाबी ली और वह लिफ़्ट से ऊपर जाने लगे।
तभी अचानक रीमा ने प्रिया को गाड़ी में ही छोड़कर एक नंबर किसी को कॉल किया, और फिर जाकर आराम से, चुपचाप, शांति से गाड़ी में बैठ गई। तब प्रिया रीमा की ओर देखते हुए बोली, "क्या हुआ है? तुमने किसी को फ़ोन किया था?" तब रीमा कहने लगी, "जस्ट वेट एंड वॉच।"
अभी रीमा कुणाल और टीना दोनों कमरे में गए थे, और दोनों एक-दूसरे को बुरी तरह से किस कर रहे थे। आज तो टीना कुणाल को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहती थी। इतना कुणाल टीना को किस नहीं कर रहा था जितना की टीना आगे बढ़कर कुणाल को किस कर रही थी। उसने पूरी तरह से उसके शर्ट को अलग कर दिया था और पूरी तरह से उसकी छाती पर किस करने लगी थी, और कुणाल आँखें बंद करके टीना को बस महसूस करना चाहता था। क्योंकि आज उसकी मुहब्बत उसके पास थी, जिसे वह प्यार करता था, और आज उसकी मोहब्बत उसके सामने थी, तो वह भी आज उसे पूरी तरह से पा लेना चाहता था। दोनों जी भरकर एक-दूसरे को प्यार करना चाहते थे, और अभी वे दोनों पूरी तरह से एक होने ही वाले थे कि तभी...
लेकिन तभी उनके दरवाज़े पर किसी ने खटखटाया था।..........
कौन था दरवाज़े पर? किसने खटखटाया था कुणाल और टीना का दरवाज़ा? क्या प्रिया दरवाज़े पर थी? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों!
इतना कुणाल टीना को किस नहीं कर रहा था, जितना टीना आगे बढ़कर कुणाल को किस कर रही थी। उसने पूरी तरह से उसका शर्ट अलग कर दिया था, और पूरी तरह से उसकी छाती पर किस करने लगी थी; और कुणाल आँखें बंद करके टीना को बस महसूस करना चाहता था। क्योंकि आज उसकी मोहब्बत उसके पास थी, जिसे वह प्यार करता था, और आज उसकी मोहब्बत उसके सामने थी, तो वह भी आज उसे पूरी तरह से पा लेना चाहता था। वेल, दोनों जी भरकर एक-दूसरे को प्यार करना चाहते थे, और अभी वे दोनों पूरी तरह से एक होने ही वाले थे, कि तभी...
लेकिन तभी उनके दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी। वेल, जैसे ही वे दोनों एक होने वाले थे, ठीक उसी वक्त कुणाल के दरवाज़े पर दस्तक सुनाई दी। तो वह हैरान हो गया, और टीना की ओर देखकर कहने लगा, "भला इस वक्त कमरे में कौन आ सकता है? हमने तो कुछ ऑर्डर भी नहीं किया है।"
तभी टीना, जो कि उस वक्त पागलों की तरह कुणाल की छाती चूम रही थी, उसे कहने लगी, "तुम छोड़ो; लगता है कोई गलती से आ गया होगा। हम दरवाज़ा नहीं खोलेंगे; अपने आप चला जाएगा।"
लेकिन लगातार दरवाज़े पर दस्तक होती रही। तब कुणाल ने टीना को अपने ऊपर से हटाया और कहने लगा, "मुझे लगता है मुझे एक बार जाकर चेक करने के लिए जाना चाहिए। कहीं इस होटल के स्टाफ़ वाले तो नहीं हैं? हो सकता है कि यहाँ आए हुए गेस्ट के लिए कोई सेवा वगैरह हो।"
जैसे ही कुणाल ने टीना को अपने ऊपर से इस तरह से हटाया, टीना थोड़ी सी निराश हो गई। क्योंकि उस वक्त वह कुणाल में पूरी तरह से खो जाना चाहती थी, और इस तरह से कुणाल के ऊपर से नहीं हटना चाहती थी। लेकिन कुणाल पहले यह चेक करना चाहता था कि आखिरकार बार-बार दरवाज़े पर दस्तक कौन दे रहा था।
और जैसे ही कुणाल ने दरवाज़ा खोला, तो उसकी साँसें ऊपर उठ गईं; और आधे-अधूरे कपड़ों में वह टीना को देखने लगा, और टीना को इशारा करने लगा कि जल्द से जल्द अपने आप को ढँक ले, क्योंकि उसके सामने कोई और नहीं, बल्कि उसके माता-पिता खड़े हुए थे।
कुणाल अपने माता-पिता को वहाँ देखकर अपना सिर नीचे झुका लिया, लेकिन उसकी माँ तो गुस्से से टीना की ओर घूरने लगी। और तभी बाहर गाड़ी में बैठी प्रिया, रीमा पर गुस्सा करने लगी और कहने लगी, "यह क्या किया तूने? तूने सीधा कुणाल के माँ-बाप को यहाँ फ़ोन करके बुला लिया? आखिर क्यों किया तूने ऐसा?"
"देखो, अब देखो; अगर कुणाल का यह चक्कर शादी से पहले होता, तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होती; लेकिन अब उसकी शादी हो चुकी है, और वह भी उसकी मर्ज़ी से तुम्हारे साथ शादी हुई है, तो वह इस तरह से तुम्हें धोखा नहीं दे सकता है। इसीलिए मैंने उसका असली चेहरा उसके माँ-बाप के सामने दिखा दिया है। और हाँ, तुझे बिल्कुल इस तरह से अभिनय करना होगा कि तू भी उसके अफ़ेयर से बिल्कुल अनजान है। मुझे पूरी उम्मीद है, आज के बाद कुणाल उस लड़की से नहीं मिलेगा; उसके माँ-बाप उसे अच्छा-ख़ासा सबक सिखाएँगे। तू समझ रही है ना मेरी बात? अब तू चल यहाँ से; हमें यहाँ पर इस जगह नहीं बैठना है। अब उन दोनों की ज़रूर क्लास लग रही है; वह जो शारीरिक रिश्ता बनाने वाले थे, वह अब कभी नहीं बना पाएँगे, और मुझे पूरी उम्मीद है, वह एक-दूसरे के साथ नहीं रहेंगे। समझी तू? अब चल; तुझे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं; वैसे भी तू माँ बनने वाली है, और तुझे इस हालत में किसी तरह की कोई टेंशन नहीं लेनी चाहिए।"
जैसे ही रीमा ने यह कहा, प्रिया के मन को कम से कम इस बात की तसल्ली हुई कि उसके पति ने किसी और औरत के साथ रात नहीं गुज़ारी थी, वरना वह जीते जी मर जाती। वेल, रीमा प्रिया को लेकर उसके ससुराल की ओर रवाना हो गई।
वहीं उसके पिता गुस्से से कुणाल की ओर घूरते हुए कहने लगे, "तू यहाँ क्या कर रहा है? तू ऑफ़िस टाइम में तू यहाँ इस दो-टके की लड़की को लेकर रंगरलियाँ मना रहा है? क्या तुझे अकल नहीं है? तेरी बीवी माँ बनने वाली है, और तू अपनी बीवी को इस तरह से धोखा दे रहा है?"
तभी कुणाल की माँ उसके पिता के सामने आकर खड़ी हो गई और कहने लगी, "यह क्या कह रहे हैं जी? जवान लड़का है; हो गई गलती; इसका मतलब यह थोड़ी है कि आप इस तरह से अपने बेटे को बातें सुनाएँगे...?"
"बेटा, चल; कपड़े पहन और चलो यहाँ से। सीधे ऑफ़िस जा। और हे लड़की, कौन है तू? मेरी बात ध्यान से सुन ले; आज के बाद कुणाल से मिलने की कोशिश मत करना, वरना सीधा जाकर तेरे घर पर तेरी शिकायत कर दूँगी; समझी तू?" ऐसा कहकर वह टीना को धमकाने लगी।
लेकिन तभी कुणाल सीधा खड़ा हो गया और अपनी माँ की ओर देखकर कहने लगा, "नहीं माँ; यह लड़की कहीं नहीं जाएगी; मैं इसे प्यार करता हूँ, और मैं उस प्रिया से शादी नहीं करना चाहता था; आप लोगों ने ज़बरदस्ती मेरी शादी उस प्रिया से करवाई, जबकि मैं इसे प्यार करता था, और मैं अब इसी के साथ रहना चाहता हूँ।"
जैसे ही कुणाल ने यह कहा, उसकी माँ के दिल में एक दर्द सा हुआ; उसे ऐसा लगा कि कहीं उसका बेटा उससे दूर हो जाएगा। और वह कहने लगी, "बेटा, कैसी बातें कर रहा है? प्रिया तेरे बच्चे की माँ बनने वाली है...और हम मानते हैं कि वो शादी में कुछ ख़ास दान-दहेज़ लेकर नहीं आई हैं, जबकि हमें तो लगा था कि काफ़ी सारा दान-दहेज़ वह वहाँ से लेकर आएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेकिन बेटा, हम समाज को क्या जवाब देंगे? समाज की नज़रों में प्रिया तेरी बीवी है, और कितने सारे समाज के लोगों के सामने तेरी उससे शादी हुई है; हम इस तरह से शादी को नहीं झुठला सकते। और तू भूल रहा है, तेरी दो बहनें अभी कुँवारी घर पर बैठी हुई हैं; अगर तूने इस तरह की हरकत की ख़बर किसी को भी लगी, तो तेरी बहनों के लिए रिश्ता तक नहीं आएगा...तू सुन रहा है ना मेरी बात?"
अपनी माँ की बात सुनकर कुणाल थोड़ा सा चुप हो गया, और तभी उसके पिता गुस्से से अपनी बीवी और कुणाल की ओर देखते हुए कहने लगे, "यह क्या बदतमीज़ी है तुम लोगों की? यह किस तरह की बेहूदा बातें कर रहे हो तुम लोग? और तुम इसे डाँटने की बजाय इसे बढ़ावा दे रही हो? हाँ, अब इसे फ़टाफ़ट बोलो कि अपने कपड़े पहने और फ़टाफ़ट चल यहाँ से। आगे किसी ने भी हमारे घरवालों, ख़ानदान वालों ने हमें इस तरह से देख लिया, तो हमारी क्या इज़्ज़त रह जाएगी? हमारी इज़्ज़त दो कौड़ी की होकर रह जाएगी इस साहबज़ादे के एक्स्ट्रा अफ़ेयर के चक्कर में!"
जैसे ही उसके पिता ने उसे सारी बातें सुनाई, कुणाल का सिर नीचे झुक गया, क्योंकि उसने नहीं सोचा था कि वह इस तरह से पकड़ा जाएगा। क्योंकि वह हमेशा से ही अपने माँ-बाप की नज़रों में एक फ़रमान-बरदार बेटा था – मतलब बिल्कुल संस्कारी बेटा था – और इस तरह से आज उसके माँ-बाप ने उसे रंगे हाथों उसकी प्रेमिका के साथ पकड़ लिया था। तो उसे काफ़ी शर्म सी भी आ रही थी, और उसने फ़टाफ़ट से अपनी शर्ट पहन ली और टीना की ओर देखते हुए बोला, "आई एम सॉरी, टीना; मुझे पता है, बेबी; हम फिर मिलेंगे...अभी मुझे जाना होगा; और तुम फ़िकर मत करो; मैं आपको जल्दी सब कुछ समझा दूँगा; मुझे पता है, वो किसी से कुछ नहीं कहेंगे।"
तब टीना ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और उसे गुस्से से घूरते हुए वहाँ से चली गई; और उसकी माँ टीना को जाते हुए देखती रही और कहने लगी, "तुझे यह छिपकली पसंद आई है? इससे अच्छी तो तेरी वह बीवी ही है; घर का सारा काम भी करती है, हमारा सबका ध्यान भी रखती है, और तुझे भी खुश रखती है, और ऊपर से माँ भी बनने वाली है...आखिरकार तू उसे छोड़कर इस छिपकली के चक्कर में कैसे पड़ सकता है?"
तभी कुणाल गुस्से से अपनी माँ की ओर देखते हुए बोला, "ओह माँ, प्लीज़, प्लीज़; मैं टीना के ख़िलाफ़ एक भी शब्द नहीं सुनूँगा...और वैसे भी, वह प्रिया को आप लोगों ने मेरे गले में ज़बरदस्ती बाँधा है; तो अब आप लोग मुझे फ़ोर्स नहीं करेंगे; और हाँ, जैसे ही दोनों बहनों की शादी हो जाएगी, उसके बाद मैं प्रिया को तलाक दे दूँगा और इससे शादी करूँगा।"
जैसे ही उसके माँ-बाप ने यह सुना, दोनों ही हैरान हो गए, लेकिन अपने बेटे को वह ज़्यादा कुछ नहीं कह सकते थे, क्योंकि वह उनका एकलौता बेटा था, और ऊपर से घर का एकलौता कमाने वाला वही था। तो उसी तरह से दोनों ही चुपचाप रह गए। कुणाल के पिता ने अपनी पत्नी को यह बातें समझा दीं कि भूल कर भी प्रिया के सामने इन सब बातों का ज़िक्र नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर प्रिया के सामने सब बातों का ज़िक्र हुआ, तो हो सकता है कि वह किसी तरह की बगावत कर दे, और बगावत उनके ख़ानदान के लिए सही नहीं होगी, और उनकी बदनामी भी हो सकती थी। ...........
क्योंकि वह उनका एकलौता बेटा था, और घर का एकलौता कमाने वाला भी वही था, दोनों चुपचाप रह गए थे। कुणाल के पिता ने अपनी पत्नी को समझा दिया था कि प्रिया के सामने इन बातों का जिक्र नहीं होना चाहिए। अगर प्रिया के सामने इन बातों का जिक्र हुआ, तो वह बगावत कर सकती थी, जो उनके खानदान के लिए सही नहीं था और उनकी बदनामी भी हो सकती थी।
दूसरी ओर, प्रिया बेसब्री से कुणाल के माता-पिता के आने का इंतज़ार कर रही थी। उसे यकीन था कि कुणाल के माता-पिता आकर कुणाल को डाँटेंगे, उसे उस लड़की से न मिलने और प्रिया से माफ़ी माँगने को कहेंगे। प्रिया को लग रहा था कि अगर कुणाल एक-दो बार माफ़ी माँगेगा, तो वह उसे माफ़ कर देगी और अपने आने वाले बच्चे के बाप के साथ खुशहाल ज़िंदगी बिताएगी।
प्रिया ने यह सोच लिया था, और उसे ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा; कुछ ही देर में कुणाल के माँ-बाप आ गए। लेकिन उनके चेहरों पर एक अजीब सी खामोशी थी। प्रिया उनके मुँह खोलने का इंतज़ार कर रही थी।
थोड़ी देर बाद कुणाल आया और एक नज़र अपने माँ-बाप पर डालकर सीधा अपने कमरे में चला गया।
प्रिया उस वक़्त किचन में शाम के खाने की तैयारी कर रही थी। उसे बेड रेस्ट के लिए बोला गया था, लेकिन सास ने उसे साफ़-साफ़ कह दिया था कि बच्चे उन्होंने भी पैदा किए हैं, इस तरह वह रेस्ट नहीं कर सकती; हाँ, झुककर कोई काम नहीं करना। लेकिन खड़े-खड़े वह घर का काम, खाना बनाना, बर्तन धोना, किचन की सफ़ाई, और कमरों की चादरें बदलना, यह सब कर सकती थी। इसलिए उन्होंने यह सारे काम प्रिया को करने के लिए कह दिए थे। प्रिया शाम का खाना बना रही थी और कुणाल के माता-पिता को बुलाए जाने का इंतज़ार कर रही थी।
लेकिन जब तक उसके माता-पिता ने उसे नहीं बुलाया, केवल उनकी आवाज़ आई, "जल्दी से प्रिया, खाना लगा दो; हमें बहुत भूख लगी है," प्रिया हैरान रह गई; वह क्या सोच रही थी और वे लोग क्या कह रहे थे। प्रिया मन मारकर खाना लगाने लगी। खाना लगाते-लगाते सभी – उसकी ननद, सास, ससुर – आ गए। प्रिया की माँ ने अपनी छोटी बेटी को कुणाल को बुलाने के लिए कह दिया।
कुणाल उस वक़्त बिस्तर में औंधे मुँह पड़ा हुआ था। वह पूरी तरह से अपनी मोहब्बत, टीना के साथ समय बिताना चाहता था; लेकिन उसके माँ-बाप ने होटल में जाकर उसका प्लान ख़राब कर दिया था। उसे बहुत बुरा लग रहा था; वह सोच रहा था कि वह टीना को कैसे फ़ेस करेगा, और टीना उसकी बात मानेगी या नहीं। जैसे ही उसकी छोटी बहन उसे बुलाने गई, कुणाल ने आने से मना कर दिया। तब उसकी माँ की आँखों में आँसू आ गए, और कुणाल की माँ प्रिया की ओर देखकर बोली, "लगता है मेरे बेटे को कुछ हो गया है। तू जा, मेरे बेटे के लिए खाना ले जा, और देख मेरा बेटा अच्छी तरह से खाना खा ले; और हाँ, उसे कह देना कि तू भी जब तक खाना नहीं खायेगी, तब तक वह खाना नहीं खाएगा...हो सकता है तेरी बात सुनने के बाद वह खाना खा ले।"
जैसे ही सास ने यह सब कहा, प्रिया की आँखें फटी की फटी रह गईं। वह सोचने लगी कि ये कैसे लोग हैं? बेटे का इतना बड़ा सच सामने आने के बाद भी उसके लिए इतनी परवाह कर रहे हैं। प्रिया उस वक़्त कुणाल को देखना चाहती थी। उसे लग रहा था कि शायद टीना के साथ रंगे हाथ पकड़े जाने पर उसके मन में गिल्ट होगा, और वह प्रिया से अच्छी तरह से बातें करेगा, और सच बता देगा। यह सोचते हुए प्रिया ने जल्दी से खाने की थाली – चावल, प्याज़ की खीर, नींबू, और दो चपातियाँ – सजाकर उसके पास ले गई। जैसे ही प्रिया ने कुणाल को खाना खाने के लिए कहा, कुणाल ने प्रिया की तरफ़ मुँह मोड़ लिया और कहा, "लेकर जाओ इस खाने को यहाँ से; मैं कोई खाना-वाना नहीं खाऊँगा, और तुम चली जाओ यहाँ से; मुझे अपनी शक्ल भी मत दिखाओ।"
कुणाल के कहने पर, प्रिया के साँसें ऊपर-नीचे होने लगीं; उसे यकीन नहीं हो रहा था। प्रिया का दिल कुढ़ गया, और उसे अपने पेट में दर्द हुआ। शायद उसे तभी याद आया कि उसने कुणाल की सच्चाई जानने के बाद से कुछ नहीं खाया है, क्योंकि उसके पेट में एक नन्ही जान पल रही थी; खाना खाना ज़रूरी था। उसने कुणाल के लिए लाई गई थाली में खुद ही खाना खाना शुरू कर दिया।
प्रिया की सास इस इंतज़ार में बैठी थी कि प्रिया खाली थाली लेकर आएगी और बताएगी कि उसके बेटे ने खाना खा लिया है; लेकिन जब प्रिया नहीं आई, तो वह हैरान हुई। जैसे ही वह उसके कमरे में गई, तो यह देखकर चौंक गई कि प्रिया खाना खा रही थी, जबकि उसका बेटा वहाँ नहीं था। उसकी साँसें आग बबूला हो उठीं, उसने खाने की थाली नीचे फेंक दी, और प्रिया की ओर देखकर कहा, "तू बेशर्म औरत है! तेरे पति ने कुछ नहीं खाया है, और तू आराम से बैठकर यह ठूस रही है? हाँ, मैंने तुझे कहा था ना कि सबसे पहले अपने पति को खाना खिलाना; क्या तुम इतनी भी हिम्मत नहीं की कि अपने पति को खाना खिला सके?"
साथ ने यह सब कहा, प्रिया धक सी रह गई। वह सोचने लगी कि ये कैसे लोग हैं? बेटे का इतना बड़ा सच सामने आने के बाद भी बेटे के लिए इतनी परवाह और बहू के लिए कोई परवाह नहीं। उसने देखा कि उसकी दो छोटी ननदें भी आ गई थीं, और प्रिया की ओर देखकर कहने लगीं, "मम्मी, हम तो आपको पहले ही कह रहे थे कि भाभी को सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने खाने-पीने की लगी रहती है; भैया का यह कोई ख़्याल नहीं रखती है, और आप जानते हैं, रात को दूध यह भैया के नाम से लेकर आती है, लेकिन खुद यह पूरा का पूरा दूध पी जाती है।"
ननदों ने सास को भड़काना शुरू किया, तो उसकी सास पूरी तरह से आग बबूला हो उठी, और आगे बढ़कर उसने प्रिया के बालों को कसकर पकड़ लिया था। ...................❤❤❤❤❤❤क्या प्रिया की सास प्रिया पर ऐसे ही जुल्म करती रहेगी? क्या कुणाल को अपनी गलती का एहसास होगा? क्या प्रिया सब कुछ यूँ ही सहती रहेगी? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों!
तभी उसने देखा कि उसके दो छोटी ननदें भी वहाँ आ गई थीं। और प्रिया की ओर देखकर कहने लगी थीं, "मम्मी, हम तो आपको पहले ही कह रहे थे कि भाभी को सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने खाने-पीने की लगी रहती है; भैया का यह कोई ख्याल नहीं रखती है। और आप जानते हैं, रात को दूध यह भैया के नाम से लेकर आती है, लेकिन खुद यह पूरा का पूरा दूध पी जाती है।"
जैसे ही उसकी ननदों ने वहाँ आकर उसकी सास को भड़काना शुरू किया, उसकी सास पूरी तरह से आग बबूला हो उठी। आगे बढ़कर उसने प्रिया के बालों को कसकर पकड़ लिया। और कहने लगी, "मेरी एक बात कान खोलकर सुन ले; तू आज के बाद खाना जब खाएगी, जब मेरा बेटा अपना पेट भर लेगा; वरना तू भी भूखी रहेगी; समझी तू?" ऐसा कहकर वह प्रिया को बेड पर धकेलते हुए वहाँ से चली गई।
वहीं कुणाल अपने कमरे की बालकनी में इधर-उधर टहलने लगा। उसने कितने सारे सिगरेट फूँक डाले थे, क्योंकि टीना उसके किसी भी मैसेज का कोई रिप्लाई नहीं कर रही थी। उसे उस वक़्त बहुत ही ज़्यादा गुस्सा आ रहा था, और वह पूरी तरह से झुझला रहा था। और तभी अचानक टीना का सामने से कॉल आया। कुणाल के चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गई। मुस्कुराते ही जैसे ही उसने टीना का फ़ोन उठाया, ना जाने टीना ने उसे क्या कहा कि कुणाल के चेहरे का रंग पूरी तरह से उड़ गया।
कुछ देर टीना से बात करने के बाद कुणाल ने फ़ोन रख दिया। वह सीधा बेड पर लेट गया; लेकिन टीना ने जो कुछ भी उसे करने के लिए कहा था, उसे सुनने के बाद उसकी आँखों में दूर-दूर तक कोई नींद नहीं थी। वह कभी एक नज़र अपने बराबर में सोई हुई प्रिया की ओर देख रहा था, तो कभी घड़ी की सुइयों को देख रहा था। और फिर जल्दी ही सुबह तक उसने एक कड़ा निर्णय ले लिया। और सुबह-सुबह वह अपने घर से निकल गया।
वहीं दूसरी ओर, प्रिया अगली सुबह जैसे ही उठी और अपने बराबर में उसने कुणाल को देखा, तो उसके बराबर में कुणाल नहीं था। प्रिया काफ़ी हैरान थी, और सोचने लगी कि इतनी जल्दी कुणाल भला कहाँ जा सकता है? क्योंकि कुणाल को हमेशा 9 से 10 बजे उठने की आदत थी, और घर में अकेला बेटा होने के कारण कोई उसे उठाया करता था; सब ने उसे कुछ ज़्यादा ही सर चढ़ा रखा था। जबकि प्रिया हमेशा से ही सुबह 6 बजे के करीब उठ जाया करती थी; उठकर घर का काम ख़त्म किया करती थी; उसके बाद सास-ससुर को चाय-नाश्ता देकर उसके बाद वह खुद कुछ खाया-पिया करती थी। लेकिन आज जैसे ही वह उठी और उसने कुणाल को वहाँ नहीं देखा, तो वह काफ़ी हैरान हो गई। और थोड़ी ही देर बाद जब अपने सास-ससुर, ननद को नाश्ता करवा रही थी, उसने देखा कुणाल के हाथों में बड़े-बड़े थैले थे, और वह मुस्कुराता हुआ वहीं आ रहा था।
कुणाल को सुबह-सुबह इस तरह से मुस्कुराता हुआ देखकर उसके माँ-बाप भी खुश हो गए। और कहने लगे, "क्या हुआ है बेटा? आज बड़ा मुस्कुरा रहा है, और सुबह-सुबह और कहाँ चला गया था तू?" तभी कुणाल अपनी माँ की ओर देखते हुए कहने लगा, "वह माँ; मैं आप सबके लिए बिरयानी लेने के लिए गया हुआ था; आप सभी बिरयानी का लुत्फ़ उठा लें। और वैसे भी, कितने ही दिन से यह क्या? रोज़ पराठे, आलू की सूखी सब्ज़ी, दही; यही सब नाश्ते में खा रहे हैं; अब मैं यह खा-खाकर थक गया हूँ...तो अब से अगले तीन-चार दिनों तक लगातार हम सुबह नाश्ते में बिरयानी ही खाएँगे।"
कुणाल की बात सुनकर उसकी बहनों के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उन्होंने आगे बढ़कर कुणाल के हाथों से थैले ले लिए। और जल्दी ही उन्होंने खाना शुरू कर दिया। और प्रिया यह हैरानी से उन सबको देख रही थी और सोच रही थी कि ना तो उसके माँ-बाप के चेहरे पर किसी तरह का कोई गिल्ट दिखाई दे रहा था, और ना ही कुणाल के चेहरे पर किसी तरह का कोई गिल्ट था।
तभी कुणाल ने एक प्लेट में बिरयानी रखते हुए प्रिया की ओर बढ़ाकर कहने लगा, "तुम भी खाओ; तुम क्यों खड़ी हुई हो?" तो प्रिया ने मना करते हुए कह दिया कि उसे सुबह-सुबह यह सब खाने का मन नहीं है, क्योंकि प्रिया पेट से थी; तो जब भी वह सुबह कुछ भी खा लेती थी, तो उसे तुरंत उल्टी हो जाया करती थी। तो इसीलिए उसने साफ़-साफ़ खाने से मना कर दिया। तब कुणाल हल्के से गुस्से से प्रिया से बोला, "क्या हुआ है तुम? आखिरकार खाना क्यों नहीं खा रही हो? हाँ, क्या तुम मुझसे नाराज़ हो?"
प्रिया ने जैसे ही यह उसकी बात सुनी, उसने जल्दी से अपने चेहरे का रंग बदल लिया। क्योंकि प्रिया कुणाल को कुछ भी पता नहीं लगने देना चाहती थी। वह चाहती थी कि कुणाल को खुद अपनी गलती का एहसास हो, और वह प्रिया से खुद आकर माफ़ी माँगे, ना कि प्रिया के मुँह से कुछ सुने। तब प्रिया ने जल्दी ही कुणाल के इस तरह से कहने पर कहा, "अरे आप कैसी बातें कर रहे हैं? भला मैं आपसे क्यों नाराज़ होंगी? और रही बात अगर आप चाहते हैं कि मैं यह बिरयानी खा लूँ, तो लाएँ; मैं खा लेती हूँ।" ऐसा कहकर प्रिया ने जैसे ही दो-तीन चम्मच बिरयानी खाई, अचानक से एक बार फिर उसे उल्टी आ गई, और एक बार फिर वह उल्टी करने को दौड़ी। तब उसकी सास और ननदें मुँह बनाकर बोलीं, "भाभी, एक काम करो; तुम बिरयानी खाने को रहने ही दो; बेकार में उल्टी कर-करके तुम हमारा भी मूड ख़राब कर दोगी, और हम भी फिर कुछ सही से खा-खा पाएँगे। आप जाइए, जाकर अपने कमरे में आराम कीजिए।"
ऐसा कहकर उन्होंने प्रिया को वहाँ से भेज दिया ताकि वह लोग आराम से बिरयानी खा सकें। प्रिया जल्दी ही अपने कमरे में आ गई; उसके दिल पर इतना ज़्यादा बोझ था कि ना तो वह रो पा रही थी, ना ही सही से जी पा रही थी। उसे साँस तक लेना काफ़ी भारी लग रहा था। और इससे पहले कि प्रिया कुछ सोचती, तभी उसका फ़ोन बजने लगा। फ़ोन किसी और का नहीं, बल्कि रीमा का था।
रीमा के फ़ोन आने पर प्रिया ने कहा, "क्या हुआ है रीमा? तुमने मुझे इतनी सुबह-सुबह फ़ोन क्यों किया है?" तभी रीमा ने प्रिया से कहा, "अरे तुझे क्या हो गया? मैं तेरे फ़ोन का कब से इंतज़ार कर रही हूँ! तो यह बता; तेरे सास-ससुर ने क्या धमाका किया घर जाकर? क्या कुणाल भाई को अपनी गलती का एहसास हो गया है? उसने तुझसे माफ़ी माँगी या नहीं माँगी...?" छुटते ही रीमा ने इस तरह से सवाल करना शुरू कर दिया। अब तो प्रिया के लिए अपने आँसू रोक पाना मुश्किल हो गया, और रीमा के सामने उसने फूट-फूट कर रोना शुरू कर दिया और कहने लगी, "ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है; उल्टा उन्हें अपने बेटे की फ़िक्र है; अपने बेटे के मोह में वे सब कुछ भूल बैठे हैं, और उन्होंने उसे कुछ भी नहीं कहा है।"
अब जैसे ही रीमा ने यह सुना, वह आग बबूला हो उठी और कहने लगी, "चल, तू परेशान मत हो; मैं तुझसे मिलने के लिए आऊँगी; पर हाँ, और इस बार हम कुछ ना कुछ अलग और नया प्लान बनाएँगे कुणाल को एक्सपोज़ करने का।" ऐसा कहकर रीमा ने प्रिया को सांत्वना दी; वह फ़ोन रख दिया। और अभी प्रिया का फ़ोन कटा ही था, तभी कुणाल उसके कमरे में आ गया और कहने लगा, "क्या हुआ है? तुम्हारी आँखों को क्या हुआ है? इतनी लाल क्यों हैं?" तभी प्रिया कुणाल की ओर देखते हुए बोली, "कुछ नहीं जी; आप बताइए, आपको कुछ काम था?" तभी कुणाल ने प्रिया की ओर देखते हुए कहा, "हाँ, वह; तुम कह रही थीं ना कि तुम्हारी कमर में कुछ इचिंग हो रही है...?"
जैसे ही कुणाल ने यह कहा, प्रिया हैरान हो गई और उसे याद आया कि जब वह कुणाल की सच्चाई नहीं जानती थी, तब उसने एक हफ़्ते पहले कुणाल को बताया था कि उसकी कमर में कुछ इचिंग (खुजली) हो रही है; शायद फ़ंगस इंफ़ेक्शन उसे हुआ है। तो वह उसकी कोई मेडिसिन दिला दे या इलाज करवा दे। तभी कुणाल ने उसके आगे एक एंटी-फ़ंगस ट्यूब और कुछ मेडिसिन बढ़ाते हुए कहा, "यह मैं तुम्हारे लिए, तुम्हारी खुजली की ट्यूब लेकर आया हूँ; तुम इसे लगा लेना और दवाई खा लेना; तुम्हें आराम आ जाएगा।"
जैसे ही प्रिया ने यह सुना, वह पूरी तरह से हैरान हो गई। और मन ही मन में सोचने लगी कि चलो कम से कम कुणाल को उसका कुछ ख्याल तो आया है; इसलिए तो वह उसके लिए दवाई भी लेकर आया है। और प्रिया ने खुशी-खुशी उससे वह दवाई ले ली। तभी कुणाल ने प्रिया से कहा, "तुम्हें दवाई अभी नहीं खानी है; रात को सोते वक़्त खानी है। और जब तुम रात को सोते वक़्त यह दवाई खाओगी, क्योंकि अगर दिन में खाएँगी तो इससे नींद ज़्यादा आएगी; तुम समझ रही हो ना मेरी बात?" कुणाल की बात सुनकर प्रिया ने हाँ में सिर हिला दिया। वह खुद दिन में दवाई नहीं खा सकती थी, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी, दिन के सारे काम उसे ही करने थे; अगर इस बीच में सो जाती है, तो उसकी सास और उसकी ननदें क्या हंगामा मचाने वाली थीं।
थोड़ा बहुत कुछ खाने के बाद प्रिया जल्दी से अपना घर का काम ख़त्म करने लगी। और उसकी ननदें आराम से सोफ़े पर, बेड पर बैठकर टीवी ऑन करके कोई सॉन्ग सुनने लगीं; कोई अपने फ़ोन में बिज़ी थी, और उसकी सास उसके ससुर के साथ गप्पे हाँकने में बिज़ी थी। तब प्रिया मन ही मन में उनके इतना नॉर्मल बिहेवियर देखकर सोच रही थी कि उसके सास-ससुर ने तो खुद रंगे हाथ अपने बेटे को पकड़ा है, लेकिन उनके चेहरे पर किसी तरह का कोई भाव नहीं था। तभी प्रिया को एहसास हुआ, अगर कुणाल आज फिर ऑफ़िस गया, तो कहीं वह फिर से उस लड़की से तो नहीं मिलेगा...यह एहसास आते ही प्रिया के दिल में अजीब सा दर्द सा उठा। क्या प्रिया कुछ कदम उठाएगी, या इज़्ज़त के डर से सब कुछ चुपचाप सहती जाएगी?
उसकी सास उसके ससुर के साथ गप्पें हाँकने में व्यस्त थी। प्रिया मन ही मन में उनके सामान्य व्यवहार को देखकर सोच रही थी—उनके सास-ससुर ने तो खुद रंगे हाथ अपने बेटे को पकड़ा है, फिर भी उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था।
तभी प्रिया को एहसास हुआ कि अगर कुणाल आज फिर ऑफिस गया, तो कहीं वह फिर से उस लड़की से न मिल जाए। यह एहसास होते ही प्रिया के दिल में अजीब सा दर्द उठा।
तभी उसकी सहेली रीमा वहाँ आ गई। रीमा के आते ही प्रिया की सास का मुँह थोड़ा सा बिगड़ गया, पर रीमा के हाथों में शॉपिंग के थैले देखकर वह फिर खिल उठी। रीमा ने उन्हें गिफ्ट दिए और सीधा प्रिया को लेकर उसके कमरे में आ गई।
"बता, अब क्या हुआ? क्या तेरे सास-ससुर ने कुछ बात की? क्या कुणाल भाई की कोई पिटाई हुई? कुछ किया उन्होंने?"
प्रिया ने उसकी ओर देखकर कहा, "उन्होंने कुछ भी नहीं किया। वे लोग बिलकुल सामान्य बर्ताव कर रहे हैं, मानो कुणाल ने कोई गलती ही न की हो। और तुम जानती हो, कुणाल आज फिर ऑफिस गया है, और मुझे लग रहा है कि वह उस लड़की से ज़रूर मिलेगा।"
प्रिया की टूटी हुई आवाज़ सुनकर रीमा को बुरा लगा।
"तू परेशान मत हो। मैं तो कहती हूँ, तू सीधे-सीधे तरीके से कुणाल से बात कर। मुझे पूरी उम्मीद है, वह अब तुझसे झूठ नहीं बोल पाएगा।"
रीमा की बात सुनकर प्रिया कुछ सोचने लगी।
"तू ठीक कह रही है। आज रात को मैं आते ही सबसे पहले कुणाल से यही बात करूँगी।"
दूसरी ओर, कुणाल ऑफिस गया तो उसने देखा कि टीना का मुँह उखड़ा हुआ था। वह कुणाल को पाना चाहती थी, पर कुणाल उससे इतना दूर हो गया था कि उसे बहुत बुरा लग रहा था। कुणाल ने जब उसे मनाने की कोशिश की तो उसने उसके हाथ झटक दिए।
"तुम मुझसे बातें मत करो। तुम एक नंबर के ना-मर्द हो। तुम्हें इतनी सी भी लज्जा नहीं आई? तुम्हें इतनी सी भी शर्म नहीं है? एक लड़की ने अपना सब कुछ खोलकर तुम्हारे सामने रख दिया, लेकिन तुममें इतनी हिम्मत नहीं हुई कि तुम आगे बढ़कर उस लड़की के साथ रिश्ता बना सको।"
टीना की खुलकर बात सुनकर कुणाल थोड़ा हैरान हुआ।
"यह तुम कैसी बातें कर रही हो? तुम जानती हो ना, मेरे माँ-बाप वहाँ आ गए थे, और अगर वे मुझे ऐसी हालत में देख लेते, तो क्या से क्या हो सकता था।"
टीना ने कहा, "वे चले गए थे ना वहाँ से; उसके बाद जो तुम रुक सकते थे, ना तुम क्यों नहीं रुके? तुम मेरे पास रुककर भी तो आगे का काम पूरा कर सकते थे।"
कुणाल ने थोड़ा आगे बढ़कर अपना एक हाथ टीना की कमर पर रख दिया और उसे अपनी ओर खींच लिया। वह उसके कानों के पास जाकर प्यार से बोला, "अगर तुम्हारा मन इतना ही कर रहा है, तो इतनी भी क्या जल्दी है? आज रात तो अपनी ही है, और आज हमें रोकने वाला भी कोई नहीं होगा।"
यह सुनकर टीना कुणाल के करीब आते ही मदहोश हो गई। वह अपनी बाहें कुणाल के गले में डालकर उसकी कमर को छूने लगी।
"अगर ऐसा है, तो तुम आज रात को ही पूरी तरह से मुझे अपना बना लोगे, और मैं तुम्हें अपना बना लेना चाहती हूँ। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। मैं बस हर हाल में तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ। तुम्हें अपना बनाना चाहती हूँ।"
टीना की बातें सुनकर कुणाल मुस्कुरा उठा। वह अपनी खुशकिस्मती पर खुश होने लगा। तभी टीना ने कहा, "बात आज रात की नहीं है। जो काम मैंने तुम्हें फोन पर बताया था, सबसे पहले तुम्हें वह काम करना होगा। उसके बाद ही हम दोनों आराम से मिलेंगे, और एक साथ रिश्ता बनाएँगे।"
टीना की बात सुनकर कुणाल थोड़ा चौंक गया क्योंकि वह वह काम नहीं करना चाहता था। पर अब अगर उसे टीना के साथ रात गुजारनी थी, तो यह उसकी मजबूरी बन चुकी थी। उसने कड़ा फ़ैसला ले लिया।
"जो काम तुमने मुझे दिया है, वह मैं आज रात को ही कर लूँगा। मैं तुमसे वादा करता हूँ।"
यह कहकर उसने अपने होंठ टीना के होंठों पर रख दिए और उसे किस करने लगा। किस के बाद बोला, "तुम्हारा यह जिस्म मुझे खुद तुमसे दूर रहने पर मजबूर नहीं कर सकता। तुम नहीं जानती, तुम्हारे पास आने पर मेरी क्या हालत हो जाती है। यकीन नहीं आता, तो मुझे छूकर देख लो।"
उसने टीना का हाथ अपने सीने पर रख दिया। कुणाल के दिल की धड़कन तेज़ हो गई थी। कुणाल टीना को पाकर अपने होश खो बैठा था। उन्होंने जैसे-तैसे खुद पर काबू पाया। टीना ने साफ़ कह दिया कि जब तक वह उसका काम नहीं करता, वह उसके करीब नहीं आएगी।
कुणाल जल्दी ही ऑफिस से घर के लिए रवाना हो गया क्योंकि उसे टीना का काम भी करना था। रीमा प्रिया को बातें समझाकर चली गई। प्रिया ने सोच लिया था कि वह आज कुणाल से सीधे-सीधे बात करेगी।
पर प्रिया को इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि उसकी ज़िंदगी आज की रात के बाद पूरी तरह से बदलने वाली थी। कुणाल अपने ऑफिस से घर लौट आया। प्रिया सुबह से ही उसके आने का इंतज़ार कर रही थी क्योंकि उसने सोच लिया था कि आज वह कुणाल से सीधे तरीके से बात करेगी। आखिर उसके दिलो-दिमाग़ में क्या चल रहा है? अगर वह प्रिया को नहीं चाहता, तो वह उसे तलाक भी दे सकता है, पर उसे इस तरह इस्तेमाल करने का, उसे धोखा देने का उसे कोई हक़ नहीं है।
प्रिया ने सोच लिया था, भले ही वह अपने घर नहीं जा सकती, पर वह पढ़ी-लिखी लड़की थी। उसकी माँ ने उसे हर क्षेत्र में कामयाब बनाया था। प्रिया ने सोच लिया था कि वह किसी न किसी तरह से अपनी ज़िंदगी गुज़ार लेगी, और वैसे भी उसका बच्चा होने वाला है, तो वह अकेले अपने बच्चे को भी पाल सकती है। एक डरी-सहमी सी प्रिया ने अपने दिल में एक बड़ा फ़ैसला कर लिया था। और जैसे ही कुणाल घर आया, उसका मूड पूरी तरह से बदला हुआ था; वह काफ़ी ज़्यादा खुश लग रहा था। उसने आते ही सीधा अपने माता-पिता से माफ़ी माँगी और...
आखिर क्या था टीना का काम? क्या प्रिया कुणाल से साफ़-साफ़ उसके अफ़ेयर को लेकर बात कर पाएगी? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों!
प्रिया ने मन ही मन यह ठान लिया था कि भले ही वह अपने घर नहीं जा सकती, पर वह पढ़ी-लिखी लड़की थी। उसकी माँ ने उसे पढ़ाया-लिखाया था, हर क्षेत्र में कामयाब बनाया था। अतः प्रिया ने सोचा कि वह किसी न किसी तरह अपनी ज़िंदगी गुज़ार लेगी। और वैसे भी उसका बच्चा होने वाला था, तो वह अकेले अपने बच्चे को पाल सकती थी; उसे किसी की ज़रूरत नहीं थी। एक डरी-सहमी प्रिया ने जल्दी ही अपने मन में यह बड़ा फ़ैसला कर लिया। और जैसे ही आज कुणाल घर आया, उसका मिजाज पूरी तरह बदल गया था; वह काफ़ी खुश लग रहा था। उसने आते ही सीधा अपने माता-पिता से माफ़ी माँगी। प्रिया ने यह सब देखा था, और उसे बहुत ताज्जुब हो रहा था कि आखिर आज कुणाल को अचानक क्या हो गया है। कुणाल ने सबके साथ बड़े हँसी-खुशी के माहौल में खाना खाया। प्रिया ने भी खुशी-खुशी सबके लिए रोटियाँ बनाईं और सबके लिए खाना टेबल पर लगा दिया। प्रिया सभी को एक साथ बिठाकर खाना खिलाती थी, और खुद तब तक गरम-गरम रोटियाँ बनाती रहती थी जब तक सबका पेट नहीं भर जाता था। सबसे आखिर में प्रिया अपने लिए दो रोटियाँ बनाती और सबसे आखिर में खाना खाती थी।
उसने टेबल पर सबके लिए खाना लगाया, सब बैठकर खाना शुरू कर दिया। प्रिया गरम-गरम रोटियाँ देती रही। सबके खाना खाने के बाद प्रिया ने डाइनिंग टेबल, और सारा बर्तन साफ़ कर दिया। झूठे बर्तन सिंक में रख दिए। फिर उसने अपने लिए भी एक थाली में दो रोटियाँ, थोड़ी सब्ज़ी, अचार और एक कटोरी दही रख ली, क्योंकि आजकल प्रिया को खट्टा खाना बहुत पसंद आने लगा था।
तभी अचानक कुणाल प्रिया के पास आया। प्रिया हैरान थी कि आज कुणाल को क्या हो गया है, क्योंकि प्रिया हमेशा अकेले ही सबसे आखिर में बैठकर खाना खाती थी। शादी के बाद से कुणाल ने एक बार भी प्रिया के साथ बैठकर खाना नहीं खाया था; उल्टा प्रिया ही हमेशा कुणाल से चिपकी रहती थी। लेकिन कुणाल ने कभी भी प्रिया को प्यार का एहसास नहीं करवाया था। और आज जब प्रिया खाने बैठी, कुणाल उसके सामने आ गया। प्रिया हैरान हो गई, और कुणाल की ओर सवालिया निगाहों से देखने लगी।
कुणाल को पता था कि प्रिया को कुछ नहीं पता कि उसका किसी लड़की के साथ अफ़ेयर चल रहा है, जबकि प्रिया खुद अपनी आँखों से सारा सच देख चुकी थी। कुणाल के आते ही, प्रिया ने झूठी मुस्कराहट से कहा, "जी जी, आप यहाँ? बताइए, कुछ काम था?"
कुणाल ने उसकी ओर देखकर कहा, "आज खाना मैं तुम्हें खिलाऊँगा।"
प्रिया की हैरानी की सीमा नहीं थी; वह तो खाना खाने के बाद सीधे कमरे में जाकर कुणाल से बात करना चाहती थी। लेकिन यह क्या? कुणाल तो आज पूरी तरह से बदला हुआ सा लग रहा था। "आज खाना मैं तुम्हें खिलाऊँगा," उसने कहा। प्रिया की आँखें भर आईं, क्योंकि यह सुनने के लिए उसके कान ना जाने कब से तरस रहे थे। कुणाल आगे बढ़कर प्रिया को खाना खिलाना शुरू कर दिया।
प्रिया खुशी-खुशी सब कुछ भूलकर खाना खाने लगी; उसे यह भी याद नहीं था कि कुणाल ने उसे कैसे धोखा दिया था; वह उस वक़्त कुणाल के इस पल को जीना चाहती थी। खाना खाने के बाद कुणाल ने प्रिया से कहा कि वह जाकर कमरे में आराम करे; तब तक वह उसके लिए गरमा गरम चाय बनाकर लाता है। प्रिया को खाना खाने के बाद सोने से पहले हमेशा चाय पीने की आदत थी; कुणाल यह जानता था। आज प्रिया की हैरानी की कोई सीमा नहीं थी कि आखिरकार आज कुणाल को क्या हो गया है, और वह उसके लिए चाय क्यों लेकर आ रहा है। उसने ज़्यादा ना सोचकर मुस्कुराते हुए कमरे में चली गई। कमरे में जाकर उसने सबसे पहले रीमा को फ़ोन किया और कुणाल के बदले हुए बर्ताव के बारे में बताने लगी।
रीमा ने प्रिया को डाँटते हुए कहा, "यह क्या? तुझको कुणाल के इस तरह के बर्ताव पर एक ही पल में पिघल गई है? तू पागल हो गई है? तूने देखा नहीं, उसने कितना बड़ा धोखा दिया है तुझे, और हो सकता है कि उसके माँ-बाप ने उसे डाँट पिलाई हो; आखिरकार इकलौता लड़का है; उसे जायदाद से बेदख़ल करने की बात की हो; तो इसी वजह से वह तेरे साथ अच्छा बर्ताव करने का दिखावा कर रहा हो।"
प्रिया ने रीमा से कहा, "यार, तू दोस्त है या दुश्मन? आज तो मेरा पति मुझसे इतने अच्छे से बात कर रहा है, और तू खुश होने के बजाय मेरे मन में उल्टी-सीधी बातें डाल रही है, और हाँ, तुझे फिर भी केयरफुल रहना चाहिए; उस पर कोई भरोसा नहीं है।" लेकिन आज रीमा की बातें प्रिया को ज़हर लग रही थीं; अपने पति के ख़िलाफ़ वह कुछ भी नहीं सुनना चाहती थी। वह तो शुरू से ही कुणाल को इसी तरह का पाना चाहती थी, और आज कुणाल बिल्कुल वैसा ही था।
प्रिया जैसे-जैसे चाय के घूँट ले रही थी, वैसे-वैसे उसका मन खुशी से भरता जा रहा था, क्योंकि वह शुरू से ही चाहती थी कि कुणाल उसे प्यार करे, उससे प्यार से बात करे, उसके लिए छोटी-छोटी चीज़ें करे, उसकी केयर करे, उसे खाना दे, चाय दे, अपने हाथों से एटलीस्ट एक निवाला ही उसे खिलाए। आज कुणाल ने उसकी सारी इच्छाएँ लगभग पूरी कर दी थीं; वह बहुत खुश थी, और सोचने लगी कि चलो क्या हुआ? उसके सास-ससुर ने उसे कुछ नहीं बताया; हो सकता है कि वे मुझे परेशान ना करना चाहते हों; इसीलिए उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया; और साथ ही साथ वह सोचने लगी कि उन्होंने कुणाल को अच्छी तरह से डाँट दिया है, और शायद कुणाल को भी अपनी गलती का पछतावा होने लगा है; इसीलिए अब वह मेरे साथ इतना अच्छा बिहेव कर रहा है।
प्रिया ने अपनी चाय पूरी कर ली थी, और वह आराम से बिस्तर पर लेट गई; तभी कुणाल उसके पास आया, और उसके माथे पर हाथ रखकर कहा, "प्रिया, तुम कुछ थकी-थकी सी लग रही हो; चलो, मैं तुम्हें सुला देता हूँ।" ऐसा कहकर उसने प्रिया के माथे पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। और प्रिया, जो कि कुणाल को उस लड़की के साथ देखने के बाद से एक दिन भी चैन की नींद नहीं सोई थी, आज कुणाल को इतने करीब पाकर जल्दी ही सो गई, क्योंकि प्रिया को अब किसी बात की चिंता नहीं थी, और उसने अपने बच्चे के लिए कुणाल को माफ़ भी कर दिया था, और सोचने लगी थी कि ऐसी गलती चलो किसी से भी हो जाती है, और उसे इस बात को इतना सीरियस नहीं लेना चाहिए; और अगर कुणाल आगे बढ़कर रिश्ते की नई शुरुआत कर रहा है, तो उसे भी एक मौका देना चाहिए। यह सोचते हुए प्रिया गहरी नींद में सो गई।
वहीं दूसरी ओर, कुणाल की आँखों में नींद नहीं थी, और उसने जल्दी ही अपना फ़ोन निकाला; फ़ोन निकालकर उसने टीना को फ़ोन लगा दिया। टीना तो कुणाल के ही फ़ोन का इंतज़ार कर रही थी, और जल्दी ही कुणाल ने टीना को बता दिया कि उसने जो काम कहा था, वह हो गया है; वह अब उससे कभी भी नाराज़ नहीं होगी। जैसे ही टीना ने यह सुना कि कुणाल ने उसका बोला गया काम कर दिया है, तो टीना के चेहरे पर खुशी की चमक आ गई, और वह बहुत खुश हो गई, और उसने कुणाल से कहा, "कुणाल, वाकई तुम बहुत अच्छे हो; मुझे पता है कि तुम मुझे सबसे ज़्यादा प्यार करते हो; अब जो तुम कहोगे, वह मैं करूँगी, और हम दोनों का मिलन होने से कोई नहीं रोक पाएगा।" ऐसे कहकर दोनों ही हँसने लगे, और तब कुणाल ने टीना से कहा कि अभी मुझे सोने के लिए जाना होगा; तुम तो जानती हो कि अगर मैं अब नहीं सोया, तो फिर नहीं सो पाऊँगा।
कुणाल की बातें समझकर टीना ने जल्दी ही अपना फ़ोन रख दिया, और खुशी से बिस्तर पर झूम उठी। कुणाल बिस्तर पर लेट गया, लेकिन उसकी नींद नहीं लगने वाली थी; वह सोने की कोशिश करने लगा। प्रिया को सोए हुए आधा घंटा ही हुआ था कि अचानक से प्रिया के पेट में दर्द होना शुरू हो गया। जैसे ही प्रिया को दर्द हुआ, प्रिया हैरान हो गई, और वह तुरंत उठ बैठी। प्रिया को लगा कि शायद खाने के बाद उसने चाय ज़्यादा पी ली है; इस वजह से उसे एसिडिटी हो गई होगी, क्योंकि प्रिया ने प्रेगनेंसी के बारे में सुना था कि उसमें एसिडिटी की प्रॉब्लम ज़्यादा रहती है। यह सोचते हुए प्रिया ने थोड़ी देर कमरे में टहलना शुरू कर दिया। लेकिन जैसे-जैसे प्रिया टहल रही थी, वैसे-वैसे उसका दर्द बढ़ता जा रहा था, और देखते ही देखते प्रिया को अचानक से एहसास हुआ, मानो कि उसे दर्द के साथ-साथ ब्लीडिंग भी हो रही हो। अब प्रिया की साँसें ऊपर-नीचे होने लगीं; उसे कुछ समझ में नहीं आया था कि उसके साथ क्या हुआ है। दर्द की इंतहा होने पर, उसने चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया। ..... क्या प्रिया इस धोखे को समझ पाएगी? क्या प्रिया को कभी सच पता चल पाएगा? क्या होगा कुणाल के परिवार का रिएक्शन प्रिया के मिस्करिएज होने पर? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों!
और देखते ही देखते प्रिया को अचानक एहसास हुआ, मानो उसे दर्द के साथ-साथ ब्लीडिंग भी हो रही हो।
अब प्रिया की साँसें ऊपर-नीचे होने लगी थीं; उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हुआ है। दर्द की इंतहा होने पर प्रिया चीखने-चिल्लाने लगी।
प्रिया की आवाज़ सुनकर बगल के कमरे में सो रही सास, ननदें, सभी उसके कमरे में आ गए। लेकिन कुणाल, जो सोया नहीं था, केवल सोने का नाटक कर रहा था; प्रिया के चिल्लाने पर वह एक बार भी नहीं उठा।
अब प्रिया दर्द से चीख रही थी; वह बार-बार कुणाल का नाम पुकार रही थी। लेकिन कुणाल जानते हुए भी अनजान बना रहा। उसकी सास वहाँ आई और प्रिया को ब्लीडिंग होते देख, हैरान होकर बोली,
"लगता है तेरे बच्चे के साथ कुछ हो गया है।"
प्रिया बहुत डर गई और बुरी तरह रोने लगी,
"मम्मी जी, प्लीज़ कुछ कीजिए; मुझे बहुत दर्द हो रहा है; मेरे बच्चे को क्या हुआ? कुछ कीजिए; हो सकता है डॉक्टर कुछ कर पाए। मैंने तो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा है; फिर मेरे बच्चे को क्या हुआ...?"
प्रिया उस वक़्त बहुत दर्द में थी। प्रिया के ससुर बात की गंभीरता समझते हुए, उसकी ननदों को साथ लेकर चले गए, क्योंकि वे छोटी थीं और छोटियों के सामने इस तरह की बातें नहीं की जा सकती थीं कि उसकी भाभी का मिसकैरेज हो चुका था।
प्रिया दर्द से चिल्ला रही थी, तभी उसकी सास ने घर में रखी एक दवाई प्रिया के हाथ में थमा दी, और बोली,
"यह पेनकिलर खाओ और सो जाओ; सुबह देखेंगे क्या करना है। अब रात का एक बज गया है; इस समय हम तुझे लेकर कहाँ भागेंगे...?"
प्रिया उनकी बेरुखी सुनकर हैरान थी; लेकिन उस वक़्त वह बहुत दर्द में थी, इसलिए उसकी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह उनकी बातों का मतलब समझ सके। दर्द की इंतहा होने पर प्रिया ने सास द्वारा दी गई दवाई खा ली। दवाई खाने के बाद लेटते ही, अचानक उसका पेट दर्द और बढ़ गया; दर्द बढ़ता ही जा रहा था, कम होने का नाम नहीं ले रहा था। प्रिया की हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी, और वह रो-रोकर कुणाल को उठाने की कोशिश करने लगी। लेकिन कुणाल, जो सोने का नाटक कर रहा था, उठकर बोला,
"मुझे सोने दो; मुझे उठाने की कोशिश भी मत करना; समझे तुम? तुम तो सारा दिन घर में रहोगी; मुझे सारा दिन ऑफ़िस में काम करना होता है, और तुम तो हमेशा घर पर आराम ही करती हो।"
ऐसा कहकर वह बेरुखी से सो गया।
लेकिन प्रिया की आँखों में नींद नहीं थी। एक तो उसका बच्चा...क्योंकि उसकी सास ने बताया था कि हो सकता है उसके बच्चे के साथ कुछ हो गया है...इस बात की टेंशन, ऊपर से पेट में दर्द; प्रिया का बहुत बुरा हाल था, और ऊपर से कुणाल की बेरुखी। रोती-धोती प्रिया लगभग चार बजे सो गई।
अगले दिन प्रिया देर तक सोई रही, क्योंकि वह पूरी रात जगी रही थी, रोती रही थी, और कुणाल ने एक बार भी उसे देखने की ज़रूरत महसूस नहीं की थी। दस बजे के करीब प्रिया की आँख खुली; प्रिया ने देखा कि उसे लगातार ब्लीडिंग हो रही थी। लेकिन अभी तक ना तो कोई डॉक्टर आया था, और ना ही कोई वहाँ खड़ा था कि प्रिया को डॉक्टर के पास ले जा सके।
प्रिया की हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी; तभी प्रिया की सास उसके पास आई और बोली,
"जल्दी से चेंज कर ले; मैं तुझे डॉक्टर के पास लेकर चल रही हूँ।"
प्रिया काफ़ी हैरान थी कि वह इस हालत में कैसे चेंज करे? प्रिया एक बहुत कम उम्र की लड़की थी; उसकी नई-नई शादी हुई थी, और नई-नई शादी में उसका पहला मिसकैरेज था; उसे नहीं पता था उसके साथ क्या हो रहा है, और यह उसकी हालत ऐसी क्यों है? क्योंकि प्रिया की कुछ खास सहेलियाँ नहीं थीं जिसे वह अपना दुख-दर्द शेयर कर पाती। सहेली नाम पर प्रिया के पास सिर्फ़ रीमा ही थी। धीरे-धीरे दोपहर के बारह बज चुके थे, लेकिन किसी ने प्रिया को एक गिलास पानी तक पूछना ज़रूरी नहीं समझा था। उन्हें ऐसा लग रहा था, मानो प्रिया ने ही कुछ गलती की है, जिसकी वजह से उसका मिसकैरेज हुआ है; इसीलिए कोई सीधे मुँह प्रिया से बात तक नहीं कर रहा था, और प्रिया को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ हो क्या रहा है; सब उसके साथ इस तरह का बर्ताव क्यों कर रहे हैं, जबकि उसकी कोई गलती भी नहीं है। दोपहर के करीब बारह बजे जब कोई डॉक्टर घर नहीं आया, प्रिया फिर रोने लगी।
तब उसकी सास उसके पास आई और बोली,
"चल, तुझे लेकर चलती हूँ डॉक्टर के पास।"
ऐसा कहकर उसकी सास दोपहर के बारह बजे से लेकर एक बजे के करीब उसे डॉक्टर के पास ले गई। लेकिन प्रिया को रह-रहकर कुणाल की बहुत कमी महसूस हो रही थी, क्योंकि प्रिया जहाँ माँ बनने की ख़बर से खुश थी, वह आज उसका बच्चा उसके साथ नहीं था; तो उसे रह-रहकर बहुत दुख हो रहा था। तभी प्रिया ने अपनी सासू माँ से कहा कि वह एक बार कुणाल से उसकी बात करवा दे, क्योंकि इस भागदौड़ में प्रिया अपना फ़ोन नहीं लाई थी, और उसमें बैटरी तक नहीं थी। लेकिन उसकी सास, सुमन ने उसे फिर डाँट दिया और बोली,
"मेरा बेटा क्या तुझसे बात करने के लिए ही बैठा है?"
अपनी सास की बात सुनकर प्रिया खामोश हो गई।
तभी अचानक प्रिया जिस रिक्शे से जा रही थी, वह रिक्शा एक फ़्लाईओवर के नीचे से गुज़रा; तभी प्रिया की नज़र कुणाल पर पड़ी। कुणाल उसी लड़की के साथ, यानी टीना के साथ, साइड कॉर्नर पर खड़ा होकर आइसक्रीम खा रहा था। जैसे ही प्रिया ने कुणाल को देखा, तो वह फिर दर्द से भर उठी।.... क्या करेगी प्रिया कुणाल के इतने बड़े धोखे पर? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों।
क्योंकि इस भागदौड़ में प्रिया अपना फ़ोन नहीं लाई थी, और उसमें बैटरी तक नहीं थी। लेकिन उसकी सास, सुमन ने उसे एक बार फिर डाँट दिया था और कहने लगी थी, "मेरा बेटा क्या तुझसे बात करने के लिए ही बैठा है?" अपनी सास की बात सुनकर प्रिया अब खामोश हो गई थी।
तभी अचानक प्रिया जिस रिक्शे से जा रही थी, वह रिक्शा एक फ़्लाईओवर के नीचे से गुज़रा था; तभी प्रिया की नज़र किसी और पर नहीं, बल्कि कुणाल पर पड़ी थी। कुणाल उसी लड़की के साथ, यानी कि टीना के साथ, साइड कॉर्नर पर खड़ा होकर आइसक्रीम खा रहा था। जैसे ही प्रिया ने कुणाल को देखा, तो एक बार फिर वह दर्द से भर उठी थी। और कुणाल को देखने के बाद प्रिया ने जल्दी से अपनी सास को उसके बारे में बताया था और बोली थी, "माँ, वो देखिए; मैंने कुणाल जी को वहाँ देखा है।" ऐसा कहकर उसने कुणाल की ओर इशारा किया था। लेकिन अगले ही पल प्रिया को सास ने उसे डाँटते हुए कहा था, "जस्ट शट अप! अपनी फ़ालतू की बकवास बंद कर; और हम घर चल रहे हैं ना? वह कुणाल नहीं है; वह कोई और होगा; मेरा बेटा तो इस वक़्त ऑफ़िस में बैठकर काम कर रहा है, मेहनत कर रहा है घर को चलाने के लिए; वह सो काम करता है, और तू है कि उस पर इल्ज़ाम लगा रही है।" ऐसा कहकर उसने एक बार फिर प्रिया को चुप कर दिया था, और प्रिया की आँखों में कुणाल की वह छवि पूरी तरह से बस चुकी थी। साथ-साथ प्रिया ने अपनी सासू माँ के उड़ा हुए रंग को देख लिया था; वह समझ चुकी थी कि वह भी अपने बेटे को देख चुकी है; लेकिन प्रिया के सामने वह कुणाल को ना देखे जाने का नाटक कर रही थी, ताकि प्रिया इस बात को लेकर किसी भी तरह का कोई हंगामा न बरसा सके, या फिर अपने माता-पिता को फ़ोन करके कुणाल के बारे में शिकायत कर सके; इसीलिए उन्होंने प्रिया की इस बात को उसी के मुँह पर झुठला दिया था।
वहीं दूसरी ओर, कुणाल प्रिया के मिस्करिएज को सेलिब्रेट करने के लिए ऑफ़िस से छुट्टी लेकर टीना को घूमने के लिए बाहर आया हुआ था। और इस जगह उसने आइसक्रीम खाई थी; उसी जगह से रिक्शा वाले ने प्रिया का रिक्शा निकाला था, और प्रिया ने उसे देख लिया था। लेकिन कुणाल प्रिया को नहीं देख पाया था; वह तो उस वक़्त अपनी आइसक्रीम से टीना को आइसक्रीम खिला रहा था और टीना की आइसक्रीम से खुद खा रहा था। दोनों बिल्कुल एक-दूसरे के साथ लव बर्ड्स, पूरी तरह से प्यार में खोए हुए थे। तभी टीना ने कुणाल से कहा था, "वह कुणाल; तुमने कितनी सफ़ाई से यह काम कर दिया; और किसी को कुछ पता भी नहीं चला।"
एक्चुअली, जैसे ही टीना को इस बात की ख़बर मिली थी कि कुणाल बाप बनने वाला है, तो उसे अपने सारे इरादे डूबते हुए से नज़र आने लगे थे। इसीलिए उसने कुणाल के सामने साफ़-साफ़ यह बात रख दी थी कि अगर वह उसके साथ रहना चाहता है, उसके जिस्म के साथ अपनी रातें रंगीन करना चाहता है, तो इसके लिए उसे प्रिया के पेट में पल रहे बच्चे को मारना होगा। इसीलिए उसने कुणाल को कुछ मेडिसिन्स प्रोवाइड करवाई थीं जिसके द्वारा अबॉर्शन किया जा सकता था। और कुणाल ने दो-तीन मेडिसिन्स प्रिया को उस चाय में दी थीं जो चाय उसने खाना खिलाने के बाद प्रिया के लिए बनाई थी। और प्रिया ने खुशी-खुशी कुणाल पर भरोसा करके उस चाय को पी लिया था; बेचारी प्रिया को क्या पता था कि जिस चाय को वह अपने हस्बैंड का प्यार समझकर पी रही है, असल में वह ही उसके लिए कितना बड़ा ज़हर है।
वेल, कुणाल की चाल कामयाब हो गई थी, और प्रिया का मिस्करिएज हो चुका था। जल्दी ही प्रिया जैसे-तैसे रोती-धोती घर आ गई थी, और बार-बार उसकी आँखों के सामने उसके पति और टीना का एक साथ आइसक्रीम खाना याद आ रहा था। और जैसे ही वह घर आई, उसने देखा कि उसकी जो छोटी-छोटी दो ननदें थीं (वह ज़्यादा छोटी नहीं थीं; एक ननद 20-22 साल की थी और एक 18 साल की थी; दोनों ही जवान हो चुकी थीं), जो 22 साल वाली उसकी ननद थी, उसने आते ही प्रिया पर चिल्लाना शुरू कर दिया था, और प्रिया पर अलग-अलग तरह के इल्ज़ाम लगाना शुरू कर दिया था, और अपने माँ-बाप के कान भरकर कहने लगी थी कि "इसी ने मेरे भाई का बच्चा गिराया है; यह हमें बुआ बनते हुए देखना ही नहीं चाहती है, ताकि इसका फ़िगर ख़राब ना हो; जानबूझकर इसने सोचते हुए अपना मिस्करिएज कराया है।"
प्रिया काफ़ी ज़्यादा हैरान थी कि यह उससे ऐसी बातें क्यों कह रही है। तभी उसकी माँ अपनी बेटी को डाँटते हुए बोली थी, "कामिनी, तू यह कैसी बातें कर रही है?" तभी अचानक उसकी उस 22 साल वाली ननद, कामिनी (उसका नाम कामिनी था), ने अपनी अम्मा को एक दवाई का कवर दिखाया था, और कहने लगी थी, "यह बच्चा गिराने वाली दवाई है; इस पर साफ़-साफ़ लिखा हुआ है।" जैसे ही प्रिया ने यह सुना, उसके पैरों के तले से ज़मीन खिसक चुकी थी, क्योंकि उसकी उस ननद ने उसे बताया कि यह दवाई उसने किचन में देखी थी, और वह कहने लगी थी कि "किचन में तो भाभी काम करती है; तो भला यह दवाई वहाँ कहाँ से आएगी? ज़रूर भाभी ने ही भैया से दवाई मँगवाकर खाई होगी ताकि यह बच्चा पैदा ना कर पाए, और अब देखना माँ; यह कभी भी माँ नहीं बनेगी।"
उसकी ननद कामिनी प्रिया पर उलटे-सीधे इल्ज़ाम लगाए जा रही थी, और उसे खरी-खोटी सुनाए जा रही थी। और प्रिया तो इस वक़्त किसी और ही तरह के ख़्यालों में डूबी हुई थी, और उसे वह कल रात वाली चाय याद आ गई थी जो उसने पी थी। वह भी कुणाल पर भरोसा करके; अब उसके सामने सब कुछ क्लियर हो चुका था; जिस प्यार को वह तरस रही थी, वह प्यार पाकर वह इतनी अंधी हो गई कि उसने चाय के स्वाद को भी (जो बिल्कुल भी ठीक नहीं था), किसी मीठे ज़हर को, वह शरबत की तरह समझकर पीने लगी थी।
वेल, प्रिया को अपने ख़्यालों में गुम देखकर उसकी ननद कामिनी उसकी ओर देखकर बोली थी, "अब ऐसे क्या बैठकर सोच रही हो? अब तुम्हें क्या लगता है? तुम्हारा मिस्करिएज हो गया है, तो तुम क्या अभी यहाँ पर बेड पर पड़ जाओगी और आराम करोगी? ऐसा कुछ नहीं होने वाला है; तुम्हें यहाँ घर का सारा काम करना ही होगा; समझी तुम?" ऐसा कहकर उसकी ननद जल्दी अपने कमरे में चली गई थी।
तभी प्रिया के ससुर जी वहाँ आए थे और फ़ोन देकर उसकी सास को कहने लगे थे कि "प्रिया की माँ का फ़ोन है; उसकी माँ से उसकी बात करवा दो।" क्योंकि प्रिया के फ़ोन की बैटरी डेड थी; इन सब चक्करों में उसे अपना फ़ोन चार्ज करने का भी टाइम नहीं मिला था। वेल, क्योंकि प्रिया की माँ को उसके मिस्करिएज की ख़बर मिल चुकी थी, और उससे वह काफ़ी ज़्यादा परेशान हो उठी थी। प्रिया ने जल्दी ही फ़ोन ले लिया था; अपनी माँ की आवाज़ सुनने के बाद प्रिया फूट-फूट कर रो दी थी; उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि वह अपनी अम्मा को इस बारे में बता सके कि उसके साथ क्या हुआ है। और इतना ही नहीं, प्रिया ने यह बात अपने मन ही मन में दबा ली थी, क्योंकि वह अपनी माँ को कभी भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं देना चाहती थी।
प्रिया अच्छी तरह से जानती थी कि उसके मायके में कैसा जीवन था; उसके मायके में खुशी, प्यार, मोहब्बत तो बहुत था, लेकिन पैसों की वजह से हमेशा वहाँ पर तंगी बनी रहती थी। इतना ही नहीं, प्रिया की शादी भी उसके माता-पिता ने कर्ज़ा लेकर की थी, जिसकी वजह से उसका परिवार और भी ज़्यादा ग़रीब हो गया था; तो इसीलिए प्रिया अपने मायके की तरफ़ से काफ़ी ज़्यादा कमज़ोर थी, क्योंकि अगर प्रिया के माँ-बाप काफ़ी ज़्यादा अमीर होते, तो बिल्कुल भी प्रिया इस तरह की कोई भी बात बर्दाश्त नहीं करने वाली थी। लेकिन अब प्रिया मजबूर हो चुकी थी और सोचने लगी थी कि जैसे-तैसे एक बार उसके बाप ने उसकी शादी की है, और अगर उन्हें इस बात के बारे में पता चला कि प्रिया इस शादी को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है, तो बहुत बड़ा मसला खड़ा हो सकता था, और पूरे परिवार में बेइज़्ज़ती होती, वह अलग। तो इसीलिए प्रिया ने अपने माँ-बाप को कुछ भी ना बताने का फ़ैसला कर लिया था।......❤❤❤❤क्या प्रिया सबके बारे में सोचता-सोचते खुद को मिटा लेगी? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों!
तभी अचानक प्रिया जिस
रिक्शे से जा रही थी वह रिक्शा एक फ्लाई ओवर
के नीचे से गुजरा था तभी प्रिया की नजर किसी और पर नहीं बल्कि कुणाल पर पड़ी थी कुणाल उसी लड़की के साथ यानी की टीना के साथ साइड कॉर्नर पर खड़ा होकर आइसक्रीम खा रहा था।।।।।।।।।।
जैसे ही प्रिया ने कुणाल को देखा तो एक बार फिर वह दर्द से भर
उठी थी।।।।।
। और कुणाल को देखने के बाद प्रिया ने जल्दी से अपनी सास को उसके बारे मे बताया था और बोली थी मां वो देखीये मैंने कुणाल जी को वहां देखा है ,,
ऐसा कहकर उसने कुणाल की ओर इशारा किया था।।।।
लेकिन अगले ही पल प्रिया को सास ने उसे डांटते हुए कहा था जस्ट शट अप अपनी फालतू की बकवास बंद कर और हम घर चल रहे हैं ना वह कुणाल नहीं है वह कोई और होगा मेरा बेटा तो इस वक्त ऑफिस में बैठकर काम कर रहा है ,,,
मेहनत कर रहा है घर को चलाने के लिए वह सो काम करता है और तू है कि उस पर इल्जाम लगा रही है ऐसा कहकर उसने एक बार फिर प्रिया को चुप कर दिया था ,,,,
और प्रिया की आंखों में कुणाल की वह छवि पूरी तरह से बस चुकी थी
साथ-साथ प्रिया ने अपनी सासू मां के चेहरे का उड़ा हुआ रंग देख लिया था वह समझ चुकी थी कि वह भी अपने बेटे को देख चुकी है लेकिन प्रिया के सामने वो कुणाल को ना देखे जाने का नाटक कर रही थी ।।।।।
ताकि प्रिया इस बात को लेकर किसी भी तरह की कोई हंगामा न बरसा सके ।।।
या फिर अपने माता-पिता को फ़ोन कर के कुनाल के बारे में शिकायत कर सके ,,
इसीलिए उन्होंने प्रिया की इस बात को उसी की मुंह पर झूठला दिया था।।।।।
वहीं दूसरी ओर कुणाल प्रिया के मिस कैरेज को सेलिब्रेट करने के लिए ऑफिस से छुट्टी लेकर टीना को घूमने के लिए बाहर आया हुआ था।।।।
और इस जगह उसने आइसक्रीम खाई थी उसी जगह से रिक्शा वाले ने प्रिया का रिक्शा निकाला था।।।
और प्रिया ने उसे देख लिया था,,
लेकिन कुणाल प्रिया को नहीं देख पाया था वह तो उसे वक्त अपनी आइसक्रीम से टीना को आइसक्रीम खिला रहा था और टीना की आइसक्रीम से खुद खा रहा था।।।।
। दोनों बिल्कुल एक दूसरे के साथ लव बर्ड्स पूरी तरह से प्यार में खोए हुए थे ।।।।
तभी टीन ने कुणाल से कहा था वह कुणाल तुमने कितनी सफाई से यह काम कर दिया और किसी को कुछ पता भी नहीं चला।।।।
एक्चुअली जैसे ही टीना को इस बात की खबर मिली थी कि कुणाल बाप बनने वाला है तो उसे अपने सारे इरादे डूबते हुए से नजर आने लगे थे,,,,,,
इसीलिए उसने कुणाल के सामने साफ-साफ यह बात रख दी थी कि अगर वह उसके साथ रहना चाहता है उसके जिस्म के साथ अपनी राते रंगीन करना चाहता है,,,,
तो इसके लिए उसे प्रिया के पेट में पल रहे बच्चे को मारना होगा इसीलिए उसने कुणाल को कुछ मेडिसिंस प्रोवाइड करवाई थी जिसके द्वारा अबॉर्शन किया जा सकता था ।।।।।
और कुणाल ने दो से तीन मेडिसिंस प्रिया को उस चाय में दी थी जो चाय उसने खाना खिलाने के बाद प्रिया के लिए बनाई थी।।।।
और प्रिया ने खुशी खुशी कुणाल पर भरोसा करके उस चाय को पी लिया था,,,
बेचारी प्रिया को क्या पता था कि जिस चाय को वह अपने हस्बैंड का प्यार समझ कर पी रही है असल में वह ही उसके लिए कितना बड़ा जहर है ।।।।
वेल कुणाल की चाल कामयाब हो गई थी और प्रिया का मिसकैरेज हो चुका था।।।
जल्दी ही प्रिया जैसे-तेसे रोती-धोती घर आ गई थी और बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके पति और टीना का एक साथ आइसक्रीम खाना याद आ रहा था।।।।।
और जैसे ही वह घर आई उसने देखा कि उसकी जो छोटी-छोटी दो नन्हे वह भी ज्यादा छोटा नहीं थी एक नंद 20 से 22 साल की थी और एक 18 साल की थी दोनों ही जवान हो चुकी थी।।।
जो 22 साल वाली उसकी नंद थी उसने आते ही प्रिया पर आते ही चिल्लाना शुरू कर दिया था ,,
और प्रिया पर अलग-अलग तरह के इल्जाम लगाना शुरू कर दिया था ।।।।
और अपने मां-बाप के कान भरकर कहने लगी थी की इसी ने मेरे भाई का बच्चा गिराया है यह हमें बुआ बनते हुए देखना ही नहीं चाहती है,,,
ताकि इसका फिगर खराब ना हो जानबूझकर यह सोचते हुए इसने अपना मिसकैरेज कराया है।।।।
प्रिया काफी ज्यादा हैरान थी कि यह उससे ऐसी बातें क्यों कह रही है ।।।
तभी उसकी मां अपनी बेटी को डांटते हुए बोली थी कामिनी तू यह कैसी बातें कर रही है तभी अचानक उसकी उस 22 साल वाली नंद कामिनी ने उसका नाम कामिनी था कमीनी ने अपनी अम्मा को एक दवाई का कवर दिखाया था।।।।
और कहने लगी थी यह बच्चा गिराने वाली दवाई है इस पर साफ-साफ लिखा हुआ है जैसे ही प्रिया ने यह सुना उसके पैरों के तले से जमीन खिसक चुकी थी।।।।
क्योंकि उस की उस नंद ने उसे बताया कि यह दवाई उसने किचन में देखी थी और वह कहने लगी थी किचन में तो भाभी काम करती है तो भला यह दवाई वहां कहां से आएगी ।।।।
जरूर भाभी ने ही भैया से दवाई मंगवा कर खाई होगी ताकि यह बच्चा पैदा ना कर पाए ,,
और अब देखना मां ये कभी भी मां नहीं बनेगी इसकी नंद कामिनी प्रिया पर उल्टे सीधे इल्जाम जाम लगाए जा रही थी ।।।
और उसे खरी खोटी सुनाए जा रही थी,,
और प्रिया तो इस वक्त किसी और या अलग ही तरह के ख्यालों में डूबी हुई थी और उसे वह कल रात वाली चाय याद आ गई थी जो उसने चाय पी थी।।।।
वह भी कुणाल पर भरोसा कर कर अब उसके सामने सब कुछ क्लियर हो चुका था जिस प्यार को वह तरस रही थी वह प्यार पाकर वह इतनी अंधी हो गई कि उसने चाय के स्वाद को भी जो बिल्कुल भी ठीक नहीं था उसे किसी मीठे जहर को वो शरबत की तरह समझ कर पीने लगी थी
वेल प्रिया को अपने ख्यालों में गुम देख कर उसकेके नंद कामिनी उसकी ओर देखकर बोली थी,,
अब ऐसे क्या बैठकर सोच रही हो अब तुम्हें क्या लगता है तुम्हारा मिसकैरेज हो गया है तो तुम क्या अभी यहां पर बेड पर पड़ जाओगे,,
और आराम करोगे,,
ऐसा कुछ नहीं होने वाला है ,,
तुम्हें यहां घर का सारा काम करना ही होगा समझी तुम ऐसा कह कर उसकी नंद जल्दी अपने कमरे में चली गई थी।
तभी प्रिया के ससुर जी वहां आए थे और फोन देकर उसकी सास को कहने लगे थे कि प्रिया की मां का फोन है उसकी मां से उस की बात करवा दो।।।
क्योंकी प्रिया के फोन की बैटरी डेड थी इन सब चक्करों में उसे अपना फोन चार्ज करने का भी टाइम नही मिला था,,,
वेल क्योंकि प्रिया की मां को उसके मिसकैरेज की खबर मिल चुकी थी और उससे वह काफी ज्यादा परेशान हो उठी थी।।।
प्रिया ने जल्दी ही फोन ले लिया था भर रहा है अपनी मां की आवाज सुनने के बाद प्रिया फूट-फूट कर रो दी थी,,
उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि वह अपनी अम्मा को इस बारे में बता सके कि उसके साथ क्या हुआ है।।
और इतना ही नहीं प्रिया ने यह बात अपने मन ही मन में दबा ली थी क्योंकि वह अपनी मां को कभी भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं देना चाहती थी।।।।
प्रिया अच्छी तरह से जानती थी कि उसके मायके में कैसा जीवन था उसके मायके में खुशी प्यार मोहब्बत तो बहुत था लेकिन पैसों की वजह से हमेशा वहां पर तंगी बरसी रहती थी ।।।
इतना ही नहीं प्रिया की शादी भी उसके माता-पिता ने कर्जा लेकर की थी।।।
जिसकी वजह से उसका परिवार और भी ज्यादा गरीब हो गया था तो इसीलिए प्रिया अपने मायके की तरफ से काफी ज्यादा कमजोर थी।।।।
क्योंकि अगर प्रिया के मां बाप काफी ज्यादा अमीर होते तो बिल्कुल भी प्रिया इस तरह की कोई भी बात बर्दाश्त नहीं करने वाली थी।।।।
लेकिन अब प्रिया मजबूर हो चुकी थी और सोचने लगी थी जैसे तैसे एक बार उसके बाप ने उसकी शादी की है और अगर उन्हें इस बात के बारे में पता चला कि प्रिया इस शादी को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है तो बहुत बड़ा मसला खड़ा हो सकता था।।।।।
और पूरे परिवार मे बेइज्जती होती वो अलग,
तो इसीलिए
प्रिया ने अपने मां-बाप को कुछ भी ना बताने का फैसला कर लिया था।।।।।।।💕🩷🩷💕🙏🏻🙏🏻✍🏻✍🏻🙏🏻💕💕💕💕✍🏻🙏🏻💕🩷🩷🩷🩷🩷💕 क्या प्रिया सबके बारे मे सोचता सोचते खुद को मिटा लेगी जानने के लिय बने रहिए दोस्तो।।।।
लेकिन अब प्रिया मजबूर हो चुकी थी और सोचने लगी थी। जैसे-तैसे एक बार उसके बाप ने उसकी शादी करवा दी है, और अगर उन्हें इस बात का पता चला कि प्रिया यह शादी आगे नहीं बढ़ाना चाहती, तो बहुत बड़ा मसला खड़ा हो सकता था। पूरे परिवार में बेइज्जती होती, यह अलग। इसलिए प्रिया ने अपने माँ-बाप को कुछ भी न बताने का फैसला कर लिया था।
तब उसकी माँ ने प्रिया से कहा था, "मेरी बच्ची, तुझे अपना ख्याल रखना चाहिए था। तेरी सास ने बताया कि तूने कुछ उल्टा-सीधा खा लिया। तुझे ज़्यादा लहसुन वगैरह का इस्तेमाल नहीं करना था। न हीँ तुझे पपीता खाना था। क्या तेरी सास ने यह नहीं बताया था कि यह सब खाने से शुरुआती प्रेगनेंसी में मिस्कैरेज वगैरह हो जाते हैं?"
कहीं न कहीं उसकी सास ने प्रिया की माँ को यही बताया था कि प्रिया ने खाने में लहसुन की मात्रा ज़्यादा खा ली थी, जिसकी वजह से उसे मिस्कैरेज हुआ है। उसकी सास ने दवा वाली बात जानबूझकर लीक नहीं की थी, क्योंकि दवा उनका बेटा लेकर आया था। वह इस केस में अपने बेटे का नाम दूर-दूर तक नहीं आने देना चाहती थी।
अपनी माँ की बात सुनने के बाद प्रिया काफी हैरान थी। प्रिया अब किसको क्या बताती? प्रिया ने अपनी माँ की गलतफ़हमी दूर नहीं की। थोड़ी देर बात करने के बाद उसने फ़ोन काट दिया।
क्योंकि प्रिया सोचने लगी थी, अगर वह ज़्यादा देर अपनी माँ से इसी तरह बात करती रही, तो वह खुद को रोक नहीं पाएगी और सारा सच अपनी माँ को बता देगी। लेकिन अपनी माँ को वह इतनी सी भी तकलीफ नहीं देना चाहती थी, क्योंकि प्रिया अपनी माँ से सबसे ज़्यादा प्यार करती थी।
हमेशा से ही प्रिया की माँ ने प्रिया को बहुत ज़्यादा सपोर्ट किया था; हर चीज़ में, हर फ़ील्ड में। इतना ही नहीं, प्रिया से कभी कोई घर का काम तक नहीं कराया था। हमेशा उसकी पढ़ाई में उसका साथ दिया था। कहने को तो प्रिया के भाई थे, लेकिन उसकी माँ ने उसके भाइयों को ज़्यादा तवज्जो नहीं दी थी। वह हमेशा प्रिया को सबसे ज़्यादा प्यार करती थी और हमेशा उसका साथ देती थी। इसलिए प्रिया ने सोच लिया था कि वह मरते-मर जाएगी, लेकिन अपने माँ-बाप को अपनी तरफ़ से किसी भी तरह का कोई दुख नहीं होने देगी।
जल्दी से प्रिया ने फ़ोन काट दिया। फ़ोन काटने के बाद उसने अपनी सास से कहा कि वह उसकी कुणाल से बात करवा दे, लेकिन उसकी सास ने उसे डाँटते हुए कहा, "अब तेरा पति क्या कर लेगा? अब तू क्या उसे अपने पल्लू से बाँधकर रखना चाहती है? मेरा बेटा है, बेटा लड़का है, बाहर गया है घूमने। और वैसे भी, उसे किस मुँह से सब कुछ बताएगी?"
तब प्रिया काफी ज़्यादा हैरान थी। कल रात का जो कुछ भी कुणाल ने उसके साथ किया था, वह उसे याद आ गया। प्रिया दर्द से चीख रही थी, कराह रही थी, चिल्ला रही थी। लेकिन कुणाल टस से मस नहीं हुआ। प्रिया की चीखने की आवाज़ सुनने के बाद भी, एक बार भी उसने उठकर प्रिया को नहीं देखा।
वहीँ प्रिया जैसे-तैसे दवाइयों के नशे में थोड़ी देर सोने की कोशिश करने लगी। लेकिन प्रिया ने कल रात से कुछ नहीं खाया था। इतना ही नहीं, सुबह भी उसकी सास ने उसे कुछ भी खाने के लिए नहीं दिया था। प्रिया की हालत अब ऐसी थी कि उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि वह कुछ अपने लिए बना सके और खा सके। फिर जैसे-तैसे उसकी सास को उस पर तरस आया, और उसने कुछ ब्रेड, चाय में भिगोकर उसे दे दिए। प्रिया ने वह चाय-ब्रेड खा लिए, और फिर दवा खाकर सो गई।
प्रिया के सोने के बाद उसकी ननद और उसकी सास को घर का काम करना पड़ा। उन पर बहुत ज़्यादा जोर पड़ रहा था। वह गुस्से से प्रिया को गाली दे रही थीं, और उसकी बड़ी ननद ने तो गालियों की हदें ही पार कर दी थीं। बड़ी ही बुरी तरह से वह प्रिया को कोसने लगी थीं, लेकिन प्रिया उनकी आवाज़, उनकी बातें सुनने के लिए वहाँ मौजूद नहीं थी। प्रिया उस वक़्त सो चुकी थी।
वहीं दूसरी ओर, कुणाल टीना को आइसक्रीम खिलाने के बाद उसे एक बार फिर एक पार्क में लेकर आ गया था और घंटों उसका हाथ पकड़े बैठा रहा था। वह कहने लगा था, "तुमने जो कुछ कहा है, मैंने कर दिया है। वह बच्चा, जो कि हमारी ज़िन्दगी में आने वाला रोड़ा बन सकता था, मैंने उसे हमेशा-हमेशा के लिए अपने रास्ते से हटा दिया है। और तुमने जो बोला था, मैंने उसे एक नहीं, बल्कि दो दवाइयाँ उस चाय में डालकर पिलाई हैं। और मुझे पूरी उम्मीद है, किसी को भी इस बात के बारे में कभी पता नहीं लग पाएगा।"
तब टीना बहुत ज़्यादा खुश हो गई थी। इसी खुशी में उसने थोड़ा सा आगे बढ़कर कुणाल के होंठों को छू लिया। कुणाल टीना के इस तरह प्यार करने पर शर्मा उठा था, क्योंकि हमेशा किस करने की या फिर उसके करीब आने की पहल टीना ही करती थी। कुणाल थोड़ा शर्मीला किस्म का था इस मामले में।
तभी टीना के होंठों ने जैसे ही कुणाल के होंठों को छुआ, कुणाल के जिस्म में करंट सा दौड़ गया। उसने तुरंत टीना के बालों को पकड़कर उसे अपने हाथों को उसकी गर्दन के पीछे घुमाना शुरू कर दिया। बड़ी ही बुरी तरह से वह उसे किस करने लगा, और टीना भी अब पूरी तरह से उत्तेजित हो उठी थी। वह उस वक़्त कुणाल को पूरी तरह से पा लेना चाहती थी।
लेकिन वह जिस वक़्त जिस जगह बैठे हुए थे, वह जगह कोई और नहीं, बल्कि एक पार्क था। भले ही वह पार्क की झुकी हुई झाड़ियों के आस-पास बैठे हुए थे, लेकिन वहाँ पर शाम के समय लोगों का काफी आना-जाना था। जैसे ही लोगों की नज़र उन प्रेमियों पर पड़ी, और दोनों को इस तरह किस करते हुए देखा, कुछ लोगों ने उन्हें डिस्टर्ब करते हुए कहा, "अरे! यह तुम्हारे घर नहीं है। जाकर घर में यह सब काम क्यों नहीं करते हो? यह पार्क है, यहाँ बड़े-बड़े बच्चे आते हैं। आजकल के बच्चों में शर्म नाम की तो कोई चीज़ है ही नहीं!"
जैसे ही टीना और कुणाल को एक बुज़ुर्ग ने इस तरह डाँटा, वह दोनों का चेहरा पसीना-पसीना हो गया। दोनों जल्दी से वहाँ से उठकर बाहर की ओर भागे।
तभी टीना ने कुणाल की ओर देखते हुए कहा, "लगता है अभी हमारे मिलन का सही समय नहीं आया है। अब तो तुम्हें भी तुम्हारे घर जाने का समय हो गया है, और मुझे भी घर जाना होगा, क्योंकि मेरे पापा आज काफ़ी दिनों के बाद घर आ रहे हैं। तो मुझे इस वक़्त जल्दी ही घर जाना होगा।"
ऐसा कहकर एक बार फिर एक-दूसरे को हग करके टीना और कुणाल अलग-अलग चले गए।
थोड़ी देर बाद प्रिया को जैसे ही होश आया, उसने देखा कि उसके फ़ोन पर किसी का फ़ोन आ रहा है। वह फ़ोन किसी और का नहीं, बल्कि उसकी बेस्ट फ़्रेंड रीमा का था। सोने से पहले प्रिया अपना फ़ोन चार्जिंग पर लगाकर सोई थी। रीमा का फ़ोन आने पर प्रिया पूरी तरह से भावुक हो उठी, और उसने रो-रोकर रीमा को जो कुछ भी उसके साथ हुआ था, वह सारी बातें बता दीं।
अब रीमा गुस्से से सुलगने लगी। अगले ही दिन रीमा ने डिसाइड किया कि वह प्रिया से मिलने जाएगी। क्योंकि वह प्रिया के साथ बचपन से ही थी, और हमेशा उसने प्रिया के सुख-दुख में उसका साथ दिया था। इसलिए रीमा प्रिया पर किसी भी तरह की आँच नहीं आने देना चाहती थी।
रीमा तो शुरू से ही चाहती थी कि प्रिया उसकी भाभी बने, क्योंकि रीमा का भाई अविनाश प्रिया को बहुत ज़्यादा पसंद करता था। लेकिन प्रिया के बाबा ने अविनाश से प्रिया का रिश्ता नहीं किया था, क्योंकि उन लोगों की कास्ट में फ़र्क था। प्रिया के पिताजी कास्ट वगैरह पर ज़्यादा ध्यान देते थे। जिसकी वजह से प्रिया रीमा की भाभी बनते-बनते रह गई थी।
कभी-कभी तो प्रिया सोचा करती थी कि काश उसकी शादी रीमा के भाई से ही हो जाती! उसे पूरी उम्मीद थी कि उसकी ज़िन्दगी खुशियों से भर जाती, और स्वर्ग से भी ज़्यादा खुशियाँ उसे इस धरती पर मिल जातीं। लेकिन अब तो उसकी ज़िन्दगी बहुत बुरी, बद से भी ज़्यादा बदतर होती जा रही थी। उसकी हालत ऐसी थी कि ना तो वह किसी को कुछ बता पा रही थी, और ना ही वह ऐसी सिचुएशन को फ़ेस कर पा रही थी। उसका रह-रहकर दम घुट रहा था, यह बात सोचकर कि उसके अपने पति ने उसके साथ इतना बड़ा धोखा किया था; उसके पेट में पल रहे बच्चे की जान ले ली थी। प्रिया को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह यह बात किसे बताए? जब प्रिया को अपने पिछले कुछ पुराने दिन याद आने लगे थे…
बाकी अगले भाग में… क्या प्रिया कुणाल का सच किसी को बता पाएगी या ऐसे ही घुटती रहेगी? जानने के लिए बने रहिए, दोस्तों!
और यह सोचकर कि उसके पति ने उसके साथ इतना बड़ा धोखा किया था, उसके पेट में पल रहे बच्चे की जान तक ले ली थी, प्रिया व्याकुल थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह यह बात किसे बताए। पिछले दिनों की यादें उसे सताने लगीं।
फ्लैशबैक:
शादी के बाद कुणाल ने पहली रात प्रिया को हाथ तक नहीं लगाया। प्रिया ने सोचा कि शायद कुणाल शर्मा रहा है, और उसे भी शर्म आ रही थी। उसने किसी को कुछ नहीं बताया। हफ़्तों गुज़र गए, लेकिन कुणाल प्रिया के पास नहीं आया। एक दिन प्रिया ने महसूस किया कि कुणाल ज़्यादा बात कर रहा है। उसे लगा कि कुछ गड़बड़ है। हल्का सा कुणाल के करीब जाने पर उसे पता चला कि कुणाल ने शराब पी रखी थी। कुणाल को प्रिया में टीना नज़र आने लगा था। शादी के तीन महीने बाद कुणाल ने प्रिया से संबंध बनाए।
प्रिया बहुत खुश हुई क्योंकि प्रिया के जीवन में पढ़ाई और परिवार के अलावा कोई नहीं था। अब उसकी ज़िन्दगी में सिर्फ़ कुणाल था। उसने कुणाल को पूरी तरह अपना लिया। प्रिया को यह एहसास नहीं था कि कुणाल उस रात नशे में और टीना समझकर उसके पास आया था।
अगले दिन कुणाल को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने प्रिया को देखा। प्रिया खिली-खिली, बहुत खूबसूरत लग रही थी। वह आईने के सामने खड़ी होकर अपने बाल सुखा रही थी और प्यारी नज़रों से कुणाल को देख रही थी क्योंकि कुणाल अब उसका हो चुका था। कुणाल ने नज़रें चुरा लीं। लेकिन प्रिया को कुणाल से नया प्यार हो गया था। उसने बाल सुखाना अधूरा छोड़कर टॉवल गेट पर टाँग दिया और कुणाल के पास आ गई। उसने कुणाल को कमर से गले लगा लिया और होठ उसकी गर्दन पर घुमाने लगी।
लेकिन कुणाल चिढ़ गया और उसने प्रिया को धक्का दे दिया। प्रिया को बहुत बुरा लगा, बेइज़्ज़ती हुई। वह प्यार से अपने पति को किस कर रही थी, लेकिन उसके पति ने उसके प्यार का अपमान किया था। आँसू उसके गालों पर बहने लगे। कुणाल ने उसे कभी स्वीकार ही नहीं किया। प्रिया अपनी किस्मत पर रोती रही। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। प्रिया हमेशा से ही फ़रमानबर्दार रही थी। उसने हमेशा अपने माता-पिता और दादा की बात मानी। वह दादा की लाडली थी। छोटी सी प्रिया छड़ी लेकर सबको डाँटती-फटकारती थी।
फ्लैशबैक एंड
लेकिन आज उसकी ज़िन्दगी ने उसे एक बड़ा झटका दिया था। उसे जिंदगी की असली सच्चाई दिखाई दी थी। प्रिया की हालत बहुत खराब थी। उसका दिल, भरोसा, सब कुछ टूट चुका था। वह बच्चा भी उसके साथ नहीं था। बच्चे का कुछ अंश उसके शरीर में चिपका हुआ था, जो सड़ने लगा था। प्रिया के शरीर से बदबू आने लगी थी।
डॉक्टर ने उसे दवाइयाँ दी थीं, लेकिन बच्चे का अंश साफ होने के बजाय सड़ने लगा। ज़्यादा दर्द की वजह से प्रिया ज़्यादा देर लेटी या बैठी रहती थी। इससे उसके ससुराल वाले चिढ़ने लगे थे। वे चाहते थे कि प्रिया सारा काम करे। उसकी सास का मानना था कि उसकी बेटी एक गिलास पानी भी खुद नहीं पिएगी। वह गिलास पानी भी प्रिया ही दे।
लेकिन प्रिया दर्द में थी। उसे नहीं पता था कि उसके साथ क्या हो रहा है। यह उसका पहला गर्भपात था। ससुराल वालों का बुरा बर्ताव उसे तोड़ रहा था। दर्द की वजह से प्रिया घर का काम नहीं कर पाती थी। इससे सभी घरवाले उससे चिढ़ने लगे थे।
क्या प्रिया की जान चली जाएगी? क्या प्रिया कोई बड़ा कदम उठाएगी? जानने के लिए बने रहिए अगले भाग में।
यहाँ तक कि उसे खाने-पीने को कुछ भी नहीं दिया करते थे। घर का सारा दूध तक पहले ही खत्म हो जाया करता था और जब भी प्रिया दूध के लिए बोलती थी,
कि जैसे-तैसे उठकर वह खुद के लिए कुछ बना ले; एटलीस्ट दूध, चाय पत्ती लगाकर ही पी ले या फिर कुछ ब्रेड वगैरा खा ले।
लेकिन वह भी घर में उसे नहीं मिलते थे।
एक दिन तो उसकी सास ने प्रिया से कह भी दिया था कि, "इस तरह से तुम्हारी यह मेहमानदारी यहाँ नहीं चलेगी। अगर तुम्हें इस घर में रहना है तो यहाँ पर तुम्हें काम करना ही होगा। अगर तुम यहाँ काम नहीं कर सकती हो तो तुम यहाँ से अपने घर फोन कर दे और अपने घर चली जाओ।"
प्रिया का अपनी सास की इस तरह की बातें सुनकर उसका दिल बहुत ही ज्यादा टूट गया था। ना तो उसका पति उसके साथ था और ना ही उसके ससुराल वाले; उसके ससुराल में उसे देखने-सुनने वाला कोई भी नहीं था।
प्रिया जैसे-थोड़ी-बहुत बातें रीमा से ही शेयर कर लेती थी। लेकिन वह रीमा को भी कब तक अपने दिल का हाल बताती? धीरे-धीरे वक्त गुज़रता गया और पूरे पाँच दिन पूरे हो चुके थे।
इस बीच कुणाल और टीना ऑफिस में ही मिले थे। उन्होंने कहीं और अलग मिलने की कोई ख्वाहिश नहीं की थी क्योंकि अब टीना ने कुणाल से साफ़-साफ़ कह दिया था कि, "अगर तुम मेरे साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना चाहते हो तो तुम्हें पूरी तैयारी के साथ बनाना होगा। और इस बात की गारंटी देनी होगी कि तुम मुझसे शादी करोगे।"
क्योंकि टीना पहले तो कुछ रातें ही कुणाल के साथ बिताना चाहती थी। लेकिन उस दिन होटल रूम में कुणाल के जिस्म को देखने के बाद उसका इरादा अब जिंदगी भर कुणाल के साथ शादी करने का हो चुका था। क्योंकि कुणाल दिखने में बड़ा ही स्मार्ट, डैशिंग और खूबसूरत था; जिसका सपना टीना जैसी लड़की ने शुरू से देखा था। उसने सोचा था कि जिससे भी उसकी शादी होगी, वह कम से कम जॉन अब्राहम न सही, लेकिन उसके जैसा दिखने वाला जरूर होगा।
लेकिन उस दिन कुणाल को न्यूड देखने के बाद टीना को कुणाल में पूरी तरह से उसका सपनों का हीरो नज़र आने लगा था। इसीलिए उसने अब उससे ही शादी करने का फैसला कर लिया था।
और इसीलिए सबसे पहले उसने अपने और कुणाल के बीच की सबसे बड़ी रुकावट, यानी प्रिया के बच्चे को, उसके रास्ते से हटवाया था। ताकि वह धीरे-धीरे उस बच्चे को मारने के बाद प्रिया को भी रास्ते से हटा सके और फिर कुणाल के साथ खुशहाल जिंदगी गुज़ार सके; हर रात कुणाल के साथ इंटीमेट हो सके। तो कहीं ना कहीं कुणाल ने भी उसकी बात मान ली थी क्योंकि वह तो शुरू से ही टीना को पसंद करता था।
वैसे भी प्रिया की शादी उसके बाबा ने उसकी मर्ज़ी के बगैर करवाई थी, तो इसीलिए उसने सोच लिया था कि वह कुछ ना कुछ करके प्रिया को तलाक दे देगा और उसके बाद टीना से शादी रचा लेगा। कहीं ना कहीं कुणाल का मास्टर प्लान भी तैयार था।
पूरे पाँच दिन हो चुके थे और जब छठे दिन प्रिया धीरे-धीरे घर का काम करने के लिए उठी तो उसने झाड़ू तो पूरी लगा ली थी,
लेकिन जैसे ही वह पोंछे की बाल्टी लेकर आई और पोंछा लगाने के लिए झुकी, तो अचानक से उसके पेट में बहुत जोर से दर्द हुआ।
पाँच दिन बीत चुके थे। छठे दिन प्रिया धीरे-धीरे उठी और घर का काम करने लगी। उसने झाड़ू लगा लिया था।
पर जैसे ही वह पोंछा लगाने के लिए झुकी, उसके पेट में तेज दर्द हुआ।
प्रिया को समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है। उसे अपने शरीर से एक अजीब सी गंध आती थी, पर उसे पता नहीं था कि वह गंध कैसी है। तेज दर्द से जैसे ही प्रिया कराह उठी,
उसकी सास, नंदे, फिर से उसके सामने आ गईं।
प्रिया को रोता देख उन्होंने उसे फिर से डाँटना शुरू कर दिया।
"देखा, आपने? एक-आध काम नहीं करना पड़ता, इसलिए यह फिर से दर्द का नाटक कर रही है।"
"अरे, अब काहे का दर्द का नाटक? अब तो इसके पेट में बच्चा भी नहीं है। बच्चा तो यह गिरा चुकी है!" कमरे में आते ही उसकी नंद, कामिनी, जहर उगलने लगी।
तभी उसकी सास ने उसकी ओर देखते हुए कहा, "अरे, तू कम बोल! मैं देखती हूँ इसे।"
फिर उसकी सास ने प्रिया की ओर देखकर कहा, "क्या हुआ है तुझे? क्यों नाटक कर रही है? अगर तुझे पोंछा नहीं लगाना है तो रहने दे। पोंछा बाद में लग जाएगा। तू किचन में खड़े-खड़े काम कर ले। झुककर काम मत कर।"
जैसे ही सास ने यह कहा, दर्द से कराहती प्रिया हैरान और रोने लगी। पहले भी उसे दर्द होता था, पर थोड़ी देर में वह रुक जाता था।
पर यह दर्द बहुत तेज था और रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
जब उसकी सास को लगा कि प्रिया की हालत बहुत खराब हो रही है और प्रिया की आँखें बंद होने लगीं,
उसे पूरी तरह एहसास हो गया कि प्रिया की हालत वाकई बहुत खराब है।
तब प्रिया की सास ने अपनी बड़ी बेटी को फोन किया।
उसकी बड़ी बेटी उसके घर से तीन गली दूर रहती थी और उसका पति ऑटो ड्राइवर था।
माँ का फोन पाकर वह अपने पति के साथ वहाँ पहुँच गई।
प्रिया को लेकर वे पास के एक नर्सिंग होम चले गए।
वहाँ पहुँचकर डॉक्टर ने जल्दी से प्रिया का अल्ट्रासाउंड किया। अल्ट्रासाउंड में उन्हें पता चला कि प्रिया के गर्भ में बचा हुआ बच्चे का अंश पूरी तरह सड़-गल चुका है।
इसलिए अब प्रिया के पेट की सफाई करनी होगी। जैसे ही डॉक्टर ने यह बात प्रिया की सास को बताई, वह हैरान हो गई।
"आप क्या कह रही हैं? सफाई करनी होगी? लेकिन इसके लिए तो कम से कम पाँच हज़ार रुपये लग जाएँगे! हम इतने पैसे कहाँ से लाएँगे? इसे घर ले जाओ, थोड़ा गुड़-घी पिलाओ, यह ठीक हो जाएगी, और पेट की सफाई भी हो जाएगी।"
तभी डॉक्टर ने प्रिया की सास से कहा, "देखिए, मेरा फर्ज़ सिर्फ़ आपको बताना था। अब आपकी मर्ज़ी है, जो दिल करे वो कीजिए। लेकिन एक बात ध्यान रखिएगा, इसके पेट में बच्चे का अंश पूरी तरह गल चुका है। इसका मतलब साफ़ है कि अगर जल्दी से जल्दी इसके पेट की सफाई नहीं हुई, तो इसका इन्फेक्शन पूरे पेट में फैल जाएगा।"
"और उसके बाद इसकी जान बचाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।"
यह सब सुनकर उसकी सास हैरान हो गई, पर अब उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। वह जानती थी कि अगर प्रिया का इलाज नहीं करवाया और इस बीच प्रिया की जान चली गई, तो उसे लेने के देने पड़ सकते थे।
क्योंकि प्रिया का रिश्ता कुणाल के साथ उसकी सास के एक रिश्तेदार ने ही करवाया था।
उन्होंने कार के चक्कर में यह शादी करवाई थी, पर उन्हें कोई खास दान-दहेज़ नहीं मिला था। इसीलिए वे सब प्रिया से नफ़रत करने लगे थे।
तो इसीलिए वह प्रिया को मरते हुए भी नहीं छोड़ सकते थे। उसकी सास ने बुझे मन से सफाई करने के लिए हाँ कह दिया था।
और अब, प्रिया को जैसे ही इस बात का पता चला कि उसकी कोई सफाई होने वाली है, उसे बहुत ही ज़्यादा डर लगने लगा था।
क्योंकि उसे नहीं पता था यह सफाई क्या होती है, और उसे तो बस किसी अनजान खतरे का ही डर लग रहा था।
उस वक्त वह कुणाल को अपने पास चाहती थी। वह चाहती थी कि कुणाल उसका हाथ पकड़े, उसके पास आकर बैठे और उसे कहे, "कुछ नहीं होगा, सब ठीक हो जाएगा।"
"मैं तुम्हारे साथ हूँ। तुम्हें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है।"
लेकिन वह सिर्फ़ अपने ख्यालों में ही कुणाल को पा सकती थी। कुणाल उसके पास दूर-दूर तक कहीं भी नहीं था।
जल्दी ही प्रिया की सास उसके पास आई। प्रिया को उस वक्त पहले ही भर्ती कर लिया गया था और उसके हाथों में निडल लगी हुई थी। तब उसकी सास ने एक फ़ोन आकर प्रिया को थमा दिया और कहने लगी, "तेरी माँ का फ़ोन है, तुझसे बात करना चाहती है। उससे बात कर ले।" प्रिया की माँ को इस बात की खबर मिल गई थी कि प्रिया की अब सफाई होने वाली है, तो वह बहुत ही ज़्यादा डर गई थी।
क्योंकि प्रिया की माँ की गली में दो दिन पहले ही एक लड़की की सफाई हुई थी, जिसकी वजह से उस लड़की की जान चली गई थी। तो प्रिया की माँ को प्रिया की काफी ज़्यादा चिंता होने लगी थी और उसने काफी प्रार्थना करना शुरू कर दिया था।
ताकि उसकी बेटी बिल्कुल पूरी तरह से ठीक हो जाए। उसने प्रिया को काफी सांत्वना दी और कहने लगी, "मेरे बच्चे, तुझे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है। मैं तेरे पास आज आ रही हूँ, बस तू हिम्मत रखना। तुझे बिल्कुल भी परेशान नहीं होना है।"
प्रिया अपनी माँ की आवाज सुनने के बाद काफी ज़्यादा इमोशनल हो गई थी।
जैसे-तैसे प्रिया ने खुद को मज़बूत किया। वह अच्छी तरह से जानती थी, समझ चुकी थी कि अगर आज उसकी सफाई नहीं हुई, तो उसकी जान हमेशा के लिए जा सकती है और शायद वह ज़िंदा भी ना बचे।
वहीं कुणाल, जिसने आज टीना के साथ लॉन्ग ड्राइव का प्लान बनाया था, उसे इस बात का दूर-दूर तक कोई एहसास नहीं था कि उसकी पत्नी को आज हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया है और उसकी आज अबॉर्शन होने वाली है, जिसमें उसकी जान का भी रिस्क बना हुआ था।
कुणाल ने तो बस धोखे से प्रिया को दवाई दे दी थी। उसके बाद प्रिया जिए या मरे, उसे उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था। वह तो बस टीना के साथ अपनी ज़िंदगी का हर एक पल जी रहा था। ऑफिस के बाद उसने जल्दी ही टीना को लॉन्ग ड्राइव के लिए ऑफर कर दिया था, और टीना ने खुशी से उसकी बात मान भी ली थी। क्योंकि टीना के घर पर उसकी माँ और पिता हमेशा बाहर ही रहते थे, जो अपने-अपने में ही रहते थे, किसी को एक-दूसरे से कुछ खास मतलब नहीं था।
इसीलिए जल्दी ही टीना ने कुणाल से कह दिया था कि वह उसके साथ लॉन्ग ड्राइव पर ज़रूर चलेगी। उसके बाद वे मूवी वगैरह देखेंगे और मौज-मस्ती करेंगे। कुणाल बहुत ही ज़्यादा खुश हो गया था। उसने अपने घर पर फ़ोन करके बताना भी ज़रूरी नहीं समझा था।
उसके पिता हालाँकि उसे फ़ोन करके प्रिया की कंडीशन के बारे में बताना चाहते थे, लेकिन कुणाल को कोई डिस्टर्ब ना करे, इसीलिए उसने अपना फ़ोन बंद कर लिया था।
और वहीं दूसरी ओर, प्रिया उस वक्त बहुत ही ज़्यादा डर रही थी। लेकिन जल्दी ही डॉक्टर ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया और उसके शरीर के कुछ हिस्सों को सुन्न करके, कुछ औजारों के द्वारा प्रिया का ट्रीटमेंट करना शुरू कर दिया था।
प्रिया का शरीर का कुछ हिस्सा भले ही सुन्न हो गया था, लेकिन प्रिया को ऑपरेशन के औजार चलते हुए अच्छी तरह से महसूस हो रहे थे। उस वक्त उसके दिलो-दिमाग में सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही नाम था- कुणाल, कुणाल, कुणाल।
प्रिया उस वक्त कुणाल को बहुत ही ज़्यादा मिस कर रही थी और दिल से चाहती थी कि कुणाल उसके साथ रहे, उसके पास रहे।
वहीं प्रिया की सास बाहर खड़ी होकर प्रिया की खबर सुनने का इंतज़ार कर रही थी और साथ ही साथ मन ही मन में सोच रही थी कि अगर आज प्रिया की जान चली गई, तो हो सकता है कि जिस बिचोलिए ने प्रिया की शादी उसके बेटे से करवाई है, वह पुलिस वगैरह ले आए और दहेज़ के मामले में उन्हें अरेस्ट करवा दे। कहीं ना कहीं उनके दिमाग में यही चल रहा था। प्रिया की जान की किसी को कोई चिंता नहीं थी।
क्या प्रिया की जान चली जाएगी? क्या कुणाल को कभी अपनी गलती का एहसास होगा? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों।
और वही प्रिया की सास ;बाहर खड़ी होकर प्रिया की खबर सुनने का इंतजार कर रही थी और साथ ही साथ मन ही मन मे सोच रही थी,
कि अगर आज प्रिया की जान चली गई तो हो सकता है कि जिस बिचोलिया ने प्रिया की शादी उसके बेटे से करवाई है तो वह पुलिस पुलिस वगैरा ले आए,
और दहेज के मामले में उन्हें अरेस्ट न करवा दे,,,,
p
कहीं ना कहीं उनके दिमाग में यही चल रहा था ,,,
प्रिया की जान की किसी तरह की; किसी को कोई चिंता नहीं थी।।।।।।।।।।।।।।।
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प्रिया का ट्रीटमेंट हो चुका था,,,
और लेकिन उसे अभी तक होश नहीं आया था उसके होश होने में अभी थोड़ा सा समय लगने वाला था।।।।
हालांकि डॉक्टर ;ने उसे 1 घंटे बाद डिस्चार्ज कर दिया था और कहने लगे थे घर पर इसका ज्यादा ध्यान रखें वैसे भी इसका ट्रीटमेंट हो चुका है ,,,
थोड़ी सी कमजोरी है अब इसका थोड़े से दो-चार दिन ध्यान रखेंगे तो हो सकता है यह ठीक हो जाएगी,,,
डॉक्टर न इंस्ट्रक्शन के साथ ;प्रिया को साथ ले जाने की परमिशन दे दी थी ,,,
प्रिया यह उस वक्त अर्ध बेहोशी की हालत में थी तब यह अचानक प्रिया की बड़ी नंद ने अपने पति से कहा था कि प्रिया को वह लोग लेकर नहीं जा पाएंगे ,,
इसके लिए आपको इसे गोद में उठाना होगा,,
प्रिया उस वक्त अर्ध ;बेहोशी की हालत में थी वह नहीं चाहती थी कि उस की नंद का पति यानी कि उसका नंदोई ;उसे छुए,
या उसे गोद में उठाएं,,
प्रिया ;यह चाहती थी कि कुणाल उसके पास हो उसे
वक्त और कुणाल उसे गोद में उठाये लेकिन अब प्रिया अर्ध बेहोशी की हालत में थी तो वह अपनी फरमाइश किसी को बता भी नहीं सकती
और ना ही अपने नंदोई को मना कर सकती थी कि वह उसे उठा कर अपनी ऑटो रिक्शा में बैठाये ,
वेल ;जल्दी ही उस की सास और उसकी नंद ने अपने पति की उसकी सहायता से प्रिया को गोद में उठा कर ऑटो रिक्शा में बिठा कर वह घर ले आए थे ।।।।
जैसे ही प्रिया घर आई उसकी छोटी दोनों नंदो का मुंह पूरी तरह से फूल गया था कहीं ना कहीं ;उन्हें लगा था कि अब तो यह बीमार होकर आ रही है अस्पताल से,,,
अब तो पता नही कितने दिनों तक ये घर का काम नहीं करेगी हो सकता है कि घर का काम प्रिया की ;दोनों छोटी नंदो को करना पड़े ।।।।।
तो दोनों इस बात से ज्यादा दुखी थी।।।।।
वेल जल्दी ही 10 से 11:00 बज चुके थे लेकिन अभी तक कुणाल घर नहीं आया था ।।।
और प्रिया के ससुर उसे वक्त काफी ज्यादा गुस्से में थे
उन्हें कुणाल पर बहुत गुस्सा आ रहा था उन्हें इस बात के चिंता नही थी की बहू के साथ इस हालत में कुणाल का होना जरूरी था उन्हें इस बात की चिंता थी कि अगर कुणाल को इस तरह से उसे लड़की के साथ घूमते हुए किसी रिश्तेदार ने देख लिया,,,,
तो उनकी काफी बेज्जती हो जाएगी,,,
और साथ ही साथ अगर कुणाल उस लड़की के ऊपर पैसे उड़ाता रहा तो वह भी उनके लिए ठीक नहीं था,,
वेल रात के 12:00 के करीब कुणाल टीना के साथ मौज मस्ती करके उसे मूवी दिखा कर खाना खिला कर एक दूसरे को जी भर;चूमने के बाद घर लौट आया था ।।।।।।
और ;आज जेसे ही वो घर आया और उसने दरवाजा खटखटाया तब उसके ससुर ने दरवाजा बंद कर लिया था और कुणाल पर गुस्सा होते हुए कहने लगा था।।
तुझे घर में आने की कोई जरूरत नहीं है तू जा यहां से बाहर जा जा जिसके साथ गुलछ्हरे उड़ा कर आया है उसी के साथ रह ।।।
वेल कुणाल ;समझ चुका था कि उसका बाप गुस्से में है तो उसे ने जल्दी से अपने बाप से कहा था,,,,,
देखिए आप लोग मुझे ज्यादा कुछ भी कहने की कोशिश मत कीजिए अगर आप लोगों ने मुझे ज्यादा परेशान करने की कोशिश की तो मैं वहां के घर छोड़कर चले जाऊंगा या कहीं जाकर जहर खा लूंगा ।।।।
जैसे ही ;कुणाल ने जहर खाने की धमकी दिए अब तो उसका बाप यानी प्रिया का ससुर तुरंत पिघल गया था।।। और बोला था अरे बेटा ऐसा नही कहते कैसी बाते कर रहा है अब क्या मे तूझे डांट भी नही सकता हूं क्या,,,
तू आ जा फटाफट अंदर आ आकर खाना-वाना खा तेरी मां तेरे लिए खाना गरम कर देगी और जैसे एक कुणाल अंदर कमरे में आया उसने प्रिया को बेहोश देखा तो वह हैरान हो गया और अपनी मां से पूछने लगा था मां इसे क्या हुआ है यह इस तरह से क्यों लेटी हुई ;है।।।।
और आप क्यों मेरे लिए खाना गर्म कर रही है इसे उठाइए यह सोने का टाइम है इसका पति ;घर आया है तो इसे चाहिए कि अपने पति का ध्यान रखें,,,
क्योंकि कुणाल को तो किसी न तरह किसी तरह से प्रिया के ;अंदर कीड़े निकालने थे ।।।।
उसमें कमी निकालनी ;थी ताकि जल्द से जल्द प्रिया को तलाक देकर वह उसे अपनी जिंदगी से दफा करें।।।।
और टीना को अपनी जिंदगी में लेकर आए ।।।।
तब उस की मां ने ;प्रिया के बारे जो कुछ हुआ था वह सब कुछ कुणाल को बता दिया था,,,
प्रिया की ऐसी हालत देखने के बाद कुणाल को थोड़ा सा अफसोस हुआ था और कहीं ना कहीं उसे इस बात का भी पता था कि प्रिया की जो यह हालत है वह सिर्फ और सिर्फ उसी की वजह से है।।।।
लेकिन उसने अपने गिल्ट को इतना से भी अपने ऊपर हावी नहीं किया था
।।
और तुरंत कहने लगा था ठीक है ठीक है इसे मत उठाइए और आप भी रहने दे मैं खाना खुद ले लूंगा ऐसा कह कर उसने जल्दी ही अपनी मां को वहां से भेज दिया था,,,
वैसे भी खाना तो वह खा कर आया था सिर्फ खाना था खाने की एक्टिंग कर रहा था
जल्दी ही कुणाल सिर्फ और सिर्फ दूध लेकर कमरे में आ गया था और कुछ देर प्रिया की ओर देखने लगा था।।।।।
फिर यह उस वक्त पूरी तरह से बेहोशी की हालत में थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कुनाल आया है नहीं आया है।।।
और कुणाल तो उस वक्त प्रिया की हालत देखकर अनदेखा कर दिया था और वो तो आज सिर्फ और सिर्फ इसी बात से खुश था कि उसने आज टीना के साथ कितना सारा क्वालिटी टाइम स्पेंड किया था।।।।।
उन्होंने आज पूरा दिन मोज मस्ती की थी ऑफिस के बाद लॉन्ग ड्राइव पर गए
रास्ते में साइड कॉर्नर से चाट पकौड़ी कहीं गोलगप्पे कहीं आइसक्रीम वगैरह खाई ।।।
उसके बाद एक मॉल में जाकर एक कॉर्नर की सीट पर मूवी देख रहे थे।।
इंफेक्ट मूवी तो कम देखी एक दूसरे के साथ रोमांस ज्यादा किया तो आज कुल मिलाकर कुनाल काफी खुश था।।
लेकिन जैसे ही और घर जाकर उसे प्रिया के बारे में पता चला तो उसे थोड़ा सा अफसोस हुआ
लेकिन अगले ही पल उसने इस बात को इस तरह से भुला दिया था मानों के कुछ हुआ ही ना हो वेल घर आने के बाद को कुणाल कमरा में आने के बाद कुणाल ने जल्दी से दूध पीकर गिलास टेबल पर रख दिया था
और एक बार फिर अपना फोन निकाल कर आज की सारी फोटोस देखने लगा था ।।।
क्योंकि आज उन्होंने हर एक मोमेंट की फोटो ली थी ,,,,
वही प्रिया की आंख दो से 2: bje के करीब प्रिया; आंखें हल्की-हल्की सी खुली थी ।।।।
और उसे थोड़ा सा एहसास हुआ कि बमानो की कुणाल किसी से फोन पर बात कर रहा था ।।।।
और जैसे ही प्रिया को थोड़ा सा सेंस आया तो उसे कुणाल की आवाज एक दम साफ़ सुनाई देने लगी थी।।
कुणाल टीना से कह रहा था कि मुझे तुम्हारी बहुत ज्यादा याद आ रही है।।।।
आज जिस तरह से हमने बहुत मस्ती की हम घूमने फिरे है और तुम्हें याद है,,
लास्ट में जब थिएटर में हम दोनो एक दुसरे के करीब थे तो आज तो सारा मामला खराब हो जाता,
इसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था
अगर हमारे पास वह बुजुर्ग बैठ कर मूवी नही देख रहे होते तो आज हम दोनों सब कुछ भूल कर एक हो चुके होते ,,
और उस मूवी थिएटर में आज हमारी पहली सुहागरात हो जाती
प्रिया कुणाल के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर पूरी तरह से हैरान थी।।।
और साथ ही साथ उसे इस बात का बहुत ही ज्यादा अफसोस हो रहा था कि उसकी शादी इतने बड़े झूठे मक्कार और कैरक्टरलेस आदमी से हुई है ।।।
जिससे उसकी जिंदगी को पूरी तरह से तमाशा बनाकर रख दिया है।।।।
प्रिया ने सोच लिया था कि वह कुणाल के साथ नहीं रहेगी और अभी वह बात को; कुणाल के मुंह पर नहीं कहना चाहती थी क्योंकि वह अभी और देखना चाहती थी कि कुणाल इससे ज्यादा और क्या गिरेगा ।।।।।
और अभी इस तरह की; कितनी ज्यादा घटिया और गिरी हुई हरकतें करेगा👍🙏🙏🙏👍👍👍like shere फॉलो kare dosto
प्रिया कुणाल के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर पूरी तरह हैरान थी। और साथ ही उसे इस बात का बहुत अफ़सोस हो रहा था कि उसकी शादी इतने बड़े झूठे, मक्कार और चरित्रहीन आदमी से हुई है, जिसने उसकी ज़िन्दगी को पूरी तरह तमाशा बनाकर रख दिया था।
प्रिया ने सोच लिया था कि वह कुणाल के साथ नहीं रहेगी। अभी वह बात कुणाल के मुँह पर नहीं कहना चाहती थी क्योंकि वह और देखना चाहती थी कि कुणाल इससे ज़्यादा और क्या गिरेगा, और इस तरह की कितनी ज़्यादा घटिया और गिरी हुई हरकतें करेगा। साथ ही, प्रिया को उसके ससुराल वालों और सास का बर्ताव भी समझ में आ चुका था। आख़िरकार, प्रिया उस घर की इकलौती बहू थी, लेकिन फिर भी उसके साथ जानवरों से भी ज़्यादा बुरा बर्ताव किया जा रहा था।
अब प्रिया ने सोच लिया था कि जुर्म करने वाला तो गुनाहगार होता ही है, लेकिन जुल्म सहने वाला सबसे बड़ा गुनाहगार होता है। कहीं न कहीं प्रिया को ये सारी बातें याद आने लगी थीं। वह अपनी कुछ पुरानी यादों में खो गई थी।
**फ्लैशबैक**
प्रिया को अच्छे से याद था, गांव में शादी से पहले वह छोटी सी थी और अपने दादा-दादी के पास रहा करती थी। उसके माता-पिता रोज़गार की तलाश में शहर में एक किराए के घर में रहने लगे थे। लेकिन प्रिया की पढ़ाई के चलते उन्होंने उसे गांव में ही छोड़ दिया था। प्रिया को अच्छी तरह याद था, गांव में वह हर चीज़ में माहिर थी, हर चीज़ में वह टॉप पर रहती थी। इतना ही नहीं, पढ़ाई में हमेशा प्रथम आने वाली प्रिया हमेशा अपने दादा की शान बनी रहती थी। उसके दादा उसे बहुत प्यार करते थे। हर छोटी-बड़ी बात वह अपने दादा को बताती थी, उनसे कई सवाल किया करती थी। इतना ही नहीं, कहीं शादी होती थी, तो वह दादा के साथ ज़िद करके उनकी साइकिल पर बैठकर शादी में भी जाया करती थी।
कहीं न कहीं प्रिया को आज वो सारे दिन याद आ रहे थे, वो कितने अच्छे दिन थे। वह स्कूल से आती थी, तो उसकी दादी उसके लिए गरमागरम खाना तैयार रखती थी। अपने हाथों से बनी छांछ और पकौड़ी, गर्मियों के दिनों में खाने का मज़ा ही कुछ और होता था।
प्रिया को अगर इतनी सी भी चोट लग जाती थी, तो पूरा घर ही उसके सर पर उठ जाता था। हर कोई उसकी देखभाल करने में लग जाता था। लेकिन आज प्रिया मरते-मरते बची थी, इतने ज़्यादा दर्द में थी, जिसका किसी को अंदाज़ा तक नहीं था। लेकिन किसी को उसकी कोई परवाह नहीं थी, किसी को प्रिया की इतनी सी भी फ़िक्र नहीं थी।
अब प्रिया सोचने लगी थी, आख़िरकार वह यह सब कुछ क्यों बर्दाश्त कर रही है? अगर बदनामी भी होती है, तो होती रहे, कम से कम वह लोगों को उनकी सज़ा तो देगी। क्यों वह कुणाल से यह नहीं पूछ रही है कि वह उसके साथ यह सब क्यों कर रहा है? क्यों वह कुणाल को दो चाँटे मारकर यह नहीं पूछ रही है कि उसने उसके साथ यह सब कुछ क्यों किया? अगर उसे टीना से मोहब्बत थी, तो उसने उससे शादी क्यों नहीं की? उसकी ज़िन्दगी क्यों बर्बाद की? उसके साथ क्यों शारीरिक संबंध बनाए? शादी की पहली रात ही बता देता कि वह शादी से खुश नहीं है, शादी को आगे नहीं बढ़ाना चाहता, तो प्रिया कुछ न कुछ हिम्मत करके अपने घर पर इस बात को बोल सकती थी। लेकिन शादी के बाद इस तरह से एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर रखने का क्या मतलब है?
कहीं न कहीं प्रिया का दिमाग और दिल आज बगावत करने पर उतारू हो गया था। लेकिन फिर अगले ही पल वह सोचने लगी थी, वह ऐसे कैसे किसी को कुछ कह सकती है? उसके दादा का गांव में कितनी इज़्ज़त है! अगर किसी को इस बात का पता चला कि प्रिया तलाक लेना चाहती है, तो उसके दादा की इज़्ज़त चली जाएगी। तब लोग अलग-अलग तरह से नाम रखना शुरू कर देंगे, उसके दादा की बनी-बनाई इज़्ज़त चली जाएगी, भले ही उसके दादा ज़िंदा नहीं हैं, लेकिन उनकी इज़्ज़त तो आज भी बरकरार है। प्रिया ऐसे कैसे उनकी इज़्ज़त पर किसी भी तरह का कोई दाग लगने दे सकती थी? और उसके माँ-बाप तो ज़िंदा ही मर जाएँगे! उनके पास तीन भाइयों की भी ज़िम्मेदारी है, ऊपर से छोटी बहन है, उसकी भी तो ज़िम्मेदारी है! तो इस तरह से वह किसी को कुछ नहीं कह सकती है। जो कुछ उसके साथ हो रहा है, वह उसे उसी तरह से होने देगी, वह किसी को कुछ नहीं कहेगी। प्रिया का दिल और दिमाग दोनों अपने आप में ही सवाल कर रहा था और अपने आप ही जवाब दे रहा था।
और तभी जब वह अपने सोच के ख्याल से बाहर आई, तब कुणाल की आखिरी कही हुई बात सुनाई देने लगी।
"मैं प्रिया को बहुत जल्द तलाक देकर तुमसे शादी कर लूँगा टीना। अब मुझसे ये काली रातें अकेले नहीं कटतीं, इन काली रातों में तुम्हारे साथ मिलकर खूबसूरत और रंगीन बनाना चाहता हूँ।"
जैसे ही प्रिया के कानों में कुणाल की ये बातें गूँजीं, प्रिया की साँसें ऊपर-ऊपर और नीचे-नीचे रह गईं। वह खुद थोड़ी देर पहले कुणाल से तलाक के बारे में सोच रही थी, लेकिन इज़्ज़त की वजह से उसने यह बात मन में दबा ली थी। लेकिन कुणाल तो खुल्लम-खुल्ला टीना से यह कह रहा था। तो अब प्रिया को इस बात का यकीन हो चुका था कि कुणाल जल्द ही तलाक दे देगा, फिर उसके बाद वह क्या करेगी?
इसलिए प्रिया ने डिसाइड किया कि इससे पहले कि कुणाल उसे तलाक दे, वह अपने घर जाकर अपने माँ-बाप को सब बता देगी और वक़्त रहते उन्हें मानसिक तौर पर इस चीज़ के लिए तैयार करेगी। क्योंकि अगर अचानक से उन्हें तलाक के बारे में पता चलेगा, तो हो सकता है कि वे बर्दाश्त न कर पाएँ, और प्रिया किसी को भी खोने का रिस्क नहीं ले सकती थी। किसी को खोना क्या होता है, यह प्रिया अच्छी तरह से समझ चुकी थी। प्रिया जब से छोटी से बड़ी हुई थी, तब से उसने अपनी ज़िन्दगी में एक भी मौत नहीं देखी थी। लेकिन पहली बार उसे पता चला था मौत क्या होती है, जब उसे पता चला था उसकी दादी की मौत हो गई है। प्रिया अपने माता-पिता के पास शहर में आई हुई थी, एक शादी को अटेंड करने के लिए, और वहीं उन्हें पता चला था कि उसकी दादी की मौत हो गई है।
तब प्रिया को लगा था कि मौत कुछ होती ही नहीं है। अगर वह अपनी दादी के पास जाएगी और उन्हें उठाएगी, तो उसकी दादी उसकी आवाज़ सुनते ही उठ जाएँगी। यही सोचकर प्रिया पूरी रात अपनी दादी के गालों को छूकर कहती रही थी, "उठ जाओ माँ, उठ जाओ माँ, उठ जाओ, उठ जाओ, मैं आ गई हूँ, मैं अब तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी, उठ जाओ, उठ जाओ माँ।" प्रिया का दिमाग उस वक़्त बच्चों वाला था, और वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी दादी उसे कितना प्यार करती थीं। इसलिए उसे लगा था कि जैसे ही वह अपनी माँ को जाकर आवाज़ देगी, उन्हें उठाएगी, तो उसकी दादी माँ उठ जाएँगी। लेकिन पूरी रात प्रिया की आँखों से आँसू बहते रहे, इतना ही नहीं, आँसू बहकर सूख गए, लेकिन उसकी दादी नहीं उठीं। रोते-रोते वह कब सो गई, उसे पता ही नहीं चला था।
अगले दिन जैसे ही प्रिया की आँख खुली, उसकी आँखें बहुत मोटी हो चुकी थीं, रोने की वजह से उसकी आँखों में सूजन आ गई थी। उस दिन प्रिया को जाकर इस बात का एहसास हुआ था कि मौत क्या होती है। मौत वह होती है जो इंसान को अपने साथ हमेशा-हमेशा के लिए ले जाती है और उसका वजूद हमेशा के लिए मिट जाता है। उस दिन पहली बार प्रिया ने मौत को बहुत करीब से देखा था।
और उसके बाद जब उसके दादा की मौत हुई, तो प्रिया की आँखों से एक आँसू नहीं आया था, और उसने अंदर ही अंदर उस गम को दबा लिया था। लेकिन अब तो प्रिया की ज़िन्दगी आँसुओं से भरी हुई थी, इतने आँसू थे कि कोई सोच भी नहीं सकता था।
अब प्रिया ने सोच लिया था कि कल ही अपनी सास के कानों में यह बात डालेंगी कि वह अपने घर जाना चाहती है। और फिर वह अपने घर जाकर सबसे पहले अपनी मम्मी को इस बात के बारे में बताएगी, उसके बाद धीरे-धीरे पापा से बात करेगी, क्योंकि पापा को एकदम से इतनी टेंशन नहीं दे सकती थी, क्योंकि उसके पापा
शुगर के मरीज़ थे। वह इस तरह का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। तो प्रिया को पहले घर जाकर अपने घर की हालत देखनी थी, घर की कंडीशन अच्छी तरह से देखने के बाद उसे अपने माँ-बाप, अपने भाई-बहनों के सामने रखनी थी।
क्या प्रिया इस बार अपने घर कुछ बताने की हिम्मत कर पाएगी? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों।
वेल, प्रिया ने अब सोच लिया था कि कल ही अपनी सास के कानों में यह बात डाल देगी कि वह अपने घर जाना चाहती है।
और फिर वह अपने घर जाकर सबसे पहले अपनी माँ को इस बारे में बताएगी। उसके बाद धीरे-धीरे पापा से बात करेगी, क्योंकि पापा को एकदम से इतनी टेंशन नहीं दे सकती थी। उसके पापा शुगर के मरीज थे और इस तरह का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकते थे।
तो प्रिया को पहले घर जाकर अपने घर की स्थिति देखनी थी। घर की स्थिति अच्छी तरह से देखने के बाद उसे अपने माँ-बाप और अपने भाई-बहनों के सामने यह बात रखनी थी।
कुणाल, टीना से ढेर सारी बातें करने के बाद, एक पुरस्ुकून नींद सो चुका था।
लेकिन प्रिया थोड़ी-थोड़ी देर में होश में आ रही थी, थोड़ी-थोड़ी देर में बेहोश हो रही थी। प्रिया को बेहोशी का इंजेक्शन लगा हुआ था, जिसकी वजह से उसे बार-बार नींद आ रही थी और कभी उसकी आँख खुल रही थी।
अगली सुबह जैसे ही प्रिया उठी, उसने देखा कि कुणाल उसके बराबर में नहीं है।
प्रिया का दिल थोड़ा सा बैठ गया। उसने सोचा था कि सुबह उठकर कुणाल उसके हाल-चाल के बारे में पूछेगा; आखिरकार, उसके साथ जो कुछ हुआ था, वह कुणाल ने ही तो किया था।
लेकिन कुणाल ने उसके हाल-चाल पूछना तो दूर, उसकी तरफ एक नज़र उठाकर भी नहीं देखा था। वह सीधा, जल्दी ही ऑफिस के लिए निकल चुका था। जैसे ही प्रिया उठी, उसकी सास उसके कमरे में आई और उसके हाथ में एक ट्रे थी; उसमें थोड़ी सी मूंग की दाल की खिचड़ी और दो बॉयल्ड एग रखे हुए थे।
प्रिया यह देखकर हैरान हो गई, क्योंकि आज उसकी सास ने आगे बढ़कर उसके लिए इस तरह का नाश्ता दिया था।
तभी प्रिया की सास प्रिया की ओर देखते हुए बोली, "लो, जल्दी से खा लो। और वैसे भी तेरी माँ पाँच मिनट में पहुँचने वाली है। उनका फ़ोन आया था।"
जैसे ही प्रिया की सास ने यह कहा, प्रिया समझ गई कि जो नाश्ता उसे दिया जा रहा है, वह सिर्फ़ उसकी माँ को दिखाने के लिए दिया जा रहा है; कि उसकी बेटी का यहाँ पर ससुराल में कितना ज़्यादा ख़्याल रखा जा रहा था।
धीरे-धीरे करके प्रिया ने थोड़ा-थोड़ा कुछ खाना शुरू कर दिया। और अभी प्रिया ने अपना नाश्ता पूरा भी नहीं किया था कि प्रिया की माँ और उसका बड़ा भाई उसकी आँखों के सामने मौजूद थे।
अपनों को देखकर प्रिया की आँखों से धारदार आँसू निकलने लगे। और उसकी माँ ने भी आगे बढ़कर प्रिया को गले से लगा लिया। उसका भाई भी थोड़ा इमोशनल हो गया था; वह अपनी बहन को रोते हुए नहीं देख सकता था।
प्रिया भले ही गरीब घर से थी, लेकिन उसके पूरे परिवार में बहुत ज़्यादा प्यार-मोहब्बत थी; सभी एक-दूसरे से बहुत ज़्यादा मोहब्बत किया करते थे। प्रिया के भाई प्रिया पर जान छिड़का करते थे।
लेकिन बेचारों को गरीबी की वजह से मार खाना पड़ रहा था; उनका कुछ काम-धंधा ठीक नहीं था। वे मेहनत-मज़दूरी करके अपना घर का पेट पाल रहे थे। वेल, प्रिया ने रोते-रोते अपनी माँ से कह दिया, "माँ, आप मुझे आज साथ लेकर चलिए, वरना मैं यहीं मर जाऊँगी।"
प्रिया की इतनी दर्द भरी आवाज़ सुनकर उसकी माँ अंदर ही अंदर तड़प उठी और कहने लगी, "तू फ़िक्र मत कर, मैं तेरी सास से बात करके आती हूँ।"
ऐसा कहकर जल्दी ही प्रिया की माँ प्रिया की सास के सामने खड़ी हुई और कहने लगी कि वह कुछ दिनों के लिए प्रिया को घर लेकर जाना चाहती है।
"आप तो जानती हैं कि प्रिया इतनी बड़ी बीमारी से बाहर आई है। इतना बड़ा ऑपरेशन हुआ है। सुना है कि तीन-चार महीने तक लड़की को अपने हस्बैंड से दूर रहना चाहिए। तो मैं दो-तीन महीने के लिए प्रिया को लेकर जाना चाहती हूँ, ताकि वह जिस्मानी तौर पर मज़बूत हो जाए।"
प्रिया की माँ की बात सुनकर प्रिया की सास मन ही मन में कुछ सोचने लगी और तभी उसने अपनी बड़ी बेटी की ओर देखा और वो तुरंत अपनी माँ के पास गई और उसके कानों में कहने लगी, "अरे, यह अच्छा मौका है, भेज दो इस बार उसकी माँ के साथ। और वैसे भी, यहाँ रहेगी तो कभी दवाई, कभी गोली का हर ख़र्चा हमारा लगेगा और काम तो वह कुछ करने वाली है नहीं, क्योंकि इसकी अभी तबीयत ख़राब है। यह फिर दर्द का बहाना करेगी। और अगर आज हम भेज देते हैं, तो इसकी माँ ही इसकी दवाई-गोली करवाएगी। हमारे ऊपर से भार उतरेगा।"
अपनी बेटी की बात सुनकर प्रिया की सास ने तुरंत प्रिया की माँ से कह दिया, "हाँ हाँ, वह बिल्कुल अपनी बेटी को यहाँ से लेकर जा सकती हैं। उन्हें किसी तरह का कोई मसला नहीं है।"
यह सुनकर प्रिया की माँ बहुत खुश हो गई। जब उसकी माँ ने यह बात प्रिया को आकर बताई, प्रिया भी बहुत ज़्यादा खुश हो गई और उसने रोते-रोते अपनी माँ को गले से लगा लिया और कहने लगी, "माँ, आप अच्छी हैं।"
वेल, प्रिया के मन में कहीं ना कहीं यह बात थी कि जाने से पहले एक बार कुणाल से मिलना चाहती थी। क्योंकि प्रिया एक ऐसी लड़की थी जो कुणाल को दिल से प्यार करती थी; उसकी इतनी ज़्यादा बेवफ़ाई के बाद भी कुणाल को तो उसकी कुछ परवाह ही नहीं थी।
इसलिए प्रिया ने जल्दी ही अपना सामान पैक कर लिया और एक नज़र सब की ओर देखते हुए वहाँ से जाने लगी। उसकी ननद ने उसके जाने पर किसी तरह का कोई ऐतराज नहीं किया। वैसे भी, उन्हें कुछ दिनों से घर का काम करना पड़ रहा था और प्रिया को ऊपर से उन्हें कप-चाय-पानी देना भी पड़ रहा था।
तो कम से कम उन्हें इस बात का सुकून था कि अगर प्रिया यहाँ नहीं रहेगी तो उन्हें कम से कम प्रिया का काम तो नहीं करना होगा। यह सोचते हुए सब ज़्यादा खुश थीं और जल्दी ही उसकी सास ने प्रिया की माँ से कह दिया कि वह चार-पाँच महीने तक प्रिया को अपने घर पर ही रखें, जब तक कि वह बिल्कुल पूरी तरह से ठीक न हो जाए।
यह सुनकर प्रिया की माँ काफ़ी ज़्यादा हैरान थी कि अपने मुँह से भला कोई ऐसा कैसे कह सकता है।
जल्दी ही, प्रिया बोझल आँखों के साथ वहाँ से निकल गई और वहाँ से निकलकर वह सीधा अपनी माँ के साथ अपने घर आ गई। वहाँ जाकर प्रिया काफ़ी ज़्यादा उदास थी क्योंकि उसे इतने दिनों से ससुराल में रहकर सिर्फ़ दुख के अलावा कुछ नहीं मिला था। प्रिया यह सोच रही थी कि उसने दिन-रात उनकी सेवा की, न जाने क्या-क्या किया, लेकिन उसकी तबीयत थोड़ी सी ख़राब होने पर उन लोगों ने कैसा उसके साथ बर्ताव किया था।
प्रिया धीरे-धीरे अपने घर में अपनी माँ का हाथ बटाने लगी थी। वह सही समय का इंतज़ार करने लगी थी कि कब वह ये सारी बातें अपने घर पर बताए, लेकिन प्रिया की अभी हिम्मत नहीं हो रही थी। और रह-रह कर प्रिया के दिल में एक अजीब तरह का दर्द सा उठता था। क्योंकि प्रिया के घर आने के बाद कुणाल ने एक बार भी उससे फ़ोन पर बात करना ज़रूरी नहीं समझा था।
धीरे-धीरे वक़्त गुज़रने लगा। कुणाल टीना के साथ बहुत ज़्यादा इंवॉल्व हो चुका था। लेकिन दोनों ने अभी तक शारीरिक रिश्ता नहीं बनाया था, लेकिन दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए थे। और वहीं अकेली प्रिया का दम घुटने लगा था। कहीं ना कहीं उसके माता-पिता ने उसके चेहरे की उदासी साफ़ देख ली थी और उससे कितनी ही बार जानने की कोशिश की थी कि आखिरकार उसे क्या हुआ है। क्योंकि वह हमेशा से ही हँसती-खेलती और चंचल रहती थी।
लेकिन अब कुणाल की बेवफ़ाई ने उसे अंदर तक तोड़कर रख दिया था। वह किसी को क्या बताती कि उसके साथ कितना बड़ा हादसा हुआ है? वह कुणाल के बारे में अपने माता-पिता को बताकर उन्हें किसी भी तरह की कोई तकलीफ नहीं देना चाहती थी।
धीरे-धीरे हँसना, खेलना, खाना सब बंद कर दिया था। वह बहुत ज़्यादा डिप्रेशन में होती चली गई।
तभी अचानक एक दिन प्रिया के पास उसके एक देवर का फ़ोन आया। कुणाल अकेला था, लेकिन कुणाल के पापा के तीन-चार भाई थे; उनमें से एक भाई का बेटा, जो कुणाल के चाचा का लड़का था, उसने प्रिया को ससुराल साइड से फ़ोन किया था।
क्या प्रिया अपने घर कुछ बता पाएगी? क्या कुणाल को कभी अपनी गलती का एहसास होगा? जानने के लिए बने रहिए दोस्तों!
कुणाल के बारे में अपने माता-पिता को बता कर उन्हें किसी भी तरह की कोई तकलीफ नहीं देना चाहती थी।।।
धीरे-धीरे हंसना खेलना खाना सब बंद कर दिया था वह बहुत ही ज्यादा डिप्रेशन में होती चली गई थी।।।।
तभी अचानक एक दिन प्रिया के पास उसके एक देवर का फोन आया था।।।।
कुणाल हालांकि अकेला था लेकिन कुणाल के पापा तीन चार भाई थे उन्ही में से एक भाई का बेटा जो की कुणाल के चाचा का लड़का था उसने प्रिया को फोन किया था ससुराल साइड से।।।।।
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और उसके देवर ने भी उससे बड़े ही पोलाइट तरीके से बात करी थी।।
क्योंकि उसका देवर अपने बड़े भाई के बारे में सारी चीज अच्छी तरह से जानता था।।।
और यह भी जानता था कि उसका बड़ा भाई किस तरह से टीना के चक्कर में है और किस तरह से वह भाभी को परेशान कर रहा है।।।
तो जैसे ही प्रिया के देवर ने उसे आगे से सारी बातों के बारे में जिक्र करना शुरू किया प्रिया भी खुद को रोक नहीं पाई और उसने भी एक-एक करके सारी बातें अपने देवर के सामने कह दी थी ।।।।
और उसे यह भी बता दिया था कि किस तरह से उसे कुणाल ने धोखा दिया है
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लेकिन धोखे से दवाई देने वाली बात वह प्रिया ने अपने मन में ही रखी थी।।
वह बात उसने उस से शेयर नहीं की थी वह धीरे-धीरे उसका देवर हर रोज उसे एक फोन करने लगा था अपने देवर का फोन आने पर वह उससे अपने मन की बातें कहने लगी थी।।।
और इससे प्रिया का दिल थोड़ा-थोड़ा हल्का होने लगा था तब एक दिन उसके देवर ने उसे कहा कि भाभी अगर आप इसी तरह से भाई के पीछे रोती रहोगी परेशान रहोगी तो ऐसा काम नहीं चलने वाला है।।।।
और उस टीना से तो आप लाख गुना ज्यादा खूबसूरत है और इतना ही नहीं आप उससे ज्यादा पढ़ी-लिखी भी है तो क्यों आप इस तरह से भाई के पीछे रो धो कर अपनी जिंदगी बर्बाद करना चाहती है।।।
अरे मैं तो कहता हूं कि आपको अपनी जिंदगी में कोई स्टैंड लेना चाहिए और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए अपने देवर की बात सुनकर प्रिया का मन आत्म विश्वास से भर उठा था ।।।।
और कहीं ना कहीं उसे अपने देवर की बातों में सच्चाई नजर आने लगी थी कि इस तरह से वह कर क्या रही है कयो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के चक्कर में सोच सोच कर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रही है ।।।।
उसे इन सब चीजों के बारे में ज्यादा ना सोचकर अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए,,
हालांकि प्रिया ने ग्रेजुएशन कंप्लीट किया था लेकिन आगे की पढ़ाई उसने बीच में ही छोड़ दी थी क्योंकि इस दौरान उसकी शादी कुणाल से हो गई थी।।।।।
अपने देवर की बात मानकर प्रिया ने पास ka ही एक फेस इंस्टिट्यूट ज्वाइन किया था।।
जहां पर उसने धीरे-धीरे इंग्लिश की क्लासेस लेना शुरू कर दिया था ।।।
अब दो से तीन घंटे प्रिया उस इंस्टिट्यूट में बिताने लगी थी लगी थी इससे प्रिया का मन थोड़ा सा बहल जाया करता था और बाहर जाकर उसे काफी सारी चीज़ सीखने को मिलने लगी थी।।।
धीरे-धीरे महीने गुजरने लगे थे लेकिन इस बार एक बार भी कुणाल न तो उससे मिलने आया था और ना ही कुणाल ने उसे किसी तरह का कोई फोन किया था ।।।
कभी-कभी बस उसका देवर ही उससे फोन पर बातें किया करता था।।
कहीं ना कहीं उसका देवर एक सॉफ्ट हार्टेड पर्सन था और धीरे-धीरे जिस तरह से वह प्रिया की केयर कर रहा था प्रिया के दिल में भी उसके लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर पैदा हो गया था ।।।
हालांकि किसी के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर करना उसके शान के खिलाफ था क्योंकि उसने कभी अपने पति के अलावा किसी और के बारे में नहीं सोचा था।।।।
लेकिन कभी-कभी उसका दिल करता था अगर कुणाल यह सब कुछ कर सकता है तो वह क्यों नहीं कर सकती वह भी तो किसी के साथ चक्कर चला सकती है अपनी जिंदगी में खुश रह सकती है अगर कुणाल उसकी ख्वाहिशें पूरी नहीं कर सकता कोई और कर सकता है।।।।
क्योंकि प्रिया जवान थी खूबसूरत थी ,,
लेकीन प्रिया कुणाल से गुस्सा होकर ये सब चीजों के बारे मे केवल सोच सकती थी कर कुछ नही सकती थी,
क्योंकी उसकी गेरत उसे इस चीज की परमिशन नही देती थी,
वेल अब धीरे धीर साथ ही साथ अब प्रिया में आत्मविश्वास भी आता जा रहा था वेल प्रिया को अपने घर रहते हुए 4 महीने पूरे हो चुके थे ।।।
इन चार महीना में प्रिया ने काफी अच्छी अपनी इंग्लिश सीख ली थी और धीरे-धीरे उसने जॉब के लिए अप्लाई करना शुरू कर दिया था।।।।
इतना ही नहीं एक बार एक कंपनी से प्रिया को ऑफर भी आया था लेकिन जिस दिन उसे इंटरव्यू देने के लिए जाना था ठीक उसी दिन उसके सास ससुर उसके मायके में आ धमके थे।।।।।
प्रिया अचानक से उन लोगों को वहां देखकर काफी ज्यादा हैरान हो गई थी।।।
क्योंकि उसने तो सोच लिया था कुणाल उस रात टीना से जिस तरह से उसके बारे में बातें कर रहा था उसे तलाक देने की बातें कर रहा था।।।।
उसके बाद शायद तलाक के कागज ही उनके घर से आएंगे।।।
लेकिन यह क्या अचानक से उसके सास ससुर वहां क्यों आ गए प्रिया काफी हद तक परेशान थी।।।।।
लेकिन उसके सास ससुर ने आकर उसके माता-पिता से बातें करना शुरू कर दिया था ।।और कहने लगे थे कि वह प्रिया को आप भेज दे।।।
क्योंकि उस की सास का ऑपरेशन होने वाला है उसकी सास के पेट में कोई अपेंडिक्स का दर्द उठा था ।।।
तो जिसके बदौलत प्रिया को घर जाना होगा घर संभालना होगा क्योंकि उस की सास अस्पताल में एडमिट होने वाली है।।।।
प्रिया ने जैसे ही यह सूना उसके तन बदन में आग लग गई थी वह सोचने लगी थी आखिरकार कोई इंसान इतना ज्यादा लालची और मतलबी कैसे हो सकता है।।।।
इन लोगों को इतने दिनों के बाद प्रिया की याद आई है वह भी सिर्फ और सिर्फ अपने काम के लिए।।।
प्रिया उस वक्त काफी ज्यादा हैरान थी तभी प्रिया के पापा ने उसके सास को मना करते हुए कहा था माफ कीजिएगा बहन जी लेकिन अभी हमारी बेटी ने एक नया एडमिशन लिया है तो वह भी अपनी एजुकेशन पूरी करेगी और अभी उसके एग्जाम होने वाले ठीक 3 महीने बाद उसके बाद ही हम प्रिया को भेज सकते हैं।।।।
हम अभी उसे नहीं भेजना चाहते जैसे ही प्रिया की सास ने यह सूना सुना वह आग बबूला हो उठी थी ।।।
और कहने लगी है जो अपनी बेटी को बहनों सालों अपने घर पर रहने के लिए तैयार है,,
हमारी भी दो-दो बेटी है भाई,
लेकिन हमारी कोई भी बेटी इस तरह से मायके में आकर नहीं पड़ी है ।।।।
और अगर अभी ये हमारी जरूरत के टाइम काम नहीं आएगी तो हमें एक लोती बहू होने का फायदा क्या आप ही बताइए जी कल को अगर आपके घर में बहू आएगी और इस तरह से आपको परेशानी होगी तो क्या आप लोग अपनी बहू को लेकर नहीं आएंगे।।।।।।।।
हम आप लोगों को एक हफ्ते का समय देते हैं एक हफ्ते के अंदर अंदर अगर आपने प्रिया को नहीं भेजा तो फिर हम प्रिया को कभी भी लेने के लिए नहीं आएंगे।।।।।
ऐसा कह कर वह लोग गुस्से से वहां से चले गए थे और प्रिया उन लोगों की छोटी सोच के बारे में सोचती ही रह गई थी।।।।
तभी प्रिया के पापा उस वक्त काफी ज्यादा परेशान हो गए थे और प्रिया का हाथ पकड़ कर बैठ गए थे और कहने लगे थे बेटी तो मुझे सच-सच बता कि तुझे तेरे ससुराल में कोई परेशानी तो नहीं है ना।।।।।
जिस तरह से तेरी सास आज बात कर रही थी उसकी बातों में मुझे काफी ज्यादा तेरे लिए बेरुखी नजर आ रही थी।।।
।।।मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है अगर कुछ भी ऐसी बात है जो तू बताना चाहती है तो मेरी बच्ची कुछ भी हो बच्चे पर तू मुझे सारी बात बता दे ।।।।।।
क्योंकि तेरे बाप के पास भले ही पैसा ना हो लेकिन हिम्मत तो बहुत है ।।।
वह अपनी बेटी का हमेशा ध्यान रख सकता है अपने पिता की ऐसी तरह की बातें सुनकर प्रिया की आंखों से आंसू निकलना शुरू हो गए थे।।।।
लेकिन वह अपने माता-पिता को कुछ भी बता कर बिल्कुल भी परेशान नहीं करना चाहती थी।।।
इसीलिए प्रिया ने एक बार फिर बात टालते हुए कहा था नई नई पापा ऐसी कोई परेशानी नहीं है और वैसे भी नहीं ससुराल है थोड़ा बहुत तो परेशानी होती ही एडजेस्ट करने में थोड़ा टाइम तो लगता ही है आप बिल्कुल भी फिक्र मत कीजिए मैं सब संभाल लूंगी ।।।।।।।।
और रही बात जाने की तो आप उनको कह दीजिए कि अगले 15 दिन के बाद वह मुझे आकर ले जाएंगे।।।
क्योंकि अभी मैं अपनी क्लास में यह बात कहना चाहती हूं कि क्या क्या मैं पेपर अपने ऑनलाइन दे सकती हूं।। मैं सारी बातें कंफर्म कर लूं।।।।
उसके बाद ही आप उन्हें टाइम दे दीजिएगा प्रिया की बात सुन कर
उसके पिता चुप हो गए थे ।।।
और वह कहते भी क्या वह खुद इस बात से परेशान थे आखिरकार 4,
5 महीने हो गए थे उनकी बेटी घर पर थी लेकिन कोई भी ना तो दामाद फोन करता था ना कोई मिलने आया था।।।
लेकिन अचानक से आज वो लोग इतने दिनों के बाद आए थे तो वह भी सिर्फ और सिर्फ अपने मतलब के लिए ।।।
तो कहीं ना कहीं उसके पिता का दिमाग काफी जोरों से चलने लगा था।।
लेकिन वह कर भी क्या सकते थे।।।
वह काफी गरीब और समाज में रहने वाले आदमी थे जहां पर अगर लड़कियों के साथ ऐसी कोई दुर्घटना हो जाती है तलाक हो जाती है तो वह काफी ज्यादा बुरा समझा जाता था।।।।
लेकिन उनका दिल नहीं मान रहा था उन्हें ऐसा लग रहा था मानो कि उनकी बेटी उनसे कुछ छुपा रही है ।।।।
लेकिन प्रिया ने उन्हें कुछ भी नहीं बताया था।।।।।
तब प्रिया अपने कमरे में आ गई थी और सोचने लगी थी जिस इंसान ने पूरे 4 महीने पूरे होने के बाद पांचवा महीना लग चुका है अभी तक उसकी एक बार भी कानों कान खबर नहीं ली उसके पास एक बार फिर से जाना प्रिया को कुछ गवारा नहीं लग रहा था।।।।
लेकिन वह इस तरह से अपने घर पर भी आखिरकार कब तक रह सकती थी ।।।।।।।।
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जानने के लिय बने रहिए दोस्तो।।।