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अग्नि प्रतिज्ञा

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रॉकस्टार अग्नि सभरवाल अपनी चाइल्डहुड फ्रेंड और लॉन्ग टाइम गर्लफ्रेंड निशा से दो दिन बाद शादी करने वाला था। अग्नि म्यूजिक इंडस्ट्री का जाना माना नाम है। जहां एक तरफ अग्नि कर रहा था निशा के साथ अपनी शादी की तैयारी, तो वहीं दूसरी तरफ फस जाता है, वह प्रत...

Total Chapters (129)

Page 1 of 7

  • 1. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 1

    Words: 2149

    Estimated Reading Time: 13 min

    आज पूरी मुंबई में बस दो ही चर्चाएँ थीं; मीडिया से लेकर अखबारों के फ्रंट पेज तक, हर जगह एक ही बात का जिक्र था: पहली, द रॉकस्टार अग्नि सभरवाल का लाइव कंसर्ट कल रात होटल पैराडाइज में होगा; और दूसरी चर्चा इस बात की थी कि उसके दूसरे दिन अग्नि सभरवाल की शादी उनकी मंगेतर और लॉन्ग टाइम गर्लफ्रेंड निशा भसीन के साथ होगी। अग्नि और निशा बचपन के दोस्त थे। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही दोनों को एक-दूसरे के प्रति आकर्षण हुआ; धीरे-धीरे यह आकर्षण प्यार में बदल गया। दोनों के परिवार वाले भी एक-दूसरे से अच्छे ताल्लुकात रखते थे; इसीलिए उन दोनों को निशा और अग्नि के रिश्ते से कोई एतराज नहीं हुआ। पर अग्नि पहले अपनी ज़िंदगी में कुछ करना चाहता था, एक मुकाम हासिल करना चाहता था। हाँ, सभरवाल बिजनेस था, उसके पास; पर वह बिजनेस उसका अपना नहीं था, उसके दादा और पापा की कड़ी मेहनत थी। अग्नि को अपने दम पर कुछ करना था, कुछ ऐसा जिससे दुनिया उसे सिर्फ़ उसके नाम से पहचाने, ना कि उसके पापा और दादा के नाम से। अग्नि के पास हुनर के नाम पर बस उसकी आवाज़ थी, और अग्नि ने उसी को अपना हथियार बनाया। छोटे-मोटे कंसर्ट से शुरू करके अग्नि ने अपनी एक अलग पहचान बनाई। आज अग्नि इंडिया के टॉप 10 मोस्ट रॉकस्टार में से एक था। उसके एक कॉन्सर्ट की टिकट लाखों में बिकती थी; यहाँ तक कि उसकी टिकटें आने से पहले ही एडवांस बुकिंग में चली जाती थीं। आखिर हो भी क्यों ना? अग्नि की आवाज़ में जादू ही ऐसा था! अग्नि के स्टूडियो के सामने लाखों की तादाद में भीड़ थी; सब अग्नि की एक झलक पाने के लिए तरस रहे थे। लड़कियाँ अपने हाथ में अग्नि की फ़ोटो और उसके नाम का बोर्ड लेकर खड़ी थीं। तभी वहाँ पर तीन गाड़ियों का काफ़िला आया, जिनमें से बॉडीगार्ड बाहर आए। वहाँ का स्टाफ़ भी रिपोर्टर्स और अग्नि के फ़ैंस को काबू करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वे किसी के काबू में ही नहीं आ रहे थे। मीडिया की लाइट्स लगातार उस गाड़ी पर पड़ रही थीं, और लड़कियों की अग्नि के लिए दीवानगी साफ़ नज़र आ रही थी। बॉडीगार्ड ने जल्दी से गाड़ी को कवर किया, और एक बॉडीगार्ड ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला। डेनिम जींस, ब्लैक शर्ट और लेदर जैकेट के साथ, अपने चेहरे पर सनग्लासेस लगाकर, एक 26 साल का लड़का गाड़ी से बाहर निकला। 6 फ़ीट हाइट, बाल जेल से सेट किए हुए, एक कान में डायमंड कफ़, चश्मों की वजह से उसकी भूरी आँखें किसी को दिख नहीं रही थीं; पर गले में पहना हुआ गिटार का लॉकेट यह बताने के लिए काफ़ी था कि उनके सामने उनका सुपरस्टार खड़ा था। पर क़यामत तो कुछ और ही निकली; अग्नि की मुस्कराहट से गालों में पड़ने वाले डिम्पल… हाय! लाखों लड़कियाँ उस डिम्पल पर अपनी जान वार देती थीं। अग्नि मुस्कुराते हुए अपने फ़ैंस को देखकर एक हाथ हिलाता है; इसी के साथ वहाँ पर सारी लड़कियाँ चीखने लगीं। रिपोर्टर्स और मीडिया वाले सवाल पर सवाल कर रहे थे, लेकिन बॉडीगार्ड अग्नि को लेकर अंदर जाने लगे। जैसे ही अग्नि गेट के अंदर पहुँचा, एक फ़ैन ने जोर से चिल्लाते हुए कहा, "आई लव यू अग्नि! अगर तुम मुझे नहीं मिले तो मैं अपनी जान दे दूँगी!" यह आवाज़ लाखों की आवाज़ में अग्नि के कानों तक पहुँच गई, और वह दरवाज़े तक जाने से पहले ही रुक गया। बॉडीगार्ड अग्नि को अंदर चलने के लिए रिक्वेस्ट करने लगे, लेकिन अग्नि ने हाथ दिखाकर उन्हें रोक दिया। अग्नि पलटता है और अपना चश्मा निकालता है। अग्नि अपनी भूरी आँखों से उस भीड़ को देख रहा था, और जैसे ही अग्नि ने अपना चश्मा निकाला, सारी भीड़ उसे देखकर जोर से चीखने लगी। अग्नि ने उस लड़की की तरफ़ देखा जहाँ से यह आवाज़ आई थी। उसने मुस्कुराते हुए उन लड़कियों को देखा और कहा, "बेब्स, 100 अग्नि आएंगे और 100 अग्नि जाएँगे, पर तुम्हारी ज़िंदगी बहुत कीमती है। प्लीज़ किसी के लिए भी अपनी ज़िंदगी को दाव पर मत लगाओ। यू लव मी? आई रियली लव यू। जाहिर सी बात है, आप सब हो तो अग्नि है। अगर आपका प्यार, आपका साथ ना मिला होता तो शायद मैं यहाँ तक कभी नहीं पहुँच पाता। इसीलिए मेरी ज़िंदगी में सबसे पहली अहमियत मेरे फ़ैंस की है।" एक रिपोर्टर ने अग्नि से सवाल किया, "अग्नि जी, एक तरफ़ तो आप कहते हैं कि आप अपनी फ़ीमेल फ़्रेंड से बहुत प्यार करते हैं, और दूसरी तरफ़ आप शादी करके उनका दिल तोड़ रहे हैं?" अग्नि ने हँसते हुए कहा, "जी नहीं, मैं किसी का दिल नहीं तोड़ रहा, बल्कि मेरा दिल तो इन सबके पास है। पर जहाँ तक बात रही मेरी शादी की, तो वह मेरा फैमिली मैटर है, मेरी पर्सनल लाइफ़ का हिस्सा है। जाहिर सी बात है, मैं अपने फ़ैंस से प्यार तो करता हूँ, लेकिन मैं सबके साथ शादी तो नहीं कर सकता ना! लेकिन फिर भी, शादी के बाद भी मेरे फ़ैंस मेरी फ़र्स्ट प्रायोरिटी रहेंगे।" दूसरे रिपोर्टर ने सवाल किया, "अग्नि जी, दो दिन बाद आपकी शादी है और कल आपका कॉन्सर्ट है; आप दोनों चीज़ें एक साथ कैसे मैनेज करेंगे?" अग्नि ने न्यूज़ रिपोर्टर के सवाल का जवाब दिया, "दोनों चीज़ें मुझे नहीं मैनेज करनी हैं। कॉन्सर्ट की डेट एक साल पहले ही डिसाइड हो चुकी थी, इसलिए मैं उसे बदल नहीं सकता। और शादी की डेट ग्रह-नक्षत्र और पंडितों ने मिलकर डिसाइड की है। और मेरे घर में, कोई कितना ही क्यों ना बड़ा बिज़नेसमैन हो, लेकिन घर में चलती लेडीज़ की ही है। फ़िलहाल के लिए, मेरे घर की हेड ऑफ़ द फ़ैमिली मेरी दादी हैं, और मेरी दादी का कहना है कि शादी इसी डेट पर हो, और मेरे लिए मेरी दादी के शब्द पत्थर की लकीर हैं।" कोई और रिपोर्टर कुछ सवाल करता इससे पहले ही बॉडीगार्ड ने आकर हाथ दिखाकर बोला, "नो मोर क्वेश्चंस!" इसी के साथ अग्नि ने अपना एक हाथ उठाया और अपने होठों से लगाते हुए उन लड़कियों की तरफ़ एक फ़्लाइंग किस कर दिया। बस उसका इतना ही करना बाक़ी था कि लड़कियाँ पागल हो गईं और वह भीड़ को हटाने की कोशिश करने लगीं। जब बॉडीगार्ड ने उन्हें ऐसा करते देखा, तो जल्दी से दरवाज़ा खोलकर अग्नि को अंदर ले गया। अग्नि अपने स्टूडियो जा चुका था। जाहिर सी बात है, कल उसका कॉन्सर्ट था; उसके पास काम बहुत था, और उसकी शादी की सारी प्रिपरेशन उसकी फ़ैमिली कर रही थी; उसे तो बस शेरवानी पहनकर मंडप में ही बैठना था। वहीं टीवी पर अग्नि का यह इंटरव्यू चल रहा था। अपने हाथों में मेहँदी लगाई, अपनी आँखों में टिमटिमाहट लिए, 23 साल की निशा इस इंटरव्यू को देख रही थी। अग्नि के इंटरव्यू ख़त्म होने के बाद निशा ने टीवी को घूरते हुए कहा, "अरे बड़े फ़ैंस को पहले रखने वाले! एक बार शादी हो जाने दो, जितना तुमने मुझे शादी से पहले परेशान किया ना, शादी के बाद गिन-गिन कर बदला लूँगी! एक मुलाक़ात के लिए महीना इंतज़ार किया है मैंने तुम्हारा! पहले तो बड़े-बड़े वादे किए थे, 'निशा, तुम्हारे लिए यह कर दूँगा, तुम्हारे लिए वह कर दूँगा,' और जब करने की बारी आई तो मेरी फ़ैंस पहले हैं? हम्म…" ऐसा कहते हुए निशा ने अपना मुँह बिठा दिया; लेकिन दरवाज़े पर खड़ी निशा की माँ, रजनी जी, निशा को देखकर हँसने लगीं और कहा, "क्या बात है निशा? दामाद जी से क्यों गुस्सा हो रही है?" निशा ने अपनी माँ को देखकर कहा, "माँ, आप मेरी माँ हो, तो ख़ामख़ा उसकी साइड मत लेना! वह पागल, शादी के एक दिन पहले भी कम कर रहा है! आपको पता है, जब से हमारी शादी तय हुई है ना, वह मुझे एक बार मिल भी नहीं रहा है! बस फ़ोन पर बातें करता है, वह भी सिर्फ़ काम की! 'निशा, तुमने खाना खाया?', 'निशा, कल तबीयत ख़राब थी, तुमने दवाई ली?', 'निशा, बाहर धूप कितनी तेज़ हो रही है, बाहर क्यों निकल रही हो?' बस यही सारी बातें बोलता है! पागल कहीं का!" रजनी जी मुस्कुराते हुए आगे आती हैं और निशा के हाथों की मेहँदी देखने लगती हैं, जो ऑलमोस्ट सूख चुकी थी। रजनी जी मुस्कुराते हुए कहती हैं, "बेटा, वह रॉकस्टार है; उसके पास कितना काम है! फिर भी वह अपने काम के बीच में से समय निकालकर तुमसे बात करता है, और तुम मुझसे ऐसे नाराज़ हो रही हो! बेटा, शादी से पहले ही ऐसे नाराज़ होगी तो शादी के बाद ज़िंदगी कैसे कटेगी?" निशा कुछ कहने ही वाली होती है कि तभी रजनी जी का फ़ोन बजता है। रजनी जी देखती हैं; सभरवाल मेंशन से फ़ोन है। जल्दी से फ़ोन उठाते हुए कहती हैं, "जी, बहन जी… अच्छा… हाँ, ठीक है… नहीं, बस इसकी मेहँदी सूख रही है, हम उसके बाद हल्दी के लिए निकलने वाले हैं…" रजनी जी फ़ोन रखते हुए निशा को देखकर कहती हैं, "तेरी सास का फ़ोन था; कह रही थी हम लोग हल्दी के लिए कब निकल रहे हैं।" निशा मुँह बनाते हुए कहती है, "हम तो चले जाएँगे, पता नहीं वह पागल पहुँचेगा या नहीं!" रजनी जी निशा के सर पर एक चपत लगाते हुए कहती हैं, "तमीज़ से बात कर ले! तेरा होने वाला पति है! तेरा बचपन का दोस्त नहीं रहा, जिसे तू कभी भी उलझ पड़ती थी, लड़ पड़ती थी; वह तेरा पति है; तुझे उसे इज़्ज़त देनी चाहिए; उसके साथ प्यार से और इज़्ज़त से बात कर। और हाँ, थोड़े अपने नख़रे कम दिखा; शादी होने वाली है तेरी; किसी के घर की बहू बनने वाली है।" निशा कहती है, "लेकिन माँ, मुझे तो ऐसा लग ही नहीं रहा कि मैं उसके घर की बहू बनने वाली हूँ! मतलब मैं तो वहाँ पर कितनी बार गई हूँ, उन लोगों से मिली भी हूँ; इसलिए मुझे शादी वाली फ़ीलिंग ही नहीं आ रही है! और अग्नि के साथ तो इज़्ज़त से बात करने पर मुझे हँसी आ जाती है! पर मैंने कोशिश की थी; उसे 'आप' बोलने की; थोड़ी देर तक तो हम दोनों हँसते रहे; मेरे मुँह से उसके लिए 'आप' निकलता ही नहीं है!" रजनी जी अपना सर पीट लेती हैं; कहाँ वह अपनी इस पागल बेटी को समझने बैठ गई हैं! पर उन्हें खुशी थी कि निशा की शादी अग्नि से हो रही है, और वह उस परिवार में जा रही है जिन्हें वह अच्छी तरह से जानती हैं। दूसरी तरफ़, सभरवाल मेंशन में… घर की मुखिया थीं गुड्डी सभरवाल; उनके पति प्रदीप सभरवाल सालों पहले गुज़र गए थे। अपने पिता के गुज़र जाने के बाद बिज़नेस प्रदीप सभरवाल के बेटे मोहन सभरवाल ने संभाला था। सभरवाल का बिज़नेस जितनी ऊँचाइयों पर था, उनकी पहचान उतनी ही बड़ी थी, और इस पहचान को चार चाँद लगाया अग्नि ने था। मोहन जी ने कभी भी अग्नि को कुछ करने से नहीं रोका था; उन्हें पता था अग्नि के नाम की तरह उसके अंदर भी एक आग है, कुछ कर गुज़रने की आग; इसलिए उन्होंने अग्नि को उसका मन करने दिया था। आज जब कोई उन्हें यह कहता था कि आप तो रॉकस्टार अग्नि के पिता हैं, तो मोहन जी का सर गर्व से ऊँचा हो जाता था कि दुनिया उन्हें उनके बेटे के नाम से जानती है। मोहन जी की धर्मपत्नी थीं वीणा सभरवाल; स्टाइलिश, टिप-टॉप और मॉडर्न सोसाइटी में रहने वाली वीणा सभरवाल, जिन्हें हर चीज़ हाई-क्लास ही पसंद आती थी। पहले पति का इतना बड़ा बिज़नेस और अब बेटे का इतना बड़ा नाम; वीणा सभरवाल की तो सोसाइटी में चाँदी ही चाँदी थी। पर वीणा जी जितनी अपने परिवार और फैमिली के लिए मॉडर्न क्यों ना रही हों, लेकिन वह उनसे उतना ही प्यार करती थीं, और अग्नि में तो उनकी जान बसती थी। सोसाइटी पार्टी और किटी पार्टी में कई लड़कियों की माँ ने वीणा को रिझाने की कोशिश की थी ताकि वह अपनी बेटी को अग्नि के साथ जोड़ सकें; पर वीणा जी को अच्छे से पता था कि अग्नि सिर्फ़ निशा से प्यार करता है; इसीलिए उन्होंने इस बात को उठने से पहले ही दबा देती थीं। वीणा जी सुबह की पहली कप भी ब्रांडेड ही करती थीं, और उनकी साड़ियों का कलेक्शन तो ऐसा था कि एक साड़ी एक बार पहन ली तो दोबारा उसे हाथ तक नहीं लगती थी। सभरवाल परिवार बहुत खुश था कि आखिर उनके इकलौते बेटे की शादी उसकी पसंद की लड़की से हो रही है। सभरवाल्स का जितना ज़्यादा नाम था, उतना ही ज़्यादा नाम और रुतबा इस शहर में भसीन परिवार का भी था। निशा के पिता, मिस्टर जोगिंदर, और अग्नि के पिता, मिस्टर मोहन, अक्सर बिज़नेस पार्टियों में साथ ही जाया करते थे; वे दोनों एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त भी थे। सभरवाल मेंशन को बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया गया था; बाहर मीडिया का जमावड़ा लगा हुआ था; वे इस घर की तस्वीरें अलग-अलग एंगल से ले रहे थे। गार्डन को पूरा पीले रंग से सजा दिया गया था क्योंकि आज यहाँ पर हल्दी का फंक्शन था।

  • 2. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 2

    Words: 993

    Estimated Reading Time: 6 min

    सभरवाल मेंशन के पोर्च में आकर निशा के परिवार की गाड़ी रुकी। ड्राइविंग सीट से जोगिंदर जी और पैसेंजर सीट से रजनी जी उतरे। पीछे का दरवाजा खोलकर निशा बाहर आई। निशा ने उस वक्त पटियाला सूट पहना हुआ था। उसके कमर तक के बाल खुले हुए थे, आँखों में काजल, माथे पर बिंदिया और हाथों में लगी मेहँदी निशा की खूबसूरती को और बढ़ा रही थी। निशा अपने परिवार के साथ सभरवाल मेंशन के अंदर आई। एक नौकर जल्दी से आवाज लगाता हुआ बोला, "मालकिन, मेहमान आ गए हैं।" गुड्डी, जो उस समय सोफे पर बैठी हुई थीं, उनकी नज़र दरवाजे पर गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। मोहन जी और वीणा जी उस समय कमरे में थे; एक नौकर उन्हें बुलाने चला गया। गुड्डी जी अपनी छड़ी के सहारे खड़ी हुईं और मुस्कुराते हुए उस नौकर को डाँटते हुए कहा, "अरे बेवकूफ! ये मेहमान नहीं हैं, इस घर के सदस्य हैं।" और फिर निशा के चेहरे को हाथों में लेते हुए कहा, "और ये तो इस घर की होने वाली बहू है, मेरे अग्नि की दुल्हन।" शिक्षा के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और वह झुककर दादी के पैर छूती है। दादी ने भी उसके सर पर हाथ रखकर उसे खुश रहने का आशीर्वाद दिया। तभी सीढ़ियों से उतरते हुए मोहन जी और वीणा आ रहे थे। निशा ने जब उन दोनों को देखा, तो जाकर उनके पैर छूने लगी। मोहन जी ने उसे रोक दिया और कहा, "नहीं निशा बेटा, कल तक आप इस घर में बेटी की हैसियत से आई थीं। तब तो हमने आपके पैर छूने नहीं दिए थे, तो बस बहू बनते ही आपका रिश्ता नहीं खत्म होता है।" वीणा आगे आई और निशा के गले लग गई। निशा ने भी उनके कंधे पर हाथ रख दिया। वीणा निशा के एक गाल को हाथों में लेते हुए कहा, "बहुत प्यारी लग रही हो तुम, किसी की नज़र न लगे।" ऐसा कहते हुए वीणा ने अपनी आँखों से काजल का एक कतरा निशा के कानों के पीछे लगा दिया। उसके बाद दोनों परिवार आपस में गले मिले और सोफे पर बैठ गए। वह लोग शादी में होने वाली रस्मों की बात कर रहे थे। थोड़ी देर बाद वीणा ने कहा, "रजनी, बाकी सब तो ठीक है, लेकिन मुझे बस एक ही चीज़ का अफ़सोस रहेगा।" रजनी जी ने कहा, "किस बात का अफ़सोस रहेगा?" वीणा ने कहा, "यही कि मुझे कभी बहू के हाथ का खाना नहीं मिलेगा। मेरी बहू को तो कुछ बनाना ही नहीं आता है।" वीणा की यह बात सुनकर निशा ने अपना चेहरा मायूसी से नीचे कर लिया। सच में उसे कुछ नहीं बनाना आता था। लेकिन वीणा ने माहौल को हल्का करते हुए कहा, "निशा बेटा, शादी के बाद मैं बहुत खड़ूस सास बनने वाली हूँ। मैं ये नहीं कहती कि तुम सारा खाना बनाना, लेकिन किचन में मेरे साथ हेल्प करवाना, क्योंकि मम्मी को और अग्नि को बाहर का खाना बिल्कुल पसंद नहीं है, और उसे किसी और के हाथ का बना खाना भी पसंद नहीं है।" निशा मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलाकर बोली, "जी आंटी जी, मुझे पता है।" एक नौकर आकर उनसे कहा, "मालकिन, हल्दी की सारी तैयारियाँ हो गई हैं।" रजनी ने वीणा को देखकर कहा, "वीणा, अग्नि कहाँ है? सबसे पहले तो हल्दी उसे लगती है ना, उसके बाद निशा को लगेगी।" वीणा ने रजनी को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "बात तो सही है तुम्हारी, पर ये लड़का सुबह से ही गायब है। कल इसका कॉन्सर्ट है, ये उसी की तैयारी कर रहा है।" जोगिंदर जी ने कहा, "तैयारी कर रहा है, वो सब तो ठीक है बहन जी कि वो अपने कॉन्सर्ट में बिज़ी है, पर शादी की रस्में भी तो होनी हैं।" मोहन जी अपना फ़ोन निकालते हुए बोले, "मैं फ़ोन करके देखता हूँ।" दूसरी तरफ़ रॉकस्टार म्यूज़िक कंपनी… अग्नि म्यूज़िक स्टूडियो में बने अपने म्यूज़िक स्टेशन पर बैठा था। एक ऊँची सी चेयर पर, हाथ में गिटार लिया और कानों में हेडफ़ोन लगाए अग्नि कोई धुन बजा रहा था। उसके कुछ दूरी पर एक काँच की दीवार थी और उस काँच की दीवार के दूसरी तरफ़ बहुत सारे सिस्टम पर कुछ लोग अग्नि की बनाई धुन को मिक्स कर रहे थे। म्यूज़िक रूम पूरा बंद था। वहाँ पर किसी की आवाज़ नहीं जाती थी और न ही कुछ सुनाई देता था। अग्नि पूरे मग्न होकर अपने धुन बनाने में लगा हुआ था। बाहर खड़ा अग्नि का दोस्त और उसका असिस्टेंट, रोनित, के हाथों में फ़ोन बजा। रोनित ने देखा, ये अग्नि का फ़ोन था और इसमें मोहन जी का नंबर फ़्लैश हो रहा था। रोनित ये देखकर घबरा गया और वह जल्दी से अग्नि को देखता है, लेकिन अग्नि अपनी आँखें बंद किए, अपने काम में पूरी तरह से मग्न था। रोनित पहले तो वहाँ से बाहर निकला और एक शांत जगह पर आकर अग्नि का फ़ोन उठाकर बोला, "जी अंकल, मैं रोनित बोल रहा हूँ। अग्नि अभी थोड़ा बिज़ी है।" मोहन जी ने थोड़े शक्ति से कहा, "रोनित, वो कितना ही बिज़ी क्यों न हो, उसे कहो आधे घंटे में घर आए। यहाँ उसकी हल्दी की रस्म होनी है और वो गायब है। सभी लोग आ गए हैं, सारे मेहमान आने वाले हैं, क्या जवाब दूँगा मैं उनको?" रोनित डरते हुए बोला, "जी… जी अंकल, बस जैसे ही फ़्री होता है, मैं बताता हूँ उसे कि आपका फ़ोन आया था। आप परेशान मत होइए।" रोनित वापस आया तो देखा कि अग्नि की रिकॉर्डिंग ख़त्म हो गई थी और वो अपना हेडफ़ोन निकालकर माइक पर रख रहा था और केबिन से बाहर आ गया था। बाहर आते ही म्यूज़िक डायरेक्टर और प्रोड्यूसर जाकर उसे बधाई दी और उसके काम की सराहना की। तभी रोनित उसके पास आया और बोला, "अग्नि, घर से दो बार फ़ोन आ चुका है। अंकल बहुत गुस्सा कर रहे हैं। तेरी हल्दी की रस्म होनी है और तू गायब है।" अग्नि हैरानी से रोनित को देखकर बोला, "हल्दी की रस्म? मुझे कुछ समझ नहीं आया।"

  • 3. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 3

    Words: 1031

    Estimated Reading Time: 7 min

    रोनित ने अपना सर पीट लिया और कहा, "अरे बुद्धू! तेरी हल्दी की रस्म होनी है, तुझे मैरिनेड किया जाएगा, उसी के बाद ना तुझे धीमी आँच पर भुना जाएगा।" अग्नि हँसते हुए रोनित के माथे पर एक टपकी मारी और कहा, "कभी तो सुधर जा!" अग्नि ने रोनित को जल्दी चलने के लिए कहा। रोनित ने बाकी सारा काम म्यूजिक डायरेक्टर को बताकर वहाँ से निकल गया। रोनित और अग्नि सभरवाल मेंशन की तरफ़ जा रहे थे। रास्ते में अग्नि ने गाड़ी मोड़ दी और दूसरी दिशा में ले गया। रोनित हैरान होकर कह रहा था, "अरे यार! अब गाड़ी क्यों मोड़ दी? कौन से रास्ते से घर चलना है? अंकल वैसे ही मुझ पर भड़क रहे हैं, तू लगता है आज मुझे मारकर ही मानेगा।" अग्नि ने हँसते हुए रोनित को देखा, लेकिन उसने अपनी गाड़ी नहीं रोकी और उसी दिशा में चलता रहा। अग्नि की गाड़ी के पीछे उसके बॉडीगार्ड की गाड़ी आ रही थी। थोड़ी देर में सारी गाड़ियाँ एक मॉल के एंट्रेंस पर आकर रुक गईं। रोनित ने अग्नि से कहा, "तुझे शॉपिंग करनी है? क्या तू पागल हो रहा है? जल्दी से घर चल! क्योंकि अगर मैं तुझे घर ले जाने में लेट हो गया ना, तो मेरी इतनी पिटाई होगी कि जो हल्दी तुझे लगानी है ना शगुन के तौर पर, वह मुझे लगेगी मरहम के तौर पर।" अग्नि ने डैशबोर्ड से अपना मास्क और सनग्लास निकाला, मास्क लगाते हुए कहा, "घर वाले तो मेरी शक्ल देखकर पिघल जाएँगे, पर वहाँ पर इस अग्नि के लिए कोई फायर बनी बैठी है। वह इतनी आसानी से नहीं पिघलने वाली।" अग्नि के कहने के अंदाज़ से रोनित समझ गया कि अग्नि निशा की बात कर रहा था। अग्नि ने बॉडीगार्ड को आने से मना कर दिया और खुद रोनित के साथ मॉल के अंदर चला गया। वह जल्दी से एक ज्वेलरी शॉप में गया और वहाँ पर बहुत ही प्यारी और खूबसूरत सी इयररिंग्स निशा के लिए सेलेक्ट की। अग्नि के सनग्लासेस और मास्क की वजह से उसका चेहरा रिवील नहीं हो रहा था, वरना अब तक तो इस मॉल में भीड़ इकट्ठी हो जाती। रोनित कैश काउंटर पर बिलिंग करवा रहा था और अग्नि कुछ और सर्च कर रहा था। एक दूसरी शॉप में फूल दिखे तो अग्नि उस शॉप की तरफ़ चल दिया, पर इससे पहले कि वह उस शॉप की तरफ़ बढ़ता, वह किसी से टकरा गया। अग्नि का सनग्लास उसके चेहरे से उतर गया। उसने जल्दी से सनग्लास हाथ में कैच किया और दोबारा लगाते हुए सामने वाले शख्स को देखा। अग्नि की आँखों में गुस्सा उतर आया, क्योंकि उसके सामने उस वक्त उसका म्यूजिक राइवल, शुभ सक्सेना, खड़ा था। अग्नि के आने से पहले शुभ ही इस इंडस्ट्री का नंबर वन रॉकस्टार हुआ करता था, लेकिन अग्नि ने आकर शुभ की पोजीशन छीन ली थी। वह ना सिर्फ़ नंबर वन बना, बल्कि नंबर वन की पोजीशन को उसने मेंटेन रखा। शुभ अभी भी म्यूजिक इंडस्ट्री में काम करता था, लेकिन उसकी पहचान घटती जा रही थी, और अब वह अग्नि जितना फेमस नहीं था, बल्कि उसके कुछ ही फैंस थे। जो सब कुछ पहले शुभ का हुआ करता था, अब वह अग्नि का था। शुभ और अग्नि हमेशा म्यूजिक इवेंट्स और म्यूजिक पार्टी में मिलते रहते थे। इन दोनों के बीच सिर्फ़ काम की दुश्मनी थी, ये दोनों एक-दूसरे की पर्सनल लाइफ़ में कोई इंटरफेयर नहीं करते थे, लेकिन आज शुभ के इरादे नेक नहीं लग रहे थे। हालाँकि शुभ अब उतना फेमस नहीं था, लेकिन फिर भी वह एक सेलिब्रिटी ही था, इसलिए उसने भी अपना चेहरा ढँककर रखा हुआ था। उसने घूरते हुए अग्नि को देखकर कहा, "कंग्रैचुलेशंस!" अग्नि ने तंज मारते हुए कहा, "तुम मेरी खुशी से कब से खुश होने लगे?" शुभ ने कहा, "मुझे तुम्हारी खुशी से घंटा फ़र्क नहीं पड़ता है। पर वो क्या है ना, दुश्मन की खुशी का पता होना चाहिए, क्या पता यही वो वक्त हो जब हम दुश्मन पर वार कर सकें।" दोनों के मास्क की वजह से उनके चेहरे के एक्सप्रेशन नज़र नहीं आ रहे थे, लेकिन बातों से माहौल की गर्माहट पता चल रही थी। शुभ के ऐसा कहने पर अग्नि के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और वह शुभ को देखते हुए कहता है, "तुम्हें पता है मेरी कामयाबी की असली वजह तुम हो। अगर तुम मुझसे दुश्मनी मोल नहीं लेते और मुझे हराने की कोशिश नहीं करते, तो तुमसे जीतने की चाह में मैं कभी आगे नहीं निकल पाता।" शुभ ने घूरकर अग्नि को देखा और कहा, "तुमने जानबूझकर अपने कॉन्सर्ट की डेट तब रखी जब मेरा म्यूजिक एल्बम रिलीज़ होने वाला था ना?" अग्नि ने कहा, "पहली बात, मुझे तुम्हारे काम से कोई मतलब नहीं है। मुझे नहीं पता था कि तुम अपना म्यूजिक एल्बम इसी डेट पर रिलीज़ कर रहे हो। और वैसे भी, मेरे कॉन्सर्ट की डेट्स और मेरे काम का सारा हिसाब मेरी PR टीम देखती है। वह बस मुझे डेट कन्फ़र्म करती है, इसलिए मुझे नहीं पता था कि तुम्हारा म्यूजिक एल्बम भी रिलीज़ होने वाला था। क्या फ़र्क पड़ता है अगर मेरा कॉन्सर्ट हो गया तो? तुम्हारा म्यूजिक एल्बम अगर अच्छा है, तो लोग अपने आप ही उस तरफ़ खिंचे चले जाएँगे। मैं किसी को ज़बरदस्ती से तो अपने कॉन्सर्ट में नहीं बुलाता, और ना ही तुम पैसे देकर अपना म्यूजिक एल्बम हिट करवा सकते हो। यह सब तो ऑडियंस के हाथ में है।" ऑडियंस चाहे तो कुछ भी कर सकती है, वह चाहे तो मुझे फ़र्श से उठाकर अर्श पर बिठा सकती है और तुम्हें अर्श से उठाकर फ़र्श पर। शुभ ने घूरकर अग्नि को देखा और कहा, "देखना... एक दिन तुम्हें ऐसा फ़र्श पर पटकाऊँगा कि जिन ऑडियंस के दम पर तुम इतना उछल रहे हो ना, वही तुम्हारे मुँह पर थूक जाएँगी।" अग्नि ने अपने चेहरे पर एटीट्यूड वाली मुस्कान बरकरार रखते हुए कहा, "मेरे फ़ैंस मुझे बहुत प्यार करते हैं, वे मेरी हर गलती को एक्सेप्ट करते हैं, इसलिए मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं है कि वे मुझे कभी गिरी हुई नज़र से देखेंगे... क्योंकि मेरे फ़ैंस तुम जैसे दोगले नहीं होते हैं।"

  • 4. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 4

    Words: 984

    Estimated Reading Time: 6 min

    अग्नि ने शुभ को खतरनाक नज़र से देखा और वहाँ से चला गया। शुभ और अग्नि ने एक ही संगीत कॉलेज से अपनी डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने संगीत की यात्रा साथ ही शुरू की थी, और उद्योग में उन्हें काम भी साथ ही मिलना शुरू हुआ था। लेकिन जब शुभ ने देखा कि अग्नि उससे रेस में आगे निकल रहा है, तो उसने छल से और पैसे खिलाकर लोगों को अपनी ओर कर लिया। पैसे तो अग्नि के पास भी थे, लेकिन वह अपनी मेहनत से आगे बढ़ना चाहता था। अग्नि को थोड़ा समय लगा, लेकिन उसकी मेहनत रंग लाई और आज उसका जो भी मुकाम है, वह अपनी मेहनत के दम पर ही है। शुभ ने भले ही पैसे के जोर पर कामयाबी हासिल की, लेकिन वह कामयाबी का स्वाद ज़्यादा दिन तक नहीं चख सका। अग्नि रोनित के साथ सभरवाल मेंशन की ओर निकल गया। सभरवाल मेंशन में, निशा गेस्ट रूम में खड़ी थी। उसने पीले रंग का लहंगा पहना हुआ था और फ्लावर ज्वैलरी पहनी हुई थी। निशा उस समय बहुत खूबसूरत लग रही थी। होती भी क्यों न, आज उसकी हल्दी का फंक्शन था और कल उसकी शादी। चेहरे पर दुल्हन का निखार, जो कई दिनों से चमक रहा था, और ज़्यादा चमकने लगा। हालाँकि निशा मन ही मन खुश थी, लेकिन अपने चेहरे पर हल्के गुस्से के साथ अग्नि को भला-बुरा बोल रही थी। निशा अपने हाथ में पड़े एक टिशू पेपर के चिथड़े उड़ाते हुए अग्नि की एक तस्वीर को घूर कर देख रही थी और उससे कह रही थी, मैं तो तुमसे ठीक से गुस्सा भी नहीं हो पाती, तुमसे प्यार जो इतना करती हूँ। पर तुम्हारी हरकतें ना मुझे गुस्सा दिला देती हैं। एक दिन बाद हमारी शादी है और मैंने सुबह से तुमसे बात भी नहीं की और ना तुम्हें देखा है। तुम्हें पता है मेरा मन कितना बेचैन हो रहा है। तभी निशा की कमर पर एक हाथ आया और उसकी गर्दन पर एक साँस बहुत ही मदहोशी से फैली। निशा इस स्पर्श को बहुत अच्छे से जानती थी। उसकी आँखें बंद हो गईं और उसके दोनों हाथ अपने आप अपनी कमर पर चले गए जहाँ पर उस वक्त अग्नि का हाथ था। अग्नि ने निशा को पीछे से अपनी बाहों में लेते हुए उसकी गर्दन पर अपनी तेज़ साँस छोड़ते हुए कहा, तुम्हारी बेचैनी का हाल मुझ तक भी आ गया है, तभी तो एक दिन भी तुमसे दूर नहीं रह पाया। निशा ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, “अग्नि…” अग्नि ने निशा की गर्दन पर अपना चेहरा छुपाते हुए कहा, “हम्म्म…” निशा ने बेचैनी के साथ कहा, “तुम कहाँ चले जाते हो बार-बार मुझे छोड़कर। तुम जानते हो ना मैं तुमसे ज़्यादा देर तक दूर नहीं रह पाती।” अग्नि ने निशा को छोड़ दिया और उसे कमर से पकड़ते हुए अपनी ओर घुमा लिया। निशा के सामने अग्नि का हैंडसम सा चेहरा था और अग्नि के सामने निशा का खूबसूरत चमकता हुआ चेहरा। वैसे तो अग्नि को निशा हर रूप में पसंद थी, लेकिन दुल्हन के इस नूर में तो वह उसे घायल कर रही थी। निशा के दोनों हाथ अग्नि के कंधे पर थे और अग्नि ने अपने दोनों हाथ निशा की कमर पर लपेटते हुए, उसे अपने और करीब करते हुए कहा, तुम्हें लगता है मैं अपनी मर्ज़ी से तुम्हें छोड़कर जाता हूँ? मेरा दिल ही जानता है कि जितनी देर तुमसे दूर रहता हूँ, उतनी देर मेरे दिल पर क्या बीती है। तुमसे एक पल की दूरी मेरी जान ले लेती है। अब मुझसे यह दूरी बर्दाश्त नहीं होती, इसीलिए तो जल्द से जल्द शादी कर रहा हूँ, तुम्हारे साथ। पता है आज सुबह ऑफिस के बाहर कितनी सारी लड़कियों का दिल टूटा है, पर उन्हें कैसे समझाऊँ? मेरे दिल पर तो बस एक ही लड़की राज करती है। निशा ने जब अग्नि की बात सुनी तो उसके चेहरे पर मुस्कान और गहरी हो गई और वह झट से अग्नि के सीने से लग गई। अग्नि ने भी उसे कसके अपनी बाहों में भर लिया। दोनों की मोहब्बत इस कदर रंग ला रही थी कि दोनों अपने इस मोहब्बत के रंग में रंगे जा रहे थे। थोड़ी देर बाद निशा और अग्नि बाहर आते हैं। हाल में सब उनका इंतज़ार कर रहे थे। अग्नि ने कहा, “मैं बस पाँच मिनट में तैयार होकर आता हूँ।” मोहन जी ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, “हाँ, जल्दी जाओ। वैसे भी हल्दी का फंक्शन शुरू होने वाला है। बाहर सारे मेहमान आ चुके हैं।” अग्नि ने हाँ में सिर हिलाया और एक नज़र निशा को देखकर अपने कमरे की ओर चल दिया। सभरवाल परिवार में थोड़ी देर बाद हल्दी का फंक्शन शुरू होने वाला था, लेकिन उससे पहले ही वहाँ के पोर्च में एक गाड़ी आकर रुकी। उस गाड़ी को आते देख बॉडीगार्ड जल्दी से बाहर आते हैं और गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हैं। सर्वेंट भी जल्दी से डिग्गी से सामान निकालने लगते हैं। गाड़ी से एक महिला उतरी जिसने व्हाइट शिफॉन के साथ गोल्डन बॉर्डर की साड़ी पहनी हुई थी। उसने सारे बालों को इकट्ठा करके एक जूड़ा बनाया हुआ था। उम्र कोई पाँच० के आसपास की होगी। चेहरे पर सादगी और आँखों में चमक। एक हाथ में सोने का पतला सा कड़ा और दूसरे हाथ में लेडीज़ वॉच। कानों में पहना हुआ छोटा सा डायमंड का बुंदा उसकी पर्सनालिटी पर सूट कर रहा था। तभी गाड़ी के दूसरी तरफ़ से एक आदमी निकल कर आया जिसकी उम्र कोई तीस साल के आसपास की होगी। जिसने सिंपल व्हाइट शर्ट और पैंट पहनी हुई थी। गोरा सा चेहरा, काली आँखें और माथे पर झूलते हुए उसके बालों की एक लट। दिखने में बिल्कुल जवान लग रहा था। वह औरत और यह लड़का एक तरफ़ आकर खड़े हो जाते हैं और नौकर उनका सामान निकालते हैं। जैसे ही वे एक कदम आगे बढ़ते हैं, पीछे से किसी बच्ची की आवाज़ आती है, “पापा, मुझे गोदी में जाना है।”

  • 5. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 5

    Words: 1099

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह 8:00 बज रहे थे। अवनी जी हॉल में परेशानी से बैठी हुई एक नौकरानी को नाश्ते के बारे में बता रही थीं। कुछ सोचकर, वह अपनी जगह से उठीं और सीधे जिया के कमरे की ओर चल दीं। दरवाज़ा खटखटाया, पर अंदर से गहरी खामोशी के अलावा कोई आवाज़ नहीं आई। उन्होंने दरवाज़ा खोला और अंदर गईं। जिया को इधर-उधर ढूँढ़ा, पर कहीं नज़र नहीं आई। वह सीधे बालकनी के पर्दे हटाकर दरवाज़ा खोल दिया। चमचमाती धूप कमरे में दाखिल हुई। पलटते ही उनकी नज़र जिया पर पड़ी जो बिस्तर के नीचे गिरी हुई थी। उसके हाथ से खून निकल रहा था। उनकी आँखें हैरानी से फैल गईं। वह जल्दी से उसके पास गईं और उसके गालों को थपथपाते हुए बोलीं, "जिया! बच्चा, आँखें खोलो! क्या हुआ है ये? उठो, देखो मेरी तरफ!" वह उठाने की कोशिश करती हुई चीख रही थीं। जिया के हाथ से खून बह रहा था; इससे साफ़ पता चल रहा था कि कुछ देर पहले ही हाथ कटा गया होगा। वह अभी भी हल्के-हल्के होश में थी। अग्नि, जो स्टडी रूम से निकल रहा था, तेज चीख सुनकर भागते हुए सिद्ध के कमरे में आया। उसकी नज़र सीधे जमीन पर लेटी हुई जिया पर पड़ी। उसकी आँखें सख्त हो गईं। वह बिना किसी भाव के आगे बढ़ा, जिया को अपनी बाहों में उठाया और सीधे बाहर निकल गया। आरव, जो सो रहा था, जिया को इस हालत में देखकर जल्दी से बाहर गाड़ी निकालने लगा और दरवाज़ा खोल दिया। अग्नि सीधे गाड़ी में बैठकर चिल्लाया, "इतनी धीमी गाड़ी कौन चलाता है? तेज़ चलाओ!" वह जिया का हाथ धीरे-धीरे दबा रहा था ताकि खून बहना बंद हो जाए। जिया बेहोश हो चुकी थी। उसने अपनी हाथ की नस काट ली थी। वह अकेली और बेसहारा हो चुकी थी; उसकी ज़िंदगी तबाह हो चुकी थी। जीने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो चुकी थी। अब न जीने की ख्वाहिश थी और न ही मरने का डर; उसने अपनी ज़िंदगी खत्म करनी चाही थी। कुछ देर बाद, वे अस्पताल में थे। उसके हाथ की पट्टी कर दी गई थी। डॉक्टर अग्नि के सामने खड़े होकर घबराई हुई आवाज़ में बोले, "हमने पट्टी कर दी है। कुछ देर में होश आ जाएगा। वह मानसिक रूप से उदास है और बहुत कमज़ोर हो चुकी है। तो आप उनका पूरा ख्याल रखिएगा। यह मैंने उनकी डाइट चार्ट बना दिया है।" बोलते हुए वह जल्दी से वहाँ से चला गया। अग्नि अपने हाथ में प्रिस्क्रिप्शन देखकर आरव की ओर बढ़ा और वहाँ से सीधे वार्ड में आया। जिया को वीआईपी वार्ड में भर्ती करवाया गया था। अग्नि सीधे वार्ड के अंदर आया। उसकी नज़र जिया पर पड़ी जो छत को घूर रही थी। वह अपनी जगह पर खड़ा होकर जिया को घूरने लगा। जिया छत को घूर रही थी। उसकी आँखों के नीचे काले घेरे पड़ चुके थे; चेहरे का निखार गायब हो गया था। चेहरा पीला पड़ चुका था; शरीर में जैसे जान ही नहीं बची थी। वह बेजान सी बिस्तर पर लेटी हुई थी। अग्नि पिछले एक हफ़्ते से उसके करीब रहा था। उसे कोई मतलब नहीं था कि जिया क्या कर रही है, क्या खा रही है, पी रही है। उसे सिर्फ़ अपनी ज़रूरत पूरी करनी थी, जो वह हर रात पूरी कर रहा था। उसने इस एक हफ़्ते के अंदर कितनी बार जिया को अपने अधीन किया था, इसका अंदाज़ा सिर्फ़ उन दोनों को ही था। जिया ने उसे कितनी बार रोकने की कोशिश की थी, इसका अंदाज़ा भी सिर्फ़ उन दोनों को ही था। अग्नि तेज़ कदमों से उसके पास आया और उसके जबड़े को दबाते हुए गहरी, गुस्से से भरी आवाज़ में बोला, "बहुत शौक है ना तुम्हें मरने का? ठीक है! मैं तुम्हें ज़िंदा रहते नरक दिखाऊँगा। अगर अब तुमने दोबारा नस काटने की कोशिश की, तो अपने हाथों से तुम्हारी जान ले लूँगा!" जिया खाली आँखों से उसकी तरफ देखती हुई, उसके हाथ को झटकते हुए मुस्कुराकर बोली, "उससे ज़्यादा आप कर ही क्या सकते हैं? मैंने आपके प्यार की जान नहीं ली, समझे? और रही बात मारने की, तो धीरे-धीरे तड़पा-तड़पा कर क्यों मार रहे हैं? एक ही बार में जान ले लीजिए ना, इससे कम दर्द होगा।" अग्नि के चेहरे पर मुस्कान खिल गई। वह टेढ़ी मुस्कान के साथ बोला, "मारूँगा तुम्हें, बहुत जल्द मारूँगा, पर उससे पहले तुम्हें दर्द तो सहना होगा ना? और हाँ, सबसे ज़्यादा एक औरत को दर्द तभी होता है ना जब उसका पति दूसरी शादी कर रहा हो। घरवालों के बाद एक पति ही तो उसका सहारा होता है। इतना अच्छा लगेगा ना? हम दोनों तो शादीशुदा हैं और तुम मेरी हर ख्वाहिश पूरी करोगी, पर तुम्हें कभी भी एक पत्नी होने का दर्जा नहीं मिलेगा, और न ही वह खुशी। तैयार कर लो खुद को; बहुत जल्द तुम्हें यह खुशखबरी भी मैं सुनाऊँगा।" बोलते हुए उसने उसके चेहरे को झटककर उसके बालों को मज़बूती से दबाते हुए कहा, "तुम्हारे लिए मुझसे ज़्यादा बुरा कोई नहीं होगा, जान ए तमन्ना।" जिया ने खुद को शांत करते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया। उसने कुछ नहीं कहा, बल्कि दूसरी तरफ देखते हुए बोली, "मुझे भी बहुत बेसब्री से इंतज़ार है, जिस दिन आप घोड़ी चढ़ेंगे।" बोलते हुए उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। अग्नि के चेहरे पर गुस्सा छा गया। उसकी नसें उभर रही थीं; चेहरा लाल हो गया था और आँखें काली। वह जिया के गालों को दबाते हुए गुस्से से बोला, "आँखें खोलो, इडियट! मुझे तुमसे बात करनी है! उठो!" बोलते हुए उसने अपना हाथ पीछे ले लिया। तभी दरवाज़े के खुलने की आवाज़ से अग्नि जिया से दूर हुआ और बिना आरव की तरफ देखे वहाँ से जाते हुए ठंडी आवाज़ में बोला, "इसका ख्याल रखना, और अगर यह ऐसी कोई पागलपन वाली हरकत करे तो सीधा मुझे कॉल करना।" बोलते हुए वह बिना रुके वहाँ से चला गया। आरव जिया की दवा टेबल पर रखते हुए प्यार से उसके हाथ को थामते हुए बोला, "जैसे दुनिया में आना किसी के बस में नहीं है, तो जाना भी किसी के बस की बात नहीं होती है। दादी के जाने पर हम कुछ नहीं कर सकते, पर तुम इस तरह अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं कर सकती। अगर भगवान एक चीज़ लेता है, तो वह हज़ारों खुशियाँ झोली में डाल देता है। तो ये क्यों नहीं समझती? कब से इतनी बचकानी हरकतें करने लगी हो?" उसके हाथ को अपने होंठों से लगा लिया। आरव और जिया बचपन के दोस्त थे। उनकी दोस्ती वक़्त के साथ बढ़ती चली गई थी। आरव अग्नि के साथ चला गया था, वरना अब भी उनकी दोस्ती अलग ही मुक़ाम पर होती। कुछ देर उसे देखकर वह वहाँ से कॉफ़ी लेने के लिए बाहर चला गया।

  • 6. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 6

    Words: 1041

    Estimated Reading Time: 7 min

    लोग अक्सर बेटी के गुज़रने का दोष ससुराल वालों को ही देते थे। पीहू के आने से घर में एक अलग रौनक आ गई थी। सब बहुत खुश थे। गार्डन में हल्दी का फंक्शन बहुत अच्छे से हुआ था। पहले अग्नि को हल्दी लगाई गई थी और फिर उसी हल्दी से निशा को भी लगाया गया था। रात का समय था। सब डिनर करके अपने-अपने कमरों में चले गए थे। कल अग्नि का कॉन्सर्ट था और परसों दोनों की शादी। सब कल और परसों की तैयारी में लगे हुए थे, लेकिन इन सब तैयारियों से बेख़बर अग्नि और निशा अपने प्यार के पलों को महसूस कर रहे थे। अग्नि अपने कमरे में एक पैर दूसरे पैर पर चढ़ाकर, अपने दाएँ तरफ़ रखे लैपटॉप में निशा का चेहरा देख रहा था। और निशा अपने कमरे में पेट के बल लेटी, अपने फ़ोन के स्क्रीन पर अग्नि का चेहरा देख रही थी। दोनों सिर्फ़ एक-दूसरे को निहार रहे थे, पर कोई कुछ नहीं कह रहा था। इस खामोशी को तोड़ते हुए अग्नि ने कहा, “कुछ कहो ना…” निशा ने मुस्कुराते हुए कहा, “क्या कहूँ?” अग्नि ने बोला, “…कुछ भी कहो। तुम्हारी आवाज़ में तो मुझे डाँट भी पसंद है।” निशा ने कहा, “मुझे नहीं डाँटना।” अग्नि ने हँसते हुए कहा, “अच्छा, ठीक है मत डाँटो। थोड़ी प्यार भरी बातें ही कर लो।” निशा ने घूरते हुए अग्नि को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे नहीं आती प्यार भरी बातें करनी।” अग्नि ने गहरी साँस छोड़ी और कहा, “वही ना! तुम्हें नहीं आती हैं प्यार भरी बातें करनी… वही तो सीखना है तुम्हें।” निशा ने अपने चेहरे पर शर्म की लाली बरकरार रखते हुए कहा, “मुझे नहीं सीखना कुछ भी। तुम बहुत बुरे टीचर हो।” अग्नि ने हँसते हुए कहा, “अरे, इतना बुरा टीचर भी नहीं हूँ। जरा सीख के तो देखो मुझसे। बहुत अच्छे लेसन सिखाऊँगा, लाइफ़टाइम याद रखोगे।” अग्नि के ऐसा कहने पर निशा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और उसने तकिये में अपना मुँह छुपाते हुए कहा, “अग्नि, प्लीज़ मुझे परेशान मत करो…” निशा को यूँ शर्माता देख अग्नि हँसने लगा और उसके बाद उसने निशा से कहा, “अच्छा सुनो ना, बहुत मन कर रहा है तुम्हें देखने का।” निशा ने शर्म की रंगत को अपने चेहरे पर बिखरे हुए ही कहा, “हाँ तो देख तो रहे हो।” अग्नि ने कहा, “अरे, ऐसे नहीं। सामने, अपनी बाहों में लेकर तुम्हारा चेहरा निहारने का मन कर रहा है।” निशा ने शर्माते हुए बोला, “तुम जानते हो ना, हल्दी लगने के बाद लड़का-लड़की एक-दूसरे से नहीं मिल पाते हैं शादी तक। तो अपनी भावनाओं को कण्ट्रोल करो। परसों शादी है, उसके पास जितना निहारना है, निहार लेना।” अग्नि ने थोड़ा जोर देते हुए बोला, “यार, बस पाँच मिनट के लिए छत पर आओ ना… मेरा ना बड़ा मन कर रहा है तुम्हें अपनी बाहों में लेने का। और परसों किसने देखा है? क्या पता परसों कुछ ऐसा हो जाए कि बाहों में लेना तो दूर की बात है, मैं तुम्हें ठीक से बात भी ना कर पाऊँ।” निशा ने हैरान होते हुए कहा, “तुम ऐसा क्यों कह रहे हो? ऐसा कुछ नहीं होगा परसों… परसों हमारी शादी है, और बस हमारी शादी होगी… उसके बाद दुनिया की कोई ताक़त हमें अलग नहीं कर सकती।” अग्नि कहता है, “…अरे, परसों की परसों देखी जाएगी, अभी तो आओ, अभी तो ऐसा लग रहा है पूरी दुनिया की ताक़त हम दोनों को मिलने ही नहीं दे रही है।” निशा हँसने लगी और उसने कहा, “इतनी बेताबी भी ठीक नहीं है जनाब, थोड़ा सा इंतज़ार कीजिये।” अग्नि बेचैनी से बोल पड़ा, “…इंतज़ार का इम्तिहान ना हो जाए, मैं तुम्हारे बिना एक पल नहीं रह सकता, दो दिन तो दूर की बात है।” दोनों अपनी मोहब्बत के इस खूबसूरत सफ़र पर एक-दूसरे के साथ को एन्जॉय कर रहे थे, और जाने कब सुबह के किस पहर उनकी आँख लग गई, उन्हें पता भी नहीं चला। अगले दिन सभरवाल मेंशन में चहल-पहल सुबह से ही हो रही थी। जाहिर सी बात है, कल शादी थी, मेहमान और सभी रिश्तेदार आना शुरू कर चुके थे। सभरवाल मेंशन के बाहर मीडिया वालों का जमावड़ा लगा हुआ था, लेकिन सिक्योरिटी ने उन्हें हैंडल करके रखा हुआ था। गार्डन में शादी की तैयारी शुरू हो गई थी। क्योंकि कल सुबह शादी थी, इसीलिए इवेंट मैनेजर अपने हिसाब से सारा काम समय से पहले पूरा करना चाहते थे। अग्नि सुबह होते ही निकल गया था, क्योंकि आज शाम को उसका म्यूज़िक कॉन्सर्ट था, तो उसकी भी तैयारी उसे ही करनी थी। रोनित और अग्नि इस समय अपने स्टूडियो में रात के म्यूज़िक की प्रिपरेशन कर रहे थे। होटल पैराडाइज़ में भी मीडिया ने अपना अड्डा जमा रखा था, क्योंकि रात में वहाँ कॉन्सर्ट होना था। निशा के लिए डिजाइनर लहंगा सभरवाल मेंशन में पहुँच गया था और निशा उसे ट्राई करके उसकी फिटिंग चेक कर रही थी। हीरे जड़ा ज्वेलरी का सेट पहले से ही उसके पास मौजूद था, जो उसे शादी में पहनना था। अग्नि के लिए शेरवानी अक्षत लेकर आया था। अग्नि को अक्षत की पसंद पर पूरा भरोसा था, इसलिए बिना किसी नखरे के उसने इस शेरवानी को पास कर दिया था। उसे पता था कि उसका भाई उसके लिए वर्ल्ड की बेस्ट चीज ही सिलेक्ट करेगा। घर की सारी औरतें कुछ रस्मों में बिज़ी थीं, घर के सारे मर्द तैयारी में। अक्षत यहाँ का सारा काम देखने के बाद अग्नि के कॉन्सर्ट में जाने वाला था। जाने का मन तो वैसे सबका था, पर शादी की तैयारी में सब वहाँ कैसे जा पाते? देखते-देखते शाम हो गई। अग्नि अपनी बीएमडब्ल्यू कार में, सिक्योरिटी से कवर होते हुए, होटल पैराडाइज़ पहुँचा। अक्षत भी पीछे के एंट्रेंस से वहाँ पहुँच गया था। सेट की जगह पहले से इतनी भीड़ थी कि वहाँ पर पैर रखने की जगह नहीं थी। लोग बस बेसब्री से अग्नि के आने का इंतज़ार कर रहे थे। कल अग्नि की शादी थी और उन सबके लिए यह कॉन्सर्ट एक गिफ़्ट था, अग्नि की शादी की तरफ़ से। थोड़ी देर बाद स्टेज की लाइट ऑफ़ हो जाती है और स्टेज सेंटर में, अपने हाथों में अपना गिटार लिए, अग्नि नज़र आता है। उसने एक जींस जैकेट पहनी हुई थी। ब्लैक शर्ट और ब्लैक जींस में वह ज़बरदस्त नज़र आ रहा था।

  • 7. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 7

    Words: 1018

    Estimated Reading Time: 7 min

    लड़कियाँ तो उसे देखकर ही बेहोश हो रही थीं। लड़कियाँ एक-दूसरे के ऊपर चढ़-चढ़कर अग्नि तक पहुँचने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन बॉडीगार्ड ने उन्हें रोक रखा था। अग्नि ने अपना गिटार उठाया और अपना कॉन्सर्ट शुरू किया। दो घंटे के इस कॉन्सर्ट को लाइव दिखाया जा रहा था। सभरवाल फैमिली में भी सब इस कॉन्सर्ट को एक साथ देख रहे थे। टीवी पर अग्नि का कॉन्सर्ट लाइव चल रहा था, और अग्नि के गाने की धुन सबके कानों में पड़ रही थी। इस समय सबके चेहरे पर मुस्कान थी। जाहिर सी बात है, होटल में कॉन्सर्ट था, सिक्योरिटी तो टाइट थी ही थी, लेकिन होटल के स्टाफ की ड्यूटी भी बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी। यहाँ इतने ज़्यादा गेस्ट आ गए थे कि सबकी फ़रमाइश पूरी करने के लिए सारे स्टाफ को ओवरटाइम करना पड़ रहा था। दो घंटे बाद कॉन्सर्ट खत्म होता है। अग्नि ग्रीन रूम में आकर निढाल होकर बैठ जाता है। रोनित जल्दी से अग्नि की तरफ़ पानी की बोतल बढ़ाता है। अग्नि पानी की बोतल खोलकर एक साथ में सारा पानी पी जाता है। जाहिर सी बात है, वह दो घंटे लगातार गा रहा था; उसके गले में दर्द होने लगा था। अक्षत अग्नि के बगल में बैठता है और ए.सी. का टेंपरेचर बढ़ाते हुए कहता है, "थोड़ी देर आराम कर ले।" तभी टेबल पर रखा अग्नि का फ़ोन बजता है। अग्नि ने देखा तो यह निशा का फ़ोन था। अग्नि फ़ोन उठाकर अक्षत को देते हुए बहुत ही मरी हुई और दबी हुई आवाज़ में कहता है, "भाई, मेरे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही है। आप बात कर लो।" अक्षत समझ सकता था कि अग्नि के गले में दर्द हो रहा है, इसलिए वह कुछ बात नहीं कर पाएगा। वह फ़ोन लेता है और बाहर जाकर कहता है, "निशा, कॉन्सर्ट खत्म हो गया है। अग्नि अभी आराम कर रहा है। मैं थोड़ी देर में फ़ोन करवाता हूँ।" निशा कहती है, "अच्छा, ठीक है। पर जीजू, उसे कहना गर्म पानी पीने के लिए, उसके गले में दर्द कम होगा।" अक्षत हँसता हुआ कहता है, "हाँ, बोल दूँगा।" अग्नि और उसकी टीम का डिनर ऑर्गेनाइज़र ने होटल में ही अरेंज करवाया था। सारे कंपोज़र, डायरेक्टर और बाकी म्यूज़िशियन रेस्टोरेंट में डिनर कर रहे थे, जबकि अग्नि के लिए वीआईपी स्वीट बुक किया गया था। अग्नि, रोनित और अक्षत तीनों स्वीट में जाते हैं। कमरे में पहुँचते ही अग्नि बेड पर धड़ाम से जाकर गिरता है। उसकी तो हिम्मत ही नहीं थी कि वह डिनर करने के लिए भी उठे। सच में वह आज काफ़ी थक गया था, लेकिन अक्षत ने उसे उठाते हुए कहा, "पहले डिनर कर ले, उसके बाद आराम कर लिया जाएगा।" एक वेटर उनके कमरे में खाने की ट्रॉली लेकर आता है। रोनित ने अक्षत और अग्नि के लिए डिनर सर्व किया। तीनों ने बैठकर डिनर किया। उसके बाद रोनित बोला, "यार अग्नि, काल तो तेरी शादी हो जाएगी, उसके बाद तो तुझसे मिलने के लिए भी मुझे निशा से परमिशन लेनी पड़ेगी।" रोनित की इस बात पर अग्नि और अक्षत दोनों हँसने लगे। अक्षत ने कहा, "भई, वह तो होगा ही। जाहिर सी बात है, अग्नि कब तक तुम्हें अपने साथ लेकर घूमता रहेगा। वह तो शुक्र है कि निशा के साथ शादी के लिए हाँ कर दी। वरना मैं और घर वाले तो कभी-कभी तुम दोनों को लेकर ही शक किया करते थे।" अग्नि की हँसी छूट जाती है, और रोनित घूरकर अक्षत को देखकर कहता है, "क्या भाई, आप भी मेरी टाँग खींच रहे हैं? अरे मैं तो यह कह रहा था कि कल अपना दोस्त शादी की राह पर चल देगा, और उसके बाद चला जाएगा, तो चला जाएगा। पहले शादी होगी, फिर बच्चे होंगे, फिर बच्चों के बच्चे होंगे, फिर उसके भी बच्चे होंगे। और यह मेरा जवान और हैंडसम सा दोस्त एक दिन बूढ़ा हो जाएगा।" अग्नि स्पून को प्लेट में घुमाते हुए कहता है, "तो तू क्या चाहता है? मैं सारी ज़िंदगी जवान बनाकर घूमता रहूँ? भई, ये तो पॉसिबल है ही नहीं। नेचर के ख़िलाफ़ है।" रोनित कहता है, "हाँ, जानता हूँ, नेचर के ख़िलाफ़ है। वैसे भी, बुढ़ापे में कौन तुझे... निशा है जो तुझे संभालेगी। मैं तो बस यह कह रहा हूँ कि जब तक जवानी है, तब तक ये दिन जी लो। और वैसे भी, यही दिन तो हैं जो आगे चलकर हमें याद आएंगे।" अक्षत ने कहा, "तुम कहना क्या चाहते हो, साफ़-साफ़ बताओ।" रोनित ने कहा, "अरे भाई, मैं यह कहना चाहता हूँ कि कल इसकी शादी है और बस आज की रात है हम सबके पास, तो क्यों ना एक बैचलर पार्टी हो जाए।" अग्नि और अक्षत दोनों हैरान हो जाते हैं और दोनों एक साथ रोनित को देखने लगते हैं। तो रोनित मासूम सा फ़ेस बनाकर कहता है, "अरे मुझे ऐसे मत घूरो यार, मैं तुम दोनों भाइयों की आँखें देखकर डर जाता हूँ। मासूम सा बच्चा कैसे डराकर रखा हुआ है मुझे।" अक्षत अपनी आँखें छोटी करते हुए कहता है, "तू और मासूम? तेरी संगति में रहकर मेरा भाई भी बिगड़ गया है।" अग्नि हँसने लगता है और कहता है, "वैसे भाई, बात तो अक्षत बिल्कुल सही कह रहा है। मतलब कल के बाद तो मुझे भी हर जगह जाने के लिए निशा की परमिशन लेनी पड़ेगी। क्यों ना आज रात एक छोटी सी पार्टी हो जाए?" अक्षत घूरकर अग्नि को देखता है और कहता है, "बिल्कुल भी नहीं! छोटी माँ ने मुझे स्ट्रिक्टली ऑर्डर दिए हैं कि कॉन्सर्ट खत्म होने के बाद तुझे सीधे घर लेकर आऊँ।" अग्नि कहता है, "हाँ भाई, यहाँ से सीधे घर ही जाएँगे, लेकिन... दो ड्रिंक में किसी का क्या बिगड़ जाएगा? चलो ना भाई, वैसे भी कल के बाद तो मुझे यह सब करने के लिए भी निशा की परमिशन लेनी पड़ेगी ना। आप मेरे लिए इतना नहीं कर सकते?" अक्षत अब हार मान जाता है। जाहिर सी बात है, अग्नि उसकी ज़िंदगी में बहुत अहम जगह रखता था। वह बचपन से ही अग्नि से बहुत जुड़ा हुआ था। अक्षत के लिए अग्नि उसका छोटा भाई था। यहाँ तक कि किरण के आने के बाद भी अग्नि को अपने छोटे भाई की तरह ही प्यार और दुलार मिला था।

  • 8. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 8

    Words: 1030

    Estimated Reading Time: 7 min

    अक्षत अग्नि की छोटी-बड़ी हर जीद पूरी करता था; इसलिए आज उसका भाई एक छोटी सी पार्टी रखने के लिए कह रहा है, यह बात अक्षत कैसे नहीं पूरी कर पाता? उसने "ओके" कहा और सिक्योरिटी को फ़ोन करके उन्हें तैयारी करने के लिए कहा। तीनों होटल पैराडाइज़ में मौजूद एक क्लब में पहुँचे। क्लब के शोरगुल में किसी को कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था, और इतनी भीड़ में कोई किसी को देखना नहीं चाहता था। नशे में मस्त लोग अपने ही धुन में खोए हुए थे; डांस फ़्लोर पर नाचते लोगों के लिए दुनिया बेमायने थी। अग्नि, रोनित और अक्षत तीनों बार काउंटर की तरफ़ गए और वहाँ से एक-एक ड्रिंक ऑर्डर किया। अग्नि के चेहरे पर आज एक अलग ही चमक थी; कल उसे उसका प्यार हमेशा के लिए मिलने वाला था। आज का कॉन्सर्ट पूरे विश्व में लाइव दिखाया गया था। अग्नि की लोकप्रियता इस कॉन्सर्ट के बाद पूरे विश्व में मशहूर हो रही थी। अग्नि के चेहरे पर उसकी कामयाबी की खुशी झलक रही थी; तो वहीं इसी क्लब के किसी कोने में बैठे किसी शख्स की आँखों में अग्नि का यह मुस्कुराता हुआ चेहरा खटक रहा था। क्लब के एक वीआईपी सेगमेंट में बैठा शुभ रंधावा की आँखों में अग्नि की यह मुस्कुराहट किसी तीर की तरह चुभ रही थी। जहाँ आज अग्नि का कॉन्सर्ट पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुआ था, वहीं शुभ का म्यूज़िक एल्बम भी आज ही रिलीज़ हुआ था; पर उसका म्यूज़िक एल्बम सिर्फ़ सीमित लोगों तक ही पहुँचा। यहाँ तक कि जितना पैसा उसने इस म्यूज़िक एल्बम में लगाया था, उसका आधा भी नहीं निकल पाया। म्यूज़िक प्रोड्यूसर ने शुभ को इस बात के लिए बहुत कुछ सुनाया और यहाँ तक कि उसे उसके ऊपर लीगल एक्शन लेने की भी बात कही। आज शुभ बहुत ही तिलमिलाया हुआ था; उसकी आँखों में गुस्सा उबल रहा था। अपने इसी गुस्से और निराशा को शांत करने के लिए वह क्लब आया था और यहाँ पर ड्रिंक कर रहा था। ड्रिंक करते-करते भी उसका दिमाग शांत नहीं हुआ, लेकिन तभी उसकी नज़र बार काउंटर पर बैठे अग्नि पर गई जो मुस्कुराता हुआ बातें कर रहा था। अग्नि को ऐसा देखकर शुभ अपनी हार का जिम्मेदार अग्नि को ठहराता है और वह एक झटके में सारी बोतल ख़त्म कर देता है। शुभ गुस्से में भड़का हुआ था। उसने गुस्से में अग्नि को देखकर कहा, "आज तुम्हारी वजह से मेरा एल्बम फ़्लॉप हुआ है! आज तुम्हारी वजह से मुझे उस दो-टके के प्रोड्यूसर की बातें सुननी पड़ीं, जिसकी औकात नहीं थी शुभ रंधावा के सामने खड़े होने की! उसने मुझे कोर्ट की धमकी देकर गया है, और इन सब का जिम्मेदार तुम हो, अग्नि सभरवाल! तुमने मुझसे मेरी खुशियाँ छीन लीं, मेरी पहचान छीन ली, मेरा शोहरत छीन लिया! मुझसे इतना सब छीनने के बाद तुम इतने आराम से खुश कैसे रह सकते हो? तुम्हें इसका हर्जाना तो भुगतना ही होगा। तुम भी तो देखो जब इंसान की शोहरत एक पल में ज़मीन में गिरती है, तो उसे कैसा लगता है।" अग्नि के लिए अपने दिल में पल रहे इस नफ़रत में शुभ पूरी तरह से अंधा हो गया था; उसे यह तक होश नहीं था कि वह क्या सही कर रहा है और क्या गलत। शुभ ने अपना फ़ोन निकाला और किसी को फ़ोन किया। थोड़ी देर बाद क्लब के एरिया से निकलते हुए एक आदमी वीआईपी सेगमेंट की तरफ़ आता है और शुभ से कहता है, "साहब, आज माल नहीं है।" शुभ उसे देखकर अहंकारी लुक देते हुए कहता है, "बकवास नहीं चाहिए तुम्हारी! एक काम बता रहा हूँ, वह करो।" आदमी ने चालाकी से कहा, "पैसे मिलेंगे।" शुभ एक तिरछी मुस्कान के साथ कहता है, "जितना सोचा है उससे दुगुना मिलेंगे; पर इस काम में कहीं भी मेरा हाथ नहीं आना चाहिए।" उस आदमी ने एक शैतानी मुस्कान के साथ बोला, "काम हो जाएगा साहब।" वहीं दूसरी तरफ अग्नि हर साज़िश से बेख़बर, आज अपनी जीत का जश्न मना रहा था। अक्षत बार काउंटर पर बैठा ड्रिंक पी रहा था, और अग्नि और रोनित डांस फ़्लोर पर चले गए। वे दोनों एक-दूसरे के साथ ही नाच रहे थे। नहीं, दोनों एक-दूसरे के सिर्फ़ दोस्त ही थे; पर उन्हें दोनों को ही लड़कियों से दूरी पसंद थी। क्योंकि अग्नि का तो फिर भी ठीक है, वह रॉकस्टार है, सुपरस्टार है; उसके पीछे लड़कियों का दीवाना होना बनता है। रोनित को तो लड़कियाँ सिर्फ़ इसलिए नोचने को आ जाती थीं क्योंकि वह उसके सहारे अग्नि तक पहुँच सकें। इसलिए वे दोनों दोस्त लड़कियों से दूर, एक-दूसरे के साथ नाच रहे थे। तभी वह आदमी जो शुभ के साथ बात कर रहा था, वह बारटेंडर के पास आता है। वह बारटेंडर को कुछ इशारा करता है, तो बारटेंडर वहाँ से चला जाता है। अक्षत का पूरा ध्यान इस समय अग्नि और रोनित पर था, और वह अपने हाथों में लिए हुए ड्रिंक का धीरे-धीरे आनंद ले रहा था। नाचने के बाद अग्नि और रोनित दोनों थक गए थे, इसलिए वापस बार काउंटर पर आकर बैठ जाते हैं। रोनित बारटेंडर को देखकर कहता है, "तुम कौन हो? यहाँ तो कोई और लड़का खड़ा था ना।" वह आदमी कहता है, "सर, यहाँ शिफ़्ट बदलती रहती है। आप मुझे बताइए ना, आपको कौन सी ड्रिंक चाहिए।" रोनित उस आदमी को ड्रिंक बताता है और उसके बाद अक्षत से कोई बात करने लगता है। सबका ध्यान इस समय बात पर था; वह आदमी बार में खड़ा अलग-अलग बोतलों से ड्रिंक निकालकर डाल रहा था। जब वह देखता है कि किसी का ध्यान उसकी तरफ़ नहीं है, वह चुपके से एक गोली अपनी जेब से निकालकर एक ड्रिंक में डाल देता है। वह ड्रिंक को काउंटर पर रखता है, और जिस ड्रिंक में उसने कुछ मिलाया था, वह अग्नि की तरफ़ बढ़ा देता है। तीनों अपनी-अपनी ड्रिंक उठाते हैं और एक-दूसरे को चीयर्स करते हुए ड्रिंक ख़त्म करते हैं। जैसे ही अग्नि ने अपनी ड्रिंक ख़त्म की, बार काउंटर पर मौजूद उस आदमी ने वीआईपी सेगमेंट की तरफ़ देखते हुए हाँ में सर हिलाया। तभी वहाँ पर बार का मैनेजर आता है और वह अग्नि को देखकर कहता है, "हेलो अग्नि, बहुत खुशी हुई कि आप हमारे यहाँ पर आए।"

  • 9. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 9

    Words: 1064

    Estimated Reading Time: 7 min

    अग्नि मैनेजर से सामान्य रूप से बात कर रहा था। मैनेजर अग्नि के साथ किसी इवेंट के बारे में चर्चा कर रहा था, लेकिन इतने शोर में अग्नि कुछ समझ नहीं पा रहा था। मैनेजर ने उसे थोड़ा अलग बुलाकर अग्नि से बहुत ज़रूरी बात करने की बात कही। अग्नि के लिए उसका काम हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता था, इसलिए वह मैनेजर के साथ क्लब के बाहर आ गया। क्लब के बाहर अग्नि मैनेजर के साथ किसी इवेंट के बारे में बात कर रहा था। अग्नि ने कहा कि उसे मैनेजर का प्रस्ताव पसंद आया, लेकिन वह सारी जानकारी बाद में देगा; अग्नि की टीम इस पर विचार करेगी। मैनेजर ने "ओके" कहा और चला गया। अग्नि क्लब की ओर मुड़ा ही था कि अचानक उसका सिर चकरा गया। अग्नि ने अपना सिर पकड़ा और आगे बढ़ते ही गिरने लगा। इससे पहले कि वह गिरता, वही आदमी उसे संभाल लिया जिसने उसे ड्रिंक दी थी। वह आदमी पहले अपने आस-पास देखा कि किसी ने उसे देखा तो नहीं। पूरी तरह संतुष्ट होने पर, उसने अग्नि को वहाँ से उठा लिया। वह कॉरिडोर के पीछे के रास्ते से निकला, जिससे गार्डों की नज़र उस पर नहीं पड़ी। वह आदमी अग्नि को कॉरिडोर के कोने में ले गया जहाँ शुभ पहले से इंतज़ार कर रहा था। अग्नि लगभग बेहोश हो चुका था। शुभ ने उसे उस हालत में देखा तो उसका मन किया कि उसकी जान ले ले, पर तड़पाने में जो मज़ा है, मारने में कहाँ? यही सोचकर शुभ के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई। उसने उस आदमी की मदद से अग्नि को एक कमरे में छोड़ दिया और फिर उस आदमी से कहा, "सामान निकालो।" उस आदमी ने अग्नि को देखकर कहा, "सर, सामान तो दूँगा, लेकिन यह आदमी पागल हो जाएगा। और पागलपन में अगर उसे वह चीज़ नहीं मिली तो वह खुद को नोचने लगेगा।" "इन सब चक्कर में यह खुद को घायल कर लेगा।" शुभ ने मक्कारी से कहा, "वही तो मैं चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ यह खुद को घायल कर ले, खुद को इतना नोचे कि इसके शरीर पर बने ज़ख्म इसके वजूद का हिस्सा बन जाएँ।" उसके बाद शुभ ने अग्नि को देखकर कहा, "कल इसकी शादी है ना? शादी के दिन अगर मैंने तुम्हारी इज़्ज़त की बारात नहीं निकाली, तो मेरा नाम शुभ रंधावा नहीं।" उस आदमी ने अपनी जेब से एक छोटा सा इंजेक्शन और सीरिंज निकालकर शुभ को दे दी। शुभ ने सीरिंज में दवा भरी और उसे तुरंत अग्नि के शरीर में इंजेक्ट कर दिया। अग्नि बेहोश था, पर फिर भी उसे अपने शरीर में दर्द का एहसास हुआ, और वह थोड़ा सा कसमसाया। उसके चेहरे पर दर्द साफ़ दिखाई दे रहा था। शुभ के चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी, और मन में अग्नि के लिए गुस्सा साफ़ दिख रहा था। शुभ ने देखा कि अग्नि का फ़ोन बज रहा है। उसने अग्नि की जेब से फ़ोन निकाला और देखा कि स्क्रीन पर "भाई" फ़्लैश हो रहा है। उसने फ़ोन काट दिया और स्विच ऑफ कर दिया। उसने फ़ोन साइड टेबल पर रख दिया और अग्नि को देखकर मक्कारी से मुस्कुराते हुए वहाँ से निकल गया। वहीं क्लब में, अक्षत का फ़ोन कट गया था, और अब उसका फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा था। वह अग्नि को कई बार फ़ोन कर चुका था, लेकिन एक बार बेल बजने के बाद फ़ोन स्विच ऑफ ही बता रहा था। अक्षत और रोनित दोनों परेशान हो गए कि अग्नि अचानक कहाँ चला गया। वे मैनेजर के पास पहुँचे, तो मैनेजर ने बताया कि उसने अग्नि से बात की थी और उसके बाद वह अपने केबिन में आ गया था। उसे नहीं पता था कि उसके बाद अग्नि कहाँ गया। अक्षत और रोनित एक-दूसरे को देखते हैं। वे उस वीआईपी स्वीट में भी देखने गए जहाँ वह ठहरे थे, लेकिन अग्नि वहाँ भी नहीं था। उन्होंने अग्नि की टीम से भी पूछा, पर किसी को कुछ नहीं पता था कि अग्नि अचानक कहाँ चला गया। तभी उनकी टीम में से किसी ने कहा, "हो सकता है कि बॉस घर चले गए हों।" अक्षत और रोनित एक-दूसरे को देखकर सोचने लगे कि वह कैसे घर चला गया, और घर गया भी तो हमें बताया क्यों नहीं? हम सब तो साथ घर जाने वाले थे। तभी ऑर्गेनाइज़र ने कहा, "वैसे अग्नि सर निशा माम के लिए कुछ प्लान कर रहे थे, कोई सरप्राइज़। मुझे लगता है शायद इसीलिए वह जल्दी चले गए हों और वह आप लोगों को नहीं बताना चाहते हों।" रोनित अक्षत को देखकर कहता है, "भाई, हमें लगता है कि हमें मेंशन जाकर पता करना चाहिए क्योंकि अग्नि अक्सर निशा के लिए ऐसे सरप्राइज़ प्लान करता रहता है और उसके बारे में किसी को बताता भी नहीं है।" अक्षत सिर हिलाता है और पूरी टीम को घर भेज देता है। अक्षत रोनित को लेकर साबरवाल मेंशन आ जाता है, लेकिन उसके मन में एक डर घर कर रहा था। उसे कहीं न कहीं ऐसा लग रहा था कि कुछ होने वाला है। वहीं दूसरी तरफ, एक घंटे बाद अग्नि को होश आया। होश में आते ही उसका सिर बहुत भारी था, जैसे किसी ने उसके सिर पर पहाड़ रख दिया हो। अग्नि किसी तरह अपना सिर पकड़कर बैठता है, पर तभी उसके शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगती है। उसे ऐसा लग रहा था कि हज़ारों चींटियाँ और हज़ारों सुइयाँ उसके शरीर में चुभ रही हों। उसका एक-एक रोम किसी भट्टी की तरह तप रहा था। अग्नि का दिमाग संतुलन में नहीं था। उसने अपने बालों को जोर से नोचा। आखिर उसे क्या हो रहा था? उसका शरीर किसी भट्टी की तरह तप रहा था, और उसे नहीं पता था कि उसे इतनी बेचैनी क्यों हो रही थी। वह सीधा लड़खड़ाता हुआ उठता है और अपने शरीर को नाखूनों से नोचने लगता है। उसने एक जीन्स जैकेट पहनी हुई थी जो उसे किसी दुश्मन की तरह महसूस हो रही थी।

  • 10. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 10

    Words: 1050

    Estimated Reading Time: 7 min

    अग्नि ने सबसे पहले जैकेट उतारा और उसे एक कोने में फेंक दिया। वह शर्ट और जींस में था, पर उसे बहुत बेचैनी हो रही थी। उसका अपना शरीर उसे दुश्मन सा लग रहा था। उसे अचानक इतनी गर्मी क्यों लगने लगी थी? वह लड़खड़ाता हुआ सहारा लेता हुआ बाथरूम में गया। उसने शॉवर चालू किया, लेकिन ठंडा पानी भी उसकी तपन शांत नहीं कर पा रहा था। उसने शर्ट उतारकर बाथरूम के कोने में फेंक दी और अपनी बनियान फाड़ दी। अग्नि की साँसें फूल रही थीं, उसकी आँखें अंगारों सी लाल हो गई थीं। शॉवर के नीचे खड़ा वह खुद को नोच रहा था। उसे नहीं पता था कि उसे क्या चाहिए, बस इस आग जैसी गर्मी से मुक्ति चाहिए थी। तभी कमरे में हलचल हुई। अग्नि कुछ सोचने-समझने की हालत में नहीं था; कमरे की हलचल से उसे कोई मतलब नहीं था। पर अचानक बाथरूम का दरवाजा खुला। अग्नि ने अपनी आधी खुली आँखों से दरवाजे पर देखा। एक लगभग 22 साल की लड़की, सफ़ेद शर्ट और स्कर्ट में, शर्ट पर एक काला बैज लगाए हुए थी। अग्नि को धुंधला-धुंधला किसी लड़की का रूप दिखाई दे रहा था, पर वह उसे पहचान नहीं पा रहा था। तभी उसके कानों में उस लड़की की आवाज़ आई, "आई एम सॉरी सर, लेकिन यह रूम किसी के नाम पर बुक नहीं है। आप यहाँ कैसे आ गए?" अग्नि शॉवर से चलकर बाथरूम के दरवाजे के पास आया, जहाँ लड़की मुँह फेरकर खड़ी थी क्योंकि अग्नि सिर्फ़ जींस में था; उसकी ऊपरी बॉडी पूरी तरह दिखाई दे रही थी और उसकी मस्कुलर चेस्ट उफान सी फूल रही थी। अग्नि ने बिना किसी चेतावनी के लड़की को दबोच लिया और दीवार से लगा दिया। लड़की एक पल के लिए घबरा गई और घबराई हुई नज़रों से अग्नि को देखा, फिर अगले ही पल उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं और उसने चौंकते हुए कहा, "आप तो अग्नि सभरवाल हैं ना, दी रॉकस्टार...?" पर इससे पहले कि लड़की और कुछ कह पाती, अग्नि ने उसके दोनों हाथ कसकर पकड़ लिए और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए। यह होते ही लड़की छटपटाने लगी और अग्नि को धक्का देने लगी। अग्नि ने उसे दीवार से लगाते हुए अपना पूरा भार उस पर छोड़ते हुए कहा, "प्लीज मेरी मदद करो... प्लीज मुझे बहुत गर्मी लग रही है, मेरी मदद करो!" अग्नि की साँसें उफान मार रही थीं। उसका पूरा शरीर तप रहा था, पर लड़की के पूरे शरीर में कंपन आ गई थी। अग्नि ने उसे किस किया था, उसका पूरा शरीर डर से थर-थर काँप रहा था। वह लड़की ना कुछ बोल रही थी, ना कुछ कर रही थी, लेकिन अग्नि बहुत कुछ करने वाला था। अग्नि का शरीर लोहे की तरह तप रहा था, पर उसे लड़की के शरीर से शीतलता मिल रही थी। अग्नि के हाथ लड़की के पूरे शरीर पर फिसल रहे थे, पर वह इतनी डरी हुई थी कि उसे अग्नि को रोकने की हिम्मत नहीं हो रही थी। पर अग्नि अब रुकने वाला नहीं था। अग्नि के हाथ लड़की के शरीर पर फिसल रहे थे और जहाँ-जहाँ उसे ठंडक मिल रही थी, वह अपनी स्किन पर रगड़कर उसे लाल कर रहा था। अग्नि को और ठंडक चाहिए थी। उसका शरीर उसके दिमाग के नियंत्रण में नहीं था और उसने बिना सोचे-समझे लड़की की शर्ट का बाजू फाड़ दिया। लड़की अचानक होश में आई और अग्नि को धक्का देते हुए बोली, "प्लीज सर, मैं गरीब लड़की हूँ, प्लीज मुझे छोड़ दीजिए!" लेकिन अग्नि ने उसे कसकर पकड़ते हुए गिड़गिड़ाते हुए कहा, "मेरी मदद करो, प्लीज मेरी मदद करो!" अग्नि जिस तरह गिड़गिड़ा रहा था, लड़की की आँखें अग्नि पर ही टिक गईं। उसने अग्नि को हज़ारों बार देखा होगा, लेकिन आज अग्नि की हालत कुछ ठीक नहीं थी। और अग्नि का दिमाग पूरी तरह बेकाबू हो रहा था। उसके सामने सिर्फ़ एक लड़की का रूप था, पर वह उसकी शक्ल अपने दिमाग में नहीं बिठा पा रहा था। अग्नि ने लड़की को अपनी गोद में उठा लिया। लड़की बस अग्नि के चेहरे को देखती रही, हालाँकि उसके शरीर में डर की लहर दौड़ रही थी। अग्नि उसे बिस्तर पर बिठाता है और उसके ऊपर आ जाता है। लड़की बहुत विनती से कहती है, "सर प्लीज मुझे छोड़ दीजिए, मैं यहाँ से चली जाऊँगी सर, प्लीज मुझे छोड़ दीजिए! यह गलत है सर, प्लीज मुझे छोड़ दीजिए!" पर अग्नि के दिमाग ने उसके सोचने-समझने की पूरी क्षमता ही छीन ली थी। सभरवाल मेंशन..... अक्षत और रोनित दोनों सभरवाल मेंशन पहुँचे और सबसे पहले अग्नि के कमरे में गए। उसका कमरा पूरी तरह खाली था। बाथरूम, बालकनी, उन्होंने हर जगह देखा, पर अग्नि कहीं नहीं था। उसके बाद रोनित सीधे निशा के कमरे की तरफ़ बढ़ने लगा, लेकिन अक्षत ने उसे रोकते हुए कहा, "किसी ने देख लिया तो?" रोनित ने कहा कि वह बस बाहर से झाँक कर देखेगा। रोनित निशा के कमरे की खिड़की हल्का सा खोलता है और अंदर झाँककर देखता है; निशा कमरे में नहीं थी। रोनित अक्षत से कहता है, "भाई, निशा भी इस वक्त कमरे में नहीं है।" अक्षत कहता है, "लगता है अग्नि और निशा दोनों एक साथ हैं। यह बात घर में किसी को मत बताना, क्योंकि शादी से पहले इन दोनों का मिलना घरवालों को पसंद नहीं आएगा।" रोनित हाँ में सिर हिलाता है। उसके बाद रोनित सीधे गेस्ट रूम की तरफ़ जाता है और अक्षत अपने कमरे की तरफ़। सबको लग रहा था कि निशा इस वक्त अग्नि के साथ है, लेकिन निशा इस वक्त पीहू के साथ उसके कमरे में थी।

  • 11. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 11

    Words: 1006

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगली सुबह, सारा मेंशन शादी के लिए खूबसूरती से सजाया गया था। मीडिया सुबह से ही शादी को कवर कर रही थी। देश के हर अखबार और हर न्यूज़ चैनल पर इसी शादी की चर्चा थी। मेकअप आर्टिस्ट और डिजाइनर पहले से ही नियुक्त थे, इसलिए वे समय पर पहुँच गए थे। अक्षत अपने कमरे से बाहर आया और रोनित अपने कमरे से। वे दोनों लिविंग रूम में पहुँचे जहाँ दादी ने कहा, "अक्षत, अग्नि कहाँ है? अभी तक तैयार नहीं हुआ क्या?" अक्षत ने कहा, "दादी, सो रहा होगा। मैं अभी जाकर उसे उठाता हूँ।" दादी ने सिर हिलाया। बाकी घरवाले रस्मों की तैयारी कर रहे थे। गार्डन एरिया में मंडप तैयार था, एक तरफ़ मेहमान और दूसरी तरफ़ मीडिया के लोग मौजूद थे। अक्षत अग्नि के कमरे में गया और दरवाज़ा खोलते ही कहा, "अग्नि..." कमरा खाली था। अक्षत थोड़ा हैरान हुआ। उसे पता था कि अग्नि को निशा के साथ समय बिताना था, लेकिन वह पूरी रात तो निशा के साथ नहीं रह सकता था ना? वापस तो आया होगा। अक्षत ने हैरानी से कमरे को देखा। उसे लगा कि अग्नि बाथरूम में है। वह बाथरूम की तरफ़ गया और दरवाज़ा खोला, लेकिन बाथरूम में भी कोई नहीं था। रोनित पीछे से अग्नि की शेरवानी लेते हुए आया और बोला, "दूल्हे राजा, चलो तैयार हो जाओ।" लेकिन तभी अक्षत ने कहा, "रोनित, अग्नि कमरे में नहीं है।" रोनित हैरान होते हुए बोला, "क्या? कमरे में नहीं है! कमरे में नहीं है तो कहाँ चला गया है?" अक्षत ने कहा, "मुझे नहीं पता वह कहाँ चला गया है! रात घर आया भी था या नहीं..." अक्षत ने यह बात बेफिक्री से कही थी, लेकिन दोनों एक साथ हैरान होकर देखने लगे और फिर एक साथ बोले, "ऐसा तो नहीं कि अग्नि रात में घर ही नहीं आया और हम दोनों अपने ही ख्याल में यह सोच रहे थे कि वह घर आया होगा, निशा के साथ होगा।" अक्षत ने कहा, "एक बार निशा से पूछ लेते हैं।" तभी पीहू अपना फ्रॉक सूट पहने वहाँ आई और अक्षत को देखकर बोली, "पापा, मुझे भी मासी की तरह लहंगा पहनना है। मासी ने मुझे कल प्रॉमिस किया था कि वह मुझे लहंगा पहनाएंगी, पर अभी तो खुद लहंगा पहनकर बैठ गई है और मुझे यह फ्रॉक पहना दिया।" अक्षत और रोनित दोनों पीहू की बात पर हैरान हुए। अक्षत घुटनों के बल बैठ गया और पीहू से पूछा, "पीहू बेटा, पापा आपको लहंगा लाकर देंगे! पहले आप मुझे यह बताओ, मासी ने आपको कब कहा था कि वह आपको लहंगा पहनाएंगी?" पीहू ने कहा, "कल रात मासी मेरे साथ मेरे रूम में सो रही थी। तब उन्होंने कहा कि वह मुझे लहंगा पहनाएंगी, पर मासी ने अपना प्रॉमिस पूरा नहीं किया, और उन्होंने खुद लहंगा पहन लिया और मुझे यह फ्रॉक पहना दिया।" रोनित और अक्षत दोनों हैरान हो गए। इसका मतलब कल रात अग्नि घर ही नहीं आया था, क्योंकि निशा तो पीहू के साथ थी। वे जल्दी से फ़ोन निकालकर अग्नि को फ़ोन करने की कोशिश करने लगे, पर उसका फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा था। रोनित ने कहा, "भाई, हो ना हो अग्नि अभी भी होटल में ही है।" अक्षत ने कहा, "लेकिन हमने मैनेजर से बात की है। उसने तो कहा कि अग्नि उसके साथ नहीं है।" रोनित ने कहा, "भाई, मुझे तो ऐसा लग रहा है कि कुछ प्रॉब्लम है। इतने बड़े होटल में ज़रूरी थोड़ी ना है कि अग्नि उस मैनेजर के साथ ही रहे। वैसे भी अग्नि के फ़ैन से ज़्यादा उसके राइवल हैं। कुछ गड़बड़ लग रही है। उसका फ़ोन भी रात से बंद आ रहा है और अचानक से वह गायब भी हो गया। हमें एक बार होटल चलकर चेक करना चाहिए।" अक्षत जल्दी से रोनित के साथ वहाँ से निकला, पर गार्डन में आते ही उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं क्योंकि निशा इस वक़्त अपने दोस्तों के साथ खड़ी थी। निशा के लिए मेकअप आर्टिस्ट आए थे, पर फिर भी उसकी सहेलियाँ उसके तैयार होने में उसकी मदद कर रही थीं। निशा अक्षत को देखकर उसके पास आई और बोली, "जीजू, अग्नि कहाँ है? वह तक तैयार हुआ या नहीं?" अक्षत को समझ नहीं आया कि वह निशा के सवालों का क्या जवाब दे। रोनित भी हैरान रह गया था। अक्षत ने निशा से कहा, "फ़िक्र मत करो, अग्नि किसी काम से बाहर गया है। हम थोड़ी देर में उसे लेकर आते हैं।" इस पर मोहन जी और वीणा गुस्सा करते हुए बोले, "पागल है क्या यह लड़का? काम था तो किसी को बताता, कि नहीं जा सकता था। पता नहीं कहाँ चला गया सुबह से नज़र भी नहीं आया है। आज शादी है उसकी और उसकी कोई खोज ख़बर ही नहीं है।" निशा ने उनकी तरफ़ देखकर कहा, "अंकल-आंटी, आप दोनों प्लीज़ शांत हो जाइए। किसी काम से गया होगा, वरना अग्नि ऐसी शादी छोड़कर नहीं जाता।" उसके बाद निशा अक्षत को देखकर बोली, "जीजू, प्लीज़ अग्नि को जल्दी ले आइए।" अक्षत ने सिर हिलाया और रोनित के साथ वहाँ से चला गया। वहीं दूसरी तरफ़, होटल के कमरे में अग्नि की आँख धीरे-धीरे खुली। उसके कानों में कई शोर परेशान कर रहे थे। वह अपनी नींद की दुनिया को छोड़कर वास्तविक दुनिया में आया तो उसका सिर भारी हो रहा था। वह अपना सिर पकड़ते हुए बेड पर उठा, लेकिन उसके कानों में वह शोर अभी भी किसी तीर की तरह चुभ रहा था। अग्नि अभी भी कुछ नींद में था, लेकिन फिर भी अपनी अधूरी आँखों से वह जाग गया और तब उसे एहसास हुआ कि यह शोर नहीं, बल्कि किसी के रोने की आवाज़ है। अग्नि अपना सिर पकड़कर बैठ गया और धीरे-धीरे इस शोर को इग्नोर करने की कोशिश की, लेकिन फिर उसने अपनी दाईं तरफ़ देखा क्योंकि शोर उसी तरफ़ से आ रहा था। और उसे तरफ़ देखकर उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।

  • 12. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 12

    Words: 1025

    Estimated Reading Time: 7 min

    ब्लैंकेट में एक लड़की सुबह-सुबह रो रही थी। अग्नि उसे देखकर हैरान हो गया और चिल्लाते हुए कहा, “कौन हो तुम?”

    वह लड़की, जो घुटनों में अपना चेहरा छुपाए सुबक रही थी, अग्नि की आवाज पर चौंक कर उसे देखती है।

    अग्नि ने देखा कि बिस्तर पर एक लड़की उसके साथ है। छोटी कद-काठी की, वह लड़की जिसकी आँखें उस समय आँसुओं से भीगी हुई थीं, छोटा सा गोल चेहरा, लंबी सी नाक में पहनी हुई नोज़ रिंग, काली आँखों को झपकाती हुई घनी सी पलकें और हल्के थर-थर काँपते हुए उसके होंठ।

    पर अग्नि की नज़र जब उसकी हालत पर गई तो उसका दिल धक से रह गया। उसका नींद और नशा उस वक्त कहीं खो गया था। वह बस समझने की कोशिश कर रहा था कि यह लड़की कौन है जो उस समय उसके साथ बिस्तर पर बैठी है और उसे देखकर रो रही है।

    अब अग्नि का ध्यान खुद की हालत पर गया। उसने जब देखा कि उसके शरीर पर भी कपड़ा नहीं है और वह भी सिर्फ़ ब्लैंकेट से ढका हुआ है, उसके आधे ब्लैंकेट से उस लड़की ने खुद को ढँक रखा था।

    अग्नि ने कसकर अपना सिर पकड़ लिया। उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हुआ। अग्नि ने जल्दी से बिस्तर के आस-पास देखा तो उसे उसकी जैकेट और पैंट वहीं पड़ी मिलीं।

    वह जल्दी से साइड टेबल के ड्रॉवर से एक तौलिया निकाला और उसे कमर पर लपेटते हुए अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में भाग गया।

    अग्नि बाथरूम में जाकर निराश हो गया था। उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हुआ है। उसका सिर इतना भारी हो रहा था कि वह कुछ कर भी नहीं पा रहा था। पर वह लड़की उसके साथ बिस्तर पर थी और उसकी हालत यह कैसी हो गई? क्या यह उसने किया?

    अग्नि की हालत खराब हो रखी थी। उसने आईने में खुद को देखा। गले के निशान और चेहरे के निशान कल रात की हकीकत बयाँ कर रहे थे।

    अग्नि घबरा गया और उसने अपने आप को देखते हुए कहा, "ऐसा नहीं हो सकता, यह झूठ है, यह सच नहीं है, यह सब झूठ है, सच नहीं है, यह सब मैं कोई बुरा सपना देख रहा हूँ और थोड़ी देर बाद मैं इस सपने से जाग जाऊँगा।"

    अग्नि काफ़ी घबरा गया था। उसने आज तक निशा को भी अपने इतने करीब नहीं आने दिया था और ना कभी निशा के इतने करीब गया था। क्योंकि उसने और निशा ने, अपने दायरे में रहकर एक-दूसरे को पसंद किया था। उन दोनों के बीच कभी किस तक नहीं हुई थी। क्योंकि निशा का यह कहना था कि वह पहली किस शादी के बाद ट्रॉफी के रूप में लेना चाहती है।

    जिसने आज तक अपनी गर्लफ्रेंड को किस तक ना किया हो, आज वह एक लड़की के साथ एक बिस्तर में था।

    यह सोचते हुए अग्नि काँप गया। उसने टैप ऑन किया और अपने मुँह पर पानी के छींटे मारने लगा। लेकिन अब उसे यकीन हो गया था कि वह कोई सपना नहीं देख रहा है, यह सब सच में हुआ है और वह लड़की वहाँ बाहर सच में है। कौन है वह लड़की?

    अब अग्नि को उस लड़की पर गुस्सा आ रहा था। उसे लगा इस लड़की को उसके किसी प्रतिद्वंद्वी ने यहाँ भेजा है और यह उसे बदनाम करने की एक चाल है।

    अग्नि गुस्से से बाथरूम से बाहर निकला। वह लड़की बिस्तर के पास खड़ी थी। उसने अपने कपड़े पहन लिए थे, लेकिन चेहरे पर निराशा और आँसू अभी भी मौजूद थे।

    अग्नि गुस्से में उसे देखकर बोला, "ऐ लड़की, कौन हो तुम? तुम यहाँ इस कमरे में क्या कर रही हो मेरे साथ? सच-सच बताओ, कितने पैसे दिए तुम्हें और तुम किसी का भेजा हुआ मोहरा हो? तुम मुझे अभी बता दो, उसने जो तुम्हें जितने पैसे दिए हैं उसका दोगुना मैं तुम्हें दूँगा, लेकिन अपना यह गन्दा खेलना बंद करो!"

    वह लड़की हैरानी से अग्नि की बात तो सुन रही थी, लेकिन उसकी जुबान में इतना जोर नहीं था कि वह कुछ कह सके। वह खाली अग्नि की धमकी सुन रही थी और उसके इतना तेज़ बोलने पर वह डर से काँपने लगी।

    अग्नि ने उसके कपड़े देखे तो उसके कपड़ों से अंदाज़ा लगा लिया कि यह लड़की कोई वेट्रेस है।

    अग्नि ने गुस्से में उसे घूरते हुए कहा, "तुम एक वेट्रेस हो? शर्म आनी चाहिए तुम्हें! थोड़े से पैसों के लिए कितनी गिर गई हो?"

    अग्नि बहुत तेज़ चिल्ला रहा था। वह लड़की खड़े-खड़े काँप रही थी। उसकी हिम्मत ही नहीं हुई कि वह कुछ बोल सके। वह बस वैसे ही खड़ी रही।

    उसके मुँह से बस हवा बाहर आ रही थी। जमीन में उसकी निगाहें गड़ी हुई थीं। ना वह नज़र उठाकर अग्नि को देख रही थी और ना उसके किसी सवाल का जवाब दे रही थी।

    अग्नि ने उसे घिनौनी नज़रों से देखा और कहा, "तुम जैसी लड़कियाँ एक्ज़िस्ट भी करती हैं जो चंद पैसों के लिए अपनी इज़्ज़त को दांव पर लगा सकती हैं, मैं सोच भी नहीं सकता था।"

    अग्नि उस लड़की को ऐसे देख रहा था जैसे वह कोई इंसान नहीं है, बल्कि बहुत ही गंदी चीज़ है जिसे देखने से भी अग्नि गन्दा हो जाएगा।

    अग्नि ने आस-पास देखा तो उसे साइड टेबल पर अपना फ़ोन दिखा। वह जल्दी से फ़ोन की तरफ़ जाता है और अपना फ़ोन उठाकर उसे ऑन करता है, तो देखता है कि फ़ोन ऑन नहीं हो रहा है। उसका फ़ोन स्विच ऑफ़ हो रखा है, तो अग्नि जल्दी से उसे स्विच ऑन करता है। अग्नि जैसे ही स्विच ऑन करता है, फ़ोन की स्क्रीन पर 'भाई' नाम फ़्लैश हो रहा था।

    वह जल्दी से फ़ोन उठाता है, तो अक्षय उसे डाँटते हुए कहता है, "अग्नि, कहाँ हो तुम इस वक़्त? तुम्हें पता है घर में कितनी प्रॉब्लम हो गई है, तुम रात से गायब हो, हमें लगा तुम घर में होंगे। कहाँ हो तुम इस वक़्त?"

    अग्नि एक नज़र उस लड़की को देखता है जो अपनी नज़रें नीचे जमीन में गाड़े लगातार आँसू बहा रही थी।

    अग्नि कहता है, "भाई, एक प्रॉब्लम हो गई है, प्लीज़ आप जल्दी से यहाँ आ जाइए।"

  • 13. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 13

    Words: 1028

    Estimated Reading Time: 7 min

    अग्नि ने फ़ोन रखा और उस लड़की को देखकर कहा, "कितने पैसे दिए हैं तुम्हें? आज जो तुमने हरकत की है, ना इसकी वजह से तुम कभी सुकून से नहीं रह सकोगी।"

    "तुम्हें पता है आज मेरी शादी है और तुम्हारी वजह से मेरे आत्मसम्मान पर उंगली उठी है। मैं इसके लिए तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूँगा और तुम जैसी लड़की माफ़ी डिस्टर्ब भी नहीं करती है, छी!"

    अग्नि ने यह कहा और अपनी जींस की बैक पॉकेट से अपना वॉलेट निकाला। उसने देखा उसमें करीब 10,000 का कैश रखा होगा। उसने वे पैसे निकाले और बेड पर फेंक दिए।

    अग्नि की इस हरकत का साफ़ मतलब था। वह उस लड़की को उसकी कीमत दे रहा था।

    अग्नि तेज कदमों से चलता हुआ कमरे के दरवाजे तक आया और एक झटके से कमरे का दरवाजा खोल दिया। पर अगले ही पल कैमरे की फ़्लैशलाइट और रिपोर्टर्स की आवाज़ उसकी होश उड़ा गई। वह लड़की भी उतनी ही हैरान हुई। जब रिपोर्टर्स बिना किसी वार्निंग के एक साथ अंदर आ गए।

    वे उस लड़की और अग्नि को एक कमरे में कैद कर लेते हैं। अग्नि अपने चेहरे को ढकने की कोशिश करता है। पर वह लड़की तो जैसे सुन होकर खड़ी थी। उसे तो इस समय कोई होश ही नहीं था। यह सब अचानक क्या हो रहा है?

    एक रिपोर्टर ने कहा, "Mr. अग्नि, आज आपकी शादी है और शादी से एक रात पहले आप होटल में किसी लड़की के साथ हैं, इसका क्या क्लेरिफ़िकेशन देंगे आप?"

    दूसरी रिपोर्टर ने कहा, "हमने तो सुना था कि आप ड्रग्स लेते हैं? पर यहाँ तो कुछ और ही सीन चल रहा है। इसका कोई जवाब है आपके पास? क्या यह एक ही लड़की है जिसके साथ आपने रात बिताई है या फिर ऐसी और भी लड़कियाँ आती हैं आपके पास?"

    अग्नि कैमरे से फ़ेस हटाते हुए कहा, "कैमरा बंद कीजिए आप सब, कैमरा बंद कीजिए। किसने आपको अंदर आने की परमिशन दी? कैमरा बंद कीजिए आप सब!"

    अग्नि रिपोर्टर्स को हैंडल नहीं कर पा रहा था। वह कभी अपना फ़ेस छुपाता था तो कभी कैमरा हटाता। लेकिन तभी अक्षत और रोनित अंदर आ गए और उनके साथ दो-तीन बॉडीगार्ड भी आ गए। वे जल्दी से इस माहौल को देखकर एक्शन लेते हैं।

    रोनित और अक्षत जल्दी से अग्नि को साइड करते हुए बॉडीगार्ड की हेल्प से कमरे से बाहर निकल गए। लेकिन रिपोर्टर्स के लांछन भरे सवाल उसके कानों तक जा रहे थे।

    जब अक्षत और रोनित ने उन रिपोर्टर्स के सवाल सुने तो उनके भी होश उड़ गए। रोनित की नज़र कैमरे में खड़ी उस लड़की की तरफ़ गई, जिसकी तस्वीर लगातार वे रिपोर्टर ले रहे थे।

    रोनित ने बाहर होटल स्टाफ़ को कुछ इशारा किया। होटल स्टाफ़ जल्दी से अंदर आए और उस लड़की को अपने साथ खींचते हुए ले गए। बॉडीगार्ड, रोनित और अक्षत के साथ अग्नि को कवर करते हुए जल्दी से एग्ज़िट की तरफ़ बढ़ गए।

    पर अब कोई फ़ायदा नहीं था। तीर कमान से निकल चुका था। रिपोर्टर्स को तो बस मसाला चाहिए होता है अपनी न्यूज़ चैनल की टीआरपी के लिए। कल रात उन्हें खबर मिली थी कि अग्नि सागरवाल ड्रग्स लेता है और होटल के कमरे में ड्रग्स की हालत में पाया गया है।

    इसीलिए रिपोर्टर्स अग्नि के कमरे के बाहर उसका बाहर आने का इंतज़ार कर रहे थे। पर उन्हें क्या पता था कि आज उनके हाथ बंपर न्यूज़ लगेगी, अग्नि सागरवाल का स्कैंडल।

    अग्नि सागरवाल ने बिताई एक रात किसी अनजान लड़की के साथ। अग्नि सागरवाल के रंगीन शौक, इस तरह की हेडलाइन इस समय मीडिया में उछाली जा रही थी।

    अक्षत ड्राइव कर रहा था। रोनित उसके बगल में बैठा था और अग्नि पीछे सिर पकड़कर बैठा हुआ था।

    अक्षत ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "बता भी तो क्या रहा था तू वहाँ पर?"

    अग्नि ने भी गुस्से में कहा, "मुझे नहीं पता भाई मैं वहाँ क्या कर रहा था। मुझे यह भी नहीं पता मैं वहाँ कैसे पहुँचा और वह लड़की वहाँ क्या कर रही थी। मुझे कुछ भी नहीं पता!"

    रोनित ने अक्षत से कहा, "भैया शांत हो जाइए! यह बहुत परेशान है, घर चलकर बात करते हैं।"

    अग्नि गाड़ी के पीछे अपनी आँखें बंद करके अपने सिर पर जोर लगाने की कोशिश करता है कि आखिर कल रात हुआ क्या था। वह एक-एक करके कड़ियाँ जोड़ रहा था। तभी उसके दिमाग में कुछ धुंधला-धुंधला सा दिखा।

    "सर, प्लीज मुझे छोड़ दीजिए। सर, मैं गरीब लड़की हूँ। सर, प्लीज ऐसा मत कीजिए, मैं बदनाम हो जाऊँगी सर। सर, प्लीज ऐसा मत कीजिए। सर, प्लीज मुझे छोड़ दीजिए, मैं कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगी। सर, मुझ पर रहम कीजिए। मैं गरीब लड़की हूँ, बहुत गरीब परिवार से हूँ।"

    इन शब्दों के साथ एक धुंधला सा चेहरा उसके दिमाग में खेल रहा था। अचानक झटके से अग्नि की आँख खुली और उसने भारी आवाज़ में कहा, "भाई, गाड़ी रोको!"

    अक्षत ने एकाएक ब्रेक लगा दिया और पीछे आते हुए बॉडीगार्ड ने जब गाड़ी रुकी देखी तो उन्होंने भी गाड़ी रोक दी।

    अक्षत हैरान होता हुआ अग्नि को देखकर कहता है, "क्या हुआ?"

    अग्नि गाड़ी से बाहर निकल गया। यह एक खाली इलाका था जहाँ पर सिर्फ़ हाईवे था और आस-पास दूर-दूर तक सिर्फ़ खेत नज़र आ रहे थे। दरअसल, मीडिया से बचने के लिए अक्षत ने लंबा रास्ता चुना था।

    अग्नि सड़क के किनारे खड़ा हो जाता है और अपना सिर पकड़ लेता है, उसकी आँखों में इस समय बहुत दर्द नज़र आ रहा था।

    अक्षत और रोनित भी बाहर आते हैं। बॉडीगार्ड भी बाहर आने को होते हैं, लेकिन अक्षत अपना हाथ दिखाकर उन्हें अंदर रहने का इशारा करता है।

    अक्षत अग्नि के पास आता है और कहता है, "क्या हुआ अग्नि, तू इतना परेशान क्यों हो रहा है?"

    अग्नि की आँखों में नमी आ गई थी। उसने अक्षत की तरफ़ हैरानी से देखते हुए कहा, "भाई, वह लड़की मुझसे रहम की भीख माँग रही थी। मेरे सामने गिरगिरा रही थी और मैंने उसके साथ..." ऐसा कहते ही अग्नि के सब्र का बाँध टूट गया और वह अक्षत को गले लगाकर रोने लगा।

    अक्षत ने उसकी पीठ पर सहारा देते हुए उसे चुप कराया। लेकिन वह उसके आगे कहे गए शब्दों का मतलब समझ गया था।

  • 14. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 14

    Words: 1037

    Estimated Reading Time: 7 min

    अग्नि किसी बच्चे की तरह उसके गले लग कर रो रहा था और केह रहा था “भाई मैंने क्या कर दिया मैं ऐसा नहीं करना चाहता था। भाई मैंने उस लड़की के साथ जानबूझकर कुछ नहीं किया, भाई मुझसे गलती हो गई, मुझे नहीं पता ये सब किसने किया।

     

    लेकिन मुझसे गलती हो गई भाई। वो लड़की मेरे सामने गिड़गिड़ा रही थी और मैंने उसकी एक नहीं सुनी, भाई मुझे माफ कर दो भाई प्लीज मुझे माफ कर दो!”

     

    अक्षत को अंदाजा हो गया था की ,अग्नि ने ये सब जानबूझकर नहीं किया हे, बल्कि उनके पीछे कोई साजिश है, वो अपने भाई को अच्छी तरह से जानता था। उसका भाई कभी भी ऐसा कुछ नहीं कर सकता है। 

     

    उसने तो कभी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ भी कोई मिस बिहेव नहीं किया। यहां तक की कई लड़कियां अग्नि की फैन है, जो उसके साथ किसी भी हद तक जा सकती है। लेकिन अक्षत जानता था की, अग्नि अपनी हद कभी नहीं तोड़ेगा। लेकिन आज इस तरीके से उसे रोता देख अक्षत को बहुत बुरा लग रहा है था।

     

    अक्षत ने रोनित की तरफ देखते हुए कहा “रोनित पता करो इन सब की पीछे वजह क्या है, मुझे लगता है ये सब इतना आसान नहीं जितना हम सोच रहे हैं!” रोनित हा मे सिर हिलाता है।

     

    अक्षत अग्नि को खुद से अलग करता है और उसका चेहरा हाथों में लेते हुए अंगूठे से उसके आंसू साफ करता है और उससे कहता है “ एकदम चुप.. कहा ना तूने कुछ नहीं किया। तेरी गलती नहीं है, इसमें ये सब हादसा था और तूने ऐसा कुछ जानबूझकर तो नहीं किया है ना?

      

    देख मैं तुझे कह रहा हूं कि, जो भी बात है यही तक रहने दे, इसे घर तक मत लेकर जा मैं मीडिया को शांत कर दूंगा! ये न्यूज़ पब्लिश नहीं होगी। और घर चल आज शादी है निशा तेरा इंतजार कर रही है!”

     

    अग्नि ने अपनी पथराई आंखों से अक्षत को देखा और बहुत ही लाचारगी के साथ कहा “ में निशा से नजरे नहीं मिल पाऊंगा। मैंने उसके प्यार का, उसके विश्वास का गला घोट है, भाई मैं उससे नज़रें नहीं मिल पाऊंगा!”

     

    अक्षत कहता है “बच्चों जैसी बातें मत कर अग्नि समझने की कोशिश कर कुछ ही घंटे बाद तेरी शादी है, तू जिस लड़की से प्यार करता है वो तेरा इंतजार कर रही है? और तू सिर्फ एक गलती की वजह से उससे शादी नहीं करेगा, ये कहां की समझदारी है? ये बेवकूफी है एक नंबर की बेवकूफी हे, मै भी कह रहा हूं अग्नि घर चलते हैं!”

     

    अग्नि ना में सिर हिलाते हुए कहता है “मुझे घर नहीं जाना भाई, मुझे घर नहीं जाना, मैं मां को, पापा को, दादी को और निशा को फेस नहीं कर पाऊंगा भाई प्लीज भाई!”

     

    अग्नी अपना हाथ जोड़ लेता है और अक्षत से कहता है “प्लीज भाई मुझे थोड़ी देर के लिए कहीं और ले चलिए जहां पर मुझे इनमें से कुछ भी याद ना रहे प्लीज मैंने जो पाप किए हैं, मैं उन्हें भूलना चाहता हूं!”

     

    अक्षत जब अग्नि को ऐसे हाथ जोड़ता हुआ देखा है तो आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे अपने गले से लगा लेता है।

     

     आखिर बच्चों की तरह पाला था उसने अग्नि को ऐसे कैसे वो उसे अकेला रहने दे सकता है।

     

     उसने अग्नि को सहारा देते हुए कहा “ठीक है तुझे लगता है, तुझे थोड़ी देर अकेले रहना है तो यही सही हम तुझे ऑफिस ले चलते हैं, वहां अपना दिमाग पूरी तरह से शांत कर ले, तुझे जितना स्ट्रेस निकालना है ऑफिस में निकाल ले, तुझे म्यूजिक पसंद है ना, वहां जा अपनी फेवरेट धुन सुन और ये सारी नेगेटिविटी निकाल दे, तूने कुछ भी जानबूझकर नहीं किया ये सब एक हादसा था।

     

     

    उसके बाद अक्षत रोनित को देखकर कहता है “घर पे फोन करके कह दो की, अग्नि की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं हे और वो शादी के समय ही अब आएगा कल रात के कॉन्सर्ट के बाद बहुत थक गया था।”

     

    रोनित ने हा मे सिर हिलाया और अपना फोन ले जाकर दूसरी तरफ फोन करने लगा। अक्षत अग्नि को वापस गाड़ी में बैठाता है और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है बात होने के बाद।

     

     रोनित भी अक्षत के बगल में आकर बैठ जाता है अक्षत रोनित को देखकर कहता है “क्या हुआ किसी ने कुछ कहा तो नहीं?”

     

    रोनित ने कहा “आंटी बहुत गुस्सा कर रही है कह रही है कि, ये कोई तरीका नहीं है बड़ा हो गया है, अभी से अपनी जिम्मेदारियां समझ जानी चाहिए और कह रही है कि, 4:00 का मुहूर्त है उससे पहले अग्नि सभरवाल मेंशन में होना चाहिए।

     

    अक्षत गाड़ी स्टार्ट करता है लेकिन वो अकेले ही अग्नि और रोनित के साथ जाता है। उसने बॉडीगार्ड को अपने साथ आने से मना कर दिया था तो सारे बॉडीगार्ड सभरवाल मेंशन चले जाते हैं।”

     

    अक्षत ड्राइव करके गाड़ी को स्टूडियो की तरफ मोड़ रहा था।

     

    अग्नि पीछे अपना सिर पकड़कर बैठा था और कल रात के हुए उस हादसे को याद कर रहा था। कैसे उसने एक लड़की के साथ जबरदस्ती की…

     

     वो लड़की कितने हाथ पैर जोड़ रही थी उसके सामने गिड़गिड़ा रही थी। लेकिन अग्नि ने उसकी एक बात नहीं सुनी यहां तक की, आज सुबह भी वो उस लड़की को कितना भला बुरा बोल कर आया था और उस लड़की ने एक शब्द अपने मुंह से नहीं निकला था।

     

     अग्नि को अपने किए पर गुस्सा आ रहा था। उसका मन कर रहा था कि, वो अकेले कमरे में जाए और खुद को बहुत जोर-जोर से 10 15 चांटा मारे।

     

    अक्षत की गाड़ी सीधे म्यूजिक स्टूडियो के बाहर आकर रूकती है ।वो लोग निकालते हैं और जल्दी से अंदर चले जाते हैं, क्योंकि मीडिया वहां पहुंच चुकी थी। रोनित अग्नि को अंदर ले जाता है, लेकिन सवाल उसके कानों में अभी भी गूंज रहे थे, उन मीडिया वालों के बेहूदा सवाल अग्नि का और दिमाग खराब कर रहे थे।

     

    अग्नि सीधे अपने केबिन में जाता है और अपने सोफे पर धराम से बैठते हुए अपने सिर को पकड़ लेता है।

     

     उसके सामने कल रात का सीन एक-एक करके घूम रहा था। उसे सब कुछ धुंधला धुंधला याद आ रहा था। बस उसे एक लड़की का चेहरा साफ नहीं देखा। लेकिन ये वही लड़की थी जो आज सुबह होटल के कमरे में मौजूद थी।

  • 15. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 15

    Words: 1024

    Estimated Reading Time: 7 min

    अक्षत लगातार अग्नि को समझा रहा था कि यह सब हादसा है, लेकिन अग्नि के दिमाग पर एक ही भूत सवार था— उसने गलत किया है, उसने उस लड़की के साथ बहुत गलत किया है।

    वो लड़की रहम की भीख माँग रही थी, पर मैं अपनी हैवानियत के आगे कुछ नहीं कर पाया।

    अग्नि इन सब का जिम्मेदार खुद को मान रहा था। रोनित ने भी अग्नि को खूब समझाने की कोशिश की, लेकिन अपनी गिल्ट के आगे अग्नि को किसी की बात समझ में नहीं आ रही थी।

    करीब एक घंटा बीत गया। घर से 10 बार फोन आ चुके थे। रोनित इतनी देर से सबको एक ही जवाब दे रहा था कि वह मुहूर्त से पहले आ जाएगा, लेकिन अग्नि की हालत उस समय घर जाने लायक नहीं लग रही थी।

    अक्षत ने अपने सोर्सेस का इस्तेमाल करके इस न्यूज़ को वहीं दबा दिया था।

    अक्षत और रोनित अग्नि को समझा ही रहे थे कि तभी उन्हें बाहर से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आती है। कोई लड़की बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही थी। चिल्ला क्या रही थी, वह तो अग्नि को गाली दे रही थी। उस लड़की के शब्दों में नमी कहीं से भी नहीं थी; ऐसा लग रहा था कि अगर अग्नि उसके सामने होता, तो वह उसका सिर फोड़ देती।

    अक्षत और रोनित एक-दूसरे को हैरान होकर देखते हैं। अग्नि को भी आवाज़ आ रही थी, लेकिन उस समय उसके दिमाग में पुरानी बातें चल रही थीं।

    अक्षत और रोनित दोनों केबिन से बाहर निकलकर एंट्रेंस की तरफ जाते हैं, जहाँ पर गार्ड ने एक लड़की को रोका हुआ था। रोनित देखता है कि एक 22-23 साल की लड़की है, जिसने हल्के पीले रंग का सूट-सलवार पहना हुआ है और बालों की चोटी बनाई हुई है।

    वह गार्ड को धक्का देकर अंदर आने की कोशिश करती है और गुस्से में चिल्लाते हुए कहती है, "अरे मुझे रोकने से क्या होगा? मैं मीडिया तक जाऊँगी, मैं कोर्ट में जाऊँगी, यहाँ तक सुप्रीम कोर्ट में भी जाऊँगी! तुम्हारे मालिक को अगर मैं जेल की हवा ना मिला दी ना, तो मेरा भी नाम शालू नहीं!"

    "अरे तुम्हारे वो क**** रॉकस्टार बस अपने गाने में तो बहुत ही प्यार-मोहब्बत की बातें करता है, लड़कियों की रिस्पेक्ट की बातें करता है, लेकिन असल जिंदगी में क्या? असल जिंदगी में वो एक नंबर का घटिया इंसान है! उसने किसी लड़की की ज़िंदगी बर्बाद कर दी, उसे शर्म नहीं आई यह करते हुए। वीडियो में तो उसकी शादी की खबरें आ रही हैं, क्या हुआ उन लोगों में से? क्या जीने के लिए एक लड़की काफी नहीं होती? और किसी भी गरीब लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं!"

    अक्षत और रोनित दोनों उस तरफ आते हैं और उस लड़की को गुस्से में घूरते हुए अक्षत कहता है, "हेलो मैडम, आप मेरे भाई के बारे में बात कर रही हैं, तमीज से बात कीजिए?"

    वह लड़की, जिसने अपना नाम शालू बताया था, अक्षत को गुस्से में देखते हुए कहती है, "तमीज...? जो हरकत आपके भाई ने की है ना, उसके बाद तो उस तमीज की उम्मीद भी मत कीजिए! और जिस तरीके से मैं बात कर रही हूँ ना, उसके हिसाब से मैंने बहुत तमीज दिखाई है, क्योंकि वो इंसान तो सड़क पर मुँह काला करके गधे में बैठने के बराबर है।"

    रोनित आगे आता है और उस लड़की को गुस्से में घूरते हुए कहता है, "क्या बदतमीजी है यह! मैं पुलिस कंप्लेंट करूँगा!"

    वह लड़की और गुस्से से कहती है, "हाँ, बुलाओ पुलिस को! मैं भी तो देखूँ पैसों के दम पर तुम लोग और क्या-क्या कर सकते हो! एक मासूम लड़की की ज़िंदगी तो बर्बाद कर ही दी है, अब मुझे भी देखना है कि देश का कानून तुम लोगों की और कितनी मदद करता है!"

    "क्या हो रहा है यहाँ पर?"

    सब कोई पीछे देखते हैं तो दरवाजे के पास अग्नि खड़ा था।

    अग्नि को वहाँ देख उस लड़की का गुस्सा और बढ़ जाता है। अक्षत और रोनित अग्नि से कहते हैं, "तुम बाहर क्यों आए? अंदर केबिन में जाओ! कोई पागल लड़की है, हम बात कर रहे हैं इससे!"

    अभी-अभी वह वहाँ आ गया था और वह उस लड़की शालू की तरफ देखते हुए कहता है, "क्या प्रॉब्लम है?"

    शालू गुस्से में अग्नि को देखकर कहती है, "प्रॉब्लम तुम हो! बहुत पैसा है ना तुम्हारे पास? बहुत बड़े रॉकस्टार हो, सुपरस्टार हो! रातों-रात अमीर बना सकते हो, रातों-रात गरीब बना सकते हो, यहाँ तक कि रातों-रात किसी की इज़्ज़त के साथ भी खेल सकते हो! शर्म नहीं आई तुम्हें गरीब मासूम लड़की का फ़ायदा उठाते हुए? न्यूज़पेपर, मीडिया में तो तुम्हारे बारे में बहुत बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं कि यह इंसान ऐसा है, वैसा है, इतने संस्कारों वाला है, इतने बड़े परिवार से है, पर हरकतें तो तुम्हारी कभी नज़र नहीं आती हैं! तो तुमने भी उन अमीर आदमियों जैसी ही हरकत की है, जिनके लिए लड़कियाँ सिर्फ़ इस्तेमाल करने की चीज़ होती हैं! तुमने भी तो मेरी दोस्त को इस्तेमाल करके फेंक दिया!"

    शालू की कही बातें अग्नि को कुछ-कुछ समझ में आ रही थीं, पर फिर भी उसने कहा, "आप किसकी बात कर रही हैं?"

    शालू ने चिल्लाते हुए कहा, "मैं उसी की बात कर रही हूँ, जिसके साथ तुमने कल रात होटल में रात बिताई थी! सुबह होते ही किसी टिशू पेपर की तरह कूड़ेदान में फेंक दिया! तुम्हें पता है तुम्हारी इस हरकत से किसी मासूम लड़की की ज़िंदगी बर्बाद हो गई है!"

    शालू की बात सुनकर अक्षत, रोनित और अग्नि तीनों हैरान रह जाते हैं। यह उसी होटल वाली लड़की की बात कर रही थी— वही वेट्रेस जो रात में अग्नि के कमरे में थी।

    अग्नि अपने गार्ड को हाथ दिखाता है, तो गार्ड शालू का रास्ता छोड़ देते हैं और अपना हाथ पीछे हटा लेते हैं। शालू जल्दी से अग्नि के पास आती है और गुस्से में उसे उंगली दिखाते हुए कहती है, "तुम जैसे लोगों को ना समाज में रहने का हक नहीं है! समाज में छोड़ो, तुम जैसे लोगों को दुनिया में रहने का हक नहीं है! तुम लोग गरीबों को कुछ समझते नहीं हो ना? अपने आप के जैसे समझ के उसे कल रात अपने कमरे में लिया था क्या?"

  • 16. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 16

    Words: 1059

    Estimated Reading Time: 7 min

    अग्नि के चेहरे पर गिल्ट था। उसने धीरे से कहा, "देखिए जो हुआ वो बस एक एक्सीडेंट था। ये सब गलती से हुआ है, मैं इसके लिए आपसे माफी चाहता हूँ।"

    शालू ने गुस्से में कहा, "माफी? तुम माफी मांग रहे हो? तुम्हें लगता है तुम्हारी माफी से उसकी ज़िंदगी संवर जाएगी? तुम्हें लगता है तुम्हारी इस माफी से उसकी जो बदनामी हुई है वो रुक जाएगी? तुम्हें लगता है, तुम्हारे इस माफी से उसकी इज़्ज़त उसे वापस मिल जाएगी!"

    रोनित जल्दी से शालू के आगे आया और कहा, "देखिए मैडम, अग्नि से गलती हुई है। इसने जान-बूझकर आपकी फ्रेंड को अपने कमरे में नहीं लिया था। वो बस गलती से हो गया था। आप बताइए इसके लिए हम क्या कर सकते हैं? कोई कम्पेन्सेशन, जो भी आप बोलो!"

    शालू दो कदम पीछे हुई और अग्नि की तरफ हाथ करते हुए, बहुत ही घिनौनी नज़रों से कहा, "कैसे बेशर्म लोग हो तुम लोग! ये कहते हुए शर्म नहीं आई कि, तुम एक लड़की की इज़्ज़त की कीमत लगा रहे हो?"

    "तुम्हें अंदाज़ा भी है, तुम्हारी इस हरकत से वो लड़की अपनी जान देने पर मजबूर हो गई है और तुम उसकी मजबूरी को पैसों में तोल रहे हो! डूब के मर जाओ तुम लोग!"

    अग्नि रोनित को पीछे धकेला और शालू के सामने आकर कहा, "देखिए मुझे पता है कि मैंने गलती की है और मुझे इसका पछतावा भी है, पर मेरा यकीन कीजिए मैंने ये सब जान-बूझकर नहीं किया। अब आप ही बताइए मैं अपनी इस गलती को सुधारने के लिए क्या कर सकता हूँ?"

    शालू गुस्से में अग्नि को देखते हुए बोली, "गलती सुधारनी है? कैसे सुधारेंगे गलती? आपने तो गलती सुधारने का नाम लेकर अपनी गलतियों को ही छुपा दिया है, पर आपकी इस एक गलती ने उस बेचारी लड़की की ज़िंदगी बर्बाद कर दी है!"

    "आपकी एक कॉन्सेप्ट की टिकट कितने में बिकती है? हाँ, 50,000 में। आपकी एक टिकट 50,000 में बिकती है। आपको पता है उस लड़की की सैलरी कितनी है? 5,000।"

    वो 5,000 के लिए उस होटल में बर्तन साफ़ करती थी। वहाँ के फ्लोर की सफ़ाई करती थी। पता है क्यों? अपने अपाहिज भाई के इलाज के लिए।

    वो स्वाभिमानी लड़की थी। एक-एक पैसा जोड़कर अपने अपाहिज भाई का इलाज करवाती थी और आपने क्या किया? उसके स्वाभिमान को एक रात में तोड़ कर रख दिया है।

    आप तो सुबह मीडिया के डर से वहाँ से मुँह छुपाकर भाग गए, लेकिन आपके जाने के बाद वहाँ क्या हुआ ये पता है आपको?

    अग्नि, रोनित और अक्षत तीनों हैरानी से उसे देखते हैं। वो लड़की कहती है, "उस लड़की का नाम प्रतिज्ञा है। प्रतिज्ञा मेरी दोस्त है और आज सुबह जब आप प्रतिज्ञा को होटल के उस कमरे में अकेला छोड़कर मीडिया के डर से मुँह छुपाकर भाग गए थे, उसके बाद मीडिया के उन खिलौने सवालों का सामना प्रतिज्ञा को करना पड़ा।"


    फ्लैशबैक 2 घंटे पहले.....

    अग्नि को उनके लोग वहाँ से ले गए थे, लेकिन मीडिया अभी भी वहीं मौजूद थी। वो लगातार प्रतिज्ञा से सवाल कर रही थी।

    "मैडम, बताइए अग्नि सबरवाल को आपने कितनी बार सर्विस दी है? क्या अग्नि सबरवाल यहाँ पर हर रात किसी नई लड़की के साथ आते हैं? आपका रेट क्या है? क्या आप स्टेटस के बेस में यहाँ पर कॉल गर्ल का काम करती हैं!"

    प्रतिज्ञा इन सारे सवालों से डर से काँप रही थी। तभी होटल का स्टाफ आता है और प्रतिज्ञा को वहाँ से खींचते हुए ले जाता है। वो प्रतिज्ञा को लेकर लॉन्ड्री डिपार्टमेंट में आता है जहाँ पर होटल के मैनेजर और प्रतिज्ञा के डिपार्टमेंट के मैनेजर मौजूद थे।

    उन्होंने प्रतिज्ञा को गुस्से में घूर कर देखा और कहा, "आज तुम्हारी वजह से हमारा होटल बदनाम हो गया है। आज तुम्हारी एक घिनौनी हरकत ने हमारे होटल की रेपुटेशन खराब कर दी है!"

    प्रतिज्ञा का पूरा चेहरा रो-रो के लाल हो गया था। पर फिर भी उसने हिम्मत करके कहा, "सर, मैंने कुछ नहीं किया। सर ने मुझे जबरदस्ती कमरे में बंद कर दिया..." प्रतिज्ञा फूट-फूट कर रोने लगी।

    मैनेजर ने कहा, "ये मगरमच्छ के आँसू हमें मत दिखाओ! अग्नि सबरवाल कोई छोटा-मोटा नाम नहीं है, उसके साथ रात बिताने के लिए हर लड़की मरती है। तुममें तो इतनी कोई खास बात भी नहीं है कि वो तुम्हें अपने पास रखेगा। ज़रूर तुमने ही कुछ किया होगा?"

    होटल मैनेजर, प्रतिज्ञा के मैनेजर को देखते हुए कहता है, "निकालो इस लड़की को यहाँ से! अगर ये कचरा यहाँ रहेगा तो होटल की रेपुटेशन और खराब होगी!"

    प्रतिज्ञा का मैनेजर प्रतिज्ञा को देखकर कहता है, "सामान लोटाओ और जाओ यहाँ से!"

    प्रतिज्ञा रोते हुए कहती है, "सर, ऐसा मत कीजिए। मुझे नौकरी से मत निकालिए। मैं बहुत गरीब लड़की हूँ सर, मुझे इस नौकरी की बहुत ज़रूरत है। मेरा भाई अपाहिज है सर, वो चल नहीं सकता। रहम कीजिए, मुझे नौकरी से मत निकालिए!"

    प्रतिज्ञा अपने हाथ जोड़कर गिर पड़ रही थी, लेकिन मैनेजर को अपने होटल की रेपुटेशन के आगे उस मजबूर लड़की के आँसू नज़र नहीं आए। उन्होंने प्रतिज्ञा का सामान लेकर होटल के गेट के बाहर फेंकवा दिया और... फीमेल स्टाफ से उसे निकालने के लिए कहा।

    फीमेल स्टाफ प्रतिज्ञा को ले जा रहे थे, लेकिन प्रतिज्ञा ने जोर लगाते हुए खुद को छुड़ाया और मैनेजर के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा, "सर, कम से कम मुझे मेरे पैसे तो दे दीजिए। मेरी मेहनत की कमाई है सर, मुझे उस पैसों की बहुत ज़रूरत है। मेरी सैलरी मुझे दे दीजिए!"

    मैनेजर ने प्रतिज्ञा को देखकर कहा, "सैलरी कौन सी सैलरी? तुम्हारी वजह से होटल का नाम खराब हुआ, हमारा बिज़नेस डूबने पर आया और तुम्हें अपने सैलरी की पड़ी है! और वैसे भी अग्नि सबरवाल को खुश किया है तुमने, कुछ तो दिया ही होगा उसने? इतना रईस बंदा है, खाली हाथ तो तुम्हें नहीं भेजेगा?"

    मैनेजर ने इधर-उधर देखा। आस-पास कोई नहीं था और फीमेल स्टाफ भी थोड़ी दूरी पर थे। उसने प्रतिज्ञा की तरफ झुकते हुए कहा, "वैसे मुझे खुश कर दोगी तो जितना अग्नि सबरवाल ने दिया है, उसका दुगुना तुम्हें दे दूँगा? पहले बताती ना तुम्हें इन सब में इंटरेस्ट है तो मैं तुम्हें ऐसी जगह ट्रांसफर करता जहाँ पर तुम पैसा भी कमाती और मज़ा भी मिलता?"

    और ये कहते हुए वो क**** मैनेजर प्रतिज्ञा के कंधों पर हाथ रख रहा था।

  • 17. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 17

    Words: 1028

    Estimated Reading Time: 7 min

    प्रतिज्ञा ने अपने कंधे को झटका और मैनेजर को देखकर कहा, "सर, मैं वैसी लड़की नहीं हूँ।"

    मैनेजर ने अपने चेहरे पर मक्कारी की मुस्कान लिए कहा, "अरे! मैं भी वैसा आदमी नहीं हूँ। शादीशुदा हूँ, बाल-बच्चे वाला हूँ, लेकिन वह क्या है ना, घर की दाल खाकर बोर हो गया हूँ, थोड़ा बिरयानी खाने का मन है। यह होटल बहुत साफ-सुथरा है। यहां पर यह सब काम नहीं होता; लेकिन एक दूसरा होटल है, तुम कहो तो तुम्हारी बात वहाँ चलाऊँ, वहाँ पर सैलरी भी बहुत अच्छी है और एक्स्ट्रा जो मिलेगा, वह तो है ही।"

    और इसी के साथ मैनेजर के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई थी। प्रतिज्ञा जान गई थी कि यह मैनेजर किस बारे में बात कर रहा है, इसलिए उसने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहाँ से चली गई।

    वह उस मैनेजर से क्या बहस करती? अभी तो उसे होटल से निकलवाया है। अगर ज्यादा बहस करती तो सड़क पर ले जाकर उसकी बेइज्जती करता, सो अलग।

    प्रतिज्ञा अपना सामान लेकर बस स्टैंड पर खड़ी थी। थोड़ी देर बाद एक बस आई। प्रतिज्ञा उस बस में बैठकर अपने घर की तरफ चली गई। मुंबई के एक साधारण से मोहल्ले में प्रतिज्ञा पहुँची।

    पर मोहल्ले में आते ही एक औरत चिल्लाते हुए बोली, "सोनू की मम्मी! देख, आ गई वह लड़की।"

    प्रतिज्ञा हैरानी से उस औरत को देखती रही। तभी तीन-चार औरतें और वहाँ आ गईं और वे प्रतिज्ञा को देखकर अपनी आँखें बड़ी करके कहने लगीं...

    "अरे! यह तो वही लड़की है ना जो उस कमरे में किराए पर रहती है।"

    "अरे! हाँ, यह तो वही बदचलन लड़की है। सुना है, होटल में गंदा काम करती है।"

    "और नहीं तो क्या! मैंने फोन में देखा है। आज सुबह ही किसी बड़े आदमी के साथ होटल के कमरे में पाई गई है यह।"

    "अरे, यह जिस लड़के के साथ होटल के कमरे में थी वह कोई छोटा-मोटा आदमी थोड़ी ना है। बहुत बड़ा रॉकस्टार है। मेरी बेटी भी तो उसके गाने सुनती है। बहुत महंगी टिकट देते हैं वह लोग और यह उसी के साथ होटल के कमरे में थी।"

    दूसरी औरत बोली, "मैं इसे कितना शरीफ समझती थी। अपने बीमार भाई का इलाज करवा रही है।"

    "मुझे क्या पता था कि गलत काम करके पैसे लाती है यह लड़की।"

    प्रतिज्ञा उन लोगों को देखकर रुँधी आवाज में बोली, "देखिए, मैंने कुछ भी नहीं किया है।"

    तभी एक मोटी सी औरत, जिसने नाइटी पहनी हुई थी और अपने मुँह में पान चबा रही थी, उसे धक्का देते हुए बोली, "चल बदचलन कहीं की! यहां पर हमारा मोहल्ला गंदा कर रही है। तुझ जैसी लड़की को तो समाज में रहने का ही हक नहीं है। तुम लोग तो बाहर रहो। तुम्हारे लिए है ना, जहाँ कोठे बने रहते हैं तो वहाँ जाकर मर।"

    तभी दो-तीन औरतें और सामने आ गईं और एक औरत प्रतिज्ञा को देखकर बोली, "और नहीं तो क्या, तुम जैसी लड़की अगर मोहल्ले में रहेगी तो हमारा मोहल्ला गंदा होगा और हमारी बच्चियों पर बुरा असर पड़ेगा।"

    एक दूसरी औरत बोली, "अरे बहन जी, जिसके साथ थी वह तो अमीर लड़का है। उसे लड़कियों की क्या कमी होगी। इसी ने उसे अपने मोहजाल में फँसाया होगा। अदाएँ दिखाई होंगीं।"

    प्रतिज्ञा उनके सामने खड़ी हो गई और बोली, "आप लोग गलत समझ रहे हैं। मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। मैं वहाँ गलती से गई थी।"

    वह यह बोल ही रही थी कि उनमें से एक औरत प्रतिज्ञा को खींचती हुई बोली, "तुझ जैसी लड़की को यहां रहने का कोई हक नहीं।"

    और उसने अपने हाथ में लिया हुआ कीचड़ प्रतिज्ञा के मुँह पर लगा दिया।

    दूसरी औरत ने प्रतिज्ञा के बाल पकड़े और उसे झँझोड़ते हुए कहा, "तुझ जैसी लड़की समाज को गंदा करती है। तुझे शर्म नहीं आई, एक भी बार यह करते हुए। कहीं डूब के क्यों नहीं मर गई।"

    दो-तीन औरतें और प्रतिज्ञा को इसी तरीके से बुरी तरह से खींच रही थीं जिससे उसके सूट का गला थोड़ा सा फट गया था और उसका दुपट्टा जमीन में कहीं धूल खा रहा था।

    उन लोगों ने प्रतिज्ञा के बालों को नोच-नोच कर उसके बालों को अस्त-व्यस्त कर दिया और उसके मुँह पर कीचड़ पाट दिया।

    तभी इसी मोहल्ले की दूसरी मंजिल से एक दरवाजा खुलकर शालू बालकनी में आई, और नीचे का नजारा देखकर उसकी आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गईं।

    वह जल्दी से सीढ़ियों से उतरने लगी कि तभी उसकी माँ उसे रोकते हुए बोली, "यहीं रुक जा लड़की। कहाँ जा रही है। उसे बचाने जाएगी तो तू भी इसकी जैसी ही मानी जाएगी।"

    शालू ने अपनी माँ का हाथ झटका और कहा, "एक बेटी की माँ होते हुए भी आप ऐसा सोच सकती हैं। मैंने कभी सोचा नहीं था।"

    वह अपनी माँ को नजरअंदाज करती हुई जल्दी से भागते हुए नीचे गई। वह औरतें प्रतिज्ञा को झँझोड़ रही थीं।

    उन लोगों ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी प्रतिज्ञा को जलील करने की। अब तो मोहल्ले के सारे लोग अपने घर से बाहर आ गए थे। यहाँ तक कि आदमी भी मुंडेर पर खड़े होकर यह तमाशा देख रहे थे।

    शालू जल्दी से उन औरतों को धक्का देती हुई प्रतिज्ञा के पास गई और अपना स्टॉल प्रतिज्ञा को ओढ़ा दिया क्योंकि उन औरतों ने प्रतिज्ञा के कपड़े अस्त-व्यस्त कर दिए थे।

    शालू गुस्से में उन औरतों को देखते हुए बोली, "शर्म आनी चाहिए आपको.. एक औरत होते हुए दूसरी लड़की की इज्जत करना नहीं जानती.."

    एक औरत ने कहा, "अरे! इसकी क्या इज्जत करनी। यह तो अपनी इज्जत लुटा कर आई है।"

    शालू ने गुस्से में उस औरत को घूरते हुए कहा, "अगर इसने अपनी इज्जत लुटवाई है, तो इसमें आपके घर से क्या गया है। इज्जत इसकी थी, सम्मान इसका था, दुख इसे होना चाहिए पर इससे ज्यादा आप लोग समाज के ठेकेदार बने बैठे हैं।"

    वह प्रतिज्ञा को उठाती है। प्रतिज्ञा इस समय अपने आपे में नहीं थी। वह पूरी तरह से बेहाल हो रखी थी। उसका पूरा शरीर सुन्न हो गया था और उन औरतों ने उसे इतना मारा था कि उसके चेहरे में सूजन आ गई थी।

  • 18. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 18

    Words: 1047

    Estimated Reading Time: 7 min

    शालू ने प्रतिज्ञा को धीरे से उसके किराए के कमरे के दरवाजे तक पहुँचाया और दरवाजा खोलकर उसे अंदर बिठा दिया। वह प्रतिज्ञा को पानी दे रही थी कि तभी एक औरत आई और बोली,

    "शालू, इस लड़की से कह दे; जल्दी से कमरा खाली कर दे। अगर यह यहाँ रहेगी तो मेरे यहाँ पर कोई दूसरा किराएदार नहीं आएगा और मेरी बदनामी होगी। लोग मुझे ही कहेंगे कि मैं कोई गलत काम करती हूँ इसलिए इसे बोल कि जल्द से जल्द कमरा खाली कर दे।"

    शालू ने उस औरत को घूर कर देखा और कहा, "हाँ, नहीं रहेगी तुम्हारे कमरे में। यह कमरा अपने साथ बाँधकर ऊपर ले जाना। अब निकलो यहां से।"

    वह औरत दनदनाती हुई कमरे से बाहर चली गई। शालू ने सबसे पहले दरवाजा लगाया और फिर प्रतिज्ञा के पास बैठकर एक गीले कपड़े से उसका चेहरा साफ किया।

    शालू ने कहा, "प्रतिज्ञा, यह क्या है? तू क्या करके आई है? तुझे पता है ना कि समाज के लोग तुझे जीने नहीं देंगे।"

    प्रतिज्ञा ने अपनी काली आँखों में आँसू लिए शालू को देखा और लाचारी से कहा, "मैंने कुछ भी नहीं किया शालू.. अपने भाई की कसम खाती हूँ, मैंने कुछ भी नहीं किया.. मैंने अग्नि जी से बहुत कहा कि मुझे छोड़ दें, मैं बहुत गरीब लड़की हूँ पर उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी।"

    प्रतिज्ञा का हताश चेहरा और उसकी आँखों के आँसू उसकी सच्चाई बयां कर रहे थे, भले ही किसी को नजर ना आए हों, लेकिन शालू को नजर आ चुके थे।

    प्रतिज्ञा को साफ करके उसे ठीक से कपड़े पहनाकर, शालू ने प्रतिज्ञा को थोड़ी देर आराम करने को कहा और उसके कमरे से बाहर आ गई। लेकिन जैसे ही वह अपने घर की तरफ जा रही थी, सीढ़ियों के पास कुछ समाज के ठेकेदार, समाज को सुधारने का झूठा नाटक करने वाले लोग, यह कह रहे थे कि प्रतिज्ञा अगर यहाँ से नहीं गई तो वह उसके घर को आग लगा देंगे।

    शालू की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। दुनिया इतनी निर्दय कैसे है? फिल्मों में तो बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। नारी सम्मान की, नारी रक्षा की, लेकिन असल जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं होता। एक लड़की के साथ अगर कुछ गलती होती है तो दोष उसी को दिया जाता है। कसूरवार उसी को ठहराया जाता है। अगर वह खुद अपनी जान नहीं देती है तो लोग उसे ऐसा करने पर मजबूर कर देते हैं।

    शालू कुछ सोचते हुए अपने कमरे में गई और अपना मोबाइल उठाकर आज की हेडलाइन देखी।

    भले ही अक्षत ने अपने सोर्सेज से इस खबर को वायरल होने से बचा लिया था, लेकिन वह सोशल मीडिया में इस खबर को वायरल होने से नहीं बचा पाया था। जब तक यह न्यूज़ सारे न्यूज़ चैनल और मीडिया से डिलीट होती, उससे पहले ही सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई थी।

    शालू वह वीडियो देख रही थी जहाँ पर साफ-साफ नजर आ रहा था कि कैमरा खुलने के साथ ही किस तरीके से अग्नि ने खुद का चेहरा छुपाने की कोशिश की और प्रतिज्ञा से ऐसे लांछन भरे सवाल पूछे जा रहे थे और कैसे अग्नि वहाँ से बचकर निकल गया। यह सब देखते हुए शालू का दिमाग एकदम गरम हो गया और वह गुस्से में उठी और उसने सोचा कि जब यह सब उस अग्नि सभरवाल ने किया तो अकेली प्रतिज्ञा क्यों भुगतेगी, भुगतना तो उसे भी पड़ेगा।

    बस यही सोचते हुए उसने सबसे पहले ड्रॉअर में से ताला लिया और जल्दी से नीचे आई। उसने प्रतिज्ञा के कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर झाँक कर देखा.. प्रतिज्ञा सो रही थी। शायद आज दिन भर के हुए हादसे की वजह से उसे थकान हुई और वह सो गई।

    उसने प्रतिज्ञा के कमरे के दरवाजे को बाहर से कुंडी लगाई और ताला बंद कर दिया। अगर वह ऐसा नहीं करती तो लोग उसके घर में घुस जाते और फिर उसके साथ क्या होता, यह तो शायद भगवान भी नहीं बता सकता था।

    और उसके बाद शालू सीधे अग्नि के म्यूजिक स्टूडियो पहुँच गई।

    फ्लैशबैक एन्ड...

    शालू ने सब बता दिया था कि अग्नि के कमरे से बाहर निकलने के बाद प्रतिज्ञा के साथ क्या-क्या हुआ।

    अक्षत और रोनित को यह जानकर बहुत बुरा लगा कि किसी लड़की के साथ ऐसा दुर्व्यवहार हुआ, लेकिन अग्नि की आत्मग्लानि उसके चेहरे पर नजर आ रही थी। वह इन सब का कसूरवार खुद को मानने लगा था। उसके चेहरे पर इस समय कोई भाव नहीं थे, वह शून्य भाव होकर एकटक जमीन को देख रहा था।

    शालू अग्नि को घूर कर देखती है और एक उंगली दिखाते हुए कहती है, "अगर आज तुम्हारी वजह से प्रतिज्ञा को कुछ भी हुआ तो याद रखना उसकी मौत के जिम्मेदार तुम होगे।" और ऐसा कहते हुए शालू वहाँ से चली जाती है।

    अक्षत जब अग्नि को इस तरीके से शून्य में बैठा देखता है तो वह उसके पास आता है और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहता है, "मैं पुलिस को इन्फॉर्म करूँगा, वह उस लड़की की मदद करेंगे।" रोनित भी कहता है, "और मैं एक एनजीओ को जानता हूँ, जो ऐसी लड़कियों की मदद करता है, मैं उन्हें इन्फॉर्म करता हूँ। हम अपनी तरफ से कोशिश करेंगे कि उस लड़की को कुछ ना हो।"

    "और फिर भी उसे कुछ हो गया तो..." अग्नि के यह कहते ही अक्षत और रोनित दोनों हैरान रह जाते हैं। अग्नि उन्हें देखकर अपनी आँखों में आँसू लिए कहता है, "अगर आप लोगों के इतना कुछ करने के बाद भी उस लड़की को कुछ हो गया तो क्या मैं अपने आप को जिंदगी भर माफ कर पाऊँगा? मेरी वजह से एक मासूम लड़की की जिंदगी बर्बाद हो गई। क्या यह जानते हुए मैं सुकून से रह पाऊँगा? मैं नहीं जानता कि गलत क्या है और सही क्या, लेकिन जो गलत हुआ है उसमें ना तो मेरा हाथ है ना ही उस लड़की का, तो फिर क्यों वह अकेली ही इस गलती का बोझ अपने सर पर लेकर घूमे? गलती तो हम दोनों से हुई है ना।"

    अक्षत ने हैरानी से अग्नि को देखकर कहा, "तू करना क्या चाहता है?"

    प्रतिज्ञा अपने घर की एक दीवार से चिपक कर बैठी हुई थी। उसने अपने घुटनों को मोड़कर अपना चेहरा घुटनों में छुपा रखा था और बाहर से आ रही आवाजें उसे काँपने पर मजबूर कर रही थीं।

  • 19. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 19

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    बाहर एक आदमी ने चिल्लाते हुए कहा, "ऐ बदचलन लड़की! सुन ले आखिरी बार, तू अगर यहाँ से नहीं गई तो हम तुझे जलाकर मार देंगे। वैसे भी तुझ जैसी लड़की जीना डिजर्व नहीं करती है।"

    एक दूसरे आदमी ने कहा, "और नहीं तो क्या, इसकी जैसी लड़कियाँ समाज पर कलंक होती हैं। खुद तो गंदा काम करती हैं, साथ में समाज को भी गंदा करती हैं।"

    "ऐ सोनू! जा, जल्दी से मिट्टी का तेल चढ़ा दरवाजे पर, हम भी देखते हैं, यह लड़की दरवाजा कैसे नहीं खोलती है। या तो आज घर के अंदर रहकर मरेगी या घर के बाहर आकर... पर आज इसका मरना तय है।"

    वह लड़का अपने हाथ में केरोसिन की बोतल लेकर प्रतिज्ञा के कमरे की तरफ बढ़ा और उसके घर के दहलीज के आस-पास केरोसिन छिड़क दिया।

    एक आदमी ने एक लकड़ी के डंडे के ऊपर कपड़ा लपेटा और लाइटर से उसमें आग लगा दी। उसने कहा, "आज सबको पता चलेगा कि समाज में गंदगी फैलाने वाली ऐसी लड़कियों को समाज क्या सजा देता है।"

    ऐसा कहते हुए उस आदमी ने उस आग लगे हुए डंडे को प्रतिज्ञा के घर की तरफ फेंक दिया।

    वह डंडा हवा में उड़ता हुआ प्रतिज्ञा के घर के आस-पास फैले केरोसिन की तरफ बढ़ रहा था, पर तभी वह डंडा हवा में रुक गया। सब की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं क्योंकि उसे अग्नि ने अपने हाथों में पकड़ा हुआ था।

    अग्नि को वहाँ देखकर लड़कियों की आँखों में चमक आ गई और साथ में वे हैरान भी हो गईं। अग्नि सभरवाल आज उनके इस मामूली से मोहल्ले में मौजूद था।

    अग्नि गुस्से में सबको घूर रहा था। उसके सामने इस समय 15-20 आदमी खड़े थे। अग्नि ने उन लोगों को गुस्से से घूरते हुए देखा और कहा, "तुम में जो समाज का ठेकेदार है, वह मेरे सामने आकर खड़ा हो जाए। मैं भी देखता हूँ, ऐसा कौन है जो समाज को सुधारने का जिम्मा अपने सर लेता है।"

    अग्नि की गुस्से भरी आवाज सुनकर सब लोग एक दूसरे की शक्ल देखने लगे। अक्षत और रोनित वहाँ पहुँचे। अक्षत के साथ पुलिस और उनके बॉडीगार्ड भी थे। उन्होंने आते ही उस घर को और अग्नि को घेर लिया। सबके हाथों में बंदूकें थीं और सब काफी ट्रेन्ड बॉडीगार्ड नजर आ रहे थे। उन्हें देखकर सब की हवाइयाँ उड़ गईं।

    रोनित के साथ शालू खड़ी थी। अग्नि शालू को देखकर कहा, "दरवाजा खोलो।"

    शालू जल्दी से आगे बढ़ी और कमरे का ताला खोल दिया।

    अग्नि, शालू और रोनित तीनों कमरे के अंदर दाखिल हुए।

    अक्षत गार्डों की सिक्योरिटी के साथ बाहर ही खड़ा था क्योंकि कॉलोनी और मोहल्ले के लोग वहाँ पर गुस्से में हाथों में डंडा और हॉकी स्टिक लिए खड़े थे। वह लोग कुछ कर न पाएँ, इसीलिए अक्षत बॉडीगार्ड्स, पुलिस और सिक्योरिटी के साथ बाहर उन पर नजर रख रहा था।

    अग्नि, रोनित और शालू घर के अंदर पहुँचे और देखा कि प्रतिज्ञा एक दीवार से लगकर घुटनों में अपना मुँह छुपाए रो रही थी। वह डर से थर-थर काँप रही थी। उसका शरीर बुरी तरह से थर्रा रहा था।

    अग्नि को यह देखकर बहुत बुरा लगा। उसने एक मामूली सी वेट्रेस की कैसी हालत कर दी थी...और ये सब उसकी वजह से था।

    शालू जल्दी से प्रतिज्ञा की तरफ बढ़ी। उसने प्रतिज्ञा को सहारा दिया। प्रतिज्ञा अपना सर उठाकर शालू को देखती है और फूट-फूट कर रोते हुए उसके गले लग जाती है। उसका पूरा बदन काँप रहा था। वह बहुत ज्यादा पैनिक करने लगी थी। शालू के गले लगते ही प्रतिज्ञा धीरे-धीरे सुबकते हुए कहती है,

    "शालू, मुझे बचा ले, मुझे मरना नहीं है। लोग मुझे मार देंगे। शालू, मुझे बचा ले..."

    प्रतिज्ञा का इस तरीके से पैनिक होना शालू को बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने भी कस के प्रतिज्ञा को अपने गले लगा लिया।

    रोनित को बहुत बुरा लग रहा था प्रतिज्ञा की हालत देखकर। और अग्नि तो अपनी ही गिल्ट में मरा जा रहा था।

    शालू ने धीरे से प्रतिज्ञा को अलग किया और उसका चेहरा हाथों में लेते हुए कहा, "प्रतिज्ञा, तू क्यों परेशान हो रही है। मैं हूँ ना यहाँ पर। देख, मैं आ गई हूँ ना। अब कोई तुझे कुछ नहीं करेगा। चल, चुप हो जा और देख कौन आया है..."

    शालू के यह कहने पर प्रतिज्ञा अपनी घबराई नजरों से दरवाजे की तरफ मुँह करती है और दरवाजे पर खड़े अग्नि को देखकर उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। वह झटके से खड़ी होती है। उसका शरीर बुरी तरह से डर से काँप रहा था। उसने अपने हाथ जोड़ लिए और गिड़गिड़ाते हुए अग्नि को देखकर कहा, "सर, मुझे मारिएगा मत। मैंने कुछ भी नहीं किया। सर, मैं सच कह रही हूँ, मैंने कुछ भी नहीं किया।"

    प्रतिज्ञा का पूरा चेहरा आँसुओं से लाल हो गया था और भीग गया था। अग्नि को बहुत बुरा लग रहा था। हालांकि इसमें गलती उसकी भी नहीं थी लेकिन उसके सामने खड़ी यह मामूली सी वेट्रेस इसकी भी क्या ही गलती थी।

    अग्नि एक कदम आगे आया और प्रतिज्ञा को देखकर कहा, "घबराओ मत, मैं कुछ नहीं करूँगा... और देखो, जो भी हुआ है वह सब एक हादसा था।"

    प्रतिज्ञा हैरानी से उसकी बातों को सुन रही थी पर उसके मन से घबराहट अभी भी कम नहीं हुई थी।

    तभी उन लोगों को बाहर से मोहल्ले वालों की आवाज आती है जो प्रतिज्ञा को बहुत देर से बाहर बुला रहे थे, "यह लड़की अपने यार के साथ कमरे में ही रंगरेलियां मना रही है। जरा देखो, इस बेशर्म लड़की को होटल के कमरे में मन नहीं भरा तो घर पर भी बुला लिया अपने यार को।"

    अग्नि के कानों में उनकी बातें तीर की तरह चुभ रही थीं। उसने गुस्से से दरवाजे की तरफ देखा। वह जल्दी से आगे बढ़ा और उसने प्रतिज्ञा का हाथ पकड़ लिया। ऐसा होते ही प्रतिज्ञा की साँस अटक गई और उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। अग्नि बिना एक पल गँवाए प्रतिज्ञा को अपने साथ खींचता हुआ घर के बाहर ले आया।

  • 20. अग्नि प्रतिज्ञा - Chapter 20

    Words: 1017

    Estimated Reading Time: 7 min

    अग्नि प्रतिज्ञा को लेकर अपने बॉडीगार्डों के पास आया था। बॉडीगार्डों ने घर को घेर रखा था। अग्नि को बाहर आते देख बॉडीगार्ड और पुलिसवाले और सतर्क हो गए और उन्होंने मोहल्लेवालों को दूर रखने के लिए घेरा और बढ़ा दिया।

    अग्नि अपने बॉडीगार्डों के पास आकर मोहल्ले के लोगों की तरफ देखते हुए बोला, "आप लोगों को शर्म नहीं आती किसी लड़की की इज़्ज़त पर ऐसे कीचड़ उछालते हुए? आपके घर में भी तो बहू-बेटियाँ होंगी, फिर भी आप लोग एक लड़की की इज़्ज़त नहीं कर सकते?"

    तभी एक आदमी आगे बढ़ा और अग्नि को देखकर बोला, "वाह गवैये! वाह! अपना यह भाषण ना तू स्टेज पर खड़े होकर लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए दिया कर, क्योंकि यह दुनिया तेरी भाषण से नहीं चलती है, इज़्ज़तदार लोगों से चलती है। और इस लड़की ने तो अपनी इज़्ज़त कल रात तुझे दे दी... वैसे भी खबरों में सुना है कि आज तेरी शादी है। जा यहाँ से, अपनी शादी मना... इस लड़की के साथ क्या करना है, यह समाज के लोग देख लेंगे।"

    अग्नि उस आदमी को घूर कर देखने लगा और गुस्से में बोला, "तुम जैसे समाज के ठेकेदारों की वजह से लड़कियाँ आज भी सेफ नहीं हैं। तुम जैसे लोगों की वजह से लड़कियाँ आज भी अपने आप को सड़कों पर असुरक्षित महसूस करती हैं... तुम जैसे लोगों की वजह से समाज में आज भी कुप्रथाएँ जिंदा हैं। शर्म आनी चाहिए तुम लोगों को इस समाज का हिस्सा कहने से भी।"

    तभी एक दूसरा आदमी आगे आया और अग्नि को घूरते हुए बोला, "वाह बड़े साहब! बड़े बाप की औलाद, तुम बड़े लोग हो। पैसों के जोर पर तुम एक नहीं 10 लड़कियाँ अपने साथ रात बिताने के लिए रख सकते हो। एक को छोड़ दूसरी को पकड़ा, दूसरी को छोड़ तीसरी को पकड़ा और शादी किसी और से कर रहे हो... और तुम्हें इसकी इतनी परवाह क्यों है? तुमने तो इस्तेमाल कर लिया ना, एक रात ले लिए इसके साथ मज़े। अब इसके साथ कुछ भी हो, वह इसकी किस्मत है। तुम्हें इससे क्या मतलब... कौन सा यह तुम्हारी पत्नी है जो तुम्हें इसके लिए इतनी फिक्र हो रही है..."

    आदमी ने यह बातें बेशर्मी से हँसते हुए कही थीं और उसके साथ खड़े आदमी भी हँसने लगे।

    अग्नि का खून खौल उठा था। वह आगे बढ़कर उस आदमी का गला दबाना चाहता था, लेकिन उसकी बातों में सच्चाई थी... प्रतिज्ञा उसकी कुछ नहीं लगती है। अगर वह प्रतिज्ञा को यहाँ से छोड़कर चला भी जाता है तो यह लोग फिर से उसे परेशान करने आएंगे... आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, वह प्रतिज्ञा का जीना ऐसे ही हराम करते रहेंगे।

    प्रतिज्ञा की आँखों से आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। लोग उसके बारे में इतना गन्दा सोच सकते हैं...

    अग्नि कुछ सोचने लगा। उसके कानों में उन लोगों की हँसी किसी टूटे हुए शीशे के समान चुभ रही थी।

    वह लोग बेशर्मों की तरह हँसते हुए कह रहे थे, "तुमने तो इस्तेमाल कर लिया। अब इसे कोई और भी इस्तेमाल कर लेगा तो तुम्हारा क्या चला जाएगा... वैसे भी तुम लोगों के लिए लड़कियाँ मायने रखती हैं। वह कौन है या फिर कहाँ से आई है, यह कहाँ मायने रखता है? यह कौन सी तुम्हारी पत्नी है जो तुम्हें इसकी इतनी परवाह हो रही है? और वैसे भी जो काम इस लड़की ने किया है ना, अब यह जिंदगी भर किसी की पत्नी नहीं बन सकती है।"

    अग्नि का दिमाग उन लोगों की बातें सुनकर फटता जा रहा था। तभी अचानक अग्नि के पॉकेट में पड़ा उसका फोन वाइब्रेट होने लगा। अग्नि ने अपने एक हाथ से प्रतिज्ञा का हाथ कसकर पकड़ा हुआ था। उसने अपने दूसरे हाथ से अपनी जेब में रखे फोन को निकाला। स्क्रीन पर निशा का नाम फ्लैश हो रहा था। निशा का नाम देखकर अग्नि अचानक होश में आया।

    उसकी आँखों में आँसुओं की परत चढ़ गई और उसने धीरे से निशा के नाम को देखते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने मन में एक आत्मग्लानि के साथ कहा, "आई एम सॉरी निशा! मुझे माफ़ कर दो।" और इसी के साथ अग्नि ने निशा का कॉल काट दिया।

    अग्नि प्रतिज्ञा को खींचते हुए एक तरफ ले गया। बॉडीगार्डों ने अग्नि और प्रतिज्ञा को घेर रखा था और उन मोहल्लेवालों की तरफ़ बंदूकें तान रखी थीं ताकि वे अग्नि को रोक न सकें।

    अक्षत, रोनित, शालू और मोहल्ले के सारे लोग वहाँ खड़े थे। किसी को कुछ समझ में नहीं आया, अगले पल जो हुआ। वो सब हैरान रह गए और अक्षत और रोनित की तो आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।

    अग्नि प्रतिज्ञा को खींचते हुए इस कॉलोनी में बने एक घर के सामने बने छोटे से मंदिर की तरफ़ ले गया। वहाँ पर माता की एक फोटो रखी हुई थी और उनके सामने कुमकुम और सिंदूर रखा हुआ था।

    अगले ही पल अग्नि ने अपनी मुट्ठी में उस सिंदूर को उठाया और प्रतिज्ञा की मांग में भर दिया।

    प्रतिज्ञा का पूरा माथा और पूरा सर सिंदूर से लाल हो गया था। प्रतिज्ञा की आँखें फटी की फटी रह गईं। वह अग्नि को हैरान नज़रों से देख रही थी, पर अग्नि ने अगले ही पल उसका हाथ पकड़ा और वापस उन लोगों की तरफ़ जाकर गुस्से में उन्हें देखते हुए कहा, "हाँ तो, कौन कह रहा था मेरी पत्नी की इज़्ज़त के बारे में? क्या कह रहे थे कि कौन लगती है यह? मेरी बीवी लगती है मेरी।"

    अक्षत और रोनित तो हैरान रह गए थे और शालू... वह तो बेहोश नहीं हुई, लेकिन उसकी हालत भी खराब हो गई थी। वह तीनों भी बहुत चकित होकर अग्नि की इस हरकत को देख रहे थे। प्रतिज्ञा तो कुछ कहने की हालत में ही नहीं थी। उसका दिमाग तो वैसे ही काम नहीं कर रहा था इतने सारे लोगों की जलील बातें सुनकर। लेकिन अग्नि की इस हरकत ने उसके पैरों तले से जमीन खींच ली।