"कुछ रिश्ते किस्मत से नहीं, जुनून से लिखे जाते हैं... और जुनून कभी मासूम नहीं होता।" यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी के अंधेरे कोनों में, आधी रात की खामोशी में, एक कहानी धीरे-धीरे आकार ले रही थी। नायरा बेदी ने कभी सोचा नहीं था कि कोई उसे इतनी शिद्... "कुछ रिश्ते किस्मत से नहीं, जुनून से लिखे जाते हैं... और जुनून कभी मासूम नहीं होता।" यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी के अंधेरे कोनों में, आधी रात की खामोशी में, एक कहानी धीरे-धीरे आकार ले रही थी। नायरा बेदी ने कभी सोचा नहीं था कि कोई उसे इतनी शिद्दत से देख सकता है—जैसे उसकी हर हरकत, हर साँस किसी की नज़रों में क़ैद हो। लेकिन जब से उसने कबीर रायचंद की आँखों में झाँका था, वो उन आँखों के जाल में उलझती चली गई थी। वो प्रोफेसर था—सख्त, रहस्यमयी और अजीब तरह से खतरनाक। वो स्टूडेंट थी—निडर, बेबाक, और उसकी सीमाएँ लांघने के लिए तैयार। लेकिन ये सिर्फ एक नजर का खेल नहीं था। यह जुनून था। यह खतरनाक था। यह गलत था… फिर भी अजीब तरह से सही लगता था। कबीर की दुनिया में नायरा के लिए कोई जगह नहीं थी, फिर भी उसकी मौजूदगी उसे बेकाबू कर रही थी। और नायरा... वो इस खेल से बाहर निकल सकती थी, मगर उसने खुद को रोकने से इंकार कर दिया था। "अगर तुमने अपनी हदें पार कीं, नायरा… तो इस खेल का अंजाम तुम्हारे बस में नहीं रहेगा।" लेकिन हदें पार करने के लिए ही तो वो आई थी.. क्या कभी साथ हो पाएंगे कबीर और नयरा जानने के लिए पढ़ते रहिए " twisted obsession "
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chapter--1 "trapped in his gaze "
रात अपनी चादर फैला चुकी थी। यूनिवर्सिटी कैंपस की स्ट्रीट लाइट्स हल्की रोशनी बिखेर रही थीं, मगर ठंडी हवा में एक अजीब-सा सन्नाटा घुला हुआ था।
नायरा बेदी ने लाइब्रेरी के पुराने भारी दरवाज़े को हल्का सा धक्का दिया। अंदर घुसते ही किताबों की सौंधी महक और गहरा सन्नाटा उसके चारों तरफ फैल गया। वह इस माहौल की आदी थी खासकर रात के इस पहर में।
लेकिन आज कुछ अलग था।
उसके कदम धीमे हो गए, मानो किसी अनदेखे साये ने उसे जकड़ लिया हो। उसके रोंगटे खड़े हो गए। हल्का सा सिर उठाकर उसने चारों तरफ देखा—सिर्फ लंबी बुकशेल्फ़, टेबल पर पड़ी खुली किताबें और कोनों में जल रही हल्की रोशनी। फिर भी, उसे महसूस हुआ कि कोई है। कोई, जो छुपकर उसे देख रहा है।
उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगा।
वह अपने लिए तय की गई टेबल तक पहुँची, बैग रखा और किताब खोल ली। पर ध्यान कहीं और था—एक खास इंसान पर।
कबीर रायचंद।
सख्त। रहस्यमयी। और खतरनाक।
हर स्टूडेंट उनसे डरता था। उनकी उपस्थिति ही इतनी भारी होती थी कि कमज़ोर लोग उनके सामने टिक नहीं पाते थे। और नायरा? वह खुद को उनसे दूर रखने की कोशिश कर रही थी… मगर हर बार नाकाम हो जाती थी।
उनकी निगाहें जैसे किसी के सीने में उतरकर उसकी सच्चाई खींच लाती थीं। और नायरा जानती थी कि वह उससे बच नहीं सकती।
जैसे ही उसने पेज पलटा एक जानी-पहचानी आवाज़ हवा में तैर गई—गहरी, रौबदार और ठंडी।
"इतनी रात गए यहाँ क्या कर रही हो, नायरा?"
उसके हाथ एक पल के लिए जड़ हो गए। दिल की धड़कन एक सेकंड के लिए तेज़ हुई, मगर चेहरे पर उसने कोई भाव नहीं आने दिया।
धीरे से सिर उठाकर देखा—कबीर रायचंद।
वे टेबल के दूसरी तरफ खड़े थे। वही काली शर्ट, जिसकी बाजुएँ हल्की मुड़ी हुई थीं। चेहरे पर वही ठंडापन, और आँखों में कुछ ऐसा जो किसी को भी जकड़ सके।
पर जो चीज़ सबसे ज़्यादा खतरनाक थी, वो थी उसके होंठों पर खेलती हल्की-सी मुस्कान।
नायरा ने अपने अंदर उठते भावों को काबू में रखा।
"पढ़ाई कर रही हूँ, प्रोफेसर," उसने संयत लहजे में कहा।
कबीर ने हल्की, मगर जानलेवा मुस्कान दी। उनकी उँगलियाँ टेबल पर पड़े एक पेन से खेल रही थीं, मगर उनकी निगाहें सिर्फ नायरा पर थीं।
"झूठ मत बोलो। तुम यहाँ इसलिए आई हो क्योंकि तुम मुझे ढूंढ रही हो।"
नायरा के होंठ हल्के से खुले पर उसने खुद को रोक लिया।
"ओह? आप सोचते हैं कि मैं आपको ढूंढ रही थी?" वह आगे झुकी, आँखों में हल्की शरारत थी। "शायद आपको खुद से थोड़ा कम अहमियत देनी चाहिए, प्रोफेसर।"
कबीर ने बिना पलक झपकाए उसे देखा, फिर अपनी किताब टेबल पर रख दी।
धीरे-धीरे, वह उसके और करीब आए।
"शायद तुम्हें खुद को थोड़ा ज्यादा समझना चाहिए, नायरा," उन्होंने हल्की फुसफुसाहट में कहा।
अब वे इतने करीब थे कि उसकी साँसें नायरा के चेहरे से टकरा रही थीं। आँखों में वही पुरानी पकड़, वही रहस्य, वही चेतावनी।
"आप हमेशा मुझे ऐसे देखते हैं," नायरा की आवाज़ धीमी, मगर दृढ़ थी।
कबीर की निगाहें उसके चेहरे पर टिकी रहीं, जैसे वह उसे पूरी तरह पढ़ रहा हों।
"और तुम हमेशा मुझे देखने के लिए बहाने ढूंढती हो," उसकी आवाज़ में एक कच्ची धार थी—एक रहस्यमयी चुनौती।
नायरा ने हल्की हँसी के साथ सिर झुकाया।
"तो मान लीजिए, हम दोनों ही इस खेल का हिस्सा हैं," उसने कहा, उसकी आँखों में सीधे झांकते हुए।
कबीर ने हल्की साँस ली और पलभर के लिए कुछ नहीं कहा। फिर, वह एक कदम पीछे हटा मगर उसकी आँखों में अभी भी कुछ था—एक चेतावनी, या शायद कुछ और।
"ये खेल खतरनाक है, नायरा," कबीर ने ठंडे स्वर में कहा। "और तुम अभी इसके लिए तैयार नहीं हो।"
नायरा ने धीरे से सिर झुका लिया, मगर उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी।
"शायद मैं खतरे को पसंद करने लगी हूँ प्रोफेसर।"
कबीर ने एक गहरी नज़र से उसे देखा, फिर बिना कुछ कहे अपनी किताब उठाई और दरवाजे की तरफ बढ़ गए।
जाते-जाते उसने एक आखिरी बार मुड़कर उसे देखा।
"अगर तुमने अपनी सीमाएँ लांघने की कोशिश की, नायरा… तो मैं तुम्हें रोकूंगा। और मैं बहुत बेरहम हो सकता हूँ।"
नायरा ने सिर टेढ़ा किया और उसकी आँखों में झाँका।
"तो देखते हैं, कबीर रायचंद… कौन पहले हार मानता है।"
दरवाज़ा धीरे से बंद हुआ, और कमरे में एक अजीब-सी गर्माहट रह गई।
क्या मोड़ लेगी इनकी ये टकरार?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "twisted obsession"
chapter --2 "the unspoken battle"
सर्द हवा की एक तेज़ लहर खिड़की से टकराई, मानो पूरे क्लासरूम में एक अलग तरह की ठंडक घोल दी हो। घड़ी की सुईयाँ अपनी जगह से हिलीं, और ठीक उसी समय, क्लासरूम का दरवाज़ा खुला।
Nyra—अपने सिग्नेचर एटीट्यूड और बेपरवाह चाल के साथ अंदर दाखिल हुई। चेहरे पर हल्की-सी घबराहट थी, लेकिन आंखों में वही चमक थी जो उसे सबसे अलग बनाती थी।
Kabir Raichand—अपनी कुर्सी पर बैठे, ठंडे और बेपरवाह नज़रों से Nyra को अंदर आते देख रहे थे। उनकी भूरी आँखों में एक अजीब-सा सन्नाटा था, लेकिन उनके चेहरे के एक हल्के खिंचाव से ये साफ था कि वो अंदर ही अंदर खौल रहे थे।
"Miss Bedi," Kabir ने बिना कोई इमोशन दिखाए, अपनी घड़ी पर नज़र डाली। "Class शुरू हुए पंद्रह मिनट हो चुके हैं। लेकिन शायद आपको time की value समझने की ज़रूरत नहीं महसूस होती?"
Nyra ने हल्का-सा smirk किया, और अपनी जगह जाकर बैठ गई। "Sir, कुछ ज़रूरी काम था…" उसने जानबूझकर लहज़े में लापरवाही घोल दी। "Aur वैसे भी, आपका lecture इतना interesting होता है कि मैंने सोचा, थोड़ी देर से सुनूंगी, ताकि curiosity बनी रहे।"
Classroom में हल्की-सी हंसी गूंज उठी। लेकिन Kabir के चेहरे पर एक भी शिकन नहीं आई। उनकी आँखें अब Nyra पर टिकी थीं—गहरी, सख्त और analytical।
"Is that so?" उनकी आवाज़ बिल्कुल शांत थी, लेकिन उसके पीछे एक ठंडी धमकी छुपी थी। वो अपनी जगह से उठे, और धीरे-धीरे उसके डेस्क की तरफ बढ़े। पूरे क्लास में सन्नाटा छा गया।
Nyra ने Kabir की नज़रों को नजरअंदाज़ करने की कोशिश की, लेकिन सच कहें तो उसका दिल एक अजीब-सी बेचैनी से धड़कने लगा था।
Kabir ने उसकी डेस्क पर अपनी दोनों हथेलियाँ रखीं और झुकते हुए हल्के से फुसफुसाए, "अगर मेरी class इतनी entertaining लगती है, Miss Bedi, तो शायद मैं आपको special treatment दूँ।"
Nyra ने उसकी आँखों में झाँका। "Special treatment? Wo kya hota hai, Sir?"
Kabir की आँखों में एक अजीब-सी चमक उभरी। वो सीधे खड़े हुए और अपनी आवाज़ को वापस उसी ठंडे authority वाले लहज़े में ढाल लिया। "Since you enjoy my lectures so much, I’ll make sure you don’t miss a second of it." उन्होंने अपनी जेब से एक कागज़ निकाला और उसकी टेबल पर रखा।
"Extra assignment— 5000 words on 'The Psychological Depth of Obsession'." वो हल्के से मुस्कुराए, लेकिन उसमें कोई warmth नहीं थी। "Deliver it by tomorrow morning."
Nyra का चेहरा देखने लायक था। "5000 words? Sir, yeh तो ज़रा ज़्यादा नहीं हो गया?"
Kabir हल्का-सा झुके, और इतनी धीमी आवाज़ में बोले कि सिर्फ Nyra सुन सके— "Jo aadat देर से आने की है, usse तोड़ने के लिए punishments भी thodi extreme honi chahiye, right?"
Nyra ने अपनी frustration को छुपाने के लिए अपनी उँगलियों से टेबल पर हल्के से दबाव डाला। लेकिन उसकी आँखों में जलन थी। ये आदमी हमेशा अपने तरीके से चीज़ों को control करता था।
"Fine," उसने बिना हारे जवाब दिया। "Main likh dungi. Waise bhi, obsession ke baare mein likhna कोई मुश्किल नहीं होगा…" वो उसकी आँखों में देखते हुए हल्के से मुस्कुराई। "Main खुद experience kar chuki hoon, sir."
Kabir की आँखें हल्की-सी संकरी हुईं। ये लड़की हमेशा हर situation को एक जंग बना देती थी। और वो यह भी जानते थे कि वो हार नहीं मानने वाली थी।
"Good," उन्होंने सीधे खड़े होते हुए जवाब दिया। "Then let’s see how well you understand obsession, Miss Bedi."
क्लास खत्म होने के बाद Nyra तेज़ी से अपने नोट्स समेटने लगी। वो Kabir को इग्नोर करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी नज़रें बार-बार उसके एक्स्ट्रा असाइनमेंट पर जा रही थीं। 5000 words? Seriously?
"Miss Bedi."
Kabir की आवाज़ उसके ठीक पीछे से आई। Nyra झटके से मुड़ी और उसे इतनी करीब देखकर उसकी सांस अटक गई। Kabir अपनी बांहें सीने पर मोड़े खड़े थे, उसकी आँखों में वही ठंडा मज़ाक उड़ाने वाला भाव था।
"Jee sir?" उसने अपने एटीट्यूड को बनाये रखते हुए पूछा।
"Don't waste your time glaring at the paper," Kabir ने हल्के से सिर झुकाकर कहा। "You have a long night ahead."
Nyra के होठों पर हल्की-सी मुस्कान आई। "Aapko kaise pata, sir, ki main पूरी रात jaagkar likhne वाली hoon?"
Kabir हल्का-सा झुका और उसकी आँखों में गहराई से देखा। "Because I know you, Nyra," उनकी आवाज़ में एक अजीब-सी certainty थी। "Tum kabhi हार मानने वालों में से नहीं हो। लेकिन याद रखना…" उन्होंने उसकी उंगलियों के पास पड़ी कॉपी पर उंगली से हल्का-सा दस्तक दिया, "ये मेरी क्लास है, और यहाँ गेम के रूल्स मैं बनाता हूँ।"
Nyra ने बिना पीछे हटे उसकी नज़रों में देखा। "Rules तो तोड़ने के लिए बनाए जाते हैं, sir."
Kabir की आँखें हल्की-सी संकरी हुईं। कुछ देर के लिए दोनों के बीच बस सन्नाटा था। एक अजीब-सा खिंचाव, एक अनदेखी जंग।
फिर Kabir ने हल्का-सा सिर झुकाया और मुस्कुराया—वो मुस्कान जो नफरत और चाहत के बीच झूल रही थी।
"Let’s see how far you can go, Miss Bedi."
और फिर वो मुड़कर चले गए, लेकिन Nyra को पता था—ये जंग अभी खत्म नहीं हुई थी। ये तो बस शुरुआत थी।
क्या होगा इनकी इस अनकही जंग का?