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The billionaire's heartbeat

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Navia khan

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इस कहानी का हीरो है नीर और हीरोइन है कबीरा, क्यों रह गया इनका इश्क अधूरा? वो क्यों नहीं हो सका पूरा ? क्या अब होगा इनका इश्क पुरा? या फिर एक बार फिर टूट कर होगा इनका दिल चुरा चुरा? किस हद जायेंगे...

Total Chapters (23)

Page 1 of 2

  • 1. The billionaire's heartbeat , - Chapter 1

    Words: 1402

    Estimated Reading Time: 9 min

    कबीरा आँखें बंद करके गाना गा रही थी। धीरे-धीरे उसने आँखें खोलीं।

    उसे पार्टी हॉल के एंट्रेंस गेट पर काली परछाई दिखाई दी। उस इंसान का चेहरा साफ नहीं दिख रहा था, पर कबीरा ने पहचान लिया था। "क्या यह नीर था? हाँ, हाँ, यह नीर ही था।" नीर के वहाँ होने का अंदाजा होते ही कबीरा के हाथ अपने आप माइक पर कस गए।

    उसके हाथ माइक पर कस गए, और उसने अपने निचले होंठ को ऊपरी होंठ में दबा लिया। उसे अपने दिल में अचानक तेज दर्द हुआ, जिससे उसने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं, और वह अपनी चेयर पर वापस बैठ गई।

    अब उसकी आँखें शून्य में देख रही थीं, जैसे वह अपनी पुरानी यादों में चली गई हो। उसने अपने मन में सोचा, "पाँच साल पहले, हाँ पाँच साल पहले तो मैंने उसे आखिरी बार देखा था। उस समय उसने बहुत ही दिल दुखाने वाली बातें की थीं मेरे साथ, उन बातों को कैसे भूल सकती हूँ मैं? मैं कभी नहीं भूल सकती उन बातों को।"

    ये सब अपने मन में बोलते ही कबीरा अपनी पुरानी यादों में खो गई।

    फ्लैशबैक:

    कबीरा पौधों को पानी दे रही थी, और अपनी आदत के अनुसार पौधों से बातें भी कर रही थी। पूरे गार्डन में कबीरा की आवाज के अलावा बस पेड़ों के पत्तों की हवा से हिलने की आवाज सुनाई दे रही थी। ऐसा लगता था जैसे पेड़ भी अपनी टहनियों को हिलाकर, अपने पत्तों के ज़रिए कबीरा के साथ बात कर रहे हों।

    यह नज़ारा खूबसूरत, किसी पेंटिंग की तरह दिल को लुभाने वाला लग रहा था, कि तभी नीर, नीर ओबेरॉय, जो कबीरा का पति था, गार्डन में आता हुआ दिखाई दिया। नीर के आने पर कबीरा खुश हुई, पर जब उसने उसके चेहरे के भाव पर ध्यान दिया तो वह अंदर तक डर गई, क्योंकि नीर का चेहरा बहुत डार्क और गुस्से से भरा हुआ था।

    कबीरा ने आज से पहले नीर को कभी इतने गुस्से में नहीं देखा था, जब से नीर उससे प्यार करने लगा था। क्योंकि कबीरा की शादी नीर से एक रात की गलती की वजह से हुई थी, पर अब नीर कबीरा से प्यार करने लगा था। नीर कबीरा के पास आया और उसने गुस्से से पूछा,
    "तुमने ऐसा क्यों किया कबीरा? बोलो, जवाब दो?"

    कबीरा को नीर का यह सवाल कुछ समझ नहीं आया। उसने हैरानी से पूछा,
    "क्या किया है मैंने नीर? पहले यह तो बताओ मुझे तुम?"

    कबीरा के ऐसे उल्टे सवाल करने पर नीर को और ज़्यादा गुस्सा आ गया और उसके चेहरे के भाव पहले से भी ज़्यादा डरावने हो गए।

    नीर ने गुस्से में अपने दाँत पीसते हुए कबीरा से कहा,
    "अच्छा, तो तुम्हें नहीं पता मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ? देखो, ज़्यादा मासूम बनने की कोई ज़रूरत नहीं है। मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ पता चल चुका है।"

    जहाँ नीर कबीरा पर गुस्सा कर रहा था, वहीं कबीरा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि नीर किस बारे में बात कर रहा है। वह हैरानी भरी आँखों से नीर की बातों को समझने की कोशिश कर रही थी कि हमेशा शांत रहने वाला नीर क्यों आज उस पर इतना गुस्सा कर रहा है। कबीरा के ऐसे हैरानी भरे चेहरे के भाव देखकर नीर का गुस्सा और बढ़ गया।

    उसने एक झटके से कबीरा का हाथ पकड़ा और उसे गुस्से से खींचता हुआ गार्डन से बंगले के अंदर ले जाने लगा। इस बीच कबीरा नीर से अपना हाथ छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, और कह रही थी,
    "नीर, छोड़ो मुझे! मेरे हाथ में बहुत दर्द हो रहा है नीर! मेरा हाथ छोड़ो! आज तुम्हें हुआ क्या है? किस बात से इतना गुस्सा हो तुम? बोलो नीर! नीर, मेरा हाथ छोड़ो! नीर, मेरा हाथ दर्द कर रहा है! नीर..." पर नीर की पकड़ बहुत मज़बूत थी।

    जिस वजह से कबीरा नीर से अपना हाथ नहीं छुड़ा पा रही थी। पर आज कबीरा के इतना चिल्लाने पर भी नीर को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। नीर की यह हरकत कबीरा के दिल को बहुत दुखा रही थी। नीर सीधा ही कबीरा को बंगले के अंदर अपने कमरे में ले गया,

    और उसने एक झटके से कबीरा को बिस्तर पर फेंक दिया। ऐसे फेंकने से कबीरा की चीख निकल गई। "आह!"

    फिर भी नीर को कबीरा के दर्द से कोई फर्क नहीं पड़ा। फिर नीर ने गुस्से से कहा,
    "तो तुम अपने बारे में मुझसे जानना चाहती हो ना? तो सुनो, मैं तुम्हारी यह इच्छा भी पूरी कर देता हूँ कि मेरे गुस्से की वजह क्या है?" फिर नीर ने गुस्से में कहा,
    "मेरे गुस्से की वजह तुम हो कबीरा, सिर्फ़ तुम!"

    नीर की यह बात सुनकर कबीरा ने हैरानी भरी नज़रों से नीर को देखते हुए पूछा,
    "क्या मैं हूँ तुम्हारे गुस्से की वजह नीर? पर मैं कैसे हो सकती हूँ नीर? मैंने ऐसा क्या किया है जो तुम इतना गुस्सा हो नीर?" फिर कबीरा ने नीर से दूसरा सवाल किया,
    "पर मैंने क्या किया है नीर जो तुम मुझ पर इतना गुस्सा कर रहे हो?"

    "तुम नीहायत घटिया और बेशर्म लड़की हो! तुम दिलप्रीत सिंह के साथ सो गई कबीरा! तुम्हें एक पल के लिए भी शर्म नहीं आई यह सब करते हुए! मैंने तुम्हें क्या सोचा था और तुम क्या निकलीं!" नीर ने गुस्से से कहा।

    नीर की बात सुनकर कबीरा मानो अंदर तक हिल गई, और उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके बारे में यह सब नीर, उसका पति, उसका प्यार बोल रहा था। ये उसके बारे में इतने घटिया शब्द नीर के ही मुँह से निकले थे।

    अगर ये शब्द नीर की जगह कोई और बोलता तो उसे इतना फ़र्क भी नहीं पड़ता, पर नीर के मुँह से निकले ये शब्द कबीरा को खंजर जैसे लग रहे थे। उसके दिल में बहुत तेज दर्द हो रहा था।

    नीर की ऐसी बातें सुनकर कबीरा की आँखों के कोनों से आँसू निकलने लगे और उसे अपने दिल में बहुत तेज दर्द होने लगा। उसने रोते हुए नीर से कहा,
    "नीर, ये तुम कह रहे हो? तुम्हें पता भी है तुम क्या कह रहे हो? सोचो जरा, ध्यान दो अपनी बातों पर।"

    पर अब शायद नीर कबीरा से बात करने के मूड में नहीं था। उसे कबीरा पर बहुत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था, इसलिए उसने कबीरा की बातों पर ध्यान नहीं दिया। और उसने फिर गुस्से से कबीरा की कमीज़ को एक चीर की आवाज़ के साथ फाड़कर उसके बदन से अलग कर दिया।

    जिस वजह से कबीरा की आह निकल रही थी, और उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे। कबीरा नीर से खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, पर कोई फायदा नहीं हो रहा था। नीर कबीरा की एक बात भी नहीं सुन रहा था। फिर नीर ने अपने हाथ कबीरा के अंडरवियर को निकालने के लिए बढ़ा दिए, और फिर यूँ ही धीरे-धीरे नीर ने कबीरा को जबरदस्ती अपना बना लिया।

    क्या नीर कबीरा के साथ आगे बढ़ जाएगा? और अगर हाँ, तो फिर कबीरा का क्या होगा?

    अब आगे यह कहानी क्या मोड़ लेती है? जानने के लिए पढ़ते रहिए "बिलियनेयर'स हार्टबीट"।

    अब आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।

    तब तक के लिए अलविदा।

    नव्या खान

  • 2. The billionaire's heartbeat ,सियाप्पा इश्क का - Chapter 2

    Words: 1067

    Estimated Reading Time: 7 min

    कबीरा गाना गा रही थी। उसे लगा कि हॉल के गेट पर नीर खड़ा है। वह अपनी पुरानी यादों में खो गई और उस दिन के बारे में सोचने लगी जब नीर ने उस पर झूठे इल्ज़ाम लगाकर उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी।

    कबीरा ने खुद को चोट पहुँचाने की कोशिश की, पर नीर ने उसके दोनों हाथ कसकर पकड़ रखे थे। वह ऐसा नहीं कर पाई।

    नीर की नज़र कबीरा के गले के काटे हुए निशान पर पड़ी। उसे लगा कि ये लव बाइट हैं जो कबीरा के बेस्ट फ्रेंड दिलप्रीत सिंह ने दिए होंगे। वह भी कबीरा के गले पर अपने दांतों से काटने लगा। वह इतने जोर से काट रहा था कि कई जगहों से हल्का-हल्का खून भी निकल रहा था।

    कबीरा आहें भर रही थी, और उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे। कबीरा नीर से खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, पर कोई फायदा नहीं हो रहा था। नीर कबीरा की एक बात भी नहीं सुन रहा था। फिर नीर ने अपने हाथ कबीरा के इनरवियर को निकालने के लिए बढ़ा दिए। धीरे-धीरे नीर ने कबीरा को जबरदस्ती अपना बना लिया।

    नीर के ऐसा करने से कबीरा बहुत डर रही थी। उसने अपनी आँखें कसकर बंद कर ली थीं। उसके बंद आँखों से आँसू उसके आँखों के कोनों से निकल रहे थे। पर उसने अब नीर को रोकना बंद कर दिया था। वह बस छत की तरफ देख रही थी, और उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।

    दूसरी तरफ, नीर कबीरा को जबरदस्ती अपना बना रहा था। जब नीर को महसूस हुआ कि कबीरा अब उसे रोकने की कोशिश नहीं कर रही है, जो वह पहले कर रही थी,

    तो नीर ने मन में सोचा, "क्या कबीरा मुझे खुद को सौंपना चाहती है? बिना किसी ना-नुकुर के? इसका मतलब कबीरा को मेरे गुस्से से कोई फर्क नहीं पड़ रहा। इसका मतलब है कि अगर उसने ये सब किया भी, तो मैं कबीरा को कोई बड़ी सजा नहीं दे पाऊँगा। बल्कि इसके उल्ट, ये सब करके मैं खुद को ही सजा दे रहा हूँ।"

    नीर ने ये सब मन में सोचकर अपना चेहरा उठाकर कबीरा के चेहरे को देखा। उसने देखा कि कबीरा ने कसकर अपनी आँखें बंद कर रखी हैं और उसकी आँखों से आँसू निकल रहे हैं।

    अपनी कबीरा, जिससे वह खुद से भी ज़्यादा प्यार करता था, की आँखों में आँसू देखकर नीर के दिल में एक टीस सी हुई और उसे अपने सीने में एक तेज दर्द सा महसूस हुआ। उसने फिर कबीरा को एक झटके में छोड़ दिया और बेड से उठकर खड़ा हो गया।

    उसने गुस्से में एक जोरदार मुक्का बेड की साइड वाली दीवार पर मार दिया। नीर के इतने जोर से मुक्का मारने से नीर के हाथ से खून की तेज धारा बहकर नीचे फर्श पर गिरने लगी। नीर अपनी आँखें बंद करके अपना गुस्सा कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा। फिर नीर ने अपने कदम कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ा दिए ताकि वह खुद को थोड़ा शांत कर पाए।

    जब कबीरा को ये एहसास हुआ कि उसके साथ कुछ नहीं हो रहा है और उसे अपनी बॉडी पर कोई भार महसूस नहीं हो रहा है, तो उसे नीर के कदमों की आवाज सुनाई दी। इससे पता चल रहा था कि नीर वहाँ से जा रहा है। उसने ये जानने के लिए कि नीर कमरे से चला गया क्या, अपनी आँसू से भरी आँखें खोलीं और उन आँसू से भरी आँखों से नीर को जाते हुए देखने लगी। क्योंकि अब नीर से कुछ भी कहने की कबीरा के अंदर हिम्मत नहीं बची थी। क्योंकि अभी कबीरा के दिल में कभी ना खत्म होने वाला दर्द हो रहा था। कबीरा का यह दर्द कबीरा के शरीर में हो रहे दर्द से कहीं ज्यादा था।

    नीर ने कमरे से जाते हुए भी कबीरा से गुस्से से कहा, "तुम्हारी जैसी बेवकूफ के मैं मुँह नहीं लगना चाहता अब।"

    नीर के मुँह से जैसे-जैसे ये जहर से भी ज़्यादा ज़हरीले शब्द निकल रहे थे, वैसे-वैसे कबीरा को अपने कानों में बहुत तेज दर्द हो रहा था। उसे लग रहा था कि कोई गरम-गरम पिघलता हुआ शीशा उसके कानों में डाल रहा हो।

    तभी नीर ने कबीरा से बिना पीछे मुड़े गुस्से से कहा, "इसलिए ये ही अच्छा है कि तुम अभी के अभी अपना सामान लो और निकल जाओ इस घर से। और आज के बाद आइंदा मुझे अपना चेहरा मत दिखाना। मुझे नफरत है तुम्हारे से और तुम्हारे इस खूबसूरत से चेहरे से।"

    इतना बोलकर नीर बड़े-बड़े कदम लेता हुआ दरवाजे तक आया और उसने जोर से दरवाजा बंद कर दिया। इसी के साथ नीर वहाँ से निकल गया। उसने दरवाजा इतनी जोर से बंद किया था कि उसके बंद होने पर एक धड़ाम की आवाज हुई।

    और फिर बिना कबीरा की जरा भी फ़िक्र किए हुए नीर गुस्से में सीधा ही उस मेंशन से बाहर निकल गया। उसकी कार हवा से बातें करती हुई रोड पर दौड़ने लगी और कुछ ही समय के बाद नीर की कार सीधा ही एक क्लब के बाहर जाकर रुकी।

    आपको क्या लगता है? क्या अब कबीरा अपना घर छोड़कर चली जाएगी? और अगर हाँ, तो कबीरा की ज़िन्दगी क्या मोड़ लेगी?

    अब आगे ये कहानी क्या मोड़ लेती है, जानने के लिए पढ़ते रहिए "Billionaire's Heartbeat"।

    अब आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।

  • 3. The billionaire's heartbeat ,सियाप्पा इश्क का - Chapter 3

    Words: 1159

    Estimated Reading Time: 7 min

    कबीरा को कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। उसके कानों में बार-बार नीर के जहर से भी ज़्यादा जहरीले शब्द गूंज रहे थे, "तुम नीच, घटिया और बेशर्म लड़की हो। तुम दिलप्रीत सिंह के साथ सो गई, कबीरा। तुम्हें एक पल के लिए भी शर्म नहीं आई? मैंने तुम्हें क्या समझा था और तुम क्या निकली!"

    "तुम्हारी जैसी बेवकूफ के मुँह पर मैं नहीं लगना चाहता।" इसलिए यही अच्छा है कि तुम अभी अपना सामान लो और इस घर से निकल जाओ। आज के बाद मुझे अपना चेहरा मत दिखाना, मुझे तुमसे और तुम्हारे इस खूबसूरत चेहरे से नफ़रत है।"

    यह सब सोचते हुए कबीरा उस किंग साइज़ बेड पर बुरी हालत में अकेली लेटी हुई थी। उसकी आँखों में आँसू थे और वह बेजान सी, मुरझाए हुए चेहरे के साथ सीलिंग को देख रही थी।

    लगातार आँसुओं की बूँदें गिर रही थीं, जिससे उसकी आँखें धुंधली हो रही थीं। समय बीतने के साथ-साथ छत भी धुंधली होती हुई नज़र आ रही थी। कबीरा ना जाने कब रोते-रोते गहरी नींद में सो गई थी।

    उसकी नींद शाम के लगभग चार बजे खुली। उसने धीरे-धीरे अपनी नज़रें खोलीं और अपने सामने एक जाना-पहचाना चेहरा पाया। उस इंसान को देखकर कबीरा के चेहरे पर घबराहट और डर साफ़ नज़र आने लगा था। इन दोनों भावों के साथ-साथ कबीरा के चेहरे पर नफ़रत भी थी और उसकी आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गई थीं।

    हाँ, कबीरा के कमरे में नीर आया था। नीर के चेहरे के भाव देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह कबीरा के साथ जो कुछ भी किया था, उसके लिए दोषी हो। उसने माफ़ी माँगते हुए कहा, "आई एम रियली सॉरी कबीरा, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो।"

    कबीरा ने नीर के मुँह से "सॉरी" सुनते ही उसके चेहरे पर हैरानी और थोड़े व्यंग्यपूर्ण भाव आ गए।

    उसने मन में सोचा, "माफ़ी? किस बात की माफ़ी माँग रहा है नीर मुझसे? जो उसने मेरा रेप किया उसके लिए? क्या यह वही नीर है, नीर ओबरॉय, जो मुझसे बहुत प्यार करता था? मेरे से प्यार करने वाला मेरा रेप कैसे कर सकता है? मेरे साथ जबरदस्ती कैसे कर सकता है?"

    यह सब सोचते-सोचते उसके चेहरे पर घृणा, नफ़रत और उदासी के भाव आ गए।

    इतना सब मन में सोचकर कबीरा ने नीर की बातें आगे सुनीं। नीर बोल रहा था, "कबीरा, सुनो तो, मैं सच में बहुत गिल्टी फील कर रहा हूँ।"

    "बस करो नीर, बहुत हो गया तुम्हारा, अब एक और शब्द नहीं।"

    जैसे ही कबीरा गुस्से से बोलती हुई गहरी-गहरी साँस लेने लगी, तभी उसकी नींद खुल गई और वह बेड से उठकर बैठ गई।

    नींद से उठकर उसने पूरे कमरे को अपनी आँखों से घुमाकर देखा। इसी के साथ कबीरा की आँखों में फिर से आँसू आ गए और वह दोबारा रोने लगी।

    उसने उदासी भरी आवाज़ में रोते हुए खुद से कहा, "कबीरा, तू सपना देख रही थी। रियलिटी में वह यहाँ है ही नहीं और ना ही उसे अपनी गलती का पछतावा है कि वह तेरे से कभी माफ़ी मांगे।"

    उसने देखा कि शाम के पाँच बज रहे हैं, पर उसको अभी समय से कुछ लेना-देना नहीं था। उसने अपने कपड़े और ज़रूरी सामान का बैग पैक किया और शाम के पाँच बजे घर से बाहर निकल गई। घर के नौकरों ने कबीरा को रोकने की बहुत कोशिश की, पर कबीरा उनके लाख मनाने पर भी नहीं रुकी।

    पूरी रात भर कबीरा रोते हुए यही सोचती रही थी कि जब नीर को उस पर विश्वास ही नहीं है और वह किसी के भी कहने पर उसे वैसी लड़की समझ सकता है,

    तो उसे नीर के साथ अब और नहीं रहना है। अगर नीर पिछले एक साल में यह भी नहीं जान पाया कि वह कैसी लड़की है तो फिर नीर जिंदगी भर साथ रहने पर भी उसे समझ नहीं पाएगा और उस पर विश्वास नहीं कर पाएगा।

    यह सब सोचकर कबीरा नीर के घर से बाहर निकल गई। रात के दस बजे तक वह बिना कुछ खाए-पिए चंडीगढ़ की सुखना लेक के पास बैठकर रोती रही। उसके आँसुओं की बूँदें उसकी आँखों से निकल-निकलकर उसके गालों से लुढ़क-लुढ़क झील के पानी में गिर रही थीं। अब कबीरा अपनी सूजी हुई आँखों से झील के पानी को देख रही थी।

    आज उसका सब कुछ ख़त्म हो गया था। जिस नीर से वह प्यार करती थी या शादी के बाद करने लगी थी, उसी नीर ने आज अपने शक की वजह से उसे घर से बाहर निकाल दिया था।

    पर फिर भी हिम्मत करके कबीरा खड़ी हुई और अपना बैग लेकर वहाँ से जाने लगी। कुछ दूर जाने पर ही कबीरा का कुछ लड़के पीछा करने लगे। उन लड़कों को देखकर कबीरा ने अपने चलने की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी और वह तेज़ी से चलने लगी।

    पर तभी एक लड़के ने कबीरा के हाथ का बैग पकड़ लिया।

    कबीरा ने उस बैग को और ज़्यादा मज़बूती से पकड़ लिया, पर फिर भी उस लड़के ने देखते ही देखते कबीरा के हाथ से बैग छीन लिया।

    अब क्या होगा कबीरा के साथ इस सुनसान रात में सुनसान सड़क पर? अब आगे यह कहानी क्या मोड़ लेती है? जानने के लिए पढ़ते रहिए "Billionaire's Heart Beat"। अब आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।

  • 4. The billionaire's heartbeat ,सियाप्पा इश्क का - Chapter 4

    Words: 1536

    Estimated Reading Time: 10 min

    कहानी अब तक : रूही नीर की वजह से नीर का घर छोड़ देती है। सुकना लेक के किनारे बैठकर रोती है और रात के दस बजे वहाँ से उठकर चल पड़ती है। तभी कुछ लफंगे लड़के उसका पीछा करने लगते हैं और एक लड़का कबीरा का बैग पकड़कर एक झटके में अपनी तरफ खींच लेता है।


    कहानी अब आगे :

    उस लड़के के इस तरह से एक झटके से बैग खींचने की वजह से कबीरा अपनी पुरानी यादों से बाहर निकल आई और उसका ध्यान टूट गया।

    धीरे-धीरे वह पार्टी में मौजूद लोगों के साथ बात करने लगी।

    फिर वह सब कुछ देर एक-दूसरे से बातें करते रहे और फिर ऐसे ही वह पार्टी खत्म हो गई। नीर कब से हॉल के एंट्रेंस गेट पर खड़े होकर सिगरेट पी रहा था।

    नीर को सिगरेट पीने की आदत पिछले एक साल में ही लगी थी। उससे पहले नीर सिगरेट को छूता भी नहीं था। ये कहते हैं ना कि जब इंसान का दिल टूटता है, तो वह नशा करना शुरू कर देता है। कुछ ऐसा ही हमारे नीर के साथ भी हुआ था। उसने स्मोक एंड ड्रिंक करना शुरू कर दिया था क्योंकि कबीरा के प्यार में पहले उसने सब कुछ छोड़ दिया था, स्मोकिंग और ड्रिंकिंग।

    न जाने कब से नीर पार्टी हॉल के गेट पर खड़ा होकर सिगरेट पर सिगरेट पीए जा रहा था। अब तक उसने सिगरेट की आधी से ज़्यादा डिब्बी खाली कर दी थी। नीर ने जब देखा कि पार्टी खत्म हो गई है,

    तो वह गेट से हटकर पार्किंग एरिया की तरफ चला गया। और रोड के दूसरी तरफ ही उसकी रॉल्स रॉयस कार खड़ी हुई थी। जब ड्राइवर ने नीर को कार की तरफ आते हुए देखा तो उसने जल्दी से कार का दरवाज़ा खोला। नीर उसमें बैठ गया।

    पर कार वहाँ से हिली भी नहीं। जहाँ पर कार पहले खड़ी थी, कार अभी भी वहीं पर ही खड़ी हुई थी। ऐसा लगता था कि ड्राइवर को भी यह पता था कि कार को कब स्टार्ट करना है।

    थोड़ी ही देर में कबीरा भी रोड पर अपनी लेम्बोरगिनी में बैठकर अपने घर के लिए निकल गई।

    और नीर की कार कबीरा की कार का पीछा करने लगी।

    थोड़ी देर बाद कबीरा की कार एक बड़े से बंगले के गेट से होती हुई अंदर चली गई।

    जब नीर ने कबीरा को बंगले के गेट से अंदर जाते हुए देखा, नीर की कार तब तक कबीरा के बंगले के बाहर ही खड़ी रही, जब तक कबीरा के रूम की लाइट ओपन नहीं हो गई।

    तब जाकर नीर ने अपने ड्राइवर को अपने घर चलने का इशारा किया। उसका इशारा पाकर ड्राइवर ने कार नीर के घर की तरफ घुमा ली। ड्राइवर के मन में यह पूछने की बहुत ज़्यादा इच्छा होती थी कि उसके सर मैडम की इतनी फ़िक्र क्यों करते हैं, जब ये मैडम से बात भी नहीं करते।

    आज भी उस ड्राइवर की नीर से यह जानने की इच्छा हुई कि सर आप मैडम की इतनी परवाह क्यों करते हो, पर फिर उसको नीर के कोल्ड एक्सप्रेशन याद आ गए और वह डर गया। इसलिए उसने अपना सिर झटका और इस आइडिया को छोड़ दिया और बस ड्राइव करने पर ही ध्यान देने लगा।

    दूसरी तरफ, नीर के घर पहुँचने से पहले रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई। नीर ने जब बारिश होते हुए देखा तो नीर कार की विंडो से बाहर बारिश को होते हुए देखने लगा, और देखते ही देखते वह जैसे अपनी पुरानी यादों में चला गया।

    फ्लैशबैक : एक ब्लैक कलर की कार नीर के मेंशन के बाहर आकर रुकी। एक सर्वेंट ने दौड़कर जाकर कार का दरवाज़ा खोला, जिसके अंदर से एक मोस्ट हैंडसम बैचलर बाहर निकला।

    यह मोस्ट हैंडसम बैचलर और कोई नहीं बल्कि खुद नीर ओबरॉय था। नीर अपने घर के अंदर जाने लगा, पर तभी बहुत तेज बारिश होने लगी।

    कबीरा ने जब बारिश की बूंदों को अपने ऊपर महसूस किया तो वह बहुत खुश हो गई। और अपना मनपसंद गाना गाते हुए बारिश में भीगने लगी।

    गाना :- छम छम छम,

    जुल्फों से बाँध लिए बादल,

    सीने पर से उड़ने लगा आँचल,

    मुझसे नैना मिला के मौसम होने लगे पागल,

    सबसे होकर बेफ़िक्र मैं नाचूँ आज छम छम छम,

    छम छम छम, छम छम छम
    मैं नाचूँ आज छम छम छम छम छम,

    छम छम छम छम छम छम।

    नीर के कानों में जब एक प्यारी सी लड़की के गाने की आवाज़ पड़ी, तो वह गाने की आवाज़ सुनकर नीर के कदम अपने आप ही गार्डन की तरफ बढ़ गए, क्योंकि नीर को अच्छे से पता था कि इस घर में सिर्फ़ एक ही लड़की है, जो कबीरा है, इसलिए आवाज़ सिर्फ़ और सिर्फ़ कबीरा की ही होगी।

    नीर की नज़र कबीरा पर चली गई। नीर को कबीरा बहुत खूबसूरत लग रही थी। आज उसने पिंक कलर की सलवार के ऊपर स्काई ब्लू कलर की कमीज़ पहनी हुई थी और उसके ऊपर पिंक कलर का दुपट्टा ओढ़ रखा था। नीर को लड़कियों पर सूट सलवार बहुत पसंद था। इसलिए अभी कबीरा बहुत खूबसूरत लग रही थी।

    साथ में कबीरा ने अपने हाथ में मेटल की सिल्वर कलर की चूड़ियाँ पहनी हुई थीं और दूसरे हाथ में वाटरप्रूफ एक पतले से पट्टे की ब्लैक कलर की वॉच पहनी हुई थी। उसने अपने बाल खुले छोड़ रखे थे, और बस मेकअप के नाम पर लिप्स बाम लगाया हुआ था। इसमें भी वह बला की खूबसूरत लग रही थी।

    नीर की नज़र जैसे ही कबीरा पर पड़ी, नीर तो बस कबीरा को ही देखता ही देखता रह गया। वह कबीरा को अपनी बिना पलक झपकाए देख रहा था। वह कबीरा की झील जैसी बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे गुलाबी होंठ, लम्बी गर्दन, पतली सी कमर, ऊपर से कबीरा का दूध जैसा सफ़ेद रंग कहर ढा रहा था।

    नीर तो बस अपने आस-पास का सब कुछ भूलकर बस अपनी साँसें रोक कबीरा को ही एकटक निहारे जा रहा था। उसकी तो साँसें ही रुक गई थीं। पता नहीं क्यों नीर जब भी कबीरा को देखता था, उसकी साँसें ही रुक जाती थीं। उसके साथ ऐसा क्यों होता था? उसको यह नहीं पता था कि यह ही प्यार है। वह अब एक्स-प्रेमी प्रीति से नहीं बल्कि अपनी वाइफ कबीरा से प्यार करने लगा है।


    दूसरी तरफ कबीरा इन सब से बेखबर थी कि नीर उसको देख रहा है। वह बारिश में भीगते हुए अब गाना गाते हुए डांस भी करने लगी। और डांस करते हुए उसने आगे गाया:

    Rain drop bouncing, my heart is announcing,

    You got to take me away, Let's start jumping,

    My heart goes pumping, I love you in every way,

    धड़कनों पर बूंदे जो गिरी, तो नाचूँ आज छम छम छम छम,

    छम छम छम छम छम छम छम, मैं नाचूँ आज छम छम छम, छम छम छम छम छम छम।

    कबीरा जो कब से बेख़बर डांस कर रही थी,

    अब उसने नीर की तरफ को टर्न कर लिया। अभी भी उसने नीर पर ध्यान नहीं दिया और आगे गाना गाते हुए डांस करने लगी।

    गिली हवाएँ झूमती हैं, तन को मेरे चूमती हैं,

    छोड़ के यह शर्म वरम झूमे जिया।

    कुछ भी कहे, कोई भी कहें यहाँ

    मैं तो कभी सुना कहा। दिल ने मेरे जो भी कहा,

    मैंने वह किया। इस पल को आज मैं जी लूँ,

    जो भी होगा, देखा जाएगा कल

    मुझसे नैना मिला के मौसम होने लगे पागल,

    सबसे होकर बेफ़िक्र मैं नाचूँ आज छम छम छम,
    छम छम छम, छम छम छम
    मैं नाचूँ आज छम छम छम छम छम,
    छम छम छम छम छम छम।

    पर तभी डांस करते-करते कबीरा की नज़र दूर खड़े नीर पर चली गई। कबीरा ने जैसे ही नीर को खुद को देखते हुए पाया, तो कबीरा को शर्म आ गई। तो वह डांस करते-करते रुक गई। कुछ पल के लिए वह नीर को ही देखने लगी, और नीर जो कब से कबीरा को देख रहा था।


    कबीरा के नीर को ऐसे देखने से उन दोनों की नज़रें कुछ पल के लिए आपस में मिल गईं, जिससे दोनों का आई कांटेक्ट हो गया। और बेख़याली में ही नीर कबीरा की तरफ बढ़ने लगा। और उसने आगे बढ़कर कबीरा को अपनी बाहों में ले कर कबीरा के कोमल होंठों को किस कर लिया।

    आगे क्या होगा? इसका अंजाम क्या? क्या ये लोग इस रिश्ते से आगे भी बढ़ जाएँगे?

    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।

    नव्या खान

  • 5. The billionaire's heartbeat - Chapter 5

    Words: 1202

    Estimated Reading Time: 8 min

    नीर कबीरा के घर वापस पहुँचने तक उसका पीछा कर रहा था। अपने घर के लिए वह भी निकल गया, उसकी कार चंडीगढ़ की सड़कों पर दौड़ रही थी। रास्ते में बारिश शुरू हो गई और नीर इस बारिश को देखकर अपनी पुरानी यादों में खो गया।


    नीर ने अपने सख्त होठों को कबीरा के मुलायम, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे गुलाबी होंठों पर रख दिए और उसे किस करना शुरू कर दिया।


    कबीरा नीर के इस अचानक किए गए काम से स्तब्ध रह गई थी। उसने कभी नहीं सोचा था कि नीर उसे इस तरह किस करेगा। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। ऐसा लग रहा था मानो उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया हो; वह कुछ सोचने या समझने की स्थिति में नहीं थी।


    कबीरा ने नीर को खुद को किस करते हुए देखा तो आश्चर्य से आँखें बड़ी-बड़ी कर उसे देखती रह गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके सामने नीर ही है, जो उसे किस कर रहा है।


    क्योंकि नीर ने उसे अपने करीब आने से मना किया था, कबीरा हैरान-परेशान थी। तभी नीर ने कबीरा के होठों को काट लिया जिससे कबीरा की एक आह निकल गई।


    कबीरा को समझने का मौका ही नहीं मिला कि क्या हुआ, वह बिना हिले-डुले सीधी खड़ी होकर नीर की बाहों में थी। वह अपने दिमाग में इसी उधेड़बुन में थी कि क्या यह सब सच है या वह कोई सपना देख रही है। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके सामने खुद नीर ही खड़ा है, जो उसे किस कर रहा है।


    लेकिन उसकी सोच के विपरीत, जब नीर ने उसे किस करना शुरू किया तो नीर के होठों के स्पर्श से कबीरा का शरीर ठंडा पड़ गया और उसके शरीर में एक झटका सा लगा। जहाँ थोड़ी देर पहले कबीरा अपने सवालों में उलझी हुई थी, अब उसके सारे सवाल एक पल में गायब हो गए थे।


    नीर का किस धीरे-धीरे गहरा होता जा रहा था। नीर में कुछ ऐसा था कि अब कबीरा चाहकर भी उसे अनदेखा नहीं कर पा रही थी। नीर के हाथों के स्पर्श से ही कबीरा का शरीर प्रतिक्रिया करने लगता था, और नीर तो उसे किस कर ही रहा था, तो ऐसे में कबीरा खुद पर कैसे नियंत्रण रख पाती। इस वजह से नीर के किस करने पर कबीरा अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाई और उसने भी नीर को किस करना शुरू कर दिया।


    अब कबीरा भी नीर के किस में साथ देने लगी थी। नीर ने जब कबीरा को किस का जवाब देते हुए देखा तो उसकी बॉडी ने भी प्रतिक्रिया करना शुरू कर दिया था और वह भी अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पा रहा था। अब वे दोनों एक-दूसरे को पूरी शिद्दत से चूम रहे थे और बारिश का पानी उन्हें भिगो रहा था।


    नीर ने देखा कि कबीरा को साँस लेने में दिक्कत हो रही है, तो उसने कबीरा के मुलायम होंठों को चूमना छोड़ दिया और अपने होंठ कबीरा की गर्दन पर रख दिए और उसे चूमने लगा।


    नीर के होठों का स्पर्श कबीरा को मदहोश कर रहा था और वह चाहकर भी उसे नहीं रोक पा रही थी। वह उसे रोकना चाहती थी, पर उसके मुँह से शब्द नहीं निकल रहे थे।


    नीर ने कबीरा को किस करते-करते बाग के एक पेड़ से सटा दिया था और कबीरा अब नीर और दीवार के बीच में फँस चुकी थी। तभी नीर ने कबीरा की गर्दन चूमना छोड़कर उसे जल्दी से घुमाकर पेड़ से लगा दिया और अब कबीरा की पीठ नीर की तरफ थी। नीर के हाथ कबीरा के पहने हुए सूट की कमीज़ की ज़िप खोलने के लिए बढ़ गए थे।


    नीर के हाथ जैसे ही कमीज़ की ज़िप खोलने के लिए बढ़े, तभी कबीरा अपने होश में वापस आई और एकदम से पलट गई। अब उसका चेहरा नीर की तरफ था। कबीरा के इस अचानक किए गए काम से नीर भी अपने होश में आ गया।


    तभी उन दोनों को समझ में आया कि थोड़ी देर पहले वे क्या कर रहे थे।


    यह सब सच में हो रहा है, यह जानते ही कबीरा की साँसें तेज़ चलने लगीं, उसके दिल की धड़कन बहुत तेज़ हो गई थी।


    अब कबीरा को बहुत शर्म आ रही थी और शर्म से उसने अपना चेहरा नीचे कर लिया था। उसे डर था कि कहीं नीर उसे इस तरह शरमाते हुए न देख ले।


    तभी ड्राइवर ने नीर को आवाज़ दी, "नीर सर, आपका घर आ गया।" ड्राइवर की आवाज़ सुनकर नीर अपनी पुरानी यादों से बाहर आया। नीर के चेहरे पर जो मुस्कान आ गई थी, वह हकीकत का एहसास होते ही गायब हो गई, क्योंकि अब कबीरा उससे दूर हो चुकी थी।


    नीर अपनी कार से बाहर उतरा और लम्बे-लम्बे कदमों से अपने घर के अंदर चला गया। इस समय भी उसका चेहरा भावहीन था, पर अंदर से वह बहुत दुखी और उदास हो गया था।


    ऐसे ही एक हफ़्ता बीत गया। कबीरा अपने नए बिज़नेस पार्टनर के आने का इंतज़ार कर रही थी क्योंकि उसने उस कंपनी के वीपी के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लिया था।


    तभी दरवाज़ा खुला और सामने से जो इंसान आया, उसे देखकर उसकी आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं।


    कौन आया होगा जिससे कबीरा इतनी हैरान हो गई?


    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।

  • 6. The billionaire's heartbeat - Chapter 6

    Words: 1158

    Estimated Reading Time: 7 min

    कबीरा ने एक बिज़नेसमैन के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट किया था। यह कॉन्ट्रैक्ट सीधे बिज़नेसमैन के साथ नहीं, बल्कि उसके एक कर्मचारी के साथ हुआ था। इस वजह से कबीरा उस बिज़नेसमैन से नहीं मिल पाई थी। वह उससे मिलने वाली थी। पर जब कबीरा ने उस बिज़नेसमैन को अपने केबिन में देखा, तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं।


    जैसे ही कबीरा ने उस बिज़नेसमैन को देखा, उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं। यह बिज़नेसमैन और कोई नहीं, बल्कि नीर ओबेरॉय था—उसका एक्स-हसबैंड, जिससे वह बहुत प्यार करती थी।


    कबीरा को यकीन ही नहीं हो रहा था कि नीर उसके सामने खड़ा है। तभी उसे याद आया कि नीर की कंपनी का नाम एम आर कंपनी है, और कबीरा ने अभी निक कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। जिस व्यक्ति के सामने वह खड़ी थी, उसका इंतजार कबीरा बिल्कुल नहीं कर रही थी। यह बात ध्यान में आते ही, कबीरा रूठते हुए नीर से बोली,
    "तुम यहां क्या कर रहे हो? अब कौन सा इल्ज़ाम लगाने आए हो मेरे ऊपर?"


    नीर ने कबीरा की बातें और उसकी रूखी नज़रें देखीं। उसे बहुत बुरा लगा। पर उसने अपने चेहरे के भाव बिल्कुल नहीं बदले। वह बिल्कुल शांति से कबीरा के सामने चेयर पर बैठते हुए बोला,
    "मैं यहां उस कॉन्ट्रैक्ट के सिलसिले में आया हूँ जो आपने मेरी कंपनी के साथ साइन किया था।"


    यह बात सुनकर कबीरा हैरान हो गई। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने नीर की कंपनी के साथ ही कुछ दिन पहले डील साइन की थी। ऐसा कैसे हो सकता था? उसे बहुत अच्छे से याद था कि नीर की कंपनी का नाम एम आर कंपनी था। यह नाम नीर के पिता ने नीर की माँ के नाम पर रखा था। नीर की माँ का नाम रूही था, इसलिए कंपनी का नाम एम आर कंपनी रखा गया था।


    इससे पहले कि कबीरा कुछ सोच पाती, नीर बोला,
    "मिस कबीरा आप..."


    नीर अपने मुँह से एक शब्द और निकाल पाता, इससे पहले ही कबीरा ने तंज भरे लहजे में कहा,
    "सॉरी मिस्टर ओबेरॉय, आप शायद भूल रहे हैं। मेरा पूरा नाम मिस कबीरा कपूर है। आप शायद मेरा सरनेम लगाना भूल गए।"


    नीर ने कबीरा के मुँह से "मिस्टर ओबेरॉय" और "मिस कबीरा कपूर" सुना। उसे तब जाकर एहसास हुआ कि कबीरा अब उसकी वाइफ नहीं रही थी। कबीरा का सरनेम अब उसके पिता का सरनेम था। पहले कबीरा के नाम के पीछे नीर ओबेरॉय लगता था, अब कबीरा कपूर लगने लगा था।


    इस एहसास पर नीर के चेहरे पर हल्की उदासी छा गई। पर फिर उसे याद आया कि वह कबीरा के सामने उसके बिज़नेस पार्टनर के तौर पर बैठा हुआ था। यह एहसास होते ही नीर ने अपने भाव छिपा लिए। कबीरा ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा,
    "मिस्टर ओबेरॉय, आप चाहें तो मुझे मिस कपूर भी बुला सकते हैं।"


    कबीरा की कड़वी बातें सुनकर नीर के दिल में बहुत बुरा लगा, पर वह कुछ कर नहीं सकता था। इसलिए उसने कबीरा की बात मानते हुए कहा,
    "आई एम रियली सॉरी मिस कबी..."


    नीर चुप हो गया और फिर अपनी बात को सही करते हुए बोला,
    "मिस कपूर।"


    नीर के मुँह से "मिस कपूर" सुनकर कबीरा को भी दिल में बहुत बुरा लगा। उसने टेबल के नीचे अपने हाथ की मुट्ठी कसकर बंद कर ली, जिसे नीर देख नहीं सकता था। इतनी जोर से मुट्ठी बंद करने से उसके नाखून उसकी हथेली में चुभने लगे थे। ऐसा लग रहा था जैसे थोड़ी देर और ऐसा रहा, तो उसके हाथ से खून आने लगेगा।


    "मिस कपूर, जब हमारी कंपनियों की बिज़नेस डील हुई थी, तब मैं मीटिंग में नहीं आ पाया था। इस वजह से आप मुझसे उस वक़्त नहीं मिल पाई होंगी। आई एम रियली सॉरी, बट आज आपसे मिलकर मुझे अच्छा लगा।"


    नीर को इतने फॉर्मली बात करते हुए देखकर कबीरा को बहुत बुरा लगा। पर उसे याद आ गया कि उसने ही नीर से फॉर्मली बात करने को कहा था।


    अब वह कुछ नहीं कर सकती थी। पर कबीरा इस बात से भी कंफ़्यूज़ थी कि जब नीर की कंपनी का नाम एम आर कंपनी था, तो निक कंपनी का ओनर नीर कैसे था?


    नीर ने कबीरा को कंफ़्यूज़ देखा। उसे समझ आ गया कि कबीरा क्या सोच रही है। इसलिए उसने बिना सवाल पूछे ही जवाब दिया,
    "मिस कपूर, आप जानती होंगी कि मेरी कंपनी का नाम एम आर कंपनी है, बट मैंने अभी एक और कंपनी स्टार्ट की है। उसका नाम मैंने अलग रखा है क्योंकि मैं उसे अपनी एम आर कंपनी के साथ जोड़ना नहीं चाहता हूँ। आई होप आप मेरी बात समझ रही होंगी।"


    इससे पहले कि नीर कुछ और बोल पाता, कबीरा के केबिन का दरवाज़ा खुला, और अंदर से एक हैंडसम लड़का बिना परमिशन के आ गया। नीर ने उस लड़के का चेहरा देखा, तो उसकी आँखें आग की तरह जल उठीं।


    आपको क्या लगता है, कबीरा के केबिन में बिना परमिशन के कौन सा लड़का आ गया? जिससे नीर को इतना गुस्सा आ गया?

  • 7. The billionaire's heartbeat - Chapter 7

    Words: 1657

    Estimated Reading Time: 10 min

    कबीरा ने नीर की कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। नीर, कबीरा से मिलने, कबीरा की कंपनी आया था और कबीरा के केबिन में मीटिंग में मौजूद था। तभी कोई, बिना परमिशन के, कबीरा के केबिन में आ गया। नीर ने गुस्से से उस आदमी को देखा।


    यह लड़का, जो बिना परमिशन के कबीरा के ऑफिस में आ गया था, कबीरा का बचपन का बेस्ट फ्रेंड दिलप्रीत सिंह था। नीर ने दिलप्रीत की वजह से कबीरा पर शक करके कबीरा से तलाक ले लिया था। अब नीर और कबीरा दूर हो चुके थे।


    नीर ने दिलप्रीत को कबीरा के केबिन में आते देखा, उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं। उसे वह घटना याद आ गई जब उसने पहली बार दिलप्रीत को कबीरा के साथ देखा था।


    उसकी निगाहें शून्य में थीं; वह अपनी पुरानी यादों में खो गया था। दिलप्रीत का कबीरा को गले लगाना, नीर का जलना, फिर कबीरा के साथ रोमांटिक समय बिताना और दिलप्रीत की वजह से उन दोनों का तलाक—सब याद आ गया।


    दिलप्रीत नीर के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गया। नीर अपनी पुरानी यादों की दुनिया से बाहर निकला।


    दिलप्रीत भी नीर को देखकर हैरान था, उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिख रहा था। नीर और दिलप्रीत एक-दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे जन्मों के दुश्मन हों। दिलप्रीत ने तीखी मुस्कान के साथ कहा, "मिस्टर ओबेरॉय, आप यहाँ! व्हाट अ प्लीज़न्ट सरप्राइज!"


    नीर समझ गया कि दिलप्रीत उसे ताना मार रहा है—कि कबीरा अब उसकी पत्नी नहीं रही, और वह भी उसकी ही वजह से।


    नीर के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई। उसने मन ही मन कहा, "कबीरा कल भी मेरी थी, आज भी मेरी है और हमेशा मेरी ही रहेगी।"


    दिलप्रीत भी ध्यान से नीर को देख रहा था, जैसे उसे नीर की बात समझ आ रही हो। उसके चेहरे पर भी एक शैतानी मुस्कान आ गई।


    नीर ने दिलप्रीत के सवाल का जवाब नहीं दिया, वह उसे एकटक देखता रहा।


    नीर और दिलप्रीत मन ही मन बातें कर रहे थे, वहीं कबीरा भी उन्हें ध्यान से देख रही थी।


    नीर और दिलप्रीत को साथ देखकर कबीरा को अजीब सा महसूस हो रहा था। उसे याद था कि नीर दिलप्रीत से कितनी नफरत करता था। उसे नीर और दिलप्रीत का आमने-सामने बैठना सही नहीं लग रहा था।


    उसने स्थिति को हल्का करने के लिए दिलप्रीत से कहा, "दिल, तू अकेला आया है? रमन नहीं आई?"


    दिल ने फर्जी मुस्कान के साथ कहा, "वह आना चाहती थी, पर अचानक काम निकल गया। उसने मुझे तुझे सॉरी बोलने को कहा है।"


    कबीरा ने हँसते हुए कहा, "तो फिर बोल सॉरी, अभी तक किसका इंतज़ार कर रहा है?" दिलप्रीत भी हँसने लगा।


    उस कमरे में, दो आँखें उन्हें हँसते-बात करते देख रही थीं—नीर की आँखें।


    नीर अब उन दोनों को बात करते देख नहीं पा रहा था। उसने हल्के गुस्से में कबीरा से कहा, "यहाँ क्या हो रहा है? मैं बिज़नेस मीटिंग करने आया हूँ, और कोई बिना परमिशन के केबिन में आकर हँस-हँसकर बातें करता है? ये क्या सेंस है? ये ऑफिस है, कॉलेज की कैंटीन नहीं, मिस कपूर। मुझे लगता है आपको इस डील में कोई इंटरेस्ट नहीं है, और शायद आपको अपनी कपूर इंडस्ट्रीज की भी फिक्र नहीं है। आप बिज़नेस मीटिंग के सारे रूल्स भूल चुकी हैं।"


    दिलप्रीत और कबीरा नीर को देखकर दंग रह गए। कबीरा को इस डील में इंटरेस्ट था, ये सौ करोड़ रुपए की डील थी, और उसने पहले ही साइन कर लिया था। वह डील कैंसिल नहीं कर सकती थी, नहीं तो उसे बहुत नुकसान होता। इसलिए उसने नीर पर गुस्सा नहीं किया था। एक समय कपूर इंडस्ट्रीज ओबेरॉय इंडस्ट्रीज जितनी ही बड़ी थी, लेकिन ओबेरॉय इंडस्ट्रीज (एम आर कंपनी) नंबर वन हो गई और कबीरा के माता-पिता के एक्सीडेंट के बाद, कपूर इंडस्ट्रीज की स्थिति कमज़ोर हुई। वह नहीं चाहती थी कि उसकी गलती से उसकी कंपनी की स्थिति और बिगड़े।


    कबीरा ने गहरी सांस लेते हुए शांत स्वर में कहा, "आई एम रियली सॉरी।" इससे पहले कि वह और माफ़ी मांग पाती, दिलप्रीत ने बीच में ही कहा, "आई एम रियली सॉरी मिस कपूर। अगर आपको मेरा आना अच्छा नहीं लगा हो तो मैं माफ़ी मांगता हूँ। मैं जा रहा हूँ, आप अपनी मीटिंग जारी रखिए।"


    कबीरा दिलप्रीत को ध्यान से देख रही थी, जैसे-जैसे वह नीर से माफ़ी मांग रहा था, कबीरा के चेहरे पर उदासी छा गई। नीर ने भी इसे नोटिस कर लिया।


    नीर को कबीरा का उदास चेहरा अच्छा नहीं लग रहा था। उसका गुस्सा बढ़ता जा रहा था। उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि कबीरा किसी और की वजह से उदास हो रही है।


    दिलप्रीत ने माफ़ी मांगी और एक हल्की उदासी भरी मुस्कान के साथ नीर को देखा, फिर कुर्सी से उठकर जल्दी-जल्दी केबिन से बाहर जाने लगा। उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी।


    कबीरा भी दिलप्रीत को रोकने के लिए उठी, तभी नीर ने अपनी कुर्सी घुमाई, कबीरा का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ़ खींच लिया। झटके से खींचे जाने से कबीरा संभल नहीं पाई और नीर की गोद में गिर गई।


    आपको क्या लगता है नीर के धोखे से कबीरा के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के पीछे क्या इरादा है?


    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।

  • 8. The billionaire's heartbeat - Chapter 8

    Words: 1276

    Estimated Reading Time: 8 min

    जैसे ही कबीरा नीर की गोद में जा गिरी, उसकी आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं। वह हैरानी भरी नज़रों से नीर को देखने लगी। कबीरा को इस तरह देखकर नीर के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई। वह कबीरा की आँखों में आँखें डालकर बोला, "तुम्हें बहुत अच्छी तरह से पता है ना, मुझे तुम्हारा तुम्हारे इस दोस्त से मिलना बिल्कुल भी पसंद नहीं है, और तुम फिर भी अपने इस शो-कॉल्ड फ्रेंड से मिलती हो।"

    नीर के ऐसा बोलने पर कबीरा को गुस्सा आ गया। उसने गुस्से से कहा, "तुम कौन होते हो ये डिसाइड करने वाले कि मैं किससे मिल सकती हूँ और किससे नहीं, मिस्टर ओबरोय।"

    कबीरा ने 'मिस्टर ओबरोय' शब्द को ज़्यादा खींचकर बोला था। इससे साफ़ पता चल रहा था कि उसने जानबूझकर नीर को चिढ़ाने के लिए ऐसा किया था।

    कबीरा के ये बोलते ही नीर की आँखें डार्क हो गईं। वह घूर-घूरकर कबीरा को देखने लगा। नीर को कबीरा की बात बिलकुल पसंद नहीं आई थी। उसे कबीरा की बात का बहुत बुरा भी लगा था। गुस्से में उसने कबीरा को जल्दी से गोद में उठाकर अपनी चेयर पर बिठाया और अपने होठ कबीरा के होठों पर रख दिए। वह उसे फ़ोर्सफ़ुल्ली किस करने लगा।

    नीर के खुद को इस तरह किस करने पर कबीरा अपनी जगह पर जम गई, जैसे उसे किसी साँप ने डस लिया हो। उसकी दिल की धड़कनें बुलेट ट्रेन की तरह चल रही थीं। पर नीर अब कबीरा को किस कम और काट ज़्यादा रहा था। कबीरा को बहुत दर्द हो रहा था। वहीं, नीर के बोले गए वो शब्द भी कबीरा को याद आ गए जो जहर से भी ज़्यादा जहरीले थे।

    "तुम नीहायती घटिया और बेशर्म लड़की हो। तुम दिल प्रीत सिंह के साथ सो गई, कबीरा। तुम्हें एक पल के लिए भी शर्म नहीं आई ये सब करते हुए। मैंने तुम्हें क्या सोचा था और तुम क्या निकली।"

    "तुम्हारी जैसी बेवकूफ़ के मैं अब मुँह नहीं लगना चाहता।"

    "इसलिए ये ही अच्छा है कि तुम अभी के अभी अपना सामान लो और निकल जाओ इस घर से। और आज के बाद आइन्दा मुझे अपना चेहरा मत दिखाना। मुझे नफ़रत है तुम्हारे से और तुम्हारे इस खूबसूरत चेहरे से भी।"

    जैसे ही कबीरा को नीर के ये शब्द याद आए, उसकी आँखों से आँसुओं की कुछ बूँदें उसके गालों पर आ गईं और वह रोने लगी। फिर एकदम से कबीरा की आँखों में गुस्से भरी आग जलने लगी। उसने नफ़रत से नीर को देखते हुए एक झटके से उसे धक्का देकर दूर कर दिया। कबीरा के अचानक धक्का देने से नीर गिरने वाला था, पर वक़्त रहते उसने खुद को बचा लिया।

    वह गुस्से से कबीरा के चेहरे की तरफ़ देखने लगा। तभी कबीरा चेयर से खड़ी होकर नीर की तरफ़ अपने कदम बढ़ाते हुए गुस्से से बोली, "जब मैं बेवकूफ़ हूँ और तुम्हें मेरे मुँह लगना भी पसंद नहीं है, तो फिर अब क्यों मेरे मुँह लग रहे हो? जब तुम्हें मेरे इस खूबसूरत चेहरे से नफ़रत है, तो फिर क्यों खुद ही मेरे सामने आकर मेरा चेहरा देख रहे हो? मैं तो इन दो सालों में कभी तुम्हारे सामने नहीं आई। तुम ही अब मेरे सामने इस तरह से धोखे से बिज़नेस डील साइन करके मेरे सामने आए हो। और तुम्हें अब मेरे दिल के साथ मिलने से क्या प्रॉब्लम है जब तुम्हें पहले ही ये लगता है कि मैं बहुत पहले ही दिल के साथ सो चुकी हूँ? मिस्टेक, नीर ओबरोय।"

    जैसे ही कबीरा ने दिल प्रीत सिंह के साथ सोने वाली बात बोली, नीर जोर से चीखते हुए गुस्से से बोला, "कबीरा!"

    नीर के गुस्से को देखकर कबीरा के चेहरे पर एक ईविल स्माइल आ गई। उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "तुम बहुत अच्छी तरह से जानते हो, मुझे आदमियों के टच से एलर्जी होती है। और अगर मैं दिल को टच कर सकती हूँ, बस तुम्हारे अलावा और उसके क़रीब जा सकती हूँ। इस बात से तुम्हें जलन होती है तो मिस्टर नीर ओबरोय, ये बात तुम खुद पर भी इम्प्लीमेंट क्यों नहीं करते कि तुम भी इस दुनिया की हर लड़की के क़रीब जा सकते हो। मैं तो बस एक बॉय के क़रीब जा सकती हूँ, पर तुम तो हर किसी लड़की के क़रीब जा सकते हो।"

    कबीरा के इन शब्दों को सुनकर, नीर ने एक बार फिर गुस्से से कबीरा का नाम लेते हुए कहा, "कबीरा, बस बहुत हो गया।"

    नीर के ऐसे जोर से बोलने पर कबीरा चुप हो गई और व्यंगात्मक भाव के साथ नीर का चेहरा देखने लगी। वह नीर को इस तरह देख रही थी जैसे कह रही हो, "तुमने मेरे बारे में इतना सब कुछ कहा और अब जब मैं तुम्हारे बारे में ऐसी बातें बोल रही हूँ, तो तुम्हारे से खुद के बारे में ये सब सुना नहीं जा रहा है। जब तुमने मुझे इतना बुरा-भला बोला था, तब तुमने ये नहीं सोचा था कि मुझे भी तो इतना ही बुरा लगा होगा। मुझे भी ऐसा ही लगा होगा जैसा कि तुम्हें अभी लग रहा है। तब तुमने मेरी फीलिंग्स की, मेरी बिल्कुल भी फिक्र नहीं की थी। तुमने ये जरा भी नहीं सोचा था कि मुझे भी इतना ही हर्ट हुआ होगा और उस समय मेरा दिल एक मौत की जगह सो मौतें मरा होगा, मरा होगा नहीं, बल्कि अभी भी मरता आ रहा है।"

    कबीरा को खुद को इस तरह देखकर नीर को कबीरा की नज़रें बर्दाश्त नहीं हो रही थीं। गुस्से में वह बड़े-बड़े कदम लेता हुआ केबिन से बाहर चला गया। नीर के केबिन से बाहर जाते ही कबीरा की आँखों में जो आँसू अब तक रुके हुए थे, वे उसके गालों पर आ गए।

    रोते हुए कबीरा के दिल से आवाज़ आई,

    "मेरी आँखों के इन आँसुओं की ये कहानी है,
    किस कदर लूट गए हैं हम, ये इनकी जुबानी है,
    अब तो सारी उम्र इन आँसुओं में ही बितानी है,
    मेरी आँखों में जो ये पानी है,
    मेरे टूटे हुए दिल की कहानी है।

    टूटे हैं इस कदर कि अब जुड़ते ही नहीं,
    मेरी आँखों के ये आँसू अब मिटते ही नहीं,
    वो जो खाता था कसम,
    अपना हाथ मेरे सिर पर रख-रख कर,
    छोड़ूंगा ना तुमको ऐ मेरी जान ए जिगर,
    कोई उसको बता दे जाकर मेरा हाल ए जिगर,
    अब भटकते फिरते हैं हम, सुकून की तलाश में दर-ब-दर।

    सुकून मिलता ही नहीं कहीं, यही तो परेशानी है,
    मेरी आँखों में जो ये पानी है,
    मेरे टूटे हुए दिल की कहानी है।"


    आपको क्या लगता है क्या इन दोनों की ज़िन्दगी कभी खुशहाल हो पाएगी?

    आगे ये कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
    तब तक के लिए अलविदा।

    नव्या खान

  • 9. The billionaire's heartbeat - Chapter 9

    Words: 1117

    Estimated Reading Time: 7 min

    अंदर कबीरा रो रही थी और अपने और नीर के बारे में सोच रही थी। वह बेसुध सी जमीन पर बैठकर रो रही थी और उसकी आँखों से जैसे-जैसे आँसू निकल रहे थे, उसे अपनी और नीर के साथ बिताए हुए पल याद आ रहे थे। और वह बुरी तरह उन यादों को याद करके तड़प रही थी।


    दूसरी तरफ, नीर की आँखों में गुस्से की आग चल रही थी। साथ ही, उसे अपने दिल में बहुत ज़्यादा दर्द भी हो रहा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कबीरा की बातें सीधे जाकर उसके दिल पर किसी तेज धारदार चाकू की तरह लग गई थीं और वह बुरी तरह घायल हो चुका था। उसे अपने दिल में बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था।


    रोते-रोते कबीरा खड़ी हुई और उसने अपने टेबल के ड्रॉअर में से एक फ़ोटो निकाली। वह उस फ़ोटो के शीशे के ऊपर अपने हाथ से सहलाने लगी। यह फ़ोटो और किसी की नहीं, बल्कि नीर की थी। नीर की फ़ोटो को उसने बहुत संभाल कर अपने केबिन के टेबल ड्रॉअर में रखा हुआ था। जब-जब उसे नीर की याद आती थी, तब-तब वह इस फ़ोटो को देखकर रोया करती थी। जब उसे यह एहसास होता था कि वह इस दुनिया में बिल्कुल अकेली है और उसका प्रेम भी उससे अलग हो गया है, तब-तब वह नीर की फ़ोटो को देखकर, नीर की फ़ोटो से घंटों तक बातें करती थी। जैसे कि नीर उसके सामने ही हो और वह नीर से ही बात कर रही हो।


    सही, दूसरी तरफ नीर की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। उसे भी कबीरा के जितना ही दर्द अपने दिल में महसूस हो रहा था, पर वह जानता था कि आज उसके दिल में जो यह दर्द हो रहा है, वह उसका ही दिया हुआ है क्योंकि उसने अपने लिए यह सब दर्द खुद ही चुना था।


    नीर तेज कदमों के साथ चलते हुए कबीरा के ऑफ़िस से बाहर चला गया।


    अब कबीरा के रोने की वजह से, कबीरा के हाथ में पकड़े हुए फ़ोटो फ़्रेम के काँच पर कबीरा के आँसुओं की बूंदें गिरने की वजह से उसका काँच गीला हो गया था। वहीं, अब कबीरा के इतना ज़्यादा रोने की वजह से, कबीरा को नीर की फ़ोटो अब धुंधली होती हुई नज़र आ रही थी और साफ़-साफ़ नहीं दिख रही थी, क्योंकि कबीरा की आँखों में अब हद से ज़्यादा आँसू थे।


    जब नीर अपनी कार में बैठकर अपने ऑफ़िस जा रहा था, तब वह लगातार खिड़की से बाहर देख रहा था। उसके बाहर देखते-देखते ही आसमान में मौजूद बादलों से पानी बरसने लगा था। आसमान की बारिश की बूँदों को बरसते हुए देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि वह भी नीर और कबीरा के साथ रो रहा हो। नीर चाहे खिड़की से बाहर देख रहा हो, पर उसकी नज़रें शून्य में देख रही थीं, जिससे यह पता चल रहा था कि वह भी अपनी और कबीरा की पुरानी यादों में ही डूबा हुआ था और वह अपने होश में नहीं था।


    कबीरा के ऑफ़िस से सीधा ही नीर अपने ऑफ़िस में जाकर उसने अपने सारे स्टाफ़ को एक-एक करके उनके प्रोजेक्ट के बारे में पूछना शुरू कर दिया। आज उसके ऑफ़िस स्टाफ़ में से कोई भी ऐसा नहीं था जो कि उसकी बिना डाँट खाए वहाँ से जा रहा हो। आज का दिन बड़ी मुश्किल से नीर के ऑफ़िस स्टाफ़ के लिए गुज़रा था, पर फिर भी नीर का गुस्सा शांत नहीं हो पा रहा था। उसे रह-रह कर कबीरा के बोले गए शब्द सुनाई दे रहे थे। ये शब्द नीर को अपने कानों में पिघलते हुए शीशे के डालने जैसे दर्द दे रहे थे, जो दर्द समय के साथ और ज़्यादा बढ़ता ही जा रहा था।


    वहीं दूसरी तरफ, आज कबीरा का भी यही हाल था। आज का दिन उसके लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं बीता था। पूरे दिन वह नीर को याद करके रोती रही।


    रात के 10 बजे, ओबेरॉय हाउस में, नीर की कार ओबेरॉय हाउस में इंटर हुई और तभी एक नौकर ने दौड़ कर जाकर नीर की कार का दरवाज़ा खोला। अपनी कार से बाहर निकलकर नीर बड़े-बड़े कदम लेते हुए ओबेरॉय हाउस के अंदर जाने लगा और जैसे ही वह दरवाज़े से अंदर इंटर हुआ, उसे दो लोग हॉल में बैठे हुए नज़र आए। उन दोनों को देखकर नीर के कदम वहीं पर ही रुक गए। यह और कोई नहीं, बल्कि नीर के मॉम-डैड थे – नीर की मॉम, रूही ओबेरॉय और डैड, नील ओबेरॉय। जैसे ही नीर की मॉम ने नीर को घर के अंदर आते हुए देखा, तब वह अपनी सीट से उठकर अपने रूम की तरफ़ चली गई। अपनी मॉम को इस तरीके से हॉल से उठकर जाते हुए देखकर नीर के चेहरे पर एक गहरी उदासी छा गई, और वह उदासी भरी आँखों से अपनी मॉम को वहाँ से जाते हुए देखता रहा। वह जानता था कि उसकी मॉम उससे नाराज़ है, और क्यों नाराज़ है यह भी वह बहुत अच्छी तरह जानता था।


    आपको क्या लगता है नीर की मॉम रूही नीर से क्यों नाराज़ होंगी? आगे यह कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।

  • 10. The billionaire's heartbeat - Chapter 10

    Words: 1164

    Estimated Reading Time: 7 min

    जब से नीर और कबीरा का तलाक हुआ था, तब से नीर की माँ, रूही ने नीर से बात नहीं की थी। वह नीर के कबीरा से तलाक लेने से नाराज़ थी और इस तरह बात न करके अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रही थी। वह तब तक उससे बात नहीं करेगी जब तक वह अपनी बहू को दोबारा घर नहीं लाता और पूरी इज़्ज़त के साथ अपनी पत्नी नहीं बना लेता।

    यह बात नीर अच्छी तरह जानता था। कुछ देर तक वह दरवाज़े पर खड़ा रहा, फिर बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ियों पर कदम बढ़ा दिए। पर जब वह दूसरी सीढ़ी पर पहुँचा, तभी उसके कानों में एक धीमी, मगर गुस्से भरी आवाज़ सुनाई दी।

    "नीर, रुक जाओ, और इधर आओ।"

    इस आवाज़ से साफ़ पता चल रहा था कि बोलने वाला बहुत गुस्से में है। यह आवाज़ नीर के पिता, नील ओबेरॉय की थी। पिता की आवाज़ सुनकर नीर ने खुद को उनके सवालों के लिए तैयार किया और फिर गहरी साँस लेकर मुड़कर उनकी ओर बढ़ गया। जब उसके पिता ने उसे आते हुए देखा, तो उन्होंने कहा,

    "वहीं पर रुक जाओ नीर, क्या तुमने आज फिर से शराब पी हुई है?"

    नीर ने कोई जवाब नहीं दिया। वह खामोशी से वहीं रुक गया जहाँ उसके पिता ने कहा था।

    नील ओबेरॉय ने जब नीर को जवाब देते हुए नहीं देखा, तो उन्होंने आगे कहा,

    "तुम्हारे इस तरह शराब में डूबे रहने से तुम्हारी समस्या हल नहीं होगी नीर। तुम जानते हो तुम क्या कर रहे हो? तुम्हारी समस्या शराब के नशे से दूर नहीं होगी, बल्कि अगर तुम नशे में ना रहो, तो दूर हो सकती है। क्योंकि इस समस्या को तुम खुद ही हल कर सकते हो। तुम यह बात अच्छी तरह जानते हो कि तुम वही गलती कर रहे हो जो सालों पहले मैंने की थी।"

    इतना बोलकर नील ओबेरॉय कुछ देर खामोशी से नीर को देखता रहा, जैसे वह कुछ सोच रहा हो, अपनी ज़िंदगी की बड़ी गलतियों के बारे में। वह जानता था कि ज़िंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं जहाँ इंसान को अपने माता-पिता के अनुभवों की ज़रूरत पड़ती है, ताकि वह उनके बच्चों द्वारा दोहराई जाने वाली गलतियों से बचा सके। आज वही सलाह नील ओबेरॉय अपने बेटे को देने वाला था। उसने गहरी साँस लेकर आगे बोला,

    "हाँ, तुम अब वही गलती कर रहे हो जो सालों पहले मैंने की थी। मैंने भी तुम्हारी माँ पर इसी तरह शक किया था और फिर उन्हें खुद से दूर कर दिया था। पर मैं उनसे दूर होकर भी कभी दूर नहीं हो पाया था। बिल्कुल इसी तरह जैसे तुम अपनी पत्नी कबीरा से दूर होकर भी दूर नहीं हो पाए हो। पर वक़्त रहते मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया था और मैंने अपनी भूल सुधार ली थी। मैं चाहता हूँ कि तुम भी वक़्त रहते अपनी भूल सुधार लो। मैं जानता हूँ कि मैं जो कह रहा हूँ वह तुम्हारे लिए करना आसान नहीं है, पर पति-पत्नी का रिश्ता भरोसे पर कायम होता है, विश्वास पर। तुम्हें भी अपनी पत्नी पर विश्वास करना होगा। मैं जानता हूँ कि तुम अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते हो, पर एक पति-पत्नी का रिश्ता सिर्फ़ प्यार पर ही कायम नहीं होता, बल्कि विश्वास पर भी। जितनी जल्दी तुम्हें यह विश्वास हो जाएगा कि तुम्हारी पत्नी भी सिर्फ़ तुमसे ही सच्चा प्यार करती है, उतनी जल्दी तुम्हारी ज़िंदगी में खुशियाँ वापस आ जाएँगी।"

    इतना बोलकर नील ओबेरॉय कुछ देर खामोश हो गए, जैसे कि वह अपने बेटे को जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा देने जा रहे हों। फिर उन्होंने आगे कहा,

    "तुम अपनी गलती को सुधार लो। क्योंकि ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं है, कब साथ छोड़ दे। इसलिए जिस पल को तुम जीने के सपने देख रहे हो, जिन लम्हों में अपनी खुशियाँ ढूँढ रहे हो, तुम उन पलों को जी लेना चाहिए। और तुम्हारी खुशियाँ तुम्हारे लिए गए फैसलों में ही हैं। और फिर एक मिनट में कुछ नहीं बदलता, पर एक मिनट में लिए गए फैसले पर हमारी पूरी ज़िंदगी बदल जाती है। अब यह तुम्हें डिसाइड करना है कि तुम अपनी लाइफ में कबीरा के साथ खुशियाँ चाहते हो या फिर उदासी, निराशा, दुःख, तकलीफ और तड़प।"

    यह बोलकर नील ओबेरॉय चुप हो गया और अपने बेटे नीर की तरफ देखने लगा। अपने बेटे को कुछ देर उदासी से देखने के बाद नील ओबेरॉय ने अपने कदम अपने कमरे की तरफ बढ़ा दिए।

    नीर ओबेरॉय बिल्कुल शांति से अपना सिर झुकाकर अपने पिता को उनके कमरे की तरफ जाते हुए देखता रहा। फिर नीर ओबेरॉय ने अपने मन में एक गहरी उदासी के साथ कहा,

    "आपने बिल्कुल ठीक बोला डैडी, कि मैं बिल्कुल आपकी ही गलती कर रहा हूँ। जिस तरह से आपने माँ पर शक करके उन्हें खुद से दूर कर दिया था, मैंने भी बिल्कुल उसी तरह से अपनी कबीरा को शक करके खुद से दूर कर दिया है। और जिस तरह से आप माँ से दूर नहीं हो पाए थे, बिल्कुल उसी तरह से मैं भी अपनी कबीरा से दूर नहीं हो पाया हूँ। पर आपकी लव स्टोरी में विलेन कोई और था, उसकी पैदा की गई गलतफहमियों की वजह से आप माँ से दूर हो गए थे। पर मेरी लव स्टोरी में ऐसा कुछ नहीं है। इस स्टोरी का हीरो भी मैं हूँ, विलेन भी मैं हूँ और सारी गलतफहमियाँ भी मेरी ही पैदा की हुई हैं। ये दूरियाँ भी मेरी ही पैदा की हुई हैं। इस स्टोरी में खेल भी मेरा है और मोहरे भी मेरे हैं और हर चाल भी मैं ही चल रहा हूँ।"

    यह बोलकर नीर खुद ही जोर-जोर से हँसने लगा और फिर इसी तरह हँसते-हँसते नीर सीढ़ियाँ चढ़कर अपने कमरे के अंदर चला गया।

    आपको क्या लगता है नीर किस खेल की बात कर रहा है जिसमें वह खुद ही खिलाड़ी है और सारे मोहरे भी उसी के हैं और वही उनकी चाल चल रहा है?

    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।

  • 11. The billionaire's heartbeat - Chapter 11

    Words: 1691

    Estimated Reading Time: 11 min

    एक अंधेरे कमरे में एक व्यक्ति बैठा था। वह लगातार कुछ सोचते हुए अपनी चेयर को आगे-पीछे हिला रहा था। उसके इस हिलने-डुलने से लग रहा था कि वह बहुत गुस्से में है। जोर-जोर से चेयर हिलाते हुए वह कुछ सोचने की कोशिश कर रहा था। यह व्यक्ति और कोई नहीं, दिलप्रीत सिंह था। दिलप्रीत सिंह के चेहरे पर गुस्से भरे भाव थे। हालाँकि, अंधेरे में उसके चेहरे के भाव देखे नहीं जा सकते थे, पर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। तभी उसने गुस्से में अपने मन की बात जोर से बोली,

    "फिर से! फिर से इस नीर ओबेरॉय ने मेरा रास्ता काट दिया! कितनी मेहनत करके मैंने कबीरा को अपने साथ काम करने के लिए मनाया था! पर ज़्यादा प्रॉफिट होने की वजह से कबीरा ने उस नीर ओबेरॉय की कंपनी के साथ कॉन्ट्रेक्ट साइन कर लिया। पहले मुझे लगा कि ये निक कंपनी एक नई कंपनी है, ज़्यादा से ज़्यादा कितनी बड़ी बिज़नेस डील साइन करेगी। पर नीर ने तो पूरी सौ करोड़ की बिज़नेस डील कबीरा के सामने रख ली, और मैं कबीरा के साथ डील साइन नहीं कर पाया। और ये निक कंपनी भी नीर ओबेरॉय की ही कंपनी निकल गई! और एक बार फिर से वह कबीरा की लाइफ में वापस आ गया।"

    इतना बोलकर उसने अपने हाथ में पकड़ा हुआ वाइन का गिलास ज़ोर से फ्लोर पर फेंक मारा। एक तेज आवाज़ के साथ वह गिलास टूटकर चकनाचूर हो गया। पर दिलप्रीत सिंह का गुस्सा कम नहीं हुआ, बल्कि और बढ़ गया। गुस्से में उसने आगे कहा,

    "मैंने लास्ट टाइम उस नीर ओबेरॉय को कबीरा की लाइफ से बाहर निकाल कर फेंका था, और अब एक बार फिर से वह कबीरा की लाइफ में वापस आ गया है! कितनी मुश्किल से मैंने कबीरा और उस नीर ओबेरॉय का तलाक करवाया था! नीर के मन में कबीरा के लिए शक पैदा करके। पर यह नीर मेरा काम पूरा होने से पहले ही उसकी लाइफ में फिर से आ गया! मैंने क्या सोचा था कि एक दिन में कबीरा से शादी कर लूँगा और उसको अपना बना लूँगा। पर कबीरा से शादी करना तो दूर, मैं तो कबीरा के साथ कॉन्ट्रेक्ट भी नहीं कर पा रहा हूँ! यह नीर हर बार आकर मेरा बना हुआ काम खराब कर देता है! लास्ट टाइम, तीन साल पहले, जब मैं कबीरा को इम्प्रेस करने के लिए उससे मिलने गया था, तब भी इसने पता नहीं किस तरह से पहले ही कबीरा से शादी कर ली थी! जबकि उसकी शादी तो उस प्रीति के साथ होने वाली थी! तब भी इसने कबीरा के साथ चुपके से शादी करके मेरा काम बिगाड़ दिया था! और अब जब इतनी मेहनत से मैंने इन दोनों का तलाक करवाया था, अब फिर से यह मेरा बना बनाया काम बिगाड़ने के लिए आ गया है! सोच दिलप्रीत सिंह, सोच! नहीं तो यह नीर ओबेरॉय तेरी खुशियों पर ग्रहण बनकर लगेगा और तेरा सब कुछ बर्बाद कर देगा!"

    यह बोलने के बाद दिलप्रीत सिंह अपनी चेयर से खड़ा हुआ और अपनी चेयर को बैक साइड विंडो की तरफ घुमाकर विंडो के पास चला गया। फिर विंडो से बाहर देखते हुए इधर-उधर घूमने लगा। इधर-उधर घूमते हुए वह कोई अच्छा आईडिया सोचने की कोशिश कर रहा था। ज़्यादा सोचने की वजह से उसके माथे पर नसें उभर आई थीं। तभी उसके दिमाग में एक शरारती आईडिया आया। वह आईडिया सोचकर दिलप्रीत सिंह की आँखों में ऐसी चमक आ गई, जैसे रात में तारे चमक रहे हों। और उसके चेहरे की उदासी एक कुटिल मुस्कान में बदल गई, जैसे कोई चुड़ैल अपने शिकार को देखकर खुश हो रही हो।


    दो दिन बाद

    होटल हेवन में एक शानदार पार्टी रखी गई थी। नीर की निक कंपनी और कबीरा की कपूर इंडस्ट्रीज़ के साथ बिज़नेस डील होने की खुशी में। उस पार्टी में बड़े-बड़े बिज़नेसमैन आए हुए थे। क्योंकि चाहे नीर ओबेरॉय की निक कंपनी एक नई कंपनी थी, पर वह पूरी ओबेरॉय इंडस्ट्रीज़ का ओनर था। और ओबेरॉय इंडस्ट्रीज़ भी उसी की एक कंपनी थी। साथ ही कपूर इंडस्ट्रीज़, चाहे आज नंबर वन पोजीशन पर नहीं थी, पर एक समय पर कपूर इंडस्ट्रीज़ भी नंबर वन पोजीशन पर आने के लिए ओबेरॉय इंडस्ट्रीज़ को पूरी टक्कर दिया करती थी।


    तभी पार्टी हॉल में मौजूद सभी लोगों का ध्यान कबीरा कपूर पर गया। कबीरा कपूर सामने से चलती हुई आ रही थी। उसे देखकर पार्टी में मौजूद सारे लोग उसकी खूबसूरती और स्टाइल देखकर इम्प्रेस हो रहे थे। सब लोगों को यह भी पता था कि कबीरा चाहे नीर ओबेरॉय की एक्स-वाइफ हो, पर कबीरा एक रेपुटेड फैमिली से बिलॉन्ग करती थी। और यह पार्टी भी आज कबीरा की कंपनी के थ्रू ही दी गई थी। कबीरा ने स्काई-ब्लू बैकलेस गाउन के साथ पेंसिल हील्स पहनी हुई थीं और अपने कानों में डायमंड के इयररिंग्स डाले हुए थे। बालों को खुला किया हुआ था। इतने सिम्पल से लुक में भी कबीरा कयामत लग रही थी और कहर ढा रही थी। पार्टी हॉल में मौजूद हर किसी की नज़रें सिर्फ़ कबीरा पर टिकी हुई थीं, चाहे वह लेडीज़ हों या जेंट्स।


    देखते ही देखते कबीरा पूरे पार्टी हॉल में सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन बन गई थी। पर तभी जो नज़रें कबीरा पर टिकी हुई थीं, वे नज़रें अब कबीरा के पीछे देख रही थीं। जब कबीरा को यह एहसास हुआ कि सब लोगों की नज़रें उस पर से हट गई हैं और कहीं और देख रही हैं, तब कबीरा ने भी पीछे मुड़कर देखा। सामने से नीर ओबेरॉय डैशिंग लुक में आ रहा था। जहाँ थोड़ी देर पहले सारे लड़के कबीरा की खूबसूरती में खोए हुए थे और सारी लड़कियाँ कबीरा की खूबसूरती से जल रही थीं, वहीं अब सारी लड़कियाँ नीर के डैशिंग लुक में डूबी हुई थीं और सारे लड़के नीर की हैंडसम पर्सनालिटी को देखकर जल रहे थे।


    सामने से आता हुआ नीर कबीरा को बहुत हैंडसम लग रहा था। नीर को इतने डैशिंग लुक में देखकर कबीरा की साँसें बढ़ गई थीं, और उसकी नज़रें ना चाहकर भी लगातार नीर की आँखों में ही देख रही थीं।


    वही नीर का हाल भी कुछ ऐसा ही था। वह भी बस एकटक कबीरा की आँखों में देख रहा था और उसकी खूबसूरती की दिल ही दिल में तारीफ़ें कर रहा था। पर कबीरा को खुद को इस तरह से देखते हुए देखकर उसके फेस पर एक गहरी स्माइल थी।


    तभी आगे चलकर नीर कबीरा के बिल्कुल साइड में जाकर रुक गया, जहाँ पर कबीरा रुकी हुई थी। कबीरा को अपना हाथ बिल्कुल ऐसे पास किया, जैसे एक पार्टनर अपने पार्टनर को ऑफर करता है। नीर की इस हरकत पर कबीरा की आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं और वह बहुत ध्यान से नीर की आँखों में देखने लगी।


    तभी नीर ने कबीरा के कान में मदहोशी भरी आवाज़ में कहा, "आई नो, मिस कपूर, कि मैं बहुत हैंडसम हूँ, बट अगर तुम्हारा मुझे इसी तरह यहाँ पर खड़े होकर देखने का इरादा है, तो मैं यहाँ पर खड़ा भी रह सकता हूँ, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।" यह बोलकर नीर ओबेरॉय ने कबीरा कपूर की तरफ आँख मार दी।


    नीर ओबेरॉय की आज की इस अजीब सी हरकत देखकर अब कबीरा की आँखें पहले से भी ज़्यादा बड़ी हो गई थीं। पर तभी कबीरा ने नीर की बातों पर ध्यान दिया, तब उसे अपनी स्थिति समझ में आई। जिस वजह से कुछ सोचकर कबीरा को इस तरह से सबके सामने नीर को मना करना ठीक नहीं लगा। जिस वजह से कबीरा ने अपना हाथ नीर के हाथ में डाल दिया और फिर वे दोनों एक साथ बिल्कुल ऐसे आगे बढ़ने लगे, जैसे वे दोनों एक कपल हों। पर यह बात झूठ भी नहीं कही जा सकती थी कि वे दोनों एक कपल नहीं थे। चाहे उनकी शादी अब टूट गई थी, पर वे दोनों थे तो एक कपल ही, बिछड़े हुए कपल, जो आज साथ में बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रहे थे। पूरे पार्टी हॉल में सब की नज़रें उन दोनों पर ही टिकी हुई थीं।


    फिर वे दोनों आगे जाकर खड़े हो गए और तभी पार्टी में मौजूद लोग उनके पास आकर बातें करने लगे, ताकि वे भी वक्त आने पर ओबेरॉय इंडस्ट्रीज़ और कपूर इंडस्ट्रीज़ के साथ कोई बिज़नेस डील साइन कर सकें।


    जहाँ सब लोग पहले एक-दूसरे के साथ बातें कर रहे थे और अपनी दोस्ती बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि इस पार्टी में कुछ लोग तो इसलिए आए हुए थे ताकि उन्हें बड़े-बड़े बिज़नेस इंडस्ट्रीज़ के साथ काम करने का मौका मिल जाए या उनकी कोई बिज़नेस की बात बन जाए, वे ऐसे ही किसी मौके की तलाश में पार्टी में आए हुए थे। पर अब सब की नज़रें नीर और कबीरा पर टिकी हुई थीं और मौका देखकर नीर और कबीरा के साथ बात करना चाहते थे। पर तभी म्यूज़िक स्टार्ट हुआ और नीर ने कबीरा से पूछा, "विल यू डांस विद मी?"


    नीर का अपने साथ डांस के लिए पूछने पर कबीरा एक बार फिर से नीर को अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके हैरानी से देखने लगी। तभी नीर ने कबीरा के बिल्कुल पास जाकर कबीरा के कान में सर्द आवाज़ में कहा, "ऐसे ही मुझे देखती रहोगी तो मेरे साथ डांस कैसे कर पाओगी, मिस कपूर?"


    क्या कबीरा नीर के साथ डांस करेगी?


    दिलप्रीत सिंह के माइंड में क्या शरारती आईडिया की खिचड़ी पक रही है? वह अब क्या चाल चलने वाला है?


    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।


    तब तक के लिए अलविदा।

    नव्या खान

  • 12. The billionaire's heartbeat - Chapter 12

    Words: 1220

    Estimated Reading Time: 8 min

    आज नीर की बातें कबीरा को इतनी ज्यादा हैरान कर रही थीं कि अब कबीरा को ऐसा लग रहा था कि अब नीर की बातें सुनकर उसको चक्कर ही आ जाएगा।

    पर इससे पहले कि कबीरा चक्कर खाकर सच में गिरती, उससे पहले ही नीर ने कबीरा के बिना जवाब दिए ही कबीरा का हाथ खुद ही पकड़ने के लिए आगे बढ़ा दिया। और नीर के आगे बढ़ते हुए हाथ को देखकर अनजान में ही जल्दी से कबीरा ने भी अपना हाथ नीर के हाथ में रख दिया।

    कबीरा के हाथ को अपने हाथ में देखकर नीर के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और फिर वह कबीरा को अपने साथ, उसके हाथ में अपना हाथ डालकर, डांस फ्लोर पर ले गया।

    नीर के साथ जाते हुए धीमी सी आवाज़ में कबीरा ने नीर को रोकने के लिए कुछ बोलने की कोशिश की, पर उसके मुँह से बस खाली नीर का नाम ही निकला।
    "नीर"

    वह नीर को मना नहीं कर पाई क्योंकि वह भी आज भी नीर से ही प्यार करती थी।

    उनके डांस फ्लोर पर जाते ही एक स्पॉट लाइट उन पर लाइट करने लगी और बाकी के पूरे हॉल की लाइट्स बंद हो गई थीं और वहाँ बस अंधेरा था।

    कबीरा बस लगातार नीर की नज़रों में देख रही थी। तभी कबीरा ने एक बार फिर धीमी सी आवाज़ में कहा,
    "नीर"

    तभी सॉन्ग प्ले हुआ। सॉन्ग की लाइनें कुछ इस प्रकार थीं:

    दबी-दबी साँस में सुना था मैंने,
    बोले बिना मेरा नाम आया,
    पलकें झुकीं और उठने लगीं तो,
    हौले से उसका सलाम आया

    सॉन्ग के शुरू होते ही नीर ने कबीरा को अपने साथ डांस करवाना शुरू कर दिया। कबीरा की पूरी बॉडी के मूवमेंट नीर के कंट्रोल में थे और नीर का जैसा दिल कर रहा था, कबीरा की बॉडी उसके अकॉर्डिंग ही डांस कर रही थी।

    हम्म.. दबी-दबी साँस में सुना था मैंने,
    बोले बिना मेरा नाम आया,
    पलकें झुकीं और उठने लगीं तो,
    हौले से उसका सलाम आया

    यहाँ पर नीर और कबीरा के हाथ बिलकुल परफेक्ट डांस स्टेप्स करते हुए मूव हो रहे थे और उनके पैरों की भी ताल से ताल मिल रही थी।

    जब बोले वो, जब बोले, उसकी आँख में रब बोले,
    जब बोले वो, जब बोले, उसकी आँख में रब बोले, पास-पास ही रहना, तुम आँख-आँख में कहना तुम,
    देखा तुम्हें तो आराम आया।

    हाँ, यह सच था कि जब कबीरा ने पूरे दो साल बाद नीर को देखा था, तब उसके दिल को ऐसे आराम मिला था जैसे जंगल में भटकते हुए को कुआँ मिल गया हो और उसकी आँखों को नीर को देखकर ऐसे सकून मिला था जैसे प्यासे ने पानी पीकर अपनी प्यास बुझा ली हो।

    दबी-दबी साँस में सुना था मैंने,
    बोले बिना मेरा नाम आया,
    पलकें झुकीं और उठने लगीं तो,
    हौले से उसका सलाम आया

    रोज़ ही दिल की आग उठा कर हाथ पे ले कर चलना है, तेरे बिना, बिना तेरे बूँद-बूँद अब रात रात भर जलना है,
    तू मिले ना मिले, ये हसीं सिलसिले,
    वक़्त के सख्त हैं अब ये कटते नहीं

    ये लाइनें आते ही कबीरा की नज़रें नीर की आँखों में देख रही थीं और नीर की भी नज़रें भी कबीरा की आँखों में ही देख रही थीं। नीर ने कबीरा को उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में पकड़कर कबीरा को लिफ्ट किया हुआ था। उनकी पोजीशन ऐसी थी कि नीर का सीना कबीरा की पीठ से लगा हुआ था।

    कबीरा की फीलिंग्स बिलकुल इन लाइन्स जैसी थीं। नीर ने कबीरा पर ऐसा इल्ज़ाम लगाया था कि कबीरा को आज भी वह बात बहुत ज्यादा हर्ट करती थी। जहाँ पहले कबीरा हर रात अपने हस्बैंड नीर की बाहों में सकून की नींद सोती थी, वहीं अब कबीरा रात रात भर नीर को याद करके जलती थी और अपनी पुरानी यादों को याद करती थी।


    तेरे बिना साँस भी चलती है,
    तेरे बिना दिल भी धड़कता है,
    याद नहीं था याद आया,

    नीर ने कबीरा को अपने साथ डांस करवाते हुए ऐसी पोजीशन ली कि नीर के सामने कबीरा का सोल्डर आ गया और नीर ने कबीरा के सोल्डर पर एक सॉफ्ट किस किया। नीर के इस एक्शन से कबीरा पूरी तरह से जम गई और उसकी आँखें खुद ब खुद बंद हो गईं और वह नीर के साथ अपनी पुरानी रोमांटिक यादों में चली गई।

    पर फिर वह सब याद कर के कबीरा के चेहरे पर एक कड़वाहट भरी स्माइल आ गई।


    दबी-दबी साँस में सुना था मैंने,
    बोले बिना मेरा नाम आया

    दिन की तरह तुम सर पे आना,
    शाम के जैसे ढलना तुम,

    अब कबीरा नीर के साथ कड़वाहट में डांस कर रही थी। उसका बिलकुल भी डांस करने का मन नहीं था। जिसके कारण अब कबीरा का पूरा ध्यान बस अपनी डांस के स्टेप्स पर ही था और जहाँ पहले कबीरा डांस स्टेप्स पर ध्यान ही नहीं दे रही थी, वहीं अब वह एक-एक स्टेप को परफेक्टली कर रही थी।


    ख्वाब बिछा रखे हैं राह में,
    सोच-समझ कर चलना,
    तुम नींद की छाँव से, तुम दबे पाँव से,
    यूँ गये वो निशाँ अब तो मिटते नहीं

    पर जैसे ही ये लाइन आई, "ख्वाब बिछा रखे हैं राह में, सोच समझ कर चलना तुम," कबीरा ने अपने मन में कड़वाहट भरी आवाज़ में कहा,
    "अब मैं सोच समझ कर ही चलूँगी, क्योंकि तुमने मुझे बेइज़्ज़त कर छोड़ दिया। मेरे मम्मी-पापा तो पहले ही नहीं हैं, वो मुझे छोड़कर भगवान जी के चले गए थे। मैंने तुम्हें अपनी फैमिली समझा और तुम भी मुझे छोड़कर चले गए और अब मैं बिलकुल अकेली हूँ। और नीर, दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है।"

    तेरे लिए चाँद भी रुकता है,
    तेरे लिए ओस ठहरती है,
    याद नहीं था याद आया

    तभी नीर ने अपने मन में कहा,
    "तुम्हें पता है कबीरा, आई मिस यू सो मच। मैंने बस तुमसे प्यार किया है, कल भी, आज भी, आगे भी करूँगा। मैं भी आज भी उसी जगह पर रुका हुआ हूँ जहाँ तुम मेरे घर को छोड़कर गई थीं, मुझे छोड़कर गई थीं।"


    दबी-दबी साँस में सुना था मैंने,
    बोले बिना मेरा नाम आया,
    पलकें झुकीं और उठने लगीं तो,
    हौले से उसका सलाम आया, सलाम आया, सलाम आया, सलाम आया, सलाम आया, सलाम आया, सलाम आया, सलाम आया, सलाम आया

    जैसे ही सॉन्ग ख़त्म हुआ, कबीरा नीर के एक हाथ पर पीछे की तरफ झुक गई। अब नीर ने कबीरा को एक रोमांटिक परफेक्ट पोज़ में संभाला हुआ था।

    पर नीर सॉन्ग ख़त्म होने के बाद भी कबीरा को ऊपर नहीं उठा रहा था, बल्कि वह एकटक कबीरा की आँखों में और कबीरा के होंठों को देख रहा था। कबीरा के होंठों को देखते हुए नीर की साँसें बढ़ गई थीं। कबीरा भी नीर की आँखों में देख रही थी और अपनी आँखों के इशारे से नीर को खुद को खड़ा करने के लिए बोल रही थी। पर नीर की नज़रें बस कबीरा के पिंक लिप्स पर ही टिकी हुई थीं और तभी नीर ने थोड़ा और आँखें झुककर कबीरा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और स्टेज पर ही कबीरा को किस कर लिया।

    अब कबीरा नीर के इस किस का क्या रिएक्ट करेगी?

    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी, तब तक के लिए अलविदा।

    नव्या खान

  • 13. The billionaire's heartbeat - Chapter 13

    Words: 1579

    Estimated Reading Time: 10 min

    नीर के इस तरीके से खुद को किस करने पर कबीरा को बहुत ही ज्यादा ऑकवर्ड फील हो रहा था क्योंकि कबीरा अभी नीर के साथ स्टेज पर थी और स्पॉटलाइट भी उन दोनों पर पड़ रही थी। हालाँकि नीर ने पहले भी कबीरा को बहुत बार किस किया था, पर उस टाइम कबीरा उसकी वाइफ थी, पर अब कबीरा उसकी एक्स वाइफ बन चुकी थी। अब उन दोनों के बीच में हस्बैंड और वाइफ वाला रिलेशनशिप नहीं रह गया था, जिस वजह से कबीरा को अब खुद पर ही शर्म आ रही थी। तभी स्पॉटलाइट बंद हो गई और पूरे हॉल में लाइट ऑन हो गई। जिस वजह से अब कबीरा को पार्टी हॉल में मौजूद सभी लोगों के फेस के एक्सप्रेशन साफ-साफ नजर आ रहे थे। इसीलिए कबीरा नीर की तरफ एक टक देखते हुए जल्दी-जल्दी स्टेज से नीचे उतर कर अपने प्राइवेट रूम की तरफ गई।

    इकरा की बात सुनकर जिया और सना खुश होकर अपनी सेहेली को छोड़ते हुए कहने लगीं,

    "लो आ गई बारात, और बारात लेकर आपके होने वाले मियाँ जी, जिनकी आप बीवी बनने वाली हैं बस कुछ ही समय बाद।"

    जिया और सना की बात सुनकर निहहा शर्माने लगी और शरमाते हुए अपना मांग टीका तो कभी अपना दुपट्टा ठीक करने लगी।

    कबीरा के पीछे-पीछे नीर भी वहाँ से चला गया।

    पार्टी हॉल में एक शख्स ऐसा भी था जो नीर और कबीरा की इस किस को देखकर आग बबूला हो रहा था। उसको देखकर ऐसा लग रहा था कि अगर उसके पास अभी सुपर पावर होती तो वह नीर और कबीरा को अपनी सुपर पावर से अलग-अलग कर देता और नीर को अपने देखने मात्र से ही जलाकर भस्म कर देता। पर अफ़सोस वह अभी उन दोनों को देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकता था।

    जब कबीरा और नीर एक साथ डांस कर रहे थे, उस समय उस शख्स ने अपने दोनों हाथों की मुट्ठी जोर से कस ली थी। जिस वजह से उस शख्स ने अपने राइट हैंड में जो वाइन का कांच का गिलास पकड़ा हुआ था, उसके इतनी जोर से मुट्ठी भींचने की वजह से उसके हाथ में ही टूट गया और उसके हाथ से खून निकल आया।

    यह शख्स और कोई नहीं बल्कि दिलप्रीत सिंह था। दिलप्रीत सिंह कबीरा और नीर को एक साथ देखकर जल रहा था। तभी उसने गुस्से में अपने मन में सोचते हुए कहा,

    "मुझे जल्दी ही कुछ ना कुछ करना होगा नहीं तो यह नीर मेरा जीना मुश्किल कर देगा, मुझे हर हाल में कबीरा चाहिए।"

    यह बोलकर वह जल्दी-जल्दी वहाँ से अपने प्राइवेट रूम की तरफ चला गया।

    कबीरा के प्राइवेट रूम में गुस्से में कबीरा इधर से उधर टहल रही थी। उसकी आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे। उसने यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं की थी कि इस तरीके से सबके सामने नीर उसको किस करके शर्मिंदा करेगा। उसको अपने दिल में एक तेज दर्द महसूस हो रहा था। कबीरा से यह दिल का दर्द अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। साथ ही कबीरा को अभी बहुत ज्यादा गुस्सा भी आ रहा था। अपने इसी गुस्से की वजह से कबीरा ने साइड टेबल पर रखा हुआ वास जल्दी से अपने हाथ से गिरा दिया।

    उसके इस तरीके से गुस्से में वास गिरने की वजह से एक जोर की आवाज के साथ वास टूटकर चकनाचूर हो गया। पर कबीरा को अभी भी सुकून नहीं मिल रहा था। जिस वजह से कबीरा ने पूरे रूम में मौजूद जो चीज रखी हुई थी उठा-उठाकर फ्लोर पर फेंकना शुरू कर दिया। एक-एक कर के उस रूम की सारी चीज टूट रही थी। इसी के साथ कबीरा का पागलपन भी बढ़ता जा रहा था। कभी कबीरा कोई डेकोरेटेड आइटम उठाकर फेंकती तो कभी दीवार पर लगी हुई पेंटिंग्स को गिराती।

    तभी रूम का डोर खोलकर कबीरा के रूम में नीर आ गया। नीर ने जब पूरे रूम को इस तरीके से बिखरे हुए देखा और जगह-जगह पर सामान टूटा हुआ देखा तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं। तभी उसकी नजर कबीरा पर गई जो पूरी ताकत के साथ एक दीवार पर लगी पेंटिंग को जल्दी-जल्दी अपने हाथों से उतरने की कोशिश कर रही थी। पर वह पेंटिंग इतनी मजबूती से उस वॉल पर लगाई गई थी कि कबीरा से उतर ही नहीं रही थी। जिस वजह से वह अपनी पूरी ताकत लगा रही थी। उसकी पूरी ताकत लगाने की वजह से वह जोर-जोर से साँस ले रही थी। उसका दिल भी एक तेज आवाज के साथ जोरों से धड़क रहा था।

    कबीरा को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि वह अभी अपने होश में ही नहीं थी। तभी नीर उसके पास जल्दी-जल्दी चलते हुए कबीरा के पास जाकर कबीरा को उसके दोनों कंधों से जल्दी से अपनी तरफ मोड़ा और कबीरा के दोनों कंधों को अपने हाथों से पकड़कर ही रखा था। पर कबीरा अभी भी बहुत ज्यादा गुस्से में थी। जब कबीरा ने खुद को इस तरीके से नीर के दोनों कंधों से पकड़े हुए देखा तब उसको बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया। जिस वजह से उसने अपने दोनों हाथों से नीर के दोनों हाथों को झटकते हुए कहा,

    "दूर रहो, मुझसे दूर रहो, मुझे टच करने की कोई जरूरत नहीं है। तुम कभी मेरी फीलिंग्स को नहीं समझ सकते, तुम हमेशा मुझे हर्ट करते हो। क्या कहते हो तुम? बोलो कि तुमने मुझसे सच्चा प्यार किया, राइट? क्या इसे ही सच्चा प्यार करना कहते हैं मिस्टर नीर ओबेरॉय? बोलो जवाब दो मुझे, अब तुम्हारी बोलती क्यों बंद है? कुछ बोलते क्यों नहीं? मैं तुमसे ही पूछ रही हूँ नीर ओबेरॉय, क्या इसे ही सच्चा प्यार करना कहते हैं? और क्या इस तरीके से सबके सामने मुझे किस करके तुम यह जता रहे थे कि तुम अभी भी मुझसे प्यार करते हो?"

    कबीरा के सवाल का नीर ने भी तेज आवाज़ में जवाब देते हुए कहा,

    "हाँ मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और इस तरीके से सबके सामने तुम्हें किस करके मैं तुमसे और बाकी के सब लोगों से यही बता रहा था कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। हाँ, इस तरीके से सब लोगों के सामने तुम्हें किस करके मैं सब लोगों को यह बता रहा था कि कबीरा बस मेरी है, कोई उसके पास आने की, उसको टच करने की कोशिश भी ना करे, कोशिश करना तो दूर अपने मन में यह ख्याल भी ना लाए कि वह कभी मेरी कबीरा को अपना बना सकता है। कबीरा मेरी थी, मेरी है और मेरी ही रहेगी।"

    यह बोलते हुए नीर कबीरा के बिल्कुल पास आ गया था और अब उसकी नज़रें कबीरा के गुलाबी होंठों की तरफ देख रही थीं। और वह कबीरा के फेस की तरफ झुकने लगा था। पर इस बार कबीरा बहुत ज्यादा सतर्क थी। वह नीर के हर एक मूवमेंट को देख रही थी। जब कबीरा ने नीर को अपनी तरफ झुकते हुए देखा, तो उसने नीर को एक जोर का धक्का दिया।

    कबीरा के इतने जोरदार धक्के की वजह से नीर कबीरा से कुछ दूरी पर हो गया। तभी कबीरा ने गुस्से से तेज आवाज में चीखते हुए कहा,

    "एक बार बोला ना मैंने कि दूर रहो मुझसे, एक बार में बोली गई बात तुम्हें समझ में नहीं आती, मैं नहीं चाहती अब कि तुम मेरे करीब भी आओ।"

    कुछ देर बाद नीर कबीरा के रूम से गुस्से से बाहर चला गया।

    होटल हेवन के एक प्राइवेट रूम में, एक लड़का और लड़की ड्रिंक की हालत में थे।

    वह लड़का उस लड़की के बहुत ज्यादा करीब था, और वह लड़की उस लड़के और उस दीवार के बीच में फँस गई थी।

    जिसे देखकर वह लड़की अब बहुत डर गई। उस लड़की ने अपनी पूरी कोशिश करके अपनी आँखें खोलकर अपनी डगमगाती हुई आँखों से उस लड़के को देखा क्योंकि ड्रिंक की वजह से उस लड़की की आँखें बार-बार बंद हो रही थीं। उस लड़की के इस तरह से नशीली आँखों से देखने पर उस लड़के ने अपना काबू खो दिया।

    और उस लड़के ने फिर अपने सख्त होंठ उस लड़की के कोमल होंठों पर रख दिए, और फिर धीरे-धीरे वह लड़का उस लड़की के होंठों का रस पीने लगा। और फिर धीरे-धीरे वह लड़का उस लड़की को डीपली किस करने लगा। पर दो ही मिनट में उस लड़की की किस की वजह से साँसें उखड़ने लगीं और उस लड़की को साँस लेने में दिक्कत होने लगी।

    जिस वजह से वह लंबी-लंबी साँसें लेने लगी। उस लड़की की साँसें उखड़ती देखकर, उस लड़के ने उस लड़की के होंठों को छोड़ दिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा।

    और फिर उस लड़की की सिसकियों की आवाजें लगभग दो घंटे तक गुजरती रहीं। और फिर इसी तरह वह दोनों नशे की हालत में एक-दूसरे में खो गए और फिर एक-दूसरे की बाहों में थककर एक सकून की नींद सो गए।

    शायद कल का सूरज बहुत सी जिंदगियों के लिए एक बड़ा तूफान लेकर आने वाला था। और यह जो शांति थी जिसमें यह दोनों शांति से एक-दूसरे की बाहों में सकून से सो रहे थे, शायद यह वही शांति थी जिसको तूफान से पहले की शांति कहते हैं।

  • 14. The billionaire's heartbeat - Chapter 14

    Words: 1379

    Estimated Reading Time: 9 min

    नेक्स्ट मॉर्निंग:

    किसी ने कबीरा के कमरे का दरवाजा खटखटाया। जब कबीरा ने दरवाज़े पर ताले की आवाज़ सुनी, तब वह अलसाई हुई सी अपनी आँखें मसलते हुए उठी और खुद से बात करते हुए बोली, "इतनी सुबह-सुबह मेरे कमरे पर कौन आ गया?" फिर उसने खुद से ही कहा, "कहीं फिर से रात की तरह नीर तो नहीं आ गया। अगर नीर हुआ ना, तो आज फिर मैं उसे छोड़ने वाली नहीं हूँ।"

    यह बोलती हुई कबीरा दरवाजे पर गई और उसने जल्दी से दरवाज़ा खोला क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि दरवाज़े पर नीर के अलावा और कोई हो ही नहीं सकता। ज़रूर दरवाज़े पर नीर ही होगा।

    पर जब उसने दरवाज़े पर खड़े हुए इंसान को देखा, तो उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। क्योंकि यह नीर नहीं, बल्कि दिलप्रीत सिंह था, जिसके चेहरे पर घबराहट साफ़ नज़र आ रही थी। उसके चेहरे को देखकर पता चल रहा था कि उसे बहुत ज़्यादा टेंशन हो रही थी। इस तरह की टेंशन और घबराहट में उसे देखकर कबीरा ने जल्दी से दिलप्रीत सिंह से पूछा, "क्या हुआ दिलप्रीत? तुम इस तरह से परेशान क्यों नज़र आ रहे हो? क्या कोई प्रॉब्लम हो गई है? सब कुछ ठीक तो है ना?"

    कबीरा के इस सवाल पर दिलप्रीत सिंह ने अपनी चिंता भरी आवाज़ में कबीरा से कहा, "नहीं, कुछ भी ठीक नहीं है। और परेशान ना होऊँ तो मैं क्या करूँ कबीरा?"

    दिलप्रीत सिंह की यह बात सुनकर कबीरा ने भी फ़िक्र करते हुए दिलप्रीत सिंह से पूछा, "क्या हुआ दिल? तुम साफ़-साफ़ बताओ मुझे, क्या बात हो गई? तुम क्यों इतने परेशान हो?"

    तभी दिलप्रीत सिंह ने कबीरा से कहा, "कबीरा, कल रात से रमन गायब है। रमन का कुछ पता नहीं चल रहा है कि वह कहाँ पर है?"

    दिलप्रीत सिंह की बात सुनकर कबीरा ने हैरान होते हुए कहा, "क्या? पर कैसे?"

    तभी दिलप्रीत सिंह कबीरा के सवाल का जवाब देते हुए गंभीर भाव के साथ बोला, "कल रात रमन पार्टी हॉल से यह कहकर गई थी कि वह अपने कमरे में जा रही है, उसे अभी रेस्टरूम यूज़ करना है। मैंने सोचा कि ठीक है, हाँ, रमन को रेस्टरूम ही यूज़ करना होगा। पर फिर रमन पार्टी में वापस नहीं आई। मुझे लगा कि वह अपने कमरे में ही सो गई होगी, क्योंकि उस समय तक रात के करीब 11:00 बज चुके थे। पर जब आज सुबह मैं रमन के कमरे में गया तो मुझे वहाँ पर रमन मिली ही नहीं। मैंने होटल के डोर के गार्ड से भी पूछा कि रमन होटल से बाहर तो नहीं गई और उन्होंने साफ़-साफ़ मना कर दिया कि रमन होटल से बाहर नहीं गई है, वह अभी भी होटल में ही मौजूद है। अब मेरे तो समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ? क्या मुझे अब सब कमरे जाकर चेक करने चाहिए कि कहीं किसी और कमरे में तो रमन नहीं चली गई? पर वैसे कैसे किसी के भी कमरे में जा सकती है? तुम ही बताओ कबीरा, मैं क्या करूँ? प्लीज़ हेल्प मी कबीरा?"

    कुछ देर बाद कबीरा ने सीसीटीवी कैमरे में यह चेक करके पता लगा लिया था कि रात में रमन किस कमरे में गई थी और उस कमरे का नंबर क्या था।

    और अब दिलप्रीत सिंह और कबीरा उस कमरे के दरवाज़े पर ही खड़े हुए थे, जिस कमरे में रात रमन गई थी।

    दिलप्रीत सिंह ने चिंता भरे स्वर में कबीरा से कहा, "कबीरा, मुझे रमन की बहुत फ़िक्र हो रही है। एक बार तुम जाकर अंदर चेक करो ना कि रमन ठीक तो है ना अंदर?"

    दिलप्रीत सिंह की रिक्वेस्ट को सुनकर कबीरा ने एक गहरी साँस ली और फिर उसने हिम्मत करके दरवाज़े पर ख़टखटाया, पर अंदर से किसी ने भी दरवाज़ा नहीं खोला। पर कबीरा के इस तरह से दरवाज़ा ख़टख़टाने की वजह से दरवाज़ा, जो लॉक नहीं था, वह हल्का सा खुल गया। जब कबीरा ने दरवाज़ा खुला हुआ देखा, तो वह हिम्मत करके एक नज़र दिलप्रीत सिंह को देखकर कमरे के अंदर चली गई।

    अंदर का नज़ारा देखकर कबीरा की आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं।

    क्योंकि उस कमरे में, सच में, रमन ही सो रही थी। कबीरा को रमन का चेहरा साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था, पर रमन अकेली नहीं सो रही थी, उसके साथ में एक लड़का भी सो रहा था। कबीरा को दूर से उस लड़के का चेहरा नज़र नहीं आ रहा था, पर जब उसने पास जाकर देखा, तो उसकी आँखें लड़के के चेहरे को देखकर बड़ी-बड़ी हो गईं। क्योंकि यह लड़का और कोई नहीं, बल्कि नीर ओबेरॉय था, कबीरा का एक्स-हसबैंड, जो कल रात कबीरा से बार-बार यह बोल रहा था कि वह कबीरा से बहुत प्यार करता है, कबीरा बस उसकी है, वह कबीरा को किसी और के साथ बिल्कुल भी नहीं देख सकता, वह अभी कबीरा की ही नज़रों के सामने उसकी बेस्ट फ़्रेंड रमन के साथ सो रहा था, जो कि दिलप्रीत सिंह की मंगेतर थी।

    कबीरा को अभी बिल्कुल ऐसा फील हो रहा था जैसे उसके बेस्ट फ़्रेंड और उसके दोनों लव पार्टनर्स ने धोखा दे दिया हो। क्योंकि उसे यह बात बहुत अच्छी तरह से पता थी कि दिलप्रीत सिंह भी रमन से बहुत ज़्यादा प्यार करता था। कबीरा की आँखों से ना चाहते हुए भी आँसू निकल रहे थे। वह अपने आँसुओं को रोकने की बहुत कोशिश कर रही थी, पर उसके आँसू रुक ही नहीं रहे थे और रह-रहकर बारिश की बूँद की तरह उसके गालों से लुढ़कते हुए नीचे ज़मीन पर गिर रहे थे। उसे अपने दिल में बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था।

    बैकग्राउंड म्यूजिक:

    जो जगह-जगह दर्द की कहानियाँ सुनाता है,
    ये जो जगह-जगह दर्द की कहानियाँ सुनाता है,
    फ़रेबी है सब झूठ बताता है।

    टोड़ा जायेगा तू भी टोड़ा जायेगा,
    मेरी तरह तू भी छोड़ा जायेगा,
    टोड़ा जायेगा तू भी टोड़ा जायेगा,
    मेरी तरह तू भी छोड़ा जायेगा,
    कितनों के दिल बरबाद करेगा,
    आग लगायेगा,
    तू सच में कितना बेहया है,
    सच ये सामने आयेगा,
    तुने बड़ा सताया है मुझे,
    जा तू भी सताया जायेगा,
    हाय बड़ा रुलाया है मुझे,
    जा तू भी रुलाया जायेगा,
    तुने बड़ा सताया है मुझे,
    जा तू भी सताया जायेगा।

    कबीरा के इतने बुरी तरह से रोने की वजह से नीर की नींद टूट गई और उसने जब इस तरह से कबीरा को रोते हुए देखा, तो बड़ी मासूमियत से, कबीरा की फ़िक्र करते हुए, जैसे उसने तो कुछ किया ही नहीं था, अभी कबीरा किसी और की वजह से रो रही थी, "क्या हुआ कबीरा? तुम ऐसे क्यों रो रही हो?"

    कितनों को सीने से लगाया,
    मेरी तरह साथ सुलाया,
    कितनों को सीने से लगाया,
    मेरी तरह साथ सुलाया,
    आँखों में तेरी पानी नहीं है,
    सबको तुने कितना रुलाया,
    इसे शर्म ना आयेगी ज़रा भी,
    बाज ना आयेगा,
    तू सच में कितना बेहया है,
    सच ये सामने आयेगा,
    हाय बड़ा सताया है मुझे,
    जा तू भी सताया जायेगा,
    जाना बड़ा रुलाया है मुझे,
    जा तू भी रुलाया जायेगा,
    तुने बड़ा सताया है मुझे,
    जा तू भी सताया जायेगा।

    नीर के इस मासूमियत भरे सवाल को सुनकर कबीरा तो मानो जैसे पागल ही हो गई थी और उसे अब चक्कर आने लगे थे। उसका तो अब अपना सिर ही जाकर दीवार में मारने का मन कर रहा था। उसे लग रहा था कि क्या वह ही कोई बेवकूफ़ है जो इस तरह से पागलों की तरह रो रही है? पर इससे पहले कि कबीरा सच में अपना खुद का सिर दीवार में मार लेती, उससे पहले ही दिलप्रीत सिंह भी कमरे के अंदर आ गया।

    और कमरे के अंदर का नज़ारा देखकर उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं।

    आपको क्या लगता है? दिलप्रीत सिंह का नीर और रमन को इस तरह से देखकर क्या रिएक्शन होगा? और नीर और रमन को यह पता चलेगा कि उन्होंने कल रात क्या कांड किया है, तब उन दोनों का क्या रिएक्शन होगा?

    आगे यह कहानी अगले भाग में जारी रहेगी, तब तक के लिए अलविदा।

  • 15. The billionaire's heartbeat - Chapter 15

    Words: 1027

    Estimated Reading Time: 7 min

    दिलप्रीत सिंह के कानों में कबीरा की गुस्से भरी आवाज पड़ी। वह नीर से गुस्से से कह रही थी, "यह तुम मुझसे पूछ रहे हो नीर, कि मैं रो क्यों रही हूँ? पहले तुम अपनी तरफ तो देखो और फिर मेरे से सवाल पूछो।"


    कबीरा की यह बात सुनकर नीर ने अपनी तरफ मुड़कर देखा। उसने पाया कि उसके बिल्कुल बगल में रमन भी सो रही थी। खुद को रमन के साथ इस तरह से सोते हुए देखकर नीर को यह बात समझने में देर नहीं लगी कि सारा माजरा क्या है। क्योंकि उसके साथ ऐसा तीन साल पहले भी हो चुका था। पर उस रात उसकी बाहों में रमन ना होकर कबीरा थी, और बिल्कुल कबीरा की ही तरह उस सुबह प्रीति रो रही थी। जिससे उसकी तब शादी होने वाली थी, पर यह सब होने की वजह से उसकी शादी प्रीति से ना होकर कबीरा से हो गई थी। हालाँकि यह सब साज़िश तब प्रीति ने ही की थी क्योंकि वह नीर से शादी नहीं करना चाहती थी। वह किसी और लड़के को पसंद करती थी। इसलिए अपनी शादी को तुड़वाने के लिए उसने ही कबीरा की ड्रिंक में ड्रग मिला दिया था। उस समय नीर और कबीरा की कोई गलती नहीं थी।


    अब तक दिलप्रीत सिंह की नज़र भी अंदर के नज़ारे पर चली गई थी। उसने भी देख लिया था कि उसकी मंगेतर रमन नीर की बाहों में सो रही है।


    हालाँकि नीर और रमन को इस तरह से साथ में देखकर दिलप्रीत सिंह के चेहरे पर एक पल के लिए शैतानी भरे भाव आ गए थे। क्योंकि यह सब साज़िश नीर और रमन के खिलाफ दिलप्रीत सिंह ने ही की थी। उसने ही कल रात को नीर और रमन की ड्रिंक में ड्रग्स मिला दिए थे और उसने ही खुद रमन को उसका रूम नंबर 201 बताया था जो कि नीर का रूम नंबर था।


    अभी नीर और रमन को साथ में देखकर दिलप्रीत सिंह को बहुत खुशी हो रही थी क्योंकि उसने जो प्लान बनाया था उसमें वह कामयाब हो गया था। और उसका नतीजा यह था कि अब कबीरा ने नीर को उसकी ही बेस्ट फ्रेंड की बाहों में देख लिया था जो कि उसके बेस्ट फ्रेंड की मंगेतर भी थी।


    पर अभी दिलप्रीत सिंह को यह पल और यह जगह अपनी खुशी मनाने की नहीं लग रही थी। जिस वजह से उसने तुरंत ही अपने भाव गंभीर और गुस्से से भर दिए। उसने अपने चेहरे पर एक गहरी उदासी भी सजा ली थी।


    तभी दिलप्रीत सिंह ने गुस्से से चीखते हुए कहा, "रमन! तुम्हारी यह सब करने की हिम्मत कैसे हुई?"


    दिलप्रीत सिंह की आवाज़ सुनकर रमन की भी नींद खुल गई। वह अपनी आँखें मसलती हुई उठी, और उसने अपने हाथों से अपना सिर पकड़ लिया। क्योंकि उसके सिर में अभी भी ड्रग के असर की वजह से दर्द हो रहा था।


    तभी उसके कानों में नीर की आवाज़ पड़ी, जो कबीरा से कह रहा था, "नहीं कबीरा, तुम गलत सोच रही हो, इस सब में..." इसके आगे नीर कबीरा से एक शब्द भी बोल पाता, उससे पहले ही कबीरा ने रोते हुए नीर की बात को बीच में काटते हुए कहा, "बस अब एक शब्द भी मत बोलना नीर, क्योंकि इससे ज़्यादा..." इतना बोलने के बाद ही कबीरा रुक गई और फिर अपनी बात को इसी तरह से बीच में छोड़कर वह तेज स्पीड से दौड़ती हुई नीर के रूम से बाहर चली गई।


    कबीरा के इस तरह से रोते हुए रूम से बाहर जाने के बाद दिलप्रीत सिंह ने रमन से अपना नकली गुस्से की एक्टिंग करते हुए कहा, "क्यों रमन? तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? जब कि मैंने तुम्हारे से इतना ज़्यादा प्यार किया, तुम चाहे जैसी भी थी, तब भी हर हाल में मैं तुम्हारे साथ शादी करके तुम्हें अपनी दुल्हन बनाना चाहता था, पर तुमने यह सब... छी!"


    यह बोलकर दिलप्रीत सिंह भी उस रूम में नीर और रमन को अकेला छोड़कर बाहर चला गया। बाहर जाते हुए भी दिलप्रीत सिंह के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी। क्योंकि वह अपने प्लान में कामयाब हो गया था।


    वही दिलप्रीत सिंह की बात सुनकर और उसको इस तरह से रूम से बाहर जाते हुए देखकर रमन की आँखों में जो आँसुओं की बूँदें आ गई थीं, वह अब उसकी आँखों से निकलकर बारिश की बूँदों की तरह उसके गालों से लुढ़क कर उसकी ओढ़ी हुई चादर को भीगो रही थीं।


    तभी रमन ने अपने रोते हुए मन में कहा, "अब मैं ज़िंदा रहकर भी क्या करूँगी? अब मेरा मर जाना ही अच्छा है। मैंने अनजाने में कितना बड़ा गुनाह कर दिया है। हाँ, अब मेरा मर जाना ही अच्छा है।"


    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।

  • 16. The billionaire's heartbeat - Chapter 16

    Words: 1152

    Estimated Reading Time: 7 min

    जैसे ही नीर ने रमन के मुँह से ये शब्द सुने, उसका ध्यान रमन पर गया। रमन को लग रहा था कि वह ये बातें अपने मन में बोल रही है, पर वह जोर-जोर से बुदबुदा रही थी। नीर ने भी ये बातें सुन ली थीं। इसलिए नीर ने रमन को तेज आवाज़ में होश में लाते हुए कहा, "रमन, मेरी बात सुनो पहले, फिर जो तुम्हारा दिल करे वो ही करना।"

    नीर की तेज आवाज़ सुनकर रमन का ध्यान नीर पर गया और वह ध्यान से नीर की बात सुनने लगी।


    उस बड़े से होटल से बाहर निकलकर, कबीरा बेसुध सी लगातार रोड पर दौड़ती जा रही थी। उसकी खूबसूरत काली और हल्की कत्थई आँखों से आँसुओं की बूँदें लगातार लुढ़क कर उसके गालों से होती हुई, नीचे जमीन पर गिर रही थीं। पर कबीरा को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह इस समय अपने होश में ही नहीं थी। रह-रह कर कबीरा के कानों में नीर के कहे गए शब्द गूंज रहे थे और एक मूवी सीन की तरह बार-बार नीर की कल रात की गुस्से से भरी आवाज़ सुनाई दे रही थी। उसकी नज़रों के सामने नीर का गुस्से वाला, डार्क एक्सप्रेशन वाला चेहरा ही नज़र आ रहा था। और रह-रह कर कबीरा के कानों में नीर के कहे गए ये शब्द ही गूंज रहे थे:

    "हाँ, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और इस तरीके से सबके सामने तुम्हें किस करके मैं तुमसे और बाकी सब लोगों से यही बता रहा था कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। हाँ, इस तरीके से सब लोगों के सामने तुम्हें किस करके मैं सब लोगों को ये बता रहा था कि कबीरा बस मेरी है, कोई उसके पास आने की, उसे टच करने की कोशिश भी ना करे, कोशिश करना तो दूर, अपने मन में ये ख्याल भी ना लाए कि वह कभी मेरी कबीरा को अपना बना सकता है। कबीरा मेरी थी, मेरी है और मेरी ही रहेगी।"


    इस तरह से एक के बाद एक नीर के मुँह से निकले ये शब्द कबीरा के कानों में तेज आवाज़ के शोर की तरह गूंज रहे थे। और वो शोर ऐसा था, जिसको बर्दाश्त करना भी कोई आम बात नहीं थी।

    इसके साथ ही, कबीरा को नीर और रमन का एक बेड पर साथ में सोने वाला सीन भी किसी मूवी की तरह उसकी नज़र के सामने रह-रह कर चल रहा था। और वह रमन और नीर को एक-दूसरे से प्यार करते हुए सोच-सोच कर दिल ही दिल में टूटती जा रही थी। उसको अपने दिल में बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था।


    कबीरा की लगातार दौड़ने की वजह से साँसें फूलने लगी थीं। उसको अब साँस लेने में दिक्कत महसूस हो रही थी। आखिरकार, थककर जब कबीरा के पैरों ने और दौड़ने से इंकार कर दिया, तब कबीरा को भी ये महसूस हुआ कि वह अब और नहीं दौड़ सकती है।

    और कबीरा के लगातार रोने की वजह से उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया था। क्योंकि आज सुबह उसने नाश्ता भी नहीं किया था और अब उसे खाना ना खाने की वजह से हल्का-हल्का सा चक्कर भी आने लगा था। इसी वजह से कबीरा रोड के किनारे अपने सिर को पकड़कर बैठ गई। वहाँ बैठकर अपने पैरों में अपना चेहरा छिपाकर वह फिर से रोने लगी। रोते-रोते ही वह अपनी पुरानी बुरी यादों में चली गई। उन यादों में, जहाँ नीर कबीरा के साथ पहली बार उसके पूरे होशो-हवास में कार में शारीरिक संबंध बनाया था। और उन बुरी यादों में, जहाँ नीर ने उससे जबरदस्ती शादी की थी।


    और उन यादों में, जहाँ नीर शादी के बाद भी जबरदस्ती उसके साथ फिर से शारीरिक संबंध बनाया था। अब कबीरा बैठी हुई उन सब बुरी यादों को याद करके रो रही थी। साथ ही उन अच्छी रोमांटिक यादों को याद करके भी रो रही थी, जिनमें वह बहुत खुश थी और नीर उसे प्यार करता था, उसकी केयर करता था। जब-जब वह बीमार होती थी, नीर किस तरह से उसकी केयर करता था, उसे ये सब याद आ रहा था। किस तरह से एक बार जब वह किडनैप हो गई थी और गुंडे उसकी इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ करने वाले थे, तो किस तरह से नीर ने उसे गुंडों से बचाया था, कबीरा को ये भी याद आ रहा था। नीर के साथ बिताया हुआ हर पल उसे अब याद आ रहा था, साथ ही नीर का रमन की बाहों में होना भी। इसलिए कबीरा ये सब याद करके लगातार रो ही रही थी।


    सुबह के 11 बजे से अब दोपहर होने को आई थी। अब दोपहर का 1 बज रहा था।


    कबीरा अभी भी वहीं रोड पर बैठी हुई थी। पिछले लगभग 2 घंटों से वह वहीं से हिली भी नहीं थी, वहीं बैठी हुई थी और उसकी आँखें अब रोने की वजह से हल्की सूज गई थीं।


    कबीरा रोड पर बैठकर रोते हुए बस यही सोच रही थी और अपने मन में खुद से बोल रही थी, "कि नीर ने मुझे वो सब क्यों बोला, और मेरे साथ ऐसा क्यों किया? भला इसमें मेरी क्या गलती थी? ये कि बस मुझे उससे सच्चा प्यार हो गया था या फिर ये कि मैंने कभी उस पर शक नहीं किया।"


    तभी कबीरा के भूख की वजह से खाली पेट से अजीब-अजीब सी आवाज़ें आने लगीं। अपने पेट की उन आवाज़ों को सुनकर कबीरा ने अब कहीं जाकर अपना थोड़ा होश संभाला और वह अपने होश में वापस आई। पर जैसे ही उसने नीचे से उठकर खड़े होने की कोशिश की, तो तभी उसे हल्के-हल्के से चक्कर आ गए।


    पर तभी किसी लड़के ने उसे अपनी मज़बूत बाहों से थामकर रोड पर गिरने से बचा लिया था। पर जब उसने अपना सिर झुकाकर कबीरा को देखा, तो कबीरा उसे अपनी काली बड़ी-बड़ी आँखों से ध्यान से देख रही थी। क्योंकि इतना ज़्यादा रोने की वजह से उसे अब धुंधला-धुंधला दिख रहा था। क्योंकि उसकी आँखों में बेहिसाब आँसू थे।


    आपको क्या लगता है, अभी कबीरा के पास कौन आया होगा?

    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।

    तब तक के लिए अलविदा।

  • 17. The billionaire's heartbeat - Chapter 17

    Words: 1081

    Estimated Reading Time: 7 min

    जैसे ही कबीरा ने दिलप्रीत सिंह को देखा, उसने रोते हुए उसे गले लगा लिया। वह जोर-जोर से रोने लगी क्योंकि उसे पता था कि दिलप्रीत सिंह भी वैसा ही महसूस कर रहा होगा जैसा वह खुद कर रही थी।

    दिलप्रीत सिंह के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कुराहट आ गई जब उसने कबीरा को इस तरह गले लगाकर रोते हुए देखा। पर उसे अपने सबसे बड़े प्लान को अंजाम देना था। उसने तुरंत ही कबीरा की पीठ पर हाथ रखते हुए जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया।

    रोते हुए उसने कबीरा से कहा, "क्यों कबीरा? क्यों हमारे साथ ऐसा हुआ? उन दोनों ने हमें धोखा क्यों दिया? मैं रमन से बहुत प्यार करता था, तुम जानती हो ना? तो फिर उसने मुझे धोखा क्यों दिया?"

    यह बोलकर दिलप्रीत सिंह और जोर-जोर से रोने लगा। उसकी आँखों से आँसू पानी की तरह बह रहे थे; जैसे मगरमच्छ अपने शिकार को फँसाने के लिए दर्द में होने का नाटक करता है और उसके आँसू बिल्कुल नकली होते हैं। जैसे ही शिकार दया दिखाकर उसके पास आता है, मगरमच्छ उस पर हमला कर देता है और उसकी जान ले लेता है। बिल्कुल इसी तरह दिलप्रीत सिंह भी अपने शिकार को अपने जाल में फँसाने के लिए रो रहा था।

    मगरमच्छ रूपी दिलप्रीत सिंह की बात सुनकर कबीरा और जोर-जोर से रोने लगी। रोते हुए उसने उससे कहा, "क्योंकि तुमने रमन पर आँखें बंद करके विश्वास किया, और मैंने नीर पर। इसलिए उन दोनों ने मिलकर हमारे विश्वास का फायदा उठाया, हमारे इमोशन्स के साथ खेला और उनका मज़ाक बनाया। इतिहास गवाह है कि जब किसी ने किसी पर ज़्यादा विश्वास किया है, अंधा विश्वास किया है, तब उसे धोखे के अलावा कुछ नहीं मिला। हमारी भी यही गलती है कि हमने उन पर आँखें बंद करके विश्वास किया, उनसे अंधा प्यार किया, जिसका उन्होंने फायदा उठाया। बस हमारी गलती है, उनकी नहीं। उनसे इतना प्यार करना हमारी गलती है।"

    नहीं, कबीरा की यह बात सुनकर दिलप्रीत सिंह ने मन ही मन कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ कबीरा, अंधा विश्वास ही धोखे की वजह होता है। पर मैं किसी पर अंधा विश्वास नहीं करता। मैं इतना बेवकूफ नहीं हूँ जितनी तुम हो।"

    यह बोलकर वह मन ही मन कुटिलता से हँस रहा था, पर उसकी आँखों से आँसू झलक रहे थे। जिससे उसकी हालत बहुत बुरी लग रही थी।

    यह बोलकर कबीरा दिलप्रीत सिंह से अलग हो गई और बोली, "अब रोना बंद करो और चलो यहाँ से।"

    यह बोलकर कबीरा वहाँ से जाने के लिए मुड़ी, पर दिलप्रीत सिंह ने उसका हाथ पकड़ लिया। जब कबीरा ने देखा कि दिलप्रीत सिंह ने उसका हाथ पकड़ा है, तो उसने पीछे मुड़कर उसके चेहरे की तरफ देखा, जैसे वह उससे पूछ रही हो कि अब क्या हुआ? कबीरा की नज़रों के सवाल को समझकर दिलप्रीत सिंह थोड़ा और पास आया। कबीरा बहुत ध्यान से उसकी हर हरकत को नोटिस कर रही थी।

    तभी दिलप्रीत सिंह ने कबीरा से कहा, "मेरे पास एक आईडिया है नीर और रमन से बदला लेने और उन्हें सबक सिखाने का।"

    दिलप्रीत सिंह की आवाज सुनकर कबीरा ने उससे अपना हाथ छुड़ाते हुए पूछा, "और वो क्या आईडिया है?"

    दिलप्रीत सिंह ने अब अपने दोनों हाथों से कबीरा के कंधों को पकड़ते हुए धीमी मगर गहरी आवाज में कहा, "यही कि तुम मुझसे शादी कर लो।"

    जैसे ही कबीरा ने दिलप्रीत सिंह के मुँह से यह बात सुनी, उसने अपने दोनों हाथों से उसके हाथ अपने कंधों से हटा दिए और गुस्से से कहा, "क्या बकवास कर रहे हो तुम? तुम होश में तो हो?"

    दिलप्रीत सिंह ने भी आवाज तेज करते हुए कहा, "मैं कोई बकवास नहीं कर रहा हूँ कबीरा, मैं अपने पूरे होश में हूँ। और मैं तुमसे यह कह रहा हूँ कि जिस तरह रमन और नीर ने हमें धोखा दिया है, उसी तरह हमें भी शादी करके उन्हें धोखा देना चाहिए। यही हमारा बदला होगा, और यह उनके लिए अच्छी सज़ा होगी। तब जाकर उन्हें अपनी गलती का एहसास होगा।"

    जैसे ही दिलप्रीत सिंह की बात पूरी हुई, तभी उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ा। इस थप्पड़ की आवाज आसपास गूंज गई और उसके चेहरे पर पाँच उंगलियों के निशान छप गए। यह थप्पड़ कबीरा ने मारा था। वह अभी भी अपनी दोनों आँखों से उसे घूर रही थी। दिलप्रीत सिंह को कबीरा की इस हरकत की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। उसका दिल कर रहा था कि वह कबीरा को एक जोरदार थप्पड़ मारे और अपना बदला ले ले, पर वह अपने प्लान को खराब नहीं होने देना चाहता था। इसलिए उसने अपने गुस्से को शांत कर लिया और कबीरा को अपनी रोती हुई आँखों से देखने लगा।

    आगे क्या होने वाला है? क्या दिलप्रीत सिंह कबीरा को अपनी चाल में फँसा पाएगा? और क्या कबीरा उससे शादी करने के लिए हाँ कर देगी? आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।

  • 18. The billionaire's heartbeat - Chapter 18

    Words: 1549

    Estimated Reading Time: 10 min

    अभी दिलप्रीत सिंह कबीरा को अपनी उदासी भरी नज़रों से अच्छी तरह देख ही रहा था कि तभी उसके पास एक नोटिफ़िकेशन आई। उस मैसेज को पढ़ते ही दिलप्रीत सिंह की आँखें खुशी से चमकने लगीं, पर उसने अपनी खुशी को अपने चेहरे पर ज़ाहिर नहीं होने दिया क्योंकि कबीरा अभी उसे बहुत ही ध्यान से देख रही थी। जैसे ही दिलप्रीत सिंह उदासी भरी आवाज़ में कबीरा से कुछ कहने वाला था, इतने में ही कबीरा के फ़ोन पर भी एक नोटिफ़िकेशन आ गई। उस नोटिफ़िकेशन को पढ़कर कबीरा के चेहरे के भाव बिल्कुल बदल गए।

    जब दिलप्रीत सिंह ने कबीरा के चेहरे के भाव बदलते हुए देखे, तब उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गई। क्योंकि उसे पता चल गया था कि कबीरा के फ़ोन पर भी वही नोटिफ़िकेशन आई थी जो थोड़ी देर पहले उसके पास आई थी। उसने फ़िक्र भरे लहजे में कबीरा से कहा, "तुम्हें क्या लगता है कबीरा, नीर ने यह प्रेस कॉन्फ़्रेंस क्यों रखी होगी? वह क्या अनाउंसमेंट करना चाहता है?"

    कबीरा, जो पहले से ही नीर की वजह से दुखी थी और दिलप्रीत सिंह के उसकी शादी के लिए प्रपोज़ करने की वजह से दिलप्रीत सिंह से नाराज़ थी, उसने चिड़ते हुए दिलप्रीत सिंह के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "मुझे क्या पता वह क्या करना चाहता है? और उसके दिमाग में क्या चल रहा है? और उसने यह प्रेस कॉन्फ़्रेंस क्यों रखी है? मैं क्या कोई एस्ट्रोलॉजर हूँ जो मुझे उसके मन में चलने वाली हर बात का पता होगा? मेरे पास अगर यह पावर होती तो वह मुझे धोखा कैसे देता?"

    यह बोलकर कबीरा दिलप्रीत सिंह से दूर चली गई। दिलप्रीत सिंह ने कबीरा को पीछे से कई बार आवाज़ लगाई, पर कबीरा ने एक बार भी पीछे मुड़कर दिलप्रीत सिंह की तरफ़ नहीं देखा। कबीरा रोते हुए अपनी कार लेकर नहीं आई थी, इस वजह से कुछ दूर जाने पर उसने एक ऑटो रोका और उसमें बैठकर अपने होटल की तरफ़ चली गई जहाँ पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस होनी वाली थी। क्योंकि चाहे उसने गुस्से में दिलप्रीत सिंह को उल्टा-सीधा बोल दिया हो, पर अंदर ही अंदर वह भी यह जानने के लिए उत्सुक थी कि नीर आखिर इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कौन सा बम फोड़ने वाला है।

    जब दिलप्रीत सिंह ने कबीरा को ऑटो में बैठकर जाते हुए देखा, तब उसके चेहरे पर एक शैतानी भरी मुस्कराहट आ गई और उसने अपनी इसी मुस्कराहट के साथ खुद से बात करते हुए कहा, "कबीरा, अभी तो तुमने मुझसे शादी करने के लिए मना कर दिया, बट आई प्रॉमिस कि थोड़े ही समय बाद तुम खुद ही मुझसे शादी करने के लिए तैयार हो जाओगी और फिर तुम मेरी होगी।"

    यह बोलकर दिलप्रीत सिंह भी अपनी कार में बैठकर होटल हेवन की तरफ़ निकल गया। आखिर उसे भी तो नीर की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जाना था।

    कबीरा, डायरेक्ट नीर की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ना जाकर अपने रूम के अंदर चली गई थी। उसने नीर की प्रेस कॉन्फ़्रेंस को अपने रूम में बैठकर देखने का ही प्लान किया था क्योंकि वह अभी सामने से जाकर नीर का चेहरा नहीं देखना चाहती थी, ना ही उसका सामना करना चाहती थी। उसने कल रात से कुछ भी नहीं खाया था, अब तो उसके पेट में भी भूख की वजह से दर्द होने लगा था। साथ ही नीर के धोखा देने की वजह से उसका दिल भी बहुत ज़्यादा दुख रहा था, पर फिर भी उसका सारा ध्यान नीर की प्रेस मीटिंग पर ही टिका हुआ था कि नीर ने यह प्रेस कॉन्फ़्रेंस क्यों रखवाई थी।

    प्रेस कॉन्फ़्रेंस में नीर सामने से चलता हुआ आया। सारे प्रेस रिपोर्टर्स के कैमरे नीर पर फ़ोकस हो गए। कबीरा ने भी एलईडी स्क्रीन पर नीर को देखा, पर वह अभी नीर को गुस्से से देख ही रही थी कि तभी उसने देखा कि...

    अभी जो सारे कैमरे नीर को कवर कर रहे थे, वे नीर के पीछे से चलती हुई आ रही रमन को कवर करने लगे थे। और रमन को नीर के साथ इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में देखकर सारे रिपोर्टर्स में ख़ुसुर-फ़ुसुर शुरू हो गई थी कि मिस रमन नीर के साथ इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में क्या कर रही है। अब रमन इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस का सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन बन गई थी। जितना ज़्यादा हैरान सारे रिपोर्टर्स रमन को नीर के साथ देखकर हो रहे थे, उससे कहीं ज़्यादा हैरान कबीरा रमन को नीर के साथ इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में देखकर हो रही थी। साथ ही उसकी नज़रें गुस्से और जलन से एकटक एलईडी स्क्रीन को घूर रही थीं, जिस पर रमन और नीर साथ-साथ आ रहे थे।

    तभी एक रिपोर्टर ने नीर से पूछा, "मिस्टर नीर ओबेरॉय, आपने यह प्रेस कॉन्फ़्रेंस किस लिए रखवाई है? हम सब यह जानने के लिए उत्सुक हैं।"

    इतना बोल वह प्रेस रिपोर्टर रुका और फिर उसने रमन की तरफ़ देखते हुए कहा जो नीर की साइड वाली चेयर पर बैठी हुई थी, "तो आप हमें इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस की वजह बताएँगे?"

    नीर ने प्रेस रिपोर्टर से कहा, "यस, ऑफ़ कोर्स। मैंने यह प्रेस कॉन्फ़्रेंस एक बहुत बड़ी अनाउंसमेंट करने के लिए रखी है, जो मेरी लाइफ़ से जुड़ी हुई है।"

    बैकग्राउंड म्यूज़िक

    (गीत के बोल यहाँ पर रहेंगे)

    नीर की यह बात सुनकर सब रिपोर्टर्स ख़ामोशी से नीर की आगे की बात सुनने लगे क्योंकि उन्हें यह अंदाज़ा हो गया था कि आज ज़रूर उन्हें कोई बड़ी न्यूज़ मिलने वाली है, जिस न्यूज़ की टीआरपी काफ़ी हाई जाने वाली है।

    तभी नीर ने आगे कहा, "और आप सब लोग जो मिस रमन को मेरे साथ देखकर हैरान हैं और यह सोच रहे हैं कि वह मेरे साथ इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में क्या कर रही है? इससे पहले आप सब मुझसे सवाल पूछें, मैं खुद ही आप सब को बता देता हूँ कि मेरे साथ मिस रमन इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में इसलिए है क्योंकि मैंने यह प्रेस कॉन्फ़्रेंस मिस रमन के लिए ही रखी है।"

    (गीत के बोल यहाँ पर रहेंगे)

    कबीरा के रूम में कबीरा एकटक टीवी स्क्रीन को घूर-घूर कर देख रही थी। वहीं कॉन्फ़्रेंस हॉल में...

    नीर की यह बात सुनकर सारे रिपोर्टर्स कभी नीर और रमन की तरफ़ तो कभी एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगे। तभी नीर ने रमन की तरफ़ देखकर एक प्यारी सी स्माइल करते हुए रमन का हाथ उठाकर अपने हाथ में लेते हुए कैमरे की तरफ़ ध्यान से देखते हुए कहा, "क्योंकि नेक्स्ट वीक मैं और मिस रमन शादी करने वाले हैं।" वहीं कबीरा को यह न्यूज़ देखकर ऐसा लग रहा था जैसे नीर ने यह बात कैमरे में नहीं, बल्कि उसकी आँखों में देखकर उससे ही बोली थी।

    (गीत के बोल यहाँ पर रहेंगे)

    यह न्यूज़ देकर नीर ने प्यार से रमन के उस हाथ पर किस कर लिया, जो उसने रमन का हाथ अपने हाथ में पकड़ा हुआ था। नीर के इस तरह से किस करने से रमन के गाल शर्म से लाल हो गए और वह शर्माने लगी।

    (गीत के बोल यहाँ पर रहेंगे)

    जैसे ही कबीरा ने नीर के मुँह से यह रमन के साथ शादी करने वाली न्यूज़ सुनी और नीर को इस तरीके से रमन को किस करते हुए देखा, तो उसने गुस्से से एलईडी टीवी का रिमोट एलईडी टीवी पर फेंककर मारा।

    (गीत के बोल यहाँ पर रहेंगे)


    आपको क्या लगता है इस तरीके से अचानक से नीर ने रमन के साथ शादी की न्यूज़ क्यों दी? क्या इस शादी के पीछे भी नीर की कोई चाल है या वह सच में ही रमन से शादी करने वाला है?

    अब आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।

    तब तक के लिए अलविदा।

    नव्या खान

  • 19. The billionaire's heartbeat - Chapter 19

    Words: 1405

    Estimated Reading Time: 9 min

    पर कबीरा के हाथ से फेंका हुआ रिमोट एलईडी स्क्रीन का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाया था। जिस वजह से कबीरा ने पास के टेबल पर रखा हुआ वास उठाकर गुस्से से उस वास को एलईडी स्क्रीन की तरफ जोर से फेंक मारा। उस वास के साथ-साथ एलईडी स्क्रीन भी, छन की आवाज के साथ, टूट गई और चकनाचूर हो गई।

    मेरा अपना ना मेरा कभी हुआ
    कोई था जिसके पीछे दिल रोया
    मेरा अपना ना मेरा कभी हुआ
    कोई था जिसके पीछे दिल रोया

    पर इन दोनों चीजों से ज़्यादा अगर कोई चीज टूटी हुई थी, तो वह था कबीरा का दिल, जिसके अनगिनत टुकड़े हो गए थे।

    कबीरा इतने गुस्से में थी कि गुस्से की वजह से उसकी आँखों से अब आँसू भी नहीं निकल रहे थे। वह बस गुस्से में पागलों की तरह पूरे रूम का सामान तोड़ने में लगी हुई थी। यह सामान उसके रूम में उसी सुबह नया शिफ्ट किया गया था, क्योंकि कल रात भी कबीरा ने अपने रूम का सामान गुस्से से तोड़ दिया था। जब मैंने उसे पार्टी हॉल में सबके सामने किस कर लिया था।

    कोई था जिसकी मैं हुई थी
    वो मेरा दिल और मेरी चाहत था
    मेरे जिस्म का हर कतरा
    मेरी रूह भी गुलाम थी उसकी

    अभी कबीरा गुस्से से पूरे रूम का सामान तहस-नहस करने में लगी हुई थी। उसके कानों में बस नीर के ये जहर से भी ज़्यादा जहरीले शब्द ही सुनाई दे रहे थे। "मैं और रमन नेक्स्ट वीक शादी करने वाले हैं।" साथ ही, किसी फ़िल्म के रोमांटिक सीन की तरह, कबीरा की नज़रों के सामने बार-बार नीर का रमन के हाथ को किस करना याद आ रहा था।

    वो मुझसे दूर हो कर बहुत खुश हुआ
    कोई था जिसके पीछे दिल रोया
    कोई था, हाँ, मेरा कोई था..
    कोई था, हाँ, मेरा कोई था..


    तभी कबीरा के रूम का दरवाज़ा खुला। जब कबीरा ने अपनी नज़रें दरवाज़े की तरफ उठाईं, तो उसने पाया कि यह शख्स और कोई नहीं, बल्कि दिलप्रीत सिंह था। दिलप्रीत सिंह को देखते ही कबीरा को ऐसा लगा जैसे दिलप्रीत सिंह उसे इस हालत में देखने इसलिए आया था क्योंकि वह उसका मज़ाक उड़ाना चाहता था। "मैंने कहा था कि तुम मुझसे शादी कर लो, पर तुमने उल्टा मुझे थप्पड़ मार दिया था। अब देखो, नीर ने रमन के साथ शादी करने की अनाउंसमेंट कर दी है और तुम रह गईं सिंगल। तुम्हारे लिए वह कुछ मैटर नहीं करती, तुम बस उसके लिए एक खिलौना हो, जिसके साथ वह खेल रहा है।"

    कि बात दिल पे लगाई हुई है
    कि बात दिल पे लगाई हुई है
    कि जिसने हमें ज़ख्म दिया..
    जिसने हमें ज़ख्म दिया.

    जी, हमारे ग़मों की दवाई वही है
    जिसने हमें ज़ख्म दिया
    जी, हमारे ग़मों की दवाई वही है


    पर दिलप्रीत सिंह ने कबीरा को ऐसा कुछ भी नहीं कहा जैसा कबीरा सोच रही थी। कबीरा एकटक दिलप्रीत सिंह के चेहरे को ही देख रही थी कि क्या वह सच में उसका मज़ाक उड़ाने, उस पर हँसने आया है। पर बिना एक भी शब्द बोले दिलप्रीत सिंह कबीरा के करीब आने लगा। कबीरा के पास जाकर उसने कबीरा को गले लगा लिया। दिलप्रीत सिंह के गले से लगी हुई कबीरा एक बेजान पुतले की तरह खड़ी हुई थी। वह कुछ भी नहीं बोल रही थी और ना ही वह रो रही थी, बस चुपचाप खड़ी हुई थी। शायद सच में अभी उसे किसी के सहारे की ज़रूरत थी, जो सामने दिलप्रीत सिंह बनकर आया था।

    उसका एक भी आँसू ना निकला
    मर जाये को मेरे बिना
    जो मुझे कहता होता था
    "मैं मर जाऊँगा तुम्हारे बिना"

    पर दिलप्रीत सिंह कहाँ चुप रहने वाला था? उसे तो किसी भी तरीके से कबीरा को अपने साथ शादी करने के लिए राजी करना था और उसका आधा काम तो नीर ने रमन के साथ अपनी शादी की अनाउंसमेंट करके ही कर दिया था। अब उसे बस आधा काम करना बाकी रह गया था। क्योंकि अभी की ऐसी सिचुएशन थी कि वह बिना सोचे समझे उसके साथ शादी करने के लिए तैयार हो सकती थी।

    मैं रात गुज़ारूँ एक-एक कर के
    काटीं, कटती नहीं मुझसे
    निर्माण को नहीं फ़र्क़ पड़ता
    उसका बन जाना मेरे बिना


    इसलिए दिलप्रीत सिंह ने अपने आगे के प्लान को एग्ज़ीक्यूट करते हुए रोना शुरू कर दिया। रोते हुए उसने कबीरा से कहा, "वह लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं कबीरा? उनको हमारी फीलिंग्स की बिल्कुल भी क़दर नहीं है। मैंने तो इमोशंस में आकर तुमसे शादी करने की बात कर दी थी, जबकि मैं जानता हूँ कि यह सही नहीं है। मैंने तब बहुत बड़ी गलती की थी तुमसे यह सब बोलकर, पर तुमने मुझे थप्पड़ मारकर मुझे कुछ भी गलत करने से रोक दिया। पर कबीरा, उन्होंने तो अपनी शादी की अनाउंसमेंट करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा, कबीरा।"

    वो मुझसे दूर हो कर चैन से सोया
    उसे क्या पता मेरा क्या हाल हुआ?
    मेरा अपना ना मेरा कभी हुआ
    कोई था जिसके पीछे दिल रोया

    कोई था, हाँ, मेरा कोई था..
    कोई था, हाँ, मेरा कोई था..

    यह बोलकर दिलप्रीत सिंह जोर-जोर से रोने लगा। कबीरा, जो कब से दिलप्रीत सिंह के गले लगी हुई दिलप्रीत सिंह की बातें सुन रही थी और खामोशी से खड़ी हुई थी, उसने दिलप्रीत सिंह की यह बात सुनकर कहा, "जब उनको हमारी फीलिंग्स की क़दर नहीं है और उन्होंने अपनी शादी की अनाउंसमेंट करने से पहले एक बार भी हमारे बारे में नहीं सोचा, तो हम भी उनके बारे में नहीं सोचेंगे। हम क्यों सोचें उनके बारे में?"

    जैसे ही दिलप्रीत सिंह ने कबीरा के मुँह से ये शब्द सुने, वह कबीरा से थोड़ा दूर होकर कबीरा का चेहरा देखने लगा। कभी-कभी आगे बढ़ाते हुए कहा, "हाँ, हम भी उनकी परवाह नहीं करेंगे। अब सेम डे, सेम प्लेस पर हम भी शादी करेंगे।"

    बई, अल्लाह कैसी ये दुहाई हुई है
    बई, अल्लाह कैसी ये दुहाई हुई है
    कि जिसका तुझसे साथ माँगा..
    कि जिसका तुझसे साथ माँगा..

    जी, हमारी उससे जुदाई हो गई है
    कि जिसका तुझसे साथ माँगा
    जी, हमारी उससे जुदाई हो गई है।

    दिलप्रीत हैरानी से कबीरा के चेहरे की तरफ देख रहा था। उसे तो यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि कबीरा खुद ही इतनी जल्दी उसके साथ शादी करने के लिए हाँ कर देगी, और वह भी सेम जगह, सेम प्लेस पर जहाँ पर नीर और रमन की शादी होने वाली थी। एक पल को तो उसका दिल किया कि वह खुशी से नाचने लगे। आखिर उसका बरसों का सपना जो पूरा होने वाला था! उसे लग रहा था कि बिना ज़्यादा ड्रामा किए ही कबीरा ने खुद ही उसे इतना बड़ा तोहफ़ा दे दिया, उससे शादी के लिए हाँ करके। वहीं, यह बोलकर कबीरा तेज कदमों से चलती हुई बाथरूम की तरफ चली गई और वॉशरूम के अंदर जाकर उसने शॉवर ऑन किया और पानी के नीचे खड़े होकर भीगने लगी। जैसे-जैसे पानी की बूंदें कबीरा के बदन को भीगा रही थीं, वैसे-वैसे कबीरा का दिल भी भारी होता जा रहा था। उसे आज बहुत अकेला फील हो रहा था। शॉवर के नीचे पानी में भीगते हुए कबीरा को यह पता नहीं चला कि वह कब रोने लगी और कब उसकी आँखों के आँसू पानी की बूंदों के साथ मिलकर नीचे गिरने लगे।

    बई, अल्लाह कैसी ये दुहाई हुई है
    बई, अल्लाह कैसी ये दुहाई हुई है
    कि जिसका तुझसे साथ माँगा..
    कि जिसका तुझसे साथ माँगा..

    जी, हमारी उससे जुदाई हो गई है
    कि जिसका तुझसे साथ माँगा
    जी, हमारी उससे जुदाई हो गई है।

    आज कबीरा को अपने माँ-बाप की बहुत ज़्यादा याद आ रही थी, जिनको उसने बचपन में ही एक कार एक्सीडेंट में खो दिया था, जब वह बस 3 साल की थी। आज उसे लग रहा था कि वह इस दुनिया में बिल्कुल अकेली है, जिसके पास बस पैसा तो है, पर खुशियाँ नहीं हैं।

    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।

    तब तक के लिए अलविदा।

    नव्या खान

  • 20. The billionaire's heartbeat - Chapter 20

    Words: 1327

    Estimated Reading Time: 8 min

    सात दिन बाद, एक सेवन स्टार होटल के अंदर दो मंडप सजे हुए थे। होटल इंदौर, शादियों के लिए ही बुक किया गया था; अन्य किसी की एंट्री नहीं थी। केवल शादी में बुलाए गए मेहमान ही होटल में ठहरे हुए थे। होटल को एक दुल्हन की तरह खूबसूरती से सजाया गया था। दो दुल्हनें, रमन और कबीर कपूर, अपने-अपने कमरों में तैयार हो रही थीं। दोनों के चेहरों पर गहरी उदासी छाई हुई थी; ऐसा लग रहा था कि वे अपनी शादी से खुश नहीं थीं और मजबूरी में शादी कर रही थीं। यह सच भी था; रमन की मर्जी नहीं थी नीर से शादी करने की, और न ही कबीर की मर्जी थी दिलप्रीत सिंह से शादी करने की। फिर भी, उनके चेहरों पर एक गहरा रहस्य छाया हुआ था, जैसे उनके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था।

    थोड़ी देर बाद, दोनों दुल्हनें अपने-अपने मंडप में बैठी थीं, और उनके बगल में उनके दूल्हे बैठे थे। तभी पंडित जी ने कहा, "वर और वधू फेरों के लिए खड़े हो जाएँ।"

    अपनी गुमसुम सी चुप्पी के साथ, दूल्हा और दुल्हनें फेरे लेने लगे। पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे, और धीरे-धीरे फेरे पूरे हो रहे थे। कुछ देर बाद, पंडित जी ने 7 फेरे पूरे करवा दिए, और मंगलसूत्र और सिंदूर की रस्म पूरी हो गई। फिर पंडित जी ने कहा, "विवाह संपन्न हुआ। अब से आप दोनों पति-पत्नी हुए।" पंडित जी के यह कहते ही कबीर की आँखों से एक आँसू निकल कर उसके गालों पर लुढ़क गया। रमन के चेहरे पर भाव शून्यता थी। उसकी शादी उस इंसान से हो गई थी, जिससे उसने कभी प्यार नहीं किया था, और जिसे वह अच्छी तरह जानती भी नहीं थी। मजबूरी में उसने शादी करने के लिए हाँ कर दी थी। परिस्थिति ऐसी थी कि उसे हाँ कहना ही पड़ा था।

    पर दोनों दुल्हनों के चेहरों पर एक मुस्कान भी थी, जो उनके शर्मीलेपन के पीछे से झाँक रही थी। दोनों दूल्हे बहुत खुश थे, जैसे उन्होंने अपनी बरसों की मेहनत को सफल कर लिया हो, अपना सपना पूरा कर लिया हो; जैसे उन्होंने अपना प्यार पा लिया हो। दोनों दूल्हों ने अपनी-अपनी दुल्हनों का हाथ पकड़ा और मंडप से खड़े हो गए। इसी समय, मीडिया रिपोर्टर शादीशुदा जोड़ों की तरफ बढ़ गए।

    एक रिपोर्टर ने रमन के बगल में खड़े, रमन का हाथ पकड़े हुए दूल्हे की तरफ कैमरा करते हुए सवाल पूछा, "नीर ओबेरॉय, क्या आप बताना चाहेंगे कि आपको यह शादी करके कैसा लग रहा है?"

    दूल्हे से सवाल पूछते ही, वहाँ मौजूद सभी लोगों के कैमरे और फोकस रमन के दूल्हे की तरफ चले गए। रमन के दूल्हे ने अपना हाथ अपने चेहरे तक पहुँचाया और अपना चेहरा दिखाते हुए कहा, "मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि रमन मेरी वाइफ है, और मैं रमन को अपनी वाइफ के रूप में पाकर बहुत खुश हूँ।"

    इन कुछ शब्दों के साथ, जब सब लोगों ने आवाज़ के साथ-साथ रमन के दूल्हे का चेहरा भी बदलते हुए देखा, तो वे दंग रह गए। यह आवाज़ और यह चेहरा नीर ओबेरॉय का नहीं था, बल्कि नीर ओबेरॉय के असिस्टेंट, संजय प्रजापति का था।

    जैसे ही सब लोगों ने असिस्टेंट संजय को रमन का दूल्हा पाया, सब लोगों का ध्यान और कैमरे असिस्टेंट संजय की तरफ हो गए। उन्होंने लगातार सवालों की झड़ी लगा दी। "मिस्टर संजय, जब मिस्टर नीर ओबेरॉय की शादी मिस रमन के साथ होने वाली थी, तो फिर आपने अचानक से मिस रमन से शादी कैसे कर ली?"

    सब लोगों के सवाल सुनकर, एक प्यारी सी मुस्कान के साथ, असिस्टेंट संजय ने अपने बालों में हाथ फेरते हुए, रमन की तरफ प्यार से देखते हुए कहा, "क्योंकि मैं रमन से बहुत प्यार करता हूँ, और इसी वजह से मैंने रमन के साथ शादी करने का फैसला किया। और अब जब रमन के साथ मेरी शादी हो गई है, तो मैं बहुत खुश हूँ।" संजय की बात सुनकर, रमन ध्यान से संजय के चेहरे को देखने लगी, और उसके दिल में एक अजीब सी फीलिंग उठने लगी। उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि कोई उससे इतना प्यार कर सकता है। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसे सच में इतना प्यार करने वाला पति मिल चुका है। यह खुद का करिश्मा था, जो वह महसूस कर रही थी। और शायद वह असिस्टेंट संजय के साथ शादी करके खुश थी।

    असिस्टेंट संजय की बात सुनकर, सारे रिपोर्टर और रमन भी चौंक गए। उन्होंने यह उम्मीद नहीं की थी कि असिस्टेंट संजय ऐसा जवाब देंगे। वे यह पूछना चाहते थे कि उसने रमन से शादी क्यों की, और मिस्टर नीर ओबेरॉय कहाँ गए, क्योंकि रमन की शादी तो मिस्टर नीर ओबेरॉय के साथ होने वाली थी।

    तभी एक लड़की ने असिस्टेंट संजय से कहा, "जब आपने मिस रमन के साथ शादी कर ली है, तो अब मिस्टर नीर ओबेरॉय की शादी किसके साथ होगी?"

    उस लड़की की बात सुनकर, असिस्टेंट संजय जोर-जोर से हंसने लगा और उसने हंसते हुए, थोड़े मज़ाकिया लहज़े में कहा, "मिस्टर ओबेरॉय की शादी उनके साथी के साथ होगी, जिनके साथ होनी चाहिए थी। और मुझे लगता है आपको यह सवाल खुद मिस्टर नीर से ही पूछ लेना चाहिए।"

    असिस्टेंट संजय की यह बात सुनकर, अब लोग नीर ओबेरॉय को ढूँढने लगे, पर वह कहीं नज़र नहीं आ रहे थे। दूर, अपने मंडप में, कबीर रमन और असिस्टेंट संजय की बातें सुन रही थी और उन्हें देख रही थी। जितने हैरान वहाँ मौजूद सभी लोग थे, उससे कहीं ज़्यादा हैरान कबीर कपूर थी। रमन के बगल में असिस्टेंट संजय को देखकर वह ज़्यादा हैरान हो गई थी। उसने मन ही मन सोचा, "असिस्टेंट संजय ने रमन से शादी कर ली है, तो फिर नीर कहाँ है? मैंने तो नीर की ज़िद पर ही दिलप्रीत सिंह से शादी करने का फैसला किया था, और अब मेरी शादी दिलप्रीत सिंह से हो गई। पर रमन की शादी नीर से नहीं हुई, नीर की शादी किसी से भी नहीं हुई, और मेरी शादी हो गई, पर नीर से नहीं, दिलप्रीत सिंह से।"

    यह सोचकर कबीर को चक्कर आने लगे। जैसे ही वह गिरने वाली थी, उसके बगल में खड़े उसके दूल्हे ने उसे अपनी बाहों में संभाल लिया। कबीर को संभालते हुए, उस दूल्हे का सहारा भी उतर गया। सहारा उतरते ही, वहाँ मौजूद सभी लोग हैरानी से फिर से दूल्हे के चेहरे की तरफ देखने लगे, और सारे रिपोर्टर के कैमरे और माइक कबीर के मंडप की तरफ आने लगे।

    आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।

    तब तक के लिए अलविदा।

    नव्या खान