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The Wrong Path To Wakiyasthan

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Aman Aj

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the Wrong Path To Wakiyasthan

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  • 1. The Wrong Path To Wakiyasthan - Chapter 1

    Words: 1409

    Estimated Reading Time: 9 min

    ध्रुव पुल में डूब रहा था। खुद को बचाने के लिए उसने हरकत करना शुरू कर दी। वह अपने हाथ पैरों को तेजी से हिला रहा था। मगर वह औरत उसे लगातार नीचे ले जा रही थी। ध्रुव हाथ पैर हिलाने के बावजूद उसके चंगुल से आजाद नहीं हो रहा था। ध्रुव का दम घुटने लगा। उसकी आंखों के आगे हल्का अंधेरा आने लगा। उसके हाथ से बैग छुटा और वह ऊपर की तरफ तैर गया। ध्रुव की आंखें बंद हो गई। उसके शरीर ने हरकत करना छोड़ दी। उसके शरीर अब ऐसे हो गया था जैसे मानो वह स्पेस में तैर रहा हो। ऐनी क्लास लगाने के लिए जा रही थी। तभी उसकी नजर बाहर आ चुके बैग पर पड़ी जो एकदम से पानी के ऊपर आया था। यह देखते ही पता नहीं उसके मन में क्या आया वह तुरंत स्विमिंग पूल की तरफ दौड़ी। दौड़ते दौड़ते उसने अपनी शर्ट उतार दी जिसके नीचे उसने camisole पहन रखी थी। स्विमिंग पुल के पास आते ही उसने अंदर छलांग लगा दी। थोड़ी देर बाद ऐनी ने ध्रुव को बाहर लाकर पटका। उसने अपने बालों को पीछे की तरफ झटका और खुद भी बाहर आ गई। ध्रुव के शरीर में पानी जा चुका था। ऐनी ने उसके पेट को दबाना शुरू कर दिया ताकि उसके शरीर से पानी बाहर आ सके। पर इससे ज्यादा असर नहीं पड़ा। उसने आसपास देखा और फिर ध्रुव के चेहरे के पास आकर गहरी सांस लेकर उसे माउथ ट्रीटमेंट दिया। ऐसा उसने तीन से चार बार किया जिसके बाद ध्रुव खांसा और उसकी आंख खुली। ध्रुव को ऐसे लग रहा था जैसे वह दोबारा जिंदा होकर लौटा है। ऐनी ने उसे कंधे से पकड़ा और बैठाते हुए पूछा “कैसे हो तुम? क्या तुम अब ठीक हो?” “हां... मैं.. मैं ठीक हूं पर..” उसने अपने मुंह से अजीब से खुशबू आ रही थी। उसने अपना मुंह साफ किया “मगर मेरा मुंह चिपचिपा क्यों हो गया, और यह अजीब सी खुशबू किसकी है...” “वो..” ऐनी‌ दूसरी तरफ देखने लगी “वो ये लिपबाम की खुशबू है..” इस बात को लेकर ऐनी अपने बने लाइट एक्सप्रेशन जैसे-तैसे कर कंट्रोल कर रही थी “तुम्हें होश नहीं आ रहा था तो मुझे तुम्हें माउथ ट्रीटमेंट देना पड़ा।” यह सुनकर ध्रुव का चेहरा भी अजीब सा हो गया। उसने इधर-उधर देखना शुरू कर दिया जहां उसकी नजर दोबारा स्विमिंग पुल के ऊपर चली गई। स्विमिंग पूल की तरफ देखते ही उसे उस औरत की याद आ गई जो उसके पैर को पकड़कर उसे अंदर की ओर खींच रही थी। उसने ऐनी से पूछा “तुमने मुझे बाहर कैसे निकाला...?” “क्या मतलब बाहर कैसे निकाला, मुझे तैरना आता है तो तुम्हें तैरते हुए बाहर निकाला।” ऐनी ने अपने कंधे उचकाते हुए जवाब दिया। “वो... ” ध्रुव को समझ नहीं आ रहा था वो अंदर औरत के दिखने वाली बात उसे कैसे बताए। क्योंकि वह जानता था उसकी इस बात पर कोई यकीन नहीं करेगा। “वो तुम्हें अंदर कोई दिखा नहीं? मुझे ऐसे लग रहा था जैसे कोई मेरे पैर को खींचकर मुझे अंदर डुबो रहा हो।” “मगर मुझे तो पानी के अंदर कोई नहीं दिखा। सिर्फ तुम थे जो डूब रहे थे और तुम्हें मैं बाहर निकाल कर ले आई।” ध्रुव ने अजीब सा चेहरा बनाया और इसके बाद कुछ नहीं कहा। इस मामले में उसने चुप रहना ही बेहतर समझा। “तुम स्विमिंग पूल के अंदर कैसे चले गए थे?” ऐनी‌ ने सवाल किया। “वो.. अर्जुन... देखना मैं उसे छोडूंगा नहीं..” ध्रुव खड़ा हो गया और अपने कपड़े निचोड़ने लगा। ऐनी‌ भी खड़ी हुई और अपनी शर्ट पहनने लगी। ऐनी ने ध्रुव को कहा “वो लोग गैंग में रहते हैं। तुम अकेले उनसे नहीं भिड़ सकते। अगर तुम्हें उनका कुछ करना है तो दोस्त बनाने होंगे।” “मैं अभी यहां नया हूं, इतनी जल्दी मेरा कोई दोस्त नहीं बनेगा, और वो लोग, वो लोग मुझे ऐसे ही तंग करते रहेंगे, उन्हें सबक तो सिखाना पड़ेगा।” ऐनी ने अपना बैग उठाया और इस बात को नजरअंदाज करते हुए ध्रुव को बोली “यह सब बाद में कर लेना, अभी क्लास में चलते हैं, वरना तुम्हारे शेड्यूल में एक और क्लास ऐड हो जाएगी जहा टीचर तुम्हें बाहर निकाल देंगे, इस बार तो तुम्हारे साथ मेरा नंबर भी लग जाएगा।” ध्रुव ने हां में सिर हिलाया और अपना बैग उठाकर क्लास में चला गया। क्लास में अर्जुन और उसके साथियों ने दोनों को भीगे हुए देखा तो वह समझ गए क्या हुआ होगा। अर्जुन और उसके साथियों ने अपने चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। ध्रुव ने सबको गुस्से से देखा। ऐनी ने उसका हाथ पकड़ा और कहा “गुस्सा मत करो, यह गुस्सा करने का सही वक्त नहीं है, तुम आओ और आकर मेरे साथ बैठो।” ऐनी ने उसका हाथ छोड़ा और अपनी सीट पर जाकर बैठ गई। ध्रुव कुछ देर तक अर्जुन और उसके साथियों को देखता रहा फिर वह भी उसके पास जाकर बैठ गया। क्लास में अगले टीचर आए और उन्होंने पढ़ाना शुरू कर दिया। यह सिलसिला तब तक चला जब तक आज की सारी क्लासें खत्म नहीं हो गई। सभी क्लासों के बाद ध्रुव और ऐनी एक साथ पार्किंग एरिया की तरफ जा रहें थे। ध्रुव बोला “एक साथ मैं उन्हें सबक जरूर सिखाऊंगा, अगर वह फिर भी नहीं माने तो मैं सब की शिकायत‌ कॉलेज स्टाफ से कर दूंगा, फर्स्ट ईयर और स्कूल की 12वीं क्लास में ज्यादा फर्क नहीं होता, यह लोग फर्स्ट ईयर में ही स्टूडेंट को टॉर्चर करने वाले काम कर रहे हैं, सोचो जब यह सीनियर हो जाएंगे तो यहां आने वाले जूनियर का क्या हाल करेंगे।” “मेरे ख्याल से तुम्हें अभी जाकर कॉलेज स्टाफ से शिकायत करनी चाहिए, अगर तुम भी वही करोगे जो वो लोग कर रहे हैं तो तुममें और उनमें फर्क क्या रह जाएगा, शायद तब कॉलेज स्टाफ भी तुम्हारी कोई मदद ना करें।” “मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें सबक सिखाना तो बनता है, भले आगे जाकर मुझे स्टाफ से कोई मदद ना मिले।” ऐनी ने यह सुनकर अपना सर झटका “समझ नहीं आता तुम लड़के इतनी जिद्दी क्यों होते हो।” ___ ध्रुव घर आने के बाद दोबारा सो गया। तकरीबन 5:00 बजे के करीब उसकी आंख खुली और वह उठकर बाहर आया। ‌ उसकी नानी ने किचन से उसे देखते हूए कहा “मैंने तुम्हारे लिए चाय और खाने के लिए पकोड़े बना रखे हैं, खा लो। तुमने सुबह भी कुछ नहीं खाया था।” ध्रुव किचन में गया और अपने लिए चाय ले आया। उसने चाय के साथ पकोड़े भी ले लिए थे। डाइनिंग टेबल पर चाय के साथ पकोड़े खाते हुए उसने अपनी नानी से पूछा “नेनस, आपकी इतनी उम्र हो चुकी है, क्या आप मुझे अपने एक्सपीरियंस के हिसाब से बता सकती हैं आपने कभी किसी तरह का भूत या कोई डरावनी औरत देखी है। या कोई ऐसा जो काफी साल पहले मर चुका हो।” “कैसी पागलों वाली बात कर रहे हो...” उसकी नानी ने सब्जी काटते हुए कहा “ऐसा कुछ नहीं होता।”‌ वह कुछ देर रुकी और फिर ध्रुव से पूछा “तुम यह क्यों पूछ रहे हो, कुछ हुआ है क्या?” ध्रुव नानी को अपने साथ हुई घटनाओं के बारे में नहीं बताना चाहता था। इसलिए उसने बात को टालते हुए कहा “नहीं नेनस, वो आज हमारे क्लास में नेगेटिव एनर्जी नाम के किसी टाॅपिक को पढ़ा रहे थे, तो उसमें भूत प्रेत दिखने और ना दिखने की बात हो रही थी, बस इसीलिए पूछा। साइंस मानती है भूत प्रेत अगर है तो वह नेगेटिव एनर्जी हैं। अब नेगेटिव एनर्जी का वजूद है तो भूत-प्रेत के वजुद को भी कोई इग्नोर नहीं कर सकता।” “तुम और तुम्हारी साइंस, मुझे इससे दूर ही रखो।” उसकी नानी ने कहा और अपनी सब्जी काटने का काम जारी रखा। तकरीबन साढे़ पांच बजे ध्रुव ने अपनी साइकिल पकड़ी और मार्केट की तरफ निकल गया। उसका घूमने का मन कर रहा था। देर शाम का वक्त था और शहर में भारी भरकम भीड़ थी। शहर की भारी-भरकम भीड़ में साइकल चलाते हुए वह शहर से बाहर की तरफ जाने लगा। वह अपने नाना के वेयर हाउस की तरफ जा रहा था। वेयर हाउस की तरफ जाते हुए उसकी नजर एक घर पर पड़ी और उसने अपनी साइकिल उसी वक्त रोक दी। घर जला हुआ था। घांस फुंस वाली जमीन पर यह घर यहां की एकमात्र इमारत थी जो दिखाई दे रही थी। ध्रुव ने अपनी साइकिल को सड़क पर रोका और घर की तरफ चल पड़ा पर वह घर से थोड़ी दूर आकर रुक गया। घर की चौखट पर वहीं लड़की बैठी थी जिसे उसने कल रात देखा था। अपने उसी फुटबॉल के साथ जो ध्रुव की कार के ऊपर कूदते हुए सामने आ गई थी।