क्यों देव का इश्क निहारिका के लिए आखिर जहर बन गया क्या थी वो वजह जो देव को अपने ही इश्क को बद्दुआ देना पड़ा देव की बद्दुआओं से आखिर कैसे हुई निहारिका की जिंदगी तबाह ...... जानने के लिए पढ़े " जहर इश्क का " ❤️
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प्रतापगढ़ { उत्तर प्रदेश }
प्लीज देव चले जाओ यहां से निहारिका दुल्हन के लिबास में खड़ी एक 25 साल के युवक देव से जाने को बोली जो उससे बेपनाह इश्क करता है और वो भी उसे बहुत चाहती है मगर आज उसकी शादी शहर के मशहूर बिजनेस मैन
धर्मवीर अग्निहोत्री के बेटे नक्श अग्निहोत्री से हो रही थी....!!
आंसुओं से भरी उसकी आंखे देव से चले जाने को विनती कर रही थी जो उसे अपने साथ ले जाने आया था.....!!
क्यों आखिर क्यों कर रही हो तुम यह शादी नेहू यह बात तुम भी जानती हो और मैं भी की यह शादी करके ना तुम खुश रहोगी और ना मै मै मैं हाथ जोड़ता हु मत करो यह शादी और भाग चलो मेरे साथ मैं वादा करता हु नेहू मै तुम्हे हमेशा खुश रखूंगा.....देव उसका चेहरा अपनी हथेलियों में भर कर कहा....!!
काश कि हम तुम्हारे साथ चल पाते देव मगर हमारे पैर तुम्हारे साथ चलने की गवाही नहीं देते हम तुम्हे अपनी जान से भी ज्यादा चाहते है देव मगर हम अपने पापा के खिलाफ नहीं जा सकते हमे माफ कर दो प्लीज.....कहकर निहारिका देव के सीने पर सर रखकर फफक पड़ी...!!
नेहू बेटे तैयार हो गई क्या बाहर से उसकी चाची दरवाजा खटखटाई तो अंदर से निहारिका खुद को जब्त करते हुए बोली .......
जी चाची जी .....देव प्लीज तुम यहां से जाओ अगर मां तुम्हे यहां देख लेंगी तो बहुत परेशानी होंगी हमें प्लीज जाओ यहां से निहारिका उस देव को खुद से दूर जाने को कह रही थी जिसके संग जीने के सपने वो देखा करती थी....!!
देव खींच कर निहारिका को अपने करीब खींचा और उसकी नाक का नथ निकाल दिया निहारिका अपनी आसू भरी निगाहों से उसे ही देख रही थी...देव अपने तड़पते होठों को निहारिक के कांपते लबों पर रख दिया ....इतने वक्त साथ बिताने के बाद देव पहली दफा उसे चूमा था देव की पीड़ा निहारिक के हृदय को निचोड़ रहा था वो उसे खुद से दूर करना चाह रही थी मगर नहीं कर पाई....कुछ क्षण बाद देव अपने होठों को उसके लबों से रिहा किया और निहारिका के आंखों से बहते आसुओं को पोंछ कर कहा...
बहुत अच्छा से खेला है तुमने हमारे दिल के साथ
मिस निहारिका मलिक याद रखूंगा तुम्हारी यह बेवफाई मै तुम अपने पापा के खिलाफ नहीं जा सकती ना तो फिर ठीक है तुम वो करो जिसमे तुम्हारे अपने खुश है लेकिन मेरी एक बात याद रखना जीवन में तुम कभी खुश नहीं रह पाओगी हर क्षण हर लम्हा तुम्हे मेरे टूटे दिल के कीर्च चुभेगी मुझसे भी ज्यादा तुम तड़पोगी मिस निहारिक मलिक खून के आसू रोओगी तुम यह देवांश गुप्ता की बद्दुआ है तुम्हे कहकर देवांश निहारिका के माथे को कसकर चूमा निहारिक के ह्रदय में सैकड़ों कीलें चुभ गए.....!!
देव निहारिका की बालकनी से खुद कर वहां से चला गया....निहारिका खुद को संभाली और जाकर दरवाजा खोल दी.….
कितनी देर लगा दी दरवाजा खोलने में निहारिका की चाची शकुंतला जी बोली....
वो चाची जी हम बाथरूम में थे इसलिए समय लग गया.....निहारिक जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली...!!
कोई बात नहीं बेटा चाची जी मुस्कुरा कर बोली फिर निहारिका का चेहरा छू कर.....बहुत प्यारी लग रही है हमारी गुड़िया रानी निहारिका बस मुस्कुरा कर रह गई......!!
देवांश बार में बैठा शराब पे शराब पिए जा रहा था निहारिका की यादें उसके मन को जला रही थी समझ नहीं पा रहा था कि आखिर किस बात की सजा उसे मिली क्रोध और पीड़ा से ग्रस्त देवांश हाथ में पकड़े कांच के ग्लास को तोड़ दिया जिसके टुकड़े उसकी हथेली में चुभ गए.....उसकी आंखे खून की तरह लाल पड़ चुकी थी......शराब की वजह से वो ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था....!!
रात के करीब बारह बजे देवांश लड़खड़ाते हुए घर पहुंचा घर में उसकी विधवा मां और एक छोटी बहन ही थी .....देव को नशे में दूत देखकर देवांश की मां मेघना जी बोल पड़ी......
देव तू शराब पी कर आया है उनकी आंखों में नाराजगी और लहजे में गुस्सा था....देव अपनी बोझिल आंखों से अपनी मां को देखा और अपनी नशीली आवाज में कहा.......
मां मै हार गया तेरा बेटा हार गया मां वो वो आज किसी और से शादी कर रही है मां और और मुझसे कहती है कि मैं चला जाऊ एक पल में वो मुझे पराया कर गई मां.....मां क्या मै इतना बुरा हु .......देव सुबकते हुए कहा और मेघना जी के गले लग फफक पड़ा.....
किस गुनाह की सजा वो दी मुझे मां मै मै कभी माफ नहीं करूंगा उसे देखना आप वो कभी खुश नहीं रहेंगी .....!!
देव ये तू क्या बोल रहा है बेटे ऐसे अपशब्द भाषा नहीं बोलते देव वो भी तुझे बहुत चाहती थी लेकिन अब तू ही उसकी मजबूरी नहीं समझेगा तो और कौन समझेगा देव.....मेघना जी बोली तो देव गुस्से में तड़प कर कहा...
उसकी मजबूरी मजबूती और मेरा दर्द कुछ नहीं मां.......देव तू इस वक्त होश में नहीं है बेटा मेघना जी उसे संभाली और उसे कमरे में लेकर गई देव मेघना जी की गोद में सर रखकर सिसकता रहा मेघना जी उस रात देव को बहुत मुश्किल से संभाली थी...!!
निहारिका और नक्श की शादी हो चुकी थी लाल रंग के जोड़े में निहारिका अपने घर से विदा हो गई.......वो लाल रंग का जोड़ा निहारिका के लिए कफ़न था जिसे पहन कर वो अपने घर से विदा हुई थी....!!
अग्निहोत्री हाउस में निहारिका का स्वागत बहुत धूम धाम से हुआ शाम को धर्मवीर जी ने अपने बेटे और बहु की शादी की रिसेप्शन पार्टी ऑर्गेनाइज किए जिसमे बड़े बड़े उद्योगपति शामिल हुए ......नक्श के साथ गुलाबी रंग का लहंगा पहने निहारिका अपनी भावनाओं को दबाए बैठी थी.....नक्श का चेहरा भावहीन था उसके चेहरे पर कोई खुशी कोई चमक ही नहीं था....उसने यह शादी सिर्फ अपने डैड धर्मवीर जी की वजह से किया था....!!
पार्टी खत्म होते होते बहुत रात हो चुकी थी नक्श अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर कुछ ज्यादा ही शराब पी लिया था......कमरे में बैठी निहारिका घुंघट ओढ़े बिस्तर पर बैठी उसका इंतजार कर रही थी .......!!
कुछ ही पल में दरवाजा खुलने की आवाज आई तो निहारिका चिहुंक उठी नक्श कमरे का दरवाजा बंद किया और निहारिका को अपने बेड पर बैठे हुए देखा तो गुस्से से तिलमिला गया.....
नक्श एक झटके में निहारिका का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर से उठा दिया....
तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम मेरे बिस्तर पर बैठोगी अपनी हैसियत मत भूलो तुम .........नक्श की बात सुनकर निहारिका अप्रत्यक्ष रूप से उसे देखने लगी....नक्श के हाथ पकड़ने से उसे बहुत दर्द हो रहा था मगर फिर भी वो कुछ नहीं बोली....!!
तुम सिर्फ नाम की पत्नी हो इससे ज्यादा कुछ एक्सेप्ट मत करना मुझसे समझी और एक बात कान खोलकर सुन लो मेरी चीजों को हाथ लगाने की कोशिश भी मत करना वरना मै तुम्हारा वो हाल करूंगा कि तुम सोच भी नहीं सकती कहकर नक्श निहारिका को खुद से दूर धकेल दिया निहारिका फर्श पर गिर पड़ी और नक्श औंधे मुंह बिस्तर पर लुढ़क गया.....नक्श का बर्ताव निहारिका का सीना चीड़ गया था.....!!
शादी को कुछ ही महीने बीते थे कि निहारिका की जिंदगी मौत से भी बत्तर हो चुकी थी इन बीते महीने में खुलकर हंसना तो दूर की बात है वो अब मुस्कुराना भी भूल चुकी थी उस घर में ऐसा कोई सक्स नहीं था जिससे निहारिका अपना दर्द बटाती दिन में सांस ससुर की सेवा करती तो रात को अपने पति की हवस मिटाती.....नक्श को कभी मना करती तो वो जानवरों की तरह उसे पीटता था निहारिका अपनी सिसकियां भी मुंह में ही दबा कर रह जाती थी .......नक्श भले ही उसे अपनी पत्नी का दर्जा कभी नहीं दिया था मगर उससे अपनी जरूरतें अवश्य पूरी करवाता था....!!
बिस्तर पर लेटे नक्श का जब मन भर गया तो वो बिस्तर पर बेसुध लेटी निहारिका को वैसे ही छोड़ कर उठा और अपनी पेंट पहन कर ड्रॉअर से सिगरेट निकाल कर अपने होठों के बीच दबा लिया.....
अब सारी रात यही पड़ी रहोगी क्या चलो जाओ यहां से नक्श सिगरेट का धुंआ उड़ाते हुए कहा तो निहारिका अपनी अंधखुली साड़ी को समेटे बिस्तर से उठ खड़ी हुई .....उसके पांव बाथरुम की तरफ बढ़े ही थे कि नक्श की बात सुनकर उसकी रूह तड़प उठी.....
नक्श अपनी गर्लफ्रेंड रूहिका से बात कर रहा था जो वीडियो कॉलिंग की हुई थी.......नक्श उसके समाने शर्टलेस था और वो भी सिर्फ एक शर्ट नाइटी में थी जिसकी स्ट्रिप काफी पलता था ......
रूह यू आर लुकिंग डैम हॉट एंड सेक्सी काश तुम यहां होती मेरी बाहों में ...... रूहिका नक्श की बात सुनकर हस पड़ी और कैमरे की तरफ झुकते हुए बोली.....
क्यों मिस्टर अग्निहोत्री तुम्हारी बीवी तुम्हे खुश नहीं करती क्या.…....कहकर रूहिका हस पड़ी नक्श की निगाहे रूहिका के नाइटी से झांकती सीने पर था जिसे रूहिका भी महसूस कर रही थी फिर भी रूहिका उन्हें छुपाने की कोशिश नहीं की.....वही निहारिका से यह सब कुछ बर्दाश नहीं हुआ वो झट से बाथरूम में घुस गई और अपने बदन पर लपेटी हुई साड़ी को खींच कर फेक दी ....... बाथरूम में लगे शीशे में जब निहारिका खुद को देखी तो उसके बदन पर नक्श की दरिंदगी के सबूत थे......वो वही शॉवर के नीच बैठ कर कस कर चीख पड़ी किंतु उसकी चीख मुंह में ही दबी रह गई निहारिका अपना मुंह अपने हाथों से कसकर दबा ली थी......!!
तुम्हारी बददुआ लग गई मुझे देव लग गई तुम्हारी बददुआ हमे तुम हमे तड़पाना चाहते थे ना तो देख लो तड़प रहे है हम तुम चाहते थे ना कि हम कभी खुश ना रहे अरे खुश तो छोड़ो हम मुस्कुराते भी नहीं है हम यहां तक कि हम मुस्कुराना ही भूल गए ........खून के आसू रुलाना चाहते थे ना तुम हमे तो देखो हम रो रहे है देव .....काश कि तुमने हमे मर जाने की बद्दुआ दिया होता देव ........निहारिका की आंखों से आसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे बदन पीड़ा से ग्रस्त था मगर उसे मरहम लगाने वाला वहां था कौन....??
एक रोज निहारिका अपनी सांस के साथ दुर्गा मंदिर आई हुई थी उसी मंदिर में देवांश अपनी मां और छोटी बहन के साथ आया हुआ था......निहारिका अपने सर पर आंचल ओढ़े दुर्गा मां के सामने हाथ जोड़े खड़ी थी देवांश भी उससे कुछ कदम कि दूरी पर ही खड़ा था......हवाओं का झोंका जब देवांश को छुआ तो उसे जाना पहचाना अहसास हुआ उसने अपनी आंखे झट से खोला और निहारिका को देखा जो अब भी आंखे मूंदे उससे कुछ कदम कि दूरी पर खड़ी थी.....!!
देवांश उस तक पहुंचता उससे पहले निहारिका अपनी सांस के साथ आगे बढ़ गई.....निहारिका की आंखों में देवांश असहनीय पीड़ा देखा था उसने.....वो अपने किए बर्ताव के लिए निहारिका से माफी मांगना चाहता था मगर उसकी माफी भी अब निहारिका की जिंदगी नहीं सवार सकती थी......!!
निहारिका बड़ी सी गाड़ी में बैठकर वहां से निकल गई....पीछे खड़ा देव हताश होकर उसे जाते हुए देखता रह गया....!!
क्या हुआ देव सब ठीक है ना तू अचानक मंदिर से यहां क्यों चला आया......मेघना जी पूछी तो देव भराए गले से कहा...
मैने उसे देखा मां पिछले सात महीने से उससे मिलने की कोशिश कर रहा हु ताकि अपने किए की उससे माफी मांग सकू और आज दिखी भी तो मेरी तरफ एक बार भी नहीं देखा उसने मां......ऐसा लगा जैसे वो बहुत तकलीफ में है पता नहीं लेकिन मेरी नेहू खुश नहीं है मां इस शादी से .......देवांश अपनी बात अपनी मां से कहा तो मेघना जी उसके गाल छूकर बोली.....
कितना गहरा इश्क है रे तेरा काश कि विधाता तेरी किस्मत की लकीर तेरी निहारिका के साथ जोड़ता तो आज तुम दोनों एक दूसरे का साथ पाकर कितने खुश रहते.....
मां वो इश्क ही क्या जिसमें दर्द और तन्हाई ना मिले..... इश्क अगर आसान होता तो हर राही को उसकी मंजिल मिल चुकी होती पर यह इश्क है मां और इश्क की राहें कभी आसाना नहीं होती ......कहकर देवांश फीका मुस्कुराया....!!
जब से मेघना जी उसे समझाइए थी कि अपनी पीड़ा और आक्रोश में आकर उसने निहारिका को बद्दुआ देकर कितनी बड़ी गलती की है तब से देवांश निहारिका से माफी मांगने के लिए बेकरार था वो माफ नहीं करती उसे तो कोई बात नहीं मगर कम से कम एक बार उससे आकर मिल तो लेती.....!!
क्यों री कौन था वो लड़का जो मंदिर में तेरे पीछे दौड़ रहा था .....निहारिका की सांस उसकी बाजुओं को कसकर पकड़े हुए पूछी.....
हम नहीं जानते उसे आप आप यकीन कीजिए हमारा हमारा कोई रिश्ता नहीं है उससे.....
नक्श ये लड़की ऐसे नहीं मानेगी तू अपनी भाषा में समझा इसे अग्निहोत्री परिवार की बहु गैर मर्द के साथ गुलछरे उड़ा रही है अगर यह बात लोगो को पता चलेगा तो क्या इज्जत रह जाएंगी हमारी......
मैने तो पहले ही कहा था इनके चाल चलन ही ठीक नहीं है नक्श की बहन बोली तो निहारिका खुद को बेकसूर साबित करती हुई बोली....
आप सब मेरा यकीन कीजिए मै सच में उसे नहीं जानती....!!
नक्श उसकी बात सुने बिना ही उसे घसीटते हुए कमरे में लेकर गया कुछ ही क्षणों में निहारिका के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी मगर उसकी चीखों से बाहर खड़े उन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ा.......निहारिका की पीठ पर नक्श के बेल्ट के निशान थे गालों पर थप्पड़ के निशान थे जिससे उसके होठ भी फट चुके थे जहां से खून की धारा फूट कर बहने लगी थी....!!
निहारिका बेटी........दरवाजे के पास खड़े निहारिका के पिता दानवीर मलिक बोले तो हॉल में खड़ी निहारिका की सांस खबरा गई और इशारों से अपनी बेटी को वहां से जाने को बोली और जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली.....
अरे समधी जी आइए ना अगर बता देते की आप आने वाले है तो हम आपके लिए गाड़ी भिजवा देते .......
जी शुक्रिया दरअसल हम अपनी बिटिया को सरप्राइस देना चाहते थे बहुत दिन हो गए उसे देखा नहीं हमने आज काम के सिलसिले में यहां से गुजरना पड़ा तो सोचा एक बार बिटिया से भी मिल लेता हु कहा है वो.....
जी वो अपने कमरे है आराम कर रही है अभी अभी मंदिर से आई है ना थोड़ा थक गई है मै अभी उसे बुला कर लाती हु ......इतना कहकर वो वहां से नक्श के कमरे की तरफ बढ़ गई...
अरे वाह दानवीर जी बिटिया की शादी तो बड़े घराने में किया है आपने वाकई आपकी बिटिया के तो भाग ही खुल गए दानवीर जी के साथ आए उनके मित्र ने कहा तो वो मुस्कुरा दिए.....!!
सुन लड़की अपने बाप के सामने जबान को लगाम लगा के रखना वरना जानती है ना नक्श तेरा क्या हाल करेगा.....निहारिका मेकअप से अपने जख्मों को छुपाते हुए हा में सर हिला दी....!!
कौन कहता है कि मेकअप सिर्फ स्त्रियों की सुंदर ही बढ़ाता है कई बार मैकअप से एक बेटी अपने जख्मों को भी छुपा लेती है ताकि उसके ससुराल आए पिता को कोई तकलीफ ना हो......अपने मेकअप की आर में वो बेटी हर गम हर आसू छिपा लेती है जो बचपन में हल्की सी खरोंच पर भी पूरा घर सर पर उठा लेती थी....!!
निहारिका अपने पापा से हंस मुस्कुरा कर मिली और उन्हें अपनी तकलीफों का जरा सा भी अहसास नहीं होने दी एक क्षण को मन किया कि जाकर उनसे लिपट जाए और तब तक रोए जब तक उसकी आंखों से आसू सुख नहीं जाते मगर पांव मानो बेड़ियों में जकड़े हुए थे....... दानवीर जी अपनी बेटी को खुश देखकर मुस्कुरा दिए और निहारिका के सर पर हाथ फेर कर वहां से चले गए.....!!
यह मिठाई के डिब्बे नौकरों में जाकर बाट दो निहारिका की सांस उसके पिता द्वारा लाए गए मिठाई के डिब्बे को देखते हुए बोली तो निहारिका आसू भरी निगाहों से उसे देखते हुए बोली......
पापा यह मिठाई आप सबके लिए लाए थे और आप इन्हें नौकरों में बाट रही है....
तो तू क्या चाहती है हम दो टके की मिठाई खाकर अपनी तबियत बिगाड़ ले सुन लड़की मेरे पति ने तुझे इस घर की बहु बना दिया इसका मतलब यह नहीं कि तू हमारे सिर पर तांडव करेंगी......अरे उन्हें तो आदत है राह चलते भिखाड़ियों को भी दान करने की.....
हमारे पापा भिखाड़ी नहीं है समझी आप यह जो एसो आराम की जिंदगी आप जी रही है ना वो सब हमारे पापा की दी हुई मोहलत है ........जो कंपनी आज ऊंचाइयों की बुलंदिया छू रही है ना वो हमारे पापा की देन है अगर दो साल पहले उन्होंने आपके पति को लोन नहीं दिया होता तो अब तक यह कंपनी कर्ज में डूब चुकी होती ....!!
निहारिका आवेश में आकर बोली तो नक्श उसका हाथ पकड़ उसे अपनी तरफ घुमाया और खींच कर एक थप्पड़ उसके गालों पर रसीद दिया निहारिका के कान झनझना उठे घर के नौकर भी वहीं खड़े थे लेकिन वो भी ख़ामोशी से सिर्फ देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे निहारिका के लिए....!!
तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम मेरी मॉम से बदतमीजी करोगी नक्श उसका हाथ मरोड़ते हुए कहा निहारिका का चेहरा दर्द से पीला पड़ चुका था....!!
उधर देवांश निहारिका से मिलने के लिए बेताब था मगर निहारिका कभी अपने घर से बाहर निकलती ही नहीं थी निकलती भी थी तो उसके साथ हमेशा कोई ना कोई जरूर रहता था......
देवांश उसके ससुराल जाकर उसकी मुसीबत नहीं बढ़ाना चाहता था इसलिए वो बाहर खड़ा होकर उसका इंतजार करता था.....!!
एक रोज नक्श निहारिका के साथ अपने दोस्त की पार्टी में गया हुआ था जो एक लक्जियर्स होटल में था ....निहारिका डार्क ग्रीन कलर की साड़ी के साथ ब्लॉक रंग की ब्लाउज पहनी हुई थी साड़ी से मैचिंग चूड़ियां और एरिंग उसने पहन रखे थे नक्श ऊपर से लेकर नीचे तक उसे देखा फिर उसके बाद बाहर निकल गया.....!!
हैलो स्वीटहार्ट रूहिका को देखते ही नक्श उसे गले लगकर बोला और हल्के से उसके होठों को चूम लिया .....निहारिका भी वही खड़ी थी उसका मन पीड़ा से भर गया था.....!!
हाय ब्यूटीफुल नक्श का दोस्त ध्रुव निहारिका से चिपकते हुए कहा तो वो उससे दूर हटते हुए बोली...
ये ये आप क्या कर रहे है दु दु दूर रहिए हमसे प्लीज निहारिका ध्रुव को खुद से दूर करते हुए बोली मगर ध्रुव उसके कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी बाहों में भर लिया......निहारिका छटपटा उठी वही नक्श रूहिका के जुल्फों के साथ सोफे पर बैठा खेल रहा था....!!
ध्रुव निहारिका को देखते हुए कहा....अरे आप इतना बुरा क्यों मान रही है आपके पति से ही पूछ कर आपके पास आया हुआ.......निहारिका यह सुनकर चौक गई .......नहीं यह झूठ है वो वो हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकते कहकर निहारिका ध्रुव को धक्का दी और नक्श के पास गई जो रूहिका के साथ व्यस्त था......
नक्श नक्श आपके दोस्त हमारे साथ बदतमीजी कर रहे है आप सुन रहे है ना नक्श .....
तो क्या हो गया अगर उसने तुम्हे छू लिया तो मर तो नहीं गई ना तुम नक्श फ्रस्ट्रेट होकर कहा क्योंकि निहारिका के अचानक आ जाने से वो डिस्टर्ब जो हो चुका था.....!!
नक्श हम पत्नी है आपकी आप हमारे साथ जो चाहे कीजिए हम उफ्फ तक नहीं करेंगे लेकिन किसी गैर मर्द का छुना भी हमे बरदाश नहीं होगा....कहकर निहारिका नक्श के पैरो के पास गिर पड़ी.....नक्श उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसकी टुंडी को दबाते हुए कहा......तुम ही कहती हो ना अपने पति की आज्ञा मानना एक पत्नी का कर्तव्य होता है तो जाओ जाकर मेरे दोस्त को खुश करो जैसे मुझे करती हो ....इतना कहकर नक्श उसे धकेल दिया निहारिका आसू भरी नजरों से नक्श को देखने लगी .....…तभी ध्रुव आकर उसे अपनी बाहों में उठा लिया.....!!
रूहिका जाकर नक्श की गोद में बैठ गई नक्श भी उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया...…...नक्श बेबी आखिर कब तक उस बहनजी को झेलोगे कचड़े की तरह फेक क्यों नहीं देते उसे कहकर निहारिका उसके शर्ट के बटन खोलने लगी नक्श उसके होठों को चूमते हुए कहा..…... मेरा बस चले तो आज ही निकाल दु उसे अपनी जिंदगी और अपने घर से मगर डैड की वजह से कुछ नहीं कर पा रहा हु.....
तो क्या वो हमेशा तुम्हारे साथ तुम्हारी पत्नी बनकर रहेंगी तो फिर मेरा क्या होगा डोंट ट्राई टू चिट मि नक्श ......रूहिका नक्श के खुले सीने पर हाथ फेरी तो नक्श उसे अपनी गोद में उठाते हुए कहा......
तुम्हे धोखा देने का तो सवाल ही नहीं है स्वीटहार्ट यू आर ओनली माइन ......उसे इस तरह से अपनी जिंदगी से बाहर निकालूंगा की वो कभी सपने में भी नहीं सोची होगी.......
अच्छा ऐसा क्या करोगे उसके साथ रूहिका नक्श के गर्दन पर बाइट करते हुए पूछी.......
बताऊं......नक्श रूहिका को कमरे में लेकर आया और अपने पैरो से दरवाजे को बंद कर दिया.....रूहिका मुस्कुराते हुए हा में सर हिला दी तो नक्श उसकी आंखों में देखते हुए उसे बेड पर लेटा दिया और कहा....
पागल बना दूंगा उसे इस हद तक की कोई उसपर विश्वास भी नहीं कर पाएगा ....... कहकर नक्श अपनी शर्ट उतार कर फर्श पर फेक दिया और रूहिका के होठों को बेताब होकर चूमने लगा.....!!
वही दूसरे कमरे में निहारिका ध्रुव से खुद को छोड़ देने की गुहार लगा रही थी मगर ध्रुव उसके दोनों हाथों को अपने मजबूत हाथों में लपेटे हुए था ध्रुव के नीचे लेटी निहारिका छटपटा रही थी उसकी आंखों से आसू बहकर बिस्तर को भिगाने लगे ध्रुव उसके थरथराते होठों को छुआ जिसपर रेड क्लर की लिपस्टिक लगा हुआ था.....ध्रुव की छुअन से निहारिका का बदन जल उठा...... वो तड़प कर बोली
प्लीज भगवान के लिए छोड़ दीजिए हमें मगर ध्रुव के ऊपर उसकी बातों का कोई असर नहीं हुआ उसने निहारिका के सीने से उसका आंचल खींच दिया निहारिका कसकर चीख पड़ी ........
उसी कमरे से गुजर रहा देवांश जब यह चीख सुना तो उसके पांव थम गए....!!
देव क्या हुआ तू रुक क्यों गया......देवांश का दोस्त कहा जिसकी बर्थडे पार्टी में वो आया हुआ था...!!
तुम जाओ मुझे एक कॉल करना है तो मैं बाद में आता हु देव कहा तो उसका दोस्त आगे बढ़ गया वही देव उस कमरे की तरफ आया जहां से उसने एक लड़की की चीख सुनी थी.....!!
निहारिका के ऊपर लेटा ध्रुव पागलों की तरह उसके गले को चूम रहा था और वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी ध्रुव ने जब अपने दात उसके गले पर गड़ा दिए तो एक मर्तबा फिर उसकी भयावह चीख गूंज गई......ध्रुव उसके होठों को मसलते हुए कहा.…...वाकई में मानना पड़ेगा नक्श की किस्मत को आप जैसी खूबसूरत बीवी के साथ साथ रूहिका जैसी हॉट एंड सेक्सी गर्लफ्रेंड भी है साला दोनों के मजे लेता है अगर मैं होता तो आपके सिवा किसी और की तरफ देखता भी नहीं......कहकर ध्रुव निहारिका के होठों को जैसे ही चूमना चाहा एक जोड़दार धाड़ के साथ दरवाजा खुल गया....!!!
देवांश की आंखें पनीली हो गई उसका दिल रो पड़ा अपने सामने का मंजर देख कर......वही ध्रुव जब देवांश को वहां देखा तो गुस्से से भर उठा.....
यह क्या बदतमीजी है मिस्टर .......??
बदतमीजी तो तुझे मैं दिखाता हु कमिने तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी नेहू के साथ जबरदस्ती करने की कहकर देव ध्रुव पर टूट पड़ा निहारिका कांपते हुए उठ बैठी उसकी आंखों से लगातार आसू बह रहे थे.....देव के आगे ध्रुव खुद को संभाल नहीं पाया देव कि आंखे अंगारे उगल रही थी ध्रुव अपनी जान बचा कर वहां से भाग गया........वही देव जब निहारिका को बदहवास सा बैठा देखा तो अपना कोट निकाल कर उसे पहनाते हुए पूछा......
त ता तुम ठीक होना नेहू........ निहारिका अपनी लाल आंखों से उसे देखी उसका इस तरह से देखना देव की आंखों में पीड़ा दे गया....
दूर रहो हमसे देवांश गुप्ता तुम्हारी हमदर्दी की आवश्यकता नहीं है हमे कहकर निहारिका देव का कोट निकल कर फेक दी और बेड से उठ खड़ी हुई......
वो तुम्हीं होना जिसने हमे जीवन भर तड़पने की बद्दुआ दिया था क्या कहा था तुमने हमसे हम खून के आसू रोएंगे देखो हमारी आंखों हम रो रहे है देव दिन रात हर पल हर लम्हा तड़पते है हम ......तुम तुम खुश होना हमें तड़पते हुए देखकर हम भी क्या बकवास कर रहे है ......खुश तुम होंगे ही ना तुम्हारी इच्छा जो पूर्ण हो गई.....जाओ देवांश गुप्ता खुशियां मनाओ निहारिका मलिक की तबाही का जश्न मनाओ मिठाइयां खाओ जाओ......निहारिका बिलख पड़ी तो देव भावुक होकर कहा......
आई एम सॉरी नेहू उस वक्त मै कुछ समझ नहीं पा रहा था गुस्से और दर्द में क्या बोल गया मै मैं नहीं समझ पाया नहीं समझ पाया जो कुछ मै कह रहा हु उससे मेरी नेहू को कितनी तकलीफ होगा मै नहीं समझ पाया....
मेरी नेहू मेरी नेहू बंद करो हमें अपनी नेहू कहना देखो हमारी मांग में सिंदूर है किसी और के नाम का ये ये मंगलसूत्र है जो इस बात की निशानी है कि हम किसी और की पत्नी है देव.......देवांश अपनी आंखे मिच लिया.......!!
क्या गलती थी हमारी देव जो तुम हमे मौत से भी बत्तर जिंदगी जीने की बद्दुआ दे बैठे .....तुम्हे छोड़कर हमने अपने पापा को चुना यह गलती थी हमारी तो और क्या करते हम तुम्हारे साथ भाग जाते ताकि हमारे जाने के बाद पापा की इज्जत की लोग धज्जियां उड़ा देते जिस पिता का सर हमेशा गर्व से ऊंचा था वो झुका देते हम ....… अगर हमारे जाने के बाद उन्होंने आत्महत्या कर लिया होता तो उम्रभर उनके कातिल बनके जीते हम.....लेकिन तुम्हारा क्या है तुम्हे सिर्फ अपना दर्द अपना आसू दिखा मेरी मजबूरी मेरी बेबसी मेरी आंखों में असहनीय पीड़ा नहीं देख पाए तुम बड़े खुदगर्ज निकले तुम देवांश गुप्ता उससे भी खोखला था तुम्हारा इश्क जो आज भी हमारी रगो में जहर बनकर दौड़ता है.......औरों का इश्क सुकून देता है लेकिन तुम्हारा इश्क हमे तिल तिल मार रहा है देव.......तुम तुम हमे मर जाने की बद्दुआ दे दो ताकि हम चैन से मर सके देव अब और नहीं जी पाएंगे हम आजाद कर दो हमे अपनी बद्दुआओं से देव .......मर जाने दो हमे कहकर निहारिका निढाल होकर वही दीवार से टेक लगा कर गिर पड़ी.......उसका रोना हिजकियो में बदल चुका था......!!
वही देव की आंखें पीड़ा से ग्रस्त हो चुकी थी उसकी एक एक बात देव का सीना छल्ली कर गई.....!!
उस दिन को बीते आज एक साल हो चुका था देवांश इन एक साल में चैन से सो नहीं पाया था रह रहकर निहारिका का रोना उसे बेचैन कर जाता था आंखे मूंदते ही उसकी सिसकियों से भरी आवाज देव के कानो में गूंजने लगती थी.....!!
एक रोज देवांश निहारिका से मिलने उसके ससुराल पहुंचा तो उसके पड़ोसी से पता चला कि निहारिका अब यहां नहीं रहती.......
यहां नहीं रहती तो कहा रहती है वो क्या वो अपने मायके गई हुई है देवांश अपने सामने खड़ी महिला से पूछा...
नहीं उसके ससुराल वाले उसे मेंटल हॉस्पिटल भेज दिए कहने लगे कि उनकी बहु पागल हो चुकी है नक्श तो बहुत रो भी रहा था मगर अब क्या ही कह सकते है बेचारे की फूटी किस्मत जो एक पागल लड़की से उसका ब्याह हो गया.....
वो पागल नहीं है समझी आप.....देवांश हल्की नाराजगी के साथ कहा और वहां से उठ कर जाने लगा तो पीछे खड़ी महिला पूछी......
वैसे तुम हो कौन और अग्निहोत्री जी की बहु के बारे में क्यों पूछ रहे हो.......
वक्त आने पर सबकुछ बता दूंगा.....कहकर देवांश वहां से चला गया उसकी नजर अग्निहोत्री घर पर गई जो दुल्हन की तरह सजा हुआ था आज नक्श की छोटी बहन की शादी थी वहां.......देवांश एक नजर उस घर की तरफ देखा और वहां से चला गया....!!
देवांश की जीप मेंटल हॉस्पिटल के बाहर आकर रुकी वो दनदनाते हुए वहां के स्टाफ से निहारिका के बारे में पूछा पहले तो उसने कुछ भी बताने से मना कर दिया मगर जैसे ही देवांश अपना आईडी कार्ड दिखाया वो तुरंत ही निहारिका के वॉर्ड की तरफ उसे लेकर चला गया......!!
कोने में बैठी निहारिका एक गुड्डे के साथ बच्चों की तरह खेल रही थी बड़ी ही बेढंग तरीके से उसने कपड़े पहन रखे थे लंबे और घने बालों की जगह सिर्फ बॉय कट हेयर था वो कभी बड़े प्यार से उस गुड्डे से बात करती तो कभी उसमें का रुई निकाल कर रोने लगती कभी खिलखिला कर हस्ती तो कभी चिल्ला देती.…....दरवाजे के पास खड़े देवांश का पांव लड़खड़ा गया ........
निहारिका अपनी टिमटिमाती आंखों से उसे देखी तो देव तड़प उठा......आखिर इन एक सालों में निहारिका के साथ ऐसा क्या हुआ जो आज वो मेंटल हॉस्पिटल में है देव खुद से सवाल पूछा फिर निहारिका की तरफ बढ़ गया.......!!
निहारिका उसे पहचान भी नहीं पाई वो उससे डर रही थी यह देखकर देवांश का मन कचोट गया बड़ी हिम्मत जुटा कर उसने निहारिका से बात किया निहारिका कुछ देर तक उसे देखती रही फिर हौले से मुस्कुरा दी....
आप हमें रोज चॉकलेट देंगे ना .......आई प्रोमिस हम आपके लिए रोज चॉकलेट लेकर आयेंगे लेकिन उससे पहले आपको हमसे दोस्ती करनी पड़ेगी.....देव मुस्कुरा कर बोला.....
दोस्ती वो क्या होता है वो अपने सर को खुजलाते हुए पूछी तो देव बहुत अच्छे से उसे दोस्ती का मतलब समझाया जिसे सुनकर वो बोली.....ओके दोस्त निहारिका अपना हाथ आगे की तो देव उससे अपना हाथ मिला लिया देव के छुते ही निहारिका का मन बेचैन हो गया धुंधली यादें उसके जहन में कौंध गई.....
क्या हुआ तुम्हे देव परेशान होकर पूछा......
हमारा सर सर घूम रहा है कहकर निहारिका अपना सिर पकड़ ली देव बहुत मुश्किल से उसे संभाला.....!!!
अगले दिन देवांश निहारिका को अपने साथ ले जाने की बात किया तो डॉक्टर उसे मना कर दिए मगर देवांश के रिक्वेस्ट करने से वो मान गए.....देवांश निहारिका को अपने घर लेकर आया मेघना जी उसे देखकर अपने आसू नहीं रोक पाई.......देव ने उसे बताया कि निहारिका दो हफ्तों से प्रेग्नेंट है ऐसे में उसे खास ख्याल रखने की जरूरत है .........
उस बच्ची ने किसी का क्या बिगाड़ा था जो इतना दर्द उसकी जिंदगी में विधाता लिख दिए......... मेघना जी की बात सुनकर देव नम आंखों से देखकर कहा....
उसकी ज़िन्दगी को नर्क बनाने वाला इंसान मै हु मां मेरी ही दी बादुओं का असर है जो जिल्लत भरी जिंदगी जीने को आज वो बेबस है.......सही कहती थी निहारिका मुझे मै खुदगर्ज हु मां मुझे सिर्फ अपना तकलीफ दिखाई दिया मै कभी निहारिका को समझ नहीं पाया मां.......
मेघना जी उसके आसू पोछकर बोली......जो हो गया उसे तू अब बदल तो नहीं सकता देव लेकिन आगे से कोशिश करना की निहारिका की आंखों में अब आसू ना आए....
निहारिका की आंखों में अब आसू की बूंद भी नहीं पड़ने दूंगा मां लेकिन उसके ससुराल वालों की जिंदगी तबाह करके रख दूंगा मै.......निहारिका के एक एक आसू की कीमत उन सबको चुकानी पड़ेगी मां......और सबसे ज्यादा तड़पेगा नक्श अग्निहोत्री कहकर देवांश वहां से उठकर बाहर चला गया....!!
नक्श अपने घर में बैठा सुबह का ब्रेकफास्ट कर रहा था तभी इंस्पेक्टर उसके घर में घुस आए......धर्मवीर जी अचानक इंस्पेक्टर को देखकर चौक गए......
इंस्पेक्टर साहब आप कहिए यहां कैसे आना हुआ.......??
आपके बेटे नक्श अग्निहोत्री के खिलाफ अरेस्ट वारंट है हमारे पास इनके ऊपर डोमेस्टिक वायलेंस मेंटल हैरेसमेंट और मार्टिनल रेप के चार्जेज लगे है.......
व्हाट रबिश किसने की कंपलेन मेरे खिलाफ डैड पैसे फेकिए इनके मुंह पर और केस को बंद करवा दीजिए नक्श इंस्पेक्टर को देखते हुए कहा......
मिस्टर नक्श अग्निहोत्री यह पैसे अपने डैड के पास रहने दीजिए वकील को देने में काम आएगा .....
तुम हो कौन .....??
एडवोकेट देवांश गुप्ता ........निहारिका मलिक का आशिक और तुम्हारी बर्बादी कहकर देवांश नक्श की आंखों में घूरा और अपनी आंखों पर चश्मा चढ़ा कर वहां से निकल गया.....!!
इंस्पेक्टर नक्श के हाथों में हथकड़ी लगाकर उसे वहां से लेकर चले गए.....नक्श की मां चिल्लाती रह गई वही धर्मवीर जी सोफे पर गिर पड़े.......!!!
नक्श अदालत के हाथों मजबूर होकर अपने गुनाहों को कुबूल कर लिया और साथ ही यह भी बताया कि उसकी पत्नी पागल नहीं थी बल्कि उसने ही दवाई देकर उसे पागल बनाया है ताकि वो उसकी ज़िन्दगी से चली जाए और वो अपनी गर्लफ्रेंड रूहिका से शादी कर पाए.....मगर जब रूहिका को पता चला कि धर्मवीर जी अपनी सारी संपत्ति अपने बेटे के नहीं बल्कि अपने आने वाले पोते पोतियों के नाम पहले ही कर चुके है तो वो एक पल में नक्श से रिश्ता तोड़ कर चली गई.......नक्श का स्टेटस देखकर वो उसके साथ रिलेशनशिप में आई थी वो नक्श से नहीं बल्कि उसकी अमीरी से प्यार करती थी.....!!!
नक्श की बात सुनकर अदालत उसे 14 वर्षों की कड़ी सजा सुना बैठी जिसे सुनकर नक्श अपनी गर्दन झुका लिया वहां बैठे धर्मवीर जी ग्यालिन भाव से नीचे जमीन को देखने लगे.......
निहारिका का रोना उन्हें याद आ रहा था जब नर्स उसे घसीट कर उसे मेंटल हॉस्पिटल ले जा रही थी ....!!!
तब निहारिका धर्मवीर जी के सामने हाथ जोड़ कर बोली थी कि वो पागल नहीं है उसे मेंटल हॉस्पिटल ना भेजे.......मगर उस वक्त वहां किसी ने उसकी बात नहीं सुनी...!!
इन सब चीजों में आठ महीने बीत चुके थे निहारिका इन सबसे अज़ान थी उसके पेट का उभार अब दिखने लगा था मेघना जी और देव की छोटी बहन उसे कभी कोई तकलीफ नहीं होने देते उसके सारे नखरे उठाते थे और देव वो तो बिल्कुल बच्चा बनकर उसके साथ रहता था.....!!
देव उसके बालों में मालिश कर रहा था तो निहारिका देव की तरफ देखते हुए बोली.....पेट में दर्द हो रहा है दोस्त ......
अच्छा हम आज ही डॉक्टर के पास चलेंगे.....देव उसके सर की मालिश करते हुए कहा....
नहीं नहीं मुझे डॉक्टर आंटी के पास नहीं जाना वो मोटी सुई लगाती है बहुत चुभता है हमे.......
कुछ नहीं चुभता बस हल्का सा दर्द होगा फिर सब ठीक हो जाएगा मेघना जी दूध का ग्लास निहारिका के हाथों में थमा कर बोली......और प्यार से उसके गाल छुई तो निहारिका मुस्कुरा दी......!!
चलो फटा फट दूध फिनिश करो फिर मै तुम्हे तैयार कर देती हु फिर देव तुम्हे डॉक्टर के पास ले जाएगा.....मेघना जी बोली तो निहारिका झट से अपना दूध पी ली मेघना जी उसे तैयार की तो देव उसे अपने साथ हॉस्पिटल लेकर चला गया.....!!!
हॉस्पिटल से निकल कर निहारिका उससे आइसक्रीम खाने की जिद की तो देव को उसके जिद के आगे झुकना पड़ा......वो जाकर एक आइसक्रिम कोन निहारिका के लिए ले आया जिसे वो खूब मजे से खाने लगी वही देव एक टक उसे देख रहा था....... !!
देव को खुद की तरफ देखते हुए निहारिका अपनी आंखे उचका कर पूछी....." क्या हुआ " ??
देव ना में सिर हिला दिया फिर उसके होठों के किनारे लगे क्रीम को अपने अंगूठे की मदद से पोंछ दिया......निहारिका एक टक उसे देखने लगी फिर उसके गालों पर अपने होठ रखकर बोली......तुम बहुत अच्छे हो दोस्त ........देव की आंखें भीग गई उसने अपना चेहरा घुमा कर अपनी आंखों को पोछा और खुद से कहा......
नहीं नेहू मै कभी अच्छा नहीं हो सकता अगर होता तो इस तरह अपने इश्क की जिंदगी बर्बाद नहीं करता तुम्हारा गुनाहगार मै ताउम्र रहूंगा ........देवांश खुद से कहा फिर निहारिका की तरफ झुक कर उसका सिल्ट बेल्ट लगाने लगा....सिल्ट बेल्ट लगाते वक्त दोनों की निगाहें एक दूसरे से जा मिली....!!!
देवांश खुद को संभाला और गाड़ी स्टार्ट कर वहां से घर की तरफ निकल गया.......!!
देवांश निहारिका के पेट से कान लगाकर बच्चे की मूवमेंट को ऑब्जर्व कर रहा था निहारिका उसकी हरकत पर मुस्कुरा रही थी......और मजे से भीगे हुए बादाम खा रही थी......
मेघना जी देव और निहारिका को एक साथ देखी तो मुस्कुरा दी......
मां भैया कितना प्यार करते है ना निहारिका दीदी से देखो ना कैसे उनके हर बेतुकी बातों पर हस रहे है वो...
हा मगर अब तू उसे निहारिका दीदी नहीं बल्कि भाभी बोलना शुरू कर दे ......मेघना जी बोली तो वो उनके कंधे पर अपनी टुंडी रखते हुए बोली.....
सच मां पर क्या भैया अभी शादी के लिए मानेंगे......मै बात करूंगी उससे तू उसकी चिंता मत कर.....मेघना जी बोली तो वो मुस्कुरा कर अपने कमरे में चली गई....!!
वही जब मेघना जी देवांश से निहारिका से शादी करने की बात कही तो वो इंकार जताते हुए कहा.......नहीं मां अभी मै उससे शादी नहीं कर पाऊंगा अगर अभी मै उससे शादी करूंगा तो उसकी मासूमियत का फायदा उठाना होगा....जब तक वो ठीक नहीं हो जाती मै उससे शादी नहीं कर पाऊंगा......मै चाहता हु वो मुझे अपने पूरे दिल से अपनाए ......
आखिर कब तक उसके ठीक होने का इंतजार करेगा तू देव.....?? मेघना जी पूछी तो देव हल्की मुस्कान के साथ कहा......
उम्रभर........मेघना जी उसका जवाब सुनकर फिर कुछ नहीं बोल पाई वहीं देव निहारिका के कमरे में चला गया....उसने निहारिका को अपने हाथों से खिलाया और उसे दवाई देकर सुला दिया......निहारिका के सर पर हाथ फेरते हुए देव कभी कभी उसके पेट पर भी अपने हाथ सहला देता था....एक अनचाहा रिश्ता जुड़ चुका था उसका निहारिका के बच्चे के साथ....!!
एक महीना गुजर गया निहारिका की डिलीवरी एक बड़े से अस्पताल में हो रही थी देवांश बेचैनी से वहां चक्कर काट रहा था मेघना जी और देव की बहन सबकुछ सही से हो जाने की कामना कर रही थी.......देवांश निहारिका के पापा दानवीर जी को भी इसकी सूचना दे दिया था तो वो भी अपनी पत्नी और निहारिका की चाची के साथ हॉस्पिटल चले आए.......!!
कुछ ही देर में एक छोटी सी बच्ची की रोने की आवाज सबके कानो में पड़ी तो सबका चेहरा खुशी से खिल गया......!!
डॉक्टर मेरी नेहू कैसी है ठीक है ना वो क्या मै उससे मिल सकता हु......देवांश की बेकरारी देख डॉक्टर अपने मुंह से मास्क हटा कर बोली......
आई एम रियल टु से मिस्टर देवांश गुप्ता हम बच्चे को तो बचा लिए मगर......
मगर क्या डॉक्टर......देवांश तड़प उठा....!!
हम निहारिका जी को नहीं बचा पाए बच्चे को जन्म देते देते उन्होंने अपना दम तोड़ दिया........
यह सुनकर सबके पैरो तले से जमीन ही घिसक गई.......डॉक्टर अपनी बात कहकर वहां से चले गए ......देव देव तो वहां होकर भी वहां नहीं था....नर्स अपने हाथों में एक बच्चे को लेकर बाहर आई जो सफेद कपड़े में लिपटी हुई थी........मेघना जी उसे अपनी गोद में ली तो उनकी आँखें भर आई....अभी अभी जो बच्ची जन्म ली है उसे क्या पता की उसकी मां उसके पैदा होते ही इस दुनिया को अलविदा कह गई.........!!
देवांश उठा और निहारिका के वॉर्ड में चला गया जो मृत अवस्था में लेटी हुई थी.......देवांश उसके माथे पर अपने थरथराते लबों को रखकर फफक पड़ा.....बाहर खड़े दानवीर जी अपनी भीगी पलकों को पोछते हुए वहां से चला गए......!!
निहारिका का अंतिम संस्कार देवांश अपने हाथों से किया था जिसे करने की अनुमति दानवीर जी स्वयं दिए थे.....!!
मेघना जी उसकी बेटी को अपने आंचल की छांव में लेकर घूम रही थी ताकि वो चुप हो जाए मगर उसका रोना बंद नहीं हुआ.....मगर जब देवांश उसे अपनी गोद में लिया तो उसकी छुअन पाकर वो शांत हो गई और मुस्कुरा कर उसे देखने लगी देव भी उसके माथे को चूम लिया.....!!
बड़ी नटखट है तेरी बेटी देव ........मेघना जी बोली तो देव हैरान होकर उन्हें देखा.....
इतना हैरान क्यों हो रहा है ......??
मां आपने इसे मेरी बेटी क्यों कहा .......देव हैरान होकर पूछा....
क्योंकि यह तेरी बेटी ही है देव जिस तरह से तूने निहारिका का ख्याल रखा उसकी परवाह किया ऐसा कोई अपना ही करता है देव .......
मेघना जी सही कह रही है देवांश और शायद निहारिका भी यही चाहती थी कि उसकी बेटी को तुम संभालों.....दानवीर जी की बात सुनकर देवांश चकित होकर कहा......लेकिन अंकल मैं कैसे....??
देखो इसकी आंखों में सिर्फ तुम्हारी पनाहाओं में आकर सुकून से मुस्कुरा रही है कही ना कही यह बच्ची भी तुमसे दूर नहीं जाना चाहती देव........देवांश एक नजर उस बच्ची को देखा और उसे अपने हृदय से लगा कर कहा....
मेरी नेहू .......यह सुनकर सब मुस्कुरा दिए.....!!
देवांश निहारिका की बेटी का नाम " काश्रवी " रखा किंतु वो हमेशा उसे नेहू ही कहकर पुकारता .....काश्रवी नाम निहारिका का ही दिया हुआ नाम था कॉलेज में जब उसके साथ थी तब ही उसने कहा था कि उसके और देव की इश्क की निशानी जब इस दुनिया में आएंगी तब वो उसका नाम काश्रवी ही रखेंगी......!!
एक दिन धर्मवीर जी इंस्पेक्टर के साथ देवांश के घर पर पधारे उस वक्त देवांश घर पर ही मौजूद था और काश्रवी पालने में लेटी हुई थी....!!
मिस्टर देवांश गुप्ता हम यहां निहारिका की बेटी को ले जाने आए है जो कानून रूप से नक्श और निहारिका की बेटी है ......
इंस्पेक्टर की बात सुनकर देवांश काश्रवी को पालने में से उठा कर अपने सीने से लगा कर कहा....
बिल्कुल नहीं ले जाने दूंगा मै इसे यहां से ये ये मेरी बेटी है इंस्पेक्टर ....देवांश काश्रवी को अपने सीने में छुपा कर कहा उसकी तड़प उसकी आंखों में देखी जा सकती थी मगर कानून रूप से वो देव की बेटी नहीं थी और कानून वो भी नहीं जानता था........!!
धर्मवीर जी आगे बढ़कर अपनी पोती को उसकी गोद से ले लिए तो रो पड़ी......देवांश का कलेजा मुंह को आ गया किंतु धर्मवीर जी उसे लेकर चले गए.....!!!
देवांश निढाल होकर घुटने के बल गिर पड़ा......मां वो वो मेरी बेटी है ना तुमने ही कहा था ना वो मेरी बेटी है फिर वो कैसे उसे लेकर चले गए मां मेरी नेहू फिर मुझसे दूर चली गई मैं मैं जी नहीं पाऊंगा उसके बिना मेरी बेटी मुझे चाहिए मां.......देवांश अपनी मां से लिपट कर फफक पड़ा....!!!
धर्मवीर जी काश्रवी को लेकर अपने घर चले आए जहां बड़ी धूमधाम से उसका स्वागत हुआ मगर यह चमक उसकी आंखों से बहते आसुओं को नहीं पोंछ पाया......उसे देवांश की बाहों का सुकून नहीं दे पाया.....!!