यह कहानी है सांची की । जिसकी चचेरी बहन की शादी हो रही थी ,मगर अपनी बहन की जगह शादी के मंडप में सांची को बैठना पड़ता है। क्या वह लड़का उससे प्यार कर सकेगा ।कहीं सांची की जिंदगी दुखों में तो नहीं डूब जाएगी। चलिए यह कहानी है सांची की । जिसकी चचेरी बहन... यह कहानी है सांची की । जिसकी चचेरी बहन की शादी हो रही थी ,मगर अपनी बहन की जगह शादी के मंडप में सांची को बैठना पड़ता है। क्या वह लड़का उससे प्यार कर सकेगा ।कहीं सांची की जिंदगी दुखों में तो नहीं डूब जाएगी। चलिए यह कहानी है सांची की । जिसकी चचेरी बहन की शादी हो रही थी ,मगर अपनी बहन की जगह शादी के मंडप में सांची को बैठना पड़ता है। क्या वह लड़का उससे प्यार कर सकेगा ।कहीं सांची की जिंदगी दुखों में तो नहीं डूब जाएगी। चलिए मिलते हैं हमारी प्यारी सांची से।मिलते हैं हमारी प्यारी सांची से।
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“जल्दी कीजिए, हम लेट हो रहे हैं। बारात पहुँचने वाली होगी,” मिसेज़ गुप्ता ने मिस्टर गुप्ता से कहा।
उन्हें पूरे मैरिज हॉल में पहुँचना था, जहाँ आज उनकी बेटी की शादी थी। मिस्टर गुप्ता एक अच्छे खाते-पीते आदमी थे। उनकी एकलौती बेटी थी, रिया गुप्ता, जिसकी आज शादी थी।
रिया एक बहुत खूबसूरत लड़की थी, जो मॉडल बनना चाहती थी। मगर जब उसे एक बहुत अमीर घर के बेटे का रिश्ता आया, तो मिस्टर और मिसेज़ गुप्ता को लगा कि उनकी बेटी को सेटल हो जाना चाहिए। तो, रिया के ना कहने के बावजूद भी यह रिश्ता हो गया। उसके माँ-बाप ने उसे शादी के लिए मना लिया था।
रिया बहुत ज़्यादा सुंदर थी। रिया को तैयार करने के लिए मेकअप आर्टिस्ट मैरिज पैलेस में आई हुई थी। शादी के लहँगे में रिया बहुत सुंदर लग रही थी। रिया की सभी सहेलियाँ रिया को कह रही थीं, “आज तो राजवीर रिया को देखकर हैरान हो जाएगा।”
बारात आ चुकी थी। बारात का स्वागत बड़े धूमधाम से किया गया। जयमाला की रस्म हुई। शादी का प्रोग्राम ठीक-ठाक चल रहा था। फ़ेरे का समय आ गया। पंडित जी ने दुल्हन को बुलाने के लिए कहा। मिसेज़ गुप्ता दुल्हन को लेने के लिए कमरे में गईं। मिसेज़ गुप्ता ने रिया को हर जगह देखा, पर रिया नहीं मिली।
मिसेज़ गुप्ता परेशान हो गईं जब मिसेज़ गुप्ता को रिया कमरे में नहीं मिली। उसने मिस्टर गुप्ता को फ़ोन करके बुलाया। मिसेज़ गुप्ता और मिस्टर गुप्ता ने हर जगह रिया को ढूँढा, मगर उन्हें निराशा ही हुई। आखिर मिसेज़ गुप्ता ने देखा, रिया की शादी की ड्रेस बाथरूम में पड़ी है। वहीं पर रिया के शादी के गहने भी थे। रिया शादी से भाग गई थी।
जब दुल्हन को मंडप में पहुँचने में देर होने लगी, तो दूल्हे के माता-पिता भी कमरे में आ गए। उनको भी रिया के भागने के बारे में पता चल गया। लड़के वालों और लड़की वालों दोनों की इज़्ज़त मिट्टी में मिल जानी थी। दोनों ही परिवार शहर के बहुत इज़्ज़तदार खानदान थे। अब कौन था जो दोनों खानदानों की इज़्ज़त बचा सकता था?
इसी समय मिस्टर गुप्ता ने लड़के वालों से कहा, “अगर वह राज़ी हों, तो अपनी भतीजी की शादी दूल्हे से कर सकते हैं।” गुप्ता जी ने अपनी भतीजी, सांची को बुलाया। लड़के के पिता ने अपने बेटे, राजवीर को बुलाया। अब दोनों, सांची और राजवीर, क्या फैसला करेंगे?
लड़के के पिता ने लड़के से पूछा, “क्या तुम सांची से शादी करने को तैयार हो?” मगर उससे पहले ही लड़के के दादा ने कहा, “यह शादी तो हर हाल में होनी है। क्योंकि अगर हम शादी ना की और ऐसे ही बारात लौट गई, तो हमारी शहर भर में बहुत बेइज़्ज़ती होगी। इसलिए यह शादी तो होगी ही होगी।”
मिसेज़ गुप्ता ने सोचा, “जल्दी से सांची दुल्हन के कपड़े पहने और तैयार हो जाए। रिया का तो मैं बाद में देख लूँगी। यह तो मेरे पल्ले से छूटा।” सांची और राजवीर से दोनों से बिना पूछे, दोनों की शादी कर दी।
इस तरह सांची और राजवीर की शादी हो गई।
सांची, हमारी कहानी की नायिका और दूल्हा, राजवीर सिंह हमारी कहानी का हीरो।
अब देखते हैं क्या होता है। हमारी कहानी में कौन-कौन से मोड़ आते हैं? सांची और राजवीर की ज़िंदगी किस करवट बैठती है? क्या वह दोनों एक-दूसरे में प्यार में गिरफ्तार होकर ज़िंदगी बिताएँगे या फिर दोनों एक-दूसरे से अलग हो जाएँगे? आखिर क्या सच है इन दोनों की शादी का? क्या राजवीर के मन का किसी को पता है?
मगर एक बात है, हमेशा से राजवीर वही करता है जो उसको पसंद होता है। कहीं यह दादा जी और बाकी फैमिली का वहम तो नहीं कि राजवीर ने उनके कहने से शादी की है? क्या सचमुच राजवीर और सांची ने घर की इज़्ज़त बचाने के लिए शादी की? सांची और राजवीर की कहानी में देखते हैं।
सांची, नाम की तरह ही बहुत सुंदर थी। सब कहते हैं, सांची अपनी माँ जैसी दिखती है। सांची को अपनी माँ का ही चेहरा और स्वभाव मिला था। सांची अपनी माँ जैसी ही मीठी बोलती थी। शादी के जोड़े में सांची का रूप और भी निखर आया था। सांची ने मेकअप के नाम पर केवल लिपस्टिक, बिंदी और आँखों में काजल लगाया था। शादी के जोड़े में सांची का रूप अलग ही दमक रहा था। सांची के चेहरे पर खूबसूरती तो थी, पर उसकी उदासी भी दिखाई दे रही थी। क्योंकि राजवीर को उसने अपनी बहन के पति के रूप में देखा था। मगर अब उसका रिश्ता ही बदल गया था। सांची का जन्म एक बहुत अच्छे परिवार में हुआ था। सांची अपने माँ-बाप की एकलौती बेटी थी। बड़ी मनौत्तियों के बाद सांची का जन्म हुआ था। उसके परिवार में माँ, पापा, दादा, दादी, चाचा, चाची सभी थे। मगर एक दुर्घटना में उसके माता-पिता की मौत हो गई। शुरू में तो चाचा-चाची का व्यवहार उसके प्रति अच्छा था। लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ बदलने लगा। चाची को वह बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी। चाचा-चाची के भी दो बच्चे थे, एक बेटा और एक बेटी। चाचा और चाची की बेटी रिया, उसकी ही उम्र की थी। पर रिया सांची को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी। वह दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ती थीं, पर रिया ने उसे कभी अपनी बहन नहीं माना। सांची ने कई बार आगे बढ़कर दोस्ती करने की कोशिश की, मगर रिया ने सांची की बहुत बेइज्जती की। धीरे-धीरे सांची और रिया का रिश्ता काफी खराब हो गया। जब तक सांची की दादी जीवित थीं, तब तक वह सांची की अच्छी देखभाल करती थीं। दादी की वजह से ही सांची ने एक अच्छे स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। स्कूल में उसकी गिनती अच्छे छात्रों में होती थी। लेकिन जब दादी की मृत्यु हुई, तो सांची का बुरा समय शुरू हो गया। सांची के दादाजी जीवित थे, मगर अब वे कुछ नहीं कर सकते थे। मगर दादाजी ने सांची की शादी के लिए अलग से पैसे रखे हुए थे। दादाजी सांची की शादी एक अच्छे परिवार में करना चाहते थे। दादाजी सांची से कहते, "बेटा... कोई बात नहीं, तुम्हारा समय भी बदलेगा... अगर अच्छा समय नहीं रहा... तो बुरा भी नहीं रहेगा... कोई तो होगा जो... मेरी इस बच्ची की ज़िन्दगी में खुशियाँ लेकर आएगा..." सांची को ससुराल में न तो किसी अच्छे स्वागत की उम्मीद थी, न ही किसी से प्यार की दो बोल की आशा। सांची सोच रही थी, वहाँ तो राजवीर कुछ नहीं बोलेगा, मगर शायद अपने घर आकर राजवीर बहुत हंगामा करेगा। सांची को राजवीर किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेगा। सांची सोच रही थी, शादी को तो वह एक लड़की होकर भी स्वीकार नहीं करना चाहती। राजवीर तो फिर भी एक लड़का है। सांची ने सुना था कि राजवीर का अच्छा-खासा व्यवसाय है। वह अपने व्यवसाय में पूरा कामयाब है। जब सांची अपने ससुराल पहुँची, तो राजवीर की बहन और भाभी ने उन्हें गाड़ी से उतारकर अंदर ले गईं। उन दोनों ने सांची को बड़े प्यार से नीचे उतारा। राजवीर और सांची की आरती उतारी गई। सभी रस्मों के बाद उन दोनों को अंदर ले जाया गया। सांची बहुत डर रही थी। उसे लग रहा था कि घर में कोई बड़ा हंगामा होने वाला है। सांची का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वह अपने आप को इस घर में होने वाली बेइज़्ज़ती के लिए तैयार कर रही थी। सांची ने एक बार भी नज़र ऊपर नहीं उठाई। उसने एक बार भी राजवीर की तरफ़ नज़र नहीं उठाई। सांची को पता था, न राजवीर उसका है, न ही यह परिवार उसे अपनाएगा। उसकी और राजवीर की शादी सिर्फ़ परिवार की इज़्ज़त बचाने के लिए की गई है। सांची को नहीं पता था कि उसका भविष्य क्या होगा। राजवीर के दादाजी, राम खन्ना के दो बेटे और एक बेटी थी। बड़े बेटे का नाम रजनीश खन्ना और छोटे का नाम मुकेश खन्ना था, और बेटी का नाम रीना खन्ना था, जो शादी के बाद रीना कपूर हो गई थी। रजनीश खन्ना रत्ना खन्ना (पत्नी) रतनवीर खन्ना (पुत्र) तनीषा खन्ना (रतनवीर की पत्नी) तरुण खन्ना (रतनवीर का पुत्र, उम्र 8 साल) रीना खन्ना (रतनवीर की पुत्री, उम्र 10 साल) डिंपल खन्ना, अब डिंपल मल्होत्रा (राम खन्ना की पुत्री) समर मल्होत्रा (डिंपल का पति) समाइरा मल्होत्रा (डिंपल खन्ना की पुत्री, उम्र 8 साल) सैम मल्होत्रा (पुत्र, उम्र 6 साल) राजवीर खन्ना (हमारी कहानी का नायक) राम खन्ना जी का एक छोटा भाई भी है। राम खन्ना जी की एक बहन भी है, और उनका परिवार... जैसे-जैसे कहानी में नए-नए किरदार आते जाएँगे, हम आपको उनसे परिचित करवाते जाएँगे। राजवीर खन्ना, हमारी कहानी के नायक, जिन्हें प्यार से लोग वीर भी कहते हैं। दिखने में बहुत अच्छी पर्सनालिटी, क़द 6 फुट से थोड़ा कम, रंग ज़्यादा गोरा नहीं, काले बाल, काली आँखें और व्यायाम से बनी मज़बूत काया। जिनसे राजवीर प्यार करते हैं, उनसे कुछ ज़्यादा ही प्यार करते हैं और उनके लिए कुछ भी कर सकते हैं।
चलिए देखते हैं क्या होता है सांची❤️ और राजवीर❤️ की कहानी में। सांची और राजवीर का गृह प्रवेश करवा गया ।उनको अंदर लेकर सोफे पर बिठा दिया ।सांची सोफे पर बैठी उसके साथ ही राजवीर बैठा था।
देखने वालों को जोड़ी बहुत सुंदर लग रही थी ।घर में जो रिश्तेदार में शादी के दिन रह गए थे वह आपस में धीरे-धीरे बात कर रहे थे। यह सब सांची और राजवीर दोन ही सुन रहे ।
तभी राजवीर का फोन बजा । वह फोन सुनने के लिए साइड पर चला गया। राजवीर के मम्मी पापा सांची के पास आए और बोले।
रत्ना जी (राजवीर की मम्मी): बेटा तुम ने हमारे परिवार की इज्जत रखी है । हम तुम्हारा अहसान कभी नहीं भुलेंगे। अगर आज तुम शादी नहीं करती तो बारात खाली हाथ लौटती पर इसे हमारी बहुत बेइज्जती होती । तुम आज से मेरी बहू नहीं बेटी हो।
रजनीश जी( राजवीर के पापा):बेटा तुम इस घर की इज्जत हो। इस घर में बहूओं को पूरी इज्जत दी जाती है । अगर कभी भी कोई बात हो तो तुम मुझे बताना।
रजनीश जी और रत्ना जी ने मुंह दिखाई में ज्वेलरी दी। सांची ने उनके पैर स्पर्श किए । उन्होंने सांची को आशीर्वाद दिया। राजवीर भी फोन पर बात करके वापस आ गया और वह भी मैं भी साइड से खड़ा होकर देख रहा था।
राजवीर के बड़े भाई साहब रतनवीर आए। सांची से कहा ," तुमहें इस परिवार में कोई तकलीफ नहीं होगी ।अगर राजवीर ने अगर तुम्हें कुछ कहा मुझे बताना ।"
तनीषा( राजवीर की भाभी रतनवीर की पत्नी)," हंसने लगी राजवीर और सांची की जोड़ी बहुत प्यारी है। यह मेरी छोटी बहन है। हां जी अगर, तुम्हें कोई भी समस्या हो तो मुझसे बात कर लेना"।उन दोनों ने सांची को मुंह दिखाई में सोने का सेट दिया और खूब सारा आशीर्वाद।
तबी राजवीर की बहन डिंपल और उसका पति समर मल्होत्रा बीच में आकार बोले ," हमारी बारी कब आएगी। हमें भी सांची से बात करनी है।" डिंपल सांची के पास बैठती हुई बोली ," मुझे तुम बहुत अच्छी लगी । "
तभी समर बोला, "याद रखना यह मेरी छोटी बहन है ।सांची याद रखना सिर्फ कहने को नहीं मैं सच में तुम्हारा भाई कर दिखाऊग"। समर और डिंपल ने सांची को तोहफा दिया ।
तभी रतनवीर राजवीर से बोला," मुझे तुमसे कुछ बात करनी है ।"और वह Rajveer को लेकर साइड पर चला गया। उधर दादाजी बोले के सांची को कमरे में ले जाओ।
तभी बच्चे वहां पर आए और बोले हमारा तो चाची जी से परिचय कराया ही नहीं। Tanisha ji:ya मेरा बेटा Tarun और यह मेरी बेटी रीना ।
डिंपल जी:यह मेरा बेटा Sam और यह रही मेरी बेटी समय समायरा।
सभी bacchon ने सांची को हैलो कहा ।तभी राजवीर और समर हंसते हुए कमरे के अंदर आए।समर राजवीर के कान में हंसते हुए कुछ कह रहा था। दोनो हंस रहे थे। सभी कमरे में बैठे और सभी के बीच में हंसी मजाक चल रहा था।
तभी तनिशा जी बोली ,"मैं सभी का खाना यहां पर भेज देती हूं।" तनीषा जी चली गई और आधे घंटे बाद maid के साथ सभी के लिए खाना ले लेकर आई। सभी सांची को बारी-बारी से अपने हाथ से खाना खिलाने लगे ।
तभी Samar jiju बोले।
राजवीर अब तुम सांची को खाना खिलाओ।
सभी के कहने पर राजवीर ने सांची को खाना खिलाया तो डिंपल उनकी फोटो खींची । ऐसे ही हंसी मजाक चलता रहा । सभी ने सांची को अच्छे से खाना खिलाया।
तभी कमरे में रतनवीर आया और उसे कहा ।
अब तुम सब लोग चलो और सांची और राजवीर को आराम करने दो।
अब कमरे में राजवीर और सांची अकेले थे। सांची को घबराहट होने लगी। तभी दरवाजे पर dimple दी आई। दरवाजा भी खुला ही पड़ा था।उसके हाथ में कपडे थे ।डिंपल बोली ,"सांची लो कपड़े बदलने के लिए अभी तुम अभी तुम मेरे कपड़े पाहन लो ।दादा जी ने तुम्हें रिया के लिए गए कपड़े पहनने से मना किया है। वह अपना लोअर और टी-शरट देकर चली गई।Sanchi बाथरूम के अंदर चली गई वहां से चेंज कर बहार आई।
जब वहीं बहार मैं तो उसे देखा कि राजवीर किसी के साथ फोन पर बात कर रहा है। उसके आने के बाद राजवीर बाथरूम के अंदर चेंज करने चला गया।जब राजवीर change करके बहार आया को उसे ने देखा सांची सोफे पर बैठी है ।Sanchi के पास गया और बोला आप थक गई होंगी। आराम कर ले।हम लोग सुबह बात करेंगे।सांची बही सोफे पर ही लेट गई।जबकी राजवीर बिस्तर पर चला गया।राजवीर ने अलमारी से एक ब्लैंकेट निकाल कर सांची को दे दिया।
सांची सोचने लगी जितना मैं डर रही थी वैसी कोई बात नहीं थी। सब लोग बहुत अच्छे हैं ।मगर राजवीर के बारे में मुझे कोई समझ नहीं आया था। सांची के हिसाब से राजगीर को शादी से अपसेट होना चाहिए था मगर वह नॉर्मल लग रहा था। सोच रही थी कि आखर राजवीर के दिमाग में क्या चल रहा है?
सांची सोफे पर leti हुई सोच रही थी।सांची सोच रही थी कि ऐसी क्या बात है ।Samar jiju neने क्या कहा जो कमरे में आते हुए राजवीर और समर jiju इतनी खुश थे। जाफरी सांची के हिसाब से तो आज राजवीर का mood ऑफ होना चाहिए था। क्योंकि उसकी शादी रिया से नहीं हो सकी।
राजवीर ने sanchi से भी कोई ज्यादा बात करने की कोशिश भी नहीं की थी। सांची खुद भी राजवीर से के दूर रहना चाहती थी। क्योंक जिस तरह से अचानक उसकी शादी हुई सांची को भी समझ नहीं आ रहा था। रिया का इस तरह शादी छोड़कर चले जाना।यह भी एक पहेली थी। क्योंकि रिया तो राजवीर से शादी करके बहुत खुश। अचानक क्या हुआ? रिया मॉडल बनाना चाहती थी। रिया ने राजवीर से विवाह के लिए अपना मॉडलिंग carrier भी छोड़ दिया।
। यह सभ सोचते सोचते सांची को कब नींद आ गई उसे पता भी नहीं चला।सुबह किसी ने दरवाजा knock किया तो सांची जग गई।उसे जल्दी से उठा दरवाजा खोला तो सामने सामने तनीषा भाभी खड़ी थी। उनके हाथ में चाय की ट्रे थी।उसके पीछे ही डिंपल दी आ गई।उसके हाथ में सांची के पहनने के लिए कपड़े थे।तनीषा भाभी ने गेट पर ही चाय दे दी ।dimple दी ने कपड़े देते हुए कहा कि यह sareeआप पहन लेना । तनीषा जी और डिंपल जी कपड़े और चाय दे कर चली गई।
। सांची चाय लेकर अंदर आ गई। सांची खड़ी हुई सोच रही थी कि राजवीर को चाय के लिए कैसे उठाएं। बहुत धीरे से राजवीर के पास गई और बोली," उठ जाए चाय आ गई है"।राजवीर ने आंखें खोलीं। सांची को देखा usse लगा यह कोई सपना है,। बहुत धीरे से बोला अब लगता है सपनों के saath saath मुझे आंखें खुलने पर भी दिखाई देने लगी ।और वह sideबदल कर सो गया।
सांची samajh गई के वो नींद में बात कर रहा है और किसी लड़की के सपने देख रहा है। Sanchi koलगा कि राजवीर रिया को पसंद नहीं करता था और उससे शादी ना होने से खुश है।सांची से उसकी शादी जिन हालात में हुई है उसमें Rajveer ko सांची से अलग होना और अपने पसंद लड़की से शादी करना आसन होगा ।सांची बैठकें सोचने लगी फिर उसने सोचा क्यों अपना दिमाग खराब कर रही है जो होगा देखा जाएगा।
फिल्हाल तो राजवीर को सोने से उठाना ही सबसे बड़ी मुश्किल थी।सांची खड़े खड़े सोच ही रही होती है कि राजवीर की आंख खुलती है। Rajveer देखता है Sanchi उसके सिरहाने खड़ी है तो जल्दी से सांची bolati है कि चाय पी ली लीजिए।
राजवीर( धीरे से अपने मन में)"मुझे लगा सपना है यह तो सच । "सांची उसको चाय देती है।वह चाय पीने lagta है।तबी राजवीर का फोन बजता है। वह फोन उठाकर कहता है," गुड मॉर्निंग जीजू।"तबी समर जीजू दुसरी साइड से कुछ बोलते हैं तो राजवीर मस्कुरते हुए बोलता है,"आपसे तो मेरी खुशी बर्दश्त ही नहीं होती।कोई बात नहीं मगर भगवान तो मेरे साथ है।"वह फोन पर जोर जोर से हंसता है और फोन कट देता है।
सांची सोफे पर बैठी सोच रही है कि इसे क्या हो गया यह इतना खुश क्यों है? रिया से इसकी शादी होनी थी वह नहीं हो सकी। दादा जी से कहने पर जबरदस्ती उससे मुझसे शादी करनी पड़ी। कल yah इतना चुप चुप था ।आज इतना खुश है। कल Rajveer चुप जरूर था। पर इसके चेहरे पर मयूसी नहीं थी । आज सुबह-सुबह ही खिलखिला रहा है। सांची ने नजर उठाकर राजवीर की तरफ देखा तो राजवीर Sanchi की तरफ देखा रहा था। सांची के देखने पर वह साइड पर देखने लगा।
। राजवीर उठा और तोलिया लेकर नहाने चला गया। सांची ने उसके जाने के बाद में बिस्तर ठीक किया ।सोफे पर से तकिया उठा कर बिस्तर पर रख दिया। तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया।जब सांची ने खोला तो सामने dimple दी खड़ी थी। उसे कहा," मम्मी ने मुझे आपको तैयार करने के लिए भेजा है।मैं आपकी तैयार होने में मदद कर दूं?
उससे पूछा के राजवीर कहां है?Sanchi,"राजवीर बाथरूम में है।"
डिंपल सांची को छेड़ने लगी," रात नींद तो अच्छी मैं ना। मेरे भाई ने ज्यादा परेशान तो नहीं किया?"सांची शर्माने लगी। तबी डिंपल ने कहा," मेरा भाई लाखों में एक है।उसका दिल सोने का है। जैसे-जैसे दिन गुजरेंगे तुम जान जाओगी राजवीर कैसा है? Rajveerतुझे पालकों पर बिठाकर रखेगा तुम donon की जोड़ी लाखों में एक है । राजवीर आप को जीवन की वह हर खुशी देगा जो तुम डिस्टर्ब करती हो।"
तभी Rajveer bathroom se bahar aaya. राजवीर डिंपल को देखकर बोला,"दी आप सुबह सुबह यहां पर कैसे।आपका वह खडूस पति उठ गया क्या?
Dimple: राजवीर समर जीजू तुम्हारे जीजू हैं। इज्जत से बात करो।
Rajveer:उसके पहले वह मेरा दोस्त है जीजू तो बाद में बना है। मैंने मदद की। वरना घूमता रहता मजनू बनकर।
Dimple:राजवीर को तो जरा सी भी शर्म नहीं है।मैं तुम्हारी बहन लगती हूं।
Rajveer: मैं समर को जानता था कि वह कैसा लड़का है और डिंपल दी आप मेरी जान है। इसीलिये तो मैंने आप donon की शादी कराई और राजवीर मुस्कुराने लगा।
Rajveer neआकार डिंपल ko गले से लगा लिया ।
यह सब देखकर सांची मन ही मन खुश हुई। भाई बहन का प्यार अच्छा लगा। तभी डिंपल सांची के पास आकार बोली: राज तो सांची मैंने भी तुमको बहुत से बताने हैं। मगर अभी हमें टाइम चाहिए। मगर तुम donon अपनी लव स्टोरी में हमको मत भूल जाना।वह हंसने लगी और कहने लगी कि तुम जल्दी से तैयार होकर आ जाओ।
Rajveer के नहाने के बाद में सांची नहाने चली गई।जब सांची बाथरूम से बहार आई ।तभ तक राजवीर तैयार होकर नीचे जा चूका था। सांची की मदद के लिए डिंपल भी room में आ गई थी। डिंपल दी ने साड़ी पहने में Sanchi की मदद की।
साँची साड़ी में बहुत ख़ूबसूरत रही थी।सभी की नज़र Sanchi पर थी। राजवीर का मुंह तो खुले ka खुला रह गया ।समर jiju neउसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा," तुम्हारी है, जितना चाहे देखना मगर मुंह तो बंद कर मक्खियां मुंह के अंदर चली जाएगी।"
राजवीर ने awkward feel karte hue नजर नीची कर ली।सांची ने आकार सभी के पांव स्पर्श किए। सभी ने आशीर्वाद दिया और राजवीर की मम्मी ने Sanchi ko चेयर पर बैठने के लिए कहा। राजवीर के साइड वाली चेयर खाली थी तो वह वहां जकार बैठ गई।
तबी दादा जी बोले
Dada ji:सांची आज तुम्हारे दादाजी तुम्हें
पग फेरे के लिए लेने aआ रहे हैं
Ratna ji:राजवीर तुम भी सांची के साथ चले जाना और शाम को लेते आना।
Dadaji: नहीं, सांची के दादाजी ने कहा है कि वह सांची को एक दिन के लिए रखना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि राजवीर सांची को कल लेने आए।जिस तरह से अचानक सांची की शादी हुई वह सांची की कोई तैयारी नहीं कर सके। इसी लिए वह चाहते हैं कि उनके एक दिन के लिए सांची वहीं पर रुक जाए।
Rajveer:कोई बात नहीं मैं कल लेने चला जाउंगा।
तबी सांची के दादाजी आ जाते हैं। उनके साथ सांची के चाचा जी का बेटा गौरव भी था ।राजवीर के दादाजी सांची के दादा जी को गले लगाकर मिलते हैं। वह कहते हैं की आखिर हमारी बचपन की दोस्ती रिश्ते में बदल ही गई। तभी सांची उन दोनों से कहती है ," हमें तो पता ही नहीं था आप लोग बचपन के दोस्त हैं ।" दादाजी कहते हैं ," मैंने तुम्हें जिगर का टुकड़ा दिया है।यह तुम्हारे घर को स्वर्ग banaa degi। सभी लोग आकार उनसे मिलते हैं ।
सभी लोग उनके पास आते हैं और कहते हैं कि हमें नहीं पता था कि आप लोग बचपन के दोस्त हैं तो राजवीर के दादा जी कहते हैं," हम स्कूल में साथ थे और उसके कॉलेज की पढाई भी साथ में की।हम लोग कॉलेज में बेस्ट फ्रेंड्स थे।
अब आज Rajveer aur Sanchi ने हमें फिर से मिला दिया।
सभी लोग बैठ कर बातें करते रहे । सांची के दादाजी ने कहा," भी हम चलते हैं। हमें बाजार भी जाना है। सांची की मां की ज्वेलरी है जो बैंक निकलनी है।
सांची अपने दादाजी के साथ चली जाती है। समर राजवीर को छेड़ता है," राजवीर अब अकेला रहा गया। कम से कम फोन नंबर तो ले लेते।" तो राजवीर बोला," तो आप किस दिन कम आएंगे।" दोनों हंसने लगते है।
। गौरव और दादा जी सांची को सीधा बाजार ले गए।Sanchi अपने कपड़ों की शॉपिंग करने लगी ।उसने बुटीक से बहुत खूबसूरत सूट लिए। क्योंकि सूट पहनना सांची को बहुत ज्यादा पसंद हैं। दादा जी ने उससे कहा सांची मैंने तुम्हारी शादी के लिए पैसे पहले ही alag rakh liye थे। आज तुम जो चाहो आज तुम जो भी लेना चाहें ले लो। उससे सूट खरीदें, साड़ी नाइट सूट खरीदें। उसके बाद दादा जी ज्वैलरी शॉप पर ले गए। सांची ने अपने पसंद की ज्वेलरी खरीदी। सांची की माम की ज्वेलरी बैंक से निकलवाई। उनके घर पहचानने में अंधेरा हो गया। दादा जी ने कहा ," कल तुम बचे हुए काम कर लेना। तुम ब्यूटी पार्लर भी जाना।"गौरव ने भी सांची की सारी शॉपिंग में बहुत मदद की। गौरव ने सांची kaha
Gaurav:सांची दी, मैं जानती हूं कि मैं जिंदगी में पहले तुम्हारी कभी कोई मदद नहीं कर सका। शायद मैं अपने माँ बाप के खिलाफ नहीं जा सका। पर फिर भी एक बात कहूं अगर जिंदगी में कभी मेरी मदद की जरूरत पड़े, मुझे बताना ।
वैसे राजवीर का व्यवहार तुम्हारे प्रति कैसा था? ठीक तो बोला ना वह तुमसे? कहीं रिया के karmo की सजा tumhen ना मिले?
Sanchi:गौरव मेरा फिक्र करने के लिए धान्यवाद। सभी का भी व्यवहार मुझसे बहुत अच्छा था। राजवीर भी मुझे मुझसे बहुत अच्छे से पेश आए।।
Gaura: यह बहुत अच्छी बात है ।मैं जनता हूं तुम सब का दिल जीत लेगी।
जब सांची घर पहुंची तो उसके चाचा और चाची अच्छे से मिले ।चाची को तो लगा था अब रिया की गलती की सजा पक्का इसको मिलेगी। Rajveer अच्छे से बात नहीं करेगा।
रात को खाना खाकर जब सांची अपने कमरे में पाहुंची तो वह काफी खुश थी। सभी लोग ही याद आ रहे थे। उसके सामने राजवीर का चेहरा ही घूम रहा था। तो सोच कर muskura रही थी।थोड़ी देर उस ने सोचा उसे यह क्या हो गया? वह चाहे खुश थी। पर वह सोच रही थी सबका असली बिहेवियर jakar hi pata चलेगा। राजवीर उसके बारे में क्या सोचता है ?पूरा परिवार उसे कैसे रखेंगा?
अगले दिन सुबह दादाजी ने उससे कहा ," आज हम बाजार चलेंगे ।राजवीर और उसके सारे परिवार के लिए कुछ तोहफे लेने है और तुम भी अपना बचा हुआ काम क"र लेना। और हां पार्लर भी चली जाना ।
अगली सुबह सांची जल्दी उठी नहा धोकर तैयार होकर चाची की मदद करने किचन में चली गई। तभी दादाजी आए और बोले सांची तुम्हारे ससुराल से फोन आया है तुम सभी से बात कर लो।
सभी ने बारी-बारी से सांच से बात की और आखिर में तनीषा जी बोली यह लो तुम राजवीर से भी बात कर लो। जब वो राजवीर से बात करने लगी तब राजवीर के साथ खड़े लोगों की आवाज उसको सुनाई दे रही थी ।सभी राजवीर को छेड़ रहे थे। राजवीर ने उन सब से कहा कि मैं तुम सब लोग जाओ मुझे बात करने दो। "सांची जी कैसी हैं आप?" राजवीर ने पूछा। "मैं आज शाम को लेने आ रहा हूं।" तो उधर से सांची कहा "ठीक है। "
तभी सांची की फ्रेंड जूली आ गई। वह दोनों मिलकर बाजार चली गई। सांची को पार्लर जाना था तो सबसे पहले वह दोनों पार्लर गई। वहां पर बैठे-बैठे जूली कहने लगी: तुमने जो बैठे-बिठाए शादी कर ली मुझे बताया ही नहीं वरना मैं तुम्हारी शादी पर कैसे नहीं आती।
सांची: जूली तुम तो यह बात अच्छी तरह से जानती हो कि किन हालात में मेरी शादी हुई। फिर मुझे खुद को भी नहीं पता था। सॉरी मैं कि मैं तुझे बूला नहीं सकी । वरना पूरी दुनिया में तुम ही तो मेरी एक बेस्ट फ्रेंड हो। जिससे मैं अपने दिल की हर बात कह सकती हूं।
जूली: वैसे तुम मुझे यह बताओ कि तुम्हारे साथ राजवीर का व्यवहार कैसा है। उसने तुमसे ठीक तरह से बात तो की ।कहीं ऐसा तो नहीं कि रिया का गुस्सा तुम पर निकाला हो।
सांची: राजवीर के पूरे परिवार ने मेरे साथ बहुत अच्छे से बात की। सभी लोग मेरे साथ बहुत प्यार से पेश आऐ। जिंदगी में शायद मुझे पहली बार लोग मेरे साथ इज्जत से पेश आएं और राजवीर का बिहेवियर भी मेरे साथ बहुत अच्छा था। उन लोगों से मिलकर मुझे लगा कि शायद रिया को पता भी नहीं कि उसने क्या हुआ है।
जूली: सांची तुम मुझे एक बात बताओ तुम्हें राजबीर कैसा लगा? तुम्हारे मन में उसके लिए कोई फीलिंग है क्या?
सांची: जूली तुम जानती हो कि मेरी जिंदगी में जो भी हो रहा है मेरे लिए इतना शॉकिंग है कि मैं सोच भी नहीं सकती और रही बात राजवीर की मेरे मन में क्या है? शायद मैं खुद भी नहीं जानती। राजवीर भी अच्छे लगे अगर वह आगे बढ़े तो मैं पीछे नहीं हटूंगी मैं एक अच्छी जिंदगी का सपना देखती हूं। उसको जीना चाहती हूं। अगर भगवान ने मुझे सचमुच ऐसा कोई मौका दिया है तो मैं उसको छोडूंगी भी नहीं मगर मुझे अपनी किस्मत पर कम यकीन है। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं? बाकी जब मैं जाऊंगी तो सभी लोगों के बारे में मुझे जाकर पता चलेगा। रिया सब को छोड़कर क्यों चली गई मुझे समझ में नहीं आ रहा?
जूली: देख सांची जो कुछ भी होना था हो चुका। तुम सब कुछ अच्छा अच्छा सोचो। तुम्हारे साथ सब कुछ ठीक होगा। क्या पता तुम्हारी जिंदगी बदलनी हो? यह सब इसीलिए ही हुआ हो। तुम एक बार अपने मन से पूरी कोशिश करना। अगर मेरी कोई मदद चाहिए हो तो प्लीज मुझे जरूर बताना। मुझे तुम्हारे लिए बहुत खुशी होगी। मुझे आज मुझे राजवीर से भी मिलवा ना।
उन दोनों ने बाजार के भी सभी काम खत्म किए और घर आ गए। जब वह घर आ गए तो दादा जी ने कहा सांची तुम तैयार हो जाओ क्योंकि तुम्हारे ससुराल वाले तुम्हें लेने के लिए आने वाले हैं ।तभी सांची के ससुराल वाले आ गई वाले आ गए। राजवीर के साथ तनीषा जी, डिंपल, समझी जो और बच्चे आए।
सभी लोग अंदर आकर बैठ गए तो दादाजी ने जूली से कहा कि तुम जाओ सांची को बुला लो। तभी डिंपल और तनीषा जी बोली कि नहीं हम खुद जाकर लेकर आएंगे आप हमें उसका कमरा बता दे। डिंपल और तनीषा जी सांची को लेकर नीचे आए।

सांची
। जब साची नीचे आई तो तो उसे राजवीर देखता ही रह गया। सभी बच्चे भागकर उसके गले लागे। आज सांची के चेहरे पर एक अलग ही नुर था। वह दिखने में परियों के जैसी लग रही थी। चाची नौकर के साथ उनके खाने-पीने का सामान लेकर आए तो उसकी हेल्प करने लगी। उसने सभी को सर्व करने में मदद की।
जब बच्चों ने कुछ खाने के लिए मांगा तो सांची किचन में गई तो उसके पीछे चाची भी आ गई। वह बोली ," रिया की जगह तुम्हारी शादी तो जरूर हो गई। लेकिन क्या तुम राजवीर की जिंदगी में रिया की जगह ले पाओगी। यह बात तुम भूल जाओ "।यह बात पीछे आते हुए। राजवीर ने भी सुन ली।
सांची कुछ नहीं बोली मगर आंखें भर कर चाची की ओर देखने लगे ।तो राजवीर किचन के अंदर आया और बोला," सांची मैं तुम्हें ही ढूंढ रहा था तुम कहां चली गई थी? "वो उसका हाथ पकड़ कर उसे बाहर ले गया ।तो चाची की बोलती वहीं पर बंद हो गई।
राजवीर उससे बाहर आकर बोला ।"अपने लिए स्टैंड लेना सीखो ।किसी को इतना हक "मत दो कोई भी तुम्हें hurt कर सके।
सांची राजवीर की तरफ देखती रहेगी फिर उसने कहा " धन्यवाद।"
तभी डिंपल दी आई ।उसने सांची से कहा कि" प्लीज आप थोड़ा जल्दी करें। घर में कुछ गेस्ट हैं वह हमारी वेट कर रहे हैं।। क्योंकि उनको जाना है। तुम दोनों अपनी बातें घर जाकर करना।"
तभी जुली आईऔर बोली जीजू मैं आपसे मिलने आऊंगी ।आप मेरी फ्रेंड को खुश रखेगा। यह बहुत अच्छी लड़की है।
दादाजी सांची के गले लगते हुए कहने लगे "बेटा तुम खुश रहना। सभी घरवालों को खुश रखना। देखना यह सब लोग तुझे बहुत प्यार करेंगे। तुम अपनी जिंदगी की हर दुख को भूल जाओगी। दुखों का तुम पर साया भी ना पड़े।" तभी तनीषा जी कहने लगी," आप फिकर मत करें यह आज से हमारी है। राजवीर इसे बहुत खुश रखेगा।"
सभी से मिलकर सांची अपने घर की ओर चल पड़ी। अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने। उसकी जिंदगी में क्या होने वाला था यह तो अब आगे जाकर ही पता चलेगा।
। सभी लोग सांची को लेकर घर पहुंचते हैं। एक ही शहर में होने के कारण रास्ता भी ज्यादा लंबा नहीं था। घर पहुंच कर सभी ने सांची का अच्छे से स्वागत किया। घर पहुंच कर सभी ने खूब हंसी मजाक किया। राजवीर के के नाना जी और नानी जी उनको घर जाना था। मगर वह सांची की वेट कर रहे थे। उन्होंने इस सांची को खूब सारा प्यार दिया और नानी ने सांची से कहा," तुम हमारी बेटी जैसी हो हमारे लिए। तुम सब लोग बड़े प्यार से रहना। अब हम चलते हैं ।हमारी फ्लाइट का टाइम हो रहा है।"
रात के खाने का टाइम हो रहा था। तनीषा जी और मां मिलकर खाना बना रहे थे। खाना बनाने के लिए नौकर थे। मगर जब स्पेशल खाना बनाना होता तो तनीषा जी और मां मिलकर खाना बनाते। डिंपल भी मदद कर रही थी। यह सब देख कर सांची भी किचन में जाने लगी तो मां बोली," बेटा कल तुम्हारी किचन में पहली रसोई होगी उसके बाद तुम किचन में आना । आज तुम आराम से बैठो सबसे बातें करो।"
सब लोग लॉबी में सोफे पर बैठ कर बातें करते रहे। दादा जी अपनी पुरानी बातें सुना रहे थे। राजवीर के पिता रतन भी उनके पास बैठे रहे। बच्चे वहां पर खूब मस्ती करते रहे। कोई सांची को मामी तो कोई चाची कहकर बुला रहा था। सांची को बहुत अच्छा लग रहा था। वह बहुत खुश थी ।इतने में राजवीर उठा और वह ऊपर चला गया। उसने नौकर से कह सांची का सामान जो के गाड़ी में था ऊपर मंगवा लिया। नौकर जिसका नाम रामू था जिस सब काका कहकर बुलाते थे बह सांची का सामान भी उठा कर ऊपर ले गया।
साची ने कुछ सामान नीचे रखवा लिया। दादाजी ने सबके लिए तोहफे भेजे थे। सांची ने वह सब को दिए सब लोगों ने दादा जी को धन्यवाद किया।
खाना बनने के बाद खाना डाइनिंग टेबल पर लगा दिया। सभी ने खुश होकर खाना खाया और सभी ने सांची को भी बड़े प्यार से खाना खिलाया।
इतने में राजवीर भी ऊपर से नीचे आ गया। उसने कपड़े चेंज कर लो और टीशर्ट पहन रखा था और वह उसमें भी बहुत अच्छा लग रहा था। सांची ने उसे देखा तो उसे राजवीर अच्छा लगा। फिर सांची ने सोचा," मुझे किसी से इतनी उम्मीद नहीं लगानी चाहिए और ना ही इतना खुश होना चाहिए। पता नहीं मेरी जिंदगी आगे चलकर कैसी होती है।"
राजवीर खाना खाकर ऊपर चला गया।
घर के सभी मरद खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए। औरते खाना खाकर डाइनिंग टेबल पर बैठी रही। सभी बैठकर बातें करती रही मां कहां: मेरे लिए तनीषा ,सांची और डिंपल में कोई फर्क नहीं मेरे लिए तुम तीनो ही मेरी बेटियां हो। तनीषा जब से इस घर में आई है मेरे घर को बड़े अच्छे से संभाला है। और डिंपल भी जिस घर में गई है उसने उस घर को अपना बनाया है। तो मैं यही सोच सांची के लिए रखती हूं कि वह इस घर को अपना बनाएगी और मेरे घर को और मेरे राजवीर को बहुत अच्छे से संभाले ।चाहे राजवीर और सांची की शादी जिन भी हालात में हुई है मगर शादी अब हो चुकी है और सांची इस घर की बहू है तो मैं सांची से इस घर की बहू की सारी जिम्मेवारी निभाने की आशा रखती हूं और मैं सोचती हूं कि सांची भी तनीषा की तरह मुझे निराश नहीं करेगी। वह भी एक तनीषा जैसी अच्छी बहू बनेगी।
सांची: जी मम्मी जी, मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी कि घर में मैं आपको और किसी और को कोई शिकायत का मौका ना दूं।
मम्मी जी: सांची ,तुम और राजवीर को तुम दोनों को ही एक दूसरे को अपनाना होगा। शायद पहले रिश्ता तुम दोनों का और था। मगर अब कुछ और है। तुम देखना मेरा बेटा बहुत अच्छा है। तुम उसे थोड़ा समय देना फिर देखना वह तुमसे कितना प्यार करता है।
डिंपल दी: मां आप किसी चीज की फिकर मत करें। राजवीर और रांची दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझ लेंगे। फिर हम लोग हैं ना इनकी हेल्प के लिए। कुछ समय होने दो सांची जान जाएंगी कि राजवीर के मन में क्या है।
वह हंसती हुई बोली," बाद में आप यह शिकायत मत करना कि वह बीवी के पल्ले से बंध गया है ।मुझे पता है ऐसे ही होने वाला है"।
यह सब बातें सुनकर सभी हंसने लगे तो मम्मी जी बोले ,"अगर ऐसा होगा तो सबसे ज्यादा खुश मैं होंगी। मैं तो चाहती हूं कि मेरा बेटा अपनी जिंदगी में अच्छे से सेट हो जाए और अपनी बीवी के कहने में रहे। मुझे तो किसी की फिक्र ही नहीं रहेगी।" तब तनीषा जी बोली ," सही है ना सांची, राजवीर को पल्ले से बांध लोगी ना। वैसे मुझे लग रहा है कि मेरा देवर पल्ले से बंधने को तैयार बैठा है।" यह सब बातें सुनकर सांची शर्म आने लगी तो डिंपल बोली," देखो कैसे लाल हो रही है। सभी हंसने लगे।" तभी मां बोली," चलो अब सभी कमरों में जाओ तुम लोगों का इंतजार हो रहा होगा। मैं भी तुम्हारे पापा को दवाई दे दूं"। तनीषा जी बोली, सांची तुम जाते हुए दूध के गिलास ले जाना और हां सुबह उठने की कोई जल्दी नहीं है आराम से उठना"। तो सांची बोली," जी ठीक है।"
सांची दूध लेकर कमरे में पहुंचती है। जाकर देखती है कि राजवीर टीवी देख रहा है । सांची राजवीर की तरफ बेड के जो साइड टेबल थी उस पर दूध की ट्रे रखती है और राजवीर से कहती हैं ," आप दूध पी लीजिए भाभी ने दिया है।" सांची अपने साथ लाया हुआ समान खोलने लगती है उसमें से नाइट सूट निकालती है और चेंज करने चली जाती है। वह बाथरूम से लोयर और टीशर्ट पहनकर निकलती है। शीशे के आगे जाकर हाइ पोनी बनाती है और वो अलमारी से अपना ब्लैंकेट निकाल कर सोफे पर आ जाती है।
राजवीर को फोन पर किसी का व्हाट्सएप मैसेज आता है उसके जवाब में राजवीर कहता है कि नहीं, अभी कुछ नहीं बता सकता हूं। अभी कुछ करना बहुत जल्दबाजी होगी। मैं जल्दबाजी नहीं करना चाहता। जब मैंने इतनी देर इतनी टाइम तक इंतजार किया है तो अब मुझे कोई जल्दी नहीं है। आराम से सब कुछ होने दो।
राजवीर को उसके जवाब में हार्ट की स्माइली ❤️❤️ वाला मैसेज आता है। फिर कोई मैसेज आता है जिसके जवाब में राजवीर लिखता है कि वह सोफे पर है। उसके जवाब में😥😥 मैसेज आता है। राजवीर चाहे फोन पर जवाब दे रहा था लेकिन उसका ध्यान सांची की तरफ था लो टीशर्ट और हाई पोनी में बच्चों जैसी लग रही थी। वो देखने में बहुत प्यारी लग रही थी।
कमरे में पूरी शांति थी थोड़ी देर बाद राजवीर वॉशरूम जाने के लिए उठा। उसने देखा कि सांची अपने आप को ब्लैंकेट में कवर कर सोने की कोशिश कर रही है। दूध का गिलास वैसे का वैसे ही ट्रे में पड़ा है उस ने का दूध उठाया और सोफे के पास जाकर बोला: सांची तुमने तो यह दूध ही नहीं पिया दूध पकड़ो।
सांची ने राजवीर की आवाज सुनकर हड़बड़ाहट में आंखें खोल कर बैठी हो गई और उसने दूध का गिलास पकड़ लिया ।राजवीर जाकर अपने बिस्तर पर बैठ गया और अपना दूध पीने लगा।
सांची दूध पीकर लेट गई। लेटे-लेटे राजवीर के बारे में सोचने लगी कहां तो उसे डर था के जिस तरह से उसकी शादी हुई सभी लोग उसके साथ कैसे सलूक करेंगे ।कहीं रिया का सारा गुस्सा उस पर तो नहीं उतरेगा । मगर इस पूरे परिवार ने उसे कितना प्यार दिया और राजवीर भी उसकी कितनी केयर कर रहा है ।राजवीर के मन में क्या है? सांची के अपने खुद के मन में क्या है? यह सब बातें शायद सांचे भी नहीं जानती थी।मगर फिर बो खुश थी ये सब सोचते सोचते उसकी कब आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला।
मगर राजवीर उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी। कमरे की लाइट बंद थी। कमरे में धीमी रौशनी में सोफे पर सोई हुई सांची का चेहरा और भी सुंदर लग रहा। उसकी सुंदरता राजवीर को मदहोश कर रही थी। तभी राजगीर के फोन पर किसी का व्हाट्सएप मैसेज आया। मैसेज पढ़कर उसने मुस्कुराते हुए रिप्लाई किया। आपको इस टाइम अपनी बीवी में बिजी होना चाहिए ना कि मेरी मेरी लव लाइफ में क्या हो रहा है यह जानना चाहिए। सामने से फिर मैसेज आया कम से कम तुम कुछ तो शर्म करो मेरी बीवी तुम्हारी बहन है। तो राजवीर ने मुस्कुराते हुए लिखा। इसीलिए तो मैं चाहता हूं कि मेरी दीदी और आप हमेशा दोनों एक दूसरे के साथ खुश रहे।
यह बात तो समझा आया कि जो इतने सारे मैसेज राजवीर को आ रहे थे और वह जो रिप्लाई कह रहा था अभी मैसेज समर जीजू के थे। मगर इन लोगों के बीच में ऐसी क्या खिचड़ी पक रही थी शायद से डिंपल दी और तनीषा भाभी भी जानती थी। राजवीर सांची को देखता देखता कब नींद के आगोश में चला गया उसे पता भी नहीं चला।
अगले दिन जब राजवीर की आंख खुली तो सांची नहा कर बाहर आई थी। उसने पिंक कलर का सूट पहना था और वह बिना मेकअप के बहुत सुंदर लग रही थी। सांची के बाहर आने पर तौलिया उठा कर खुद नहाने चला गया जब वो नहा कर आया तो सांची के हाथ में चाय के कप थे जो शायद तनीषा जी ने भेजे थे। राजवीर नहाकर वापस लौटी शर्ट में ही बाहर आया था। सांची ने राजवीर से कहा कि आप चाय पी लीजिए। राजवीर ने सांची के हाथ से चाय का कप पकड़ा वो पीने लगा।
चाय पीता हुआ राजवीर बोला: सांची..... आज तुम अपना सारा सामान अलमारी में रख लेना।
सांची: जी, मगर आपका सामान इधर-उधर करने से आपको कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी।
राजवीर: नहीं..... सांची, तुम अपने हिसाब से सारी अलमारियों में समान रखना मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी और अलमारी में जो लौकर है उसकी चाबी मैं तुम्हें दे दूंगा। तुम अपने ज्वेलरी और कीमती सामान उसमें रख सकती हो।
सांची को राजवीर के बात करने के तरीके में प्यार और केयर दोनों ही फील हो रहे थे। सांची अपना बैग उठाकर उसमें से अपने लिए कपड़े निकालने लगी। उसने प्यारा सा पिंक कलर का सूट निकाला। तब तक राजवीर ने भी अपने लिए अल मारी से कपड़े निकाल लिए। Sanchi कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई और चेंज करके बाहर आए। राजवीर की नजर से नहीं कर सकते। सांची भी यह बहुत महसूस कर रही थी। उसको राजवीर ऐसे देखना थोड़ा awkward लगा।
दोनों तैयार हो रहे थे तभी रीना हार समायरा (रीना तनीषा जी और रजनीश की बेटी) (समायरा डिंपल और समर की बेटी) दोनों बच्चे दरवाजे को धक्का देकर अंदर आ गए। उन्हें देखकर सांची खुश हो गई सांची ने उनसे कहा कि तुम दोनों यहां मेरे पास सोफे पर आ जाओ।
रीना: चाची जी, आपको जल्दी से तैयार होकर नीचे आना है सभी आपका इंतजार कर रहे हैं।
सांची: ठीक है तुम दोनों यहीं पर रुको मैं 5 मिनट में बाल बना लूं तुम्हारे साथ चलती हूं।
सांची ने ड्रेसिंग टेबल के आगे जाकर अपने बाल बनाएं और हल्का सा मेकअप किया और दुपट्टा लेकर बच्चों के साथ में थी चली गईं ।
जब सांची नीचे गई तो सभी लोगों का लाबी में आ चुके थे। डिंपल दी और समर जीजू जाने के लिए तैयार हो चुके थे। सांची को देखकर डिंपल दी बोली।
डिंपल दी: सांची तुम्हें पता है ना किआज हमें जाना है। जाने से पहले हम तुम्हारी रसोई खा कर जाएंगे। बताओ आज क्या बनाओगे? तुम्हें कुछ बनाना आता है आता भी है या नहीं।
सांची: हां दी जो आप कहे मैं वही बनाऊंगी।
तनीषा जी सांची को लेकर रसोई में जाती हैं। तनीषा भी सांची से कहते हैं क," मैं बना दूंगी तो बस हाथ लगा देना।" तो सांची कहती है ," नहीं दी ,मुझे खाना बनाना आता है आप मुझे बताएंगे क्या बनाना? "तभी रत्ना भी आ जाती है वह कहती हैं ," सांची तुम खीर बना लो। तनीषा तुम्हारी हेल्प कर देंगी"। तनीषा और शांति दोनों मिल मिलकर खाना बनाते हैं।
उन दोनों को साथ में काम करते थे कर रत्ना जी खुश हो जाती है और आकर बाहर बैठ जा बाहर लौबी में बैठ जाते हैं।
दोनों खाना बना कर बाहर लाते हैं और खाने की टेबल पर लगाने लग जाती हैं। सभी लोग खाने की टेबल पर आ जाते हैं। तब तक राजवीर भी तैयार होकर नीचे जाता है।
सभी को खाना खाने लग जाते खाना खाकर जब खीर खाने का टाइम आता है तो तनीषा जी कहती हैं ," खीर
सांची ने अकेले बनाई है। "सभी खाकर कहते हैं यह टेस्टी बनी है । सबसे ज्यादा खुश तो रत्ना जी हैं उन्हें यह बात बहुत अच्छी लगती है कि उनकी दोनों बहूए घर और रसोई अच्छे से संभाल सकती हैं ।
Ghar ke sabhi logon ne Sanchi ko पहली रसोई बनाने पर गिफ्ट्स दिए। रजनीश जी और रत्ना जी ने सांची को खूबसूरत पेंडेंट सेट दिया। दादाजी की ने एक खूबसूरत सी साड़ी दी। रजनीश जी और तनीषा जी ने भी एक ड्रेस गिफ्ट दिया ।डिंपल दी और समर जीजू ने भी सांची को एक खूबसूरत अंगूठी दी। उसके बाद डिंपल दीदी राजवीर से कहा: तुम क्या गिफ्ट दोगे? तुम्हारी बीवी ने इतनी टेस्टी खीर बनाई है।
राजवीर: खीर तो सचमुच बहुत टेस्टी है। मुझे थोड़ी और मिलेगी?
तनीषा जी: खीर तो चाहे जितनी खा लेना पर तुम्हारा गिफ्ट कहां है?
राजवीर: मुझे पता ही नहीं था कि गिफ्ट भी देना है। कोई बात नहीं आज शाम को ले आऊंगा। बोलो सांचे तुम्हें क्या चाहिए।
सांची: नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए।
रजनीश जी राजवीर के हाथ में लैपटॉप का बैग देखकर बोले: राजवीर तुम ऑफिस जा रहे हो? कुछ दिन की छुट्टी ले लेते बहू को घुमा लाते।
राजवीर: नहीं पापा, आज ऑफिस में मुझे बहुत जरूरी काम है मेरा जाना बहुत जरूरी है मैं शाम को जल्दी वापस आ जाऊंगा। मुझे डिंपल दी और समर जीजू को एयरपोर्ट छोड़ने भी जाना है।
डिंपल और समर राजवीर के साथ चले जाते हैं और फिर उनको एयरपोर्ट छोड़ कर राजवीर ऑफिस चला जाता है। पूरा दिन बहुत बिजी रहा। उसका मन कर रहा था कि वो सांची को फोन करें। वो सांची के फोन की वेट भी करता है। फिर सोचता है सांची के पास तो उसका नंबर भी नहीं होगा। वो किसी को फोन करके सांची के लिए गिफ्ट मंगवाता है।
शाम को काम खत्म करके बहुत जल्दी जल्दी घर जाता है ।वैसे भी आज से घर जाने की बहुत जल्दी थी। रतन वीर जी आज उसे जल्दी घर भेज देता है। तो घर आकर अंदर लिविंग एरिया में सोफे पर बैठ जाता है। आ कर तनीषा जी को आवाज लगाता है।
राजवीर ने आकर तनीषा जी को आवाज लगाई: भाभी आप कहां हैं?
राजवीर की आवाज सुनकर रीना भागी हुई आए और आकर बोली: चाचू क्या बात है? Mom घर पर नहीं है मॉम दादी मां के साथ कहीं बाहर गई थी।
राजवीर :क्या तुम्हारी चाची भी उनके साथ गई हैं?
रीना: नहीं, चाची तो ऊपर अपने रूम में हैं। तो राजवीर ने उससे कहा," ठीक है कोई बात नहीं मैं ऊपर ही चला जाता हूं।"
जब राजवीर ऊपर गया तो उसने देखा कि सांची कमरे की अलमारी में अपना समान रख रही है । सांची थोड़ी सम्मान को लेकर परेशान थी। असल में दिन में रत्ना जी और तनीषा जी सांची को लेकर बाजार चली गई थी। उन्होंने रिया के लिए हुआ सारा सामान वापस कर दिया और सांची के साइज काऔर उसकी पसंद के कपड़े और गहने ले आए थे । रत्ना जी आप तनीषा जी को किसी के घर शादी की मिठाई देने जाना था तो वह सांची को घर छोड़कर फिर चले गए।
सांची ने दो अलमारियों में राजवीर का सामान रख दिया और एक उसने अपने लिए खाली करती मगर उस एक अलमारी में टांगने के लिए कुछ नहीं था। सांची की ड्रेसेस जिन्हें सीधा हैंगर करना था उनको रखने में मुश्किल आ रही थी और वैसे भी सांची के पास है समान ज्यादा था जगह कम पड़ रही थी।
जब राजवीर कमरे में आया उसने देखा कि संजय परेशान हो रही है तो उसने आगे बढ़ कर सांची से कहा," सांची" तो सांची ने एकदम मुड़ कर पीछे देखा।
राजवीर ने सांची की ड्रेसेस उठाई और अपनी अलमारी में उसका हैंगर टांगने लगा। उसे देखकर साची बोली: आपकी यह क्या कर रहे हैं? ऐसे तो आपके सामान को जगह कम पड़ जाएगी आपको समान ढूंढने में मुश्किल होगी।
राजवीर: कोई बात नहीं वैसे भी तुम सारा सामान तीनों अलमारियों में डिवाइड कर कर रखो ।तुम्हारी अलमारी में हैंगिंग के लिए कोई जगह नहीं है तुम मेरा जो समान हैंगिंग
की जरूरत नहीं है उसको उस अलमारी में रख लो और अपना समान इधर ले आओ।
संजीवनी सारा सामान सारी अलमारियों में सेट कर दिया। उन्होंने राजवीर और सांची का सम्मान एक साथ ही रख दी। सांची ने ड्रेसिंग टेबल पर अपना मेकअप का सामान रख दिया। सांची अपना समान लगा रहे तो राजवीर आराम से सोफे पर बैठा अपने लैपटॉप में काम कर रहा था मगर उसका सारा ध्यान सांची की तरफ था। राजवीर काम करते हुए धीरे-धीरे मुस्कुरा रहा था।
जब सांची ने अपना सारा काम खत्म कर लिया तो राजवीर ने उससे कहा," साची तुम इधर आओ"।
राजवीर ने सांची को अपने पास सोफे पर बैठाते हुए कहा कि: आप इधर बैठो और मुझे अपना फोन दो। सांची सोफे पर राजवीर के पास बैठते हुए। उसने अपना फोन राजवीर को पकड़ा दिया और मन में सोचने लगी राजवीर को मेरा फोन किस लिए चाहिए? राजवीर ने सांची के मोबाइल से उसका सिम निकाला। उसके हाथ में एक नया फोन था उसने उस फोन में डाल दिया और फोन ऑन करके सांची को पकडाते हुए बोला: ये रहा तुम्हारा गिफ्ट।
सांची फोन पकड़ते हुए: इसकी क्या जरूरत थी ?मेरे पास फोन तो ऑलरेडी था।
फोन जो आईफोन का सबसे लेटेस्ट मॉडल था। देखने हैं देखने में ही बहुत सुंदर था और सांची को पहली नजर में पसंद किया गया था।
राजवीर: क्यों तुम्हें अच्छा नहीं लगा?
सांची: नहीं नहीं मुझे तो बहुत पसंद आया।
राजवीर: सांची मैंने इसमें अपनी पूरी फैमिली के फोन नंबर डाल दिए हैं और बाकी तुम सेट कर लो। सांची आज हम रात को 9:00 बजे की फ़्लाइट से शिमला जाना है । तुम अपनी तैयारी करलो।
इससे पहले कि सांची कुछ कहती तनीषा जी ने दरवाजा knock किया।
तनीषा जी: राजवीर मुझे रीना ने बताया तुम मुझे ढूंढ रहे थे।
राजवीर: चलो भाभी नीचे हॉल में चलते हैं। वहीं जाकर बात करते हैं।
सभी लोग नीचे आकर हॉल में बैठ जाते हैं ।रत्ना जी भी वहीं बैठी हुई है । नौकर सबके लिए चाय लेकर आता है। तभी महाराज जी भी पूछने आता है कि शाम के खाने में क्या बनाऊं?
रत्ना जी: महाराज जी शाम के खाने में कुछ हल्का सा बना लें ।काफी दिनों में शादी में मसालेदार खा रहे हैं।
महाराज खाने के बारे में पूछ कर चला जाता है अभी चाय पीने लगते है। दादा जी भी के पास आकर बैठ जाते हैं। तभी राजवीर कहता है।
राजवीर: दादा जी मुझे आज जरूरी मीटिंग की वजह से आज रात की फ्लाइट से शिमला जाना है।
रत्ना जी: राजवीर ठीक है तुम शिमला चले जाना मगर तुम साथ में सांची को भी ले जाओ।
तनीषा: राजवीर तुम्हारा कितने दिन का प्रोग्राम है।
राजवीर :एक मीटिंग कल है अगर कल की मीटिंग सही गई तो तुम्हें एक मीटिंग परसों भी होगी।
रत्ना जी: राजवीर तुम अपना काम खत्म करने के बाद भी 2 दिन और लगाना और बहू को घुमा लाना।
"ठीक है मां जैसा आप कहो" सारी बात सुनने के बाद राजवीर ने कहा। सांची सारी बातें सुन रही थी। और वह सोच रही थी कि यह सब लोग मुझसे कितना प्यार करते हैं। रिया को नहीं पता उसने जिंदगी में क्या छोड़ दिया। तभी राजवीर बोला।
राजवीर: सांची तुम्हारे पास जींस or जैकेट्स वगैरह होंगे शिमला में तो ठंड होगी।
सांची: मेरे पास सूट और साड़ी हैं। कोई वेस्टर्न कपड़े नहीं हैं।
राजवीर: तो ठीक है ,अभी हमारे पास टाइम है। चलो बाजार चलते हैं। तुम्हारे लिए कुछ कपड़े लेकर आते हैं।
साक्षी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहें क्योंकि आज ही तनीषा जी और रत्ना जी के साथ जाकर कपड़े लाई थी।
राजवीर सांची को लेकर बाजार चला गया ।वहां उसने शोरूम से सांची को जींस, टॉप ,जैकेट्स और कुछ ड्रेसेस भी दिलवाई। सांची राजवीर से कहने लगी,"अभी बस कीजिए मेरे पास बहुत कपड़े होंगे हैं। पहले ही मैंने दोनों में पास शॉपिंग कर ली है।"
राजवीर: मैंने तो सुना था शॉपिंग करना लड़कियों का फेवरेट काम होता है और तुम मना कर रही हो। कोई बात नहीं जो मैं तुम्हें दिला रहा हूं चुपचाप ले लो मैं तो तुम्हें पास टाइम ही शॉपिंग पर लेकर आया हूं। और साथ ही राजवीर में सेल्समैन जो नाइटी सामने पड़ी थी वह दिखाने को कहा। राजगीर सांची के मना करने के बाद भी राजवीर निशांत जी को खूब सारी शॉपिंग करवाई।
राजवीर गाड़ी चला रहा था और सांची उसके बगल वाली सीट पर बैठी थी। ऐसा पहली बार था कि सांची राजवीर के साथ अकेली जा रही थी। वह बैठी हुई धीरे से राजगीर की तरफ देख लेती और फिर साइड पर देखने लगती। राजवीर थोड़ी देर तो उसको ऐसे देखता रहा फिर शरारत से बोला,"वैसे तुम मुझे सीधे-सीधे भी जितनी देर चाहो मुझे देख सकती हो शादी का लाइसेंस है हमारे पास।
राजवीर की बात सुनकर साची कुछ नहीं बोली साइड पर देखते हुए धीरे से मुस्कुराने लगे। और सोचने लगी कि यह भी
कितनी बेशरम है। राजवीर मस्ती में गाड़ी चलाता रहा और को इतनी देर में घर पहुंच गए। तनीषा जी ने उन दोनों से कहा कि जल्दी से खाना खा लो और फिर तुम दोनों जाओ। सांची ने अपनी और राजवीर की जल्दी-जल्दी पैकिंग की। फिर खाना खाया और दोनों को ड्राइवर एयरपोर्ट पर छोड़ने चला गया।
जब दोनों एयरपोर्ट पर पहुंचे उनके प्लेन की अनाउंसमेंट हो चुकी थी वह जल्दी जल्दी से अपनी टिकट कंफर्म कराते हुए आगे बढ़े। प्लेन में बैठने तक राजवीर ने सांची का हाथ पकड़ रखा था। उसके साथ चल रहे थी। सांची को राजवीर का यू हाथ पकड़ना बहुत केयरिंग लग रहा था इस प्यार और केयरिंग की तो सारी उम्र में सांची को कमी रही थी। सांची खुद को बहुत अच्छा फील कर रही थी।
जब सांची और राजवीर शिमला एयरपोर्ट पर पहुंचे। आधी रात हो चुकी थी। होटल की गाड़ी इन दोनों को लेने आई थी। पूरे सफर में राजवीर सांची का का बहुत ख्याल रखा।
वह दोनों अपने कमरे में पहुंचे। पहुंचकर दोनों ने कपड़े चेंज कर लिए ।जब राजवीर चेंज करके आया तो उसने देखा सांची सोफे पर अपना तकिया ठीक करके रख रही है। राजगीर सांची
से बोला,"अरे सांची ....
।मैं तुमसे एक बात कहूं! यहां पर बहुत सर्दी है। वैसे भी बेड बहुत बड़ा है। तुम बेड पर ही आ जाओ । फिर सोफे परभी तुम्हें मुश्किल होगा। फिर धीरे से बोला जैसी साची ना सुन सके," हमारे पास तो बेड पर एक साथ सोने का लाइसेंस भी तो है"। सांची को कुछ शब्द सुने और कुछ नहीं उसे कुछ समझ नहीं आया।
Sanchi: एक प्रॉब्लम और हो गई है।
राजवीर: क्यों क्या हुआ?
सांची: यहां पर तो एक ही ब्लैंकेट है। अब रात भी बहुत हो गई है और hotel staff भी सो चुका होगा ।
राजवीर को और क्या चाहिए था उसकी तो बिन मांगे मुराद पूरी हो गई थी।
राजवीर: तुम ठीक कह रही हो सांची। कोई बात नहीं तुम ब्लैंकेट में सो जाना। मैं ऐसे ही सो जाऊंगा। रूम में हीटर तो चल ही रहा है।
सांची: नहीं नहीं ऐसे कैसे हो सकता है। आप ब्लैंकेट में सो जाना मैं ऐसे ही सो जाऊंगी।
राजवीर: सांची हम ऐसे करते हैं ब्लैंकेट बहुत बड़ा है। हम दोनों ही ब्लैंकेट में रात निकाल देंगे। आखिर आधी रात तो हो चुकी है कितने घंटे बचे हैं सुबह होने में। और सर्दी भी बहुत हो रही है। कहीं ऐसा ना हो कि हम दोनों ही बीमार हो जाए।
सांची: ठीक है जैसा आप कहें।
रात बहुत हो चुकी थी ।दोनों को बहुत नींद आ रही थी। राजवीर एक साइड तो शांति दूसरी साइड पर लेट गई। दोनों ही ब्लैंकेट में आ गए। दोनों की बेड पर दूरियां भी बहुत काम थे और अब तो दोनों एक ही ब्लैंकेट में थे। राजवीर इस टाइम बहुत खुश था। उसकी फीलिंग उसके चेहरे पर थी दिखाई दे रही थी। मगर साची कंफ्यूज थी। दोनों ही सोचते-सोचते नींद की आगोश में चले गए।
सुबह राजवीर की नींद सबसे पहले खुली। जब उसको जाग आई तो उसने देखा साची और वह दोनों एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे। सांची उसके सीने से लगी हुई थी और राजवीर की एक बाजू और एक टांग सांची के ऊपर थी।
राजवीर के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वो सांची को एकटक देखता रहा। उसे अपनी बाहों में सांची बहुत प्यारी लग रही थी। उसने आगे बढ़कर हल्के से सांची का माथा चूम लिया ।फिर हौले से उस ने गाल चुम लिए। उसे लगा सांची उठ ना खड़े इसलिए उसने धीरे से अपने आप को सांची से अलग किया। राजवीर खड़ा होकर वॉशरूम चला गया।
जब सांची की खुली तो राजवीर तैयार हो चुका था। राजवीर चाय पी रहा था। राजवीर सांची से: गुड मॉर्निंग
शांति जवाब में: गुड मॉर्निंग आप तो जल्दी ही उठ गए।
राजवीर आज मेरी मीटिंग है। मुझे जल्दी जाना है ।तुम भी चाय पियो और फिर ब्रेकफास्ट के बाद तुम् आराम से तैयार हो जाना। मैं दोपहर के बाद आऊंगा। फिर हम कहीं घूमने चलेंगे।।
सांची: ठीक है।
ऐसा कह कर सांची वॉशरूम चली गई। सांची को पता नहीं क्यों अपने आप से राजवीर जैसी खुशबू आ रही थी। दो अकेले में ही बाथरूम में मुस्कुरा रही थी।
चलिए अब अगले पारट में देखेंगे क्या होता है इनकी लव स्टोरी में❤️❤️❤️
राजवीर सांची को लेकर बाजार चला गया ।वहां उसने शोरूम से सांची को जींस, टॉप ,जैकेट्स और कुछ ड्रेसेस भी दिलवाई। सांची राजवीर से कहने लगी,"अभी बस कीजिए मेरे पास बहुत कपड़े होंगे हैं। पहले ही मैंने दोनों में पास शॉपिंग कर ली है।"
राजवीर: मैंने तो सुना था शॉपिंग करना लड़कियों का फेवरेट काम होता है और तुम मना कर रही हो। कोई बात नहीं जो मैं तुम्हें दिला रहा हूं चुपचाप ले लो मैं तो तुम्हें पास टाइम ही शॉपिंग पर लेकर आया हूं। और साथ ही राजवीर में सेल्समैन जो नाइटी सामने पड़ी थी वह दिखाने को कहा। राजगीर सांची के मना करने के बाद भी राजवीर निशांत जी को खूब सारी शॉपिंग करवाई।
राजवीर गाड़ी चला रहा था और सांची उसके बगल वाली सीट पर बैठी थी। ऐसा पहली बार था कि सांची राजवीर के साथ अकेली जा रही थी। वह बैठी हुई धीरे से राजगीर की तरफ देख लेती और फिर साइड पर देखने लगती। राजवीर थोड़ी देर तो उसको ऐसे देखता रहा फिर शरारत से बोला,"वैसे तुम मुझे सीधे-सीधे भी जितनी देर चाहो मुझे देख सकती हो शादी का लाइसेंस है हमारे पास।
राजवीर की बात सुनकर साची कुछ नहीं बोली साइड पर देखते हुए धीरे से मुस्कुराने लगे। और सोचने लगी कि यह भी
कितनी बेशरम है। राजवीर मस्ती में गाड़ी चलाता रहा और को इतनी देर में घर पहुंच गए। तनीषा जी ने उन दोनों से कहा कि जल्दी से खाना खा लो और फिर तुम दोनों जाओ। सांची ने अपनी और राजवीर की जल्दी-जल्दी पैकिंग की। फिर खाना खाया और दोनों को ड्राइवर एयरपोर्ट पर छोड़ने चला गया।
जब दोनों एयरपोर्ट पर पहुंचे उनके प्लेन की अनाउंसमेंट हो चुकी थी वह जल्दी जल्दी से अपनी टिकट कंफर्म कराते हुए आगे बढ़े। प्लेन में बैठने तक राजवीर ने सांची का हाथ पकड़ रखा था। उसके साथ चल रहे थी। सांची को राजवीर का यू हाथ पकड़ना बहुत केयरिंग लग रहा था इस प्यार और केयरिंग की तो सारी उम्र में सांची को कमी रही थी। सांची खुद को बहुत अच्छा फील कर रही थी।
जब सांची और राजवीर शिमला एयरपोर्ट पर पहुंचे। आधी रात हो चुकी थी। होटल की गाड़ी इन दोनों को लेने आई थी। पूरे सफर में राजवीर सांची का का बहुत ख्याल रखा।
वह दोनों अपने कमरे में पहुंचे। पहुंचकर दोनों ने कपड़े चेंज कर लिए ।जब राजवीर चेंज करके आया तो उसने देखा सांची सोफे पर अपना तकिया ठीक करके रख रही है। राजगीर सांची
से बोला,"अरे सांची ....
।मैं तुमसे एक बात कहूं! यहां पर बहुत सर्दी है। वैसे भी बेड बहुत बड़ा है। तुम बेड पर ही आ जाओ । फिर सोफे परभी तुम्हें मुश्किल होगा। फिर धीरे से बोला जैसी साची ना सुन सके," हमारे पास तो बेड पर एक साथ सोने का लाइसेंस भी तो है"। सांची को कुछ शब्द सुने और कुछ नहीं उसे कुछ समझ नहीं आया।
Sanchi: एक प्रॉब्लम और हो गई है।
राजवीर: क्यों क्या हुआ?
सांची: यहां पर तो एक ही ब्लैंकेट है। अब रात भी बहुत हो गई है और hotel staff भी सो चुका होगा ।
राजवीर को और क्या चाहिए था उसकी तो बिन मांगे मुराद पूरी हो गई थी।
राजवीर: तुम ठीक कह रही हो सांची। कोई बात नहीं तुम ब्लैंकेट में सो जाना। मैं ऐसे ही सो जाऊंगा। रूम में हीटर तो चल ही रहा है।
सांची: नहीं नहीं ऐसे कैसे हो सकता है। आप ब्लैंकेट में सो जाना मैं ऐसे ही सो जाऊंगी।
राजवीर: सांची हम ऐसे करते हैं ब्लैंकेट बहुत बड़ा है। हम दोनों ही ब्लैंकेट में रात निकाल देंगे। आखिर आधी रात तो हो चुकी है कितने घंटे बचे हैं सुबह होने में। और सर्दी भी बहुत हो रही है। कहीं ऐसा ना हो कि हम दोनों ही बीमार हो जाए।
सांची: ठीक है जैसा आप कहें।
रात बहुत हो चुकी थी ।दोनों को बहुत नींद आ रही थी। राजवीर एक साइड तो शांति दूसरी साइड पर लेट गई। दोनों ही ब्लैंकेट में आ गए। दोनों की बेड पर दूरियां भी बहुत काम थे और अब तो दोनों एक ही ब्लैंकेट में थे। राजवीर इस टाइम बहुत खुश था। उसकी फीलिंग उसके चेहरे पर थी दिखाई दे रही थी। मगर साची कंफ्यूज थी। दोनों ही सोचते-सोचते नींद की आगोश में चले गए।
सुबह राजवीर की नींद सबसे पहले खुली। जब उसको जाग आई तो उसने देखा साची और वह दोनों एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे। सांची उसके सीने से लगी हुई थी और राजवीर की एक बाजू और एक टांग सांची के ऊपर थी।
राजवीर के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वो सांची को एकटक देखता रहा। उसे अपनी बाहों में सांची बहुत प्यारी लग रही थी। उसने आगे बढ़कर हल्के से सांची का माथा चूम लिया ।फिर हौले से उस ने गाल चुम लिए। उसे लगा सांची उठ ना खड़े इसलिए उसने धीरे से अपने आप को सांची से अलग किया। राजवीर खड़ा होकर वॉशरूम चला गया।
जब सांची की खुली तो राजवीर तैयार हो चुका था। राजवीर चाय पी रहा था। राजवीर सांची से: गुड मॉर्निंग
शांति जवाब में: गुड मॉर्निंग आप तो जल्दी ही उठ गए।
राजवीर आज मेरी मीटिंग है। मुझे जल्दी जाना है ।तुम भी चाय पियो और फिर ब्रेकफास्ट के बाद तुम् आराम से तैयार हो जाना। मैं दोपहर के बाद आऊंगा। फिर हम कहीं घूमने चलेंगे।।
सांची: ठीक है।
ऐसा कह कर सांची वॉशरूम चली गई। सांची को पता नहीं क्यों अपने आप से राजवीर जैसी खुशबू आ रही थी। दो अकेले में ही बाथरूम में मुस्कुरा रही थी।
चलिए अब अगले पारट में देखेंगे क्या होता है इनकी लव स्टोरी में❤️❤️❤️
राजवीर तैयार होकर अपनी मीटिंग के लिए चला गया। सांची फिर रजाई में घुस गई। उसने सबसे पहले अपनी सहेली जूली को फोन किया। जब उसे पता चला कि सांची राजवीर के साथ शिमला में हैं तो उसने सबसे पहला सवाल किया," क्या तुम दोनों को घर वालों ने साथ में भेजा है।"
सांची: घर वालों को तो यही लगता है यार। पर असल में राजवीर खुद मुझे साथ में लेकर आया है।
जूली: तो बहुत खुश हो तुम?
सांची: पता नहीं। लगता तो ऐसा ही है मुस्कुराते हुए।
जूली: क्या कर रही हो तुम?
सांची: बस करना क्या है? राजवीर मीटिंग के लिए गया है और मैं ब्लैंकेट में बैठकर टीवी देख रही हूं।
जूली :तो तुम चिल कर रही हो?
सांची: अगर पूछो तो मैं बहुत खुश हूं। जब राजवीर मेरे साथ होते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है😊😊।
दोनों सहेलियां बहुत देर तक बातें करती रही ।सांची ने अपने मन की सारी बातें जूली को कह दी ।जूली ने सांची से कहा कि बहुत जल्दी तुम्हारी जिंदगी में बहुत अच्छा होगा।
उसके बाद सांची ने दादाजी का फोन किया। उसके दादाजी को सांची शिमला में है यह जानकर बहुत खुशी हूई।
. सांची उसके बाद बिस्तर में बैठी टीवी देखती रही। खाना खाया और बैठे-बैठे सो गई। दोपहर के बाद जब राजवीर का काम खत्म होगा और वह वापस होटल आ गया। उसके पास रूम की चाबी थी तो उसने बिना नौक कीए दरवाजा खोला। कमरे में देखता है कि सांची आराम से सो रही है टीवी चल रहा है।
राजवीर अंदर कमरे में आया और आराम से अपना कोट उतारा और सोफे पर बैठ गया। सोफे पर बैठा राजवीर सांची को सोते हुए देखता रहा उसे देखकर उसकी मासूमियत और खूबसूरत मुस्कुराता रहा ।उसे सांची को देखकर बहुत प्यार आ रहा था। उसका मन चाह रहा था बस उसी के पास जाए और उसके माथे को किस करे।
कितनी देर राजवीर ऐसे ही बैठा रहा ।तब उसका फोन बजा उसके फोन की आवाज सुनकर सांची की आंख खुल गई। सांची उठ कर बोली अरे आप आ गए। इतना टाइम हो गया मुझे तो पता ही नहीं चला। मैं कितनी देर से सो रही हूं।
राजवीर बोला," रात में बहुत देर से सोए थे ना इसलिए। अच्छा हुआ तुम सो कर फ्रेश हो गई।"
सांची: ठीक है मैं नहाकर चेंज करके आती हूं। मैं तो नहाई भी नहीं आपके बाद।
राजवीर: कोई बात नहीं अगर तुम्हें नहीं नहाना तो रहने दो। कभी-कभी ऐसे बिस्तर में रहने का भी अपना अलग मजा होता है। मैं भी चेंज कर कर तुम्हारे पास आता हूं। टीवी पर कोई अच्छी सी फिल्म देखते हैं। तुम होटल स्टाफ को फोन कर कर चाय और साथ में कुछ खाने के लिए मंगवा लो।
राजवीर बाथरूम में चेंज करने चला जाता है ।सांची फोन कर चाय और साथ में कुछ खाने के लिए मंगवा लेती है। जब तक राजवीर बाहर आता है चाय आ चुकी होती है। राजवीर लोअर टीशर्ट में आकर सांची के साथी ब्लैंकेट में आ जाता है।
राजवीर चाय पीते हुए सांचे से पूछता है," बोलो कौन सी फिल्म लगाएं? आज बहुत दिनों बाद कोई अच्छी सी फिल्म देखने का मूड है।"
दोनों बातें करती हुई टीवी पर कोई एक अच्छी सी फिल्म देखने लगते हैं। टीवी देखते हुए दोनों बातें भी करते जाते हैं राजवीर सांची से कहता है कि यह फिल्म काफी इंटरेस्टिंग है। तभी फिल्म में एक दृश्य आता है कि हीरो और हीरोइन दोनों जंगल में खो जाते हैं।
हीरो और हीरोइन को जंगल में रात पड़ जाती है। वह दोनों आग जलाते हैं। जंगल में से डरावनी आवाज आने लगती हैं। हीरोइन डरकर हीरो से लिपट जाती है। धीरे-धीरे हीरो और हीरोइन का सीन कुछ ज्यादा ही रोमांटिक होने लगता है। हीरो और हीरोइन दूसरे को किस करने लगते हैं। सांची और राजवीर एक दूसरे से ऑकवर्ड फील करते हैं। सांची खड़ी हो जाती है कहती है कि," मैं वॉशरूम जाकर आती हूं"।
सांची 5 मिनट के बाद वापस आती है। वह सोचती है कि अब तक तो वह सीन खत्म हो चुका होगा। मगर बाहर आकर देखती है के सीनऔर भी रोमांटिक हो गया। हीरो हीरोइन की कपड़े उतार रहा है।
राजवीर फिल्म चेंज कर देता है। तभी राजवीर का फोन आ जाता है। 5 मिनट को किसी के साथ हो पर बात करता है। फिर राजवीर टीवी ही बंद कर देता है।
राजवीर सांची से कहता है कि चलो हम दोनों अपने अपने बारे में बात करते हैं। हम दोनों एक दूसरे के बारे में जानते ही कितना है।
सांची: मैं आपसे एक बात पूछूं ?रिया की जगह जब आपकी शादी मुझसे हूई तो आपका गुस्सा तो बहुत आया होगा।
राजवीर: ठीक है एक बार थोड़ा अजीब तो लगता है। लेकिन मेरी कौन सी रिया के साथ लव मैरिज थी? अच्छा हुआ जो लड़की मुझे पसंद नहीं करती थी। उस से मेरी शादी नहीं हुई। बरना शादी के बाद हम दोनों का क्या होता।
सांची: मगर मुझे तो आप जानते भी नहीं थे। मुझसे शादी करना तो उससे भी ज्यादा अजीब होगा आपके लिए।
राजवीर: मुझे इस बात की खुशी है मेरी शादी ऐसी लड़की से हुई है जो आपने परिवार के लिए, अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिए ,एक अनजान व्यक्ति से भी शादी कर सकती है। मुझे लगता है कि जब तुम मुझे अपना परिवार मानोगी। तो मुझसे कितना प्यार करोगी।💕💕💕
सांची राजवीर की बात सुनकर उसकी तरफ देखती ही रह जाती है। वह कुछ नहीं बोलती।
राजवीर: सांची क्या हुआ? चुप क्यों हो गई?
अच्छा तो अब मुझे तुम बताओ कि तुम्हें एक अजनबी से शादी करना कैसा लगा?
सांची: मुझे लगता है कि रिया ने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती की है। आप बहुत अच्छे हैं। आपका परिवार बहुत अच्छा है।
राजवीर सांची से पूछा," सांची कहीं कोई ऐसी बात तो नहीं कि तुम्हारी लाइफ में कोई और हो"सांची बीच में टूटते हुए,..... क्या कह रहे हैं आप? मेरी जिंदगी में कोई नहीं। मेरा कभी कोई बॉयफ्रेंड नहीं रहा। यह सुनकर राजवीर मुस्कुराता है और कहने लगता है," तो ठीक है! मतलब मुझे चांस मिल सकता है। मैं थोड़ा सा ट्राई करूं ठीक है ना। यह ऐकर सांची को शर्म आने लगती है और वह कहती हैं .......बस आप भी ना।
राजवीर कहता है ,"ऐसा नहीं है कि मेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही। कॉलेज में थे तो थोड़ा बहुत चलता था। मगर कुछ सालों से मेरी जिंदगी में कोई नहीं।"
राजगीर सांची से कहता है ,"मैं हम दोनों के रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहता हूं। वैसे तुम मुझे पहली नजर में ही अच्छी लगी। हमारी शादी चाहे जब हालात में हुई हो। मगर सच्चाई यही है कि अब हम दोनों पति पत्नी हैं।"इतने में राजवीर का फोन बजने लगता है वह फोन पर किसी से बात करने बाद राजवीर सांची से कहता है कि अब हम खाना मंगवा लेते हैं। काफी टाइम हो गया बातों में पता ही नहीं चला।
बातों में उन दोनों का ध्यान भी ही नहीं रहा कि बहुत दोनों ब्लैंकेट में एक दूसरे के बिल्कुल साथ लगे बैठे। खाना आ गया उन दोनों ने खाना खाया। खाना खाने के बाद सोने की तैयारी करने लगे तो सांची बोली: मैं होटल होटल स्टाफ को फोन करके एक ब्लैंकेट और मंगवा लेती हूं। हम तो मंगवा ब्लैंकेट मंगवाना ही भूल गए।
राजवीर: (मुस्कुराते हुए) रहने दो ना सांची। इतना बड़ा ब्लैंकेट है। एक साइड तुम सो जाना। दूसरी साइड में सो जाऊंगा। रात की तरह 😊😊।
रात को दोनों लाइट बंद करने के बाद भी अपनी छोटी-छोटी बातें करते रहते हैं। दोनों एक दूसरे की कंपनी बहुत एंजॉय कर रहे हैं। सुबह सांची की आंख खुलती है वह अपने आप को राजवीर की बाहों में पाती है। बहुत ही धीरे से राजवीर की बाहों से निकलने की कोशिश करती है। सांची के हिलने की वजह से
राजवीर की नींद खुल जाती है। राजवीर उसे कहता है,"प्लीज यार सो जाओ ना इतनी जल्दी क्या है उठने को ।बो और टाइटली हग करके सो जाता है।
सांची को कुछ समझ नहीं आता बो क्या करें? ऐसे ही आंखें बंद करके लेट जाती है। सोने की एक्टिंग करने लगती है। राजवीर भी सिर्फ आंखें बंद करके लेटा रहता है ।नींद उसकी आंखों में भी नहीं है। चाहे पूरी रात सांची सोते हुए उसकी बाहों में थी। मगर अब दोनों जाग रहे थे और राजवीर ऐसे दिखा रहा था जैसे उसे कुछ फर्क नहीं पड़ रहा। राजवीर की धड़कने बहुत तेज थी उधर सांची का दिल जोर से धड़क रहा था।
राजवीर:( धीरे से बोला) तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं है।
सांची :(धीरे से) नहीं।
राजवीर: मुझे लगता है कि रिया की गलती की सजा हम दोनों को एक दूसरे को नहीं देनी चाहिए। जो जो हो गया सो हो गया ।वैसे भी यार तुम तो इतनी प्यारी हो।
राजवीर का सांची कहना कि तुम तो वैसे भी इतनी प्यारी हो। उसका दिल जोर से धड़का गया। उसे राजवीर के मुंह से ये बातें सुनना बहुत अच्छा लगा। सांची कुछ नहीं बोली।ऐसे ही राजवीर के सीने में अपना मुंह छुपाए लेटी रही। उसने कोई विरोध किया राजवीर का।
ऐसी ही लेटे लेटे बो
दोनों फिर नींद के आगोश में चले गए। ऐसी सर्दी में किसी किसी की बाहों में सोना तो और भी अच्छा लगता है। दोनों एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे। जब सुबह 5:00 का अलार्म बजा। उन दोनों की नींद खुल गई। राजवीर की सुबह पर मीटिंग थी। इसीलिए उसे उठना ही था।
राजवीर: अरे यार, तुम तो सो जाओ। तुम्हारी कौन सी मीटिंग है। आज मुझे जल्दी किसी से मिलना है। इसीलिए मैं तैयार होकर जाता हूं।
राजवीर उठकर बाथरूम चला गया ।जब तक वह बाहर आया ।सांची ने चाय
मंगवा ली थी।
सांची :आप तैयार होने से पहले चाय पी लीजिए। आप कब तक वापस आएंगे?
राजवीर: शायद दोपहर हो जाएगी ।आज तुम नहा लेना। कल भी नहीं नहाई।( हंसते हुए)
सांची: जी ठीक है।( मुस्कुराते हुए)
राजवीर ( शरारत से मुस्कुराते हुए) :वैसे तुम्हें रात नींद तो अच्छी आई? बोलो सांची।
सांची ( धीरे से): जी।
राजवीर चाय पीता हुआ मुस्कुराकर सांची को देखता रहता है। सांची शर्माकर इधर-उधर देखने लगती है।
राजवीर मीटिंग के लिए चला जाता है। राजवीर मीटिंग पर जाने से पहले सांची के पास आता है। राजवीर सांची के माथे पर किस कर के उसे बाय बोल कर चला जाता है। सांची के लिए एक बड़ा नया सा एहसास था। उसके पेट में तितलियां उड़ने लगी ।वह अपने पेट की एक साइड मीठा-मीठा सदा महसूस करने लगी। कितनी देर हो गया ऐसे ही बैठी रही।
उसके जाने के बाद सांची नहा कर आती है । वो बाथरूम से राजगीर की शर्ट पहन कर चली आती है जो कि उसके घुटनों तक आ रहे थी।
वही शर्ट पहन कर बैठे अपना सूटकेस देख रही थी । तभी किसी ने दरवाजा खोला। सांची एकदम चौंक कर देखती है। राजवीर अंदर आ जाता है। उसे देखकर साची बोलती है," अरे आप तो दोपहर बाद आने वाले थे।"सांची को इस बात का ख्याल ही नहीं रहा कि उसने राजवीर की शर्ट पहनी हुई है। जो कि उसके घुटनों तक है। राजवीर मुस्कुराते हुए उसे देखने लगता है।
सांची को जब याद आता है कि उसने तो राजवीर की शॉर्ट पहनी है। तो वह भाग कर बाथरूम की तरफ जाने लगती है तो राजवीर उसकी बाजू कर लेता है।
Sanchi aur Rajveer दोनों साथ में फिल्म देखने लगते हैं। राजगीर सांची से,"मुझे ऐसा क्यों लगता है कि सभी लोग हमारे प्यार के दुश्मन बन गए हैं?
सांची: आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?
राजवीर: और नहीं तो क्या? जब भी मैं तुझे प्यार करने लगता हूं तो कभी किसी का फोन आ जाता है। कोई कमरे के गेट पर आ जाता है।
सांची ( हंसते हुए): तो क्या हुआ? मैं कौन सा कहीं भागे जा रही हूं। आप ही के तो पास हूं।
राजवीर अपना चेहरा सांची के चेहरे के पास ले जाते हुए ,"बात तो तुम्हारी सही है।"राजवीर सांची को पैशनेटली किस करने लगता है। सां भी उसका साथ देने लगती है। राजवीर का एक हाथ सांची की शर्ट के अंदर चला जाता है। मगर इससे पहले कि वह और आगे बढ़ते राजवीर के फोन पर समर जीजू का फोन आने लगता है।
राजवीर , "जीजू को भी अभी फोन करना था।"जब राजवीर फोन नहीं उठाता। तो सांची कहती है ,"जीजू का फोन है ।कोई जरूरी काम ना हो ।आप फोन उठा लो।""पता है मुझे इनके जरूरी काम का। मैं नहीं उठा रहा हूं। यार कोई हमें प्यार क्यों नहीं करने दे रहा।"यह कहकर राजवीर फिर सांची के चेहरे की तरह झुकने लगता है। सांची राजगीर को धक्का देकर खुद फोन उठा लेती है। सामने से जीजू कहते हैं," तुम लोगों का रूम नंबर कौन- सा है? मैं और डिंपल तुम्हारे होटल की निचली फ्लोर पर खड़े हैं,"
यह सुनकर राजवीर को अटैक आने लगता है। राजवीर जीजू को रूम नंबर बता देता है। वह कहते हैं ठीक है हम अभी आ रहे हैं। सांची भाग कर बाथरूम जाती है कपड़े चेंज करने के लिए। राजवीर कमरे की हालत ठीक करता है।
समर और डिंपल आ जाते हैं। अभी उन दोनों को आए हुए थोड़ा टाइम भी हुआ था कि जसविंदर के फोन पर फोन आता है। राजवीर को किसी से मिलाने के लिए होटल की निचली फ्लोर पर ले जाती है। समर कहता है," कि तुम दोनों भाई बहन जाओ। मैं अपनी बहन के साथ बैठकर तुम दोनों की वेट करता हूं। जल्दी आ जाना।"
नीचे जाकर जसविंदर और राजवीर वेट करने लगते हैं। मगर एक घंटा गुजर जाता है ।कोई नहीं आता तो राजवीर डिंपल से कहता है," अब हम चलते हैं। जब जब कोई आएगा तो हमें फोन कर लेगा।जीजू और सांची हमारी वेट कर रहे होंगे ।अभी हमें रूम में चलना चाहिए।"
समर और डिंपल थोड़ी देर रुके और फिर चले गए। राजवीर सांची से बोला ,"मुझे समझ नहीं आ रहा यह लोग किस लिए आए थे।"सांची हंसती हुई बोली ,"चाय पीने और किस लिए।राजवीर सांची से बोला," सच में यार मुझे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा। यह लोग ऐसे आए और ऐसे चले गए। आने का कोई कारण तो होना चाहिए। डिंपल दी
पता नहीं मुझे किसी मिलवाने के लिए लेकर गई थी और वहां कोई नहीं आया।" सांची बोली," दिमाग पर ज्यादा जोर मत दो। इससे पहले कि कोई और आए बोलो क्या इरादा है?"
"इरादे तो मेरे बहुत बड़े हैं। लगता नहीं कोई पूरा होने देगा। वैसे साची तुम बताओ तुम्हारे क्या इरादे हैं । इरादे तो मुझे तुम्हारी भी कुछ ठीक नहीं लग रहे।"
दोनों हंसते हैं। राजवीर देखता है सांची अपना सूटकेस में से कुछ निकाल रही है। वह बोला ,"इसमें तुम क्या करने लगी। अभी कोई टाइम है और कपड़े पहनने का। ये तो कपड़े उतारते का टाइम है मेरी जान।"
सांची उठकर बाथरूम चली जाती है। राजवीर सोच रहा है अभी इस को क्या हुआ ?चेंज करने के लिए साथ में कपड़े क्यों ले गई?
सांची बाथरूम से बाहर आती है। उसे देखकर राजवीर मुंह खुले का खुला रह जाता है। सामने देखता है
जब साची बाथरूम से निकल कर आती है तो उसे देखकर राजवीर का मुंह खुले का खुला रह जाता है। सांची राजवीर को देखते हुए शर्मा कर आगे बढ़ती है।
सांची चेंज करके नाइटी तो पहना आई थी। पर उसे बहुत शर्म आ रही थी। राजवीर का चेहरा देखते हुए अब वह सोच रही थी कि उसे क्या जरूरत थी नाइटी पहन कर आने की। राजवीर उसे देख कर बहुत खुश होता है उसे सांची से इस पहल की आस नहीं थी। अब उसके मन में जो डर था कि सांची ने शादी मजबूरी में की है इसलिए सांची राजवीर को दिल से अपना पाएगी या नहीं। वह भी चला गया । अब राजवीर इतना तो जान गया कि सांची भी उसे चाहती है। सारी खुशी सांची के चेहरे से बयान हो रही थी।
राजवीर सांची को देखकर अपनी आई ब्लिंक करता है तो सांची दूसरी तरफ देखने लगती है।धीरे-धीरे बेड की तरफ आने लगती है। राजवीर आगे बढ़कर उसे अपनी दोनों बांहों से उठा लेता है। सांची में उसके गले में बाहें डाल देती है। दोनों एक दूसरे की आंखों में खो जाते हैं। राजवीर उसे बेड पर लिटा देता है।
राजवीर सांची के ऊपर आकर उसके माथे पर किस करता है। फिर उसकी नोज पर किस करता है ।साची आंखें बंद कर लेती है ।राजवीर अपने दोनों लब उसकी मुलायम लबों पर रख देता है। धीरे धीरे झूमता झूमता फिर उसक पैशनेटली चूमने लगता है। सांची भी उसका पूरा साथ देती है।
राजवीर सांची की गर्दन पर गर्म सांसे छोड़ते हुए," सांची तुम सोच नहीं सकती तुमने मुझे कितनी खुशी दी है। पा तो तुम्हें मैं लेता। पर मेरे मन में कहीं ना कहीं यह बात थी कि तुमने मुझसे मजबूरी में शादी की है। और बिस्तर पर मेरी होना तुम्हारी कहीं मजबूरी ना हो। पर अब मैं तुम्हारे प्यार को पहचान गया हूं"।
सांची धीरे से राजवीर के सीने में मुंह छुपाते हुई ।"शादी हमारी चाहे जिनमें हालात में हुई हो। मगर हमारा रिश्ता हमारी सच्चाई है। ये कोई एक जन्म का बंधन नहीं जन्मो जन्मो का बंधन है। इस रिश्ते को हम मजबूरी का नाम नहीं दे सकते। इतना प्यार और अपनापन तो सारी जिंदगी में मुझे कभी नहीं मिला"।
" सांची तुमसे मेरे सीने में कहां छुप रही हो यार अब तो आंखों में आंखें डाल कर "" नहीं मुझे शर्म आती है"राजवीर हंसते हुए उसकी गर्दन पर से प्यार करते हुए उसके कंधे तक आ जाता है। सांची की नाइटी उसके कंधे से नीचे खिसका देता है।
सांची धीरे से बोली," राजवीर आप लाइट ऑफ कर दो"।"जरूरी है क्या?" राजवीर बोला।" हां" धीरे से सांची बोली।
राजवीर उठकर लाइट ऑफ कर देता है"। अब ठीक है?" राजवीर ने कहा।
" हां"सांची बोली। "आप कोई और प्रॉब्लम हो तो बोल दो अगर मैं एक बार शुरू हुआ तो फिर रुकूंगा नहीं" राजवीर खुमारी में बोला।
राजवीर सा सांची के होंठों को चूमने लगा वह उसके होंठ छोड़कर उसके चिन पर किस करने लगता है। राजवीर सांची के चेहरे पर गर्म सांसे छोड़ता हुआ उसकी गर्दन पर आ गया ।गर्दन से उसके क्लीवेज तक। राजवीर ने सांची की नाइटी और नीचे खिसका दी।
राजवीर ने अपनी शर्ट उतार कर फेंक दी। सांची राजवीर के प्यार में मदहोश हो रही थी। उसको दुनिया भर की होश नहीं थी ।आज वह अपने पति के प्यार में पूरी होने जा रही थी। फिर तो कब रात गई कब दिन हुआ किसी को होश ही ना रहा।
सुबह सांची की आंख राजवीर से पहले खुल गई। उसने अपने आप को कपड़ों के बिना राजवीर की बाहों में सोते देखा। सांची मुस्कुराने लगी। मन में सोचने लगी कि वह भी राजवीर की संगत में बेशर्म हो चुकी है। सांची धीरे से राजवीर की बाहों में निकलने लगी। राजवीर की आंख खुल गई। राजवीर बोला," यार इतनी जल्दी क्या है उठने की सो जाओ अभी"।" टाइम देखा है अभी दोपहर के 12:00 बज रहे हैं। आपकी तो आज मीटिंग थी"" मैंने सब मीटिंग कैंसिल कर दी है अब तो सिर्फ एक ही मीटिंग चलेगी तुम्हारी और मेरी"। यह कहते हुए राजवीर ने सांची को अपनी बाहों में ले लिया। सांची राजवीर का हाथ पकड़ लिया। राजवीर बोला," यह क्या है? मेरा हाथ क्यों पकड़ा तुम ने'" और क्या करूं रात कम थी क्या?" अब मेरी जान दिन रात को भूल जाओ" यह कहते हुए राजवीर सांची को किस करने लगा।
नया दिन सांची के लिए नई जिंदगी की शुरुआत थी। वह सच में बहुत खुश थी। इतनी जल्दी उसकी जिंदगी बदल जाएगी उसने सोचा नहीं था। उसके दिल में राजवीर के लिए ऐसी जगह बनेंगी। कब सोचा था उसने। राजवीर के दिल में और उसकी जिंदगी में वो जगह पा लेगी लेकिन सोचा तो उसने यह भी नहीं था। अब उसे जिंदगी में कुश नहीं चाहिए था वह बहुत खुश थी।
आज उसे अपने आप से भी प्यार हो गया। राजवीर की खुशबू से अपनी सांसो से आ रही थी। राजवीर के प्यार ने उसको महका दिया था। सांची राजवीर से अपने आप को छुड़वाते हुए खड़ी हो गई। उसने राजवीर की शर्ट पहन रखी थी।
राजवीर ( मुस्कुराते हुए):यह बात सही नहीं है ।तुम क्यों उठ रही हो?
सांची: देखो तो टाइम क्या हुआ है? मैं नहा कर आती हूं ।फिर कुछ खाने को मंगवाते हैं। बहुत भूख लगी है। आपको नहीं लगी क्या?
राजवीर ( शरारत से सांची को देखते हुए): बहुत जोर से लगी है। इसीलिए तो तुम्हें उठने नहीं दे रहा। मुझे खाना नहीं कुछ और खाना है😊😊।
सांची: मैं नहाने जा रही हूं। आप फोन पर कुछ आर्डर कर दें और उठकर कपड़े भी पहन लें।
सांची नहाने चले जाती हैं ।राजवीर फोन पर कुछ खाने के लिए ऑर्डर कर देता है और उठ कर थोड़ा रूम भी ठीक
कर देता है।
अभी राजवीर कमरा ठीक ही कर रहा होता है कि कोई दरवाजा खटखटाता है। जब राजवीर दरवाजा खोलता है तो देखता है सामने ही रिया और सांची की चाची खड़ी है। उन दोनों को देखकर राजवीर के होश उड़ जाते हैं। बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखता है। फिर उन दोनों को बाहर निकाल कर खुद भी बाहर चला जाता है और रूम का दरवाजा बंद कर देता है।
मगर रिया उसे धक्का देकर रूम के अंदर ले आती है और कमरे का दरवाजा खोलकर वह दोनों भी अंदर आ जाती हैं। राजवीर उनसे कहता है," यह क्या बदतमीजी है।"
रिया: यही तो मैं पूछ रही हूं कि यह क्या बदतमीजी है। सांची को भी तो तुम्हारा असली रूप पता चले।
राजवीर: मैं कहता हूं तुम लोग जल्दी से जहां से चले जाओ। सांची बाथरूम से बाहर आती ही होगी।
सांची की चाची: क्यों इतना क्यों डरते हो दो टके की छोकरी से? ऐसा उसमें क्या था जो तुमने रिया के साथ इतना बड़ा खेल खेला उसके लिए?
राजवीर: जबान संभाल कर बात करो। याद रखो वह कौन है ? अब सांची मेरी वाइफ है।
रिया :तो तुम्हारी वाइफ को भी पता होना चाहिए कि तुमने उसके साथ शादी करने के लिए क्या किया है?
राजवीर: शट अप एंड गेट आउट.
तभी सांची नहा कर बाहर निकलती है। वह कमरे में आकर देखती है कि रिया, उसकी चाची और राजवीर में कहासुनी हो रही है। सांची आकर पूछती है क्या हुआ?
चाची: मैं ही तुम्हें तुम्हारे पति की करतूत बताती हूं। इसने तुम्हारे साथ धोखे थे शादी की है। इसने रिया को मॉडलिंग असाइनमेंट दिलाने का वादा किया और कहा कि अगर तुम शादी छोड़कर चली जाओ तो मैं तुम्हें बहुत बड़े मॉडलिंग असाइनमेंट दिला दूंगा। रिया के शादी छोड़कर जाने के बाद मैं सांची से शादी कर लूंगा। वह शादी कैसे होगी यह हालात में खुद हैंडल कर लूंगा।
सांची : तो क्या राजवीर ने रिया को एक बड़ा मॉडलिंग असाइनमेंट नहीं दिलाया?
चाची, रिया और राजवीर तीनों ही सांची को बड़ी हैरानी से देखते हैं। वे तीनों हैरान हो जाते हैं कि सांची सारी सच्चाई जानती है।
रिया: तुम सब जानती हो?
सांची :मैं सब जानती हूं ।जो राजवीर भी नहीं जानता मैं बो भी जानती हूं । राजवीर ने तुम्हें इतने बड़े ड्रेस डिजाइनर की मॉडलिंग का असाइनमेंट दिलाया। तुम उसके हर शो के लिए 1 साल की मॉडल थी। पर तुमने उसके साथ चीटिंग की। तुमने उसके डिजाइन किसी और डिज़ाइनर को बेच दिए ।जब उस डिज़ाइनर को पता चला तो उसने तुम्हें अपने शो से निकाल दिया और तुम्हारे इस चोरी की वजह से तो मैं अब कोई भी तुम्हें फैशन इंडस्ट्रीज में काम देने को तैयार नहीं है। ठीक कहा ना मैंने।
चाची: तुम इस राजवीर की बातों पर भरोसा कर रही हो। तुम हमारी बात सुनो। राजवीर हमें भी धोखा दे रहा है और तुम्हें भी।
सांची :मैं राजवीर के खिलाफ एक भी बात नहीं सुनना चाहती। अगर आप लोग अपनी खैरियत चाहते हैं तो यहां से चले जाएं। मुझे आप लोगों की किसी भी बात में कोई इंटरेस्ट नहीं है। राजवीर मुझे धोखा दे रहा है अथवा नहीं दे रहा है। यह हम दोनों पति-पत्नी का मामला है। आप लोग जाएं जहां से ।आप को मैं बहुत अच्छे से जानती हूं।
रिया: सांची तुम मेरी बात तो सुनो।
सांची: प्लीज आप लोग यहां से जाएं। वरना यह मत कहना कि मैंने पुलिस को बुला लिया।
रिया और चाची वहां से चले जाते हैं। राजवीर आकर सोफे पर बैठ जाता है। वह सांची की तरफ देखता है और कहता है ,"तुम कैसे जानती हो।"
सांची: जब कल समर जीजू और डिंपल दी आए थे। डिंपल दी आपको लेकर नीचे चली गई थी। तब समर जीजू ने मुझसे बात की। उन्होंने मुझे सारी बात बता दी कि कैसे रिश्ता तो आपने मेरे लिए भेजा था। मगर मिस अंडर स्टैंडिंग की वजह से रिया के साथ आपका रिश्ता हो गया। आप किसी कीमत भी पर राजवीर मुझसे शादी करना चाहते थे। तो आपने रिया के साथ एक डील की जिस से रिया शादी छोड़कर चली जाएगी आप मेरे से शादी कर लेंगे।
नया दिन सांची के लिए नई जिंदगी की शुरुआत थी। वह सच में बहुत खुश थी। इतनी जल्दी उसकी जिंदगी बदल जाएगी उसने सोचा नहीं था। उसके दिल में राजवीर के लिए ऐसी जगह बनेंगी। कब सोचा था उसने। राजवीर के दिल में और उसकी जिंदगी में वो जगह पा लेगी लेकिन सोचा तो उसने यह भी नहीं था। अब उसे जिंदगी में कुश नहीं चाहिए था वह बहुत खुश थी।
आज उसे अपने आप से भी प्यार हो गया। राजवीर की खुशबू से अपनी सांसो से आ रही थी। राजवीर के प्यार ने उसको महका दिया था। सांची राजवीर से अपने आप को छुड़वाते हुए खड़ी हो गई। उसने राजवीर की शर्ट पहन रखी थी।
राजवीर ( मुस्कुराते हुए):यह बात सही नहीं है ।तुम क्यों उठ रही हो?
सांची: देखो तो टाइम क्या हुआ है? मैं नहा कर आती हूं ।फिर कुछ खाने को मंगवाते हैं। बहुत भूख लगी है। आपको नहीं लगी क्या?
राजवीर ( शरारत से सांची को देखते हुए): बहुत जोर से लगी है। इसीलिए तो तुम्हें उठने नहीं दे रहा। मुझे खाना नहीं कुछ और खाना है😊😊।
सांची: मैं नहाने जा रही हूं। आप फोन पर कुछ आर्डर कर दें और उठकर कपड़े भी पहन लें।
सांची नहाने चले जाती हैं ।राजवीर फोन पर कुछ खाने के लिए ऑर्डर कर देता है और उठ कर थोड़ा रूम भी ठीक
कर देता है।
अभी राजवीर कमरा ठीक ही कर रहा होता है कि कोई दरवाजा खटखटाता है। जब राजवीर दरवाजा खोलता है तो देखता है सामने ही रिया और सांची की चाची खड़ी है। उन दोनों को देखकर राजवीर के होश उड़ जाते हैं। बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखता है। फिर उन दोनों को बाहर निकाल कर खुद भी बाहर चला जाता है और रूम का दरवाजा बंद कर देता है।
मगर रिया उसे धक्का देकर रूम के अंदर ले आती है और कमरे का दरवाजा खोलकर वह दोनों भी अंदर आ जाती हैं। राजवीर उनसे कहता है," यह क्या बदतमीजी है।"
रिया: यही तो मैं पूछ रही हूं कि यह क्या बदतमीजी है। सांची को भी तो तुम्हारा असली रूप पता चले।
राजवीर: मैं कहता हूं तुम लोग जल्दी से जहां से चले जाओ। सांची बाथरूम से बाहर आती ही होगी।
सांची की चाची: क्यों इतना क्यों डरते हो दो टके की छोकरी से? ऐसा उसमें क्या था जो तुमने रिया के साथ इतना बड़ा खेल खेला उसके लिए?
राजवीर: जबान संभाल कर बात करो। याद रखो वह कौन है ? अब सांची मेरी वाइफ है।
रिया :तो तुम्हारी वाइफ को भी पता होना चाहिए कि तुमने उसके साथ शादी करने के लिए क्या किया है?
राजवीर: शट अप एंड गेट आउट.
तभी सांची नहा कर बाहर निकलती है। वह कमरे में आकर देखती है कि रिया, उसकी चाची और राजवीर में कहासुनी हो रही है। सांची आकर पूछती है क्या हुआ?
चाची: मैं ही तुम्हें तुम्हारे पति की करतूत बताती हूं। इसने तुम्हारे साथ धोखे थे शादी की है। इसने रिया को मॉडलिंग असाइनमेंट दिलाने का वादा किया और कहा कि अगर तुम शादी छोड़कर चली जाओ तो मैं तुम्हें बहुत बड़े मॉडलिंग असाइनमेंट दिला दूंगा। रिया के शादी छोड़कर जाने के बाद मैं सांची से शादी कर लूंगा। वह शादी कैसे होगी यह हालात में खुद हैंडल कर लूंगा।
सांची : तो क्या राजवीर ने रिया को एक बड़ा मॉडलिंग असाइनमेंट नहीं दिलाया?
चाची, रिया और राजवीर तीनों ही सांची को बड़ी हैरानी से देखते हैं। वे तीनों हैरान हो जाते हैं कि सांची सारी सच्चाई जानती है।
रिया: तुम सब जानती हो?
सांची :मैं सब जानती हूं ।जो राजवीर भी नहीं जानता मैं बो भी जानती हूं । राजवीर ने तुम्हें इतने बड़े ड्रेस डिजाइनर की मॉडलिंग का असाइनमेंट दिलाया। तुम उसके हर शो के लिए 1 साल की मॉडल थी। पर तुमने उसके साथ चीटिंग की। तुमने उसके डिजाइन किसी और डिज़ाइनर को बेच दिए ।जब उस डिज़ाइनर को पता चला तो उसने तुम्हें अपने शो से निकाल दिया और तुम्हारे इस चोरी की वजह से तो मैं अब कोई भी तुम्हें फैशन इंडस्ट्रीज में काम देने को तैयार नहीं है। ठीक कहा ना मैंने।
चाची: तुम इस राजवीर की बातों पर भरोसा कर रही हो। तुम हमारी बात सुनो। राजवीर हमें भी धोखा दे रहा है और तुम्हें भी।
सांची :मैं राजवीर के खिलाफ एक भी बात नहीं सुनना चाहती। अगर आप लोग अपनी खैरियत चाहते हैं तो यहां से चले जाएं। मुझे आप लोगों की किसी भी बात में कोई इंटरेस्ट नहीं है। राजवीर मुझे धोखा दे रहा है अथवा नहीं दे रहा है। यह हम दोनों पति-पत्नी का मामला है। आप लोग जाएं जहां से ।आप को मैं बहुत अच्छे से जानती हूं।
रिया: सांची तुम मेरी बात तो सुनो।
सांची: प्लीज आप लोग यहां से जाएं। वरना यह मत कहना कि मैंने पुलिस को बुला लिया।
रिया और चाची वहां से चले जाते हैं। राजवीर आकर सोफे पर बैठ जाता है। वह सांची की तरफ देखता है और कहता है ,"तुम कैसे जानती हो।"
सांची: जब कल समर जीजू और डिंपल दी आए थे। डिंपल दी आपको लेकर नीचे चली गई थी। तब समर जीजू ने मुझसे बात की। उन्होंने मुझे सारी बात बता दी कि कैसे रिश्ता तो आपने मेरे लिए भेजा था। मगर मिस अंडर स्टैंडिंग की वजह से रिया के साथ आपका रिश्ता हो गया। आप किसी कीमत भी पर राजवीर मुझसे शादी करना चाहते थे। तो आपने रिया के साथ एक डील की जिस से रिया शादी छोड़कर चली जाएगी आप मेरे से शादी कर लेंगे।
हम ने जाना सांची सब कुछ जान चुकी है। उसे पता चलता है राजवीर ने उससे शादी करने के लिए रिया को मॉडलिंग असाइनमेंट दिलाया है ।
राजवीर: सॉरी सांची,... नाराज हो हमसे.. पर तुम्हें पाने का और कोई तरीका नहीं था ।तुमसे शादी करने के लिए ही मैंने यह सब कुछ किया। मेरे पास और कोई ऑप्शन नहीं बचा था।
सांची :पर आपने मुझे देखा कहां था?
राजवीर: तुम्हें याद हो पिछले साल तुम्हारे कॉलेज का ट्रिप राजस्थान गया था।
सांची: हां, गया था।
राजवीर :तो इस बंदे ने आपको वहीं पर देखकर दिल हारा था ❤️☺️।
सांची: मुझे तो याद नहीं कि हम लोग वहां पर मिले थे?
राजवीर: वाह री किस्मत !किसी को हमारा मिलना भी याद नहीं। कोई... किसी पर... अपना सब कुछ हार बैठा।
सांची( मिन्नतें करते हुए): प्लीज बताओ ना कहां मिले थे हम?
राजवीर ( शायरी करते हुए) तुम तो मेरी सांसों में खुशबू की तरह घुल गई थी और तुम्हें सच में हमारा मिलना भी याद नहीं🤔🤔😭😭।
सांची ( गुस्से से): शायरी बाद में करना..... पहले बताओ आप?
राजवीर: तुम्हें याद होगा राजस्थान में तुम्हारा ग्रुप रेत के तूफान में बुरी तरह फंस गया था।
सांची:हां, मैं उसमें गुम हो गई थी.... तो वह आप ...थे जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर मुझे ढूंढा था।
राजवीर( शरारत से): अपनी जान पर खेलकर नहीं..... अपनी जान को ढूंढा था।
सांची: बेहोशी की हालत में आपने मुझे हॉस्पिटल में दाखिल कराया था और वहां का सारा खर्चा भी आपने दिया था।
राजवीर: हां मैंने ही कराया था।
सांची :उस दिन होश में आने के बाद मैंने आपसे मिलना चाहा। पर आप का कोई पता नहीं चला। वापस आने के बाद भी मैंने हॉस्पिटल से आप का पता करना चाहा। मैं जानना चाहती थी कौन है वह जिसने अपनी जान खतरे में डालकर मेरी जान बचाई। पर आपका कुछ भी पता नहीं चला।
राजवीर: जब तक तुमको होश नहीं आया था मैं वहीं था। तुम्हारे होश में आने के बाद मैं वहां से चला गया।
सांची :आप मुझे वहां पर फिर मिलने क्यों नहीं आए?
राजवीर: पता नहीं क्यों मुझे लगा मैं जहां से जल्दी जाकर तुम्हारे लिए अपना रिश्ता भेज दुं। मैं बस तुम्हें जल्द से जल्द अपना बनाना चाहता था। तो इसलिए मैं तभी वापस लौट गया।
सांची: तो रीया बीच में कैसे आ गई?
राजवीर:( हंसते हुए)मेरी जल्दबाजी की वजह से।
सांची: वह कैसे?
राजवीर: मैंने घर आकर समर जीजू,दी और भाभी को बताया। समर जीजू ने किसी को बीच में डालकर तुम्हारे घर रिश्ता भेजा । तुम्हारे घर वालों को लगा यह रिश्ता रिया के लिए आया है ।उन्होंने मुझे रिया के लिए पसंद कर लिया ।पर मैं तुम्हें अपने घर की एक लौती बेटी समझता था। मुझे लगा मुझे देखने जाने की क्या जरूरत है तुम तो मुझे पसंद ही हो ।मैंने समर जीजू और दी को भेज दिया। समर जीजू और दी ने तुम्हारी कोई फोटो तो देखी नहीं थी। रिया भी उसी कॉलेज में पढ़ती थी जिसमें तुम पड़ती थी। तो उन्होंने रिया के लिए हां बोल दी।
सांची (सर पर हाथ मारते हुए ):...सत्यानाश...। फिर आप को रिया का का पता चला?
राजवीर: मैंने तो जीजू से कहा कि सगाई रहने दो सीधी सीधी शादी की तारीख निकालो। पर वह नहीं माने। पर जब मैं सगाई के लिए गया तो रिया को देखकर मेरे होश उड़ गए। मैंने जीजू से कहा यह तो वह लड़की नहीं है । यह तो कोई और ही है। फिर उस टाइम पता किया तो पता चला कि तुम रिया के चाचा की बेटी हो। उस टाइम तो मुझे सगाई करनी पड़ी। फिर मैंने और जीजू ने मिलकर प्लान बनाया और तुम्हारी शादी मुझसे हो गई। मैंने सोचा था धीरे-धीरे में तुमको सच सच बता दूंगा ।मगर उससे पहले ही रिया ने आकर सारा खेल खराब कर दिया। मगर भला हो समर जीजू और दी का जिनकी वजह से सब कुछ ठीक हो गया।
सांची :मैं सोच भी नहीं सकती। कोई मुझसे इस कदर प्यार कर सकता है। कि मेरे लिए इस हद तक जा सकता है।
राजवीर: पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लगा? जब तुम यह सब कुछ जानोगे तो मुझे छोड़ कर चली जाओगी।
सांची (मुस्कुराते हुए): आपने क्या मुझे बेवकूफ समझा है कोई मुझसे इस कदर प्यार करेगा और मैं उसे छोड़ कर चली जाऊंगी?
राजवीर ( सांची को गले लगाते हुए) रात का तुम्हारा बदला बदला वो रूप मुझे अब समझ आ रहा है।
सांची:समर जीजू ने मुझे आपकी सारी सच्चाई बता दी तो मुझे आपकी बाहों में आना ही था।☺️☺️
सांची राजवीर की बाहों में सिमट गई। सांची और राजवीर एक दूसरे के आगोश में सिमटे रहे। राजवीर ने सांची को अपने प्यार से महका दिया ❤️❤️❤️।