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Stolen Kisses💋

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Fictitious Writer| Falak

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फ़्रस्ट्रेशन से भरी मोहब्बत जहाँ फन दुगना है 😅😁 एक तरफ सुमन तो दूसरे तरफ उसके दीवाने राधे सर और सीएम बाबू सात्विक। क्या सुमन कर पाएगी फैसला या फंस कर रह जाएगी मोहब्बत की झंझट में.... वही दूसरी तरफ है अलयाना जो है सुमन की पक्की द...

Total Chapters (147)

Page 1 of 8

  • 1. Stolen Kisses💋 - Chapter 1

    Words: 1079

    Estimated Reading Time: 7 min

    आज सुमन प्रिंसिपल के सामने सर झुकाए बैठी थी। उसके साथ उसके पिता सोमिक जी भी बैठे थे।

    "आपकी बेटी... दिन में हज़ार झगड़े करती रहती है... लड़कियों से तो लड़कियाँ, लड़कों से भी नहीं छोड़ती। कुछ समझाइए आप। यह लड़की कोई गुंडा नहीं है, और कुछ तो लड़कियों जैसी तमीज़ सीखे," प्रिंसिपल ने नाक पर चश्मा टिकाते हुए कहा। सुमन खामोश खड़ी रही।

    "जी सर, मैं समझ गया। मैंने इसे कई बार समझाया कि मार-पीट न करे, लेकिन यह मेरी कहाँ सुनती है। ज़िद्दी है," सोमिक जी ने बेटी की तरफ मुस्करा कर देखा।

    "वह तो दिख रहा है... कितना आप लोगों ने इसे समझाया है। शौर्य और आपका लाड़ का नतीजा है..." प्रिंसिपल सर ने आइब्रो उठाकर कहा।

    "आप इसे ले जाइए और आइन्दा कुछ तमीज़ सिखाकर भेजना," प्रिंसिपल सर ने कहा। उन्हें लगा सोमिक जी और सुमन ज़्यादा देर यहाँ रुके तो उनका ही दिमाग फट जाएगा।

    प्रिंसिपल रूम से बाहर निकलते ही सोमिक जी ने सुमन से पूछा, "आखिर मामला क्या है? टोली बनाकर साँझ को मारने क्यों गई? यह बहुत गलत बात है। लोगों के साथ कभी भी भीड़ में मत जाना। हमेशा अकेली जाकर सबक सिखाकर आना, जैसा तेरा भाई करता है। तू मेरी बेटी शेरनी है, समझी? और हाँ, हड्डियाँ-पसलियाँ एक कर ही वापस आना।" सोमिक जी ने गर्व से कहा। सुमन एक शैतानी मुस्कान के साथ हँस दी।

    "ओके पापा, लेकिन अभी आपकी शेरनी बेटी भूखी है और मेरे साथ चलिए ना, मैं आपको कैंटीन का बर्गर खिलाती हूँ।" सुमन एकदम उनके बाजू से चिपक कर प्यार से बोली।

    "नहीं बेटा, तुम ही खाओ। मेरा पेट तो घर जाकर तेरी माँ के डाँट सुनकर ही भर जाता है।" सोमिक जी हँसकर बोले, लेकिन सुमन उसे ज़बरदस्ती कैंटीन ले आई।

    सुमन को देखकर सारे स्टूडेंट्स आगे-पीछे भागकर झुककर सलाम करने लगे।

    "पैर लागो बापू जी," जो भी स्टूडेंट सुमन के करीब से गुज़रता, वह सोमिक जी के पैरों पर गिरकर पैर छूकर आशीर्वाद लेता।

    सोमिक जी अब थक गए थे, सबको "जीते रहो, जीते रहो" कह-कहकर।

    "चल छोटू, एक प्लेट सैंडविच और बर्गर जल्दी ला।" सुमन की आवाज़ पर कैंटीन में काम करने वाला छोटा बच्चा सबसे पहले दौड़कर सुमन के पास आया और उसका हाथ चूमकर आँखों से लगाया।

    "सिम्मी, यहाँ तेरी कितनी इज़्ज़त है? सब मुझे देखकर डर क्यों रहे हैं?" सोमिक जी को बात समझ नहीं आ रही थी।

    "मेरी वजह से आपको देखकर सब लोग आपके क़दमों में झुक रहे हैं। अब चुपचाप यह बर्गर खाए और घर जाइए।" सुमन ने कहा तो सोमिक जी ने जल्दी-जल्दी बर्गर खाया और घर की तरफ़ चल दिए।

    सोमिक जी अपनी मर्सिडीज़ में ड्राइवर के साथ आए थे। सुमन के साथ-साथ सारे लोग भी उन्हें बाहर मर्सिडीज़ तक छोड़ने आए थे।

    "अंकल, फिर आते रहिएगा," सारे स्टूडेंट उन्हें बाय बोल रहे थे।

    "जी जी बेटा लोग... आप सब बस अच्छे से दिल लगाकर पढ़िए," सोमिक जी सबको दुआ देकर घर वापस चले गए।

    सोमिक जी के जाते ही सुमन ने आस्तीन ऊपर की तरफ़ फोल्ड की और अलयाना को ढूँढ़ने लगी, जो एक के बाद एक उसकी मुश्किलें बढ़ाती जा रही थी। जब से वह कॉलेज में आई थी, तब से वह सिर्फ़ उसके पीछे पड़ गई थी।

    "अलयाना कैंटीन में हो, लाइब्रेरी में हो या हॉल रूम में हो, मुझे मतलब नहीं। दो मिनट के अंदर-अंदर मुझे वह चाहिए। राधे सर से मेरी बुराई की और प्रिंसिपल तक पहुँच गई। यह लड़की बहुत ज़्यादा ही उड़ रही है। जाओ उसे ढूँढ़कर लाओ। अगर आज उसकी कुटाई नहीं की तो मेरा नाम भी सुमन सिंघानिया नहीं।" सुमन ने अपने स्क्वाड के लोगों को कहा तो सब अलयाना को ढूँढ़ने लगे।

    "सुमन, तुम्हारी क्लास है और तुम यहाँ क्या कर रही हो?" पीछे से राधे सर की आवाज़ पर सुमन चोंकी और आस्तीन नीचे कर पलटी।

    "जी... सर वह सर... हाँ, याद आया, सर में दर्द था इसलिए यहाँ गार्डन में बैठकर हूँ..." सुमन को कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या कहे।

    एक राधे सर से ही उसे बहुत डर लगता था। बाकी सारे टीचर्स उसके फ्रेंड थे।

    "सुमन, तुम्हें झूठ बोलते हुए शर्म नहीं आती? यह मार-पीट और झगड़ा अच्छा लगता है? क्यों करती हो यह सब? हाँ... और हाँ, सुना है तुम्हारे पापा आज प्रिंसिपल से मिलने आए थे। मुझसे क्यों नहीं मिलवाया? मुझे भी तुम्हारी तारीफ़ करने का मौक़ा मिल जाता तुम्हारे पापा के सामने।" राधे सर मुस्करा कर सीने में बाजू फोल्ड किए, बड़े इत्मीनान से देखकर बोल रहे थे।

    सुमन ने चेहरे पर आते बाल को हटाया और कहा, "नेक्स्ट टाइम मिलवा दूँगी सर... सर, आप पर यह ग्रीन चेक शर्ट कितनी अच्छी लगती है। बाय दी वे, वह आपकी फ़ेवरेट स्टूडेंट अलयाना कहाँ है? उससे कुछ इम्पोर्टेन्ट बात करनी थी।"

    "मक्खनबाज़ी कम करो और क्लास में जाओ। क्लास बंक करती रहती हो और अलयाना नहीं आई है। उसकी तबियत ख़राब है। दूसरों का पीछा छोड़ो और खुद की पढ़ाई पर ध्यान दो।" राधे सर एकदम आराम से खड़े बात कर रहे थे।

    "देखो, यह सब लड़ाई-झगड़े, हँसी-मज़ाक़ ठीक है, मगर पढ़ाई पर भी फ़ोकस करो, वरना तुम्हारे साथ हैंग हो जाएगा।" राधे सर मुस्कराकर बोले।

    सुमन को उनकी मुस्कान ज़हर लगती थी।

    सुमन खामोशी से खड़ी लेक्चर सुनती रही।

    "जी... सररर समझ गईं..." सुमन ने एकदम फरमाबरदारी से कहा।

    राधे सर एक काटदार नज़र उस पर डालकर चले गए।

    सुमन उनके पीछे मुड़ते ही उन्हें मुक्का दिखाने लगी। उसी वक़्त राधे सर भी पीछे मुड़े तो सुमन घबराकर हाथ हवा में हिलाने लगी।

    "मच्छर... हट बे मच्छर... सर, मच्छर बहुत हैं... उसी को मार रही हूँ।" सुमन ने कहा और हवा में हाथ मारने लगी। तो राधे सर ने सोचा यह नहीं सुधरने वाली। वह एक प्यारी सी मुस्कान लिए वहाँ से चल दिए।

    "उफ़्फ़्फ़ सर, कितने प्यारे मुस्कुराते हैं।" रिया एकदम बलखाकर बोली।

    "सुमन, वह कितने हॉट हैं ना।" पिया एकदम सुमन की तरफ़ देखकर बोली जो फ़्रस्ट्रेशन से सब लड़कियों को देख रही थी।

    सारी कॉलेज की लड़कियाँ राधे सर पर फ़िदा थीं। वह इस कदर हैंडसम थे कि क्लास में लड़कियाँ सिर्फ़ उन्हें ही देखती रहती थीं।

    "हाय... सुमन..." आरही ठंडा साँस भरकर बोली।

    "सिंगल है और बहुत बड़े खानदान से ताल्लुक रखते हैं।" सुप्रिया दाँतों में उंगली दबाकर बोली।

    "तो जाकर मर जा उस पर। मेरा क्यों दिमाग ख़राब कर रही है?" सुमन ने चीखकर कहा तो सब लड़कियाँ चुप हो गईं।

    "वह अलयाना नहीं है। कोई बात नहीं। मैं क्लास करने जा रही हूँ और हाँ, शौर्य भाई पर नज़र पड़े तो कह देना सुमन ने बुलाया है।" सुमन बैग लिए कंधे पर चली गई।

    "जंगल जंगल बात चली है, पता चला है... चड्डी पहनकर फूल खिला है... फूल खिला है..." सुमन वहाँ से गाते हुए चली गई।

    To be continued...

  • 2. Stolen Kisses💋 - Chapter 2

    Words: 979

    Estimated Reading Time: 6 min

    सुमन कक्षा में जैसे ही आई, सारे छात्र अपनी जगह से उठकर उसे गुड मॉर्निंग कहने लगे।


    सुमन चुपचाप जाकर पीछे की बेंच पर, जहाँ उसकी दोस्त जिया बैठी थी, वहाँ बैठ गई।


    सुमन जानती थी कि अभी राधे सर आएंगे और फिर किसी बात पर उसे पूरे क्लास के सामने बेइज़्ज़त करेंगे या फिर ताना देंगे।


    राधे सर जैसे ही कक्षा में आए, सारे छात्र उठ खड़े हुए; सुमन भी खड़ी हो गई। वह सुबह-सुबह ज़लील नहीं होना चाहती थी।

    "सिट डाउन... और कल जो चैप्टर पढ़ाया था उसे जल्दी रिवाइज़ करो। मैं दो मिनट में सुनूँगा।" राधे सर ने कहा और वहाँ खड़े सभी छात्रों को कड़ी नज़रों से देखने लगे।


    पूरा कॉलेज और खुद टीचर स्टॉफ भी राधे सर के खतरनाक मिजाज से डरता था, पर लोग उनकी बहुत इज़्ज़त करते थे। वे सख्त मिजाज होने के बावजूद हमेशा सब से मुस्कुराकर बात करते थे और सब से मिल-जुलकर रहते थे। छात्रों के दिल में डर और इज़्ज़त दोनों ही थे।

    "ओह नो... वर्ड्सवर्थ तो मैं भूल गई हूँ..." सुमन जल्दी से अपनी नोटबुक देखने लगी जो खाली थी। उस दिन वह क्लास में सो गई थी।


    दो मिनट हो चुके थे। "सब बुक्स और कॉपी बंद कर लें। मैं अब क्वेश्चन आन्सर करना शुरू करूँगा और शुरुआत करूँगा क्लास के सबसे महान और तेजस्वी लोगों से, बैकबेंचर्स से... मिस सिंघानिया, उठिए और यहाँ आकर खड़ी हो जाइए।" राधे सर की सीरियस आवाज़ पर सारा क्लास पीछे घूमकर सुमन की तरफ देखने लगा। सुमन आराम से चलती हुई आई और राधे सर के सामने खड़ी हो गई।

    "मेरा पहला सवाल है कि विलियम वर्ड्सवर्थ का जन्म कब और कहाँ हुआ...?"

    "7 अप्रैल 1770... यूनाइटेड किंगडम..."

    सुमन ने जैसे ही कहा, सब लोग खुशी से ताली बजाने लगे।

    "साइलेंस क्लास... अभी से इतनी खुशी ठीक नहीं... ज़रूरी नहीं हर सवाल का जवाब मिस सुमन सिंघानिया सही दें..." राधे सर की बात पर सारे क्लास में कब्रिस्तान जैसी खामोशी छा गई।

    सुमन एकदम नॉर्मल खड़ी हुई।

    "What are the salient features of Wordsworth as romantic poet...?"

    "विलियम वर्ड्स..." सुमन कुछ और कहती, उससे पहले ही राधे सर ने हाथ उठाकर उसे आगे कहने से रोका और कहा,

    "सवाल मैंने इंग्लिश में किया तो मुझे जवाब भी इंग्लिश में चाहिए। वैसे भी इंग्लिश का क्लास है, हिंदी का नहीं..."

    "Wordsworth is the high priest of nature, worshipper of nature. He is a mystic and a pantheist in his treatment of nature. Nature is the nurse, guide, guardian and the moral being of heart and soul. But Keats is very sensuous in treating nature."


    फिर बहुत सारे सवाल किए राधे सर ने और सुमन ने सब के जवाब काफ़ी कॉन्फिडेंस भरी आवाज़ में पूरे क्लास के सामने बोले। सब लोग बहुत खुश हो गए और राधे सर भी एक तीखी मुस्कान के साथ उसे देखते रहे।

    "जब अच्छा पढ़ती हो तो लास्ट बेंच में क्यों बैठती हो...?" राधे सर फिर वही सीरियसनेस के साथ बोले।

    "क्योंकि लास्ट बेंच से मैं आपको अच्छे से देख सकूँ सर..." शरारत लिए लहजे में सुमन बोली तो पूरा क्लास हँसने लगा।

    "जाओ... जाकर पढ़ाई करो। और अगर मुझे देखने का इतना शौक है तो मेरी फ़ोटो आँखों तले चिपका लो..." गुस्से भरी आवाज़ पर सुमन और पूरा क्लास ख़ामोश हो गया और सुमन वहाँ से चली गई।

    "पूरा क्लास बदतमीज़ है..." राधे सर की आवाज़ पर सुमन अपनी जगह बैठकर मुस्कुराने लगी।

    "अब आप तमीज़ सिखा दीजिए..." सुमन दिल में सोचकर हँसने लगी।


    सुमन और पूरा क्लास हर टीचर के साथ यही करते थे, लेकिन राधे सर की एक चीख से बड़े-बड़े का कलेजा काँप जाता था। लेकिन फिर भी सुमन थी जो उल्टा लटका देने पर भी नहीं सुधरने वाली थी।


    राधे सर नए लेक्चरर थे, इसलिए नहीं जानते थे कि वह अल्हड़ और पागल और लड़ाकू लड़की कॉलेज की टॉपर है।


    क्लास जैसे ही ऑफ हुई, सुमन और उसकी टीम कैंटीन पहुँची जहाँ सुमन का भाई शौर्य अपने दोस्तों के साथ चाय पी रहा था।

    "भाई... मुझे आपसे बहुत ज़रूरी बात करनी है..." सुमन जैसे ही उनके टेबल पर पहुँची, उसके सारे दोस्त नज़रें झुकाकर उठ खड़े हुए और वहाँ से चले गए।

    "बोलो मेरी गुड़िया... क्या बात है..." शौर्य उससे अपनी जान से भी ज़्यादा मोहब्बत करता था। इतना कि अगर वह कोई बहुत बड़ी ग़लती भी कर देती तो वह उसकी ग़लती पर पर्दा डाल देता और उसे सपोर्ट करता। लेकिन सुमन ऐसी थी कि उसे अपने भाई की इज़्ज़त की बहुत परवाह थी। वह बस मार-पीट और शरारत में ही रहती थी और सब लोग उसकी शिकायत शौर्य से करते रहते थे। पर शौर्य हँसकर टाल देता था और बस इतना ही कहता था,

    "एक दिन वह खुद ही सुधर जाएगी। अभी बच्ची है इसलिए ऐसी हरकतें करती है। लेकिन मेरी इज़्ज़त की परवाह इतनी है कि मरकर भी वह कोई ऐसी हरकत नहीं करेगी जो मेरे या मेरे पापा का सर शर्म से झुक जाए..."


    शौर्य के कंधे पर सर रखे वह बैठी थी और सब जानते थे कि सुमन अपने भाई के सामने कोई ओट-पटांग हरकत नहीं करती है।

    "भाई... वह ऐ.सी.सी सेमेस्टर 1 की क्लास में कुछ लड़के बहुत बदतमीज़ हैं और वे किसी की भी नहीं सुनते हैं। यह मामला लड़कों का है इसलिए मैं आपसे कहना चाहती हूँ कि आप उन्हें ज़रा देख लीजिएगा। बड़े घटिया हैं, लड़कियों से वल्गर सलंग में बात करते हैं। लड़कियों की कमिटी की हेड तो मैं हूँ, लेकिन मुझसे यह मामला नहीं संभल रहा है। इसलिए ज़रा आप दो हाथ घुमाकर इन लोगों को लगाएगा तो..." सुमन भाई को बताकर वहाँ से चली गई।


    शौर्य ने अपने कुछ चुनिंदा दोस्तों को इशारा किया और वे कुछ समझकर वहाँ से प्लेग्राउंड की तरफ़ बढ़ गए जहाँ कुछ लड़के मैच खेल रहे थे।


    उसके बाद जो कुछ भी हुआ वह इतनी ख़ामोशी से हुआ कि किसी को कानों-कान ख़बर तक नहीं हुई। शौर्य के दोस्तों ने उन आवारा लड़कों को वह सबक़ सिखाया कि वे लोग कभी नहीं भूले।


    To be continued...

  • 3. Stolen Kisses💋 - Chapter 3

    Words: 866

    Estimated Reading Time: 6 min

    सुमन जब घर पहुँची, तो दिव्या जी उसके सिर पर चढ़ गईं और आते ही खरी-खोटी सुनाने लगीं।

    "क्यों बुलाया था आज तेरे पापा को?" दिव्या जी गुस्से से बेटी को देखने लगीं।

    "ओह्ह्ह अम्मा, वो मेरी तारीफ़ करने के लिए पापा को कॉलेज के प्रिंसिपल ने बुलाया था।" सुमन माँ के गले से लिपट गईं।

    "चल दूर हट! सब जानती हूँ मैं, तू और तेरा भाई, दोनों रात-दिन किसी न किसी का सर, हाथ, पैर तोड़ते ही रहते हो। और तेरे पापा तुम दोनों को डाँटने के बजाय सिर पर चढ़ा रहे हैं। किसी दिन मर्डर कर आओगे और फिर भी तुम्हारे पापा तुम लोगों को अप्प्रेसिएट करेंगे।" दिव्या जी उसका बाज़ू ज़ोर से झकझोर कर बोलीं।

    "बस हो गया आपका! बेटी हर साल क्लास में टॉप करती है, अवार्ड्स जीत लाती है, स्टूडेंट ऑफ़ दी ईयर का ख़िताब अगले साल मुझे मिला था और आप हैं के रात-दिन मुझे सुनाती रहती हैं।" सुमन नाराज़ होकर बोली।

    "रहने दे ना, तेरी माँ गुस्से में और भी ज़्यादा खूबसूरत लगती है, टमाटर की तरह गाल लाल पड़ जाते हैं…" अंदर से सोमिक जी की आवाज़ आई तो दिव्या जी गुस्से से पैर पटक कर बोलीं,

    "पहले तेरे पापा का दिमाग़ ठीक करती हूँ। शर्म नहीं आता है बच्चों के सामने कब क्या कहना है।" दिव्या अंदर चली गईं और सुमन अपनी रुकी हुई हँसी को दबाकर वहाँ से भाग गई।


    1 दिन बाद, दूसरे तरफ़ पूरे कॉलेज में फसाद भड़क उठा था। यूनियन और कुछ बदमाश लड़कों में ज़बरदस्त झगड़ा हो चला था। ये सारे वही लड़के थे जो ए.सी.सी. में पढ़ते थे और यूनियन का हेड, शौर्य, उन सब की जमकर कुटाई कर रहा था।

    इस बीच, वहाँ दूर खड़ी टीचर्स और लड़कियाँ शौर्य को फाइटिंग करते देख चीयर अप कर रही थीं और तालियाँ बजा रही थीं। राधे सर सीने पर हाथ फोल्ड किए, आँखें छोटी किए यह सब देख रहे थे। बगल में उनके अलयाना खड़ी थीं। अलयाना शौर्य को मीठी-मीठी नज़रों से देख रही थीं।

    अलयाना के सर पर हल्की सी चोट आई थी क्योंकि वह लड़ाई-झगड़े देखने के चक्कर में सामने जाकर खड़ी हो गई थीं। इसलिए उसे चोट लग गई थी। सही वक़्त पर राधे सर आकर उसे खींचकर भीड़ से ले गए थे। यह सब सुमन और उसके दोस्तों ने भी देखा था।

    "देखा सर, उस अलयाना की कितनी केयर करते हैं।" सुप्रिया ने जलकर कहा।

    "मुझे क्या! भाड़ में जायें दोनों! कॉलेज को लवर पॉइंट बनाकर रख दिया है।" सुमन बाल झटककर बोली और वापस से झगड़ा देखने लगी।

    सुमन के हाथ में उसका नोट्स था, जो वह लापरवाही से पकड़े खड़ी थी। अचानक आनंद आकर उसके हाथों से नोट्स झपटा मारकर ले कर भाग गया। सुमन ने अपना चश्मा नाक पर सही किया और सोचा, शायद इसकी शामत आई है जो मेरे नोट्स ले भागा है। सुमन भी उसके पीछे भागी और चीखने लगी,

    "तेरी ऐसी की तैसी! मेरे नोट्स मुझे वापस कर, वरना अच्छा नहीं होगा। छछूंदर जैसी शक्ल वाले आनंद बिहारी, वापस कर मेरे नोट्स!"

    दूसरी तरफ़, शौर्य ने झगड़ा ख़त्म कर उन लड़कों को कॉलेज से धक्का देकर निकाल दिया था, जो रात-दिन कॉलेज में घटिया हरकत करते रहते थे। शौर्य को कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी। कोई भी टीचर्स उसे कुछ नहीं कहता था क्योंकि शौर्य एक अच्छा स्टूडेंट होने के साथ-साथ अच्छा लड़का भी था जिसका हाथ सिर्फ़ बुरे लोगों पर उठता था।

    शौर्य इतना झगड़ा करने के बाद थक गया था, इसलिए खाना खाने घर चला गया और बाकी अपने दोस्तों को भी घर ले गया। दिव्या जी राजमा-चावल बहुत अच्छा बनाती थीं और शौर्य के सब ही दोस्त अक्सर दिन का खाना शौर्य के घर जाकर खाते थे।

    शौर्य घर चला गया और अलयाना भी बेहोश होने की एक्टिंग कर गिर पड़ी, जिसे राधे सर ने संभाला और उसके घर पहुँचा दिया। सारे झगड़े ख़त्म हो गए, सब अपने काम में लग गए थे, लेकिन सुमन अभी तक अपना नोट्स आनंद के हाथों से छीन नहीं पाई थी। अलयाना को राधे सर खुद घर छोड़कर वापस कॉलेज आ गए थे। कॉलेज में अब शांति थी।


    अलयाना बेड पर लेटी थी, लेकिन ज़ोरदार आवाज़ के साथ दरवाज़ा खोलने की आवाज़ पर वह खड़ी हो गईं। एक हट्टा-कट्टा बंदा, जो देखने से ही गुस्सेल मिजाज का लग रहा था, वह काफ़ी हैंडसम था।

    सात्विक गुस्से से तंतनाता हुआ अंदर आया और एक नज़र अलयाना को देख वह गुस्से से मुट्ठी भींचता हुआ चिल्लाया और उसके सारे आदमी आकर उसके पास खड़े हो गए।

    "यह कैसे हुआ बाबू?" सात्विक उसके माथे को छूकर देखता हुआ बोला, जहाँ गहरा ज़ख्म था।

    "भाई, कॉलेज के यूनियन ने यह सब किया। उन लोगों ने ज़बरदस्ती कॉलेज में मार-पीट की और टीचर्स ने सब रोकने के लिए पुलिस को बुलाया तो लाठी चार्ज के ज़रिये उनको कण्ट्रोल किया। मुझे भी फसाद में चोट आ गई, कई स्टूडेंट्स ज़ख़्मी हुए हैं।" अलयाना बोली।

    "उन लड़कों का वह हशर करूँगा के वह अपना अंजाम हमेशा याद रखेंगे।" सात्विक अलयाना के हाथ को प्यार से चूमता हुआ बोला। छोटी बहन थी वह, जान से प्यारी। वह उस पर एक खरोच तक बर्दाश्त नहीं करता था।

    सात्विक अपने आदमियों समेत वहाँ से चला गया और अलयाना के होंठों पर एक मुकर वाली मुस्कराहट आ गई। वह आराम से बाल झटकती हुई वापस बेड पर बैठ गई।

    To be continued...

  • 4. Stolen Kisses💋 - Chapter 4

    Words: 1189

    Estimated Reading Time: 8 min

    सुमन अभी तक अपना नोट्स आनंद के हाथ से छीन नहीं पाई थी।

    सुमन दौड़-दौड़ कर थक चुकी थी।

    सुमन ने अपनी जूती पैर से खोली और सीधा आनंद को फेंक मारा।

    "सत्यानाश हो तेरा घटिया इंसान! मेरे नोट्स मुझे वापस कर, चोर! कुत्ता कमीना! तेरा मार-मार कर बुरा हाल कर दूँगी।"

    सुमन चिल्लाई तो आनंद पलटा और उसी वक्त मुस्कुरा कर पलटा।

    "चश्मिश! हिम्मत है तो नोट्स मुझसे छीन कर दिखा।"

    आनंद बोलकर फिर से कैंटीन की तरफ भाग निकला।

    "अबे साले! ऐसी की तैसी तेरी! पिल्ले!"

    अब उसने दूसरी जूती भी उसकी तरफ फेंक कर मार दी थी।

    पूरे कॉलेज में वह नंगे पैर दौड़ रही थी। स्टूडेंट्स जानते थे यह दोनों का पुराना ड्रामा है। रोज़ कॉलेज में यही सब करते रहते थे।

    तभी ठीक उसी वक्त कॉलेज में सी.एम. की गाड़ी आ रुकी तो टीचर्स और प्रिंसिपल खुद दौड़ कर सात्विक अग्निहोत्री का स्वागत करने आ गए।

    सुमन हर चीज से नावाकिफ दौड़ती हुई जा रही थी। जब उसे आनंद नहीं मिला तो वह सीधा लाइब्रेरी की तरफ भागी जहाँ आनंद छुपा था और सुमन ने उसे कॉलर से पकड़ कर बाहर ले आई और उसे पीटने लगी।

    प्रिंसिपल रूम में सात्विक पैर टेबल पर रखे बैठा सिगरेट पी रहा था।

    "कहाँ है यूनियन कमिटी का हेड? शौर्य सिंघानिया? मुझे वह हर हाल में चाहिए।"

    सात्विक ने कहा और अपने गार्ड्स को इशारा किया कि बाहर चले जाएँ। गार्ड्स पूरे कॉलेज में फैल गए और शौर्य को ढूँढने लगे।

    जब सुमन का दिल भर गया तब उसने नोट्स छीने और आनंद को छोड़ दिया जो हँस रहा था।

    तभी वहाँ कुछ लड़के-लड़कियाँ भी आ गईं।

    "सुमन, जल्दी चल! कुछ लोग शौर्य सर को ढूँढ रहे हैं।"

    रिया बोली।

    "भाई को क्यों ढूँढेंगे? और भाई तो कॉलेज में है भी नहीं। वह अभी दिन का खाना खाने घर अम्मा के पास गए होंगे।"

    सुमन ना समझी से बोली।

    "तो उन्हें वापस कॉलेज आने से मना कर दे। जल्दी कॉल कर और मना कर, इससे पहले कि वे मुस्तैद भाई को ढूँढ लें।"

    गेती बोली तो सुमन उन सब लोगों को देखने लगी।

    "हुआ क्या है? कुछ तो बोलो! सब सिर्फ़ न्यूज़ चैनल की तरह खबर सुना रहे हो।"

    सुमन उन सब लोगों को देखने लगी जो सिर्फ़ ऊपर-ऊपर से बात कर रहे थे।

    जल्दी-जल्दी सबने बताया तो सुमन चीख कर बोली, "उस चुगली मौसी अलयाना की तो! छुछुन्दरी कहीं की! खुद में तो हिम्मत नहीं थी इसलिए भाई को भेजा। देख अब मैं क्या करती हूँ..."

    सुमन एकदम आस्तीन चढ़ाकर ऑफिस रूम की तरफ बढ़ गई, लेकिन सात्विक पर नज़र पड़ते ही वह उंगली दाँतों के बीच दबाए वहाँ से भाग निकली। एकदम भीगी बिल्ली की तरह वह भागती हुई वापस आई।

    सारे लोग जो कैंटीन में बैठे थे, उसकी बिगड़ी हुई हालत देख घबरा गए।

    "अरे सात्विक! मतलब सात्विक अग्निहोत्री! उफ़्फ़! मैं कहाँ जाऊँ?"

    सुमन सर पर हाथ मारकर बोली।

    "क्या? कब से खुद में बड़बड़ा रही है?"

    जिया ने देखा जो खुद से ही बातें कर रही थी।

    "वह तुम लोग सही कह रहे थे। मुझे फ़ोन करके मना कर देना चाहिए था। मैंने सोचा सात्विक जी लड़के हैं और मैं लड़की, तो क्यों उनसे झगड़ा करना? और अब मेरे हाथों से वह पीटेंगे तो अच्छा नहीं लगेगा ना। इसलिए मैंने उन्हें माफ़ किया और तुम लोग तो जानते हो मैं लड़ाई-झगड़े से कितना दूर रहती हूँ।"

    सुमन की बात सुन सारा कैंटीन चीख पड़ा। अब किसी को भी उसकी बात पर भरोसा नहीं था। यह ऐसा ही बात था जैसे चोर के मुँह से धर्म की बातें।

    सुमन ने भाई को मैसेज कर दिया कि कॉलेज नहीं आएगा। और सुमन भी अपना बैग उठाकर ऐसे कॉलेज से निकली जैसे वहाँ बम हो।

    लेकिन वह नहीं जानती थी सात्विक के आदमी पार्किंग एरिया में उसका इंतज़ार कर रहे हैं।

    सात्विक को उसके एक गार्ड ने बताया था कि शौर्य की बहन भी इसी कॉलेज में पढ़ती है।

    सुमन अपनी स्कूटी में चाबी घुमा रही थी, उसी वक्त एक आदमी ने उसे इशारा किया और उसने सुमन के सामने आकर उसके चेहरे पर स्लीपिंग पाउडर स्प्रे किया तो वह धड़ाम से नीचे गिरी और उसके गार्ड्स ने डिक्की में सुमन को भर वहाँ से चले गए।


    सुमन के मुँह पर कपड़ा ठूँसकर उसका हाथ रस्सी से बाँधकर उसे ज़मीन पर डाल दिया गया था।

    सात्विक अपने आदमियों के संग जब गोदाम आया तो देखा एक लड़की पड़ी मचल रही है। मोबाइल के फ़्लैश लाइट ऑन कर सात्विक ने झुककर उसका चेहरा देखना चाहा, लेकिन वह ऐसी ही पड़ी रही। सात्विक ने उसे ज़बरदस्ती सीधा किया तो उसके लबों पर एक विक्ट्री स्माइल आ गई और उसने अपने आदमियों की तरफ़ देखकर कहा,

    "किसे उठा लाए? दुश्मन को उठाने को कहा था, लेकिन तुम तो जान-ए-जिगर को ही उठा लाए।"

    सात्विक मुस्कुराकर बोला तो गार्ड्स डर गए।

    "सर, यह वही लड़की है...सुमन..."

    एक आदमी ने कहा।

    "सुमन...बहुत प्यारा नाम है...अच्छा, ठीक है, तुम लोग जाओ। जब ज़रूरत होगी तो बुला लूँगा।"

    सात्विक ने कहा और सुमन को प्यार से देखने लगा और सुमन का बस चलता तो वह सात्विक का खून कर देती।

    सात्विक याद कर रहा था उसने सुमन को कहाँ देखा है।

    एक पार्टी में जब वह ज़बरदस्ती सुमन से फ़्लर्ट कर रहा था और बदले में सुमन ने उसे अच्छी-अच्छी गालियाँ दी थीं।

    सात्विक उसकी तरफ़ धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहा था और सुमन घबराकर पीछे हट रही थी।

    "सात्विक जी...क्या कर रहे हैं आप? मुझे पीछे क्यों धकेल रहे हैं?"

    सुमन साइड से निकलकर बोली तो सात्विक ने उसका कोमल और मुलायम हाथ पकड़कर अपने करीब खींच लिया। सुमन भी किसी कटी हुई पतंग की तरह उसके सीने से जा लगी।

    "कहाँ भागकर जा रही हो? जब देखो तब दूर भागती रहती हो हाँ..."

    सात्विक उसे बाज़ू में कस गया।

    "छोड़ो मुझे! दिमाग़ तो ठीक है ना तुम्हारा? मुझे लगा तुम एक अच्छे इंसान हो, लेकिन तुम भी बाकी पॉलिटिशियन की तरह गिरे हुए निकले। तुम्हारी हिम्मत भी कैसी हुई मुझे हाथ लगाने की? शुक्र करो मैं तुम्हें जाने दे रही हूँ।"

    सुमन एकदम उसे दूर धकेलकर बोली।

    "...हाहाहा...सोच लो इतना कॉन्फिडेंस होना भी अच्छा नहीं। अगर तुम बुरा कहोगी तो मैं बुरा बन जाऊँगा।"

    सात्विक ने उसे घुरा।

    "भाड़ में जाओ!"

    सुमन जाने लगी तो पीछे से सुमन का दुपट्टा पकड़कर खींच लिया।

    सुमन एकदम पलटी और एक जोरदार थप्पड़ उसके मुँह पर दे मारा। सात्विक अभी भी मुस्कुरा रहा था। सुमन की हिम्मत देख उसे होश ही नहीं था। जानबूझकर सात्विक ने ऐसी हरकत की थी कि वह सुमन का अगला स्टेप देख सके। कोई भी लड़की सुमन की जगह होती, थप्पड़ नहीं तो अपने बाप-भाई से ज़रूर पिटवाती, लेकिन सुमन को उसके मुँह लगने का कोई शोक नहीं था।

    दोनों साइड पर खड़े थे इसलिए किसी ने भी सुमन की हरकत नहीं देखी थी।

    "सुमन सिंघानिया हूँ मैं! कोई आई-गई लड़की नहीं जो तुम्हारे आगे-पीछे घूमूँगी। अगर आइन्दा मुझे हाथ लगाने की कोशिश भी की तो हाथ तोड़कर रख दूँगी।"

    सुमन अपना दुपट्टा कंधे पर सही से फैलाने लगी।

    सुमन वहाँ से चली गई और सात्विक ने दिल पर हाथ रखकर कहा, "अब तो जिन हाथों से तुमने थप्पड़ मारा है, एक दिन उन्हीं हाथों से मेरे ज़ख्म पर मरहम लगाओगी।"

    सात्विक अपना गाल सहलाकर रह गया। सात्विक सच में लूची हरकत कर गया था जिस पर कोई भी लड़की ज़माकर थप्पड़ मारती।

    To be continued...

  • 5. Stolen Kisses💋 - Chapter 5

    Words: 1195

    Estimated Reading Time: 8 min

    सात्विक अपना गाल सहलाकर रह गया। सात्विक सच में लुच्ची हरकत कर गया था, जिस पर कोई भी लड़की जमाकर थप्पड़ मारती।

    सात्विक ने देखा था: छोटे बालों की एक चोटी बंधे, गोल-मटोल सी और थोड़ी नकचढ़ी सी… मगर अपनी भोरी आँखों से सबको घायल करने वाली… निडर और बेबाक सी, जो किसी से डरती नहीं थी।
    जंगली बिल्ली जैसी…

    वह बहुत खूबसूरत थी, लाल-गोरा रंग और भरा हुआ बदन… हर वक्त लड़ने-झगड़ने वाली सुमन सपने घर की लाडली थी।

    सात्विक को याद आ गया था, यह वही वकील साहब की बेटी है… सुमन सिंघानिया। बस वह नाम भूल गया था, लेकिन चेहरा उसके दिमाग में छपा हुआ था।

    "तुम…!"

    "हाँ, अपुन… मतलब मेरा नाम सात्विक है…" सात्विक ने उसके हाथ-पैर खोलकर आज़ाद कर दिए। सुमन उठ खड़ी हुई और अपने छोटे से बाल पर हाथ मारकर बोली,

    "…सात्विक अग्निहोत्री… इतने बड़े सी.एम हैं और पॉलिटिशियन भी… और इतनी बड़ी हस्ती होकर ऐसी लुच्ची हरकत… नाम-स्टेटस बड़ा होने से कोई बड़ा नहीं हो जाता… इंसानियत भी होनी चाहिए…" सुमन किसी भड़की हुई शेरनी की तरह उस पर झपट पड़ी और सात्विक तो बस उसे ही देखता रह गया।

    "कान में नमक चला गया है जो मेरी बात सुनाई नहीं दे रही है… मुझे इज़्ज़त के साथ मेरे कॉलेज छोड़कर आओ, वरना तुम्हारे शक्ल का मैं नक्शा बिगाड़ दूँगी…" सुमन ने अपने लंबे नाखून सात्विक के बाजू पर गड़ा दिए।

    सात्विक होश में आया और उसे फिर एक बार देखने लगा, जो अकेली नेहती होने के बावजूद इतनी ज़्यादा ऐटिट्यूड से बात कर रही थी, जैसे सात्विक को उसने उठाया हो और वह ही मालकिन हो।

    "हाँ, छोड़ आऊँगा कॉलेज… लेकिन कुछ देर बैठकर बात तो कर लो…" सात्विक ने प्यार से अपना हाथ आगे बढ़ाया, जिस पर सुमन ने उसे एकदम सख्त नज़रों से घुरा और उसका बस चलता तो वह उसे कच्चा चबा जाती और डकार तक ना लेती।

    "हाँ… जी आप शौर्य की बहन हैं… सुमन सिंघानिया… याद आ गया…" सात्विक सर खुजलाकर बोला, जैसे उसे अब याद आया हो।

    "अगर अब भी याद नहीं आया कि मैं कौन हूँ, तो तुम यह तक भूल जाओगे कि तुम कौन और क्यों हो…" सुमन ने आग उगलती ज़ुबान से कहा।

    "जी, चलिए आपको कॉलेज छोड़ आता हूँ… शौर्य और मेरे बीच बात है, तो फिर आपको क्यों घसीटूँ…" सात्विक उसे गोदाम के बाहर ले आया।

    "एक मिनट… आप अलयाना के भाई हैं…" अब तक जो वह भूल बैठी थी, याद आया।

    सात्विक अपनी कोरोला के पास आ खड़ा हुआ और सुमन की अदाओं को फिर से देखने लगा।

    "अलयाना… हम्म्म… बहुत अच्छी लड़की है, लेकिन उससे कहें कि झूठ कम बोला करे और नाटकबाज़ी में कमी करे… आज उसकी वजह से ज़बरदस्ती मेरे भाई पर आपने उंगली उठाई है, जबकि मेरे भाई ने तो कॉलेज के गुंडों की धुलाई की थी, फिर आपकी बहन बीच में कैसे आ गई…

    …एकदम सुमन का दिल चाहा, वह सर पीट ले…

    सुमन एकदम फ्रस्ट्रेशन से बोली, "उसने पता नहीं यह सब क्यों किया… सिर्फ़ हमदर्दी और सिम्पैथी बटोरने के लिए… पागल है वह और उससे बड़े आप पागल हैं जो बिना जाने-बुझे कॉलेज आ गए और शौर्य भाई को ढूँढने लगे और मुझे उठा लिया… अरे मोटी अक्ल वाले इंसान, कुछ तो मालूम कर कॉलेज आते, सच्चाई जान लेते आखिर आज कॉलेज में हुआ क्या था… और सॉरी, बट आपकी बहन फ़ुटेज पाने के लिए ज़बरदस्ती बीच में कूद पड़ी… समझाएँ उसे…" सुमन को अब समझ आ गया था कि आखिर अलयाना ने यह सब क्यों किया था, सिर्फ़ एंटरटेनमेंट के लिए…

    सात्विक ने गौर से उसकी बात सुनी और सर हिला दिया, जैसे उसे अपनी बहन की हरकत पर कोई अफ़सोस ना हो।

    "जो भी किया अलयाना ने, अच्छा किया, अगर वह झूठ नहीं बोलती तो मैं कॉलेज नहीं आता और ना तुमसे मिल पाता…" सात्विक ने दिलकश आवाज़ में कहा।

    सुमन ने कुछ नहीं कहा, लेकिन दिल ही दिल उसे छिछोरा बोलकर रह गईं। उसे अभी फ़िलहाल यहाँ से निकलना था, बाद में वह सात्विक को, अलयाना को सबक़ सिखाने का सोचकर ख़ामोश रही।

    सात्विक ने उसे कॉलेज छोड़ आया और सुमन एकदम परेशानी से कॉलेज के अंदर चली गईं, जहाँ पार्किंग एरिया में राधे सर उसे सात्विक की कोरोला से निकलते देख रुककर दोनों को देखने लगे।

    "मुझसे मिलती रहना… मेरी रसमलाई…" सात्विक भी पार्किंग एरिया में खड़ा देखने लगा।

    "अपनी बकवास बंद करो, वरना मैं तुम्हारा मुँह नोच लूँगी… तुम्हें शर्म नहीं आती, कब से फ़्लर्ट किए जा रहे हो…" सुमन तेज आवाज़ से बोली तो राधे सर अपनी बाइक की चाबी उछालते हुए उन दोनों के क़रीब आए, तो सुमन का मीटर डाउन हो गया।

    "सब ठीक है ना सुमन… और आप यहाँ क्या कर रहे हैं…" राधे सर सात्विक के सामने आए, तो सुमन राधे सर के पीछे जा छिपी।

    "बस कुछ नहीं, थोड़ी ग़लतफ़हमी हो गई थी सर…" सुमन धीरे से कहने लगी।

    "तुमसे नहीं पूछा है… और तुम यहाँ खड़ी क्यों हो? जाओ अंदर जाओ, शौर्य तुम्हें पूरे कॉलेज में ढूँढ रहा है…" राधे सर की ख़तरनाक गुस्से भरी आवाज़ पर सुमन सर झुकाकर फ़ौरन वहाँ से चली गईं।

    "दिखाइए सी.एम साहब… मुझे नहीं पसंद कि कॉलेज को सियासी अखाड़ा बनाया जाए, आपकी और शौर्य की जो भी दुश्मनी है, इस कॉलेज के बाहर ही रहे तो ज़्यादा अच्छा है… और कॉलेज के स्टूडेंट्स से दूर रहिए तो ज़्यादा अच्छा रहेगा…" राधे सर अपना चश्मा उतारकर फ़ुल टशन में बोले तो सात्विक मुस्कुराए बग़ैर नहीं रह सका।

    सात्विक ने एक बार सामने खड़े राधे सर को ऊपर से नीचे तक गौर से देखा, जो कोई एंग्लो-इंडियन लग रहा था।
    दूध जैसा गोरा रंग, सुनहरी हज़ल आँखें और भूरे बाल और मस्कुलर बॉडी…

    "आप ज़रूर राधे सर हैं… अलयाना के फ़ेवरेट सर, वह आपकी बहुत तारीफ़ करती है और आज आपसे मिलकर यह भी जान लिया, वह बिल्कुल सच कहती है… आपकी पर्सनालिटी लड़कियाँ क्या, लड़के भी देखकर फ़्लैट हो जाएँ… वैसे आप लगता है नए हैं, इसलिए मुझे नहीं जानते हैं… मैं खड़े-खड़े आपके कॉलेज और आपको खरीद सकता हूँ…" सात्विक भी गुरूर से बोला।

    राधे सर मुस्कुराए और बोले, "कोशिश कर लीजिए… शायद आप कामयाब हो जाएँ… बाय दी वे, अगर आपकी नसीब अच्छी रही तो आपकी मुलाक़ात मुझसे दोबारा नहीं होगी…"

    सात्विक उसकी बात सुन सन्नाटे में आ गया और जल-भुनकर देखा, "छोटा मुँह बड़ी बात, अपनी औक़ात देखकर बोलिए सर…"

    "बाहर कभी मुलाक़ात हुई तो आराम से आपको अपनी औक़ात दिखाऊँगा…" राधे सर बोलकर आगे बढ़ गए और सात्विक एक नफ़रत भरी नज़र से उसे देख वापस अपनी कोरोला में जा बैठा।

    शौर्य हमेशा कैंटीन में बैठा मिलता था। सुमन को देख हल्की नाराज़गी से बोला, "कहाँ गई थीं… तुम्हारे सब दोस्तों से पूछ लिया, लेकिन किसी को नहीं पता कि तुम कहाँ गई हो…"

    "वह सब तो हैं ही अल्टर… मैं सब सामने जो नया रेस्टोरेंट खुला था, वहीं कॉफ़ी पीने गई थी…"

    शौर्य मुस्कुराया और कहा, "अच्छा, उस रेस्टोरेंट में सिर्फ़ एक कॉफ़ी पीने गई थीं… अच्छा, झूठ है। अभी मैं और राहुल भी उसी रेस्टोरेंट से आ रहे थे… तुमने आज तक झूठ नहीं बोला, गुड़िया, फिर आज ऐसी कौन सी आफ़त आ गई जो तुम्हें मुझसे झूठ बोलना पड़ रहा है…"

    सुमन को कुछ समझ नहीं आया क्या बोले अब… उसका झूठ रंगे हाथों पकड़ा गया था।

    "वह मेरे साथ थी… लाइब्रेरी में बैठकर हम कुछ ज़रूरी नोट्स बना रहे थे, सुमन डर से झूठ बोल गई…" पीछे से राधे सर ने आकर कहा, तो शौर्य उठ खड़ा हुआ।

    सुमन और ज़्यादा घबरा गईं…

    To be continued…

  • 6. Stolen Kisses💋 - Chapter 6

    Words: 798

    Estimated Reading Time: 5 min

    सुमन और ज़्यादा घबरा गई।

    "क्या सुमन, तुम भी ना... इस बात पर झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी? पढ़ाई कर रही थी, साफ़ बोल देती..." शौर्य उसके कंधे पर बाज़ू रखकर प्यार से बोला तो सुमन को राहत मिली। वरना उसने सोच लिया था, आज तो वह मरी।

    "उफ्फ़ सर, मैं भी परेशान हो गया था। नन्ही सी जान है, इसके लिए मैं हर वक़्त परेशान रहता हूँ..." शौर्य राधे सर की तरफ़ देखकर हँसे।

    "चलो मेरे साथ आओ, कुछ नोट्स रह गए थे, उसे पूरे कर लेते हैं।" राधे सर ने कहा तो शौर्य ने उसे जाने दिया।

    "हाँ बेटा, जाओ। दिल लगाकर पढ़ना।" शौर्य ने कहा तो सुमन राधे सर के साथ कैंटीन से बाहर चली गई।

    "सर... वह थैंक्यू... अगर आज आप ना होते तो पता नहीं क्या होता..." सुमन ने कहा।

    "सुमन, बेवक़ूफ़ समझी। मैंने क्या कहा था उस दिन? इन सब मामलों से दूर रहो तो फ़ायदे में रहोगी। आज उस सी.एम. की इतनी हिम्मत हो गई, वह हमारे कॉलेज की लड़की को उठाकर ले गया..." राधे सर ने उसे समझाया।

    "लेकिन इस बार मेरी कोई गलती नहीं थी। वह आपकी... मतलब आपकी फ़ेवरेट स्टूडेंट अलयाना की झूठ की वजह से हुआ है।" सुमन ने नाक चढ़ाकर कहा और चश्मा उतारकर साफ़ कर वापस से पहन लिया।

    "ठीक है। कल उसे कॉलेज आने दो। मैं उससे बात करूँगा, लेकिन तुम इन सब मामलों से दूर रहो।" राधे सर ने कहा तो सुमन ने हाँ में सर हिला दिया।

    "यह आप भी ग्लासेज़ लगाते हैं?" सुमन ने राधे सर के चश्मे की तरफ़ इशारा करके कहा।

    "हाँ... तुम भी तो लगाती हो..." राधे सर प्यारी सी मुस्कान लिए बोले।

    "हाँ... वह बल्ब फ़्यूज़ है, मतलब सही से नहीं दिखता है। धुंधला सा सब लगता है इसलिए लगाती हूँ।" सुमन होंठों को दाँत से दबाकर शरारत से बोली।

    दोनों बात करते हुए लाइब्रेरी पहुँचे जहाँ सुप्रिया और सुमन के बाक़ी दोस्त भी बैठे थे। सुमन को राधे सर के साथ हँसकर बातें करते देख, वह लोग दोनों को देखने लगे।

    सुमन जैसे ही लाइब्रेरी में आई, सुप्रिया और बाक़ी सब दोस्त सुमन को देखने लगे।

    सुमन राधे सर के साथ टेबल पर जा बैठी और राधे सर से इम्पोर्टेन्ट चैप्टर से कुछ ज़रूरी सवाल पूछकर वापस चली गई।

    सुमन वापस घर आई तो देखा सब अपने-अपने काम में लगे हैं। अम्मा किचन में थी और पापा उस वक़्त कोट में होंगे और शौर्य भाई कॉलेज से नहीं आए थे।

    सुमन अपने कमरे में फ़्रेश होने चली गई।


    दूसरी तरफ़ सात्विक जब घर आया तो दया जी बैठे अख़बार पढ़ रहे थे और अलयाना उनके साथ बैठकर कॉलेज के बारे में गॉसिप कर रही थी।

    "अलयाना, एक ग्लास पानी ले आओ।" सात्विक कोट उतारकर अपने पापा दया अग्निहोत्री के पास आ बैठा।

    "कैसे हैं पापा? और कल का अख़बार पढ़ रहे हैं?" सात्विक अपने पापा की तरफ़ देखने लगा।

    अलयाना उठकर किचन चली गई थी।

    "क्या करूँ? अब रिटायर अफ़सर हूँ और कल के अख़बार में एक बहुत ही इंटरेस्टिंग बात छपी है। तेरे बारे में आया है कि तूने कल ग़रीब लड़कियों के स्कूल जाकर वहाँ उनके साथ समय बिताया और उनकी काफ़ी हेल्प की। बहुत नेक काम किया तूने।" दया जी बेटी की तरफ़ देखकर बोलने लगे।

    "करना पड़ता है पापा। मैं जिस फ़ील्ड में हूँ ना, वहाँ थोड़ा बहुत दिखावा करना पड़ता है। अगर इन ग़रीब लोगों की मदद नहीं करूँगा तो लोगों से हमदर्दी कैसे मिलेगी? सी.एम. हूँ मैं और दिल का अच्छा इंसान भी... ग़रीबों की ख़िदमत करना मेरा फ़र्ज़ है..." सात्विक पैर पर पैर चढ़ाकर ग़ुरूर से बोला।

    उसी वक़्त अलयाना वहाँ पानी लेकर आ गई और सात्विक चुप हो गया।

    "दिन ब दिन तुम्हारी शरारतें बढ़ती जा रही हैं। अब अपने कॉलेज का मामला खुद ही संभालना... तुम्हारी मोहब्बत में मैं ज़लील हो गया, ऊपर से..." सात्विक को सुमन याद आई और दिल ज़ोर से धड़क उठा।

    "सॉरी भाई... आइन्दा नहीं होगा..."

    "भाई, एक बात करनी थी आपसे..." अलयाना उँगलियाँ मरोड़कर बोली।

    "वह मेरा पूरा कॉलेज शिमला के ट्रिप पर जा रहा है..." अलयाना ने अपने पापा की तरफ़ देखते हुए कहा।

    "तो तुम भी जाओ... मना कौन कर रहा है? पैसे चाहिए?" सात्विक उसके सर पर लाड़ से हाथ रखता हुआ बोला।

    "नहीं भाई... इज़ाज़त चाहिए... परमिशन जो पापा नहीं दे रहे हैं..." अलयाना डरते हुए बोली।

    "अरे तुम मस्त होकर जाओ। जितने पैसे चाहिए मुझसे ले लो। अभी वक़्त है, घूमो-फिरो, एन्जॉय करो... मैं इन बूढ़ों को देख लूँगा।" सात्विक हँसकर बोला तो अलयाना ने भाई की हथेली चूमकर वहाँ से चली गई।

    "तुमने इसे बिगाड़कर रख दिया है। वह अभी छोटी है और इतनी दूर हमारे बिना वह कैसे रहेगी? तुम पागल हो गए हो, वह वहाँ अकेले कैसे रहेगी?" दया जी गुस्से से बेटे की तरफ़ देखकर बोले।

    "अकेले कहाँ? पूरे टीचर्स का ग्रुप साथ रहता है, सारे स्टूडेंट्स होते हैं... और कब तक उसे बच्ची बनाकर घर पर रखेंगे? बड़ी हो गई है, समझदार हो गई है। खुद की ज़िम्मेदारी समझती है... जाने दीजिए..." सात्विक आराम से बोला।

    दूसरी तरफ़ अलयाना बहुत ज़्यादा खुश थी। वह अपना सामान पैक करने लगी।

    To be continued...

  • 7. Stolen Kisses💋 - Chapter 7

    Words: 1697

    Estimated Reading Time: 11 min

    दो दिन बाद..

    "मेरे को भी जाना है… मेरे को जाना है… प्लीज जाने दीजिये अम्मा, मैं आपकी हर बात मानूँगी…" अब सुमन रोते-रोते सुबकने लगी थी।

    "एक बार कह दिया ना… तुम नहीं जाओगी। यह मैं नहीं, तुम्हारे भाई का फैसला है… जाओ, उसका दिमाग़ ख़राब करो…" दिव्या जी सुबह से उसके रोने-सिसकने से तंग आ गई थीं।

    "भाई प्लीज… मैं वहाँ जाकर अच्छे से रहूँगी… किसी से बदतमीज़ी नहीं करूँगी और अपना भी ख़्याल रखूँगी…" सुमन ने गाल पर बहते आँसू को पोंछकर कहा।

    "मेरी प्यारी गुड़िया… तुम अकेली जाने के लिए बहुत छोटी हो… मुझे बैंगलोर में ज़रूरी काम है इसलिए दोस्त के साथ जा रहा हूँ… मेरे बगैर तुम शिमला में कैसे रहोगी? तुम एक मिनट भी खुद को संभाल नहीं सकती हो… मैं तुम्हें किसके हवाले कर दूँ? कौन मेरी तरह तुम्हारा ख़्याल रखेगा? यहाँ घर पर पापा-अम्मा होते हैं, कॉलेज में मैं और मेरे दोस्त लोग होते हैं… और मेरे साथ मेरे दोस्त भी बैंगलोर जा रहे हैं… मैं तुम्हें इतनी दूर नहीं भेज सकता। तुम छोटी हो, मासूम हो… सिर्फ़ लड़ने-झगड़ने या बकबक करने से तुम समझदार नहीं हो, समझी… अब चुपचाप घर पर बैठो…" शौर्य ने प्यार से उसका हाथ पकड़कर बैठाया और उसके आँसू पोंछने लगा।

    "मतलब आप मुझे जाने नहीं देंगे…" सुमन ने एक बार फिर पूछा।

    "ना का मतलब ना ही होता है… पक्का। जब मैं बैंगलोर से वापस आऊँगा, तब तुम्हें गोवा ले चलूँगा…" शौर्य बच्चों की तरह बहलाने लगा।

    सुमन गुस्से से उठी और टेबल पर का सारा सामान उठाकर फेंक दिया और अपने कमरे में चली गई।

    रात हो गई थी, लेकिन सुमन कमरे से बाहर नहीं निकली थी।

    "यह सब तेरी वजह से हो रहा है… तूने ही पहले उसे इतना सर चढ़ा रखा है कि अब वह मुँह ज़िद पर आ गई है… सुबह से मेरी बच्ची भूखी-प्यासी कमरे में बंद पड़ी है, कुछ खाया-पिया नहीं है… अरे, कॉलेज की तरफ़ से जा रही है तो जाने दो उसे, इतनी समझदार है कि खुद का ख़्याल रख सकती है…" दिव्या जी गुस्से से शौर्य की तरफ़ देखने लगीं और उसके प्लेट में खाना परोसने लगीं।

    "अभी गुस्सा शांत होगा तो कमरे से बाहर आ जाएगी। उसे भूख बर्दाश्त नहीं होती है…" सुमित जी बोले।

    "चुप कर आप अपना खाना खाये… मैं अपनी बेटी को देख आती हूँ… मेरा कलेजा तो मुँह को आ रहा है, भूखी है मेरी बेटी…" दिव्या जी एक प्लेट में खाना निकालकर उसके कमरे की तरफ़ चली गईं।

    दिव्या जी के जाने के बाद सोमिक जी बोले,
    "यह कहती है मैंने सुमन को सर चढ़ाया है… अब तुम खुद देख लो… ज़रा सा सख्त नहीं बनती है… बेटी के आगे दिल पिघल जाता है और बस हम पर ही इनका ज़ोर चलता है…"

    "बिल्कुल, बेटी को हथेली पर रखा है… कभी-कभी लगता है सुमन अम्मा पर गई है… अम्मा भी ज़रूर अपनी कम उम्र में सुमन जैसी होंगी…" शौर्य बोला तो दोनों बाप-बेटे हँसने लगे।

    "मैं कुछ करता हूँ… अगर आज सुमन को ट्रिप पर जाने नहीं दिया तो गुस्से से अपना सर फोड़ लेगी… मैं जानता हूँ एक इंसान को जो मेरी तरह उसका ख़्याल रख सकता है…" शौर्य खाना खाकर उठ खड़ा हुआ और हाथ धोकर अपना मोबाइल ले आया।

    लिविंग एरिया में बैठकर वह आराम से बात कर रहा था और देखा सुमन का रूम खुला है… और उसकी अम्मा दिव्या जी अपने हाथ से निवाला बनाकर उसे खाना खिला रही हैं। शौर्य मुस्कान लिए अंदर आया तो सुमन ने मुँह फुला लिया।

    "ठीक है, चलो बाबा, तुम जीती, मैं हार गया। तुम ट्रिप पर जा सकती हो, लेकिन एक शर्त पर… तुम राधे सर के साथ साथ रहोगी और उनसे ज़िद नहीं करोगी और उनकी हर बात मानोगी… वह तुम्हारा ख़्याल रखेंगे, समझी… अगर मंज़ूर हो तो तुम जा रही हो, वरना घर बैठकर देखो डोरेमोन…" शौर्य ने ऐबरों उचकाकर कहा।

    "ओके डन… मैं राधे सर की हर बात मानूँगी… अब तो मैं जा रही हूँ ना…" सुमन खुशी से चीखकर बोली।

    दिव्या जी बेटी को खुश देख उसे बाहों में भर लिया।

    सुमन भी अपनी पैकिंग करने लगी। कल सुबह उसकी ज़िंदगी का खुशनुमा सुबह होने वाला था।

    शिमला जाने वाली बस में सब आ बैठे थे। बस अलयाना और सुमन अभी तक नहीं आई थीं। राधे सर और सुप्रिया दोनों परेशान थे।

    सुप्रिया को सुमन की टेंशन थी और राधे सर को भी अलयाना और सुमन की चिंता थी। राधे सर ने अपने लिए ख़ास दो सीट बुक करवाई थीं। हर बस में एक टीचर स्टाफ़ मौजूद था। सुमन और अलयाना सेम क्लास में थे और उन लोगों की बस में राधे सर थे जो हर चीज़ मेंटेन कर रहे थे।

    एक चमचमाती रॉयल रोलेस कार बस से थोड़ी दूर आ रुकी और अलयाना अपने भाई सात्विक से गले मिलकर अपना छोटा सा सूटकेस लिए बस पर चढ़ गई।

    सात्विक की नज़र राधे सर पर पड़ी और वह अजीब तरीके से देखकर मुड़ा ही था कि सुमन दौड़ती हुई आ रही थी। घर पर सब उससे गले मिलकर ऐसे रो रहे थे जैसे वह ससुराल जा रही हो। बड़ी मुश्किल से वह घर से निकली थी, टाइम काफ़ी हो चुका था। सुमन जैसे ही बस के क़रीब गई, बीच में सात्विक आ गया और कहने लगा,

    "अपना ख़्याल रखना रसमलाई… जब तुम शिमला से आ जाओ फिर तुमसे आराम से मिलकर बात करूँगा…" सात्विक ने जैसे ही कहा, सुमन का पूरा मूड का सत्यानाश हो गया।

    "शुक्र करो आज मैंने हाई हिल नहीं पहनी है, वरना आज सबके सामने तुम मुझसे पीटते…" सुमन और भी कुछ कहती, लेकिन राधे सर बीच में आ गए और उसे बाजू से खींचकर बस में ले गए। फिर सात्विक के पास वापस आए और कहा,

    "सी.एम. जी, परेशान मत होना, मैं सुमन के साथ हूँ, उसका ख़्याल रखने के लिए। उसके भाई ने वैसे भी मुझ पर उसकी ज़िम्मेदारी सौंपी है और मैं अपना फ़र्ज़ अच्छे से निभाना जानता हूँ… आपकी बहन का भी ख़्याल रखूँगा। अब प्लीज़ आप जायें यहाँ से…" राधे सर ने आज आँखों में लेंस लगा रखा था, इसलिए चश्मा-ग्लासेस नहीं लगाए थे और भी ज़्यादा हैंडसम दिखने में लग रहे थे।

    सुमन को सुप्रिया अंदर टानकर ले जा रही थी, लेकिन वह संभल नहीं रही थी। राधे सर और सात्विक को बात करते देख उसे आग लग गई थी।

    "छोड़ मुझे, आज मैं उस सात्विक लेहाड़े की जान ले लूँगी… छिछोरा किस्म का… आवारा है…" सुमन चिल्लाई तो राधे सर ने बस एक नज़र घूमकर बस के गेट की तरफ़ देखा और सुमन ख़ामोशी से अंदर चली गई।

    "दूर रहिए सुमन से… अच्छा रहेगा…" सात्विक एकदम मुट्ठी बंद कर गुस्से से बोला।

    "यही बात मैं आपसे भी कहता हूँ… दूर रहिए सिम्मी से, समझे आप…" राधे सर ने 'सिम्मी' कहा था और बस के अंदर जा बैठे।

    सात्विक ने सोचा जब शिमला से सब लोग वापस आएंगे तो देख लेगा वह…

    सुमन सुप्रिया की तरफ़ जा बैठी, लेकिन राधे सर ने सुमन की सीट अपने बगल में बुक करवाई थी। सुमन को बहुत ऑकवर्ड फ़ील हो रहा था, लेकिन भाई की बात भी माननी थी। शौर्य भाई ने कह दिया था अगर वह इस ट्रिप पर जाएगी तो उसे राधे सर की हर बात माननी पड़ेगी।

    सुमन को सब लड़कियाँ, ख़ासकर अलयाना, अलग नज़रों से घूर रही थीं। थोड़ी देर बाद बस में सारे स्टूडेंट्स गाने-नाचने लगे। सब लोग गाना गाकर एन्जॉय कर रहे थे। अलयाना ने एक गाना गाया जिस पर सबने खूब तालियाँ बजाईं। सुमन उस गाने का मतलब समझ रही थी।

    "हम लाख छुपायें प्यार, मगर दुनियाँ को पता चल जाएगा…
    लेकिन छुप-छुप कर मिलने से मिलने का मज़ा तो आएगा…"

    अलयाना बैठी-बैठी दिल जला रही थी। वह राधे सर और सुमन की तरफ़ इशारा कर गाना गा रही थी।

    राधे सर किसी बच्चे की तरह उसका ख़्याल रख रहे थे… उसे पानी-खाना पिलाते रहते, खिड़की से हाथ निकालने को मना करते… और उसे अच्छे से हर बात समझाते…

    "तुम भी कुछ गाओ ना सुमन…" राधे सर मुस्कुराकर बोले तो सुमन का दिल कहीं दूर उनकी मुस्कान पर डूब गया था। अब सर की बात मना करने की हिम्मत भी नहीं थी।

    "जहाँ तेरी नज़र है… मेरी जान मुझे ख़बर है…
    बच ना सके यार आए कितने… देख इधर यार जाने किधर है…" सुमन अपनी प्यारी आवाज़ में गाने लगी।

    अलयाना ने इस गाने पर उसे आँखें छोटी कर देखा और समझ गई, सुमन उसे गाने के ज़रिए धमका रही है। अगर कोई और टीचर होता तो वह भी बहुत मस्ती करती, लेकिन अभी राधे सर के सामने शरीफ़ बने रहना था।

    सब स्टूडेंट्स भी राधे सर को फ़ोर्स करने लगे कि सर आप भी एक गाना गा दीजिए।

    राधे सर मुस्कुराकर खड़े हुए और अलयाना झट से उनके पास आ गई।

    "मेरा दिल भी कितना पागल है…
    यह प्यार जो तुमसे करता है…
    पर सामने जब तुम आते हो कुछ भी कहने से डरता है…
    …ओ मेरे साजन… साजन साजन…"

    अलयाना तो बस सर की तरफ़ देखने लगी। उसके लिए जैसे वक़्त रुक गया था। सुमन ने हमेशा सीरियस रहने वाले राधे सर का यह रूप देखा तो खुशी से पागल हो गई। सुमन ने ज़ोरदार सीटी बजाई। वह भूल गई थी वह राधे सर के साथ है और उसके गाने पर सीटी बजाई है। राधे सर ने उसकी तरफ़ देखा तो सुमन को होश आया कि वह गाने में जोश में होश खो बैठी थी। झिझक कर सर को देखती, कभी पूरे बस में बैठे स्टूडेंट्स को, जो उसकी हालत देख ज़ोर से हँसने लगे थे।

    "सो सॉरी सर… इमोशन में बह गई थी…" सुमन जिसने कभी किसी को सॉरी नहीं कहा था, उसने आज पहली बार राधे सर को सॉरी कहा था।

    सुमन ने सोचा अब वह सब स्टूडेंट्स का ना ही गाना सुनेगी और ना ही कुछ कमेंट्स पास करेगी। अगर भूल से कुछ ऐसा मुँह से निकल गया तो राधे सर खड़े-खड़े उसे बेइज़्ज़त कर देंगे। अलयाना अंदर ही अंदर सुमन की हालत देख बहुत खुश थी।

    सुमन ने अपना हेडफ़ोन निकाला और YouTube लगाकर डाउनलोड में जाकर डोरेमोन देखने लगी, जो उसने अपने पापा और भाई के वाई-फ़ाई से कल रात चोरी कर डाउनलोड किया था। राधे सर भी उसके तरफ़ आकर बैठ गए। राधे सर समझ गए थे वह अपना मूड लाइट करने के लिए कार्टून देख रही थी।

    "मैं भी देखूँगा…" राधे सर प्यार से बोले और उसके एक कान से हेडफ़ोन निकालकर अपने कान में लगा लिया।

    राधे सर और सुमन कार्टून देख एन्जॉय कर रहे थे। सुमन को नहीं मालूम था राधे सर भी टॉम एंड जैरी और डोरेमोन देखते होंगे।

    To be continued…

  • 8. Stolen Kisses💋 - Chapter 8

    Words: 1461

    Estimated Reading Time: 9 min

    रात का खाना किसी ढाबे में रुक कर खाया गया और फिर उनकी बस चल पड़ी। सुमन को जल्दी सोने की आदत थी; उसे एहसास तक नहीं हुआ कि वह राधे सर के कंधे पर सिर रखकर गहरी नींद सो रही थी। राधे सर ने अपना जैकेट खोलकर उसे ओढ़ा दिया।

    अलयाना, जो बस पर चीख-चिल्लाकर दोस्तों के साथ लूडो खेल रही थी, उसे खामोश रहने का इशारा किया गया ताकि सुमन की नींद में व्यवधान न हो।


    सुमन और उसकी पूरी टीम शिमला पहुँच गई थी। एक होटल बुक किया गया था। सारे स्टूडेंट अपनी-अपनी रूम्स की चाबी लेकर अपने कमरे में चले गए। सबसे ऊपरी फ्लोर पर राधे सर और सुमन का कमरा था। उस फ्लोर पर और किसी का कमरा नहीं था; ऊपर से अटैच्ड रूम था।

    सुमन को यह बात समझ नहीं आ रही थी कि वह शिमला ट्रिप पर आई थी या हनीमून पर। साला राधे सर चुम्बक की तरह चिपके हुए थे; एक मिनट के लिए भी अकेला नहीं छोड़ा था। सुमन ने सोचा था कि भाई साथ नहीं होगा तो मनमर्जी करेगी, लेकिन राधे सर सिर पर सवार थे।

    राधे सर ने अटैच्ड बेडरूम इसलिए लिए थे क्योंकि सुमन रात को डर जाती थी, और उसके भाई ने यह भी बताया था कि वह नींद में बोलने लगती है।

    अलयाना ने भी हर जगह सुमन को तंग किया और सुमन बस राधे सर को देखकर चुप रह गई; वरना सुमन की ज़ुबान के साथ-साथ हाथ भी चलते और दो करारा थप्पड़ अलयाना को सुमन ज़रूर लगाती।

    सुमन अपने कमरे में आते ही बेड पर सो गई। लम्बा सफ़र तय कर आई थी।

    राधे सर भी अपने रूम में चले गए और फ्रेश होकर सुमन के कमरे में आए। राधे सर को इजाज़त की कोई ज़रूरत नहीं थी; दोनों का कमरा मिला हुआ था और बालकनी का एक दरवाज़ा राधे सर के रूम में खुलता था। राधे सर जब दिल चाहा तब वह आ सकते थे।

    राधे सर कमरे में आए तो देखा सुमन गहरी नींद से सो रही है और उसका सूटकेस नीचे पड़ा है। राधे सर ने उसके सामान को सेट किया और उसे बेड पर सीधा लेटाकर चादर से ढक दिया; वरना सुमन तो आते ही बेड पर धड़ाम से गिर गई थी। जाते-जाते राधे सर ने सुमन के चेहरे से बाल हटाकर उसके माथे को आहिस्ता से चूमा था।

    राधे सर मुस्करा कर फिर अपने कमरे में चले गए।

    जब सुमन शाम को उठी तो सारी थकान गायब थी। सुमन फ्रेश होकर बाहर आई तो देखा उसका सारा सामान सेट था। सुमन ने एक टी-शर्ट निकाला और प्लाज़ू पहनकर, बालों का जुड़ा बनाकर नीचे आई जहाँ डाइनिंग हॉल में सब बैठे थे। सुमन को आते देख सब खामोश हो गए, लेकिन सुमन सामने बैठे इंसान को देख चुपचाप कोने में जा बैठी; क्योंकि राधे सर के साथ अलयाना बैठी बात कर रही थी। सुमन भी बैठी उन लोगों की बातें सुनने लगी।

    "सर, आप बगैर चश्मे के भी बहुत हैंडसम लगते हैं..." अलयाना उन्हें प्यार से देखते हुए बोली।

    "सुमन, तुम कितना बड़ा गोल चश्मा लगाती हो...तुम्हें सच में कुछ दिखता नहीं है क्या...कैसा अजीब सा तुम्हारा चश्मा है..." अलयाना उसका मज़ाक बनाकर हँसने लगी; राधे सर भी हँस दिए।

    "मुझे सब दिखता है...वह भी जो तुम नहीं देख रही हो...और हँसती रहो...मुझे क्या...मैं कोई स्टाइल या शौक के लिए ग्लासेज नहीं लगाती हूँ...मेरे कुछ प्रॉब्लम हैं, समझी..." सुमन नाराज़ होकर वापस अपने रूम में चली गई।

    सुमन को बुरा अलयाना की बातें हरगिज नहीं लगी थीं; उसे असल में राधे सर के भी अलयाना के साथ मज़ाक बनाने में गुस्सा आया था।

    राधे सर भी वहाँ से उठ गए और सुमन के रूम में आ गए जहाँ वह सोफे पर बैठी कुछ सोच रही थी।

    "कॉमन सुमन...छोटी-छोटी बातों पर यूँ नाराज़ नहीं होते हैं..." राधे सर उसे मनाने लगे।

    "रहने दीजिये सर...सब सही कहते हैं मैं एक चश्मिश हूँ..." सुमन ने हँसकर कहा।

    "नहीं हो...मेरी बात गौर से सुनो...लोगों का काम है बातें करना...तो उन्हें करने दो ना, क्यों अपना खून जला रही हो? और वैसे भी तुम नहीं देखती, मैं अलयाना की बातों का हरगिज बुरा नहीं मानता हूँ, तुम भी मत मानो; सब की बातों को इग्नोर करना सीखो, वरना ज़िंदगी में पीछे रह जाओगी..." राधे सर भी सोफे पर बैठ गए।

    सुमन को राधे सर का समझाने का अंदाज़ बहुत प्यारा लगा।

    "आज रात स्टूडेंट्स साहिली किनारे जा रहे हैं...छोटी सी पार्टी है..." राधे सर ने कहा।

    "ओके सर...मैं भी चलूँगी, बहुत मज़ा आएगा..." सुमन बच्चों की तरह खुश होकर बोली और राधे सर का भावुक होकर हाथ थाम गई। राधे सर ने हाथ नहीं झटका ना सुमन को कुछ कहा; उल्टा उसके हाथों को प्यार से दबाया तो सुमन होश में आई और हाथ छोड़ दिया।

    राधे सर चले गए, लेकिन सुमन को एकदम अजीब सा लगा था।

    शाम की पार्टी के लिए सुमन तैयार होने लगी थी। एक साड़ी थी जो वेलवेट की रेड रंग की थी। सुमन ने आज लेंस लगा लिए, लेकिन चश्मा भी पहना। वह रेड साड़ी में, डार्क हॉट लिपस्टिक और बालों का हल्का गले में झुका हुआ जुड़ा बाँधकर बाहर आई। राधे सर अलयाना के साथ पहले ही खड़े बातें कर रहे थे।

    अलयाना ने सिल्वर लेस ब्लैक गाउन पहन रखा था। अलयाना ने जैसे ही सुमन को देखा, वह उसकी मासूमियत पर जल भुन गई। राधे सर ने भी देखा, लेकिन कोई कॉम्प्लिमेंट या तारीफ़ वगैरह नहीं की। बीच साइड पार्टी थी और हटके किनारे ही बेरा और खाने-पीने का इंतज़ाम किया गया था। राधे सर बाकी टीचर्स के पास चले गए और बातचीत करने लगे।

    सुमन सुप्रिया के साथ बैठी खाना-पीने में बिजी थी। तभी ज़बरदस्ती सुप्रिया ने उसे एक पेग पिला दिया। सुमन ने कभी नहीं पी थी, इसलिए सुमन शराब पीकर थोड़ा सा मदहोश हो गई थी। अलयाना खूबसूरत लड़कों के साथ डांस कर रही थी और खूब एन्जॉय कर रही थी। सुमन को तो उठना भी नहीं जा रहा था, लेकिन उसे होश था; हल्का नशा चढ़ा था। ज़्यादा रात होने लगी तो कुछ स्टूडेंट्स किराये पर ही हट लेकर वहाँ रात गुज़ारने का सोचकर रुक गए। अलयाना भी हट में रुकी थी। लेकिन राधे सर ने अपनी कम्फ़र्ट को देखते हुए वापस होटल जाने का फ़ैसला किया और साथ में सुमन को भी ले गए। लेकिन राधे सर को एक ही मिनट में पता चल गया कि सुमन नशे में है।

    "सुमन, तुमने शराब पी है...फॉर गॉड सेक...मैं..." राधे सर ने कुछ नहीं कहा और एक उल्टे हाथ की रख कर सुमन के मुँह पर थप्पड़ मारा। सुमन खामोश रही; ग़लती हुई थी उससे। अगर भाई उसे नशे की हालत में देख लेता तो गला दबा देता; सर ने तो सिर्फ़ थप्पड़ ही मारा था।

    "वह मैंने नहीं पी...सर, भूल...ग़लती हो गई..." सुमन ने कहा; काँच सी आँखें लाल हो गई थीं।

    "अब शराब पी है...तो सज़ा तो मिलेगी..." कड़कदार आवाज़ में कहा और सुमन को घसीटते हुए होटल ले आए। सुमन को हल्का सा होश था, लेकिन अब सर की बात सुन डर लग रहा था।

    राधे सर उसे कमरे में ले आए और सीधा वाशरूम के वॉश बेसिन का नलका चालू किया जिससे ठंडा पानी गिरने लगा था। सुमन का मुँह झुकाकर अपने हाथ से उसका मुँह धुलाया ताकि वह होश में आ जाए। फिर उसे गोद में उठाकर लाए और बेड पर बैठा दिया। सुमन साड़ी के पल्लू से मुँह पोछने लगी, तभी राधे सर भी बेड पर बैठ गए और उसके कमर पर हाथ डालकर उसे अपने करीब खींच लिया। सुमन कुछ समझती उससे पहले राधे सर उसके होंठ की तरफ झुके, लेकिन सुमन का चश्मा बीच में आ गया और राधे सर की नाक चश्मे से टकरा गई।

    "आज मालूम चला मुझे...सही कहती है अलयाना, इतना बड़ा चश्मा...उतारो इसे, सारा रोमांटिक मूड खराब कर दिया..." राधे सर ने सुमन का चश्मा उतारकर एक साइड रखा और इसके गले में पीछे हाथ डालकर उसे अपने चेहरे के करीब किया और अपने होंठ को उसके होंठ से छुआ और बहुत ही सॉफ्टली किस करने लगे। बस सुमन का था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करे और क्या ना करे; एकदम दिल में तूफ़ान सा उठ गया था।

    सुमन ने राधे सर का चेहरा दूर किया।

    "यह ग़लत बात है...मैं आपकी स्टूडेंट हूँ..." सुमन को अब सब समझ आने लगा था।

    "अच्छा...तब फिर कोई बात नहीं...मैं किस नहीं करूँगा...पर..." राधे सर की ईविल स्माइल देख सुमन थोड़ा दूर खिसकी।

    "पर मैं कह रहा था...मुझे रोकेगा कौन? हाँ...तुम पर हक़ जमाने से मुझे कोई ताकत नहीं रोक सकती, खुद तुम भी नहीं...हिम्मत है तो कोशिश करके देख लो..." राधे सर की बात सुन सुमन के कान से धुएँ निकलने लगे।

    सुमन का सिर झुक गया।

    "सर..." सुमन ने कहा और एक पल के लिए राधे सर को देखा जिसकी आँखों में प्यार की लहरें उठ रही थीं।

    राधे सर ने कुछ नहीं कहा और प्यार से उसके होंठ पर अपनी उंगलियाँ फेरने लगे।

  • 9. Stolen Kisses💋 - Chapter 9

    Words: 1548

    Estimated Reading Time: 10 min

    सुमन जब सो कर उठी तो उसका सिर भारी लग रहा था। कल रात नशे की वजह से सिर दर्द से फट रहा था।

    अचानक सुमन को रात की बातें याद आईं तो उसका चेहरा लाल पड़ गया। फिर उसने अपना वहम और सपना सोचकर उसे भूल गई और सोचा, "राधे सर उसे किस...नहीं सर कभी ऐसा नहीं कर सकते। मैं ऐसा सोच भी कैसे सकती हूँ?"

    सुमन अभी भी रात वाले कपड़ों में थी।

    सुमन ने सोचा वह थोड़ा शावर लेगी तो फ्रेश फील करेगी। सुमन कपड़े निकालकर वाशरूम चली गई।

    जब नहाकर आई तो ब्लैक कुर्ता और प्लाज़ू पहन बैठी, बालों को तौलिये से पोछ रही थी। उसी वक्त बालकनी से राधे सर आए और सुमन के बालों से गिरता पानी देख समझ गए कि वह अभी उठकर नहाई है।

    "गुड आफ्टरनून सुमन..." राधे सर बोले तो सुमन जल्दी से अपना ब्लैक चुनरी वाला दुपट्टा ओढ़कर बैठ गई।

    "सर गुड आफ्टरनून...मतलब अभी कितने बज रहे हैं?" सुमन को झटका लगा।

    "शाम के 4 बज रहे हैं।" राधे सर ने कहा तो सुमन ने सिर पीट लिया।

    सुमन ने सोचा वह शिमला सोने के लिए तो हरगिज नहीं आई थी। वह यहाँ आकर पूरा पूरा दिन सो रही है।

    "हमारा ग्रुप मतलब घूमने के लिए निकल गया होगा। मुझे छोड़कर सब कैसे जा सकते हैं? वह लोग एन्जॉय कर रहे होंगे। उफ्फ़ मेरी किस्मत..." सुमन को सच में बहुत अफ़सोस हो रहा था। दिल एकदम से उदास हो गया। सारे लोग बस से गए होंगे, जगह-जगह घूमते होंगे।

    "कोई बात नहीं सुमन, हम कल चलेंगे।" राधे सर उसे खुश करने के लिए बोले।

    "एक मिनट...हम मतलब..." सुमन चौंककर राधे सर को अविश्वास से देखने लगी।

    "मैं भी नहीं गया। मेरा दिमाग़ खराब है क्या? तुम्हें अकेला छोड़कर होटल में चला जाता? आधा होटल तो खाली हो चुका है, सारे स्टूडेंट चले गए, सब टीचर्स भी चले गए। तुम मेरी ज़िम्मेदारी पर हो और तुम्हें छोड़कर कैसे जा सकता था?" राधे सर ने कहा।

    सुमन को और भी दुख हुआ। उसकी वजह से राधे सर का भी प्लान कैंसिल हो गया होगा।

    "आइंदा शराब मत पीना समझी...बहकी-बहकी बातें कर रही थी कल तुम..." राधे सर को मौज सूझी।

    "मतलब सर...क्या किया था कल मैंने?" सुमन उठकर राधे सर के करीब चली गई। "सुमन एकदम डर गई।"

    "शायद तुम भूल गई होगी। तुम कल मेरे साथ ज़बरदस्ती करने लगी थी। मुझे अपने करीब खींचने लगी, रोमांटिक गाना गा रही थी...सो शॉक..." राधे सर बोले तो सुमन का मीटर डाउन हो गया।

    "भक...मैं ऐसा नहीं कर सकती हूँ। मैं पागल नहीं हूँ। आप सिर्फ़ मुझे चिढ़ा रहे हैं।" सुमन ने कहा।

    "नशे में लोग अक्सर पागल हो जाते हैं। खैर तुम्हारी तो बात ही अलग है।" राधे सर हँसकर बोले और कमरे से चले गए।

    सुमन को गुस्सा बहुत आया लेकिन वह खामोश रही। सुमन जानती थी राधे सर उसे टीज़ कर रहे हैं।


    दूसरे दिन वे लोग सब मॉल रोड गए लेकिन सुमन के पैर में बहुत दर्द था। वह आज फिर जा ना पाई और अलयाना बहुत खुश थी। लेकिन राधे सर को उसके पास रुकना पड़ा था।

    सुमन का मूड ठीक करने के लिए उसकी दोस्त सुप्रिया ने भी होटल में रुकने का फैसला किया।

    सुप्रिया बालकनी में लगे काउच पर बैठी कॉफी पी रही थी और सुमन उदासी से यहाँ-वहाँ देख रही थी।

    "चील बेब...मैं हूँ ना...और तू कितनी बड़ी कुढंगी है ना मुझे मालूम है। बेड से कूदकर उतरने की क्या ज़रूरत थी? आ गई ना गहरी चोट...बेवकूफ़..." सुप्रिया ने कहा।

    "चुप कर कलमुही...तू भी उस चिपको सर की तरह मुझे ही ब्लेम कर रही है। तुझे मालूम है सर ने मुझे कितना डाँटा है। आज तक कभी ऊँची आवाज़ में मेरे पापा और भाई ने तक मुझसे बात नहीं की है...और हमारे राधे सर...उफ्फ़ एक पल के लिए मुझे अकेला नहीं छोड़ते हैं। क्या मैं कोई 2 साल की बच्ची हूँ? हर वक़्त देखभाल करते रहते हैं...उफ्फ़ मैं पक गई हूँ।" सुमन एकदम फ्रस्ट्रेशन से बोली।

    "आई थिंक सुमन...देख कुछ फेंककर मत मारना बट लगता है सर तुझ में इंटरेस्टेड है...पसंद करते हैं।" सुप्रिया ने हँसकर कहा तो सुमन ने उसकी चोटी पकड़कर टाँन दी।

    "तेरा दिमाग़ चल गया है। सर और मुझे पसंद करेंगे? सर उस काली परी चुड़ैल अलयाना को दिलो-जान से पसंद करते हैं और देखा नहीं तूने? सर रात-दिन उसके साथ होते हैं और उसे हर वक़्त सपोर्ट करते रहते हैं।" सुमन एकदम जलकर बोली।

    "जाकर दिमाग़ का इलाज करवा। तू सच्चाई नहीं सुनना चाहती है सिम्मी। अगर सर उस चमचमाती अलयाना के पीछे होते ना तो तेरे लिए अपनी प्लान कैंसिल करके होटल में नहीं होते। अलयाना के साथ मॉल रोड में होते और पिज़्ज़ा खा रहे होते। खैर, जलन की बदबू तुझसे आ रही है। बेटा तेरी दोस्त हूँ सब जानती हूँ। तुझे राधे सर पसंद हैं और तू अलयाना से जलती है।" सुप्रिया ने कहा।

    "सस्ता नशा कर लिया है क्या? मैं सर को लाइक वाइक नहीं करती हूँ। हाँ सर अच्छे हैं...वह बात अलग है...और कभी भी टीचर्स से शादी नहीं करने का बाबा। शादी के बाद सुहागरात रात को घूंघट उठाकर पूछेंगे..."

    "सुमन व्हाट इज़ हाइपोथीसिस..."

    "क्वेश्चन आन्सर...उफ्फ़ फ़ॉर्मूला पूछने लगे हैं...रात दिन ताना सुनने को मिलेगा और जब बच्चे होंगे तो कहेंगे... 'माँ पर गए हैं...पढ़ाई-लिखाई में एकदम पीछे हैं।' अगर वही बच्चे ने अच्छा काम किया या मेडल-वेडल जीता तो कहेंगे... 'एकदम बाप पर गया है...माँ तो शुरुआत से जाहिल थी...कॉलेज में कुछ नहीं पढ़ती थी और सिर्फ मार-धाड़।'"

    सुमन को अब और भी ज़्यादा टेंशन होने लगी थी।

    "तू बहुत ज़्यादा सोचती है मेरी मछली...देख लेना एक दिन तू राधे सर की 5-6 बच्चों की माँ होगी और राधे सर तुझे हथेली पर जान रख मोहब्बत करेंगे।" सुप्रिया बोलते हुए भागी तो सुमन ने एक फ्लावर पॉट फेंक मारा और कहा...

    "कमीनी बददुआ देकर जा रही है...शाम चढ़ रही है और देख मैं भी तुझे श्राप दे रही हूँ...तेरी शादी किसी गंजे से हो जाए...कर्मजली..." सुमन बैठी-बैठी चिल्लाई।

    उसी वक़्त राधे सर आए और काँच बिखरा हुआ देखा तो डर गए।

    "यह सब कैसे हुआ?" राधे सर बोले और झुककर काँच उठाने लगे।

    "सर रहने दीजिए...मैं कर दूँगी...भूल से टूट गया था।" सुमन ने कहा।

    "रहने दो तुम...फिर कुछ नुकसान हो जाएगा, और फिर से कुछ तोड़ दोगी या खुद को चोट पहुँचा लोगी। अब जो यह नुकसान हुआ है तो मुझे होटल को भरपाई करने पड़ेगी।" राधे सर साइड डस्टबिन में फेंकते हुए उठ खड़े हुए।

    हल्की-हल्की बारिश होने लगी थी और सुमन अंदर रूम में जाने के बजाय बालकनी में खड़ी भीगती रही।

    "अरे अंदर आओ वरना बीमार पड़ जाओगी। मुझे तो लगता है तुम यहाँ सिर्फ़ बीमार होने आई हो। बारिश तेज हो जाएगी।" राधे सर ने कहा।

    बारिश की बूँदें तड़ातड़ नीचे गिर रही थीं और दोनों आधे भीग चुके थे।

    "सर बहुत अच्छा लगता है...बारिश में भीगना...बहुत ठंड और सुकून है इस बारिश में..." सुमन ने कहा। शिमला का मौसम कब खराब हो जाए किसी को नहीं पता था।

    राधे सर भी वहीं खड़े रहे। राधे सर भीगी-भगी लड़की को देख रहे थे जो बहुत ज़्यादा सुंदर थी।

    सुमन ने अपना चश्मा उतार दिया था। बिजली ज़ोर से कड़की तो सुमन उछलकर राधे सर के गले लग गई और राधे सर एकदम सेक्सी और दिलकश अंदाज़ में मुस्कुराए।

    राधे सर ने अपने मज़बूत बाज़ू में सुमन को भर लिया। सुमन एकदम सिहर उठी थी।

    सुमन शर्माकर उनसे अलग हुई तो राधे सर ने उसका हाथ खींच लिया और उसके गले में हाथ डाला और उसके गीले बालों में ज़ोर से पकड़ा और उसे बाहों में गिराकर अपने होंठ उसके भीगे होंठों से मिला दिए। सुमन को कुछ समझ नहीं आया लेकिन वह हाथ-पैर मारने लगी लेकिन राधे सर ने उसे नहीं छोड़ा। अपनी गर्म साँसें उसकी भारी होती साँसों से मिलाने लगा। सुमन ने राधे सर को चुटकी तक काटी लेकिन राधे सर ने उसे नहीं छोड़ा। सुमन को लगा अब उसकी साँसें रुकने लगी हैं तब राधे सर ने उसे छोड़ा और उसके निचले होंठ को दाँत से दबाकर उसके कमर पर हाथ रखे खड़े बारिश को एन्जॉय करने लगे। सुमन का तो वह हाल था काटो तो बदन में खून नहीं।

    "सिम्मी...तुम्हें क्या लगता है मैं बेवकूफ़ हूँ? मेरे दो आँखें पीछे और दो कान हर वक़्त तुम्हारी बातें सुनते रहते हैं।" राधे सर लाड़ से कहने लगे और उसके भीगे बालों में मुँह छिपाए उसकी खुशबू अपने अंदर उतारने लगे।

    "तो तुम्हें लगता है मैं चिपको हूँ और मेरा अलयाना के साथ चक्कर है?" राधे सर ने कहा तो सुमन ने झट से उनका हाथ अपने कमर से हटाया और गुस्से से कहा...

    "आप क्या हैं यह आज मैं समझ गई। मैं आपको एक सीरियस टाइप इंसान समझती थी और आपने मुझे ज़बरदस्ती किस कर लिया। आप...छी! मैं सोच नहीं सकती थी आप ऐसे निकलेंगे। मुझे नहीं मतलब आपसे लेकिन मैं अपने भाई को ज़रूर बताऊँगी।" सुमन ने एकदम नफ़रत से कहा और रूम में जाने लगी, तभी राधे सर ने कहा...

    "कोशिश करके देख लो...अपने हक़ में बुरा पाओगी मुझे..."

    "मैं धमकी-वमकी से नहीं डरती हूँ। समझे? आप जो उखाड़ना है उखाड़ लीजिए।" सुमन लाल होती आँखों से अंदर चली गई और बालकनी को लॉक कर दिया।

    सुमन को बहुत रोना आ रहा था।

    आज तक उसे किसी ने भी हाथ नहीं लगाया था लेकिन राधे सर अब उसकी शराफ़त का डिसेडवांटेज ले रहे हैं। वह झुकेगी तो टूट जाएगी। सुमन ने सोचा था राधे सर कोई शरीफ़ इंसान होंगे, अंदर से पूरे छिछोरे निकले।

    "मैं बताऊँगी...कि सुमन चौधरी कौन है..." सुमन बड़बड़ाई और अपने होंठ हाथ से छूने लगी जो ज़ख्मी थे।

    To be continued...

  • 10. Stolen Kisses💋 - Chapter 10

    Words: 1237

    Estimated Reading Time: 8 min

    बारिश के बाद के दिनों में सुमन ने राधे सर से बात करना छोड़ दिया था। अब वह राधे सर को देखकर मुँह मोड़कर चली जाती थी। सुमन राधे सर की नियत भाँप गई थी कि वे अच्छे इंसान नहीं हैं और लड़कियों पर बुरी नज़र रखते हैं।

    सुमन की तबियत बिलकुल ठीक हो चुकी थी और वह अपने ग्रुप के साथ शिमला के कई जगहों पर घूम आई थी।

    सुमन ने राधे सर को पूरी तरह से इग्नोर कर रखा था। न उनकी कोई बात सुनती थी और न ही उनसे कोई लिफ्ट करवाती थी।

    राधे सर अंदर ही अंदर खौल रहे थे और प्रेशर कुकर की तरह गर्म होकर फट रहे थे, लेकिन सुमन को अब राधे सर से कोई मतलब नहीं था।

    इसी बीच अलयाना का भाई सात्विक बाबू भी होटल आ पहुँचा। उसे शिमला में कोई ज़रूरी काम था, इसलिए वह भी उसी होटल में अलयाना के बगल वाले कमरे में रुका था। सात्विक का असल मक़सद अलयाना की देखभाल और सुमन से दोस्ती बढ़ाना था। लेकिन वह नहीं जानता था कि सुमन कितनी बड़ी सरफ़री लड़की है।

    सात्विक के आए हुए मात्र दो ही दिन हुए थे। कॉलेज की लड़कियाँ, लड़के और टीचर्स सब बहुत खुश थे, सिर्फ़ दो लोगों को छोड़कर - एक सुमन और दूसरा राधे सर। जिसे सात्विक के आने से कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा था, क्योंकि दोनों अपने-अपने कोल्ड वॉर में बिज़ी थे।

    अलयाना बहुत खुश थी और सब लड़कियों से अपने भाई को मिलवा रही थी। जब सुमन की बारी आई, तो सात्विक ने हाथ बढ़ाकर "हेलो" कहा।

    राधे सर भी पास ही खड़े थे।

    "यह कौन है अलयाना?" सुमन अनजान बनकर पूछने लगी।

    "सुमन, यह मेरे बड़े भाई सात्विक अग्निहोत्री हैं। सी.ए.एम हैं।" अलयाना ने तारीफ़ के पुल बाँधे।

    "ओह्ह्ह आई सी।" सुमन ने कहा और अलयाना के साथ खड़े राधे सर को देखा, जो ख़तरनाक नज़रों से सात्विक को देख रहे थे।

    "नमस्ते सात्विक भाई। आपसे मिलकर अच्छा लगा। नाइस टू मीट यू भाई। आप अलयाना के भाई हुए तो मेरे भी भाई हुए।" सुमन ने मासूमियत से चश्मा नाक पर टिकाते हुए कहा। तो राधे सर अपनी हँसी दबाकर वहाँ से चले गए, क्योंकि सात्विक के चेहरे पर बारह बज गए थे और उसका हाथ हवा में ही हेलो कहता हुआ रह गया। भाई का लफ्ज़ सुनकर सात्विक को ऐसा लगा जैसे आसमान उसके सर पर आ गिरा है।

    थोड़ी देर बाद सुमन वहाँ से चली गई और अपने कमरे की तरफ जाने लगी। तभी किसी ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने कमरे में खींच लिया। सुमन डर से चीख पाती, एक भारी हाथ उसके मुँह पर रख किसी ने दरवाज़ा जोर से बंद कर दिया।

    "पागल हो गए हैं आप! यह सब क्यों कर रहे हैं? मुझे मेरे कमरे में जाने दो।" सुमन गुस्से से आँखें दिखाती हुई राधे सर को बोली, जो अब उसके मुँह से हाथ हटा चुके थे।

    "आप बहुत बड़े... क्या ही बोलू... ऐसा कौन करता है भला? मैं कितनी डर गई थी। अचानक मेरा हाथ क्यों टाना अपने?" सुमन ने राधे सर के हाथ को अपने कमर तक जाने से पहले रोक लिया।

    "तब और क्या करता? मेरी बात अब तुम सुनती हो नहीं, मुझसे बात भी नहीं करती। सबके लिए तुम्हारे पास टाइम है... बस मुझे देखकर इग्नोर करती हो।" राधे सर उसे दीवार से लगाकर अपने दोनों हाथों को दीवार पर रखा ताकि वह भाग न पाए।

    "क्यों करूँ मैं आपसे बात? हाँ, आप मेरे टीचर हैं तो टीचर ही रहिए, समझे? और लगते क्या हैं मेरे जो मैं आपको प्रायोरिटी दूँ?" सुमन राधे सर के बाजू को हटाने की कोशिश करने लगी।

    "ओके। यह तो वक़्त बताएगा मैं कौन लगता हूँ तुम्हारा, लेकिन उस वक़्त के लिए खुद को तैयार रखना, तब तुम मुझसे भाग नहीं पाओगी।" राधे सर सर्द लहजे में बोले और अपनी दोनों बाजूओं को हटा दिया।

    "देखिए सर, मुझे आपसे कोई भी रिलेशन नहीं रखना है। आप मुझसे दूर रहिए बस।" सुमन समझाने लगी।

    "इसका मतलब है तुम मेरा दिल तोड़ना चाहती हो?" राधे सर अपना गुस्सा भुलाकर मुस्कुराने लगे।

    "हाँ... जो समझना है समझिए।" सुमन एक अदा से बाल झटककर बोली। भला वह सुमन थी कब किससे डरती?

    "जाओ... तुम मेरा दिल तोड़ोगी तो मैं तुम्हारी जान ले लूँगा, वह भी प्यार से... इतने प्यार से मरूँगा, तुम बर्दाश्त नहीं कर पाओगी सुमन।" राधे सर एकदम ख़तरनाक लहजे में बोले और उसे पीछे से बाँहों में भर लिया।

    सुमन को बहुत ज़बरदस्त ज़ोर का झटका लगा था। राधे सर की उँगलियाँ उसके कमर पर गुदगुदा रही थीं।

    "सर... नहीं... गुदगुदी लग रही है।" सुमन खिलखिलाकर हँस दी और राधे सर उसे गुदगुदाते रहे। इतना ज़्यादा कि सुमन मचलकर रह गई और जोर से सर का हाथ पकड़ लिया और शर्म से कमरे से भाग गई।

    राधे सर भी मुस्कुराने लगे।


    सुमन और सभी स्टूडेंट साहिली किनारे पर बैठे गपशप कर रहे थे और बीच में आग जल रहा था। कुछ मचले स्टूडेंट ने बोनफायर का प्रोग्राम बनाया था। सब ही लोग बैठे बातें कर रहे थे, कुछ लड़कियाँ डांस कर रही थीं और दूसरी तरफ राधे सर लड़कियों के बीच बैठे मछलियाँ तल रहे थे।

    सुमन सुप्रिया के साथ बैठी घर की बातें कर रही थी, तभी सात्विक को आते देख सुप्रिया डर से वहाँ उठ गई और सात्विक सुप्रिया की जगह आकर बैठ गया। तो सुमन भी वहाँ से जाने लगी।

    सात्विक गुनगुना कर रोमांटिक मूड में, "आराम से बैठो पास मेरे... डरने की कोई बात नहीं..."

    सुमन मुँह चिढ़ाकर, "मैं तुमसे बात करूँ? मेरे ऐसे भी बुरे हालात नहीं।"

    राधे सर, जो सुमन के लिए फ्राइड फिश प्लेट में सर्व कर लाए थे, दोनों की बात सुन ज़ोर से हँस दिए।

    राधे सर, "एकदम मज़ा आ गया।"

    सात्विक गुस्से से उठकर राधे सर के पास आया और कहा, "मेरे और उसके बीच का मामला है, तुझे बड़ा मज़ा आ रहा है।"

    सुमन, "ओह्ह्ह ओओओ लड़ो नहीं एक दूसरे से... और सर आप अपनी हाथ की मुझे मछली खिलाने वाले थे ना तो चलिए साइड में बैठते हैं।"

    सुमन मामले को सीरियस बनते देख राधे सर की टी-शर्ट टानकर उन्हें साइड पर ले आई, वरना झगड़ा बढ़ जाता।

    सात्विक दोनों को जाते देख नफ़रत से मुँह फेरकर बैठ गया।

    "अच्छा हुआ तुमने उसे जवाब दे दिया।" राधे सर साइड पर आकर सुमन के साथ बैठ गए।

    "ओह्ह्ह चाचा चौधरी के बेटे... मैंने आपको दिखाने के लिए यह सब नहीं किया... कुछ गलत मत समझ लेना आप... वह झगड़ा न बढ़ जाए इस डर से आपको सब से अलग लेकर आई हूँ... चौधरी मैं हूँ, लेकिन चौधराहट का खून लगता है आप दोनों के भी रगों में दौड़ने लगा है, इसलिए बात-बात पर एक-दूसरे से झड़ने लगते हैं... कुछ तो सोचिए, वह सी.एम है।" सुमन सर पर हाथ मारकर बोली।

    "तो तुमने मुझे क्या किसी किनारे की दुकानदार का बेटा समझ रखा है? मैं भी बहुत हाई स्टेटस रखता हूँ, तुम जानती नहीं हो मुझे... मुझे अच्छा नहीं लगता है वह सात्विक बार-बार तुम्हारे करीब आने की कोशिश करता है... मेरा बस चले तो मैं उसका मुँह तोड़ दूँ।" राधे सर ने कहा और सुमन का फ़्रस्ट्रेशन एक बार फिर से बढ़ने लगा।

    "पता है मेरी गलती क्या है? मैं आपके साथ शिमला क्यों आई? भगवान जी मुझसे किस बात का बदला ले रहे हैं? किन गधों के बीच फँस गई हूँ... उफ़्फ़्फ़ मेरा फ़्रस्ट्रेशन हर रोज़ बढ़ता ही जा रहा है।" सुमन एकदम फ़्रस्ट्रेशन से बोली।

    "बकवास मत करो, वरना दो चमाट लगाऊँगा। चुपचाप यह तली हुई मछली खाओ, ख़ास तुम्हारे लिए लाया हूँ। बीच साइड की सबसे फ़ेमस डिश है।" राधे सर अपने हाथ से उसके मुँह में खाना डालने लगे।

    और सुमन का चेहरा एकदम उकताकर लाल पड़ चुका था।

    To be continued...

  • 11. Stolen Kisses💋 - Chapter 11

    Words: 1258

    Estimated Reading Time: 8 min

    रात हो चुकी थी और सुमन की आँखों से नींद गायब थी।

    राधे सर और सात्विक के बीच अब झगड़ा बढ़ता ही जा रहा था।

    कई बार अलयाना ने बीच में दोनों को बचाया था, लड़ने से रोका था। दोनों फालतू में एक-दूसरे से उलझते थे।

    सुमन को दोनों पर बहुत गुस्सा आ रहा था।

    जब से शिमला वह आई थी, सब चीज़ें एकदम से बदल गई थीं। राधे सर अब बेशर्मी से प्यार का इज़हार करते थे। एक दिन वह सुकून से नहीं रह पाई थी।

    सुमन यही सब सोच रही थी, तभी उसकी नज़र बालकनी पर पड़ी और वह डर से उछल कर बेड से नीचे आई।

    बालकनी में राधे सर खड़े, मुस्कान लिए, उसकी तरफ देख रहे थे। आँखों में शिद्दत भरा प्यार का सागर देख सुमन अजीब तरह से डर गई थी, और जिंदगी में पहली बार उसे शर्म महसूस हुई थी; अजीब सी शर्म और घबराहट, जो लड़कियों को होती है। वह राधे सर को देख झिझक महसूस कर रही थी।

    "सर, आप इतनी रात को मेरी बालकनी पर क्यों आए हैं?"

    सुमन ने बालकनी का दरवाज़ा खोला तो राधे सर झट से रूम के अंदर आ गए।

    "आप अपने कमरे में क्यों नहीं रहते? बार-बार यहाँ क्यों चले आते हैं? रात हो गई है, और मुझे नींद भी आ रही है। जाइए, जाकर आप भी आराम करिए।"

    सुमन का दिमाग भँवर से रह गया। राधे सर अपने ग्लासेस नहीं लगाए हुए थे। उन्होंने आँखों में लेंस लगा रखा था।

    "शिमला में बहुत ठंड है सिम्मी...और सुना है मेहबूब के बाहों में बहुत गरमाहट होती है..."

    राधे सर एकदम खुमार भरे लहजे में बोले।

    "आप होश में तो हैं ना? क्या बकवास कर रहे हैं?"

    सुमन के गाल एकदम शर्म से लाल हो उठे।

    राधे सर बिना कुछ बोले उसके करीब आए और सुमन की कमर पर दोनों हाथ मज़बूती से कस दिए।

    "सर...सच में शर्म नहीं आती आपको? छोड़िए मुझे...क्या कर रहे हैं?"

    सुमन एकदम जलती हुई आग की तरह भड़क उठी।

    "आती है, बहुत आती है...मुझे तो सब से शर्म आती है, पर तुम्हारे सामने नहीं आती है। देखो, अगर मैं शर्माने लग जाऊँ तो तुम्हें प्यार कौन करेगा? तुम्हें प्यार करने के लिए मुझे बेशर्म बनना पड़ता है, और इस बेशर्मी का मज़ा ही कुछ और है...तुम भी ट्राई करके देखो, बहुत मज़ा आएगा।"

    राधे सर एकदम तीखी मुस्कान लिए बोले।

    "छी...आप ऐसे निकलेंगे, मैं सोच भी नहीं सकती थी...आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? देखिए सर, मुझे छोड़ दीजिए, वरना अच्छा नहीं होगा।"

    सुमन एकदम धमकी देने लगी।

    "हाहाहाहा...अभी तुमने मुझे जाना कहाँ है? फुर्सत से कभी वक़्त निकाल कर आना, फिर बताऊँगा मैं कैसा हूँ...और वह क्या है ना, तुम्हें अब छोड़ नहीं सकता हूँ, तुम्हें जो करना है कर लो।"

    राधे सर एकदम ईविल स्माइल के साथ बोले और उसके गले में झुक गए।

    सुमन की साँसें ही रुक सी गईं। वह दोनों हाथों से सर को दूर करने लगी, लेकिन राधे सर के होंठ उसके गले को जगह-जगह चूम रहे थे।

    एकदम राधे सर ने उसके पेट पर हाथ फेरा तो सुमन पूरे ताकत से राधे सर के सीने पर मुक्का मारने लगी।

    "अच्छा...ठीक है, नाराज़ मत हो...शादी से पहले कुछ नहीं करूँगा, लेकिन तब तक ज़रा-ज़रा गुस्ताखी करने दो...मेरे लब तुम्हारे लबों के प्यासे हैं।"

    राधे सर उसके होंठ पर उंगली फेरते हुए शरारत से बोले।

    "आपसे शादी करेगा भी कौन? मेरे ख़्वाब देखना छोड़ दीजिए...मैं आपसे हरगिज शादी-वादी नहीं करूँगी, समझे?"

    सुमन नाक चढ़ाकर बोली।

    "कोई बात नहीं, तुम मत करना...मैं कर लूँगा तुमसे शादी...फिर तुम्हारे पूरे रोम-रोम को प्यार से महका दूँगा...तुम्हारे बदन से मेरी खुशबू आएगी, और तुम्हारे नाम और हमारे बच्चों के नाम के साथ मेरा नाम जुड़ जाएगा।"

    राधे सर बहुत ही ज़्यादा रोमांटिक टोन में बात कर रहे थे।

    सुमन एकदम लजा सी गईं और राधे सर से अलग हो गईं।

    "ओह्ह्ह्ह जी...तुम्हें शर्म भी आती है..."

    राधे सर उसका प्यार से गाल खींचकर बोले।

    सुमन कुछ नहीं बोली। वह बहुत ज़्यादा नर्वस हो गई थी। राधे सर की बातें बहुत ज़्यादा ही लचकिली थीं।

    "देखिए सर...आप यह सब क्यों कर रहे हैं? मुझे नहीं पसंद आता कोई मुझे बार-बार हाथ लगाए।"

    सुमन सीरियस होकर बोली।

    "कभी सुना है कोई प्यार करने वाले जोड़े एक-दूसरे से ज़्यादा देर नाराज़ या दूर रह पाते हैं? वही हाल मेरा है सिम्मी...तुमसे एक पल भी दूर नहीं रह सकता हूँ...और बहुत जल्द तुम भी मेरे प्यार को समझोगी...जब तुम्हें पहली बार कॉलेज में लड़ते हुए देखा था तो तुम्हारा बेबाक अंदाज़ बहुत पसंद आया था, लेकिन मैं यह बात नहीं जानता था कि जो लड़की बाहर से इतनी मज़बूत और लड़ाकू दिखती है, जो तुम हो...लेकिन अंदर से नर्म-गर्म सी, भोली-भाली, शर्मीली सी सुमन...जिसे बहुत ज़्यादा शर्म आती है और जो एकदम दीवानी सी है, मेरे प्यार को नहीं समझती है।"

    राधे सर उसे टीज़ करने लगे।

    "एक...एक मिनट, यह मेरी तारीफ़ थी या बुराई? मैं लड़ाकू और लड़ने-झगड़ने वाली लड़की हूँ...आपकी हिम्मत कैसे हुई मुझे लड़ाकू कहने की? आपने कभी खुद को देखा है? रोमियो के सौतेले भाई, टीचर होकर स्टूडेंट के ऊपर लाइन मारते हैं और फिल्म से सीख कर रोमांटिक डायलॉग बोलते हैं...आप बहुत ज़्यादा..."

    सुमन कुछ और बोल ही नहीं पाई, क्योंकि राधे सर ने उसका मुँह ही बंद कर दिया था।

    एकदम अचानक ही राधे सर ने उसे किस कर लिया था। सुमन का चश्मा नीचे गिर गया था।

    सुमन ने एक बार फिर राधे सर की चौड़ी छाती पर मुक्के मारे, लेकिन राधे सर को भी कंट्रोल करना आता था।

    राधे सर उसका धीरे-धीरे एक हाथ से कमर सहला रहे थे ताकि वह शांत हो जाए। सुमन एकदम मचल कर उनके काबू में आ गई।

    राधे सर बहुत ज़्यादा तेज़ी से उसके होंठ को चूम रहे थे और बार-बार उसके होंठ को दाँत से काट रहे थे। सुमन ने बहुत कोशिश की, वह अपने होंठ सख्ती से दबाकर बंद कर ले, लेकिन राधे सर ने उसके गले और बालों में मज़बूत पकड़ बनाई रखी थी।

    राधे सर बार-बार उसके होंठ को कसकर काट लेते थे। काफ़ी देर तक वह उसके होंठ को चूमते रहे, लेकिन सुमन की हालत ख़राब हो गई थी, क्योंकि बार-बार काटने की वजह से दर्द का एहसास जागता था। सुमन के हाथ-पैर ढीले पड़ गए।

    राधे सर यह देख सुमन को बेड पर लेटाया और उसके अब होंठों को सॉफ्टली स्मूच करने लगे।

    "सिम्मी, तुम ज़रा सा मेरा प्यार बर्दाश्त नहीं कर सकती हो...पता नहीं तुम्हारा शादी के बाद क्या होगा..."

    राधे सर उसकी बंद होती आँखों को देखकर कहा। फिर बारी-बारी दोनों गाल को चूमा और उठकर सुमन को देखने लगे जो अब बेहोश हो चुकी थी।

    राधे सर ने आज इतने दिन बाद गौर किया था सुमन की छोटी सी गोल-मटोल नाक पर सोने की छोटी सी नोज़पिन थी जो उसकी ख़ूबसूरती और ज़्यादा बढ़ाती थी।

    राधे सर जानते थे कल सुबह उठकर वह बहुत हंगामा करेगी, इसलिए फिर से सुबह उसका मुँह बंद करने के लिए वह सुमन के बेड के करीब रखे कोच पर ही सो गए, लेकिन नज़र मासूम सी सोती हुई सुमन पर था जो कोई छोटी बच्ची लग रही थी। बाल चेहरे पर झूल गए थे और होंठ एकदम लाल पड़ गए थे।

    राधे सर उसकी हालत देख हँस दिए और सोचा, "कब तक यह मेरे प्यार से दूर भागती रहेगी और प्यार से इंकार करती रहेगी...एक न एक दिन ज़रूर मानेगी...और उस दिन मज़ा आएगा जब वह मुझे राधे सर की जगह राधे जी कहेगी...उफ़्फ़्फ़ मान जा दिलबर...क्यों इतना तड़पाती हो..."

    राधे सर एकदम सोचकर दिलनशीं अंदाज़ में मुस्कुराए और करवट बदलकर सो गए।

  • 12. Stolen Kisses💋 - Chapter 12

    Words: 1056

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुमन तेज रौशनी चेहरे पर पड़ने से उठी और सामने सुप्रिया को देखकर बेड पर बैठ गई।

    "उठ जा महारानी… देख बाहर क्या हो रहा है…" सुप्रिया ने हँसकर कहा।

    "क्या हो रहा है…" सुमन अपना होंठ हाथ से छूते हुए दर्द से कराह कर बोली।

    "यह तेरे होंठों को क्या हो गया… यह तेरे पतले होंठ सूज कैसे गए…" सुप्रिया उसके करीब आकर बैठ गई।

    "वह… यह कल रात मैं गिर गई थी मुँह के बल, इसलिए चोट लग गई थी…" सुमन को कल रात की बात जैसे ही आई, एक शर्म सी उसे महसूस होने लगी।

    "तू एकदम पगली है… देख खुद का ख्याल नहीं रखती है…" सुप्रिया गुस्सा होकर बोली।

    "यह बाहर से किसकी आवाज आ रही है…" सुमन ने नीचे गिरा अपना चश्मा उठाकर कहा।

    "वही सुबह-सुबह, बर्तन चम्मच लड़ रहे हैं… सात्विक और राधे सर… पता नहीं किस चीज़ की दुश्मनी है… हर वक़्त दोनों लड़ते रहते हैं।" सुप्रिया ने अफ़सोस से कहा।

    "यह ट्रिप… पता नहीं मैं घर से लड़-झगड़ कर यहाँ क्यों आई थी, इसलिए आई थी ताकि दिन-रात इन दोनों का झगड़ा देख सकूँ… दोनों पागल हैं।" सुमन इरिटेशन से बोली।

    सुमन वाशरूम गई और जब नहा-धोकर बाहर आई तो सुप्रिया उसके लिए नाश्ता लगाए बैठी थी।

    सुमन प्लाज़ू और लंबे कुर्ते में व्हाइट दुपट्टा ओढ़े बैठी नाश्ता करने लगी।

    "बस और दो दिन फिर हम वापस लौट जाएँगे… फिर मुझे सुकून मिल जाएगा…" सुमन चाय का घूँट भरकर बोली।

    "वैसे तुझे कैसे मालूम कि मैंने नाश्ता नहीं किया… और तू अंदर कैसे आई… मैं तो रात को रूम लॉक करके सोई थी, फिर तू अंदर कैसे आई…" सुमन ने चौंककर पूछा तो सुप्रिया शरारत से बोली…

    "राधे सर मेरे रूम में आए थे और कहा तुम्हारी दोस्त की तबियत ठीक नहीं है… मैं तो बहुत डर गई फिर तेरे रूम में ले कर आए और वहीं लॉक खोलकर अंदर ले आए… मैंने देखा तू आराम से गहरी नींद में सो रही थी… फिर वह चले गए और मैंने तुझे उठाया और नाश्ता वगैरह करवाया… मुझे नहीं मालूम था तेरी तबियत खराब है…" सुप्रिया ने उसे प्यार से गले लगाते हुए कहा।

    "ओह्ह्ह अच्छा… वैसे कहाँ हैं राधे सर… उनसे कुछ रात के हिसाब-किताब पूरे करने हैं… तो कहाँ हैं आपके प्यार से राधे सर… उनको दिल से शुक्रिया कहना है मुझे…" सुमन ने अपना आस्तीन मोड़कर कहा।

    "यहीं तेरे बगल वाले रूम में… तेरा और उनका रूम बालकनी से जुड़ा है… कभी भी दिल करता होगा तो राधे सर आ जाते होंगे…" सुप्रिया रोमांटिक अंदाज़ में बोली।

    "हाँ… बहुत अच्छी बात है… इसलिए मैं रात को बालकनी का दरवाज़ा बंद करके सोती हूँ।" सुमन ने उबलते हुए गुस्से को काबू पाकर कहा।

    सुप्रिया अपने कमरे में चली गई और सुमन ने खुद को एकदम मज़बूत किया और सोच लिया आज राधे सर को सबक सिखाकर आना है।

    सुमन बाहर निकली तो अरुण से टकरा गई।

    "अच्छा हुआ अरुण तुम मिल गए… अगर बाहर जाना हुआ ना तो मेरे लिए सेम पावर के ग्लासेस ले लेना… मेरा कल रात चश्मा गिरने से स्क्रैच पड़ गया है… अगली बार जो तुमने मेरे लिए चश्मा मँगवाया था, इस बार भी वही सेम ला देना।" सुमन ने कहा।

    "ओके बॉस… ला दूँगा… बाई दी वे तुम कहाँ जा रही हो।" अरुण ने मुस्कुराकर पूछा।

    "वह मैं कुछ ज़रूरी काम के लिए राधे सर के पास जा रही हूँ।" सुमन ने बात बनाकर कहा।

    "ओके फिर जाओ… लेकिन संभलकर जाना… सात्विक सर और अलयाना दोनों उनके कमरे में हैं और ज़बरदस्त झगड़ा हो रहा है।" अरुण ने हँसी दबाकर कहा।

    सुमन ने बहुत मुश्किल से अपना फ़्रस्ट्रेशन छुपाया और सोचा जहाँ अलयाना होगी वहाँ झगड़ा ज़रूर होगा… सात्विक भी वैसा ही है… दोनों भाई-बहन ऐसे ही हैं।

    सुमन कमरे में गई… तो देखा अलयाना और राधे सर खड़े चुपचाप मुस्कुरा रहे थे, अलयाना भी बेड पर बैठकर दोनों का चेहरा देखकर सर पर हाथ रखे बैठी थी।

    "यह सब क्या रायता फैला रखा है आप लोगों ने… शर्म नहीं आती आप दोनों को, जब-तब झगड़ते रहते हैं बच्चों की तरह… पूरा कॉलेज आप दोनों पर हँसेगा… अगर थोड़ी भी आप दोनों में सेल्फ़ रेस्पेक्ट नाम की चीज़ है ना तो दोनों झगड़ा करना बंद करें और इज़्ज़त से यहाँ पर एन्जॉय करने आए हैं तो वही कीजिए।" सुमन पीछे से आती दोनों को खतरनाक नज़रों से घूरते हुए बोली।

    "मैं समझा-समझाकर थक चुकी हूँ लेकिन पता नहीं क्यों आप लोग झगड़ते रहते हैं।" अलयाना थके हुए लहजे में बोली।

    "सात्विक जी… आप ऐसा क्यों कर रहे हैं… कम से कम मुझे आपसे यह उम्मीद नहीं थी, आप तो सी.एम हैं ना फिर ऐसी हरकत क्यों कर रहे हैं… आप तो समझदार हैं ना… आपने मुझे बहुत डिसअपॉइंटमेंट किया है।" सुमन उदासी से बोली।

    सात्विक को यकीन नहीं आया सुमन ने उससे इतने अच्छे से बात की है… वह भी सात्विक जी बोलकर… उसे बहुत खुशी हुई थी… इतनी कि वह लफ़्ज़ों में ज़ाहिर नहीं कर पा रहा था।

    "ठीक है सुमन… आई एम एक्सट्रीमली सॉरी… मैं आइंदा से ऐसी कोई हरकत नहीं करूँगा जिससे तुम्हें परेशानी हो… और मैं खुद लड़ने-झगड़ने वाला बंदा नहीं, बस यह तुम्हारे राधे सर हैं ना वही मुझे गुस्सा दिलाते हैं… अच्छा मैं अब चलता हूँ… मैं भी थोड़ा आराम कर लूँ।" सात्विक ने एकदम प्यार से देखते हुए कहा।

    सुमन भी मुस्कुराने लगी।

    राधे सर दोनों की बातें खड़े सुनते रहे और एक-एक इशारों उठाकर दोनों की नौटंकी देखते रहे।

    "सॉरी सर… मेरा भाई थोड़े से जज़्बाती टाइप है… जल्दी गुस्सा हो जाते हैं… और जल्दी मान भी जाते हैं… आप दिल पर मत लीजिएगा।" अलयाना फ़ौरन मक्खन लगाने लगी और राधे सर के बाजू से चिपक गई।

    सात्विक कमरे से जा चुका था, बस अलयाना और सुमन ही रह गई थीं।

    "अरे अलयाना… मुझे याद आया तुम्हें ना तुम्हारी दोस्त सृष्टि बुला रही थी… काफ़ी देर से तुम्हें ढूँढ़ रही थी।" सुमन एकदम याद करने वाले अंदाज़ में बोली जैसे वह भूल गई हो।

    "ओह्ह्ह… सृष्टि… हाँ, मैं चलती हूँ राधे सर, आप भी आराम कीजिए और हाँ आपने वादा किया था आज आप मुझे शॉपिंग पर ले चलेंगे… याद से भूल मत जाएगा… मैं शाम को तैयार रहूँगी।" अलयाना छोटे बच्चों की तरह उनसे लिपटकर बोली।

    "अच्छा है अब जाओ, अब लिपटना-चिमटना बंद करो और जाओ तुम्हारी दोस्त तुम्हें ढूँढ़ रही है।" सुमन राधे सर से उसे दूर खींचती हुई बाहर दरवाज़े की तरफ़ ले गई।

    "ठीक है जा रही हूँ बाबा… लेकिन सर भूल मत जायेगा।" अलयाना बाहर निकलकर फिर एक बार राधे सर की तरफ़ पलटकर बोली।

    "नहीं भूलेंगे… अगर भूल भी गए तो मैं याद दिला दूँगी… अब जाओ भी यार… फ़ुर्र्र्र्र्र…" सुमन ने उसकी तरफ़ देख गुस्से से कहा और ज़ोर से दरवाज़ा बंद कर दिया।

    To be continued…

  • 13. Stolen Kisses💋 - Chapter 13

    Words: 1498

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब सिर्फ़ राधे सर और सुमन अकेले कमरे में रह गए थे।

    "आप अपनी आदत सुधार लीजिये...वरना अच्छा नहीं होगा सर आपके लिए..." सुमन जंगली बिल्ली की तरह उनकी तरफ़ पंजा मार कर बोली।

    "मैंने क्या कर दिया...जो तुम इतना गुस्सा हो रही हो..." राधे सर आराम से सोफ़े पर बैठकर लापरवाही से बोले।

    "क्यों बार-बार आप मेरे कमरे में आ जाते हैं? मैं एक लड़की हूँ, मेरी कुछ प्राइवेसी है। मैं क्या कर रही हूँ...क्या नहीं...हर चीज़ पर आप नज़र रखते हैं। ऊपर से आपकी हरकतें एकदम...मैं क्या ही बोलूँ आपको...मेरे भाई शौर्य ने आपको मेरी देखभाल और हिफ़ाज़त के लिए मेरे साथ रहने को कहा था। ठीक है, मैंने माना मैं खुद का ख्याल नहीं रख पाती हूँ, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हर वक़्त आप सी.सी.टी.वी कैमरा बनकर मेरे ऊपर नज़र रखें। उफ़्फ़्फ़ और कल रात..." अचानक बोलते-बोलते वह फिर से लाज-शर्म के घेरे में आ गईं और फिर से रात वाली बात याद आ गई।

    "मैंने ऐसा भी क्या कर दिया...प्यार करना गुनाह थोड़ी है..." राधे सर मुस्कराकर बोले।

    "गुनाह...गुनाह नहीं, पाप है! पाप लगेगा आपको! बार-बार मेरे क़रीब मत आया करें। देखिये, मेरे होंठ सूज गए हैं।" सुमन ने कमरे में यहाँ-वहाँ नज़र दौड़ाई ताकि कोई चीज़ मिल सके सर का सर फाड़ने में।

    "तो क्या होगा? कोई बड़ी बात नहीं है...तुम्हें आदत हो जाएगी इन सब चीज़ों की। होंठ तुम्हारे पहले इतने खूबसूरत नहीं थे, लेकिन मेरे होंठ के चूमने के बाद देखो जाकर आईने में कितनी खिल रही हो तुम।" राधे सर प्यार से बोले।

    "मैं ही पागल हूँ जो आपसे बात करने आई। आपको तो कोई शर्म-हया ही नहीं है...कैसे एक लड़की से बात करते हैं।" सुमन एकदम चीख़कर बोली।

    "काहे की शर्म? कैसी शर्म? हम जिससे प्यार करते हैं उनसे क्यों शर्माएँ?" राधे सर उसकी तरफ़ देखकर बोले।

    "भाड़ में जाए..." सुमन को कुछ समझ नहीं आया क्या बोले, इस इंसान का दिमाग़ फिर गया था जो कुछ भी बोल रहा था।

    "अरे-अरे, सच में नाराज़ हो गई क्या? कहाँ जा रही हो? देखो, गुस्से में ज़हर मत खा लेना।" राधे सर उसका भरपूर मज़ाक उड़ाने लगे।

    "ज़हर खाए मेरे दुश्मन! मैं कहीं भी जाऊँ आपको इससे क्या? और आपको मैं देख लूँगी।" सुमन दरवाज़े के क़रीब जाकर बोली।

    "पूरी ज़िन्दगी पड़ी है...जी भरकर देखती रहना। वैसे भी तुम्हारा हस्बैंड बहुत ज़्यादा हॉट एंड हैंडसम है।" राधे सर हाँक लगाई।

    सुमन रोहांसी सी हो गई। अब उसके पास कोई जवाब नहीं था। ज़िन्दगी में पहली बार खुद को इतना बेबस महसूस कर रही थी। बहुत कुछ सोचकर आई थी, लेकिन अब फिर से उस पर झिझक, शर्म हावी हो गया।

    राधे उसका टीचर था और वह चाहकर भी मुक्का नहीं मार सकती थी। सर की बहुत इज़्ज़त करती थी, लेकिन अब रात-दिन सर उसे टीज़ करते रहते थे। सर ने बहुत परेशान कर दिया था उसे।

    "आज तो बहुत मज़ा आएगा! मैं और लियाना शॉपिंग पर जाएँगे और किसी का दिल जलेगा।" राधे सर ने कहा और सुमन जल्दी से दरवाज़ा खोलकर बाहर निकली और लम्बा साँस लिया और कमरे में जाकर सारा सामान गुस्से और झंझलाहट से फेंक दिया और सारे सो पीस तोड़ दिए।

    थोड़ी देर बाद फिर राधे सर उसके कमरे में सीटी बजाते हुए, पॉकेट में हाथ डाले, कैज़ुअल टी-शर्ट पहने हुए आए।

    सुमन बैठी नाख़ून काट रही थी। तभी उसकी नज़र राधे सर पर पड़ी जो फ़ुल मस्ती के मूड में थे।

    "सर, क्या आप सच में लियाना के साथ शाम को शॉपिंग पर जा रहे हैं?" सुमन ने नॉर्मल होकर कहा।

    "हाँ यार! अब तुम तो लिफ़्ट नहीं करवा रही हो तो लियाना ही सही। और हाँ, सिर्फ़ मैं उसे प्यार से लियाना कहता हूँ, तुम मत कहो, मुझे बुरा लगेगा।" राधे सर झूठ-मुँठ का गुस्सा होकर बोले।

    "क्यों? वह मेरी दोस्त है, मैं भी बोल सकती हूँ।" सुमन चिढ़कर बोली।

    "नहीं...बोलोगी समझी! मैं उसका दोस्त से भी ज़्यादा क़रीबी रिश्ता रखता हूँ। तुम नहीं जानती लियाना क्या चीज़ है...बिल्कुल मेरे जैसी है...मुझे समझती है और प्यार से गले लगाकर मोहब्बत का यकीन दिलाती है..." राधे सर ने इतना ही कहा, सुमन एकदम उछलकर बेड से नीचे उतरी और जंगली बिल्ली की तरह राधे सर का टी-शर्ट मुट्ठियों में दबोचकर गुस्से से बोली,

    "अच्छा है! वह भी आपके ही जैसी है! जैसे आप, वैसी वह है! जब सबके सामने आपसे चिपकी रहती है तो अकेले में क्या करेगी?" सुमन एकदम जलकर राख हो गई...अंदर में आग सी जलने लगी।

    "हाँ, बहुत खास है मेरे क़रीब, तुमसे भी ज़्यादा! आज हम दोनों अकेले जाएँगे और सारा शिमला घूमेंगे और नाईट आउट भी करेंगे, क्योंकि कुछ दिनों बाद तो चले जाएँगे। मुझे तो अभी से सोचकर एक्साइटमेंट हो रही है और दिमाग़ में शरारतें भी फूट रही हैं। मज़ा आएगा।" राधे सर और ज़्यादा नमक-मसाला लगाकर बोले।

    "क्या कहा आपने? एक बार फिर से कहना ज़रा?" सुमन अब एकदम गुस्से से फट पड़ी।

    "क्यों सिम्मी, तुम गुस्सा क्यों हो रही हो? और वैसे भी आज तुमने सात्विक से बड़े ही प्यार से बात की है। तुम उसके साथ एन्जॉय करो, उसके साथ घूमो-फिरो।" राधे सर ने आँखें छोटी कर शैतानी मुस्कान के साथ कहा।

    राधे सर को सुमन का सात्विक से इतना प्यार से बात करना बहुत बुरा लगा था। पर राधे सर ने शो नहीं किया था, पर उन्हें बहुत बुरा लगा था।

    "आपका दिमाग़ चल गया है क्या? अरे, मैंने इसलिए उनसे प्यार से बात की थी ताकि आप दोनों के बीच झगड़ा ख़त्म हो जाए। मुझे क्या ज़रूरत वरना उनसे मुँह लगाने की?" सुमन को अब समझ आया...राधे सर को ज़रूर बुरा लगा होगा।

    "मुझे क्या? तुम जिससे भी बात करो...मैं तो यहाँ एन्जॉय करने आया था और अब फ़ुल ऑन मस्ती करूँगा।" राधे सर ने ग़ुरूर से कहा।

    "आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे! चुपचाप जाकर अपने रूम में बैठिये और मुझे भी सुकून लेने दीजिये। और आप कहीं नहीं जाएँगे।" सुमन एकदम सीरियस होकर बोली।

    "मैं तुम्हारा गुलाम थोड़ी हूँ! मेरी जो मर्ज़ी होगी वह मैं करूँगा, समझी तुम? और सब से तुम्हारा कुछ ख़्याल नहीं रखूँगा, तुम्हारा पीछा छोड़ दिया मैंने। तुम्हें भी जो करना है करो, जहाँ जाना है जाओ, जिसके साथ जाना है जाओ। वैसे भी तुम एक आज़ाद लड़की हो और अपनी मर्ज़ी की मालकिन।" राधे सर ने बेरुख़ी से उसका हाथ अपने टी-शर्ट से झटक दिया।

    "ये आपको अचानक से क्या हो गया? अभी तो आप ठीक थे। आप मुझसे ऐसे क्यों बात कर रहे हैं?" सुमन का दिल खोल उठा।

    "कुछ नहीं हुआ...बस समझ आ गया है...मैं चिपको की तरह तुम्हारा पीछा नहीं करूँगा। आज से तुम्हें किसी चीज़ के लिए रोक-टोक नहीं करूँगा।" राधे सर पीछे मुड़कर बोले, लेकिन उन्होंने बहुत मुश्किल से अपनी हँसी रोकी थी। राधे सर को अंदर दिल से ख़ुशी हो रही थी कि सुमन को बहुत फ़र्क़ पड़ता है। उसे भी तकलीफ़ हो रही थी और वह जल रही थी।

    "आप प्लीज़ ऐसा मत कहिये! आप मत जाइये आज लियाना के साथ शॉपिंग पर।" सुमन ने नरमी से कहा।

    "ये मेरा आख़िरी फैसला है! मैं आज उसके साथ ज़रूर जाऊँगा।" राधे सर पलटकर ख़तरनाक लहज़े में बोले।

    "आपको मेरी बात समझ नहीं आती! मैंने कहा ना, नहीं जाएगा आप उसके साथ!" सुमन चीख़कर बोली और सुमन उनके टी-शर्ट को दोनों मुट्ठियों में जकड़कर ज़ोर से उनके सीने से सिर टिका गईं।

    "मैं तो जाऊँगा...ज़रूर जाऊँगा..." राधे सर हँस-हँसकर बोलने लगे।

    सुमन एकदम फिर से झंझला गई, वह कुछ नहीं कर पा रही थी। एकदम रोहांसी होकर बच्चों की तरह फूटकर रोने लगी। और राधे सर अचानक उसके यूँ रोने से चुप हो गए।

    सुमन सोचने लगी...आख़िर उसे क्या हो गया है? वह कभी भी घर से बाहर नहीं रोई थी, लेकिन राधे सर ने उसे लगभग बहुत ज़्यादा सताया था। सुमन का दिल फट सा गया था और आँखों से आँसू गाल पर बहने लगे।

    "अब ये कौन-सी अदा है तुम्हारी? झगड़ा करते हुए, गुस्सा करते हुए रोने लगी! मैं तो ऐसे कमज़ोर पड़ जाऊँगा। चलो शाबाश, रोना बंद करो।" राधे सर उसका बाल प्यार से सहलाकर बोले।

    राधे सर ने दिल में सोचा उसने बेचारी को कुछ ज़्यादा ही परेशान कर दिया। सुमन सिसककर रोने लगी थी और बार-बार यह कह रही थी, "आप नहीं जाएगा...उसके साथ मत जाएगा..." दिल नहीं चाहता था राधे सर किसी और के साथ जाकर घूमे-फिरे, टाइम स्पेंड करें।

    "ठीक है सिम्मी, नहीं जाऊँगा। तुम तो सच में रोने लगी। मैं तो मज़ाक कर रहा था। तुम तो इमोशनल ही हो गईं।" राधे सर ठंडी साँस भरकर बोले।

    राधे सर ने उसका चेहरा साफ़ किया, लेकिन वह बच्चों की तरह रोये जा रही थी। राधे सर ने एकदम अपने जलते होंठ उसकी आँखों में रख उसकी आँखों का नमकीन पानी पीने लगे।

    "अच्छा सॉरी, अब कभी नहीं रुलाऊँगा।" राधे सर ने प्यार से कहा।

    "मुझे कुछ नहीं सुनना! मुझे नहीं मतलब अब आप किसी के साथ भी जायें। निकलिये मेरे कमरे से और आइन्दा मुझे अपना चेहरा मत दिखाइएगा।" सुमन अब सच में बहुत ज़्यादा नाराज़ हो गई थी।

    "हाँ ठीक है, जा रहा हूँ। तुम रोना बंद करो। कहती हो कोई मतलब नहीं है...लेकिन तुम्हें बहुत ज़्यादा हर्ट होता है, इसका मतलब तुम भी मुझसे प्यार करती हो।" राधे सर कहाँ सुधरने वाले, उसे ज़ोर से गले लगाकर अपनी बाँहों में कस लिया। सुमन रूठे हुए बच्चे की तरह मुँह फुलाकर रही।

    To be continued...

  • 14. Stolen Kisses💋 - Chapter 14

    Words: 1255

    Estimated Reading Time: 8 min

    सुमन रोते-रोते बच्चों की तरह सुबकने लगी थी।

    "हाँ, ठीक है, जा रहा हूँ... तुम रोना बंद करो..."

    "कहती हो कोई मतलब नहीं है... लेकिन तुम्हें बहुत ज़्यादा हर्ट होता है, इसका मतलब तुम भी मुझसे प्यार करती हो..." राधे सर ने कहा और सुमन को ज़ोर से गले लगाकर अपनी बाँहों में कस लिया। सुमन रूठे हुए बच्चे की तरह मुँह फुलाकर रही।

    सुमन को अपना यूँ रोना और कमज़ोर पड़ना हरगिज अच्छा नहीं लग रहा था। लेकिन वह कहते हैं ना, दिल और जज़्बात पर किसका ज़ोर चलता है?

    "ऐसी कोई भी बात नहीं... बस वह अलयाना मुझे थोड़ी अच्छी नहीं लगती है... और अब से मैं कुछ नहीं बोलने वाली... जिसके साथ जाना है, जहाँ जाना है, जाए..." सुमन ने राधे सर के बाज़ू का बंधन तोड़कर खुद को अलग किया, आँसू पोछकर नॉर्मल होने लगी।

    "कोई बात नहीं... लेकिन वह कहते हैं ना, इश्क़ और मुश्किल छुपाये नहीं छुपते..." राधे सर दाँत निकालकर हँसने लगे।

    "ऐसी कोई बात नहीं... मैं हार गई आपसे... आप बहुत बड़े बकबकया टाइप इंसान हैं... मेरा दिमाग़ खराब कर दिया है... कब मैं रोने लग जाती हूँ, कब मैं हँसने लग जाती हूँ... मुझे अब खुद नहीं पता चलता..." सुमन ने ठंडी साँस ले कर बोला और बेड के हार्डबोर्ड से सर टिकाकर बैठ गई।

    "फालतू बकवास तो तुम कर रही हो... इतनी बड़ी ज़िद्दी लड़की हो... अपने दिल पर हाथ रखकर एहसास करो कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो..." राधे सर उसके ढीठपन पर हैरान रह गए।

    सुमन कुछ नहीं बोली और फ्रस्ट्रेशन से आँखें बंद कर लेट गई। राधे सर थोड़ी देर बाद कमरे से चले गए और सुमन ने सोचा वह बहुत बुरी तरह फँस गई है। राधे सर धीरे-धीरे उसके दिलो-दिमाग़ में हावी होते जा रहे थे। वह उनके कंट्रोल में आती जा रही थी। वह चाहकर भी अपने दिल की धड़कनों से दूर नहीं भाग सकती थी। दिल बुरी तरह अब राधे सर को देख धड़कने लगता था, लेकिन सर बहुत ज़्यादा उसे परेशान कर रहे थे।

    मोहब्बत का कैद बहुत ख़तरनाक होता है, उम्र भर की सज़ा मिलती है और प्यार की हथकड़ी पहनकर इंसान किसी के दिल में कैद हो जाता है।

    जब सुमन की आँख खुली तो उसे ज़ोर का झटका लगा। वह अच्छे से बेडकवर से ढकी हुई थी और उसका चश्मा भी साइड टेबल पर रखा हुआ था। यह ज़रूर राधे सर ने किया होगा। सुमन सोचकर उठी और शाम हो चुकी थी। सुमन उठी और बाहर जाकर टहलने का इरादा ही बना रही थी, तभी राधे सर कमरे में आ गए।

    "आप फिर आ गए..." सुमन मुँह बनाकर बोली।

    "हाँ... सिम्मी... यह देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ..." राधे सर ने कहा और अपने पीछे किए हाथ सामने किए तो सुमन खुशी से उछल पड़ी।

    "यह खरगोश... यह कहाँ मिला आपको...?" सुमन खुशी से छोटे से खरगोश के बच्चे को प्यार से हाथ में लेती हुई बोली।

    "यह मैनेजर का है... उनसे कुछ देर के लिए भाड़े पर माँग लाया हूँ... जानता था तुम नाराज़ होगी इसलिए तुम्हें मनाने के लिए इन्हें भी साथ ले आया..." राधे सर प्यार से सुमन को देखकर बोले।

    सुमन बेड पर बैठी खरगोश को गोद में लिए उसके सर पर प्यार से हाथ फेरने लगी।

    "मुझे खरगोश बहुत पसंद है... लेकिन अम्मा को डर लगता है इसलिए भाई ने मुझे खरगोश नहीं दिलाया था। लेकिन मेरे पास मेरी नैना है... वह एक इटैलियन कैट है... बहुत प्यारी है..." सुमन खरगोश को चूमते हुए बोली।

    "अच्छी बात है... मेरी मम्मी को कोई भी जानवर घर में बर्दाश्त तक नहीं करती है... अगर कभी कह दूँ कि मम्मी मैं एक बुलडॉग खरीद लूँ तो कहती है... उसकी क्या ज़रूरत है? तू क्या किसी जानवर से कम है...?" राधे सर उदास होकर बोले।

    "सही कहती है आपकी मम्मी..." सुमन धीरे से बोली, जिस पर राधे सर कंधे उचकाकर बोले,

    "मैंने सब सुन लिया है..."

    "तो क्या हो गया... आप सीरियस मत हुआ कीजिये... कभी इतने सीरियस हो जाते हैं कि मुझे डर लगने लगता है, और कभी मुझे पागल बना देते हैं..." सुमन खरगोश को ज़ोरदार तरीके से अपने गाल से सहलाने लगी।

    "हो गया, दो खरगोश के बच्चे को... कुछ ज़्यादा ही तुमसे प्यार जता रहा है..." राधे सर जलकर बोले।

    "यह है ही इतना ज़्यादा क्यूट..." सुमन प्यार से उसे सीने से लगाकर बोली।

    "कभी इतना प्यार मुझ पर भी निछावर कर दिया करो..." राधे ने कहा और सुमन ने खरगोश के बालों में हाथ फेरकर राधे सर को वापस कर दिया।

    राधे सर खरगोश को सोफे पर साइड पर रख सुमन के चेहरे पर झुके और प्यार से बोले, "मुझे भी छोटा सा खरगोश समझकर प्यार कर लो... मैं भी खुश हो जाऊँगा।"

    सुमन एकदम मुँह पर हाथ रख हँस दी।

    "आप भी ना..." सुमन एकदम लज्जा कर बोली और उनका चेहरा खुद से दूर करने लगी। लेकिन राधे सर उसकी प्यारी सी, भोली सी सूरत पर जान निसार कर गए और उसके माथे पर लब रख चुम्बन कर गए।

    राधे सर खरगोश लेकर चले गए।

    सुमन अपने कमरे से निकली और अरुण के रूम में चली गई।

    "अरुण... कैसे हो... मेरा ग्लासेस ला दिए तुम...?" सुमन ने जाते ही काम की बात की।

    "अरे, नहीं मिल पाया... कोई बात नहीं, बस थोड़ा और वेट कर लो..." अरुण सोफे पर बैठा मोबाइल चला रहा था।

    "ओके... कोई बात नहीं... फिर मैं चलती हूँ..." सुमन बोलकर जाने लगी, तभी अचानक से लाइट्स ब्लास्ट हुए तो सुमन ज़मीन पर गिर गई।

    "सुमन... यह कैसे हो गया... यह लाइट्स कैसे ब्लास्ट हो गए...?" अरुण को कुछ समझ नहीं आ रहा था।

    अरुण ने सहारा देकर सुमन को उठाया। के तभी एक और बल्ब फ्यूज़ हो गया और ज़ोरदार धमाके की आवाज़ आई।

    अरुण ने सुमन को अपने पीछे कर लिया ताकि उसे कोई नुकसान ना पहुँचे।

    "अचानक हाई वोल्टेज की वजह से अक्सर ऐसा होता है..." सुमन ने कहा और अरुण उसे बेड पर बैठाता हुआ पानी का गिलास उसकी तरफ़ बढ़ाने लगा। तभी तीसरा फ्यूज़ भी ब्लास्ट हुआ तो अरुण भी अचानक बेड साइड बल्ब ब्लास्ट होने की वजह से सुमन का बचाव करते हुए उसके ऊपर गिर गया।

    सारे लोग ब्लास्ट की आवाज़ सुनकर दौड़ते हुए रूम में आए, क्योंकि सुमन और अरुण की चीखें सुनाई दी थीं।

    राधे और सात्विक भी दोनों साथ आए थे।

    अरुण को थोड़ी चोट लगी थी। अरुण ने उसका हाथ पकड़कर मुश्किल से उठाया, सुमन भी डर गई थी। सारे लोग भी दौड़ते हुए आ गए थे और दोनों को देखने लगे, कहीं किसी को ज़्यादा चोट तो नहीं लगी थी।

    सात्विक ने जब यह सब देखा तो एकदम उसे लगा सुमन अच्छी लड़की नहीं है, क्योंकि जब सब लोग आए थे तो सुमन एकदम अरुण के बाँहों में गिरी हुई थी।

    "अरुण....." सुप्रिया ने अरुण को कसकर गले लगा लिया।

    "शुक्रिया अरुण, अगर आज तुम ना होते तो पता नहीं मेरा क्या होता... तुम्हारा बहुत शुक्रिया, तुमने अपनी जान खतरे में डालकर मुझे बचाया..." एकदम सुमन की आँख भर आई।

    सात्विक वहाँ रुका नहीं और अपने कमरे में चला गया। उसे लगा सुमन भी बाकी लड़कियों के जैसी ही, मासूम और अच्छी बनकर सबको अपनी तरफ़ खींचती है। सात्विक को एकदम उससे नफ़रत सी महसूस हुई।

    राधे सर भी सब स्टूडेंट्स को नॉर्मल करने लगे और होटल के मैनेजर से बहस करने लगे, अगर उनके स्टूडेंट्स को कुछ हो जाता तो... लेकिन उन लोगों की भी कोई गलती नहीं थी, अचानक ज़्यादा वोल्टेज ज़्यादा बढ़ने की वजह से बल्ब फ्यूज़ हो गया था।

    डॉक्टर को बुलाया गया था और सुमन छोटे-छोटे क़दम उठाती अपने कमरे में आ गई। आज जो अचानक हुआ उससे वह बहुत ज़्यादा सदमे में थी। उसकी वजह से अरुण को चोट आई थी।

    राधे सर बहुत परेशान थे और अरुण की तारीफ़ कर उसे हिम्मत देकर सुमन के बारे में सोचने लगे, अगर उसे कुछ हो जाता तो...

    👀👀👀👀👀👀

    To be continued....

  • 15. Stolen Kisses💋 - Chapter 15

    Words: 899

    Estimated Reading Time: 6 min

    शिमला से सब लोगों की वापसी होनी थी इसलिए सुमन, अलयाना और राधे सर के साथ बाजार निकली। घर के लिए अम्मा, पापा और शौर्य भाई के कुछ शिमला से गिफ्ट्स लेने थे। वह शिमला आई थी, तब से बाहर तक नहीं निकली थी और ना ही अपने लिए कुछ खरीदा था। अलयाना दोनों को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी इसलिए साथ-साथ चली आई। लेकिन रास्ते में भी राधे सर ने सुमन का हाथ नहीं छोड़ा और अलयाना ने राधे सर का कंधा नहीं छोड़ा।

    जब सुमन ने अपने घरवालों के लिए सामान ले लिए, तो वह एक दुकान से चूड़ियाँ लेने लगी।

    राधे सर उसके करीब ही मंडरा रहे थे।

    "लाल चूड़ियाँ दिखाना...", राधे सर ने कहा। तो अलयाना ने अपनी नौटंकी जारी रखते हुए कहा,

    "लेकिन सर, हमारी सुमन को तो हरा रंग पसंद है..."

    "मैं उसके लिए नहीं...अपनी बीवी के लिए ले रहा हूँ...", राधे सर अलयाना की तरफ देखकर आँख मारकर बोले।

    सुमन का बस चलता, वह दोनों का गला ही दबा देती। उन्होंने उसे हर जगह, हर दुकानदार के सामने ज़लील और बेइज़्ज़त किया था। उनके ड्रामे खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

    "भाई, गुलाबी रंग की चूड़ियाँ भी दिखाना...मेरी अम्मा को यह रंग बहुत पसंद है...", सुमन ने कहा और चार दर्जन हरी और गुलाबी चूड़ियाँ खरीदकर वह बनारसी साड़ी की दुकान में आई जहाँ राधे सर ने भी अपनी मम्मी के लिए सूती की सिंपल सी साड़ी ली।

    सुमन ने रेफल साड़ी ली और वापस चलने लगी, लेकिन अलयाना को सुकून नहीं था। अलयाना ने राधे सर के कान में कुछ कहा और राधे सर के चेहरे पर ईविल स्माइल आ गई।

    जब वे रिज़र्व कॉर्नर में आकर बैठे, तो राधे सर ने एक बहुत ही खतरनाक सा गाना लगा दिया जिस पर अलयाना खूब एन्जॉय करने लगी, लेकिन सुमन का खून खोलने लगा। उसका बस चलता, वह दोनों को उठाकर गाड़ी से बाहर फेंक देती।

    "जहर है के प्यार है तेरा चुम्मा....", 😘😘

    "यह कितना वाहियात गाना है...", सुमन ने दिल में सोचा और खुद को कण्ट्रोल कर लिया।

    सुमन ने चुपचाप वापसी की और होटल पहुँचकर अपनी पैकिंग शुरू कर दी क्योंकि वैसे भी अब रात को उनकी वापसी थी।

    रात में जब सुमन पैकिंग कर रही थी, तभी राधे सर आए और आराम से कमरे में बैठ गए।

    "मैं यह शिमला का यादगार सुहाना सफ़र कभी नहीं भूलूँगा...क्योंकि इस में तुम्हारा मीठा-खट्टा साथ था...लेकिन सुमन, मैं चाहता हूँ हमारा साथ हमेशा बना रहे...", राधे सर ने संजीदगी से कहा।

    "सॉरी सर...लेकिन यह सफ़र मैं भी नहीं भूल पाऊँगी। आपने मेरे साथ जो भी किया है ना, वह बहुत गलत किया है...और मेरे लिए अपने दिल में गलत जज़्बात और एहसास बैठा लिए हैं...मैं पढ़ने-लिखने वाली लड़की हूँ, इन सब चीज़ों से बचपन से ही दूर रहती हूँ...प्यार-मोहब्बत अच्छी है, मगर मैं अभी बच्ची हूँ...और वैसे भी मुझे अपना फ़ोकस अभी सिर्फ़ पढ़ाई पर रखना है...", सुमन ने सीधे-सीधे जवाब दे दिया।

    "और तुम्हें लगता है मैं तुम्हारा माइंड डिस्ट्रैक्ट कर रहा हूँ...और क्या करना है तुम्हें इतना पढ़कर...तुम्हारे बारे में सब जानता हूँ मैं...तुम्हारे घरवाले सिर्फ़ तुम्हें ग्रेजुएशन करने ही इजाज़त दे सकते हैं...ग्रेजुएशन के बाद तो तुम्हारी शादी होगी...और तुम्हें इतना अच्छा, वेल एडुकेटेड, हैंडसम एंड स्मार्ट...और प्लस सेक्सी फ़िगर रखने वाला लड़का कहाँ मिलेगा...मुझसे शादी करोगी तो फ़ायदे में रहोगी...हमारा घर बच्चों से भरा रहेगा और तुम्हारी मेरी मम्मी नानी-दादी भी बन जाएँगी...", राधे सर ने लंबा सा एक्सप्लेनेशन दिया जिस पर आँखें छोटी कर सुमन ने राधे सर को देखा।

    "सीरियसली...आप में शर्म नाम की फ़ीचर नहीं है...", सुमन ने सपाट लहजे में कहा।

    "मतलब कोई कैसे इतनी फ़ालतू बकवास कर सकता है...मुझे तो यकीन नहीं आता, मैं आपको क्या समझती थी और आप क्या निकले...शिमला आने से पहले मैं आपको एक डिसेंट टाइप इंसान समझती थी, लेकिन आप बिल्कुल बेशर्म और ठरकी हैं...और फ़्लर्ट भी अच्छा कर लेते हैं...आप टीचर क्यों हैं? आपको तो प्लेबॉय होना चाहिए...", सुमन झंझलाकर बोली।

    "तब और क्या करूँ...आई हैव आल्सो सेल्फ रेस्पेक्ट, मगर तुम्हारे सामने यह सब करना अच्छा लगता है...देखो हमारी ज़िंदगी में एक इंसान ज़रूर होता है जिसके सामने हम एकदम फ़्री होकर बात करते हैं, खुलकर बात करते हैं...", राधे सर ने कुछ सोचते-समझते हुए कहा।

    सुमन भी कुछ सोचने लगी, फिर मुस्कुराकर बोली,

    "मैं आपको एक मिनट भी बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ...तो आपकी मम्मी आपको कैसे बर्दाश्त करती होंगी...?"

    फिर अचानक ही सुमन हँस दी क्योंकि उसे अपनी मम्मी की याद आ गई थी जो रात-दिन उसे ससुराल के ताने दिया करती थी और हर छोटी-बड़ी बात पर डाँटती थी।

    "देखो सुमन...तुम मानो या ना मानो, लेकिन दिल से तुम मेरी ही हो...चाहे तुम्हें यह बात अब एहसास हो या 10 साल बाद तुम्हारे 5, 6 बच्चों के साथ एहसास हो...लेकिन तुम दिलो-जान से मेरी हो...", राधे सर ने उसकी तरफ़ क़दम बढ़ाए तो सुमन साइड हो गई।

    "यह सब क्या है...? छोड़ो मुझे...क्या कर रहे हैं...? छोड़ो...यह बात-बात पर रोमांटिक होना अच्छी बात नहीं है...", सुमन एकदम अपनी कलाई को ज़ोर से छुड़वाते हुए बोली जो राधे सर ने पकड़ रखी थी।

    राधे सर ने एक ज़ोरदार किस उसके गालों में दी और उसके हाथ को अपने हाथ में पकड़े ज़ोर से दबा दिया।

    "बहुत बड़े वाले शैतान हैं आप...मेरा हाथ इतनी ज़ोर से क्यों दबा दिया...?", सुमन ने हाथ ज़ोर से झटककर कहा।

    राधे सर मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चले गए।


    To be continued...

  • 16. Stolen Kisses💋 - Chapter 16

    Words: 980

    Estimated Reading Time: 6 min

    सुमन और उसका ट्रिप शिमला से वापस आ गया था।

    सुमन का नार्मल कॉलेज शुरू हो गया था और एक महीने बाद एग्जाम थे। वह पढ़ाई में बिजी हो गई थी। सुमन एक बहुत ही हुनहार स्टूडेंट थी जो पढ़ाई-लिखाई में कोई कोम्प्रोमाईज़ नहीं करती थी। हर चीज एक तरफ़ रखकर, वह पूरी तरह से पढ़ाई पर केन्द्रित हो गई थी।

    सब स्टूडेंट्स की हालत टाइट हो रही थी। अचानक ही एग्जाम का बम सर पर आ गिरा था और वे सब पूरी तरह से टेंशन में पढ़ाई में लगे हुए थे।

    सुमन रोज़ लाइब्रेरी जाती और दो-तीन घंटे बड़ी मेहनत से पढ़ाई करती। घर पर भी वह किताबों में घुसी रहती थी।

    राधे सर को अब चिढ़ सी होने लगी थी। सुमन क्लास में और क्लास के बाद भी उनसे सिर्फ़ टॉपिक पर ही डिस्कशन किया करती थी। पढ़ाई के अलावा उन दोनों के दरमियान और कोई बात नहीं होती थी। सुमन खुद भी बहुत डेंजर टाइप सीरियस थी क्योंकि उसका फाइनल ईयर चल रहा था।

    सुमन और बाकी सब के कॉलेज में छुट्टी मिल गई थी। डायरेक्टली सबको अब एक बार ही रजिस्ट्रेशन और एडमिट कार्ड के लिए कॉलेज आना था।

    सारे टीचर्स अपने-अपने डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स को घर पर भी ट्यूशन देने लगे थे।

    लेकिन सुमन घर बैठकर ही पढ़ रही थी। वह खुद ही हर चीज मैनेज कर रही थी।


    राधे सर अब घर बैठे बोर हो रहे थे क्योंकि सुमन से तो रोज़ कॉलेज में मुलाक़ात हो जाती थी। अब कॉलेज छुट्टी पर थे, तो घर पर बैठे हुए मक्खी मारने के सिवा ज़्यादा कोई काम नहीं था। वह ग्रुप पर नोट्स सेंड कर देते थे या कोई स्टूडेंट घर आकर कोई टॉपिक समझ लेता था।

    राधे सर लाउंज में बैठे टीवी देख रहे थे। तभी उनकी मम्मी, शरला जी आईं और उनके सामने कॉफ़ी रखते हुए बोलीं,

    "इतना बड़ा बिज़नेस होने के बावजूद तुम्हें क्या ज़रूरत पड़ गई कॉलेज में पढ़ाने की? तेरा बाप तेरे लिए इतना बड़ा बिज़नेस और प्रॉपर्टी छोड़ गया है और तुझे वही नौकरी सूझी। क्या मिला टीचर बनकर? तेरा खुद का ऑफिस है। तू खुद इतना बड़ा मल्टीनेशनल कंपनी का मालिक है, फिर क्यों इस छोटे-मोटे प्राइवेट कॉलेज में जॉब कर रहा है? क्या लगा है उस कॉलेज में?"

    शरला जी गुस्से में थीं।

    "माँ, आपकी बहू मिल गई है। उस कॉलेज में बस मैं एक लड़की के लिए टीचर की नौकरी कर रहा हूँ, वरना आप खुद जानती हैं मैं किसी नवाब से कम नहीं हूँ।" राधे सीरियस लहजे में बोला और एक सिगरेट निकालकर लाइटर से जलाकर पीने लगा।

    "भाड़ में गया सब! और तू एक बार बस अपना नाम बता के राधे श्याम ट्रांसपोर्ट का एकलौता वारिस है। कोई भी लड़की हो, तेरे कदमों में आ गिर जाएगी। हमारे पास क्या कुछ नहीं है? टेक्सटाइल कंपनी, आयरन स्टील कंपनी और खुद का ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस है। जिस घर पर भी मैं हाथ रख दूँ, उस घर के लोग इनकार नहीं करेंगे।" शरला जी ने देखा राधे आराम से सिगरेट पी रहा है।

    "कम सिगरेट पिया कर। यह सेहत के लिए खराब है। तू एक चेन स्मोकर बनता जा रहा है।" शरला जी ने बड़बड़ाई से कहा।

    "पता है कितने दिन बाद सिगरेट पी रहा हूँ? जब से कॉलेज ज्वाइन किया है और शिमला में था, एक बार भी सिगरेट नहीं पिया। मैंने खुद को बहुत कण्ट्रोल में रखा। ना शराब पिया और ना ही सिगरेट। लेकिन किसी और चीज का नशा किया जो इस सिगरेट से भी ज़्यादा खराब है।" राधे एकदम बहकता हुआ बोला।

    "क्या? राधे, मेरा दिमाग़ मत खराब कर। तू बहुत बड़ा छुपा रुस्तम है। तू कब क्या करता है मुझे पता नहीं चलता है। तू सिगरेट, शराब पीता है मुझे पता था, लेकिन अब तू ने कौन सा नशा करना शुरू कर दिया? तेरा कोई भरोसा नहीं है।" शरला जी को टेंशन होने लगी।

    "उफ़्फ़! अब ऐसा भी कुछ नहीं करता मैं जितना आप शक करती हैं। मोहब्बत भी एक नशा होता है, लेकिन नहीं, आपको लगता है मैं सब से बिगड़ा हुआ लड़का हूँ।" राधे भड़क कर बोला।

    "तू ज़्यादा शरीफ़ मत बन। तेरे कारनामे मुझे सब पता हैं। तेरे दिमाग़ में बहुत बड़ा खोराफाती है।" शरला जी उसे कहाँ चैन से रहने देतीं।

    "अच्छा सुन ना। तुझे यह अलयाना कैसी लगती है? बहुत अच्छे घर की लड़की है और ऊपर से काफ़ी सुन्दर भी है और तेरी स्टूडेंट भी है। तू उसे अच्छे से जानता भी होगा।" शरला जी ने कहा।

    "अलयाना बहुत अच्छी है... लेकिन मेरे टाइप की नहीं है। माँ, मुझे बहुत ही अलग टाइप की लड़की पसंद है जो आराम से हाथ ना आए और मेरी फुल बेइज़्ज़ती करे। जो मेरे कण्ट्रोल में ना आए और मुझसे खुलकर झगड़ा करे। जो मुझे तुम्हारी तरफ़ चाहे, लेकिन ऊपर से मुझे ज़लील करे। जो थोड़ी अलग टाइप हो और बहुत प्यारी और मासूम हो।" राधे ने हँसकर कहा।

    "तू बस देखता जा, मैं तेरी शादी कुत्ते से ही करवाऊँगी। हर लड़का अच्छी मिजाज़ की लड़की चाहता है, लेकिन एक है मेरा पागल बेटा जो एक अपनी टाइप पगली से शादी करना चाहता है।" शरला जी को लगा उसका बेटा पूरा पागल हो गया है।

    "माँ, अब किसी की ज़रूरत नहीं है बेटा। लड़की जब तुमने खुद पसंद कर ली है, तो मुझे क्या ज़रूरत है बताने की? मैं ही चली जाऊँगी कहीं दूर, घर छोड़ दूँगी मैं।" शरला जी मुँह में हाथ रखकर रोने की एक्टिंग करने लगीं।

    "मम्मी, क्यों ऐसी बातें करती हो? तुम खुद तो कहती हो शादी कर ले, शादी कर ले और जब मैंने तुम्हें दादी बनाने का प्लान कर लिया है, तो तुम पीछे क्यों हट रही हो?" राधे सिगरेट को ऐशट्रे में मसलता हुआ बोला और इंटरकॉम पर अपने सर्वेंट को किचन से कॉल मिलाई और अपनी माँ, शरला जी के लिए जूस लाने के लिए कहा।

    थोड़ी देर बाद एक सर्वेंट, जो व्हाइट टी-शर्ट और ब्लैक पैंट पहने हुए था, शरला जी के सामने जूस रखकर झुककर वहाँ से चला गया।

    राधे के घर पर पूरी नौकरों की फ़ौज थी जो हर वक़्त काम में लगे रहते थे। राधे का घर बहुत ही बड़ा बंगला था जहाँ सिर्फ़ वह और उसकी मम्मी, शरला जी रहती थीं।

  • 17. Stolen Kisses💋 - Chapter 17

    Words: 1971

    Estimated Reading Time: 12 min

    सुमन घर पर बैठी पढ़ रही थी। उसकी माँ दिव्या जी उसके सिर पर खड़ी चीख रही थीं।

    "छह घंटे से पढ़ रही हो...पागल हो जाओगी..."

    "अम्मा, आप क्यों उस मासूम के पीछे पड़ी हैं? अच्छा है ना पढ़ रही है।" शौर्य गुस्सा करके बोला।

    "अरे...पढ़-लिख कर कोई फायदा नहीं होने वाला। और हाँ, इस साल इसका आखिरी सेमेस्टर है। एग्ज़ाम के खत्म होते ही मैं कोई अच्छा लड़का ढूंढ कर इसकी शादी करवा दूंगी। दिन-रात पढ़ती रहती है। अगर फ़र्स्ट ना आई तो इसकी शादी पक्की कर दूंगी।" दिव्या जी ने साफ़-साफ़ कह दिया।

    "इम्पॉसिबल अम्मा! मैं और फ़र्स्ट ना आऊँ? हर साल की तरह इस साल भी मैं टॉप करूंगी। देख लेना आप।" सुमन गर्व से सिर ऊँचा करके बोली।

    "हाँ...दिव्या, देख लेना मेरी हुनहार बेटी इस बार भी पूरे क्लास में फ़र्स्ट रैंक लाएगी।" सोमिक जी प्यार से उसका माथा चूमकर बोले।

    "ठीक है...लेकिन अगर यह सेकंड आई या थर्ड आई तो मैं इसकी मौसी को बोलकर एक अच्छा सा रिश्ता ढूँढ इसकी शादी करवा दूंगी। लेकिन...लेकिन इसकी शादी कैसे करवा दूँ? सिम्मी को तो घर का एक भी काम करने नहीं आता है।" दिव्या जी अफ़सोस से बोलीं।

    "अम्मा, प्लीज़! मुझे सब आता है। मुझे पानी उबालना आता है और मैं मैगी भी बना लेती हूँ और खिचड़ी भी आती है।" सुमन खुश होकर बोली।

    "उफ़्फ़! कौन-सी निकम्मी औलाद है मेरी? कामचोर, सुस्ती और झगड़ालू...शौर्य ने इसे अपने जैसे बना दिया है।" दिव्या जी शौर्य को घूरती हुई बोलीं।

    "अम्मा, आप फिर मुझे कोसने लगीं।" शौर्य मुँह बनाकर बोला।

    "हाँ, क्योंकि सिम्मी को तू ने ही बिगाड़ा है...और तेरे बाप ने। तुम दोनों ने इसे हर बात पर खूब सराहा और इसे शाबाशी दी। अगर यह मोहल्ले के बच्चों से लड़कर आती थी तो तुम जाकर मार-पीट करते थे और तुम्हारे पापा तुम दोनों को सपोर्ट करते थे। उफ़्फ़! भगवान, ऐसी नालायक औलाद मुझे ही क्यों दिया अपने?" दिव्या जी सुमन के आगे वाले कल का सोचकर परेशान हो गईं।

    सुमन और शौर्य ने दिव्या जी को चोर नज़र से देखा जो सर पर हाथ रखे बैठी थीं।

    "अम्मा, तुम...मेरा मतलब है आप परेशान मत हो। मैं अब आज से किचन में आपकी मदद करूंगी।" सुमन ने जबरदस्ती मुस्कुराकर कहा।

    "और मैं...किसी से लड़ाई नहीं करूँगा।" शौर्य भी झट से मक्खन लगाने लगा।

    "रहने दो तुम लोग। जब तुम्हारे बच्चे होंगे और वे तुम्हारे साथ ऐसा करेंगे ना, तब तुम्हें मेरा दर्द, दुख, चिंता और फ़िक्र समझ आएगी।" दिव्या जी ने मुस्कुराकर कहा।

    "अम्मा, मैं एक काम करूंगी। मैं अपने बच्चे अच्छे से ट्रेनिंग और अच्छे संस्कार और पालन-पोषण के लिए आपके पास छोड़ दूंगी। आखिर आप नानी हैं।" सुमन दाँत निकालकर हँसने लगी।

    "हाँ...हाँ, क्यों नहीं? तुझे अब तक संभालती आ रही हूँ और जब बूढ़ी हो जाऊंगी तो तेरे बच्चों को संभालूंगी। अरे, शर्म नहीं है तुझे? तू माँ होगी तो तुझे ही अपने बच्चे संभालने पड़ेंगे। कोई बात नहीं...एक उम्र आएगा जब तू सब समझने लगेगी और तेरा बचपन खत्म हो जाएगा। तुझे अभी मेरी कोई बात समझ नहीं आएगी।" दिव्या जी उदासी से बोलीं।

    "नहीं अम्मा...हम सब समझते हैं।" शौर्य माँ का हाथ प्यार से चूमकर बोला।

    दिव्या जी ने दोनों को कसकर सीने से लगा लिया।


    दूसरे दिन सुमन किचन में कुकर में दाल चढ़ाकर आराम से अपने कमरे में आकर बैठ गई और पढ़ाई करने लगी। दो-तीन घंटे हो गए, लेकिन उसे कोई खबर नहीं थी कि किचन में बम ब्लास्ट होने वाली थी।

    अचानक थोड़ी देर बाद कुकर जोर से छत से जा लगा और फट गया। अच्छा हुआ उस वक्त किचन में कोई नहीं था, लेकिन ब्लास्ट की आवाज सब के कानों में गई। जब सब किचन आए तो जो हालत किचन और फटे हुए कुकर का देखा तो सुमन अच्छी खासी सुनने को मिली।

    "एक काम ढंग से नहीं करना आता। पता नहीं कौन वह बदनसीब होगा जो तुझसे शादी करेगा। कोई शहज़ादा तो बेवकूफ़ हो नहीं सकता। फिर ज़रूर तुझसे कोई पागल ही शादी करेगा जो जान-बूझकर आग में कूदेगा और तुझ जैसी आफ़त को संभालेगा।" दिव्या जी फट पड़ीं।

    "अरे, उसे कोई क्यों कुछ कह रही हो? मेरी बेटी से तुम्हें काम करवाने की ज़रूरत ही क्या थी? और हर वक्त जो तुम उसे ससुराल के ताने देती रहती हो तो तुम खुद अपनी हालत याद करो। जब तुम इस घर में ब्याह कर आई थी तो तुम्हें एक काम भी करने नहीं आता था। धीरे-धीरे तुम सब सीख गईं ना? मेरी बच्ची भी वक्त के साथ सब काम करना सीख जाएगी। और हाँ, इसे शहज़ादा नहीं, राजकुमार मिलेगा, राजकुमार जो इसे हथेली में रखेगा।" सोमिक जी बीच में आकर बोलने लगे।

    "आइंदा तुम्हें किचन आने की ज़रूरत नहीं है। अगर मेरी जान को कुछ हो जाता तो...जाओ, तुम आराम करो।" सोमिक जी उसे गले लगाकर प्यार से कंधे पर थपकी देते हुए बोले।

    सुमन बिल्ली की तरह दबे पाँव वहाँ से निकल गई क्योंकि जानती थी अम्मा-पापा का झगड़ा होने वाला है।

    सुमन ने कमरे में जाकर ठंडा साँस लिया। सुमन ने सोचा सच में उसकी अम्मा सही कहती है, उससे एक काम भी ठीक ढंग से नहीं होता है। कुकर फट गया था और साथ में आज उसकी अम्मा का गुस्सा भी फट पड़ा था।

    दिव्या जी चाहती थीं कि वह घर के सब काम सीख ले ताकि कल को उसके ससुराल से कोई भी शिकायत ना सुनने को मिले कि उन्होंने अपनी बेटी को कुछ सिखाया नहीं है।

    सुमन ने सोचा, सब चूल्हे में जले उसे क्या? उसे तो सिर्फ़ पढ़ने से मतलब है क्योंकि अगर इस बार सच में वह फ़र्स्ट ना आई तो उसकी अम्मा उसकी शादी करवाकर ही दम लेगी।


    सुमन ने अलयाना को फ़ोन कर राधे सर का एड्रेस माँगा क्योंकि उसे कुछ टॉपिक समझ नहीं आ रहे थे और कुछ प्रॉब्लम भी सॉल्व करने थे। दिमाग़ में बहुत से सवाल चल रहे थे जो क्लियर करने थे।

    और सुमन को कहीं रेस्टोरेंट या होटल, कैफ़े में मिलना अच्छा नहीं लगता था, इसलिए वह सीधा घर पर पहुँचकर डिस्कशन करना चाहती थी।

    सुमन ने अलयाना को भी साथ चलने को फ़ोर्स किया। पहले वह कुछ ड्रामा करने लगी, फिर राज़ी हो गई।

    सुमन घर से बताकर आई थी कि वह अपने सर के पास जा रही है। किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं था क्योंकि पढ़ाई के मामले में सब बहुत ज़्यादा फ़्री-माइंडेड थे।

    सुमन को अकेले जाने में अच्छा नहीं लगता था, इसलिए ड्रामा क्वीन, द वन एंड ओनली अलयाना अग्निहोत्री को साथ मजबूरी में ले जाना पड़ा।

    अलयाना उसे अपनी मर्सिडीज़ में ले गई थी। रास्ते भर अलयाना सुमन का दिमाग़ खाती रही। लेकिन सुमन ने बर्दाश्त किया और सब्र का घूँट पीकर रह गई।

    "सर से क्यों मिलना चाहती हो?"
    "बहुत अच्छी लग रही हो। इतना सज-धजकर मिलने जा रही हो।"
    "राधे सर और तुम्हारा कोई पहले से चक्कर चल रहा है क्या?"

    "अगर कुछ है तो मुझे बता दो। मैं तुम्हारी हेल्प करूँगी और सेटिंग करवा दूँगी।" अलयाना ने उसे कोहनी मारकर कहा।

    "बस...तुम अपना मुँह बंद रखो...और मुझे कुछ नहीं चाहिए।" सुमन ने उसके आगे हाथ जोड़कर कहा।

    "मैं तुम्हारे साथ कभी नहीं आती...लेकिन मेरी मजबूरी है। सुप्रिया की तबियत ठीक नहीं है और तुम्हें राधे सर का घर भी मालूम है और तुम अच्छे से जानती भी हो...इसलिए मुझे तुम्हारे साथ आना पड़ा, वरना मैं मरकर भी तुम्हारी हेल्प नहीं लेती।" सुमन खरी-खोटी सुनाने लगी।

    अलयाना को कोई भी फ़र्क़ नहीं पड़ा और वह उसे अपने कार में ठीक राधे सर के बंगले के पास ले आई।

    "चलो उतरों...हम पहुँच गए हैं।" अलयाना बाहर गेट पर उतरने लगी।

    "क्या...? तुम कहीं किसी और के घर तो नहीं ले आई मुझे? यह इतनी बड़ी आलीशान महल-नुमा घर में राधे सर रहते हैं?" सुमन ने चश्मा आँखों पर सही कर के गौर से सफ़ेद पत्थरों से मॉडर्न डिज़ाइन बंगले को देखा जिसके चारों तरफ़ हरियाली, बड़े-बड़े पेड़ और दरख़्त लगे थे।

    "अरे नहीं! अपने राधे सर बहुत ज़्यादा अमीर हैं...बिल्कुल हमारी तरह...तुम्हें देखकर झटका लगा है...मैं समझ सकती हूँ क्योंकि तुम एक छोटे से कोटेज जैसे प्यारे से घर में रहती हो...लेकिन अपने राधे सर किसी सेलेब्रिटी से कम नहीं हैं...बहुत ही आलीशान तरीके से रहते हैं। तुम डरो नहीं, यहीं उतर जाओ, यह गार्ड्स और सर्वेंट्स मुझे पहचानते हैं और राधे सर की मम्मी से मेरी काफ़ी अच्छी दोस्ती है। तुम नीचे उतरों, मेरा मुँह देखना बंद करो, तुम्हें कोई मारकर भगा नहीं देगा...जल्दी से नीचे उतरों।" अलयाना अपना बैग लेकर आराम से नीचे उतर गई।

    सुमन को शॉक लगा था कि राधे सर इतने बड़े बंगले में रहते हैं, लेकिन हरकतें उनकी मोहल्ले के लुच्चों-लफंगों जैसी थीं।

    सुमन चुपचाप नीचे उतर गई और अलयाना के पीछे-पीछे वह बहुत बड़े गार्डन और फिर लॉन से गुज़रकर गेट तक पहुँची और एक सर्वेंट की मदद से वह दोनों अंदर लाउंज एरिया में जा बैठीं। सुमन को तो पसीने छूट गए थे। फ़ुल एसी में उसे भी पसीने छूटने लगे थे।

    थोड़ी देर बाद शर्ला जी नीचे आईं और अलयाना को देख बहुत खुश हुईं।

    "अरे बेटा, तुम कब आईं? बहुत प्यारी लग रही हो...आराम से बैठो और बोलो क्या पिओगी, चाय या कॉफ़ी?" शर्ला जी ने अलयाना को गले लगाकर कहा।

    "जी, नमस्ते आंटी।" सुमन ने दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते किया।

    "नमस्ते बेटा।" शर्ला जी आँखें छोटी कर चश्मिश सी लड़की को देखा।

    "आंटी, यह सुमन है...सुमन चौधरी...यह भी स्टूडेंट है...मेरे क्लास में है...हमें कुछ टॉपिक क्लियर करना था तो इसलिए आज आई हैं...राधे सर घर पर हैं कि नहीं?" अलयाना ने कहा।

    "मैं उसे बुलाकर लाती हूँ।" शर्ला जी चली गईं।

    राधे आराम से सिगरेट होंठ में दबाए लैपटॉप में ज़रूरी ऑफ़िस का काम कर रहा था। तभी उसकी मम्मी कमरे में आई और कहा,

    "वह अलयाना और एक तेरी स्टूडेंट नीचे आई है...उन्हें कुछ प्रॉब्लम है...चैप्टर शायद समझना होगा...तुझे बुला रहे हैं...जाकर नीचे चेक कर ले।"

    "उफ़्फ़! अभी मैं बहुत इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग में बिज़ी हूँ। अलयाना को और बाक़ी सब को आप कल बुला लीजिएगा।" राधे सर जानते थे अलयाना को बस बहाना चाहिए...रोज़ मिलने आ जाती है।

    शर्ला जी ने फिर कुछ नहीं कहा और नीचे आकर उन दोनों से कह दिया राधे अपने कमरे में नहीं है, किसी काम से बाहर गया है। कल आने को कह दिया।

    "कोई बात नहीं...फिर हम चलते हैं।" सुमन ने सोचा जब राधे सर ही नहीं हैं तो फ़ालतू का रुककर क्या फ़ायदा?

    अलयाना अभी रुकना चाहती थी और भरपेट नाश्ता करना चाहती थी, लेकिन सुमन की वजह से वह भी वापस लाउंज एरिया से निकल गई।

    "उम्म्म...कोई काम नहीं हुआ और एग्ज़ाम को ज़्यादा टाइम नहीं है।" सुमन को बहुत ज़्यादा अफ़सोस हुआ क्योंकि उसका टाइम वेस्ट हुआ था।

    "तब चलो वापस चलकर राधे सर का इंतज़ार करते हैं और कुछ खा-पी भी लेंगे।" अलयाना ने मुड़कर कहा।

    "चुपचाप चलो...वरना मैं भूल जाऊँगी इस वक्त मैं बाहर हूँ और तुम्हारी पिटाई कर दूँगी।" सुमन को गुस्सा आ गया।

    उसी वक्त राधे अपना लैपटॉप बंद कर उठा और एक हाथ में सिगरेट लिए बालकनी में आया और मुँह से धुआँ छोड़ता हुआ नीचे लॉन में देखने लगा जहाँ अलयाना और सुमन हँसते हुए बाहर गेट की तरफ़ जा रही थीं।

    "ओह्ह्ह नो...सुमन भी आई थी और अब जा रही है...मैंने यह क्या कर दिया...कम से कम एक बार तो मैं मिल लेता उससे..." राधे ने देखा और उसने सोचा यह क्या उसने कर दिया।

    उसी वक्त सुमन की नज़र बालकनी पर खड़े बेगर शर्ट पहने राधे सर पर गई और फिर उसके हाथ में सिगरेट पर गई।

    "ये देखो अलयाना, तुम्हारे मासूम सर...गंजेड़ी है गंजेड़ी...आँखें कितनी लाल हो रही हैं...नशा भी करते होंगे।" सुमन ने घिन से कहा और अलयाना ने भी देखा तो वह भी हैरान रह गई।

    "सर घर पर थे तो शर्ला आंटी ने झूठ क्यों बोला? अब तो मुझे भी गुस्सा आने लगा है।" अलयाना भी तेज कदम बढ़ाकर बाहर निकल गई और दोनों जाकर मर्सिडीज़ में जा बैठीं।

    "मैं आइंदा कभी नहीं आऊँगी...मेरा ही दिमाग़ खराब था जो मैं आई...अजीब है सब..." सुमन ने बड़बड़ाकर कहा और अलयाना जो राधे सर के गुणगान और उनकी अच्छाई की माला जपती थी, उसे तो शॉक लगा था।

    🖤🖤🖤🖤🖤

    To be continued...

  • 18. Stolen Kisses💋 - Chapter 18

    Words: 1045

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुमन घर वापस आई तो उसका मूड पूरी तरह से खराब हो चुका था। ना कुछ पढ़ाई-लिखाई हुई थी और ना ही कुछ समझ आया था। जिस काम के लिए वह गई थी, वह हुआ ही नहीं था।

    राधे सर ने सुमन को बहुत कॉल और मैसेज किए, लेकिन सुमन ने उनका नंबर ब्लॉक कर दिया था। सुमन ने सोचा था, उसे अभी सिर्फ़ पढ़ाई पर ध्यान देना था। उसने सोचा, "खुद तो पढ़-लिखकर टीचर बन गए और अब मेरी ज़िन्दगी बर्बाद करने पर तुले हैं। और वैसे भी, अगर फ़र्स्ट रैंक नहीं आया तो उसका बैंड-बाजा बारात बज जाएगा।"

    सुमन की नज़र एकदम किताबों पर गड़ी रहती थी। दूसरी तरफ़, अलयाना को डर था कि अगर वह फ़ेल हो गई तो उसका भाई उसे जान से मार देगा और उसकी पसंद की शादी भी नहीं करवाएगा। अलयाना किसी को दिल ही दिल में बहुत पसंद करती थी। वह जानती थी कि वह शख्स भी उसे पसंद करता है, लेकिन ज़ुबान से इज़हार नहीं करता। अलयाना ने सोचा था कि अगर वह अच्छे से पास होगी तभी शादी होगी, वरना उसे फिर से उसी कॉलेज में पढ़ना पड़ेगा।

    अलयाना ने पूरे साल हंसी-मज़ाक़, खेल-कूद में गुज़ार दिया था और अब उसे ज़बरदस्त टेंशन हो रही थी।

    राधे सर ने अलयाना को भी कॉल किया, लेकिन अलयाना ने उनका भी मीटर घुमा दिया था।

    "अब क्यों कॉल कर रहे हैं आप मुझे? अपने घर बुलाकर मुझे बेइज़्ज़त करवा दिया। सुमन भी क्या सोचती होगी मेरे बारे में? उसे मैं अपने भरोसे लाई थी, और आपने झूठ कहा। आप घर पर नहीं थे, जबकि बालकनी में खड़े सिगरेट पी रहे थे!" अलयाना एकदम फट पड़ी। पहली बार वह सर से बदतमीज़ी से बात कर रही थी।

    "आलू... मेरी प्यारी लियाना, सुनो तो सही... आई एम सॉरी... बहुत बड़ी गलती हो गई... मुझे नहीं पता था सुमन भी तुम्हारे साथ होगी... प्लीज़... प्लीज़ बेबी मुझे माफ़ कर दो... तुम्हें जो भी समझ नहीं आ रहा है, तुम वह चैप्टर मुझसे पूछ सकती हो... अब तुम तो मेरी कितनी प्यारी और अच्छी स्टूडेंट हो... बस मेरा एक काम कर दो, एक आख़िरी बार सुमन को किसी भी तरह मेरे घर ले आओ... आई प्रॉमिस बेबी, तुम्हें जो भी चाहिए मैं तुम्हें दूंगा... एग्ज़ाम में हेल्प भी कर दूंगा।" राधे सर फ़ुल मखन लगाने लगे।

    "ठीक है... तब मुझे एम.सी.क्यू और शॉर्ट लॉन्ग क्वेश्चन बताइए जो एग्ज़ाम में आने वाले हैं... या तो आप मेरी मदद करिए या सुमन को भूल जाइए।" अलयाना भी दूध पीती बच्ची नहीं थी। झट से अपने मतलब पर पहुँच गई।

    "लेकिन यह तो चीटिंग होगी ना..." राधे सर गुस्से से बोले।

    "ठीक है, फिर खुद ही करिए अपनी सेटिंग... वह सुमन टेढ़ी खीर है... आपकी बात तो सुनने वाली नहीं है... और मैं तो सोच रही हूँ अपने भाई से उसका टाका भिड़ा दूँ। आप तो रहिए कुंवारे।" अलयाना ने भी तेज़ी से जवाब दिया।

    राधे सर की तो सर पर लगी और तलवों में बुझी।

    "ठीक है... मैं तुम्हें पेपर सेंड कर दूंगा... लेकिन तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी।" राधे सर ने कहा।

    "ओके... अब आप समझ लीजिए सुमन... सॉरी, सिम्मी हो गई आपकी... मुझसे बेहतरीन चाल कोई नहीं चल सकता है... ऐसी जाल बिछाऊँगी कि सुमन आपकी बाहों में आ गिरेंगी... शादी की डेट फ़िक्स कर लीजिये, क्योंकि सुमन हो गईं आपकी।" अलयाना ने गर्व से कहा।

    "ठीक है... लेकिन जो कहा है वह पहले कर दो... यानी उसे मेरे घर ले आना।" राधे सर ने कहा।

    अलयाना ने फ़ोन रख दिया और राधे सर ने सोचा, यह अलयाना तो उनकी सोच से भी ज़्यादा चालाक लोमड़ी निकली।

    सुमन फ़ुल टेंशन में पढ़ाई कर रही थी, तभी शौर्य भाई की आवाज़ पर वह कमरे से निकली, जहाँ शौर्य के साथ अलयाना भी खड़ी थी।

    "गुड़िया... तुम्हारी दोस्त तुमसे मिलने आई है।" शौर्य ने कहा।

    "ठीक है... आप जाइए और अपना काम कीजिए।" सुमन ने घूरकर देखा और अलयाना का हाथ पकड़कर अपने कमरे में ले गई।

    "तुम्हें चैन नहीं मिलता है? अरे एग्ज़ाम में सिर्फ़ 15 दिन रह गए हैं और तुम इतने आराम से घूम-फिर रही हो! पूरे साल कुछ नहीं पढ़ा और अब भी नहीं पढ़ रही हो! बेटा, फ़ेल हो जाओगी।" सुमन को अलयाना का कुछ समझ नहीं आया जो फ़ुल मेकअप और नए कपड़ों में उसके घर आई थी।

    "वह सब छोड़ो... मैं रोज़ रात को 7 घंटे पढ़ती हूँ और दिन में 4 घंटे... तुम अपना सोचो... खैर, तुम मेरे साथ चलो, हमें राधे सर के घर चलना है... तुम्हें कुछ चैप्टर समझना था तो चलो, आज वह घर पर हैं।" अलयाना ने उसे याद दिलाया।

    "अब चाहे कुछ भी हो जाए... मैं कहीं नहीं जाने वाली... और मुझे यह राधे सर अच्छे भी नहीं लगते, अजीब टाइप के हैं... पता नहीं खुद को क्या समझते हैं... घर पर रहकर हमें वापस जाने को कह दिया, बड़ा ही ऐटिट्यूड है... मैं भी गिरी पड़ी नहीं हूँ जो बार-बार किसी के घर पर मुँह उठाकर चली जाऊँ... और वैसे भी मुझे बहुत पढ़ने का है... एग्ज़ाम सर पर हैं और मुझे तुम्हारी तरह आदत नहीं है फ़ेल होने की।" सुमन झुंझलाकर बोली।

    "अरे नहीं यार... सर ने सॉरी करने के लिए बुलाया है और ऊपर से उस दिन सर की तबियत भी खराब थी... इसलिए हमें जाने को कह दिया... आज चलते हैं ना? देखो, तुम तो टॉपर हो, लेकिन मुझे बहुत कुछ सर से क्लियर करना है।" अलयाना ने नपे-तुले लहजे में कहा।

    "तबियत खराब थी इसलिए बालकनी में खड़े सिगरेट पी रहे थे? छी... और तुम क्यों उनकी साइड लेने लगी? सर ने तुम्हें घूस दिया है क्या?" सुमन ने हँसकर पूछा।

    "नहीं यार... पढ़ाई की सिर्फ़ तुम्हें टेंशन नहीं है, मुझे भी है... और प्लीज़ चलो... सर अच्छे से सारे पॉइंट समझा देंगे और सर पढ़ाते भी कितना अच्छा है ना।" अलयाना ने मुद्दे की बात की।

    सुमन ने गाल पर हाथ रखे, कुछ देर सोचा, फिर दुपट्टा उठाकर बोली, "ठीक है, चलो।" सुमन ने बुक्स उठाईं और बाहर की तरफ़ बढ़ गई। अलयाना को यकीन नहीं आया कि सुमन घर के कपड़ों में ही बाहर जाएगी।

    दोनों घर के आँगन में खड़े थे, तभी शौर्य वहाँ पर आ गया।

    "जी, मैं इसे कुछ देर के लिए ग्रुप स्टडी के लिए ले जा रही हूँ।" अलयाना ने झट से कहा और सुमन का हाथ पकड़कर उसे बाहर ले आई।

    सुमन और अलयाना कुछ देर बाद राधे सर के घर पहुँच गए। दोनों ड्राइंग रूम में बैठे थे, तभी शरला जी आईं और कहा, "राधे घर पर ही है... बस थोड़ी देर में आ रहा है।"

    फिर वह भी वहीं चौकड़ी मारकर बैठ गई और सुमन को घूरने लगी। सुमन को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था। सुमन को पता था कि शरला जी उन्हें ऊपर से नीचे तक ताड़ रही हैं।

    To be continued…

  • 19. Stolen Kisses💋 - Chapter 19

    Words: 1209

    Estimated Reading Time: 8 min

    फिर वह भी वही चौकड़ी मारकर बैठ गई और सुमन को घूरने लगी। सुमन को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था। सुमन को पता था कि शरला जी उसे ऊपर से नीचे तक ताड़ रही हैं।

    "तुम... बचपन से चश्मा लगाती हो?" शरला जी ने आखिरकार पूछ ही लिया।

    "नहीं... बोर्ड के एग्जाम देते वक़्त मैं 10 घंटे पढ़ती थी। उसी वक़्त मेरे आँखों से पानी गिरने लगा और कुछ सही से नहीं दिखता था। तब से ही डॉक्टर ने ग्लासेज लगाने के लिए कहा। इसलिए आज तक चश्मा लगाकर रखती हूँ। चश्मे के बगैर कुछ साफ़ नहीं दिखता है।" सुमन को इसी सवाल की उम्मीद थी। कई लोग उससे यह सवाल करते थे क्योंकि वह गोल, बड़ा सा चश्मा लगाए रहती थी।

    "ओह्ह अच्छा... तुम लोग तो जानती होगी, तुम्हारे सर भी चश्मा लगाते हैं। बचपन से ही वीडियो गेम और टीवी बहुत देखता था... और अब भी रात दिन लैपटॉप में आँखें गड़ाए रखता है। मुझे तो लगता है बहुत जल्द वह अंधा हो जाएगा।"

    शरला जी ने जैसे ही कहा, सुमन और अलयाना ने अपनी हँसी रोकी क्योंकि राधे सर सामने खड़े थे।

    "क्यों आ गया आवारगी करके? दिन भर यहाँ वहाँ घूमता रहता है। ज़्यादा हुआ तो टेबलेट में खटखट... अरे कोई ढंग का भी काम कर लिया कर। यह बच्चियाँ बड़ी देर से बैठी हैं। जा, इनकी पढ़ाई में हेल्प कर।" शरला जी ने टोककर कहा।

    अलयाना और सुमन को ज़ोरदार खांसी आ गई। दोनों खांसी के बहाने हँस रही थीं।

    "माँ... आप अंदर जाइए और आराम कीजिये। मेरी इज़्ज़त का फालूदा मत निकालिये।" राधे ने आँखें उचकाकर कहा।

    "हाँ हाँ... जा रही हूँ। लड़कियों को देख माँ को भूल गया। ठीक है, मैं चली जाती हूँ। माँ की अब क़दर किसे है?" शरला जी ने कहा और पैर पटककर चली गईं।

    सुमन और अलयाना ने हँसी पर ब्रेक लगाया और राधे सर के साथ लाऊंज एरिया में आ बैठीं। सुमन बैठते ही किताब खोलकर बैठ गई और मार्कर निकालकर बैठ गई।

    थोड़ी देर तक राधे सर ने उसके सारे पॉइंट क्लियर कर दिए और अलयाना बैठी नाख़ून काटती रही। फिर थोड़ी देर बाद उठकर वह वाशरूम चली गई।

    "ठीक है, मैं समझ गई। थैंक्यू सर। अब हम चलते हैं।"

    सुमन ने सामने सोफे पर देखा तो अलयाना गायब थी।

    "यह कहाँ चली गई? अभी तो यही थी।" सुमन ने यहाँ-वहाँ देखा लेकिन वह छलावा की तरह गायब हो चुकी थी।

    "तुम उसको छोड़ो। अपनी बात कहो। मेरा फ़ोन नहीं उठाती हो। मुझे हर जगह से ब्लॉक कर रखा है।" राधे सर ने उसका चेहरा अपनी तरफ मोड़कर कहा।

    "क्या बकवास है? इतने हक़ से कह रहे हैं जैसे मेरा आपसे कोई लेना-देना है।" सुमन ने बाँहें फैलाकर कहा।

    "हक़ है या नहीं... वह तो तुम्हें वक़्त आने पर पता चलेगा। पहले यह बताओ तुमने मुझे शिमला के बाद एक बार भी मिस नहीं किया।" राधे सर ने शिकायत की।

    "क्यों करूँ मैं आपको याद? देखिए, मुझे बहुत पढ़ने का होता है। एग्जाम सर पर है। बहुत पढ़ने को होता है। और देखिए, किया तो आपको याद। आई तो हूँ आपके पास।" सुमन ने आराम से कहा।

    "यह आना भी क्या आना हुआ? तुम अपने मतलब से आई हो। और हर वक़्त क्या क्या पढ़ाई लगा रखी है? एक पढ़ाई का बहाना लेकर मुझे इग्नोर कर रही हो।" राधे सर ने उसके दोनों हाथ पकड़कर बोले।

    "एक... एक मिनट... आपके इरादे मुझे नेक नहीं लगते हैं। थोड़ा दूर रहकर बात कीजिये। आपके हमेशा बेड इंटेंशन होते हैं।" एकदम सुमन को याद आ गया। शिमला में जो हुआ वह याद था।

    "चुप रहो तुम... पहले मेरी बात गौर से सुनो। जब से तुम शिमला से आई हो बदल गई हो। पहले तो ठीक थी। मुझसे बात नहीं करती हो, मुझसे मिलने तक नहीं आती हो।" राधे सर ने उसके कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींच लिया।

    "तोबा तोबा... आप तो ऐसा कह रहे हैं जैसे शिमला में आपसे मैं दो-दो घंटे बाद करती थी और रोज़ हम घंटों मिलते थे। हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है।" सुमन ने होंठ दांतों तले दबाकर हँसी रोकी।

    "सिम्मी तुम्हें बहुत हँसी आती है। हँस लो, जितना हँस लो। फिर तुमने जितना भी मुझे सताया है ना, मैं सब गिन-गिनकर बदला लूँगा।" राधे का दिल जलकर खाक हो गया।

    "बिल्कुल... गिन-गिनकर सब बदले लेना आप, लेकिन इन योर ड्रीम्स।" सुमन ने आग की तरह अच्छी तरह तपा दिया था राधे सर को।

    तभी अचानक ही सुमन की चीख पूरे लाऊंज में गूँजी तो अलयाना दौड़ते हुए आई।

    "क्या हुआ? इतना ज़ोर से चिल्लाई क्यों?" अलयाना ने जो देखा तो वह शर्म से लाल पड़ गई। राधे सर ज़बरदस्ती सुमन को बाँहों में भरे हुए थे।

    "कैर्री ऑन... मैं चलती हूँ।" अलयाना हँसकर वहाँ से भाग गई।

    "मुझे पहले ही शक था... यह भी आपसे मिली हुई है।" सुमन ने खुद को बहुत दूर करने की कोशिश की लेकिन राधे सर की पकड़ हमेशा की तरह मज़बूत थी।

    राधे सर ने उसके मोटे और सेब की तरह फुले गालों को चूमना शुरू कर दिया।

    "आहहहह... छोड़िए मुझे... मम्मी... नहीं... छोड़िए..." सुमन ने उनके सीने में हाथ रखकर उन्हें दूर करने की कोशिश की लेकिन राधे सर ने एकदम उसके हाथों को पीठ पर मोड़कर पीछे कर दिया।

    थोड़ी देर बाद शरला जी चिल्ला-चिल्लाकर आवाज़ सुनकर आई तो दोनों को मार-पीट करते देख डर गईं। सुमन भागकर शरला जी के पीछे छिप गई।

    "आंटी आपका बेटा बहुत बुरा है। मुझे ज़बरदस्ती..." सुमन आगे शर्म से कुछ नहीं कह पाई।

    "क्या किया बेटा? तुम ठीक तो हो?" शरला जी ने उसके गाल पर दांत के निशान देखे तो राधे की तरफ देखा जो दांत निकालकर हँस रहा था।

    "आंटी इन्होंने मुझे मारा है। यह जितने शरीफ दिखते हैं, उतने हैं नहीं।" सुमन ने मुँह बिचकाकर कहा।

    "हाँ जानती हूँ... यह कितना बड़ा शरीफ है... तुझे बताने की ज़रूरत नहीं है। इसकी हरकतें मैं अच्छे से जानती हूँ।" शरला जी ने उसे प्यार से पुचकारकर कहा।

    "क्यों राधे, तुझे शर्म नहीं है? या शर्म-हया धोकर पी गया है? खुद तो चश्मिश है और अपनी जैसी लड़की ढूँढकर इश्क़ लड़ा रहा है।" शरला जी ने राधे के गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारकर कहा।

    "माँ... मैं इससे प्यार करता हूँ।" राधे ने माँ का हाथ पकड़कर प्यार से कहा।

    "क्या? तू इस चश्मिश से प्यार करता है? अरे इसे सही से नहीं दिखता है। अरे पागल गया है क्या? अगर इससे शादी करेगा तो बच्चे भी चश्मिश पैदा होंगे।" शरला जी को बहुत ज़ोरदार झटका लगा था।

    "आंटी... आप मेरी बेइज़्ज़ती कर रही हैं।" सुमन नाराज़गी से बोली।

    "अरे मेरी प्यारी सी मोम... मम्मी... मेरी माँ... यह चश्मिश है तो क्या हुआ? बहुत प्यारी और मासूम है।" राधे ने सुमन का हाथ पकड़कर ज़ोर का झटका दिया तो वह सीधा उनके सीने से जा लगी।

    सुमन पर तो बिजली सी गिरी थी। मतलब उसे कुछ समझ नहीं आया था। राधे सर और उनकी मम्मी भी वैसे ही थे।

    "ठीक है... बाद में मुझे मत आकर कहना।" शरला जी ने कहा।

    सुमन कुलबुलाकर अलग हुई और शर्म की लाली उसके गाल पर चढ़ गई थी।

    "यह आप लोग क्या कह रहे हैं? ऐसा कुछ नहीं है आंटी। मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है।" सुमन शर्मिंदा सी हो गई।

    शरला जी ने सुमन को देखा और एक नज़र राधे को देखा, जिसके गाल शर्म से टमाटर बने हुए थे।

    "हाँ प्यारी तो बहुत है... लेकिन... तुझसे छोटी है... हाइट में भी और उम्र में भी..." शरला जी ने कहा।

    "कोई बात नहीं माँ... तुम समझ लेना, तुमने एक बच्चा गोद लिया है, इसे बहू मत समझना।" राधे सर ने शरारत से कहा और सुमन गुस्से से दाँत पीसकर रह गई।

    "ठीक है... तुम दोनों बैठो, मैं अपनी बीपी की दवाई खाकर आई।" शरला जी वहाँ से मुस्कुराकर चली गईं।

    To be continued…

  • 20. Stolen Kisses💋 - Chapter 20

    Words: 1049

    Estimated Reading Time: 7 min

    "आप बहुत बड़े वाले बेशर्म हैं...अपनी मम्मी के सामने क्या क्या बकवास किए जा रहे थे..." सुमन ने सोचा, वह बस पागल हो जाएगी।

    "क्या बकवास की...जो हकीकत है वही बताई है...तुम मेरी बीवी और मेरी माँ की बहू..." राधे सर ने उसके बालों को प्यार से सहलाकर चूमा।

    "अच्छा है...चलो अब जल्दी से मुझे किस दे दो..." राधे सर ने उसके चेहरे पर झुककर कहा। सुमन ने एक कोहनी उनके पेट पर मारी तो वे औंधे मुँह गिर पड़े।

    फिर क्या था, राधे सर अपने आप पर काबू पा गए और मनमानी करने लगे।

    "रुको, तुम्हें बताता हूँ...सिम्मी की बच्ची..." राधे सर ने उसे सोफे पर धकेल दिया और खुद भी उसके ऊपर आ गए और ज़बरदस्ती उसके होंठों को चूमने लगे। सुमन बार-बार उनके आगे कमज़ोर पड़ जाती थी क्योंकि राधे सर बहुत ही मज़बूत थे।

    राधे सर ने 15 मिनट बाद भी किस ब्रेक नहीं किया और डीपली उसे किस करने लगे। तब सुमन ने उनके कॉलर को ज़ोर से पकड़ लिया। सुमन एकदम तड़पकर उनसे अलग होने की कोशिश करने लगी, लेकिन राधे सर ने उसके निचले होंठ पर अपने दांत गड़ा रखे थे।

    सुमन की सारी हिम्मत चली गई थी।

    राधे सर ने जब महसूस किया कि वह हल्का-हल्का काँपने लगी है, तब उसे छोड़ दिया और उसके पैरों में अपना पैर फँसाकर उसके पेट में सिर रख लेटे गए।

    सुमन ने होंठों से बहते खून को दुपट्टे से साफ किया।

    "आप...मैं क्या ही बोलूँ...एक दरिंदा हैं जो ज़बरदस्ती मेरा खून पीने को तैयार बैठे रहते हैं..." सुमन की आवाज़ बैठ गई थी।

    "अपनी साँसों को नार्मल कर लो...जो तेज चल रही है..." राधे ने उसके पेट पर उंगलियाँ चलाते हुए रोमांटिक अंदाज़ में कहा।

    "आह...हटे मेरे ऊपर से...मुझे घर जाना है...यह अलयाना कलमोही मुझे यहाँ झूठ बोलकर फँसाकर लाई है..." सुमन उठती हुई बोली।

    "लेटी रहो चुपचाप...बाद में चली जाना घर...यह भी तुम्हारा ही घर है...और अलयाना बहुत अच्छी लड़की है...शी इज़ स्वीटहार्ट..." राधे सर ने प्यार से कहा।

    "हाँ, क्यों नहीं...वह अच्छी तो होगी...आपका मतलब जो पूरा हो गया है..." सुमन ने राधे सर को खुद से दूर धक्का दिया और उठ बैठी।

    "मम्मी...मेरा सर घूम रहा है..." सुमन ने सर पकड़कर बोला।

    "मैं दबा दूँ..." राधे सर ने कहा।

    "गला दबा दीजिये एक बार...ताकि मैं सुकून से मर जाऊँ..." सुमन ने कहा। तो राधे ने उसके दुपट्टे को टानकर अपने करीब किया और कहा,

    "आइंदा कभी ऐसी बात ज़ुबान से मत निकालना...वरना सचमुच मार दूँगा..." सुमन ने राधे सर की आँखों में देखा जहाँ वार्निंग थी।

    "सुमन...बहुत प्यारी हो तुम...बहुत ज़्यादा...मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ..." राधे सर एक बार फिर खुमार से बोले और उसके चेहरे पर झुक गए। लेकिन सुमन ने इस बार राधे सर के होंठों पर हाथ रखकर कहा,

    "प्लीज़ और मत करो...मेरे होंठ फट जाएँगे तो मम्मी पूछेगी कैसे होंठ फटे और फिर मुझे घर पर मार पड़ेगी। मैं क्या बोलूंगी कि मेरे होंठ ऐसे क्यों हुए हैं..." सुमन ने प्यार से रिक्वेस्ट की, वरना वह जानती थी यह सरफिरा इंसान कुछ भी कर सकता है।

    "डोंट वरी बेब...मम्मी को कह देना उनके दामाद का मूड बन गया था इसलिए थोड़ा प्यार लुटाया है अपनी सिम्मी पर..." राधे सर बोलकर एक बार फिर उसे गोद में उठाकर अपने रूम में ले गए और सुमन हाथ-पैर मारकर चीखने-चिल्लाने लगी।

    राधे सर सुमन को गोद में उठाकर कमरे में लाए और उसे बेड पर उछालकर पटक दिया। गद्देदार और मुलायम बेड की वजह से सुमन बेड में धँस गई।

    "पागल गए हैं क्या...क्या कर रहे हैं..." सुमन राधे सर के डेविल स्माइल देखकर समझ गई कि यह राधे सर का दिमाग़ फिर गया है।

    सुमन साइड से कूदकर बेड से नीचे उतर गई और अपने धड़कते दिल को नार्मल करने लगी जो बुलेट ट्रेन से भी ज़्यादा तेज दौड़ रहा था।

    सुमन को लगा यह क्या सनकी टाइप इंसान है...कुछ भी किए जा रहा है।

    "तुम तो फालतू का डर रही हो...मैं कोई शेर थोड़ी हूँ जो खा जाऊँगा..." राधे सर सुमन की हालत देख जोर से हँस दिए।

    "मेरी सिचुएशन पर हँसी आ रही है आपको...जानते भी हैं आप, मेरा दिल बैठे जा रहा है...मैं एक लड़की हूँ और आप प्लीज़ ऐसी नज़रों से मुझे मत देखा करें..." सुमन ने पैनिक होकर कहा।

    "ओह्ह्ह अच्छा मुझे आज मालूम चला तुम लड़की हो...वरना मैं तो कुछ और ही समझता था..." राधे सर ने उसे परेशान करते हुए कहा।

    सुमन को तो बस अब खामोश ही रहना था। एक तो इस कदर उसे शर्म आ रही थी और गाल पर लाली की मोटी परत चढ़ गई थी।

    "आई स्वेर...आई स्वेर...मैं ऐसा खुद कुछ नहीं करना चाहता हूँ, लेकिन हमेशा तुम्हारी यह शर्म, झिझक और लज्जा जाना मुझे तुम्हारा दीवाना कर देता है...तुम्हारे गाल चेरी ब्लॉसम की तरह रेड पड़ जाते हैं और होंठ कपकपाने लगते हैं...अब तुम ही बोलो कौन काफिर इस अदा पर नहीं मरेगा..." राधे सर मोहब्बत से चूर लहजे में बोलते हुए उसकी तरफ बढ़े और फिर खामोशी छा गई।

    सुमन राधे सर की पकड़ में चीखना-चिल्लाना चाहती थी, लेकिन राधे सर ने अपना मज़बूत हाथ उसके मुँह पर रख उसकी आवाज़ रोक ली थी। राधे सर एकदम प्यार से उसके गले से दुपट्टा हटाकर अपने होंठ रख जगह-जगह अपनी शिद्दत छोड़ रहे थे।

    सुमन तो शर्म की मार से काँप रही थी। लम्बी पलकें आँखों का झालर बनाकर ढँक चुकी थीं और राधे सर का भारी हाथ उसके होंठों पर रखा हुआ था ताकि वह शोर न करे।

    राधे सर की जब ख्वाहिश पूरी हो गई, तब वह उसके कंधे पर दुपट्टा सही करके आहिस्ता से दूर हुए और सुमन को भी जाने दिया क्योंकि वह जानते थे अगर वह अब यहाँ रुके तो उनका कण्ट्रोल उन पर से हट जाएगा और दिल की शरारत आँखों से न छलक पड़े। अगर वह ऐसा कुछ भी करते तो खुद अपनी नज़रों में गिर जाते, लेकिन छोटी-मोटी गुस्ताखी तो माफ़ थी।

    सुमन दरवाज़ा खोलकर भागी थी क्योंकि उसके अंदर नज़रें मिलाने तक की हिम्मत नहीं थी। वह इस कदर अपने आप में सिमट सी गई थी।

    आज उसके दिल में अजीब से एहसास मचल रहे थे।

    थोड़ी देर बाद अलयाना जब ढेर सारा आइसक्रीम खा चुकी थी, तब किचन से बाहर आई और शर्ला आंटी से इज़ाज़त लेकर दोनों बाहर चली आईं।

    "तब सुमन तुम्हारा चेहरा लाल क्यों पड़ा है..." अलयाना उसे छेड़ने लगी।

    To be continued...