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तेरे बिना

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एक सादी सी लड़की और एक रहस्यमयी बिजनेसमैन की अधूरी सी दास्तां... सीरत — एक मासूम, सादगी भरी और दिल से बेहद खूबसूरत लड़की, जिसकी ज़िंदगी अचानक पलट जाती है जब उसका रिश्ता तय होता है एरोगेंट बिजनेसमैन अर्जुन सिंघानिया के साथ। अर्जुन — एक ऐसा इ...

Total Chapters (67)

Page 1 of 4

  • 1. तेरे बिना - Chapter 1

    Words: 964

    Estimated Reading Time: 6 min

    सिंघानिया हॉल रौशनी से नहाया हुआ था। दीवारों पर सजे फूल, झालरें और सुनहरे पर्दे एक भव्य माहौल रच रहे थे। चारों तरफ रिश्तेदारों और मेहमानों की हलचल थी, मगर उस शोर के बीच एक बेचैनी साफ महसूस हो रही थी।

    सबसे ज़्यादा परेशान थे अर्जुन सिंघानिया के दादा जी, राम जी  दास सिंघानिया।

    "अर्जुन अभी तक आया नहीं?" — उन्होंने धीमी लेकिन तीखी आवाज़ में अपने बेटे अनूप सिंघानिया से पूछा।

    अनूप थोड़ा झिझकते हुए पास आए — "पिताजी, सुबह से ऑफिस गया हुआ है... फोन भी नहीं उठा रहा। मैं अब निकलता हूँ, जाकर देखता हूँ—"

    दादा जी ने उनकी बात बीच में ही काट दी — "केवल बिज़नेस ही सब कुछ नहीं होता, अनूप। ये मत भूलो, अर्जुन का परिवार भी है। आज उसकी सगाई है, और वो... गायब है?"

    उन्होंने एक नज़र स्टेज की ओर डाली, जहाँ एक लड़की खड़ी थी— सादगी में लिपटी, शांत चेहरा लिए, लेकिन उसकी आँखों में इंतज़ार की थकन और घबराहट साफ झलक रही थी।

    "देखो उसे... बिन माँ-बाप की बच्ची है वो। दिल पे क्या बीत रही होगी? सबके सामने यूँ खड़ी है, अकेली... इंतज़ार करती हुई।"

    दादा जी की आँखें नम होने लगीं।


    ---

    "देखिए पिताजी," तभी अर्जुन की चाची, नीता सिंघानिया, अपने लाल जोड़े में तेज़ी से पास आईं, "आज मेरे बेटे नितेश की भी सगाई है। मुहूर्त का समय निकल रहा है। अर्जुन का तो आप जानिए, वह किसी की नहीं सुनता। हर बात अपनी मनमर्जी की।"

    "मैं आज अपने बेटे की सगाई लेट नहीं होने दूँगी।"

    "चुप रहो, नीता। आता ही होगा।" — अर्जुन की दादी ने नरमी से टोका।

    "माँ, आप तो हमेशा उसकी साइड लेती हैं। अब आप ही देखिए, ये सगाई भी बिगाड़ देगा। मैं तो साफ कह देती हूँ, अब अर्जुन की शादी अलग होगी, इस घर में मेरे  बेटे की शादी उसके साथ नहीं हो सकती!"

    वह अभी भी गुस्से से कांप रही थीं।

    “नीता, हर वक़्त बोलना ज़रूरी नहीं होता।” — एक और आवाज़ बीच में आई। ये अर्जुन के चाचा, रमेश सिंघानिया थे।

    “उसका फोन आ गया है मेरे पास। कह रहा था थोड़ी देर में पहुंच रहा है। असल में, एक जरूरी मीटिंग थी आज।”

    “हां हां... वही तो! जैसे सब काम वही करता है!” — नीता तिरस्कार से बोलीं और वहाँ से चली गईं।


    ---

    इसी बीच दरवाज़े पर खामोशी छा गई।

    सभी की नज़रें उस एक इंसान पर टिक गईं, जो तेज़ क़दमों से भीतर आ रहा था।
    क्रीम रंग की शेरवानी पहने हुए, ऊंचा कद, 6 फीट से भी ज्यादा, चौड़ा सीना, सधी हुई चाल। चेहरे पर हल्की दाढ़ी और मूंछें, घनी ब्लैक आइज, बालों में हल्का जेल — एक शाही ठाठ के साथ अर्जुन सिंघानिया ने हॉल में प्रवेश किया।

    जहाँ उसके चेहरे पर आत्मविश्वास की छाया थी, वहीं हर किसी की आँखों में उसके लिए एक अजीब-सी झिझक और भय था। वो कम बोलने वाला, मगर जब बोलता— तो सब चुप हो जाते।

    स्टेज पर खड़ी सीरत की सांसें तेज़ हो गईं।

    उसने अर्जुन को देखा। उसे पता था— इस इंसान के दिल में उसके लिए कोई जगह नहीं है।
    उसकी ये सगाई सिर्फ परिवार के सम्मान के लिए हो रही है, अर्जुन के दिल से नहीं।

    और शायद, उसके अपने दिल में भी कुछ अधूरा था।


    ---

    सीरत की नज़रें ज़मीन की ओर झुक गईं।
    कानों में तब अनुज की आवाज़ गूंजी — "भाभी... भाई आ गए हैं।"

    सीरत ने थोड़ा मुस्कुरा कर सिर हिलाया।
    अनुज, अर्जुन का छोटा भाई था। उससे सीरत की बहुत अच्छी बॉन्डिंग थी।

    पीछे से अर्जुन की बहन अदिति भी आ गई — "भाभी, अब तो स्टेज पर सब सेट हो रहा है। आप भी चलिए।"

    सीरत चुपचाप स्टेज की ओर बढ़ गई।


    ---

    स्टेज पर दो जोड़े खड़े होने वाले थे।

    पहले अर्जुन और सीरत की सगाई। फिर नितेश और रीना की।

    रीना— सीरत की चचेरी बहन। दोनों एक उम्र की, एक साथ पली-बढ़ी, मगर किस्मत का खेल देखिए...

    रीना की सगाई नितेश से हो रही थी। जबकि, ये रिश्ता कभी सीरत के लिए तय हुआ था।

    हालात ऐसे बने कि अब सीरत की सगाई अर्जुन से हो रही है— वो अर्जुन, जिसे किसी भी चीज़ से कोई फर्क नहीं पड़ता, ना रिश्ते से, ना रस्मों से।


    ---

    स्टेज पर खड़े अर्जुन ने अपनी जगह ली। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे।
    सीरत चुपचाप उसके पास खड़ी थी।

    फोटोग्राफर उन्हें पास खड़े होने के लिए कह रहा था, मगर दोनों के बीच दूरी बनी रही।

    तभी माइक से पंडित जी ने घोषणा की —
    “अब हम सगाई की रस्म शुरू करते हैं... पहले अर्जुन और सीरत की... फिर नितेश और रीना की।”

    मंडप की भीड़, शोर, संगीत सब चल रहा था...

    मगर सीरत के भीतर सब कुछ शांत था।
    वो सिर्फ अपने दादा-दादी की खातिर वहाँ खड़ी थी।
    और अर्जुन... वह शायद अपने फ़र्ज़ की खातिर।

    दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा, और फिर एक साथ रिंग एक्सचेंज की।

    हॉल में तालियाँ बजीं... कैमरे चमके... ।

    अर्जुन सिंघानिया कम बोलने वाला, ज्यादा सोचने वाला एक जिम्मेवारी इंसान था। जिसने सिंघानिया ग्रुप की बागडोग उस टाइम संभाली जब वो नुकसान में जा रहा था और पिछले 5 साल में उसने जी तोड़ मेहनत की थी। आज सिंघानिया ग्रुप का एक नाम था।


    सीरत  अर्जुन सिंघानिया के दादाजी के दोस्त की पोती थी। उसके मॉम डैड नहीं थे। मगर दादा दादी को वह बहुत लाडली थी। रिश्ता तो उसका नितेश सिंघानिया से होने वाला था । मगर हालात ऐसे बने कि अचानक एक ही रात में उसकी सगाई अर्जुन सिंघानिया से हो रही थी ।जिस का जिसका शादी में अभी कोई इंटरेस्ट नहीं था।

    उसने सगाई
    ---



    क्या यह रिश्ता सही था?
    क्या अर्जुन और सीरत की सगाई किसी गलतफ़हमी या दबाव का नतीजा थी?

    इन सवालों के जवाब किसी के पास नहीं थे।

    मगर उस दिन, उस शाम... किसी की किस्मत बदल चुकी थी।

    और शायद, ये सिर्फ शुरुआत थी।

  • 2. तेरे बिना - Chapter 2

    Words: 1113

    Estimated Reading Time: 7 min

    सिंघानिया ग्रुप का अपना एक शानदार होटल था — एक आलिशान इमारत जो विरासत और आधुनिकता का संगम प्रतीत होती थी। आज वही होटल रंग-बिरंगी रोशनी से नहाया हुआ था। अंदर का विशाल हॉल फूलों और चमकदार झालरों से सजा हुआ था, जहाँ कदम रखते ही रॉयलिटी का एहसास होता। कारण भी खास था — रामजी दास सिंघानिया के दोनों पोतों की सगाई का दिन था।

    बड़े पोते अर्जुन सिंघानिया और छोटे पोते नीलेश सिंघानिया, दोनों की सगाई उनके बचपन के दोस्त रविकांत शर्मा की पोतियों सीरत और रीना से हो रही थी।

    गुलाबी, सुनहरी, और चांदी की रोशनियों में नहाया हुआ हॉल, हल्के संगीत की धुन, और हलकी ठंड में गर्म गुलाबी चाय की महक – पूरा माहौल किसी सपने जैसा लग रहा था। देश-विदेश से मेहमान आए हुए थे। जोड़े की सगाई को देखने सभी की नजरें स्टेज पर थीं।

    सबसे पहले अर्जुन ने सीरत को अंगूठी पहनाई।
    स्टेज पर खड़े अर्जुन सिंघानिया के चेहरे पर वही सख्त और भावहीन भाव थे, जिसके लिए वह जाना जाता था। वहीं, सीरत की हल्की कांपती उंगलियों से साफ ज़ाहिर था कि वह अंदर से कितनी नर्वस थी। अर्जुन की तरफ उसने एक भी बार आँख उठा कर नहीं देखा।

    इसके बाद नीलेश और रीना की सगाई हुई। दोनों की आंखों में एक अलग चमक थी — अपने रिश्ते को लेकर उत्साह और एक-दूसरे के लिए मासूम सा अपनापन।

    दोस्ती से रिश्तेदारी तक
    रामजी दास सिंघानिया और रविकांत शर्मा की यह दोस्ती अब परिवारिक रिश्ते में बदल रही थी। दोनों ने वर्षों पहले साथ बिज़नेस की शुरुआत की थी, और आज दोनों के परिवार आपस में जुड़ रहे थे।

    रामजी दास के दो बेटे और एक बेटी थी। दोनों बेटे उनके साथ सिंघानिया मेंशन में ही रहते थे, जबकि बेटी मीना दीवान अपने पति और दो बच्चों के साथ दिल्ली में बस चुकी थी।
    बड़े बेटे अनूप सिंघानिया के तीन संतानें थीं — अर्जुन, अनुज और उनकी बेटी अदिति। वहीं छोटे बेटे रमेश के एक बेटा और एक बेटी थे — नितेश और नीना।

    रविकांत शर्मा के भी दो बेटे थे। बड़े बेटे और बहू का एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया था, उनकी इकलौती संतान सीरत अब दादा-दादी के पास मोहाली में रहती थी। दूसरी ओर, छोटे बेटे अरुण शर्मा की बेटी रीना और बेटा उनके साथ दिल्ली में रहते थे। रीना का घर सिंघानिया मेंशन के बिल्कुल पास था, और वह हमेशा से सीरत की बेस्ट फ्रेंड जैसी रही थी।

    सगाई के बाद का दृश्य
    सगाई के बाद सभी मेहमानों से मिलने के लिए अर्जुन नीचे उतरा, वहीं नीलेश और रीना साथ-साथ स्टेज पर ही डांस कर रहे थे। रीना के चेहरे पर खुशी और संतोष की चमक थी, जबकि सीरत अब भी चुपचाप खड़ी थी, अर्जुन से नज़रें चुराती हुई।

    भोजन के बाद अर्जुन वापस चला गया — उसने जिस मीटिंग को बीच में छोड़ा था, उसे पूरा करना ज़रूरी था।

    रात का समय — लड़कियों की बातचीत
    शाम को जब दोनों लड़कियां अपने कमरे में थीं, रीना ने चाय का कप रखते हुए कहा,
    “भाई, तुम्हारी लाइफ तो यूं ही गुजरने वाली है। अर्जुन जीजू को काम के सिवा कुछ नहीं सूझता। आज तो कम से कम रुक जाते, अपनी मंगेतर के साथ थोड़ा वक्त तो बिताते...”

    “ऐसा नहीं कहते रीना,” पीछे से दादी मां की आवाज़ आई, “मर्दों को काम भी करना होता है, और अर्जुन की जिम्मेदारियाँ बाकी सब से अलग हैं।”

    “मगर दादी मां, ऐसा भी क्या काम कि अपनी ही सगाई के दिन भी इंसान मीटिंग में चला जाए?” रीना भुनभुनाती हुई बोली।

    उसी समय रीना के फोन पर मैसेज आया और वह हँसती हुई उठी,
    “ठीक है दादी, मैं फिर बात करती हूं। मुझे अपने कमरे में जाना है।”

    सीरत का अकेलापन
    सीरत ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया, “दादी मां, मैं भी बहुत थक चुकी हूं... मैं भी जाती हूं।”

    अपने कमरे में जाकर उसने दरवाज़ा बंद किया। अपने कानों के झुमके, माथे का टीका, दुपट्टा और भारी ज़ेवर उतारकर ड्रेसिंग टेबल पर रख दिए। फिर वह बिस्तर पर बैठ गई, पीठ दीवार से टिकाई और गहरी साँस ली।

    "अब किसे बताऊं मैं... मुझे उस आदमी से डर लगता है।"
    उसने खुद से कहा — “अच्छा हुआ वो जल्दी चला गया। वरना मैं क्या करती? जिसे देख कर ही साँस अटकने लगे, उससे मेरी शादी हो रही है?”

    थोड़ी देर चुप रही, फिर फुसफुसाई —
    “खैर... जब शादी होगी, तब देखा जाएगा। अभी तो मैं मोहाली चली जाऊंगी। कुछ दिन शांति मिलेगी। कौन डरता है उस सीईओ से! खड़ूस कहीं का... पूरे घर में उससे डरने वालों की कमी नहीं — उसके दादा-दादी, मम्मी-पापा, बहन तक।”

    सीरत — मासूम, खूबसूरत, और चुलबुली
    सीरत बला की खूबसूरत थी — दूध-सा सफेद रंग, हेज़ल ब्राउन आंखें जिनमें कोई भी डूब सकता था। बाल हल्के भूरे, न ज्यादा लंबे, न छोटे। गुलाबी होंठ और ऊपर के होंठ से छूता हुआ एक काला तिल — उसकी मासूमियत और सौंदर्य की मिसाल।

    उसका वह काला तिल... कोई उस पर अपनी जान छिड़कता था। लेकिन कौन? यह राज़ अभी खुलना बाकी था...

    उसने टॉवल उठाया और बाथरूम में चली गई। नहाकर निकली तो हल्के ग्रे रंग की टी-शर्ट और लोअर पहनकर बेहद साधारण लेकिन खूबसूरत लग रही थी।

    उसे चाय की तलब लगी — चाय तो उसकी कमजोरी थी। वह नीचे गई, किचन में खुद के लिए चाय बनाई। फिर उसे याद आया कि इस वक्त दादाजी-दादीजी को दूध देना होता है। उसने प्यार से उनके लिए दूध गरम किया और कमरे में दे आई।

    “जाओ बेटा, आराम करो,” दादाजी ने मुस्कुरा कर कहा।

    “जी दादाजी,” सीरत ने आदर से जवाब दिया और अपनी चाय लेकर फिर से अपने कमरे की तरफ चल दी।

    गुलाबी ठंड, चाय और सोचती सीरत
    नवंबर का महीना था — गुलाबी ठंड की शुरुआत। उसने चाय का कप उठाया और छत पर आ गई। आसमान साफ था, हल्की ठंडी हवा चल रही थी। वह एक कुर्सी पर बैठ गई, कप दोनों हथेलियों में थाम कर धीरे-धीरे सिप लेने लगी।

    इसी बीच, वह इस बात से अनजान थी कि अर्जुन भी अपने मेंशन की छत पर था — शायद किसी जरूरी कॉल में उलझा हुआ।

    सीरत ने चाय की आखिरी चुस्की ली, आँखें बंद कीं और अपने आप से कहा,
    “मुझे उस खड़ूस इंसान को याद नहीं करना... भूल जाना है सब कुछ। अब जो होगा, देखा जाएगा।”

    उसकी सोचों में सन्नाटा था, लेकिन दिल में एक तूफान — एक अनजानी अनिश्चितता, एक डर और साथ ही दिल में एक मासूम सी उम्मीद... कि शायद कहीं कोई उसकी बात सुने, उसके दिल की परतों को समझे।

    लेकिन फ़िलहाल, उसे केवल सर्द हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी... और दूर कहीं से आती हल्की धुन... शायद किसी रिश्ते की शुरुआत होने वाली थी, लेकिन उस रिश्ते को मंज़िल तक पहुँचने में अभी कई मोड़ बाकी थे...

  • 3. तेरे बिना - Chapter 3

    Words: 869

    Estimated Reading Time: 6 min

    सीरत अपनी टेरेस पर बैठी थी। उसके हाथ में चाय का कप था और चेहरे पर हल्की थकावट की परछाई। नवंबर की गुलाबी ठंड हवा में तैर रही थी। उसने एक लंबा घूंट भरा और अपनी आँखें बंद कर लीं।

    उसे नहीं पता था कि ठीक बगल वाली टेरेस पर अर्जुन सिंघानिया भी खड़ा था—फोन पर किसी से बेहद सधे हुए लहज़े में बात कर रहा था।

    सीरत ने कप एक तरफ टेबल पर रखा ही था कि पीछे से किसी के भागते हुए कदमों की आवाज़ आई।

    “दीदी... बहुत मुश्किल से लेकर आया हूँ... आज तो मैं पक्का पकड़ा जाता!” — रौनी हाँफते हुए उसके पास पहुँचा।

    सीरत की मुस्कान खिल उठी, “मैं भी तेरी ही वेट कर रही थी।”

    रौनी के हाथ में एक छोटी सी डिब्बी थी... सिगरेट की। उसने सीरत के हाथ पर रख दी।

    सीरत ने डिब्बी खोली और जैसे ही देखा कि उसमें बस एक ही सिगरेट है, उसने भौंहे चढ़ाईं — “बस एक?”

    “तो क्या पूरी डिब्बी चाहिए थी आपको?” — रौनी ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा — “जान हथेली पर रख कर लाया हूँ। अपनी प्यारी बहन का शुक्रिया तो बनता है!”

    “ओ हो! नौटंकी मत कर,” — सीरत ने मुस्कुराते हुए उसकी नाक खींची — “इतना तो कर ही सकता है अपनी दीदी के लिए।”

    “अब जल्दी करो, इससे पहले कि मम्मी मुझे ढूंढते हुए आ जाएँ,” — रौनी चारों तरफ झाँकते हुए बोला।

    “सब थके हुए हैं आज, कोई नहीं आएगा,” — सीरत ने हल्की सी सांस ली और फिर सिगरेट जलाकर पहला कश लिया।

    सिगरेट का धुआं हवा में घुला तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी राहत उतर आई। उसने आँखें मूंदी और जैसे खुद से बोली —
    “मैंने अपने सारे ग़म इस धुएं में उड़ा दिए…”

    और तभी एक गंभीर आवाज़ गूंजी —
    “ऐसे कौन से ग़म हैं जिन्हें इस तरह धुएं में उड़ाना पड़ता है?”

    सीरत ने चौंक कर पलटकर देखा। सामने अर्जुन था — बगल की टेरेस की रेलिंग पर खड़ा, अपनी कलाई की घड़ी के साथ खेलते हुए, उसे एकटक देख रहा था।

    सीरत की तो जैसे साँस अटक गई। रौनी भी सन्न!

    “और रौनी, तुम—” अर्जुन कुछ और बोलता उससे पहले ही दोनों भाई-बहन सिगरेट फेंककर भाग खड़े हुए।

    “दीदी... आज तो हम पकड़े गए। अगर पापा को बता दिया तो?” — रौनी काँपते हुए बोला।

    “तू ये सोच कि मेरा क्या होगा!” — सीरत ने अपने दिल पर हाथ रखा।

    कमरे में पहुँचते ही दोनों ने दरवाज़ा बंद कर लिया।

    “दीदी... आपको कोई और नहीं मिला था सगाई के लिए?” — रौनी ने पूछा, अब तक सहमा हुआ।

    सीरत ने एक लंबी सांस ली और कहा, “मैंने थोड़ी ना कहा था... दादी-दादा ने कर दी।”

    “तो मना कर देतीं ना!”

    “अब मुझे क्या पता था कि वो लड़का अर्जुन निकलेगा! दादाजी ने पूछा था कि कोई पसंद है... मैंने कहा नहीं। उन्होंने कहा — फिर हम ढूंढ लें? मैंने हाँ कह दी — और फिर बाद में पता चला... कि वो लड़का अर्जुन है।”

    😶‍🌫️

    अर्जुन सिंघानिया... रामजी दास सिंघानिया के बड़े बेटे अनुप का सबसे बड़ा बेटा। उम्र 30 के आसपास। जितनी उम्र, उससे कहीं ज्यादा भारी ज़िम्मेदारियाँ।

    बचपन से ही चुप। और जब से सिंघानिया ग्रुप ज्वाइन किया — और भी चुप।

    जब अर्जुन ने एमबीए खत्म करके कंपनी जॉइन की थी, उस वक़्त सिंघानिया ग्रुप लगभग डूब चुका था। होटलें बिकने लगी थीं, फैक्ट्रियों पर ताले लगने लगे थे। शेयरहोल्डर हिस्सा निकालने लगे थे।

    मगर अर्जुन ने... चुपचाप, बिना किसी शोर के... कंपनी को फिर से जिंदा किया।

    आज वही अर्जुन सिंघानिया सीईओ था। मगर शायद इंसान कहीं पीछे छूट गया था।

    अब वह सिर्फ तब बोलता था जब ज़रूरी हो। उसके चेहरे पर मुस्कराहट दिखे तो समझिए कोई चमत्कार हो गया हो। पूरे घर में — दादी से लेकर छोटे भाई तक — सब उसे देखकर सावधान हो जाते थे।

    “गलती अर्जुन को बर्दाश्त नहीं” — ये बात पूरे घर में बच्चों तक को याद थी।

    रविकांत शर्मा के परिवार से गहरी दोस्ती थी, मगर अर्जुन से डर सबको लगता था — खासकर सीरत को।

    क्यों?

    क्योंकि सबसे ज्यादा शरारती वही थी — और अर्जुन की डाँट भी ज़्यादातर उसे ही मिलती थी।


    ---

    🫂 सीरत — जो खुलकर जीना जानती थी 🌼

    सीरत, 22 साल की चुलबुली लड़की। जिसका बचपन मोहाली की खुली हवाओं और अपने दादा-दादी की गोद में बीता था।

    माँ-बाप तो बचपन में ही चले गए थे। दादी उसकी माँ बनीं, और दादा उसके सबसे करीबी दोस्त।

    उसके चाचा और उनके परिवार दिल्ली में रहते थे, मगर सीरत मोहाली में ही पली-बढ़ी। पढ़ाई, आज़ादी, प्यार — सब कुछ मिला।

    मगर अब, उसके दादा-दादी चाहते थे कि वह सेटल हो जाए। उनकी तबियत भी अब वैसी नहीं रही थी।

    एक दिन दोनों उसके पास आए।

    “बेटा...” — दादाजी ने प्यार से उसका हाथ थामा — “हमें तुमसे एक बात करनी है...”

    “जी दादाजी।”

    “अगर तुम्हें कोई पसंद है तो हमें बता दो... वरना हम अपनी मर्जी से रिश्ता ढूंढेंगे।”

    सीरत ने मुस्कराकर कहा —
    “आपको जो ठीक लगे वही करिए... मुझे आपका हर फैसला मंज़ूर है।”

    उसे कहाँ पता था — वो फैसला अर्जुन होगा।

    प्लीज मेरी सीरीज पर कमेंट करें साथ में रेटिंग भी दे आपको मेरी सीरीज कैसी लग रही है कमेंट में बताएं मुझे फॉलो करना और रिव्यू देना याद रखें।

  • 4. तेरे बिना - Chapter 4

    Words: 825

    Estimated Reading Time: 5 min

    "हम तुम्हारी शादी करना चाहते हैं।"
    दादाजी ने गंभीर स्वर में कहा, "अगर तुम्हें कोई पसंद है, तो बेटा, तुम हमें बता सकती हो।"

    सीरत ने तुरंत सिर हिलाकर जवाब दिया,
    "नहीं, मेरी लाइफ में कोई नहीं है।"

    "तो फिर, जो लड़का हम तुम्हारे लिए पसंद करेंगे, क्या तुम उससे मिलने को तैयार हो?"

    "मिलने का क्या है दादाजी..." सीरत ने मुस्कराकर कहा, "आप मेरे लिए जो भी फैसला लेंगे, वह बिल्कुल सही होगा।
    आप दोनों मुझे देखकर जीते हो... तो मेरे लिए कोई गलत फैसला कैसे कर सकते हो?"

    दादाजी की आँखों में नमी सी आ गई।
    "जीती रहो बेटी, तुम्हें ज़िंदगी में हर ख़ुशी मिले।"
    कहते हुए उन्होंने उसे गले से लगा लिया।


    इसके तुरंत बाद दादाजी ने अपने छोटे बेटे — सीरत के चाचा — को दिल्ली फोन लगाया।

    "रणवीर मुझे तुमसे ज़रूरी बात करनी थी।
    मैं सोच रहा हूँ कि निलेश सीरत के लिए एकदम ठीक रहेगा।
    हम लोग दिल्ली आ रहे हैं, निलेश के साथ सीरत का रिश्ता लेकर।"

    तभी फ़ोन उसकी पत्नी — रीमा — ने पकड़ लिया।

    "बाबूजी! मैं भी आपसे यही बात करने वाली थी।
    मुझे रीना के लिए निलेश बहुत पसंद है।
    हम कब से आपका इंतज़ार कर रहे थे कि आप आएं तो रामजीदास सिंघानिया से बात करें।
    और मुझे लगता है, निलेश को भी रीना पसंद है।"

    दादाजी थोड़े परेशान हो गए, "लेकिन मैंने तो निलेश को सीरत के लिए पसंद किया था।"

    रीमा ने सहजता से कहा,
    "सीरत बड़ी है, उधर अर्जुन भी बड़ा है।
    आप अर्जुन से सीरत की शादी कर दो, और रीना का रिश्ता निलेश से तय कर लो।
    दोनों बहनें एक ही घर में चली जाएंगी।
    वैसे भी रीना छोटी है, उसका रिश्ता अर्जुन से तो हो नहीं सकता।"


    कुछ दिनों बाद दादाजी और दादीजी दिल्ली पहुंचे।
    सीरत इन दिनों अपनी सहेली की शादी में व्यस्त थी।

    रविकांत शर्मा (दादाजी) ने रामजीदास सिंघानिया से मुलाकात की और अर्जुन व निलेश — दोनों भाइयों — की शादी की बात चलाई।

    रामजीदास खुश हो गए।

    थोड़ी ना-नुकुर के बाद अर्जुन ने भी शादी के लिए हामी भर दी।

    सगाई की तारीख तय हुई, और सभी मोहाली लौट आए।

    जब सीरत को पता चला कि उसकी शादी अर्जुन सिंघानिया से तय हो चुकी है, तो उसके होश उड़ गए।

    "मुझे क्या ज़रूरत थी ‘हाँ’ कहने की..."
    वह सोचती रही और अब चाहकर भी दादा-दादी से कुछ कह नहीं पा रही थी।
    क्योंकि ‘हाँ’ तो उसी ने दी थी।



    रॉनी, उसके चाचा का बेटा — जो 10वीं क्लास में पढ़ता था — उससे बहुत जुड़ा हुआ था।
    सीरत और रॉनी की खूब बनती थी।

    दोनों रातभर सो नहीं पाए।
    डर यह था कि अगर किसी ने देख लिया कि वे सिगरेट पी रहे थे, तो सुबह डांट पक्की थी।




    सुबह-सुबह रॉनी स्कूल के लिए तैयार हुआ।
    सीरत उसे गेट तक छोड़ने आई।

    "ठीक है रॉनी, हो सकता है हम लोग शाम तक चले जाएं।
    जब तक तुम स्कूल से आओ, हम निकल चुके होंगे।"

    "नहीं दीदी, आप अभी मत जाओ ना..." रॉनी बोला।

    "नहीं, मुझे जाना है।" सीरत ने नज़रे चुराकर कहा।

    तभी पीछे से एक गंभीर आवाज़ आई —
    "पहले बताओ, तुम दोनों रात सिगरेट क्यों पी रहे थे?"

    दोनों चौंककर पीछे मुड़े — अर्जुन सिंघानिया खड़ा था।

    "मुझे तो दीदी ने कहा था सिगरेट लाने के लिए... मैं नहीं पीता!"
    रॉनी ने जल्दी से सफाई दी।

    "और तुम?" अर्जुन ने सीरत की तरफ देखा, "तुम क्यों पी रही थी?"

    "बस... ऐसे ही... सगाई की खुशी में..."
    सीरत के मुंह से निकला — जो शायद उसे नहीं कहना चाहिए था।

    "ऐसी खुशी बर्दाश्त नहीं हो सकती जो मजबूरी में मनानी पड़े..."
    अर्जुन ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

    "मुझे लेट हो रहा है भैया, मैं जाऊं?"
    रॉनी बोला।

    "हाँ, जाओ।" अर्जुन ने उसे जाने दिया।




    अब सीरत और अर्जुन आमने-सामने थे।

    "मुझे भी तुमसे बात करनी थी।" अर्जुन ने कहा।

    तभी उसका फोन बज उठा।
    अर्जुन फोन पर बात करने लगा।

    सीरत ने मौके का फायदा उठाया।
    वह धीरे से वहां से पीछे हटी और चली गई।

    जब अर्जुन की कॉल खत्म हुई, तो देखा —
    "ये लड़की... बिल्कुल इंपॉसिबल है!"
    कहता हुआ वह गाड़ी की ओर बढ़ गया

    अगले दिन दोनों परिवार इकट्ठा हुए।
    पंडित जी ने कहा — "13 दिसंबर शुभ तारीख है।"
    तय हुआ कि अर्जुन-सीरत और निलेश-रीना की शादी एक ही दिन होगी।




    इस खबर से माया भड़क गई।
    वह अर्जुन के ऑफिस में पहुँच गई।

    "मैंने कहा था ना कि ऑफिस मत आओ!" अर्जुन ने गुस्से में कहा।

    "तुम तो कहते थे सिर्फ सगाई है, शादी नहीं होगी।
    तो फिर ये शादी की डेट क्यों फिक्स हुई है?" माया चीख पड़ी।

    "मैंने कहा ना कि शादी नहीं होगी।
    फिक्र मत करो... जो मैंने कहा है, वही होगा।"

    माया की आँखों में आग थी —
    "अगर ये शादी हो गई, तो उस बच्ची का चेहरा तुम कभी नहीं देख पाओगे!
    और तुम जानते हो, मैं कभी झूठ नहीं बोलती।"

    कहते हुए माया वहां से चली गई।

    अर्जुन वहीं बैठा रह गया — गहरे तनाव में डूबा हुआ।

  • 5. तेरे बिना - Chapter 5

    Words: 1029

    Estimated Reading Time: 7 min

    अर्जुन और रहमान मलिक दोनों क्लब में बैठे हुए थे । अर्जुन और रहमान दोनों ड्रिंक कर रहे थे।

    क्या बात है आज तुम इतने परेशान क्यों हो ।उसने अर्जुन को शराब पीते देखकर कहा ।वह काफी वह काफी ड्रिंक कर चुका था।

    वही प्रॉब्लम तुम्हें पता है। सगाई के बाद आज ही शादी फिक्स हो गई है।

      तो क्या माया आई थी ।उसे पता चल गया है ।

    पता तो उसे चलना ही है। आखिर वह अरुण चाचा जी की सैकटरी है। रहमान ने कहा।

    उसे उनसे हर बात पता चल जाती है ।

    वह धमकी देकर गई है अगर शादी हुई तो मैं कभी उस बच्चे का चिहरा  नहीं देख सकूंगा।

    साथ ही वो घर पर सारी बात बता देगी।तुम जानते हो अगर घर पर पता चला तो क्या होगा।

    तो फिर तुमने क्या सोचा है। रहमान ने पूछा।

    मैं सोच रहा हूं मुझे सीरत से बात करनी चाहिए।

    मगर सीरत से क्या बात करोगे ।क्या उससे बात करनी सही रहेगी।

    सोच लो ।

    मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं।

    जिंदगी की एक गलती इंसान को कितना बेवस बना देती है ।

    क्या तुम्हें पता है इस वक्त वह बच्ची कहां है।

      हां पता है। मगर मैं उसे नहीं ला नहीं सकता।

    मैंने तो माया से कह दिया था कि मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूं ।

    मगर वह इस बात के लिए भी नहीं मानी।

    वो शादी करने बालों में से नहीं है।

    तुम्हें अच्छे से पता है वह कैसी औरत है और उसे हर महीने तुमसे अच्छी मोटी रकम मिल रही है।

      तो फिर क्या जरूरत है उसे तुमसे शादी करने की।

    तो फिर तुम बताओ मैं क्या करूं ।

    मेरी बात मानो उस बच्चे के बारे में घर पर बता दो।

    तुम अच्छे से जानते हो दादा दादी  पर क्या असर होगा इस बात का

    और फिर मां वह मर जाएगी ।

    मैं अपनी मॉम को अच्छे से जानता हूं ।अर्जुन ने कहा ।

    तो फिर आप क्या किया जाए।

    मुझे लगता है तुम सीरत से शादी कर लो और

    माया को सिर्फ पैसों से मतलब है ।

    तुम उसे पैसे देते रहो । रहमान ने अर्जुन को सलाह दी।

    तुम्हें पता है उसके पास वह केवल बच्ची ही नहीं

    एक वीडियो भी है और  वह वीडियो अगर बाहर आता है

    तो क्या हो सकता है ।

    सबसे बड़ी परेशानी की वजह ही वह वीडियो है। तुमसे ज्यादा मेरे बारे में कोई नहीं जानता।

    आगे अर्जुन के पास कहने को कुछ नहीं बचा था।  रहमान के घर से फोन आ गया था उसे जाना पड़ा।

    सभी की बातें सुनकर सीरत अपना सिर पकड़ कर बैठी थी ।

    दादू आप मुझे इतनी जल्दी घर से क्यों निकालना चाहते हैं ।

    क्या मैं आपको अच्छी नहीं लगती ।

    बेटा तुम ऐसा क्यों कह रही हो ।उसकी दादी ने उससे कहा ।

    कल तो सगाई हुई है आज शादी की डेट  फिक्स हो गई।

    अब सगाई हो चुकी है। अब शादी तो करनी होगी ना। दादी ने कहा।

    तो फिर जनवरी की डेट फिक्स कर देते ।

    इसमें तो एक महीना भी नहीं है पूरा ।सीरत कहने लगी ।

    चलो बेटा अब तो शादी की डेट निकल ही गई है ।

    थोड़े दिन आगे पीछे होने से क्या फर्क पड़ता है। उसने सीरत को बड़े प्यार से समझाया।

    वो वहां से उठकर अपने कमरे में आ गई थी।

    जिस आदमी से मैं 2 मिनट बात नहीं कर सकती ।

    उससे मैं शादी कर रही करने जा रही हूं।

    अब तो मैं  उसके पास से भाग  जाती हूं।

      से शादी के बाद क्या करोगी।

    तभी उसको रौनी बुलाने आ गया।

    दीदी चलो आपको सभी नीचे बुला रहे हैं। वह वापस चली गई थी ।

    सीरत थोड़ी देर में तुम्हारे ससुराल वाले आने वाले हैं।

      तुम अच्छे से तैयार हो जाओ ।

    मेरे ससुराल वाले ।

    आप किसकी बात कर रहे हो।

    और किसकी बात करूंगी।

    तुम्हारी सगाई किस्से हुई है।

    उस अर्जुन से। सीरत ने कहा।

    तो उसकी फैमिली आ रही है।

    तो ऐसा कहो ना बड़े दादा की फैमिली आ रही है।

    अब वह तुम्हारे ससुराल वाले हैं ।

    केवल इसके नहीं रीना के भी ससुराल वाले भी हैं । सीरत की चाची रीमा ने बीच में कहा ।

    जाओ तुम दोनों तैयार होकर आ जाओ।

    घर में असल में आज शाम जो शादी की डेट फिक्स हुई थी। उसे पर डिस्कशन करना था। इसके लिए राम जी दास की पूरी फैमिली आ रही थी और साथ में  उन्हें खाने पर भी बुलाया गया था।

    सीरत और रीना दोनों ही तैयार हो चुकी थी। राम जी दास की पूरी फैमिली वहां आ गई थी। मगर अर्जुन नहीं पहुंचा था।

    अर्जुन कहां रह गया। दादाजी ने अर्जुन को न देखकर पूछा।

    भाई थोड़ा लेट आएंगे उन्हें थोड़ा काम है। निलेश ने जवाब दिया।

    वह तो सगाई के दिन भी लेट आया था ।आज कहां पहुंचेगा ।अर्जुन की चाची नीता बीच में कहने लगी ।

    उसका ना आना सीरत के दादाजी को अच्छा नहीं लगा। मगर सीरत ने अपने रब 😁का शुक्रिया अदा किया।

    वह उसके ना आने से खुश थी क्योंकि उसे तो डर था कि उसकी सिगरेट वाली शिकायत ना लग दे।

    सभी बैठकर बातें कर रहे थे। सीरत भी  बीच में बैठी हुई थी । वह अर्जुन के ना आने से बहुत खुश थी।

    तभी रौनी  उसके पास आया ।

    दीदी लगता है आज हम बच गए । वह नहीं आया है।

    बात तो तुम्हारी ठीक है। वरना पक्का हमारी शिकायत लगती।

    अरे दोनों भाई बहन क्या बात कर रहे हो हमें भी सुना दो। राम जी दास ने उन दोनों को बातें करते देखकर कहा।

    कुछ नहीं दादा जी बस ऐसे ही । सीरत ने बहाना बनाया।

    भाई अब तो हम जल्दी से दोनों बच्चियों को अपने घर ले जाएंगे।

    हमारे घर में इन दोनों बच्चियों से रौनक को जाएगी।

      तो ठीक है अब शादी की शॉपिंग शुरू करते हैं ।अर्जुन की मॉम मीरा जी ने कहा।

    तभी हाल में बाहर से होरन की आवाज सुनाई थी।

    लगता है भाई आ चुके हैं।अनुज कहने लगा।

    तभी तेज चल चलता हुआ अर्जुन अंदर आया।

    प्लीज मेरी सीरीज पर कमेंट करें साथ में रेटिंग भी दे आपको मेरी सीरीज कैसी लग रही है कमेंट में बताएं मुझे फॉलो करना और स्टीकर देना याद रखें।।

  • 6. तेरे बिना - Chapter 6

    Words: 1098

    Estimated Reading Time: 7 min

    तभी तेज चल चलता हुआ अर्जुन अंदर आया। उसे देखकर रौनी और सीरत के तो होश उड़ गए थे । दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे।

    अच्छा हुआ बेटा तुम आ गए ।

    तुम्हारी ही वेट हो रही थी । सीरत के दादाजी ने अर्जुन से कहा।

    और नहीं तो क्या ।

    हम सब भुखे बैठे हैं आपके इंतजार में।   अनुज ने कहा।

    सभी लोग खाने के लिए बैठ गए थे।

    खाना लगाने में  सीरत रीना और रीमा तीनों नौकरों के साथ सभी खाना लगा रहे थे। खाना खाते हुए अर्जुन ने नजर उठाकर कई बार सीरत की तरफ देखा। मगर  सीरत ने उसकी तरफ नहीं देखा था।

    उसकी नज़रें अपने चेहरे पर सीरत में भी महसूस की थी ।सीरत को लगा के डाइनिंग टेबल पर सभी के सामने उसकी सिगरेट वाली बात अर्जुन कहीं कह ना दे।

    एक तो वह अर्जुन से वैसे ही डरती थी ।आज तो उसकी सचमुच की गलती थी। सभी ने  खाना खा लिया था और सभी बाहर लॉन में आकर बैठ गए थे।

    तो फिर अर्जुन तुम लेट हो गए हमने शादी की डेट फिक्स कर दी। दादाजी ने कहा ।

    कब की तारिक है। अर्जुन पूछने लगा।

    13 तारीख को तुम दोनों की शादी है ।

    मगर उसमें तो दिन बहुत कम है ।

    मुझे लगता है कि जनवरी की डेट होनी चाहिए थी ।

    देखो अगर अपने मनपसंद की डेट चाहिए थी तो पहले आना था।

    अब तो हो चुका ।निवेश ने कहा और उसने बात करते हुए मुस्कुराकर रीना की तरफ देखा।

    वैसे अब बेटा तुम्हारी सगाई हो चुकी है तो शादी भी होगी ना ।रीमा जी ने कहा।

    तभी निलेश वहां से खड़ा हो गया उसने रीमा की तरफ चेहरा किया।

    आंटी जी अगर आपको प्रॉब्लम ना हो तो मैं रीना के साथ थोड़ा बाहर घूमने जा सकता हूं ।

    बस हम जल्दी ही लौट आएंगे ।

    ध्यान से जाना ।अर्जुन ने उससे कहा।

    ध्यान से जाना क्या होता है तुम दोनों भी जाओ । सीरत के दादाजी ने अर्जुन से कहा।

    जाते हुए अर्जुन ने अपना ब्लेजर उतरकर वही रख दिया और बाहर की तरफ हो जाने लगा ।

    मुझे लगता है सर्दी है आपको ब्लेजर पहनना चाहिए। सीरत उसे ब्लेजर उतारने देखकर कहने लगी।

    नहीं ऐसी कोई बात नहीं।  अर्जुन ने उसकी बात की तरफ ध्यान नहीं दिया और बाहर की तरफ जाने लगा ।

    तभी अर्जुन का फोन बजा ।

    ठीक है मैं आ रहा हूं । अर्जुन ने फोन पर किसी से कहा।

    तुम तीनों  गाड़ी से बाहर  आओ।

    क्या हुआ है मुझे काम है अर्जेंट ।अर्जुन उनको  को गाड़ी से उतार दिया और खुद गाड़ी लेकर चला गया।

    तुम लोग वापस क्यों आ गए ।दादी जी ने कहा।

    भाई को काम आ गया था।

    वह गाड़ी लेकर चले गए । नीलेश ने कहा।

    ऐसा भी क्या काम जो रात को इतने बजे होता है ।अर्जुन की चाची नीता ने कहा ।

    मॉम होगा कोई काम भाई को । नीलेश ने अपनी माम को टोका।

    सीरत समझती थी कि अर्जुन को उसके साथ जाने में कोई इंटरेस्ट नहीं है इसलिए उसका जाना ही अच्छा था।

    सीरत मुझे तो लगता है तुम्हें तो सारी जिंदगी अर्जुन का इंतजार ही करना है ।

    अच्छी बात है अभी से आदत डाल लो। नीता ने फिर सीरत से कहा।

    असल में उसकी चाची दिल से अर्जुन को पसंद नहीं करती थी क्योंकि उसे लगता था कि अर्जुन की अहमियत घर हो जां ऑफिस उसके बेटे से ज्यादा है और उससे पूछे बिना कोई फैसला घर में नहीं किया जाता ।

    नीता तुम  यह क्या कह रही हो। उसके चाचा जी ने  उसकी चाची को बीच में टोका।

    अब कुछ बातें तो वक्त बताएगा।

    अभी किसी बात के बारे में कहना जल्दबाजी होगी। अर्जुन की मॉम मीरा जी ने कहा।

    देख लेना एक बार तुम शादी करके घर आ जाओ ।

    फिर वह तुमसे पूछे बिना तो सांस भी नहीं लेगा ।मीरा जी उठकर सीरत के पास चली गई ।

    आप सब लोग कैसी बातें कर रहे हैं ।काम तो करना ही है ।

    अगर काम नहीं करेंगे तो कैसे चलेगा।

    अब यह सोचो कि इतनी रात के आराम करने की जगह अर्जुन जी काम कर रहे हैं ।

    बिल्कुल बेटा इसीलिए तो मैं सीरत को पसंद किया है अपने अर्जुन के लिए। अर्जुन के दादाजी रामजी दास कहने लगे।

    मुझे पता था मेरे बेटे के लिए सीरत ही सही है ।

    बिल्कुल मेरी सीरत लाखों में एक है।

    मुझे मेरे अर्जुन के लिए शुरू से ही सीरत पसंद है। अब अर्जुन के दादी जी भी कहने लगे ।

    देख लेना बहन जी ।जब सीरत आपके घर में जाएगी

    तो मेरी बेटी में कितने गुण हैं आप सोच भी नहीं सकते। सीरत की दादी जी भी सीरत की तारीफ करने लगी ।

    सीरत  सब की बातें सुनकर मुस्कुरा रही थी ।मगर उसका दिल जल रहा था।

    उसे उसने अपने आप से कहा यह सब कहने की बातें हैं ।

    उन्हें मुझ में कोई इंटरेस्ट नहीं है ।

    मुझे तो उनसे बात करने से भी डर लगता है।

    हम दोनों एक दूसरे के साथ कैसे जिंदगी बताएंगे मालूम नहीं ।

    प्यार तो बहुत दूर की बात है हम दोनों तो एक दूसरे के साथ कभी 10 मिनट भी नहीं बैठे हैं आज तक।

    सीरत के मन में बहुत सी बातें चल रही थी। मगर वह कोई भी बात अपने चेहरे पर नहीं लेकर आई थी।

    नीता और रीमा दोनों ही खुश थे कि उनके बच्चों की सगाई हो चुकी थी और शादी होने वाली थी ।

    मैं एक बार जरूर कह सकती हूं निलेश मेरा बेटा रीना को बहुत खुश रखेगा।

    देख लेना । नीता ने कहा।

    बिल्कुल  दोनों बहुत खुश रहेंगे । रीमा ने उनकी हां में हां मिलाई।उनकी बातें सुनकर उन दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुराने लगे ।

    वह दोनों जैसी बातें कर रही थी जानबूझकर सीरत को जला रही थी क्योंकि सीरत तुम दोनों को ही पसंद नहीं थी।

    सीरत के चेहरे पर चाहे खुशी थी ।मगर उसकी आंखें उदास थी।

    कौन सी लड़की नहीं चाहती थी कि उसका होने वाला पति उसे इज्जत और प्यार  दे। मगर अर्जुन के पास तो बिल्कुल टाइम भी नहीं था और सब इसी के बारे में बात कर रहे थे। मीरा जो सीरत के चेहरे की तरफ देख रही थी ।उन्हें सीरत के मन की हालत समझ आरही थी ।उन्होंने अनुज को इशारा किया।

    अर्जुन को किसका फोन आया था। जिस वजह से वह चला गया।

    क्या सीरत और अर्जुन के रिश्ते में दरार और बढ़ जाएगी ।प्लीज मेरी सीरीज पर कमेंट करें साथ में रेटिंग भी दे।आपको मेरी सीरीज कैसी लग रही है कमेंट में बताएं ।मुझे फॉलो करना और भी देना याद रखें।

  • 7. तेरे बिना - Chapter 7

    Words: 1104

    Estimated Reading Time: 7 min

    कौन सी लड़की नहीं चाहती कि उसका होने वाला पति उसे इज्जत दे ,प्यार दे और टाइम भी।मगर अर्जुन के पास तो बिल्कुल भी टाइम नहीं था।  सभी इसी के बारे में बात कर रहे थे ।मीरा जी जो सीरत के चेहरे की तरफ देख रही थी। उन्हें सीरत के मन की हाल समझ आ रही थी। उन्होंने आप उनका इशारा किया है।

    अनुज उठ कर  सीरत के पास के चला गया ।

    भाभी  आप फिक्र मत करो ।आपका देवर है आपका मन लगाने के लिए।

    मुझे पता है आपके उसे होने वाले पति के पास तो बहुत काम है ।

    मगर मैं बिल्कुल फ्री हूं ।


    तुम मुझे भाभी क्यों कह रहे हो। सीरत ने उसे टोका।

    तुम मेरे देवर नहीं मेरे भाई हो।

    सीरत और अनुज   एक साथ साइड पर बैठे हुए थे। सभी अपनी बातों में लगे थे।


    एक बात कहूं मैं अभी आपसे। अनुज ने कहा।

    एक बात आप जानती हैं  कि भाई के पास बहुत काम हैं ।

    भाई चाह कर भी काम नहीं छोड़ सकते। जो उनकी जिम्मेदारी है बहुत ज्यादा है।


    कोई बात नहीं मैं नहीं कब कहा। काम तो अब करना ही है।

    इतना बड़ा बिजनेस  जो उन्होंने खड़ा किया है। संभालना तो पड़ेगा।

     

    मेरी स्टडी खत्म हो जाए फिर मैं बिजनेस जॉइन कर लुंगा

    और धीरे-धीरे में भाई की जिम्मेवारियां बांट लूंगा

    फिर वह आपके लिए फ्री हो जाएंगे।

    सीरत ने अनुज के सर पर हाथ मारा।


    बिल्कुल! पहले तुम अपनी स्टडी खत्म करो

    फिर बिजनेस के बारे में सोचना और अदिति कब आ रही है

    सीरत ने  अर्जुन की छोटी बहन के बारे में पूछा। जो दोनों भाइयों से छोटी थी । जो हॉस्टल में रहती थी।



    वह आपकी शादी के टाइम पर ही आ सकेगी ।उसकी स्टडी है ।

    दिसंबर के लास्ट वीक छुट्टियां होंगी


    तब आएंगे दोनों।

    असल में अर्जुन की छोटी बहन अदिति और निलेश की छोटी बहन दोनों  हॉस्टल में रहती थी। उन दोनों से ही सीरत की अच्छी बनती थी ।निलेश की छोटी बहन  नीना और अदिति दोनों सीरत की अच्छी सहेलियां थी ।

    रात को सिंघानिया फैमिली अपने घर वापस आ गई थी ।सीरत अपने कमरे में चली गई । उसकी दादी उस के कमरे

    में आती है।

    दादी मुझे बुला लेते हैं आप । सीरत ने उन्हें देखकर कहा।

    मुझे तुमसे बात करनी थी बेटा

    तुम मन खराब मत करना । दादी उसे समझाने लगी।

    किस बात को लेकर । सीरत ने कहा।

    पता है मुझे अर्जुन लेट आया था और फिर चला गया ।

    उनकी बात पर सीरत  हंसने लगी।

    दादी  अब काम तो करना ही है ना ।

    जैसा आप कहते हैं अगर मर्द काम नहीं करेंगे तो कौन करेगा ।

    आप उस बात की टेंशन मत लो। उसने हंसकर कहा।

    तुमसे बात करके ना मन हल्का हो जाता है।

    मैं तो ऐसे ही तुम्हारी फिक्र कर रही थी! उसकी दादी ने कहा ।वह दोनों दादी पोती बहुत देर तक भी बैठ कर बातें करती रही ।

    अच्छा  तो हम मोहाली कब जाएंगे। सीरत ने पूछा।

    तुम्हारी शादी तो फिक्स हो चुकी है मोहाली किस लिए जाना है ।

    क्यों हमारा घर तो वही है ना ।

    शॉपिंग करनी है शादी की। ।

    तुम्हारे लिए शादी का लहंगा लेना देना है। दादी ने कहा।

    मै सोच रही थी जो आपके पास शादी की ज्वेलरी है।

    वही  जो आपने पहनी थी  आपनी शादी के टाइम पर पहनी थी। मुझे वो चाहिए।

      वह सारा सामान तेरा है।

    तेरी मां के गहने और मेरे  गहने सब मैं तुझे दे दूंगी

    तुम जो मर्जी करना।

    ठीक है ।सीरत ने हंसकर कहा ।

    ठीक है दादी आज आप मेरे पास सो जाओ

    हां अगर दादू को आपके बिना नींद आ जाएगी तो।

    शरारती दादा दादी को छेड़ रही हो। सीरत दादी के गले लग गई।

    उधर होटल के कमरे में अर्जुन माया के साथ था।

    तुमने मुझे किस लिए बुलाया ।

    आज सुबह ही तो तुम मिलने आई थी मुझसे ।

    कारण तुम जानते हो।

    मैंने सुना है तुम्हारी शादी की डेट तो फिक्स हो चुकी है।

    मैंने कहा है ना मैं शादी नहीं करूंगा ।

    तुम फ़िक्र मत करो।

    कैसे भी  शादी कैंसिल हो जाएगी ।

    अब मैंने प्लान बदल दिया है।

    तुम शादी कर लो।

    क्या चाहिए तुम्हें इसके बदले । अर्जुन ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

    माया उसके हाथ में शराब का ग्लास था। वह एक घूंट भरते हुए अर्जुन के बिल्कुल पास आकर बैठकर अर्जुन के कंधे पर हाथ रखती है।

    मुझे  क्या चाहिए मैं तुम्हें शादी के दिन बताऊंगी । उसने मुस्कुराते हुए कहा।

    देखो माया तुम मुझे क्यों परेशान करती हो ।

    मैं तो कहती हूं मेरा नंबर ब्लॉक कर दो। फिर मैं तुम्हें परेशान नहीं करूंगी।

    कहते हुए उसने पूरा पैग खत्म कर दिया और ग्लास टेबल पर रखती हुई कहने लगी।

    तुम इतने हैंडसम हो कि कोई भी लड़की तुझ पर मर जाए।

    उसे दिन में सगाई के दिन भी तुम्हारी वजह से लेट पहुंचा और जल्दी चला आया ।

    आज भी सीरत क्या सोचती होगी मेरे बारे में ।

    क्यों पसंद करते हो उसे। माया ने कहा

    यह कोई कहने की बात है। उससे शादी कर रहा हूं

    अगर पसंद है तभी कर रहा हूं।

    माया जोर से हंसने बहुत सी थी।

    ऐसा भी क्या है उस में।

    जैसे मैं कर रहा हूं अब तक तो बवाल हो जाता

    उसने एक बार भी कोई बात नहीं कही ।

    बहुत तारीफ कर रहे हो इसकी।

    तो ठीक है उसके सीरत की आजमाइश करेंगे हम ।

    देखते हैं कि वह क्या करेगी।

    ऐसा क्या करने वाली हो तुम । अर्जुन ने उससे पूछा ।

    शादी के दिन बताऊंगी यह बात मैं तुझे।

    जल्दी से मुझे तुम लोगों की शादी का इंतजार है ।

    अर्जुन वहां से खड़ा हो गया ।

    ठीक है मैं चलता हूं।वो खड़ा हो गया।

    माया ने उसका हाथ पकड़ लिया। कहां जा रहे हो।

    बहुत रात हो चुकी है ।घर जा रहा हूं।

    माया सोफे से उठ गई और अर्जुन के गले में बाहें डालते हुए कहने लगी ।

    आज यहीं रुक जाओ मेरे साथ ।

    अर्जुन ने अपने गले से उसकी बाहे निकाल दी ।

    मुझे लेट हो रहा है। कहता हुआ अर्जुन कमरे के बाहर चला गया ।माया उठी और एक पैग और बनाने लगी ।

    तुम्हारी  होने  वाली वीबी कितनी सीधी है

    यह तो शादी के दिन पता चलेगा

    देखती हूं अगर शादी के दिन ही  शादी तोड़ कर ना चली गई

    तो मेरा नाम माया नहीं।

    आखर माया ऐसा क्या करने वाली है।

    माया शादी के दिन अर्जुन के सामने कौन सी शर्त रखने वाली है।

    प्लीज मेरी सीरीज पर कमेंट करें साथ रेटिंग भी दे आपको मेरी सीरीज कैसी लग रही है कमेंट में बताएं मुझे फॉलो करना और रिव्यू देना याद रखें।ऋ

  • 8. तेरे बिना - Chapter 8

    Words: 1190

    Estimated Reading Time: 8 min

    तुम्हारी होने वाली बीवी कितनी सीधी है यह तो शादी के दिन ही पता चलेगा ।
    देखती हूं मैं ।अगर शादी के दिन ही वह शादी तोड़ कर ना चली गई तो
    मेरा नाम माया नहीं ।
    मैं जो सोचती हूं मैं वही करती हूं ।माया बैठी हुई ड्रिंक कर रही थी ।

    फिर उसे किसी का फोन आया। सामने से किसी ने कोई बात की।
    जवाब में माया ने कहा।
    अगर वह सो नहीं रही है। तो  ऐसा करो उसके दूध में  जरा सा नशा मिला दो।
    वह सो जाएगी ।फिर उसने फोन काट दिया था।

    अर्जुन आपने घर चला गया। काफी रात हो चुकी थी। सभी सो चुके थे ।वह काफी परेशान था ।अब  एक नई परेशानी  पैदा हो गई थी ।

    माया शादी के दिन क्या करने वाली थी ।कौन सी नई शर्त थी वह रखने वाली थी ।अब तो वह सीरत को भी टारगेट करने लगी थी ।अर्जुन अपनी परेशानी किसी के साथ शेयर भी शेयर नहीं कर सकता था। जाकर उसने कपड़े बदले और सो गया था।

    दादी सीरत के पास से चली गई थी। उसकी आंखों में नींद नहीं थी।


      जब मैं आपको पसंद नहीं थी तो आप शादी के लिए मना कर सकते थे
    घर में सभी आपका डिसीजन मानते हैं
    तो आपको कोई शादी के लिए फोर्स तो नहीं कर सकता ।
    सीरत  को समझ नहीं आ रहा था कि अर्जुन उस से शादी क्यों कर रहा था।
    अगर वह उसे अपनी खुशी से शादी कर रहा है तो
    फिर उसे लगा क्यों नहीं। उसके दिमाग के घोड़े दौड़ रहे थे।

    वह अपने मन की बात किसी से शेयर नहीं कर सकती। उसकी दादी की इतनी उम्र नहीं थी कि वो टैंशन झेल नहीं सकती थी। आज उसी शिद्दत से अपनी मां की याद आ रही थी ।

    अगली सुबह  शॉपिंग का प्लान बन रहा था। सीरत ने कहा कि  मुझे अपनी मां का लहंगा और दादी की ज्वेलरी पहननी है ।वह सभी सिंघानिया मेंशन में बैठे हुए थे ।

    मुझे लगता है कि  यह गलत डिसीजन होगा। रीमा ने उसे टोका।

    वह कितना आउटडेटेड लहंगा है और फिर ज्वेलरी भी इतनी पुराने डिजाइन की है।
    मुझे  लगता है अर्जुन कितना बड़ा बिजनेसमैन है
    और अगर तुम ऐसे कपड़े पहनेगी तो उसकी कितनी  बेइज्जती होगी ।अर्जुन की चाची  ने कहा ।

    मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा की अर्जन ने तुमसे शादी के लिए मना क्यों किया ।
    अर्जुन की चाची रीमा कहने लगी।

    उसे टाइम मीरा जी वहां पर नहीं थी ।नीता ,रीमा, रीना और सीरत बैठी हुई थी। मीरा जी किचन में थी और दादी जी अभी तक उनके पास नहीं आई थी।

    उनकी बात पर सीरत ने उसकी तरफ देखा।
    देखो बुरा मत मानना अर्जुन इतना बड़ा बिजनेसमैन है। दुनिया उस पर मरती है।
    वह तुम जैसे सीधी साधी लड़की के साथ शादी करने के लिए मान लिया।
    यही बहुत बड़ी बात है। रीमा ने उसकी हां में हां मिलाई।


    बात तो तुम्हारी सही है। मुझे तो लगा था कि अर्जुन लव मैरिज करेगा।
    कितनी सारी मॉडल से उसकी दोस्त हैं । वह उन औरतों से मिलता है जो बिजनेस संभालती है।
    वो कितनी स्टाइलिश औरतें  हैं और तुम देखो।
    खूबसूरत तुम हो इसमें कोई शक नहीं मगर तुम सिर्फ सूट पहनती हो।
    मुझे तो नहीं लगता कि तुम्हारे स्टाइल का और अर्जुन के स्टाइल का कोई मैच है। दोनों ही एक ही बात कर रही थी ।

    मुझे पता है अर्जुन क्यों शादी कर रहा है । रीमा ने कहा।

    सीरत उसके चेहरे की तरफ देखने लगी थी। जिस तरह से वह बात कर रही थी उसका मन बहुत खराब हो रहा था।

    क्यों किस लिए । नीता ने कहा।

    देखो अर्जुन को तो बहुत काम रहता है ।
    उसे ऐसी बीवी चाहिए थे जो उसे बिल्कुल नहीं टोके
    जब उसका मन करे आए, मन करे जाए और
    क्या लगता है भाई अर्जुन का किसी के साथ कोई अफेयर नहीं होगा।
    ऐसी बहुत सी औरतें होगी जिसकी अर्जुन के साथ रिश्ते होंगे
    और उसके हिसाब से सीरत  घर पर रहेगी और वो चाहेगा वही करेगा।

    तुम  लोग यह कैसी बात कर रही हो।तभी दादी वहां पर आ गई थी।
    उसने उन तीनों को खूब फटकार लगाई ।

    बेटा तुम मन खराब मत करो ।
    ठीक है कि वह कल भी लेट आया और सगाई के दिन भी ।
    मगर उसे बहुत काम है ।

    मीरा जी भी वहां आ गई थी। सिर्फ थोड़ी देर के लिए सीरत वहां बैठी फिर वहां से उठकर वह चली थी ।उसके दिमाग में रीना के कहीं हुई बातें घूम रही थी।

    क्या सच में मुझे अर्जुन ने इसलिए पसंद किया है क्योंकि मैं सीधी शादी हूं
    और उसकी लाइफ में दखल नहीं दूंगी । सोच सोच कर उसका दिमाग फटने को था।

    उसे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि क्या होगा। तभी घर की एक नौकरानी उसे बुलाने चली आई ।
    दीदी आपको सभी बुला रहे हैं ।

    वो फिर  फिर चली गई थी। सभी का प्लान था कि  शापिंग के लिए जाना है ।शादी की शॉपिंग करनी है ।

    सोच लो सीरत तुम बाद में यह बात   मत कहना कि
      रीना ज्यादा सुंदर लग रही है। रीमा ने सीरत लहंगे और ज्वेलरी का डसीजन बदलने के लिए कहा।

      मैंने सोच लिया है। मैं वही पहनुगी
    मैं अपनी मॉम का लहंगा और दादी की ज्वेलरी ही  पहनुंगी शादी के दिन । सीरत ने कहा।

    उसका तो वैसे भी उन सभी की बातें सुनकर उसका  मन मर चुका था ।
    उसका शादी के लहंगे और ज्वेलरी किसी भी चीज में कोई इंटरेस्ट नहीं था।

    तभी अचानक बाहर से अर्जुन अंदर आया। वैसे तो वह ऑफिस चला गया था ।शायद किसी काम की वजह से वह घर वापस आया था ।

    उसे देखकर नीता ने उसे बुलाया ।
    अर्जुन बेटा जरा मेरी बात सुनो ।

    बताइए कोई काम था चाची ।उसने पूछा ।

    तुम्हारी होने वाली बीवी अपनी मां का लहंगा और दादी के गहने पहनने को कह रही है।
    मैंने सोचा मैं तुम्हें बता दूं ।तुम्हारे इतने जाने वाले आएंगे शादी में।
    कहीं तुम्हारी बेइज्जती ना हो जाए ।

    उसकी बात सुनकर अर्जुन ने सीरत की तरफ देखा। जो वहां बैठी हुई थी और वह भी उन दोनों की तरफ देख रही थी।

    सीरत जिसने व्हाइट कलर का अनारकली पहना हुआ था और उसके साथ रेड कलर का दुपट्टा कैरी किए हुए, बिना किसी मेकअप के खुले बालों में बहुत खूबसूरत लग रही थी।

    तो तुम अपनी मॉम का लहंगा पहनना चाहती हो। अर्जुन ने उससे कहा।

    जी । सीरत   ने कहा।

    मुझे लगता है तुम एक बार डिजाइनर की सलाह ले लो।
      वह काफी टाइम का है वह थोड़ा उसे नई लुक दे देगा ।
    अगर तुम चाहो तो डिजाइनर रूबीना मेरी फ्रेंड है मैं उससे बात कर सकता हूं ।

    ठीक है यही सही रहेगा। सीरत बोली ।

    मैं तुम्हें उसका का नंबर व्हाट्सएप कर रहा हूं।
    तुम उससे बात कर लेना ।उसे तो लगा था कि अर्जुन सीरत को वह ड्रेस पहनने से मना करेगा मगर वह तो खुशी से तैयार था।

    आखिर अर्जुन के मन में क्या था।

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  • 9. तेरे बिना - Chapter 9

    Words: 1022

    Estimated Reading Time: 7 min

    अर्जुन वहीं खड़े हुए  हुए फोन लगाता है।

    हेलो रूबीना कैसी हो तुम । अर्जुन ने कहा।

    बहुत दिनों बाद याद किया आपने मुझे। कितना टाइम हो गया हम मिले ही नहीं। आगे  से उसकी फ्रेंड रूबीना खन्ना ने कहा। जो कि बॉलीवुड  एक फेमस ड्रेस डिजाइनर थी ।

    वह क्या है कि मेरी होने वाली वाइफ को अपनी ड्रेस के अकॉर्डिंग आपकी सजेशन चाहिए थी।
    जब अर्जुन ने फोन पर सीरत को होने वाली वाइफ कहा तो सीरत ने उसकी तरफ देखा। अर्जुन के ऐसा कहने पर सीरत का दिल जोर से धड़का था। ।।

    एक्चुअली क्या है कि वह ट्रेडिशनल ज्वेलरी और ड्रेस पहन रही है ।
    मतलब उसकी दादी और मॉम की है
    तो उसे नया लुक देना है। अर्जुन ने उसे बताया। अर्जुन बात करते हुए बीच-बीच में सीरत की तरफ देख लेता था।

    अच्छा किया आपने मुझे फोन कर लिया।
    मैं जहां अपने स्टोर पर आई हुई हूं ।
    आप लोग शाम को 4:00 बजे पहुंच जाओ । रूबीना खन्ना ने कहा।

    ठीक है मैं तुम्हें सीरत का नंबर सेंड कर रहा हूं। उससे बात करने के बाद अर्जुन ने कहा।

    रूबीना खन्ना आज दिल्ली में है ।
    तो शाम को 4:00 बजे उसने बुलाया है।
    तुम अपना ज्वेलरी और लहंगा ले जाना।

    जी ठीक है। सीरत ने कहा।

    और हां तुम्हें कोई कोई और लहंगा पसंद आए तो वह भी फाइनल कर सकती हो। अर्जुन सीरत से बात कर रहा था।

    मुझे भी उसी से अपनी शादी का लहंगा बनाना है ।रीना ने कहा।

    तो ठीक है तुम लोग भी चले जाना वहां पर ।कहता हुआ अर्जुन बाहर की तरफ चला गया था।।

    अरे तुम लोग तो कह रहे थे कि उसे सीरत में कोई दिलचस्पी नहीं है
    मेरे बेटे को हर चीज का पता है। उसकी दादी उसकी तारीफ करने लगी ।
    उसे पता है उसकी बीवी को क्या चाहिए ।
    सीरत  बेटा  देख लेना शादी हो जाने दो।
    तुमसे पूछे बिना तो वह सांस भी  लेगा। दादी ने उसे हंसकर कहा।
    तुम्हारे दादाजी भी ऐसे ही थे शादी से पहले
    गुस्से वाले  बिल्कुल अर्जुन के जैसे।
    जब शादी की बात चली तो मेरी सहेलियों मुझे  कहती
    वह आदमी तो ऐसा है
    पूरा दिन काम काम की पड़ी रहती है तुम कहां शादी कर रही हो।
    जब शादी हुई मुझे तब पता चला तुम्हारे दादाजी मुझे कितना चाहते थे
    और फिर काम नहीं करते तो इतना बड़ा बिजनेस कैसे खड़ा करते
    अगर उन्होंने बाहर के डिसीजन लिए तो घर के सारे डिसीजन मैंने लिए
    मुझे उन्होंने कभी नहीं टोका
    बच्चों की शादियां मैंने मर्जी से की
    बहूए भी ने मैंने खुद पसंद की समझी तुम। उन्होंने कहते हुए सीरत को गले लगा लिया।

    उसकी बात पर रीमा और नीता एक दूसरे की तरफ देखने लगी ।



    सीरत  सब की बातें सुन रही थी ।मगर उसके दिल और दिमाग को समझ नहीं आ रहा था। जिस तरह से अर्जुन ने उसकी कपड़ों की फिक्र की थी और उसे अपनी होने वाली वाइफ कहा था ।उसे हिसाब  तो  उसकी बात करने से तरीके से तो सीरत को ऐसा लग रहा था कि वह सिर्फ उसी की है ।मगर वो  कभी-कभी उसे इग्नोर क्यों करता था।  उसके दिल की बातें दिल में ही थी। वह सबके सामने मुस्कुराती रही ।

    मीरा  उन्हीं के पास आकर बैठ चुकी थी ।

    वैसे आंटी आपको डॉक्टर के पास कब जाना है।सीरत ने पूछा।

    मैं तुम्हारी आंटी नहीं आप तुम्हारी मॉम हूं। मीरा जी ने उसे टोका।

    हां मतलब मामा आपको डॉक्टर के पास कब जाना है।

    डॉक्टर ने कहा है कि अभी मेरी बॉडी ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं है ।
    दवाइयां दी है अगर सारे टेस्ट सही आते हैं और तो उसके बाद मेरा ऑपरेशन होगा । मीरा जी बताने लगी।

    जब तुम्हें डॉक्टर ने रेस्ट करने को कहा है तो तुम किचन में क्या करती रहती हो ।
    दादी ने गुस्से से कहा।

    क्या मॉम आप मेरे साथ बाजार चलेंगे।सीरत  ने मीरा जी से पूछा।

    बिल्कुल भी नहीं। उससे पहले दादी ने कहा।

    इसे डॉक्टर ने ज्यादा चलने फिरने से मना किया है।
    वरना इसका ऑपरेशन कैसे होगा ।
    हार्ट की प्रॉब्लम पता है इसकी कितनी बढ़ चुकी है । दादी बताने लगी।

    ठीक है बेटा मैं नहीं जाऊंगी । मीरा जी ने कहा।

    अब मैं चली जाऊंगी ना इसके साथ तभी एक मीठी सी आवाज आई ।

    उसने देखा तो वह अदिति थी ।

    वह भाग कर अदिति के गले लग गई ।साथ में नीना भी थी।

    तीनों सहेलियां एक दूसरे के साथ गले लग गई ।

    तुम लोग अचानक जहां पर कैसे । सीरत ने खुश होकर पूछा।

    मुझे अर्जुन भाई ने बुलाया है ।उसकी बात सुनकर सीरत ने  आगे उससे कुछ नहीं पूछा।

    चलो अच्छा हुआ अब सीरत और अब तुम दोनों  मिलकर पूरी शॉपिंग करो। मीरा ने कहा।

    मैं भी तो हूं
    दोनों नहीं तीनों मिलकर शॉपिंग करेंगे । नीना कहने लगी ।

    देखो  सारा सामान अपनी पसंद का खरीदना है ।
    मैं किसी और की पसंद का कुछ नहीं लेने वाली ।रीना ने  नीना की बात पर कहा ।

    मैं आपकी बात नहीं कर रही मैं  सीरत की शॉपिंग की बात कर रही हूं ।
    पता है मुझे आपको अपनी पसंद ही पसंद है । नीना ने उसे जवाब दिया ।

    जिस तरह से  रीना ने नीना से बात की थी ।नीता को अनीता को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था। मगर फिर भी वह चुप रही ।
    तो हम लोग लंच के बाद बाजार चलेंगे । अदिति कहने लगी।

    हम लोग तो अभी जाने वाले हैं ।रीना ने  जबाव दिया।

    उन तीनों सहेलियों को छोड़कर नीता और रीमा
    रीना के साथ बाजार चली गई थी।

    चलो मेरे कमरे में चलते हैं । अदिति ने नीना और सीरत से कहा।

    तुम लोग आओ
    मैं चेंज करके आती हूं ।नीना अपने रूम की तरफ चली  गई।सीरत अदिति के साथ उसके कमरे में चली गई थी।

    अर्जुन की छोटी सिस्टर अदिति और नीलेश की छोटी बहन नीना दोनों सीरत की अच्छी सहेलियां थी। तीनों  में आपस में बहुत प्यार था ।वो दोनों हॉस्टल में पढ़ती थी।

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  • 10. तेरे बिना - Chapter 10

    Words: 934

    Estimated Reading Time: 6 min

    तीनों सहेलियां तो टाइम पर नहीं पहुंची थी मगर नीता और रीमा, रीना के साथ रूबीना खन्ना के शोरूम पर पहुंच चुकी थी।  रीना को डिजाइनर लहंगा चाहिए था और वह किसी भी तरह से सीरत से कम नहीं दिखना चाहती थी । रूबीना खन्ना उस वक्त अपने ऑफिस में थी ।वह स्टोर में कहीं नजर नहीं आई ।

    स्टोर के अंदर जाते ही रीना ने वहां पर सेल्स गर्ल्स से कहा।
    क्या रूबीना खन्ना जहां पर है ।
    हमें उनसे मिलना है । वेडिंग कलैक्शन देखना है हमें।

    वह ऑफिस में है उनके गेस्ट आए हुए हैं
    तो प्लीज आप उतनी देर तक ड्रेस पसंद कर ले ।वह आ जाएंगी ।
    उन्होंने मुझे डिस्टर्ब करने से मना किया है।

    वह तीनों स्टोर में ड्रेस देख रही थी ।रीना को वहां एक लहंगा पसंद आ गया था ।उसने वह लहंगा बाहर निकलवा लिया और उसे ट्राई करके देखने लगी। वह पिंक कलर का बहुत खूबसूरत लहंगा था।
    इसकी प्राइस क्या है ।
    उसने सेल्स गर्ल से पूछा ।

    मैडम हर पीस पर टैग लगा हुआ है। वो टैग चेक करने लगी ।उस लहंगे की प्राइस 20 लाख था ।

    मैं लहंगा ट्राई करके देखती हूं ।
    वो लहंगा ट्राई करके देखने लगी ।लहंगा बहुत सुंदर था । वो लहंगा उस पर बहुत जच रहा था।इतनी देर में वह तीनों सहेलियां भी स्टोर के अंदर पहुंच गई ।तीनों दरवाजा खोलती अंदर आई और तीनों हस्ती खेलती एक दूसरे के साथ मजाक कर रही थी ।

    उन्हें देखते ही सेल्स गर्ल उन तीनों के पास पहुंच गई।
    मॉम आप लोग जहां पर। नीना  ने उन्हें देखकर पूछा।

    मेरे साथ आई हैं ।
    मुझे भी लहंगा पसंद करना है । नीता के बोलने से पहले ही रीना ने कहा ।

    ठीक है हम लोग रूबीना खन्ना से मिलकर आते हैं। अदिति ने कहा ।
    हम पहले ही लेट हैं।

    कोई फायदा नहीं है ।वह ऑफिस में है ।
    उसके गेस्ट आए हुए हैं । रीना बताने लगी।

    असल में  इन्हीं का इंतजार हो रहा था ।
    आप  मिसेज अर्जुन  सिंघानिया हैं। मुझे मैडम ने कहा है जब मिसेज सिंघानिया आएगी उन्हें अंदर भेज देना।
    सेल्स गर्ल सीरत से पूछने लगी।

    सीरत को मिसेज सिंघानिया कहने पर  नीना और अदिति उसे शरारत से देखने।

    जी हां बिल्कुल सही  पहचाना आपने यही मिसेज अर्जुन  सिंघानिया हैं।
    अदिति ने कहा। अदिति की ऐसा कहने पर सीरत उसे आंखें निकाल कर चुप कराने लगी।

    आप ही का इंतजार हो रहा है ।वह तीनों अंदर की तरफ जाने लगी ।

    यह क्या बात हुई तुम तो कह रही थी गेस्ट आए हैं । रीमा ने सेल्स गर्ल से कहा।

    हां मिस्टर सिंघानिया आए हुए हैं ।
    इन्हीं का वेट कर रहे थे ।

    आप मुझे अपनी ड्रेस दे दीजिए । सीरत के हाथ में ड्रेस का  बैग था ।

    उसने  लहंगा और ज्वेलरी का बैग पकड़ लिया।  वह तीनों  अंदर जाने लगी ।

    मुझे समझ नहीं आ रहा।
    नीना मेरी ननंद है या उसकी । रीना को नीना पर गुस्सा आ रहा था।

    बेटा वो उसकी सहेली है ना
    इसलिए उसके साथ है। नीता ने कहा।

    देखो अर्जुन तो पहुंच चुका है।
    मगर निलेश अभी तक नहीं पहुंचा ।रीना को गुस्सा आ गया था ।

    उसने निलेश को फोन लगाया।
    मैं तुम्हारा नीता खन्ना के स्टोर पर इंतजार कर रही हूं ।
    जल्दी से पहुंच जाओ।

    मुझे भाई ने काम पर भेजा है।
    मैं छोड़कर नहीं आ सकता। जब भाई आएंगे मैं तभी आऊंगा । निलेश ने आने से मना कर दिया था।

    निलेश को काम पर लगा कर खुद जहां बैठा है। रीना को यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी थी।

    उसके ऑफिस के अंदर इंटर होने से पहले सीरत ने अदिति से कहा।
    तुम्हारा भाई तो जहां पर है।

    तो क्या हुआ तुम्हारे😁 लिए ही तो आया है । नीना ने  मुस्कुराकर कहा।
    अदिति ने भी उसे मुस्करा कर देखा।
    नहीं मुझे   रूबीना खन्ना से अकेले में बात करती थी। सीरत ने कहा। अब उसके सामने में क्या कहुंगी।

    वह तीनों अंदर चली गई। सीरत को देखते ही अर्जुन ने कहा ।
    मैं पूरे 1 घंटे से तुम्हारा वेट कर रहा हूं ।
    टाइम देखा है क्या हुआ है। तुम  तीनों कहा थी।

    हम लोग पानी पुरी खाने लगे थे। उसी में लेट हो गया।
    सीरत के बोलने से पहले ही अदिति ने कहा।

    चलो ठीक है अपनी ड्रेस दिखाओ। सेल्स गर्ल एक रेड कलर का लहंगा निकलती है।

    वो की एक ट्रेडिशनल पंजाबी लहंगा था और उसके साथ ही वो ज्वेलरी का बॉक्स खोलती है।

    यह ज्वेलरी बहुत खूबसूरत है। रूबीना खन्ना ने ज्वेलरी को देखकर कहा।
    यह लहंगा कमाल का है ।ऐसा सिल्क तो आजकल मिलता भी ही नहीं
    और वर्क देखा है आज भी ऐसा लगता है जैसी नया हो। उसे वह लहंगा बहुत पसंद आया था।
    एक बार आप इसे पहन कर दिखा सकती हो। रूबीना खन्ना ने कहा ।

    सीरत उसे लेकर चेंज करने चली गई ।थोड़ी देर के बाद जब वह वापस आई।

    सीरत ने दुपट्टा सर पर रखा हुआ था ।अर्जुन की तो जैसे नजर उसे पर ठहर गई थी ।वह बिना पलक झपकाए उसे देख रहा था। अर्जुन की निगाह  उसके होंठों के ऊपर तिल के ऊपर जा रही थी।

    भाई कहीं नजर मत लगा देना मेरी भाभी को। अदिति ने अर्जुन से कहा।

    नैना और नीति जोर से हंसने लगी ।उनके  हंसने से अर्जुन को होश आया।

    तुम्हारी भाभी है  तो मेरी भी तो कुछ लगती है । अर्जुन ने कहा।

    वह सभी जोर-जोर से हंसने लगे थे।

    सीरत ऑकवर्ड फील कर रही थी ।अर्जुन के सामने ऐसी सिचुएशन तो उसने कभी सोचा ही नहीं थी। उससे तो हमेशा अर्जुन से गालियां और डांट पड़ी थी।

    प्लीज स्टिकर देना याद रखें।

  • 11. तेरे बिना - Chapter 11

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    अर्जुन अभी भी सीरत की तरफ ही देख रहा था।
    सीरत की हेजल आईज  जिसमें उसने काजल डाला था ।उसकी तीखी नाक जिसमें डायमंड की नोज पहनी थी ।वो उसके के होठों की तरफ देख रहा था। वो उसके  होंठों के पास  तिल देख रहा था ।

    इसमें क्या चेंज करना है ।
    मुझे तो बिल्कुल परफेक्ट लग रहा है ।अर्जुन ने उसकी ड्रेस देखकर कहा।

    थोड़े चेंज तो करने होंगे ।उससे यह ड्रेस और भी अच्छी लगने लगेगी। रूबीना खन्ना कहने लगी ।
    सीरत भी उनके पास आकर बैठ गई थी।

    एक तो लहंगे के नीचे केन केन  लगानी है
    क्योंकि पहले लहंगा के नीचे केन-केन नहीं लगती थी। रूबीना खन्ना ने कहा ।

    सही है थोड़ी सी चोली भी लूज है इसे टाइट करना होगा। सीरत ने कहा।

    तुम्हें ब्लाउज चाहिए जां लंबी चोली चाहिए ।नीता खन्ना ने पूछा ।
    तुम चाहो तो मैं इसे ब्लाउज में कन्वर्ट कर सकती हूं ।

    नहीं मुझे यह पसंद है , ऐसे ही पहनना है।सीरत कहने लगी।

    तो ठीक है एक तो दुपट्टे की लेस चेंज करनी है
    और  चोली की फीटिंग करनी है।
    तो फाइनल है थोड़े ही दिनों में मैं इसे बिल्कुल रेडी कर दूंगी ।
    और रही बात ज्वेलरी की तो  ज्वेलरी बहुत सुंदर है ।
    कोई शक नहीं। एक बार में इस लहंगे को तैयार कर दूं फिर ज्वेलरी पहन कर दिखाना और
    अगर जरूरत पड़ी तो इसमें कोई पीस और ऐड कर सकते हैं।

    मुझे लगता है अभी ज्वेलरी पहन कर देखनी चाहिए। अर्जुन ने कहा।

    बिल्कुल भी नहीं । रूबीना कहने लगी।
    अब  आप तो इसे शादी के दिन ही देखोगे ।
    बिल्कुल भी आपके सामने वो  ऐसे यह सब नहीं पहनने वाली।

    क्यों ।अर्जुन ने उससे कहा ।

    मैं देख रही हूं मैं ❤️आपका हाल । रूबीना ने शरारत से कहा।
    अगर अभी से   इन्हें तैयार हुए देख लिया तो शादी तक दिन😁  कैसे  निकालेंगे।
    सोच लीजिए नींद  भी नहीं  आएगी । रूबीना ने सीरत की तरफ देखा।

    उसकी बात पर अर्जुन मुस्कुराने लगा। सीरत ने एक बार अर्जुन की तरफ देखा जो इस की तरफ देख रहा था।वो फिर वह दूसरी तरफ देखने लगी ।

    रूबीना की ऐसी बातें सुनकर सीरत को लग 🫣रहा था आकाश धरती फट जाए और वह उसके बीच समा जाए । रूबीना की बातों से उसे बहुत शर्म आ रही थी।इस हालत के लिए तो वह तैयार ही नहीं थी । उसके गाल लाल हुए जा  थे।

    बिल्कुल सही कह रही है आप
    अब भाई नहीं आएंगे जब ड्रेस  रैडी  होगी ।मैं ही आऊंगी इसके साथ।
    हां अगर भाई  जिद करेंगे तो मैं सीरत की फोटो दिखा दूंगी।अब आदिति  भी कहने लगी।

    वो मुस्कुरा कर सीरत की तरफ देख रही थी। उसके चिहरे पर शरारत थी।

    फोटो की  कोई जरूरत नहीं है।
    आप तो भाई शादी के दिन ही देखेंगे भाभी को । नीना ने कहा।

    वह दोनों भी अर्जुन और सीरत को छेड़ रही थी ।

    हमारी हमारी एक दुल्हन और भी है। नीता ने रीना की तरफ से इशारा किया।

    हमने इसके लिए भी ड्रेस पसंद करनी है ।उन सब की बातों के बीच नीता ने कहा।

    हां बिल्कुल जो आपको ड्रेस पसंद हो आप वह बता दीजिए। रूबीना  खन्ना कहने लगी।

    देखो और भी जो भी सीरत के लिए शॉपिंग करनी हो तुम कर लेना।
    अर्जुन आदिति से कहने लगा।

    और कहीं पर जाने की जरूरत नहीं है जो।
    भी तुम सब की चॉइस हो रूबीना को बता देना।वो तैयार कर देगी।।


    हम लोगों हमें भी अपनी ड्रेस लेनी है ।
    अदिति ने कहा।

    जो तुम्हारी कोई ड्रेस सेल ना हो रही हो
    वह इन दोनों को दे देना। अर्जुन के रूबीना से कहा ।

    आदिति और नीना दोनों अर्जुन को गुस्से से देखने लगी।

    मैं तो मजाक कर रहा था।
    मेरी इन दोनों बहनों के लिए सबसे बेस्ट ड्रेस चाहिए।

    मैं आपसे एक बात और पूछना चाहती थी। रूबीना ने अर्जुन से कहा ।

    जो ड्रेसेज आपकी मिसेज को पसंद आएंगी ।
    मैं मैसेज सिंघानिया के नाम से वो कलैक्शन लॉन्च करना चाहती हूं।

    ठीक है कोई बात नहीं। अर्जुन ने कहा।

    तो क्या सीरत जी मेरे लिए मॉडलिंग करेंगी । रूबीना सीरत की तरफ देखने लगी।

    बिल्कुल भी नहीं। सीरत से पहले ही अर्जुन ने कहा।
    वो ऐसी कोई मॉडलिंग नहीं करने वाली। अर्जुन ने साफ-साफ कह दिया।

    तो फिर ऐसा करना ।
    जब  मैं वह ड्रेसेज लॉन्च करूंगी तो आप लोग मेरे फैशन शो का तो आएंगे । रूबीना ने पूछा।।

    आ  जाएगे। मगर  सीरत की कोई तस्वीर नहीं आनी चाहिए।

    तभी अर्जुन का फोन आने लगा। स्क्रीन पर माया का नाम फ्लैश हो रहा था।
    अर्जुन ने फोन उठाया और कहा ठीक है मैं आ रहा हूं ।
    मुझे बहुत जरूरी काम है मैं जा रहा हूं ।अर्जुन चला गया।

    उसके जाते ही सीरत ने अदिति को आंखें निकाल कर देखा।

    बहुत जवान चल रही थी तुम्हारी ।
    अब देखती हूं मैं तुम्हें।

    देखो सीरत  बहुत गलत है। अदिति ने कहा।



    उसे देखकर रूबीना  हंसने लगी ।

    सीरियसली मुझे लगा था आप ऐसे ही चुप रहने वाली है।
    वैसे अच्छा लगी आप मुझे । रूबीना कहने लगी।

    चुप तो सीरत भाई के सामने होती है।
      वरना आपने इसे देखा नहीं। अदिति ने कहा ।

    उसकी बात पर रूबीना हंसने लगी।

    आप सचमुच बहुत स्वीट है ।वह आपको बहुत खुश रखेंगे।
    बहुत चाहते हैं आपको। आप दोनों की लव मैरिज है ना।

    बिल्कुल भी नहीं। अरेंज है ।सीरत  कहने लगी।

    मगर अर्जुन जी तो कह रहे थे कि वह लव मैरिज कर रहे हैं । रूबीना ने कहा।


    रीमा को उन सभी की बातें बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी।
    यह सब बातें तो फिर हो जाएंगी मेरी बेटी के लिए कोई अच्छी सी ड्रेस दिखाओ।

    हां अब मेरी दूसरी भाभी के लिए भी अच्छे से डिजाइन दिखाओ। नीना ने रीना की तरफ देखते हुए कहा 

    तो आपके घर में दो शादियां हो रही है। रूबीना  पूछने लगी ।

    बिल्कुल मेरे दो भाई हैं जिनकी शादियां है
    और यह दोनों भी बहनें हैं । नीना ने बताया।

    तो आप सीरत की सिस्टर है । रूबीना ने रीना से कहा।
    प्लीज स्टिकर आ याद रखें।

  • 12. तेरे बिना - Chapter 12

    Words: 1017

    Estimated Reading Time: 7 min

    नीता रीमा  और रीना तीनों तो वहीं रुक गई थी। मगर अदिति सीरत और नीना तीनों रूबीना खन्ना के स्टोर से जाने लगी।

    नीना को उसकी मॉम ने रोकना भी कोशिश भी की ।

    तुम रुक जाती तुम्हारी भाभी की ड्रेस अभी रहती है। नीता ने नीना को कहा।

    इससे पहले की नैना बोलती।रीना कहने लगी ।

    कोई बात नहीं मैं अपनी ड्रेस खुद पसंद कर सकती हूं।

    मुझे लगता है इन्हें जाने दो।

    नीना ने रुकने से मना कर दिया था।

    क्या फायदा  ड्रेस तो रीना को अपनी मर्जी की ही लेनी है

    तो मैं रूक करके क्या करूंगी ।

    और वैसे भी हमें बहुत भूख लगी है। हम लोग खाना खाने जा रहे हैं।

    रात होने लगी थी तीनों सहेलियों का मुड अभी घर जाने का नहीं था।


    पहले कुछ खाया जाए तीनों एक दूसरे से कहने लगी। नजदीक  ही एक रेस्टोरेंट था। वह  तीनों उसके अंदर चली गई।

    तीनों एक दोस्त तीनों एक दूसरे के साथ बात करते हुए पूछने लगी ।

    क्या खाना है। तीनों एक दूसरे से कह रही थी।

    डिनर का टाइम हो रहा है अब खाना ही खा लेते हैं। सीरत ने उनसे कहा।

    तीनों ने डिनर मंगवा लिया था ।अदिति और नीना सीरत को छेड़ रहे थी ।

    सच-सच बताओ असल बात क्या है ।

    अब हमसे कुछ नहीं छुपा सकती तुम।

    बड़ी छुपे  रुस्तम निकले तुम दोनों।अदिति ने कहा ।


    क्यों मैंने क्या छुपाया तुम दोनों से और

    किस छुपे रुस्तम की बात कर रही हो। सीरत को उन की बात पल्ले नहीं पड़ी थी। उसका ध्यान बातों में  कम खाने की

    तरफ ज्यादा था जो उन्होंने आर्डर किया था।


    कौन सी बात छुपाई मैंने तुमसे। सीरत उनकी की बात से हैरान थी।


    यह तुम्हारे और भाई के लव मैरिज का क्या चक्कर है

    देखो असली बात बताओ। अब तुम हमें बेवकूफ नहीं बना सकती।

    मैं भी सोचुं जो भाई शादी के लिए नहीं मान रहे थे

    शादी का नाम लेने को तैयार नहीं थे

    अब अचानक क्यों मान गए । बेचारे अब तुम्हारे लिए शॉपिंग कर रहे हैं। अदिति सीरत से शरारत के मुड में पूछ रही थी।


    बिल्कुल सही बात है। नीना ने कहा।

    अब जब तक तुम्हारे घर में तुम्हारी शादी की बात नहीं हो रही थी ।

    तभी भाई शादी की बात करते ना।

    तुम दोनों ने दोनों दादाजी को कैसे पटाया।

    इस बात को छोड़ो तुम नीना।

    पहले मेरी बात सुनो।अदिति ने नैना को बीच में ही चुप करा दिया।

    पहले प्रपोज किसने किया था ।

    मेरे कहने का मतलब है भाई ने पहले प्यार का इजहार किया था

    जां तुमने किया था। आदिति एक्साइटेड होकर पूछ रही थी।

    भाई पक्का भाई ने किया होगा❤️। नीना ने कहा।

    वैसे तुम दोनों ने इतना बड़ा कांड😁 कब किया हमें तो बिल्कुल पता नहीं चला ।

    हम दोनों तो तुम्हारी सहेलियों थी। हम तो खुश हैं  कि तुम हमारी भाभी बनोगी ।

    मगर फिर तुमने इतना बड़ा राज छुपाया है। अदिति और नीना नॉनस्टॉप बोल रहे थी।

    और  सीरत  अपना सिर पड़े उन दोनों की बातें सुन रही थी।


    प्लीज ऐसा कुछ भी नहीं था।

    तुम खुद सोचो क्या ऐसा हो सकता है। सीरत सफाई देने लगी। मगर वह खुश थी ।उसका चेहरा दमक  रहा था।

    उसकी आंखें एक अलग ही कहानी बयां कर रही थी। आज के अर्जुन के बिहेवियर से वह खुद भी शौकड थी। मगर

    आज का शौक उसे बहुत अच्छा लगा था। वह समझ रही थी कि उसके लिए अर्जुन के दिल में फीलिंग है।


    तो क्या भाई ने ऐसे ही कह दिया हो । अदिति ने  शक🤔 भरी नजर से सीरत को देखते हुए कहा।

    अदिति और नीना दोनों को ही सीरत पर यकीन नहीं हो रहा था।


    देखो मैं नहीं जानती।  सीरत ने उन दोनों को कन्वेंस करने की कोशिश की।

    मगर ऐसा कुछ नहीं । सच कहती हूं तुम दोनों की कसम।


    अब हमें बताने से क्या  होगा। हम तीनों तो सहेलियां हैं।

    अब  तुम तो हमारी होने वाली भाभी भी हो । पूरी बात बता दो तुम हमको😁

    जो भाई हमेशा गुस्से में रहते हैं। किसी से सीधी  बात भी नहीं करते थे ।

    रोमांटिक मूड में कैसे आते होंगे। अदिति सीरत को छेड़ रही थी।


    तुम दोनों की पिक्चर्स होगी फोन में।

    प्लीज दिखाओ ना हमें । नीना ने कहा।

    कोई पिक्चर्स नहीं है मेरे पास हम दोनों की । सीरत ने उन दोनों से पीछा छुड़ाने की कोशिश की ।

    क्योंकि अर्जुन का आज का बिहेवियर उसकी समझ से बाहर था। उसका यह कहना कि वो लव मैरिज कर रहा है उसके समझ से बाहर था।

    दोनों सीरत को छेड़ रही थी। अचानक उसे  अर्जुन पर प्यार आने  लगा। वह सोच रही थी कि शायद वो

    उसे पसंद करता है। अब तक उसका लेट  आना उसकी की मजबूरी थी।


    अच्छा तुम दोनों बैठो मैं वॉशरूम जाकर आती हूं । वो उन से पीछा छुड़ाती हुई खड़ी होने लगी।


    सीरत वहां से उठकर जाने लगी ।उसके चेहरे पर एक स्माइल थी ।वो खुश थी उसका चेहरा बता रहा था।उसने

    वॉशरूम की साइड जाने के लिए टर्न ही किया। तो सामने अर्जुन  एक लड़की के साथ बैठा हुआ था ।जिसे सीरत

    जानती थी। वह अरुण चाचा जी की सैक्ट्री  माया थी । वो  दोनों को साथ  में देखकर हैरान थी।

    माया  ने सीरत की तरफ देखा और और सीरत की तरफ देखकर मुस्कुराई। वह जिस चम्मच से खाना खा रही थी।

    उसी चमच में  खाना डालकर अर्जुन को खिलने लगी ।अर्जुन ने वो आराम से खाना खा लिया । उन दोनों का

    बिहेवियर बता रहा था कि उन दोनों का रिश्ता काफी पुराना है।फिर वह खड़ी हो गई और अर्जुन की बैक साइड पर

    जाकर अर्जुन के गले में बाहें डाल दीं।


    यह तुम क्या कर रही हो ।

    देखो हम कहां बैठे हैं । अर्जुन ने उससे कहा।

    तो क्या फर्क पड़ता है। माया ने सीरत की तरफ देखते हुए कहा। अभी तक अर्जुन को सीरत के बारे में पता नहीं चला

    था।

    फिर भी इधर आकर बैठो माया तुम। अर्जुन ने कहा।

    ठीक है जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूंगा। माया एक नजर उठा कर सीरत की तरफ देख लेती और फिर अर्जुन की
    की तरफ देखने लगती है।

    प्लीज स्टिकर देना याद रखें।

  • 13. तेरे बिना - Chapter 13

    Words: 996

    Estimated Reading Time: 6 min

    ठीक है जैसे तुम कहोगी मैं वैसा ही करूंगा। माया एक नजर उठा कर सीरत को देख लेती फिर अर्जुन की तरफ देखने लगती।

    सीरत उन दोनों को देख रही थी । पहले उसे काफी हैरानी हुई।उन दोनों को देखकर सीरत को बहुत कुछ समझ आ रहा था। कोई  भी उन दोनों को देखकर उनके रिश्ते को समझ सकता था। कहीं ना कहीं सीरत को लगने लगा था कि अर्जुन उसे पसंद करता है। आज  वो काफी खुश थी।मगर सीरत अब समझ गई कि वह अर्जुन की मजबूरी थी।वो दादा जी के दवाब के कारण शादी कर रहा है।

    सीरत अपनी आंखों के सामने जो देख रही थी उसे देखकर उसके शरीर में तो जैसे जान ही नहीं रही थी। उसकी आंखों के आगे अंधेरा से आ गया। वह गिरने वाली थी। उसने खुद को संभालने के लिए वहां  चेयर को पकड़ लिया।

    क्या हुआ मैडम। वहां पर काम करती हुई  वेट्रेस ने उससे पूछा ।

    कुछ नहीं मैं ठीक हूं । थोड़ा चक्कर आ गया था।वहां  वेट्रेस और सीरत के बोलने से अर्जुन का ध्यान सीरत की तरफ गया ।सीरत को वहां देखकर अर्जुन के चेहरे का रंग उड़ गया।

    तो इसीलिए तुम यह कर रही थी। क्या मिलता है तुम्हें यह सब करके। उसको टारगेट क्यों कर रही हो।
    मैं तुम्हारी हर बात मान रहा हूं । उसका दिल क्यों जलाती हो। अर्जुन ने माया से कहा।

    वह हंसने लगी ।
    मुझे अच्छा लगता है।उसका चेहरा देखा कैसा हो गया था।

      सीरत और अर्जुन की नजरे आपस में मिली। अर्जुन दूसरी साइड देखने लगा था। सीरत जल्दी से वॉशरूम चली गई। उसने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और कितनी देर वहां पर  रोती  रही ।

    मैं क्यों रो रही हूं । उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।
    उसका मन तो कर रहा था कि वह दादा और दादी को बता दे ।मगर वह दोनों ही तो थे जो उसे सच में चाहते थे और इस बात से शायद दोनों में से किसी एक की जान जा सकती थी। इसलिए उन्हें बताना मुश्किल था। उसके पास कोई रास्ता नहीं था।काफी देर रोने के बाद  सीरत बाथरूम से बाहर आई ।उसने अपना चेहरा वाश किया।


    वॉशरूम के आईने में उसने अपना हुलिया  दुरूस्त किया। एक लंबी सांस लेकर अपने चेहरे को नार्मल करने लगी। क्योंकि वह नीना अदिति के सामने अपने मन की हालत नहीं दिखाना चाहती थी। मगर सीरत के लिए यह इतना आसान नहीं था ।वह अपने आप को सही करती हुई वॉशरूम से बाहर आई।

    उसके मन में कहीं ना कहीं उसे यह लगता था कि शायद अर्जुन उसके पीछे आएगा और उसे सफाई देगा। पता नहीं क्यों उसके मन में फालतू की उम्मीद थी। मगर ऐसा कुछ नहीं था। वह वापस गई ।जिस जगह अर्जुन और माया बैठे थे वह जगह खाली थी। वह दोनों वहु से जा चुके थे। उसे जगह को देखकर सीरत मुस्कुराईं ।

    अर्जुन जब तुम्हें मैं पसंद ही नहीं तो क्यों कर रहे हो मुझसे शादी।
    जिसके साथ हो उसी से  शादी क्यों नहीं कर लेते। उसने अपने आप से कहा ।

    उसकी आंखों से पानी अभी बाहर आने को बेकरार था ।मगर वह अपने आप को अंदर ही समेट लिया था।उसने एक लंबी सांस लेकर चेहरे पर मुस्कुराहट लाई। फिर  वो नीना और अदिति के पास चली गई ।

    कितना टाइम लगा दिया तुमने । खाना ठंडा हो जाएगा। सीरत  चुपचाप बैठ गई।

    खाना खाते हुए अदिति ने सीरत के चेहरे की तरफ देखा ।जो नज़रे झुका कर चमच से खेल रही थी।


    मुझे लगता है खाना खेलने के लिए नहीं खाने के लिए है ।

    अदिति की आवाज से वह अपनी सोच से बाहर आई।

    लगता है अर्जुन भाई की याद आ रही है। नीना ने शरारत से कहा।

    मुझे भी यही लगता है।आदिति मुस्कुराने लगी।

    प्लीज कोई और बात करो। सीरत ने कहा।

    फिर वह खाना खाने लगी।

    क्या हुआ वॉशरूम जाते समय तो इतनी खुश थी। इतनी दमक रही थी।
    अब तुम्हारा चेहरा क्यों मुरझा गया है।

    मुझे मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही। थोड़ा  अजीब सा लग रहा है।
    मुझे घर जाना है ।

    खाना तो फिनिश कर दो। हम लोग  घर तो जा रहे हैं।
    अगर तुम कहे तो हम डॉक्टर के पास होकर चलें। नीना उसका चेहरा देखती हुई बोली।

    क्योंकि नीना को भी लग रहा था कि कुछ ना कुछ प्रॉब्लम जरूर है।

    नहीं डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है।
    मैं थोड़ा रेस्ट करूंगी तो ठीक हो जाऊंगी।

    वह तीनों सहेलियां अपने घर चली गई थी।

    कमरे में जाते ही सीरत रोने लगी।वो रोते-रोते वह कब सो गई थी। उसे खुद नहीं पता था। आज उसका दिन पूरी तरह से टूट गया था । एक बात वह और भी जानती थी कि उसकी शादी तो अर्जुन के साथ ही होनी है। मगर उसे उसके साथ कैसे रहना है उसने यह भी सोच लिया था ।

    अर्जुन  रात माया को छोड़ता हुआ घर पहुंचा। उसके मन में सीरत ही घूम रही थी ।वह भी तब से परेशान था उसका मन किया कि वह जाकर सीरत से अभी बात करें । मगर रात बहुत हो गई थी।

    वह फ्रेश फ्रेश होकर कपड़े चेंज करता हुआ वॉशरूम से बाहर आया ।वो काफी परेशान था।

    सीरत मैं तुम्हें अपनी मजबूरी नहीं बता सकता। सही वक्त आने दो ।
    मैं तुम्हें दुख दे रहा हूं । कोई बात नहीं बहुत जल्द में तुम्हें सारी बात बता दूंगा।

    अर्जुन अपने बालकनी में चला गया और वह ऊपर आकाश की तरफ देखने लगा। सितारों से भरा आकाश  बहुत खूबसूरत था। मगर उसे बिल्कुल भी अच्छा नही। हल्की-हल्की ठंड थी औरत सुहावना मौसम था ।उसने अपना फोन उठाया और सीरत को फोन लगाने लगा।

    मगर सीरत का फोन नहीं लगा ।उसका फोन स्विच आ रहा था।

    शायद बहुत गुस्से में हैं ।
    मनाना बहुत मुश्किल होगा।

    उसका फोन बंद से अर्जुन ने अपने आप से कहा ।वह सोचने लगा  वह सुबह फोन करेगा और  उससे मिलने जाएगा।

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  • 14. तेरे बिना - Chapter 14

    Words: 920

    Estimated Reading Time: 6 min

    अर्जुन ने सोच लिया था कि वह सुबह सूरत सीरत से मिलने जाएगा ।बहुत सी बातें थी जो उसे सीरत के साथ क्लियर करनी थी और अब  यह बिल्कुल जरूरी हो चला था ।  अर्जुन को भी सीरत के बारे में सोचते सोचते पता नहीं रात के किस पहर नींद आई थी।

    सुबह अर्जुन उठने में लेट हो गया था। वह जल्दी-जल्दी तैयार होकर नीचे गया ।सभी ब्रेकफास्ट कर रहे थे।

    आओ बेटा ब्रेकफास्ट कर लो ।उसकी मॉम मीरा ने कहा ।

    मॉम कितनी बार कहा से कहा है आपसे ।
    आपको डॉक्टर ने ज्यादा चलने फिरने से मना किया है और प्लीज आप रेस्ट किया करो ।अर्जुन ने अपनी मॉम के पास जाकर कहा ।

    इसीलिए तो कहती हूं जल्दी से खा लो।
    फिर मैं आराम कर लूंगी ।अर्जुन अपनी मॉम की बात नहीं मोड सकता था। उसने एक सैंडविच उठाया और बाहर की तरफ जाने लगा ।

    कम से कम का ब्रेकफास्ट तो बैठकर कर लो ।
    फिर चले जाना।उसके डैड अनूप सिंघानिया ने उससे कहा ।

    अपने दादा की बात पर अर्जुन ने मुड़कर की उनकी तरफ देखा ।मगर उसने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह बाहर की तरफ जाने लगा।

    अर्जुन खा तो अच्छे से सकते हो। बैठ  जाओ।उसके दादा ने उसे टोका ।

    अरे दादू खा तो रहा हूं मैं।
    यह देखो सैंडविच है मेरे पास। अर्जुन ने मुस्कुराकर उनसे कहा ।
    और प्लीज जादू मुझे काम है।
    वह बाहर की तरफ जाने लगा। ।।

    वैसे मुझे एक बात समझ नहीं आती आपके बेटे की भाई साहब।

    आपसे क्या प्रॉब्लम है। सब की बात का जवाब देता है ।

    मगर आपसे तो बहुत कम बोलता है।

    जैसे आज उसने आपकी बात का जवाब नहीं दिया। अर्जुन की चाची नीता ने जानबूझकर अनूप  जी से कहा।

    शायद वह जल्दी में था। अनूप जी कहने लगे ।

    अर्जुन अपने घर से बाहर निकाल कर शर्मा मेंशन चला गया। वो बहुत जल्दी में अंदर गया। वहां पर भी सभी ब्रेकफास्ट कर रहे थे।  उसे देखकर अरुण शर्मा ने कहा।

    आओ अर्जुन आप भी ब्रेकफास्ट  करो । उसने अपनी पत्नी रीमा से अर्जुन के लिए प्लेट लगाने को कहा।

    नहीं मुझे सीरत से मिलना था। उसने इधर-उधर देखते हुए कहा।

    वह तो अभी-अभी चले गए ।

    कहां पर।

    मां और पिताजी के साथ सीरत अभी-अभी मोहाली के लिए निकली है।

    बस आधा घंटा ही हुआ है उनको ।

    मोहाली किस लिए।

    शादी की तारीख भी नजदीक आ रही है। अर्जुन ने हैरानी से पूछा।

    होना क्या है ।कितनी जिद्दी लड़की है ।

    कहती है मैं अब मुझे अपनी शॉपिंग मोहाली से ही करनी है।

    जहां दिल्ली से नहीं करूंगी ।दादी मां और पिताजी तो जाने को तैयार नहीं थे।

    मगर वह जबरदस्ती उन्हें ले गई। मालूम नहीं आपके साथ उसका क्या होगा ।

    जो बात एक बार कह देती है उसे पर  अड जाती है। सीरत की चाची रीमा शर्मा ने कहा ।

    बैठो ना आप तो ब्रेकफास्ट करो ।



    नहीं मुझे जाना है।अर्जुन जल्दी से बाहर की तरफ चला गया।


    वह सोच रहा था कि अब उसे क्या करना चाहिए।

    उसे डर था सीरत कहीं अपनी फैमिली को ना बता दे ।

    वो यह शादी किसी भी सुरत में नहीं तोड़ना चाहता था ।

    अब मुझे मोहाली जाना चाहिए ।अर्जुन जाते हुए सोचने लगा।

    सीरत मैं तुम्हें अपनी प्रॉब्लम नहीं बता सकता ।अभी मेरी मजबूरी है ।

    मगर सच कहता हूं बहुत जल्दी मैं तुझे सारी बात बता दूंगा।

    कहीं ऐसा ना हो सीरत दादा और दादी जी को बता दे ।

    और वह शादी तोड़ दे। अर्जुन की शादी नहीं तोड़ना चाहता था ।

    वह परेशानी में ही ऑफिस चला गया ।उसने कई बार सीरत का फोन ट्राई किया ।मगर उसका फोन अब भी स्विच

    ऑफ था ।उसने अदिति को फोन लगाया ।


    सीरत का फोन क्यों स्विच ऑफ है।

    कोई और नंबर है उसका ।उसने अदिति से पूछा।


    क्यों क्या हुआ भाई। अब रात तो मैं उसके पास से आई हूं ।
    मैंने तो फोन ही नहीं किया उसे ।

    वह कह रही थी उसकी तबीयत खराब है। शायद अभी उठी नहीं होगी। फोन बंद हो सकता है ।

    मैं उसके पास जाकर पूछती हूं।


    वह घर पर नहीं है।

    वो  मोहाली  चली गई।अर्जुन ने उसे बताया।


    अच्छा मुझे नहीं पता रात तो उसने ऐसा कुछ नहीं कहा।
    अर्जुन की बात सुनकर अदिति भी परेशान हो गई।

    आदिति से बात करने के बाद उसने फोन काट दिया।

    वो उस के दादाजी को फोन लगाने लगा। फिर उसने सोचा भी तो वह लोग रास्ते में होंगे।

    मैं उसे शाम को फोन करूंगा। हो सकता है वह फोन भी खोल ले  अपना।

    इस माया का मैं क्या करूं ।इस ने  तो मेरी जिंदगी नरक बना कर रख दी ।

    वह आंखें बंद की है अपनी चेयर पर बैठा सोच रहा था। यह बात सच थी कि माया उसकी हर खुशी को

    बर्बाद कर रही थी। वह उसे ब्लैकमेल कर रही थी। इतने में उसके फोन पर माया के मैसेज आया ।

    मुझे 2 लख रुपए की जरूरत है।

    ठीक है भेजता हूं अर्जुन ने मैसेज सेंड किया और फिर अपने फोन से उसके अकाउंट में ₹200000 ट्रांसफर कर दिए थे।


    उधर सीरत अपने मोहाली पहुंच गई थी ।
    हम लोग वहां भी शॉपिंग कर सकते थे और अर्जुन क्या कहेगा । दादी मां ने कहा।

    दादी मां मुझे पटियाला से सूट बनाने हैं।
    आपको पता है ना पटियाला से अच्छे सूट और कहीं नहीं बन सकते ।

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  • 15. तेरे बिना - Chapter 15

    Words: 1012

    Estimated Reading Time: 7 min

    माया के दो लाख मांगने पर अर्जुन ने उसके अकाउंट में 2 लाख ट्रांसफर कर दिए थे।
     
    उधर रास्ते में सीरत की दादी उसे पूछती हूं है कि ऐसा क्या था जो दिल्ली में नहीं मिलता
     
    क्या जरूरत है हमें मोहाली आने की ।
     
    तो सीरत कहती है 
     
    मुझे पटियाला से सूट खरीदने हैं। आपको पता है सबसे अच्छे सूट पटियाला में मिलते हैं 
     
    और दिल्ली मुझे वैसे भी पसंद नहीं ।
     
    तुम्हें अब दिल्ली में तुम्हारी शादी हो रही है। दादी ने कहा।
     
    चलो छोड़ो इस बात को । दादा जी ने उन्हें टोका।
     
    अर्जुन आज ऑफिस नहीं गया था ।वह अपने दोस्त के ऑफिस चला गया था। रहमान मलिक उसका दोस्त था ।
    रहमान मलिक अपने ऑफिस में था ।अर्जुन उसके  आफिस में पहुंचा।
     
    उसे देखते ही रहमान ने कहा ।
     
    क्या बात है आज सूरज पश्चिम से निकला है। तुम मेरे ऑफिस में बहुत कम आते हो ।
     
    अर्जुन वहां लगे सोफे पर बैठ गया ।
     
    क्या करूं यार बहुत परेशान हूं।\
     
    क्यों ऐसा भी क्या हुआ। रहमान  पूछने लगा।
     
    वह उसके पास बैठ गया ।
     
    सीरत ने मुझे माया के साथ देख लिया ।
    यह कहकर वो अब्दुल रहमान की तरफ देखने लगा ।
     
    तो क्या उसने सगाई तोड़ दी।
     
    नहीं मगर वह मोहाली चली गई ।हो सकता है वहां पहुंचकर वह लोग सगाई तोड़ दे।
     
    इस माया का इलाज तो ढूंढना पड़ेगा ।ऐसे तो वह तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर देगी ।
     
    उसका इलाज ही तो ढूंढ रहा हूं ।उसका इलाज तो मैं कर देता ।
     
    मगर जो उसके पास वीडियो है ।उसकी वजह से मैं कुछ नहीं कर सकता ।
     
    फिर मुझे उसे बच्चे का भी फिक्र है।
     
    पता है तुम्हारी कमजोरी क्या है ।तुम दिखने रफ टफ नजर आते हो ।
     
    लगता है तुमहे दुनिया में किसी की परवाह नहीं। मगर तुम ऐसे नहीं हो ।
     
    तुम जिसके साथ अपने इमोशन  फील करते हो ।उसके लिए कुछ भी कर गुजरने हो।
     
    शायद इसी वजह से हमारी इतनी पुरानी दोस्ती है । रहमान ने कहा।
     
     
    मैं अपनी दोस्ती के कसीदे पढ़ने नहीं आया हूं जहां पर ।कहीं सीरत ने सगाई तोड़ दी।
     
    मैं उसके लिए आया हूं ।
     
    तो मैं क्या कर सकता हूं । सीरत से बात करो। कैसे भी करके उसे इस सगाई को न तोड़ने के लिए कन्वेंस करो ।
     
    एक बार शादी जैसे तैसे शादी कर लो उससे ।
     
    पता है तुम्हें उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया । उसने हम दोनों को साथ देखा है ।
     
    तो तुम्हें तभी उससे बात करनी चाहिए थी ।
     
    मुझे लगता है तो मैं उससे बात कर लेता तो अच्छा होता। मगर तब माया थी मेरे साथ।
     
    कैसे बात करता मैं उससे। उसकी आंखों में आंसू थे।
     
    वह हम दोनों को देखकर बहुत हैरान हुई थी ।उसकी हालत देखी थी मैंने।
     
    उसके चेहरे पर हैरानी और दर्द की फीलिंग थी ।\
     
    तो जहां बैठकर बात करने की जगह उसे तुम्हें उस के पीछे जाना चाहिए था ।\
     
    चल छोड़ इस बात को अब तो फोन मिला सकते हो । अगर उसने बलाक कर दिया है तो दादा जी के फोन पर बात करो। 
     
    अर्जुन  दादा जी को फोन मिलाता है।
     
    हां बेटा थोड़ी ही देर हुई है ।हम अभी पहुंचे हैं।
     
    मुझे सीरत से बात करनी थी। प्लीज बात करवा देते ।
     
    हां हां बेटा बिल्कुल ।मुझे लगता है उसका फोन बंद हो गया होगा।
     
    रास्ते में कह रही थी कि मेरा फोन बंद होने वाला है ।दादाजी ने अर्जुन की बात में कहा। दादा जी समझ रहे थे कि सीरत का फोन बंद होने की वजह से अर्जुन ने उन्हें फोन किया है ।
     
    सीरत अर्जुन से बात करो ।दादा जी से कहने पर उसने फोन पकड़ लिया।
     
    हेलो सीरत ने कहा ।
     
    कैसी हो तुम ।
     
    मैं ठीक हूं आपने किस लिए फोन किया । सीरत ने सीधा कहा ।वह अपना फोन लेकर साइड पर हो गई थी।
    \
    सुनो तुमने जो रात देखा ।इससे पहले अर्जुन आगे बोलता ।
     
     
    सीरत ने कहा ।मैंने दादु जी  से कुछ नहीं कहा।
     
    मैं चाहकर भी यह सगाई नहीं तोड़ सकती ।
     
    क्योंकि यह सदमा वह दोनों ही झेल नहीं सकेंगे।
     
      वह दोनों मुझे बहुत प्यारे हैं। मैं समझती हूं अपने अपने दादा की जी के दबाव की
     
    वजह से इस रिश्ते के लिए हां कही है। मैं आपसे कोई उम्मीद नहीं रखती 
     
    और मुझे पता है आप भी मुझे कोई उम्मीद नहीं रखते। मुझे लगता है हम दोनों की जरूरी बात हो गई होगी।
     
    सीरत ने अर्जुन के बोलने से पहले ही फोन काट दिया ।
     
    क्या हुआ रहमान ने अर्जुन को देखकर कहा ।
     
    वह बहुत गुस्से में है।
     
    क्यों क्या कहा उसने ।
     
    यही तो प्रॉब्लम है उसने कुछ कहा ही नहीं ।उसने कोई शिकायत नहीं की।
     
      शायद वह हम दोनों के रिश्ते से कोई उम्मीद ही नहीं रखती।
     
     
    इसके जिम्मेदार भी तुम खुद हो बात तो । रहमान ने सच्ची बात कही।
     
    तुम्हारी बात सही है। मगर मैं यह सब नहीं चाहता ।
     
    तो प्रॉब्लम तो सॉल्व कर सकते थे तुम ।
     
    जो भी प्रॉब्लम थी मुझे लगता था तुम्हें सीरत को बतानी चाहिए ।
     
    वह बहुत अच्छी लड़की है ।तुम्हारी प्रॉब्लम को  समझेगी ।\
     
     
    क्या बताऊं यार मुझे भी बताते हुए शर्म आती है ।
     
    किस मुंह से बात कहता।  अर्जुन अपना से पकड़े बैठा था ।
     
    उधर सीरत पहले ही परेशान थी। अर्जुन के  फोन ने उसे  और डिस्टर्ब कर दिया।
     
    मगर वो अपने आप को इस सब बात के लिए तैयार करना चाहती थी। उसके लिए जो अर्जुन की सच्चाई थी वह बदलने वाली नहीं थी ।उसने खुद के लिए जीने का फैसला कर लिया ।
     
    उसने अपनी सहेली माहम को फोन लगाया। फोन लगाते ही उसने उसे  गालियां देना शुरू कर दी ।
     
    अकेली सगाई कर सकती हो मेरे बिना ।अब क्यों फोन कर रही हो।
     
    मुझे शादी करके बताती ।अब  दादा दादी का नाम लेकर कह देना कि उनकी वजह से जल्दबाजी में हो गया ।\
     
    मेरी बात तो सुनो मेरी मां सीरत कहने लगी।
     
    मैं
    क्यों सुनूं ।ऐसा मत समझो अगर तुम दिल्ली शादी करके जा रही हो 
     
    तो मैं भी शादी करके दिल्ली ही जाने वाले हूं ।
     
    तो क्या तुम्हारी भी सगाई हो गई  पक्की। 
     

  • 16. तेरे बिना - Chapter 16

    Words: 778

    Estimated Reading Time: 5 min

    तो क्या तुम्हारी सगाई पक्की हो गई। सीरत ने कहा ।
    उसी के साथ ।तुम कैसे मानी। सीरत हैरान थी ।क्योंकि माहम ऐसी नहीं थी जो जल्दी किसी की बात मान जाए ।

    यही तो प्रॉब्लम है हमारे घर में जो वह चाहते हैं वही होता है ।
    पूरी फैमिली मेरे पीछे पड़ गई। मैं चाह कर भी मना नहीं कर सकी और जिसे मैं बिल्कुल पसंद नहीं करती
    जो मुझे बहुत बुरा लगता है मैं उसी के साथ सगाई करने वाली हूं।माहम ने कहा।

    माहम और सीरत  दोनों बचपन से  साथ थी।उन दोनों की स्कूल एक साथ हुई थी और फिर कॉलेज में भी दोनों साथ थी ।माहम और सीरत दोनों एक दूसरे से कुछ भी नहीं छुपते थे। माहम अम्मी और पापा  सीरत को भी काफी पसंद करते थे ।उनका परिवार पुरानी मान्यताओं को मानने वाला परिवार था ।माहम की सगाई उसके दादा जी ने बचपन में ही उसकी बुआ के बेटे के साथ फिक्स की हुई थी।  उसकी बुआ दिल्ली में रहती थी। उस लड़के को भी कभी चंडीगढ़ आने में की कोई दिलचस्पी नहीं थी ।वह  भी बहुत  कम मिला था।माहम भी कभी दिल्ली नहीं गई थी।

    तो फिर तू अब क्या करेगी। सीरत ने उसे पुछा ।

    और क्या।
    शादी के बाद उसका जीना दुश्वार करूंगी ।
    वो पछताऐगा मुझसे से शादी करके।

    क्या कह रही हो तुम ।

    और नहीं तो क्या। आजकल के जमाने में कौन सा लड़का होगा जो ऐसे
    बचपन में फिक्स की हुई शादी को मानने को तैयार हो
    और वो मुझसे सगाई कर रहा है।
    मुझे उसे आदमी पर कोई यकीन नहीं ।
    मेरी छोड़ तू अपनी बात कर । वो सीरत से पूछने लगी ।

    मैं तुझे मिलकर बताऊंगी ।
    फोन पर नहीं बता सकती ।

    क्यों क्या हुआ तुम इतना धीरे क्यों बोल रही हो।
    ऐसी बात नहीं है अर्जुन जीजू  तो इतने हैंडसम है
    और पक्का तुम्हें पसंद करते हैं। वरना उनके साथ जबरदस्ती कौन कर सकता है।

    छोड़ इस बात को तू और बात बता ।
    अब तुम्हारी सगाई कब की है ।

    मेरी सगाई थोड़े ही दिन रहते हैं।तो तुम जब मोहाली आ चुकी हो
    तो चंडीगढ़ आ जाओ। हम साथ में शॉपिंग करेंगे और मुझे बताना तुम्हें  सगाई कैसे तोड़नी है।

    पता है सगाई जोड़ने से ज्यादा सगाई तोड़नी मुश्किल है।
    तुम यह शायरी क्यों कर रही हो ।क्या बात है।

    चल छोड़ इस बात को। सीरत ने फोन काट दिया।

    उधर अर्जुन  रहमान के ऑफिस में ही बैठा हुआ था ।

    अब तुम देवदास बनाकर  बैठे रहोगे। कोई काम नहीं करना क्या ।रहमान ने उससे पूछा ।
    तुम्हारी बातों के बीच तुम्हें एक बात बताना तो भूल ही गया कि मेरी सगाई की डेट फिक्स हो गई है।

    उसकी बात पर अर्जुन मुस्कुराया।
    उसी के साथ। तुम तो कहते थे तुम्हें उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं है।
    इसीलिए तुम सगाई  टाल रहे थे ।

    ऐसी बात नहीं है। पहले वह छोटी थी। तब हम दोनों लड़ते थे।
    मगर अब वह बहुत खूबसूरत हो चुकी है ।
    मैं पिछली बार जब चंडीगढ़ गया था ।तो उसे मिला था ।
    हमारी सगाई  हमारा रिश्ता बचपन से ही फिक्स  हो गया। वह मेरी कजिन है।
    वह मेरे मामा की बेटी है।

    वैसे तुम लोगों में यह आम बात है। तुम्हारे जहां शादियां खानदान में ही होती हैं।

    हां हमारे जहां पर शादियां खानदान में ही की जाती है।
    हमारे यहां कजिन से रिश्ता से शादी आम बात है।

    चलो अच्छी बात है कि वह लड़की तो अब तुम्हें पसंद है । अर्जुन ने कहा।

    मगर थोड़ी सी तीखी है। रहमान हंसने लगा।

    मतलब। अर्जुन ने पूछा।

      लड़की है थोड़ी सी ज्यादा बोलती है।
    अपनी मनमर्जी करती है ।

    फिर भी तुम मुझसे शादी कर रहे हो । मतलब दिल का मामला है।।।

    ऐसा ही समझ सकते हो।तो हम लोग चंडीगढ़ चलेंगे।
    फिर उसे मोहाली चंडीगढ़ के पास ही तो पड़ता है तुम सीरत से भी मिल सकते हो।

    हां तुम्हारी यह बात सही  है। अर्जुन ने सोचते हुए कहा।

    सीरत का नाम सुनकर कैसे खुश हो गए ।
    मेरी सगाई के नाम पर तो तुम बिल्कुल भी खुश नहीं थे। रहमान ने उसे शिकायत की।

    चलो ठीक है अब मैं चलता हूं ।
    वैसे भी तुम्हारी सगाई के बाद मैं मॉम को लेकर विदेश जा रहा हूं ।

    तो क्या तुम्हारे डॉक्टर से बात हो चुकी है ।

    हां उम्मीद तो है कि सब ठीक हो जाए ।

    अच्छी बात है। रहमान ने कहा।

    सीरत अपनी सहेली के पास चंडीगढ़ पहुंच गई थी। उसके दादा दादी भी सगाई में जाने वाले थे। मगर उन्होंने कहा कि वह सगाई के दिन कहां जाएंगे । सीरत को अपने लिए शॉपिंग भी करनी थी ।

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  • 17. तेरे बिना - Chapter 17

    Words: 734

    Estimated Reading Time: 5 min

    सीरत ने अर्जुन का फोन नंबर ब्लॉक कर दिया था। अर्जुन ने कई बार नंबर ट्राई किया मगर उसने खोला नहीं था।

    चलो कोई बात नहीं ।
    रहमान की सगाई के दिन में उससे मिलने जाऊंगा।

    वैसे तो रहमान ने पूरी सिंघानिया फैमिली को इनवाइट किया था। मगर सगाई पर केवल अर्जुन ही गया था ।सगाई से एक दिन पहले चंडीगढ़ पहुंच गए थे। वह लोग होटल में रुके हुए थे। सीरत और माहम को छोड़कर पूरी फैमिली उनसे मिलने भी गई थी ।

    रहमान अपने मां बाप का एक लौता बेटा था ।उसकी फैमिली में केवल उसके मॉम डैड ही थे ।वो लोग अर्जुन को बहुत पसंद करते थे।

    अर्जुन तैयार होकर रहमान के कमरे में आया ।

    मैं मोहाली जा रहा हूं । रात तक वापस आ जाऊंगा। अर्जुन ने बताया।

    सीरत  से मिलने कल चलेंगे ना हम। रहमान ने कहा।

    नहीं यार तुम्हारी सगाई के बाद मुझे निकलना है ।मोम को लेकर जाना है।
    तो मैं अभी जा रहा हूं ।सोचता हूं  सीरत से मिलने अभी चला जाऊं।

    चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं । रहमान ने कहा।

    वह दोनों दोस्त मोहाली की तरफ निकल गए थे ।

    तुम्हारे मन में क्या है मैं आज तक नहीं समझ पाया ।रहमान अर्जुन से बोला ।

    तुम अपने मन की समझ गए हो । अर्जुन ने मुस्कुरा कर कहा।

    क्यों । रहमान उसकी तरफ देखने लगा।

    तुम तो कहते थे  बचपन में फिक्स की गई शादी को मैं नहीं मानता।
    अब उसे सगाई करने के लिए आए हो।

    तुम बताओ। तुम जिस लड़की से अपनी टीनएज से प्यार करते हो।
    क्या उम्र थी उसे वक्त हमारी ।हम लोग प्लस तू में पढ़ते थे।
    तुम तो तब से दीवाने थे उसके। क्या कहते थे बड़ा होकर मैं उसके उससे शादी करूंगा। रहमान ने अर्जुन से कहा।

    मुझे लगता है बचपन का टाइम ज्यादा अच्छा था। कितने खुश थे।
      जिंदगी इतनी मुश्किल होगी यह नहीं पता था।
    बचपन में तब तो ऐसा लगता था की बहुत जल्दी मेरे सपने पूरे हो जाएंगे ।
    पढ़ाई खत्म करूंगा बिजनेस जॉइन करूंगा।  उसके बाद जिसे मैं पसंद करता हूं उससे शादी करूंगा।

    तुम तो दीवाने थे उसके। उसे देखने के लिए तुम उसकी क्लास में जाया करते थे।
    रहमान ने अर्जुन को उसका टीनएज क्रश  याद कराया।

    बिल्कुल  यह बात भी सच है ।
    उसने मुझे कभी एक नजर भर कर नहीं देखा। उसे मेरा होना ना होना कभी फर्क नहीं पड़ा ।
    इसीलिए तुमने आज तक उस पर गुस्सा किया है।
    अपने प्यार के बारे में तो कभी बताया ही नहीं।
    मुझे लगता है जिससे हम प्यार करते हैं। उसे हमें बताना चाहिए ।
    जिंदगी आसान हो जाती है।

    बताता उसे मैं तब ना जब उसे समझ  आता।
    उसमें बचपना था ।उसका बचपन कभी गया ही नहीं ।
    उसका बचपन नहीं गया और तुम्हारे ऊपर जिम्मेवारियां बढ़ गई।

    बिल्कुल डैड और चाचा जी बिजनेस नहीं संभाल सके। बिजनेस में नुकसान होने शुरू हो गए ।
    मैं ना चाहते हुए भी बिजनेस में इतना इंवॉल्व हो गया किसी चीज के लिए वक्त ही नहीं मिला।
    मैं अपने प्यार का इजहार कभी कर ही नहीं सका । मुश्किल में तो वो भी आई।


    इसलिए तुम सीरत के साथ एक नई शुरुआत करना चाहते हो।

    बिल्कुल एक नए सिरे से जिंदगी शुरू कर रहा हूं ।
    मगर लगता है मैं वह भी नहीं कर पाऊंगा। हम दोनों के बीच गलतफहमियां इतनी हो चुकी है
    और मैं उन्हें एक्सप्लेन भी नहीं कर पा रहा।
    प्यार के मामले में मैं हमेशा बदनसीब रहा हूं।

    रहमान गाड़ी चला रहा था और अर्जुन उसके साथ बैठकर अपने दिल की बात कर रहा था।

    ऐसे उदास मत हो । मुझे देखो ना मैं हमेशा कहता था।
    मुझे नहीं करनी है उस लड़की से शादी ।
    बिल्कुल भी नहीं करनी है। वह इतना बोलती है।
      मगर आप देखो अब मैं तैयार हूं। उस के साथ सगाई के लिए और भी और शादी के लिए।

    बिल्कुल मैं भी उससे मिलना चाहूंगा ।
    जिसने मेरे भाई जैसे दोस्त का दिल चुराया है । अर्जुन ने रहमान से कहा।

    मगर मेरा निकाह तुम दोनों की शादी के बाद होगा ।
    पहले तुम्हारी शादी होगी।रहमान कहने लगा।

    दोनों दोस्त एक दूसरे से अपने दिल की बात कर रहे थे ।अर्जुन के  दिल के राज रहमान के सिवा कोई दूसरा नहीं जानता था और रहमान के बारे में भी सिर्फ अर्जुन को पता था।

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  • 18. तेरे बिना - Chapter 18

    Words: 734

    Estimated Reading Time: 5 min

    सीरत ने अर्जुन का फोन नंबर ब्लॉक कर दिया था। अर्जुन ने कई बार नंबर ट्राई किया मगर उसने खोला नहीं था।

    चलो कोई बात नहीं ।
    रहमान की सगाई के दिन में उससे मिलने जाऊंगा।

    वैसे तो रहमान ने पूरी सिंघानिया फैमिली को इनवाइट किया था। मगर सगाई पर केवल अर्जुन ही गया था ।सगाई से एक दिन पहले चंडीगढ़ पहुंच गए थे। वह लोग होटल में रुके हुए थे। सीरत और माहम को छोड़कर पूरी फैमिली उनसे मिलने भी गई थी ।

    रहमान अपने मां बाप का एक लौता बेटा था ।उसकी फैमिली में केवल उसके मॉम डैड ही थे ।वो लोग अर्जुन को बहुत पसंद करते थे।

    अर्जुन तैयार होकर रहमान के कमरे में आया ।

    मैं मोहाली जा रहा हूं । रात तक वापस आ जाऊंगा। अर्जुन ने बताया।

    सीरत  से मिलने कल चलेंगे ना हम। रहमान ने कहा।

    नहीं यार तुम्हारी सगाई के बाद मुझे निकलना है ।मोम को लेकर जाना है।
    तो मैं अभी जा रहा हूं ।सोचता हूं  सीरत से मिलने अभी चला जाऊं।

    चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं । रहमान ने कहा।

    वह दोनों दोस्त मोहाली की तरफ निकल गए थे ।

    तुम्हारे मन में क्या है मैं आज तक नहीं समझ पाया ।रहमान अर्जुन से बोला ।

    तुम अपने मन की समझ गए हो । अर्जुन ने मुस्कुरा कर कहा।

    क्यों । रहमान उसकी तरफ देखने लगा।

    तुम तो कहते थे  बचपन में फिक्स की गई शादी को मैं नहीं मानता।
    अब उसे सगाई करने के लिए आए हो।

    तुम बताओ। तुम जिस लड़की से अपनी टीनएज से प्यार करते हो।
    क्या उम्र थी उसे वक्त हमारी ।हम लोग प्लस तू में पढ़ते थे।
    तुम तो तब से दीवाने थे उसके। क्या कहते थे बड़ा होकर मैं उसके उससे शादी करूंगा। रहमान ने अर्जुन से कहा।

    मुझे लगता है बचपन का टाइम ज्यादा अच्छा था। कितने खुश थे।
      जिंदगी इतनी मुश्किल होगी यह नहीं पता था।
    बचपन में तब तो ऐसा लगता था की बहुत जल्दी मेरे सपने पूरे हो जाएंगे ।
    पढ़ाई खत्म करूंगा बिजनेस जॉइन करूंगा।  उसके बाद जिसे मैं पसंद करता हूं उससे शादी करूंगा।

    तुम तो दीवाने थे उसके। उसे देखने के लिए तुम उसकी क्लास में जाया करते थे।
    रहमान ने अर्जुन को उसका टीनएज क्रश  याद कराया।

    बिल्कुल  यह बात भी सच है ।
    उसने मुझे कभी एक नजर भर कर नहीं देखा। उसे मेरा होना ना होना कभी फर्क नहीं पड़ा ।
    इसीलिए तुमने आज तक उस पर गुस्सा किया है।
    अपने प्यार के बारे में तो कभी बताया ही नहीं।
    मुझे लगता है जिससे हम प्यार करते हैं। उसे हमें बताना चाहिए ।
    जिंदगी आसान हो जाती है।

    बताता उसे मैं तब ना जब उसे समझ  आता।
    उसमें बचपना था ।उसका बचपन कभी गया ही नहीं ।
    उसका बचपन नहीं गया और तुम्हारे ऊपर जिम्मेवारियां बढ़ गई।

    बिल्कुल डैड और चाचा जी बिजनेस नहीं संभाल सके। बिजनेस में नुकसान होने शुरू हो गए ।
    मैं ना चाहते हुए भी बिजनेस में इतना इंवॉल्व हो गया किसी चीज के लिए वक्त ही नहीं मिला।
    मैं अपने प्यार का इजहार कभी कर ही नहीं सका । मुश्किल में तो वो भी आई।


    इसलिए तुम सीरत के साथ एक नई शुरुआत करना चाहते हो।

    बिल्कुल एक नए सिरे से जिंदगी शुरू कर रहा हूं ।
    मगर लगता है मैं वह भी नहीं कर पाऊंगा। हम दोनों के बीच गलतफहमियां इतनी हो चुकी है
    और मैं उन्हें एक्सप्लेन भी नहीं कर पा रहा।
    प्यार के मामले में मैं हमेशा बदनसीब रहा हूं।

    रहमान गाड़ी चला रहा था और अर्जुन उसके साथ बैठकर अपने दिल की बात कर रहा था।

    ऐसे उदास मत हो । मुझे देखो ना मैं हमेशा कहता था।
    मुझे नहीं करनी है उस लड़की से शादी ।
    बिल्कुल भी नहीं करनी है। वह इतना बोलती है।
      मगर आप देखो अब मैं तैयार हूं। उस के साथ सगाई के लिए और भी और शादी के लिए।

    बिल्कुल मैं भी उससे मिलना चाहूंगा ।
    जिसने मेरे भाई जैसे दोस्त का दिल चुराया है । अर्जुन ने रहमान से कहा।

    मगर मेरा निकाह तुम दोनों की शादी के बाद होगा ।
    पहले तुम्हारी शादी होगी।रहमान कहने लगा।

    दोनों दोस्त एक दूसरे से अपने दिल की बात कर रहे थे ।अर्जुन के  दिल के राज रहमान के सिवा कोई दूसरा नहीं जानता था और रहमान के बारे में भी सिर्फ अर्जुन को पता था।

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  • 19. तेरे बिना - Chapter 19

    Words: 815

    Estimated Reading Time: 5 min

    रास्ते में जाते हुए अर्जुन ने सीरत का नंबर ट्राई किया।

    क्या हुआ भाभी ने तुम्हारा नंबर अभी तक खोला नहीं है रहमान ने पूछा।

    नहीं अभी तक नहीं खोला।
    इसमें इतनी जिद कहां से आती है।

      तो और क्या करें वह तुम दोनों को साथ देखकर ।
    कोई बात नहीं मैं मिलवा दूंगा तुम दोनों को ।

    वो दोनों वापस पहुंच गए थे अगले दिन सगाई थी ।

    रहमान ने अर्जुन से कह दिया था कि वह सगाई वाले दिनों से कहीं नहीं जाने देगा।
    मगर  अर्जुन ने भी सोच रखा था कि वह सीरत के पास जरूर जाएगा ।
    रात बीत गई थी अगली सुबह हो गई थी। रहमान की साइड के कई रिश्तेदार भी पहुंच चुके थे ।अर्जुन तैयार होकर रहमान के रूम में पहुंचा ।

    क्या बात है लगता है आज तो मेरी जगह बिजलियां तुम गिराने वाले हो। रहमान ने उसे देखकर कहा।

    अर्जुन ने नेहरू जैकेट के साथ पठानी सूट पहना था।

    कहीं मुझे नजर मत लगा देना। अर्जुन ने उसे मुस्कुरा कर कहा।

    क्या बात है ।आज बहुत अच्छे मूड में हो।
    वरना तुम हमेशा गुस्से में रहते हो। रहमान ने उसके चेहरे की स्माइल देखकर कहा।

    क्या करूं इस गुस्से के मुड को लेकर सीरत को नहीं मना सकता ।
    उसे मनाना है मुझे खुद को थोड़ा बदलना तो पड़ेगा ।

    यह बहुत अच्छी बात कही तुमने । मजबूरी में तुम दोनों की शादी तो हो सकती है ।
    मगर अगर तुम चाहते हो वह तुमसे प्यार करें तो उसके दिल तक राह बनानी होगी ।
    एक चुलबुली सी लड़की का दिल कैसे जीतना है तुम्हें पता होना चाहिए।

    तो फिर चलें अगर तुम तैयार हो गए हो तो। अर्जुन ने रहमान से कहा।

    थोड़ी देर में रहमान भी तैयार हो चुका था ।पूरी फैमिली पहले ही हाल में पहुंच चुकी थी। सिर्फ रहमान और अर्जुन ही रहते थे ।वह दोनों भी   जाने लगे।

    चाहे सारे रिश्तेदार हाल में पहुंच चुके थे। मगर अभी तक जिस लड़की से रहमान की सगाई होनी थी। वह अभी तक नहीं पहुंची थी । उसे सीधा पार्लर  से जहां पहुंचना था।

    अर्जुन और रहमान एक साइड पर खड़े हुए थे। वह दोनों किसी  टॉपिक पर ही डिस्कशन कर रहे थे। तभी किसी ने कहा कि लड़की आ रही है। रहमान जिस तरफ से उसे लड़की को आना था उसे तरफ देखने लगा। अर्जुन उस तरफ पीठ थी ।थोड़ी ही देर में मैरून कलर के गरारा सूट में वह लड़की रहमान को दिखाई दी।

    उसे देखकर रहमान का मुंह खुले का खुला रह गया ।

    अर्जुन पीछे देखो ।रहमान ने कहा ।

    अर्जुन ने पीछे मुड़कर देखा तो रहमान की होने वाली मंगेतर के साथ सीरत थी। जिसने स्काई ब्लू कलर का गरारा सूट पहना था।वो उसे देखकर बहुत हैरान था। उसके दिल की मुराद पूरी हो गई थी।वो जिसे ढूंढ रहा था वो उसके सामने थी।

    मतलब तुम्हारी होने वाली बीवी मेरी होने वाली बीवी  दोनों सहेलियां है ।
    सीरत तुम्हारी ही रिंग सेरेमनी के लिए चंडीगढ़ आई हुई है।अर्जुन ने कहा ।
    उन दोनों के चेहरे पर स्माइल थी ।

    अर्जुन सीरत को देखा ही रह गया। उसने स्काई ब्लू कलर का गरारा सूट पहना था। दुपट्टे को कंधे पर डाला हुआ था। कानों में इयररिंग्स थे और मांग टीका लगाया हुआ था ।बाहों में चूड़ियां थी और चेहरे पर हल्का-हल्का मेकअप था। और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी।

    वैसे मेरे वाली तुम्हारे वाली बीवी  तुम्हारी होने वाली बीवी से ज्यादा खूबसूरत😁 है ।अर्जुन ने सीरत की तरफ देखते हुए कहा।

    बिल्कुल गलत मेरे वाली ज्यादा खूबसूरत है ।रहमान उससे बोला ।वो माहम को देख रहा था।

    वह माहम को देख रहा था ।जिसने मारून कलर का गरारा सूट के साथ गोल्ड की ज्वेलरी पहनी हुई थी ।मांग में टीका था ।साइड पर पासा पहना हुआ था। गले में नेकलेस था ।चेहरे का मेकअप उसे और हसीन बना रहा था।

    वैसे ना मैं बिलकुल उल्लू का पट्ठा हूं । रहमान ने कहा।

    उसकी बात पर अर्जुन उसकी तरफ देखने लगा।उसे समझ नहीं आया कि अचानक उसे क्या हुआ।

    तुम्हें अपनी जात कैसे याद आ गई ।
    तुम उल्लू के पट्ठे नहीं हो । खुद उल्लू जरूर हो।


    मैं इतनी खूबसूरत लड़की से  शादी के लिए मना कर रहा था ।
    अब तक तो हमारे बच्चे भी हो गए होते ।

    उसकी बात पर अर्जुन मुस्कुराया।
    चलो उसका हाथ पकड़ कर उसे स्टेज पर लेकर चलो ।

    मुझे बड़ा बताया जा रहा है और खुद की सगाई के टाइम पता है सीरत ने  तुम्हारा कितना इंतजार किया।


    इसलिए तो कह रहा हूं।जो गलती मैंने की वो तुम मत करो।अर्जुन आगे की तरफ जाने लगा ।

    सगाई मेरी है तुम कहां जा रहे हो। रहमान जल्दी-जल्दी अर्जुन से आगे हो गया ।

    महाम और सीरत सीरत स्टेज के पास पहुंच चुकी थी।

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  • 20. तेरे बिना - Chapter 20

    Words: 798

    Estimated Reading Time: 5 min

    सीरत और माहम दोनों सहेलियां धीरे-धीरे एक दूसरे के साथ बातें कर रही थी। सीरत  का ध्यान अभी तक अर्जुन की तरफ नहीं गया था।

    मैं ना तुम्हारे जैसी नहीं हूं। चुपचाप  सहन कर लुं।
    जो अर्जुन कर रहा है ।वो ठीक नहीं है।
    केवल  नंबर ब्लॉक कर देने  से  बात नहीं बनती।
    अगर तुम्हें पसंद नहीं करता है तो उसको सुनाओ कि वह तुम्हें दुख दे रहा है।
    तुम  अर्जुन की हर बात पर चुप हो। तुम मेरी सहेली नहीं हो सकती ।माहम ने कहा ।

    क्यों तुम ऐसा क्यों कह रही हो ।सीरत ने कहा।

    तुम हर काम में मेरे साथ थी।हमने हर काम  साथ में किया।
    शरारतें साथ में की। एक साथ की लड़कों की पिटाई की।
    क्लासें  मिस करके साथ में फिल्म देखने जाते थे।
    हमसे तो सारा कालज डरता था।

    पता है तुम्हें मैं उसके आगे नहीं बोल सकती ।


    क्यों नहीं बोल सकती ।
    मुझे देखना जिसके साथ मेरी सगाई हो रही है ना मैं आज ही उसको सीधा कर दूंगी।
    वो जिंदगी भर मुझे याद रखेगा।

    तुम सगाई करने आई हो जां उससे लड़ाई करने ।

    दिल्ली वाले सभी एक जैसे होते हैं ।मैं तुम जैसी नहीं हूं ।
    चुपचाप उसका नंबर ब्लॉक कर मोहाली भाग आऊं ।मैं तो उसे उसके शहर से निकाल दूंगी।

      मेरी मां तुम बुरा क्यों सोच रही हो ।तुम दोनों बहुत प्यार से और अच्छे से रहोगे।
    बहुत प्यार करेगा वह तुम्हें ।

    नहीं करता है वो  पता है मुझे ।

    धीरे बोलो । सीरत ने आस पास देखते हुए कहा। क्योंकि सभी गेस्ट होने ही देख रहे थे ।

    गाड़ी से उतर कर दोनों एक बात पर लड़ाई कर रही थी।वो दोनों स्टेज की तरफ आ रही थी।
    मगर वह दोनों  अपनी  बातों में बिजी थी।  थोड़ा खुशी  तो तुम्हारे चेहरे पर होनी चाहिए।
    सीरत उसे समझा रही थी।

    अर्जुन सगाई के दिन वह लेट आया था।  देखो जो इंसान अपनी सगाई के दिन नहीं पहुंच सकता ।
    वह तुम्हारी कितनी कदर कैसे करेगा । जब से सीरत ने उसे अर्जुन के बारे में बताया था।
    उसे अर्जुन पर बहुत गुस्सा था।वो अपना गुस्सा रहमान पर निकलने वाली थी।

    तुम्हारा तो पहुंच चुका है ना और वैसे भी मुझे उससे मिलना है ।
    मिलवा दूंगी उस से । 


    सीरत ने माहम को अर्जुन के बारे में हर बात बताई थी। वैसे भी दोनों सहेलियां एक दूसरे से हर बात शेयर करती थी।
    जो बात वह दुनिया में किसी को नहीं बता सकती थी। वह एक दूसरे से आसानी से कह देती थी।

      माहम को रहमान के साथ अपना रिश्ता कभी भी पसंद नहीं था क्योंकि शुरुआत में रहमान ने इस शादी के लिए मना कर दिया था ।मगर बड़े बुजुर्गों की बात उसे माननी पड़ी थी ।आज माहम जो उसे अर्जुन पर गुस्सा था जो सीरत की बातें सुनकर आया था वह शायद वह आर रहमान पर निकलने वाली थी। पता नहीं आज बेचारे रहमान का क्या होने वाला था ।

    रहमान और अर्जुन स्टेज के नजदीक पहुंच गए थे।  रहमान की अम्मी और महम की अम्मी वह दोनों भी वहीं पर आ गई थी ।

    सीरत जो के माहम का गरारा ठीक करने के लिए झुक गई थी। तभी अर्जुन और रहमान उनके पास आ गए थे।वो गरारा ठीक करने के बाद खड़ी हुई तो सामने अर्जुन खड़ा था।


    आप जहां पर। सीरत ने अर्जुन से कहा।

    तुम जरा दूल्हे राजा से तो मिलो ।सीरत ने अर्जुन के साथ खड़े रहमान पर देखा ।

    रहमान भाई आप।

    भाभी आप कैसी हो । रहमान ने कहा ।उन दोनों उन दोनों को बात करते देखकर माहम समझ गई कि वह लोग जानते हैं ।

    सीरत तुम इन्हें जानती हो ।माहम ने पूछा।

    बिल्कुल यह रहमान भाई हैं ।अर्जुन के दोस्त । सीरत बताने लगी।

    बेटा बातें फिर हो जाएंगी। तुम लोग ऊपर आ जाओ ।रहमान की अम्मी ने कहा।

    और टाइम निकला जा रहा है। माहम की अम्मी कहने लगी ।

    आप लोग चलो आप लोगों पर चलो हम आते हैं। रहमान ने कहा।

    उन दोनों की मदर ही ऊपर चली गई ।

    तो आप हैं अर्जुन जिसकी वजह से  मेरी सहेली इतनी  रोई है।माहम ने अर्जुन से कहा ।

    उसकी बात पर सीरत में माहम को आंखें निकाल कर देखा ।
    यह तुम क्या कह रही हो।

      तुम डरती होगी । मैं नहीं डरती और आप भी मिस्टर रहमान याद रखना
    मैं सीरत नहीं  हुं।समझे  तुम।
    ये टाइम सही नहीं है आप दोनों से बात करने का ।वरना मैं आप दोनों को अभी बताती।

    उसकी बात पर रहमान और अर्जुन एक दूसरे की तरफ देखा।
    बेटा  उपर आ जाओ। दोनों की अम्मी बुला रही थी।

    कहां तो वह उसका हाथ पकड़ कर उसे ऊपर ले जाने आया था। मगर जहां पर तो स्टोरी ही बदल गई थी। माहम गुस्से में थी और अर्जुन का गुस्सा भी रहमान पर निकलने वाला था।

    प्लीज कमेंट जरुर करे।