कहते हैं प्यार से बड़ा कोई धर्म और जाति नहीं इंसान प्यार में सही गलत धर्म जात सब कुछ भूल कर हो जाता है फनाह, कुछ ऐसी ही कहानी है अनर्थ ठाकुर और आहिरा माथुर की अनर्थ ठाकुर 16 साल की उम्र में अपने ही प्यार की वजह से हो जाता है अपने प्यार और परिवार से द... कहते हैं प्यार से बड़ा कोई धर्म और जाति नहीं इंसान प्यार में सही गलत धर्म जात सब कुछ भूल कर हो जाता है फनाह, कुछ ऐसी ही कहानी है अनर्थ ठाकुर और आहिरा माथुर की अनर्थ ठाकुर 16 साल की उम्र में अपने ही प्यार की वजह से हो जाता है अपने प्यार और परिवार से दूर और करने लगता है अपने ही प्यार है बेहिंतहा नफरत पर 9 साल बाद दोनों एक दूसरे से टकराते हैं और मिलाती है किस्मत उन दोनों को फिर से पर क्या अनर्थ अपनी नफरत में अहिरा को बर्बाद कर देगा या फिर से कर बैठेगा उससे बेइंतहा मोहब्बत? या होगी फिर से एक नई दास्तान की शुरुआत जानने के लिए पढ़िए!
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हाय दोस्तों, मुझे पता है आप लोगों को थोड़ा सा कन्फ्यूज़न लगेगा, लेकिन 4 अध्याय के बाद आप लोगों की कन्फ्यूज़न खत्म हो जाएगी। सो प्लीज़ इसे कंटिन्यू कीजिएगा। ❤️ अब आगे, सुबह 8 बजे, एक औरत एक बड़े से कमरे में, जिसका रंग प्योर व्हाइट था, और जिसके पर्दे भी व्हाइट थे, और कमरे के बाहर बालकनी एरिया में स्विमिंग पूल बना हुआ था, सुबह का वक्त था। इस वक्त वह बाहर स्विमिंग पूल को देख रही थी। देखते हुए उसकी आंखों से आंसू छलकने लगे, और वह उस स्विमिंग पूल को बड़े ही ध्यान से देखने लगी। एक बच्चा, जिसकी उम्र लगभग 5 साल होगी, उस स्विमिंग पूल के आसपास दौड़ने लगा और दौड़ते हुए बोला, "मम्मा, पकड़ो मुझे!" वह उसके पीछे भागते हुए बोली, "अनर्थ, स्टॉप! इस तरह से मत भागो। आप स्विमिंग पूल में गिर सकते हो।" वह बच्चा भागते हुए बोला, "नहीं मम्मा, मैं नहीं गिरूँगा।" अनर्थ की बात सुनकर उसकी माँ बोली, "अनर्थ, तुम मेरी बात क्यों नहीं सुनते हो? तुम भी बिल्कुल अपने डैड की तरह हो। कभी मेरी बात नहीं सुनते हो। दोनों ने मुझे परेशान करके रख दिया है।" अनर्थ जब अपनी माँ की बात सुनता है, तो वह अपनी जगह पर खड़ा होकर, अपनी डार्क ग्रीन आँखों से घूरते हुए, अपनी माँ के करीब आकर बोला, "नहीं, मैं उनके जैसा नहीं हूँ। मैं सबसे ज़्यादा आपसे प्यार करता हूँ, उनसे भी ज़्यादा।" माही यह सुनकर मुस्कुरा दी और उसके करीब जाकर उसे गोद में लेते हुए, उसके गालों को खींचते हुए बोली, "हाँ हाँ, पता है। मेरा बच्चा सबसे ज़्यादा मुझसे प्यार करता है। तुमसे ज़्यादा प्यार तो कोई मुझे नहीं कर सकता।" तभी पीछे से आवाज़ आई, "ऐसा कभी नहीं हो सकता, चिल्ली फ्लेक्स। इस दुनिया में मुझसे ज़्यादा प्यार करने वाला कभी कोई नहीं हो सकता तुम्हारी ज़िंदगी में।" उस आवाज़ को सुनकर माही और अनर्थ दोनों ही मुँह फुलाकर उसकी तरफ़ घूर कर देखने लगे। सामने Ak था, जो उन दोनों को घूरते हुए देख रहा था, खासकर अनर्थ को, जो कि इस वक्त माही की गोद में था। Ak दोनों के करीब आता है और माही से अनर्थ को अपनी गोद में ले लेता है। माही उसे रोकने की कोशिश करती है, पर Ak नहीं रुकता। माही Ak को देखते हुए बोली, "आपको प्रॉब्लम क्या है मेरे और मेरे बच्चे से? जब देखो तब हम दोनों को अलग करते फिरते रहते हैं? और कितनी भी कोशिश कर लीजिए, मेरा बेटा मुझसे अलग होने वाला नहीं है। आपकी यह कोशिश नाकाम रहेगी।" तभी अचानक से यह सब सोचते हुए माही की आँखों से आँसू लगातार गिरने लगे और रोते हुए बोली, "यह गलतफ़हमी भी तुमने तोड़ी। ना आज 9 साल हो चुके हैं, लेकिन आज तक तुमने मुझसे फ़ोन पर बात तक नहीं की। तुमने एक पल में भुला दिया कि इन 9 सालों में तुम्हें मेरी याद तक नहीं आई।" तभी पीछे से किसी ने माही को हग करते हुए, उसके कंधे पर अपना चिन रखकर बोला, "मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकता हूँ, चिल्ली फ्लेक्स, पर तुम्हारी आँखों में आँसू नहीं।" माही अपने आँसू को साफ़ करते हुए, अपनी रुँधी हुई आवाज़ में बोली, "रोऊँ नहीं तो क्या करूँ, मिस्टर डेमॉन? जिस बेटे को इतना प्यार किया, वही हमसे नाराज़ बैठा है! 9 साल हो गए, पर आज तक ना कभी वह यहाँ आया, ना हमसे फ़ोन पर बातें की। हमें उस वक्त जो सही लगा, हमने वह किया। क्या हमें इतना भी हक़ नहीं था उसकी ज़िंदगी का फ़ैसला लेने का?" Ak उसकी बात सुनकर अपने होठों को उसकी गर्दन पर रखकर बाइट कर लिया, जिससे माही की सिसकियाँ निकल गईं। वह माही को अपनी डार्क ग्रीन आँखों से घूरते हुए बोला, "हमने कुछ गलत नहीं किया। जो किया, हमने उसकी अच्छाई के लिए किया। रही बात उसकी नाराज़गी की, तो मुझे उन सब चीज़ों से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। अगर उसकी नाराज़गी से तुम्हें फ़र्क पड़ा, तो उसे बहुत फ़र्क पड़ेगा, क्योंकि सामने कोई भी हो, वह अपनी चिल्ली फ्लेक्स को इस तरह से टूटते हुए नहीं देख सकता है।" इतना बोलकर वह उसके गर्दन पर अपने होंठ रखकर चूमने लगा। वहीं माही के हाथ उसके हाथ पर कस गए। दूसरी तरफ़, न्यू यॉर्क में, जहाँ लगभग रात के 10:00 बज रहे थे, एक लड़का, जिसकी उम्र लगभग 25 साल होगी, जिसकी लंबाई 6 फुट 4 इंच, शार्प जॉ लाइन, फ़ेयर स्किन, 8 पैक ऐब्स, डार्क ग्रीन आँखें— देखने में ही ख़तरनाक, वह अपने होठों में सिगरेट लिए हुए, उसे लंबी-लंबी कश ले रहा था और सामने देख रहा था, जहाँ पर कुछ लोग बाइक रेस लगा रहे थे। वह उन्हें देखकर अपनी डार्क ग्रीन आँखों से घूर रहा था। बाइक रेस स्टार्ट हो चुकी थी। सारे लोग कुछ दूरी पर जा चुके थे, पर वह अभी भी इन सबको ऐसे ही देखकर घूर रहा था। तभी उसके पास एक लड़की आई और उसके कंधे पर हाथ रखा। ऐसा होते ही उसने अपनी जलती हुई निगाहों से उस लड़की को देखा। वह लड़की डर की वजह से अपना हाथ नीचे कर ली और उसकी तरफ़ देखते हुए बोली, "At, रेस स्टार्ट हो गया है और तुम अभी भी यहाँ पर हो। तुम भी तो रेस में थे, फिर तुम रेस में क्यों नहीं गए?" At उसे अपनी जलती हुई निगाहों से देखकर बोला, "दोबारा इस तरह से मेरे कंधे पर हाथ मत रखना, वरना ये हाथ नहीं रहेंगे। और अगर मैं रेस में गया नहीं, तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं रेस में हूँ ही नहीं। यह रेस भले ही मेरे बिना स्टार्ट हो गई है, पर ख़त्म मेरे से ही होगी।" इतना बोलकर वह अपनी सिगरेट की आखिरी कश लेते हुए, उसके धुएँ को हवा में उड़ाकर, सिगरेट नीचे फेंकता है और अपने जूते से मसलने लगता है। और अपने हेलमेट को पहनकर बाइक स्टार्ट करता है और उस रेस में शामिल हो जाता है। अब तक वह लोग बहुत ही दूर पहुँच चुके थे, पर At को कोई फ़र्क नहीं पड़ा और बाइक लेकर उनके पीछे चला गया। उसने अपनी बाइक की स्पीड 100 प्लस कर दी और हवा की तरह चीरते हुए उन सबके पास चला गया। देखते ही देखते वह उन सब से आगे निकल गया। वहाँ पर खड़ी सारी लड़कियाँ उसे देखकर आहें भर रही थीं, और वहीं वहाँ पर खड़े सारे लोग At के नाम का हूँडिंग कर रहे थे। और कुछ ही पलों बाद वह रेस में सबसे आगे था। कुछ देर बाद रेस ख़त्म हुई और At जीत गया। सारे लोग उसे देखते हुए उसके पास आए। At का फ़्रेंड और उसके बिज़नेस में उसका साथ देने वाला डेविड उसके पास आकर उसे गले लगाते हुए बोला, "सही कहा है तुमने, रेस भले चाहे जो शुरू करें, पर ख़त्म तुम्हें ही करना होता है। और इस बार फिर से यह साबित कर दिया।" At उसकी बात सुनकर किलर स्माइल कर देता है और वहाँ से बाइक लेकर चला जाता है। डेविड भी उसके साथ निकल गया। हाय दोस्तों, लाइक, कमेंट और रिव्यू ज़रूर देते रहिए और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर कीजिए। आई होप कि आप लोगों को मेरा यह नॉवेल भी पसंद आए। ❤️
सारे लोग उसे देखकर उसके पास आए। At का मित्र और व्यापारिक साझेदार डेविड उसके पास आकर उसे गले लगाते हुए बोला, "सही कहा है तुमने, रेस भले कोई भी शुरू करे, पर खत्म तुम्हें ही करना होता है और इस बार फिर से यह साबित कर दिया।" At उसकी बात सुनकर किलर स्माइल दिया और वहाँ से बाइक लेकर चल दिया। डेविड भी उसके साथ निकल गया। कुछ देर बाद वे दोनों एक बड़े से घर में आए और अंदर चले गए। अंदर जाकर At सीधे अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। कमरा काफी बड़ा और डार्क सेट का था, जिसके पर्दे ग्रे सेट के थे। कमरे का रंग सफ़ेद और ग्रे था। कमरे में एक गोल आकार का बिस्तर था, जो कि सफ़ेद रंग का था, और दूसरी तरफ़ एक बड़ा सा आईना था। कमरा बहुत ही आलीशान था। At अंदर जाकर सीधे वॉशरूम की तरफ बढ़ गया और वॉशरूम में जाकर नहाने लगा। थोड़ी देर बाद जब वह बाहर आया, तो देखा कि डेविड उसके बिस्तर पर बैठा हुआ उसका इंतज़ार कर रहा था। डेविड को देखकर उसकी भौंहें तन गईं और तौलिया लपेटे हुए डेविड के करीब आकर ठंडे स्वर में बोला, "अगर तुम्हें वही घिसी-पिटी बातें करनी हैं, तो निकल जाओ मेरे कमरे से। How many times will I have to explain the same thing? Don't come to me again with the same thing because At does not like to hear or say the same thing." इतना बोलते हुए उसके चेहरे का भाव गहरा हो चुका था। वहीं, डेविड घबराते हुए हकलाकर बोला, "सॉरी, मुझे भी पता है तुम्हें एक ही बात बार-बार न बोलना पसंद है, न सुनना, लेकिन मैं क्या करूँ? कितनी बार फ़ोन आ चुका है उनका और मैं अब मना भी नहीं कर सकता। बस एक बार बात कर लो।" यह सुनकर At की मुट्ठियाँ कस गईं और वह गुस्से में डेविड का गला पकड़ते हुए उसे उठाकर दीवार से लगाकर बोला, "तुम मुझे आदेश दोगे? तुम्हारी इतनी औकात कब से आ गई?" डेविड खुद को छुड़ाते हुए बोला, "मैं तुम्हें आदेश नहीं दे रहा हूँ, At, बस एक दोस्त के नाते समझा रहा हूँ और तुम्हें भी पता है कि वह माफ़िया किंग है और अभी तक तुम किंग नहीं बने हो। तुम्हें किंग बनने के लिए उनकी बातें माननी पड़ेंगी, उनसे बात करनी पड़ेगी। क्योंकि तुम भले ही उनके बेटे हो, पर किंग नहीं।" At उसकी बात सुनकर ठंडे स्वर में बोला, "मैं किंग नहीं हूँ तो क्या हुआ? मुझे किंग बनने से कोई नहीं रोक सकता। और वह किंग इसलिए है क्योंकि अब तक मैंने उन्हें किंग रहने दिया। जिस दिन मुझे किंग बनना होगा, मुझे किसी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।" इतना बोलकर उसने डेविड को छोड़ दिया। डेविड डरते हुए उसे देखकर बोला, "लास्ट टाइम यही कहूँगा कि एक बार बात कर लो, बाकी तुम्हारी मर्ज़ी। फ़ोन बिस्तर पर है, मैं ही छोड़कर जा रहा हूँ। बात करनी होगी तो कर लेना।" इतना बोलते हुए वह At की बात सुने बिना निकल गया, क्योंकि उसे पता था कि अगर वह उसकी बात सुनेगा, तो कहीं फिर से At उस पर गुस्सा न कर दे या कुछ कह न दे। At उसे जाते हुए देखता है, पर कुछ कहता नहीं है। फिर वह अपने कमरे में एक मिनी बार की तरफ़ जाता है। वहाँ जाकर एक वाइन की बोतल और गिलास उठाता है और सोफ़े पर बैठकर वाइन की बोतल अपने दाँत से खोलते हुए गिलास में डालने लगता है। तभी बिस्तर पर रखा हुआ फ़ोन बजने लगा। इसे सुनकर At का चेहरा ठंडा हो गया, पर वह इसे अनदेखा करते हुए अपने गिलास में वाइन भरने लगा। लेकिन वह फ़ोन बार-बार बज रहा था। यह सुनकर At गुस्से में उसे अनदेखा करता रहा और आराम से सोफ़े पर बैठकर वाइन पीने लगा। पर वह फ़ोन बजना बंद नहीं हुआ। At फ़ोन के पास गया, फ़ोन उठाया और गुस्से में उस नंबर को देखकर उसके चेहरे का भाव गहरा हो गया। वह किलर स्माइल के साथ फ़ोन उठाता है और बोला, "क्या हुआ? आज इतनी बेचैनी मुझसे बात करने की? मुझे नहीं पता था लोग इतना बेचैन मेरे बिना हो सकते हैं, ख़ासकर आप।" तभी दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, "मैं सिर्फ़ अपने चिल्ली फेस के लिए पहचान रखता हूँ, हर किसी के लिए इतना बेचैन नहीं होता। रही बात तुम्हें इस तरह से कॉल करने की तो उसकी वजह यह है कि मेरी चिली फ्लेक्स इस वक़्त तुम्हारी वजह से बेचैन और परेशान है। और मैं उसे इस तरह से बेचैन और परेशान नहीं देख सकता।" At उसकी बात सुनकर बोला, "तब आपको उनके पास रहना चाहिए और उनकी बेचैनी और परेशानी दूर करनी चाहिए, न कि मुझे कॉल करके परेशान करना चाहिए।" Ak उसकी बात सुनकर बोला, "क्योंकि इस वक़्त मेरी चिली फ्लेक्स तुम्हारी वजह से बेचैन और परेशान है, और अगर इस वक़्त उसकी परेशानी कम नहीं हुई तो तुम्हारी ज़रूर बढ़ जाएगी। इसीलिए कह रहा हूँ कि अगर अपनी परेशानी नहीं बढ़ाना चाहते हो तो चुपचाप वापस इंडिया आ जाओ।" At उसकी बात सुनकर वाइन का गिलास अपने मुँह में डालकर वाइन का घूँट लेते हुए बोला, "आपको बॉलीवुड या हॉलीवुड मूवी में ट्राई करना चाहिए, काफ़ी अच्छे डायलॉग्स कर लेते हैं। खैर, मुझे इन डायलॉग्स से कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मैं फ़ोन रखता हूँ, आपने मेरा और खुद का बहुत टाइम वेस्ट कर लिया।" इतना बोलकर वह फ़ोन रखने ही वाला था, तभी Ak ने कुछ ऐसा कहा कि At के चेहरे का भाव बदल गया। वह गुस्से में काँपते हुए बोला, "No! No! आप ऐसा नहीं कर सकते। आप हर बार मुझे इस तरह से मजबूर नहीं कर सकते।" वह अभी बोल ही रहा था कि Ak ने फ़ोन काट दिया। At फ़ोन को गुस्से में ज़मीन पर पटक देता है। फ़ोन के कई टुकड़े हो चुके थे। वह गुस्से में काँपते हुए बोला, "हर बार आप वही करते हैं, जिससे मुझे नफ़रत होती है।" आपने उसे वक़्त भी मेरी एक नहीं सुनी थी, आपको जो सही लगा वही किया और आज भी आप ही कर रहे हैं, जब दिल में आया तो आपने मुझे दूर कर दिया, पर मुझे अब वहाँ और वहाँ के लोगों से नफ़रत है, आप भूल चुके होंगे वह सब बातें आपके लिए मायने नहीं रखतीं, वह सब चीज़ें मेरे लिए बहुत मायने रखती हैं, आज तक वह सब चीज़ें नहीं भूल पाया हूँ। आज के लिए इतना ही, मिलते हैं कल ❤️ बाक़ी लाइक, कमेंट और रिव्यू देते रहेंगे ❤️❤️
At ने गुस्से में फ़ोन ज़मीन पर पटक दिया। फ़ोन के कई टुकड़े हो गए थे। वह काँपते हुए बोला, "हर बार आप वही करते हैं, जिससे मुझे नफ़रत होती है।" आपने उसे वक़्त भी मेरी एक नहीं सुनी थी, आपको जो सही लगा वही किया और आज भी आप ही कर रहे हैं। जब दिल में आया तो आपने मुझे दूर कर दिया, पर मुझे अब वहाँ और वहाँ के लोगों से नफ़रत है। आप भूल चुके होंगे, वह सब बातें आपके लिए मायने नहीं रखतीं, वह सब चीज़ें मेरे लिए बहुत मायने रखती हैं। आज तक वह सब चीज़ें नहीं भूल पाया हूँ। अगली सुबह, इंडिया में, सुबह 9:00 बजे। मुंबई यूनिवर्सिटी। एक लड़की भागते हुए कॉलेज के अंदर जा रही थी। उसकी हाइट पाँच फुट तीन इंच थी, गोरी थी, लंबे घने हल्के कर्ली बाल, काली आँखें, दिखने में बहुत ही खूबसूरत और मासूम थी। उसने ब्लू हॉट पैंट और येलो टॉप पहन रखा था। उसके पीछे दूसरी लड़की उसे चिल्लाते हुए बोली, "अहिरा! क्या कर रही है? धीरे चल, वरना गिर जाएगी।" अहिरा ने उसकी बात सुनी, पर उसकी तरफ़ देखे बिना बोली, "तुझे पता है ना कि ये फ़ाइल सबमिट करनी है, तो फिर धीरे कैसे चल सकती हूँ? जल्दी कर, और जल्दी से ये सारी फ़ाइलें सबमिट कर लेते हैं।" अहिरा की बात सुनकर उसकी फ़्रेंड बोली, "अरे यार! तो आज ही का तो लास्ट डेट है, शाम तक भी जमा हो सकता है। फ़ाइल तैयार है ना! कौन सा हम भागे जा रहे हैं?" अहिरा वहीं रुक गई और घूरते हुए उसकी तरफ़ देखते हुए बोली, "शाम तक नहीं, अभी जमा करना है मुझे! वैसे भी मैं नहीं चाहती कि मुझे इस फ़ाइल की वजह से डाँट पड़े, अनू।" अनू ने अहिरा की बात सुनी और उसे देखते हुए बोली, "यार, तू इतना डरती क्यों है? फ़ाइल ही तो है। अगर लेट भी हो गया तो क्या हुआ? मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है तेरे चेहरे पर इतना डर क्यों रहता है जब भी कोई प्रोजेक्ट या एग्ज़ाम रहता है।" अहिरा ने अनू की बात सुनी, तो उसके आँखों के सामने से कुछ होकर गुज़र गया। उसका चेहरा पीला पड़ चुका था। वह फ़ीका मुस्कुराते हुए बोली, "सब कोई तेरी तरह नहीं होता है, बेवकूफ़! कुछ लोग समझदार भी होते हैं, जैसे कि मैं!" अहिरा की बात सुनकर अनू का मुँह खुला का खुला रह गया। वे दोनों फिर से चलने लगे। जैसे ही वे लोग हॉल के अंदर पहुँचे, वहाँ नोटिस बोर्ड पर एक नोटिस लगा हुआ था। अनू ने नोटिस पढ़ा, तो वह मुस्कुराने लगी और अहिरा को देखकर बोली, "वाह! कल तो मज़ा आने वाला है! कल कॉलेज में पार्टी है!" अहिरा का मुँह बन गया। अनू ने उसका चेहरा देखकर बोला, "देख यार, मुँह मत बना, और हाँ ये सोचना भी मत, कल आना है तो आना है! और अगर तू कल नहीं आई ना, तो सोच ले, मुझसे बुरा कोई नहीं होने वाला। तुझे पता है ना, तू नहीं आएगी तो घर वाले मुझे भी नहीं भेजेंगे।" अहिरा ने अनू को घूरते हुए बोला, "मेरा मन नहीं है। तुझे पता है ना, मुझे ये सब चीज़ें बिल्कुल पसंद नहीं हैं।" अनू ने अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोला, "तुझे पसंद क्या है? जरा ये तो बता दे, मैं भी तो जानूँ, ऐसी कौन सी चीज़ है जो तुझे पसंद आती है?" अहिरा ने धीमे से बोला, "जो पसंद था, वह शायद कभी अब मेरा नहीं हो सकता! वह बस पसंद बनकर रह गया, अब तो वह पसंद भी नहीं रहा।" ऐसा बोलकर वह फ़ीका मुस्कुरा दी। पर अनू को उसकी बातें सुनाई नहीं दीं। अनू ने अहिरा के होठों को फड़फड़ाते हुए देखकर बोला, "क्या बोल रही है? कुछ सुनाई नहीं दे रहा है।" अहिरा ने उसकी तरफ़ देखकर बोला, "कुछ नहीं। चल, फ़ाइल जमा करके आते हैं।" इतना बोलकर वह जाने ही वाली थी कि सामने से अव्या आ गई। अव्या पाँच फुट तीन इंच लंबी, गोरी, डार्क ब्राउन बालों वाली, दिखने में काफ़ी खूबसूरत थी। उसने ब्लैक जीन्स और व्हाइट शर्ट पहन रखे थे। अव्या भाव्या और अगस्त की छोटी बेटी है, यही वह लड़की है जिसे रेहान के चैप्टर में आप लोगों ने देखा था। जो की चार महीने की At की लिटिल प्रिंसेस थी। अव्या ने अहिरा की तरफ़ देखते हुए पूछा, "कल तुम आ रही हो ना पार्टी में?" अहिरा ने उसे देखकर बोला, "देखते हैं यार।" फिर उसने उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला, "मुझे जाना है, ये फ़ाइल सबमिट करने जा रही हूँ। तुम सब बातें करो!" इतना बोलकर वह वहाँ से निकल गई। उसे जाते देख, सारे अपने क्लास की तरफ़ बढ़ गए। रात का वक़्त। रात के 10:00 बज रहे थे। माही किचन में काम कर रही थी। इस वक़्त उसके घर ख़ास मेहमान आने वाले थे, जिसके लिए वह खुद ही अपने हाथों से किचन में खाना बना रही थी। डोरबेल बजी। इसे सुनकर माही मुस्कुराते हुए डोरबेल की तरफ़ बढ़ गई और मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोला, पर सामने देखकर उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसकी आँखें बड़ी हो गईं। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सामने वाले इंसान को देखकर किस तरह से रिएक्ट करे। तभी सामने से एक भारी और अहंकारी आवाज़ आई, "क्या हुआ? मुझे देखकर आपको खुशी नहीं मिली? या इस बात का दुख है कि कहीं आपके हस्बैंड को मुझे देखकर बुरा न लग जाए?" तभी दोनों के कानों में आवाज़ आई, "तुम्हें देखकर किसी को दुख हो या ना हो, पर मुझे ज़रूर हुआ। पर क्या कर सकता हूँ? मेरी चिल्ली फ़्लेक्स की वजह से मुझे तुम्हें बर्दाश्त करना पड़ेगा।" यह बोलते हुए वह अपने पॉकेट में दोनों हाथ डालकर दोनों के करीब आया। माही Ak को देखकर घूरने लगी और गुस्से में जलते हुए बोली, "कैसी बातें कर रहे हैं, मिस्टर डेमॉन? इस तरह से कोई अपने बेटे से बात करता है क्या?" तभी माही के कानों में फिर से At की आवाज़ पड़ी, "वह सिर्फ़ बातें ही नहीं, बहुत कुछ करते हैं, मॉम। बस फ़र्क़ इतना है कि उनके साथ देने वाले इस घर में बहुत लोग हैं। कुछ भी करेंगे, किसी को कुछ नहीं कहना होगा, लेकिन अगर किसी ने कुछ कर दिया तो उसके लिए उसे सज़ा दी जाती है।" उसकी बात सुनकर माही चुप हो गई। वहीं Ak फिर से उसे देखते हुए बोला, "क्योंकि वह सज़ा कुछ लोगों के लिए ज़रूरी होती है। अगर उसे वह सज़ा नहीं दी जाती तो वह हमारे सामने इस तरह से खड़ा नहीं होता।" At ने Ak की बात सुनकर मनोचिकित्सक की तरह मुस्कुराते हुए बोला, "ये आपकी गलतफ़हमी है, बहुत बड़ी गलतफ़हमी में जी रहे हैं। ना तो मुझे उसे सज़ा से कभी फ़र्क़ पड़ा और ना ही कभी अब किसी चीज़ से पड़ने वाला है।" इतना बोलकर वह अंदर की तरफ़ बढ़ गया और बिना सबको देखे बोला, "मेरा रूम वही है? क्या उसे भी यहाँ से हटाकर कहीं और शिफ़्ट कर दिया गया है?" At की बात सुनकर माही उसके करीब जाकर उसके हाथों को पकड़ते हुए, आँखों में आँसू लेते हुए बोली, "कैसी बात कर रहे हो, बेटा? यह घर तो क्या, हम दोनों का जो भी है, सब तुम्हारा ही तो है, और कब तक उस बात को लेकर नाराज़ रहने वाले हो? उस वक़्त जो हमें सही लगा वह हमने किया। क्या इतना भी हक़ नहीं है हमारा अपने बेटे पर? पर तुमने तो हमसे रिश्ता ही तोड़ दिया ना, कभी फ़ोन पर बातें की नहीं, कभी हमसे कुछ पूछा कि हम तुम्हारे बिना कैसे हैं?" At ने यह सब सुना, तो उसकी मुट्ठियाँ कस गईं। उसकी दिल की धड़कन तेज हो गई, लेकिन फिर भी वह खुद को संभालते हुए, गुस्से भरी निगाहों से Ak की तरफ़ देखते हुए बोला, "आप दोनों को क्या ज़रूरत है किसी की? जब आप दोनों एक साथ हो, वैसे भी किसी तीसरे की क्या ज़रूरत?" इतना बोलकर वह सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ गया। तभी Ak ने उन दोनों को देखते हुए फिर से बोला, "वैसे तुम सच में बहुत बड़े हो गए हो। इतने समझदार तो हो गए हो कि तुम्हें इतना पता चल गया है कि हम दोनों के बीच में किसी तीसरे की कोई ज़रूरत नहीं।" माही यह सुनकर Ak की तरफ़ देखने लगी। वहीं At का चेहरा एक्सप्रेशन डार्क हो गया। उसकी मुट्ठियाँ कस गईं, लेकिन वह बिना कुछ बोले और बिना पीछे देखे अपने रूम की तरफ़ बढ़ गया। वहीं माही दोनों को बेबसी में देख रही थी। है फ़्रेंड्स, आज के लिए इतना ही। मिलते हैं कल। और लाइक, कमेंट और रिव्यू ज़रूर देते रहिए। आपका लाइक, कमेंट और रिव्यू बहुत ज़रूरी है स्टोरी को आगे बढ़ाने के लिए। ❤️❤️❤️
इतना बोलकर वह सीडीओ की तरफ बढ़ गया। तभी Ak ने उन दोनों को देखते हुए फिर से बोला, “वैसे तुम सच में बहुत बड़े हो गए हो। इतने समझदार तो हो गए हो कि तुम्हें इतना पता चल गया है कि हम दोनों के बीच में किसी तीसरे की कोई जरूरत नहीं।” माहि यह सुनकर Ak की तरफ देखने लगी। वहीं At का चेहरा एक्सप्रेशन डार्क हो गया। उसकी मुखिया कश गई, लेकिन वह बिना कुछ बोले और बिना पीछे देखे अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। वहीं माहि दोनों को बेबसी में देख रही थी। At सीधे अपने कमरे में गया और जैसे ही उसने रूम खोलकर लाइट ऑन की, वह अपने कमरे को देखता ही रह गया। उसने अपना कमरा जिस तरह छोड़कर गया था, उसी तरीके से वह कमरा रखा गया था। इसकी हर एक चीज़, हर बड़ी चीज़, जो उसे अपने कमरे में पसंद थी, वह सब चीजें सही जगह पर थीं। इसे देखकर उसका चेहरा सर्द हो गया और उसने कमरे को देखते हुए कहा, "आपने इस कमरे को तो भले ही सही रखा, पर कभी मुझे वैसे रखने की कोशिश नहीं की। आपको मेरी ज़रूरतों का तो अच्छे से ख्याल था, पर मुझे क्या ज़रूरत थी, यह नहीं सोचा। मैं आप लोगों के साथ रहना चाहता था, आप लोगों ने मुझे खुद से दूर कर दिया।" यह सब बोलते हुए उसकी गहरी हरी आँखें पूरी लाल हो चुकी थीं। गुस्से में काँपते हुए वह सीधे बाथरूम की तरफ बढ़ गया और बाथरूम में जाकर शॉवर ऑन कर दिया। इस वक्त उसने वाइट शर्ट और ब्लू जीन्स पहनी हुई थी। उसके शरीर पर पानी गिर रहा था, पर वह अभी भी पागल हो रहा था। उसकी आँखें लाल हो गईं। उसने दीवार पर एक मुक्का मारा और गुस्से में बोला, "तुमने भी उस वक्त साथ नहीं दिया ना मेरा। जानम जो हुआ था, सब तुम्हारी वजह से हुआ था। मैंने तुम्हें प्रोटेक्ट किया, पर तुमने मुझे नहीं किया। मेरी जिंदगी में जब से तुम आई थीं, मेरे लिए तुमसे बढ़कर कोई नहीं था, पर अब मुझे तुम्हारे नाम से भी नफरत है।" यह सब बोलते हुए उसकी आँखों के सामने वह नजारा आने लगा। एक बारह साल की लड़की, बहुत ही खूबसूरत, चुलबुली सी, स्कूल ड्रेस में अपने क्लास में थोड़ी सी उदास बैठी हुई थी। तभी उसके पास एक लड़का, जो कि सोलह साल का था, उसके करीब आकर बोला, "जानम, तुम मेरे साथ लंच करने क्यों नहीं आई? मैं कब से वेट कर रहा था। चलो हम लोग साथ में लंच करते हैं।" वह लड़की जब उसकी बात सुनती है, तो उसकी तरफ देखते हुए बोली, "नहीं, At, मेरा मूड नहीं है। आप जाकर कर लो, मैं बाद में करूंगी।" At जब उसकी बात सुनता है तो परेशान होते हुए बोला, "क्या हुआ जानम, तुम इतनी परेशान क्यों हो? किसी ने तुम्हें कुछ कहा क्या? जरा मुझे बताओ, मैं बताता हूँ उसे।" उसने गुस्से में बोला। वह लड़की उसको देखते हुए कट आवाज में बोली, "At, आप हर बात पर हाइपर क्यों हो जाते हैं? मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा, बस मेरे टेस्ट में नंबर कम आए हैं। एक तो उस दिन मैंने अपनी फाइल भी टाइम से सबमिट नहीं की थी, जिस वजह से Mom and Dad ने मुझे बहुत डांट लगाई थी और आज टेस्ट में इतने कम नंबर आए हैं कि फिर से डांट पड़ेगी। इसलिए मेरा मूड खराब है।" At उसकी बात सुनकर बोला, "तुम परेशान मत हो, मैं अंकल-आंटी से बात करता हूँ। देखता हूँ मेरे रहते हुए तुमसे कैसे इस तरह से बात करेंगे और क्यों डांटेंगे तुम्हें।" At की बात सुनकर वह लड़की उसको घूरकर देखने लगी और बोली, "उफ्फो At, मैं ठीक हूँ और कोई जरूरत नहीं है मेरे पैरेंट्स से ऐसे बात करने की। आप जाओ अपने क्लास में लंच करो और मैं जाती हूँ प्रिंसिपल सर से बात करने के लिए। उनसे रिक्वेस्ट करूँगी कि मेरे घर पर कुछ न कहें। अगली बार से नंबर अच्छे लाऊंगी।" इतना बोलकर वह वहाँ से निकल गई। प्रिंसिपल के रूम, प्रिंसिपल रूम के केबिन में, आहिरा घबराते हुए थोड़ा परेशान होकर अंदर आई। उसके हाथ में एक पेपर था जिसे अंदर लाई और प्रिंसिपल को देखने लगी। प्रिंसिपल उसको देखते हुए बोले, "क्या हुआ आहिरा और तुम्हारे हाथ में यह किस चीज का पेपर है?" आहिरा घबराते हुए बोली, "सर, मेरे मैथ के टेस्ट का पेपर है। इसमें नंबर बहुत कम आए हैं और घर पर सिग्नेचर के लिए बोला है। इस बार आप मेरी मदद कर दीजिए और घर पर कुछ भी ना पता चले। अगली बार से मैं प्रॉमिस करती हूँ, पक्का प्रॉमिस करती हूँ कि नंबर सही लाऊंगी।" प्रिंसिपल उसकी बात सुनकर उसकी तरफ देख कर बोले, "तुम्हारे तो हर बार यही काम रहता है। कहाँ रहता है कभी पढ़ाई में ध्यान भी रहता है कि नहीं?" आँखों से देखते हुए आहिरा ने प्रिंसिपल से बोला, "नहीं सर, मैं बहुत ट्राई करती हूँ, पता नहीं कैसे नंबर इतने कम आ गए। प्लीज सर, अगर घर पर पता चला तो मम्मी-पापा बहुत डांटेंगे। आई प्रॉमिस सर कि मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करूंगी और अच्छे नंबर लाऊंगी। आप प्लीज मुझ पर बिलीव कीजिए।" प्रिंसिपल बिल्कुल उसके करीब आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले, "मैं कैसे बिलीव कर लूं कि तुम इस बार सच कह रही हो? क्या पता तुम अपनी बातों से मुकर जाओ। इसके लिए तुम्हें प्रूफ करना होगा कि तुम सही कह रही हो।" आहिरा प्रिंसिपल की बात सुनकर बोली, "कैसे सर, कैसे प्रूफ करके बताऊं कि मैं सच बोल रही हूँ? मैं अगली बार से नंबर सच में अच्छे लाऊंगी।" प्रिंसिपल आहिरा के कंधे को दबाते हुए बोले, "अगर तुम मेरी बात मान लो तो मैं समझ जाऊंगा कि हां, तुम सच में जो बोल रही हो वह करोगी और मैं घर पर तुम्हारे कुछ भी नहीं कहूंगा।" यह सुनकर आहिरा उनकी तरफ देखते हुए बोली, "क्या करना होगा सर? मैं पक्का करूँगी और आपको बिलीव दिलाऊंगी कि नहीं, मैं आइंदा से अपने नंबर सही लेकर आऊंगी।" प्रिंसिपल जब आहिरा की बात सुनते हैं तो उनकी आँखों में चमक आ गई और वह उसके कंधे से अपने हाथों को उसकी बैक की तरफ ले जाकर सहलाने लगे और बोले, "तुम्हें बस एक छोटा सा काम करना होगा।" यह बोलते हुए वह मुस्कुरा रहे थे। पर आहिरा को बहुत ही अजीब महसूस हुआ। वह थोड़ा सा दूर होकर प्रिंसिपल को देखने लगी। तो प्रिंसिपल मुस्कुराते हुए फिर से उसके करीब आकर बोले, "ऐसे क्या देख रही हो? ज्यादा कुछ नहीं करना होगा, बस तुम्हें अभी इस वक्त अपनी शर्ट उतार कर मेरे सामने खड़ा होना पड़ेगा ताकि मैं तुम्हारी बॉडी को अच्छे से देख सकूँ।" आहिरा जब यह सुनती है तो उसे बहुत बुरा लग रहा था, और बहुत अजीब फील हो रहा था। ऊपर से उसकी उम्र भी बस सिर्फ बारह साल की थी। प्रिंसिपल को देखते हुए बोली, "यह क्या बात कर रहे हैं सर, ऐसा कौन करता है? मुझे नहीं करना, मैं जा रही हूँ।" उसकी बात सुनकर प्रिंसिपल उसका हाथ पकड़कर आँख दिखाते हुए बोले, "ठीक है, जाओ तुम यहाँ से। उसके बाद मैं भी तुम्हारे पैरेंट्स से जाकर बोलूंगा कि तुम पढ़ाई नहीं करती, ऐन टाइम घूमती रहती हो और इसीलिए तुम्हारे नंबर कम आए। फिर देखना, तुम्हारे पैरेंट्स तुम्हारा क्या हाल करेंगे। और हाँ, वह मेरा ही बिलीव करेंगे, क्योंकि मैं प्रिंसिपल हूँ और मुझे अच्छे से पता है कि उन्हें क्या बताना है। और हर एक एग्जाम में मैं सारी टीचर से बोलकर तुम्हें फेल करवा दूंगा। उसके बाद तुम्हारे पैरेंट्स को भी लगेगा कि तुम कितनी डैम स्टूडेंट हो, बिल्कुल ही लापरवाह। तुम्हें कुछ नहीं आता।" आहिरा जब यह सब सुनती है तो उसकी आँखों से आँसू आने लगे और प्रिंसिपल की तरफ देखते हुए बोली, "आप ऐसे नहीं कर सकते। आप मेरे मम्मी-पापा से झूठ नहीं बोल सकते। यह तो गलत बात है, ना? हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए।" प्रिंसिपल उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोले, "हाँ, मैं झूठ बोलूंगा। पर तुम्हारे मम्मी-पापा को तो मेरा झूठ सही लगेगा। तुम्हारा सच उनको बिल्कुल सही नहीं लगेगा। वह तुम्हारे सच को झूठ समझेंगे। चाहो तो ट्राई कर सकती हो।" आहिरा जब प्रिंसिपल की बात सुनती है तो उसकी आँखों से आँसू और तेज बहने लगे। वह प्रिंसिपल की तरफ देखते हुए बोली, "आप बहुत गंदे हो, आप ऐसे कैसे कर सकते हो?" प्रिंसिपल उसकी बात सुनकर बोले, "मैं कर सकता हूँ, क्योंकि इस स्कूल का प्रिंसिपल मैं हूँ। और अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं कर सकता हूँ, चाहो तो आज़मा सकती हो। और अगर तुम यह सब नहीं चाहती हो तो जो बोला है वह करो।" इतना बोलकर वह अपनी चेयर पर बैठकर बहुत ही सेडक्टिव तरीके से आहिरा को देखने लगे। आहिरा की आँखों से आँसू आने लगे। पर उसे समझ नहीं आ रहा था। उसे तो यही लग रहा था कि उसके पैरेंट्स सिर्फ और सिर्फ प्रिंसिपल की बात ही मानेंगे। वह रोते हुए अपनी शर्ट के ऊपर हाथ रखती है और ऊपर का बटन खोलने लगी। जिसे देखकर प्रिंसिपल की आँखों की चमक बढ़ने लगी। आहिरा धीरे-धीरे करके अपनी शर्ट के बटन खोलने लगी। तभी प्रिंसिपल बिल्कुल उसके करीब आने लगा। लेकिन जैसे ही वह उसके करीब आया, उससे पहले ही किसी ने उसे फ्लावर वास से खींचकर उसके सिर पर दे मारा, जिस वजह से उसके सिर से अचानक से खून की धारा बहने लगी। यह देखकर आहिरा बिल्कुल डर गई। डर की वजह से उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिए, उसकी आँखें बड़ी हो गईं। आँसू तेज हो गए और उसके मुँह से आवाज ही नहीं निकल रही थी। प्रिंसिपल नीचे गिर गया और सामने देखने लगा तो सामने कोई और नहीं, At था। At गुस्से में भरा हुआ था। गुस्से में काँपते हुए उसने फिर से प्रिंसिपल के सिर पर खींचकर मारा और गुस्से में बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी जानम के साथ ऐसे बिहेव करने की? आज मैं तुम्हें जान से मार दूंगा।" यह सब बोलते हुए उसने उसे फ्लावर वास से लगातार प्रिंसिपल को तब तक मारा जब तक वह प्रिंसिपल मर नहीं गया। वहीं आहिरा की हालत अब बहुत ही ज्यादा खराब हो चुकी थी। अपनी आँखों के सामने आज बहुत कुछ देख लिया था। लेकिन तभी अचानक से उस केबिन में एक टीचर आया जो यह सब देखकर शोर मचाने लगा और At को पकड़ लिया। At खुद को छुड़ाने लगा पर उसे टीचर ने नहीं छोड़ा। और कुछ देर बाद सारे लोग आ गए। उनके पैरेंट्स भी आ गए। वहीं आहिरा अभी भी बोलने की हालत में नहीं थी। जैसे ही आहिरा के पैरेंट्स आए और एक-एक कर आने लगे, आहिरा अपनी माँ के पास जाकर रोने लगी। वहीं At के चेहरे पर खून लगा हुआ था और उसके चेहरे का एक्सप्रेशन गुस्से से भरा हुआ था। वह अभी भी उस प्रिंसिपल को गुस्से में देख रहा था जो कि पूरी तरह से जमीन पर खून से लथपथ था। जब सबने At से पूछा कि उसने यह सब क्यों किया, तो At ने सारी सिचुएशन बताई। वहाँ पर मौजूद टीचर ने विश्वास नहीं किया। उन्होंने बोला कि वहाँ के प्रिंसिपल इस तरीके का हरकत नहीं करते हैं। आहिरा से जब यह सवाल पूछा गया, तो आहिरा कुछ बोलने की हालत में ही नहीं थी। वह बस रोए जा रही थी। सबने बहुत पूछा पर आहिरा कुछ नहीं बता पाई। At ने अपने पावर का use करके At को बचा लिया, पर उसे अपने से दूर कर दिया। अच्छे से जानता था At को गुस्से को। आखिर At के अंदर उसी का तो खून था। At ने सब से कहा कि वह गलत नहीं था। वह प्रिंसिपल गलत था जिसने आहिरा के साथ यह सब किया। लेकिन सब ने उसकी बातों को सुना फिर भी उसे वहाँ से दूर कर दिया। दूसरी तरफ आहिरा बालकनी में चाँद को देख रही थी, उसके आँखों में आँसू लगातार बह रहे थे। और रोते हुए बोली, "अगर उस दिन मैंने हिम्मत करके कुछ बोल दिया होता, तो आज तुम मेरे साथ रहते। और ना ही मैं तुम्हारी आँखों में वह नफरत कभी देखती जो मैंने उस टाइम देखी थी। पर मैं क्या करती, मैं बहुत डर गई थी। उस वक्त मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूं और मुझे तुमसे भी बहुत डर लगने लगा था। मुझे पता है तुम आज भी मुझसे नफरत करते होगे। पर मैं चाहती हूँ तुम जहाँ भी रहो, भगवान तुम्हें वहाँ खुश रखे।" इतना बोलते हुए वह और जोर से रोने लगी। और हाँ, लाइक, कमेंट, रिव्यू देते रहिए। ❤️
उस वक्त मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूँ, और मुझे तुमसे भी बहुत डर लगने लगा था। मुझे पता है तुम आज भी मुझसे नफरत करते होगे। पर मैं चाहती हूँ, तुम जहाँ भी रहो, भगवान तुम्हें वहाँ खुश रखे।” इतना बोलते हुए वह और ज़ोर से रोने लगी। दूसरी तरफ, वह बाथरूम से बाहर आया और सीधे क्लोज़ेट की तरफ बढ़ गया। वहाँ से वह सिर्फ़ एक लोअर पहनकर आया। तभी किसी के फ़ोन की रिंग हुई। वह अपना फ़ोन देखता है; सामने सो रहे नंबर को देखकर उसे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया। तभी पीछे से किसी ने उसे बैक हग कर लिया। यह महसूस कर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और धीमी आवाज़ में बोला, "तुम इस वक्त यहाँ, लिटिल प्रिंसेस?" एक ही बात सुनकर अव्या मुस्कुराते हुए बोली, "तुम्हें कैसे पता कि यह मैं हूँ? तुमने तो मुझे देखा भी नहीं और हम तो इतने समय बाद मिल रहे हैं।" मुस्कुराते हुए उसने उसके हाथों को पकड़कर अलग किया, सामने की तरफ़ लाया, और उसके दोनों गालों को अपने हाथों में भरते हुए बोला, "लिटिल प्रिंसेस, तुम्हें उस वक्त से मैं जानता हूँ, जिस वक्त से तुम हुई भी नहीं थीं; इसलिए तुम कितना भी मुझसे दूर रहो, हम कितने समय बाद में मिलें, मुझे तुम्हारे छूने से ही पता चल जाता है कि तुम हो।" यह बात सुनकर अव्या उसे घूरने लगी। वह बड़े आराम से अपने बेड पर बैठ गया। अव्या भी उसकी गोद में बैठ गई और बोली, "अच्छा, जब इतनी अच्छी तरह से जानते हो तो यह कैसे भूल गए कि मुझे तुम्हारी कितनी याद आ रही थी। हम सब ने तुम्हें कितना मिस किया, लेकिन नहीं, तुम्हें तो यहाँ आना ही नहीं था। पता है आंटी कितनी परेशान रहती थीं तुम्हें लेकर।" उसकी बात सुनकर उसने उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ते हुए बोला, "तुम यहाँ अपने अलावा किसी और की बात करने आई हो, तो लिटिल प्रिंसेस, मैं बात नहीं सुनूँगा। अगर तुम्हें बात करनी है तो अपनी करो, वरना मत करो।" यह शब्द उसने बहुत ही सख़्त आवाज़ में बोले। अव्या उसकी बात सुनकर नाक सिकोड़ते हुए बोली, "तुम्हारा गुस्सा अभी भी वही है। तुम कभी नहीं सुधर सकते। इतने समय बाद मिले हो, लेकिन फिर भी ऐसे ही दिखाना है? प्यार से बातें तो करनी आती नहीं अपने लिटिल प्रिंसेस से।" अव्या की बात सुनकर वह उसे देखते हुए बोला, "अगर ऐसी बात होती तो तुम मेरे कमरे में भी नहीं होती।" यह बात सुनकर अव्या मुस्कुराने लगी और उसके गले में अपनी बाँहें डालकर बोली, "हाँ, यह पता है मुझे, पर एक बात बताओ, आए तो मुझे बताया क्यों नहीं कि मैं आ गया हूँ? अगर मैं यहाँ नहीं आई होती तो मुझे पता भी नहीं चलता। अब आए हो तो रहोगे न?" अव्या की बात सुनकर उसने बिना किसी भाव के साथ बोला, "कन्फर्म नहीं है कि मैं रहूँगा या कितने दिन तक रहूँगा।" यह सुनकर अव्या का चेहरा मायूस हो गया, लेकिन फिर भी वह उसे देखते हुए बोली, "अच्छा ठीक है, मैं तुम्हें फ़ोर्स नहीं कर सकती, लेकिन जब तक तुम रहोगे, तब तक तुम मेरे साथ रहोगे। और हमारे कॉलेज में पार्टी है, तो कल तुम मेरे साथ चलोगे न? मैं सबको मिलवाऊँगी तुमसे।" उसने उसकी बात सुनकर सीधे मना कर दिया, पर अव्या उसे घूरते हुए बोली, "मैं तुमसे पूछ नहीं रही हूँ, बता रही हूँ। कल रेडी रहना, कल रात में हम चलेंगे। और जल्दी नीचे चलो, सब तुम्हारा वेट कर रहे हैं।" उसकी बात सुनकर उसने बोला, "मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ, समझी? तुम?" उसकी बात सुनकर अव्या बोली, "क्यों? खाना नहीं खाना है क्या? कहीं नहीं का क्या मतलब है?" अव्या की बात सुनकर उसने बोला, "नहीं, मुझे भूख नहीं है और न ही मुझे खाना खाना है।" दूसरी तरफ़, नीचे अगस्त और भाव्या दोनों ही बैठे हुए थे और माही से बातें कर रहे थे। वह एक ही चुपचाप से उन दोनों की बातें सुन रहा था और उन्हें घूरकर देख रहा था, ख़ासकर अगस्त को। अगस्त माही को देखते हुए बड़े ही प्यार से उसके पास बैठकर समझाते हुए बोला, "चिली फ्लेक्स, तुम परेशान होना बंद करो। वह आ गया है न, तो तुम परेशान क्यों हो रही हो? अब वह आ गए हैं, तो तुम मुझसे अपने तरीके से समझा सकती हो। माना कि वह तुमसे नाराज़ है, पर कितने समय तक वह तुमसे नाराज़ रह सकता है? तुम्हें पता है न, वह तुमसे सबसे ज़्यादा प्यार करता है।" अगस्त की बात सुनकर उसके चेहरे के भाव बदलते जा रहे थे। वह अगस्त को देखते हुए बोला, "मेरे चिली फ्लेक्स को चिली फ्लेक्स कहना कब बंद करोगे?" उसकी बात सुनकर अव्या और अगस्त दोनों उसकी तरफ़ देखने लगे। अगस्त एक के पास जाकर बोला, "मैं हमेशा से ही उसे सिर्फ़ फ्लेक्स बुलाता आ रहा हूँ, तो इम्पॉसिबल है कि अब मैं उसे कहना बंद कर दूँ।" एक उसे घूरते हुए बोला, "अगर तुम्हारी जगह कोई और होता तो मैं कुछ और भी पॉसिबल कर देता हूँ। फिर पूरी लाइफ तुम्हारे मुँह से आवाज़ निकलना भी पॉसिबल नहीं होता।" माही उसकी बात सुनकर कुछ बोलने वाली थी, तभी पीछे से अव्या आई और माही को पीछे से बैक हग करते हुए बोली, "जल्दी से खाना लगाइए मम्मा, बहुत ज़ोरों की भूख लगी है।" और उसे सुनते ही माही ने अपना सिर पीछे करके देखा; वह नॉर्मल एक्सप्रेशन के साथ वहाँ पर खड़ा था। जिसे देखकर माही के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह हाथ हिलाते हुए डाइनिंग टेबल की तरफ़ बढ़ने लगी। वही एक और एक दूसरे को घूर रहे थे। सारे लोग जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठे और खाना खाने लगे। अगस्त ने उसे देखते हुए बोला, "बहुत समय बाद आए हो बेटा। कैसे चली तुम्हारी पढ़ाई और बिज़नेस कैसा चल रहा है? मुझे बहुत टेंशन हो रही थी तुम्हारी वहाँ पर अकेले रहना, सब कुछ एडजस्ट करना। कैसे किए तुम यह सब? और बाई द वे, अगर तुम्हें किसी हेल्प की ज़रूरत होगी तो मुझसे ज़रूर कहना।" यह बात सुनकर वह खाना खाते हुए ही उसकी तरफ़ एक नज़र देखते हुए बोला, "वहाँ पर सब अच्छा था। और मेरी टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि मैं लोगों को टेंशन बहुत अच्छे से देना जानता हूँ। और अगर आप मेरी टेंशन लोगे तो पूरी लाइफ़ आपकी टेंशन में ही निकल जाएगी। वैसे भी आपकी उम्र नहीं है इस वक़्त टेंशन लेने की।" अगस्त ने उसकी बात सुनकर अपने मन में बोला, "यह बिल्कुल अपने बाप का ही बेटा है, अपने बाप पर ही गया है।" कुछ समय बाद सब खाना खाकर वहाँ से निकल गए। वह भी बिना कुछ बोले अपने रूम में गया और बेड पर लेट गया, पर उसे अभी भी नींद नहीं आ रही थी। वह इधर-उधर अपनी करवट बदल रहा था, पर उसे नींद नहीं आ रही थी। बहुत कोशिश करने के बाद उसे नींद आई। सुबह के 9 बजे, वह और माही एक-दूसरे की बाहों में सो रहे थे। कभी-कभी माही की नींद खुलती; वह कस्मसाते हुए उठी और सामने उसे देखने लगी। वह अभी भी आँखें बंद करके सो रहा था। उसे देखकर माही के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह उसके बालों में हाथ फेरते हुए बोली, "सोते हुए कितने प्यारे लगते हो आप, और हैंडसम तो आज भी कमाल के लगते हो।" "बस एक ही चीज़ आपकी पसंद नहीं आती, अपने बेटे से लड़ाई। मुझे पता है आप भी उसे बहुत प्यार करते हो," इतना कहकर उसने उसके माथे पर अपने होंठ रख दिए। फिर वह उठने वाली थी, लेकिन तभी उसकी निगाह उसके होंठों पर पड़ गई। माही उसे देखते हुए देखती ही रह गई और न जाने क्या सोचकर मुस्कुरा दी। धीरे-धीरे उसने अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर हल्की सी किस की और उठने वाली थी, लेकिन तभी उसने उसकी कमर पर हाथ रखकर दबाव बढ़ा दिया और उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया। ऐसा होते ही माही की आँखें बड़ी हो गईं। वह आँखें बंद किए हुए ही उसे गहराई से किस करने लगा। कुछ देर माही हैरान थी, लेकिन जैसे ही उसे होश आया, वह उसे खुद से दूर करने लगी। पर वह कैसे उसे दूर होने देता? वह तब तक उसे किस करता रहा जब तक वह खुद को पूरी तरह से अलग नहीं कर लिया। उसके बाद उसने उसे छोड़कर उससे थोड़ा दूर होकर कहा, "किस भी करती हो तो बच्चों जैसी। आज तक तुम्हें किस करना ही नहीं आया। मुझे बच्चों वाली किस पसंद नहीं है, मुझे वाइल्ड किस पसंद है।" यह बात सुनकर माही उसे घूरते हुए बोली, "आपकी उम्र नहीं है यह वाइल्ड किस करने की, अपनी उम्र का तो ख्याल कीजिए।" यह सुनते ही उसने माही को बिल्कुल अपने नीचे करके बोला, "तुम ऐसे सोच भी कैसे सकती हो? अब मैं तुम्हें बताऊँगा कि मेरी उम्र क्या करने वाली है। आज पूरे दिन अगर तुम्हारी चीखें इस कमरे में ना गूँजें तो फिर मेरा नाम भी बदल देना।" यह सुनकर माही की आँखें डर से बड़ी हो गईं। वह उसके गर्दन पर झुका और उसके गर्दन पर जोर से काट लिया। माही की आह निकल गई और वह उसे देखते हुए बोली, "मिस्टर डेमन, मैं बस मज़ाक कर रही थी। बहुत टाइम हो चुका है, सुबह हो चुकी है, मुझे...," वह उसके गर्दन पर अपने होंठ रखकर गर्म साँसें छोड़ते हुए बोला, "पर मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूँ। आज पूरे दिन मैं और तुम, और तुम्हारी साँसें, और इस कमरे में तुम्हारी चीखें ही गूँजेंगी।" इतना बोलकर वह फिर से झुका, लेकिन तभी किसी ने दरवाजे पर जोर-जोर से नॉक करने लगा। उसने इग्नोर करते हुए फिर से उसके गर्दन पर अपने होंठ रख दिए। लेकिन जब फिर से दरवाजे पर नॉक होने लगा तो माही उसे देखते हुए बोली, "देख लेना कौन है। इस तरह से कौन आ गया? थोड़ी मुझे देखने दीजिए।" उसे गुस्सा आ गया; उसने एक घूर के एक नज़र दरवाजे पर देखा और फिर उससे ऊपर उठ गया, क्योंकि दरवाजा अभी भी जोर-जोर से लगातार नॉक हो रहा था। वहीं माही इस वक़्त नाइटी पहनी थी, वह अपनी नाइटी को सही करती है। वह गुस्से में दरवाजा खोलता है। सामने देखता है; माही भी सामने देखती है तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वहीं उसे देखकर उसके चेहरे का भाव बदल गया। सामने वह लड़का मुस्कुराते हुए उसे इग्नोर करता है और अंदर आकर माही को गले लगा लिया। माही भी उसे गले लगाते हुए बोली, "डेविड, तुम?" डेविड उसे गले लगाकर बड़े ही प्यार से देखते हुए बोला, "क्यों, मुझे देखकर आपको खुशी नहीं हुई, मामी?" माही उसकी बात सुनकर बोली, "उसी में तो बहुत खुश हूँ। यह बताओ, रुही और सैम कैसे हैं?" डेविड उसकी बात सुनकर थोड़ा सा उससे अलग होकर बोला, "वह दोनों भी सही हैं, पर मैंने आपको बहुत मिस किया।" वह बस उन दोनों को घूर रहा था और घूरते हुए उन दोनों के करीब आकर, डेविड को खुद माही से अलग करते हुए बोला, "मिस किया तो मिस करते रहते, इस तरह से मेरे रूम में आने की क्या ज़रूरत थी? क्या थोड़ी देर रुक नहीं सकते थे?" आज के लिए इतना ही। यह था बाप का किस, अब दिखाऊँगी बेटे का किस 🥰❤️ बाकी लाइक, कमेंट और रिव्यू देते रहिए। और कल से शुरू होगी असली कहानी।
AK गुस्से में दरवाजा खोला। सामने देखा; माही भी सामने देख रही थी। उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वहीं, उसे देखकर AK के चेहरे का एक्सप्रेशन बदल गया। सामने वाला लड़का मुस्कुराते हुए उसे इग्नोर करता हुआ अंदर आया और माही को गले लगा लिया।
माही ने भी उसे गले लगाते हुए कहा, "डेविड, तुम?"
डेविड ने उसे गले लगाकर, बड़े प्यार से देखते हुए कहा, "क्यों, मुझे देखकर आपको खुशी नहीं हुई, मामी?"
माही ने उसकी बात सुनकर कहा, "उसी में तो बहुत खुश हूँ। यह बताओ, रुही और सैम कैसे हैं?"
डेविड उसकी बात सुनकर थोड़ा सा उससे अलग हुआ और बोला, "वह दोनों भी सही हैं, पर मैंने आपको बहुत मिस किया।"
AK बस उन दोनों को घूर रहा था। घूरते हुए वह उन दोनों के करीब आया और डेविड को माही से अलग करते हुए बोला, "मिस किया तो मिस करते रहते, इस तरह से मेरे रूम में आने की क्या ज़रूरत थी? क्या थोड़ी देर रुक नहीं सकते थे?"
डेविड ने AK की बात सुनकर, उसकी तरफ मासूमियत से देखते हुए कहा, "ऐसा क्या कर रहे थे कि जो मेरे आने से इतना डिस्टर्ब हो गया आपको?"
यह सुनकर माही इधर-उधर झपकने लगी। AK उसे इस तरह से बोलते हुए घूर रहा था। उसने कहा, "वही, जिसे करने से तुम आए।"
डेविड को उसकी बातें समझ में नहीं आईं। वह कन्फ़्यूज़न में उसकी तरफ देखने लगा। माही का चेहरा लाल हो गया। जैसे ही डेविड को समझ में आया, वह तुरंत कमरे से बाहर निकल गया। डेविड के जाने के बाद माही AK को देखते हुए उसके सीने पर मारते हुए बोली, "आपको शर्म नाम की चीज़ है कि नहीं है या सब बेच खाया? सैम का तो नहीं, अपनी बहन का तो ख्याल रख लो। डेविड आपकी बहन का बेटा है और अपनी बहन के बारे में कोई ऐसे कैसे बोल सकता है?"
AK ने उसकी बात सुनकर, नॉर्मल एक्सप्रेशन के साथ कहा, "सो व्हाट? ऐसा क्या कह दिया? बिना रोमांस किए हुए तो आया नहीं होगा वह।"
माही ने उसे देखकर कहा, "आपसे तो बात ही करना बेकार है। कोई भी बात हो, लेकिन बीच में रोमांस ज़रूर आ जाता है।"
दूसरी तरफ, AT इस वक्त जिम में पंचिंग बैग पर पंच कर रहा था। उसकी बॉडी से पसीना साफ़ दिख रहा था। उसके एब्स उभरकर दिख रहे थे, जिन पर पसीने की बूँदें देखी जा सकती थीं। तभी डेविड जिम में आया और AT को इस तरह से पंच करते हुए देखकर, अपने सिर पर हाथ रखते हुए बोला, "क्या यार! जब देखो तो मारधाड़! इसके अलावा भी कुछ आता है?"
AT ने पंच करना रोक दिया और तिरछी नज़रों से उसे देखते हुए बोला, "इसके अलावा बहुत कुछ आता है। हड्डियाँ तोड़ने आता है, तोड़ के दिखाओ।"
डेविड ने उसकी बात सुनकर कहा, "रहने दे, माफ़ कर भाई। मुझे अपनी हड्डियाँ नहीं तुड़वानी हैं।"
AT ने अपने चेहरे और गर्दन को तौलिये से साफ़ करते हुए बोला, "तू इतनी सुबह-सुबह यहाँ क्या कर रहा है? मैंने तो तुझे नहीं बुलाया।"
डेविड ने कहा, "हाँ, तो मैंने नहीं बुलाया, लेकिन मैं यहाँ आ गया क्योंकि अब मैं यहीं रहने वाला हूँ। वैसे भी, मैं अकेले नहीं रहूँगा। अकेले मुझे वहाँ अच्छा नहीं लग रहा था।"
AT ने उसे ऐसी बातें करते हुए देखकर बोला, "मेरे सामने नहीं, लड़कियों जैसी बातें करना बंद करो। मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है कि तुम इस तरह से मेरे सामने बातें करते हो। दोबारा ऐसी बातें की तो मैं तुम्हें लड़की बनाकर छोड़ दूँगा। मेरी ज़िन्दगी में ऐसे ही बातें करते फिरना।"
डेविड ने अपने पेट पर दोनों हाथ रखकर कहा, "तेरी बातों से मुझे इतना डर क्यों लग रहा है, और खासकर यहाँ पर।"
AT ने उसे घूरना शुरू कर दिया। अब उसे कौन समझाए? वह सैम और रुही का बेटा है, लेकिन सारी हरकतें रुही जैसी हैं।
AT कुछ देर उसे यूँ ही घूरता रहा, फिर अपने रूम में चला गया। थोड़ी देर बाद शॉवर लेकर वह वापस बाहर आया। उसने इस वक्त ब्लैक शर्ट (जो बाजू से फोल्ड की हुई थी) और ब्लैक जीन्स पहनी हुई थी। दोनों नीचे आते हैं। इस वक्त माही किचन से बाहर आकर डाइनिंग टेबल पर सबके लिए नाश्ता रख रही थी। AT हॉल में आया और सीधे बाहर जाने लगा। तभी माही ने उसे रोकते हुए कहा, "कहाँ जा रहे हो बेटा? पहले नाश्ता तो कर लो, फिर उसके बाद चले जाना।"
AT ने बिना उसकी तरफ देखे कहा, "मुझे काम है, मैं वहीं खा लूँगा। मेरी टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है।"
AT की बात सुनकर माही का चेहरा उदास हो गया। वहीं, AK ने उसे देखते हुए कहा, "तुमसे पूछा नहीं जा रहा है, बताया जा रहा है कि आकर बैठकर खा लो, वरना तुम्हारा हर काम अधूरा ही रह जाएगा।"
AT ने AK की बात सुनकर अपनी मुँहिया काशी ली और ना चाहते हुए भी आकर चेयर पर बैठ गया और चुपचाप नाश्ता करने लगा। डेविड उसके साथ आकर बैठ गया और नाश्ता करना शुरू कर दिया।
नाश्ता करने के बाद AT वहाँ से चला गया और ठाकुर इंडस्ट्रीज़ पहुँच गया। जैसे ही वह कार पार्क करके अंदर गया, वहाँ पर रिसेप्शनिस्ट और बहुत सारी लड़कियाँ उसे देखकर आहें भरने लगीं। लेकिन उसने एक को भी बिना देखे सीधे कैबिनेट में जाकर, वहाँ रखे चेयर पर बैठ गया और पेपरवेट घुमाते हुए बोला, "मुझे इन सब चीज़ों से कोई मतलब नहीं है, लेकिन मुझे बस वह किंग की कुर्सी चाहिए, डैड, जिसके लिए आपने मुझे यहाँ तक बुलाया। लेकिन बहुत जल्द मैं यहाँ से चला जाऊँगा, बस एक बार मुझे किंग की कुर्सी मिल जाए।"
वह काम में लग गया। काम करते हुए कब शाम हो गई, उसे पता तक नहीं चला। तभी अचानक कोई उसके केबिन में आया। उसने अपनी नज़र ऊपर करके देखा; सामने अव्या खड़ी थी, जो गुस्से में AT को घूर रही थी।
दूसरी तरफ, अनु आहिरा को उठाते हुए बोली (इस वक्त आहिरा सो रही थी), "मुझे पता है तू इस वक्त नाटक कर रही है। तो जल्दी से उठ जाओ और चल मेरे साथ, मैं तेरी एक नहीं सुनने वाली।"
आहिरा ने उसकी बातें सुनकर अपनी आँखें खोलीं और गुस्से में घूरते हुए बोली, "तू इतनी जिद्दी क्यों है? तुझे कई बार बोला कि मुझे नहीं जाना है।"
अनु मुँह फुलाते हुए बोली, "जितना करूँ, तो क्या करूँ? तुझे पता है ना, अगर तू नहीं गई तो मैं भी नहीं जा पाऊँगी। अब जल्दी से चल, तैयार हो जा।" उसको उठाते हुए बाथरूम की तरफ धक्का देते हुए उसने कहा, ...
कुछ देर बाद आहिरा बाहर आई, जिसने इस वक्त ब्लैक कलर की लॉन्ग, फुल लेंथ गाउन पहना हुआ था, जो थाई से कट था और उसकी बाजू बिल्कुल स्लीवलेस थी। उसने कुछ भी मेकअप नहीं किया था। अनु ने उसे देखते हुए कहा, "वाह यार! तू तो बहुत खूबसूरत लग रही है। सिर्फ़ ड्रेस पहनी है तो यह हाल है, अभी मेकअप तो बाकी ही है।"
आहिरा ने उसकी बात सुनकर तिरछी निगाह से देखते हुए बोली, "कोई ज़रूरत नहीं है मेकअप की, मैं ऐसे ही ठीक हूँ। मैं ऐसे ही जाऊँगी।"
अनु मुँह खोलकर बोली, "ऐसे कैसे चली जाएगी? मैं करूँगी मेकअप। और तुझे पता है ना, इस पार्टी में कितने हॉट-हॉट लोग आयेंगे? क्या पता किसी से सेटिंग हो जाए। हाय! आज तो एक तो पटा लेना तू।"
"अपनी ये फ़ालतू बकवास अपने पास रख," आहिरा गुस्सा होते हुए बोली, "और जल्दी से जा रेडी हो जा, वरना मैं जाना कैंसिल कर दूँगी।"
आहिरा की बात सुनकर अनु दौड़कर बाथरूम की तरफ भागी।
इस वक्त उसने कुछ भी नहीं कर रखा था। अनुज को देखते हुए उसने कहा, "वाह यार! तू तो बहुत खूबसूरत लग रही है। सिर्फ़ ड्रेस पहनी है तो यह हाल है, अभी मेकअप तो बाकी ही है।"
आहिरा ने उसकी बात सुनकर तिरछी निगाह से देखते हुए कहा, "कोई ज़रूरत नहीं है मेकअप की। मैं ऐसे ही ठीक हूँ। मैं ऐसे ही जाऊँगी।"
उसकी बात सुनकर अनु ने मुँह खोलकर कहा, "ऐसे कैसे चली जाएगी? मैं करूँगी मेकअप और तुझे पता है ना इस पार्टी में कितने हॉट-हॉट लोग आयेंगे? क्या पता किसी से सेटिंग हो जाए। हाय! आज तो एक तो पटा लेना है तुझे।"
"अपनी ना फालतू बकवास अपने पास रख," आहिरा गुस्से से बोली, "और जल्दी से जा रेडी हो जा, वरना मैं जाना कैंसिल कर दूँगी।"
आहिरा की बात सुनकर अनु दौड़कर बाथरूम की तरफ भागी।
अनु जल्दी से जाकर तैयार हुई। थोड़ी देर बाद वह रेड वन-पीस पहनकर बाहर आई। बाहर आकर ड्रेसिंग मिरर के सामने खड़ी होकर उसने हल्का-सा मेकअप किया। जिसमें उसने आईलाइनर, रेड लिपस्टिक लगाई और अपने बालों को खुला छोड़ दिया।
वहीं आहिरा उसे घूर कर देख रही थी। तो अनु ने उसे देखते हुए कहा, "ऐसे मत घूर। ऐसे घूरने का हक़ सिर्फ़ मैं अपने मिस्टर हैंडसम हॉट को दिया है। न जाने कहाँ होगा बेचारा मेरी यादों में।"
आहिरा ने उसकी बात सुनकर अपनी आँखें छोटी करके कहा, "पागलखाने में, क्योंकि तुझ जैसे पागल को कोई पागल ही झेल सकता है।"
यह सुनकर अनु का मुँह बन गया। अनु मुँह बनाते हुए बोली, "क्या मतलब है पागलखाने में? तूने मुझे पागल कहा! मुझे नहीं जाना कहीं पर भी अब। तू ही जा।"
उसकी बात सुनकर आहिरा बेफ़िक्री से बोली, "ठीक है, जैसी तेरी मर्ज़ी। नहीं चलते हैं।" यह सुनकर अनु भागते हुए उसके पास आई और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोली, "अरे! मैं तो ऐसे ही बोली थी। तू तो सीरियस ले ली। मुझे लगा मैं ऐसे बोलूँगी तो तू मुझे मनाने आएगी, पर नहीं! तुझसे उम्मीद भी क्या कर सकती हूँ मैं?"
इतना बोलकर आहिरा का हाथ पकड़कर अपने साथ ले गई। बाहर निकलकर दोनों कार में बैठीं और वहाँ से कॉलेज के लिए चल दीं। करीब एक घंटे बाद दोनों कॉलेज पहुँचीं।
वे लोग कार से बाहर आकर सीधे गार्डन एरिया की तरफ़ बढ़ीं जहाँ पर ढेर सारे स्टूडेंट पहले से ही मौजूद थे। जैसे ही दोनों गेट के अंदर पहुँचीं, वैसे ही सबकी नज़र आहिरा पर पड़ी, खासकर लड़कों की। जो उसे बहुत ही ध्यान से देख रहे थे। इस वक्त आहिरा बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। लड़कों की नज़र जैसे आहिरा पर ही टिक गई।
अव्या अभी तक नहीं आई थी। अनु और आहिरा आगे आकर सबके बीच चली गईं। जहाँ पर एक लड़का, जिसका नाम अनुज था, आहिरा को देखते हुए उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला, "बड़ी खूबसूरत लग रही हो। इरादा क्या है?" आहिरा ने अपने कंधे पर से उसका हाथ हटाते हुए उसे देखने लगी। तभी अनु, अनुज को देखते हुए बोली, "तुम्हें भाई बनाने का! बनोगे?" यह सुनकर अनुज के चेहरे का एक्सप्रेशन बदल गया। वहीं आहिरा हँसने लगी। उसके साथ और भी स्टूडेंट थे, वे सब भी हँसने लगे। अनुज, अनु को देखते हुए बोला, "तुमसे नहीं पूछा जो तुम बता रही हो।"
अनु ने उसकी बात सुनकर अपने कंधे उचकाते हुए कहा, "मुझे पता है तुमने मुझे नहीं पूछा, लेकिन मेरी आदत है बेवकूफ़ों को ज्ञान देना।" इतना बोलकर वह आहिरा का हाथ पकड़ती है और दूसरे साइड चली गई। वहीं अनुज उसे गुस्से में घूरता रह गया।
सारे लोग आपस में बातें कर रहे थे। तभी अव्या एक ब्लू गाउन में आई जो फुल लेंथ का और स्लीवलेस था, जिसका आगे का गला और पीछे का बैकलेस था। और उसके साथ AT भी था, जिसने इस वक्त ब्लैक शर्ट और ब्लैक पैंट पहनी हुई थी। शर्ट के ऊपर के चार बटन खुले हुए थे। जैसे ही वे दोनों अंदर आए, लड़कियों की नज़र AT पर टिक गई और वे AT को देखते ही रह गईं।
वहीं AT का चेहरे का एक्सप्रेशन बिलकुल नॉर्मल था। वह किसी की तरफ़ नहीं देख रहा था। अव्या AT के पास गई और AT को सब से मिलवाया। सारी लड़कियाँ उसे देखकर हाय-हेलो करती रहीं, लेकिन उसने किसी की तरफ़ एक नज़र भी नहीं देखी। अनु और आहिरा दूसरी तरफ़ थीं। अनु की नज़र जब AT पर गई तो वह भी उसे देखते ही रह गई।
अनु आहिरा को देखते हुए उसके कंधे पर हाथ मारते हुए बोली, "हाय! देखना कितना हैंडसम लड़का हमारे कॉलेज में! कितना हैंडसम है, पर यह अव्या के साथ क्या कर रहा है? यह उसका बॉयफ्रेंड तो नहीं? मुझे तो उसे देखकर ही जलन हो रही है।"
उसकी बात सुनकर आहिरा बिना उसकी तरफ़ देखे हुए बोली, "मुझे तो बस लड़के दिखते ही जाने चाहिए। तुझे तो सबसे जलन होती है, बस ताड़ने को चाहिए कोई ना कोई।"
उसकी बात सुनकर अनु मुँह फूलते हुए बोली, "एक बार तू भी देख ले, फिर देखते ही रह जाएगी।"
दूसरी तरफ़ AT के फ़ोन पर किसी का फ़ोन आया। उसने फ़ोन रिसीव करते हुए बाहर की तरफ़ चला गया। उसके जाते ही अव्या की फ़्रेंड आशी, अव्या को देखते हुए मुस्कुरा कर बोली, "यार! यह कौन है? बड़ा हैंडसम है। तेरा बॉयफ्रेंड है क्या? मुझे बहुत जलन हो रही है। ऊपर से तूने बताया क्यों नहीं कि तेरा बॉयफ्रेंड भी है और वह भी इतना हैंडसम?"
अव्या ने उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं, फ़िलहाल वह मेरा बॉयफ़्रेंड नहीं है, लेकिन हम बेस्ट फ़्रेंड ज़रूर हैं और पता नहीं कल को क्या हो।" ये बोलते हुए उसके चेहरे पर स्माइल थी।
दूसरी तरफ़ अनु की बात सुनकर आहिरा AT की तरफ़ देखती है, लेकिन तब तक AT बाहर की तरफ़ चला जाता है, जिस वजह से वह बस उसकी पीठ देखती रह जाती है। पर न जाने क्यों उसकी नज़रें उस पर टिक गई और उसके दिल में अचानक से कुछ हलचल होने लगी, पर उसे समझ नहीं आया कि यह क्यों और किस लिए उसके साथ होने लगा।
वह बस अपनी नज़रों से उसे देखती रही जब तक कि वह वहाँ से उसकी आँखों से दूर नहीं हो गया। अनु उसे इस तरह से देखते हुए उसकी पीठ पर मारते हुए बोली, "ऐसे तो तुझे उसे देखना नहीं था और उसकी शक्ल नहीं, उसकी पीठ को देखकर ऐसे देख रही है जैसे तेरा कोई बचपन का प्यार हो?"
अनु की बात सुनकर आहिरा एक पल के लिए जम गई। उसके दिल और आँखों में अजीब सी हलचल होने लगी। तभी अचानक उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा, जिससे वह होश में आई और उसने उस तरफ़ देखा तो वहाँ पर कोई और नहीं, अनुज था। आहिरा सवालिया नज़रों से अनुज को देखने लगी। तो अनुज उसे देखते हुए बोला, "चलो ना डांस करते हैं। सब डांस करने जा रहे हैं तो चलो ना, प्लीज़। करते हैं ना?" इससे पहले कि आहिरा कुछ बोलती, अनु ने अनुज की तरफ़ अपनी उंगलियाँ करके बोलने को इशारा किया, लेकिन अनुज उसे बिना कुछ सुने अपने साथ ले गया।
आहिरा कुछ बोलना चाहती थी, पर बोल नहीं पाई। वहीं अनुज उसे बीच गार्डन में बने हुए फ्लोर पर ले गया। सभी स्टूडेंट उन दोनों को देख रहे थे। अनुज उसका हाथ अपने हाथ में रखता है, लेकिन तभी अचानक से किसी ने आहिरा का हाथ पकड़कर अपनी तरफ़ खींच लिया। आहिरा सीधे उसके बाहों में आ गई और उसका हाथ उसके सीने पर जा लगा। आहिरा घबराई हुई अपनी नज़रें ऊपर करके देखती है, तो उसकी आँखें सीधे किसी की डार्क ग्रीन आँखों से टकराती हैं।
उसकी आँखें पूरी हैरान हो जाती हैं और उसकी आँखों में आँसुओं की लकीरें आ जाती हैं, लेकिन वे आँसू अभी तक नीचे नहीं गिरे। तभी किसी ने कर्कश आवाज़ में उसे देखते हुए कहा, "क्या हुआ? लगता है खुशी नहीं हुई तुम्हें मुझे देखकर जानम? या यूँ कहूँ कि कबाब में हड्डी बनकर आ चुका हूँ मैं?"
आहिरा AT की बात सुनकर बिलकुल हैरान थी। वह अपना मुँह खोलती है कुछ बोलने के लिए, तभी म्यूज़िक बजने लगा और AT उसे खुद से दूर करते हुए उसके एक हाथ को पकड़कर दूसरे हाथ में करता है और फिर दूसरे हाथ को धीरे से उसके कमर पर रखते हुए गोला-गोला घूमने लगा और आहिरा को भी अपने साथ घूमने लगा।
एक हसीना थी, एक दीवाना था,
क्या कहूँ तुमसे, क्या ज़माना था।
हर जगह तो ये अफ़साना था,
एक हसीना थी, एक दीवाना था।
फिर उसके बाद उसके हाथ को पकड़ लेता है और अपनी तरफ़ खींचता है। आहिरा का सिर उसके सीने से लग जाता है।
जब दिल टूटा था, तुमसे रूठा था,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ थे,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ।
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ थे,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ।
और उसके कंधे पर अपने होंठ रखते हुए बोला, "क्या हुआ? इतने दिन बाद मिली हो, फिर भी तुम्हारी आँखों में खुशी देखने को नहीं मिल रही है मुझे।"
आहिरा उसकी इस हरकत को देखते हुए हल्का-सा काँपते हुए आवाज़ में बोली, "क्या कर रहे हैं AT? छोड़िये मुझे। सारे स्टूडेंट यहीं पर हैं और हमें ही देख रहे हैं।" यह बोलते हुए आहिरा की आँखों से आँसुओं का एक कतरा गिर जाता है। AT अभी भी उसे वैसे ही पकड़े हुए डांस कर रहा था।
आँसू गिरते थे, तन्हा फिरते थे,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ थे,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ।
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ थे,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ।
AT उसकी बात सुनकर उसके कंधे पर बिछा लेता है जिससे आहिरा की आह निकल गई क्योंकि वह बिलकुल धीरे से नहीं था, और उसे बिछाते हुए बोला, "वह तो नाम याद है तुम्हें मेरा, मुझे लगा वह भी तुम भूल चुकी हो।"
इतना बोलकर वह फिर उसे खुद से दूर करता है और फिर से अपनी करीब लाता है। इस बार आहिरा का हाथ फिर से उसके सीने पर आ गया और AT का हाथ आहिरा के कमर पर।
खामोश हो गया था मेरा ये जहाँ,
उस वक्त हमसफ़र थे, जाने तुम कहाँ।
कैसे बयां करूँ अपनी मजबूरियाँ,
एक लम्हे में हुई मीलों की दूरियाँ।
पर उसका हाथ आहिरा के कमर को इतनी टाइट से पकड़ कर उसके कमर पर चल रहा था जैसे पकड़ा ना हो, मसल रहा हो। आहिरा उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी, पर AT उससे दूर नहीं हो रहा था, बल्कि और ज़्यादा खुद से चिपका लेता है। AT की आँखों में देखते हुए आहिरा बोली, "कैसे नहीं होगा? मुझे यह नाम याद है। यह नाम भी तो आखिर मैं ही दिया है ना?"
जब तुमको देना मेरा साथ था,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ थे,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ।
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ थे,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ।
AT उसकी बात सुनकर उसकी सख्त नज़र से देखते हुए बोला, "हाँ, यह नाम भी तुमने ही दिया है, पर अब इस नाम को जब भी तुम सोचोगी या सुनोगी, हमेशा तुम्हें मुझे याद कर दर्द देगा, जैसे तुमने मुझे दिया था।" यह बोलते हुए वह उसके कमर को पकड़ कर ऊपर की तरफ़ उठाता है, जिससे आहिरा दोनों हाथों को AT के कंधे पर रख लेती है।
दुनिया की भीड़ में,
मैं तन्हा रह गया।
क्यों ख्वाब आँखों का,
आँसुओं में बह गया।
क्यों चुप है ये ज़मीं,
क्यों चुप है आसमां,
हम पास रहके भी, हम पास हैं कहाँ।
इस वक्त सारे स्टूडेंट उन दोनों को ही देख रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे। वहीं अव्या के चेहरे का रंग बिलकुल उतर चुका था, और अनु को तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह चाह रही थी कि जाकर AT को रोके, पर उसे पता ही नहीं था कि सामने वाला है कौन और अव्या ने भी कुछ नहीं बताया था, तो उसे अभी भी कन्फ़्यूज़न थी कि वह किस तरह से उसे रोके। पर अंदर ही अंदर गुस्से में थी वह।
जब जी करता था, तुमसे मिलने को,
कहाँ थे तुम, कहाँ थे?
तुम कहाँ थे, तुम कहाँ थे?
AT अभी आहिरा को फिर से नीचे उतारता है और उसके कमर को पकड़ कर बिलकुल अपने करीब करते हुए आहिरा के सिर पर अपना सिर जोड़ देता है, जिस वजह से आहिरा लड़खड़ाती हुई आवाज़ में बोली, "छोड़िये मुझे और जाने दीजिये। क्यों नहीं समझते आप? अभी भी वैसे ही हैं गुस्से वाले। क्या समझाऊँ कि सब लोग हमें ही देख रहे हैं और मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।"
AT उसकी बात सुनकर बोला, "वह तो तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है कि सब हम दोनों को इस तरह से देख रहे हैं। कोई बात नहीं, छोड़ देता हूँ तुम्हें।" इतना बोलकर वह उसे छोड़ देता है। आहिरा जैसे ही देखती है कि AT ने उसे छोड़ दिया, वह वहाँ से जाने को होती है, लेकिन तभी AT उसका हाथ पकड़कर अपने करीब खींच लेता है और उसे मुस्कुराते हुए देखने लगता है, जिस वजह से आहिरा उसे सवालिया नज़रों से देखने लगती है। तभी AT उसके होंठों पर अपने होंठ रख देता है।
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ थे,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ।
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ थे,
तुम कहाँ थे, कहाँ थे, कहाँ।
तुम कहाँ थे, तुम कहाँ थे,
तुम कहाँ थे, तुम कहाँ थे।
और उसे किस करने लगा। वहीं सारे स्टूडेंट और कुछ टीचर्स थे, जिनकी नज़र वहीं पर टिक गई, पर किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह AT के पास जाए, क्योंकि AT का एक अलग ही औरा था जो सबको डराने के लिए काफी था। सबकी आँखें इस वक्त बड़ी हो चुकी थीं और AT लगातार उसे किस कर रहा था। उसका किस बहुत ही पैशनेट था। वह लगातार उसके होंठों को चूम रहा था।
तभी अनु यह सब देखते हुए अपनी मुट्ठी बांधती है और गुस्से में उन दोनों के करीब जाती है और AT को धक्का देने लगती है। उसकी इस हरकत से AT आहिरा से दूर होता है और अनु को घूर कर देखने लगता है। वहीं आहिरा सब कुछ महसूस करते हुए रोने लगी और अनु के गले लग गई।
AT कुछ नहीं बोलता और वहाँ से चला जाता है। अनु उसे संभालते हुए बोली, "कौन था वह? तुम जानती हो उसे? और वह तुम्हारे साथ ऐसे कैसे कर सकता है?"
आहिरा उसकी बात सुनकर रोते हुए बोली, "हाँ, कोई अपना था। लेकिन आज के बाद नफ़रत हो गई है उससे। उसने जो आज किया, मैं अब कभी नहीं भूल सकती।"
अनु ने यह सब देखते हुए अपनी मुट्ठी कसी और गुस्से में उन दोनों के करीब गई। उसने At को धक्का देना शुरू कर दिया। इस हरकत से At आहिरा से दूर हुआ और अनु को घूरने लगा। आहिरा सब कुछ महसूस करते हुए रोने लगी और अनु के गले लग गई।
At कुछ नहीं बोला और वहाँ से चला गया। अनु ने उसे संभालते हुए कहा, "कौन था वह? तुम जानती हो उसे? और वह तुम्हारे साथ ऐसे कैसे कर सकता है?"
आहिरा ने उसकी बात सुनकर रोते हुए कहा, "था तो कोई अपना, लेकिन आज के बाद उससे नफरत हो गई है! उसने जो आज किया, मैं अब कभी नहीं भूल सकती।"
अनु आहिरा को शांत करने लगी। उधर, अव्या के दोस्त ने कहा, "यार, हमें तो लगा था कि तेरा बॉयफ्रेंड है, लेकिन यहां तो कोई और ही सिम चल रहा है!" यह सुनकर अव्या गुस्से में अपने दांत पीसने लगी और उन्हें घूरने लगी।
दूसरी ओर, अनु आहिरा को समझा रही थी, तभी उनके और दोस्त वहाँ आ गए। आहिरा को देखकर उन्होंने कहा, "अहिरा, तुमने बताया ही नहीं कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड भी है। वैसे बड़ा ही हैंडसम है और इतना रोमांटिक भी। और तुम हो कि इतनी उदास हो। मानना पड़ेगा, बंदे में कुछ तो बात है!"
यह सुनकर अनु ने उन सबको गुस्से से घूर कर कहा, "तुम लोगों के पास दिमाग है कि नहीं? क्या बकवास कर रहे हो तुम लोग?"
यह सब बोलते हुए, अनु आहिरा को ले जाने ही वाली थी, लेकिन जैसे ही उसने अव्या को देखा, आहिरा वहाँ नहीं थी। यह महसूस करके अनु की आँखें बड़ी हो गईं और वह आहिरा को चारों तरफ देखने लगी, लेकिन वह कहीं नहीं दिखी।
अनु ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "कहाँ चली गई?" यह बोलते हुए वह इधर-उधर देखने लगी, लेकिन आहिरा कहीं नजर नहीं आई।
अनु समझ गई थी कि आहिरा चली गई है। वह भागते हुए बाहर गई, पर आहिरा वहाँ भी नहीं थी। अनु गुस्से में दोनों मुट्ठियाँ बांधते हुए बोली, "यह लड़की भी ना, कभी नहीं सुधर सकती! और वह आदमी, उसे छोड़ने वाला नहीं है। अगर उसकी वजह से मेरी फ्रेंड को कुछ हुआ, तो मैं उसका सिर फोड़ दूंगी, पैर तोड़ दूंगी!" फिर गुस्से में चिल्लाते हुए बोली, "सब कुछ कर दूंगी!"
वहीं दूसरी तरफ, At अपनी कार में बैठकर खुद ड्राइव कर रहा था और साथ ही साथ सिगरेट के कस भी ले रहा था। इस वक्त कार के अंदर पूरी तरह से सिगरेट का धुआँ फैल चुका था और उसकी डार्क ग्रीन आँखें लाल हो चुकी थीं। वह ड्राइव करते हुए आँखों से रास्ते को घूरते हुए मन में बोला, "हाँ, यह नाम तुमने दिया था, जानम, तब इस नाम से मोहब्बत हो गई थी, पर अब इस नाम से नफरत हो चुकी है।"
फ्लैशबैक में, एक लड़का अपने दोस्तों के साथ स्कूल हॉल में था। उस वक्त लंच का समय था। तभी पहली कक्षा में पढ़ने वाली एक छोटी सी बच्ची आई और सबकी तरफ देखते हुए बोली, "तो आप लोग मेरे सीनियर हो? मुझे आप लोगों से दोस्ती करनी है।"
उसकी बात सुनकर सारे लोग उसकी तरफ देखने लगे। At उसकी तरफ देखा, और जैसे ही उसने देखा, उसकी आँखें उसी पर टिक गईं, क्योंकि वह बहुत ही खूबसूरत और मासूम थी और अपनी चमचमाती आँखों से सबको देख रही थी। सारे बच्चे उसे देखते हुए बोले, "क्यों, तुम्हें हमसे दोस्ती क्यों करनी है?"
वह अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली, "इसलिए कि अगर मुझे यहां किसी ने परेशान किया तो आप ही लोग तो बचाओगे, क्योंकि आप लोग तो बड़े हो।"
उसकी बात सुनकर सब लोग मुस्कुरा दिए। At के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। बचपन से ही वह बहुत कम हँसता था और कम ही मुस्कुराता था, लेकिन उसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। तभी वह बच्ची सबको देखते हुए अपना हाथ आगे करके बोली, "हाय, मेरा नाम आहिरा है और आप लोगों का क्या नाम है?"
सारे बच्चे एक-एक करके अपना नाम बताते हैं, "मेरा नाम विशाल है," "मैं क्रियांश," "अभिनव," "अनर्थ," मुस्कुराते हुए आहिरा को देखते हुए बोले, "और मैं अनर्थ ठाकुर।"
उसका नाम सुनकर आहिरा अपनी नाक सिकोड़ते हुए बोली, "अरे, कौन ऐसा नाम रखता है? इतना बड़ा कि कोई भी न ले पाए?" तभी आहिरा को देखकर विशाल जोर से हँस दिया और हँसते हुए बोला, "इसका नाम ही ऐसा है, जिसका मतलब ही है बकवास।"
उसकी बातें सुनकर At की मुट्ठियाँ कस गईं और उसने उसे घूरकर देखा। आहिरा ने उन सबको देखकर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए कहा, "ऐसे थोड़ी ना कोई अपने दोस्त पर हँसता है, यह तो गंदी बात होती है। रुको, मैं बताती हूँ, देखो, आपके नाम का पहला अक्षर कौन सा है? अनर्थ।"
उसने बिना किसी भाव के कहा, "At।"
फिर आहिरा उसे देखकर नाक सिकोड़ते हुए बोली, "और ठाकुर, क्या बोला था? उसका पहला अक्षर 'टी' है, सही है ना। मुझे भी पढ़ना आता है, मैं पढ़ाई में बहुत तेज हूँ।" फिर उसने मुस्कुराते हुए अपनी पलकें झपकाईं और आहिरा ने उसे देखकर कहा, "लो, बन गया आपका नाम 'At'।"
उसकी बात सुनकर अनर्थ बेख़याली में बोला, "At।"
आहिरा उसे देखकर बोली, "हाँ, आपके नाम का शॉर्ट फॉर्म है। आज से मैं आपको यही बुलाऊंगी।" तभी क्रियांश उसकी बात सुनकर बोला, "वैसे नाम तो बहुत अच्छा है, हम भी इसे ऐसे ही बुलाएँगे।"
At के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी। (फ्लैशबैक एंड)
दूसरी तरफ, अनु आहिरा को ढूँढते हुए कार में बैठ गई और खुद ही ड्राइव करना शुरू कर दिया। आहिरा कहाँ गई और कैसे गई, यह उसे नहीं पता था। वह बहुत परेशान थी, बार-बार आहिरा को फोन कर रही थी, लेकिन आहिरा फोन नहीं उठा रही थी।
अनु परेशान होते हुए रोड पर अपनी कार से जा रही थी और फोन भी कर रही थी। उसका ध्यान पूरी तरह से आहिरा पर था। आहिरा का फोन बज रहा था। अनु परेशान होते हुए सोच रही थी, 'हीरा, एक बार उठा ले यार, पता नहीं तू कहाँ है, किस हाल में है।' आखिरकार आहिरा ने फोन उठा लिया। अनु ने जैसे ही देखा कि आहिरा ने फोन उठा लिया है, वह तुरंत फोन पर बात करते हुए आहिरा से कहा, "पागल है क्या? कब से मैं फोन कर रही हूँ, फोन भी नहीं उठाया। बिना बताए ही चली गई, कहाँ है तू इस वक्त?" अनु ड्राइव भी कर रही थी, लेकिन ध्यान सिर्फ आहिरा पर था, उसका ध्यान रोड पर नहीं था।
AT के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी। फ्लैशबैक एंड। दूसरी तरफ, अनु आहिरा को ढूँढते हुए कार में बैठी और खुद ड्राइव करना शुरू कर दिया। आहिरा कहाँ गई और कैसे गई, यह उसे नहीं पता था। वह बहुत परेशान थी, बार-बार आहिरा को फोन कर रही थी, लेकिन आहिरा फोन नहीं उठा रही थी।
अनु परेशान होते हुए सड़क पर अपनी कार से जा रही थी और फोन भी कर रही थी। उसका ध्यान पूरी तरह से आहिरा पर था। आहिरा के फोन की रिंग बज रही थी। अनु परेशान होते हुए सोच रही थी, "हीरा, एक बार उठा ले यार, पता नहीं तू कहाँ है, किस हाल में है।" कभी आहिरा ने उसका फोन उठाया। अनु जैसे ही देखती है कि आहिरा ने फोन उठा लिया है, वह तुरंत फोन पर बात करते हुए आहिरा से कहती है, "पागल है क्या? कब से मैं फोन कर रही हूँ, फोन भी नहीं उठाया। बिना बताए ही चली गई, कहाँ है तू इस वक्त?" अनु ड्राइव भी कर रही थी, लेकिन ध्यान सिर्फ आहिरा पर था; उसका ध्यान सड़क पर नहीं था।
"मैं ठीक हूँ, बस थोड़ी सी परेशान थी, इसलिए चली आई। तू मेरी टेंशन मत ले और बता, तू कहाँ है?" आहिरा ने कहा।
अनु ने उसकी बात सुनकर कहा, "कैसे परेशान नहीं हूँ? तेरे साथ इतना कुछ हुआ और उसके बाद तू चली आई। मैं तुझे ढूँढ रही थी, मैं कार में हूँ। तू बता, तू कहाँ है? मैं वहाँ आती हूँ।"
"मैं ठीक हूँ और मैं जल्दी घर आ जाऊँगी। तू टेंशन मत ले, तू भी घर पहुँच जल्दी।" आहिरा ने कहा।
यह कहकर आहिरा ने फोन रख दिया। अनु घूर कर फोन देखने लगी और बोली, "ये लड़की बिना मेरी बात सुने हुए कुछ भी कर देती है।"
इतना बोलकर उसने फोन नीचे रखा ही था कि अचानक उसकी कार किसी और की कार से टकरा गई। उसने अचानक से ब्रेक लगाया, लेकिन तब तक दोनों की ही कारें एक-दूसरे से टकरा चुकी थीं। हालाँकि, दोनों में से किसी को चोट नहीं आई थी, लेकिन इस वक्त अनु आहिरा की वजह से परेशान और गुस्से में थी। ऊपर से कार एक्सीडेंट हो गया, जिससे उसका पारा और चढ़ गया।
अनु गाड़ी से गुस्से में उतरी। वहीं दूसरी तरफ, जो आदमी कार में था, वह भी उतर कर आया और गुस्से में उसे घूरने लगा। अनु उसे घूरते हुए देख रही थी। तभी सामने वाला उसके करीब आकर बोला, "अंधी हो क्या? दिखाई नहीं देता?" उसकी बात सुनकर अनु उसके सामने देखती है। सामने एक लड़का खड़ा था जिसकी उम्र लगभग 25 साल थी। 6 फुट 3 इंच की लंबाई, चौड़ी छाती, सिक्स पैक, गहरे भूरे रंग की आँखें, बालों को जेल से सेट किया हुआ था, गहरे काले बाल और गोरी त्वचा। दिखने में बहुत ही हैंडसम था।
अनु उसकी बात सुनकर उसे ध्यान से देखती है और बोलती है, "अंधे हो गए हो तुम? और तुम्हारा पूरा खानदान भी।" इससे पहले कि अनु कुछ और बोले, सामने वाला उसे उंगली दिखाते हुए बोला, "Don't you dare! क्रियंश रंधावा नाम है मेरा। अगर तुमने कुछ भी ऐसा-वैसा कहा ना, तो छोड़ने वाला नहीं हूँ तुम्हें।" अनु भी उसकी बात सुनकर बोली, "अनु शेखावत भी किसी से नहीं डरती। मैं तो तुम्हारी आरती उतारूँगी!" अनु की बात सुनकर क्रियंश का चेहरा लाल हो गया और उसने अपनी मुट्ठियाँ कस लीं। क्रियंश उसे घूरते हुए बोला, "मुझे तुम जैसी लड़कियों से बात ही नहीं करनी। अपनी गाड़ी हटाओ और मेरा रास्ता छोड़ो। मुझे तुम जैसे लोगों से कोई मतलब नहीं।"
"अरे मैं तुम जैसे लोगों को मुँह लगाना चाहता हूँ।"
अनु उसकी बात सुनकर गुस्से में क्रियंश के पास जाकर बोली, "हाँ, जैसे तुम मुझे मुँह लगाओगे, मैं तुम्हें भी लगाऊँगी। एक बार मुँह लगाकर दिखाओ, तुम्हारा मुँह ना तोड़ दिया, तो फिर कहना।"
क्रियंश ने उसकी बात सुनते ही गुस्से में कहा, "बहुत ज्यादा बोल रही हो, ऐसा मत करो कि पछताना पड़े, हटो मेरे रास्ते से।"
अनु ने गुस्से में उसके पास जाकर अपना हाथ फैलाकर दोनों साइड करते हुए कहा, "नहीं, मैं हटने वाली नहीं हूँ। पछताना कैसे होता है, वो मुझे दिखाओ।"
क्रियंश ने अनु को घूरते हुए अपने दोनों कंधों को कुछ करते हुए कहा, "ठीक है, जैसा तुम चाहोगी।" इतना कहकर उसने अनु के दोनों हाथ पकड़ लिए और उसे गाड़ी के बोनट पर धकेल दिया।
अनु कुछ करने से पहले ही क्रियंश ने उसके होंठों पर किस करना शुरू कर दिया। वह बहुत गहराई से और जुनून के साथ उसे चूम रहा था। अनु अब पूरी तरह से चकित थी और समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे। क्रियंश उसके होंठों का रस पीते हुए उसे अपने होंठों में भरकर चूम रहा था। वह तो बिल्कुल शॉक थी। जब उसे समझ में आया तो उसने अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश की, पर क्रियंश ने उसे अच्छे से पकड़ रखा था जिस वजह से वह उन्हें छुड़ा नहीं पा रही थी। तभी अनु ने अपने पैरों पर चलने की कोशिश की, लेकिन क्रियंश ने उसके पैरों को अपने दोनों पैरों से पकड़ लिया और फिर से उसे अच्छे से किस करने लगा और लगातार किस कर रहा था, उसके होंठों को चाट रहा था। इस वजह से उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, पर उसे क्रियंश पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, पर वह छुड़ा नहीं पा रही थी। तभी अचानक उसने क्रियंश के होंठों पर कस के काटा, जिस वजह से क्रियंश की आह निकल गई, और उसने उसे छोड़ दिया और अपने होंठों को छूता है तो उसे पर से खून निकल रहा था।
वह अपने होंठों को छूकर जैसे ही अपने हाथों को देखा, तो उसके हाथों में खून लगा हुआ था। यह देखकर क्रियंश उसको घूर कर देखने लगा। वहीं अनु भी उसको घूर कर देख रही थी।
क्रियंश उसको देखते हुए बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ऐसी करने की?"
अनु उसकी बात सुनकर बोली, "जैसी तुम्हारी हिम्मत हुई मुझे किस करने की, मुझे भी ना पूछो। तुम्हें क्या लगा, तुम मुझे किस करोगे और मैं तुम्हें करने दूँगी?"
अनु की बात सुनकर क्रियंश बोला, "तुम ही ने तो बोला था कि तुम्हें पछताना नहीं आता। अब दोबारा जरूर याद रखना, मुझसे बहस करने से पहले एक बार जरूर सोच लेना, क्योंकि क्रियंश रंधावा किसी को छोड़ता नहीं। अगर दोबारा ऐसी हरकत की ना, तो फिर मैं तुम्हें और अच्छे से बताऊँगा कि मैं कौन हूँ।"
उसकी बात सुनकर अनु उसको घूर कर दाँत पीसते हुए देखने लगी, लेकिन फिर कुछ बोली नहीं और अपनी कार में जाकर बैठ गई। क्रियंश के चेहरे पर स्माइल आ गई और उसने उसे लेवल इस फाइल के साथ देखने लगा और बोला, "लगता है तुम्हें अच्छे से समझ में आ गया?"
अनु अपनी कार स्टार्ट कर देती है और बैक करने लगी, स्माइल करके बोली, "हाँ मुझे तो अच्छे से समझ में आ गया, लेकिन तुम्हें भी अच्छे से समझा दूँगी कि मैं कौन हूँ।"
इतना बोलकर वह अचानक से अपनी कार आगे की तरफ स्पीड में ले आई, जिस वजह से क्रियंश साइड हट गया और उसने जोर से उसके कार पर टक्कर मारी और फिर बैक होते हुए बोली, "आई होप कि तुम्हें समझ में आ गया होगा कि मैं कौन हूँ। दोबारा मेरे मुँह लगने से पहले 10 बार सोच लेना, अगर मुँह मेरे लगोगे तो मैं भी तुम्हें नहीं छोड़ने वाली।" इतना बोलकर वह वहाँ से निकल गई और वहीं क्रियंश उसको घूर कर बस जाते हुए देख रहा था।
इतना बोलकर वह अचानक अपनी कार आगे की तरफ तेज गति से ले आई। इससे क्रियांश साइड हट गया, और उसकी कार पर जोर से टक्कर मारकर, वह पीछे हटते हुए बोली, “आई होप कि तुम्हें समझ में आ गया होगा कि मैं कौन हूँ। दोबारा मेरे मुँह लगने से पहले दस बार सोच लेना। अगर मुँह मेरे लगोगे तो मैं भी तुम्हें नहीं छोड़ने वाली।” इतना बोलकर वह वहाँ से निकल गई। क्रियांश उसे घूरता हुआ देखता ही रह गया।
दूसरी ओर, एटी अब तक अपने कमरे में आ चुका था। कमरे में आते ही वह सीधे बाथरूम की ओर बढ़ गया। उसके चेहरे के भाव बेहद गंभीर थे, और उसकी आँखों में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था। बाथरूम में पहुँचकर उसने अपनी शर्ट उतारकर फर्श पर पटक दी और शावर ऑन कर दिया। लंबी-लंबी साँसें लेते हुए वह खुद को शांत करने की कोशिश करने लगा, लेकिन पानी की बूँदें जो उसके ऊपर गिर रही थीं, उसे सुकून नहीं दे पा रही थीं। एटी की आँखों में भयंकर गुस्सा साफ दिख रहा था। वह अपने बालों में हाथ फेरते हुए बुदबुदाया, “मैं यहाँ से बहुत दूर जा चुका था, पर तुम्हारी वजह से मैं वहाँ भी कभी चैन से नहीं सो पाया। और आज तुम्हें देखकर वो सारी बातें फिर से याद आने लगीं, जिन्हें मैं भूलने की कोशिश कर रहा था, पर कभी भूल नहीं पाया। इसी वजह से मैं हर पल खुद को खोता रहा, लेकिन अब बारी तुम्हारी है। अब मैं तुम्हारी रातों की नींद हराम कर दूँगा। तुम्हें वो सब दूँगा जो तुम डिजर्व करती हो। मेरा गुस्सा, मेरी नफरत, सब कुछ…” कहते हुए उसने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। कुछ देर बाद जब उसने अपनी आँखें खोलीं, तो उसकी डार्क ग्रीन आँखें बेहद खतरनाक लग रही थीं, मानो उसके अंदर का तूफान बाहर आने को बेताब हो।
दूसरी ओर, रूहानी समुद्र के किनारे बैठी हुई थी। समुद्र की लहरें उसके पैरों को छूकर वापस जा रही थीं, लेकिन उसे किसी चीज़ का फर्क नहीं पड़ रहा था। उसके आँखों से आँसू लगातार गिर रहे थे। वह अपने आँसुओं को पोंछते हुए, दर्द और निराशा से भरी, समुद्र की ओर देखते हुए बुदबुदाई, “आप तो ऐसे नहीं थे, एटी… फिर आप कैसे ऐसे हो गए? आप तो हमेशा मुझे प्रोटेक्ट करते थे, हर वक्त मेरे आसपास रहते थे, मेरे करीब रहते थे। मुझे आपसे हमेशा सेफ महसूस होता था, लेकिन आज जब आप मेरे करीब आए, तो मुझे डर लग रहा था, जैसे कोई अनजाना खतरा हो। मुझे पता है उस वक्त मैं कुछ कह नहीं पाई… मैं बुरी तरह से डर गई थी। उसके बाद भी, मैं आपके पास आई, लेकिन आपने अपने गुस्से में मुझे देखना तक पसंद नहीं किया। और आज, आज आपकी इस हरकत की वजह से मुझे आपसे नफरत हो रही है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे दिल में आपके लिए ऐसी फीलिंग्स आएंगी, लेकिन आज आ गईं…” यह कहते हुए वह फूट-फूट कर रोने लगी, जैसे उसके दिल का सारा दर्द बाहर आ रहा हो।
आव्या अपने कमरे में उदास होकर बेड पर लेटी हुई थी। उसके चेहरे से साफ ज़ाहिर था कि वह अंदर से बेहद दुखी थी। उसने खुद से कहा, “क्यों हर बार इस आहिरा की वजह से ही एटी मुझसे दूर चला जाता है? बचपन में भी वो सिर्फ मेरा था, लेकिन जब वो आई, तो वो मुझसे दूर हो गया। आज भी, उसने वही किया। एटी, जिसने हमेशा मेरा साथ दिया, उसने मेरे साथ रहने पर भी एक बार भी मुझे नहीं देखा और सबके सामने उसे किस कर लिया। मुझे उस लड़की से कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन अब नहीं…” इतना कहते हुए उसने अपने तकियों को ज़मीन पर जोर से फेंक दिया। तभी उसे महसूस हुआ कि उनमें से एक तकिया किसी के पास जाकर गिरा। जब उसने नज़र उठाई, तो सामने अगस्त खड़ा था। अगस्त ने उस तकिये को उठाया और आव्या की तरफ बढ़ने लगा। आव्या ने जल्दी से अपने आँसू पोंछे और बोली, “डैड, आप यहाँ इतनी रात को?”
उसकी बात सुनकर अगस्त उसके पास आकर बगल में बैठ गया और मुस्कुराते हुए बोला, “क्यों, क्या हुआ प्रिंसेस? इतनी रात को मैं तुम्हारे कमरे में नहीं आ सकता?”
आव्या ने उसके इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, “नहीं, मेरा मतलब वो नहीं था। मैं बस यह कहना चाह रही थी कि आप अभी तक सोए नहीं हैं।”
अगस्त ने उसका सिर सहलाते हुए कहा, “जब मेरी प्रिंसेस सो नहीं सकती तो मैं कैसे सो जाऊँ? और अभी-अभी मेरी खुशी से बात हुई थी, इसलिए सो नहीं पाया। फिर मैंने तुम्हें आते हुए देखा, तो सोचा पहले तुमसे मिल लूँ। मुझे लग रहा है कि तुम्हारा मूड बहुत खराब है। क्या पार्टी अच्छी नहीं गई?”
आव्या ने नज़रें झुकाकर कहा, “नहीं, ठीक ही गई।”
अगस्त ने उसके गालों को हल्के से खींचते हुए कहा, “ठीक ही गई? इसका मतलब है, पार्टी अच्छी नहीं गई। अब बताओ, क्या बात हो गई? क्यों मेरी प्रिंसेस इतनी उदास है? पार्टी तो बहुत अच्छे से हुई थी, लेकिन वापस आते ही तुम इतनी उदास क्यों हो गई?”
आव्या ने खुद को संभालते हुए अगस्त को गले लगा लिया और बोली, “कुछ नहीं, डैड। बस यूँ ही उदास हूँ। अगर आपसे नहीं कहूँगी, तो किससे कहूँगी? वैसे, डैड, एक बात पूछूं? आप सही-सही बताएंगे?”
अगस्त ने उसका सिर सहलाते हुए कहा, “मेरी प्रिंसेस मुझसे एक नहीं, दस बातें पूछ सकती है, और मैं हर एक का सही जवाब दूंगा।”
आव्या ने उसकी बात सुनकर अपनी नज़रें उठाई और बोली, “तो मान लीजिए, आपका कोई बहुत अच्छा बेस्ट फ्रेंड हो, जो सिर्फ आपका हो। लेकिन अचानक किसी के आने के बाद वो आपसे दूर हो जाए, और आपसे ज़्यादा अटेंशन किसी और को देने लगे, किसी और की बातें करने लगे, आपको इग्नोर करने लगे। तब क्या करेंगे, डैड?”
अगस्त उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराया।
अगस्त मुस्कुराते हुए आव्या को देख कर बोला, “देखो, या तो तुम्हारी दोस्ती इतनी मजबूत नहीं थी, या फिर उस इंसान को तुमसे ज़्यादा किसी और के साथ अच्छा महसूस हो रहा है, शायद वो उसके साथ ज़्यादा कम्फ़र्टेबल है, जो तुम्हारे साथ नहीं है। प्यार या दोस्ती बिना सोचे-समझे दिल से होते हैं, इसमें हम लोग कभी फ़ायदा या नुकसान नहीं देखते। अगर वो शख्स तुमसे दूर जा रहा है और किसी और के पास जाना चाहता है, तो उसे जाने दो। उसे अपनी तरफ ज़बरदस्ती मत पकड़ के रखो, क्योंकि अगर तुमने उसे ज़बरदस्ती रोका भी, तो वो तुम्हारा कभी नहीं हो पाएगा। और जो दिल से तुम्हारा नहीं है, उसे अपने पास रखने का कोई फ़ायदा नहीं। मैंने अपनी ज़िंदगी में यही सीखा है कि अगर कोई तुम्हारे पास रहना चाहता है, तो उसे रोक लो। लेकिन अगर कोई जाना चाहता है, तो उसे जाने दो।”
आव्या ने उसकी बात सुनकर थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा, “तो क्या अपने दोस्त को यूँ ही जाने दो? एक ट्राई भी मत करो? जिससे इतना प्यार किया, जिसकी इतनी दोस्ती थी, उसे ऐसे ही छोड़ दो किसी और के लिए? ये तो गलत है न, कि अपने दोस्त को ऐसे ही किसी और के पास जाने दो?”
अगस्त ने उसकी बात सुनकर हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “ट्राई करो, लेकिन ज़बरदस्ती मत करो, क्योंकि कोई भी चीज ज़बरदस्ती कभी हासिल नहीं होती। और अगर हो भी जाए, तो उससे खुशी नहीं मिलती।” ये कहकर अगस्त मुस्कुराते हुए बोला, “गुड नाइट, प्रिंसेस। अब रात बहुत हो गई है, तुम भी सो जाओ और मैं भी। वैसे भी, अगर तुम्हारी मॉम की नींद खुल गई, तो मुझे ढूंढते हुए पूरा घर सिर पर उठा लेंगी। बाय, प्रिंसेस!” इतना कहकर उसने आव्या के माथे पर किस किया और वहाँ से चला गया। आव्या उसके शब्दों के बारे में सोचने लगी।
अगस्त ने उसकी बात सुनकर हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "ट्राई करो, लेकिन जबरदस्ती मत करो, क्योंकि कोई भी चीज जबरदस्ती कभी हासिल नहीं होती। और अगर हो भी जाए, तो उससे खुशी नहीं मिलती।" ये कहकर अगस्त मुस्कुराते हुए बोला, "गुड नाइट, प्रिंसेस। अब रात बहुत हो गई है, तुम भी सो जाओ और मैं भी। वैसे भी, अगर तुम्हारी मॉम की नींद खुल गई, तो मुझे ढूंढते हुए पूरा घर सिर पर उठा लेंगी। बाय, प्रिंसेस!" इतना कहकर उसने आव्या के माथे पर किस किया और वहाँ से चला गया। आव्या उसके शब्दों के बारे में सोचने लगी।
दूसरी तरफ, At बाथरूम से बाहर आया। उसके बालों से पानी की बूंदें अभी भी टपक रही थीं, और टॉवल कसकर उसके शरीर से लिपटा हुआ था। जैसे ही उसने कमरे में कदम रखा, उसकी नज़र क्रियांश पर पड़ी, जो सोफे पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। At ने हल्की मुस्कान के साथ एक आईब्रो उठाई और पूछा, "तुम यहाँ इस वक्त? इतने सालों बाद?"
क्रियांश ने उसकी बात सुनते ही तुरंत सोफे से उठकर खड़ा हो गया। उसकी आँखों में वही पुरानी दोस्ती की झलक थी, लेकिन वक्त ने उनके बीच एक अजीब सी दूरी पैदा कर दी थी। उसने गहरी साँस लेते हुए कहा, "हाँ, तुमने बुलाया नहीं, फिर भी आ गया। क्या करता, इतने सालों का साथ... यादें नहीं छोड़ सकतीं। और तुम भी तो ऐसे आए, जैसे कोई हवा का झोंका—न मैसेज, न कॉल। बताया भी नहीं कि आ चुका हूँ।"
At ने उसकी बात सुनते हुए एक पल के लिए अपनी नज़रों को झुकाया, फिर उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा, "बताने की ज़रूरत ही क्या थी? तुमसे छुपा थोड़ी रह सकता हूँ। और दोस्ती की बात कर रहे हो... यहाँ लोग अपने प्यार को नहीं समझ पाते, दोस्ती की तो बात ही क्या।"
क्रियांश ने उसकी आँखों में वही पुरानी जिद देखी, जिसे वह कभी भी मना नहीं कर पाता था। लेकिन इस बार वह चुप नहीं रहा। उसने गुस्से को काबू करते हुए कहा, "At, हमारी दोस्ती पर सवाल उठाने की हिम्मत मत करना। मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकता हूँ, लेकिन यह नहीं कि तू मेरी दोस्ती पर उंगली उठाए। निभाने की बात करता है? तू कभी आजमा के देख लेना, तेरा यह दोस्त हमेशा तेरे साथ खड़ा मिलेगा, चाहे कुछ भी हो जाए।"
At ने उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराया, लेकिन उसने उसकी तरफ देखे बिना क्लोसेट की तरफ कदम बढ़ाया। चलते-चलते वह धीरे से बोला, "जानता हूँ, मुझे कभी आज़माने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। और इतना गुस्सा मत कर, मेरे अंदर भी तूफान भरा हुआ है। बस चुपचाप से बैठ, मैं अभी आता हूँ।"
इस बार दोनों की बातों में सिर्फ पुरानी यादें नहीं, बल्कि वक्त ने जो जख्म दिए थे, वह भी शामिल थे।
कुछ देर बाद, At क्लोसेट से लोअर और टी-शर्ट पहनकर बाहर आया। कमरे में हल्का अंधेरा था, और एक कोने में एक मिनी बार बना हुआ था। At वहाँ से वाइन की एक बोतल और दो गिलास उठाकर ले आया। वह क्रियांश के पास बैठा और वाइन की बोतल खोलने लगा। उसने दोनों गिलास भरकर, एक गिलास खुद उठाया और दूसरा क्रियांश की तरफ बढ़ाया। क्रियांश ने बिना कुछ कहे उसका इशारा समझ लिया और गिलास उठा लिया। दोनों ने वाइन का एक सिप लिया।
क्रियांश उसकी तरफ देखते हुए बोला, "क्या यार, एक बार तो बता देता कि मैं इंडिया वापस आ रहा हूँ।"
At बिना उसकी ओर देखे बोला, "मेरा कोई इरादा नहीं था इंडिया वापस आने का। बस आ गया। अब ये मत पूछ कि क्यों और किस लिए। शायद मैं अभी ये सब बातें न बता पाऊँ। खैर, तू बता, तेरा क्या चल रहा है?"
क्रियांश ने एक हल्की सी हँसी के साथ जवाब दिया, "मेरा क्या, जैसा था वैसा ही हूँ। कुछ खास नहीं चल रहा। हाँ, एक चीज़ जरूर बदल गई है... मॉम अब मेरी शादी के पीछे पड़ गई हैं, और मुझे ये शादी-वाड़ी करनी नहीं है। डैड की हालत देखकर वैसे भी मेरा शादी का कोई इरादा नहीं है।"
क्रियांश की बात सुनकर At के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "मुझे क्यों लग रहा है कि जल्दी ही तेरी लाइफ में भी आंटी जैसी कोई खास आने वाली है?"
At की बात सुनते ही क्रियांश के आँखों के सामने अनु का चेहरा उभर आया। अनु की हर हरकत, उसकी बातें, और उसका गुस्सा—सब कुछ उसके जेहन में घूमने लगा। वह अपनी ही दुनिया में खो गया।
At ने उसे इस तरह खोया हुआ देखकर हल्के से हिलाया और बोला, "क्या हुआ? कहाँ खो गया? कहीं तेरी लाइफ में कोई ऐसी 'ए' तो नहीं है, जिसे तू मुझसे छुपा रहा है? अगर ऐसा कुछ है, तो सुन ले, अगर तूने मुझसे कुछ भी छुपाया, तो मैं तुझे छोड़ूँगा नहीं!"
At की मजाकिया धमकी सुनकर क्रियांश अपने ख्यालों से बाहर आया और हँसते हुए बोला, "पागल हो गया है क्या? कुछ नहीं यार, तू गलत समझ रहा है। चल, वाइन पीते हैं।"
दोनों वाइन का आनंद ले रहे थे, तभी अचानक At के फोन पर एक मैसेज आया। जैसे ही उसने फोन देखा, उसके चेहरे का रंग बदल गया। उसकी आँखों में एक पल के लिए हैरानी, और फिर गुस्से की लहर दौड़ गई। उसका जबड़ा कस गया, और उसने फोन को इतनी जोर से पकड़ा जैसे वह उसे तोड़ डालना चाहता हो।
दूसरी तरफ, माही अपने कमरे में बेड पर काले रंग की नाइटी पहने सोई हुई थी। नाइटी उसके थाई तक आ रही थी, जो कि उसे और भी ज्यादा आकर्षक और हसीन बना रही थी। इस वक्त बालकनी में Ak किसी से बात कर रहा था। कुछ देर तक बातें करने के बाद, जब वह कमरे में आया, तो उसकी नज़र माही के सुंदर और नाज़ुक पैरों पर पड़ी, जो उसे बेहद आकर्षक लगे। उसकी नज़र वहीं टिक गई। माही इस वक्त बेखबर सो रही थी, और Ak उसे देखकर अपने होंठों को हल्के से काटते हुए बोला, "यह तुम बहुत गलत कर रही हो, फ्लेक्स। इस तरह से मुझे बहका रही हो, और तुम्हें पता भी नहीं। अब तो मुझे तुम्हें अच्छे से बताना होगा कि तुम मुझे कितनी बुरी तरह से बहका रही हो।"
इतना कहकर उसने अपनी शर्ट के बटन खोलकर उसे ज़मीन पर फेंक दिया और धीरे-धीरे माही के पास आकर उसके पैरों को हल्के से छूने लगा। फिर उसने उसके पैरों को अपने होंठों से छूते हुए किस करना शुरू कर दिया, जिससे माही के पैर हल्के से हिलने लगे। इस वक्त उसे यह सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था, और वह बार-बार अपने होंठों को उसके पैरों पर रख रहा था। धीरे-धीरे उसके होंठ माही के पैरों से ऊपर की तरफ बढ़ने लगे, जिससे उसकी साँसें अनायास ही तेज़ हो गईं, लेकिन वह अब भी नींद में थी।
Ak की किस करते हुए होंठों की हरकत माही की थाई तक पहुँच गई। जब उसने उसकी थाई पर अपने होंठ रखे और नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर खिसकाना शुरू किया, तो माही की नींद टूट गई। वह अचानक उठकर Ak की ओर देखने लगी और अपनी तेज़ साँसों को काबू करते हुए बोली, "क्या कर रहे हैं, मिस्टर डेमोन? आपको हर पल बस यही सब सूझता है क्या?"
Ak उसकी बात सुनकर मुस्कुराया और बोला, "चिल्ली फ्लेक्स, जब तुम ऐसी हरकतें करोगी तो मैं खुद को कैसे काबू कर सकता हूँ?"
माही उसकी बात सुनकर सवालिया नज़रों से देखते हुए बोली, "मैंने आपके साथ कौन सी हरकत कर दी? मैं तो सो रही थी!"
Ak ने उसकी ओर देखते हुए शरारती लहजे में कहा, "वह तो तुम सो रही थी, या सोते हुए मुझे बहका रही थी।"
माही उसकी बात सुनकर हैरान रह गई और अपना मुँह फूलाते हुए बोली, "ऐसी कोई बात नहीं है। आप हर वक्त मुझे बहका जाते हैं, इसमें आपकी गलती है, मेरी नहीं। और अब सो जाइए, इस उम्र में यह सब शोभा नहीं देता। अब तो बच्चों की उम्र है यह सब करने की, ना कि आपकी!"
दूसरी तरफ, अहिरा अभी भी वैसे ही समुद्र के किनारे बैठी थी, गहरी सोच में डूबी हुई। तभी वहाँ पर तीन लड़के जीप में बैठकर आए, हाथों में बियर की बोतलें लिए हुए। वे वहाँ मस्ती करने लगे, हालाँकि वे अहिरा से थोड़ी दूरी पर थे। अहिरा ने जब उनकी आवाजें सुनीं, तो उनकी ओर देखने लगी, लेकिन फिर उन्हें नज़रअंदाज़ करते हुए फिर से अपने ख्यालों में खो गई।
वे लड़के बियर पीते हुए आपस में हँसी-मज़ाक कर रहे थे, तभी उनमें से एक की नज़र अहिरा पर पड़ी। उसने अपने दोस्तों को इशारा किया और तीनों अहिरा की तरफ बढ़ने लगे। अहिरा अब भी अपने ख्यालों में खोई हुई थी। वे उसके करीब आकर रुक गए और उनमें से एक ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया।
अहिरा चौंककर अपने ख्यालों से बाहर आई और उनकी ओर देखने लगी। जिस लड़के ने उसके कंधे पर हाथ रखा था, उसने उसकी ओर देखकर शरारती अंदाज़ में कहा, "क्या हुआ, बेबी? इतनी रात को तुम अकेली यहाँ? कहीं तुम हमारा ही तो इंतज़ार नहीं कर रही थी?"
अहिरा ने उसकी बात सुनते ही गुस्से में उसके हाथ को अपने कंधे से झटक दिया और फौरन उठकर खड़ी हो गई। उसका चेहरा अब सख्त हो गया था, और उसकी आँखों में साफ दिख रहा था कि वह इस बेजा हरकत से कितनी नाराज़ थी।
अहिरा चौंककर अपने ख्यालों से बाहर आई और उनकी ओर देखने लगी। जिस लड़के ने उसके कंधे पर हाथ रखा था, उसने उसकी ओर देखकर शरारती अंदाज में कहा, "क्या हुआ, बेबी? इतनी रात को तुम अकेली यहां? कहीं तुम हमारा ही तो इंतजार नहीं कर रही थी?"
अहिरा ने उसकी बात सुनते ही गुस्से में उसके हाथ को अपने कंधे से झटक दिया और फौरन उठकर खड़ी हो गई। उसका चेहरा अब सख्त हो गया था, और उसकी आँखों में साफ दिख रहा था कि वह इस बेहुदा हरकत से कितनी नाराज़ थी।
वह उसकी आँखों में सीधा देखते हुए, एक तीखी आवाज़ में बोली, "बकवास करने का शौक है तो कहीं और जाकर करो। मेरे पास इतना फालतू टाइम नहीं है कि तुम्हारी बेकार बातें सुनूं।" यह कहते हुए वह मुड़ी और जाने लगी। लेकिन तभी एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ कर जोर से अपनी तरफ खींच लिया।
अहिरा ने पहले अपने हाथों को घूर कर देखा, फिर गुस्से में लाल आँखों से उस लड़के की तरफ देखा। वह लड़का अपने चेहरे पर एक घटिया मुस्कान लिए बोला, "अरे! बकवास तो हम ऐसी खूबसूरत बला से ही करेंगे न, और किससे करेंगे? रात भी बड़ी हसीन है, और ऊपर से तुम, यहाँ क़हर ढा रही हो। अब खुद सोचो, जब तुम ऐसी हरकतें करोगी तो हम जैसे बेचारे कहाँ जाएंगे?"
उसकी इस घटिया बात पर उसके दोनों साथी ठहाके मारकर हंसने लगे। अहिरा ने अपनी आँखें तरेरते हुए अपना हाथ झटका और जोरदार थप्पड़ उसके चेहरे पर जड़ दिया। "ऐसी बकवास अपने घर पर जाकर करना, और फिर देखना तुम्हारे घरवाले तुम्हें क्या सिखाते हैं कि ऐसी घटिया बातें किसके साथ करनी चाहिए," वह घूरते हुए बोली।
अहिरा का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा था, और उसकी आँखों की चमक बता रही थी कि वह किसी भी और बकवास को बर्दाश्त नहीं करेगी। लड़का अब सकपकाया हुआ खड़ा था, उसका चेहरा लाल हो चुका था, और उसके साथियों की हंसी भी अचानक बंद हो गई।
अहिरा मुड़ी और जैसे ही जाने के लिए कदम बढ़ाया, तभी उस लड़के ने पीछे से उसके बालों को कसकर पकड़ लिया। अहिरा की आँखों में गुस्से की चिंगारी सुलग उठी। उसने अपने बाल छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन वह लड़का और ज़्यादा ज़ोर से खींचते हुए उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए गुस्से में गुर्राया, "घरवालों से बकवास करवाने की जरूरत नहीं है, मैं खुद बताऊंगा तुझे कि बकवास किसके साथ और क्यों की जाती है। तू दो कौड़ी की लड़की, इतनी हिम्मत कि तूने मुझे थप्पड़ मारा, और मेरे घरवालों को बीच में लाई? अब तुझे तेरी औकात याद दिलाऊंगा।"
वह अपने गुस्से में अंधा हो चुका था। उसके चेहरे पर एक वहशीपन था, जो किसी भी हद तक जाने को तैयार था। उसने अहिरा के बालों को छोड़ा और एक ज़ोर का धक्का दे दिया। अहिरा बेकाबू होकर सीधे रेत में जा गिरी। उसके कपड़े पूरी तरह से गीले हो गए और रेत उसके शरीर और कपड़ों पर चिपक गई। वह दर्द से कराहती हुई उठने की कोशिश कर ही रही थी कि वह लड़का उसकी तरफ बढ़ा और उसके ठीक ऊपर झुक गया।
लड़के की आँखों में एक अजीब सी हैवानियत झलक रही थी, मानो वह आगे कुछ और करने का इरादा रखता हो। लेकिन अहिरा ने फुर्ती से हरकत की। उसने अपनी दोनों हथेलियों से उसका चेहरा कस कर पकड़ लिया और जितनी ताकत थी, उतनी ताकत से उसे धक्का दिया। उसके नाखून लड़के के चेहरे में बुरी तरह धँस गए थे। वह लड़का दर्द से चीख उठा और जैसे ही उसने अपने चेहरे को छुआ, वहाँ से खून बहता हुआ देखकर उसका चेहरा डर से सफेद पड़ गया।
अहिरा ने गुस्से से कांपते हुए उन सबको घूर कर कहा, "सोचना भी मत, मैं वो लड़की नहीं हूँ जिसे तुम सब नोचने की कोशिश करोगे और मैं चुपचाप रोती रहूंगी। अगर किसी ने मुझे छूने की कोशिश भी की, तो याद रखना, मैं तुम सबको जान से मार दूंगी।"
उसकी आवाज़ में ऐसी दृढ़ता थी कि जैसे चट्टान से टकरा कर लौट रही हो। उसके चेहरे पर अब कोई डर नहीं था, सिर्फ़ आग थी—वो आग जो किसी भी पल उन सब पर टूट सकती थी। लड़के का चेहरा अब घबराहट से भर चुका था। उसे समझ आ गया था कि अहिरा कोई साधारण लड़की नहीं है; वह अपनी इज़्ज़त और हिम्मत की ताकत से अपना हक लेना जानती है।
उसकी बात सुनकर उसके बगल में खड़े दोनों दोस्त एक-दूसरे की तरफ देख मुस्कुराते हुए अपने दोस्त के पास गए। उनमें से एक ने कहा, "इस लड़की की इतनी हिम्मत? किसने दिया इसे तेरे साथ ऐसा करने का हक़? आज इसे समझाना होगा कि ये है क्या और हम क्या हैं। लड़कों से टकराने की सजा क्या होती है, यह जान जाएगी।"
यह कहते हुए वे दोनों अहिरा की तरफ बढ़ने लगे। अहिरा डर से अपने कदम पीछे खींचने लगी और अपने हाथों को सामने करते हुए बोली, "दूर रहो मुझसे! मेरे करीब भी आने की कोशिश मत करना, वरना मैं तुम सबको छोड़ूंगी नहीं।"
लेकिन उसकी धमकी पर वे दोनों और जोर से हंसने लगे। उनमें से एक बोला, "अरे हम चाहते भी नहीं कि अब तुम हमें छोड़ो, और न हम तुम्हें छोड़ेंगे।" ये कहते हुए वे और नजदीक आ गए और अहिरा को घेर लिया। एक ने झपटकर उसके दोनों हाथ पकड़ लिए।
जिस लड़के के चेहरे पर खून बह रहा था, वह भी अपनी चोट भूलकर हंसते हुए बोला, "बहुत बातें कर रही थी ना? अब हम तुझे बताएंगे कि हम क्या कर सकते हैं!" अहिरा ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन वे दोनों उसके हाथों को कसकर पकड़े हुए थे।
गुस्से और हिम्मत में भरी अहिरा ने झटके से एक लड़के की कलाई को अपने दाँतों से काट लिया। लड़के ने चीखते हुए अपना हाथ छोड़ दिया और दर्द में अपना हाथ देखने लगा, जहाँ से खून की धार निकलने लगी थी। उसी पल, अहिरा ने दूसरे लड़के की तरफ मूव किया और जोर से उसकी टांग पर लात मारी। लड़का दर्द से चिल्लाते हुए अपने पैर को पकड़ने लगा। दोनों को खुद से दूर पाकर अहिरा ने भागने की कोशिश की, लेकिन वे तीनों अचानक अलर्ट हो गए और फिर से उसका पीछा करने लगे।
उनमें से एक लड़का दौड़कर उसके पास पहुँचा और झपट कर उसे अपनी बाहों में उठा लिया। अहिरा उसके सीने पर घूंसे बरसाते हुए चीखी, "छोड़ दो मुझे वरना मार डालूंगी!" लेकिन वे लड़के नशे और गुस्से में धुत थे, उनकी आँखों में एक अजीब सी वहशी चमक थी। उन्होंने अहिरा की एक भी नहीं सुनी।
उन्हें तो आज अपनी हैवानियत दिखानी थी। वे उसे समुद्र के किनारे ले गए और बुरी तरह से पानी में पटक दिया। पानी की ठंडी लहरों के साथ-साथ अहिरा के शरीर पर लगी चोट ने उसकी चीखें निकाल दीं। उसकी आँखों में दर्द और गुस्से के आंसू छलक आए। वहीं खड़े तीनों उसे देखकर ठहाके मारकर हंसते हुए एक-दूसरे से बोले, "ये अकेले एक के बस की बात नहीं है, हमें मिलकर ही इसे इसकी औकात दिखानी होगी।"
उनकी आँखों में अब कोई इंसानियत नहीं थी, सिर्फ़ वहशीपन था। अहिरा, जो अभी तक खुद को संभाल रही थी, अब सच में मुश्किल में थी। उसकी साँसें तेज चल रही थीं, लेकिन उसकी हिम्मत अभी भी कायम थी। उसका मन कर रहा था कि किसी तरह से इन दरिंदों के चंगुल से बाहर निकलकर अपनी जान बचाए। लेकिन वे लड़के अब और भी ज्यादा उत्तेजित और खतरनाक हो चुके थे, उन्हें रोकना अब और भी मुश्किल था।
तीन लड़कों में से एक लड़का झपटते हुए आगे बढ़ा और अहिरा का हाथ कसकर पकड़ लिया, दूसरे ने उसके पैर को मजबूती से थाम लिया, और तीसरा बस खड़ा होकर मुस्कुरा रहा था। अहिरा बार-बार खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, हाथ-पैर मार रही थी, लेकिन बेवजह। दूसरा लड़का अपनी शर्ट निकालते हुए उसकी ओर गहरी मुस्कान के साथ देख रहा था।
अहिरा अब पूरी तरह से डर चुकी थी, उसकी आँखों में भय और घबराहट साफ नज़र आ रही थी।
वह लड़का उसकी ओर ताकते हुए बोला, "बस यही डर तो तुम्हारी आँखों में देखना था।"
अहिरा की आवाज़ में गुस्सा और हिम्मत झलक रही थी, उसने फुंकारते हुए कहा, "मुझे छोड़ दो, वरना मैं तुम्हें ऐसी मौत दूंगी कि तुम्हें अपने पैदा होने पर भी पछताना पड़ेगा। और अगर तुम लोग खुद को मर्द समझते हो, तो अकेले मेरे सामने आओ।"
लड़का उसकी बात सुनकर उसके करीब झुका और उसके चेहरे के बिलकुल पास आते हुए बोला, "तेरी हिम्मत कैसे हुई हमारी मर्दानगी पर सवाल उठाने की। अब हम दिखाएंगे कि हम कौन हैं।"
अहिरा ने गुस्से में उसका सामना करते हुए उसके ऊपर थूक दिया और कहा, "तुम लोग कभी भी मर्द नहीं हो सकते। जो एक लड़की को इस तरह से अपनी मर्दानगी दिखा रहे हो, तुम लोग मर्द तो क्या, किसी भी नाम के लायक नहीं हो।"
उसका थूक सीधे उसके गाल पर लगा, जिससे लड़के ने अपने गाल को एक तरफ मोड़ लिया। उसने गुस्से में थूक को अपने हाथ से साफ किया और अहिरा को आग भरी निगाहों से घूरने लगा। फिर उसने उसे एक जोरदार थप्पड़ मारा, जिससे अहिरा का चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया और उसकी आँखों में दर्द और गुस्सा उभर आया।
अहिरा ने गुस्से में उसका सामना किया और उसके ऊपर थूक दिया। "तुम लोग कभी भी मर्द नहीं हो सकते। जो एक लड़की को इस तरह से अपनी मर्दानगी दिखा रहे हो, तुम लोग मर्द तो क्या, किसी भी नाम के लायक नहीं हो।"
उसका थूक सीधे उसके गाल पर लगा। लड़के ने अपने गाल को एक तरफ मोड़ लिया और गुस्से में थूक को अपने हाथ से साफ किया। वह अहिरा को आग भरी निगाहों से घूरने लगा। फिर उसने उसे एक जोरदार थप्पड़ मारा। अहिरा का चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया और उसकी आँखों में दर्द और आक्रोश उभर आया।
वो लड़का उसे थप्पड़ मारते हुए गुस्से से बोला, "तूने मुझ पर थूका ना? अब देख, मैं तेरी ऐसी हालत कर दूंगा कि तुझ पर कोई थूकेगा भी नहीं।" वह धीरे-धीरे उसके करीब झुकने लगा। उसके होंठ अहिरा के होंठों के पास आने ही वाले थे कि तभी एक तेज़ gunshot की आवाज़ हवा में गूंज उठी। लड़का वहीं रुक गया, और जिसने अहिरा का हाथ पकड़ा था, वह अचानक ढेर हो गया—उसकी जान जा चुकी थी।
अहिरा ने देखा कि वह लड़का अब रेत पर बेजान पड़ा था। जैसे ही उसकी पकड़ ढीली पड़ी, अहिरा झटके से उठकर बैठ गई। सामने, हाथ में गन लिए, अनर्थ खड़ा था। समुद्र के किनारे चांद की रोशनी में उसका चेहरा बेहद खतरनाक और गुस्से से भरा हुआ दिख रहा था। वह धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ रहा था, उसकी नजर अहिरा और उन दोनों लड़कों पर थी।
दूसरा लड़का, जो अब तक अहिरा पर झुका हुआ था, उसने डरते हुए अनर्थ की तरफ देखा। उसके चेहरे पर साफ डर नजर आ रहा था। अनर्थ उनके पास जा रहा था तभी उसकी नजर रेत पर पड़ी टूटी हुई beer bottle पर गई। वह एक खतरनाक मुस्कान के साथ बोतल को उठाने लगा। उसकी इस मुस्कान से दोनों लड़के और भी घबरा गए। उनमें से एक लड़के ने कांपते हुए पूछा, "Who are you? And what do you want here?"
अनर्थ ने उसकी बात सुनकर शैतानी हंसी के साथ जवाब दिया, "Your death." इतना कहकर वह आगे बढ़ने लगा। डर के मारे दूसरा लड़का भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन जैसे ही उसने एक कदम बढ़ाया, अनर्थ ने एक और गोली चलाई। गोली उसके सीने में लगी, और वह लड़का तड़पते हुए रेत पर गिर पड़ा।
तीसरा लड़का, जो अब तक सब देख रहा था, अनर्थ के पास आते ही डर से कांपने लगा। उसकी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि वह अब कुछ भी बोलने या करने के काबिल नहीं था। अनर्थ के चेहरे पर अब भी वही खतरनाक मुस्कान थी, जबकि अहिरा धीरे-धीरे उठकर खड़ी हो चुकी थी और अब उसकी नज़र अनर्थ पर थी। उसके चेहरे पर डर और राहत का एक अजीब सा मिश्रण था। आगे क्या होगा, इसका अंदाजा अब किसी को नहीं था।
अनर्थ मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ रहा था, लेकिन उसकी आंखों में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था। लड़का देख रहा था कि अनर्थ उसके पास आ रहा है, तो उसने कदम पीछे हटाते हुए कहा, "तुम्हें लड़की चाहिए न? तो ले लो। ये लड़की तुम्हारी है, मैं जा रहा हूं। मुझे छोड़ दो, और अगर तुम्हें कुछ और चाहिए, तो वो भी ले सकते हो।"
लड़के की आवाज घबराहट में लड़खड़ा रही थी। अनर्थ मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन पीछे कर लिया, उसकी डार्क ग्रीन आंखें और भी खतरनाक हो गईं। उसने अपनी गर्दन पर हाथ रखकर कहा, "मुझे ये लड़की तुम दोगे? इतनी औकात तुम्हारी नहीं है। और तेरी औकात इतनी भी नहीं थी कि तूने इसे छू लिया। अब मैं बताऊंगा कि छूने का अंजाम क्या होता है।" इतना कहकर अनर्थ लड़के के बिल्कुल करीब गया और उसकी गर्दन के पास बीयर की बोतल लगाकर अंदर की ओर चुभाने लगा, जिससे लड़का दर्द से कराहने लगा।
लड़का अपनी हाथ आगे बढ़ाया, लेकिन अनर्थ ने झटके से उसका हाथ पकड़ लिया और पीछे की ओर मोड़ दिया, जिससे उसका हाथ टूट गया। लड़का दर्द से जमीन पर गिर पड़ा, लेकिन अनर्थ के चेहरे पर कोई भी शिकन नहीं था। अनर्थ ने फिर से उसके पैर को पकड़ा और उसे घसीटते हुए पानी के अंदर ले गया। पानी में ले जाकर, अनर्थ ने उसके गर्दन को पकड़ कर पानी में डुबोना शुरू कर दिया, जिससे लड़के की आंखें बंद हो गईं।
आहिरा, जो सब देख रहा था, अनर्थ के पास आकर बोली, "क्या कर रहे हो? वह मर जाएगा।"
अनर्थ गुस्से में कांपते हुए बोला, "मैं उसे मारने ही आया हूं। आज मैं उसे दिखाऊंगा कि उसने कौन सी गलती की है।"
आहिरा ने कहा, "उसने जो गलती की है, उसकी सजा पुलिस देगी, तुम नहीं।"
आहिरा की बात सुनकर अनर्थ गुस्से में कांपते हुए बोला, "तुम और तुम्हारी पुलिस किसी को क्या सजा देंगे? तुम जैसे लोगों की वजह से ही इन लोगों का हौसला बढ़ता है। और रही बात सजा की, तो ये मेरा काम है और सजा भी मैं ही दूंगा, तुम्हारी पुलिस नहीं।"
अनर्थ ने आहिरा को गुस्से में कांपते हुए देखा, और फिर लड़के को छोड़कर आहिरा को पकड़ लिया। उसने आहिरा को कसकर गले से पकड़ते हुए कहा, "तुम और तुम्हारी पुलिस किसी को भी सजा नहीं दे सकते। ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है। और सजा का हक केवल मेरे पास है।"
अनर्थ की आँखों मे खतरनाक चमक थी, जो उसके गुस्से को और बढ़ा रही थी। उसने आहिरा को इतनी मजबूती से पकड़ा कि जैसे उसने अपनी पूरी ताकत वहीं लगा दी हो। आहिरा खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अनर्थ ने उसे छोड़ने का नाम नहीं लिया। गुस्से में कांपते हुए उसने कहा, 'तुम जैसी लड़कियां सिर्फ रोना जानती हो। और अगर गलती से कोई तुम्हारी मदद कर दे, तो सजा भी उसी को मिलती है। लेकिन अब मुझे न सजा का डर है और न ही किसी और चीज से फर्क पड़ता है।'
तभी अचानक पीछे से एक लड़का लड़खड़ाते हुए भागने की कोशिश करता है, लेकिन अनर्थ की नजरें इतनी तेज थीं कि वह उसे पकड़ नहीं सका। अनर्थ ने आहिरा को छोड़ा और फिर से उसे पकड़कर नीचे गिरा दिया। मुस्कुराते हुए उसने कहा, 'तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हें बचाने आया हूं? बिल्कुल नहीं, मैं तो इसे सजा देने आया हूं। यह सजा, जिसे मैं देना चाहता हूं। वह तुम्हें दर्द देने की कोशिश कर रहा था, और मैं यह हक किसी को नहीं दे सकता। यह हक सिर्फ मेरा है तुम्हें दर्द देने का।'
इतना कहकर उसने लड़के की ओर मुस्कुराते हुए देखा और उसकी गर्दन में बीयर की बोतल डाल दी। बीयर की बोतल गर्दन के आर-पार हो गई, और खून अनर्थ के चेहरे पर गिर पड़ा। अनर्थ का चेहरा खून से रंग गया, लेकिन उसकी आंखों में दया का कोई संकेत नहीं था। आहिरा ने अपना चेहरा हाथों से ढक लिया, लेकिन अनर्थ ने मुस्कुराते हुए कहा, 'आंखें खोल सकती हो, जानम? अब यह मर चुका है या तुम्हें देखने में शर्म आ रही है कि तुमने आंखें बंद कर ली हैं?'
आहिरा ने गुस्से में कांपते हुए कहा, 'मुझे तुम्हें देखने में शर्म नहीं आ रही, गुस्सा आ रहा है। तुम कभी नहीं सुधर सकते, और न ही मेरी बात समझ सकते हो। अगर तुम मेरी जगह होते, तो तुम भी वही करते। लेकिन तुम उस बात को लेकर बैठे हो, और मुझे दर्द देने का हक किसी को नहीं देती। आज जो तुमने मेरे साथ किया, मैं कभी नहीं भूल सकती। अब मैं तुमसे किसी चीज का रिश्ता नहीं रखूंगी, और न ही चाहती हूं कि तुम मुझसे रिश्ता रखो। जहां जाना है जाओ, मेरी जिंदगी से दूर हो जाओ।'
अनर्थ ने आहिरा की बातों को सुना और उसकी धड़कनें तेज हो गईं। उसके सीने में अजीब सी हलचल होने लगी। गुस्से में कांपते हुए, उसने आहिरा के पास जाकर उसके बालों को अपनी मुट्ठियों में भरते हुए कहा, 'तुम्हें क्या लगता है, तुम मुझसे दूर चली जाओगी और मैं तुम्हें जाने दूंगा? बिल्कुल नहीं, मैं तुम्हें अपने करीब ही रखूंगा और तुम्हें वह दर्द दूंगा, जिसकी तुम हकदार हो।'
आहिरा ने खुद को छुड़ाते हुए कहा, 'मैं किसी चीज की हकदार नहीं हूं और न ही तुम्हें मुझे दर्द देना चाहिए। समझे? मुझे छोड़ दो।' उसकी आवाज में गुस्सा और नफरत था, जैसे हर शब्द में उसका दर्द और गुस्सा झलक रहा हो।
लेकिन अनर्थ ने गुस्से में आहिरा को अपने कंधे पर उठा लिया। आहिरा उसकी इस हरकत से पूरी तरह चकित हो गई, लेकिन उसने फिर भी अपने हाथ-पैर चलाने की कोशिश की। अनर्थ को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वह उसे अपने साथ ले जाने लगा। आहिरा गुस्से में बोली, 'मुझे छोड़ दो, पागल आदमी। मुझे तुम्हारे साथ कहीं भी नहीं जाना। मैं तुमसे कोई रिश्ता नहीं रखती।'
अनर्थ ने उसकी बात सुनी और गुस्से में और भी कांपते हुए अपनी पकड़ को और मजबूत कर लिया। 'तुम्हें मेरे करीब आने से इतना गुस्सा आता है, तो अब मैं तुम्हारे करीब ही आऊंगा,' उसने ठान लिया। जैसे उसने अपने इरादों को लेकर कोई संकोच नहीं किया हो।
आहिरा ने खुद को छुड़ाने की पूरी कोशिश की, लेकिन अनर्थ की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वह भाग नहीं पा रही थी। उसका गुस्सा और भी बढ़ गया था, और उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी ताकि वह खुद को छुड़ा सके, लेकिन बेकार। अनर्थ ने उसकी हर कोशिश को नाकाम कर दिया।
At ने उसकी बात सुनी और गुस्से में और भी कांपते हुए अपनी पकड़ और मजबूत कर ली। 'तुम्हें मेरे करीब आने से इतना गुस्सा आता है, तो अब मैं तुम्हारे करीब ही आऊँगा,' उसने ठान लिया, जैसे उसने अपने इरादों को लेकर कोई संकोच नहीं किया हो।
Ahira ने खुद को छुड़ाने की पूरी कोशिश की, लेकिन At की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वह भाग नहीं पा रही थी। उसका गुस्सा और भी बढ़ गया था, और उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी ताकि वह खुद को छुड़ा सके, लेकिन बेकार। At ने उसकी हर कोशिश को नाकाम कर दिया।
At ने उसे जबरदस्ती अपनी कार में बिठा लिया और खुद दूसरी साइड बैठकर गाड़ी चलाना शुरू कर दिया।
इरा खुद को छुड़ाकर बाहर निकलने की पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन कार ऑटोमेटिक लॉक थी, जिससे वह बाहर नहीं निकल पाई।
वह At को घूरते हुए बोली, "आप सच में पागल हो चुके हैं! मुझे जाने दीजिए। जब आपको मेरी शक्ल तक नहीं देखनी है, इतनी नफरत है मुझसे, तो फिर मुझे कहाँ और क्यों ले जा रहे हैं? मैं आपके साथ नहीं जाना चाहती।"
At ने गुस्से में अहिरा को जबरदस्ती अपनी गाड़ी में धकेल दिया और ड्राइविंग सीट पर बैठकर गाड़ी स्टार्ट कर दी। अहिरा का दिल तेजी से धड़कने लगा था। उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की, पर गाड़ी ऑटोमेटिक लॉक थी। वह गुस्से में चिल्लाते हुए बोली, "क्या कर रहे हो, At? अगर मुझसे इतनी नफरत है तो मुझे क्यों लेकर जा रहे हो? पागल हो गए हो क्या?"
At ने उसकी तरफ एक बार भी नहीं देखा। उसकी नजरें सीधी सड़क पर थीं, और चेहरे पर वही ठंडापन। जैसे उसके लिए अहिरा के सवालों की कोई अहमियत ही न हो। उसके चेहरे पर एक सख्त खामोशी थी, जो साफ बता रही थी कि वह गुस्से में है। उसने बिना उसकी बातों का जवाब दिए गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी।
अहिरा की आँखों में गुस्सा था, लेकिन कहीं न कहीं उसे At की इस खामोशी से तकलीफ भी हो रही थी। "तुम्हें मेरी परवाह नहीं है, है ना? तुम बस मुझे अपने साथ लेकर चल दिए बिना कुछ सोचे? तुम हर बार सिर्फ मेरी ही गलती क्यों निकाल देते हो?" उसने गुस्से में कहा।
At ने एक गहरी सांस ली, लेकिन उसकी नजरें सड़क से हटी नहीं। उसने रूखे लहजे में जवाब दिया, "तुमसे कुछ चीज़ें explain करना जरूरी नहीं समझता, जानम तुम इतनी खास भी नहीं हो मेरे लिए।"
अहिरा को उसकी बातों में एक अजीब सी बेरुखी महसूस हुई। उसने तंज कसते हुए कहा, "हाँ, तुम्हारे लिए तो कुछ भी जरूरी नहीं है। तुम्हारे actions हमेशा confuse कर देते हैं, जैसे तुम खुद भी नहीं जानते कि करना क्या है।"
At ने एक पल के लिए उसकी तरफ देखा, पर उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। उसने थोड़ा नाराज होते हुए कहा, "बस चुप रहो। अभी मैं ज्यादा mood में नहीं हूँ।"
अहिरा उसकी इस बात पर और गुस्सा हो गई। उसने कार की सीट को कसकर पकड़ा और मुंह घुमा कर खिड़की से बाहर देखने लगी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि At के इस अजीब बर्ताव का मतलब क्या है। उसे कभी-कभी लगता था कि At उसकी कोई फिक्र नहीं करता, जैसे वह बस अपनी ही दुनिया में खोया रहता है।
दूसरी तरफ, अनु घर पर परेशान हो रही थी। उसने देखा कि अहिरा अब तक घर नहीं आई है। उसने कई बार अहिरा को फोन किया, लेकिन हर बार फोन unreachable आ रहा था। अनु बेचैन होकर अपने बालों को हाथों से पीछे धकेलते हुए बुदबुदाई, "ये लड़की कहाँ चली गई है? फोन भी नहीं लग रहा।"
अनु ने घबराते हुए अपनी कार की चाबी उठाई और घर से बाहर निकल गई। वह सोच रही थी कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो गई हो। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस एक ही बात उसके दिमाग में घूम रही थी—Ahira की safety।
उधर, क्रियांश भी परेशान था। उसने At के चेहरे पर अजीब सा गुस्सा देखा था जब वह निकला था। उसने कई बार At को फोन करने की कोशिश की, लेकिन हर बार फोन बंद मिला। परेशान होकर उसने डेविड को कॉल किया। डेविड ने थोड़ी खीझी हुई आवाज में फोन उठाया, "इतनी रात को फोन क्यों कर रहा है बे? सोने दे मुझे!"
क्रियांश उसकी बात सुनकर फोन को घूरते हुए बोला, "मैंने फोन किया है, साले!" डेविड, प्रियांशु की आवाज सुनते ही, फिर से आँखें बंद किए हुए बोला, "इतनी रात को क्यों फोन किया? कौन सी तेरी गर्लफ्रेंड भाग गई कि जो तुझे रहा नहीं गया?"
डेविड की बात सुनकर क्रियांश ने गंभीर आवाज़ में कहा, "पहली बात तो मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है जो भागेगी, दूसरी बात At कहीं चला गया है और At का फोन नहीं लग रहा है, और मुझे लगता है वो बहुत गुस्से में है। पता नहीं क्या करने वाला है।"
डेविड की नींद अब पूरी तरह उड़ चुकी थी। वह बिस्तर पर उठते हुए बोला, "क्या मतलब? At फोन नहीं उठा रहा? किसकी मौत आई है अब? कौन सा कांड करने वाला है ये बंदा? भगवान, बचा ले तू मुझे इस पागल आदमी से। अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता मैं इसे।"
उसकी बात सुनकर प्रियांशु हँसते हुए बोला, "अब यह तो होने से रहा, कुछ और माँग ले भगवान से, शायद वह मिल जाए, और जल्दी आओ उसे ढूँढते हैं, उसके चेहरे का एक्सप्रेशन मुझे सही नहीं लग रहे थे।"
डेविड उसकी बात सुनकर बोला, "चल, मिलते हैं, पता नहीं किसकी मौत आई है या शायद आ चुकी है, चल इसे ढूँढते हैं, वरना पता नहीं ये क्या कर बैठेगा।"
गाड़ी में, At अब भी अपनी खामोशी में था। उसने कुछ कहा नहीं, लेकिन उसके चेहरे पर वही गुस्सा था। अहिरा को उसकी यह चुप्पी और भी खल रही थी। उसने अपनी आँखें बंद कीं और खुद को संभालने की कोशिश की, "तुम्हारी यही problem है, At। कभी कुछ कहते नहीं हो, और फिर expect करते हो कि सब कुछ समझ आ जाए।"
At ने उसकी तरफ एक नजर डाली, उसकी बातों पर कोई जवाब नहीं दिया, बस गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी। उसकी इस हरकत पर अहिरा और भी खीझ गई। वह चुपचाप खिड़की के बाहर देखने लगी, मन ही मन सोचते हुए कि At कभी नहीं समझेगा कि वह उससे क्या चाहती है।
यह चुप्पी भी एक तरह की लड़ाई ही थी—जहाँ दोनों के बीच कहने को बहुत कुछ था, पर कहने की हिम्मत किसी में नहीं थी।
At ने उसकी तरफ एक नज़र डाली, उसकी बातों पर कोई जवाब नहीं दिया, बस गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी। उसकी इस हरकत पर अहिरा और भी खीझ गई। वह चुपचाप खिड़की के बाहर देखने लगी, मन ही मन सोचते हुए कि At कभी नहीं समझेगा कि वह उससे क्या चाहती है।
यह चुप्पी भी एक तरह की लड़ाई ही थी—जहाँ दोनों के बीच कहने को बहुत कुछ था, पर कहने की हिम्मत किसी में नहीं थी।
At अपनी कार की स्पीड कम करते हुए एक सुनसान से बंगले के पास आकर रुका। यह बंगला काफी पुराना था, जर्जर और वीरान—ऐसा लगता था जैसे यहाँ कोई कभी आता-जाता ही नहीं। At कार से बाहर निकला और अहिरा को खींचकर बाहर लाया, उसे घसीटते हुए अंदर की तरफ ले जाने लगा।
अहिरा घबराते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
"ये कहाँ लेकर आए हो तुम मुझे? छोड़ो मेरा हाथ, मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना है!"
At उसकी बातों को अनसुना करते हुए उसे खींचता रहा। वह सीढ़ियों से ऊपर एक कमरे की तरफ गया, दरवाज़ा खोला और सीधे अहिरा को बाथरूम में धकेल दिया। उसने झट से शॉवर ऑन कर दिया, और अचानक पानी की तेज़ बौछार अहिरा पर गिरने लगी, जिससे वह एक पल के लिए चौंक गई। वह गुस्से में At को घूरकर देखने लगी।
शॉवर का ठंडा पानी उन दोनों के पैरों पर गिर रहा था। At गुस्से में उसकी तरफ बढ़ा, अहिरा के गले को पकड़कर उसे थोड़ा ऊपर उठाया और सख्त आवाज़ में कहा,
"क्या कहा था तुमने? मुझसे दूर रहना चाहती हो? मुझे देखना तक नहीं चाहती? चलो, देखते हैं तुम मुझसे कितना दूर रह सकती हो।"
इतना कहकर, वह अचानक उसके होंठों पर झुका, उसे लगभग अपने होंठों में भरते हुए काटने लगा। अहिरा खुद को छुड़ाने के लिए उसकी छाती पर मारने की कोशिश करने लगी, लेकिन At पर इसका कोई असर नहीं हुआ। उसने उसे कसकर पकड़कर उसके कपड़े झटके से खींचकर फाड़ दिए, जिससे अहिरा का कपड़ा उसके शरीर से अलग हो गया।
अहिरा शर्म और डर के मारे उससे चिपक गई। At उसकी कमर में हाथ डालकर और ज़ोर से उसे अपने पास खींचते हुए, उसके होंठों को छोड़कर उसकी गर्दन पर अपने दाँत गड़ा दिए। धीमी लेकिन सख्त आवाज़ में वह बोला,
"तुम मुझसे दूर जाना चाहती हो ना? लेकिन याद रखो, तुम मुझसे दूर तब तक नहीं जा सकती जब तक मैं तुम्हें जाने न दूँ। और मैं तुम्हें तब तक दूर नहीं जाने दूँगा, जब तक मैं तुम्हें ये न बता दूँ कि तुमने कितनी बड़ी गलती की है। तुम्हारी हर गलती की सजा मिलेगी तुम्हें।"
अहिरा उसकी आँखों में देखते हुए कांपते हुए बोली,
"मैंने कोई गलती नहीं की है, तो फिर सजा किस बात की?"
तभी At उसकी गर्दन पर ज़ोर से काट लिया, जिससे अहिरा की आँखों में दर्द से आँसू आ गए।
At ने अहिरा को और करीब खींच लिया, उसकी आँखों में एक पागलपन सा साफ नज़र आ रहा था। उसने धीरे-धीरे उसके चेहरे के पास जाकर कहा,
"जानम, तुम्हें लगता है कि तुम्हारी ये मासूम सी आँखें मुझे बेवकूफ बना सकती हैं? इतना सब कुछ करने के बाद भी, तुम seriously पूछ रही हो कि मैंने क्या किया?"
वह उसके होंठों के पास आकर रुका, उसकी गरम साँसें अहिरा के होंठों को छू रही थीं। फिर उसने उसकी गर्दन पर अपने होंठ रखे, वहाँ से धीरे-धीरे नीचे कॉलर बोन तक पहुँचते हुए उसने उसे अपनी जीभ से चूमा और फिर एक गहरा काटा। उसकी हर touch में एक दीवानगी थी, एक पागलपन जिसे वह रोक नहीं पा रहा था।
अहिरा की आँखें आँसुओं से भर गईं। उसने रुकते हुए कहा,
"At, उस वक्त मेरी गलती नहीं थी... मैं डर गई थी। कोई भी मेरी जगह होता तो वह भी डर जाता।"
यह सुनते ही At का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने उसे और कसकर अपनी बाँहों में जकड़ लिया, उसके बालों को पीछे करते हुए कहा,
"अगर तुम्हारी गलती नहीं थी, तो किसकी थी, जानम? तुम्हारा यह डर, हर बार मेरा patience तोड़ देता है! तुम्हें लगता है, मैं नहीं समझूँगा? तुम मुझे पागल कर रही हो!"
वह फिर से उसकी गर्दन पर झुक गया, इस बार ज़्यादा intensity के साथ। उसने उसके कंधे को अपने दाँतों से हल्का सा काटा और फिर अपने होंठ उसके skin पर घुमाने लगा, जैसे उसे अपने निशान छोड़ने थे। उसकी उंगलियाँ अहिरा की पीठ पर अपनी पकड़ को और सख्त कर रही थीं।
अहिरा की आँखों से आँसू बहने लगे, उसकी साँसें तेज हो गईं, लेकिन उसकी जुबान से कुछ निकल नहीं पाया। At के शब्द, उसका स्पर्श, उसकी दीवानगी—सब अहिरा को अंदर तक झकझोर रहे थे।
वह गुस्से में उसे वहीं छोड़कर बाहर निकल गया। अहिरा ने उसे जाते हुए देखा, उसकी आँखों में आँसू थे। बाहर आकर वह सीधा बालकनी में गया, हाथ में रेड वाइन की बोतल लिए, और वहीं से पीने लगा। चाँद की तरफ देखकर वह बस घूरता रहा, समझ नहीं पा रहा था कि उसने अहिरा को इतनी easily कैसे छोड़ दिया। उसे दर्द देना चाहता था, उसकी तड़प देखना चाहता था, फिर भी यूँ ही जाने दिया।
तभी पीछे से अहिरा की आवाज़ आई,
"मुझे कपड़े चाहिए।"
उसकी आवाज़ सुनकर उसने पीछे मुड़कर देखा। अहिरा सिर्फ़ एक तौलिये में खड़ी थी, उसके शरीर पर पानी की बूँदें मोतियों की तरह चमक रही थीं। उसकी नज़रें वहीं अटक गईं, और दिल की धड़कनें तेज हो गईं। समझ ही नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है। खुद को कंट्रोल करते हुए बोला,
"मेरे पास तुम्हारे लिए कोई कपड़े नहीं हैं, जो है, उसी से काम चला लो।"
अहिरा गुस्से में बोली,
"तो मैं क्या पहनूँ?"
उसकी बात सुनकर वह कड़क आवाज़ में बोला,
"मुझे नहीं पता, यहाँ से चली जाओ। मुझे तुम्हारी शक्ल तक नहीं देखनी है।"
यह सुनते ही अहिरा गुस्से में उसके पास आकर बोली,
"जब मेरी शक्ल नहीं देखनी थी, तो जबरदस्ती यहाँ क्यों लेकर आए? और अब इस हालत में मैं बाहर कैसे जा सकती हूँ?"
वह उसकी बातों को ignore करता रहा और फिर से बोतल से वाइन पीने लगा। यह देखकर अहिरा का गुस्सा और बढ़ गया। उसने उसके हाथ से बोतल छीन ली, और अपने होठों से लगा ली। एक झटके में पूरी वाइन गटक गई। इससे पहले कि वह कुछ react करता, अहिरा ने पूरी बोतल खाली कर दी और जैसे ही बोतल खाली हुई, उसे नीचे फेंक दिया। फिर नशीली आँखों से उसको देखने लगी।
वह उसकी बातों को अनसुना कर बोतल से वाइन पीने लगा। यह देख अहिरा का गुस्सा और बढ़ गया। उसने उसके हाथ से बोतल छीन ली और अपने होठों से लगा लिया। एक झटके में पूरी वाइन गटक गई। इससे पहले कि वह कुछ प्रतिक्रिया दे पाता, अहिरा ने पूरी बोतल खाली कर दी और खाली बोतल नीचे फेंक दी। फिर नशीली आँखों से उसे देखने लगी।
अहिरा ने गुस्से में झूमते हुए उसके कॉलर को और कसकर पकड़ लिया। उसकी नशीली आँखें सीधे उसकी गहरी हरी आँखों से टकरा रही थीं। अहिरा ने धीमे, लेकिन गुस्से में कहा, "तुम्हें क्या लगता है, तुम मुझे परेशान करोगे और मैं कुछ नहीं कहूँगी? अरे, तुमने मुझे क्या समझ रखा है? मैं कोई ऐसी-वैसी लड़की नहीं हूँ जो सब चुपचाप बर्दाश्त कर ले।"
उसने अपनी बात पूरी करते हुए उसका कॉलर झटका और उसके इतने करीब आ गई कि उनकी साँसें आपस में टकराने लगीं। दूसरी तरफ, At का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था। उसकी हरी आँखें अब क्रोध से चमकने लगी थीं। उसने एक झटके में अहिरा के हाथों से अपना कॉलर छुड़ाया और अपनी भरी हुई आवाज़ में बोला, "अहिरा, अपनी हद में रहो! यह तुम्हारा नशा बोल रहा है, वरना तुम मुझसे ऐसे बात करने की हिम्मत नहीं कर सकती। और एक बात याद रखो, मुझे ‘तुम’ कहकर बुलाने की भी गलती मत करना। बहुत भारी पड़ेगा तुम्हें।"
अहिरा लड़खड़ाकर एक कदम पीछे हटी, लेकिन फिर तुरंत संभल गई। उसकी आँखें बंद थीं, लेकिन उसके चेहरे का भाव गुस्से और नशे में मिला हुआ था, जैसे वह किसी भी हद तक जा सकती है। उसने फिर से उसकी तरफ देखा और तंज कसते हुए कहा, "हिम्मत? तुम हिम्मत की बात कर रहे हो? और जो तुमने किया वो क्या था? तुमने मुझे 'चुप रहो, अहिरा' कहकर दबाने की कितनी कोशिश की! मैं आज तुम्हें बता दूँ, मैं अब चुप नहीं रहूँगी। और हाँ, तुम क्या करोगे, At? मुझे सज़ा दोगे?"
At ने गुस्से से अपनी मुट्ठी भींच ली। उसकी आवाज़ अब ठंडी और खतरनाक हो चुकी थी। "तुम्हें लगता है, मैं तुम्हारी इन हरकतों को बर्दाश्त करता रहूँगा? तुम होश में नहीं हो, इसलिए तुम्हारी इन बेहूदा बातों का जवाब नहीं दे रहा हूँ। लेकिन तुमने अगर एक कदम और बढ़ाया, तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा।"
अहिरा ने उसकी इस धमकी को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया। उसने एक ऊटपटांग हँसी के साथ जवाब दिया, "अंजाम? वाह, At, तुम्हें लगता है मुझे डर लग रहा है? तुमसे? मैं किसी से नहीं डरती, समझे?"
उसकी बात सुनते ही At का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। उसने एक कदम आगे बढ़ाते हुए अहिरा की बाजू पकड़ ली और उसे कसकर अपनी तरफ खींचते हुए कहा, "चुप हो जाओ, अहिरा! तुम्हारी ये बकवास अब एक शब्द और नहीं सुनूँगा। अगर तुम्हें लगता है कि नशे में तुम मुझे कुछ भी कहोगी और मैं सहन करूँगा, तो यह तुम्हारी सबसे बड़ी गलतफहमी है। तुमने पहले ही हदें पार कर दी हैं।"
लेकिन अहिरा पर At की बातों का कोई असर नहीं हुआ। उसने अपनी बाजू छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन At की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वह खुद को छुड़ा नहीं पाई। उसने तिलमिलाते हुए कहा, "छोड़ो मुझे! At, तुम्हें लगता है तुम मुझे पकड़कर मुझे डरा सकते हो? तुम गलत सोच रहे हो। और सुन लो, मैं वो अहिरा हूँ जो डरती नहीं है। तुम्हारे जैसे घमंडी लोगों को उनकी औकात दिखाने का शौक है मुझे।"
At ने उसे जोर से झटका देते हुए छोड़ दिया और दाँत पीसते हुए बोला, "औकात? अहिरा, तुम औकात की बात कर रही हो? पहले अपने होश संभालो और फिर मुझसे बात करो। यह जो तुम अभी कर रही हो, इसका अंजाम तुम्हारे लिए ही खराब होगा। मैं तुम्हारी बकवास सुनने के मूड में बिल्कुल नहीं हूँ।"
अहिरा लड़खड़ा गई, लेकिन संभलकर खड़ी हो गई। उसने अपनी आँखों में वही गुस्सा और तीखापन बरकरार रखा। "तो सुन लो, At, मैं वो हूँ जो अपने हिसाब से चीजें करती है। तुम्हारे जैसे लोगों को अपनी जगह दिखाना मेरे लिए खेल है। और तुमने मुझे चुप कराने की कोशिश की? भूल जाओ। मैं चुप होने वालों में से नहीं हूँ।"
At ने गुस्से में वाइन की खाली बोतल उठाई और जोर से टेबल पर पटक दी। बोतल की आवाज़ ने कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा भर दिया। उसने गुस्से से भरी आँखों से अहिरा को देखा और कहा, "बहुत हो गया, अहिरा। अब एक शब्द और मत बोलो। तुम यह सब नशे में कर रही हो, वरना तुम्हें अच्छे से पता है कि मेरे साथ इस लहजे में बात करने का क्या अंजाम होता है। और अब तुम यहाँ से नीचे जाओ। अभी।"
लेकिन अहिरा तो जैसे उसकी हर बात को हवा में उड़ा रही थी। उसने एक कदम आगे बढ़ाते हुए कहा, "नशा? तुम्हें लगता है यह नशा बोल रहा है? At, मैं तुम्हें नशे में भी तुम्हारी हकीकत दिखा सकती हूँ। तुम बस देखते जाओ।"
At ने उसे और कुछ कहने से रोकने के लिए अपने हाथ से इशारा किया और दीवार की तरफ पलटकर लंबी साँस ली। उसकी हरी आँखें अब पूरी तरह लाल हो चुकी थीं, और वह पूरी कोशिश कर रहा था कि अपना आपा न खोए।
At ने अपना गुस्सा काबू में करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसकी लाल आँखें उसकी हालत बयां कर रही थीं। उसने दीवार की तरफ पलटकर लंबी साँस ली, फिर अचानक पीछे मुड़ते हुए अहिरा के बालों को कसकर पकड़ लिया। उसकी आवाज सर्द और खतरनाक थी।
"अब तुम पछताओगी, अहिरा। आज तुम्हें पछतावा होगा कि तुमने यह सब किया। नशे में थी या होश में, तुमने मेरे सामने यह बात करने की हिम्मत कैसे की?"
अहिरा का चेहरा डर से सफ़ेद पड़ चुका था, लेकिन उसके पास कहने को कुछ नहीं था। At ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा, "तुम्हारे नशे का इलाज अभी करता हूँ।" यह कहते हुए उसने अहिरा को जोर से धक्का दिया।
अहिरा सीधा स्विमिंग पूल में जा गिरी। पानी में गिरते ही वह बुरी तरह छटपटाने लगी। उसकी चीखें हवा में गूंज रही थीं, लेकिन At वहीं खड़ा उसे देखता रहा, उसके चेहरे पर एक खतरनाक मुस्कान थी।
कुछ पल तक अहिरा की बेबस हालत देखने के बाद, At ने अपने शर्ट के बटन खोले और स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी। उसने झटके से अहिरा को अपनी बाहों में भर लिया। अहिरा डर और घबराहट में जल्दी से At के गले लग गई, उसकी साँसें तेज चल रही थीं।
कुछ पल तक अहिरा की बेबस हालत देखने के बाद, At ने अपने शर्ट के बटन खोले और स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी। उसने झटके से अहिरा को अपनी बाहों में भर लिया। अहिरा डर और घबराहट में जल्दी से At के गले लग गई; उसकी सांसें तेज चल रही थीं।
दूसरी तरफ, अनु परेशान थी। उसने पूरे घर में अहिरा को ढूंढ लिया, लेकिन उसका कहीं पता नहीं था। उसकी टेंशन बढ़ती जा रही थी। बिना कुछ सोचे-समझे, उसने अपनी कार निकाली और अहिरा को ढूंढने निकल गई।
उधर, क्रियांश की बेचैनी भी अब हद पार कर चुकी थी। उसने बार-बार At को कॉल किया, लेकिन फोन हर बार "नॉट रीचेबल" बता रहा था। उसकी टेंशन बढ़ने के साथ-साथ उसका गुस्सा भी बढ़ रहा था।
"At, तू आखिर है कहाँ?" उसने खुद से बड़बड़ाते हुए कहा।
उसने अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी; उसके दिमाग में कई खतरनाक ख्याल आ रहे थे। उसका गुस्से में भरा चेहरा और तेजी से भागती गाड़ी दूसरे राहगीरों के लिए खतरा बन चुकी थी।
अनु भी हार मानने वाली नहीं थी। उसने अपने दिमाग को शांत रखते हुए एक और रास्ता चुना। उसका दिल कह रहा था कि वह किसी भी हाल में अहिरा को ढूंढ निकालेगी।
रात के अंधेरे में अनु और क्रियांश, दोनों ही अपने दोस्तों को ढूंढने के लिए सड़कों पर भटक रहे थे। दोनों की गाड़ियां तेज रफ्तार से दौड़ रही थीं, और इस बेचैनी में उनकी गाड़ियां एक बार फिर तंग मोड़ पर टकरा गईं।
"अब फिर से?" क्रियांश गाड़ी से उतरते हुए गुस्से में बोला। "तुम हर बार सामने आ ही जाती हो, अनु!"
"सामने मैं नहीं आती, तुम अपनी गाड़ी सही चलाना सीख लो।" अनु ने पलटकर जवाब दिया।
"मुझे वक्त मत सिखाओ! अपनी गलती कभी मानती ही नहीं।"
अनु की नजर अचानक दूर खड़े डेविड पर पड़ी। वह बिना कुछ बोले उसकी ओर बढ़ी और उसकी शर्ट का कॉलर पकड़ लिया।
"तुम्हारे उसी फ्रेंड At की वजह से मेरी दोस्त गायब है। कहाँ है वह?" अनु ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा। "अगर उसे कुछ हुआ, तो याद रखना, तुम और तुम्हारा वो फ्रेंड At, दोनों नहीं बचोगे।"
डेविड ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की और घबराते हुए बोला, "मैंने कुछ नहीं किया। At ने भी कुछ गलत नहीं किया।"
"झूठ मत बोलो!" अनु ने और जोर से उसका कॉलर खींचा। "तुम दोनों की हरकतों का अंजाम मेरी दोस्त को भुगतना पड़ा, तो मैं तुम्हें छोड़ूंगी नहीं।"
क्रियांश यह सब देखकर गुस्से में आ गया और बीच में दखल देते हुए अनु का हाथ हटाया।
"अनु, यह तरीका नहीं है। हर वक्त किसी का कॉलर पकड़कर सच उगलवाने की कोशिश करती हो, लेकिन इससे कुछ हासिल नहीं होगा।"
"तुम बीच में मत पड़ो, क्रियांश। मैं जानती हूँ, मुझे क्या करना है।"
"और तुम्हारी यही ओवर-एक्शन चीजों को और खराब कर देती है।" क्रियांश अनु को घूरते हुए बोला।
"ओवर-एक्शन? ओह, वाकई?" अनु पलटकर बोली। "तुम्हारी इस दिमागी फिलॉसफी से कौन-सा सच सामने आ गया?"
"कम से कम मैं चीजों को सही तरीके से संभालने की कोशिश कर रहा हूँ।"
अनु ने डेविड का कॉलर छोड़ते हुए गुस्से में क्रियांश की तरफ देखा और तेज आवाज में बोली, "तुमसे चीज़ें संभलती नहीं, और अब उल्टा मुझसे लड़ रहे हो! अगर तुम्हारे फ्रेंड की वजह से मेरी फ्रेंड को कुछ हुआ, तो मैं तुम्हें और तुम्हारे उस फ्रेंड को बिलकुल भी नहीं छोड़ने वाली। समझे तुम?"
डेविड ने जैसे ही राहत की सांस ली, क्रियांश ने उसकी तरफ देखा और फिर अनु को घूरते हुए बोला, "तुम्हें अपनी बकवास करने के अलावा कुछ आता भी है? अपनी दोस्त को ढूंढने में वक़्त लगाओ, समझीं? और अब हटो मेरे रास्ते से!"
अनु गुस्से से उसकी गाड़ी के सामने खड़ी हो गई और दृढ़ता से बोली, "मैं कहीं नहीं हटने वाली जब तक मेरी फ्रेंड सही-सलामत वापस नहीं आ जाती। मुझे मेरी फ्रेंड चाहिए, वो भी बिल्कुल ठीक-ठाक। और हाँ, तुम जैसे लोग मुझे डराने की कोशिश मत करना।"
क्रियांश ने झुंझलाते हुए अनु की तरफ कदम बढ़ाए और उसे थोड़ा गाड़ी की तरफ धकेलते हुए ठंडी लेकिन सख्त आवाज में कहा, "तुम्हारी ये फालतू की ड्रामा बाज़ी यहां किसी काम की नहीं है। अगर अपनी फ्रेंड इतनी इम्पॉर्टेंट है, तो उसे ढूंढने पर फोकस करो। यहां बहस करके वक्त खराब मत करो। और मेरी बात याद रखना, मुझसे उलझने का नतीजा अच्छा नहीं होगा।"
इतना कहकर क्रियांश ने डेविड के साथ अपनी गाड़ी में बैठते हुए गाड़ी स्टार्ट कर दी। अनु वहीं खड़ी, क्रियांश को गुस्से से देखते हुए, अपनी मुट्ठियां भींचकर बोली, "तुम्हें तो मैं ठीक से पहचानती भी नहीं थी, लेकिन अब तुम्हें अच्छे से जान जाओगी। मेरी फ्रेंड मिल जाने दो, उसके बाद मैं तुम्हें बताऊंगी कि अनु नाम की ये लड़की क्या चीज़ है। तुम जैसे खुद को कुछ ज्यादा ही समझने वालों को अपनी असली औकात दिखाने में मैं माहिर हूँ।"
क्रियांश ने अनु की बात को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए गाड़ी आगे बढ़ा दी। लेकिन उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई, जैसे उसे अनु की इस हरकत से कोई खास फर्क ही नहीं पड़ा। वहीं अनु गुस्से से खड़ी रही, अपनी फ्रेंड के लिए बेचैन और क्रियांश को सबक सिखाने की ठान चुकी थी।
वहीं दूसरी तरफ, अहिरा डरे हुए At को गले लगा रखी थी। लेकिन तभी अचानक At ने उसके बालों में हाथ डालकर कसकर अपनी मुट्ठी में भरकर खुद से अलग करके उसकी आँखों में देखने लगा। अहिरा भी उसे अपने नशीले आँखों से देख रही थी। तभी At ने अपने होंठ अहिरा के होंठ पर रख दिए, लेकिन नशे की वजह से अहिरा ने At को दूर नहीं किया, बल्कि वह भी उसे किस करने लगी।
वहीं दूसरी तरफ, अहिर डरे हुए At को गले लगा रखी थी। लेकिन तभी अचानक At ने उसके बालों में हाथ डालकर, कसकर अपनी मुट्ठी में भरकर, खुद से अलग करके उसकी आँखों में देखने लगा। आहिरा भी उसे अपने नशीले आँखों से देख रही थी।
तभी At ने अपने होंठ आहिरा के होंठों पर रख दिए। लेकिन नशे की वजह से आहिरा ने At को दूर नहीं किया, बल्कि वह भी उसे किस करने लगी।
कुछ देर तक आहिरा को पैशनेटली किस करने के बाद, At हल्का सा पीछे हुआ, जैसे उसकी साँस लेने का इंतज़ार कर रहा हो। लेकिन इससे पहले कि आहिरा कुछ समझ पाती, At ने फिर से उसे अपने करीब खींच लिया। उसकी उंगलियाँ आहिरा के बालों में कस के लिपट चुकी थीं, और उसने अपनी पकड़ आहिरा की कमर पर और मज़बूत कर ली।
आहिरा उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी, पर At का जोश और बढ़ता जा रहा था। उसने आहिरा के होंठों को अपने होंठों से इस तरह कैद कर लिया, जैसे उसके होंठों के लिए कितने दिनों से प्यास है। कभी वह उसके निचले होंठ को हल्के से चूसता, तो कभी पूरे होंठों को अपने में समेट लेता। धीरे-धीरे उसने अपनी जीभ आहिरा के होंठों से होते हुए उसके मुँह के अंदर पहुँचा दी, जहाँ वह हर कोने को अपनी जीभ से एक्सप्लोर करने लगा।
आहिरा की धड़कनें तेज हो चुकी थीं, और उसकी साँसें अनियंत्रित थीं। At का दूसरा हाथ अब आहिरा की शर्ट के अंदर जा चुका था; उसकी उंगलियाँ उसकी नाज़ुक स्किन को छू रही थीं। इस स्पर्श से आहिरा का शरीर काँपने लगा। वह असहज होकर At के कंधों को पकड़ने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी पकड़ कमज़ोर पड़ रही थी।
At की पैशनेट किस और उसके छूने का असर आहिरा पर साफ़ दिखाई दे रहा था। उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद हो रही थीं, और उसकी साँसें और गहरी हो गई थीं।
दूसरी तरफ, अनु, क्रियांश और डेविड तीनों ही At और आहिरा को खोजने में लगे थे, पर तीनों को पता नहीं चल रहा था। वहीं अनु का पारा और गरम हो रहा था।
दूसरी तरफ, Ak हाउस में, Ak इस वक़्त अपने रूम में था। माही उसके पास आकर उसे घूरते हुए बोली, "आपको कुछ पता भी है?"
Ak उसकी बात सुनकर, उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए, उसके ग़र्दन में झुकते हुए बोला, "पता है, चिल्ली फ्लेक्स। ये हमारे रोमांस का टाइम है।"
इतना बोलकर उसने उसके ग़र्दन पर अपने होंठ रख दिए। वहीं माही उसकी बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करके उसे दूर करते हुए बोली, "मिस्टर डेमोंन, आपको क्या हर वक़्त यही सब समझ में आता है? आपको पता भी है, At अपने कमरे में नहीं है, इस घर में है। मुझे डर लग रहा है, कहीं वह फिर से हमें…"
माहि की बात सुनकर Ak बोला, "डॉन'ट वरी, चिल्ली फ्लेक्स। सो हमें छोड़कर कहीं नहीं जाएगा। और रही बात कमरे में न होने की, तो वह जहाँ है, सेफ़ है और बिजी भी।"
माही Ak की बात सुनकर सवालिया नज़रों से देखते हुए बोली, "बिजी?"
Ak एक्सप्रेशनलेस चेहरे के साथ बोला, "तुम मुझे डिस्टर्ब करना बंद करो। और ये टाइम मेरे और तुम्हारे रोमांस का है। तुम मुझे डिस्टर्ब करो तो यह मुझे बर्दाश्त नहीं है, चिल्ली फ्लेक्स।"
इतना बोलकर वह उसे बेड पर धक्का दे देता है, जिस वजह से माही सीधे बेड पर जाकर गिर गई। इससे पहले कि माही कुछ रिएक्ट करती, Ak उसके ऊपर जाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख देता है। माही उसे खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगती है, लेकिन Ak उसके दोनों हाथों को पकड़ कर ऊपर करके अपने एक हाथ में पकड़ लेता है और दूसरे हाथ से उसके नाइटी की डोरी खोलना स्टार्ट कर देता है। ये देख माही का पूरा शरीर काँप रहा था।
इतना बोलकर उसने उसे बेड पर धक्का दे दिया। माही सीधे बेड पर गिर गई। इससे पहले कि माही कुछ रिएक्ट करती, उसने ऊपर जाकर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। माही ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उसने उसके दोनों हाथों को पकड़कर ऊपर उठा लिया और एक हाथ में पकड़ लिया। दूसरे हाथ से उसने उसकी नाइटी की डोरी खोलना शुरू कर दिया। माही का पूरा शरीर काँप रहा था।
माही को अच्छे से पता था कि वह अब रुकने वाला नहीं है, फिर भी वह उसे रोक रही थी। लेकिन वह कहाँ मानने वाला था? वह उसे यूँ ही किस करता जा रहा था।
माही बिस्तर पर लेटी थी, और वह उसके ऊपर पूरी तरह से झुका हुआ था। उसकी उंगलियाँ माही के बालों में उलझ रही थीं, और उसकी आँखें माही की आँखों में गहराई तक उतर रही थीं। माही ने उसकी ओर देखने की कोशिश की, लेकिन उसकी धड़कनें इतनी तेज थीं कि वह कुछ कह नहीं पा रही थी।
उसने धीरे-धीरे उसके होठों को छोड़ा और अब उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए। माही ने हल्के से उसकी शर्ट की कॉलर पकड़ी, जैसे उसे रोकने की कोशिश कर रही हो, लेकिन वह उसके प्यार में कहीं खोने लगी।
"चिल्ली फ्लैक्स, अब कोई फासला नहीं," उसने धीमे से कहा और उसके होंठों को अपने होंठों से छू लिया। कमरे में सिर्फ उनकी गहरी साँसों की आवाजें रह गई थीं।
फिर धीरे से उसके पास से हटते हुए, उसने उसकी नाइटी को झटके से उसके शरीर से फाड़कर अलग कर दिया।
"ये क्या कर रहे हैं Mr. डेमोन?" माही ने खुद को कवर करते हुए कहा।
वह उसकी बात सुनकर सेडेक्टिव वॉइस में बोला, "तुमसे प्यार करता हूँ, तुम्हें पूरी तरह से महसूस करना चाहता हूँ आज पूरी रात। बहुत दिन हो गए एक-दूसरे को यूँ महसूस किए।"
माही ने उसकी बात सुनकर कहा, "क्या कर रहे हैं Mr. डेमोन? ये उम्र हमारे रोमांस की नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के रोमांस की है। कुछ तो अपनी उम्र का लिहाज कीजिए।"
वह उसकी बात सुनकर माही को अपनी डार्क ग्रीन आँखों से घूरते हुए बोला, "चिल्ली फ्लैक्स, रोमांस का कोई उम्र नहीं होता। ऐसा लगता है तो आज मैं तुम्हें अच्छे से सर्टिफाइड करूँगा।"
माही उसकी बात सुनकर डरते हुए ना में सिर हिलाती है, लेकिन वह किलर स्माइल के साथ उसके ऊपर झुकता है और उसके गर्दन पर बाइट कर लेता है, जिससे माही की आह निकल जाती है।
माही उसे अपने दोनों हाथों से धकेल रही थी, पर उसे हिला पाना उसके लिए बहुत मुश्किल था। वह उसे हिला नहीं पा रही थी। वहीं वह उसके गर्दन पर अपने हाथ रखकर किस करना शुरू कर दिया। यह होते ही माही की आँखें अपने आप बंद हो गईं और वह लंबी-लंबी साँसें लेने लगी।
यह महसूस होते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसके हाथ उसके पूरे शरीर पर चलने लगे, साथ ही साथ उसके होठ भी। जिसे महसूस करते हुए माही पूरी तरह से मचल रही थी।
उसने उसके गर्दन से होते हुए क्लैविकल पर बाइट और किस करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा। वहीं माही का हाथ भी उसके बालों में चलने लगा, साथ ही साथ उसकी सिसकियाँ भी निकल रही थीं। जो उसे मदहोश करने के लिए काफी थीं। उसे यूँ सिसकियाँ लेते हुए देखकर,
उसने माही की कमर को कसकर पकड़ते हुए, उसके कान के पास जाकर धीरे से फुसफुसाया,
"तुम्हें पता है, चिल्ली फ्लैक्स... तुम्हारी ये सिसकियाँ मेरा सबसे बड़ा जुनून हैं। और तुम्हारा ये चेहरा... इसे देखना मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी।"
(उसकी गर्दन से होते हुए, अपने होंठ नीचे की ओर ले जाता है, हल्के से उसकी त्वचा पर दांत गड़ाते हुए मुस्कुराता है।)
"तुम्हारी ये नाज़ुक त्वचा... इसे छूने का हक सिर्फ मुझे है। और मुझे पूरा यकीन है, मैं इसे बर्बाद नहीं, बल्कि और खूबसूरत बनाने वाला हूँ।"
माही ने साँसें तेज़ करते हुए, अपनी उंगलियाँ उसके बालों में उलझाते हुए कहा,
"Mr. डेमोन.. आप इतने बेशर्म कैसे हो सकते हो?"
वह हँसते हुए, उसकी आँखों में गहराई से देखते हुए बोला,
"बेशर्म? हाँ, बेशर्म तो हूँ, और ये बेशर्मी सिर्फ तुम्हारे लिए है। वैसे... मुझे बेशर्म बनने का और मौका दोगी, या अभी रोक दोगी?"🔥
(माही की सिसकियों को और गहरा महसूस करते हुए, उसकी कमर पर अपनी उंगलियां धीरे-धीरे घुमाते हुए)
"तुम्हारे ये हर छोटे से छोटे रिएक्शन, चिल्ली फ्लैक्स... ये मुझे और पागल कर रहे हैं। लगता है, तुम्हें दीवाना बनाने का मेरा मिशन पूरा हो रहा है। अब तुम्हारी बारी है मुझे रोकने की... अगर रोक सको तो।"
(माही जवाब देने के बजाय, अपने हाथ उसकी शर्ट के कॉलर पर कसती है, जिससे वह और भी पास आ जाता है।)
उसने उसके होंठों के करीब जाकर धीमी आवाज़ में कहा,
"तुम्हारी खामोशी सब कुछ कह रही है। लेकिन चिल्ली फ्लैक्स, आज रात... मैं और तुम और तुम्हारी सिसकियों की आवाज़ गूंजेगी। कोई शिकायत, कोई रोक-टोक... कुछ नहीं चलेगा। समझी?"
इतना बोलकर उसने अपनी शर्ट रिमूव कर दी, फिर अपने लिवर को भी निकालकर फेंक दिया। जिसे देखकर माही ने अपनी आँखें बंद कर लीं।
माही को देखकर वह मुस्कुराते हुए उसके कान के पास जाकर बोला, "तुम तो ऐसे शर्मा रही हो चिल्ली फ्लैक्स, जैसे फ़र्स्ट टाइम मुझे ऐसे देख रही हो। अब तुम्हारे बेटे की शादी की उम्र हो गई, लेकिन तुम अभी भी बिलकुल वैसी ही हो!"
उसकी बात सुनकर माही कुछ नहीं बोली। उसने फिर अपने बचे हुए कपड़े रिमूव कर दिए। इस वक्त दोनों के बॉडी पर एक भी कपड़ा नहीं था।
फिर उसने उसके कमर से नीचे जाकर अपने होंठ रख दिए, जिस वजह से माही की सिसकियाँ निकलने लगीं और वह पूरी तरह से मूँह करने लगी। उसने अपनी हरकतें बहुत तेज कर दीं, जिस वजह से माही की सिसकियाँ तेज हो रही थीं। उसने एक हाथ से माही की कमर को पकड़ रखा था और दूसरा हाथ उसकी अप्पर बॉडी पर था जिस पर वह अपना दबाव बढ़ा रहा था।
15 मिनट उसे किस और चूमने के बाद वह वहाँ से उठकर माही के फेस को देखा, जो कि अपने होठों को बाइट कर रही थी।
उसने माही के कान के करीब जाते हुए, उसकी सिसकियों को सुनकर हल्के से मुस्कुराते हुए कहा,
"तुम्हारी ये सिसकियाँ... मेरे सब्र की आखिरी हद को तोड़ने की पूरी तैयारी में हैं। लेकिन रुको, चिल्ली फ्लैक्स, मैं उतना जल्दी हार मानने वालों में से नहीं हूँ। पहले तुम्हें पूरी तरह से दीवाना बनाना है, फिर खुद को बेकाबू करना है।"
इतना बोलकर वह उसके अप्पर बॉडी पर जहाँ वह अपने हाथों का दबाव बना रहा था, वहीं पर अपने हाथ रखकर दबाव बढ़ाने लगा, और दूसरे हाथ से दबाव बढ़ाने लगा। माही पूरी तरह से बेचैन हो गई थी।
"क्या तुम जानती हो, तुम्हारी ये मीठी सिसकियाँ मेरे लिए सबसे खतरनाक हथियार हैं? और मैं खुश हूँ कि ये हथियार सिर्फ मेरे खिलाफ इस्तेमाल होते हैं।"
उसने उसके ऊपर बॉडी पर अपने होंठ रख दिए, और उसे किस करने लगा। दूसरे हाथों से दबाव बढ़ाने लगा। उसके पूरे शरीर पर अपने हाथ चलाने लगा, जिससे माही बेचैन हो रही थी। माही के हाथ भी उसके बॉडी पर चलने लगे थे और उसकी सिसकियाँ और तेज होने लगी थीं। वही सिसकियाँ बता रही थीं कि वह कितनी बेचैन हो चुकी है उसके हर एक मूवमेंट से!
वह धीरे-धीरे माही की ओर देखते हुए, उसकी आँखों में खोते हुए बोला,
"तुम्हारी हर साँस, हर सिसकी... मेरे लिए इजाज़त का सबसे बड़ा सबूत है। तो बताओ, आगे का सफर तुम्हारी रजामंदी से शुरू करूँ, या तुम्हारी सिसकियाँ ही काफी हैं?"
माही ने मदहोश आवाज़ में कहा, "प्लीज Mr. डेमोन, अब और मत तड़पाओ ना, अब मैं और नहीं बर्दाश्त कर सकती।"
माही की बात सुनकर उसके चेहरे पर किलर स्माइल आ गई। बिना वक्त गँवाए वह उसके अंदर पूरी तरह से समा गया।
इस वक्त दोनों की सिसकियों की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी। माही भी उसकी लगातार साथ दे रही थी। कमरे का माहौल पूरा गर्म हो चुका था। दोनों एक-दूसरे के प्यार में खो गए थे।
"तुम्हारी हर साँस, हर सिसकी... मेरे लिए इजाज़त का सबसे बड़ा सबूत है। तो बताओ, आगे का सफर तुम्हारी रजामंदी से शुरू करूँ, या तुम्हारी सिसकियाँ ही काफी हैं?"
उसकी बात सुनकर माही ने मदहोश आवाज़ में कहा, "प्लीज मिस्टर डेमोन अब और मत तड़पाओ न, अब मैं और नहीं बर्दाश्त कर सकती।"
माही की बात सुनकर उसके चेहरे पर किलर स्माइल आ गई। बिना वक्त गँवाए वह उसके अंदर पूरी तरह से समा गया।
इस वक्त दोनों की सिसकियों की आवाज पूरे कमरे में गुंज रही थी। माही भी उसकी लगातार साथ दे रही थी। कमरे का माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका था। वे एक-दूसरे के प्यार में खो गए थे।
दूसरी तरफ, स्विमिंग पूल का पानी हल्का ठंडा था, लेकिन माहौल पूरी तरह से गर्म था। पूल की हल्की रोशनी उनके भीगे हुए जिस्मों पर पड़ रही थी, और उनकी हरकतें लहरों के साथ तालमेल बना रही थीं।
अहिरा ने अपने भीगे बालों को पीछे किया; पानी की बूंदें उसके चेहरे और गर्दन से फिसल रही थीं। At की नज़रें उस पर टिक गईं। वह बिना एक शब्द बोले उसके करीब आया। उसकी सांसें तेज हो गईं, और उसने अहिरा को अपनी बाहों में खींच लिया।
अहिरा का जिस्म पूरी तरह से पानी में डूबा हुआ था, लेकिन At के हाथ उसकी पीठ पर फिसल रहे थे। उसने धीरे-धीरे उसकी कमर को पकड़ा और उसे अपनी ओर खींचा। दोनों के जिस्म अब इतने करीब थे कि उनके बीच पानी की एक बूंद भी न ठहर सके।
अहिरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं, जब At के होंठ उसकी गर्दन के पास आए। उसने अपनी उंगलियों को उसकी भीगी हुई पीठ पर फिराया, और उसकी सांसें और गहरी हो गईं।
पानी की हल्की लहरें उनके चारों तरफ घूम रही थीं। At ने अहिरा को अपनी बांहों में कस लिया और उसे पूल की दीवार तक ले गया। उसके हाथ अहिरा के बालों को सहलाते हुए उसके कंधों तक गए।
अहिरा ने हल्की सी सिहरन के साथ उसकी पीठ पर अपने हाथ फिसलाए। At ने उसकी कमर को अपने हाथों में जकड़ लिया, और उनका हर स्पर्श जैसे आग की लपटें पैदा कर रहा था।
उनके जिस्म अब पूरी तरह से एक-दूसरे में खो चुके थे। पानी की लहरों के बीच, उनके हर मूवमेंट से एक अलग ही लय बन रही थी। पूल का सन्नाटा अब उनकी बढ़ती सांसों और पानी के छींटों से भर चुका था।
अहिरा पूरी तरह से नशे में थी; उसकी आँखें झुकी हुई थीं और हरकतें धीमी थीं। At के चेहरे पर एक अजीब सी झलक थी—वाइन और अपनी ख्वाहिशों का मिला-जुला असर। उसने बिना कुछ कहे अहिरा को अपनी ओर खींचा और झटके से उसका शर्ट उतार दिया।
अहिरा थोड़ी लड़खड़ाई, लेकिन विरोध नहीं किया। At के होंठ उसके गले पर उतर आए। उसकी उंगलियां अहिरा की कमर पर सरक रही थीं, और वह उसे अपनी गोद में उठाते हुए बेडरूम तक ले गया।
दरवाजा खोलते हुए उसने अहिरा को बेड पर लिटा दिया। बिना किसी रुकावट के उसने उसके भीगे बालों को पकड़ते हुए उसके होंठों को चूम लिया। उसकी हर हरकत में एक पागलपन था, जैसे वह किसी होश में नहीं था।
अहिरा हल्के से बड़बड़ाई, लेकिन उसके शब्द समझ नहीं आए। At ने उसे ऊपर खींचा और जोर से पकड़ते हुए उसकी गर्दन पर फिर से अपने होंठ रख दिए। लेकिन तभी...
अचानक, उसने महसूस किया कि अहिरा कोई रिस्पॉन्स नहीं दे रही है। वह थोड़ा पीछे हटा और देखा कि अहिरा की आँखें बंद थीं।
"क्या?" उसने गुस्से से उसे झकझोरते हुए कहा। "तुम सो रही हो?"
अहिरा का सिर हल्के से एक तरफ झुका हुआ था। उसकी नशे से भरी हालत देखकर At का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
"तुम सच में सो गई हो?" उसने झुंझलाहट में कहा, अपने बालों को पीछे करते हुए। उसने अहिरा को फिर से घूरा, जैसे उसकी नींद को तोड़ने की कोशिश कर रहा हो। लेकिन अहिरा गहरी नींद में थी।
"कमाल है," उसने खुद से कहा। "मैं यहां... और तुम यहां सो रही हो?"