"बेवफ़ाई के बीस साल" 💔🔥 प्लॉट: जब प्यार ने हर दीवार गिरा दी, जब वक़्त ने इम्तिहान लिया और जब मोहब्बत ने हर दर्द सहा… तब क्या हुआ जब बीस साल बाद वही मोहब्बत बेवफ़ाई में बदल गई? नीर—जिसने अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा सिर्फ संदीप के नाम किया, जि... "बेवफ़ाई के बीस साल" 💔🔥 प्लॉट: जब प्यार ने हर दीवार गिरा दी, जब वक़्त ने इम्तिहान लिया और जब मोहब्बत ने हर दर्द सहा… तब क्या हुआ जब बीस साल बाद वही मोहब्बत बेवफ़ाई में बदल गई? नीर—जिसने अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा सिर्फ संदीप के नाम किया, जिसके लिए उसका प्यार ही उसकी दुनिया थी। संदीप—जिसने इस प्यार के लिए हर हद पार की, हर बंधन तोड़ा, और नीर को अपनी दुनिया बना लिया। शादी के बाद उनकी ज़िंदगी किसी खूबसूरत ख्वाब से कम नहीं थी। चार बच्चे हुए, और नीर की मोहब्बत को पूरी दुनिया मिसाल मानती थी। सबसे बड़ी बेटी, जो हमेशा अपने माता-पिता के प्यार को आदर्श मानती थी, वो पहली बार अपने घर की बुनियाद को हिलता देख रही थी। पर फिर... बीस साल बाद सब बदल गया। जिस संदीप ने नीर को पाने के लिए ज़माने से बग़ावत की थी, वही अब किसी और की बाहों में था। नीर के लिए ये सिर्फ बेवफ़ाई नहीं थी, ये उसकी पूरी ज़िंदगी का टूट जाना था। वो जो हर दिन संदीप के लिए दुआ करती थी, आज उसी का नाम किसी और के लबों पर था। पर सबसे ज़्यादा टूट चुकी थी उनकी बड़ी बेटी, जिसने हमेशा अपने पिता को एक आइडियल इंसान माना था। आज उसके अंदर सिर्फ सवाल थे— "क्या प्यार सच में मर जाता है?" "क्या मम्मी का हर दर्द, हर कुर्बानी सिर्फ एक धोखा थी?" "क्या हम सब एक अधूरी कहानी का हिस्सा हैं?" 💔 अब नीर क्या करेगी? क्या वो इस रिश्ते को टूटने से बचाएगी, या अपने दर्द को सीने में दफ़न कर एक नई राह चुनेगी? क्या संदीप को अहसास होगा कि उसने क्या खो दिया, या ये मोहब्बत हमेशा के लिए एक अधूरी दास्तान बन जाएगी? और सबसे अहम सवाल— क्या बच्चे अपने पिता को माफ़ कर पाएंगे? 📖 पढ़िए— "बेवफ़ाई के बीस साल" 💔 एक ऐसी कहानी, जो मोहब्बत, वक़्त और बेवफ़ाई के सबसे खौफनाक सच से पर्दा उठाएगी
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जल्दी करो, बहुत देर हो रही है। पता नहीं सुबह से क्या कर रहे थे, जो अब इतना समय लग रहा है। अरे, आज ही हमें बारात लेकर निकलना है! और कितना समय लगाओगे? जल्दी करो! सुबह समझा रही हूँ, अपनी-अपनी तैयारी कर लो, लेकिन नहीं, कोई सुनता मेरी बात तब ना! एक औरत चिल्लाती हुई बोली।
"अरे भाग्यवती, क्यों अपना बीपी बढ़ा रही हो? सब हो जाएगा, बारात निकल जाएगी। तुम्हें ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है," एक आदमी उसे औरत को चिल्लाता देख, उसके पास आकर बोला।
"कैसी बात कर रहे हो आप? कैसे परेशान नहीं हूँ? समय देखा है कितना हो गया है? अभी तक बारात नहीं निकली और वो सब वहाँ क्या सोचेंगे हमारे बारे में?"
"आदमी, तुम पहले शांत हो जाओ और यहाँ बैठो," उस औरत के दोनों कंधे पकड़कर सोफ़े पर बिठा दिया और बोला, "और रही उन लोगों की, वो हमारे बारे में क्या सोचेंगे, तो तुम उसकी टेंशन मत करो। क्योंकि उन लोगों को पता है कि बारात वाले घरों में समय लगता है। बस तुम शांत हो जाओ और यह लो, पानी पियो।"
यह दोनों हैं हमारी कहानी के हीरो के माँ-बाबा: मनीष खुराना और उनकी पत्नी, पूजा खुराना। आज इनके बड़े बेटे की शादी है, जिसकी वजह से यह इतनी परेशान हैं। आप लोग तो जानते हैं, अगर घर में शादी हो तो एक माँ बहुत टेंशन लेती है। ऐसा नहीं है कि बाप को नहीं होती, बाप को भी होती है, लेकिन एक माँ को तो कुछ ज़्यादा ही टेंशन होती है। हर वक्त यही सोचती है, पता नहीं वो काम हो पाया होगा या नहीं, किसी चीज़ की कमी तो नहीं रह गई, सब अच्छे से हो गया होगा ना, कोई गड़बड़ तो नहीं है। पता नहीं कितनी टेंशन एक माँ लेती है।
इतने में एक लड़का उन दोनों के पास आया और बोला, "माँ-पापा, आप दोनों यहाँ बैठे हो? चलो, सब तैयार हो गया है। अब आप दोनों भी चलो, जल्दी करो।"
"हाँ, चलो। वैसे भी काफ़ी समय हो गया है," यह बोलकर पूजा और मनीष दोनों ही उस लड़के के साथ चले गए।
यह है इन दोनों का छोटा बेटा, अजय खुराना।
तीन घंटे बाद,
"पूजा जी, क्या बात है? समधी जी, आपने तो बहुत अच्छी तैयारी करी है। किसी चीज़ की कमी नहीं रहने दी।"
"शालिनी जी, कैसी बात कर रही है बहन जी? आज मेरी बेटी की शादी है, तो कैसे कमी रहने दे सकती हूँ? खूब दमदम से अपनी बेटी की शादी करूंगी। आखिर मेरे घर में पहली ही शादी है।"
"पूजा जी, हाँ सही कहा। बहुत अच्छी तैयारी करी है," पूजा ने पूरे हाल में नज़र दौड़ते हुए कहा जो बहुत अच्छी तरह से सजा हुआ था। वहाँ पर जितने भी लोग थे, सब तारीफ़ कर रहे थे। कुछ आपस में बातें कर रहे थे, तो कुछ मौज-मस्ती में।
वहीं दूसरी तरफ़, मनीष और राजेंद्र आपस में बात कर रहे थे।
"मनीष समधी जी, आपने बहुत अच्छी तैयारी करवाई है।"
"राजेंद्र जी, शुक्रिया संदीप जी। मुझे तो लगा था आपको पसंद नहीं आएगी।"
"मनीष जी, पसंद कैसे नहीं आएगी? आपने इतनी मेहनत से करवाई है। पसंद की बात ही नहीं है। और वैसे भी एक पिता की नज़रों में अपनी बेटी के लिए जितना करे कम लगता है। लेकिन आप बेफ़िक्र रहिए, किसी चीज़ की कमी नहीं है। वैसे भी मैंने मना करा था आपसे यह सब करने को, लेकिन आपने फिर भी इतनी अच्छी तैयारी करी। उसी के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ। लेकिन आप को ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, सब सही है, किसी चीज़ की कमी नहीं है।"
राजेंद्र मनीष की बात सुनकर मुस्कुराए और बोले, "मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो आप जैसा समधी मिला है। बहुत से समधी यह चाहते हैं लड़की के घर से जितना ज़्यादा मिले उतना अच्छा है। और एक आप हैं जो यह कह रहे हैं आपने क्यों करवा लिया इतना सब कुछ। मैं भगवान का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ जो मेरी बेटी को आप जैसा परिवार मिला। मुझे आप पर अपनी बेटी की टेंशन नहीं है कि मेरी बेटी आपके घर जाकर कोई परेशानी में रहेगी।"
"मनीष जी, हाँ, इस बात से बेफ़िक्र रहिए। आपकी बेटी को कोई परेशानी नहीं होने दूँगा। क्योंकि वो मेरी बहू नहीं, बेटी है।" राजेंद्र मनीष की बात सुनकर मुस्कुरा दिए।
"राजेंद्र, वैसे आपके बाकी बेटा-बेटियाँ कहाँ हैं?"
"मनीष, दोनों लड़कियाँ तो सीधा अपनी भाभी के पास गई होंगी। और लड़के यहीं कहीं होंगे।"
"राजेंद्र, अच्छा और वैसे संदीप? संदीप को नहीं देखा, वो कहाँ है? पहले भी उससे मुलाक़ात नहीं हुई थी।"
मनीष पीछे इशारा करते हुए बोले, "वो देखो, वो बैठा है संदीप।" राजेंद्र ने पीछे मुड़कर देखा जहाँ मनीष ने इशारा किया था। वहाँ पर एक लड़का सोफ़े पर बैठा मुस्कुराते हुए किसी से बात कर रहा था।
यह है संदीप खुराना, हमारी कहानी का हीरो। वैसे तो यह ज्यादातर ख़डूस रहते हैं, लेकिन आज इनके भाई की शादी है, इसलिए इतने खुश हैं।
"मनीष, वैसे मेरे बच्चों के बारे में पूछ लिया। आप बताओ आपकी बेटियाँ कहाँ हैं? कोई दिख नहीं रही है।"
"राजेंद्र, बेटियाँ अपनी बहन के पास ही हैं।" इधर-उधर देखते हुए बोली, "अभी तो यहीं थी। आपको तो पता है ना, शादी वाले घर में बच्चे कहाँ एक जगह रुकते हैं। कहीं इधर-उधर घूम रहे होंगे।"
"मनीष, हाँ यह तो है। मेरे बाकी के बच्चे नहीं दिख रहे हैं।"
इतने में उन दोनों के पास पूजा और शालिनी पास आईं और बोलीं, "मूर्त का टाइम हो रहा है। जल्दी करो। अगर आप दोनों बातें करते रहेंगे तो शादी कब होगी?"
"मनीष, हाँ हाँ, आ रहे हैं। मैं अभी दूल्हे राजा को बुलवाता हूँ।" मनीष ने संदीप को अपने पास बुलाया। "संदीप, क्या हुआ बाबा? कुछ काम है?"
"मनीष, हाँ संदीप, जाकर अपने भाई को बुला लो। मूर्त का टाइम हो गया है।"
"ठीक है," यह कहकर संदीप वहाँ से चला गया।
थोड़ी देर बाद, संदीप अपने भाई को लेकर आया और मंडप में बिठा दिया।
यह है शान खुराना, संदीप का बड़ा भाई। आज इनकी शादी है।
क्रमशः
पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे।
थोड़ी देर बाद उन्होंने दुल्हन को बुलाने को कहा। राजेंद्र ने सोनाली की तरफ देखा और बोले, "जाइए जाकर बेटी को बुला लाइए।" सोनाली ने हाँ में सिर हिलाया और दुल्हन को बुलाने चली गई।
थोड़ी देर बाद सोनाली दुल्हन को लेकर आई और मंडप में बिठा दिया। पंडित जी ने मंत्र पढ़ना शुरू किया।
"यह है साक्षी वर्मा, और अब वर्मा से यह साक्षी शान खुराना बनने वाली है।"
थोड़ी देर बाद शादी संपन्न हुई, और विदाई की तैयारी होने लगी। साक्षी अपनी माँ शालिनी के गले लगकर रो रही थी। राजेंद्र साक्षी के पास आया, जिसकी आँखें नम थीं, और उन्होंने साक्षी के सर पर हाथ रख दिया। साक्षी अपने बाबा का हाथ अपने सर पर महसूस करके पीछे पलटी और अपने पापा के गले लग गई।
"आई मिस यू पापा, मुझे आपकी बहुत याद आएगी।"
राजेंद्र साक्षी का सर सहलाते हुए बोले, "मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आएगी, लेकिन तुम फिक्र मत करना। जब भी तुम्हें याद आए तो मेरे पास चली आना। और मुझे उम्मीद है, तुम्हारे ससुर के होते हुए कभी मेरी याद नहीं आएगी। वह तुम्हें उतना ही प्यार देंगे जितना मैं तुम्हें देता हूँ। कभी यह मत समझना कि वह तुम्हारा ससुराल है; हमेशा यही समझना कि वह तुम्हारा अपना घर है, जैसे तुम यहाँ पर हम सब के साथ रहती हो, वैसे ही वहाँ पर भी सबके साथ रहना। कभी उनको कोई तकलीफ मत होने देना।"
साक्षी अपने पापा की बात सुनकर बोली, "मैं आपसे वादा करती हूँ पापा, कभी आपकी परवरिश पर उंगली नहीं उठने दूँगी।"
राजेंद्र बोले, "यही उम्मीद थी तुमसे बेटा। चलो अब रोना बंद करो।" यह बोलकर उन्होंने साक्षी के आँसू पोंछे और शान की तरफ देखकर बोले, "बेटा, मेरी बेटी का ध्यान रखना। मानता हूँ वह थोड़ी शरारती है, लेकिन दिल की बहुत अच्छी है। अगर कभी उससे कोई गलती हो जाए तो उसको माफ़ कर देना, उसको डाँटना मत।"
शान राजेंद्र के हाथ पकड़कर बोला, "कैसी बात कर रहे हैं पापा? आपने मुझे अपनी बेटी दी है तो क्या मैं उसको कोई तकलीफ होने दूँगा? हमेशा खुश रखूँगा।"
राजेंद्र शान की बात सुनकर मुस्कुराकर उसके गले लग गए और बोले, "तुमसे यही उम्मीद थी।"
थोड़ी देर बाद राजेंद्र और शालिनी ने साक्षी की विदाई कर दी। थोड़ी देर बाद कार आकर खुराना विला रुकी। पूजा जल्दी से कार से उतरी और घर के अंदर चली गई। शान और साक्षी कार से उतरे और घर की तरफ चल दिए।
जैसे ही वे घर के अंदर कदम रखते हैं, इतने में पूजा जी आरती की थाल लेकर आईं और उन्होंने दोनों की आरती करी और अंदर आने को कहा। साक्षी और शान दोनों अंदर आए। पूजा ने अपनी बेटी की तरफ देखा और बोली, "मीत, जाऊँ भाभी को रूम में लेकर जाओ, थक गई होगी। और हाँ, कोई शरारत मत करना।"
मीत बोली, "माँ, आप कैसी बात कर रही हैं? भाभी नई-नई आई हैं तो इतनी जल्दी में भाभी के साथ कैसे शरारत कर सकती हूँ? अभी भाभी को थोड़े दिन ठहरने दो, फिर बाद में शरारत होती रहेगी।" क्यों भाई? यह कहकर उसने शान की तरफ आँख मार दी।
शान मुस्कुराया और चलकर मीत के पास आकर उसके कान में पड़कर बोला, "खबरदार! अगर मेरी वाइफ को जरा भी परेशान किया तो..."
मीत अपना कान शान से छुड़ाते हुए बोली, "आपकी शादी क्या हो गई? आप तो इतनी जल्दी बदल गए! ऐ भगवान! क्या दिन देखने को मिल रहे हैं! बीबी के आते ही बहन के साथ जुल्म होने लगे! देखो जमाने वालों, कैसा भाई मिला है मुझे!" यह कहकर वह नौटंकी करने लगी।
शान ने मीत के कान छोड़े और बोला, "औ! नौटंकी अपना ड्रामा बंद कर। चल, भाभी थक गई होगी। जा, रूम में लेकर जा।"
मीत ने हाँ में सिर हिलाया और साक्षी के पास आई, जो मुँह पर हाथ रखकर हँस रही थी और बोली, "चलिए भाभी, आप रूम में आराम कर लीजिए, वरना भाई मुझे कभी आराम करने नहीं देंगे। चलिए।" यह कहकर वह साक्षी को कमरे में ले गई।
मीत खुराना
यह पूजा जी की छोटी बेटी है। यह अजय से छोटी है और बहुत शरारती भी। अगर यह एक दिन भी शरारत ना करें, इनका खाना हज़म नहीं होता। और लड़ाकू भी बहुत है, हर किसी से लड़ जाती है, चाहे वो सही हो या गलत।
शालिनी और राजेंद्र मीत की बात सुनकर मुस्कुरा दिए। इतने में उनका सबसे छोटा बेटा वीर आया और बोला, "माँ, मैं और भाई ने सारा सामान रख दिया है। अब मैं थक गया हूँ, सोने जा रहा हूँ।"
"ठीक है, जाओ। और तुम्हारे दोनों भाई कहाँ हैं और बहन?"
"पापा, वह तीनों बाहर हैं, आते ही होंगे। मैं थक गया हूँ, मैं जा रहा हूँ, मुझे अब कुछ मत पूछो।" यह कहकर वह चला गया।
यह है वीर, मनीष जी के सबसे छोटे बेटे। यह भी बहुत शरारती है, बिल्कुल अपनी बहन की तरह, लेकिन उतने ही मासूम।
वीर खुराना
जैसे ही वीर जाने को हुआ, इतने में संदीप, अजय, और आलिया उनके पास आए और संदीप बोला, "पापा, सारा काम हो गया है। जो सामान भाभी के घर से आया था, वो भी मैंने रख दिया है। अब जो होगा, सुबह को देखा जाएगा। अभी सब थक गए हैं, तो जाकर आराम कर ले।" और शान की तरफ देखकर बोला, "आप भी अपने रूम में जाओ, भाभी इंतज़ार कर रही होंगी।" शान ने हाँ में सिर हिलाया और वहाँ से चला गया।
जैसे ही शान अपने रूम में जाने को हुआ, इतने में उसकी दोनों बहनें आकर दरवाज़े पर खड़ी हो गईं और बोलीं, "ऐसे कैसे आप अंदर जा सकते हैं? पहले हमारा नेक दीजिए, जब आपके रूम में जाने की इजाजत मिलेगी, वरना आज रात बाहर ही सोने को मिलेगा।"
शान अपने कमर पर हाथ रखकर बोला, "अरे भाई, तुम दोनों कहाँ से आ गईं? जाओ, बहुत रात हो गई। अपने रूम में सो जाओ। तुम्हें पता नहीं है मैं कितना थक गया हूँ, और तुम दोनों हो मेरा रास्ता रोक कर बैठी हो।"
आलिया बोली, "नहीं, हम अपने रूम में नहीं जाएँगी जब तक आप हम दोनों को नेक नहीं देते।"
क्रमशः
शान ने कहा, "ऐसे कैसे? पहले हमारा पैसा दीजिए। जब जाइए अंदर। आप थक गए हैं, तो हम भी तो थक गए हैं। हमें भी सोने जाना है। जल्दी से हमारा पैसा दीजिए। ज्यादा समय नहीं है हमारे पास।"
"अरे भाई! सुबह-सुबह को ले लियो। अभी मुझे जाने दो। साक्षी मेरा इंतज़ार कर रही होगी।" शान ने कहा।
आलिया ने मीत की तरफ़ देखा और मुस्कुराकर बोली, "तो करने दीजिए। हमें फ़र्क नहीं पड़ता। जब तक आप हमें हमारे पैसे नहीं दे देते, तब तक आप अंदर नहीं जा सकते।"
"शान, तुम मुझे अंदर जाने नहीं दोगी?" आलिया और मीत ने अपनी कमर पर हाथ रखे और ना में सर हिला दिया।
शान ने उनको इस तरह देखकर गहरी साँस ली और अपनी जेब से पैसे निकालकर उनकी तरफ़ बढ़ा दिए। उसने कहा, "जल्दी से अब यहां से दफ़ा हो जाओ, इससे पहले कि मैं ये पैसे छीन लूँ।"
आलिया और मीत पैसे देखकर मुस्कुराए और बोलीं, "अगर नहीं गए तो...?"
शान ने उनकी बात सुनकर कहा, "अच्छा, तो तुम ऐसे नहीं मानोगी? अभी रुको!" यह कहकर वह उन दोनों को मारने के लिए बढ़ा। इतने में मीत और आलिया जल्दी से वहाँ से भाग गईं।
शान ने उन दोनों को जाते देख मुस्कुरा दिया और कमरे में चला गया।
आलिया खुराना
(यह है आलिया, अजय की बड़ी बहन। यह बहुत समझदार है और इतनी ही सीधी।)
खुराना फैमिली
मनीष खुराना ____ उम्र 45 साल
पूजा खुराना ____ उम्र 40 साल
शान खुराना____ उम्र 24 साल
संदीप खुराना ____ उम्र 22 साल (यह शान से छोटे हैं)
अजय खुराना ___ उम्र 20 साल
आलिया खुराना___ उम्र 20 साल (अजय और आलिया दोनों जुड़वाँ हैं)
मीत खुराना ___ उम्र 18 साल
वीर खुराना ___ उम्र 15 साल
(यह है खुराना फैमिली)
सुबह का समय था।
पूजा ने कहा, "जल्दी करो बच्चों, मेहमान आते होंगे।"
अजय ने कहा, "माँ, हमने सारी तैयारी कर दी है। सब चीज़ मैनेज हो गई है। आप बस रिलैक्स हो जाइए।"
पूजा मुस्कुराते हुए बोली, "मेरे बच्चों, अगर तुम नहीं होते तो पता नहीं मैं यह सब कैसे करती।"
अजय ने पूजा को गले लगाकर कहा, "माँ, अब हम तो हैं ना? हम कर लेंगे। बस आप आराम करिए, बाकी हम पर छोड़ दीजिए। आप भाई की शादी के चक्कर में अपना ख्याल रखना बिल्कुल ही भूल गई हैं।"
पूजा ने अजय के गाल पर हाथ रखकर कहा, "बेटा, घर में जब कोई फंक्शन होता है ना, तो ख्याल रखा ही नहीं जाता। कितने काम होते हैं, उनको देखना भी तो पड़ता है। ऐसे में कैसे कोई अपना ध्यान रख सकता है? और वैसे भी मैंने तो अपना ध्यान इतना रख भी लिया, क्योंकि मेरे पास इतने प्यारे बच्चे हैं। लेकिन वे माँ-बाप जिनको एक ही बच्चा होता है, वे कैसे यह शादी की तैयारी करते होंगे, मैं तो सोचा भी नहीं सकती।"
अजय ने कहा, "तो आप मत सोचिए माँ, आप बस अपना ख्याल रखिए। आप यहाँ बैठी हैं, मैं देखता हूँ बाकी का।" यह कहकर उसने पूजा को सोफ़े पर बिठाया और वहाँ से चला गया। थोड़ी देर बाद मनीष आकर पूजा के पास बैठकर बातें करने लगा।
दो घंटे बाद
खुराना फैमिली दरवाजे पर खड़ी वर्मा फैमिली का स्वागत कर रही थी। खुराना फैमिली ने वर्मा फैमिली को अंदर बुलाया। सब आकर सोफ़े पर बैठ गए।
पूजा ने कहा, "पूजा जी, आप लोगों को आने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना?"
शालिनी ने कहा, "नहीं बहन जी, कोई दिक्कत नहीं हुई। हम आराम से आए हैं।" यह कहकर वह मुस्कुरा दी।
पूजा ने सोफ़े पर बैठी एक लड़की की तरफ़ देखकर कहा, "नीर, इधर आओ बेटा मेरे पास।" नीर आकर पूजा जी के पास बैठ गई।
पूजा ने कहा, "बहुत प्यारी बेटी है आपकी यह वाली। बहुत सीधी है, मुझे बहुत पसंद आई आपकी यह बेटी। दिखने में भी बहुत सुंदर है। मैं तो यह सोचती हूँ, आजकल के जमाने में इतनी मासूम लोग होते भी हैं? जितनी हमारी नीर है। इसको तो जैसे कह दो, वह कर देती है।"
राजेंद्र और शालिनी पूजा की बात सुनकर मुस्कुरा दिए।
नीर पूजा जी को देखकर बोली, "दीदी कहाँ हैं?"
पूजा ने कहा, "बेटा, वह तो अपने रूम में है। चलो, मैं तुम्हें लेकर चलती हूँ।"
नीर ने कहा, "नहीं आंटी, आप बैठिए। बस मुझे बता दीजिये किस तरफ़ रूम है, मैं खुद चली जाऊँगी।"
पूजा मुस्कुराती हुई बोली, "ठीक है।" उन्होंने नीर को साक्षी का कमरा बता दिया।
नीर जल्दी से वहाँ से उठी और साक्षी के कमरे की तरफ़ जल्दी-जल्दी चली गई।
निर वर्मा
(हमारी कहानी की हीरोइन। यह हमेशा खुश रहती है। जो कह दो, वह कर देती है। कभी इन्होंने किसी काम के लिए मना ही नहीं किया। और यह बहुत जल्दी इमोशनल भी हो जाती है। किसी की भी मदद करने को हर वक्त तैयार रहती है और जल्दी से किसी से भी घुल-मिल जाती है।)
कुछ घंटों बाद
साक्षी अपनी फैमिली के साथ घर चली गई।
दो महीने बाद
शालिनी ने कहा, "नीर, तुमने अपना सामान पैक कर लिया है? क्योंकि जाने का समय हो गया है।"
नीर शालिनी के पास आई और उनके गले लगकर बोली, "माँ, आप तो ऐसे परेशान हो रही हैं, जैसे कि मेरी शादी हो रही है। मैं तो बस दीदी के घर ही तो जा रही हूँ, क्यों टेंशन ले रही हो?"
शालिनी ने कहा, "हाँ, पता है दीदी के घर जा रही है, लेकिन... जा तो रही घर से। अगर वहाँ पर तुझे किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ गई तो..."
नीर ने कहा, "तो क्या मैं दीदी से माँग लूँगी? सिंपल।"
शालिनी ने नीर के सर पर मारा और बोली, "सिंपल की बच्ची बिल्कुल भी नहीं। तो वहाँ पर साक्षी से कुछ नहीं माँगेगी, समझी?"
नीर ने अपना सर सहलाते हुए कहा, "पर क्यों माँ? मैं अपनी दीदी से कुछ क्यों नहीं माँग सकती हूँ?"
शालिनी ने कहा, "क्योंकि अब उसकी शादी हो गई है इसलिए। और मुझे अब कुछ नहीं सुनना। बस तुम अपनी जो भी ज़रूरत का सामान हो, वो सब रख लेना, ताकि वहाँ पर किसी चीज़ की ज़रूरत ना पड़े। जाओ एक बार और जाकर चेक करो, कोई सामान रह तो नहीं गया।"
"ठीक है, जा रही हूँ। नहीं मांगूंगी कोई चीज़ दीदी से।" यह कहकर नीर वहाँ से चली गई। शालिनी नीर को जाते देख मुस्कुरा दी।
शाम के समय संदीप ऑफिस से घर आया। जैसे ही वह अपने कमरे में जाने को हुआ, किसी के हँसने की आवाज़ सुनकर उसके कदम रुक गए। संदीप आवाज़ की तरफ़ चल दिया। जैसे ही वह हॉल में आया, उसे नीर हँसती हुई दिखाई दी। आलिया और मीत दोनों ही नीर को हँसते हुए देख मुस्कुरा रही थीं। संदीप टुकुर-टुकुर नीर को देखने लगा। मीत की नज़र जैसे ही संदीप पर पड़ी, वह जल्दी से खड़ी हुई और बोली, "भाई, आप यहाँ? आपको कुछ चाहिए क्या?"
संदीप मीत की आवाज़ सुनकर होश में आया। उसने मीत को देखा और ना में सर हिला दिया। जैसे ही वह जाने को हुआ, संदीप ने एक बार और मुड़कर नीर को देखा और फिर वहाँ से चला गया। मीत संदीप को ऐसा जाता देख आलिया की तरफ़ देखकर ना में सर हिला दिया।
आलिया नीर को देखकर बोली, "नीर, चलो रूम में। वहाँ चलकर बात करते हैं।"
नीर ने कहा, "लेकिन यह कौन है जो अभी (जहाँ संदीप गया था, उस तरफ़ इशारा करके) इधर की तरफ़ गए हैं?"
आलिया नीर की बात सुनकर बोली, "वो हमारे बड़े भाई हैं।"
नीर ने कहा, "ओह! यह वही बड़े भाई हैं ना, जो शान जीजू से छोटे हैं?"
मीत ने कहा, "हाँ, यही हैं।"
नीर ने कहा, "ओके। चलो फिर रूम में चलते हैं।"
आलिया ने कहा, "हाँ, चलो।" यह कहकर तीनों रूम में चली गईं।
थोड़ी देर बाद सब लोग बैठकर डिनर कर रहे थे, सिर्फ़ संदीप को छोड़कर। नीर डिनर कर रही थी। उसने अपना सर उठाकर सबको देखा। जब उसे लगा कि यहाँ पर संदीप नहीं है, उसने पूजा जी की तरफ़ देखा और बोली, "आंटी, आपके एक और बेटे हैं ना?" नीर ने अपना हाथ सर पर रखा और सोचती हुई बोली, "हाँ, याद आया, संदीप! हाँ, संदीप भाई, वो नहीं हैं क्या? उनको खाना नहीं खाना है?"
पूजा नीर की बात सुनकर खामोश हो गई और उन्होंने मनीष की तरफ़ देखा। वो कुछ बोलतीं, इतने में शान बोला, "वो क्या है ना, उसको थोड़ा सा काम है। काम करके फिर खाना खाएगा।"
नीर ने हाँ में सर हिला दिया और अपना डिनर करने लगी।
थोड़ी देर बाद सब अपना डिनर करके हॉल में बैठकर बातें करने लगे। नीर हॉल में बैठी मीत और आलिया से बात कर रही थी। मनीष जी आलिया को देखकर बोले, "आलिया बेटा, देखकर आओ। तुम्हारी माँ अभी तक चाय बनाकर नहीं लाई। चाय बना रही है, यह बीरबल की खिचड़ी जो अब तक नहीं बनी। जाओ, जल्दी देखकर आओ।"
आलिया ने कहा, "ओके पापा।" जैसे ही आलिया जाने लगी, इतने में नीर ने आलिया का हाथ पकड़ा और बोली, "तुम बैठो, मैं देखकर आती हूँ।"
आलिया ने कहा, "नहीं नीर, मैं चली जाऊंगी, तुम बैठो।"
नीर ने मासूम चेहरा बनाकर कहा, "प्लीज़ बैठ जाओ ना। मैं जा रही हूँ, मैं देखकर आ जाऊंगी।"
आलिया उसका मासूम चेहरा देखकर मुस्कुराई और बोली, "ठीक है।" नीर खुश होकर आलिया के गले लगी और बोली, "थैंक यू सो मच।" यह बोलकर वहाँ से चली गई।
आलिया ने नीर को इतना खुश देखकर मुस्कुराकर बोली, "कितनी छोटी-छोटी बातों पर नीर, तुम खुश हो जाती हो। बहुत प्यारी हो तुम।" यह बोलकर मुस्कुरा दी। जैसे ही नीर किचन में आई, उसे पूजा परेशान और किसी सुच में गुम दिखीं। चाय जो कब की बन गई थी, वह ऐसे ही रखी हुई थी। नीर ने पूजा जी को ऐसे देखकर उनके कंधे पर हाथ रखा और बोली, "आंटी..."
पूजा नीर की आवाज़ सुनकर होश में आई और उन्होंने पीछे मुड़कर नीर को देखा और मुस्कुराकर बोली, "हाँ, क्या हुआ बेटा? तुम्हें कुछ चाहिए?"
नीर ने कहा, "नहीं आंटी, मुझे कुछ नहीं चाहिए। आप इतनी परेशान क्यों हैं? क्या हुआ?"
पूजा ने कहा, "कुछ नहीं बेटा, कुछ नहीं हुआ। मैं तो बिलकुल ठीक हूँ।"
नीर ने कहा, "आंटी, आप मुझे बताना नहीं चाहतीं तो मत बताइए, लेकिन झूठ तो मत बोलिए कि आप परेशान नहीं हैं। आपके चेहरे से कोई भी पता लगा सकता है कि आप काफ़ी परेशान हैं। अगर आप यह सोचकर मुझे नहीं बता रही हैं कि मैं आपकी कुछ नहीं लगती, तो कोई बात नहीं, मैं नहीं पूछूंगी।"
पूजा ने कहा, "कैसी बात कर रही हो नीर? तुम तो मेरी बेटी जैसी हो। खबरदार अगर तुमने दोबारा ऐसा कहा तो... बहुत पिटूंगी तुम्हें।"
नीर मुस्कुराकर बोली, "ठीक है, नहीं कहूंगी।" पूजा ने कहा, "यही तुम्हारा बेहतर होगा।" यह कहकर उन्होंने नीर की तरफ़ देखा और बोली, "तुमने पूछा था ना मैं क्यों परेशान हूँ?" नीर ने हाँ में सर हिला दिया।
पूजा ने कहा, "संदीप की वजह से।" नीर कन्फ़्यूज़ होकर पूजा की तरफ़ देखी और बोली, "संदीप? संदीप भाई की वजह से क्यों परेशान हैं आप?"
पूजा ने कहा, "क्योंकि संदीप घर में किसी से भी बात नहीं कर रहा है और ना ही खाना खा रहा है। हमसे गुस्सा हो गया है।"
नीर ने कहा, "क्या वह आप सबसे गुस्सा है? पर क्यों?"
नीर की बात सुनकर पूजा बोली, "वो किसी लड़की से प्यार करता था।"
नीर पूजा की बात सुनकर एकदम से बोली, "मैं समझ गई आंटी, आप कहना क्या चाहती हैं। आप बस बेफ़िक्र हो जाइए और... खाना मुझे दीजिए, मैं उनको खाना खिलाकर आती हूँ।"
पूजा परेशान होकर बोली, "नहीं बेटा, तुम उसके पास नहीं जाओगी। वह बहुत गुस्से वाला है। तुम पर गुस्सा करेगा।"
नीर ने कहा, "नहीं करेंगे आप। बस मुझे खाना दीजिए।"
पूजा ने कहा, "पर..."
नीर ने कहा, "आंटी, आप परेशान मत होइए। मैं खाना खिलाकर ही आऊंगी। बस अब खाना दीजिए।"
नीर की बात सुनकर पूजा ने थोड़ी देर उसको देखा और फिर खाना निकालकर उसे दे दिया।
(संदीप किसी लड़की से मोहब्बत करता था, लेकिन वो लड़की संदीप से प्यार नहीं करती थी। उससे टाइम पास करती थी। एक दिन उसने संदीप से ब्रेकअप कर लिया जिससे संदीप बहुत दुःख में था। हर वक़्त उदास रहना, कोई काम ना करना... जिसकी वजह से उसके घर वाले बहुत परेशान हो गए थे। और इसीलिए मनीष जी ने संदीप से कहा था कि तुम कब तक उस लड़की के शोक में रहोगे? बहुत कर ली तुमने अपनी मनमानी। कल से सीधा काम पर जाओ। माँ-बाप सोचते हैं बड़े होकर बच्चे हमें कोई दुःख तकलीफ़ नहीं देंगे और एक तुम हो जो तकलीफ़ों के सिवा कुछ नहीं दे रहे हो। कल से तुम काम पर जाओगे। दोबारा मैं तुम्हें उस लड़की के ख्यालों में ना देख लूँ। यह कहकर मनीष वहाँ से चले गए और संदीप भी गुस्से में अपने रूम में चला गया।)
नीर खाना लेकर संदीप के कमरे में आई। उसने देखा संदीप सोफ़े पर लेटा हुआ मोबाइल चला रहा था। नीर ने थोड़ी देर संदीप को देखा और फिर उसके पास आकर खड़ी हो गई। संदीप को जैसे ही अपने कमरे में किसी की मौजूदगी का एहसास हुआ, उसने सर उठाकर देखा। नीर को देखकर वह जल्दी से खड़ा हो गया और बोला, "तुम... तुम क्या कर रही हो? क्या तुम्हें कुछ चाहिए?"
नीर संदीप की बात सुनकर बोली, "नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं तो आपके लिए खाना लेकर आई हूँ। आप नीचे नहीं आए थे, तो मैंने सोचा कि आपके रूम में ही खाना लेकर आ जाऊँ।"
संदीप ने थोड़ी देर नीर को देखा और फिर बोला, "नहीं, मुझे भूख नहीं है। तुम यह ले जाओ।"
"नीर ऐसे कैसे ले जाऊँ? मैं कितनी मेहनत से लेकर आई हूँ, और आप कह रहे हैं कि ले जाऊँ? बिल्कुल भी नहीं! आपको यह खाना खाना ही होगा।"
नीर की बात सुनकर संदीप अपने मन में बोला, "अजीब ज़बरदस्ती है! और खाना लाने में कितनी मेहनत लगती है, यह तो मुझे आज पता चला। वरना मैं तो समझता था कि खाना बनाने में मेहनत लगती है, लेकिन लाने में... पहली दफ़ा सुन रहा हूँ।"
संदीप खड़ा हुआ और नीर के पास आकर बोला, "तुम कुछ ज़्यादा ही बोलती हो! जब मैंने तुमसे कह दिया है कि मुझे खाना नहीं खाना, तो नहीं खाना, समझी? अब जाओ यहाँ से।"
नीर संदीप की बात सुनकर उदास होकर बोली, "सॉरी, आपको बुरा लगा हो तो... मैं तो बस आपके लिए खाना लाई थी। मेरी माँ कहती हैं कि रात को बिना खाना खाए नहीं सोते। मैंने भी खाना नहीं खाया था, तो मैंने सोचा क्यों ना मैं हम दोनों का खाना आपके रूम में लेकर आऊँ, तो फिर साथ में खाना खाएँगे। लेकिन कोई बात नहीं।" यह बोलकर नीर ने खाना टेबल से उठाया और वहाँ से जाने लगी।
संदीप ने जब नीर की बात सुनी, तो एकदम से बोला, "रुको नीर!"
नीर संदीप की आवाज़ सुनकर मुस्कुराई। वह पीछे पलटी और उदास होकर संदीप की तरफ़ देखने लगी।
संदीप बोला, "ठीक है, मैं खाना खाऊँगा।"
नीर मुस्कुरा कर बोली, "सच में आप खाना खाएँगे?" संदीप नीर को इतना खुश देखकर मुस्कुरा दिया। नीर ने जल्दी से खाना टेबल पर लगा दिया और खुश होकर बोली, "संदीप भाई, जल्दी खाओ वरना खाना ठंडा हो जाएगा।"
संदीप नीर के मुँह से "भाई" सुनकर गुस्से में नीर को घूरते हुए बोला, "मैं तुम्हारा भाई नहीं हूँ! अगर मैंने दोबारा तुम्हारे मुँह से अपने लिए 'भाई' सुन लिया, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। मेरा नाम संदीप है, तुम मुझे संदीप कहकर बुलाओ, ना कि भाई। यु अंडरस्टैंड?"
नीर संदीप की इतनी गुस्से वाली आवाज़ सुनकर उसने जल्दी से हाँ में सर हिला दिया और बोली, "ठीक है, मैं आपको संदीप कहकर ही बुलाऊँगी।"
संदीप नीर की बात सुनकर खाना खाने बैठ गया और नीर की तरफ़ देखा जो खड़ी थी। उसने कहा, "तुम खड़ी क्यों हो? अब क्या तुम्हें खाना नहीं खाना? आओ जल्दी, अभी तुमने कहा था ना खाना ठंडा हो जाएगा। चलो, आओ बैठो।"
नीर अपने मन में सोचती हुई बोली, "बैठकर क्या करूँ? जबकि मैंने तो पहले ही खाना खा लिया है, और अब तो मेरे पेट में जगह भी नहीं है! और खाना खाने की कोशिश करूँगी तो यह मुझ पर और गुस्सा करेंगे।"
संदीप जो नीर को देख रहा था, उसने नीर के चेहरे के बदलते भाव देखकर मुस्कुरा दिया क्योंकि नीर उसे बहुत प्यारी लग रही थी।
अपने मन में बात करते हुए नीर चलकर संदीप के पास आई और जैसे ही बैठने को हुई, इतने में संदीप बोला, "रुको नीर!"
नीर संदीप के रोकने से कन्फ़्यूज़ होकर संदीप को देखने लगी। संदीप बोला, "कोई ज़रूरत नहीं है खाना खाने की, जब तुम्हारे पेट में जगह नहीं है, तो मैं खा लूँगा।"
नीर संदीप की बात सुनकर खुश होकर बोली, "थैंक यू सो मच! मैं तो समझी थी आज मेरे पेट में दर्द हो जाएगा! लेकिन आपको कैसे पता चला मेरे पेट में जगह नहीं है?"
संदीप नीर के सवाल सुनकर मुस्कुरा कर बोला, "तुम्हारे चेहरे से, जब तुम अपने मन में बात कर रही थी, तब।"
नीर ने संदीप की बात सुनकर अपने चेहरे को छूते हुए बोली, "क्या मेरे चेहरे पर लिखा है कि मैंने खाना खा लिया है और मेरे पेट में जगह नहीं है?"
संदीप नीर की बात सुनकर खूब जोर-जोर से हँसने लगा। नीर संदीप को हँसता देख बोली, "अब इनहे क्या हो गया? मेरे को क्या? मुझे जल्दी से जाकर आंटी को बताना होगा कि उन्होंने खाना खा लिया, बेचारी फालतू में इतनी परेशान हो रही थी।" यह कहकर नीर रूम से चली गई।
संदीप ने हँसना बंद किया और बोला, "सो क्यूट! तुम कितनी प्यारी हो और तुम्हारी बातें तो सबसे अलग हैं।"
सुबह का समय था। पूजा और मनीष हॉल में बैठे बातें कर रहे थे। इतने में एक लड़का आकर बोला, "नमस्ते मामी और क्या हो रहा है?"
पूजा चौंक कर बोली, "अरे बेटा! तुम कब आए? आओ बैठो! तुम तो शान की शादी के बाद गायब ही हो गए थे।"
लड़का मुस्कुरा कर पूजा के गले में हाथ डालकर बोला, "मम्मी, आपको तो पता है ना, पापा का ज़रूरी काम आ गया था, जिसकी वजह से मुझे वहाँ जाना पड़ा। लेकिन मैं अब आ गया हूँ ना, अब नहीं जाऊँगा।"
पूजा बोली, "हाँ, मैं भी तुम्हें जाने नहीं देती और अगर तुम फिर से चले जाते तो मैं तुझसे नाराज़ हो जाती।"
लड़का पूजा की बात सुनकर मुस्कुरा कर बोला, "ठीक है, नहीं जाऊँगा मैं आपको छोड़कर। और अब मैं आपके पास ही रहूँगा। अब मुस्कुराइए और यह गुस्सा छोड़ दीजिएगा।"
पूजा लड़के की बात सुनकर खुश होकर बोली, "सच्ची?"
लड़के ने पूजा की बात सुनकर हाँ में सर हिलाया। पूजा बोली, "चलो ठीक है, यह अच्छा हुआ। मनीष भाई, हम भी यहीं हैं, कोई हमें तो पूछ भी नहीं रहा है कि हम कैसे हैं।"
लड़का मनीष की बात सुनकर बोला, "आपसे क्या पूछना, मामू? आप तो एकदम ठीक-ठाक दिख रहे हैं। इसलिए मैंने आपसे पूछना ज़रूरी नहीं समझा।"
मनीष ने कहा, "हाँ भाई, तुझे तो मैं ठीक-ठाक ही दिखूँगा। तू तो अपनी मम्मी का चमचा है ना?"
लड़का बोला, "मम्मी देखो ना, मामू क्या कह रहा है! मुझे कह रहा है कि मैं आपका चमचा हूँ।"
पूजा, गुस्से में मनीष को घूरते हुए बोली, "तो आपको काहे को मिर्ची लग रही है? मैं देख रही हूँ। आजकल आप मुझसे बहुत जलने लगे हैं। एक बार कमरे में चलिए, फिर बताती हूँ आपको।"
मनीष पूजा की बात सुनकर हड़बड़ाकर बोला, "अरे भाग्यवान! मैं तो मज़ाक कर रहा था। तुम तो खा माँ खा! बुरा मान गई। और वैसे भी, मैं तुमसे क्यों चलूँगा? तुम तो मेरी जान हो।"
पूजा मनीष की बात सुनकर घूरते हुए बोली, "हाँ हाँ, मैं सब समझती हूँ। अब ज़्यादा चिकनी-चुपड़ी बातें करने की ज़रूरत नहीं है।"
लड़का मनीष की ऐसी हालत देखकर हँसने लगा। लड़का मनीष की तरफ़ देखकर बोला, "मामू, आप मम्मी से कितना डरते हैं!" यह कहकर वह हँसने लगा।
मनीष ने मासूम चेहरा बनाकर उसकी तरफ़ देखा, जैसे कह रहा हो, "क्या करूँ भाई? बीवी जो है। बड़े से बड़ा बहादुर इंसान अपनी बीवी से डरता है। मैं तो फिर भी कमज़ोर दिल वाला इंसान हूँ।"
लड़का मनीष के इस तरह देखने से मुस्कुराते हुए पूजा की तरफ़ देखते हुए बोला, "वैसे मम्मी, संदीप कहाँ है? दिख नहीं रहा।"
पूजा ने कहा, "तुम्हें तो पता है ना बेटा, वो कैसा है। अब तक अपने रूम में सो रहा है।"
लड़का बोला, "ठीक है। मैं जाकर उठाता हूँ।" यह कहकर वह संदीप के कमरे में चला गया।
आर्यन जैसे ही कमरे में आया, उसने देखा संदीप सो रहा है। आर्यन संदीप को सोता देखकर उसके चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई। आर्यन जल्दी से भागकर संदीप के ऊपर कूद गया। संदीप, जो उल्टा सो रहा था, एकदम से उठकर बैठ गया और अपनी कमर पकड़कर गुस्से में बोला, "किसकी इतनी हिम्मत हो गई?" यह बोलते हुए उसने अपनी नज़र इधर-उधर घुमाई तो उसे अपने पीछे आर्यन दिखाई दिया जो खड़ा मुस्कुरा रहा था।
संदीप आर्यन को देखकर बोला, "मैं तभी तो सोच रहा था, मेरे कमरे में आकर इस तरह हरकत करने की किसी में हिम्मत नहीं है, सिर्फ़ एक गधे को छोड़कर।" यह कहकर संदीप ने एक तकिया उठाया और आर्यन की तरफ़ फेंककर बोला, "अबे गधे! तुझे दिख नहीं रहा था कि मैं सो रहा हूँ? फिर तुझे मेरी कमर पर कूदने की ज़रूरत क्या थी? कितनी दुख रही है मेरी कमर! हाय रे मेरी कमर! तोड़ दी इस ज़ालिम इंसान ने!"
आर्यन संदीप की बात सुनकर मुस्कुराकर बोला, "मेरी गलती नहीं है इसमें। तू सो रहा था, मैंने बस तुझे उठाया है।"
संदीप घूरते हुए बोला, "गधे! कौन इस तरह उठता है? कमर तोड़कर! प्यार से भी तो उठा सकता था ना?"
आर्यन बोला, "हाँ, उठा सकता था, लेकिन मेरा आज प्यार से उठाने का मन नहीं कर रहा था, इसलिए इस तरह उठाया है।" यह कहकर उसने संदीप को अपने दाँत दिखा दिए।
संदीप आर्यन को मुस्कुराते देखा और गुस्से में बोला, "तुझे तो मैं देख लूँगा।"
आर्यन बोला, "हाँ, देख लो! अब मैं कहीं नहीं जाने वाला। आराम से देख लो, मैं कितना स्मार्ट हूँ! और वैसे भी, मैं लोगों से देखने के पैसे नहीं लेता।" आर्यन ने अपने बालों में हाथ फेरते हुए कहा, "क्या करूँ? दिल बहुत बड़ा है ना मेरा!"
संदीप आर्यन की ऐसी बकवास सुनकर इरिटेट होकर गुस्से में पैर पटककर वहाँ से वॉशरूम में चला गया। आर्यन संदीप को जाता देख खूब जोर-जोर से हँसने लगा। थोड़ी देर बाद आर्यन ने हँसना बंद किया और नीचे हॉल में आकर बैठ गया।
नीर, मीत और आलिया तीनों ही बातें करते हुए रूम से निकलकर हॉल की तरफ़ आईं। मीत की नज़र जैसे ही आर्यन पर पड़ी, मीत खुश होकर बोली, "भाई! आप कब आए? और आपने मुझे बताया भी नहीं! यह गलत बात है। आपको मुझे बताना चाहिए था।"
आर्यन मीत को उदास देखकर बोला, "सॉरी, माय लिटिल सिस्टर! मैं बस अभी तुमसे मिलने ही आ रहा था, लेकिन इतने में तुम ही आ गईं।"
मीत बोली, "अब झूठ बोल रहे हैं आप! बहुत देर से आए हुए हैं तो आप अभी मुझसे मिलने आ रहे थे? पहले भी आ सकते थे ना!"
आर्यन बोला, "ऐसी बात नहीं है छोटी! मैं बस अभी आया हूँ।"
मीत बोली, "सच्ची में? क्या है?"
इतने में आर्यन की नज़र नीर पर पड़ी। आर्यन नीर को देखकर उसमें खो ही गया। नीर जो आर्यन को देख रही थी, जब उसने आर्यन को इस तरह अपने आप को देखते देखा, तो उसने अपना सर झुका लिया। इतने में आर्यन आलिया की आवाज से होश में आया और उसने अपने सर के पीछे हाथ रखकर मुस्कुरा दिया।
आलिया बोली, "भाई! आप अभी-अभी आए हैं, इसका मतलब आप संदीप भाई से तो मिले नहीं होंगे। सही कहा ना मैंने?"
आर्यन बोला, "नहीं, मैं उससे मिलकर आ गया हूँ।"
आलिया बोली, "मुझे पता था, आप चाहे हमसे मिले ना मिले, लेकिन संदीप भाई से ज़रूर मिले होंगे, क्योंकि वो आपके जिगरी दोस्त हैं। सही कहा ना मैंने?"
आर्यन आलिया के कंधे पर अपना हाथ रखकर बोला, "सही कहा! संदीप मेरी जान है। और तुम्हें पता है, वहाँ पर संदीप मेरे साथ नहीं था, तो मेरा दिल कर रहा था, कैसे भी करके यहाँ आ जाऊँ, लेकिन पापा की वजह से मजबूर था। लेकिन जैसे ही काम ख़त्म हुआ, सब में पहले यहाँ आया हूँ। अब मैंने पापा से कह दिया है, मैं कहीं नहीं जाऊँगा संदीप के बगैर।"
क्रमशः…
थोड़ी देर बाद, सभी लोग हॉल में बैठकर बातें कर रहे थे। संदीप और आर्यन दोनों ही नीर को अपनी प्यार भरी निगाहों से देख रहे थे। आर्यन नीर को मुस्कुराते देख, अपने दिल पर हाथ रखकर मन ही मन बोला, "हाय! कितनी क्यूट है यार!" यह कहकर आर्यन ने अपने बगल में देखा जहाँ संदीप बैठा था। आर्यन के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई।
क्योंकि संदीप भी नीर को मुस्कुराते हुए देख रहा था। आर्यन ने नीर को देखा, फिर संदीप को देखा और घबराकर खड़ा हो गया। संदीप ने आर्यन को खड़ा होते देखा तो उससे बोला, "तुझे क्या हुआ?"
"कुछ नहीं यार, मुझे एक जरूरी कॉल करनी है। मैं अभी आता हूँ।" यह कहकर आर्यन जल्दी से वहाँ से चला गया। संदीप ने आर्यन को जाते देख अपने कंधे उचका दिए और फिर मुस्कुराते हुए नीर को देखने लगा।
आर्यन जल्दी से अपने कमरे में आया और ऊपर देखते हुए बोला, "क्या भगवान जी! आप मुझसे क्या करवाने वाले थे! वो तो सही समय पर मुझे पता चल गया, वरना मैं अपने दोस्त के साथ गद्दारी कर रहा था।"
फिर मुस्कुराकर बोला, "वैसे मानना पड़ेगा, मेरे यार की पसंद सबसे अलग है।" फिर आर्यन हाथ जोड़कर बोला, "भगवान जी! मेरी बस आपसे एक प्रार्थना है। मेरे दोस्त को उसकी सारी खुशियाँ देना। उसको कभी दुखी मत करना। वो बहुत अच्छा इंसान है।"
"कभी किसी के साथ गलत नहीं करता। आप भी उसके साथ कभी गलत मत करना।" इतने में अजय आर्यन के कमरे में आया और बोला, "भाई! आपको सब नीचे बुला रहे हैं। जल्दी आओ।" "हाँ, ठीक है। चलो।" यह कहकर आर्यन अजय के साथ नीचे चला गया।
कई दिन बीत गए थे। इन दिनों में संदीप नीर से बहुत मोहब्बत करने लगा था। हर वक्त संदीप नीर के आसपास ही रहता था।
सब लोग पूजा के कमरे में बैठे हुए शान की शादी की एल्बम देख रहे थे। इतने में कमरे की लाइट चली गई। शान बोला, "यार! अब ये लाइट क्यों चली गई? अच्छा-खासा मैं अपनी शादी की एल्बम देख रहा था, लेकिन नहीं, लाइट को भी अभी जाना था।" शान की बात सुनकर सब खूब जोर-जोर से हँसने लगे। आर्यन शान की बात सुनकर मुस्कुरा कर बोला, "मैं देखकर आता हूँ। भाई, जब तक आप सब अपनी-अपनी फोन की टॉर्च ऑन कर लो।" यह कहकर आर्यन वहाँ से चला गया।
कुछ समय बाद, आर्यन बोला, "शान भाई! लाइट का तो कोई भरोसा नहीं है। क्योंकि बारिश बहुत हो रही है, शायद उसकी वजह से लाइट नहीं आ रही है।" पूजा बोली, "तो एक काम करो, सब लोग हॉल में जाकर बैठते हैं और संभलकर जाना, कोई अंधेरे की वजह से गिर ना जाए।" पूजा की बात सुनकर सब राजी हो गए।
और एक-एक करके कमरे से जाने लगे। नीर जो एक तरफ बैठी हुई थी, वो जैसे ही जाने को हुई, इतने में किसी ने उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ़ खींच लिया। नीर खींचने की वजह से बहुत डर गई थी। उसने अपना सिर उठाकर सामने देखा तो संदीप था, जिसने नीर को खींचा था।
नीर जल्दी से संदीप से अलग हुई और गुस्से में अपनी एक उंगली संदीप की तरफ करके बोली, "हिम्मत भी कैसे हुई तुम्हारी मुझे हाथ लगाने की!" संदीप नीर की बात सुनकर घबराकर बोला, "सॉरी! गलती हो गई।" नीर उसकी बात बीच में काटकर बोली, "आज के बाद मुझसे दूर ही रहना।" यह कहकर नीर गुस्से में कमरे से चली गई।
संदीप ने नीर की बात सुनकर गुस्से में अपना हाथ दीवार पर मारा और बोला, "नहीं! रह नहीं सकता। तुमसे दूर नहीं रहूँगा।" यह कहकर संदीप भी कमरे से निकल गया।
उस बात को कुछ दिन बीत गए थे। अब नीर संदीप से दूर रहने लगी थी, जिससे संदीप को बहुत तकलीफ हो रही थी। और वहीं शान को संदीप के बारे में सब पता चल गया था कि संदीप नीर को पसंद करता है।
जिससे शान ने साक्षी से नीर को वापस उसके घर भेजने को कहा। साक्षी शान की बात सुनकर बोली, "आप नीर को घर क्यों भेजना चाहते हैं? नीर से कोई गलती हुई है क्या? मैं उसकी तरफ से आपसे माफ़ी मांगती हूँ। वो अभी नादान है।" शान बोला, "नहीं साक्षी, तुम्हें माफ़ी मांगने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि नीर से कोई गलती नहीं हुई है।"
"तो फिर आप नीर को क्यों भेजना चाह रहे हैं?" शान साक्षी की बात सुनकर शांत हो गया। साक्षी बोली, "कुछ हुआ है क्या जो आप मुझे बताना नहीं चाहते हैं?" शान साक्षी को देखते हुए बोला, "संदीप नीर को पसंद करता है। मैं नहीं चाहता कुछ गलत हो, इसलिए मैं नीर को यहाँ से भेज रहा हूँ।" साक्षी शान की बात सुनकर चुप हो गई।
थोड़ी देर बाद, नीर का कमरा। साक्षी बोली, "नीर, तुमने अपना सारा सामान पैक कर लिया है ना?" नीर बोली, "हाँ दीदी, मैंने सब रख लिया है।" साक्षी बोली, "ठीक है, एक बार और चेक कर लेना कहीं कोई सामान रह ना जाए।" इतने में मीत और आलिया नीर के कमरे में आईं और बोलीं, "भाभी! आप नीर को क्यों भेज रही हैं? प्लीज मत भेजिए ना!" साक्षी मीत के गाल पर हाथ रखकर बोली, "बच्चा, तुम्हें पता है, नीर यहाँ पर नहीं रह सकती। उसको अपने घर जाना तो होगा ना, और माँ का फ़ोन आया था नीर को बुलाने के लिए, इसलिए उसको जाना होगा।"
आलिया बोली, "पर भाभी, हम कुछ दिन और नीर को नहीं रोक सकते।" साक्षी बोली, "रोक सकते हैं, लेकिन अभी नहीं। फिर कभी आएगी। अभी उसको घर जाना होगा ना।" नीर आलिया और मीत को उदास देखकर मुस्कुरा कर बोली, "तुम दोनों इतनी उदास क्यों हो रही हो? अगर तुम्हें मेरी याद आए तो चली आना मुझसे मिलने। वैसे भी मैं तुम्हारे घर इतने दिन रही हूँ ना, अब तुम्हें भी मेरे घर आना होगा। अगर तुम मेरे घर नहीं आईं तो मैं भी नहीं आऊँगी अब तुम्हारे घर। समझी?" आलिया नीर की बात सुनकर मुस्कुराकर बोली, "ठीक है। हम तुम्हारे घर आएंगी और खूब सारे दिन रहेंगी तुम्हारे साथ।" नीर आलिया की बात सुनकर मुस्कुराकर उसके गले लग गई। मीत भी उन दोनों के गले लग गई और बोली, "मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी नीर।" नीर बोली, "मुझे भी तुम दोनों की बहुत याद आएगी।" इतने में शान नीर के रूम में आया और बोला, "आप सब लेडीज़ का मिलना-जुलना हो गया हो तो चलने का टाइम हो गया है।"
क्रमशः
शान की बात सुनकर चारों मुस्कुराने लगीं। फिर नीर मुस्कुराते हुए बोली, "हाँ जीजू, हो गया हम लेडिस का मिलना-जुलना।"
शान ने कहा, "हाँ, फिर चलो।" यह कहकर शान नीर को लेकर कमरे से निकल गया।
थोड़ी देर बाद संदीप घर आया। उसने मीत और आलिया को उदास बैठे हुए देखा तो बोला, "क्या बात है? आज तुम दोनों इतनी उदास क्यों हो? किसी ने कुछ कहा या किया?"
मीत ने संदीप की बात सुनकर कहा, "नहीं भाई, किसी ने कुछ नहीं कहा है।"
"वो नीर अपने घर चली गई, इसलिए हम दोनों उदास हैं।" यह बोलकर मीत ने अपना सिर नीचे झुका लिया।
संदीप ने जैसे ही मीत की बात सुनी, तो जल्दी से बोला, "क्या? नीर अपने घर चली गई? लेकिन क्यों? और तुमने उसे जाने दिया?" यह बोलते हुए संदीप के चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिख रहा था।
मीत संदीप के गुस्से को देखकर उलझन में पड़ गई और बोली, "मैं क्या करती जब भाई ने नीर को भेजा है? संदीप, चलो यह सब छोड़ो। जल्दी से यह बताओ, नीर कब गई?"
आलिया ने संदीप की बात सुनकर घबराकर कहा, "बस भाई, अभी गई है। आप आए हैं और नीर गई है।"
संदीप आलिया की बात सुनकर जल्दी से वहाँ से चला गया।
थोड़ी देर बाद संदीप स्टेशन पर पहुँचा और नीर को ढूँढ़ने लगा। संदीप नीर को ट्रेन के हर डिब्बे में देखते हुए जा रहा था। इतने में उसकी नज़र शान पर पड़ी जो खड़ा नीर से बात कर रहा था। संदीप शान को देखकर अपनी जगह रुक गया।
संदीप ने नीर की तरफ़ देखा। अभी संदीप नीर को देख ही रहा था कि इतने में ट्रेन चलने लगी।
शान ने कहा, "ठीक है नीर, मैं जा रहा हूँ। तुम संभाल कर जाना और पहुँच कर फ़ोन करना।"
नीर ने शान की बात सुनकर कहा, "ठीक है जीजू।" शान वहाँ से चला गया।
संदीप नीर को जाते देख अपने मन में बोला, "बस एक बार मेरी तरफ़ देख लो। जानता हूँ तुम मुझसे नाराज़ हो, लेकिन फिर भी बस एक बार देख लो।" यह बोलकर संदीप उम्मीद भरी नज़रों से नीर को जाते हुए देखने लगा।
वहीं नीर, जो ट्रेन के अंदर जा रही थी, एकदम से बाहर देखी तो उसकी नज़र संदीप पर जाकर रुक गई। संदीप जो नीर को ट्रेन में जाते देख उदास हो गया था, लेकिन जैसे ही संदीप ने नीर को खुद को देखते पाया, उसने अपने दोनों हाथों से बालों को ऊपर किया और मुस्कुराते हुए बोला, "अब तो तुम्हें मेरा होना होगा, मेरी जान।"
संदीप मुस्कुराते हुए नीर को जाते हुए देखने लगा। वहीं नीर ने संदीप को देखा तो उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। नीर जल्दी से अंदर आई और अपनी सीट पर बैठकर संदीप के बारे में सोचने लगी।
दो दिन बाद नीर के घर, नीर की सारी फैमिली हाल में बैठी बातें कर रही थी। इतने में किसी ने गेट पर ख़टखटाया। पूजा दरवाज़ा खोलने गई। इतने में शालिनी की बड़ी बेटी सुमन बोली, "माँ आप बैठिए, मैं देखकर आती हूँ।"
यह कहकर सुमन दरवाज़ा खोलने चली गई। जैसे ही सुमन ने दरवाज़ा खोला तो एक औरत खड़ी थी। सुमन ने उस औरत को देखकर कहा, "जी आप कौन? आपको किसी से मिलना है?"
औरत ने सुमन की बात सुनकर मुस्कुराकर कहा, "बेटा, मिलना तो मुझे तुम्हारी फैमिली से है।"
सुमन उस औरत की बात सुनकर उलझन में आ गई और उसे देखने लगी।
औरत ने सुमन को उलझन में देखकर हँसते हुए कहा, "बेटा, शायद तुमने मुझे पहचाना नहीं। मेरा नाम लक्ष्मी है और मैं शान की बुआ हूँ।"
सुमन ने जैसे ही यह सुना, वह जल्दी से दरवाज़े के पास से हटी और बोली, "सॉरी आंटी, मैंने आपको पहचाना नहीं। आप अंदर आइये।"
लक्ष्मी सुमन की बात सुनकर अंदर आ गई और हाल की तरफ़ चल दी। जैसे ही शालिनी और राजेंद्र ने लक्ष्मी को देखा, शालिनी खड़े होकर बोली, "अरे बहन जी! आप यहाँ आईं। बैठिए।" यह कहकर उन्होंने सोफ़े की तरफ़ इशारा किया।
लक्ष्मी शालिनी की बात सुनकर सोफ़े पर बैठ गई और बोली, "आपको मेरे आने से कोई परेशानी तो नहीं हुई?"
शालिनी ने कहा, "कैसी बात कर रही है बहन जी? आप हमारी फैमिली मेंबर हैं। आपके आने से क्या ही परेशानी?" शालिनी सुमन की तरफ़ देखकर बोली, "सुमन, जाकर आंटी के लिए खाने को लेकर आओ।"
सुमन ने कहा, "जी माँ।" यह बोलकर सुमन किचन में चली गई।
लक्ष्मी ने नीर की तरफ़ देखा और बोली, "तुम कैसी हो बेटा?"
नीर ने कहा, "मैं ठीक हूँ आंटी। आप बताएँ, आप कैसी हैं? आपकी तबीयत तो ठीक है ना?"
लक्ष्मी ने कहा, "हाँ, मेरी तबीयत भी ठीक है और मैं भी ठीक हूँ।" यह कहकर लक्ष्मी मुस्कुराने लगी।
थोड़ी देर बाद लक्ष्मी राजेंद्र की तरफ़ देखकर बोली, "भाई साहब, आपसे मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है।"
राजेंद्र ने कहा, "बोलिए बहन जी, क्या बात करनी है आपको?" लक्ष्मी ने सब बच्चों की तरफ़ देखा और फिर राजेंद्र की तरफ़।
राजेंद्र ने लक्ष्मी की बात समझकर सुमन की तरफ़ देखा और बोला, "सुमन, सबको लेकर अंदर जाओ।" सुमन राजेंद्र की बात सुनकर सबको लेकर अंदर चली गई। राजेंद्र लक्ष्मी की तरफ़ देखकर बोले, "अब बोलिए बहन जी, आपको क्या बात करनी है?"
लक्ष्मी राजेंद्र की तरफ़ देखकर बोली, "भाई साहब, मैं यहाँ अपने भांजे संदीप के लिए आपकी बेटी नीर का हाथ माँगने आई हूँ।"
राजेंद्र ने जैसे ही लक्ष्मी की बात सुनी, वो शांत हो गए। लक्ष्मी ने राजेंद्र को शांत देखा तो उन्होंने परेशानी से शालिनी की तरफ़ देखा और बोली, "देखिए बहन जी, आप लोग जो भी जवाब दें, तो सोच-समझकर देना, क्योंकि यह मेरे भांजे की ज़िन्दगी का सवाल है।"
राजेंद्र ने लक्ष्मी की बात सुनकर कहा, "मुझे माफ़ कर देना, लेकिन मैं अपनी बेटी की शादी संदीप से नहीं कर सकता।"
राजेंद्र की बात सुनकर लक्ष्मी ने अपने हाथ जोड़कर कहा, "देखिए भाई साहब, प्लीज़ ऐसा मत कीजिए। मेरा संदीप बहुत अच्छा है। वह आपकी बेटी को खुश रखेगा। आप प्लीज़ मना मत कीजिए।"
राजेंद्र ने कहा, "देखिए बहन जी, आप गलत समझ रही हैं। मुझे पता है संदीप बहुत अच्छा लड़का है, लेकिन मैं एक घर में अपनी दो बेटियाँ नहीं रख सकता। प्लीज़ मुझे माफ़ करना, लेकिन मैं यह रिश्ता मंज़ूर नहीं कर सकता।" यह कहकर राजेंद्र ने लक्ष्मी के आगे हाथ जोड़ लिए। लक्ष्मी के मना करने से लक्ष्मी की आँखें नम हो गईं और उसने अपने मन में कहा, "मुझे माफ़ कर देना संदीप, मैं तुम्हें तुम्हारा प्यार नहीं दे सकी। हो सके तो मुझे माफ़ कर देना बेटा।"
क्रमशः...
संदीप बड़ी बेचैनी से अपने कमरे में इधर-उधर चक्कर लगा रहा था। कभी वह दरवाजे की तरफ देखता, तो कभी घड़ी की तरफ। दरवाजे की तरफ देखते हुए, उसने कहा, "ओफ्फो बुआ आप कब तक आएंगी? कितना समय हो गया! अब तक तो आपको आ जाना चाहिए था।"
वहीं आर्यन अपना चेहरा दोनों हाथों पर रखकर बैठा हुआ संदीप को देख रहा था। संदीप की बात सुनकर आर्यन उठ खड़ा हुआ और चलकर संदीप के पास आया। "भाई, तेरे पैरों में इतनी ताकत है, तू रेस में हिस्सा क्यों नहीं ले लेता? पक्का तू ही जीत कर आएगा क्योंकि तेरे पैरों में जान है।"
संदीप आर्यन की बात सुनकर खिसियाकर बोला, "अभी नहीं आर्यन, बाद में। मैं तेरी फालतू की बकवास सुनूँगा, लेकिन अभी नहीं क्योंकि मैं अभी बहुत परेशान हूँ।" आर्यन बोला, "मुझे पता है तू बहुत परेशान है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि तू इधर-उधर चक्कर लगाता रहेगा। तू आराम से बैठकर भी तो बुआ का इंतज़ार कर सकता है।"
"ऐसा तो होगा नहीं कि तेरे ऐसे चक्कर लगाने से बुआ यहाँ उड़ के आ जाएँगी।" संदीप पहले से ही परेशान था, अब आर्यन की बातें सुनकर गुस्से में उसे घूरने लगा। आर्यन संदीप के घूरने पर खिसियानी हँसी हँसते हुए बोला, "कोई बात नहीं। तू यहाँ चक्कर लगा, मैं वहाँ सोफे की तरफ इशारा करते हुए - बैठकर बुआ का इंतज़ार करता हूँ।"
यह कहकर आर्यन सोफे के पास आया और उस पर बैठकर अपने दोनों पैर टेबल पर रखे। दोनों हाथ सर के पीछे लगाकर सोफे से टिककर बैठ गया। संदीप ने आर्यन को देखा और फिर अपना सर ना में हिला दिया और खुद वापस चक्कर लगाने लगा।
थोड़ी देर बाद लक्ष्मी संदीप के कमरे के दरवाजे पर खड़ी होकर संदीप को देख रही थी। जैसे ही संदीप की नज़र लक्ष्मी पर पड़ी, उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। संदीप जल्दी से लक्ष्मी के पास आया और उनका हाथ पकड़कर कमरे में लेकर आया और सोफे पर बिठा दिया। वह खुद उनके पैरों के पास बैठ गया।
आर्यन भी लक्ष्मी को देखकर सीधा होकर बैठ गया और लक्ष्मी को परेशानी से देखने लगा। लक्ष्मी ने एक नज़र दोनों को देखा, फिर अपना सर नीचे झुका लिया। संदीप लक्ष्मी के सर नीचे करने से अपने चेहरे पर घबराहट और परेशानी लाते हुए बोला, "बुआ, राजेंद्र अंकल ने शादी के लिए हाँ कर दिया ना?"
संदीप की बात सुनकर लक्ष्मी की आँखें नम हो गईं, लेकिन उन्होंने संदीप को कोई जवाब नहीं दिया। संदीप परेशानी से बोला, "बुआ मैंने आपसे कुछ पूछा है, आप जवाब दें। अंकल ने क्या कहा?" लेकिन लक्ष्मी ने कोई जवाब नहीं दिया। आर्यन ने संदीप को इतना परेशान और डरा हुआ देखा तो लक्ष्मी का हाथ पकड़कर बोला, "बुआ, संदीप आपसे कुछ पूछ रहा है, जवाब दो उसको।" आर्यन ने एक बार संदीप की तरफ देखा।
"आप एक बार संदीप को देखो, क्या हाल हो रहा है इसका। प्लीज़ बुआ, कुछ तो बोलो।" आर्यन की बात सुनकर लक्ष्मी ने अपना सर उठाकर संदीप को देखा, जिसकी आँखें नम और चेहरे पर बेचैनी और डर दोनों था। लक्ष्मी ने अपना हाथ मुँह पर रखकर कहा, "मुझे माफ़ कर देना मेरे बच्चे, मैं तेरी खुशी तुझे नहीं दे सकी। मुझे माफ़ कर देना।"
यह कहकर लक्ष्मी ने संदीप के आगे हाथ जोड़ लिए। संदीप के लक्ष्मी के "मैं तुझे तेरी खुशी नहीं दे सकी" कहने से वह एकदम से पीछे हो गया। उसने अपने दोनों हाथ जमीन पर रखे और लक्ष्मी की तरफ देखने लगा, जैसे कह रहा हो, "यह सच नहीं है ना बुआ, आप झूठ बोल रही हैं ना मुझसे।"
लक्ष्मी संदीप को ऐसे देखकर रोते हुए बोली, "मैं सच कह रही हूँ बेटा, नीर के पापा ने मना कर दिया।" यह सुनकर संदीप की आँखों में आँसू बहने लगे। आर्यन ने जब संदीप को ऐसे देखा तो जल्दी से उसके पास आकर उसके कंधों पर हाथ रखने की कोशिश की, लेकिन संदीप ने उसे हाथ दिखाकर मना कर दिया और वहाँ से खड़ा हुआ और कमरे से निकल गया।
आर्यन संदीप को ऐसी हालत में कमरे से बाहर जाते देखा तो जल्दी से उसके पीछे भागते हुए बोला, "संदीप मेरी बात सुन, तू कहाँ जा रहा है? हम बैठकर बात करते हैं।" लेकिन संदीप ने आर्यन की कोई भी बात नहीं सुनी और सीढ़ियों से नीचे जाने लगा।
"संदीप, तू परेशान मत हो, मैं हूँ ना। मैं खुद जाकर अंकल से बात करूँगा। अगर वह नहीं मानेंगे तो मैं उनके पैर पकड़ लूँगा और कहूँगा कि वह तेरी शादी नीर से कर दें। तू बस शांत हो जा, ज़्यादा कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं है। मैं खुद उनके पास जाकर बात करूँगा। मैं तुझसे वादा करता हूँ, तेरी खुशी तुझे दिलवाकर ही रहूँगा। पर तू कुछ ऐसा मत कर जिससे बाद में पछतावा हो।" यह बोलते हुए आर्यन और संदीप हाल में आ गए थे।
संदीप आर्यन की बात सुनकर रुक गया और आँखों में आँसू लेकर आर्यन की तरफ पलटकर बोला, "कैसे यार, कैसे शांत हो जाऊँ जबकि मेरी ज़िंदगी मेरी नहीं हो सकती? नहीं रह सकता मैं उसके बगैर। तो कैसे शांत हो जाऊँ? अपने सीने पर हाथ रखकर - मुझे बहुत तकलीफ हो रही है यार, बहुत तकलीफ।"
आर्यन और संदीप की आवाज़ सुनकर पूरी फैमिली हाल में इकट्ठी हो गई थी। जब घर वालों ने संदीप की आँखों में आँसू देखे तो सब परेशान हो गए। पूजा घबराकर संदीप के पास आई और उसके गाल पर हाथ रखकर बोली, "संदीप तुम्हें क्या हुआ है? तुम रो क्यों रहे हो? कहीं चोट लगी है? मुझे बताओ क्या हुआ है बेटा? क्यों तुम्हारी आँखों में आँसू हैं?" संदीप पूजा की बात सुनकर उनके हाथ पर अपना हाथ रखा और मासूमियत से बोला, "माँ मुझे बहुत तकलीफ हो रही है। मुझे नीर चाहिए, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ माँ, बहुत प्यार।" संदीप बहुत मासूम लग रहा था। पूजा ने जैसे ही संदीप की बात सुनी, तो वह संदीप से दो कदम दूर हट गई।
पूजा संदीप से दूर हटी और बोली, "तुम्हें पता भी है, तुम क्या कह रहे हो?" पूजा की बात सुनकर संदीप चीखते हुए बोला, "हाँ, जानता हूँ! माँ, मैं क्या कह रहा हूँ? मैं नीर से शादी करना चाहता हूँ। बहुत प्यार करता हूँ उससे! आप लोग समझ क्यों नहीं रहे हैं? मैं मर जाऊँगा उसके बगैर।"
पूजा ने जैसे ही संदीप की बात सुनी तो गुस्से में बोली, "चुप करो! तुम पागल हो गए हो! मुझे यह कुछ नहीं सुना। चुपचाप अपने कमरे में जाओ और दोबारा इस बारे में कोई बात मत करना, समझे? आर्यन, तुम संदीप को लेकर उसके कमरे में जाओ और उसे समझाओ। यह फालतू की बकवास अपने दिमाग से निकाल दे। ऐसा नहीं हो सकता, नीर की शादी इससे नहीं हो सकती।"
पूजा की बात सुनकर संदीप चीखते हुए अपने घुटनों के बल बैठ गया और बोला, "हहहहहहहहह! हाँ, हो गया हूँ! मैं पागल! नीर के प्यार में नहीं निकल सकता उसको क्योंकि वो मेरे दिमाग में नहीं... (अपने दिल की तरफ इशारा करके) ...यहाँ, वास है! तो कैसे निकाल दूँ? और क्यों मेरी शादी नीर से नहीं हो सकती? मैं उसको बहुत खुश रखूँगा, बहुत प्यार करूँगा, उसको कभी दुःख नहीं दूँगा। बस मेरी शादी नीर से करवा दे।"
मनीष, जो शांत खड़े होकर संदीप की बात सुन रहे थे, चलकर संदीप के पास आए और संदीप को खड़ा करके बोले, "ठीक है, मैं राजेंद्र जी से नीर का हाथ माँगूँगा। तुम्हारे लिए अब यह बच्चों की तरह रोना बंद करो। यह क्या?" मनीष को संदीप के आँसू दिखने लगे।
वहीं, जैसे ही लक्ष्मी ने मनीष की बात सुनी तो वह उदास होकर बोली, "मैं राजेंद्र भाई के घर गई थी, नीर का हाथ माँगने, लेकिन..." लक्ष्मी की बात सुनकर सारी फैमिली शांत हो गई और आश्चर्य से लक्ष्मी की तरफ देखने लगे।
मनीष लक्ष्मी को देखते हुए बोला, "लेकिन क्या?" लक्ष्मी मनीष की तरफ देखते हुए बोली, "उन्होंने मना कर दिया। यह कहकर कि वे एक घर में दो बेटियाँ नहीं कर सकते।" लक्ष्मी की बात सुनकर मनीष सोच में पड़ गया। संदीप, अपने मनीष को शांत देखकर उनसे दूर हटकर बोला, "आप लोग कुछ नहीं कर सकते, कुछ नहीं कर सकते! आप मुझे मेरी खुशी नहीं दे सकते! आपकी बस की बात ही नहीं है।" यह कहकर संदीप घर से निकल गया। आर्यन भी जल्दी से संदीप के पीछे भाग गया और सारे घर वाले भी संदीप को ऐसे घर से बाहर जाता देख परेशान हो गए।
वहीं दूसरी तरफ, वर्मा फैमिली में शालिनी और राजेंद्र हाल में बैठे हुए बात कर रहे थे। शालिनी राजेंद्र को देखते हुए बोली, "आपने सही किया शादी के लिए मना करके। क्योंकि मेरी नीर बहुत मासूम है और संदीप... जिस तरह मैंने संदीप के बारे में सुना है, उसके हिसाब से मैं बिल्कुल नहीं चाहती नीर की शादी संदीप से हो।"
राजेंद्र ने शालिनी की तरफ देखा और बोले, "मुझे यह तो नहीं पता संदीप कैसा है और कैसा नहीं, लेकिन मैं नीर की शादी उसे इस घर में इसलिए नहीं करवाना चाहता हूँ क्योंकि इस दुनिया का यही रीत है। अगर एक बहन कोई गलती करती है या उसे कोई परेशानी आती है, तो दूसरी बहन पर उसका असर ज़रूर पड़ता है और मैं यह हरगिज़ नहीं चाहता हूँ कि दोनों बहनों के रिश्ते में कोई दरार आए।"
इतने में सुमन दोनों के पास आई और बोली, "माँ-बाबा, खाना तैयार है। चलकर खाना खा लीजिये।" राजेंद्र बोले, "हाँ, ठीक है, चलो।" यह कहकर वे खड़े हुए और एकदम से सुमन की तरफ देखकर बोले, "जिया, अभी, नीर, सोनल कहाँ हैं? बुलाकर लाऊँ, उन्हें खाना नहीं खाएँगे क्या?" इतने में राजेंद्र को आवाज़ आई, "हम यहाँ हैं, बाबा!" जैसे ही राजेंद्र ने आवाज़ की दिशा में देखा, तो वहाँ पर तीन लड़कियाँ और एक लड़का खड़ा मुस्कुराते हुए राजेंद्र की तरफ देख रहे थे। राजेंद्र बोले, "चलो आ जाओ बच्चों, खाना खाते हैं।" यह कहकर सब खाना खाने चले गए।
सोनम, जिया, नीर, अदिति, अभिमन्यु
छह महीने बाद
इन छह महीनों में संदीप एक-दो बार ही घर आया होगा, वरना ज्यादातर वह बाहर ही रहता था जिससे घर वाले बहुत परेशान रहते थे। और इन छह महीनों में संदीप बहुत ज़्यादा खतरनाक हो गए थे। (आप लोग सोच रहे होंगे कि खतरनाक कैसे हो गया, तो मैं आप लोगों को बता दूँ कि हमारे संदीप नीर के प्यार में एक गुंडे बन गए थे।) अब वह लोगों की प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा करना, किडनैप करना, ऐसे बहुत से गलत काम संदीप ने करना शुरू कर दिए थे। अब आगे... एक घर था जिसमें दस-बारह लड़के बैठे, सिगरेट और शराब पी रहे थे। वहीं संदीप सोफ़े से टेक लगाकर आँखें बंद करके बैठा हुआ था। इतने में एक लड़का संदीप को देखते हुए बोला,
"अरे गुरु, बस आप एक बार कह दो कि भाभी को लेकर आओ, हम कैसे भी करके भाभी को आपके पास लेकर ही आएंगे।" दूसरा लड़का उस लड़के की बात सुनकर बोला, "हाँ, गुरु सही कह रहा है। वीरेंद्र, बस आप एक बार कह दो क्योंकि हमसे आपकी ऐसी हालत नहीं देखी जाती।"
संदीप ने जैसे ही उन सब की बात सुनी, तो अपनी आँखें खोलकर सब की तरफ देखा और बोला, "नहीं! प्यार में करता हूँ, तो लेकर भी मैं ही आऊँगा और आप लोग बहुत कर लिया मैंने इंतज़ार। अब और नहीं। चाहे कोई राज़ी हो या ना हो, अब नीर तो मेरी होकर रहेगी! अब कोई मुझे नहीं रोक सकता, और अब किसी के अंदर हिम्मत नहीं है जो मुझे रोक ले। कल चलेंगे, तुम्हारी भाभी को लेने जाने की तैयारी कर लेना।" संदीप की बात सुनकर सारे लड़के एक साथ चिल्लाने लगे। एक लड़का खुशी से बोला, "यह हुई ना गुरु वाली बात! अब आएगा असली मज़ा! अब लेकर आएंगे हम अपनी भाभी को!" यह कहकर सारे लड़के खुशी से चिल्लाने लगे। संदीप भी उन सब को देखकर मुस्कुरा दिया।
क्रमशः
सुबह का समय था। संदीप अपने एक साथी को देखते हुए बोला, "सारी तैयारी हो गई है ना? क्योंकि मुझे कोई भी गड़बड़ नहीं चाहिए! यह मेरी जिंदगी का सवाल है!"
संदीप की बात सुनकर एक लड़का बोला, "कैसी बात कर रहे हैं गुरु! आपकी जिंदगी हमारी भाभी लगती है! और हम सब आपकी जिंदगी दिलाने में कोई गलती नहीं कर सकते!"
"क्या? क्यों भाई लोग?"
"हाँ गुरु, बबलू सही कह रहा है! हम भाभी को आप तक लेकर ही आएंगे, चाहे कुछ भी हो जाए! हम आपकी जिंदगी आपको देकर ही रहेंगे!"
संदीप उन सबकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोला, "ठीक है! अब चलो, देर किस बात की है!" यह कहकर संदीप और उसके कुछ लोग कारों में बैठकर नीर को लेने चले गए।
वहीं दूसरी तरफ, नीर ने कहा, "माँ, सुमन दी कहाँ है? हमें जल्दी ही निकलना होगा, वरना आरोही नाराज हो जाएगी!"
इतने में सुमन नीर के पास आई और बोली, "आ गई! कितना चिल्लाती हो तुम! और वैसे भी आरोही की शादी शाम को है, और तुमने अभी से चिल्लाना शुरू कर दिया!"
नीर सुमन की बात सुनकर अपनी कमर पर हाथ रखकर बोली, "दी, शायद आप भूल रही हैं! सुमन मेरी बचपन की फ़्रेंड है..."
"...और मैं ही उसकी शादी में देर से पहुँचूँगी! तो अगर कल को मेरी शादी होगी, तो वो भी देर से आएगी! और मैं बिल्कुल भी यह नहीं चाहती कि मेरी दोस्त देर से आए! अब मुझे कुछ भी नहीं सुनाई दे रहा है, आप जल्दी से चलिए! वरना मैं खुद चली जाऊँगी!"
शालिनी नीर की बात सुनकर मुस्कुराते हुए नीर के सर पर मारा और बोली, "जब तेरी शादी होगी, तब की तब देखी जाएगी! अभी से तू इस बात की फ़िक्र करना छोड़ दे! क्योंकि तेरी शादी में सभी आएंगे और टाइम से आएंगे। अब दोनों बहनें जाओ, हम भी थोड़ी देर में आते हैं।"
"ठीक है माँ, हम जाते हैं! आप भी जल्दी आ जाना!" यह कहकर नीर सुमन को लेकर वहाँ से चली गई।
कुछ घंटे बाद, संदीप की कार नीर के घर के थोड़ी दूर पर रुक गई। संदीप कार से उतरकर बाहर खड़ा हो गया। वहीं, जैसे ही संदीप के आदमियों ने संदीप को कार से उतरते हुए देखा, तो खुद भी जल्दी से कार से उतरे और संदीप को देखकर बोले, "गुरु, आपने यहाँ कार क्यों रुकवाई? भाभी का घर तो आगे है ना?"
संदीप ने उनकी तरफ देखा और बोला, "हाँ, जानता हूँ...
...लेकिन मैं यह बिल्कुल भी नहीं चाहता कि मेरी वजह से नीर को कोई परेशानी हो! इसलिए हम यहीं से नीर को लेकर जाएँगे। तुम सब एक काम करो, कुछ लोग यहीं कार के पास खड़े रहो और कुछ मेरे साथ चलो।"
"ठीक है भाई! हम आपके यहाँ इंतज़ार करेंगे! आप जल्दी से भाभी को लेकर आओ!"
संदीप वहाँ से कुछ लोगों को लेकर नीर के घर की तरफ़ निकल गया।
वहीं थोड़ी दूर पर, राजेंद्र अपने दोस्त के घर से आ रहे थे। उन्होंने जैसे ही संदीप को कार से उतरते देखा, तो वहीं खड़े होकर संदीप को देखने लगे। जैसे ही राजेंद्र संदीप की तरफ़ बढ़े, इतने में वो संदीप की बात सुनकर उनके चेहरे पर डर और परेशानी आ गई! राजेंद्र ने जल्दी से अपने चेहरे से पसीना पोंछा और अपने घर की तरफ़ भागे।
संदीप जो नीर के घर के बाहर खड़ा था, जैसे ही वह दरवाजे की तरफ़ जाता, इतने में राजेंद्र ने संदीप का हाथ पकड़ा और अपने घर से थोड़ी दूर लाकर उसे छोड़ दिया। संदीप राजेंद्र को देखकर बोला, "आप मुझे यहाँ क्यों लेकर आए हैं?"
राजेंद्र संदीप की तरफ़ देखते हुए गुस्से में बोले, "क्योंकि जो तुम करने जा रहे हो, वो गलत है! तुम मेरी बेटी को बदनाम करना चाहते हो और मैं तुम्हें हरगिज़ करने नहीं दूँगा! तुम यहाँ क्यों आए हो? समझ क्या रखा है?"
"तुम मेरी बेटी को बदनाम करना चाहते हो!"
संदीप राजेंद्र की बात सुनकर सख्त आवाज में बोला, "आपकी बेटी मेरी जान है और मैं अपनी जान को ही लेने आया हूँ यहाँ! और आप भी मुझे नहीं रोक सकते!!"
"और रही बदनामी की बात, यह होने नहीं दूँगा! क्योंकि मैं नीर से आज ही शादी कर लूँगा!"
"अच्छा, तुम्हारी शादी करने से मेरी बेटी की बदनामी नहीं होगी? लोग यह नहीं कहेंगे कि नीर ने भाग कर शादी करी है? तब क्या करोगे? बदनामी तो मेरी बेटी की होगी ना, तुम्हें तो कुछ नहीं कहेंगे! क्योंकि तुम लड़के हो जो ठहरे! यह समाज सिर्फ लड़कियों को ही गलत समझता है!"
संदीप राजेंद्र की बात सुनकर गुस्से में चिल्लाते हुए बोला, "और मैं क्या करूँ? आपने मेरे पास कोई चारा छोड़ा है? क्या मैंने आपके पास अपनी बुआ को भेजा था नीर का हाथ मांगने? लेकिन आपने मना कर दिया! और मैं क्या करूँ? बहुत प्यार करता हूँ, मैं नहीं रह सकता उसके बगैर! अब चाहे कुछ भी हो जाए, मैं नीर को यहाँ से लेकर ही जाऊँगा!" यह कहकर संदीप वहाँ से जाने लगा।
राजेंद्र ने जैसे ही संदीप को जाता देखा, तो जल्दी से उसके आगे आकर खड़े हो गए और बोले, "मैं तुम्हें ऐसा नहीं करने दूँगा! मैं तुम्हें अपनी बेटी को यहाँ से नहीं ले जाने दूँगा!"
संदीप राजेंद्र की बात सुनकर उसने अपने माथे पर दो उंगली रखी और राजेंद्र की तरफ़ देखकर बोला, "आप रोक सकते हैं मुझे?"
राजेंद्र संदीप को देखते हुए बोले, "हाँ, बिल्कुल रोकूँगा!"
राजेंद्र की बात सुनकर बबलू संदीप को देखकर बोला, "गुरु, हम इनको संभालते हैं! आप जाकर भाभी को लेकर आओ!" यह कहकर बबलू और दो-तीन आदमियों ने राजेंद्र को पकड़ लिया।
बबलू और आदमियों की तरफ़ देखकर राजेंद्र बोले, "छोड़ो मुझे! यह क्या कर रहे हो? छोड़ो! मैंने कहा छोड़ो ना!"
संदीप ने एक नज़र राजेंद्र की तरफ़ देखा और आगे बढ़ने लगा। संदीप को जाता देख राजेंद्र आँखों में आँसू लाकर बोले, "ऐसा मत करो! मेरी फैमिली की बहुत बदनामी होगी! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूँ!
मेरी यहाँ बहुत इज्ज़त है और मेरे लिए मेरी इज्ज़त ही सब कुछ है! अगर यही चली गई तो मैं कैसे जीऊँगा? मैंने आज तक पैसा नहीं कमाया है जितनी इज्ज़त कमाई है और वही तुम छीन लोगे तो मैं मर जाऊँगा!"
संदीप ने जैसे ही राजेंद्र की बात सुनी, उसके कदम अपनी जगह रुक गए और पीछे पलटकर राजेंद्र की तरफ़ देखा और अपने आदमियों को राजेंद्र को छोड़ने का इशारा किया।
क्रमशः
संदीप पीछे मुड़ा और अपने आदमियों से राजेंद्र को छोड़ने का इशारा किया। वह राजेंद्र के पास गया और बोला, "आपको एक बात पता है! मैं आपकी कितनी इज़्ज़त करता हूँ! इतनी कि मैंने अपने पापा की नहीं की, जितनी आपकी करता हूँ! क्योंकि आप मुझे बहुत पसंद हैं! आप अपनी जुबान के बहुत पक्के हैं! जो कहते हैं, वही करते हैं!!"
और उससे भी अच्छी बात यह है कि आप एक खुद्दार इंसान हैं! और मैं यह बिल्कुल भी नहीं चाहूँगा कि मेरी वजह से आपकी इज़्ज़त पर कोई आँच आए! इसलिए सिर्फ़ आपकी वजह से मैं यहाँ से जा रहा हूँ, बिना नीर को अपने साथ लिए। "आप यह मत सोचना कि मैं नीर को छोड़कर जा रहा हूँ।"
"इसका मतलब यह नहीं कि मैं प्यार नहीं करता! बहुत प्यार करता हूँ! नीर से, आप शायद सोच भी नहीं सकते। नीर मेरा सुकून है, मेरी ज़िंदगी है! और मैं अपने सुकून, अपनी ज़िंदगी के लिए आपकी फैमिली का सुकून नहीं छीन सकता!" फिर संदीप राजेंद्र के आगे हाथ जोड़कर बोला, "मैंने जो आपके साथ किया, उसके लिए मुझे माफ़ करना!"
"मैं बस यही चाहता था कि अगर मैं नीर को यहाँ से ले जाकर शादी कर लूँगा, तो शायद लोग कुछ नहीं कहेंगे! लेकिन शायद मैं यह भूल गया था कि इस समाज के लोग लड़की के साथ-साथ उसकी फैमिली की परवरिश पर उंगली उठाना बहुत अच्छी तरह जानते हैं! अब मैं चलता हूँ। दोबारा नीर के या इस घर के आस-पास भी मैं आपको कभी नहीं देखूँगा!" यह कहकर संदीप अपने आदमियों को लेकर वहाँ से चला गया।
थोड़ी देर बाद संदीप अपनी कार के पास आया और उसने एक नज़र वहाँ खड़े अपने आदमियों को देखा। फिर कार में जाकर बैठ गया। बबलू और बाकी सब लोग, संदीप को अकेले आता देख, कन्फ़्यूज़ थे। उन्होंने संदीप के साथ जो आदमी गए थे, उनकी तरफ़ देखा और पूछा, "क्या हुआ? भाभी को नहीं लेकर आए?"
बबलू की बात सुनकर संदीप के साथ जो आदमी गए थे, उन्होंने अपना सर नीचे झुका लिया। "बबलू, तुम कुछ बोलते क्यों नहीं हो?" लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया। संदीप बबलू की आवाज़ सुनकर सख्त आवाज़ में बोला, "कार में बैठो! और चलो यहाँ से! और दोबारा कोई इस बारे में बात नहीं करेगा!" संदीप की बात सुनकर सब कार में बैठ गए। बबलू ने कार स्टार्ट की और वहाँ से निकल गए। बबलू, जो कार चला रहा था, उसने कार के शीशे में से संदीप को देखा जो अपने सर पर हाथ रखकर टेक लगाए बैठा था। बबलू ने संदीप को देखकर उदासी से सर हिला दिया।
कुछ घंटे बाद संदीप की कार उसके घर के आगे रुकी। संदीप जल्दी से कार से उतरा और घर की तरफ़ चला गया। बबलू ने संदीप को जाता देख उदास हो गया और पलटकर उन आदमियों की तरफ़ देखकर गुस्से में चिल्लाते हुए बोला, "(जो संदीप के साथ नीर को लेने गए थे,) मुझे तुम लोग यह बताओ कि वहाँ पर क्या हुआ? तुम भाभी को लेने गए थे, तो उन्हें लेकर क्यों नहीं आए!!"
"तुम देख रहे हो ना गुरु की हालत! अब मुझे बताओ वहाँ पर क्या हुआ?" बबलू की बात सुनकर उनमें से एक आदमी, जिसका नाम राणा था, बोला, "भाई, वहाँ पर भाभी के पापा आ गए थे! पता नहीं उनको कैसे पता चल गया कि गुरु भाभी को लेने आए हैं!" वहाँ पर जो भी हुआ, वह सब राणा ने बबलू को बता दिया। बबलू राणा की बात सुनकर शांत हो गया और फिर उसने जल्दी से अपना फ़ोन निकाला और किसी को फ़ोन लगा दिया।
कुछ समय बाद आर्यन बबलू के पास आया और बोला, "संदीप कहाँ है?" "बबलू, अच्छा हुआ आप आ गए, गुरु... (एक कमरे की तरफ़ इशारा करके) वहाँ है। जब से भाभी के घर से आए हैं, तब से अपने आप को कमरे में बंद कर रखा है!" फिर अपने चेहरे पर परेशानी लाकर बबलू आगे बोला, "अब कुछ करो ना! कभी गुरु कुछ कर ले अपने आप को..." आर्यन बबलू की बात सुनकर बोला, "कुछ नहीं करेगा!!"
"तुम लोग परेशान मत हो, मैं जाकर देखता हूँ!" यह कहकर आर्यन संदीप के कमरे के बाहर आकर खड़ा हो गया और उसने दरवाज़ा खटखटाया। लेकिन संदीप ने दरवाज़ा नहीं खोला। आर्यन ने फिर से दरवाज़ा खटखटाया, इस बार भी संदीप ने दरवाज़ा नहीं खोला। परेशान होकर आर्यन ने बबलू से कमरे की चाबी लाने को कहा। बबलू जल्दी से भागकर गया और कमरे की चाबी लाकर आर्यन को दे दी।
आर्यन ने बबलू और बाकी सब की तरफ़ देखकर बोला, "तुम सब यहाँ से जाओ! मैं संदीप से बात करता हूँ!" "पर भाई, संदीप..." "पर...वार... कुछ नहीं! मैंने कहा ना तुम लोग जाओ!" आर्यन की बात सुनकर बबलू और बाकी के लोग वहाँ से चले गए।
आर्यन ने जल्दी से दरवाज़ा खोला और अंदर आया। उसने देखा कि संदीप ज़मीन पर बैठा था और बेंच से टेक लगाए हुए था, और उसके हाथ में नीर की फ़ोटो थी। आर्यन संदीप को इस तरह देखकर उदास हो गया और चलकर संदीप के पास आया। उसने संदीप के कंधे पर हाथ रखकर बोला, "...संदीप..."
संदीप ने जैसे ही आर्यन की आवाज़ सुनी, तो जल्दी से उसके गले लग गया और आँखों में आँसू लाकर बोला, "आर्यन, बहुत प्यार करता हूँ यार! मैं उससे नहीं जी सकता! उसके बगैर! इसलिए मैं उसको लेने गया था... ले...किन... नहीं ले आ सका... उसको, क्योंकि मैं अपनी खुशी की खातिर किसी और को दुःख नहीं दे सकता!!"
और अंकल जिस तरह के इंसान हैं, उनको तो बिल्कुल भी दुःख नहीं दे सकता! पर मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही है!" फिर आर्यन से अलग हुआ और बोला, "तुझे पता है ना, मैं जिससे भी प्यार करता हूँ, वो कभी मुझे नहीं मिलता! ऐसा क्यों होता है? मेरे साथ क्यों? मुझे मेरी खुशी नहीं मिल सकती!!"
आर्यन संदीप की ऐसी हालत देखकर उसकी आँखें नम हो गईं। फिर आर्यन ने संदीप का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़कर बोला, "मेरी तरफ़ देख संदीप, मेरी बात ध्यान से सुन! अगर तेरे नसीब में नीर लिखी होगी, ना तो कोई भी उसको तेरा होने से नहीं रोक सकता! चाहे कितनी भी मुश्किल आ जाए! नीर तुझे मिलकर ही रहेगी!!"
आर्यन ने अपने दोनों हाथों में संदीप का चेहरा पकड़ा और संदीप की आँखों में देखते हुए बोला, "और तुझे तब तक सब्र रखना होगा! अगर तू ऐसे ही करता रहा, तो मुझे नहीं लगता नीर तुझे कभी मिलेगी। अगर तू चाहता है नीर तुझे मिले, तो तुझसे अपने आप को मजबूत और नीर के लायक बनना होगा।"
संदीप आर्यन की बात सुनकर उदासी से बोला, "अगर मैं नीर के लायक बन भी गया, तो अब मुझे नीर नहीं मिल सकती! यार क्योंकि अंकल कभी नहीं देंगे नीर का हाथ मेरे हाथों में नहीं देंगे!"
आर्यन सीरियस होकर बोला, "क्यों नहीं देंगे? तुझ में क्या बुराई है? बोल।"
संदीप आर्यन से अलग हुआ और खड़ा होकर बोला, "बुराई... बुराई तो बहुत है यार मेरे में... सब जानते हैं! मैं गुस्सा बहुत करता हूँ और लोगों की गलत बातें बर्दाश्त नहीं करता! और अब जो रास्ते पर मैं चला हूँ, उसकी वजह से अब तो कोई भी मुझे अच्छा नहीं कहता! तो फिर तू कैसे कह सकता है मेरे में कोई बुराई नहीं है!"
आर्यन संदीप की बात सुनकर खड़ा हुआ और संदीप को अपनी तरफ करके बोला, "तो छोड़ क्यों नहीं देता यह सब? जब जानता है यह गलत है, इससे बस तेरा ही नुकसान होगा और किसी का नहीं। अगर तू ऐसे ही करता रहा, तो एक दिन तो मर जाएगा, लेकिन इससे तो तुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन जिसको पड़ेगा, वह होंगे तेरे अपने, जो तुझे उस हालत में देखकर खुद मर जाएँगे! मैं इसलिए कह रहा हूँ, छोड़ दे यह सब गलत रास्ते... लौट वापस संदीप!"
संदीप आर्यन की आँखों में देखते हुए बोला, "नहीं... नहीं आ सकता! मैं वापस और नहीं अब आना चाहता हूँ क्योंकि अब मुझे जीने की ख्वाहिश नहीं है।"
आर्यन ने जैसे ही संदीप की बात सुनी, तो उसके चेहरे पर गुस्सा आ गया। वह अभी कुछ कहता, इतने में उसका फ़ोन बजने लगा। आर्यन ने अपना फ़ोन उठाया और कान से लगाया। उधर से पूजा की आवाज़ आई।
"आर्यन, तुम जहाँ भी हो जल्दी से घर आ जाओ! मुझे तुमसे बहुत ज़रूरी बात करनी है! जितना हो सके उतनी जल्दी घर आओ!"
आर्यन पूजा की बात सुनकर घबराकर बोला, "क्या हुआ मामी? कोई परेशानी है? क्या?"
"पूजा तुम जल्दी आ जाओ, फिर बताऊँगी!"
"ठीक है..." आर्यन ने फ़ोन रखा और संदीप को एक नज़र देखकर वहाँ से चला गया।
थोड़ी देर बाद आर्यन पूजा के सामने खड़ा था।
"मामी, क्या बात है? आपने मुझे इतनी जल्दी क्यों बुलाया है?"
पूजा आर्यन की बात सुनकर जल्दी से खड़ी हुई और रोते हुए बोली, "मैं अपने बच्चे को नहीं खो सकती... आर्यन, इसलिए तुम मुझे अभी नीर के पास ले चलो। मुझे उसके आगे चाहे हाथ ही न जोड़ने पड़ें, लेकिन मैं अपने बेटे की ज़िंदगी के लिए उससे बात करूँगी!"
आर्यन पूजा की ऐसी बात सुनकर उनके दोनों कंधे पकड़कर बोला, "आप ऐसा क्यों कह रही हैं मामी? कुछ हुआ है क्या?"
पूजा रोते हुए उसने अपना सर नीचे झुकाया और बोली, "पुलिस आई थी संदीप को ढूँढ़ते हुए... उन्होंने कहा है अगर संदीप ने यह सब करना नहीं छोड़ा, तो वह इसको मार देंगे।" यह कहते हुए पूजा बहुत जोर-जोर से रोने लगी।
जैसे ही आर्यन ने पूजा की बात सुनी, उसने पूजा को अपने गले से लगाया और बोला, "ठीक है आंटी! हम चलेंगे नीर के पास... मैं भी उससे कहूँगा वो संदीप को समझाए। अगर नीर संदीप को समझाएगी, तो मुझे इतना भरोसा है, संदीप ज़रूर समझ जाएगा। हम अभी चलते हैं!" यह कहकर आर्यन ने पूजा को अलग किया और बोला, "आप बेफ़िक्र रहिए, संदीप को कुछ नहीं होगा।"
पूजा आर्यन की आँखों में देखते हुए सर हिला दिया।
"ठीक है... फिर चलिए।" यह कहकर दोनों कमरे से बाहर निकल गए।
कुछ घंटे बाद नीर का घर। आज शालिनी और राजेंद्र किसी रिश्तेदार के घर गए हुए थे। बस घर में नीर और सुमन ही थीं। इतने में किसी ने दरवाज़ा खटखटाया। नीर जो अपने कमरे में थी, वह निकल कर बाहर हॉल में आई और उसने सुमन को इधर-उधर देखा। जब उसको सुमन नहीं देखी, तो उसने जाकर दरवाज़ा खोला।
जैसे ही नीर ने दरवाज़ा खोला, उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। "आंटी आप यहाँ आई? अंदर आइए।"
पूजा नीर को देखते हुए बोली, "बेटा, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। क्या हम कर सकते हैं?"
"ज़रूर आंटी, पहले आप अंदर आइए, फिर आराम से बैठकर बात करेंगे!" यह कहकर नीर, पूजा और आर्यन को अंदर बुलाया। दोनों जाकर सोफ़े पर बैठ गए।
"नीर, मैं आप लोगों के लिए कुछ खाने को लाती हूँ।" यह कहकर जैसे ही नीर किचन में जाने लगी, इतने में पूजा जल्दी से खड़ी हुई और नीर का हाथ पकड़कर बोली, "नहीं बेटा, अभी नहीं। पहले मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है। पहले मेरी बात सुन लो!"
नीर पूजा की बात सुनकर परेशान होकर बोली, "क्या हुआ आंटी? कोई ज़रूरी बात है क्या जो आप इतनी जल्दी करना चाहती हैं? घर पर सब ठीक है? ना कुछ हुआ है क्या?"
पूजा नीर को देखते हुए आँखों में नमी लाकर बोली, "घर पर तो सब ठीक है बेटा... बस संदीप..."
जैसे ही नीर ने पूजा के मुँह से संदीप का नाम सुना, तो उसके चेहरे पर अजीब सी बेचैनी आ गई। नीर पूजा की तरफ़ देखते हुए बोली, "उनको कुछ हुआ है क्या?"
"नहीं बेटा, उसको कुछ हुआ तो नहीं है! लेकिन वो अगर ऐसे ही करता रहा, तो एक दिन ज़रूर कुछ हो जाएगा! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ, प्लीज़ मेरे बेटे को समझाओ। वो यह सब छोड़ दे... वो तुम्हारी बात ज़रूर सुनेगा। मुझे पता है... तुम बस मेरे बेटे को मुझे लौटा दो... मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ!"
नीर पूजा की बात सुनकर कन्फ़्यूज़ होकर आर्यन और पूजा की तरफ़ देखते हुए बोली, "आप क्या कह रही हैं आंटी? मेरे तो कुछ समझ नहीं आ रहा! पहले आप मुझे पूरी बात बताइए, क्या बात है?"
नीर ने कहा, "ऐसा क्या कर रहे हैं आप? वो जो आपको नहीं करना चाहिए। आप मुझे साफ़-साफ़ बताइए!"
आर्यन ने नीर की बात सुनकर कहा, "मैं बताता हूँ।"
नीर ने आर्यन की तरफ़ पलटकर कहा, "ठीक है! आप ही बताएँ। आंटी क्या कह रही हैं? ऐसा क्या कर रहे हैं जो बस में ही उनको समझा सकती हूँ?"
आर्यन ने नीर की तरफ़ देखा और सोफे की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, "पहले तुम यहाँ बैठो।" नीर आर्यन की बात सुनकर सोफे पर बैठ गई। आर्यन भी नीर के सामने बैठ गया और नीर को देखते हुए बोला, "देखो, मैं नहीं जानता, तुम्हें यह पता है या नहीं कि संदीप तुमसे प्यार करता है! प्यार ही नहीं, बहुत ज़्यादा मोहब्बत करता है!"
"मैंने आज तक कभी उसको ऐसा नहीं देखा, जैसा आज तुम्हारे जाने के बाद उसका हाल हुआ है!"
नीर ने आर्यन की बात सुनते ही शौक खाया। एकदम से आर्यन की आवाज़ से होश में आई और आर्यन की तरफ़ देखने लगी।
आर्यन ने आगे कहा, "संदीप ने तुम्हारा हाथ माँगने के लिए बुआ को भी भेजा था!"
"लेकिन तुम्हारे पापा ने मना कर दिया।" नीर ने यह सुनते ही अपने चेहरे पर आश्चर्य लाते हुए कहा, "इसका मतलब आंटी जो उस दिन आई थीं, वो इसलिए आई थीं?"
आर्यन ने नीर की बात सुनकर सिर हिला दिया।
"आर्यन, और इतना ही नहीं, तुम्हारे जाने के बाद संदीप गलत रास्ते पर चल गया! तुम्हें अपना बनाने के लिए उसने अपनी सारी अच्छाई छोड़कर बुराई के रास्ते पर चलने लगा! अब वहाँ के लोग संदीप को संदीप नहीं, गुंडा कहकर बुलाते हैं!" आर्यन ने नीर को सब बता दिया, संदीप के गुंडा बनने की पूरी कहानी।
आर्यन की बात सुनकर नीर बहुत ज़्यादा बेचैन और परेशान हो गई।
आर्यन ने कहा, "पर कल संदीप यहाँ तुम्हें लेने आया था!"
नीर ने आर्यन की बात सुनते ही एकदम चिल्लाते हुए कहा, "क्या? मुझे लेने? क्या मतलब है?"
आर्यन ने कहा, "हाँ, कल संदीप तुम्हें यहाँ से लेकर जाने आया था! लेकिन तुम्हारे पापा को पता नहीं कैसे पता चल गया। उन्होंने संदीप को रोका और अगर अंकल संदीप को नहीं रोकते तो आज तुम यहाँ नहीं होती!!"
जैसे ही आर्यन की बात ख़त्म हुई, पूजा और नीर दोनों ही आँखें बड़ी-बड़ी करके आर्यन को घूरने लगीं। संदीप दोनों की तरफ़ देखते हुए पीछे हटकर बोला, "आप दोनों ऐसे क्यों देख रही हैं मुझे?"
पूजा ने एकदम कहा, "तुमने मुझे यह क्यों नहीं बताया? संदीप नीर को यहाँ लेने आया था!" और फिर बोली, "भाई साहब को सब पता चल गया। संदीप के बारे में... वो हमारे बारे में क्या सोच रहे होंगे? कि हम अपने बेटे को अच्छे संस्कार नहीं दे सके।" यह बोलते हुए पूजा उदास हो गई।
आर्यन ने कहा, "अब जो हो गया उसको तो हम बदल नहीं सकते। अब जो आगे होगा, उसको बदलने की पूरी कोशिश करेंगे। इसलिए आप पुरानी बातें छोड़िए, आगे का सोचिए। फिर नीर की तरफ़ देखकर बोला, तुम संदीप से बात करो कि वह यह सब छोड़ दे! तुम्हारी बात ज़रूर सुनेगा।"
पूजा ने कहा, "हाँ बेटा, मेरे बेटे को समझाओ। वो यह सब छोड़ दे। मैं उसको नहीं खो सकती! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ, तुम कहो तो मैं तुम्हारे पैर भी पकड़ लूंगी! लेकिन मेरा बेटा मुझे लौटा दो।"
नीर पूजा की बात सुनकर जल्दी से खड़ी हुई और उनका हाथ पकड़कर बोली, "आप यह क्या कर रही हैं? और कैसी बात कर रही हैं? आंटी आप मुझसे बड़ी हैं, आप मेरे आगे हाथ जोड़ें यह सही नहीं है!!"
पूजा ने कहा, "नहीं बेटा, अगर हम किसी से कुछ माँगते हैं, तो उसके आगे हाथ जोड़ना पड़ता है। और मैं तुमसे अपना बेटा माँगा है! मुझे तो यह हाथ जोड़ने ही पड़ेंगे।"
पूजा की बात सुनकर नीर उदास होकर बोली, "आंटी, मैं आपकी किसी तरह की बेटी नहीं हूँ।"
पूजा ने नीर की बात सुनकर ना में सिर हिला दिया।
नीर ने कहा, "तो फिर आप कैसे कह सकती हैं कि किसी के आगे मुझे आप अपनी बेटी मानती हैं? और बेटी के आगे कभी हाथ नहीं जोड़ते। उससे तो डायरेक्ट कहा जाता है जो आपको कहना है, यह हाथ नहीं जोड़े जाते।"
नीर की बात सुनकर पूजा की आँखें नम हो गईं और चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए नीर के गले लग गईं।
नीर पूजा से अलग हुई और उनकी तरफ़ देखते हुए बोली, "आप बेफ़िक्र रहिए आंटी, मैं बात करूंगी उनसे, उनको समझाऊंगी। मैं बिल्कुल भी यही नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से किसी की ज़िन्दगी में कोई तकलीफ़ आए। और आज संदीप जी की ज़िन्दगी में मैं खुद तकलीफ़ बन गई हूँ।"
पूजा ने कहा, "ऐसा नहीं है बेटा, तुम किसी की ज़िन्दगी में कोई तकलीफ़ नहीं हो, यह सोचना बंद करो। और रही बात संदीप की ज़िन्दगी में, बेटा वो तो नसीब में लिखा होता है, कहाँ दुःख हो, कहाँ तकलीफ़ हो, यह सब ऊपर वाला तय करता है। इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं, हम इसको नहीं बदल सकते, लेकिन हम समझा ज़रूर सकते हैं। और वो हम करेंगे।"
नीर पूजा की बात सुनकर हाँ में सिर हिला दिया।
"लेकिन मैं ज़रूर बदल सकता हूँ!"
जैसे ही नीर और पूजा ने आर्यन की आवाज़ सुनी, वो तीनों एकदम से पीछे पलटकर देखे तो सामने राजेंद्र और शालिनी खड़े थे।
नीर राजेंद्र को देखकर अपना सिर झुका लिया, और वहीं पूजा और आर्यन के चेहरे पर भी परेशानी आ गई। राजेंद्र चलकर पूजा के पास आए और हाथ जोड़कर बोले, "नमस्ते बहन जी!"
पूजा ने कहा, "नमस्ते भाई साहब। राजेंद्र बैठिए, अब खड़ी क्यों?" यह कहकर पूजा ने राजेंद्र को सोफे पर बैठने का इशारा किया और खुद भी जाकर सोफे पर बैठ गईं। एक नज़र नीर को दिखा और पूजा की तरफ़ देखकर बोले, "मैं कभी अपनी ज़ुबान से नहीं पलटा, लेकिन आज... आज पलट रहा हूँ, वो भी संदीप की वजह से।"
नीर, पूजा, आर्यन और शालिनी तीनों ने आश्चर्य से राजेंद्र की तरफ़ देखना शुरू कर दिया। राजेंद्र उन तीनों की तरफ़ देखकर चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए बोले, "मैं संदीप का रिश्ता अपनी बेटी के लिए स्वीकार करता हूँ!"
राजेंद्र पूजा को देखते हुए बोले, "मुझे संदीप का रिश्ता मंजूर है, मेरी बेटी नीर के लिए।" जैसे ही नीर, पूजा, आर्यन और शालिनी राजेंद्र की बात सुनीं, तो अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके राजेंद्र को घूरने लगीं। पूजा खुशी से राजेंद्र को देखकर बोली, "आप... आप सच कह रहे हैं भाई साहब?"
राजेंद्र पूजा को देखते हुए बोले, "हाँ, मैं सच कह रहा हूँ! और मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। संदीप पहले कैसा था, लेकिन अब संदीप को सब कुछ छोड़ना होगा। उसको सारे गलत काम बंद करने होंगे। और अगर वो ऐसा करता है, तो मैं भी आपसे वादा करता हूँ, मेरी बेटी नीर की शादी संदीप से ही होगी।"
पूजा खुशी से खड़े होकर बोली, "मुझे मंजूर है भाई साहब! मैं जानती हूँ, संदीप जरूर नीर के लिए वो सब छोड़ देगा। मैं आज बहुत खुश हूँ! मैं आपको बात नहीं सकती भाई साहब, आपने यह कहकर मुझे कितनी बड़ी खुशी दी।" राजेंद्र पूजा को इतना खुश देखकर मुस्कुराने लगे। वहीं दूसरी ओर, शालिनी खड़ी राजेंद्र की बात सुन रही थी। वह एकदम से खड़ी हुई और अपने चेहरे पर सख्त एक्सप्रेशन लाकर बोली, "लेकिन मुझे मंजूर नहीं है! और मैं बिल्कुल भी अपनी बेटी का हाथ उसे संदीप के हाथ में नहीं दूँगी। मुझे यह रिश्ता मंजूर नहीं है।" शालिनी की बात सुनते ही वहाँ पर एकदम शांति छा गई।
राजेंद्र शालिनी की बात सुनकर सख्त आवाज में बोले, "तुम्हें यह रिश्ता क्यों मंजूर नहीं है? जरा बताने का कष्ट करोगी?" शालिनी राजेंद्र को देखकर बोली, "क्योंकि मुझे संदीप नीर के लिए पसंद नहीं है! इसलिए मैं इन दोनों की शादी नहीं करवाना चाहती।" राजेंद्र गुस्से में खड़े हुए और शालिनी की तरफ देखकर बोले, "मैंने अपनी ज़ुबान दे दी है और तुम्हें पता है ना मैं अपनी जुबान से पीछे नहीं हटता। इसलिए तुम्हारी मर्ज़ी हो या ना हो, नीर की शादी संदीप से होकर ही रहेगी। और मेरा फैसला कोई नहीं बदल सकता।" फिर पूजा की तरफ देखकर बोले, "आप बेफ़िक्र रहिए बहन जी, संदीप की शादी नीर से ही होगी। शादी की तैयारी करें।" यह कहकर राजेंद्र एक नज़र शालिनी को देखकर वहाँ से चले गए।
शालिनी राजेंद्र को जाते देख अपना सर नीचे झुका लिया और फिर पूजा की तरफ देखकर बोली, "मुझे माफ़ करना बहन जी। मैं यह नहीं कह रही कि आपका संदीप बुरा है! लेकिन मैं बेटियों की माँ हूँ, मुझे अपनी बेटियों के लिए बस अच्छा हमसफ़र चुनना है। और मुझे संदीप नीर के लिए सही नहीं लगा, इसलिए मैंने ऐसा कहा। आपको मेरी बात का बुरा लगा हो तो मुझे माफ़ कर देना।"
यह कहकर शालिनी ने पूजा के आगे अपने दोनों हाथ जोड़ लिए। पूजा जल्दी से शालिनी के पास आई और उनके हाथ पकड़कर बोली, "आप कैसी बात कर रही हैं बहन जी! यह तो आपका कर्तव्य है कि आप अपनी बेटी की शादी अच्छे घर में करें! लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ, आपकी बेटी नीर को मेरे घर में कोई परेशानी नहीं होगी। बस एक बार आप मुझ पर भरोसा करके देखिए।"
शालिनी ने उम्मीदवारी नज़रों से पूजा की तरफ देखा और बोली, "ठीक है, मैं आपके ऊपर भरोसा करती हूँ, इसलिए मुझे कोई आपत्ति नहीं है।" जैसे ही पूजा ने शालिनी की बात सुनी, तो उन्होंने खुशी से शालिनी को गले लगा लिया और बोली, "शुक्रिया बहन जी मुझ पर विश्वास करने के लिए और मैं यह विश्वास कभी टूटने नहीं दूँगी।" शालिनी मुस्कुराते हुए पूजा से अलग हुई और बोली, "आप लोग बैठिए, मैं आपके लिए कुछ खाने को लाती हूँ।" यह कहकर वह किचन में चली गई।
नीर, जो खड़ी शालिनी की बातें सुन रही थी, उसके चेहरे पर भी शालिनी की बात सुनकर मुस्कुराहट आ गई। आर्यन, जो राजेंद्र की हाँ करने से सोच में गुम था, वह जल्दी से पूजा के पास आया और बोला, "मामी अब तो किसी बात की फ़िक्र नहीं है ना, क्योंकि अब नीर की शादी संदीप से हो रही है!"
आर्यन खुश होकर बोला, "जल्दी से अब घर चलिए, क्योंकि मुझे यह बात संदीप को भी बतानी है। जब मैं उसको यह बात बताऊँगा, तो उसका कैसा रिएक्शन होगा, यह जानने को मैं बहुत उतावला हूँ।" फिर आर्यन नीर की तरफ देखा और चलकर नीर के पास आया और बोला, "तुम्हें पता है नीर... सॉरी, सॉरी अब नीर नहीं... भाभी हो गई हो।" आर्यन की बात सुनकर नीर ने सर नीचे कर लिया और हल्का सा मुस्कुरा दी।
आर्यन नीर को शर्माता देख अपने चेहरे पर मुस्कान लाकर बोला, "तुम्हें पता है भाभी, मुझे पूरा भरोसा था कि तुम्हारी शादी संदीप से ज़रूर होगी। बस थोड़ा वक़्त लगेगा, लेकिन होगी ज़रूर। यह देखो आज वो भरोसा जीत गया। आज राजेंद्र अंकल ने तुम्हारा हाथ संदीप के हाथ में दे ही दिया है। और मेरी यह दुआ है, तुम दोनों की जोड़ी हमेशा सलामत रहे, किसी की नज़र ना लगे।" नीर ने अपना सर ऊपर उठाया और आर्यन को देखा और बोली, "थैंक यू भाई!"
आर्यन ने मुस्कुराते हुए नीर के सर पर हाथ फेर दिया। इतने में शालिनी पूजा और आर्यन के लिए कुछ खाने को लेकर आ गई। "आप खड़े क्यों हैं, बैठिए।" फिर उसने नाश्ता टेबल पर रख दिया।
शाम का समय।
आर्यन और पूजा अपने घर पहुँचे। जब आर्यन और पूजा को पता चला कि संदीप घर नहीं है, तो आर्यन संदीप से मिलने वहीं चला गया जहाँ संदीप रहता था। जैसे ही आर्यन वहाँ आया, उसने देखा बबलू, राणा और बाकी सब लोग बैठे हुए बातें कर रहे हैं। आर्यन उनके पास आया और बोला, "संदीप कहाँ है?" बबलू कन्फ्यूज होकर आर्यन को देखा और बोला, "यह क्या कह रहे हो भाई!"
"गुरु तो आप ही के साथ ही तो गए थे।" आर्यन ने कहा। आर्यन आचार्य से बोला, "यह तुम क्या बोल रहे हो? संदीप मेरे साथ नहीं गया था, वो तो यहीं था।" बबलू आर्यन की बात सुनकर परेशानी से बोला, "यह क्या कह रहे हैं भाई! जब हम यहाँ आए थे, तो यहाँ पर गुरु नहीं थे। हमने सोचा शायद वो आपके साथ घर गए होंगे, इसलिए हमने भी उनको ढूँढने की कोशिश नहीं की।" आर्यन ने जैसे ही बबलू की बात सुनी, तो घबराकर उन सब से बोला, "अब मेरा मुँह देख रहे हो? जाकर ढूँढो कहाँ गया संदीप!" बबलू और बाकी सब लोग आर्यन की बात सुनकर जल्दी से संदीप को ढूँढने बाहर निकल गए।
क्रमशः...
बबलू और बाकी सब लोग संदीप को ढूँढने बाहर निकल गए। आर्यन ने अपने चेहरे पर दोनों हाथ रखे और बोला, "कहाँ चला गया यार? तू कहीं कुछ गलत मत कर लेना, जिसे बाद में तुझे पछताना पड़े।" यह कहकर आर्यन भी वहाँ से संदीप को ढूँढने निकल गया।
सब जगह आर्यन ने संदीप को ढूँढा, लेकिन संदीप कहीं नहीं मिला। थक हारकर आर्यन उसी घर के पास आकर खड़ा हो गया। इतने में उसके पास बबलू, राणा और बाकी सब लोग आये। "भाई," बोले बबलू, "हमने संदीप को सब जगह देख लिया, वह कहीं नहीं है। पता नहीं कहाँ चले गए! अब क्या करें? कहाँ ढूँढें उनको?" राणा आर्यन की तरफ देखकर बोला, "भाई, आपको कोई ऐसी जगह पता है जहाँ संदीप परेशान या उदास होने पर जाता था?"
एकदम से आर्यन के दिमाग में कुछ आया। आर्यन जल्दी से वहाँ से भागा। बबलू और बाकी लोग आर्यन को ऐसे भागते हुए देखकर उसके पीछे निकल पड़े।
थोड़े समय बाद आर्यन ने अपनी बाइक एक बीच पर रोकी। आर्यन जल्दी से बाइक से उतरा और भागता हुआ बीच के किनारे पर आया। तो उसने देखा, संदीप पानी में खड़ा हुआ है!
आर्यन ने संदीप को देखकर गहरी साँस ली और चलकर उसके पास आया। आर्यन ने संदीप के कंधे पर हाथ रखा। संदीप सामने देखते हुए बोला, "क्या हुआ? क्यों आया है तू यहाँ?" (संदीप कंधे पर हाथ रखने से ही पहचान गया था कि यह आर्यन है, क्योंकि इस जगह के अलावा कोई नहीं जानता था कि संदीप उदास या परेशान होता है तो यहीं आता है।)
आर्यन बोला, "पहले तू बता, तू यहाँ क्या कर रहा है? इतनी रात में पानी में खड़ा, वो भी ठंड में?" संदीप अपने चेहरे पर दर्द भरी मुस्कान लाकर बोला, "तू रात की बात कर रहा है? मेरी ज़िन्दगी में तो हर दिन रात के बराबर है! तुम मेरी फ़िक्र मत करो, मैं ठीक हूँ। तू घर जा, बहुत टाइम हो गया। तेरा घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे!"
आर्यन संदीप को अपनी तरफ़ करके बोला, "मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे, और तेरा तो कोई नहीं है दुनिया में इंतज़ार करने के लिए! तू क्या कर रहा है? मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा। तू चाहता क्या है? तू क्यों अपनी फैमिली को दुःख दे रहा है ऐसी हरकतें करके? सिर्फ़ अपने आप को तकलीफ़ नहीं, मुझे और बाकी सबको भी तकलीफ़ दे रहा है।"
आर्यन की बात सुनकर संदीप अपना चेहरा सख्त करके बोला, "तो क्यों हो रहे हो मेरी वजह से परेशान? मैंने कहा था तुम लोगों से कि तुम परेशान हो मेरी वजह से?" फिर आर्यन की तरफ़ अपनी एक उंगली दिखाकर गुस्से में बोला, "तुम लोगों को तकलीफ़ लेने की ज़रूरत नहीं है। सोच लो, आज से संदीप मर गया! नहीं रहा आज से संदीप। और बाकी घरवालों को भी कह दो, संदीप नहीं रहा है, तो उसके लिए परेशान होने की ज़रूरत नहीं है!"
संदीप की बात सुनकर आर्यन ने गुस्से में संदीप का गिरेबान पकड़ लिया और बोला, "बकवास बंद कर! अपनी बहुत बोल लिया तू। ठीक है, तू मेरे लिए मर गया, घरवालों के लिए मर गया, और नीर क्या, उसके लिए भी मर गया? तो फिर कह दूँ मैं अंकल से जाकर कि अब यह शादी नहीं हो सकती, क्योंकि संदीप तो मर गया!" आर्यन ने गुस्से में संदीप का गिरेबान छोड़ा और उससे पीछे होकर बोला, "ठीक है, कह दूँगा मैं घरवालों से कि मर गया संदीप, अब उनको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। और नीर को भी कह दूँगा वह यह ख्वाब छोड़ दे कि उसकी शादी संदीप से होगी! क्योंकि संदीप तो मर गया!" यह कहकर आर्यन वहाँ से जाने लगा।
संदीप, जो आर्यन की बात सुनकर शौक में था, आर्यन को जाता देख जल्दी से उसके पास आया, उसके दोनों कंधे पकड़कर बोला, "तू यह क्या कह रहा है? क्या अंकल ने शादी के लिए हाँ कर दी है? और नीर ने भी? तूने अभी क्या कहा?" आर्यन संदीप को अपने आप से दूर करते हुए गुस्से में बोला, "मुझे कुछ नहीं बताना! क्योंकि तू तो मेरे लिए भी मर गया है, और मरे हुए इंसान से कोई बात तो करता नहीं है। मुझे नहीं करनी तुझसे बात।" यह कहकर आर्यन वहाँ से जाने लगा। संदीप जल्दी से आर्यन के सामने आया और मासूमियत से बोला, "ठीक है, सॉरी यार, गलती हो गई। दोबारा नहीं करूँगा! ऐसी गलती अब तो बता दे।"
आर्यन बोला, "नहीं बताना मुझे, और ना ही तुझसे अब बात करनी है।" यह कहकर जाने को हुआ। संदीप ने आर्यन का हाथ पकड़ा और अपने गले से लगाकर बोला, "अब क्या पैर पकड़वाने का इरादा है? तो ठीक है, मैं पैर भी पकड़ लूँगा, लेकिन मुझे बता दे तू, कहना क्या चाहता है, मुझे बहुत बेचैनी हो रही है! बता देना यार!" फिर आर्यन से अलग हुआ। "ठीक है, तू यह चाहता है, मैं पैर पकड़ूँ, ठीक है, मैं पैर पकड़ता हूँ।" यह कहकर जैसे ही संदीप आर्यन के पैर पकड़ने को हुआ, आर्यन ने जल्दी से संदीप के कंधे पकड़कर रोक लिया और खड़ा करके बोला, "इसकी ज़रूरत नहीं है। जा, माफ़ किया मैंने तुझे। तू भी याद रखेगा, लेकिन दोबारा तुझसे ऐसी कोई गलती ना हो, वरना अबकी बार कभी माफ़ नहीं करूँगा।" संदीप बोला, "वादा करता हूँ, कभी कोई ऐसी बात नहीं करूँगा जिससे तुझे दुःख पहुँचे।" यह कहकर संदीप ने आर्यन को अपने गले से लगा लिया!
वहीं थोड़ी दूर पर बबलू और राणा, बाकी सब लोग खड़े, मुस्कुराते हुए उन दोनों को देख रहे थे। बबलू राणा को देखकर बोला, "आर्यन भाई ने अभी क्या कहा था कि अंकल से जाकर शादी के लिए मना कर दूँगा! क्या अंकल ने शादी के लिए हाँ कर दी है?" राणा खिसियाते हुए बबलू की तरफ़ देखकर बोला, "मैं भी तेरे पास ही खड़ा हूँ, तो मुझे कैसे पता होगा? जितना तूने सुना है, उतना ही मैंने सुना है। ऐसा तो नहीं है कि आर्यन भाई ने मुझे अलग से सब कुछ बता दिया हो।" बबलू अपने दाँत दिखाते हुए बोला, "तो इतना गुस्सा क्यों कर रहा है यार? मैं तो बस पूछ ही तो रहा था।" वहीं आर्यन संदीप से अलग हुआ और बोला, "मैं और मामी नीर से बात करने नीर के घर गए थे!"
क्रमशः
आर्यन संदीप से अलग हुआ और बोला, "मैं और मामी नीर के घर गए थे, उससे बात करने।" जैसे ही संदीप ने यह सुना, उसके चेहरे पर बेचैनी छा गई। उसने कहा, "तुम नीर से मिले? कैसी है? वो ठीक तो है ना? उसको कोई परेशानी तो नहीं है ना?" आर्यन संदीप की तरफ देखकर बोला, "हाँ, वो ठीक है, बिल्कुल ठीक है। कोई परेशानी नहीं है। अब, तुम ध्यान से मेरी बात सुन रहा है या मैं जाऊँ?"
यह कहकर जैसे ही आर्यन पीछे मुड़ा जाने के लिए, संदीप जल्दी से हड़बड़ाकर बोला, "नहीं-नहीं! मैं सुन रहा हूँ। अब कुछ नहीं बोलूँगा। पक्का।" यह कहकर संदीप सीधा खड़ा हो गया। आर्यन संदीप को देखकर हल्का सा मुस्कुराया और बोला, "जब हम नीर से बात कर रहे थे, इतने में अंकल आ गए और उन्होंने हमारी बात सुनकर कहा..."
आर्यन ने जो कुछ भी नीर के घर हुआ था, वो सब संदीप को बता दिया। और संदीप की तरफ देखकर बोला, "अब तुझे यह सब छोड़ना होगा। तुझे अगर नीर चाहिए, तो..." संदीप जो शोक में खड़ा था, उसको देखकर आर्यन बोला, "अब कुछ बोलेगा? ऐसा क्यों खड़ा है?" यह कहकर आर्यन ने संदीप को हिलाया। संदीप जल्दी से होश में आया और आर्यन की तरफ देखकर बोला, "तो सच कह रहा है?" आर्यन ने कहा, "हाँ बाबा, मैं सच कह रहा हूँ। और झूठ क्यों बोलूँगा तुझसे?"
संदीप आर्यन की बात सुनकर आर्यन से दूर हुआ और अपने दोनों हाथों से बालों को पकड़कर चीखा, "हहहहहहहहहहहहह!" और फिर ऊपर देखकर हँसने लगा। आर्यन संदीप को इतना खुश देखकर मुस्कुरा दिया।
संदीप जल्दी से आर्यन के पास आया, उसके दोनों कंधे पकड़कर बोला, "मैं बहुत खुश हूँ यार! तुझे मैं बात नहीं कर सकता। तूने यह बात बताकर मुझे कितनी बड़ी खुशी दी है! मैं बहुत खुश हूँ और मैं तुझे वादा करता हूँ, सब कुछ छोड़ दूँगा। सब कुछ! बस एक बार नीर से शादी हो जाए।" आर्यन ने कहा, "छोड़ दे। दो महीने बाद तेरी शादी है।" संदीप ने कहा, "हाँ हाँ, आज ही से छोड़ दिए सारे गलत काम। तुझे वादा करता हूँ, आज के बाद कभी किसी के साथ गलत नहीं करूँगा।" और फिर अपना सर नीचे झुकाकर आर्यन से बोला, "मुझे पता है, मैंने तेरा बहुत दिल दुखाया है। उसके लिए हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।"
आर्यन संदीप को देखकर हल्का सा मुस्कुराकर बोला, "मैं तुझसे नाराज़ ही कहाँ था, जो तुझे माफ़ कर दूँ? और तुझसे नाराज़ हो भी नहीं सकता यार, क्योंकि तू मेरी ज़िन्दगी है। तू चाहे मुझे कितना भी बुरा बोल दे, मैं कभी तेरी बात अपने दिल पर नहीं लेता, क्योंकि मुझे पता है तू गुस्से में बहुत ज़्यादा पागल हो जाता है। और अब घर चल, बहुत रात हो गई है।" संदीप ने अपना सर उठाकर आर्यन को दिखाया और बोला, "ठीक है। मैं माफ़ी नहीं माँगूँगा, लेकिन शुक्रिया तो कर ही सकता हूँ!"
"क्योंकि तूने जो आज मेरे लिए किया है, उसके लिए बहुत बड़ा वाला शुक्रिया! मैं यह कभी नहीं भूलूँगा, क्योंकि आज तेरी वजह से नीर से मेरी शादी होने वाली है। कभी नहीं भूलूँगा।" आर्यन संदीप के गले में हाथ डालकर और चलते हुए बोला, "और भूलना भी नहीं! क्योंकि तू जो दूल्हा बनेगा, सिर्फ़ मेरी वजह से। अब तुझे भी मेरे लिए कोई अच्छी, संस्कारी लड़की ढूँढनी होगी।" संदीप हँसते हुए बोला, "बिल्कुल यार! जैसी तुझे पसंद है, वैसी ही ढूँढ कर लाऊँगा।" तू बेफ़िक्र। बातें करते हुए दोनों वहाँ से चले गए। बबलू और बाकी दोस्त भी उन दोनों को देखते हुए मुस्कुरा रहे थे और उनके पीछे-पीछे जाने लगे।
दो महीने बाद...
आज संदीप और नीर की शादी है। सब बहुत खुश थे, लेकिन सबसे ज़्यादा खुश संदीप दिख रहा था, जिसके चेहरे पर से मुस्कुराहट जाने का नाम ही नहीं ले रही थी। दोनों मंडप में बैठे हुए थे और पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे।
थोड़ी देर बाद शादी संपन्न हुई। दोनों ने बड़ों का आशीर्वाद लिया और नीर की विदाई करके संदीप उसे अपने घर ले गया।
संदीप नीर को अपने घर लेकर आ गया। नीर अभी मीत के कमरे में थी क्योंकि दोपहर हो रही थी, इसलिए मीत के कमरे में थी और मीत से बातें कर रही थी। और वहीं संदीप अपने कमरे में नीर का इंतज़ार कर रहा था कि कब नीर उससे बात करे, लेकिन हमारे नीर तो संदीप के पास आने का नाम ही नहीं ले रही थी। ऐसे ही शाम हो गई। सब लोगों ने अपना-अपना डिनर करके हाल में बैठकर बातें कर रहे थे। और पूजा नीर के पास आई जो मूवी देखने में बिजी थी।
पूजा नीर को देखकर बोली, "बेटा, चलो तुम अपने रूम में जाओ। बहुत रात हो गई है।" नीर ने कहा, "नहीं आंटी, मुझे नहीं जाना। मेरी फ़ेवरिट मूवी आ रही है। मैं यह देखकर चली जाऊँगी।" पूजा नीर की बात सुनकर आचार्य से बोली, "यह क्या कह रही हो बेटा? संदीप तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होगा।" नीर पूजा की बात सुनकर कन्फ़्यूज़ होकर बोली, "क्यों? मेरा इंतज़ार क्यों कर रहे होंगे?"
पूजा अपने चेहरे पर परेशानी लाकर बोली, "अब मैं इसको क्या बताऊँ?" फिर उन्होंने आलिया की तरफ देखा और फिर मीत की तरफ। "ठीक है, तुम मूवी देखो, लेकिन जैसे ही मूवी ख़त्म हो जाए, सीधा संदीप के रूम में चली जाना। क्योंकि आज से तुम वहीं रहोगी।" नीर ने कहा, "यह तो जानती हूँ आंटी! इतनी छोटी भी नहीं हूँ। आप बेफ़िक्र रहिए। जैसे ही मूवी ख़त्म होगी, मैं सीधा उनके कमरे में चली जाऊँगी।"
To be continued...
नीर ने पूजा की ओर देखते हुए कहा, "ठीक है आंटी। जैसे ही मूवी खत्म होगी, मैं सीधा उनके कमरे में चली जाऊँगी।" पूजा ने सिर हिलाकर हामी भरी और वहाँ से चली गई। नीर, मीत और आलिया तीनों मूवी देखने लगीं। मूवी देखते-देखते तीनों लड़कियाँ सो गईं। दूसरी ओर, कमरे में संदीप नीर का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था।
जब नीर नहीं आई, तो थक-हारकर संदीप अपने कमरे से बाहर निकला और मीत के कमरे में गया। उसने नीर को सोता हुआ देखा। संदीप को शॉक लगा! वह जल्दी से होश में आया और एक नज़र नीर को देखकर कमरे से बाहर निकल गया। संदीप जल्दी से अपने कमरे में आकर लेट गया और मुँह बनाकर बोला, "हद होती है यार! ऐसा भी कोई करता है? मैं कब से इंतज़ार कर रहा था, लेकिन वो वहीं सो गई! मैं ही पागल था जो इतनी देर से इंतज़ार कर रहा था। मैं भी सो जाता हूँ।" यह कहकर संदीप भी सो गया।
ऐसे ही छह महीने बीत गए। इन छह महीनों में नीर माँ बनने वाली थी। इससे घरवाले और संदीप बहुत खुश थे। संदीप नीर का बहुत ख्याल रख रहा था।
डॉक्टर के केबिन में आर्यन ने कहा, "यार, अब तो बता दे रिपोर्ट में क्या आया है। जब से मैं आया हूँ, तू चुप ही बैठा है। अब तो कुछ बोल दे, एक घंटा हो गया मुझे यहाँ आए हुए।" डॉक्टर, जो आर्यन का दोस्त विक्की था, ने सीरियस होकर आर्यन को देखा और बोला, "मैंने कहा था ना तुझे, अपनी फैमिली को लेकर आना, या फिर संदीप को भी लेकर आ सकता था। लेकिन तू अकेला क्यों आया? मुझे तेरी फैमिली से बात करनी है।"
आर्यन ने कहा, "मुझे ये समझ में नहीं आ रहा है कि मेरी फैमिली को क्यों बुलाना चाह रहा है? रिपोर्ट में ऐसा क्या है जो तू मुझे नहीं बता सकता?"
विक्की ने कहा, "मुझे तो बता, मैं बाद में बाकी सबको बता दूँगा।"
आर्यन ने कहा, "तू समझ क्यों नहीं रहा? मैंने कहा ना, मैं तुझे नहीं बताऊँगा। तू संदीप को फोन कर, चल, तू छोड़, मैं खुद ही कर लेता हूँ।"
विक्की ने अपना फ़ोन उठाया और जैसे ही वह संदीप को फोन करने वाला था, आर्यन ने विक्की से फ़ोन छीन लिया और बोला, "नहीं, पहले तो मुझे बता क्या आया है! क्या कोई सीरियस बीमारी है? मुझे बता दे यार, ऐसा क्या है?"
विक्की ने कहा, "क्योंकि मैं अपनी फैमिली को दुःख नहीं देना चाहता।"
आर्यन ने कहा, "तू उनसे इतनी बड़ी बात छुपाकर खुशी देगा क्या? नहीं, अगर तूने उनको यह बात नहीं बताई, तो और ज़्यादा दुःख पहुँचेगा। इसलिए मैं तुझे कह रहा हूँ, किसी को बुला, अपने पेरेंट्स को बुला ले, मुझे उनसे बात करनी है।"
आर्यन ने कहा, "मैं तुझे नहीं बताऊँगा। तू छोड़, मैं खुद ही संदीप के पास चला जाता हूँ।" यह कहकर विक्की केबिन से जाने लगा। आर्यन जल्दी से विक्की के पास आया और उसका रास्ता रोककर बोला, "तू समझ ना यार मेरी बात को। मैं बता दूँगा बाद में, लेकिन अभी नहीं। तुझे पता है, अभी सब लोग बहुत खुश हैं क्योंकि नीर भाभी माँ बनने वाली हैं और मैं उनकी खुशियों को दुःख में नहीं बदल सकता। मैं पक्का वादा करता हूँ। तो मुझे बता, क्या आया है ऐसा रिपोर्ट में जो तू मुझे नहीं बता सकता?"
विक्की ने आर्यन का हाथ झटककर चीखकर बोला, "क्या बताऊँ तुझे? यही कि तू कुछ दिनों में मरने वाला है। तेरे पास ज़्यादा समय नहीं है, क्योंकि तुझे कैंसर है!"
यह सुनकर आर्यन लड़खड़ाकर दीवार से लग गया। विक्की जल्दी से आर्यन के पास आया और बोला, "तो ठीक तो है ना? सॉरी यार, गुस्से में कुछ ज़्यादा ही बोल गया। लेकिन क्या करूँ, तू खुद मुझे मजबूर कर रहा था। मैं तुझे कह रहा था ना, तू संदीप को बुला ले, लेकिन तू मेरी सुनता ही नहीं है। इसलिए मैं तुझे नहीं बताना चाह रहा था।"
उसकी आँखें नम हो गईं। आर्यन के कानों में बार-बार यह शब्द गूंज रहे थे: "तू कुछ दिनों में मरने वाला है।" उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे। उसने अपना सिर उठाकर विक्की की तरफ देखा और अपनी टूटी-फूटी आवाज में बोला, "तू ये... ये बात... अभी... किसी... को नहीं... बताया... वादा... कर... मुझे..."
विक्की ने कहा, "यार, मुझे सबको बताना होगा ना, क्योंकि तेरे पास ज़्यादा समय नहीं है। अगर मैं तेरी फैमिली को बता दूँगा, तो वो तेरे साथ जितना है, उतना टाइम स्पेंड कर लें, क्योंकि बाद में क्या पता..."
आर्यन ने अपने आँसू पूँछे और खड़ा होकर बोला, "नहीं, तू ये बात अभी किसी को नहीं बताएगा। मैं खुद ही अच्छा दिन देखकर सबको बता दूँगा। लेकिन तू नहीं बताया, अगर तूने किसी को भी बताया, तो मैं तुझे कभी माफ़ नहीं करूँगा।" यह कहकर आर्यन केबिन से निकल गया।
आर्यन हॉस्पिटल से बाहर आया और बारिश में भीगते हुए रोड पर चलने लगा। चलते-चलते वह एक सुनसान सड़क पर आया और अपने घुटनों के बल बैठकर जोर से चीखा। अपना सिर ऊपर उठाकर ऊपर देखते हुए रोते हुए बोला, "ऐसा क्यों? क्या मेरे साथ? अपने आप जानते हैं! ना मेरी माँ मुझे कितना प्यार करती है, वह कभी मुझे अपने आप से दूर जाने नहीं देती। जब उनको यह पता चलेगा तो..." वह खूब जोर-जोर से रोने लगा।
"फिर भी आपने ऐसा क्यों किया? क्या गलती थी मेरी? जो मुझे इतनी ज़िंदगी दी? अरे, ज़िंदगी इतनी ही देनी थी तो मुझे फैमिली क्यों दी? मैं अपनी फैमिली की आँखों में आँसू नहीं देख सकता। और आज आपकी वजह से मेरी फैमिली, मेरा भाई जैसा दोस्त... उनसे क्या कहूँगा? मैं कि मैं मरने वाला हूँ? कैसे सहेंगे वो लोग? आपने क्यों?"
आर्यन ने अपना चेहरा दोनों हाथों में पकड़ा और रोने लगा। थोड़ी देर बाद, आर्यन ने अचानक अपना चेहरा ऊपर किया और अपने आँसू पोछते हुए ऊपर देखकर बोला, "सॉरी, मैंने जो कुछ बोला, मुझे पता है... वो गलत है, लेकिन मैं अपनी फैमिली की तकलीफ़ देखकर आपको इतना कुछ बोल गया। उसके लिए मुझे माफ़ कर देना। जानता हूँ, अपनी मेरी जितनी भी ज़िन्दगी लिखिए, उसमें कोई न कोई तो वजह ज़रूर होगी। और वैसे भी, मुझे इतनी ज़िन्दगी देकर आपने जितनी खुशी दी है..."
"...ना उतने तो मैं पूरी ज़िन्दगी में भी नहीं कमा सकता। मुझे इतनी अच्छी फैमिली, इतना अच्छा दोस्त दिया। वह सब कुछ दिया जो एक इंसान अपनी पूरी ज़िन्दगी में पाता है!... और बहुत से लोगों को तो शायद उनको इतना प्यार भी नहीं मिला होगा जितना आपने मुझे इतनी ज़िन्दगी में दिया है। मुझे आपसे कोई शिकवा-गिला नहीं है। नहीं, मैं आपको यह कहता हूँ..."
"आपने जो मेरे साथ किया, वो गलत है, वह सही लिखा होगा आपने मेरी ज़िन्दगी में, इसलिए मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है।"
यह कहकर आर्यन खड़ा हुआ और उसने अपने आँसू पोछे। फिर ऊपर देखकर बोला, "लेकिन आप मेरी एक और मदद करना। अपनी फैमिली को यह बात बताने के लिए मुझे इतनी हिम्मत देना कि जब मैं यह बात उनको बताऊँ, मेरी आँखों में आँसू ना आएँ, ना ही मैं कमज़ोर पड़ूँ।"
"बस आपसे यह और विनती करता हूँ। फिर उसके बाद मुझे कुछ नहीं चाहिए। आपके पास में खुशी-खुशी आऊँगा। बस यह और मेरी मदद कर दीजिए।" यह कहकर आर्यन वहाँ से चला गया। ऐसे ही कुछ दिन बीत गए। और इन दिनों में आर्यन जितना हो सके अपनी फैमिली के साथ समय बिता रहा था।
उनको खुश रखने की बहुत कोशिश कर रहा था। और संदीप, जो आर्यन के इस बर्ताव से चिंतित हो गया था, एक दिन संदीप ने आर्यन से पूछा... सब फैमिली हॉल में बैठी, बात कर रही थी। संदीप वहाँ आया और आर्यन का हाथ पकड़कर अपने साथ ले जाने लगा। पूजा, संदीप को आर्यन को ऐसे ले जाते देख, बोली, "क्या हुआ? संदीप, तुम आर्यन को ऐसे क्यों लेकर जा रहे हो?"
आर्यन पूजा की बात सुनकर संदीप को देखकर बोला, "हाँ, क्या हुआ? कोई काम है, जो मुझे इतना हड़बड़ाकर लेकर जा रहा है?" संदीप ने एक नज़र पूजा को देखा, और फिर आर्यन को देखकर बोला, "हाँ, मुझे इससे कुछ काम है।" यह कहकर संदीप उसको अपने कमरे में ले गया।
कमरे में लाकर संदीप ने आर्यन का हाथ छोड़ा और गेट लॉक कर दिया। और फिर आर्यन की तरफ़ पलटकर बोला, "अब मुझे बता, क्या बात है? मैं कुछ दिन से देख रहा हूँ, तू कुछ अजीब बर्ताव कर रहा है। मुझे सच-सच बता, कोई परेशानी है क्या?" संदीप की बात सुनकर आर्यन के चेहरे पर घबराहट आ गई।
संदीप आर्यन को घबराता देख उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर बहुत प्यार से बोला, "आर्यन, तू जानता है ना, मैं तुझे कभी तकलीफ़ में नहीं देख सकता। इसलिए मुझे बता, क्या प्रॉब्लम है? क्योंकि तू खुश दिखता है, फैमिली के सामने उतना नहीं। ज़रूर कुछ ऐसी बात है..."
"...जो तू हम सबसे छुपा रहा है। वह क्या बात है? मुझे बता, क्या पता मैं तेरी उसमें मदद कर सकूँ।" आर्यन संदीप की बात सुनकर अपने आप को संभालकर, (अपने मन में बोला, "नहीं यार, तू मेरी कोई मदद नहीं कर सकता, और ना ही मुझे अब मदद की ज़रूरत है।")
और फिर संदीप की तरफ़ देखकर उसका हाथ अपने कंधों से हटाकर मुस्कुराकर बोला, "कैसी बात कर रहा है? मुझे कोई परेशानी हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। मैं लोगों को परेशान करता हूँ, लोग मुझे कैसे परेशान करेंगे? और वैसे भी, मैं खुश हूँ। बाकी मैं ना तो खुश हूँ, ना ही कोई ड्रामा कर रहा हूँ। तुझे मेरी खुशी दिख नहीं रही क्या?"
आर्यन संदीप की बात सुनकर सीरियस होकर बोला, "दिख रही है, लेकिन मुझे बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो रहा कि तेरी रियल खुशी है। क्योंकि मैं तुझे बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ; तू कब दुःखी होता है, कब खुश होता है, और कब तू अपनी तकलीफ़ को खुशी में दिखाता है। इसलिए मुझे तेरी बात पर भरोसा नहीं हो रहा। मुझे अब भी सच बता दे, ऐसा नहीं हो कि कहीं और से पता चले और बहुत देर हो जाए। तेरे पास अब भी टाइम है।"
आर्यन संदीप की बात सुनकर शांत हो गया। फिर संदीप के पास आकर उसे गले लगाकर मुस्कुराकर बोला, "नहीं यार, मैं तुझसे कुछ नहीं छुपा रहा हूँ। तुझे पता है, तुझसे मैं कोई बात छुपा भी नहीं सकता, क्योंकि तू मेरी हर इमोशंस को जानता है।"
"इसलिए मैं तुझसे कोई बात नहीं छुपा रहा, मैं सच में ही खुश हूँ। पता नहीं तुझे मुझ पर यकीन क्यों नहीं हो रहा। और वैसे भी, मुझे कोई परेशानी होती, तो तेरे पास ज़रूर आता। इसलिए तू बेफ़िक्र रहें। मैं कुछ नहीं छुपा रहा, और न ही मुझे कोई परेशानी या दुःख है।"
"इसलिए तू मेरी टेंशन मत ले, बस तू खुश रहे, यही काफी है। चलो, सब हमारा नीचे इंतज़ार कर रहे होंगे, और तू मुझे यहाँ कमरे में बंद करके पता नहीं कैसे-कैसे बातें पूछ रहा है।" यह कहकर आर्यन ने कमरे का गेट खोला और वहाँ से चला गया। संदीप आर्यन को जाता देख, (अपने मन में बोला), "मुझे पता है, वो झूठ बोल रहा है, और मैं सच पता करके ही रहूँगा। तुझे क्या परेशानी है?" यह कहकर संदीप भी वहाँ से चला गया।
शाम के टाइम...
आर्यन का कमरा... आर्यन बालकनी में खड़ा, चाँद को देखते हुए उदास होकर बोला, "तू कैसे सब कुछ जान जाता है यार संदीप? कि मैं कब खुश हूँ, कब उदास? इतना तो कभी मैं तेरे बारे में भी नहीं जान सका, जितना तू मेरे बारे में जानता है। लेकिन मुझे माफ़ करना यार, मैं तुझे नहीं बता सकता..."
"...कि मैं क्यों परेशान हूँ। और मैं परेशान नहीं हूँ, सच कह रहा हूँ। बस थोड़ा सा दुःख है कि तुम सब को छोड़कर मैं बहुत दूर..." यह कहते हुए आर्यन ने अपना सर नीचे करा और अपना आँसू पोछते हुए बोला, "नहीं, मैं अभी तुझे कुछ नहीं बता सकता, लेकिन एक दिन ज़रूर बताऊँगा, लेकिन अभी नहीं!"
आर्यन की दिन प्रतिदिन तबीयत बिगड़ती जा रही थी, पर उसने परिवार या संदीप को कुछ नहीं बताया। एक दिन संदीप आर्यन से बात कर रहा था, कि अचानक आर्यन को खांसी आने लगी।
"संदीप जल्दी से अपनी जगह से खड़ा हुआ और आर्यन के पास आने लगा। आर्यन ने संदीप को अपने पास आता देख, अपने मुँह पर हाथ रखकर संदीप को रुकने का इशारा किया और वहाँ से उठकर अपने कमरे में चला गया।"
संदीप आर्यन को ऐसे देखकर परेशान हो गया और उसके कमरे की ओर जाने लगा। जैसे ही वह आर्यन के कमरे के पास पहुँचा, देखा कि कमरा अंदर से बंद है। संदीप परेशान होकर दरवाज़ा खटखटाते हुए बोला,
"आर्यन! मैंने कहा दरवाज़ा खोल, क्या हुआ है? आर्यन, दरवाज़ा खोल ना यार!"
आर्यन, जो दरवाज़े से सटा हुआ बैठा था, उसने अपने घुटनों पर सिर रखकर रोना शुरू कर दिया। आर्यन ने संदीप की आवाज़ सुनते ही जल्दी से खड़ा होकर वॉशरूम में जाकर आईने में अपने आपको देखा। उसके मुँह और नाक से खून आ रहा था।
आर्यन ने जल्दी से अपना मुँह धोया और वॉशरूम से बाहर आकर कमरे का दरवाज़ा खोला। जैसे ही आर्यन ने दरवाज़ा खोला, संदीप घबराते हुए उसके पास आकर बोला,
"तो ठीक तो है ना? ऐसे उठकर क्यों आ गया? तेरी तबीयत मुझे सही नहीं लग रही। चल, हम अभी डॉक्टर के पास चलते हैं। चल!"
संदीप आर्यन का हाथ पकड़कर कमरे से बाहर ले जाने लगा।
लेकिन आर्यन संदीप को मनाते हुए बोला,
"नहीं, मैं ठीक हूँ। बस हल्का सा बुखार है, उसकी वजह से खांसी हो गई थी, वरना मैं ठीक हूँ।"
संदीप आर्यन की बात सुनकर गुस्से में बोला,
"झूठ बोलना बंद कर! मुझे तू कहाँ से ठीक दिख रहा है? जरा बताना, कितना कमज़ोर हो गया है तू इन कुछ दिनों में! और चेहरा बिल्कुल पीला पड़ गया है! और तू कह रहा है ठीक है! तू अभी मेरे साथ डॉक्टर के पास चलेगा, और अब मैं कुछ नहीं सुनने वाला!"
आर्यन परेशानी से बोला,
"अरे नहीं जाना मुझे! मैंने कहा ना, मैं ठीक हूँ! बस थोड़ा आराम करूँगा तो सही हो जाऊँगा। तू जा यहाँ से, मैं आराम करता हूँ।"
यह कहकर आर्यन ने संदीप को कमरे से बाहर निकाल दिया और कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। संदीप आर्यन की इस हरकत को देखकर सोच में पड़ गया। उसने थोड़ी देर दरवाज़ा घूरने के बाद अपने कमरे में चला गया। शाम के समय नीर, संदीप को डिनर के लिए बुलाने कमरे में आई तो उसने देखा कि संदीप सोफ़े पर बैठा कुछ सोच रहा है।
नीर संदीप के पास आई और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके बराबर में बैठ गई। संदीप ने हरबढ़कर देखा और नीर को देखकर बोला,
"तुम कब आई?"
नीर ने उसके बराबर में बैठकर कहा,
"जब आप परेशानी से कुछ सोच रहे थे।"
नीर ने संदीप का हाथ पकड़ा और उसकी तरफ देखते हुए बोली,
"मैं कुछ दिनों से देख रही हूँ, आप बहुत परेशान रहते हैं और हर वक्त कुछ सोचते रहते हैं। क्या बात है? आप मुझे बताएँ।"
संदीप ने थोड़ी देर नीर को देखा और फिर बोला,
"नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं परेशान नहीं हूँ। तुम मेरी टेंशन मत लो।"
नीर उदास होकर बोली,
"झूठ तो मत बोलिए! आप नहीं बताना चाहते, तो मत बताइए, लेकिन यह मत कहिए कि आप परेशान नहीं हैं। मैंने आपसे पहले नहीं पूछा इसलिए क्योंकि मैं चाहती थी कि आप खुद बताएँ, लेकिन आपने मुझे नहीं बताया। इसलिए मैंने आपसे आज पूछ लिया। और आप आज सच-सच बताइए, आप क्यों परेशान हैं?"
संदीप ने अपने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए कहा,
"ठीक है, मैं बताता हूँ, लेकिन यह बात अभी तुम किसी को नहीं बताओगी।"
नीर ने सिर हिला दिया।
संदीप आर्यन के बारे में सोचते हुए बोला,
"मुझे ऐसा लगता है कि आर्यन हमसे कुछ छुपा रहा है।"
नीर बोली,
"मतलब? मैं कुछ समझी नहीं।"
संदीप ने कहा,
"तुमने आर्यन पर ध्यान दिया? कुछ दिनों से उसका बर्ताव भी बहुत अलग हो गया है। और वह बहुत कमज़ोर रहने लगा है, जैसे बहुत बीमार हो। और आज अचानक हम दोनों बात कर रहे थे, उसे खांसी होने लगी और जैसे ही मैं उसके पास जाने लगा, तो उसने मुझे रोक दिया और वहाँ से उठकर चला गया। पहले जो आर्यन के चेहरे पर हर वक्त खुशी रहती थी, वो अब नहीं है। वह बहुत उदास रहता है, हम लोगों को दिखाने के लिए मुस्कुराने का नाटक कर रहा है। मुझे ऐसा लगता है, उसकी तबीयत ठीक नहीं है।"
नीर आर्यन के बारे में सोचते हुए बोली,
"हाँ, उसे दिनों पहले मैंने भाई को दवाइयाँ खाते देखा था। जब मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि बस हल्का सा सर में दर्द है, उसी की दवाइयाँ खा रहा हूँ। लेकिन मुझे उनकी बातों पर भरोसा नहीं हुआ था, क्योंकि उनके नाक से खून भी निकल रहा था। जैसे ही मैंने भाई को यह बताया कि उनकी नाक से खून निकल रहा है, तो उन्होंने बताया कि गर्मी चल रही है, शायद इसी वजह से नाक से खून निकल रहा होगा।"
संदीप परेशान होते हुए बोला,
"तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?"
नीर अपना सिर नीचे झुका कर बोली,
"मैंने सोचा आपको तो पता ही होगा। आप उनके इतने अच्छे दोस्त हैं, इसलिए मैंने आपको नहीं बताया।"
संदीप नीर को उदास देखकर बोला,
"ठीक है, कोई बात नहीं। अब उदास होने की ज़रूरत नहीं है। मैं खुद आर्यन के बारे में पता करूँगा।"
इतने में मीत संदीप के कमरे में आई और संदीप और नीर को देखकर बोली,
"आप दोनों को डिनर के लिए पापा ने बुलाया है। नीचे आ जाइए।"
फिर नीर को देखकर बोली,
"भाभी, आप खुद ही भाई को बुलाने आई थीं, और फिर भाई के साथ बातें करने बैठ गईं। हम सब आपका कब से इंतज़ार कर रहे हैं। जल्दी से नीचे आ जाइए, मुझे बहुत भूख लगी है।"
यह कहकर मीत वहाँ से चली गई।