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"Obsession of Power"

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Prasad

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"Obsession of Power" जादू की दुनिया को लोग स्वर्ग मानते हैं, लेकिन क्या हकीकत में यह उतनी ही खूबसूरत होती है? सर्वाना—एक जादुई दुनिया, जहां ताकत ही कानून बनाती है और कमजोरों को झुकना पड़ता है। इसी दुनिया के सबसे शक्तिशाली सिंघाल राजघराने में जन...

Total Chapters (62)

Page 1 of 4

  • 1. "Obsession of Power" - Chapter 1

    Words: 922

    Estimated Reading Time: 6 min

    कहते हैं कि जादू की दुनिया किसी स्वर्ग से कम नहीं, जहाँ पर हर कोई जाना चाहता है। कहते हैं, वहाँ पर सबके सपने सच होते हैं, कहते हैं कि जादू किसी वरदान से कम नहीं। पर क्या यह हकीकत है भी?

    टिमटिमाते अंतरिक्ष में कई सारे तारे और प्लैनेट्स दिख रहे थे, उनमें से एक बड़ा ही "सुंदर, नीला" और सुनहरे चमक की परत से ढका एक बड़ा ही खूबसूरत ग्रह, जिसका नाम था, "सर्वाना।"

    जंगलों की हरियाली से भरपूर, जहाँ पर चारों तरफ हरियाली और सूरज की रोशनी बिखरी हुई थी।

    हमारी तरह ही यहाँ पर नीले समुद्रों का राज चलता था, पर हमसे भी अलग यहाँ पर एक बहुत खास चीज थी, वह थी 'ताकत' जो शरीर से नहीं, बल्कि आई थी किसी और चीज से जिसे हम सब कहते हैं "जादू।"

    जी हाँ, यह है एक जादुई दुनिया।

    पर यह दुनिया असल में इतनी खूबसूरत नहीं जितना हम सोचते हैं, यहाँ पर राज चलता है ताकतवरों का, यहाँ पर जो ताकतवर होता है वह कानून बनता है, और कमजोरों को उसे मानना पड़ता है।

    इसी सर्वाना के जंगलों में एक बड़ा ही खूबसूरत और चहल-पहल वाला शहर था, जिसका नाम था टाइगर सिटी।

    टाइगर सिटी कोई छोटा-मोटा शहर नहीं था, यह एक नामचीन और नवाबों से भरा 'शहर' था, यहाँ पर खतरनाक से खतरनाक सूरमाओं को भी अपना सिर झुकाना पड़ता था क्योंकि यहाँ पर राज था जादूगरों का।

    क्योंकि यह शहर एक किंगडम का कैपिटल यानी कि राजधानी का शहर था, जहाँ पर राज है "राज घराने" का।

    यहाँ की सबसे खास इमारत थी टाइगर मेंशन, जो कि 5 किलोमीटर में फैला हुआ एक आलीशान राज महल था।

    इस आलीशान राज महल से बस कुछ ही दूर एक पुराना घिसा-पिटा मकान था।

    इस जगमगाहट भरी टाइगर सिटी की चहल-पहल से दूर, यह मकान बहुत ज्यादा सूना और वीरान लग रहा था।

    घर के बाहर के मैदान में एक जगह पर एक 11-से-12 साल का लड़का अपने घुटनों पर बैठा हुआ था।

    उसकी आँखें रोना चाहती थीं लेकिन वह इतनी लाल हो पड़ी थीं कि उनसे आंसू टपक नहीं रहे थे।

    इस लड़के के सामने एक बड़ा सा पत्थर जमीन पर गड़ा हुआ था, इस पर एक नाम लिखा था, जाहिर सी बात है, कि वह पत्थर एक 'कब्र' थी।

    और जो उस कब्र के सामने बैठा था, वह था 'अंश सिंघाल', उस लड़के का हाल देखकर साफ-साफ दिख रहा था कि वह बड़े गहरे दुख में है, क्योंकि कल उसने अपनी माँ को अपनी आँखों के सामने दम तोड़ते हुए देखा और वह कुछ ना कर पाया।

    "अंश सिंघाल", नाम और अंश की हालत देखकर कोई भी कहेगा कि यह एक आम और मामूली सा लड़का है, पर हकीकत हमेशा हमारी नजरों से अलग होती है, क्योंकि अंश का उपनाम सिंघाल था, और यह वही नाम था जिससे पूरी टाइगर सिटी डरती थी।

    लेकिन ऐसा क्या हुआ कि, किंगडम के सबसे ताकतवर घरानों में से एक के वारिस के हालात इस कदर मजबूर हो गए थे, कि उसे खुद अपनी माँ का अंतिम संस्कार करना पड़ा जो कि खुद 12 साल का था, ऐसी क्या मजबूरी थी कि उसके परिवार में से कोई भी उसकी माँ को अंतिम विदाई देने तक नहीं आया।

    जानते हैं शुरुआत से।

    यह बात करीब 14 साल पहले की है, कहते हैं कि अमीर होना अच्छी बात है, क्योंकि आपकी हर अच्छी बुरी जरूरत आपका पैसा पूरा कर देता है, तो फिर राज परिवार की बात तो अलग लेवल पर होती थी।

    इसी तरह 14 साल पहले सिंघाल परिवार के नवाबजादे, और आज के परिवार प्रमुख, तब अपनी जवानी के चरम पर थे, उनके पिता ने उनकी देखभाल करने के लिए कई सारी नौकर-नौकरानियों को रखा हुआ था।

    परिवार का लाडला होने के कारण उनके किसी भी हुक्म को कोई मना नहीं कर पाता, और इसीलिए उनके छोटे से छोटे काम करने के लिए नौकर रखे हुए थे। यहां तक सब कुछ काम चल रहा था, परिवार प्रमुख ने, अपने बेटे का बचपन से ही ख्याल रखने के लिए एक दासी को रखा हुआ था, जिसकी उम्र करीब 25 साल की थी, जो बचपन से ही सिंघाल परिवार के इस राजकुमार की देखभाल करती थी।

    फिर बाद में उस नौकरानी के साथ उसकी एक खूबसूरत बेटी, जो कि बिल्कुल परिवार के युवराज जितनी ही उम्र की थी, वह रोज अपनी माँ के साथ महल में आने लगी।

    धीरे-धीरे दिन बीतते गए और युवराज को अब दासी के साथ आई उसकी लड़की की आदत हो गई, बाद में दासी की बेटी भी युवराज का ख्याल रखने लगी।

    वह उसके खान-पान, रहन-सहन, कपड़े, और बाकी सब चीजों का ख्याल रखती।

    और जब युवराज अपनी युवावस्था के चरम पर पहुँचे तो उन्हें अब इस दासी की बेटी की आदत हो गई थी, उसके बिना उनका कोई भी काम ठीक से नहीं हो पाता था।

    और ऐसे ही एक दिन, युवराज अपने दोस्तों के साथ एक जश्न में थे, उन्होंने खूब मदिरापान किया, उन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी, और एक दासी का काम होता ही है अपने मालिक की मदद करना, उनकी हर जरूरत को पूरा करना, इसलिए वह दासी की बेटी, जो अब पूरी तरह से युवराज की 'प्राइवेट दासी' बन चुकी थी, उसने युवराज को सहारा दिया और उनके शयन कक्ष की ओर ले चली, युवराज भी मदिरा के नशे में मस्त होकर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे।

    चलते-चलते वह अब युवराज के कमरे के सामने आ गए थे। युवा दासी युवराज को अंदर ले जा ही रही थी, कि अचानक से युवराज का संतुलन अचानक से एक तरफ हो गया और वह एक तरफ गिर गए।

    To be continued......

  • 2. "Obsession of Power" - Chapter 2

    Words: 889

    Estimated Reading Time: 6 min

    दूसरी तरफ युवराज का हाथ युवा दासी ने पकड़ा हुआ था, इसलिए वह भी नीचे गिर गई, पर युवराज की दिशा से अलग दूसरी तरफ जहां पर कुछ सुगंधित अत्तर की बोतलें और मदिरा पान रखा हुआ था, दिखने में तो वह छोटा सा मदिरा पात्र ही था, पर उसमें करीब-करीब 5 लीटर मदिरा रस रखा हुआ था, जो अब पूरी तरह से उस युवा दासी पर गिर गया,
    और वह दासी पूरी तरह से मदिरा से भीग गई, पर अपनी खुद की हालत को नजरअंदाज करते हुए दासी दौड़ते हुए नीचे गिरे हुए युवराज की तरफ गई और उन्हें फिर से सहारा देकर उठाने लगी,
    पर युवराज की नजर तो एकटक दासी पर ही टिकी हुई थी, एक तरफ वह युवा दासी उन्हें सहारा देकर उठा रही थी और दूसरी तरफ, युवराज उसके मदिरा में भीगे हुए मादक बदन को निहार रहा था,
    उसकी बदन से इत्र की धीमी-धीमी मनमोहन सुगंध उसके नाक में जाकर उसकी कामुक भावना को उत्तेजित कर रही थी।
    धीरे-धीरे दासी युवराज को अपने आराम करने के ठिकाने तक पहुंचा रही थी, और यहां-वहां लुड़कते हुए युवराज का बदन धीरे-धीरे दासी के बदन के उभारे से स्पर्श हो रहा था।
    धीरे-धीरे युवराज का बदन जैसे-जैसे उस दासी के भीगे, नर्म बदन से स्पर्श होता, युवराज के मन में अलग बेचैनी उठने लगती,
    युवराज ने युवा दासी की तरफ बड़े ही गौर से देखा, तब उन्हें समझ में आया कि उनकी यह युवा सेविका बेहद ज्यादा खूबसूरत थी।
    उसकी सुराहीदार गर्दन, उसके लंबे काले बाल, और उसकी गोरी और मासूम त्वचा, और उसका बड़ा ही नाजुक कमसिन बदन, जो कि हर बार उसके ढीले कपड़ों से ढका हुआ रहता था, लेकिन आज पहली बार उसे पर मदिरा गिरने की वजह से बिल्कुल साफ-साफ नजर आ रहा था।
    युवराज को अपने दिल में एक अलग आंग जल रही सी महसूस हुई। आखिरकार उसने अपनी, हवास से भारी प्यास को मिटाने के बारे में पक्का इरादा कर लिया।
    अब तक दासी युवराज को पलंग के पास लेकर आई थी, और जब वह युवराज को पलंग पर बिठाकर, बस अपने गीले कपड़े बदलने जाने वाली थी, कि अचानक किसी ने पीछे से उसका हाथ पकड़ लिया।
    शराब के नशे में चूर युवराज ने उसका हाथ बड़े ही कसकर पकड़ रखा था, जब तक दासी को समझ आता कि कोई उसे पीछे की तरफ खींच रहा है, वह बिस्तर पर थी।
    बस इतना ही नहीं, जिसकी सेवा में वह हर रोज खुद को तैयार रखती थी, वही उसका युवराज उसके ऊपर चढ़कर उसे बड़ी मदहोशी से देख रहे थे।
    उसे युवा और खूबसूरत दासी को अब थोड़ा सा डर का एहसास होने लगा था। क्योंकि ऐसी हालत में वह ना ही वहां से भाग सकती थी, और न ही युवराज को मना कर सकती थी।
    पर उसकी हालत की जरा भी फिक्र ना करते हुए मदहोश युवराज ने उस फूल जैसी नाजुक लड़की को अपने सामने बेबस देख, उसे यहां-वहां चूमना शुरू कर दिया।
    वह उस दासी के हर एक नर्म अंग को अपने हाथों से छूता और अपने होठों से चुमता जैसे कि वह उसके शरीर पर लगी पूरी मदिरा को सोक लेना चाहता हो।
    युवराज को खुद पर से पूरा काबू होने में कुछ ज्यादा देर नहीं लगी। और वह किसी भूखे भेड़िए की तरह उस दासी पर पूरी तरह से टूट पड़ा।
    वह उस से इस कदर लिपट गया कि वह अपने सामने खड़ी लड़की का रोम-रोम नोच कर उसे चखना चाहता हो।
    इसी तरह एक लड़की की कामुक और दर्द भरी चीखों में वह रात बीत गई।
    पर किसी की हिम्मत भी नहीं हुई कि अगले दिन इस बात का जिक्र भी करें।
    अब उस युवराज की जरूरत में एक और जरूरत बढ़ गई थी, हर रोज उसे अपनी बस एक जरूरत को पूरा करने के लिए, युवराज उस कमसिन और खूबसूरत दासी के साथ ही युवराज, हर रात रंगीन करने लगा।
    पर कहते हैं ना, किसी अमीर के लिए, हर नई चीज बस एक खिलौने की तरह होती है, जिसे वह कुछ देर तक खेलता है। और बाद में जी भर जाने के बाद उसे एक कोने में फेंक देता है।
    कुछ ही दिनों के बाद जब युवराज की एक दासी के साथ संबंध बनाने की बात फैल गई तब परिवार प्रमुख ने बात को रफा-दफा करने के लिए, युवराज की शादी तय कर दी।
    पर शादी हो जाने के बाद भी, युवराज ने उसे दासी को नहीं छोड़ा, और कुछ ही दिन में उस दासी में गर्भधारण के आसार नजर आने लगे।
    जब सबको पता चला, कि उस दासी को एक बेटा हुआ है और वह युवराज की वजह से हुआ है।
    लोगों में कानाफूसी होने लगी।
    दासी को तो किसी ने, युवरानी या फिर रानी के रूप में स्वीकार नहीं किया, लेकिन, उसका बेटा जिसके बदन में युवराज का खून बह रहा था, उसे राजकुमार का ओहदा दिया गया।
    पर अब युवराज का दासी के पास आना-जाना कम हो गया।
    और उसकी हालत बद से बदतर होती रही।
    और युवराज को अब अगला प्रमुख बना दिया गया था,
    इसलिए राजपाठ के कामकाज से, उन्हें बाहर जाना पड़ता था, इसी बात का फायदा उठाकर।
    एक बार राजा की पत्नी ने दासी को इतना पीड़ा दी, इतना पीड़ा दी, उसकी जिंदगी नर्क जैसी बन गई।
    प्रमुख के पीठ पीछे, यह सब होता रहा लेकिन इस बात की खबर उन तक भी पहुंच रही थी पर वह अपनी रानी को नाराज नहीं करना चाहते थे।

  • 3. "Obsession of Power" - Chapter 3

    Words: 890

    Estimated Reading Time: 6 min

    यही वजह थी कि वह दासी धीरे-धीरे बीमार रहने लगी, धीरे-धीरे उन्हें महल से बाहर निकाल दिया गया। उनके खाने-पीने के लाले हो गए, अपने छोटे बच्चों को लेकर वह दासी महल से बाहर तो आ गई, लेकिन उसे पालने के लिए उसके पास कुछ नहीं था।
    राज परिवार से सख्त आदेश था कि अगर किसी ने उसकी मदद की तो उसके परिवार को बहिष्कृत किया जाएगा।
    और इसीलिए दासी कितना भी काम करे वह सिर्फ इतना ही कमा पाती कि उसके बेटे का पेट भर सके।
    पर किसने सोचा था कि उसकी जिंदगी का अंत ऐसा होगा।
    अपनी मां को इस हालत में देखकर, पहले तो अंश खूब चीखा-चिल्लाया, जोर-जोर से रोया, और क्या ही करता बेचारा, सिर्फ 11 साल का था।
    वह भी अपनी मां की तरह ही प्यारा और मासूम था।
    जो दूसरों की बातों पर बड़ी जल्दी से यकीन करता, उसे लगता कि उसकी मां की तरह सब लोग अच्छे ही हैं।
    उसने बाहर की बुराई देखी ही नहीं थी।
    पर असलियत से उसकी मुलाकात तब हुई, जब किसी ने उससे कहा कि उसकी मां इस दुनिया में नहीं रही और उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उसे कुछ विधि और दहन सामग्री का इंतजाम करना पड़ेगा।
    अंश तो छोटा और मासूम था, उसके कमजोर होने की वजह से हर कोई उसका मजाक उड़ाता था।
    जब वह बड़े ही आशा से महल की बड़ी रानी के पास कुछ मदद मांगने गया, तो वह इस आशा में था कि उसकी मदद की जाएगी, लेकिन बदले में उसे बस दो चांटे और गंदी-गंदी बातें सुननी पड़ीं।
    उसे अपनी मां के बारे में इतना कुछ बुरा सुनना पड़ेगा, वह भी उनके जाने के बाद, अंश को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसकी मां के जाने के बाद उसकी दुनिया इतनी मुश्किलों से भर जाएगी।
    अंश की मां के पास भी कोई जमा पूंजी या फिर कोई गहना नहीं था, आखिरकार निराशा और हताश होकर उसे अपनी मां को दफनाना पड़ा।
    इस बार, वह इस दुनिया का सबक सीख चुका था।
    उसका विश्वास रिश्तेदारों, प्यार इन शब्दों से उठ चुका था।
    क्योंकि अब तक उसे पता नहीं था कि वह एक राजकुमार था, उसके पिता के बारे में उसकी मां ने उसे कभी भी नहीं बताया। पर जब उसका आखिरी समय आया तो वह यह बात अपने बेटे से नहीं छुपा सकीं।
    उस मां ने अपने बेटे के हाथ में एक "डैगर" थमा दी।
    यह थी सिंघाल परिवार के खानदानी पहचान, या फिर परिवार का वंशज होने की निशानी।
    शायद उसकी मां के पास ही यह उसके पिता ने ही छोड़ा था, और अंश की मां ने इतनी गरीबी होने के बावजूद उसे आज तक संभाल कर रखा हुआ था।
    लेकिन उसे यह भी समझ आया कि भले ही उसे कितना भी गुस्सा आया हो वह उस परिवार का कुछ नहीं बिगाड़ सकता जिसकी वजह से उसकी और उसकी मां की यह हालत थी।
    क्योंकि सिंघाल परिवार कोई ऐसा वैसा मामूली राज परिवार नहीं था।
    वह था जादुई दुनिया का राज परिवार।
    लोग कहते हैं कि उनके परिवार को देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है।
    हालांकि यह तो कहीं सुनी बातें कहीं जा सकती हैं लेकिन अंश को यह तो पता था कि वह जिस शहर, जिस देश में खड़ा था, वहां पर सिंघाल परिवार का वजूद किसी रेगिस्तान की आंधी से कम नहीं था।
    आज तक जो भी उस आंधी के खिलाफ गया वह मिट्टी में मिल गया।
    लेकिन अंश ने भी अपने मन में आज एक बात ठान ली थी कि,
    "हवा का रुख चाहे जैसा भी हो,
    मैं रे हौसलों के पंख हमेशा, उड़ान भरेंगे।
    लड़ूंगा खून का हर कतरा लगाकर,
    देखते हैं हालात मेरी रास्ते का रोड़ा कब तक बनेंगे।"
    अब जबकि अंश को पता था कि इस दुनिया में उसे सबसे पहले अपना वजूद बनाना होगा और उसके लिए उसे ताकतवर बनना पड़ेगा।
    इसीलिए वह आज अपनी मां की कब्र के सामने अपने हाथ में पड़ी उसी डैगर से कट लगाकर यह सौगंध लेता है कि, (यह कहते हुए अंश की आवाज थोड़ी भारी हो रही थी)
    "मेरे कमजोर होने की वजह से, तुम्हें बहुत कुछ सहना पड़ा है ना मां? लेकिन तुम फिक्र मत करो, तुम्हारा बेटा, तुम्हारा अंश, यह शपथ लेता है कि एक दिन जिन-जिन लोगों ने तुम्हें रुलाया है, उन सबको मैं उनके घुटनों पर ला दूंगा, मुझे तुम्हारी इसी कब्र के सामने घुटनों पर झुकाऊंगा।"
    "जिस ताकत का उन्हें गुरूर है, उसमें मैं उनसे भी ज्यादा ताकतवर हो कर दिखाऊंगा।"
    "हां मां हां, तुम्हारा बेटा इस सिंघाल परिवार वालों को उनकी सजा जरूर देगा।"
    "रजनीश सिंघाल, मैं इसे याद रखूंगा!"
    "तुम्हारी यह नफरत भरी विरासत, मैं हर पल अपने दिल में लेकर जिऊंगा, और जब मैं वापस आऊंगा तो इससे कई गुना लौटाऊंगा।"
    रजनीश सिंघल परिवार के आज के प्रमुख, और अंश के पिता का नाम था।
    "आज से, अभी से, और तुम्हारे परिवार का मुझसे कोई नाता नहीं।"
    "आज से दुनिया मुझे, अंश सिंघाल के नाम से नहीं, बल्कि 'अंश साहू' इस नाम से जानेगी।"
    साहू उपनाम अंश को अपनी मां की तरफ से मिला था।
    और इतना कहकर अंश चुपके से उस मकान से बाहर निकल आया।

  • 4. "Obsession of Power" - Chapter 4

    Words: 1343

    Estimated Reading Time: 9 min

    सूरज की रोशनी मैदान में हर तरफ उजाला बीखेर रही थी, मन को शांत करने वाली धीमी धीमी ठंडी हवाएं मैदान में पूरी घास को सहला रही थी,
    यह नजारा काफी सुकून पहुंचाने वाला लग रहा था,
    इसी मैदान के नजदीक बहुत बड़ा गेट बना हुआ था,
    गेट के दरवाजों पर लिखा था, "सिंघाल मेंशन।"
    तभी वह दरवाजा धीरे से खिसका, और उसमें से एक चेहरा बाहर झांकने लगा।
    और वह दुबला पतला सा लड़का दरवाजे से बाहर आ गया।
    उसे जरा ध्यान से देखने पर उसकी उम्र का अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता था, वह कुछ ज्यादा बड़ा नहीं बल्कि 11 से 12 की उम्र का एक लड़का था।
    जिसने स्काई कलर की शर्ट पहनी हुई थी और, पैंट ब्लैक कलर की ट्राउजर पहनी हुई थी।
    हालांकि यह मामूली कपड़े ही उस पर अच्छी तरह से जच रहे थे, क्योंकि वह चमकते चांद की तरह खूबसूरत लग रहा था, ऐसा मानो जैसे उसने अपनी खूबसूरती के फीचर्स किसी बेहद ही खूबसूरत चेहरे वाले इंसान से पाए हो।
    और इस सबके साथ उसके पीट पर एक छोटा सा थेला था, शायद उसने उसमें कुछ अपना जरूरत का सामान रखा हुआ हो।
    ‌‌
    फिर वह लड़का अपने आप में ही कुछ बड़बड़ाने लगा,
    " कहते हैं कि सर्वाना जितना शांत दिखता है उतना है नहीं, कुछ हजार सालों पहले, सरवाना में तीन सत्ता ओके बीच आपसी मतभेद थे,
    पर किसे पता था अचानक एक दिन कोई रहस्यमय संगठन पैदा होगा, एक साथ सभी सत्तों ओ पर हमला बोल देगा।

    कहते हैं वह हजारों साल पहले लड़ाई बहुत ज्यादा खतरनाक और रुह कपा देने वाली थी।
    उस लड़ाई में जितना नुकसान , जादूगरों का हुआ उतना ही आम इंसानों का भीहुआ, जो कभी इस लड़ाई का हिस्सा भी नहीं थे।

    उस वक्त, लोगों की सुरक्षा के लिए और अपने हित के लिए, तीन सत्ता ओ ने एक साथ लड़ने की ठानी वह कुछ देर के लिए अपने बीच की अनबन छोड़कर एक साथ काम करने लगे।
    फिर भी लड़ाई बराबरी पर रही।"

    वह लड़का यह सब सोचते धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।

    छोटा सा लड़का कोई और नहीं, बल्कि' अंश सिंघाल' था।
    जिस नें आज अपना घर छोड़ा था।

    उसके दिमाग में अब बस एक बात घूम रही थी,
    " ताकतवर, मुझे सबसे ताकतवर बनना है!"
    इसलिए वह अपनी आज तक , सभी जानकारी को टटोल रहा था।

    उसे आज तक समझ नहीं आया, लड़ाइयोंं का अंत कैसे हुआ।

    " मुझे याद है मां ने इन सब बातों के बारे में बताया था,
    ‌‌ और यह भी बताया था कि बाहर की दुनिया कितनी खतरनाक है, क्योंकि भले ही अब वह खतरनाक लड़ाई रुक गई लेकिन आज भी सरहदों पर हमले होतेरहते हैं।,"
    हां वह खौफनाक लड़ाई 20 साल तक चली थी लेकिन फिर अचानक से वह रुक गई और वह संगठन भीशांत हो गया।

    अंश को वैसे सब पता था कि बाहरी दुनिया उसके लिए कितनी खतरनाक हो सकती है।

    अंश ने अपना गोल पहले से ही फिक्स किया हुआ था।
    ताकत जो, उसे बहुत बुरी तरह चाहिए थी।

    अंश को अच्छी तरह से याद था, जिस वजह से वह संगठन एक साथ तीन सत्ता ओसे लड़ रहा था उसकी वजह, कुछ तोहोगी, कहते हैं उनके पास कोई खुफिया चीज है।
    अंश को पता नहीं था कि उसे अब, ताकत कहां से मिलेगी लेकिन उसे एक चीजपता थी,
    "जानकारी, मुझे जल्दीसे ज्यादा से ज्यादा जानकारी मालूम करनीहोगी,
    उसके सिवा में कभी , ताकतवर नहीं बना सकूंगा।
    मैंने मां से बहुत बार सुना था, एक जादूगर बनने के बाद, जादू की शिक्षा देने के लिए बहुत सारे मैजिक स्कूल होते हैं।
    जिन में जाकर हम अपनी शक्तियां बढ़ा सकते हैं।
    पर एसी हालत में मुझे, कोई एडमिशन क्यों देगा। "

    अंश को अच्छी तरह से याद आ रहा था, जब वह 6 साल का था, तब बस उसकी एलिमेंट अवकेनिंग के लिए, (एलिमेंट एक ऐसी चीज होती है जो हर एक इंसान के पास होती है, पर उसे एलिमेंट की विल पावर से यह तय े होता है कि, जादूगर बनेगा या नहीं,
    हर इंसान पैदा होते ही अपने साथ थोड़ी एलिमेंट विल पावर लेकर पैदा होता है)
    उसकी मां ने, कितना कुछ सहा था।
    फिर भी उसकी विल पावर ( यह खास शक्ति होती है जो एलिमेंट ताकत कम ज्यादा कर सकते है ) कम होने की वजह से , नां तो उस े पर किसी ने ध्यान दिया, ऊपर से उसकी मां को और जिल्लत सहनी पड़ी वह अलग,
    भला कौन सा स्कूल उसे एडमिशन देगा।
    " क्या मैं हमेशा ऐसा ही कमजोर रहूंगा?ा, क्या मेरी हालत कभी ठीक नहीं होगी? , नहीं ऐसा नहीं हो सकता,
    अगर मैं ठीक नहीं हुआ तो, इन घटिया लोगों से अपनी मां का बदला कैसे ले पाऊंगा।
    मेरी मां की इतने सालों से इन्होंने आज तक मजाक बनाया जा रहा था पर मैं कुछ ना कर सका!!
    आहहहहहहह!"
    अंश, जोर से चिल्लाया, उसे आप खुद की हालत पर ही घिन आ रही थी ।

    ‌‌
    " मां , ऐसा कब तक चलेगा मां? क्या मैं कभी एक अच्छा बेटा नहीं बन पाऊंगा ?
    क्यों? क्यों मां? हमने किसी का क्या बिगाड़ा ै था
    यह सब हमारे साथी क्यों हो रहा है ?"
    अंश यह सब कहते हुए चिल्ला रहा था , था कि तभी,
    उसे कुछ 'सिपाही' और उनके पीछेएक,' रथ 'आता हुआ दिखा।
    , रथ, को अपनी दिशा में आता देख अंश जल्दी से छुप गया।

    वह इस तरह से छुपा था कि, अगर कोई ध्यान से ना। देखताा तो कोई उसे देख ना पाता,
    पर वह सब देख रहा था।

    और उसीरथ के अंदर उसे दिखा एक 'जानापहचाना चेहरा,'

    जिसे देखकर अंश की आंखों में खून उतर आया, उसने अपनी मुठिया भींच ली
    "रजनीश सिंघल, मेरी और मेरी मां की इस हालत क्यों जिम्मेदार, मेरा वादा है तुमसे, अपने मां के बहेे आंसुओं के एक-एक खतरे का हिसाब तुमसे लूंगा।"
    उसने अपने मन में कहा।

    उसका पिता, प्रमुख था , उसका ज्यादातर समय बॉर्डर पर गुजरा करता था, तीन सत्ताओ के बीच की अनुबंन की वजह से, उन्हें हर बार मोर्चा संभालते जाना पड़ता,
    उनके इसी बाहर रहने का फायदा उठाकर, उनकी पहली पत्नी ने अंश और उसकी मां को बहुत ज्यादा सताया था।
    जब जब रजनीश, वापस आता , तो वह उसे यहां वहांो के बारे में सोने का मौका तक नहीं देती,
    जब जब से रजनीश उसे अंश की मां के बारे में पूछतेतो वह कोई , आम बहाने बनाकर टाल देती।


    और इसी वजह से , वह भी अब तक अंश और उसकी मां के बारे में , ज्यादा पूछताछ नहीं करता था।

    पर रथ में बैठे रजनीश को अचानक कुछ महसूस हुआ,
    जैसे कोई उसे देख रहा हो,
    उसने जल्दी से अपनी नज़रें उस े दिशा में घुमाई जहां उसे कुछ महसूस हुआ था,
    " क्या वहां पर कोईथा? मुझे अभी वहां पर किसी के होने का एहसास हुआ था?"
    ‌ ‌ पर अंश अब तक वहां से जा चुका था।


    थोड़ी देर पहले जो अंश के मन में नकारात्मक विचार आ रहे थे, रजनीश को देखकर फिर एक बार गुस्से की आग में बदल गए,

    उसने एक बार मुड़कर पीछे देखा,
    पीछे वह शहर था जहां पर उसे और उसकी मां को बेतहाशा दर्द सहना पड़ा था, और आगे था उसका सफर जो उसका, फ्यूचर डिसाइड करने वाला था।
    और इसी के साथ था एक घना जंगल,
    जो भरा था कई जानलेवा खतरों से।
    " टाइगरसिटी ,
    ‌‌। मैं कभी नहीं भूलूंगा जो तुमने मुझे दिया है,
    यहां के रइसोंने , आंसुओं के साथ मेरी मां का खून पिया है।
    कायम रखना यादाश्त तुम्हारी, मैं भी नहीं भूलूंगा दास्तान हमारी,
    आ सु के बदले आंसू बहेंगे,
    और खून के बदले खून।
    जिंदा रहा तो ,आंग बंन कर बरसेगा तुम पर ,
    मेरे बदले का जुनून ।।


    और इसी के साथ अंश उस खतरनाक जंगल के अंदर चला जाता है।

    गुस्सा और बदले की इंसान को पूरी तरह से बदल देता है,
    तो दोस्तों आखिर कैसा होगा अंश का इस खतरनाक और, कदम कदम पर मौत के खतरे से भरे जंगल में,
    आखिर कौन सी मुसीबतें आने वाली है अंश के रास्तों में।
    हमारे साथ जानिए अंश के खतरों का सफर अगले एपिसोड में।




    ।। धन्यवाद। ।।

  • 5. "Obsession of Power" - Chapter 5

    Words: 1042

    Estimated Reading Time: 7 min

    "कहते कि सर्वाना में सभी जादूगरों को, एक स्पेशल 'रैंकिंग' के हिसाब से जाना जाता है। उनकी ताकत उनके रैंकिंग से डिसाइड होती है, जिसकी रैंकिंग जितनी ऊंची, उसकी ताकत उतनी ज्यादा, उसकी पहुंच भी उतनी ज्यादा और उसका औहदा भी उतना ऊंचा।"
    अंश ने अपनी मां से सुना था कि किसी जादूगर की ताकत उसकी विल पावर रैंकिंग से तय होती है।

    जिसका टैलेंट जितना ज्यादा, उसकी ताकत और विल पावर बढ़ाने की रफ़्तार उतनी ही तेज और तरार।

    टैलेंट का मतलब अवकेनिंग के समय सबकी विल पावर 1 से लेकर 10 के बीच में होती है, जिसकी जितनी ज्यादा उसका टैलेंट उतना ही ऊंचा माना जाता है।

    पर कुछ रेयर केसेस में ऐसा होता है कि, अवकेनिंग के समय उसकी विल पावर 10 तक पहुंच जाती है, हालांकि ऐसा करोड़ों में एक बार होता है, पर ऐसे जीनियस को समाज में बड़ी ही ऊंची नजरों से देखा जाता है, और कोई भी उसको उकसाने की गलती बिल्कुल भी नहीं करता।

    क्योंकि समाज में उसे बहुत ऊंचे नजरों से देखा जाता है, बशर्ते उसका एलिमेंट कोई बेकार सा नहीं।

    क्योंकि कुछ ऐसे भी एलिमेंट होते हैं जो लड़ने के किसी भी काम नहीं आते।

    इसी तरह अंश, टाइगर सिटी की मशहूर हस्ती का बेटा था, पर बड़े अफसोस के साथ थी कि उसने विरासत में अपने पिता का एलिमेंट नहीं पाया और इसी वजह से उसकी हालत ऐसी हो गई।

    अगर अंश ने अपने फैमिली एलिमेंट को अवेकन किया होता तो उसका और उसकी मां का यह हाल ना हुआ होता।

    किस्मत को शायद ये मंजूर नहीं था, अंश के साथ एक बड़ा ही अजीब हादसा हुआ था, जो रेयर से भी बहुत ज्यादा रेयर होता है, और वह था,
    'एलिमेंटल मैचुरेशन'।

    एलिमेंटल मैचुरेशन एक ऐसी चीज है, जिसकी वजह से उसका अलग ही एलिमेंट डेवलप हो गया।
    उसका एलिमेंट डेवलप हो गया,

    और उसने जगाया एक अलग एलिमेंट जिसका नाम था, "शारींगान"।

    जी हां शारिंगान, इसके बारे में टाइगर सिटी में किसी ने नहीं सुना था, शायद उसकी मां और बड़ी रानी को भी इसके बारे में कुछ ज्यादा मालूम नहीं था।

    इसीलिए सबने यह समझ लिया कि अंश ने एक बेकार एलिमेंट को जगाया है, जिसका लड़ाई में कोई इस्तेमाल नहीं हो सकता।

    इसी वजह से, अवकेनिंग के बाद तो अमर और उसकी मां की हालत, बद से बत्तर हो गई।

    क्योंकि जो लड़ने में काबिल नहीं उसका जादूगर की दुनिया में कोई वजूद नहीं।
    मामूली इंसान यहां चीटियों के भाव था।
    इसलिए अंश बार-बार खुद को कोसता था।

    "हे भगवान!!!, आखिर मेरे साथ ऐसा क्यों किया?
    मुझे इतना कमजोर बनाया तो बनाया, ऊपर से एलिमेंट भी मेरे अंदर ऐसा जगाया, जो बस कुछ दूर देखने के काबिल हो जिसे लड़ाई में कोई इस्तेमाल ना हो। इसके साथ आखिर में कैसे ताकतवर बनूंगा?"

    दुख और दर्द से परेशान अंश खुद को कोसे जा रहा था।

    पर वह खुद इस बात से अनजान था कि, उसने जगाया हुआ एलिमेंट कोई साधारण 'शारिंगान' नहीं था।

    दरअसल वो एलिमेंट, मैचुरेशन से गुजरा था इसलिए, उस एलिमेंट में एक अलग खासियत भी शामिल थी जिससे खुद अंश भी अंजान था।
    वो था
    "करिश्माई आंखों का राज"

    शायद टाइगर सिटी में किसी एक दो लोगों के अलावा करिश्माई आंखें क्या है यह बात किसी को पता भी नहीं होगी, पर अगर होती भी तो भी, जब तक कोई उचे दर्जे का इंसान इसे नहीं देखता, तो वह भी करिश्माई आंखों और शारिंगान के बीच का अंतर नहीं बता सकता था।

    और अंश के पास तो इन दोनों का स्वर्ण मध्य था।
    शायद वैसे इसे 'करिश्माई शारिंगान' भी कह सकता है।

    पर अंश की मुश्किलें बस यहां तक ही सीमित नहीं थी, उसके रास्ते में तो मुसीबत का पहाड़ था।

    इसकी शुरुआत तब हुई, जब, अवकेनिंग के बाद उसके टैलेंट टेस्ट करने के बारी आई।

    और जिस बात का अंश को सबसे ज्यादा डर था वही हुआ, उसका टैलेंट बहुत ही कम निकला।
    भाई उसने सोचा भी नहीं था कि उसका टैलेंट सिर्फ एक, 10 में से सिर्फ 1 होगा था, जो कि कम से भी बहुत कम यानी कि सबसे कम था।

    उसके बाद बड़े लंबे समय तक इसी बात को लेकर महल में अंश का मजाक बनने लगा।

    कई बार तो अंश ने, अपने बारे में ऐसा भी सुना कि,
    "क्या फायदा हुआ, अगर वह राज परिवार से संबंधित है, रहेगा तो वह एक कमजोर ही, जिसके टैलेंट जीरो से बस थोड़ा ही ऊपर है।"

    बड़े समय तक ऐसी बातों ने अंश के दिल में अपने लिए नेगेटिव इमोशंस पैदा कर दिए थे।

    पर उसकी मां का उसे छोड़कर जाना, एक ऐसा सदमा था, और ऊपर से उसकी मां के जाने के बाद उसके साथ महल वालों का बर्ताव देखकर तो अंश के मन में जो भावनाओं का उतार-चढ़ाव हुआ था, उसी की बदौलत आज जाकर उसके मन में से वह सब नेगेटिव विचार चले गए थे।

    नेगेटिव थॉट्स, एक इस तरह का दलदल था, जिसमें आदमी जितना सोचता है उतना ही फँसता जाता।

    और उन सब चीजों से बाहर निकालने के बाद अंश को बड़ी ही मुश्किल के बाद मालूम पड़ा कि, कुछ रेयर चीज, जिसे जादुई रिसोर्सेस भी कहा जाता है, शायद उससे अंश को अपनी ताकत बढ़ाने में कुछ मदद हो सकती थी।
    लेकिन परेशानी की बात यह थी, की इन रिसोर्सेज के असर एलिमेंट के हिसाब से थे।

    इसका मतलब: अगर अंश को अपने एलिमेंट की ताकत बढ़ानी है तो उसे अपने एलिमेंट से मैचिंग एलिमेंट रिसोर्स की जरूरत पड़ने वाली थी।

    यही तो सबसे बड़ी समस्या थी, कि उसका एलिमेंट ही बहुत ज्यादा रेअर था, और उससे भी रेयर थे उसकी रिसोर्सेज, जिसकी कीमत देख लोगों की, सॉरी कमाई खर्च हो जाती है।

    लेकिन वह सिर्फ सबसे निचले स्तर के खरीद पाते हैं।
    कुछ तो ऐसे होते हैं जो सिर्फ नसीब से मिलते हैं, वरना कई लोगों की जिंदगी तो इन्हें बस ढूंढने में ही चली जाती है।

    इसलिए, अंश ने अब अपनी किस्मत आजमाने के बारे में सोचा था।

    और यही वजह थी कि अंश ने जंगल में जाने का फैसला लिया।

    तो जानते हैं अगले एपिसोड में कि, क्या अंश जिन चीजों के लिए जंगल में आया था वह उन्हें ढूंढ पाता है या नहीं?

    ।। धन्यवाद ।।

  • 6. "Obsession of Power" - Chapter 6

    Words: 1079

    Estimated Reading Time: 7 min

    अंश अच्छी तरह से ये जानता था कि अब तक, बचपन से वह बिना किसी खतरे के रहा है, शायद एक तरह से यह भी सच था कि 'टाइगर सिटी' उसके लिए एक सेफ जगह थी, और कहते हैं ना सबसे सेफ जगह ही सबसे खतरनाक होती है, और कई बार सबसे खतरनाक जगह आपके लिए अच्छी साबित हो सकती है।

    अंश को डर था कि वह महल वाले, कभी उसे ताकतवर नहीं बनने देंगे, इसलिए उसने टाइगर सिटी छोड़ने का फैसला लिया, ताकि उसके दुश्मनों को भनक तक ना लगे कि वह तरक्की कर रहा है।
    चलते चलते अंश, दक्षिणी इलाके की तरफ जा रहा था।
    भले ही वह जवान था पर उसने अब तक काफी अच्छे बुरे सबक सीखे हुए थे, इसलिए बाहरी सफर पर लगने वाला जरूरी सामान अंश ने पहले ही अपने साथ रखा हुआ था।

    अब उसका सबसे पहला मकसद था, 'बली'।
    बली कोई ऐसी वैसी आम प्रोसेस नहीं थी, यह एक ऐसा ज़रूरी स्टेप था जिससे होकर हर एक जादूगर को जाना ही पड़ता है।
    इसकी ज़रूरत, जादूगर को अपने हर पड़ाव के शिखर को पार करने के लिए, यानी की अगली रैंकिंग तक पहुंचाने के लिए इस बली की ज़रूरत होती है।
    जब अंश ने अपना एलिमेंट जगाया था तो उसकी विल पावर बहुत ही कम थी और इसी वजह से जब उसे पता चला कि महल में काम करने वाले नौकरों के बच्चों का टैलेंट भी उससे कहीं गुना अच्छा है तो उसे बहुत बुरा लगा।
    तब से आज तक अंश ने खूब मन लगाकर मेडिटेशन की साधना की, बाकी बच्चों से कई गुना ज्यादा मेहनत की, फिर भी बड़ी मुश्किल के बाद, अब कहीं उसकी विल पावर लेवल 10 तक पहुंची थी।

    और इस लेवल को पार करने के लिए उसे एक बलि देनी पढ़ने वाली थी।
    "मां ने मुझे एक बार बताया था कि, अगर मैं किसी तरह पावर लेवल के दसवें स्तर तक पहुंच जाता हूं, तो बिना बली के मैं इससे आगे नहीं बढ़ सकता, उसके लिए मुझे किसी जादुई जानवर की बलि देनी पड़ेगी।"
    "क्या मैं किसी जानवर को मारने में सफल हो भी पाऊंगा, ऊपर से मां ने यह भी कहा था कि, मेरा एलिमेंट सिर्फ मेंटल टाइप के जादूई जानवर की बलि से ही बढ़ सकता है। जॉकी बहुत ज्यादा मुश्किल से मिलते हैं, लगता है मुझे और भी सीरियस होकर यहां से आगे का सफर करना होगा।"
    अपने हाथों में एक छोटा सा नक्शा लिए अंश जंगल के अंदर चला जा रहा था।
    टाइगर सिटी, टाइगर किंगडम की राजधानी थी।
    जॉकी उसे नक्शे में दक्षिणी तरफ दिखाई दे रही थी, वही इस टाइगर सिटी से सटा हुआ था एक मशहूर जंगल।

    जंगल कोई छोटा-मोटा जंगल नहीं था, उसमें लाखों करोड़ों जादुई जानवरों का कब्ज़ा था।
    अगर कोई और देखता कि एक 11-12 साल का लड़का बिना किसी मदद के, बिना किसी सपोर्ट के खुद इस खतरनाक जंगल में अपने लिए जा रहा है, तो कोई यकीन नहीं कर पाता।
    उनके दिमाग में सबसे पहले यह बात आती, "लगता है खुदकुशी करने जा रहा है, इसने खुद को समझ कर रखा है!"
    "क्या यह बच्चा शिकार पर जा रहा है, इससे तो कोई जादू जानवर का बच्चा भी ना मरे, और यह शिकार करेगा?"
    इसी तरह लोग उसका मजाक उड़ाते, पर वहां पर मजाक उड़ाने के लिए भी कोई नहीं था, उसकी तारीफ करने के लिए भी कोई नहीं था।

    था तो बस बड़ा घना जंगल जो घिरा हुआ था पेड़ों से, डालियों से और बैलों की लतों से।
    आड़े तिरछे रास्तों से अंश को आगे बढ़ाने में थोड़ी तकलीफ तो हो रही थी लेकिन वह फिर भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।
    चलते-चलते उसकी नीली आंखों में, एक हल्की सी चमक उभर रही थी जिसे, अंश महसूस नहीं कर पा रहा था।

    अंश की नीली आंखें उसके शारिंगन फीचर्स की निशानी थी और उसमें हल्की सी करिश्माई आंखों की चमक भी उतरने लगी थी।

    जब से उसने अपना एलिमेंट जगाया था तभी से उसे, चीजों को बारीकी से देखने की स्किल मिली थी, वो एक ऐसी खासियत थी जिससे वह बाकी लोगों से कोई भी चीज अच्छी तरह से देख सकता था, वह किसी चीज को दूर से ही देख सकता था।
    "पिछली बार मां ने मुझे अच्छी तरह से समझाया था, अगर मैं किसी तरह इस बड़ी प्रक्रिया को पूरा कर सकूं, तो मैं एक असली जादूगर बन पाऊंगा, और मां ने यह भी कहा था कि, मेरा एलिमेंट कमजोर नहीं है बस मेरा टैलेंट काफी पिछड़ा हुआ है इसलिए मुझे बाकी लोगों से कई गुना ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी।"

    जंगल में हर रोज, अंश बस आगे बढ़ाने के अलावा, कई जगहों पर रुकता और वहां पर ट्रेनिंग करता।
    ट्रेनिंग से उसकी बॉडी जब पूरी तरह से टूट कर बेहाल होने के कगार पर आती, जब वह पूरी तरह से थक जाता तब जाकर वह कहीं रुक कर मेडिटेशन करता।
    इससे उसे अपनी ताकत में और ज्यादा बढ़ोतरी महसूस होती।
    इसी तरह अंश हर रोज तरक्की कर रहा था।

    चलते-चलते अंश को बहुत जानी पहचानी पेड़ और पौधे और जड़ी बूटियां दिख रही थी, यह जाने पहचाने इसलिए थे क्योंकि अंश की मां, पैसों की तंगी के चलते कहीं बार यह चीज जंगलों से लाया करती थी जिससे कि, उनका खाने पर ज्यादा खर्चा ना हो।
    और इसी वजह से अंश को उन सभी जड़ी बूटियां और सब्जियों के पौधे को पहचानने में ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी, वह बड़ी आसानी से उसे पहचान लेता।

    और उन्हीं सब चीजों को पका कर खाता, इसे उस के खाने के बारे में फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं थी।

    पर अब अंश ने फैसला किया था कि वह अब शिकार करने के लिए तैयार है और पूरी तरह से, क्योंकि उसने पिछले 10 दिनों से, बहुत ही कठिन तैयारी की थी और अब तक उसमें थोड़ा सा कॉन्फिडेंस तो आ गया था कि वह, एक छोटे जादूई जीव को मार ही लेगा।
    और इसी तरह से अंश चलता है जंगल की गहराइयों में क्योंकि अब तक अंश को बहुत सारे जादुई जानवर तो दिखे थे लेकिन उनमें से कोई भी, मेंटल एलिमेंट मैच का नहीं था, इसलिए अब अंश को पूरा यकीन था कि उसे थोड़ा सा रिस्क उठाने ही होगा और जंगल में और अंदर जाना होगा।

  • 7. "Obsession of Power" - Chapter 7

    Words: 1073

    Estimated Reading Time: 7 min

    धीरे-धीरे अंश अपने हाथों में उस े छोटे से नक्शे को पकड़े अंश जंगल की गहराइयों में अंदर चला जा रहा था,
    तभी अंश को अचानक, कुछ आवाज सुनाइ दि।
    "खल खल।।"
    यह एक झरने के बहने की आवाज थी।
    पानी की आवाज सुनते ही अंश का चेहरा खिल गया।
    जंगल में किसी पानी के सोर्स को ढूंढना, मुश्किल था अगर अंश के पास वह नक्शा ना होता, अंश शायद कभी इतनी आसानी से किसी पानी वाले जगह पर नहीं आ पाता।
    फिर भी अंश ने अपना कॉमन सेंस नहीं छोड़ा,
    क्योंकि अब उसे अच्छी तरह से पता चल गया था की लाइब्रेरी में बैठकर हजारों किताबें पढ़ने से अच्छा कुछ सो मिल बाहर की दुनिया में घूमने से आपको ज्यादा अनुभव आता है।
    उसे अच्छी तरह से पता था कि यहां पर किसी जादुई जानवर के होने के अनुमान बाकी किसी भी जगह से ज्यादा थे,
    इसलिए उसने, बड़ी ही बारीकी से अपनी नजर घुमाई और छोटे-छोटे कदमों के साथ आगे बढ़ने लगा।
    हालांकि इस बार भी उसके हाथ निराशा ही लगी।
    वहां पर कोई भी जादुई जानवर नहीं था।
    फिर अंश ने , अपना बाकी का काम करना शुरू कर दिया।
    वह पिछले कई दिनों से नहाया नहीं था।
    इसलिए उसने, पहले खुद को साफ किया, और फिर धीरे-धीरे अपना बाकी सामान और कपड़ों के साफ सफाई की।



    तभी उसकी नजर, एक लकड़ी के टुकड़े पर चली गई,जो करीब 3 मी लम्बा लकड़ी का एक टुकड़ा था।
    उस लकड़ी के टुकड़े को देख कर अंश ने जल्दी से एक ब्लैक डैगर को बाहर निकाला। जो उसने अपने कमर पर बांध रखा था।
    वो एक ब्लैक ग्रीन कलर की लगभग तीस से चालीस सेंटीमीटर लम्बी थी, जो एक लेदर के छोटे मयान में रखी हुई थी।
    " टायगर डैगर, माँ नें शायद इसका यही नाम बताया था।
    मेरी माँ नें आजतक इसे किसी खजाने की तरह संभाल कर रखा था और आखिरकार अपने आखरी समय मे इस को मुझे सोप दिया।
    ये डैगर उस इंसान की निशानी है जिसे में अपनी जिंदगी मे सबसे ज्यादा नफ़रत करता हूँ, आज देखो,
    अब मे ईसे फेक भी नहीं सकता, क्योकि ये मेरी माँ का मुझे दिया हुआ आख़री तोहफा है ।
    है भगवान, आखिर तुम किस जनम का बदला ले रहे हो मुझसे।"
    और इतना कहकर अंश ने अपने उसी खंजर से उस लकड़ी पर कुछ काम करना शुरू कर दिया।
    अंश उस पर, धीरे धीरे,एक धारदार नोक बना रहा था।
    जो बस कुछ देर और मेहनत करने के बाद बन गई।
    " होगया, शायद इससे मेरा काम बन जाना चाहिए।"
    और इतना कहकर ही अंश अपनी जगह पर खड़ा हो गया, पर,इस बार उसने अपने हाथ में वो शाही डैगर नहीं, बल्कि वो लकड़ी का मामूली सा टुकड़ा पकड़ा हुआ था। और फिर उसी टुकड़े को हाथ में लेकर उसने झरने में एक जगह जोर से मारा

    और फिर जब उसने उस लकड़ी को बाहर निकाला तो उसके सिरे पर फंसी थी एक मछली।
    " ये सच में कम कर गया।"
    अंश ने उस लकड़ी का इस्तेमाल मछलियां पकड़ने के लिए किया था, और वो उसमें सफल भी रहा।
    पर ये इसलिए हो सका , क्योंकि इस काम में अंश को मस्त मिली थी उसके 'शारिंगान' की।
    क्यों कि, उसने अपने स्पेशल फीचर्स का इस्तेमाल पिछले कई दिनों में बहुत बार किया था, शायद यही वजह थी कि आज वो बिना किसी तकलीफ के इसका इस्तेमाल कर पा रहा था,






    और अपनी इसी खूबी की वजह से आज अंश ने देखते ही देखते कई सारी मछलियां एक लकड़ी के टुकड़े के सहारे पकड़ ली।
    " और ये रही आखिरी, इसके साथ अब मुझे खाने की फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है ।"
    इतना‌ कहने के बाद अंश ने एक और बार लकड़ी को पानी के अंदर डाला, और इस बार उसने 10 वि मछली पकड़ ली जिससे उसका , खाना ढूंढने में लगने वाला काफी समय बच गया।
    फिर अंश ने अपनी डैगर को निकला और , देखते ही देखते अंश ने उन सभी मछलियों को, अच्छी तरह से छोटे छोटे टुकड़ों में काट लिया और फिर उन्हें झरने के पानी में अच्छी तरह से धोकर साफ करने के बाद वह एक जगह कर बैठ गया।
    अब बस उसे आग जलाने के लिए कुछ सुखे और कामचलाओ चीजों को ढूंढना था,
    कुछ देर यहां वहां ढूंढने के बाद आखिरकार अंश ने कुछ सूखी लकड़ियां और कुछ सूखे पत्ते इकट्ठा कर ही लिए,
    "शायद इतना काफी होगा।"
    इतना कहकर अंश ने आग जलाना शुरू कर दिया,



    आग जलने के बाद उसने, ठीक से धोई हुई मछलियों के छोटे-छोटे टुकड़ों को, एक साथ एक बड़े से पत्ते पर रखा।
    हालांकि अंश बचपन से ही यह सारा काम करते आ रहा था इसलिए उसे खाना बनाने या फिर मछलियां पकाने जैसी चीजों में ज्यादा मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं थी,
    उसने बचपन में ही यह सब अपनी मां से सीख लिया था।
    इसलिए उसने अपने बैग में रखा कुछ मसाले और नमक, जैसी अन्य सामग्री को बाहर निकाला और, धीरे-धीरे वह उसे उसे मछलियों के टुकड़ों पर छिड़कने लगा, फिर उसने कुछ, ऐसे मसालेदार पौधों का इस्तेमाल किया जो उसे आते वक्त जंगल में दिखाई दिए थे।
    और इतना सब करने के बाद आखिरकार अंश ने, छोटे-छोटे ‌ टुकड़ों को लकड़ी के एक पतले से सीरे में फंसा कर आंग के ऊपर रखकर भूनना शुरू कर दिया।
    " अब बस जल्दी से अच्छी तरह से ये पक जाए।"
    इतना कहकर अंश उन मछलियों को धीरे-धीरे से धीमी आंच पर भूनने लगा ।
    और थोड़ी ही देर में पके हुए मांस के, टुकड़ों की हल्की-हल्की महक , उस े इलाके में फैलने लगी।

    अंश अच्छी तरह से जानता था, अगर वह सारी मछलियां एक साथ पकता तो वह अपने लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा करता, इसलिए उसने पहले सिर्फ दो ही मछलियां पकाई
    थी ।
    पर फिर भी उन पकी हुई मछलियों कि फैल रहीी खुशबू किसी के नाक तक जा पहुंची।

    " कितनी लजीज खुशबू है !!"

    एक मधुर लेकिन, चुलबुलाहट भरी आवाज सुनाई दी,

    आवाज सुनते ही , अंश के कान खड़े हो गए,
    वह अपनी जगह पर सतर्क हो गया, जब उसने आवाज की दिशा में देखा, तो उसे बड़े ही महंगेऔर नवाबी कपड़े पहने दो लोग उसकी तरफ आते दिखाई दिए।
    अंश सतर्क हो गया, क्योंकि जितने भी अमीरों से वह आज तक मिला था, उनके साथ उसका अनुभव कुछ ठीक नहीं था।

    तो कौन है यह, क्या यह बनेंगे अंश के लिए कोई नया खतरा,
    या फिर बनेंगे रास्ते के हमसफ़र ।

    जानते हैं अगले एपिसोड में,
    ।। धन्यवाद। ।।

  • 8. "Obsession of Power" - Chapter 8

    Words: 1041

    Estimated Reading Time: 7 min

    अचानक ‌ अपनी तरफ आते दो लोगों को देखकर अंश की वह भौहें तन गईं उसने ध्यान से उन दोनों की तरफ देखा । कपड़ों से वह काफी रईस लग रहे थे,
    खासकर एक 15 साल की सुंदर लड़की जिसने लाइट ब्लू कलर के कपड़े पहने हुए थे उसकी काली लंबी जुल्फे उसकी कमर तकआ रही थी,
    और उसके टाइट फिटिंग वाले कपड़े, उसे एक एलिगेंट लुक दे रहे थे, जोकि किसी खूंखार और प्यारी महिला लड़ाकू जैसी दिख रही थी, लड़ाकू हमेशा टाइट फिटिंग वाले कपड़े ही पहनते हैं।
    यहां तक की उसकी आंखें भी किसी हिरनी जैसी चमचमाती, और उसकी नुकीली नाक किसी परफेक्ट एंगुलर शॉप में ली हुई लग रही थी, ध्यान से देखने पर अंश को समझ आया कि उसकी नज़रें उसके भुने हुए मछली पर बड़ी गहरी तरह से गड़ी हुई थी।
    " ओो तो बिन बुलाए मेहमान, एक नहीं बल्कि दो है।"
    इतना सोचकर अंश की नजर पीछे आ रहे एक नौजवान लड़के पर गई वह भी करीब करीब इस लड़की के उम्र का नजर आ रहा था, पर वो काफी ऊंचा तगड़ा लंबा हैंडसम और मुस्कराहट भरा लड़का नजर आ रहा था।
    पर जब अंश ने अपनी स्पेशल आंखों से उसकी तरफ एक नजर डाली, तो अंश को उस आदमी से बड़ा ही ताकतवर औरा महसूस हो रहा था।

    उसकी नजर पहले वाली लड़की की तरह उसकी मछलियों पर नहीं थी बल्कि,
    वह सीधा अंश की तरफ देखरहा था,
    जैसे उसकी आंखों में झांक कर उसकी ताकत और खूबियों का पता लग रहा हो।

    तभी अचानक से उस शरारती और चुलबुली लड़की ने, अंश की तरफ बड़े ही आशा भरी निगाहों से देखा और दौड़ते हुए उसके पास चली गई।
    उसने अपने चेहरे पर पड़ी ही प्यारी स्माइल और काफी ही इनोसेंट लुक लाते हुए कहा , "छोटे भाई ,क्या तुम अकेले-अकेले मछली को खाकर बोर नहीं हो जाएंगे।"
    " किसी महापुरुष ने कहा है हमें मिल बांट कर खाना चाहिए।"
    अंश तो उस लड़की के ,उसके इतने करीब आने से वो बिल्कुल अपनी जगह पर हैरान हुए खड़ा था । ऐसा नहीं था कि, इतनी खूबसूरत लड़की उसने पहली बार देखी थी ,उसने महल में कई सारी खूबसूरत लड़कियों को देखा था ,पर आज तक कोई भी लड़की उसके इतना करीब नहीं आई थी और ऊपर से उनमें से कोई भी लड़की उसके सामने खड़े इस लड़की के पास पास तक भी कंपेयर करने के लिए खड़ी भी नहीं की जा सकती थी।
    क्योंकि अभी जो लड़की उसके साथ खड़ी थी ,उसकी बॉडी परफेक्ट और उसके ऊपर काफी सूट कर रही थी।
    वह मेच्योर और क्यूट लुक उसकी चुलबुलाहट भरी बातें और परफेक्ट कर्व फिगर और ऊपर से उसके बात करने का हूनर, जब से अंश ने उस े लड़की की मीठी बातें सुनी, उसके कानों में पड़ी थी तब से उसका चेहरा थोड़ा-थोड़ा लाल होने लगा था ।
    फिर किसी तरह उसने अपने आप को नॉर्मल किया और बड़े ही अदब से कहा , "क्यों नहीं मैं कैसे आप जैसी खूबसूरत बहन को भुखा रख सकता हूं ।" दरअसल अंश ने ऐसा इसलिए नहीं कहा था क्योंकि वह खूबसूरत थी बल्कि , उससे पहली बार किसी ने इतनी अच्छी तरह से बात की थी इसलिए, उसने भी उनसे इस तरह अच्छे लहजे में बात की , फिर इस मिठे लहजे में उस लड़की ने कहा।
    " अगर तुम इतना कह रही ही रहे हो तो ,मैं जरूर संकोच नहीं करूंगी ।
    आखिरकार तुम्हारी यह बहन बड़ी आज्ञाकारी जो है छोटे भाई !!"
    और फिर वह जल्दी से चलकर वह मछली के पास चली गई और उसने अपना हाथ बड़ा कर उन भुनी हुई मछलियों में से एक मछली वाली लकड़ी उठा ली ।
    "अरे वाहहहहह!! यह कितनी स्वादिष्ट है!! और नमकीन भी !!! "
    तभी उस पल वहां खड़ा लड़का जो उस लड़की के पीछे-पीछे आ रहा था वह चलकर उस लड़की के पास आया और उसने बड़े ही गिल्टी फील करते हुए अपना सिर हिलाते हुए अंश की तरफ देखकर कहा , "अरे छोटी शिवन्या अभी तक हमारे इस छोटे भाई ने एक निवाला तक नहीं खाया और तुम इस पर टूट भी पड़ी ।"

    तभी उस क्यूट लड़की ने अपनी आंखें उस े नौजवान की तरफ घुमाई और जरा ऊंची और गुस्सेभारी आवाज में कहा, " तुमने अभी मुझे किस नाम से पुकारा ?"

    नौजवान को इस लड़की के नखरे झेलने की आदत पूरी तरह से हो चुकी थी इसलिए ,उसने जल्दी से हार मानते हुए एक लंबी आह निकलते हुए कहा,
    " हां मास्टर शिवन्या , क्या अब ए ठीक है?"
    उस े शिवन्या नाम की लड़की ने अपना गुस्सा थोड़ा सा कम हो रहा है ऐसा दिखाते हुए, उस नौजवानलड़के से कहा,
    " हां, यह ठीक है, पर तुम्हें अपना स्टेटस पता होना चाहिए, आइंदा इससे आगे ए सी गलती नहीं होनी ।चाहिए।"
    पर अंश को वह खूबसूरत शिवन्या गुस्से में भी बहुत ज्यादा खूबसूरतलग रही थी, उसके गुस्से में भी एक अलग चुलबुलापन था,
    पर उसके एक्सप्रेशन से अलग सामने खड़े उसे नौजवान लड़के के चेहरे पर से रंग उतर चुकाथा,
    उसे ऐसी हालत में देखकर अंश ने भी उसे लड़की की तरफ और ज्यादा ध्यान देने की हिम्मत नहीं की क्योंकि एक पल इतनी मीठे स्वर में बोलने वाली लड़की अगले पल इतनी , गुस्सैल हो सकती है उसके बारे में उसने सोचा भी नहीं था,
    फिर उसने आगे बढ़कर अपने हाथ में दूसरी मछली उठाई और उसे उस े जवान लड़के को देते हुए कहां,
    " बड़े भाई यह तुम्हारे लिए ।"
    अंश के खाना ऑफर करने पर उस लड़के ने बड़े ही तहजीब और शांत अंदाज में कहा,
    " छोटे दोस्त, तुम्हारी उम्र भले ही कम है, लेकिन तुम्हारा दिल काफी साफ़ है। शायद तुम्ह भी ें भूक लगी होगी,
    पहले तुम खालों ।"

    "वैसे तूम , खाना पकाने में बढ़े माहिर हो मेरे दोस्त !"

    लगता हैं तुम बड़े दीनों से अकेले सफर कर रहे हों, लगता है, तुम अकेले हो मेरे दोस्त । "
    " हा , लेकिन इसकी अब मुझे आदत हो चुकी है, इसलिए, तुम ये मछ्ली खाओ , और मेरी फिक्र बिल्कुल मत करो , में ने झरने से ओर भी मछलियां पकड़ी है, इसलिए हमारे पास मछलियों की कमी नहीं है।"
    और इतना कहकर अंश ने ओर मछलियां आग पर भुनना शुरू कर दिा।



    तो दोस्तों आगे स्टोरी के लीए कल तक करें इंतजार ,



    ।। धन्यवाद। ।।

  • 9. "Obsession of Power" - Chapter 9

    Words: 1136

    Estimated Reading Time: 7 min

    अंश ने अपनी मछलियां उन लोगों के साथ साझा कीं और उनसे बातें करने लगा।
    तभी उस नौजवान लड़के ने अंश से कहा,
    "वैसे मैंने तो अपना नाम तुम्हें बताया ही नहीं।
    मेरा नाम है, "रोहन चंदेला"।
    और फिर उसने धीरे से अंश के पास जाकर उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा,
    "और इस नखरे वाली लड़की का नाम है, "शिवन्या भार्गव। और तुम्हारा नाम क्या है, दोस्त?"

    "मे-मेरा नाम है, अंश साहू।"
    अंश ने धीमी आंच पर मछली रखते हुए उन लोगों से कहा,
    और वह सब एक साथ खाने के लिए बैठ गए।
    रोहन का मछली खाने का लहजा बड़ा ही अदब भरा था। ऐसा लग रहा था कि वह किसी शाही परिवार का हो जिसे बचपन से ही सही रहन-सहन की सीख दी गई हो।
    सब लोग चांव से मछलियां खा ही रहे थे,
    कि तभी चुलबुली शिवन्या ने अपने होठों पर से जीभ फेरते हुए कहा,
    "कितना लजीज, अरे अंश तुम कितना स्वादिष्ट खाना बना लेते हो, कैसा रहेगा अगर तुम मेरे पर्सनल बावर्ची बन जाओ, सोच लो ऑफर बुरा नहीं है!"
    यह कहते हुए शिवन्या की आंखों में वही नादानी भरा चुलबुलापन था।
    और फिर उसने अपने आप को घास के मैदान पर सटा दिया, जैसे उसका पेट पूरी तरह से भर गया हो और वह अंगड़ाई लेना चाहती हो।
    "मास्टर शिवन्या, आपकी बातें तुर्रम खां जैसी होती है, क्या आपके पास पैसे है भी जो आप काम करने और काम पर रखने की बात करने लगीं।"
    रोहन ने मजाक उड़ाने के ढंग से कहा।

    रोहन की इस बात पर शिवन्या ने अपनी नाक ऊपर उठाते हुए बड़े ही गर्व से कहा, "अब नहीं है तो क्या हुआ, आगे चलकर मैं बहुत अमीर होने वाली हूं!!"
    और इतना कहकर उसने रोहन की तरफ बड़े ही गुस्से भरे अंदाज में देखा,
    जैसे वह उससे कहना चाहती हो कि "हर बार अपनी टांग बीच में अड़ाना क्या तुम्हारे लिए जरूरी है।"
    अब तक अंश का भी मछली खाना पूरा होने को था और उसे भी कुछ जरूरी काम करने थे इसलिए अब उसने सोचा कि वह इन दोनों को बहस करने के लिए अकेला छोड़ दे।

    "अरे दोस्तों, अब शायद मुझे जाना होगा, तुम्हारे साथ वक्त बिता कर सच में बहुत अच्छा लगा।"
    अंश ने उन दोनों से कहा।

    "अरे अंश, क्या तुम जानते नहीं कि यह जगह कितनी खतरनाक हो सकती है, इससे आगे सब जंगल का खतरनाक इलाका है, जहां पर ताकतवर जादुई जानवर आते जाते रहते हैं, आखिर तुम जा कहा रहे हो?"

    पर अंश ने उनके सवालों का सीधा जवाब देने की बजाय एक पहेली में कहा,
    "बस एक अनजान मुसाफिर हूं।
    और रास्ता ही मेरी मंजिल है।
    ना घर की तलाश, ना किसी आशियाने की फिक्र।
    मैं तो बस एक अनजान मुसाफिर ही हूं।"
    इतना कहकर अंश वहां से जंगल के अंदर की तरफ जाने लगा।

    "हां बुरा नहीं है, लड़का दिल का अच्छा है और, शेरो शायरी का शौकीन भी,
    पर क्या वह सच में जंगल के अंदर जाना चाहता है वह भी अकेले।"
    अब वह पहले वाली चुलबुली शिवन्या काफी सीरियस दिख रही थी,
    उसके पास खड़े उस नौजवान रोहन ने उससे कहा,
    "पता नहीं, पर मुझे उससे थोड़ी सी शक्तियां महसूस तो हो रही थी, पर वह इतनी कम थी कि मैं भी कंफर्म बता नहीं सकता, कि वह सच में कोई जादूगर था भी या नहीं।"
    रोहन की बात सुनते ही शिवन्या के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई,
    "अगर उसमें सच में जादुई शक्तियां है, वह हमारे लिए काफी काम का आदमी साबित हो सकता है!!"

    शिवन्या की इस बात पर रोहन थोड़ा सा अनसेटिस्फाइड दिखने लगा, "शिवन्या, क्या तुम सच में इतनी बुद्धू हो कि अगर कोई अच्छा खाना बना ले तो तुम उसे अपने दल में शामिल कर लोगी।"

    शिवन्या को जब पता चला कि रोहन ने उसका मकसद जान लिया है तो उसने भी अपने चेहरे पर थोड़ा सा नकली गुस्सा लाते हुए कहा, "क्या कह रहे हो रोहन, तुम्हें ऐसा ही लगता है ना कि मैं हर बार अपने बचपने में कुछ ना कुछ कर बैठती हूं लेकिन तुम इस बार गलत हो,
    मैंने देखा है उसकी आंखों में, उसकी आंखों में एक अलग ही जुनून, और शांति थी, उसके अंदर का जज्बा बाकियों से अलग था, वह दिखने में तो 12 साल का लग रहा था लेकिन उसकी समझ उसकी उम्र के सभी लड़कों से काफी अलग लग रही थी,
    जैसे कि उसके साथ कुछ बड़ा हुआ हो, लगता है उसने कम उम्र में काफी कुछ सहा है!"

    फिलहाल शिवन्या तो यह सब बात ऐसे ही कर रही थी लेकिन उसे क्या पता था कि अंश के साथ सच में काफी कुछ हुआ था, पर पहली बार आज रोहन उसकी बातों से सहमत था उसने भी अपना सर हिलाते हुए कहा,
    "हां सही कहा, मुझे भी उसकी आंखों में, एक अलग ही जुनून नजर आ रहा था, कुछ कर गुजरने का जुनून। पर जो भी हो जंगल का कानून तो सब लोग जानते हैं, यहां कमजोरों का जुनून नहीं ताकतवरों की शान ज्यादा जरूरी होती है।"
    पर शिवन्या ने तो उसकी पहली बात ही पकड़ ली,
    "तुम्हें भी ऐसा ही लगता है ना, लगता है मेरे साथ रह रहकर तुम्हारा दिमाग भी अच्छा खासा चलने लगा है रोहन, चलेगा क्यों नहीं तुम सेवक किसके जो हो!!"
    इतना कहकर शिवन्या ने अपना हाथ अपने चिन पर रखते हुए, किसी पहुंचे हुए जासूस की तरह अपने चेहरे पर एक्सप्रेशन लाए, और कहां,
    "अगर ऐसा ही है, तो हम अपना काम जल्दी-जल्दी निपटा कर उसके पीछे जाएंगे।"
    शिवन्या और रोहन की बातों से अनजान अंश अपने रास्ते पर चला जा रहा था, उसे अच्छा तो लग रहा था कि उसने काफी ज्यादा मछलियां पका ली थी लेकिन उसकी यह खुशी टिक नहीं पाई।
    उसके बाद फिर अगर वह चाहता तो अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए वह जादू से और भी मछलियां पकड़ सकता था लेकिन वह अपनी काबिलियत अनजान लोगों के सामने इस्तेमाल नहीं करना चाहता था।
    उसने सीखे हुए कई सबको में से एक अच्छा सबक था कि किसी को भी तुम्हारे बारे में पूरी जानकारी ना हो।
    और फिर उसने अपने नक्शे को हाथ में लिया और चल पड़ा अपने आगे के सफर पर।
    तभी उसे कुछ कदम पर एक बहुत बड़ा और खास, 'एक लैंडमार्क स्टोन' दिखाई दिया, जिस पर काफी बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था,
    "सावधान! आप खूंखार और भयानक, जादुई जानवरों के इलाके से बस कुछ ही मीटर दूर है, इसलिए जादुई जानवरों से सावधान रहें।"
    यह नेम प्लेट दिखते ही अंश की आंखें खुशी से चहकने लगीं।
    आखिरकार वह अपनी मंजिल तक पहुंच गया।

  • 10. "Obsession of Power" - Chapter 10

    Words: 2883

    Estimated Reading Time: 18 min

    जब से उसने होश संभाला था ,तब से वह बस जादूगर बननेका सपना देख रहा था ।
    उसे पागलों की तरह बस एक ही चीज मालूम थी कि ,उसे है ताकतवर बनना है।
    इतना ताकतवर कि वह अपनी मां के साथ जो कुछ हुआ उसका बदला ले सके। अपने साथ जो हो चुका उसका बदला ले सके और इतना ताकतवर बन सके की कोई आगे चलकर उसके साथ ऐसा कुछ करने की हिम्मत ना कर सके । उसी सपने को पूरा करने के लिए ,'अंश' इस खतरनाक जंगल में आया था और आज इसी जंगल के इलाके में जब वो अपने सपने के बेहद ज्यादा करीब पहुंच गया जब उसने अपने सामने टंगी लैंडमार्क स्टोन को देखा तो अमर कि आंखें चमक उठी उसकी थकान चूर-चूर हो गई। और उसके मन में एक नया जोश बन आया ।
    "आखिरकार मैं यहां पर आ ही गया।"
    आखिरकार उसके इतने दिनों की उसकी तकलीफों से भरी जिंदगी उसे याद आई ।
    उसे यहां तक आने मेंकितने दिन लगे थे ।कितनी रातें उस ने घर के बाहर बिताई थी ।बस इसी चाह में की वह एक दिन जादूगर बन पाएगा ।
    उसने बस यहां तक पहुंचने के लिए तो मेडिटेशन और सेल्फ कंट्रोल जैसी चीज सीखी थी ।
    अपने सामने उस े गेट को देखकर उसके भतरी में काफी बेचैनी पनपने लगी लेकिन अपनी खुशी को थोड़ा सा काबू करते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा ।क्योंकि उसे अब उसका यहां तक का सफर याद आ रहा था तो उसके आंखें नम हो रही थी ,क्योंकि आज उसे अपनी "मां "की याद आ रही थी अंश की आंखों से आंसू बहने लगे पर तभी ,
    अचानक अंश को कुछ अजीब महसूस होने लगा उसके सेंसेस से उसे अचानक किसी खतरे का एहसास होने लगा।
    यह एहसास आया था उसके करिश्माई आंखों से ।उस को एहसास हुआ कि उस े पर कोई खतरा आने वाला है तो उसने झट से अपनी जगह से दूसरी तरफ छलांग लगाई और अपना एक हाथ अपनी
    कमर की तरफ रखी अपनी डैगर की तरफ अपना हाथ बढ़ाया।
    और ध्यान से उस दिशा में देखने लगा जहां से उसे खतरा महसूस हुआ था।
    तभी उसने देखा कि वह पहले जहां पर खड़ा था वहां पर एक भूरे कलर का बहुत बड़ा जंगली भालू खड़ा था,
    अगर अंश को इसका पहले अंदाजा नहीं लगता तो अब तक अंश उस भालू की पकड़ में आ गया होता।
    " हां हां "
    अंश की सांस ऊपर नीचे होने लगी,
    ए पहली बार था,की उसने किसी जंगली जानवर को इतने नज़दीक से देखा हो।
    " आज तो बार-बार बच गए।"
    और इतना कहकर अंश भालू की तरफ देखने लगा।
    उसने देखा कि वह बड़ा ही खूंखार जानवर था जिसकी, खतरनाकआंखें, लंबे लंबे हाथ, और उन पर लगे धार दार नाखून।
    और बड़े-बड़े बालों से ढका हुआ उसका बदन।
    काफी विशालकाय लग रहा था।
    और वह गुस्से में अपने पैर जोर-जोर से जमीन पर मार रहा था क्योंकि वह अपने काम में नाकामयाब रहा था।
    जैसे की अंश उसके लिए बस एक मामूली सा मच्छर हो।
    वह अंश की तरफ देखकर जोरजोर से "गुरा्नै " लगा
    दूसरी तरफ अंश भी काफी डरा हुआ था।
    उसने आज तक किसी जादुई जंगली जानवर को नहीं देखा था।
    खासकर इस जंगली भालू जैसे तेज रफ्तार और विशालकाय शरीर वाले जानवर को।
    इसकी रफ्तार लाजवाब थी, जैसे कि किसी तेज हवा की झोंके की तरह।
    अगर अंश के पास उसकी करिश्माई आंखें नहीं होती।
    तो आज उसकी खैर नहीं थी।
    उसे पता भी नहीं चलता और उसका काम तमाम हो चुका होता।
    अब जाकर अंश को मालूम हुआ कि इस दुनिया में जादूगर होने की क्या अहमियत थी,
    उसके एक ऐसे एलिमेंट ने जिसे सब लोग बेकार कहते थे उसने आज उसकी जानबचाई थी, वह भी बिना पूरी तरह से इस्तेमाल किए गए, तो फिर जब अंश, इस एलिमेंट को किसी जानवर की बली देगा तब इसकी ताकत क्या होगी।

    पर फिलहाल अंश के पास यह सब सोचने का समय नहीं था।
    अब उसके सामने एक खूंखार जंगली जानवर अंश की तरफ देखे जा रहा था और जोर-जोर से अपने पैर पटकते हुए उसकी तरफ आगे चला आ रहा था।

    असल में यह सब इतनी तेज हो रहा था कि सब में बस एक या फिर दो सांस लेने का समय बिता हो,
    पर अंश की करिश्माई आंखों की बदौलत वह इस पल में हो रहे हर एक बदलाव को बड़ी ही बारीकी से महसूस कर रहा था,
    वह उस े भालू की हर छोटे से छोटे मूवमेंट को बड़ी ही बारीकी से महसूस कर सकता था क्योंकि,
    जब उसकी करिश्माई आंखें चलती थी तो उसे सब कुछ स्लो मोशन में दिखता था,
    तभी एक हवा कटने की जोरदार आवाज आई।
    "। स्लॅश "
    उस े जंगली भालू ने अपना पंजा अंश की तरफ दे मारा।
    जिसके लंबे धारदार नाखून अंश अपनी तरफ आते हुए देख पा रहा था।
    अंश जल्दी से अपनी जगह पीछे की तरफ झुक गया।
    " धडडडडडड। "
    और एक आवाज हूई,

    अंश के समय पर झुकने की वजह से वह तो बच गया लेकिन उसके पास का एक पेड़ अब दो टुकड़ों में बटा हुआ था।

    " क्या ! इसका एक हमला ही इतना ताकतवर है?"
    अंश को जरा भी अंदाजा नहीं था की जिस जानवर से वह लढ रहा था ,वो उसकी ताकत से कहीं गुना ज्यादा ताकतवर था।
    बस यही वजह थी कि जब भी किसी नहीं जादूगर को 'बली ' की जरूरत होती है तो उनके साथ एक अनुभवी जादूगर हमेशा जाता।
    क्योंकि अगर किसी ताकतवर जादुई जानवर से आमना सामना हो तो वहां से बचकर भाग सके।
    इसी तरह, जादुई भालू लगातार हमले करता रहा,
    और अंश उनसे कैसे तैसे करके जान बचाता रहा।
    पर इस पकड़म पकड़ाई में एक बार भालू का पंजा अंश के सीने के काफी पास से गुजर और उस भालू की सबसे लंबी उंगली का नाखून अंश के दाहिने हाथ में थोड़ा सा लग गया जिसमें से थोड़ा-थोड़ा कर कर खून बहने लगा।
    फिर भी अंश अपनी जगह डटा रहा उसने अपने हाथ में पड़ी 'टाइगर डैगर ' अब खून से लाल लग रही थी ।
    जब जब समय मिलने पर जल्दी से उसने तीन चार कदम पीछे ले लिए, वह अपने हाथों में उसी डैगर को रक्षात्मक पोजीशन में पकड़े हुए था,
    अगर, उस े पर फिर से हमला हो तो वह अपनी टाइगर डैगर को सामने कर सके।

    पर शायद अब तक इस "चूहा बिल्ली के खेल" की वजह से भालू कुछ ज्यादा ही गुस्से में आ गया था।
    और बार बार अपने पंजे अपने सीने पर मारने लगा।
    और फिर जोर-जोर से दहाड़ निकलने लगा।

    जैसे ,कि वह अब पागल होने की फिरात पर आ गया हो।

    क्योंकि उसके हाथों एक अंश जैसा मच्छर भी अब तक टिका हुआ था।
    ऐसा लग रहा था कि वह एक ही हमले में अब अंश को मारने की तैयारी करने लगा हो।

    ऐसे ही बार-बार अपने सीने पर मारने के बाद आखिरकार उस े जानवर ने अपना मुंह खोला,
    और जब अंश ने देखा कि उसे जानवर के मुंह से क्या निकल रहा है ,तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।

    " जादुई हमला, तो यह हमले में जादू का भी इस्तेमाल कर सकता है!"
    उस े जानवर ने अपने मुंह से एक चमकता बड़ा रोशनी का गोला बाहर निकाला था, और अपनी करिश्माई आंखों से अंश साफ-साफ देख पा रहा था कि वह रोशनी का गोला अगर उसे लगा तो उसके बचने के आसार लगभग ना के बराबर थे।


    तो फिर क्या करेगा अब अंश,
    किस तरह बचाएगी अपनी जान इसखतरे से।




    जानते हैं अगले चैप्टर में।


    कहानी में हमने देखाकी,
    अंश बिल्कुल भी ठीक हालत में नहीं था। उसे जादुई भालू से लड़ते वक्त हाथ पर एक गहरा घावलग ो गया था ।
    जिससे उसका हाथ खून से लथपथ लग रहा था ।
    पर जब उसने देखा कि भालू आगे क्या करने जा रहा है तो उसकी आंखें डर से बड़ी होगई।
    अंश ने कभी सोचा भी नहीं था कि,वो जींस जंगली जानवर से जिंदगी में अपने पहली बार लड़ने जा रहा है वह तिलस्मी जादू का इस्तेमाल भी कर सकता है।
    तिलिस्म जादू, ज्यादातर वही जंगली जानवर कर पाते थे जो काफी ताकतवर और खतरनाक हो उसके लिए उस े जानवर की साधना कम से कम 50 साल से ऊपर की होनी चाहिए।
    अंश को अपनी बुरी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह, सबसे पहले इतने ताकतवर जानवर से मिल बैठ।
    अंश ने तो ठीक ठीक, पांच या 6 साल तक मैडिटेशन किया था और वह भी बाकियों से छुपाके।
    कहां उसके 5 साल का, साधना अभ्यास और कहां इस जंगली जानवर के 50 साल से ऊपर का साधना अभ्यास।
    इसलिए अंश को अच्छी तरह से पता था कि वह सफेद रोशनी का गोला अगर उसके शरीर से टकराया तो उसकी कोई खैर नहीं।
    इससे अंश की सोचने समझने की शक्ति पर थोड़ा सा प्रेशर बढ़ने लगा था, क्योंकि वह अच्छी तरह से देख पा रहा था कि उसकी 'करिश्माई आंखों ' से भी उसे उस े रोशनी के गोले की रफ्तार बहुत तेज लग रही थी तो वह असल में कितना तेज होगा।
    ऊपर से उस े गोले को छोड़ने के बाद वह जंगली जानवर थोड़ा सा थका हुआ लग रहा था फिर भी अपनी उस हालत में वह दहाड़ मारते हुए अंश की तरफ आगे बढ़ रहा था।
    अंश उस े हमले से इतना डरा हुआ था कि उसे समझ नहीं आया कि वह जादुई गोला कब उसके इतना नजदीक आया कि अब वह उससे बच नहीं सकता था।
    इसलिए अपनी इतनी नर्वस कंडीशन में भी अंश ने आखरी दम तक लड़ने की सोची और अपने हाथ में पड़ी टाइगर डैगर, को अपनी रक्षा करने के लिए उस , जादुई गोले की तरफ घुमाया।
    तभी अंश उस जादुई गोली को ऐसे तैसे करके रोकने की कोशिश कर ही रहा था कि पीछे से दौड़ते हुए आ रहे अपना पंजा अंश के सिर के तरफ घुमाया।
    अगर जंगली भालू का यह हमला अंश को लगता तो उसका सर , भालू के नुकीले पंजों से , चिर जाता ।
    अंश को भी साफ-साफ दिखाई दे रहा था कि ।
    भालू ने उसके हमले को किसी मौके की तरह इस्तेमाल किया जिससे कि अंश का ध्यान भड़काया जा सके और उस े पर दूसरी तरफ से हमला कियाजा सके।
    पर अंश की करिश्माई आंखों की वजह से वह भालू की चाल देख पाया।
    अब जब कि े अंश को पता था कि अगर वहां उसने कुछ नहीं किया तो उसका हश्र मौत ही होना था।
    इसलिए, " बूममममममम!"
    एक जोरदार धमाके की आवाजहुई,
    अंश ने उसे रोशनी के गोले पर से अपना प्रतिकार हटाया,
    इससे वह रोशनी को गोला , धडाम से जाकर अंश के सीने से टकराया,
    " आहहहहहहह!"
    और अंश की एक जोरदार दर्द भरी कराह , वहां पर सुनाई दी।
    और धमाके से अंश का शरीर किसी गेंद की तरह उड़कर हवा में पीछे की तरफ जाने लगा।
    "धड़ामममममम!" की एक जोरदार आवाज हुई।
    और अंश,एक बड़े पेड़ के तने से जाकर टकरा गया।
    जिससे कि उसकी हालत बहुत ज्यादा बुरी हो गई थी।

    "आह आह!"
    दो बार खांसते हुए अंश के मुंह से खून निकल आया।
    उसे अपनी आंखें हल्की हल्की भारी महसूस हो रही थी जैसे की वह अधमरा होने के कगार पर आ गया।
    उसको यकीन नहीं हो रहा था कि, उसकी डैगर ने, हमलेका जब लगभग , 50% हिस्सा अपने ऊपर ले लिया, और बस बाकी के 50% हमले के इंपैक्ट से ही अंश की हालत इतनी बुरी हो गई थी कि वह लगभग मरने की कगार पर आ गया था।
    " आज तो मरते मरते बच गया मैं!"
    अपने आप में ही अंश, बड़ी ही मुश्किल से यह बोल पा रहा था।
    थोड़ी ही देर वैसे है की पड़े रहने के बाद। उसकी हालत कुछ ठीक होने लगी, और वह अपने पैरों पर अब बड़े ही मशक्कत के बाद खड़ा हो पा रहा था।
    जब उसकी नजर उस जादुई भालू की तरफ हो गई तो ,अंश को यह जानकर बड़ी हैरानी हुई की जंगली भालू अपनी जगह से जराभी नहीं हिल रहा,
    ‌‌"ऐसा तो नहीं होना चाहिए। "
    अंश को जब कुछ अजीब लगा , तब अंश उसे भालू के थोड़ा सा नजदीक चला गया।

    तो उसने कुछ अजीब देखा उसने देखा कि, जो डैगर कुछ देर पहले उसके हाथ में थी अब वह उस े भालू के सिर के आर -पार थी।
    पर यह हुआ कैसे,
    देखते हैं फ्लैशबैक में," जब अंश ने उस े रोशनी के गोले को रुकना बंद करने का सोचा तो उसने, जल्दबाजी में अपने डैगर , को वहीं पर छोड़कर उस े रोशनी के ी गोले ी से टकराया, पर यह अंश ने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि जब गोला उसके सीने पर लग कर कर धमाके में फट गया, तब उसी े धमाके की की विस्फोटक ताकत की वजह से, उसका वह डैगर एक चमक फेंकते हुए उस े भालू के सिर की तरफ बड़ी ही तेजी से बड़ा और उसे भालू के सर से जाकर टकराया।"
    ‌। और बस यही वजह थी कि, आज अंश जिंदा था।
    उस े जानवर ने भी यह सोचा नहीं होगा कि उसी का हमला एक दिन उसकी जान ले लेगा।
    " तो यह मामूली सी दिखने वाली,' डैगर ' ताकत में किसी मायावी खंजर के बराबर है। ''
    अंश को जरा भी अंदाजा नहीं था कि जिस चीज को वह अपनी मां की आखिरी चीज होने की वजह से अपने साथ लेकर घूम रहा था वह इस कदर उसकी जान बचाएगी।

    और जिस चीज ने अंश को हैरान कर दिया था वह थी उस डैगर की ताकत, क्योंकि किसी जादुई जानवर के ही सर की हड्डी इतनी ही सख्त होती है कि कोई मजबूत से मजबूत हथियार भी उसे भेद नहीं सकता।

    अंश यह सब चीज सोच ही रहा था की तभी उसने अपनी डैगर उस े भालू के सर से बाहर निकली।
    जैसे ही अंश ने , अपना हथियार उसे जानवर के सर से बाहर निकाला तो उस े जानवर के बच्चे कुछे प्राण भी उसकी आंखों से ओझल हो गए और वह पूरी तरह से मर गया।
    और फिर हुआ एक बड़ा ही चमत्कारिक और रहस्यमई जादू का अजूबा।
    जिसे देख अंश भी हैरान हो गया,
    " तो ऐसी होती है बली !"
    ‌ जैसे ही उस े जानवर की सांस थम गई उसका शरीर एक जादुई और अजीबोगरीब सफेद रोशनी से चमकने लगा, और फिर उसके शरीर से एक सफेद कलर की धुंध जो बड़ी ही चमक चारों ओर बिखेर रही थी,
    जिसे देखकर अंश की आंखें भी चमक रही थी।
    धीरे-धीरे ढूंढ एक एक करके जादुई मोतियों में बदल गई
    ‌ और फिर वह जादुई मोती एक , जादुई गोलाकार, चक्र, जो आकार में तो रथ के पहिए की बाहरी आकृति की तरह एक आकार में आ गए।

    जिसमें कई सारे मोती, कई सारे विशेष आकार में बदल गए।
    जो खुद घूम रहे थे।
    वह नजारा कुछ ऐसा लग रहा था जैसे की।
    बीच में एक हवन जल रहा हो, और उस े हवन के चारों तरफ एक गोलाकार चक्र बना हुआ था।
    और जो चीज उस े हवन में जल रही थी, वह थी शायद उस े जादुई जानवर की, "आत्मा या फिर उसकी साधना शक्ति।"
    जैसे-जैसे वह सफेद धूंध जल्दी चली गई, वैसे वैसे उस सफेद चक्र पर और निशान बनते गए।
    यह निशान संस्कृत के किसी प्राचीन शब्द की तरह दिख रहे थे, जिसकी सबसे आगे की ओर एक बड़ा सा सफेद चमकता हुआ "ओंकार " का प्रतीक चिन्ह ओम नजर आ रहा था , उसके बाद उस े गोले की चार मुख्य दिशाओं में चार त्रिशूल नजर आ रहे थे, और बाकी बची चार उप दिशा में , चार बड़े ही धारदार भाले नजर आ रहे थे।

    " यह तो बली से उत्पन्न हुआ 'चक्र ' है !!"
    अंश बहुत ज्यादा खुशहो गया, अंश की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, उसने इस चक्र की बहुत सारी कहानियां सुनी थी, महल में कई बार लोगों के किस्से में यह चक्र बहुत ही रहस्यमय और अद्भुत चीज मालूम पड़ता था।
    और इसीलिए अंश के मन में भी इसके लिए काफी ज्यादा , एक्साइटमेंट बनी हुई थी।
    आखिरकार उसने आज एक असली माला चक्र को जो बनते हुए देखा था।
    और इस प्रक्रिया में उसने खुद बली दी थी।
    यह सोचकर तो अंश को और भी ज्यादा खुशी महसूस हो रही थी।

    पर अंश की यह खुशी ज्यादा देर तक ना टीक सकी।

    क्योंकि, जब जादुई जानवर ने अंश पर हमला किया था तब उसके पास बाकी कुछ सोचने के लिए समय नहीं था।
    ‌ और जब उसने बली से चक्र को बनते हुए देखा तो वह इतना खुश हो गया कि वह बलि के नियम ही भूल गया,
    जिसका सबसे पहला नियम था कि, बली तभी मंजूर हो सकती है जब, बलि देने वाला और जिसकी बलि दी जा रही है उनके एलिमेंट आपस में मेल खाते हो।

    और जब अंश को इस बात का एहसास हुआ तो उसका मुंह लटक गया।
    ‌ " मैंने इतनी सारी मेहनत की! यहां तक कि मैं मरते मरते बचा हूं! और फिर भी मेरी सारी मेहनत बेकार चली गई! हद है यार , ऐसा मेरे ही साथ क्यों होता है?"

    "क्या मुझे फिर से किसी जादुई जानवर को तलाश ना होगा?"

    ‌। तो दोस्तों, क्या सच में अंश को फिर एक बार इस सबसे होकर जाना होगा, और क्या है यह बली के नियम।
    जानते हैं अगले चैप्टर में।


    उससे पहले, अगले चैप्टर में कहानी में एक बड़ा ही इंटरेस्टिंग मोड आने वाला है, इसलिए बेसब्री से इंतजार कीजिए अगले एपिसोड का।


    ।। धन्यवाद। ।।

  • 11. "Obsession of Power" - Chapter 11

    Words: 1108

    Estimated Reading Time: 7 min

    "नहीं।"
    "ऐसा कैसे हो सकता है!"
    "अब फिर से नहीं।"
    जब अंश को पता चला कि उसकी सारी मेहनत बेकार चली गई, तो उसे बहुत ज्यादा हताशा हुई।
    अंश को जरा भी नहीं लगता था कि ऐसा भी कुछ होगा।
    क्योंकि जिस जादुई जानवर की बलि अंश ने दी थी उसका टाइप अंश के एलिमेंट से बिलकुल अलग था।

    बलि के भी अपने कुछ रूल हैं।
    नियम-1: जो बलि देना चाहता है उसे खुद उस जादुई जानवर को मारना होगा।

    नियम नंबर 2: जो इंसान बलि देकर खुद को ताकतवर बनाना चाहता हो (जादू की दुनिया में खुद को ताकतवर बनाना मतलब अपने एलिमेंट को ताकतवर बनाना, उसकी शुद्धता और उसकी ऊर्जा को गाढ़ा बनाना होगा), तो वह इंसान जिस एलिमेंट को ताकतवर बनाना चाहता है, उसके लिए (बलि) यह जरूरी है कि जिस जानवर की बलि दी जा रही हो, वह जानवर उस एलिमेंट को सपोर्ट करता हो।

    नियम नंबर 3:

    "कितनी बुरी बात है कि एक जादुई चक्र मेरे सामने है जो इतने ताकतवर जानवर की बलि से बना हुआ है, फिर भी मैं उसे अपने अंदर समा नहीं सकता।"
    अंश अपनी आंखों के सामने पड़े बड़े ही शानदार अंदाज में घूम रहे उस जादुई तिलस्मी चक्र को देख सकता था। चक्र का रंग तो सफेद है और उसमें धीरे-धीरे हल्का सा आसमानी पीला कलर आने लगा था।
    (चक्र का रंग इस पर निर्भर करता है कि वह चक्र किस जानवर की बलि से उत्पन्न हुआ है, ताकत के हिसाब से हर चक्र का रंग अलग-अलग होता है।)
    पीला कलर इस बात की निशानी था कि धीरे-धीरे जानवर अगले लेवल में जाने वाला था।
    जादुई जानवरों में भी ताकत के लेवल होते थे।

    कोई भी लेवल 1 का जादुई जानवर, जादुई दुनिया का आम जानवर होता था।
    उसकी साधना का आधार 1 से 50 सालों के बीच में हो। अगर ठीक से सोचा जाए तो किसी की उम्र से ही उसकी शक्ति का आधार तय नहीं होता, कुछ ऐसे भी जानवर होते हैं जिन्होंने कुछ अद्भुत जादुई फल खाए हों जिससे उन्हें कई सालों की साधना की शक्तियां मिल जाती है।
    इसलिए उनमें भी एक पावर रैंकिंग सिस्टम बना हुआ था।

    और इसी रैंकिंग सिस्टम के बेस पर,
    लेवल 1 का जादुई जानवर, जो 10 से लेकर 100 पावर लेवल के बीच में होता है।

    और इसी तरह हर लेवल पर ये आंकड़े और मुश्किल हो जाते हैं।
    दूसरी तरफ,
    अब धीरे-धीरे अंश को अपने बदन में दर्द का बड़ा ही ख़तरनाक एहसास उमड़ता हुआ महसूस हुआ।
    तब अंश को उसकी चोटों के बारे में याद आया।
    उसके कंधे से अभी भी खून रिस-रिस कर बह रहा था।
    तब अंश ने अपने पास के एक बड़े पेड़ का सहारा लेने के लिए आगे बढ़ा।
    अंश अभी काफ़ी थकाने वाली लड़ाई से होकर गुजरा था, इसलिए वो अब चलने में भी हांफ रहा था।
    बड़ी मुश्किल से अंश एक पेड़ के सहारे आकर टिक गया।
    ऐसा लग रहा था कि अभी भी पिछले हमले का असर उस पर से गया नहीं था।
    और अब उसकी हालत बेहोशी के कगार पर थी।
    बेहोश हो रहे अंश की आंखों में बार-बार वह हादसा आ रहा था जो उसके साथ कुछ देर पहले ही हुआ था। उसे याद आ रहा था कि पहले ही इस दुनिया में "मेंटल एलिमेंट के जानवर" बहुत ही रेयर और कम पाए जाते हैं और ऊपर से उन्हें काबू कर बलि देना हद से भी ज्यादा मुश्किल होता है, पर अभी कुछ देर पहले ही एक मामूली से जादुई जानवर से लड़कर उसकी हालत लगभग मरने के कगार पर आ गई थी।
    आखिरकार वह 11 साल का एक बच्चा ही तो था।
    अंश! आखिर उसने इतनी सी उम्र में क्या-क्या नहीं सहा है।
    अपनी मां को खो देना, इसने उसके अंदर के जूनून को तो जगाया था लेकिन असलियत ये थी कि वो बड़ा ही कमजोर था।
    अगर इसमें उसका लक उसका साथ ना देता और उसके पास वह 'मायावी खंजर जैसी शक्तियों वाली-डैगर' नहीं होती तो आज तो अंश का काम तमाम होने ही वाला था।
    अंश यह सब सोचते हुए उसकी आंखें लगभग पूरी तरह से बंद होने के कगार पर थीं और वह पूरी तरह से नींद के आगोश में जाने ही वाला था, कि तब उसने अपने दांत बड़े ही जोर से भींच दिए।
    अपनी जीभ को अपने दांतों से जोर से काटा और इसी से उसे थोड़ा सा होश आने लगा। जब उसने देखा कि यह काम कर रहा है तो, उसने फिर अपने नाखून अपने हाथ में रिसाने शुरू कर दिए, जिससे उसी के हाथों से और ज्यादा खून बहने लगा।
    फिर वह अपने आप से पॉजिटिवली कहने लगा, "चाहे कुछ भी हो जाए मैं यहां पर मर नहीं सकता! इस जंगल में बेहोश होने का सीधा मतलब मौत को गले लगाना है।
    इसलिए चाहे जो भी हो जाए मुझे अपनी मां का बदला लेने के लिए जिंदा रहना ही होगा।"
    इतना कहकर अंश खुद को स्टेबल करने की कोशिश करता ही है कि तभी उसे एक अजीबोगरीब आवाज सुनाई देती है, "आख़िरकार!! आखिरकार, मुझे एक मिल ही गया! मुझे एक 'मेंटल एलिमेंट' वाला साधक मिल ही गया। एक ऐसा रेयर इंसान जो मेंटल एलिमेंट के साथ है। हा!! हा हा हा हा हा हा हा हा।"
    "ये आवाज! यह आवाज कहां से आ रही है!"
    अंश अचानक से चौंक गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये आवाज किसकी थी।
    क्या यह कोई नया जादुई जानवर था जो इंसान की भाषा बोल सकता था। उसे याद था उसने कहानियों में सुना था कि कई ताकतवर जादुई जानवर जो हद से ज्यादा ताकतवर होते हैं वह इंसानी भाषा भी बोल सकते हैं। या फिर यह उसी की तरह कोई शिकारी था जो जंगल में आया था।
    जंगल में कई तरह के लोग आते हैं, उनमें से शिकारी भी होते हैं। पहले ही अंश खतरे में था इसलिए वह और ज्यादा डरने लगा। डर के मारे उसने यहां वहां देखने की कोशिश की।
    "कौन है? कौन है? मेरे सामने आओ!! कौन हो तुम?"
    उसको समझ नहीं आ रहा था, उसे दिखाई तो कुछ नहीं दे रहा था लेकिन उसे आवाज उसके काफी नजदीक से महसूस हो रही थी। तो आखिर किसकी है यह रहस्यमय आवाज और इस बार कौन पड़ा है अंश के पीछे!!
    क्या फिर से खतरे में है अंश? देखते हैं अगले चैप्टर में।

    और बस उसके कमजोर होने की वजह से ही, आज अंश मरते-मरते बचा था।

  • 12. "Obsession of Power" - Chapter 12

    Words: 1538

    Estimated Reading Time: 10 min

    अंश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या कोई उसके दिमाग के साथ खेल रहा है। उसे तो अब लगने लगा था कि वह सच में बेहोश हो गया है, और यह उसका कोई सपना है या फिर भ्रम है। भ्रम, माया ऐसी कोई चीज सपने में ही होती है इसलिए खुद को जोर से चोटी काटने लगा, जिससे कि उसे पता चले कि वह होश में है या नहीं लेकिन उसे बहुत ज्यादा दर्द हुआ।
    इसका साफ-साफ मतलब था कि वह होश में था।

    "धड़ाड धड़" एक ऊर्जा का बड़ा विस्फोट हुआ।

    अंश उस विस्फोट से पूरी तरह से हिल गया। जब वह अपनी न्यूट्रल कंडीशन में वापस आया तो उसने देखा कि ठीक उसके पैरों से बस 1 मीटर दूर जमीन हिल रही थी। यह धमाका शायद जमीन के नीचे से हुआ था।

    "आखिर इसके अंदर क्या हो सकता है?"

    ऐसा सोचते हुए अंश दो कदम पीछे हट गया। जैसा ही वह पीछे हटा तो "तड़ तड़ तड़"।

    जमीन में दरारें उमड़ने लगीं। धीरे-धीरे वह दरारें 2 मीटर, 3 मीटर, 4 मीटर, 5 मीटर तक बढ़ती ही गईं और फिर उभर आई एक डरावनी ठंडक जो किसी की आत्मा तक को जमा दे।

    "ये क्या हो रहा है? अचानक मौसम इतना ठंडा कैसे हो गया? आखिर हो क्या रहा है? क्या यह फिर से कोई जादुई जंगली जानवर है?"

    जब ठंड हद से ज्यादा बढ़ने लगी तब अंश ने अपनी ताकत का आखरी कतरा लगाकर अपनी करिश्माई आंखों के जादू का इस्तेमाल किया। तब उसे जो दिखा उसे वह पूरी तरह से हैरान हो गया। जमीन के अंदर से कोई चीज रेंगते हुए बाहर आ रही थी जैसे वह कोई सांप या उसी के जैसी कोई खतरनाक चीज। अंश ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किए कुछ ही वक्त हुआ था कि, "धडाम।"

    एक जोरदार धमाके के साथ एक बहुत बड़ा सर जमीन से बाहर आ गया। "बूम।" अंश समझ नहीं पाया कि यह क्या था। उसे तुरंत याद आया कि पुरातन कहानियों में या फिर मैजिकल हिस्ट्री के थिअरी बुक्स में हमेशा एक नाम हमेशा उभर आता था जिसे एक डोमिनेंट लीडर भी कहा जाता था- ड्रैगन सम्राट।

    ड्रैगन जादुई जानवरों की वह प्रजाति होती थी जिसमें धरती को तोड़ने वाली और आसमान को फांढ़ने वाली ताकत होती है। यह अभी-अभी बाहर आया हुआ सर ज्यादातर हद तक इस जानवर की किताबों वाली तस्वीरों से मिलता-जुलता लग रहा था बस फर्क इतना था कि यह उन तस्वीरों के हिसाब से कुछ ज्यादा ही मोटा और सुजा हुआ लग रहा था, जैसे कि उसने अभी-अभी ढेर सारा खाना खाया हो। उसका चमकदार फर यानी की त्वचा काफी ज्यादा सुनहरी और चमकदार सफेद चमक बिखेर रही थी।

    ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वह अभी-अभी धरती के अंदर मिट्टी में से होते हुए बाहर निकला है और फिर थोड़ी ही देर में बाहर आया उसका बड़ा सा शरीर जो लगभग अंश से पांच गुना ऊंचा था।

    "यह! यह! क्या है?"

    अंश का तो डर से बुरा हाल हो गया था। उसने अपनी जिंदगी में कभी इतना बड़ा जीव नहीं देखा था और उसने अपनी ताकत का इतना इस्तेमाल कर लिया था कि वह अपने पैरों को अपनी मर्जी से इस्तेमाल तक नहीं कर पा रहा था। अगर उसकी चलती तो वह अब तक यहां से कई मीटर दूर भाग चुका होता। जैसे ही उस जादुई जानवर का पूरा बदन बाहर आया तो आसपास के 40 मी का इलाका बर्फ की चादर से ढक गया।

    ठंड के मारे अंश को पूरी तरह महसूस हो रहा था कि उसकी सांस छोड़ने से भी ठंडी हवा बाहर निकल रही है। ठंडक अंश के बदन में इस तरह फैल रही थी कि उसे कप-कपी महसूस हो रही थी।

    अगर अंश इतना बुरी तरह से जख्मी ना हुआ होता तो अब तक वह लगभग अपनी जी-जान लगाकर वहां से कई 100 मीटर दूर भाग चुका होता।

    पर बदहाल अंश अभी अपनी जगह से उठने में भी काबिल नहीं था। उसकी हालत इतनी खराब थी कि वह अपनी डैगर तक को मजबूती से पकड़ नहीं पा रहा था। ऐसी भयानक स्थिति में अंश ने पूरी तरह चौकन्ना रहने के बारे में सोचा।

    वह उसके सामने आए उस जीव पर अपनी नजर एक टक गड़ाए बैठा रहा। तभी उसे उस जानवर का साइज़ पूरी तरह से दिखा। उसके कुछ समय पहले के नजर से अलग इस बार उसे वह जादुई जानवर कुछ अलग नजर आया। उसकी पूरी त्वचा किसी बर्फ की परत की तरह चमकदार और काफी आकर्षक लग रही थी, जैसे कि वह एक बर्फ की मूर्ति हो जिस पर कुछ खास निशान उकेरे गए थे।

    उस जानवर पर करीब 10 गोल्डन कलर के निशान काफी ज्यादा चमक बिखेर रहे थे जो उस जानवर की प्रतिभा और भी ज्यादा रहस्यमई और ताकतवर दर्शा रहे थे।

    अंश को अब तक पूरी तरह से यकीन हो चुका था कि यह जानवर उसके लीग से कई गुना ज्यादा बाहर का है जिससे वह शायद अपनी पूरी ताकत तो क्या अपनी जैसी 10 लोगों की ताकत लगाकर भी उसका मुकाबला नहीं कर सकता था।

    अंश को अब तक यह भी नहीं समझ आया था कि यह आखिरकार किस लेवल का जानवर था, उसकी रैंकिंग क्या थी और वह कितना ताकतवर था, जिसकी बस एक हरकत और उसके आसपास का पूरा एरिया बर्फ में बदल गया।

    "क्या यह लेवल 3 या फिर उससे भी ताकतवर जानवर है?"

    अंश का चेहरा पूरी तरह से उतर गया।

    "खत्म सब कुछ खत्म!! अब मैं बच नहीं सकता। अगर यह लेवल 3 जादुई जानवर है तो मैं आज पक्का मर जाऊंगा।"

    अंश का चेहरा पूरी तरह से उतर गया। उतर क्या गया वह फीका पड़ने लगा क्योंकि वह इस जैसे किसी जादुई जानवर का आमना-सामना तो क्या; इससे बचकर भाग भी नहीं सकता था। ऊपर से वह काफी गंभीर रूप से घायल था तभी अंश को वह पुरानी आवाज सुनाई दी जो उसने कुछ देर पहले ही सुनी थी।

    "हा हा हा हा हा हा, इंसान तुम्हें डरने की कोई भी जरूरत नहीं है, हा हा हा हा!!!"

    अंश के कान खड़े हो गए, यह तो वही आवाज थी जो उसे कुछ देर पहले सुनाई दे रही थी, पर अब की आवाज अंश के कानों में सुनाई दी तो अंश ने अपने सामने खड़े उस जादुई जानवर का मुंह हिलते हुए देखा था, तो उसके अंदर सिहरन पैदा हो गई। उसके शरीर पर जितने भी बोल थे सब खड़े हो गए क्योंकि उसके रोंगटे खड़े हो गए थे।

    "एक जादुई जानवर जो इंसानी आवाज में बोल सकता है!"

    अंश के होट कपकपी में हिल रहे थे।

    "क्या आप वही हो जिसने कुछ देर पहले मुझसे बात की थी?"

    अंश के सवाल पर उस जादुई जीव ने अपना सर हां में हिलाते हुए मदमस्त आवाज में कहा, "हां यहां पर तुम्हें इस ताकतवर सम्राट के अलावा कोई और दिख रहा है जो तुमसे बात कर सकता है।
    लगता है तुम मेरी चमकदार, मस्कुलर और इतनी शक्तिशाली बॉडी को देखकर अपनी नजर नहीं हटा पा रहे हो नन्हे इंसान।
    और यह वाजिब भी है, आखिरकार मेरे जैसे महान और ताकतवर सम्राट को देखकर हर किसी की यही हालत होती है।"

    अंश को पहले तो सीधा यमराज के महल के द्वार दिख रहे थे जब उसे पता चला कि सामने खड़ा जादुई जानवर बात कर सकता है क्योंकि बात करने वाले जादुई जानवर जादुई दुनिया में कोई आम हस्ती नहीं थे, पर जब उसने देखा कि सामने खड़ा जादुई जानवर उसे बस चुटकी में मसल सकता है फिर भी उससे बड़ी ही शांति से बात कर रहा है तो उसने चेन की सांस ली।

    "वैसे महान जानवर सम्राट आप मेरे जैसे मामूली इंसान से आखिर चाहते क्या है?"

    अंश को भी अब अच्छी तरह से पता चल चुका था कि उसे अपने सामने की इस चीज से बहुत ही संभल के बात करनी होगी, उसका एक गलत शब्द और उसकी जान चली जाने वाली थी।
    और इस जानवर की पिछली कुछ बातों से अंश को इतना तो समझ आ ही चुका था कि यह खुद की शेखी बघारने में माहिर है, तो इसे थोड़ा सा और मक्खन मारने में क्या हर्ज हैं।

    "अरे, सबसे पहले मैं तुम्हें अपना नाम बताता हूं मेरा नाम है, "बिग -बी" और मैं एक महान, शक्तिशाली, और काफी रहस्यमई जीव हूं। और मेरा वजूद इस जंगल में कुछ ऐसा है कि यहां के ताकतवर से ताकतवर जादुई जीव भी मुझे सम्राट कहकर पुकारते हैं।
    मैं वही ताकतवर सम्राट हूं जिसने बड़े-बड़े सूरमाओं को उनकी औकात दिखा दी है।
    तुम्हें यह जानकर फक्र होगा कि तुम पहले ऐसे इंसान हो जिसने इस महान सम्राट का यह विशाल और भव्य दिव्य स्वरूप देखा है।"

    "पर फिर भी तुम मुझे उतने एक्साइटेड नजर नहीं आ रहे जबकि तुम्हारे सामने एक ऐसा जीव है, जिसने इस जंगल में सबसे लंबी जिंदगी जी है!"

    वैसे तो अंश उसे इस बात का जवाब देना चाहता था कि आदमी अपने सामने अपनी मौत को देखकर कैसे एक्साइटेड हो सकता है?
    पर इतना कहने की उसकी हिम्मत तक नहीं हुई।

    तो आखिरकार क्या चाहता है अंश से यह बिग बी नाम का जादुई जानवर?

    जानते हैं अगले चैप्टर में।

  • 13. "Obsession of Power" - Chapter 13

    Words: 1135

    Estimated Reading Time: 7 min

    "तो फिर महान जानवर सम्राट आखिरकार आप मेरे जैसे एक छोटे से इंसान से चाहते क्या हैं?"

    "चाहता! अरे मैं कहां कुछ ज्यादा चाहता हूं। मैं यहां तो तुम्हारे लिए फायदे का सौदा लेकर आया हूं मेरे दोस्त।"

    अब उस जानवर के लहजे में थोड़ा सा बदलाव था। अब वह अंश को मामूली इंसान से दोस्त कहने लगा था।

    "मेरे फायदे का सौदा, मैं कुछ समझा नहीं?"

    "ओह! मैं तो तुम्हें बताना ही भूल गया!! मुझे महसूस हो रहा है कि तुम्हारी पावर लेवल 10 तक पहुंच चुका है और जरूर तुम्हें उससे आगे बढ़ाने के लिए किसी जादुई जानवर की बलि देनी होगी लेकिन, यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानते हो कि इस दुनिया में मेंटल टाइप के जादुई जीव मिलना, टकले के सिर पर बाल मिलने जितना मुश्किल और दुर्लभ है। तो अब तुम सोचोगे कि मैं तुम्हारी किस तरह मदद करूंगा तो तुम्हें यह जानकर बड़ा फक्र होगा कि, यह महान सम्राट तुम्हारी इतनी बड़ी चिंता का निवारण बस कुछ चुटकियों में कर देगा क्योंकि 'मैं खुद अपनी बलि देकर तुम्हें ताकतवर बनने में मदद करूंगा' अब तुम सोचोगे, अरे सोचने वाली क्या बात है! मेरे जैसे महा शक्तिशाली और लाखों साल जीवित रहने वाले जानवर मिलना कोई आम बात नहीं है।"

    अंश को तो अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था, हालांकि असलियत में तो वह इस जंगल में बलि के लिए ही आया था क्योंकि उसके सिर पर ताकतवर बनने का भूत सवार था पर, यह सब इतनी जल्दबाजी में हो रहा था कि सब कुछ उसके दिमाग के ऊपर से जा रहा था। आखिरकार, इतने ताकतवर जानवर को उसकी क्या जरूरत थी और पहली बात तो जादुई जानवर कब से लोगों को बुलाकर अपनी खुद की बलि देने लगे, उन्हें तो इंसानों से हद से ज्यादा नफरत थी।

    वह इंसान को महसूस करते ही उस पर जानलेवा हमला कर बैठते थे जैसा कि अंश के साथ कुछ देर पहले हुआ था। फिर यह किस तरह का जानवर था जो खुद की ही बलि देने के लिए तैयार था।

    अंश को इसमें जरूर कुछ गड़बड़ी नजर आ रही थी, कुछ बड़ी साजिश क्योंकि पहली बात तो लाखों साल जीवित रहने वाला जीव उसके बस एक मामूली सी जरूरत के लिए खुद की जान क्यों दे भला।

    "तो क्या हम शुरू करें, चिंता मत करो तुम्हें इसमें तुम्हारा यह बड़ा भाई थोड़ा सा भी नुकसान नहीं होने देगा।"

    "नहीं........"

    इससे पहले कि अंश कुछ कर पाता उस विशालकाय और चमकदार शरीर वाले जादुई जानवर के शरीर पर से वह 10 रहस्यमई जादुई गोल्डन निशान अचानक से चमकने लगे, जैसे उसमें कुछ बदलाव हो रहा हो, जिससे वो बार-बार चमक रहे थे।

    इससे पहले कि अंश कुछ कर पाता उसकी सोचने समझने की शक्ति उसे कम होती हुई महसूस हो रही थी, उसका अपने खुद के शरीर पर से कंट्रोल कम होता जा रहा था।

    पर यहां पर हमें जानना जरूरी है बलि का नियम नंबर 3 जो की है आदमी बलि से खुद को ताकतवर बना सकता है जब, वह जानवर उसकी शक्तियों के दायरे के अंदर मतलब उसकी कैपेसिटी के अंदर हो वरना उस जादुई जानवर की आत्मा आप पर बहुत बड़ा बैक हिट दे सकती है जिससे आपकी जान भी जा सकती है।

    इसलिए अंश मना तो करना चाहता था लेकिन इतने बड़े और ताकतवर जीव के सामने उसे सब कुछ मजबूर होते हुए सहना पड़ रहा था।

    तभी उस बिग बी ने अपना सर चारों तरफ घुमाया जैसे वह आसपास का मुआयना ले रहा हो, जब उसे पूरी तरह से एहसास हुआ की आस-पास कोई नहीं है तो उसने अपना बड़ा सा सर अंश के शरीर के पास लेकर आया।

    अंश उसकी सांसों को महसूस कर पा रहा था।

    उसकी सांसों से अंश के बाल बर्फ में बदलने लगे थे, फिर उस रहस्य में जादुई जानवर के बड़े और सुनहरी रंग के वह चमकदार चिन्ह उसकी बॉडी से एक चमक की तरंगे या कहूं रोशनी की तरंगे अंश के शरीर पर मारने लगे।

    वह सारी रोशनी की तरंगे अंश के शरीर से टकरा गई और इससे पहले की अंश कुछ समझ पाता उसने देखा कि उसके शरीर पर अचानक कुछ अलग से निशान उमड़ रहे हैं यह निशान कुछ वैसे ही थे जैसे उस बिग बी के शरीर पर थे।

    फिर देखते ही देखते वह इतना बड़ा विशाल काय जानवर बस एक छोटे से रोशनी के सफेद रंग के गोले में बदल गया और देखते ही देखते वह अंश के आंखों के सामने से अचानक से गायब हो गया।

    इससे पहले की अंश कुछ समझ पाता वह बिग B अंश की आंखों के सामने से गायब हो चुका था। अंश को तो समझ में नहीं आ रहा था यह आखिरकार इतना बड़ा जीव आखिर चला कहां गया क्योंकि यह सब इतने कम समय में हुआ था कि अंश को कुछ समझ भी नहीं आया, उसकी बस एक पलक झपकी थी और इतना सब कुछ हो गया था।

    और फिर अचानक कुछ अजीबोगरीब होने लगा।

    देखते देखते खुला आसमान धीरे-धीरे काले बादलों से ढकने लगा।

    ताकत और चमकदार बिजलियां काले बादलों से धमाके करने लगी जिस इलाके में अंश था उस इलाके में से एक शक्तियों की बड़ी ही जोरदार लहर पूरे जंगल में गूंज उठी, "सु सु सु....."

    पर यह कोई ऐसी वेव नहीं थी जो आंखों से महसूस की जा सकती थी क्योंकि यह कोई फिजिकल अटैक नहीं था यह थी मेंटल अटैकिंग वेव जिससे आसपास के सभी इंसानों और जानवरों की सोचने समझने की शक्ति पर काफी गहरा असर हुआ था।

    जो शिवन्या और रोहन अंश की दिशा में आ रहे थे वह भी कुछ सेकेंड के लिए अपनी जगह पर ही जम चुके थे पूरा जादुई जंगल एक अजीब खामोशी में सुन हो गया था।

    तो आखिर क्या हुआ था ऐसा?

    क्या मीठी-मीठी बातें बोलकर उस बिग बि ने किया था अंश के साथ ऐसा वैसा?

    जानते हैं अगले चैप्टर में।

  • 14. "Obsession of Power" - Chapter 14

    Words: 1056

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक जोरदार प्रेशर ने उस इलाके को अपने कब्जे में ले लिया। किसी को समझ नहीं आ रहा था, क्या हो रहा था। पूरे एरिया में अलग दबाव फैला हुआ था।

    दूसरी तरफ अंश के अंदर एक अलग ही घटना हो रही थी। हर "रेंजर" (Ranger - एक इंसानी दुनिया की शक्ति रैंकिंग में सबसे शुरुआती जादूगरों को दर्शाता है) के अंदर एक ऐसा स्पेस होता है, जिसे पावर स्पेस कहते हैं।

    इस स्पेस में इंसान की शक्तियां स्टोर की जाती हैं। यह शक्तियां सालों की मेडिटेशन से बनती हैं। यह स्पेस इंसान के अंदर होता है, हालांकि यह दिखने में तो छोटा होता है, लेकिन सालों की मेडिटेशन की वजह से इसके अंदर इतनी शक्तियां जमा हुई होती हैं कि वह किसी पानी के बड़े सोर्स या फिर किसी पहाड़ के एंड एरिया जैसा दिखता है। इस स्पेस में अचानक दो सुनहरी आंखें टिमटिमाते हुए खुलीं।

    "हाय रे मेरी फुटी किस्मत, इतनी मेहनत से एक मेंटल एलिमेंट वाला इंसान हाथ लगा, वह भी इतना कमजोर।
    मैंने अपनी ताकत की लगभग 95% ताकत सील कर दी, फिर भी इसका शरीर मेरी 5% शक्तियों को भी संभाल नहीं पा रहा, शायद मुझे 2% शक्तियों से ट्राई करना चाहिए।"

    यह कहने वाला कोई और नहीं, बिग बी था जो पहले जितना बड़ा और ताकतवर कहीं से भी नजर नहीं आ रहा था। वह किसी छोटे से, व्हाइट कलर के किसी ककून जैसा लग रहा था।

    उस ककून में धीरे से एक दरार आई और जो दरारें बढ़ती गईं। धीरे-धीरे दरारों में से एक नन्हा सा रेंगने वाला जीव बाहर आया। यह एक "कैटरपिलर" के आकार का जादुई जीव था।

    उसका कलर बिल्कुल ड्रैगन बिग बी की तरह ही चमकदार और खूबसूरत था, जिसने अपनी ताकत सील करने की वजह से वह इतना छोटा हो चुका था।

    पर यहां पर किसी ने एक चीज नोटिस नहीं की कि जब बिग बी ने अंश के अंदर कुछ सील बनाए थे, जिससे उसकी ताकत लीक ना हो और अंश का शरीर फट ना जाए, तभी उस वक्त उस काले आसमान से एक "ट्रांसपेरेंट" और आंखों को बिल्कुल भी नजर नहीं आने वाली चीज बिजली की रफ्तार में उड़ते हुए अंश के सर में आ बसी थी, जो बिग बी ने बनाए हुए एक सील में चली गई थी।

    और जब यह प्रक्रिया पूरी हो गई तब, वो सोचने समझने की शक्तियों पर जानलेवा दबाव डालने वाला प्रेशर अचानक से धीरे-धीरे कम होने लगा।

    आसपास की शॉक वेव भी अब कम होने लगीं।

    धीरे-धीरे उस एरिया में जानवरों की दहाड़ें फिर से उठने लगीं, गूंजने लगीं, जिससे कि उन्हें पता चल चुका हो कि उस इलाके में कुछ बड़ा हो रहा है, पर चाहे वह कितना भी पावर को महसूस करने की कोशिश करें, कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इतना बड़ा पावर का फ्लकचुएशन कहां से हुआ था।

    धीरे-धीरे कुछ अजीब और अलग होने लगा। उस एरिया में बर्फ की शक्ति अचानक से बढ़ने लगी और ठंडक अंश के शरीर से अगल-बगल में फैलने लगी।

    अब तक अंश जो पूरी तरह से बेहोश हो चुका था, उसे हल्का-हल्का सा अपने शरीर में कुछ महसूस होने लगा था। तभी रोशनी का एक सफेद चक्र जिसमें 4 त्रिशूल और 4 बालों के निशान बने थे, वह घूमता हुआ अंश के पैरों के नीचे से ऊपर आने लगा था।

    देखने में तो यह किसी आम साधारण और किसी लेवल 1 के जानवर के बलि से बना हुआ लग रहा था, पर किसी को यह नहीं पता था कि इस दुनिया में इसका वजूद क्या होने वाला था।

    और यह सिंपल दिखने वाला शक्ति चक्र कितना स्पेशल, चमत्कारिक और ताकतवर हो सकता था, यह किस जानवर से बना था, उसका लेवल क्या था, खुद अंश भी नहीं जानता था और धीरे-धीरे से वह चक्र जाकर अंश के शरीर के साथ मिलने लगा।

    और एक शक्तियों की आभा अंश के शरीर में से बाहर की तरफ उठी। धीरे-धीरे से वहां पर पीछे से दो लोगों के आने की हलचल उठी। फिर अंश के पास से कुछ ही कदम दूर दो लोग चलते हुए आते दिखे। वो थे काफी समय से अंश का पीछा करते हुए उसे ढूंढने वाले, "शिवन्या और रोहन"।

    "ओह माय गॉड! ये क्या है, लगता है! लगता है कोई जंगली जानवर, क्या किसी जानवर ने अंश पर हमला किया है?
    उसे कोई चोट नहीं लगी ना? वह तो ठीक है ना।" शिवन्या ने रोहन से कहा। रोहन ने जवाब में कहा, "अरे यह तो लेवल 1 के जानवरों में भी ताकतवर मैजिकल बीस्ट (Beast - ये शब्द ताकतवर जादूई जानवरों के लिए था) भालू नजर आ रहा है।"

    "यह हमला करने में बहुत ज्यादा माहिर होते हैं।"

    "क्या?"

    जब शिवन्या ने सुना कि वो जानवर कितना खतरनाक है तो उसको अंश की काफी चिंता होने लगी क्योंकि ऐसे जानवर से अंश का बचना मुश्किल था।

    "उसे देखो कहीं, उसको ढूंढो, वो रहा वहां पर लेटा हुआ।"

    और फिर वो दोनों दौड़ते हुए अंश के पास चले आए।

    "अंश, क्या तुम ठीक हो, तुम्हें कहीं लगी तो नहीं? क्या तुम्हारे ऊपर उस भालू ने हमला किया, क्या तुम्हें कोई गहरी चोट तो नहीं लगी? मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था कि जंगल के इतने आउटर इलाके में इतना खतरनाक जानवर भी आ सकता है वरना मैं कभी तुम्हें अकेले अंदर नहीं जाने देता।" रोहन ने कहा। पर एक बात जानकर उन्हें बड़ी हैरानी हुई कि वह जादुई भालू अब मरा हुआ था।

    और अंश के शरीर पर घाव का एक निशान तक नहीं था।

    फिर ऐसा हुआ कैसे? "क्या अंश ने इसे मारा? सच में अंश ने मारा, इतना ताकतवर जानवर, शायद ऐसा ही है वरना यहां पर कोई और नहीं है।
    और वहां देखो उसके सिर में किसी नुकीली और धारदार चीज से हमला हुआ है।"

    अब धीरे-धीरे अंश को होश आने लगा। उसने देखा कि वह किसी के गोद में लेटा हुआ है।

    वो था बड़ा ही जाना पहचाना खूबसूरत चेहरा।

    तो गाइस तो फिर बाद में क्या हुआ बिग बी का?
    क्यों दी उसने अपनी बलि अंश के लिए?

    क्या होगा उससे अंश के साथ?

    आखिर बिग बी की मदद होगी अंश के वरदान?

    या फिर है ये बिग बी का कोई प्लान?

    जानते हैं, अगले चैप्टर में।

  • 15. "Obsession of Power" - Chapter 15

    Words: 1032

    Estimated Reading Time: 7 min

    ‘शिवन्या और रोहन’ अब तक अंश के करीब आ चुके थे। उन्होंने देखा कि खास लड़ने की और बड़े नाखूनों वाली काबिलियत का ‘जंगली भालू’ का शरीर वहां पर एक जगह मृत हालत में पड़ा था, जिसके सर में एक बहुत बड़ा घाव था। इससे पता चल रहा था कि किसी नुकीली और धारदार चीज से उस पर हमला किया गया हो और उसकी उस हमले में मौत हो चुकी है, पर जब वह दोनों दौड़ते हुए अंश के पास चले गए तो उन्हें एक बात ने बहुत हैरान किया।

    जब उन्होंने अंश को ठीक से देखा, तो उसके कपड़े तो बहुत जगह से कटे-फटे हुए लग रहे थे। उसके कपड़ों की हालत कुछ इस कदर थी जैसे कि वह किसी चीज से बहुत बुरी तरह से अपनी जान बचाकर भाग रहा हो, पर उसके कपड़ों से अलग उसकी त्वचा पर एक भी जख्म का निशान नहीं था। जख्म तो क्या, उसे पर एक खरोंच का भी निशान नहीं था।

    "ऐसा कैसे हो सकता है!!"

    जब रोहन गौर से तहकीकात करने के लिए और अंश के शरीर की जांच करने के लिए रोहन ने अंश के नर्वस चेक करने की कोशिश की, जैसे अंश के पल्स चेक करने के लिए रोहन ने अपने हाथ से अंश का हाथ उठाकर उसकी कलाई थामी, तब अब तक बड़े जोर से बंद हुई अंश की कलाइयां खुल गईं और उनमें से गिरा एक डैगर नुमा हथियार, जो थी अंश की ‘टाइगर डैगर’।

    "ये! ये तो एक ‘हाई लेवल वेपन’ है!"

    "हाई लेवल वेपन! यह क्या कह रहे हो तुम रोहन?? जरूर तुम्हारे देखने में कोई गलती हुई होगी। अंश जैसे किसी आम लड़के के पास एक हाई लेवल वेपन कैसे हो सकता है? इस तरह के मैजिकल टूल्स कितने कीमती होते हैं तुम अच्छी तरह से जानते हो।"

    "हां, हां शिवन्या में वही कह रहा हूं! यह एक असली मैजिकल वेपन है वो भी हाई लेवल।"

    जब शिवन्या ने देखा कि उसके पास सच में एक ऊंची लेवल का जादुई हथियार है तो वह भी दंग रह गई।

    "लगता है अंश ने इसी से उस जादुई भालू को मारा होगा।"

    "तो क्या सोचते हो रोहन, अंश के बारे में मेरी राय तुमसे ज्यादा सही थी।"

    "हां तुमने सही कहा शिवन्या, मैं अपनी कही बात वापस लेता हूं। अब जब हमें पता चल चुका है कि अंश एक असली जादूगर है और ऊपर से ‘रेंजर रैंक’ का जादूगर है...."

    "अभी वो सब छोड़ो रोहन, उसको अभी भी होश क्यों नहीं आ रहा? वह ठीक तो है ना? मैं तुमसे कहा था हमें उसके साथ आना चाहिए!"

    "अरे शिवन्या तुम इतनी फिक्र क्यों कर रही हो। उसकी सांसें अब नॉर्मल हैं, वो ज्यादा घायल नहीं हुआ है, वह सिर्फ जादुई भालू की बैक हिट या फिर उसकी आत्मा रिमेनेंट (आत्मा रिमेनेंट ये मरे हुए जादुई जानवर की आत्मा का बचा हुआ छोटा सा हिस्सा होता है) से लड़ते हुए वह बेहोश हो गया होगा और कोई खास बात नहीं है और ना ही वह किसी खतरे में है।"

    "तो तुम मुझे यह पहले नहीं बता सकते थे!!! खामखां मेरा टेंशन बढ़ा दिया।"

    "हां हां महान शिवन्या, मुझे नहीं पता था कि महान लीडर शिवन्या बस इन मामूली सी चीजों पर गौर नहीं कर पाती हैं।"

    रोहन की बात से शिवन्या को अपना मजाक बना महसूस हो रहा था। अपनी नाक पर गुस्सा चढ़ाते हुए शिवन्या ने अंश का सर अपनी गोद में उठा लिया और उसके जागने का इंतजार करने लगी जैसे कि अंश उसका छोटा भाई हो।

    शिवन्या और रोहन की इन नोकझोंक से दूर बेहोश अंश मानो किसी अलग ही दुनिया में आ पहुंचा हो। उसे अपने सामने एक खुला आसमान, कहीं सारे पहाड़ और काफी लंबा सा समुंदर दिख रहा था।

    "आखिर यह कौन सी जगह है, और मैं कहां आ गया? क्या यह कोई सपना है और आखिरकार वो सरफिरा जानवर कहां गया जो इतनी देर से कह रहा था मेरे लिए बलि देगा, मेरे लिए बलि देगा।"

    "अच्छा हुआ लगता है उससे पीछा छूट गया मेरा।"

    तभी अंश को अपने सामने आसमान में शक्तियों के कुछ गोले नजर आने लगे, जिसमें 10 गोल्डन कलर के बड़े-बड़े शक्तिशाली गोले एक साथ एक ही पैटर्न में घूम रहे थे, जैसे सूरज के चारों तरफ बाकी ग्रह तारे घूमते हैं। बिल्कुल उसी तरह यह एक साथ घूम रहे थे, जो दिखने में काफी चमत्कारी और जादुई लग रहा था पर, उस सुनहरी चमक से दूर एक काफी छोटा, कमजोर और हल्के काले कलर का एक बड़ा ही छोटा शक्तियों का गोला था। वह इतना कमजोर लग रहा था कि अगले ही पल उसकी चमक खत्म हो जाए, फिर भी वह अपनी जगह पर डट के खड़ा था शायद वहां पर इस 10 सुनहरे गोलों में और उस हल्के काले कलर के गोले में लड़ाई चल रही थी।

    तब चलकर अंश को समझ आया कि ये वो जगह नहीं थी। यह किसी भी एंगल से वह जंगल नहीं नजर आ रहा था जिसमें वह शिकार के लिए आया था, फिर कुछ देर बाद ऐसे ही उन दो रंगों की शक्तियों के गोलों में भिड़ंत चली पर, फिर भी कमजोर होने के बावजूद सुनहरा रंग काले रंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाया। फिर मानो थककर वह पीछे हट गया।

    "तो तुम्हारा नाम ‘अंश खुराना’ हैं?"

    एक गहरी और जोरदार आवाज अंश के कान में सुनाई दी।

    "क क क क क कौन है? किसने मेरा नाम लिया?"

    उसको बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि इस जगह पर तो वह अकेला था फिर यहां पर किसकी आवाज़ आई है और कौन उसे उसके नाम से जानता था।

    तो आखिर कहां था अंश?
    यह कौन सी जगह में फंसा था?
    क्या इसमें उस बिग बी का कोई हाथ था?
    आखिर वो काले और सुनहरे शक्तियों के गोले क्या थे?
    क्या कभी बाहर निकल पाएगा अंश इस दुनिया से?
    और आखिर रोहन ने शिवन्या को लीडर शिवन्या क्यों कहा था?

    जानते हैं आगे के एपिसोड में।

  • 16. "Obsession of Power" - Chapter

    Words: 1424

    Estimated Reading Time: 9 min

    अंश को अच्छी तरह से पता चल गया था कि वह किसी दूसरी दुनिया में आया है। जहां पर उसका उसकी पिछली दुनिया से संपर्क बिल्कुल टूट चुका था, पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस अनजान दुनिया में उसे उसके नाम से जानने वाला कौन था?

    इसलिए उसने उस अनजान आवाज से कहा,

    "आखिरकार कौन हो तुम और तुम मुझे कैसे जानते हो? और मैं कौन सी जगह पर हूं?"

    अंश के पास काफी सवाल थे, पर उसके सामने कोई नहीं था। वह बस ऐसे ही बात कर रहा था।

    उसे यकीन था कि पिछली बार की तरह इस बार भी कोई न कोई आवाज जरूर आएगी।

    तभी एक आवाज आई।

    "ये पावर स्पेस है, वैसे तुम्हें इसके बारे में कुछ पता नहीं होगा लेकिन, यह तुम्हारे शरीर के अंदर ही एक्जिस्ट करता है।"

    "शरीर के अंदर यानी कि हम मेरे शरीर के अंदर हैं!"

    "हां, यह तुम्हारे शरीर के अंदर बना एक पावर स्पेस है। इसमें तुम्हारी मेडिटेशन की शक्तियों से बना स्पेस होता है, जिसमें तुम्हारी साधना शक्ति समाती है, पर फिर भी तुम इतने कमजोर थे कि यह तुम्हारा स्पेस बहुत ही छोटा था।"

    "रुको! तुम्हारी आवाज इतनी सुनी हुई क्यों लग रही है?

    ऐसा लग रहा है मैंने यह आवाज पहले भी कहीं सुनी है? अरे!! तुम- तुम तो! हो, तुम तो वही विशाल जानवर थे ना, जो मेरे लिए बलि देनी है -देनी है देनी है कह रहे थे? तो तुम अभी भी जिंदा कैसे हो?"

    "हां हां छोटे मियां मैं ही वही 'बिग बी' हूं, महान सम्राट पर, अभी के लिए तुम इतना जान लो की तुम्हारी इस कमजोर शरीर में आने के लिए मुझे अपनी लगभग सारी शक्तियों को सील करना पड़ा है, तब जाकर मैं स्पेस को 'स्टेबल' कर पाया हूं।

    और इसी महान सम्राट की बदौलत तुम्हारी शक्तियों का स्पेस, जो कुछ देर पहले बस मधुमक्खियों के छत्ते जितना था, वह अब एक 'राजधानी' जितना बड़ा हो गया है।"

    "रुको क्या यह सब सच में हो रहा है? मुझे तो लग रहा है यह कोई सपना है। आखिरकार कैसे कोई किसी की शक्तियां बढ़ा सकता है? तुम झूठ तो नहीं बोल रहे?"

    अंश को तो अब तक हो रही इन सब बातों पर यकीन ही नहीं हो रहा था, उसे तो लग रहा था कि शायद बेहोश होकर वह कोई सपना देख रहा हो।

    "सपना, हां हां! वो भी इतना अच्छा, अगर सबको इतने अच्छे सपने आने लगते तो लोग खुशी में ही मर जाते, हां हां हां!! तुम्हें सच में लगता है कि तुम अभी भी सपने में ही हो।

    अरे 'छोटे मियां' तुम कितने भोले हो और सीधे हो।

    तुम्हारे जैसे भोले आदमी को मैं बेवकूफ भी नहीं कह सकता।

    ध्यान से सुनो, मैं तुम्हें समझता हूं: तुम्हें पता है ना तुम्हारा एलिमेंट खास है।"

    "तुम ने एक खास एलिमेंट को जगाया है जिसे करिश्माई आंखें कहते हैं।"

    "करिश्माई आंखें? ये क्या होता है? मैंने तो 'शारिंगान' जगाया है ना।"

    "अरे तुम तो सच में बेवकूफ हो। हां तुम्हारा एलिमेंट काफी हद तक एक शारींगान जैसा नजर आता है, पर असलियत में यह करिश्माई आंखें जो शारींगान का विकसित रूप होता है।

    तुम सोचोगे कि मुझे तुम्हारे बारे में इतना कुछ कैसे पता, तो तुम्हारी इसी करिश्माई आंखों की मदद से मैंने तुम्हारी कई जीवन के पिछले अनुभव, तुम्हारी यादों को देखा है और इसी वजह से मुझे तुम्हारे बारे में इतना सब कुछ पता है।"

    "जरूरी बात: हां तो तुम पूछ रहे थे हम कहां हैं? हम जिस स्पेस में हैं उसे 'पावर स्पेस' कहते हैं, जो तुम्हारी पावर लेवल की शक्तियों से बनता है।

    यह वही जगह है जहां तुम्हारा 'साधना' की शक्तियां स्टोर होती है, जो तुम्हारे एलिमेंट से जुड़ा होता है।

    जब भी तुम अपनी एलिमेंट की शक्तियां जादुई के लिए इस्तेमाल करते हो तो उसकी पावर यहीं से आती है।

    जबकि तुम्हारा एलिमेंट करिश्माई आंखें हैं, इसका मतलब साफ है कि वो तुम्हारे शरीर में है। जो कि तुम्हारी इन आंखों में तुम्हारा एलिमेंट है और यह पावर स्पेस सीधा तुम्हारे दिमाग से जुड़ा है, इसका मतलब तुम्हारे लिए किसी भी दूसरे जादूगर के हिसाब से, रिएक्ट करना काफी तेज होगा, जितनी देर में कोई दूसरा जादूगर अपना जादूई मंत्र पढ़ सके, उतने में तुम अपना जादू इस्तेमाल भी कर पाओगे।

    (ये जादुई मंत्र क्या हैं हम आगे चलकर जानेंगे)

    और तुम अभी खुद को जो इस दुनिया में देख पा रहे हो,

    वो कोई तुम्हारा असली शरीर नहीं है ये तो बस, यह तो बस तुम्हारी कुछ शक्तियों से बनी तुम्हारी समझ की एक छोटी सी आभा है, जो तुम्हें अपने शरीर के अंदर झांकने में मदद कर सकती है।"

    अब तक अंश सब कुछ बड़े शांति से सुन रहा था।

    बिग बी से अच्छी तरह सब कुछ सुन लेने के बाद अंश को अब कुछ चीजें थोड़ी-थोड़ी समझ आने लगी थी। सबसे पहली बात जो उसे समझ आई थी वह की बिग बी सच में शुरुआत से ही उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था, क्योंकि अगर वो ऐसा करना चाहता तो अब तक अंश के मुताबिक बिग बी अंश के शरीर के साथ कुछ भी कर सकता था।

    इसलिए, इस बार अंश ने बिग बी से बिना डरते हुए सीधे लहजे में बात की,

    "तो फिर तुम मुझे एक बात बताओ कि आखिरकार तुम मेरे पावर स्पेस में कैसे आ गए? क्योंकि अगर यह मेरा पावर स्पेस है तो यहां पर सिर्फ मुझे ही होना चाहिए।"

    "ओह फो, कर दी ना वही फिर बुद्धू वाली बात, मैं ने तुम से पहले ही कहा था ना कि मैं तुम्हारे लिए अपनी बलि देना चाहता हूं।"

    "हां! कहा तो था।"

    "तो फिर मैंने अपनी बलि दे दी।"

    "बली दे दी? कुछ भी कैसे बकवास कर रहे हो तुम!"

    "तुम बोल भी सकते हो, यहां तक कि तुम मेरे सामने अभी भी जिंदा हो।"

    "तो मैंने कब कहा मैं बलि देने के बाद तुमसे बात नहीं कर पाऊंगा।"

    अंश के लिए तो ये सब दिमाग से ऊपर जा रहा था।

    "मैंने अपनी बली दे दी है, पर ये सब मेरी खुद की सहमति से हुआ है। इसलिए मेरी आत्मा थोड़ी सी कमजोरी तो हो चुकी है लेकिन, पूरी तरह से खत्म नहीं हुई।

    जो जानवर मरने के बाद भी किसी इंसान को समर्पित नहीं होना चाहते हैं वही बस अपने आत्मा के आखिरी कतरे तक इंसानों से लड़ते रहते हैं लेकिन, 'मेरे और तुम्हारे' केस में ऐसा नहीं है वह सब जाने दो तुम्हारे लिए अब यह जानना जरूरी है कि इस महान सम्राट ने तुम्हारे लिए कितना बड़ा बलिदान दिया है सबसे पहले मैं खुद की आजादी का बलिदान दिया

    और ऊपर से मैं अब अपनी पूरी शक्ति अभी इस्तेमाल नहीं कर सकता क्योंकि; तुम्हारे शरीर के अंदर आने के बाद मुझे पता चला कि तुम हद से ज्यादा कमजोर हो।

    (पता नहीं तुम यहां तक कैसे पहुंच पाए)

    और इसी वजह से तुम्हारा शरीर मेरी शक्तियों को सहन नहीं कर पा रहा था। इसी वजह से मैंने अपनी लगभग सारी शक्तियों को सील कर दिया है फिलहाल अब मुझे खुद के ही फैसले पर अफसोस हो रहा है कि मैं ने तुम्हें ही क्यों चुना!! पर, ऐसा समझ लो कि यह मेरी भी मजबूरी थी।"

    अंश को भी बिग बिग की बातें सुनकर खुद पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी।

    "हां मुझे भी पता कि मेरा टैलेंट बहुत पिछड़ा हुआ है।"

    "कितना पिछड़ा हुआ?"

    "क्या यह पूछना जरूरी है?"

    "हां हां जरूरी है वरना मैं तुम्हारी मदद कैसे कर पाऊंगा!"

    "ठीक है 'एक'।"

    "क्या एक?"

    "अरे मेरा टैलेंट!"

    "क्या कहा तुम्हारा टैलेंट सिर्फ एक है।"

    यह कहते हुए बिग बी की आवाज में काफी उदासी झलक रही थी, जैसे किसी ने उसके साथ बहुत बड़ा मजाक किया हुआ हो।

    "अब है तो है, इसमें इतना बवाल मचने की क्या बात है?"

    "हां ठीक है लेकिन मुझे नहीं पता था कि तुम इतने फिसड्डी होंगे जाने दो खुद के टैलेंट को बेहतर बनाने के लिए मैं तुम्हें आगे चलकर कई चीजें सिखाऊंगा।"

    "क्या कहा टैलेंट को सुधारने की टेक्निक!!"

    क्या ऐसा सच में होता है।

    तो आखिर कैसे टेक्निक सिखाएगा बिग बी अंश को।

    और कब निकलेगा अंश इस पावर स्पेस से बाहर।

    जानते हैं अगले एपिसोड में।

  • 17. "Obsession of Power" - Chapter 17

    Words: 1341

    Estimated Reading Time: 9 min

    जब बिग बी ने कहा कि वह अंश को अपना टैलेंट सुधारने में मदद करेगा, तो अंश का चेहरा एकदम 'कमल' की तरह खिल गया।

    जैसे-जैसे उनमें बातें होती गईं तो अंश और बिग बी में दोस्ती और बढ़ती गई, तब जाकर बिग बी ने उससे आखिरकार कहा,
    "वैसे मैं कोई अजीब जानवर नहीं! तुम बार-बार मुझे यह अजीब जानवर कहना बंद करो।
    मैं दरअसल में एक ठंडे इलाके में रहने वाला जादुई जीव हूं और मेरे परिवार में ज्यादातर लोग मुझे 'बिग ब्रदर' बुलाते थे इसलिए मैंने तुम्हें अपना नाम बिग बी बताया।"
    "अच्छा ठीक है तो मैं तुम्हें किस नाम से बुला सकता हूं? ब्रदर कैसा रहेगा।"
    "ओह छोटे मियां तुम बस 11 साल के हो और तुम्हारे इस बड़े भाई ने लाखों साल देखे हैं।"
    "लाखों साल क्या सच में? मुझे पता है कि तुम शुरुआत से बस बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे, बस मेरे सामने तुम अपनी ही शेखी बघार रहे थे, अगर तुम सच में कोई लाखों साल जिंदा रहने वाले जादुई जानवर होते तो तुम मेरे जैसे एक लड़के को क्यों चुनते? और मैंने तो ये भी सुना है कि कोई भी पावर लेवल 10 का जादूगर बस 400 साल की साधना वाले जादुई जानवर की बलि को झेल सकता है तो, फिर हमारे बीच तो कोई दिक्कत नहीं हुई है और ना ही मुझ पर कोई बैक हिट लगा है।"

    अंश की फिर पहले जैसी बातें सुनकर बिग बी ने एक लंबी "आहहह" भरी और अंश से कहा,
    "अरे छोटे मियां क्या तुम्हें सच में लगता है कि मेरे पास कोई दूसरा ऑप्शन होता तो मैं तुम्हें सिलेक्ट करता।
    मेरे पास कोई और चॉइस नहीं थी अगर मैं किसी और की तलाश करने जाता तो, मेरी यह कमजोर आत्मा अब तक मेरा साथ छोड़ चुकी होती।
    और रही बात मेरे लाखों साल जिंदा रहने के बारे में तो वह मैं तुम्हें कभी बाद में बताऊंगा क्योंकि हम अब एक साथ ही रहने वाले हैं।

    बस तुम इतना समझ लो कि तुम बहुत ज्यादा लकी थे क्योंकि, मेरी वजह से तुम काफी ज्यादा ताकतवर होने वाले हो।"

    "ताकतवर क्या सच में!!!" अब जबकि अंश और बिग बी भी पहले से ज्यादा अच्छे दोस्त बन चुके थे तो अंश को अब बिग बी से बात करने में कोई हिचक नहीं थी उसने कहा,
    "क्या सच में! क्या सच में? तुम ऐसा कुछ कर सकते हो, पर तुमने तो कहा था कि तुमने अपनी लगभग सारी ताकत मेरे अंदर 'सील' कर दी है, ताकि मेरी बॉडी उसे सह सके।"

    "हां सील तो की है।"
    "तो फिर मैं तुम्हारी ताकत का इस्तेमाल कैसे कर पाऊंगा।
    क्या इस प्रक्रिया को बली, माना भी जाएगा?
    और किसी दूसरी बली की तरह मुझे भी इस किसी शक्ति का वरदान मिलेगा?"
    बली सिर्फ आगे बढ़ने के लिए नहीं दी जाती, इस बली से हर किसी को एक जादुई वरदान मिलता है, यह वरदान किसी जादुई 'स्किल' की तरह होता है और यही वजह थी कि बली के लिए 'सिमिलर एलिमेंट' के जादुई जानवर का होना बेहद जरूरी है।

    "हां हालांकि किसी और कंडीशन में ऐसा नहीं होता लेकिन, मैंने इस बारे में बहुत ज्यादा रिसर्च की है।
    और इसी वजह से तुम लगभग अपने पहले स्किल की लिमिट जितनी शक्तिशाली जादू का इस्तेमाल कर सकते हो। फ्यूचर में जैसे जैसे तुम्हारी शक्तियां बढ़ेंगी वैसे वैसे तुम्हारी जादू इस्तेमाल करने की शक्तियां में भी बढ़ोतरी होगी।
    इसका मतलब मुझसे तुम्हें एक ऐसी स्किल मिली है जो अपने आप में ही विकसित और समय के साथ धीरे-धीरे ताकतवर बन सकती है। और जो सील मैंने तुम्हारे अंदर छोड़े हैं वह मेरे शरीर पर से आए हुए उन 10 गोल्डन निशानों की वजह से है तो फ्यूचर में अगर तुम कोई बली से चक्र हासिल करते हो तो वह आगे चलकर तुम्हें उस चक्र की ताकत बढ़ाने में बहुत ज्यादा काम आ सकते है और इतना ही नहीं हमारे बीच में एक अलग तरह की बली हो चुकी है और, एक आम बली तुम्हें एक जादुई स्किल दे सकती है पर तुमने किसी आम जानवर की बली नहीं दी, इसका मतलब तुम कोई आम जादूगर नहीं रहे।
    तुमने एक लाखों, साल की साधना वाले जानवर की बलि दी है इससे तुम्हें मिलने वाला फायदा कोई गुना ज्यादा बढ़ चुका है ऊपर से मैंने खुद अपना बलिदान अपनी मर्जी से दिया है, इसी बदौलत तुम्हें एक स्वर्ग का वरदान मिला है।"
    स्वर्ग शब्द का नाम सुनते हैं चेहरे पर एक बड़ा ही आश्चर्य भरा भाव उमड़ आया।
    "स्वर्ग का वरदान! किस तरह का वरदान?"
    "अरे वैसे तो इसमें स्वर्ग का कोई संबंध नहीं ये इसे मेरा ही एक अजूबा समझ लो, क्योंकि मैंने लाखों साल पहले एक खास, रहस्यमई और देवताओं से जुड़ी चीज खाली थी।
    बस इसी वजह से मुझ में 'ड्यूल एलिमेंट' की शक्तियां आ गई थी। और यहीं विरासत मेरी शक्तियां अब तुम्हें मिलेंगे क्योंकि जिस वक्त मैंने अपनी बलि दी थी उस वक्त मैंने अपने आत्मा के बजाय 'अपनी लाखों साल की शक्तियां' हवन में अर्पण की थी और इसी वजह से मेरे साथ कि वह खास चीज भी हवन की अग्नि में जलकर चक्र की आभा में मिलकर तुम्हारे शरीर में प्रवेश करके तुम में समा गई और इसी वजह से अब मेरी जीवन रेखा तुम्हारे जीवन से जुड़ गई।
    मेरी शक्ति अभी तुम्हारे साथ जुड़ गई इसी वजह से अब तुम भी सिर्फ एक एलिमेंट वाले जादूगर नहीं रहे, तुम बन गए हो इस दुनिया में रेयर से भी रेयर एक असली 'ड्यूल एलिमेंट के जादूगर'। "
    "ड्यूल एलिमेंट यानी कि दो एलिमेंट मेरे पास एक और दूसरा एलिमेंट होगा? तुम मजाक तो नहीं कर रहे ना बिग ब्रदर?"
    "अरे रुको, इतना भी खुश मत हो उसमें भी एक कंडीशन है।"
    और जैसे ही बिग बी ने कंडीशन का नाम लिया तो अंश का चेहरा पर शिकन आ गई, उसे लग ही रहा था कि यह बड़बोला जरूर कोई झूठ मुत की कहानी बना रहा होगा तभी बिग बी ने कहा,
    "दरअसल वो ड्यूल एलिमेंट बहुत ज्यादा कमजोर है!"
    "कमजोर है!! इससे तुम्हारा क्या मतलब है बिग बी?"

    "कमजोर मतलब वो एग्झिस्ट तो करता है तुम्हारे अंदर लेकिन, उसका कोई फिजिकल फॉर्म नहीं है!"
    "। फिजिकल फॉर्म नहीं है! इसका क्या मतलब ऐसे कोई एलिमेंट बिना किसी फिजिकल फॉर्म के कैसे हो सकता है? तुम जरूर मेरे साथ कोई मजाक कर रहे हो है ना?"
    "अरे नहीं छोटे मियां।"
    ये कहते हुए बिग बी काफी सीरियस हो गया और अंश की तरफ बड़े ही सीरियस अंदाज में देखते हुए उसने कहा,
    "अब ध्यान से सुनो, जब तुम आगे जाकर कोई भी बली दोगे तो तुम्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि वो "आइस एलिमेंट' का हो।"
    "आइस एलिमेंट यानी कि बर्फ पर क्यों?"
    "क्योंकि तुम्हारे अंदर जो दूसरा एलिमेंट बन रहा है वह बर्फ है यानी कि 'आइस अटरीब्यूट' उसी को ताकतवर और पूरी तरह से एक असली एलिमेंट में बदलने के लिए तुम्हें एक आइस एलिमेंट के जानवर की बलि देनी होगी।
    और वही जानवर आगे चलकर तुम्हारे उस 'दूसरे एलिमेंट' का फिजिकल फॉर्म बनेगा और मैं एक ऐसे 'जंगली बीस्ट' के बारे में पता भी लगाया है बस तुम हमेशा मेरी बात सुनते रहना, जब समय आएगा तो मैं तुम्हें वहां पर ले जाऊंगा क्योंकि अभी के लिए तुम हद से ज्यादा कमजोर हो।"

  • 18. "Obsession of Power" - Chapter 18

    Words: 1099

    Estimated Reading Time: 7 min

    "तो छोटे मियां, लगता है अब तक मैंने तुम्हें सब कुछ जरूरी चीजें तो बता दी हैं, और रहा सवाल मेरे 'स्किल' का तो तुम उसकी चिंता बिल्कुल मत करो। क्योंकि मैं कोई आम जादुई जानवर नहीं हूं।"
    "मैं तुम्हें 'सिर्फ एक ही' जादुई स्किल नहीं दूंगा।"
    "सिर्फ एक नहीं? इससे तुम्हारा क्या मतलब है? अभी ये मत कहना कि तुम्हारे पास एक से ज्यादा स्किल्स हैं!!!!" अंश ने बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड होते हुए कहा।
    "हां, मैं तुम्हें उसके बारे में जरूरत पड़ने पर बता ही दूंगा। अभी फिलहाल बाहर खड़े होते हुए इंसान, तुम्हारे लिए बहुत ज्यादा परेशान हो रहे हैं।"
    "दो इंसान? कौन से दो इंसान? बेहोश होने से पहले मुझे कुछ महसूस तो हुआ था पर मैंने ध्यान से उन्हें देख नहीं पाया।"
    "हां, वहां दो इंसान हैं और लगता है वह तुम्हें अच्छी तरह से जानते हैं शायद अभी के लिए तुम्हें इस दुनिया से बाहर जाना चाहिए आगे चलकर हमें बात करने के लिए तुम्हें हर बार यहां आने की जरूरत नहीं पड़ेगी, ठीक है।"
    "ये अभी भी होश में क्यों नहीं आ रहा? तुमने तो कहा था कि सब ठीक है, इसे कुछ हुआ नहीं बस बेहोश हुआ है। पर मेरी इतनी सारी कोशिशों के बाद भी इसे होश क्यों नहीं आ रहा।" शिवन्या ने रोहन की तरफ देखकर सवाल भरे लहजे में कहा। रोहन को तो यह देखकर बिल्कुल हंसी आ रही थी, कि शिवन्या को अंश की कितनी ज्यादा फिक्र थी, उसने मुस्कुराते हुए कहा,
    "अरे जरा सब्र करो, मुझे उसके शरीर में सब कुछ नॉर्मल दिख रहा है, यहां तक कि मेरे हिसाब से उसके शरीर में हल्की सी ऊर्जा बहती हुई महसूस भी हो रही है। अगर मैं गलत नहीं हूं तो अभी-अभी ये एक नवाडी जादूगर से एक 'जादुई रेंजर' बना है और उसके कमजोर होने की वजह से उसके शरीर को इस ताकत से एडजस्ट होने के लिए थोड़ा सा समय चाहिए, ऊपर से जिस जंगली भालू का उसने शिकार किया था शायद उसमें कुछ गड़बड़ी हो।"

    "गड़बड़ी? किस तरह की गड़बड़ी?"
    "जैसे कि वह लगा तो काफी ताकतवर रहा है पर अगर उसे किसी नवाडी जादूगर यानी की 10 पावर लेवल वाले जादूगर ने मारा है तो, वह जरूर कमजोर होगा बस इसी वजह से अंश को आगे बढ़ने में तकलीफ हो रही होगी।"
    "ये तुम क्या कह रहे हो 'रोहन'! अगर कोई खुद से अपने लिए बलि देने के लिए बाहर निकाला हो तो यह जहीर सी बात है कि वह कमजोर जानवर को ही चुनेगा और तुम यह भी तो देखो कि उसने खुद कितनी बहादुरी से उसका शिकार किया है।"
    तभी रोहन ने शिवन्या की तरफ देखकर उसे तंज भरी मुस्कान के साथ कहा,
    "शिवन्या, लगता है तुम्हें बावर्चियों में काफी ज्यादा इंटरेस्ट है! तुम्हें सच में उसकी फिक्र है या फिर तुम्हें बस उसकी खाना बनाने की स्किल में इंटरेस्ट है?"
    "रोहन!!!! यहां भी मुझसे बहस करना जरूरी है, अब भी करो।" शिवन्या ने चिल्लाते हुए कहा।
    तभी, "आहहहह, मों तो मैं कहां हूं।"
    अंश के मुंह से बड़ी मुश्किल से एक लफ्ज़ निकला।
    "अंश, नन्हे शैतान!! तुमने हमें कितना डरा दिया था।"
    अंश को होश में आते देख शिवन्या को बहुत ज्यादा खुशी हुई, "तो वो सच में कोई सपना ही था।"
    अंश की पागलपन भरी बातें सुनकर शिवन्या ने अंश को एक जोरदार चोटी काटी।
    "आहहहह, क्या कर रही हो तुम?"
    "कौन मैं? मैं तो तुम्हें को सपने से बाहर आने में मदद कर रही हूं। वैसे कहना पड़ेगा, तुम में काफी ज्यादा हिम्मत है, जो इस 'खूंखार जंगल' में इतने अंदर तक आ गए।"
    "सपना, हां शायद में एक बड़ा ही अच्छा सपना देख रहा था शायद। काश, वह सच हो पाता!"
    कहते हैं उसकी आंखों में एक अद्भुत एहसास था।
    "ऐसा क्या देखा तुमने सपने में अंश जिससे तुम्हें इतना लगाव हो गया? कहीं तुम्हारे उस सपने में कोई सुंदर हसीन और जवान 'हसीना' तो नहीं आई?"
    "रोहन ने, कंफ्यूज हुए अंश को चिढ़ाते हुए कहा।"
    "अरे!! अरे रोहन भाई! कैसी बात कर रहे हो तुम?"
    तभी अंश को कुछ महसूस हुआ उसने महसूस किया कि उसके शरीर में कुछ बदलाव हो रहे थे या फिर हो चुके थे। "ये मेरे शरीर में कुछ हुआ है?"
    उसे अपनी शक्तियों में कुछ अलग सा एहसास महसूस हो रहा था।
    उसकी शक्तियां पहले से ज्यादा गाढ़ी और बहुत ज्यादा सेंसिटिव महसूस हो रही थी। वो उसके शरीर में बहुत तेजी से यहां वहां फैल रहीं थीं अब अंश को एहसास हो रहा था कि वह पहले से भी ज्यादा तेज और दूर देख सकता है।
    'उसकी आंखें' शायद पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो चुकी थी, जब उसने अपनी आंखों को और भी गहराई से महसूस करने की कोशिश की तो उसे महसूस हुआ कि,
    "चार, मेरे पास असल में 'चार स्किल' है। चार जादुई स्किल्स, इसका मतलब वह सब! वह सब कुछ और बिग बी, वह सब कुछ सपना नहीं था।"
    "हा हा हा हा हा हा!!! मैं कामयाब! में कामयाब रहा, मैं असल में एक 'रेंजर' बन गया।"
    शिवन्या और रोहन को अंश की हरकतें तो काफी कुछ पागलों जैसी ही नजर आ रही थी एक पल पहले वह बेहोश था और अब वह उछल कूद कर रहा है तभी उन दोनों ने देखा कि उसके पैरों के नीचे से कुछ सफेद झाग उमड़ रहा था।
    फिर उन्होंने देखा कि वह एक सफेद रंग के मनी, चक्र में बदल गया।
    "जैसा कि मैंने सोचा था वो, जादुई भालू बस दिखने में ही लेवल 2 का जंगली जानवर लगता है, असल में तो वह लेवल 1 उसमें भी बस 10 साल की साधना शक्ति वाला है।"
    पर उसे कहां पता था कि यह बली चक्र उस जादुई भालू से नहीं बल्कि असल में 'मायावी शक्तियों के बिग बी' का था जिसके लिए अपनी शक्तियों को कम या ज्यादा दिखाना बस चुटकियों का खेल था पर ये सब यही तक नहीं रुका फिर अचानक से अंश की आंखें पूरी तरह से सफेद हो गई और उन्हें नजर आने लगी गोल्डन कलर के पैटर्न जो की संख्या में 10 थे वह।

    कौन-कौन से स्किल है अंश के पास,
    जानते है अगले चैप्टर में।

  • 19. "Obsession of Power" - Chapter 19

    Words: 1348

    Estimated Reading Time: 9 min

    "तो मेरे पास चार मैजिक स्कील है।" अंश को ये जानकर इतनी ज्यादा खुशी हुई कि वो अपनी खुशी छुपा नहीं पा रहा था।
    उसने सोचा भी नहीं था कि उसे एक नहीं बल्कि चार-चार मैजिकल स्किल मिलने वाली थी।
    "हां यह चार स्किल्स तुम्हारे लिए ही है।"
    अंश को बिग बी की आवाज अपने अंदर सुनाई दी, तब अंश को पूरी तरह से यकीन हो गया था कि बिग बी सच में रियल लाइफ में एग्जिस्ट करता है।
    "एक मेंटल टाइप जादूगर? तुम्हारा जादू लोगों के सेंसेस पर असर डालता है? पर क्या ये अजीब नहीं है कि तुमने अपने पहले जादुई विकास के लिए एक अलग टाइप के जीव की बलि दे दी।"
    जब अंश के पैरों के नीचे से सफेद झक निकला था तभी रोहन को महसूस हो चुका था कि कुछ है जो उसके सोचने की शक्ति पर असर डाल रहा है, हालांकि यह उसके साथ पहले भी हुआ था, पर बिग बी और अंश की शक्तियों में जमीन आसमान का फर्क था।
    इसी वजह से वह बिग बी की मेंटल फ्लकचुएशन वाली एनर्जी को महसूस नहीं कर पाया था, लेकिन अंश जो कि उससे कहीं गुना ज्यादा कमजोर था, उसमें उसने यह चीज बड़ी ही आसानी से नोटिस कर ली थी।
    जैसे ही रोहन बलि की बात कही तो, अंश की आंखों में से वह सुनहरी चमक अचानक से गायब हो गई, क्योंकि उसका ध्यान अब रोहन की बातों ने अपनी तरफ खींच लिया था।
    "अरे अंश, क्या तुम्हारा एलिमेंट कोई मेंटल एलिमेंट है? मुझे तुमसे बड़ा ही ताकतवर मेंटल औरा महसूस हो रहा है?"

    रोहन के पूछने पर अब कहीं अंश के होश ठिकाने आ गए और उसने अपनी खुशी को दबाते हुए कहा,
    "हां मैं एक मेंटल एलिमेंट वाला जादूगर हूं।"
    यह कहते हुए उसे थोड़ी सी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, क्योंकि उसने तो अपने फैमिली का पुश्तैनी एलिमेंट नहीं जगाया था, उसने एक अलग एलिमेंट जगाया था, क्योंकि वह मैचुरेशन के अंदर चला गया था।
    "मेरा एलिमेंट? क्या कहा था बिग बी ने?"
    "बिग क्या? तुम किसकी बात कर रहे हो अंश?"

    अंश को फिर से अपने आप में बड़बड़ाते देख शिवन्या ने अंश से सवाल पूछा।
    पर अंश भला कैसे अपना राज इतनी जल्दी सबके सामने ला दे।
    उसने अपने जीवन में अब तक एक चीज बड़ी ही अच्छी तरह से सीख ली थी कि किसी पर इतनी जल्दी, हद से ज्यादा यकीन नहीं करना चाहिए, इसलिए,
    उसने एक बहाना बनाते हुए कहा।
    "मैं कहां कुछ कह रहा हूं? बहन शिवन्या मैं तो बस यह कह रहा था कि मेरा एलिमेंट कुछ अलग है, वह मेरा बॉडी पार्ट है।"
    "अलग, किस तरह का?" शिवन्या ने क्यूरियस होकर अंश से पूछा।
    रोहन ने भी कहा,
    "तुम बिल्कुल भी फिक्र मत करो अंश, आज से हम सब दोस्त हैं, हमारी बात हम में ही रहेगी और तुम्हारा एलिमेंट चाहिए जैसा भी हो हम उसका बिल्कुल भी मजाक नहीं उड़ाएंगे, क्योंकि यह दुनिया बहुत बड़ी है और इस दुनिया में इतने एलिमेंट है कि हम सोच भी नहीं सकते, कुछ हमने देखे हैं तो कुछ हमारी नजर से परे है।"

    रोहन को फिर से पहले की तरह मुद्दे से भटक कर गुर्दे तक पहुंचने में किस तरह बिल्कुल भी देर नहीं लग रही, यह देखते हुए अंश ने उसकी विचारों की यात्रा को रोकते हुए कहा।
    "अरे रुक भी जा ओ रोहन भाई, पहले पूरी बात तो सुन लो,
    मैं कह रहा था मेरा एलिमेंट मेरी 'आंखों' में है!"
    "अच्छा तो तुम्हारी आंखें हैं? तो पहले नहीं बता सकते थे, मैं तो कुछ और ही समझ बैठा।"

    "रोहन, अब बस भी करो क्यों बेचारे अंश को परेशान कर रहे हो।"

    "अरे परेशान? मैं कहां से परेशान कर रहा हूं? मैं तो बस उससे थोड़ी सी बात कर रहा हूं, बात से ही बढ़ती है जान पहचान और जान पहचान से ही बढ़ती है यारी।
    हम लड़कों में ऐसा ही होता है शिवन्या।"
    फिर उसने अंश की तरफ देखा और उदासी में कहा,
    "अच्छा होता अगर तुम कुछ देर और इंतजार करते और इस जादुई भालू की जादूई आभा को अपने अंदर ना सोकते, अगर हमें पहले पता होता कि तुम्हारे पास एक मेंटल एलिमेंट है तो, मैं और शिवन्या, हम दोनों तुम्हारे लिए काफी अच्छे और ताकतवर जादुई जीव का शिकार करते, जो की है तुम्हारी फ्यूचर ग्रोथ के लिए इस जादुई भालू से लाख गुना अच्छा होता।"
    अंश को बड़ी हैरानी भी हो रही थी और कुछ कुछ अजीब भी लग रहा था, हैरानी उसे इस बात की हो रही थी कि रोहन और शिवन्या को इस जंगल के बारे में और इसके अंदर के जादुई जानवर के बारे में उससे कहीं गुना ज्यादा जानकारी थी और ऊपर से उन्हें जादू के फ्यूचर के बारे में भी बहुत ज्यादा जानकारी थी।
    कि किसी भी जादूगर को आगे बढ़ने के लिए शुरुआत से किस चीज की जरूरत होती है।
    और ऊपर से वो अंश की कितनी फिक्र कर रहे थे, यहां तक के वह उसके लिए बेहतर की चाह रखते थे।
    और अजीब उसे इस बात के लिए लग रहा था, क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि अंश ने किसी आम लेवल 1 जानवर की आभा को अपने अंदर नहीं लिया बल्कि एक लाखों साल जीवित रहने वाले ताकतवर जानवर की आभा को अपने अंदर संमा लिया था।
    उसे एक बार ऐसा लगा कि, उसे उनसे ये सब छुपाना नहीं चाहिये, लेकिन उसके इन विचारों को मारकर, बिग बी उसके दिमाग में जोरदार चिल्लाया,
    "अंश तुम सच में बेवकूफ हो!!! अगर तुम्हारी जगह में होता तो, मैं अपना इतना बड़ा राज अपनी कब्र तक ले जाता, इसलिए मेरे कहने तक अपना ये मुंह बंद रखना और किसी को भी मेरे बारे में बिल्कुल मत बताना।
    अब मुझे थोड़ी सी नींद आ रही है, मैं एक झपकी ले लेता हूं, आगे का तुम संभाल लेना और मेरी बात याद रखना सपने में भी किसी को मेरे बारे में बताने के बारे में बिल्कुल मत सोचना।"

    "देखो तो, बार-बार ये अपने ही सपने में खो जाता है, अच्छा चलो ठीक है अब मैं तुम्हें और परेशान नहीं करता।"
    अंश की कन्फ्यूजन वाले चेहरे को देखते हुए रोहन ने कहा।
    "वैसे तुम्हारा आगे क्या प्लॅन है अंश?"
    और बस रोहन के इसी सवाल ने अंश को सोचने पर मजबूर कर दिया, जब से उसने अपनी मां को खोया था, तब से वह सिर्फ एक ही बारे में सोच रहा था,
    "बलि बलि" उसे कुछ दूसरा सूझ ही नहीं रहा था और आज जाकर जब उसने अपना वह मकसद पूरा कर लिया तो उसे समझ आया कि उसके पास तो अभी के लिए कोई प्लॅन है ही नहीं।
    और शायद अब वो इतना तो काबिल हो चुका था कि वह अपनी सुरक्षा के लिए खुद पर निर्भर हो सकता था और उसने इसके बाद क्या करना है इसके बारे में कुछ भी नहीं सोचा था।
    "वैसे अंश तुम्हारा घर कहां है? तुम आए कहां से हो? वो क्या है ना, जब हम पहले मिले थे तो, भूख से मेरा हाल-बेहाल था और जब हमने तुमको दोबारा देखा तो तुम पहले से ही बेहोश थे, इसलिए पहले मेरे मन में यह सवाल नहीं आया था लेकिन अब सब कुछ ठीक है तो सोचा पूछ लूं?"
    हालांकि शिवन्या ने यह सवाल तो बस ऐसे ही पूछ लिया था पर उसे नहीं पता था कि उसने यह सवाल पूछ कर अंश की सबसे दुखती नस को छुआ था।
    शिवन्या का सवाल सुनकर कुछ देर तक तो अंश की आंखें नम होने के कगार पर आ चुकी थी पर फिर उसने अपने आप को नॉर्मल दिखाते हुए कहा,
    "मेरा परिवार? मेरा कोई परिवार नहीं? मैं एक अनाथ हूं? और यहां वहां घूमने ही मेरा पॅशन है।"

    अंश के लटके मुंह को रोहन और शिवन्या ने अच्छी तरह से पहचान लिया था इसलिए उन्होंने आगे उसके परिवार के बारे में कुछ सवाल नहीं पूछे।

    आखिर कहां जाएगा अंश इस जंगल से निकलने के बाद।

    क्या प्लान होगा अब अंश का, जानते हैं अगले चैप्टर में।

  • 20. "Obsession of Power" - Chapter 20

    Words: 1450

    Estimated Reading Time: 9 min

    जब शिवन्या और रोहन ने उनसे उसके घर वालों के बारे में पूछा तो अंश का चेहरा उतर गया, हालांकि उसने अपने चेहरे की नाराजगी दिखाई नहीं थी, लेकिन शिवन्या और रोहन को साफ-साफ पता चल गया था कि अंश उस बारे में बात नहीं करना चाहता था, या फिर ये शायद उसकी दुखती रग थी। इसलिए माहौल को थोड़ा सा हल्का बनाने के लिए शिवन्या ने कहा,

    "अच्छा तो तुम अकेले हो, ये तो और भी अच्छा है!"

    "यह तुम क्या कह रही हो शिवन्या? शिवन्या हर बार माहौल को बनाने के लिए जल्दी-जल्दी में कुछ भी बोल बैठती है।"

    शिवन्या को भी अपनी गलती का एहसास हो चुका था, उसने भी रोहन की बात को दोहराते हुए कहा, "हां मुझे माफ कर दो, मेरा वो मतलब नहीं था। मेरा मतलब था कि अगर तुम अकेले हो और तुम्हारे पास जाने के लिए कोई ठिकाना नहीं है, तो, तो क्यों ना तुम हमारे दल में शामिल हो जाओ?"

    "दल? तुम्हारा दल!"

    "हां हां हमारा दल।"

    अब जाकर अंश को सामने खड़ी लड़की की ताकत के बारे में कुछ अंदाजा होने लगा था। दल बनाना कोई छोटी-मोटी बात नहीं थी। अंश ने महल में किसी दल या उससे जुड़े लोगों के बारे में बहुत कुछ सुना था, अभी तक उसे पूरी तरह से किसी दल की ताकत का अंदाजा नहीं था, लेकिन वह खुद 'टाइगर सिटी' की स्टैंडिंग से इस बात का अंदाजा लगा सकता था कि किसी दल की ताकत क्या होगी।

    पर अंश को फिर से सोच में डूबा हुआ देखकर शिवन्या को लगा कि अंश को उसकी बातों पर बिल्कुल भरोसा नहीं हो रहा। "आंहह आंहह", उसने खांसते हुए कहा,

    "तुम्हें हम पर यकीन नहीं हो रहा है ना, कोई बात नहीं पर, यह जान लो कि मैं जिस दल की बात कर रही हूं वो कभी इस प्लेनेट का 'सबसे ताकतवर दल हुआ करता था।' "

    "ताकतवर? सबसे ताकतवर!" जब अंश ने शिवन्या के सबसे ताकतवर होने के शब्द सुने, तब अंश को उसकी बातों में इंटरेस्ट आने लगा, यही तो अंश का शुरुआती गोल था सबसे ताकतवर। बस यह शब्द ही काफी थे उसके अंदर की ज्वाला को जगाने के लिए।

    "हां सबसे ताकतवर! अगर तुम हमारी ऑर्गेनाइजेशन से जुड़ जाते हो तो तुम कई गुना फायदे में रहोगे। और ऊपर से तुम्हें तो पता ही है ना हर दल की अपनी कुछ खुफिया 'तकनीके' होती है और पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही और इकट्ठा की गई कई हजारों सालों की नॉलेज तुम इस सबको एक्सेस कर सकते हो, बस तुम्हें हमारे दल से जुड़ने की जरूरत है।"

    शिवन्या की बातें सुनकर तो अंश को उस दल में और भी ज्यादा इंटरेस्ट आने लगा था आखिर यह किस तरह का दल होगा? जो हजारों सालों की नॉलेज इकट्ठा कर रहा है और एक टाइम पर सबसे ताकतवर था।

    अंश ने अपने आप से ही कहा, फिर उसने 'शान से अपना सीना चौड़ा किए, सर ऊपर उठा, नाक एकदम तिरछी जैसे कि किसी महान घमंडी लड़की की तरह दिखने वाली शिवन्या की तरफ देखा' और कहा, "तो फिर बहन शिवन्या, यह दल काफी फेमस होगा, मेरा मतलब है, इसका नाम पूरे कॉन्टिनेंट पर फैला होगा, क्या तुम मुझे इसका नाम बता सकती हो?"

    "पशुपति दल, कुछ 10000 साल पहले हमारा दल पूरे प्लेनेट पर राज करता था।"

    शिवन्या के शब्द तो बड़े सिंपल टोन में थे पर, जब ये शब्द अंश के कानों में पड़े तो उसकी रूह में सिहरन दौड़ गई। पशुपति, बस ये एक नाम ही काफी था पूरे प्लेनेट पर ख्वाफ पैदा करने के लिए। क्योंकि, पशुपती कोई इंसान नहीं मौत का सौदागर था, मौत का सौदागर। कहते हैं उसके जीवित रहते, कोई उसे जीत नहीं पाया था, जिसने भी उसके साथ लड़ाई की उसका हशर सिर्फ मौत था। हालांकि आज पशुपति दल की हालत इतनी ठीक नहीं है लेकिन, आज भी बड़े-बड़े तो क्या बड़ोसे भी बड़े दल उससे टकराने के बारे में तो क्या उनके सामने जाने से भी डरते हैं।

    क्योंकि उसके पीछे थी एक कहानी जो, हर पीढ़ी दर पीढ़ी हर बड़े दलों में अपने बच्चों को सुनाई जा रही थी: कहते हैं कि लोग जादू सीखते हैं अपनी रक्षा के लिए और जब कोई दूसरे से ज्यादा ताकतवर होता है तब उसका इस्तेमाल करते हैं दूसरों को काबू करने के लिए। ऐसा ही कुछ हाल था इस प्लेनेट पर पर जब लोग मेहनत करके साधना की बेड़ियां तोड़ने लगे और आगे बढ़ने की ख्वाहिश में सालों जंगलों गुफाओं और हिमालय में घोर तपस्या करने लगे तब जाकर उन्हें कुछ अलग साक्षात्कार हुआ, वैसे यह मुंह बोली कहानी बहुत सी जगह से बन रही थी पर उनमें एक बात बिल्कुल आम थी कि उन सभी जगह पर जिस शख्स को, इस साधना को करते हुए देखा था पर, उन सभी जगह पर मिले विवरण से ऐसा लग रहा था कि वो किसी एक ही इंसान का विवरण है।

    जब खोजबीन की गई और उसके बारे में पता लगाया गया, तो बस एक ही नाम सामने आया 'पशुपति भार्गव'।

    और देखते ही देखते ही पूरा प्लेनेट दहशत की छाया में शांत हो गया। उसी दिन के बाद से कई लोगों ने उसकी खोज की। उसके बारे में पूछा पर, ना तो उसकी कोई जानकारी मिली और ना ही वह लोग वापस आए जो उसे ढूंढने गए थे।

    तभी से लोग इस दल से डरने लगे।

    कहानी में, पर इन सबसे अलग, जब से अंश बड़ा हुआ था तब से उसकी मां उसे बड़े-बड़े शूर और जांबाज लड़ाकूओं के बारे में बताती थी, और काफी बड़ी-बड़ी पावर्स के बारे में भी बताती थी, और उन्हीं बड़ी पावर्स में से यह एक नाम था 'पशुपति दल' जिसकी स्थापना करीब 10000 साल पहले हुई थी कहते हैं कि वो अब तक के दलों में से सबसे पुराना दल था, जिसके 'दल प्रमुख' (लीडर) थे पशुपति भार्गव और उन्होंने ही इस पूरे दल की रचना की थी।

    पर, इससे भी बड़ी एक बात थी, जिसकी वजह से इस पशुपति भार्गव, जिसे देखा तो पिछले हजारों सालों में किसी ने नहीं था पर इसका नाम आज तक था वह थे उसके रूह कंपा देने वाले 'अविश्वसनीय आविष्कार, और उनके निर्माण कला'।

    कहते हैं कि वह वेदों और निर्माण कला में बहुत निपुण विद्वान थे, उन जैसे आज तक ना कोई विद्वान हुआ था और ना ही कोई पैदा हो पाएगा। उन्होंने ऐसी ऐसी चीजें इजात की थी, जिसकी वजह से, प्राचीन साम्राज्य में लड़ाई हुई थी तब, इसी ताकत की वजे से उस लड़ाई का अंत हो पाया था।

    तब से लेकर आज तक अंश इस दल में एक बार तो जाना चाहता था। "अरे अंश, फिर से कहां खो गए, लगता है तुमने पशुपति दल के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सुना है!"

    "सुना? क्यों मजाक कर रहे हो रोहन भाई, क्या इस पूरे प्लेनेट पर कोई है जिसने पशुपति दल के बारे में ना सुना हो। मैं बचपन से ही उसकी एक ही सारी कहानियां सुनी है।" जब अंश के मुंह से यह शब्द निकले तो शिवन्या की आंखों मैं गर्व की भावना नजर आ सकती थी लेकिन, अगले ही पल वो चली गई। रोहन को समझ नहीं आ रहा था कि अंश इतना खुश क्यों हो रहा था जैसे कि उसे तो स्वर्ग यहीं पर मिल गया।

    "अरे वा !! अंश तुम्हें तो काफी कुछ पता है! वैसे क्या ख्याल है तुम्हारा? क्या तुम हमारे साथ जुड़ना चाहोगे? वैसे ताकत और सपोर्ट की बातें में अभी नहीं कर सकता लेकिन? जैसा की शिवन्या ने कहा था, हमारे दल की 'खुफिया तकनीके' तुम्हारे मेंटल एलिमेंट के लिए काफी फायदेमंद रहेगी। ऐसा समझ लो की, जैसे वह दोनों एक दूसरे के लिए ही बनी है। तो आखिर क्या करेगा अंश, क्या जुडेगा वो एक प्राचीन वंश के दल से जिसका अस्तित्व करीब 10000 सालों से चला आ रहा है। या फिर पहले की ही तरह निकलेगा अकेले सफर करने। चलिए जानते हैं अगले चैप्टर में।"