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My dangerous Boss

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एक रात किसी अजनबी के साथ बिताने के बाद नविता ने उस शख्स को ही, उस रात के लिए जिम्मेदार ठहराया था। जिसने उसके साथ नशे की हालत में गलत किया था, नविता को लगा कि यह शख्स कोई प्लेबॉय है। उस आदमी को मुंह पर बहुत कुछ बोल कर वो अफ़सोस में वहां से चली जाती है...

Total Chapters (74)

Page 1 of 4

  • 1. Molest - Chapter 1

    Words: 1044

    Estimated Reading Time: 7 min

    क्लब बरिस्ता एंड रिजॉर्ट, गोवा

    टेबल पर एक लड़की, शॉर्ट ड्रेस में और आँखों में गुस्सा लिए, बैठी थी। लड़की ने तीन ड्रिंक ऑर्डर कर लिए थे, और वह चौथी का ऑर्डर देने वाली थी। तभी उसका फ़ोन बजा। वह लड़की गुस्से में स्क्रीन की तरफ देखती है और अपना फ़ोन उठाते हुए कहती है।


    नविता बासु, 22 साल की खूबसूरत और इंटेलिजेंट लड़की थी। नविता 2 साल पहले कोलकाता से गोवा आई थी, और यहाँ आकर उसने एक होटल में जॉब कर ली थी।


    नविता ने अपना फ़ोन निकाल कर देखा तो उसके बॉयफ़्रेंड राहुल का फ़ोन था। राहुल की कॉल देखकर नविता थोड़ी रिलैक्स हुई। उसने फ़ोन उठाया और राहुल से कहा, “हाँ राहुल, कहाँ हो तुम? कब तक पहुँच रहे हो? मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ क्लब में।”


    सामने से राहुल हिचकिचाती हुई आवाज़ में बोला, “हाँ नविता, मैं बस आने ही वाला हूँ। थोड़ी देर और इंतज़ार करो, मैं ट्रैफ़िक में फँस गया हूँ।”


    राहुल ने फ़ोन काट दिया था, लेकिन फ़ोन काटने से पहले नविता ने कोई आवाज़ सुनी। उसे ऐसा लगा जैसे राहुल के साथ कोई लड़की है, लेकिन इसे अपने कानों का धोखा समझकर नविता ने इग्नोर कर दिया और दोबारा उस बात को याद करने लगी जो आज उसके साथ हुआ था, जिसकी वजह से वह इतने गुस्से में थी।


    आज सुबह नविता के होटल में, नविता रिसेप्शन एरिया पर अपना काम कर रही थी। तभी होटल की एक दूसरी स्टाफ़ आई और नविता से कहा कि मैनेजर उसे अपने केबिन में बुला रहा है। उस लड़की की बात सुनकर नविता थोड़ी हैरान हुई, लेकिन बात मैनेजर की थी, इसीलिए वह मना नहीं कर पाई।


    नविता ने अपना गला साफ़ किया और मैनेजर के केबिन की तरफ़ बढ़ गई। उसे वहाँ से जाते हुए देख बाकी सारी लड़कियाँ आपस में बात करने लगीं। नविता को उनकी आवाज़ अपने कानों में सुनाई दे रही थी। ऐसा नहीं था कि उसे पता नहीं चल रहा था कि यह किस बारे में बातें हो रही हैं और पिछले 1 महीने से वह भी इस चीज़ को बहुत अच्छे से महसूस कर रही थी।


    लेकिन उसे नौकरी की ज़रूरत थी, इसीलिए उसने आँख बंद करके यहाँ पर काम करने का सोचा था, लेकिन आज मैनेजर ने सामने से उसे बुला लिया था।


    घबराते हुए नविता मैनेजर के केबिन के पास गई और दरवाज़ा नॉक किया। अंदर से “कम इन” की आवाज़ आई। नविता अंदर गई तो सामने एक 40 साल का आदमी बैठा हुआ था, और नविता को देखकर एक घिनौनी मुस्कान मुस्कुरा रहा था। नविता ने अपने चेहरे पर हल्की सी एम्ब्रेस वाली मुस्कान रखते हुए कहा, “सर आपने मुझे बुलाया। कुछ काम था क्या?”


    वह आदमी नविता का मैनेजर अनिल था। अनिल ने नविता को बैठने के लिए कहा। नविता शांति से सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई और अनिल बोला, “काम तो मुझे आपसे बहुत ज़रूरी है नविता! पर मैं पहले यह पूछना चाहता हूँ कि क्या तुम यहाँ पर ठीक हो? तुम्हें यहाँ पर कोई परेशानी तो नहीं है ना।”


    नविता ने एक ऑकवर्ड मुस्कान के साथ कहा, “नहीं सर! मैं यहाँ पर ठीक हूँ। मुझे कोई परेशानी नहीं है।”


    इस पर अनिल ने कहा, “अगर ऐसा है तो फिर कल रात तुम ओवरटाइम के लिए क्यों नहीं रुकी थी? मैंने तुमसे कहा था ना, कल रात तुम्हें ओवरटाइम करना है।”


    दरअसल, ओवरटाइम का मतलब यहाँ पर सिर्फ़ एक ही होता था। स्टाफ़ में से एक लड़की को ओवरटाइम के लिए रोका जाता था और उसे अनिल के केबिन में बुलाया जाता था। कल नविता को अनिल ने ओवरटाइम के लिए कहा था, लेकिन नविता अपना टाइम पूरा होते ही यहाँ से चली गई थी, इसी बात से अनिल नाराज़ था।


    नविता ने अपना सर नीचे झुकाया और नज़रें इधर-उधर करते हुए कहा, “आई एम सॉरी सर! लेकिन मैं ओवरटाइम नहीं कर सकती थी। इसके अलावा मैंने अपना पूरा काम समय पर ख़त्म कर लिया था, और मैं अपने टाइम पर ही घर गई थी।”


    अनिल अपनी कुर्सी पर सीधा होकर बैठ गया और अपनी दोनों उंगलियों को आपस में उलझाते हुए बोला, “अगर तुम इसी तरीके से काम करोगी तो तुम्हें तरक्की कैसे मिलेगी? देखो, यहाँ पर जितनी भी बड़ी-बड़ी पोस्ट पर लड़कियाँ हैं, वे सब इसी तरीके से तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ी हैं। तुम्हें भी तरक्की पानी है तो तुम्हें थोड़ी सी मेहनत तो करनी ही होगी ना।”


    नविता जल्दी से बोली, “सर! मैं पूरी मेहनत कर रही हूँ, यहाँ तक कि मैं लंच ब्रेक भी नहीं लेती हूँ। लेकिन मैं अपना सारा काम टाइम पर ख़त्म कर लेती हूँ। जब मैं सब कुछ समय पर कर लेती हूँ, तो फिर मुझे ओवरटाइम की क्या ज़रूरत है।”


    अनिल के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गई। उसने अपनी फ़ाइल में से एक पेपर निकाला और उसे नविता के सामने करते हुए कहा, “लगता है, तुमने जॉब ज्वाइन करने से पहले कंडीशन्स को ठीक से पढ़ा नहीं था। इसमें साफ़-साफ़ लिखा हुआ है कि तुम्हें जब चाहे, तब ओवरटाइम के लिए रोका जा सकता है।”


    नविता का चेहरा अचानक काला पड़ गया। उसने जल्दी से उस पेपर को उठाया और पढ़ने लगी। यह इतना छोटा और इतना बारीक था कि इस पर ध्यान ही नहीं गया था। वह हैरानी से बोली, “यह गलत है सर! मैंने इसे पढ़ा ही नहीं था।”


    अनिल ने अपने कंधे झुकाते हुए कहा, “वह तुम्हारी प्रॉब्लम है, हमारी नहीं। तुमने पेपर साइन किया है। इसका मतलब यह है कि या तो तुम्हें ओवरटाइम करना होगा या फिर अपनी जॉब से रिजाइन कर दो। जहाँ तक मुझे पता है, तुम इस वक़्त अपनी जॉब नहीं छोड़ सकती हो।”


    अनिल के ऐसा कहते ही अचानक नविता का चेहरा हैरानी से भर गया और वह आँखें फाड़े हुए अनिल को देखने लगी। अनिल सीधा बैठ गया और अपने दोनों हाथ टेबल पर रखते हुए बोला, “खैर, मैं तुम्हें जॉब छोड़ने के लिए नहीं कह रहा हूँ, लेकिन मेरे पास तुम्हारे लिए एक ऑफ़र है।”


    नविता घबराते हुए बोली, “कैसा ऑफ़र?”

  • 2. Molest 2 - Chapter 2

    Words: 997

    Estimated Reading Time: 6 min

    अनिल के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गई और उसने कहा, "तुम एक काम करो, जाकर टीवी ऑन कर दो।"


    नविता घबरा रही थी, फिर भी वह अपनी जगह से खड़ी हुई और सीधे एलईडी स्क्रीन के पास गई। उसने टीवी ऑन किया। जैसे ही वह वापस मुड़ी, उसकी आँखें हैरत से बड़ी हो गईं। अनिल उसके बहुत करीब खड़ा था। नविता डरते हुए एक कदम पीछे हुई और कहा, "सर आप!"


    लेकिन अनिल ने कुछ नहीं कहा। उसने अपने चेहरे पर एक घिनौनी मुस्कान रखी, नविता का हाथ पकड़ा और उसे अपने करीब खींचते हुए कहा,


    "इतनी भी भोली नहीं हो जितना बनने की कोशिश कर रही हो। जानती नहीं हो कि ऑफर का क्या मतलब होता है? मुझे खुश कर दो नविता! मैं तुम्हें इस होटल की सबसे ऊँची पोस्ट दिलवा दूँगा। तुम्हें फ्रंट डेस्क से सीधे मीटिंग रूम में पहुँचा दूँगा।"


    अनिल लगातार नविता को खींचता रहा। नविता ने अनिल के पैरों के बीच में एक जोरदार लात मारी और उसकी पकड़ ढीली हो गई। अनिल अपने पैरों के बीच अपने दोनों हाथों से दबाते हुए चीखा। उसकी तो जान ही निकल गई थी, लेकिन नविता घूरते हुए उसे देखने लगी।


    अनिल ने गुस्से में नविता को देखकर कहा, "यू बीच! तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर हमला करने की? अभी के अभी मेरे ऑफिस से निकल जाओ इससे पहले कि मैं तुम्हारी जान ले लूँ।"


    नविता घबरा गई थी, लेकिन उसने हिम्मत करते हुए कहा, "चली जाऊँगी, लेकिन उससे पहले मुझे मेरी सैलरी दे दो। 1 महीने तुम्हारे यहाँ काम किया है, मुझे उसके पैसे चाहिए।"


    अनिल अपने पैरों के बीच अपने दोनों हाथों से दर्द को कंट्रोल करते हुए नविता को देखकर घटिया हँसी हँसा और कहा, "तुम्हें लगता है, तुमने जो किया है उसके बावजूद तुम्हें पैसे मिलेंगे? अभी के अभी निकलो मेरे ऑफिस से, इससे पहले कि मैं पुलिस में तुम्हारे खिलाफ कंप्लेंट कर दूँ।"


    नविता ने अपने आँसू पोंछे और गुस्से में अनिल को देखकर कहा, "तुम क्या मुझे पुलिस की धमकी देते हो? मैं तुम्हें जेल पहुँचा कर रहूँगी। तुम्हारे खिलाफ कंप्लेंट करूँगी कि तुम यहाँ पर लड़कियों को मॉलेस्ट करते हो। उस क्लीनर राधिका ने जॉब किस लिए छोड़ी है? यह मैं अच्छी तरह से जानती हूँ और वह लड़की यहाँ आने के 2 दिन बाद ही चली गई थी, वह क्यों गई है? यह भी मैं अच्छी तरह से जानती हूँ और तुम यहाँ पर लड़कियों से ओवरटाइम के नाम पर क्या करवाते हो? यह तो पूरा होटल जानता है और इसी बात को मैं दुनिया के सामने बताऊँगी।"


    अनिल हैरान हो गया। नविता तेज कदमों से उसके ऑफिस से निकल गई। वह जल्दी से फ्रंट डेस्क पर गई। उसे रोता हुआ देखकर बाकी लड़कियाँ उससे सवाल करती रहीं, लेकिन नविता इतनी हताश थी कि उसने किसी के भी सवालों का जवाब नहीं दिया। उसने अपने आँसू पोंछे और चुपचाप वहाँ से निकल गई।


    आज नविता का मन बहुत ज्यादा उदास था। इसलिए वह क्लब गई थी ताकि वहाँ के शोरगुल में अपने मन में उठ रही बेचैनी को शांत कर सके। वहाँ पहुँचकर उसने अपने बॉयफ्रेंड राहुल को फोन किया और उसे आने के लिए कहा। तब तक नविता दो ड्रिंक कर चुकी थी। नविता ड्रिंक नहीं करती थी, लेकिन बहुत ज्यादा फ्रस्ट्रेट होने पर या परेशान होने पर वह खुद को शांत करने के लिए कभी-कभी ड्रिंक कर लिया करती थी।


    कुछ ही देर बाद राहुल वहाँ आया और नविता को देखकर कहा, "हे नविता! कैसी हो तुम?"


    नविता राहुल को देखकर मुस्कुरा दी। उसका सारा फ्रस्ट्रेशन और टेंशन राहुल को देखकर दूर हो गया। नविता आगे बढ़कर राहुल को गले लगाने लगी। लेकिन राहुल ने नविता को गले नहीं लगाया। उसने बस नविता को कंधे से पकड़कर खुद से दूर किया।


    राहुल के चेहरे पर इस वक्त अलग ही भाव नज़र आ रहे थे। उसने हिचकिचाते हुए नविता को देखकर कहा, "नविता मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।"


    नविता हैरानी से राहुल को देखने लगी। तभी वहाँ पर एक लड़की आई और राहुल का हाथ पकड़ते हुए नविता को देखकर कहा, "कैसी हो नविता?"


    नविता उस लड़की को देखकर हैरान हो गई। यह लड़की प्रियंका थी, राहुल की एक्स गर्लफ्रेंड। 1 साल पहले जब नविता राहुल से मिली थी, तब उसकी पहले से ही एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन उनका रिलेशनशिप कुछ अच्छा नहीं चल रहा था।


    और फिर प्रियंका अपनी जॉब के लिए दूसरे शहर चली गई थी, जिसकी वजह से राहुल यहाँ अकेला रह गया था, और उसके अकेलेपन में नविता ने उसका बहुत साथ दिया था। नविता राहुल को इंटर्नशिप के दिनों से ही पसंद करती थी। उसके अकेले होने पर नविता ने उसे अपने दिल की बात कही थी, तो राहुल उसके साथ रिलेशनशिप में आने के लिए मान गया था।


    पर आज 1 साल बाद राहुल को प्रियंका के साथ देखकर नविता हैरानी से उसे देखने लगी।


    प्रियंका अपने चेहरे पर एक बनावटी मुस्कान रखते हुए बोली, "मुझे लगता है कि तुम्हें मेरा यहाँ आना पसंद नहीं आया है। राहुल, मुझे लगता है कि यह मुझे लाइक नहीं करती है।"


    राहुल ने प्रियंका का हाथ पकड़े हुए कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है प्रियंका! दरअसल इतने समय बाद तुम्हें देखा है ना इसलिए हैरान हो गई है। नविता, तुम प्रियंका को तो पहचानती हो ना।"


    नविता की आँखों में लगभग आँसू आ गए थे और वह हैरानी से राहुल को देखकर बोली, "यह क्या है राहुल? प्रियंका तुम्हारे साथ क्या कर रही है? तुम दोनों का तो ब्रेकअप हो गया था ना, तो फिर यह तुम्हारे साथ क्या कर रही है?"

  • 3. गेम - Chapter 3

    Words: 1493

    Estimated Reading Time: 9 min

    राहुल को उसकी एक्स गर्लफ्रेंड के साथ देखकर नविता हैरान रह गई। उसने आँखें फाड़कर राहुल को देखना शुरू कर दिया।

    राहुल थोड़ी अटपटी स्थिति में फँस गया और प्रियंका से कहा,
    "प्रियंका, तुम जाकर टेबल पर क्यों नहीं बैठती हो? मैं नविता को लेकर आता हूँ।"

    प्रियंका मुस्कुराते हुए सिर हिलाई और टेबल की तरफ चली गई। उसके जाने के बाद राहुल ने नविता से कहा,
    "आई एम सॉरी नविता। मेरा इरादा तुम्हें हर्ट करने का नहीं है, लेकिन सच बात तो यह है कि मैंने शायद तुम्हें कभी पसंद ही नहीं किया था। लेकिन तुम मेरी हमेशा से एक अच्छी दोस्त रही हो, पर प्यार में मैं हमेशा से प्रियंका को करता आया हूँ। प्लीज नविता, तुम एक दोस्त होने के नाते मेरी सिचुएशन समझ सकती हो। मैं तुम्हें धोखा नहीं देना चाहता हूँ!"

    नविता की आँखों से आँसू गिरने ही वाले थे। उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ किया और अपने आँसुओं को कब्ज़े में करते हुए कहा,
    "तुम यह बात मुझे कॉल पर बता सकते थे।"

    राहुल ने कहा,
    "मुझे पता है कि मुझे तुम्हें यह बता देना चाहिए था, पर मैंने सोचा क्यों ना आमने-सामने बात की जाए? और प्रियंका भी कह रही थी कि उसे तुमसे मिलना है। प्रियंका को हमारे बारे में कुछ भी नहीं पता है। प्लीज उसे मत बताना कि उसके चले जाने के बाद मैंने तुम्हारे साथ समय बिताया था। तुम हमेशा से ही मेरी अच्छी दोस्त रही हो, इसीलिए तो मैं तुम्हें कभी भी उस नज़र से नहीं देख पाया था।"

    "हाँ, मैंने कहा तो था कि मैं तुम्हारे साथ रिलेशनशिप में आगे बढ़ूँगा, पर मैं नहीं कर पाया। आई एम सॉरी नविता, प्लीज मेरी बात का बुरा मत मानना। जैसा मैं प्रियंका के लिए फील करता हूँ, वैसा मैं तुम्हारे लिए कभी फील नहीं कर पाऊँगा।"

    नविता ने अपने आँसू रोके और मुस्कुराते हुए राहुल को देखकर कहा,
    "इट्स ओके राहुल! किसी को पसंद करना हमारे हाथ में नहीं होता है, और वैसे भी तुम हमेशा से ही शायद प्रियंका को ही पसंद करते आए हो। इसीलिए तो तुम कभी भी मुझे अपने साथ डेट पर नहीं ले जाते थे और फ़ोन करने पर भी सिर्फ़ काम की बात ही करते थे।"

    "एक तरह से देखा जाए तो फ़ोन तो सिर्फ़ मैं ही किया करती थी। तुमने तो कभी मुझे फ़ोन भी नहीं किया है, और यह अच्छा भी है। किसी रिश्ते का बोझ उठाने से बेहतर है कि हम उस रिश्ते से आजाद हो जाएँ। तुम और प्रियंका एक साथ बहुत अच्छे लगते हो। मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ, और मेरी फ़िक्र मत करो, आई एम हैप्पी!"

    राहुल के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और वह गहरी साँस लेते हुए बोला,
    "थैंक गॉड तुम समझ गई। मैं तो इसी बात से डर रहा था कि तुम्हें कैसे समझाऊँ? पर मुझे पता है मेरी दोस्त बहुत समझदार है।"

    राहुल हिचकिचाते हुए बोला,
    "नविता, हम अभी भी दोस्त हैं ना?"

    नविता मुस्कुराई और सिर हिलाया। राहुल हँसते हुए नविता का हाथ पकड़ा और कहा,
    "चलो इसी बात पर पार्टी करते हैं।"

    दोनों टेबल पर आए जहाँ पहले से ही प्रियंका मौजूद थी। वे दोनों आकर अपनी-अपनी कुर्सियों पर बैठ गए। प्रियंका ने नविता को देखकर कहा,
    "नविता, तुम मेरे यहाँ होने से अनकम्फ़रटेबल फील तो नहीं कर रही हो?"

    नविता को उसकी बात पर ताना साफ़ महसूस हो रहा था। उसका मूड पहले ही बहुत खराब था और अभी-अभी एक मिनट पहले उसका ब्रेकअप हुआ था। उसका तो मन कर रहा था कि सामने पड़ी वाइन की बोतल को उठाकर प्रियंका के सिर पर दे मारे, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी। उसने मुस्कुराते हुए प्रियंका को देखा और ना में सिर हिलाते हुए कहा,
    "नहीं प्रियंका, तुम्हारी मौजूदगी से मुझे कैसे अनकम्फ़रटेबल फील हो सकता है... पर एक बात तो क्लियर है, आज की रात मेरी अच्छी नहीं जाने वाली है।"

    राहुल देख पा रहा था नविता के शब्दों में इस वक़्त एक खालीपन था। भले ही वह थोड़ी अपसेट नज़र आ रही थी, लेकिन उसके बातों में वह चुलबुलापन नज़र नहीं आ रहा था जो अक्सर नज़र आया करता था। राहुल ने पूछा,
    "नविता, सब ठीक तो है ना?"

    नविता राहुल को देखती है। कहने के लिए तो उसके पास बहुत कुछ था, लेकिन वह क्या बताए? उसे आज के दिन का वाकया... अगर वह राहुल को बताएगी तो यह उसी की बेइज़्ज़ती होगी। पहले तो राहुल बेमन से फ़ोन भी उठाता था और नविता की सारी बकवास बातें भी सुनता था, पर अब ऐसा लगता है कि नविता को अपनी सारी बातें अपने मन के अंदर ही रखनी होंगी।

    अब किस हक़ से वह राहुल से अपनी ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव शेयर करेगी? इसलिए नविता ने ना में सिर हिलाते हुए कहा,
    "कुछ भी नहीं, बस काम का थोड़ा स्ट्रेस है।"

    लेकिन प्रियंका वाइन की बोतल को गिलास में खाली करते हुए बोली,
    "क्या यार, हम लोग यहाँ पर पार्टी करने आए हैं, ऐसी ऑफिस की बातें करने नहीं आए हैं। चलो एक गेम खेलते हैं।"

    "मेरा मूड नहीं है कोई गेम खेलने का। तुम दोनों खेलो..." नविता ने प्रियंका की बात को इनकार करते हुए कहा, लेकिन अब तक प्रियंका ने वाइन की बोतल को टेबल के बीच में रख दिया था और उसने कहा,
    "ऐसा नहीं हो सकता है। हम तीनों टेबल पर बैठे हुए हैं, तो हम तीनों को यह गेम खेलना ही होगा। तुम भी इस गेम का हिस्सा हो!"

    नविता मुँह बनाते हुए प्रियंका को देख रही थी, लेकिन राहुल ने कहा,
    "प्लीज नविता, खेल लो ना, गेम की ही तो बात है, इसमें मज़ा आएगा।"

    "ठीक है, क्या गेम है..." नविता ने प्रियंका से पूछा तो प्रियंका एक्साइटेड होते हुए बोली,
    "मुश्किल नहीं है। बहुत आसान है, ट्रुथ एंड डेयर।"

    ट्रुथ एंड डेयर का नाम सुनकर नविता की आँखें छोटी हो गईं और वह बोली,
    "तुम यह बच्चों वाले गेम अभी भी खेलती हो? तुम दोनों को खेलना है तो खेलो, मैं नहीं खेलूँ..."

    नविता अपनी बात पूरी कर पाती, उससे पहले ही पूरे क्लब में सन्नाटा छा गया। जहाँ अभी तक तेज म्यूज़िक बज रहा था, वह बंद हो गया और एक तेज रोशनी चालू हो गई। क्लब के दरवाज़े पर एक आदमी आया था।

    और उसके अंदर आते ही क्लब में अचानक से हड़कम्प मच गया था। दरवाज़े के पास से लोग हटते जा रहे थे। उस आदमी को क्लब के अंदर आया देख नविता और उसके दोनों साथी भी हैरानी से उस तरफ़ देख रहे थे। वह आदमी बॉडीगार्ड से कवर था, इसीलिए कोई उसे देख नहीं पा रहा था। नविता ने अपना चेहरा दाएँ-बाएँ करते हुए लोगों की भीड़ में से उसे देखने की कोशिश की, लेकिन अपने डिज़ाइनर जूते की आवाज़ से वह आदमी सीधे बढ़ता हुआ वीआईपी सेक्शन की तरफ़ चला गया।

    जैसे ही वह आदमी क्लब के अंदर आता है और वीआईपी रूम की तरफ़ बढ़ रहा होता है, वैसे-वैसे लोगों की आवाज़ और ख़ुस-फ़ुसाहट भी बढ़ती जा रही थी।

    "यह कौन है?" प्रियंका ने राहुल से पूछा। जब से वह आदमी क्लब में इंटर हुआ था, तब से ही प्रियंका की नज़र उसके ऊपर टिकी हुई थी और वह उसे देखने की पूरी कोशिश कर रही थी।

    "सीरियसली प्रियंका, तुम यह सवाल मुझसे पूछ रही हो? मुझे खुद नहीं पता है यह आदमी कौन है और उसे पहचानूँ भी कैसे? उसकी शक्ल थोड़ी ना दिखाई दे रही है, बॉडीगार्ड के बीच गिरा हुआ है वह।" राहुल ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा क्योंकि उसे सच में इस आदमी के बारे में कुछ भी नहीं पता था।

    लेकिन नविता के बारे में ऐसा नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने इस आदमी को कहीं देखा हुआ है। जब वह आदमी वीआईपी केबिन की तरफ़ जा रहा था, तब बॉडीगार्ड के बीच में से उसने इस आदमी की साइड प्रोफ़ाइल देखी है। सिर्फ़ एक झलक और एक सेकंड के लिए। पर नविता को याद नहीं आ रहा था कि उसने इसे कहाँ देखा है।

    क्लब में फिर से हलचल होने लगी थी। लोग अपनी मस्ती में फिर से नाचने लगे थे और म्यूज़िक फिर से स्टार्ट हो गया था।

    प्रियंका और राहुल वापस अपना ध्यान एक-दूसरे की तरफ़ करते हैं। प्रियंका कहती है,
    "तो क्या कहती हो नविता, खेलोगी हमारे साथ यह गेम? है हिम्मत तुममें यह गेम खेलने की?"

    प्रियंका सीधे तौर पर नविता को चैलेंज कर रही थी और नविता ने इसे अपने ऊपर बेइज़्ज़ती की तरह लिया। उसने अपने दोनों हाथों को फोल्ड किया। उसने अपने कंधे उचकाए और कहा,
    "ठीक है, खेलते हैं ट्रुथ एंड डेयर।"

    "सच में!" प्रियंका अपने चेहरे पर एक डेविल स्माइल रखते हुए कहती है क्योंकि उसे शक हो रहा था कि जब वह राहुल के साथ नहीं थी तो ज़रूर राहुल नविता के साथ ही रिलेशनशिप में था। अगर ऐसा है तो अभी पता चल जाएगा। यही सोचकर प्रियंका ने जानबूझकर इसी गेम को चुना था।

  • 4. Painful situation - Chapter 4

    Words: 1004

    Estimated Reading Time: 7 min

    राहुल ने बोतल घुमाई और बदकिस्मती से यह बोतल नविता की तरफ ही आकर रुकी। नविता अपना सिर पकड़ लेती है। राहुल और प्रियंका दोनों हँसने लगे।


    इसी मौके की तलाश तो नविता कर रही थी। उसने मौके का फायदा उठाते हुए जल्दी से पूछा, "तो बताओ नविता, क्या लोगी? ट्रुथ और डेयर?"


    नविता उन दोनों को देखती है और कहती है, "मेरी ज़िंदगी में कुछ भी ऐसा नहीं है जो मैं तुम लोगों को बता सकूँ, इसीलिए मैं डेयर चुनती हूँ।"


    नविता के डेयर चुनते ही प्रियंका के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो जाती है। यही तो वह चाहती थी। उसने तुरंत ही अपना अगला दाव फेंकते हुए कहा,


    "तो ठीक है नविता, तुम्हारा डेयर यह है कि वह आदमी जो अभी-अभी क्लब में आया है, तुम जाकर उसे किस करो।"


    प्रियंका की बात सुनकर नविता का चेहरा हैरानी से भर गया और वह हैरानी से प्रियंका को देखने लगी। यहाँ तक कि राहुल को भी अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। नविता वीआईपी रूम की तरफ देखती है जहाँ पर वह शख्स अभी भी बैठा हुआ था और उस कमरे को बॉडीगार्ड ने कवर कर रखा था।


    नविता घबराते हुए प्रियंका को देखती है, लेकिन प्रियंका के चेहरे पर शैतानी मुस्कान अभी भी थी। उसने सोचा कि यहाँ से निकल लेने में ही भलाई है, वरना यह लड़की उससे कोई ऐसा काम ज़रूर करवाएगी जिसकी वजह से उसे यहाँ शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है।


    पर इससे पहले कि नविता अपनी जगह से उठ पाती, राहुल पहले ही कह पड़ता है, "प्रियंका, यह सही नहीं है। तुम ऐसी कोई डिमांड नविता के सामने नहीं रख सकती हो!" क्योंकि राहुल अच्छी तरह से जानता था नविता कितनी स्वाभिमानी लड़की है और पिछले 1 साल से वह नविता के साथ है, लेकिन फिर भी नविता ने कभी उसके साथ एक नॉर्मल सी किस भी नहीं की थी।


    नविता को लगा कि शायद राहुल ने उसे बचा लिया है, लेकिन अगले ही पल प्रियंका बेफ़िक्री के साथ कहती है, "ओह, कम ऑन राहुल, इट्स जस्ट ए गेम।" राहुल को प्रियंका की बात पर गुस्सा आ रहा था, लेकिन तभी नविता कहती है, "मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूँगी..."


    नविता की बात पर प्रियंका अपने चेहरे पर एक एटीट्यूड वाली मुस्कान लाती है और अपने दोनों हाथ सामने बाँधते हुए कहती है, "इसका मतलब तुम एक्सेप्ट करती हो कि तुम मुझसे हार गई हो!"


    नविता का चेहरा गुस्से से भर जाता है और उसने भी प्रियंका से कहा, "मैं तुमसे कभी नहीं हार सकती हूँ!"


    राहुल हैरान रह गया था। आखिर यह एक गेम की ही तो बात थी, इसमें हार या जीत वाली बात तो कभी थी ही नहीं और यह दोनों एक-दूसरे से चैलेंज कर रही थीं। यहाँ पर तो एक सिम्पल गेम की बात हो रही थी, लेकिन अब उसे पता चल गया था कि दरअसल इन दोनों लड़कियों के बीच एक कोल्ड वॉर चल रहा था और कहीं ना कहीं राहुल इसका ज़िम्मेदार खुद को मान रहा था क्योंकि वह दोनों एक-दूसरे से राहुल के लिए उलझ रही थीं।


    प्रियंका के चेहरे पर भी शैतानी भाव थे। उसने नविता से कहा, "अगर ऐसी बात है तो फिर साबित करो!"


    नविता अपनी कुर्सी से पीछे की तरफ देखती है और गुस्से में वीआईपी रूम की तरफ देखने लगती है जहाँ पर बॉडीगार्ड खड़े हुए थे और काँच के उस दरवाज़े से अंदर उसे एक आदमी का ठंडा और खतरनाक आउरा नज़र आ रहा था।


    जब राहुल और नविता दोनों का ध्यान वीआईपी रूम की तरफ था, तभी प्रियंका ने अपने बैग में से कुछ निकाला और उसे नविता के गिलास में डाल दिया था। इस पर ना तो राहुल का ध्यान गया और ना ही नविता का।


    राहुल ने नविता का हाथ पकड़ते हुए कहा, "नविता, तुम्हें यह करने की ज़रूरत नहीं है। प्रियंका, यह सिर्फ़ एक गेम की बात थी पर अब तो तुम हद पार कर रही हो।"


    प्रियंका ने बेफ़िक्री के साथ कहा, "मैंने बस एक टास्क दिया है। अगर उसे नहीं पूरा करना है तो इससे कहो कि हार मान जाए।"


    लेकिन नविता गहरी साँस छोड़ती है और कहती है, "नहीं, मैं इसे पूरा करूँगी, लेकिन इसके लिए मुझे थोड़ी हिम्मत चाहिए होगी।" नविता ने अपने सामने पड़ी वाइन के गिलास को उठाया और उसे पी लिया। वाइन पीने के बाद नविता अपनी जगह से खड़ी होती है और अपनी ड्रेस को सही करती है। वह वहाँ से पलट कर सीधे वीआईपी एरिया की तरफ देखती है और अपने कदम वीआईपी एरिया की तरफ ले जाती है।


    नविता को उस तरफ जाता देख राहुल की आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। वह अपनी जगह से खड़ा होता है और उसे रोकने के लिए आगे बढ़ता ही है कि प्रियंका उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लेती है और उसे देखते हुए कहती है, "अगर तुमने उसे रोकने की कोशिश की तो हमारा रिश्ता अभी और इसी वक्त खत्म हो जाएगा!"


    राहुल हैरान रह गया था। नविता उसकी दोस्त थी। जिस समय राहुल को सबसे ज़्यादा किसी साथी की ज़रूरत थी, नविता ही उसके साथ खड़ी थी। भले ही राहुल ने कभी नविता से प्यार नहीं किया था, लेकिन वह उसकी परवाह करता था, क्योंकि राहुल के बुरे वक्त में नविता ने ही उसका साथ दिया था।


    नविता अपनी जगह थी और प्रियंका अपनी जगह। राहुल प्रियंका को भी नहीं खोना चाहता था, वह उससे प्यार करता था, दिल से चाहता था और जब वह उसकी ज़िंदगी में नहीं थी तो राहुल बहुत अकेला हो गया था।


    लेकिन राहुल का ध्यान रह-रहकर वीआईपी रूम की तरफ ही जा रहा था जहाँ पर नविता चलते हुए जा रही थी और वह सीधे उस रूम के सामने पहुँच जाती है। राहुल का ध्यान अभी नविता की तरफ ही था, पर प्रियंका को पता था राहुल का ध्यान उसकी तरफ से कैसे हटाना है। वह अपनी जगह से उठती है और राहुल की गोद में जाकर बैठ जाती है। अगले ही पल वह राहुल के होठों को चूमने लगती है।

  • 5. इतनी जल्दी नहीं बेबी. अभी रात बाकी है। - Chapter 5

    Words: 985

    Estimated Reading Time: 6 min

    इससे पहले कि राहुल नविता को रोक पाता, प्रियंका राहुल की गोद में बैठ गई और उसे किस करने लगी। वह धीरे-धीरे अपने हाथों को राहुल की बॉडी पर फ्लो करने लगी थी जिससे राहुल आउट ऑफ कंट्रोल हो गया। और राहुल का पूरा ध्यान इस वक्त नविता के ऊपर से हट गया था।


    राहुल अपने हार्मोंस कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। उसे इस तरीके से बेकाबू होता देख प्रियंका कहती है, “चलो ना राहुल कहीं ऐसी जगह चलते हैं जहाँ तुम्हारे और मेरे अलावा और कोई ना हो। मैं खुद को संभाल नहीं पा रही हूँ, इसलिए प्लीज तुम मुझे संभाल लो।”


    राहुल के लिए भी इस वक्त खुद को संभालना कंट्रोल से बाहर हो रहा था। वह अपनी जगह से उठा और ड्रिंक का बिल वहीं टेबल पर रख दिया। उसने प्रियंका का हाथ पकड़ा और उसे लेकर क्लब से बाहर निकल गया। वहाँ से जाते वक्त प्रियंका की नज़र वीआईपी रूम की तरफ़ थी जहाँ पर इस वक्त नविता खड़ी थी और उसे देखकर प्रियंका के चेहरे पर एक डेविल स्माइल थी।


    वहीं पर नविता के ऊपर धीरे-धीरे हल्का सा सुरूर छाने लगा था। वह वीआईपी रूम के सामने जा रही थी, लेकिन उससे थोड़ी ही दूर पर खड़ी हो गई, क्योंकि वीआईपी रूम के बाहर बॉडीगार्ड खड़े थे।


    तभी एक वेटर उनके पास से गुज़रता है और मौके का फायदा उठाकर नविता उस वेटर को हल्का सा धक्का मार देती है, जिससे वह पानी सीधे एक बॉडीगार्ड के ऊपर जाकर गिरता है और उसके हाथों में पकड़ी हुई ड्रिंक बॉडीगार्ड के कपड़े में लग जाती है। वह दोनों बॉडीगार्ड उस वेटर से उलझने लगे और इसी मौके का फायदा उठाकर नविता वीआईपी रूम में दाखिल हो जाती है।


    वीआईपी रूम में जाते ही पहली कुर्सी पर ही उसे एक शख्स दिखाई देता है जिसका चेहरा दूसरी तरफ़ था और नविता को पता था कि यह वही शख्स है जिसके लिए उसे टास्क दिया गया था। नविता की आँखों के सामने हल्का सा सुरूर भी छाने लगा था और उसका सिर हल्के-हल्के सुरूर के साथ घूमने भी लगा था।


    लेकिन नविता को अपना टास्क पूरा करना था। वह बिना किसी वार्निंग के उस लड़के के पास जाती है और उसकी गोद में बैठ जाती है। वीआईपी रूम में बैठा हर शख्स हैरान रह जाता है। नविता का टारगेट सिर्फ उसके होंठ थे।


    इसलिए बिना देर किए वह उस लड़के के होंठों पर टूट पड़ती है। नविता जिसे किस कर रही थी, वह आदमी एकदम से हैरान रह जाता है। अचानक से कोई लड़की उसकी गोद में आकर बैठ जाती है और उसे किस करने लगती है।


    वह आदमी अभी-अभी तो क्लब के वीआईपी रूम में आया था और यहाँ बैठे लोगों के साथ बिज़नेस की बातें कर रहा था। उसने मुश्किल से तीन ड्रिंक ही लिए थे। इतने में नशा होना इम्पॉसिबल था। ऐसा नहीं था कि उसे सुरूर नहीं चढ़ा था, लेकिन वह नशे में नहीं था।


    सामने बैठे हुए लोग हैरानी से देख रहे थे। उन्हें लगा कि यह आदमी इस लड़की को अपनी गोद से धकेल देगा और इसे जलील करेगा, लेकिन इससे बिलकुल विपरीत उस आदमी ने नविता की कमर को पकड़ लिया और उसे और ज़्यादा अपने करीब करके जकड़ लिया।


    उस आदमी ने भी यही सोचा था कि वह नविता को खुद से दूर कर देगा और इस हरकत के लिए वह उस पर चिल्लाएगा भी, लेकिन नविता का किस धीरे-धीरे डीप होता जा रहा था। धीरे-धीरे उसे भी इस किस में मज़ा आने लगा था। अगर यह नविता का पहला किस था तो यह उस आदमी की ज़िन्दगी का भी पहला किस था।


    एक लंबे किस के बाद उस आदमी ने नविता के बालों को पकड़ते हुए उसके चेहरे को खुद से दूर किया, क्योंकि नविता रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी, लेकिन उस आदमी की साँसें उखड़ने लगी थीं।


    जब उस आदमी की नज़र नविता के चेहरे पर जाती है तो वह हैरानी से बस उसे देखता रह जाता है... नविता का छोटा सा गोल मासूम सा चेहरा। जिस पर इस वक्त एक बेचैनी सी महसूस हो रही थी। उसकी काली आँखें और घनी-घनी पलकें। उसने एक ब्लू रंग का आईलाइनर लगाया हुआ था जिसकी वजह से उसकी आँखें और ज़्यादा खूबसूरत हो गई थीं।


    गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ थे... जो इस समय कांप रहे थे, जिसकी वजह से उसे उसके टेढ़े-मेढ़े दांत भी नज़र आ रहे थे। गर्दन पर एक तिल। वह लड़की दिखने में बहुत खूबसूरत लग रही थी और इस वक्त तो उस आदमी को वह सबसे ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।


    नविता जोर-जोर से साँस ले रही थी और उसे ऐसा करता देख वह आदमी भी अपना कंट्रोल खोने लगा था... यह कुछ ऐसा एहसास था जो उसने कभी महसूस नहीं किया था।


    वीआईपी रूम का दरवाज़ा एक बार फिर से खुलता है और बॉडीगार्ड अंदर आता है, लेकिन वह आदमी अपने हाथ दिखाकर उन बॉडीगार्ड को रोक देता है।


    उस आदमी की इंटेंस निगाहें नविता के ऊपर ही थी जो तेज-तेज साँस लेते हुए उसे ही देख रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे कि अगर उस आदमी ने थोड़ी और देर की तो नविता अपने काबू से बाहर हो जाएगी। बिना उसकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार किए हुए उस आदमी ने नविता को अपनी गोद में उठा लिया था।


    वह आदमी नविता को अपनी गोद में लेता हुआ वीआईपी फ्लोर पर आता है और एक वीआईपी रूम में एंट्री करता है। कमरे में जाने के बाद ही वह नविता को नीचे जमीन पर उतार देता है, पर अगले ही पल नविता की हरकत ने उसे चौंका दिया था। नविता अपने शरीर पर मौजूद कपड़ों को बेरहम तरीके से नोच रही थी जैसे कि उन्हें फाड़ देगी।


    उस आदमी ने नविता को रोकने के लिए उसके हाथ पकड़े और उससे कहा, “इतनी जल्दी नहीं बेबी। अभी रात बाकी है।”

  • 6. Feeling restless - Chapter 6

    Words: 1071

    Estimated Reading Time: 7 min

    लेकिन नविता इस वक्त अपनी सोचने-समझने की हालत में नहीं थी। उसने उस आदमी के होठों पर टूट पड़ी और उन्हें चबाने लगी।


    उस आदमी ने नविता को कमर से उठाया और उसके पैर अपनी कमर पर लपेटते हुए उसे बिस्तर की ओर ले गया। उसने नविता को बिस्तर पर पटक दिया और उसके होठों पर कहर बरसाने लगा, लेकिन नविता इस वक्त बहुत ज्यादा वाइल्ड हो गई थी। उसने उस आदमी को कंधे से पकड़ा और उसे बिस्तर पर पटक दिया। वह उसकी कमर पर बैठ गई और उसके कोलरबोन पर किस करने लगी।


    उन दोनों की साँसें उस वक्त कमरे में किसी धुन की तरह गूंज रही थीं। दोनों की निगाहें तीव्र हो गई थीं और दोनों की साँसें एक अहसास से उखड़ रही थीं।


    नविता नशे में अंगड़ाई ले रही थी। वह कभी अपने हाथ उस आदमी की गर्दन पर ले जाती, तो कभी उसकी कमर पर सहलाती, और वह आदमी नविता से अपनी नज़रें हटा ही नहीं पा रहा था। शराब के नशे के साथ-साथ उसकी आँखों में भी मदहोशी आ गई थी।


    नविता अपनी अधूरी खुली आँखों से उस आदमी को देखने की पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन नशा उस पर इतना हावी हो रहा था कि वह अपने हार्मोंस को कंट्रोल ही नहीं कर पा रही थी।


    नविता की तेज-तेज साँसें उस पूरे कमरे में गूंज रही थीं। उस आदमी ने नविता को पकड़ा और उसे बिस्तर पर बैठा दिया। वह उसके खूबसूरत चेहरे को देखने लगा। नशे में लाल हुआ, सुरूर से भरा हुआ उसका चेहरा और ज़्यादा निखर कर दिख रहा था।


    वह आदमी नविता के गले पर झुका और वहाँ अपनी गर्म साँस छोड़ते हुए बोला, "क्या तुम वही हो जिसका मैं इंतज़ार कर रहा था?"


    अपने गले पर किसी के होंठ महसूस होते ही नविता और ज़्यादा बेचैन हो गई। उसने उस आदमी के बालों को अपनी मुट्ठियों में भरकर खींचने लगी।


    नविता की तेज साँसें और मदहोशी भरी आवाज़ सुनकर वह आदमी नविता के गले को चूमने लगा। उसे ऐसा करते देख नविता ने और ज़्यादा बेचैनी से उसके बालों में अपने हाथ चलाना शुरू कर दिया।


    उसने एक बार फिर से नविता के मासूम से चेहरे को देखा, जिसके पतले गुलाबी होंठ अब और ज़्यादा गुलाबी हो गए थे, और उसे देखकर वह आदमी उन्हें चूमने से खुद को रोक ही नहीं पाया।


    नविता ने भी उसे रिस्पांस दिया। उनकी गहरी-गहरी साँसें उन्हें अंदर ही अंदर दबा रही थीं और उसके हाथ धीरे-धीरे उस आदमी की पीठ पर चले गए।


    उस आदमी ने नविता के होठों को छोड़ा और उसके चेहरे को देखने लगा, जो मदहोशी से भरा हुआ था। उसने नविता के चेहरे पर अपनी गर्म साँस छोड़ते हुए कहा, "आई एम फीलिंग रेस्टलेस फॉर द फर्स्ट टाइम।"


    नविता ने उस आदमी के कॉलर को पकड़ा और उसके शर्ट के बटन को एक झटके में तोड़ दिया। उस आदमी का चौड़ा सीना अब नविता के सामने था और बिना देर किए नविता ने उसके सीने पर अपने होंठ रख दिए।


    वह आदमी पूरी तरह से सिहर गया। उसे खुद के अंदर एक करंट दौड़ता हुआ सा महसूस हुआ। नविता उसके सीने पर लव बाइट्स दे रही थी। उसके ऐसा करने से वह आदमी खुद को रोक नहीं पा रहा था।


    इतनी देर में उन दोनों के कपड़े ज़मीन पर बिखरे हुए थे और दोनों की गर्म साँसें और सिसकियाँ उस कमरे में सुनाई दे रही थीं। दर्द और नशा शायद इस वक्त इस माहौल को और ज़्यादा खुशनुमा बना रहा था। नविता बेकाबू हो रही थी, तो वहीं वह आदमी आज खुद पर काबू रखने के इरादे में नहीं था।


    पूरी रात नविता बेचैन होती रही और वह आदमी पूरी रात उसकी बेचैनी को शांत करता रहा।


    अगले दिन सुबह…


    उस आदमी की नींद सूरज की रोशनी से खुली थी। उसने अपनी आँखें खोलीं तो लगभग दोपहर हो चुकी थी। खिड़की से आती धूप ने उसे नींद से तो जगा दिया था, लेकिन शायद वह अभी भी सपनों की दुनिया में था। अंगड़ाई लेते हुए जब वह उठकर बैठता है तो अपने बगल में एक लड़की की पीठ देखकर वह थोड़ा हैरान होता है और तभी उसे कल रात का पूरा वाक्या याद आ जाता है।


    उस आदमी के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है। वह बिस्तर से नीचे उतरता है और फर्श पर फैले हुए अपने कपड़े उठाता है। वह अपने कपड़े पहनता है और अपना फ़ोन निकालकर किसी को फ़ोन करता है।


    जैसे ही वह आदमी फ़ोन ड्रेसिंग टेबल पर रखने वाला था, उसकी नज़र सोई हुई उस लड़की पर जाती है, जिसके नैन-नक्श सोते हुए कितने खूबसूरत लग रहे थे। वह आदमी अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके चेहरे पर आई लटों को धीरे से उसके कान के पीछे करता है और उसके मासूम से चेहरे को देखने लगता है। उसने सोचा नहीं था कि मासूम सी दिखने वाली यह लड़की कल रात इतनी वाइल्ड हो जाएगी।


    तभी कमरे के दरवाज़े पर दस्तक होती है। उस आदमी ने जाकर दरवाज़ा हल्का सा ही खोला था ताकि कोई अंदर झाँक कर उस लड़की को देख न ले। सामने उसका एक बॉडीगार्ड खड़ा था, जिसके हाथ में एक पेपर बैग था। उसने बॉडीगार्ड के हाथ से वह पेपर बैग लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया।


    उस पेपर बैग के अंदर कुछ सामान था: पानी की बोतलें, मैगी का बाउल और कुछ दवाइयाँ।


    फ़्रेश होने के बाद वह आदमी सोफ़े पर बैठ गया था और उसकी नज़र बिस्तर पर सो रही नविता पर ही थी। 1 मिनट के लिए भी उसने नविता पर से अपनी नज़रें नहीं हटाईं। उसे ऐसा लग रहा था कि अगर वह नविता पर से अपनी नज़रें हटाएगा तो नविता कहीं भाग जाएगी।


    तभी बिस्तर के सिरहाने पर रखे हुए नविता के बैग में से उसका फ़ोन बजने लगता है।


    "चल छैया छैया छैया छैया… चल छैया छैया छैया छैया…"


    इतनी तेज रिंगटोन कि नविता के आस-पास के कमरे में सोए हुए लोग भी जाग जाते हैं।


    नविता की नींद कच्ची हो गई और उसने अपना हाथ बढ़ाकर अपने बैग में से फ़ोन निकाला। उसने बिना कॉलर आईडी देखे फ़ोन रिसीव किया और अलसाई हुई आवाज़ में फ़ोन अपने कान पर लगाते हुए कहा, "कौन है?"


    सामने से नविता की एक महिला मित्र टीना की आवाज़ आती है, "नवी तू कहाँ है इस वक्त?"

  • 7. तुमने मेरा फायदा उठाया है। - Chapter 7

    Words: 1027

    Estimated Reading Time: 7 min

    नविता की नींद फोन की घंटी से खुली। उसने एक हाथ बढ़ाकर बैग से फोन निकाला और बिना कॉलर आईडी चेक किए कान से लगा लिया। नींद भरी आवाज़ में उसने कहा, "कौन बोल रहा है...?"

    यह कॉल नविता की दोस्त टीना का था। टीना ने नविता की आवाज़ सुनकर कहा, "नवी, तू कहाँ है इस वक्त? मैं तेरे घर के सामने खड़ी हूँ और कब से बेल बजा रही हूँ, पर तू दरवाज़ा ही नहीं खोल रही है। तू घर में है?"

    नविता ने उबासी ली और आँखें दो-तीन बार झपकाकर खोलने की कोशिश करते हुए कहा, "हाँ! मैं घर..."

    इतना ही कहा था कि उसे याद आया कि कल रात वह क्लब में थी, और उसके बाद घर नहीं गई थी। यह याद आते ही नविता की नींद एक झटके से गायब हो गई। उसने आँखें खोलीं और देखने लगी।

    उसे ऊपर सीलिंग नज़र आ रही थी, लेकिन यह उसके कमरे की सीलिंग नहीं थी। हैरानी से उसने अपने सर पर हाथ मारा और कहा, "टीना, मैं तुझे बाद में फोन करती हूँ।"

    "खबरदार जो फोन काटने की कोशिश की," टीना ने सख्ती से कहा, "मैं तेरे घर के बाहर खड़ी हूँ और तू दरवाज़ा नहीं खोल रही है। तू घर पर है तो दरवाज़ा खोल ना।"

    "नहीं यार, मैं इस वक्त घर पर नहीं हूँ और डुप्लीकेट चाबी भी घर के अंदर ही रखी हुई है। मैं थोड़ी देर में घर पहुँचती हूँ।"

    टीना हैरानी से बोली, "अगर तू घर पर नहीं है तो फिर तू इस वक्त कहाँ है?"

    "मुझे नहीं पता मैं इस वक्त कहाँ हूँ! पहले खुद तो पता कर लूँ, उसके बाद तुझे बताती हूँ।" इतना कहकर नविता ने फोन रख दिया और बेड पर पटक दिया। वह बेड से उठकर बैठी और अपना सिर पकड़ लिया। कल रात की वजह से उसका सिर बहुत दर्द कर रहा था, साथ ही पूरे बदन में भी दर्द था, मानो किसी बुलडोजर ने कुचल दिया हो।

    नविता ने कसकर अपना सिर पकड़ा हुआ था, और उसके मुँह से दर्द भरी कराह निकलने लगी।

    "नाइट स्टैंड पर पेन किलर रखा हुआ है... खा लो। तुम्हें आराम महसूस होगा।"

    यह आवाज़ सुनते ही नविता हैरान हो गई। उसने चेहरा उठाकर सामने देखा। इतना दर्द हो रहा था कि उसने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया था कि कमरे में वह अकेली नहीं है। सोफे पर बैठा आदमी किसी शैतान की तरह लग रहा था... लेकिन एक हैंडसम शैतान।

    नविता की नज़रें उस आदमी पर टिक गई थीं। डस्की स्किन, एक कॉम्प्लेक्स पर्सनैलिटी, हेज़ेल आइज़ और लाइट पिंक पतले लिप्स। एक कान में ब्लैक स्टड, और गले में एक गोल्ड की चेन। सीधे हाथ की उंगलियों में उसने तीन अंगूठियाँ पहनी हुई थीं, जिनमें एक गोल्ड की और दो राशि की थीं।

    दिखने में इतना हैंडसम! सोफे पर बैठा वह आदमी अपनी गहरी निगाहों से नविता को देख रहा था, और नविता की निगाहें भी उसी पर जमी हुई थीं।

    तभी नविता को पेट में तेज दर्द हुआ जिससे वह अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर निकली और खुद को एक अनजान कमरे में पाया। अब उसे एहसास हुआ कि वह बिना कपड़ों के उस आदमी के सामने बैठी हुई है। नविता ने जल्दी से ब्लैंकेट उठाया और अपने सीने तक खुद को ढक लिया।

    वह गुस्से से उस आदमी को देखने लगी जो अपनी ठंडी निगाहों से अभी भी उसे घूर रहा था। नविता ने ब्लैंकेट अपने चारों तरफ़ लपेटा और बेड से नीचे खड़ी हुई, लेकिन अगले ही पल वह लड़खड़ाकर बेड पर दोबारा बैठ गई। उसने अपना पेट पकड़ लिया और गुस्से में आदमी को देखने लगी। उंगली दिखाते हुए उसने कहा, "कौन हो तुम? और तुम मेरे कमरे में क्या कर रहे हो?"

    नविता का सवाल सुनकर उस आदमी की आँखें छोटी हो गईं, लेकिन वह अपनी जगह से नहीं खड़ा हुआ। हाथ बाँधे सोफे पर बैठा ही रहा और बोला, "यह तुम्हारा कमरा है। मुझे तो लगा होटल का कमरा है।"

    नविता उस आदमी को गुस्से में कुछ कहने के लिए खड़ी हुई, लेकिन एक तेज दर्द के साथ वह बेड को पकड़ लिया और एक कराह की आवाज़ उसके मुँह से निकली। आदमी ने नविता को दर्द में देखकर ठंडे लहजे में कहा, "टेबल पर मेडिसिन रखी है, उसे खा लो। उसके बाद तुम्हें दर्द नहीं होगा।"

    उस आदमी की आवाज़ सुनकर नविता का सब्र जवाब दे गया। उसने दर्द को भुलाकर आदमी को गुस्से से देखा और सीने पर बंधे ब्लैंकेट को संभालते हुए उंगली दिखाते हुए कहा, "अपनी बकवास बंद करो। तुम्हारी राय नहीं माँगी है मैंने। एक तो कल रात तुमने मेरा फायदा उठाया है, और अब हमदर्दी का दिखावा कर रहे हो।"

    नविता के इल्ज़ाम सुनकर उस आदमी का चेहरा सख्त हो गया। ठंडे एक्सप्रेशन के साथ उसने कहा, "मैंने तुम्हारा कोई फायदा नहीं उठाया है। वह तुम थीं जो कल रात मेरे गले पड़ी हुई थीं, मैंने तो बस वही किया जो उस वक्त मुझे करना चाहिए था।"

    नविता और भड़क गई, "अपनी जुबान बंद करो। कितने बेशर्म आदमी हो तुम? कल रात मेरे नशे में होने के बावजूद भी तुम मुझे कमरे में लेकर आए हो और मेरा फायदा उठाया है। तुम्हें क्या लगता है, मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं है क्या?"

  • 8. तुम्हारी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं थी - Chapter 8

    Words: 974

    Estimated Reading Time: 6 min

    “यह गोवा है, और पिछले 1 साल से मैं यहाँ पर झक नहीं मार रही हूँ। मुझे सब पता है कि तुम जैसे प्लेबॉय ऐसे ही नाइटक्लब और पार्टी में जाकर अपना शिकार ढूँढते हैं। और उनके नशे में होने का फायदा उठाते हैं ताकि अगले दिन उनसे पैसे वसूल कर सकें।”


    उस आदमी की आँखें तीखी हो गईं और चेहरा सख्त हो गया। उसने अपने हाथों की मुट्ठियाँ कसीं और नविता को गुस्से में घूरते हुए कहा, “तो तुम्हें लगता है कि मैंने यह सब पैसों के लिए किया है?”


    नविता ने भी अपने दांत पीसते हुए कहा, “तो और किस लिए करोगे तुम? ऐसे दिखने में तो अच्छे घर के लगते हो, लेकिन काम तो वही किया है ना, प्लेबॉय वाला।”


    उसके बाद वह आदमी कुछ कह नहीं पाया। वह बस नविता को गुस्से में घूर रहा था। नविता ने इधर-उधर नज़र दौड़ाई और बेड के आस-पास अपने कपड़े देखे।


    वह अपने कपड़े उठाती है और उस आदमी को देखकर कहती है, “बाहर निकलो यहाँ से। मुझे चेंज करना है।”


    लेकिन उस आदमी ने नविता को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए देखा और कहा, “तुम्हारे पास ऐसा कुछ भी नहीं है जो तुम मुझसे छुपा सकती हो। मैं कल रात सब कुछ देख लिया है।”


    नविता गुस्से में अपने हाथों में कपड़े लेती है और तेज कदमों से बाथरूम में चली जाती है। 10 मिनट बाद वह बाथरूम से बाहर आती है तो देखती है, वह आदमी अभी भी सोफे पर बैठा हुआ है। नविता बेड के पास जाती है और ड्रेसिंग टेबल पर रखा हुआ अपना पर्स उठाती है। तभी उसकी नज़र उन दवाइयों पर पड़ती है जो ड्रेसिंग टेबल पर रखी हुई थीं। वह दवाइयाँ उठाती है और उस आदमी की तरफ देखते हुए कहती है, “यह किस तरह की मेडिसिन है?”


    उस आदमी ने अपनी तीखी नज़रों से नविता को देखते हुए कहा, “क्या तुम इतनी बेवकूफ हो कि तुम्हें यह भी ना पता चले, कल रात के बाद तुम्हें कौन सी मेडिसिन लेनी चाहिए…?”


    नविता ने अपने दांत गुस्से में पीसे और उस मेडिसिन को बेड पर पटक दिया। उसने उस आदमी को उंगली दिखाते हुए कहा, “तुम कितने घटिया इंसान हो, यह बात तुम्हारी बातों से ही पता चलता है। प्लेबॉय होने के बावजूद भी तुमने सेफ्टी का ध्यान नहीं रखा था, क्या? क्या इसी तरीके से तुम अपनी बाकी क्लाइंट्स को भी सर्विस देते हो?”


    वह आदमी अपनी गुस्से भरी नज़रों से अभी भी नविता को देख रहा था, और उसकी बातें उस आदमी के गुस्से की आग में पेट्रोल का काम कर रही थीं।


    नविता तेज कदमों से टेबल के पास आती है और उस आदमी को गुस्से में देखते हुए कहती है, “अगर तुम्हें इस बात का डर है ना कि मैं प्रेग्नेंट हो जाऊँगी तो उसकी जिम्मेदारी मैं खुद लेती हूँ। तुम्हारी दी मेडिसिन नहीं खाऊंगी। क्या पता तुम इस मेडिसिन के नाम पर मुझे जहर दे दो तो?”


    उस आदमी का चेहरा गुस्से से सख्त हो गया था। यह पहली लड़की है जो उससे इस तरीके से बात कर रही है और उसके हर बात का पलट कर जवाब भी दे रही है। नविता की आँखों में इस समय डर नहीं था, बल्कि एक गुस्सा था। नविता की बात सुनकर उस आदमी को एक पल के लिए लगा कि कहीं उसी ने तो गलती नहीं कर दी थी, कहीं वही नविता को इस कमरे में तो नहीं लेकर आया था, लेकिन जिस तरीके का रवैया कल रात नविता का था, उसके बाद उस आदमी ने अपने इस विचार को दूर फेंक दिया क्योंकि नविता ही थी, जो उसे सेड्यूस करने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही थी।


    उसने गुस्से में नविता को देखते हुए कहा, “तुम्हें नहीं लगता है कि कल रात तुम जो कर रही थी, उसके बाद तुम खुद को अबला नारी नहीं दिखा सकती हो। अगर मैंने तुम्हारा फायदा उठाया है तो वह तुम ही थी, जो मुझे अपना फायदा उठाने के लिए उकसा रही थी, और तुम यहाँ से इस तरीके से नहीं जा सकती हो। तुमने जो किया है उसे क्लेरिफाई करो।”


    नविता की आँखें अचानक से बड़ी हो गईं। मतलब यह आदमी कहना क्या चाहता है? कल रात उसने क्या किया है? तभी उसे याद आता है कि वह ड्रिंक कर रही थी, लेकिन तभी उसे हल्का-हल्का नशा होने लगता है और धीरे-धीरे वह बाथरूम के आगे बढ़ रही थी, इसके आगे क्या हुआ उसे याद ही नहीं आ रहा था, पर यह आदमी यह तो होश में था ना, अब वह कल रात की क्लेरिफिकेशन माँग रहा है।


    नविता ने गुस्से में सिर हिलाते हुए कहा, “बिल्कुल कल रात का क्लेरिफिकेशन तो बनता है तुम्हारा। तुम्हारी परफॉर्मेंस के हिसाब से तुम डिजर्व करते हो।” यह कहते हुए नविता ने अपने पर्स में हाथ डाला और जो पहली चीज उसके हाथ में आई वह था, ₹100 का नोट। उसने वह नोट लिया और सीधे उस आदमी के हाथ में रख दिया।


    उस आदमी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था, और वह अपनी आँखें बड़ी करते हुए नविता को घूर रहा था, लेकिन नविता ने अपने चेहरे पर एक एटीट्यूड रखते हुए उससे कहा, “कल रात तुमने क्या परफॉर्मेंस की, इसके बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता है, लेकिन हाँ, क्योंकि तुमने मुझे अपनी सर्विस दी है, इस हिसाब से मुझे तुम्हारी पेमेंट तो करनी है। और जिस हिसाब से तुम्हारी परफॉर्मेंस थी, यह पैसे काफी हैं उसके लिए। क्योंकि तुम्हारी परफॉर्मेंस उतनी अच्छी नहीं थी…”


    उस आदमी के मुँह पर उसकी बेइज्जती करके नविता वहाँ से दरवाजे की तरफ बढ़ जाती है और धीरे-धीरे दरवाजा खोलकर वहाँ से चली जाती है। वह आदमी अभी भी गुस्से में अपने हाथों में लिए उस ₹100 के नोट को देख रहा था, और नविता की बातें उसके कानों में शीशे की तरह चुभ रही थीं।

  • 9. इसके जैसी लड़की - Chapter 9

    Words: 1048

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक टैक्सी लेकर नविता जल्दी से अपने घर पहुँची। उसने देखा कि उसकी बिल्डिंग के नीचे टीना पहले से ही बैठी हुई थी। टीना अभी-अभी वापस आई थी और उसका लगेज भी उसके साथ था। टीना अपने ऑफिस की एक पार्टी से कुछ दिनों के लिए बाहर गई हुई थी।


    नविता और टीना एक ही घर में रहती थीं, लेकिन यह घर नविता का था और टीना बस उसके साथ रहती थी। नविता को आते देख टीना जल्दी से खड़ी हुई और कहा, "क्या यार! मैं कब से बाहर खड़ी हूँ, कहाँ रह गई थी तू?"


    नविता जल्दी से टीना के पास आई, लेकिन उसकी बॉडी में अभी भी दर्द हो रहा था। नविता टीना के पास आई और उसका बैग उठाते हुए कहा, "अरे वो सब मैं तुझे बाद में बताऊँगी, चल पहले अंदर चलते हैं।"


    अपने फ़्लैट के सामने पहुँचकर नविता अपने बैग में से चाबी निकाली और घर का दरवाजा खोला। जैसे ही वो घर के अंदर दाखिल हुई, उसे कुछ अजीब सी स्मेल आई। ऐसा लग रहा था जैसे सारा सामान अजीब तरह से बिखरा हुआ है।

    "तूने घर पर क्लीनिंग नहीं की थी क्या?" टीना ने कहा।


    "तुझे लगता है मैं ऐसा करूँगी? ऑफ़ कोर्स मैंने कल घर की क्लीनिंग की थी, लेकिन ये सोफ़े पर कुशन कैसे फैला हुआ है और ये अजीब सी स्मेल कहाँ से आ रही है?" नविता ने अपने घर को हैरानी से देखते हुए कहा।


    नविता और टीना घर के अंदर आईं। पर तभी टीना के कमरे का दरवाजा खुला और वहाँ से राहुल बाहर आया। उसने सिर्फ़ पैंट पहनी हुई थी और उसकी अप्पर बॉडी पर कोई भी शर्ट नहीं थी।


    राहुल को अपने घर में देखकर नविता की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं और वो चिल्लाते हुए बोली, "राहुल! तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"


    नविता को अपने सामने देखकर राहुल हैरान हो गया और जल्दी से खुद को संभालते हुए बोला, "वो मैं तुमसे कहने वाला था..."


    इससे पहले कि राहुल कुछ कह पाता, पीछे से प्रियंका बाहर निकली। उसने इस वक़्त राहुल की शर्ट पहनी हुई थी... सिर्फ़ शर्ट।


    प्रियंका की टाँगें खुली हुई थीं और वो अंगड़ाई लेते हुए कैमरे से बाहर निकली। उन्हें इस तरीके से देखकर नविता हैरान हो गई और उसे समझने में जरा भी देर नहीं लगी कि क्या हुआ था।


    लेकिन टीना की आँखें हैरत से बड़ी हो गईं। वो इतना तो समझ ही गई थी कि राहुल इस वक़्त प्रियंका के साथ है। इसका मतलब कल रात भी दोनों एक साथ ही थे, पर ऐसा कैसे हो सकता है? राहुल तो नविता का बॉयफ्रेंड है ना?


    उन दोनों को देखकर नविता की आँखों से लगभग आँसू बहने को आ रहे थे, लेकिन उसने जल्दी से अपने इमोशन्स पर काबू किया। राहुल ने खुद को जस्टिफाई करते हुए कहा, "नविता, प्लीज़ तुम गलत मत समझना। दरअसल बात ऐसी है कि कल प्रियंका थोड़ी परेशान थी, तो मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि उसे कहाँ ले जाऊँ।


    मैं उसे अपने घर नहीं ले जा सकता हूँ, तुम जानती हो ना मेरा लैंडलॉर्ड सामने वाले रूम में ही रहता है। वो सवाल करता मुझसे, इसलिए मैं इसे यहाँ ले आया। वो मुझे पता था तुम्हारे घर की डुप्लीकेट चाबी तुम हमेशा गमले के नीचे छुपा के रखती हो, तो..."


    "आई एम सॉरी नविता, अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो।"


    राहुल की बात सुनकर नविता का चेहरा और उदासी से भर गया था, लेकिन टीना का चेहरा गुस्से से भर गया था।


    उसने गुस्से में राहुल और प्रियंका को देखते हुए कहा, "हद होती है बेशर्मी की भी राहुल! तुम्हारी एक्स गर्लफ्रेंड क्या वापस आ गई, तुम नविता को भूल गए? वो भी एक ही दिन में! और तुम इतने बेशर्म हो गए हो कि नविता के घर में ही तुम इसके जैसी लड़की को लेकर आ गए हो?"


    प्रियंका की भी आँखें गुस्से से बड़ी हो गईं और उसने टीना से कहा, "हेलो, एक्सक्यूज़ मी! मतलब क्या है तुम्हारा कहने का? 'इसके जैसी लड़की' से? क्या लगता है तुम्हें, कैसी लड़की हूँ मैं?"


    "निहायती घटिया और गिरी हुई लड़की हो तुम। जब तुम राहुल को छोड़कर जा रही थी ना, तभी मुझे पता चल गया था कि तुम कितनी चालू लड़की हो, लेकिन मैं नविता की वजह से चुप थी। पर आज तो तुम दोनों ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी हैं।"


    राहुल ने प्रियंका की बचाव में आगे आते हुए कहा, "टीना, तुम कुछ ज़्यादा ही बोल रही हो। देखो ये मेरी और नविता की पर्सनल बात है, तुम्हें इसमें बीच में बोलने की ज़रूरत नहीं है।"


    टीना गुस्से में आग बबूला होते हुए बोली, "पर्सनल बात, माय फ़ुट! अब जबकि मुझे ये पता चल चुका है कि तुम मेरी बेस्ट फ़्रेंड के कोई मुँह बोले बॉयफ़्रेंड नहीं हो, तो तुम्हारी इस छिपकली सी गर्लफ़्रेंड को, जो कभी भी तुम्हारी लाइफ़ से जा सकती है, उसे मैं एक बार साफ़-साफ़ बता देती हूँ!


    तो सुनो, मिस प्रियंका! ये जो तुम्हारा हैंडसम सा चॉकलेटी बॉय बॉयफ़्रेंड है ना, ये निहायती लीचड़ और दल बदलू आदमी है। तुम जब इसकी लाइफ़ से चली गई तो इसके दूसरे दिन ही ये नविता के साथ रिलेशनशिप में आ गया था।


    अगर इसके दिल में तुम्हारे लिए जरा सा भी सच्चा प्यार होता ना, तो ये तुम्हारा इंतज़ार करता। वो तो नविता ही पागल थी जो ये समझ बैठी कि इसका दिल टूटा हुआ है और ये कमीना आदमी अपने टूटे हुए दिल को मेरी बेस्ट फ़्रेंड के फ़ेविकोल से जोड़ रहा था।


    पिछले 1 साल में नविता ने इसके लिए जो कुछ भी किया है ना, इसका आधा भी ये नविता के लिए करता ना, तो नविता इसके नाम अपनी सारी ज़िंदगी कर देती... क्यों राहुल, भूल तो नहीं गए तुम?


    जब तुम्हारे पास नौकरी नहीं थी, तो तुम्हारे घर पर पैसे नविता ने भेजे थे, ताकि तुम्हारे पेरेंट्स को कोई दिक्कत ना हो। और वो भूल गए जब तुम नविता का क्रेडिट कार्ड लेकर अपने दोस्तों के साथ अय्याशी करने निकले थे।


    और हाँ, वो कैसे भूल गए? अपनी बर्थडे पार्टी का सारा बिल तुमने नविता से पे करवाया था, क्योंकि तुम्हारी जेब में एक फूटी कौड़ी नहीं थी और तुम्हारे दोस्त तुम्हारे सामने पार्टी का ढिंढोरा पीट रहे थे।"

  • 10. वो एक प्लेबॉय था - Chapter 10

    Words: 1057

    Estimated Reading Time: 7 min

    जब तुम्हारे पास नौकरी नहीं थी तो तुम्हारे घर पर पैसे नविता ने भेजे थे, ताकि तुम्हारे पेरेंट्स को कोई दिक्कत ना हो। और वो भूल गए जब तुम नविता का क्रेडिट कार्ड लेकर अपने दोस्तों के साथ अय्याशी करने निकले थे।

    और हां वो कैसे भूल गए। अपनी बर्थडे पार्टी का सारा बिल तुमने नविता से पे करवाया था, क्योंकि तुम्हारी जेब में एक फूटी कौड़ी नहीं थी और तुम्हारे दोस्त तुम्हारे सामने पार्टी का ढिंढोरा पीट रहे थे।”

    राहुल गुस्से में कहता है… “अपनी बकवास बंद करो! ये सब मैंने नहीं कहा था उसे करने के लिए, उसने अपनी मर्जी से किया है।”


    “क्योंकि ये तुमसे प्यार करती थी. इसीलिए उसने तुम्हारे लिए ये सब किया था, पर तुम्हारे जैसे आदमी से प्यार क्या दोस्ती की भी उम्मीद नहीं की जा सकती है. अब खड़े-खड़े मुंह क्या देख रहे हो. तुम्हें जाने के लिए अलग से बोलूंगी या फिर इतनी बेइज्जती काफी है?”


    टीना की इतनी सारी बातें सुनकर प्रियंका का गुस्सा बढ़ गया था और उसने राहुल को देखा। राहुल गुस्से में कुछ टीना को कहने ही वाला था कि तभी नविता वहां पर चिल्लाते हुए कहती है… “बस करो तुम सब!” 


    नविता गुस्से में राहुल और प्रियंका को देखकर कहती है… “अपने कपड़े पहनो और निकलो मेरे घर से।”


    राहुल ने नविता से कहा… “हम बात करते हैं ना..” 


    नविता गुस्से में कहती है… “मुझे कोई बात नहीं करनी है. चुपचाप निकलो मेरे घर से अभी के अभी। मैं वैसे ही बहुत ज्यादा टेंशन में हूं. कहीं ऐसा ना हो कि गुस्से में मैं तुम लोगों को कुछ बोल दूं।” 


    राहुल अपना चेहरा नीचे झुकाता है और हां में सिर हिलाता है। वो प्रियंका का हाथ पकड़ता है और उसे दोबारा से कमरे में ले जाता है। थोड़ी ही देर में वो दोनों तैयार होकर बाहर आते हैं, लेकिन नविता ने उसकी तरफ नहीं देखा था और वो दोनों चुपचाप वहां से निकल जाते हैं। 


    उसके जाते ही टीना सबसे पहले अपने कमरे में जाती है और गुस्से में पैर पटकते हुए बाहर आते हुए कहती है… “साले क**** लोग इन्होंने मेरी बेडशीट गंदी कर दी है....। यार.. नवी मुझे अपनी बेडशीट फेकनी होगी।”


    लेकिन नविता सोफे पर उदास चेहरे के साथ बैठी हुई थी. एक दिन में उसकी सारी दुनिया पलट कर रह गई थी. कल उसकी नौकरी चली गई थी. वो इंसान जिसे वो प्यार करती थी वो अब उसके साथ नहीं था।  


    कल रात वो किसी अजनबी के साथ रात बिता कर आई थी, और आज सुबह उसने अपने बॉयफ्रेंड को अपने घर में बिना कपड़ों के देखा था।


    क्या इतना सब बर्दाश्त करना काफी नहीं है नविता के लिए? उसके आंसू निकल आए थे और वो ये सोच रही थी कि एक दिन में उसकी दुनिया इतनी कैसे बदल गई थी? क्या वो इन सब की हकदार थी?


     नविता अपने दुख से ही निकल रही थी कि तभी टीना ने उसे रोते हुए देखा और उसके पास आते हुए उसे गले लगा लिया। नविता टीना के गले लग कर जोर-जोर से रोने लगी थी। 


    नविता को रोता देख टीना घबरा गई और उसने नविता को संभालते हुए कहा… “नवी क्या हुआ? तू रो क्यों रही है? तू उस क**** के लिए रो रही है? अरे वो तुझे डिजर्व ही नहीं करता था।” 


     नविता रोते हुए अपना चेहरा टीना के कंधे से हटाती है और ना में सिर हिलाते हुए कहती है… “नहीं मैं उसकी वजह से नहीं रो रही हूं। बल्कि मैं तो ये सोचकर रो रही हूं कि एक दिन में मेरे साथ क्या-क्या हो गया है..” टीना हैरानी से कहती है… “क्या हुआ है नवी तू क्या छुपा रही है?”


     नविता रोते हुए टीना को देखती है और उसे सब कुछ बता देती है जो जो उसके साथ कल हुआ था। कैसे उसका मैनेजर उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था जिस वजह से उसने अपनी नौकरी छोड़ दी। 


    रात को किस तरीके से वो एक अजनबी के साथ रात बिता कर आई है। ये सारी बातें सुनकर टीना अपने मुंह पर हाथ रख लेती है और हैरानी से कहती… “क्या बकवास कर रही है? कौन था वो आदमी जिसके साथ तू कल रात थी?”  


    नविता रोते हुए ना में सिर हिलाती है और कहती है… “मुझे नहीं पता वो कौन था और मुझे परवाह भी नहीं है कि वो कौन था. वो एक प्लेबॉय था.. उसका तो काम ही यही है रात में लड़कियों के साथ रात बिताना और अगले दिन पैसे लेकर अपना काम पूरा करना. बस मैंने उसकी कीमत दे दी, लेकिन अब प्रॉब्लम ये है कि मेरे पास पैसे नहीं है क्योंकि मेरे पास जॉब भी नहीं है।


    मैं क्या करूं टीना मुझे नौकरी की बहुत जरूरत है? तू जानती है ना मैं बिना नौकरी के नहीं रह सकती हूं! अगर मैं घर पर पैसे नहीं भेजी तो मेरे लिए कितनी प्रॉब्लम हो जाएगी और मेरे पुराने मैनेजर ने तो साफ-साफ कह दिया है कि अगर मैंने पैसे लेने के लिए वहां पर हंगामा खड़ा किया तो वो मेरे कैरेक्टर पर ही उंगली उठाएगा।”


     नविता की बात सुनकर टीना भी परेशान हो गई थी. टीना ने नविता को शांत करवाते हुए कहा… “तू फिकर मत कर मैं हूं ना. मेरे पास जॉब है ना और हम दोनों मिलकर कुछ सोच लेंगे। अरे इतने बड़े गोवा में क्या एक ही होटल है! तुझे कहीं दूसरी जगह नौकरी मिल जाएगी।”


     टीना की बात सुनकर नविता थोड़ी रिलैक्स तो हुई थी लेकिन उसे तसल्ली नहीं हुई थी, क्योंकि उसे सच में एक नौकरी की जरूरत थी।


     टीना कुछ सोचती है कि तभी उसे एक आईडिया आता है. वो नविता से कहती है… “”नविता मैं अपनी होटल में बात करूं तेरे लिए? मैं अपने मैनेजर से बात करती हूं हो सकता है उनके पास कोई नौकरी हो।”


     टीना की बात पर नविता चौक जाती है और उससे कहती है… “सच में तेरे होटल में कोई पोस्ट खाली है क्या?”


     टीना ने ना में सर हिलाया और कहा… “नहीं कोई पोस्ट खाली तो नहीं है लेकिन बात करके देखते हैं ना, वैसे भी हमारे जो बॉस है ना उनके और भी बहुत सारे होटल हैं। अगर मेरे होटल में कोई पोस्ट अवेलेबल नहीं होगी तो किसी दूसरे होटल में हो जाएगी। मैं बात करके देखती हूं।”


     नविता के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो हां में सिर हिलाती है। टीना अपना फोन निकालती है और जल्दी से अपने मैनेजर को कॉल कर देती है।

  • 11. new job - Chapter 11

    Words: 1063

    Estimated Reading Time: 7 min

    टीना ने जब यह कहा कि वह नविता की जॉब के बारे में अपनी कंपनी में बात करेगी, तो नविता एक पल के लिए खुश हो गई और उसने टीना से कहा, "सच में टीना? क्या तुम्हारे होटल में कोई पोस्ट खाली है?"

    टीना मुस्कुराई, सिर हिलाया और कहा, "नहीं यार, मेरे होटल में तो कोई भी पोस्ट खाली नहीं है। इन फैक्ट, हमारे जो बॉस हैं ना, वो इतने अच्छे हैं कि वो हमारे होटल में जो क्लीनर हैं ना, उनको भी बहुत अच्छी सैलरी देते हैं। यहां के तो क्लीनर रिटायरमेंट होने तक भी पोस्ट नहीं छोड़ते हैं। तू तो ये बात अच्छी तरह से जानती है ना कि हमारी कंपनी वर्ल्ड की सबसे फेमस होटल चैन कंपनी है और जो हमारे प्रेसिडेंट बॉस हैं, यानी कि मिस्टर शेखावत! उनकी तो पूरे वर्ल्ड में कितनी कंपनी और कितने होटल हैं, ये तो उन्हें भी नहीं पता है।"

    नविता निराशा के साथ हां में सिर हिलाई और कहा, "हां यार, मैंने सुना हुआ है तुम्हारे होटल के बारे में। बहुत महंगा होटल है और बहुत आलीशान भी है। यहां तक कि उनके जितने भी होटल हैं, उनकी तो आए दिन मैगजीन में और न्यूज़ इंटरव्यूज़ में तारीफें दिखती ही रहती हैं। अब टीना, तेरा होटल इतना अच्छा है तो वहां पर मुझे क्यों जॉब मिलेगी? मैंने तो कहीं पर ठीक से 1 साल काम भी नहीं किया है।"

    नविता को इस तरीके से मायूस देखकर टीना ने कहा, "अरे यार, तू उदास क्यों होती है? और कौन सा ये नौकरी जिंदगी की आखिरी नौकरी थी, जो तेरी छूट गई है? एक बार कोशिश करते हैं। मैं मैनेजर सर से बात करके देखती हूँ। अगर कुछ हुआ तो जरूर बताएँगी। और वैसे भी, उनकी इतनी सारी होटल हैं, यहां नहीं तो कहीं और तुझे नौकरी मिल ही जाएगी। और शेखावत अंपायर में छोटी सी नौकरी भी बहुत मायने रखती है। अगर तुझे वेट्रेस की भी जॉब मिल गई ना, तो भी तेरी सैलरी कम से कम 50000 होगी।"

    50000 सुनकर तो नविता की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं और उसने कहा, "सच में 50000 सैलरी..!"

    टीना ने हां में सिर हिलाया। नविता जल्दी से बोली, "ऐसी बात है तो एक बार बात करके देखना। अगर मुझे नौकरी अंडमान निकोबार में भी मिलेगी ना, तो भी मैं वहां चली जाऊंगी। वो लोग मुझे काला पानी जैसी जगह पर भी इतनी सैलरी में नौकरी देंगे तो मैं वहां भी चली जाऊंगी।"

    टीना हंसते हुए बोली, "अरे नहीं यार, इतनी दूर जाने की जरूरत नहीं है। मैं अपने मैनेजर से कहूंगी, तुझे हमारी ही ब्रांच में कोई जॉब दिलवा देंगे!"

    टीना ने अपना फोन निकाला और अपने मैनेजर गोयल को फोन किया। दो रिंग के बाद ही उसके मैनेजर ने फोन उठाया और कहा, "हां टीना, क्या हुआ? तुमने छुट्टी वाले दिन कैसे फोन कर दिया?"

    "सर, एक्चुअली मुझे आपसे कुछ बात करनी है। वो दरअसल बात ऐसी है कि मेरी एक फ्रेंड है और वो पहले होटल निरवाना में रिसेप्शन की जॉब करती थी, लेकिन इस वक्त उसके पास कोई काम नहीं है। तो अगर हमारे होटल में कोई पोस्ट खाली है तो क्या उसे मिल सकती है? प्लीज सर, उसे नौकरी की बहुत जरूरत है!"

    मैनेजर ने टीना की बात सुनी और कहा, "टीना, तुम अच्छी तरह से जानती हो कि हमारे होटल में तीन पोस्ट खाली नहीं हैं। इनफैक्ट, पुराने से पुराना स्टाफ भी हमारे यहां पर इतना अच्छा काम कर रहा है कि हमें कभी नए स्टाफ को रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। बहुत कम हमारे यहां पर हायरिंग होती है..."

    फोन स्पीकर पर था, इसीलिए नविता ने भी यह बात सुन ली थी। उसका मन उदास हो गया था, लेकिन टीना ने उसे अपनी आँखों के इशारे से शांत रहने के लिए कहा और फिर बोली, "मैं जानती हूँ सर, कि हमारे होटल में कोई भी पोस्ट खाली नहीं है, लेकिन और भी तो ब्रांचेस हैं, और भी कंपनी हैं जहाँ पर कोई भी छोटा सा पोस्ट भी अगर खाली हो तो चलेगा। उसे नौकरी की बहुत जरूरत है। प्लीज, अगर कुछ है तो बताइए ना!"

    मैनेजर गोयल कुछ सोचते हैं और कहते हैं, "वैसे होटल की जितनी भी ब्रांचेस हैं, वहां पर कहीं पर भी नई एम्पलाई की जरूरत नहीं है, लेकिन हमारे हेड ऑफिस में एक पोस्ट खाली है। अगर तुम्हारी फ्रेंड चाहे तो वहां पर जॉब कर सकती है।"

    मैनेजर साहब ने जैसे ही यह कहा, टीना की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं, लेकिन नविता खुश हो गई। उसने जल्दी से टीना का हाथ पकड़ा और हां में सिर हिलाया, लेकिन टीना के चेहरे पर एक घबराहट थी और उसने जल्दी से ना में सिर हिलाया।

    टीना अपने फोन की तरफ देखती है और कहती है, "नहीं सर, ये वहां पर जॉब.....!"

    इससे पहले कि टीना कुछ कह पाती, नविता ने टीना का फोन छीन लिया और खुद मैनेजर गोयल से बात करते हुए कहा, "जी सर, मुझे मंजूर है। मैं हेड ऑफिस में जॉब कर लूंगी। आप मुझे बस जॉब दिलवा दीजिए!"

    मैनेजर गोयल ने पूछा, "कौन बोल रहा है?"

    सामने से नविता ने कहा, "सर, मैं नविता बसु, टीना की दोस्त। मुझे ही नौकरी की जरूरत है। आप फिकर मत कीजिए सर, मैं दिल लगाकर काम करूंगी और आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी।"

    मैनेजर गोयल कुछ सोचते हैं और कहते हैं, "तुम्हें यकीन है कि तुम वहां काम कर लोगी? मतलब पोस्ट जरूर खाली है, लेकिन वहां पर काम करना इतना आसान नहीं है। तुम्हें टीना वहां के बारे में सब बता देगी। अगर सब कुछ जानने के बाद भी तुम नौकरी करने के लिए तैयार होती हो तो मेरी ईमेल आईडी पर अपना रिज्यूम भेज देना और मंडे से ज्वाइन कर लेना..."

    मैनेजर साहब की बात सुनकर नविता के चेहरे पर खुशी दुगनी हो जाती है, लेकिन वह फिर कुछ सोचते हुए कहती है, "सर, इंटरव्यू?"

    मैनेजर गोयल ने कहा, "इंटरव्यू की जरूरत नहीं है। अगर तुम्हें वहां पर काम करना मंजूर होगा तो तुम डायरेक्ट आ सकती हो। बस अपना ओरिजिनल आईडी कार्ड साथ लेकर आना।"

    नविता ने हां में सिर हिलाया और कहा, "जी सर, मैं मंडे से ज्वाइन कर लूंगी और मैं आपकी मेल आईडी पर अपना रिज्यूम भी भेज दूंगी और आईडी कार्ड भी ले आऊंगी। आप फिकर मत कीजिए सर, मैं दिल लगाकर काम करूंगी।"

  • 12. वो गे है - Chapter 12

    Words: 1037

    Estimated Reading Time: 7 min

    मैनेजर गोयल ने कहा, “इंटरव्यू की जरूरत नहीं है। अगर तुम्हें वहाँ काम करना मंजूर होगा तो तुम डायरेक्ट आ सकती हो। बस अपना ओरिजिनल आईडी कार्ड साथ लेकर आना।”

    नविता ने सिर हाँ में हिलाया और कहा, “जी सर, मैं मंडे से ज्वाइन कर लूँगी। मैं आपकी मेल आईडी पर अपना रिज्यूम भी भेज दूँगी और आईडी कार्ड भी ले आऊँगी। आप फिकर मत कीजिए सर, मैं दिल लगाकर काम करूँगी।”

    मैनेजर गोयल ने फ़ोन रख दिया और नविता के चेहरे पर खुशी छा गई। वह खुश होते हुए टीना को देखती है, जिसके चेहरे पर बारह बजे थे और वह हैरानी से नविता को देख रही थी। नविता मुस्कुराते हुए टीना का हाथ पकड़ा और बोली, “क्या हुआ? तू इतना घबरा क्यों रही है?”

    टीना ने अपना सर पीटते हुए कहा, “अरे पागल लड़की! तुझे किसने कहा था बीच में कूदने के लिए? मैं बात कर रही थी ना? अब देख, तूने अपने लिए खुद ही गड्ढा खोद लिया है। उड़ता हुआ तीर खुद लेने की क्या ज़रूरत थी?”

    नविता हैरानी से बोली, “तू क्या बोल रही है? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। क्या तीर? कहाँ ले लिया है मैंने? अरे पागल लड़की! मैं एक नौकरी के लिए इतनी मारी-मारी फिर रही हूँ और यहाँ पर मुझे बिना इंटरव्यू के जॉब मिल रही है, वो भी इतनी बड़ी कंपनी में। तुझे लगता है मैं ये मौका अपने हाथ से जाने दे सकती हूँ?”

    टीना ने एक गहरी साँस छोड़ी और फिर नविता से कहा, “नविता, मैंने अभी-अभी तुझे कहा ना कि शेखावत इंडस्ट्रीज़ वर्ल्ड की सबसे लार्जेस्ट इंडस्ट्रीज़ है। वहाँ पर नौकरी पाने के लिए लोग मारे-मारे फिरते हैं और ऐसे में तुझे उस कंपनी में बिना किसी इंटरव्यू के जॉब मिल रहा है, तुझे कुछ अजीब नहीं लगा?”

    टीना की बात सुनकर नविता सोचने लगी। बात तो सही कह रही है, लेकिन ऐसा क्यों है? जब वहाँ की बाकी कंपनियों में काम करने के लिए लोग इतने पागल होते हैं, तो मुझे हेड ऑफ़िस में बिना इंटरव्यू के जॉब कैसे मिल सकती है?

    टीना ने अपना सर पीटते हुए कहा, “क्योंकि हेड ऑफ़िस में प्रेसिडेंट सर बैठते हैं, और वो वहीं से अपनी सारी कंपनी को कंट्रोल करते हैं, लेकिन बात सिर्फ़ इतनी सी ही नहीं है! बात ये है कि उस पूरे ऑफ़िस में कहीं पर भी कोई फ़ीमेल स्टाफ़ नहीं है, क्योंकि हमारे प्रेसिडेंट मिस्टर आदर्श शेखावत को लड़कियाँ पसंद नहीं हैं। वो औरतों से नफ़रत करते हैं, इसीलिए उन्होंने अपने हेड ऑफ़िस पर एक भी फ़ीमेल स्टाफ़ नहीं रखा हुआ है।”

    टीना की बात सुनकर नविता के होश उड़ गए और उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। उसने टीना को देखते हुए कहा, “क्या बकवास कर रही है? तुझे पूरा यकीन है कि ऐसा ही है? हो सकता है तुझे कोई गलतफ़हमी हो और ऐसी कोई बात हो ही नहीं।”

    टीना ने अफ़सोस के साथ कहा, “अरे यार! मैं वहीं की स्टाफ़ हूँ, मुझे नहीं पता होगा क्या कि हमारे प्रेसिडेंट सर किस तरीके के इंसान हैं? वो आज तक अपने उस होटल में कभी नहीं गए जहाँ पर फ़ीमेल स्टाफ़ होती है।

    यहाँ तक कि अगर उन्हें कभी ऐसी जगह जाना भी पड़ता है तो पूरी तरह से बॉडीगार्ड से घिरे हुए रहते हैं। लड़कियाँ उनके पास नहीं आती हैं क्योंकि वो लड़कियों से नफ़रत करते हैं। कोई लड़की उनके पास आ भी जाती है गलती से तो वो उस लड़की की ज़िन्दगी बत्तर बना देते हैं।”

    टीना की सारी बात सुनकर अब नविता के चेहरे पर भी घबराहट आ गई थी और उसने टीना से कहा, “टीना, अगर ऐसी बात है तो मैनेजर साहब ने मुझे क्यों कहा जॉब के लिए? क्या उन्हें पता नहीं है कि मैं लड़की हूँ? अगर ऐसा कुछ है तो फिर उन्होंने मुझे ये नौकरी क्यों दी है?”

    टीना ने भी परेशानी भरे स्वर में कहा, “क्योंकि कल ही हमारे प्रेसिडेंट सर ने अपनी कंपनी में से आधे से ज़्यादा लोगों को काम से निकाल दिया है क्योंकि वो लोग काम चोरी कर रहे थे। काम चोरी, वो भी हेड ऑफ़िस में! प्रेसिडेंट सर को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं है।

    हमारे होटल की फ़र्स्ट एनिवर्सरी पार्टी में जहाँ पर हम सब बिज़ी थे, तो वहीं पर प्रेसिडेंट सर अपना काम कर रहे थे। वो कभी भी पार्टी जैसी चीजों पर टाइम वेस्ट नहीं करते हैं, अगर बिज़नेस पार्टी होती है तो बात अलग है। यहाँ तक की दबी-दबी आवाज़ में तो मैंने ये भी सुना है कि प्रेसिडेंट सर गे हैं। उन्हें लड़कियाँ इसीलिए नहीं पसंद क्योंकि उन्हें लड़के पसंद हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि उन्हें किसी ने देखा तक नहीं है, क्योंकि वो हेड ऑफ़िस के अलावा किसी और ब्रांच में जाते ही नहीं हैं।”

    नविता कुछ सोचती है और परेशान होते हुए कहती है, “यार टीना, देख तू जो कह रही है ये सब सुनकर मुझे डर तो बहुत लग रहा है, लेकिन इतनी बड़ी कंपनी में मुझे जॉब मिल रही है ये भी कोई बड़ी बात नहीं है। और मैनेजर साहब बेवकूफ़ इंसान थोड़ी ना हैं, वो खुद इतनी बड़ी कंपनी के मैनेजर हैं तो ज़ाहिर सी बात है कुछ सोचकर ही उन्होंने मुझे ये जॉब ऑफ़र की होगी।

    मैं इस जॉब के लिए मना नहीं कर सकती हूँ, तू जानती है मुझे पैसों की ज़रूरत है और सामने से इतनी अच्छी नौकरी का ऑफ़र मिला है। थोड़े टाइम तो मैं इस जॉब में एडजस्ट कर ही सकती हूँ, ज़्यादा से ज़्यादा २ साल। उसके बाद कोई दूसरी जॉब ढूँढ कर वहाँ चली जाऊँगी और इस कंपनी का एक्सपीरियंस भी मिल जाएगा।

    क्या फ़र्क पड़ता है वहाँ पर अगर कोई औरत नहीं है तो? हो सकता है कि अब उनके विचार बदल रहे हों और अब वो अपनी कंपनी में फ़ीमेल स्टाफ़ रखें। बिना जाने हम इंसान को कैसे जज कर सकते हैं?”

    टीना ने भी हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, “शायद तू ठीक कह रही है। इतना भी कुछ बुरा नहीं होने वाला है। अगर ऐसा होता तो मैनेजर सर तुझे कभी सामने से जॉब के लिए नहीं कहते। अब जब उन्होंने कहा ही है तो तू कल जाकर देख ले। पोस्ट क्या है और तुझे क्या करना है?”

  • 13. प्रेसिडेंट की पर्सनल सेक्रेटरी - Chapter 13

    Words: 1039

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगले दिन नविता प्रोफेशनल लड़की की तरह तैयार होकर शेखावत के हेड ऑफिस पहुँची। उसने फॉर्मल कपड़े पहने थे; ब्लैक ट्राउजर, व्हाइट शर्ट। उसने अपने बालों की हाई पोनी बना रखी थी। पैर में बैली शूज थे, और चेहरे पर हल्का न्यूड मेकअप। उसने अपने एक हाथ में वॉच कैरी कर रखी थी और कानों में बहुत छोटे से टॉप्स। वह प्रोफेशनल तरीके से रेडी हुई थी ताकि इंटरव्यू के पहले दिन उसका इंप्रेशन अच्छा जाए।

    नविता टैक्सी लेकर शेखावत इंडस्ट्री के सामने आकर रुकी। इतनी बड़ी गगनचुंबी इमारत को देखकर नविता के होश उड़ गए। उसने टैक्सी का बिल पे किया और धीरे-धीरे चलते हुए कंपनी के गेट तक आ गई। तभी उसे वॉचमैन ने रोकते हुए कहा,
    “हेलो मैडम, आप अंदर नहीं जा सकती हैं!”

    नविता ने उस वॉचमैन से कहा,
    “आज मेरा इंटरव्यू है कंपनी में।”

    वॉचमैन हैरानी से नविता को देखने लगा क्योंकि आज तक यहाँ पर कभी कोई लड़की इंटरव्यू के लिए नहीं आई थी। उसने अपने चेहरे पर सख्ती लेते हुए कहा,
    “क्यों झूठ बोल रही हो? इस कंपनी में कोई लड़की काम नहीं करती है। तुम्हारा इंटरव्यू कैसे हो सकता है? जाओ यहाँ से!”

    लेकिन नविता ने जल्दी से कहा,
    “नहीं! मैनेजर मिस्टर गोयल हैं ना, उन्होंने मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया है आज।”

    वॉचमैन पहले तो नविता को ऊपर से नीचे तक घूर रहा था। उसके बाद वह जाकर इंटरकॉम से कहीं पर फोन किया। 2 मिनट बाद वह नविता के पास आया और कहा,
    “ठीक है, तुम अंदर जा सकती हो।”

    नविता मुस्कुराई और कंपनी के अंदर चली गई। रिसेप्शन एरिया में पहुँचकर नविता एकदम से चौंक गई क्योंकि रिसेप्शन पर बैठा हुआ लड़का और वहाँ पर मौजूद 10 से 15 लड़के नविता को घूर रहे थे।

    नविता ने हल्की खांसी के साथ अपना गला साफ किया और रिसेप्शन के पास आते हुए उस लड़के से कहा,
    “एक्सक्यूज मी! मुझे मिस्टर गोयल से मिलना है, आज मेरा इंटरव्यू है।”

    रिसेप्शन पर बैठा लड़का पहले तो हैरान हुआ, लेकिन फिर हाँ में सिर हिलाकर कहा,
    “जी, पता है आज आपका इंटरव्यू है, मुझे इनफार्मेशन मिली है। आप 5th फ्लोर पर चली जाइए, लिफ्ट उस तरफ है।”

    नविता बहुत ही ऑकवर्ड सिचुएशन में थी क्योंकि सारे लड़के उसे ही घूर रहे थे। वह धीरे-धीरे चलते हुए लिफ्ट के पास आई और 5th फ्लोर का बटन दबा दिया। लिफ्ट में बैठा हुआ वॉचमैन भी उसे घूर रहा था।

    5th फ्लोर पर पहुँचकर, जैसे ही नविता अंदर गई, उसकी साँस गले में अटक गई। 50 से ज़्यादा लोग सामने खड़े थे और सब नविता को ही देख रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे नविता रजिया गुंडो में फँस गई है। 😂

    एक प्यून जो नविता को हैरान नज़रों से देख रहा था, उससे नविता ने कहा,
    “एक्सक्यूज मी! मिस्टर गोयल का केबिन कौन सा है?”

    वह प्यून अपने काँपते हुए हाथों से सामने की तरफ इशारा किया। नविता ने थैंक यू कहा और तेज कदमों से उस केबिन की तरफ निकल गई।

    दरवाजे पर लिखा हुआ था: मैनेजर शुभम गोयल। नविता ने दरवाजे पर नॉक किया तो अंदर से मैनेजर साहब की आवाज आई,
    “अंदर आ जाओ!”

    नविता ने दरवाजा खोला और हल्का सा दरवाजे से झाँकते हुए कहा,
    “क्या मैं अंदर आ सकती हूँ सर?”

    लड़की की आवाज सुनकर मैनेजर चौंक गया। वह जल्दी से पीछे पलटकर देखा तो दरवाजे पर सच में एक लड़की खड़ी थी। मैनेजर गोयल की आँखें एकदम से बड़ी हो गईं, लेकिन फिर वह कुछ याद करते हुए बोले,
    “नविता बसु?”

    नविता मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिलाई तो मैनेजर सर ने उसे अंदर आने के लिए कहा। नविता अपने हाथ में पकड़ी हुई फ़ाइल को लेते हुए केबिन में दाखिल हुई। उसने देखा कि यह केबिन बहुत ही आलीशान था।

    ग्रीन थीम इंटीरियर से डेकोरेट किया हुआ केबिन किसी फाइव स्टार होटल जैसा लग रहा था। और मिस्टर गोयल! वह एकदम डिसेंट पर्सनालिटी वाले लग रहे थे। उनकी उम्र 40 के आसपास की रही होगी। टेबल पर रखी उनकी फैमिली फोटो से पता चल रहा था कि वह एक शादीशुदा इंसान है और उसके दो बच्चे भी हैं।

    मिस्टर गोयल अपनी कुर्सी पर बैठे और नविता को सामने की तरफ इशारा करते हुए बोले,
    “बैठिए नविता।”

    नविता मुस्कुराकर हाँ में सिर हिलाई और सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई। उसने अपने हाथ में पकड़ी हुई फाइल मिस्टर गोयल की तरफ बढ़ाते हुए कहा,
    “सर, ये मेरे डॉक्यूमेंट्स हैं।”

    मिस्टर गोयल ने फाइल चेक की और फिर हाँ में सिर हिलाते हुए कहा,
    “सब कुछ ठीक है नविता, और हमें खुशी है कि आप हमारे साथ काम करेंगी। आपका कोई सवाल है तो आप हमसे पूछ सकती हैं।”

    नविता को यकीन नहीं हो रहा था कि बिना किसी सवाल-जवाब के उसे जॉब मिल गई है और अब उससे कहा जा रहा है कि वह कोई सवाल पूछे। वह हैरान हुई, लेकिन फिर भी बोली,
    “सर, आपके डिपार्टमेंट में कोई लड़की काम नहीं करती है क्या?”

    मिस्टर गोयल हँसने लगे और नविता से बोले,
    “मुझे लगा ही था कि यह सवाल तुम ज़रूर पूछोगी। एक्चुअली शेखावत इंडस्ट्रीज पूरे वर्ल्ड में फैली हुई है और यहाँ के हर डिपार्टमेंट में लड़की काम करती है। बस इस डिपार्टमेंट को छोड़कर, क्योंकि यह हेड ऑफिस है। बस हेड ऑफिस में तुम्हें लड़कियाँ नहीं दिखाई देंगी, और वह भी सिर्फ इसी ब्रांच में। हमारे इस कंपनी के पीछे जो हमारी दूसरी ब्रांच है, जहाँ पर हमारी सारी मैनेजमेंट टीम बैठी है, वहाँ पर लड़कियाँ हैं, लेकिन ज़्यादा नहीं, सिर्फ दो-चार, वह भी काफी एक्सपीरियंस वाली हैं।”

    नविता अपने मन में सोची कि शायद उसे दूसरा ब्रांच ज्वाइन करना होगा। वह खुश हो रही थी कि चलो कम से कम वह इतने सारे आदमियों के बीच तो काम नहीं करेगी ना, लेकिन मिस्टर गोयल के अगले ही शब्दों ने नविता को सर से लेकर पैर तक हिलाकर रख दिया।

    “नविता, आपकी जो जॉइनिंग हुई है वह हेड ऑफिस में ही हुई है और आप हमारे प्रेसिडेंट सर की पर्सनल सेक्रेटरी के लिए असाइन की गई हैं।”

  • 14. नया बॉस आद्रक्ष शेखावत - Chapter 14

    Words: 1072

    Estimated Reading Time: 7 min

    नविता अपने मन में सोच रही थी कि शायद उसे दूसरा ब्रांच ज्वाइन करना होगा। वह खुश हो रही थी कि कम से कम वह इतने सारे आदमियों के बीच तो काम नहीं करेगी, लेकिन मिस्टर गोयल के अगले ही शब्दों ने नविता को सर से लेकर पैर तक हिलाकर रख दिया।

    “नविता, आपकी जो जॉइनिंग हुई है, वह हेड ऑफिस में ही हुई है और आप हमारे प्रेसिडेंट सर की पर्सनल सेक्रेटरी के लिए असाइन की गई हैं।”

    नविता चौंक गई और बोली, “क्या मतलब है आपका? प्रेसिडेंट सर की पर्सनल सेक्रेटरी? मुझे प्रेसिडेंट सर के ऑफिस में जॉब मिली है! मतलब मैं आपकी किसी दूसरे ब्रांच में काम नहीं कर रही हूँ?”

    मिस्टर गोयल ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं, आपको प्रेसिडेंट ऑफिस में ही जॉब मिली है क्योंकि हमारे प्रेसिडेंट सर ने अभी २ दिन पहले ही अपने सेक्रेटरी को काम से निकाला है। इतने शॉर्ट पीरियड में कोई दूसरा उनके जगह पर काम करने के लिए तैयार नहीं हो रहा है क्योंकि हमारे प्रेसिडेंट सर थोड़े गुस्से वाले हैं और कोई भी उनका गुस्सा बर्दाश्त करने को तैयार ही नहीं है।”

    नविता घबराते हुए बोली, “अरे सर, अगर उनका गुस्सा झेलने की ताकत आदमियों में नहीं है तो फिर मैं तो एक मामूली सी लड़की हूँ, मैं कैसे उनके गुस्से का सामना कर पाऊँगी? वह तो पहली बार में ही मुझे यहाँ से रफा-दफा कर देंगे।”

    “मिस बसु, अब यह तो आपके ऊपर डिपेंड करता है कि आप यहाँ पर कितने दिन टिकना चाहती हैं। अगर बॉस को गुस्सा आया तो वह आपको उसी दिन निकाल देंगे और अगर नहीं आया तो हो सकता है कि आप अपने रिटायरमेंट तक यहीं पर एम्प्लॉयी रहें। हमारे पास यही जॉब ऑफर है। अगर आपको मंजूर है तो बताइए, मैं ज्वाइनिंग लेटर तैयार कर देता हूँ, वरना कोई बात नहीं।”

    नविता कुछ सोचने लगी। उसका दिमाग इस समय काम ही नहीं कर रहा था। उसे जॉब की जरूरत थी और इतनी बड़ी कंपनी उसे ऑफर भी दे रही थी। मजबूरी में आकर नविता ने हाँ में सिर हिला दिया। मिस्टर गोयल मुस्कुराते हुए बोले, “गुड डिसीजन।”

    उन्होंने नविता की फाइल आगे बढ़ाते हुए कहा, “आप कल से ज्वाइन कर सकती हैं। 10th फ्लोर पर हमारा प्रेसिडेंट ऑफिस है। सुबह 10:00 बजे आ जाइएगा। सर की बहुत इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग है।”

    नविता मुस्कुराते हुए “ओके” कहती है और वहाँ से चली जाती है। क्योंकि टीना इस वक्त अपने जॉब पर थी, इसीलिए नविता घर में अकेली थी। उसे पता था कि कल से उसे कंपनी ज्वाइन करनी है, लेकिन उसका मन बहुत ज्यादा बेचैन हो रहा था। जहाँ तक उसने बॉस के बारे में सुना था, वह शख्स बहुत ही ज्यादा गुस्से वाला और सख्त मिजाज का इंसान है। ऐसे में नविता उसके साथ काम कैसे कर पाएगी? लेकिन जो भी हो, उसे काम तो करना ही था।

    टीना रात को वापस नहीं आई क्योंकि उसकी आज रात की शिफ्ट थी। इसीलिए नविता अपने घर पर अकेली ही थी। उसने कल के लिए तैयारी की। कुछ फॉर्मल कपड़े खरीदे, ग्रोसरी का सामान रेडी किया, उसका आईपैड जो टूट गया था उसे सही से बनवाया क्योंकि सेक्रेटरी के पास आईपैड होना जरूरी है।

    अगले दिन नविता फिर से शेखावत इंडस्ट्री के हेड ऑफिस पहुँच जाती है। जैसे ही वह मीटिंग रूम के सामने पहुँचती है, वैसे ही उसकी मुलाकात मिस्टर गोयल से होती है।

    मिस्टर गोयल को देखकर नविता को थोड़ी तसल्ली मिलती है, क्योंकि एंट्रेंस से लेकर फ्लोर आने तक लड़के उसे अजीब नज़रों से घूर रहे थे और इन नज़रों की वजह से नविता बहुत ज्यादा अनकम्फ़रटेबल हो रही थी। लेकिन मिस्टर गोयल की शांत नज़रों के साथ नविता के चेहरे पर सुकून आ जाता है। वह जल्दी उनके पास आती है और कहती है, “थैंक गॉड सर, आप यहाँ पर हैं। मुझे काफी ओकवर्ड फील हो रहा था।”

    मिस्टर गोयल शांत चेहरे के साथ हाँ में सिर हिलाते हैं और कहते हैं, “कोई बात नहीं, एक-दो दिन में आदत हो जाएगी। अच्छा, तुम्हारे पास आईपैड पहले से ही है, चलो अच्छी बात है। तुम्हें इसकी ज़रूरत पड़ेगी और अभी थोड़ी देर में मीटिंग शुरू होने वाली है। उसके बाद मैं तुम्हें तुम्हारा बाकी का काम समझाऊँगा, लेकिन अभी मीटिंग ज्वाइन करना है। यह बहुत इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग है हमारे आने वाले प्रोजेक्ट के लिए।”

    नविता जल्दी से हाँ में सिर हिलाती है और अपना आईपैड ऑन करके डिटेल्स को फाइल करने लगती है, जो डिटेल्स उसे मिस्टर गोयल ने बताई थीं, क्योंकि थोड़ी देर में मीटिंग स्टार्ट होने वाली थी और नविता के पास बेसिक इनफ़ॉर्मेशन होनी ज़रूरी थी।

    मिस्टर गोयल और नविता एक साथ बोर्ड रूम की तरफ़ बढ़ते हुए डिस्कस कर रहे थे। नविता हर चीज़ को अपने आईपैड में लिख रही थी। बोर्ड रूम का दरवाज़ा खोलते ही नविता अंदर जाती है, लेकिन उसका ध्यान अभी भी अपने आईपैड में था। उसने चेहरा उठाकर सामने नहीं देखा था, पर वहाँ बैठे सभी लोग नविता को हैरान नज़रों से देख रहे थे, क्योंकि यह पहली बार था कि बोर्ड रूम में कोई लड़की दाखिल हुई है।

    सब अपनी निगाहों से नविता को ही घूर रहे थे। आईपैड में अपना काम खत्म करने के बाद, जब नविता ने सामने की तरफ़ देखा तो इतने सारे आदमियों को अपनी तरफ़ देखता पाकर उसने अपना थूक निगल लिया, क्योंकि सच में उन लोगों की निगाहें बहुत ज़्यादा अजीब थीं और नविता इस वक्त बहुत अनकम्फ़रटेबल हो रही थी। उसने घबराते हुए अपना चेहरा हल्का सा नीचे किया और प्रेसिडेंट की कुर्सी की तरफ़ बढ़ गई। लेकिन जैसे ही उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ़ घुमाया, एक तेज धक्का नविता को लगता है और उसे लगता है कि वह शायद कुछ गलत देख रही है या फिर वह किसी सपने में है।

    नविता का दिल तेज़ी से धड़कने लगा और इस बात पर यकीन करने के लिए उसने दो-तीन बार अपनी पलकें भी झपकाईं।

    मिस्टर गोयल नविता के पास आते हुए कहते हैं, “नविता, यह है हमारे बॉस, मिस्टर आद्रक्ष शेखावत! आज से तुम इन्हीं की पर्सनल असिस्टेंट हो।”

    सामने बैठा हुआ शख्स, आद्रक्ष शेखावत, कोई और नहीं, वही शख्स है जो नविता के साथ दो दिन पहले होटल के कमरे में था। अपने सामने इस शख्स को देखकर नविता जैसे साँस लेना ही भूल गई थी, क्योंकि आद्रक्ष का एक ठंडा औरा इस समय नविता को अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था। नविता को ऐसा लग रहा था कि उसे चक्कर आ जाएँगे।

  • 15. बातों से हिप्नोटाइज - Chapter 15

    Words: 1998

    Estimated Reading Time: 12 min

    अपने सामने उस शक्श को देखकर जिसके साथ उसने होटल में एक रात बिताई थी। नविता के पैर अपनी जगह पर ही जम गए थे। वो तो पूरी ब्लैंक हो गई थी और उसे आसपास की दुनिया नजर ही नहीं आ रही थी।



     उसकी नज़रें उन्ही निगाहों पर टिकी हुई थी। जो इस वक्त शांति से नविता को घूर रही थी।



     मिस्टर गोयल आगे आते हैं और नविता से कहते हैं “मिस नविता ये हमारे बॉस है मिस्टर आद्रक्ष शेखावत आप इन्हीं की पर्सनल असिस्टेंट है!”



     नविता को अपने पेट में कुछ हलचल चीज महसूस होने लगी। ऐसा लग रहा था उसके पेट में कोई बम फोड़ रहा है और जिसे इस वक्त कोई भी पानी या, ऐसी ठंडा नहीं कर सकता है। आद्रक्ष की निगाहें नविता को घूरे जा रही थी। ना तो उसने अपनी पलके झुकाई थी और ना ही अपने चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन लाए थे। उसकी निगाहें बराबर इस लड़की पर टिकी हुई थी जो इस समय फॉर्मल कपड़े में बोर्ड रूम में मौजूद थी।



    नविता ने अपनी थूक को निगला और अपने मन में भगवान से दुआ करते हुए सोचने लगी “ भगवान कितना बड़ा पैर उठाया है आपने मेरी पेट पर लात मारने के लिए। पूरे गोवा में मुझे नौकरी मिली भी तो यही पर, आपको और कोई जगह नहीं मिला मुझे काम दिलवाने के लिए क्या? 



     उसके बाद नविता डरती हुई नजरों के साथ आद्रक्ष को देख रही थी और उसे देखते हुए नविता ने अपने मन में कहा “वैसे अगर मैं इस बंदे की सच्चाई से वाकिफ नहीं होती तो शायद इसके इस लुक से अट्रैक्ट हो सकती थी। कहीं इसका कोई जुड़वा भाई तो नहीं है ना? हो सकता है वो कोई और हो? क्योंकि अगर ये वही शख्स होता तो इसने अभी तक मुझे कुछ कहा क्यों नहीं? अब तक तो इसे मुझे यहां से उठकर बाहर फेंक देना था। पर ये तो शांति से कुर्सी पर बैठा हुआ है जैसे कि मुझे जानता ही नहीं है!”





     उसके बाद नविता ने हल्के से अपने कंधे उचकाए और खुद से ही कहा “ठीक है अगर ये मुझे नहीं पहचानता है तो मैं भी इसे नहीं पहचान का ही नाटक करूंगी, वैसे भी इन बड़े लोगों के लिए कौन सी बड़ी बात है किसी लड़की के साथ रात गुजारना। मुझे तो लगता है इस ने मुझे पहचान ही नहीं और ये मेरे लिए अच्छी बात भी है। वैसे भी मैं अपने उस दिन के रूप से आज अलग तरीके से दिख रही हूं, हो सकता है इसी वजह से इसने मुझे नहीं पहचाना। चलो जो भी है नहीं पहचान है तो अच्छी बात है!”



     नविता बड़ी मुश्किल से अपने चेहरे पर एक अच्छी सी मुस्कान लाने की कोशिश करती है लेकिन वो आ ही नहीं रही थी। वो आद्रक्ष के पास जाते हुए कहती है “गुड मॉर्निंग सर मेरा नाम नविता बासु है और मैं आपकी नई असिस्टेंट हूं!”



     बैठो! आद्रक्ष ने अपने ठंडा लहजे के साथ कहा “ और उसकी नज़रें नविता से हटकर सीधे प्रोजेक्टर पर चली जाती है!”



     मिस्टर गोयल ने नविता को बताया कि उसे कहां बैठना है l



     नविता आद्रक्ष के राइट साइड में बैठी है और मिस्टर गोयल बाई साइड में।



    बोर्ड रूम में तनाव का माहौल फैल गया था। जो वहां पर उपस्थित सभी लोगों को महसूस भी हो रहा था। एक-एक कर कर प्रोजेक्टर पर चीज दिखाई जा रही थी। बोर्ड मीटिंग ऐसे चल रही थी जैसे वहां पर कुछ है ही नहीं। आधा घंटा तो नविता को यही समझाने में लग गया था कि ये मीटिंग हो किस लिए रही है? दरअसल ये मीटिंग शेखावत इंडस्ट्रीज के आने वाले नई बिल्डिंग प्रोजेक्ट के लिए था। वो लोग मुंबई के पास एक इलाके में अपनी नई हाउसिंग सोसाइटी बनाने की प्लानिंग कर रहे थे और इसी मामले में सब लोग अपनी अपनी राय भी दे रहे थे।



     वैसे तो नविता ने कॉरपोरेट कंपनी में कभी काम नहीं किया है। उसका हमेशा से ही एक्सपीरियंस होटल लाइन में ही रहा है। पहली बार कॉरपोरेट कंपनी में सबको इस तरीके से प्रोफेशनल तरीके से बात करते हुए देख नविता थोड़ी सी हैरान जरूर होती है, क्योंकि यहां पर मौजूद हर एक शख्स उम्र में बड़ा ही लग रहा था। सिर्फ आद्रक्ष को छोड़कर ऐसा लग रहा था सबसे यंग वही है यहां पर। 



     नविता आद्रक्ष का एक अलग पक्ष देख रही थी। एक ऐसा पक्ष जो उसे कपा सकता था। आद्रक्ष ने जब हाउसिंग सोसायटी के लिए अपनी राय को सामने रखा तो। नविता देख सकती थी कि उसकी आवाज कितनी गहरी मखमली और ठंडी है!”



    ओह्ह ये बंदा तो अपनी बातों से किसी को हिप्नोटाइज भी कर सकता है। 



    नविता अपने मन में ये सोच ही रही थी कि तभी होटल वाली बात याद आती है और वो अपने मन में कहती है “अगर ये इतना मीठा बोल सकता है तो उस दिन मेरे साथ करेले जैसा क्यों बात कर रहा था? अगर उस दिन मेरे साथ भी थोड़ा प्यार से बात कर लेता तो शायद बात इतनी बढ़ती ही नहीं!”



     नविता को याद आता है आद्रक्ष शेखावत के बारे में किसने नहीं सुना था। इंडिया का सबसे कम उम्र का अरबपति जिसकी पर्सनल लाइफ कभी भी लोगों के सामने नहीं आई है। लोगों का कहना ये है कि वो गे है।



     कुछ लोग ये भी कहते थे कि वो इंसान की शक्ल में एक हैवान है और इसके अलावा भी बहुत सारी ऐसी चीज हैं जो आद्रक्ष के लिए बताई गई है। जैसे कि उसे कुक रखना पसंद नहीं है, वो ड्राइवर रखना पसंद नहीं करता है, बॉडीगार्ड वो सिर्फ वहीं पर रखता है जहां पर उसे लगता है कि लोग उसे परेशान करेंगे, वरना वो अकेला रहना ही ज्यादा पसंद करता है।



     उसके मैनेजमेंट ने उसे कई बार बॉडी गार्ड रखने की सलाह दी थी, लेकिन आद्रक्ष ने ये कहकर मना कर दिया था कि बॉडीगार्ड उसे ऐसा फील करवाते हैं जैसे कि उसने कोई जुर्म किया है और ये लोग उसे कैद कर रहे हैं।





     आद्रक्ष के साथ कुछ ऐसा हुआ था जिसकी वजह से उसे औरतों से नफरत हो गई थी। जिसकी वजह से वो अपने आसपास औरतों को देखना भी बर्दाश्त नहीं कर सकता था। लेकिन नविता वो पहले थी जो इस कंपनी में आने वाली पहली औरत थी, लेकिन इसके अलावा आद्रक्ष ये भी मानता था की औरतों से ज्यादा मेहनत करने वाला कोई होता भी नहीं है, इसीलिए आद्रक्ष ने अपने बाकी के ब्रांचेस में और होटल में औरतों को बहुत अच्छी पोस्ट पर काम दिया था। 



    आद्रक्ष की पर्सनालिटी ऐसी थी कि कोई भी लड़की का वो सपना हो सकता था, लेकिन उसने कभी किसी लड़की को अपने करीब तक नहीं आने दिया था। नविता ने कभी नहीं सोचा था कि वो इतने क्रूर बिजनेसमैन के साथ कभी काम करेगी और वो भी उस कंपनी में जहां पर दूर-दूर तक औरतें हैं ही नहीं। 



     अपने मन में उसे रात होटल में मौजूद आदमी और अपने सामने मौजूद इस आदमी की तुलना कर रही थी कि, इतने में उसके कानों में आद्रक्ष की ठंडी और दमदार आवाज आती है।



     क्या तुम हमें मीटिंग रूम में की गई बातों का हाई पॉइंट बता सकती हो क्या तुम मिस नमिता?”



     नविता ने जब आद्रक्ष की आवाज सुनी तब जाकर वो अपने ख्यालों से बाहर आई। आद्रक्ष का लेजर ठंडा लेकिन भयंकर था। नविता को तो यहां कुछ समझ ही नहीं आया था। उसने यहां वहां नजरे दौड़ा कर अपने मन में सोचने लगी कि अब उसे क्या करना चाहिए? क्योंकि यहां के लोग क्या बातें कर रहे थे, ये सब उसके सर के ऊपर से जा रहा था ।



     आद्रक्ष ने अपनी निगाहें छोटी करते हुए नविता को देखकर कहा “तो तुमने मीटिंग रूम के हाई पॉइंट्स नोट नहीं किया मिस नविता और तुम मेरी सेक्रेटरी की जॉब पर रखी गई हो?”



     नविता ने अपनी थूक को निगला और लाचारी के साथ मिस्टर गोयल को देखने लगी जो अपनी आंखों से इशारा कर रहे थे कि तुम्हारा पहला इंप्रेशन ही खराब गया है।



     नविता कुछ सोचती कि तभी उसे ध्यान आता है और उसने आद्रक्ष को देखकर कहा “सर एक्चुअली मैंने आईपैड में कुछ भी नोट नहीं किया है, लेकिन आपके यहां पर हो रही हर बात, हर हाई प्वाइंट और को पॉइंट को, मैंने याद जरूर किया है!”



     आद्रक्ष अपनी आंखें छोटी करते हुए कहता है “याद किया है इससे मतलब ?”



    नविता अपनी जेब से अपना फोन निकालती है और उसमें से कुछ ऑन करती है। सब लोग हैरान हो जाते हैं दरअसल नविता की फोन की एक प्रॉब्लम थी, स्क्रीन ऑफ का बटन दबाते ही नविता के फोन का रिकॉर्डिंग ऑन हो जाता है और आसपास की कई चीजों की रिकॉर्डिंग हो जाती है। नविता खुद इस चीज से परेशान थी पर उसे लगा नहीं था कि उसके फोन की ये खराबी एक दिन उसके लिए फायदेमंद साबित होगी। उसने फोन में हो रही सारी बातों की रिकॉर्डिंग सबके सामने चला दी।



     आद्रक्ष घूरती हुई निगाहों से नविता को देखने लगा। तो नविता ने मुस्कुराते हुए कहा “सर दरअसल आज मेरा काम पर पहला दिन है तो, मुझे नहीं पता कि हाई प्वाइंट क्या है और को पॉइंट क्या है, इसीलिए मैंने सारा कुछ रिकॉर्ड कर लिया है, ताकि आराम से बैठकर इस मीटिंग की बारीकियां को डिटेल में बता सकूं!”



     नविता की बातों को सुनकर मीटिंग रूम में जितने बाकी के मेंबर्स थे। वो सब खुश होते हैं और उनमें से एक मेंबर्स अपने हाथ से दो बार क्लैप करते हुए कहता है “वेल डन यंग गर्ल” हमें खुशी है कि आप अपने काम को लेकर इतनी डेडीकेटेड है, मिस्टर शेखावत ये लड़की तो काफी समझदार है?”



     आद्रक्ष के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है और उसने एक तिरछी नजर से नविता को देखा और अपने चेहरे पर एक डेविल मुस्कान रखते हुए कहा “जी बिल्कुल मिस्टर शर्मा ये लड़की सच में बहुत काम की है। मुझे उम्मीद है कि हम एक साथ मिलकर बहुत अच्छा काम करेंगे! क्यों मिस नविता मैं सही कह रहा हूं ना?”



     नविता के तो तोते उड़ गए थे उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अद्राक्ष उसे पूछ रहा है या, उसे ताने दे रहा है। पर ऐसा तो लग रहा है कि वो अपनी बातों से ही नविता को ताने देने का दम रखता है।



     नविता ने जल्दी से अपने चेहरे पर एक एंब्रास वाली हंसी लाई और अपना सिर हा में हिलाते हुए बोली “जी सर मैं अपने काम को पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ करूंगी!”



     आद्रक्ष टेबल पर रखी हुई अपनी फाइल को बंद करता है और बाकी बोर्ड ऑफ मेंबर को देखते हुए कहता है “अगर और कुछ नहीं है डिस्कस करने के लिए तो फिर ये मीटिंग यहीं खत्म होती है?”



     बाकी सारे बोर्ड ऑफ मेंबर भी हा मे सिर हिलाते हैं और अपनी-अपनी जगह पर खड़े होते हैं!”



    आद्रक्ष अपनी कुर्सी से खड़ा होता है और अपने कोर्ट को सही करता हुआ दरवाजे से बाहर निकल जाता है। बाहर जाने से पहले उसने एक बार भी नविता की तरफ नहीं देखा था और जैसे वो रूम से बाहर निकलता है, ऐसा लगता है कि नविता किसी गहरे कुएं से निकली है। उसने जोर से एक ठंडी सांस ली,क्योंकि जब से उसने आद्रक्ष को देखा हुआ था। उसने अपनी सांसों को बहुत मुश्किल से अपने पेट में ही काबू करके रखा हुआ था।



    मिस्टर गोयल नविता के पास आते हैं और कहते हैं “नविता चलो मैं तुम्हें ऑफिस दिखा देता हूं!”



    बोर्ड रूम से निकलने के बाद मिस्टर गोयल ने नविता को हर जगह के बारे में बताया था। जैसे की मीटिंग रूम कहां है, प्ले रूम कहां है, कैफेटेरिया कहां है, और बाकी के एम्पलाइज कहां बैठकर काम करते हैं।



     सब कुछ देखने के बाद नविता ने मिस्टर गोयल से पूछा “वैसे सर मैं कहां पर बैठूंगी? मतलब कि मेरी सेटिंग एरिया कहां है?”



     मिस्टर गोयल लिफ्ट की तरफ बढ़ते हुए कहते हैं “चलो मैं तुम्हें दिखाता हूं!”



     मिस्टर गोयल नविता को लेकर 10th फ्लोर पर आते हैं जो की प्रेसिडेंट ऑफिस है। जैसे ही नविता वहां पहुंचती है, उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है, क्योंकि प्रेसिडेंट ऑफिस फाइव स्टार रिजॉर्ट की तरह लग रहा था।

  • 16. मैंने कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया है - Chapter 16

    Words: 1490

    Estimated Reading Time: 9 min

    नविता मिस्टर गोयल के साथ दसवीं मंजिल पर पहुँची, लेकिन वहाँ पहुँचते ही वह हैरान हो गई। यह जगह किसी फाइव स्टार रिजॉर्ट की तरह लग रही थी। लेकिन वहाँ पर काम करने वाले आदमियों की नज़रें नविता को ही घूर रही थीं। खतरनाक, घृणात्मक, अच्छी, सामान्य हर तरह की नज़रों का सामना नविता उस वक़्त कर रही थी।

    मिस्टर गोयल नविता को ऑफिस एरिया में लाते हुए बोले, "वैसे कोई भी सेक्रेटरी या फिर पर्सनल असिस्टेंट बॉस के साथ एक हफ़्ते से ज़्यादा टिक नहीं पाया है।"

    "वो लोग तो महान थे जो एक हफ़्ते टिक भी गए, मुझे तो लग रहा है कि मुझे एक-दो दिन में यहाँ से उठाकर बाहर फेंक दिया जाएगा।" नविता ने मन ही मन घबराते हुए कहा।

    ऑफिस एरिया से होते हुए वे लोग बिल्कुल आखिरी केबिन तक पहुँचे। जहाँ का इलाका पूरी तरह से सुनसान था। ऐसा लग रहा था यहाँ से 10 फ़ीट तक ना तो कोई इंसान था और ना ही किसी इंसान की परछाई, लेकिन वहाँ पर बहुत खूबसूरत तरीके से इंटीरियर किया गया था और वहाँ के माहौल में एक अलग ही सुकून मिल रहा था।

    इतनी बड़ी जगह पर सिर्फ़ एक केबिन था। इसके बाहर लिखा गया था, CEO ऑफिस।

    मिस्टर गोयल नविता को केबिन के अंदर ले गए। अंदर आते ही नविता की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। मतलब जितना सुंदर यह फ्लोर था, उससे भी कहीं ज़्यादा सुंदर यह अकेला केबिन था। ऐसा लग रहा था नविता किसी बंगले में आ गई है।

    यह पूरा का पूरा रिसॉर्ट लग रहा था। नविता ने देखा कि एक तरफ़ किचन है जिसमें ग्रीन थीम इंटीरियर है। साथ में अटैच्ड वॉशरूम है और इसके अलावा वहाँ पर वेटिंग एरिया भी है। वेटिंग रूम के साथ ही उसे एक दरवाज़ा नज़र आया, पर उस दरवाज़े के पीछे क्या है, यह नविता को समझ नहीं आया, इसलिए उसने इसे इग्नोर कर दिया। वहाँ के सोफ़े ही इतने बड़े-बड़े थे कि नविता को लगा कि अगर उसके पास घर नहीं होता तो सारी ज़िन्दगी इन सोफ़ों पर ही रहकर बिता सकती थी।

    लेकिन इतने लग्ज़रीयस ऑफिस में किचन देखकर नविता थोड़ी सी हैरान हुई। मिस्टर गोयल नविता की आँखों को पहचानते हुए बोले, "एक्चुअली हमारे सर ज्यादातर ऑफिस में ही रहते हैं और उन्हें किसी और के हाथ का खाना पसंद नहीं है। वे अपना खाना खुद ही बनाना पसंद करते हैं।"

    नविता का मुँह खुला का खुला रह गया था। उसे तो मैगी बनाने के अलावा और कुछ आता ही नहीं था और यहाँ पर यह बंदा पूरी पेंट्री लेकर बैठा हुआ है। नविता ने किचन में झाँक कर देखा तो सामने ऐसे-ऐसे सामान रखे थे जिनके बारे में तो नविता कभी जानती भी नहीं थी कि इसका इस्तेमाल खाने के लिए भी किया जाता है।

    अब नविता को अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था। लड़की होने के बावजूद भी उसे कुछ भी बनाना नहीं आता था। अगर Swiggy और Zomato जैसी ऑनलाइन साइट नहीं होती तो शायद नविता भूखी ही मर जाती।

    लेकिन शुक्र है कि टीना को खाना बनाना आता था, इसीलिए वह ज्यादातर खाने के मामलों पर टीना पर ही निर्भर रहती थी और जब टीना नहीं रहती थी तब ऑनलाइन फ़ूड जिंदाबाद।

    नविता अपने ही ख्यालों में उस किचन को देख रही थी कि तभी उसे पीछे से एक ठंडी, डरावनी आवाज़ आई, "तुम्हारा इरादा कहीं मेरे किचन को बर्बाद करने का तो नहीं है ना?"

    इस आवाज़ से नविता एक पल के लिए काँप गई और पलट कर पीछे देखने लगी जहाँ पर इस वक़्त आद्रक्ष खड़ा हुआ था। आद्रक्ष अभी-अभी कमरे में दाखिल हुआ था और उसका चेहरा एक्सप्रेशनलेस था, लेकिन उसकी निगाहें नविता के ऊपर टिकी हुई थीं।

    नविता ने अपनी लार निगली और उसके चेहरे पर घबराहट आ गई थी। मिस्टर गोयल आगे आते हैं और कहते हैं, "सर, मैं बस नविता को ऑफिस दिखा रहा था।"

    आद्रक्ष ने मिस्टर गोयल को एक कोल्ड लुक के साथ देखते हुए कहा, "अपने काम से कम रखिए। कहीं ऐसा ना हो लोगों को ऑफिस दिखाते-दिखाते आपको खुद दूसरे ऑफिस देखने की नौबत आ जाए।"

    आद्रक्ष का लहजा ठंडा था, लेकिन उसके शब्दों में कटाक्ष साफ़ नज़र आ रहा था। मिस्टर गोयल के पसीने छूट गए थे। नहीं, वह अपनी नौकरी नहीं खो सकते थे। इस नौकरी के सहारे ही तो उनकी सारी ज़िन्दगी टिकी हुई है।

    घर का खर्च, EMI का बिल, होम लोन, कार लोन और दोनों बेटियों की पढ़ाई और उनकी बीवी के खर्चे तो महंगाई की तरह बढ़ रहे हैं। मिस्टर गोयल ने जल्दी से हाँ में सिर हिलाया और कहा, "नहीं, मैं बस अपने वर्क प्लेस पर जा ही रहा था।"

    मिस्टर गोयल वहाँ से निकल गए और एक कट के साथ दरवाज़ा बंद हो गया। यानी कि अब उस केबिन में सिर्फ़ आद्रक्ष और नविता ही थे।

    नविता के चेहरे की घबराहट बढ़ती जा रही थी। उसके चेहरे पर पसीने आ गए थे, हालाँकि एसी चल रहा था, लेकिन माहौल गर्म हो रहा था। नविता के हाथ-पैर काँप रहे थे और उसके चेहरे पर घबराहट साफ़ नज़र आ रही थी।

    आद्रक्ष चलता हुआ नविता के सामने आया और बिल्कुल उसके करीब आकर खड़ा हो गया। अब तो जैसे नविता की साँस रुक ही गई थी क्योंकि वह आद्रक्ष को देख भी नहीं रही थी, उसकी नज़रें झुकी हुई थीं।

    2 मिनट तक आद्रक्ष नविता के सामने ही खड़ा रहा। नविता घबराहट के मारे अपना चेहरा हल्का सा उठाती है और आद्रक्ष के उस कोल्ड, एक्सप्रेशनलेस चेहरे को देखती है।

    उसकी आँखों को देखकर नविता की आँखें एकदम से बड़ी हो गईं, क्योंकि जैसे ही नविता ने आद्रक्ष को देखा वैसे ही उसे पता चल गया कि आद्रक्ष उन्हें किन नज़रों से देख रहा है। वह कुछ भी नहीं बोला था। उसकी आँखें सख्त थीं, इसका मतलब उसने नविता को पहचान लिया था।

    नविता घबराकर दो कदम पीछे हटी तो आद्रक्ष अपने दोनों हाथ पैंट की पॉकेट में रखते हुए बोला, "तुम्हें कुछ कहना है?"

    "बॉस, देखिए जो कुछ भी हुआ है वह सब एक गलती थी। मेरा इसमें कोई हाथ नहीं था। मुझे नहीं पता कि मैं उस रूम में कैसे पहुँची, लेकिन देखा जाए तो इसमें मेरी भी कोई गलती नहीं थी।"

    नविता ये सारी बातें एक साँस में बोल गई, लेकिन आद्रक्ष के चेहरे पर अभी भी कोई एक्सप्रेशन नहीं था, बल्कि वह अपनी आँखों से सिर्फ़ नविता को बोलता हुआ देख ही रहा था। जैसे ही नविता ने अपनी बात ख़त्म की और एक तेज साँस ली, उसी के साथ आद्रक्ष के होठों के किनारे मुड़ गए और उसने नविता को देखकर कहा,

    "तो इसका मतलब यह है कि तुम मुझे भूली नहीं हो। बस मुझे ना पहचानने का नाटक कर रही थीं। तुम मुझे पहचानती हो और तुम्हारी बातों ने यह साबित कर दिया है कि ना तो मैं तुम्हें भुला हूँ और ना ही तुम मुझे भूली हो और हमारे बीच क्या हुआ था यह हम दोनों भूल ही नहीं सकते हैं।"

    नविता ने मन ही मन अपने आप को गाली देते हुए कहा, "बेवकूफ़ लड़की, क्या ज़रूरत थी तुझे बकवास करने की? चुप रहती और ऐसा दिखाती कि तूने इस इंसान को पहचाना ही नहीं है। लोग पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हैं, मैंने कुल्हाड़ी पर पैर मार लिए हैं।" 🤦🏻‍♀️

    नविता ऑकवर्ड सिचुएशन में आद्रक्ष को देखती है और खुद को बचाने की आखिरी कोशिश करते हुए कहती है, "सॉरी!"

    "इतना काफी नहीं है। तुम्हारे एक सॉरी कह देने से वह सब ख़त्म नहीं हो जाएगा।" आद्रक्ष ने अपनी घूरती हुई निगाहों से नविता को देखकर कहा और नविता को उसके एक्सप्रेशन से पता चल गया था कि यह इंसान सिर्फ़ सॉरी कह कर माफ़ करने वालों में से नहीं है। इसका मतलब यह है कि नविता को उस एक गलती की सज़ा भुगतनी ही होगी।

    नविता ने डरते हुए पूछा, "बॉस, आप क्या चाहते हैं मुझसे?"

    आद्रक्ष के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती है और वह नविता को क्रॉस करके अपने डेस्क के पास जाता है और बॉस वाली कुर्सी पर बैठ जाता है। वह अपने एक पैर को टेबल पर रखता है और दूसरा पैर उसके ऊपर चढ़ाते हुए नविता को देखने लगता है। नविता अपनी डरी हुई नज़रों से आद्रक्ष को देख रही थी।

    आद्रक्ष ने बड़ी सी टेबल के कॉर्नर पर नज़र डाली। उसके चेहरे की एविल स्माइल और गहरी हो गई, लेकिन जब नविता ने आद्रक्ष की नज़रों का पीछा किया तो उसकी आँखें एकदम से बड़ी हो गई थीं।

    एक बहुत ही खूबसूरत फ़ोटो फ़्रेम, जिसके फ़्रेम में गोल्डन वर्क किया गया था, उसमें वही ₹100 का नोट फ़्रेम करके लगाया गया था जो नविता ने आद्रक्ष को होटल के कमरे में दिया था, उसकी परफ़ॉर्मेंस के बदले।

    नविता इस नोट को अच्छी तरह से पहचान रही थी क्योंकि उस नोट के कोने पर इंक का निशान था जो नविता के हाथों से ही लगा था।

  • 17. 100 रूपये की कीमत - Chapter 17

    Words: 2083

    Estimated Reading Time: 13 min

    नविता ने जब उस ₹100 के नोट को फोटो फ्रेम में सजा हुआ देखा, तो उसकी जान हलक में आ गई। यह वही ₹100 का नोट था जो उसने आद्रक्ष को दिया था, और वही ₹100 का नोट अब आद्रक्ष के डेस्क पर ऐसे लगा हुआ था जैसे वह लाखों का कोई डॉलर हो।

    इसका मतलब नविता ने जो गलती की थी, उसकी सजा सिर्फ सॉरी कहने से पूरी नहीं हो सकती थी। देश के सबसे बड़े अरबपति को उसने ₹100 थमाए थे। मतलब उसके पर्स में उस समय उससे ज़्यादा पैसे नहीं थे क्या? उसके पास उससे ज़्यादा पैसे थे ही नहीं। बेचारी की उसी दिन नौकरी छूटी थी, वह भी बिना सैलरी के। उसी दिन बॉयफ्रेंड छोड़कर चला गया था।

    कहाँ से होते पैसे? जो हाथ में लगा, वही दे दिया, पर जो दिया, वह बहुत कम था। ₹100, यह तो सरासर बेइज़्ज़ती थी, हालाँकि नविता की भी गलती नहीं थी। उस समय वह इतने गुस्से में थी कि कुछ सोच ही नहीं पा रही थी।

    आद्रक्ष अपनी कुर्सी पर बैठा था। जब उसने यह देख लिया कि नविता ने उसके द्वारा दिए गए नोट को देख लिया है, तो उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई। वह कुर्सी से आगे की तरफ़ झुका और टेबल पर अपनी दोनों कोहनी रखते हुए अपनी उंगलियों को आपस में उलझाते हुए नविता से कहा,
    "हां तो मिस नविता, आपको कुछ कहना है?"

    "आई एम सॉरी सर, मुझसे गलती हो गई है!" नविता ने बहुत ही रिक्वेस्ट भरी आवाज़ में आद्रक्ष से यह कहा। लेकिन आद्रक्ष के चेहरे पर जो सख्ती थी, वह और ज़्यादा सख्त हो गई। उसने कहा,
    "एक माफ़ी से आपकी गलती की सज़ा कम नहीं हो जाती है, और वैसे भी मैंने तो अभी तक आपको इस गलती की सज़ा दी भी नहीं है।"

    नविता थोड़ी हैरानी से बोली,
    "तो आप क्या चाहते हैं? मतलब अब आप मुझे कैसे उस गलती की सज़ा देंगे...?"

    आद्रक्ष फिर से कुर्सी पर पीठ टिकाकर बैठ गया और उसे स्विंग करते हुए बोला,
    "चलो एक गेम खेलते हैं।"

    "फिर से नहीं, अब कोई गेम नहीं... साला, उस रात क्लब में एक गेम खेला था, जिसकी वजह से यहाँ पर आज फँसी हूँ। यहाँ कोई गेम खेलूँगी तो पता नहीं कहाँ जाकर गिरूँगी!"

    नविता ने अपने मन में सोचा और आद्रक्ष को देखते हुए कहा,
    "सर, गेम के अलावा हम कुछ और कर सकते हैं क्या? जैसे कि आपके पास मुझे पनिश करने का कोई बेहतर तरीका हो, मुझे गेम्स पसंद नहीं हैं।"

    आद्रक्ष के होठों के किनारे मुड़ गए और वह बोला,
    "फिर तो और ज़्यादा मज़ा आएगा इस गेम में।"

    नविता का मुँह उतर गया और वह हैरानी से आद्रक्ष को देखने लगी। आद्रक्ष नविता को देखते हुए बोला,
    "चलो इस गेम के रूल बताता हूँ... इस गेम का पहला रूल यह है कि जब तक तुम्हारी सज़ा पूरी नहीं होती है और मैं इस ₹100 के नोट को नहीं हटा देता, तब तक तुम मेरे ऊपर किए गए उस बेइज़्ज़ती की कीमत चुकाओगी।"

    आद्रक्ष ने यह इतनी ख़तरनाक तरीके से कहा था कि नविता काँप गई। उसने तो इस बारे में सोचा भी नहीं था। रोज़ इस डेविल का सामना करना और इसके द्वारा अपमानित होना, नविता के लिए जी का जंजाल हो रहा था।

    "नहीं नहीं, अरे कहीं और नौकरी कर लूँगी, और नौकरी छोड़ो, मैं भीख माँग लूँगी। लेकिन ऐसे ख़तरनाक बॉस के साथ मैं काम नहीं करूँगी।"

    नविता यह सोच ही रही थी कि तभी आद्रक्ष ने अपनी दमदार आवाज़ में उस पर अगला बम फेंका,
    "रिजाइन करने की सोचना भी मत, क्योंकि अगर तुमने रिजाइन किया तो मैं यह पूरी कोशिश करूँगा कि तुम्हें कहीं भी कोई नौकरी ना मिले, नौकरी छोड़ो, तुम कुछ भी करने के लायक नहीं रहोगी।"

    नविता का मुँह खुला का खुला रह गया था। वह गहरी सोच में थी। वह इस तरीके से हार नहीं मान सकती थी। आज नौकरी का उसका पहला दिन था और पहले दिन ही उसके सामने नियमों का पहाड़ लाकर खड़ा कर दिया गया था। उससे कहा जा रहा था कि इस ऊँचे से पहाड़ पर चढ़ो, लेकिन प्रॉब्लम यह थी कि उसके पैर बाँध दिए गए थे।

    नविता ने अपने मन में सोचा, वह इतनी जल्दी हार नहीं मान सकती है। कम से कम वह लड़ तो सकती है अपने लिए, आवाज़ तो उठा ही सकती है ना?

    नविता ने घबराते हुए आद्रक्ष को देखा और कहा,
    "सर, मुझे पता है कि मुझसे गलती हुई है, लेकिन आपको नहीं लगता कि यह सज़ा मेरे लिए कुछ ज़्यादा हो गई है? मतलब मैं अकेली वहाँ नहीं थी। आप भी वहाँ पर थे और जहाँ तक मुझे पता है आपने मेरे नशे में होने का फ़ायदा उठाया है, तो देखा जाए तो गलती मेरी नहीं है, आपकी है। आखिर एक तरह से इन्जॉय तो आपने भी किया था ना!"

    "तो तुम मेरे साथ बात नहीं करना चाहती हो? इंटरेस्टिंग, मुझे पसंद आया। वो लड़कियाँ जो सीधे तरीके से आकर हार मान जाती हैं, मुझे ऐसी लड़कियाँ पसंद भी नहीं हैं। अच्छा है कि तुमने लड़ने का फ़ैसला किया है, अब इस खेल में और मज़ा आएगा..." आद्रक्ष ने डेविल स्माइल के साथ नविता को देखते हुए कहा, तो नविता की घबराहट और बढ़ गई।

    नविता कुछ कहती, उससे पहले ही आद्रक्ष ने अपना हाथ उठाकर उसे कहने से रोक दिया और उसे देखकर एक सख्त आवाज़ में कहा,
    "तुम्हारे पास सारा दिन होगा फ़ालतू के बकवास करने के लिए, पर मेरे पास नहीं है।

    क्योंकि मेरे लिए टाइम इज़ मनी... और मेरी पर्सनल सेक्रेटरी होने की वजह से तुम्हारे पास बहुत सारे काम हैं। जैसे कि पुराना डाटा रिकवर करना... ऑफ़िस का काम करने के अलावा तुम्हें उस ₹100 की कीमत भी चुकानी है, तो जल्दी से अपने केबिन में पहुँचे। वहाँ पर तुम्हारा काम तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।"

    नविता उदास मन से अपनी जगह से उठी और दरवाज़े की तरफ़ बढ़ ही रही थी कि आद्रक्ष एक सख्त आवाज़ में बोला,
    "और हाँ, पहले दिन बॉस के साथ उलझने के लिए और मेरा इतना समय बर्बाद करने के लिए तुम्हारी पनिशमेंट की पहली शुरुआत हो चुकी है। तुम्हारी आधी सैलरी काट ली गई है।"

    नविता यह सुनकर चौंक गई और हैरानी से आद्रक्ष को देखने लगी। वह आद्रक्ष को देखकर बोली,
    "नहीं सर, आप मेरी सैलरी नहीं काट सकते हैं।"

    "क्यों नहीं काट सकता हूँ? मैं यहाँ का बॉस हूँ और मैं कुछ भी कर सकता हूँ..." आद्रक्ष ने अपने सख्त अंदाज़ में कहा। नविता का चेहरा बच कुचा जो रह गया था, वह भी उतर गया। वह दोबारा दरवाज़े की तरफ़ जाने के लिए मुड़ी, कि तभी रुककर पलटकर आद्रक्ष को देखती है और कहती है,
    "सर, अब मेरी सैलरी कितनी है?"

    "ओबवियसली ढाई लाख..." जैसे ही आद्रक्ष ने यह कहा, नविता सोच में पड़ गई। उसने हैरानी से आद्रक्ष को देखते हुए कहा,
    "ढाई लाख रुपये येरली!"

    "बेवकूफ़ लड़की, ढाई लाख रुपये मंथली..." आद्रक्ष ने जब नविता को उसकी सैलरी बताई, तो नविता की आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गईं। ढाई लाख रुपये मंथली सैलरी! इसका मतलब उसकी सैलरी ₹500000 डिसाइड की गई थी, लेकिन ढाई लाख भी कोई छोटी-मोटी रकम नहीं थी।

    नविता के चेहरे पर चमक आ गई, लेकिन फिर वह आद्रक्ष को देखती है जो घूरते हुए उसे ही देख रहा था। नविता जल्दी से अपना आईपैड संभालती है और वहाँ से निकल जाती है, कहीं यह पागल इंसान फिर से उसकी सैलरी आधी की आधी ना कर दे।

    पर्सनल सेक्रेटरी का कमरा आद्रक्ष के कमरे से बिल्कुल लगकर था, ताकि कभी भी आद्रक्ष को किसी काम की ज़रूरत पड़े तो उसकी पर्सनल सेक्रेटरी उसके आसपास ही रहनी चाहिए। नविता जब अपने केबिन में पहुँची, तो वह चौंक गई।

    यह केबिन था? यह तो अपने आप में ही एक फाइव स्टार कमरे जैसा लग रहा था। सामने एक 7 सीटर सोफ़ा रखा हुआ था, जहाँ कोई इंसान आराम से सो भी सकता था। दीवार पर लगी हुई बड़ी सी एलईडी स्क्रीन, जिसमें इस वक़्त बिज़नेस की न्यूज़ चल रही थी। सामने रखा टेबल और कुर्सी, और वहाँ पर कंप्यूटर लैपटॉप रखा हुआ था। इसके अलावा बड़ी सी काँच विंडो से बाहर का ख़ूबसूरत नज़ारा दिख रहा था।

    लेकिन तभी नविता की नज़र सामने वाली दीवार पर गई, जो एलईडी स्क्रीन के साथ में थी। वहाँ पर एक ब्लैक काँच की दीवार थी। यह नविता को समझ में नहीं आया कि इतनी ख़ूबसूरत जगह पर ब्लैक काँच की दीवार का इंटीरियर करने की क्या ज़रूरत है? लेकिन नविता को क्या करना है?

    उसका केबिन बहुत ख़ूबसूरत था। अगर उसका बॉस उसे यहाँ पर रहने की सज़ा देगा, तो वह खुशी-खुशी यहीं रहने के लिए भी मान जाएगी। इतनी ख़ूबसूरत जगह को छोड़कर कौन जाना चाहता है? नविता अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गई।

    वह कुर्सी इतनी आरामदायक थी कि नविता तो दो बार उस पर उछल ही गई थी। उसने टीवी का रिमोट उठाया और सबसे पहले इस बोरिंग से न्यूज़ चैनल को हटाकर वहाँ डोरेमोन लगा दिया।

    नविता डोरेमोन को देखते हुए खुश हो रही थी कि तभी उसे अपने कानों में कुछ आवाज़ सुनाई दी। नविता ने देखा तो यह आवाज़ कंप्यूटर से आ रही थी। उसने जल्दी से कंप्यूटर ऑन किया, तो सामने स्क्रीन पर ही उसे मेल आईडी का नोटिफिकेशन मिल रहा था।

    मिस्टर गोयल ने उसे पहले ही पासवर्ड और सारी चीज़ों के बारे में बता दिया था। नविता ने मेल आईडी ओपन की, तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गई थीं।

    आद्रक्ष की मेल आईडी से उसे एक फ़ाइल का पीडीएफ़ भेजा गया था।

    नविता ने जैसे ही वह पीडीएफ़ ओपन किया, उसकी साँस गले में आ गई थी। "हे भगवान! 100 से ज़्यादा फ़ाइलें हैं! वह भी पेंडिंग फ़ाइलें...!" ये सारी फ़ाइलें आद्रक्ष ने नविता को भेजी थीं और उसे अब इन फ़ाइलों को करेक्ट करना था, लेकिन तभी नविता का ध्यान उस आँकड़े पर गया। उसने 100 पहले भेजी थीं, इसका मतलब उस ₹100 की कीमत में अब उसे यह काम करना होगा।

    नविता ने सबसे पहले तो टीवी बंद किया और उसके बाद उन फ़ाइलों का डाटा रिकवर करने लगी। कब सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हुई, उसे पता ही नहीं चला। एक के बाद एक फ़ाइलों का डाटा रिकवर करने में नविता के हाथ भी दर्द कर रहे थे, लेकिन उसे ये सारे काम आज की तारीख़ में ही ख़त्म करने थे।

    शाम के 4:00 बज गए थे। नविता अभी भी अपने काम में लगी हुई थी, तभी उसके फ़ोन की रिंग बजी। नविता अपने काम में इतनी खोई हुई थी कि उसने फ़ोन पर नंबर भी चेक नहीं किया और फ़ोन उठाकर स्पीकर पर रखते हुए कहा,
    "कौन है?"

    "तुम्हारा बॉस..." आद्रक्ष की दमदार आवाज़ से नविता अपनी जगह से उछल गई। वह घबराते हुए फ़ोन स्क्रीन की तरफ़ देखती है। एक वीआईपी नंबर उसके स्क्रीन पर शो कर रहा था। इसका मतलब आद्रक्ष को उसका नंबर मिल गया था... नविता ने घबराते हुए कहा,
    "यस बॉस!"

    सामने से आद्रक्ष की गुस्से भरी आवाज़ आई,
    "तुम मेरी पर्सनल सेक्रेटरी हो ना?"

    नविता घबराते हुए बोली,
    "जी बॉस, मैं हूँ। मतलब मैं आपकी पर्सनल सेक्रेटरी ही हूँ? क्या हुआ बॉस, आप ऐसे क्यों कह रहे हैं?"

    आद्रक्ष ने गुस्से में कहा,
    "अगर तुम मेरी पर्सनल सेक्रेटरी की पोज़ीशन पर हो, तो क्या तुम्हें पता नहीं है कि बॉस को चाय और कॉफ़ी के साथ लंच, डिनर और ब्रेकफ़ास्ट के लिए कब पूछना चाहिए? टाइम देख रही हो, 4:00 बज गया है और मैंने अभी तक लंच नहीं किया है।"

    नविता एकदम से घबरा गई और वह जल्दी से बोली,
    "जी सर, मैं अभी कुछ करती हूँ। सॉरी, अब से ऐसा नहीं होगा। अब से मैं आपका लंच का पूरा ध्यान रखूँगी।"

    आद्रक्ष गुस्से में फ़ोन काट देता है। नविता कुछ सोचते हुए इधर से उधर टहलती है और कहती है,
    "अब बॉस के लिए लंच कैसे अरेंज करूँ? आइडिया! गोयल सर से पूछती हूँ..." लेकिन जैसे ही उसने गोयल सर को फ़ोन किया, एक एम्प्लॉयी ने बताया कि गोयल सर इस समय मीटिंग में हैं और फ़ोन नहीं उठा सकते हैं।

    नविता टेंशन में आ गई। आद्रक्ष को वह ऐसे ही कुछ भी खाने के लिए नहीं दे सकती थी, अगर उसे खाना नहीं पसंद आया तो वह उसे फेंक भी देगा। इसीलिए नविता ने कुछ सोचा और वही किया जो वह खुद हर बार करती है। ज़ोमैटो ऑन किया और वहाँ से एक हेल्थी और डाइट कॉन्शियस फ़ूड ऑर्डर कर दिया।

  • 18. मेरी भूख ने आत्महत्या कर ली है - Chapter 18

    Words: 2013

    Estimated Reading Time: 13 min

    थोड़ी देर बाद, नविता जोमैटो का बड़ा सा पार्सल लेकर आद्रक्ष के कमरे के बाहर खड़ी थी। उसने एक हाथ से पार्सल संभाला और दरवाजे पर दस्तक दी। अंदर से आद्रक्ष की आवाज आई, "आ जाओ!"


    नविता ने दरवाज़ा खोला और हाथ में पार्सल संभालते हुए कहा, "सर, आपका लंच आ गया है। आप टेबल पर लंच करना पसंद करेंगे या फिर मैं आपके डेस्क पर ही लंच ले आऊँ?"


    आद्रक्ष का ध्यान उस वक्त फाइल पर था। उसने नविता की आवाज सुनी, लेकिन उसे नहीं देखा था। आद्रक्ष ने कड़कती हुई आवाज में कहा, "कहीं भी कर दो, क्या फर्क पड़ता है, पर जल्दी करो, मुझे भूख लग रही है।"


    नविता जल्दी से वह पैकेट लेकर सामने सोफे के साथ लगे टेबल पर रखा और कमरे के अटैच्ड किचन में चली गई। इतना शानदार किचन देखकर नविता को 2 मिनट के लिए ऐसा लगा जैसे वह किसी टीवी सेट पर आ गई हो। उसने मास्टरशेफ में ऐसे किचन देखे थे। वह किचन की खूबसूरती निहार ही रही थी कि बाहर से आद्रक्ष के चिल्लाने की आवाज आई, "व्हाट द हेल!"


    नविता एकदम से डर गई। वह बाहर भागती हुई आई और बोली, "क्या हुआ सर?"


    आद्रक्ष सोफे के पास खड़ा था और उसकी नज़र उस पार्सल पर टिकी हुई थी। आद्रक्ष ने नविता को गुस्से भरी निगाहों से देखा और दांत पीसते हुए कहा, "क्या है ये?"


    नविता ने मासूम बच्चे की तरह मुँह बनाते हुए कहा, "सर, आपका लंच है।"


    आद्रक्ष ने गुस्से में दांत पीसते हुए मुट्ठियाँ बांध लीं और कसकर अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहा, "तुमने ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया है?"


    नविता ने हाँ में सिर हिलाया, लेकिन उसे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि आद्रक्ष नाराज़ किस बात के लिए है। उसी ने तो कहा था कि उसे लंच करना है। अब नविता उसका लंच लेकर आई है तो वह इस बात से नाराज़ क्यों हो रहा है?


    नविता ने हिम्मत जुटाते हुए कहा, "क्या हुआ सर? कोई प्रॉब्लम है क्या? आप ही ने तो मुझसे कहा था कि मैं आपका लंच लेकर आऊँ?"


    "लंच लेकर आऊँ का मतलब है एक्सप्लोर पर जो किचन है, तुम वहाँ पर जाओ, लंच बनाओ और फिर वो लेकर आओ... ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए तुम्हें किसने कहा था? क्या तुम्हें किसी ने बताया नहीं कि मैं बाहर का फ़ूड नहीं खाता हूँ? तुम्हें मेरे केबिन में किचन नज़र नहीं आ रहा है क्या? अपने वर्किंग प्लेस पर किचन कौन रखता है... लेकिन मैंने किचन रखा हुआ है, क्योंकि मैं अपना खाना खुद बनाकर खाता हूँ।"


    नविता हैरान हो गई और बोली, "अच्छा, तो अब मैं इस ऑनलाइन फ़ूड का क्या करूँ?"


    आद्रक्ष ने अपना सिर पीटा और नविता को देखकर गुस्से में कहा, "बाहर डिपार्टमेंट में जाओ और किसी को भी दे दो।"


    नविता जल्दी से वह पैकेट उठाया और बाहर डिपार्टमेंट में जाकर उस पैकेट को हवा में किसी झंडे की तरह खड़ा करते हुए कहा, "किसी को भूख लगी है? प्लीज ये खाना खा लो। वरना बॉस मेरी जान खा जाएँगे।"


    शुक्र है कि स्टाफ़ ने नविता की मदद कर दी और वह खाना का पैकेट ले लिया था, वरना उस पैकेट के साथ नविता क्या करती, यह तो वह भी नहीं जानती थी।


    वह वापस आद्रक्ष के केबिन में गई और बोली, "सर, तो आप बताइए आपको क्या खाना है? मैं कुक से कह देती हूँ, वह आपके लिए बना देगा।"


    आद्रक्ष उस वक्त अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ था। उसने अपने दोनों हाथ बाँधे और अपने कोल्ड एक्सप्रेशन के साथ नविता को देखते हुए कहा, "किचन उस तरफ़ है।"


    नविता हैरान नज़रों से आद्रक्ष को देख रही थी। उसे आद्रक्ष की बातें समझ में नहीं आईं, लेकिन फिर अचानक उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं और वह लगभग चिल्लाते हुए बोली, "मैं कुकिंग करूँ?"


    आद्रक्ष के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान थी और उसने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, "बिल्कुल सही... अब जाओ और जाकर मेरे लिए जल्दी से कुछ बनाकर लाओ, मुझे बहुत भूख लग रही है।"


    लेकिन नविता अभी भी हैरान नज़रों से आद्रक्ष को देखे जा रही थी। आद्रक्ष ने नविता को देखते हुए सख्त लहजे में कहा, "अगर 2 मिनट में तुम यहाँ से नहीं गई ना, तो मैं तुम्हें ही खा जाऊँगा!"


    नविता जल्दी से किचन की तरफ़ भाग गई। जहाँ अभी थोड़ी देर पहले उसे यह किचन खूबसूरत लग रहा था, वहीँ अब यही किचन उसे डरावना सा महसूस हो रहा था। वहाँ पर रखे हुए बड़े-बड़े कंटेनर को देखकर नविता की आँखें और बड़ी हो रही थीं। अब क्या बनाएँ? उसे तो कुछ बनाना ही नहीं आता है!


    नविता जेब में हाथ डालकर अपना फ़ोन निकालने को हुई कि तभी उसे याद आया कि अपना फ़ोन तो वह अपने केबिन में छोड़ आई है और बाहर उसका डेविल बॉस बैठा हुआ है।


    नविता ने अपना सिर पीटा और मन में कहा, "मुसीबत आती है तो एक साथ आती है।"


    नविता जल्दी से कुछ सोचती है और तभी उसकी नज़र सामने ब्रेड के पैकेट पर जाती है। वह जल्दी से ब्रेड उठाती है और उसमें कुछ करने लगती है। करीब 20 से 25 मिनट लगे।


    नविता एक ट्रे लेकर वापस केबिन में आई और सोफे के सामने लगे टेबल पर ट्रे रखते हुए बोली, "सर, मैंने कुछ बनाया है।"


    आद्रक्ष उस वक्त एक फ़ाइल पढ़ रहा था। उसने फ़ाइल बंद की और अपनी जगह से उठकर खड़ा हुआ। आद्रक्ष कोर्ट निकाल रहा था। वह सिर्फ़ शर्ट में था। उसने अपने शर्ट की बाजू में लगे बटन खोले और शर्ट को फ़ोल्ड करके एल्बो तक करते हुए वह वॉशरूम की तरफ़ चला गया। उसने अपने हाथ धोये और अब वह एक छोटे से तौलिये से हाथ पोंछते हुए सोफे के पास आ रहा था।


    जैसे ही आद्रक्ष सोफे के पास पहुँचा और प्लेट में रखी चीज़ देखी, उसकी आँखें हैरानी से छोटी हो गईं। वह घूरते हुए नविता को देखता है और कहता है, "आधा घंटा मेहनत करने के बाद तुम मेरे लिए सैंडविच बनाकर लाई हो!" 🤨


    नविता पहले तो घबराहट के मारे अपने नाखून चबाने लगी। इस सैंडविच को बनाने में ही उसे आधा घंटा लग गया था, क्योंकि खीरा और टमाटर उसे एक स्लाइस में गोल-गोल काटने थे...


    लेकिन नविता ने अपना दिमाग दौड़ाते हुए जल्दी से आद्रक्ष को देखा और फिर एक प्रोफ़ेशनल टोन में कहा, "सर, ये कोई ऐसा वैसा सैंडविच नहीं है, बल्कि ये एक ऐसा सैंडविच है जो आपके कल की मीटिंग के लिए आपको तैयार करेगा।"


    आद्रक्ष ने अपने दोनों हाथ फ़ोल्ड किये और वह घूरती हुई नज़रों से नविता को देखकर कहता है, "एक्सप्लेन!" 🤨


    नविता सीधी खड़ी हो जाती है और हाँ में सिर हिलाते हुए कहती है, "जी सर, मैं एक्सप्लेन करती हूँ ना। दरअसल सर, आपकी कल मीटिंग मिस्टर वाधवा के साथ है और ये मीटिंग सुबह 7:00 बजे की शिफ़्ट में है, इसका मतलब आपको सुबह जल्दी उठना होगा और सुबह जल्दी उठने के लिए आपको रात में बहुत लाइट खाना खाना होगा।


    वैसे तो मैंने सुना है कि सूरज ढलने के बाद खाना नहीं खाते हैं और आपकी हेल्थ को देखकर लगता है कि आप भी सूरज ढलने के बाद खाना नहीं खाते होंगे, तो मैंने आपको शाम का नाश्ता बहुत ही लाइट दिया है, ताकि रात भर आपको अच्छी नींद आए और सुबह आपकी नींद टाइम पर खुले और आप मीटिंग में टाइम पर पहुँच सकें और सर बनाने को तो मैं आपके लिए बहुत कुछ बना सकती थी, जैसे छोले भटूरे, राजमा चावल...


    लेकिन फिर मैंने सोचा कि अगर ये सब खाकर आपका पेट खराब हो गया तो क्या होगा? और कल कहीं मिस्टर वाधवा के सामने आपका फाट निकल गया तो आपको कितनी एम्बेरस्मेंट होगी।"


    आद्रक्ष नविता की बाकी सारी बातें इग्नोर कर उसकी आखिरी लाइन सुनकर चिल्लाया, "व्हाट! क्या बकवास कर रही हो तुम? मेरा फाट क्यों निकलेगा?"


    नविता घूरकर आद्रक्ष को देखती है और कहती है, "इसमें बकवास वाली क्या बात है सर? फाट तो सबको आता है। आपको नहीं आता है क्या? जब पेट में गैस बढ़ जाती है तब।"


    उसके बाद नविता बेचारा सा चेहरा बनाती है और कहती है, "मुझे तो बहुत आता है। अभी कुछ हैवी खाऊँ तब तो बहुत ज़्यादा आता है। वैसे अगर मैं घर का खाना खाती हूँ, फिर तो नहीं आता है, लेकिन जब मैं बाहर से कुछ खाती हूँ ना... तब तो रात भर पेट में मरोड़ पड़ती रहती है और पूरी रात आता रहता है।"


    अपनी बात कहने के बाद नविता आद्रक्ष के चेहरे को देख रही थी जो कि अपनी हैरान भरी नज़रों से उसे ही घूर रहा था।


    नविता ने आद्रक्ष से कहा, "मेरी बात छोड़िए, सर आप ये बताइए मैं सैंडविच के साथ आपको कोल्ड ड्रिंक दूँ या फिर आप कॉफी के साथ सैंडविच खाएँगे?"


    आद्रक्ष निराश होकर अपनी आँखें बंद कर लेता है और अपना चेहरा दूसरी तरफ़ करते हुए एक जोर से साँस छोड़ता है और नविता से कहता है, "तुमने इतने काम की जानकारी मुझे दी है कि मेरी भूख ने खिड़की से कूद कर आत्महत्या कर ली है। जाओ यहाँ से।" यह कहने के बाद आद्रक्ष सीधे अपने टेबल की तरफ़ चला जाता है।


    नविता को लगा उसकी जान छूट गई। वह जल्दी से सैंडविच की प्लेट उठाती है और अपने केबिन की तरफ़ भाग जाती है। इतनी मेहनत से सैंडविच बनाया है, आद्रक्ष को नहीं खाना है तो ना खाए, नविता तो खाएगी।


    शाम हो चुकी थी। सब लोग घर जा चुके थे। नविता की फ़ाइल का डाटा ट्रांसफ़र भी हो गया था और बाकी की फ़ाइल्स उसने अपने मैकबुक में ट्रांसफ़र कर ली थीं। बाकी का काम वह घर जाकर करने वाली थी। इस वक्त नविता अपने बैग को संभालते हुए पार्किंग एरिया की तरफ़ जा रही थी। एग्ज़िट का दरवाज़ा पार्किंग से होकर जाता था।


    जैसे ही नविता पार्किंग में पहुँची तो देखा कि पार्किंग में गिनती की कुछ गाड़ियाँ ही रह गई थीं। इसका मतलब सारे एम्पलाइज़ चले गए थे, क्योंकि सुबह के वक्त यहाँ पर बहुत सारी गाड़ियाँ थीं और अब बस कुछ ही गाड़ियाँ हैं। नविता पार्किंग से होते हुए एग्ज़िट की तरफ़ जा ही रही थी कि तभी उसकी नज़र एक ब्लू कलर की मर्सिडीज़ पर पड़ी।


    उस मर्सिडीज़ को देखकर नविता के चेहरे के भाव सख्त हो गए, क्योंकि यह मर्सिडीज़ आद्रक्ष की थी। नविता उस मर्सिडीज़ के पास आई और गुस्से में उस गाड़ी को देखने लगी। नविता का गुस्सा इस वक्त जो आद्रक्ष के लिए था, वह उस गाड़ी पर उतारते हुए उस गाड़ी को आद्रक्ष समझ रही थी और उससे कह रही थी...


    "मिस्टर आद्रक्ष शेखावत! खडूस, बदतमीज़ और एक नंबर के घमंडी इंसान हो तुम... अरे लड़की सामने से माफ़ी मांग रही है तो माफ़ कर दो ना! तुम्हारा क्या चल जाएगा, लेकिन नहीं! तुम्हें तो यहाँ मुझे सज़ा देनी है। मेरे दिए हुए ₹100 के नोट को ऐसे सजा कर रखा हुआ है जैसे कोई इनाम जीतकर मिला है तुम्हें। क्या कहा तुमने मुझे? उसके लिए सज़ा दोगे? तुम्हारी तो मैं..." 😡


    ऐसा कहते हुए नविता अपने आसपास देखने लगी। तभी उसने देखा कि थोड़ी दूर पर एक पत्थर का टुकड़ा है। वह जल्दी से गई और उस पत्थर के टुकड़े को लाकर सीधे उस मर्सिडीज़ के बोनट पर मार दिया। उस ब्लू रंग की मर्सिडीज़ के बोनट पर स्क्रैच लग गया था।


    नविता यह करके बहुत खुश हो रही थी। उसने आद्रक्ष की गाड़ी का नुकसान कर दिया था और नविता को लगा कि वह जीत गई। वह खुश हो रही थी अपनी इस छोटी सी जीत पर कि तभी उसे पीछे से आद्रक्ष की भयंकर आवाज सुनाई दी।


    "इस गाड़ी की कीमत पता है तुम्हें...?"


    नविता 😵

  • 19. देश की जागरूक नागरिक - Chapter 19

    Words: 2039

    Estimated Reading Time: 13 min

    आद्रक्ष अपनी कोल्ड लुक के साथ लिफ्ट के पास खड़ा था। वह अभी-अभी लिफ्ट से बाहर निकला था और आते ही उसकी नज़र सामने खड़ी नविता पर पड़ी, जिसके हाथों में एक पत्थर था। उसने अगले ही पल वह पत्थर आद्रक्ष की मर्सिडीज़ पर मार दिया। आद्रक्ष की आँखें छोटी हो गईं।

    वह नविता के पीछे आकर खड़ा हुआ और उसे देखकर कहा, "तुम्हें इस गाड़ी की कीमत पता है?"

    नविता की धड़कनें अचानक बढ़ गईं। उसने कसकर अपनी आँखें बंद कर लीं। लोग अक्सर मुसीबत में फँस जाते हैं, लेकिन नविता उन लोगों में से थी, जो ढूँढ़-ढूँढ़ कर मुसीबत को अपने पास बुलाती थी।

    नविता ने मन ही मन अपने आप को कोसते हुए कहा, "और बन जा होशियार! क्या ज़रूरी था उड़ता हुआ तीर लेना? अब फँस गई ना?"

    नविता घबराते हुए पीछे मुड़ी और आद्रक्ष को देखा, जो अपने दोनों पेंट की पॉकेट में हाथ डाले हुए, बिना किसी एक्सप्रेशन के, नविता को घूर रहा था।

    नविता ने बनावटी हँसी के साथ टूटे शब्दों में आद्रक्ष को देखकर कहा, "बॉस, ये कार आपकी है? काफ़ी महँगी लग रही है?"

    "लिमिटेड एडिशन... पूरे इंडिया में ये सिर्फ़ तीन ही कार हैं। इसके ऊपर जो हेडलाइट्स लगे हुए हैं ना, उनकी कीमत ही डेढ़ लाख रुपए है!"

    नविता की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। वह उस ब्लू मर्सिडीज़ कार को देखती रही और अपनी आँखें बड़ी करते हुए बोली, "डेढ़ लाख की सिर्फ़ हेडलाइट्स? इस गाड़ी की हेडलाइट्स चुराकर ले जाऊँ, तो भी बहुत अच्छे पैसे मिलेंगे?"

    लेकिन तभी आद्रक्ष की आवाज़ नविता को अपने चोरी के इरादे से बाहर आने पर मजबूर करती है, और वह हैरानी से आद्रक्ष को देखने लगी।

    आद्रक्ष आगे बोला, "तुम्हें पता है, जब ये कार आई थी, तो इसका कलर ग्रे था और मुझे उसका कलर पसंद नहीं आया था। इसलिए मैंने इसे ब्लू कलर में पेंट करवाया था। इस पूरे कार को ब्लू कलर में पेंट करवाने में मेरा 25 लाख रुपए ख़र्चा हुआ था, और तुमने इस पर एक ख़रोच डाल दी है। इसका मतलब यह है कि तुमने मेरी गाड़ी ख़राब कर दी है। तुम्हें पता है इसके लिए तुम्हें सज़ा मिल सकती है? मैं इसके लिए तुम पर लीगल एक्शन ले सकता हूँ?"

    नविता की आँखें एकदम से बड़ी हो गईं और उसका गला सूख गया। कोर्ट-कचहरी, पुलिस...नविता इन सब चक्करों में नहीं पड़ सकती थी। इसलिए उसने ज़्यादा बात न बढ़ाते हुए अपनी गलती मानना ही सही समझा।

    उसने धीरे से अपना चेहरा नीचे किया और कहा, "आई एम सॉरी बॉस, मुझसे गलती हो गई है। आपका जो भी नुकसान है, मैं उसे पे करने के लिए तैयार हूँ!"

    आद्रक्ष की आँखें छोटी हो गईं और उसने घूरते हुए नविता को देखकर कहा, "तो तुम नुकसान की भरपाई करोगी? ठीक है, तो कैसे करोगी तुम नुकसान की भरपाई?"

    नविता बेचारगी के साथ आद्रक्ष को देखती है और फिर गाड़ी को देखती है। गाड़ी का पेंट इतना महंगा था, उसे रिपेंट करवाने में कितना खर्चा आएगा?

    नविता अपनी घबराहट को छुपाती हुई आद्रक्ष को देखते हुए बोली, "इंस्टॉलमेंट पर चलेगा क्या? मैं इतनी बड़ी रकम एक साथ नहीं दे सकती हूँ!"

    लेकिन आद्रक्ष ने अपने जेब से दोनों हाथ निकाले और उन्हें सामने बाँधते हुए नविता को देखकर कहा, "तुम्हें लगता है ये बात इतनी छोटी है कि मुझे इसे यूँ ही छोड़ देना चाहिए? तुमने मेरी फ़ेवरेट गाड़ी को ख़राब कर दिया है और तुम इसकी भरपाई भी नहीं कर पा रही हो, तो मुझे लगता है कि मुझे तुम्हारे ख़िलाफ़ कंप्लेंट करनी ही होगी!"

    नविता वैसे तो घबरा गई, लेकिन जब उसने देखा कि आद्रक्ष कानून की बात कर रहा है, तो उसने थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए कहा, "सर, आप ऐसे ही मुझ पर कंप्लेंट नहीं कर सकते हैं। ये सिर्फ़ एक छोटी सी ख़रोच है, और मैं इसके लिए आपको पे करने के लिए भी तैयार हूँ। पर मैं पूरी गाड़ी पेंट नहीं करवा सकती हूँ, इतनी सी जगह में पेंट करवा दूँगी। लेकिन फिर भी अगर आप मुझे पुलिस की धमकी देंगे, तो मैं आपको बता दूँ, थोड़ा बहुत कानून तो मैं भी जानती हूँ। आप ऐसे ही मुझे जेल में नहीं भेज सकते हैं!"

    आद्रक्ष के चेहरे पर एक एटीट्यूड आ गया और वह अपनी एक आईब्रो उठाते हुए बोला, "तुम्हें लगता है कि तुम्हारे पास तुम्हारे लीगल राइट्स हैं?"

    आद्रक्ष ने इतने कॉन्फिडेंस से कहा था कि अब नविता का बचा-कुछा कॉन्फिडेंस हिलने लगा था। क्या सच में उसके पास उसके लीगल राइट्स हैं? उसने धीरे से आद्रक्ष को देखते हुए पूछा, "आपकी एम्प्लॉई होते हुए भी क्या मुझे लीगल राइट्स नहीं हैं? मैं सिर्फ़ आपकी एम्प्लॉई ही नहीं हूँ, इस देश की एक जागरूक नागरिक भी हूँ!"

    "माना कि तुम इस देश की एक जागरूक नागरिक हो, लेकिन तुम्हारा इस वक़्त जागना ज़रूरी नहीं है। रात बहुत हो गई है। जाओ यहाँ से, इससे पहले कि मैं अपना इरादा बदल दूँ!"

    ये कहते हुए आद्रक्ष अपनी गाड़ी की तरफ़ बढ़ गया। उसने एक नज़र अपनी गाड़ी पर पड़े हुए उस ख़रोच को देखा और फिर अपनी गाड़ी का दरवाज़ा खोलकर उसमें बैठ गया। उसने गाड़ी स्टार्ट की और बिना नविता की तरफ़ देखे वहाँ से निकल गया।

    नविता का मुँह खुला का खुला रह गया था। "क्या पागल बंदा है ये! यहाँ खड़े होकर आधे घंटे से उसके साथ बहस कर रहा है, लेकिन लास्ट में उसने कुछ भी नहीं किया। ना तो नविता के ऊपर कोई एक्शन लिया और ना ही उसे नौकरी से निकाला। यहाँ तक कि वह तो चुपचाप यहाँ से चला गया है!"

    नविता अपना सर पीट लेती है और अपने मन में कहती है, "बाप रे! इस इंसान के साथ काम करना आसान नहीं है! ये तो किसी पहेली की तरह है, अगर एक सुलझाऊँगी, तो दूसरी सामने आ जाएगी!"

    गाड़ी के बारे में सोचकर तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि यह सारी ज़िंदगी के लिए मुझे अपने पास कैद करके रख लेगा। लेकिन इसने तो कुछ भी नहीं कहा, चुपचाप चला गया। साइको कहीं का!

    नविता ऑफ़िस बिल्डिंग से बाहर निकली और एक टैक्सी पकड़कर अपने घर चली गई। घर आते ही उसका स्वागत टीना ने किया। टीना मुस्कुराते हुए नविता को देखती है और कहती है, "वेलकम होम मेरी जान!"

    आज पूरे दिन जितनी भी टेंशन थी, टीना का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर नविता की सारी टेंशन उतर गई। टीना नविता का हाथ पकड़कर उसे डाइनिंग टेबल के पास ले आई, जहाँ पर टीना ने बहुत सुंदर डिनर का अरेंजमेंट किया था।

    इतने अच्छे-अच्छे डिशेज़ देखकर नविता बोली, "क्या बात है टीना! ये सारा तुमने किस खुशी में बनाया है? आज कुछ स्पेशल है क्या?"

    टीना भी मुस्कुराई और हाँ में सिर हिलाते हुए बोली, "हाँ नवी, आज स्पेशल नहीं, बहुत स्पेशल है। बात हुई है, आज मेरी बेस्टी की जॉब वहाँ लग गई है, जहाँ पर काम करने के लिए लोग मर जाते हैं। तुम्हें पता है मेरे होटल में किसी को यकीन ही नहीं हो रहा है कि तुम्हारी जॉब प्रेसिडेंट ऑफ़िस में लग गई है और तुम बॉस की पर्सनल सेक्रेटरी हो। उन्हें पता है ना कि मैं तुम्हारी फ़्रेंड हूँ, तब से वो लोग मेरी कितनी खातिरदारी कर रहे हैं।"

    "उनका कहना ये है कि बॉस से अगर कोई काम निकलवाना हो ना, तो वो मुझसे कह देंगे, मैं तुमसे कह दूँगी और तुम वो काम आसानी से करवा सकती हो बॉस से!"

    टीना की बात सुनकर नविता के चेहरे पर अब तक जो मुस्कान थी, वह उतर गई और वह अपने मन में कहती है, "बॉस से कोई काम करवाना कभी भी आसान नहीं हो सकता है!"

    टीना ने नविता का हाथ पकड़ते हुए उससे आगे कहा, "नवी, मुझे ये बताओ, तुम्हें वहाँ जॉब मिली कैसे? मतलब मैंने तो सुना है कि वहाँ पर कोई भी लड़की काम नहीं करती है, तो फिर तुम वहाँ पर कैसे काम कर रही हो?"

    नविता ने टीना को सब कुछ बता दिया कि कैसे उसे इस पोजीशन पर रखा गया है और कैसे वह वहाँ पर काम कर रही है। उसका एक अलग केबिन है और उसे बॉस के फ़्लोर पर ही केबिन मिला है। लेकिन बॉस के साथ काम करना इतना आसान नहीं है। बाकी वहाँ पर जितने मेल एम्प्लॉई हैं, सबकी घूरती हुई नज़रें नविता कैसे महसूस करती है, पर वहाँ पर मिस्टर गोयल के साथ वह बहुत कम्फ़र्टेबल रहती है!

    एक-दूसरे के साथ बातें करते हुए उनका डिनर भी ख़त्म हो गया। वे दोनों अपने-अपने कमरे में गईं और एक-दूसरे को गुड नाइट बोलीं। नविता जैसे ही कमरे में पहुँची, उसने अपना डोरेमोन वाला नाइट सूट पहना हुआ था।

    नविता आज पूरे दिन बहुत ज़्यादा थक गई थी। उसने 100 फ़ाइलों का डेटा ट्रांसफ़र किया था और अभी रात में बैठकर भी उसने 2 घंटे तक काम किया था, और अब उसमें बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी। वह अपने बेड पर गई और पसरकर लेट गई। उसने तकिए पर सर रखा और चादर को अपने सीने तक ढक लिया।

    वह अपनी आँखें बंद करते हुए यह इमेजिन कर रही थी कि डोरेमोन वाला मैजिक डोर उसे मिल जाए और वह यहाँ से किसी दूसरी दुनिया में भाग जाए।

    नविता ने अपनी आँखें बंद कर लीं और बस वह अपनी वास्तविक दुनिया से डोरेमोन के साथ उसकी दुनिया में जाने ही वाली थी कि तभी उसके फ़ोन की तेज घंटी बजी।

    "चल छैया छैया, छैया छैया..." 🤦🏻‍♀️!!!!

    नविता ने अपने फ़ोन की रिंगटोन इतनी तेज और भड़कीली इसीलिए रखी थी ताकि उसकी नींद खुल जाए। क्योंकि नींद में जाने के बाद नविता सोती नहीं थी, बल्कि मर जाती थी और अगले दिन उसका पुनर्जन्म होता था। ऐसे में अगर कोई इमरजेंसी में उसे फ़ोन करे, तो उसे पता ही नहीं चलता था। इसलिए उसने अपनी रिंगटोन इतनी तेज साउंड की रखी थी कि नविता को छोड़ो, पड़ोसियों तक को जगाकर रख देती है।

    नविता हड़बड़ाते हुए नींद से जाग गई और तभी दूसरे रूम से टीना के चिल्लाने की आवाज़ आई, "नवी! फ़ोन बंद कर यार! मैं सो रही हूँ और अपना रिंगटोन चेंज कर!"

    नविता जल्दी से फ़ोन उठाती है और साइलेंट का बटन दबाते हुए कहती है, "सॉरी!"

    नविता फ़ोन उठाती है और नींद में ही कान पर लगाते हुए कहती है, "कौन बोल रहा है?"

    "तुम्हारा बॉस!"

    आद्रक्ष की आवाज़ सुनकर नविता की बची-कुछी नींद भी उड़ जाती है और वह हड़बड़ाते हुए उठती है और कहती है, "यस बॉस!"

    "मिस नविता, मैंने आपको यह इन्फ़ॉर्म करने के लिए फ़ोन किया है कि कल रात हमें एक बिज़नेस डिनर पार्टी में जाना है। क्योंकि वहाँ सारे बिज़नेसमैन होंगे, तो वहाँ पर बिज़नेस की बातें भी होंगी। इसीलिए मैं चाहता हूँ कि कल शाम से पहले आप इसकी तैयारी अच्छी तरह से कर लें?"

    "यस बॉस, मैं समझ गई!"

    आद्रक्ष ने फ़ोन रख दिया और नविता अपने स्क्रीन को हैरानी से देखती है और उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं।

    रात के 12:00 बजे उसने नविता को फ़ोन करके इस बात की इन्फ़ॉर्मेशन दी है। नविता अपना सिर पीट लेती है और अपना सर तकिए पर रखते हुए अपना चेहरा रोने वाले अंदाज़ में बनाती है और कहती है, "ये डेविल बॉस दिन में मुझे जीने नहीं देता है, रात में मुझे सोने नहीं देता है, और अब कल इसके साथ किसी डिनर पार्टी में जाना है। इसका मतलब मेरी शाम भी बर्बाद हो जाएगी?"

    उसके बाद नविता चौक पर बैठ जाती है और अपनी भौंहें सिकुड़ते हुए कहती है, "1 मिनट! कल रात बिज़नेस डिनर पार्टी है, इसका मतलब मुझे ओवरटाइम करना होगा?"

    नविता अपना सर पीट लेती है। ओवरटाइम से ही तो वह बचना चाहती थी। इसी की वजह से तो उसकी पिछली जॉब चली गई थी और अब उसे नए मालिक के साथ ओवरटाइम करना होगा। क्या आद्रक्ष का ओवरटाइम का मतलब कुछ और तो नहीं है?

    नहीं-नहीं! पिछला बॉस तो कमीना था...वह तो ओवरटाइम के बहाने कुछ और करवाता था। लेकिन इस वाले बॉस को तो लड़कियों में इंटरेस्ट ही नहीं है, तो फिर यह मुझे अपने साथ क्यों ले जाना चाहता है? इसीलिए क्योंकि मैं इसकी पर्सनल सेक्रेटरी हूँ?

  • 20. मैं नहीं चाहता तुम मुझे ब्लैकमेल करो - Chapter 20

    Words: 2018

    Estimated Reading Time: 13 min

    आद्रक्ष से बात करने के बाद, नविता को रात में नींद नहीं आ रही थी। उसने कई बार सोने की कोशिश की, लेकिन उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी। अंत में, थक-हारकर वह उठकर बैठ गई और अपनी अलमारी की तरफ देखने लगी।

    कल उसे आद्रक्ष के साथ एक बिज़नेस डिनर पार्टी में जाना था। उसने सोचा कि एक बार जाकर अपनी अलमारी में चेक कर ले कि क्या उसके पास पहनने के लिए सही कपड़े हैं या नहीं।

    उसका बॉस जितना खडूस और अकडू क्यों न हो, वह उतना ही वेल पर्सनालिटी वाला आदमी था। उसके साथ खड़े रहने पर ही सबकी नज़र नविता पर रहेगी, और अगर नविता की पर्सनालिटी में जरा भी कमी आई, तो सबकी नज़रें उस पर ही टिकी रहेंगी, जो कि नविता नहीं चाहती थी।

    क्योंकि वह ऑफिस में वैसे ही सभी आदमियों के बीच चर्चा का केंद्र रहती थी। अब ऐसे किसी बिज़नेस पार्टी में वह सेंट्रल ऑफ अट्रैक्शन नहीं बनना चाहती थी।

    उसने अपनी पूरी अलमारी छान मारी, लेकिन उसके पास कोई भी ऐसा कपड़ा नहीं था जो पहनने लायक हो। नविता परेशान हो गई। उसके पास एक भी ड्रेस ऐसी नहीं थी जो वह बिज़नेस पार्टी में पहन सके।

    हर ड्रेस या तो बहुत ज़्यादा शॉर्ट्स थी या फिर बहुत ज़्यादा ढकी हुई थी। बिज़नेस पार्टी में पहनने लायक तो उसके पास कोई भी ड्रेस नहीं थी। यही सोचते हुए नविता और ज़्यादा परेशान हो गई थी।

    क्योंकि पिछली जॉब से उसे कोई पैसे नहीं मिले थे और इस वक़्त उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह ज़्यादा खर्च कर सके। इसीलिए उसने सोचा कि कल वह ऑफिस जाएगी और ऑनलाइन एक ड्रेस ऑर्डर करेगी, पर थोड़ी सस्ती सी।

    ज़ाहिर सी बात है, बचे हुए पैसे से ही उसे अपना खर्चा चलाना था, क्योंकि नौकरी के दूसरे दिन ही तो वह अपनी कंपनी से एडवांस नहीं मांग सकती थी ना।

    रात में बहुत देर तक इसी बारे में सोचने की वजह से उसकी आँख बहुत देर से लगी थी, जिसकी वजह से वह अगले दिन सुबह अलार्म की घंटी से उठी थी, और वह भी दो बार अलार्म बंद करने के बाद।

    उसकी नींद पूरी नहीं हुई थी और वह ठीक से सो भी नहीं पाई थी। नविता ने आज व्हाइट कलर का वूमेन शर्ट और घुटनों तक की स्कर्ट पहनी थी। उसके लंबे बालों को उसने पोनी में बाँधा हुआ था।

    नविता जल्दी से टैक्सी पकड़ती है और ऑफिस के लिए निकल जाती है। उसे बॉस से पहले ऑफिस पहुँचना था क्योंकि वह बॉस की सेक्रेटरी थी, तो बॉस की चीज़ मैनेज करने के लिए उसे बॉस से पहले ऑफिस पहुँचना होता था।

    लेकिन नविता की खराब किस्मत! उसकी कैब टाइम पर उसे लेने ही नहीं आ पा रही थी और दो बार कैब कैंसिल हो गई थी, जिसकी वजह से नविता को बहुत देर बाद जाकर एक ढंग की कैब मिली थी और अपने ऑफिस के दूसरे दिन अपने बॉस से पहले पहुँचने का उसका प्लान धरा का धरा रह गया था।

    जैसे ही वह ऑफिस के सामने कैब से नीचे उतरती है, वैसे ही आद्रक्ष की गाड़ी कंपनी में इंटर होती है। नविता देखती है, यह कल वाली कार नहीं है। यह कोई दूसरी ही कार है, लेकिन यह भी मर्सिडीज़ ही है। "हे भगवान! इस इंसान के पास कितनी मर्सिडीज़ हैं।"

    आद्रक्ष अपनी कार से बाहर निकला। उसने इस वक़्त एक ब्लैक कलर का बिज़नेस सूट पहना हुआ था। नविता की नज़र आद्रक्ष के ऊपर गई और आद्रक्ष अपने सनग्लासेस से नविता की तरफ देखने लगा। नविता जल्दी से तेज कदमों से चलते हुए आद्रक्ष के पास आती है और कहती है, "गुड मॉर्निंग बॉस!"

    आद्रक्ष ने अपनी सनग्लासेस के अंदर से ही नविता को ऊपर से लेकर नीचे तक स्कैन किया और ठंडी सी आवाज़ में कहा, "तुम कैब से ऑफिस क्यों आई हो?"

    "क्योंकि सर मेरे पास कोई मर्सिडीज़ नहीं है ना इसलिए।"

    आद्रक्ष अपने चश्मे को निकालता है और नविता को घूर कर देखता है। नविता जल्दी से आद्रक्ष को देखती है और फिर घड़ी में टाइम देखते हुए कहती है, "बॉस आपकी मीटिंग है आधे घंटे बाद।"

    आद्रक्ष एक ठंडी साँस छोड़ता है और वहाँ से अपने लिफ्ट की तरफ चल देता है। नविता भी उसके पीछे-पीछे चल देती है। जो लोग अभी-अभी अपनी गाड़ी पार्किंग में लगा रहे थे, वे लोग बॉस के साथ नविता को चलता हुआ देख बहुत हैरान हो रहे थे।

    क्योंकि बॉस हमेशा से ही अकेले वीआईपी लिफ्ट में गए हैं और आज पहली बार उनके साथ एक लड़की चल रही है। इस पूरी कंपनी में कोई लड़की काम नहीं करती है, लेकिन बॉस की पर्सनल सेक्रेटरी एक लड़की है, यह देखकर सब हैरान हो रहे थे।

    एम्पलाई लिफ्ट पूरा मर्दों से भरा हुआ था। आद्रक्ष वीआईपी लिफ्ट के सामने खड़ा था, लेकिन नविता एम्पलाई लिफ्ट के पास चली गई थी और वहाँ पर मर्दों से भरे हुए उस लिफ्ट को देखकर नविता की जान गले में अटक गई थी।

    लिफ्ट में जो वॉचमैन मौजूद था, उसने कहा, "मैडम काफी जगह है। आप अंदर आ सकती हैं।"

    नविता अपने घड़ी में टाइम देखती है। आद्रक्ष की मीटिंग का टाइम हो रहा था और उसे फाइल आद्रक्ष की टेबल पर रखना था, लेकिन अगर वह लिफ्ट के जाने का और फिर वापस आने का इंतज़ार करती, तो 10 से 20 मिनट चला जाता। और प्रेसिडेंट फ्लोर दसवीं मंजिल पर है। इसका मतलब नविता अगर सीढ़ियों से भी जाती, तो शायद शाम तक या रात तक तो वह पहुँच ही जाती।

    लेकिन उसके पास टाइम नहीं था। इसीलिए एक गहरी साँस छोड़ी और फिर एक कदम उसने लिफ्ट के अंदर ही रखा था कि एक मज़बूत हाथ वहाँ आता है और नविता को खींचता हुआ ले जाता है। नविता हैरानी से देखती है तो यह सामने आद्रक्ष था जो उसे खींचता हुआ वीआईपी लिफ्ट में लेकर आता है जहाँ पर इस वक़्त सिर्फ़ नविता और आद्रक्ष ही खड़े थे।

    आद्रक्ष को ऐसा करता देख बाकी सारे एम्पलाई भी हैरान हो गए थे, लेकिन वॉचमैन ने जल्दी से लिफ्ट का बटन दबाया और लिफ्ट चल पड़ी। वीआईपी लिफ्ट में माहौल काफी गर्म था।

    नविता हैरानी से आद्रक्ष को देख रही थी और आद्रक्ष ने नविता का हाथ पकड़े हुए उसे घूर कर देखकर कहा, "तुम मेरी सेक्रेटरी हो, इसका मतलब तुम्हें मुझसे पहले ऑफिस में मौजूद होना चाहिए। अब जबकि मेरी मीटिंग स्टार्ट होने वाली है, तो तुम लेट कैसे हो सकती हो? आज के बाद ऑफिस आने के लिए तुम वीआईपी लिफ्ट का इस्तेमाल करोगी।"

    नविता की आँखें एकदम से बड़ी हो गई थीं, लेकिन आद्रक्ष ने अपने ठंडे एक्सप्रेशन से नविता को देखते हुए कहा, "और यह मैं तुमसे इसीलिए करने के लिए कह रहा हूँ ताकि मेरे काम में देरी न हो। अगर तुम टाइम से मेरा शेड्यूल रेडी नहीं करोगी, तो मैं काम कैसे करूँगा?"

    लिफ्ट से निकलकर जैसे ही आद्रक्ष अपने केबिन की तरफ बढ़ता है, वह नविता से कहता है, "अगले 5 मिनट में मेरी कॉफ़ी मेरे टेबल पर होनी चाहिए।"

    "यस बॉस!" नविता जल्दी से यह कहती है और अपने केबिन की तरफ़ भाग जाती है। वह जल्दी से मीटिंग की फाइल अपने केबिन से लेती है और तेज कदमों से चलते हुए आद्रक्ष के केबिन में आती है। वह फाइल को आद्रक्ष के सामने रखती है और किचन में चली जाती है।

    जल्दी से आद्रक्ष के लिए एक कॉफ़ी बनाकर लाती है और उसके सामने रख देती है।

    आद्रक्ष फाइल पढ़ रहा था। उसने कॉफ़ी का कप उठाया और उसे मुँह से लगाया। वह हैरान रह गया। उसने नविता की तरफ़ देखा और हैरानी से कहा, "यह तो अच्छी बनी है।"

    आद्रक्ष के इन कुछ शब्दों को नविता ने तारीफ़ के तौर पर लिया। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "जी सर, अच्छी बनी होगी क्योंकि मैंने कल रात इंटरनेट पर देखकर कॉफ़ी बनाना सीखा है।"

    आद्रक्ष ने अपनी एक आईब्रो उठाते हुए कहा, "तुमने कॉफ़ी बनाना ऑनलाइन सीखा है? नाइस! तुम ऑनलाइन देखकर काफी अच्छी कॉफ़ी बना ले रही हो, लेकिन तुम्हें यह कैसे पता कि मुझे ब्लैक कॉफ़ी पसंद है, वह भी विदाउट शुगर?"

    नविता ने मुस्कुराते हुए कहा, "वह इसलिए सर, क्योंकि कल रात मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैंने शेखावत इंडस्ट्रीज़ की विकिपीडिया पढ़ ली। जहाँ पर मुझे आपके बारे में पता चला। मेरा मतलब है, आपके बारे में तो वहाँ पर था ही, पर मुझे आपकी पसंद और नापसंद के बारे में पता चला और वहीं से मुझे पता चला कि आपको ब्लैक कॉफ़ी पसंद है, वह भी विदाउट शुगर।"

    "इंटरेस्टिंग…" आद्रक्ष ने बस एक छोटा सा शब्द कहा। इसका मतलब वह नविता से इम्प्रेस हुआ था। अब तक जितने भी लोग आद्रक्ष के पास पर्सनल असिस्टेंट के तौर पर हायर किए गए थे, उनमें से किसी ने भी इतनी हिम्मत नहीं दिखाई थी कि आद्रक्ष के लिए एक सही सी कॉफ़ी बना सके।

    हालाँकि उनमें से बहुतों को तो कॉफ़ी बनाना आती भी थी, लेकिन बॉस के डर की वजह से उनसे हमेशा से कोई न कोई गलती हो जाती थी, जिसकी वजह से आद्रक्ष उन्हें नौकरी के दूसरे या तीसरे दिन ही निकाल दिया करता था।

    आद्रक्ष ने नविता को ऊपर से लेकर नीचे तक घूर कर देखा और उसे कहा, "तुम आज रात के डिनर पार्टी में यही पहनने वाली हो क्या?"

    नविता ने अपने कपड़ों को देखा और फिर ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं सर, बिल्कुल भी नहीं! वह मैंने कुछ ऑनलाइन ऑर्डर किया है, शाम से पहले आ जाएगा।"

    "ठीक है, तुम जाओ और मेरा शेड्यूल तैयार करो।"

    "ओके बॉस।" नविता यह कहते हुए अपने केबिन की तरफ़ जाने ही वाली थी कि तभी पीछे से आद्रक्ष ने नविता से कुछ ऐसा कहा, जिसे सुनने के बाद नविता के पैर अपनी जगह पर ही जम गए थे।

    "उस दिन मॉर्निंग में होटल के कमरे से निकलने के बाद तुमने आफ्टर प्रेगनेंसी पिल्स ले ली थी ना?"

    नविता को लगा जैसे उसने कुछ गलत सुना। एक सेकंड के लिए तो वह पूरी तरह से स्तब्ध हो गई थी। वह पीछे पलटकर आद्रक्ष को देखती है और कहती है, "बॉस आपने कुछ कहा क्या?"

    "नविता, या जो भी नाम है तुम्हारा! मेरे साथ कोई गेम खेलने की कोशिश मत करना…" आद्रक्ष ने अपनी एक आईब्रो चढ़ाते हुए कहा।

    नविता सीधी खड़ी हो जाती है और अपने दोनों हाथ बाँधते हुए कहती है, "बॉस, मेरा नाम नविता बसु है। अगर आपको मेरा नाम लेने में प्रॉब्लम होती है, तो आप मुझे मिस बसु कहकर बुला सकते हैं, और आप किस बारे में बात कर रहे हैं? क्या आप मुझे क्लियर कर सकते हैं?"

    आद्रक्ष की आँखें छोटी हो जाती हैं और वह नविता को देखकर कहता है, "क्या तुम्हें सच में नहीं पता मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ? उस रात हमारे बीच जो भी हुआ था होटल के कमरे में। मैं तुमसे जानना चाहता हूँ कि उसके बाद क्या तुमने आफ्टर प्रेगनेंसी पिल्स ली है या नहीं ली है, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुम कल को मुझे ब्लैकमेल कर सको।"

    नविता का चेहरा गुस्से से भर जाता है और वह गुस्से में आद्रक्ष को देखने लगती है। नविता गुस्से में अपने दाँत पीसते हुए कहती है, "एक्सक्यूज़ मी सर! जितना उस रात के लिए आप शर्मिंदा हैं, उतना ही उस रात के लिए मैं भी शर्मिंदा हूँ। मैं उस रात को अपनी ज़िन्दगी से मिटाने की कोशिश कर रही हूँ, लेकिन आपका यह चेहरा मुझे उसे भूलने नहीं देता है। और आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मैंने पिल्स ले ली हैं, लेकिन अगर मैं ऐसा नहीं भी करती और मेरे पास कोई रीज़न होता आपको ब्लैकमेल करने का, तो यकीन मानिए, आप दुनिया के आखिरी आदमी होते जिसे मैं ब्लैकमेल करती। अगर अब आपको मेरा जवाब मिल गया है, तो क्या मैं अब अपने केबिन में जा सकती हूँ?"

    आद्रक्ष का चेहरा सादा था। उसने नविता को गुस्से में देखकर कहा, "मुझे तुम पर यकीन नहीं है। मैं चाहता हूँ कि तुम एक बार डॉक्टर से चेक करवा लो।"