कभी-कभी इश्क़, सिर्फ मोहब्बत नहीं... एक गुनाह बन जाता है!" वो माफिया की दुनिया का बेताज बादशाह था—रियान ‘राय’ ठाकुर। बेरहम, बेकाबू और खतरनाक… जिसकी जिंदगी में मोहब्बत से ज्यादा नफरत थी। और वो… पिया मल्होत्रा। एक ऐसी और... कभी-कभी इश्क़, सिर्फ मोहब्बत नहीं... एक गुनाह बन जाता है!" वो माफिया की दुनिया का बेताज बादशाह था—रियान ‘राय’ ठाकुर। बेरहम, बेकाबू और खतरनाक… जिसकी जिंदगी में मोहब्बत से ज्यादा नफरत थी। और वो… पिया मल्होत्रा। एक ऐसी औरत, जो इस दुनिया से दूर अपनी बेटी के साथ सुकून की ज़िंदगी चाहती थी… पर किस्मत ने उसे ऐसे शख्स से बाँध दिया, जिससे नजरें मिलाना भी एक खतरनाक खेल था। लेकिन ये कहानी सिर्फ मोहब्बत या नफरत की नहीं थी… ये एक ऐसे रिश्ते का खेल था, जहाँ वफादारी भी जंग के मैदान में उतरती है। जब अतीत के राज खुलेंगे… जब प्यार और गुनाह की सरहदें मिटेंगी… तो कौन बचेगा और कौन तबाह होगा? "इस इश्क़ में सिर्फ एक ही रास्ता है—या तो जियो… या मिट जाओ!"
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मुंबई, सुबह 9:00 बजे
मुंबई शहर के एक सुनसान इलाके में स्थित बड़े विला के कमरे में धुएं की एक मोटी परत फैली हुई थी। हल्की जल रही लाइट केवल इतनी थी कि सामने बैठे आदमी की आंखों की परछाइयाँ और भी गहरी लगने लगीं। हेड चेयर पर बैठा आदमी बिना हिले-डुले बैठा था; उसके चेहरे पर अंधेरा खेल रहा था—आधी रौशनी, आधा साया।
उसके होठों के बीच सिगरेट दबी थी, जलती राख धीरे-धीरे नीचे गिर रही थी। धुआँ उसके मुँह से धीमे-धीमे निकल रहा था, जैसे उसके सब्र की आखिरी हद गिन रहा हो। टेबल पर उसकी उंगलियाँ बेहद हल्के-हल्के, लेकिन लगातार थाप दे रही थीं—धक... धक... धक... एक अजीब-सा सन्नाटा पूरे कमरे में गूँज रहा था।
उसके सामने एक आदमी काँप रहा था। कमरे की कम रोशनी में उसका चेहरा ठीक से नहीं दिख रहा था, लेकिन उसकी घबराहट साफ़ झलक रही थी। उसकी आवाज़ लड़खड़ा रही थी—
"स-सर, बहुत समझाया... पर वो समझने को तैयार नहीं! बात मानने को तैयार नहीं!"
सिगरेट के धुएँ के बीच बैठे आदमी के होठों पर हल्की-सी मुस्कान आ गई। उसे कोई जल्दी नहीं थी, न ही कोई गुस्सा… सिर्फ़ एक ठंडी चुप्पी, जो सामने खड़े आदमी की धड़कनों और साँसों को और भी तेज़ कर रही थी। उसकी उंगलियाँ अब भी टेबल पर धीमे-धीमे थाप दे रही थीं। उसकी आँखों की गहराई किसी शिकारी जैसी थी—जो अपने शिकार को आखिरी वक़्त तक परखता है।
फिर उसने सिर उठाया, सामने खड़े आदमी की तरफ़ देखा।
और कोल्ड वॉइस में बोला,
"समझ नहीं रहा?"
उसकी आवाज़ में न गुस्सा था, न बेचैनी… बस एक ठंडापन, जो किसी की भी धड़कनें रोकने के लिए काफी था। कमरे की धीमी रोशनी में उसकी आँखें अब और भी डरावनी लग रही थीं—बिल्कुल खाली, बिना किसी भाव के।
सामने खड़ा आदमी निगलते हुए एक कदम पीछे हुआ।
"ब-बस... एक बार और कोशिश कर लेते हैं, सर?"
हेड चेयर पर बैठे आदमी ने सिगरेट का लंबा कश लिया, हल्की मुस्कान दी और धीमे से बोला, "क्यों?"
उसने धुएँ की एक मोटी लकीर हवा में छोड़ी, जो कमरे की अंधेरी रोशनी में और ज़्यादा गहरी लगने लगी।
"जो पहली बार में नहीं समझा, वो अब क्या समझेगा?"
फिर वह कुर्सी से थोड़ा आगे झुका, उसका चेहरा अब भी अधूरे अंधेरे में डूबा था, लेकिन उसकी आँखों का ठंडा गुस्सा अब और भी ज़्यादा साफ़ दिख रहा था। उसकी नज़रें सामने खड़े आदमी को टटोलने लगीं; इतनी गहरी कि वह हिम्मत करके भी सीधा न देख सका।
फिर बेहद शांत लहजे में बोला, "अगर लफ़्ज़ बेअसर हैं, तो दर्द उसकी जगह बोलेगा… और अगर फिर भी अकड़ में रहे, तो उसे इस तरह ख़ामोश कर दो कि न आवाज़ बचे, न वजूद... उसका नाम लेने से भी लोगों की रूह काँप उठें।"
कमरा अब भी उतना ही शांत था… लेकिन हल्की जलती लाइट में सामने खड़े आदमी की आँखों में खौफ़ और भी ज़्यादा गहरा हो गया था।
एक छोटे से घर में हल्की धूप खिड़की से छनकर अंदर आ रही थी, लेकिन कमरे के कोने में कोई बड़ी ही आरामदायक नींद के मज़े ले रहा था। बिस्तर पर एक रज़ाई के अंदर से सिर्फ़ एक सिर दिखाई दे रहा था, जो तकिये में और ज़्यादा धँसने की कोशिश कर रहा था।
तभी अचानक—
"अनाया! उठो जल्दी! बहुत लेट हो चुका है, और तुम्हारे चक्कर में मैं भी लेट हो रही हूँ!"
एक झटके से रज़ाई खींच ली गई। ठंडी हवा लगते ही अंदर दुबकी हुई लड़की करवट बदलते हुए फिर से रज़ाई खींचने लगी।
आधी नींद में ही वह धीमी आवाज़ में बुदबुदाई, "ऑफ्फो, मम्मा… आज मेरी छुट्टी है, आज तो सोने दो ना!"
लेकिन उसकी माँ ने कोई दया नहीं दिखाई। हाथ कमर पर रखते हुए घूरते हुए बोलीं, "छुट्टी तुम्हारी है, मेरी नहीं! मुझे जाना है, और मुझे पता है कि अगर मैं बिना उठाए चली गई, तो तुम दिनभर सोती ही रहोगी! नाश्ता भी नहीं करोगी, कोई काम टाइम से नहीं करोगी!"
अनाया ने तकिये में मुँह घुसा लिया और उसी में बोल पड़ी, "नहीं मम्मा, मैं पक्का कर लूंगी! बस दस मिनट और सोने दो… आप जाओ, जब आप वापस आओगी ना, तब देखना! सब कुछ कर लिया होगा मैंने!"
उसकी माँ उसकी तरफ़ देखते हुए हल्का सा मुस्कुराई और फिर शक भरी नज़रों से उसे देखते हुए बोलीं, "हाँ हाँ, बहुत अच्छी तरह जानती हूँ तुम्हारी समझदारी को! पिछले हफ़्ते भी यही बोला था, और जब मैं वापस आई थी तो तुम उसी पोज़िशन में सोई मिली थीं!"
अनाया ने धीरे से मुस्कुराते हुए आँखें बंद ही रखीं और बोली, "इस बार सच्ची! बस पाँच मिनट और..."
उसकी माँ ने हार मानते हुए सिर हिलाया और रज़ाई वहीं पटक दी, "ठीक है! लेकिन अगर मैं वापस आई और तुम अभी भी सोती रही थी ना, तो फिर देखना!"
लेकिन तब तक अनाया हल्की-हल्की खर्राटे लेने लगी थी…!
सड़क पर एक आदमी बदहवास भाग रहा था। उसका पूरा शरीर खून से लथपथ था, जैकेट फटी हुई थी, और साँसें इतनी तेज़ थीं कि लगता था अब गिरकर दम तोड़ देगा। लेकिन उसके पास रुकने का कोई विकल्प नहीं था… पीछे से मौत उसके कदमों की आहट ले रही थी।
वह बार-बार पीछे मुड़कर देख रहा था। कुछ लोग उसके पीछे भाग रहे थे। उनके हाथों में बंदूकें थीं, मगर किसी ने भी गोली नहीं चलाई। शायद उन्हें उसका डर देखना था, या फिर उसकी चीखें सुननी थीं, या शायद वह लोग इस खेल को और लंबा खींचना चाहते थे।
सड़क पर बहुत से लोग मौजूद थे। कुछ दुकान के बाहर खड़े थे, कुछ गाड़ियों के पास। सब देख रहे थे, कुछ फुसफुसा भी रहे थे, लेकिन कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। लोगों के चेहरों पर डर साफ़ झलक रहा था, मानो वे जानते हों कि अगर ज़रा भी हिले, तो अगले शिकार वही होंगे।
भागते-भागते उसका पैर एक गड्ढे में फँसा, और वह बुरी तरह ज़मीन पर गिर पड़ा। उसके घुटनों और हथेलियों से खून बहने लगा, पर उसने बिना समय गँवाए खुद को संभाला और फिर दौड़ पड़ा।
पीछे से हँसी की हल्की आवाज़ें आ रही थीं। वो लोग अब भी उतनी ही धीमी रफ़्तार से चल रहे थे, जैसे जानते हों कि ज़्यादा मेहनत करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
वो आदमी अब तक लड़खड़ा चुका था। साँसें उखड़ी हुई थीं, घुटनों और हथेलियों से खून रिस रहा था। दर्द पूरे शरीर में दौड़ रहा था, मगर उसे अपनी जान बचानी थी। मौत पीछे थी… और उसे वक़्त से तेज़ भागना था।
सड़क पार करते ही सामने उसे एक कॉलेज का बड़ा सा गेट दिखा। बिना सोचे-समझे वह सीधे अंदर पहुँच गया। अंदर स्टूडेंट्स की भीड़ थी, कुछ कैफेटेरिया की ओर जा रहे थे, तो कुछ क्लास की तरफ़। माहौल बिलकुल अलग था—शांत, और बिल्कुल सुरक्षित। लेकिन उसकी ज़िंदगी में इस वक़्त शांति जैसी कोई चीज़ नहीं थी।
वह हाँफता हुआ अंदर दौड़ा और एक औरत से जा टकराया। वह शायद कॉलेज के अंदर ही जा रही थी, जो दिखने में लगभग 30-32 साल की होगी। अचानक उसके करीब आकर वह आदमी घुटनों के बल बैठ गया, दर्द और घबराहट उसकी आँखों में साफ़ दिख रही थी।
"प्लीज़… मुझे बचा लीजिए… वो लोग मुझे मार देंगे!"
औरत एकदम से घबरा गई। उसकी आँखों में डर था, मगर फिर भी वह हालात समझने की कोशिश कर रही थी।
"क- क्या हुआ? आप इस हालत में…?" उसने खुद को संभालते हुए पूछा।
आदमी काँपते हुए बोला, "मेरे पीछे कुछ लोग पड़े हैं… वो मुझे मार देंगे! प्लीज़, मुझे बचा लीजिए!"
उसकी आवाज़ में इतनी दहशत थी कि औरत की रीढ़ में ठंडक दौड़ गई।
"कौन लोग?" उसने सवाल किया, मगर जवाब देने से पहले ही…
कॉलेज के गेट से कई आदमी एक साथ धड़धड़ाती हुए अंदर घुस चुके थे। उनकी शिकारी जैसी नज़र, सधे हुए कदम और चाल में अजीब सा आत्मविश्वास। सबसे ख़तरनाक चीज़ थी—उनके हाथों में पकड़ी गन्स।
कॉलेज के स्टूडेंट्स ने जैसे ही उन्हें देखा, चारों तरफ़ भगदड़ मच गई। कुछ लोग डरकर पीछे हट गए, कुछ ने मोबाइल निकालकर रिकॉर्डिंग शुरू कर दी, और कुछ बस सकते में खड़े रह गए।
लेकिन वो लोग किसी और की तरफ़ नहीं देख रहे थे। उनकी आँखें सिर्फ़ एक आदमी पर टिकी थीं—जो अभी भी घुटनों के बल बैठा काँप रहा था।
उनमें से एक आदमी ने धीरे से अपनी गन की नली ऊपर उठाई और अपना सर खुजाने लगा। उसके चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी… जैसे खेल अब और दिलचस्प हो गया हो।
"बहुत दौड़ लिया, अब इस ड्रामे को ख़त्म करने का टाइम आ गया है।"
औरत का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये लोग कौन थे, और इस आदमी की जान इतनी सस्ती क्यों लग रही थी कि सरेआम उसे मारने आ गए।
बहुत दौड़ लिया, अब इस ड्रामे को खत्म करने का समय आ गया है।"
औरत का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये लोग कौन थे, और इस आदमी की जान इतनी सस्ती क्यों लग रही थी कि सरेआम उसे मारने आ गए थे।
वह औरत अभी भी समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर क्या हो रहा था, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ और सोच पाती, सारे आदमी उसके नज़दीक आने लगे। उनकी चाल में एक अजीब सा ठहराव था, जैसे वे उसकी घबराहट के बढ़ने का मज़ा ले रहे हों।
वह आदमी, जो अब तक काँपते हुए पीछे हट रहा था, अचानक घुटनों के बल गिर पड़ा। उसने सामने खड़ी औरत के पैर पकड़ लिए। उसकी आँखों में एक अजीब सी बेबसी थी और आवाज़ काँप रही थी—
"प.. प्लीज़… मुझे बचा लीजिए… प्लीज़!"
औरत पूरी तरह से जड़ हो गई। उसके चेहरे पर घबराहट और असमंजस का मिला-जुला रंग उभर आया।
पीछे खड़े आदमी यह देख हँसने लगे।
"वाह, क्या सीन है!" उनमें से एक मज़े लेते हुए बोला, "अब देखो तो… अब यह एक औरत से रहम की भीख माँग रहा है!"
दूसरा भी ठहाका लगाते हुए बोला, "अरे भाई, इसे बताने का मौका तो दे, हम भी तो सुनें कि अब यह अपनी जान बचाने के लिए क्या कहेगा!"
उस आदमी के चेहरे से पसीना टपक रहा था।
वे सारे आदमी ठहाके मारकर हँसने लगे, जैसे कोई बहुत बड़ा तमाशा देख रहे हों। उनकी आँखों में शिकार को घेरने वाली वहशी चमक थी।
"अरे- रे रे! जब हम तुझे समझाने आए थे, तब बड़ा शेर बन रहा था!" एक आदमी ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा, "क्या हुआ? तेरी अकड़ तो सातवें आसमान पर थी ना, तो अब एक औरत के पीछे क्यों छुप रहा है?"
दूसरा आदमी आगे कदम बढ़ाते हुए हँसा, "ओ भाई, यह देखो! जिसको अपनी ताकत पर इतना घमंड था, वह आज एक औरत की ओट ले रहा है! बताओ भला, जिसे कोई नहीं बचा सकता उसे यह औरत क्या बचाएगी?"
तीसरा आदमी, जो शायद उनमें सबसे ज्यादा बेरहम था, आगे बढ़ा और बेहद ठंडे लहज़े में बोला, "अबे ज्यादा मत सोच, फरमान आ चुका है। हमारे सर जी हुक्म जारी कर चुके हैं, और वह कभी टल नहीं सकता। तेरी मौत तय है… और जो तय है, वह होकर रहेगा!"
उस आदमी पर डर अब पूरी तरह से हावी हो चुका था। उसके हाथों की पकड़ औरत के पैरों पर कस गई, जैसे वही उसकी आखिरी उम्मीद हो।
"प्लीज़… कुछ तो करिए… मैं मरना नहीं चाहता!" वह बुदबुदाया।
लेकिन सामने खड़े उन आदमियों के चेहरे पर ज़रा भी दया नहीं थी। थी तो बस वही वहशी हँसी, और खूनी इरादा।
जैसे ही वे आदमी आगे बढ़े, एक ठहरी हुई मगर सख्त आवाज़ ने उन्हें रोक दिया—
"वहीं रुक जाओ!"
आवाज़ में न कोई घबराहट थी, न कोई झिझक। वह उन्हीं की तरह ठोस थी, और दमदार थी। यह आवाज़ किसी और की नहीं, बल्कि उसी औरत की थी, जो अब उनके सामने खड़ी थी— बेखौफ, अडिग।
वे आदमी ठिठक गए। उन्होंने एक-दूसरे की तरफ देखा और फिर हंस पड़े, जैसे किसी ने जोक मारा हो।
"तू हमें रोकेगी?" उनमें से एक आगे बढ़ते हुए बोला। "अरे, यहां किसी की हिम्मत नहीं जो हमारे सामने टिक सके, और तू— एक औरत होकर हमें रोकने की हिम्मत कर रही है?"
वह जरा भी नहीं हिली, न ही उसकी आँखों में कोई डर दिखाई दिया। उसने एक लंबी सांस ली और सीधा उनकी आँखों में देखते हुए बोली, "हो सकता है, यहां के लोग तुमसे डरते हों। लेकिन कानून नाम की भी कोई चीज़ होती है। अगर तुम लोगों ने इसे नहीं छोड़ा, तो अभी पुलिस को फोन करूँगी, और इस गुंडागर्दी को यहीं खत्म करवा दूंगी!"
एक पल को सन्नाटा छा गया। फिर वही कुटिल हंसी गूंज उठी।
"वाह! पुलिस बुलाएगी?" एक ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा। "अच्छा, ज़रा हिम्मत तो करके दिखा!"
उन्हें शायद लगा था कि वह सिर्फ धमकी दे रही है, लेकिन अगले ही पल उसने बिना रुके फोन निकाला और पुलिस को कॉल कर दिया।
अब भी वे आदमी हंस रहे थे!
औरत ने घड़ी की तरफ देखते हुए हल्की मुस्कान के साथ कहा, "बस कुछ मिनट और… पुलिस आती ही होगी। फिर वही तुम्हें बताएगी कि कानून के सामने तुम्हारी यह गुंडागर्दी कितनी देर टिक सकती है।"
आसपास भीड़ तो थी, लेकिन सब खामोश खड़े थे। किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि आगे बढ़कर कुछ कहे। सब बस तमाशा देख रहे थे।
तभी, कॉलेज कैंपस के बाहर एक गाड़ी आकर रुकी।
पर यह पुलिस की गाड़ी नहीं थी।
यह थी एक ब्लैक SUV…
और तभी उस ब्लैक SUV का दरवाजा खुला और उसमें से एक आदमी उतरा। उसकी उम्र कोई 24 साल के आस-पास होगी।
उसके होठों के बीच एक सिगरेट दबी हुई थी, और वह धीमे-धीमे लंबी कश ले रहा था। आँखों पर काले शेड्स, और चाल में ऐसा ठहराव जैसे दुनिया की कोई फिक्र ही न हो।
गुंडों ने उसे देखा और उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई।
"लो आ गया अपना आदमी," उनमें से एक फुसफुसाया।
तभी उस आदमी ने सिगरेट निकालकर नीचे फेंकी और उसे अपने जूते से कुचल दिया। फिर उसने अपनी जेब से लाइटर निकाला और उंगलियों के बीच घुमाने लगा। उसकी निगाहें औरत पर टिकी हुई थीं।
उसकी आँखों में न तो डर था, न ही गुस्सा… बस एक अजीब सा सुकून था, मानो सब कुछ उसके मुताबिक ही चल रहा हो।
"तो?" उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "मुझे बुलाया और मैं आ गया। अब आगे?"
गुंडों की हंसी पूरे कैंपस में गूंज उठी।
वही खड़ी औरत ने उस आदमी को घूरते हुए गुस्से से कहा, "तुम्हें किसने बुलाया?"
वह आदमी हल्की हंसी हंसते हुए आगे बढ़ा, अपनी जेब में हाथ डालते हुए। उस औरत के सामने खड़ा हो गया और उसे देखने लगा।
"रियान राय ठाकुर को किसी इनविटेशन की ज़रूरत नहीं पड़ती," उसने एक सिगरेट निकाली, लाइटर से उसे जलाया और लंबा कश लेते हुए फिर बोला, "जहाँ मेरी ज़रूरत होती है, वहाँ मैं खुद ही पहुँच जाता हूँ।"
गुंडे फिर से हंस पड़े। किसी ने पीछे से मज़ाक उड़ाया, "अब तो तेरा तुम्हारा खेल ख़त्म, मैडम।"
लेकिन उस औरत की आँखों में अब भी वही गुस्सा था। डर तो जैसे उससे कोसों दूर था।
रियान अपनी जगह से हिला भी नहीं था, लेकिन उसकी सख्त नज़रें उस आदमी को अंदर तक काँपने पर मजबूर कर रही थीं। उसकी सिगरेट का धुआँ हवा में घुल रहा था, और उस धुएं के पीछे से वह आदमी कांपती नज़रों से रियान को देख रहा था।
"बहुत शौक था ना बड़ा बनने का?" रियान ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी खामोशी थी, जो चीखों से भी ज़्यादा डरावनी लग रही थी।
रियान के इशारे पर दो आदमी आगे आए और उस आदमी के दोनों हाथ पकड़ लिए। वह छटपटाने लगा, लेकिन उसकी ताकत उनके सामने कुछ भी नहीं थी।
"तूने कितनी बार मौत को करीब से देखा है?" रियान ने उसकी ठुड्डी पकड़कर ऊपर उठाई। "चल, आज तुझे वह एक्सपीरियंस भी दे देता हूँ।"
उसने अपनी जेब से एक छोटी लेकिन तेज धार वाली ब्लेड निकाली।
"न… नहीं… प्लीज…!" वह आदमी तड़पते हुए बोला, लेकिन रियान को फर्क नहीं पड़ा।
उसने ब्लेड को बड़े आराम से उसकी हथेली पर रखा और हल्के हाथ से चलाना शुरू किया। लहू की पतली धार उसकी हथेली से निकलकर जमीन पर गिरने लगी। पर आदमी ने मुँह तक खोलने की हिम्मत नहीं की।
"चीख क्यों नहीं रहा?" रियान ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा। "इतना ही दम था तुझमें?"
"प… प्लीज… छोड़ दो…" वह दर्द से कराह रहा था, लेकिन रियान ने उसे और कसकर पकड़ लिया।
अबकी बार उसने ब्लेड उसके गाल पर रखी और एक पतली, मगर गहरी लकीर खींच दी। खून की एक गर्म बूँद धीरे-धीरे उसके चेहरे से रिसने लगी।
"अब ठीक लग रहा है…" रियान ने मुस्कुराते हुए कहा, "अब असली दर्द शुरू होगा।"
लेकिन तभी…
"बस करो!"
रियान के हाथ अचानक रुक गए। उसने धीरे से सिर उठाया, और सामने वह औरत खड़ी थी, गुस्से से काँपती हुई।
उसने तेज़ी से आगे बढ़कर रियान का कॉलर पकड़ लिया। "तुम खुद को भगवान समझते हो?"
"तुम्हें क्या लगता है, तुम भगवान हो? जो जब चाहे जिसकी चाहे जान ले सकते हो?"
रियान की ठंडी निगाहें उस पर जा टिकीं, उसके होठों पर अब भी वही कातिलाना मुस्कान थी।
"भगवान?" उसने यह शब्द धीमे से दोहराया, जैसे यह शब्द उसे दिलचस्प लगा हो। "नहीं, मैं उससे भी ऊपर हूँ। भगवान सिर्फ़ बैठकर देखता है, और मैं फ़ैसला सुनाता हूँ।"
उस औरत की साँसें तेज़ हो गईं, लेकिन उसने अब भी उसका कॉलर पकड़ रखा था। रियान के आदमियों की उंगलियाँ हथियारों पर कसने लगीं, लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ करता, रियान ने हल्का सा इशारा किया और सब पीछे हट गए।
फिर अचानक, बिना किसी चेतावनी के, रियान ने उस औरत को अपनी ओर खींच लिया। उसे संभलने का कोई मौका नहीं मिला। अगले ही पल, उसके होंठों पर रियान के होंठ थे— सख्त, बेखौफ।
उस औरत ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, उसकी हथेलियाँ रियान की छाती पर धक्का देने को उठीं, लेकिन तभी उसकी पकड़ कमर पर कस गई। उसकी धड़कन तेज़ हो गई, आँखों में गुस्से और आँसुओं की नमी।
आसपास खड़े उसके आदमी सब देख रहे थे, लेकिन बाहरी भीड़ को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। इस घेरे के अंदर जो हो रहा था, वह उनकी सोच से परे था।
और फिर…
धमाका!
और तभी एक गोली चली।
उस औरत ने झटके से आँखें खोलीं, लेकिन रियान अब भी उसे पकड़े हुए था।
नीचे, खून में लथपथ एक शरीर पड़ा था।
रियान ने उसके होंठों से धीरे से अपने होंठ अलग किए और उस औरत की आँखों में देखा। रियान के होठों पर अब भी वही जानलेवा मुस्कान थी।
उस औरत ने झटके से आँखें खोलीं, पर रियान अभी भी उसे पकड़े हुए था। नीचे, खून में लथपथ एक शरीर पड़ा था। रियान ने धीरे से अपने होंठ उसके होंठों से अलग किए और उसकी आँखों में देखा। रियान के होंठों पर वही जानलेवा मुस्कान थी।
वह औरत गुस्से और बेबसी से काँप रही थी। उसकी आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे। लेकिन सामने खड़ा रियान... उसके चेहरे पर कोई अफ़सोस नहीं, बल्कि वही कातिलाना मुस्कान थी। उसकी मुट्ठियाँ गुस्से में कस गई थीं। आँखों में नफ़रत थी, मगर आँसू बहते जा रहे थे। जैसे ही उसने हाथ उठाया, रियान की आवाज़ ने उसकी हरकत रोक दी।
रियान हल्के से मुस्कुराया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, "वाह! तुम्हें मुझसे इतनी मोहब्बत हो गई कि फिर से मुझे फोर्स करोगी कि मैं तुम्हें फिर से किस करूँ?"
वह और करीब झुका, अपना गाल उसके बिल्कुल सामने लाते हुए बोला, "अगर ऐसी ही बात है तो मार लो थप्पड़... या फिर सीधे कहो कि एक और किस चाहिए।"
यह सुनकर उसकी मुट्ठियाँ और ज़्यादा कस गईं, आँखों से आँसू और तेज़ बहने लगे, पर वह हाथ नहीं उठा पाई। रियान की मुस्कान और गहरी हो गई थी। उसने अपना चेहरा और झुकाया, उसकी आँखों में झाँकते हुए शरारती लहजे में बोला, "क्या हुआ? अब हाथ काँप रहे हैं?"
उस औरत का गुस्सा बढ़ता जा रहा था, पर रियान की मुस्कान जस की तस बनी हुई थी, जैसे उसे इस दर्द से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। रियान ने एक कदम आगे बढ़ाया, उसकी आँखों में कोल्ड सन्नाटा था, चेहरे पर हल्की मगर ठहरी हुई मुस्कान। वह उसके कान के पास झुका और लो टोन में बोला, "अगर दोबारा मेरी याद आए... और मुझे टच करने का मन करे... तो सीधा पुलिस स्टेशन में कॉल कर देना। ‘रियान राय ठाकुर’ फिर से तुम्हारे सामने खड़ा मिलेगा।"
उसका लहजा सीधा था, बिना किसी फ़न या ड्रामा के, बस एक स्ट्रॉन्ग एटीट्यूड, जो सामने वाले को अंदर तक हिला दे। उसने कुछ सेकंड तक उसे देखा और फिर बिल्कुल क्लियर टोन में कहा, "मुझे यकीन है, इस मुलाक़ात के बाद चाहकर भी मुझे इग्नोर नहीं कर पाओगी... जब भी मिरर में अपना चेहरा देखोगी, मेरी याद ज़रूर आएगी।"
इतना कहकर वह सीधा खड़ा हुआ, उसकी आँखों में वही ठहराव था जो किसी को भी अनकम्फ़र्टेबल कर दे। लेकिन तभी एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा।
"चटाक!!!"
इतनी फ़ोर्स से कि उसका चेहरा एक तरफ़ झुक गया। यह थप्पड़ किसी और का नहीं, बल्कि उसी औरत का था।
कुछ सेकंड तक पूरा माहौल साइलेंट हो गया। रियान ने धीरे से अपना चेहरा सीधा किया, उसकी आँखें अब लाल हो चुकी थीं। उसने गाल पर हाथ फेरा, गहरी साँस ली और बिना पलक झपकाए उस औरत की तरफ़ देखा। अब उसकी मुस्कान पूरी तरह ग़ायब थी। चेहरा एकदम हार्ड हो चुका था। उसकी आँखें बहुत ख़तरनाक दिख रही थीं, पूरी तरह लाल हो चुकी थीं।
इससे पहले कि रियान के आदमी कुछ करते, रियान हल्की मुस्कान के साथ वहाँ से जाने लगा। उसके आदमी भी हैरान थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि रियान ने इतनी आसानी से उस औरत को कैसे छोड़ दिया? वरना अगर कोई और होता, तो अभी तक उसकी साँसें चलना बंद हो जातीं, लेकिन रियान ने कुछ नहीं किया। बिना किसी गुस्से, बिना किसी सज़ा, बस यूँ ही जाने दिया।
रियान अपनी कार की तरफ़ बढ़ ही रहा था कि अचानक रुका। उसने एक नज़र उस औरत पर डाली, जो अब भी अपनी जगह खड़ी थी, उसकी मुट्ठियाँ भींची हुई थीं। और तभी रियान के होंठों से वही जानी-पहचानी सीटी की धुन निकली। धीमी, लेकिन ख़तरनाक थी।
"क्या जाने तू मेरे इरादे... ले जाऊँगा साँसे चुरा के..."
उसकी सीटी की धुन हवा में तैर रही थी। किसी को समझ नहीं आया कि यह धुन एक चेतावनी थी या किसी अनकहे खेल की शुरुआत। रियान के चेहरे पर वही कोल्ड एक्सप्रेशन था। उसकी चाल में वही पुराना एटीट्यूड। उसके आदमी अब भी खड़े थे, मगर किसी की हिम्मत नहीं थी कुछ पूछने की।
रियान बिना कुछ कहे आगे बढ़ गया, लेकिन उसकी सीटी की गूँज अब भी कानों में गूँज रही थी। जैसे ही रियान वहाँ से गया, उसके आदमी भी पीछे-पीछे निकल गए। पूरा माहौल अचानक शांत हो गया, लेकिन वह औरत... वह अब भी वहीं खड़ी थी, जैसे ज़मीन से चिपक गई हो। उसकी आँखों में आँसू ठहरे हुए थे, और सामने ज़मीन पर एक लाश पड़ी थी... बिल्कुल बेजान, खून से लथपथ।
जैसे ही रियान और उसके आदमी पूरी तरह वहाँ से निकल गए, कॉलेज कैंपस में हलचल मच गई। कुछ लोग डरते हुए बाहर निकले, कुछ धीरे-धीरे पास आने लगे। लेकिन तभी, भीड़ को चीरते हुए एक अधेड़ उम्र का आदमी तेज़ी से उसके पास पहुँचा।
"पिया मैम… आप ठीक तो हैं?" उसकी आवाज़ में साफ़ घबराहट थी। "थैंक गॉड, आप सही-सलामत हैं! हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा कि आप… ठीक हैं।"
उसने गहरी साँस ली, चेहरे पर अब भी डर साफ़ झलक रहा था।
"आपको अंदाज़ा भी है वो आदमी कौन था?" उसकी आवाज़ हल्की काँपी। "रियान… वो शख़्स मज़ाक नहीं है, मैम! जब हमने उसे यहाँ देखा तो हमें लगा कि कुछ बहुत बुरा होने वाला है। सच कहूँ, हम सब डर गए थे कि कहीं उसने आपको कुछ कर ना दिया हो…"
वह आदमी, जो उस कॉलेज का ही एक प्रोफ़ेसर था, अब भी घबराया हुआ था, लेकिन पिया... उसकी नज़रें अब भी लाश पर जमी थीं। उसका चेहरा सफ़ेद पड़ चुका था, जैसे उसके अंदर से हर एहसास निकल चुका हो।
पिया चुपचाप खड़ी थी। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी। फिर अचानक... बिना कुछ कहे मुड़ी और वहाँ से निकल गई। पहले उसके कदम धीमे थे, फिर तेज़ हुए और अगले ही पल वह भागने लगी। उसकी साँसें उखड़ रही थीं, आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। वह बस भाग रही थी, जैसे इस सब से दूर जाना चाहती हो।
दूसरी तरफ़ कार के अंदर चारों तरफ़ धुआँ ही धुआँ था। रियान की आँखें सुर्ख थीं, चेहरा सख़्त, होंठों के बीच सिगरेट। उसने एक लंबा कश लिया, धुआँ अंदर खींचा और फिर धीरे-धीरे छोड़ते हुए हल्का मुस्कुराया। फिर अचानक…
"हाहाहा!"
उसकी हँसी गूँज उठी... ख़तरनाक, ठंडी, डरावनी।
"डर नहीं था?" उसने खुद से फुसफुसाया, सिर हल्का झुकाया और एक और कश लिया।
"इंट्रेस्टिंग..."
उसकी आँखों में अजीब-सी चमक थी। सिगरेट के धुएं के पीछे उसकी निगाहें और भी गहरी लग रही थीं।
"अब मज़ा आएगा..."
दूसरी तरफ़ अनाया अपने घर के हॉल में बैठी मूवी देख रही थी। तभी डोरबेल बजी। उसने हल्का सा सिर घुमाकर दरवाज़े की तरफ़ देखा, लेकिन मूवी में डूबी रही। फिर दोबारा बेल बजी… फिर लगातार बजने लगी।
अनाया झुंझलाते हुए उठी, "कौन है? एक बार में सुनाई देता है मुझे?" बोलते हुए दरवाज़े की तरफ़ बढ़ी। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, सामने खड़ी शख़्सियत देखकर उसकी आँखें चौड़ी हो गईं।
"मॉम?"
पिया बिना एक पल रुके अंदर आ गई। उसका चेहरा उतरा हुआ था, बाल बिखरे हुए थे, कपड़े अस्त-व्यस्त थे। वह बिना कुछ कहे सीधे अपने कमरे की ओर बढ़ गई।
अनाया तुरंत उसके पीछे गई, "मॉम, आप इतनी जल्दी कैसे आ गईं? और… आप ठीक तो हैं ना?"
पिया पलभर के लिए रुकी, जैसे कुछ सोच रही हो। हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली, "कुछ नहीं बेटा… बस तबीयत ठीक नहीं लग रही। थोड़ी देर आराम करूँगी, तो ठीक हो जाऊँगी।"
इतना कहकर वह तेज़ी से अपने कमरे में गई और बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर लिया। बाहर खड़ी अनाया को एहसास हो रहा था कि कुछ तो ठीक नहीं है, लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या...
जारी है…
पिया पलभर के लिए रुकी, जैसे कुछ सोच रही थी। फिर हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली, "कुछ नहीं बेटा… बस तबीयत ठीक नहीं लग रही है। थोड़ी देर आराम करूंगी, तो ठीक हो जाऊंगी।"
इतना कहकर वह तेजी से अपने कमरे में गई और बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर लिया।
बाहर खड़ी अनाया को एहसास हुआ कि कुछ तो ठीक नहीं है, लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या?
पिया ने बाथरूम के अंदर जाकर शॉवर ऑन कर दिया। ठंडा पानी उसके ऊपर गिरने लगा, लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं थी। उसकी आँखें रोते-रोते लाल हो चुकी थीं। वह दीवार से टिककर घुटनों के बल बैठ गई; उसकी सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगीं।
पर पिया को पता था कि अनाया बाहर होगी, इसलिए उसने जल्दी से अपना मुँह हाथ से दबा लिया ताकि उसकी आवाज़ बाहर न जाए। उसके आँसू अब भी उसकी हथेलियों को भिगो रहे थे।
पिया अपने मन में, दर्द से भरी आवाज़ में बोली, "पहली बार किसी से इतनी नफरत हो रही है… इतनी कि उसका नाम सुनना भी अब तकलीफ देने लगा है!"
"मैं इस इंसान के नाम तो क्या, इसकी परछाई से भी कोसों दूर रहूंगी। मैं नहीं चाहती कि अनाया को कॉलेज में कुछ पता चले। मैं जानती हूँ, वह बहुत जिद्दी है… अगर उसे ज़रा भी एहसास हुआ, तो वह सच जानकर पीछे पड़ जाएगी। मैं उसे लेकर कहीं बहुत दूर चली जाऊंगी… इतनी दूर कि कोई भी सवाल उसका रास्ता न रोक सके। जहाँ इस इंसान की परछाई हम तक न पहुँचे। हाँ… यही सही रहेगा, यही करना होगा।"
पिया कुछ देर तक ठंडे पानी में बैठी रही, फिर गहरी साँस लेकर बाहर निकली। बाहर आते ही उसने देखा कि अनाया अभी भी वहीं खड़ी थी। उसकी आँखों में चिंता साफ़ झलक रही थी। पिया बिना कुछ कहे सीधा क्लोजेट की तरफ़ बढ़ गई और जल्दी से अपने कपड़े बदलकर बाहर आ गई।
अनाया ने उसे देखते ही घबराई हुई आवाज़ में पूछा, "मॉम, आप ठीक तो हैं? आपकी आँखें इतनी लाल और सूजी हुई क्यों हैं? प्लीज़, बताइए ना!"
पिया ने मुस्कुराते हुए अनाया के गालों को दोनों हाथों से थामते हुए बोला, "कुछ नहीं हुआ बेटा, बस तबीयत खराब थी। इसलिए आँखें ऐसी दिख रही हैं। थोड़ी देर आराम करूंगी तो ठीक हो जाऊंगी। और मैं तुझसे झूठ क्यों बोलूंगी? तेरे अलावा और है ही कौन मेरा?"
अनाया उसकी बात सुनकर धीरे से मुस्कुरा दी, लेकिन उसकी आँखों में अब भी हल्की चिंता थी। उसने सिर हिलाते हुए कहा, "ठीक है मॉम, लेकिन अगर आपको कुछ भी चाहिए तो प्लीज़ मुझे बता देना, मैं पास ही हूँ।"
इतना बोलकर अनाया बाहर चली गई; वहीं पिया बस उसे जाते हुए देखती रही।
रात के आठ बज चुके थे। पिया ने खुद को सामान्य किया और कमरे से बाहर निकलकर किचन में चली गई। वह काम में खुद को व्यस्त रखने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसके दिमाग में अब भी कई बातें चल रही थीं, जो उसे अंदर ही अंदर बेचैन कर रही थीं।
दूसरी तरफ, एक बड़े से विला की दूसरी मंज़िल पर, बालकनी के किनारे एक शख्स खड़ा था। चाँद की ठंडी रोशनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी, लेकिन उसकी आँखें… वह पूरी तरह डार्क थीं। सिगरेट उसके होंठों के बीच दबी थी और वह लम्बे कश ले रहा था। धुआँ उसकी आँखों के सामने से गुज़र रहा था, लेकिन उसकी नज़रें चाँद पर टिकी थीं।
यह कोई और नहीं, रियान था।
वही खतरनाक मुस्कान… वही ठंडा चेहरा… वही अंदाज़।
तभी, पीछे से जूतों की आवाज़ गूँजी। भारी कदमों की आहट… धीमी मगर मज़बूत।
रियान के होंठों पर एक खतरनाक मुस्कान उभर आई। बिना मुड़े ही उसने धीरे से सिगरेट निकाली, उसकी राख झाड़ी और ठंडी आवाज़ में बोला, "आखिर आ ही गए?"
रियान अब भी चाँद को देख रहा था, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी।
वह आदमी उसके करीब आया और अपना सिर झुकाते हुए बोला, "सर, ये रही सारी डिटेल्स जो आपने मँगवाई थीं।"
रियान ने बिना उसकी तरफ़ देखे फ़ाइल ली और जाने का इशारा किया। आदमी चुपचाप पीछे हट गया, लेकिन रियान वहीं खड़ा रहा, अपनी सिगरेट के कश लेते हुए। उसने फ़ाइल खोली।
पहले ही पेज पर किसी की डिटेल्स लिखी हुई थीं।
"पिया मल्होत्रा"
नीचे उसकी तस्वीर लगी थी। वही बड़ी-बड़ी आँखें… जिनमें डर नहीं था। रियान के चेहरे पर वही जानलेवा मुस्कान आई। उसने तस्वीर को देखा और धीरे-धीरे पढ़ना शुरू किया। हर एक डीटेल, हर एक इनफॉर्मेशन…
अचानक, वह हँस पड़ा। मगर यह हँसी सामान्य नहीं थी, बहुत खतरनाक थी।
और फिर दाँत पीसते हुए बोला,
"तुमने रियान राय ठाकुर को थप्पड़ मारा?"
फिर उसने सिगरेट निकालकर नीचे फेंकी, और अपने जूते से उसे मसलते हुए, हल्की सी सीटी बजाने लगा।
फिर से वही धुन…
"क्या जाने तु मेरे इरादे… ले जाऊँगा साँसे चुरा के…"
धुन धीमे-धीमे हवा में घुल रही थी।
रियान ने तस्वीर पर उंगलियाँ फिराई और धीमी आवाज़ में बोला, "अब रियान राय ठाकुर तुम्हें बताएगा कि वह कौन है… एशिया का माफ़िया किंग। जिसका नाम सुनकर ही लोग थरथर काँपते हैं… और तुमने उसे थप्पड़ मारा?"
उसकी आँखों में अब एक खतरनाक खेल की चमक थी।
"इसके लिए तुम्हें कीमत चुकानी पड़ेगी, पिया… और वह कीमत तुम्हें खुद पता चलेगी। बहुत जल्द।"
दूसरी तरफ डाइनिंग टेबल पर हल्की रोशनी फैली थी। पिया चुपचाप अपने खाने की प्लेट को देख रही थी। उसके मन में एक अलग ही उथल-पुथल मची थी। अनाया अपने फ़ोन पर कुछ देख रही थी, लेकिन उसने नोटिस कर लिया था कि उसकी मॉम आज कुछ ज़्यादा ही खामोश थी।
थोड़ी देर की खामोशी के बाद, पिया ने आखिरकार हिम्मत जुटाई और बोली, "अनाया, मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ।"
अनाया ने तुरंत फ़ोन साइड में रख दिया और थोड़ा आगे झुककर बोली, "हाँ मॉम, बोलिए। क्या बात है?"
पिया ने खुद को सामान्य दिखाने की कोशिश की और नरम लहजे में बोली, "अनाया, मैं चाहती हूँ कि हम लोग इस शहर से कहीं और शिफ़्ट हो जाएँ। किसी दूसरी सिटी में जहाँ तुम्हारी स्टडी पर और अच्छे से फ़ोकस किया जा सके।"
अनाया ने एक सेकंड के लिए अपनी माँ की तरफ़ देखा और फिर हँसते हुए बोली, "मॉम, आप मज़ाक कर रही हैं, है ना? मुंबई इंडिया की टॉप सिटीज़ में से एक है! लोग यहाँ पढ़ने आते हैं, और आप कह रही हैं कि मुझे यहाँ से जाना चाहिए? और ऊपर से, आप जिस कॉलेज की प्रोफ़ेसर हैं, मैं भी वहीं पढ़ती हूँ! इससे बेहतर कॉलेज तो हो ही नहीं सकता!"
पिया उसकी बातों को अच्छे से समझ रही थी, और यह भी समझ रही थी कि अनाया कभी भी यहाँ से जाने के लिए हाँ नहीं कहेगी! लेकिन पिया हार मानने के मूड में नहीं थी।
उसने फिर से अनाया को समझाते हुए कहा, "बेटा, हर चीज़ सिर्फ़ पढ़ाई से नहीं जुड़ी होती… कुछ और भी फैक्टर्स होते हैं, जो हमें सोचने पर मज़बूर करते हैं, और मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ। मैं सीरियस हूँ।"
अनाया ने सीधे आँखों में देखते हुए कहा, "आप मुझसे कुछ छुपा रही हैं, मॉम? सच-सच बताइए, क्या हुआ है?"
पिया ने जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश की, "कुछ भी नहीं बेटा, बस मुझे लगता है कि एक नई जगह तुम्हारे लिए बेहतर होगी।"
अनाया अब पूरी तरह सीरियस हो चुकी थी। उसने हाथ क्रॉस किए और बोली, "मॉम, आप कुछ भी कहिए, लेकिन मैं इस शहर को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाली। यहाँ मेरा करियर, मेरे दोस्त और मेरी ज़िंदगी है। यह मेरा डिसीज़न फ़ाइनल है!"
पिया समझ गई कि अनाया को मनाना इतना आसान नहीं होगा। वह अपनी जिद पर अड़ी रहने वालों में से थी।
अनाया अब पूरी तरह से गंभीर हो चुकी थी। उसने हाथ क्रॉस किए और कहा, "मॉम, आप कुछ भी कहिए, लेकिन मैं इस शहर को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाली। यहाँ मेरा करियर, मेरे दोस्त, मेरी ज़िंदगी है। यह मेरा निर्णय अंतिम है!"
पिया समझ गई कि अनाया को मनाना इतना आसान नहीं होगा। वह अपनी जिद पर अड़ी रहने वालों में से थी।
जिस वजह से पिया ने मन में सोचा, "अभी उससे कुछ नहीं कहूँगी, सुबह आराम से फिर से समझाने की कोशिश करूँगी।"
दोनों ने चुपचाप अपना डिनर समाप्त किया और फिर अपने-अपने कमरों में चली गईं।
सुबह के 9:00 बज चुके थे, लेकिन पिया अभी भी अपने कमरे में सो रही थी, जबकि आमतौर पर वह इतनी देर तक कभी नहीं सोती थी। दूसरी ओर, अनाया अब तक पूरी तरह से तैयार होकर डाइनिंग हॉल में आ चुकी थी। लेकिन जब उसने चारों तरफ देखा, तो पिया वहाँ नहीं थी।
अनाया ने सोचा कि शायद वह किचन में होगी, लेकिन जब वह वहाँ गई, तो पिया वहाँ भी नहीं थी, और न ही नाश्ता तैयार था। यह देखकर अनाया को थोड़ी चिंता हुई। वह सीधे अपनी माँ के कमरे की ओर बढ़ने लगी, लेकिन तभी उसे पिया सामने से आते हुए दिखाई दी।
पिया को देखते ही अनाया तेज़ी से उसके पास गई और परेशान होते हुए बोली, "माँ, क्या हुआ? आप ठीक तो हैं ना? अभी तक आप तैयार भी नहीं हुईं, और न ही नाश्ता बनाया है।"
अनाया की फिक्रमयी आवाज़ सुनकर पिया हल्का सा मुस्कुराई और बोली, "सॉरी बेटा, आज ज़रा देर हो गई। रुको, मैं अभी तुम्हारे लिए नाश्ता बना देती हूँ।"
अनाया ने पिया को रोकते हुए कहा, "मॉम, रहने दीजिए ना। आपको भी तो कॉलेज जाना है, जाने दीजिए, हम लोग कैंटीन में ही खा लेंगे। वैसे भी, अगर आप अभी किचन में लग गईं, तो और देर हो जाएँगी। पहले आप तैयार हो जाइए, फिर हम साथ चलते हैं।"
अनाया की बात सुनकर पिया एक पल के लिए चुप हो गई। उसने हल्की सी साँस ली और फिर धीमे स्वर में बोली, "अनाया, मैं आज से कॉलेज नहीं जा रही हूँ।"
अपनी माँ की बात सुनकर अनाया चौंक गई। उसने पिया को हैरानी भरी नज़रों से देखा और तुरंत बोली, "मॉम, आप सच में ठीक तो हैं ना? अचानक कॉलेज छोड़ने की बात क्यों कर रही हैं?"
तभी मेन एंट्रेंस की डोरबेल बजी, जिसकी आवाज़ सुनते ही पिया अचानक चुप हो गई। उसने अनाया की ओर एक नज़र डाली और फिर दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगी। चलते-चलते उसके मन में सवाल उठा, "इतनी सुबह-सुबह कौन आ गया?"
उसने दरवाज़ा खोला तो सामने दो आदमी खड़े थे, जिनके हाथों में कुछ कागज़ थे। पिया ने उत्सुकता से उनकी तरफ देखा। उनमें से एक आदमी ने सीधे पूछा, "क्या यह पिया मल्होत्रा का घर है? हमें उनसे बात करनी है।"
पिया ने हल्की हैरानी के साथ जवाब दिया, "जी हाँ, मैं ही पिया मल्होत्रा हूँ। बताइए, आप कौन हैं और क्या बात है?"
तभी उनमें से एक आदमी ने गंभीर लहजे में कहा, "हम कोर्ट की तरफ से आए हैं। यह घर अवैध रूप से बना हुआ है, और इसे तोड़ने का आदेश जारी हो चुका है। आपको अपना सामान समेटने के लिए आज शाम 6:00 बजे तक का समय दिया गया है। इसके बाद हम इस घर को गिराने की कार्रवाई शुरू कर देंगे।"
पिया के चेहरे से जैसे रंग उड़ गया। वह कुछ पल तक निशब्द खड़ी रही, मानो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई हो।
उन आदमियों की बात सुनते ही अनाया घबराकर दौड़ती हुई पिया के पास आई। वहीं, पिया ने कड़े लहजे में उन आदमियों से कहा, "आप ऐसे हमारे घर को कैसे तोड़ सकते हैं? यह मेरा घर है, और मेरे पास इसके कानूनी कागज़ात हैं!"
आदमी ने बिना झिझके जवाब दिया, "भले ही आपके पास कागज़ हों, लेकिन वे असली नहीं हैं। असली दस्तावेज़ हमारे पास हैं। चाहें तो आप खुद पढ़ सकती हैं।"
पिया ने झटके से उनके हाथ से कागज़ लिया और पढ़ने लगी, लेकिन कुछ ही पलों में उसके हाथ कांपने लगे, और कागज़ खुद-ब-खुद नीचे गिर गए।
अनाया ने घबराकर फ़ौरन कागज़ उठाया और जल्दी-जल्दी पढ़ने लगी। उसके चेहरे का रंग उड़ गया। कागज़ पर साफ़-साफ़ लिखा था, "यह घर अवैध रूप से बनाया गया है। इसे तोड़ने का आदेश दिया जाता है।"
वे आदमी इतना कहकर चले गए, लेकिन पिया अब भी दरवाज़े पर खड़ी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। "यह कैसे हो सकता है?" उसके दिमाग में बस यही सवाल घूम रहा था।
अनाया घबराकर उसकी ओर बढ़ी और उसके कंधे पकड़कर रोते हुए बोली, "मॉम, क्या सच में हमारा घर टूट जाएगा? हम इसे ऐसे बिखरते हुए कैसे देख सकते हैं? इस घर में हमारी सारी यादें हैं... आप इसे बचा लेंगी ना?" उसकी आवाज़ कांप रही थी, आँखों में डर और बेबसी साफ़ झलक रही थी।
पिया ने अपनी बेटी की हालत देखी, तो खुद को संभालते हुए उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और नर्म लहजे में बोली, "कुछ नहीं होगा, बेटा। मैं ऐसा होने ही नहीं दूँगी। यह हमारा घर है, हमारी ज़िंदगी से जुड़ा हिस्सा… मैं इसे टूटने नहीं दूँगी। तू टेंशन मत ले, मैं सब संभाल लूँगी।"
यह कहकर उसने अनाया को गले से लगा लिया, फिर अपनी आँखों के आँसू पोंछते हुए तेज़ी से अपने कमरे में गई। उसने अलमारी खोली, सारे ज़रूरी दस्तावेज़ निकाले और बिना देर किए बाहर निकल गई। उसके चेहरे पर चिंता साफ़ थी, लेकिन इरादा मज़बूत। वह किसी भी हाल में अपने घर को बचाने के लिए लड़ने को तैयार थी।
पिया तेज़ी से पुलिस स्टेशन में दाखिल हुई। चेहरे पर घबराहट थी, साँसें तेज़ चल रही थीं। वह सीधा रिसेप्शन पर पहुँची और कांपती आवाज़ में बोली, "मुझे इंस्पेक्टर साहब से मिलना है, बहुत ज़रूरी है।"
ड्यूटी पर बैठे कांस्टेबल ने उसकी हालत देखकर पूछा, "क्या बात है, मैडम?"
"मेरा घर... मेरे घर को तोड़ने का आदेश आया है। मुझे इंस्पेक्टर साहब से मिलना है।"
कांस्टेबल ने अंदर जाने का इशारा किया। पिया जल्दबाज़ी में इंस्पेक्टर के केबिन में पहुँची।
"सर, मैं पिया मल्होत्रा। मेरे घर को तोड़ने का आदेश आया है, लेकिन मेरा घर अवैध नहीं है। प्लीज़ कुछ कीजिए।"
इंस्पेक्टर ने गंभीर स्वर में कहा, "अगर कोर्ट का ऑर्डर है, तो हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। यह लीगल मामला है, आपको वकील से बात करनी चाहिए।"
पिया का दिल बैठ गया। लेकिन हार मानने का वक्त नहीं था।
अब वह एक नामी वकील के पास पहुँची। उसके हाथ में कागज़ों का बंडल था, आँखों में उम्मीद की किरण।
"सर, मैं अपने घर को बचाना चाहती हूँ। ये सारे कागज़ हैं, आप देख लीजिए। कोई तो रास्ता होगा?"
वकील ने पेपर्स पर सरसरी नज़र डाली और सिर हिलाते हुए बोला, "देखिए, अगर कोर्ट का ऑर्डर आ चुका है, तो इसे रोकना मुश्किल है। हाँ, आप अपील कर सकती हैं, लेकिन इसमें वक्त लगेगा।"
"पर मुझे शाम 6 बजे से पहले कुछ करना होगा!" पिया की आवाज़ काँप गई।
वकील ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "अभी कुछ नहीं किया जा सकता।"
अब वह भागते हुए नगर निगम दफ़्तर पहुँची। वहाँ के अधिकारी से मिलते ही उसने हाँफती हुई आवाज़ में कहा, "सर, यह घर अवैध नहीं हो सकता। मेरे पास इसके पेपर्स हैं। कृपया कुछ कीजिए!"
अधिकारी ने पेपर्स लिए, सरसरी निगाह डाली और ठंडी आवाज़ में बोला, "देखिए, मैडम, यह आदेश ऊपर से आया है। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।"
"कुछ तो होगा... कोई रास्ता? कोई अपील?" पिया की आँखें उम्मीद से चमक उठीं।
"अब कुछ नहीं किया जा सकता।"
अब वह एक आखिरी उम्मीद लेकर एक स्थानीय नेता के पास पहुँची। बड़ी मुश्किल से मिलने का समय मिला।
"सर, प्लीज़ मेरी मदद कीजिए। मेरे पास सारे कागज़ हैं, लेकिन कोई मेरी सुन नहीं रहा है।"
नेता ने हल्की मुस्कान के साथ हाथ जोड़ते हुए कहा, "मुझे अफ़सोस है, लेकिन इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता।"
हर जगह एक ही जवाब था। "कुछ नहीं हो सकता।"
पिया के कदम अब लड़खड़ाने लगे थे। चेहरा उतरा हुआ था, माथे पर पसीना था। दिन ढलने लगा था और शाम 6 बजे का वक्त करीब आ रहा था। लेकिन उसके दिल में अब भी एक आस थी... "मैं हार नहीं मानूँगी!"
एपिसोड 6
पिया के कदम लड़खड़ाने लगे थे। चेहरा उतरा हुआ था, माथे पर पसीना था। दिन ढलने लगा था और शाम छह बजे का वक्त करीब आ रहा था। लेकिन उसके दिल में अब भी एक आस थी। "मैं हार नहीं मानूंगी!"
पिया ने बहुत कोशिश की, पर हर तरफ़ से हार ही मिली।
अनाया बेचैनी से गेट के पास खड़ी थी, बार-बार फोन मिलाती, लेकिन कोई जवाब नहीं। उसकी नज़र सड़क पर थी। जैसे ही पिया थकी-हारी, धीमे कदमों से आती दिखी, वह दौड़कर उसके पास पहुँची।
"मॉम! आप कहाँ थीं? फोन क्यों नहीं उठा रही थीं? कुछ हुआ?"
पिया ने उसकी आँखों में देखा, आवाज़ भारी थी। "बहुत कोशिश की, अनाया… लेकिन कुछ नहीं हो पाया।"
"मतलब?" अनाया का दिल तेजी से धड़कने लगा।
"पुलिस स्टेशन, वकील, नगर निगम, नेता... सब जगह गई, लेकिन हर जगह एक ही जवाब—'हम कुछ नहीं कर सकते।'"
अनाया के हाथ पिया के कांपते हाथों पर कस गए। "अब क्या करेंगे, मॉम?"
पिया की आँखों से आँसू रुक ही नहीं रहे थे। उसने रोते हुए कहा, "पता नहीं बेटा, अब क्या होगा… मुझे नहीं लगता कि हमारा घर बच पाएगा।"
अनाया ने उसकी बात तुरंत रोकते हुए कहा, "नहीं मॉम, आप ऐसा मत बोलिए! यह हमारा घर है, इसे कोई नहीं तोड़ सकता!"
तभी बुलडोजर की तेज़ आवाज़ गूंजने लगी। एक कार आकर रुकी, जिससे कुछ आदमी उतरे। उन्हें देखकर अनाया और पिया उनके पास गईं।
एक आदमी ने सख्त लहजे में कहा, "मैडम, आपके पास जो समय था, वो खत्म हो चुका है। अब हमें घर तोड़ना होगा।"
अनाया गुस्से में आगे बढ़ते हुए बोली, "नहीं! मैं आपको ऐसा नहीं करने दूंगी!"
वो आदमी शांत लेकिन सख्त आवाज़ में बोला, "देखिए मैडम, यह कोर्ट का आदेश है। यह घर गैरकानूनी तरीके से बना है, और इसे गिराना ही होगा। कृपया हमारे काम में रुकावट मत डालिए।"
पिया की आँखें भर आईं। उसे समझ आ गया कि अब कुछ भी करने से कोई फायदा नहीं… लेकिन अनाया अभी भी लड़ने के लिए तैयार थी। पिया ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए हल्की आवाज़ में कहा, "बेटा… अब कुछ नहीं हो सकता…"
अनाया ने अपनी मां की बातें सुनीं, तो गुस्से और बेचैनी से बोली, "नहीं मॉम, ऐसा नहीं हो सकता! कोई न कोई हमारी मदद जरूर करेगा! मैं कुछ ना कुछ करके दिखाऊंगी!"
इतना कहकर वह बिना रुके पड़ोसियों की तरफ भागी।
पिया वहीं खड़ी रह गई। उसे अपने घर के जाने का दुख था, लेकिन उससे भी ज्यादा दर्द अपनी बेटी के लिए हो रहा था। वह चाहकर भी उसे रोक नहीं पाई।
तभी बुलडोजर की तेज़ आवाज़ गूंजने लगी। मशीन आगे बढ़ी, तो पिया धीरे से एक तरफ हो गई। लेकिन उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
उसने खुद से बुदबुदाते हुए कहा, "इतने सालों से हम इस घर में रह रहे हैं... फिर मुझे कभी क्यों नहीं पता चला कि यह गैरकानूनी है?"
वह बेबस होकर अपने ही घर को टूटने से बचाने की आखिरी उम्मीद ढूंढ रही थी, लेकिन शायद अब बहुत देर हो चुकी थी…
बुलडोजर आगे बढ़ने लगा, धूल उड़ने लगी, और पिया की आंखों के सामने उसका घर टूटने वाला था। लेकिन तभी...
एक चमकती हुई ब्लैक SUV तेज़ी से आई और ठीक वहीं आकर रुकी।
पिया के चेहरे पर एक पल के लिए अजीब सा ठहराव आया, जैसे उसने किसी बुरे सपने को हकीकत में बदलते देख लिया हो।
SUV का दरवाज़ा खुला, और उसमें से एक आदमी बड़े ही एटीट्यूड के साथ उतरा।
वो कोई और नहीं, बल्कि रियान था।
उसके चेहरे पर हल्की सी, मगर जानलेवा मुस्कान थी।
पिया की आँखें गुस्से से भर गईं।
उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था—नफरत, गुस्सा, बेबसी... और कहीं न कहीं, डर।
रियान ने अपनी आँखों में एक अलग ही चमक लिए, बेहद ठंडे लहजे में पिया को देखते हुए कहा, "ओह… तो तुम्हें डर भी लगता है?"
वो हल्का सा मुस्कुराया, फिर एक कदम और बढ़कर उसकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा, "ये तो मुझे पता ही नहीं था, पिया!"
पिया ने खुद को संभालते हुए तुरंत दो कदम पीछे किए, लेकिन रियान वैसे ही खड़ा रहा, उसे घूरता हुआ, जैसे उसके हर एक्सप्रेशन को एन्जॉय कर रहा हो।
फिर उसने बड़ी ही बेपरवाही से अपने हाथ की घड़ी देखी, और आवाज़ में हल्की सी शरारत लाते हुए कहा, "वैसे डर के बारे में तो बाद में बात करेंगे…"
फिर उसने हल्के से सिर घुमाया, पहले बुलडोजर की तरफ देखा, फिर टूटी हुई पिया की ओर, और बड़े ही सुकून भरे अंदाज़ में कहा, "पहले ये बताओ, मेरा सरप्राइज़ कैसा लगा?"
पिया के दिल में जैसे आग लग गई। उसने रियान के चेहरे को गौर से देखा।
रियान की आँखों में वही घमंड, वही ठंडापन, वही बेशर्मी थी…
पिया को अब समझने में देर नहीं लगी…ये सब… उसी का किया धरा था!
पिया ने गुस्से से रियान की तरफ देखा, उसकी आँखों में नफ़रत साफ़ झलक रही थी। वह तड़पते हुए बोली, "तुम कितने घटिया इंसान हो, रियान! यह तो मुझे पहले ही पता चल गया था, लेकिन तुम इतने नीचे गिर जाओगे, यह सोचा भी नहीं था। तुमसे एक पल भी बात करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी!"
रियान ने हल्की मुस्कान के साथ अपनी जैकेट की कॉलर ठीक की और ठंडे लहज़े में बोला, "अभी तो तुमने कुछ देखा ही नहीं, पिया… यह तो बस एक छोटा सा ट्रेलर था। पूरी फ़िल्म तो मैं तुम्हें ज़िंदगीभर दिखाऊँगा।"
"हर दिन, हर लम्हा मैं तुम्हें यह एहसास कराऊँगा कि तुमने जिस इंसान से टकराने की गलती की है, वह कितना बेरहम हो सकता है। और हाँ…"
वह थोड़ा झुककर उसकी आँखों में देखते हुए फुसफुसाया, "मुझे सिर्फ घटिया समझने की गलती मत करना… मैं उससे भी कहीं ज़्यादा हूँ!"
रियान ने एक नज़र बुलडोजर की तरफ डाली और ठंडी मुस्कान के साथ बोला, "मुझे बिल्कुल पसंद नहीं कि कोई चीज़ लेट हो… और खासकर मेरा सरप्राइज़।"
उसने हल्के से सिर घुमाया और सख्त लहज़े में कहा, "काम शुरू करो! टाइम हो गया है… गिरा दो इस घर को!"
उसके इतना कहते ही बुलडोजर आगे बढ़ गया, और अगले ही पल पिया का घर टूटने लगा। दीवारें दरकने लगीं, छत ढहने लगी, और टुकड़े-टुकड़े होकर उनकी यादों का बसेरा मिट्टी में मिलने लगा।
पिया बस खड़ी देखती रह गई… उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन दिल में अब सिर्फ़ एक ही चीज़ थी, रियान के लिए नफ़रत।
गुस्से में तड़पती हुई वह रियान की ओर मुड़ी और झपटकर उसका कॉलर पकड़ लिया। आँखों में जलती हुई नफ़रत के साथ गरजती हुई बोली, "मैं तुम्हें छोड़ूंगी नहीं, रियान! एक दिन तुमसे इसका बदला ज़रूर लूंगी!"
रियान को जैसे उसकी हालत में मज़ा आ रहा था। उसकी आँखों में चमक थी। रियान ने झटके से पिया की कमर पकड़ ली और उसे अपनी तरफ खींचते हुए दाँत भींचकर फुसफुसाया, "और मैं तुम्हें कभी छोड़ने भी नहीं दूँगा, पिया!"
उन दोनों की आँखों में जलती नफ़रत थी। पिया ने खुद को छुड़ाने के लिए पूरी ताकत लगा दी, लेकिन रियान की पकड़ मजबूत थी। उसके नज़दीक होने का एहसास ही पिया के लिए घुटन भरा था। वह और छटपटाने लगी, तब जाकर रियान ने उसे एक झटके में छोड़ दिया।
पिया ने खुद को सँभाला। उसका घर टूट चुका था… और उसकी ज़िंदगी भी।
उस दोनों की आँखों में जलती नफ़रत थी। पिया ने खुद को छुड़ाने के लिए पूरी ताकत लगाई, लेकिन रियान की पकड़ मजबूत थी। उसके नज़दीक होने का एहसास ही पिया के लिए घुटन भरा था। वह और छटपटाने लगी, तब जाकर रियान ने उसे एक झटके में छोड़ दिया।
पिया ने खुद को संभाला। उसका घर टूट चुका था… और उसकी ज़िंदगी भी।
दूसरी तरफ, अनाया अपने पड़ोसियों के पास जाकर उनसे मदद की गुहार लगा रही थी।
"प्लीज, हमारी हेल्प करिए! यह हमारा घर है… इसे बचाने में हमारी मदद कीजिए!"
वह एक-एक से मिन्नतें कर रही थी, लेकिन कोई आगे नहीं आया। कुछ लोगों ने नज़रें फेर लीं, तो कुछ बहाने बनाकर खड़े रहे।
बार-बार हाथ जोड़कर अनाया सबको पुकार रही थी, "आप सब जानते हैं, हम कब से यहाँ रह रहे हैं… प्लीज, कुछ तो करिए!"
लेकिन हर कोई चुप था। उसकी आवाज़ दीवारों से टकराकर लौट रही थी, और उसकी उम्मीदें धीरे-धीरे टूटने लगीं।
पिया का घर अब पूरी तरह से मलबे में बदल चुका था। उसकी आँखों में आँसू नहीं थे, लेकिन जलती हुई नफ़रत साफ़ झलक रही थी। दूसरी तरफ, रियान चेहरे पर वही इविल स्माइल लिए खड़ा था, जैसे उसे अपनी जीत पर पूरा यकीन हो।
पिया ने गुस्से में उसकी तरफ देखते हुए तीखे लहजे में कहा, "अब तमाशा खत्म हो गया ना? अब निकलो यहां से!"
रियान ने हल्की मुस्कान के साथ गर्दन टेढ़ी करते हुए कहा, "तमाशा? पिया, मैंने कहा ना! ये तो बस ट्रेलर था… पूरी फिल्म अभी बाकी है!"
पिया ने उसकी तरफ कदम बढ़ाते हुए तड़पते लहजे में कहा, "आज मेरा घर टूटा है, लेकिन याद रखना, जब मेरा वक्त आएगा ना, तो तुम्हारी पूरी दुनिया बर्बाद कर दूंगी!"
रियान ने उसकी जलती आँखों को देखते हुए हल्की हँसी के साथ कहा, "इंटरेस्टिंग… लेकिन तुम्हारा हर दर्द, हर आँसू, हर तकलीफ सिर्फ मेरी होगी, पिया!"
पिया का खून खौल उठा। उसने गुस्से में उसे धक्का देते हुए तीखी आवाज़ में कहा, "मैं तुमसे नफ़रत करती हूँ!"
रियान ने झटके से उसकी कलाई पकड़ ली और बेहद धीमी मगर ठंडी आवाज़ में कहा, "बस यही तो चाहिए मुझे…"
पिया अपनी कलाई छुड़ाते हुए कड़वी मुस्कुराहट के साथ उसकी तरफ देखते हुए बोली, "अब तो तुम पर वह भी नहीं आ रही है मुझे, ना तो तुम मेरे नफ़रत के काबिल हो और नहीं दया के.."
रियान उसकी आँखों में देखते हुए ठंडी हँसी के साथ बोला, "दया? एक दिन इसी दया की भीख भी मुझसे मांगोगी!"
इतना बोलकर रियान अपनी कार की तरफ बढ़ गया और दरवाज़ा खोलकर अंदर बैठ गया। वहीं, अनाया रोते हुए अपनी माँ के पास भागी, लेकिन उसकी नज़र जैसे ही अपने टूटे हुए घर पर पड़ी, उसका दिल बैठ गया। सब कुछ बिखर चुका था, उसके सपने, उसकी यादें, उसका बचपन... सब मलबे के नीचे दब गए थे।
वह अपनी माँ से लिपटकर बिलख पड़ी, "मॉम, हम हार गए... हमारा घर टूट गया... अब हम कहाँ जाएँगे?"
पिया उसे सीने से लगाते हुए उसके बालों को सहलाने लगी, फिर उसके आँसू पोंछते हुए धीरे से बोली, "नहीं अनाया, हम हारे नहीं हैं… बस एक घर टूटा है, हमारा हौसला नहीं। घर तो फिर से बनाया जा सकता है, लेकिन अगर हम टूट गए, तो कुछ नहीं बचेगा। तुम्हें मुझ पर भरोसा है ना?"
अनाया सुबकते हुए सिर हिलाती है, तो पिया उसकी हथेलियाँ थामते हुए मुस्कुराकर बोली, "तो बस, फिर डरने की कोई ज़रूरत नहीं। हम फिर से खड़े होंगे, पहले से ज़्यादा मज़बूत बनकर!"
तभी दोनों के कानों में एक जानी-पहचानी आवाज़ पड़ी, "अनाया!"
अनाया ने झटके से अपनी माँ को छोड़ा और पीछे मुड़ी। सामने खड़े शख्स को देखते ही उसकी आँखों में एक पल के लिए चमक आ गई। लेकिन पिया… उसके चेहरे पर गुस्से की लपटें साफ़ दिख रही थीं। वह कुछ कहने ही वाली थी कि अनाया ने बिना सोचे-समझे दौड़कर सामने खड़े इंसान को गले लगा लिया और बेसब्री से बोली, "रियान! तुम यहाँ?!"
पिया का पूरा दिमाग सुन्न पड़ गया। इस वक्त उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अनाया क्या कर रही है और क्यों?
वहीं, रियान ने बड़ी मासूमियत से उसकी पीठ थपथपाई और हल्की मुस्कान के साथ बोला, "हाँ, असल में मैं यहाँ से गुज़र रहा था, तो टूटा-फूटा घर दिखा… और फिर तुम भी। सोचा, ज़रा पूछ लूँ क्या हुआ ये सब?"
उसके चेहरे पर एकदम मासूमियत थी, जैसे इस बर्बादी से उसका कोई लेना-देना ही नहीं… लेकिन पिया उसकी हर अदा पढ़ सकती थी।
अनाया ने रियान को थोड़ा पीछे हटाया और उसकी आँखों में देखती हुई घुटे हुए शब्दों में बोली, "रियान… हमारा घर… हमारा सब कुछ बर्बाद हो गया… मम्मी ने इतनी मेहनत से बनाया था इसे, और अब देखो… सब खत्म हो गया।"
उसकी आँखों में आँसू छलक आए, लेकिन वह बोलती रही, "कोई हमारी मदद करने को तैयार नहीं था, कोई नहीं… हम बस देखते रहे और सब उजड़ गया।"
रियान ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं, उसकी मासूमियत और दर्द को महसूस किया। तभी अनाया ने पिया की तरफ देखा और हल्की मुस्कान के साथ बोली, "वैसे, मॉम… रियान मेरा सिर्फ़ दोस्त नहीं है, ये मेरा स्कूल सीनियर था। लेकिन हमारे बीच रिश्ता सिर्फ़ सीनियर-जूनियर का नहीं था… ये मेरा बेस्ट फ्रेंड था।"
पिया ने हल्की भौंहें चढ़ाईं, जबकि रियान ने एक जानलेवा मुस्कान के साथ सिर झुका लिया।
"बेस्ट फ्रेंड?" उसने हल्की हँसी के साथ दोहराया।
अनाया ने सिर हिलाया, "हाँ, सबसे ज़्यादा क्लोज़… हम सब कुछ शेयर करते थे। लेकिन स्कूल के बाद कुछ सालों तक कॉन्टैक्ट नहीं रहा…"
रियान ने एक गहरी साँस ली और हाथ जेब में डालते हुए बोला, "तो अब जब फिर से मिल ही गए हैं, तो एक बेस्ट फ्रेंड की तरह ही तुम्हारी मदद करने का हक़ भी बनता है, है ना?"
पिया ने तुरंत गुस्से में कहा, "हमें तुम्हारी मदद की कोई ज़रूरत नहीं!"
रियान उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुराया, लेकिन अनाया ने तुरंत पिया की तरफ देखा और बोली, "मॉम, हमें रियान के साथ जाना चाहिए… आखिर हम जाएँगे कहाँ? हमारे पास कोई जगह नहीं है।"
जैसे ही अनाया ने अपनी बात खत्म की, उसने पिया की तरफ देखा, लेकिन पिया की आँखों में इस वक्त सिर्फ़ गुस्सा था। वह रियान को घूरते हुए बोली, "हमारी मदद करने की कोई ज़रूरत नहीं, रियान! हम कहीं भी चले जाएँगे, लेकिन तुम्हारे साथ नहीं!"
रियान ने ठंडी आवाज़ में कहा, "और तुम्हारी मम्मी से भी यही उम्मीद थी…"
अनाया ने पिया का हाथ थामते हुए कहा, "मॉम… प्लीज़, हमें रियान की मदद की ज़रूरत है।"
पिया का दिल कर रहा था कि वह अपनी बेटी को सब कुछ बता दे, उसे समझाए कि रियान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। लेकिन चाहकर भी वह कुछ नहीं कह पाई। उसकी ज़ुबान बंद थी, दिल बेबस था…
रियान ने एक नज़र पिया पर डाली और फिर मुस्कुराते हुए कहा, "चलो, बहुत बहस हो गई… गाड़ी में बैठो।"
पिया ने गुस्से से रियान की तरफ देखा और ठंडी आवाज़ में बोली, "मैं कहीं नहीं जाऊँगी, और अनाया भी नहीं! हमें तुम्हारी ज़रूरत नहीं है, रियान!"
रियान ने अपनी जगह से एक धीमा कदम बढ़ाया, उसकी आँखों में एक गहरी ठंडक थी, लेकिन उसके होठों पर एक हल्की सी मुस्कान। उसने अपनी जेब से कार की चाबी निकाली और उंगलियों के बीच उसे घुमाते हुए एक नज़र पिया पर डाली।
"अच्छा? तुम सच में सोच रही हो कि तुम्हारे पास कोई ऑप्शन है?" उसकी आवाज़ इतनी धीमी थी कि सिर्फ़ पिया ही उसे सुन सके।
पिया अपनी मुट्ठियों को कसकर भींचने लगीं, लेकिन उसने खुद को कमज़ोर नहीं पड़ने दिया। उसने गहरी साँस ली और तीखी नज़रों से रियान को देखते हुए बोली, "लगता है एक बार में तुम्हें समझ में नहीं आता है कि हमें तुम्हारी ज़रूरत नहीं है!"
रियान हल्के से हँसा, लेकिन इस बार उसकी हँसी में एक अजीब सा सन्नाटा था। उसने पिया के और करीब आकर ऐसे फुसफुसाया कि अनाया को कुछ सुनाई ही न दे, "देखो पिया, अगर तुम नहीं चलोगी, तो भी तुम्हारी बेटी मेरे साथ ज़रूर चलेगी।"
पिया का चेहरा सख्त पड़ गया, लेकिन उसके अंदर हलचल मच गई थी। उसने खुद को शांत रखने की कोशिश की।
रियान ने हल्के से सिर झुकाया, जैसे पिया को मना रहा हो, लेकिन उसके शब्द केवल पिया के कानों तक पहुँचे, "तुम जानती हो न, मैं इतना शरीफ़ नहीं हूँ! और अगर तुम्हारी बेटी मेरे साथ जाएगी तो मुझे शराफ़त की उम्मीद मत करना, और जो मुझे चाहिए वो मैं हासिल कर ही लेता हूँ।"
पिया का गला सूखने लगा।
रियान ने अपनी आँखें उसकी आँखों में गड़ा दीं, उसकी आवाज़ अब और भी धीमी हो गई, "अब तुम्हारे पास सिर्फ़ दो रास्ते हैं! या तो अपनी बेटी के साथ मेरे साथ चलो, या फिर मैं उसे अकेले ले जाऊँ।"
"चाहे मर्ज़ी से या ज़बरदस्ती! होगा वही जो मैं चाहता हूँ, या तो तुम तुम्हारी बेटी मेरे साथ जाएगी या तो सिर्फ़ तुम्हारी बेटी मेरे साथ जाएगी!"
पिया ने अनाया की तरफ़ देखा, जो मासूमियत से उनकी बातचीत को समझने की कोशिश कर रही थी।
रियान ने एक और कदम आगे बढ़ाया, उसके चेहरे पर एक नकली नरमी थी, जैसे वह पिया को समझा रहा हो, "मुझे तुम पर कोई ज़बरदस्ती नहीं करनी, मैं तो बस तुम्हारी और अनाया की भलाई के लिए कह रहा हूँ।"
लेकिन उसके शब्दों के पीछे की धमकी पिया अच्छी तरह समझ गई थी। उसने घबराकर एक नज़र अनाया पर डाली, जो अब भी मासूमियत से खड़ी थी, बेख़बर कि उसकी माँ को किस दुविधा में डाला जा रहा था।
रियान ने एक आखिरी बार मुस्कुराते हुए कहा, "सोच लो पिया… मैं तुम्हें वक़्त दे रहा हूँ, लेकिन ज़्यादा नहीं।"
पिया की आँखों में गुस्सा, बेबसी और डर सब एक साथ उमड़ रहे थे…
रियान के शब्दों में छिपी धमकी पिया ने अच्छी तरह समझ ली थी। उसने घबराहट में एक नज़र अनाया पर डाली जो अब भी मासूमियत से खड़ी थी। वह बेखबर थी कि उसकी माँ किस दुविधा में फँसी हुई थी।
रियान ने एक आखिरी बार मुस्कुराते हुए कहा, "सोच लो पिया… मैं तुम्हें वक्त दे रहा हूँ, लेकिन ज़्यादा नहीं।"
पिया की आँखों में गुस्सा, बेबसी और डर एक साथ उमड़ रहे थे।
अनाया अपनी माँ के पास आकर उनके हाथ पकड़ते हुए बोली, "मॉम, प्लीज़ मान जाइए ना। वैसे भी इस वक्त हमारे पास कोई और ऑप्शन नहीं है। हम जाएँगे भी तो कहाँ? और किससे मदद माँगेंगे?
कम से कम रियान तो खुद आगे बढ़कर हमारी हेल्प करने की बात कर रहा है। वरना आज जो देखा, उसके बाद मुझे समझ आ गया कि इस दुनिया में लोग कैसे होते हैं… जब ज़रूरत हो, तब कोई साथ नहीं देता।"
अनाया की आँखों में उदासी और लाचारी साफ झलक रही थी।
पिया का मन कर रहा था कि सब कुछ अनाया को बता दे, सारी सच्चाई उसके सामने रख दे, लेकिन फिर न जाने क्या सोचकर वह अचानक चुप हो गई। शायद हालात को देखते हुए उसने अपना फ़ैसला बदल लिया। उसने एक गहरी साँस ली और खुद को संभालते हुए धीमे आवाज़ में बोली, "ठीक है, रियान। हम तुम्हारे साथ चलते हैं।"
पिया के हामी भरते ही रियान के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान खेल गई। एक डेविल स्माइल, जिससे उसके इरादों को भाँप पाना और भी मुश्किल हो गया।
फिर बिना देर किए, तीनों कार की तरफ़ बढ़े। रियान आगे की सीट की तरफ़ बढ़ा ही था कि तभी वह अचानक रुककर मुस्कुराते हुए बोला, "ओहो, तो तुम दोनों ने मिलकर मुझे ड्राइवर बना ही दिया, है ना?"
"और नहीं तो क्या! वैसे भी तुम यही डिज़र्व करते हो!" अनाया खिलखिला उठी।
रियान ने उसे घूरा, लेकिन अनाया की हँसी नहीं रुकी। अनाया और पिया पीछे की सीट पर बैठ चुकी थीं कि अनाया अचानक अपनी माँ की तरफ़ देखने लगी। उसने कुछ पल सोचा और फिर मासूमियत से बोली, "मॉम, आप आगे बैठ जाओ ना! मेरा बिल्कुल भी मन नहीं है कि मैं अब बाहर निकलकर फिर से आगे जाकर बैठूँ।"
पिया को अनाया की रिक्वेस्ट सुनकर थोड़ी झिझक महसूस हुई। उसका मन हुआ कि मना कर दे, लेकिन अनाया की मासूमियत भरी आँखों को देखकर वह कुछ कह नहीं पाई। अनाया बार-बार रिक्वेस्ट करने लगी, जिससे पिया को आखिरकार मानना ही पड़ा। वह धीरे-धीरे कार से बाहर निकली और फिर जाकर अगली सीट पर बैठ गई।
पीछे अनाया अब भी हल्के-हल्के मुस्कुरा रही थी, जबकि रियान के चेहरे पर एक ऐसी रहस्यमयी मुस्कान थी, जिसे समझ पाना मुश्किल था।
जैसे ही रियान ने गाड़ी स्टार्ट की, उसने म्यूज़िक भी चला दिया और गाड़ी को अपने घर की तरफ़ मोड़ लिया। अनाया को तो सफ़र शुरू होते ही नींद आने लगी, और कुछ ही देर में वह कार की सीट पर सिर टिकाकर गहरी नींद में सो गई।
पिया भी चुपचाप बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी, लेकिन तभी उसे एक अजीब सा एहसास हुआ। जैसे ही उसने ध्यान दिया, उसने महसूस किया कि रियान का हाथ धीरे-धीरे उसकी जांघ पर आकर टिक गया था।
पिया की आँखें हैरानी और गुस्से से बड़ी हो गईं। उसने झटके से रियान की तरफ़ देखा, लेकिन रियान एकदम शांत था। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, जैसे उसने कुछ किया ही न हो।
पिया का खून खौलने लगा। उसने बिना कुछ बोले तुरंत रियान का हाथ हटाने की कोशिश की, लेकिन रियान ने अपनी पकड़ और मज़बूत कर दी। पिया को गुस्सा आ रहा था, उसका मन कर रहा था कि वह रियान पर चिल्लाए या उसकी हरकत के लिए उसे झिड़के, लेकिन अनाया उसके बगल में सोई हुई थी। वह उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी।
रियान के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई, एक अजीब सी मुस्कान, जैसे वह इस पल का मज़ा ले रहा हो।
पिया ने पूरी ताकत लगाकर उसका हाथ हटाने की कोशिश की, लेकिन रियान ने और ज़्यादा दबाव डाल दिया। पिया की साँसें तेज़ हो गईं, लेकिन वह अब भी चुप थी। वह चाहकर भी इस माहौल को और अजीब नहीं बनाना चाहती थी, ख़ासकर अनाया के सामने।
कुछ सेकंड तक ऐसा ही चलता रहा, फिर अचानक रियान ने अपना हाथ हटा लिया।
पिया ने सोचा कि अब सब ठीक हो गया, लेकिन अगले ही पल रियान ने उसकी कलाई पकड़ ली—मज़बूती से, जैसे वह उसे किसी कीमत पर जाने नहीं देना चाहता था।
पिया को अब गुस्सा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था। उसने पूरी ताकत से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन रियान की पकड़ इतनी मज़बूत थी कि वह हिल भी नहीं रही थी।
गाड़ी अब भी अपनी रफ़्तार में चल रही थी, म्यूज़िक धीमी आवाज़ में बज रहा था, और अनाया गहरी नींद में थी।
इधर, पिया और रियान के बीच एक अजीब सा खेल चल रहा था, जहाँ एक अपनी पकड़ मज़बूत किए बैठा था और दूसरी खुद को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी।
कुछ सेकंड तक यह संघर्ष चलता रहा, फिर आखिरकार, रियान ने पिया का हाथ छोड़ दिया।
पिया ने तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लिया और गहरी साँस लेते हुए गुस्से से रियान की तरफ़ देखा। उसकी आँखों में नाराज़गी और नफ़रत दोनों साफ़ झलक रहे थे।
रियान ने उसकी आँखों में झाँका और हल्की मुस्कान के साथ उसे देखा, एक शातिर, रहस्यमयी मुस्कान, जैसे वह जानबूझकर ऐसा कर रहा हो, सिर्फ़ पिया को परेशान करने के लिए।
फिर बिना कुछ कहे, उसने गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी, और पिया बस सीट पर चुपचाप बैठी रही, अपने गुस्से और बेचैनी को संभालने की कोशिश करती हुई।
कुछ समय बाद, रियान अपने बंगले पर पहुँच गया और उसने गाड़ी सीधे बंगले के अंदर ले जाकर पार्क कर दी। उसका बंगला किसी महल से कम नहीं लग रहा था—बेहद ख़ूबसूरत, लग्ज़ुरियस और भव्य। ऊँची-ऊँची दीवारें, शानदार इंटीरियर और चारों तरफ़ हरी-भरी हरियाली।
पिया के मन में घुटन सी महसूस हो रही थी। जैसे ही गाड़ी रुकी, वह झट से बाहर निकल गई। जैसे यहाँ एक पल भी और रुकना उसके लिए मुश्किल हो।
उधर, अनाया को जैसे ही होश आया, उसने आँखें खोलीं और बाहर निकलते ही सामने के नज़ारे में खो गई। उसकी आँखें चमक उठीं, चेहरे पर हैरानी और उत्साह दोनों झलक रहे थे।
"यार, रियान! तुम्हारा घर तो सच में बहुत खूबसूरत है।" अनाया ने चहकते हुए कहा, उसकी नज़रें बंगले के हर कोने को टटोल रही थीं।
रियान मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखने लगा और हल्की सी हँसी के साथ बोला, "अब तुम्हें यहीं रहना है, अच्छे से देख लो।"
"मुझे तो बहुत एक्साइटमेंट हो रही है!" अनाया खुशी से उछलते हुए बोली।
रियान उसकी बात सुनकर हल्के से हँसा और एक शरारती अंदाज़ में बोला, "जब इतनी एक्साइटमेंट हो रही है, तो रोका किसने है? जितना देखना है, देख लो।"
अनाया बिना कुछ सोचे-समझे जल्दी से बंगले के अंदर की तरफ़ बढ़ गई। उसकी आँखों में बस चमक ही चमक थी।
लेकिन पिया... उसकी आँखों में गुस्से की लपटें थीं। उसने अनाया को भागते हुए देखा और फिर तुरंत रियान की तरफ़ घूरकर देखा।
कुछ सेकंड तक दोनों के बीच बिना शब्दों का एक अजीब सा युद्ध हुआ।
फिर पिया ने गहरी साँस ली और एक सख्त आवाज़ में कहा, "यह जो खेल तुम खेल रहे हो ना, इसे अभी और इसी वक्त बंद कर दो, रियान!"
रियान की मुस्कान और गहरी हो गई, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया।
पिया ने आगे कदम बढ़ाया, उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिख रहा था। "तुम क्या सोचते हो, कि इस तरह मुझे परेशान करके तुम कुछ हासिल कर लोगे?" उसकी आवाज़ में नफ़रत झलक रही थी।
"सुनो, मैं यहाँ सिर्फ़ अपनी बेटी की वजह से आई हूँ। बहुत जल्द मैं यहाँ से वैसे ही चली जाऊँगी, जैसे आई थी। और जब जाऊँगी, तो अपनी बेटी को भी साथ लेकर जाऊँगी!"
उसके शब्दों में एक अलग ही ठहराव था, जैसे वह अपना फ़ैसला सुना रही हो।
रियान ने बस एक गहरी साँस ली और हल्के से सिर झुका लिया, लेकिन उसकी आँखों में वही रहस्यमयी मुस्कान थी।
"देखते हैं, पिया।" उसने धीमी आवाज़ में कहा, "तुम यहाँ से इतनी आसानी से जा भी पाती हो या नहीं।"
पिया ने गुस्से से उसे देखा, लेकिन इस बार उसने कुछ नहीं कहा। बस एक नज़र डालकर, वह तेज़ी से बंगले की तरफ़ बढ़ गई। रियान अब भी वहीं खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा।
पिया ने गुस्से से उसे देखा, पर इस बार उसने कुछ नहीं कहा। बस एक नज़र डालकर, वह तेज़ी से बंगले की ओर बढ़ गई, और रियान वहीं खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा।
दूसरी ओर, अनाया हॉल में खड़ी थी, उसकी निगाहें हर कोने को ध्यान से परख रही थीं। दीवारों पर सजी तस्वीरें, खूबसूरती से सजा लिविंग रूम, हर चीज़ को वह इस तरह देख रही थी, जैसे कोई भूली-बिसरी यादें तलाश रही हो।
तभी पिया तेज़ी से उसके पास आई और उसका हाथ पकड़कर हल्के से झटकते हुए बोली, "अनाया, यह सब क्या कर रही हो? इस तरह किसी के घर में घूमना ठीक नहीं होता। और तुम छोटी बच्ची नहीं हो जो मुझे तुम्हें यह सब समझाना पड़े!"
अनाया पिया की बात सुनकर हल्का-सा मुस्कराई और मासूम अंदाज़ में बोली, "मॉम, यह रियान का घर है, और मैंने आपको बताया था ना कि वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त है। तो फिर यह किसी और का घर कैसे हुआ?"
पिया उसकी बात सुनकर कुछ पल उसे ध्यान से देखने लगी, फिर नरम लहज़े में समझाते हुए बोली, "बेटा, दोस्त का घर, घर जैसा तो लगता है... मगर अपना नहीं होता!"
तभी पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ दोनों के कानों में पड़ी।
"तो फिर इसे अपना ही समझो!"
अनाया और पिया, दोनों ने चौंककर पीछे देखा। दरवाज़े के पास रियान खड़ा था, आँखों में हल्की शरारत और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए हुए...
रियान की आवाज़ सुनकर पिया के चेहरे पर हल्का गुस्सा दिखा, पर उसने खुद को संभाल लिया। रियान मुस्कुराता हुआ उनके पास आया और बोला, "अब जब तुम दोनों को यहीं रहना है, तो यह घर तुम्हारा ही हुआ ना..."
अनाया ने हँसते हुए सिर हिलाया, लेकिन पिया को उसकी बात कुछ अजीब लगी।
रियान ने जेब में हाथ डाले और हल्की मुस्कान के साथ बोला, "वैसे भी, मैं इतनी आसानी से तुम दोनों को यहाँ से कहीं जाने नहीं दूँगा।"
अनाया को उसकी बात मज़ाक लगी, लेकिन पिया के मन में अजीब-सी बेचैनी होने लगी।
रियान ने फिर एक हल्की मुस्कान के साथ बोला, "मेरा मतलब है, जब तक तुम्हारे लिए कोई अच्छा-सा घर न मिल जाए... जब तक सब ठीक न हो जाए।"
बात सीधी-सादी लग रही थी, लेकिन पिया को उसके लहज़े में छुपी धमकी साफ़ महसूस हो रही थी।
फिर रियान ने अपने नौकर को इशारा किया, "इन दोनों को उनके कमरे दिखा दो।"
नौकर ने हल्का सिर झुकाया और बोला, "जी सर।"
रियान खुद तीसरी मंज़िल पर रहता था, और उसने पिया और अनाया को दूसरी मंज़िल पर रुकने के लिए कहा। लेकिन जैसे ही सभी लोग आगे बढ़े, एक नौकर तेज़ क़दमों से भागता हुआ आया। उसके हाथ में दो चाबियाँ थीं, लेकिन चेहरा उतरा हुआ था, जैसे कोई भारी मुसीबत आन पड़ी हो।
पहले कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए उसने अनाया को चाबी दी, "मैडम, यह आपका कमरा है।"
अनाया ने चाबी ली और अंदर जाने लगी, लेकिन जैसे ही पिया के कमरे की बारी आई, नौकर का हाथ काँपने लगा। उसकी घबराहट इतनी साफ़ थी कि रियान की नज़रें तेज हो गईं। उसने एक कदम आगे बढ़ाया और ठंडे स्वर में पूछा, "क्या हुआ? तुम्हारे हाथ क्यों काँप रहे हैं?"
नौकर ने होंठ भींचे, आँखें नीची कर लीं, और घबराई आवाज़ में बोला, "सॉरी सर... वो... हमारी ग़लती से... चाबियाँ न जाने कहाँ खो गईं... सिर्फ़ दो ही चाबियाँ मिली हैं—एक इस मंज़िल की और दूसरी आपके मंज़िल की।"
रियान की आँखों में गुस्से की लपटें उठने लगीं। उसने एक झटके में नौकर की कॉलर पकड़ ली और दाँत भींचकर बोला, "तुम्हें लगता है यह तुम्हारी छोटी-सी गलती है? मेरी मेहमान को मैं किसी भी हाल में परेशानी में नहीं डाल सकता। और तुम कह रहे हो चाबियाँ खो गईं? यह किस तरह की लापरवाही है!"
नौकर की टांगों से जैसे जान निकल गई। उसने काँपते हुए जवाब दिया, "स...सॉरी सर! हम... हम तुरंत नई चाबी मँगवा देते हैं।"
रियान ने गहरी साँस ली, उसकी पकड़ थोड़ी ढीली हुई, लेकिन आँखों में वही सख़्ती बनी रही। उसने ठंडे लहज़े में कहा, "पाँच मिनट में चाबी चाहिए मुझे। वरना तुम्हें इस घर में एक मिनट भी नहीं रहने दूँगा।"
नौकर ने हड़बड़ाते हुए सिर हिलाया और तेज़ी से भागा। पिया चुपचाप खड़ी थी, लेकिन रियान के गुस्से की गर्मी पूरे माहौल में महसूस हो रही थी।
रात काफ़ी हो चुकी थी, लेकिन माहौल में अजीब सी बेचैनी थी। रियान की गहरी आँखों में गुस्से की लपटें साफ़ दिख रही थीं। उसने हाथ पीछे बाँध रखे थे, लेकिन उसकी उंगलियाँ कसकर मुट्ठी बना रही थीं।
कुछ ही देर पहले उसने नौकर को चाबी लाने भेजा था, लेकिन अब जब वह वापस लौटा, तो उसके हाथ खाली थे। उसका चेहरा पीला पड़ चुका था, और उसके होंठ काँप रहे थे।
रियान ने ठंडे लहज़े में पूछा, "चाबी कहाँ है?"
नौकर ने डरते हुए कहा, "स... सर, हमने हर जगह देख लिया, लेकिन पिया मैडम के कमरे की चाबी नहीं मिल रही।"
रियान ने एक गहरी साँस ली, लेकिन उसकी नज़रों का सख़्त रुख़ नहीं बदला। इससे पहले कि वह कुछ कहता, पिया तुरंत बीच में बोल पड़ी, "कोई बात नहीं... मैं और अनाया एक ही कमरा शेयर कर लेंगे। इतनी बड़ी बात नहीं है।"
रियान ने उसकी तरफ़ देखा, उसकी आँखों में वही सख़्ती थी, "नहीं। ऐसा नहीं होगा। मैं अपने मेहमान को इस तरह से परेशानी में नहीं डाल सकता।"
पिया ने फिर से समझाने की कोशिश की, "रियान, कृपया! हम मैनेज कर लेंगे। इसमें इतना सीरियस होने की ज़रूरत नहीं है।"
अनाया ने भी हामी भरी, "हाँ, रियान। हमें कोई दिक्कत नहीं है।"
रियान ने एक लंबी नज़र दोनों पर डाली, फिर शांत लेकिन सख्त आवाज़ में बोला, "दिक्कत तुम्हें नहीं है, पर मुझे है। तुम लोग अब मेरी ज़िम्मेदारी हो, और मैं अपनी ज़िम्मेदारी को हल्के में नहीं लेता।"
पिया कुछ और कहने वाली थी, लेकिन रियान ने उसकी ओर देखकर हल्की मगर ठोस आवाज़ में बोला, "बहस मत करो।"
इसके बाद वह नौकर की ओर मुड़ा और आदेश दिया, "इन्हें मेरे मंज़िल पर कमरा दिखाओ। अभी।"
नौकर ने तुरंत सिर हिलाया और बोला, "जी, सर।"
कुछ ही मिनटों में, पिया और अनाया तीसरी मंज़िल पर पहुँचीं। नौकर ने अपनी जेब से काँपते हाथों से चाबी निकाली और अनाया को देते हुए कहा, "यह पिया मैडम के कमरे की चाबी है।"
अनाया ने बिना कुछ सोचे चाबी ली और पिया को दे दी। पिया ने अपने बैग में रख ली।
रियान ने एक तीखी नज़र नौकर पर डाली और ठंडे स्वर में कहा, "अगली बार इस तरह की लापरवाही नज़र आई, तो नतीजा तुम्हें खुद समझ आ जाएगा।"
नौकर ने घबराकर सिर झुका लिया, और बोला, "जी सर... आगे से कोई गलती नहीं होगी।"
रियान ने कुछ नहीं कहा, बस उसकी गहरी आँखों की सख़्ती ने माहौल को और ठंडा कर दिया।
रात के माहौल में एक अजीब सा तनाव घुला हुआ था। पिया और अनाया अभी भी वहीं खड़ी थीं, जब नौकर ने धीरे से बोला, "चलिए मैडम, मैं आपको आपका कमरा दिखा देता हूँ।"
पिया ने एक नज़र रियान की तरफ़ डाली, जो बिना किसी भाव के उन्हें देख रहा था। फिर उसने हल्का सा सिर हिलाया और नौकर के पीछे चल पड़ी। अनाया भी उसके साथ थी।
नौकर उन्हें पहले मंज़िल से ऊपर, दूसरी मंज़िल पर लेकर गया और एक दरवाज़े के सामने रुक गया। उसने जेब से चाबी निकालते हुए बोला, "यह रहा आपका कमरा, मैडम।"
नौकर ने चाबी से दरवाज़ा खोला और अंदर इशारा किया। पिया ने कमरे में झाँका—लकड़ी की फ़्लोरिंग, हल्की रोशनी वाले लैंप्स, एक बड़ा सा विंटेज स्टाइल बेड और दीवारों पर क्लासिक पेंटिंग्स। कमरे से जुड़ी एक छोटी सी बालकनी भी थी।
पिया अभी भी दरवाज़े के पास ही खड़ी थी जब रियान की गहरी आवाज़ आई, "अगर किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो, तो नौकरों को बुला लेना।"
पिया ने हल्का सिर हिलाया, लेकिन कुछ कहा नहीं।
रियान ने नौकर की तरफ़ देखा और ठंडे लहज़े में बोला, "सबके लिए डिनर तैयार करो। कोई भी चीज़ मिसिंग नहीं होनी चाहिए।"
नौकर ने तुरंत सिर झुकाया, "जी सर।" फिर वह जल्दी से वहाँ से निकल गया।
रियान ने एक नज़र पिया के कमरे पर डाली, फिर बिना कुछ कहे अपने कमरे की ओर बढ़ गया।
पिया ने कमरे का दरवाज़ा बंद करके चाबी घुमाई और एक पल के लिए ठहरी। उसकी साँसें तेज़ थीं, और दिल किसी अनजाने डर से धड़क रहा था। उसने धीरे से दीवार का सहारा लिया और अपनी आँखें बंद कर लीं।
"मुझे यहाँ से निकलना होगा... किसी भी हालत में। लेकिन कैसे?"
उसके मन में हज़ारों सवाल उठ रहे थे। यह घर, यह जगह... सब कुछ उसे कैद जैसा लग रहा था।
वह धीरे-धीरे बेड तक आई और उस पर बैठ गई। उसने अपनी हथेलियाँ आपस में मलीं, जैसे खुद को तसल्ली देने की कोशिश कर रही हो।
"मैं अपनी बेटी को लेकर यहाँ से भाग तो जाऊँ, लेकिन कहाँ जाऊँगी? कोई जगह भी तो चाहिए। और पैसे?"
उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
उसकी आँखों में चिंता की परछाइयाँ साफ़ झलक रही थीं।
फिर उसके दिमाग़ में अचानक रियान का चेहरा आया। उसकी गहरी, ठंडी आँखें... उसकी आवाज़, जो हमेशा गंभीर और सख्त रहती थी।
"अगर उसे पता चल गया कि मैं यहाँ से भागने की कोशिश कर रही हूँ, तो क्या करेगा वह? क्या मुझे रोक लेगा? या फिर..."
उसने हल्के से सिर झटका।
"नहीं! मैं खुद को कमज़ोर नहीं पड़ने दूँगी।"
उसने गहरी साँस ली और अपने दिमाग़ को शांत करने की कोशिश की। और अपने मन में बोली, "अगर मुझे यहाँ से जाना है तो पहले अपनी नौकरी के बारे में सोचना होगा। क्या कोई ऐसी नौकरी मिलेगी जो तुरंत जॉइन कर सकें?"
"मैं दोबारा उस कॉलेज में नहीं जाऊँगी, पर मुझे कल ही कहीं और आवेदन करना होगा।"
वह सोच ही रही थी कि उसकी नज़र बाथरूम के दरवाज़े पर पड़ी।
"बहुत सोच लिया... अब थोड़ा खुद को शांत करने की ज़रूरत है।"
उसने धीरे-धीरे अपने कपड़े उठाए और बाथरूम की ओर बढ़ गई। अब उसे अपने दिमाग़ को ठंडा करना था, ताकि वह सोच सके कि अगला क़दम क्या होगा।
पिया ने अपने कपड़े उठाए और धीरे-धीरे बाथरूम की ओर बढ़ी। अब उसे अपने दिमाग़ को ठंडा करना था, ताकि वह सोच सके कि अगला क़दम क्या होगा।
पिया बाथरूम में गई और पानी का नल घुमा दिया। ठंडा पानी उसके गर्म जिस्म पर गिरा, तो हल्की सिहरन दौड़ गई। उसने गहरी सांस ली और अपनी आँखें बंद कर लीं, पानी को महसूस करने लगी। इस वक्त उसने सिर्फ अपने इनरवियर पहने हुए थे, और उसके भीगे बदन पर पानी की बूँदें चमक रही थीं।
वह धीरे-धीरे अपने हाथ से बालों को पीछे कर रही थी, जब उसने शैम्पू लेने के लिए हाथ बढ़ाया। लेकिन तभी...
झटके में किसी ने उसकी कमर को पकड़कर उसे पीछे की तरफ खींच लिया!
"आह…!"
पिया की चीख हलक तक आकर रुक गई, क्योंकि तभी उसके कानों के पास एक भारी, ठंडी आवाज़ आई!
"इतनी घबराई हुई क्यों हो? जब तक मैं हूँ, कोई और तुम्हें परेशान नहीं कर सकता…"
पिया का जिस्म काँप उठा। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसने झटके से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन वे मज़बूत बाँहें उसे और कसकर पकड़ चुकी थीं।
"र…रियान?" उसकी आवाज़ काँप रही थी।
रियान उसके ठीक पीछे खड़ा था। उसकी साँसों की गर्मी पिया की भीगी हुई गर्दन पर महसूस हो रही थी।
"छोड़ो मुझे!" पिया ने पूरी ताकत से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन नतीजा सिर्फ इतना निकला कि रियान ने उसे और करीब खींच लिया।
"जितनी ज्यादा दूरी बनाने की कोशिश करोगी, उतनी ही ज्यादा तकलीफ होगी, पिया।"
पानी की बूँदें उनकी नज़दीकियों को और भी बढ़ा रही थीं। पिया का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
"तुम… तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" उसकी आवाज़ अब गुस्से और डर के मिले-जुले एहसास से भरी हुई थी।
रियान ने बिना जवाब दिए उसके भीगे हुए बालों को हल्के से पीछे किया और उसके गले के करीब आकर फुसफुसाया,
"तुम शायद भूल रही हो, पिया… ये मेरा घर है। मैं कभी भी, कहीं भी, कैसे भी जा सकता हूँ।"
पिया गुस्से और शर्म से तिलमिलाते हुए बोली, "तुम्हारी ये घटिया हरकतें मुझे बर्दाश्त नहीं! छोड़ो मुझे, रियान!"
रियान उसके चेहरे के करीब आते हुए बोला, "और ये जो तुम मुझसे बचने की नाकाम कोशिश कर रही हो, वो मुझे और इंट्रेस्टिंग लग रहा है…"
पिया का चेहरा गुस्से से लाल हो गया, लेकिन शर्म भी उसे अंदर तक जला रही थी। वह इस हाल में रियान की बाहों में थी, भीगी हुई, कांपती हुई… और ये अहसास उसे अंदर तक हिला रहा था।
पिया गुस्से में बोली, "मुझे घिन आ रही है तुमसे, रियान! छोड़ो मुझे!"
पिया ने पूरी ताकत से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन रियान की पकड़ और मजबूत हो गई। उसके होंठ पिया के कानों के पास झुके, सांसों की गर्मी उसके गीले बदन को छू रही थी।
रियान आँखों में शरारत के साथ बोला, "वैसे मानना पड़ेगा… तुम हो बड़ी हॉट, पिया।"
पिया की आँखें गुस्से से जल उठीं। उसने झटके से सिर घुमाया और रियान को धक्का देने की कोशिश की, लेकिन तभी बाहर से अनाया की मासूम सी आवाज़ आई।
"मॉम! आप वॉशरूम में हो क्या?"
पिया एकदम से सुन हो गई। साँसें रुक सी गईं। दिमाग़ सुन्न पड़ गया।
रियान ने हल्का सा मुस्कुराते हुए पिया की ओर देखा, जैसे उसे चिढ़ाने का और भी मन कर रहा हो।
रियान धीरे से बोला, "लो, बुलावा आ गया तुम्हारा…"
पिया की आँखों में डर और गुस्सा एक साथ तैरने लगा। उसने जल्दी से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन रियान अब भी उसे पकड़े हुए था।
पिया धीमी लेकिन सख्त आवाज़ में बोली, "रियान, छोड़ो मुझे अभी…"
रियान ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी आँखों में झाँका, और फिर धीरे-से उसकी कमर से अपनी पकड़ ढीली कर दी। पिया ने झटके से खुद को अलग किया और दरवाजे की तरफ बढ़ी।
रियान ने झटके से पिया को फिर से अपनी बाहों में कैद कर लिया।
पिया तड़पते हुए बोली, "रियान! छोड़ो मुझे अभी!"
रियान हल्का सा मुस्कुराया, उसकी पकड़ और कस गई। "मैंने छोड़ा ही कब था? जो करना है, कर लो।"
पिया की आँखों में गुस्सा उबलने लगा। उसने कड़े स्वर में बोला, "मैं अभी चिल्लाऊँगी और अनाया को तुम्हारी सच्चाई बता दूँगी!"
रियान ने ठंडी हँसी के साथ बोला, "तो बता दो ना… वैसे भी, मुझे यही चाहिए। रुको, मैं ही बोल देता हूँ।"
उसकी आँखों में वही पुरानी शरारत चमक रही थी, जिसने हमेशा पिया को चिढ़ाया था। पिया ने उसे धक्का देने की कोशिश की, लेकिन रियान की पकड़ वैसी ही मजबूत रही।
वह झुककर धीरे से बोला, "लेकिन जब अनाया पूछेगी कि मैं तुम्हारे बाथरूम में क्या कर रहा था, तो क्या बोलोगी? रूम की चाबी तो तुम्हारे पास थी। चलो, ये मान लिया कि मैं तुम्हारे रूम में आ सकता हूँ, लेकिन… बाथरूम में, इस हाल में?"
पिया की साँसें थम गईं। उसकी उँगलियाँ कसकर मुठ्ठी में बदल गईं। उसकी आँखों से आँसू ढलकने लगे। काँपते हुए उसने बेहद धीमी आवाज़ में बोला, "तुम मुझसे चाहते क्या हो?"
रियान ने उसकी ठहरी हुई आँखों में देखा, फिर बेहद ठंडे लहजे में बोला, "तुम्हारी बर्बादी।"
उसके शब्दों में ऐसा गुस्सा था कि पिया की रीढ़ तक सिहरन दौड़ गई।
बाहर से अनाया की मासूम आवाज़ आई, "मॉम, आप अंदर हो ना? बाथरूम से पानी की आवाज़ आ रही है, पर आप बोल क्यों नहीं रही? आप ठीक तो हो ना?"
पिया की साँसें अटक गईं। रियान के होंठ उसके कान के पास आ चुके थे। उसकी गर्म साँसें पिया की गर्दन को छू रही थीं।
वह हल्की आवाज़ में बोला, "तो, तुम बोलोगी या मैं?"
पिया का गला सूख गया। उसकी आवाज़ काँप रही थी, आँखों से आँसू गिरने लगे। उसने खुद को सँभालते हुए किसी तरह बोलने की कोशिश की और बोली,
"ह…हाँ अनाया, मैं अंदर ही हूँ। कोई काम था?"
अनाया ने दरवाज़े के दूसरी तरफ से कहा, "नहीं मॉम, बस आपको देखने आई थी। आप ठीक हो ना? सुबह से परेशानी थीं…"
पिया ने जल्दी से बहाना बनाया, "नहीं, मैं ठीक हूँ, बस थोड़ी देर में बाहर आती हूँ। तुम अपने रूम में जाओ, मैं टाइम लेकर आऊँगी।"
पर अंदर की कहानी कुछ और ही थी…
जैसे ही पिया ने बोलना बंद किया, रियान की पकड़ और कस गई। उसके होंठ पिया की गर्दन को छूने लगे, उसकी पीठ पर हल्की-हल्की किसें छोड़ते हुए वो फुसफुसाया, "झूठ बोलने की आदत तो अच्छी डाल ली है, पिया…"
पिया का पूरा जिस्म घिन से सिहर उठा। उसने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन रियान और करीब आ गया। उसकी उँगलियाँ पिया की कमर पर कस गईं।
"छोड़ो मुझे, रियान!" उसने दबे स्वर में गुस्से से कहा।
रियान हौले से हँसा, "छोड़ूँ? पर तुम भी तो मुझे इंजॉय कर रही हो?"
पिया की आँखों में नफ़रत और बेबसी साफ झलक रही थी। पर इस वक्त, उसके पास कोई रास्ता नहीं था…
तभी अनाया की आवाज़ फिर से आई, "मॉम, ठीक है, मैं जा रही हूँ। आप शावर लेकर आ जाना।"
पिया के कानों में ये शब्द गूंजे, और जैसे ही उसने सुना कि अनाया बाहर चली गई है, उसकी घबराहट थोड़ी कम हुई। उसे लगा, अब रियान से छुटकारा मिल सकता है। उसने तुरंत रियान को एक जोर का धक्का दिया, जैसे उसे अपने से दूर करने के लिए पूरा दम लगा दिया हो।
"रियान, छोड़ो मुझे!"
रियान अचानक झटका खा गया, लेकिन उसकी पकड़ फिर भी मजबूत थी। मगर पिया ने एक झटके में खुद को बाहर खींच लिया और तेजी से क्लोज़ेट की ओर दौड़ी। दरवाजे को झटके से बंद किया और अंदर बैठते हुए, उसे ऐसा लगा जैसे वो पूरी दुनिया से कट चुकी हो।
वह नीचे फर्श पर बैठ गई, आँखों में आँसू थे और दिल में बेबसी। उसके पास अब कोई रास्ता नहीं था, बस वही घुटन, वही डर।
उसने अपने आँसू को छुपाने की कोशिश की, लेकिन यह नामुमकिन था।
अब रियान भी बाहर आ चुका था, लेकिन उसके चेहरे पर डेविल स्माइल थी। वह सीधे अपने रूम की तरफ बढ़ गया।
रियान बाहर आ चुका था, पर उसके चेहरे पर एक डेविलिश स्माइल थी। वह सीधे अपने कमरे की ओर बढ़ गया।
रियान की शरारती मुस्कान और गहरी हो गई थी। उसकी आँखों में एक खतरनाक चमक थी। वह अपनी जगह से सीधा अपने कमरे की ओर बढ़ गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो। दरवाजे के अंदर जाते ही उसने झटके में अपनी भीगी हुई शर्ट उतारी और फर्श पर फेंक दी। फिर बाथरूम में जाकर शॉवर चालू कर दिया। पानी की बूँदें उसके चेहरे पर गिरने लगीं, पर उसकी मुस्कान अब भी वहीं थी, एक डेविलिश स्माइल।
"तो तुम्हें क्या लगा, पिया?" वह हल्के से फुसफुसाया, मानो कोई राज़ खोल रहा हो। "कि मेरे घर में इतनी आसानी से चाबियां खो जाएंगी?"
वह खुद ही हँस पड़ा, जैसे किसी मासूम के बचकाने सोच पर हँसी आ गई हो।
[फ्लैशबैक शुरू]
जैसे ही पिया पार्किंग हाल से अनाया के साथ अंदर गई, थोड़ी दूरी पर खड़े रियान ने तुरंत अपने एक नौकर को फोन मिला दिया। कॉल कनेक्ट होते ही उसकी आवाज़ में एक ठहराव और सख्ती थी।
"घर में दो मेहमान आ रही हैं। पिया का कमरा मेरे कमरे के बगल में होना चाहिए।"
फोन के दूसरी तरफ से घबराई हुई आवाज़ आई, "जी सर, जैसा आप कहें।"
लेकिन नौकर की साँस अटक गई, क्योंकि रियान की आवाज़ अब और भी ठंडी और बेरहम हो चुकी थी।
"और अगर किसी भी तरह से उसका कमरा मेरे कमरे के बगल में नहीं हुआ, तो सोच लेना कि तुम्हारा क्या हाल करूँगा।"
फोन के दूसरी तरफ बस एक हिचकी की आवाज़ आई और तुरंत जवाब आया, "जो हुक्म, सर!"
रियान ने एक ठंडी मुस्कान के साथ फोन काट दिया। उसकी नज़र अब भी पिया पर थी, जो अनाया के साथ हँसते हुए अंदर जा रही थी... बिल्कुल अनजान इस बात से कि वह अपनी मर्ज़ी से नहीं, बल्कि रियान के इशारों पर चल रही थी।
[फ्लैशबैक खत्म]
रियान अब भी शॉवर के नीचे खड़ा था, उसकी आँखें एक ठंडी चमक से भरी थीं। पानी की बूँदें उसके चेहरे से लुढ़कती जा रही थीं, पर उसकी मुस्कान अब भी बरकरार थी।
"तुम्हारी ज़िंदगी में जो होगा, वो मेरी मर्ज़ी से होगा। बहुत शौक है ना मुझसे उलझने का? आज तुम्हें अच्छे से एहसास हो गया होगा कि मैं क्या चीज़ हूँ, पिया..."
वह हल्का हँसा, जैसे अपने ही प्लान की तारीफ कर रहा हो। फिर उसने अपनी भीगी हुई हथेलियों को बालों पर फिराया और आँखें बंद कीं, और वहीं से एक और फ्लैशबैक उसकी यादों में लौट आया।
[फ्लैशबैक शुरू]
रियान सीढ़ियों से नीचे उतर ही रहा था कि तभी अनाया की आवाज़ उसके कानों में पड़ी। वह एक नौकर से पूछ रही थी, "मेरी माँ का कमरा कौन सा है?"
रियान के कदम वहीं रुक गए। उसकी आँखें शरारत से भर गईं। उसने हल्के से सिर झुकाया और धीमे-धीमे पिया के कमरे की ओर बढ़ गया। कमरे में जाते ही उसकी नज़र बाथरूम की तरफ गई, जहाँ से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी। बाथरूम का दरवाज़ा आधा खुला हुआ था। पिया अंदर थी, बिल्कुल बेखबर कि कोई उसकी हरकतों पर नज़र रखे हुए है। रियान के होंठों पर एक हल्की मुस्कान आ गई।
"परफेक्ट!" वह फुसफुसाया और बिना कोई आवाज़ किए बाथरूम के अंदर चला गया।
[फ्लैशबैक खत्म]
दूसरी तरफ पिया ने किसी तरह खुद को संभाला और तैयार होकर नीचे हॉल में आ गई। डाइनिंग टेबल पर डिनर पहले से तैयार था, पर वहाँ सिर्फ़ अनाया थी। रियान कहीं नहीं दिख रहा था।
पिया ने हल्की राहत की साँस ली। शायद आज की रात शांति से गुज़र जाए। पर यह सुकून कुछ ही पलों का था।
"आप आ ही गईं," अनाया ने मुस्कुराकर कहा।
पिया ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और कुर्सी खींचकर बैठ गई। पर तभी एक जानी-पहचानी, ठंडी आवाज़ उसके कानों में पड़ी।
"मुझे मिस किया?"
पिया का दिल एक पल के लिए जोर से धड़का। उसकी उंगलियाँ कांप गईं। उसने धीरे-धीरे सिर उठाया और वहाँ, ठीक सामने, रियान खड़ा था।
वही हल्की मुस्कान, वही गहरी नज़रें, और वही अजीब सा आत्मविश्वास।
रियान आराम से कुर्सी खींचकर बैठ गया। उसकी नज़रें सीधी पिया पर टिकी थीं, जैसे उसकी हर हरकत को पढ़ रहा हो।
पिया ने कोशिश की कि उसे नज़रअंदाज़ करे।
"खाना ठंडा हो जाएगा, अनाया," रियान ने मुस्कुराते हुए कहा।
अनाया मुस्कुराते हुए बोली, "हाँ हाँ, हम तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे। तुम ही लेट हो!"
रियान ने हल्की हँसी के साथ सिर झटक दिया।
सब डिनर कर लिया और अपने-अपने कमरों में जा रहे थे, तभी रियान उनकी तरफ़ देखते हुए बोला, "इतनी जल्दी? कम से कम गुड नाइट तो कहती जाओ..."
अनाया ने उसकी बात सुनकर तुरंत गुड नाइट कहा, पर पिया वहाँ से चुपचाप चली गई थी।
पिया का कमरा
पिया ने अपने कमरे का दरवाज़ा अंदर से लॉक कर लिया। पर क्या यह लॉक उसे सुरक्षित रख सकता था? यही सोच-सोचकर उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
उसने खुद को आईने में देखा, उसकी आँखों में डर साफ़ झलक रहा था।
"मुझे डरना नहीं चाहिए," उसने खुद से कहा। "मुझे मज़बूत बनना होगा।"
पर दिल और दिमाग की लड़ाई अलग थी।
वह बेड पर बैठ गई, पर नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। हर आहट, हर हल्की आवाज़ उसे चौंका रही थी। उसे लग रहा था कि कभी भी... कोई भी... उसके कमरे में आ सकता था।
अचानक, खिड़की के शीशे पर कुछ हल्की आहट हुई।
पिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
उसने धीरे से खिड़की की ओर देखा, पर वहाँ कुछ नहीं था।
पिया अपने मन में बोली, "शायद मेरा वहम है..."
पर जैसे ही उसने सिर घुमाया...
ठक... ठक...
कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई।
पिया का पूरा जिस्म सुन्न पड़ गया।
दरवाज़े पर दोबारा दस्तक हुई, ठक... ठक...
पिया का गला सूखने लगा। उसने हिम्मत जुटाई, धीरे-धीरे बेड से उठी, और कांपते हाथों से दरवाज़े की तरफ़ बढ़ी।
उसने हल्के हाथ से दरवाज़े का हैंडल पकड़ा और धीरे से लॉक खोला। दरवाज़ा बस थोड़ा सा खुला था कि ठंडी हवा का झोंका उसके चेहरे से टकराया।
बाहर खड़ा शख्स देखकर उसका दिल जोर से धड़का।
एक नौकर था।
हाथ में पानी की बोतल लिए, नौकर ने हल्की झुकी नज़रों से कहा, "सॉरी मैम, आपको डिस्टर्ब किया।" उसकी आवाज़ धीमी और संकोच भरी थी, जैसे उसने कुछ गलत कर दिया हो।
पिया ने घबराई निगाहों से उसकी तरफ़ देखा।
नौकर ने जल्दी से सफ़ाई देते हुए कहा, "वो... पानी रखना भूल गया था, इसलिए देने आया हूँ।" उसकी आवाज़ में विनम्रता और हल्की घबराहट थी, जैसे डर रहा हो कि कहीं पिया गुस्सा न हो जाए।
पिया ने गहरी साँस ली। उसका दिल अब भी तेज़ धड़क रहा था, उसने झिझकते हुए बोतल पकड़ ली।
पिया ने धीमी और कांपती हुई आवाज़ में कहा, "थ... थैंक यू," उसके होंठ सूख चुके थे, और गले से मुश्किल से शब्द निकले।
नौकर हल्का मुस्कुराया और बिना कुछ और कहे तुरंत वापस मुड़ गया।
पिया ने राहत की साँस ली और झटके से दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर दोबारा लॉक लगाकर तसल्ली के लिए एक बार जोर से हैंडल खींचकर चेक भी किया।
उसने पानी की बोतल साइड टेबल पर रखी और बेड पर बैठ गई।
अपने माथे पर हाथ रखते हुए वह खुद से बुदबुदाई, "मैं पागल हो रही हूँ... बस एक नौकर था, और मैं ऐसे डर गई जैसे..." उसकी आवाज़ धीमी थी, जैसे खुद को तसल्ली देने की नाकाम कोशिश कर रही हो।
उसने खुद को शांत करने के लिए गहरी साँस ली और धीरे-धीरे लेट गई।
कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा था, पर इस बार उसने अपनी आँखें ज़बरदस्ती बंद कर लीं।
"कुछ नहीं होगा... अब बस सो जाना है..." उसने फुसफुसाते हुए खुद को समझाया।
धीरे-धीरे उसकी साँसें सामान्य होने लगीं।
सुबह
सुबह के आठ बज चुके थे। पिया अभी भी सो रही थी, पर खिड़की से आती तेज़ धूप उसके चेहरे पर पड़ी। उसने करवट बदलने की कोशिश की, पर रोशनी की वजह से उसकी नींद खुल गई। वह धीरे-धीरे आँखें खोलती है, थोड़ी देर तक यूँ ही लेटी रहती है, फिर हल्की साँस लेते हुए उठकर बैठ जाती है।
सुबह की हल्की धूप खिड़कियों से छनकर कमरे में आ रही थी। पिया की आँखों पर रोशनी पड़ी तो उसकी नींद धीरे-धीरे खुलने लगी। उसने करवट ली, पर उजाले की वजह से अब और सोना मुश्किल था। हल्की जम्हाई लेते हुए वह उठी, बालों को पीछे किया और अपने चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारते हुए खुद को तरोताज़ा किया।
फ्रेश होकर पिया सीधे अनाया के कमरे की तरफ़ गई। यह उसकी रोज़ की आदत थी कि सबसे पहले अपनी बेटी को देखे बिना उसका दिन शुरू नहीं होता था। पर जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, बिस्तर खाली था।
पिया ने भौंहें चढ़ाईं, "ये लड़की सुबह-सुबह कहाँ चली गई?" वह बुदबुदाई।
पिया की माथे पर हल्की शिकन आ गई। उसने पूरे कमरे में नज़र घुमाई, पर अनाया कहीं नहीं थी। जैसे ही वह बाहर जाने लगी, तभी एक नौकर दिखा, जिससे उसने अनाया के बारे में पूछा।
नौकर ने पिया को देखते हुए कहा, "मैम, वो अनाया मैम रियान सर के साथ, विला के पीछे वाले गार्डन में हैं!"
पिया का दिल जोर से धड़क उठा।
"रियान?" उसके कदम तेज़ी से गार्डन की तरफ़ बढ़ने लगे।
जैसे ही वह गार्डन के करीब पहुँची, घोड़े की तेज़ टापों की आवाज़ सुनाई दी। पिया ने घबराकर नज़र उठाई और जो देखा, उससे उसकी साँस अटक गई।
अनाया घोड़े पर बैठी थी, दोनों हाथ हवा में फैलाए हुए, चेहरे पर बेफिक्र हँसी थी। उसके लंबे बाल लहराते हुए पीछे उड़ रहे थे। रियान उसके पीछे बैठा था, लगाम उसी के हाथ में थी, पर उसकी पकड़ ढीली थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह अनाया को पूरी छूट दे रहा हो।
"अनाया!" पिया ने घबराकर आवाज़ लगाई, पर अनाया ने सुना ही नहीं। वह तो बस ज़ोर-ज़ोर से हँस रही थी। पिया फिर उसके करीब जाकर चिल्लाई। पिया की आवाज़ सुनकर अनाया बोली, "मॉम, देखो न! कितना मज़ा आ रहा है!"
पिया के पैरों तले जमीन खिसक गई, और अपने मन में बोली, "अनाया, तुम्हें मैं कैसे समझाऊँ? रियान... यह लड़का बहुत खतरनाक है!"
पिया कांपती हुई आवाज़ में बोली, "रियान, घोड़ा रोको!"
रियान ने उसकी आवाज़ सुनकर पहले तो गर्दन टेढ़ी की, फिर मुस्कुराते हुए घोड़े के लगाम को रोक दिया।
जैसे ही घोड़ा रुका, पिया फ़ौरन आगे बढ़ी और अनाया को नीचे उतरने में मदद करने लगी।
"अनाया, तुम्हें पता भी है कि यह कितना खतरनाक हो सकता है?" पिया की आवाज़ में घबराहट झलक रही थी।
अनाया ने मासूमियत से अपनी माँ की ओर देखा और हँसते हुए बोली, "मॉम, डरिए मत! रियान मेरे साथ था ना, वो मुझे गिरने नहीं देगा।"
रियान ने हल्की मुस्कान के साथ सिर झुकाया, "बिल्कुल, पिया। मैं इसे चोट नहीं लगने दूँगा।"
पिया को अंदर ही अंदर गुस्सा और दुख दोनों हो रहा था कि उसकी बेटी एक ऐसे इंसान पर भरोसा कर रही थी जो बहुत खतरनाक था और इनकी दोस्ती भी इतनी गहरी थी कि वह समझ नहीं पा रही थी कि कैसे अपनी बेटी को समझाए कि वह इंसान गलत था।
रियान ने हल्की मुस्कान के साथ सिर झुकाया और कहा, "बिल्कुल, पिया.. मैं इसे चोट नहीं लगने दूँगा।"
पिया को अंदर ही अंदर गुस्सा और दुख दोनों हो रहा था। उसकी बेटी एक ऐसे इंसान पर भरोसा कर रही थी जो बहुत खतरनाक था। इनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि वह समझ नहीं पा रही थी कि कैसे अपनी बेटी को समझाए कि वह इंसान गलत था।
आनाया बिना कुछ कहे पिया का हाथ पकड़कर उसके साथ चली गई। अपनी मॉम को परेशान देखकर उसने कहा, "मॉम, आप क्यों टेंशन ले रही हो? मुझे कुछ नहीं हुआ है। आप भी न, छोटे बच्चों की तरह मेरी केयर करती हो।"
मॉम ने हल्की नाराज़गी से कहा, "क्योंकि तुम्हारी हरकतें भी तो छोटे बच्चों जैसी हैं! अगर चोट लग जाती तो?"
आनाया मुस्कुराते हुए बोली, "अरे मॉम, लेकिन—"
तभी पिया ने उसे बीच में ही रोक दिया और कहा, "बस! अब मुझे कुछ नहीं सुनना है।"
इसके बाद आनाया तैयार होने चली गई, और पिया भी अपने कमरे में जाकर परेशान होकर बेड पर बैठ गई। कुछ देर तक सोचने के बाद उसने अपना फोन निकाला और किसी को कॉल किया।
दूसरी तरफ जैसे ही फोन उठाया गया, पिया तुरंत बोली, "मुझे फिर से तुम्हारी हेल्प चाहिए... प्लीज, मेरी हेल्प कर दो। तुम्हारे बिना ये सब नहीं होगा!"
सामने वाले ने कुछ कहा। इसके बाद पिया ने फोन रख दिया।
आधर डाइनिंग टेबल पर सभी लोग मौजूद थे। ब्रेकफास्ट खत्म होते ही रियान उठकर बाहर जाने लगा। पिया ने उसकी ओर देखा और बिना किसी हिचकिचाहट के कहा, "मुझे बाहर जाना है।"
रियान के कदम रुके। उसने हल्की भौंह चढ़ाते हुए पिया की ओर देखा और पूछा, "बाहर क्यों?"
पिया कुर्सी से उठी और बोली, "मुझे शॉपिंग करनी है।"
रियान उसकी बात सुनकर एक पल के लिए उसे देखता रहा। फिर बोला, "जो भी चाहिए, बता दो। मेरे सर्वेंट ला देंगे।"
पिया रियान की बात सुनकर बोली, "कुछ चीज़ें सर्वेंट नहीं ला सकते। कुछ चीज़ें हमारी पर्सनल होती हैं, जिन्हें हमें खुद खरीदना पड़ता है।"
रियान ने एक नज़र आनाया की ओर डाली, जो थोड़ी दूर खड़ी थी। फिर उसने पिया की ओर देखते हुए सिर हिलाते हुए बोला, "ठीक है, जा सकती हो।"
पिया ने राहत की साँस ली और मुड़ने लगी, लेकिन तभी रियान ने एक झटके में उसके करीब आकर धीमी, मगर गहरी आवाज में बोला, "तुम मुझसे शॉपिंग के लिए परमिशन मांग रही हो? ये बात मुझे हजम नहीं हुई, पिया।"
पिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने नजरें झुका ली और हल्की आवाज़ में बोली, "क्योंकि मुझे अच्छे से पता है कि तुम्हारी इजाजत के बिना मैं इस घर से बाहर नहीं जा सकती।"
रियान ने बिना कुछ कहे उसे देखा, लेकिन उसकी आँखों में ऐसा कुछ था, जिससे पिया का दिल और तेज़ धड़कने लगा।
रियान बिना कुछ कहे अपने काम से बाहर चला गया, जबकि पिया अपने कमरे में चली गई। वह बेड पर बैठी, बार-बार अपने फोन को देख रही थी, जैसे किसी मैसेज या कॉल का इंतज़ार कर रही हो। समय धीरे-धीरे बीत रहा था। सुबह से दोपहर हो चुकी थी, लेकिन पिया अब भी बेचैनी से कमरे में इधर-उधर टहल रही थी।
तभी अचानक उसके फोन पर एक नोटिफिकेशन आया। स्क्रीन पर नज़र पड़ते ही उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक उभरी, मगर होंठों पर कोई मुस्कान नहीं थी।
थोड़ी देर बाद वह आनाया के पास पहुँची और उसे देखते हुए बोली, "चलो, लंच कर लो।"
आनाया ने माथे पर हल्की शिकन डाली और अपनी माँ को गौर से देखा। "मॉम, आप तो शॉपिंग के लिए जा रही थीं न? फिर अब गईं नहीं?"
पिया ने बिना हिचकिचाए जवाब दिया, "शॉपिंग के लिए मैं अकेली नहीं जा रही, तुम भी चलोगी।"
आनाया ने उलझन से कहा, "पर मॉम, मुझे तो कुछ लेना ही नहीं है, तो फिर मैं आपके साथ क्यों जाऊँ?"
पिया ने उसे घूरते हुए थोड़ा सख्त लहजे में कहा, "तुम मेरे साथ जाओगी और जहाँ मैं जाऊँगी, वहाँ तुम भी चलोगी। शाम को तैयार रहना।"
इतना कहकर उसने खाने की प्लेट उठाई और लंच करने लगी। आनाया भी बिना कुछ कहे चुपचाप खाने लगी, लेकिन उसके चेहरे पर अब भी हल्की उलझन थी।
शाम के करीब 7:00 बज चुके थे। पिया तैयार होकर बाहर आई और आनाया को भी साथ लेकर विला से निकली। बाहर गाड़ी पहले से खड़ी थी, और ड्राइवर उनका इंतज़ार कर रहा था।
पिया ने ड्राइवर को मना करते हुए बोली, "हमें खुद जाना है, तुम वापस जाओ।"
लेकिन ड्राइवर ने सिर झुकाते हुए बोला, "माफ़ कीजिए मैडम, लेकिन सर का ऑर्डर है कि जहाँ भी आप जाएँगी, मैं आपके साथ ही रहूँगा।"
पिया ने उसकी बात सुनकर गहरी साँस ली और कुछ नहीं कहा। चुपचाप गाड़ी में बैठ गई। आनाया भी उसके बगल में आकर बैठ गई।
कुछ देर बाद गाड़ी एक बड़े शॉपिंग मॉल के पार्किंग एरिया में रुकी। ड्राइवर ने गाड़ी पार्क की, और पिया व आनाया उतरकर अंदर जाने लगीं। लेकिन जैसे ही वे आगे बढ़ीं, ड्राइवर भी उनके साथ चल पड़ा।
पिया ने रुककर उसे घूरते हुए बोली, "तुम यहीं रहो, हम थोड़ी देर में आ जाएँगे।"
लेकिन ड्राइवर बिना हिले बोला, "सर ने कहा है कि मैं आपको अकेला न छोड़ूँ।"
पिया ने उसे घूरते हुए देखा, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया। वह कुछ कह भी नहीं सकती थी।
आनाया ने मुस्कुराते हुए अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा, "मॉम, रियान हमारी कितनी केयर करता है ना?"
पिया ने उसकी बात सुनी, मगर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुपचाप मॉल के अंदर चली गई। आनाया भी उसके साथ अंदर आ गई, और ड्राइवर भी पीछे-पीछे चल पड़ा।
मॉल के अलग-अलग सेक्शन में वे कई चीज़ें ट्राई करने लगीं। कपड़ों से लेकर एक्सेसरीज़ तक, आनाया हर चीज़ को बड़े शौक से देख रही थी, जबकि पिया का ध्यान कहीं और था।
कुछ देर बाद पिया एक लेडीज सेक्शन की तरफ बढ़ी। लेकिन जैसे ही उसने मुड़कर देखा, ड्राइवर अब भी उसके पीछे खड़ा था।
पिया ने भौंहें चढ़ाकर देखते हुए बोली, "अब क्या तुम लेडीज सेक्शन में भी हमारे साथ जाओगे? बाहर बैठो और वेट करो, हम खुद आ जाएँगे।"
ड्राइवर ने झिझकते हुए सिर हिलाते हुए बोला, "जी, मैडम।"
पिया ने लंबी साँस ली और आनाया के साथ अंदर चली गई। लेकिन उसके मन में अब भी हल्की बेचैनी थी।
करीब एक घंटे बाद...
ड्राइवर अभी भी वहीं खड़ा पिया और आनाया का इंतज़ार कर रहा था। तभी उसके फोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर "सर" का नाम चमक रहा था।
उसने तुरंत कॉल रिसीव की, "जी, सर?"
रियान की ठंडी और गंभीर आवाज़ उभरी, "कहाँ हो?"
ड्राइवर ने इधर-उधर देखते हुए कहा, "सर, मैडम अभी शॉपिंग कर रही हैं। मैं बाहर इंतज़ार कर रहा हूँ। शायद थोड़ी देर में आ जाएँगी, फिर हम निकलेंगे।"
रियान ने कुछ सेकंड की चुप्पी के बाद सख्त लहजे में कहा, "ठीक है, मैं फोन रख रहा हूँ। सीधे घर आ जाना।"
ड्राइवर ने सिर झुकाते हुए जवाब दिया, "जी, सर।"
फोन कटते ही ड्राइवर ने लंबी सांस ली और वापस मॉल के एंट्रेंस की ओर देखा, जहाँ से पिया और आनाया के बाहर आने का इंतज़ार जारी था।
एयरपोर्ट की भीड़भाड़ के बीच एक औरत तेजी से आगे बढ़ रही थी, उसका हाथ एक लड़की के हाथ को मजबूती से थामे हुए था। लड़की बार-बार अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी।
"मॉम! ये क्या कर रही हो? आपने ये सब क्यों किया?" लड़की ने बेचैनी से कहा, उसकी आवाज़ में हड़बड़ाहट थी।
पिया ने उसकी पकड़ और मजबूत कर दी, मगर आनाया झटके से रुक गई।
"अगर रियान को पता चला, तो उसे कितना बुरा लगेगा! और मैं इस तरह कहीं नहीं जा रही!" आनाया की आँखों में आँसू छलक आए।
पिया ने गहरी सांस ली, खुद को संयत करते हुए बोली, "इसीलिए तो हम जा रहे हैं, बेटा।"
आनाया भौचक्की रह गई। "मतलब?"
पिया ने आँखें फेर लीं, मानो खुद को किसी झूठ की ढाल से बचा रही हो। फिर धीमे स्वर में बोली, "मेरा मतलब ये है कि रियान के ऊपर हम कब तक बोझ बने रहेंगे? और..."
उसने एक पल को आनाया की आँखों में देखा, फिर अपने दर्द को ज़ुबान दी, "यहाँ रहकर अपनी ज़िंदगी फिर से शुरू करना मेरे लिए मुश्किल है। मेरी यादें, मेरा सब कुछ छिन गया... इसलिए मैं एक नए शहर में नए सिरे से यादें बनाऊंगी, तुम्हारे साथ। अब चुपचाप चलो।"
आनाया को यह तर्क समझ नहीं आया, पर माँ के चेहरे पर जो दृढ़ता थी, उससे वह कुछ कह नहीं सकी। पिया उसका हाथ पकड़कर टिकट काउंटर की ओर बढ़ी और कहा, "मेरा टिकट प्लीज़।"
"सॉरी, मैम। आपकी टिकट अभी-अभी कैंसल हो गई है।"
पिया ने चौंककर रिसेप्शनिस्ट की ओर देखा। "क्या? टिकट कैंसल हो गया? ऐसे कैसे?"
रिसेप्शनिस्ट ने स्क्रीन पर कुछ देखा और फिर कन्फर्म किया, "जी, आपकी टिकट जस्ट अभी कैंसिल हुई है।"
पिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने झटके से अपना फोन निकाला और एक नंबर डायल किया। घंटी बजी, मगर किसी ने कॉल रिसीव नहीं की।
उसने फिर से कॉल किया। कोई जवाब नहीं।
तीसरी बार... चौथी बार... पाँचवीं बार...
कोई रिसीव नहीं कर रहा था।
पिया की उंगलियाँ पसीजने लगीं। उसके दिमाग में एक ही नाम गूँज रहा था— "रियान!"
पिया की उंगलियाँ बार-बार फोन की स्क्रीन पर स्क्रॉल कर रही थीं, लेकिन सामने स्क्रीन पर वही संदेश था— "कॉल नोट आंसर्ड।"
उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था, दिमाग में अजीब-अजीब ख्याल दौड़ रहे थे। आनाया भी अब बेचैन हो गई थी, तभी अचानक उनके कानों में एक जानी-पहचानी आवाज़ आयी —
"शॉपिंग हो गई?"
पिया के शरीर में सिहरन दौड़ गई। वह आवाज़ किसी और की नहीं, बल्कि रियान की थी।
उसके कदम खुद-ब-खुद जम गए। वह चाहकर भी पीछे मुड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।
आनाया ने हड़बड़ाकर तुरंत पीछे देखा और बिना किसी झिझक के बोली, "रियान, तुम यहाँ?"
रियान ने चेहरे पर बिल्कुल नॉर्मल एक्सप्रेशन के साथ बोला, "हाँ, अपने फ्रेंड को छोड़ने आया था, पर मुझे नहीं पता था कि एयरपोर्ट पर भी शॉपिंग मॉल खुल गए हैं।"
पिया ने उसकी बात सुनकर एक गहरी सांस ली। वह रियान के हर शब्द का मतलब बहुत अच्छे से समझ रही थी। उसकी आँखों में एक अजीब-सी गहराई थी, जिससे बच पाना मुश्किल था।
पिया ने खुद को संभालते हुए जल्दबाजी में कहा, "न-नहीं, वो बस... हम भी अपने किसी फ्रेंड को छोड़ने आए थे।"
रियान ने हल्की-सी मुस्कान के साथ सिर हिलाया और बोला, "अच्छा? छोड़ दिया या अभी छोड़ना बाकी है?"
पिया के पास कोई जवाब नहीं था। उसकी आवाज़ जैसे हलक में अटक गई थी। उसने बस धीरे से सिर हिलाकर "हाँ" में जवाब दिया।
रियान ने अपनी जैकेट की जेब में हाथ डालते हुए गहरी नजरों से उसे देखा और फिर बिल्कुल सामान्य लहजे में बोला, "ग्रेट. तो घर चलें?"
पिया ने कोई विरोध नहीं किया। उसकी आँखों में हजार सवाल थे, लेकिन जवाब सिर्फ एक था— रियान!
रियान ने अपनी जैकेट की जेब में हाथ डालते हुए पिया को गहरी नजरों से देखा और फिर बिल्कुल सामान्य लहजे में बोला, "ग्रेट, तो घर चलें?"
पिया ने कोई विरोध नहीं किया। उसकी आँखों में हजार सवाल थे, लेकिन जवाब सिर्फ एक था—रियान!
एयरपोर्ट पर जो हुआ था, उसके बाद पिया की हालत बिगड़ गई थी। रियान का अचानक वहाँ आ जाना, उसका ठहरा हुआ एक्सप्रेशन, उसकी सधी हुई बातें! सब कुछ पिया के लिए किसी बुरे सपने जैसा था।
जब सभी लोग कार में बैठकर घर के लिए निकले, तब भी रियान के चेहरे पर कोई गुस्सा नहीं था। उसने न कोई सवाल किया, न कोई ताना मारा। वह बिल्कुल शांत था, लेकिन यही शांति पिया के दिल में हलचल मचा रही थी।
पिया के मन में सिर्फ एक ही सवाल था:
"क्या उसे सब कुछ पता चल गया है?"
रियान का यह रवैया उसे और बेचैन कर रहा था। कार में बैठी पिया बार-बार चोरी-चोरी उसकी तरफ देख रही थी, लेकिन वह जैसे कुछ सोच रहा था। उसकी आँखें सड़क पर थीं, और उसका एक्सप्रेशन ऐसा था कि कोई भी यह नहीं पढ़ सकता था कि वह क्या महसूस कर रहा था।
कुछ समय बाद वे घर पहुँचे। रियान कार से उतरा, सीधा अंदर गया और सर्वेंट को डिनर रेडी करने के लिए कहकर अपने कमरे में चला गया, न कोई बात, न कोई सवाल।
पिया का दिल बैठ गया। पिया भी अपने कमरे के लिए निकल गई, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह चुप्पी किसी तूफान से पहले की खामोशी थी या फिर रियान सच में कुछ नहीं जानता था।
पिया ने अपने कमरे में पहुँचते ही सबसे पहले दरवाज़ा अंदर से लॉक किया। उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं।
वह बेड पर बैठी और अपने मन में बोली, "अगर उसे सब कुछ पता है तो वह इतना नॉर्मल कैसे रह सकता है?"
रियान की चुप्पी उसे सबसे ज़्यादा डरा रही थी।
फिर अपने मन में बोली, "क्या मैं गलत कर रही हूँ? मुझे भागने के बारे में नहीं सोचना चाहिए था..."
पिया के दिल में डर था और सबसे ज़्यादा घबराहट।
रात के 9 बज चुके थे, पिया अभी भी कमरे में थी। तभी अचानक...
'ठक्.. ठक...'
दरवाज़े पर हल्की-सी दस्तक हुई।
पिया का शरीर झटके से सीधा हो गया। उसकी साँसें अटक गईं। वह समझ चुकी थी कि यह कोई और नहीं, रियान ही था।
लेकिन तभी उसके कानों में आवाज़ आई, "मैम, सब आपका डिनर पर वेट कर रहे हैं।"
पिया खुद को शांत करती है और फिर सर्वेंट से बोली, "ठीक है, मैं आ रही हूँ।"
वह नीचे डाइनिंग टेबल पर गई, जहाँ अनाया और रियान पहले से ही बड़े आराम से बैठे हुए उसका इंतज़ार कर रहे थे। पिया के बैठते ही सर्वेंट ने डिनर सर्व किया। सबने चुपचाप खाना शुरू कर दिया।
पिया की नज़रें बार-बार रियान पर जा रही थीं, लेकिन वह बिल्कुल शांत और नॉर्मल था। मानो एयरपोर्ट पर कुछ हुआ ही न हो। उसके चेहरे से कुछ समझना मुश्किल था और यही बात पिया को बेचैन कर रही थी।
डिनर खत्म होने के बाद सब अपने-अपने कमरों में चले गए। पिया भी अपने कमरे में आ गई, लेकिन उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी। वह कभी इधर-उधर टहलती, तो कभी बेड पर लेटकर करवटें बदलती रही।
सुबह के 8:00 बजे थे।
पिया तैयार होकर नीचे आई तो डाइनिंग एरिया से आती हँसी सुनाई दी।
"रियान! तुम सच में बहुत मतलबी हो!" अनाया भड़क रही थी।
रियान ने मासूमियत से बोला, "मतलबी? और मैं?"
अनाया उसे घूरते हुए बोली, "हाँ! जानते हो ना यह मेरी फेवरेट डिश है, फिर भी तुमने आधी खत्म कर दी!"
रियान कुर्सी से टिकते हुए बोला, "देखो अनाया, दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक जो अपनी प्लेट से खाते हैं और दूसरे, जो स्मार्ट होते हैं। अब तुम डिसाइड करो कि मैं कौन हूँ?"
अनाया ने नैपकिन उसकी तरफ फेंकी, जिसे रियान ने पकड़कर टेबल पर रख दिया।
अनाया फिर से उसे देखते हुए बोली, "अगर तुम्हारा बस चले तो तुम मेरी पूरी प्लेट खा जाओ!"
रियान ने अपनी प्लेट उसकी ओर बढ़ा दी।
अनाया ने जैसे ही हाथ बढ़ाया, रियान झट से प्लेट खींचते हुए मुस्कुराया, "सोच लो, कहीं यह लालच धोखा न दे जाए!"
अनाया कुछ कहने ही वाली थी कि उसकी नज़र पिया पर पड़ी। वह तुरंत मुस्कुराते हुए बोली, "मॉम, आप आ गईं! देखो न, यह मुझे कितना परेशान कर रहा है!"
पिया ने बस एक नज़र रियान पर डाली, लेकिन कुछ कहा नहीं।
रियान ने पराठे का टुकड़ा तोड़ते हुए हल्की मुस्कान के साथ कहा, "जल्दी से ब्रेकफास्ट करो, तुम्हें कॉलेज जाना है।"
अनाया ने भौंहें चढ़ाते हुए कहा, "हेलो! मैं कहीं नहीं जा रही। कुछ दिन तो रिलैक्स करने दो!"
रियान ने चम्मच टेबल पर रखा और उसकी ओर देखा, "तुम जा रही हो, मैंने ड्राइवर को बोल दिया है। अब बिना बहस किए जल्दी ब्रेकफास्ट खत्म करो।"
अनाया ने घूरते हुए कहा, "तुम क्या मेरे बॉस हो?"
रियान ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "अगर मैं न देखूँ, तो तुम पूरा दिन सोकर खराब कर दोगी। अब बिना नखरे के उठो।"
अनाया ने गहरी साँस ली और बड़बड़ाते हुए कहा, "तुम ना, बहुत इरिटेटिंग हो!"
रियान ने कंधे उचका दिए, "थैंक्स!"
अनाया ने बड़बड़ाते हुए ब्रेकफास्ट खत्म किया और बैग उठाकर कॉलेज के लिए निकल गई।
पिया अभी भी चुपचाप डाइनिंग टेबल पर बैठी थी। जैसे ही अनाया घर से बाहर चली गई, वैसे ही रियान ने उसकी बाजू को कस के पकड़ लिया और अपनी तरफ घुमाया। उसकी आँखें लाल थीं और आँखों में गुस्सा साफ़ दिख रहा था।
रियान की मजबूत उंगलियाँ उसकी नाज़ुक कलाई पर कस गईं। उसकी पकड़ इतनी सख्त थी कि पिया के होंठों से हल्की सी सिसकी निकल गई। उसकी साँसें रुक-सी गईं, और उसके कदम ज़मीन में जैसे धंस गए।
पिया घबराकर रियान की तरफ देखने लगी। रियान धीमी, मगर धारदार आवाज़ में बोला, "इतनी जल्दी क्या है, पिया?"
पिया ने बेचैनी से हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन रियान की पकड़ और मजबूत हो गई।
पिया दर्द से कराहने लगी, फिर गुस्से और घबराहट में बोली, "रियान, छोड़ो मुझे! मेरा हाथ दर्द कर रहा है!"
रियान ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने बिना एक पल की देरी किए उसे अपनी ओर खींचा, और लगभग घसीटते हुए बाहर की ओर ले जाने लगा।
पिया हैरानी और डर से, खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली, "रियान, कहाँ ले जा रहे हो मुझे? जाने दो!"
लेकिन रियान के चेहरे पर कोई भाव नहीं आया, ना ही उसके कदम रुके।
वह उसे सीधे विला के पीछे बने अंधेरे रास्ते पर ले आया, जहाँ से एक संकरी सीढ़ी नीचे, बेसमेंट की ओर जा रही थी।
जैसे-जैसे वे अंदर बढ़े, माहौल और भी खौफनाक होता गया। अंधेरे के बीच कहीं दूर से किसी की धीमी, दर्द से भरी चीखें गूँज रही थीं।
पिया का दिल ज़ोर से धड़कने लगा। उसका गला सूखने लगा।
बेसमेंट के अंदर घुसते ही हल्की रोशनी दिखी। फिर अचानक तेज लाइट ऑन हो गई।
पिया ने सामने देखा, और उसकी साँस अटक गई।
एक आदमी उल्टा लटका हुआ था। उसका शरीर खून से सना था, पीठ पर बेल्ट के गहरे निशान थे, लेकिन इससे भी ज़्यादा डरावना था उसके जिस्म पर धारदार कट के निशान... ऐसा लग रहा था किसी ने चाकू से काटा हो!
और उसके ठीक सामने खड़ा था, एक लंबा, चौड़ा लड़का। करीब 6 फीट लंबा, गठीला शरीर, खतरनाक आँखें, हाथ में चमड़े की बेल्ट पकड़े हुए था। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं, जैसे अभी-अभी किसी पर शिकारी की तरह वार किया हो।
उस आदमी ने जैसे ही रियान को देखा, तुरंत एक कदम पीछे हट गया। लेकिन उस लटके हुए आदमी की हालत पहले ही बदतर हो चुकी थी। वह दर्द से कराह रहा था, उसकी साँसें धीरे-धीरे मुश्किल से चल रही थीं।
पिया का पूरा शरीर ठंडा पड़ गया। उसकी नज़र उस आदमी के चेहरे पर गई, और पहचानते ही उसका खून जम गया।
वह वही ड्राइवर था जो उसे मॉल ले गया था!
पिया डर से काँप रही थी, लेकिन रियान...
वह बस हल्की डेविल स्माइल के साथ पास रखे सोफे पर जाकर बैठ गया। उसने अपने हाथ आराम से पीछे रखे, और पूरी शांति से पिया को घूरते हुए बोला, "मैंने इसे बोला था तुम पर ध्यान देने के लिए... पर इसकी लापरवाही की तो सज़ा तो इसे मिलनी ही है!"
पिया डर से काँप रही थी, लेकिन रियान हल्की डेविल स्माइल के साथ पास रखे सोफे पर जाकर बैठ गया। उसने अपने हाथ आराम से पीछे रखे और पूरी शांति से पिया को घूरते हुए बोला, "मैंने इसे बोला था तुम पर ध्यान देने के लिए.. पर इसने लापरवाही की.. इसकी सजा तो इसे मिलनी ही थी!"
ड्राइवर की चीखें बेसमेंट में गूंज रही थीं। पिया डर के मारे कांपने लगी। उसने अपने दोनों हाथ कानों पर रख लिए और आँखें बंद कर लीं, लेकिन दर्द भरी चीखें इतनी तेज थीं कि वह खुद को रोक नहीं पाई। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। वह काँपते हुए रियान के पास गई और बिलखते हुए बोली, "प्लीज, इसे मत मारो! इसमें इसकी कोई गलती नहीं है। जो कुछ भी किया, मैंने किया… तुम जो भी सजा देना चाहते हो, मुझे दो, लेकिन इसे छोड़ दो।"
रियान ने उसकी बात सुनकर एक क्रूर हँसी हँसी और झटके से उसके बालों को मुट्ठी में जकड़ लिया। पिया दर्द से सिसक उठी।
"गलती नहीं थी?" वह उसकी आँखों में गहराई तक देखता हुआ बोला, "गलती थी, पिया। बहुत बड़ी गलती। मैंने इसे तुम्हारी हर एक हरकत पर नज़र रखने के लिए कहा था, लेकिन इसने अपना काम ठीक से नहीं किया। अगर किया होता, तो तुम एयरपोर्ट तक कभी नहीं पहुँचती। लेकिन तुम पहुँच गईं, ना? तो अब इसे इसकी सजा तो मिलेगी।"
पिया रोती रही। उसने अपने दोनों हाथों से रियान की कलाई पकड़ ली, "प्लीज, जो करना है, मेरे साथ करो, लेकिन इसे छोड़ दो…"
रियान ने उसकी हालत देखकर ज़ोर से हँसना शुरू कर दिया। उसकी हँसी इतनी खतरनाक थी कि पिया का दिल दहल गया। वह धीरे से झुककर उसके कान के पास फुसफुसाया, "तुम्हारे साथ तो मैं वो करने वाला हूँ, जिसकी तुमने कभी कल्पना भी नहीं की होगी…"
फिर उसने आदमी को इशारा किया, "इसके ज़ख्मों पर नमक और मिर्च छिड़को।"
आदमी ने बिना कोई सवाल किए तुरंत एक कटोरे में नमक और लाल मिर्च मिलाया और धीरे-धीरे ड्राइवर के खुले जख्मों पर डालने लगा।
"आआआआह्ह्ह!!"
ड्राइवर की चीखें पूरे बेसमेंट में गूंजने लगीं। उसका शरीर बुरी तरह झटके खा रहा था, लेकिन उसे बचाने वाला कोई नहीं था।
पिया ने डर के मारे अपने मुँह पर हाथ रख लिया, उसकी साँसे अटक रही थीं। उसने काँपते हुए रियान की तरफ देखा, लेकिन उसके चेहरे पर कोई दया नहीं थी। उसकी आँखों में सिर्फ एक अजीब-सी सनक थी।
पिया की हिम्मत अब जवाब देने लगी थी। उसकी आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे। वह खुद को संभाल नहीं पाई और उसकी सिसकियाँ बेसमेंट की दीवारों से टकराकर गूंजने लगीं।
पिया, आँखों में आँसू लिए हुए, रियान से बोली, "प्लीज, रियान… इसे छोड़ दो… इसे जाने दो…"
पिया ने अपने काँपते हाथों से रियान का हाथ पकड़ लिया, उसकी आँखों में दर्द और बेबसी थी। फिर उसे देखते हुए बोली, "जो कुछ हुआ, मेरी वजह से हुआ… गलती मेरी है…"
रियान ने उसकी हालत पर एक किलर स्माइल दी और झटके से उसके बालों को पकड़ते हुए उसे अपने करीब खींच लिया। पिया अब उसकी गोद में थी, उसकी धड़कनें तेज़ हो चुकी थीं।
रियान ने उसकी डरी हुई आँखों में देखते हुए बोला, "तो तुम चाहती हो कि मैं इसे छोड़ दूँ?"
पिया ने रोते हुए सिर हिलाया, "हाँ… प्लीज… छोड़ दो इसे…"
रियान ने उसकी ठुड्डी पकड़कर उसका चेहरा ऊपर किया, फिर उसके गालों को कसकर दबाते हुए दाँत पीसकर बोला, "ठीक है… छोड़ दूँगा, लेकिन बदले में तुम्हें मेरा एक काम करना होगा।"
पिया की आँखों में सवाल उमड़ा, उसकी साँसें तेज़ हो गईं।
रियान उसकी आँखों में झाँकते हुए ठंडी आवाज़ में बोला, "तुम्हें अभी, इसी वक्त, मुझे किस करना होगा, और जब तक मैं सेटिस्फाई नहीं हो जाता… तब तक तुम मुझे किस करती रहोगी।"
पिया ने झटके से अपना चेहरा घुमाने की कोशिश की, लेकिन रियान की पकड़ मज़बूत थी। उसने आँसू बहाते हुए अपना सिर ना में हिलाया।
रियान के चेहरे पर फिर वही सनकी मुस्कान उभरी। उसने अपने आदमी की तरफ इशारा किया, "अभी तक मज़ा नहीं आया… लगता है नमक-मिर्च बहुत कम है, थोड़ा और डालो।"
आदमी ने तुरंत और नमक-मिर्च का मिश्रण उठाया और ड्राइवर के जख्मों पर झोंक दिया।
"आआआह्ह्ह!!"
ड्राइवर की चीखें अब और दर्दनाक हो गई थीं। उसका शरीर बुरी तरह हिल रहा था, साँसें उखड़ रही थीं।
पिया यह सब और सहन नहीं कर सकी, उसकी रूह तक काँप उठी। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। वह डर और बेबसी में बुरी तरह काँप रही थी। फिर अचानक, उसने रियान के चेहरे की तरफ देखा और काँपते हुए अपने नर्म होंठ उसके करीब ले गई। उसकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं, लेकिन उसके पास अब कोई और रास्ता नहीं था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी गलती की सजा किसी और को मिले, किसी और की जान जाए, उसकी वजह से।
उसने धीरे-धीरे अपने होंठ रियान के होंठों पर रख दिए।
रियान ने अपनी आँखें बंद कर लीं। वह उसके नर्म, काँपते हुए होंठों को महसूस कर रहा था। पिया के आँसू उसके गालों को भिगो रहे थे, लेकिन उसने अपनी पकड़ ढीली नहीं की।
उसका किस सामान्य डरा हुआ था, लेकिन रियान को यह पसंद नहीं आया। उसने अचानक उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया और उसकी पकड़ में कसाव लाते हुए किस को और गहरा कर दिया।
पिया के शरीर में हल्की जकड़न महसूस हुई, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकी। उसकी साँसें तेज़ हो चुकी थीं, दिल में डर और बेबसी थी।
रियान ने कुछ सेकंड तक उसका होंठ अपने होंठों से बाँधे रखा, फिर हल्के से पीछे हटते हुए उसकी आँखों में देखते हुए फुसफुसाया, "इतना कम? मैं तो सेटिस्फाई ही नहीं हुआ, पिया…"
पिया की आँखें झटके से खुलीं। तभी रियान उसको देखते हुए बोला, "चलो, फिर से शुरू करो… और इस बार, पूरे दिल से।"
वह फिर काँपते हुए आगे बढ़ी… लेकिन इस बार, उसे मालूम था कि यह सिर्फ एक शुरुआत थी…
पिया ने काँपते हुए अपने होंठ दोबारा रियान के करीब ले गए, लेकिन इस बार उसमें डर के साथ-साथ एक अजीब-सी बेबसी भी थी। रियान ने उसकी आँखों में देखा और उसकी कमर को अपनी मज़बूत बाँहों में कस लिया।
जैसे ही पिया ने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे, रियान ने बिना समय गँवाए, उसे और गहराई से अपने करीब खींच लिया। अब यह सिर्फ एक डरा हुआ किस नहीं था, बल्कि एक पैशनेट और डीप किस में बदल चुका था। रियान की पकड़ इतनी मज़बूत थी कि पिया चाहकर भी खुद को अलग नहीं कर सकती थी। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, दिल धड़क रहा था, लेकिन रियान के इरादे अटल थे।
उसके होंठों को अपने कब्जे में लिए हुए, रियान ने उसकी कमर पर अपनी पकड़ और मज़बूत कर दी, जिससे पिया के शरीर में एक झनझनाहट-सी दौड़ गई। उसकी आँखों से आँसू बहते रहे, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकी।
कुछ देर तक इस गहरे, जुनूनी किस के बाद, रियान ने धीरे से उसके होंठों को छोड़ा। पिया की साँसें बेतरतीब हो चुकी थीं। उसके होंठ काँप रहे थे, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती, रियान ने अपनी जेब से एक गन निकाली और गुस्से भरी नज़रों से ड्राइवर की तरफ देखा।
पिया ने चौंककर उसकी तरफ देखा और कांपते हुए बोली, "रियान… नहीं… प्लीज…"
लेकिन रियान की आँखों में कोई दया नहीं थी। उसने बिना एक पल गँवाए, गन का ट्रिगर दबा दिया। गोली की आवाज़ पूरे बेसमेंट में गूँजी, और देखते ही देखते ड्राइवर का शरीर वैसे ही हवा में झूल रहा था, उसके सिर के आर-पार गोली निकल चुकी थी, और खून चारों ओर फैलने लगा।
पिया के चेहरे का रंग उड़ गया। उसने झटके से ड्राइवर की तरफ देखा, और उसके मुँह से कोई आवाज़ तक नहीं निकल पाई। उसकी साँसें थम गईं, उसके पैर लड़खड़ाए और वह सीधे ज़मीन पर गिर गई।
रियान ने उसके चौंकते चेहरे को देखा और एक छोटी मुस्कान के साथ आगे बढ़ा। उसने झुककर पिया के गालों को अपने मजबूत हाथों से पकड़ लिया और उसके चेहरे को ऊपर उठाया, और बोला, "तुम्हीं ने तो कहा था छोड़ने के लिए, पिया… तो मैंने छोड़ दिया।"
फिर उसने बेहद धीमी और क्रूर आवाज़ में बोला, "मेरी दुनिया में अगर किसी को छोड़ा जाता है, तो बस इसी तरीके से… वरना नहीं।"
पिया की आँखों में डर और खौफ था। उसकी साँसें धीरे हो चुकी थीं, वह अभी भी उस खून से लथपथ शरीर को देख रही थी, जिसे वह कुछ सेकंड पहले तक बचाने की भीख माँग रही थी।
रियान ने उसके गालों को और कसकर दबाया और उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया, "देख लिया तुम्हारी औकात क्या है? अभी तो तुम्हें बहुत कुछ देखना बाकी है, पिया…" उसने फुसफुसाकर बोला।
पिया का शरीर ठंडा पड़ने लगा। उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद होने लगीं, और अगले ही पल वह बेहोश हो चुकी थी।
रियान ने एक आदमी को इशारा किया, "इसे ऊपर ले जाओ… और ध्यान रहे, जब तक मैं न कहूँ, यह होश में न आए।"
पिया का शरीर ठंडा पड़ने लगा था। उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद होने लगी थीं, और अगले ही पल वह बेहोश हो गई थी।
रियान ने एक-एक आदमी को इशारा किया, "इसे ऊपर ले जाओ… और ध्यान रहे, जब तक मैं न कहूँ, यह होश में न आए।"
पिया अपने कमरे में बेहोश पड़ी थी…
कमरे का दरवाज़ा खुला और रियान भीतर आया। उसके पीछे दो आदमी थे, जिन्होंने पिया को बिस्तर पर लिटाया था। वह अब भी बेहोश थी, चेहरा सफेद पड़ चुका था और साँसें धीमी थीं।
रियान ने एक नज़र पिया पर डाली। कोई फ़िक्र, कोई नरमी नहीं… उसकी आँखों में सिर्फ़ गुस्सा था।
उसने पीछे खड़े आदमी को इशारा किया और बोला, "दरवाज़ा बंद करो, और जब तक मैं कहूँ नहीं… कोई अंदर नहीं आएगा।"
आदमी दरवाज़ा बंद कर चला गया।
रियान धीरे-धीरे पिया के पास आया, एक कुर्सी खींच कर उसके बिस्तर के सामने बैठा और पिया की तरफ देखते हुए बोला, "भागने की कोशिश? तुम वाक़ई इतनी बेवकूफ़ हो, पिया?"
वह हँसा, लेकिन उस हँसी में ताने थे, ज़हर था।
"तुम समझती हो कि मेरे घर से, मेरी नज़र से, मेरी बंदिश से बच निकलोगी? नफरत करता हूँ तुमसे… पर तुमसे ज़्यादा नफरत उस ग़ुरूर से है जो तुम हर बार दिखाती हो। पर इस बार नहीं, इस बार तुम्हें समझ आ जाएगा कि आज़ादी किसे कहते हैं… और उसकी कीमत क्या होती है।"
वह कुर्सी से उठा, और खिड़की की तरफ चला गया। एक पल को चुप खड़ा रहा, फिर धीरे से बोला, "इस कमरे से बाहर जाने की इजाज़त अब सिर्फ़ मेरी मर्ज़ी से होगी। तुम जो करना चाहती थी, वो तुमने कर लिया। अब जो होगा… वो मैं तय करूँगा।"
वह पिया की ओर देखा और बोला, "दवा दी गई है तुम्हें… इतनी जल्दी होश नहीं आने वाला।”
फिर वह दरवाज़े की तरफ बढ़ा, एक आखिरी बार मुड़कर देखा, और बोला, "मुझसे नफरत करना आसान है पिया… पर मेरी नफरत सहना… नामुमकिन।"
दरवाज़ा बंद हो गया। पिया अब भी बेहोश थी।
दोपहर का वक़्त हो गया था। धीरे-धीरे पिया की आँखें खुलीं। उसने उठने की कोशिश की लेकिन उसकी बॉडी का निचला हिस्सा बिल्कुल सुन्न था। उसने पैरों को हिलाने की कोशिश की लेकिन कोई हरकत नहीं हुई। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। तभी दरवाज़ा खुला और रियान अंदर आया।
रियान मुस्कुराते हुए बोला, "गुड आफ्टरनून, मिस रनर... उठ गईं आप? पैरों में दर्द है या बस इगो टूट गया?"
पिया ने गुस्से से दाँत भींचते हुए कहा,
"तुमने… ये क्या किया मेरे साथ?"
रियान उसके करीब आकर कुर्सी खींच कर बैठ गया और बोला, "बस थोड़ा सा रियलिटी चेक, तुम भागना चाहती थी न? अब भागने की कोई टेंशन नहीं… तुम्हारे पैर अब सिर्फ़ इसी घर की ज़मीन पहचानेंगे।"
पिया की आँखों में आँसू आ गए। उसने अपने आँसू रोकने की कोशिश की और कांपती हुई आवाज़ में कहा, "तुम जानवर हो… तुम्हें इंसान कहलाने का हक़ नहीं!"
रियान उसकी आँखों में आँखें डालते हुए बोला, "मैं जानवर तब बनता हूँ जब कोई मेरी टेरिटरी से भागने की कोशिश करता है। और तुम्हारे लिए तो ये घर ही जेल है… और मैं जेलर!"
पिया ने गुस्से में उसे देखते हुए कहा, "तुम मुझे कैद करके क्या साबित करना चाहते हो? कि तुम मर्द हो?"
रियान धीरे से मुस्कुराते हुए बोला, "नहीं पिया, मैं सिर्फ़ ये साबित करना चाहता हूँ कि तुम्हारी ज़िद… अब मेरी मर्ज़ी से चलेगी। तुम्हारा हर पल अब मेरी निगरानी में बीतेगा।"
पिया ने गहरी सांस ली और नफरत से कहा, "मैं नफरत करती हूँ तुमसे… हर उस चीज़ से जो तुम हो।"
रियान पिया के चेहरे के करीब आकर फुसफुसाते हुए बोला, "तो करो… जितनी नफरत करनी है, क्योंकि अब इस घर में तुम रहोगी… मजबूरी से नहीं, मेरी शर्तों पर। और नफरत जितनी गहरी होगी… मेरी नज़दीकी उतनी बढ़ेगी।"
फिर वह मुस्कुराते हुए खड़ा हुआ और दरवाजे की तरफ बढ़ गया लेकिन फिर अचानक रुका और उसने रुककर जेब से अपना फोन निकाला फिर वापस पिया की तरफ़ मुड़ा।
पिया के करीब जाकर रियान ने फोन ऑन करते हुए, शांत पर सख़्त लहजे में बोला, "वैसे मैं कुछ तुम्हें दिखाना भूल गया। कोई बात नहीं अभी देख लो!"
उसने फोन स्क्रीन पिया के सामने घुमा दी। वीडियो चालू हुआ… कैमरा एक पुराने से कमरे को दिखा रहा था, वहाँ एक लड़की थी, जो बेहोश सी, मगर धीरे-धीरे होश में आ रही थी।
उसके आस-पास दो-तीन आदमी खड़े थे, जो उस पर झुकने की कोशिश कर रहे थे, लड़की सहमी हुई, रो रही थी… हाथ-पैर मार रही थी, पर कोई उसकी सुन नहीं रहा था।
पिया ने हक्का-बक्का होकर देखा… और अचानक चीखते हुए बोली, "नहीं!! नहीं… ये क्या है! ये… ये अन्वी है!!"
पिया बिस्तर पर बैठने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका शरीर अब भी सुन्न था। आँखों से आँसू बहने लगे, और उसकी आवाज़ काँप रही थी।
पिया ने कांपती हुई आवाज़ में बोला, "प्लीज़ रियान! ये उसके साथ मत करो… उसने तो सिर्फ़ मेरी मदद की थी… सिर्फ़ मेरी मदद!"
रियान उसकी हालत का मज़ा लेने लगा और मुस्कुराते हुए बोला, "यही तो गलती की उसने… मेरी कैदी को आज़ाद करने चली थी। अब देखो, उसकी आज़ादी कैसी लग रही है?"
पिया अब फूट-फूटकर रोने लगी, वह गिड़गिड़ाने लगी और हाथ जोड़कर बोली, "प्लीज़… प्लीज़ उसे छोड़ दो! मैं मानती हूँ, मेरी गलती थी, मैंने भागने की कोशिश की, पर उसकी कोई गलती नहीं थी। वो सिर्फ़ मेरी दोस्त है… वो सिर्फ़ मेरी हेल्प कर रही थी। मैं… मैं तुम्हारी हर बात मानूंगी… तुम्हारी हर शर्त पर इस घर में रहूंगी… कभी भागने की कोशिश नहीं करूँगी… बस… बस उसे कुछ मत करना… प्लीज़ रियान!"
रियान उसकी हालत को देखता रहा, उसके चेहरे की चीखती हुई बेबसी को, कुछ सेकेंड्स के लिए चुप रहा, फिर उसने फोन का वीडियो बंद कर दिया और धीरे से मुस्कराते हुए, मगर आँखों में वही सख्ती लिए हुए बोला, "अब तुम्हें समझ में आ चुका होगा कि मैं सिर्फ़ तुम्हें नहीं, तुम्हारे हर रिश्ते को कंट्रोल कर सकता हूँ और हाँ याद रखना… अगली बार अगर तुमने फिर से मेरी हदें तोड़ने की कोशिश की तो सिर्फ़ वीडियो नहीं… असली मंजर देखोगी, वो भी अपनी आँखों से…"
फिर वह खड़ा हुआ, बिस्तर के पास झुककर पिया की आँखों में देखकर बोला, "तुमने मेरी नफरत देखी है पिया… पर अभी मेरा जुनून बाकी है।"
इसके बाद वह सीधा होकर दरवाज़े की तरफ़ बढ़ा, दरवाज़ा खोला… एक बार पीछे मुड़कर पिया को देखा और बाहर चला गया।
पिया वहीं बिस्तर पर लेटी रही, रोती रही… उसकी दुनिया अब सच में एक कैदखाना बन चुकी थी।
पिया बिस्तर पर लेटी रोती रही। उसकी दुनिया सच में एक कैदखाना बन चुकी थी।
शाम का समय था। पिया अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई थी। तभी अनाया पिया के कमरे में आई। वह थोड़ी परेशान लग रही थी।
अनाया पिया के पास आकर धीरे से बोली, "मॉम, क्या हुआ आपको? रियान बता रहा था कि आपकी तबीयत ठीक नहीं थी... अब तो आप ठीक हैं ना?"
पिया ने उसकी आँखों में देखा और हल्के से मुस्कुरा दी। फिर शांत लहज़े में बोली, "हाँ, अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ... मुझे कुछ भी नहीं हुआ।"
वह नहीं चाहती थी कि अनाया उसकी तकलीफ जाने या उसकी वजह से परेशान हो। इसलिए उसने अपने मन का सारा दर्द चेहरे की मुस्कान में छिपा लिया।
तभी दोनों के कानों में किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई दी।
रियान हाथ में एक ट्रे लिए अंदर आया। ट्रे में एक खूबसूरत बाउल में गर्म सूप रखा था। उसकी चाल में वही पुराना कॉन्फिडेंस था और चेहरे पर वही मुस्कान जो पिया को हमेशा परेशान कर देती थी।
वह बिना कुछ कहे सीधा पिया के पास आया और अनाया के सामने खुद को बेहद सामान्य दिखाते हुए बोला, "कहाँ ठीक हो तुम? पूरे टाइम बीमार पड़ी थी, ये लो... सूप पियो, अच्छा लगेगा।"
पिया की आँखों में एक पल के लिए गुस्से की चिंगारी चमकी, लेकिन अनाया वहीं थी... इसलिए उसने खुद को नियंत्रित कर लिया। उसने बस एक ठंडी नज़र रियान पर डाली।
रियान पास आकर बिस्तर के किनारे बैठ गया। उसने चम्मच उठाया और सूप भरा।
"चलो, ज़िद मत करो... पियो।"
पिया रियान को मना करने लगी, लेकिन रियान ने उसे एक टेढ़ी मुस्कान के साथ घूरते हुए अपनी आँखों से इशारा किया, "कुछ मत बोलो वरना..."
पिया मजबूरी में आँखें फेर लीं, और रियान ने सूप उसके होठों तक पहुँचा दिया।
एक-दो चम्मच पीने के बाद अचानक एक चम्मच सूप उसके होठों के किनारे से गिर गया। पिया ने खुद पोंछने की कोशिश की, लेकिन रियान ने बिना कुछ कहे अपना अंगूठा उसके होठों के कोने तक ले जाकर बहुत ही धीरे से सूप साफ़ कर दिया।
उसका स्पर्श बहुत कोमल था... लेकिन उसके अंदर एक अजीब सी शरारत भी थी। पिया को लगा जैसे वह उसे जानबूझकर छेड़ रहा हो। उसकी उंगलियों का वह स्पर्श... उस एक पल में जैसे सब कुछ थम गया।
लेकिन अनाया को यह सब सिर्फ़ एक केयरिंग जेस्चर लगा।
वह मुस्कुराते हुए बोली, "रियान, तुम कितने अच्छे हो... मॉम का इतना ख्याल रखते हो!"
सूप ख़त्म होते ही रियान ने ट्रे साइड में रख दी।
फिर थोड़ी देर पिया को यूँ ही देखते हुए कहा, "अब तुम यहाँ लेटे-लेटे बोर हो गई होगी, चलो थोड़ी देर नीचे टहल लो।"
पिया ने उसकी ओर देखा, नज़रों में वही गुस्सा था... लेकिन फिर अनाया की मौजूदगी याद आ गई, और उसने खुद को रोक लिया।
रियान पास आकर बिस्तर की दूसरी तरफ़ बैठ गया, फिर धीमे से झुककर कहा, "चलो नीचे... थोड़ा टहल लो... वैसे भी अब तो तुम बिल्कुल भी बीमार नहीं लग रही। अलबत्ता ज़्यादा देर तक लेटी रहीं तो क्या पता हमेशा के लिए तुम्हारे पैर काम करना बंद कर दें!"
पिया ने होंठ भींचे और नज़रें फेर लीं।
तभी अनाया बोल पड़ी, "हाँ मॉम, थोड़ा मूवमेंट अच्छा रहेगा, नीचे चलो ना।"
रियान ने बात पकड़ ली, और तुरंत पिया की ओर देखकर बोला, "देखा? अब अगर तुम ना भी चलो तो सबको लगेगा कि तुम ड्रामा कर रही हो। चलो, चलो... उठो भी... और हाँ, चाहो तो मैं तुम्हें गोद में उठाकर ले चलूँ... वैसे भी तुम जितनी दिखती हो ना, उतनी भारी भी नहीं हो।"
पिया उसकी बात सुनकर उसको देखते हुए बोली, "नहीं, मैं खुद चल सकती हूँ।"
जैसे ही पिया खड़ी हुई, उसके कदम लड़खड़ा गए।
पर उससे पहले कि वह गिरती, रियान ने फुर्ती से उसे पकड़ लिया।
एक झटके में उसका दायाँ हाथ पिया की कमर के पीछे गया... लेकिन पकड़ सिर्फ़ सपोर्ट देने वाली नहीं थी। वह पकड़ मज़बूत थी, गर्म थी... और जानबूझकर उसकी कमर को अपने पंजों में कैद कर लेने वाली।
रियान धीरे से उसके कानों के पास फुसफुसाया, "तुम्हें संभालना अब मेरी आदत बनती जा रही है... और तुम्हें छूना, ज़रूरत।"
उसकी उंगलियाँ पिया की कमर की सबसे नाज़ुक नसों पर धीरे-धीरे दबाव बना रही थीं। जैसे कोई अनकहा दावा कर रहा हो उस पर।
पिया की साँसें अनजाने में ही तेज हो गईं... वह खुद को अलग करना चाहती थी, लेकिन अनाया की मौजूदगी उसे मजबूर कर रही थी, सब कुछ चुपचाप सहने को।
पिया धीरे से गुस्से में दाँत भींचते हुए बोली, "रियान... हाथ हटाओ..."
रियान धीमे से मुस्कुराकर, एक और हल्का दबाव डालते हुए उसके कान में बोला, "कमर में थोड़ी कमज़ोरी लग रही है... थामना तो पड़ेगा ना... और वैसे भी, इतनी देर बाद टच कर रहा हूँ, थोड़ा अच्छे से ही सही।"
उसकी अंगुलियाँ अब धीरे-धीरे उसकी कमर की लकीर को ट्रेस कर रही थीं... इतना सॉफ्टली कि बाहर से देखो तो सब नॉर्मल लगे, पर पिया को उसकी हर हरकत आग सी महसूस हो रही थी।
अनाया ने मासूमियत से पूछा, "मॉम, आप ठीक हैं ना?"
रियान बिल्कुल शांत लहज़े में, जैसे कुछ हुआ ही नहीं, बोला, "हाँ हाँ, अब सब ठीक है... बस थोड़ी कमज़ोरी आ गई थी तुम्हारी माँ को, इसीलिए फिसल गई... पर कोई बात नहीं, मैं हूँ ना संभालने के लिए।"
इतना कहकर उसने पिया को यूँ थामे रखा जैसे कोई बहुत ज़िम्मेदार इंसान हो, पर उसका हाथ अब भी पिया की कमर पर था... वह जगह, जहाँ साड़ी की तह के नीचे कुछ भी नहीं था, बस उसकी नर्म, खुली हुई त्वचा।
पिया का पूरा शरीर जैसे अलर्ट हो गया था... वह उसकी पकड़ से खुद को दूर करना चाहती थी, पर अनाया पास थी... और रियान तो जैसे उसी पल का मज़ा ले रहा था।
उसने अपनी उंगलियाँ थोड़ा और फैलाकर पिया की कमर पर हल्का दबाव बनाया। रियान की मुस्कान और गहरी हो गई।
वह जैसे हर एक झिझक, हर एक हलचल को पढ़ रहा था... और उसका लुत्फ़ भी उठा रहा था।
"कमाल है..." उसने धीरे से कहा, इतना धीरे कि सिर्फ़ पिया ही सुन सके, "तुम्हारी कमर जितनी पतली है... उतनी ही ज़िद्दी भी। बस थाम लूँ तो निकलने की कोशिश में काँप उठती हो..."
पिया ने तुरंत खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाया और कुछ कदम आगे निकल गई।
और नीचे जाकर सोफ़े पर बैठ गई। अनाया अपनी मॉम के पास जाकर बोली, "मॉम, मैं आपके लिए कॉफ़ी बना लाती हूँ, तब तक आप बैठो... रियान, मॉम का ध्यान रखना!"
रियान उसकी बात सुनकर झट से जवाब दिया, "अरे चिंता मत कर, मैं तो बस... बहुत अच्छे से ध्यान रखता हूँ इनका।"
और पिया की तरफ़ बढ़ गया।
जैसे ही अनाया किचन में गई, पिया ने तुरंत फुसफुसाकर कहा, "रियान! यह सब बंद करो... तुम्हारी यह हरकतें..."
रियान की तरफ़ देखकर, "क्यों? क्या हो गया? मज़ा नहीं आ रहा? तुम्हें तो देखकर लग रहा था कि तुम इन्जॉय कर रही थी!"
"ओह, हाँ शायद उतना एन्जॉय नहीं किया होगा जितना सुबह कर रही थी, मुझे किस करते वक़्त..."
रियान ने पिया की ओर देखकर कहा, “क्यों? क्या हो गया? मज़ा नहीं आ रहा? तुम्हें तो देखकर लग रहा था कि तुम इन्जॉय कर रही थी!”
“ओह, हां, शायद उतना एंजॉय नहीं किया होगा जितना सुबह कर रही थी, मुझे किस करते वक़्त…”
उसकी बात खत्म होते ही पिया का चेहरा गुस्से और शर्म से लाल हो गया। वह रियान की आँखों में आँखें डालकर बोली, “तुमसे इंसानियत की उम्मीद करना बेकार है, क्योंकि तुम उस लायक हो ही नहीं। मैं इस घर में रह सकती हूँ, पर तुम्हारी बेहूदगी और इन घटिया हरकतों को अब और बर्दाश्त नहीं करूँगी।”
बोलते-बोलते पिया ने एक गहरी साँस ली। उसकी आवाज़ थोड़ी तेज हो गई थी। उसने एक नज़र किचन की तरफ़ देखा ताकि पता कर सके कि कहीं अनाया ने कुछ सुना हो या नहीं।
जब उसे विश्वास हो गया कि अनाया ने यह बात नहीं सुनी होगी, तब उसने रियान को घूरते हुए आगे कहा, “हर बार चुप रह जाना मेरी मजबूरी नहीं है। मैं सिर्फ़ अपनी बेटी के लिए सब कुछ सह रही हूँ। उसकी परवरिश, उसका भविष्य मेरे लिए सबसे ज़्यादा मायने रखता है। वह नहीं होती, तो मैं एक पल भी यहाँ टिकती नहीं। समझे तुम?”
और फिर अपने कमरे में चली गई।
पिया की आँखों में गुस्सा और दर्द एक साथ झलक रहा था। उसने रियान की तरफ़ आखिरी बार देखा, नज़रों में एक चेतावनी थी। जैसे कह रही हो, ‘अब बहुत हो गया।’
पिया बिना कुछ और कहे पलटी और तेज़ कदमों से अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गई। उसकी साड़ी का पल्लू हवा में लहराया, जैसे उसके भीतर उठते तूफ़ान का इशारा कर रहा हो।
रियान वहीं खड़ा रह गया। उसके होंठ कुछ कहने को हिले, पर आवाज़ नहीं निकली। उसकी आँखें पिया के जाते हुए कदमों को बस देखती रहीं। घर में एक अजीब सी खामोशी फैल गई, जैसे दीवारें भी जानती हों कि आज कुछ टूट गया है।
कमरे का दरवाज़ा ज़ोर से बंद हुआ। पिया ने कुंडी लगाई और पीठ दरवाज़े से टिका दी। उसकी आँखें भीगने लगीं, लेकिन उसने खुद को रोने नहीं दिया। वह अब कमज़ोर नहीं पड़ना चाहती थी।
अभी कुछ मिनट ही बीते थे कि बाहर से हल्की सी आहट हुई। उसे लगा शायद रियान आया था। उसने अपनी साँस रोकी, फिर बिना सोचे-समझे गुस्से में दरवाज़ा खोला।
पर सामने रियान नहीं, बल्कि अनाया थी, कॉफ़ी का मग हाथ में लिए।
“मॉम! आप ऊपर क्यों आ गईं? और आपका चेहरा इतना लाल क्यों लग रहा है?” अनाया ने घबराकर पूछा।
पिया ने झट से खुद को संभाला, चेहरा थोड़ा शांत करने की कोशिश की।
“कुछ नहीं बेटा… बस थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी, इसलिए ऊपर आ गई।”
अनाया ने मग उसकी तरफ़ बढ़ाया, “मैं नीचे कॉफ़ी बना रही थी, तो पता चला कि आप ऊपर अपने रूम में आ गई हो, तो मैं यहाँ आपके लिए कॉफ़ी ले आई।”
पिया ने मग थामते हुए हल्की मुस्कान दी, “थैंक यू, बेटा। बहुत अच्छा किया। अब तुम नीचे जाओ, मैं बस थोड़ी देर यहीं बैठना चाहती हूँ, थोड़ा आराम कर लूँ।”
“ओके मॉम, आप रेस्ट करो।” कहकर अनाया चली गई।
पिया ने दरवाज़ा बंद किया और फिर दोबारा दरवाज़े से पीठ टिकाकर बैठ गई। उसने कप साइड में रखकर आँखें बंद कर लीं। उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था कि उसका मन अभी भी बहुत बेचैन था।
उसने कॉफ़ी का मग उठाया और धीरे से बेड के पास साइड टेबल पर रखा। तभी अचानक दरवाज़ा ज़ोर से खुला, रियान अंदर आया और उसकी बाज़ू को पकड़कर दीवार से सटा दिया। उसके चेहरे पर गुस्से की लकीरें साफ़ थीं।
“तुम्हें पता है तुम मेरी कैद में क्यों हो?” रियान ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा। “क्योंकि तुम्हारी ये आदत, आँखों में आँखें डालकर जवाब देना, मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। और तुम हर बार यही करती हो। मेरे सामने, बिना डरे।”
पिया अब भी दीवार से टिकी खड़ी थी, लेकिन उसके चेहरे पर अब डर नहीं, गुस्सा था। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन वह कमज़ोरी के नहीं थे। वह गुस्से और नफ़रत से भरे थे।
उसने रियान की ओर देखा और धीमे-धीमे बोलना शुरू किया, लेकिन उसका हर लफ़्ज़ बहुत नुकीला था।
“तुम्हें क्या लगता है? पूरी दुनिया तुमसे डरती है? शायद डरती होगी। लेकिन मैं नहीं। मैं तुझसे नहीं डरती, रियान।”
रियान का चेहरा कस गया, लेकिन पिया रुकी नहीं।
“क्या कर लोगे तुम? जान से मार दोगे? मार दो। या फिर मुझे तकलीफ़ दोगे, जबरदस्ती करोगे, मेरे अपनों को तकलीफ़ दोगे? कुछ नया तो सोचो। ये सब कर-कर के थक नहीं गए तुम?”
वह दो कदम आगे बढ़ी, अब उनके बीच ज़रा सी दूरी रह गई थी।
“हर रोज़ तुम्हारी ये नफ़रत, ये पागलपन… मैं अब और नहीं सह सकती। अगर तुम्हारा ये तमाशा मेरे ही कारण है, तो ठीक है। मैं ही खुद को खत्म कर देती हूँ। कम से कम बाकी सब बच जाएँगे।”
उसने एक पल रुककर उसकी आँखों में देखा।
“लेकिन याद रखना, तुम्हारे इस नाटक की वजह मैं ही हूँ न? तो चलो, मैं ही इसे खत्म कर देती हूँ।”
रियान कुछ समझ पाता, इससे पहले ही पिया मुड़ी और कमरे के कोने में रखे स्टैंडिंग लैम्प को उठाया। एक झटके में उसने उसे ज़मीन पर पटक दिया। लैम्प का बल्ब फूट गया। उसकी तारें बाहर निकलीं और उनमें से चिंगारियाँ निकलने लगीं।
“पिया! क्या कर रही हो!” रियान चिल्लाया।
लेकिन पिया ने उस खुले वायर को नंगे हाथों से पकड़ने के लिए आगे बढ़ गई। उसे अब फ़र्क नहीं पड़ रहा था। उसकी हथेली तार के करीब पहुँची ही थी कि रियान झपटा।
उसने पिया का हाथ झटके से पीछे खींच लिया।
एक तीखी चीख कमरे में गूंज गई। पिया की, दर्द और झुंझलाहट से भरी।
रियान ने झपटकर स्विच बंद किया और तार को दूर फेंक दिया। उसकी साँसें तेज़ थीं, आँखों में गुस्से की लपटें।
“पागल हो गई हो क्या?” उसने पिया का हाथ झटके से छोड़ा, जैसे वह कोई ज़हरीली चीज़ हो।
पिया सिसकते हुए पीछे हटी, लेकिन उसकी आँखों में अब भी वही ज़िद थी।
“तुम्हें क्या चाहिए रियान? तुम्हें तो मेरी तकलीफ़ से मज़ा आता है ना? तो देख लो… मैं मरने वाली थी, खुश हो?”
रियान का चेहरा तमतमा गया। वह उसके पास आया, बेहद करीब, इतना कि पिया को उसकी साँसें अपनी गर्दन पर महसूस हुईं।
“खुश?” वह हँसा, एक कड़वी, ज़हरीली हँसी। “तुम जैसी औरत से जुड़ी हर चीज़ से मुझे नफ़रत है। तुमसे, तुम्हारे ड्रामे से, तुम्हारे आँसुओं से… सब कुछ झूठ है तुम्हारा।”
पिया की आँखें डगमगाईं, लेकिन वह कुछ नहीं बोली।
रियान ने उसका कंधा पकड़ा और झटके से उसे पास खींचा, और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, “अब मैं दिखाता हूँ तुम्हें असली दर्द कैसा होता है…”
उसने उसे दीवार से धक्का देकर टिका दिया। पिया काँप गई, लेकिन कुछ बोल न सकी।
“अब कोई एक्टिंग नहीं… कोई आँसू नहीं।” रियान की आवाज़ में ज़हर था, “अब जो होगा, उसमें सिर्फ़ सच्चाई होगी। वह सच्चाई जो तुमसे भी ज़्यादा खतरनाक है… मैं।”
पिया की साँसें तेज़ हो गईं। उसका चेहरा डर और उलझन से भर गया।
“क्या करने वाले हो रियान?” उसने डरते हुए पूछा।
रियान झुका, उसकी आँखों में देखते हुए बोला, “तुम्हारी वही औकात दिखाने वाला हूँ… जिससे तुम खुद भागती फिरती हो।”
इतना बोलकर उसने पिया को धक्का दिया, पिया सीधे बेड पर जाकर गिर गई। पिया उठने की कोशिश की पर रियान ने उसे पकड़ कर फिर से बेड पर धक्का दे दिया।
और उसके दोनों हाथों को अपने हाथों से जकड़ लिया और उसके होठों के करीब बढ़ने लगा। पिया अपने चेहरे को इधर-उधर घुमाने लगी। लेकिन रियान ने उसके दोनों हाथों को अपने एक हाथ से पकड़ते हुए, उसके गाल को अपने दूसरे हाथ से पकड़ कर उसके होठों के करीब जाकर बोला, “तुम मुझसे भाग नहीं सकती और तुम्हारी औकात मैं आज तुम्हें दिखाऊँगा।”
इतना बोलकर वह उसके होठों पर किस करने लगा और अपना एक हाथ उसके शरीर पर चलाने लगा। पिया खुद को बचाने की कोशिश कर रही थी, पर खुद को बचा नहीं पा रही थी।
रियान का हाथ धीरे-धीरे उसके कमर से होते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा…
रियान के हाथ धीरे-धीरे उसके कमर से होते हुए ऊपर की ओर आने लगे।
पिया उसे रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर रियान अब खुद पर नियंत्रण नहीं रख पा रहा था। वक्त के साथ वह और ज़्यादा उग्र और तीव्र होता जा रहा था। पिया की धड़कनें तेज हो रही थीं, लेकिन उसका स्पर्श उसे हर बार कमजोर बना देता था।
वह अब उसके होंठों को छोड़कर नीचे आया और उसकी कॉलर बोन पर अपने होंठ रख दिए। पिया का शरीर काँप गया और उसकी सिसकियाँ, जिन्हें उसने रोकने की कोशिश की थी, अब अपने आप बाहर आने लगी थीं।
वह उसकी त्वचा को बार-बार अपने होंठों से छू रहा था और पिया की साँसें तेज होने लगीं। उसने एक बार फिर उसे पीछे धकेलना चाहा, लेकिन रियान ने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और उसे और भी करीब खींच लिया।
रियान उसे यूँ ही चूम रहा था, धीरे-धीरे, लेकिन बेहद स्वामित्वपूर्ण तरीके से। उसके होंठ पिया की त्वचा को इस तरह छू रहे थे जैसे वह हर अंग पर अपने अधिकार की मोहर छोड़ना चाहता हो।
उसी वक्त उसके हाथ भी पिया के शरीर पर चलने लगे। कमर से लेकर पीठ, फिर कंधों की ओर और अब वह धीरे-धीरे उसकी हर सीमा को पार करने की कोशिश में था।
पिया ने फिर से खुद को रोकने की कोशिश की, पर इस बार उसकी साँसें बेकाबू थीं। वह खुद ही समझ नहीं पा रही थी कि उसके अंदर क्या चल रहा था। उसके होंठों से धीमी आहें निकलने लगीं।
वह अब ना उसे धकेल पा रही थी, ना ही खुद को उसके करीब आने से रोक पा रही थी।
लेकिन ठीक उसी पल, रियान एक झटके से उसके ऊपर से उठ गया। और पिया को देखते हुए बोला, "मैंने तो सोचा था तुम काफी मज़बूत हो…" उसकी आवाज़ में वही चिढ़ाने वाला लहजा था, "पर मेरे एक स्पर्श ने ही तुम्हें इतना कमज़ोर कर दिया…"
उसकी बात सुनकर पिया का चेहरा शर्म और गुस्से के मिले-जुले एहसास से लाल पड़ गया, पर इस बार वह चुप रही। रियान जीत चुका था।
इतना बोलकर रियान वहाँ से निकल गया।
पिया उसे बस जाते हुए देख रही थी। उसके जाते ही पिया बेड पर बैठकर बस यही सोच रही थी कि आखिर वह खुद को रोक क्यों नहीं पाई।
उसने अपने कपड़े सही किए और सामान्य होने की कोशिश करने लगी।
थोड़ी देर बाद रियान नीचे डाइनिंग एरिया में गया, जहाँ अनाया पहले से ही बैठी उसका इंतज़ार कर रही थी। जैसे ही रियान की नज़र उस पर पड़ी, उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई।
वह धीमे कदमों से उसके पास गया और मुस्कुराते हुए बोला, "माफ़ कर देना मैडम, ज़रा लेट हो गया…"
"लेट? मैं कब से यहाँ बैठी हूँ, तुम्हें पता भी है?" अनाया ने उसे घूरते हुए कहा।
रियान ने उसके सामने बैठते हुए आँखें गोल कर मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, "तो क्या हुआ… मैं आ तो गया ना।"
"ठीक है, लेकिन आज तुम्हें खुद ही सर्व करना पड़ेगा। सज़ा है ये!" अनाया ने प्लेट उसकी ओर खींचते हुए कहा।
रियान ने नकली गिल्ट दिखाते हुए सिर झुकाया और बोला, "जो हुक्म मेरी बेस्ट फ्रेंड का…"
फिर दोनों हँसने लगे।
कुछ पल यूँ ही मज़ाक-मस्ती में निकल गए। फिर अनाया ने अचानक पूछा, "मम्मा नहीं आ रही खाने पर?"
रियान का चेहरा एक पल के लिए शांत हो गया। उसकी आँखों में एक ठंडी परत उतर आई थी, जैसे किसी ने उसके अंदर कुछ जमा दिया हो।
डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए उसने हल्के से पूछा, "मैडम कहाँ हैं? डिनर पर नहीं आ रहीं?"
सर्वेंट ने सिर झुकाए हुए जवाब दिया, "सर… पिया मैडम ने खाना अपने कमरे में मंगवा लिया।"
रियान का चेहरा कुछ पल के लिए पत्थर जैसा हो गया। उसकी उंगलियाँ चम्मच पर कस गईं, जैसे किसी ने उसकी बात को अनदेखा कर दिया हो।
दोनों खाना खाकर बिना कुछ कहे अपने-अपने कमरे की ओर बढ़ गए। पिया अपने कमरे में जाकर बेड पर बैठ गई थी। सब कुछ शांत था… तभी उसके फ़ोन पर एक नोटिफिकेशन आया।
टिंग!
पिया ने फ़ोन उठाया और जैसे ही स्क्रीन देखी, उसकी आँखें बड़ी हो गईं। चेहरे पर साफ़ घबराहट आ गई। वह बिना कुछ सोचे तुरंत अपने कमरे से बाहर निकली और सीधा दूसरे कमरे की ओर बढ़ी।
दरवाज़ा जैसे ही खोला—सामने रियान था।
वह बड़े ही आराम से सोफ़े पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था… उसके चेहरे पर वही जानलेवा मुस्कान।
पिया के चेहरे पर डर और घबराहट साफ़ दिख रही थी… और रियान बस शांत होकर उसकी ओर देख रहा था… जैसे सब कुछ योजना के मुताबिक हो रहा हो।
पिया काँपते कदमों से कमरे के अंदर गई। उसकी आँखों में डर कम और गुस्सा ज़्यादा था।
वह सीधे रियान के पास जाकर रुकी और गुस्से से बोली, "ये सब क्यों किया तुमने?"
रियान ने उसकी बात पर जैसे कोई ख़ास ध्यान ही नहीं दिया। बेहद सामान्य तरीके से, जैसे कुछ हुआ ही ना हो! उसने आँखें ऊपर उठाई और बोला, "मैंने क्या किया पिया?"
पिया ने एक झटके में अपना फ़ोन उसके सामने किया।
"ये वीडियो! ये क्यों बना रहे हो तुम? ये सब क्यों कर रहे हो?" उसकी आवाज़ में कंपकंपी थी, पर वह खुद को संभाले खड़ी थी।
रियान ने फ़ोन लिया, स्क्रीन देखी, और एक हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर तैर गई।
उसने बेहद ठंडे अंदाज़ में कहा, "ओह… ये वाला वीडियो? हम दोनों एक-दूसरे को चूम रहे थे, नहीं-नहीं, सुधार, मैं तुम्हें चूम रहा था… और तुम सिसकियाँ ले रही थीं।"
वह मुस्कराता रहा… पिया की आँखों में नफ़रत और डर दोनों एक साथ उभर आए।
रियान ने फ़ोन वापस उसकी ओर बढ़ाया, लेकिन उसकी आँखों में अब एक अलग ही चमक थी। उसने धीरे से आगे झुकते हुए कहा, "वैसे पिया… सोच रहा हूँ, अगर ये वीडियो गलती से वायरल हो गया… तो क्या होगा?"
एक सेकंड रुका… और फिर उसकी आँखों में सीधा देखते हुए बोला, "अगर अनाया ने देख लिया तो?"
कमरे में सन्नाटा छा गया। पिया की साँसें तेज हो गईं… और रियान? वह अब भी उसी जानलेवा मुस्कान के साथ उसे घूर रहा था, जैसे शिकार को पूरी तरह जकड़ चुका हो।
पिया उसे घूरते हुए बोली, "तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे… और आखिर तुम चाहते क्या हो रियान? ये सब क्यों कर रहे हो मेरे साथ?"
उसकी आँखों में अब डर से ज़्यादा सवाल थे। वह थक चुकी थी, उस खेल से जो रियान खेल रहा था।
रियान ने उसकी बात सुनी… कुछ सेकंड्स तक बस उसे देखा… फिर हल्की मुस्कान के साथ बोला, "ये जो तुम्हारी अकड़ है ना… ये जो बार-बार मुझे अनदेखा करती हो ना… बस यही चीज़ मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आती, पिया।"
उसके लहजे में कोई गुस्सा नहीं था… वह एकदम शांत था… लेकिन उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो पिया को अंदर तक हिला रहा था।
रियान ने उसकी बात सुनी। कुछ सेकंड तक उसे देखा। फिर हल्की मुस्कान के साथ बोला, "ये जो तुम्हारी अकड़ है ना… ये जो बार-बार मुझे इग्नोर करती हो ना… बस यही चीज़ मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आती, पिया।"
उसके लहजे में कोई गुस्सा नहीं था। वह एकदम शांत था। लेकिन उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो पिया को अंदर तक हिला रहा था।
पिया अब रो भी नहीं रही थी। उसने अपने आँसुओं को पोंछते हुए गहरी साँस ली और कहा, "तो क्या करूं मैं? रह तो रही हूँ तुम्हारे घर में.. और क्या चाहते हो?"
उसकी आवाज़ में अब थकावट थी, बेबसी थी। पर वह टूटना नहीं चाहती थी।
कुछ सेकंड बाद उसने थोड़ी हिम्मत जुटाई और कहा, "प्लीज़… ये वीडियो डिलीट कर दो, रियान।"
रियान ने उसकी आँखों में देखा, फिर खड़ा हुआ। उसके चेहरे से अब मुस्कान गायब थी, लेकिन उसकी आवाज़ अब भी उतनी ही सीधी और साफ़ थी, "डिलीट कर दूँगा।"
फिर एक कदम उसके करीब आकर बोला, "लेकिन अगर दोबारा तुमने मुझे इग्नोर करने की कोशिश की… तो ये वीडियो सीधा जाएगा अनाया के पास।"
वह रुका और फिर और भी शांत लहजे में बोला, "और शायद न जाने किस-किस के पास…"
पिया की साँसें जैसे रुक गईं।
रियान ने बस एक आखिरी वार्निंग भरी नज़र डाली और कमरे से बाहर चला गया।
पिया बस उसे जाते हुए देख रही थी। कुछ देर तक यूँ ही खामोश खड़ी रही। फिर वह अपने रूम की तरफ चली गई। कमरे में पहुँचते ही दरवाज़ा बंद किया और धीरे से बेड पर बैठ गई।
उसका दिमाग अब भी उसी बात में उलझा हुआ था। वही वीडियो, वही धमकी, वही रियान।
उसने आँखें बंद कीं और अपने मन में बोली, "मुझे यहाँ से निकलना है… लेकिन मैं किसी की हेल्प भी नहीं ले सकती। अगर मैंने किसी से मदद ली… तो रियान न जाने क्या कर देगा।"
वह गहरी साँस लेने लगी, जैसे खुद को समझा रही हो।
"मुझे कुछ ऐसा करना होगा… कि अनाया रियान से खुद दूर हो जाए। अगर मैं यहाँ से नहीं जा सकती… तो क्या हुआ, अनाया को तो कहीं दूर भेज सकती हूँ… बहुत दूर… पर कैसे!"
पिया बड़बड़ाने लगी थी, "कैसे करूँगी मैं ये सब? अगर मुझे अनाया को इस इंसान से दूर रखना है… तो पहले मुझे खुद के लिए जॉब ढूँढनी पड़ेगी।"
उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं।
"मुझे जॉब करनी ही पड़ेगी… अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा। और सबसे ज़्यादा ज़रूरी बात—इस रियान को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए। पर मैं ये सब करूँगी कैसे? अगर मैं इस घर से नहीं जा रही… और उसे ये बोलूँगी कि मैं जॉब करना चाहती हूँ… तो कैसे समझाऊँ? किस तरीके से?"
थोड़ी देर सोचते हुए उसने गहरी साँस ली और फिर उठी।
वह सीधे कमरे से बाहर निकली। उसके हाथ में फ़ोन था और वह कॉल करने लगी।
"रियान, मुझे तुमसे बात करनी है। तुम कहाँ हो?"
दूसरी तरफ़ से सिर्फ़ एक आवाज़ आई, "टेरेस…"
पिया बिना एक पल गँवाए तेज़ी से टेरेस की ओर भागी।
जैसे ही ऊपर पहुँची, वहाँ रियान खड़ा था, अपने होठों के बीच सिगरेट दबाए, लम्बे-लम्बे कश ले रहा था। वह पिया को देखकर हल्के से मुस्कराया।
"इतनी बेचैनी मुझसे मिलने की?"
पिया उसके पास पहुँची। उसके सामने खड़ी होकर दोनों हाथ जोड़ दिए, उसकी आँखों में विनती थी।
उसने रियान को देखते हुए कहा, "एक रिक्वेस्ट है… मुझे जॉब करनी है। मैं इस घर में रहने को तैयार हूँ… सब कुछ सह लूँगी… लेकिन बस मुझे जॉब करनी है।"
रियान ने सिगरेट का एक कश लिया, फिर उसकी तरफ़ देखा। कुछ पल उसे चुपचाप निहारता रहा।
फिर बोला, "ठीक है… कर सकती हो जॉब। लेकिन याद रखना… चालाकी मत करना।"
पिया ने बस चुपचाप सर हिला दिया। उसकी आँखों में डर अब भी था, लेकिन उस डर के पीछे कहीं एक छोटी सी उम्मीद भी छुपी थी।
पिया चुपचाप अपने रूम की तरफ़ बढ़ गई थी। पीछे से रियान बस उसे जाते हुए देख रहा था। उसकी आँखें एक पल को भी नहीं झपकीं। पलकों में जैसे पिया की परछाई कैद हो गई हो।
पिया अपने रूम में जाकर बेड पर बैठ गई। उसने एक लम्बी साँस ली और धीरे से मुस्कुरा दी और मन में बोली, "चलो… इस इंसान ने जॉब के लिए तो हाँ कह दी। बस कल सुबह होते ही… मैं अपनी जॉब ढूँढने लगूँगी।"
ये कहते हुए उसने आँखें बंद कर लीं। उसका दिल अब भी डरा हुआ था, लेकिन दिमाग में एक नई शुरुआत की उम्मीद थी।
धीरे-धीरे नींद ने उसे अपनी आगोश में ले लिया।
अगली सुबह…
घड़ी में सुबह के 8:00 बज रहे थे। पिया पूरे अच्छे से तैयार हो चुकी थी। उसने हल्का सा काजल लगाया, कॉटन साड़ी पहनी, बाल बाँधे और खुद को आईने में देखकर हल्की सी मुस्कान दी।
आज उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी—जैसे वह अपने लिए कुछ करने जा रही हो, खुद को किसी बंद दरवाज़े से निकालकर रोशनी की तरफ़ ले जाने की कोशिश।
जब वह नीचे आई, तो डाइनिंग टेबल पर नाश्ता तैयार था। बड़े ही आराम से बैठकर उसने ब्रेकफ़ास्ट किया। ना कोई जल्दी, ना कोई डर… बस एक ठहराव।
फिर वह उठी, अपने डॉक्यूमेंट्स समेटे, बैग उठाया और दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गई।
आज उसकी आँखों में डर नहीं था, बल्कि एक मकसद था, एक इरादा। वह अपने लिए जॉब ढूँढने निकल चुकी थी।
पिया बाहर निकली तो आसमान साफ़ था। हल्की धूप उसके चेहरे पर पड़ रही थी। उसके कदम तेज़ थे, और निगाहें सीधे आगे।
पहला इंटरव्यू एक मिड-साइज़ कंपनी में था। उसने पूरे आत्मविश्वास के साथ इंटरव्यू दिया। वहाँ के एचआर ने सिर हिलाते हुए कहा, "आपके पास एक्सपीरियंस नहीं है, पिया जी… हम ऐसे किसी को नहीं रख सकते।"
पिया ने मुस्कुराकर धन्यवाद कहा और बाहर आ गई।
दूसरी जगह एक ऐड एजेंसी थी। वहाँ का माहौल काफ़ी प्रोफ़ेशनल था। इंटरव्यू शुरू हुआ, पर जैसे ही पिया ने बताया कि वह फ़िलहाल शादीशुदा नहीं थी लेकिन किसी के साथ रह रही थी, इंटरव्यू लेने वाले ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, "हमारे क्लाइंट्स को थोड़ा स्टेबल बैकग्राउंड चाहिए। पर्सनल लाइफ़ भी थोड़ा सर्टेन हो तो बेहतर रहता है।"
वह समझ गई, उसे रिजेक्शन मिल चुका है।
तीसरी जगह, एक कॉन्टेंट राइटिंग फ़र्म। वहाँ सबकुछ ठीक लग रहा था, पर इंटरव्यू के आखिर में पूछा गया, "आपके पास कोई रेफ़रेंस है? कोई जान-पहचान वाला इस फ़ील्ड में?"
पिया चुप रही। फिर धीरे से बोली, "नहीं।"
"ओके, हम आपको अपडेट करेंगे," कहकर इंटरव्यू ख़त्म कर दिया गया।
पूरा दिन निकल चुका था। पिया का बैग कंधे से और भारी लगने लगा था। पैर थक चुके थे, लेकिन वह रुकना नहीं चाहती थी।
पिया ने अपनी घड़ी की तरफ़ देखा। शाम के 5:15 बज रहे थे। उसके पैर थक चुके थे, बैग अब भारी लगने लगा था। सुबह से अब तक बस रिजेक्शन ही मिला था। लेकिन सबसे ज़्यादा थका देने वाली चीज़ थी लोगों का रवैया, जजमेंट, शक, और सवाल।
वह एक छोटी सी सड़क किनारे बनी कॉफ़ी शॉप के बाहर पड़ी लकड़ी की बेंच पर बैठ गई। हल्की हवा चल रही थी, लेकिन उसके माथे पर पसीना था। उसने बैग बगल में रखा, पानी निकाला और एक घूंट पिया।
वह खुद से बड़बड़ा रही थी, "क्या मैं वाकई इतनी कमजोर हूँ? या बस मुझे कोई मौका नहीं मिल रहा?"
तभी किसी ने सामने से पूछा,
"एक्सक्यूज़ मी… आप ठीक हैं?"
पिया ने चौंककर सिर उठाया। उसके सामने एक लड़की खड़ी थी, करीब 26 साल की, शॉर्ट हेयर, डेनिम जैकेट और हाथ में कॉफ़ी का कप।
"मैंने आपको सुबह भी देखा था, इंटरव्यू लाइन में… और अब फिर यहीं अकेली बैठी हैं। सब ठीक?"
पिया ने हिचकिचाते हुए कहा, "हाँ… ठीक हूँ। बस थक गई हूँ।"
लड़की मुस्कराई और उसके पास बेंच पर बैठ गई।
"मैं माया हूँ… एक कंपनी में जॉब करती हूँ, यहाँ मैं किसी काम से आई हुई थी।" फिर उसने कॉफ़ी की तरफ़ इशारा किया, "आप चाहें तो मैं एक कॉफ़ी और मँगवा दूँ?"
पिया कुछ कह नहीं पाई, पर उसकी आँखों में थकावट थी, उदासी थी, और कहीं न कहीं राहत भी कि कोई इंसान उसका हाल पूछ रहा था।
माया ने फिर खुद ही कहा, "देखो, मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूँगी। मैंने तुम्हारा इंटरव्यू देखा… और सुना भी। सबने रिजेक्ट किया, लेकिन मुझे लगा कि तुम हार मानने वाली नहीं हो।"
पिया की आँखें भीगने लगीं। उसने जल्दी से सिर नीचे कर लिया।
माया ने बैग से कार्ड निकाला और उसे थमाया, "ये मेरी दोस्त की कंपनी है, नाम है 'R.R. ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज़'। छोटी सी टीम है, इसका मेन ब्रांच कहीं और है, लेकिन लोग अच्छे हैं। मैं बात करती हूँ। आज ही चलोगी?"
पिया ने एक पल को सोचा, फिर तुरंत सिर हिलाया, "हाँ, चलूँगी।"
शाम के 6:10 बजे, पिया और माया एक बड़े से ऑफ़िस के बाहर खड़ी थीं। ऑफ़िस इमारत के तीसरे माले पर था। नाम की छोटी सी नेमप्लेट! R.R. ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज़।
अंदर माहौल बिल्कुल अलग था। कोई बड़ी-बड़ी कुर्सियाँ नहीं, न ही साइलेंस में डूबा माहौल! सब लोग हँसते-बोलते काम कर रहे थे।
एक लड़की—करीब 30 साल की, फ़्रेंडली और काफ़ी कॉन्फ़िडेंट, उनके पास आई। माया ने पिया को इंट्रोड्यूस कराते हुए बोली, "ये है आरोही… फ़ाउंडर है, इस जगह की। और आरोही, ये है पिया। काफ़ी मेहनती है… बस एक चांस चाहिए इसे।"
आरोही ने बिना देर किए कहा, "बैठो पिया, थोड़ा बताओ अपने बारे में।"
पिया ने सबकुछ सच्चाई से बता दिया—अपनी स्टडीज़, अपने स्किल्स, और ये भी कि एक्सपीरियंस कम था लेकिन सीखने के जुनून की कमी नहीं थी।
आरोही ने ध्यान से सुना और फिर मुस्कराई।
"देखो, यहाँ डिग्री से ज़्यादा ज़रूरी है एटीट्यूड। और तुम में वो है। कल से आ सकती हो?"
पिया जैसे सुन ही नहीं पाई। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
"मतलब… मैं… सेलेक्ट?"
आरोही मुस्कुराते हुए बोली, "हाँ, सेलेक्ट! माया ने पहले ही तुम्हारे लिए गारंटी दे दी है, और तुमने जो कहा, उससे मुझे यकीन हो गया।"
पिया ने माया की तरफ़ देखा, वह बस हल्के से मुस्करा रही थी।
पिया की आँखों से आँसू टपकने लगे, लेकिन ये आँसू हार के नहीं, पहली जीत के थे।
आरोही मुस्कुराते हुए बोली, “हाँ, सेलेक्ट! माया ने पहले ही तुम्हारे लिए गारंटी दे दी है, और तुमने जो कहा, उससे मुझे यकीन हो गया।”
पिया ने माया की तरफ देखा; वह बस हल्के से मुस्करा रही थी।
पिया की आँखों से आँसू टपकने लगे, लेकिन ये आँसू हार के नहीं, पहली जीत के थे।
पिया आज बहुत खुश थी। आरोही ने उसे देखते हुए कहा, “कल से तुम ज्वाइन कर सकती हो।”
पिया खुश होकर घर चली गई।
करीब एक घंटे बाद, पिया थकी हुई सी, लेकिन चेहरे पर एक संतोष की मुस्कान लिए घर के दरवाज़े पर पहुँची। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, सामने से अनाया भागती हुई आई और उसके गले लग गई।
“मॉम! आप कहाँ थीं? मैं कब से आपका वेट कर रही थी!” अनाया ने मासूमियत से शिकायत की।
पिया उसके सिर पर हाथ फेरते हुए मुस्कराई और बोली, “बस बेटा… एक ज़रूरी काम था।”
थोड़ी देर बाद, पिया ने झुककर उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “तुझे एक गुड न्यूज़ देनी है…”
“क्या?” अनाया की आँखें चमक उठीं।
पिया ने उसके दोनों हाथ थामे और कहा, “मुझे जॉब मिल गई है।”
“मॉम! लेकिन आप तो पहले से ही प्रोफेसर थीं ना? फिर अब जॉब?” अनाया थोड़ी कन्फ्यूज थी।
पिया का चेहरा एक पल को गम्भीर हुआ, फिर वह ज़बरदस्ती मुस्कराई और बोली, “हाँ बेटा, लेकिन कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ नया ट्राई करना चाहिए। प्रोफेसर वाली जॉब मैंने छोड़ दी है… अब एक कंपनी जॉइन की है।”
वह जानती थी कि अनाया ज़रूर और भी सवाल करेगी, इसलिए पहले से ही खुद को तैयार करके आई थी।
पिया ने जल्दी से आगे कहा, “वैसे भी ऑफिस का टाइम बहुत फिक्स है, और हम दोनों को टाइम मिल जाएगा साथ में। तुझे टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है।”
अनाया ने थोड़ी देर तक अपनी मॉम को देखा… फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली, “ठीक है मॉम… लेकिन वादा करो, आप मेरे साथ डिनर करोगी आज?”
पिया ने उसका माथा चूमा और कहा, “पक्का। आज सिर्फ हम दोनों… डिनर और ढेर सारी बातें।”
अनाया हँस दी, और पिया ने चैन की एक साँस ली। वह जानती थी कि अब भी बहुत कुछ ठीक करना बाकी था… लेकिन एक शुरुआत तो हो ही चुकी थी।
फिर वह अपने रूम में चली गई। दरवाज़ा बंद करते ही थकान से एक लंबी साँस ली।
पिया बिस्तर पर बैठते हुए बुदबुदाई, “थैंक गॉड… अनाया ने ज़्यादा सवाल जवाब नहीं किए। वरना आज तो सच में मुश्किल हो जाती।”
उसने अपने चेहरे पर ठंडा पानी मारा, आईने में खुद को देखा और हल्के से मुस्कराई, “अब बस सब अच्छे से हो जाए… सब कुछ प्लान के मुताबिक।”
और फिर अपने बाल सुखाते हुए सोचने लगी, “कल ऑफिस का पहला दिन है। नई जॉब, नया माहौल… खुद को प्रूव करना होगा। रियान को भी कोई शक नहीं होना चाहिए कि मेरे दिमाग में कुछ और प्लानिंग चल रही है।”
फिर वह खुद से धीरे से बोली, “चलो, जल्दी से डिनर कर लेती हूँ… कल सुबह जल्दी उठना है, फर्स्ट डे है… लेट नहीं होना चाहती।”
फ्रेश होकर पिया अपने रूम से बाहर निकली। पूरे दिन की थकान उसके चेहरे पर साफ़ झलक रही थी, लेकिन उसके अंदर एक हल्की सी राहत थी कि आज कुछ तो ठीक हुआ।
डाइनिंग टेबल पर पहुँचते ही अनाया ने उसकी तरफ देखा और बोली, “मॉम, आप बहुत थकी हुई लग रही हो… खाना लगाऊँ?”
पिया मुस्कुरा दी, और मुस्कुराते हुए बोली, “नहीं बेटा, मैं कर लूँगी… तुम बैठो।”
अनाया टेबल पर बैठ गई और पिया ने अपने लिए खाना परोसा। हर बाइट के साथ उसके मन में एक ही ख्याल चल रहा था, “कल से सब कुछ बदल जाएगा। अब मुझे मज़बूत बनना होगा… अपने लिए, और अनाया के लिए।”
खाना खाते हुए उसने अनाया से हल्की-फुल्की बातें कीं, जैसे कुछ भी बदला ही ना हो। वह नहीं चाहती थी कि अनाया उसके अंदर के डर या चिंता को महसूस करे।
डिनर खत्म करते हुए अनाया ने पूछा, “मॉम, नई कंपनी में आप क्या करेंगी?”
पिया ने तुरंत जवाब दिया, “कुछ क्रिएटिव काम है, थोड़ा चैलेंजिंग… लेकिन अच्छा लगेगा।”
अनाया ने सिर हिलाया और बोली, “गुड… मैं भी कल कॉलेज जल्दी जाऊँगी। आप भी जल्दी सो जाना, ओके?”
रियान अब भी टेबल पर बैठा था। चुपचाप, बिना किसी एक्सप्रेशन के। जैसे वह बस सुन रहा हो, सब कुछ नोट कर रहा हो।
जैसे ही अनाया उठकर अपने रूम की तरफ गई, पिया भी उठने लगी। तभी रियान ने सिर उठाया और उसकी तरफ देखते हुए बोला, “कंग्रैचुलेशंस… उम्मीद है यह जॉब तुम्हारे लिए बहुत यादगार रहे।”
उसका अंदाज़ बिल्कुल नॉर्मल था, लेकिन पिया को कुछ अजीब सा लगा।
वह उसकी तरफ देखने लगी।
रियान ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “हाँ… अच्छी-अच्छी यादें, जितनी खुश हो न इस जॉब को लेकर, उतनी ही अच्छी-अच्छी यादें क्यों न छोड़ जाए यह तुम्हारे अंदर।”
पिया कुछ सेकंड तक चुप रही। उसके मन में कई सवाल थे, पर उसने कुछ नहीं कहा।
रियान बस हल्के से मुस्कुराया, और अपने ग्लास में बची ड्रिंक को एक सिप में खत्म कर दिया।
पिया उठकर अपने रूम में सोने चली गई।
अगली सुबह 7:00 बज रहे थे। सुबह की पहली किरण कमरे में आते ही पिया की आँख खुल गई। अलार्म बजने से पहले ही वह उठ गई थी।
आज उसका पहला दिन था… नई जॉब, नई शुरुआत।
थोड़ी देर बाद तैयार होकर वह घर से निकल पड़ी। पिया बस में बैठी थी, पर उसके मन में हल्का-हल्का डर भी था, और कुछ उम्मीदें भी।
जब वह ऑफिस की बिल्डिंग के सामने पहुँची तो उसने एक गहरी साँस ली और खुद से कहा, “चलो पिया… अब सब अच्छा होगा।”
जैसे ही वह ऑफिस के अंदर पहुँची, रिसेप्शन पर बैठी लड़की मुस्कुराकर बोली, “गुड मॉर्निंग मैम, प्लीज़ यहाँ वेट कीजिए। आपके डॉक्यूमेंट्स और जॉइनिंग लेटर लेकर आते हैं।”
कुछ ही देर में एक और लड़की उसके पास आई, हाथ में कुछ पेपर्स थे।
वह पिया को देखते हुए बोली, “मैम, ये आपकी जॉइनिंग फॉर्मेलिटीज़ हैं। प्लीज़ यहाँ साइन कर दीजिए।” उसने फाइल पिया की ओर बढ़ा दी।
पिया ने मुस्कुराते हुए पेन उठाया और बिना देर किए सारे डॉक्यूमेंट्स पर साइन कर दिए।
एक संतुष्टि थी उसके चेहरे पर… जैसे सब कुछ धीरे-धीरे ठीक होने लगा हो।
शाम होते-होते पूरा दिन एकदम स्मूथ बीता। पिया अपनी टेबल समेट रही थी कि तभी पीछे से आवाज़ आई, “मैम, प्लीज़ थोड़ी देर और रुकिए… हमारे सीईओ आज पहली बार ऑफिस आ रहे हैं और उन्होंने सभी नए एम्प्लॉइज़ से मिलने का कहा है।”
पिया थोड़ा चौंकी, लेकिन उसने सिर हिलाते हुए कहा, “ओके… मैं वेट कर लूँगी।”
अब वह वहीं एक कोने में बैठी थी… मन में थोड़ी सी बेचैनी थी कि कौन होगा वह इंसान…
और जाने क्यों, एक अजीब सी हलचल उसके अंदर उठ रही थी… बिना किसी वजह के।
तभी ऑफिस के लॉबी में हलचल बढ़ गई थी। कुछ लोग मोबाइल से तस्वीरें लेने लगे। कुछ अपनी टाई और बाल ठीक करने में लग गए। सबको पता था—सीईओ आ रहे थे।
पिया को एक खूबसूरत सा बुके थमाया गया, और उससे बोला गया, “मैम, आप ही वेलकम कीजिए… आप आज ही तो जॉइन हुई हैं।”
पिया थोड़ी घबराई… लेकिन फिर खुद को संभालती हुई दरवाज़े की तरफ बढ़ गई।
बुके को सीने से लगाए, चेहरे पर सौम्य मुस्कान लिए वह वहीं खड़ी थी।
जैसे ही दरवाज़ा खुला, चार-पांच लोग तेज़ी से अंदर आए। उनके बीच में एक शख्स तेज़ क़दमों से चलता हुआ पिया की तरफ़ बढ़ा।
पिया ने बुके थोड़ा और ऊपर किया… लेकिन जैसे ही उसकी नज़र उस चेहरे पर पड़ी—वह एक पल को वहीं थम गई।
उसके होठों की मुस्कान जम गई, साँसें जैसे रुक गई हों।
उसके सामने… रियान खड़ा था। वही रियान… जिसकी मौजूदगी अब तक उसके दिल की धड़कनों से जुड़ी थी।
रियान का चेहरा बिल्कुल शांत था। उसकी आँखों में न कोई हैरानी थी, न कोई सवाल—बस एक गहरा ठहराव।
वह पिया की तरफ़ आया, बिल्कुल करीब। पिया ने काँपते हाथों से बुके उसकी ओर बढ़ाया।
रियान ने बुके लिया… और उसी पल, अपने दूसरे हाथ से पिया का हाथ पकड़ लिया।
एक ऐसा स्पर्श… जो किसी और ने नहीं देखा।
बस पिया ने महसूस किया—उसकी उँगलियों की पकड़, उसकी गर्माहट… और वह सिहरन जो उसकी रग-रग में दौड़ गई।
रियान के चेहरे पर वही हल्की सी मुस्कान थी।
उसने धीरे से फुसफुसा कर कहा, “फर्स्ट डे है ना… थोड़ा तो यादगार होना चाहिए।”
पिया कुछ नहीं कह पाई। वह बस बिना हिले-डुले खड़ी रही… उसकी नज़रें सीधी रियान की नज़रों से उलझी हुई थीं। दिल की धड़कनें बिना उसकी मर्ज़ी के तेज़ दौड़ रही थीं।