PROFESSOR × STUDENT HE FALL FIRST SHE FALL HARD
Inara
Heroine
Ruaan
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व्हाइटबोर्ड उसे मोटे काले अक्षरों और उबाऊ भावों के साथ घूर रहा था जबकि वो तो क्लास के बीच में बिना किसी भावना के खिड़की से बाहर देख रही थी जबकि क्लास चल रही थी। प्रोफेसर हमेशा की तरह पढ़ा रहे थे। और हमेशा की तरह उसका शरीर मौजूद था लेकिन उसका मन कही ओर ही था। कोई नहीं जानता था कि वह क्या सोचती थी? उसका चेहरा हमेशा एक कोरे कागज़ की तरह दिखता था।
कभी-कभी, कोई दूसरा इन्सान उसे पत्थर की मूर्ति समझ सकता था, अगर वह उस समय क्लास में आता जब प्रफेसर पढ़ा रहे होते और उसे खिड़की से बाहर देखते हुए देखता, बिना हिले-डुले। केवल जब वह पलक झपकाती, तभी कोई उसके और पत्थर की मूर्ति के बीच अंतर बता सकता था।
जो भी प्रफेसर पढ़ा रहा था, उसमें उसकी कोई रुचि नहीं थी। वह बस अपनी ही दुनिया में खोई हुई थी। अब, उसके प्रफेसर और दूसरे स्टूडेंट्स भी उसकी परवाह नहीं करते थे, वे उसे अनदेखा करते थे, जैसे वह उन्हें अनदेखा करती थी, जैसे वे कभी वहाँ थे ही नहीं। आखरी में क्लास खत्म हो गई। "क्या मैं सभी स्टूडेंट्स का ध्यान आकर्षित कर सकता हूँ।" प्रफेसर ने गंभीरता से कहा। एक बार उसने खिड़की से बाहर देखने से अपनी नज़र हटाई। और प्रफेसर की ओर देखा।
प्रफेसर ने सभी छात्रों को मुस्कुराते हुए कहा, "डीयर स्टूडेंट्स, मैं बहुत खुश हूँ कि मुझे आप जैसे लोगों को पढ़ाने का मौका मिला। यह कुछ ऐसा था जिसने मुझे बहुत खुशी दी। हालाँकि, अब समय आ गया है जब मुझे आप लोगों को पढ़ाना ना होगा। मैं ईमानदारी से आपको छोड़ना नहीं चाहता। लेकिन मुझे जाना होगा क्योंकि मेरे लिए जाना ज़रूरी है। इसलिए, आज मेरी आखिरी क्लास थी।"
सभी स्टूडेंट्स यह सुनकर हैरान रह गए, सिवाय एक के और वह कोई और नहीं बल्कि वो थी। स्टूडेंट्स प्रफेसर से विनती कर रहे थे कि वह न जाए, रुक जाए, कह रहे थे कि उन्हें उसकी याद आएगी। लेकिन वह अभी भी हमेशा की तरह चुप थी।