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Our journey of love

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यह कहानी है एजेंट जोया और डॉक्टर विवान की मुझे एक केस के सिलसिले में मुलाकात हुई थी उसके बाद दोनों के बीच बढ़ती नजदीकी में ऐसा रंग दिखाया कि दोनों एक दूसरे के प्यार में पागल हो गए। अब देखना यह होगा कि क्या इन दोनों का प्यार मुकम्मल होता है और साथ ही...

Total Chapters (24)

Page 1 of 2

  • 1. Our journey of love - Chapter 1

    Words: 1771

    Estimated Reading Time: 11 min

    कोलकाता, बनर्जी हाउस एक लड़की अपने कमरे में बैठकर लैपटॉप पर काम कर रही थी। उसकी आँखें लगातार लैपटॉप पर टिकी हुई थीं। सफ़ेद रंग के वायरलेस ब्लूटूथ हेडफ़ोन उसके कानों में थे। वह काम में इतनी गम्भीर थी कि जैसे-जैसे वह काम करती गई, उसके चेहरे पर शिकनें आती गईं। उस लड़की के फ़ोन की घंटी बजी। उसने फ़ोन उठाया। स्क्रीन पर "सर" नाम धीरे-धीरे फ़्लैश हो रहा था। उसे देखकर उसने तुरंत फ़ोन उठाते हुए कहा, "यस सर।" फ़ोन के दूसरे सिरे से कड़क आवाज़ आई, "एजेंट जोया, हमारे पास एक नया केस आया है। उत्तर प्रदेश के बनारस में एक ऐसा वायरस आया है जिससे लोग तुरंत बीमार हो रहे हैं। अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन बहुत लोग मरने के कगार पर पहुँच चुके हैं। किसी के पास इसका कोई वैक्सीन या दवा नहीं है। और हमें यह 100% पता है कि यह हमारे किसी देशद्रोही का ही काम है, क्योंकि बनारस हमारे देश का हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थान है, जहाँ देशद्रोही ने सबसे पहले हमला करने की योजना बनाई।" जोया ने जवाब दिया, "हाँ सर, मैं भी इस ख़बर को पढ़ रही थी। हमें जल्द से जल्द इसके बारे में जानकारी जुटानी होगी।" हेड ने कहा, “जोया, मैंने तुम्हें इसलिए कॉल किया है क्योंकि हमारे विभाग ने तुम्हें इस केस के लिए चुना है। तुम्हें बनारस जाकर इस केस की जाँच करनी होगी। तो तुम जल्द से जल्द बनारस के लिए निकलने की तैयारी करो। मुझे तुम पर पूरा भरोसा है कि तुम इस केस को संभाल सकती हो।" "मैं ज़रूर आपके भरोसे पर खरा उतरूँगी," ऐसा कहते हुए जोया ने फ़ोन रख दिया। उसने अपना फ़ोन बिस्तर पर फेंक कर वापस टेबल पर बैठ गई। जोया अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपाते हुए कहती है, "अब जल्द से जल्द मुझे बनारस जाकर इस वायरस को फैलाने वाले के बारे में पता लगाना होगा, और कोई अच्छा डॉक्टर इस वायरस की दवा या वैक्सीन निकाल पाए, ताकि लोगों की जान बच सके।" ऐसा कहते हुए जोया वापस अपने लैपटॉप पर वायरस के बारे में पढ़ने लगी। इंदौर, मध्य प्रदेश, अहूजा हॉस्पिटल अहूजा हॉस्पिटल इंदौर का नंबर वन हॉस्पिटल था। यह हॉस्पिटल अपनी चिकित्सा सुविधाओं के लिए बहुत प्रसिद्ध था। यहाँ पर कोई भी ऐसा केस नहीं था जिसमें लोगों की कोई आपत्ति हुई हो। अहूजा हॉस्पिटल के मीटिंग केबिन में सभी लोग बैठे थे। सभी के चेहरे पर चिंता थी। उनके सामने हॉस्पिटल के अध्यक्ष, रणवीर आहूजा, बैठे थे। रणवीर आहूजा को देखकर एक डॉक्टर ने कहा, "सर, हमें जल्द से जल्द इस वायरस की दवा निकालनी होगी। नहीं तो यह पूरे देश में फैल जाएगा।" एक अन्य डॉक्टर ने कहा, "हाँ, और हमारे हॉस्पिटल को नोटिस भी आया है कि हमें इस बारे में जानकारी जुटानी होगी, और इसका इलाज और फार्मेसी को रिपोर्ट देनी होगी।" "लेकिन इसके बारे में पता कैसे चलेगा?" तीसरे डॉक्टर ने कहा। "वायरस के बारे में तभी पता चलेगा जब हम वहाँ जाकर इस वायरस के मरीज़ों का चेकअप करेंगे। जब तक हम मरीज़ों को नहीं देखेंगे, हमें बीमारी के बारे में पता नहीं चलेगा।" सभी ने अपनी गर्दन घुमाकर पीछे देखा। गेट पर एक लड़का खड़ा था। उसने नीले रंग का मेडिकल ड्रेस पहना हुआ था, ऊपर सफ़ेद कोट और गले में स्टेथोस्कोप था। उस लड़के को देखकर एक डॉक्टर ने कहा, "लेकिन डॉक्टर वियान, हम कैसे वहाँ जा सकते हैं? यह कोई साधारण बीमारी नहीं है, यह वायरस है, यह तुरंत फैल सकता है। इसमें हम सब की जान खतरे में पड़ सकती है।" उस डॉक्टर की बात सुनकर वियान ने कहा, "हमारा मेडिकल क्षेत्र इतना कमज़ोर नहीं है कि वायरस को नियंत्रित न कर पाए। और रही बात हमारी बीमार होने की, तो हम डॉक्टर हैं, हमें अपने से पहले लोगों के स्वास्थ्य के बारे में सोचना होगा।" लड़का रणवीर जी को देखकर कहता है, "पापा, हम कल बनारस में एक मेडिकल कैंप लगाते हैं। ताकि वहाँ के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण हो पाए, और हमें उस वायरस के बारे में पता चले।" रणवीर जी का बेटा, वियान अहूजा, कहानी का नायक और एक कुशल डॉक्टर है। वियान अहूजा हॉस्पिटल का नंबर वन डॉक्टर है। उसने ऐसे केस हैंडल किये हैं जो बहुत कम डॉक्टर हैंडल कर पाते हैं। उसने अपने अच्छे इलाज से लोगों को जीवनदान भी दिया है। अपने बेटे की बात सुनकर रणवीर जी मुस्कुराते हुए खड़े होते हैं और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहते हैं, "मुझे तुम पर यही भरोसा था कि मेरा बेटा इस केस को ज़रूर सुलझाएगा।" अपने पिता की बात सुनकर वियान उन्हें देखते हुए कहता है, "पापा, हमारा हॉस्पिटल ऐसे ही नंबर वन नहीं है इंदौर में, बल्कि भारत में भी टॉप 10 में आता है, तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम इस वायरस को ख़त्म करें।" ऐसा कहकर वियान वहाँ से चला जाता है। उसके जाने के बाद सभी डॉक्टर एक-दूसरे को देख रहे थे। लेकिन किसी के पास कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई, क्योंकि वे जानते थे कि वियान जो सोच लेता है, वह करके ही दम लेता है। वियान अपने केबिन में बैठकर इस वायरस की केस फ़ाइल पढ़ रहा था। तभी उसके केबिन में एक लड़का आता है। वह लड़का इतनी जल्दी में आया था कि वह सीधे वियान के सामने रखी कुर्सी से टकराते-टकराते बचा। उस लड़के को देखकर वियान ने अपनी एक भौं चढ़ाते हुए कहा, "इतनी जल्दी तुझे किस बात की है जो तूफ़ान की तरह आ रहा है?" लड़का वियान की बात काटते हुए कहता है, "यह सब छोड़ो, तू बनारस जाने की सोच रहा है, वहाँ पर इतना बड़ा कोहराम मचा हुआ है और तू वहाँ जाकर मेडिकल कैंप खोलेगा, क्या तू पागल हो गया है?" ऐसा कहते हुए वह लड़का वियान को घूर कर देखता है। वियान उसे देखते हुए कहता है, "लक्ष्य, अकेला मैं नहीं, तू भी मेरे साथ जा रहा है, क्योंकि तू भी हमारे अस्पताल का बेस्ट डॉक्टरों में से एक है।" वियान की बात सुनकर लक्ष्य की साँसें अटक गईं। वह उसे देखते हुए कहता है, "तू पागल है, तू मेरा दोस्त है, दुश्मन नहीं। तू मुझे मौत के मुँह में ले जा रहा है, मैं नहीं जा रहा हूँ।" ऐसा कहते हुए वह कमरे से जाने लगा। तभी वियान हँसते हुए कहता है, "तू मेरा दोस्त बाद में, पहले एक डॉक्टर है, और तू मेरे साथ जा रहा है। अब मैं तुझे घसीट के ले जाऊँ, इससे अच्छा तो इज़्ज़त से मेरे साथ चल।" ऐसा कहते हुए वियान वापस फ़ाइल पढ़ने लगा। लक्ष्य वापस वियान के पास आकर कहता है, "हाँ, मैं हमेशा तेरे कदमों पर चला हूँ, तो आज भी चलूँगा। जैसे तूने मेडिकल चुना तो मैंने भी मेडिकल ही चुना। और तू डॉक्टर बना तो मैं भी डॉक्टर बना।" "तू भले ही मेरे कदमों पर चला हो, लेकिन मेडिकल के रिजल्ट में तू मुझसे ज़्यादा बेहतर था।" ऐसा कहते हुए वियान केस फ़ाइल बंद करते हुए डेस्क पर रखता है और कुर्सी पर लेटते हुए लक्ष्य को देखते हुए कहता है। "मेरा रिजल्ट भले ही अच्छा रहता था, लेकिन दिमाग तेरे पास था हमेशा। सौ प्रतिशत अंक पाने वाले ही नंबर वन नहीं होते हैं, दिमाग वाले ही उन्हें पीछे छोड़ देते हैं जिन्हें काम अच्छे से करने आता है।" लक्ष्य इतना कहकर वहाँ से चला जाता है। लक्ष्य की बात सुनकर वियान मुस्कुरा देता है। शाम को वियान अपने घर, आहूजा हाउस आता है, और आते ही वह सीधे अपने कमरे में ताज़ा होकर कुछ काम करने लगता है। तभी वियान की माँ, आशिका जी, वियान के कमरे में आती हैं और वियान को देखकर कहती हैं, "वियान, तुम बनारस जा रहे हो।" आशिका जी के चेहरे और आवाज़ में चिंता झलक रही थी, जिसे वियान समझ गया कि वियान के बनारस जाने से आशिका जी परेशान हैं। तभी वियान अपनी माँ को कंधे से पकड़कर बिस्तर पर बिठाता है, और खुद उनके पैरों के नीचे बैठकर कहता है, "मॉम, जब मैंने यह मेडिकल क्षेत्र चुना था, तो मैंने अपने से पहले अपने मरीज़ों और लोगों की जान बचाने के बारे में सोचा था। इसलिए मुझे लोगों की जान बचाने के लिए थोड़ा जोखिम तो उठाना होगा।" वियान की बात पर आशिका जी की घबराहट साफ़ दिखाई देती है, "लेकिन बेटा, अगर तुझे कुछ हो गया तो... ये सब मत करो। तेरी जगह किसी और को भेज देंगे।" वियान उनके हाथों में अपना हाथ लेते हुए कहता है, "नहीं मॉम, ऐसा नहीं हो सकता। मुझे ही जाना होगा, मैं अपने फैसले से पीछे नहीं हटना चाहता।" ऐसा कहते हुए वियान अपनी माँ के सिर पर हाथ रखकर आँखें बंद कर लेता है। आशिका जी भी वियान के सिर पर हाथ फेरने लगती हैं। आशिका जी के चेहरे पर अभी भी चिंता साफ़ दिखाई दे रही थी, आख़िर उनका दिल एक माँ का था और एक माँ अपने बच्चों को कभी भी परेशानी में जाते हुए नहीं देख सकती है। कोलकाता जोया ने भी अपने पिता को इस केस के बारे में सब कुछ बता दिया था। उन्होंने जोया को इस केस में शामिल होने की अनुमति दे दी थी, लेकिन संजीव जी ने जोया को ख़ास हिदायत दी थी कि वह अपना ख़्याल रखे और अपनी सुरक्षा पर जरा भी चूक न करे। जोया ने अपनी माँ से बस इतना कहा था कि वह अपनी बहन सोनिया से मिलने बनारस जा रही है। सोनिया बनर्जी जोया की छोटी बहन है, जो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की अंतिम वर्ष की छात्रा है। जोया उसी से मिलने के बहाने में अपनी माँ से अनुमति ले लेती है। अब जोया को जल्द से जल्द बनारस पहुँचना था, ताकि वह इस वायरस के जड़ तक पहुँच पाए और पता लगा सके कि किसने इस वायरस को फैलाया था। साथ ही, वह ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी कि जल्द से जल्द कोई इस वायरस का टीका निकाल पाए। इधर इंदौर में भी वियान अपनी माँ को समझाने के बाद अपनी पैकिंग करने लगा है। उसे भी कल बनारस के लिए निकलना था। वियान के दिमाग में यह बात चल रही थी कि किसने इस वायरस को इस तरह से फैलाया है। उसे इस बात पर भरोसा था कि अगर इस वायरस को फैलाने वाला मिल जाए तो उसके पास इसकी दवा भी होगी। वह भी मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना करता है कि जल्द से जल्द वह वायरस फैलाने वाले को कोई पकड़ ले, ताकि इस वायरस की दवा भी मिल पाए। जोया और वियान के हालात भले ही अलग थे, लेकिन दोनों का एक ही लक्ष्य था: इस वायरस को ख़त्म करना। भले ही एक का काम था वायरस की दवा निकालना, और एक का काम था वायरस फैलाने वाले को पकड़ना। क्या यह काम करते-करते दोनों एक-दूसरे से मिलेंगे, और साथ मिलकर इस महामारी को फैलने से रोक पाएँगे? जानने के लिए आगे पढ़ें।

  • 2. Our journey of love - Chapter 2

    Words: 1523

    Estimated Reading Time: 10 min

    जोया अगले दिन बनारस के लिए निकल गई थी। उसे वहाँ जाकर अपना काम एग्ज़ीक्यूट करना था, जिसके लिए उसने अपनी टीम भी तैयार कर रखी थी। जोया की टीम में कौन-कौन था, यह जोया और उसके सिर के अलावा और किसी को नहीं पता था। वह डायरेक्ट जाकर बनारस में ही अपनी टीम से मिलने वाली थी। के दिमाग में अब बस इस वाइरस और वायरस फैलाने वाले के बारे में ही चल रहा था। उसे इतना तो समझ आ गया था कि देश को नुकसान पहुँचाने के लिए ऐसा कुछ किया गया है, लेकिन ऐसा करने के पीछे के कारण जोया को पता लगाने थे। इधर इंदौर, मध्य प्रदेश में, लक्ष्य आहूजा अपने घर से निकल चुका था। वह और वियान दोनों ही अपनी मेडिकल टीम को लेकर बनारस के लिए निकल गए थे। लक्ष्य और वियान दोनों ही ट्रेन से जाने वाले थे। उनकी ट्रेन एक्सप्रेस थी और वह कुछ घंटों में ही बनारस पहुँचने वाले थे। लक्ष्य वियान को घूरते हुए और उसे कोसते हुए जा रहा था। इससे इरिटेट होकर वियान ने कहा, "तूने अब एक शब्द कहा ना, तो तुझे ट्रेन से बाहर फेंक दूँगा।" "तुम मुझे पहले तो मौत के मुँह में ले जा रहे हो, पर सब ट्रेन से बाहर देखेगा तो मुझे ज़िंदा देखना ही नहीं चाहता है।" ऐसा कहते हुए लक्ष्य बच्चों जैसा मुँह बनाता है। वियान को उसकी बात पर हँसी आ गई। वह लक्ष्य को समझाते हुए बोला, "देखो, हमें वहाँ कुछ नहीं होने वाला, इसकी गारंटी मैं लेता हूँ, ठीक है?" ऐसा कहकर वियान ने अपने कानों में हेडफोन डाल दिए ताकि लक्ष्य उससे कोई बात ना करे। कुछ देर में वियान और लक्ष्य अपनी टीम के साथ बनारस पहुँच गए थे। वे बनारस के एक लोकेशन, शिवपुरी, जो बनारस के नॉर्थ-वेस्ट साइड एरिया में थी, गए। वहाँ पर उन्होंने अपने मेडिकल कैंप लगाने की तैयारी शुरू कर दी। वियान तुरंत सारे मरीज़ों की इनफ़ॉर्मेशन कलेक्ट करने लगा और सारे मरीज़ों की मेडिकल हेल्थ रिपोर्ट्स के बारे में सारी इनफ़ॉर्मेशन निकालने लगा। लक्ष्य और वियान दोनों ही अपने-अपने कामों में लग गए थे। रात का समय, वाराणसी रेलवे स्टेशन। जोया ट्रेन से नीचे उतरी। वह बनारस आकर काफी अच्छा फील कर रही थी। यहाँ पर उसे एक अलग ही सुकून मिल रहा था। हालाँकि जोया इससे पहले भी एक बार यहाँ आ चुकी थी, लेकिन सिर्फ़ कुछ घंटों के लिए ही। वह यहाँ से निकल गई थी, लेकिन उन कुछ घंटों का एहसास जोया को अभी तक याद था क्योंकि बनारस शहर उसके फ़ेवरेट भगवान शिव जी का शहर था और वह शिव जी की परम भक्त थी। देर रात जोया ने एक होटल बुक करके वहाँ पर आराम किया। अगली सुबह काम शुरू करना था। अगली सुबह, शिवपुरी में, वियान ने अपना कैंप शुरू कर दिया था। वियान पूरी सफ़ाई और सेफ़्टी से सारे मरीज़ों का चेकअप कर रहा था। उसने इतना तो जान लिया था कि यह बीमारी लोगों पर धीरे-धीरे ही फैल रही है क्योंकि यह बीमारी तकरीबन 1 महीने से है, लेकिन अब तक 40 से 50 मरीज़ ही इसके शिकार हुए हैं। इसका मतलब यह साफ़ था कि यह बीमारी जल्दी नहीं फैलने वाली। इसका मतलब यह था कि वह इस वायरस के बारे में अच्छे से और गहराई से सोच सकता था; कोई जल्दबाज़ी नहीं थी इस काम को लेकर। इधर जोया ने वाराणसी के लक्ष्मीकांत होटल में अपना रूम बुक किया था। वह भी सुबह उठते ही अपने काम में लग गई। वह एक जगह गई जहाँ उसे तीन लोग मिले। वहाँ जाकर वह उनसे मिली। सामने के तीनों लोगों को देखकर जोया मुस्कुराते हुए बोली, "मुझे उम्मीद है कि हम इस जंग को ज़रूर जीतेंगे।" उसकी बात पर सामने खड़े एक लड़के ने जोया के पास आकर उसे गले लगाते हुए कहा, "हाँ, ये जंग हम ही जीतेंगे क्योंकि अब हमारे साथ मास्टरमाइंड एजेंट जोया है।" उस लड़के की बात पर जोया मुस्कुराकर बोली, "हाँ, और हम ये इसलिए भी जीतेंगे क्योंकि हमारे साथ काबिल ACP शिवम बनर्जी है।" उन दोनों को देखकर सामने खड़ी लड़की ने मुँह बनाते हुए कहा, "हाँ, हाँ, हाँ, बस करो अब! भाई का बहन से मिलना हो गया हो तो एक दोस्त एक दोस्त से भी मिल ले।" उसकी बात पर जोया और वह लड़का, जिसका नाम शिवम बनर्जी था, अलग हो गए। (शिवम बनर्जी जोया का बड़ा भाई और ACP था। वह कोलकाता में था, लेकिन इस केस के बारे में पूरे इंडिया के हर एक फ़ील्ड को चुना गया था इस वायरस को रोकने के लिए, इसलिए जोया ने शिवम की भी मदद लेने का सोचा था इस केस के लिए, इसलिए उसने शिवम को भी अपनी टीम में शामिल कर लिया था।) वह लड़की की बात सुनकर जोया मुस्कुरा दी। तभी शिवम उस लड़की को देखते हुए बोला, "तुम्हें हर वक़्त जलन क्यों होती रहती है? तुम्हें बिल्कुल भी नहीं भाता है कि मेरी बहन मुझसे बात करे।" हाँ, बिल्कुल! क्या करूँ?" लड़की आकर जोया के गले लगी। जोया भी उसे गले लगाते हुए बोली, "कैसी हो, सिया?" "मैं ठीक हूँ।" ऐसा कहते हुए सिया ने उसे वापस गले लगाया। तभी एक और लड़के की आवाज़ आई, "अरे, कोई मुझसे भी तो मिल लो! मुझे तो तुम लोगों ने एकदम ही साइड रोल दिया है।" ऐसा कहकर वह लड़का आया और जोया को गले लगाया। "क्या बात है? आजकल जनाब के रंग कुछ बदले हुए दिख रहे हैं। तुम तो काफ़ी हैंडसम दिखने लगे हो।" जोया ने कहा। जोया की बात पर वह लड़का थोड़ा नौटंकी में एटीट्यूड दिखाते हुए बोला, "अब तुम मेरे ऊपर ध्यान ही नहीं देती हो। मैं तो शुरू से ही हैंडसम हूँ, तुम भाव देना तो चालू करो।" उसके बाद जोया ने उसकी बाँह में चिकोटी काटते हुए कहा, "तुम कभी नहीं सुधर सकते।" लड़का भी हँसने लगा। यह लड़का कार्तिक रॉय था, जो जोया के साथ इस टीम में शामिल था। वह भी एक सीक्रेट एजेंट था। वह चारों एक-दूसरे से मिलकर सभी अपने काम में लग गए। जिस जगह वे थे, वहाँ पर एक बहुत ही सीक्रेट रूम बना था जहाँ पर हर जगह CCTV कैमरे की फ़ोटोएँ दिखाई दे रही थीं। ये पूरे बनारस के हर एक जगह के कैमरे की फ़ोटोएँ यहाँ पर दिखाई दे रही थीं। कार्तिक इसे हैंडल कर रहा था। सिया भी उसके साथ यह सब के बारे में इनफ़ॉर्मेशन निकालने का काम कर रही थी। सिया और कार्तिक दोनों कल ही बनारस आकर यह सब के बारे में जानकारी निकालना शुरू कर दिए थे। जोया हर काम को देखते हुए अपने भाई शिवम से बोली, "भाई, हर एक काम हमारे अंदर नहीं हो रहा है अभी, लेकिन हमें जल्द से जल्द इस वायरस की जड़ तक पहुँचना पड़ेगा। आखिर कौन है वह इंसान जो ऐसी बीमारी को फैला रहा है?" "सही बोल रही हो, जोया। मेरी भी पूरी टीम उसे ढूँढने की पूरी कोशिश कर रही है। वह भी इंडिया में ही है। हर जगह उसे ढूँढने के लिए इन्वेस्टिगेशन चल रहा है। जानकारी से यह पता चला है कि वह बनारस में ही है।" शिवम ने जोया को बताते हुए कहा। "चलो, ठीक है।" ऐसा कहते हुए जोया जाकर स्क्रीन पर देखने लगी। तभी सिया एक फ़ाइल लेकर आई और बोली, "हमें अगर बीमारी के बारे में पता लगाना है, तो हमें उन वायरस के पेशेंट से मिलना पड़ेगा और उनसे जानकारी निकालनी पड़ेगी कि उन्होंने ऐसा क्या खाया है या कुछ हुआ उनके साथ जिससे उनके ऊपर यह वायरस आया है।" उसकी बात सुनकर जोया ने कहा, "तुम सही कह रही हो, सिया। हमें यही करना पड़ेगा।" शिवम ने सिया की बात सुनकर उसे चिढ़ाने के लिए कहा, "वह तुम्हारे अंदर दिमाग कब से आ गई? इतना अच्छा आइडिया कैसे तुम्हारे दिमाग में आ सकता है? मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा।" उसके बाद जोया और कार्तिक को हँसी आ गई। उन दोनों को हँसाता देखकर सिया घूरकर शिवम को देखती है और उसे कुछ कहने के लिए आगे बढ़ती है। तभी शिवम उसके दोनों हाथ पकड़ते हुए बोला, "अरे, मैं तो बस मज़ाक कर रहा था।" "तुम हर वक़्त मेरा मज़ाक उड़ाते रहते हो! मैं तुम्हें छोड़ूँगी नहीं, शिवम बनर्जी!" ऐसा कहते हुए सिया ने उसे उंगली दिखाई। शिवम ने उसकी उंगली को साइड करते हुए उसके थोड़े करीब आकर कहा, "तुम मुझे पकड़ो!" शिवम की फ़्लर्टिंग देखकर सिया पीछे हटते हुए बोली, "एसीपी साहब, अपने काम को देखिए, मुझे नहीं!" ऐसा कहकर वह वहाँ से चली गई। शिवम पीछे अपने बालों में हाथ फेरते हुए सिया को जाते हुए देखता है। शिवम के चेहरे पर आए भाव को जोया अच्छे से समझ रही थी। जोया अब इनफ़ॉर्मेशन कलेक्ट करने लगी। तभी जोया को पता चला कि शिवपुरी में एक डॉक्टर ने मेडिकल कैंप खोला है जहाँ पर सारे इस वायरस के पेशेंट का इलाज हो रहा था। जोया को यह बात जानकर काफ़ी खुशी हुई कि कोई डॉक्टर इन सब के बारे में सोच रहा है और इन सब का इलाज भी कर रहा है। जोया ने शिवम, सिया और कार्तिक को इन्फ़ॉर्म किया कि वह कल सुबह ही शिवपुरी जाकर वहाँ के पेशेंट से मिलेंगे और उनके बारे में और सारी जानकारी निकालेंगे। वहाँ के डॉक्टर से उनकी मेडिकल रिपोर्ट्स भी कलेक्ट करेंगे। सभी अब कल की तैयारी करने के लिए जुट गए थे।

  • 3. Our journey of love - Chapter 3

    Words: 1694

    Estimated Reading Time: 11 min

    अगली सुबह जोया, सिया, शिवम और कार्तिक शिवपुर के लिए निकल गए थे।

    जोया सोच रही थी कि आखिर कौन है वह डॉक्टर जो इंदौर से आकर इन मरीजों का चेकअप कर रहा है। जहाँ तक उसने इंटरनेट पर चेक किया था, सभी डॉक्टर्स इस चेकअप के लिए मना कर रहे थे। ऐसा नहीं था कि वे लोग कुछ कर नहीं रहे थे; वे बिना देखे ही एक्शन्स निकालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन यह मेडिकल कैंप खुद मरीजों का चेकअप करके उसके बारे में पता लगा रहा था।

    कुछ देर में वे लोग शिवपुर पहुँच गए।

    जोया को उसके हेड का कॉल आया, और वह दूसरी तरफ जाकर बात करने लगी। इधर, शिवम, सिया और कार्तिक अंदर की ओर गए। वे लोग अपनी नज़रें इधर-उधर कर के देख रहे थे। काफी मरीज़ बिस्तर पर लेटे थे; वे सब दिखने में काफी कमज़ोर लग रहे थे। सभी के मुँह सूख चुके थे; कोई तो चलने की भी हालत में नहीं था। यह सब देखकर उन्हें काफी बुरा लग रहा था।

    सिया जैसे ही मेडिकल कैंप के ऑफिस पहुँची, वहाँ पर लक्ष्य को देखकर चोकते हुए बोली,
    "लक्ष्य भाई आप??"

    लक्ष्य, जो एक फाइल पढ़ रहा था, वह भी नज़रें उठाकर जैसे ही सिया को देखा, हैरानी से देखते हुए बोला,
    "सिया!"

    सिया जाकर लक्ष्य को हग करते हुए बोली,
    "तो ये मेडिकल कैंप आपने खोला है?"

    लक्ष्य ने कहा,
    "यह मेडिकल कैंप करने का इरादा वियान का था।"

    सिया ने पूछा,
    "तो कहाँ है वियान भाई? मुझे उनसे मिलना है।"

    लक्ष्य ने कहा,
    "वो भी आता ही होगा।" ऐसा कहते हुए लक्ष्य ने पीछे कार्तिक और शिवम को देखा।

    शिवम और कार्तिक को भी समझ नहीं आ रहा था कि सिया इसे कैसे जानती है।

    सिया ने उन तीनों को स्पष्ट किया,
    "यह लक्ष्य भाई हैं, मेरे भैया के बेस्ट फ्रेंड और यह जो मेडिकल कैंप लगाया गया है, वह मेरे भाई ने नहीं किया है।"

    सिया की बात सुनकर कार्तिक और शिवम को समझ आ गया कि आखिर माजरा क्या है।

    अब सिया कार्तिक और शिवम को इंट्रोड्यूस करते हुए बोली,
    "भाई, यह कार्तिक मेरा साथ काम करता है और यह एसीपी शिवम।"

    लक्ष्य शिवम से हाथ मिलाते हुए बोला,
    "अरे, आप तो पुलिस वाले हैं! लेकिन आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूँ कि हम यह कैंप लीगली कर रहे हैं, ना कि कोई इललीगल काम के तौर पर। तो आप हमें जेल में मत डाल देना।" ऐसा कहते हुए लक्ष्य हँसा।

    शिवम समझ गया कि लक्ष्य थोड़े मज़ाकिया मिजाज का है। शिवम भी मुस्कुराते हुए बोला,
    "अरे नहीं नहीं! अब तो इतना अच्छा काम कर रहे हैं, मैं इसमें पहले क्यों कुछ दखलअंदाजी करूँगा।"

    वे सब वहीं ऑफिस में बैठे बातें करने लगे।

    इधर, जोया का फोन कटकर अंदर की ओर जाने लगी। उधर से वियान भी अपने कुछ फाइल्स पढ़ते हुए अपने ऑफिस की ओर बढ़ रहा था। तभी जोया का पैर एक टेबल से टकराया, जिसमें उसने अपना बैलेंस बिगाड़ दिया और डायरेक्ट सामने से आते वियान पर जा गिरी।

    वियान, जो ऐसी हरकत के लिए तैयार नहीं था, वह भी खुद को नहीं संभाल पाया और दोनों नीचे जमीन पर एक साथ गिर गए; वियान के ऊपर जोया थी।

    जोया डर से अपनी आँखें बंद किए हुए थी, और वियान जोया को घूर रहा था।

    जब जोया ने अपनी आँखें खोलीं, तो उसकी नज़रें वियान की खा जाने वाली नज़रों से मिल गईं। यह एहसास करते हुए जोया तुरंत वियान के ऊपर से उठते हुए बोली,
    "सो सॉरी! मेरा ध्यान नहीं रहा और मेरा पैर टेबल से टकरा गया और मैं गिर गई। आई एम सो सॉरी! मेरी वजह से आप भी गिर गए।"

    वियान तुरंत उठकर अपने कोट को झाड़ते हुए बोला,
    "देखकर चलिए! मिस, ऐसे गिरती-पड़ती रहेगी तो कैसे चलेगा?"

    जोया ने कहा,
    "अरे मैंने सॉरी तो कहा! आप 'इट्स ओके' भी तो बोल सकते हो।"

    वियान ने कहा,
    "हाँ, तो आपने गलती की, तो आपको सॉरी बोलना तो बनता ही था।"

    जोया उसे देखकर बोली,
    "आप कैसे इंसान हैं? जब मैंने आपको सॉरी कह दिया, तो आप नॉर्मली मुझसे बात कर ही सकते हो। इतनी रूढ़ तरीके से बात करने का कोई मतलब नहीं है, मिस्टर।"

    वियान जोया की इस बात पर पूरी तरह इग्नोर करते हुए अपने फाइल से उठा और केबिन की ओर चला गया। पीछे जोया उसे खिन्न भरी नज़रों से देखते हुए बोली,
    "भलाई का जमाना ही नहीं है! माना कि मेरी गलती थी, लेकिन मैंने तो सॉरी कह दिया, लेकिन इस बंदे का एटीट्यूड! बाप रे! पता नहीं कौन है।"

    जोया वियान को मन ही मन कोसते हुए ऑफिस के अंदर जाने लगी। उसी वक़्त वियान भी ऑफिस के अंदर एंटर कर रहा था। दोनों की नज़रें जैसे ही एक-दूसरे पर टकराईं, दोनों ने एक-दूसरे को इग्नोर कर दिया और एक साथ ऑफिस के अंदर गए। वियान को नहीं पता था कि जोया किस लिए आई है, लेकिन उसने पूछना भी ज़रूरी नहीं समझा। दोनों को यूँ एक साथ अंदर आते हुए देखकर सिया, कार्तिक, शिवम और लक्ष्य की नज़र उन दोनों पर टिक गई।

    सिया तो तुरंत ही वियान को आकर हग करते हुए बोली,
    "भाई! आई मिस यू सो मच!"

    सिया को ऐसे अचानक देखकर वियान ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा,
    "बच्चा! तुम कब आई और यहाँ ऐसे?"

    तभी सिया उसे अलग होते हुए सारी बातें बता देती है। जिसे सुनकर वियान को अच्छा लगा कि वे लोग भी उन्हीं की तरह इन लोगों की जान बचाने के लिए यहाँ पर आए हुए हैं।

    सिया ने एक-एक करके शिवम और कार्तिक को इंट्रोड्यूस किया। फिर वह लास्ट में जोया को वियान से इंट्रोड्यूस करते हुए बोली,
    "भाई, यह हमारी जोया, मेरी बेस्ट फ्रेंड। इसी ने हमें इस प्लेन में शामिल किया है और हमारे सीनियर ने इसे ही इस काम के लिए चुना है।"

    वियान ने जोया को देखा, जो बिल्कुल भी उसकी तरफ नहीं देख रही थी। तभी वियान जोया को देखते हुए बोला,
    "अच्छा, यह तुम लोगों की हेड है? लेकिन इन्हें चलना नहीं आता है।"

    वियान की बात सुनकर जोया ने अपनी आँखें उठाकर उसे घूरा। तभी वियान हँसते हुए बोला,
    "अरे, मैं तो मज़ाक कर रहा था!"

    जोया को बहुत ज़्यादा गुस्सा आया वियान पर, लेकिन वह कुछ कह नहीं सकी थी क्योंकि उसे यहाँ पर काम करना था जिसमें वियान उसकी हेल्प कर सकता था।

    वे सभी वहाँ बैठकर हर एक चीज डिस्कस करने लगे। तभी जोया ने वियान से कहा,
    "मिस्टर वियान..."

    अपने नाम को जोया के मुँह से सुनकर वियान को अजीब सी फीलिंग हुई। वियान ने उसे देखकर हाँ में सिर हिलाया।

    उसका इशारा देखकर जोया मन में सोची, "इसके पास जुबान नहीं है क्या? ऐसे इशारा कर रहा है।" फिर उसने अपने ख्यालों को साइड में रखते हुए वियान से आगे कहा,
    "हमें कुछ मरीजों से बातें करनी हैं कि उन्होंने कुछ खाया है या नहीं, मेडिसिन दिया गया है या नहीं, कैसे उनकी बीमारी स्टार्ट हुई, कहाँ से हुई, यह सब पूछने के लिए हमें मरीजों से बातें करनी हैं। अगर आप हमें परमिशन दें तो हम जाकर पेशेंट से मिलें।"

    वियान ने हाँ बोलते हुए कहा,
    "हाँ, ज़रूर! आप लोग मिल सकते हैं। लेकिन वे लोग पूरे प्रोटेक्शन के साथ पेशेंट से मिलें।"

    जोया, शिवम, कार्तिक और सिया सभी एक-एक करके सारे पेशेंट से बातचीत कर रहे थे। वियान के कहे अनुसार वे लोग पूरे सतर्कता के साथ उन लोगों से बातें कर रहे थे।

    जोया एक आदमी के पास आती है; वह तकरीबन 40-45 साल का होगा। जोया उसके पास आकर उससे पूछती है,
    "आप कब से इस बीमारी का शिकार हैं?"

    वह आदमी अपनी धीमी आवाज से कहता है,
    "लगभग पाँच दिन से।"

    जोया ने पूछा,
    "तो आपने ऐसा क्या खाया है या कुछ आपको हुआ है? या आपको पहले से ही कोई बीमारी थी जिसके कारण आपको यह हुआ है?"

    वह आदमी उसे बताता है,
    "ऐसा कुछ भी नहीं है। हम जैसे नॉर्मली ज़िन्दगी जीते हैं, वैसे ही जी रहे थे। अचानक से पता नहीं हमें कमज़ोरी महसूस होने लगी और हम बेहोश होकर गिर पड़े। फिर जब हमने डॉक्टर से चेकअप कराया तो उन्होंने कमज़ोरी ही बताया। फिर कुछ दिन बाद हमने डॉक्टर की दवा ली, लेकिन कुछ असर नहीं दिखाई दिया। धीरे-धीरे यह मेरे साथ नहीं, पूरे गाँव वालों के साथ होने लगा।"

    जोया ध्यान से उसकी बातें सुन रही थी। तभी जोया ने कुछ सोचते हुए कहा,
    "अच्छा, आपके यहाँ कोई ऐसा इंसान आया था, कोई दूर का, जो आप लोगों को कुछ ऐसा मेडिसिन या कुछ चीज खाने या लेने के लिए देकर गया हो?"

    तभी उस आदमी को कुछ याद आता है और वह जोया को बताता है,
    "एक बार हमारी बस्ती में एक आदमी आया था। वह जाकर उन लोगों से कहा कि वह सरकार की ओर से टीकाकरण करने आए हैं। यह टीकाकरण करने से उन्हें पैसे मिलेंगे, और पैसों के लिए सभी गाँव वालों ने वह इंजेक्शन लगवाया था।"

    जोया को अब कहीं ना कहीं समझ आ चुका था कि यह कहीं उस इंजेक्शन से ही इन लोगों की हालत बनी है।

    वह वापस कार्तिक, सिया और शिवम के पास आती है और उन्हें यह सब बता देती है।

    सिया भी उसे बताती है,
    "हाँ, एक इंसान ने भी मुझे यह कहा कि कुछ दिन पहले कुछ एक लड़की आई थी और उन लोगों ने एक सरकार के नाम पर टीकाकरण किया था।"

    "हमें इसकी जाँच करनी पड़ेगी इससे पहले कि वह और लोगों को बेचा जाए, लेकिन उससे पहले हमें उस गाँव में जाना होगा जहाँ पर यह हो रहा है।"



  • 4. Our journey of love - Chapter 4

    Words: 1512

    Estimated Reading Time: 10 min

    जोया ऑफिस लौटी। सिया, शिवम, कार्तिक, वियान और लक्ष्य पहले से ही वहाँ मौजूद थे। उन्हें देखकर जोया बोली, "हमें पता चल गया है कि यह बीमारी इंजेक्शन की वजह से है। इन्हें इम्यूनिटी और सरकार के नाम पर यह इंजेक्शन लगाया गया।"

    सिया ने कहा, "लेकिन यह तो पूरी तरह से अवैध है। सरकार कभी भी बिना किसी कारण किसी को इंजेक्शन नहीं लगवाती।"

    कार्तिक ने कहा, "बिल्कुल सही।"

    शिवम ने कहा, "मैं जल्द से जल्द उन लोगों का पता लगाता हूँ जिन्होंने यह इंजेक्शन लगाए थे।" वह अपना फोन निकालकर अपने सीनियर से बात करने लगा।


    जोया ने अपने सिर पर उंगली रखकर सोचा कि आखिर इंजेक्शन में क्या मिलाया गया था। फिर वियान और लक्ष्य को देखकर उसने पूछा, "आप दोनों डॉक्टर हैं। आपने इतने मरीज़ों का इलाज किया है। क्या आपको उनके अंदर कोई ऐसा लक्षण दिखा जो सामान्य नहीं होता?"

    वियान ने उत्तर दिया, "नहीं, मिस जोया। सिर्फ़ कमज़ोरी दिखाई दे रही है। इस तरह की कमज़ोरी हमने पहले कभी किसी मरीज़ में नहीं देखी। उनके शरीर के सभी अंग कमज़ोर हो चुके हैं और कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिख रहा है जिससे हम इलाज कर सकें। अभी हम उन्हें इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए दवा और इंजेक्शन दे रहे हैं, लेकिन सीमित मात्रा में, ताकि डोज़ ज़्यादा न हो जाए, नहीं तो उनकी जान भी जा सकती है।"


    जोया उठी और अपनी टीम के सदस्यों से बोली, "चलो, शिवपुरी के उस गाँव चलते हैं जहाँ ये लोग इंजेक्शन लगाने आए थे। वहाँ से कुछ और जानकारी मिल सकती है।"

    जोया के कहने पर सभी शिवपुरी के उस गाँव के लिए निकल पड़े।

    लगभग आधे घंटे बाद वे गाँव पहुँचे। उनकी जीप एक जगह रुकी। सामने शिवजी का एक मंदिर था जहाँ एक पुजारी पूजा कर रहे थे। जोया सीधे पुजारी के पास गई। उसने पहले अपने जूते उतारे, फिर मंदिर के अंदर जाकर पुजारी से पूछा, "पंडित जी, हमें आपसे कुछ सवाल पूछने हैं।"

    पंडित जी ने जोया की बात सुनकर कहा, "हाँ बेटी, कहो। मैं तुम्हारी कैसे मदद कर सकता हूँ?"


    जोया ने पूछा, "पंडित जी, कुछ दिन पहले कुछ लोग यहाँ गाँव में आए थे और सबको एक इंजेक्शन लगाया था। क्या आप बता सकते हैं कि किन-किन लोगों को इंजेक्शन लगाया गया था?"

    पंडित जी ने कहा, "बेटी, उस दिन मैं अपने गाँव गया हुआ था, जो यहाँ से बगल में है। मैं तो यहाँ का पुजारी हूँ, लेकिन मुझे पता चला है कि बहुत से लोगों को एक अजीब बीमारी हो गई है। लोग ठीक से चल भी नहीं पा रहे हैं। उनका शरीर धीरे-धीरे कमज़ोर होता जा रहा है।"

    जोया ने कहा, "तो आप हमें किसी ऐसे व्यक्ति का पता दे सकते हैं जो हमारी मदद कर सके?"

    पंडित जी ने कहा, "हाँ, गाँव के मुखिया से मिलो। वह तुम्हारी ज़रूर मदद करेंगे।"


    पंडित जी ने मुखिया का पता बताया। जोया और बाकी सब मुखिया के घर की ओर चल दिए। जोया एक बड़े से मकान के सामने जीप रोकती है। वह नीचे उतरकर अंदर बढ़ी। सामने खड़ा चपरासी उससे पूछता है, "जी मैडम, क्या बात है? आप यहाँ किसलिए आई हैं?"

    कार्तिक ने कहा, "हमें मुखिया से मिलना है। जल्दी बुलाइए।"

    चपरासी ने कहा, "अरे, मुखिया जी की तबीयत ठीक नहीं है। पाँच दिन से बीमार हैं। वह किसी से मिलने की हालत में नहीं हैं।"


    चपरासी की बात सुनकर चारों एक-दूसरे का मुँह देखने लगे। उन्हें समझ आ गया था कि मुखिया जी भी इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं।


    सिया ने चपरासी से पूछा, "क्या मुखिया जी को कमज़ोरी हो गई है? वह ठीक से चल नहीं पा रहे हैं?"

    चपरासी ने कहा, "हाँ मैडम। कुछ दिनों से उन्हें चक्कर आ रहा था। पाँच दिन पहले वह सीढ़ियों से गिर गए थे चक्कर खाने की वजह से। तब से वह बिस्तर पर ही पड़े हैं। हम सब बहुत परेशान हैं।"

    वह लोग चपरासी की बात सुनकर कन्फर्म हो गए कि मुखिया भी इस बीमारी का शिकार हो चुका है।


    तभी मुखिया का बेटा वहाँ आया। उसने उन लोगों को देखकर पूछा, "कहिए, क्या काम है आप लोगों को मेरे पापा से?"


    जोया ने कहा, "जी, हमें मुखिया जी से इतना जानना था कि लगभग एक महीने पहले कुछ लोग आकर पूरे गाँव को एक इंजेक्शन दिया था। सरकार के नाम पर।"


    मुखिया के बेटे ने कहा, "हाँ मैडम, पूरे गाँव वाले बीमार हैं। बस हम कुछ लोग ही बचे हैं जिन्हें इंजेक्शन नहीं लगा। हम उस समय काम से बाहर गए हुए थे। पता नहीं कौन लोग थे, जिनकी वजह से मेरे पापा की भी यह हालत हो गई है।"

    सिया ने मुखिया के बेटे से कहा, "आप पास में लगे मेडिकल कैंप में जाकर अपने पापा का चेकअप करवाइए।"


    सिया ने उसे वियान के मेडिकल कैंप का कार्ड दिया। मुखिया का बेटा वह कार्ड ले लेता है। जोया ने सिया से और कार्ड मांगे। सिया ने पूछा, "तुम और कार्ड करके क्या करोगी?" जोया ने कहा, "अरे, देना।" सारे कार्ड लेते हुए उसने मुखिया के बेटे को दिए, "ये कार्ड उन सभी लोगों को दे दीजिए जो बीमार हैं। उनका चेकअप करवाने के लिए मेडिकल कैंप भेज दीजिए।"


    इतना कहकर जोया और बाकी सब वहाँ से निकल गए। शिवम गाड़ी चला रहा था। वह गाड़ी चलाते हुए बोला, "यह केस बहुत अजीब है। सबको इंजेक्शन लगा, लेकिन किसी को नहीं पता कि लगाने वाला कौन था और कहाँ से आया था?"

    कार्तिक ने कहा, "ऐसे तो हम कभी इस केस को सॉल्व नहीं कर पाएँगे।"


    जोया उनकी बात सुन रही थी। उसकी नज़र अचानक खिड़की के बाहर एक आदमी पर पड़ी जिसका चेहरा पूरी तरह ढका हुआ था। आदमी की हालत देखकर उसे बहुत अजीब लगा। जोया की नज़र उसके हाथ में लगे बैग पर गई जो बहुत महंगा लग रहा था और उस पर एक टैग लगा हुआ था। आदमी को देखकर नहीं लग रहा था कि वह बैग उसका है। जोया ने तुरंत शिवम को रुकने को कहा। शिवम अचानक गाड़ी रोकता है और जोया से पूछता है, "क्या बात है?"


    जोया ने बिना जवाब दिए जीप से उतरकर उस आदमी के पीछे भागी। वह आदमी एक छोटी सी गली में जा रहा था। जोया ने उसे रोकते हुए कहा, "अरे, रुकिए। मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"


    वह आदमी पीछे मुड़ा और जोया को देखकर घबरा गया। उसने बैग वहीं छोड़कर भाग गया। जोया उसके पीछे भागी, लेकिन वह आदमी नहीं रुका। कुछ देर बाद जोया वापस वहाँ आई जहाँ आदमी ने बैग छोड़ा था। तब तक शिवम, कार्तिक और सिया भी वहाँ पहुँच चुके थे। उन्होंने पूछा, "क्या बात है? तुम उसके पीछे क्यों गई?"

    जोया ने बैग की ओर इशारा करते हुए कहा, "उस आदमी की हालत देखकर और यह बैग देखकर नहीं लगा कि यह बैग उसका है। इसमें कुछ गड़बड़ है।"


    जोया ने कार्तिक से कहा कि वह बैग चेक करे। कार्तिक ने दस्ताने पहनकर बैग चेक किया। उसे खोलते ही बहुत सारे अजीब तरह के रैपर मिले। सब में एक ही टैग लगा था, जो शेर के पंजे जैसा दिख रहा था। जोया समझ गई थी कि यह केस से जुड़ा हुआ है।

    जोया बैग अपने साथ ले गई।

  • 5. Our journey of love - Chapter 5

    Words: 1174

    Estimated Reading Time: 8 min

    जोया को एक बैग मिला था जिसमें कुछ अजीब तरीके से लिपटे रैपर थे। जोया को उसे बारे में कुछ समझ नहीं आ रहा था।


    जोया अपने ऑफिस में आ चुकी थी। जोया ने आते ही कार्तिक को रैपर्स को टेस्टिंग लैब पर ले जाकर जाँच करने को कहा। कार्तिक उसके कहे अनुसार गया और रैपरों की जाँच करने लगा।


    कुछ देर में कार्तिक सारी रिपोर्ट्स लेकर आया। उसके चेहरे पर बहुत से अजीब भाव थे। जोया ने पूछा, "क्या हुआ?"


    कार्तिक थोड़े परेशानी भरे भाव से बोला, "ये रैपर इंजेक्शनों के हैं। ये इंजेक्शन शायद इन गाँव वालों को लगाए गए हैं।"

    "व्हाट?" जोया ने कहा।

    "हाँ, ये सारे खाली इंजेक्शनों के रैपर हैं।" कार्तिक ने बताया।

    "मतलब कि इतने सारे इंजेक्शन लोगों को लगाए गए? आर यू सीरियस? इसका मतलब है कि सिर्फ़ वो गाँव ही नहीं, आस-पास के गाँव वालों को भी इंजेक्शन लगाए गए हैं।" जोया ने कहा।

    "एक्जेक्टली।" कार्तिक ने उत्तर दिया।


    सिया, जो बाकी की जानकारी इकट्ठा कर रही थी, एक डाटा पेपर लेकर आई और जोया के हाथ में देते हुए बोली, "ये लो देखो। अब तो लोगों की मौत भी होना शुरू हो गई है। मेरे भाई ने जो कैंप खोला है, वहाँ के लोग तो बच रहे हैं, लेकिन आस-पास के और गाँवों में भी इस बीमारी के शिकार हैं, जिसके बारे में हमें इतना अच्छे से पता नहीं था।"


    "तो तुम अपने भाई को बोलो कि वहाँ भी मेडिकल कैंप लगाए। एक जगह लगाकर उसे क्या मिल रहा है?" जोया ने कहा।

    "अरे, भैया अकेले कैसे देखेंगे? उन्होंने मुझे बताया कि इस बीमारी की जाँच करने के लिए कोई डॉक्टर हाथ लगाना नहीं चाहता। उन्हें डर है कि कहीं ये बीमारी न फैल जाए।" सिया ने कहा।

    "लेकिन ये बीमारी जल्दी फैलने वाली बीमारी नहीं है, लेकिन अगर इसे रोका नहीं गया तो ये बहुत जल्द लोगों में फैलने के कगार पर आ जाएगी। अभी मुश्किल से चार-पाँच गाँवों को ही उन्होंने टारगेट किया है।" जोया ने कहा।

    "तुम अपने भाई को बोलोगी कि वो अगर हो पाए तो गवर्नमेंट से और मेडिकल कैंप लगाने की अपील करे।" जोया ने कहा।


    सिया चिढ़ते हुए बोली, "तुम मुझे ये सब क्यों कह रही हो? एक काम करती हूँ, मैं तुम्हें अपने भाई का नंबर दे देती हूँ, तुम ही बात कर लेना।"

    जोया मुँह बनाते हुए बोली, "मुझे तुम्हारे उस खड़ूस भाई से बात नहीं करनी।"

    "क्यों? ऐसा क्या हुआ? मेरे भाई बहुत अच्छे हैं, समझ में आया?" सिया ने पूछा।

    जोया वहाँ से आगे बढ़ते हुए बोली, "सिर्फ़ तेरे लिए अच्छे, बाकी सब के लिए रूड़े रहते हैं।"

    सिया थोड़ा उसे चिढ़ाने के लिए बोली, "तेरे और उनके कुछ हुआ है क्या?"


    जोया रुक कर पलटी और उसे घूरते हुए बोली, "तेरे कहने का क्या मतलब है?"

    सिया अपनी बात सम्हालते हुए बोली, "अरे, मेरा मतलब है कि कुछ नहीं, मतलब लड़ाई-झगड़ा या कुछ बहस।"


    सिया की बात सुनकर जोया को वो इंसिडेंट याद आ जाता है जब वो वियान से टकराई थी और दोनों नीचे जमीन पर गिर पड़े थे।


    जोया को कुछ न बोलते देख सिया उसे छेड़ते हुए बोली, "अब बोल तो, क्या प्रॉब्लम हो गया तुझे मेरे भाई से?"


    जोया अपने होश में आई और सिया को देखकर बोली, "सिया, कुछ भी नहीं। अपना काम करते हैं। हमसे वैसे भी टाइम बहुत कम है।"


    सभी लोग अब जी जान लगाकर इस केस को सुलझाने के लिए जुट गए।


    सिया और जोया सारी जानकारी अच्छे से इकट्ठा कर रही थीं, इस मुद्दे से जुड़ी। जोया जैसे-जैसे अपने काम को आगे बढ़ा रही थी, वैसे-वैसे उसके कन्फ्यूज़न बढ़ते जा रहे थे। उसे इसका कोई हल नज़र ही नहीं आ रहा था।


    शिवम भी अपनी पुलिस टीम को हर जगह फैला चुका था ताकि वो लोग कहीं से भी पकड़े जा सकें जो ये ग़ैरकानूनी काम कर रहे थे।


    इधर कार्तिक अपने टेस्टिंग डिपार्टमेंट में उन इंजेक्शन के रैपरों से जानकारी निकालने की कोशिश कर रहा था ताकि उन्हें कोई सुराग मिल जाए।


    दूसरी ओर, सिया ने वियान को कॉल करके बता दिया था कि और भी लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। उसने अपने सारे मेडिकल मेंबर्स को और कैंप जल्द से जल्द लगाने के लिए निर्देश दिया।


    वियान के इस जज़्बे को देखकर बाकी मेडिकल मेंबर भी अब मेडिकल कैंप खोलने के लिए काफी हद तक राजी हो चुके थे। वे जल्द से जल्द हर एक इलाके में अपना मेडिकल कैंप लगाने की तैयारी कर रहे थे।


    इधर लक्ष्य और वियान भी मिलकर सारे मेडिकल स्टाफ की देखरेख कर रहे थे।


    वियान और लक्ष्य सारे मरीज़ों को चेक कर रहे थे, तभी एक छोटा बच्चा बेड पर लेटा दिखाई दिया। उसे देखकर वियान को बहुत बुरा लगा। वो बच्चा, तकरीबन 12 से 13 साल का होगा, बेड पर लेटा था। उसके शरीर में जैसे बिल्कुल जान नहीं बची थी। उसका पूरा चेहरा पीला पड़ चुका था, हाथ-पैर भी हल्के-हल्के सूज चुके थे। उसकी हालत देखकर वियान उसके पास गया और पूरे सावधानी से उसे चेक करने लगा। बच्चे की दिल की धड़कन बहुत ही धीमी चल रही थी। इसे देखकर वियान ने उसे तुरंत इमरजेंसी रूम में शिफ्ट कर दिया और उसका चेकअप करने लगा।


    कुछ देर में वियान ने उसे चेक किया। उसकी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी। वियान ने उसकी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए एक इंजेक्शन दिया और उसे इमरजेंसी रूम से बाहर निकाला। तभी उसके सामने तकरीबन 35-40 साल का एक आदमी आया। वो आदमी वियान के सामने हाथ जोड़कर बोला, "डॉक्टर साहब, आप मेरे बच्चे को बचा लीजिये। मेरा बच्चा छोटा है, उसे इस तकलीफ में देखकर मेरा जी नहीं चल रहा है।"


    वियान उसे शांत करते हुए बोला, "देखिये, हमने अभी चेक किया है, वो बहुत नाजुक है। हम उसे जल्द से जल्द ठीक करने की कोशिश करेंगे।"

    वो आदमी रोते हुए बोला, "आप जल्दी कुछ कीजिये, मैं अपने बेटे को ऐसी हालत में नहीं देख सकता।"

    "हाँ, हम लोग सब यही करने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे, आपके बच्चे को भी वो इंजेक्शन लगाया गया होगा।" वियान ने कहा।


    वियान की बात सुनकर वो आदमी एक पल खामोश हो गया। वियान को उसका ये खामोश रहना अजीब लगा। कुछ देर चुप रहने के बाद वो आदमी बोला, "हाँ डॉक्टर साहब, लेकिन मैं जब घर पर नहीं था, तब मेरी बीवी ने मेरे बच्चे को इंजेक्शन लगा दिया था।"


    वियान उससे आगे पूछता है, "तो तुम कहाँ थे जब वो इंजेक्शन लगाया गया था?"


    इस बार भी आदमी फिर से खामोश हो गया। वियान उस पर थोड़ा चिल्लाते हुए बोला, "कहो, कहाँ थे तुम?"

    वियान की आवाज़ सुनकर वो आदमी डरते हुए हकलाता हुआ बोला, "कुछ काम से गाँव से बाहर था।"


    वियान को आदमी की बात सच्ची नहीं लगी, लेकिन वियान ने उससे और कुछ नहीं पूछा और वहाँ से चला गया।

  • 6. Our journey of love - Chapter 6

    Words: 1481

    Estimated Reading Time: 9 min

    वियान अपने केबिन में बैठा अपना काम कर रहा था। तभी लक्ष्य उसके सामने वाले चेयर पर बैठते हुए बोला, "ब्रो, बहुत लोग इस बीमारी में आ चुके हैं। हमें जल्द से जल्द इनका इलाज करके ठीक करना होगा, नहीं तो यह बीमारी फैलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।"

    "हाँ, तुमने सही कहा लक्ष्य।" वियान ने लक्ष्य को देखकर अपनी फाइल बंद करते हुए कहा।

    वियान ने लक्ष्य को देखकर कहा, "चल, एक बार राउंड लगा लेते हैं। कहीं किसी पेशेंट को हमारी ज्यादा ज़रूरत तो नहीं है।"
    "हाँ, चल," लक्ष्य ने कहा।

    दोनों केबिन से बाहर आए और राउंडिंग लगने लगे। अब तक सभी पेशेंट की हालत में काफी हद तक सुधार आ चुका था। वियान उस बच्चे के रूम की ओर बढ़ा, जिसे इमरजेंसी वार्ड में रखा गया था और जिसे उसने सुबह चेक किया था।

    वियान जैसे ही रूम की ओर बढ़ा, उसे कुछ आवाज सुनाई दी, जैसे कि कोई आदमी जोर से चिल्ला रहा हो। वियान ने अपनी नज़रें इधर-उधर घुमाईं। उसे सामने एक खाली रूम में एक औरत और एक आदमी दिखाई दिए। वियान ने गौर से आदमी को देखा तो उसे याद आया कि यह उस बीमार बच्चे का बाप है।

    वियान उसकी ओर बढ़ने लगा। तभी उसके कानों में आवाज़ पड़ी। वह आदमी औरत से कह रहा था, "तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या? अगर मैं जाकर सबको सच बता दूँगा ना, तो मैं जेल चला जाऊँगा। ऊपर से देख नहीं रही है राजन की तबियत कितनी खराब हो चुकी है।"

    वह औरत आदमी के सामने रोते हुए हाथ जोड़कर बोली, "आप अगर सच बता देंगे तो डॉक्टर को इसका इलाज निकालने में आसानी होगी।"

    "तुम क्या पागल हो चुकी हो? और वैसे भी यह गलती मेरी नहीं है। मेरे घर की मौजूदगी में तुझे उसे इंजेक्शन लगाना ही नहीं चाहिए था। और अगर हमने कुछ भी अपना मुँह खोला, तो वह लोग हमें जान से मार देंगे।" उस आदमी ने औरत से कहा।

    "तो मेरी इसमें क्या गलती है? वह लोग आए और उन्होंने मुझसे कहा कि टीकाकरण करना है। मैं भी इंजेक्शन लगाने जा रही थी, तभी सब पहुँच गए और मुझे रोक लिया। लेकिन उससे पहले ही राजन को लोगों ने इंजेक्शन लगा दिया था।" औरत ने कहा।

    वह आदमी झुंझलाकर बोला, "चल, अब ज्यादा बकवास मत कर। मेरा दिमाग मत ख़राब कर। मेरे बेटे की हालत देखकर ऑलरेडी मेरा दिमाग खराब है। जल्द से जल्द ही डॉक्टर इसका इलाज करके इसे ठीक कर दे, फिर हमें जो पैसे मिलने वाले हैं, वो लेकर इस गाँव से, नहीं इस शहर से ही बहुत दूर चले जाना है।" इतना कहकर वह पीछे पलटा। सामने वियान खड़ा था। वियान को पता लग चुका था कि आदमी कुछ जानता है।

    वियान को देखकर वह औरत और आदमी बहुत घबरा गए। वह आदमी डर से काँपने लगा। औरत भी शांत खड़ी सामने वियान को देख रही थी। तभी वियान जाकर सीधे उस आदमी का कॉलर पकड़कर गुस्से में बोला, "अब तू अपने मुँह से सब कुछ बोलेगा, या मैं तुझे बुलवाऊँ?" उसकी आवाज़ में खतरा साफ सुनाई दे रहा था।

    वह आदमी और ज़्यादा डर के मारे काँपने लगा। "सब सच बताता हूँ," डरते-डरते उसने वियान के सामने हाथ जोड़ लिए। वियान ने इस सबको इग्नोर करते हुए कहा, "चल, बोल।"

    तभी उस आदमी ने वियान को बात बताना शुरू किया। "जो लोग इंजेक्शन बाँट रहे थे, उनमें से मैं भी एक था।"

    वियान उस आदमी की बात सुनकर चौंक गया। उसने उसे देखकर कहा, "तुम भी शामिल थे? मतलब तुम उन लोगों को जानते हो?"

    वो आदमी बोला, "नहीं साहब, हम उन लोगों को नहीं जानते थे। एक बार हम गाँव से बाहर काम के लिए गए थे, एक फैक्ट्री में। वहाँ पर उन लोगों से हमारी मुलाकात हुई थी। जब हमने उनसे पूछा कि हमारा काम क्या है, तो उन्होंने बताया कि हमें इंजेक्शन पूरे गाँव वालों को लगाना है। हर गाँव से कुछ-कुछ लोगों को उन्होंने बुलाया था इंजेक्शन लगाने के लिए। हमें पता तो नहीं था कि इंजेक्शन में क्या है, लेकिन उन्होंने हमें बहुत मोटे रकम देने का वादा किया था। जिसके लालच में हमने हर जगह इंजेक्शन बाँटना जारी रख दिया।"

    कुछ पल रुककर वह आदमी फिर बोला, "और हमें नहीं पता था कि इंजेक्शन से लोगों की हालत बिगड़ सकती है। खासकर, हमारा बेटा भी इंजेक्शन लगवाकर इस बीमारी का शिकार हो चुका है। अब हमें कुछ समझ नहीं आ रहा है। हमने जब उन लोगों से बात की, तो उन्होंने हमें डबल पैसे देने को कहा और बोला कि जल्द से जल्द इसका इलाज करवाकर हम यहाँ से दूर चले जाएँ। और उन्होंने हमें धमकी भी दी है कि अगर हमने किसी को सच बताया, तो वह मुझे और मेरे परिवार को मार देंगे।"

    वियान को जैसे ही सारी सच्चाई पता चली, उसने एक घूँसा उस आदमी के मुँह पर मार दिया। वह आदमी जमीन पर गिर गया और दर्द से कराहने लगा।

    वियान ने उसकी कॉलर पकड़कर उसे उठाते हुए मारते हुए कहा, "तुझे पता है तूने क्या किया है? कितने लोगों की हालत अभी नाज़ुक है इस बीमारी के कारण? कितनी मौतें हो सकती हैं, तुझे पता है? इंसानियत नाम की चीज़ नहीं है तेरे अंदर?" इतना कहकर वियान उसे खींचते हुए बाहर ले आया। उसके पीछे-पीछे वह औरत भी आई। सामने वियान को उस आदमी का कॉलर पकड़कर खींचते हुए देखकर लक्ष्य जाकर बोला, "यह क्या कर रहा है तू?"

    वियान कुछ नहीं बोला और लक्ष्य को सिया को फोन करने को कहा। लक्ष्य ने सिया का फोन लगाकर वियान को दे दिया। वियान ने तुरंत सिया से कहा कि वह अपनी टीम को लेकर जल्द से जल्द मेडिकल कैंप पहुँचे।

    सिया, जोया, शिवम, कार्तिक और लक्ष्य सब मेडिकल कैंप पहुँचे।

    सभी के आने के बाद वियान ने उस आदमी की ओर इशारा करते हुए कहा, "जो लोग इंजेक्शन लगा रहे थे, उनमें से यह भी एक आदमी शामिल था, वह इंजेक्शन बाँटने में।"

    वियान की बात सुनकर सभी हैरानी से उस आदमी को देखने लगे। तभी जोया जाकर उसके सामने बैठते हुए कड़क आवाज़ में बोली, "चल, बोल! कौन है वो लोग जिसके लिए तुमने ये घटिया काम किया?"

    "मैडम, हमको नहीं पता है कि वो लोग कौन हैं। हमने तो सिर्फ़ ये सब पैसों के लिए किया।" वह आदमी डरते-डरते जोया को बता रहा था।

    जोया ने उसे घूरते हुए कहा, "तो पैसों के लिए इंसानियत भूल जाएगा? तुझे पता है कितने लोग इस इंजेक्शन के कारण अभी कैसी बीमारी से पीड़ित हैं, जिसका इलाज अभी तक पता ही नहीं चल रहा है?"

    जोया इतना कह ही रही थी कि पीछे से वियान बोला, "इसका बेटा भी इस बीमारी से पीड़ित है और वह भी इमरजेंसी वार्ड में शिफ्टेड है।"

    वियान की बात सुनकर जोया आदमी को घूरते हुए बोली, "देख, तेरी वजह से तेरा बेटा ही आज इस बीमारी से जूझ रहा है। बहुत शौक है ना पैसा कमाने का? अब देखो, तुम जिंदगी भर कैसे पैसा कमाता है।"

    शिवम ने उस आदमी का कॉलर पकड़कर खींचते हुए दो-तीन तमाचे मारे और उसे खींचते हुए बोला, "अब मैं इसी से जल्द से जल्द सारा सच बुलवाता हूँ।"
    "हाँ भाई, अब इसी के थ्रू हमें उन इंसानों तक पहुँचने का रास्ता मिलेगा।" जया ने कहा।

    शिवम उस आदमी को वहाँ से ले गया। अब बच्चे, कार्तिक, सिया, जोया, वियान और लक्ष्य वहाँ थे।

    जोया अपने सिर पर हाथ रखते हुए बोली, "मतलब, लोग पैसों के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं।"

    सिया ने कहा, "सही बात है। लोग अपनी इंसानियत तक भूल रहे हैं पैसों के लिए। देखो, आदमी कैसे अपने बेटे को ऐसे हालात में डाल चुका है। इसका कर्म इसी को वापस मिल भी चुका है।"

    जोया वियान के सामने आकर बोली, "थैंक यू सो मच डॉक्टर वियान। आज आपके कारण हमें बहुत बड़ा सबूत मिला है। अब इसके थ्रू हमें बाकी इनफॉर्मेशन भी जल्द से जल्द मिलेगी।"

    वियान ने कहा, "कोई बात नहीं। यह मेरा फ़र्ज़ था कि मैं आप लोगों की हेल्प करूँ।"

    वियान की बात पर जोया थोड़ा मुस्कुराई। उसके बाद बाकी सब वहाँ से निकल गए।

  • 7. Our journey of love - Chapter 7

    Words: 1520

    Estimated Reading Time: 10 min

    जोया और बाकी लोग इस मामले को लेकर और भी ज्यादा गंभीर हो चुके थे क्योंकि यह और भी पेचीदा होता जा रहा था।


    जोया के दिमाग में ये सब सोच-सोच कर फट रहा था। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। तभी उसके कंधे पर सिया ने हाथ रखा। जोया ने सामने देखा तो सिया को एक नज़र देखा, फिर अपनी नज़र सामने देखने लगी।


    सिया आकर जोया के बगल में बैठते हुए बोली, "क्या हुआ? इतना ज्यादा टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है। मुझे पूरे यकीन है कि हम लोग इस केस को जल्दी सॉल्व करेंगे।"


    सिया की बात सुनकर जोया ने कहा, "लेकिन हमें ठीक से कोई सुराग नहीं मिला है। पहले एक पैकेट मिला जिसमें सिर्फ इतना पता चला कि इंजेक्शन का पैकेट है। अभी तक उसके बारे में और कुछ पता नहीं चला है। इंसान मिला है, पर सिर्फ़ इतना ही पता है कि उसने किसी से बात नहीं की है। उसका पता भी नहीं जानते, न ही हमने उसे देखा है। कैसे होगा कुछ भी?"

    "सब सही होगा। बस हमें खुद पर विश्वास रखना पड़ेगा। और वैसे भी, विश्वास ही तो दुनिया कायम है।" सिया ने एक अच्छा सा डायलॉग जोया के सामने मार दिया।


    सिया की इस बात को सुनकर जोया हल्का मुस्कुराते हुए उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, "ये फिल्मी डायलॉग देखकर।"


    जोया की बात पर सिया हँसते हुए बोली, "चलो, खाना खा लो। सुबह-सुबह कुछ खाया नहीं है तुमने।"


    दोनों उठकर खाना खाने लगीं। खाना खाने के बाद जोया को थोड़ा रिलैक्स फील हो रहा था, लेकिन उसके दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थीं।


    अगले दिन, सिया और जोया ने जहाँ अपने लिए कमरा ले रखा था, उसी के बगल में एक बड़ा सा गार्डन था। सिया को बहुत मन हुआ उसे गार्डन में घूमने का क्योंकि वह गार्डन बहुत बड़ा और बहुत खूबसूरत तरीके से फूलों से बना हुआ था, जो देखने में बहुत खूबसूरत लग रहा था। सिया मचल रही थी उसे गार्डन में जाने के लिए। उसने जोया से कहा, जो अभी खाना बना रही थी, "जोया यार, चल ना सामने वाले गार्डन में। देखकर आते हैं, खूबसूरत नज़ारा है।"


    जोया वैसे ही काम करते हुए बोली, "ये बनारस है। यहाँ की हर चीज़ बहुत खूबसूरत होती है।"

    "हाँ, तो चलना है ना?" सिया ने जोया के सामने आकर बच्चों की तरह कहा।


    सिया की हरकतें देखकर जोया मुस्कुरा कर बोली, "अच्छा, ठीक है। चल, वैसे भी खाना बन चुका है।"


    उसकी बात सुनकर सिया बहुत खुश हो गई। उसने अपना पर्स और फ़ोन उठाया और गार्डन में चली गई। वह गार्डन वाकई में बहुत खूबसूरत था। हर जगह हरियाली थी। सामने कई बच्चे खेल रहे थे, झूलों पर कुछ बुज़ुर्ग बैठे एक-दूसरे से बातें कर रहे थे। कहीं कपल्स हाथ पकड़े घूम रहे थे।


    जोया ये सब देखकर बोली, "ये गार्डन तो खूबसूरत है, लेकिन हमें ये गार्डन नहीं, बल्कि कोई घाट जाना चाहिए था।"


    जोया की बात सुनकर सिया ने उसे देखा, "क्या? घाट में ऐसा क्या है?"


    सिया के सवाल पर जोया मुस्कुराते हुए बोली, "घाट में एक सुकून होता है। जब वहाँ पर महादेव की आरती होती है ना, तो सारे भक्त अपनी आँखें बंद करके महादेव को याद करते हैं। उस समय दुनिया की कोई फ़िक्र नहीं होती, और अपनी सारी टेंशन भूल जाते हैं। वो सिर्फ़ अपनी भक्ति में मग्न हो जाते हैं।"


    जोया की बात सुनकर सिया उसे देखते हुए बोली, "अच्छा, इतनी तारीफ़ कर रही है तो आज शाम ही घाट की आरती पर चलेंगे।"


    सिया की बात पर जोया बोली, "बिल्कुल। तुम मुझसे नहीं भी कहती तो भी आज मैं तुम्हें घाट की आरती दिखाने ले जाती। वैसे भी, यहाँ आए हुए हमें तीन दिन हो गए, लेकिन तीन दिनों में इतनी बिज़ी थीं कि आरती देखने का मौका ही नहीं मिला। आज थोड़ा रिलैक्स फील हो रहा है। आज चलेंगे।"


    वह दोनों बातें ही कर रही थीं, तभी जोया ने एक अजीब सा आदमी देखा जो गार्डन में, अपने मुँह पर कपड़ा बांधे, सामने की ओर बैठा था। जोया को उस आदमी को देखकर कुछ अजीब सा लगा।


    वह आदमी जैसे ही जोया को अपनी ओर देखता पाया, वह तुरंत वहाँ से हड़बड़ाकर उठकर चला गया। जोया उसे जाते देखकर उसके पीछे जाने लगी, तभी सिया ने उसका हाथ पकड़कर कहा, "कहाँ जा रही है तू?"


    जोया उसे सामने दिखाते हुए बोली, "सामने वाला आदमी मुझे कुछ अजीब लग रहा है। और जब मैंने उसे देखा तो वह मुझ को देखकर वहाँ से उठकर चला गया। और उसके चेहरे पर घबराहट साफ़ नज़र आ रही थी।"


    "तो तुम उसके पीछे जाओगी?" सिया ने पूछा।


    जोया: "हाँ, चल, चुपके से उसका पीछा करते हैं। मुझे कुछ सही नहीं लग रहा है।" "अच्छा, ठीक है। चलो।" सिया ने जोया की बात को समझते हुए कहा।


    दोनों उस आदमी का पीछा करने लगीं। वह आदमी तेज़ी से आगे बढ़ रहा था। जोया और सिया दोनों उस आदमी का पीछा कर रही थीं, तभी उन्होंने देखा कि एक पुराने गोदाम में वह आदमी अंदर की ओर चला जाता है। उन्होंने एक-दूसरे को देखा, फिर दोनों उस गोदाम में चली गईं।


    वह जैसे-जैसे गोदाम के अंदर आ रही थीं, उन्हें काफी अंधेरा दिखाई दे रहा था। तभी उन्हें किसी आदमी की आवाज़ सुनाई दी। जोया उस आवाज़ की ओर जाने लगी। उसने सिया का हाथ पकड़ा हुआ था क्योंकि अंधेरे के कारण दोनों को ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।


    जोया उस आवाज़ की ओर जा रही थी, तभी सामने कुछ बॉक्स दिखे। वो दोनों उन बॉक्सों के पीछे छिप गईं और उनके बिल्कुल करीब से आवाज़ सुनाई दे रही थी।


    वह आदमी, जिसने अपने मुँह को पूरी तरह से ढँका हुआ था, किसी से फ़ोन पर बात करते हुए कह रहा था, "बस ये काम होगा। और ज़्यादा डिफिकल्ट होते जा रहा है क्योंकि बहुत से सीक्रेट एजेंट हमारे पीछे हैं। ऊपर से बहुत सारे मेडिकल कैंप भी खुल चुके हैं जो इस बीमारी का इलाज कर रहे हैं, और बहुत से लोग ठीक भी हो रहे हैं।"


    सिया और जोया ने जैसे ही उस आदमी की बात सुनी, दोनों को पक्का यकीन हो गया कि वह इस केस की एक कड़ी है। उन्होंने अब एक-दूसरे को इशारा किया और धीरे-धीरे सामने की ओर जाने लगीं। वह आदमी अभी भी फ़ोन पर बात कर रहा था। उसे जैसे ही आभास हुआ कि कोई उसके पीछे है, तो जैसे ही वह पलटने लगा, जोया ने एक जोरदार घूँसा उसके मुँह में जड़ दिया, जिससे वह आदमी तुरंत नीचे गिर गया। सिया ने उस आदमी का फ़ोन उठाया तो देखा कि फ़ोन कट चुका था। सिया ने उसका फ़ोन अपनी जेब में रखा और उस आदमी को कॉलर से पकड़ते हुए उठाकर कहा, "बोल, किससे बात कर रहा था?"


    तभी वह आदमी जोर-जोर से हँसने लगा, जिससे जोया और सिया दोनों एक-दूसरे को हैरानी से देखने लगीं। फिर सामने से वह आदमी जोर-जोर से हँसते हुए ताली बजाकर बोला, "तो तुम दोनों फँस गई मेरी जाल में।"


    उसकी बात सुनकर जोया को कहीं ना कहीं एहसास हुआ कि यह सब उसे फँसाने के लिए था। जोया इससे आगे कुछ सोच ही रही थी कि तभी दस आदमी आकर एक तरफ़ जोया को पकड़ लेते हैं, दूसरी तरफ़ सिया को। सिया एक सीक्रेट एजेंट थी, उसे पता था कि इन सब से कैसे निपटा जाए। वह दोनों लगी उनको धूल चटाने। वह आदमी चुपचाप कुर्सी पर बैठा सारा नज़ारा देख रहा था।


    सभी को एक-एक करके मार रहे थे। उन्होंने किसी को नहीं बख्शा। किसी का हाथ तोड़ा, किसी का सिर फोड़ा, किसी का पैर तोड़ा, किसी की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। दोनों आज किसी को बचाने के मूड में नहीं थीं।


    वह आदमी अब अपनी जगह से खड़ा हुआ, अपनी जेब से बंदूक निकाली और जोया पर तानते हुए बोला, "बहुत शौक है ना हमें पकड़ने का? अब पकड़कर दिखाओ। तुम्हारे इस अदम्य साहस का वक्त ख़त्म कर दिया ना? मुझे बताना, तुम दोनों की आज यहीं पर लाश दिखने लगेगी।" जोया लगातार उस इंसान को जानलेवा नज़रों से घूर रही थी।


    तभी सिया ने मौका पाते हुए उस इंसान के हाथ पर अपना पैर जोर से मारा, जिससे बंदूक हाथ से छूटकर उछली। जोया ने तुरंत उसे कैच कर लिया। वह इंसान कुछ कर पाता उससे पहले ही सिया ने जाकर उसके दोनों हाथों को पीछे से पकड़ लिया। अब जोया ने बंदूक उस आदमी के सिर पर तानते हुए कहा, "अब तुम तो गए। बहुत शौक है ना लोगों की ज़िंदगी से खेलने का?"


    जोया ने तुरंत शिवम को कॉल किया। शिवम और कार्तिक उस गोदाम में पहुँच चुके थे।


    जोया ने उस आदमी को शिवम की ओर धकेलते हुए कहा, "काम अब तमाम होगा इन सब का।"

  • 8. Our journey of love - Chapter 8

    Words: 1314

    Estimated Reading Time: 8 min

    जोया को एक बड़ा सबूत मिल चुका था। वह आदमी, जिसने जोया और सिया को एक जाल में फँसाने की कोशिश की थी, अब जोया को यकीन हो गया था कि वह इस मामले में एक महत्वपूर्ण सुराग है।

    उन्होंने उस गांव वाले आदमी, देवास को भी पकड़ लिया था। यह काम उसकी अपनी पत्नी ने किया था। देवास के गैर-कानूनी कामों और उसके बेटे को हुई तकलीफ को देखकर, उसकी पत्नी ने ही उसे पुलिस के हवाले कर दिया था, जिसके कारण देवास को जेल जाना पड़ा था।

    दूसरी ओर, एक अंधेरा कमरा था जहाँ वह आदमी एक कुर्सी पर बंधा हुआ था। उसके मुँह पर पट्टी बंधी थी, और उसके हाथ-पैर मोटी सफ़ेद रस्सी से बँधे हुए थे। वह आदमी लगातार छूटने की कोशिश कर रहा था, पर असफल रहा।

    कुछ देर बाद जोया, शिवम, सिया और कार्तिक वहाँ पहुँचे। चारों ने उस आदमी को घेर लिया। एक लाइट के माध्यम से रोशनी की व्यवस्था की गई। टेबल पर शिवम जोर से हाथ मारते हुए बोला, "चल, अब सच बताना शुरू कर।"

    शिवम ने हाथ बढ़ाकर उसके मुँह से पट्टी खींची। वह आदमी जोर से हँसने लगा। यह देखकर शिवम का खून खौल उठा। उसने खींचकर उस आदमी के कान के नीचे एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया, जिससे उसका चेहरा एक तरफ हो गया।

    वह आदमी फिर भी हँसता रहा। शिवम आगे बढ़ा, उसका कॉलर पकड़ा और झँझोड़ते हुए कहा, "बोल कमीने, नहीं तो तुझे अभी यहीं गाड़ दूँगा।"

    शिवम का गुस्सा चरम पर था। जोया की नज़रें लगातार उस आदमी पर टिकी थीं। वह उसके चेहरे के भावों को समझने की कोशिश कर रही थी।

    अभी भी कुछ नहीं बोला तो शिवम और कार्तिक उसे प्रताड़ित करने लगे, पर वह आदमी अपना मुँह नहीं खोला।

    जोया उस आदमी के ठीक सामने खड़ी हुई और उसके बालों को पीछे खींचते हुए बोली, "तुझे क्या लगता है? तू ऐसी हरकत करेगा और हम बेवकूफ़ की तरह तुझसे सच्चाई पूछते रहेंगे?"

    जोया की बात सुनकर भी आदमी के चेहरे के भाव नहीं बदले। वह हँसते हुए बोला, "अरे मैडम, आप कुछ भी कर लीजिए, मैं मुँह नहीं खोलूँगा।"

    तभी जोया बोली, "अब तुम्हारा मुँह खुलवाने के लिए हमें कुछ नहीं करना पड़ेगा। बस एक बार यह वीडियो देख ले, तू अपने आप सारा सच उगलेगा।" जोया ने सिया की ओर इशारा किया। सिया ने तुरंत एक लैपटॉप खोला, टेबल पर रखा और एक वीडियो चलाया। वीडियो चलते ही उस आदमी के चेहरे पर परेशानी के भाव दिखाई देने लगे। जैसे-जैसे वीडियो चलता रहा, उसके चेहरे पर पसीने के छींटे आने लगे। वह आदमी जोया की ओर देखकर बोला, "अगर मेरी फैमिली को कुछ हुआ तो मैं तुम सब में से किसी को नहीं छोड़ूँगा। यह बात याद रखना।"


    "और तू जो बाकियों की फैमिली के साथ कर रहा है, वह तुझे पता है? उस इंजेक्शन के कारण कितने बच्चे, कितने बुज़ुर्ग, कितनी फैमिली तकलीफ में हैं। अगर तूने मुँह नहीं खोला, तो हमारे आदमी तुम्हारी फैमिली को खत्म करने में एक सेकंड नहीं लगाएँगे।" जोया ने कहा और इधर-उधर घूमने लगी। उसके चेहरे पर सख्त भाव थे।

    वह आदमी परेशान था। वह अपनी फैमिली को देख रहा था: उसकी पत्नी, उसकी 9 साल की बेटी और 5 साल का बेटा एक सोफ़े पर बैठे हुए थे। उनके चेहरे डर से सफ़ेद पड़ गए थे। यह देखकर वह आदमी और भी परेशान हो गया, और उस पर गुस्सा भी छा गया।

    वह आदमी काफी देर तक चुप रहा, फिर झुँझलाकर बोला, "तुम लोगों को क्या लगता है? अगर मैं सच बता दूँगा तो तुम उन तक पहुँच जाओगे जो यह कर रहे हैं? कभी नहीं! तुम लोग जहाँ सोचना खत्म करते हो, वहीं से सोचना शुरू करते हो।"

    जोया ने खींचकर उसे एक थप्पड़ मारा और घूरते हुए बोली, "हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, इसका अंदाज़ा तुझे अब तक लग ही गया होगा।" जोया ने लैपटॉप की ओर इशारा किया। "अब अगर दस सेकंड में अपना मुँह नहीं खोला, तो फिर अपनी फैमिली को खुद देखते रहना।" फिर जोया ने उसे एक और थप्पड़ जड़ दिया।

    वह आदमी गुस्से में बोलने लगा, "यह सब करने वालों में मैं भी हूँ। और यह महेश और दो-तीन लोगों का काम नहीं है। इसमें पूरी टीम है, तकरीबन बीस लोग। मैं उन सबको गाइड करता हूँ कि कौन सा काम कहाँ, कैसे और किस जगह करना है।"

    वह आदमी चुप हो गया। जोया बोली, "अच्छा, तू ही लोगों को गाइड करता है? चल, बता, किसे गाइड करता है?"

    "मैं उन लोगों को काम करवाता हूँ जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। जो बहुत गरीब हैं और हर जगह का पता जानते हैं कि कहाँ काम करने से हम नहीं फँसेंगे।" शिवम ने उसकी ओर घूरते हुए पूछा, "और कहाँ रहते हैं?"

    वह आदमी बोला, "अब मैं इससे ज़्यादा कुछ नहीं बता सकता।"

    "ठीक है," शिवम ने फोन निकालते हुए कहा, "मैं अभी उन लोगों को कहता हूँ कि तुम्हारी फैमिली को मार दें।"

    वह आदमी घबराकर बोला, "ठीक है, बताता हूँ।" और वह आदमी एक-एक करके सभी की डिटेल्स बताने लगा। सिया उन डिटेल्स को कॉपी कर रही थी। जोया को पता चल गया था कि यह आदमी सबकी खबर रखता है।

    वह आदमी सभी की डिटेल्स दे चुका था। जोया बोली, "और इन सब के पीछे कौन है? यह भी बताओ।"

    आदमी बोला, "यह मुझे नहीं पता। मुझे सिर्फ इतना करने के लिए कहा गया था, और मैं यही करता हूँ। कौन कर रहा है, क्यों कर रहा है, यह मुझे नहीं पता।"

    शिवम ने फिर धमकी दी, "तुम झूठ बोल रहे हो?" आदमी ने जोया की ओर देखते हुए कहा, "मुझे जितना पता था, मैंने बता दिया। मुझे नहीं पता कि यह सब कौन कर रहा है। सच में, मेरी बात पर विश्वास करो।"

    "हम उस इंसान पर विश्वास करें जो पैसों के लिए लोगों को मौत के मुँह तक पहुँचा सकता है? इतनी बेवकूफ क्या लगते हैं हम तुम्हें?" जोया ने उसे घूरते हुए कहा।

    "मैं सच कह रहा हूँ," वह आदमी फिर से जोया की ओर देखकर बोला। जोया कुछ नहीं बोली, और वहाँ से निकलते हुए बोली, "इस इंसान को और ज़्यादा प्रताड़ित करो और इस पर कड़ी से कड़ी सज़ा दिलवाने के लिए पुलिस में शिकायत करो।"

    अब जोया उन सभी लोगों को पकड़ने की योजना बनाने लगी जो पूरे बनारस शहर में फैले हुए थे।

    वह बीमारी बहुत फैल चुकी थी, पर मेडिकल कैंप खोलने से काफी राहत मिली थी।

  • 9. Our journey of love - Chapter 9

    Words: 1013

    Estimated Reading Time: 7 min

    जोया और उसकी टीम बाकी लोगों का पता लगाने लगे थे। अच्छे लोगों की लोकेशन उन्हें पता चल चुकी थी। धीरे-धीरे उनका काम अच्छा होता जा रहा था। जोया काफी उत्साहित हो रही थी क्योंकि उसे लग रहा था कि यह काम अब अपने अंजाम तक पहुँच जाएगा। लेकिन उसके दिमाग में यह भी ख्याल आ रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए। जोया के मन में अभी काफी उलझनें थीं, जिन्हें वह समझ नहीं पा रही थी।


    दूसरी ओर, सिया और शिवम एक साथ काम कर रहे थे। सिया काम करने के साथ-साथ शिवम के चेहरे को भी देख रही थी जो काफी गंभीर और गुस्से से भरा हुआ था। सिया ने आज तक शिवम को बहुत ही विनम्र और शांति से काम करते हुए देखा था, लेकिन आज उसका गुस्सा देखकर सिया के दिमाग में बहुत से ख्याल चल रहे थे।


    शिवम को जब एहसास हुआ कि सिया लगातार उसे देख रही है, तो उसने अपनी नज़रें काम पर गड़ाए हुए कहा, "क्या बात है? ऐसे क्या देख रही हो?"


    सिया उसकी ओर देखते हुए बोली, "मैंने आज पहली बार तुम्हें इतना गुस्सा करते हुए देखा है।"


    शिवम हल्के से मुस्कुराते हुए बोला, "तुम मुझे अच्छे से नहीं जानती हो अभी, सिया।"


    सिया ने उसकी ओर से नज़रें हटाते हुए कहा, "मुझे अभी तुम्हें जानने की ज़रूरत भी नहीं है। चुपचाप काम पर ध्यान देते हैं।"


    सिया की बात सुनकर शिवम उसकी ओर देखने लगा और उसके करीब बढ़ने लगा। सिया शिवम को अपने करीब बढ़ते देख पीछे हटने लगी। सिया की धड़कन सामान्य से ज़्यादा तेज़ी से चल रही थी। पीछे जाते-जाते सिया दीवार से टकरा गई। अब उसके पास पीछे जाने का रास्ता नहीं बचा था। जैसे ही वह दाएँ तरफ़ से निकलना चाहती थी, शिवम ठीक सामने आकर अपना बायाँ हाथ उसके बगल वाली दीवार पर लगा दिया। सिया जब दूसरी ओर से जाने लगी, तो शिवम ने वैसा ही दोबारा किया। अब शिवम ने सिया को पूरी तरह से अपने कब्ज़े में कर लिया था।


    सिया की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह नज़र उठाकर शिवम को देखे।


    और शिवम की नज़रें लगातार सिया पर टिकी हुई थीं। शिवम सिया को देख रहा था, फिर उसके चेहरे के करीब बढ़कर उसके कान के पास आकर बोला, "तुम मुझे समझना ही नहीं चाहती हो, इसलिए तुम्हें मेरा प्यार ही नहीं दिखता है।"


    शिवम की बात सुनकर सिया ने अपनी नज़रें उठाकर शिवम को देखा जो उसे लगातार देख रहा था। तभी सिया ने उसे थोड़ा पीछे धक्का देते हुए कहा, "यह सब बकवास करने का समय नहीं है। हमें बहुत ज़रूरी काम है, हमें उसी पर ध्यान देना चाहिए।" ऐसा कहकर जैसे ही सिया जाने लगी, शिवम ने उसका हाथ पकड़ कर अपने करीब खींचते हुए कहा, "कब तक? आखिर कब तक मुझसे दूर भागोगी?"


    सिया शिवम से अपनी पकड़ छुड़ाते हुए बोली, "देखो शिवम, यह सब सही नहीं है।"


    "हाँ, तो अगर तुम्हें यह सब अभी सही नहीं लग रहा है, तो शादी कर लो मुझसे। मैं तो कब से इंतज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा। मैं तुम्हें हमेशा-हमेशा के लिए अपने करीब करना चाहता हूँ, हमेशा अपना बनाकर रखना चाहता हूँ, लेकिन तुम हो कि समझती ही नहीं हो।" ऐसा कहते हुए शिवम की आँखों में सिया के लिए बहुत प्यार नज़र आ रहा था, जिसे देखकर सिया की आँखें नम हो गईं।


    सिया शिवम को अपनी डबडबाई हुई आँखों से देखकर बोली, "यह नहीं हो सकता है शिवम। तुम्हें मैंने बता चुकी हूँ कि मेरे पापा मेरे लिए लड़का पहले ही चुन चुके हैं। वे चाहते हैं कि मैं उनकी बेस्ट फ्रेंड के बेटे से शादी करूँ।"


    शिवम ने बिना किसी भाव के सिया की आँखों में देखते हुए कहा, "शादी करना चाहती हो?"


    शिवम की बात सुनकर सिया बिल्कुल चुप हो गई। सिया कुछ बोल पाती, इससे पहले शिवम मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ा और सिया के माथे पर किस करते हुए बोला, "शादी उसी से करनी चाहिए जिसे हम प्यार करते हैं। अगर बिना प्यार के शादी हो और बाद में प्यार हो, तो वह शादी चल सकती है, लेकिन बिना प्यार की शादी बस एक समझौता बन जाती है।"


    सिया शिवम को कोई जवाब नहीं देती है। शिवम वहाँ से चुपचाप चला जाता है। उसके चेहरे पर दर्द छाया हुआ था और उसकी आँखें हल्की नम भी थीं।


    सिया की आँखों में जो आँसू ठहरे थे, वे लुढ़ककर उसके गाल तक आ चुके थे।


    वहीं, उन दोनों की सारी बातचीत बाहर खड़ी जोया ने सुन ली थी। उसे पहले से पता था कि इन दोनों के बीच कुछ है, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि दोनों के बीच इतना कुछ चल रहा है।


    जोया अब वहाँ ज़्यादा देर नहीं रुकती और वहाँ से निकल जाती है। उसके दिमाग में अभी शिवम और सिया की बातें चल रही थीं। अपने आप से कहती है, "अगर भाई और सिया एक-दूसरे से प्यार करते हैं, तो उन्हें अलग नहीं होना चाहिए।" फिर वह अपने गले में शिव जी का लॉकेट अपने हाथ में लेकर आँखें बंद करती है और शिव जी को याद करते हुए कहती है, "हे शिव, आपकी इस नगरी में तो बस प्रेम बसता है। यहाँ पर, प्लीज़ इन दो प्रेमियों को मिला दीजिये।"


    जोया अपनी आँखें बंद किए खड़ी थी, तभी उसके दिमाग में एक आइडिया आता है। सोचकर जोया अपनी आँखें खोलती है और खुशी से बोलती है, "इस वक़्त तो वही हैं जो मेरी मदद ज़रूर कर सकते हैं, लेकिन वे इतने खड़ूस हैं कि क्या मेरी मदद करेंगे?" ऐसा सोचकर वह मुँह बनाने लगती है।


    आखिर कौन है वह इंसान जिसकी मदद जोया लेना चाहती है शिवम और सिया को मिलाने के लिए? और क्या इस केस को जोया इन चीजों को सुलझा पाएगी और लोगों की जान भी बचा पाएगी?

  • 10. Our journey of love - Chapter 10

    Words: 1211

    Estimated Reading Time: 8 min

    जोया एक केबिन में बैठी थी। उसके सामने एक शख्स बैठा था, जिसे जोया कुछ झिझक भरी नजरों से देख रही थी। जोया उस शख्स से बात करने में थोड़ी झिझक रही थी। उसके सामने जो शख्स बैठा था, वह कोई और नहीं बल्कि वियान था। जोया यहाँ वियान से ही मदद लेने आई थी, शिवम और सिया के रिश्ते को मजबूत करने के लिए।

    वियान अपने फाइलों में देखते हुए जोया से पूछता है, "सो मिस एजेंट, आप किस लिए आई हैं?"

    जोया थोड़ा हिचकिचाते हुए कहती है, "वो, एक्चुअली मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।"

    वियान उसकी ओर देखकर, अपने भौंहें उठाते हुए कहता है, "ज़रूरी बात? बताइए, क्या बात है?"


    जोया ने गहरी साँस ली और शुरू से लेकर अंत तक शिवम और सिया के बारे में सब कुछ वियान को बताया। वियान जब यह सब सुनता है, तो उसकी आँखों में बिल्कुल भी कोई इमोशन नज़र नहीं आ रहे थे। वह अपने एक्सप्रेशनलेस चेहरे के साथ कहता है, "इसमें मैं आपकी मदद कैसे कर सकता हूँ? यह तो सिया और शिवम के बीच की बात है ना।"


    जोया जवाब देती है, "अरे, मैं यह नहीं कह रही हूँ कि हमें उन दोनों को मिलाना है। मतलब यह है कि सिया किसी कारण से शिवम भाई का प्यार एक्सेप्ट नहीं कर पा रही है। वरना वह भी भाई से बहुत प्यार करती है। बस, कैसे भी करके सिया को भाई का प्यार एक्सेप्ट कराना है।"

    "तो सिया को वह एक्सेप्ट करने के लिए आप चाहती हैं कि मैं आपकी मदद करूँ?" वियान उसे थोड़ी हैरानी से पूछता है।

    जोया मुस्कुराते हुए कहती है, "जी हाँ। आप उसके भाई हैं, आप उसे अच्छे से समझेंगे।"

    वियान कहता है, "मैं उसका भाई हूँ, यह तो चलेगा कि मैं उससे बात करूँगा। लेकिन आप भी तो उसकी बेस्ट फ्रेंड हैं। आप भी उसे अच्छे से यह चीज़ समझा सकती हैं।"

    जोया कहती है, "मैं समझा सकती थी, लेकिन यह आपके साथ, आपके पिता के कारण हो रहा है। यह आपका फैमिली मैटर है, इसमें मैं कैसे बोल सकती हूँ...?"

    "व्हाट? आपका मतलब क्या है, फैमिली मैटर?" वियान सवालिया नज़रों से पूछता है।

    जोया कहती है, "आई वांट टू से दैट, आपके पिता ने, यानी कि सिया और आपके पापा ने, सिया का रिश्ता पहले ही किसी अपने दोस्त के बेटे के साथ तय कर दिया है। जिसके डर से सिया अपने पापा का दिल नहीं तोड़ना चाहती है, इसलिए वह शिवम भाई का प्यार एक्सेप्ट नहीं कर रही है।"

    जोया की बात सुनकर वियान को याद आता है कि उसके पापा ने सिया का रिश्ता पहले ही अपने एक दोस्त, वैभव खन्ना के बेटे, सोर्व खन्ना के साथ तय कर दिया था, जो कि सिया के साथ ही पढ़ता था।

    वियान को सारी बातें समझ आ जाती हैं। वह जोया को देखकर कहता है, "ठीक है। मैं ऐसा भाई नहीं हूँ जो अपनी बहन को सिर्फ़ उसके प्यार से अलग कर दूँ। मुझसे जितना एफ़र्ट्स हो पाएगा, मैं करने के लिए तैयार हूँ। क्योंकि मेरी बहन की खुशी से ज़्यादा मेरे लिए कुछ नहीं है।"

    वियान की बात सुनकर जोया बहुत खुश होती है। उसे अच्छा लगता है कि वियान दूसरे भाइयों जैसा नहीं है, जो अपनी बहन की लव लाइफ में इंटरफ़ेयर करके, उसके प्यार करने वाले शख्स से अपनी बहन को दूर कर देते हैं।

    जोया वहाँ से उठकर कहती है, "ठीक है। आप अपने काम में लग जाइए, मैं भी अपने काम में लग जाती हूँ। मैं जाकर अब शिवम भाई को थोड़ा हौसला देती हूँ कि वह सिया से अपना प्यार का इज़हार करते रहें और उसका इंतज़ार करें। आखिर जिस प्यार में इंतज़ार ना हो, वह प्यार कैसा?"

    वियान जोया की आखिरी लाइन सुनकर मुस्कुराते हुए कहता है, "आप काफी कुछ जानती हैं प्यार के बारे में, और इतना डीपली बहुत अच्छे से सोचती हैं आप।"

    वियान की बात सुनकर जोया को याद आता है कि उसने अभी बहुत ही अच्छा प्यार का लाइन बोला है। वह हल्का मुस्कुराते हुए कहती है, "जी हाँ, प्यार को समझा नहीं जा सकता, सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है। और प्यार में इंतज़ार भी बहुत ज़रूरी होता है, ताकि हमें उस शख्स की अहमियत अपनी ज़िन्दगी में पता चले। जब वह मिले, तो उसे हम कहीं जाने ना दें।"

    जोया की बात सुनकर वियान खामोश रहता है। वह एकटक जोया के चेहरे को देख रहा था। जोया भी वियान की आँखों में देख रही थी। फिर जोया अपने होश में आते हुए कहती है, "अच्छा, ठीक है। मैं चलती हूँ।"

    वियान भी अपने होश में आता है और अपना सिर इधर-उधर करते हुए कहता है, "हम्म।"

    जोया वापस अपने घर आ चुकी थी। वहाँ आते ही उसने देखा कि सिया चुपचाप बालकनी में खड़ी, बाहर खेलते बच्चों को देख रही थी। जोया भी जाकर सिया के बगल में खड़ी हो जाती है और उसके चेहरे को देखते हुए कहती है, "प्यार है, तो अपनी जुबान पर ले आना चाहिए। नहीं तो, देर करना भी इस सब में सही नहीं होता।"

    सिया उसे हैरानी से देखते हुए कहती है, "तुम कहना क्या चाह रही हो? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।"

    जोया मुस्कुराते हुए उसके कंधे पर हाथ रखकर कहती है, "मुझे तुम्हें कुछ समझने की ज़रूरत नहीं है। तुम्हें खुद को समझने की ज़रूरत है। अगर भाई से प्यार है, तो बोल दो।"

    सिया खामोश रहती है।

    सिया को खामोश देखकर जोया उसे अपनी ओर घुमाकर कहती है, "अरे भाभी जी! मेरे भाई आपसे बहुत प्यार करते हैं। रानी की तरह रखेंगे। आप बस हाँ करो, हम बारात लाने के लिए तैयार हैं।"

    यह बात सुनकर सिया की आँखें हल्की नम हो जाती हैं। वह नाम आँखों से कहती है, "यह मुमकिन नहीं है, जोया।"

    "हर चीज़ मुमकिन है, सिया। अगर हम चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं। बस करने की चाह होनी चाहिए।"

    सिया कहती है, "यह सब कहने और सुनने के लिए अच्छी बातें हैं, जोया। और रही बात शिवम से प्यार का इज़हार करने की, तो मैं कभी नहीं कर सकती हूँ। क्योंकि मैं अपने पापा का दिल नहीं तोड़ सकती। उन्होंने आज तक मेरे लिए वह सब किया है जो मुझे चाहिए था। तब मेरा भी फ़र्ज़ बनता है कि मैं उनकी एक ख्वाहिश पूरी करूँ।"

    जोया कहती है, "यह पापा सब है ना? वह अपनी बेटी को हमेशा खुश देखना चाहते हैं। मेरे पापा हमेशा मुझे खुश देखना चाहते थे। तुम्हारे भी पापा तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहते हैं। जब हमारी खुशी एक शख्स में होगी ना, तो हमारे पापा लोग भी ज़रूर समझेंगे।"

    सिया जोया की बातों को समझते हुए कहती है, "अब जो किस्मत में लिखा है, वह होकर रहेगा। अब मैं इसमें कुछ नहीं करना चाहती।"

    सिया वहाँ से जाने लगती है। तभी जोया पीछे से कहती है, "करती हो भाई से प्यार?"

    क्या सिया अपने दिल की बात जोया को बता देगी? और कैसे वियान अब सिया और शिवम को मिलाने के लिए जोया की मदद करेगा?

  • 11. Our journey of love - Chapter 11

    Words: 1491

    Estimated Reading Time: 9 min

    जोया का सवाल सुनते ही सिया के कदम ठहर गए। वह बिना पीछे पलटे चुपचाप खड़ी रही। जोया, चेहरे पर मुस्कराहट लिए, सिया के पास आई और उसे घुमाते हुए कहा, "तुम्हारी आँखें बता रही हैं सिया, तुम शिवम भाई से कितना प्यार करती हो।"

    जोया की बात सुनकर सिया तुरंत जोया से लिपट गई और बोली, "हाँ, बहुत प्यार करती हूँ मैं शिवम से। वह मेरी जान है, लेकिन हम दोनों का मिलना शायद किस्मत में नहीं लिखा।"

    सिया जोया के गले लगी रोने लगी। जोया ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "जब हम किसी से बेइंतहा प्यार करें, तो उसे हमें किस्मत अपने आप मिला देती है। तुम चिंता मत करो, सब बहुत जल्दी ठीक हो जाएगा। तुम बस एक बार शिवम भाई को अपने दिल की बात बता दो।"

    सिया जोया से अलग होती हुई बोली, "नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती। मैं शिवम को कोई भी तरह की उम्मीद नहीं देना चाहती हूँ ताकि आगे चलकर उसे तकलीफ हो।"

    "तुम तो मुझे अभी भी तकलीफ दे रही हो! अपने दिल की बात मुझसे क्यों नहीं करती?" पीछे से एक आवाज़ आई। आवाज़ सुनकर जोया और सिया दोनों पीछे मुड़कर देखे। वहाँ शिवम, हाथ बंधे, खड़ा सिया को ही देख रहा था। सिया शिवम को देखकर अपनी पलकें झुका कर खड़ी हो गई। जोया कुछ देर उन दोनों को देखती रही, फिर मौके की नाज़ुकता समझकर वहाँ से चली गई।

    शिवम धीरे-धीरे सिया की ओर बढ़ने लगा। सिया घबराहट से पीछे हटने लगी। उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह पलकें उठाकर शिवम से अपनी नज़रें मिला पाए।

    शिवम लगातार सिया की आँखों में देखते हुए उसकी ओर बढ़ रहा था। सिया भी पीछे हट रही थी। पीछे दीवार आते ही सिया को रुकना पड़ा। वह वहाँ से जाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ी, शिवम ने उसे खींचकर अपनी छाती से लगा लिया और कहा, "आई लव यू सो मच सिया! एक बार मेरी बन जाओ, ज़िन्दगी भर तुम्हें किसी भी चीज़ की तकलीफ नहीं होगी। आई प्रॉमिस।"

    सिया शिवम की छाती से लिपट कर रोते हुए बोली, "आई लव यू टू, शिवम।"

    शिवम सिया से अपने प्यार का इज़हार सुनकर खुशी से फूला नहीं समाया। उसने तुरंत सिया के चेहरे को पकड़कर उसे पूरे चेहरे पर किस करने लगा। सिया शिवम के प्यार को महसूस कर रही थी। जैसे ही शिवम सिया के होठों की ओर बढ़ने लगा, सिया ने उसे पीछे धक्का देते हुए कहा, "प्यार का इज़हार कर दिया, इसका मतलब यह नहीं है कि तुम अपनी मनमानी करो।"

    सिया का धक्का खाकर शिवम तुरंत हड़बड़ा गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर वह होश में आते हुए सिया को गौर से देखते हुए बोला, "एक तो तुमने इतना लेट किया, ऊपर से जब मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ, तुम प्यार करने नहीं दे रही हो! ऐसा करके मुझे..."

    शिवम इतना ही बोल पाया था कि सिया वहाँ से भागने लगी। आखिर में शिवम ने उसे पकड़ लिया। तभी सिया ने उसे दूर करते हुए कहा, "पहले पापा से बात करना पड़ेगा, नहीं तो वह सच में मुझे अपने दोस्त के बेटे से शादी कर देंगे।"

    "अरे तुम मेरे ससुर जी की टेंशन मत लो!" शिवम ने सिया के प्यार भरे चेहरे को देखते हुए कहा। सिया ने शिवम के मुँह से 'ससुर जी' सुनकर उसे चिढ़ाते हुए कहा, "तुम्हारे ससुर जी कैसे हो मेरे पापा?"

    शिवम सिया के चेहरे को देखते हुए बोला, "अरे, मैं तुमसे शादी करूँगा तो तुम्हारे पापा मेरे ससुर ही लगेंगे ना, और हमारे बच्चे के नाना जी!" शिवम ने सिया को देखकर एक आँख मारी जिससे सिया शर्माकर उसकी छाती से लिपट गई।


    दूसरी ओर, वियान अपने केबिन में बैठा सिया के बारे में सोच रहा था। तभी उसके दिमाग में एक ख्याल आया। उसने मन ही मन कहा, "यह मिस एजेंट को ज़्यादा ही सर्तक मुझे ऐसे फँसा के गई है जिसके बारे में मुझे पता भी नहीं था। अब करना ही पड़ेगा, मेरी बहन की ज़िन्दगी का सवाल है। आखिर वह मुझसे प्यार करती है, उससे मिलना तो मुझे ही चाहिए।" ऐसा कहकर उसने अपने फ़ोन में अपने पापा का नंबर डायल किया। दो-तीन रिंग में उसके पापा ने फ़ोन उठाया। उधर से राघव जी ने कहा, "हाँ बेटा, बोलो, कैसे हो तुम?"

    वियान ने कहा, "मैं ठीक हूँ डैड, मुझे आपसे एक बात करनी थी।" राघव जी ने वियान की बात सुनकर कहा, "हाँ, कहो।" जैसे ही वियान कुछ बोलने के लिए मुँह खोला, उसके दिमाग में आया कि ऐसे अचानक से इस बारे में बात करना सही नहीं होगा। इसलिए वह कुछ देर शांत हो गया। राघव जी ने वियान को कुछ ना बोलते देखा तो बोले, "क्या हुआ? बोलो, क्या बात है बेटा?"

    वियान ने अपनी बात बदलते हुए कहा, "वह डैड, हमने काफ़ी हद तक केसेस को सॉल्व कर लिया है। अब लगता है कि जल्दी सारे लोग भी ठीक हो जाएँगे।"

    वियान की बात सुनकर राघव जी खुश होते हुए बोले, "मुझे पता था! क्योंकि मेरा बेटा बहुत ही ज़्यादा इंटेलिजेंट और हार्ड वर्किंग है। और वैसे भी अब पूरे मेडिकल फ़ील्ड में, क्या पूरे इंडिया में भी तुम्हारा नाम होने लगा है। आखिर तुमने जो फ़ैसला किया वह बिलकुल सही था।"

    राघव जी की बात सुनकर वियान हल्का सा मुस्कुराया।

    कुछ देर वियान अपने पिता से फ़ोन पर बात करने के बाद फ़ोन काट दिया। वह सोचने लगा कि कैसे अपनी बहन से बात करे क्योंकि ऐसे फ़ोन पर बात करना उसे अच्छा नहीं लगता, बात और बिगड़ सकती थी। अब वह फ़ेस टू फ़ेस होकर ही बात करेगा।

    उसके पिता का फिर से कॉल आया। राघव जी का फ़ोन देखकर वियान तुरंत फ़ोन उठाते हुए बोला, "येस डैड?"

    राघव जी बोले, "अरे बेटा, मैं सोच रहा था कि मैं भी तुम्हारे मेडिकल कैंप में आकर कुछ दिन रहकर देखूँ। आखिर वैसे क्या वायरस है जिससे लोगों की ऐसी हालत हो गई है?"

    वियान ने कहा, "डैड, आपको आने की ज़रूरत नहीं है, मैं यहाँ सब संभाल रहा हूँ।" तभी राघव जी बोले, "बात संभालने की नहीं है बेटा, मैं भी प्रोफ़ेशन में एक डॉक्टर हूँ। आखिर मुझे भी पेशेंट को चेक करना चाहिए। मैं कुछ ही दिनों में वहाँ आता हूँ।"

    वियान: "ठीक है, लेकिन मॉम अकेली रहेंगी ना?" तभी राघव जी बोले, "अरे, कुछ दिन तुम्हारे मामा के यहाँ चली जाएगी। वैसे भी हर लेडीज़ को अपने मायके जाने की खुशी हर वक़्त रहती है।" राघव जी ने थोड़े मज़ाक के अंदाज़ में कहा। वियान उनकी बात सुनकर हँसने लगा। तभी पीछे से आशिका जी की आवाज़ आई, "अच्छा, दोनों बाप-बेटे मुझे छोड़कर चल जाओगे? अकेले में यहाँ क्या करूँगी? और आप तो मुझे अपने मायके छोड़ने की ही बात करते रहते हैं। किसी दिन गई तो आऊँगी भी नहीं!"

    राघव जी तुरंत पीछे मुड़कर बोले, "माफ़ कीजिए बीबी जी, मैं तो बस अपने काम को लेकर थोड़ा..." इतना ही राघव जी बोले थे कि आशिका जी उन पर बरसते हुए बोलीं, "आपसे तो मैं बाद में बात करती हूँ, पहले आप मुझे फ़ोन दीजिये। मैं थोड़े अपने लाड साहब को भी प्रसाद दे दूँ।" ऐसा कहकर उन्होंने तुरंत फ़ोन ले लिया और कहा, "क्या बात है डॉक्टर साहब? ज़्यादा ही बिज़ी रहने लगे हैं? माँ की तो याद आती नहीं आपको?" आशिका जी ने बेहद नाराज़ भरे स्वर में कहा।

    वियान समझ गया था कि कुछ दिनों से काम में बिज़ी रहने के कारण वह अपनी माँ से ठीक से बात नहीं कर पाया था। तभी वियान ने आशिका जी से कहा, "मॉम, मैं इधर बिज़ी था इसलिए आपसे बात नहीं कर पाया, सॉरी।"

    तभी आशिका जी बोलीं, "हाँ, तुम और तुम्हारे डैड को आता है क्या सिर्फ़ बिज़ी रहना? बीवी और माँ की तो कोई फ़िक्र नहीं है आप दोनों को!" तभी राघव जी बोले, "अरे, मैं तो आपके पास ही हूँ, मुझे आपसे बात ही नहीं करनी क्या?" आशिका जी फ़ोन राघव जी के हाथ में पकड़कर वहाँ से चली गईं। तभी राघव जी फ़ोन कान से लगाकर बोले, "चल बेटा, अब जाता हूँ। तेरी थोड़ी माँ की मनाने में पापड़ बेलने पड़ेंगे, नहीं तो वह मुझे घर से निकाल देगी।"

    वियान उनकी बात सुनकर "हाँ" कहकर फ़ोन काट दिया।

  • 12. Our journey of love - Chapter 12

    Words: 1608

    Estimated Reading Time: 10 min

    कुछ ही दिनों में राजीव जी बनारस आ गए थे। वे वियान के साथ बाकी मरीज़ों की जाँच कर रहे थे।

    अपने पिता के आने की खबर सुनकर सिया तुरंत उनसे मिलने आई। सिया को वहाँ देखकर राजीव जी हैरान हो गए। वे जानते थे कि उनकी बेटी एक एजेंट है, लेकिन उसे यहाँ देखकर वे समझ गए थे कि यह किसी ने कहीं न कहीं से उसे यहाँ शामिल किया है।

    सिया आकर राजीव जी को गले लगाती है। राजीव जी भी प्यार से उसके सर को सहलाते हुए कहते हैं, "कैसी हो बेटा? तुम काफी दिनों से घर भी नहीं आई। अपने पापा की याद नहीं आती शायद मेरी प्रिंसेस को?"

    राजीव जी की बात सुनकर सिया मुस्कुराते हुए, बच्चों की तरह कहती है, "नहीं डैड, ऐसा कुछ भी नहीं है। काम में इतनी व्यस्तता थी ना कि समय ही नहीं मिला। बस एक काम खत्म करके ही घर आने का सोच रही थी।"

    "बिल्कुल, अब तुम जल्द से जल्द घर आ जाना। मेरी बेटी के बिना घर सून-सून सा लग रहा है," राजीव जी ने सिया से कहा।

    वियान उन दोनों को देख रहा था। उसे याद आया कि उसे राजीव जी से सिया के बारे में बात करनी है। वह सोचने लगा कि किस तरीके से वह राजीव जी से बात करे।

    रात के समय राजीव जी और वियान बाहर गार्डन में टहल रहे थे। इन दोनों के बीच बाप-बेटे के रिश्ते से ज़्यादा एक दोस्त का रिश्ता था। आजकल जहाँ अधिकांश युवा पीढ़ी अपने पिता से दूरी बनाकर रखती है, वहीं वियान की सोच बिल्कुल अलग थी। वह अपने पिता से बिल्कुल मित्रवत व्यवहार करता था।

    वियान में एक आदत थी कि वह किसी के सामने भी बात करने में हिचकिचाता था। इसलिए उसने, खुद को तैयार करते हुए, राजीव जी से कहा, "डैड, मुझे आपसे बात करनी है।"

    राजीव जी ने कहा, "हाँ, बोलो।"

    वियान बोला, "डैड, आप सिया की शादी अपने दोस्त के बेटे से करना चाहते हैं, ना?"

    वियान की बात पर राजीव जी उसे देखते हुए कहते हैं, "हाँ, क्योंकि मैं सिंघानिया को अच्छे से जानता हूँ।"

    "आप अच्छे से जानते हैं, लेकिन क्या आपने एक बार सिया से पूछा कि क्या वह इस रिश्ते के लिए खुश है या वह शादी करना चाहती है?"

    वियान के बाद पर राजीव जी सोचने लगे क्योंकि उन्होंने अभी तक सिया से पूछा ही नहीं था और इस तरह उसका रिश्ता तय कर दिया था, वह भी बहुत पहले।

    राजीव जी से कुछ जवाब न पाकर वियान उनके सामने आया और कहा, "डैड, मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आप सिया के लिए गलत सोचेंगे या करेंगे, लेकिन सिया की भी अपनी ज़िंदगी है। उसे अपनी लाइफ पार्टनर चुनने का पूरा हक बनता है।"

    राजीव जी बड़े ध्यान से वियान की बात सुन रहे थे। आखिर एक बड़े भाई होने के नाते वियान का अपनी बहन के लिए खड़ा होना राजीव जी को अच्छा लगा। वे वियान से कहते हैं, "तुम सही कह रहे हो बेटा, लेकिन एक बाप होने के नाते मैं अपनी बेटी को हमेशा खुश देखना चाहता हूँ।"

    वियान, "हाँ, तो वह अपने पैरों पर खड़ी है। उसके साथ कभी कुछ गलत नहीं हो सकता। कोई उसके साथ गलत व्यवहार नहीं कर सकता। वह आज की लड़की है और आपके दिए संस्कार उसमें बहुत अच्छे से हैं।"

    राजीव जी को वियान की सारी बातें समझ आती हैं, लेकिन फिर भी वे कहते हैं, "बेटा, आज तुम ऐसी बातें क्यों कर रहे हो? कहीं सिया ने तुमसे ऐसा कुछ कहा?"

    वियान उनकी बात सुनकर कहता है, "नहीं डैड, मैंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा। बस मैं इतना चाहता हूँ कि सिया अपने लाइफ पार्टनर को अपने मन से चुने, ना कि किसी और के दबाव में। वह अपनी सारी ज़िंदगी किसी ऐसे इंसान के साथ बिताए, जिसे वह प्यार करती हो, या कम से कम पसंद करती हो।"

    राजीव जी वियान के कंधों पर हाथ रखते हुए कहते हैं, "तुम सही कह रहे हो वियान। मुझे एक बार सिया से इस बारे में बात करनी चाहिए थी। खैर, जो गलती हुई, मैं उसे आगे नहीं दोहराऊँगा। अब मैं अपनी बेटी से सब कुछ पूछकर ही फैसला करूँगा। लेकिन जो भी फैसला होगा, उसमें मेरी मर्ज़ी कहीं न कहीं शामिल होनी चाहिए, क्योंकि एक बाप होने के नाते मैं अपनी बेटी को किसी भी ऐसे फैसले में अकेला नहीं छोड़ सकता।"

    वियान, "बिल्कुल। आप ही क्यों, मैं भी उसके हर फैसले में उसका साथ दूँगा। हम दोनों मिलकर उसके लिए एक बेहतरीन लाइफ पार्टनर चुनेंगे, जो हमारी सिया को हर वक़्त खुशी दे और उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान लाए, और उसके साथ ज़िंदगी भर निभाए।"

    दोनों बाप-बेटे अब अंदर आ चुके थे। वियान को अब काफी हल्का महसूस हो रहा था क्योंकि वह काफी हद तक राजीव जी को समझा चुका था कि बिना पूछे किसी का रिश्ता करना सही नहीं था और राजीव जी भी समझ चुके थे।

    वियान ने अपने कमरे में आकर जोया को कॉल लगाई। जोया अपनी बालकनी में बैठकर एकटक आसमान में चमकते चाँद को देख रही थी और अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी। तभी उसका ध्यान उसके फ़ोन की घंटी से टूटा। उसने अपना फ़ोन उठाया और देखा कि डॉक्टर वियान का फ़ोन है। वह थोड़ी चौंकते हुए बोली, "यह डॉक्टर का फ़ोन है। कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी? क्या करूँ?" जरा फोन उठाती और बिना वियान की बात सुने अपने सवाल पूछने लगती है, "क्या हुआ डॉक्टर वियान? कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है? सारे पेशेंट ठीक तो हैं?" वगैरह सवाल बिना वियान की बात सुने पूछने लगती है।

    जिससे वियान थोड़ा चिढ़ते हुए कहता है, "मिस एजेंट, आप पहले सामने वाले इंसान की बात सुन लीजिये।"

    वियान की बात सुनकर जोया को अपनी गलती का एहसास होता है और वह अपने होंठ दांतों से काटते हुए कहती है, "सॉरी, क्या काम था आपको?"

    वियान, "आज मेरे डैड बनारस आए हैं।" इतना ही कहा कि फिर जोया ने, बिना उसकी बात पूरी सुने, कहा, "हाँ, तो आपने सिया के बारे में उनसे कहा कि वह ऐसे बिना उसे पूछे कहीं और रिश्ता न करें? कहीं आपने गलती तो नहीं कर दी है?" फिर वह चुप हो जाती है।

    इधर वियान अपना सिर पीटते हुए कहता है, "अजीब लड़की है!" मुझे कहने तो दे पहले! अपने मन में सोचता है फिर कहता है, "अब मैं आगे कहूँ, अब आप बीच में नहीं बोलेंगी।"

    जोया, "हाँ, मैं कुछ नहीं कहूँगी।" वियान आगे कहता है, "मैंने डैड से सिया के बारे में बात की। अब वे सिया से पूछकर ही इस रिश्ते को आगे बढ़ाएँगे। लेकिन..."

    "लेकिन क्या?" जोया ने पूछा।

    वियान, "लेकिन मैंने सिया और शिवम के रिश्ते के बारे में डैड से कुछ भी नहीं कहा। अब इसमें न ही आप, न ही मैं कुछ करूँगा। अब अपने प्यार के लिए सिया और शिवम को खुद ही आगे आना पड़ेगा।"

    जोया को वियान की बात सही लगती है। वह भी हां बोलते हुए कहती है, "बिल्कुल। मैं शिवम से बात करती हूँ कि वह अब सिया के घरवालों से बात करे।"

    वियान, "आप कह रही हैं कि शिवम बात करेंगे? आपकी फैमिली में कोई प्रॉब्लम नहीं होगा? इंटरकास्ट मैरिज, लव मैरिज, आपकी फैमिली में चलेगी?"

    वियान का सवाल सुनकर जोया हल्का मुस्कुराते हुए कहती है, "चलती तो नहीं है, लेकिन मुझे मेरे मम्मी-पापा पर पूरा भरोसा है कि वे अपने बच्चों की खुशी के लिए कुछ भी कर सकते हैं, अगर बच्चों ने सही फ़ैसला लिया हो तो।"

    "अच्छा, तो आपके घर से कोई प्रॉब्लम नहीं होने वाला है, और जो मेरे घर की तरफ़ से होगा, वह भी मैं सॉल्व कर दूँगा। मतलब अब शायद सिया और शिवम आराम से मिल सकते हैं।" वियान ने कहा।

    "बिल्कुल, और मैं इन दोनों के लिए बहुत खुश हूँ।" जोया खुशी से उछलते हुए बोली।

    "हाँ, मैं भी खुश हूँ अपनी बहन के लिए कि उसे शिवम जैसा लाइफ पार्टनर मिला। मैं उससे ज़्यादा तो नहीं मिला, लेकिन जितना मिला हूँ, इतना पता चल चुका है कि वह अच्छा लड़का है।"

    जोया, "हाँ भाई, बहुत अच्छे हैं। लाइफ पार्टनर तो भाई जैसा ही होना चाहिए।"

    "अच्छा, और किसी और के जैसे नहीं?" वियान ने तपाक से पूछा। उसे खुद समझ नहीं आता कि उसने ऐसा सवाल क्यों किया, लेकिन फिर भी वह जोया से जवाब जानना चाहता था।

    जोया, "नहीं, ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ भाई जैसे ही। मतलब भाई के व्यवहार जैसा, केयरिंग, लविंग और अपने प्यार के लिए लॉयल रहने वाला बंदा ही हमेशा अच्छा होता है, जो आपके लिए किसी से भी लड़ जाए और आपके लिए खड़ा हो।"

    जोया की बात वियान के दिल को छू गई थी। उसने प्रभावित होते हुए कहा, "वाह मिस एजेंट! आप तो काफी गहराई से सोचती हैं। बात बिल्कुल दिल को छू जाती है।"

    वियान की बात सुनकर जोया का दिल अचानक से धड़कने लगा। उसे समझ नहीं आता कि वियान का यह सब कहना उसके लिए इतना अजीब क्यों था, लेकिन फिर भी उसने अपने इमोशंस पर काबू रखते हुए कहा, "ठीक है, काफी रात हो चुकी है। मैं फोन रखती हूँ।"

    वियान, "हाँ, गुड नाइट।"

    जोया "गुड नाइट" कहकर दोनों फोन काट देते हैं। जोया का दिल अजीब से शोर मचा रहा था। पता नहीं क्यों, इसके बारे में वह ज़्यादा न सोचते हुए चुपचाप सो जाती है।

  • 13. Our journey of love - Chapter 13

    Words: 1598

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगली सुबह सिया अपने पापा से मिलने होटल आई थी। वह बहुत खुश थी, क्योंकि वह अपने घर में सबसे ज़्यादा अपने पापा से प्यार करती थी।

    वह सीधे राजीव जी के पास गई। राजीव जी सिया को देखकर खुश हुए और उसे अपने पास बिठाते हुए बोले, "क्या बात है, आज हमारी प्रिंसेस मुझे पहले ही मिलने आ गई।"

    सिया मुस्कुराते हुए बोली, "बिल्कुल डैड, क्योंकि मुझे आपकी बहुत याद आ रही थी।" इतना कहकर सिया ने राजीव जी को साइड हग किया।

    राजीव जी को याद आया कि उन्हें सिया से उसकी शादी के बारे में पूछना है। वह सिया को देखकर बोले, "सिया, मैं तुमसे कुछ पूछूँगा, तो तुम मुझे सच-सच जवाब दोगी बेटा?"

    सिया अपने पापा से ऐसा सवाल एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी। वह हैरानी से उन्हें देखते हुए बोली, "बिल्कुल, मैं सच ही बोलूँगी आपसे।"

    तब राजीव जी बोले, "बेटा, मैं सिंघानिया से तुम्हारा रिश्ता जोड़ा है, क्या तुम उसके लिए खुश हो?"

    राजीव जी की बात सुनकर सिया खामोश रही। काफी देर तक जब सिया से कोई जवाब नहीं मिला, तो राजीव जी समझ गए कि सिया इस रिश्ते के लिए बिल्कुल भी खुश नहीं थी और उसे जबरदस्ती, उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़, यह रिश्ता करने के लिए हां कहना पड़ा था। उनके चेहरे पर दुख साफ़ झलक रहा था।

    राजीव जी थोड़े उदास होकर बोले, "सॉरी बेटा, एक बाप होने के नाते मुझे तुम्हारी फीलिंग के बारे में जान लेना चाहिए था, ताकि पता चलता कि तुम इस रिश्ते में खुश हो या नहीं।"

    सिया अपने पापा के कंधे पर सिर रखते हुए बोली, "आप मेरे डैड हैं, मुझसे ज़्यादा आप मुझे जानते हैं। और मुझे पता है मेरे डैड कभी भी मेरे लिए गलत नहीं सोचेंगे, इसलिए मैंने आपसे कुछ कहना ज़रूरी नहीं समझा।"

    राजीव जी को सिया की बात बहुत अच्छी लगी। उसके सिर पर हाथ करते हुए बोले, "बिल्कुल, जब तुम मुझे इतना समझ सकती हो, तो मुझे भी अपनी बेटी को समझना चाहिए था। इसलिए कोई लोड नहीं है। तुम अगर इस रिश्ते के लिए ना भी कहोगी तो मुझे कोई बुरा नहीं लगेगा। अगर तुम्हें कोई पसंद है तो तुम मुझे बेझिझक बात भी कर सकती हो, क्योंकि मैं कोई पुराने ख्याल रखने वाला बाप नहीं हूँ जो लव मैरिज के खिलाफ़ हो। लड़का सही होना चाहिए।" राजीव जी की बात सुनकर सिया खुश हुई। उसे लगा कि अब शिवम के बारे में बता दे, लेकिन फिर वह सोची कि शिवम से पहले पूछ लेना चाहिए।

    तभी पीछे से एक आवाज़ आई, "मैं आपकी बेटी से शादी करना चाहता हूँ।" यह आवाज़ सुनकर सिया की हालत खराब हो गई। वह समझ गई कि आवाज़ किसी और की नहीं, बल्कि शिवम की थी। वह पीछे पलटी, जहाँ शिवम और वियान साथ खड़े थे। वियान के साथ शिवम को देखकर सिया की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। उसका पूरा बदन काँपने लगा। उसे डर था कि कहीं और कुछ गड़बड़ ना हो जाए। पहले उसके पापा ने यहाँ कह दिया, लेकिन यूँ अचानक शिवम का यह कहना उसे डरा रहा था।

    वहीँ राजीव जी यह बात सुनकर थोड़ी देर खामोश हो गए। वे सामने खड़े शिवम और वियान को देख रहे थे। वे शिवम को नहीं जानते थे, लेकिन वियान को देखकर सवालिया नज़रों से देख रहे थे।

    कुछ देर उस कमरे में खामोशी छा गई। फिर शिवम राजीव जी के सामने आकर बोला, "मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ और मैं चाहता हूँ कि आप अपनी बेटी का हाथ मेरे हाथ में दें। मैं उसे ज़िंदगी भर खुश रखूँगा, यह वादा है मेरा आपसे।"

    शिवम की दरियादिली देखकर वियान के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ गई। उसे काफी हद तक रिलैक्स फील हो रहा था कि उसकी बहन के जीवन में ऐसा लड़का आया है जो अपने प्यार को सबके सामने ला रहा है।

    वहीँ सिया डर के मारे हालत खराब हो रही थी। उसने अपनी नज़रें अभी भी नीचे रखी हुई थीं। उसे डर लग रहा था कि कहीं राजीव जी गुस्सा ना हो जाएँ या फिर वियान गुस्सा ना हो जाए, क्योंकि वह दोनों के गुस्से को जानती थी और वियान के गुस्से से तो वह अच्छे से वाकिफ़ थी। वियान को जब गुस्सा आता था, तो वह किसी की नहीं सुनता था।

    वहीँ राजीव जी कुछ देर खामोश रहे, फिर आखिरकार शिवम की ओर देखते हुए बोले, "तुम कौन हो? ऐसे ही मेरी बेटी का हाथ मांगने के लिए कैसे बोल सकते हो?"

    शिवम हल्की सी मुस्कराते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोला, "हेलो, मेरा नाम शिवम बनर्जी है। मैं कोलकाता में रहता हूँ और मैं एक आईपीएस ऑफिसर हूँ।"

    शिवम के बारे में यह जानकर कि वह एक आईपीएस ऑफिसर है, राजीव जी को अच्छा लगा, लेकिन फिर भी कुछ सोचते हुए अपने चेहरे पर सख़्ती लाकर बोले, "मैं कैसे मान लूँ कि तुम उसे प्यार करते हो और वो भी यूँ? मेरी बेटी से शादी करने के बाद तुम मुझे कैसे कह सकते हो?"

    यह सुनकर शिवम बिल्कुल खामोश रहा। वियान शिवम के चेहरे को देख रही थी कि अब शिवम क्या जवाब देगा। वहीँ सिया की धड़कन तेज से तेज होती जा रही थी। उसे लग रहा था उसे अभी हार्ट अटैक आ जाएगा। वह अपने दोनों फिंगर को क्रॉस करते हुए अपने मन में भगवान का नाम ले रही थी, तभी उसे जोया की याद आई। थोड़ी हिम्मत आई, वरना वह बेहोश होकर गिरने से ज्यादा समय नहीं लगाती। तभी उसकी कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ। उसने जैसे ही पीछे देखा, पीछे जोया थी, मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी। सिया ने एक राहत की साँस ली।

    शिवम कुछ देर खामोश रहा, फिर बोला, "मैं एक आईपीएस ऑफिसर हूँ, इसमें कोई झूठ नहीं है। आप चाहें तो मेरी सारी डिटेल्स ले सकते हैं। और रही बात आपकी बेटी का हाथ मांगने की, तो मैं उससे प्यार करता हूँ और अपने प्यार से शादी करने में कोई बुराई नहीं है।"

    राजीव जी शिवम के जवाब पर काफी इम्प्रेस हो चुके थे। वह वियान को देखकर बोले, "वियां, तुम इनको जानते हो? क्योंकि तुम अभी इनके साथ आई हो।" वियान राजीव जी को शिवम से परिचित कराती है। राजीव जी समझ गए थे कि शिवम को अगर वियान जानती है, तो यह अच्छा ही लड़का होगा। इसलिए राजीव जी बस इतना बोले, "ठीक है, अगर तुम्हें मेरी बेटी से शादी करनी है, तो तुम अपनी माँ-बाप को लेकर मेरे घर आओ और मेरी बेटी का हाथ मांगो।"

    इतना कहकर राजीव जी ने शिवम के कंधे पर हाथ रखकर मुस्कुराया। सिया तो राजीव जी की बात सुनकर खुशी से उनके गले लग गई। राजीव जी ने उसके सिर पर हाथ फिरते हुए कहा, "क्या तुम भी इसे प्यार करती हो?"

    उनकी बात सुनकर सिया ने हल्के से हाँ में सिर हिलाया। तो राजीव जी बोले, "मैं कितनी बड़ी गलती करने वाला था! मेरी बेटी की खुशी सोने जा रहा था।"

    सिया अपना सिर उठाकर राजीव जी को देखते हुए बोली, "आपने मेरी खुशी मुझसे दूर नहीं की, बल्कि मुझे दी।" उनकी बात सुनकर राजीव जी मुस्कुराए और बोले, "बिल्कुल, मैं अपनी बेटी को कभी दुःखी नहीं देख सकता।"

    राजीव जी की नज़र सामने जोया पर पड़ी। शायद वह जोया को जानते थे, इसलिए उन्होंने कहा, "जोया बेटा, तुम यहाँ? तुम भी सिया के साथ इस मिशन पर हो?" राजीव जी की बात सुनकर जोया ने हाँ में सिर हिलाया और जाकर उनके पैर छुए। राजीव जी जोया को कई सालों से जानते थे क्योंकि सिया और जोया एक ही टीम में थीं और अक्सर साथ रहती थीं। राजीव जी जोया से दो-तीन बार मिल चुके थे।

    जोया बोली, "अंकल, मैं यहीं हूँ और आपकी सिया मेरी भाभी बनने वाली है। शिवम भाई मेरे बड़े भाई हैं।"

    अभी राजीव जी ध्यान देते हैं कि शिवम के सरनेम के पीछे बनर्जी है और जोया के भी सरनेम में बनर्जी आता था। उन्हें अब खुशी हो रही थी कि शिवम कितना अच्छा है, क्योंकि सालों से राजीव जी जोया के बारे में जानते थे। उन्हें काफी अच्छा लगता है इसलिए वह इतनी हद तक तो जान ही चुके थे कि शिवम भी काफी हद तक जोया जैसा होगा।

    अब राजीव जी वहाँ से निकलते हुए बोले, "मुझे कुछ काम है, मैं आज ही यहाँ से इंदौर के लिए निकल रहा हूँ।" उनके बात पर सिया उन्हें रोकते हुए बोली, "पापा, कुछ दिन और रुक जाइए ना। अभी हमारा मिशन कंप्लीट नहीं हुआ, कुछ दिन यहाँ रुक जाइए, मैं अभी वहाँ नहीं जा सकती घर।"

    राजीव जी बोले, "बेटे, मुझे वहाँ के अस्पताल को भी संभालना पड़ेगा ना। जल्द से जल्द अपना मिशन कंप्लीट करो और आओ। तुम्हारी और तुम्हारी बहन के बिना मुझे बहुत बुरा लगता है। तुम्हारी माँ को भी मैं उनकी माँ को छोड़कर आया हूँ, अगर मैं उनके पास नहीं गया तो वे मुझे नहीं छोड़ेंगी।" राजीव जी ने यह बहुत मज़ाकिया तरीके से कहा था, तो वहाँ पर सभी मुस्कुराने लगे।

  • 14. Our journey of love - Chapter 14

    Words: 1037

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब कमरे में शिवम, सिया, जोया और वियान थे। सिया, वियान के सामने आकर अपने कमर पर दोनों हाथ रखते हुए बोली, "आपको पता था मेरे शिवम के बारे में?"

    वियान ने हाँ कहा। सिया ने पूछा, "और किसने बताया आपको?"

    वियान की नज़र जोया पर गई। सिया समझ गई कि यह सब जोया ने किया है। वह वियान के गले लग गई और बोली, "थैंक यू, थैंक यू सो मच भाई! लेकिन आपने और जोया ने ये सब कैसे किया?"

    वियान ने सिया को सब कुछ बताया—कैसे जोया ने उसे फोन करके उसके और शिवम के बारे में बताया और कैसे उसने राजीव जी से रिश्ते के बारे में पूछने के लिए उसे मनाया।

    सिया हैरानी से सब सुन रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि जोया ने इतना दिमाग कैसे लगाया।

    सिया जोया के पास आकर बोली, "जोया, ऐसे ही तुम इतनी बड़ी एजेंट नहीं बनी हो! इतनी सफाई से तूने काम किया। मेरे भाई को भी बना लिया! मुझे लगा था कि सबसे ज़्यादा मुझे बाइक बनाने में टाइम लगेगा।"

    जोया मुस्कुराते हुए बोली, "दो प्यार करने वालों को मिलना कोई गलत काम नहीं है, और यह बात तुम्हारा भाई अच्छे से जानता है।" वियान के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    सिया शिवम के पास आकर बोली, "और तुम? तुम यहां कैसे आए इतनी सुबह? और आकर डायरेक्ट ही मेरे पापा से हाथ माँगा? मेरे पापा अगर ना कहते तो...?"

    शिवम हँसते हुए बोला, "बिल्कुल ना कहते! आखिर कोई आईपीएस ऑफिसर अपनी बेटी के लिए जीवनसाथी के रूप में मुझे देखना बुरा नहीं सोचेगा। और वैसे भी, मुझे ये सब करने को जोया और वियान ने ही कहा था। उन्होंने कल रात मुझे फोन करके कहा था।"

    फ्लैशबैक:

    शिवम टेरेस पर खड़ा था, आँखें बंद करके ठंडी हवाओं को महसूस कर रहा था। तभी उसे जोया की आवाज सुनाई दी, "भाई, मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"

    शिवम ने पीछे मुड़कर जोया को देखा और पूछा, "बच्चे, क्या काम है?"

    जोया शिवम के सामने आई और गहरी साँस लेते हुए बोली। उसने शिवम को राजीव जी के बारे में सब कुछ बता दिया। शिवम ध्यान से सब सुन रहा था। सुनने के बाद उसने कहा, "तो वियान ये सब जानता है?"

    जोया ने कहा, "हाँ, मैंने उसे कहा था कि वह राजीव अंकल से बात करे। उसने सब क्लियर कर दिया। अब सिर्फ आपको जाकर सिया का हाथ माँगना है।"

    शिवम ने जोया से कहा, "ऐसे कैसे? कहीं अंकल मुझे ना कह दें तो? तुम मुझे..." वह तुरंत वियान को कॉल लगाने लगा। एक रिंग पर वियान ने कॉल उठा ली। वियान कुछ नहीं बोला, क्योंकि वह जानता था कि जोया अब शुरू होने वाली है। जोया ने फोन उठाते ही बोला, "डॉक्टर वियान, शिवम भाई मेरे साथ है। अब उन्हें आप ही बताइए कि वह जाकर राजीव अंकल से सिया के बारे में बात करें। दोनों बहुत देरी कर चुके हैं।"

    जोया ने एक ही साँस में सब कह दिया। शिवम ने कहा, "अरे जोया, थोड़ा साँस तो ले ले!"

    जोया ने फिर लंबी साँस ली। वियान हँसते हुए बोला, "एसीपी साहब, आपकी बहन ऐसे ही हर वक्त बोलती रहती है कि किसी के बाद भी ना सुने!" शिवम भी हँसने लगा, "ऐसी ही है ये..."

    उन दोनों की बात सुनकर जोया शिवम से बोली, "भाई, आप कितने बुरे हो!" जोया ने वियान को कुछ नहीं कहा। उसने शिवम को सारी बातें समझाईं।

    फिर जोया ने फोन रख दिया क्योंकि वह वियान से नाराज़ हो गई थी।

    फ्लैशबैक खत्म।

    सिया को सारी बात समझ आ गई। उसका दिमाग चक्कर खाने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके पीठ पीछे इतनी बड़ी प्लानिंग हो गई।

    वह वहीं खड़ी थी, तभी जोया बोली, "हमने तो बस शिवम भाई को तुम्हारे और उनके रिश्ते के बारे में बताने को कहा था, लेकिन ये तो आकर डायरेक्ट तुम्हारा हाथ माँग लिया! वह भाई ऐसे ही डेयरिंग होना चाहिए अपने प्यार के लिए।"

    शिवम बोला, "बिल्कुल! मेरी जोया डेयरिंग है तो उसका भाई भी तो डेयरिंग होगा ना?" सब हँसने लगे। जोया हँसते वक्त बहुत प्यारी लग रही थी। वियान की नज़र जोया पर टिक गई। वह डार्क ब्लू कुर्ती और जींस में बहुत खूबसूरत लग रही थी। उसने अपने बालों को हाई क्वालिटी बनाया हुआ था, और बिना मेकअप के भी उसका चेहरा खिल रहा था। उसकी मुस्कान और भी खूबसूरती बढ़ा रही थी।

    वियान का ध्यान तब टूटा जब सिया ने कहा, "थैंक यू भाई, थैंक यू जोया! हम दोनों ने मिलकर इतना कुछ किया।"

    वियान ने कहा, "अपनी बहन के लिए एक अच्छा जीवनसाथी ढूँढना एक भाई का कर्तव्य होता है, और मुझे शिवम से ज़्यादा अच्छा कोई और लग भी नहीं सकता था।"

    वियान की बात पर शिवम और सिया मुस्कुराने लगे। जोया को लगा कि शिवम और सिया को कुछ देर अकेले छोड़ देना चाहिए। उसने वियान को इशारा किया कि वे बाहर चलें। वियान ने जानते हुए भी ना समझने की एक्टिंग की। जोया तुरंत आकर वियान का हाथ पकड़कर उसे बाहर ले जाती हुई बोली, "डॉक्टर वियान, मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।" वियान के लिए यह बिल्कुल अनएक्सपेक्टेड था।

  • 15. Our journey of love - Chapter 15

    Words: 1239

    Estimated Reading Time: 8 min

    जोया वियान का हाथ पकड़कर बाहर लाई। इस बीच ज्ञान की निगाहें जाया और उसके पकड़े हुए हाथ पर ही टिकी रहीं।

    जोया हाथ पकड़े वियान को देखती रही। कुछ देर बाद उसे एहसास हुआ कि उसने वियान का हाथ पकड़ा हुआ है। उसने हाथ छोड़ते हुए कहा, "सॉरी।"

    वियान कुछ नहीं बोला। वह शांत रहा, फिर जोया के चेहरे की ओर देखकर बोला, "नाराज़ है आप मुझसे?"

    जोया ने कोई जवाब नहीं दिया।

    वियान को एहसास हुआ कि जोया कल की बात को लेकर उससे ज़्यादा नाराज़ है।

    वियान ने जोया को थोड़ा परेशान करने के लिए कहा, "क्या बात है मैसेज एजेंट? आज आपका मूड काफी ऑफ है। क्या आपके सर ने आपको डाँटा?"

    जोया चिढ़ते हुए बोली, "मुझे कोई नहीं डाँटता और मैं ऐसा काम ही नहीं करती जिससे मुझे डाँट पड़े।"

    वियान ने पूछा, "तो फिर क्या बात है?"

    जोया कुछ नहीं बोली। वह खामोश रही… फिर बोली,

    "किसी को मेरा ज़्यादा बोलना अच्छा नहीं लगता है। और मेरे भाई से भी शिकायत की जाती है। इसलिए मैं आपसे कम ही बोलूँगी अब से।"

    वियान उसकी बात सुनकर मुस्कुराया। जोया ने आँखें छोटी करते हुए कहा, "आपको इसमें हँसने वाली क्या बात लगी? आपको तो उल्टा मुझे सॉरी कहना चाहिए।"

    वियान ने पूछा, "वह किस लिए?"

    जोया बोली, "अरे, आपने मेरे बारे में इतना बुरा बोला है इसलिए।"

    वियान बोला, "मैं तो कुछ बुरा नहीं बोला। मैंने तो वही बोला जो सच था। आप कितना बोलती हैं, मेरा तो सिर दुखने लगता है।"

    जोया और ज़्यादा चिढ़ गई। वह वहाँ से जाते हुए बोली, "फ़ाइन। मुझे अब आपसे बातें नहीं करनी। आपको मेरी बातें सरदर्द लगती हैं। अब मैं आपसे बात ही नहीं करूँगी।" वह जाने लगी, तभी वियान ने उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचते हुए कहा, "अॅॅम सॉरी। आपको ज़्यादा परेशान नहीं करना चाहता था। लेकिन पता नहीं, क्यों करना अच्छा लगता है।"

    वियान को पता नहीं क्या हुआ। उसने इतनी सरगोशी में बात की कि जोया के दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं।

    वियान जोया की आँखों में देख रहा था। जोया खुद को संभालते हुए उससे छूटकर वहाँ से चली गई। वियान को लगा कि शायद जोया उसकी हरकत से नाराज़ हो गई है। उसने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "मैं भी ना, शायद मुझसे ज़्यादा नाराज़ हो गई है।" कहकर वह जोया के पीछे जाने लगा।

    दूसरी ओर, कमरे में…

    शिवम और सिया एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। सिया शिवम के गले से लग गई और बोली, "आई एम सो हैप्पी शिवम। आपसे और मैं ही एक हो जाएँगे।"

    शिवम प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला, "बिलकुल। अब तुमसे कोई अलग नहीं कर सकता और तुम चाहकर भी अब खुद को मुझसे अलग नहीं कर पाओगी। मैं तुमसे इतना प्यार करूँगा कि मेरे प्यार को संभालने के लिए तुम्हें खुद मेरी ज़रूरत पड़ेगी।"

    सिया उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगी।

    दूसरी ओर, जोया वियान की बात और उसकी हरकतों को सोचते हुए अपनी गाड़ी के पास आई। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह वियान के करीब होते ही उसके दिल की धड़कनें क्यों बढ़ने लगती थीं।

    अपने सारे ख्यालों को झटकते हुए जोया कार खोलने लगी। तभी तेज रफ़्तार से एक कार आई और उससे चार-पाँच आदमी निकले।

    जोया अचानक उन्हें देखकर थोड़ी हड़बड़ा गई। वह कुछ सोच पाती, इससे पहले ही एक आदमी, जिसके हाथ में एक रुमाल था (शायद उसमें कोई नशीली दवा थी), उसने वह रुमाल जोया के मुँह पर रख दिया। जोया कुछ देर छटपटाती रही, लेकिन आखिरकार बेहोश हो गई। वे लोग जोया को उठाकर गाड़ी में डालने लगे। इधर वियान जो पीछे आ रहा था, वह यह सब देखकर चौंक गया। वह तुरंत दौड़ने लगा और चिल्लाया, "यह तुम लोग रुको! कहाँ लेकर जा रहे हो?" वह वहाँ पहुँच पाता, इससे पहले ही वे लोग जोया को लेकर वहाँ से निकल गए। वियान काफी देर तक उनके पीछे दौड़ता रहा, लेकिन उनकी कार की रफ़्तार बहुत ज़्यादा तेज थी।

    वियान ने तुरंत सिया को फ़ोन किया। इधर शिवम और सिया एक-दूसरे के आगोश में थे।

    सिया ने वियान का फ़ोन उठाया। वियान घबराई आवाज़ में बोला, "सिया, जोया को किसी ने किडनैप कर लिया है और उसे लेकर कहीं चले गए हैं।"

    सिया वियान की बात सुनकर घबरा गई। उसे पता था कि उन सभी की जान ख़तरे में है, और जोया की तो ज़्यादा ही। घबराए हुए सिया को देखकर शिवम ने पूछा, "क्या हुआ सिया?" तभी सिया ने उसे सब कुछ बता दिया। उसकी बात सुनकर शिवम भी ज़्यादा घबरा गया, लेकिन खुद को संभालते हुए बोला, "चलो, पहले वियान के पास पहुँचते हैं।"

    दोनों तुरंत वहाँ पहुँचे। वियान भी अब तक वहाँ वापस आ चुका था। वियान का चेहरा पसीने से तर था और तेज़ रफ़्तार में भागने से उसकी साँसें भी फूल रही थीं। सिया तुरंत आकर वियान को संभालते हुए बोली, "भाई, जोया कहाँ है? और आपकी साँसें इतनी क्यों फूल रही हैं?"

    वियान ने अपनी साँसें संभालते हुए कहा, "मैं उनकी कार के पीछे दौड़ रहा था, लेकिन उनकी कार इतनी तेज रफ़्तार में थी कि मैं पहुँच नहीं पाया।"

    शिवम ने तुरंत अपनी टीम को फ़ोन करके उन्हें अलर्ट किया और हर जगह तलाश करने के लिए कहा। सिया ने भी अपनी टीम के हेड मेंबर को फ़ोन करके यह सब बताया। वे लोग भी अपने स्तर से जोया को ढूँढ़ने लगे।

    वियान को भी जोया की बहुत चिंता हो रही थी। वह खुद को कोस रहा था कि उसने जोया को वहीं रोक लिया होता तो यह नहीं होता।

    शिवम अपनी कार लेकर जोया को ढूँढ़ने निकल पड़ा। वियान भी अपनी कार लेकर जोया को ढूँढ़ने निकला।

    हर कोई जोया को ढूँढ़ रहा था। कार्तिक जोया के फ़ोन को ट्रेस कर रहा था, लेकिन उसका फ़ोन शायद सिम कार्ड निकालकर फेंक दिया गया था, इसलिए ट्रेस करने में ज़्यादा दिक्क़त हो रही थी।

    सब बहुत घबरा चुके थे क्योंकि जोया की जान ख़तरे में थी। सिया जैसे-तैसे खुद को संभाले हुए थी, लेकिन उसका मन बहुत रोने को कर रहा था।

    शिवम भी अपनी बहन को ढूँढ़ रहा था। उसका दिल बहुत घबरा रहा था।

    वियान भी बहुत परेशान हो चुका था। वह बेचैन होकर हर जगह जोया को ढूँढ़ रहा था। उसकी आँखों में आँसू थे। वह कुछ ना कर पाया, यह सोचकर वह अपने आप पर बहुत गुस्सा कर रहा था।

  • 16. Our journey of love - Chapter 16

    Words: 1550

    Estimated Reading Time: 10 min

    सभी लोग जी जान लगाकर जोया को ढूँढने के लिए अपने सारे प्रयास कर चुके थे।

    शिवम भी बहुत परेशान हो चुका था। सिया शिवम की हालत समझ रही थी। इसलिए वह शिवम को गले लगाते हुए बोली, "कुछ नहीं होगा हमारी जोया को।"

    शिवम सिया को कसकर गले लगा लिया।

    वहीं दूसरी ओर, वियान बहुत ज़्यादा परेशान हो चुका था। वह हर जगह जोया को ढूँढ रहा था, लेकिन हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी।

    वहीं दूसरी ओर, एक सुनसान इलाका था जहाँ बीच में एक टूटा-फूटा गोदाम था। वहाँ हर कोई अपने हाथ में बंदूक लिए पहरेदारी कर रहा था।

    वहाँ एक कमरा था जो पूरी तरह अंधेरे में डूबा हुआ था। उसके बीच में एक टीम लाइट जल रही थी। एक कुर्सी पर एक लड़की बंधी हुई थी जो बेहोश थी। यह कोई और नहीं, बल्कि जोया थी।

    जोया को हल्का-हल्का होश आने लगा था। उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं। उसका सिर अभी भी चकरा रहा था।

    कुछ देर में जोया पूरी तरह होश में आ गई। अपने आप को उस जगह पाकर वह समझ गई कि उसे किसी ने बंदी बना लिया है।

    जोया ने रस्सियों से खुद को खोलने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रही। रस्सियाँ इस तरह बंधी हुई थीं कि उसे खोलने में बहुत तकलीफ हो रही थी।

    तभी वहाँ एक आदमी आया। उसने अपना चेहरा पूरी तरह ढँक रखा था। जोया को ऐसा करते देख वह हँसते हुए बोला, "मानना पड़ेगा एजेंट जोया, तुम्हारी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी। जब पता है कि तुम्हारी जान खतरे में है, मौत तुम्हारे सामने है, फिर भी बचने की हिम्मत... कमाल है तुममें।"

    उसकी बात सुनकर जोया ने उसे तिरछी नज़रों से देखते हुए कहा, "बस मुझे इन रस्सियों से खोल दो, फिर मैं तुम्हें बताती हूँ कि मौत किसके सामने है।"

    वह आदमी ताली बजाते हुए जोया के इर्द-गिर्द घूमते हुए बोला, "वह एटीट्यूड तो कमाल का है तुम्हारे अंदर। वैसे, तब तक तुम्हारी पूरी टीम को पता चल गया होगा कि तुम उनके सामने कभी जिंदा वापस नहीं आ पाओगी। इनफैक्ट, तुम्हारा लाश भी उन्हें नसीब नहीं होगी।"

    जोया यह सब सुनकर थोड़ी घबराई, लेकिन एक एजेंट होने के नाते उसका मन मज़बूत था। इसलिए उसने अपने आप को संभालते हुए उस पर चिल्लाकर कहा, "मुझे खोलो, अभी बताती हूँ तुम्हें!"

    वह आदमी अब जोया के करीब आते हुए बोला, "अपनी ज़बान संभालकर, नहीं तो इसे काटने में मुझे देर नहीं लगेगी।"

    जोया गुस्से से उस आदमी को देख रही थी। वह आदमी अपने आदमियों को सख्ती से हिदायत देते हुए बोला, "ध्यान रहे, कहीं जाने ना पाएँ। अगर एक भी थोड़ी सी चूक हुई तो मैं तुम सबको मौत के घाट उतार दूँगा।"

    कहकर वह शख्स वहाँ से चला गया।

    दूसरी ओर, लक्ष्य ने वियान को कॉल करके तुरंत मेडिकल कैंप पहुँचने को कहा क्योंकि कुछ ज़रूरी केस थे जो केवल वियान ही हैंडल कर सकता था। वियान सुनकर तुरंत मेडिकल कैंप पहुँचा।

    लक्ष्य वियान को देखकर तुरंत उसके पास आकर बोला, "कहाँ था तू सुबह से गायब? पता है कि यहाँ तुम्हारी ज़रूरत है..." इतना कहकर लक्ष्य रुक गया क्योंकि वियान ने उसे बहुत ही ख़तरनाक नज़रों से देखा था। लक्ष्य की बोलती बंद हो गई। वह समझ गया कि वियान किसी बात को लेकर बहुत गुस्से में है।

    वियान तुरंत जाकर सारे मरीज़ों को चेक किया। एक-दो घंटे बाद वह फ्री होकर अपनी केबिन में बैठ गया और अपने अंगूठे को माथे पर रगड़ते हुए सोचने लगा कि आखिर जोया को कहाँ ले गए होंगे।

    लक्ष्य उसके सामने आकर खड़ा हो गया और बोला, "चल, अब बता, इतना परेशान क्यों है तू?"

    वियान लक्ष्य की बात सुनकर उसे देखा, फिर चुप रहा। लक्ष्य जिद करते हुए बोला, "तू बता रहा है या नहीं? क्या हुआ है?"

    वियान ने सारी बातें बता दीं। जिसे सुनकर लक्ष्य को भी टेंशन होने लगी।

    लक्ष्य: "यह तो बहुत परेशानी वाली बात है। जोया की जान बहुत खतरे में है। उसे जल्द से जल्द ढूँढना होगा और बचाना होगा।"

    वियान: "हाँ, वही तो मैं सुबह से ढूँढ रहा हूँ, नहीं मिल रही है।"

    जोया के लिए वियान की परेशानी देखकर लक्ष्य थोड़ा हैरान हुआ। लक्ष्य ने पहली बार वियान को किसी लड़की के लिए इतना परेशान होते हुए देखा था।

    लक्ष्य को कहीं न कहीं वियान की भावनाएँ समझ आ रही थीं, आखिर वह वियान का बचपन का दोस्त था।

    दूसरी ओर, कार्तिक अपने केबिन में बैठा कंप्यूटर पर जोया के फ़ोन को ट्रेस करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बार-बार नाकाम रहा क्योंकि उसे सही लोकेशन पता नहीं चल रही थी।

    शिवम ने अपनी पूरी टीम को जोया को ढूँढने के लिए हर जगह भेज दिया था। शिवम खुद भी सुबह से हर जगह ढूँढ रहा था, उसके साथ सिया भी थी।

    सिया जानती थी कि शिवम बहुत टेंशन में है, इसलिए उसने शिवम को अकेला नहीं छोड़ा। सिया को भी जोया की चिंता बहुत सता रही थी।

    इधर, वियान भी बहुत परेशान हो चुका था। वह एजेंट सेंटर पहुँचा जहाँ कार्तिक जोया की लोकेशन ट्रेस कर रहा था। वियान को वहाँ देखकर कार्तिक उठते हुए बोला, "डॉक्टर वियान, आप यहाँ?"

    वियान: "क्या जोया की लोकेशन पता चली?"

    कार्तिक: "नहीं, वही तो मैं पता करने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन उसकी आखिरी लोकेशन सालार डैम बताई जा रही है।"

    वियान: "कौन सी जगह पर?"

    कार्तिक: "सालार डैम, जो यहाँ से 15 किलोमीटर दूर है। लेकिन जोया जहाँ से किडनैप हुई थी, यह उसका बिल्कुल उल्टा रूट है। जोया जिस तरफ से किडनैप हुई थी, उस रास्ते पर सब ढूँढ रहे हैं, लेकिन वहाँ किसी को कोई खबर नहीं मिल रही है। लेकिन शिवम भाई अब उस डैम के पास गए हैं, ताकि उन्हें कुछ पता चले।"

    वियान: "ठीक है, मैं भी वहीं जाकर पता करता हूँ। अगर लोकेशन वही बता रहा है, तो मुझे वहीं से जोया की कोई खबर मिल सकती है।" कहकर वह तुरंत निकल गया।

    वियान तुरंत अपनी कार लेकर निकल पड़ा। तकरीबन एक घंटे में वह उस जगह पहुँचा।

    कार से बाहर आकर देखा तो वहाँ एक हाईवे टाइप का रास्ता बना हुआ था और उसके दायीं ओर एक बड़ा सा डैम था जहाँ कुछ मछुआरे मछली पकड़ रहे थे।

    वियान उन मछुआरों से कुछ बातें पूछने लगा, लेकिन किसी को कुछ पता नहीं था। तभी वहाँ वियान के पास एक छोटा बच्चा आया।

    बच्चा वियान का हाथ पकड़कर बोला, "क्या हुआ साहब? आप क्या ढूँढ रहे हैं? क्या आप किसी लाल गाड़ी को ढूँढ रहे हैं?"

    उसकी बात सुनकर वियान को याद आया कि जिस गाड़ी से जोया को ले जाया गया था, वह लाल रंग की ही थी। उसने बच्चे से पूछा, "हाँ, वो लाल गाड़ी? और बताओ?"

    बच्चा: "वैसी गाड़ी पहली बार देखी थी। आपको पता है, वह लाल गाड़ी..." बच्चा सामने की ओर इशारा करते हुए बोला, "...यहाँ पर एक बड़े से ट्रक के अंदर जाकर घुस जाती है, और फिर उस ट्रक को दो-तीन आदमी बंद करते हैं, फिर सीधे चले जाते हैं।"

    वियान को यकीन हो गया कि जोया की लोकेशन यहीं से पता चलने वाली है। वियान ने बच्चे को धन्यवाद कहकर दूसरी ओर एक बुज़ुर्ग से पूछा, "अंकल, क्या आप मुझे यह बता सकते हैं कि आगे का रास्ता किधर जाता है?"

    बुज़ुर्ग: "यह रास्ता दो तरफ़ जाता है। एक सीधा शहर की ओर और दूसरा एक सुनसान जंगल की ओर।"

    वियान को अंदाज़ा हुआ कि वे लोग जोया को शहर तो नहीं ले गए होंगे। उसने बुज़ुर्ग से जंगल वाले रास्ते के बारे में पूछा तो बुज़ुर्ग ने बाईं ओर इशारा किया और चला गया।

    वियान तुरंत अपनी कार में बैठ गया और शिवम को कॉल करके सारी जानकारी बता दी। शिवम ने अपनी टीम को वहाँ पहुँचने को कहा।

    वियान तुरंत बाईं ओर मुड़ गया।


  • 17. Our journey of love - Chapter 17

    Words: 1168

    Estimated Reading Time: 8 min

    वियान उस रास्ते पर बढ़ रहा था। तभी उसे वही कार दिखाई दी जिससे जोया का अपहरण किया गया था। वह कार सुनसान सड़क के कोने में खड़ी थी।

    वियान तुरंत अपनी कार से उतरकर कार की ओर गया।

    कार के अंदर कोई नहीं था। वियान की नज़र सामने एक गोदाम पर पड़ी।

    वियान गोदाम की ओर जाने लगा। वहाँ पहुँचकर उसने चारों ओर देखा। कई लोग हाथ में बंदूक लिए पहरेदारी कर रहे थे। वियान को यकीन हो गया कि जोया यहीं है।

    वियान किसी तरह गोदाम के अंदर घुस गया। तभी उसके सामने एक आदमी आ गया। वह वियान पर बंदूक तानता, इससे पहले ही वियान ने उस पर हमला कर उसे बेहोश कर दिया।

    वियान ने कई गुंडों को चकमा देकर एक कमरे के बाहर पहुँच गया। उसे कमरे के अंदर कुछ गिरने की आवाज सुनाई दी। उसने कान लगाकर सुना, पर कोई आवाज नहीं आई। उसने देखा कि एक खिड़की खुली हुई है। वह झाँककर देखा तो जोया कमरे में बंधी हुई थी और खुद को खोलने की कोशिश कर रही थी।

    वियान जोया को देखकर खुश हुआ। उसने खिड़की खोली और अंदर जाकर जोया के पास पहुँचा।

    जोया वियान को देखकर हैरान हुई। उसके चेहरे पर चिंता साफ़ दिख रही थी। खतरा बहुत था, और वियान पर भी।

    वियान ने जोया के मुँह पर लगी पट्टी खोली।

    पट्टी खुलते ही जोया बोली,
    "डॉक्टर वियान, आप यहाँ क्या कर रहे हैं?? आपको पता है यहाँ कितना खतरा है? आपने आने के बारे में सोचा भी क्यों?"

    वियान उसकी बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए उसकी रस्सियाँ खोलते हुए बोला, "मिस एजेंट, पहले हमें यहाँ से निकलना चाहिए। बाद में आपके सारे सवालों के जवाब दूँगा।" उसने जोया को रस्सियों से पूरी तरह मुक्त कर दिया। वे दोनों जैसे ही जाने लगे, गेट खुल गया।

    सामने वही आदमी था जिसने अपना चेहरा ढँका हुआ था। उसके कई आदमी बंदूक लेकर खड़े थे।

    वह आदमी मास्क हटाते हुए जोया और वियान के सामने आया और बोला, "वाह! क्या बात है! इतनी हिम्मत करके ये लड़का यहाँ तक पहुँच गया, लेकिन अब इसका यहाँ से जाना मुश्किल है। अब ये यहाँ से सीधा स्वर्ग जाएगा!" वह जोर-जोर से हँसा।

    वियान गुस्से में उसका कॉलर पकड़कर मुक्का मारते हुए बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई जोया का अपहरण करने की?"

    आदमी: "ओहो! तो तुम्हें गुस्सा आया कि मैंने इसे किडनैप किया? मैं इसे सिर्फ़ किडनैप ही नहीं करने वाला था, मारने वाला था! लेकिन पहले इसकी हिम्मत देखनी थी।"

    वियान: "हिम्मत की बात मत कर, अभी यहीं ज़िंदा गाड़ दूँगा!" वह उसे फिर मुक्का मारने ही वाला था कि एक आदमी ने वियान पर बंदूक तानी।

    वियान थोड़ा असंतुलित हुआ, फिर खुद को संभालकर उस आदमी को पीटने लगा।

    जोया भी उन आदमियों को पीटने लगी। दोनों मिलकर आदमियों को चकमा दे रहे थे। वह आदमी सब देख रहा था। वह किसी को कॉल करने लगा।

    जोया ने देखा और अपने पैर से उसका फोन गिराकर तोड़ दिया। वह आदमी गुस्से से लाल हो गया और जोया पर वार किया। जोया गिर गई।

    वियान जोया को संभाला और उस आदमी को मारने लगा।

    तभी एक आदमी जोया पर बंदूक तानते हुए बोला, "अगर तुमने हमारे बॉस को नहीं छोड़ा, तो इस लड़की को अभी मार दूँगा!"

    वियान पीछे मुड़ा तो देखा कि एक आदमी जोया पर बंदूक ताने खड़ा था। वह आदमी जोर-जोर से हँसने लगा। उसका मास्क अभी तक नहीं हटा था, लेकिन वह पूरी तरह घायल था।

    जोया घबराई, फिर वियान को आँखों से इशारा किया। वियान ने उसकी बात समझ ली और पलक झपकी।

    जोया ने आदमी के पेट पर वार किया। आदमी का हाथ बंदूक से छूट गया।

    वियान ने आदमी का मास्क हटाने की कोशिश की, लेकिन वह आदमी उसे रोक रहा था। वियान बहुत गुस्से में था और उसे बेरहमी से पीट रहा था।

    वियान मास्क हटाने ही वाला था कि पुलिस का सायरन बजा।

    शिवम, सिया और कार्तिक पुलिस के साथ आ गए। पुलिसवालों ने आदमियों को पकड़ना शुरू कर दिया। शिवम ने जोया को देखा। सिया ने पूछा, "तुम ठीक हो ना?"

    जोया: "हाँ, मैं ठीक हूँ।"

    शिवम उस आदमी के पास गया जिसको वियान पकड़े हुए था, उसे मारा और उसका मास्क हटा दिया।

    उस आदमी का चेहरा देखकर सब सदमे में आ गए।

  • 18. Our journey of love - Chapter 18

    Words: 1776

    Estimated Reading Time: 11 min

    मास्क मैन का चेहरा देखकर कार्तिक, जोया, शिवम—चारों के होश उड़ गए। यह आदमी जोया की टीम के एक सदस्य का सेकंड-हैंड मेंबर था, जो जोया के अधीन काम करता था। हालांकि, वह जोया से काफी बड़ा था, लगभग 40-45 वर्ष का। पर वह जोया के अधीन ही कार्यरत था।

    जोया ने उसे देखकर कहा, "सौरभ खन्ना आप!! तो आप यह सब कर रहे हैं?" जोया ने शक्ति से कहा।

    वह मास्क मैन, जिसका नाम सौरभ खन्ना था, चिल्लाते हुए बोला, "हाँ, यह सब मेरा ही किया-धरा है।" यह सुनते ही शिवम उसके चेहरे पर दो-तीन थप्पड़ मारते हुए बोला, "तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई यह घटिया काम करने की?"

    कार्तिक जाकर शिवम को पकड़कर रोका, हालाँकि उसे भी सौरभ पर गुस्सा आ रहा था।

    जोया सौरभ खन्ना के सामने आकर बोली, "तो हम सब जानना चाहते हैं कि आपने ऐसा क्यों किया? इतनी घटिया हरकत करने के पीछे आपका क्या कारण रहा है?"

    सौरभ ने अपना सारा गुस्सा बाहर निकालते हुए कहा, "हाँ, यह सब मैंने किया है। क्योंकि इसकी वजह तुम हो, जोया, तुम।"

    जोया उसकी बात सुनकर गुस्से से बोली, "और यह सब की वजह मैं क्यों?"

    सौरभ: "हाँ, क्योंकि तुमने मेरा पद छीन लिया। मुझे एक जूनियर के तौर पर काम करना पड़ रहा था। मुझे एक ऐसी लड़की के अधीन काम करना पड़ रहा था, जिसका मेरे सामने कोई वजूद नहीं था। वह मात्र एक साल में मुझसे कहीं अधिक नाम कमा रही थी। और यह मैं सहन नहीं कर पा रहा था, इसलिए मैंने ऐसा काम किया।"

    मुझे तुमसे बदला लेना था और इस मिशन के माध्यम से मैं तुम्हारी टीम के उन सभी सदस्यों को, जिन्होंने तुम्हें यह पद दिलाने में मदद की थी, सबक सिखाना चाहता था। मैं क्राइम ब्रांच को उनकी औकात दिखाना चाहता था। इसलिए मैंने यह जहर बनवाया, हर किसी को इंजेक्ट करवाया ताकि तुम सभी स्कैम में फँस जाओ और मैं जोया को मार सकूँ, और किसी को मुझ पर शक न हो।

    उसकी बात सुनकर सभी हैरानी और गुस्से से सौरभ को देख रहे थे। सभी को सौरभ पर बहुत गुस्सा आ रहा था। किसी को भी विश्वास नहीं हो रहा था कि एक पद न मिलने पर कोई इंसान किस हद तक गिर सकता है, कि लोगों की जान लेने को तैयार हो सकता है।

    शिवम ने अपने टीम मेंबर को सौरभ को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। दो आदमी आकर सौरभ को गिरफ्तार करने लगे। सौरभ जोर-जोर से चिल्ला रहा था, "मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं, जोया!" ऐसा कहकर वह बार-बार छटपटा रहा था। तभी एक आदमी ने उसके पैर पर जोरदार लात मारी जिससे वह नीचे गिर गया।

    जोया यह सब देख रही थी, उसकी आँखें हल्की नम हो चुकी थीं।

    अब सब वहाँ से जाने लगे। इधर, सौरभ पुलिस वालों से छूटने की नाकाम कोशिश कर रहा था। उसकी नज़र एक पुलिस वाले के बेल्ट पर गई, जहाँ बंदूक रखी थी। उसने वह बंदूक निकाली और सीधे जोया पर तानते हुए कहा, "मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं, एजेंट जोया!" क्या हुआ? उसने तुरंत फायर किया। इतनी जल्दबाजी में हुआ कि किसी को कुछ समझ नहीं आया।

    लेकिन वियान ने तुरंत ही जोया को अपनी ओर खींच लिया था। जोया पूरी तरह से वियान पर गिर गई थी। दोनों जमीन पर गिर गए। गिरने से वियान की पीठ पर चोट लग गई थी। लेकिन उसके मुँह से अब तक उफ़्फ़ तक नहीं निकली। उसने जोया को पूरी तरह अपने आगोश में कर लिया था। जोया अभी भी वियान के सीने से लगी हुई थी।

    वहीं, शिवम और कार्तिक को यह देखकर बहुत गुस्सा आया। दोनों आकर सौरभ को बुरी तरह पीटने लगे। सिया आकर जोया और वियान को उठाती है।

    सौरभ को बुरी तरह पीटने के बाद उसे पुलिस वाले ले गए। इधर, शिवम, कार्तिक, जोया, सिया और वियान वहाँ से निकल गए।

    वे सब पहले मेडिकल हॉस्पिटल गए, क्योंकि जोया को काफी चोटें आई थीं। जोया ने अब तक कुछ नहीं कहा था। उसके दिमाग में अभी भी सौरभ खन्ना की बातें ही चल रही थीं।

    जोया अपने आप को दोषी मान रही थी। वहीं, वियान की नज़र बार-बार जोया पर ही जा रही थी।

    हॉस्पिटल जाकर वियान सबको बाहर रखने को कहता है और जोया को लेकर अंदर चला जाता है। वियान अच्छे से जोया की ड्रेसिंग करता है।

    वियान जोया के चेहरे को देख रहा था। जोया का चेहरा पूरी तरह लाल हो चुका था। ऐसा लग रहा था वह रोना चाहती है, लेकिन वह रो नहीं पा रही है।

    वियान अब जोया के कंधे पर हाथ रखते हुए, उसे अपनी ओर करके कहता है, "जोया, आर यू फाइन?"

    वियान के इतना कहते ही जोया वियान के सीने से लगकर रोने लगती है।

    वियान को समझ आ गया था कि जोया ने जो इतनी देर से अपने अंदर सारा गुस्सा और भावनाएँ दबाकर रखी थीं, वह बाहर आ रही हैं। वह उसे रोने से नहीं रोकता है, क्योंकि वह जानता था कि जोया के रोने से उसका मन हल्का होगा। इतना कुछ होने के बाद, ऐसा होना जायज़ था।

    जोया: "यह सब मेरी वजह से हुआ है। इतना कुछ...यह सब..." जोया अटक-अटक कर कह रही थी। उसे रोते-रोते हिचकी आने लगी थी।

    वियान: "कुछ भी आपकी वजह से नहीं हुआ है जोया, ऐसा मत सोचिए।"

    जोया: "नहीं, यह सब मेरी वजह से हुआ। उस इंसान ने मुझसे अपनी दुश्मनी निकालने के लिए इतने लोगों को मार दिया, इतना खतरनाक ज़हर बनवाया।"

    वियान जोया का सर सहला रहा था। काफी देर तक जोया वियान के सीने से लगी रोती रही, फिर वह धीरे-धीरे शांत होने लगी। वियान उसे धीरे से अपने से दूर करता है और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए कहता है, "आप तो बहुत स्ट्रांग हो, तो फिर यह सब बातें सोचने की ज़रूरत नहीं है।"

    जोया: "लेकिन उसने इतना..."

    वियान ने उसके होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा, "देखिए, अगर हम अपने आप को कमज़ोर दिखाएँगे तो लोग हमें कमज़ोर समझेंगे। लोगों के सामने स्ट्रांग बनकर रहना पड़ेगा, ठीक है? और आप तो बिल्कुल नहीं हैं। वह घटिया आदमी एक पद के लिए इतना बड़ा खेल खेल गया, जिसमें कई लोगों की जान भी चली गई।"

    वियान उसका चेहरा अपनी ओर करके: "ब्लेम मत लीजिए।"

    जोया काफी हद तक शांत हो चुकी थी। वह एक बार फिर वियान के सीने से लग जाती है। इस बार जोया का हाथ वियान की पीठ में, उस जगह पर रखा था जहाँ वियान को चोट लगी थी। जिससे वियान के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई। जोया तुरंत वियान से अलग हुई और देखकर बोली,

    जोया: "क्या हुआ?"

    वियान: "कुछ नहीं...लेकिन..." उसने अपने हाथों को देखा तो उसके हाथ में खून लगा था।

    जोया पीछे आकर देखती है, वियान की शर्ट पूरी तरह खून से भीगी हुई थी। उसने ब्लैक शर्ट पहना था जिससे खून का पता नहीं चल रहा था, लेकिन पीछे उसकी पूरी शर्ट खून से भीगी हुई थी। इससे साफ़ पता चल रहा था कि वियान का काफी खून बह चुका है।

    जोया वियान को बिठाकर उसकी शर्ट खोलने लगती है। उसने बिना कुछ कहे वियान की शर्ट उसके शरीर से अलग कर दी और पीछे देखा तो वियान की पीठ बुरी तरह जख्मी थी।

    जोया वियान को देखकर कहती है, "इतनी बड़ी चोट कैसे लगी?"

    वियान उसे बताता है कि जब सौरभ ने उस पर गोली चलाई थी, तब वियान ने उसे अपनी ओर खींचा था, और गिरने से चोट लगी थी।

    जोया तुरंत वहाँ पर किसी डॉक्टर को बुलाती है, तभी लक्ष्य आता है। लक्ष्य को देखकर जोया तुरंत कहती है, "लक्ष्य, देखिए, इन्हें बहुत ज़्यादा चोट लगी है।"

    लक्ष्य वियान की पीठ को देखता है और कहता है, "अरे बाप रे! यह तो काफी गहरा ज़ख्म है। जल्दी से इसकी ड्रेसिंग करनी पड़ेगी, नहीं तो यह ज़ख्म और ज़्यादा बढ़ जाएगा।" कहकर लक्ष्य तुरंत वियान के ज़ख्म में दवा लगाने लगता है।

    जोया यह सब देख रही थी, उसके चेहरे पर भाव बदल रहे थे। ऐसा लग रहा था वियान को चोट न लगकर उसे ही चोट लगी थी।

    यह वियान जोया के चेहरे को देख रहा था।

    लक्ष्य इंजेक्शन निकालता है और वियान को लगाने लगता है। तभी जोया जोर से चिल्लाती है, जिससे दोनों उसे देखने लगते हैं। बाहर खड़े सिया, शिवम, कार्तिक भी झट से अंदर आते हैं।

    शिवम: "क्या हुआ? तुम चिल्लाई क्यों?"

    तभी जोया कहती है, "यह इंजेक्शन लगा रहे हैं।"

    तभी लक्ष्य कहता है, "मैं आपको थोड़ी इंजेक्शन लगा रहा हूँ, मैं तो वियान को इंजेक्शन लगा रहा हूँ ताकि इसके ज़ख्म में इंफेक्शन न हो।"

    शिवम समझ जाता है कि जोया क्यों चिल्लाई थी, क्योंकि जोया को इंजेक्शन से बहुत डर लगता था। वह किसी को भी इंजेक्शन लगता देख ऐसे ही चिल्लाती थी, और खुद को लगता है तो पूरा हॉस्पिटल उठा लेती थी।

    शिवम हँसने लगता है। सिया को भी इस बात का पता था, इसलिए वह भी हँसने लगती है। जोया दोनों को देखते हुए कहती है, "आप दोनों हँसना बंद करो! पता नहीं इंजेक्शन में कितना दर्द होता है।"

    वियान कहता है, "मिस एजेंट, मुझे इंजेक्शन लगने का अभ्यस्त हूँ, मुझे इसमें दर्द नहीं होगा।"

    जोया चिढ़कर कहती है, "हाँ, आप तो सुपरमैन हैं, जब से दर्द नहीं होगा!" कहकर वह बच्चों जैसा मुँह बनाती है।

    वियान को भी अब उसकी इस हरकत पर हँसी आने लगती है।

    लक्ष्य वियान को इंजेक्शन लगाने लगता है। जोया चुपचाप वियान का हाथ पकड़ लेती है। शिवम उसका सर अपने सीने से लगाते हुए कहता है, "जोया, देखो वियान कितना आराम से इंजेक्शन लगवा रहा है। उसे लग रहा है तो उसका कोई रिएक्शन नहीं निकल रहा है, और तुम देखकर ऐसा रिएक्शन दे रही हो।"

    जोया: "मुझे कुछ नहीं बोलना है।" वह वैसे ही शिवम के सीने से लगी हुई कहती है। उसे देखकर सभी समझ जाते हैं कि जोया को ज़्यादा इंजेक्शन से डर लगता है, और इनफैक्ट सभी को इंजेक्शन से डर लगता है।

  • 19. Our journey of love - Chapter 19

    Words: 1314

    Estimated Reading Time: 8 min

    संजीव के पकड़े जाने के बाद, उसे बीमारी की दवा के बारे में पता चला। जिससे वह, बहुत अधिक यातना सह ना पाकर, अंततः दवा का खुलासा कर दिया।

    वियान ने दवा की रिपोर्टें फार्मेसी में भेजीं। फार्मेसी के लोगों ने तुरंत दवा बनाने का उपाय शुरू किया। तीन-चार दिनों के अंदर ही फार्मेसी ने वह दवा बनाई और सभी मरीजों को राहत मिली।

    जोया सभी मरीजों से मिलने आई। उसने देखा कि अधिकांश ठीक हो चुके थे। वह वियान से मिलने गई। वियान अपने केबिन में काम कर रहा था।

    उसकी नज़र जोया पर पड़ी, तो वह बोला, "अरे मिस एजेंट आप?"

    जोया ने कहा, "हाँ डॉक्टर वियान। ग्रेट जॉब! आपने बहुत ही जल्दी सभी को ठीक कर दिया। वेरी इम्प्रेसिव।"

    वियान हल्के से मुस्कुराया।

    जोया चुप हो गई। वह उस दिन की बात भूल नहीं पाई थी। जोया के अपहरण से पहले वियान और उसके बीच हुई बातें उसके ज़हन में ताज़ा थीं।

    लेकिन उसके पास वियान से इस बारे में बात करने की हिम्मत नहीं थी। दोनों खामोश हो गए।

    वियान ने कहा, "तो फिर आपके इधर के सारे काम तो खत्म हो चुके!"

    जोया ने उत्तर दिया, "हाँ, अब कोई समस्या नहीं आएगी क्योंकि हमने उस इंसान को पकड़ लिया जो यह सब कर रहा था।"

    वियान ने कहा, "एक बात तो कहना पड़ेगा मिस एजेंट, आपके जज़्बे और हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी। बहुत लोग हिम्मत हार जाते हैं, लेकिन आपने अपनी हिम्मत नहीं हारी।"

    जोया ने कहा, "हमें यही सिखाया जाता है ट्रेनिंग में। देश और लोगों के लिए अपनी जान कुर्बान करने से पहले हमें एक बार भी सोचना नहीं पड़ता।"

    वियान उसकी बातों से प्रभावित हुआ।

    जोया ने कहा, "तो भाई और सिया के बारे में क्या करना है? इधर के सारे काम खत्म हो चुके हैं, अब रहमत भाई और सिया के रिश्ते के बारे में सोचना होगा।"

    वियान ने कहा, "वो तो अब हम लोग जब घर जाएँगे, तभी मॉम और दाद बात करेंगे।"

    जोया ने कहा, "अब सिया और भाई को मिल जाना चाहिए। दोनों काफी सालों से एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।"

    वियान ने पूछा, "वैसे आप इन दोनों के बारे में कब से जानती थीं?"

    जोया ने बताया, "मैं और सिया कॉलेज टाइम से दोस्त हैं। हम दोनों ने एक ही करियर चुना - एजेंट बनना। भाई से सिया की पहली मुलाकात में ही उसे पसंद कर लिया था। लेकिन सिया हमेशा थोड़ी कटी-कटी सी रहती थी। लेकिन भाई ने हार नहीं मानी और उसने सिया से अपने प्यार का इज़हार किया। सिया के मन में भाई के लिए प्यार था, लेकिन उसने अपने दिल की बात ना सुनकर दिमाग की बात सुनी और उसने हर बार भाई को ठुकरा दिया।"

    "लेकिन फिर आपके कारण वह दोनों मिल गए।" जोया ने अपनी बात खत्म की।

    वियान ने कहा, "जिन्हें मिलना होता है, वे किसी भी हालत में मिल ही जाते हैं।"

    जोया वियान के पास खामोश रही। कुछ देर में लक्ष्य आया। जोया को वहाँ देखकर लक्ष्य की आँखों में शरारत आ गई। वह शरारत से मुस्कुराया और वियान को देखा, जिसने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखा। जैसे कह रहा हो, "तु अपना ये फ़ालतू का दिमाग ज़्यादा मत चला यहाँ।"

    लक्ष्य की बातें वियान को समझ आ गईं।

    लक्ष्य जोया से मिला। जोया भी उससे मिली। फिर लक्ष्य और जोया कुछ देर बातें करते रहे। लक्ष्य ने कैज़ुअल बात की, क्योंकि उसे वियान से डर लगता था। अगर उसने कुछ गड़बड़ की, तो उसकी खैर नहीं।

    जोया वहाँ से चली गई।

    जोया के जाते ही लक्ष्य ने वियान को देखते हुए हाथ जोड़कर कहा, "तो बता, कब कह रहा है?"

    वियान ने पूछा, "क्या?"

    लक्ष्य ने कहा, "क.... मुझसे छुपाकर तुझे क्या फ़ायदा होने वाला है!!"

    वियान ने कहा, "तुम क्या बोल रहे हो? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। अभी तुम अपने काम पर ध्यान दो।" वह एक फाइल उठाने लगा, तो लक्ष्य ने फाइल अपने पास खींचते हुए कहा, "मैं क्या बोल रहा हूँ, तुम्हें समझ नहीं आ रहा है? मुझे बेटा, सब समझ आ रहा है।"

    लक्ष्य ने कहा, "लगता है आंटी को कहना पड़ेगा कि बेटे ने बहू ढूँढ़ ली।" लक्ष्य की बात पर वियान उस पर झपटा और मुक्के बरसाते हुए बोला, "तु कुछ भी कहता है ना!"

    लक्ष्य ने कहा, "तू इतना ज़्यादा रिएक्ट क्यों कर रहा है? मैंने तो सिर्फ़ इतना कहा कि तुमने उनके लिए बहू ढूँढ़ ली। अब किसे ढूँढ़ा है, ये तू जान।" लक्ष्य ने शरारत से कहा।

    वियान चुपचाप खड़ा हो गया। लक्ष्य अपने शर्ट को झाड़ते हुए बोला, "बेटा, तेरी आँखों में दिख रहा है। समझ में आया कि कोई ड्रामा वाली लव स्टोरी नहीं है जिसमें बहुत मुश्किल से फीलिंग्स का एहसास होता है। समझा? तेरे जैसा लड़का, जो किसी लड़की से आँख उठाकर बात नहीं करता है, वो इतने कम्फ़र्टेबल से बात कर रहा था, फिर उसे बचाने के लिए अपना पूरा काम छोड़कर, अपनी जान की परवाह किए बिना उसे ढूँढ़ने चला गया और उसे बचाकर भी लाया। उसे बचाते हुए तेरी चोट भी लगी। इतने सारे चीज़ होने के बाद भी, तुझे अगर अपनी फीलिंग्स समझ नहीं आ रही हैं, तो तू एक नंबर का गधा है वियान।"

    वियान चुपचाप उसकी बात सुन रहा था।

    वियान कहीं ना कहीं अपनी भावनाओं से अनजान नहीं था, लेकिन फिर भी वह जोया की भावनाएँ पहले जानना चाहता था। वह जोया की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता था।

    और उसे यह भी नहीं पता था कि जोया की ज़िंदगी में कोई और तो नहीं है।

    लक्ष्य ने वियान के कंधों पर हाथ रखते हुए कहा, "देख, उसे बता दे। फिर जो होगा सो होगा, लेकिन अपनी फीलिंग्स छुपाकर रखना सही चीज़ नहीं होती। पहली बार किसी के लिए तेरी आँखों में इतनी परवाह और प्यार देखा है, इसलिए कह रहा हूँ।"

    वियान कुछ नहीं बोला। तो लक्ष्य ने चिढ़ाने के लिए कहा, "देख, अगर तू नहीं बोल रहा है, तो मैं बोल दूँगा। वैसे भी, जोया मुझे बहुत अच्छी लगती है। कितनी होशियार है यार, ऊपर से खूबसूरत भी इतनी है। आज तक मेरी जितनी भी गर्लफ्रेंड रहीं, उसके जैसी कोई नहीं थी। एकदम वाइफ मटेरियल।"

    बस फिर क्या था! वियान ने उसे दो-तीन मुक्के मारे। लक्ष्य बचते हुए इधर-उधर भागने लगा। वियान उस पर सारी चीज़ें फेंकते हुए बोला, "कैसे साले दोस्त है तो दुश्मन। तू क्या बोलेगा उससे पहले मैं तुझे मुँह तोड़ दूँगा।"

    लक्ष्य एक जगह खड़ा हो गया। तभी वियान उस पर हाथ उठाने ही वाला था कि लक्ष्य बोला, "अभी तूने क्या कहा? तू मेरा मुँह क्यों तोड़ेगा?"

    वियान को एहसास हुआ कि उसने अपनी भावनाएँ न बताते हुए भी रिएक्ट करके कह दी थीं।

    लक्ष्य वहाँ से जाते हुए बोला, "चल, जल्दी मुझे एक पार्टी भी दे देना जब भाभी को पटा ले।"

    यह सुनकर वियान के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

  • 20. Our journey of love - Chapter 20

    Words: 2031

    Estimated Reading Time: 13 min

    वियान को अब अपनी भावनाएँ समझ आने लगी थीं, पर वह फिर भी कुछ उलझन में था। अगर उसने जोया को अपनी भावनाएँ बताईं और जोया दुखी हुई, तो? और अगर जोया के दिल में कोई और हो, तो? ये सब सोचकर वियान अंदर ही अंदर बेचैन हो जाता था।


    अगले दिन सभी को घर जाने के लिए निकलना था। शिवम, जोया और कार्तिक कोलकाता के लिए दोपहर की उड़ान से जा रहे थे, जबकि लक्ष्य, सिया और वियान शाम की उड़ान से इंदौर जा रहे थे। इसलिए सभी ने दोपहर का भोजन साथ में करने का फैसला किया।


    सभी बनारस के एक प्रसिद्ध फाइव स्टार होटल में भोजन करने के लिए गए थे। सभी एक गोल मेज के इर्द-गिर्द बैठे, अपने-अपने खाने के मेन्यू को देख रहे थे। शिवम और सिया साथ बैठे थे, कार्तिक और लक्ष्य एक तरफ, और वियान और जोया, अनजाने में ही सही, एक-दूसरे के बगल में बैठ गए थे।


    वियान की नज़रें बार-बार जोया पर जा रही थीं, पर जोया को इसकी खबर नहीं थी। वह चुपचाप अपना मेन्यू देख रही थी।


    जोया ने आज एक पिंक टॉप और व्हाइट जीन्स पहनी हुई थी। उसने अपने बालों का हाई पोनीटेल बनाया था, कानों में छोटे से ईयररिंग्स पहने थे और पैरों में साधारण चप्पलें पहनी थीं। वह बहुत ही मनमोहक लग रही थी। उसकी सादगी वियान को बहुत पसंद आई। जोया को ज़्यादा मेकअप करना पसंद नहीं था, पर उसकी गोरी त्वचा बहुत खूबसूरत लगती थी।


    सभी ने अपना खाना ऑर्डर किया। जोया और सिया ने राजमा-चावल मंगाया था। शिवम ने कटलेट्स और लेमन राइस मंगाया था, जबकि लक्ष्य और कार्तिक ने शाही पनीर, नान, सलाद और वेज बिरयानी मंगाई थी।


    वियान ने जीरा राइस, दाल और सलाद मंगाया था।


    वियान को इतना साधारण खाना खाते देख जोया ने पूछा, "डॉक्टर वियान, आप इतना साधारण खाना खा रहे हैं?"


    वियान ने कहा, "हाँ, मुझे साधारण खाना ही ज़्यादा पसंद है। और वैसे भी, एक डॉक्टर को तो अपनी सेहत का ख्याल रखना ही आना चाहिए।"


    उसकी बात सुनकर जोया मन ही मन सोचने लगी, 'साधारण खाना खाना चाहिए, पर हर वक़्त नहीं! सच में बहुत अजीब है। हम सबने यहाँ इतना अच्छा खाना मंगाया है, और ये इतना साधारण खाना खा रहे हैं! इन्हें कौन समझ सकता है?' जोया ने अपने विचारों को दरकिनार कर दिया। पर वियान को शायद उसके मन की बात समझ आ गई थी, क्योंकि उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ गई।


    सिया की नज़रें वियान और जोया पर थीं। उसने कोहनी मारकर शिवम को देखने को कहा। शिवम को कुछ समझ नहीं आया, इसलिए उसने सिया को देखकर गर्दन उठाई। सिया ने उसे घूरते हुए सिर हिलाया और चुपचाप अपना खाना खाने लगी।


    कुछ देर में सभी ने अपना भोजन समाप्त किया और अपने होटलों को चले गए। अब उनकी उड़ान का समय हो गया था।


    सभी पहले शिवम, जोया और कार्तिक को एयरपोर्ट छोड़ने गए। उसी एयरपोर्ट से वे इंदौर भी जा रहे थे। शिवम, जोया और कार्तिक की उड़ान दोपहर 2:30 बजे की थी, जबकि वियान, सिया और लक्ष्य की उड़ान 4:30 बजे की थी।


    सबसे पहले कोलकाता के लिए शिवम, जोया और कार्तिक निकल गए। दो घंटे बाद वियान, सिया और लक्ष्य इंदौर के लिए निकल गए। उन्हें इंदौर पहुँचने में एक घंटा लगा।


    कोलकाता, बनर्जी हाउस।


    जोया और शिवम डेढ़ महीने बाद अपने घर लौटे थे। उनके माता-पिता के चेहरे पर खुशी साफ़ झलक रही थी।


    जोया और शिवम की छोटी बहन सोनिया बनर्जी भी बनारस से कल ही लौटी थी। सोनिया को देखकर जोया और शिवम के चेहरे पर मुस्कान आ गई। सोनिया हाथ जोड़कर उनके सामने खड़ी हो गई। जोया और शिवम एक-दूसरे को देखने लगे। फिर सोनिया, चेहरे पर गुस्सा लाते हुए बोली, "आप दोनों बहुत बुरे हो! आप लोग डेढ़ महीने से बनारस में थे, लेकिन एक बार भी मुझसे मिलने नहीं आए! यह बिल्कुल भी उचित नहीं है, जोया, शिवम भाई!"


    जोया ने सोनिया को गले लगाते हुए कहा, "अरे सोनू बाबू, हम लोग एक महत्वपूर्ण काम में थे, जिसमें हमें खतरा भी हो सकता था। अगर हम तुमसे मिलते, तो तुम्हें भी खतरा हो जाता। इसलिए हमने तुमसे ना मिलने को ही सही समझा।"


    शिवम ने कहा, "हाँ बेटा, इसलिए हम दोनों तुमसे नहीं मिले। सबसे पहले हमें अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है।"


    सोनिया, मुँह फुलाकर बोली, "अच्छा, ठीक है। इस बार माफ़ किया।" फिर तीनों भाई-बहन एक-दूसरे को गले लगाते हैं। जोया और शिवम अपने माता-पिता से मिलते हैं।


    आज जोया की माँ, मीनाक्षी जी, कुछ ज़्यादा ही खुश थीं। आज उनके तीनों बच्चे एक साथ थे। इसलिए उन्होंने अपने तीनों बच्चों का पसंदीदा खाना बनाया था, जिसे वह प्यार से अपने हाथों से खिला रही थीं: जोया के लिए रसगुल्ला, शिवम के लिए बैंगन भर्ता और चावल, और सोनिया के लिए फिश करी।


    तीनों खाना देखकर खुश हो गए और मजे से खाना खाने लगे।


    इंदौर, मध्य प्रदेश।


    वियान और सिया भी अपने घर, आहूजा हाउस, पहुँच चुके थे। रणवीर आहूजा और आशिका आहूजा दोनों ही उनका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।


    सिया सबसे पहले अपने पिता के गले मिली। इसे देखकर आशिका जी का मुँह बन गया। फिर वियान अपनी माँ के गले लगते हुए बोला, "अरे मॉम, वो तो डैड की फेवरेट हैं, पर आपकी फेवरेट तो मैं हूँ!" आशिका जी ने वियान को गले लगाते हुए कहा, "बिल्कुल, तुम तो मेरी जान हो!" तभी सिया आकर आशिका जी के गले लग गई और बोली, "हाँ, और मैं भी!"


    आशिका जी ने कहा, "अभी तो अपने-अपने पिता पर प्यार लुटा रही थीं! सबसे पहले आते ही उनसे मिली, जबकि वो तुमसे कुछ दिन पहले मिल चुके थे! और मैं तो तुमसे डेढ़ महीने बाद मिल रही हूँ, लेकिन मजाल है कि तुम अपनी माँ से मिलने आओ!"


    सिया ने अपनी माँ के गाल पर किस करते हुए कहा, "अरे मॉम, मुझे अपने पिता से ज़्यादा प्यार है!" फिर वह आशिका जी के गले लग गई। वियान भी रणवीर जी के गले लगाता है।


    रात को डिनर के समय सभी डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। आशिका जी और रणवीर जी वियान और सिया को खाना परोस रहे थे।


    खाना खाते हुए रणवीर जी ने आशिका जी से कहा, "आशिका, मैंने तुमसे कहा था ना कि सिया को एक लड़का पसंद है, जो एक एसीपी है।"


    उनकी बात सुनकर आशिका जी के हाथ रुक गए। उन्होंने रणवीर जी को देखा, फिर उनकी नज़रें सिया पर गईं। सिया के चेहरे पर थोड़ी घबराहट आ गई।


    क्योंकि उसकी माँ थोड़ी सख्त हैं, और जिस तरह आशिका जी उसे देख रही थीं, उसे और भी डर लग रहा था। वियान के चेहरे पर मुस्कान थी। वह जानता था कि उसकी माँ ये सब क्यों कर रही है।


    आशिका जी थोड़े सख्त लहजे में बोलीं, "ये क्या सुन रही हूँ मैं? सिया, तुम्हें कोई लड़का पसंद है?"


    सिया की तो साँसें अटक गईं। वह भले ही एजेंट थी, सब से लड़ सकती थी, पर अपनी माँ के सामने हमेशा चुप हो जाती थी।


    सिया डरते-डरते हां में सिर हिलाई। आशिका जी ने उसे कुछ देर घूर कर देखा, फिर मुस्कुराते हुए कहा, "अरे, इसमें कोई पाप थोड़े ही किया है? किसी को पसंद करना अच्छी बात है। पर ये बात सबसे पहले तुम मुझे बतातीं, तो मुझे अच्छा लगता। हर बात सबसे पहले अपने माता-पिता को बताना ज़रूरी है, ना?"


    रणवीर जी बोले, "अरे, तुम्हें हमारे बाप-बेटी के रिश्ते में क्या दिक्कत है? तुम वियान के साथ रहो, मैं अपनी सिया के साथ।"


    आशिका जी बोलीं, "हाँ, हाँ, ठीक है।" फिर सिया को देखकर बोलीं, "मुझे नहीं लगा था तुम्हारी पसंद इतनी अच्छी होगी।"


    सिया अब रिलैक्स हो गई और मुस्कुराते हुए बोली, "हाँ, शिवम अच्छे हैं।"


    वियान बोला, "हाँ, हाँ, अब तो यही शिवम अच्छे लगेंगे।"


    सिया चिढ़ाते हुए बोली, "भाई, आप मुझे चिढ़ाना बंद करो।"


    आशिका जी बोलीं, "चुप करो तुम दोनों! सिया बेटा, शिवम से बात कर लो, ताकि हम उनके परिवार वालों से बात करके तुम्हारा रिश्ता पक्का कर दें।"


    सिया खुशी-खुशी अपना फोन निकालकर शिवम को कॉल करने लगी, तभी वियान बोला, "अरे अरे, कल करना! इतनी रात को फोन कर रही हो! थोड़ा सब्र भी रखो! इतनी जल्दी बनर्जी हाउस जाना है तुम्हें?"


    उसकी बात पर सिया झेंप गई। आशिका जी, वियान और रणवीर जी हँसने लगे।


    कोलकाता, बनर्जी हाउस।


    शिवम ने अपने परिवार के सदस्यों को सारी बातें बता दी थीं - कैसे उन्होंने उस मशीन को पूरा किया। यह सुनकर संजीव जी ने उन दोनों पर गर्व करते हुए कहा, "मुझे पता था कि मेरे दोनों बच्चे कभी हार नहीं मानेंगे। ऐसे ही काम करते रहो।"


    मीनाक्षी जी थोड़ी चिंता जताते हुए जोया को देखकर बोलीं, "बेटा, जब उन्होंने तुम्हें किडनैप किया था, तो तुम्हें ज़्यादा चोट तो नहीं लगी ना?" एक माँ का दिल था, इसलिए वह अपनी बेटी को दर्द में नहीं देख सकती थी। जोया ने उन्हें गले लगाते हुए कहा, "बिल्कुल नहीं मम्मी, मैं बिल्कुल ठीक हूँ।"


    मीनाक्षी जी: "तुम सही बोल रही हो?"
    जोया: "हाँ मम्मी, बिल्कुल ठीक हूँ।"


    फिर जोया शिवम को देखकर बोली, "अब आगे की भी बात बताओ, अपनी ज़िंदगी के बारे में। हमारी तो हो गई।" शिवम थोड़ा मुस्कुराया। मीनाक्षी जी और संजीव जी एक-दूसरे को देखने लगे। तभी सोनिया बोली, "कहीं भाई ने अपने लिए लड़की तो नहीं पसंद कर ली?"


    इस बात पर जोया ने हाँ में सिर हिलाया। सोनिया जाकर शिवम के हाथ को हिलाते हुए बोली, "तो भाई, बोलो ना! कौन पसंद आ गई? कौन होगी मेरी भाभी?" शिवम बोला, "एक मिनट, एक मिनट! इतना जल्दी क्या है?"


    मीनाक्षी जी: "हाँ शिवम बेटा, बोलो, कौन पसंद है तुम्हें?"


    शिवम कुछ बोलता, उससे पहले ही जोया बोली, "आपको मेरी दोस्त सिया आहूजा के बारे में तो पता ही है।"


    मीनाक्षी जी: "हाँ, वही ना, जो तुम्हारे साथ कॉलेज में थी, और तुम दोनों अभी साथ ही एजेंट के काम में हो।"


    जोया ने हाँ कहा। मीनाक्षी जी बोलीं, "अरे, वो तो बहुत प्यारी बच्ची है! एक बार यहाँ आई थी। मुझे तो सच में अच्छी लगी थी। मैंने उस समय सोचा था कि शिवम की शादी इसी से करूँगी।"


    जोया: "तो आपकी इच्छा पूरी हो गई समझो।"


    तभी संजीव जी बोले, "अगर बच्चों को एक-दूसरे पसंद है, तो अब हमें इस बात को आगे बढ़ाना चाहिए। जल्द ही उनके घरवालों से बात करके इन दोनों का रिश्ता तय कर देना चाहिए।"


    मीनाक्षी जी बोलीं, "इसमें कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना? क्योंकि हम बंगाली हैं, और वो आहूजा हैं।"


    शिवम: "नहीं मम्मी, ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला।"


    मीनाक्षी जी: "तब तो बड़ी खुशी की बात है।"


    क्रमशः…